sadkþaद kþa maiskþ prerfa pल्क · 2018-12-21 · 2562, , 23 , 2018, 48, 3/4/5 ¯ . ....

4
sADkþAš kþA mAiskþ pRerfA p© vAiúQkþ Õu£kþ rŒ. 30/- SAjIvn Õu£kþ rŒ. 500/- For online Patrika in various languages, visit: http://www.vridhamma.org/Newsletter_Home.aspx बु�वष� 2562, काित� पूिण�मा, 23 नवंबर, 2018, वष� 48, अंक- 3/4/5 धवाणी न जच वसलो होति, न जच होति णो। कमन वसलो होति, कमन होति णो॥ सुनिपातपानि-वसलसु-142. न कोई जन से वृषल (चा डाल) होता है न ही जन से ाण। क से ही कोई वृषल होता है, क से ही ाण। व. साधना एव ध-सर की सवण जय िपर पू गुजी के वत कृतता ापन का सुअवसर वपशना साधना के पुनतान की 50व वषगांठ, ानी, 3 जुलाई 2018 से 2 जुलाई 2019 तक वष भर गलोबल वपशना पगोडा वतविन एक विवसी विववर वनवत प से चलते रहगे, तावक ह वष साधक को िै वनक साधना पु करने सहाक हो। ानी, वजस साधक-सावधका को वजस विन भी स वले, इन विववर का लाभ उठा सकते ह। इससे साधक की साधना वनरंतरता और वनवतता आेगी और उनसे ेरणा पाकर अवधक से अवधक लोग स के वत जागकता पैिा होगी और वे भी विववर सववलत होकर अपना कलाण साध सकगे। अन सान पर भी लोग इसी कार िैवनक साधना, साूवहक साधना ता एक विवसी विववर ारा इसके वावहाररक अभास को पु कर, ही पूज गुिेव के वत सचची ांजवल और सही कृतता होगी। वपशनाचा पूज ी सतनाराण गोनकाजी के िु ध के संपक आने के पूव की इन घटनाओं से और बचपन से ुवावसा तक के उनके भवभाव से कोई नह पैिा हो, बवलक ह ेरणा वले वक ऐसा व भी वकस कार बिल सकता है, इसी उेश से उनके संव जीवन- पररय की ह िसरी कडी-- कृ के वत असीम �ा मशः (नपछले अक से आगे) ... वापाररक े पहले ‘‘ारवाडी चबर ऑफ कॉस” का अध बना और वफर बरी नागरकता हण कर लेने पर ‘‘रंगून चबर ऑफ कॉस एंड इंडसीज” का भी अध बना। ऊ नू सरकार के वापार ंी ऊ औं के ंाल वापार-संबंधी पराि के वलए भी चुना गा। वापार सफलता ा करते हुए ने अपने परवार के अनेक औोवगक वतान सावपत वके और उन आिातीत सफलताएं ा क। सरकार से सिैव बहुत अचे संबंध बने रहने के कारण ऊ नू सरकार ही नह, बवलक सैवनक सरकार के स भी िो बार सरकारी वतवनवध ंडल के सा वविे ि गा और वहां हवपूण परणा हावसल वके। इन सभी अववसनी सफलताओं का सारा े अपने इिेव को ही िता रहा। बचपन जो वच ने अपनी जेब रखा, वह सिा ही ेरी जेब रखा जाता रहा, वविे ि की ाा करता तब भी। ेरे ानस पर गीताेस गोरखपुर की तरल भव का गहरा भाव ा और अपने इिेव का वच साने रख कर ात: आध घंटे तक वनत सजल ने से ानाएं गाा करता और सिैव भवरस आकंठ डूबा रहता ा। ेरे ईर ीकृषण की गहन भव ुझे कि-कि पर सहाता कर रही है, ह ववास से तर होता चला गा । बचपन तीसरी से िसव का तक सानी खालसा सकूल विा ा करता रहा। वहा गुवाणी का भी न पर गहरा भाव पडा। इससे अवधक भाव आ साज की विा से पडा वजसका भवन हारे घर के वबलकु ल सीप ा। पर तु उस भाव के कारण भी सगुण साकार कभव ोड कर, वनगु ण वनराकार की ओर वबलकु ल नह ुडा, कवउसे भव के ोग नह सझता ा। वफर भी आ साज की अन अनेक ानताओ का ेरे ानस पर गहरा भाव पडा । उस वकिोर अवसा ही साज की अनेक कुरीवत को ि र करने की बल आकांा जाग उठी। उन से वजसका सबसे गहरा भाव पडा वह ह ा वक जन के आधार पर लोग को ऊंची ा नीची जावत का ान लेना ुझे बहुत अखरता ा। इसी कारण ने अपने अवत उतसाह के विीभू त होकर आ साज ंविर वनन जावत के कु लोग को ोपवीत पहनवाा और उनह ऊंची जावत का घोवषत वका। परंतु अनुभवहीन उतसाह वका गा ेरा ह ास वबलकु ल असफल रहा। सु साावजक परंपराओं के कारण वे सब अपनी पूव वसवत लौट गे। ने पुन: ास वका, परंतु लाचारी ी। पुरातनवािी साज की ववसा इतनी कठोर ी वक उस कोई सुधार करने की गु ंजाइि ही नह ी । इसी कार नवुवावसा ही साज होने वाले एक वृ-ववाह का पुरजोर ववरोध वका। ेरे एक ु वा व की पतनी का वनधन हुआ। उनह विसाज की एक ोटी उ की बावलका वववाह होते ही वधवा हो गी। ह नवुवक ने वल कर आंिोलन वका और अपने ववधुर व को उस बाल- वधवा से ववाह करने के वलए तैार कर वला। हारे िबाव से वह तैार तो हो गा परंतु इसके कारण साज बडा तहलका चा। ेरे ववधुर के वपता ने गंगा (इराविी) डूब रने की धकी िी और परणासवप ह ववाह संपनन न हो सका । पर तु इन कारण से साज के सवान वन का ववरोधी ान वला गा। इन वभन-वभन ास की असफलताओ के कारण साज पू् ज गोनकाज एव पू ज माताज धममनगरि के धम-क म बैठे हुए.

Upload: others

Post on 15-Jan-2020

15 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: sADkþAद kþA mAiskþ pRerfA pल्क · 2018-12-21 · 2562, , 23 , 2018, 48, 3/4/5 ¯ . . 19156/71. Postal Regi. No. NSK/RNP-235/2018-2020 के बडेबुजुग्म

sADkþAš kþAmAiskþ pRerfA p©

vAiúQkþ Õu£kþ rŒ. 30/-SAjIvn Õu£kþ rŒ. 500/-

For online Patrika in various languages, visit: http://www.vridhamma.org/Newsletter_Home.aspx

ब�वष� 2562, काित�क पिण�मा, 23 नवबर, 2018, वष� 48, अक- 3/4/5

धममवाणीन जचचा वसलो होति, न जचचा होति बचाहमणो। कम मनचा वसलो होति, कम मनचा होति बचाहमणो॥

सततनिपातपानि-वसलसततत-142.

न कोई जनम स वषल (चाडाल) होता ह न ही जनम स बाहमण। कमम स ही कोई वषल होता ह, कमम स ही बाहमण।

वव. साधना एव ध म-परसचार की सवणम जयिी परपजय गरजी क परवत कतजञता जञापन का सअवसर

ववपशयना साधना क पनरतान की 50वी वषमगाठ, यानी, 3 जलाई 2018 स 2 जलाई 2019 तक वषम भर गलोबल ववपशयना पगोडा म परवतविन एक विवसीय विववर वनयवमत रप स चलत रहग, तावक यह वषम साधको को िवनक साधना पषट करन म सहायक हो। यानी, वजस साधक-सावधका को वजस विन भी समय वमल, इन विववरो का लाभ उठा सकत ह। इसस साधको की साधना म वनरतरता और वनयवमतता आयगी और उनस पररणा पाकर अवधक स अवधक लोगो म सदधमम क परवत जागरकता पिा होगी और व भी विववरो म सवमवलत होकर अपना कलयाण साध सक ग। अनय सानो पर भी लोग इसी परकार िवनक साधना, सामवहक साधना ता एक विवसीय विववरो दारा इसक वयावहाररक अभयास को पषट कर, यही पजय गरिव क परवत सचची शरदधाजवल और सही कतजञता होगी।

ववशव ववपशयनाचायम पजय शरी सतयनारायण गोयनकाजी क िदध धमम क सपकम म आन क पवम की इन घटनाओ स और बचपन स यवावसा तक क उनक भवतिभाव स कोई भरम नही पिा हो, बवलक यह पररणा वमल वक ऐसा वयवति भी वकस परकार बिल सकता ह, इसी उदशय स उनक सवषिपत जीवन-पररय की यह िीसरी कडीीः--

कषण क परवत असीम शर�ाकरमशः (नपछल अतक स आग) ... वयापाररक षितर म पहल ‘‘मारवाडी चबर

ऑफ कॉमसम” का अधयषि बना और वफर बरमी नागररकता गरहण कर लन पर ‘‘रगन चबर ऑफ कॉमसम एड इडसटीज” का भी अधयषि बना। ऊ न सरकार क वयापार मतरी ऊ औ क मतरालय म वयापार-सबधी परामिम क वलए भी चना गया।

वयापार म सफलता परापत करत हए मन अपन पररवार क अनक औदोवगक परवतषान सावपत वकय और उनम आिातीत सफलताए परापत की। सरकार स सिव बहत अच सबध बन रहन क कारण ऊ न सरकार म ही नही, बवलक सवनक सरकार क समय भी िो बार सरकारी परवतवनवध मडल क सा वविि गया और वहा महतवपणम पररणाम हावसल वकय।

इन सभी अववशवसनीय सफलताओ का सारा शरय म अपन इषटिव को ही िता रहा। बचपन म जो वचतर मन अपनी जब म रखा, वह सिा ही मरी जब म रखा जाता रहा, ववििो की यातरा करता तब भी। मर मानस पर गीतापरस गोरखपर की तरल भवति का गहरा परभाव ा और म अपन इषटिव का वचतर सामन रख कर परात: आध घट तक वनतय सजल नतरो स परा मनाए गाया करता और सिव भवतिरस म आकठ डबा रहता ा। मर ईशवर शरीकषण की गहन भवति मझ किम-किम पर सहायता कर रही ह, यह ववशवास दढ स दढतर होता चला गया ।

बचपन म तीसरी स िसवी कषिा तक सानीय खालसा सकल म विषिा परापत करता रहा। वहा गरवाणी का भी मन पर गहरा परभाव पडा। इसस

अवधक परभाव आयम समाज की विषिा स पडा वजसका भवन हमार घर क वबलकल समीप ा। परत उस परभाव क कारण भी म सगण साकार की भवति ोड कर, वनगमण वनराकार की ओर वबलकल नही मडा, कयोवक म उस भवति क योगय नही समझता ा। वफर भी आयम समाज की अनय अनक मानयताओ का मर मानस पर गहरा परभाव पडा ।

उस वकिोर अवसा म ही समाज की अनक करीवतयो को िर करन की परबल आकाषिा जाग उठी। उनम स वजसका सबस गहरा परभाव पडा वह यह ा वक जनम क आधार पर लोगो को ऊची या नीची जावत का मान लना मझ बहत अखरता ा। इसी कारण मन अपन अवत उतसाह क विीभत होकर आयम समाज मविर म वनन जावत क क लोगो को यजञोपवीत पहनवाया और उनह ऊची जावत का घोवषत वकया। परत अनभवहीन उतसाह म वकया गया मरा यह परयास वबलकल असफल रहा। सदढ सामावजक परपराओ क कारण व सब अपनी पवम वसवत म लौट गय। मन पन: परयास वकया, परत लाचारी ी। परातनवािी समाज की वयवसा इतनी कठोर ी वक उसम कोई सधार करन की गजाइि ही नही ी ।

इसी परकार नवयवावसा म ही समाज म होन वाल एक वदध-वववाह का परजोर ववरोध वकया। मर एक यवा वमतर की पतनी का वनधन हआ। उनही विनो समाज की एक ोटी उमर की बावलका वववाह होत ही ववधवा हो गयी। हम नवयवको न वमल कर आिोलन वकया और अपन ववधर वमतर को उस बाल-ववधवा स वववाह करन क वलए तयार कर वलया। हमार िबाव स वह तयार तो हो गया परत इसक कारण समाज म बडा तहलका मचा। मर ववधर वमतर क वपता न गगा (इराविी) म डब मरन की धमकी िी और पररणामसवरप यह वववाह सपनन न हो सका ।

परत इन कारणो स म समाज क सवममानय वनयमो का ववरोधी मान वलया गया। इन वभनन-वभनन परयासो की असफलताओ क कारण म समाज

पजय शरी गोयनकाजरी एवत पजय माताजरी धममनगरि क धमम-ककष म बठ हए.

Page 2: sADkþAद kþA mAiskþ pRerfA pल्क · 2018-12-21 · 2562, , 23 , 2018, 48, 3/4/5 ¯ . . 19156/71. Postal Regi. No. NSK/RNP-235/2018-2020 के बडेबुजुग्म

“विपशयना” बदधिरष 2562, काितकष पिणषमा, 23 निबर, 2018, िरष 48, अक 3/4/5 • रजि. न. 19156/71. Postal Regi. No. NSK/RNP-235/2018-2020

क बड बजगम नताओ की नजरो स वगर गया।वफर भी मझ पर आयम समाज का परभाव परबल होता गया और मरी

सधारक परववति बलवती होती गयी। मर िोनो बड भाई बालकषण और बाबलाल का वववाह लगभग पदरह वषम की अवसा म हआ जबवक िारिा-ऐकट (बाल-वववाह वनषध अवधवनयम १९२९) क अनसार अठारह वषम पर होन पर ही वकया जाना चावहए ा। जब मरी बारी आयी तब म इस बात पर अड गया वक मरा वववाह अटारह वषम पर होन पर ही वकया जाय। घरवालो को और समाज को मरा यह वनणमय सवीकायम नही ा। लवकन एक सखि सयोग ऐसा हआ वक भारत स आया हआ एक परवसदध जयोवतषी पडोस क आयम समाज भवन म क विनो क वलए रका। उसन मरी हसतरखाए िख कर कहा वक मरी आय लबी होगी परत अठारह वषम क आसपास मतय का खतरा ह। यह सन कर म बहत खि हआ और उस घर ल गया। वहा उसन अनको की हसतरखाए िखी और अपन ववचार वयति वकय। मरी बारी आन पर उसन वही बात िहराई वक अठारह वषम होत-होत मतय का खतरा ह। मरा काम बन गया। मन अपनी माता स कहा वक अठारह वषम क पहल वकसी बकसर लडकी का मझस वववाह कर विया जायगा तो उसका भववषय ि:खो स भर जायगा। मा बहत ियाल ी। उसन मर इस कन का सम मन वकया वक अठारह वषम पर होन पर ही मरा वववाह वकया जाय ।

मर ववदरोही सवभाव की एक और घटना। िोनो बड भाइयो का यजञोपवीत (उपनयन ससकार) भी पनदरह वषम की उमर म हो गया ा। म जब इस उमर पर पहचा तो पररवार क पशतनी परोवहत का िराचरण समाज म कखयात हआ। म इस बात पर अड गया वक वकसी िराचारी वयवति को म अपना गर नही बना सकता। वपताजी न घर म बन मविर म वनतयपरवत पजापाठ करन क वलए एक परोवहत को वनयति कर रखा ा। अब उसक हाो यजञोपवीत लन का िबाव पडन लगा। परत ोड समय म ही उसक भी िराचार की सचचाइया सामन आयी और म वफर उसक हाो यजञोपवीत लन को तयार नही हआ। उस समय बहत बडा िबाव पडन पर मन यह परसताव रखा वक म आयम समाज क ततकालीन चररतरवान वयवति पवडत मगलिवजी िासती को अपना गर सवीकार कर सकता ह और उनक हाो उपनयन ससकार करवा सकता ह। लवकन उन विनो माडल म आयमसमावजयो और सनातनी वहिओ म बहत गहरा मतभि ा और पररणामत: तनाव भी ा। अत: घरवाल कटटर सनातनी होन क कारण मर इस परसताव को सवीकार नही कर सक और म यजञोपवीत धारण वकय वबना ही रह गया। इसक पशात म आज तक यजञोपवीत नही ल सका। सोचता ह जो हआ वह अचा ही हआ ।

उनही विनो मर मानस म ववदरोह की एक परबल वचनगारी फटी। तब मझ ववशवास नही ा वक यह िीघर ही इतनी परबल अवगन का रप धारण कर लगी ।

आयम समाज स गभीरतापवमक परभाववत हो जान पर उनकी समाज सधार की बात मन मान ली ी परत सगण साकार की भवति म डबा हआ मरा मानस वनगमण वनराकार की ओर नही बढ सका। मझ समझ म ही नही आ रहा ा वक वनगमण वनराकार की भवति कस हो सकती ह।

अनक असफलताओ क बावजि शरीकषण क परवत मरी भवति म जराभी आच नही आयी। परवतविन परात:काल म भावभीन भवति क गीत गाता और सा-सा गीता का अधययन भी करता रहा। मन िखा वक महाभारत म भाइयो म जो परसपर यदध हआ, उसम िि क अगवणत योदधा मार गय और अनक िलमभ असत-िसत नषट हए। म इस अचा कस मानता? लवकन मर इषटिव न गीता म वसतपरजञता की जो वयाखया की, वह मन को बहत भायी और उस जीवन म उतारन की ललक जागरत हई।

इसी गीता म मन पढा वक चातवमणम की वयवसा उनक गण, कमम और सवभाव क आधार पर ही मर इषटिव दारा की गयी ह--

चािमवमरयय यचा सष गमणक मतवभचागश:। िसय किचामरतप चा तवदधयकिचामरवयय।।

---गरीता 4/13चार वणणो की सवषट मर दारा गण, कमम और आचरण क आधार पर की गयी।

ऐसा होन पर भी मझ अववनािी कताम को अकताम क रप म ही जानो।लवकन इसक बावजि यह िख कर पीडा हई वक गण, कमम, सवभाव

वाली वणमवयवसा जनम क आधार पर कस पररववतमत हो गयी ? कस एक सही वयवसा को क लोगो न अपन और अपनी भावी सतवत क वलए ‘मनसमवत’ जस गर की रचना करक उस बिल विया। इस पररवतमन क कारण वनन जावत पर उचच वणम दारा जो अतयाचार हआ उस िख कर यमा म रहत हए भी ि:खी रहता ा और अब भारत पहच कर इस जावत की वही ििमिा िखी तब ववदरोह का यह भाव जागरत हआ वक मर परम ईशवर न जो सिर और सही वणमवयवसा सावपत की ी, उस जावत का अहकार लकर इतना िवषत कस कर विया गया? कर विया यह तो सतय ह परत म सोचन लगा वक मरा इषटिव तो परम परमशवर ह, सवमिवतिमान ह। वह इस िषण को सधार कयो न सका? वजनहोन अपन सवा मवि परातन सवस वयवसा को िवषत वकया, उनह कठोर स कठोर िड कयो नही विया गया ?

म ववदाथी जीवन स ही िख रहा ा वक ऊच-नीच और आ-त का यह समाजववरोधी परचलन वकतना उगर बन चका ा। मरी कषिा म गरचरण वसह नामका मरा एक सहपाठी ा जो वक चहड (भगी) का पतर ा। वह मर सा एक ही बच पर बठता ा वजस मर समाज क अनय ववदाथी बहत बरा मानत । भोजन क समय हम िोनो अपन-अपन घर स लाया हआ भोजन उसी बच पर बठ कर सा-सा खात । उसका भोजन मन कभी नही चखा। लवकन वफर भी एक अत जावत क ववदाथी क सा एक ही बच पर बठ कर भोजन करना मर अनक ववदाथी बधओ को बहत बरा लगता ा और व बाहर समाज म भी इसकी चचाम करत हए मरी वनिा करत रहत ।

मरी समझ म नही आता ा वक वकसी एक पररवार म जनम लन मातर स कोई वयवति चाह वजतना सचचररतर हो वफर भी अत माना जाता ह और वकसी अनय पररवार म जनम लन मातर स कोई वयवति ऊची जावत का माना जाता ह चाह वह वकतना ही िशररतर कयो न हो। यह वसवत मर मन को जरा भी नही रचती ी। मर सकली जीवन म ही नही, बवलक आग चल कर भी इस िवषत वसवत को िख कर म क कर नही सकता ा और ि:खी ही रहता ा। जब कभी म अपन बड बजगणो क सा रल की यातरा करता तब िखता वक जब हम घर स लाया हआ भोजन करन क वलए उदत होत और उसी बच पर कोई विषट बरमी बध बठा होता तब भी उसस कहत वक तम ोडी िर क वलए उठ जाओ, अनया हम भोजन नही कर सक ग। म अपन सहपाठी क सा एक ही बच पर बठ कर भोजन करता ा और यहा मर बजगम भोजन करन क वलए एक विषट बरमी बध को नीची जावत का मान कर भोजन क समय सीट पर स उठात , यह मर मन को बहत बरा लगता ा। परत कया करता? यमा स भारत आन पर चर नगर म रहत हए भी मन ऊच-नीच और आ-त की यह अतयत अवपरय पराकाषा िखी। यह सब िख कर अपन ईशवर शरीकषण क परवत परगाढ भवति और शरदधा होन पर भी कभी-कभी मर मन म परबल ववदरोह का भाव जाग उठता ा वक वजस ईशवर न एक सिर वणमवयवसा सावपत की उस वबगडत िख कर उस सधारन क वलए उसन कोई कडा किम कयो नही उठाया?

म सोचा करता ा हम बाहमण, बवनय क घर म जनम ह इसवलए महान ह और जो ताकवत नीची जावत म जनम ह उन पर वकतना अतयाचार करत ह। यह सब िखत हए मर मन म अपन इषटिव क परवत भवति और शरदधा होत हए भी कभी-कभी मरा ववदरोही सवभाव जागरत हो उठता ा। उन विनो की मरी एक परानी रचना मझ अब भी याि ह--

बचाहमण बतनय क घर जन, इसस ही कयचा ह ह हचान?ह उच वणम, ह सवमशषठ, ऊचा सचाज बनचा सचान।।मरी वववचतर वसवत ी। एक ओर अपन इषटिव क परवत गहन शरदधा और

िसरी ओर उसक परवत गहर ववदरोह क भाव। य िोनो भाव मानस म सा-सा चलत रह ।

दरवीभत भकति मरा जनम और लालन-पालन ऐस माता-वपता क यहा हआ जो गीतापरस

Page 3: sADkþAद kþA mAiskþ pRerfA pल्क · 2018-12-21 · 2562, , 23 , 2018, 48, 3/4/5 ¯ . . 19156/71. Postal Regi. No. NSK/RNP-235/2018-2020 के बडेबुजुग्म

“विपशयना” बदधिरष 2562, काितषक पिणषमा, 23 निबर, 2018, िरष 48, अक 3/4/5 • रजि. न. 19156/71. Postal Regi. No. NSK/RNP-235/2018-2020

गोरखपर क भवतिमागम क परम शरदधाल पवक । बचपन स मोहन मासटरजी (मिन मोहन िमाम) जस गर क सपकम म आया जो यमा म गीतापरस स परकावित सावहतय क वन:सवा म परचारक । सवय बड भावक भति । भवति क भजन गात हए उनका हिय ववहवल हो जाया करता ा और आखो स अशरधारा बहन लगती ी। म भी बचपन स ही सवभावत: बहत भावक ा। अत: अपन गर क परभाव क कारण म भी सगण साकार की भवति स अवभभत होकर अकसर अशरमख हो जाया करता ा। मझ खब याि ह वक लगभग सात वषम की अवसा म जब म गीतापरस स परकावित 'भति बालक' या ‘भति नारी' जसी पसतक अपनी माता को पढ कर सनाता तो बहधा दरवीभत हो उठता। आखो स अशरधारा बहन लगती। म िखता वक भवतिभाव की उस का को सनत-सनत मरी मा की आखो स भी आस बहन लगत और वह बहत बार मझ गोि म बठा कर ाती स लगा लती। म कहता– ‘मा, म धव बनगा।' वह कहती– ''हा बटा, त धव बनगा।" इसी दरवीभत भवति म म वषणो वनमगन रहा।

वपताजी विव-भति , अत: विव मर उपासय िव बन। माता कषण भति ी, अत: कषण भी मर उपासय िव बन। मर बाबा का बदध क परवत बहत झकाव ा। व माडल क सतयनारायण मविर म जाय या न भी जाय, परत परतयक सपताह कम स कम एक बार माडल क उपनगर साज म वसत परातन ऐवतहावसक महामवन मविर म अवशय जात । म भी उनक सा हो लता। उस भवय मविर म भगवान बदध की परवतमा का िात, धयान वनमगन चहरा मझ बहत आकषमक लगता। म उस िर तक अपलक नयनो स िखता रहता। मविर क वविाल परागण म भतिो की भीड होत हए भी सवचता और नीरव िावत का सामराजय बना रहता। यह मर बाल-हिय को बहत वपरय लगता। बाबा उस िात वातावरण म बहत िर तक आख बि करक पाली मार मौन बठ रहत। म नही जानता वक व वकसी परकार का धयान करत अवा मविर की नीरव िावत का मौन रसासवािन करत । बहधा म भी उनक पास पाली मार कर बठ जाता। मझ यह बहत रवचकर लगता। अब भगवान विव और शरीकषण क सा सा भगवान बदध भी मर उपासय हो गय। यदवप हमार घर क मविर म रवव वमाम क बनाए हए बड साइज क जो िो वचतर लग , व भगवान विव और शरीकषण क ही । परत बदध क परवत अपनी शरदधा भवति महामवन मविर म बार-बार जाकर पषट वकया करता ा ।

महादवजी नाथानीमर एक बहनोई - महािवजी नाानी, जो पररवार क वयापाररक

परवतषान म बही-खाता वलखन का काम करत । व मरी सबस बडी बहन क पवत , अत: उमर म मझस लगभग बीस वषम बड । उनका जीवन अतयत धावममक और सावतवक ा, तयाग स पररपणम ा। उनकी आििम जीवनचयाम मझ बहत परररत करती ी। व ससकत क परकाड ववदान । म िखता कभी-कभी कोई ससकत-पवडत वकसी गर क वकसी भाग क बार म उनस िर तक परामिम करता। सभी उनकी ववदता का समान करत ।

म उस ोटी उमर म ही ववषणसहसरनाम, गोपालसहसरनाम, विव मवहनसतोतर, विव ताडवसतोतर और शरीमदागवत गीता का पाठ करना सीखन लगा ा। व बहधा मर ससकत उचचारण को सधारत । यह मझ अचा लगता ा। उनकी वाणी म बहत ओज ा। व जब सवय रदरी का पाठ करत तो सारा वायमडल मानो मिग की आवाज स गज उठता।

म जब बाबा क सा महामवन मविर जाकर आता तो बहत बार व मझ समझात वक बदध भगवान ववषण क नव अवतार ह, अत: हमार पजय ह। उनक मविर म जाकर वसर नवान म कोई िोष नही, पर इस बात का धयान रखना, कभी भल कर भी उनकी विषिा क फर म मत पड जाना। उनकी विषिा गरहण करन योगय नही ह। भगवान ववषण न बदध क रप म इसीवलए अवतार वलया ा वक व िषट लोगो को भलाव म डाल कर उनको ऐसी विषिा ि वजसस व मरन पर सवगम न जाकर नरक जाय। इसस सबवधत वकसी िासत क शोक भी पढ कर सनात। अब लगता ह वक व शोक अवशय ववषण पराण क ही रह होग। मझ उनस कोई वासता नही ा और न ही उस बालयावसा म म इतना सोचन समझन लायक ा वक वकसी को गलत रासत ल जान क वलए ईशवर का अवतार कयो होता ह? परत बहनोई क परवत

शरदधा और आिर का भाव होन क कारण उनकी यह बात मन म गहरी बठ गयी वक बदध हमार वलए पजनीय अवशय ह परत उनकी विषिा

सवमा अगराहय ह। ....(आतम कथि भाग 2 स साभाि) करमशः ...

(<)

पालिताना (गजरात) म ववपशयना-पररचय एव आनापान सतरधमपाली ववपशयना क दर क पास पालीताना म विनाक: ६, ७, ८ अगसत २०१८ को धमम

चतना का एक मगलमय सतर सपनन हआ। इसम आसपास ता सिर परििो क १,००० स १,२०० लोग परवतविन वहा आत रह और ववपशयना-पररचय एव आनापान धयान का लाभ वलया। लगभग सभी लोग ववपशयना क िस विवसीय विववर म सवमवलत होन क वलए उतसक हए। सभी न ऐस सतर सान-सान पर लगान की इचा वयति की। क लोगो न "धमपाली" म लगन वाल अगल विववर म आन क वलए आविन-पतर भी विया, तो गचावधपवत आचायम महाराज न सवय भी विववर म बठन की इचा वयति की एव सभी शरावको को विववर करन क वलए उतसावहत एव परररत वकया। yty

करि म बाढ-ववभीवषका का परभाव ववपशयना क दर पर भी धमकतन, चगननर ववपशयना क दर बरी तरह स षिवतगरसत हो चका ह। परान भवनो क अवतररति

नववनवममत रसोईघर, भोजनालय, मवहला वनवास आवि सभी षिवतगरसत हो गय ह। सभी परकार की सामगरी, वबजली आवि क सभी सामान, वबसतर, भोजन सामगरी आवि सब नषट हो गयी। सब क नय वसर स जटाना होगा, वजसम पयामपत धनरावि वमल जान पर भी विववर योगय बनान म कई विन लगग। सहायता क वलए सपकम ीः शरी रघना करप, 9495118871. नामः करल ववपशयना सवमवत, बकः सटल बक ऑफ इवडया, Kollakadavu, A/c. No. 3553134716, IFSC: CBIN0280953. यवि वकसी को 80-G आयकर ट की सववधा चावहए तो कपया 'करल ववपशयना क दर क वलए' वलखत हए चननई क वनन खात म भज-- VIPASSANA MEDITATION CENTRE, State Bank of India,, A/c. no. 34241713833 , IFSC SBIN0012931.

yty

अतिररकत उततरदचातयतव1. शरी सतयपाल िमाम, धममरधर, जोधपर क

‘कायमवाहक’ क दर-आचायम क रप म सवा2. शरी उतिमराव पाटील, धळ; धमसरोवर क दर

क क दरीय आचायम क रप म सवा.3. शरीमती नीरा कपर (स.आ.) धमसोत वव.

क दर क आचायम की सहायता4.शरीमती परगवत ठबीकर, (व.स.आ.) धमनाग

वव. क दर क आचायम की सहायतानय उततरदचातयतव

वररषठ सहचायक आचायम1. शरी बसतलाल पटल, धमबल ववपशयना

क दर क क दर-आचायम की सहायता 2. शरी ववकरम आवितय, धमसोत ववपशयना

क दर क क दर-आचायम की सहायता3. शरी आर.आर. रामकषणनन, धमकाची,

(त.ना.) क क दर-आचायम की सहायता 4. शरी वामन बगान, नागपर5. शरी वहरामण राजपत, धळ6. शरी भारत परसाि वमशरा, मजफफरपर (वबहार)

नव तनयमतकतयचासहायक आचाय�

1. शरी धडप डी. लामा, वसवककम2. शरी चदरकात गनडीवाल, यवतमाल3. शरीमती विना गवळी, नागपर4. शरी वववक पाल, नई विलली5. शरीमती वीना वभवापरकर, नागपर6. शरीमती विना वमाम, विलली7. शरी. रोवहताशव राहल नागपाल,

िाहजहापर, उ. पर.8. शरी. राजदर कमार महता, गडगाव, हररयाणा9. शरीमती अजली िरना, विलली10-11. शरी. सतयजीत ठाकर एव

शरीमती जानकी ठाकर, लखनऊ, उ. पर.12. Ms. Rema Sukumaran, HONG

KONG-- शरी सवचन नात, (SAT) ICCCC

Member Incharge of India, Sri Lanka, UAE and Africa

बाि-शिववर शिकषक1-2. शरी िवन िाह एव शरीमती िावलनी

शरीवनवासन, ऑरोववल, तवमलनाड3. शरीमती सोनल महता, मिराई 4. क. काजल महता, मिराई

5. शरी क. बालचिर, पावडचरी6. शरी एम.आर.एस. ववजय सिर, पावडचरी 7. शरीमती एस. करपहवलली, चननई8. क. हमा एन. बी., बगलोर 9. शरी सनील ििमख, वधाम10. शरी मनोज सोनावण, वधाम11. शरी राजहस वजारी, नागपर12. शरी रामिासजी भासकर, नागपर13. शरी ववनोि वाकड, गोविया14. शरी उमि काबल, गोविया15. क. सषमा मशराम, गोविया16. शरीमती नवमता वालि, गोविया17. शरीमती सजाता परवीण गजवभय, कोलहापर 18. शरी सहास भोसल, कोलहापर 19. शरीमती पनम राजल, कोलहापर 20. शरीमती मघना आयर, वचपलण21. शरीमती सषमा पवडतराव हरिास, कराड 22. शरीमती विलपा वासिव धोगडी, कराड23. शरीमती सजीवनी अिोक पवार, कराड 24. क. मोनाली विि, कराड25. शरीमती सवणाम सजय भोसल, कराड26. शरी िीपक पावटल, कराड27. शरी विनि षिवतरया, कराड28. शरी चदरकात हवलिार, कराड29. शरी अरण कोली, कराड30. शरीमती अकाषिा जाधव, रतनावगरी 31. क. नहा लोण, पण32. क. िवल कोटक, अहमिाबाि 33. शरीमती लीलावती वाघला, अहमिाबाि34. शरी सिीप पटल, अहमिाबाि35. क. आिा मकवाणा, अहमिाबाि36. शरीमती परववणा परजापवत, अहमिाबाि37. शरी कौविक पटल, महसाणा38. क. शवता राजानी, जयपर39. शरी राज कमार गौतम, जयपर40. Ms. Pao Yeh Li, Taiwan41. Mrs. Nuntiya Jaravechason, Thailand 42. Mr. Andrew Wong Ye Him, Hong Kong43. Mr. Tsang Tsz Cheong (William),

Hong Kong 44. Ms. Katy Hanser Switzerland 45. Ms. Inga Kuehn Germany New responsibility – RCCC 1. शरीमती आिा लौगानी, (स.आ.) उतिरी

राजसान की षितरीय बालविववर समनवयक2. Mrs Dechen Wangmo -CCT RCCC

Leh Ladakh.

Page 4: sADkþAद kþA mAiskþ pRerfA pल्क · 2018-12-21 · 2562, , 23 , 2018, 48, 3/4/5 ¯ . . 19156/71. Postal Regi. No. NSK/RNP-235/2018-2020 के बडेबुजुग्म

“विपशयना” बदधिरष 2562, काितकष पिणषमा, 23 निबर, 2018, िरष 48, अक 3/4/5 • रजि. न. 19156/71. Postal Regi. No. NSK/RNP-235/2018-2020

“धमम क 50 साि”शरी सराना जी क मागमििमन म एक टीम, “धम क 50 साल” पर पजय गरजी और

पजय माताजी स जड कानको पर काम कर रही ह। इसम आप जस लब समय स धम स जड हए लोगो स हरसभव योगिान की आवशयकता ह। यवि आप क पास कोई महतवपणम वातामलाप, ववविषट आखयान-उपाखयान, फोटो, ऑवडयो, वववडयो आवि हो तो कपया अवशय भज या वलख। आवशयकतानसार उपयोग वकया जायगा। सपकम ीः रामपरताप यािव, ववपशयना वविोधन ववनयास, धमवगरर, इगतपरी-422403, वजला- नाविक. WhatsApp no. 7977380198. Email: [email protected]

yty

ववपशयी साधको की धमम-यातराभारत म धम-आगमन की 50वी जयती पर ववपशयी साधको की सववधा क वलए 1000

यावतरयो क वलए ती म-यातराओ का कायमकरम वनवशत वकया गया ह। वजसकी पहली खप 31 जनवरी, 2019 की रात म मबई स सलीपर कलास रलगाडी स वाराणसी क वलए होगी। 1 स 11 फरवरी तक सभी धम सानो जस सारना, बोधगया, राजगीर, नालिा, पटना, विाली, शरावसती, किीनगर, कवपलवसत आवि की यातरा वातानकवलत बस स परी की जायगी। बस का अवतम पडाव 11 की रात गया सट. तक ोडना होगा वफर गया स मबई रलगीडी दारा 13 को पहचग। य एक क बाि एक यातराय चलती रहगी। यातरा का परा खचम लगभग 45 स 50 हजार क बीच आयगा। परतयक सान पर ववहारो व होटलो आवि म रावतर-ववशराम एव भोजनावि की वयवसा होगी। परमख सानो पर धयान, गरजी क परवचन, विना आवि का कायमकरम होता रहगा। इचक वयवति अवधक जानकारी और बवकग क वलए सपकम कर फोन न.ीः +91-7506943663.

yty

ववशव ववपशयना पगोडा पर वविष काय�करमइस सवणम जयती पवम पर ववशव ववपशयना पगोडा म 29-30 जनवरी, 2019 को वविष

कायमकरम रखा गया ह, वजसकी ववसतत जानकारी अगल अक म िी जायगी। yty

एक ददवसीय शिववर : मबई की पचायती वाडी म31 जनवरी को िवषिण मबई की पाजरापोल वसत परवसदध धममिाला पचायत वाडी म

एक विवसीय विववर हो रहा ह। वववरण अगल अक म...yty

स नचाीः क तकनीकी कारणो स वपल िो अक परकावित नही हो पाय। कपया इसी अक को वसतबर-अतिबर का मान कर पढ। िष कायमकरम भी अगल अक म पढ। धनयवाि! y

If not delivered please return to:-ववपशयना वविोधन ववनास धममगगरर, इगतपरी - 422 403 शजिा-नाशिक, महाराषटर, भारत फोन : (02553) 244076, 244086, 244144, 244440. Email: [email protected]; course booking: [email protected]: www.vridhamma.org

DATE OF PRINTING: 10 NOVEMBER, 2018, DATE OF PUBLICATION: 23 NOVEMBER, 2018

Posting day- Purnima of Every Month, Posted at Igatpuri-422 403, Dist. Nashik (M.S.)

“तवपशयनचा तवशोधन तवनयचास” क तलए परकचाशक, मदरक एव सपचादक: रचा परिचाप यचादव, धमतगरर, इगिपमरी- 422 403, दरभचाष :(02553) 244086, 244076.मदरण सान : अपोिो पपरदिग परस, 259, सीकाफ लिगमिड, 69 एम. आय. डी. सी, सातपर, नाशिक-422 007. बमदधवषम 2562, काित�क पिण�मा, 23 नवबर, 2018

वारषक िलक र. 30/-, US $ 10, आजीवन िलक र. 500/-, US $ 100. “ववपशयना” रशज. न. 19156/71. Postal Regi. No. NSK/RNP-235/2018-2020

दोह धम� कजचाति वणम कचा, वगम कचा, जहचा भद नचा होय। जो सबकचा, सबक तलए, शमदध धर ह सोय।।

सपरदचाय यचा जचाति कचा, जहचा भद नचा होय। शमदध सनचािन ध म ह, वदनीय ह सोय।।

ऊ-नी नतह ध म ह, जचाि-पचाि नतह ध म। सचामयभचाव ही ध म ह, ऐकयभचाव ही ध म।।

जचाति-वणम क नचा पर, फलचा अतयचाचार। सदचाचार गतहमि हआ, पतजि तथयचाचार।।

दहा धरम राभचाव भगति भरमयो रहो, सझ न पचायो सचा। तथयचा ि रो तरगलो, कोसचा भरी कम ळचा।।

यो चाटी रो पिळो, रळसी रचाखयचा रि। सचाग जचासी धर ही, परलोकचा समख हि।।

तकिनचा रो होयो भलो, तकिनचा रो कलयचाण। धर सदचा गळ कर, धर बडो बलवचान।।

धर छतर िचारयचा खडयो, ि कय ततिि होय। रचाख धर रो आसरो, तनि गळ ही होय।।

-------------------------------------

कगमिो िकोिॉजीज (परा0) लिगमिड8, मोहता भवन, ई-मोजस रोड, वरली, मबई- 400 018

फोन: 2493 8893, फकस: 2493 6166Email: [email protected]

की मगल कामनाओ सहित

-------------------------------------

मोरया िटरडडग कपनीसववो सटॉवकसट-इवडयन ऑईल, 74, सरििािा जन िॉवपग कॉपलकस, एन.एच.6,

अवजठा चौक, जलगाव - 425 003, फोन. न. 0257-2210372, 2212877 मोबा.09423187301, Email: [email protected]

की मगल कामनाओ सहित

गोबि पगोडा म सन 2018-19 क महासघदान और एक-ददवसीय महाशिववर क आयोजन

रतववचार 13 जनवरी, 2019 को पजय माताजी की पमरय-तित (5 जिविरी) एव सयाजी ऊ बा वखन की पमरय-तित (19 जिविरी) क उपलकय म पगोडा परिसि म परातः 9ीः30 बज वहतघदान करा आयोजन ककयरा जरा िहरा ह। उसक बराद 11 बज स सराधक-सराधधकराए एक िदवसीय महाशिववर करा लराभ ल सक ग। जो भी सराधक-सराधधकरा इस पणयवधधक दरान-करायध म भराग लनरा चराहत हो, व कपयरा ननमन नराम-पत पि सपकध कि-1. Mr Derik

Pegado, 9921227057. or 2. Sri Bipin Mehta, Mo. 9920052156, फोनः 022- 62427512 (9:30AM to 5:30PM), Email: [email protected] एक िदवसीय महाशिववरः परातः 11 बज स अपराहन 4 बज तक । 3 स 4 बज क परवचन म वबना साधना वकय लोग भी बठ सकत ह । बवकग क वलए कपया वनन फोन नबरो या ईमल स िीघर सपकम कर। कपया वबना बवकग कराय न आय और सगगचान िपो समखो- सामवहक तप-सख का लाभ उठाए । सपकम : 022-28451170, 022-62427544- Extn. no. 9, 82918 94644. (फोन बवकग- परवतविन 11 स 5 बज तक) Online Regn: www.oneday.globalpagoda.org yty