बालमजदुर एक बडी समस्या

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बाल मजदूरी के कारणयनीसेफ के अनुसार बच्चों का निनयोजन इसलिलए निकया जाता है, क्योंनिक उनका आसानी से शोषण निकया जा सकता है। बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप कठि'न काम जिजन कारणों से करते हैं, उनमें आम तौर पर गरीबी पहला है। लेनिकन इसके बावजूद जनसंख्या निवस्फोट, सस्ता श्रम, उपलब्ध कानूनों का लागू नहीं होना, बच्चों को स्कूल भेजने के प्रनित अनिनचु्छक माता-निपता (वे अपने बच्चों को स्कूल की बजाय काम पर भेजने के इचु्छक होते हैं, तानिक परिरवार की आय बढ़ सके) जैसे अन्य कारण भी हैं। और यठिद एक परिरवार के भरण-पोषण का एकमात्र आधार ही बाल श्रम हो, तो कोई कर भी क्या सकता है।

घर- घर को जगाना है, बाल मजदूरी हटाना है,

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बाल मजदूरी उन्मूलन हेतु निकये जा रहे प्रयास

बाल श्रम उन्मूलन के लिलए राष्ट्रीय बाल श्रम परिरयोजना कायDक्रम के तहत 1.50 लाख बच्चों को शामिमल करने हेतु 76 बाल श्रम परिरयोजनाए ंस्वीकृत की गयी हैं। करीब 1.05 लाख बच्चों को निवशेष स्कूलों में नामांनिकत निकया जा चुका है। श्रम मंत्रालय ने योजना आयोग से वतDमान में 250 जिजलों की बजाय देश के सभी 600 जिजलों को राष्ट्रीय बाल श्रम परिरयोजना में शामिमल करने के लिलए 1500 करोड़ रुपये देने को कहा है। 57 खतरनाक उद्योगों, ढाबा और घरों में काम करनेवाले बच्चों (9-14 साल की उम्र के) को इस परिरयोजना के तहत लाया जायेगा। सवD लिशक्षा अभिभयान जैसी सरकारी योजनाए ंभी लागू की जा रही हैं।

  बच्चो में बस्ते है भगवान,बाल श्रम से होगा उनका अपमान.

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सातवीं पंचवषRय योजनावमिध के दौरान 14 अगस्त, 1987 को राष्ट्रीय बाल श्रम नीनित को मंनित्रमंडल द्वारा मंजूर निकया गया। इस नीनित का उदे्दश्य बच्चों को रोजगार से हटाकर उन्हें समुलिचत रूप से पुनवाDस कराना था। इस तरह जिजन के्षत्रों में बाल श्रम अमिधक है उन के्षत्रों में इसके प्रभाव को कम करना है।इस नीनित के तीन मुख्य घटक हैंकानूनी कायD योजना – निवभिभन्न श्रम कानूनों के अंतगDत बाल श्रम से संबंमिधत कानूनी प्रावधानों को क'ोरतापूवDक एवं प्रभावी ढंग से निक्रयान्वयन को सुनिनभिZत करनासामान्य निवकास कायDक्रम पर ध्यान देना जहाँ तक संभव हो निवभिभन्न मंत्रालयों/निवभागों द्वारा बाल श्रमिमकों के कल्याण के लिलए चलाए जा रहे निवकास कायDक्रमों का उपयोग करना।

राष्ट्रीय बाल श्रम परिरयोजना के तहत शामिमल नीनित

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परिरयोजना आधारिरत कायD योजना

परिरयोजना आधारिरत कायD योजना – जिजन क्षेत्रों में बाल-श्रमिमकों का प्रभाव अमिधक है उन क्षेत्रों में कायDरत बच्चों के लिलए योजनाए ँबनाना।10वीं योजनावमिध के दौरान श्रम नीनित के अंतगDत व्यापक दृमि`कोण को अपनाया जाएगा।उदे्दश्य1991 की जनगणना के अनुसार देश में बाल श्रमिमकों की संख्या लगभग 1.1 करोड़ थी। संसाधनों की कमी और सामाजिजक चेतना और जागरूकता के वतDमान स्तर को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 10वीं पंचवषRय योजनावमिध के अंत तक देश से बाल-श्रम समाप्त करने की समय-सीमा निनधाDरिरत की है।

अभी तो हमको करनी हैं पढाई, मत करवाओ हमसे कसरत और कमाई.

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लक्षि�त समूह

इस योजना के अंतगDत उन सभी बच्चों को शामिमल निकया है जिजनकी उम्र 14 से कम है और जो काम कर रहे हैं –बालकों से संबंमिधत अनुसूची में सूलिचबद्ध व्यवसाय एवं प्रनिक्रयाश्रम (निनषेध एवं निवनिनयमन) अमिधनिनयम, 1986 और/याव्यवसाय एवं प्रनिक्रया, जो उनके स्वास्थ्य और मनोनिवज्ञान को प्रनितकूल रूप से प्रभानिवत करता हो।अंनितम सूची में बच्चों से संबंमिधत रोजगार के जोखिखम को समुलिचत रूप से स्थानिपत निकया जाना चानिहए।

लिशक्षा उनका जन्मलिसद्ध अमिधकार है,उन्हें बाल मजदूरी पर न लगायें.

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1991 की जनगणना के अनुसार देश में बाल-मजदूरी करने वाले बच्चों की कुल संख्या 11.28 मिमलिलयन थी। जबनिक एनएसएसओ के 1999-2000 सवiक्षण प्रनितवेदन के

अनुसार यह संख्या 10.40 मिमलिलयन थी। इसके अंतगDत यह प्रस्तानिवत है निक जोखिखम भरे उद्योग में कायDरत बच्चों का क्रमिमक रूप पुनवाDस कायD प्रारंभ हो। जोखिखम भरे

व्यवसायों में काम करने वाले बच्चों का सवiक्षण कर, उन्हें वहाँ से हटाकर निवशेष स्कूलों (पुनवाDस-सह-कल्याण केन्द्र) में दाखिखला ठिदलाया जाए तानिक सरकारी स्कूली व्यवस्था की मुख्यधारा से उन्हें जोड़ा जा सके। 10 वीं योजनावमिध की रणनीनित के अंतगDत उन्हें

व्यावसामियक प्रलिशक्षण प्रदान करने की भी योजना है।

बाल जीवन को मजदूरी से बचाइये,इसके लिलए समाजबंधु आगे आइये.

रणनीतित

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बाल-मजदूरी रोकने के लिलए आप क्या कर सकते हैं?जब निकसी बच्चे को शोनिषत होते हुए देखें, तो उसकी व्यलिkगत मदद करें।बच्चों की सुरक्षा के लिलए कायDरत संग'नों के लिलए स्वेच्छा से समय निनकालें।व्यावसामियक प्रनितष्ठानों से कहें निक यठिद वे बच्चों का शोषण बन्द नहीं करते हैं तो उनसे कुछ भी नहीं खरीदेंगे।बाल-श्रम से मुk हुए बच्चों के पुनवाDस और लिशक्षा के लिलए कोष जमा करने में मदद करें।आपके निकसी रिरश्तेदारों या परिरजनों के यहां बाल-श्रमिमक है, तो आप सहजता पूवDक चाय-पानी ग्रहण करने से मना करें और इसका सामाजिजक बनिहष्कार करें।अपने कमDचारिरयों के लिलए जागरूकता कायDक्रम आयोजिजत करके बाल-श्रम की समस्या के बारे में सूलिचत करें और उन्हें प्रोत्सानिहत करें निक वे अपने बच्चों को निनयमिमत रूप से स्कूल भेजें।अपनी कम्पनी पर दबाव डालें निक बच्चों के स्थान पर व्यस्कों की निनयkु करें।10 अkूबर 2006 से घरों और ढाबों में बच्चों से मजदूरी कराना दण्डनीय अपराध है।

मजदूरी से क्षि#�ा की ओर

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भारत का संनिवधान (26 जनवरी 1950) मौलिलक अमिधकारों और राज्य के नीनित-निनदiशक लिसद्धांत की निवभिभन्न धाराओं के माध्यम से कहता है-

14 साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा निकसी फैक्टरी या खदान में काम करने के लिलए निनयkु नहीं निकया जायेगा और न ही निकसी अन्य खतरनाक निनयोजन में निनयुk निकया जायेगा (धारा 24)।

राज्य अपनी नीनितयां इस तरह निनधाDरिरत करेंगे निक श्रमिमकों, पुरुषों और मनिहलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरभिक्षत रह सके और बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो तथा वे अपनी उम्र व शलिk के

प्रनितकूल काम में आर्थिथvक आवश्यकताओं की पूर्तितv के लिलए प्रवेश करें (धारा 39-ई)।बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिस्थनित में निवकास के अवसर तथा सुनिवधाए ंदी जायेंगी

और बचपन व जवानी को नैनितक व भौनितक दुरुपयोग से बचाया जायेगा (धारा 39-एफ)।संनिवधान लागू होने के 10 साल के भीतर राज्य 14 वषD तक की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त और

अनिनवायD लिशक्षा देने का प्रयास करेंगे (धारा 45)।बाल श्रम एक ऐसा निवषय है, जिजस पर संघीय व राज्य सरकारें, दोनों कानून बना सकती हैं। दोनों स्तरों

पर कई कानून बनाये भी गये हैं। बच्चे हैं देश का भनिवष्य, उच्च लक्ष्य को बनायें इ`।

भारत में बाल श्रम के खिखलाफ राष्ट्रीय कानून और नीनितयां

कानून

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सरकारी नीतितयां और काय'क्रम

भारत के निवकास लक्ष्यों और रणनीनितयों को जारी रखते हुए 1987 में एक राष्ट्रीय बाल श्रम नीनित को अंगीकार निकया गया। राष्ट्रीय नीनित भारत के संनिवधान में राज्य के नीनित -निनदiशक नीनितयों को दोहराती है। इसका संकल्प बच्चों के लाभ के लिलए हरसंभव निवकास कायDक्रमों पर ध्यान कें ठिद्रत करना और उन इलाकों में, जहां वेतन या अद्धD वेतन के लिलए बाल श्रमिमकों की संख्या अमिधक हो, परिरयोजना आधारिरत कायD योजना बनाने की है। राष्ट्रीय बाल श्रम नीनित (एनसीएलपी) को बाल श्रम (निनषेध व निनयमन) कानून, 1986 के लागू होने के बाद अंगीकार निकया गया।श्रम एवं निनयोजन मंत्रालय बाल श्रमिमकों के पुनवाDस के लिलए 1988 से ही राष्ट्रीय बाल श्रम परिरयोजनाओं के माध्यम से ही एनसीएलपी को कायाDन्विन्वत कर रहा है। आरंभ में ये परिरयोजनाए ंउद्योग निवशेष पर कें ठिद्रत थीं और इनका उदे्दश्य बाल श्रमिमकों के निनयोजन के लिलए पारंपरिरक रूप से ख्यात उद्योगों में काम करनेवाले बच्चों का पुनवाDस था।संवैधानिनक व्यवस्थाओं को लागू करने के लिलए नवीकृत संकल्प का परिरणाम यह हुआ निक बाल श्रम के लिलए ख्यात जिजलों में खतरनाक काम में लगे बच्चों का पुनवाDस करने के लिलए 1994 में एनसीएलपी का दायरा बढ़ाया गया।एनसीएलपी की रणनीनित में अनौपचारिरक लिशक्षा तथा प्राक-व्यावसामियक प्रलिशक्षण देने के लिलए निवशेष निवद्यालय स्थानिपत करने, अनितरिरk आमदनी और रोजगार सृजन के अवसर पैदा करने, लोगों में जागरूकता पैदा करने और बाल श्रम के बारे में सवiक्षण तथा मूल्यांकन करने का काम शामिमल है।

 बच्चे हैं दे# का भतिवष्य, उच्च लक्ष्य को बनायें इष्ट ।

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राष्ट्रीय संस्थानों का अं#दान

कई राष्ट्रीय संस्थानों, जैसे वीवी निगरिर राष्ट्रीय श्रम संस्थान (वीवीजीएनएलआइ) और राष्ट्रीय ग्रामीण निवकास संस्थान (एन.आइ.आर.डी) तथा कुछ राज्य स्तरीय संस्थानों ने सरकारी कर्मिमvयों, कारखाना निनरीक्षकों, पंचायती राज संस्थाओं के अमिधकारिरयों, एनसीएलपी के परिरयोजना निनदेशकों और गैर-सरकारी संग'नों के प्रमुखों के क्षमता निनमाDण और प्रलिशक्षण में महत्वपूणD भूमिमका निनभायी है। इन संस्थानों ने शोध और सवiक्षणों के साथ जागरूकता बढ़ाने व संवेदनशील बनाने के के्षत्र में भी महत्वपूणD योगदान ठिदया है, जिजससे इस मुदे्द पर बहस पूरी तरह सामने आ सकी।

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सादरकता' : य# थि7टे इयत्ता : ८ वी तुकडी:अ