dakshinamurti stotram (दक्षिणामूर्ति स्तोत्रं)
Post on 30-Mar-2016
420 Views
Preview:
DESCRIPTION
भगवान शिव सृष्टि के आद्य गुरु हैं। उनके भिन्न - भिन्न रूपों की साधना भक्त करते हैं। भक्तों को शिव आराधना से आत्म तृप्ति प्राप्त होती है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक भारतीय मानस भगवान् शिव को पूजता रहा है। शिव की दयालुता, उनके समान करुणावरुणालय कौन है? "शिव समान दाता नहीं" कहकर कवियों ने उनकी उदारता को प्रकट किया है।
TRANSCRIPT
top related