हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ...

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हमारी कहानी

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Page 1: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

हमारी कहानी

उचच पाथममक सzwjतर क लिएहहदी की परक पसzwjतक

ISBN 978-93-5007-346-9

सर वािधकर सररकषत परकाशक की परव अनमित क मबना इस परकाशन क मकसी भाग को छापना तथा

इलकzwjटरॉमनकी िशीनी फोटोपरमतमलमप मरकरॉमरडग अथरा मकसी अनzwjय मरमि स पन परzwjयोग पदधमत दारा उसका सगरहण अथरा परचारण रमवत ह

इस पसतक की मबकी इस शतव क साथ की गई ह मक परकाशन की परव अनमित क मबना zwjयह पसतक अपन िल आररण अथरा मलzwjद क अलारा मकसी अनzwjय परकार स वzwjयापार दारा उिारी पर पनमरवकzwjय zwjया मकराए पर न zwjदी ाएगी न बची ाएगी

इस परकाशन का सही िलzwjय इस पषzwjठ पर िमरित ह रबड की िहर अथरा मचपकाई गई पचची (मसटकर) zwjया मकसी अनzwjय मरमि दारा अमकत कोई भी सशोमित िलzwjय गलत ह तथा िानzwjय नही होगा

एन सी ई आर टी क परकशन परभग क कर वालर

एनसीईआरटी क पसशी अरमरzwjद िागव नरी िदलली 110 016 फोन 011-26562708

108ए 100 फीट रोरहली एकसटशन होसरकर बनाशकरी III इसटबगलर 560 085 फोन 080-26725740

नरीरन zwjटसट भरनराकघर नरीरनअहमदबद 380 014 फोन 079-27541446

सीरबलzwjयसी क पसमनकट धzwjानकल बस सटरॉप मपनहटीकोलकत 700 114 फोन 033-25530454

सीरबलzwjयसी करॉमzwjपलकसिालीगारगरहटी 781021 फोन 0361-2676869

परकशन सहरोग

अधzwjzwjयकष परकाशन परभाग अनपकमारराजपत

िखzwjय सपाzwjदक शzwjवताउपपल

िखzwjय उतपाzwjदन अमिकारी अरणिचतकारा

िखzwjय वzwjयापार परबधzwjाक (परभारी) िzwjिपनििzwjान

सपाzwjदक रवखाअगरzwjाल

उतपाzwjदन सहाzwjयक

80 ीएसएि पपर पर िमरित

परकाशन परभाग ि समचर राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद शी अरमरzwjद िागव नzwjयी मzwjदलली 110 016 दारा परकामशत तथा

परथम ससzwjकरण जन2015जzwjवषzwjठ1937

पनममदरण जन2019जzwjवषzwjठ1941जन2020जzwjवषzwjठ1942

PD 145T RPS

copy राषzwjटरीय शिकषzwjक अनसधान और परिशकषण पररषद 2015

` 5000

अररण एर सज-िितकनशzwjवताराzwj

आमखराषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद सिzwjय-सिzwjय पर मरदामथवzwjयो क मलए पाzwjठzwjयपसतको क साथ-साथ परक पाzwjठzwjयसािगरीअमतररकत पाzwjठzwjयसािगरी का परकाशन करती ह राषzwjटीzwjय पाzwjठzwjयचzwjयाव की रपरखा-2005 ि कहा गzwjया ह मक बचचो की पzwjठन रमच को मरकमसत करन क मलए उनक आस-पास पzwjठनसािगरी का मरपल भरार होना चामहए उनक सािन चzwjयन क ऐस मरकलप िौzwjद हो ो उनह सथाzwjयी पाzwjठक बनन ि िzwjदzwjद कर इस धzwjzwjयान ि रखकर उचच पराथमिक सतर क महzwjदी मरदामथवzwjयो क मलए हमरी कहनी को तzwjयार मकzwjया गzwjया ह इस पसतक ि मरमभनन कषता क िहतरपणव वzwjयकततzwjयो क ीरन की कहामनzwjयो का सचzwjयन मकzwjया गzwjया हmdashकभी उनकी अपनी जबानी कभी मकसी न कही उनकी कहानी आशा ह zwjयह पसतक मरदामथवzwjयो ि पढन की ससकमत मरकमसत करगी तथा अधzwjzwjयापको समहत अनzwjय पाzwjठको को आकषट करगी

पसतक की सािगरी-चzwjयन और सिीकषा क मलए आzwjयोमत काzwjयवशालाओ ि उपमसथत होकर मन मरषzwjय मरशषजो तथा अनभरी अधzwjzwjयापको न अपन बहिलzwjय सझारो दारा पसतक को उपzwjयोगी बनान ि सहzwjयोग मकzwjया ह पररषzwjद उनक परमत आभार वzwjयकत करती ह हि शी अशोक रापzwjयी सपरमसदध लखक-कमर क भी आभारी ह मनहोन सिगर रप स सिीकषा कर पसतक को बहतर बनान ि सहाzwjयता की ह zwjयह पसतक पररषzwjद क भाषा मशकषा मरभाग क महzwjदी सकाzwjय सzwjदसzwjयो दारा मकzwjया गzwjया एक सराहनीzwjय परzwjयास ह

मनशचzwjय ही पाzwjठzwjयकि तथा पाzwjठzwjयपसतको का मरकास एक मन रतर चलन राली परमकzwjया ह अत पसतक को और उपzwjयोगी बनान क मलए मरदामथवzwjयो अधzwjzwjयापको और मरशषजो क सझारो का सरागत ह

िनिवशक

नzwjयी मzwjदलली राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद

हमरी कहनीआतमकथ zwjयानी अपन ीरन की कथा आप बीती अपनी ीरन-कहानी मस हि खाzwjद मलखत हmdash कzwjयोमक हिार ीरन क बार ि हिस बहतर भला कौन ानता ह मकसी क ीरन क बार ि अगर कोई zwjदसरा मलखता ह तो रह उसकी ीरनी होगी आतिकथा नही सरमलमखत अथरा सरzwjय दारा बोलकर मलखाzwjया गzwjया ीरन चररत ही आतिकथा ह मस हि आति-ीरनी भी कह सकत ह

वzwjयमकत ही नही परतzwjयक ीर-त पड-पौिो पहाडो और रसतओ का भी अपना एक ीरन होता ह एक-zwjदसर पर मनभवर होकर भी एक-zwjदसर स अलग सबकी अपनी-अपनी ीरन-zwjयाता होती ह ीरन-कहानी होती ह कछ लोगो की ीरनी zwjदसरो क दारा मलखी ाती ह तो कछ लोग आतिकथा मलखत ह अपन मपरzwjय लखक कलाकार मखलाडी रानता आमzwjद क ीरन-सघषव क बार ि ानन क मलए हि बडी उतसकता क साथ उनकी आतिकथाओ की तलाश करत ह और उनह पढकर ीरन ि कछ करन आग बढन की पररणा पात ह

आतिकथा ि ीरन क मरमरि अनभर होत हmdashििर सिमतzwjया सख-zwjदख आशा-मनराशा सघषव सफलता और मरफलता की अनक कहामनzwjया होती ह इसि ीरन और अपन सिzwjय-सिा का सच होता ह ो हि एक रहzwjद ससार स ोडता ह इसी सच को अौरो तक पहचान की चाह ि आतिकथाए मलखी ाती ह और इसी सच को ानन की चाह ि हि आतिकथाए पढत भी ह आतिकथाकार क ीरन-अनभर स डकर हि zwjदमनzwjया और zwjदश-सिा को और बहतर ढग स सिझन की कोमशश करत ह

हि सभी क ीरन िmdashबचपन स लकर बढाप तक mdash अनक ऐसी बात-घटनाए होती ह मनह हि राzwjयरी ससिरण zwjया आतिकथा क रप ि मलख तो रह हिार ीरन की कहानी तो होगी ही हिार सिzwjय और सिा का आईना भी होगा लमकन आतिकथा मलखन क मलए मनसकोच भार स सब कछ कह zwjदन और सच को सरीकार करन का नमतक साहस आरशzwjयक ह (िहातिा गािी की आतिकथा सतzwjय क साथ िर परzwjयोग इसका एक अचछा उzwjदाहरण ह)

zwjयह मकताब ो इस सिzwjय आपक हाथ ि ह इसि आप पढग कछ आतिकथाअो-ीरमनzwjयो क अश कछ ससिरण zwjदश-मरzwjदश क उन लोगो क बार ि mdash मनि लखक कलाकार मखलाडी रजामनक रानता आमzwjद शामिल ह mdash मनहोन अपन-अपन कषतो ि कछ ऐसा काि मकzwjया ह ो औरो स हटकर ह और zwjदसरो क मलए पररणापरzwjद भी

इन आतिकथातिक रचनाओ ि आपको उनका बचपन मिलगा और उनक ीरन का रह सघषव भी मसक कारण आ उनका नाि और काि zwjदमनzwjयाभर ि चमचवत ह उनक बार ि पढत हए हो सकता ह आपको भzwjाी अपन बचपन की zwjया अब तक क मzwjय ीरन की कोई ऐसी बात zwjया घटना zwjयाzwjद आ ाए मसस लग मक अर ऐसी ही कछ िरी भी कहानी ह और मस मलखन को आपका िन िचल उzwjठ तो मनसकोच उस फौरन मलख रालना mdash अपन िन क सीि सचच सरल शबzwjदो ि

ी हा आप हर मzwjदन की अपनी कहानी को राzwjयरी क रप ि मलख सकत ह बीत मzwjदनो की zwjयाzwjदो को ससिरण क रप ि मलख सकत ह और आप चाह तो पत मलखकर भी अपन मकसी zwjदोसत zwjया मपरzwjय वzwjयमकत को अपनी ीरन-कहानी पढा सकत ह अपन मपरzwjय मित zwjया अपन िाता-मपता स उनक बचपन zwjया ीरन क बार ि पत मलखकर ान सकत ह zwjया उनक साथ बातचीत करत हए ऑमरzwjयोरीमरzwjया ररकरॉमरडग करक उनक बोल हए शबzwjदो स ही उनकी आतिकथा zwjया उनक ससिरणो की एक मकताब तzwjयार कर सकत ह तो चमलए अपन अास-पास क लोगो और अपन आप ि उस अमभनर सzwjदर सच और स नातिकता को िहसस कर और उस शबzwjदो ि अमभवzwjयमकत zwjद इसी मरशरास क साथ zwjयह मकताब आपक हाथो ि ह हि zwjयह भी आशा ह मक आप इस मकताब को भी और बहतर बनान क सझार zwjदन ि महचमकचाएग नही

vi

पसतक िनम वाण समहसदसर-समनररक

चरिा सzwjदाzwjयत mdash परोफ़व सर एर अधzwjकष भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

नरश कोहली mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिोzwjद किार zwjदब mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सधzwjzwjया मसह mdash परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सदसरअपरावनzwjद mdash परोफ़व सर महzwjदी मरभाग मzwjदलली मरशरमरदालzwjय मzwjदलली

अशाोक रापzwjयी mdash महzwjदी लखक सी-18 अनपि अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

अकषzwjय किार mdash िहिीिशकषक सरवोzwjदzwjय बाल मरदालzwjय फतहपर बरी मzwjदलली

उषा शिाव mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिपाल शिाव mdash िहिीलवखक 96 कला मरहार िzwjयर मरहार फ- मzwjदलली

िािरी किार mdash पzwjवएसरोिसएटपरोफ़व सर एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

राकश किार mdash उप-पाचाzwjव बीआरएसबीरी भोलानाथ नगर मzwjदलली

रािनि शिाव mdash पzwjवपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

लता पाणरzwjय mdash परोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

मरिल थोराट mdash परोफ़व सर इमzwjदरा गािी िकत मरशरमरदालzwjय (इगन) नzwjयी मzwjदलली

शzwjयाि मसह सशील mdash िहिीलवखक ए-13 zwjदमनक नzwjयग अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

स zwjय किार सिन mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सतोष किार पाणरzwjय mdash िहिीिशकषक क रिीzwjय मरदालzwjय एनzwjय नzwjयी मzwjदलली

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

2

अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

3

आतzwjमकथाजीवनी

4

जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

5

आतzwjमकथाजीवनी

6

गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

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आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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आतzwjमकथाजीवनी

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

आतzwjमकथाजीवनी

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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आतzwjमकथाजीवनी

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

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हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 2: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

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हमारी कहानी

उचच पाथममक सzwjतर क लिएहहदी की परक पसzwjतक

ISBN 978-93-5007-346-9

सर वािधकर सररकषत परकाशक की परव अनमित क मबना इस परकाशन क मकसी भाग को छापना तथा

इलकzwjटरॉमनकी िशीनी फोटोपरमतमलमप मरकरॉमरडग अथरा मकसी अनzwjय मरमि स पन परzwjयोग पदधमत दारा उसका सगरहण अथरा परचारण रमवत ह

इस पसतक की मबकी इस शतव क साथ की गई ह मक परकाशन की परव अनमित क मबना zwjयह पसतक अपन िल आररण अथरा मलzwjद क अलारा मकसी अनzwjय परकार स वzwjयापार दारा उिारी पर पनमरवकzwjय zwjया मकराए पर न zwjदी ाएगी न बची ाएगी

इस परकाशन का सही िलzwjय इस पषzwjठ पर िमरित ह रबड की िहर अथरा मचपकाई गई पचची (मसटकर) zwjया मकसी अनzwjय मरमि दारा अमकत कोई भी सशोमित िलzwjय गलत ह तथा िानzwjय नही होगा

एन सी ई आर टी क परकशन परभग क कर वालर

एनसीईआरटी क पसशी अरमरzwjद िागव नरी िदलली 110 016 फोन 011-26562708

108ए 100 फीट रोरहली एकसटशन होसरकर बनाशकरी III इसटबगलर 560 085 फोन 080-26725740

नरीरन zwjटसट भरनराकघर नरीरनअहमदबद 380 014 फोन 079-27541446

सीरबलzwjयसी क पसमनकट धzwjानकल बस सटरॉप मपनहटीकोलकत 700 114 फोन 033-25530454

सीरबलzwjयसी करॉमzwjपलकसिालीगारगरहटी 781021 फोन 0361-2676869

परकशन सहरोग

अधzwjzwjयकष परकाशन परभाग अनपकमारराजपत

िखzwjय सपाzwjदक शzwjवताउपपल

िखzwjय उतपाzwjदन अमिकारी अरणिचतकारा

िखzwjय वzwjयापार परबधzwjाक (परभारी) िzwjिपनििzwjान

सपाzwjदक रवखाअगरzwjाल

उतपाzwjदन सहाzwjयक

80 ीएसएि पपर पर िमरित

परकाशन परभाग ि समचर राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद शी अरमरzwjद िागव नzwjयी मzwjदलली 110 016 दारा परकामशत तथा

परथम ससzwjकरण जन2015जzwjवषzwjठ1937

पनममदरण जन2019जzwjवषzwjठ1941जन2020जzwjवषzwjठ1942

PD 145T RPS

copy राषzwjटरीय शिकषzwjक अनसधान और परिशकषण पररषद 2015

` 5000

अररण एर सज-िितकनशzwjवताराzwj

आमखराषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद सिzwjय-सिzwjय पर मरदामथवzwjयो क मलए पाzwjठzwjयपसतको क साथ-साथ परक पाzwjठzwjयसािगरीअमतररकत पाzwjठzwjयसािगरी का परकाशन करती ह राषzwjटीzwjय पाzwjठzwjयचzwjयाव की रपरखा-2005 ि कहा गzwjया ह मक बचचो की पzwjठन रमच को मरकमसत करन क मलए उनक आस-पास पzwjठनसािगरी का मरपल भरार होना चामहए उनक सािन चzwjयन क ऐस मरकलप िौzwjद हो ो उनह सथाzwjयी पाzwjठक बनन ि िzwjदzwjद कर इस धzwjzwjयान ि रखकर उचच पराथमिक सतर क महzwjदी मरदामथवzwjयो क मलए हमरी कहनी को तzwjयार मकzwjया गzwjया ह इस पसतक ि मरमभनन कषता क िहतरपणव वzwjयकततzwjयो क ीरन की कहामनzwjयो का सचzwjयन मकzwjया गzwjया हmdashकभी उनकी अपनी जबानी कभी मकसी न कही उनकी कहानी आशा ह zwjयह पसतक मरदामथवzwjयो ि पढन की ससकमत मरकमसत करगी तथा अधzwjzwjयापको समहत अनzwjय पाzwjठको को आकषट करगी

पसतक की सािगरी-चzwjयन और सिीकषा क मलए आzwjयोमत काzwjयवशालाओ ि उपमसथत होकर मन मरषzwjय मरशषजो तथा अनभरी अधzwjzwjयापको न अपन बहिलzwjय सझारो दारा पसतक को उपzwjयोगी बनान ि सहzwjयोग मकzwjया ह पररषzwjद उनक परमत आभार वzwjयकत करती ह हि शी अशोक रापzwjयी सपरमसदध लखक-कमर क भी आभारी ह मनहोन सिगर रप स सिीकषा कर पसतक को बहतर बनान ि सहाzwjयता की ह zwjयह पसतक पररषzwjद क भाषा मशकषा मरभाग क महzwjदी सकाzwjय सzwjदसzwjयो दारा मकzwjया गzwjया एक सराहनीzwjय परzwjयास ह

मनशचzwjय ही पाzwjठzwjयकि तथा पाzwjठzwjयपसतको का मरकास एक मन रतर चलन राली परमकzwjया ह अत पसतक को और उपzwjयोगी बनान क मलए मरदामथवzwjयो अधzwjzwjयापको और मरशषजो क सझारो का सरागत ह

िनिवशक

नzwjयी मzwjदलली राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद

हमरी कहनीआतमकथ zwjयानी अपन ीरन की कथा आप बीती अपनी ीरन-कहानी मस हि खाzwjद मलखत हmdash कzwjयोमक हिार ीरन क बार ि हिस बहतर भला कौन ानता ह मकसी क ीरन क बार ि अगर कोई zwjदसरा मलखता ह तो रह उसकी ीरनी होगी आतिकथा नही सरमलमखत अथरा सरzwjय दारा बोलकर मलखाzwjया गzwjया ीरन चररत ही आतिकथा ह मस हि आति-ीरनी भी कह सकत ह

वzwjयमकत ही नही परतzwjयक ीर-त पड-पौिो पहाडो और रसतओ का भी अपना एक ीरन होता ह एक-zwjदसर पर मनभवर होकर भी एक-zwjदसर स अलग सबकी अपनी-अपनी ीरन-zwjयाता होती ह ीरन-कहानी होती ह कछ लोगो की ीरनी zwjदसरो क दारा मलखी ाती ह तो कछ लोग आतिकथा मलखत ह अपन मपरzwjय लखक कलाकार मखलाडी रानता आमzwjद क ीरन-सघषव क बार ि ानन क मलए हि बडी उतसकता क साथ उनकी आतिकथाओ की तलाश करत ह और उनह पढकर ीरन ि कछ करन आग बढन की पररणा पात ह

आतिकथा ि ीरन क मरमरि अनभर होत हmdashििर सिमतzwjया सख-zwjदख आशा-मनराशा सघषव सफलता और मरफलता की अनक कहामनzwjया होती ह इसि ीरन और अपन सिzwjय-सिा का सच होता ह ो हि एक रहzwjद ससार स ोडता ह इसी सच को अौरो तक पहचान की चाह ि आतिकथाए मलखी ाती ह और इसी सच को ानन की चाह ि हि आतिकथाए पढत भी ह आतिकथाकार क ीरन-अनभर स डकर हि zwjदमनzwjया और zwjदश-सिा को और बहतर ढग स सिझन की कोमशश करत ह

हि सभी क ीरन िmdashबचपन स लकर बढाप तक mdash अनक ऐसी बात-घटनाए होती ह मनह हि राzwjयरी ससिरण zwjया आतिकथा क रप ि मलख तो रह हिार ीरन की कहानी तो होगी ही हिार सिzwjय और सिा का आईना भी होगा लमकन आतिकथा मलखन क मलए मनसकोच भार स सब कछ कह zwjदन और सच को सरीकार करन का नमतक साहस आरशzwjयक ह (िहातिा गािी की आतिकथा सतzwjय क साथ िर परzwjयोग इसका एक अचछा उzwjदाहरण ह)

zwjयह मकताब ो इस सिzwjय आपक हाथ ि ह इसि आप पढग कछ आतिकथाअो-ीरमनzwjयो क अश कछ ससिरण zwjदश-मरzwjदश क उन लोगो क बार ि mdash मनि लखक कलाकार मखलाडी रजामनक रानता आमzwjद शामिल ह mdash मनहोन अपन-अपन कषतो ि कछ ऐसा काि मकzwjया ह ो औरो स हटकर ह और zwjदसरो क मलए पररणापरzwjद भी

इन आतिकथातिक रचनाओ ि आपको उनका बचपन मिलगा और उनक ीरन का रह सघषव भी मसक कारण आ उनका नाि और काि zwjदमनzwjयाभर ि चमचवत ह उनक बार ि पढत हए हो सकता ह आपको भzwjाी अपन बचपन की zwjया अब तक क मzwjय ीरन की कोई ऐसी बात zwjया घटना zwjयाzwjद आ ाए मसस लग मक अर ऐसी ही कछ िरी भी कहानी ह और मस मलखन को आपका िन िचल उzwjठ तो मनसकोच उस फौरन मलख रालना mdash अपन िन क सीि सचच सरल शबzwjदो ि

ी हा आप हर मzwjदन की अपनी कहानी को राzwjयरी क रप ि मलख सकत ह बीत मzwjदनो की zwjयाzwjदो को ससिरण क रप ि मलख सकत ह और आप चाह तो पत मलखकर भी अपन मकसी zwjदोसत zwjया मपरzwjय वzwjयमकत को अपनी ीरन-कहानी पढा सकत ह अपन मपरzwjय मित zwjया अपन िाता-मपता स उनक बचपन zwjया ीरन क बार ि पत मलखकर ान सकत ह zwjया उनक साथ बातचीत करत हए ऑमरzwjयोरीमरzwjया ररकरॉमरडग करक उनक बोल हए शबzwjदो स ही उनकी आतिकथा zwjया उनक ससिरणो की एक मकताब तzwjयार कर सकत ह तो चमलए अपन अास-पास क लोगो और अपन आप ि उस अमभनर सzwjदर सच और स नातिकता को िहसस कर और उस शबzwjदो ि अमभवzwjयमकत zwjद इसी मरशरास क साथ zwjयह मकताब आपक हाथो ि ह हि zwjयह भी आशा ह मक आप इस मकताब को भी और बहतर बनान क सझार zwjदन ि महचमकचाएग नही

vi

पसतक िनम वाण समहसदसर-समनररक

चरिा सzwjदाzwjयत mdash परोफ़व सर एर अधzwjकष भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

नरश कोहली mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिोzwjद किार zwjदब mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सधzwjzwjया मसह mdash परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सदसरअपरावनzwjद mdash परोफ़व सर महzwjदी मरभाग मzwjदलली मरशरमरदालzwjय मzwjदलली

अशाोक रापzwjयी mdash महzwjदी लखक सी-18 अनपि अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

अकषzwjय किार mdash िहिीिशकषक सरवोzwjदzwjय बाल मरदालzwjय फतहपर बरी मzwjदलली

उषा शिाव mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिपाल शिाव mdash िहिीलवखक 96 कला मरहार िzwjयर मरहार फ- मzwjदलली

िािरी किार mdash पzwjवएसरोिसएटपरोफ़व सर एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

राकश किार mdash उप-पाचाzwjव बीआरएसबीरी भोलानाथ नगर मzwjदलली

रािनि शिाव mdash पzwjवपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

लता पाणरzwjय mdash परोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

मरिल थोराट mdash परोफ़व सर इमzwjदरा गािी िकत मरशरमरदालzwjय (इगन) नzwjयी मzwjदलली

शzwjयाि मसह सशील mdash िहिीलवखक ए-13 zwjदमनक नzwjयग अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

स zwjय किार सिन mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सतोष किार पाणरzwjय mdash िहिीिशकषक क रिीzwjय मरदालzwjय एनzwjय नzwjयी मzwjदलली

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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आतzwjमकथाजीवनी

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

आतzwjमकथाजीवनी

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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आतzwjमकथाजीवनी

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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आतzwjमकथाजीवनी

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

आतzwjमकथाजीवनी

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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आतzwjमकथाजीवनी

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

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हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 3: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

हमारी कहानी

उचच पाथममक सzwjतर क लिएहहदी की परक पसzwjतक

ISBN 978-93-5007-346-9

सर वािधकर सररकषत परकाशक की परव अनमित क मबना इस परकाशन क मकसी भाग को छापना तथा

इलकzwjटरॉमनकी िशीनी फोटोपरमतमलमप मरकरॉमरडग अथरा मकसी अनzwjय मरमि स पन परzwjयोग पदधमत दारा उसका सगरहण अथरा परचारण रमवत ह

इस पसतक की मबकी इस शतव क साथ की गई ह मक परकाशन की परव अनमित क मबना zwjयह पसतक अपन िल आररण अथरा मलzwjद क अलारा मकसी अनzwjय परकार स वzwjयापार दारा उिारी पर पनमरवकzwjय zwjया मकराए पर न zwjदी ाएगी न बची ाएगी

इस परकाशन का सही िलzwjय इस पषzwjठ पर िमरित ह रबड की िहर अथरा मचपकाई गई पचची (मसटकर) zwjया मकसी अनzwjय मरमि दारा अमकत कोई भी सशोमित िलzwjय गलत ह तथा िानzwjय नही होगा

एन सी ई आर टी क परकशन परभग क कर वालर

एनसीईआरटी क पसशी अरमरzwjद िागव नरी िदलली 110 016 फोन 011-26562708

108ए 100 फीट रोरहली एकसटशन होसरकर बनाशकरी III इसटबगलर 560 085 फोन 080-26725740

नरीरन zwjटसट भरनराकघर नरीरनअहमदबद 380 014 फोन 079-27541446

सीरबलzwjयसी क पसमनकट धzwjानकल बस सटरॉप मपनहटीकोलकत 700 114 फोन 033-25530454

सीरबलzwjयसी करॉमzwjपलकसिालीगारगरहटी 781021 फोन 0361-2676869

परकशन सहरोग

अधzwjzwjयकष परकाशन परभाग अनपकमारराजपत

िखzwjय सपाzwjदक शzwjवताउपपल

िखzwjय उतपाzwjदन अमिकारी अरणिचतकारा

िखzwjय वzwjयापार परबधzwjाक (परभारी) िzwjिपनििzwjान

सपाzwjदक रवखाअगरzwjाल

उतपाzwjदन सहाzwjयक

80 ीएसएि पपर पर िमरित

परकाशन परभाग ि समचर राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद शी अरमरzwjद िागव नzwjयी मzwjदलली 110 016 दारा परकामशत तथा

परथम ससzwjकरण जन2015जzwjवषzwjठ1937

पनममदरण जन2019जzwjवषzwjठ1941जन2020जzwjवषzwjठ1942

PD 145T RPS

copy राषzwjटरीय शिकषzwjक अनसधान और परिशकषण पररषद 2015

` 5000

अररण एर सज-िितकनशzwjवताराzwj

आमखराषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद सिzwjय-सिzwjय पर मरदामथवzwjयो क मलए पाzwjठzwjयपसतको क साथ-साथ परक पाzwjठzwjयसािगरीअमतररकत पाzwjठzwjयसािगरी का परकाशन करती ह राषzwjटीzwjय पाzwjठzwjयचzwjयाव की रपरखा-2005 ि कहा गzwjया ह मक बचचो की पzwjठन रमच को मरकमसत करन क मलए उनक आस-पास पzwjठनसािगरी का मरपल भरार होना चामहए उनक सािन चzwjयन क ऐस मरकलप िौzwjद हो ो उनह सथाzwjयी पाzwjठक बनन ि िzwjदzwjद कर इस धzwjzwjयान ि रखकर उचच पराथमिक सतर क महzwjदी मरदामथवzwjयो क मलए हमरी कहनी को तzwjयार मकzwjया गzwjया ह इस पसतक ि मरमभनन कषता क िहतरपणव वzwjयकततzwjयो क ीरन की कहामनzwjयो का सचzwjयन मकzwjया गzwjया हmdashकभी उनकी अपनी जबानी कभी मकसी न कही उनकी कहानी आशा ह zwjयह पसतक मरदामथवzwjयो ि पढन की ससकमत मरकमसत करगी तथा अधzwjzwjयापको समहत अनzwjय पाzwjठको को आकषट करगी

पसतक की सािगरी-चzwjयन और सिीकषा क मलए आzwjयोमत काzwjयवशालाओ ि उपमसथत होकर मन मरषzwjय मरशषजो तथा अनभरी अधzwjzwjयापको न अपन बहिलzwjय सझारो दारा पसतक को उपzwjयोगी बनान ि सहzwjयोग मकzwjया ह पररषzwjद उनक परमत आभार वzwjयकत करती ह हि शी अशोक रापzwjयी सपरमसदध लखक-कमर क भी आभारी ह मनहोन सिगर रप स सिीकषा कर पसतक को बहतर बनान ि सहाzwjयता की ह zwjयह पसतक पररषzwjद क भाषा मशकषा मरभाग क महzwjदी सकाzwjय सzwjदसzwjयो दारा मकzwjया गzwjया एक सराहनीzwjय परzwjयास ह

मनशचzwjय ही पाzwjठzwjयकि तथा पाzwjठzwjयपसतको का मरकास एक मन रतर चलन राली परमकzwjया ह अत पसतक को और उपzwjयोगी बनान क मलए मरदामथवzwjयो अधzwjzwjयापको और मरशषजो क सझारो का सरागत ह

िनिवशक

नzwjयी मzwjदलली राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद

हमरी कहनीआतमकथ zwjयानी अपन ीरन की कथा आप बीती अपनी ीरन-कहानी मस हि खाzwjद मलखत हmdash कzwjयोमक हिार ीरन क बार ि हिस बहतर भला कौन ानता ह मकसी क ीरन क बार ि अगर कोई zwjदसरा मलखता ह तो रह उसकी ीरनी होगी आतिकथा नही सरमलमखत अथरा सरzwjय दारा बोलकर मलखाzwjया गzwjया ीरन चररत ही आतिकथा ह मस हि आति-ीरनी भी कह सकत ह

वzwjयमकत ही नही परतzwjयक ीर-त पड-पौिो पहाडो और रसतओ का भी अपना एक ीरन होता ह एक-zwjदसर पर मनभवर होकर भी एक-zwjदसर स अलग सबकी अपनी-अपनी ीरन-zwjयाता होती ह ीरन-कहानी होती ह कछ लोगो की ीरनी zwjदसरो क दारा मलखी ाती ह तो कछ लोग आतिकथा मलखत ह अपन मपरzwjय लखक कलाकार मखलाडी रानता आमzwjद क ीरन-सघषव क बार ि ानन क मलए हि बडी उतसकता क साथ उनकी आतिकथाओ की तलाश करत ह और उनह पढकर ीरन ि कछ करन आग बढन की पररणा पात ह

आतिकथा ि ीरन क मरमरि अनभर होत हmdashििर सिमतzwjया सख-zwjदख आशा-मनराशा सघषव सफलता और मरफलता की अनक कहामनzwjया होती ह इसि ीरन और अपन सिzwjय-सिा का सच होता ह ो हि एक रहzwjद ससार स ोडता ह इसी सच को अौरो तक पहचान की चाह ि आतिकथाए मलखी ाती ह और इसी सच को ानन की चाह ि हि आतिकथाए पढत भी ह आतिकथाकार क ीरन-अनभर स डकर हि zwjदमनzwjया और zwjदश-सिा को और बहतर ढग स सिझन की कोमशश करत ह

हि सभी क ीरन िmdashबचपन स लकर बढाप तक mdash अनक ऐसी बात-घटनाए होती ह मनह हि राzwjयरी ससिरण zwjया आतिकथा क रप ि मलख तो रह हिार ीरन की कहानी तो होगी ही हिार सिzwjय और सिा का आईना भी होगा लमकन आतिकथा मलखन क मलए मनसकोच भार स सब कछ कह zwjदन और सच को सरीकार करन का नमतक साहस आरशzwjयक ह (िहातिा गािी की आतिकथा सतzwjय क साथ िर परzwjयोग इसका एक अचछा उzwjदाहरण ह)

zwjयह मकताब ो इस सिzwjय आपक हाथ ि ह इसि आप पढग कछ आतिकथाअो-ीरमनzwjयो क अश कछ ससिरण zwjदश-मरzwjदश क उन लोगो क बार ि mdash मनि लखक कलाकार मखलाडी रजामनक रानता आमzwjद शामिल ह mdash मनहोन अपन-अपन कषतो ि कछ ऐसा काि मकzwjया ह ो औरो स हटकर ह और zwjदसरो क मलए पररणापरzwjद भी

इन आतिकथातिक रचनाओ ि आपको उनका बचपन मिलगा और उनक ीरन का रह सघषव भी मसक कारण आ उनका नाि और काि zwjदमनzwjयाभर ि चमचवत ह उनक बार ि पढत हए हो सकता ह आपको भzwjाी अपन बचपन की zwjया अब तक क मzwjय ीरन की कोई ऐसी बात zwjया घटना zwjयाzwjद आ ाए मसस लग मक अर ऐसी ही कछ िरी भी कहानी ह और मस मलखन को आपका िन िचल उzwjठ तो मनसकोच उस फौरन मलख रालना mdash अपन िन क सीि सचच सरल शबzwjदो ि

ी हा आप हर मzwjदन की अपनी कहानी को राzwjयरी क रप ि मलख सकत ह बीत मzwjदनो की zwjयाzwjदो को ससिरण क रप ि मलख सकत ह और आप चाह तो पत मलखकर भी अपन मकसी zwjदोसत zwjया मपरzwjय वzwjयमकत को अपनी ीरन-कहानी पढा सकत ह अपन मपरzwjय मित zwjया अपन िाता-मपता स उनक बचपन zwjया ीरन क बार ि पत मलखकर ान सकत ह zwjया उनक साथ बातचीत करत हए ऑमरzwjयोरीमरzwjया ररकरॉमरडग करक उनक बोल हए शबzwjदो स ही उनकी आतिकथा zwjया उनक ससिरणो की एक मकताब तzwjयार कर सकत ह तो चमलए अपन अास-पास क लोगो और अपन आप ि उस अमभनर सzwjदर सच और स नातिकता को िहसस कर और उस शबzwjदो ि अमभवzwjयमकत zwjद इसी मरशरास क साथ zwjयह मकताब आपक हाथो ि ह हि zwjयह भी आशा ह मक आप इस मकताब को भी और बहतर बनान क सझार zwjदन ि महचमकचाएग नही

vi

पसतक िनम वाण समहसदसर-समनररक

चरिा सzwjदाzwjयत mdash परोफ़व सर एर अधzwjकष भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

नरश कोहली mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिोzwjद किार zwjदब mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सधzwjzwjया मसह mdash परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सदसरअपरावनzwjद mdash परोफ़व सर महzwjदी मरभाग मzwjदलली मरशरमरदालzwjय मzwjदलली

अशाोक रापzwjयी mdash महzwjदी लखक सी-18 अनपि अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

अकषzwjय किार mdash िहिीिशकषक सरवोzwjदzwjय बाल मरदालzwjय फतहपर बरी मzwjदलली

उषा शिाव mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिपाल शिाव mdash िहिीलवखक 96 कला मरहार िzwjयर मरहार फ- मzwjदलली

िािरी किार mdash पzwjवएसरोिसएटपरोफ़व सर एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

राकश किार mdash उप-पाचाzwjव बीआरएसबीरी भोलानाथ नगर मzwjदलली

रािनि शिाव mdash पzwjवपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

लता पाणरzwjय mdash परोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

मरिल थोराट mdash परोफ़व सर इमzwjदरा गािी िकत मरशरमरदालzwjय (इगन) नzwjयी मzwjदलली

शzwjयाि मसह सशील mdash िहिीलवखक ए-13 zwjदमनक नzwjयग अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

स zwjय किार सिन mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सतोष किार पाणरzwjय mdash िहिीिशकषक क रिीzwjय मरदालzwjय एनzwjय नzwjयी मzwjदलली

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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आतzwjमकथाजीवनी

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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आतzwjमकथाजीवनी

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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आतzwjमकथाजीवनी

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 4: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

ISBN 978-93-5007-346-9

सर वािधकर सररकषत परकाशक की परव अनमित क मबना इस परकाशन क मकसी भाग को छापना तथा

इलकzwjटरॉमनकी िशीनी फोटोपरमतमलमप मरकरॉमरडग अथरा मकसी अनzwjय मरमि स पन परzwjयोग पदधमत दारा उसका सगरहण अथरा परचारण रमवत ह

इस पसतक की मबकी इस शतव क साथ की गई ह मक परकाशन की परव अनमित क मबना zwjयह पसतक अपन िल आररण अथरा मलzwjद क अलारा मकसी अनzwjय परकार स वzwjयापार दारा उिारी पर पनमरवकzwjय zwjया मकराए पर न zwjदी ाएगी न बची ाएगी

इस परकाशन का सही िलzwjय इस पषzwjठ पर िमरित ह रबड की िहर अथरा मचपकाई गई पचची (मसटकर) zwjया मकसी अनzwjय मरमि दारा अमकत कोई भी सशोमित िलzwjय गलत ह तथा िानzwjय नही होगा

एन सी ई आर टी क परकशन परभग क कर वालर

एनसीईआरटी क पसशी अरमरzwjद िागव नरी िदलली 110 016 फोन 011-26562708

108ए 100 फीट रोरहली एकसटशन होसरकर बनाशकरी III इसटबगलर 560 085 फोन 080-26725740

नरीरन zwjटसट भरनराकघर नरीरनअहमदबद 380 014 फोन 079-27541446

सीरबलzwjयसी क पसमनकट धzwjानकल बस सटरॉप मपनहटीकोलकत 700 114 फोन 033-25530454

सीरबलzwjयसी करॉमzwjपलकसिालीगारगरहटी 781021 फोन 0361-2676869

परकशन सहरोग

अधzwjzwjयकष परकाशन परभाग अनपकमारराजपत

िखzwjय सपाzwjदक शzwjवताउपपल

िखzwjय उतपाzwjदन अमिकारी अरणिचतकारा

िखzwjय वzwjयापार परबधzwjाक (परभारी) िzwjिपनििzwjान

सपाzwjदक रवखाअगरzwjाल

उतपाzwjदन सहाzwjयक

80 ीएसएि पपर पर िमरित

परकाशन परभाग ि समचर राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद शी अरमरzwjद िागव नzwjयी मzwjदलली 110 016 दारा परकामशत तथा

परथम ससzwjकरण जन2015जzwjवषzwjठ1937

पनममदरण जन2019जzwjवषzwjठ1941जन2020जzwjवषzwjठ1942

PD 145T RPS

copy राषzwjटरीय शिकषzwjक अनसधान और परिशकषण पररषद 2015

` 5000

अररण एर सज-िितकनशzwjवताराzwj

आमखराषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद सिzwjय-सिzwjय पर मरदामथवzwjयो क मलए पाzwjठzwjयपसतको क साथ-साथ परक पाzwjठzwjयसािगरीअमतररकत पाzwjठzwjयसािगरी का परकाशन करती ह राषzwjटीzwjय पाzwjठzwjयचzwjयाव की रपरखा-2005 ि कहा गzwjया ह मक बचचो की पzwjठन रमच को मरकमसत करन क मलए उनक आस-पास पzwjठनसािगरी का मरपल भरार होना चामहए उनक सािन चzwjयन क ऐस मरकलप िौzwjद हो ो उनह सथाzwjयी पाzwjठक बनन ि िzwjदzwjद कर इस धzwjzwjयान ि रखकर उचच पराथमिक सतर क महzwjदी मरदामथवzwjयो क मलए हमरी कहनी को तzwjयार मकzwjया गzwjया ह इस पसतक ि मरमभनन कषता क िहतरपणव वzwjयकततzwjयो क ीरन की कहामनzwjयो का सचzwjयन मकzwjया गzwjया हmdashकभी उनकी अपनी जबानी कभी मकसी न कही उनकी कहानी आशा ह zwjयह पसतक मरदामथवzwjयो ि पढन की ससकमत मरकमसत करगी तथा अधzwjzwjयापको समहत अनzwjय पाzwjठको को आकषट करगी

पसतक की सािगरी-चzwjयन और सिीकषा क मलए आzwjयोमत काzwjयवशालाओ ि उपमसथत होकर मन मरषzwjय मरशषजो तथा अनभरी अधzwjzwjयापको न अपन बहिलzwjय सझारो दारा पसतक को उपzwjयोगी बनान ि सहzwjयोग मकzwjया ह पररषzwjद उनक परमत आभार वzwjयकत करती ह हि शी अशोक रापzwjयी सपरमसदध लखक-कमर क भी आभारी ह मनहोन सिगर रप स सिीकषा कर पसतक को बहतर बनान ि सहाzwjयता की ह zwjयह पसतक पररषzwjद क भाषा मशकषा मरभाग क महzwjदी सकाzwjय सzwjदसzwjयो दारा मकzwjया गzwjया एक सराहनीzwjय परzwjयास ह

मनशचzwjय ही पाzwjठzwjयकि तथा पाzwjठzwjयपसतको का मरकास एक मन रतर चलन राली परमकzwjया ह अत पसतक को और उपzwjयोगी बनान क मलए मरदामथवzwjयो अधzwjzwjयापको और मरशषजो क सझारो का सरागत ह

िनिवशक

नzwjयी मzwjदलली राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद

हमरी कहनीआतमकथ zwjयानी अपन ीरन की कथा आप बीती अपनी ीरन-कहानी मस हि खाzwjद मलखत हmdash कzwjयोमक हिार ीरन क बार ि हिस बहतर भला कौन ानता ह मकसी क ीरन क बार ि अगर कोई zwjदसरा मलखता ह तो रह उसकी ीरनी होगी आतिकथा नही सरमलमखत अथरा सरzwjय दारा बोलकर मलखाzwjया गzwjया ीरन चररत ही आतिकथा ह मस हि आति-ीरनी भी कह सकत ह

वzwjयमकत ही नही परतzwjयक ीर-त पड-पौिो पहाडो और रसतओ का भी अपना एक ीरन होता ह एक-zwjदसर पर मनभवर होकर भी एक-zwjदसर स अलग सबकी अपनी-अपनी ीरन-zwjयाता होती ह ीरन-कहानी होती ह कछ लोगो की ीरनी zwjदसरो क दारा मलखी ाती ह तो कछ लोग आतिकथा मलखत ह अपन मपरzwjय लखक कलाकार मखलाडी रानता आमzwjद क ीरन-सघषव क बार ि ानन क मलए हि बडी उतसकता क साथ उनकी आतिकथाओ की तलाश करत ह और उनह पढकर ीरन ि कछ करन आग बढन की पररणा पात ह

आतिकथा ि ीरन क मरमरि अनभर होत हmdashििर सिमतzwjया सख-zwjदख आशा-मनराशा सघषव सफलता और मरफलता की अनक कहामनzwjया होती ह इसि ीरन और अपन सिzwjय-सिा का सच होता ह ो हि एक रहzwjद ससार स ोडता ह इसी सच को अौरो तक पहचान की चाह ि आतिकथाए मलखी ाती ह और इसी सच को ानन की चाह ि हि आतिकथाए पढत भी ह आतिकथाकार क ीरन-अनभर स डकर हि zwjदमनzwjया और zwjदश-सिा को और बहतर ढग स सिझन की कोमशश करत ह

हि सभी क ीरन िmdashबचपन स लकर बढाप तक mdash अनक ऐसी बात-घटनाए होती ह मनह हि राzwjयरी ससिरण zwjया आतिकथा क रप ि मलख तो रह हिार ीरन की कहानी तो होगी ही हिार सिzwjय और सिा का आईना भी होगा लमकन आतिकथा मलखन क मलए मनसकोच भार स सब कछ कह zwjदन और सच को सरीकार करन का नमतक साहस आरशzwjयक ह (िहातिा गािी की आतिकथा सतzwjय क साथ िर परzwjयोग इसका एक अचछा उzwjदाहरण ह)

zwjयह मकताब ो इस सिzwjय आपक हाथ ि ह इसि आप पढग कछ आतिकथाअो-ीरमनzwjयो क अश कछ ससिरण zwjदश-मरzwjदश क उन लोगो क बार ि mdash मनि लखक कलाकार मखलाडी रजामनक रानता आमzwjद शामिल ह mdash मनहोन अपन-अपन कषतो ि कछ ऐसा काि मकzwjया ह ो औरो स हटकर ह और zwjदसरो क मलए पररणापरzwjद भी

इन आतिकथातिक रचनाओ ि आपको उनका बचपन मिलगा और उनक ीरन का रह सघषव भी मसक कारण आ उनका नाि और काि zwjदमनzwjयाभर ि चमचवत ह उनक बार ि पढत हए हो सकता ह आपको भzwjाी अपन बचपन की zwjया अब तक क मzwjय ीरन की कोई ऐसी बात zwjया घटना zwjयाzwjद आ ाए मसस लग मक अर ऐसी ही कछ िरी भी कहानी ह और मस मलखन को आपका िन िचल उzwjठ तो मनसकोच उस फौरन मलख रालना mdash अपन िन क सीि सचच सरल शबzwjदो ि

ी हा आप हर मzwjदन की अपनी कहानी को राzwjयरी क रप ि मलख सकत ह बीत मzwjदनो की zwjयाzwjदो को ससिरण क रप ि मलख सकत ह और आप चाह तो पत मलखकर भी अपन मकसी zwjदोसत zwjया मपरzwjय वzwjयमकत को अपनी ीरन-कहानी पढा सकत ह अपन मपरzwjय मित zwjया अपन िाता-मपता स उनक बचपन zwjया ीरन क बार ि पत मलखकर ान सकत ह zwjया उनक साथ बातचीत करत हए ऑमरzwjयोरीमरzwjया ररकरॉमरडग करक उनक बोल हए शबzwjदो स ही उनकी आतिकथा zwjया उनक ससिरणो की एक मकताब तzwjयार कर सकत ह तो चमलए अपन अास-पास क लोगो और अपन आप ि उस अमभनर सzwjदर सच और स नातिकता को िहसस कर और उस शबzwjदो ि अमभवzwjयमकत zwjद इसी मरशरास क साथ zwjयह मकताब आपक हाथो ि ह हि zwjयह भी आशा ह मक आप इस मकताब को भी और बहतर बनान क सझार zwjदन ि महचमकचाएग नही

vi

पसतक िनम वाण समहसदसर-समनररक

चरिा सzwjदाzwjयत mdash परोफ़व सर एर अधzwjकष भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

नरश कोहली mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिोzwjद किार zwjदब mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सधzwjzwjया मसह mdash परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सदसरअपरावनzwjद mdash परोफ़व सर महzwjदी मरभाग मzwjदलली मरशरमरदालzwjय मzwjदलली

अशाोक रापzwjयी mdash महzwjदी लखक सी-18 अनपि अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

अकषzwjय किार mdash िहिीिशकषक सरवोzwjदzwjय बाल मरदालzwjय फतहपर बरी मzwjदलली

उषा शिाव mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिपाल शिाव mdash िहिीलवखक 96 कला मरहार िzwjयर मरहार फ- मzwjदलली

िािरी किार mdash पzwjवएसरोिसएटपरोफ़व सर एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

राकश किार mdash उप-पाचाzwjव बीआरएसबीरी भोलानाथ नगर मzwjदलली

रािनि शिाव mdash पzwjवपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

लता पाणरzwjय mdash परोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

मरिल थोराट mdash परोफ़व सर इमzwjदरा गािी िकत मरशरमरदालzwjय (इगन) नzwjयी मzwjदलली

शzwjयाि मसह सशील mdash िहिीलवखक ए-13 zwjदमनक नzwjयग अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

स zwjय किार सिन mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सतोष किार पाणरzwjय mdash िहिीिशकषक क रिीzwjय मरदालzwjय एनzwjय नzwjयी मzwjदलली

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

2

अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

3

आतzwjमकथाजीवनी

4

जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

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चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

आतzwjमकथाजीवनी

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 5: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

आमखराषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद सिzwjय-सिzwjय पर मरदामथवzwjयो क मलए पाzwjठzwjयपसतको क साथ-साथ परक पाzwjठzwjयसािगरीअमतररकत पाzwjठzwjयसािगरी का परकाशन करती ह राषzwjटीzwjय पाzwjठzwjयचzwjयाव की रपरखा-2005 ि कहा गzwjया ह मक बचचो की पzwjठन रमच को मरकमसत करन क मलए उनक आस-पास पzwjठनसािगरी का मरपल भरार होना चामहए उनक सािन चzwjयन क ऐस मरकलप िौzwjद हो ो उनह सथाzwjयी पाzwjठक बनन ि िzwjदzwjद कर इस धzwjzwjयान ि रखकर उचच पराथमिक सतर क महzwjदी मरदामथवzwjयो क मलए हमरी कहनी को तzwjयार मकzwjया गzwjया ह इस पसतक ि मरमभनन कषता क िहतरपणव वzwjयकततzwjयो क ीरन की कहामनzwjयो का सचzwjयन मकzwjया गzwjया हmdashकभी उनकी अपनी जबानी कभी मकसी न कही उनकी कहानी आशा ह zwjयह पसतक मरदामथवzwjयो ि पढन की ससकमत मरकमसत करगी तथा अधzwjzwjयापको समहत अनzwjय पाzwjठको को आकषट करगी

पसतक की सािगरी-चzwjयन और सिीकषा क मलए आzwjयोमत काzwjयवशालाओ ि उपमसथत होकर मन मरषzwjय मरशषजो तथा अनभरी अधzwjzwjयापको न अपन बहिलzwjय सझारो दारा पसतक को उपzwjयोगी बनान ि सहzwjयोग मकzwjया ह पररषzwjद उनक परमत आभार वzwjयकत करती ह हि शी अशोक रापzwjयी सपरमसदध लखक-कमर क भी आभारी ह मनहोन सिगर रप स सिीकषा कर पसतक को बहतर बनान ि सहाzwjयता की ह zwjयह पसतक पररषzwjद क भाषा मशकषा मरभाग क महzwjदी सकाzwjय सzwjदसzwjयो दारा मकzwjया गzwjया एक सराहनीzwjय परzwjयास ह

मनशचzwjय ही पाzwjठzwjयकि तथा पाzwjठzwjयपसतको का मरकास एक मन रतर चलन राली परमकzwjया ह अत पसतक को और उपzwjयोगी बनान क मलए मरदामथवzwjयो अधzwjzwjयापको और मरशषजो क सझारो का सरागत ह

िनिवशक

नzwjयी मzwjदलली राषzwjटीzwjय शमकषक अनसिान और परमशकषण पररषzwjद

हमरी कहनीआतमकथ zwjयानी अपन ीरन की कथा आप बीती अपनी ीरन-कहानी मस हि खाzwjद मलखत हmdash कzwjयोमक हिार ीरन क बार ि हिस बहतर भला कौन ानता ह मकसी क ीरन क बार ि अगर कोई zwjदसरा मलखता ह तो रह उसकी ीरनी होगी आतिकथा नही सरमलमखत अथरा सरzwjय दारा बोलकर मलखाzwjया गzwjया ीरन चररत ही आतिकथा ह मस हि आति-ीरनी भी कह सकत ह

वzwjयमकत ही नही परतzwjयक ीर-त पड-पौिो पहाडो और रसतओ का भी अपना एक ीरन होता ह एक-zwjदसर पर मनभवर होकर भी एक-zwjदसर स अलग सबकी अपनी-अपनी ीरन-zwjयाता होती ह ीरन-कहानी होती ह कछ लोगो की ीरनी zwjदसरो क दारा मलखी ाती ह तो कछ लोग आतिकथा मलखत ह अपन मपरzwjय लखक कलाकार मखलाडी रानता आमzwjद क ीरन-सघषव क बार ि ानन क मलए हि बडी उतसकता क साथ उनकी आतिकथाओ की तलाश करत ह और उनह पढकर ीरन ि कछ करन आग बढन की पररणा पात ह

आतिकथा ि ीरन क मरमरि अनभर होत हmdashििर सिमतzwjया सख-zwjदख आशा-मनराशा सघषव सफलता और मरफलता की अनक कहामनzwjया होती ह इसि ीरन और अपन सिzwjय-सिा का सच होता ह ो हि एक रहzwjद ससार स ोडता ह इसी सच को अौरो तक पहचान की चाह ि आतिकथाए मलखी ाती ह और इसी सच को ानन की चाह ि हि आतिकथाए पढत भी ह आतिकथाकार क ीरन-अनभर स डकर हि zwjदमनzwjया और zwjदश-सिा को और बहतर ढग स सिझन की कोमशश करत ह

हि सभी क ीरन िmdashबचपन स लकर बढाप तक mdash अनक ऐसी बात-घटनाए होती ह मनह हि राzwjयरी ससिरण zwjया आतिकथा क रप ि मलख तो रह हिार ीरन की कहानी तो होगी ही हिार सिzwjय और सिा का आईना भी होगा लमकन आतिकथा मलखन क मलए मनसकोच भार स सब कछ कह zwjदन और सच को सरीकार करन का नमतक साहस आरशzwjयक ह (िहातिा गािी की आतिकथा सतzwjय क साथ िर परzwjयोग इसका एक अचछा उzwjदाहरण ह)

zwjयह मकताब ो इस सिzwjय आपक हाथ ि ह इसि आप पढग कछ आतिकथाअो-ीरमनzwjयो क अश कछ ससिरण zwjदश-मरzwjदश क उन लोगो क बार ि mdash मनि लखक कलाकार मखलाडी रजामनक रानता आमzwjद शामिल ह mdash मनहोन अपन-अपन कषतो ि कछ ऐसा काि मकzwjया ह ो औरो स हटकर ह और zwjदसरो क मलए पररणापरzwjद भी

इन आतिकथातिक रचनाओ ि आपको उनका बचपन मिलगा और उनक ीरन का रह सघषव भी मसक कारण आ उनका नाि और काि zwjदमनzwjयाभर ि चमचवत ह उनक बार ि पढत हए हो सकता ह आपको भzwjाी अपन बचपन की zwjया अब तक क मzwjय ीरन की कोई ऐसी बात zwjया घटना zwjयाzwjद आ ाए मसस लग मक अर ऐसी ही कछ िरी भी कहानी ह और मस मलखन को आपका िन िचल उzwjठ तो मनसकोच उस फौरन मलख रालना mdash अपन िन क सीि सचच सरल शबzwjदो ि

ी हा आप हर मzwjदन की अपनी कहानी को राzwjयरी क रप ि मलख सकत ह बीत मzwjदनो की zwjयाzwjदो को ससिरण क रप ि मलख सकत ह और आप चाह तो पत मलखकर भी अपन मकसी zwjदोसत zwjया मपरzwjय वzwjयमकत को अपनी ीरन-कहानी पढा सकत ह अपन मपरzwjय मित zwjया अपन िाता-मपता स उनक बचपन zwjया ीरन क बार ि पत मलखकर ान सकत ह zwjया उनक साथ बातचीत करत हए ऑमरzwjयोरीमरzwjया ररकरॉमरडग करक उनक बोल हए शबzwjदो स ही उनकी आतिकथा zwjया उनक ससिरणो की एक मकताब तzwjयार कर सकत ह तो चमलए अपन अास-पास क लोगो और अपन आप ि उस अमभनर सzwjदर सच और स नातिकता को िहसस कर और उस शबzwjदो ि अमभवzwjयमकत zwjद इसी मरशरास क साथ zwjयह मकताब आपक हाथो ि ह हि zwjयह भी आशा ह मक आप इस मकताब को भी और बहतर बनान क सझार zwjदन ि महचमकचाएग नही

vi

पसतक िनम वाण समहसदसर-समनररक

चरिा सzwjदाzwjयत mdash परोफ़व सर एर अधzwjकष भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

नरश कोहली mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिोzwjद किार zwjदब mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सधzwjzwjया मसह mdash परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सदसरअपरावनzwjद mdash परोफ़व सर महzwjदी मरभाग मzwjदलली मरशरमरदालzwjय मzwjदलली

अशाोक रापzwjयी mdash महzwjदी लखक सी-18 अनपि अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

अकषzwjय किार mdash िहिीिशकषक सरवोzwjदzwjय बाल मरदालzwjय फतहपर बरी मzwjदलली

उषा शिाव mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिपाल शिाव mdash िहिीलवखक 96 कला मरहार िzwjयर मरहार फ- मzwjदलली

िािरी किार mdash पzwjवएसरोिसएटपरोफ़व सर एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

राकश किार mdash उप-पाचाzwjव बीआरएसबीरी भोलानाथ नगर मzwjदलली

रािनि शिाव mdash पzwjवपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

लता पाणरzwjय mdash परोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

मरिल थोराट mdash परोफ़व सर इमzwjदरा गािी िकत मरशरमरदालzwjय (इगन) नzwjयी मzwjदलली

शzwjयाि मसह सशील mdash िहिीलवखक ए-13 zwjदमनक नzwjयग अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

स zwjय किार सिन mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सतोष किार पाणरzwjय mdash िहिीिशकषक क रिीzwjय मरदालzwjय एनzwjय नzwjयी मzwjदलली

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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आतzwjमकथाजीवनी

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

आतzwjमकथाजीवनी

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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आतzwjमकथाजीवनी

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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आतzwjमकथाजीवनी

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

आतzwjमकथाजीवनी

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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आतzwjमकथाजीवनी

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

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हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 6: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

हमरी कहनीआतमकथ zwjयानी अपन ीरन की कथा आप बीती अपनी ीरन-कहानी मस हि खाzwjद मलखत हmdash कzwjयोमक हिार ीरन क बार ि हिस बहतर भला कौन ानता ह मकसी क ीरन क बार ि अगर कोई zwjदसरा मलखता ह तो रह उसकी ीरनी होगी आतिकथा नही सरमलमखत अथरा सरzwjय दारा बोलकर मलखाzwjया गzwjया ीरन चररत ही आतिकथा ह मस हि आति-ीरनी भी कह सकत ह

वzwjयमकत ही नही परतzwjयक ीर-त पड-पौिो पहाडो और रसतओ का भी अपना एक ीरन होता ह एक-zwjदसर पर मनभवर होकर भी एक-zwjदसर स अलग सबकी अपनी-अपनी ीरन-zwjयाता होती ह ीरन-कहानी होती ह कछ लोगो की ीरनी zwjदसरो क दारा मलखी ाती ह तो कछ लोग आतिकथा मलखत ह अपन मपरzwjय लखक कलाकार मखलाडी रानता आमzwjद क ीरन-सघषव क बार ि ानन क मलए हि बडी उतसकता क साथ उनकी आतिकथाओ की तलाश करत ह और उनह पढकर ीरन ि कछ करन आग बढन की पररणा पात ह

आतिकथा ि ीरन क मरमरि अनभर होत हmdashििर सिमतzwjया सख-zwjदख आशा-मनराशा सघषव सफलता और मरफलता की अनक कहामनzwjया होती ह इसि ीरन और अपन सिzwjय-सिा का सच होता ह ो हि एक रहzwjद ससार स ोडता ह इसी सच को अौरो तक पहचान की चाह ि आतिकथाए मलखी ाती ह और इसी सच को ानन की चाह ि हि आतिकथाए पढत भी ह आतिकथाकार क ीरन-अनभर स डकर हि zwjदमनzwjया और zwjदश-सिा को और बहतर ढग स सिझन की कोमशश करत ह

हि सभी क ीरन िmdashबचपन स लकर बढाप तक mdash अनक ऐसी बात-घटनाए होती ह मनह हि राzwjयरी ससिरण zwjया आतिकथा क रप ि मलख तो रह हिार ीरन की कहानी तो होगी ही हिार सिzwjय और सिा का आईना भी होगा लमकन आतिकथा मलखन क मलए मनसकोच भार स सब कछ कह zwjदन और सच को सरीकार करन का नमतक साहस आरशzwjयक ह (िहातिा गािी की आतिकथा सतzwjय क साथ िर परzwjयोग इसका एक अचछा उzwjदाहरण ह)

zwjयह मकताब ो इस सिzwjय आपक हाथ ि ह इसि आप पढग कछ आतिकथाअो-ीरमनzwjयो क अश कछ ससिरण zwjदश-मरzwjदश क उन लोगो क बार ि mdash मनि लखक कलाकार मखलाडी रजामनक रानता आमzwjद शामिल ह mdash मनहोन अपन-अपन कषतो ि कछ ऐसा काि मकzwjया ह ो औरो स हटकर ह और zwjदसरो क मलए पररणापरzwjद भी

इन आतिकथातिक रचनाओ ि आपको उनका बचपन मिलगा और उनक ीरन का रह सघषव भी मसक कारण आ उनका नाि और काि zwjदमनzwjयाभर ि चमचवत ह उनक बार ि पढत हए हो सकता ह आपको भzwjाी अपन बचपन की zwjया अब तक क मzwjय ीरन की कोई ऐसी बात zwjया घटना zwjयाzwjद आ ाए मसस लग मक अर ऐसी ही कछ िरी भी कहानी ह और मस मलखन को आपका िन िचल उzwjठ तो मनसकोच उस फौरन मलख रालना mdash अपन िन क सीि सचच सरल शबzwjदो ि

ी हा आप हर मzwjदन की अपनी कहानी को राzwjयरी क रप ि मलख सकत ह बीत मzwjदनो की zwjयाzwjदो को ससिरण क रप ि मलख सकत ह और आप चाह तो पत मलखकर भी अपन मकसी zwjदोसत zwjया मपरzwjय वzwjयमकत को अपनी ीरन-कहानी पढा सकत ह अपन मपरzwjय मित zwjया अपन िाता-मपता स उनक बचपन zwjया ीरन क बार ि पत मलखकर ान सकत ह zwjया उनक साथ बातचीत करत हए ऑमरzwjयोरीमरzwjया ररकरॉमरडग करक उनक बोल हए शबzwjदो स ही उनकी आतिकथा zwjया उनक ससिरणो की एक मकताब तzwjयार कर सकत ह तो चमलए अपन अास-पास क लोगो और अपन आप ि उस अमभनर सzwjदर सच और स नातिकता को िहसस कर और उस शबzwjदो ि अमभवzwjयमकत zwjद इसी मरशरास क साथ zwjयह मकताब आपक हाथो ि ह हि zwjयह भी आशा ह मक आप इस मकताब को भी और बहतर बनान क सझार zwjदन ि महचमकचाएग नही

vi

पसतक िनम वाण समहसदसर-समनररक

चरिा सzwjदाzwjयत mdash परोफ़व सर एर अधzwjकष भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

नरश कोहली mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिोzwjद किार zwjदब mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सधzwjzwjया मसह mdash परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सदसरअपरावनzwjद mdash परोफ़व सर महzwjदी मरभाग मzwjदलली मरशरमरदालzwjय मzwjदलली

अशाोक रापzwjयी mdash महzwjदी लखक सी-18 अनपि अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

अकषzwjय किार mdash िहिीिशकषक सरवोzwjदzwjय बाल मरदालzwjय फतहपर बरी मzwjदलली

उषा शिाव mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिपाल शिाव mdash िहिीलवखक 96 कला मरहार िzwjयर मरहार फ- मzwjदलली

िािरी किार mdash पzwjवएसरोिसएटपरोफ़व सर एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

राकश किार mdash उप-पाचाzwjव बीआरएसबीरी भोलानाथ नगर मzwjदलली

रािनि शिाव mdash पzwjवपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

लता पाणरzwjय mdash परोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

मरिल थोराट mdash परोफ़व सर इमzwjदरा गािी िकत मरशरमरदालzwjय (इगन) नzwjयी मzwjदलली

शzwjयाि मसह सशील mdash िहिीलवखक ए-13 zwjदमनक नzwjयग अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

स zwjय किार सिन mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सतोष किार पाणरzwjय mdash िहिीिशकषक क रिीzwjय मरदालzwjय एनzwjय नzwjयी मzwjदलली

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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आतzwjमकथाजीवनी

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

आतzwjमकथाजीवनी

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

आतzwjमकथाजीवनी

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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आतzwjमकथाजीवनी

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 7: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

zwjयह मकताब ो इस सिzwjय आपक हाथ ि ह इसि आप पढग कछ आतिकथाअो-ीरमनzwjयो क अश कछ ससिरण zwjदश-मरzwjदश क उन लोगो क बार ि mdash मनि लखक कलाकार मखलाडी रजामनक रानता आमzwjद शामिल ह mdash मनहोन अपन-अपन कषतो ि कछ ऐसा काि मकzwjया ह ो औरो स हटकर ह और zwjदसरो क मलए पररणापरzwjद भी

इन आतिकथातिक रचनाओ ि आपको उनका बचपन मिलगा और उनक ीरन का रह सघषव भी मसक कारण आ उनका नाि और काि zwjदमनzwjयाभर ि चमचवत ह उनक बार ि पढत हए हो सकता ह आपको भzwjाी अपन बचपन की zwjया अब तक क मzwjय ीरन की कोई ऐसी बात zwjया घटना zwjयाzwjद आ ाए मसस लग मक अर ऐसी ही कछ िरी भी कहानी ह और मस मलखन को आपका िन िचल उzwjठ तो मनसकोच उस फौरन मलख रालना mdash अपन िन क सीि सचच सरल शबzwjदो ि

ी हा आप हर मzwjदन की अपनी कहानी को राzwjयरी क रप ि मलख सकत ह बीत मzwjदनो की zwjयाzwjदो को ससिरण क रप ि मलख सकत ह और आप चाह तो पत मलखकर भी अपन मकसी zwjदोसत zwjया मपरzwjय वzwjयमकत को अपनी ीरन-कहानी पढा सकत ह अपन मपरzwjय मित zwjया अपन िाता-मपता स उनक बचपन zwjया ीरन क बार ि पत मलखकर ान सकत ह zwjया उनक साथ बातचीत करत हए ऑमरzwjयोरीमरzwjया ररकरॉमरडग करक उनक बोल हए शबzwjदो स ही उनकी आतिकथा zwjया उनक ससिरणो की एक मकताब तzwjयार कर सकत ह तो चमलए अपन अास-पास क लोगो और अपन आप ि उस अमभनर सzwjदर सच और स नातिकता को िहसस कर और उस शबzwjदो ि अमभवzwjयमकत zwjद इसी मरशरास क साथ zwjयह मकताब आपक हाथो ि ह हि zwjयह भी आशा ह मक आप इस मकताब को भी और बहतर बनान क सझार zwjदन ि महचमकचाएग नही

vi

पसतक िनम वाण समहसदसर-समनररक

चरिा सzwjदाzwjयत mdash परोफ़व सर एर अधzwjकष भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

नरश कोहली mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिोzwjद किार zwjदब mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सधzwjzwjया मसह mdash परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सदसरअपरावनzwjद mdash परोफ़व सर महzwjदी मरभाग मzwjदलली मरशरमरदालzwjय मzwjदलली

अशाोक रापzwjयी mdash महzwjदी लखक सी-18 अनपि अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

अकषzwjय किार mdash िहिीिशकषक सरवोzwjदzwjय बाल मरदालzwjय फतहपर बरी मzwjदलली

उषा शिाव mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिपाल शिाव mdash िहिीलवखक 96 कला मरहार िzwjयर मरहार फ- मzwjदलली

िािरी किार mdash पzwjवएसरोिसएटपरोफ़व सर एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

राकश किार mdash उप-पाचाzwjव बीआरएसबीरी भोलानाथ नगर मzwjदलली

रािनि शिाव mdash पzwjवपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

लता पाणरzwjय mdash परोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

मरिल थोराट mdash परोफ़व सर इमzwjदरा गािी िकत मरशरमरदालzwjय (इगन) नzwjयी मzwjदलली

शzwjयाि मसह सशील mdash िहिीलवखक ए-13 zwjदमनक नzwjयग अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

स zwjय किार सिन mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सतोष किार पाणरzwjय mdash िहिीिशकषक क रिीzwjय मरदालzwjय एनzwjय नzwjयी मzwjदलली

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

2

अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

3

आतzwjमकथाजीवनी

4

जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

5

आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

आतzwjमकथाजीवनी

12

सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

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चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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आतzwjमकथाजीवनी

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

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हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

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हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 8: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

पसतक िनम वाण समहसदसर-समनररक

चरिा सzwjदाzwjयत mdash परोफ़व सर एर अधzwjकष भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

नरश कोहली mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिोzwjद किार zwjदब mdash सहाzwjक परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सधzwjzwjया मसह mdash परोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सदसरअपरावनzwjद mdash परोफ़व सर महzwjदी मरभाग मzwjदलली मरशरमरदालzwjय मzwjदलली

अशाोक रापzwjयी mdash महzwjदी लखक सी-18 अनपि अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

अकषzwjय किार mdash िहिीिशकषक सरवोzwjदzwjय बाल मरदालzwjय फतहपर बरी मzwjदलली

उषा शिाव mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

परिपाल शिाव mdash िहिीलवखक 96 कला मरहार िzwjयर मरहार फ- मzwjदलली

िािरी किार mdash पzwjवएसरोिसएटपरोफ़व सर एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

राकश किार mdash उप-पाचाzwjव बीआरएसबीरी भोलानाथ नगर मzwjदलली

रािनि शिाव mdash पzwjवपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

लता पाणरzwjय mdash परोफ़व सर पराथमिक मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

मरिल थोराट mdash परोफ़व सर इमzwjदरा गािी िकत मरशरमरदालzwjय (इगन) नzwjयी मzwjदलली

शzwjयाि मसह सशील mdash िहिीलवखक ए-13 zwjदमनक नzwjयग अपाटविटस रसिरा एनकलर मzwjदलली

स zwjय किार सिन mdash एसरोिसएटपरोफ़व सर भाषा मशकषा मरभाग एनसीईआरटी नzwjयी मzwjदलली

सतोष किार पाणरzwjय mdash िहिीिशकषक क रिीzwjय मरदालzwjय एनzwjय नzwjयी मzwjदलली

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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आतzwjमकथाजीवनी

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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आतzwjमकथाजीवनी

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

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हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 9: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

आभरपररषzwjद रचनाकारो उनक पररनो ससथानोपरकाशको क परमत आभारी ह मनहोन अपनी रचनाओ को परकामशत करन की अनिमत परzwjदान की रािान न और चालची चपमलन की सािगरी क मलए पररषzwjद lsquoएकलवzwjयrsquo की आभारी ह

पसतक मनिावण सबिी काzwjययो ि तकनीकी सहzwjयोग क मलए पररषzwjद डीटीपीऑपरवटरनरमगस इसलाि र सरनरि किार कपzwjटरटाइिपसट चरिकात कॉपीएडीटर शzwjयाि मसह सशील और एिडटरोिरzwjलअिससटटििता गौड की अाभारी ह

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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आतzwjमकथाजीवनी

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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आतzwjमकथाजीवनी

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

आतzwjमकथाजीवनी

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

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हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 10: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

िरषर-करमआमख iii

1 परिचzwjद नागाजवन 1-10

2 िरी कहानी िरी जबानी िािासाहबफ़ालकव 11-20

3 शहीzwjद चरिशखर आजाzwjद मनमथनाथगपत 21-28

4 zwjयही िरी पढाई थी और खल भी रामानजन 29-32

5 गोल मवजर धzwjानचि 33-35

6 सट पर रह िा की आमखरी रात थी चाललीचपिलन 36-41

7 सकल क मzwjदन कौसलzwjाबसती 42-46

8 अिता शरमगल ििलीपिचचालकर 47-52

9 झzwjठ मकसस गढन ि िझ िहारत हामसल थी चालसवडािzwjवन 53-56

पररचzwj 57-59

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

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वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

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वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

आतzwjमकथाजीवनी

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

आतzwjमकथाजीवनी

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 11: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

गोरी सरत घनी काली भौह छोटी-छोटी आख नकीली नाक बडी-बडी और गछी हई विरल मछो िाला यह मसकराता चहरा वकसका ह यह चहरा पमचद का ह लगता ह अभी हसन िाल ह लगता ह अभी जोरो क कह-कह लगाएग

िाराणसी स छह वकलोमीटर दर लमही म शवनिार 31 जलाई सन 1880 को धनपतराय का जनम हआ मा-बाप न नाम रखा था धनपत चाचा लाड-पयार म कहा करत थ निाब

वपता का नाम था अजायब राय डाकखान म वकरानी थ इसी स लोग उनह मशी अजायब लाल कहा करत माता का नाम था mdash आनदी अकसर बीमार रहती वपता को दिा-दार स फरसत नही वमलती थी

धनपत सात िरष का ही था वक मा चल बसी मा क वबछोह न धनपत क बचपन का सारा रस सोख वलया कछ िरष बाद मशी अजायब लाल न दसरी शादी की अभाि तो पहल स था ही विमाता का वनषzwjर वयिहार भी उसम आ वमला नयी मा बात-बात पर डाटती उस धनपत म बराइया-ही-बराइया दीखती

कदावचत पमचद अपन उपनयास lsquoकमषभवमrsquo क पातर lsquoचदरकातrsquo क दारा खद

बचपन वह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस वकत पौध को तरी ममल जाए तो ज दगी-भर क ललए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही ममली वही भख मरी ज दगी ह

परमचदनागारजन

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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आतzwjमकथाजीवनी

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

आतzwjमकथाजीवनी

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 12: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी ही वयथा सना रह ह ldquoबचपन िह उमर ह जब इनसान को महबबत की सबस जzwjयादा जररत पडती ह उस िकत पौध को तरी वमल जाए तो वजदगी-भर क वलए उनकी जड मजबत हो जाती ह मरी मा क दहात क बाद मरी रह को खराक नही वमली िही भख मरी वजदगी ह rdquo

और यही कारण था वक बालक धनपत घर-आगन स भागकर बाहर खल मदान म अमराई म खतो की तरफ वनकल जाता था सावथयो क साथ गलली-डडा खलता था पडो पर चढता था आम की कररया चनता था मटर की फवलया तोडता था हिाई वकल बनाता था

गरीबी घटन और रखपन स तराण पान क वलए बालक धनपत न इस तरह एक सहज रासता वनकाल वलया था रोन-खीझन िाली पररवसथवतयो पर कहकह हािी होन लग परमचद न बचपन स ही मसीबतो पर हसना सीखा था

वपता का तबादला गोरखपर हआ बचच भी साथ गए गाि क मदरस स शहर का सकल अचछा था धनपत की तबीयत पढन म लग गई गलली-डड का खल पीछ छट गया शहरी नजार आग सरक आए वकताब चाटन का चसका इसी उमर म लगा हजारो कहावनया और सकडो छोट-मोट उपनयास धनपत न इसी उमर म पढ डाल यह सावहतय उदष का था

हमारा कहानीकार शायद पदा हो चका था रात को अकल म विबरी की मवधिम रोशनी म उसन गलप रचना शर कर दी थी बीवसयो पनन यो ही वलख जाना और उनह फाड डालना यह सब वकतना अचछा लगता होगा तब धनपत को

उनही वदनो वपता न शादी करिा दी वनशचय ही उसम सौतली मा की भी राय रही होगी जो लडकी धनपत क वलए चनी गई थी िह धनपत को कभी पसद नही आई पतर क पािो म

lsquoअषटधात rsquo की बवडया डालकर

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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आतzwjमकथाजीवनी

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

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वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

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वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

आतzwjमकथाजीवनी

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

आतzwjमकथाजीवनी

चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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आतzwjमकथाजीवनी

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

आतzwjमकथाजीवनी

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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आतzwjमकथाजीवनी

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

vfd tkudkjh osQ fy Ntildeik wwwncertnicin nsf[k vFkok dkWihjkbV i`B ij fn x irksa ij Okikj ccedilcad ls laioZQ djsaA

ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
Page 13: हमारी कहानी...एक रन ह त ह । एक-सर पर दमनभ वर ह कर भ एक- द सर स अलग सबक अपन अपनी

आतzwjमकथाजीवनी

मशी अजायब लाल न हमशा क वलए आख मद ली पररिार पर मसीबतो का पहाड टट पडा

अपनी इन वदनो की दशा का िणषन पमचद न lsquoजीिन-सार rsquo म वकया ह ldquo पाि म जत न थ दह पर साबत कपड न थ महगाई अलग थी रपए म बीस सर क जौ थ सकल स साढ तीन बज छटी वमलती थी काशी क किीनस कॉलज म पढता था हडमासटर न फीस माफ कर दी थी इमतहान वसर पर था और म एक लडक को पढान बास फाटक जाता था जाडो क वदन थ चार बज पहचता था पढाकर छह बज छटी पाता िहा स मरा घर दहात म आzwj वकलोमीटर पर था तज चलन पर भी आzwj बज स पहल घर न पहच पाता पातकाल आzwj बज वफर घर स चलना पडता था कभी िकत पर सकल न पहचता रात को खाना खाकर कपपी क सामन पढन बzwjता और न जान कब सो जाता वफर भी वहममत बाध रहता rdquo

गरीबी वपता की मतय खचष म बढती असामानय पररशरम कपपी क सामन बzwjकर रात की पढाई

जस-तस वदतीय शरणी म मवरिक पास वकया गवणत स बहद घबरात थ इटर-मीवडएट म दो बार फल हए वनराश होकर परीका का विचार ही छोड वदया आग चलकर दस-बारह िरष बाद जब गवणत क विकलप म दसरा विरय लना सभि हो गया तभी धनपत राय न यह परीका पास की

हमार भािी उपनयास-समराट क पास एक फटी कौडी न थी महाजन न उधार दन स इनकार कर वदया था बडी वििशता स परानी पसतको को लकर एक पसतक-विकता क पास पहच िही एक सौमय परर स

हिदी उदद और अगरजी म मशी परमचद की हिखावट का नमना

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आतzwjमकथाजीवनी

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जो एक छोट-स सकल क पधानाधयापक थ उनका पररचय हआ उनहोन इनकी कशागरता और लगन स पभावित होकर अपन यहा सहायक अधयापक क रप म

परमचद की 125वी वरदगाठ पर 2005 म सिमत दारा जारी पोसटकारद कर हरटस किलॉक वाइज ndash शमशाद वीर मशी िरम जzwjोहतका जिागीर जानी

वनयकत करन का आशिासन वदया और दसर वदन इनह दस रपय मावसक ितन पर वनयकत वकया

1919 म बीए भी कर वलया विरय वलए थ ndash अगरजी फारसी इवतहास ि एमए भी करना चाहत थ कानन भी पढना

आतzwjमकथाजीवनी

चाहत थ लवकन परीकाओ की तरफ स उदासीन हो गए थ जब उमग थी तब गवणत न बाधा पहचाई अब जब िह बाधा दर हई तो जीिन का लकषय ही बदल चका था

इनकी पहली शादी चाची (विमाता) और चाची क वपता की राय स रचाई गई थी लडकी पमचद स उमर म बडी थी िीzwj और नासमझ भी थी पवत स भी लडती थी और पवत की सौतली मा स भी

दस-बारह िरष तक यानी 1905 तक तो धनपतराय न पहली बीिी क साथ जस-तस वनभाया वकत जब उसक साथ एक वदन भी वनभाना मवशकल हो गया तो वशिरानी दिी नाम की एक बालविधिा स शादी करक धनपतराय न समाज क सामन भारी साहस और आतमबल का पररचय वदया

धनपतराय पढाक तो थ ही कलम भी चलन लगी मवरिक पास करन स पहल ही उनको वलखन का चसका लग गया था पढाई और टयशन आवद स जो िकत बचता िह सारा-का-सारा वकसस-कहावनया पढन म लगात वकसस-कहावनयो का जो भी असर वदमाग पर पडता उस अपनी सहज कलपनाओ म घोल-घोल कर ि नयी कथािसत तयार करन लग और िह कागज पर उतरन भी लगी

1901-2 म उनक एक-दो उपनयास वनकल कहावनया 1907 म वलखनी शर की अगरजी म रिीदरनाथ की कई गलप रचनाए पढी थी पमचद न उनक उदष रपातर पवतरकाओ म छपिाए पहली कहानी थी lsquoससार का सबस अनमोल रतन rsquo जो 1907 म कानपर क उदष मावसक lsquoजमाना rsquo म पकावशत हई lsquoजमाना rsquo म धनपतराय की अनय रचनाओ का पकाशन 1903-4 स ही शर हो गया था 1904 क अत तक lsquoनिाब-राय rsquo जमाना rsquo क सथायी और विवशषट लखक हो चक थ

1905 तक आत-आत पमचद वतवलसमी ऐयारी और कालपवनक कहावनयो क चगल स छटकर राषरिीय और कावतकारी भािनाओ की दवनया म पिश कर चक थlsquoजमाना rsquo उस समय की राषरिीय पवतरका थी सभी को दश की गलामी खटकती थी विदशी शासन की सनहरी जजीरो क गण

परमचद कर सममान म भारत सरकार दारा जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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गान िाल गदार दश-दरोवहयो क वखलाफ सभी क अदर नफरत खौलती थी शाम को lsquoजमाना rsquo क दफतर म घटो दशभकतो का अडडा जमता पमचद को राषरिीयता की दीका इसी अडड पर वमली थी एक साधारण कथाकार िही lsquoयगदरषटा सावहतयकार rsquo क रप म िलन लगा बडी-स-बडी बातो का सीध और सकप म कहना या वलखना पमचद न यही सीखा

नयी पतनी क साथ रहन लग तब स वलखाई का वसलवसला जम गया 1905 स 1920 क दरमयान पमचद न बहत कछ वलखा दवसयो छोट-बड उपनयास सकडो कहावनया पतर-पवतरकाओ म वनबध और आलोचनाए भी कम नही वलखी मासटरी क वदनो म भी वलखत रह थ सकलो क सब-वडपटी इसपकटर थ अकसर दौर पर रहना होता था वफर भी रोज कछ-न-कछ वलख लत थ

1920 ई क बाद जयादातर ि वहदी म ही वलखन लग lsquoमाधरी rsquo (लखनऊ) क सपादक होन पर उनकी पवतभा और योगयता की झलक वहदी ससार को वमलन लगी वफर भी lsquoजमाना rsquo को पमचद की मौवलक उदष-रचनाए लगातार वमलती रही

1930 म पमचद की कहावनया का एक और सकलन जबत हआmdashlsquoसमर यातरा rsquo पकावशत होत ही अगरजी सरकार न इस पसतक का आपवतिजनक घोवरत कर वदया सरसिती पस स पसतक की सारी पवतया उzwjा ली गइइ

अब ि अपना वनजी पतर वनकालना चाहत थ पतर-पवतरकाए सपावदत करन की दीका दरअसल पमचद को कानपर म ही वमल चकी थी सन 1905 स ही lsquoजमाना rsquo और lsquoआजाद rsquo क कालम उनकी कलम क

हरिहटश शासन कर दौरान पहतबहित परमचद की किाहनzwjार कर सगि का आवरण पषठ

आतzwjमकथाजीवनी

वलए lsquoखल का मदान rsquo बन चक थ सन 1921-22 म काशी स वनकलन िाली मावसक पवतरका lsquoमयाषदा rsquo का सपादन बडी कशलता स वकया था अब ि मज हए पतरकार थ फलत सन 1930 म lsquoहस rsquo वनकला और 1932 म lsquoजागरण rsquo

हद दजज की ईमानदारी और अपनी डयटी अचछी तरह वनभान की मसतदी खद तकलीफ झलकर दसरो को सख पहचान की लगन सौ-सौ बधनो म जकडी हई भारत माता की सिाधीनता क वलए आतरता बाहरी और भीतरी बराइयो की तरफ स लोगो को आगाह रखन का सकलप हर तरह क शोरण का विरोध अपनी इन खवबयो स पमचद खब लोकवपय हो उzwj

पमचद का सिभाि बहत ही विनमर था वकत उनम सिावभमान कट-कटकर भरा था वदखािा उनह वबलकल पसद नही था करता और धोती 1920 क बाद गाधी टोपी अपना ली थी

सरकारी नौकरी और सिावभमान म सघरष चलता ही रहता था आवखर म जीत हई सिावभमान की 1920 म सरकारी सिा स तयागपतर द वदया और गाि जाकर जम गए कलम चलाकर 40-50 रपय की फटकर मावसक आमदनी होन लगी बड सतोर और धीरज स ि वदन पमचद न गजार

1921 म काशी क नामी दशभकत बाब वशिपसाद गपत न 150 रपय मावसक पर पमचद को lsquoमयाषदा rsquo का सपादक बना वलया पहल सपादक बाब सपणाषनद असहयोग आदोलन म वगरफतार होकर जल पहच गए थ lsquoमयाषदा rsquo को सभालन क वलए वकसी सयोगय सपादक की आिशयकता थzwjाी

1922 म सपणाषनद जी जल स छट तो उनह lsquoमयाषदा rsquo िाला काम िापस वमला लवकन बाब वशिपसाद गपत पमचद को छोडना नही चाहत थ काशी विदापीzwj म उनह सकल विभाग का हडमासटर वनयकत कर वदया

1930 म पमचद सिय राषरिीय सिाधीनता आदोलन म कद पडना चाहत थ सतयागरवहयो की कतार म शावमल होकर पवलस की लावzwjया क मकाबल डटना चाहत थ वकत जल जान का उनका मनोरथ अधरा ही रह गया

पतनी न सोचा कमजोर ह अकसर बीमार रहत ह इनको जल नही जान दगी सो ि आग बढी सतयागरही

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवहलाओ की कतार म शावमल हइइ वगरफतार होकर अपन जतथ क साथ जल पहच गइइ

पमचद मन मसोस कर रह गए मजबरी थी पर तसलली थी ldquoहर पररिार स एक आदमी को जल जाना ही चावहए rdquo उन वदनो यह भािना जोर पकड चकी थी

यह दसरी बात ह वक ि कभी वगरफतार नही हए कभी जल न गए मगर पमचद सिाधीनता -सगराम क ऐस सनापवत थ वजनकी िाणी न लाखो सवनको क हदय म जोश भर वदया था सिाधीनता क वलए जनता की लडाई का समथषन करत समय पमचद

यह कभी नही भल वक अाजादी किल एक वयवकत क जीिन को सखमय नही बनाएगी मटीभर आदवमयो क वलए ही ऐशो-आराम नही लाएगी िह lsquoबहजन सखाय बहजन वहताय rsquo होगी

1923 म lsquoसरसिती पस rsquo चाल हआ पमचद की आजाद तबीयत को नौकरी भाती नही थी सिाधीन रहकर वलखन-पढन का धधा करना चाहत थ पस खोलत

िकत उनक वदमाग म यही एक बात थी वक अपनी वकताब आप ही छापत रहग मगर पमचद अपन पस को िरषो तक नही चला सक

परमचद कर गोरखपर आवास (1916-1921) की समहत-पटटिका

आतzwjमकथाजीवनी

वकताबो का पकाशन करक कागज और छपाई-बधाई का खचाष वनकालना मवशकल था

1930 तक पस की हालत खराब रही वफर भी िह पमचद का लह पी-पीकर वकसी तरह चलता रहा इसम जो कछ कसर थी उस lsquoहस rsquo और lsquoजागरण rsquo न परा कर वदया घाटा घाटा घाटा और घाटा कजष कजष और कजष

बार-बार वनशचय करत थ वक अब दोबारा नौकरी नही करग अपनी वकताबो स गजार क लायक रकम वनकल ही आएगी बार-बार जमकर पस म बzwjत थ बार-बार पराना कजष पटाकर नए वसर स मशीन क पजाइ म तल डालत थ काम बढता था परशावनया बढती थी बढापा भी उसी रफतार स आग बढता जाता था

पढन-वलखन का सारा काम रात को करत थ तदरसती बीच-बीच म टट जाती थी दिा-दार क वलए वशिरानी रपय दती तो ि उस रकम को भी पस म खचष कर डालत वफर िदो और हकीमो स ससती दिाए लत रहत आराम वबलकल नही करत थ परी नीद सोत नही थ खाना भी मामली वकसम का खात

1936 क बाद दशा कछ बदली जरर मगर पमचद का पररशरम और भी बढ गया उनका जीिन ऐसा दीप था वजसकी लौ मवधिम नही तज पकाश दन को मजबर थी पर उस दीप म कभी परा-परा तल नही डाला गया लौ हमशा बतिी क रश को ही जलाती रही

उनकी बचनी इसीवलए थी वक ि चाहत थ वक जीिन-दीप का पकाश दर-दर तक फल िकत पर फल अचछी तरह फल अपनी सारी वकताब अपना सारा सावहतय अपन पस म ही छपिाकर समच दश म फला दना चाहत थ वकसानो मजदरो यिको विदावथषयो वसतरयो और अछतो की ददषनाक वजदगी को आधार बनाकर जो कछ भी वलख सभी कछ छापकर जनता को सजग-सचत बना दन का सकलप पमचद क अदर वहलोर ल रहा था अवधक-स-अवधक वलखत जाना अवधक-स-अवधक छापत जाना अवधक-स-अवधक लोगो को जागरक बनात जाना शोरण गलामी िाग दभ सिाथष रवढ अनयाय अतयाचार इन सबकी जड खोद डालना और धरती को नयी मानिता क लायक बनाना यही पमचद का उदशय था 9

आतzwjमकथाजीवनी

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तभी तो हावन-लाभ की भािनाओ स वनवलषपत रहकर पमचद अत तक वलखत रह नीद नही आती थी बीमारी बढ गई थी पस जाना बद था वफर भी आप घर िालो की नजर बचाकर उzwj जात और कलम तजी स चल पडती इतनी तजी स वक जीिन समापत होन स पहल ही सब कछ वलख दना चाहत थ

ldquo म मजदर ह वजस वदन न वलख उस वदन मझ रोटी खान का अवधकार नही ह rdquo य शबद उनक होzwjो क किल आभरण ही न थ बवलक सच थ

वफलमो क दारा जनता तक अपन सदशो को पभािशाली िग स पहचान और साथ ही अभािो स मवकत पान क वलए ि मबई गए वकत धनपत का धनपवतयो का सहिास और मबई का पिास रास नही आया िह उनकी अवभलाराओ की पवतष नही कर पाया

वफर िही पस वफर िही पकाशन वफर िही वघसाई रातो-रात जागकर पमचद न lsquoगोदान rsquo परा वकया

lsquoगोदान rsquo छपकर वनकल आया था वक उनकी लखनी lsquo मगलसतर rsquo पर तजी स चल रही थी

मरत-मरत पमचद इस उपनयास को परा करना चाहत थ चार ही अधयाय वलख पाए थ खाना नही हजम होता था खन की क करन लग थ पट म पानी भर गया था दध बालली फलो का रस तक नही पचा पात थ पर इतन पर भी काम करन की ललक पीछा नही छोडती थी वलखन की अवभलारा शात नही हो पाती थी दश को अपन

जीिन अनभि और अपन विचारो की अवतम बद तक द जान की इचछा चन नही लन दती थी

8 अकतबर 1936 रात का वपछला पहर पमचद न हमशा क वलए अपनी आख मद ली अभी साzwj क भी नही हए थ 56 िरष की आय कया कोई लबी आय थी

मवकसम गोकली और शरत चदर का दहािसान भी उसी िरष हआ

म मजदर ह जजस ददन न ललख उस ददन मझ रोटी खान का अधधकार नही ह

1910 म बबई (अब मबई) क अमरीका-इवडया वपकचर पलस म मन lsquoद लाइफ आफ काइसटrsquo वफलम दखी इसस पहल कई बार अपन पररिार या वमतरो क साथ वफलम दखी होगी लवकन वकसमस क उस शवनिार को मर जीिन म एक कावतकारी पररितषन आरभ हआ उस वदन भारत म उस उदोग की नीि रखी गई वजसका ितषमान छोट-बड बशमार उदोगो म पाचिा सथान ह ईसा मसीह क जीिन क महान कायषो को दखकर अनजान म तावलया बजात हए म कछ ऐसा अनभि कर रहा था वजसका िणषन नही वकया जा सकता वजस समय मर चक क सामन ईसा मसीह का जीिन-चररतर चल रहा था मन चक भगिान शरीकषण और भगिान राम तथा गोकल और अयोधया क वचतर दख रह थ एक विवचतर सममोहन न मझ जकड वलया वफलम समापत होत ही मन दसरा वटकट खरीदा और वफर स वफलम दखी इस बार म परद पर अपनी कलपनाओ को साकार होत दख रहा था कया यह िासति म सभि ह कया हम भारत-पतर कभी परद पर भारतीय पवतमाए दख पाएग सारी रात इसी मानवसक दविधा म गजर गई इसक बाद लगातार दो महीन तक यह हाल रहा वक जब तक म बबई क

िहदराज गोहवद फालकर

मररी कहानी मररी जबानीदादा साहब फालकर

आतzwjमकथाजीवनी

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सभी वसनमाघरो म चलन िाली हर वफलम न दख लता चन नही आता इस काल म दखी हई हर वफलम क विशलरण और उनह यहा बनान की सभािनाओ पर साच-विचार म लगा रहता इस वयिसाय की उपयोवगता और उदोग क महति क बार म कोई शका नही थी लवकन यह सब कछ कस सभि हो पाएगा भागयिश म इस कोई समसया नही मानता था मझ विशिास था वक परमातमा की दया स मझ वनशचय ही सफलता वमलगी वफलम वनमाषण क वलए आिशयक मल वशलपकलाओmdashडाइग पवटग आवकष टकचर फोटोगराफी वथयटर और मवजक की भी जानकारी मझ थी इन कलाओ म पिीणता क वलए म सिणष और रजत पदक भी जीत चका था वफलम वनमाषण म सफलता की मरी आशाा को इन कलाओ म मलभत पवशकण ही बलिती बना रहा था लवकन यह कस परी होगी कस

मझ म चाह वजतना आतमविशिास और उतसाह हो कोई भी वयवकत मझ तब तक पजी नही द सकता जब तक उस आकवरषत करन क वलए उस पतयक वदखान क वलए कछ हो इसवलए मर पास जो कछ भी था सब बच-बाचकर इस काम म जट गया

वमतरो न मझ पागल करार वदया एक न तो मझ थाना क पागलखान पहचान तक की योजना बना ली थी विलायत स कटलाग वकताब कछ जररी चीज आवद मगिा कर लगातार पयोग करन म छह महीन बीत गए इस काल म म शायद ही वकसी वदन तीन घटो स जयादा सो पाया होऊगा

रोज शाम को चार-पाच घट वसनमा दखना और शर समय म मानवसक विचार और पयोग विशरत पररिार क लालन-पालन की वजममदारी क साथ-साथ ररशतदारो दारा वयगय-वतरसकार असफलता का भय आवद क कारण मरी दोनो आख सज गइइ थी म वबलकल अधा हो गया लवकन डॉ पभाकर क सामवयक उपचार क कारण मरा दशय-जगत मझ िावपस वमल गया तीन-चार चशमो की सहायता स म वफर अपन काम म जट गया िाकई आशा बडी चमतकारी होती ह

यह सिदशी आदोलन का काल था सिदशी पर भारणो की इफरात थी पररणामत म अपनी अचछी-भली सरकारी नौकरी छोड कर सिततर औदोवगक वयिसाय पारभ

करन को पररत हआ इसी अनकल काल म मन अपन वमतरो और सिदशी आदोलन क नताओ को अपन कलपना जगत क वसनमा की

आतzwjमकथाजीवनी

सिवपनल आशााए दशाषइइ जो लोग 10-20 साल स जानत थ सनह करत थ उनह भी मरी बात कलपना जसी लगी और म उनकी हसी का पातर बन गया

अतत मर एक वमतर न इस योजना पर धयान दना सिीकार वकया मर पाच-दस सालो क वयािसावयक सबध थ और वजनह मर वयिसाय क पवत पम लगन क बार म पतयक जानकारी थी उनह मन अपनी योजना समझाइइ ि राजी हए मर वमतर 20-25 हजार रपय का इतजाम कर सकत थ और इस बात का अदाजा कोई भी लगा सकता ह वक यरोपीय-अमरीकी कपवनयो की पजी की तलना म 20-25 हजार रपय की रकम कम थी मझ आशा थी वक दो-चार वफलम रजतपट पर आन क बाद कारखाना अपनी आय स धीर-धीर अपना विकास करगा या जररत पडन पर मर वमतर अवध क पजी की वयिसथा करग

मझ इस बात का अवभमान ह वक म कोई भी कदम जलदबाजी म नही उzwjाता इस बार भी कलपनाओ और विदशो म पतयक कवत का अतर समझन क वलए एक बार विलायत गए वबना बडी रकम लगाना मन उवचत नही समझा जान-आन और जररी सामान खरीदन क वलए बहत ही कम रावश की जररत थी मन खशी स एक ऐसा lsquo मारिाडी एगरीमट rsquo वलख वदया वजसक अनसार यवद

यह सवदशी आदोलन का काल था सवदशी पर भाषणो की इफरात थी परणामत म अपनी अचzwjी-भली सरकारी नौकरी zwjोड कर सवततर औदोमगक वयवसाय पारभ करन को परत हआ सवदरशी आदोिन कर दौरान भारतीzwj दारा हवदरशी सामान को

जिानर का दशzwj

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आतzwjमकथाजीवनी

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भगिान न मझ सफलता दी तो साहकार का कलयाण हो जाए और इस तरह एक इतनी-सी रावश पर (वजसम एक अचछा-सा हअर कवटग सलन या कधा शावत भिन खोला जा सकता) किल वयिसाय-पम क वलए और वहदसतान म वसनमा कला की सथापना करक रहगा इस आतमविशिास क साथ इस विशाल वयिसाय की नीि रखी

विलायत क वलए एक फरिरी 1912 को बबई स रिाना हआ विलायत की यह मरी दसरी यातरा थी िहा पहचन पर मरी आशाए और बलिती हइइ मरी कलपनाए और वफलम वनमाषण का िासतविक ततर वबलकल एक-सा था कछ यतर आवद खरीदा बडी मवशकल स एक पवसधि कारखान म वफलम वनमाषण का कायष दखा और कछ काम सिय भी करक 10-12 वदनो म ही लौट आया

मातभवम लौटन पर एक-दो महीन म ही अपनी पतनी और बचचो की सहायता स सौ-दो सौ फट लबाई का वचतरपट तयार वकया तावक मर वमतर को सतोर हो और भविषय क पवत उममीद बध अवभ नताओ को रखकर एकाध नाटक तयार करन क वलए मझ रकम की दरकार थी मरा बनाया हआ वचतर परद पर दख और सफलता का परा विशिास होन क बाद साहकार न उवचत सपवति वगरिी रखकर आिशयक रकम दी विजापन

दकर नौकर और वशषय एकवतरत वकए और उनह तयार कर छह महीन क अदर ही lsquoराजा हररशचदर rsquo वचतरपट परद पर लाया इस वचतरपट की एक ही पवत पर आशचयषजनक आय हई इस वचतरपट की दजषन-भर पवतयो की माग थी लवकन एक ही पवत की यह आय इतनी अवधक थी वक कारखान क काम को आग बढाया जा

सकता था बरसात म चार महीन काम बद रखन क बाद तीन अकतबर

lsquo काहिzwjा मददन rsquo (1919) हफलम का एक दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

lsquo राजा िटरशचदर rsquo (1913) हिलम का एक अनzwj दशzwj

1913 को कारखाना बबई स नावसक ल गया अनक दव षट स वयिसाय क वलए यही सथान उपयकत होन क कारण िही सथायी होकर lsquoमोवहनी भसमासर rsquo तयार वकया इस वचतरपट न भी पथम वफलम जसी ही आय दी उतसावहत होकर तीसरा वचतरपट lsquoसावितरी सतयिान rsquo दवनया क सामन लाया इसन वपछल दोनो वचतरपटो क यश और आय म िवधि की जस-जस आय जमा होती गई कारखान म लगता गया

मर काम की खयावत विदशो तक पहच चकी थी और िहा की एक कपनी न हर नाटक की 20-22 पवतयो की माग की वहदसतान म सल एजसी लन क वलए लोग तयार हो गए वहदसतान क 500-700 वथएटरो को मर वचतरपट चावहए थ अब तक सब काम हा थो स चलता था और बहत ही धीमी गवत स होता था वबजली क यतर तथा अनय उपकरणो पर 25-30 हजार रपय और खचष कर एक छोटा-सा सटवडयो सथावपत करन स धीर-धीर वयिसाय zwjीक रासत पर बढगा तयार होन िाल लोगो क वलए यह 15

आतzwjमकथाजीवनी

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िका दिन rsquo (1917) हिलम का एक दशzwj

lsquoवयिसाय rsquo की दव षट स लाभपद होन क वलए उपरोकत रकम (25-30 हजार रपय) काफी ह यह विशिास अपन वमतर को वदलान क बाद नए यतर लान और विदश म अपन वयिसाय की भािी उननवत की सथापना करन क उदशय स lsquo मावहनी rsquo lsquo सावितरी rsquo आवद वचतरपट साथ म लकर म विलायत गया

कारखान म वनयकत कर सिा दो साल तक वशषयो को विवभनन शाखाओ म तरह-तरह स पवशवकत वकया तावक उनक तयार वचतरपट की माग इगलड-अमरीका म हो वफलम की वसफष एक पवत स इतनी आय हो वक कोई भी ललचा जाए वजनह वसनमा शबद की सपवलग भी पता नही ऐस वबलकल नए लोगो दारा हाथ स चलन िाल यतर वबना सटवडयो क इतनी कम लागत म वफलम बनाई गई वफलम न विलायत म पजी िाल और पवशव कत लोगो को चवकत कर वदया िहा क विशरज वफलम पवतरकाओ न उस अदभत करार वदया इसस अवध क मर कारखान क

कमषचाररयो-भारतपतरो को और कया चावहए

वकत आह मरी तीसरी यातरा ऐन विशियधि क शर होत ही हई यधि का पररणाम इगलड क भारत म दलालो कमीशन एजटो पर बहत

आतzwjमकथाजीवनी

बरा पडा उन वदनो म इगलड म था िहा सडको पर जगह-जगह पोसटर लग थ lsquo वबजनस एजट और पोफशनल rsquo और भारत म लोग अपनी जमीन- जायदाद छोडकर बबई स अपन जनम सथानो की ओर लौट रह थ इगलड म जब हर आध घट बाद यधि सबधी समाचार बलवटन पकावशत हो रह थ तब मरी lsquo मोवहनी भसमासर rsquo और lsquo सतयिान rsquo आवद वफलमो क शो आयोवजत करन और लदन म भारतीय वफलमो को गौरि वदलान क वलए कोवशश हइइ लवकन वहदसतान म मर कारखान की तालाबदी कर मर पवशव कतो को भगान तक की नौबत आ चकी थी वहदसतावनयो की तरह मरा साहकार भी भयभीत हो जान स पस लगान स पीछ हटन लगा नतीजा यह हआ वक मर कमषचाररयो का ितन तो दर उनक मामली वयय भी बद कर वदए गए वहदसतान लौटन तक सब उधार लकर वदन गजार रह थ बबई स िहा की पररवसथवतयो क बार म तार या पतर न आन स खरीदा हआ सामान इगलड म छोडना पडा और म खाली हाथ वहदसतान आया

िावपस लौटन पर हर तरह स साहकार को समझाया उसक हाथ-पाि पकड कर इगलड तार वभजिाया और खरीदा सामान मगिाया सटवडयो योजना मर बकस म ही पडी रही कारण बतान की जररत नही

लवकन मसीबत अकल नही आती जब खाली होन पर लोग छोडकर चल गए जो कछ थोड स ईमानदार लोग बच उनह मलररया न धर दबोचा

मरा चीफ फोटोगराफर दो बार मौत क मह स लौटा इलवकरिवशयन हज क कारण चल बसा

lsquo िका दिन rsquo (1917) हिलम कर एक दशzwj म सािकर

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आतzwjमकथाजीवनी

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भारत सरकार दारा दादा सािरब िालकर कर सममान म जारी हकzwjा गzwjा राक हटकट

वबजली का इवजन फट कर टकड-टकड हो गया मर मनजर को इतनी भयानक बीमारी हई वक वबना ऑपरशन क चारा नही था उस ज ज हॉसपीटल म वकसी अनाथ की तरह रखना पडा इस बीमारी की वसथवत म उसक वखलाफ पवलस न झzwjा मकदमा खडा वकया िकीलो की फीस बार-बार बढनिाली पवशया गाडी-भाडा गिाह-सबत आवद क

चककर म फस गया दयाल सरकार क नयायी दरबार म मरा आदमी दोर-मकत कर वदया गया और सिय कोटष न उलट पवलस पर मकदमा दायर करन की अनमवत द दी कया इसी तरह परमवपता का नयायी दरबार मझ सकट मकत नही करगा ऐस सकट म भी मन lsquo वशरयाल चररतर rsquo की तयारी शर की काम की थोडी-बहत शरआत हई थी वक राजा वशरयाल को 103-104 वडगरी बखार चढ गया मझ इसकी जानकारी न दत हए उसन वकसी तरह 2-4 दशय ईमानदारी क साथ पर वकए पररणामसिरप उसकी तकलीफ और बखार बढ गया और िह वबसतर स उzwjन म भी असमथष हो गया दिदार की परट यो स बनी सीवढया उतरत हए चागणाबाई क पर म मोच आ गई मरा दढ वनशचय चाह वजतना अटल हो लवकन साढ तीन हाथ क इस हाड-मास क शरीर पर तो आपवतियो का पररणाम होगा ही अधष-कपाली (आधा वसरददष) स म पीवडत हो गया वचताओ और कषटो क कारण मरी नीद उड गई पसननता की बात यह ह वक ऐस आपातकाल म भी एक दिी शवकत का मझ सहारा था वसफष उसी क पोतसाहन और मझ स भी अवधक उसकी कवzwjन तपसया क कारण आज मझ यह सवदन दखन को वमला ह ऐस ही कट काल म एक रात म तवकय पर वसर टक वचतामान बzwjा था वक मर पास बzwjकर मझ सातिना दन िाली शवकत धीर स बोलीmdashldquoइतन स परशान कयो होत हो कया चागणा का काम म नही कर पाऊगी आप वनजलीि तीवलया परद पर नचात

ह वफर म तो मानि ह आप मझ वसखाइए म चागणा का काम करती ह लवकन वशरयाल आप बवनए मर नाम का विजापन मत कीवजए rdquo

आतzwjमकथाजीवनी

बालक वचलया की भवमका मरा बडा बटा वनभा रहा था चाह वसफष कमरा क सामन ही कयो न हो जो साधिी अपन जाए बट पर तलिार उzwjान क वलए तयार हो गई पवत क पास कमषचाररयो की कमी होन क कारण मह पर रग पोतन क वलए तयार हो गई वजसन एक बार नही दस-पाच बार शरीर पर जो भी छोटा-मोटा गहना था दकर सकट क समय सहायता की ldquo परम वपता आपको लबी उमर द मझ मगलसतर क वसिा और वकसी चीज की जररत नही rdquo ऐसी तयागपणष वजसकी भािना ह उस मरी गहलकषमी क कारण ही मझ अपन कायष म सफलता वमल रही ह

मरी सफलता क और भी कारण ह मर थक हए मन को उतिवजत करन िाल lsquo वसटमयलटस rsquo मर पास काफी ह यह आदमी को जानिर बना दन िाल नही और न पहल ही घट क साथ नरक का दार वदखान िाल ह बवलक इसक सिन स दररदरािसथा म कट काल म सकट म सदा सावतिक उतिजना ही पापत होती ह

ईमानदार और जान लडा दन िाल कमषचारी वनसिाथली वमतरमडली कलशीलिान भायाष आजाकारी और सयोगय सतवत और सिाथष को भला दन िाला कारखान का िातािरण इतन lsquo वसटमयलटस rsquo क डोज वमलत रहन पर म थका-हारा नही इसम आशचयष की कौन-सी बात ह पजी पापत करन क वलए मझ इस पररवसथवत म नयी वफलम बनाकर दवनया को वदखाना होगा मझ जस वयवकत को कौन रकम दता वजसक पास फटी कौडी भी नही थी साराश जस-जस यधि बढता गया मरी आशाए वनराशाओ म पररिवतषत होन लगी 19

आतzwjमकथाजीवनी

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पजी जटान क वलए मन हर सभि पयास वकया पहली बात मर साहकार क और दसरी भगिान क बस म थी यवद म एक भी वफलम परी कर सका तो इस यधि काल म भी नयी पजी खडी कर सकता ह और चार-पाच वफलम परी करन योगय रकम की वयिसथा होन पर अपन को उबार कर सिततर तौर पर अपन परो पर खडा कर सकता ह इस आतमविशिास क साथ मन एक lsquo सकीम rsquo पकावशत की शमष की बात यह ह वक इसम कम-स-कम एक रपया कजष बयाज पर मागन क बािजद महाराषरि क दो क दरो स पना और बबई इन दो आदोलनकारी मराzwjी शहरो स मझ कल तीन आशरयदाता वमल सखी सहानभवत की पतथर िराष म मझ तीन वहरकवनया नजर आइइ मर पास सौ रपय जमा करन िाली एक वहरकनी न lsquo सदश rsquo म एक विसतत लख वलखकर lsquo हामरल rsquo क 15 हजार िीरो स आगरहपिषक वनिदन वकया था वक ि मझ 5-5 रपय द लवकन 5 कौवडया भी इन राषरिभकतो स नही वमली न फालक नए थ न उनका काम जzwjयादा दन की शवकत नही कम दन म लाज आती ह हा न दन क समथषन म हमारा िाक-पावडतय भरपर ह lsquo होमरल rsquo क एक बहत बड नता न मझ सपषट वकया वक पहल आप lsquo होमरल rsquo क सदसय क साथ जाइए होमरल वमलत ही पजी की कमी नही रहगी

इसी बीच lsquo पसा फड rsquo न कमर कस ली गाि म दशहर क समय पसा इकटा वकया जाता था इसक तहत 100-125 रपय की रावश जमा हो जाती थी एक गाि क लोगो न 100 रपय जमा कर मझ दन की घोरणा समाचार पतर म कर दी lsquo पसा फड rsquo क दो-तीन वयवकतयो का मझ समथषन भी पापत था इसक बािजद मझ पसा नही वमला घोडा कहा अडा कभी पता नही चला मझ कई कारण मालम हए ह लवकन मरी राय म जो काम चप रहकर काम करन िाल हाथो स हो जाता ह दस बोलन िाल मह स सभि नही होता ह

आजादी वकस नही अचछी लगती चाह वपजड म बद पकी हो चाह रससी स बधा हआ पश सभी परततरता क बधनो को तोड फ कना चाहत ह वफर मनषय तो पशओ की अपका अवधक बवधिमान और सिदनशील होता ह उस तो गलामी की जजीर सदा ही खटकती रहती ह सभी दशो क इवतहास म आजादी क वलए अपन पाणो की बवल दनिाल िीरो क उदाहरण वमलत ह

कछ िरष पिष तक भारत परततर था तब अगरजो स सिततरता पापत करन क पयतन बराबर होत रहत थ सन 1857 ई म एक ऐसा ही सामवहक सघरष भारतीय लोगो न वकया था उसक बाद भी यह सघरष वनरतर चलता रहा जनता म आजादी की वचनगारी सलगान का काम पाय कावतकारी वकया करत थ अगरजो को भारत स वकसी भी पकार वनकाल बाहर करन क वलए ि कवटबधि थ ऐस कावतकाररयो को जब भी अगरजी सरकार पकड पाती उनह फासी या कालपानी की सजा दती

भारत मा की आजादी क वलए अपन पाणा की आहवत दनिाल ऐस कावतकाररयो म चदरशखर आजाद का नाम अगरगणय ह

चदरशखर आजाद का जनम एक बहत ही साधारण पररिार म मधय पदश म झाबआ वजल क एक गराम म हआ था उनक वपता का नाम प सीताराम और माता का जगरानी दिी था बचपन स ही ि बहत साहसी थ ि वजस काम को करना चाहत थ उस करक ही दम लत थ एक बार ि लाल रोशनीिाली वदयासलाई स खल रह थ उनहोन सावथयो स कहा वक एक सलाई स जब इतनी रोशनी होती ह तो सब सलाइयो क एक

शहीद चदरशरखर आजादमनमथनाथ गपzwjत

आतzwjमकथाजीवनी

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काशी का एक पराना सकर च

साथ जलाए जान स न मालम वकतनी रोशनी होगी सब साथी इस पसताि पर बहत खश हए पर वकसी की वहममत नही पडी वक इतनी सारी सलाइयो को एक साथ जलाए कयोवक रोशनी क साथ सलाई म आच भी होती थी एक सलाई की अाच झलना तो कोई बात नही थी पर सब सलाइयो को एक साथ झलन का खतरा कौन मोल लता इसपर चदरशखर सामन आए और उनहान कहा ndashldquoम एक साथ सब सलाइयो को जलाऊगा rdquo उनहोन ऐसा ही वकया तमाशा तो खब हआ वकत साथ ही उनका हाथ भी जल गया पर उनहोन उफ तक नही की जब लडको न उनक हाथ की तरफ दखा तो मालम हआ वक उनका हाथ बहत जल गया ह सब लडक उपचार क वलए दौड पड पर चदरशखर क चहर पर पीडा का कोई पभाि न था और ि खड-खड मसकरा रह थ

पारभ म चदरशखर ससकत पढन क वलए काशी भज गए पर उनका मन िहा नही लगा और ि भागकर अपन बाबा क घर अलीपर सटट पहच गए यहा पर उनह भीलो स वमलन का मौका वमला वजनस उनकी खब घवनषzwjता हो गई उनहोन उनस धनर-बाण चलाना सीखा और थोड ही वदनो म ि अचछ वनशानबाज हो गए उनक चाचा न जब

यह बात सनी तो उनह वफर काशी भज वदया गया वजसस वक कम-स-कम उन भीलो का साथ तो छट इस बार ि काशी म वटक गए काशी म धावमषक लोगो की ओर स ससकत क छातरो

आतzwjमकथाजीवनी

क वलए छातर-वनिास तथा कतर खल हए थzwjो ऐस ही एक सथान पर रहकर चदरशखर ससकत वयाकरण पढन लग पर इसम उनका मन नही लगता था सिभाि स उनह एक जगह वटककर बzwjना अचछा नही लगता था इस कारण ि कभी-कभी गगा म घटो तरत तो कभी कथा बाचनिालो क पास बzwjकर रामायण महाभारत और भागित की कथा सनत थ िीरो की गाथाए उनह बहत पसद थी

चदरशखर जब दस-गयारह िरष क थ तब जवलयािाला बाग का भयकर हतयाकाड हआ वजसम सकडो वनरपराध भारतीयो को गोली का वशकार होना पडा जवलयािाला बाग चार दीिारो स वघरा एक मदान था वजसम स बाहर वनकलन क वलए किल एक तरफ एक पतला-सा रासता था यह रासता इतना सकीणष था वक उसम स कार भी नही जा सकती थी एक वदन जवलयािाला बाग म सभा हो रही थी उसम वरिवटश सरकार क विरधि भारण हो रह थ सभा चल रही थी वक सना की एक टकडी क साथ अगरज जनरल डायर िहा आया और उसन वबना कछ कह-सन वनहतथी भीड पर गोवलया चलिाना शर कर वदया कोई एक हजार आदमी मार गए कई हजार िहा पर घायल हए सार भारत म कोध की लहर दौड गई आजाद न भी इस ददषनाक घटना का िणषन सना यदवप उनकी अिसथा छोटी ही थी तो भी भारतीय राजनीवत म उनकी रवच जग गई और ि भी अगरजो क विरधि कछ कर वदखान क उपाय सोचन लग

उनही वदनो वरिवटश यिराज भारत आन को थ काशी आन का भी उनका कायषकम था कागरस न तय वकया वक उनका बवहषकार वकया जाए इस सबध म जब गाधीजी न आदोलन चलाया तो अाजाद भी उसम कद पड यदवप ि अभी बालक ही थ वफर भी पवलस न उनह वगरफतार कर वलया उनस कचहरी म

जहिzwjावािा बाग (1919) म िए नरसिार का माहमदक हचतरण

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आतzwjमकथाजीवनी

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मवजसरिट न पछा ldquo तमहारा कया नाम ह rdquo

उनहोन अकडकर बताया ldquo आजाद rdquo

ldquo तमहार बाप का नाम कया ह rdquo

ldquo सिाधीनता rdquo

ldquo तमहारा घर कहा ह rdquo

ldquo जलखाना rdquo

मवजसरिट न आजा दी ldquo इस ल जाओ और पदरह बत लगाकर छोड दो rdquo

उन वदनो बत की सजा दन का िग बहत ही करतापणष था इस घटना का उललख

जिाहरलाल नहर न अपनी आतमकथा म इस पकार वकया ह mdash ldquo उस नगा करक बत लगानिाली वटकzwjी स बाध वदया गया बत क साथ वचललाता lsquo महातमा गाधी की जय िह लडका तब तक यही नारा लगाता रहा जब तक बहोश न हो गया rdquo

इस घटना क बाद ही चदरशखर नामक िह बालक lsquo आजाद rsquo क नाम स विखयात हो गया

इनही वदनो भारत क कावतकारी अपना सगzwjन कर रह थ चदरशखर आजाद

गािी जी राषटर को सबोहित करतर िए

आजाद की हकशोरावसzwjा की तसवीर

आतzwjमकथाजीवनी

आजाद की हिखावट

उनस अवधक पभावित हए और ि भी उनक दल म शावमल हो गए कावतकाररयो का कहना था वक अगरज अवहसातमक रीवत स नही मानग उनको भय वदखाकर भारत छोडन क वलए मजबर करना होगा चदरशखर आजाद वजस कावतकारी दल क सदसय बन िह बहत बडा था और सार भारत म उसकी शाखाए फली थी

कावतकारी दल क सामन बहत-सी वयािहाररक समसयाए थी सबस बडी समसया यह थी वक सगzwjन क वलए धन कहा स वमल इसवलए दल की ओर स सन 1925 ई म उतिर पदश म lsquoकाकोरी सटशनrsquo क वनकट चलती गाडी को रोककर सरकारी खजाना लट वलया गया

इस घटना क होत ही वरिवटश सरकार की ओर स वगरफताररया होन लगी पर आजाद वगरफतार न हो सक उनह पकडन क वलए बडा इनाम घोवरत वकया गया आजाद न भी zwjान वलया था वक मझ कोई जीवित नही पकड सकगा मरी लाश को ही वगरफतार वकया जा सकता ह बाकी लोगो पर मकदमा चलता रहा और चदरशखर आजाद झासी क आस-पास क सथानो म वछप रह और गोली चलान का अभयास करत रह 25

आतzwjमकथाजीवनी

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बाए mdash आजाद पतनी और बचचो कर साzwj दाए mdash zwjवा चदरशरखर आजाद

lsquo काकोरी-रडयतर rsquo क मकदम म रामपसाद lsquo वबवसमल rsquo रोशन वसह अशफाकउलला और राजदर लावहडी को फासी हो गई

अब उतिर भारत क कावतकारी दल क नतति का परा भार आजाद पर ही आ पडा उनह इस सबध म भगतवसह आवद कई योगय साथी वमल सगzwjन का काम जोरो स होन लगा इनही वदनो वरिवटश सरकार न विलायत स lsquoसाइमनrsquo की अधयकता म एक आयोग भजा जब आयोग लाहौर पहचा तो सभी दलो न इसक विरधि पदशषन वकया इस पदशषन म ियोिधि नता lsquoलाला लाजपतरायrsquo को लाzwjी की खतरनाक चोट आइइ इनही चोटो क कारण कछ वदनो बाद उनका पाणात हो गया इसस दश का िातािरण बहत विकबध हो गया चदरशखर आजाद भगतहसि हशवराम राजगर और जzwjगोपाि न यह तय वकया वक लालाजी की हतया क वलए वजममदार सकॉट या सडसष को मार डालना चावहए 17 वसतबर 1928 को इन लोगो न पवलस सपररटडट सडसष को गोवलयो स भन डाला पर इनम स कोई भी पकडा न जा सका

सरदार भगतवसह और बटकशिर दति न सरकार की दमन नीवत का विरोध करन क वलए 7 अपल 1929 को क दरीय असबली म बम फ का यदवप ि जानत थ वक ि

पकड जाएग और उनह फासी होगी तो भी िहा स भाग वनकलन की बजाय ि असबली भिन म ही अगरजो क विरोध म नार लगात रह

आतzwjमकथाजीवनी

ि दोनो वगरफतार वकए गए और उन पर लाहौर-रडयतर कस चला वकत चदरशखर आजाद अब भी पकड नही जा सक

वरिवटश सरकार आजाद को फौरन पकडना चाहती थी पर ि वकसी भी तरह हाथ नही आ रह थ सन 1931 ई की 27 फरिरी की बात ह वदन क दस बज थ आजाद और सखदिराज इलाहाबाद क lsquoअलzwjफड पाकष rsquo म बzwj थ इतन म दो पवलस अफसर िहा आए उनम स एक आजाद को पहचानता था उसन दर स आजाद को दखा और लौटकर खवफया पवलस क सपररटडट नॉट बािर को उसकी खबर दी नॉट बािर इसकी खबर पात ही तरत मोटर दारा अलzwjफड पाकष पहचा और आजाद स 10 गज क फासल पर उसन मोटर रोक दी पवलस की मोटर दखकर आजाद का साथी तो बच वनकला वकत ि सिय िही रह गए नॉट बािर आजाद की ओर बढा दोना तरफ स एक साथ गोली चली नॉट बािर की गोली आजाद की जाघ म लगी और आजाद की गोली नॉट बािर की कलाई पर वजसस उसकी वपसतौल छटकर वगर पडी उधर और भी पवलसिाल आजाद पर गोली चला रह थ नाट बािर हाथ स वपसतौल छटत ही एक पड की ओट म वछप गया आजाद क पास हमशा काफी गोवलया रहती थी वजनका इस अिसर पर उनहोन खब उपयोग वकया नॉट बािर वजस पड की आड म था आजाद मानो उस पड को छदकर नाट बािर को मार डालना चाहत थ

पर एक घट तक दोनो ओर स गोवलया चलती रही कहत ह जब आजाद क पास गोवलया खतम होन लगी तो अवतम गोली उनहोन सिय अपन को मार ली इस पकार िह महान योधिा मात-भवम क वलए अपन पाणो की आहवत दकर सदा क वलए सो गया अपनी यह पवतजा उनहोन अत तक वनभाई वक ि कभी वजदा नही पकड जाएग

जब अाजाद का शरीर बडी दर वनसपद पडा रहा तब पवलसिाल उनकी आर आग बढ वकत आजाद का आतक इतना था वक उनहोन

भारत सरकार दारा चदरशरखर आजाद कर सममान म जारी राक हटकट

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आतzwjमकथाजीवनी

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पहल एक गोली मत शरीर क पर म मारकर वनशचय कर वलया वक ि सचमच मर गए ह

आजाद वजस सथान पर शहीद हए िहा उनकी एक पवतमा सथावपत की गई ह िहा जानिाला हर वयवकत उस िीरातमा को शरधिाजवल अवपषत करता ह वजसन अपनी जनम-भवम की पराधीनता की बवडयो को काटन क वलए अपना जीिन सहरष बवलदान कर वदया

आजाद की पहतमा अलzwjफर र पाकद इिािाबाद

तवमलनाड क ऐवतहावसक नगर तजौर क पास एक जगह ह ईरोड यहा क लोग नाररयल क बागो और धान क खतो म महनत-मजदरी करक जीन िाल लाग थ मर वपता शरीवनिास आयगर क पास न तो खत थ न ही नाररयल क बाग रिाहमण होन क कारण उनह मजदरी भी नही वमलती थी परोवहती करना उनह पसद नही था ऐस म नौकरी की तलाश म ि lsquoकभकोणमrsquo पहच गए िहा कपड की एक दकान म मनीम हो गए िही 1887 म मरा जनम हआ

मर वपताजी अपना काम ईमानदारी स करत थ दकानदार को लाभ कमात दख भी कभी उनक मन म लाभ कमान की बात नही

आई ि सबह स लकर रात तक दकान क काम म जट रहत थक-हार घर आत तो िहा भी वहसाब-वकताब रोकड-बही की बात करत म वपता की पतीका म जागा रहता उनकी बात सनता रहता धीर-धीर मझ भी उन बातो म मजा आन लगा

थोडा बडा होन पर म कसब म घमन-घामन लगा चारो ओर ऊच-ऊच पड वदखाई दत लोग उन पर चढत-उतरत रहत उनह दखकर मझ लगता

यही मररी पढाई थी और खरल भी

रामानरन

म यह भी अदाजा लगान की कोजशश करता कक यह पड कzwj zwjोटा हो जाए और दसरा कzwj बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोजशश करता

आतzwjमकथाजीवनी

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अब ि अाधी दरी पार कर गए अब चोटी पर पहच गए म यह भी अदाजा लगान की कोवशश करता वक यह पड कछ छोटा हो जाए और दसरा कछ बडा तो दोनो बराबर हो जाए म पडो को आखो स ही नापन की कोवशश करता

कभी म भडो क झडो को वगनन की कोवशश करता कभी भड भागन लगती और चरिाह परशान हो जात तो म zwjीक-zwjीक वगनकर भडो की सखया उनह बता दता यही मरी पढाई थी और यही खल भी था घर म पढाई की कोई खास वयिसथा नही थी पहाड जोड-घटाि गणा-भाग मझ वसखलाए गए

म पाच-छह िरष का होत-होत लब-लब जोड लगान लगा वफर खद ही बडी-बडी सखयाए वलखता उनको जोडता-घटाता इस खल म मझ मजा आता

म जब सात िरष का हआ मरा नाम कभकोणाम हाई सकल म वलखिा वदया गया सकल जान क वलए मर कपड विशर रप स धोए गए थ परो म चपपल नही थी वफर भी कई मील दर पदल चलकर म सकल पहचा था सकल म पढन म मरा बहत मन लगता था मरा मन सबस अवधक गवणत क पीररयड म लगता था मासटर साहब स सिाल हल करन की विवध सीखकर म दसरी विवध भी वनकालन की कोवशश करता

गवणत क अलािा दसर विरयो म मरा मन विशर नही लगता था बाकी विरयो की ककाओ म भी म गवणत क सिाल ही हल करता रहता था एक बार इवतहास की

कका म मासटर साहब न कोई सिाल पछ वलया तो म जिाब नही द सका मरा धयान तो गवणत क सिालो म लगा हआ था

सारगपानी सटरीट कभकोणम म रामानजन का घर

आतzwjमकथाजीवनी

गवणत की कका म एक बार मासटर साहब न बताया वक वकसी सखया को उसी सखया स भाग द तो भागफल एक होता ह उनहोन उदाहरण दकर इस समझाया भी मन खड होकर कहा mdash ldquoशनय को शनय स भाग द तो भागफल कछ नही होगा rdquo लवकन मासटर साहब शनय बटा शनय भी एक ही बतात रह मन वफर कहा ldquoशनय बट शनय का कोई अथष नही होता इसवलए शनय बटा शनय एक नही होगा rdquo

मासटर साहब न मझ डाटकर बzwjा वदया लवकन मझ उस समय भी अपनी बात पर विशिास था

दसर विरयो क वशकक मझ अचछा विदाथली नही समझत थ लवकन म गवणत म लगातार आग बढता रहा घर स बहत कम खाकर सकल जाता अकसर तो म कॉफी क बीज पानी म उबालकर तथा उस घोल को नमक क साथ पीकर ही सकल चला जाता और वदनभर भख पढता रहता इसी तरह 1903 क वदसबर म मन मदरास यवनिवसषटी स मवरिक की परीका पास कर ली गवणत म मझ बहत अचछ अक वमल अगरजी म उसस कम और दसर विरयो म बस पास माकसष मर पास होन की घर िालो को बस इतनी ही खशी हई वक अब मझ वकसी दफतर म कलकष की नौकरी वमल जाएगी

1904 क आरभ म म कभकोणम गिनषमट कॉलज म पढन लगा िहा भी िही हाल रहा लवकन िजीफा वमल जान स समसया कछ दर हई कॉलज म भी मझ गवणत को छोडकर दसर विरय पढन का मन नही

हरवरलस कोटद हटरहनटी कलॉिरज क हरिज जिा रामानजन नर पढाई की

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करता था इस िजह स म एफ ए म फल हो गया म अzwjारह साल का था घर स भाग गया सोचा था वक कही जाकर टयशन कर लगा और उसी खचष स गजारा कर लगा घर क अपमान स बचन क वलए म भागा था लवकन भागन पर कदम-कदम पर अपमान वमलन लगा कोई मझ आिारा समझता कोई वभखारी जब घर की याद मझ बरी तरह सतान लगी तो म

घर लौट अाया अब म मदरास क एक कॉलज म भतली हो गया लवकन परीका म वफर िही पररणाम हआmdashगवणत म अचछ अक अगरजी म पास और बाकी विरयो म फल

अब म चपचाप घर म पडा रहता कोई मझस सीध मह बात भी नही करता था उनही वदनो मर एक वमतर न एक वकताब लाकर दी वजसम गवणत क िर सार सतर सगरहीत थ म उन सतरो को हल करन लगा और उसी तरह क सतर बनान लगा

बीस िरष की उमर म मरी शादी कर दी गई अब मझ नौकरी की वचता सतान लगी म पोटष- रिसट क दफतर म कलकष बन ही गया दफतर म काम करत हए भी म गवणत म उलझा रहता दोपहर म लच क समय जब सभी लोग उzwjकर चल जात म कागज पर सिाल हल करता रहता एक वदन एक अगरज अफसर न मझ ऐसा करत दख वलया ि इसस पभावित हए उनहोन अपन वमतर क साथ

वमलकर मझ इगलड जान को पररत वकया इगलड जान म उनहोन मरी मदद भी की म क वरिज विशिविदालय चला गया िहा गवणत की पढाई और खोज म मझ बहत सविधा वमली

mdash सजीव ठाकर

रामानजन हटरहनटी कलॉिरज म अनzwj वजाहनको कर साzwj (बीच म)

भारत सरकार दारा रामानजन कर सममान म जारी राक हटकट

खल क मदान म धकका-मककी और नोक-झोक की घटनाए होती रहती ह खल म तो यह सब चलता ही ह व जन वदनो हम खला करत थ उन वदनो भी यह सब चलता था

सन 1933 की बात ह उन वदनो म म पजाब रवजमट की अोर स खला करता था एक वदन पजाब रवजमट और सपसष एड माइनसष टीम क बीच मकाबला हो रहा था माइनसष टीम क वखलाडी मझस गद छीनन की कोवशशा करत लवकन उनकी हर कोवशश बकार जाती इतन म एक वखलाडी न गसस म म आकर हॉकी सटीक मर वसर पर द मारी मझ मदान म बाहर ल जाया गया

थोडी दर बाद म पटी बाधकर वफर मदान म अा पहचा आत ही मन उस वखलाडी की पीzwj पर हाथ रख कर कहा mdash ldquo तम वचता मत करो इसका बदला म जरर लगा rdquo मर इतना कहत ही िह वखलाडी घबरा गया अब हर समय मझ ही दखता रहता वक म कब उसक वसर पर हॉकी सटीक मारन िाला ह मन एक क बाद एक झटपट छह गोल कर वदए खल खतम होन क बाद मन वफर उस वखलाडी की पीzwj थपथपाई और कहाmdash ldquo दोसत खल म इतना गससा अचछा नही मन तो अपना बदला ल ही वलया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता rdquo िह वखलाडी सचमच बडा शवमइदा हआ तो दखा अापन मरा बदला लन का िग सच मानो बरा काम करन िाला आदमी हर समय इस बात स डरता रहता ह वक उसक साथ भी बराई की जाएगी

गोलमररर धयानचद

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आज म जहा भी जाता ह बचच ि बढ मझ घर लत ह और मझस मरी सफलता का राज जानना चाहत ह मर पास सफलता का काई गर-मतर तो ह नही हर वकसी स यही कहता ह वक लगन साधना और खल भािना ही सफलता क सबस बड मतर ह

मरा जनम सन 1904 म पयाग म एक साधारण पररिार म हआ बाद म हम झासी आकर बस गए 16 साल की उमर म म ldquo फसटष रिाहमण रवजमटrdquo म एक साधारण वसपाही क रप म भतली हो गया मरी रवजमट का हॉकी खल म काफी नाम था पर खल म मरी कोई वदलचसपी नही थी उस समय हमारी रवजमट क सबदार मजर वतिारी थ िह

बार-बार मझ हॉकी खलन क वलए कहत हमारी छािनी म हॉकी खलन का कोई वनशवचत समय नही था सवनक जब चाह मदान म पहच जात और अभयास शर कर दत उस समय म एक नौवसवखया वखलाडी था

जस-जस मर खल म वनखार आता गया िस-िस मझ तरककी भी व मलती गई सन 1936 म बवलषन ओलवपक म मझ कपतान बनाया गया उस समय म सना म लास नायक था बवलषन ओलवपक म लोग मर हॉकी हॉकी खलन क िग स इतन पभावित हए वक उनहान मझ ldquo हॉकी का जादगरrdquo कहना शार कर वदया इसका यह मतलब नही वक सार गोल म ही करता था मरी तो हमशा यह कोवशश रहती

वक म गद को गोल क पास ल जाकर अपन वकसी साथी वखलाडी को द द तावक उस गोल करन का शरय

दोसत खल म इतना गससा अचzwjा नही मन तो अपना बदला ल ही ललया ह अगर तम मझ हॉकी नही मारत तो शायद म तमह दो ही गोल स हराता

आतzwjमकथाजीवनी

1936 म जमदनी कर हखिाफ िाइनि मच खरितर िए धzwjानचद

वमल जाए अपनी इसी खल भािना क कारण मन दवनया क खल पवमयो का व दल जीत वलया बवलषन ओलवपक म हम सिणष पदक वमला

खलत समय म हमशा इस बात का धयान रखता था वक हार या जीत मरी नही बवलक पर दश की ह

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म तब साढ तीन बरस का था वसडनी मरा भाई मझस चार बरस बडा था मा वथएटर कलाकार थी हम दोनो भाइयो को बहत पयार स वलटाकर वथएटर चली जाती थी नौकरानी हमारी दखभाल वकया करती थी रोज रात को वथएटर स लौटकर मा हम दोनो भाइयो क वलए खान की अचछी-अचछी चीज मज पर िककर रख दती थी सबह उzwjकर हम दोनो खा लत थ और वबना शोर मचाए मा को दर तक सोन दत थ

मरी समवत म वपता भी ह जो मा क साथ नही रहा करत थ और दादी भी जो हमशाा मर साथ छोट बचचो जसी बात वकया करती थी उनका घर का नाम वसमथ था म छह साल का भी नही हआ था वक ि चल बसी

मा को कई बार मजबरी म भी काम पर जाना पडता था सदली-जकाम क चलत गला खराब होन पर भी उनह गाना पडता था इसस उनकी आिाज खराब होती गई सटज पर गात हए उनकी आिाज कभी-कभी गायब हो जाती आर फसफसाहट म बदल जाती शरोता वचललाना और मा का मजाक उडाना शर कर दत इस वचता म मा भी मानवसक रप स बीमार जसी होन लगी उनको व थएटर स बलािा आना भी बद होन लगा मा की इस परशानी की िजह स किल पाच िरष की उमर म ही मझ सटज पर

सzwjरर पर वह मा की आखखरी राzwjत थी

चालली चपखलन

आतzwjमकथाजीवनी

उतरना पडा मा उन वदनो मझ भी अपन साथ वथएटर ल जाया करती थी एक बार गात-गात मा की आिाज फट गई और फसफसाहट म बदल गई शरोतागण कति और वबवललयो की आिाज वनकालन लग मरी समझ म नही आ रहा था वक कया हो रहा ह मा सटज छोडकर चली गइइ सटज मनजर मा स मझ सटज पर भज दन की बात कर रहा था उसन मा की सहवलयो क सामन मझ अवभनय करत दखा था सटज मनजर मझ सटज पर लकर चला ही गया और मरा पररचय दकर िापस लौट गया म गान लगा गान क बीच म ही वसकको की बरसात होन लगी मन वसकको को बटोरना जयादा जररी समझा और दशषको स साफ-साफ कह वदया वक पहल म वसकक बटोरगा वफर गाऊगा इस बात पर दशषक zwjहाक लगान लग सटज मनजर एक रमाल लकर सटज पर आया और वसकक बटोरन म मरी मदद करन लगा मझ लगा वक िह मर वसकक ल लगा सो दशषको स भी यह बात मन कह दी इस बात पर zwjहाका का दौर ही चल पडा सटज मनजर जब वसकक बटोरकर जान लगा तब म भी उसक पीछ-पीछ चल पडा वसकक की पोटली मा को सौप जान पर ही म िापस सटज पर आया वफर जमकर नाचा गाया मन तरह-तरह की नकल करक वदखाइइ

अपन भोलपन म म मा की खराब आिाज और फसफसाहट की भी नकल कर बzwjा लोगो को इसस और अवधक मजा आया और ि वफर वसकक बरसान लग म अपनर रीवन म पहली बार सzwjरर पर उzwjतरा था और वह सzwjरर पर मा की आखखरी राzwjत थी

यही स हमार जीिन म अभाि का आना शर हो गया मा की जमा पजी धीर-धीर खतम होती गई हम तीन कमरो िाल मकान

मा िनना चपहिन और हपता चालसद चपहिन

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स दो कमरो िाल मकान म आए वफर एक कमर क मकान म हमारा सामान भी धीर-धीर वबकता गया मा को सटज क अलािा कछ आता नही था लवकन उनहोन वसलाई का काम शर कर वदया इसस कछ पस हाथ म आन लग घर का सामान तो धीर-धीर वबक ही गया पर मा वथएटर की पोशाको िाली पटी सभाल हई थी शायद कभी उनकी आिाज िापस आ जाए और उनह वथएटर म काम वमलना शर हो जाए उन पोशाको को पहनकर मा तरह-तरह क अवभनय कर मझ वदखलाती िर सार गीत और सिाद सनाती अपनी अजानता म म मा को वफर स सटज पर जान को कहता मा मसकराती और कहती ldquoिहा का जीिन नकली ह झzwjा ह rdquo

हमारी गरीबी की कहानी यह थी वक सवदषयो म पहनन क वलए कपड नही बच थ मा न अपन परान रशमी जकट को काटकर वसडनी क वलए एक कोट सी वदया वसडनी िह कोट दखकर रो पडा मा क समझान-बझान पर िह कोट पहनकर सकल तो

चला गया लवकन लडक उस वचढान लग मा की ऊची एडी की सवडलो को काट-छाटकर बनाए गए वसडनी क जत भी कम मजाक क पातर नही थ और मा क परान लाल मोजो को काटकर बनाए मोजो को पहनकर जान की िजह स लडको न मरा भी खब मजाक बनाया था

इतनी तकलीफा को सहत-सहत मा को आधासीसी वसरददष की वशकायत शर हो गई उनह वसलाई का काम भी छोड दना पडा अब हम वगररजाघरो की खरात पर पल रह थ दसरो की मदद क सहार जी

रह थ वसडनी अखबार बचकर इस गरीबी क विरधि थोडा लड रहा था ऐस म एक चमतकार जसा हआ अखबार बचत हए बस क ऊपरी तलल की एक खाली

सीट पर उस एक बटआ पडा हआ वमला बटआ लकर िह बस स उतर गया सनसान जगह पर जाकर उसन बटआ खोला तो दखा

बचपन म चािली

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चािली चपहिन अहभनीत हिलमो कर पोसटर

वक उसम चादी और ताब क वसकक भर पड ह िह घर की तरफ भागा मा न बटए का सारा सामान वबसतर पर उलट वदया बटआ अब भी भारी लग रहा था बटए क भीतर भी एक जब थी मा न उस जब को खोला तो दखा वक उसक अदर सोन क सात वसकक छप हए ह हमारी खशी का वzwjकाना नही था बटए म वकसी का पता भी नही था इसवलए मा की वझझक थोडी कम हो गई मा न इस ईशिर क िरदान क रप म ही दखा

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धीर-धीर हमारा खजाना खाली हो गया और हम वफर स गरीबी की ओर बढ गए कही कोई उपाय नही था मा को कोई काम नही वमल रहा था उनका सिासथzwjय भी zwjीक नही चल रहा था इसवलए उनहोन तय वकया वक हम तीनो यतीमखान म भरती हो जाए

यतीमखान म भी कम कवzwjनाइया नही थी कछ वदना बाद हम िहा स वनकल आए वसडनी जहाज पर नौकरी करन चला गया मा वफर स कपड सीन लगी म कभी फल बचन जाता तो कभी कागज क वखलौन बनाता वकसी तरह गजारा हो रहा था

एक वदन म बाहर स आ रहा था वक गली म बचचो न बताया ldquo तमहारी मा पागल हो गई ह rdquo उनह पागलखान म भरती करिाना पडा वसडनी जहाज की नौकरी छोडकर चला आया उसक पास जो पस थ िह मा को दना चाहता था लवकन मा की वसथवत ऐसी नही थी वक उस पस को ल पाती जहाज स लौटकर वसडनी न नाटको म काम करना शर कर वदया मन कई तरह क काम वकए mdash अखबार बच वखलौन बनाए वकसी डॉकटर क यहा नौकरी की काच गलान का काम वकया बढई की दकान पर रहा इन कामो स जब भी समय बचता म वकसी नाटक कपनी क चककर लगा आता लगातार आत-जात आवखर एक वदन एक नाटक म मझ काम वमल ही गया मझ मरा रोल वदया गया म उस पढना ही नही जानता था उस लकर म घर आया वसडनी न बडी महनत की और तीन ही वदना म मझ अपना रोल रटिा वदया

नाटका का यह हाल था वक कभी पशसा वमलती तो कभी टमाटर भी फ क जात ऐस म एक वदन मन अमरीका जान का वनशचय कर वलया वसडनी क वलए वचटी छोडकर एक नाटक कपनी क साथ अमरीका

वजलीहनzwjा और चािली चपहिन ndash (1920)

आतzwjमकथाजीवनी

चला गया िहा कई नाटक वकए एक नाटक म मरा काम दखकर एक वयवकत न फसला वकया वक जब कभी िह वफलम बनाएगा मझ जरर लगा बहत वदनो बाद ही सही िह वदन आया और मक सीनट नाम क उस वयवकत न मझ िढ वनकाला अपनी lsquoकी-सटोन कॉमडी कपनी rsquo म नौकरी दी वफलमो का यह काम मर वपछल कामो स वबलकल अलग था एक बार शवटग करत िकत वनदजशक न कहा ldquo कछ मजा नही आ रहा ह तम कोई कॉवमक मकअप करक आ जाओ rdquo

म डवसग रम म गया इधार-उधर दखा पास ही एक िीली-िाली पतलन थी मन उस पहन वलया उस पर एक खराब-सा बलट बाध वलया िढ-िाढकर एक चसत कोट पहन वलया अपन परो स बहत बड जत पहन वलए छोटी-सी टोपी वसर पर डाल ली बढा वदखन क खयाल स टथरिश जसी मछ लगा ली एक पतली-सी छडी को उzwjा वलया आईन म दखन पर म खद को ही नही पहचान पा रहा था छडी लहरात और कमर लचकात जब म बाहर आया तो लोग जोर-जोर स हसन लग zwjहाक लगान लग लोगो की हसी की आिाज सनकर जब वनदजशक न मरी ओर दखा तो िह खद भी पट पकडकर हसन लगा हसत-हसत उस खासी होन लगी

यही मररा वह रप था रो मररर साथ हमरशा खचपका रहा लोगो की zwjतारीफ पाzwjता रहा

mdash सजीव ठाकर

चपहिन की हवहशषट मसकानmdashएक हिलम का दशzwj

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मन चौथी कका पास की और वभड कनयाशाला म ही पाचिी म पिश वलया यह हाईसकल था पाइमरी को lsquoछोटी वभड कनयाrsquo और हाई सकल को lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo कहत थ दोनो सकल अलग-अलग थ दोनो म वसफष पाच वमनट आन-जान म लगत थ अब

मरी छोटी बहन भी lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पाइमरी म पढन लगी थी िह मर स दो कका पीछ थी तब भी उस पाइमरी सकल म एक भी असपशय लडकी नही थी पाचिी कका म और छzwjी-सातिी म कछ लडवकया थी उनहोन कही स पाइमरी पास वकया था

हमार दोनो सकलो क आग सोमिार और बहसपवतिार को बाजार लगता था बाबा िहा पर अपनी दकान सजाकर बzwjत खान की छटी म हम दौडकर बाबा क पास जाती ि हमार वलए चन-मरमर खरीदकर रखत और हम दत म और मरी बहन चन लकर जलदी उलट पाि िापस सकल आती हम आग-पीछ इधर-उधर ताकती रहती वक हमार सकल की लडवकया न दख वक हमार वपता कबाडी ह हमार सकल की कछ रिाहमण लडवकयो क वपता िकील कछ क डॉकटर कछ क सरकारी दफतर म काम करत थ कोई इजीवनयर या मनजर था इसवलए हम हीनता महसस होती थी

एक बार हम कामzwjी जा रह थ गाडी म एक रिाहमण बzwj थ उनहोन हमस बड पयार स पछा कौन-सी कका म पढती हो हमन उनह सकल क नाम-कका क बार म बताया उनहोन पछा तमहार वपता कया करत ह हमन झzwj बोल वदया वक ि इजीवनयर ह और वबजली क दफतर म काम करत ह ि भी नागपर क वबजलीघर म काम करत

एक काzwjदकम म कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo परसकार िरतर िए

सकक ल कर खदनकौसलया बसती

आतzwjमकथाजीवनी

थ उनहोन वपताजी का नाम पछा मन रोब म आकर कहा ldquoआर क नदशिर (रामाजी कानहजी नदशिर)rdquo तब उनहोन कहाmdash ldquoइस नाम का तो कोई वयवकत िहा नही ह म िही काम करता हrdquo म झप गई थी

मरी छोटी बहन lsquoछोटी वभड कनयाशालाrsquo म पढती थी उसकी साढ-तीन बज छटी हो जाती थी िह मर सकल म आकर बzwj जाती थी कभी झल पर झलती कभी सीसा पर खलती रहती थी कयोवक मरी साढ चार बज छटी होती थी तब तक िह मरी पतीका करती थी कभी-कभार अपनी कलास का वदया हआ अभयास परा करती रहती हम दोनो साथ-साथ सकल जाती साथ-साथ घर आती थी म जहा कही जाती िह मर साथ छाया की तरह रहती थी

बडी बहन अपनी ससराल म थी उनह अब कई बचच भी हो गए थ मा अब सब बहनो को सकल भजती थी हम दोनो बहन lsquoवभड कनयाशालाrsquo म पढन जाती थी उसक बाद िाली बहन को मा न वहदी माधयम िाल अममाजी क सकल म डाला िह नागपर म वहदी माधयम िाला पवसधि सकल था उसका नाम lsquoपॉवहीडनस गलसष हाईसकलrsquo था इस ईसाई ननस चलाती थी सबस छोटी बहन को भी मा न सट उरसला गलसष हाईसकल म डाला इस भी ईसाई वमशनरी चलात थ और यह पवसधि सकल था सबस छोटी बहन पढाई म बहत अचछी थी अपनी कका म अविल आती थी भाई न बसती गडडीगोदाम क lsquoनगरपावलकाrsquo सकल स अचछ नबरो स पाइमरी पास की उस भी नागपर क सरकारी सकल lsquoपटिधषन हाईसकलrsquo म पिश वमला भाई भी पढाई म बहत अचछा था छोटी बहन को lsquoसकालरवशपrsquo भी वमली थी सरकार की अोर स

जब म पाइमरी म चौथी कका म थी तब वशवकका मझस बहत काम करिाती थी कभी होटल स चाय मगिान भजती कभी कछ समान लान भजती दसरी लडवकयो को नही भजती थzwjाी जाचन की कावपयो का बडा बडल मर हाथ म पकडाकर अपन घर पहचान का कहती मरा अपना बसता

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और जाचन की कॉवपयो का बडल लकर आन स मर हाथ दखन लगत थ घर सकल स काफी दर था पहचान पर कभी दो वबसकट या अनय पदाथष खान को दती थी कभी कछ भी नही दती थी कछ लान का भल जाती तो मझ अपन घर दौडाती म चपचाप सब कर लती थzwjाी मर घवटया कपडो क कारण रिाहमणो की लडवकया मर साथ दोसती नही करती थी कनबी की लडवकया थी तो म उनक साथ बzwj जाती थी अब ि नही थी तो म अकली ही खान की छटी म बzwjकर लडवकयो का खल दखती थी

एक बार एक लडकी की वकताब वशवकका न पढन को ली और उस लौटाना भल गइइ अपन सकल की अलमारी म उस रख वदया और उसक ऊपर दसरी कावपया और पसतक रख दन स िह वकताब दब गई लडकी न इधर-उधर िढा परत नही वमली तब उसको मर ऊपर शक हआ वक मन ही चराई गरीब घर की लडकी

थी इसवलए मर ऊपर इलजाम लगाया वशवकका को भी लगा शायद मन ही चराई उस लडकी न तो मरी वकताब छीन ली मझ रोना आ गया म बार-बार कह रही थी वक मर पास नही ह मन नही ली वफर भी िह मर ऊपर अविशिास कर रही थी कछ वदन बाद वशवकका अपनी अलमारी zwjीक-zwjाक कर रही थी तब उस लडकी की वकताब िहा वमली इसका मर मन पर गहरा असर हआ था और म बहत रोई थी

वशवकका एक बार कका की लडवकयो का नागपर क lsquoराजाबाकाrsquo नामक हनमान मवदर म वपकवनक पर ल गइइ िहा जाकर सबजी और पररया बनानी थी वशवकका न हम

सबको आधा पाि आटा चार-पाच आल और दो पयाज और एक छोटी बोतल म पररयो क वलए तल भी लान को कहा हर लडकी यह सामान ल आई म भी आटा आल पयाज और तल ल गई थी सबका सामान

कौसलzwjा बसतरी कर आतमकzwjातमक उपनzwjास दोिरा अहभशाप rsquo पर आzwjोहजत काzwjदकम का दशzwj

आतzwjमकथाजीवनी

एकतर वकया गया मरी तल की शीशी वशवकका न अलग कर दी और पछा वक वकस चीज का तल ह मन कहा वक ldquoजिस का (तीसी का)rdquo वशवकका न तल िापस कर वदया बाद म मझ पता चला वक रिाहमण लोग या अमीर लोग तीसी का तल नही खात गरीब लोग यह तल खात ह तल खान का फरक मझ उसी वदन मालम हआ अब तक म यही सोचती थी वक सब लोग यही तल खात होग मझ वसफष इस तल और बालो म लगान क वलए नाररयल क तल की ही जानकारी थी मरी कका म एक शरारती लडकी थी िह तो जब भी मझ दखती जिस का तल कहकर वचढाती थी

सकल क रासत म सीताबडली की टकडी (छोटी पहाडी) थी िहा गणपवत जी का मवदर था टकडी म ऊपर अगरजो की फौज की टकडी रहती थी गणपवत क मवदर म वसफष रिाहमण या ऊची जावत िाल ही जात थ असपशयो का मवदर म पिश नही था म और मरी बहन आत-जात लोगो को पजा-पाzwj करत दखती थी पवडतजी नाररयल गड आवद का पसाद लोगो को दत थ पसाद क लालच म म और मरी बहन जब लोग नही रहत तब जाकर गणपवत जी की पाच बार पदवकणा करती थी और घटी बजाती थी लोगो को दखकर हम भी िस ही करती थी और पसाद लकर जलदी भाग जाती थी िहा क पजारी को हमार ऊपर शक नही हआ नही तो मार पडती परीका क समय कई लडवकया मवदर जाती और िहा स विभवत लाकर परीका की कापी क हर पनन पर राख डालती थी म भी दखा-दखी मवदर स राख लाकर पननो पर डालती और भगिान स पास करन क वलए पाथषना करती थी तब म भी कछ धावमषक पिवति की थी परत बाद म एकदम नावसतक हो गई अब यह सब वयथष लगता ह

जब lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म पाचिी कका म पिश वलया तब सकल की फीस जयादा थी एक रपया बारह आन परत अब सब पढ रह थ घर क बचचो की फीस दना बाबा-मा क

कौसलzwjा lsquoबसतरीrsquo अपनर हपzwjजनो कर बीच

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सामथzwjयष क बाहर की बात थी बाबा न हमारी हड वमसरिस स बहत विनती की वक ि फीस नही द सकत बहत मवशकल स िह मान गइइ और कहा वक पढाई अचछी न करन पर सकल स वनकाल दगी बाबा न आशिासन वदया वक ि इसका खयाल रखग बाबा न हड वमसरिस क चरणो क पास अपना वसर झकाया दर स कयोवक ि अछत थ सपशष नही कर सकत थ बाबा का चहरा वकतना मायस लग रहा था उस िकत मरी आख भर आई थी अब भी इस बात की याद आत ही बहत वयवथत हो जाती ह अपमान महसस करती ह जावत-पावत बनान िाल का मह नोचन का मन करता

ह अपमान का बदला लन का मन करता ह

कछ वदनो क बाद सकल िालो न असपशय लडवकयो को मफत वकताब दना शर वकया था वफर भी कावपया कपास कलर बाकस रिश िगरह हम अपन पसो स खरीदना पडता था चौथी पास करक मरी छोटी बहन मध भी lsquoबडी वभड कनयाशालाrsquo म आन लगी मझ फीस नही दनी पडती थी परत मध की दनी पडती थी मा-बाबा को सबकी पढाई का खचाष उzwjान म बहत वदककत पडती थी वफर भी उनहोन हम पढाना जारी रखा उनहोन बाबा साहब lsquoआबडकर का कसतरचद पाकष rsquo म भारण सना था वक अपनी पगखzwjत करना ह zwjतो खशका पापzwjत करना बहzwjत रररी ह लडका और लडकी दोनो को पढाना चाखहए मा क मन पर इसका असर पडा था और उनहोन हम सब बचचो का पढान का वनशचय वकया था चाह वकतनी ही मसीबतो का सामना करना पड बाबा मा क वकसी काम म दखल नही दत थ कभी-कभी सकल जान का मन नही करता था तो हम बहाना लगात वक चपपल टट गई या बाररश म छतरी टटी ह तो ि तरत कील तार लगाकर छतरी-चपपल दरसत कर दत थ हम घर म नही रहन दत थ सकल जरर भजत थ वकसन भागजी बनसोड बीच-बीच म घर आत थ मा को हम पढान क वलए

उतसावहत करत थ मा का हौसला बढ जाता था नयी कका म जान पर सब बहनो और भाई का वकताब-कावपयो का खचाष बढ जाता था गमली की छरटयो क बाद सकल खलन पर सबको वकताब खरीदनी पडती थी

नए साल (1913) का पहला महीना खतम होन को था हगरी की राजधानी बडापसट बफष की मोटी रजाई ओढ पडी थी डनयब नदी क ऊपर स बहकर आती हिा इतनी सदष थी वक वखडवकयो क भी दात बज रह थ इतनी zwjड म परीकथाओ-सा सदर यह दश सफद-सफद हो रहा था मगर सरदार lsquoउमरािवसह मजी वzwjयाrsquo क घर म खवशयो की गमाषहट थी दोपहर की पाथषना क वलए वगरज का घटा बजा और खबर वमली वक घर म एक परी न जनम वलया ह

lsquoबडापसटrsquo यरोप क आकरषक शहरो म स एक ह अपन इवतहास कला और ससकवत क ऊच दजज क कारण उसकी वगनती विएना और पररस क साथ हआ करती थी ऐस समय जनमी बचची को उसक मा-वपता न दखा उसक लब रशम जस बालो को दखा उसकी बडी-बडी उतसकता भरी आखो को दखा रोना तो उस आता ही नही था घरिालो न उस नाम वदया अमता

अमता अभी एक साल स थोडी ही बडी हई थी वक उस एक जीता-जागता वखलौना वमल गया mdash उसकी छोटी बहन इवदरा उनही वदनो पहला विशियधि शर हो गया बवचचयो को लडाई की आच न लग इसवलए मारी और उमरािवसह शहर स साzwj मील दर दहात म रहन गए यहा डनयब नदी म एक ऐसा जबरदसत मोड था वक पर इलाक का नाम lsquoडनयबबडrsquo पड गया था आसपास पहावडया थी जगल थ िहा बसा था दनाहरसती गाि सरदार साहब जब घमन वनकलत तो उनक साथ अमता इवदरा और एक बडा-सा सफद कटया (हगररयाई भारा म कटया

अमzwjता शररखगलखदलीप खचचालकर

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अपनी बिन इहदरा कर साzwj अमता (1922)

का अथष होता ह कतिा) होता

अमता को पकवत की सदरता स बडा लगाि था पड-पौधो की खबसरती फलो क सखष रग और नदी-पहाडो क बीच की िलानो को दखकर िह बार-बार वzwjzwjक जाती िह पाच साल की ही थी वक िॉटर कलर स वचतर बनान लगी मा रो कहाखनया सनाzwjती अमzwjता उनही पर खचत बना दरzwjती अमता वकसी सकल म नही गई एक वशकक घर पर आकर उस अकगवणत इवतहास और भगोल पढात थ इवतहास तो उस इतना अचछा लगता वक समय वमलत ही िह कयॉन या िॉटर कलर स इवतहास की घटनाओ क वचतर बनान लगती

भाराए भी िह चलत-बोलत सीख लती थी अमता क मामा इविष न बखताई भारत क जान-मान जानकार थ उमराि वसह क कहन पर इविषन मामा न गाधीजी क भारणो का एक सगरह तयार वकया था अमता का रझान दखकर मामा न ही शरआत म उस वचतरकारी वसखाई थी

अमता शरवगल अपन आप म गमसम रहन िाली लडकी थी ऐस बचच अकसर चपचाप अपन आस-पास की चीजो को धयान स दखत रहत ह इसस उनक अदर छपी पवतभा वनखरती जाती ह अमता पर उसकी मा मारी एतोएनत शरवगल की सनाई परीकथाओ और लोकगीतो का खासा असर पडा था हगरी क गाि गाििाल महल जमीदारो की कोवzwjया अमता क मन म बस गई थी वकसानो क लब लबादो पर चटख रगो स की गई कढाई अमता को खब सहाती ऐस कपड पहन हए अमता और इवदरा की तसिीर भी ह कही इसम दानो बहन एकदम वजपसी बजाररन लगती ह अमता सदर वदखन क वलए सजग रहती थी शायद इसी कारण अपनी छोटी बहन स उस थोडी

ईषयाष भी रहती थी वकसमस का एक वकससा अमता क सात साल क होन क पहल का ह सन 1920 क बड वदन की बात ह मा न घर

आतzwjमकथाजीवनी

म एक दाित दी थी महमानो म मानवसक रोगो की एक मशहर डॉकटर डॉ उझलयी भी थी पाटली चलत-चलत ही डॉकटर न अमता की एक बडी कवzwjन परीका ल डाली अमता पसीन स नहा गई बाद म डॉकटर न अपनी ररपोटष म वलखा वक इस लडकी की पवतभा असामानय ह सािधानी बरतना जररी ह कयोवक उस पर ऐस पभाि पड सकत ह जो आग चलकर डरािन हो सकत ह बस अगल ही साल माता-वपता अमता को लकर भारत आ गए

अमता शरवगल क वपता सरदार उमरािवसह बड सौमय वयवकत थ कभी-कभी वकसी छोट रसतरा म बzwjकर ि भारतीय ततिजान और वहद धमष पर बातचीत करत थ उनक एक और दोसत पोफसर सागर कगर अकसर उनक घर आकर lsquoअमीर खसरोrsquo की रबाइया गात थ गोरखपर वजल म उनकी जमीदारी थी अमता की मा का पररिार भी कोई कम सपनन नही था धन-दौलत और कला-ससकार दोनो म जब उनह लगा वक अमता वचतरकला को शौवकया तौर पर नही गभीरता स लती ह तो उस पढान क वलए इटली और zwjफास ल गइइ

यरोप म अमता न पोफसर lsquoवपयरिलाrsquo और पोफसर lsquoलयवसए वसमोrsquo स वचतरकला सीखी वचतरकला की दवनया म य दोनो जानी-मानी हवसतया थ दोनो अमता स बहत पभावित हए वसमो न तो यह तक कह डाला वक एक खदन मझर इस बाzwjत पर गवज होगा खक zwjतम मररी छाता रही हो अमता क वचतर भी उसकी पशसा पर खर उतरन िाल रह उनका पदशषन पररस की पवसधि lsquoआटष गलरीrsquo म होता यरोप म रहत हए अमता न िहा क वचतरकारो क काम बडी बारीकी स दख और समझ उस लगा वक िहा रहकर िह कछ अनोखा नही कर पाएगी अमता न कहा वक

अमता शररहगि

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ldquo म वहदसतान का खन ह और वहदसतान की आतमा कनिास पर उतारकर ही सतषट हो सकगी यरोप तो वपकासो मतीस और रिाक का ह मरा तो किल भारत ह rdquo और 1934 म िह सचमच भारत आ गइइ

उमरािवसह नही चाहत थzwjो वक उनकी मनमौजी वबवटया भारत आए कयावक हगरी क रहन-सहन और भारत क तौर-तरीको म काफी फकष था अमता वसफष वचतरकार नही बनना चाहती थी वचतरकारी क रासत िह कछ अनोखा करना चाहती थी और उसकी सभािना उस भारत म ही वदखाई दी यहा क दीन-हीन दसी लोगो को अमता स पहल वकसी न कनिास पर जगह नही दी थी अमता क वचतरा न भारत म खब खलबली मचाई अचछ तो ि थ ही उनम नयापन भी था इनही म अमता को अपनी शली वमल गई

अमता खराषट भी बहत थी उसन अपनी वचतरकारी का एक बहत ऊचा दजाष तय कर रखा था उसन सालाना पदशषनी क वलए वशमला की lsquoआटष

सोसायटीrsquo को अपन वचतर भज उनहोन वचतरो म स पाच रखकर पाच लौटा वदए अमता न इन लौट वचतरो को पररस भज वदया यहा उनम स एक वचतर सिीकत हो गया इधर वशमला िालो न अमता क एक वचतर पर उस महारार फरीदकोzwj

परसकार वदया तो अमता न उस लौटा वदया साथ म यह भी वलखा वक यह परसकार वकसी ऐस जररतमद वचतरकार को दना जो आपक व घस-वपट तरीक स वचतर बनाता हो

दहषिण भारतीzwj गाव कर िोग बाजार जातर िए (1937) mdash अमता शररहगि

आतzwjमकथाजीवनी

ऐसी ही बात उसन अपन घरिालो क साथ भी की एक बार िह अपन चाचा का वचतर बना रही थी तो घर क लोगो न किल इतना चाहा वक उस िह सहज रग और रखाओ म बना द वजसस चाचा का चहरा पहचाना जा सक यानी अपन मनमान तरीक स उस आडा-वतरछा कर उसका माडनष आटष न बना द अमता न पररिार िालो की पसद का वचतर बना तो वदया पर अपन वपता स यह भी कह वदया वक दखो जररत पडी तो िो घवटया वचतर भी बना सकती ह

अमता खद काफी रईसी म पली थी मगर उस अमीर लोगो क तौर-तरीक यानी बकार म नाक-भौह वसकोडना पसद नही था एक जगह अमीर लोगो की पाटली म खान की मज पर तशतरी भर वमचच सजाकर रखी थी वमचच सबको ललचा रही थी लवकन कोई उनह खा नही रहा था इसवलए वक वमचष तीखी लगन पर आख-नाक बहन लगगी और फजीहत हो जाएगी अमता स रहा न गया उसन एक बडी-सी वमचष को उzwjाकर चबा डाला और लोगो स भी खान का आगरह करन लगी वमचष तो वमचष थी अमता सवहत हर खान िाला सी-सी करन लगा और सभी हस-हस कर लोटपोट हो गए अमता की इस बतकललफी स पाटली म जान आ गई

सन 1938 म अमता वफर हगरी चली गई और अपन ममर भाई डॉ विकटर एगॉन स बयाह कर साल भर म भारत लौट आइइ पहल कछ वदन दोनो वशमला म रह वफर अपन वपता की ररयासत सराया

पाचीन कzwjाकार (1940) minus अमता शररहगि

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गोरखपर म रह अमता को लगा वक शायद लाहौर म विकटर की डॉकटरी अचछी चलगी इसवलए ि दोनो िहा रहन चल गए नए घर म पहचत ही अमता न अपन वचतरो की एक पदशषनी तय कर ली उसका इरादा था वक दशषको स उनकी राय जानन क वलए िह भर बदलकर चहर पर नकली दाढी-मछ लगाकर और वसर पर साफा पहनकर एक सरदार की तरह उनस बात करगी परत ऐसा करन स पहल ही िह बीमार हो गई और तरत-फरत चल बसी

उमदा खचतकार और खशखमजार अमzwjता नर बहzwjत छोzwjी उमर पाई mdash दो

विशियधिो 30 जनिरी 1913 और 5 वदसबर 1941 क बीच उसकी दवनया खतम हो गई इतन कम समय का वहसाब लगाए तो बचपन क आzwj साल छोडकर बाकी सारा जीिन उसन घमककडी म ही वबता वदया वफर भी भारत क वचतरकारो म उसका नाम आज भी बहत ऊचा ह

अजात शीरदक-(हवहक-किा पर) mdash अमता शररहगि

िडहकzwjा (1932) mdash अमता शररहगि

मरा जनम 12 फरिरी 1809 को शरसबरी म हआ था मरी पहली-पहली याद तब की ह जब हम एबरजील क पास समदर म नहान गए थ उस समय म चार साल स कछ ही महीन जयादा का था मझ िहा क कछ वकसस याद ह कछ जगह याद ह

जलाई 1817 म मरी मा नही रही उस समय म आzwj साल स थोडा बडा था मझ उनक बार म थोडा-बहत ही याद ह उनकी मतयशयया उनका काल रग का मखमली गाउन और बहत ही करीन स बनाया गया उनका मज उसी साल िसत म मझ शरसबरी म एक सकल भज वदया गया िहा म एक साल रहा मझस कहा

गया वक म सीखन म अपनी छोटी बहन कथरीन की तलना म बहत ससत था मरा मानना ह वक म कई तरह स एक शरारती बचचा था

इस सकल म जान तक पाकवतक इवतहास और खासकर चीजो को इकटा करन म मरी वदलचसपी खब बढ चकी थी म पौधो क नाम पता करन की कोवशश करता रहता मन शख सील वसकक और खवनज न जान कया-कया जटान शर कर वदए थ सगरह करन का शौक वकसी को भी वयिवसथत पकवत िजावनक या उसताद बनान

झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी

चालसज डाखवजन

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की ओर ल जाता ह शर स ही यह जजबा मझम कट-कटकर भरा था मर भाई-बहनो की इसम जरा भी वदलचसपी न थी

इसी साल एक छोटी-सी घटना मर वदमाग म गहराई स बzwj गई मन अपन जस ही एक छोट लडक (मझ लगता ह वक िह लाइटन था जो बाद म पवसधि शिाल िजावनक और िनसपवत शासतरी बना) स कहा वक म रगीन पानी दकर विवभनन तरह क पाइमरोज (एक पकार का पौधा वजसम पील रग क फल आत

ह) उगा सकता ह यह कोरी गप थी और मन ऐसा करन की कभी कोवशश भी नही की थी बचपन म यक ही झकठर खकससर गढनर म मझर महारzwjत हाखसल थी वसफष मज लन क वलए जस एक बार मन एक पड स बहत सार फल इकट वकए और उनह झावडयो म छपा वदया वफर यह खबर फलान क वलए तजी स दौडा वक चराए हए फल मन खोज वनकाल ह

जब म पहली बार सकल गया तो उस समय बहत सीधा-सादा बचचा रहा होऊगा एक वदन गानजट नाम का एक लडका मझ कक की दकान पर ल गया उसन थोडी-सी कक खरीदी और वबना पस वदए बाहर आ गया दकानदार उसकी जान-पहचान का था दकान स बाहर आकर मन उसस पस नही दन की िजह पछी िह बोला ldquo कया तमह नही पता वक मर अकल इस शतष पर बहत सारा पसा छोड गए ह वक जो कोई भी इस परानी टोपी को पहनकर उस एक खास तरीक स घमाएगा उस दकानदार बगर पस

वलए कोई भी चीज द दगा rdquo

उसन मझ वदखाया भी वक उस टोपी को कस घमाना ह वफर िह एक और दकान म गया और कोई चीज मागी उसन वफर स

अपनी बिन कर साzwj हकशोर lsquoराहवदन rsquo

आतzwjमकथाजीवनी

टापी को एक खास तरीक स घमाया और बगर पस चकाए दकान स बाहर आ गया यह दकानदार भी उसकी जान-पहचान का ही था वफर उसन मझस

कहा ldquo यवद तम उस कक की दकान पर खद जाना चाहो तो म तमह अपनी यह टोपी द सकता ह तम इस सही तरीक स घमाना और तम जो चाहोग वमल जाएगा rdquo मन उसकी बात खशी-खशी मान ली और उस दकान म जाकर कक मागा वफर टोपी को उसक बताए तरीक स घमाया और बगर पस वदए दकान स बाहर वनकलन लगा लवकन जब दखा वक दकानदार मर पीछ आ रहा ह तो मन िह कक िही फ का और जान बचान क वलए दौड लगा दी जब म गानजट क पास पहचा तो यह दखकर हरान रह गया वक िह zwjहाक लगा रहा था

म कह सकता ह वक म एक दयाल लडका था लवकन इसका सारा शरय मरी बहनो को जाता ह ि खद भी लोगो स ऐसा वयिहार करती थzwjाी और मझ भी ऐसा ही करन को कहती मझ नही लगता वक दयालता िासति म पाकवतक या सहज गण ह

मझ अड इकट करन का बडा शौक था लवकन मन एक वचवडया क घोसल स एक स जयादा अड कभी नही वलए हा बस एक बार मन सार अड वनकाल वलए थ इसवलए नही वक मझ उनकी जररत थी बवलक यह एक वकसम की बहादरी वदखान का तरीका था

राहवदन कर नारटस

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मझ काट स मछली पकडन का बहत शौक था और म घटो नदी या तालाब वकनार बzwjकर ऊपर-नीच होता पानी दखा करता मअर (जहा मर अकल का घर था) म जब मझ बताया गया वक म नमक और पानी स कीडो को मार सकता ह उसक बाद स मन कभी भी वजदा कीड को काट पर नही लगाया हा कभी-कभी इसका खावमयाजा भगतना पडता वक मछली फसती ही नही थी

एक बार मन एक कति क वपलल को बरी तरह पीट वदया किल इसवलए वक म अपनी ताकत क एहसास पर खश हो सक लवकन िह वपटाई इतनी जयादा हो गइष वक उसन वफर गराषना ही छोड वदया मझ इसका पता ऐस चला वक िह जगह मर घर क बहत पास थzwjाी इस घटना न मझ पर बहत असर डाला मझ बार-बार िह

जगह याद आती जहा मन उस कति की वपटाई की थी शायद यही स कतिो को लकर मरा पयार उमडा और वफर मझ इसकी धन सिार हो गइष लगता ह कति भी इस बार म जानत थ कयोवक म उनक मावलको स उनक पयार को छीनन म उसताद हो गया था

पजाहतzwjो की उतपहति पसतक

राहवदन और उनकी बरटी

आतzwjमकथाजीवनी

पररचयपरमचद (1880-1936)कथा समराट क रप म पवसधि पमचद का िासतविक नाम धनपतराय था उनका जनम िाराणसी क वनकट लमही नामक गाि म हआ था उनका परा जीिन अभाि और कषटो म बीता पमचद की लगभग तीन सौ कहावनया lsquo मानसरोिर rsquo क आzwj खडो म पकावशत ह उनक उपनयास ह mdash lsquo सिासदन rsquo lsquo पमाशरम rsquo lsquo वनमषला rsquo lsquo रगभवम rsquo lsquo कायाकलप rsquo lsquo गबन rsquo lsquo कमषभवम rsquo और lsquo गोदान rsquo उनका अवतम उपनयास lsquo मगलसतर rsquo अपणष ह इसक अवतररकत उनहोन lsquo मयाषदा rsquo lsquo माधरी rsquo lsquo जागरण rsquo और lsquo हस rsquo नामक पतर-पवतरकाओ का सपादन भी वकया

दादा साहब फालकर (1870-1944)भारतीय वसनमा क जनक दादा साहब फालकर का परा नाम धदीरार गोखवद फालकर था अापक दारा वनवमषत पथम भारतीय मक वफलम lsquo राजा हररशचदर rsquo (1913) थी अवतम वफलम lsquo गगाितरण rsquo 1937 म वनवमषत हई आपन 100 क लगभग वफलम बनाइइ

भारत म वफलमो पर वमलन िाला सिवोचच और सिषशरषzwj परसकार आपक नाम पर lsquo दादा साहब फालक परसकार rsquo कहलाता ह

चदरशरखर आजाद (1906-1931)भारत की आजादी क वलए सघरष करन िाल कावतकारी िीरो म स एक चदरशखर आजाद का जनम एक आवदिासी गाि भािरा म 23 जलाई 1906 को हआ था गाधीजी दारा 1921 म जब असहयोग आदोलन की शरआत की गई उस समय मातर 14 िरष की उमर म चदरशखर आजाद न इस आदोलन म भाग वलया और वग रफतार कर वलए गए lsquoवहदसतान ररपवबलकन एसोवसएशनrsquo क पनगषzwjन म विशर योगदान

1931 म इलाहाबाद क अलzwjफड पाकष म पवलस दारा घर वलए जान पर अवतम दम तक उनक साथ सघरष करत हए अपनी ही वपसतौल की अवतम बची गोली स अपन को दश क वलए कबाषन कर वदया

रामानरन (1887-1920)परा नाम शरीवनिास आयगर रामानजन तवमलनाड क वनिासी गहणतज क रप म विशि पवसधि

आतzwjमकथाजीवनी

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धयानचद (1905-1980)lsquo हॉकी क जादगर rsquo कह जान िाल धयानचद का जनम इलाहाबाद म हआ था उनहोन सन 1928 1932 और 1936 क ओलवपक म भारतीय हॉकी टीम का पवतवनवधति वकया और अपन तफानी खल स सारी दवनया पर भारत की धाक जमा दी दश की आजादी क बाद सन 1956 म धयानचद को lsquo पदमभरण rsquo स अलकत वकया गया

चालली चपखलन (1889-1977)lsquo द वकड rsquo lsquo वसटी लाइटस rsquo lsquo द गरट वडकटटर rsquo lsquo द गोलड रश rsquo जसी वफलमो क विशि पवसधि अवभनता हासय-वयगय क जररए गहर सामावजक सरोकारो को वदखलान क वलए जान जात ह

कौसलया बसती (1926-2011)दवलत जीिन की मावमषक अवभवयवति क वलए चवचषत lsquo दोहरा अवभशाप rsquo नामक आतमकथातमक उपनयास की लवखका सन 1942 म डॉ भीमराि अबडकर की अधयकता म हए पथम दवलत मवहला सममलन नागपर म सवकय रप स वहससदारी अनक लख और वनबध विवभनन पतर-पवतरकाओ म पकावशत

अमzwjता शररखगल (1913-1941)बीसिी सदी की पवसधि भारतीय वचतरकार अमता शरवगल पिष और पवशचम की कलाओ का सगम थी उनह भारत म आधवनक कला की जनमदातरी क रप म भी जाना जाता ह भारतीय गरामीण जीिन पर बनाए अपन वचतरो क वलए चवचषत रही इस पवतभािान कलाकार का वनधन 29 िरष की छोटी-सी आय म ही हो गया

चालसज डाखवजन (1809-1882)पाकवतक इवतहास क महान जाता चालसद राहवदन खवकासवाद-खसदाzwjत क जनक कह जात ह lsquo द ओररवजन ऑफ सपीशीज rsquo (पजावतयो की उतपवति) इनकी विशि पवसधि पसतक ह वजसक पकाशन क बाद ही जीि-विजान विजान की एक सिायति शाखा का रप ल सका

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ISBN 978-93-5007-346-9

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हमारी कहानी

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ISBN 978-93-5007-346-9

21032

हमारी कहानी

  • Cover 1
  • Cover 2
  • 1_Prelims
  • 2_Chapter
  • Cover 3
  • Cover 4
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