सात ददनों का कोसस. seven days course/02. seven days...ह जह स...

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Page 1: सात ददनों का कोसस. Seven Days Course/02. Seven Days...ह जह स हभ सब भन ष म त भ ए स व ऩ य गभ च ऩय आई ह
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सात ददनो का कोसस

भनषम अऩन जीवन भ कई ऩहलरमाॉ हर कयत ह औय उसक परसवरऩ इनाभ ऩात ह | ऩयनत इस छोटी-सी ऩहरी का हर कोई नहीॊ जानता कक – “भ कौन ह ॉ?” मो तो हय-एक भनषम साया कदन “भ...भ ...” कहता ही यहता ह, ऩयनत मकद उसस ऩ छा जाम कक “भ” कहन वारा कौन ह? तो वह कहगा कक--- “भ कषणचनद ह ॉ... मा ―भ रारचनद ह ॉ” | ऩयनत सोचा जाम तो वासतव भ मह तो शयीय का नाभ ह, शयीय तो ―भया‖ ह, ―भ‖ तो शयीय स अरग ह ॉ | फस, इस छोटी-सी ऩहरी का परकटटकर हर न जानन क कायण, अथाात सवमॊ को न जानन क कायण, आज सबी भनषम दह-अलबभानी ह औय सबी काभ, करोधाकद ववकायो क वश ह तथा दखी ह |

अफ ऩयभवऩता ऩयभातभा कहत ह कक—“आज भनषम भ घभणड तो इतना ह कक वह सभझता ह कक—“भ सठ ह ॉ, सवाभी ह ॉ, अपसय ह ॉ....,” ऩयनत उस भ अऻान इतना ह कक वह सवमॊ को बी नहीॊ जानता | “भ कौन ह ॉ, मह सवि रऩी खर आकद स अनत तक कस फना हआ ह, भ इस भ कहाॉ स आमा, कफ आमा, कस आमा, कस सख- शाकनत का याजम गॊवामा तथा ऩयभवपरम ऩयभवऩता ऩयभातभा (इस सवि क यचलमता) कौन ह?” इन यहसमो को कोई बी नहीॊ जानता | अफ जीवन कक इस ऩहरी (Puzzle of Life) को कपय स जानकय भनषम दही-अलबभानी फन सकता ह औय कपय उसक परसवरऩ नय को शरी नायामण औय नायी को शरी रकषभी ऩद की परालि होती ह औय भनषम को भवि तथा जीवनभवि लभर जाती ह | वह समऩ णा ऩववतरता, सख एवॊ शाकनत को ऩा रता ह | जफ कोई भनषम दखी औय अशानत होता ह तो वह परब ही स ऩकाय कय सकता ह- “ ह द ख हताा, सख-कताा, शाकनत-दाता परब, भझ शाकनत दो |” ववकायो क वशीब त हआ-हआ भशी ऩववतरता क लरए बी ऩयभातभा की ही आयती कयत हए कहता ह- “ ववषम-ववकाय लभटाओ, ऩाऩ हयो दवा !” अथवा “ ह परब जी, हभ सफ को शदचताई दीकजए, द य कयक हय फयाई को बराई दीकजए |” ऩयनत ऩयभवऩता ऩयभातभा ववकायो तथा फयाइमो को द य कयन क लरए जो ईशवयीम ऻान दत ह तथा जो सहज याजमोग लसखात ह, पराम: भनषम उसस अऩरयलचत ह औय व इनको वमवहारयक रऩ भ धायण बी नहीॊ कयत | ऩयभवऩता ऩयभातभा तो हभाया ऩथ-परदशान कयत ह औय हभ सहामता बी दत ह ऩयनत ऩरषाथा तो हभ सवत: ही कयना होगा, तबी तो हभ जीवन भ सचचा सख तथा सचची शाकनत पराि कयग औय शरषठाचायी फनग |

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आग ऩयभवऩता ऩयभातभा दवाया उदघाकटत ऻान एवॊ सहज याजमोग अ ऩथ परशसत ककमा गमा ह इस लचतर भ बी अॊककत टमा गमा ह तथा साथ-साथ हय लचतर की लरकखत वमाखमा बी दी गमी ह ताकक म यहसम फवदचभम हो जाम | इनह ऩढन स आऩको फहत-स नम ऻान-यतन लभरग | अफ परकटटकर यीलत स याजमोग का अभमास सीखन तथा जीवन कदवम फनान क लरए आऩ इस परजावऩता बरहमाकभायी ईशवयीम ववशव-ववधारम क ककसी बी सवा-कनर ऩय ऩधाय कय लन:शलक ही राब उठाव |

आतमा कया ह और मन कया ह ?

अऩन साय कदन की फातचीत भ भनषम परलतकदन न जान ककतनी फाय ― भ ‖ शबद का परमोग कयता ह | ऩयनत मह एक आशचमा की फात ह कक परलतकदन ― भ ‖ औय ― भया ‖ शबद का अनकानक फाय परमोग कयन ऩय बी भनषम मथाथा रऩ भ मह नहीॊ जानता कक ― भ ‖ कहन वार सतता का सवरऩ टमा ह, अथाात ― भ‖ शबद कजस वसत का स चक ह, वह टमा ह ? आज भनषम न साइॊस दवाया फडी-फडी शविशारी चीज तो फना डारी ह, उसन सॊसाय की अनक ऩहलरमो का उततय बी जान लरमा ह औय वह अनम अनक जकटर सभसमाओॊ का हर ढ ॊढ लनकरन भ ख फ रगा हआ ह, ऩयनत ― भ ‖ कहन वारा कौन ह, इसक फाय भ वह

सतमता को नहीॊ जानता अथाात वह सवमॊ को नहीॊ ऩहचानता | आज ककसी भनषम स ऩ छा जाम कक- “आऩ कौन ह ?” तो वह झट अऩन शयीय का नाभ फता दगा अथवा जो धॊधा वह कयता ह वह उसका नाभ फता दगा |

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वासतव भ ―भ‖ शबद शयीय स लबनन चतन सतता ―आतभा‖ का स चक ह जसा कक लचतर भ कदखामा गमा ह | भनषम (जीवातभा) आतभा औय शयीय को लभरा कय फनता ह | जस शयीय ऩाॉच ततवो (जर, वाम, अकनन, आकाश, औय ऩथवी) स फना हआ होता ह वस ही आतभा भन, फवदच औय सॊसकायभम होती ह | आतभा भ ही ववचाय कयन औय लनणाम कयन की शवि होती ह तथा वह जसा कभा कयती ह उसी क अनसाय उसक सॊसकाय फनत ह | आतभा एक चतन एवॊ अववनाशी जमोलत-वफनद ह जो कक भानव दह भ बकटी भ लनवास कयती ह | जस यावतर को आकाश भ जगभगाता हआ ताया एक वफनद-सा कदखाई दता ह, वस ही कदवम-दवि दवाया आतभा बी एक ताय की तयह ही कदखाई दती ह | इसीलरए एक परलसदच ऩद भ कहा गमा ह- “बकटी भ चभकता ह एक अजफ ताया, गयीफाॊ न ॊ साकहफा रगदा ए पमाया |” आतभा का वास बकटी भ होन क कायण ही भनषम गहयाई स सोचत सभम मही हाथ रगता ह | जफ वह मश कहता ह कक भय तो बानम खोट ह, तफ बी वह मही हाथ रगता ह | आतभा का महाॉ वास होन क कायण ही बि-रोगो भ महाॉ ही वफनदी अथवा लतरक रगान की परथा ह | महाॉ आतभा का समफनध भकसतषक स जडा ह औय भकसतषक का समफनध सय शयीय भ पर ऻान-तनतओॊ स ह | आतभा ही भ ऩहर सॊकलऩ उठता ह औय कपय भकसतषक तथा तनतओॊ दवाया वमि होता ह | आतभा ही शाकनत अथवा द ख का अनबव कयती तथा लनणाम कयती ह औय उसी भ सॊसकाय यहत ह | अत: भन औय फवदच आतभ स अरग नहीॊ ह | ऩयनत आज आतभा सवमॊ को ब रकय दह- सतरी, ऩरष, फ ढा जवान इतमाकद भान फठी ह | मह दह-अलबभान ही द ख का कायण ह |

उऩयोि यहसम को भोटय क डराईवय क उदाहयण दवाया बी सऩि ककमा गमा ह | शयीय भोटय क सभान ह तथा आतभा इसका डराईवय ह, अथाात जस डराईवय भोटय का लनमॊतरण कयता ह, उसी परकाय आतभा शयीय का लनमॊतरण कयती ह | आतभा क वफना शयीय लनषपराण ह, जस डराईवय क वफना भोटय | अत: ऩयभवऩता ऩयभातभा कहत ह कक अऩन आऩको ऩहचानन स ही भनषम इस शयीय रऩी भोटय को चरा सकता ह औय अऩन रकषम (गनतवम सथान) ऩय ऩहॊच सकता ह | अनमथा जस कक डराईवय काय चरान भ लनऩण न होन क कायण दघाटना (Accident) का लशकाय फन जाता ह औय काय उसक मावतरमो को बी चोट रगती ह, इसी परकाय कजस भनषम को अऩनी ऩहचान नहीॊ ह वह सवमॊ तो दखी औय अशानत होता ही ह, साथ भ अऩन समऩका भ आन वार लभतर-

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समफकनधमो को बी दखी व अशानत फना दता ह | अत: सचच सख व सचची शाकनत क लरए सवमॊ को जानना अलत आवशमक ह |

तीन ऱोक कौन स ह और शिव का धाम कौन सा ह ?

भनषम आतभाएॊ भवि अथवा ऩ णा शाकनत की शब इचछा तो कयती ह ऩयनत उनह मह भार भ नहीॊ ह कक भविधाभ अथवा शाकनतधाभ ह कहाॉ ? इसी परकाय, ऩयभवपरम ऩयभातभा लशव स भनषमातभाएॊ लभरना तो चाहती ह औय उसी माद बी कयती ह ऩयनत उनह भार भ नहीॊ ह कक वह ऩववतर धाभ कहाॉ ह जहाॉ स हभ सबी भनषमातभाएॊ सवि रऩी यॊगभॊच ऩय आई ह, उस पमाय दश को सबी ब र गई ह औय औय वावऩस बी नहीॊ जा सकती !!

१. साकाय भनषम रोक - साभन लचतर भ कदखामा गमा ह कक एक ह मह साकाय ―भनषम रोक‖ कजसभ इस सभम हभ ह | इसभ सबी आतभाएॊ हडडी- भाॊसाकद का

सथ र शयीय रकय कभा कयती ह औय उसका पर सख- द ख क रऩ भ बोगती ह तथा जनभ-भयण क चटकय भ बी आती ह | इस रोक भ सॊकलऩ, धवलन औय कभा तीनो ह | इस ही ―ऩाॉच ततव की सवि‖ अथवा ―कभा तर‖ बी कहत ह | मह सवि आकाश ततव क अॊश-भातर भ ह | इस साभन वतररोक क लचतर भ उलट व क रऩ भ कदखामागमा ह टमोकक इसक फीज रऩ ऩयभातभा लशव, जो कक जनभ-भयण स नमाय ह, ऊऩय यहत ह |

२.

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२. स कषभ दवताओॊ का रोक – इस भनषम-रोक क स मा तथा तायागण क ऩाय आकाश ततव क बी ऩाय एक स कषभ रोक ह जहाॉ परकाश ही परकाश ह | उस परकाश क अॊश-भातर भ बरहमा, ववषण तथा भहदव शॊकय की अरग-अरग ऩरयमाॊ ह | इनस दवताओॊ क शयीय हडडी- भाॊसाकद क नहीॊ फकलक परकाश क ह | इनह कदवम-च दवाया ही दखा जा सकता ह | महाॉ द ख अथवा अशाॊलत नहीॊ होती | महाॉ सॊकलऩ तो होत ह औय ककरमाएॉ बी होती ह औय फातचीत बी होती ह ऩयनत आवाज नहीॊ होती |

३. बरहमरोक औय ऩयरोक- इन ऩरयमो क बी ऩाय एक औय लरक ह कजस ―बरहमरोक‖, ―ऩयरोक‖, ―लनवााण धाभ‖, ―भविधाभ‖, ―शाॊलतधाभ‖, ―लशवरोक‖ इतमाकद नाभो स माद ककमा जाता ह | इसभ सनहय-रार यॊग का परकाश परा हआ ह कजस ही ―बरहम ततव‖, ―छठा ततव‖, अथवा ―भहततव‖ कहा जा सकता ह | इसक अॊशभातर ही भ जमोलतवफिद आतभाएॊ भवि की अवसथा भ यहती ह | महाॉ हयक धभा की आतभाओॊ क सॊसथान (Section) ह | उन सबी क ऊऩय, सदा भि, चतनम जमोलत वफनद रऩ ऩयभातभा ―सदालशव‖ का लनवास सथान ह | इस रोक भ भनषमातभाएॊ कलऩ क अनत भ, सवि का भहाववनाश होन क फाद अऩन-अऩन कभो का पर बोगकय तथा ऩववतर होकय ही जाती ह | महाॉ भनषमातभाएॊ दह-फनधन, कभा-फनधन तथा जनभ-भयण स यकहत होती ह | महाॉ न सॊकलऩ ह, न वचन औय न कभा | इस रोक भ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव क लसवाम अनम कोई ―गर‖ इतमाकद नहीॊ र जा सकता | इस रोक भ जाना ही अभयनाथ, याभशवयभ अथवा ववशवशवय नाथ की सचची मातरा कयना ह, टमोकक अभयनाथ ऩयभातभा लशव मही यहत ह |

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शनराकार ऩरम पऩता ऩरमातमा और उनक ददवय गण

पराम: सबी भनषम ऩयभातभा को ―ह वऩता‖, ―ह दखहताा औय सखकताा परब‖, (O Heavenly God Father) इतमाकद समफनध-स चको शबदो स माद कयत ह | ऩयनत मह ककतन आशचमा की फात ह कक कजस व ―वऩता‖ कहकय ऩकायत ह उसका सतम औय सऩि ऩरयचम उनह नहीॊ ह औय उसक साथ उनका अचछी यीती सनह औय समफनध बी नहीॊ ह | ऩरयचम औय सनह न होन क कायण ऩयभातभा को माद कयत सभम बी उनका भन एक कठकान ऩय नहीॊ कटकता | इसलरए, उनह ऩयभवऩता ऩयभातभा स शाकनत तथा सख का जो जनभ-लसदच अलधकाय पराि होना चाकहए वह पराि नहीॊ होता

| व न तो ऩयभवऩता ऩयभातभा क भधय लभरन का सचचा सख अनबव कय सकत ह, न उसस राईट (Light परकाश) औय भाईट (Might शवि) ही पराि कय सकत ह औय न ही उनक सॊसकायो तथा जीवन भ कोई ववशष ऩरयवतान ही आ ऩाता ह | इसलरए हभ महाॉ उस ऩयभ पमाय ऩयभवऩता ऩयभातभा का सॊकि ऩरयचम द यह ह जो कक सवमॊ उनहोन ही रोक-कलमाणाथा हभ सभझामा ह औय अनबव कयामा ह औय अफ बी कया यह ह |

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ऩरमपऩता ऩरमातमा का ददवय नाम और उनकी मदहमा

ऩयभवऩता ऩयभातभा का नाभ ―लशव‖ ह | ―लशव‖ का अथा ―कलमाणकायी‖ ह | ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ही ऻान क सागय, शाकनत क सागय, आननद ए सागय औय परभ क सागय ह | वह ही ऩलततो को ऩावन कयन वार, भनषमभातर को शाॊलतधाभ तथा सखधाभ की याह कदखान वार (Guide), ववकायो तथा कार क फनधन स छडान वार (Liberator) औय सफ पराकणमो ऩय यहभ कयन वार (Merciful) ह | भनषम भातर को भवि औय जीवनभवि का अथवा गलत औय सदगलत का वयदान दन वार बी एक-भातर वही ह | वह कदवम-फवदच क डाटा औय कदवम-दिी क वयदाता बी ह | भनषमातभाओ को ऻान रऩी सोभ अथवा अभत वऩरान तथा अभयऩद का वयदान दन क कायण ―सोभनाथ‖ तथा ―अभयनाथ‖ इतमाकद नाभ बी उनही क ह | वह जनभ-भयण स सदा भि, सदा एकयस, सदा जगती जमोलत, ―सदा लशव‖ ह |

ऩरमपऩता ऩरमातमा का ददवय-रऩ

ऩयभवऩता ऩयभातभा का कदवम-रऩ एक ―जमोलत वफनद‖ क सभान, दीम की रौ जसा ह | वह रऩ अलतलनभार, सवणाभम रार (Golden Red) औय भन-भोहक ह | उस कदवम जमोलतभाम रऩ को कदवम-च दवाया ही दखा जा सकता ह औय कदवम-फवदच दवाया ही अनबव ककमा जा सकता ह | ऩयभवऩता ऩयभातभा क उस ―जमोलत-वफनद‖ रऩ की परलतभाएॊ बायत भ ―लशव-लरॊग‖ नाभ स ऩ जी जाती ह औय उनक अवतयण की माद भ ―भहा लशवयावतर‖ बी भनाई जाती ह |

―शनराकार‖ का अथस रगबग सबी धभो क अनमामी ऩयभातभा को ―लनयाकाय‖ (Incorpeal) भानत ह | ऩयनत इस शबद स व मह अथा रत ह कक ऩयभातभा का कोई बी आकाय (रऩ) नहीॊ ह | अफ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव कहत ह कक ऐसा भानना ब र ह | वासतव भ ―लनयाकाय‖ का अथा ह कक ऩयभवऩता ―साकाय‖ नहीॊ ह, अथाात न तो उनका भनषमो जसा सथ र-शायीरयक आकाय ह औय न दवताओॊ-जसा स कषभ शायीरयक आकाय ह फकलक उनका रऩ अशयीयी ह औय जमोलत-वफनद क सभान ह | ―वफनद‖ को तो ―लनयाकाय‖ ही कहग | अत: मह एक

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आशचमा जनक फात ह कक ऩयभवऩता ऩयभातभा ह तो स कषभलतस कषभ, एक जमोलत-कण ह ऩयनत आज रोग पराम: कहत ह कक वह कण-कण भ ह |

सवस आतमाओॊ का पऩता ऩरमातमा एक ह और शनराकार ह

पराम: रोग मह नाया तो रगत ह कक “ कहॊद , भकसरभ, लसटख, ईसाई सबी आऩस भ बाई-बाई ह” , ऩयनत व सबी आऩस भ बाई-बाई कस ह औय मकद व बाई-बाई ह तो उन सबी का एक वऩता कौन ह- इस व नहीॊ जानत | दह की दवि स तो व सबी बाई-बाई हो नहीॊ सकत टमोकक उनक भाता-वऩता अरग-अरग ह, आकतभक दवि स ही व सबी एक ऩयभवऩता ऩयभातभा की सनतान होन क नात स बाई-बाई ह | महाॉ सबी आतभाओॊ क एक ऩयभवऩता का ऩरयचम कदमा गमा ह | इस सभलत भ कसथत होन स याषटरीम एकता हो सकती ह | पराम: सबी धभो क रोग कहत ह कक ऩयभातभा एक ह औय सबी का वऩता ह

औय सबी भनषम आऩस भ बाई-बाई ह | ऩयनत परशन उठता ह कक वह एक ऩायरौककक ऩयभवऩता कौन ह कजस सबी भानत ह ? आऩ दखग कक बर ही हय एक धभा क सथाऩक अरग-अरग ह ऩयनत हय एक धभा क अनमामी लनयाकाय, जमोलत-सवरऩ ऩयभातभा लशव की परलतभा (लशवलरॊग) को ककसी-न-ककसी परकाय स भानमता दत ह | बायतवषा भ तो सथान-सथान ऩय ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव क भॊकदय ह ही औय बि-जन ―ओभ नभो लशवाम‖ तथा ―तमहीॊ हो भाता तमहीॊ वऩता हो‖ इतमाकद शबदो स उसका गामन व ऩ जन बी कयत ह औय लशव को शरीकषण तथा शरी याभ इतमाकद दवो क बी दव

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अथाात ऩयभऩ जम भानत ही ह ऩयनत बायत स फाहय, द सय धभो क रोग बी इसको भानमता दत ह | महाॉ साभन कदम लचतर भ कदखामा गमा ह कक लशव का सभलत-लचनह सबी धभो भ ह |

अभयनाथ, ववशवनाथ, सोभनाथ औय ऩशऩलतनाथ इतमाकद भॊकदयो भ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ही क सभयण लचनह ह | ―गोऩशवय‖ तथा ―याभशवय‖ क जो भॊकदय ह उनस सऩि ह कक ―लशव‖ शरी कषण तथा शरी याभ क बी ऩ जम ह | यजा ववकरभाकदतम बी लशव ही की ऩ जा कयत थ | भसरभानो क भखम तीथा भटका भ बी एक इसी आकाय का ऩतथय ह कजस कक सबी भसरभान मातरी फड पमाय व समभान स च भत ह | उस व ―सॊग-असवद‖ कहत ह औय इबराकहभ तथा भहमभद दवाया उनकी सथाऩना हई भानत ह | ऩयनत आज व बी इस यहसम को नहीॊ जानत कक उनक धभा भ फतऩयसती (परलतभा ऩ जा) की भानमता न होत हए बी इस आकाय वार ऩतथय की सथऩना टमो की गई ह औय उनक महाॉ इस पमाय व समभान स च भन की परथा टमो चरी आती ह ? इटरी भ कई योभन कथोलरटस ईसाई बी इसी परकाय वारी परलतभा को ढॊग स ऩ जत ह | ईसाइमो क धभा-सथाऩक ईसा न तथा लसटखो क धभा सथाऩक नानक जी न बी ऩयभातभा को एक लनयाकाय जमोलत (Kindly Light) ही भाना ह | मह दी रोग तो ऩयभातभा को ―जहोवा‖ (Jehovah) नाभ स ऩकातहाई जो नाभ लशव (Shi va) का ही रऩानतय भार भ होता ह | जाऩान भ बी फौदच-धभा क कई अनमामी इसी परकाय की एक परलतभा अऩन साभन यखकय उस ऩय अऩना भन एकागर कयत ह |

ऩयनत सभमानतय भ सबी धभो क रोग मह भ र फात ब र गम ह कक लशवलरॊग सबी भनषमातभाओॊ क ऩयभवऩता का सभयण-लचनह ह | मकद भसरभान मह फात जानत होत तो व सोभनाथ क भॊकदय को कबी न र टत, फकलक भसरभान, ईसाई इतमाकद सबी धभो क अनमामी बायत को ही ऩयभवऩता ऩयभातभा की अवताय-ब लभ भानकय इस अऩना सफस भखम तीथा भानत औय इस परकाय सॊसाय का इलतहास ही कछ औय होता | ऩयनत एक वऩता को ब रन क कायण सॊसाय भ रडाई-झगडा द ख तथा टरश हआ औय सबी अनाथ व कॊ गार फन गम |

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ऩरमपऩता ऩरमातमा और उनक ददवय कतसवय

साभन ऩयभवऩता ऩयभातभा जमोलत-वफनद लशव का जो लचतर कदमा गमा ह, उस दवाया सभझामा गमा ह कक कलरमग क अनत भ धभा-नरानी अथवा अऻान-यावतर क सभम, लशव सवि का कलमाण कयन क लरए सफस ऩहर तीन स कषभ दवता बरहमा, ववषण औय शॊकय को यचत ह औय इस कायण लशव ―वतरभ लता‖ कहरात ह | तीन दवताओॊ की यचना कयन क फाद वह सवमॊ इस भनषम-रोक भ एक साधायण एवॊ वदच बि क तन भ अवतरयत होत ह, कजनका नाभ व ―परजावऩता बरहमा‖ यखत ह | परजा वऩता बरहमा दवाया ही ऩयभातभा लशव भनषमातभाओॊ को वऩता,

लशक तथा सदगर क रऩ भ लभरत ह औय सहज गीता ऻान तथा सहज याजमोग लसखा कय उनकी सदगलत कयत ह, अथाात उनह जीवन-भवि दत ह |

िॊकर दवारा कशऱयगी सपि का महापवनाि

कलरमगी क अनत भ परजावऩता बरहमा दवाया सतमगी दवी सवि की सथऩना क साथ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ऩयानी, आसयी सवि क भहाववनाश की तमायी बी शर कया दत ह | ऩयभातभा लशव शॊकय क दवाया ववऻान-गववात (Sci ence-Pr oud) तथा ववऩयीत फवदच अभरयकन रोगो तथा म योऩ-वालसमो (मादवो) को परय कय उन दवाया ऐटभ औय हाइडरोजन फभ औय लभसाइर (Mi ssi l es) तमाय कत ह, कजनह कक भहबायत भ ―भसर‖ तथा

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―बरहमासतर‖ कहा गमा ह | इधय व बायत भ बी दह-अलबभानी, धभा-भरि तथा ववऩयीत फवदच वार रोगो (कजनह भहाबायत की बाषा भ ―कौयव‖ कहा गमा ह) को ऩायसऩरयक मदच (Ci vi l War ) क लरए परयत हग |

पवषण दवारा ऩाऱना ववषण की चाय बजाओॊ भ स दो बजाएॉ शरी नायामण की औय दो बजाएॉ शरी रकषभी की परतीक ह | ―शॊख‖ उनका ऩववतर वचन अथवा ऻान-घोष की लनशानी ह, ―सवदशान चकर‖ आतभा (सव) क तथा सवि चकर क ऻान का परतीक ह, ―कभर ऩषऩ‖ सॊसाय भ यहत हए अलरि तथा ऩववतर यहन का स चक ह तथा ―गदा‖ भामा ऩय, अथाात ऩाॉच ववकायो ऩय ववजम का लचनह ह | अत: भनषमातभाओॊ क साभन ववषण चतबाज का रकषम यखत हए ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव सभझत ह कक इन अरॊकायो को धायण कयन स अथाात इनक यहसम को अऩन जीवन भ उतयन स नय ―शरी नायामण‖ औय नायी ―शरी रकषभी‖ ऩद पराि कय रती ह, अथाात भनषम दो ताजो वारा ―दवी मा दवता‖ ऩद ऩद रता ह | इन दो ताजो भ स एक ताज तो परकाश का ताज अथाात परबा-भॊडर (Cr own of Li ght ) ह जो कक ऩववतरता व शाकनत का परतीक ह औय द सया यतन-जकडत सोन का ताज ह जो समऩलत अथवा सख का अथवा याजम बानम का स चक ह |

इस परकाय, ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव सतमगी तथा तरतामगी ऩववतर, दवी सवि (सवगा) की ऩरना क सॊसकाय बयत ह, कजसक पर-सवरऩ ही सतमग भ शरी नायामण तथा शरी रकषभी (जो कक ऩ वा जनभ भ परजावऩता बरहमा औय सयसवती थ) तथा स मावॊश क अनम यजा परजा-ऩारन का कामा कयत ह औय तरतामग भ शरी सीता व शरी याभ औय अनम चनरवॊशी यजा याजम कयत ह |

भारभ यह कक वताभान सभम ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव परजावऩता बरहमा दवाया तथा तीनो दवताओॊ दवाया उऩमाि तीनो कतावम कया यह ह | अफ हभाया कतावम ह कक ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव तथा परजावऩता बरहमा स अऩना आकतभक समफनध जोडकय ऩववतर फनन का ऩयषाथा कणा व सचच वषणव फन | भवि औय जीवनभवि क ईशवयीम जनभ-लसदच अलधकाय क लरए ऩ या ऩरषाथा कय |

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ऩरमतमा का ददवय – अवतरण

लशव का अथा ह – ―कलमाणकायी‖ | ऩयभातभा का मह नाभ इसलरए ह, वह धभा-नरानी क सभम, जफ सबी भनषम आतभाएॊ भामा (ऩाॉच ववकायो) क कणा दखी, अशानत, ऩलतत एवॊ भरिाचायी फन जाती ह तफ उनको ऩन: ऩावन तथा समऩ णा सखी फनान का कलमाणकायी कतावम कयत ह | लशव बरहमरोक भ लनवास कयत ह औय व कभा-भरि तथा धभा भरि सॊसाय का उदचाय कयन क लरए बरहमरोक स नीच उतय कय एक भनषम क शयीय का आधाय रत ह | ऩयभातभा लशव क इस अवतयण अथवा कदवम एवॊ अरौककक जन की ऩनीत-सभलत भ ही ―लशव यावतर‖, अथाात लशवजमॊती का तमौहाय भनामा जाता ह |

ऩयभातभा लशव जो साधायण एवॊ वदच भनषम क तभ भ अवतरयत होत ह, उसको व ऩरयवतान क फाद ―परजावऩता बरहमा‖ नाभ दत ह | उनहीॊ की माद भ लशव की परलतभा क साभन ही उनका वाहन ―ननदी-गण‖ कदखामा जाता ह | टमोकक ऩयभातभा सवा आतभाओॊ क भाता-वऩता ह, इसलरए व ककसी भाता क गबा स जनभ नहीॊ रत फकलक बरहमा क तन भ सॊलनवश ही उनका कदवम-जनभ अथवा अवतयण ह |

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अजनमा ऩरमातमा शिव क ददवय जनम की रीशत नयारी

ऩयभातभा लशव ककसी ऩरष क फीज स अथवा ककसी भाता क गबा स जनभ नहीॊ रत टमोकक व तो सवमॊ ही सफक भाता-वऩता ह, भनषम-सवि क चतन फीज रऩ ह औय जनभ-भयण तथा कभा-फनधन स यकहत ह | अत: व एक साधायण भनषम क वदचावसथा वार तन भ परवश कयत ह | इस ही ऩयभातभा लशव का ―कदवम-जनभ‖ अथवा ―अवतयण‖ बी कहा जाता ह टमोकक कजस तन भ व परवश कयत ह वह एक जनभ-भयण तथा कभा फनधन क चटकय भ आन वारी भनषमातभा ही का शयीय होता ह, वह ऩयभातभा का ―अऩना‖ शयीय नहीॊ होता |

अत: लचतर भ कदखामा गमा ह कक जफ सायी सवि भामा (अथाात काभ, करोध, रोब, भोह, अहॊकाय आकद ऩाॉच ववकायो) क ऩॊज भ पॊ स जाती ह तफ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव, जो कक आवागभन क चटकय स भि ह, भनषमातभाओॊ को ऩववतरता, सख औय शाकनत का वयदान दकय भामा क ऩॊज स छडात ह | व ही सहज ऻान औय याजमोग की लशा दत ह तथा सबी आतभाओॊ को ऩयभधाभ भ र जात ह तथा भवि एवॊ जीवनभवि का वयदान दत ह |

लशव यावतर का तमौहाय पालगन भास, जो कक ववकरभी समवत का अॊलतभ भास होता ह, भ आता ह | उस सभम कषण ऩ की चतदाशी होती ह औय ऩ णा अनधकाय होता ह | उसक ऩशचात शटर ऩ का आयमब होता हई औय कछ ही कदनो फाद नमा सॊवत आयमब होता ह | अत: यातरी की तयह पालगन की कषण चतदाशी बी आतभाओॊ को अऻान अनधकाय, ववकाय अथवा आसयी रणो की ऩयाकाषठा क अकनतभ चयण का फोधक ह | इसक ऩशचात आतभाओॊ का शटर ऩ अथवा नमा कलऩ परायमब होता ह, अथाात अऻान औय द ख क सभम का अनत होकय ऩववतर तथा सख अ सभम शर होता ह | ऩयभातभा लशव अवतरयत होकय अऩन ऻान, मोग तथा ऩववतरता दवाया आतभाओॊ भ आधमाकतभक जागलत उतऩनन कयत ह इसी भहतव क परसवरऩ बि रोग लशवयावतर को जागयण कयत ह | इस कदन भनषम उऩवास, वरत आकद बी यखत ह | उऩवास (उऩ-लनकट, वास-यहना) का वासतववक अथा ह ही ऩयभतभा क सभीऩ हो जाना | अफ ऩयभातभा स मि होन क लरए ऩववतरता का वरत रना जरयी ह |

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शिव और िॊकर म अनतर

लशव औय शॊकय भ अनतय

फहत स रोग लशव औय शॊकय को एक ही भानत ह, ऩयनत वासतव भ इन दोनो भ लबननता ह | आऩ दखत ह कक दोनो की परलतभाएॊ बी अरग-अरग आकाय वारी होती ह | लशव की परलतभा अणडाकाय अथवा अॊगषठाकाय होती ह जफकक भहादव शॊकय की परलतभा शायारयक आकाय वारी होती ह | महाॉ उन दोनो का अरग-अरग ऩरयचम, जो कक ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न अफ सवमॊ हभ सभझामा ह तथा अनबव कयामा ह सऩि ककमा जा यह ह :- महादव िॊकर

१. मह बरहमा औय ववषण की तयह स कषभ शयीयधायी ह | इनह ―भहादव‖ कहा जाता ह ऩयनत इनह ―ऩयभातभा‖ नहीॊ कहा जा

सकता | २. मह बरहमा दवता तथा ववषण दवता की यथ स कषभ रोक भ, शॊकयऩयी भ वास कयत ह |

३. बरहमा दवता तथा ववषण दवता की तयह मह बी ऩयभातभा लशव की यचना ह | ४. मह कवर भहाववनाश का कामा कयत ह, सथाऩना औय ऩारना क कतावम इनक कतावम नहीॊ ह |

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ऩरमपऩता ऩरमातमा शिव

१. मह चतन जमोलत-वफनद ह औय इनका अऩना कोई सथ र मा स कषभ शयीय नहीॊ ह, मह ऩयभातभा ह | २. मह बरहमा, ववषण तथा शॊकय क रोक, अथाात स कषभ दव रोक स बी ऩय ―बरहमरोक‖ (भविधाभ) भ वास कयत ह | ३. मह बरहमा, ववषण तथा शॊकय क बी यलचमता अथाात ―वतरभ लता‖ ह | ४. मह बरहमा, ववषण तथा शॊकय दवाया भहाववनाश औय ववषण दवाया ववशव का ऩारन कयाक ववशव का कलमाण कयत ह |

शिव का जनमोतसव रापि म कयो ?

―यावतर‖ वासतव भ अऻान, तभोगण अथवा ऩाऩाचाय की लनशानी ह | अत: दवाऩयमग औय कलरमग क सभम को ―यावतर‖ कहा जाता ह | कलरमग क अनत भ जफकक साध , सनमासी, गर, आचामा इतमाकद सबी भनषम ऩलतत तथा दखी होत ह औय अऻान-लनॊरा भ सोम ऩड होत ह, जफ धभा की नरानी होती ह औय जफ मह बयत ववषम-ववकायो क कणा वशमारम फन जाता ह, तफ ऩलतत-ऩावन ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव इस सवि भ कदवम-जनभ रत ह | इसलरए अनम सफका जनभोतसव तो ―जनभ कदन‖ क रऩ भ भनामा जाता ह ऩयनत ऩयभातभा लशव क जनभ-कदन को ―लशवयावतर‖ (Bi r t h-ni ght ) ही कहा जाता ह | अत: महाॉ लचतर भ जो कालरभा अथवा अनधकाय कदखामा गमा ह वह अऻानानधकाय अथवा ववषम-ववकायो की यावतर का घोतक ह |

ऻान-सयस शिव क परकट होन स सपि स अऻानानधकार तथा पवकारो का नाि

जफ इस परकाय अवतरयत होकय ऻान-स मा ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ऻान-परकाश दत ह तो कछ ही सभम भ ऻान का परबाव साय ववशव भ फर जाता ह औय कलरमग तथा तभोगण क सथान ऩय सॊसाय भ सतमग औय सतोगण कक सथाऩना हो जाती ह औय अऻान-अनधकाय का तथा ववकायो का ववनाश हो जाता ह | साय कलऩ भ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव क एक अरौककक जनभ स थोड ही सभम भ मह सवि वशमारम स फदर कय लशवारम फन जाती ह औय नय को शरी नायामण ऩद तथा नायी को शरी रकषभी ऩद का परालि हो जाती ह | इसलरए लशवयावतर हीय तलम ह |

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ऩरमातमा सवस वयाऩक नहीॊ ह

एक भहान ब र

ऩयभातभा सवा वमाऩक नहीॊ ह

मह ककतन आशचमा की फात ह कक आज एक औय तो रोग ऩयभातभा को ―भाता-वऩता‖ औय ―ऩलतत-ऩावन‖ भानत ह औय द सयी औय कहत ह कक ऩयभातभा सवा-वमाऩक ह, अथाात वह तो ठीकय-ऩतथय, सऩा, वफचछ , वायाह, भगयभचछ, चोय औय डाक सबी भ ह ! ओह, अऩन ऩयभ पमाय, ऩयभ ऩावन, ऩयभवऩता क फाय भ मह कहना कक वह कत भ, वफलर भ, सबी भ ह – मह ककतनी फडी ब र ह ! मह ककतना फडा ऩाऩ ह !! जो वऩता हभ भवि औय जीवनभवि की ववयासत (जनभ-लसदच अलधकाय) दता ह, औय हभ ऩलतत स ऩावन फनाकय सवगा का याजम दता ह, उसक लरए ऐस शबद कहना

गोमा कतघन फनना ही तो ह !!! मकद ऩयभातभा सवावमाऩी होत तो उसक लशवलरॊग रऩ की ऩ जा टमो होती ? मकद वह मतर-ततर-सवातर होत तो वह ―कदवम जनभ‖ कस रत, भनषम उनक अवतयण क लरए उनह टमो ऩकायत औय लशवयावतर का तमौहाय टमो भनामा जाता ? मकद ऩयभातभा सवा-वमाऩक होत तो वह गीता-ऻान कस दत औय गीता भ लरख हए उनक मह भहावाटम कस सतम लसदच होत कक “भ ऩयभ ऩरष (ऩरषोतभ) हौ, भ स मा औय तायागण क परकाश की ऩहॉच स बी पर ऩयभधाभ का वासी ह ॉ, मह सवि एक उलटा व ह औय भ इसका फीज ह ॉ जो कक ऊऩय यहता ह ॉ |”

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मह जो भानमता ह कक “ऩयभातभा सवावमाऩी ह” – इसस बवि, ऻान, मोग इतमाकद सबी का खणडन हो गमा ह टमोकक मकद जमोलतसवरऩ बगवान का कोई नाभ औय रऩ ही न हो तो न उसस समफनध (मोग) जोडा जा सकता ह, न ही उनक परलत सनह औय बवि ही परगट की जा सकती ह औय न ही उनक नाभ औय कतावमो की चचाा ही हो सकती ह जफकक ―ऻान‖ का तो अथा ही ककसी क नाभ, रऩ, धाभ, गण, कभा, सवबाव, समफनध, उसस होन वारी परालि इतमाकद का ऩयीच ह | अत: ऩयभातभा को सवावमाऩक भानन क कायण आज भनषम ―भनभनाबाव‖ तथा ―भाभकॊ शयणॊ वरज‖ की ईशवयाऻा ऩय नहीॊ चर सकत अथाात फवदच भ एक जमोलत सवरऩ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव की माद धायण नहीॊ कय सकत औय उसस सनह समफनध नहीॊ जोड सकत फकलक उनका भन बटकता यहता ह | ऩयभातभा चतनम ह, वह तो हभाय ऩयभवऩता ह, वऩता तो कबी सवावमाऩी नहीॊ होता | अत: ऩयभवऩता ऩयभातभा को सवावमाऩी भानन स ही सबी नय-नायी मोग-भरि औय ऩलतत हो गम ह औय उस ऩयभवऩता की ऩववतरता-सख-शाकनत रऩी फऩौती (ववयासत) स वॊलचत हो दखी तथा अशानत ह |

अत: सऩि ह कक बिो का मह जो कथन ह कक – ―ऩयभातभा तो घट-घट का वासी ह‖ इसका बी शबदाथा रना ठीक नहीॊ ह | वासतव भ ―गत‖ अथवा ―रदम‖ को परभ एवॊ माद का सथान भाना गमा ह | दवाऩय मग क शर क रोगो भ ईशवय-बवि अथवा परब भ आसथा एवॊ शरदचा फहत थी | कोई ववयरा ही ऐसा वमवि होता था जो ऩयभातभा को ना भानता हो | अत: उस सभम बाव-ववबोय बि मह ख कदमा कयत थ कक ईशवय तो घट-घट वासी ह अथाात उस तो सबी माद औय पमाय कयत ह औय सबी क भन भ ईशवय का लचतर फीएस यहा ह | इन शबदो का अथा मह रना कक सवमॊ ईशवय ही सफक हरदमो भ फस यहा ह, ब र ह |

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सपि रऩी उलटा आ अदभत व और उसक बीजरऩ ऩरमातमा

सवि रऩी उलटा आ अदबत व औय उसक फीजरऩ ऩयभातभा

बगवान न इस सवि रऩी व की तरना एक उलट व स की ह टमोकक अनम व ो क फीज तो ऩथवी क अॊदय फोम जात ह औय व ऊऩय को उगत ह ऩयनत भनषम-सवि रऩी व क जो अववनाशी औय चतन फीज सवरऩ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ह, वह सवमॊ ऊऩय ऩयभधाभ अथवा बरहमरोक भ लनवास कयत ह |

लचतर भ सफस नीच कलरमग क अनत औय सतमग क आयमब का सॊगभ कदखरामा गमा ह | वहाॉ शवत-वसतरधायी परजावऩता बरहमा, जगदमफा सयसवती तथा कछ बराहमलनमाॉ औय बराहमण सहज

याजमोग की कसथलत भ फठ ह | इस लचतर दवाया मह यहसम परकट ककमा जाता ह कक कलरमग क अनत भ अऻान रऩी यावतर क सभम, सवि क फीजरऩ, कलमाणकायी, ऻान-सागय ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव नई, ऩववतर सवि यचन क सॊकलऩ स परजावऩता बरहमा क तन भ अवतरयत (परववि) हए औय उनहोन परजावऩता बरहमा क कभर-भख दवाया भ र गीता-ऻान तथा सहज याजमोग की लशा दी, कजस धायण कयन वार नय-नायी ―ऩववतर बराहमण‖ कहराम | म बराहमण औय बराहमलनमाॉ – सयसवती इतमाकद- कजनह ही ―लशव शविमाॉ‖ बी कहा जाता ह, परजावऩता बरहमा क भख स (ऻान दवाया) उतऩनन हए | इस छोट स मग को ―सॊगभ मग‖ कहा जाता ह | वह मग सवि का ―धभााऊ मग‖ (Leap

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yuga) बी कहराता ह औय इस ही ―ऩरषोतभ मग‖ अथवा ―गीता मग‖ बी कहा जा सकता ह |

सतमग भ शरीरकषभी औय शरी नायामण का अटर, अखणड, लनववाघन औय अलत सखकायी याजम था | परलसदच ह कक उस सभम द ध औय घी की नकदमाॊ फहती थी तथा शय औय गाम बी एक घाट ऩय ऩानी ऩीत थ | उस सभम का बायत डफर लसयताज (Doubl e cr owned) था | सबी सदा सवसथ (Ever heal t hy), औय सदा सखी (Ever happy) थ | उस सभम काभ-करोधाकद ववकायो की रडाई अथवा कहॊसा का तथा अशाॊलत एवॊ दखो का नाभ-लनशान बी नहीॊ था | उस सभम क बायत को ―सवगा‖, ―वकणठ‖, ―फकहशत‖, ―सखधाभ‖ अथवा ―हवनरी एफोड‖ (Heavenl y Abode) कहा ह उस सभम सबी जीवनभि औय ऩ जम थ औय उनकी औसत आम १५० वषा थी उस मग क रोगो को ―दवता वणा‖ कहा जाता ह | ऩ जम ववशव-भहायानी शरी रकषभी तथा ऩ जम ववशव-भहायाजन शरी नायामण क स मा वॊश भ कर 8 स मावॊशी भहायानी तथा भहायाजा हए कजनहोन कक 1250 वषो तक चकरवतॉ याजम ककमा |

तरता मग भ शरी सीता औय शरी याभ चनरवॊशी, 14 करा गणवान औय समऩ णा लनववाकायी थ | उनक याजम की बी बायत भ फहत भकहभा ह | सतमग औय तरतामग का ―आकद सनातन दवी-दवता धभा-वॊश‖ ही इस भनषम सवि रऩी व का तना औय भ र ह कजसस ही फाद भ अनक धभा रऩी शाखाएॊ लनकरी | दवाऩय भ दह-अलबभान तथा काभ करोधाकद ववकायो का परादबााव हआ | दवी सवबाव का सथान आसयी सवबाव न रना शर ककमा | सवि भ द ख औय अशाकनत का बी याजम शर हआ | उनस फचन क लरए भनषम न ऩ जा तथा बवि बी शर की | ऋवष रोग शासतरो की यचना कयन रग | मऻ, तऩ आकद की शयात हई |

कलरमग भ रोग ऩयभातभा लशव की तथा दवताओॊ की ऩ जा क अलतरयि स मा की, ऩीऩर क व की, अकनन की तथा अनमानम जड ततवो की ऩ जा कयन रग औय वफलकर दह-अलबभानी, ववकायी औय ऩलतत फन गए | उनका आहाय-वमहाय, दवि ववतत, भन, वचन औय कभा तभोगणी औय ववकायाधीन हो गमा |

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कलरमग क अनत भ सबी भनषम तभोपरधन औय आसयी रणो वार होत ह | अत: सतमग औय तरतामग की सतोगणी दवी सवि सवगा (वकणठ) औय उसकी तरना भ दवाऩयमग तथा कलरमग की सवि ही ―नयक‖ ह |

परभ शमऱन का गपत यग—ऩरषोतम सॊगम यग

बायत भ आकद सनातन धभा क रोग जस अनम तमौहायो, ऩवो इतमाकद को फडी शरदचा स भानत ह, वस ही ऩरषोतभ भास को बी भानत ह | इस भास भ रोग तीथा मातरा का ववशष भहातमम भानत ह औय फहत दान-ऩनम बी कयत ह तथा आधमाकतभक ऻान की चचाा भ बी कापी सभम दत ह | व परात: अभतवर ही गॊगा-सनान कयन भ फहत ऩ णम सभझत ह |

वासतव भ ―ऩरषोतभ‖ शबद ऩयभवऩता ऩयभातभा ही का वाचक ह | जस ―आतभा‖ को ―ऩरष‖ बी कहा जाता ह, वस ही ऩयभातभा क लरए ―ऩयभ-ऩरष‖ अथवा ―ऩरषोतभ‖ शबद का परमोग होता ह टमोकक वह सबी ऩरषो (आतभाओ)

स ऻान, शाकनत, ऩववतरता औय शवि भ उतभ ह | ―ऩरषोतभ भास‖ कलरमग क अनत औय सतमग क आयमब क सॊगभ का मग की माद कदराता ह टमोकक इस मग भ ऩरषोतभ (ऩयभवऩता) ऩयभातभा का अवतयण होता ह | सतमग क आयमब स रकय कलरमग क अनत तक तो भनषमातभाओॊ का जनभ-ऩनजानभ होता ही यहता ह ऩयनत कलरमग क अनत भ सतमग औय सतधभा की तथा उतभ भमाादा की ऩन: सथाऩना

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कयन क लरए ऩरषोतभ (ऩयभातभा) को आना ऩडता ह | इस ―सॊगभमग‖ भ ऩयभवऩता ऩयभातभा भनषमातभाओॊ को ऻान औय सहज याजमोग लसखाकय वावऩस ऩयभधाभ अथवा बरहमरोक भ र जात ह औय अनम भनषमातभाओॊ को सवि क भहाववनाश क दवाया अशयीयी कयक भविधाभ र जात ह | इस परकाय सबी भनशमातभाए लशव ऩ यी अठाव ववषणऩयी की अवमवि एवॊ आधमाकतभक मातरा कयती ह औय ऻान चचाा अथवा ऻान-गॊगा भ सनान कयक ऩावन फनती ह | ऩयनत आज रोग इन यहसमो को न जानन क कायण गॊगा नदी भ सनान कयत ह औय लशव तथा ववषण की सथ र मादगायो की मातरा कयत ह | वासतव भ ―ऩरषोतभ भास‖ भ कजस दान का भहतव ह, वह दान ऩाॉच ववकायो का दान ह | ऩयभवऩता ऩयभातभा जफ ऩरषोतभ मग भ अवतरयत होत ह तो भनषम आतभाओॊ को फयाइमो अथवा ववकायो का दान दन की लशा दत ह | इस परकाय, व काभ-करोधाकद ववकायो को तमाग कय भमाादा वार फन जात ह औय उसक फाद सतमग, दमग का आयमब हो जाता ह | आज मकद इन यहसमो को जानकय भनषम ववकायो का दान द, ऻान-गॊगा भ लनतम सनान कय औय मोग दवाया दह स नमाया होकय सचची आधमाकतभक मातरा कय तो ववशव भ ऩन: सख, शाकनत समऩनन याभ-याजम (सवगा) की सथाऩना हो जामगी औय नय तथा नायी नका स लनकर सवगा भ ऩहॉच जाएग | लचतर भ बी इसी यहसम को परदलशात ककमा गमा ह |

महाॉ सॊगभ मग भ शवत वसतरधायी परजावऩता बरहमा, जगदमफा सयसवती तथा कछक भख वॊशी बराहमणो औय बराहमकणमो को ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव स मोग रगात कदखामा गमा ह | इस याजमोग दवाया ही भन का भर धरता ह, वऩछर ववकभा दनध होत ह औय सॊसकाय सतोपरधन फनत ह | अत: नीच की औय नका क वमवि ऻान एवॊ मोग-अकनन परजजवलरत कयक काभ, करोध, रोब, भोह औय अहॊकाय को इस स कषभ अकनन भ सवाह कयत कदखामा गम ह | इसी क परसवरऩ, व नय स शरी नायामण औय नायी स शरी रकषभी फनकय अथाात ―भनषम स दवता‖ ऩद का अलधकाय ऩाकय सखधाभ-वकणठ अथवा सवगा भ ऩववतर एवॊ समऩ णा सख-शाकनत समऩनन सवयाजम क अलधकायी फन ह |

भारभ यह कक वताभान सभम मह सॊगभ मग ही चर यहा ह | अफ मह कलरमगी सवि नयक अथाात द ख धाभ ह अफ लनकट बववषम भ सतमग आन वारा ह जफकक मही सवि सखधाभ होगी | अत: अफ हभ ऩववतर एवॊ मोगी फनना चाकहए |

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मनषय क 84 जनमो की अद-भत कहानी

भनषमातभा साय कलऩ भ अलधक स अलधक कर 84 जनभ रती ह, वह 84 राख मोलनमो भ ऩनजानभ नहीॊ रती | भनषमातभाओॊ क 84 जनभो क चकर को ही महाॉ 84 सीकढमो क रऩ भ लचवतरत ककमा गमा ह | च ॉकक परजावऩता बरहमा औय जगदमफा सयसवती भनषम-सभाज क आकद-वऩता औय आकद-भाता ह, इसलरए उनक 84 जनभो का सॊकि उलरख कयन स अनम भनषमातभाओॊ का बी उनक अनतगात आ जामगा | हभ मह तो फता आम ह कक बरहमा औय सयसवती सॊगभ मग भ ऩयभवऩता लशव क ऻान औय मोग दवाया सतमग क आयमब भ शरी नायामण औय शरी रकषभी ऩद ऩात ह |

सतयग और ितायग म 21 जनम ऩजय दव ऩद : अफ लचतर भ कदखरामा गमा ह कक सतमग क 1250 वषो भ शरीरकषभी, शरीनायामण 100 परलतशत सख-शाकनत-समऩनन 8 जनभ रत ह | इसलरए बायत भ 8 की सॊखमा शब भानी गई ह औय कई रोग कवर 8 भनको की भारा लसभयत ह तथा अि दवताओॊ का ऩ जन बी कयत ह | ऩ जम कसतलथ वार इन 8 नायामणी जनभो को महाॉ 8 सीकढमो क रऩ भ लचवतरत ककमा गमा ह | कपय तरतामग क 1250 वषो भ व 14 करा समऩ णा सीता औय याभचनर क वॊश भ ऩ जम याजा-यानी अथवा उचच परजा क रऩ भ कर 12 मा 13 जनभ रत ह | इस परकाय सतमग औय तरता क कर 2500 वषो भ व समऩ णा ऩववतरता,

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सख, शाकनत औय सवासथम समऩनन 21 दवी जनभ रत ह | इसलरए ही परलसदच ह कक ऻान दवाया भनषम क 21 जनभ अथवा 21 ऩीकढमाॊ सधय जाती ह अथवा भनषम 21 ऩीकढमो क लरए तय जाता ह |

दवाऩर और कशऱयग म कऱ 63 जनम जीवन-बदध : कपय सख की परायबध सभाि होन क फाद व दवाऩयमग क आयमब भ ऩजायी कसतलथ को पराि होत ह | सफस ऩहर तो लनयाकाय ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव की हीय की परलतभा फनाकय अननम बावना स उसकी ऩ जा कयत ह | महाॉ लचतर भ उनह एक ऩजायी याजा क रऩ भ लशव-ऩ जा कयत कदखामा गमा ह | धीय-धीय व स कषभ दवताओॊ, अथाात ववषण तथा शॊकय की ऩ जा शर कयत ह औय फाद भ अऻानता तथा आतभ-ववसभलत क कायण व अऩन ही ऩहर वार शरीनायामण तथा शरीरकषभी रऩ की बी ऩ जा शर कय दत ह | इसलरए कहावत परलसदच ह कक “जो सवमॊ कबी ऩ जम थ, फाद भ व अऩन-आऩ ही क ऩजायी फन गए |” शरी रकषभी औय शरी नायामण की आतभाओॊ न दवाऩय मग क 1250 वषो भ ऐसी ऩजायी कसथलत भ लबनन-लबनन नाभ-रऩ स, वशम-वॊशी बि-लशयोभकण याजा,यानी अथवा सखी परजा क रऩ भ कर 21 जनभ लरए |

इसक फाद कलरमग का आयमब हआ | अफ तो स कषभ रोक तथा साकाय रोक क दवी-दवताओॊ की ऩ जा इतमाकद क अलतरयि ततव ऩ जा बी शर हो गई | इस परकाय, बवि बी वमलबचायी हो गई | मह अवसथा सवि की तभोपरधान अथवा शर अवसथा थी | इस कार भ काभ, करोध, भोह, रोब औय अहॊकाय उगर रऩ-धायण कयत गए | कलरमग क अनत भ उनहोन तथा उनक वॊश क द सय रोगो न कर 42 जनभ लरए |

उऩमाि स सऩि ह कक कर 5000 वषो भ उनकी आतभा ऩ जम औय ऩजायी अवसथा भ कर 84 जनभ रती ह | अफ वह ऩयानी, ऩलतत दलनमा भ 83 जनभ र चकी ह | अफ उनक अकनतभ, अथाात 84 व जनभ की वानपरसथ अवसथा भ, ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न उनका नाभ “परजावऩता बरहमा” तथा उनकी भख-वॊशी कनमा का नाभ “जगदमफा सयसवती” यखा ह | इस परकाय दवता-वॊश की अनम आतभाएॊ बी 5000 वषा भ अलधकालधक 84 जनभ रती ह | इसलरए बायत भ जनभ-भयण क चकर को “चौयासी का चटकय” बी कहत ह औय कई दववमो क भॊकदयो भ 84 घॊट बी रग होत ह तथा उनह “84 घॊट वारी दवी” नाभ स रोग माद कयत ह |

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मनषयातमा 84 ऱाख योशनयाॉ धारण नहीॊ करती

ऩयभवपरम ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न वताभान सभम जस हभ ईशवयीम ऻान क अनम अनक भधय यहसम सभझाम ह, वस ही मह बी एक नई फात सभझाई ह कक वासतव भ भनषमातभाएॊ ऩाशववक मोलनमो भ जनभ नहीॊ रती | मह हभाय लरए फहत ही खशी की फात ह | ऩयनत कपय बी कई रोग ऐस रोग ह जो मह कहत कक भनषम आतभाएॊ ऩश-ऩी इतमाकद 84 राख मोलनमो भ जनभ-ऩनजानभ रती ह |

व कहत ह कक- “ जस ककसी दश की सयकाय अऩयाधी को दणड दन क लरए उसकी सवतॊतरता को छीन

रती ह औय उस एक कोठयी भ फनद कय दती ह औय उस सख-सववधा स कछ कार क लरए वॊलचत कय दती ह, वस ही मकद भनषम कोई फय कभा कयता ह तो उस उसक दणड क रऩ भ ऩश-ऩी इतमाकद बोग-मोलनमो भ द ख तथा ऩयतॊतरता बोगनी ऩडती ह” |

ऩयनत अफ ऩयभवपरम ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न सभझमा ह कक भनषमातभाम अऩन फय कभो का दणड भनषम-मोलन भ ही बोगती ह | ऩयभातभा कहत ह कक भनषम फय गण-कभा-सवबाव क कायण ऩश स बी अलधक फया तो फन ही जाता ह औय ऩश-ऩी स अलधक दखी बी होता ह, ऩयनत वह ऩश-ऩी इतमाकद मोलनमो भ जनभ नहीॊ रता | मह तो हभ दखत मा सनत बी ह कक भनषम ग ॊग, अॊध, फहय, रॊगड, कोढी लचय-योगी तथा कॊ गार होत ह, मह बी हभ दखत ह कक कई ऩश बी भनषमो स अलधक सवतॊतर तथा

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सखी होत ह, उनह डफरयोटी औय भटखन कखरामा जाता ह, सोप (Sof a) ऩय सरामा जाता ह, भोटय-काय भ मातरा कयी जाती ह औय फहत ही पमाय तथा परभ स ऩारा जाता ह ऩयनत ऐस ककतन ही भनषम सॊसाय भ ह जो ब ख औय अद-धाननन जीवन वमतीत कयत ह औय जफ व ऩसा मा दो ऩस भाॊगन क लरए भनषमो क आग हाथ परात ह तो अनम भनषम उनह अऩभालनत कयत ह | ककतन ही भनषम ह जो सदॊ भ कठठय कय, अथवा योलगमो की हारत भ सडक की ऩटरयमो ऩय कत स बी फयी भौत भय जात ह औय ककतन ही भनषम तो अतमॊत वदना औय द ख क वश अऩन ही हाथो अऩन आऩको भाय डारत ह | अत: जफ हभ सऩि दखत ह कक भनषम-मोलन बी बोगी-मोलन ह औय कक भनषम-मोलन भ भनषम ऩशओॊ स अलधक दखी हो सकता ह तो मह टमो भाना जाए कक भनषमातभा को ऩश-ऩी इतमाकद मोलनमो भ जनभ रना ऩडता ह ?

जसा बीज वसा व : इसक अलतरयि, यहहर एक भनषमातभा भ अऩन जनभ-जनभानतय का ऩाटा अनाकद कार स अवमि रऩ भ बया हआ ह औय, इसरम भनषमातभाएॊ अनाकद कार स ऩयसऩय लबनन-लबनन गण-कभा-सवबाव परबाव औय परायबध वारी ह | भनषमातभाओॊ क गण, कभा, सवबाव तथा ऩाटा (Par t ) अनम मोलनमो की आतभाओॊ क गण, कभा, सवबाव स अनाकदकार स लबनन ह | अत: जस आभ की गठरी स लभचा ऩदा नहीॊ हो सकती फकलक “ जसा फीज वसा ही व होता ह” , ठीक वस ही भनषमातभाओॊ की तो शरणी ही अरग ह | भनषमातभाएॊ ऩश-ऩी आकद 84 राख मोलनमो भ जनभ नहीॊ रती | फकलक, भनषमातभाएॊ साय कलऩ भ भनषम-मोलन भ ही अलधक-स अलधक 84 जनभ, ऩनजानभ रकय अऩन-अऩन कभो क अनरऩ सख-द ख बोगती ह |

यदद मनषयातमा ऩि योशन म ऩनजसनम ऱती तो मनषय गणना बढती ना जाती : आऩ सवमॊ ही सोलचम कक मकद फयी कभो क कायण भनषमातभा का ऩनजानभ ऩश-मोलन भ होता, तफ तो हय वषा भनषम-गणना फढती ना जाती, फकलक घटती जाती टमोकक आज सबी क कभा, ववकायो क कायण ववकभा फन यह ह | ऩयनत आऩ दखत ह कक कपय बी भनषम-गणना फढती ही जाती ह, टमोकक भनषम ऩश-ऩी मा कीट-ऩतॊग आकद मोलनमो भ ऩनजानभ नहीॊ र यह ह |

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सपि नाटक का रचशयता और शनदिक कौन ह ?

सपि रऩी नाटक क चार ऩट

साभन कदए गए लचतर भ कदखामा गमा ह कक सवकसतक सवि -चकर को चाय फयाफय बागो भ फाॊटता ह --

सतमग,तरतामग , दवाऩय औय कलरमग I

सवि नाटक भ हय एक आतभा का एक लनकशचत सभम ऩय ऩयभधाभ स इस सवि रऩी नाटक क भॊच ऩय आती ह I सफस ऩहर सतमग औय तरतामग क सनदय दशम साभन आत ह I औय इन दो मगो की समऩ णा सखऩ णा सवि भ ऩथवी-भॊच ऩय एक" अकद सनातन दवी दवता धभा वॊश "की ही भनषमातभाओ का ऩाटा होता ह I औय अनम सबी धभा-वॊशो की आतभाए ऩयभधाभ भ होती ह I

अत :इन दो मगो भ कवर इनही दो वॊशो की ही भनषमातभाम अऩनी-अऩनी ऩववतरता की सताग क अनसाय नमफयवाय आती ह इसलरए, इन दो मगो भ सबी अदवत ऩय लनवय सवबाव वार होत ह I

दवाऩयमग भ इसी धभा की यजोगणी अवसथा हो जान स इबराहीभ दवाया इसराभ धभा-वॊश की, फदच दवाया फौदच-धभा वॊश की औय ईसा दवाया ईसाई धभा की सथाऩना होती ह I अत :

इन चाय भखम धभा वॊशो क वऩता ही सॊसाय क भखम एटटसा ह औय इन चाय धभा क शासतर ही भखम शासतर ह इसक अलतरयि, सनमास धभा क सथाऩक नानक बी इस ववशव नाटक क भखम एटटयो भ स ह I ऩयनत कपय बी भखम रऩ भ ऩहर फताम गए चाय

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धभो ऩय ही साया ववशव नाटक आधारयत ह इस अनक भत-भतानतयो क कायण दवाऩय मग तथा कलरमग की सवि भ दवत, रडाई झगडा तथा द ख होता ह I

कलरमग क अॊत भ, जफ धभा की आती नरानी हो जाती ह, अथाात ववशव का सफस ऩहरा "अकद सनातन दवी दवता धभा "फहत ीण हो जाता ह औय भनषम अतमॊत ऩलतत हो जात ह, तफ इस सवि क यचलमता तथा लनदशक ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव परजावऩता बरहमा क तन भ सवमॊ अवतरयत होत ह I व परजावऩता बरहमा दवाया भख-वॊशी कनमा "--

बरहमाकभायी सयसवती " तथा अनम बराहमणो तथा बरहमालनमो को यचत ह औय उन दवाया ऩन :

सबी को अरौककक भाता-वऩता क रऩ भ लभरत ह तथा ऻान दवाया उनकी भागा-परदशाना कयत ह औय उनह भवि तथा जीवनभवि का ईशवयीम जनभ-लसदच अलधकाय दत ह I अत :

परजवऩता फहमा तथा जगदमफा सयसवती, कजनह ही "एडभ" अथवा "इव "अथवा" आदभ औय हववा "बी कहा जाता ह इस सवि नाटक क नामक औय नालमका ह I टमोकक इनही दवाया सवमॊ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ऩथवी ऩय सवगा सथाऩन कयत ह कलरमग क अॊत औय सतमग क आयॊब का मह छोटा सा सॊगभ, अथाात सॊगभमग, जफ ऩयभातभा अवतरयत होत ह, फहत ही भहतवऩ णा ह I

पवशव क इशतहास और भगोऱ की ऩनरावपि

लचतर भ मह बी कदखामा गमा ह कक कलरमग क अॊत भ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव जफ भहादव शॊकय क दवाया सवि का भहाववनाश कयत ह तफ रगबग सबी आतभा रऩी एटटय अऩन पमाय दश, अथाात भविधाभ को वाऩस रौट जात ह औय कपय सतमग क आयॊब स "अकद सनातन दवी दवता धभा "कक भखम भनषमातभाम इस सवि-भॊच ऩय आना शर कय दती ह I कपय २५०० वषा क फाद, दवाऩयमग क परायॊब स इबराहीभ क इसराभ घयान की आतभाए, कपय फौदच धभा वॊश की आतभाए, कपय ईसाई धभा वॊश की आतभाए अऩन-

अऩन सभम ऩय सवि-भॊच ऩय कपय आकय अऩना-अऩन अनाकद-लनकशचत ऩाटा फजात ह I औय अऩनी सवकणाभ, यजत, तामर औय रोह, चायो अवसथाओ को ऩय कयती ह इस परकाय, मह अनाकद लनकशचत सवि-नाटक अनाकद कार स हय ५००० वषा क फाद हफह ऩनयावतत

होता ही यहता ह I

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कशऱयग अभी बचचा नहीॊ ह बललक बढा हो गया ह

इसका पवनाि शनकट ह और िीघर ही सतयग आन वाऱा ह |

आज फहत स रोग कहत ह , " कलरमग अबी फचचा ह अबी तो इसक राखो वषा औय यहत ह शसतरो क अनसाय अबी तो सवि क भहाववनाश भ फहत कार यहता ह | "

ऩयनत अफ ऩयभवऩता ऩयभातभा कहत ह की अफ तो कलरमग फढा हो च का ह | अफ तो सवि क भहाववनाश की घडी लनकट आ ऩहॊची ह | अफ सबी दख बी यह ह की मह भनषम सवि काभ, करोध,रोब,भोह तथा अहॊकाय की लचता ऩय जर यही ह | सवि क भहाववनाश क लरए एटभ फभ, हाइडरोजन फभ तथा

भसर बी फन चक ह | अत :अफ बी मकद कोई कहता ह कक भहाववनाश द य ह, तो वह घोय अऻान भ ह औय कमबकणॉ लनॊरा भ सोमा हआ ह, वह अऩना अकलमाण कय यहा ह | अफ जफकक ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव अवतरयत होकय ऻान अभत वऩरा यह ह, तो व रोग उनस वॊलचत ह |

आज तो वऻालनक एवॊ ववदयाओॊ क ववशषऻ बी कहत ह कक जनसॉखमा कजस तीवर गलत स फढ यही ह, अनन की उऩज इस अनऩात स नहीॊ फढ यही ह | इसलरए व अतमॊत बमॊकय अकार क ऩरयणाभसवरऩ भहाववनाश कक घोषणा कयत ह | ऩनशच, वातावयण परदषण तथा ऩटरोर, कोमरा इतमाकद शवि सतरोतो क कछ वषो भ ऽतभ हो जान कक घोषणा बी वऻालनक कय यह ह | अनम रोग ऩथवी क ठनड होत जान होन क कायण कहभ-ऩात कक फात फता यह ह | आज कवर रस औय अभरयका क ऩास ही राखो तन

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फभो कजतन आणववक शसतर ह | इसक अलतरयि, आज का जीवन ऐसा ववकायी एवॊ तनावऩ णा हो गमा ह कक अबी कयोडो वषा तक कलरमग को भनना तो इन सबी फातो की ओय आॊख भ ॊदना ही ह ऩयनत सबी को माद यह कक ऩयभातभा अधभा क भहाववनाश स ही दवी धभा की ऩन :सथाऩना बी कयात ह |

अत :सबी को भार भ होना चाकहए कक अफ ऩयभवपरम ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव सतमगी ऩावन एवॊ दवी सवि कक ऩन :सथाऩना कया यह ह | व भनषम को दवता अथवा ऩलततो को ऩावन फना यह ह | अत :अफ उन दवाया सहज याजमोग तथा ऻान -मह अनभोर ववदया सीखकय जीवन को ऩावन, सतोपरधन दवी, तथा आननदभम फनान का सवोततभ ऩरषाथा कयना चाकहए जो रोग मह सभझ फठ ह कक अबी तो कलरमग भ राखो वषा शष ह, व अऩन ही सौबानम को रौटा यह ह!

अफ कलरमगी सवि अॊलतभ शवास र यही ह, मह भतम-शमा ऩय ह मह काभ, करोध रोब, भोह औय अहॊकाय योगो दवाया ऩीकडत ह | अत :इस सवि की आम अयफो वषा भानना ब र ह | औय कलरमग को अफ फचचा भानकय अऻान-लनॊरा भ सोन वार रीग" कमबकयण "ह

| जो भनषम इस ईशवयीम सनदश को एक कण स सनकय दसय कण स लनकर दत ह उनही क कान ऐस कमब क सभान ह, टमोकक कमब फवदच-हीन होता ह|

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कया रावण क दस शसर थ, रावण दकसका परतीक ह ?

बायत क रोग परलतवषा यावण का फत जरात ह I उनका कापी ववशवास ह की एक दस लसय वारा यावण शरीरॊका का यजा था, वह एक फहत फडा यास था औय उसन शरी सीता का अऩहयण ककमा था I व मह बी भानत ह की यावण फहत फडा ववदवान था इसलरए व उसक हाथ भ वद, शासतर इतमाकद कदखात ह I साथ ही व उसक शीश ऩय गध का लसय बी कदखात ह I कजसका अथा व मह रत ह की वह हठी ओय भलतहीन था रककन अफ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न सभझामा ह की यावण कोई दस शीश वारा यास ( भनषम) नही था फकलक यावण का ऩतरा वासतव भ फय का परतीक ह यावण क दस लसय ऩरष औय सतरी क ऩाॊच-ऩाॊच ववकायो

को परकट कयत ह I औय उसकी तरना एक ऐस सभाज का परलतरऩ ह जो इस परकाय क ववकायी सतरी-ऩरष का फना हो इस सभाज क रोग फहत गरनथ औय शासतर ऩड हए तथा ववऻानॊ भ उचच लशा पराि बी हो सकत ह रककन व कहॊसा औय अनम ववकायो क वशीब त होत ह I इस तयह उनकी ववदवता उन ऩय फोझ भातर होती ह I व उदङॊड फन गए होत ह I औय बराई की फातो क लरए उनक कान फॊद हो गए होत ह I " यावण " शबद का अथा ही ह - जो दसयो को ररान वारा ह I अत: मह फय कभो का परतीक ह, टमोकक फय कभा ही तो भनषम क जीवन भ द ख व आॊस रात ह अतएव सीता क अऩहयण का बाव वासतव भ आतभाओ की शदच बावनाओ ही क अऩहयण का स चक

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ह I इसी परकाय कमबकयण आरसम का तथा " भघनाथ" कट वचनो का परतीक ह औय मह साया सॊसाय ही एक भहादवीऩ ह अथवा भनषम का भन ही रॊका ह I

इस ववचाय स हभ कह सकत ह की इस ववशव भ दवाऩयमग औय कलरमग भ ( अथाात २५०० वषो) " यावण याजम" होता ह टमोकक इन दो मगो भ रोग भामा मा ववकायो क वशीब त होत ह उस सभम अनक ऩ जा ऩाठ कयन तथा शासतर ऩढन क फाद बी भनषम ववकायी, अधभॉ फन जात ह योग ,शोक , अशाॊलत औय द ख का सवातर फोर फारा होता ह I भनषमो का खानऩान असयो जसा ( भाॊस, भकदया, ताभसी बोजन आकद) फन जाता ह व काभ, करोध, रोब, भोह, अहॊकाय, ईषमाा, दवष आकद ववकायो क वशीब त होकय एक दसय को द ख दत औय ररात यहत ह I ठीक इसक ववऩयीत सवणा मग औय यजत मग भ याभ-याजम था, टमोकक ऩयभवऩता, कजनह की यभणीक अथवा सखदाता होन क कायण " याभ" बी कहत ह, न उस ऩववतरता, शाॊलत औय सख सॊऩनन दसी सवयाजम की ऩन: सथाऩना की थी उस याभ याजम क फाय भ परलसदङ ह की तफ शहद औय द ध की नकदमा फहती थी औय शय तथा गाम एक ही घाट ऩय ऩानी ऩीत थ I

अफ वताभान भ भनषमातभाम कपय स भामा अथाात यावण क परबाव भ ह औधमोलगक उननलत, परचय धन-धनम औय साॊसारयक सख - सबी साधन होत हए बी भनषम को सचच सख शाॊलत की परालि नहीॊ ह I घय-घय भ करह करश रडाई-झगडा औय द ख अशाॊलत ह तथा लभरावट, अधभा औय असतमता का ही याजम ह तबी तो ऐस " यावण याजम" कहत ह I

अफ ऩयभातभा लशव गीता भ कदए अऩन वचन क अनसाय सहज ऻान औय याजमोग की लशा द यह ह औय भनषमातभाओ क भनोववकायो को ऽतभ कयक उनभ दवी गण धायण कया यह ह ( व ऩन: ववशव भ फाऩ -गाॉधी क सवपनो क याभ याजम की सथाऩना कया यह ह I ) अत: हभ सफको सतम धभा औय लनववाकायी भागा अऩनात हए ऩयभातभा क इस भहान कामा भ सहमोगी फनना चाकहए I

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मनषय जीवन का ऱकषय कया ह ?

भनषम का वताभान जीवन फडा अनभोर ह टमोकक अफ सॊगभमग भ ही वह सवोततभ ऩरषाथा कयक जनभ-जनभानतय क लरए सवोततभ परायबध फना सकता ह औय अतर हीयो-तलम कभाई कय सकता ह I

वह इसी जनभ भ सवि का भालरक अथवा जगतजीत फनन का ऩरषाथा कय सकता ह I ऩयनत आज भनषम को जीवन का रकषम भार भ न होन क कायण वह सवोततभ ऩरषाथा कयन की फजाम इस ववषम-ववकायो भ गॉवा यहा ह I अथवा अलऩकार की परालि भ रगा यहा ह I आज वह रौककक लशा दवाया वकीर, डाटटय, इॊकजनीमय फनन का ऩरषाथा कय यहा ह औय कोई तो याजनीलत भ बाग रकय दश का नता, भॊतरी अथवा

परधानभॊतरी फनन क परमतन भ रगा हआ ह अनम कोई इन सबी का सनमास कयक, "सनमासी" फनकय यहना चाहता ह I ऩयनत सबी जानत ह की मरतम-रोक भ तो याजा-यानी, नता वकीर, इॊजीलनमय, डाटटय, सनमासी इतमाकद कोई बी ऩ णा सखी नहीॊ ह I सबी को तन का योग, भन की अशाॊलत, धन की कभी, जानता की लचॊता मा परकलत क दवाया कोई ऩीडा, कछ न कछ तो द ख रगा ही हआ ह I अत: इनकी परालि स भनषम जीवन क रकषम की परालि नहीॊ होती टमोकक भनषम तो समऩ णा - ऩववतरता, सदा सख औय सथाई शाॊलत चाहता ह I

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लचतर भ अॊककत ककमा गमा ह कक भनषम जीवन का रकषम जीवन-भवि की परालि अठमा वकणठ भ समऩ णा सख-शाॊलत-सॊऩनन शरी नायामण मा शरी रकषभी ऩद की परालि ही ह I टमोकक वकणठ क दवता तो अभय भन गए ह, उनकी अकार मरतम नही होती; उनकी कामा सदा लनयोगी यहती ह I औय उनक खजान भ ककसी बी परकाय की कभी नहीॊ होती इसीलरए तो भनषम सवगा अथवा वकणठ को माद कयत ह औय जफ उनका कोई वपरम समफनधी शयीय छोडता ह तो वह कहत ह कक -" वह सवगा लसधाय गमा ह " I

इस ऩद की पराशपत सवयॊ ऩरमातमा ही ईशवरीय पवदया दवारा करात ह

इस रकषम की परालि कोई भनषम अथाात कोई साध -सनमासी, गर मा जगतगर नहीॊ कया सकता फकलक मह दो ताजो वारा दव-ऩद अथवा याजा-यानी ऩद तो ऻान क सागय ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ही स परजावऩता बरहमा दवाया ईशवयीम ऻान तथा सहज याजमोग क अभमास स पराि होता ह I

अत: जफकक ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न इस सवोततभ ईशवयीम ववदया की लशा दन क लरए परजावऩता बरहमाकभायी ईशवयीम ववशव-ववदयारम की सथाऩना की ह I तो सबी नय-नारयमो को चाकहए की अऩन घय-गहसथ भ यहत हए, अऩना कामा धॊधा कयत हए, परलतकदन एक-दो- घॊट लनकरकय अऩन बावी जनभ-जनभानतय क कलमाण क लरए इस सवोततभ तथा सहज लशा को पराि कय I

इस ववदया की परालि क लरए कछ बी खचा कयन की आवशमकता नही ह, इसीलरए इस तो लनधान वमवि बी पराि कय अऩना सौबानम फना सकत ह I इस ववदया को तो कनमाओ, भतो, वदच-ऩरषो, छोट फचचो

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औय अनम सबी को पराि कयन का अलधकाय ह टमोकक आतभा की दिी स तो सबी ऩयभवऩता ऩयभातभा की सॊतान ह I

अभी नहीॊ तो कभी नहीॊ वताभान जनभ सबी का अॊलतभ जनभ ह I इसलरम अफ मह ऩरषाथा न ककमा तो कपय मह कबी न हो सकगा टमोकक सवमॊ ऻान सागय ऩयभातभा दवाया कदमा हआ मह भ र गीता - ऻान कलऩ भ एक ही फाय इस कलमाणकायी सॊगभ मग भ ही पराि हो सकता ह I

शनकट भपवषय म शरीकषण आ रह ह

परलतकदन सभाचाय -ऩतरो भ अकार, फाड, भरिाचाय व रडाई- झगड का सभाचाय ऩदन को लभरता ह I परकलत क ऩाॊच ततव बी भनषम को द ख द यह ह औय साया ही वातावयण द वषत हो गमा ह I अतमाचाय, ववषम-ववकाय तथा अधभा का ही फोरफारा ह I औय मह ववशव ही "काॉटो का जॊगर" फन गमा ह I एक सभम था जफकक ववशव भ समऩ णा सख शाॊलत का सामराजम था औय मह सवि प रो का फगीचा कहराती थी I परकलत बी सतोपरधान थी I औय ककसी परकाय की पराकलतक आऩदाए नही थी I भनषम बी सतोपरधान , दववगण सॊऩनन थ I औय आनॊद ऽशी स जीवन वमतीत कयत थ I उस सभम मह सॊसाय सवगा था,

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कजस सतमग बी कहत ह इस ववशव भ सभवदच,, सख, शाॊलत का भखम कायण था कक उस सभम क याजा तथा परजा सबी ऩववतर औय शरषठाचायी थ इसलरए उनको सोन क यतन-जकडत ताज क अलतरयि ऩववतरता का ताज बी कदखामा गमा ह I शरीकषण तथा शरी याधा सतमग क परथभ भहायाजकभाय औय भहायाजकभायी थ कजनका सवमॊवय क ऩशचात " शरी नायामण औय शरी रकषभी" नाभ ऩडता ह I उनक याजम भ " शय औय गाम" बी एक घाट ऩय ऩानी ऩीत थ, अथाात ऩश ऩी तक समऩ णा अकहॊसक थ I उस सभम सबी शरषठाचायी, लनववाकायी अकहॊसक औय भमाादा ऩरषोततभ थ, तबी उनको दवता कहत ह जफकक उसकी तरना भ आज का भनषम ववकायी, दखी औय अशाॊत फन गमा ह I मह सॊसाय बी यौयव नयक फन गमा ह I सबी नय-नायी काभ करोधाकद ववषम-ववकायो भ गोता रगा यह ह I सबी क कॊ ध ऩय भामा का जआ ह तथा एक बी भनषम ववकायो औय दखो स भि नहीॊ ह I

अत: अफ ऩयभवऩता ऩयभातभा, ऩयभ लशक, ऩयभ सतगर ऩयभातभा लशव कहत ह, " ह वतसो ! तभ सबी जनभ-जनभानतय स भझ ऩकायत आम हो कक - ह ऩबो , हभ द ख औय अशाॊलत स छडाओ औय हभ भविधाभ तथा सवगा भ र चरो I अत: अफ भ तमह वाऩस भविधाभ भ र चरन क लरए तथा इस सवि को ऩावन अथवा सवगा फनान आमा ह I वतसो, वताभान जनभ सबी का अॊलतभ जनभ ह अफ आऩ वकणठ ( सतमगी ऩावन सवि) भ चरन की तमायी कयो अथाात ऩववतर औय मोग-मि फनो टमोकक अफ लनकट बववषम भ शरीकषण ( शरीनायामण) का याजम आन ही वारा ह तथा इसस इस कलरमगी ववकायी सवि का भहाववनाश एटभ फभो, पराकलतक आऩदाओ तथा गह मदच स हो जामगा I लचतर भ शरीकषण को " ववशव क नरोफ" क ऊऩय भधय फॊशी फजात हए कदखामा ह कजसका अथा मह ह कक सभसत ववशव भ "शरीकषण" ( शरीनायामण) का एक छातर याजम होगा, एक धभा होगा, एक बाषा औय एक भत होगी तथा समऩ णा खशहारी, सभवदच औय सख चन की फॊशी फजगी I

फहत-स रोगो की मह भानमता ह कक शरीकषण दवाऩय मग क अॊत भ आत ह I उनह मह भार भ होना चाकहए कक शरीकषण तो सवागण सॊऩनन, सोरह करा समऩ णा, समऩ णा लनववाकायी एवॊ ऩ णात: ऩववतर थ I तफ बरा उनका जनभ दवाऩय मग की यजो परधान एवॊ ववकायमि सवि भ कस हो सकता ह ? शरीकषण क दशान क लरए स यदास न अऩनी अऩववतर दिी को सभाि कयन की कोलशश की औय शरीकषण- बविन भीयाफाई न ऩववतर

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यहन क लरए जहय का पमारा ऩीना सवीकाय ककमा, तफ बरा शरीकषण दवता अऩववतर दिी वारी सवि भ कस आ सकत ह ? शरीकषण तो सवमॊफय क फाद शरीनायामण कहराम तबी तो शरीकषण क फजगॉ क लचतर नही लभरत I अत: शरीकषण अथाात सतमगी ऩावन सवि क परायमब भ आम थ औय अफ ऩन: आन वार ह I

सवसिासतर शिरोमलण शरीमद भगवद गीता का ऻान-दाता कौन ह ?

मह ककतन आशचमा की फात ह कक आज भनषमभातर को मह बी नही भार भ की ऩयभवपरम ऩयभातभा लशव, कजनह " ऻान का सागय" तथा " कलमानकायी " भाना जाता ह, न भनषमभातर क कलमाण क लरए जो ऻान कदमा, उसका शासतर कौनसा ह ? बायत भ मदयवऩ गीता ऻान को बगवान दवाया कदमा हआ ऻान भाना जाता ह, तो आज बी सबी रोग मही भानत ह गीता गमा शरीकषण न दवाऩय मग क अॊत भ मदच क भदान भ, अजान क यथ ऩय सवाय होकय कदमा था I गीता-ऻान दवाऩर यग म नही ददया गया बललक सॊगम यग म ददया गया I

लचतर भ मह अदबत यहसम लचवतरत ककमा गमा ह कक वासतव भ गीता-ऻान लनयाकाय, ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न कदमा था I औय कपय गीता ऻान स सतमग भ शरीकषण का

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जनभ हआ I अत: गोऩशवय ऩयभवऩता लशव शरीकषण क बी ऩयरौककक वऩता ह औय गीता शरीकषण कक बी भाता ह I

मह तो सबी जानत ह कक गीता-ऻान दन का उदङश ऩथवी ऩय धभा की ऩन: सथाऩना ही था I गीता भ बगवान न सऩि कहा ह कक " भ अधभा का ववनाश तथा सतमधभा कक सथाऩनाथा ही अवतरयत होता ह ॉ I " अत: बगवान क अवतरयत होन तथा गीता ऻान दन क फाद तो धभा की तथ दवी सवबाव वार समपरदाम की ऩन: सथाऩना होनी चाकहए ऩयनत सबी जानत औय भानत ह की दवाऩयमग क फाद तो कलरमग ही शर हआ कजसभ तो धभा की अलधक हनी हई औय भनषमो का सवबाव तभोपरधान अथवा आसयी ही हआ अत: जो रोग मह भानत ह कक बगवान न गीता ऻान दवाऩयमग क अॊत भ कदमा, उनह सोचना चाकहए कक टमा गीता ऻान दन औय बगवान क अवतरयत होन का मही पर हआ ? टमा गीता ऻान दन क फाद अधभा का मग परायमब हआ ? सऩि ह कक उनका वववक इस परशन का ut t ar "न" शबद स ही दगा I

बगवान क अवतयण होन क फाद कलरमग का परायॊब भानना तो बगवान की नरानी कयना ह टमोकक बगवान का मथाथा ऩरयचम तो मह ह कक व अवतरयत होकय ऩथवी को असयो स खारी कयत ह I औय महाॉ धभा को ऩ णा कराओॊ सकहत सथावऩत कयक तथा नय को शरीनायामण भनषम की सदगलत कयत ह I बगवान तो सवि क " फीज रऩ " ह तथा सवरऩ ह, अत: इसी धयती ऩय उनक आन क ऩशचात तो नए सवि-व , अथाात नई सतमगी सवि का परादबााव होता ह I इसक अलतरयि, मकद दवाऩय क अॊत भ गीता ऻान कदमा गमा होता तो कलरमग क तभोपरधान कार भ तो उसकी परायबध ही न बोगी जा सकती I आज बी आऩ सीखत ह कक कदवारी क कदनो भ शरी रकषभी का आहवान कयन क लरए बायतवासी अऩन घयो को सापसथया कयत ह तथा दीऩक आकद जरात ह इसस सऩि ह कक अऩववतरता औय अॊधकाय वार सथान ऩय तो दवता अऩन चयण बी नहीॊ धयत I अत: शरीकषण का अथाात रकषभीऩलत शरीनायामण का जनभ दवाऩय भ भानना भहान ब र ह I उनका जनभ तो सतमग भ हआ जफकक सबी लभतर -समफनधी तथा परकलत-ऩदाथा सतोपरधन एवॊ कदवम थ औय सबी का आतभा-रऩी दीऩक जगा हआ था तथा सवि भ कोई बी मरचछ तथा टरश न था I

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अत: उऩमाि स सऩि ह कक न तो शरीकष ही दवाऩयमग भ हए औय न ही गीता-ऻान दवाऩय मग क अॊत भ कदमा गमा फकलक लनयाकाय, ऩलततऩावन ऩयभातभा लशव न कलरमग क अॊत औय सतमग क आकद क सॊगभ सभम, दभा-नरानी क सभम, फहमा तन भ कदवम जनभ लरमा औय गीता -ऻान दकय सतमग कक तथा शरीकषण ( शरीनायामण) क सवयाजम कक सथाऩना कक शरीकषण क तो अऩन भाता-वऩता, लशक थ ऩयनत गीता-ऻान सवा आतभाओॊ क भाता-वऩता लशव न कदमा I

गीता-ऻान दहॊसक यदध करन क शऱए नहीॊ ददया गया था

आज ऩयभातभा क कदवम जनभ औय "यथ" क सवरऩ को न जानन क कायण रोगो कक मह भानमता दढ ह कक गीता-ऻान शरीकरषण न अजान क यथ एभ सवाय होकय रडाई क भदान भ कदमा आऩ ही सोलचम कक जफकक अकहॊसा को धभा का ऩयभ रण भाना गमा ह औय जफकक धभाातभा अथवा भहातभा रोग नहो अकहॊसा का ऩारन कयत औय अकहॊसा की लशा दत ह तफ टमा बगवान नव बरा ककसी कहॊसक मदच क लरए ककसी को लशा दी होगी ? जफकक रौककक वऩता बी अऩन फचचो को मह लशा दता ह कक ऩयसऩय न रडो तो टमा सवि क ऩयभवऩता, शाॊलत क सागय ऩयभातभा न भनषमो

को ऩयसऩय रडामा होगा ! मह तो कदावऩ नहीॊ हो सकता बगवान तो दवी सवबाव वार सॊपरदाम की तथा सवोततभ धभा की सथाऩना क लरए ही गीता-ऻान दत ह औय उसस

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तो भनषम याग, दवष, कहॊसा औय करोध इतमाकद ऩय ववजम पराि कयत ह I अत: वासतववकता मह ह कक लनयाकाय ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न इस सवि रऩी कभा तर अथवा करतर ऩय, परजावऩता फहमा ( अजान) क शयीय रऩी यथ भ सवाय होकय भामा अथाात ववकायो स ही मदच कयन कक लशा दी थी , ऩयनत रखक न फाद भ अरॊकारयक बाषा भ इसका वणान ककमा तथा लचतरकायो न फाद भ शयीय को यथ क रऩ भ अॊककत कयक परजावऩता बरहमा की आतभा को बी उस यथ भ एक भनषम ( अजान) क रऩ भ लचवतरत ककमा I फाद भ वासतववक यहसम पराम:रि हो गमा औय सथ र अथा ही परचलरत हो गमा I

सॊगभ मग भ बगवान लशव न जफ परजावऩता बरहमा क तन रऩी यथ भ अवतरयत होकय ऻान कदमा औय धभा की सथाऩना की, तफ उसक ऩशचात कलरमगी सवि का भहाववनाश हो गमा औय सतमग सथाऩन हआ I अत: सवा-भहान ऩरयवतान क कायण फाद भ मह वासतववक यहसम परयहरि हो गमा I कपय जफ दवाऩयमग क बविकार भ गीता लरखी गमी तो फहत ऩहर ( सॊगभमग भ) हो चक इस वताॊत का रऩाॊतयण वमास न वताभानकार का परमोग कयक ककमा तो सभमाॊतय भ गीता-ऻान को बी वमास क जीवन-कार भ, अथाात " दवाऩयमग" भ कदमा गमा ऻान भान लरमा ऩयनत इस ब र स सॊसाय भ फहत फडी हालन हई टमोकक रोगो को मह यहसम ठीक यीलत स भार भ होता कक गीता-ऻान लनयाकाय ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव न कदमा जो कक शरीकषण क बी ऩयरौककक वऩता ह औय सबी धभो क अनमालममो क ऩयभ ऩ जम तथा सफक एकभातर सादगलत दाता तथा याजम-बनम दन वार ह, तो सबी धभो क अनमामी गीता को ही सॊसाय का सवोततभ शासतर भानत तथा उनक भहावाटमो को ऩयभवऩता क भहावाटम भानकय उनको लशयोधामा कयत औय व बायत को ही अऩना सवोततभ तीथा भानत अथ: लशव जमॊती को गीता -जमॊती तथा गीता जमॊती को लशव जमॊती क रऩ भ बी भानत I व एक जमोलतसवरऩ, लनयाकाय ऩयभवऩता, ऩयभातभा लशव स ही मोग-मि होकय ऩावन फन जात तथा उसस सख-शाॊलत की ऩ णा ववयासत र रत ऩयनत आज उऩमाि सवोततभ यहसमो को न जानन क कायण औय गीता भाता क ऩलत सवा भानम लनयाकाय ऩयभवऩता लशव क सथान ऩय गीता-ऩतर शरीकषण दवता का नाभ लरख दन क कायण गीता का ही खॊडन हो गमा औय सॊसाय भ घोय अनथा, हाहाकाय तथा ऩाऩाचाय हो गमा ह औय रोग एक लनयाकाय ऩयभवऩता की आऻा ( भनभना बव अथाात एक भझ हो को माद कयो ) को

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ब रकय वमलबचायी फवदच वार हो गए ह ! ! आज कपय स उऩमाि यहसम को जानकय ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव स मोग-मि होन स ऩन: इस बायत भ शरीकषण अथवा शरीनायामण का सखदामी सवयाजम सथाऩन हो सकता ह औय हो यहा ह I

जीवन कमऱ ऩषऩ समान कस बनाय ?

सनह औय सौहार क परबाव क कायण आज भनषम को घय भ घय-जसा अनबव नहीॊ होता I एक भाभ री कायण स घय का ऩ या वातावयण वफगड जाता ह I अफ भनषम की वफादायी औय ववशवासऩातरता बी कटकाऊ औय दढ नहीॊ यह I नलतक भ लम अऩन सतय स कापी लगय गए ह I कामाारम हो मा वमवसाम, घय हो मा यसोई, अफ हय जगह ऩयसऩय सॊफॊधो को सधायन, सवमॊ को उसस ढारन औय लभरजर कय चरन की जरयत ह I अऩनी कसथलत को लनदोष एवॊ सॊतलरत फनाम यखन क लरए हय भानव को आज फहत भनोफर इकटठा कयन की आवशमकता ह I इसक लरए मोग फहत ही सहामक हो सकता ह I

जो बरहमाकभाय ह, व दसयो को बी शाॊलत का भागा दशााना एक सवा अथवा अऩना कतावम सभझत ह I बरहमाकभाय जन-जन को मह ऻान द यहा ह कक "शाॊलत" ऩववतर जीवन का एक पर ह औय ऩववतरता एवॊ शाॊलत क लरए ऩयभवऩता ऩयभातभा का ऩरयचम तथा उनक साथ भान का नाता जोडना जरयी ह I अत: वह उनह याजमोग-क र अथवा ईशवयीम भनन लचॊतन क र ऩय ऩधायन क लरए आभॊवतरत कयता ह, जहाॉ उनह मह आवशमक ऻान

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कदमा जाता ह कक याजमोग का अभमास कस कय औय जीवन को कभर ऩषऩ क सभान कस फनाम इस ऻान औय मोग को सभझन का पर मह होता ह कक कोई कामाारम भ काभ कय यहा हो मा यसोई भ कामायत हो तो बी भनषम शाॊलत क सागय ऩयभातभा क साथ सवमॊ का समफनध सथावऩत कय सकता ह I इस सफ का शरषठ ऩरयणाभ मह होता ह कक साया ऩरयवाय पमाय औय शाॊलत क स तर भ वऩयो जाता ह, व सबी वातावयण भ आननद एवॊ शाॊलत का अनबव कयत ह औय अफ वह ऩरयवाय एक सवमवकसथत एवॊ सॊगकठत ऩरयवाय फन जाता ह I कदवम ऻान क दवाया भनषम ववकाय तो छोड दता ह औय गण धायण कय रता ह I इसक लरए, कजस भनोफर की जरयत होती ह, वह भनषम को मोग स लभरता ह I इस परकाय भनषम अऩन जीवन को कभर ऩषऩ क सभान फनान क मोनम हो जाता ह I कभर की मह ववशषता ह कक वह जर भ यहत हए जर स नामय होकय यहता ह I हाराॉकक कभर क अनम समफनधी, जस कक कभर ककडी, कभर डोडा इतमाकद ह, ऩयनत कपय बी कभर उन सबी स ऊऩय उठकय यहता ह I इसी परकाय हभ बी अऩन समफॊलधमो एवॊ लभतरजनो क फीच यहत हए उनस बी नमाया, अथाात भोहजीत होकय यहना चाकहए I कछ रोग कहत ह कक गहसथ भ ऐसा होना असमबव ह I ऩयनत हभ दखत ह कक असऩतार भ नसा अनक फचचो को सॉबारत हए बी उनभ भोह-यकहत होती ह I इस ही हभ बी चाकहए कक हभ सबी को ऩयभवऩता ऩयभातभा क वतस भानकय नमासी ( टरसटी ) होकय उनस वमवहाय कय I एक नमामाधीश बी ऽशी मा गभी क लनणाम सनाता ह, ऩयनत वह सवमॊ उनक परबावाधीन नहीॊ होता I ऐस ही हभ बी सख-द ख कक ऩरयकसथलतमो भ साी होकय यह, इसी क लरए हभ सहज याजमोग लसखन कक आवशमकता ह I

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राजयोग का आधार तथा पवशध

समऩ णा कसथलत को पराि कयन क लरए औय शीघर ही अधमाकतभक भ उननलत पराि कयन क लरए भनषम को याजमोग क लनयॊतय अभमास की आवशमकता ह, अथाात चरत कपयत औय कामा-वमवहाय कयत हए बी ऩयभातभा की सभलत भ कसथत होन को जरयत ह I

मदयवऩ लनयॊतय मोग क फहत राब ह I औय लनयॊतय मोग दवाया ही भनषम सवोततभ अवसथा को पराि कय सकता ह I तथावऩ ववशष रऩ स मोग भ फठना आवशमक ह I इसीलरए लचतर भ कदखामा गमा ह कक ऩयभातभा को माद कयत सभम हभ अऩनी फवदच सफ तयप स हटाकय एक जोलतवफिद ऩयभातभा लशव स जटानी चाकहए भान चॊचर होन क कायण काभ, करोध, रोब, भोह, अहॊकाय अथवा शासतर औय गरओ की तयप बागता ह I रककन

अभमास क दवाया हभ इसको एक ऩयभातभा की माद भ ही कसथत कयना ह I अत: दह सकहत दह क सवा-समबॊधो को ब र कय आतभ-सवरऩ भ कसथत होकय, फवदच भ जोलतवफिद ऩयभातभा लशव की सनहमि सभलत भ यहना ही वासतववक मोग ह जसा की लचतर भ कदखरामा गमा ह I

कई भनषम मोग को फहत ककठन सभझत ह, व कई परकाय की हाथ ककरमाएॊ तऩ अथवा पराणामाभ कयत यहत ह I रककन वासतव भ "मोग" अलत सहज ह जस की एक फचच को अऩन दहधायी वऩता की सहज औय सवत: माद यहती ह वस ही आतभा को अऩन वऩता ऩयभातभा की माद सवत: औय सहज होनी चाकहए इस अभमास क लरए मह सोचना चाकहए कक- " भ एक आतभा ह ॉ, भ जमोलत -वफॊद ऩयभातभा लशव की अववनाशी सॊतान

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ह ॉ जो ऩयभवऩता बरहमरोक क वासी ह, शाॊलत क सागय, आनॊद क सागय परभ क सागय औय सवाशविभान ह --I " ऐसा भनन कयत हए भन को बरहमरोक भ ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ऩय कसथत कयना चाकहए औय ऩयभातभा क कदवम-गणो औय कतावमो का धमान कयना चाकहए I

जफ भन भ इस परकाय की सभलत भ कसथत होगा I तफ साॊसारयक सॊफॊधो अथवा वसतओॊ का आकषाण अनबव नहीॊ होगा कजतना ही ऩयभातभा दवाया लसखामा गम ऻान भ लनशचम होगा, उतना ही साॊसारयक ववचाय औय रौककक सॊफॊलधमो की माद भन भ नही आमगी I औय उतना ही अऩन सवरऩ का ऩयभवपरम ऩयभातभा क गणो का अनबव होगा I

आज फहत स रोग कहत ह कक हभाया भन ऩयभातभा कक सभलत भ नही कटकता अथवा हभाया मोग नही रगता इसका एक कायण तो मह ह कक व " आतभ-लनशचम" भ कसथत नही होत आऩ जानत ह कक जफ वफजरी क दो तायो को जोडना होता ह तफ उनक ऊऩय क यफड को हटाना ऩडता ह, तबी उनभ कयॊट आता ह इसी परकाय, मकद कोई लनज दह क फहन भ होगा तो उस बी अवमि अनब लत नही होगी, उसक भन की ताय ऩयभातभा स नही जड सकती I

द सयी फात मह ह कक व तो ऩयभातभा को नाभ-रऩ स नमाया व सवावमाऩक भानत ह, अत: व भन को कोई कठकाना बी नही द सकत I ऩयनत अफ तो मह सऩि ककमा गमा ह कक ऩयभातभा का कदवम-नाभ लशव, कदवम-रऩ जमोलत-वफॊद औय कदवमधाभ ऩयभधाभ अथवा बरहमरोक ह अत: वहा भन को कटकामा जा सकता ह I

तीसयी फात मह ह कक उनह ऩयभातभा क साथ अऩन घलनि समफनध का बी ऩरयचम नही ह, इसी कायण ऩयभातभा क परलत उनक भन भ घलनि सनह नही अफ मह ऻान हो जान ऩय हभ बरहमरोक क वासी ऩयभवपरम ऩयभवऩता लशव-जोती-वफॊद कक सभलत भ यहना चाकहए I

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राजयोग क सतमभ अथवा शनयम

वासतव भ ―मोग‖ का अथा – ऻान क सागय, शाकनत क सागय, आननद क सागय, परभ क सागय, सवा शविवान, ऩलततऩावन ऩयभातभा लशव क साथ आतभा का समफनध जोडना ह ताकक आतभा को बी शाकनत, आननद, परभ, ऩववतरता, शवि औय कदवमगणो की ववयासत पराि हो |

मोग क अभमास क लरए उस आचयण समफनधी कछ लनमभो का अथवा कदवम अनशासन का ऩारन कयना होता ह टमोकक मोग का उदचशम भन को शदच कयना, दिी कोण भ ऩरयवतान राना औय भनषम क लचतत को सदा परसनन अथवा हषा-मि फनाना ह | द सय शबदो

भ मोग की उचच कसथलत ककनही आधायब त सतमबो ऩय कटकी होती ह |

इनभ स एक ह – बरहमचमा मा ऩववतरता | मोगी शायीरयक सॊदयता मा वासना-बोग की औय आकवषात नहीॊ होता टमोकक उसका दिी कोण फदर च का होता ह | वह आतभा की सॊदयता को ही ऩ णा भहतव दता ह | उसका जीवन ―बरहभचमा‖ शबद क वासतववक अथा भ ढरा होता ह | अथाात उसका भन बरहम भ कसथत होता ह औय वह दह की अऩा ववदही (आतभालबभानी) अवसथा भ यहता ह | अत: वह सफको बाई बाई क रऩ भ दखता ह औय आकतभक परभ व समफनध का ही आननद रता ह | महाॉ आकतभक सभलत औय बरहमचमा इस ही भहान शायीरयक शवि, कामा-भता, नलतक फर औय आकतभक शवि दत

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ह | मह उसक भनोफर को फढात ह औय उस लनणाम शवि, भानलसक सॊतरन औय कशरता दत ह |

द सया भहतवऩ णा सतमब ह – साकतवक आहाय | भनषम जो आहाय कताा ह उसका उसक भकसतषक ऩय गमबीय परबाव ऩडता ह | इसलरए मोगी भाॊस, अॊड उतजक ऩम मा तमफाक नहीॊ रता | अऩना ऩट ऩारन क लरए वह अनम जीवो की हतमा नहीॊ कयता, न ही वह अनलचत साधनो स धन कभाता ह | वह ऩहर बगवान को बोग रगाता औय तफ परशाद क रऩ भ उस गरहण कयता ह | बगवान दवाया सवीकत वह बोजन उसक भन को शाकनत व ऩववतरता दता ह, तबी ―जसा अनन वसा भन‖ की कहावत क अनसाय उसका भन शदच होता ह औय उसकी काभना कलमाणकायी तथा बावना शब फनी यहती ह |

अनम भहतवऩ णा सतमब ह –―सतसॊग‖ | जसा सॊग वसा यॊग‖ – इस कहावत क अनसाय मोगी सदा इस फात का धमान यखता ह कक उसका सदा ―सत-लचत-आननद‖ सवरऩ ऩयभातभा क साथ ही सॊग फना यह | वह कबी बी कसॊग भ अथवा अशलीर साकहतम अथवा कववचयो भ अऩना सभम वमथा नहीॊ गॊवाता | वह एक ही परब की माद व रनन भ भनन यहता ह तथा अऻानी, लभथमा-अलबभानी अथवा ववकायी, दहधायी भनषमो को माद नहीॊ कयता औय न ही उनस समफनध जोडता ह |

चौथा सतमब ह – कदवमगण | मोगी सदा अनम आतभाओॊ को बी अऩन कदवम-गणो, ववचायो तथा कदवम कभो की सगॊध स अगयफतती की तयह सगकनधत कयता यहता ह, न कक आसयी सवबाव, ववचाय व कभो क वशीब त होता ह | ववनमरता, सॊतोष, हवषातभखता, गमबीयता, अॊतभाखता, सहनशीरता औय अनम कदवम-गण मोग का भखम आधाय ह | मोगी सवमॊ तो इन गणो को धायण कयता ही ह, साथ ही अनम दखी ब री-बटकी औय अशानत आतभाओॊ को बी अऩन गणो का दान कयता ह औय उसक जीवन भ सचची सख-शाकनत परदान कयता ह | इन लनमभो को ऩारन कयन स ही भनषम सचचा मोगी जीवन फना सकता ह तथा योग, शोक, द ख व अशाकनत रऩी ब तो क फनधन स छटकाया ऩा सकता ह |

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राजयोग स पराशपत--अि िपियाॊ

याजमोग क अभमास स, अथाात भन का नाता ऩयभवऩता ऩयभातभा क साथ जोडन स, अववनाशी सख-शाॊलत कक परालि तो होती ही ह, साथ ही कई परकाय की अधमाकतभक शविमाॊ बी आ जाती ह इनभ स आठ भखम औय फहत ही भहतवऩ णा हI

इनभ स एक ह " लसकोडन औय परानी की शवि" जस कछआ अऩन अॊगो को जफ चाह लसकोड रता ह, जफ चाह उनह प रता ह, वस ही याजमोगी जफ चाह अऩनी इचछानसाय अऩनी कभकनरमो क दवाया कभा कयता ह औय जफ चाह ववदही एवॊ शाॊत अवसथा भ यह सकता ह I इस परकाय ववदही अवसथा भ यहन

स उस ऩय भामा का वाय नही होगा I

द सयी शवि ह -" सभटन की शवि" इस सॊसाय को भसाकपय खाना तो सबी कहत ह रककन वमवहारयक जीवन भ व इतना तो ववसताय कय रत ह कक अऩन कामा औय फवदच को सभटना चाहत हए बी सभत नही ऩात, जफकक मोगी अऩनी फवदच को इस ववशार दलनमा भ न परा कय एक ऩयभवऩता ऩयभातभा की तथा आकतभक समफनध की माद भ ही अऩनी फवदच को रगाम यखता ह I वह कलरमगी सॊसाय स अऩनी फवदच औय सॊकलऩो का वफसतय व ऩटी सभटकय सदा अऩन घय-ऩयभधाभ- भ चरन को तमाय यहता ह I

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तीसयी शवि ह " सहन शवि" जस व ऩय ऩतथय भायन ऩय बी भीठ पर दता ह औय अऩकाय कयन वार ऩय बी उऩकाय कयता ह, वस ही एक मोगी बी सदा अऩकाय कयन वारो क परलत बी शब बावना औय काभना ही यखता ह I

मोग स जो चोथी शवि पराि होती ह वह ह "सभान की शवि" मोग का अभमास भनषम की फवदच ववशार फना दता ह औय भनषम गबीयता औय भमाादा का गण धायण कयता ह I थोडी सी खलशमा, भान, ऩद ऩाकय वह अभभानी नही फन जाता औय न ही ककसी परकाय की कभी आन ऩय मा हालन होन क अवसय ऩय दखी होता ह वह तो सभर की तयह सदा अऩन दवी कर की भमाादा भ फॊधा यहता ह औय गॊबीय अवसथा भ यहकय द सयी आतभाओॊ क अवगणो को न दखत हए कवर उनस गण ही धायण कयता ह I

मोग स जो अनम शवि जो लभरती ह वह ह " ऩयखन की शवि" जस एक ऩायखी ( जौहयी) अबशनो को कसौटी ऩय ऩयखकय उसकी असर औय नर को जन जाता ह, इस ही मोगी बी, ककसी बी भनषमातभा क सॊऩका भ आन स उसको ऩयख रता ह औय उसस सचचाई मा झ ठ कबी लछऩा नही यह सकता I वह तो सदा सचच ऻान-यतनो को ही अऩनाता ह तथा अऻानता क झ ठ कॊ कड, ऩतथयो भ अऩनी फवदच नही पसाता I

एक मोगी को भहान लनणाम शवि बी सवत: पराि हो जाती ह I वह उलचत औय अनलचत फात का शीघर ही लनणाम कय रता ह I वह वमथा सकलऩ औय ऩयलचनतन स भि होकय सदा परब लचॊतन भ यहता ह I मोग क अभमास स भनषम को " साभना कयन की शवि" बी पराि होती ह I मकद उसक साभन अऩन लनकट समफनधी की भतम-जसी आऩदा आ बी जाम अथवा साॊसारयक सभसमाए त पान का रऩ बी धायण कय र तो बी वह कबी ववचलरत नही होता औय उसका आतभा रऩी दीऩक सदा ही जरता यहता ह तथा अनम आतभाओॊ को ऻान-परकाश दता यहता ह I

अनम शवि, जो मोग क अभमास स पराि होती ह, वह ह " सहमोग की शवि" एक मोगी अऩन तन,भन, धन स तो ईशवयीम सवा कयता ही ह, साथ ही उस अनम आतभाओॊ का बी सहमोग सवत: पराि होता ह, कजस कायण व कलरमगी ऩहाड ( ववकायी सॊसाय)

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को उठान भ अऩनी ऩववतर जीवन रऩी अॊगरी दकय सवगा की सथाऩन क ऩहाड सभान कामा भ सहमोगी फन जात ह I

राजयोग की यािा – सवगस की और दौड

याजमोग की मातरा – सवगा की औय दौड याजमोग क लनयॊतय अभमास स भनषम को अनक परकाय की शविमाॉ पराि होती ह | इन शविमो क दवाया ही भनषम साॊसारयक रकावटो को ऩाय कताा हआ आधमाकतभतक भागा की औय अगरसय होता ह | आज भनषम अनक परकाय क योग, शोक, लचनता औय ऩयशालनमो स गरलसत ह औय

मह सवि ही घोय नयक फन गई ह | इसस लनकरकय सवगा भ जाना हय एक पराणी चाहता ह रककन नयक स सवगा की औय का भागा कई रकावटो स मि ह | काभ, करोध, रोब, भोह औय अहॊकाय उसक यासत भ भखम फाधा डारत ह | ऩरषोतभ सॊगभ मग भ ऻान सागय ऩयभातभा लशव जो सहज याजमोग की लशा परजावऩता बरहमा क दवाया द यह ह, उस धायण कयन स ही भनषम इन परफर शतरओॊ (५ ववकायो) को जीत सकता ह |

लचतर भ कदखामा ह कक नयक स सवगा भ जान क लरए ऩहर-ऩहर भनषम को काभ ववकाय की ऊॊ ची दीवाय को ऩाय कयना ऩडता ह कजसभ नकीर शीशो की फाढ रगी हई ह | सको ऩाय कयन भ कई वमवि दह-अलबभान क कायण स सपरता नहीॊ ऩ सकत ह औय इसीलरए नकीर शीशो ऩय लगयकय रह -रहान हो जात ह | ववकायी दिी, कलत, वलत ही भनषम को इस दीवाय को ऩाय नहीॊ कयन दती | अत: ऩववतर दिी (Ci vi l Eye) फनाना इन ववकायो को जीतन क लरए अलत आवशमक ह |

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द सया बमॊकय ववघन करोध रऩी अकनन-चकर ह | करोध क वश होकय भनषम सतम औय असतम की ऩहचान बी नहीॊ कय ऩाता ह औय साथ ही उसभ ईषमाा, दवष, घणा आकद ववकायो का सभावश हो जाता ह कजसकी अकनन भ वह सवमॊ तो जरता ही ह साथ भ अनम भनषमो को बी जराता ह | इस बधा को ऩाय कयन क लरए ―सवधभा‖ भ अथाात ―भ आतभा शाॊत सवरऩ ह ॉ‖ – इस कसतलथ भ कसथत होना अतमावशमक ह | रोब बी भनषम को उसक सतम ऩथ स पर हटान क लरए भागा भ खडा ह | रोबी भनषम को कबी बी शाकनत नहीॊ लभर सकती औय वह भन को ऩयभातभा की माद भ नहीॊ कटका सकता | अत: सवगा की परालि क लरए भनषम को धन व खजान क रारच औय सोन की चभक क आकषाण ऩय बी जीत ऩानी ह |

भोह बी एक ऐसी फाधा ह जो जार की तयह खडी यहती ह | भनषम भोह क कड फनधन-वश, अऩन धभा व कामा को ब र जाता ह औय ऩरषाथा हीॊन फन जाता ह | तबी गीता भ बगवान न कहा ह कक ―निोभोहा सभलतराबधा:‖ फनो, अथाात दह सकहत दह क सवा समफनधो क भोह-जार स लनकर कय ऩयभातभा की माद भ कसथत हो जाओ औय अऩन कतावम को कयो, इसस ही सवगा की परालि हो सकगी | इसक लरए आवशमक ह कक भनषमातभा भोह क फनधनो स भवि ऩाए, तबी भामा क फनधनो स छटकाया लभरगा औय सवगा की परालि होगी |

अॊहकाय बी भनषम की उननलत क भागा भ ऩहाड की तयह रकावट डारता ह | अहॊकायी भनषम कबी बी ऩयभातभा क लनकट नहीॊ ऩहॉच सकता ह | अहॊकाय क वश ,भनषम ऩहाड की ऊॊ ची छोटी स लगयन क सभान चकनाच य हो जाता ह | अत: सवगा भ जान क लरए अहॊकाय को बी जीतना आवशमक ह | अत: माद यह कक इन ववकायो ऩय ववजम पराि कयक भनषम स दवता फनन वार ही नय-नायी सवगा भ जा सकती ह, वयना हय एक वमवि क भयन क फाद जो मह ख कदमा जाता ह कक ―वह सवगावासी हआ‖, मह सयासय गरत ह | मकद हय कोई भयन क फाद सवगा जा यहा होता तो जन-सॊखमा कभ हो जाती औय सवगा भ बीड रग जाती औय भतक क समफनधी भातभ न कयत |

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इस ऩथ-परदशानी भ जो ईशवयीम ऻान, व सहज याजमोग लरवऩ-फदच ककमा गमा ह, उसकी ववसतायऩ वाक लशा परजावऩता बरहमाकभायी ईशवयीम ववशव-ववधारम भ दी जाती ह | ऊऩय जो लचतर अॊककत टमा गमा ह, वह उसक भखम लशा-सथान तथा भखम कामाारम का ह | इस ईशवयीम ववशव-ववधारम की सथाऩना ऩयभवपरम ऩयभवऩता ऩयभातभा जमोलत-वफनद लशव न 1937 भ लसनध भ की थी | ऩयभवऩता ऩयभातभा लशव ऩयभधाभ अथाात बरहमरोक स अवतरयत होकय एक साधायण एवॊ वदच भनषम क तन भ परववि हए थ टमोकक ककसी भानवीम भख का परमोग ककए वफना लनयाकाय ऩयभातभा अनम ककसी यीलत स ऻान दत?

ऻान एवॊ सहज याजमोग क दवाया सतमग की सथाऩनाथा जमोलत-वफनद लशव का कजस भनषम क तन भ ―कदवम परवश‖ अथवा कदवम जनभ हआ, उस भनषम को उनहोन ―परजापऩता बरहमा‖- मह अरौककक नाभ कदमा | उनक भखाववानद दवाया ऻान एवॊ मोग की लशा रकय बरहमचमा वरत धायण कयन वार तथा ऩ णा ऩववतरता का वरत रन वार नय औय नारयमो को करभश: भख-वॊशी ―बराहमण‖ तथा ―बराहमलनमाॉ‖ अथवा ―बरहमाकभाय‖ औय बरहमाकभारयमाॉ‖ कहा जाता ह टमोकक उनका आधमाकतभक नव-जीवन बरहमा क शरीभख दवाया

ववलनसत ऻान स हआ |

ऩयभवऩता लशव तो वतरकारदशॉ ह; व तो उनक जनभ-जनभानतय की जीवन कहानी को जानत थ कक मह ही सतमग क आयमब भ ऩ जम शरी नायामण थ औय सभमानतय भ कराएॊ कभ होत-होत अफ इस अवसथा को पराि हए थ | अत: इनक तन भ परववि होकय उनहोन सन 1937 भ इस अववनाशी ऻान-मऻ की अथवा ईशवयीम ववशव-ववधारम की 5000 वषा ऩहर की बाॊलत, ऩन: सथाऩना की | इनही परजावऩता बरहमा को ही भहाबायत की बाषा भ ―बगवान का यथ‖ बी कहा जाता सकता ह, ऻान-गॊगा रान क लनलभत फनन वार ―बागीयथ‖ बी औय ―लशव‖ वाहन ―ननदीगण‖ बी |

Page 52: सात ददनों का कोसस. Seven Days Course/02. Seven Days...ह जह स हभ सब भन ष म त भ ए स व ऩ य गभ च ऩय आई ह

कजस भनषम क तन भ ऩयभातभा लशव न परवश ककमा, वह उस सभम करकता भ एक ववखमात जौहयी थ औय शरी नायामण क अननम बि थ | उनभ उदायता, सवा क कलमाण की बावना, वमवहाय-कशरता, याजकरोलचत शारीनता औय परब लभरन की उतकट चाह थी | उनक समफनध याजाओॊ-भहायाजाओॊ स बी थ, सभाज क भकखमो स बी औय साधायण एवॊ लनमन वगा स बी ख फ ऩरयलचत थ | अत: व अनबवी बी थ औय उन कदनो उनभ बवि की ऩयाकाषठा तथा वयानम की अनक र ब लभका बी थी |

अनमशच परवलत को कदवम फनान क लरए भाधमभ बी परवलत भागा वार ही वमवि का होना उलचत था | इन तथा अनम अनकानक कायणो स वतरकारदशॉ ऩयभवऩता लशव न उनक तन भ परवश ककमा |

उनक भख दवाया ऻान एवॊ मोग की लशा रन वार सबी बरहमाकभायो एवॊ बरहमाकभारयमो भ जो शरषठ थी, उनका इस अरौककक जीवन का नाभ हआ – जगदमफा सयसवती | वह ―मऻ-भाता‖ हई | उनहोन ऻान-वीणा दवाया जन-जन को परब-ऩरयचम दकय उनभ आधमाकतभक जागलत राई | उनहोन आजीवन बरहमचमा का ऩारन ककमा औय सहज याजमोग दवाया अनक

भनषमातभाओॊ की जमोलत जगाई | परजावऩता बरहमा औय जगदमफा सयसवती न ऩववतर एवॊ दवी जीॊ का आदशा उऩकसथत ककमा |