अम ृ त स(मणप ु र च वभेदनं ): मणप ु र च को योग, साधना, तं स, यकरण, देह स, प"ासन स, खेचरव पद ाि%त,स ू ’म शर)र जागरण व वचरण एवं और भी बह ु त सार) उपलि1धय2 क3 ाि%त म4 सव5प6र 7थान ा%त है। इस च के जागरण या भेदन के प<चात ् शर)र प ू ण> ?पेण स हो जाता है। ुधा कम लगती है या@न के आप को अयंत ह) अBप आहार क3 आव<यकता होती है। ाण शिCत का यह) उDगम EबFद ु है। अत: इस च के भेदन के प<चात आप कोई भी साधना कर ल4 स स ु @नि<चत ?प से थम बार म4 ह) साधक के गले म4 वरमाला डालने को बाIय हो जाती है। ऐसा शा72 म4 उिBलखत है। सदग ु Kदेव ने इस 7तो का उBलेख अपनी एक प ु 7तक म4 रोग म ु िCत के संदभ> म4 Lकया है। िजसम4 साधक को इस 7तो के @नय 108 पाठ 21 Nदन2 तक भगवान शव के सम उनक3 स ु वधान ु सार प ू जन कर करना चाNहए। हवन आNद क3 आव<यकता नह)ं है। बाLक उपरोCत वण>त लाभ2 म4 से क ु छ तो फलQ ु @त म4 वण>त हR और बाLक योग Sंथ2 म4। इस 7तो को मR फलQ ु @त के साथ दे रहा ह ू ं । पहला पाठ फलQ ु @त के साथ कर4। बीच के सभी पाठ म4 म ू ल 7तो का ह) पाठ कर4 और प ु न: अं@तम पाठ फलQ ु @त के साथ कर4। कोशश कर4 यNद आप एक म ू ल पाठ एक <वास म4 कर पाएं तो या Lफर दो सांस म4 कर4। 2—3 Nदन2 के अTयास से ह) ये संभव हो जाएगा। गहर) <वास ल4 और पाठ ारंभ कर4। 1 या 2 <वास म4 म ू ल पाठ को संपFन कर4। <वास का @नयम फलQ ु @त के लए नह)ं है। पहले ग ु K, गणेश, गौर) और भैरव का प ू जन कर ल4। सदग ु Kदेव से आVा लेकर इस साधना म4 व ृ त ह2। यNद आपके पास शवलंग या महाम ृ य ु जय यं हो तो उसका प ू जन कर4 या भगवान Qी @नखल या Qीशव के Wच के सामने भी कर सकते हR। रोग क3 गंभीरता को देखता ह ु ए आप पाठ क3 संXया म4 व ृ कर ल4। और उपरोCत वण>त लाभ2 क3 ाि%त के लए इस 7तो को @नय 1100 बार िजसम4 आपको क ु ल 5—6 घंटे लग4गे , कर4। इसम4 समय सीमा का उBलेख नह)ं है परंत ु साधक को 7वत: ह) पता चलने लगता है Lक उसे Lकन Lकन उपलि1धय2 क3 ाि%त हो रह) है और Lकतने समय म4 उसे प ू ण> स ा%त हो सकती है। इसम4 श1द2 का उ[चारण श ु कर4। Cय2Lक मणप ू र का वभेदन इस 7तो के Iव@न वVान पर आधा6रत है। मणप ू र वभेदकम ् 7तोम ् म ू ल पाठ: ऊँ नम: परमकBयाण नम7ते व<वभावन। नम7ते पाव>तीनाथ उमाकाFत नमो7त ु ते।। व<वामने अवWचFयाय ग ु णाय @नग ु > णाय च। धमा>य अVानभाय नम7ते सव>योWगने। नम7ते काल?पाय ैलोCयरणाय च।।