अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम...

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अिधवता अिधिनयम, 1961 (1961 का अिधिनयम संयांक 25) [19 मई, 1961] िविध यवसािययᲂ से संबंिधत िविध का संशोधन और समेकन करने तथ िविध पिरषदᲂ और अिखल भारतीय िविध पिरषद् का गठन करने हेतु उपबध करने के िलए अिधिनयम भारत गणराय के बारहवᱶ वष मᱶ संसद् ᳇ारा िननिलिखत प मᱶ यह अिधिनयिमत हो :–– अयाय 1 ारिभक 1. संित नाम, िवतार और ारा––(1) इस अिधिनयम का संित नाम अिधवता अिधिनयम, 1961 है । 1 [(2) इसका िवतार सपूण भारत पर है ।] (3) यह 2 [उपधारा (4) मᱶ िनिदट रायेᲂ से िभन राये के सबध मᱶ उस तारीख को वृᱫ होगा] जो केीय सरकार, राजप मᱶ अिधसूचना ᳇ारा, िनयत करे और इस अिधिनयम के िविभन उपबधᲂ के िलए िविभन तारीखᱶ 3 िनयत की जा सकᱶगी । 4 [(4) जमू-कमीर राय* 5 और गोवा, दमन और दीव संघ राये के सबध मᱶ यह अिधिनयम उस तारीख को वृᱫ होगा, जो कᱶीय सरकार, राजप मᱶ अिधसूचना ᳇ारा, इस िनिमᱫ िनयत करे और इस अिधिनयम के िविभन उपबधᲂ के िलए िविभन तारीखᱶ िनयत की जा सकᱶगी ।] 1 1973 के अिधिनयम सं० 60 की धारा 2 ᳇ारा (31-3-1974 से) उपधारा (2) के थान पर ितथािपत । 2 1973 के अिधिनयम सं० 60 की धारा 2 ᳇ारा (31-3-1974 से) वृᱫ होगाशदᲂ के थान पर ितथािपत । 3 अिधिनयम के उपबंध िननानुसार वृᱫ िकए गए हᱹ :–– तारीख उपबंध अिधसूचना 16-8-1961 अयाय 1, 2 और 7 का.आ 1870, तारीख 7-8-1961, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2, खड 3(ii), पृठ 1237 1-12-1961 अयाय 3 और धारा 50(2) का.आ 2790, तारीख 24-11-1961, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2, खड 3(ii), पृठ 1723 15-12-1961 धारा 50(1) का.आ 2919, तारीख 13-12-1961, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2, खड 3(ii), पृठ 1745 24-1-1962 धारा 51 और 52 का.आ 297, तारीख 24-1-1962, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2, खड 3(ii), पृठ 169 29-3-1962 धारा 46 का.आ 958, तारीख 29-3-1962, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2 खड 3(ii), पृठ 589 4-1-1963 धारा 32 और अयाय 6 [धारा 46 को छोड़कर, धारा 50 की उपधारा (1) और (2), धारा 51 और 52] का.आ 50, तारीख 4-1-1963, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2, खड 3(ii), पृठ 1 1-9-1963 अयाय 5 का.आ 2509, तारीख 31-8-1963, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2, खड 3(ii), पृठ 513 10-6-1968 पांिडचेरी संघ राये मᱶ अयाय 1, 2, 3, अयाय 4 की धारा 12 और अयाय 5,6,7 तथा 8 का.आ. 63, तारीख 7-6-1968 1-6-1969 अयाय 4 की धारा 29, धारा 31, धारा 33 और धारा 34 का.आ 1500, तारीख 5-4-1969, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2, खड 3(ii), पृठ 569 1-6-1979 गोवा, दमन और दीव संघ राये मᱶ धारा 39 के िसवाय सा. का. िन. 84(), तारीख 21-2-1979, भारत का राजप, असाधारण, भाग 2, खड 3(i), पृठ 168 4 1973 के अिधिनयम सं० 60 की धारा 2 ᳇ारा (31-1-1974 से) अत:थािपत । * 5 इस अिधिनयम के सभी उपबंध, धारा 30 के िसवाय, जमू-कमीर राय मᱶ, (1-8-1986) से वृᱫ ए; देिखए सा०का०िन० 946(), तारीख 15-7-1986

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Page 1: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

अिधवक ता अिधिनयम 1961

(1961 का अिधिनयम सख याक 25)

[19 मई 1961]

िविध व यवसाियय स सबिधत िविध का सशोधन और समकन करन तथ िविधजञ पिरषद और अिखल भारतीय िविधजञ पिरषद का

गठन करन हत उपबन ध करन क िलए अिधिनयम

भारत गणराज य क बारहव वषर म ससद ारा िनम निलिखत रप म यह अिधिनयिमत हो ndashndash

अध याय 1

परारिम भक

1 सिकषप त नाम िवस तार और परारम भ ाndashndash(1) इस अिधिनयम का सिकषप त नाम अिधवक ता अिधिनयम 1961 ह 1[(2) इसका िवस तार सम पणर भारत पर ह ]

(3) यह 2[उपधारा (4) म िनिदष ट राज यकषतर स िभन न राज यकषतर क सम बन ध म उस तारीख को परव होगा] जो कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा िनयत कर और इस अिधिनयम क िविभन न उपबन ध क िलए िविभन न तारीख3 िनयत की जा सकगी

4[(4) जम म-कश मीर राज य5 और गोवा दमन और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म यह अिधिनयम उस तारीख को परव होगा जो कदरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा इस िनिम िनयत कर और इस अिधिनयम क िविभन न उपबन ध क िलए िविभन न तारीख िनयत की जा सकगी ]

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 2 ारा (31-3-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 2 ारा (31-3-1974 स) ldquoपरव होगाrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 3 अिधिनयम क उपबध िनम नानसार परव िकए गए ह ndashndash

तारीख उपबध अिधसचना

16-8-1961 अध याय 1 2 और 7 काआ 1870 तारीख 7-8-1961 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 1237

1-12-1961 अध याय 3 और धारा 50(2) काआ 2790 तारीख 24-11-1961 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 1723

15-12-1961 धारा 50(1) काआ 2919 तारीख 13-12-1961 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 1745

24-1-1962 धारा 51 और 52 काआ 297 तारीख 24-1-1962 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 169

29-3-1962 धारा 46 काआ 958 तारीख 29-3-1962 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 589

4-1-1963 धारा 32 और अध याय 6 [धारा 46 को छोड़कर धारा 50 की उपधारा (1) और (2) धारा 51 और 52]

काआ 50 तारीख 4-1-1963 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 1

1-9-1963 अध याय 5 काआ 2509 तारीख 31-8-1963 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 513

10-6-1968 पािडचरी सघ राज यकषतर म

अध याय 1 2 3 अध याय 4 की धारा 12 और अध याय 567 तथा 8 काआ 63 तारीख 7-6-1968

1-6-1969 अध याय 4 की धारा 29 धारा 31 धारा 33 और धारा 34 काआ 1500 तारीख 5-4-1969 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 569

1-6-1979 गोवा दमन और दीव सघ राज यकषतर म

धारा 39 क िसवाय सा का िन 84(अ) तारीख 21-2-1979 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(i) पष ठ 168

4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 2 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5इस अिधिनयम क सभी उपबध धारा 30 क िसवाय जम म-कश मीर राज य म (1-8-1986) स परव हए दिखए सा०का०िन० 946(अ) तारीख 15-7-1986

2

2 पिरभाषाएndashndash1[(1)] इस अिधिनयम म जब तक िक सन दभर स अन यथा अपिकषत न होndashndash

(क) ldquoअिधवक ताrdquo स इस अिधिनयम क उपबध क अधीन िकसी नामावली म दजर अिधवक ता अिभपरत ह

(ख) इस अिधिनयम क िकसी उपबध क सम बन ध म ldquoिनयत िदनrdquo स वह िदन अिभपरत ह िजसको वह उपबन ध परव होता ह

2

(घ) ldquoिविधजञ पिरषदrdquo स इस अिधिनयम क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह

(ङ) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषदrdquo स उन राज यकषतर क िलए िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह धारा 4 क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह

3

(छ) ldquoउच च न यायालयrdquo क अन तगरत धारा 34 की उपधारा (1) 4[और उपधारा (1क)] और धारा 42 तथा धारा 43 क िसवाय न याियक आयक त का न यायालय नह ह और िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध मndashndash

(i) िकसी राज य क िलए या िकसी राज य और एक या अिधक सघ राज यकषतर क िलए गिठत िकसी िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का उच च न यायालय अिभपरत ह

(ii) िदल ली क िलए गिठत िविधजञ पिरषद की दशा म 5[िदल ली का उच च न यायालय] अिभपरत ह

(ज) ldquoिविध स नातकrdquo स कोई ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसन भारत म िविध ारा स थािपत िकसी िवश विव ालय स िविध म स नातक की उपािध पराप त की ह

(झ) 6[ldquoिविध व यवसायीrdquo स िकसी उच च न यायालय का अिधवक ता या वकील कोई प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार अिभपरत ह]

(ञ) ldquoिविहतrdquo स इस अिधिनयम क अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपरत ह

(ट) ldquoनामावलीrdquo स इस अिधिनयम क अधीन तयार की गई और रखी गई अिधवक ता नामावली अिभपरत ह

(ठ) ldquoराज यrdquo क अन तगरत सघ राज यकषतर नह ह

(ड) ldquoराज य िविधजञ पिरषदrdquo स धारा 3 क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह

(ढ) ldquoराज य नामावलीrdquo स धारा 17 क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा तयार की गई और रखी गई अिधवक ता नामावली अिभपरत ह 4[(2) इस अिधिनयम म िकसी ऐसी िविध क परित जो जम म-कश मीर राज य या गोवा दमन और दीव सघ राज यकषतर म परव

नह ह िकसी िनदश का उस राज य या उस राज यकषतर क सम बन ध म यह अथर लगाया जाएगा िक वह यथािस थित उस राज य या राज यकषतर म परव तत स थानी िविध क परित यिद कोई हो िनदश ह ]

अध याय 2

िविधजञ पिरषद

3 राज य िविधजञ पिरषदndashndash(1) (क) आधर परदश िबहार गजरात 7[जम म-कश मीर] 8[झारखड] 9[मध य परदश और छ ीसगढ़] 10 11 12[कनारटक] उड़ीसा राजस थान और 13[उ र परदश 14[उ राखण ड मघालय मिणपर और ितरपरा]] राज य म स परत यक क िलए उस राज य की िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) धारा 2 को उसकी उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 2 ारा (15-10-1976 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) ldquoपजाब का उच च न यायालयrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 6 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 2 ारा (15-10-1976 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 2000 क अिधिनयम स० 30 की धारा 2 ारा (15-11-2000 स) अन तस थािपत 9 2000 क अिधिनयम स० 28 की धारा 24 ारा (1-11-2000 स) ldquoमध य परदशrdquo क स थान पर परितस थािपत 10 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा ldquoमदरासrdquo शब द का लोप िकया गया 11 1963 क िविनयम स० 8 की धारा 12 ारा (1-7-1965 स) ldquoमहाराष टरrdquo शब द का लोप िकया गया 12 मसर राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1974 ारा (1-11-1973 स) ldquoमसरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 13 2000 क अिधिनयम स० 29 की धारा 29 ारा (9-11-2000 स) ldquoऔर उ र परदशrdquo क स थान पर परितस थािपत 14 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत

3

1[(ख) अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड राज य क िलए अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड िविधजञ पिरषद क नाम स जञात िविधजञ पिरषद होगी]

(ग) करल राज य और 2[लकष ीप] सघ राज यकषतर क िलए करल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी 3[(गग) 4[तिमलनाड राज य] तथा पािडचरी सघ राज यकषतर क िलए मदरास िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद

होगी] 5[(गगग) महाराष टर और गोवा राज य क िलए और दादरा और नागर हवली तथा दमण और दीव क सघ राज यकषतर क िलए

होगी िजसका नाम महाराष टर और गोवा िविधजञ पिरषद होगा] 6[(घ) पजाब और हिरयाणा राज य क िलए तथा चडीगढ़ सघ राज यकषतर क िलए पजाब और हिरयाणा िविधजञ पिरषद क

नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी

रिचत ह ]

ौरान ऐसा व यिक त भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन

िधजञ पिरषद का एक अध यकष और उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवारिचत िकया जाएगा ज

या उपाध य

(घघ) िहमाचल परदश राज य क िलए िहमाचल परदश िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी]

(ङ) पिश चमी बगाल राज य तथा 7[अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतर] क िलए पिश चमी बगाल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी और

(च) िदल ली सघ राज यकषतर क िलए िदल ली िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधक पिरषद होगी

(2) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत सदस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash

(क) िदल ली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म भारत का अपर महासािलिसटर पदन 1[असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड का महािधवक ता] पदन पजाब और हिरयाणा राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत पजाब और हिरयाणा का महािधवक ता पदन और िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का महािधवक ता पदन

8[(ख) पाच हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पन दरह सदस य पाच हजार स अिधक िकन त दस हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म बीस सदस य और दस हजार स अिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामावली क अिधवक ता म स आनपाितक परितिनिधत व प ित क अनसार एकल सकरमणीय मत ारा िनवा

9[परन त ऐस िनवारिचत सदस य म स यथासभव आध क िनकट सदस य ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम बनाए जाए ऐस व यिक त ह ग जो िकसी राज य नामावली म कम स कम दस वषर तक अिधवक ता रह ह और ऐस िकसी व यिक त क सम बन ध म दस वषर की उक त अविध की सगणना करन म वह अविध भी सिम मिलत की जाएगी िजसक दनामिकत अिधवक ता रहा हो ] 10[(3) परत यक राज य िवो िविहत की जाए ]

(3क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर िकसी राज य िविधजञ पिरषद क अध यकषकष का पद धारण करन वाला परत यक व यिक त ऐस परारम भ पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा

1 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत 2 लक कादीव िमिनकोय और अमीनदीवी ीप (नाम पिरवतरन) अिधिनयम 1973 (1973 का 34) की धारा 5 ारा (1-11-1973 स) ldquoलक कादीव िमिनकोय अमीन दीवी

ीपrdquo क स थान पर परितस थािपत 3 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 4 मदरास राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1970 ारा (14-1-1969 स) ldquoमदरास राज यrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1987 क अिधिनयम स० 18 की धारा 21 ारा (30-5-1987 स) खड (गगग) क स थान पर परितस थािपत 6 1970 क अिधिनयम स० 53 की धारा 24 ारा (25-1-1971 स) खड (घ) क स थान पर परितस थािपत 7 1971 क अिधिनयम स० 81 की धारा 34 ारा (21-1-1972 स) ldquoितरपरा तथा अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 2 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत

4

परन त ऐसा परत यक व यिक त अपन पद क कतरव य का तब तक पालन करता रहगा जब तक िक परत यक राज य िविधजञ पिरषद का यथािस थित अध यकष या उपाध यकष जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारभ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह लता ]

1[(4) कोई अिधवक ता उपधारा (2) क अधीन िकसी िनवारचन म मतदान करन या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म चन

क अनसार कराया जाएगा ]

डालगी जब तक वह राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिन की जाती ]

4 भारती िलए िजस पर इस अिधिनयम का िवस तार ह भारतीय िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक दस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash

( यायवादी पद

( )

त भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म िनवारिचत होन क िलए तब तक पातर नह होगा जब तक उसक

ारिचत िकया जाएगा ज

का पद धारण करन वाला व यिक त ऐस परारम भ ा पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा

या उपाध यकष जो अिधवलता ]

िधजञ पिरषद क ऐस सदस य की जो राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारिचत िकया गया हो पदाविधndashndash

अविध तक होगी िजसको वह राज य िविधजञ पिरषद का सदस य न रह जाए इनम स जो भी अविध

विध क िलए होगी िजतनी क िलए वह राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म

र और सामान य मदरा वाली एक िनगिमत िनकाय हो तथा सिवदा करन की शिक त होगी और िजस नाम स वह जञात हो उस नाम स

जान और सदस य होन क िलए तब तक िनरिहत होगा जब तक उसक पास ऐसी अहरताए न ह या वह ऐसी शत परी न करता हो जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम िविहत की जाए और िकन ह ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो बनाए जाए परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारचक नामावली तयार की जाएगी और समय-समय पर पनरीिकषत की जाएग

(5) उपधारा (2) क परन तक की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर िनवारिचत िकसी सदस य की पदाविध पर परभाव नह डालगी िकन त ऐस परारम भ ा क पश चात परत यक िनवारचन उक त परन तक को परभावी करन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम क उपबन ध

2[(6) उपधारा (2) क खड (ख) की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद म िनवारिचत सदस य क परितिनिधत व पर तब तक परभाव नह

यम क उपबन ध क अनसार पनगरिठत नह

य िविधजञ पिरषदndashndash(1) उन राज यकषतर किविधजञ पिरषद होगी जो िनम निलिखत स

क) भारत का महान न

ख भारत का महासािलिसटर पदन 3

(ग) परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत एक सदस य 4[(1क) कोई भी व यिक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए न ह ] 5[(2) भारतीय िविधजञ पिरषद का एक अध यकष और एक उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवो िविहत की जाए

(2क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद क अध यकष या उपाध यकष

परन त ऐसा व यिक त अपन पद क कतरव य का पालन तब तक करता रहगा जब तक िक पिरषद का यथािस थित अध यकषक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह

6[(3) भारतीय िव

(i) राज य िविध पिरषद क ऐस सदस य की दशा म जो वह पद पदन धारण करता हो उसक िनवारचन की तारीख स दो वषर होगी 4[या उस पहल हो] और

(ii) िकसी अन य दशा म उतनी अपद धारण करता हो

परन त परत यक ऐसा सदस य भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म अपन पद पर तब तक बना रहगा जब तक उसका उ रािधकारी िनवारिचत नह कर िलया जाता ह ]

5 िविधजञ पिरषद का िनगिमत िनकाय होनाndashndashपरत यक िविधजञ पिरषद शाश वत उ रािधकागी िजस स थावर तथा जगम दोन परकार की सम पि अिजत और धारण करन

वह वाद ला सकगी और उस पर वाद लाया जा सकगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) खण ड (खख) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 6 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 3 ारा अन तस थािपत

5

6 राज य ि

अवधारण करना

ािधकार और िहत की रकषा करना

िवकास का उन नयन करना]

का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना

षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

अनसार िवश विव ालय म जाना और

झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash

याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए

कर सकग

(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी

7 भारती

रना

िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल

और िहत की रकषा करना

(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना

विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash

(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना

(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना

(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका

(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी

स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर

(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]

(च) िविधजञ पिर

(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क

उनका िनरीकषण करना]

(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना

(

य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]

पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा

य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5

(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क

(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना

(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना

(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया

6

(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना

(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत

य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]

ालन और वातार का आयोजन करना औ

क िलए आयोजन करना

क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर

ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash

लए िव ीय सहायता दन क िलए

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए

न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क

की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र

धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash

पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और

ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल

2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना

(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन

(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]

(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना

(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना

(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि

3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]

कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]

4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश

ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]

5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी

परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी

अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी

8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि

पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब

(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा

परन त जहा एक स अिधक

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत

7

(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम

(2) िवशष

तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी

व और बाध यताए ह गी

द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस

और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त

बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को

परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए

10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash

च सदस य म िमलकर बनगी

(2) भारत

नगी

यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह

पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर

कर ]

िनदिशत िकए जाएग

सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash

(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस

(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत

(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी

(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष

ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]

1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग

ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा

(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम

ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर

सकगी ऐसी

(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]

ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा

(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी

ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब

(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व

(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ

3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान

(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत

(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत

8

(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली

नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य

की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए

जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार

गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य

वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो

की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी

(2) िविशकर सकग

सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण

िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा

स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]

11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ

(2) सिचव और लखापाल

12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए

(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो

िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर

य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]

(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी

और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी

13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित

पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी

14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन

दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी

15 िनयम बनान

ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash

4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5

6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]

(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया

िकया गया

3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 2: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

2

2 पिरभाषाएndashndash1[(1)] इस अिधिनयम म जब तक िक सन दभर स अन यथा अपिकषत न होndashndash

(क) ldquoअिधवक ताrdquo स इस अिधिनयम क उपबध क अधीन िकसी नामावली म दजर अिधवक ता अिभपरत ह

(ख) इस अिधिनयम क िकसी उपबध क सम बन ध म ldquoिनयत िदनrdquo स वह िदन अिभपरत ह िजसको वह उपबन ध परव होता ह

2

(घ) ldquoिविधजञ पिरषदrdquo स इस अिधिनयम क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह

(ङ) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषदrdquo स उन राज यकषतर क िलए िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह धारा 4 क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह

3

(छ) ldquoउच च न यायालयrdquo क अन तगरत धारा 34 की उपधारा (1) 4[और उपधारा (1क)] और धारा 42 तथा धारा 43 क िसवाय न याियक आयक त का न यायालय नह ह और िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध मndashndash

(i) िकसी राज य क िलए या िकसी राज य और एक या अिधक सघ राज यकषतर क िलए गिठत िकसी िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का उच च न यायालय अिभपरत ह

(ii) िदल ली क िलए गिठत िविधजञ पिरषद की दशा म 5[िदल ली का उच च न यायालय] अिभपरत ह

(ज) ldquoिविध स नातकrdquo स कोई ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसन भारत म िविध ारा स थािपत िकसी िवश विव ालय स िविध म स नातक की उपािध पराप त की ह

(झ) 6[ldquoिविध व यवसायीrdquo स िकसी उच च न यायालय का अिधवक ता या वकील कोई प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार अिभपरत ह]

(ञ) ldquoिविहतrdquo स इस अिधिनयम क अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपरत ह

(ट) ldquoनामावलीrdquo स इस अिधिनयम क अधीन तयार की गई और रखी गई अिधवक ता नामावली अिभपरत ह

(ठ) ldquoराज यrdquo क अन तगरत सघ राज यकषतर नह ह

(ड) ldquoराज य िविधजञ पिरषदrdquo स धारा 3 क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह

(ढ) ldquoराज य नामावलीrdquo स धारा 17 क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा तयार की गई और रखी गई अिधवक ता नामावली अिभपरत ह 4[(2) इस अिधिनयम म िकसी ऐसी िविध क परित जो जम म-कश मीर राज य या गोवा दमन और दीव सघ राज यकषतर म परव

नह ह िकसी िनदश का उस राज य या उस राज यकषतर क सम बन ध म यह अथर लगाया जाएगा िक वह यथािस थित उस राज य या राज यकषतर म परव तत स थानी िविध क परित यिद कोई हो िनदश ह ]

अध याय 2

िविधजञ पिरषद

3 राज य िविधजञ पिरषदndashndash(1) (क) आधर परदश िबहार गजरात 7[जम म-कश मीर] 8[झारखड] 9[मध य परदश और छ ीसगढ़] 10 11 12[कनारटक] उड़ीसा राजस थान और 13[उ र परदश 14[उ राखण ड मघालय मिणपर और ितरपरा]] राज य म स परत यक क िलए उस राज य की िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) धारा 2 को उसकी उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 2 ारा (15-10-1976 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) ldquoपजाब का उच च न यायालयrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 6 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 2 ारा (15-10-1976 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 2000 क अिधिनयम स० 30 की धारा 2 ारा (15-11-2000 स) अन तस थािपत 9 2000 क अिधिनयम स० 28 की धारा 24 ारा (1-11-2000 स) ldquoमध य परदशrdquo क स थान पर परितस थािपत 10 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा ldquoमदरासrdquo शब द का लोप िकया गया 11 1963 क िविनयम स० 8 की धारा 12 ारा (1-7-1965 स) ldquoमहाराष टरrdquo शब द का लोप िकया गया 12 मसर राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1974 ारा (1-11-1973 स) ldquoमसरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 13 2000 क अिधिनयम स० 29 की धारा 29 ारा (9-11-2000 स) ldquoऔर उ र परदशrdquo क स थान पर परितस थािपत 14 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत

3

1[(ख) अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड राज य क िलए अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड िविधजञ पिरषद क नाम स जञात िविधजञ पिरषद होगी]

(ग) करल राज य और 2[लकष ीप] सघ राज यकषतर क िलए करल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी 3[(गग) 4[तिमलनाड राज य] तथा पािडचरी सघ राज यकषतर क िलए मदरास िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद

होगी] 5[(गगग) महाराष टर और गोवा राज य क िलए और दादरा और नागर हवली तथा दमण और दीव क सघ राज यकषतर क िलए

होगी िजसका नाम महाराष टर और गोवा िविधजञ पिरषद होगा] 6[(घ) पजाब और हिरयाणा राज य क िलए तथा चडीगढ़ सघ राज यकषतर क िलए पजाब और हिरयाणा िविधजञ पिरषद क

नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी

रिचत ह ]

ौरान ऐसा व यिक त भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन

िधजञ पिरषद का एक अध यकष और उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवारिचत िकया जाएगा ज

या उपाध य

(घघ) िहमाचल परदश राज य क िलए िहमाचल परदश िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी]

(ङ) पिश चमी बगाल राज य तथा 7[अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतर] क िलए पिश चमी बगाल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी और

(च) िदल ली सघ राज यकषतर क िलए िदल ली िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधक पिरषद होगी

(2) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत सदस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash

(क) िदल ली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म भारत का अपर महासािलिसटर पदन 1[असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड का महािधवक ता] पदन पजाब और हिरयाणा राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत पजाब और हिरयाणा का महािधवक ता पदन और िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का महािधवक ता पदन

8[(ख) पाच हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पन दरह सदस य पाच हजार स अिधक िकन त दस हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म बीस सदस य और दस हजार स अिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामावली क अिधवक ता म स आनपाितक परितिनिधत व प ित क अनसार एकल सकरमणीय मत ारा िनवा

9[परन त ऐस िनवारिचत सदस य म स यथासभव आध क िनकट सदस य ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम बनाए जाए ऐस व यिक त ह ग जो िकसी राज य नामावली म कम स कम दस वषर तक अिधवक ता रह ह और ऐस िकसी व यिक त क सम बन ध म दस वषर की उक त अविध की सगणना करन म वह अविध भी सिम मिलत की जाएगी िजसक दनामिकत अिधवक ता रहा हो ] 10[(3) परत यक राज य िवो िविहत की जाए ]

(3क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर िकसी राज य िविधजञ पिरषद क अध यकषकष का पद धारण करन वाला परत यक व यिक त ऐस परारम भ पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा

1 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत 2 लक कादीव िमिनकोय और अमीनदीवी ीप (नाम पिरवतरन) अिधिनयम 1973 (1973 का 34) की धारा 5 ारा (1-11-1973 स) ldquoलक कादीव िमिनकोय अमीन दीवी

ीपrdquo क स थान पर परितस थािपत 3 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 4 मदरास राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1970 ारा (14-1-1969 स) ldquoमदरास राज यrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1987 क अिधिनयम स० 18 की धारा 21 ारा (30-5-1987 स) खड (गगग) क स थान पर परितस थािपत 6 1970 क अिधिनयम स० 53 की धारा 24 ारा (25-1-1971 स) खड (घ) क स थान पर परितस थािपत 7 1971 क अिधिनयम स० 81 की धारा 34 ारा (21-1-1972 स) ldquoितरपरा तथा अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 2 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत

4

परन त ऐसा परत यक व यिक त अपन पद क कतरव य का तब तक पालन करता रहगा जब तक िक परत यक राज य िविधजञ पिरषद का यथािस थित अध यकष या उपाध यकष जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारभ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह लता ]

1[(4) कोई अिधवक ता उपधारा (2) क अधीन िकसी िनवारचन म मतदान करन या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म चन

क अनसार कराया जाएगा ]

डालगी जब तक वह राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिन की जाती ]

4 भारती िलए िजस पर इस अिधिनयम का िवस तार ह भारतीय िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक दस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash

( यायवादी पद

( )

त भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म िनवारिचत होन क िलए तब तक पातर नह होगा जब तक उसक

ारिचत िकया जाएगा ज

का पद धारण करन वाला व यिक त ऐस परारम भ ा पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा

या उपाध यकष जो अिधवलता ]

िधजञ पिरषद क ऐस सदस य की जो राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारिचत िकया गया हो पदाविधndashndash

अविध तक होगी िजसको वह राज य िविधजञ पिरषद का सदस य न रह जाए इनम स जो भी अविध

विध क िलए होगी िजतनी क िलए वह राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म

र और सामान य मदरा वाली एक िनगिमत िनकाय हो तथा सिवदा करन की शिक त होगी और िजस नाम स वह जञात हो उस नाम स

जान और सदस य होन क िलए तब तक िनरिहत होगा जब तक उसक पास ऐसी अहरताए न ह या वह ऐसी शत परी न करता हो जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम िविहत की जाए और िकन ह ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो बनाए जाए परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारचक नामावली तयार की जाएगी और समय-समय पर पनरीिकषत की जाएग

(5) उपधारा (2) क परन तक की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर िनवारिचत िकसी सदस य की पदाविध पर परभाव नह डालगी िकन त ऐस परारम भ ा क पश चात परत यक िनवारचन उक त परन तक को परभावी करन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम क उपबन ध

2[(6) उपधारा (2) क खड (ख) की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद म िनवारिचत सदस य क परितिनिधत व पर तब तक परभाव नह

यम क उपबन ध क अनसार पनगरिठत नह

य िविधजञ पिरषदndashndash(1) उन राज यकषतर किविधजञ पिरषद होगी जो िनम निलिखत स

क) भारत का महान न

ख भारत का महासािलिसटर पदन 3

(ग) परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत एक सदस य 4[(1क) कोई भी व यिक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए न ह ] 5[(2) भारतीय िविधजञ पिरषद का एक अध यकष और एक उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवो िविहत की जाए

(2क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद क अध यकष या उपाध यकष

परन त ऐसा व यिक त अपन पद क कतरव य का पालन तब तक करता रहगा जब तक िक पिरषद का यथािस थित अध यकषक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह

6[(3) भारतीय िव

(i) राज य िविध पिरषद क ऐस सदस य की दशा म जो वह पद पदन धारण करता हो उसक िनवारचन की तारीख स दो वषर होगी 4[या उस पहल हो] और

(ii) िकसी अन य दशा म उतनी अपद धारण करता हो

परन त परत यक ऐसा सदस य भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म अपन पद पर तब तक बना रहगा जब तक उसका उ रािधकारी िनवारिचत नह कर िलया जाता ह ]

5 िविधजञ पिरषद का िनगिमत िनकाय होनाndashndashपरत यक िविधजञ पिरषद शाश वत उ रािधकागी िजस स थावर तथा जगम दोन परकार की सम पि अिजत और धारण करन

वह वाद ला सकगी और उस पर वाद लाया जा सकगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) खण ड (खख) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 6 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 3 ारा अन तस थािपत

5

6 राज य ि

अवधारण करना

ािधकार और िहत की रकषा करना

िवकास का उन नयन करना]

का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना

षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

अनसार िवश विव ालय म जाना और

झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash

याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए

कर सकग

(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी

7 भारती

रना

िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल

और िहत की रकषा करना

(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना

विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash

(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना

(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना

(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका

(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी

स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर

(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]

(च) िविधजञ पिर

(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क

उनका िनरीकषण करना]

(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना

(

य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]

पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा

य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5

(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क

(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना

(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना

(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया

6

(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना

(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत

य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]

ालन और वातार का आयोजन करना औ

क िलए आयोजन करना

क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर

ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash

लए िव ीय सहायता दन क िलए

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए

न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क

की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र

धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash

पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और

ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल

2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना

(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन

(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]

(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना

(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना

(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि

3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]

कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]

4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश

ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]

5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी

परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी

अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी

8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि

पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब

(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा

परन त जहा एक स अिधक

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत

7

(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम

(2) िवशष

तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी

व और बाध यताए ह गी

द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस

और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त

बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को

परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए

10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash

च सदस य म िमलकर बनगी

(2) भारत

नगी

यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह

पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर

कर ]

िनदिशत िकए जाएग

सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash

(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस

(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत

(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी

(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष

ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]

1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग

ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा

(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम

ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर

सकगी ऐसी

(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]

ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा

(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी

ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब

(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व

(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ

3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान

(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत

(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत

8

(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली

नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य

की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए

जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार

गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य

वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो

की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी

(2) िविशकर सकग

सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण

िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा

स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]

11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ

(2) सिचव और लखापाल

12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए

(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो

िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर

य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]

(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी

और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी

13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित

पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी

14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन

दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी

15 िनयम बनान

ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash

4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5

6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]

(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया

िकया गया

3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 3: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

3

1[(ख) अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड राज य क िलए अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड िविधजञ पिरषद क नाम स जञात िविधजञ पिरषद होगी]

(ग) करल राज य और 2[लकष ीप] सघ राज यकषतर क िलए करल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी 3[(गग) 4[तिमलनाड राज य] तथा पािडचरी सघ राज यकषतर क िलए मदरास िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद

होगी] 5[(गगग) महाराष टर और गोवा राज य क िलए और दादरा और नागर हवली तथा दमण और दीव क सघ राज यकषतर क िलए

होगी िजसका नाम महाराष टर और गोवा िविधजञ पिरषद होगा] 6[(घ) पजाब और हिरयाणा राज य क िलए तथा चडीगढ़ सघ राज यकषतर क िलए पजाब और हिरयाणा िविधजञ पिरषद क

नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी

रिचत ह ]

ौरान ऐसा व यिक त भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन

िधजञ पिरषद का एक अध यकष और उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवारिचत िकया जाएगा ज

या उपाध य

(घघ) िहमाचल परदश राज य क िलए िहमाचल परदश िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी]

(ङ) पिश चमी बगाल राज य तथा 7[अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतर] क िलए पिश चमी बगाल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी और

(च) िदल ली सघ राज यकषतर क िलए िदल ली िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधक पिरषद होगी

(2) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत सदस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash

(क) िदल ली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म भारत का अपर महासािलिसटर पदन 1[असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड का महािधवक ता] पदन पजाब और हिरयाणा राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत पजाब और हिरयाणा का महािधवक ता पदन और िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का महािधवक ता पदन

8[(ख) पाच हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पन दरह सदस य पाच हजार स अिधक िकन त दस हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म बीस सदस य और दस हजार स अिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामावली क अिधवक ता म स आनपाितक परितिनिधत व प ित क अनसार एकल सकरमणीय मत ारा िनवा

9[परन त ऐस िनवारिचत सदस य म स यथासभव आध क िनकट सदस य ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम बनाए जाए ऐस व यिक त ह ग जो िकसी राज य नामावली म कम स कम दस वषर तक अिधवक ता रह ह और ऐस िकसी व यिक त क सम बन ध म दस वषर की उक त अविध की सगणना करन म वह अविध भी सिम मिलत की जाएगी िजसक दनामिकत अिधवक ता रहा हो ] 10[(3) परत यक राज य िवो िविहत की जाए ]

(3क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर िकसी राज य िविधजञ पिरषद क अध यकषकष का पद धारण करन वाला परत यक व यिक त ऐस परारम भ पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा

1 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत 2 लक कादीव िमिनकोय और अमीनदीवी ीप (नाम पिरवतरन) अिधिनयम 1973 (1973 का 34) की धारा 5 ारा (1-11-1973 स) ldquoलक कादीव िमिनकोय अमीन दीवी

ीपrdquo क स थान पर परितस थािपत 3 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 4 मदरास राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1970 ारा (14-1-1969 स) ldquoमदरास राज यrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1987 क अिधिनयम स० 18 की धारा 21 ारा (30-5-1987 स) खड (गगग) क स थान पर परितस थािपत 6 1970 क अिधिनयम स० 53 की धारा 24 ारा (25-1-1971 स) खड (घ) क स थान पर परितस थािपत 7 1971 क अिधिनयम स० 81 की धारा 34 ारा (21-1-1972 स) ldquoितरपरा तथा अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 2 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत

4

परन त ऐसा परत यक व यिक त अपन पद क कतरव य का तब तक पालन करता रहगा जब तक िक परत यक राज य िविधजञ पिरषद का यथािस थित अध यकष या उपाध यकष जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारभ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह लता ]

1[(4) कोई अिधवक ता उपधारा (2) क अधीन िकसी िनवारचन म मतदान करन या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म चन

क अनसार कराया जाएगा ]

डालगी जब तक वह राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिन की जाती ]

4 भारती िलए िजस पर इस अिधिनयम का िवस तार ह भारतीय िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक दस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash

( यायवादी पद

( )

त भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म िनवारिचत होन क िलए तब तक पातर नह होगा जब तक उसक

ारिचत िकया जाएगा ज

का पद धारण करन वाला व यिक त ऐस परारम भ ा पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा

या उपाध यकष जो अिधवलता ]

िधजञ पिरषद क ऐस सदस य की जो राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारिचत िकया गया हो पदाविधndashndash

अविध तक होगी िजसको वह राज य िविधजञ पिरषद का सदस य न रह जाए इनम स जो भी अविध

विध क िलए होगी िजतनी क िलए वह राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म

र और सामान य मदरा वाली एक िनगिमत िनकाय हो तथा सिवदा करन की शिक त होगी और िजस नाम स वह जञात हो उस नाम स

जान और सदस य होन क िलए तब तक िनरिहत होगा जब तक उसक पास ऐसी अहरताए न ह या वह ऐसी शत परी न करता हो जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम िविहत की जाए और िकन ह ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो बनाए जाए परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारचक नामावली तयार की जाएगी और समय-समय पर पनरीिकषत की जाएग

(5) उपधारा (2) क परन तक की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर िनवारिचत िकसी सदस य की पदाविध पर परभाव नह डालगी िकन त ऐस परारम भ ा क पश चात परत यक िनवारचन उक त परन तक को परभावी करन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम क उपबन ध

2[(6) उपधारा (2) क खड (ख) की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद म िनवारिचत सदस य क परितिनिधत व पर तब तक परभाव नह

यम क उपबन ध क अनसार पनगरिठत नह

य िविधजञ पिरषदndashndash(1) उन राज यकषतर किविधजञ पिरषद होगी जो िनम निलिखत स

क) भारत का महान न

ख भारत का महासािलिसटर पदन 3

(ग) परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत एक सदस य 4[(1क) कोई भी व यिक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए न ह ] 5[(2) भारतीय िविधजञ पिरषद का एक अध यकष और एक उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवो िविहत की जाए

(2क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद क अध यकष या उपाध यकष

परन त ऐसा व यिक त अपन पद क कतरव य का पालन तब तक करता रहगा जब तक िक पिरषद का यथािस थित अध यकषक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह

6[(3) भारतीय िव

(i) राज य िविध पिरषद क ऐस सदस य की दशा म जो वह पद पदन धारण करता हो उसक िनवारचन की तारीख स दो वषर होगी 4[या उस पहल हो] और

(ii) िकसी अन य दशा म उतनी अपद धारण करता हो

परन त परत यक ऐसा सदस य भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म अपन पद पर तब तक बना रहगा जब तक उसका उ रािधकारी िनवारिचत नह कर िलया जाता ह ]

5 िविधजञ पिरषद का िनगिमत िनकाय होनाndashndashपरत यक िविधजञ पिरषद शाश वत उ रािधकागी िजस स थावर तथा जगम दोन परकार की सम पि अिजत और धारण करन

वह वाद ला सकगी और उस पर वाद लाया जा सकगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) खण ड (खख) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 6 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 3 ारा अन तस थािपत

5

6 राज य ि

अवधारण करना

ािधकार और िहत की रकषा करना

िवकास का उन नयन करना]

का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना

षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

अनसार िवश विव ालय म जाना और

झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash

याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए

कर सकग

(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी

7 भारती

रना

िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल

और िहत की रकषा करना

(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना

विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash

(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना

(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना

(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका

(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी

स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर

(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]

(च) िविधजञ पिर

(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क

उनका िनरीकषण करना]

(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना

(

य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]

पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा

य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5

(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क

(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना

(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना

(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया

6

(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना

(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत

य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]

ालन और वातार का आयोजन करना औ

क िलए आयोजन करना

क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर

ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash

लए िव ीय सहायता दन क िलए

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए

न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क

की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र

धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash

पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और

ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल

2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना

(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन

(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]

(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना

(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना

(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि

3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]

कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]

4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश

ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]

5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी

परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी

अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी

8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि

पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब

(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा

परन त जहा एक स अिधक

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत

7

(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम

(2) िवशष

तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी

व और बाध यताए ह गी

द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस

और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त

बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को

परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए

10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash

च सदस य म िमलकर बनगी

(2) भारत

नगी

यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह

पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर

कर ]

िनदिशत िकए जाएग

सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash

(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस

(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत

(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी

(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष

ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]

1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग

ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा

(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम

ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर

सकगी ऐसी

(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]

ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा

(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी

ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब

(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व

(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ

3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान

(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत

(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत

8

(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली

नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य

की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए

जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार

गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य

वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो

की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी

(2) िविशकर सकग

सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण

िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा

स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]

11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ

(2) सिचव और लखापाल

12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए

(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो

िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर

य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]

(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी

और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी

13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित

पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी

14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन

दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी

15 िनयम बनान

ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash

4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5

6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]

(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया

िकया गया

3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 4: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

4

परन त ऐसा परत यक व यिक त अपन पद क कतरव य का तब तक पालन करता रहगा जब तक िक परत यक राज य िविधजञ पिरषद का यथािस थित अध यकष या उपाध यकष जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारभ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह लता ]

1[(4) कोई अिधवक ता उपधारा (2) क अधीन िकसी िनवारचन म मतदान करन या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म चन

क अनसार कराया जाएगा ]

डालगी जब तक वह राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिन की जाती ]

4 भारती िलए िजस पर इस अिधिनयम का िवस तार ह भारतीय िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक दस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash

( यायवादी पद

( )

त भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म िनवारिचत होन क िलए तब तक पातर नह होगा जब तक उसक

ारिचत िकया जाएगा ज

का पद धारण करन वाला व यिक त ऐस परारम भ ा पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा

या उपाध यकष जो अिधवलता ]

िधजञ पिरषद क ऐस सदस य की जो राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारिचत िकया गया हो पदाविधndashndash

अविध तक होगी िजसको वह राज य िविधजञ पिरषद का सदस य न रह जाए इनम स जो भी अविध

विध क िलए होगी िजतनी क िलए वह राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म

र और सामान य मदरा वाली एक िनगिमत िनकाय हो तथा सिवदा करन की शिक त होगी और िजस नाम स वह जञात हो उस नाम स

जान और सदस य होन क िलए तब तक िनरिहत होगा जब तक उसक पास ऐसी अहरताए न ह या वह ऐसी शत परी न करता हो जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम िविहत की जाए और िकन ह ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो बनाए जाए परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारचक नामावली तयार की जाएगी और समय-समय पर पनरीिकषत की जाएग

(5) उपधारा (2) क परन तक की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर िनवारिचत िकसी सदस य की पदाविध पर परभाव नह डालगी िकन त ऐस परारम भ ा क पश चात परत यक िनवारचन उक त परन तक को परभावी करन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम क उपबन ध

2[(6) उपधारा (2) क खड (ख) की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद म िनवारिचत सदस य क परितिनिधत व पर तब तक परभाव नह

यम क उपबन ध क अनसार पनगरिठत नह

य िविधजञ पिरषदndashndash(1) उन राज यकषतर किविधजञ पिरषद होगी जो िनम निलिखत स

क) भारत का महान न

ख भारत का महासािलिसटर पदन 3

(ग) परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत एक सदस य 4[(1क) कोई भी व यिक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए न ह ] 5[(2) भारतीय िविधजञ पिरषद का एक अध यकष और एक उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवो िविहत की जाए

(2क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद क अध यकष या उपाध यकष

परन त ऐसा व यिक त अपन पद क कतरव य का पालन तब तक करता रहगा जब तक िक पिरषद का यथािस थित अध यकषक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह

6[(3) भारतीय िव

(i) राज य िविध पिरषद क ऐस सदस य की दशा म जो वह पद पदन धारण करता हो उसक िनवारचन की तारीख स दो वषर होगी 4[या उस पहल हो] और

(ii) िकसी अन य दशा म उतनी अपद धारण करता हो

परन त परत यक ऐसा सदस य भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म अपन पद पर तब तक बना रहगा जब तक उसका उ रािधकारी िनवारिचत नह कर िलया जाता ह ]

5 िविधजञ पिरषद का िनगिमत िनकाय होनाndashndashपरत यक िविधजञ पिरषद शाश वत उ रािधकागी िजस स थावर तथा जगम दोन परकार की सम पि अिजत और धारण करन

वह वाद ला सकगी और उस पर वाद लाया जा सकगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) खण ड (खख) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 6 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 3 ारा अन तस थािपत

5

6 राज य ि

अवधारण करना

ािधकार और िहत की रकषा करना

िवकास का उन नयन करना]

का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना

षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

अनसार िवश विव ालय म जाना और

झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash

याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए

कर सकग

(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी

7 भारती

रना

िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल

और िहत की रकषा करना

(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना

विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash

(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना

(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना

(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका

(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी

स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर

(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]

(च) िविधजञ पिर

(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क

उनका िनरीकषण करना]

(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना

(

य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]

पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा

य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5

(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क

(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना

(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना

(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया

6

(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना

(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत

य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]

ालन और वातार का आयोजन करना औ

क िलए आयोजन करना

क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर

ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash

लए िव ीय सहायता दन क िलए

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए

न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क

की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र

धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash

पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और

ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल

2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना

(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन

(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]

(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना

(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना

(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि

3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]

कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]

4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश

ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]

5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी

परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी

अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी

8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि

पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब

(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा

परन त जहा एक स अिधक

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत

7

(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम

(2) िवशष

तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी

व और बाध यताए ह गी

द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस

और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त

बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को

परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए

10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash

च सदस य म िमलकर बनगी

(2) भारत

नगी

यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह

पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर

कर ]

िनदिशत िकए जाएग

सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash

(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस

(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत

(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी

(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष

ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]

1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग

ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा

(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम

ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर

सकगी ऐसी

(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]

ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा

(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी

ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब

(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व

(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ

3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान

(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत

(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत

8

(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली

नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य

की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए

जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार

गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य

वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो

की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी

(2) िविशकर सकग

सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण

िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा

स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]

11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ

(2) सिचव और लखापाल

12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए

(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो

िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर

य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]

(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी

और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी

13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित

पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी

14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन

दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी

15 िनयम बनान

ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash

4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5

6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]

(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया

िकया गया

3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 5: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

5

6 राज य ि

अवधारण करना

ािधकार और िहत की रकषा करना

िवकास का उन नयन करना]

का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना

षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

अनसार िवश विव ालय म जाना और

झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash

याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए

कर सकग

(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी

7 भारती

रना

िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल

और िहत की रकषा करना

(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना

विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash

(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना

(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना

(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका

(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी

स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर

(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]

(च) िविधजञ पिर

(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क

उनका िनरीकषण करना]

(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना

(

य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]

पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा

य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5

(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क

(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना

(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार

(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना

(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया

6

(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना

(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत

य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]

ालन और वातार का आयोजन करना औ

क िलए आयोजन करना

क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर

ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash

लए िव ीय सहायता दन क िलए

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए

न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क

की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र

धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash

पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और

ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल

2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना

(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन

(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]

(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना

(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना

(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि

3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]

कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]

4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश

ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]

5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी

परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी

अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी

8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि

पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब

(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा

परन त जहा एक स अिधक

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत

7

(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम

(2) िवशष

तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी

व और बाध यताए ह गी

द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस

और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त

बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को

परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए

10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash

च सदस य म िमलकर बनगी

(2) भारत

नगी

यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह

पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर

कर ]

िनदिशत िकए जाएग

सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash

(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस

(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत

(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी

(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष

ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]

1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग

ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा

(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम

ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर

सकगी ऐसी

(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]

ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा

(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी

ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब

(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व

(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ

3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान

(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत

(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत

8

(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली

नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य

की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए

जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार

गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य

वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो

की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी

(2) िविशकर सकग

सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण

िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा

स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]

11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ

(2) सिचव और लखापाल

12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए

(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो

िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर

य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]

(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी

और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी

13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित

पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी

14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन

दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी

15 िनयम बनान

ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash

4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5

6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]

(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया

िकया गया

3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 6: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

6

(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना

(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत

य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]

ालन और वातार का आयोजन करना औ

क िलए आयोजन करना

क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर

ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash

लए िव ीय सहायता दन क िलए

(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए

न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क

की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र

धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash

पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और

ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल

2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना

(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन

(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]

(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना

(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना

(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना

(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत

(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि

3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]

कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]

4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश

ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]

5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी

परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी

अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी

8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि

पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब

(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा

परन त जहा एक स अिधक

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत

7

(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम

(2) िवशष

तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी

व और बाध यताए ह गी

द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस

और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त

बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को

परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए

10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash

च सदस य म िमलकर बनगी

(2) भारत

नगी

यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह

पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर

कर ]

िनदिशत िकए जाएग

सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash

(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस

(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत

(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी

(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष

ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]

1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग

ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा

(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम

ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर

सकगी ऐसी

(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]

ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा

(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी

ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब

(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व

(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ

3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान

(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत

(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत

8

(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली

नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य

की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए

जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार

गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य

वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो

की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी

(2) िविशकर सकग

सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण

िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा

स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]

11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ

(2) सिचव और लखापाल

12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए

(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो

िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर

य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]

(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी

और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी

13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित

पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी

14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन

दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी

15 िनयम बनान

ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash

4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5

6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]

(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया

िकया गया

3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 7: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

7

(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम

(2) िवशष

तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी

व और बाध यताए ह गी

द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस

और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त

बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को

परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए

10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash

च सदस य म िमलकर बनगी

(2) भारत

नगी

यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह

पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर

कर ]

िनदिशत िकए जाएग

सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash

(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस

(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत

(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी

(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष

ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]

1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग

ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा

(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम

ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर

सकगी ऐसी

(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]

ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा

(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी

ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash

(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब

(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व

(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ

3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान

(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत

(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत

8

(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली

नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य

की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए

जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार

गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य

वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो

की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी

(2) िविशकर सकग

सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण

िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा

स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]

11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ

(2) सिचव और लखापाल

12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए

(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो

िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर

य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]

(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी

और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी

13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित

पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी

14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन

दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी

15 िनयम बनान

ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash

4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5

6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]

(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया

िकया गया

3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 8: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

8

(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए

1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली

नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य

की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए

जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज

यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार

गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य

वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो

की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी

(2) िविशकर सकग

सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण

िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा

स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]

11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ

(2) सिचव और लखापाल

12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए

(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो

िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर

य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]

(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी

और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी

13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित

पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी

14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन

दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी

15 िनयम बनान

ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash

4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5

6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]

(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया

िकया गया

3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 9: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

9

1

हायता दन या िविधक सहायता

गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती

शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क

त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव

वा की शत

की लखापरीकषा

ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द

ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ

िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय

िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन

ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क

की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर

(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना

(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स

या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन

(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का

ह]

(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या

(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध

(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या

(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स

(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना

(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा

(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद

अध याय 3

अिधवक ता का परवश और नामाकन

16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता

(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत

नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह

(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर

(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा

5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त

ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]

17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash

(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935

1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 10: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

10

(25 और र

क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह

गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज

यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव

व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय

की [चाह वह अिधवक ता

सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]

िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स

होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय

िधवक ता ारा िकए

क ता की नामवली की एक अिधपरमाि

26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क

(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम

(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम

(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम

ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash

(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी

(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2

(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर

अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन

(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन

(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा

18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प

दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत

ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]

(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया

जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था

19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव

णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी

5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

28

(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

29

Page 11: अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम पिरवतर्न) (संघ िवषय पर िविधय का

11

और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य

2

िरवतरन की सचना सम

ा अिधकार व

र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा

(5) यथाप

परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash

य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन

स वषर की आय परी कर ली ह

ndashndash

ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी

(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी

(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]

21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा

1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]

[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी

(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]

23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी

3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]

(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया

व क त क अधीन रहत हएndashndash

(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और

(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा

24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श

(क) वह भारत का नागिरक हो

परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज

क िलए अनजञात ह

(ख) उसन इक की

(ग) उसन

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत

पर परितस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत

12

(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह

(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त

ा करम को परा करन

कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार

िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध

1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क

परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या

(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश

तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]

3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]

ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प

ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई

ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए

विध की

अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]

(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash

स दो वषर क भीतर न िक

) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह

2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash

4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष

रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6

(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए

7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म

िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह

परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म

एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि

उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या

ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक

(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और

(ख

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

13

(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर

म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त

ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ

पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी राज य नामावली म अिध

i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह

नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash

ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष

पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य

होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द

ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम

विहत पररप म उस राज य

ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ

म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध

व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4

(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या

(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह

वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash

(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(i (ख) िव ट शत ] 5

6[24क

(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह

(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह

स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]

परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]

(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]

25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह

26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध

वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह

िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता

1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत

14

नामावली

पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क

िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ

हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य

(2) िविशकर सकग

ज िविधजञ पिरषद क

र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा

ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा

) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी

(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक

30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य

(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह

म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]

(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल

आधार क समथरन म िववरण होगा

(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी

1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव

जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]

2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]

27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व

िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी

28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash

3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4

(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ

(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा

(ङ

परभावी नह

अध याय 4

िविध व यवसाय का अिधकार

29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार

व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता

वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत

15

(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह

(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह

सािधकार

ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त

ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत

िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ

फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय

ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]

3

वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को

वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य

ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ

अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश

िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए

िजतनी वह ठीक समझ

ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन

िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत

32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम

ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा

33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस

न हो

34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए

ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन

परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क

िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक

अध याय 5

अिधवक ता का आचरण

35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध

अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी

िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]

(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी

(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash

(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज

(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी

(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया

16

(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी

(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए

रषद की अनशासन

ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक

ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी

िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन

गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय

पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ

पिरषद की अनशासन

जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा

और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क

गा

(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]

36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व

(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी

पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी

(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर

वादी क परित िनदश ह

(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क

स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत

राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ

सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी

36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो

(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी

िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत

थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

17

37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा

गी जसा वह ठीक समझ

िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि

िरवतरन करन का आ

सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह

ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए

पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग

41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल

उसक नाम

उसक नामाकन की बाबत धारा 22

42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash

(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक

1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]

38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा

दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प

दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को

ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)

की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]

40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम

न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा

7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की

अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]

क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash

(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8

क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9

10

(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा

ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया

18

(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना

न ह पश करन की अपकषा करना

या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना

ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका

िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क

िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य

क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो

44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी

(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ

(ग) शपथपतर पर सा य लना

(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना

(ङ) सािकषय

(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash

(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह

(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा

(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी

(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम

को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह

जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था

परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह

(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और

ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]

3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]

43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो

िव

1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

19

परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग

परकीणर 45 करन

व यिक त िक

य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क

परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार

क अधीन अिधवक ता

सदस य क िवर नह होगी

य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स

सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन

गी ]

ऐस िनदश का अनपा

िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक

परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]

िमित का ऐया हो

अध याय 6

न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध

क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा

1

2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत

रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]

47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक

त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी

(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम

क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क

4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ

(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा

5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक

48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित

लन करगी

(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया

अन तस थािपत

2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

20

49 भारतअधीन अ अथारत ndash

ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज

) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

को परभावी िकया जा सकगा

रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा

िकषत न यनतम अह

ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर

कार होगा और व पिरिस थितया

क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा

ष टाचार क मानक

रीकषण

हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव

नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया

मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल

रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ

हत की जाए ]

न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]

ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash

2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद

य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी

(कख

(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक

(कघ) वह

(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप

रताए]

(कछ) अिधवक

(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]

(ख) वह पररप िजसम ए

(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश

(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन

(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी

(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ

(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]

(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग

पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा

(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क

मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क

1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत

21

3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]

जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि

(2) िविशकर सकग

की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए

उन पर िनयतरण र

ा वगर या परवगर

रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी

षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए

सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह

िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग

ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

धिनयम की धारा 8

अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध

1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा

रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह

ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash

(क) िकसी िविधजञ पिरषद

(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को

परवितत िकया जा सकगा

(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क

(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी

(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि

(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया

(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए

(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग

(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए

गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा

2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन

ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]

50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक

2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह

(2) उस तारीख को िजसको अ

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और

नामाकन स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत

22

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह

(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

उस अिधिनयम

20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9

अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15

धारा 24 तना भाग िजत

) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)

(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)

धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash

9 (1879 का 18) की

न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श

अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम

(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा

कार हकदार ह और साधारणत

लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या

िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध

व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह

(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)

(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध

(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash

(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह

(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17

(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926

(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह

(5) जब यह सम पणर अि

(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग

(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी

51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह

52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash

ीन रहत ह

(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग

अध याय 7

अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध

1

53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध

या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह

स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि

1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत

23

54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी

पनगरठन नह हो जा

का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह

79 का 18) या िकसी अन य िवि

नह ह

धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन

56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि

नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी

दाियत व और बाध यताए ह गी

म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य

57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash

(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा

न यथा अपन कत य

1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का

ता ]

55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash

(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920

नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4

5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन

अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत

(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]

इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ

सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो

मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash

(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया

(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार

(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी

(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का

गठन िकया गया ह

जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन

(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा

िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह

िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ

1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

24

का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा

(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए

(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज

औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी

जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान

क अधीन

व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की

भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा

(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को

ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह

4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म

ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध

क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध

गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत

ितस थािपत

4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत

2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत

25

नामावली

गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस

ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक

पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह

द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान

ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन

था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन

धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा

िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और

म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए

िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक

अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]

2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा

परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को

परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या

िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया

की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा

58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ

िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash

(क) ऐस अ

1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत

26

(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह

और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध

मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद

रप म परिवष ट िकया जा सकगा

िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह

भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य

गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय

उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash

िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग

58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स

ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क

परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ

था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क

उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी

58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए

िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा

(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)

हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर

(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और

(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह

(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत

27

उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज

अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध

य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक

दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर

क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई

ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत

अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही

यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या

अधीन आग जाच करन क िल

ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम

की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म

नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ

(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर

िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा

व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल

इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash

(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash

(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा

(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा

स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा

(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और

(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]

58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क

ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था

(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क

उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या

यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो

परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी

मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो

(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह

क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो

(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय

क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह

1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत

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(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]

59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय

सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय

दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर

रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स

ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम

वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]

कछ अिधिनयिमितय का िनरसन

िनरसन का िवस तार

ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह

(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी

राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी

(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र

इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग

(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार

बात का सम

अनसची [धारा 50 (5) दिखए]

सिकषप त नाम

1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर

2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)

4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31

सम पणर

3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53

______

1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत

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