kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · web viewप्रेमचंद. बेटों...

63
पपपपपपपप

Upload: others

Post on 18-Aug-2020

3 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

परमचद

बटो वाली विवधवा 3बड भाई साहब 26शावि 37नशा 54

बटोवाली विवधवा

2

विड अयोधयानाथ का दहान हआ ो सबन कहा ईशवर आदमी की ऐसी ही मौ द चार जवान बट थ एक लडकी चारो लडको क विववाह हो चक थ कवल लडकी कवॉरी

थी समपतति भी काफी छोडी थी एक पकका मकान दो बगीच कई हजार क गहन और बीस हजार नकद विवधवा फलमी को शोक ो हआ और कई दिदन क बहाल पडी रही लविकन जवान बटो को सामन दखकर उस ढाढस हआ चारो लडक एक-स-एक सशील चारो बहऍ एक-स-एक बढकर आजञाकारिरणी जब वह रा को लटी ो चारो बारी-बारी स उसक पॉव दबाी वह सनान करक उठी ो उसकी साडी छॉटी सारा घर उसक इशार पर चला था बडा लडका कामा एक दफर म 50 र पर नौकर था छोटा उमानाथ डाकटरी पास कर चका था और कही औषधालय खोलन की विफकर म था ीसरा दयानाथ बी ए म फल हो गया था और पविIकाओ म लख लिलखकर कछ-न-कछ कमा ला था चौथा सीानाथ चारो म सबस कशागर बदधिN और होनहार था और अबकी साल बी ए परथम शरणी म पास करक एम ए की यारी म लगा हआ था विकसी लडक म वह दरवयTसन वह छलापन वह लटाऊपन न था जो माा-विपा को जलाा और कल-मयाTदा को डबाा ह फलमी घर की मालविकन थी गोविक कदधिजयॉ बडी बह क पास रही थी ndash बदिढया म वह अधिधकार-परम न था जो वNजनो को कट और कलहशील बना दिदया करा ह विकन उसकी इचछा क विबना कोई बालक धिमठाई क न मगा सका था

सधया हो गई थी पविड को मर आज बारहवा दिदन था कल रही ह बरहमभोज होगा विबरादरी क लोग विनमविI होग उसी की यारिरयॉ हो रही थी फलमी अपनी कोठरी म बठी दख रही थी पललदार बोर म आटा लाकर रख रह ह घी क दिटन आ रह ह शाक-भाजी क टोकर शककर की बोरिरयॉ दही क मटक चल आ रह ह महापाI क लिलए दान की चीज लाई गई-बTन कपड पलग विबछावन छा ज छविडयॉ लालटन आदिद विकन फलमी को कोई चीज नही दिदखाई गई विनयमानसार य सब सामान उसक पास आन चाविहए थ वह परतयक वस को दखी उस पसद करी उसकी माIा म कमी-बशी का फसला करी ब इन चीजो को भडार म रखा जाा कयो उस दिदखान और उसकी राय लन की जरर नही समझी गई अचछा वह आटा ीन ही बोरा कयो आया उसन ो पॉच बोरो क लिलए कहा था घी भी पॉच ही कनसर ह उसन ो दस कनसर मगवाए थ इसी रह शाक-भाजी शककर दही आदिद म भी कमी की गई होगी विकसन उसक हकम म हसकषप विकया जब उसन एक बा य कर दी ब विकस उसको घटान-बढान का अधिधकार ह

आज चालीस वषf स घर क परतयक मामल म फलमी की बा सवTमानय थी उसन सौ कहा ो सौ खचT विकए गए एक कहा ो एक विकसी न मीन-मख न की यहॉ क विक प अयोधयानाथ भी उसकी इचछा क विवरN कछ न कर थ पर आज उसकी ऑखो क

3

सामन परतयकष रप स उसक हकम की उपकषा की जा रही ह इस वह कयोकर सवीकार कर सकी

कछ दर क ो वह जब विकए बठी रही पर अ म न रहा गया सवाय शासन उसका सवभाव हो गया था वह करोध म भरी हई आयी और कामानाथ स बोली-कया आटा ीन ही बोर लाय मन ो पॉच बोरो क लिलए कहा था और घी भी पॉच ही दिटन मगवाया मह याद ह मन दस कनसर कहा था विकफाय को म बरा नही समझी लविकन दधिजसन यह कऑ खोदा उसी की आतमा पानी को रस यह विकनी लजजा की बा ह

कामानाथ न कषमा-याचना न की अपनी भल भी सवीकार न की लजजिजज भी नही हआ एक धिमनट ो विवदरोही भाव स खडा रहा विफर बोला-हम लोगो की सलाह ीन ही बोरो की हई और ीन बोर क लिलए पॉच दिटन घी काफी था इसी विहसाब स और चीज भी कम कर दी गई ह

फलमी उगर होकर बोली-विकसकी राय स आटा कम विकया गयाlsquoहम लोगो की राय सlsquolsquoो मरी राय कोई चीज नही हrsquolsquoह कयो नही लविकन अपना हाविन-लाभ ो हम समझ हrsquoफलमी हककी-बककी होकर उसका मह ाकन लगी इस वाकय का आशय उसकी

समझ म न आया अपना हाविन-लाभ अपन घर म हाविन-लाभ की दधिजममदार वह आप ह दसरो को चाह व उसक पट क जनम पI ही कयो न हो उसक कामो म हसकषप करन का कया अधिधकार यह लौडा ो इस दिढठाई स जवाब द रहा ह मानो घर उसी का ह उसी न मर-मरकर गहसथी जोडी ह म ो गर ह जरा इसकी हकडी ो दखो

उसन ममाए हए मख स कहा मर हाविन-लाभ क दधिजममदार म नही हो मझ अजजिqयार ह जो उलिच समझ वह कर अभी जाकर दो बोर आटा और पॉच दिटन घी और लाओ और आग क लिलए खबरदार जो विकसी न मरी बा काटी

अपन विवचार म उसन काफी मबीह कर दी थी शायद इनी कठोरा अनावशयक थी उस अपनी उगरा पर खद हआ लडक ही ो ह समझ होग कछ विकफाय करनी चाविहए मझस इसलिलए न पछा होगा विक अममा ो खद हरक काम म विकफाय करी ह अगर इनह मालम होा विक इस काम म म विकफाय पसद न करगी ो कभी इनह मरी उपकषा करन का साहस न होा यदयविप कामानाथ अब भी उसी जगह खडा था और उसकी भावभगी स ऐसा जञा होा था विक इस आजञा का पालन करन क लिलए वह बह उतसक नही पर फलमी विनशचिv होकर अपनी कोठरी म चली गयी इनी मबीह पर भी विकसी को अवजञा करन की सामरथययT हो सकी ह इसकी सभावना का धयान भी उस न आया

पर जयो-जयो समय बीन लगा उस पर यह हकीक खलन लगी विक इस घर म अब उसकी वह हलिसय नही रही जो दस-बारह दिदन पहल थी समबधिधयो क यहॉ क नव म

4

शककर धिमठाई दही अचार आदिद आ रह थ बडी बह इन वसओ को सवाधिमनी-भाव स सभाल-सभालकर रख रही थी कोई भी उसस पछन नही आा विबरादरी क लोग जो कछ पछ ह कामानाथ स या बडी बह स कामानाथ कहॉ का बडा इजामकार ह रा-दिदन भग विपय पडा रहा ह विकसी रह रो-धोकर दफर चला जाा ह उसम भी महीन म पदरह नागो स कम नही हो वह ो कहो साहब पविडजी का लिलहाज करा ह नही अब क कभी का विनकाल दा और बडी बह जसी फहड और भला इन सब बाो को कया समझगी अपन कपड-ल क ो जन स रख नही सकी चली ह गहसथी चलान भद होगी और कया सब धिमलकर कल की नाक कटवाऍग वकत पर कोई-न-कोई चीज कम हो जायगी इन कामो क लिलए बडा अनभव चाविहए कोई चीज ो इनी बन जाएगी विक मारी-मारी विफरगा कोई चीज इनी कम बनगी विक विकसी पल पर पहचगी विकसी पर नही आखिखर इन सबो को हो कया गया ह अचछा बह विजोरी कयो खोल रही ह वह मरी आजञा क विबना विजोरी खोलनवाली कौन होी ह कजी उसक पास ह अवशय लविकन जब क म रपय न विनकलवाऊ विजोरी नही खली आज ो इस रह खोल रही ह मानो म कछ ह ही नही यह मझस न बदाTश होगा

वह झमककर उठी और बह क पास जाकर कठोर सवर म बोली-विजोरी कयो खोली हो बह मन ो खोलन को नही कहा

बडी बह न विनससकोच भाव स उर दिदया-बाजार स सामान आया ह ो दाम न दिदया जाएगा

lsquoकौन चीज विकस भाव म आई ह और विकनी आई ह यह मझ कछ नही मालम जब क विहसाब-विकाब न हो जाए रपय कस दिदय जाऍrsquo

lsquoविहसाब-विकाब सब हो गया हlsquolsquoविकसन विकयाrsquolsquoअब म कया जान विकसन विकया जाकर मरदो स पछो मझ हकम धिमला रपय

लाकर द दो रपय लिलय जाी हrsquoफलमी खन का घट पीकर रह गई इस वकत विबगडन का अवसर न था घर म

महमान सIी-परष भर हए थ अगर इस वकत उसन लडको को डॉटा ो लोग यही कहग विक इनक घर म पविडजी क मर ही फट पड गई दिदल पर पतथर रखकर विफर अपनी कोठरी म चली गयी जब महमान विवदा हो जायग ब वह एक-एक की खबर लगी ब दखगी कौन उसक सामन आा ह और कया कहा ह इनकी सारी चौकडी भला दगी

विकन कोठरी क एका म भी वह विनततिvन न बठी थी सारी परिरजजिसथवि को विगदघ दधि स दख रही थी कहॉ सतकार का कौन-सा विनयम भग होा ह कहॉ मयाTदाओ की उपकषा की जाी ह भोज आरमभ हो गया सारी विबरादरी एक साथ पग म बठा दी गई ऑगन म मशकिशकल स दो सौ आदमी बठ सक ह य पॉच सौ आदमी इनी-सी जगह म कस बठ जायग कया आदमी क ऊपर आदमी विबठाए जायग दो पगो म लोग विबठाए जा ो कया

5

बराई हो जाी यही ो होा ह विक बारह बज की जगह भोज दो बज समाप होा मगर यहॉ ो सबको सोन की जलदी पडी हई ह विकसी रह यह बला लिसर स टल और चन स सोए लोग विकन सटकर बठ हए ह विक विकसी को विहलन की भी जगह नही पल एक-पर-एक रख हए ह परिरया ठडी हो गई लोग गरम-गरम मॉग रह ह मद की परिरया ठडी होकर लिचमडी हो जाी ह इनह कौन खाएगा रसोइए को कढाव पर स न जान कयो उठा दिदया गया यही सब बा नाक काटन की ह

सहसा शोर मचा रकारिरयो म नमक नही बडी बह जलदी-जलदी नमक पीसन लगी फलमी करोध क मार ओ चबा रही थी पर इस अवसर पर मह न खोल सकी थी बोर-भर नमक विपसा और पलो पर डाला गया इन म विफर शोर मचा-पानी गरम ह ठडा पानी लाओ ठड पानी का कोई परबनध न था बफT भी न मगाई गई आदमी बाजार दौडाया गया मगर बाजार म इनी रा गए बफT कहॉ आदमी खाली हाथ लौट आया महमानो को वही नल का गरम पानी पीना पडा फलमी का बस चला ो लडको का मह नोच ली ऐसी छीछालदर उसक घर म कभी न हई थी उस पर सब मालिलक बनन क लिलए मर ह बफT जसी जररी चीज मगवान की भी विकसी को सधिध न थी सधिध कहॉ स रह-जब विकसी को गप लडान स फसT न धिमल महमान अपन दिदल म कया कहग विक चल ह विबरादरी को भोज दन और घर म बफT क नही

अचछा विफर यह हलचल कयो मच गई अर लोग पग स उठ जा रह ह कया मामला ह

फलमी उदासीन न रह सकी कोठरी स विनकलकर बरामद म आयी और कामानाथ स पछा-कया बा हो गई ललला लोग उठ कयो जा रह ह कामा न कोई जवाब न दिदया वहॉ स खिखसक गया फलमी झझलाकर रह गई सहसा कहारिरन धिमल गई फलमी न उसस भी यह परशन विकया मालम हआ विकसी क शोरब म मरी हई चविहया विनकल आई फलमी लिचIलिलखिख-सी वही खडी रह गई भीर ऐसा उबाल उठा विक दीवार स लिसर टकरा ल अभाग भोज का परबनध करन चल थ इस फहडपन की कोई हद ह विकन आदधिमयो का धमT सतयानाश हो गया विफर पग कयो न उठ जाए ऑखो स दखकर अपना धमT कौन गवाएगा हा सारा विकया-धरा धिमटटी म धिमल गया सकडो रपय पर पानी विफर गया बदनामी हई वह अलग

महमान उठ चक थ पलो पर खाना जयो-का-तयो पडा हआ था चारो लडक ऑगन म लजजिजज खड थ एक दसर को इलजाम द रहा था बडी बह अपनी दवराविनयो पर विबगड रही थी दवराविनयॉ सारा दोष कमद क लिसर डाली थी कमद खडी रो रही थी उसी वकत फलमी झललाई हई आकर बोली-मह म कालिलख लगी विक नही या अभी कछ कसर बाकी ह डब मरो सब-क-सब जाकर लिचलल-भर पानी म शहर म कही मह दिदखान लायक भी नही रह

विकसी लडक न जवाब न दिदया

6

फलमी और भी परचड होकर बोली-म लोगो को कया विकसी को शमT-हया ो ह नही आतमा ो उनकी रो रही ह दधिजनहोन अपनी दधिजनदगी घर की मरजाद बनान म खराब कर दी उनकी पविवI आतमा को मन यो कलविक विकया शहर म थडी-थडी हो रही ह अब कोई महार दवार पर पशाब करन ो आएगा नही

कामानाथ कछ दर क ो चपचाप खडा सना रहा आखिखर झझला कर बोला-अचछा अब चप रहो अममॉ भल हई हम सब मान ह बडी भयकर भल हई लविकन अब कया उसक लिलए घर क पराततिणयो को हलाल-कर डालोगी सभी स भल होी ह आदमी पछाकर रह जाा ह विकसी की जान ो नही मारी जाी

बडी बह न अपनी सफाई दी-हम कया जान थ विक बीबी (कमद) स इना-सा काम भी न होगा इनह चाविहए था विक दखकर रकारी कढाव म डाली टोकरी उठाकर कढाव म डाल दी हमारा कया दोष

कामानाथ न पतनी को डॉटा-इसम न कमद का कसर ह न महारा न मरा सयोग की बा ह बदनामी भाग म लिलखी थी वह हई इन बड भोज म एक-एक मटठी रकारी कढाव म नही डाली जाी टोकर-क-टोकर उडल दिदए जा ह कभी-कभी ऐसी दघTटना होी ह पर इसम कसी जग-हसाई और कसी नक-कटाई म खामखाह जल पर नमक लिछडकी हो

फलमी न दा पीसकर कहा-शरमा ो नही उलट और बहयाई की बा कर हो

कामानाथ न विनसकोच होकर कहा-शरमाऊ कयो विकसी की चोरी की ह चीनी म चीट और आट म घन यह नही दख जा पहल हमारी विनगाह न पडी बस यही बा विबगड गई नही चपक स चविहया विनकालकर फ क द विकसी को खबर भी न होी

फलमी न चविक होकर कहा-कया कहा ह मरी चविहया खिखलाकर सबका धमT विबगाड दा

कामा हसकर बोला-कया परान जमान की बा करी हो अममॉ इन बाो स धमT नही जाा यह धमाTतमा लोग जो पल पर स उठ गए ह इनम स कौन ह जो भड-बकरी का मास न खाा हो ालाब क कछए और घोघ क ो विकसी स बच नही जरा-सी चविहया म कया रखा था

फलमी को ऐसा परी हआ विक अब परलय आन म बह दर नही ह जब पढ-लिलख आदधिमयो क मन म ऐस अधारमिमक भाव आन लग ो विफर धमT की भगवान ही रकषा कर अपना-सा मह लकर चली गयी

2

7

महीन गजर गए ह रा का समय ह चारो भाई दिदन क काम स छटटी पाकर कमर म बठ गप-शप कर रह ह बडी बह भी षडयI म शरीक ह कमद क विववाह का परशन

लिछडा हआ हदो

कामानाथ न मसनद पर टक लगा हए कहा-दादा की बा दादा क साथ गई पविड विवदवान भी ह और कलीन भी होग लविकन जो आदमी अपनी विवदया और कलीना को रपयो पर बच वह नीच ह ऐस नीच आदमी क लडक स हम कमद का विववाह स म भी न करग पॉच हजार ो दर की बा ह उस बाओ धा और विकसी दसर वर की लाश करो हमार पास कल बीस हजार ही ो ह एक-एक क विहसस म पॉच-पॉच हजार आ ह पॉच हजार दहज म द द और पॉच हजार नग-नयोछावर बाज-गाज म उडा द ो विफर हमारी बधिधया ही बठ जाएगी

उमानाथ बोल-मझ अपना औषधालय खोलन क लिलए कम-स-कम पाच हजार की जरर ह म अपन विहसस म स एक पाई भी नही द सका विफर खल ही आमदनी ो होगी नही कम-स-कम साल-भर घर स खाना पडगा

दयानाथ एक समाचार-पI दख रह थ ऑखो स ऐनक उार हए बोल-मरा विवचार भी एक पI विनकालन का ह परस और पI म कम-स-कम दस हजार का कविपटल चाविहए पॉच हजार मर रहग ो कोई-न-कोई साझदार भी धिमल जाएगा पIो म लख लिलखकर मरा विनवाTह नही हो सका

कामानाथ न लिसर विहला हए कहाmdashअजी राम भजो स म कोई लख छपा नही रपय कौन दा ह

दयानाथ न परविवाद विकयाmdashनही यह बा ो नही ह म ो कही भी विबना पशगी परसकार लिलय नही लिलखा

कामा न जस अपन शबद वापस लिलयmdashमहारी बा म नही कहा भाई म ो थोडा-बह मार ल हो लविकन सबको ो नही धिमला

बडी बह न शरदघा भाव न कहाmdashकनया भगयवान हो ो दरिरदर घर म भी सखी रह सकी ह अभागी हो ो राजा क घर म भी रोएगी यह सब नसीबो का खल ह

कामानाथ न सIी की ओर परशसा-भाव स दखा-विफर इसी साल हम सीा का विववाह भी ो करना ह

सीानाथ सबस छोटा था लिसर झकाए भाइयो की सवाथT-भरी बा सन-सनकर कछ कहन क लिलए उावला हो रहा था अपना नाम सन ही बोलाmdashमर विववाह की आप लोग लिचना न कर म जब क विकसी धध म न लग जाऊगा विववाह का नाम भी न लगा और सच पलिछए ो म विववाह करना ही नही चाहा दश को इस समय बालको की जरर नही काम करन वालो की जरर ह मर विहसस क रपय आप कमद क विववाह म खचT कर द सारी बा य हो जान क बाद यह उलिच नही ह विक पविड मरारीलाल स समबध ोड लिलया जाए

8

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 2: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

बटो वाली विवधवा 3बड भाई साहब 26शावि 37नशा 54

बटोवाली विवधवा

2

विड अयोधयानाथ का दहान हआ ो सबन कहा ईशवर आदमी की ऐसी ही मौ द चार जवान बट थ एक लडकी चारो लडको क विववाह हो चक थ कवल लडकी कवॉरी

थी समपतति भी काफी छोडी थी एक पकका मकान दो बगीच कई हजार क गहन और बीस हजार नकद विवधवा फलमी को शोक ो हआ और कई दिदन क बहाल पडी रही लविकन जवान बटो को सामन दखकर उस ढाढस हआ चारो लडक एक-स-एक सशील चारो बहऍ एक-स-एक बढकर आजञाकारिरणी जब वह रा को लटी ो चारो बारी-बारी स उसक पॉव दबाी वह सनान करक उठी ो उसकी साडी छॉटी सारा घर उसक इशार पर चला था बडा लडका कामा एक दफर म 50 र पर नौकर था छोटा उमानाथ डाकटरी पास कर चका था और कही औषधालय खोलन की विफकर म था ीसरा दयानाथ बी ए म फल हो गया था और पविIकाओ म लख लिलखकर कछ-न-कछ कमा ला था चौथा सीानाथ चारो म सबस कशागर बदधिN और होनहार था और अबकी साल बी ए परथम शरणी म पास करक एम ए की यारी म लगा हआ था विकसी लडक म वह दरवयTसन वह छलापन वह लटाऊपन न था जो माा-विपा को जलाा और कल-मयाTदा को डबाा ह फलमी घर की मालविकन थी गोविक कदधिजयॉ बडी बह क पास रही थी ndash बदिढया म वह अधिधकार-परम न था जो वNजनो को कट और कलहशील बना दिदया करा ह विकन उसकी इचछा क विबना कोई बालक धिमठाई क न मगा सका था

सधया हो गई थी पविड को मर आज बारहवा दिदन था कल रही ह बरहमभोज होगा विबरादरी क लोग विनमविI होग उसी की यारिरयॉ हो रही थी फलमी अपनी कोठरी म बठी दख रही थी पललदार बोर म आटा लाकर रख रह ह घी क दिटन आ रह ह शाक-भाजी क टोकर शककर की बोरिरयॉ दही क मटक चल आ रह ह महापाI क लिलए दान की चीज लाई गई-बTन कपड पलग विबछावन छा ज छविडयॉ लालटन आदिद विकन फलमी को कोई चीज नही दिदखाई गई विनयमानसार य सब सामान उसक पास आन चाविहए थ वह परतयक वस को दखी उस पसद करी उसकी माIा म कमी-बशी का फसला करी ब इन चीजो को भडार म रखा जाा कयो उस दिदखान और उसकी राय लन की जरर नही समझी गई अचछा वह आटा ीन ही बोरा कयो आया उसन ो पॉच बोरो क लिलए कहा था घी भी पॉच ही कनसर ह उसन ो दस कनसर मगवाए थ इसी रह शाक-भाजी शककर दही आदिद म भी कमी की गई होगी विकसन उसक हकम म हसकषप विकया जब उसन एक बा य कर दी ब विकस उसको घटान-बढान का अधिधकार ह

आज चालीस वषf स घर क परतयक मामल म फलमी की बा सवTमानय थी उसन सौ कहा ो सौ खचT विकए गए एक कहा ो एक विकसी न मीन-मख न की यहॉ क विक प अयोधयानाथ भी उसकी इचछा क विवरN कछ न कर थ पर आज उसकी ऑखो क

3

सामन परतयकष रप स उसक हकम की उपकषा की जा रही ह इस वह कयोकर सवीकार कर सकी

कछ दर क ो वह जब विकए बठी रही पर अ म न रहा गया सवाय शासन उसका सवभाव हो गया था वह करोध म भरी हई आयी और कामानाथ स बोली-कया आटा ीन ही बोर लाय मन ो पॉच बोरो क लिलए कहा था और घी भी पॉच ही दिटन मगवाया मह याद ह मन दस कनसर कहा था विकफाय को म बरा नही समझी लविकन दधिजसन यह कऑ खोदा उसी की आतमा पानी को रस यह विकनी लजजा की बा ह

कामानाथ न कषमा-याचना न की अपनी भल भी सवीकार न की लजजिजज भी नही हआ एक धिमनट ो विवदरोही भाव स खडा रहा विफर बोला-हम लोगो की सलाह ीन ही बोरो की हई और ीन बोर क लिलए पॉच दिटन घी काफी था इसी विहसाब स और चीज भी कम कर दी गई ह

फलमी उगर होकर बोली-विकसकी राय स आटा कम विकया गयाlsquoहम लोगो की राय सlsquolsquoो मरी राय कोई चीज नही हrsquolsquoह कयो नही लविकन अपना हाविन-लाभ ो हम समझ हrsquoफलमी हककी-बककी होकर उसका मह ाकन लगी इस वाकय का आशय उसकी

समझ म न आया अपना हाविन-लाभ अपन घर म हाविन-लाभ की दधिजममदार वह आप ह दसरो को चाह व उसक पट क जनम पI ही कयो न हो उसक कामो म हसकषप करन का कया अधिधकार यह लौडा ो इस दिढठाई स जवाब द रहा ह मानो घर उसी का ह उसी न मर-मरकर गहसथी जोडी ह म ो गर ह जरा इसकी हकडी ो दखो

उसन ममाए हए मख स कहा मर हाविन-लाभ क दधिजममदार म नही हो मझ अजजिqयार ह जो उलिच समझ वह कर अभी जाकर दो बोर आटा और पॉच दिटन घी और लाओ और आग क लिलए खबरदार जो विकसी न मरी बा काटी

अपन विवचार म उसन काफी मबीह कर दी थी शायद इनी कठोरा अनावशयक थी उस अपनी उगरा पर खद हआ लडक ही ो ह समझ होग कछ विकफाय करनी चाविहए मझस इसलिलए न पछा होगा विक अममा ो खद हरक काम म विकफाय करी ह अगर इनह मालम होा विक इस काम म म विकफाय पसद न करगी ो कभी इनह मरी उपकषा करन का साहस न होा यदयविप कामानाथ अब भी उसी जगह खडा था और उसकी भावभगी स ऐसा जञा होा था विक इस आजञा का पालन करन क लिलए वह बह उतसक नही पर फलमी विनशचिv होकर अपनी कोठरी म चली गयी इनी मबीह पर भी विकसी को अवजञा करन की सामरथययT हो सकी ह इसकी सभावना का धयान भी उस न आया

पर जयो-जयो समय बीन लगा उस पर यह हकीक खलन लगी विक इस घर म अब उसकी वह हलिसय नही रही जो दस-बारह दिदन पहल थी समबधिधयो क यहॉ क नव म

4

शककर धिमठाई दही अचार आदिद आ रह थ बडी बह इन वसओ को सवाधिमनी-भाव स सभाल-सभालकर रख रही थी कोई भी उसस पछन नही आा विबरादरी क लोग जो कछ पछ ह कामानाथ स या बडी बह स कामानाथ कहॉ का बडा इजामकार ह रा-दिदन भग विपय पडा रहा ह विकसी रह रो-धोकर दफर चला जाा ह उसम भी महीन म पदरह नागो स कम नही हो वह ो कहो साहब पविडजी का लिलहाज करा ह नही अब क कभी का विनकाल दा और बडी बह जसी फहड और भला इन सब बाो को कया समझगी अपन कपड-ल क ो जन स रख नही सकी चली ह गहसथी चलान भद होगी और कया सब धिमलकर कल की नाक कटवाऍग वकत पर कोई-न-कोई चीज कम हो जायगी इन कामो क लिलए बडा अनभव चाविहए कोई चीज ो इनी बन जाएगी विक मारी-मारी विफरगा कोई चीज इनी कम बनगी विक विकसी पल पर पहचगी विकसी पर नही आखिखर इन सबो को हो कया गया ह अचछा बह विजोरी कयो खोल रही ह वह मरी आजञा क विबना विजोरी खोलनवाली कौन होी ह कजी उसक पास ह अवशय लविकन जब क म रपय न विनकलवाऊ विजोरी नही खली आज ो इस रह खोल रही ह मानो म कछ ह ही नही यह मझस न बदाTश होगा

वह झमककर उठी और बह क पास जाकर कठोर सवर म बोली-विजोरी कयो खोली हो बह मन ो खोलन को नही कहा

बडी बह न विनससकोच भाव स उर दिदया-बाजार स सामान आया ह ो दाम न दिदया जाएगा

lsquoकौन चीज विकस भाव म आई ह और विकनी आई ह यह मझ कछ नही मालम जब क विहसाब-विकाब न हो जाए रपय कस दिदय जाऍrsquo

lsquoविहसाब-विकाब सब हो गया हlsquolsquoविकसन विकयाrsquolsquoअब म कया जान विकसन विकया जाकर मरदो स पछो मझ हकम धिमला रपय

लाकर द दो रपय लिलय जाी हrsquoफलमी खन का घट पीकर रह गई इस वकत विबगडन का अवसर न था घर म

महमान सIी-परष भर हए थ अगर इस वकत उसन लडको को डॉटा ो लोग यही कहग विक इनक घर म पविडजी क मर ही फट पड गई दिदल पर पतथर रखकर विफर अपनी कोठरी म चली गयी जब महमान विवदा हो जायग ब वह एक-एक की खबर लगी ब दखगी कौन उसक सामन आा ह और कया कहा ह इनकी सारी चौकडी भला दगी

विकन कोठरी क एका म भी वह विनततिvन न बठी थी सारी परिरजजिसथवि को विगदघ दधि स दख रही थी कहॉ सतकार का कौन-सा विनयम भग होा ह कहॉ मयाTदाओ की उपकषा की जाी ह भोज आरमभ हो गया सारी विबरादरी एक साथ पग म बठा दी गई ऑगन म मशकिशकल स दो सौ आदमी बठ सक ह य पॉच सौ आदमी इनी-सी जगह म कस बठ जायग कया आदमी क ऊपर आदमी विबठाए जायग दो पगो म लोग विबठाए जा ो कया

5

बराई हो जाी यही ो होा ह विक बारह बज की जगह भोज दो बज समाप होा मगर यहॉ ो सबको सोन की जलदी पडी हई ह विकसी रह यह बला लिसर स टल और चन स सोए लोग विकन सटकर बठ हए ह विक विकसी को विहलन की भी जगह नही पल एक-पर-एक रख हए ह परिरया ठडी हो गई लोग गरम-गरम मॉग रह ह मद की परिरया ठडी होकर लिचमडी हो जाी ह इनह कौन खाएगा रसोइए को कढाव पर स न जान कयो उठा दिदया गया यही सब बा नाक काटन की ह

सहसा शोर मचा रकारिरयो म नमक नही बडी बह जलदी-जलदी नमक पीसन लगी फलमी करोध क मार ओ चबा रही थी पर इस अवसर पर मह न खोल सकी थी बोर-भर नमक विपसा और पलो पर डाला गया इन म विफर शोर मचा-पानी गरम ह ठडा पानी लाओ ठड पानी का कोई परबनध न था बफT भी न मगाई गई आदमी बाजार दौडाया गया मगर बाजार म इनी रा गए बफT कहॉ आदमी खाली हाथ लौट आया महमानो को वही नल का गरम पानी पीना पडा फलमी का बस चला ो लडको का मह नोच ली ऐसी छीछालदर उसक घर म कभी न हई थी उस पर सब मालिलक बनन क लिलए मर ह बफT जसी जररी चीज मगवान की भी विकसी को सधिध न थी सधिध कहॉ स रह-जब विकसी को गप लडान स फसT न धिमल महमान अपन दिदल म कया कहग विक चल ह विबरादरी को भोज दन और घर म बफT क नही

अचछा विफर यह हलचल कयो मच गई अर लोग पग स उठ जा रह ह कया मामला ह

फलमी उदासीन न रह सकी कोठरी स विनकलकर बरामद म आयी और कामानाथ स पछा-कया बा हो गई ललला लोग उठ कयो जा रह ह कामा न कोई जवाब न दिदया वहॉ स खिखसक गया फलमी झझलाकर रह गई सहसा कहारिरन धिमल गई फलमी न उसस भी यह परशन विकया मालम हआ विकसी क शोरब म मरी हई चविहया विनकल आई फलमी लिचIलिलखिख-सी वही खडी रह गई भीर ऐसा उबाल उठा विक दीवार स लिसर टकरा ल अभाग भोज का परबनध करन चल थ इस फहडपन की कोई हद ह विकन आदधिमयो का धमT सतयानाश हो गया विफर पग कयो न उठ जाए ऑखो स दखकर अपना धमT कौन गवाएगा हा सारा विकया-धरा धिमटटी म धिमल गया सकडो रपय पर पानी विफर गया बदनामी हई वह अलग

महमान उठ चक थ पलो पर खाना जयो-का-तयो पडा हआ था चारो लडक ऑगन म लजजिजज खड थ एक दसर को इलजाम द रहा था बडी बह अपनी दवराविनयो पर विबगड रही थी दवराविनयॉ सारा दोष कमद क लिसर डाली थी कमद खडी रो रही थी उसी वकत फलमी झललाई हई आकर बोली-मह म कालिलख लगी विक नही या अभी कछ कसर बाकी ह डब मरो सब-क-सब जाकर लिचलल-भर पानी म शहर म कही मह दिदखान लायक भी नही रह

विकसी लडक न जवाब न दिदया

6

फलमी और भी परचड होकर बोली-म लोगो को कया विकसी को शमT-हया ो ह नही आतमा ो उनकी रो रही ह दधिजनहोन अपनी दधिजनदगी घर की मरजाद बनान म खराब कर दी उनकी पविवI आतमा को मन यो कलविक विकया शहर म थडी-थडी हो रही ह अब कोई महार दवार पर पशाब करन ो आएगा नही

कामानाथ कछ दर क ो चपचाप खडा सना रहा आखिखर झझला कर बोला-अचछा अब चप रहो अममॉ भल हई हम सब मान ह बडी भयकर भल हई लविकन अब कया उसक लिलए घर क पराततिणयो को हलाल-कर डालोगी सभी स भल होी ह आदमी पछाकर रह जाा ह विकसी की जान ो नही मारी जाी

बडी बह न अपनी सफाई दी-हम कया जान थ विक बीबी (कमद) स इना-सा काम भी न होगा इनह चाविहए था विक दखकर रकारी कढाव म डाली टोकरी उठाकर कढाव म डाल दी हमारा कया दोष

कामानाथ न पतनी को डॉटा-इसम न कमद का कसर ह न महारा न मरा सयोग की बा ह बदनामी भाग म लिलखी थी वह हई इन बड भोज म एक-एक मटठी रकारी कढाव म नही डाली जाी टोकर-क-टोकर उडल दिदए जा ह कभी-कभी ऐसी दघTटना होी ह पर इसम कसी जग-हसाई और कसी नक-कटाई म खामखाह जल पर नमक लिछडकी हो

फलमी न दा पीसकर कहा-शरमा ो नही उलट और बहयाई की बा कर हो

कामानाथ न विनसकोच होकर कहा-शरमाऊ कयो विकसी की चोरी की ह चीनी म चीट और आट म घन यह नही दख जा पहल हमारी विनगाह न पडी बस यही बा विबगड गई नही चपक स चविहया विनकालकर फ क द विकसी को खबर भी न होी

फलमी न चविक होकर कहा-कया कहा ह मरी चविहया खिखलाकर सबका धमT विबगाड दा

कामा हसकर बोला-कया परान जमान की बा करी हो अममॉ इन बाो स धमT नही जाा यह धमाTतमा लोग जो पल पर स उठ गए ह इनम स कौन ह जो भड-बकरी का मास न खाा हो ालाब क कछए और घोघ क ो विकसी स बच नही जरा-सी चविहया म कया रखा था

फलमी को ऐसा परी हआ विक अब परलय आन म बह दर नही ह जब पढ-लिलख आदधिमयो क मन म ऐस अधारमिमक भाव आन लग ो विफर धमT की भगवान ही रकषा कर अपना-सा मह लकर चली गयी

2

7

महीन गजर गए ह रा का समय ह चारो भाई दिदन क काम स छटटी पाकर कमर म बठ गप-शप कर रह ह बडी बह भी षडयI म शरीक ह कमद क विववाह का परशन

लिछडा हआ हदो

कामानाथ न मसनद पर टक लगा हए कहा-दादा की बा दादा क साथ गई पविड विवदवान भी ह और कलीन भी होग लविकन जो आदमी अपनी विवदया और कलीना को रपयो पर बच वह नीच ह ऐस नीच आदमी क लडक स हम कमद का विववाह स म भी न करग पॉच हजार ो दर की बा ह उस बाओ धा और विकसी दसर वर की लाश करो हमार पास कल बीस हजार ही ो ह एक-एक क विहसस म पॉच-पॉच हजार आ ह पॉच हजार दहज म द द और पॉच हजार नग-नयोछावर बाज-गाज म उडा द ो विफर हमारी बधिधया ही बठ जाएगी

उमानाथ बोल-मझ अपना औषधालय खोलन क लिलए कम-स-कम पाच हजार की जरर ह म अपन विहसस म स एक पाई भी नही द सका विफर खल ही आमदनी ो होगी नही कम-स-कम साल-भर घर स खाना पडगा

दयानाथ एक समाचार-पI दख रह थ ऑखो स ऐनक उार हए बोल-मरा विवचार भी एक पI विनकालन का ह परस और पI म कम-स-कम दस हजार का कविपटल चाविहए पॉच हजार मर रहग ो कोई-न-कोई साझदार भी धिमल जाएगा पIो म लख लिलखकर मरा विनवाTह नही हो सका

कामानाथ न लिसर विहला हए कहाmdashअजी राम भजो स म कोई लख छपा नही रपय कौन दा ह

दयानाथ न परविवाद विकयाmdashनही यह बा ो नही ह म ो कही भी विबना पशगी परसकार लिलय नही लिलखा

कामा न जस अपन शबद वापस लिलयmdashमहारी बा म नही कहा भाई म ो थोडा-बह मार ल हो लविकन सबको ो नही धिमला

बडी बह न शरदघा भाव न कहाmdashकनया भगयवान हो ो दरिरदर घर म भी सखी रह सकी ह अभागी हो ो राजा क घर म भी रोएगी यह सब नसीबो का खल ह

कामानाथ न सIी की ओर परशसा-भाव स दखा-विफर इसी साल हम सीा का विववाह भी ो करना ह

सीानाथ सबस छोटा था लिसर झकाए भाइयो की सवाथT-भरी बा सन-सनकर कछ कहन क लिलए उावला हो रहा था अपना नाम सन ही बोलाmdashमर विववाह की आप लोग लिचना न कर म जब क विकसी धध म न लग जाऊगा विववाह का नाम भी न लगा और सच पलिछए ो म विववाह करना ही नही चाहा दश को इस समय बालको की जरर नही काम करन वालो की जरर ह मर विहसस क रपय आप कमद क विववाह म खचT कर द सारी बा य हो जान क बाद यह उलिच नही ह विक पविड मरारीलाल स समबध ोड लिलया जाए

8

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 3: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

विड अयोधयानाथ का दहान हआ ो सबन कहा ईशवर आदमी की ऐसी ही मौ द चार जवान बट थ एक लडकी चारो लडको क विववाह हो चक थ कवल लडकी कवॉरी

थी समपतति भी काफी छोडी थी एक पकका मकान दो बगीच कई हजार क गहन और बीस हजार नकद विवधवा फलमी को शोक ो हआ और कई दिदन क बहाल पडी रही लविकन जवान बटो को सामन दखकर उस ढाढस हआ चारो लडक एक-स-एक सशील चारो बहऍ एक-स-एक बढकर आजञाकारिरणी जब वह रा को लटी ो चारो बारी-बारी स उसक पॉव दबाी वह सनान करक उठी ो उसकी साडी छॉटी सारा घर उसक इशार पर चला था बडा लडका कामा एक दफर म 50 र पर नौकर था छोटा उमानाथ डाकटरी पास कर चका था और कही औषधालय खोलन की विफकर म था ीसरा दयानाथ बी ए म फल हो गया था और पविIकाओ म लख लिलखकर कछ-न-कछ कमा ला था चौथा सीानाथ चारो म सबस कशागर बदधिN और होनहार था और अबकी साल बी ए परथम शरणी म पास करक एम ए की यारी म लगा हआ था विकसी लडक म वह दरवयTसन वह छलापन वह लटाऊपन न था जो माा-विपा को जलाा और कल-मयाTदा को डबाा ह फलमी घर की मालविकन थी गोविक कदधिजयॉ बडी बह क पास रही थी ndash बदिढया म वह अधिधकार-परम न था जो वNजनो को कट और कलहशील बना दिदया करा ह विकन उसकी इचछा क विबना कोई बालक धिमठाई क न मगा सका था

सधया हो गई थी पविड को मर आज बारहवा दिदन था कल रही ह बरहमभोज होगा विबरादरी क लोग विनमविI होग उसी की यारिरयॉ हो रही थी फलमी अपनी कोठरी म बठी दख रही थी पललदार बोर म आटा लाकर रख रह ह घी क दिटन आ रह ह शाक-भाजी क टोकर शककर की बोरिरयॉ दही क मटक चल आ रह ह महापाI क लिलए दान की चीज लाई गई-बTन कपड पलग विबछावन छा ज छविडयॉ लालटन आदिद विकन फलमी को कोई चीज नही दिदखाई गई विनयमानसार य सब सामान उसक पास आन चाविहए थ वह परतयक वस को दखी उस पसद करी उसकी माIा म कमी-बशी का फसला करी ब इन चीजो को भडार म रखा जाा कयो उस दिदखान और उसकी राय लन की जरर नही समझी गई अचछा वह आटा ीन ही बोरा कयो आया उसन ो पॉच बोरो क लिलए कहा था घी भी पॉच ही कनसर ह उसन ो दस कनसर मगवाए थ इसी रह शाक-भाजी शककर दही आदिद म भी कमी की गई होगी विकसन उसक हकम म हसकषप विकया जब उसन एक बा य कर दी ब विकस उसको घटान-बढान का अधिधकार ह

आज चालीस वषf स घर क परतयक मामल म फलमी की बा सवTमानय थी उसन सौ कहा ो सौ खचT विकए गए एक कहा ो एक विकसी न मीन-मख न की यहॉ क विक प अयोधयानाथ भी उसकी इचछा क विवरN कछ न कर थ पर आज उसकी ऑखो क

3

सामन परतयकष रप स उसक हकम की उपकषा की जा रही ह इस वह कयोकर सवीकार कर सकी

कछ दर क ो वह जब विकए बठी रही पर अ म न रहा गया सवाय शासन उसका सवभाव हो गया था वह करोध म भरी हई आयी और कामानाथ स बोली-कया आटा ीन ही बोर लाय मन ो पॉच बोरो क लिलए कहा था और घी भी पॉच ही दिटन मगवाया मह याद ह मन दस कनसर कहा था विकफाय को म बरा नही समझी लविकन दधिजसन यह कऑ खोदा उसी की आतमा पानी को रस यह विकनी लजजा की बा ह

कामानाथ न कषमा-याचना न की अपनी भल भी सवीकार न की लजजिजज भी नही हआ एक धिमनट ो विवदरोही भाव स खडा रहा विफर बोला-हम लोगो की सलाह ीन ही बोरो की हई और ीन बोर क लिलए पॉच दिटन घी काफी था इसी विहसाब स और चीज भी कम कर दी गई ह

फलमी उगर होकर बोली-विकसकी राय स आटा कम विकया गयाlsquoहम लोगो की राय सlsquolsquoो मरी राय कोई चीज नही हrsquolsquoह कयो नही लविकन अपना हाविन-लाभ ो हम समझ हrsquoफलमी हककी-बककी होकर उसका मह ाकन लगी इस वाकय का आशय उसकी

समझ म न आया अपना हाविन-लाभ अपन घर म हाविन-लाभ की दधिजममदार वह आप ह दसरो को चाह व उसक पट क जनम पI ही कयो न हो उसक कामो म हसकषप करन का कया अधिधकार यह लौडा ो इस दिढठाई स जवाब द रहा ह मानो घर उसी का ह उसी न मर-मरकर गहसथी जोडी ह म ो गर ह जरा इसकी हकडी ो दखो

उसन ममाए हए मख स कहा मर हाविन-लाभ क दधिजममदार म नही हो मझ अजजिqयार ह जो उलिच समझ वह कर अभी जाकर दो बोर आटा और पॉच दिटन घी और लाओ और आग क लिलए खबरदार जो विकसी न मरी बा काटी

अपन विवचार म उसन काफी मबीह कर दी थी शायद इनी कठोरा अनावशयक थी उस अपनी उगरा पर खद हआ लडक ही ो ह समझ होग कछ विकफाय करनी चाविहए मझस इसलिलए न पछा होगा विक अममा ो खद हरक काम म विकफाय करी ह अगर इनह मालम होा विक इस काम म म विकफाय पसद न करगी ो कभी इनह मरी उपकषा करन का साहस न होा यदयविप कामानाथ अब भी उसी जगह खडा था और उसकी भावभगी स ऐसा जञा होा था विक इस आजञा का पालन करन क लिलए वह बह उतसक नही पर फलमी विनशचिv होकर अपनी कोठरी म चली गयी इनी मबीह पर भी विकसी को अवजञा करन की सामरथययT हो सकी ह इसकी सभावना का धयान भी उस न आया

पर जयो-जयो समय बीन लगा उस पर यह हकीक खलन लगी विक इस घर म अब उसकी वह हलिसय नही रही जो दस-बारह दिदन पहल थी समबधिधयो क यहॉ क नव म

4

शककर धिमठाई दही अचार आदिद आ रह थ बडी बह इन वसओ को सवाधिमनी-भाव स सभाल-सभालकर रख रही थी कोई भी उसस पछन नही आा विबरादरी क लोग जो कछ पछ ह कामानाथ स या बडी बह स कामानाथ कहॉ का बडा इजामकार ह रा-दिदन भग विपय पडा रहा ह विकसी रह रो-धोकर दफर चला जाा ह उसम भी महीन म पदरह नागो स कम नही हो वह ो कहो साहब पविडजी का लिलहाज करा ह नही अब क कभी का विनकाल दा और बडी बह जसी फहड और भला इन सब बाो को कया समझगी अपन कपड-ल क ो जन स रख नही सकी चली ह गहसथी चलान भद होगी और कया सब धिमलकर कल की नाक कटवाऍग वकत पर कोई-न-कोई चीज कम हो जायगी इन कामो क लिलए बडा अनभव चाविहए कोई चीज ो इनी बन जाएगी विक मारी-मारी विफरगा कोई चीज इनी कम बनगी विक विकसी पल पर पहचगी विकसी पर नही आखिखर इन सबो को हो कया गया ह अचछा बह विजोरी कयो खोल रही ह वह मरी आजञा क विबना विजोरी खोलनवाली कौन होी ह कजी उसक पास ह अवशय लविकन जब क म रपय न विनकलवाऊ विजोरी नही खली आज ो इस रह खोल रही ह मानो म कछ ह ही नही यह मझस न बदाTश होगा

वह झमककर उठी और बह क पास जाकर कठोर सवर म बोली-विजोरी कयो खोली हो बह मन ो खोलन को नही कहा

बडी बह न विनससकोच भाव स उर दिदया-बाजार स सामान आया ह ो दाम न दिदया जाएगा

lsquoकौन चीज विकस भाव म आई ह और विकनी आई ह यह मझ कछ नही मालम जब क विहसाब-विकाब न हो जाए रपय कस दिदय जाऍrsquo

lsquoविहसाब-विकाब सब हो गया हlsquolsquoविकसन विकयाrsquolsquoअब म कया जान विकसन विकया जाकर मरदो स पछो मझ हकम धिमला रपय

लाकर द दो रपय लिलय जाी हrsquoफलमी खन का घट पीकर रह गई इस वकत विबगडन का अवसर न था घर म

महमान सIी-परष भर हए थ अगर इस वकत उसन लडको को डॉटा ो लोग यही कहग विक इनक घर म पविडजी क मर ही फट पड गई दिदल पर पतथर रखकर विफर अपनी कोठरी म चली गयी जब महमान विवदा हो जायग ब वह एक-एक की खबर लगी ब दखगी कौन उसक सामन आा ह और कया कहा ह इनकी सारी चौकडी भला दगी

विकन कोठरी क एका म भी वह विनततिvन न बठी थी सारी परिरजजिसथवि को विगदघ दधि स दख रही थी कहॉ सतकार का कौन-सा विनयम भग होा ह कहॉ मयाTदाओ की उपकषा की जाी ह भोज आरमभ हो गया सारी विबरादरी एक साथ पग म बठा दी गई ऑगन म मशकिशकल स दो सौ आदमी बठ सक ह य पॉच सौ आदमी इनी-सी जगह म कस बठ जायग कया आदमी क ऊपर आदमी विबठाए जायग दो पगो म लोग विबठाए जा ो कया

5

बराई हो जाी यही ो होा ह विक बारह बज की जगह भोज दो बज समाप होा मगर यहॉ ो सबको सोन की जलदी पडी हई ह विकसी रह यह बला लिसर स टल और चन स सोए लोग विकन सटकर बठ हए ह विक विकसी को विहलन की भी जगह नही पल एक-पर-एक रख हए ह परिरया ठडी हो गई लोग गरम-गरम मॉग रह ह मद की परिरया ठडी होकर लिचमडी हो जाी ह इनह कौन खाएगा रसोइए को कढाव पर स न जान कयो उठा दिदया गया यही सब बा नाक काटन की ह

सहसा शोर मचा रकारिरयो म नमक नही बडी बह जलदी-जलदी नमक पीसन लगी फलमी करोध क मार ओ चबा रही थी पर इस अवसर पर मह न खोल सकी थी बोर-भर नमक विपसा और पलो पर डाला गया इन म विफर शोर मचा-पानी गरम ह ठडा पानी लाओ ठड पानी का कोई परबनध न था बफT भी न मगाई गई आदमी बाजार दौडाया गया मगर बाजार म इनी रा गए बफT कहॉ आदमी खाली हाथ लौट आया महमानो को वही नल का गरम पानी पीना पडा फलमी का बस चला ो लडको का मह नोच ली ऐसी छीछालदर उसक घर म कभी न हई थी उस पर सब मालिलक बनन क लिलए मर ह बफT जसी जररी चीज मगवान की भी विकसी को सधिध न थी सधिध कहॉ स रह-जब विकसी को गप लडान स फसT न धिमल महमान अपन दिदल म कया कहग विक चल ह विबरादरी को भोज दन और घर म बफT क नही

अचछा विफर यह हलचल कयो मच गई अर लोग पग स उठ जा रह ह कया मामला ह

फलमी उदासीन न रह सकी कोठरी स विनकलकर बरामद म आयी और कामानाथ स पछा-कया बा हो गई ललला लोग उठ कयो जा रह ह कामा न कोई जवाब न दिदया वहॉ स खिखसक गया फलमी झझलाकर रह गई सहसा कहारिरन धिमल गई फलमी न उसस भी यह परशन विकया मालम हआ विकसी क शोरब म मरी हई चविहया विनकल आई फलमी लिचIलिलखिख-सी वही खडी रह गई भीर ऐसा उबाल उठा विक दीवार स लिसर टकरा ल अभाग भोज का परबनध करन चल थ इस फहडपन की कोई हद ह विकन आदधिमयो का धमT सतयानाश हो गया विफर पग कयो न उठ जाए ऑखो स दखकर अपना धमT कौन गवाएगा हा सारा विकया-धरा धिमटटी म धिमल गया सकडो रपय पर पानी विफर गया बदनामी हई वह अलग

महमान उठ चक थ पलो पर खाना जयो-का-तयो पडा हआ था चारो लडक ऑगन म लजजिजज खड थ एक दसर को इलजाम द रहा था बडी बह अपनी दवराविनयो पर विबगड रही थी दवराविनयॉ सारा दोष कमद क लिसर डाली थी कमद खडी रो रही थी उसी वकत फलमी झललाई हई आकर बोली-मह म कालिलख लगी विक नही या अभी कछ कसर बाकी ह डब मरो सब-क-सब जाकर लिचलल-भर पानी म शहर म कही मह दिदखान लायक भी नही रह

विकसी लडक न जवाब न दिदया

6

फलमी और भी परचड होकर बोली-म लोगो को कया विकसी को शमT-हया ो ह नही आतमा ो उनकी रो रही ह दधिजनहोन अपनी दधिजनदगी घर की मरजाद बनान म खराब कर दी उनकी पविवI आतमा को मन यो कलविक विकया शहर म थडी-थडी हो रही ह अब कोई महार दवार पर पशाब करन ो आएगा नही

कामानाथ कछ दर क ो चपचाप खडा सना रहा आखिखर झझला कर बोला-अचछा अब चप रहो अममॉ भल हई हम सब मान ह बडी भयकर भल हई लविकन अब कया उसक लिलए घर क पराततिणयो को हलाल-कर डालोगी सभी स भल होी ह आदमी पछाकर रह जाा ह विकसी की जान ो नही मारी जाी

बडी बह न अपनी सफाई दी-हम कया जान थ विक बीबी (कमद) स इना-सा काम भी न होगा इनह चाविहए था विक दखकर रकारी कढाव म डाली टोकरी उठाकर कढाव म डाल दी हमारा कया दोष

कामानाथ न पतनी को डॉटा-इसम न कमद का कसर ह न महारा न मरा सयोग की बा ह बदनामी भाग म लिलखी थी वह हई इन बड भोज म एक-एक मटठी रकारी कढाव म नही डाली जाी टोकर-क-टोकर उडल दिदए जा ह कभी-कभी ऐसी दघTटना होी ह पर इसम कसी जग-हसाई और कसी नक-कटाई म खामखाह जल पर नमक लिछडकी हो

फलमी न दा पीसकर कहा-शरमा ो नही उलट और बहयाई की बा कर हो

कामानाथ न विनसकोच होकर कहा-शरमाऊ कयो विकसी की चोरी की ह चीनी म चीट और आट म घन यह नही दख जा पहल हमारी विनगाह न पडी बस यही बा विबगड गई नही चपक स चविहया विनकालकर फ क द विकसी को खबर भी न होी

फलमी न चविक होकर कहा-कया कहा ह मरी चविहया खिखलाकर सबका धमT विबगाड दा

कामा हसकर बोला-कया परान जमान की बा करी हो अममॉ इन बाो स धमT नही जाा यह धमाTतमा लोग जो पल पर स उठ गए ह इनम स कौन ह जो भड-बकरी का मास न खाा हो ालाब क कछए और घोघ क ो विकसी स बच नही जरा-सी चविहया म कया रखा था

फलमी को ऐसा परी हआ विक अब परलय आन म बह दर नही ह जब पढ-लिलख आदधिमयो क मन म ऐस अधारमिमक भाव आन लग ो विफर धमT की भगवान ही रकषा कर अपना-सा मह लकर चली गयी

2

7

महीन गजर गए ह रा का समय ह चारो भाई दिदन क काम स छटटी पाकर कमर म बठ गप-शप कर रह ह बडी बह भी षडयI म शरीक ह कमद क विववाह का परशन

लिछडा हआ हदो

कामानाथ न मसनद पर टक लगा हए कहा-दादा की बा दादा क साथ गई पविड विवदवान भी ह और कलीन भी होग लविकन जो आदमी अपनी विवदया और कलीना को रपयो पर बच वह नीच ह ऐस नीच आदमी क लडक स हम कमद का विववाह स म भी न करग पॉच हजार ो दर की बा ह उस बाओ धा और विकसी दसर वर की लाश करो हमार पास कल बीस हजार ही ो ह एक-एक क विहसस म पॉच-पॉच हजार आ ह पॉच हजार दहज म द द और पॉच हजार नग-नयोछावर बाज-गाज म उडा द ो विफर हमारी बधिधया ही बठ जाएगी

उमानाथ बोल-मझ अपना औषधालय खोलन क लिलए कम-स-कम पाच हजार की जरर ह म अपन विहसस म स एक पाई भी नही द सका विफर खल ही आमदनी ो होगी नही कम-स-कम साल-भर घर स खाना पडगा

दयानाथ एक समाचार-पI दख रह थ ऑखो स ऐनक उार हए बोल-मरा विवचार भी एक पI विनकालन का ह परस और पI म कम-स-कम दस हजार का कविपटल चाविहए पॉच हजार मर रहग ो कोई-न-कोई साझदार भी धिमल जाएगा पIो म लख लिलखकर मरा विनवाTह नही हो सका

कामानाथ न लिसर विहला हए कहाmdashअजी राम भजो स म कोई लख छपा नही रपय कौन दा ह

दयानाथ न परविवाद विकयाmdashनही यह बा ो नही ह म ो कही भी विबना पशगी परसकार लिलय नही लिलखा

कामा न जस अपन शबद वापस लिलयmdashमहारी बा म नही कहा भाई म ो थोडा-बह मार ल हो लविकन सबको ो नही धिमला

बडी बह न शरदघा भाव न कहाmdashकनया भगयवान हो ो दरिरदर घर म भी सखी रह सकी ह अभागी हो ो राजा क घर म भी रोएगी यह सब नसीबो का खल ह

कामानाथ न सIी की ओर परशसा-भाव स दखा-विफर इसी साल हम सीा का विववाह भी ो करना ह

सीानाथ सबस छोटा था लिसर झकाए भाइयो की सवाथT-भरी बा सन-सनकर कछ कहन क लिलए उावला हो रहा था अपना नाम सन ही बोलाmdashमर विववाह की आप लोग लिचना न कर म जब क विकसी धध म न लग जाऊगा विववाह का नाम भी न लगा और सच पलिछए ो म विववाह करना ही नही चाहा दश को इस समय बालको की जरर नही काम करन वालो की जरर ह मर विहसस क रपय आप कमद क विववाह म खचT कर द सारी बा य हो जान क बाद यह उलिच नही ह विक पविड मरारीलाल स समबध ोड लिलया जाए

8

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 4: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

सामन परतयकष रप स उसक हकम की उपकषा की जा रही ह इस वह कयोकर सवीकार कर सकी

कछ दर क ो वह जब विकए बठी रही पर अ म न रहा गया सवाय शासन उसका सवभाव हो गया था वह करोध म भरी हई आयी और कामानाथ स बोली-कया आटा ीन ही बोर लाय मन ो पॉच बोरो क लिलए कहा था और घी भी पॉच ही दिटन मगवाया मह याद ह मन दस कनसर कहा था विकफाय को म बरा नही समझी लविकन दधिजसन यह कऑ खोदा उसी की आतमा पानी को रस यह विकनी लजजा की बा ह

कामानाथ न कषमा-याचना न की अपनी भल भी सवीकार न की लजजिजज भी नही हआ एक धिमनट ो विवदरोही भाव स खडा रहा विफर बोला-हम लोगो की सलाह ीन ही बोरो की हई और ीन बोर क लिलए पॉच दिटन घी काफी था इसी विहसाब स और चीज भी कम कर दी गई ह

फलमी उगर होकर बोली-विकसकी राय स आटा कम विकया गयाlsquoहम लोगो की राय सlsquolsquoो मरी राय कोई चीज नही हrsquolsquoह कयो नही लविकन अपना हाविन-लाभ ो हम समझ हrsquoफलमी हककी-बककी होकर उसका मह ाकन लगी इस वाकय का आशय उसकी

समझ म न आया अपना हाविन-लाभ अपन घर म हाविन-लाभ की दधिजममदार वह आप ह दसरो को चाह व उसक पट क जनम पI ही कयो न हो उसक कामो म हसकषप करन का कया अधिधकार यह लौडा ो इस दिढठाई स जवाब द रहा ह मानो घर उसी का ह उसी न मर-मरकर गहसथी जोडी ह म ो गर ह जरा इसकी हकडी ो दखो

उसन ममाए हए मख स कहा मर हाविन-लाभ क दधिजममदार म नही हो मझ अजजिqयार ह जो उलिच समझ वह कर अभी जाकर दो बोर आटा और पॉच दिटन घी और लाओ और आग क लिलए खबरदार जो विकसी न मरी बा काटी

अपन विवचार म उसन काफी मबीह कर दी थी शायद इनी कठोरा अनावशयक थी उस अपनी उगरा पर खद हआ लडक ही ो ह समझ होग कछ विकफाय करनी चाविहए मझस इसलिलए न पछा होगा विक अममा ो खद हरक काम म विकफाय करी ह अगर इनह मालम होा विक इस काम म म विकफाय पसद न करगी ो कभी इनह मरी उपकषा करन का साहस न होा यदयविप कामानाथ अब भी उसी जगह खडा था और उसकी भावभगी स ऐसा जञा होा था विक इस आजञा का पालन करन क लिलए वह बह उतसक नही पर फलमी विनशचिv होकर अपनी कोठरी म चली गयी इनी मबीह पर भी विकसी को अवजञा करन की सामरथययT हो सकी ह इसकी सभावना का धयान भी उस न आया

पर जयो-जयो समय बीन लगा उस पर यह हकीक खलन लगी विक इस घर म अब उसकी वह हलिसय नही रही जो दस-बारह दिदन पहल थी समबधिधयो क यहॉ क नव म

4

शककर धिमठाई दही अचार आदिद आ रह थ बडी बह इन वसओ को सवाधिमनी-भाव स सभाल-सभालकर रख रही थी कोई भी उसस पछन नही आा विबरादरी क लोग जो कछ पछ ह कामानाथ स या बडी बह स कामानाथ कहॉ का बडा इजामकार ह रा-दिदन भग विपय पडा रहा ह विकसी रह रो-धोकर दफर चला जाा ह उसम भी महीन म पदरह नागो स कम नही हो वह ो कहो साहब पविडजी का लिलहाज करा ह नही अब क कभी का विनकाल दा और बडी बह जसी फहड और भला इन सब बाो को कया समझगी अपन कपड-ल क ो जन स रख नही सकी चली ह गहसथी चलान भद होगी और कया सब धिमलकर कल की नाक कटवाऍग वकत पर कोई-न-कोई चीज कम हो जायगी इन कामो क लिलए बडा अनभव चाविहए कोई चीज ो इनी बन जाएगी विक मारी-मारी विफरगा कोई चीज इनी कम बनगी विक विकसी पल पर पहचगी विकसी पर नही आखिखर इन सबो को हो कया गया ह अचछा बह विजोरी कयो खोल रही ह वह मरी आजञा क विबना विजोरी खोलनवाली कौन होी ह कजी उसक पास ह अवशय लविकन जब क म रपय न विनकलवाऊ विजोरी नही खली आज ो इस रह खोल रही ह मानो म कछ ह ही नही यह मझस न बदाTश होगा

वह झमककर उठी और बह क पास जाकर कठोर सवर म बोली-विजोरी कयो खोली हो बह मन ो खोलन को नही कहा

बडी बह न विनससकोच भाव स उर दिदया-बाजार स सामान आया ह ो दाम न दिदया जाएगा

lsquoकौन चीज विकस भाव म आई ह और विकनी आई ह यह मझ कछ नही मालम जब क विहसाब-विकाब न हो जाए रपय कस दिदय जाऍrsquo

lsquoविहसाब-विकाब सब हो गया हlsquolsquoविकसन विकयाrsquolsquoअब म कया जान विकसन विकया जाकर मरदो स पछो मझ हकम धिमला रपय

लाकर द दो रपय लिलय जाी हrsquoफलमी खन का घट पीकर रह गई इस वकत विबगडन का अवसर न था घर म

महमान सIी-परष भर हए थ अगर इस वकत उसन लडको को डॉटा ो लोग यही कहग विक इनक घर म पविडजी क मर ही फट पड गई दिदल पर पतथर रखकर विफर अपनी कोठरी म चली गयी जब महमान विवदा हो जायग ब वह एक-एक की खबर लगी ब दखगी कौन उसक सामन आा ह और कया कहा ह इनकी सारी चौकडी भला दगी

विकन कोठरी क एका म भी वह विनततिvन न बठी थी सारी परिरजजिसथवि को विगदघ दधि स दख रही थी कहॉ सतकार का कौन-सा विनयम भग होा ह कहॉ मयाTदाओ की उपकषा की जाी ह भोज आरमभ हो गया सारी विबरादरी एक साथ पग म बठा दी गई ऑगन म मशकिशकल स दो सौ आदमी बठ सक ह य पॉच सौ आदमी इनी-सी जगह म कस बठ जायग कया आदमी क ऊपर आदमी विबठाए जायग दो पगो म लोग विबठाए जा ो कया

5

बराई हो जाी यही ो होा ह विक बारह बज की जगह भोज दो बज समाप होा मगर यहॉ ो सबको सोन की जलदी पडी हई ह विकसी रह यह बला लिसर स टल और चन स सोए लोग विकन सटकर बठ हए ह विक विकसी को विहलन की भी जगह नही पल एक-पर-एक रख हए ह परिरया ठडी हो गई लोग गरम-गरम मॉग रह ह मद की परिरया ठडी होकर लिचमडी हो जाी ह इनह कौन खाएगा रसोइए को कढाव पर स न जान कयो उठा दिदया गया यही सब बा नाक काटन की ह

सहसा शोर मचा रकारिरयो म नमक नही बडी बह जलदी-जलदी नमक पीसन लगी फलमी करोध क मार ओ चबा रही थी पर इस अवसर पर मह न खोल सकी थी बोर-भर नमक विपसा और पलो पर डाला गया इन म विफर शोर मचा-पानी गरम ह ठडा पानी लाओ ठड पानी का कोई परबनध न था बफT भी न मगाई गई आदमी बाजार दौडाया गया मगर बाजार म इनी रा गए बफT कहॉ आदमी खाली हाथ लौट आया महमानो को वही नल का गरम पानी पीना पडा फलमी का बस चला ो लडको का मह नोच ली ऐसी छीछालदर उसक घर म कभी न हई थी उस पर सब मालिलक बनन क लिलए मर ह बफT जसी जररी चीज मगवान की भी विकसी को सधिध न थी सधिध कहॉ स रह-जब विकसी को गप लडान स फसT न धिमल महमान अपन दिदल म कया कहग विक चल ह विबरादरी को भोज दन और घर म बफT क नही

अचछा विफर यह हलचल कयो मच गई अर लोग पग स उठ जा रह ह कया मामला ह

फलमी उदासीन न रह सकी कोठरी स विनकलकर बरामद म आयी और कामानाथ स पछा-कया बा हो गई ललला लोग उठ कयो जा रह ह कामा न कोई जवाब न दिदया वहॉ स खिखसक गया फलमी झझलाकर रह गई सहसा कहारिरन धिमल गई फलमी न उसस भी यह परशन विकया मालम हआ विकसी क शोरब म मरी हई चविहया विनकल आई फलमी लिचIलिलखिख-सी वही खडी रह गई भीर ऐसा उबाल उठा विक दीवार स लिसर टकरा ल अभाग भोज का परबनध करन चल थ इस फहडपन की कोई हद ह विकन आदधिमयो का धमT सतयानाश हो गया विफर पग कयो न उठ जाए ऑखो स दखकर अपना धमT कौन गवाएगा हा सारा विकया-धरा धिमटटी म धिमल गया सकडो रपय पर पानी विफर गया बदनामी हई वह अलग

महमान उठ चक थ पलो पर खाना जयो-का-तयो पडा हआ था चारो लडक ऑगन म लजजिजज खड थ एक दसर को इलजाम द रहा था बडी बह अपनी दवराविनयो पर विबगड रही थी दवराविनयॉ सारा दोष कमद क लिसर डाली थी कमद खडी रो रही थी उसी वकत फलमी झललाई हई आकर बोली-मह म कालिलख लगी विक नही या अभी कछ कसर बाकी ह डब मरो सब-क-सब जाकर लिचलल-भर पानी म शहर म कही मह दिदखान लायक भी नही रह

विकसी लडक न जवाब न दिदया

6

फलमी और भी परचड होकर बोली-म लोगो को कया विकसी को शमT-हया ो ह नही आतमा ो उनकी रो रही ह दधिजनहोन अपनी दधिजनदगी घर की मरजाद बनान म खराब कर दी उनकी पविवI आतमा को मन यो कलविक विकया शहर म थडी-थडी हो रही ह अब कोई महार दवार पर पशाब करन ो आएगा नही

कामानाथ कछ दर क ो चपचाप खडा सना रहा आखिखर झझला कर बोला-अचछा अब चप रहो अममॉ भल हई हम सब मान ह बडी भयकर भल हई लविकन अब कया उसक लिलए घर क पराततिणयो को हलाल-कर डालोगी सभी स भल होी ह आदमी पछाकर रह जाा ह विकसी की जान ो नही मारी जाी

बडी बह न अपनी सफाई दी-हम कया जान थ विक बीबी (कमद) स इना-सा काम भी न होगा इनह चाविहए था विक दखकर रकारी कढाव म डाली टोकरी उठाकर कढाव म डाल दी हमारा कया दोष

कामानाथ न पतनी को डॉटा-इसम न कमद का कसर ह न महारा न मरा सयोग की बा ह बदनामी भाग म लिलखी थी वह हई इन बड भोज म एक-एक मटठी रकारी कढाव म नही डाली जाी टोकर-क-टोकर उडल दिदए जा ह कभी-कभी ऐसी दघTटना होी ह पर इसम कसी जग-हसाई और कसी नक-कटाई म खामखाह जल पर नमक लिछडकी हो

फलमी न दा पीसकर कहा-शरमा ो नही उलट और बहयाई की बा कर हो

कामानाथ न विनसकोच होकर कहा-शरमाऊ कयो विकसी की चोरी की ह चीनी म चीट और आट म घन यह नही दख जा पहल हमारी विनगाह न पडी बस यही बा विबगड गई नही चपक स चविहया विनकालकर फ क द विकसी को खबर भी न होी

फलमी न चविक होकर कहा-कया कहा ह मरी चविहया खिखलाकर सबका धमT विबगाड दा

कामा हसकर बोला-कया परान जमान की बा करी हो अममॉ इन बाो स धमT नही जाा यह धमाTतमा लोग जो पल पर स उठ गए ह इनम स कौन ह जो भड-बकरी का मास न खाा हो ालाब क कछए और घोघ क ो विकसी स बच नही जरा-सी चविहया म कया रखा था

फलमी को ऐसा परी हआ विक अब परलय आन म बह दर नही ह जब पढ-लिलख आदधिमयो क मन म ऐस अधारमिमक भाव आन लग ो विफर धमT की भगवान ही रकषा कर अपना-सा मह लकर चली गयी

2

7

महीन गजर गए ह रा का समय ह चारो भाई दिदन क काम स छटटी पाकर कमर म बठ गप-शप कर रह ह बडी बह भी षडयI म शरीक ह कमद क विववाह का परशन

लिछडा हआ हदो

कामानाथ न मसनद पर टक लगा हए कहा-दादा की बा दादा क साथ गई पविड विवदवान भी ह और कलीन भी होग लविकन जो आदमी अपनी विवदया और कलीना को रपयो पर बच वह नीच ह ऐस नीच आदमी क लडक स हम कमद का विववाह स म भी न करग पॉच हजार ो दर की बा ह उस बाओ धा और विकसी दसर वर की लाश करो हमार पास कल बीस हजार ही ो ह एक-एक क विहसस म पॉच-पॉच हजार आ ह पॉच हजार दहज म द द और पॉच हजार नग-नयोछावर बाज-गाज म उडा द ो विफर हमारी बधिधया ही बठ जाएगी

उमानाथ बोल-मझ अपना औषधालय खोलन क लिलए कम-स-कम पाच हजार की जरर ह म अपन विहसस म स एक पाई भी नही द सका विफर खल ही आमदनी ो होगी नही कम-स-कम साल-भर घर स खाना पडगा

दयानाथ एक समाचार-पI दख रह थ ऑखो स ऐनक उार हए बोल-मरा विवचार भी एक पI विनकालन का ह परस और पI म कम-स-कम दस हजार का कविपटल चाविहए पॉच हजार मर रहग ो कोई-न-कोई साझदार भी धिमल जाएगा पIो म लख लिलखकर मरा विनवाTह नही हो सका

कामानाथ न लिसर विहला हए कहाmdashअजी राम भजो स म कोई लख छपा नही रपय कौन दा ह

दयानाथ न परविवाद विकयाmdashनही यह बा ो नही ह म ो कही भी विबना पशगी परसकार लिलय नही लिलखा

कामा न जस अपन शबद वापस लिलयmdashमहारी बा म नही कहा भाई म ो थोडा-बह मार ल हो लविकन सबको ो नही धिमला

बडी बह न शरदघा भाव न कहाmdashकनया भगयवान हो ो दरिरदर घर म भी सखी रह सकी ह अभागी हो ो राजा क घर म भी रोएगी यह सब नसीबो का खल ह

कामानाथ न सIी की ओर परशसा-भाव स दखा-विफर इसी साल हम सीा का विववाह भी ो करना ह

सीानाथ सबस छोटा था लिसर झकाए भाइयो की सवाथT-भरी बा सन-सनकर कछ कहन क लिलए उावला हो रहा था अपना नाम सन ही बोलाmdashमर विववाह की आप लोग लिचना न कर म जब क विकसी धध म न लग जाऊगा विववाह का नाम भी न लगा और सच पलिछए ो म विववाह करना ही नही चाहा दश को इस समय बालको की जरर नही काम करन वालो की जरर ह मर विहसस क रपय आप कमद क विववाह म खचT कर द सारी बा य हो जान क बाद यह उलिच नही ह विक पविड मरारीलाल स समबध ोड लिलया जाए

8

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 5: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

शककर धिमठाई दही अचार आदिद आ रह थ बडी बह इन वसओ को सवाधिमनी-भाव स सभाल-सभालकर रख रही थी कोई भी उसस पछन नही आा विबरादरी क लोग जो कछ पछ ह कामानाथ स या बडी बह स कामानाथ कहॉ का बडा इजामकार ह रा-दिदन भग विपय पडा रहा ह विकसी रह रो-धोकर दफर चला जाा ह उसम भी महीन म पदरह नागो स कम नही हो वह ो कहो साहब पविडजी का लिलहाज करा ह नही अब क कभी का विनकाल दा और बडी बह जसी फहड और भला इन सब बाो को कया समझगी अपन कपड-ल क ो जन स रख नही सकी चली ह गहसथी चलान भद होगी और कया सब धिमलकर कल की नाक कटवाऍग वकत पर कोई-न-कोई चीज कम हो जायगी इन कामो क लिलए बडा अनभव चाविहए कोई चीज ो इनी बन जाएगी विक मारी-मारी विफरगा कोई चीज इनी कम बनगी विक विकसी पल पर पहचगी विकसी पर नही आखिखर इन सबो को हो कया गया ह अचछा बह विजोरी कयो खोल रही ह वह मरी आजञा क विबना विजोरी खोलनवाली कौन होी ह कजी उसक पास ह अवशय लविकन जब क म रपय न विनकलवाऊ विजोरी नही खली आज ो इस रह खोल रही ह मानो म कछ ह ही नही यह मझस न बदाTश होगा

वह झमककर उठी और बह क पास जाकर कठोर सवर म बोली-विजोरी कयो खोली हो बह मन ो खोलन को नही कहा

बडी बह न विनससकोच भाव स उर दिदया-बाजार स सामान आया ह ो दाम न दिदया जाएगा

lsquoकौन चीज विकस भाव म आई ह और विकनी आई ह यह मझ कछ नही मालम जब क विहसाब-विकाब न हो जाए रपय कस दिदय जाऍrsquo

lsquoविहसाब-विकाब सब हो गया हlsquolsquoविकसन विकयाrsquolsquoअब म कया जान विकसन विकया जाकर मरदो स पछो मझ हकम धिमला रपय

लाकर द दो रपय लिलय जाी हrsquoफलमी खन का घट पीकर रह गई इस वकत विबगडन का अवसर न था घर म

महमान सIी-परष भर हए थ अगर इस वकत उसन लडको को डॉटा ो लोग यही कहग विक इनक घर म पविडजी क मर ही फट पड गई दिदल पर पतथर रखकर विफर अपनी कोठरी म चली गयी जब महमान विवदा हो जायग ब वह एक-एक की खबर लगी ब दखगी कौन उसक सामन आा ह और कया कहा ह इनकी सारी चौकडी भला दगी

विकन कोठरी क एका म भी वह विनततिvन न बठी थी सारी परिरजजिसथवि को विगदघ दधि स दख रही थी कहॉ सतकार का कौन-सा विनयम भग होा ह कहॉ मयाTदाओ की उपकषा की जाी ह भोज आरमभ हो गया सारी विबरादरी एक साथ पग म बठा दी गई ऑगन म मशकिशकल स दो सौ आदमी बठ सक ह य पॉच सौ आदमी इनी-सी जगह म कस बठ जायग कया आदमी क ऊपर आदमी विबठाए जायग दो पगो म लोग विबठाए जा ो कया

5

बराई हो जाी यही ो होा ह विक बारह बज की जगह भोज दो बज समाप होा मगर यहॉ ो सबको सोन की जलदी पडी हई ह विकसी रह यह बला लिसर स टल और चन स सोए लोग विकन सटकर बठ हए ह विक विकसी को विहलन की भी जगह नही पल एक-पर-एक रख हए ह परिरया ठडी हो गई लोग गरम-गरम मॉग रह ह मद की परिरया ठडी होकर लिचमडी हो जाी ह इनह कौन खाएगा रसोइए को कढाव पर स न जान कयो उठा दिदया गया यही सब बा नाक काटन की ह

सहसा शोर मचा रकारिरयो म नमक नही बडी बह जलदी-जलदी नमक पीसन लगी फलमी करोध क मार ओ चबा रही थी पर इस अवसर पर मह न खोल सकी थी बोर-भर नमक विपसा और पलो पर डाला गया इन म विफर शोर मचा-पानी गरम ह ठडा पानी लाओ ठड पानी का कोई परबनध न था बफT भी न मगाई गई आदमी बाजार दौडाया गया मगर बाजार म इनी रा गए बफT कहॉ आदमी खाली हाथ लौट आया महमानो को वही नल का गरम पानी पीना पडा फलमी का बस चला ो लडको का मह नोच ली ऐसी छीछालदर उसक घर म कभी न हई थी उस पर सब मालिलक बनन क लिलए मर ह बफT जसी जररी चीज मगवान की भी विकसी को सधिध न थी सधिध कहॉ स रह-जब विकसी को गप लडान स फसT न धिमल महमान अपन दिदल म कया कहग विक चल ह विबरादरी को भोज दन और घर म बफT क नही

अचछा विफर यह हलचल कयो मच गई अर लोग पग स उठ जा रह ह कया मामला ह

फलमी उदासीन न रह सकी कोठरी स विनकलकर बरामद म आयी और कामानाथ स पछा-कया बा हो गई ललला लोग उठ कयो जा रह ह कामा न कोई जवाब न दिदया वहॉ स खिखसक गया फलमी झझलाकर रह गई सहसा कहारिरन धिमल गई फलमी न उसस भी यह परशन विकया मालम हआ विकसी क शोरब म मरी हई चविहया विनकल आई फलमी लिचIलिलखिख-सी वही खडी रह गई भीर ऐसा उबाल उठा विक दीवार स लिसर टकरा ल अभाग भोज का परबनध करन चल थ इस फहडपन की कोई हद ह विकन आदधिमयो का धमT सतयानाश हो गया विफर पग कयो न उठ जाए ऑखो स दखकर अपना धमT कौन गवाएगा हा सारा विकया-धरा धिमटटी म धिमल गया सकडो रपय पर पानी विफर गया बदनामी हई वह अलग

महमान उठ चक थ पलो पर खाना जयो-का-तयो पडा हआ था चारो लडक ऑगन म लजजिजज खड थ एक दसर को इलजाम द रहा था बडी बह अपनी दवराविनयो पर विबगड रही थी दवराविनयॉ सारा दोष कमद क लिसर डाली थी कमद खडी रो रही थी उसी वकत फलमी झललाई हई आकर बोली-मह म कालिलख लगी विक नही या अभी कछ कसर बाकी ह डब मरो सब-क-सब जाकर लिचलल-भर पानी म शहर म कही मह दिदखान लायक भी नही रह

विकसी लडक न जवाब न दिदया

6

फलमी और भी परचड होकर बोली-म लोगो को कया विकसी को शमT-हया ो ह नही आतमा ो उनकी रो रही ह दधिजनहोन अपनी दधिजनदगी घर की मरजाद बनान म खराब कर दी उनकी पविवI आतमा को मन यो कलविक विकया शहर म थडी-थडी हो रही ह अब कोई महार दवार पर पशाब करन ो आएगा नही

कामानाथ कछ दर क ो चपचाप खडा सना रहा आखिखर झझला कर बोला-अचछा अब चप रहो अममॉ भल हई हम सब मान ह बडी भयकर भल हई लविकन अब कया उसक लिलए घर क पराततिणयो को हलाल-कर डालोगी सभी स भल होी ह आदमी पछाकर रह जाा ह विकसी की जान ो नही मारी जाी

बडी बह न अपनी सफाई दी-हम कया जान थ विक बीबी (कमद) स इना-सा काम भी न होगा इनह चाविहए था विक दखकर रकारी कढाव म डाली टोकरी उठाकर कढाव म डाल दी हमारा कया दोष

कामानाथ न पतनी को डॉटा-इसम न कमद का कसर ह न महारा न मरा सयोग की बा ह बदनामी भाग म लिलखी थी वह हई इन बड भोज म एक-एक मटठी रकारी कढाव म नही डाली जाी टोकर-क-टोकर उडल दिदए जा ह कभी-कभी ऐसी दघTटना होी ह पर इसम कसी जग-हसाई और कसी नक-कटाई म खामखाह जल पर नमक लिछडकी हो

फलमी न दा पीसकर कहा-शरमा ो नही उलट और बहयाई की बा कर हो

कामानाथ न विनसकोच होकर कहा-शरमाऊ कयो विकसी की चोरी की ह चीनी म चीट और आट म घन यह नही दख जा पहल हमारी विनगाह न पडी बस यही बा विबगड गई नही चपक स चविहया विनकालकर फ क द विकसी को खबर भी न होी

फलमी न चविक होकर कहा-कया कहा ह मरी चविहया खिखलाकर सबका धमT विबगाड दा

कामा हसकर बोला-कया परान जमान की बा करी हो अममॉ इन बाो स धमT नही जाा यह धमाTतमा लोग जो पल पर स उठ गए ह इनम स कौन ह जो भड-बकरी का मास न खाा हो ालाब क कछए और घोघ क ो विकसी स बच नही जरा-सी चविहया म कया रखा था

फलमी को ऐसा परी हआ विक अब परलय आन म बह दर नही ह जब पढ-लिलख आदधिमयो क मन म ऐस अधारमिमक भाव आन लग ो विफर धमT की भगवान ही रकषा कर अपना-सा मह लकर चली गयी

2

7

महीन गजर गए ह रा का समय ह चारो भाई दिदन क काम स छटटी पाकर कमर म बठ गप-शप कर रह ह बडी बह भी षडयI म शरीक ह कमद क विववाह का परशन

लिछडा हआ हदो

कामानाथ न मसनद पर टक लगा हए कहा-दादा की बा दादा क साथ गई पविड विवदवान भी ह और कलीन भी होग लविकन जो आदमी अपनी विवदया और कलीना को रपयो पर बच वह नीच ह ऐस नीच आदमी क लडक स हम कमद का विववाह स म भी न करग पॉच हजार ो दर की बा ह उस बाओ धा और विकसी दसर वर की लाश करो हमार पास कल बीस हजार ही ो ह एक-एक क विहसस म पॉच-पॉच हजार आ ह पॉच हजार दहज म द द और पॉच हजार नग-नयोछावर बाज-गाज म उडा द ो विफर हमारी बधिधया ही बठ जाएगी

उमानाथ बोल-मझ अपना औषधालय खोलन क लिलए कम-स-कम पाच हजार की जरर ह म अपन विहसस म स एक पाई भी नही द सका विफर खल ही आमदनी ो होगी नही कम-स-कम साल-भर घर स खाना पडगा

दयानाथ एक समाचार-पI दख रह थ ऑखो स ऐनक उार हए बोल-मरा विवचार भी एक पI विनकालन का ह परस और पI म कम-स-कम दस हजार का कविपटल चाविहए पॉच हजार मर रहग ो कोई-न-कोई साझदार भी धिमल जाएगा पIो म लख लिलखकर मरा विनवाTह नही हो सका

कामानाथ न लिसर विहला हए कहाmdashअजी राम भजो स म कोई लख छपा नही रपय कौन दा ह

दयानाथ न परविवाद विकयाmdashनही यह बा ो नही ह म ो कही भी विबना पशगी परसकार लिलय नही लिलखा

कामा न जस अपन शबद वापस लिलयmdashमहारी बा म नही कहा भाई म ो थोडा-बह मार ल हो लविकन सबको ो नही धिमला

बडी बह न शरदघा भाव न कहाmdashकनया भगयवान हो ो दरिरदर घर म भी सखी रह सकी ह अभागी हो ो राजा क घर म भी रोएगी यह सब नसीबो का खल ह

कामानाथ न सIी की ओर परशसा-भाव स दखा-विफर इसी साल हम सीा का विववाह भी ो करना ह

सीानाथ सबस छोटा था लिसर झकाए भाइयो की सवाथT-भरी बा सन-सनकर कछ कहन क लिलए उावला हो रहा था अपना नाम सन ही बोलाmdashमर विववाह की आप लोग लिचना न कर म जब क विकसी धध म न लग जाऊगा विववाह का नाम भी न लगा और सच पलिछए ो म विववाह करना ही नही चाहा दश को इस समय बालको की जरर नही काम करन वालो की जरर ह मर विहसस क रपय आप कमद क विववाह म खचT कर द सारी बा य हो जान क बाद यह उलिच नही ह विक पविड मरारीलाल स समबध ोड लिलया जाए

8

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 6: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

बराई हो जाी यही ो होा ह विक बारह बज की जगह भोज दो बज समाप होा मगर यहॉ ो सबको सोन की जलदी पडी हई ह विकसी रह यह बला लिसर स टल और चन स सोए लोग विकन सटकर बठ हए ह विक विकसी को विहलन की भी जगह नही पल एक-पर-एक रख हए ह परिरया ठडी हो गई लोग गरम-गरम मॉग रह ह मद की परिरया ठडी होकर लिचमडी हो जाी ह इनह कौन खाएगा रसोइए को कढाव पर स न जान कयो उठा दिदया गया यही सब बा नाक काटन की ह

सहसा शोर मचा रकारिरयो म नमक नही बडी बह जलदी-जलदी नमक पीसन लगी फलमी करोध क मार ओ चबा रही थी पर इस अवसर पर मह न खोल सकी थी बोर-भर नमक विपसा और पलो पर डाला गया इन म विफर शोर मचा-पानी गरम ह ठडा पानी लाओ ठड पानी का कोई परबनध न था बफT भी न मगाई गई आदमी बाजार दौडाया गया मगर बाजार म इनी रा गए बफT कहॉ आदमी खाली हाथ लौट आया महमानो को वही नल का गरम पानी पीना पडा फलमी का बस चला ो लडको का मह नोच ली ऐसी छीछालदर उसक घर म कभी न हई थी उस पर सब मालिलक बनन क लिलए मर ह बफT जसी जररी चीज मगवान की भी विकसी को सधिध न थी सधिध कहॉ स रह-जब विकसी को गप लडान स फसT न धिमल महमान अपन दिदल म कया कहग विक चल ह विबरादरी को भोज दन और घर म बफT क नही

अचछा विफर यह हलचल कयो मच गई अर लोग पग स उठ जा रह ह कया मामला ह

फलमी उदासीन न रह सकी कोठरी स विनकलकर बरामद म आयी और कामानाथ स पछा-कया बा हो गई ललला लोग उठ कयो जा रह ह कामा न कोई जवाब न दिदया वहॉ स खिखसक गया फलमी झझलाकर रह गई सहसा कहारिरन धिमल गई फलमी न उसस भी यह परशन विकया मालम हआ विकसी क शोरब म मरी हई चविहया विनकल आई फलमी लिचIलिलखिख-सी वही खडी रह गई भीर ऐसा उबाल उठा विक दीवार स लिसर टकरा ल अभाग भोज का परबनध करन चल थ इस फहडपन की कोई हद ह विकन आदधिमयो का धमT सतयानाश हो गया विफर पग कयो न उठ जाए ऑखो स दखकर अपना धमT कौन गवाएगा हा सारा विकया-धरा धिमटटी म धिमल गया सकडो रपय पर पानी विफर गया बदनामी हई वह अलग

महमान उठ चक थ पलो पर खाना जयो-का-तयो पडा हआ था चारो लडक ऑगन म लजजिजज खड थ एक दसर को इलजाम द रहा था बडी बह अपनी दवराविनयो पर विबगड रही थी दवराविनयॉ सारा दोष कमद क लिसर डाली थी कमद खडी रो रही थी उसी वकत फलमी झललाई हई आकर बोली-मह म कालिलख लगी विक नही या अभी कछ कसर बाकी ह डब मरो सब-क-सब जाकर लिचलल-भर पानी म शहर म कही मह दिदखान लायक भी नही रह

विकसी लडक न जवाब न दिदया

6

फलमी और भी परचड होकर बोली-म लोगो को कया विकसी को शमT-हया ो ह नही आतमा ो उनकी रो रही ह दधिजनहोन अपनी दधिजनदगी घर की मरजाद बनान म खराब कर दी उनकी पविवI आतमा को मन यो कलविक विकया शहर म थडी-थडी हो रही ह अब कोई महार दवार पर पशाब करन ो आएगा नही

कामानाथ कछ दर क ो चपचाप खडा सना रहा आखिखर झझला कर बोला-अचछा अब चप रहो अममॉ भल हई हम सब मान ह बडी भयकर भल हई लविकन अब कया उसक लिलए घर क पराततिणयो को हलाल-कर डालोगी सभी स भल होी ह आदमी पछाकर रह जाा ह विकसी की जान ो नही मारी जाी

बडी बह न अपनी सफाई दी-हम कया जान थ विक बीबी (कमद) स इना-सा काम भी न होगा इनह चाविहए था विक दखकर रकारी कढाव म डाली टोकरी उठाकर कढाव म डाल दी हमारा कया दोष

कामानाथ न पतनी को डॉटा-इसम न कमद का कसर ह न महारा न मरा सयोग की बा ह बदनामी भाग म लिलखी थी वह हई इन बड भोज म एक-एक मटठी रकारी कढाव म नही डाली जाी टोकर-क-टोकर उडल दिदए जा ह कभी-कभी ऐसी दघTटना होी ह पर इसम कसी जग-हसाई और कसी नक-कटाई म खामखाह जल पर नमक लिछडकी हो

फलमी न दा पीसकर कहा-शरमा ो नही उलट और बहयाई की बा कर हो

कामानाथ न विनसकोच होकर कहा-शरमाऊ कयो विकसी की चोरी की ह चीनी म चीट और आट म घन यह नही दख जा पहल हमारी विनगाह न पडी बस यही बा विबगड गई नही चपक स चविहया विनकालकर फ क द विकसी को खबर भी न होी

फलमी न चविक होकर कहा-कया कहा ह मरी चविहया खिखलाकर सबका धमT विबगाड दा

कामा हसकर बोला-कया परान जमान की बा करी हो अममॉ इन बाो स धमT नही जाा यह धमाTतमा लोग जो पल पर स उठ गए ह इनम स कौन ह जो भड-बकरी का मास न खाा हो ालाब क कछए और घोघ क ो विकसी स बच नही जरा-सी चविहया म कया रखा था

फलमी को ऐसा परी हआ विक अब परलय आन म बह दर नही ह जब पढ-लिलख आदधिमयो क मन म ऐस अधारमिमक भाव आन लग ो विफर धमT की भगवान ही रकषा कर अपना-सा मह लकर चली गयी

2

7

महीन गजर गए ह रा का समय ह चारो भाई दिदन क काम स छटटी पाकर कमर म बठ गप-शप कर रह ह बडी बह भी षडयI म शरीक ह कमद क विववाह का परशन

लिछडा हआ हदो

कामानाथ न मसनद पर टक लगा हए कहा-दादा की बा दादा क साथ गई पविड विवदवान भी ह और कलीन भी होग लविकन जो आदमी अपनी विवदया और कलीना को रपयो पर बच वह नीच ह ऐस नीच आदमी क लडक स हम कमद का विववाह स म भी न करग पॉच हजार ो दर की बा ह उस बाओ धा और विकसी दसर वर की लाश करो हमार पास कल बीस हजार ही ो ह एक-एक क विहसस म पॉच-पॉच हजार आ ह पॉच हजार दहज म द द और पॉच हजार नग-नयोछावर बाज-गाज म उडा द ो विफर हमारी बधिधया ही बठ जाएगी

उमानाथ बोल-मझ अपना औषधालय खोलन क लिलए कम-स-कम पाच हजार की जरर ह म अपन विहसस म स एक पाई भी नही द सका विफर खल ही आमदनी ो होगी नही कम-स-कम साल-भर घर स खाना पडगा

दयानाथ एक समाचार-पI दख रह थ ऑखो स ऐनक उार हए बोल-मरा विवचार भी एक पI विनकालन का ह परस और पI म कम-स-कम दस हजार का कविपटल चाविहए पॉच हजार मर रहग ो कोई-न-कोई साझदार भी धिमल जाएगा पIो म लख लिलखकर मरा विनवाTह नही हो सका

कामानाथ न लिसर विहला हए कहाmdashअजी राम भजो स म कोई लख छपा नही रपय कौन दा ह

दयानाथ न परविवाद विकयाmdashनही यह बा ो नही ह म ो कही भी विबना पशगी परसकार लिलय नही लिलखा

कामा न जस अपन शबद वापस लिलयmdashमहारी बा म नही कहा भाई म ो थोडा-बह मार ल हो लविकन सबको ो नही धिमला

बडी बह न शरदघा भाव न कहाmdashकनया भगयवान हो ो दरिरदर घर म भी सखी रह सकी ह अभागी हो ो राजा क घर म भी रोएगी यह सब नसीबो का खल ह

कामानाथ न सIी की ओर परशसा-भाव स दखा-विफर इसी साल हम सीा का विववाह भी ो करना ह

सीानाथ सबस छोटा था लिसर झकाए भाइयो की सवाथT-भरी बा सन-सनकर कछ कहन क लिलए उावला हो रहा था अपना नाम सन ही बोलाmdashमर विववाह की आप लोग लिचना न कर म जब क विकसी धध म न लग जाऊगा विववाह का नाम भी न लगा और सच पलिछए ो म विववाह करना ही नही चाहा दश को इस समय बालको की जरर नही काम करन वालो की जरर ह मर विहसस क रपय आप कमद क विववाह म खचT कर द सारी बा य हो जान क बाद यह उलिच नही ह विक पविड मरारीलाल स समबध ोड लिलया जाए

8

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 7: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

फलमी और भी परचड होकर बोली-म लोगो को कया विकसी को शमT-हया ो ह नही आतमा ो उनकी रो रही ह दधिजनहोन अपनी दधिजनदगी घर की मरजाद बनान म खराब कर दी उनकी पविवI आतमा को मन यो कलविक विकया शहर म थडी-थडी हो रही ह अब कोई महार दवार पर पशाब करन ो आएगा नही

कामानाथ कछ दर क ो चपचाप खडा सना रहा आखिखर झझला कर बोला-अचछा अब चप रहो अममॉ भल हई हम सब मान ह बडी भयकर भल हई लविकन अब कया उसक लिलए घर क पराततिणयो को हलाल-कर डालोगी सभी स भल होी ह आदमी पछाकर रह जाा ह विकसी की जान ो नही मारी जाी

बडी बह न अपनी सफाई दी-हम कया जान थ विक बीबी (कमद) स इना-सा काम भी न होगा इनह चाविहए था विक दखकर रकारी कढाव म डाली टोकरी उठाकर कढाव म डाल दी हमारा कया दोष

कामानाथ न पतनी को डॉटा-इसम न कमद का कसर ह न महारा न मरा सयोग की बा ह बदनामी भाग म लिलखी थी वह हई इन बड भोज म एक-एक मटठी रकारी कढाव म नही डाली जाी टोकर-क-टोकर उडल दिदए जा ह कभी-कभी ऐसी दघTटना होी ह पर इसम कसी जग-हसाई और कसी नक-कटाई म खामखाह जल पर नमक लिछडकी हो

फलमी न दा पीसकर कहा-शरमा ो नही उलट और बहयाई की बा कर हो

कामानाथ न विनसकोच होकर कहा-शरमाऊ कयो विकसी की चोरी की ह चीनी म चीट और आट म घन यह नही दख जा पहल हमारी विनगाह न पडी बस यही बा विबगड गई नही चपक स चविहया विनकालकर फ क द विकसी को खबर भी न होी

फलमी न चविक होकर कहा-कया कहा ह मरी चविहया खिखलाकर सबका धमT विबगाड दा

कामा हसकर बोला-कया परान जमान की बा करी हो अममॉ इन बाो स धमT नही जाा यह धमाTतमा लोग जो पल पर स उठ गए ह इनम स कौन ह जो भड-बकरी का मास न खाा हो ालाब क कछए और घोघ क ो विकसी स बच नही जरा-सी चविहया म कया रखा था

फलमी को ऐसा परी हआ विक अब परलय आन म बह दर नही ह जब पढ-लिलख आदधिमयो क मन म ऐस अधारमिमक भाव आन लग ो विफर धमT की भगवान ही रकषा कर अपना-सा मह लकर चली गयी

2

7

महीन गजर गए ह रा का समय ह चारो भाई दिदन क काम स छटटी पाकर कमर म बठ गप-शप कर रह ह बडी बह भी षडयI म शरीक ह कमद क विववाह का परशन

लिछडा हआ हदो

कामानाथ न मसनद पर टक लगा हए कहा-दादा की बा दादा क साथ गई पविड विवदवान भी ह और कलीन भी होग लविकन जो आदमी अपनी विवदया और कलीना को रपयो पर बच वह नीच ह ऐस नीच आदमी क लडक स हम कमद का विववाह स म भी न करग पॉच हजार ो दर की बा ह उस बाओ धा और विकसी दसर वर की लाश करो हमार पास कल बीस हजार ही ो ह एक-एक क विहसस म पॉच-पॉच हजार आ ह पॉच हजार दहज म द द और पॉच हजार नग-नयोछावर बाज-गाज म उडा द ो विफर हमारी बधिधया ही बठ जाएगी

उमानाथ बोल-मझ अपना औषधालय खोलन क लिलए कम-स-कम पाच हजार की जरर ह म अपन विहसस म स एक पाई भी नही द सका विफर खल ही आमदनी ो होगी नही कम-स-कम साल-भर घर स खाना पडगा

दयानाथ एक समाचार-पI दख रह थ ऑखो स ऐनक उार हए बोल-मरा विवचार भी एक पI विनकालन का ह परस और पI म कम-स-कम दस हजार का कविपटल चाविहए पॉच हजार मर रहग ो कोई-न-कोई साझदार भी धिमल जाएगा पIो म लख लिलखकर मरा विनवाTह नही हो सका

कामानाथ न लिसर विहला हए कहाmdashअजी राम भजो स म कोई लख छपा नही रपय कौन दा ह

दयानाथ न परविवाद विकयाmdashनही यह बा ो नही ह म ो कही भी विबना पशगी परसकार लिलय नही लिलखा

कामा न जस अपन शबद वापस लिलयmdashमहारी बा म नही कहा भाई म ो थोडा-बह मार ल हो लविकन सबको ो नही धिमला

बडी बह न शरदघा भाव न कहाmdashकनया भगयवान हो ो दरिरदर घर म भी सखी रह सकी ह अभागी हो ो राजा क घर म भी रोएगी यह सब नसीबो का खल ह

कामानाथ न सIी की ओर परशसा-भाव स दखा-विफर इसी साल हम सीा का विववाह भी ो करना ह

सीानाथ सबस छोटा था लिसर झकाए भाइयो की सवाथT-भरी बा सन-सनकर कछ कहन क लिलए उावला हो रहा था अपना नाम सन ही बोलाmdashमर विववाह की आप लोग लिचना न कर म जब क विकसी धध म न लग जाऊगा विववाह का नाम भी न लगा और सच पलिछए ो म विववाह करना ही नही चाहा दश को इस समय बालको की जरर नही काम करन वालो की जरर ह मर विहसस क रपय आप कमद क विववाह म खचT कर द सारी बा य हो जान क बाद यह उलिच नही ह विक पविड मरारीलाल स समबध ोड लिलया जाए

8

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 8: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

महीन गजर गए ह रा का समय ह चारो भाई दिदन क काम स छटटी पाकर कमर म बठ गप-शप कर रह ह बडी बह भी षडयI म शरीक ह कमद क विववाह का परशन

लिछडा हआ हदो

कामानाथ न मसनद पर टक लगा हए कहा-दादा की बा दादा क साथ गई पविड विवदवान भी ह और कलीन भी होग लविकन जो आदमी अपनी विवदया और कलीना को रपयो पर बच वह नीच ह ऐस नीच आदमी क लडक स हम कमद का विववाह स म भी न करग पॉच हजार ो दर की बा ह उस बाओ धा और विकसी दसर वर की लाश करो हमार पास कल बीस हजार ही ो ह एक-एक क विहसस म पॉच-पॉच हजार आ ह पॉच हजार दहज म द द और पॉच हजार नग-नयोछावर बाज-गाज म उडा द ो विफर हमारी बधिधया ही बठ जाएगी

उमानाथ बोल-मझ अपना औषधालय खोलन क लिलए कम-स-कम पाच हजार की जरर ह म अपन विहसस म स एक पाई भी नही द सका विफर खल ही आमदनी ो होगी नही कम-स-कम साल-भर घर स खाना पडगा

दयानाथ एक समाचार-पI दख रह थ ऑखो स ऐनक उार हए बोल-मरा विवचार भी एक पI विनकालन का ह परस और पI म कम-स-कम दस हजार का कविपटल चाविहए पॉच हजार मर रहग ो कोई-न-कोई साझदार भी धिमल जाएगा पIो म लख लिलखकर मरा विनवाTह नही हो सका

कामानाथ न लिसर विहला हए कहाmdashअजी राम भजो स म कोई लख छपा नही रपय कौन दा ह

दयानाथ न परविवाद विकयाmdashनही यह बा ो नही ह म ो कही भी विबना पशगी परसकार लिलय नही लिलखा

कामा न जस अपन शबद वापस लिलयmdashमहारी बा म नही कहा भाई म ो थोडा-बह मार ल हो लविकन सबको ो नही धिमला

बडी बह न शरदघा भाव न कहाmdashकनया भगयवान हो ो दरिरदर घर म भी सखी रह सकी ह अभागी हो ो राजा क घर म भी रोएगी यह सब नसीबो का खल ह

कामानाथ न सIी की ओर परशसा-भाव स दखा-विफर इसी साल हम सीा का विववाह भी ो करना ह

सीानाथ सबस छोटा था लिसर झकाए भाइयो की सवाथT-भरी बा सन-सनकर कछ कहन क लिलए उावला हो रहा था अपना नाम सन ही बोलाmdashमर विववाह की आप लोग लिचना न कर म जब क विकसी धध म न लग जाऊगा विववाह का नाम भी न लगा और सच पलिछए ो म विववाह करना ही नही चाहा दश को इस समय बालको की जरर नही काम करन वालो की जरर ह मर विहसस क रपय आप कमद क विववाह म खचT कर द सारी बा य हो जान क बाद यह उलिच नही ह विक पविड मरारीलाल स समबध ोड लिलया जाए

8

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 9: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

उमा न ीवर सवर म कहाmdashदस हजार कहॉ स आऍगसीा न डर हए कहाmdashम ो अपन विहसस क रपय दन को कहा हlsquoऔर शषrsquolsquoमरारीलाल स कहा जाए विक दहज म कछ कमी कर द व इन सवाथाTनध नही ह

विक इस अवसर पर कछ बल खान को यार न हो जाऍ अगर वह ीन हजार म स हो जाए ो पॉच हजार म विववाह हो सका ह

उमा न कामानाथ स कहाmdashसन ह भाई साहब इसकी बादयानाथ बोल उठ-ो इसम आप लोगो का कया नकसान ह मझ ो इस बा स

खशी हो रही ह विक भला हमम कोई ो तयाग करन योगय ह इनह तकाल रपय की जरर नही ह सरकार स वजीफा पा ही ह पास होन पर कही-न-कही जगह धिमल जाएगी हम लोगो की हाल ो ऐसी नही ह

कामानाथ न दरदरशिशा का परिरचय दिदयाmdashनकसान की एक ही कही हमम स एक को क हो ो कया और लोग बठ दखग यह अभी लडक ह इनह कया मालम समय पर एक रपया एक लाख का काम करा ह कौन जाना ह कल इनह विवलाय जाकर पढन क लिलए सरकारी वजीफा धिमल जाए या लिसविवल सरविवस म आ जाऍ उस वकत सफर की यारिरयो म चार-पॉच हजार लग जाएग ब विकसक सामन हाथ फला विफरग म यह नही चाहा विक दहज क पीछ इनकी दधिजनदगी न हो जाए

इस कT न सीानाथ को भी ोड लिलया सकचाा हआ बोलाmdashहॉ यदिद ऐसा हआ ो बशक मझ रपय की जरर होगी

lsquoकया ऐसा होना असभव हrsquolsquoअसभव ो म नही समझा लविकन कदिठन अवशय ह वजीफ उनह धिमल ह

दधिजनक पास लिसफारिरश होी ह मझ कौन पछा हlsquolsquoकभी-कभी लिसफारिरश धरी रह जाी ह और विबना लिसफारिरश वाल बाजी मार ल

जा हrsquolsquoो आप जसा उलिच समझ मझ यहॉ क मजर ह विक चाह म विवलाय न जाऊ

पर कमद अचछ घर जाएlsquoकामानाथ न विनषठाmdashभाव स कहाmdashअचछा घर दहज दन ही स नही धिमला भया

जसा महारी भाभी न कहा यह नसीबो का खल ह म ो चाहा ह विक मरारीलाल को जवाब द दिदया जाए और कोई ऐसा घर खोजा जाए जो थोड म राजी हो जाए इस विववाह म म एक हजार स जयादा नही खचT कर सका पविड दीनदयाल कस ह

उमा न परसनन होकर कहाmdashबह अचछ एमए बीए न सही यजमानो स अचछी आमदनी ह

दयानाथ न आपतति कीmdashअममॉ स भी पछ ो लना चाविहए

9

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 10: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

कामानाथ को इसकी कोई जरर न मालम हई बोल-उनकी ो जस बदधिN ही भर हो गई वही परान यग की बा मरारीलाल क नाम पर उधार खाए बठी ह यह नही समझी विक वह जमाना नही रहा उनको ो बस कमद मरारी पविड क घर जाए चाह हम लोग बाह हो जाऍ

उमा न एक शका उपजजिसथ कीmdashअममॉ अपन सब गहन कमद को द दगी दख लीदधिजएगा

कामानाथ का सवाथT नीवि स विवदरोह न कर सका बोल-गहनो पर उनका परा अधिधकार ह यह उनका सIीधन ह दधिजस चाह द सकी ह

उमा न कहाmdashसIीधन ह ो कया वह उस लटा दगी आखिखर वह भी ो दादा ही की कमाई ह

lsquoविकसी की कमाई हो सIीधन पर उनका परा अधिधकार हrsquolsquoयह काननी गोरखधध ह बीस हजार म ो चार विहससदार हो और दस हजार क

गहन अममॉ क पास रह जाऍ दख लना इनही क बल पर वह कमद का विववाह मरारी पविड क घर करगीlsquo

उमानाथ इनी बडी रकम को इनी आसानी स नही छोड सका वह कपट-नीवि म कशल ह कोई कौशल रचकर माा स सार गहन ल लगा उस वकत क कमद क विववाह की चचाT करक फलमी को भडकाना उलिच नही कामानाथ न लिसर विहलाकर कहाmdashभाई म इन चालो को पसद नही करा

उमानाथ न खिखलिसयाकर कहाmdashगहन दस हजार स कम क न होगकामा अविवचलिल सवर म बोलmdashविकन ही क हो म अनीवि म हाथ नही डालना

चाहाlsquoो आप अलग बदिठए हा बीच म भाजी न मारिरएगाlsquolsquoम अलग रहगाlsquolsquoऔर म सीाrsquolsquoअलग रहगाlsquoलविकन जब दयानाथ स यही परशन विकया गया ो वह उमानाथ स सहयोग करन को

यार हो गया दस हजार म ढाई हजार ो उसक होग ही इनी बडी रकम क लिलए यदिद कछ कौशल भी करना पड ो कषमय ह

3

लमी रा को भोजन करक लटी थी विक उमा और दया उसक पास जा कर बठ गए दोनो ऐसा मह बनाए हए थ मानो कोई भरी विवपतति आ पडी ह फलमी न सशक

होकर पछाmdashम दोनो घबडाए हए मालम हो हो

10

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 11: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

उमा न लिसर खजला हए कहाmdashसमाचार-पIो म लख लिलखना बड जोखिखम का काम ह अममा विकना ही बचकर लिलखो लविकन कही-न-कही पकड हो ही जाी ह दयानाथ न एक लख लिलखा था उस पर पॉच हजार की जमान मॉगी गई ह अगर कल क जमा न कर दी गई ो विगरफार हो जाऍग और दस साल की सजा ठक जाएगी

फलमी न लिसर पीटकर कहाmdashऐसी बा कयो लिलख हो बटा जान नही हो आजकल हमार अदिदन आए हए ह जमान विकसी रह टल नही सकी

दयानाथ न अपराधीmdashभाव स उर दिदयाmdashमन ो अममा ऐसी कोई बा नही लिलखी थी लविकन विकसम को कया कर हाविकम दधिजला इना कडा ह विक जरा भी रिरयाय नही करा मन दधिजनी दौड-धप हो सकी थी वह सब कर ली

lsquoो मन कामा स रपय का परबनध करन को नही कहाrsquoउमा न मह बनायाmdashउनका सवभाव ो म जानी हो अममा उनह रपय पराणो स

पयार ह इनह चाह कालापानी ही हो जाए वह एक पाई न दगदयानाथ न समथTन विकयाmdashमन ो उनस इसका दधिजकर ही नही विकयाफलमी न चारपाई स उठ हए कहाmdashचलो म कही ह दगा कस नही रपय

इसी दिदन क लिलए हो ह विक गाडकर रखन क लिलएउमानाथ न माा को रोककर कहा-नही अममा उनस कछ न कहो रपय ो न दग

उलट और हाय-हाय मचाऍग उनको अपनी नौकरी की खरिरय मनानी ह इनह घर म रहन भी न दग अफसरो म जाकर खबर द द ो आvयT नही

फलमी न लाचार होकर कहाmdashो विफर जमान का कया परबनध करोग मर पास ो कछ नही ह हॉ मर गहन ह इनह ल जाओ कही विगरो रखकर जमान द दो और आज स कान पकडो विक विकसी पI म एक शबद भी न लिलखोग

दयानाथ कानो पर हाथ रखकर बोलाmdashयह ो नही हो सका अममा विक महार जवर लकर म अपनी जान बचाऊ दस-पॉच साल की कद ही ो होगी झल लगा यही बठा-बठा कया कर रहा ह

फलमी छाी पीट हए बोलीmdashकसी बा मह स विनकाल हो बटा मर जी-जी मह कौन विगरफार कर सका ह उसका मह झलस दगी गहन इसी दिदन क लिलए ह या और विकसी दिदन क लिलए जब मही न रहोग ो गहन लकर कया आग म झोकगी

उसन विपटारी लाकर उसक सामन रख दीदया न उमा की ओर जस फरिरयाद की ऑखो स दखा और बोलाmdashआपकी कया

राय ह भाई साहब इसी मार म कहा था अममा को बान की जरर नही जल ही ो हो जाी या और कछ

उमा न जस लिसफारिरश कर हए कहाmdashयह कस हो सका था विक इनी बडी वारदा हो जाी और अममा को खबर न होी मझस यह नही हो सका था विक सनकर पट म डाल ला मगर अब करना कया चाविहए यह म खद विनणTय नही कर सका न ो

11

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 12: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

यही अचछा लगा ह विक म जल जाओ और न यही अचछा लगा ह विक अममॉ क गहन विगरो रख जाऍ

फलमी न रवयलिथ कठ स पछाmdashकया म समझ हो मझ गहन मस जयादा पयार ह म ो पराण क महार ऊपर नयोछावर कर द गहनो की विबसा ही कया ह

दया न दढा स कहाmdashअममा महार गहन ो न लगा चाह मझ पर कछ ही कयो न आ पड जब आज क महारी कछ सवा न कर सका ो विकस मह स महार गहन उठा ल जाऊ मझ जस कप को ो महारी कोख स जनम ही न लना चाविहए था सदा मह क ही दा रहा

फलमी न भी उनी ही दढा स कहा-अगर यो न लोग ो म खद जाकर इनह विगरो रख दगी और खद हाविकम दधिजला क पास जाकर जमान जमा कर आऊगी अगर इचछा हो ो यह परीकषा भी ल लो ऑख बद हो जान क बाद कया होगा भगवान जान लविकन जब क जीी ह महारी ओर कोई विरछी आखो स दख नही सका

उमानाथ न मानो माा पर एहसान रखकर कहाmdashअब ो महार लिलए कोई रासा नही रहा दयानाथ कया हरज ह ल लो मगर याद रखो जयो ही हाथ म रपय आ जाऍ गहन छडान पडग सच कह ह मातव दीघT पसया ह माा क लिसवाय इना सनह और कौन कर सका ह हम बड अभाग ह विक माा क परवि दधिजनी शरदघा रखनी चाविहए उसका शाश भी नही रख

दोनो न जस बड धमTसकट म पडकर गहनो की विपटारी सभाली और चल बन माा वातसलय-भरी ऑखो स उनकी ओर दख रही थी और उसकी सपणT आतमा का आशीवाTद जस उनह अपनी गोद म समट लन क लिलए रवयाकल हो रहा था आज कई महीन क बाद उसक भगन मा-हदय को अपना सवTसव अपTण करक जस आननद की विवभवि धिमली उसकी सवाधिमनी कलपना इसी तयाग क लिलए इसी आतमसमपTण क लिलए जस कोई मागT ढढी रही थी अधिधकार या लोभ या ममा की वहॉ गध क न थी तयाग ही उसका आननद और तयाग ही उसका अधिधकार ह आज अपना खोया हआ अधिधकार पाकर अपनी लिसरजी हई परविमा पर अपनपराणो की भट करक वह विनहाल हो गई

4

न महीन और गजर गय मॉ क गहनो पर हाथ साफ करक चारो भाई उसकी दिदलजोई करन लग थ अपनी सतरिसIयो को भी समझा थ विक उसका दिदल न दखाऍ अगर थोड-

स लिशाचार स उसकी आतमा को शावि धिमली ह ो इसम कया हाविन ह चारो कर अपन मन की पर माा स सलाह ल ल या ऐसा जाल फला विक वह सरला उनकी बाो म आ जाी और हरक काम म सहम हो जाी बाग को बचना उस बह बरा लगा था लविकन चारो न ऐसी माया रची विक वह उस बच पर राजी हो गई विकन कमद क विववाह क विवषय

12

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 13: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

म मकय न हो सका मॉ प परारीलाल पर जमी हई थी लडक दीनदयाल पर अड हए थ एक दिदन आपस म कलह हो गई

फलमी न कहाmdashमॉ-बाप की कमाई म बटी का विहससा भी ह मह सोलह हजार का एक बाग धिमला पचचीस हजार का एक मकान बीस हजार नकद म कया पॉच हजार भी कमद का विहससा नही ह

कामा न नमरा स कहाmdashअममॉ कमद आपकी लडकी ह ो हमारी बहन ह आप दो-चार साल म परसथान कर जाऍगी पर हमार और उसका बह दिदनो क समबनध रहगा ब हम यथाशलिकत कोई ऐसी बा न करग दधिजसस उसका अमगल हो लविकन विहसस की बा कही हो ो कमद का विहससा कछ नही दादा जीविव थ ब और बा थी वह उसक विववाह म दधिजना चाह खचT कर कोई उनका हाथ न पकड सका था लविकन अब ो हम एक-एक पस की विकफाय करनी पडगी जो काम हजार म हो जाए उसक लिलए पॉच हजार खचT करना कहॉ की बदधिNमानी ह

उमानाथ स सधाराmdashपॉच हजार कयो दस हजार कविहएकामा न भव लिसकोडकर कहाmdashनही म पाच हजार ही कहगा एक विववाह म पॉच

हजार खचT करन की हमारी हलिसय नही हफलमी न दधिजद पकडकर कहाmdashविववाह ो मरारीलाल क पI स ही होगा पॉच

हजार खचT हो चाह दस हजार मर पवि की कमाई ह मन मर-मरकर जोडा ह अपनी इचछा स खचT करगी मही न मरी कोख स नही जनम लिलया ह कमद भी उसी कोख स आयी ह मरी ऑखो म म सब बराबर हो म विकसी स कछ मॉगी नही म बठ माशा दखो म सबmdashकछ कर लगी बीस हजार म पॉच हजार कमद का ह

कामानाथ को अब कडव सतय की शरण लन क लिसवा और मागT न रहा बोला-अममा म बरबस बा बढाी हो दधिजन रपयो को म अपना समझी हो वह महार नही ह म हमारी अनमवि क विबना उनम स कछ नही खचT कर सकी

फलमी को जस सपT न डस लिलयाmdashकया कहा विफर ो कहना म अपन ही सच रपय अपनी इचछा स नही खचT कर सकी

lsquoवह रपय महार नही रह हमार हो गएlsquolsquoमहार होग लविकन मर मरन क पीछlsquolsquoनही दादा क मर ही हमार हो गएrsquoउमानाथ न बहयाई स कहाmdashअममा काननmdashकायदा ो जानी नही नाहक

उछली हफलमी करोधmdashविवहल रोकर बोलीmdashभाड म जाए महारा कानन म ऐस कानन

को नही जानी महार दादा ऐस कोई धननासठ नही थ मन ही पट और न काटकर यह गहसथी जोडी ह नही आज बठन की छॉह न धिमली मर जी-जी म मर रपय नही छ

13

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 14: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

सक मन ीन भाइयो क विववाह म दस-दस हजार खचT विकए ह वही म कमद क विववाह म भी खचT करगी

कामानाथ भी गमT पडाmdashआपको कछ भी खचT करन का अधिधकार नही हउमानाथ न बड भाई को डॉटाmdashआप खामqवाह अममॉ क मह लग ह भाई साहब

मरारीलाल को पI लिलख दीदधिजए विक महार यहॉ कमद का विववाह न होगा बस छटटी हई कायदा-कानन ो जानी नही रवयथT की बहस करी ह

फलमी न सयधिम सवर म कहीmdashअचछा कया कानन ह जरा म भी सनउमा न विनरीह भाव स कहाmdashकानन यही ह विक बाप क मरन क बाद जायदाद बटो

की हो जाी ह मॉ का हक कवल रोटी-कपड का हफलमी न डपकर पछाmdash विकसन यह कानन बनाया हउमा शा जजिसथर सवर म बोलाmdashहमार ऋविषयो न महाराज मन न और विकसनफलमी एक कषण अवाक रहकर आह कठ स बोलीmdashो इस घर म म महार

टकडो पर पडी हई हउमानाथ न नयायाधीश की विनमTमा स कहाmdashम जसा समझोफलमी की सपणT आतमा मानो इस वजरपा स चीतकार करन लगी उसक मख स

जली हई लिचगारिरयो की भॉवि यह शबद विनकल पडmdashमन घर बनवाया मन सपतति जोडी मन मह जनम दिदया पाला और आज म इस घर म गर ह मन का यही कानन ह और म उसी कानन पर चलना चाह हो अचछी बा ह अपना घर-दवार लो मझ महारी आततिशरा बनकर रहा सवीकार नही इसस कही अचछा ह विक मर जाऊ वाह र अधर मन पड लगाया और म ही उसकी छॉह म खडी हो सकी अगर यही कानन ह ो इसम आग लग जाए

चारो यवक पर माा क इस करोध और आक का कोई असर न हआ कानन का फौलादी कवच उनकी रकषा कर रहा था इन कॉटो का उन पर कया असर हो सका था

जरा दर म फलमी उठकर चली गयी आज जीवन म पहली बार उसका वातसलय मगन मातव अततिभशाप बनकर उस धिधककारन लगा दधिजस मातव को उसन जीवन की विवभवि समझा था दधिजसक चरणो पर वह सदव अपनी समस अततिभलाषाओ और कामनाओ को अरविप करक अपन को धनय मानी थी वही मातव आज उस अखिगनकड-सा जान पडा दधिजसम उसका जीवन जलकर भसम हो गया

सधया हो गई थी दवार पर नीम का वकष लिसर झकाए विनसबध खडा था मानो ससार की गवि पर कषबध हो रहा हो असाचल की ओर परकाश और जीवन का दवा फलवी क मातव ही की भॉवि अपनी लिचा म जल रहा था

5

14

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 15: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

लमी अपन कमर म जाकर लटी ो उस मालम हआ उसकी कमर टट गई ह पवि क मर ही अपन पट क लडक उसक शI हो जायग उसको सवपन म भी अनमान न

था दधिजन लडको को उसन अपना हदय-रकत विपला-विपलाकर पाला वही आज उसक हदय पर यो आघा कर रह ह अब वह घर उस कॉटो की सज हो रहा था जहॉ उसकी कछ कदर नही कछ विगनी नही वहॉ अनाथो की भावि पडी रोदिटयॉ खाए यह उसकी अततिभमानी परकवि क लिलए असहय था

पर उपाय ही कया था वह लडको स अलग होकर रह भी ो नाक विकसकी कटगी ससार उस थक ो कया और लडको को थक ो कया बदमानी ो उसी की ह दविनया यही ो कहगी विक चार जवान बटो क हो बदिढया अलग पडी हई मजरी करक पट पाल रही ह दधिजनह उसन हमशा नीच समझा वही उस पर हसग नही वह अपमान इस अनादर स कही जयादा हदयविवदारक था अब अपना और घर का परदा ढका रखन म ही कशल ह हा अब उस अपन को नई परिरजजिसथवियो क अनकल बनाना पडगा समय बदल गया ह अब क सवाधिमनी बनकर रही अब लौडी बनकर रहना पडगा ईशवर की यही इचछा ह अपन बटो की बा और ला गरो ककी बाो और लाो की अपकषा विफर भी गनीम ह

वह बडी दर क मह ढॉप अपनी दशा पर रोी रही सारी रा इसी आतम-वदना म कट गई शरद का परभाव डरा-डरा उषा की गोद स विनकला जस कोई कदी लिछपकर जल स भाग आया हो फलमी अपन विनयम क विवरN आज लडक ही उठी रा-भर म उसका मानलिसक परिरवTन हो चका था सारा घर सो रहा था और वह आगन म झाड लगा रही थी रा-भर ओस म भीगी हई उसकी पककी जमीन उसक नग परो म कॉटो की रह चभ रही थी पविडजी उस कभी इन सवर उठन न द थ शी उसक लिलए बह हाविनकारक था पर अब वह दिदन नही रह परकवि उस को भी समय क साथ बदल दन का परयतन कर रही थी झाड स फरस पाकर उसन आग जलायी और चावल-दाल की ककविडयॉ चनन लगी कछ दर म लडक जाग बहऍ उठी सभो न बदिढया को सद स लिसकड हए काम कर दखा पर विकसी न यह न कहा विक अममॉ कयो हलकान होी हो शायद सब-क-सब बदिढया क इस मान-मदTन पर परसनन थ

आज स फलमी का यही विनयम हो गया विक जी ोडकर घर का काम करना और अरग नीवि स अलग रहना उसक मख पर जो एक आतमगौरव झलका रहा था उसकी जगह अब गहरी वदना छायी हई नजर आी थी जहा विबजली जली थी वहा अब ल का दिदया दिटमदिटमा रहा था दधिजस बझा दन क लिलए हवा का एक हलका-सा झोका काफी ह

मरारीलाल को इनकारी-पI लिलखन की बा पककी हो चकी थी दसर दिदन पI लिलख दिदया गया दीनदयाल स कमद का विववाह विनततिv हो गया दीनदयाल की उमर चालीस स कछ अधिधक थी मयाTदा म भी कछ हठ थ पर रोटी-दाल स खश थ विबना विकसी ठहराव क विववाह करन पर राजी हो गए विलिथ विनय हई बारा आयी विववाह हआ और कमद

15

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 16: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

विबदा कर दी गई फलमी क दिदल पर कया गजर रही थी इस कौन जान सका ह पर चारो भाई बह परसनन थ मानो उनक हदय का कॉटा विनकल गया हो ऊच कल की कनया मह कस खोली भागय म सख भोगना लिलखा होगा सख भोगगी दख भोगना लिलखा होगा दख झलगी हरिर-इचछा बकसो का अविम अवलमब ह घरवालो न दधिजसस विववाह कर दिदया उसम हजार ऐब हो ो भी वह उसका उपासय उसका सवामी ह परविरोध उसकी कलपना स पर था

फलमी न विकसी काम म दखल न दिदया कमद को कया दिदया गया महमानो का कसा सतकार विकया गया विकसक यहॉ स नव म कया आया विकसी बा स भी उस सरोकार न था उसस कोई सलाह भी ली गई ो यही-बटा म लोग जो कर हो अचछा ही कर हो मझस कया पछ हो

जब कमद क लिलए दवार पर डोली आ गई और कमद मॉ क गल लिलपटकर रोन लगी ो वह बटी को अपनी कोठरी म ल गयी और जो कछ सौ पचास रपय और दो-चार मामली गहन उसक पास बच रह थ बटी की अचल म डालकर बोलीmdashबटी मरी ो मन की मन म रह गई नही ो कया आज महारा विववाह इस रह होा और म इस रह विवदा की जाी

आज क फलमी न अपन गहनो की बा विकसी स न कही थी लडको न उसक साथ जो कपट-रवयवहार विकया था इस चाह अब क न समझी हो लविकन इना जानी थी विक गहन विफर न धिमलग और मनोमालिलनय बढन क लिसवा कछ हाथ न लगगा लविकन इस अवसर पर उस अपनी सफाई दन की जरर मालम हई कमद यह भाव मन म लकर जाए विक अममा न अपन गहन बहओ क लिलए रख छोड इस वह विकसी रह न सह सकी थी इसलिलए वह उस अपनी कोठरी म ल गयी थी लविकन कमद को पहल ही इस कौशल की टोह धिमल चकी थी उसन गहन और रपय ऑचल स विनकालकर माा क चरणो म रख दिदए और बोली-अममा मर लिलए महारा आशीवाTद लाखो रपयो क बराबर ह म इन चीजो को अपन पास रखो न जान अभी मह विकन विवपततियो को सामना करना पड

फलमी कछ कहना ही चाही थी विक उमानाथ न आकर कहाmdashकया कर रही ह कमद चल जलदी कर साइ टली जाी ह वह लोग हाय-हाय कर रह ह विफर ो दो-चार महीन म आएगी ही जो कछ लना-दना हो ल लना

फलमी क घाव पर जस मानो नमक पड गया बोली-मर पास अब कया ह भया जो इस म दगी जाओ बटी भगवान महारा सोहाग अमर कर

कमद विवदा हो गई फलमी पछाड विगर पडी जीवन की लालसा न हो गई

6

16

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 17: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

एक साल बी गया

फलमी का कमरा घर म सब कमरो स बडा और हवादार था कई महीनो स उसन बडी बह क लिलए खाली कर दिदया था और खद एक छोटी-सी कोठरी म रहन लगी जस कोई ततिभखारिरन हो बटो और बहओ स अब उस जरा भी सनह न था वह अब घर की लौडी थी घर क विकसी पराणी विकसी वस विकसी परसग स उस परयोजन न था वह कवल इसलिलए जीी थी विक मौ न आी थी सख या दख का अब उस लशमाI भी जञान न था

उमानाथ का औषधालय खला धिमIो की दाव हई नाच-माशा हआ दयानाथ का परस खला विफर जलसा हआ सीानाथ को वजीफा धिमला और विवलाय गया विफर उतसव हआ कामानाथ क बड लडक का यजञोपवी ससकार हआ विफर धम-धाम हई लविकन फलमी क मख पर आनद की छाया क न आई कामापरसाद टाइफाइड म महीन-भर बीमार रहा और मरकर उठा दयानाथ न अबकी अपन पI का परचार बढान क लिलए वासव म एक आपततिजनक लख लिलखा और छ महीन की सजा पायी उमानाथ न एक फौजदारी क मामल म रिरशव लकर गल रिरपोटT लिलखी और उसकी सनद छीन ली गई पर फलमी क चहर पर रज की परछाई क न पडी उसक जीवन म अब कोई आशा कोई दिदलचसपी कोई लिचना न थी बस पशओ की रह काम करना और खाना यही उसकी दधिजनदगी क दो काम थ जानवर मारन स काम करा ह पर खाा ह मन स फलमी बकह काम करी थी पर खाी थी विवष क कौर की रह महीनो लिसर म ल न पडा महीनो कपड न धल कछ परवाह नही चनाशनय हो गई थी

सावन की झडी लगी हई थी मलरिरया फल रहा था आकाश म मदिटयाल बादल थ जमीन पर मदिटयाला पानी आदरT वाय शी-जवर और शवास का विवरणा करी विफरी थी घर की महरी बीमार पड गई फलमी न घर क सार बरन मॉज पानी म भीग-भीगकर सारा काम विकया विफर आग जलायी और चलह पर पीलिलयॉ चढा दी लडको को समय पर भोजन धिमलना चाविहए सहसा उस याद आया कामानाथ नल का पानी नही पी उसी वषाT म गगाजल लान चली

कामानाथ न पलग पर लट-लट कहा-रहन दो अममा म पानी भर लाऊगा आज महरी खब बठ रही

फलमी न मदिटयाल आकाश की ओर दखकर कहाmdashम भीग जाओग बटा सद हो जायगी

कामानाथ बोलmdashम भी ो भीग रही हो कही बीमार न पड जाओफलमी विनमTम भाव स बोलीmdashम बीमार न पडगी मझ भगवान न अमर कर दिदया

17

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 18: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

उमानाथ भी वही बठा हआ था उसक औषधालय म कछ आमदनी न होी थी इसलिलए बह लिचनतिन था भाई-भवाज की महदखी करा रहा था बोलाmdashजान भी दो भया बह दिदनो बहओ पर राज कर चकी ह उसका परायततिv ो करन दो

गगा बढी हई थी जस समदर हो ततिकषविज क सामन क कल स धिमला हआ था विकनारो क वकषो की कवल फनविगयॉ पानी क ऊपर रह गई थी घाट ऊपर क पानी म डब गए थ फलमी कलसा लिलय नीच उरी पानी भरा और ऊपर जा रही थी विक पॉव विफसला सभल न सकी पानी म विगर पडी पल-भर हाथ-पाव चलाय विफर लहर उस नीच खीच ल गई विकनार पर दो-चार पड लिचललाए-lsquoअर दौडो बदिढया डबी जाी हrsquo दो-चार आदमी दौड भी लविकन फलमी लहरो म समा गई थी उन बल खाी हई लहरो म दधिजनह दखकर ही हदय कॉप उठा था

एक न पछाmdashयह कौन बदिढया थीlsquoअर वही पविड अयोधयानाथ की विवधवा हlsquolsquoअयोधयानाथ ो बड आदमी थrsquolsquoहॉ थ ो पर इसक भागय म ठोकर खाना लिलखा थाlsquolsquoउनक ो कई लडक बड-बड ह और सब कमा हrsquolsquoहॉ सब ह भाई मगर भागय भी ो कोई वस हrsquo

18

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 19: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

बड भाई साहब

र भाई साहब मझस पॉच साल बड थ लविकन ीन दरज आग उन होन भी उसी उमर म पढना शर विकया था जब मन शर विकया लविकन ालीम जस महत व क मामल म वह

जल दीबाजी स काम लना पसद न कर थ इस भवन विक बविनयाद खब मजब डालना चाह थ दधिजस पर आलीशान महल बन सक एक साल का काम दो साल म कर थ कभी-कभी ीन साल भी लग जा थ बविनयाद ही पq ा न हो ो मकान कस पाएदार बन

म छोटा था वह बड थ मरी उमर नौ साल विकवह चौदह साल क थ उन ह मरी म बीह और विनगरानी का परा जन मलिसN अधिधकार था और मरी शालीना इसी म थी विक उनक हक म को कानन समझ

वह स वभाव स बड अघ ययनशील थ हरदम विकाब खोल बठ रह और शायद दिदमाग को आराम दन क लिलए कभी कापी पर कभी विकाब क हालिशयो पर लिचविडयो कत ो बजजिललयो की स वीर बनाया कर थ कभी-कभी एक ही नाम या शब द या वाक य दस-बीस बार लिलख डाल कभी एक शर को बार-बार सन दर अकषर स नकल कर कभी ऐसी शब द-रचना कर दधिजसम न कोई अथT होा न कोई सामजस य मसलन एक बार उनकी कापी पर मन यह इबार दखी-स पशल अमीना भाइयो-भाइयो दर-असल भाई-भाई राघश याम शरीय राघश याम एक घट कmdashइसक बाद एक आदमी का चहरा बना हआ था मन चष टा की विक इस पहली का कोई अथT विनकाल लविकन असफल रहा और उसन पछन का साहस न हआ वह नवी जमा म थ म पाचवी म उनविक रचनाओ को समझना मर लिलए छोटा मह बडी बा थी

मरा जी पढन म विबलकल न लगा था एक घटा भी विकाब लकर बठना पहाड था मौका पा ही होस टल स विनकलकर मदान म आ जाा और कभी ककरिरया उछाला कभी कागज विक विलिलया उडाा और कही कोई साथी धिमल गया ो पछना ही क या कभी चारदीवारी पर चढकर नीच कद रह ह कभी फाटक पर वार उस आग-पीछ चला हए मोटरकार का आनद उठा रह ह लविकन कमर म आ ही भाई साहब का रौदर रप दखकर पराण सख जा उनका पहला सवाल होा-lsquoकहा थlsquo हमशा यही सवाल इसी घ वविन म पछा जाा था और इसका जवाब मर पास कवल मौन था न जान मह स यह बा क यो न विनकली विक जरा बाहर खल रहा था मरा मौन कह दा था विक मझ अपना अपराध स वीकार ह और भाई साहब क लिलए इसक लिसवा और कोई इलाज न था विक रोष स धिमल हए शब दो म मरा सत कार कर

lsquoइस रह अगरजी पढोग ो दधिजन दगी-भर पढ रहोग और एक हफT न आएगा अगरजी पढना कोई हसी-खल नही ह विक जो चाह पढ ल नही ऐरा-गरा नत थ-खरा सभी

19

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 20: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

अगरजी विक विवNान हो जा यहा रा-दिदन आख फोडनी पडी ह और खन जलाना पडा ह जब कही यह विवधा आी ह और आी क या ह हा कहन को आ जाी ह बड-बड विवNान भी शN अगरजी नही लिलख सक बोलना ो दर रहा और म कहा ह म विकन घोघा हो विक मझ दखकर भी सबक नही ल म विकनी महन करा ह म अपनी आखो दख हो अगर नही दख जो यह म हारी आखो का कसर ह म हारी बदधिN का कसर ह इन मल-माश हो ह मझ मन कभी दखन जा दखा ह रोज ही विकरकट और हाकी मच हो ह म पास नही फटका हमशा पढा रहा ह उस पर भी एक-एक दरज म दो-दो ीन-ीन साल पडा रहा ह विफर म कस आशा कर हो विक म यो खल-कद म वक गवाकर पास हो जाओग मझ ो दो-ही-ीन साल लग ह म उमर-भर इसी दरज म पड सड रहोग अगर म ह इस रह उमर गवानी ह ो बहर ह घर चल जाओ और मज स गल ली-डडा खलो दादा की गाढी कमाई क रपय क यो बरबाद कर होrsquo

म यह लाड सनकर आस बहान लगा जवाब ही क या था अपराध ो मन विकया लाड कौन सह भाई साहब उपदश विक कला म विनपण थ ऐसी-ऐसी लगी बा कह ऐस-ऐस सजजिक -बाण चला विक मर दधिजगर क टकड-टकड हो जा और विहम म छट जाी इस रह जान ोडकर महन करन विक शजजिक म अपन म न पाा था और उस विनराशा म जरा दर क लिलए म सोचन लगा-क यो न घर चला जाऊ जो काम मर ब क बाहर ह उसम हाथ डालकर क यो अपनी दधिजन दगी खराब कर मझ अपना मखT रहना मजर था लविकन उनी महन स मझ ो चक कर आ जाा था लविकन घटndashदो घट बाद विनराशा क बादल फट जा और म इरादा करा विक आग स खब जी लगाकर पढगा चटपट एक टाइम-टविबल बना डाला विबना पहल स नक शा बनाए विबना कोई सतरिस कम यार विकए काम कस शर कर टाइम-टविबल म खल-कद विक मद विबलकल उड जाी पराकाल उठना छ बज मह-हाथ धो नाश ा कर पढन बठ जाना छ स आठ क अगरजी आठ स नौ क विहसाब नौ स साढ नौ क इविहास zwjविफर भोजन और स कल साढ ीन बज स कल स वापस होकर आधा घण टा आराम चार स पाच क भगोल पाच स छ क गरामर आघा घटा होस टल क सामन टहलना साढ छ स सा क अगरजी कम पोजीशन विफर भोजन करक आठ स नौ क अनवाद नौ स दस क विहन दी दस स ग यारह क विवविवध विवषय विफर विवशराम

मगर टाइम-टविबल बना लना एक बा ह उस पर अमल करना दसरी बा पहल ही दिदन स उसकी अवहलना शर हो जाी मदान की वह सखद हरिरयाली हवा क वह हलक-हलक झोक फटबाल की उछल-कद कबडडी क वह दाव-घा वाली-बाल की वह जी और फरी मझ अजञा और अविनवाTय रप स खीच ल जाी और वहा जा ही म सब कछ भल जाा वह जान-लवा टाइम-टविबल वह आखफोड पस क विकसी विक याद न रही और विफर भाई साहब को नसीह और फजीह का अवसर धिमल जाा म उनक साय स भागा उनकी आखो स दर रहन विक चष टा करा कमर म इस रह दब पाव आा विक उन ह खबर न हो उनविक नजर मरी ओर उठी और मर पराण विनकल हमशा लिसर पर नगी

20

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 21: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

लवार-सी लटकी मालम होी विफर भी जस मौ और विवपसतरित क बीच म भी आदमी मोह और माया क बधन म जकडा रहा ह म फटकार और घडविकया खाकर भी खल-कद का विरस कार न कर सका

2

लाना इम हान हआ भाई साहब फल हो गए म पास हो गया और दरज म परथम आया मर और उनक बीच कवल दो साल का अन र रह गया जी म आया भाई

साहब को आड हाथो लmdashआपकी वह घोर पस या कहा गई मझ दखिखए मज स खला भी रहा और दरज म अव वल भी ह लविकन वह इन दखी और उदास थ विक मझ उनस दिदल ली हमदद हई और उनक घाव पर नमक लिछडकन का विवचार ही लज जास पद जान पडा हा अब मझ अपन ऊपर कछ अततिभमान हआ और आत माततिभमान भी बढा भाई साहब का वहरोब मझ पर न रहा आजादी स खलndashकद म शरीक होन लगा दिदल मजब था अगर उन होन विफर मरी फजीह की ो साफ कह दगाmdashआपन अपना खन जलाकर कौन-सा ीर मार लिलया म ो खल-कद दरज म अव वल आ गया जबावसयह हकडी जान कासाहस न होन पर भी मर रग-ढग स साफ जाविहर होा था विक भाई साहब का वह आक अब मझ पर नही ह भाई साहब न इस भाप लिलया-उनकी ससहस बदधिN बडी ीवर थी और एक दिदन जब म भोर का सारा समय गल ली-डड विक भट करक ठीक भोजन क समय लौटा ो भाई साइब न मानो लवार खीच ली और मझ पर टट पड-दखा ह इस साल पास हो गए और दरज म अव वल आ गए ो म ह दिदमाग हो गया ह मगर भाईजान घमड ो बड-बड का नही रहा म हारी क या हस ी ह इविहास म रावण का हाल ो पढा ही होगा उसक चरिरI स मन कौन-सा उपदश लिलया या यो ही पढ गए महज इम हान पास कर लना कोई चीज नही असल चीज ह बदधिN का विवकास जो कछ पढो उसका अततिभपराय समझो रावण भमडल का स वामी था ऐस राजो को चकरवcopy कह ह आजकल अगरजो क राज य का विवस ार बह बढा हआ ह पर इन ह चकरवcopy नही कह सक ससार म अनको राष टर अगरजो का आधिधपत य स वीकार नही कर विबलकल स वाधीन ह रावण चकरवcopy राजा था ससार क सभी महीप उस कर द थ बड-बड दवा उसकी गलामी कर थ आग और पानी क दवा भी उसक दास थ मगर उसका अ क या हआ घमड न उसका नाम-विनशान क धिमटा दिदया कोई उस एक लिचल ल पानी दनवाला भी न बचा आदमी जो ककमT चाह कर पर अततिभमान न कर इराए नही अततिभमान विकया और दीन-दविनया स गया

सा

शान का हाल भी पढा ही होगा उस यह अनमान हआ था विक ईश वर का उसस बढकर सच चा भक कोई ह ही नही अन म यह हआ विक स वगT स नरक म ढकल दिदया गया शाहरम न भी एक बार अहकार विकया था भीख माग-मागकर मर गया मन ो अभी कवल एक दरजा पास विकया ह और अभी स म हारा लिसर विफर गया ब ो म आग बढ चक यह समझ लो विक म अपनी महन स नही पास हए अन ध क हाथ बटर लग

21

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 22: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

गई मगर बटर कवल एक बार हाथ लग सकी ह बार-बार नही कभी-कभी गल ली-डड म भी अधा चोट विनशाना पड जाा ह उसस कोई सफल खिखलाडी नही हो जाा सफल खिखलाडी वह ह दधिजसका कोई विनशान खाली न जाए

मर फल होन पर न जाओ मर दरज म आओग ो दाो पसीना आयगा जब अलजबरा और जामटरी क लोह क चन चबान पडग और इगलिलस ान का इविहास पढना पडगा बादशाहो क नाम याद रखना आसान नही आठ-आठ हनरी को गजर ह कौन-सा काड विकस हनरी क समय हआ क या यह याद कर लना आसान समझ हो हनरी साव की जगह हनरी आठवा लिलखा और सब नम बर गायब सफाचट लिसफT भी न धिमलगा लिसफर भी हो विकस q याल म दरजनो ो जम स हए ह दरजनो विवलिलयम कोविडयो चाल सT दिदमाग चक कर खान लगा ह आधी रोग हो जाा ह इन अभागो को नाम भी न जड थ एक ही नाम क पीछ दोयम यम चहारम पचम नगा चल गए मछस पछ ो दस लाख नाम बा दा

और जामटरी ो बस खदा की पनाह अ ब ज की जगह अ ज ब लिलख दिदया और सार नम बर कट गए कोई इन विनदTयी ममविहनो स नही पछा विक आखिखर अ ब ज और अ ज ब म क या फकT ह और व यथTकी बा क लिलए क यो छाIो का खन कर हो दाल-भा-रोटी खायी या भा-दाल-रोटी खायी इसम क या रखा ह मगर इन परीकषको को क या परवाह वह ो वही दख ह जो पस क म लिलखा ह चाह ह विक लडक अकषर-अकषर रट डाल और इसी रट का नाम लिशकषा रख छोडा ह और आखिखर इन ब-लिसर-पर की बाो क पढन स क या फायदा

इस रखा पर वह लम ब विगरा दो ो आधार लम ब स दगना होगा पलिछए इसस परयोजन दगना नही चौगना हो जाए या आधा ही रह मरी बला स लविकन परीकषा म पास होना ह ो यह सब खराफा याद करनी पडगी कह दिदया-lsquoसमय की पाबदीrsquo पर एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो अब आप कापी सामन खोल कलम हाथ म लिलय उसक नाम को रोइए

कौन नही जाना विक समय की पाबन दी बह अच छी बा ह इसस आदमी क जीवन म सयम आ जाा ह दसरो का उस पर स नह होन लगा ह और उसक करोबार म उन नवि होी ह जरा-सी बा पर चार पन न कस लिलख जो बा एक वाक य म कही जा सक उस चार पन न म लिलखन की जरर म ो इस विहमाक समझा ह यह ो समय की विकफाय नही बशकिल क उसका दरपयोग ह विक व यथT म विकसी बा को ठस दिदया हम चाह ह आदमी को जो कछ कहना हो चटपट कह द और अपनी राह ल मगर नही आपको चार पन न रगन पडग चाह जस लिलखिखए और पन न भी पर फल सकप आकार क यह छाIो पर अत याचार नही ो और क या ह अनथT ो यह ह विक कहा जाा ह सकषप म लिलखो समय की पाबन दी पर सकषप म एक विनबन ध लिलखो जो चार पन नो स कम न हो ठीक सकषप म चार पन न हए नही शायद सौ-दो सौ पन न लिलखवा ज भी दौविडए और धीर-धीर

22

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 23: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

भी ह उल टी बा या नही बालक भी इनी-सी बा समझ सका ह लविकन इन अध यापको को इनी मीज भी नही उस पर दावा ह विक हम अध यापक ह मर दरज म आओग लाला ो य सार पापड बलन पडग और ब आट-दाल का भाव मालम होगा इस दरज म अव वल आ गए हो वो जमीन पर पाव नही रख इसलिलए मरा कहना माविनए लाख फल हो गया ह लविकन मस बडा ह ससार का मझ मस ज यादा अनभव ह जो कछ कहा ह उस विगरह बाधिधए नही पछाएग

स कल का समय विनकट था नही इश वर जान यह उपदश-माला कब समाप होी भोजन आज मझ विनस स वाद-सा लग रहा था जब पास होन पर यह विरस कार हो रहा ह ो फल हो जान पर ो शायद पराण ही ल लिलए जाए भाई साहब न अपन दरज की पढाई का जो भयकर लिचI खीचा था उसन मझ भयभी कर दिदया कस स कल छोडकर घर नही भागा यही ाज जब ह लविकन इन विरस कार पर भी पस को म मरी अरलिच ज यो-विक-त यो बनी रही खल-कद का कोई अवसर हाथ स न जान दा पढा भी था मगर बह कम बस इना विक रोज का टास क परा हो जाए और दरज म जलील न होना पड अपन ऊपर जो विवश वास पदा हआ था वह विफर लप हो गया और विफर चोरो का-सा जीवन कटन लगा

3

र सालाना इम हान हआ और कछ ऐसा सयोग हआ विक म zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg फ र पास हआ और भाई साहब विफर फल हो गए मन बह महन न की पर न जान कस दरज म अव

वल आ गया मझ खद अचरज हआ भाई साहब न पराणाक परिरशरम विकया था कोसT का एक-एक शब द चाट गय थ दस बज रा क इधर चार बज भोर स उभर छ स साढ नौ क स कल जान क पहल मदरा काविहीन हो गई थी मगर बचार फल हो गए मझ उन पर दया आ ी थी नीजा सनाया गया ो वह रो पड और म भी रोन लगा अपन पास होन वाली खशी आधी हो गई म भी फल हो गया होा ो भाई साहब को इना दख न होा लविकन विवधिध की बा कौन टाल

विफ

मर और भाई साहब क बीच म अब कवल एक दरज का अन र और रह गया मर मन म एक कदिटल भावना उदय हई विक कही भाई साहब एक साल और फल हो जाए ो म उनक बराबर हो जाऊ zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर वह विकस आधार पर मरी फजीह कर सकग लविकन मन इस कमीन विवचार को दिदल स बलपवTक विनकाल डाला आखिखर वह मझ मर विह क विवचार स ही ो डाट ह मझ उस वक अविपरय लगा ह अवश य मगर यह शायद उनक उपदशो का ही असर हो विक म दनानद पास होा जाा ह और इन अच छ नम बरो स

अबकी भाई साहब बह-कछ नमT पड गए थ कई बार मझ डाटन का अवसर पाकर भी उन होन धीरज स काम लिलया शायद अब वह खद समझन लग थ विक मझ डाटन का अधिधकार उन ह नही रहा या रहा ो बह कम मरी स वच छदा भी बढी म उनविक सविहष

23

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 24: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

णा का अनलिच लाभ उठान लगा मझ कछ ऐसी धारणा हई विक म ो पास ही हो जाऊगा पढ या न पढ मरी कदीर बलवान ह इसलिलए भाई साहब क डर स जो थोडा-बह बढ लिलया करा था वह भी बद हआ मझ कनकौए उडान का नया शौक पदा हो गया था और अब सारा समय पगबाजी ही की भट होा था zwjzwjzwjzwjzwjzwjिregफर भी म भाई साहब का अदब करा था और उनकी नजर बचाकर कनकौए उडाा था माझा दना कन न बाधना पग टनाTमट की यारिरया आदिद समस याए अब गप रप स हल की जाी थी भाई साहब को यह सदह न करन दना चाहा था विक उनका सम मान और लिलहाज मरी नजरो स कम हो गया ह

एक दिदन सध या समय होस टल स दर म एक कनकौआ लटन बहाशा दौडा जा रहा था आख आसमान की ओर थी और मन उस आकाशगामी पलिथक की ओर जो मद गवि स झमा पन की ओर चला जा रहा था मानो कोई आत मा स वगT स विनकलकर विवरक मन स नए सस कार गरहण करन जा रही हो बालको की एक परी सना लग ग और झडदार बास लिलय उनका स वाग करन को दौडी आ रही थी विकसी को अपन आग-पीछ की खबर न थी सभी मानो उस पग क साथ ही आकाश म उड रह थ जहॉ सब कछ समल ह न मोटरकार ह न टराम न गाविडया

सहसा भाई साहब स मरी मठभड हो गई जो शायद बाजार स लौट रह थ उन होन वही मरा हाथ पकड लिलया और उगरभाव स बोल-इन बाजारी लौडो क साथ धल क कनकौए क लिलए दौड म ह शमT नही आी म ह इसका भी कछ लिलहाज नही विक अब नीची जमा म नही हो बशकिलक आठवी जमा म आ गय हो और मझस कवल एक दरजा नीच हो आखिखर आदमी को कछ ो अपनी पोजीशन का qयाल करना चाविहए एक जमाना था विक विक लोग आठवा दरजा पास करक नायब हसीलदार हो जा थ म विकन ही धिमडललिचयो को जाना ह जो आज अव वल दरज क विडप टी मदधिजस टरट या सपरिरटडट ह विकन ही आठवी जमाअ वाल हमार लीडर और समाचार-पIो क सम पादक ह बड-बड विवNान उनकी माही म काम कर ह और म उसी आठव दरज म आकर बाजारी लौडो क साथ कनकौए क लिलए दौड रह हो मझ म हारी इस कमअकली पर दख होा ह म जहीन हो इसम शक नही लविकन वह जहन विकस काम का जो हमार आत मगौरव की हत या कर डाल म अपन दिदन म समझ होग म भाई साहब स महज एक दजाT नीच ह और अब उन ह मझको कछ कहन का हक नही ह लविकन यह म हारी गली ह म मस पाच साल बडा ह और चाह आज म मरी ही जमाअ म आ जाओndashऔर परीकषको का यही हाल ह ो विनस सदह अगल साल म मर समककष हो जाओग और शायद एक साल बाद म मझस आग विनकल जाओ-लविकन मझम और जो पाच साल का अन र ह उस म क या खदा भी नही धिमटा सका म मस पाच साल बडा ह और हमशा रहगा मझ दविनया का और दधिजन दगी का जो जरबा ह म उसकी बराबरी नही कर सक चाह म एम ए डी विफल और डी लिलट ही क यो न हो जाओ समझ विकाब पढन स नही आी ह हमारी अम मा न कोई

24

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 25: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

दरजा पास नही विकया और दादा भी शायद पाचवी जमाअ क आग नही गय लविकन हम दोनो चाह सारी दविनया की विवधा पढ ल अम मा और दादा को हम समझान और सधारन का अधिधकार हमशा रहगा कवल इसलिलए नही विक व हमार जन मदाा ह ब शकिलक इसलिलए विक उन ह दविनया का हमस ज यादा जरबा ह और रहगा अमरिरका म विकस जरह विक राज य-व यवस था ह और आठव हनरी न विकन विववाह विकय और आकाश म विकन नकषI ह यह बा चाह उन ह न मालम हो लविकन हजारो ऐसी आ ह दधिजनका जञान उन ह हमस और मस ज यादा ह

दव न कर आज म बीमार हो आऊ ो म हार हाथ-पाव फल जाएग दादा को ार दन क लिसवा म ह और कछ न सझगा लविकन म हारी जगह पर दादा हो ो विकसी को ार न द न घबराए न बदहवास हो पहल खद मरज पहचानकर इलाज करग उसम सफल न हए ो विकसी डाक टर को बलायग बीमारी ो खर बडी चीज ह हम-म ो इना भी नही जान विक महीन-भर का महीन-भर कस चल जो कछ दादा भज ह उस हम बीस-बाईस क खTच कर डाल ह और पस-पस को मोहाज हो जा ह नाश ा बद हो जाा ह धोबी और नाई स मह चरान लग ह लविकन दधिजना आज हम और म खTच कर रह ह उसक आध म दादा न अपनी उमर का बडा भाग इज ज और नकनामी क साथ विनभाया ह और एक कटम ब का पालन विकया ह दधिजसम सब धिमलाकर नौ आदमी थ अपन हडमास टर साहब ही को दखो एम ए ह विक नही और यहा क एम ए नही आक यफोडT क एक हजार रपय पा ह लविकन उनक घर इजाम कौन करा ह उनकी बढी मा हडमास टर साहब की विडगरी यहा बकार हो गई पहल खद घर का इजाम कर थ खचT परा न पडा था करजदार रह थ जब स उनकी मााजी न परबध अपन हाथ म ल लिलया ह जस घर म लकष मी आ गई ह ो भाईजान यह जरर दिदल स विनकाल डालो विक म मर समीप आ गय हो और अब स वI हो मर दख म बराह नही चल पाओग अगर म यो न मानोग ो म (थप पड दिदखाकर) इसका परयोग भी कर सका ह म जाना ह म ह मरी बा जहर लग रही ह

म उनकी इस नई यजजिक स नमस क हो गया मझ आज सचमच अपनी लघा का अनभव हआ और भाई साहब क परवि मर म म शरNा उत पन न हई मन सजल आखो स कहा-हरविगज नही आप जो कछ फरमा रह ह वह विबलकल सच ह और आपको कहन का अधिधकार ह

भाई साहब न मझ गल लगा लिलया और बाल-कनकाए उडान को मना नही करा मरा जी भी ललचाा हzwjलविकन कया करzwjखद बराह चल ो महारी रकषा कस करzwjयह कTरवय भी ो मर लिसर पर ह

सयोग स उसी वकत एक कटा हआ कनकौआ हमार ऊपर स गजरा उसकी डोर लटक रही थी लडको का एक गोल पीछ-पीछ दौडा चला आा था भाई साहब लब ह हीzwj

25

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 26: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

उछलकर उसकी डोर पकड ली और बहाशा होटल की रफ दौड म पीछ-पीछ दौड रहा था

26

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 27: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

शावि

गcopyय दवनाथ मर अततिभन न धिमIो म थ आज भी जब उनकी याद आी ह ो वह रगरलिलया आखो म विफर जाी ह और कही एका म जाकर जरा रो ला ह

हमार दर रो ला ह हमार बीच म दो-ढाई सौ मील का अर था म लखनऊ म था वह दिदल ली म लविकन ऐसा शायद ही कोई महीना जाा हो विक हम आपस म न धिमल पा हो वह स वच छन द परकवि क विवनोदविपरय सहदय उदार और धिमIो पर पराण दनवाला आदमी थ दधिजन होन अपन और पराए म कभी भद नही विकया ससार क या ह और यहा लौविकक व यवहार का कसा विनवाTह होा ह यह उस व यलिकत न कभी न जानन की चष टा की उनकी जीवन म ऐस कई अवसर आए जब उन ह आग क लिलए होलिशयार हो जाना चाविहए था

स व

धिमIो न उनकी विनष कपटा स अनलिच लाभ उठाया और कई बार उन ह लजजिजज भी होना पडा लविकन उस भल आदमी न जीवन स कोई सबक लन की कसम खा ली थी उनक व यवहार ज यो क त यो रहmdash lsquoजस भोलानाथ दधिजए वस ही भोलानाथ मर दधिजस दविनया म वह रह थ वह विनराली दविनया थी दधिजसम सदह चालाकी और कपट क लिलए स थान न थाmdash सब अपन थ कोई गर न था मन बार-बार उन ह सच करना चाहा पर इसका परिरणाम आशा क विवरN हआ मझ कभी-कभी चिचा होी थी विक उन होन इस बद न विकया ो नीजा क या होगा लविकन विवडबना यह थी विक उनकी स Iी गोपा भी कछ उसी साच म ढली हई थी हमारी दविवयो म जो एक चारी होी ह जो सदव ऐस उडाऊ परषो की असावधाविनयो पर lsquoबरक का काम करी ह उसस वह वलिच थी यहा क विक वस Iाभषण म भी उस विवशष रलिच न थी अएव जब मझ दवनाथ क स वगाTरोहण का समाचार धिमला और म भागा हआ दिदल ली गया ो घर म बरन भाड और मकान क लिसवा और कोई सपवि न थी और अभी उनकी उमर ही क या थी जो सचय की चिचा कर चालीस भी ो पर न हए थ यो ो लडपन उनक स वभाव म ही था लविकन इस उमर म पराय सभी लोग कछ बविsup2क रह ह पहल एक लडकी हई थी इसक बाद दो लडक हए दोनो लडक ो बचपन म ही दगा द गए थ लडकी बच रही थी और यही इस नाटक का सबस करण दश य था दधिजस रह का इनका जीवन था उसको दख इस छोट स परिरवार क लिलए दो सौ रपय महीन की जरर थी दो-ीन साल म लडकी का विववाह भी करना होगा कस क या होगा मरी बदधिN कछ काम न करी थी

इस अवसर पर मझ यह बहमल य अनभव हआ विक जो लोग सवा भाव रख ह और जो स वाथT-लिसदधिN को जीवन का लकष य नही बना उनक परिरवार को आड दनवालो की कमी नही रही यह कोई विनयम नही ह क योविक मन ऐस लोगो को भी दखा ह दधिजन होन जीवन म बहो क साथ अच छ सलक विकए पर उनक पीछ उनक बाल-बच च की विकसी न बा क न पछी लविकन चाह कछ हो दवनाथ क धिमIो न परशसनीय औदायT स काम लिलया और गोपा

27

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 28: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

क विनवाTह क लिलए स थाई धन जमा करन का परस ाव विकया दो-एक सज जन जो रडव थ उसस विववाह करन को यार थ किक गोपा न भी उसी स वा ततिभमान का परिरचय दिदया जो महारी दविवयो का जौहर ह और इस परसाव को अस वीकार कर दिदया मकान बह बडा था उसका एक भाग विकराए पर उठा दिदया इस रह उसको 50 र महावार धिमलन लग वह इन म ही अपना विनवाTह कर लगी जो कछ खचT था वह सन नी की जा स था गोपा क लिलए ो जीवन म अब कोई अनराग ही न था

2

सक एक महीन बाद मझ कारोबार क लिसललिसल म विवदश जाना पडा और वहा मर अनमान स कही अधिधकmdashदो साल-लग गए गोपा क पI बराबर जा रह थ दधिजसस

मालम होा था व आराम स ह कोई चिचा की बा नही ह मझ पीछ जञा हआ विक गोपा न मझ भी गर समझा और वास विवक जजिसथवि लिछपाी रही

इविवदश स लौटकर म सीधा दिदल ली पहचा दवार पर पहच ही मझ भी रोना आ गया

मत य की परविध वविन-सी छायी हई थी दधिजस कमर म धिमIो क जमघट रह थ उनक दवार बद थ मकविडयो न चारो ओर जाल ान रख थ दवनाथ क साथ वह शरी लप हो गई थी पहली नजर म मझ ो ऐसा भरम हआ विक दवनाथ दवार पर खड मरी ओर दखकर मस करा रह ह म धिमरथय यावादी नही ह और आत मा की दविहका म मझ सदह ह लविकन उस वक एक बार म चौक जरर पडा हदय म एक कम पन-सा उठा लविकन दसरी नजर म परविमा धिमट चकी थी

दवार खला गोपा क लिसवा खोलनवाला ही कौन था मन उस दखकर दिदल थाम लिलया उस मर आन की सचना थी और मर स वाग की परविकषा म उसन नई साडी पहन ली थी और शायद बाल भी गथा लिलए थ पर इन दो वषf क समय न उस पर जो आघा विकए थ उन ह क या करी नारिरयो क जीवन म यह वह अवस था ह जब रप लावण य अपन पर विवकास पर होा ह जब उसम अल हडपन चचला और अततिभमान की जगह आकषTण माधयT और रलिसका आ जाी ह लविकन गोपा का यौवन बी चका था उसक मख पर झररिरया और विवषाद की रखाए अविक थी दधिजन ह उसकी परयत नशील परसन ना भी न धिमटा सकी थी कशो पर सफदी दौड चली थी और एक एक अग बढा हो रहा था

मन करण स वर म पछा क या म बीमार थी गोपा गोपा न आस पीकर कहा नही ो मझ कभी लिसर ददT भी नही हआ lsquoो म हारी यह

क या दशा ह विबल कल बढी हो गई होrsquolsquoो जवानी लकर करना ही क या ह मरी उमर ो पीस क ऊपर हो गईlsquoपीस की उमर ो बह नही होीrsquo

28

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 29: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

lsquoहा उनक लिलए जो बह दिदन जीना चाह ह म ो चाही ह दधिजनी जल द हो सक जीवन का अ हो जाए बस सन न क ब याह की चिचा ह इसस छटटी पाऊ मझ दधिजन दगी की परवाह न रहगीrsquo

अब मालम हआ विक जो सज जन इस मकान म विकराएदार हए थ वह थोड दिदनो क बाद बदील होकर चल गए और ब स कोई दसरा विकरायदार न आया मर हदय म बरछी-सी चभ गई इन दिदनो इन बचारो का विनवाTह कस हआ यह कल पना ही दखद थी

मन विवरक मन स कहाmdashलविकन मन मझ सचना क यो न दी क या म विबलकल गर ह

गोपा न लजजिजज होकर कहा नही नही यह बा नही ह म ह गर समझगी ो अपना विकस समझगी मन समझा परदश म म खद अपन झमल म पड होग म ह क यो साऊ विकसी न विकसी रह दिदन कट ही गय घर म और कछ न था ो थोडmdashस गहन ो थ ही अब सनीा क विववाह की चिचा ह पहल मन सोचा था इस मकान को विनकाल दगी बीस-बाइस हजार धिमल जाएग विववाह भी हो जाएगा और कछ मर लिलए बचा भी रहगा लविकन बाद को मालम हआ विक मकान पहल ही रहन हो चका ह और सद धिमलाकर उस पर बीस हजार हो गए ह महाजन न इनी ही दया क या कम की विक मझ घर स विनकाल न दिदया इधर स ो अब कोई आशा नही ह बह हाथ पाव जोडन पर सभव ह महाजन स दो ढाई हजार धिमल जाए इन म क या होगा इसी विफकर म घली जा रही ह लविकन म भी इनी मलबी ह न म ह हाथ मह धोन को पानी दिदया न कछ जलपान लायी और अपना दखडा ल बठी अब आप कपड उारिरए और आराम स बदिठए कछ खान को लाऊ खा लीदधिजए ब बा हो घर पर ो सब कशल ह

मन कहाmdashम ो सीध बम बई स यहा आ रहा ह घर कहा गया गोपा न मझ विरस कारmdashभरी आखो स दखा पर उस विरस कार की आड म घविनष ठ

आत मीया बठी झाक रही थी मझ ऐसा जान पडा उसक मख की झररिरया धिमट गई ह पीछ मख पर हल कीmdashसी लाली दौड गई उसन कहाmdashइसका फल यह होगा विक म हारी दवीजी म ह कभी यहा न आन दगी

lsquoम विकसी का गलाम नही हrsquolsquoविकसी को अपना गलाम बनान क लिलए पहल खद भी उसका गलाम बनना पडा

हrsquoशीकाल की सध या दख ही दख दीपक जलान लगी सन नी लालटन लकर कमर

म आयी दो साल पहल की अबोध और कशन बालिलका रपवी यवी हो गई थी दधिजसकी हर एक लिचवन हर एक बा उसकी गौरवशील परकवि का पा द रही थी दधिजस म गोद म उठाकर प यार करा था उसकी रफ आज आख न उठा सका और वह जो मर गल स लिलपटकर परसन न होी थी आज मर सामन खडी भी न रह सकी जस मझस वस लिछपाना चाही ह और जस म उस वस को लिछपान का अवसर द रहा ह

29

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 30: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

मन पछाmdashअब म विकस दरज म पहची सन नीउसन लिसर झकाए हए जवाब दिदयाmdashदसव म हlsquoघर का भ कछ काम-काज करी होlsquoअम मा जब करन भी दrsquoगोपा बोलीmdashम नही करन दी या खद विकसी काम क नगीच नही जाी सन नी मह फरकर हसी हई चली गई मा की दलारी लडकी थी दधिजस दिदन वह गहस

थी का काम करी उस दिदन शायद गोपा रो रोकर आख फोड ली वह खद लडकी को कोई काम न करन दी थी मगर सबस लिशकाय करी थी विक वह कोई काम नही करी यह लिशकाय भी उसक प यार का ही एक करिरश मा था हमारी मयाTदा हमार बाद भी जीविव रही ह

म ो भोजन करक लटा ो गोपा न विफर सन नी क विववाह की यारिरयो की चचाT छड दी इसक लिसवा उसक पास और बा ही क या थी लडक ो बह धिमल ह लविकन कछ हलिसय भी ो हो लडकी को यह सोचन का अवसर क यो धिमल विक दादा हो हए ो शायद मर लिलए इसस अच छा घर वर ढढ विफर गोपा न डर डर लाला मदारीलाल क लडक का दधिजकर विकया

मन चविक होकर उसकी रफ दखा मदारीलाल पहल इजीविनयर थ अब पशन पा थ लाखो रपया जमा कर लिलए थ पर अब क उनक लोभ की भख न बझी थी गोपा न घर भी वह छाटा जहा उसकी रसाई कदिठन थी

मन आपवि कीmdashमदारीलाल ो बडा दजTन मनष य हगोपा न दाो ल जीभ दबाकर कहाmdashअर नही भया मन उन ह पहचाना न होगा

मर उपर बड दयाल ह कभी-कभी आकर कशलmdash समाचार पछ जा ह लडका ऐसा होनहार ह विक म मस क या कह विफर उनक यहा कमी विकस बा की ह यह ठीक ह विक पहल वह खब रिरश व ल थ लविकन यहा धमाTत मा कौन ह कौन अवसर पाकर छोड दा ह मदारीलाल न ो यहा क कह दिदया विक वह मझस दहज नही चाह कवल कन या चाह ह सन नी उनक मन म बठ गई ह

मझ गोपा की सरला पर दया आयी लविकन मन सोचा क यो इसक मन म विकसी क परवि अविवश वास उत पन न कर सभव ह मदारीलाल वह न रह हो लिच का भावनाए बदली भी रही ह

मन अधT सहम होकर कहाmdashमगर यह ो सोचो उनम और मम विकना अर ह शायद अपना सवTस व अपTण करक भी उनका मह नीचा न कर सको

लविकन गोपा क मन म बा जम गई थी सन नी को वह ऐस घर म चाही थी जहा वह रानी बरकर रह

दसर दिदन परा काल म मदारीलाल क पास गया और उनस मरी जो बाची हई उसन मझ मग ध कर दिदया विकसी समय वह लोभी रह होग इस समय ो मन उन ह बह ही

30

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 31: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

सहदय उदार और विवनयशील पाया बोल भाई साहब म दवनाथ जी स परिरलिच ह आदधिमयो म रत न थ उनकी लडकी मर घर आय यह मरा सौभाग य ह आप उनकी मा स कह द मदारीलाल उनस विकसी चीज की इच छा नही रखा ईश वर का दिदया हआ मर घर म सब कछ ह म उन ह जरबार नही करना चाहा

3

चार महीन गोपा न विववाह की यारिरयो म काट म महीन म एक बार अवश य उसस धिमल आा था पर हर बार खिखन न होकर लौटा गोपा न अपनी कल मयाTदा का न

जान विकना महान आदशT अपन सामन रख लिलया था पगली इस भरम म पडी हई थी विक उसका उत साह नगर म अपनी यादगार छोडा जाएगा यह न जानी थी विक यहा ऐस माश रोज हो ह और आय दिदन भला दिदए जा ह शायद वह ससार स यह शरय लना चाही थी विक इस गईmdashबीी दशा म भी लटा हआ हाथी नौ लाख का ह पग-पग पर उस दवनाथ की याद आी वह हो ो यह काम यो न होा यो होा और ब रोी

मदारीलाल सज जन ह यह सत य ह लविकन गोपा का अपनी कन या क परवि भी कछ धमT ह कौन उसक दस पाच लडविकया बठी हई ह वह ो दिदल खोलकर अरमान विनकालगी सन नी क लिलए उसन दधिजन गहन और जोड बनवाए थ उन ह दखकर मझ आश चयT होा था जब दखो कछ-न-कछ सी रही ह कभी सनारो की दकान पर बठी हई ह कभी महमानो क आदर-सत कार का आयोजन कर रही ह महल ल म ऐसा विबरला ही कोई सम पन न मनष य होगा दधिजसस उसन कछ कजT न लिलया हो वह इस कजT समझी थी पर दन वाल दान समझकर द थ सारा महल ला उसका सहायक था सन नी अब महल ल की लडकी थी गोपा की इज ज सबकी इज ज ह और गोपा क लिलए ो नीद और आराम हराम था ददT स लिसर फटा जा रहा ह आधी रा हो गई मगर वह बठी कछ-न-कछ सी रही ह या इस कोठी का धान उस कोठी कर रही ह विकनी वात सल य स भरी अकाकषा थी जो विक दखन वालो म शरNा उत पन न कर दी थी

अकली और और वह भी आधी जान की क या क या कर जो काम दसरो पर छोड दी ह उसी म कछ न कछ कसर रह जाी ह पर उसकी विहम म ह विक विकसी रह हार नही मानी

विपछली बार उसकी दशा दखकर मझस रहा न गया बोलाmdashगोपा दवी अगर मरना ही चाही हो ो विववाह हो जान क बाद मरो मझ भय ह विक म उसक पहल ही न चल दो

गोपा का मरझाया हआ मख परमदिद हो उठा बोली उसकी चिचा न करो भया विवधवा की आय बह लबी होी ह मन सना नही रॉड मर न खडहर ढह लविकन मरी कामना यही ह विक सन नी का दिठकाना लगाकर म भी चल द अब और जीकर क या करगी सोचो क या कर अगर विकसी रह का विवघ न पड गया ो विकसकी बदनामी होगी इन चार

31

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 32: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

महीनो म मशकिशकल स घटा भर सोी हगी नीद ही नही आी पर मरा लिच परसन न ह म मर या जीऊ मझ यह सोष ो होगा विक सन नी क लिलए उसका बाप जो कर सका था वह मन कर दिदया मदारीलाल न अपन सज जना दिदखाय ो मझ भी ो अपनी नाक रखनी ह

एक दवी न आकर कहा बहन जरा चलकर दख चाशनी ठीक हो गई हया नही गोपा उसक साथ चाशनी की परीकषा करन गयी और एक कषण क बाद आकर बोली जी चाहा ह लिसर पीट ल मस जरा बा करन लगी उधर चाशनी इनी कडी हो गई विक लडड दोो स लडग विकसस क या कह

मन लिचढकर कहा म व यथT का झझट कर रही हो क यो नही विकसी हलवाई को बलाकर धिमठाइया का ठका द दी विफर म हार यहा महमान ही विकन आएग दधिजनक लिलए यह मार बाध रही हो दस पाच की धिमठाई उनक लिलए बह होगी

गोपा न व यलिथ नIो स मर ओर दखा मर यह आलोचना उस बर लग इन दिदनो उस बा बा पर करोध आ जाा था बोली भया म य बा न समझोग म ह न मा बनन का अवसर धिमला न पसतरितन बनन का सन नी क विपा का विकना नाम था विकन आदमी उनक दम स जी थ क या यह म नही जान वह पगडी मर ही लिसर ो बधी ह म ह विवश वास न आएगा नाशकिसक जो ठहर पर म ो उन ह सदव अपन अदर बठा पाी ह जो कछ कर रह ह वह कर रह ह म मदबदधिN स Iी भला अकली क या कर दी वही मर सहायक ह वही मर परकाश ह यह समझ लो विक यह दह मरी ह पर इसक अदर जो आत मा ह वह उनकी ह जो कछ हो रहा ह उनक पण य आदश स हो रहा ह म उनक धिमI हो मन अपन सकडो रपय खचT विकए और इना हरान हो रह हो म ो उनकी सहगाधिमनी ह लोक म भी परलोक म भी

म अपना सा मह लकर रह गया

4

न म विववाह हो गया गोपा न बह कछ दिदया और अपनी हलिसय स बह ज यादा दिदया लविकन विफर भी उस सोष न हआ आज सन नी क विपा हो ो न जान क या

कर बराबर रोी रही

जजाडो म म विफर दिदल ली गया मन समझा विक अब गोपा सखी होगी लडकी का घर

और वर दोनो आदशT ह गोपा को इसक लिसवा और क या चाविहए लविकन सख उसक भाग य म ही न था

अभी कपड भी न उारन पाया था विक उसन अपना दखडा शरmdashकर दिदया भया घर दवार सब अच छा ह सास-ससर भी अच छ ह लविकन जमाई विनकम मा विनकला सन नी बचारी रो-रोकर दिदन काट रही ह म उस दखो ो पहचान न सको उसकी परछाई माI रह गई ह अभी कई दिदन हए आयी हई थी उसकी दशा दखकर छाी फटी थी जस

32

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 33: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

जीवन म अपना पथ खो बठी हो न न बदन की सध ह न कपड-ल की मरी सन नी की दगT होगी यह ो स वप न म भी न सोचा था विबल कल गम सम हो गई ह विकना पछा बटी मस वह क यो नही बोला विकस बा पर नाराज ह लविकन कछ जवाब ही नही दी बस आखो स आस बह ह मरी सन न कए म विगर गई

मन कहा मन उसक घर वालो स पा नही लगायाlsquoलगाया क यो नही भया सब हाल मालम हो गया लौडा चाहा ह म चाह दधिजस राह

जाऊ सन नी मरी परा करी रह सन नी भला इस क यो सहन लगी उस ो म जान हो विकनी अततिभमानी ह वह उन सतरिसIयो म नही ह जो पवि को दवा समझी ह और उसका दव यTवहार सही रही ह उसन सदव दलार और प यार पाया ह बाप भी उस पर जान दा था म आख की पली समझी थी पवि धिमला छला जो आधी आधी रा क मारा मारा विफरा ह दोनो म क या बा हई यह कौन जान सका ह लविकन दोनो म कोई गाठ पड गई ह न सन नी की परवाह करा ह न सन न उसकी परवाह करी ह मगर वह ो अपन रग म मस ह सन न पराण दिदय दी ह उसक लिलए सन नी की जगह मन नी ह सन न क लिलए उसकी अपकषा ह और रदन हrsquo

मन कहाmdashलविकन मन सन नी को समझाया नही उस लौड का क या विबगडगा इसकी ो दधिजन दगी खराब हो जाएगी

गोपा की आखो म आस भर आए बोलीmdashभया-विकस दिदल स समझाऊ सन नी को दखकर ो मर छाी फटन लगी ह बस यही जी चाहा ह विक इस अपन कलज म ऐस रख ल विक इस कोई कडी आख स दख भी न सक सन नी फहड होी कट भाविषणी होी आरामलब होी ो समझी भी क या यह समझाऊ विक रा पवि गली गली मह काला करा विफर विफर भी उसकी पजा विकया कर म ो खद यह अपमान न सह सकी स Iी परष म विववाह की पहली शT यह ह विक दोनो सोलहो आन एक-दसर क हो जाए ऐस परष ो कम ह जो स Iी को जौ-भर विवचलिल हो दखकर शा रह सक पर ऐसी सतरिसIया बह ह जो पवि को स वच छद समझी ह सन न उन सतरिसIयो म नही ह वह अगर आत मसमपTण करी ह ो आत मसमपTण चाही भी ह और यदिद पवि म यह बा न हई ो वह उसम कोई सपकT न रखगी चाह उसका सारा जीवन रो कट जाए

यह कहकर गोपा भीर गई और एक चिसगारदान लाकर उसक अदर क आभषण दिदखाी हई बोली सन नी इस अब की यही छोड गई इसीलिलए आयी थी य व गहन ह जो मन न जान विकना कष ट सहकर बनवाए थ इसक पीछ महीनो मारी मारी विफरी थी यो कहो विक भीख मागकर जमा विकय थ सन नी अब इसकी ओर आख उठाकर भी नही दखी पहन ो विकसक लिलए चिसगार कर ो विकस पर पाच सदक कपडो क दिदए थ कपड सी-सी मरी आख फट गई यह सब कपड उठाी लायी इन चीजो स उस घणा हो गई ह बस कलाई म दो चविडया और एक उजली साडी यही उसका चिसगार ह

33

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 34: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

मन गोपा को सात वना दीmdashम जाकर कदारनाथ स धिमलगा दख ो वह विकस रग ढग का आदमी ह

गोपा न हाथ जोडकर कहाmdashनही भरया भलकर भी न जाना सन नी सनगी ो पराण ही द दगी अततिभमान की पली ही समझो उस रस सी समझ लो दधिजसक जल जान पर भी बल नही जा दधिजन परो स उस ठकरा दिदया ह उन ह वह कभी न सहलाएगी उस अपना बनाकर कोई चाह ो लौडी बना ल लविकन शासन ो उसन मरा न सहा दसरो का क या सहगी

मन गोपा स उस वक कछ न कहा लविकन अवसर पा ही लाला मदारीलाल स धिमला म रहस य का पा लगाना चाहा था सयोग स विपा और पI दोनो ही एक जगह पर धिमल गए मझ दख ही कदार न इस रह झककर मर चरण छए विक म उसकी शालीना पर मग ध हो गया र भीर गया और चाय मरब बा और धिमठाइया लाया इना सौम य इना सशील इना विवनमर यवक मन न दखा था यह भावना ही न हो सकी थी विक इसक भीर और बाहर म कोई अर हो सका ह जब क रहा लिसर झकाए बठा रहा उच छखला ो उस छ भी नही गई थी

जब कदार टविनस खलन गया ो मन मदारीलाल स कहा कदार बाब ो बह सच चरिरI जान पड ह विफर स Iी परष म इना मनोमालिलन य क यो हो गया ह

मदारीलाल न एक कषण विवचार करक कहा इसका कारण इसक लिसवा और क या बाऊ विक दोनो अपन मा-बाप क लाडल ह और प यार लडको को अपन मन का बना दा ह मरा सारा जीवन सघषT म कटा अब जाकर जरा शावि धिमली ह भोग-विवलास का कभी अवसर ही न धिमला दिदन भर परिरशरम करा था सधया को पडकर सो जाा था स वास रथय य भी अच छा न था इसलिलए बार-बार यह चिचा सवार रही थी विक सचय कर ल ऐसा न हो विक मर पीछ बाल बच च भीख माग विफर नीजा यह हआ विक इन महाशय को मफ का धन धिमला सनक सवार हो गई शराब उडन लगी विफर डरामा खलन का शौक हआ धन की कमी थी ही नही उस पर मा-बाप अकल बट उनकी परसन ना ही हमार जीवन को स वगT था पढना-लिलखना ो दर रहा विवलास की इच छा बढी गई रग और गहरा हआ अपन जीवन का डरामा खलन लग मन यह रग दखा ो मझ चिचा हई सोचा ब याह कर द ठीक हो जाएगा गोपा दवी का पगाम आया ो मन र स वीकार कर लिलया म सन नी को दख चका था सोचा ऐसा रपवी पत नी पाकर इनका मन जजिसथर हो जाएगा पर वह भी लाडली लडकी थीmdashहठीली अबोध आदशTवादिदनी सविहष णा ो उसन सीखी ही न थी समझौ का जीवन म क या मल य ह इसक उस खबर ही नही लोहा लोह स लड गया वह अ भन स परादधिज करना चाही ह या उपकषा स यही रहस य ह और साहब म ो बह को ही अधिधक दोषी समझा ह लडक पराय मनचल हो ह लडविकया स वाभाव स ही सशील होी ह और अपनी दधिजम मदारी समझी ह उसम य गण ह नही डोगा कस पार होगा ईश वर ही जान

34

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 35: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

सहसा सन नी अदर स आ गई विबल कल अपन लिचI की रखा सी मानो मनोहर सगी की परविध वविन हो कदन पकर भस म हो गया था धिमटी हई आशाओ का इसस अच छा लिचI नही हो सका उलाहना दी हई बोलीmdashआप जान कब स बठ हए ह मझ खबर क नही और शायद आप बाहर ही बाहर चल भी जा

मन आसओ क वग को रोक हए कहा नही सन नी यह कस हो सका था म हार पास आ ही रहा था विक म स वय आ गई

मदारीलाल कमर क बाहर अपनी कार की सफाई करन लग शायद मझ सन नी स बा करन का अवसर दना चाह थ

सन नी न पछाmdashअम मा ो अच छी रह हlsquoहा अच छी ह मन अपनी यह क या ग बना रखी हrsquo lsquoम अच छी रह स हrsquolsquoयह बा क या ह म लोगो म यह क या अनबन ह गोपा दवी पराण दिदय डाली ह

म खद मरन की यारी कर रही हो कछ ो विवचार स काम लोrsquo सन नी क माथ पर बल पड गएmdashआपन नाहक यह विवषय छड दिदया चाचा जी मन

ो यह सोचकर अपन मन को समझा लिलया विक म अभाविगन ह बस उसका विनवारण मर ब स बाहर ह म उस जीवन स मत य को कही अच छा समझी ह जहा अपनी कदर न हो म वर क बदल म वर चाही ह जीवन का कोई दसरा रप मरी समझ म नही आा इस विवषय म विकसी रह का समझौा करना मर लिलए असभव ह नीज मी म परवाह नही करी

lsquoलविकनrsquolsquoनही चाचाजी इस विवषय म अब कछ न कविहए नही ो म चली जाऊगीrsquo lsquoआखिखर सोचो ोrsquolsquoम सब सोच चकी और य कर चकी पश को मनष य बनाना मरी शलिकत स बाहर

हrsquoइसक बाद मर लिलए अपना मह बद करन क लिसवा और क या रह गया था

5

ई का महीना था म मसर गया हआ था विक गोपा का ार पहचा र आओ जररी काम ह म घबरा ो गया लविकन इना विनततिv था विक कोई दघTटना नही हई ह दसर

दिदन दिदल ली जा पहचा गोपा मर सामन आकर खडी हो गई विनस पद मक विनष पराण जस पदिदक की रोगी हो

मlsquoमन पछा कशल ो ह म ो घबरा उठाlsquolsquoउसन बझी हई आखो स दखा और बोल सचrsquolsquoसन नी ो कशल स हrsquo

35

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 36: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

lsquoहा अच छी रह हrsquolsquoऔर कदारनाथrsquolsquoवह भी अच छी रह हrsquolsquoो विफर माजरा क या हrsquolsquoकछ ो नहीrsquolsquoमन ार दिदया और कही हो कछ ो नहीrsquolsquoदिदल ो घबरा रहा था इसस म ह बला लिलया सन नी को विकसी रह समझाकर

यहा लाना ह म ो सब कछ करक हार गईrsquolsquoक या इधर कोई नई बा हो गईrsquolsquoनयी ो नही ह लविकन एक रह म नयी ही समझो कदार एक ऐक टरस क साथ

कही भाग गया एक सप ाह स उसका कही पा नही ह सन नी स कह गया हmdashजब क म रहोगी घर म नही आऊगा सारा घर सन नी का शI हो रहा ह लविकन वह वहा स टलन का नाम नही ला सना ह कदार अपन बाप क दस ख बनाकर कई हजार रपय बक स ल गया ह

lsquoम सन नी स धिमली थीrsquolsquoहा ीन दिदन स बराबर जा रही हrsquolsquoवह नही आना चाही ो रहन क यो नही दीrsquolsquoवहा घट घटकर मर जाएगीrsquolsquoम उन ही परो लाला मदारीलाल क घर चला हालाविक म जाना था विक सन नी विकसी

रह न आएगी मगर वहा पहचा ो दखा कहराम मचा हआ ह मरा कलजा धक स रह गया वहा ो अथcopy सज रही थी महल ल क सकडो आदमी जमा थ घर म स lsquoहाय हायrsquo की करदन-ध वविन आ रही थी यह सन नी का शव था

मदारीलाल मझ दख ही मझस उन म की भावि लिलपट गए और बोलlsquoभाई साहब म ो लट गया लडका भी गया बह भी गयी दधिजन दगी ही गार हो

गईrsquoमालम हआ विक जब स कदार गायब हो गया था सन नी और भी ज यादा उदास रहन

लगी थी उसन उसी दिदन अपनी चविडया ोड डाली थी और माग का चिसदर पोछ डाला था सास न जब आपतति की ो उनको अपशब द कह मदारीलाल न समझाना चाहा ो उन ह भी जली-कटी सनायी ऐसा अनमान होा थाmdashउन माद हो गया ह लोगो न उसस बोलना छोड दिदया था आज पराकाल यमना स नान करन गयी अधरा था सारा घर सो रहा था विकसी को नही जगाया जब दिदन चढ गया और बह घर म न धिमली ो उसकी लाश होन लगी दोपहर को पा लगा विक यमना गयी ह लोग उधर भाग वहा उसकी लाश धिमली पलिलस आयी शव की परीकषा हई अब जाकर शव धिमला ह म कलजा थामकर बठ गया हाय

36

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 37: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

अभी थोड दिदन पहल जो सन दरी पालकी पर सवार होकर आयी थी आज वह चार क कध पर जा रही ह

म अथcopy क साथ हो लिलया और वहा स लौटा ो रा क दस बज गय थ मर पाव काप रह थ मालम नही यह खबर पाकर गोपा की क या दशा होगी पराणा न हो जाए मझ यही भय हो रहा था सन नी उसकी पराण थी उसकी जीवन का कन दर थी उस दखिखया क उदयान म यही पौधा बच रहा था उस वह हदय रक स सीच-सीचकर पाल रही थी उसक वस का सनहरा स वप न ही उसका जीवन था उसम कोपल विनकलगी फल खिखलग फल लगग लिचविडया उसकी डाली पर बठकर अपन सहान राग गाएगी विकन आज विनष ठर विनयवि न उस जीवन सI को उखाडकर फ क दिदया और अब उसक जीवन का कोई आधार न था वह विबन द ही धिमट गया था दधिजस पर जीवन की सारी रखाए आकर एकI हो जाी थी

दिदल को दोनो हाथो स थाम मन जजीर खटखटायी गोपा एक लालटन लिलए विनकली मन गोपा क मख पर एक नए आनद की झलक दखी

मरी शोक मदरा दखकर उसन माव परम स मरा हाथ पकड लया और बोली आज ो म हारा सारा दिदन रो ही कटा अथcopy क साथ बह स आदमी रह होग मर जी म भी आया विक चलकर सन नी क अविम दशTन कर ल लविकन मन सोचा जब सन न ही न रही ो उसकी लाश म क या रखा ह न गयी

म विवस मय स गोपा का मह दखन लगा ो इस यह शोक-समाचार धिमल चका ह विफर भी वह शावि और अविवचल धयT बोला अच छा-विकया न गयी रोना ही ो था

lsquoहा और क या रोयी यहा भी लविकन मस सचव कही ह दिदल स नही रोयी न जान कस आस विनकल आए मझ ो सन नी की मौ स परसन ना हई दखिखया अपनी मान मयाTदा लिलए ससार स विवदा हो गई नही ो न जान क या क या दखना पडा इसलिलए और भी परसन न ह विक उसन अपनी आन विनभा दी स Iी क जीवन म प यार न धिमल ो उसका अ हो जाना ही अच छा मन सन नी की मदरा दखी थी लोग कह ह ऐसा जान पडा थाmdashमस करा रही ह मरी सन नी सचमच दवी थी भया आदमी इसलिलए थोड ही जीना चाहा ह विक रोा रह जब मालम हो गया विक जीवन म दख क लिसवा कछ नही ह ो आदमी जीकर क या कर विकसलिलए दधिजए खान और सोन और मर जान क लिलए यह म नही चाही विक मझ सन नी की याद न आएगी और म उस याद करक रोऊगी नही लविकन वह शोक क आस न होग बहादर बट की मा उसकी वीरगवि पर परसन न होी ह सन नी की मौ म क या कछ कम गौरव ह म आस बहाकर उस गौरव का अनादर कस कर वह जान ी ह और चाह सारा ससार उसकी किनदा कर उसकी माा सराहना ही करगी उसकी आत मा स यह आनद भी छीन ल लविकन अब रा ज यादा हो गई ह ऊपर जाकर सो रहो मन म हारी चारपाई विबछा दी ह मगर दख अकल पड-पड रोना नही सन नी न वही विकया जो उस करना चाविहए था उसक विपा हो ो आज सन नी की परविमा बनाकर पजrsquo

37

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 38: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

म ऊपर जाकर लटा ो मर दिदल का बोझ बह हल का हो गया था विकन रह-रहकर यह सदह हो जाा था विक गोपा की यह शावि उसकी अपार व यथा का ही रप ो नही ह

38

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 39: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

नशा

श वरी एक बड जमीदार का लडका था और म गरीब क लकT था दधिजसक पास महन-मजरी क लिसवा और कोई जायदाद न थी हम दोनो म परस पर बहस होी रही थी म

जमीदारी की बराई करा उन ह किहसक पश और खन चसन वाली जोक और वकषो की चोटी पर फलन वाला बझा कहा वह जमीदारो का पकष ला पर स वभाव उसका पहल कछ कमजोर होा था क योविक उसक पास जमीदारो क अनकल कोई दलील न थी वह कहा विक सभी मनष य बराबर नही हा छोट-बड हमशा हो रहग लचर दलील थी विकसी मानषीय या नविक विनयम स इस व यवस था का औलिचत य लिसN करना कदिठन था म इस वाद-विववाद की गमcopy-गमcopy म अक सर ज हो जाा और लगन वाली बा कह जाा लविकन ईश वरी हारकर भी मस कराा रहा था मन उस कभी गमT हो नही दखा शायद इसका कारण यह था विक वह अपन पकष की कमजोरी समझा था

नौकरो स वह सीध मह बा नही करा था अमीरो म जो एक बदद और उददणा होी ह इसम उस भी परचर भाग धिमला था नौकर न विबस र लगान म जरा भी दर की दध जरर स ज यादा गमT या ठडा हआ साइविकल अच छी रह साफ नही हई ो वह आप स बाहर हो जाा सस ी या बदमीजी उस जरा भी बरदाश न थी पर दोस ो स और विवशषकर मझस उसका व यवहार सौहादT और नमरा स भरा हआ होा था शायद उसकी जगह म होा ो मझस भी वही कठोराए पदा हो जाी जो उसम थी क योविक मरा लोकपरम लिसNाो पर नही विनजी दशाओ पर दिटका हआ था लविकन वह मरी जगह होकर भी शायद अमीर ही रहा क योविक वह परकवि स ही विवलासी और ऐश वयT-विपरय था

अबकी दशहर की छदिटटयो म मन विनश चय विकया विक घर न जाऊगा मर पास विकराए क लिलए रपय न थ और न घरवालो को कलीफ दना चाहा था म जाना ह व मझ जो कछ द ह वह उनकी हलिसय स बह ज यादा ह उसक साथ ही परीकषा का q याल था अभी बह कछ पढना ह बोरविडग हाउस म भ की रह अकल पड रहन को भी जी न चाहा था इसलिलए जब ईश वरी न मझ अपन घर का नवा दिदया ो म विबना आगरह क राजी हो गया ईश वरी क साथ परीकषा की यारी खब हो जाएगी वह अमीर होकर भी महनी और जहीन ह

उसन उसक साथ ही कहा-लविकन भाई एक बा का q याल रखना वहॉ अगर जमीदारो की किनदा की ो मआधिमला विबगड जाएगा और मर घरवालो को बरा लगगा वह लोग ो आसाधिमयो पर इसी दाव स शासन कर ह विक ईश वर न असाधिमयो को उनकी सवा क लिलए ही पदा विकया ह असामी म कोई मौलिलक भद नही ह ो जमीदारो का कही पा न लग

मन कहा-ो क या म समझ हो विक म वहा जाकर कछ और हो जाऊगा

39

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 40: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

lsquoहॉ म ो यही समझा हlsquoम गल समझ होlsquoईश वरी न इसका कोई जवाब न दिदया कदालिच उसन इस मआमल को मर विववक

पर छोड दिदया और बह अच छा विकया अगर वह अपनी बा पर अडा ो म भी दधिजद पकड ला

2

कड क लास ो क या मन कभी इटर क लास म भी सफर न विकया था अब की सकड क लास म सफर का सौभाग य पराइज़ हआ गाडी ो नौ बज रा को आी थी पर याIा

क हषT म हम शाम को स टशन जा पहच कछ दर इधर-उधर सर करन क बाद रिरsup2शमट-रम म जाकर हम लोगो न भजन विकया मरी वश-भषा और रग-ढग स पारखी खानसामो को यह पहचानन म दर न लगी विक मालिलक कौन ह और विपछलग ग कौन लविकन न जान क यो मझ उनकी गस ाखी बरी लग रही थी पस ईश वरी की जब स गए शायद मर विपा को जो वन धिमला ह उसस ज यादा इन खानसामो को इनाम-इकराम म धिमल जाा हो एक अठन नी ो चल समय ईश वरी ही न दी विफर भी म उन सभो स उसी त परा और विवनय की अपकषा करा था दधिजसस व ईश वरी की सवा कर रह थ क यो ईश वरी क हक म पर सब-क-सब दौड ह लविकन म कोई चीज मागा ह ो उना उत साह नही दिदखा मझ भोजन म कछ स वाद न धिमला यह भद मर ध यान को सम पणT रप स अपनी ओर खीच हए था

गाडी आयी हम दोनो सवार हए खानसामो न ईश वरी को सलाम विकया मरी ओर दखा भी नही

ईश वरी न कहाmdashविकन मीजदार ह य सब एक हमार नौकर ह विक कोई काम करन का ढग नही

मन खटट मन स कहाmdashइसी रह अगर म अपन नौकरो को भी आठ आन रोज इनाम दिदया करो ो शायद इनस ज यादा मीजदार हो जाए

lsquoो क या म समझ हो यह सब कवल इनाम क लालच स इना अदब कर हlsquoजी नही कदाविप नही मीज और अदब ो इनक रक म धिमल गया हrsquoगाडी चली डाक थी परयास स चली ो परापगढ जाकर रकी एक आदमी न

हमारा कमरा खोला म र लिचल ला उठा दसरा दरजा ह-सकड क लास हउस मसाविफर न विडब ब क अन दर आकर मरी ओर एक विवलिचI उपकषा की दधि स

दखकर कहाmdashजी हा सवक इना समझा ह और बीच वाल बथTड पर बठ गया मझ विकनी लज जा आई कह नही सका

भोर हो-हो हम लोग मरादाबाद पहच स टशन पर कई आदमी हमारा स वाग करन क लिलए खड थ पाच बगार बगारो न हमारा लगज उठाया दोनो भदर परष पीछ-

40

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 41: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

पीछ चल एक मसलमान था रिरयास अली दसरा बराहमण था रामहरख दोनो न मरी ओर परिरलिच नIो स दखा मानो कह रह ह म कौव होकर हस क साथ कस

रिरयास अली न ईश वरी स पछाmdashयह बाब साहब क या आपक साथ पढ ह ईश वरी न जवाब दिदयाmdashहॉ साथ पढ भी ह और साथ रह भी ह यो कविहए विक

आप ही की बदौल म इलाहाबाद पडा हआ ह नही कब का लखनऊ चला आया होा अब की म इन ह घसीट लाया इनक घर स कई ार आ चक थ मगर मन इनकारी-जवाब दिदलवा दिदए आखिखरी ार ो अजcedilट था दधिजसकी फीस चार आन परवि शब द ह पर यहा स उनका भी जवाब इनकारी ही था

दोनो सज जनो न मरी ओर चविक नIो स दखा आविक हो जान की चष टा कर जान पड

रिरयास अली न अNTशका क स वर म कहाmdashलविकन आप बड साद लिलबास म रह ह

ईश वरी न शका विनवारण कीmdashमहात मा गाधी क भक ह साहब खददर क लिसवा कछ पहन ही नही परान सार कपड जला डाल यो कहा विक राजा ह ढाई लाख सालाना की रिरयास ह पर आपकी सर दखो ो मालम होा ह अभी अनाथालय स पकडकर आय ह

रामहरख बोलmdashअमीरो का ऐसा स वभाव बह कम दखन म आा ह कोई भॉप ही नही सका

रिरयास अली न समथTन विकयाmdashआपन महाराजा चॉगली को दखा होा ो दॉो ल उगली दबा एक गाढ की धिमजTई और चमरौध ज पहन बाजारो म घमा कर थ सन ह एक बार बगार म पकड गए थ और उन ही न दस लाख स कालज खोल दिदया

म मन म कटा जा रहा था पर न जान क या बा थी विक यह सफद झठ उस वक मझ हास यास पद न जान पडा उसक परत यक वाक य क साथ मानो म उस कजजिलप वभव क समीपर आा जाा था

म शहसवार नही ह हॉ लडकपन म कई बार लदद घोडो पर सवार हआ ह यहा दखा ो दो कलॉ-रास घोड हमार लिलए यार खड थ मरी ो जान ही विनकल गई सवार ो हआ पर बोदिटयॉ कॉप रही थी मन चहर पर लिशकन न पडन दिदया घोड को ईश वरी क पीछ डाल दिदया खरिरय यह हई विक ईश वरी न घोड को ज न विकया वरना शायद म हाथ-पॉर डवाकर लौटा सभव ह ईश वरी न समझ लिलया हो विक यह विकन पानी म ह

3

श वरी का घर क या था विकला था इमामबाड काmdashसा फाटक दवार पर पहरदार टहला हआ नौकरो का कोई लिससाब नही एक हाथी बधा हआ ईश वरी न अपन विपा चाचा

ाऊ आदिद सबस मरा परिरचय कराया और उसी अविश योलिकत क साथ ऐसी हवा बॉधी zwjzwjzwjzwjzwjzwjिreg क ई

41

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 42: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

कछ न पलिछए नौकर-चाकर ही नही घर क लोग भी मरा सम मान करन लग दहा क जमीदार लाखो का मनाफा मगर पलिलस कान सटविबल को अफसर समझन वाल कई महाशय ो मझ हजर-हजर कहन लग

जब जरा एकान हआ ौ मन ईश वरी स कहाmdashम बड शान हो यार मरी धिमटटी क यो पलीद कर रह हो

ईश वरी न दढ मस कान क साथ कहाmdashइन गधो क सामन यही चाल जररी थी वरना सीध मह बोल भी नही

जरा दर क बाद नाई हमार पाव दबान आया कवर लोग स टशन स आय ह थक गए होग ईश वरी न मरी ओर इशारा करक कहाmdashपहल कवर साहब क पाव दबा

म चारपाई पर लटा हआ था मर जीवन म ऐसा शायद ही कभी हआ हो विक विकसी न मर पाव दबाए हो म इस अमीरो क चोचल रईसो का गधापन और बड आदधिमयो की मटमरदी और जान क या-क या कहकर ईश वरी का परिरहास विकया करा और आज म पोडो का रईस बनन का स वाग भर रहा था

इन म दस बज गए परानी सभ या क लोग थ नयी रोशनी अभी कवल पहाड की चोटी क पहच पायी थी अदर स भोजन का बलावा आया हम स नान करन चल म हमशा अपनी धोी खद छाट लिलया करा ह मगर यहॉ मन ईश वरी की ही भावि अपनी धोी भी छोड दी अपन हाथो अपनी धोी छाट शमT आ रही थी अदर भोजन करन चल होस टल म ज पहल मज पर जा डट थ यहॉ पॉव धोना आवश यक था कहार पानी लिलय खडा था ईश वरी न पॉव बढा दिदए कहार न उसक पॉव धोए मन भी पॉव बढा दिदए कहार न मर पॉव भी धोए मरा वह विवचार न जान कहॉ चला गया था

4

चा था वहॉ दहा म एकागर होकर खब पढग पर यहॉ सारा दिदन सर-सपाट म कट जाा था कही नदी म बजर पर सर कर रह ह कही मछ लिलयो या लिचविडयो का

लिशकार खल रह ह कही पहलवानो की कश ी दख रह ह कही शरज पर जम ह ईश वरी खब अड मगवाा और कमर म lsquoस टोवrsquo पर आमलट बन नौकरो का एक जत था हमशा घर रहा अपन हॉथ-पॉव विहलान की कोई जरर नही कवल जबान विहला दना काफी ह नहान बठो ो आदमी नहलान को हादधिजर लटो ो आदमी पखा झलन को खड

सो

महात मा गाधी का कवर चला मशहर था भीर स बाहर क मरी धाक थी नाश म जरा भी दर न होन पाए कही कवर साहब नाराज न हो जाऍ विबछावन ठीक समय पर लग जाए कवर साहब क सोन का समय आ गया म ईश वरी स भी ज यादा नाजक दिदमाग बन गया था या बनन पर मजबर विकया गया था ईश वरी अपन हाथ स विबस र विबछाल लविकन कवर महमान अपन हाथो कसट अपना विबछावन विबछा सक ह उनकी महाना म बटटा लग जाएगा

42

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 43: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

एक दिदन सचमच यही बा हो गई ईश वरी घर म था शायद अपनी माा स कछ बाची करन म दर हो गई यहॉ दस बज गए मरी ऑख नीद स झपक रही थी मगर विबस र कसट लगाऊ कवर जो ठहरा कोई साढ ग यारह बज महरा आया बडा मह लगा नौकर था घर क धधो म मरा विबस र लगान की उस सधिध ही न रही अब जो याद आई ो भागा हआ आया मन ऐसी डॉट बाई विक उसन भी याद विकया होगा

ईश वरी मरी डॉट सनकर बाहर विनकल आया और बोलाmdashमन बह अच छा विकया यह सब हरामखोर इसी व यवहार क योग य ह

इसी रह ईश वरी एक दिदन एक जगह दाव म गया हआ था शाम हो गई मगर लम प मज पर रखा हआ था दिदयासलाई भी थी लविकन ईश वरी खद कभी लम प नही जलाा था विफर कवर साहब कस जलाऍ म झझला रहा था समाचार-पI आया रखा हआ था जी उधर लगा हआ था पर लम प नदारद दवयोग स उसी वक मशी रिरयास अली आ विनकल म उन ही पर उबल पडा ऐसी फटकार बाई विक बचारा उल ल हो गयाmdash म लोगो को इनी विफकर भी नही विक लम प ो जलवा दो मालम नही ऐस कामचोर आदधिमयो का यहॉ कस गजर होा ह मर यहॉ घट-भर विनवाTह न हो रिरयास अली न कॉप हए हाथो स लम प जला दिदया

वहा एक ठाकर अक सर आया करा था कछ मनचला आदमी था महात मा गाधी का परम भक मझ महात माजी का चला समझकर मरा बडा लिलहाज करा था पर मझस कछ पछ सकोच करा था एक दिदन मझ अकला दखकर आया और हाथ बाधकर बोलाmdashसरकार ो गाधी बाबा क चल ह न लोग कह ह विक यह सराज हो जाएगा ो जमीदार न रहग

मन शान जमाईmdashजमीदारो क रहन की जरर ही क या ह यह लोग गरीबो का खन चसन क लिसवा और क या कर ह

ठाकर न विपर पछाmdashो क यो सरकार सब जमीदारो की जमीन छीन ली जाएगी मन कहा-बह-स लोग ो खशी स द दग जो लोग खशी स न दग उनकी जमीन छीननी ही पडगी हम लोग ो यार बठ हए ह ज यो ही स वराज य हआ अपन इलाक असाधिमयो क नाम विहबा कर दग

म करसी पर पॉव लटकाए बठा था ठाकर मर पॉव दबान लगा विफर बोलाmdashआजकल जमीदार लोग बडा जलम कर ह सरकार हम भी हजर अपन इलाक म थोडी-सी जमीन द द ो चलकर वही आपकी सवा म रह

मन कहाmdashअभी ो मरा कोई अजजिqयार नही ह भाई लविकन ज यो ही अजजिqयार धिमला म सबस पहल म ह बलाऊगा म ह मोटर-डराइवरी लिसखा कर अपना डराइवर बना लगा

सना उस दिदन ठाकर न खब भग पी और अपनी स Iी को खब पीटा और गॉव महाजन स लडन पर यार हो गया

43

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 44: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

5

टटी इस रह माम हई और हम विफर परयाग चल गॉव क बह-स लोग हम लोगो को पहचान आय ठाकर ो हमार साथ स टशन क आया मन भी अपना पाटT खब

सफाई स खला और अपनी कबरोलिच विवनय और दवत व की महर हरक हदय पर लगा दी जी ो चाहा था हरक नौकर को अचछा इनाम द लविकन वह सामरथययT कहॉ थी वापसी दिटकट था ही कवल गाडी म बठना था पर गाडी गायी ो ठसाठस भरी हई दगाTपजा की छदिटटयॉ भोगकर सभी लोग लौट रह थ सकड क लास म विल रखन की जगह नही इटररवय क लास की हाल उसस भी बदर यह आखिखरी गाडी थी विकसी रह रक न सक थ बडी मशकिशकल स ीसर दरज म जगह धिमली हमार ऐश वयT न वहॉ अपना रग जमा लिलया मगर मझ उसम बठना बरा लग रहा था आय थ आराम स लट-लट जा रह थ लिसकड हए पहल बदलन की भी जगह न थी

कई आदमी पढ-लिलख भी थ व आपस म अगरजी राज य की ारीफ कर जा रह थ एक महाश य बोलmdashऐसा न याय ो विकसी राज य म नही दखा छोट-बड सब बराबर राजा भी विकसी पर अन याय कर ो अदाल उसकी गदTन दबा दी ह

दसर सज जन न समथTन विकयाmdashअर साहब आप खद बादशाह पर दावा कर सक ह अदाल म बादशाह पर विडगरी हो जाी ह

एक आदमी दधिजसकी पीठ पर बडा गटठर बधा था कलकत जा रहा था कही गठरी रखन की जगह न धिमली थी पीठ पर बॉध हए था इसस बचन होकर बार-बार दवार पर खडा हो जाा म दवार क पास ही बठा हआ था उसका बार-बार आकर मर मह को अपनी गठरी स रगडना मझ बह बरा लग रहा था एक ो हवा यो ही कम थी दसर उस गवार का आकर मर मह पर खडा हो जाना मानो मरा गला दबाना था म कछ दर क जब विकए बठा रहा एकाएक मझ करोध आ गया मन उस पकडकर पीछ ठल दिदया और दो माच जोर-जोर स लगाए

उसन ऑख विनकालकर कहाmdashक यो मार हो बाबजी हमन भी विकराया दिदया हमन उठकर दो-ीन माच और जड दिदएगाडी म फान आ गया चारो ओर स मझ पर बौछार पडन लगीlsquoअगर इन नाजक धिमजाज हो ो अव वल दजfrac12 म क यो नही बठlsquolsquoकोई बडा आदमी होगा ो अपन घर का होगा मझ इस रह मार ो दिदखा

दाrsquolsquoक या कसर विकया था बचार न गाडी म सास लन की जगह नही खिखडकी पर जरा

सॉस लन खडा हो गया ो उस पर इना करोध अमीर होकर क या आदमी अपनी इन साविनय विबल कल खो दा ह

44

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45

Page 45: kishorekaruppaswamy.files.wordpress.com€¦  · Web viewप्रेमचंद. बेटों वाली विधवा: 3. बडे भाई साहब: 26. शांति:

rsquoयह भी अगरजी राज ह दधिजसका आप बखान कर रह थlsquoएक गरामीण बोलाmdashदफर मॉ घस पाव नही उस प इत ा धिमजाजईश वरी न अगरजी म कहा- What an idiot you are Bir

और मरा नशा अब कछ-कछ उरा हआ मालम होा था

45