बाज़ का पुनर्जन्म motivational story

Post on 20-Mar-2017

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बाज लगभग 70 वर्ष� जीता है परन्तु अपने जीवन के 40वें वर्ष� में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण� निनर्ण�य लना पड़ता है ।

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उस अवस्था में उसके शरीर के 3 प्रमुख अंग निनष्प्रभावी होने लगते

हैं – पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है, तथा शिशकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं ।

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चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है, और भोजन में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है । पंख भारी हो जाते हैं, और सीने से शिचपकने के कारर्ण पूर्ण�रूप से खुल नहीं पाते हैं, उड़ान को सीमिमत कर देते हैं ।

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भोजन ढँूढ़ना, भोजन पकड़ना, और भोजन खाना .. तीनों प्रनिGयायें अपनी धार खोने लगती हैं ।

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उसके पास तीन ही निवकल्प बचते हैं….

1. देह त्याग दे,

2. अपनी प्रवृत्तिN छोड़ निगद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निनवा�ह करे !!

3. या निSर “स्वयं को पुनस्था�निपत करे” आकाश के निनर्द्व�न्द एकामिधपनित के रूप में.

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जहाँ पहले दो निवकल्प सरल और त्वरिरत हैं, अंत में बचता हैतीसरालम्बा औरअत्यन्त पीड़ादायी रास्ता।

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बाज चुनता है तीसरा रास्ता और स्वयं को पुनस्था�निपत करता है ।

.. वह निकसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, एकान्त में अपना घोंसला बनाता है .. और तब स्वयं को पुनस्था�निपत करने की प्रनिGया प्रारम्भ करता है ! 

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सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार मार कर तोड़ देता है, चोंच तोड़ने से अमिधक पीड़ादायक कुछ भी नहीं है पक्षीराज के शिलये और वह प्रतीक्षा करता है चोंच के पुनः उग आने का । उसके बाद वह अपने पंजे भी उसी प्रकार तोड़ देता है, और प्रतीक्षा करता है पंजों के पुनः उग आने का ।

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नयी चोंच और पंजे आने के बाद वह अपने भारी पंखों को एक-

एक कर नोंच कर निनकालता है और प्रतीक्षा करता है पंखों के पुनः उग आने की ।

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150 दिदन की पीड़ा और प्रतीक्षा के बाद मिमलती है वही भव्य और ऊँची उड़ान पहले जैसी. इस पुनस्था�पना के बाद वह 30 साल और जीता है ऊजा�, सम्मान और गरिरमा के साथ ।

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इसी प्रकार इच्छा, सनिGयता और कल्पना, तीनों निनब�ल पड़ने लगते हैं हम इंसानों में भी !

हमें भी भूतकाल में जकडे़ अस्तिस्तत्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी ।

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150 दिदन न सही 60 दिदन ही निबताया जाये स्वयं को पुनस्था�निपत

करने में ! जो शरीर और मन से शिचपका हुआ है, उसे तोड़ने और नोंचने में पीड़ा तो होगी ही और निSर जब बाज की तरह उड़ानें भरने को तैयार होंगे इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी, अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी ।

हर दिदन कुछ चिचंतन निकया जाए और आप ही वो व्यशिक्त हे जो खुद को सबसे बेहतर जान सकते है ।

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छोटी-छोटी शुरुवात करें परिरवत�न करने की।

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With Love…….

Prerna Patel

PRERNA Training & Consulting

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- prernatrainingnconsulting@gmail.com

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