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िहंदी पिरवार 2018 पंचदश अंक

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  • िहंदी पिरवार 2018 पंचदश अंक

  • भारत हवेी इलिेक्ट्रक स िलिमटडेपावर सक् टर : पूवीर् क्षत्र

    डी ज े9/1 सक् टर ।। सॉ टलके िसिटकोलकाता -91

    अनुक्रमिणका

    संरक्षक एवं प्ररणा ोती अंजन मुखोपा याय

    परामशर्ी अिमताभ सेनगु ता

    संपादन सहयोग ी अिमताभ चक्रव तीर्

    संपादक ीमती ऋता गु ता

    िहंदी पिरवार पंचदश अंक 2018

    शीषर्क रचनाकार पृ ठ सं

    िहंदी संकलन 2िहंदी हमारी जान डॉ र जाक शेख (संकलन ) 3ग्रथ पंचतंत्र संकलन 4 ग्रथ गीतांजिल संकलन 6नीड़ के ितनके कुंवर बेचनै (संकलन) 7धपू बहुत ह ैमौसम .. राहत इंदौरी (संकलन) 8 प्ररणा का ोत (संकलन) 9

    व य रहने के उपाय संकिलत 11राजभाषा गितिविधयां 19- 26

  • िहंदी िदवस के अवसर पर कायर्पालक िनदशेक का संदशे िप्रय सािथयो ,

    िहंदी िदवस के शभु अवसर पर आप सबको मरेी हािदर्क शभुकामनाएं ।

    भारत भाषाओ ंका धनी देश और बरस से िहंदी हमारे देश की संपकर् भाषा के प म कायर् करती रही ह ै। िहंदी की इसी िवशेषता के कारण 14 िसतंबर , 1949 को हमारी संिवधान सभा ने िहंदी को राजभाषा के प म वीकार िकया था । िहंदी एक ऐसी भाषा ह ैजो परूे भारत म बोली जाती ह ैऔर यह परूे देश को एक सत्र म बांधने का कायर् करती ह ै। रा ट्रिपता महा मा गांधी , गु देव रिवंद्र नाथ टगैोर, डॉ राजद्र प्रसाद , पंिडत नेह और सुभाषचंद्र बोस जसैे देश के महापु ष ने रा ट्रभाषा ,राजभाषा और संपकर् भाषा के प म िहंदी को अपनाने की वकालत की थी । भाषा िकसी रा ट्र की पहचान होती ह ैऔर रा ट्र की स यता सं कृित सं कार की झलक उसकी अपनी भाषा म ही िमलती ह ै । भारत म प्राचीन काल से ही िहंदी संपकर् भाषा और जनभाषा की भिूमका िनभाती आई ह,ै यह हमारी सामािजक सं कृित की संवािहका भी रही ह ैइसिलए इसे हमारे संिवधान म भारत संघ की राजभाषा का दजार् प्रा ह ै । राजभाषा का ता पयर् ह ैसरकारी कामकाज की भाषा , यह हमारा दािय व ह ै िक हम अपने यावसाियक ल य के साथ – साथ राजभाषा संबंधी ल य को प्रा त करने के िलए भी िनरंतर प्रयास कर । भारत के संिवधान का स मान करना हमारा रा ट्रीय निैतक दािय व ह ै। भारत सरकार की हम से अपेक्षा ह ैिक हम अपने यावसाियक कायर्कलाप म िहंदी को प्राथिमकता द । आज 14 िसतंबर 2018 को िहंदी िदवस के पावन अवसर पर मेरा आप सब से आग्रह ह ैिक राजभाषा िहंदी के संिवधान म िनिहत भावना का आदर करते हुए अपने सरकारी कामकाज म िहंदी का प्रयोग सुिनि त कर ।मुझे िव ास ह ैिक आप सब के सहयोग से ल य को प्रा करने म सफल ह गे ।

    शुभकामनाओ ंसिहत ,िदनांक : 14 िसंतबर , 2018

    (अंजन मुखोपा याय)

  • सं कृत की एक लाड़ली बटेी ह ैय ेिह दी

    बहन को साथ लकेर चलती ह ैय ेिह दी।

    सुंदर ह,ै मनोरम ह,ै मीठी ह,ै सरल ह,ै

    ओजि वनी ह ैऔर अनूठी ह ैय ेिह दी ।

    पाथये ह,ै प्रवास म, पिरचय का सूत्र ह,ै

    मत्री को जोड़न ेकी सांकल ह ैय ेिह दी।

    पढ़न ेव पढ़ान ेम सहज ह,ै य ेसगुम है

    सािह य का असीम सागर ह ैय ेिह दी ।

    िह दी

    तलुसी, कबीर, मीरा न ेइसम ही िलखा ह,ैकिव सूर के सागर की गागर ह ैय ेिह दी।

    वागे री का माथ ेपर वरदह त ह,ैिन य ही वंदनीय मां-सम ह ैय ेिहंदी।

    अंग्रजेी स ेभी इसका कोई बरै नहीं ह,ैउसको भी अपनपेन स ेलभुाती ह ैय ेिह दी।

    यूं तो दशे म कई भाषाएं और ह,पर रा ट्र के माथ ेकी िबंदी ह ैय ेिह दी।

    संकलन

  • प्र न मंच

  • राहत इंदौरी

  • एक बार एक राजा की सेवा से प्रस न होकर एक साध ून उसे एक ताबीज िदया और कहा की राजन इसे अपने गले मे डाल लो और िजंदगी म कभी ऐसी पिरि थित आये की जब तु हे लगे की बस अब तो सब ख़तम होने वाला ह ै,परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ ,कोई प्रकाश की िकरण नजर ना आ रही हो ,हर तरफ िनराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसम रखे कागज़ को पढ़ना ,उससे पहले नहीं!

    राजा ने वह ताबीज अपने गले मे पहन िलया !एक बार राजा अपने सिैनक के साथ िशकार करने घने जंगल मे गया! एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सिैनक से अलग हो गया और दु मन राजा की सीमा मे प्रवेश कर गया,घना जंगल और सांझ का समय , तभी कुछ दु मन सिैनक के घोड़ की टाप की आवाज राजा को आई और उसने भी अपने घोड़े को एड लगाई, राजा आगे आगे दु मन सिैनक पीछे पीछे! बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सिैनक से पीछा नहीं छुडा पाया ! भखू यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ के बीच मे एक गुफा सी िदखी ,उसने तुरंत वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ मे छुपा िलया ! और सांस रोक कर बठै गया , दु मन के घोड़ के परै की आवाज धीरे धीरे पास आने लगी ! दु मन से िघरे हुए अकेले राजा को अपना अंत नजर आने लगा ,उसे लगा की बस कुछ ही क्षण म दु मन उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार दगे ! वो िजंदगी से िनराश हो ही गया था , की उसका हाथ अपने ताबीज पर गया और उसे साध ूकी बात याद आ गई !उसने तुरंत ताबीज को खोल कर कागज को बाहर िनकाला और पढ़ा ! उस पचीर् पर िलखा था —“यह भी कट जाएगा “

    प्ररेणा का ोत

  • राजा को अचानक ही जसैे घोर अ धकार मे एक योित की िकरण िदखी , डूबते को जसैे कोई सहारा िमला ! उसे अचानक अपनी आ मा मे एक अकथनीय शाि त का अनुभव हुआ ! उसे लगा की सचमुच यह भयावह समय भी कट ही जाएगा ,िफर मे क्य िचंितत होऊं ! अपने प्रभु और अपने पर िव ासरख उसने वयं से कहा की हाँ ,यह भी कट जाएगा !

    और हुआ भी यही ,दु मन के घोड़ के परै की आवाज पास आते आते दूर जाने लगी ,कुछ समय बाद वहां शांित छा गई ! राजा रात मे गुफा से िनकला और िकसी तरह अपने रा य मे वापस आ गया !

    दो त ,यह िसफर् िकसी राजा की कहानी नहीं ह ै यह हम सब की कहानी ह ै !हम सभी पिरि थित,काम ,तनाव के दवाव म इतने जकड जाते ह की हमे कुछ सझूता नहीं ह ै ,हमारा डर हम पर हावी होने लगता ह ै ,कोई रा ता ,समाधान दूर दूर तक नजर नहीं आता ,लगने लगता ह ैकी बस, अब सब ख़तम ,ह ैना? जब ऐसा हो तो २ िमनट शांित से बेिठये ,थोड़ी गहरी गहरी साँसे लीिजये ! अपने आरा य को याद कीिजये और वयं से जोर से किहये –यह भी कट जाएगा ! आप देिखएगा एकदम से जादू सा महससू होगा , और आप उस पिरि थित से उबरने की शिक्त अपने अ दर महससू करगे ! आजमाया हुआ ह ै! बहुत कारगर ह ै!

  • वा य रक्षणम्

    बािरश म भीगकर सदीर् का उपचार करान ेस ेबहेतर ह ैिक बािरश आन ेके पूवर् ही छाता लगाकर अपना बचाव कर िलया जाए।रोगी होकर िचिक सा करान ेस ेअ छा ह ैिक बीमार ही न पड़ा जाए। आयवुेर्द का प्रयोजन भी यही ह।ै व थ के वा य की रक्षा एवं रोगी के रोग का शमन। आयवुेर्द की िदनचयार्, ऋतचुयार्, िवहार स ेस बि धत छोट-ेछोट ेिक त ुमह वपूणर् सूत्र को अपन ेदिैनक जीवन म सहज प स ेधारण कर हम अपन ेआपको व थ एवं िनरोगी बनाए रख सकत ेह -

    व थ रहन ेके विणर्म सूत्र:-

    सदा ब्र महुूतर् (पातः 4-5 बज)े म उठना चािहए। इस समय प्रकृित मक्तह त स े वा य, प्राणवाय,ु प्रस नता, मघेा, बिुद्ध की वषार् करती ह।ै

    िब तर स ेउठत ेही मूत्र याग के प ात उषा पान अथार्त बासी मुँह 2-3 िगलास शीतल जल के सवेन की आदत िसरददर्, अ लिप , क ज, मोटापा, रक्तचाप, नत्र रोग, अपच सिहत कई रोग स ेहमारा बचाव करती ह।ै

    नान सदा सामा य शीतल जल स ेकरना चािहए। (जहाँ िनषधे न हो)

    िदन म 2 बार मुँह म जल भरकर, नत्र को शीतल जल स ेधोना नत्र ि के िलए लाभकारी ह।ै

    व थ रहने के उपाय

  • नहाने से पवूर्, सोने से पवूर् एवं भोजन के प ात् मत्र याग अव य करना चािहए। यह आदत आपको

    कमर ददर्, पथरी तथा मत्र स ब धी बीमािरय से बचाती ह।ै

    सरस , ितल या अ य औषधीय तेल की मािलश िन यप्रित करने से वात िवकार,, बुढ़ापा, थकावट नहीं होती ह।ै वचा सु दर , ि व छ एवं शरीर पु होता ह।ै

    शरीर की क्षमतानुसार प्रातः भ्रमण, योग, यायाम करना चािहए।

    अपच, क ज, अजीणर्, मोटापा जसैी बीमािरय से बचने के िलए भोजन के 30 िमनट पहले तथा 30िमनट बाद तक जल नहीं पीना चािहए। भोजन के साथ जल नहीं पीना चािहए। घूँट-दो घूँट ले सकते ह।

    िदनभर म 3-4 लीटर जल थोड़ा-थोड़ा करके पीते रहना चािहए।

    भोजन के प्रार भ म मधुर-रस (मीठा), म य म अ ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अ त म कटु,ितक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदाथ का सेवन करना चािहए।

    भोजन के उपरा त वज्रासन म 5-10 िमनट बठैना तथा बांयी करवट 5-10 िमनट लेटना चािहए।

    भोजन के तुर त बाद दौड़ना, तरैना, नहाना, करना वा य के बहुत हािनकारक ह।ैभोजन करके त काल सो जाने से पाचनशिक्त का नाश हो जाता ह ै िजसम अजीणर्, क ज, आ मान,

    अ लिप जसैी यािधयाँ हो जाती है । इसिलए सायं का भोजन सोने से 2 घंटे पवूर् ह का एवं सुपा य करना

    चािहए।

  • शरीर एवं मन को तरोताजा एवं िक्रयाशील रखने के िलए औसतन 6-7 घ टे की नींद आव यक ह।ै गमीर् के अलावा अ य ऋतुओ ंम िदन म सोने एवं राित्र म अिधक देर तक जगने से शरीर म भारीपन, वर, जुकाम, िसर ददर् एवं अिग्नमांध होता ह।ै

    दूध के साथ दही, नीब,ू नमक, ितल उड़द, जामुन, मलूी, मछली, करेला आिद का सेवन नहीं करना चािहए। वचा रोग होने की स भावना रहती ह।ै

    वा य चाहने वाले यिक्त को मत्र, मल, वमन, छींक, डकार, जंभाई, यास, आँस ूनींद और पिर मज य ास के वेग को उ प न होने के साथ ही शरीर से बाहर िनकाल देना चािहए।

    राित्र म शयन से पवूर् अपने िकये गये काय की समीक्षा की सफाई, नेत्र की सफाई एवं परै को शीतल जल से धोकर सोना चािहए।

    ल बी सहज ास लेकर शरीर को एवं मन को िशिथल करना चािहए । शा त मन से अपने दिैनक िक्रयाकलाप, तनाव, िच ता, िवचार सब परा म चेतना को स पकर िनि ंत भाव से िनद्रा की गोद म जाना चािहए।

  • राउरकेला साइटबीएचईएल पीएसईआर के राउरकेला साइट पर 16 माचर् 2018 को राजभाषा कायर्शाला का आयोजन िकया गया । प्रथम सत्र म कायर्क्रम की शु आत । संकाय ी नवीन कुमार प्रजापित, विर ठ प्रबंधक दामोदर घाटी िनगम ने कायार्लयी कायर् करते समय आने वाली किठनाइय एवं श दानुवाद पर चचार् की ।

  • राजभाषा कायर्शालाएं कोलकाता

    बीएचईएल पीएसईआर कोलकाता म 17 अग त , 2018 केा राजभाषा कायर्शाला का आयोजन िकया गया । संकाय ीमती मंज ूिशिरन , सहायक िनदेशक िहंदी िशक्षण योजना ने पदािधकािरय केा याकरण, पत्राचार एवं कायार्लयीन िहंदी के िविवध आयाम पर चचार् करते हुए प्रिशक्षण प्रदान िकया ।

  • राजभाषा कायर्शालाएं कोलकाता

    बीएचईएल पीएसईआर कोलकाता म 30 अग त 2018 केा राजभाषा कायर्शाला का आयोजन िकया गया । संकाय ीमती पनूम दीिक्षत , सहायक िनदेशक िहंदी िशक्षण योजना ने पदािधकािरय केा याकरण, पत्राचार एवं कायार्लयीन िहंदी के िविवध आयाम पर चचार् करते हुए प्रिशक्षण प्रदान िकया ।

  • पीएसईआर कोलकाता म 23 अग त 2018 को आशभुाषण प्रितयोिगता आयोिजत की गई । िनणार्यक मंडली म ी स यप्रकाश दूब ेजी विर ठ िहंदी अिधकारी पूवीर् रेलव ेएवं ीमती क याणी सरकार विर ठ िहंदी अिधकारी शािमल थ े। प्रितभागय न ेिविभ न िवषय पर अपन ेमह वपूणर् िवचार रख े।

  • िदनांक 27 अग त 2018 को पीएसईआर कोलकाता म किवता पठन प्रितयोिगता आयोिजत की गई िनणार्यक मंडली म ीमती दीपानीता घेाष , ी नवीन कुमार प्रजापितए विर ठ प्रबंधक दाघािन एवं ी अिमताभ चक्रबतीर् शािमल थे । प्रितभािगय ने बड़े ही उ साह पवूर्क , लय और छंद के साथ किवता पाठ िकया ।

  • िहंदी प्रा यापक सु ी िशखा साहा न ेिडक् टशेन िदया एवं पदािधकािरय न ेबड़ ेही उ साहपूवर्क प्रितयोिगता म भाग िलया । ुतलखेन प्रितयोिगता म भाग लते ेप्रितभागीगण

  • कोलकाता म अवि थत उपक्रम द्वारा प्रकािशत पित्रकाओ ं म पीएसईआर की वािषर्क गहृ पित्रका पूवार्भा को नगर राजभाषा कायार् वयन सिमित (कोलकाता) द्वारा िद्वतीय परु कार स ेपरु कृत िकया गया । शी ड ग्रहण करत ेिवभागप्रमखु(मासं) ी अिमताभ सनेगु ता एवं प्रशि त फलक ग्रहण करती उपमहाप्रबंधक ीमती ऋता गु ता ।