चंदन की खेती - tirupati nursery e च दन क ख त एक नजर म an...

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www.tirupatinursery.com Page 1 चंदन की खेतएक नजर मे An ISO certified company- 9001 : 2015 तिपति गीन हाउस नस सरी मधय भारि की सबसे बड़ी नस सरी गाम, तसरलाय ,िहसील– बडवाहा ,तिला – खरगोन, म,प 451115 समपक -9479457731/13 Email- [email protected] Web-www.tirupatinursery.com चंदन के पौधो का अन पम संगह,ततरपत नसकरी लाये है सफ़े द चंदन की आध तनक क षि पदधतत , मधय भारत का एक ऐसा सथान जहा पर आप पायेगे सवसथ चंदन पौधो का षवशाल भंडार I

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    चंदन की खेती एक नजर में

    An ISO certified company- 9001 : 2015

    तिरुपति ग्रीन हाउस नससरी मध्य भारि की सबसे बड़ी नससरी ग्राम, तसरलाय ,िहसील– बडवाहा ,तिला – खरगोन, म,प्र 451115

    सम्पकक -9479457731/13 Email- [email protected] Web-www.tirupatinursery.com चंदन के पौधो का अनुपम संग्रह,ततरुपतत नसकरी लाये है सफ़ेद चदंन की आधुतनक कृषि पद्धतत , मध्य भारत का एक ऐसा स्थान जहा पर आप पायेगे स्वस्थ चंदन पौधो का षवशाल भंडार I

    mailto:[email protected]

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    चंदन मागकदर्शकका

    चंदन की खेती षवियक ई-बुक

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    षविय बबदं ु विषय प्र.क्र. विषय प्र.क्र. चंदन का परिचय (04) पौधा लगाते समय सािधावनया (19) सामान्य स्िरुप (05) चदंन के साथ इंटिक्रॉप (20) उत्पवि (06) पौधा लगाने के बाद प्रबधंन (20) प्रस्तािना (07) कवटंग (21) धावमिक महत्ि (08) चदंन की बीज बहाि (22) औषधीय महत्त्ि (09) खाद प्रबधंन (22) आवथिक महत्त्ि (12) िोग ि कीट वनयंत्रण (23) जलिाय ु (13) हार्ििूर् का विकास (25) वकस्म (14) हार्ििूर् टेवस्टंग (26) भूवम का चयन (15) कटाई (पू्रवनगं) (27) दिुी का वनधाििण (16) उत्पादन (आमदनी) एक नजि में (28) भूवम की तैयािी (17) बाजाि – (29) होस्ट पलाटं का महत्त्ि (18) उपसहंाि (30) वसचाई प्रबधंन (18) पौधे लगाने का समय (19)

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    चदंन का परिचय

    सामान्य नाम - चदंन अगं्रेजी नाम - SANDALWOOD PLANT उच्च वर्गीकरण - Santalum वैज्ञाननक नाम - Santalum Album Lill समहू - वनज पौधा श्रणेी - सुर्गधंीय वनस्पनि का प्रकार - वृक्ष कुल (family) - SANTALACEAE (सिंालेऐसी) प्रजानि - S Album

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    सामान्य स्वरुप यह एक सामान्य िकृ्ष ह ै,इसकी पविया लम्बी होती ह ैि शाखाए लटकती हुई होती ह ैI इस पौधे की जड़े एक होस्टोरिया के सहाि ेदसुि ेपौधो की जड़ो से जड़ु कि भोजन, पानी ि खवनज लेती ह ैI चदंन के पि पोषको में नीम ,अमलतास,केजरुिना आवद पेड़ो की जड़े मखु्य ह ैI चंदन के साथ में अिहि की खेती हो सकती ह ै,चंदन का दूसिी फसलो पि कोई नकािात्मक असि नही पड़ता ह ैI

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    उत्त्पनि चंदन मूल रूप से भाित मे पाया जाने िाला पौधा है ,इसका उत्त्पवि स्थान भाित ही है I भाित के शषु्क के्षत्र में विन््य पिित माला से लेकि दवक्षणी के्षत्र कणािटक ि तवमलनारु् में पाया जाता है I गजुिात ,म्य प्रदशे ,महािाष्र,िाजस्थान आवद िाज्यों की जमीने चंदन के वलए उपयकु्त मानी जाती है I भाित के अलािा यह ऑस्रेवलया , मलेवशया ,इंर्ोनेवशया आवद दशेो में पाया जाता है I

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    प्रस्िावना भाितीय चंदन का संसाि में सिोच्च स्थान है ,चंदन को अगें्रजी में sandalwood ( santalum album ) कहते है I यह पेड़ मखुतः कनािटक के जंगलो पाया जाता है I महािाष्र, गजुिात एि ंम्यप्रदेश की जमींन चंदन की खेती के वलए बहुत उपयकु्त सावबत होती है सफ़ेद चदंन की खेती वकसानो के वलए कामधेन ुसावबत हो िही है I इसकी खाश तिह की खशुबू औि इसके ओषवधय गणुों के कािण भी इसकी पूिी दवुनया में भािी वर्मांर् है I

    िामायण , महाभाित, िेद,पिुाण,आवद धमो ग्रथंो में चंदन का उल्लेख है, चिक मवुन आवद संतो ने चंदन को औषधी के रूप में उल्लेख वकया है I भाित का चंदन दवुनया भि में उिम कहा जाता है I भाित में उत्पावदत होने िाले चंदन की अतंिािष्रीय बाजाि में बड़ी मााँग है I सामान्यतः चंदन की हार्ििरु् का मूल्य 6000 से 12000 रुपए प्रवत वकलो होता है औि अतंिािष्रीय बाजाि में इसका मूल्य 25000 रुपए तक है I हमाि ेदेश में चदंन की चोिी किने िाले चोिो ने चंदन के जंगलो को काट के समाप्त कि वदया है, इस कािण भाित सिकाि औि िाज्य सिकािों में चंदन पि से वनयंत्रण हटा वदया है I चंदन लगाने के पश्चात वकसान पटिािी के समक्ष अपनी पािती पि रिकॉर्ि कििा ले , चंदन कटाई के समय सक्षम अवधकािी से कटाई की अनमुवत लेकि वकसान अपने चंदन को बेच सकता है I

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    धानमिक महत्व धावमिक तौि पि दखेा जाये तो जब हम चंदन को अपिण किते ह ैतो उसका भाि यह ह ैकी हमािा जीिन ईश्वि की कृपा से सगुधं से भि जाये तथा हमािा व्यव्हाि शीतल िह,े चंदन का वतलक ललाट पि या छोटी सी वबदंी के रूप में दोनों भोहो के म्य लगाया जाता ह,ै जो वशतलता दतेा ह ैI वहन्द ूधमि में चंदन का वतलक शभु माना जाता ह ैऔि माना जाता ह ैकी चंदन का वतलक लगाने से मनषु्य के पापो का नाश होता ह ैतथा हम कई तिह के सकंटो से बच जाते ह ैI पिुानो में कहा जाता ह ैकी तलुशी औि चदंन की माला से विष्ण ुभगिन मतं्र का जाप किना चावहये I गणेश की उत्पवत पाििती द्वािा चंदन के वमश्रण से हुई ह ैI चंदन के िकृ्ष में साप वलपटे होने के बािजूद इसमे जहि नहीं होता ह ैजैसा की िहीम जी ने अपने दोह ेमें कहा ह ै I

    जो िहीम उिम प्रकवत का किी सकत कुसगं , चंदन विष व्याप्त नहीं वलपटे िहत भजुगं I कविबि िहीम कहते ह ैकी जो उिम स्िाभाि औि द्रढ़ चरित्र िाले व्यवक्त होते ह,ै बिुी सगंती भी उनका कुछ नहीं वबगाड़ सकती I वजस प्रकाि चदंन के िकृ्ष से वलपटे विशेले सपि भी अपना प्रभाि उस पि नहीं छोड़ पाते I

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    औषवधय महत्ि चंदन की लकड़ी ,बीज, जड़े सभी का औषधीय महत्ि है Iआयिेुद के वचवकत्षा ग्रथंो में इसे लघ ुरुक्ष तथा शिीि

    के अमाशय आत एि यकृत के वलए िल्य बताया गया है यूनानी वचवकतसा में चंदन दस्त, अवतसाि, वचर्वचर्ापन एि ंमानवशक िोगों में अत्यंत प्रभाि कािी ओषवध है I चंदन की लकड़ी एक सुंगंवधत औि प्राकृवतक लकड़ी होती है वजसका उपयोग उपचाि हेत ुआयिेुद में सवदयों से हो िहा है Iप्राचीन काल से ही चंदन का उपयोग सनु्दिता

    बढाने के वलए होता आ िहा है I चंदन का पाउर्ि न केिल चेहि ेको मलुायम ि चमकदाि बनाता है बवल्क इसके

    इस्तेमाल से त्िचा सम्बन्धी समस्याओ का समाधान भी होता है I

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    मवस्तष्क के वलए लाभप्रद चंदन के टीके को माथे के वबच में लगाने से मस्तक को शांवत, ठंर्क औि ताजगी वमलती है, वजससे मवस्तष्क सम्बन्धी समस्या नहीं होती है औि एकाग्रता भी बढती है I चंदन के औषधीय गणु वसिददि से भी छुटकािा वदलाते है , इसका तेल मवस्तष्क के सेल्स को उिेवजत किता है, वजसके किण वदमाग औि याददास्त तेज हो जाती है I चंदन के तेल का दिाओ के अलािा धपु बिी ,अगिबिी ,साबनु ,पिफ्यूम आवद के वनमािण में प्रयोग हो िहा है I खजुली में लाभप्रद

    चदंन में कीटाणनुाशक़ गणु होते है ,शिीि के वकसी भी वहस्से में होने िाली खजुली ि उससे पड़ने िाले लाल वनशान को हटाने में कािगि है I चंदन का हल्दी औि नींबू के िस के साथ पेस्ट बना कि लगाने से इस तकलीफ से छुटकािा वमलता है I चंदन को चाहे पाउर्ि के रूप में या वफि वकसी भी रूप में चंदन के फायदे वजंदगी को इसकी खशुबू की तिह भि देता है I

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    बालो के वलए अगि आपके बाल रूखे औि कमजोि हो िहे हो तो चंदन के पािर्ि का लेप बना कि इसे सप्ताह में दो बाि लगाया कि ेऔि आधे घटें बाद धो वलया कि ेऐसा किने से आपके बाल ना केिल मजबूत होंगे बवल्क घने औि सनु्दि भी होंगे I चंदन के तेल से मावलश किने से मांसपेवशयों की एठन दूि हो जाती है औि हाइपिटेंशन , हाई ब्लर् पे्रशि में भी चंदन का प्रयोग लाभ दायक सावबत हो िहा है I इसकी कुछ बूाँद दूध में र्ाल कि िोज वपने से ब्लर् पे्रशि संतवुलत हो जाता है I

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    आवथिक महत्ि अतंिावष्रय बाजाि में बढती मांग औि सोने जेसे बहुमूल्य समझे जाने िाले चदंन की उंची कीमत होने के कािण ितिमान में चंदन की खेती किना आवथिक रूप से लाभप्रद है I अन्य दशेो की तलुना में भाित में पाए जाने िाले चंदन में खशुबू औि तेल का अनपुात 1 से 6% तक अवधक होता है I भाित में चंदन की लकड़ी (हार्ि िरु्) की कीमत लगभग 6000 से 12000 रूपए प्रवत वकलो है I एक चंदन के पेड़ से 12 से 20 वकलो लकड़ी (हार्ि िरु्) प्राप्त होती है साथ ही हार्ििरु् के उपि जो सेफिरु् होती है िह हमें एक पेड़ से 20 से 40 वकलो वमलती है, वजसका बाजाि मूल्य 600 से 800 रुपए वकलो होता है औि साथ ही बाकि िरु् जो पेड़ की लकड़ी की उपिी पित होती है िह हमें 30 से 60 वकलो वमलती है वजसका मूल्य 50 रुपए प्रवत वकलो होता है I इस प्रकाि एक एकड़ में चंदन के पौधों की संख्या 250 से 300 होती है I पौधे की परिपक्िता आय ु12 से 15 िषि होती है I इस प्रकाि हम आकलन कि सकते है की हमाि ेवकसान भाई प्रवत पौधा या प्रवत्र एकड़ चदंन की खेती से वकतना मनुाफा कमा सकते है I

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    जलिाय ु चंदन की खेती के वलए म्यम िषाि औि भिपूि मात्रा में धपु वमलना चावहये I म्यप्रदेश,िाजस्थान ,गजुिात ,महािाष्र ,छिीसगढ़ का मौसम इसकी खेती के वलए अत्यंत ही उवचत है I यह 5 से 50 वर्ग्री सेंटीगे्रर् तापमान के प्रवत भी सहनशील पेड़ है I 7 से 8.50 Ph मान तक की भूवमयो में इसे उगाया जा सकता है I खवनज एि ंनमी यकु्त भूवमयो में इसका विकास कम होता है , वकसी भी प्रकाि के जल जमाि को यह िकृ्ष सहन नहीं किता है , इसे दलदली भूवम पि नहीं उगाया जा सकता I

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    वकस्म चंदन में वसफि दो प्रकाि की वकस्मे होती है लाल चंदन एि सफ़ेद चंदन I इसे अलग-अलग िाज्यो में अलग-अलग नामो से जाना जाता है I यहााँ पि हम अभी केिल सफ़ेद चंदन वक ही बात कि िहे है I

    लाल चंदन सफ़ेद चंदन

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    भूवम का चयन चंदन मखु्य रूप से काली ,लाल दोमट वमट्टी , रूपांतरित चट्टानों में उगता है I 7 से 8.50 Ph मान की वमट्टी में यह उगाया जा सकता है I वजस भूवम में चदंन लगाया जाए िहा जल वनकास का उवचत प्रबंधन होना चावहये I चंदन का पौधा जल जमाि ि जल भिाि को सहन नहीं किता इसे दलदली भूवम पि नहीं उगाया जा सकता I

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    दिुी का वनधाििण चंदन का पौधा लगाने के वलए लगभग दिुी 12*15 िखना उवचत माना जाता है,I इसमें पौधे से पौधे की दिुी 12 फीट औि क्यािी से क्यािी की दिुी 15 फीट िहेगी I चंदन का पौधा लगाते समय होस्ट पलांट दो चंदन के पौधो के म्य लगाना चावहये I हि पौधे के साथ होस्ट ( जजमान ) पौधा अवनिायि लगाये I

    चंदन का पौधा

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    भूवम की तैयािी चंदन की खेती के वलए पहले खेत की अच्छी से गहिी जतुाई कि ेउसे दो या तीन बाि पलटी हल से वमट्टी को अच्छे से पलटिाि कि े वफि उसमे िोटािेटि चलाकि जमींन को समतल बना ले, वफि 12 x 15 फीट की दिुी पि पौधा लगाने के वलए जगह को वचवन्हत कि,े इसमें पौधे से पौधे की दिुी 12 फीट औि क्यािी से क्यािी की दिुी 15 फीट िहेगी I तत्पश्चात उसमे 2*2 वफट का गर्र्ा बनाकि उसे 15 से 20 िोज सकुने द ेवजससे उस गर््रे् में कुछ हावनकािक वकट जो पोधे को नकुसान पहुंचाते है िह समाप्त हो जायेगे वजससे पोधे को कोई नकुसान नहीं होगा I गर््र्ो में कम्पोस्ट खाद ि ितेी को वमक्स कि के र्ालना चावहये , जहा पि पहले से तीली भूवम है िहा िते र्ालने की आिश्यकता नही है I

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    होस्ट पलाटं का महत्ि चंदन एक पिजीिी / पिपोवषत पौधा है यह स्ियं अपना भोजन नही बनाता बवल्क वकसी अन्य पौधे की जड़ो से अपनी जड़ो द्वािा िस ि पोषण लेता है, वजस पौधे से िह पोषण लेता है उसे होस्ट कहते है I इसी किण चदंन को होस्टेरिया पलांट भी कहते है I होस्ट पलांट अवनिायि है अन्यथा चंदन के पौधे का विकास नही होगा I होस्ट पलांट के रूप में नीम ,केजरुिना ,अमलतास ,वसताफल ,अमरुद ,आवद पौधे महत्िपूणि है I

    वसचाई प्रबंधन चंदन के पोधे को ज्यादा पानी की जरुित नहीं होती है पिन्त ुशरुूिाती वदनों में िकृ्षों की िवृि के वलए पानी की जरुित होती है, मानसून में िकृ्ष तेजी से बड़ते है पिन्त ुगवमियों में वसचाई की जरुित होती है I इसकी खेती किने के वलए विप से वसचाई किना उवचत िहता है, विप विवध से फायदा यह होता है की हम जब चाहे पानी द ेसकते है ि फवटि गेशन (खाद) दनेे में भी आसानी िहती है I

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    पौधे लगाने का समय चंदन के पौधे िषि में हम कभी भी लगा सकते ह ैI जून-जलुाई का समय ज्यादा उपयकु्त होता है I पौधा लगाने के बाद वसचाई अत्यंत जरुिी ह ै,पौधा अगि सबुह या शाम के समय लगाए तो ज्यादा अच्छा होगा I

    पौधे लगाते समय सािधावनया पौधा लगाते समय ्यान िखे की पौधा 1 वफट से उपि होना चावहये, पौधे को गर््र्ा किके ही लगाये, वजस जगह जमींन में पानी भिाता हो उस जगह पि पौधे न लगाये,पौधे को लगाते समय ्यान िखे की उस पौधे की पोली बैग को ब्लेर् से काटकि वनकाले औि वफि लगाये औि पौधा लगाने के साथ ही होस्ट लगाना अवनिायि है नहीं तो हमािा पौधा मि जाएगा I

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    चदंन में इंटरक्रॉप चंदन के बीच में हम अन्य फसल ले सकते है वजसे हम इंटिक्रॉप कहते है I इंटिक्रॉप के रूप में हम विवभन्न प्रकाि की सवब्जयो की खेती ,फूलो की खेती ,गेहू ,चना,सोयाबीन

    ,इत्यावद खेवतया कि सकते है I इंटिक्रॉप की फसलो का चंदन पि कोई नकािात्मक प्रभाि नही होता औि चंदन का भी उन फसलो पि कोई नकािात्मक प्रभाि नही होता I

    पौधे लगाने के बाद दिाई की विंवन्चंग पौधे लगाने के बाद इसमें फंगीसाईट औि भोर्ले की दिाई की विंवन्चंग कि ेऔि शरुुिाती वदनो में हि सप्ताह इसमें क्लोिोपायिीफाश या coc का स्पे्र किते िहना चावहये औि साथ में हू्यवमक भी ले वलया कि ेवजससे पौधे की ग्रोथ भी बढती जायेगी औि पौधा मिगेा नहीं स्िस्थ िहेगा I

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    कवटंग(पू्रवनंग) चंदन के पोधे की तीन साल तक कोई कवटंग नहीं किनी होती है, तीन साल बाद वसफि उसकी पवुनिंग कि साईर् की ब्राचेंस को काटकि हटा देना चावहए। चंदन के पौधे में वसफि एक ही स्टेम होना चावहए, दो नहीं होना चावहए I

    अगि दो स्टेम हो तो एक को काट देना चावहए वजससे पौधे सीधे चले औि स्टेम मोटा होता है औि हार्ि िरु् अवधक बनता है । कटाई के बाद पौधो में बोर्ो पेस्ट के साथ M45 का घोल बनाकि कटे हुए भाग पि लगाना चावहये इससे पौधो में फंगस नही होती I

    ऐसे कटाई करे

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    चदंन की बीज बहाि चंदन में साल में दो बाि बीज आते है ,प्रथम वसतम्बि से वदसम्बि तक , वद्वतीय माचि अपै्रल में I कई बाि ऐसा दखेने में आता है की एक ही बाि वसतम्बि से वदसम्बि में ही बीज आता है I यह कोई वचंता का विषय नही है I चंदन में बीज 3 िषि की आय ुकी बाद ही आता है I

    खाद प्रबंधन चदंन की खेती किने के वलए िैसे तो ज्यादा फ़वटिलाइज़ि की आिश्यकता नही होती पिन्त ुचदंन लगाने से पहले ि बाद में वनयवमत रूप से गोबि की खाद, नीम खली, काबिवनक एि ंजेविक खाद र्ालते िहना चावहये वजससे की अच्छी बढिाि हो I इसमें िासायवनक खादों का कम से कम उपयोग कि ेऔि हि िषि वनयवमत रूप से जैि उिििक़ र्ालते िहे ,वजससे पौधा स्िस्थ िहे औि अच्छी ग्रोथ किता िहे ।

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    िोग ि कीट वनयतं्रण चंदन की खेती किने में , पहले साल में सबसे अवधक देखभाल की आिश्कता होती है । पहले साल में चदंन के पौधे पि िोगो का अटेक नही होने देना चावहए । चंदन के पौधे में सबसे ज्यादा फंगस की बीमािी का असि होता हैं इसवलए चंदन को लगाने से लेकि तीन साल तक उसमें फंगीसाइर् का स्पे्र किते िहना चावहए। फंगीसाइर् में आप बािवस्टंन ,सीओसी , थाईफेनेट ,वमथाईल आवद फंगी साइर् दिाईयों का स्पे्र किते िहना चावहए।

    िरु्-बोिि - यह चदंन की लकड़ी को खाने िाला एक कीड़ा होता हैं वजसे िरु् बोिि कहते हैं इसकी िोकथाम के वलए क्लोिाफाइिीफास दिाई की विवचंग ि गेरू के साथ लेप कि देना चावहए वजससे कीड़ा तने के उपि न चढ़ सके औि पौधे को नकुसान न पहुचाये । अगि कही पौधे में िरु् बोिि वदखे तो क्लोिोपायरिफास का इंजेक्शन औि लैप लगाना चावहये I

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    दीमक - दीमक ऐसा कीड़ा है जो शरुुआत में जड़ो से उपि की ओि जाती है बाद में बाकि को खा जाती हैं। इसवलए पहले से ही वजस वमट्टी में ज्यादा दीमक हो तो बोर्ोपेस्ट के साथ क्लोिोपायिीफास वमक्स किके बाि-बाि लगाये।

    वमलीबग वमवलबग बीमािी भी चंदनके वलए बहुत हावनकािक सावबत होती है ,उसकी िोकथाम के वलए रे्न्टास ुदिाई का स्पे्र या विंवन्चंग किते िहना चावहए वफि स्टम्प में नीचे की ओि टेवपगं लपेट देना चावहए।

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    हार्ििूर् का विकास हार्ि िरु् चंदन का िह भाग है वजसमे सगंुध औि तेल की मात्रा होती है,यह चंदन का सबसे महत्िपूणि ि वकमती वहस्सा है I चंदन का हार्िूर् बनने एि ंविकास के वलए चंदन के पौधे को 5 साल के बाद कम से कम पानी देना चावहए। चंदन के पौधे को सवदियों के मौसम में वबल्कुल भी पानी नही देना चावहए वसफि फिििी से जून तक ही देना चावहए औि 10 से 15 साल बाद पानी बंद कि दनेा चावहए वसफि बिसात में जो भी पानी वमल जाए िह उसके वलए उपयकु्त होता हैं। पानी नहीं देने से चदंन का पौधा नहीं मिगेा क्योंवक जमीन के अदंि आद्रिता होती हैं ,वजतनी पानी की कमी होगी उतना हार्िूर् अच्छा बनेगा। हार्ि िरु् में ही चंदन के तेल की मात्रा होती है वजसका मूल्य 3 से 4 लाख प्रवत लीटि होता है I सामान्यतः 12 से 15 िषि की आय ुमें चदंन का पौधा परिपक्ि हो जाता हैI

    अदंर का गहरा रंग वाला हहस्सा हाडकवुड कहलाता है हलके रंग का हहसा शपे वुड कहलाता है

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    हार्ििूर् टेवस्टंग चंदन के पौधे में हार्ििूर् बना है या नहीं उसे देखने के वलए हार्ििूर् टेवस्टंग मशीन का उपयोग किना चावहए। कभी भी हार्ििूर् की जााँच विल मशीन से नही कि,े इससे पेड़ को नकुसान होता हैं। हार्ििूर् देखने के वलए एक िार् होती हैं वजसे हाथ के द्वािा घमुाया जाता हैं औि स्टेम में छेद कि देखा जाता हैं, इसमें वकतना हार्ििूर् बना हैं। हार्ििूर् देखने के बाद छेद या उस जगह को वमटटी से लेपन कि दे वजससे उसमें कोई फंगस या बीमािी का प्रकोप न हों।

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    कटाई चंदन की िसदाि लकड़ी (हार्ि िरु् ) औि सखुी लकड़ी दोनो का मूल्यांकन अलग-अलग होता है। जड़े भी सुंगवधत होती है इसवलए चदंन के िकृ्ष को जड़ से उखाड़ा जाता है न की काटा जाता हैं । जब पौधा लगभग 15 साल पिुाना हो जाता है तब लकड़ी प्राप्त होती है जड़ से उखार्ने के बाद पेर् को टुकड़ो में काटा जाता है औि र्ीपो में िसदाि लकड़ी वजसे हार्ि िरु् कह्ते है औि सेफ िरु् ि बाकि िरु् तीनो को अलग अलग वकया जाता है I

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    उत्पादन (आमदनी ) एक नजर में चंदन का पेड़ धीि ेधीि ेबढ़ने िाला पौधा होता है लेवकन समवुचत वसंचाई व्यिस्था या खाद प्रबंधन का समय समय पि ्यान िखे तो यह 12 से 15 साल में तैयाि हो जाता है I भाित में चंदन की लकड़ी (हार्ि िरु् ) की कीमत लगभग 6000 से 12000 रूपए प्रवत वकलो है I एक चंदन के पेड़ से 12 से 20 वकलो लकड़ी प्राप्त होती है, साथ ही हार्ििरु् के उपि जो सेफिरु् होती है िह हमें एक पेड़ से 20 से 40 वकलो वमलती है,वजसका बाजाि मूल्य 600 से 800 रुपए वकलो होता है ,औि साथ ही बाकि िरु् जो पेड़ की लकड़ी की उपिी पित होती है, िह हमें 30 से 60 वकलो वमलती है , वजसका मूल्य 50 रुपए वकलो होती है I एक एकड़ में चंदन के पौधों की संख्या 250 से 300 होती है I पौधे की परिपक्िता आय ु12 से 15 िषि होती है Iइस प्रकाि हम आकलन कि सकते है की हमाि ेवकसान भाई प्रवत पौधा या प्रवत्र एकड़ चदंन की खेती से वकतना मनुाफा कमा सकते हैI

    चंदन के अलािा हमने जो होस्ट पलांट लगाया था उसकी कीमत अलग से है तथा उसमे की जाने िाली इंटि क्रॉप से वमलने िाला फायदा हमािा बोनस है I

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    बाजाि चंदन को बड़ी बड़ी कंपवनया जहा पि चदंन के प्रोर्क्ट जैसे साबनु, तेल, पिफयूम, अगिबिी, आवद वनमािण होते है उनके द्वािा खिीदा जाता हैं जैसे र्ाबि, के.एस.र्ी.एल,कंपनी बैंगलोि आवद I अतंिािष्रीय बाजाि में यह वनयाित भी वकया जाता है वजसकी बहुत अवधक मााँग बनी हुई है I

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    उपसहंाि चंदन का पौधा बहुत ही लाभकािी ि उपयोगी होता हैं। इसका धावमिक,औषधीय आवद कायो के साथ आवथिक महत्ि भी है I चदंन की खेती कि काफी वकसानों ने मनुाफा कमाया है, चंदन की खेती किने के वलए ज्यादा खचि की आिष्यकता नहीं होती हैं क्योंवक यह जगंली पौधा होता है जैसे जंगलो में वबना पानी, खाद के िकृ्ष जीवित िहते हैं उसी प्रकाि चंदन भी वबना खाद दिाई के िह सकता है। आज के यगु में चंदन की खेती किके वकसान भाई इस खेती से लाखो रूपये कमा सकते हैं, वकसान भाईयों का कहना हैं वक इसकी खेती किने के 15 साल बाद अच्छी इनकम की उम्मीद िहती हैं।औि भाितीय चंदन की अतंिािष्रीय बाजाि में बहुत मांग है अतः चदंन की खेती हमाि े देश में आवथिक कामधेन ुसावबत हो िही है I

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    आपका स्िागत है अवभनन्दन है An ISO certified company 9001:2015

    वतरुपवत ग्रीन हाउस नसििी म्य भाित की सबसे बड़ी नसििी

    नसििी के्षत्रफल 36 एकड़

    फलदाि पौधो में :- अमरुद ,वसताफल,नींबू,आम,संतिा,मोसंबी,सिुजना,वचकू,पपीता,आिला , कटहल ,अजंीि,एपपल बेि,अनाि,लीची, नारियल, आवद के विवभन्न िैिायटीयो के पौधे बनाए जाते है I

    वटश्यू कल्चि में :- केला, अमरुद ,नींबू ,अनाि,सागौन,बांस एि ंसजािटी पौधे बनाए जाते है I

    िेजीटेबल सीर्वलंग में :- वमची ,बेगन ,टमाटि ,गोभी,किलेा ,वगल्की आवद के विवभन्न िैिायटीयो के पौधे

    सजािटी पौधो में :- एक हजाि से अवधक िैिायटीयो के पौधे I

    फॉिसे्री पौधो में :- सागौन,बर् ,पीपल,नीम,सीसम ,अमलतास,महोगनी,कदम,केवसया,केजरुिना इत्यावद I

    औषधीय पौधो में :- रुद्राक्ष ,बेल पत्र ,तलुसी,विधािा ,कल्प िकृ्ष,वगलोय,हल्दी,हिवसंगाि,अश्वगंधा इत्यावद I स्थान:-ग्राम :-र्सरलाय,तेह:-बडवाह ,जजला :-खरगोन, मध्य प्रदेश 451115 Mail:[email protected]

    सम्पकक क्र.:-9479457731/20/17/51/96/16/13/21/22/46

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