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    चचचा में क्यों?

    हाल ही में, भारतीय विदशे मतं्री एस. जयशकंर चीन की तीन वदिसीय विदशे यात्रा पर रह।े इस दौरान विदशे मतं्री ने चीन के उपराष्ट्रपवत

    और अपने चीनी समकक्ष िांग यी से मलुाकात की और भारत-चीन संबंधों के सभी पहलओु ंपर व्यापक चचाा की। इसके बाद मीविया

    को वदए अपने साक्षात्कार में जयशकंर ने कहा वक भारत और चीन को एक-दसूरे की वचंताओ ंका सम्मान करना चावहए और मतभदेों

    को दरू करना चावहए। साथ ही उन्होंने कहा वक एवशया के दो बडे दशेों के बीच संबंध इतने विशाल हो गए हैं वक उसने िवैिक आयाम

    हावसल कर वलए हैं।

    क्यों अहम थी ये बैठक?

    भारत द्वारा अनचु्छेद 370 हटाए जाने के बाद पावकस्तानी विदशे मतं्री ने चीन का समथान हावसल करने के वलए चीन दौरा वकया था।

    ऐसी हालत में, भारतीय विदशे मतं्री की यह चीन यात्रा काफी अहम मानी जा रही ह।ै यात्रा के दौरान भारत और चीन के बीच ररश्तों

    को बेहतर बनाने के वलए 100 कायाक्रम आयोजन करने का भी फैसला वलया गया। इसके अलािा इन दोनों दशेों के बीच 4 एमओयू

    पर भी हस्ताक्षर वकए गए।

    ये यात्रा इस नज़ररए से भी खास ह ैवक आगामी अक्टूबर में प्रधानमतं्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपवत शी वजनवपंग के बीच दसूरा

    अनौपचाररक वशखर सम्मलेन होना प्रस्तावित ह।ै ऐसे में, विदेश मतं्री की चीन यात्रा इस अनौपचाररक वशखर सम्मेलन के वलए ज़मीन

    तैयार करने के रूप में देखा जा रहा ह।ै हालांवक, अप्रैल 2018 में िहुान वशखर सम्मेलन के बाद भारत-चीन संबंधों में सधुार के आसार

    वदख रह ेथे।

    अनुच्छेद 370 को लेकर चीन की प्रतितियच

    जम्म-ूकश्मीर में अनचु्छेद 370 ख़त्म करने के भारत सरकार के फैसले के वख़लाफ चीन ने अपनी वचंताए ँजावहर की थी। चीन का

    विरोध विशषे तौर पर लद्दाख के्षत्र को जम्म-ूकश्मीर से हटाकर कें द्र शावसत प्रदशे बनाने का था। िांग यी के साथ अपनी बैठक में विदेश

    मतं्री जयशकंर ने स्पष्ट कर वदया वक जम्म ूकश्मीर पर भारत का फैसला दशे का आतंररक मामला ह।ै इसका भारत की अतंरराष्ट्रीय

    सीमाओ ंऔर चीन से लगी िास्तविक वनयंत्रण रेखा के वलए कोई कोई मायने नहीं ह।ै

    भचरि चीन तििचद

    सीमच तििचद: भारत और चीन के बीच करीब 4000 वकलोमीटर की सीमा लगती ह।ै चीन के साथ इस सीमा वििाद में भारत और

    भटूान दो ऐसे मलु्क हैं, जो उलझ ेहुए हैं। भटूान में िोकलाम के्षत्र को लेकर वििाद ह ैतो िहीं भारत में लद्दाख से सटे अक्साई वचन और

    अरुणाचल प्रदशे को लेकर वििाद जारी ह।ै

    भारत-चीन संबंध

    (India China Relation)

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    दलचई लचमच और तिब्बि: डै्रगन दशे को इस बात से भी वचढ़ ह ैवक भारत वतब्बती धमागरुु दलाई लामा को शरण वदए हुए ह।ै

    त्रिंग ऑफ पर्लसा: ‘वस्रंग ऑफ पल्सा’ भारत को घरेने के वलहाज से चीन द्वारा अपनाई गई एक अघोवषत नीवत ह।ै इसमें चीन द्वारा

    भारत के समदु्री पहुचं के आसपास के बंदरगाहों और नौसेना वठकानों का वनमााण वकया जाना शावमल ह।ै

    नदी जल तििचद: ब्रह्मपतु्र नदी के जल के बँटिारे को लेकर भी भारत और चीन के बीच में वििाद ह।ै चीन द्वारा ब्रह्मपतु्र नदी के ऊपरी

    इलाके में कई बांधों का वनमााण वकया गया ह।ै हालांवक जल बंटिारे को लेकर भारत और चीन के बीच में कोई औपचाररक संवध नहीं

    हुई ह।ै

    भचरि को एनएसजी कच सद्य बनने से रोकनच: परमाण ुआपवूताकताा समहू का सदस्य बनने में भी चीन भारत की मसंूबों पर पानी

    फेर रहा ह।ै नई वदल्ली ने जनू 2016 में इस मामले को जोरदार तरीके से उठाया था। तत्कालीन विदशे सवचि रह ेएस जयशकंर ने

    एनएसजी के प्रमखु सदस्य दशेों के समथान के वलए उस समय वसयोल की यात्रा भी की थी।

    भचरि के तिलचफ आििंकिचद कच समथान: एवशया में, चीन भारत को अपना सबसे बडा प्रवतद्वदंी मानता ह ैऔर साथ ही OBOR

    प्रॉजके्ट में चीन को पाक की जरूरत ह।ै पावकस्तान में चीन ने बडे पैमाने पर वनिशे कर रखा ह।ै चीन-पाक आवथाक गवलयारा और िन

    बेल्ट िन रोि जसेै उसके मगेा प्रॉजके्ट एक स्तर पर आतंकी संगठनों की दया पर वनभार हैं। ऐसे में चीन कहीं ना कहीं भारत के वखलाफ

    आतंकिाद का पोषक बना हुआ ह।ै मसदू अजहर को िवैिक आतंकी घोवषत कराने में चीन की रोडेबाजी इसी का एक वमसाल कही

    जा सकती ह।ै हालंवक बाद में भारत को इस मामले में सफलता वमल गई थी।

    भारत के उत्तर-पिूा में भी चीन पहले कई आतंकिादी संगठनों की मदद करता रहा ह।ै बीबीसी फीचसा की एक ख़बर के मतुावबक कुछ

    असे पहले पिूोत्तर भारत में नगा विद्रोही गटु एनएससीएन (य)ू के अध्यक्ष खोले कोनयाक ने ये दािा वकया था। बक़ौल खोले “यनूाइटेि

    वलबरेशन फं्रट ऑफ असम यानी उल्फा प्रमखु परेश बरुआ पिूोत्तर राज्यों में सवक्रय चरमपथंी संगठनों को चीनी हवथयार और रेवनंग

    महुयैा करा रहें ह।ै”

    व्यचपचर असिंिुलन: िसैे तो चीन भारत का सबसे बडा व्यापाररक भागीदार ह,ै लेवकन दोनों दशेों के बीच एक बडा व्यापाररक

    असंतलुन भी ह,ै और भारत इस व्यापाररक घाटे का बरुी तरह वशकार ह।ै वपछले साल चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 57.86

    अरब िॉलर का था, जबवक साल 2017 में यह घाटा 61.72 अरब िॉलर का था।

    BRI पररयोजनच भी तििचद कच एक अहम तबिंदु

    BRI - बेल्ट एिं रोि इवनवसएवटि पररयोजना चीन की सालों परुानी 'वसल्क रोि' से जडुा हुआ ह।ै इसी कारण इसे 'न्य ूवसल्क रोि'

    और One Belt One Road (OBOR) नाम से भी जाना जाता ह।ै BRI पररयोजना की शरुुआत चीन ने साल 2013 में की थी। इस

    पररयोजना में एवशया, अफ्रीका और यरूोप के कई दशे बडे दशे शावमल हैं। इसका उद्दशे्य दवक्षण पिूा एवशया, मध्य एवशया, गल्फ

    कंरीज़, अफ्रीका और यरूोप के दशेों को सडक और समदु्री रास्ते से जोडना ह।ै

    भारत चीन की इस पररयोजना का शरुू से ही विरोध करता ह।ै साल 2017 में हुए पहले 'BRI सम्मलेन' में भी भारत ने भाग नहीं वलया

    था। भारत के BRI पररयोजना का विरोध के चलते चीन न े2019 के 'BRI सम्मलेन’ में BCIM यानी बांग्लादशे - चीन - भारत -

    म्यांमार गवलयारे को अपनी अहम पररयोजनाओ ंसे हटा वदया ह।ै चीन अब दवक्षण एवशया में CMEC - चीन - म्यामंार आवथाक

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    गवलयारे, नेपाल - चीन गवलयारे (Nepal-China Trans Himalayan Multi-Dimensional Connectivity) और चीन

    पवकस्तान इकोनॉवमक कॉररिोर पर ही काम करेगा।

    भचरि और चीन के बीच आपसी सहयोग

    भारत और चीन दोनों ही दशे उभरती अथाव्यिस्थाओ ंके समहू वब्रक्स (BRICS) के सदस्य हैं। वब्रक्स द्वारा औपचाररक रूप से कजा

    दनेे िाली संस्था ‘न्य ूिेिलपमेंट बैंक’ की स्थापना की गई ह।ै

    भारत एवशया इन्फ्रारक्चर इन्िेस्टमेंट बैंक (AIIB) का एक संस्थापक सदस्य ह।ै गौरतलब ह ैवक चीन भी इस बैंक का एक समथाक दशे ह।ै

    भारत और चीन दोनों ही दशे शंघाई सहयोग संगठन के तहत एक दसूरे के साथ कई क्षेत्रों में सहयोग कर रह ेहैं। चीन न ेशंघाई सहयोग संगठन

    में भारत की पणूा सदस्यता का स्िागत भी वकया था।

    दोनों ही दशे विि बैंक, संयकु्त राष्ट्र और आईएमएफ जैसी संस्थाओ ंके सधुार और उसमें लोकतांवत्रक प्रणाली के समथाक हैं। संयकु्त राष्ट्र के

    मामलों और उसके प्रशासवनक ढांच ेमें विकासशील दशेों की भागीदारी में बढ़ोत्तरी बहुत जरूरी ह।ै इस मामले में दोनों दशेों का ऐसा मानना ह ै

    वक इससे संयकु्त राष्ट्र की कायाप्रणाली में और बेहतरी आएगी।

    िब्ल्यटूीओ िातााओ ंके दौरान भारत और चीन न ेकई मामलों पर एक जैसा रुख अपनाया ह ैवजसमें िब्ल्यटूीओ की दोहा िाताा भी शावमल

    ह।ै

    भारत और चीन दोनों ही दशे जी-20 समहू के सदस्य हैं।

    पयाािरण को लेकर अमेररका और उसके वमत्र दशेों द्वारा भारत और चीन दोनों की आलोचना की जाती ह।ै इसके बािजदू दोनों ही दशेों न े

    पयाािरणीय वशखर सम्मेलनों में अपनी नीवतयों का बेहतर समन्ियन (coordination) वकया ह।ै

    आगे क्यच तकयच जचनच चचतहए?

    एक हाथ द ेतो एक हाथ ले: भारत और चीन दोनों दशेों को अपने वद्वपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के वलए कुछ ऐसे मौकों की तलाश

    करनी होगी जो दोनों के वलए फायदमेदं सावबत हो। साल 2017 में, जब चीन फाइनेंवशयल एक्शन टास्क फोसा का उपाध्यक्ष बनना

    चाहता था तो उसे भारत के समथान की ज़रूरत थी। भारत ने समथान के वलए हामी तो भरी लेवकन बदले में पावकस्तान के 'ग्रे वलवस्टंग'

    के वलए बीवजगं का समथान मागँा। यानी एक हाथ द ेतो एक हाथ ले िाली बात। भारत को अगले नौ महीनों में कुछ इसी तरह के मौके

    की तलाश करनी होगी।

    चीनी बाज़ारों पर वनभारता कम करे भारत: िब्लटूीओ यानी विि व्यापार संवध के कारण भारत के हाथ बंधे हुए हैं, और िो चीन से

    आयावतत िस्तओु ंपर प्रवतबन्ध या हिैी टैक्स नहीं लगा सकता। िब्लटूीओ वकसी भी दशे को आयात पर भारी-भरकम प्रवतबंध लगाने

    से रोकता ह।ै लेवकन भारत को स्िवनमााण के क्षेत्र में ज़्यादा से ज़्यादा वनिशे के ज़ररए चीनी बाजारों पर स ेअपनी वनभारता को कम

    करना चावहए। भारत का स्िदेशी बाजार यवद मजबूत होगा तो वबना वकसी प्रवतबंध के चीनी उत्पादों का बाजार दशे में वसमटता जाएगा।

    आने िाला िक़्त एवशया का होगा: भारत और चीन समेत एवशया के तमाम बडे दशेों को यह समझना होगा वक आने िाला िक्त

    एवशया का ही होगा। एक आंकडे के मतुावबक, आने िाले समय में िवैिक अथाव्यिस्था में एवशया की वहस्सेदारी लगभग 50% होने

    के आसार हैं। ऐसे में, इस के्षत्र में वकसी भी प्रकार का तनाि और आपसी िैमनस्य विकास और िवृि को नकुसान ही पहुचँाएगा। इस

    हालत को बेहतर बनाने में इस के्षत्र के सबसे बडे ताकतों भारत और चीन को महत्िपणूा भवूमका वनभानी होगी।

    By: Keshari Pandey

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