बढ़े चलो, बढ़े चलो- सोहन लाल द्विवेदी...
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बढ़े� चलो�, बढ़े� चलो� - सो�हन ला�ला द्वि�वेदी� (Sohan Lal Dwivedi)
न ह�थ एक शस्त्र ह�,न ह�थ एक अस्त्र ह�,न अन्न न�र वेस्त्र ह�,हटो� नह�, डर� नह�,बढ़े चला�, बढ़े चला� रह सोमक्ष द्विहम-शिशखर,तु"म्ह�र� प्रण उठे द्विनखर,भला ह� जा�ए जान द्विबखर,रुक� नह�, झु"क� नह�,बढ़े चला�, बढ़े चला� घटो� घिघर� अटो.टो ह�,अधर म0 क�लाक. टो ह�,वेह� सो"ध� क� घ.1टो ह�,जिजाये चला�, मर चला�,बढ़े चला�, बढ़े चला� गगन उगलातु� आग ह�,शि6ड़ा� मरण क� र�ग ह�,लाहू क� अपन फा�ग ह�,अड़ा� वेह�, गड़ा� वेह�,बढ़े चला�, बढ़े चला� चला� नई घिमसो�ला ह�,जाला� नई मश�ला ह�,बढो़�= नये� कम�ला ह�,झु"क� नह�, रूक� नह�,बढ़े चला�, बढ़े चला� अशष रक्त तु�ला दी�,स्वेतु1त्रतु� क� म�ला दी�,कड़ा� ये"गA कB ख�ला दी�,डर� नह�, मर� नह�,बढ़े चला�, बढ़े चला�