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  • तताँरा-वामीरो कथा

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    ूश्न (1) तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है? उत्तर: तताँरा-वामीरो अदमान िनकोवार द्वीप समहु की ूचिलत लोक कथा है। ूश्न (2) वामीरो अपना गाना क्यों भलू गई? उत्तर: वामीरो सागर के िकनारे गा रही थी। अचानक समिु की ऊँची लहर ने उसे िभगो िदया, इसी हड़बडाहट में वह गाना भलू गई। ूश्न (3) तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की? उत्तर: तताँरा ने वामीरो से याचना की िक वह कल इसी ःथान पर आए और उसकी ूितक्षा करे। ूश्न (4) तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीित थी? उत्तर: तताँरा और वामीरो के गाँव की रीित थी िक बाहर के िकसी गाँव वाले से िववाह सबंंध नहीं हो सकता था। ूश्न (5) बोध में तताँरा ने क्या िकया? उत्तर: बोध में तताँरा का हाथ कमर पर लटकी तलवार पर चला गया और उसने तलवार िनकाल कर ज़मीन में गाड़ दी। ूश्न (6) िनकोबार द्वीप समहू के िवभक्त होने के बारे में िनकोबािरयों का क्या िवश्वास है? उत्तर: िनकोबािरयों का िवश्वास था िक पहले अडंमान िनकोबार दोनों एक ही द्वीप थे। इनके दो होने के पीछे तताँरा-वामीरो की लोक कथा ूचिलत है। ये दोनों ूेम करते थे। दोनों एक गाँव के नहीं थे। इसिलए रीित अनुसार िववाह नहीं हो सकती थी। रूिढ़यों में जकड़ा होने के कारण वह कुछ कर भी नहीं सकता था। उसे अत्यिधक बोध आया और उसने बोध में अपनी तलवार धरती में गाड़ दी और उसे खींचते खींचते वह दरू भागता चला गया। इससे ज़मीन दो भागों में बँट गई - एक िनकोबार और दसूरा अडंमान। ूश्न (7) तताँरा खूब पिरौम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के ूाकृितक सौंदयर् का वणर्न अपने शब्दों में कीिजए। उत्तर: तताँरा िदनभर खबू पिरौम करने के बाद समिु के िकनारे टहलने िनकल गया। समिु से ठंडी हवाएँ आ रही थी। पिक्षयों की चहचहाट धीरे-धीरे कम हो रही थी। डुबते सरूज़ की िकरणें समिु के पानी पर पड़कर रंग-िबरंगी रोशनी छोड़ रही थी। समिु का पानी बहते हुए आवाज़ कर रहा था मानो कोई गीत गा रहा हो। पूरा वातावरण बहुत मोहक लग रहा था। ूश्न (8) वामीरो से िमलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या पिरवतर्न आया? उत्तर: वामीरो से िमलने के बाद तताँरा बहुत बैचेन रहने लगा। वह अपनी सधुबुध खो बैठा। वह शाम की ूितक्षा करता जब वह वामीरो से िमल सके। वह िदन ढलने से पहले ही लपाती की समिुी चट्टान पर पहँुच गया। उसे एक-एक पल पहाड़ जसैा लग रहा था। उसे वामीरो के न आने की आशंका होने लगती है। लपाती के राःते पर वामीरो को देखने के िलए नज़रे दौड़ाता। जसेै ही वामीरो आई उसे देखते ही वह शब्दहीन हो एकटक देखने लगा।

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    ूश्न (9) ूाचीन काल में मनोरंजन और शिक्त ूदशर्न के िलए िकस ूकार के आयोजन िकए जाते थे? उत्तर: ूाचीन काल में हष्ट पुष्ट पशओुं के साथ शिक्त ूदशर्न िकए जाते थे। लड़ाकू साँडों, शेर, पहलवानों की कुँती, तलवार बाजी जसेै शिक्त ूदशर्न के कायर्बम होते थे। तीतर, बटेर की लड़ाई, पंतगबाजी, पैठे लगाना िजसमें िविशष्ठ सामिमयाँ िबकती। खाने पीने की दकुाने, जानवरों की नुमाइश, ये सभी मनोरंजन के आयोजन होते थे। ूश्न (10) रूिढ़याँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों? ःपष्ट कीिजए। उत्तर: रूिढ़यां और बंधन समाज को अनुशािसत करने के िलए बनते हैं परन्तु इन्हीं के द्वारा मनुंय की भावना आहत होने लगे, बंधन बनने लगे और बोझ लगने लगे तो उसका टूट जाना ही अच्छा होता है। िजस ूकार तताँरा वामीरो से ूेम करता है, उससे िववाह करना चाहता है परन्तु गाँव के लोग तताँरा को पसदं नहीं करते हैं। वे इस समय िवरोध करते हैं और अन्त में उन्हें अपनी जान देनी पड़ती है। इस तरह की रूिढ़याँ भला करने की जगह नुकसान करती हैं तो उन्हें टूट जाना समाज के िलए बेहतर है। ूश्न (11) िनम्निलिखत का आशय ःपष्ट कीिजए − जब कोई राह न सझूी तो बोध का शमन करने के िलए उसमें शिक्त भर उसे धरती में घोंप िदया और ताकत से उसे खींचने लगा। उत्तर: तताँरा-वामीरो को पता लग गया था िक उनका िववाह नहीं हो सकता था। िफर भी वे िमलते रहे। एक बार पशु पवर् मे वामीरो तताँरा से िमलकर रोने लगी। इस पर उसकी माँ ने बोध िकया और तताँरा को अपमािनत िकया। तताँरा को भी बोध आने लगा। अपने गुःसे को शान्त करने के िलए अपनी तलवार को ज़मीन में गाड़ कर खींचता चला गया। इस तरह उसने धरती को चीर कर बोध को शान्त िकया। ूश्न (12) िनम्निलिखत का आशय ःपष्ट कीिजए − बस आस की एक िकरण थी जो समुि की देह पर डूबती िकरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी। उत्तर: तताँरा ने वामीरो से िमलने के िलए कहा और वह शाम के समय उसकी ूतीक्षा भी कर रहा था। जसेै-जसेै सरूज डूब रहा था, उसको वामीरो के न आने की आशंका होने लगती। िजस ूकार सयूर् की िकरणें समिु की लहरों में कभी िदखती तो कभी िछप जाती थी, उसी तरह तताँरा के मन में भी उम्मीद बनती और डूबने लगती थी। ूश्न (13) तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था? उत्तर: तताँरा की तलवार लकड़ी की थी औऱ हर समय तताँरा की कमर पर बँधी रहती थी। वह इसका ूयोग सबके सामने नहीं करता था। उसमें अद्भतु दैवीय शिक्त थी। इसिलए तताँरा के साहिसक कारनामों के चचेर् चारों तरफ़ थे। वाःतव में वह तलवार एक िवलक्षण रहःय थी। ूश्न (14) वामीरों ने तताँरा को बोरूखी से क्या जवाब िदया? उत्तर: वामीरों ने तताँरा को बेरूखी से जवाब िदया क्योंिक वह अपने गाँव के युवक के अलावा िकसी से भी बात नहीं करती थी। पहले वह बताए िक वह कौन है जो इस तरह ूश्न पूछ रहा है। ूश्न (15) तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मतृ्यु से िनकोबार में क्या पिरवतर्न आया?

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    उत्तर: तताँरा-वामीरो के गाँव वालों में पहले आपसी सबंंध नहीं थे। िववाह तो दरू वे आपस में बात भी नहीं करते थे परन्तु इनकी त्यागमयी मतृ्यु के बाद दोनों के गाँव में आपसी सबंंध बनने लगे और वैवािहक सबंंध भी बनने लगे। ूश्न (16) िनकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसदं करते थे? उत्तर: िनकोबार के लोग तताँरा को उसके आत्मीय ःवभाव के कारण पसन्द करते थे, उससे बेहद ूेम करते थे। वह नेक ईमानदार और साहसी था। वह मसुीबत के समय भाग भागकर सबकी मदद करता था। ूश्न (17) नीचे िदए गए शब्दों में से मलू शब्द और ूत्यय अलग करके िलिखए −

    शब्द मलू शब्द ूत्यय

    चिचर्त ------------------- -------------------

    साहिसक ------------------- -------------------

    छटपटाहट ------------------- -------------------

    शब्दहीन ------------------- -------------------

    उत्तर: शब्द मलू शब्द ूत्यय

    चिचर्त चचार् इत

    साहिसक साहस इक

    छटपटाहट छटपट आहट

    शब्दहीन शब्द हीन ूश्न (18) नीचे िदए गए शब्दों में उिचत उपसगर् लगाकर शब्द बनाइए −

    ------------------ + आकषर्क = ------------------

    ------------------ + ज्ञात = ------------------

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    ------------------ + कोमल = ------------------

    ------------------ + होश = ------------------

    ------------------ + घटना = ------------------

    उत्तर:

    अन + आकषर्क = अनाकषर्क

    अ + ज्ञात = अज्ञात

    स ु + कोमल = सकुोमल

    बे + होश = बेहोश

    दरु ् + घटना = दघुर्टना ूश्न (19) िनम्निलिखत वाक्यों को िनदेर्शानुसार पिरवितर्त कीिजए −

    (क) जीवन में पहली बार मैं इस तरह िवचिलत हुआ हँू। (िमौवाक्य) (ख) िफर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर िठठक गई। (सयंुक्त वाक्य) (ग) वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। (सरल वाक्य) (घ) तताँरा को देखकर वह फूटकर रोने लगी। (सयंकु्त वाक्य) (ङ) रीित के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवँयक था। (िमौवाक्य)

    उत्तर: (क) जीवन में यह पहला अवसर है जब में िवचिलत हँू। (ख) िफर तेज़ कदमों से चलती हुई आई और तताँरा के सामने आकर िठठक गई। (ग) वामीरो कुछ सचेत होकर घर की तरफ़ दौड़ी। (घ) उसने तताँरा को देखा और वह फूटकर रोने लगी। (ङ) ऐसी रीित थी िक दोनों एक ही गाँव के हो।

    ूश्न (20) नीचे िदए गए शब्दों के िवलोम शब्द िलिखए − भय, मधुर, सभ्य, मकू, तरल, उपिःथित, सखुद।

    उत्तर: भय अभय

    मधुर ककर् श

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    सभ्य असभ्य

    मकू वाचाल

    तरल ठोस

    उपिःथित अनुपिःथित

    दखुद सखुद ूश्न (21) नीचे िदए गए शब्दों के दो-दो पयार्यवाची शब्द िलिखए −

    समिु, आँख, िदन, अधेँरा, मकु्त। उत्तर:

    समिु - सागर, जलिध

    आँख - नेऽ, चक्ष ु

    िदन - िदवस, वासर

    अधेँरा - तम, अधंकार

    मकु्त - आज़ाद, ःवतंऽ

    ूश्न (22) नीचे िदए गए शब्दों का वाक्यों में ूयोग कीिजए − िकंकतर्व्यिवमढ़ू, िवह्वल, भयाकुल, याचक, आकंठ। उत्तर: िकंकतर्व्यिवमढ़ू − बहुत परेशानी में ठाकुर साहब से ढेरो पैसे इनाम िमलने पर वह िकंकतर्व्यिवमढ़ू हो गया। िवह्वल − गीता बूढ़ी माँ के अिंतम क्षणों में िवह्वल हो गई। भयाकुल − वह अकेले अंधेरे घर में भयाकुल हो गया। याचक − दरवाज़े पर एक याचक खड़ा था। आकंठ − वह बहुत ही मधुर आकंठ से गीत गा रही थी। ूश्न (23) 'िकसी तरह आँचरिहत एक ठंडा और ऊबाऊ िदन गज़ुरने लगा' वाक्य में िदन के िलए िकन-िकन िवशेषणों का ूयोग िकया गया है? आप िदन के िलए कोई तीन िवशेषण और सझुाइए। उत्तर: (क) ठंडा, ऊबाऊ

    (ख) सदंुर, उजला, जोशीला।

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    ूश्न (24) इस पाठ में 'देखना' िबया के कई रूप आए हैं − 'देखना' के इन िविभन्न शब्द-ूयोगों में क्या अतंर है? वाक्य-ूयोग द्वारा ःपष्ट कीिजए।

    इसी ूकार 'बोलना' िबया के िविभन्न शब्द−ूयोग बताइए

    उत्तर:

    'देखना' िबया के इन िविभन्न शब्द-ूयोगों में िनम्निलिखत अतंर इस ूकार हैः (1) आँखें कें िित करनाः इस िबन्द ुपर अपनी आँखें कें िित करो। (2) िनिनर्मेष ताकनाः राम सधुा को िनिनर्मेष ताकता रहा। (3) नज़र पड़नाः सधुा पर मेरी नज़र पड़ गई। (4) िनहारनाः माँ बच्चे को िनहार रही थी। (5) ताकनाः गोिपयाँ कृंण को ताकती रही। (6) घूरनाः दसूरों को घूरना अच्छी बात नहीं।

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    'बोलना' िबया के िविभन्न शब्द इस ूकार हैं −

    'बोलना' िबया के इन िविभन्न शब्द-ूयोगों में िनम्निलिखत अतंर इस ूकार हैः (1) कहनाः मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हँू। (2) चुप्पी तोड़नाः राघव ने अपनी चुप्पी तोड़ी। (3) लगातार बोलते जानाः सधुा लगातार बोलती जा रही थी। (4) भाव ूकट करनाः इस काव्यांश का भाव ूकट कीिजए । (5) आवाज़ उठानाः मज़दरूों ने अपने अिधकारों के िलए आवाज़ उठाई। (6) सबको पुकाराः सधुा ने चोरों को घर पर घसुता देखकर सबको पुकारा।

    ूश्न (25) नीचे िदए गए वाक्यों को पिढ़ए −

    (क) ँयाम का बड़ा भाई रमेश कल आया था। (सजं्ञा पदबंध) (ख) सनुीता पिरौमी और होिशयार लड़की है। (िवशेषण पदबंध) (ग) अरुिणमा धीरे-धीरे चलते हुए वहाँ जा पहँुची। (िबया िवशेषण पदबंध) (घ) आयुष सरुिभ का चुटकुला सनुकर हँसता रहा। (िबया पदबंध) ऊपर िदए गए वाक्य (क) में रेखांिकत अशं में कई पद हैं जो एक पद संज्ञा का काम कर रहे हैं। वाक्य (ख) में तीन पद िमलकर िवशेषण पद का काम कर रहे हैं। वाक्य (ग) और (घ) में कई पद िमलकर बमश: िबया िवशेषण और िबया का काम कर रहे हैं। ध्विनयों के साथर्क समहू को शब्द कहते हैं और वाक्य में ूयुक्त शब्द 'पद' कहलाता है; जसेै - 'पेड़ों पर पक्षी चहचहा रहे थे।' वाक्य में 'पेड़ों' शब्द पद है क्योंिक इसमें अनेक व्याकरिणक िबंद ुजड़ु जाते हैं। कई पदों के योग से बने वाक्यांश को जो एक ही पद का काम करता है, पदबंध कहते हैं। पदबंध वाक्य का एक अशं होता है।

    पदबंध मखु्य रुप से चार ूकार के होते हैं − • सजं्ञा पदबंध • िबया पदबधं

    • िवशेषण पदबंध • िबयािवशेषण पदबधं

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    वाक्यों के रेखांिकत पदबंधों का ूकार बताइए − (क) उसकी कल्पना में वह एक अद्भतु साहसी युवक था। (ख) तताँरा को मानो कुछ होश आया। (ग) वह भागा-भागा वहाँ पहँुच जाता। (घ) तताँरा की तलवार एक िवलक्षण रहःय थी। (ङ) उसकी व्याकुल आँखें वामीरों को ढँूढने में व्यःत थीं।

    उत्तर: (क) िवशेषण पदबंध (ख) िबया पदबंध (ग) िबया िवशेषण पदबंध (घ) सजं्ञा पदबंध (ङ) सजं्ञा पदबंध

    ूश्न (26) िनम्निलिखत वाक्यों के सामने िदए कोष्ठक में (✓) का िचह्न लगाकर बताएँ िक वह वाक्य िकस ूकार का है −

    (क) िनकोबारी उसे बेहद ूेम करते थे। (ूश्नवाचक, िवधानवाचक, िनषेधात्मक, िवःमयािदबोधक) (ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ िदया? (ूश्नवाचक, िवधानवाचक, िनषेधात्मक, िवःमयािदबोधक) (ग) वामीरो की माँ बोध में उफन उठी। (ूश्नवाचक, िवधानवाचक, िनषेधात्मक, िवःमयािदबोधक) (घ) क्या तुम्हें गाँव का िनयम नहीं मालमू? (ूश्नवाचक, िवधानवाचक, िनषेधात्मक, िवःमयािदबोधक) (ङ) वाह! िकतना सदंुर नाम है। (ूश्नवाचक, िवधानवाचक, िनषेधात्मक, िवःमयािदबोधक) (च) मैं तुम्हारा राःता छोड़ दूँगा। (ूश्नवाचक, िवधानवाचक, िनषेधात्मक, िवःमयािदबोधक)

    उत्तर: (क) िनकोबारी उसे बेहद ूेम करते थे। िवधानवाचक

    (ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ िदया? ूश्नवाचक

    (ग) वामीरो की माँ बोध में उफन उठी। िवधानवाचक

    (घ) क्या तुम्हें गाँव का िनयम नहीं मालमू? ूश्नवाचक

    (ङ) वाह! िकतना सदंुर नाम है। िवःमयािदबोधक

    (च) मैं तुम्हारा राःता छोड़ दूँगा। िवधानवाचक

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    ूश्न (27) िनम्निलिखत महुावरों का अपने वाक्यों में ूयोग कीिजए − (क) सधु-बुध खोना (ख) बाट जोहना (ग) खूशी का िठकाना न रहना (घ) आग बबूला होना (ङ) आवाज़ उठाना

    उत्तर: (क) सधु-बुध खोना - अचानक बहुत से मेहमानों को देखकर गीता ने अपनी सधुबुध खो दी। (ख) बाट जोहना - शाम होते ही माँ सबकी बाट जोहने लगती। (ग) खुशी का िठकाना न रहना - आई. ए. एस. की परीक्षा में उत्तीणर् होने पर मोहन का खुशी का िठकाना न रहा। (घ) आग बबूला होना - शैतान बच्चों को देखकर अध्यापक आग बबूला हो गए। (ङ) आवाज़ उठाना - ूगतीशील लोगों ने रूिढ़यों के िखलाफ आवाज़ उठाई।

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  • तीसरी कसम के िशल्पकार शैलेंि

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    ूश्न (1) 'तीसरी कसम' िफ़ल्म को कौन-कौन से पुरःकारों से सम्मािनत िकया गया है? उत्तर: 'तीसरी कसम' िफ़ल्म भारत तथा िवदेशों में भी सम्मािनत हुई। इस िफल्म को राष्टर्पित द्वारा ःवणर्पदक िमला तथा बंगाल िफ़ल्म जनर्िलःट एसोिसएशन द्वारा यह सवर्ौषे्ठ िफ़ल्म चुनी गई। िफ़ल्म फेिःटवल में भी इसे पुरःकार िमला। ूश्न (2) शैलेंि ने िकतनी िफ़ल्में बनाईं? उत्तर: शैलेन्ि ने माऽ एक िफ़ल्म 'तीसरी कसम' बनाई। ूश्न (3) राजकपूर द्वारा िनदेर्िशत कुछ िफ़ल्मों के नाम बताइए। उत्तर: राजकपूर ने सगंम, मेरा नाम जोकर, बॉबी, ौी 420, सत्यम ्िशवम ्सनु्दरम,् आिद िफ़ल्में िनदेर्िशत की। ूश्न (4) 'तीसरी कसम' िफ़ल्म के नायक व नाियकाओ ं के नाम बताइए और िफ़ल्म में इन्होंने िकन पाऽों का अिभनय िकया है? उत्तर: इस िफ़ल्म में राजकपूर ने 'हीरामन' और 'वहीदा रहमान' ने हीराबाई की भिूमका िनभाई है। ूश्न (5) िफ़ल्म 'तीसरी कसम' का िनमार्ण िकसने िकया था? उत्तर: 'तीसरी कसम' िफ़ल्म का िनमार्ण 'शैलेन्ि' ने िकया था? ूश्न (6) राजकपूर ने 'मेरा नाम जोकर' के िनमार्ण के समय िकस बात की कल्पना भी नहीं की थी? उत्तर: राजकपूर ने 'मेरा नाम जोकर' बनाते समय यह सोचा भी नहीं था िक इस िफ़ल्म का एक ही भाग बनाने में छह वषोर्ं का समय लग जाएगा। ूश्न (7) राजकपूर की िकस बात पर शैलेंि का चेहरा मुरझा गया? उत्तर: तीसरी कसम की कहानी सनुने के बाद जब राजकपूर ने गम्भीरता से मेहनताना माँगा तो शैलेंि का चेहरा मरुझा गया क्योंिक उन्हें ऐसी उम्मीद न थी। ूश्न (8) िफ़ल्म समीक्षक राजकपूर को िकस तरह का कलाकार मानते थे? उत्तर: िफ़ल्म समीक्षक राजकपूर को उत्कृष्ट कलाकार और आँखों से बात करने वाले कलाकार मानते थे। ूश्न (9) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) िलिखए × 'तीसरी कसम' िफ़ल्म को सेल्यूलाइट पर िलखी किवता क्यों कहा गया है? उत्तर: तीसरी कसम िफ़ल्म की कथा फणीश्वरनाथ रेण ुकी िलखी सािहित्यक रचना है। सेल्यूलाइट का अथर् है- 'कैमरे की रील' यह िफ़ल्म भी किवता के समान भावुकता, सवेंदना, मािमर्कता से भरी हुई कैमरे की रील पर उतरी हुई िफ़ल्म है। इसिलए इसे सेल्यूलाइट पर िलखी किवता है (रील पर उतरी हुई िफ़ल्म है)। इसिलए इसे सेल्युलाइट पर िलखी किवता कहा गया है।

  • तीसरी कसम के िशल्पकार शैलेंि

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    ूश्न (10) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए × 'तीसरी कसम' िफ़ल्म को खरीददार क्यों नहीं िमल रहे थे? उत्तर: 'तीसरी कसम' िफ़ल्म को खरीददार नहीं िमल सके क्योंिक िफ़ल्मकार अपनी िफ़ल्म पैसों के िहसाब से खरीदते हैं िक उन्हें िकतना लाभ िमलेगा। इस िफ़ल्म से उन्हें लाभ िमलने की उम्मीद बहुत कम थी। ूश्न (11) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - शैलेन्ि के अनुसार कलाकार का कतर्व्य क्या है? उत्तर: शैलेन्ि के अनुसार कलाकार का उदे्धँय दशर्कों की रूची की आड़ में उथलेपन को थोपना नहीं चािहए बिल्क उनका पिरंकार करना चािहए। कलाकार का दाियत्व ःवःथ एवं सुदंर समाज की रचना करना है, िवकृत मानिसकता को बढ़ावा देना नहीं है। ूश्न (12) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - िफ़ल्मों में ऽासद िःथितयों का िचऽांकन ग्लोिरफ़ाई क्यों कर िदया जाता है। उत्तर: िफ़ल्मों में ऽासद को इतना ग्लोिरफ़ाई कर िदया जाता है िजससे िक दशर्कों का भावनात्मक शोषण िकया जा सके। उनका उदे्दँय केवल िटकट-िवंडो पर एयादा से एयादा िटकटें िबकवाना होता है। उनका उदे्दँय अिधक से अिधक पैसा कमाना है। इसिलए दखु को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं जो वाःतव में सच नहीं होता है। दशर्क उसे पूरा सत्य मान लेते हैं। इसिलए वे ऽासद िःथितयों को ग्लोिरफ़ाई करते हैं। ूश्न (13) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - 'शैलेन्ि ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द िदए हैं' × इस कथन से आप क्या समझते हैं? ःपष्ट कीिजए। उत्तर: राजकपूर अिभनय में भाव-ूवण थे और शैलेन्ि गीतकार। राजकपूर ने गीतकार शैलेन्ि की िफ़ल्म में काम करना पसन्द िकया और उन्हें तरह-तरह से सलाह भी देते रहें। शैलेन्ि के गीतों के पीछे राजकपूर की भावनाएँ िछपी थी, िजन्हें उन्होंने शब्द िदए। ूश्न (14) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - लेखक ने राजकपूर को एिशया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं? उत्तर: शोमनै का अथर् है अपनी कला के ूदशर्न से एयादा से एयादा जन समदुाय इकट्ठा कर सके। वह दशर्कों को अतं तक बांधे रखता है तभी वह सफल होता है। राजकपूर भी महान कलाकार थे। िजस पाऽ की भिूमका िनभाते थे उसी में समा जाते थे। इसिलए उनका अिभनय सजीव लगता था। उन्होंने कला को ऊचाइयों तक पहँुचाया था।

  • तीसरी कसम के िशल्पकार शैलेंि

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    ूश्न (15) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - िफ़ल्म 'ौी 420' के गीत 'रातों दसों िदशाओ ं से कहेंगी अपनी कहािनयाँ' पर संगीतकार जयिकशन ने आपित्त क्यों की? उत्तर: 'रातों दसों िदशाओं से कहेंगी अपनी कहािनयाँ' पर सगंीतकार जयिकशन को आपित्त थी क्योंिक सामान्यत: िदशाएँ चार होती हैं। वे चार िदशाएँ शब्द का ूयोग करना चाहते थे लेिकन शैलेन्ि तैयार नहीं हुए। वे कलाकार का दाियत्व मानते थे, उथलेपन पर िवश्वास नहीं करते थे। ूश्न (16) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - राजकपूर द्वारा िफ़ल्म की असफलता के खतरों के आगाह करने पर भी शैलेन्ि ने यह िफ़ल्म क्यों बनाई? उत्तर: शैलेन्ि एक किव थे उन्हें फणीश्वर नाथ रेण ुकी मलू कथा की सवेंदना गहरे तक छू गई उन्हें िफ़ल्मकार िफ़ल्म व्यवसाय और िनमार्ता के िवषय में कुछ भी ज्ञान नहीं था िफर भी उन्होंने इस कथा वःतु को लेकर िफ़ल्म बनाने का िनश्चय िकया उन्हें धन या लाभ का लालाच नहीं था इसिलए आत्मसतंुिष्ट के िलए यह िफ़ल्म बनाई। ूश्न (17) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - 'तीसरी कसम' में राजकपूर का मिहमामय व्यिक्तत्व िकस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया। ःपष्ट कीिजए। उत्तर: राजकपूर अिभनय में ूवण थे वे पाऽ को अपने ऊपर हावी नही होने देते थे बिल्क उसको जीवंत कर देते थे। तीसरी कसम में भी हीरामन पर राजकपूर हावी नही था बिल्क राजकपूर ने हीरामन की आत्मा दे दी थी। उसका डकडू बैठना, नौंटकी की बाई में अपनापन खोजना, गीतगाता गाडीवान, सरल देहाती मासिमयत को चरम सीमा तक ले जाते हैं। इस तरह उनका मिहमामय व्यिक्तत्व हीरामन की आत्मा में उतर गया। ूश्न (18) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - लेखक ने ऐसा क्यों िलखा है िक तीसरी कसम ने सािहत्य-रचना के साथ शत-ूितशत न्याय िकया है? उत्तर: तीसरी कसम िफ़ल्म फणीश्वर नाथ रेण ुकी पुःतक मारे गए गुलफाम पर आधािरत है। उन्होंने पाऽों के ूंसग, व्यिक्तत्व घटनाओ ंमें कहीं कोई पिरवतर्न नही िकया कहानी में दी गई छोटी छोटी बािरिकयां छोटी छोटी बातें िफ़ल्म में पूरी तरह उतर आई। धन कमाना उनका उदे्दँय नही था उन्होंने मलू कहानी को यथा रूप में ूःतुत िकया है।

  • तीसरी कसम के िशल्पकार शैलेंि

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    ूश्न (19) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - शैलेन्ि के गीतों की क्या िवशेषताएँ हैं। अपने शब्दों में िलिखए। उत्तर: शैलेन्ि के गीत भावपूणर् थे उन्होंने धन कमाने की लालसा में गीत कभी नही िलखे। गीतों में घिटयापन या सःतपन भी नहीं था उनके गीत िदल की गहिरयों मे िनकल कर िदल को छू लेने वाले गीत थे जो अत्यन्त लोकिूय भी हुए। उनके गीतों में करूणा, सवेंदना, जझूने के संकेत थे। ूश्न (20) िनम्निलिखत के आशय ःपष्ट कीिजए - उनके गीत भाव-ूवण थे × दरुूह नहीं। उत्तर: शैलेन्ि के गीत सीधी साधी भाषा में सरसता व ूवाह िलए हुए थे। इनके गीत भावनात्मक गहन िवचारों वाले तथा सवेंदनशील थे। ूश्न (21) िनम्निलिखत ूश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) िलिखए - िफ़ल्म िनमार्ता के रूप में शैलेन्ि की िवशेषताओं पर ूकाश डािलए? उत्तर: शैलेन्ि की पहली और आिखरी िफ़ल्म 'तीसरी कसम' थी। उनकी िफ़ल्म यश और धन की इच्छा से नही बनाई गई थी। वह महान रचना थी। हीरामन व हीराबाई के माध्यम से ूेम की महानता को बताने के िलए उन्हें शब्दों की आवँयकता नहीं पड़ी वे हावभाव से ही सारी बात कह डाली। बेशक इस िफ़ल्म को खरीददार नही िमले पर शैलेन्ि को अपनी पहचान और िफ़ल्म को अनेकों पुरःकार िमले और लोगो ने इसे सराहा भी। ूश्न (22) शैलेंि के िनजी जीवन की छाप उनकी िफ़ल्म में झलकती है×कैसे? ःपष्ट कीिजए। उत्तर: शैलेंि के िनजी जीवन की छाप उनकी िफ़ल्म में झलकती है। शैलेन्ि ने झठेू अिभजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-ूवण थे − दरुुह नहीं। उनका कहना था िक कलाकार का यह कत्तर्व्य है िक वह उपभोक्ता की रुिचयों का पिरंकार करने का ूयत्न करे। उनके िलखे गए गीतों में बनावटीपन नहीं था। उनके गीतों में शांत नदी का ूवाह भी था और गीतों का भाव समिु की तरह गहरा था। यही िवशेषता उनकी िज़दंगी की थी और यही उन्होंने अपनी िफल्म के द्वारा भी सािबत िकया। ूश्न (23) लेखक के इस कथन से िक 'तीसरी कसम' िफ़ल्म कोई सच्चा किव-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? ःपष्ट कीिजए। उत्तर: लेखक के अनुसार 'तीसरी कसम' िफ़ल्म कोई सच्चा किव-हृदय ही बना सकता था। लेखक का यह कथन िबलकुल सही है क्योंिक इस िफल्म की कलात्मकता कािबल-ए-तारीफ़ है। शैलेन्ि एक सवेंदनशील तथा भाव-ूवण किव थे और उनकी सवेंदनशीलता इस िफ़ल्म में ःपष्ट रुप से मौजदू है। यह सवेंदनशीलता िकसी साधारण िफ़ल्म िनमार्ता में नहीं होती है।

  • तीसरी कसम के िशल्पकार शैलेंि

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    ूश्न (24) िनम्निलिखत के आशय ःपष्ट कीिजए - ..... वह तो एक आदशर्वादी भावुक किव था, िजसे अपार संपित्त और यश तक की इतनी कामना नहीं थी िजतनी आत्म-संतुिष्ट के सुख की अिभलाषा थी। उत्तर: इन पंिक्तयों में लेखक का आशय है िक शैलेन्ि एक ऐसे किव थे जो जीवन में आदशोर्ं और भावनाओं को सवोर्पिर मानते थे। जब उन्होंने भावनाओ,ं सवेंदनाओं व सािहत्य की िवधाओं के आधार पर 'तीसरी कसम' िफ़ल्म का िनमार्ण िकया तो उनका उदे्दँय केवल आत्मसतंुिष्ट था न िक धन कमाना। ूश्न (25) िनम्निलिखत के आशय ःपष्ट कीिजए - उनका यह दृढ़ मतंव्य था िक दशर्कों की रूिच की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चािहए। कलाकार का यह कत्तर्व्य भी है िक वह उपभोक्ता की रूिचयों का पिरंकार करने का ूयत्न करे। उत्तर: िफ़ल्म "ौी 420" के एक गाने में शैलेंि ने दसों िदशाओ ंशब्द का ूयोग िकया तो सगंीतकार जयिकशन ने उन्हें कहा िक दसों िदशाओं नहीं चारों िदशाओ ंहोना चािहए। लेिकन शैलेन्ि का कहना था िक िफ़ल्म िनमार्ताओं को चािहए िक दशर्कों की रूिच को ठीक करें। उथलेपन उन पर थोपना नहीं चािहए। ूश्न (26) िनम्निलिखत के आशय ःपष्ट कीिजए - व्यथा आदमी को परािजत नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है। उत्तर: इसमें शैलेन्ि ने बताया है िक दखु मनुंय को आगे बढ़ने की ूेरणा देता है। जब मिुँकल आती है तो वह कुछ करने की सोचने लगता है। अथार्त वह जीवन में हार नहीं मानता है। ूश्न (27) िनम्निलिखत के आशय ःपष्ट कीिजए - दरअसल इस िफ़ल्म की संवेदना िकसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है। उत्तर: धन या लाभ के लालाच में जो खरीददार िफ़ल्म खरीदते हैं यह िफ़ल्म उनके िलए नहीं है। इस िफ़ल्म की सवेंदनशीलता, उसकी भावना को वे समझ नहीं सकते थे क्योंिक इसमें कोई सःता लभुावना मसाला नहीं था। ूश्न (28) िनम्निलिखत के आशय ःपष्ट कीिजए - उनके गीत भाव-ूवण थे × दरुूह नहीं। उत्तर: शैलेन्ि के गीत सीधी साधी भाषा में सरसता व ूवाह िलए हुए थे। इनके गीत भावनात्मक गहन िवचारों वाले तथा सवेंदनशील थे। ूश्न (29) पाठ में आए िनम्निलिखत मुहावरों से वाक्य बनाइए × चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना उत्तर: चेहरा मरुझाना - अपना िरजल्ट सनुते ही उसका चेहरा मरुझा गया।

    चक्कर खा जाना - बहुत तेज़ धूप में घूमकर वह चक्कर खाकर िगर गया। दो से चार बनाना - धन के लोभी हर समय दो से चार बनाने में लगे रहते हैं। आँखों से बोलना - उसकी आँखें बहुत सनु्दर हैं लगता है वह आँखों से बोलती है।

  • तीसरी कसम के िशल्पकार शैलेंि

    - 6 -

    ूश्न (30) िनम्निलिखत शब्दों के िहन्दी पयार्य दीिजए Ð

    (क) िशद्दत ---------------

    (ख) याराना ---------------

    (ग) बमुिँकल ---------------

    (घ) खािलस ---------------

    (ङ) नावािकफ़ ---------------

    (च) यकीन ---------------

    (छ) हावी ---------------

    (ज) रेशा --------------- उत्तर:

    (क) िशद्दत ूयास

    (ख) याराना दोःती, िमऽता

    (ग) बमिुँकल किठन

    (घ) खािलस माऽ

    (ङ) नावािकफ़ अनिभज्ञ

    (च) यकीन िवश्वास

    (छ) हावी भारी पड़ना

    (ज) रेशा तंतु

  • तीसरी कसम के िशल्पकार शैलेंि

    - 7 -

    ूश्न (31) िनम्निलिखत का संिधिवच्छेद कीिजए × (क) िचऽांकन - --------------- + ---------------

    (ख) सवोर्त्कृष्ट - --------------- + ---------------

    (ग) चमोर्त्कषर् - --------------- + ---------------

    (घ) रूपांतरण - --------------- + ---------------

    (ङ) घनानंद - --------------- + --------------- उत्तर:

    (क) िचऽांकन - िचऽ + अकंन

    (ख) सवोर्त्कृष्ट - सवर् + उत्कृष्ट

    (ग) चमोर्त्कषर् - चरम + उत्कषर्

    (घ) रूपांतरण - रूप + अतंरण

    (ङ) घनानंद - घन + आनंद ूश्न (32) िनम्निलिखत का समास िवमह कीिजए और समास का नाम िलिखए ×

    (क) कला-ममर्ज्ञ ---------------

    (ख) लोकिूय ---------------

    (ग) राष्टर्पित --------------- उत्तर:

    (क) कला-ममर्ज्ञ कला का ममर्ज्ञ (तत्पुरूष समास)

    (ख) लोकिूय लोक में िूय (तत्पुरूष समास)

    (ग) राष्टर्पित राष्टर् का पित (तत्पुरूष समास)

    -0-

  • पवर्त ूदेश में पावस

    1 | P a g e

    ूश्न (1) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए − पावस ऋतु में ूकृित में कौन-कौन से पिरवतर्न आते हैं? किवता के आधार पर ःपष्ट कीिजए? उत्तर: वषार् ऋतु में मौसम बदलता रहता है। तेज़ वषार् होती है। जल पहाड़ों के नीचे इकट्ठा होता है तो दपर्ण जसैा लगता है। पवर्त मालाओं पर अनिगनत फूल िखल जाते हैं। ऐसा लगता है िक अनेकों नेऽ खोलकर पवर्त देख रहा है। पवर्तों पर बहते झरने मानो उनका गौरव गान गा रहे हैं। लंबे-लंबे वकृ्ष आसमान को िनहारते िचंतामग्न िदखाई दे रहे हैं। अचानक काले-काले बादल िघर आते हैं। ऐसा लगता है मानो बादल रुपी पंख लगाकर पवर्त उड़ना चाहते हैं। कोहरा धुएँ जसैा लगता है। इंि देवता बादलों के यान पर बैठकर नए-नए जाद ूिदखाना चाहते हैं। ूश्न (2) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए − 'मेखलाकार' शब्द का क्या अथर् है? किव ने इस शब्द का ूयोग यहाँ क्यों िकया है? उत्तर: मेखलाकार का अथर् है गोल, जसेै - कमरबंध। यहाँ इस शब्द का ूयोग पवर्तों की ौृखंला के िलए िकया गया है। ये पावस ऋतु में दरू-दरू तक गोल आकृित में फैले हुए हैं। ूश्न (3) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए − 'सहॐ दृग-सुमन' से क्या तात्पयर् है? किव ने इस पद का ूयोग िकसके िलए िकया होगा? उत्तर: पवर्तों पर हज़ारों रंग-िबरंगे फूल िखले हुए हैं। किव को पहाड़ों पर िखले हज़ारों फूल पहाड़ की आखँों के समान लगते हैं। ये नेऽ अपने संुदर िवशालकाय आकार को नीचे तालाब के जल रुपी दपर्ण में आश्चयर्चिकत हो िनहार रहे हैं। ूश्न (4) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए − किव ने तालाब की समानता िकसके साथ िदखाई है और क्यों? उत्तर: किव ने तालाब की समानता दपर्ण से की है। िजस ूकार दपर्ण से ूितिबंब ःवच्छ व ःपष्ट िदखाई देता है, उसी ूकार तालाब का जल ःवच्छ और िनमर्ल होता है। पवर्त अपना ूितिबंब दपर्ण रुपी तालाब के जल में देखते हैं। ूश्न (5) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए − पवर्त के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वकृ्ष आकाश की और क्यों देख रहे थे और वे िकस बात को ूितिबंिबत करते हैं? उत्तर: ऊँचे-ऊँचे पवर्त पर उगे वकृ्ष आकाश की ओर देखते िचंतामग्न ूतीत हो रहे हैं। जसेै वे आसमान की ऊचाइयों को छूना चाहते हैं। इससे मानवीय भावनाओ ंको बताया गया है िक मनुंय सदा आगे बढ़ने का भाव अपने मन में रखता है।

  • पवर्त ूदेश में पावस

    2 | P a g e

    ूश्न (6) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए − शाल के वकृ्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए? उत्तर: आसमान में अचानक बादलों के छाने से मूसलाधार वषार् होने लगी। वषार् की भयानकता और धंुध से शाल के वकृ्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए ूतीत होते हैं। ूश्न (7) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए − झरने िकसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना िकससे की गई है? उत्तर: झरने पवर्तों की ऊँची चोिटयों से झर-झर करते बह रहे हैं। ऐसा लगता है मानो वे पवर्तों की महानता की गौरव गाथा गा रहे हों। ूश्न (8) भाव ःपष्ट कीिजए − है टूट पड़ा भू पर अंबर। उत्तर: सुिमऽानंदन पंत जी ने इस पंिक्त में पवर्त ूदेश के मूसलाधार वषार् का वणर्न िकया है। पवर्त ूदेश में पावस ऋतु में ूकृित की छटा िनराली हो जाती है। कभी-कभी इतनी धुआधँार वषार् होती है मानो आकाश टूट पड़ेगा। ूश्न (9) भाव ःपष्ट कीिजए − −यों जलद-यान में िवचर-िवचर था इंि खेलता इंिजाल। उत्तर: कभी गहरे बादल, कभी तेज़ वषार् और तालाबों से उठता धुआँ − यहाँ वषार् ऋतु में पल-पल ूकृित वेश बदल जाता है। यह सब दृँय देखकर ऐसा ूतीत होता है िक जसेै बादलों के िवमान में िवराजमान राजा इन्ि िविभन्न ूकार के जादईु खेल-खेल रहे हों। ूश्न (10) भाव ःपष्ट कीिजए − िगिरवर के उर से उठ-उठ कर उच्चाकांक्षाओं से तरुवर हैं झांक रहे नीरव नभ पर

  • पवर्त ूदेश में पावस

    3 | P a g e

    अिनमेष, अटल, कुछ िचंतापर। उत्तर: इन पंिक्तयों का भाव यह है िक पवर्त पर उगे िवशाल वकृ्ष ऐसे लगते हैं मानो इनके हृदय में अनेकों महत्वकांक्षाएँ हैं और ये िचंतातुर आसमान को देख रहे हैं। ूश्न (11) इस किवता में मानवीकरण अलंकार का ूयोग िकया गया है? ःपष्ट कीिजए। उत्तर: ूःतुत किवता में जगह-जगह पर मानवीकरण अलंकार का ूयोग करके ूकृित में जान डाल दी गई है िजससे ूकृित सजीव ूतीत हो रही है; जसेै − पवर्त पर उगे फूल को आखँों के द्वारा मानवकृत कर उसे सजीव ूाणी की तरह ूःतुत िकया गया है। "उच्चाकांक्षाओं से तरूवर हैं झाँक रहे नीरव नभ पर " इन पंिक्तयों में तरूवर के झाँकने में मानवीकरण अलंकार है, मानो कोई व्यिक्त झाँक रहा हो। ूश्न (12) आपकी दृिष्ट में इस किवता का सौंदयर् इनमें से िकस पर िनभर्र करता है − (क) अनेक शब्दों की आविृत पर (ख) शब्दों की िचऽमयी भाषा पर (ग) किवता की संगीतात्मकता पर उत्तर: (ख) शब्दों की िचऽमयी भाषा पर ✓ इस किवता का सौंदयर् शब्दों की िचऽमयी भाषा पर िनभर्र करता है। किवता में िचऽात्मक शैली का ूयोग करते हुए ूकृित का सुन्दर रुप ूःतुत िकया गया है। ूश्न (14) किव ने िचऽात्मक शैली का ूयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव िचऽ अंिकत िकया है। ऐसे ःथलों को छाँटकर िलिखए। उत्तर: किव ने िचऽात्मक शैली का ूयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव िचऽ अिंकत िकया है। भारत में ूाय: कनार्टक के पिश्चिम के्षऽ, केरल, महारष्टर्, मिणपूरम, असाम, बंगाल, मेघालय में पावस ऋतु का सुन्दर रूप देखने को िमलता है।

    -0-

  • तोप

    1 | P a g e

    ूश्न (1) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए −

    िवरासत में िमली चीज़ों की बड़ी सभँाल क्यों होती है? ःपष्ट कीिजए।

    उत्तर: िवरासत में िमली चीज़ों की बड़ी सभँाल इसिलए होती है क्योंिक ये वःतुएँ हमें अपने पूवर्जों की, अपने

    इितहास की याद िदलाती हैं। इनसे हमारा भावनात्मक सबंंध होता है। इसिलए इन्हें अमलू्य माना जाता है। ये

    तात्कािलक पिरिःथितयों की जानकारी के साथ िदशािनदेर्श भी देती हैं। इसिलए इन्हें सँभाल कर रखा जाता है।

    ूश्न (2) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए −

    इस किवता से तोप के िवषय में क्या जानकारी िमलती है?

    उत्तर: इस किवता में तोप के िवषय में जानकारी िमलती है िक यह अमेंज़ों के समय की तोप है। 1857 में

    उसका ूयोग शिक्तशाली हिथयार के रुप में िकया गया था। अनिगनत शूरवीरों को मार िगराया गया था क्योंिक

    इसका ूयोग अमेंज़ों द्वारा हुआ था। आिखरकार अब इस तोप को मुहँ बन्द करना पड़ा। अब यह केवल िखलौना

    माऽ है। िचिड़या इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेल रहे हैं।

    ूश्न (3) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए −

    कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है?

    उत्तर: कंपनी बाग में रखी तोप यह िशक्षा देती है िक अत्याचार का अतं होता है। मानव िवरोध के सामने उसे

    हार माननी पड़ती है। िकस ूकार अमेंज़ों ने अत्याचार िकए पर अतं में भारत को छोड़ना ही पड़ा। तोप की तरह

    चुप होना ही पड़ा।

    ूश्न (4) िनम्निलिखत ूश्न का उत्तर दीिजए −

    किवता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है। ये दो अवसर कौन-से होंगे?

    उत्तर: भारत की ःवतंऽता के ूतीक िचह्न दो बड़े त्योहार 15 अगःत और 26 जनवरी गणतंऽ िदवस है। इन दोनों

    अवसरों पर तोप को चमकाकर कंपनी बाग को सजाया जाता है। इससे शहीद वीरों की याद िदलाई जाती है।

  • तोप

    2 | P a g e

    ूश्न (5) भाव ःपष्ट कीिजए-

    अब तो बहरहाल

    छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ािरग हो

    तो उसके ऊपर बैठकर

    िचिड़याँ ही अकसर करती हैं गपशप।

    उत्तर: इन पंिक्तयों में किव ने 1857 के ःवतंऽता सघंषर् को दबाने हेतु िजस तोप ने जबरदःत ूदशर्न िकया,

    िकतने ही वीरों को अपने गोलों का िनशाना बनाया। आिखरकार वह शांत हो गई। अब उस पर छोटे लड़के बैठ

    कर घुड़सवारी करते हैं तथा िचिड़याँ गपशप करती है।

    ूश्न (6) भाव ःपष्ट कीिजए-

    वे बताती हैं िक दरअसल िकतनी भी बड़ी हो तोप

    एक िदन तो होना ही है उसका मुहँ बंद।

    उत्तर: पक्षी तोप के मुहँ में घुस जाते हैं। इस तरह यह पता लगता है िक कोई भी िकतनी भी अटारी क्यों न

    हो एक िदन वह समाप्त हो जाती है, िहंसा और िनरंकुशता समाप्त होती ही है।

    ूश्न (7) भाव ःपष्ट कीिजए-

    उड़ा िदए थे मैंने

    अच्छे-अच्छे सरूमाओं के धज्जे।

    उत्तर: उनका भाव ूःतुत िकया है िक तोप इतनी ताकतवर थी िक इसके सामने वीर से वीर भी नहीं िटक

    पाता था। अच्छे-अच्छे सरूमाओं की धिज्जयाँ उड़ा दी थी।

    -0-

  • हिरहर काका

    DPSF/MCS/ हिरहर काका/_7/14/2013 1/2

    Question 1: कथावाचक और हिरहर काका के बीच क्या सबंंध है और इसके क्या कारण हैं? Answer : कथावाचक जब छोटा था तब से ही हिरहर काका उसे बहुत प्यार करते थे। जब वह बड़े हो गए तो वह हिरहर काका के िमऽ बन गए। गाँव में इतनी गहरी दोःती और िकसी से नहीं हुई। हिरहर काका उनसे खुल कर बातें करते थे। यही कारण है िक कथावाचक को उनके एक-एक पल की खबर थी। शायद अपना िमऽ बनाने के िलए काका ने ःवय ंही उसे प्यार से बड़ा िकया और इतंजार िकया। Question 2: हिरहर काका को महंत और भाई एक ही ौणेी के क्यों लगने लगे? Answer : हिरहर काका को अपने भाइयों और महंत में कोई अतंर नहीं लगा। दोनों एक ही ौणेी के लगे। उनके भाइयों की पित्नयों ने कुछ िदन तक तो हिरहर काका का ध्यान रखा िफर बचीकुची रोिटयाँ दी, नाँता नहीं देते थे। िबमारी में कोई पूछने वाला भी न था। िजतना भी उन्हें रखा जा रहा था, उनकी ज़मीन के िलए था। इसी तरह महंत ने एक िदन तो बड़े प्यार से खाितर की िफर ज़मीन अपने ठाकुर बाड़ी के नाम करने के िलए कहने लगे। काका के मना करने पर उन्हें अनेकों यातनाएँ दी। अपहरण करवाया, मुहँ में कपड़ा ठँूस कर एक कोठरी में बंद कर िदया, जबरदःती अगँठेू का िनशान िलया गया तथा उन्हें मारा पीटा गया। इस तरह दोनों ही केवल ज़मीन जायदाद के िलए हिरहर काका से व्यवहार रखते थे। अत: उन्हें दोनों एक ही ौणेी के लगे। Question 3: ठाकुर बाड़ी के ूित गाँव वालों के मन में अपार ौद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी िकस मनोविृत्त का पता चलता है? Answer : कहा जाता है गाँव के लोग भोले होते हैं। असल में गाँव के लोग अधंिवश्वासी धमर्भीरू होते हैं। मिंदर जसेै ःथान को पिवऽ, िनँकलकं, ज्ञान का ूतीक मानते हैं। पुजारी, पुरोिहत महंत जसेै िजतने भी धमर् के ठेकेदार हैं उनपर अगाध ौद्धा रखते हैं। वे चाहे िकतने भी पितत, ःवाथीर् और नीच हों पर उनका िवरोध करते वे डरते हैं। इसी कारण ठाकुर बाड़ी के ूित गाँव वालों की अपार ौद्धा थी। उनका हर सखु-दखु उससे जड़ुा था। Question 4: अनपढ़ होते हुए भी हिरहर काका दिुनया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर ःपष्ट कीिजए। Answer : हिरहर काका अनपढ़ थे िफर भी उन्हें दिुनयादारी की बेहद समझ थी। उनके भाई लोग उनसे ज़बरदःती ज़मीन अपने नाम कराने के िलए डराते थे तो उन्हें गाँव में िदखावा करके ज़मीन हिथयाने वालो की याद आती है। काका ने उन्हें दखुी होते देखा है। इसिलए उन्होंने ठान िलया था चाहे महंत उकसाए चाहे भाई िदखावा करे वह ज़मीन िकसी को भी नहीं देंगे। एक बार महंत के उकसाने पर भाइयों के ूित धोखा नहीं करना चाहते थे परन्तु जब भाइयों ने भी धोखा िदया तो उन्हें समझ में आ गया उनके ूित उन्हें कोई प्यार नहीं है। जो प्यार िदखाते हैं वह केवल ज़ायदाद के िलए है। Question 5: हिरहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे। उन्होंने उनके साथ कैसा व्यवहार िकया? Answer : महंत ने हिरहर काका को बहुत ूलोभन िदए िजससे वह अपनी ज़मीन जायदाद ठाकुर बाड़ी के नाम कर दे परन्तु काका इस बात के िलए तैयार नहीं थे। वे सोच रहे थे िक क्या भगवान के िलए अपने भाइयों से धोखा करँू? यह उन्हें सही भी नहीं लग रहा था। महंत को यह बात पता लगी तो उसने छल और बल से रात के समय अकेले दालान में सोते हुए हिरहर काका को उठवा िलया। महंत ने अपने चेले साधुसतंो के साथ िमलकर उनके हाथ पैर बांध िदए, महँु में कपड़ा ठँूस िदया और जबरदःती अगँठेू के िनशान िलए, उन्हें एक कमरे में बंद कर िदया। जब पुिलस आई तो ःवयं गपु्त दरवाज़े से भाग गए।

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    Question 6: हिरहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे? Answer : कहानी के आधार पर गाँव के लोगों को िबना बताए पता चल गया िक हिरहर काका को उनके भाई नहीं पूछते। इसिलए सखु आराम का ूलोभन देकर महंत उन्हें अपने साथ ले गया। भाई मन्नत करके काका को वािपस ले आते हैं। इस तरह गाँव के लोग दो पक्षों में बँट गए कुछ लोग महंत की तरफ़ थे जो चाहते थे िक काका अपनी ज़मीन धमर् के नाम पर ठाकुर बाड़ी को दे दें तािक उन्हें सखु आराम िमले, मतृ्य ुके बाद मोक्ष, यश िमले। मंहत ज्ञानी है वह सब कुछ जानता है। लेिकन दसूरे पक्ष के लोग कहते िक ज़मीन पिरवार वालो को दी जाए। उनका कहना था इससे उनके पिरवार का पेट भरेगा। मिंदर को ज़मीन देना अन्याय होगा। इस तरह दोनों पक्ष अपने-अपने िहसाब से सोच रहे थे परन्तु हिरहर काका के बारे में कोई नहीं सोच रहा था। इन बातों का एक कारण यह भी था िक काका िवधुर थे और उनके कोई सतंान भी नहीं थी। पंिह बीघे ज़मीन के िलए इनका लालच ःवाभिवक था। Question 7: कहानी के आधार पर ःपष्ट कीिजए िक लेखक ने यह क्यों कहा, "अज्ञान की िःथित में ही मनुंय मतृ्य ुसे डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवँयकता पड़ने पर मतृ्यु को वरण करने के िलए तैयार हो जाता है।" Answer : जब काका को असिलयत पता चली और उन्हें समझ में आ गया िक सब लोग उनकी ज़मीन जायदाद के पीछे हैं तो उन्हें वे सभी लोग याद आ गए िजन्होंने पिरवार वालो के मोह माया में आकर अपनी ज़मीन उनके नाम कर दी और मतृ्यु तक ितलितल करके मरते रहे, दाने-दाने को मोहताज़ हो गए। इसिलए उन्होंने सोचा िक इस तरह रहने से तो एक बार मरना अच्छा है। जीते जी ज़मीन िकसी को भी नहीं देंगे। ये लोग मझेु एक बार में ही मार दे। अत: लेखक ने कहा िक अज्ञान की िःथित में मनुंय मतृ्य ुसे डरता है परन्तु ज्ञान होने पर मतृ्यु वरण को तैयार रहता है। Question 8: समाज में िरँतों की क्या अहिमयत है? इस िवषय पर अपने िवचार ूकट कीिजए। Answer : आज समाज में मानवीय मलू्य तथा पािरवािरक मलू्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। एयादातर व्यिक्त अपने ःवाथर् के िलए िरँते िनभाते हैं, अपनी आवँयकताओं के िहसाब से िमलते हैं। अमीर िरँतेदारों का सम्मान करते हैं, उनसे िमलने को आतुर रहते हैं जबिक गरीब िरँतेदारों से कतराते हैं। केवल ःवाथर् िसिद्ध की अहिमयत रह गई है। आए िदन हम अखबारों में समाचार पढ़ते हैं िक ज़मीन जाय़दाद, पैसे जेवर के िलए लोग िघनौने से िघनौना कायर् कर जाते हैं (हत्या अपहरण आिद)। इसी ूकार इस कहानी में भी पुिलस न पहँुचती तो पिरवार वाले महंत जी (काका की) हत्या ही कर देते। उन्हें यह अफसोस रहा िक वे काका को मार नहीं पाए। Question 9: यिद आपके आसपास हिरहर काका जसैी हालत में कोई हो तो आप उसकी िकस ूकार मदद करेंगे? Answer : यिद हमारे आसपास हिरहर काका जसैी हालत में कोई हो तो हम उसकी पूरी तरह मदद करने की कोिशश करेंगे। उनसे िमलकर उनके दखु का कारण पता करेंगे, उन्हें अहसास िदलाएँगे िक वे अकेले नहीं हैं। सबसे पहले तो यह िवश्वास कराएँगे िक सभी व्यिक्त लालची नहीं होते हैं। इस तरह मौन रह कर दसूरों को मौका न दें बिल्क उल्लास से शेष जीवन िबताएँ। िरँतेदारों से िमलकर उनके सबंंध सधुारने का ूयत्न करेंगे। Question 10: हिरहर काका के गाँव में यिद मीिडया की पहँुच होती तो उनकी क्या िःथित होती? अपने शब्दों में िलिखए। Answer : यिद काका के गाँव में मीिडया पहँुच जाती तो सबकी पोल खुल जाती, महंत व भाइयों का पदार्फाश हो जाता। अपहरण और जबरन अगँठूा लगवाने के अपराध में उन्हें जेल हो जाती।

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