अिधवक् ता अिधिनयम 1961 · मैसूर राज् य (नाम...
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अिधवक ता अिधिनयम 1961
(1961 का अिधिनयम सख याक 25)
[19 मई 1961]
िविध व यवसाियय स सबिधत िविध का सशोधन और समकन करन तथ िविधजञ पिरषद और अिखल भारतीय िविधजञ पिरषद का
गठन करन हत उपबन ध करन क िलए अिधिनयम
भारत गणराज य क बारहव वषर म ससद ारा िनम निलिखत रप म यह अिधिनयिमत हो ndashndash
अध याय 1
परारिम भक
1 सिकषप त नाम िवस तार और परारम भ ाndashndash(1) इस अिधिनयम का सिकषप त नाम अिधवक ता अिधिनयम 1961 ह 1[(2) इसका िवस तार सम पणर भारत पर ह ]
(3) यह 2[उपधारा (4) म िनिदष ट राज यकषतर स िभन न राज यकषतर क सम बन ध म उस तारीख को परव होगा] जो कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा िनयत कर और इस अिधिनयम क िविभन न उपबन ध क िलए िविभन न तारीख3 िनयत की जा सकगी
4[(4) जम म-कश मीर राज य5 और गोवा दमन और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म यह अिधिनयम उस तारीख को परव होगा जो कदरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा इस िनिम िनयत कर और इस अिधिनयम क िविभन न उपबन ध क िलए िविभन न तारीख िनयत की जा सकगी ]
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 2 ारा (31-3-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 2 ारा (31-3-1974 स) ldquoपरव होगाrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 3 अिधिनयम क उपबध िनम नानसार परव िकए गए ह ndashndash
तारीख उपबध अिधसचना
16-8-1961 अध याय 1 2 और 7 काआ 1870 तारीख 7-8-1961 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 1237
1-12-1961 अध याय 3 और धारा 50(2) काआ 2790 तारीख 24-11-1961 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 1723
15-12-1961 धारा 50(1) काआ 2919 तारीख 13-12-1961 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 1745
24-1-1962 धारा 51 और 52 काआ 297 तारीख 24-1-1962 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 169
29-3-1962 धारा 46 काआ 958 तारीख 29-3-1962 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 589
4-1-1963 धारा 32 और अध याय 6 [धारा 46 को छोड़कर धारा 50 की उपधारा (1) और (2) धारा 51 और 52]
काआ 50 तारीख 4-1-1963 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 1
1-9-1963 अध याय 5 काआ 2509 तारीख 31-8-1963 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 513
10-6-1968 पािडचरी सघ राज यकषतर म
अध याय 1 2 3 अध याय 4 की धारा 12 और अध याय 567 तथा 8 काआ 63 तारीख 7-6-1968
1-6-1969 अध याय 4 की धारा 29 धारा 31 धारा 33 और धारा 34 काआ 1500 तारीख 5-4-1969 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(ii) पष ठ 569
1-6-1979 गोवा दमन और दीव सघ राज यकषतर म
धारा 39 क िसवाय सा का िन 84(अ) तारीख 21-2-1979 भारत का राजपतर असाधारण भाग 2 खण ड 3(i) पष ठ 168
4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 2 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5इस अिधिनयम क सभी उपबध धारा 30 क िसवाय जम म-कश मीर राज य म (1-8-1986) स परव हए दिखए सा०का०िन० 946(अ) तारीख 15-7-1986
2
2 पिरभाषाएndashndash1[(1)] इस अिधिनयम म जब तक िक सन दभर स अन यथा अपिकषत न होndashndash
(क) ldquoअिधवक ताrdquo स इस अिधिनयम क उपबध क अधीन िकसी नामावली म दजर अिधवक ता अिभपरत ह
(ख) इस अिधिनयम क िकसी उपबध क सम बन ध म ldquoिनयत िदनrdquo स वह िदन अिभपरत ह िजसको वह उपबन ध परव होता ह
2
(घ) ldquoिविधजञ पिरषदrdquo स इस अिधिनयम क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह
(ङ) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषदrdquo स उन राज यकषतर क िलए िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह धारा 4 क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह
3
(छ) ldquoउच च न यायालयrdquo क अन तगरत धारा 34 की उपधारा (1) 4[और उपधारा (1क)] और धारा 42 तथा धारा 43 क िसवाय न याियक आयक त का न यायालय नह ह और िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध मndashndash
(i) िकसी राज य क िलए या िकसी राज य और एक या अिधक सघ राज यकषतर क िलए गिठत िकसी िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का उच च न यायालय अिभपरत ह
(ii) िदल ली क िलए गिठत िविधजञ पिरषद की दशा म 5[िदल ली का उच च न यायालय] अिभपरत ह
(ज) ldquoिविध स नातकrdquo स कोई ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसन भारत म िविध ारा स थािपत िकसी िवश विव ालय स िविध म स नातक की उपािध पराप त की ह
(झ) 6[ldquoिविध व यवसायीrdquo स िकसी उच च न यायालय का अिधवक ता या वकील कोई प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार अिभपरत ह]
(ञ) ldquoिविहतrdquo स इस अिधिनयम क अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपरत ह
(ट) ldquoनामावलीrdquo स इस अिधिनयम क अधीन तयार की गई और रखी गई अिधवक ता नामावली अिभपरत ह
(ठ) ldquoराज यrdquo क अन तगरत सघ राज यकषतर नह ह
(ड) ldquoराज य िविधजञ पिरषदrdquo स धारा 3 क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह
(ढ) ldquoराज य नामावलीrdquo स धारा 17 क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा तयार की गई और रखी गई अिधवक ता नामावली अिभपरत ह 4[(2) इस अिधिनयम म िकसी ऐसी िविध क परित जो जम म-कश मीर राज य या गोवा दमन और दीव सघ राज यकषतर म परव
नह ह िकसी िनदश का उस राज य या उस राज यकषतर क सम बन ध म यह अथर लगाया जाएगा िक वह यथािस थित उस राज य या राज यकषतर म परव तत स थानी िविध क परित यिद कोई हो िनदश ह ]
अध याय 2
िविधजञ पिरषद
3 राज य िविधजञ पिरषदndashndash(1) (क) आधर परदश िबहार गजरात 7[जम म-कश मीर] 8[झारखड] 9[मध य परदश और छ ीसगढ़] 10 11 12[कनारटक] उड़ीसा राजस थान और 13[उ र परदश 14[उ राखण ड मघालय मिणपर और ितरपरा]] राज य म स परत यक क िलए उस राज य की िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) धारा 2 को उसकी उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 2 ारा (15-10-1976 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) ldquoपजाब का उच च न यायालयrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 6 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 2 ारा (15-10-1976 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 2000 क अिधिनयम स० 30 की धारा 2 ारा (15-11-2000 स) अन तस थािपत 9 2000 क अिधिनयम स० 28 की धारा 24 ारा (1-11-2000 स) ldquoमध य परदशrdquo क स थान पर परितस थािपत 10 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा ldquoमदरासrdquo शब द का लोप िकया गया 11 1963 क िविनयम स० 8 की धारा 12 ारा (1-7-1965 स) ldquoमहाराष टरrdquo शब द का लोप िकया गया 12 मसर राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1974 ारा (1-11-1973 स) ldquoमसरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 13 2000 क अिधिनयम स० 29 की धारा 29 ारा (9-11-2000 स) ldquoऔर उ र परदशrdquo क स थान पर परितस थािपत 14 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत
3
1[(ख) अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड राज य क िलए अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड िविधजञ पिरषद क नाम स जञात िविधजञ पिरषद होगी]
(ग) करल राज य और 2[लकष ीप] सघ राज यकषतर क िलए करल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी 3[(गग) 4[तिमलनाड राज य] तथा पािडचरी सघ राज यकषतर क िलए मदरास िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद
होगी] 5[(गगग) महाराष टर और गोवा राज य क िलए और दादरा और नागर हवली तथा दमण और दीव क सघ राज यकषतर क िलए
होगी िजसका नाम महाराष टर और गोवा िविधजञ पिरषद होगा] 6[(घ) पजाब और हिरयाणा राज य क िलए तथा चडीगढ़ सघ राज यकषतर क िलए पजाब और हिरयाणा िविधजञ पिरषद क
नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी
रिचत ह ]
ौरान ऐसा व यिक त भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन
िधजञ पिरषद का एक अध यकष और उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवारिचत िकया जाएगा ज
या उपाध य
(घघ) िहमाचल परदश राज य क िलए िहमाचल परदश िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी]
(ङ) पिश चमी बगाल राज य तथा 7[अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतर] क िलए पिश चमी बगाल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी और
(च) िदल ली सघ राज यकषतर क िलए िदल ली िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधक पिरषद होगी
(2) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत सदस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash
(क) िदल ली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म भारत का अपर महासािलिसटर पदन 1[असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड का महािधवक ता] पदन पजाब और हिरयाणा राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत पजाब और हिरयाणा का महािधवक ता पदन और िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का महािधवक ता पदन
8[(ख) पाच हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पन दरह सदस य पाच हजार स अिधक िकन त दस हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म बीस सदस य और दस हजार स अिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामावली क अिधवक ता म स आनपाितक परितिनिधत व प ित क अनसार एकल सकरमणीय मत ारा िनवा
9[परन त ऐस िनवारिचत सदस य म स यथासभव आध क िनकट सदस य ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम बनाए जाए ऐस व यिक त ह ग जो िकसी राज य नामावली म कम स कम दस वषर तक अिधवक ता रह ह और ऐस िकसी व यिक त क सम बन ध म दस वषर की उक त अविध की सगणना करन म वह अविध भी सिम मिलत की जाएगी िजसक दनामिकत अिधवक ता रहा हो ] 10[(3) परत यक राज य िवो िविहत की जाए ]
(3क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर िकसी राज य िविधजञ पिरषद क अध यकषकष का पद धारण करन वाला परत यक व यिक त ऐस परारम भ पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा
1 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत 2 लक कादीव िमिनकोय और अमीनदीवी ीप (नाम पिरवतरन) अिधिनयम 1973 (1973 का 34) की धारा 5 ारा (1-11-1973 स) ldquoलक कादीव िमिनकोय अमीन दीवी
ीपrdquo क स थान पर परितस थािपत 3 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 4 मदरास राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1970 ारा (14-1-1969 स) ldquoमदरास राज यrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1987 क अिधिनयम स० 18 की धारा 21 ारा (30-5-1987 स) खड (गगग) क स थान पर परितस थािपत 6 1970 क अिधिनयम स० 53 की धारा 24 ारा (25-1-1971 स) खड (घ) क स थान पर परितस थािपत 7 1971 क अिधिनयम स० 81 की धारा 34 ारा (21-1-1972 स) ldquoितरपरा तथा अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 2 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत
4
परन त ऐसा परत यक व यिक त अपन पद क कतरव य का तब तक पालन करता रहगा जब तक िक परत यक राज य िविधजञ पिरषद का यथािस थित अध यकष या उपाध यकष जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारभ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह लता ]
1[(4) कोई अिधवक ता उपधारा (2) क अधीन िकसी िनवारचन म मतदान करन या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म चन
ी
क अनसार कराया जाएगा ]
डालगी जब तक वह राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिन की जाती ]
4 भारती िलए िजस पर इस अिधिनयम का िवस तार ह भारतीय िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक दस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash
( यायवादी पद
( )
त भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म िनवारिचत होन क िलए तब तक पातर नह होगा जब तक उसक
ारिचत िकया जाएगा ज
का पद धारण करन वाला व यिक त ऐस परारम भ ा पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा
या उपाध यकष जो अिधवलता ]
िधजञ पिरषद क ऐस सदस य की जो राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारिचत िकया गया हो पदाविधndashndash
अविध तक होगी िजसको वह राज य िविधजञ पिरषद का सदस य न रह जाए इनम स जो भी अविध
विध क िलए होगी िजतनी क िलए वह राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म
र और सामान य मदरा वाली एक िनगिमत िनकाय हो तथा सिवदा करन की शिक त होगी और िजस नाम स वह जञात हो उस नाम स
जान और सदस य होन क िलए तब तक िनरिहत होगा जब तक उसक पास ऐसी अहरताए न ह या वह ऐसी शत परी न करता हो जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम िविहत की जाए और िकन ह ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो बनाए जाए परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारचक नामावली तयार की जाएगी और समय-समय पर पनरीिकषत की जाएग
(5) उपधारा (2) क परन तक की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर िनवारिचत िकसी सदस य की पदाविध पर परभाव नह डालगी िकन त ऐस परारम भ ा क पश चात परत यक िनवारचन उक त परन तक को परभावी करन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम क उपबन ध
2[(6) उपधारा (2) क खड (ख) की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद म िनवारिचत सदस य क परितिनिधत व पर तब तक परभाव नह
यम क उपबन ध क अनसार पनगरिठत नह
य िविधजञ पिरषदndashndash(1) उन राज यकषतर किविधजञ पिरषद होगी जो िनम निलिखत स
क) भारत का महान न
ख भारत का महासािलिसटर पदन 3
(ग) परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत एक सदस य 4[(1क) कोई भी व यिक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए न ह ] 5[(2) भारतीय िविधजञ पिरषद का एक अध यकष और एक उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवो िविहत की जाए
(2क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद क अध यकष या उपाध यकष
परन त ऐसा व यिक त अपन पद क कतरव य का पालन तब तक करता रहगा जब तक िक पिरषद का यथािस थित अध यकषक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह
6[(3) भारतीय िव
(i) राज य िविध पिरषद क ऐस सदस य की दशा म जो वह पद पदन धारण करता हो उसक िनवारचन की तारीख स दो वषर होगी 4[या उस पहल हो] और
(ii) िकसी अन य दशा म उतनी अपद धारण करता हो
परन त परत यक ऐसा सदस य भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म अपन पद पर तब तक बना रहगा जब तक उसका उ रािधकारी िनवारिचत नह कर िलया जाता ह ]
5 िविधजञ पिरषद का िनगिमत िनकाय होनाndashndashपरत यक िविधजञ पिरषद शाश वत उ रािधकागी िजस स थावर तथा जगम दोन परकार की सम पि अिजत और धारण करन
वह वाद ला सकगी और उस पर वाद लाया जा सकगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) खण ड (खख) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 6 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 3 ारा अन तस थािपत
5
6 राज य ि
अवधारण करना
ािधकार और िहत की रकषा करना
िवकास का उन नयन करना]
का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना
षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
अनसार िवश विव ालय म जाना और
झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash
याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए
कर सकग
(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी
7 भारती
रना
िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल
और िहत की रकषा करना
(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना
विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash
(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना
(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना
(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका
(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी
स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर
(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]
(च) िविधजञ पिर
(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क
उनका िनरीकषण करना]
(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना
(
य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]
ी
पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा
य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5
(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क
(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना
(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना
(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया
6
(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना
(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत
य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]
ालन और वातार का आयोजन करना औ
क िलए आयोजन करना
क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर
ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash
लए िव ीय सहायता दन क िलए
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए
न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क
की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र
धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash
पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और
ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल
2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना
(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन
(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]
(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना
(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना
(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि
3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]
कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]
4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश
ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]
5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी
परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी
अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी
8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि
पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब
(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा
परन त जहा एक स अिधक
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत
7
(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम
(2) िवशष
तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी
व और बाध यताए ह गी
द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस
और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त
बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को
परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए
10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash
च सदस य म िमलकर बनगी
(2) भारत
नगी
यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह
पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर
कर ]
िनदिशत िकए जाएग
सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash
(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस
(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत
(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी
(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष
ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]
1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग
ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा
(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम
ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर
सकगी ऐसी
(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]
ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा
(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी
ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब
(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व
(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ
3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान
(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत
(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत
8
(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली
नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य
की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए
जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार
गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य
वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो
की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी
(2) िविशकर सकग
सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण
िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा
स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]
11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ
(2) सिचव और लखापाल
12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए
(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो
िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर
य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]
(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी
और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी
13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित
पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी
14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन
दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी
15 िनयम बनान
ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash
4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5
6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]
(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया
त
िकया गया
3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
17
37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
18
(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
25
नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
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उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
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(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
2
2 पिरभाषाएndashndash1[(1)] इस अिधिनयम म जब तक िक सन दभर स अन यथा अपिकषत न होndashndash
(क) ldquoअिधवक ताrdquo स इस अिधिनयम क उपबध क अधीन िकसी नामावली म दजर अिधवक ता अिभपरत ह
(ख) इस अिधिनयम क िकसी उपबध क सम बन ध म ldquoिनयत िदनrdquo स वह िदन अिभपरत ह िजसको वह उपबन ध परव होता ह
2
(घ) ldquoिविधजञ पिरषदrdquo स इस अिधिनयम क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह
(ङ) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषदrdquo स उन राज यकषतर क िलए िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह धारा 4 क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह
3
(छ) ldquoउच च न यायालयrdquo क अन तगरत धारा 34 की उपधारा (1) 4[और उपधारा (1क)] और धारा 42 तथा धारा 43 क िसवाय न याियक आयक त का न यायालय नह ह और िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध मndashndash
(i) िकसी राज य क िलए या िकसी राज य और एक या अिधक सघ राज यकषतर क िलए गिठत िकसी िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का उच च न यायालय अिभपरत ह
(ii) िदल ली क िलए गिठत िविधजञ पिरषद की दशा म 5[िदल ली का उच च न यायालय] अिभपरत ह
(ज) ldquoिविध स नातकrdquo स कोई ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसन भारत म िविध ारा स थािपत िकसी िवश विव ालय स िविध म स नातक की उपािध पराप त की ह
(झ) 6[ldquoिविध व यवसायीrdquo स िकसी उच च न यायालय का अिधवक ता या वकील कोई प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार अिभपरत ह]
(ञ) ldquoिविहतrdquo स इस अिधिनयम क अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपरत ह
(ट) ldquoनामावलीrdquo स इस अिधिनयम क अधीन तयार की गई और रखी गई अिधवक ता नामावली अिभपरत ह
(ठ) ldquoराज यrdquo क अन तगरत सघ राज यकषतर नह ह
(ड) ldquoराज य िविधजञ पिरषदrdquo स धारा 3 क अधीन गिठत िविधजञ पिरषद अिभपरत ह
(ढ) ldquoराज य नामावलीrdquo स धारा 17 क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा तयार की गई और रखी गई अिधवक ता नामावली अिभपरत ह 4[(2) इस अिधिनयम म िकसी ऐसी िविध क परित जो जम म-कश मीर राज य या गोवा दमन और दीव सघ राज यकषतर म परव
नह ह िकसी िनदश का उस राज य या उस राज यकषतर क सम बन ध म यह अथर लगाया जाएगा िक वह यथािस थित उस राज य या राज यकषतर म परव तत स थानी िविध क परित यिद कोई हो िनदश ह ]
अध याय 2
िविधजञ पिरषद
3 राज य िविधजञ पिरषदndashndash(1) (क) आधर परदश िबहार गजरात 7[जम म-कश मीर] 8[झारखड] 9[मध य परदश और छ ीसगढ़] 10 11 12[कनारटक] उड़ीसा राजस थान और 13[उ र परदश 14[उ राखण ड मघालय मिणपर और ितरपरा]] राज य म स परत यक क िलए उस राज य की िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) धारा 2 को उसकी उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 2 ारा (15-10-1976 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 3 ारा (31-1-1974 स) ldquoपजाब का उच च न यायालयrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 6 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 2 ारा (15-10-1976 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 2000 क अिधिनयम स० 30 की धारा 2 ारा (15-11-2000 स) अन तस थािपत 9 2000 क अिधिनयम स० 28 की धारा 24 ारा (1-11-2000 स) ldquoमध य परदशrdquo क स थान पर परितस थािपत 10 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा ldquoमदरासrdquo शब द का लोप िकया गया 11 1963 क िविनयम स० 8 की धारा 12 ारा (1-7-1965 स) ldquoमहाराष टरrdquo शब द का लोप िकया गया 12 मसर राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1974 ारा (1-11-1973 स) ldquoमसरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 13 2000 क अिधिनयम स० 29 की धारा 29 ारा (9-11-2000 स) ldquoऔर उ र परदशrdquo क स थान पर परितस थािपत 14 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत
3
1[(ख) अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड राज य क िलए अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड िविधजञ पिरषद क नाम स जञात िविधजञ पिरषद होगी]
(ग) करल राज य और 2[लकष ीप] सघ राज यकषतर क िलए करल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी 3[(गग) 4[तिमलनाड राज य] तथा पािडचरी सघ राज यकषतर क िलए मदरास िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद
होगी] 5[(गगग) महाराष टर और गोवा राज य क िलए और दादरा और नागर हवली तथा दमण और दीव क सघ राज यकषतर क िलए
होगी िजसका नाम महाराष टर और गोवा िविधजञ पिरषद होगा] 6[(घ) पजाब और हिरयाणा राज य क िलए तथा चडीगढ़ सघ राज यकषतर क िलए पजाब और हिरयाणा िविधजञ पिरषद क
नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी
रिचत ह ]
ौरान ऐसा व यिक त भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन
िधजञ पिरषद का एक अध यकष और उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवारिचत िकया जाएगा ज
या उपाध य
(घघ) िहमाचल परदश राज य क िलए िहमाचल परदश िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी]
(ङ) पिश चमी बगाल राज य तथा 7[अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतर] क िलए पिश चमी बगाल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी और
(च) िदल ली सघ राज यकषतर क िलए िदल ली िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधक पिरषद होगी
(2) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत सदस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash
(क) िदल ली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म भारत का अपर महासािलिसटर पदन 1[असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड का महािधवक ता] पदन पजाब और हिरयाणा राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत पजाब और हिरयाणा का महािधवक ता पदन और िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का महािधवक ता पदन
8[(ख) पाच हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पन दरह सदस य पाच हजार स अिधक िकन त दस हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म बीस सदस य और दस हजार स अिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामावली क अिधवक ता म स आनपाितक परितिनिधत व प ित क अनसार एकल सकरमणीय मत ारा िनवा
9[परन त ऐस िनवारिचत सदस य म स यथासभव आध क िनकट सदस य ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम बनाए जाए ऐस व यिक त ह ग जो िकसी राज य नामावली म कम स कम दस वषर तक अिधवक ता रह ह और ऐस िकसी व यिक त क सम बन ध म दस वषर की उक त अविध की सगणना करन म वह अविध भी सिम मिलत की जाएगी िजसक दनामिकत अिधवक ता रहा हो ] 10[(3) परत यक राज य िवो िविहत की जाए ]
(3क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर िकसी राज य िविधजञ पिरषद क अध यकषकष का पद धारण करन वाला परत यक व यिक त ऐस परारम भ पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा
1 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत 2 लक कादीव िमिनकोय और अमीनदीवी ीप (नाम पिरवतरन) अिधिनयम 1973 (1973 का 34) की धारा 5 ारा (1-11-1973 स) ldquoलक कादीव िमिनकोय अमीन दीवी
ीपrdquo क स थान पर परितस थािपत 3 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 4 मदरास राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1970 ारा (14-1-1969 स) ldquoमदरास राज यrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1987 क अिधिनयम स० 18 की धारा 21 ारा (30-5-1987 स) खड (गगग) क स थान पर परितस थािपत 6 1970 क अिधिनयम स० 53 की धारा 24 ारा (25-1-1971 स) खड (घ) क स थान पर परितस थािपत 7 1971 क अिधिनयम स० 81 की धारा 34 ारा (21-1-1972 स) ldquoितरपरा तथा अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 2 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत
4
परन त ऐसा परत यक व यिक त अपन पद क कतरव य का तब तक पालन करता रहगा जब तक िक परत यक राज य िविधजञ पिरषद का यथािस थित अध यकष या उपाध यकष जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारभ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह लता ]
1[(4) कोई अिधवक ता उपधारा (2) क अधीन िकसी िनवारचन म मतदान करन या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म चन
ी
क अनसार कराया जाएगा ]
डालगी जब तक वह राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिन की जाती ]
4 भारती िलए िजस पर इस अिधिनयम का िवस तार ह भारतीय िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक दस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash
( यायवादी पद
( )
त भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म िनवारिचत होन क िलए तब तक पातर नह होगा जब तक उसक
ारिचत िकया जाएगा ज
का पद धारण करन वाला व यिक त ऐस परारम भ ा पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा
या उपाध यकष जो अिधवलता ]
िधजञ पिरषद क ऐस सदस य की जो राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारिचत िकया गया हो पदाविधndashndash
अविध तक होगी िजसको वह राज य िविधजञ पिरषद का सदस य न रह जाए इनम स जो भी अविध
विध क िलए होगी िजतनी क िलए वह राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म
र और सामान य मदरा वाली एक िनगिमत िनकाय हो तथा सिवदा करन की शिक त होगी और िजस नाम स वह जञात हो उस नाम स
जान और सदस य होन क िलए तब तक िनरिहत होगा जब तक उसक पास ऐसी अहरताए न ह या वह ऐसी शत परी न करता हो जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम िविहत की जाए और िकन ह ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो बनाए जाए परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारचक नामावली तयार की जाएगी और समय-समय पर पनरीिकषत की जाएग
(5) उपधारा (2) क परन तक की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर िनवारिचत िकसी सदस य की पदाविध पर परभाव नह डालगी िकन त ऐस परारम भ ा क पश चात परत यक िनवारचन उक त परन तक को परभावी करन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम क उपबन ध
2[(6) उपधारा (2) क खड (ख) की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद म िनवारिचत सदस य क परितिनिधत व पर तब तक परभाव नह
यम क उपबन ध क अनसार पनगरिठत नह
य िविधजञ पिरषदndashndash(1) उन राज यकषतर किविधजञ पिरषद होगी जो िनम निलिखत स
क) भारत का महान न
ख भारत का महासािलिसटर पदन 3
(ग) परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत एक सदस य 4[(1क) कोई भी व यिक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए न ह ] 5[(2) भारतीय िविधजञ पिरषद का एक अध यकष और एक उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवो िविहत की जाए
(2क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद क अध यकष या उपाध यकष
परन त ऐसा व यिक त अपन पद क कतरव य का पालन तब तक करता रहगा जब तक िक पिरषद का यथािस थित अध यकषक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह
6[(3) भारतीय िव
(i) राज य िविध पिरषद क ऐस सदस य की दशा म जो वह पद पदन धारण करता हो उसक िनवारचन की तारीख स दो वषर होगी 4[या उस पहल हो] और
(ii) िकसी अन य दशा म उतनी अपद धारण करता हो
परन त परत यक ऐसा सदस य भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म अपन पद पर तब तक बना रहगा जब तक उसका उ रािधकारी िनवारिचत नह कर िलया जाता ह ]
5 िविधजञ पिरषद का िनगिमत िनकाय होनाndashndashपरत यक िविधजञ पिरषद शाश वत उ रािधकागी िजस स थावर तथा जगम दोन परकार की सम पि अिजत और धारण करन
वह वाद ला सकगी और उस पर वाद लाया जा सकगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) खण ड (खख) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 6 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 3 ारा अन तस थािपत
5
6 राज य ि
अवधारण करना
ािधकार और िहत की रकषा करना
िवकास का उन नयन करना]
का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना
षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
अनसार िवश विव ालय म जाना और
झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash
याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए
कर सकग
(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी
7 भारती
रना
िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल
और िहत की रकषा करना
(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना
विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash
(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना
(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना
(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका
(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी
स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर
(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]
(च) िविधजञ पिर
(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क
उनका िनरीकषण करना]
(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना
(
य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]
ी
पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा
य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5
(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क
(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना
(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना
(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया
6
(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना
(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत
य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]
ालन और वातार का आयोजन करना औ
क िलए आयोजन करना
क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर
ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash
लए िव ीय सहायता दन क िलए
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए
न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क
की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र
धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash
पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और
ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल
2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना
(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन
(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]
(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना
(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना
(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि
3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]
कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]
4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश
ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]
5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी
परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी
अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी
8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि
पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब
(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा
परन त जहा एक स अिधक
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत
7
(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम
(2) िवशष
तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी
व और बाध यताए ह गी
द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस
और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त
बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को
परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए
10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash
च सदस य म िमलकर बनगी
(2) भारत
नगी
यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह
पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर
कर ]
िनदिशत िकए जाएग
सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash
(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस
(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत
(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी
(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष
ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]
1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग
ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा
(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम
ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर
सकगी ऐसी
(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]
ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा
(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी
ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब
(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व
(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ
3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान
(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत
(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत
8
(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली
नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य
की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए
जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार
गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य
वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो
की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी
(2) िविशकर सकग
सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण
िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा
स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]
11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ
(2) सिचव और लखापाल
12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए
(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो
िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर
य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]
(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी
और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी
13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित
पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी
14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन
दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी
15 िनयम बनान
ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash
4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5
6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]
(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया
त
िकया गया
3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
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(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
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का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
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नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
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उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
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(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
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3
1[(ख) अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड राज य क िलए अरणाचल परदश असम िमजोरम और नागालड िविधजञ पिरषद क नाम स जञात िविधजञ पिरषद होगी]
(ग) करल राज य और 2[लकष ीप] सघ राज यकषतर क िलए करल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी 3[(गग) 4[तिमलनाड राज य] तथा पािडचरी सघ राज यकषतर क िलए मदरास िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद
होगी] 5[(गगग) महाराष टर और गोवा राज य क िलए और दादरा और नागर हवली तथा दमण और दीव क सघ राज यकषतर क िलए
होगी िजसका नाम महाराष टर और गोवा िविधजञ पिरषद होगा] 6[(घ) पजाब और हिरयाणा राज य क िलए तथा चडीगढ़ सघ राज यकषतर क िलए पजाब और हिरयाणा िविधजञ पिरषद क
नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी
रिचत ह ]
ौरान ऐसा व यिक त भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन
िधजञ पिरषद का एक अध यकष और उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवारिचत िकया जाएगा ज
या उपाध य
(घघ) िहमाचल परदश राज य क िलए िहमाचल परदश िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी]
(ङ) पिश चमी बगाल राज य तथा 7[अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतर] क िलए पिश चमी बगाल िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधजञ पिरषद होगी और
(च) िदल ली सघ राज यकषतर क िलए िदल ली िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक िविधक पिरषद होगी
(2) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत सदस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash
(क) िदल ली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म भारत का अपर महासािलिसटर पदन 1[असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत असम अरणाचल परदश िमजोरम और नागालड का महािधवक ता] पदन पजाब और हिरयाणा राज य िविधजञ पिरषद की दशा म परत यक राज य अथारत पजाब और हिरयाणा का महािधवक ता पदन और िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उस राज य का महािधवक ता पदन
8[(ख) पाच हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पन दरह सदस य पाच हजार स अिधक िकन त दस हजार स अनिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म बीस सदस य और दस हजार स अिधक क िनवारचक-मडल वाली राज य िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामावली क अिधवक ता म स आनपाितक परितिनिधत व प ित क अनसार एकल सकरमणीय मत ारा िनवा
9[परन त ऐस िनवारिचत सदस य म स यथासभव आध क िनकट सदस य ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम बनाए जाए ऐस व यिक त ह ग जो िकसी राज य नामावली म कम स कम दस वषर तक अिधवक ता रह ह और ऐस िकसी व यिक त क सम बन ध म दस वषर की उक त अविध की सगणना करन म वह अविध भी सिम मिलत की जाएगी िजसक दनामिकत अिधवक ता रहा हो ] 10[(3) परत यक राज य िवो िविहत की जाए ]
(3क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर िकसी राज य िविधजञ पिरषद क अध यकषकष का पद धारण करन वाला परत यक व यिक त ऐस परारम भ पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा
1 2012 क अिधिनयम स० 26 की धारा 9 ारा परितस थािपत 2 लक कादीव िमिनकोय और अमीनदीवी ीप (नाम पिरवतरन) अिधिनयम 1973 (1973 का 34) की धारा 5 ारा (1-11-1973 स) ldquoलक कादीव िमिनकोय अमीन दीवी
ीपrdquo क स थान पर परितस थािपत 3 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 4 मदरास राज य (नाम पिरवतरन) (सघ िवषय पर िविधय का अनकलन) आदश 1970 ारा (14-1-1969 स) ldquoमदरास राज यrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1987 क अिधिनयम स० 18 की धारा 21 ारा (30-5-1987 स) खड (गगग) क स थान पर परितस थािपत 6 1970 क अिधिनयम स० 53 की धारा 24 ारा (25-1-1971 स) खड (घ) क स थान पर परितस थािपत 7 1971 क अिधिनयम स० 81 की धारा 34 ारा (21-1-1972 स) ldquoितरपरा तथा अदमान और िनकोबार ीप समह सघ राज यकषतरrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 2 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत
4
परन त ऐसा परत यक व यिक त अपन पद क कतरव य का तब तक पालन करता रहगा जब तक िक परत यक राज य िविधजञ पिरषद का यथािस थित अध यकष या उपाध यकष जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारभ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह लता ]
1[(4) कोई अिधवक ता उपधारा (2) क अधीन िकसी िनवारचन म मतदान करन या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म चन
ी
क अनसार कराया जाएगा ]
डालगी जब तक वह राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिन की जाती ]
4 भारती िलए िजस पर इस अिधिनयम का िवस तार ह भारतीय िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक दस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash
( यायवादी पद
( )
त भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म िनवारिचत होन क िलए तब तक पातर नह होगा जब तक उसक
ारिचत िकया जाएगा ज
का पद धारण करन वाला व यिक त ऐस परारम भ ा पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा
या उपाध यकष जो अिधवलता ]
िधजञ पिरषद क ऐस सदस य की जो राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारिचत िकया गया हो पदाविधndashndash
अविध तक होगी िजसको वह राज य िविधजञ पिरषद का सदस य न रह जाए इनम स जो भी अविध
विध क िलए होगी िजतनी क िलए वह राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म
र और सामान य मदरा वाली एक िनगिमत िनकाय हो तथा सिवदा करन की शिक त होगी और िजस नाम स वह जञात हो उस नाम स
जान और सदस य होन क िलए तब तक िनरिहत होगा जब तक उसक पास ऐसी अहरताए न ह या वह ऐसी शत परी न करता हो जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम िविहत की जाए और िकन ह ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो बनाए जाए परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारचक नामावली तयार की जाएगी और समय-समय पर पनरीिकषत की जाएग
(5) उपधारा (2) क परन तक की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर िनवारिचत िकसी सदस य की पदाविध पर परभाव नह डालगी िकन त ऐस परारम भ ा क पश चात परत यक िनवारचन उक त परन तक को परभावी करन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम क उपबन ध
2[(6) उपधारा (2) क खड (ख) की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद म िनवारिचत सदस य क परितिनिधत व पर तब तक परभाव नह
यम क उपबन ध क अनसार पनगरिठत नह
य िविधजञ पिरषदndashndash(1) उन राज यकषतर किविधजञ पिरषद होगी जो िनम निलिखत स
क) भारत का महान न
ख भारत का महासािलिसटर पदन 3
(ग) परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत एक सदस य 4[(1क) कोई भी व यिक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए न ह ] 5[(2) भारतीय िविधजञ पिरषद का एक अध यकष और एक उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवो िविहत की जाए
(2क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद क अध यकष या उपाध यकष
परन त ऐसा व यिक त अपन पद क कतरव य का पालन तब तक करता रहगा जब तक िक पिरषद का यथािस थित अध यकषक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह
6[(3) भारतीय िव
(i) राज य िविध पिरषद क ऐस सदस य की दशा म जो वह पद पदन धारण करता हो उसक िनवारचन की तारीख स दो वषर होगी 4[या उस पहल हो] और
(ii) िकसी अन य दशा म उतनी अपद धारण करता हो
परन त परत यक ऐसा सदस य भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म अपन पद पर तब तक बना रहगा जब तक उसका उ रािधकारी िनवारिचत नह कर िलया जाता ह ]
5 िविधजञ पिरषद का िनगिमत िनकाय होनाndashndashपरत यक िविधजञ पिरषद शाश वत उ रािधकागी िजस स थावर तथा जगम दोन परकार की सम पि अिजत और धारण करन
वह वाद ला सकगी और उस पर वाद लाया जा सकगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) खण ड (खख) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 6 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 3 ारा अन तस थािपत
5
6 राज य ि
अवधारण करना
ािधकार और िहत की रकषा करना
िवकास का उन नयन करना]
का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना
षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
अनसार िवश विव ालय म जाना और
झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash
याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए
कर सकग
(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी
7 भारती
रना
िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल
और िहत की रकषा करना
(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना
विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash
(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना
(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना
(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका
(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी
स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर
(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]
(च) िविधजञ पिर
(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क
उनका िनरीकषण करना]
(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना
(
य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]
ी
पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा
य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5
(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क
(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना
(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना
(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया
6
(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना
(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत
य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]
ालन और वातार का आयोजन करना औ
क िलए आयोजन करना
क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर
ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash
लए िव ीय सहायता दन क िलए
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए
न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क
की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र
धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash
पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और
ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल
2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना
(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन
(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]
(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना
(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना
(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि
3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]
कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]
4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश
ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]
5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी
परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी
अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी
8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि
पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब
(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा
परन त जहा एक स अिधक
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत
7
(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम
(2) िवशष
तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी
व और बाध यताए ह गी
द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस
और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त
बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को
परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए
10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash
च सदस य म िमलकर बनगी
(2) भारत
नगी
यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह
पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर
कर ]
िनदिशत िकए जाएग
सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash
(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस
(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत
(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी
(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष
ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]
1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग
ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा
(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम
ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर
सकगी ऐसी
(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]
ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा
(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी
ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब
(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व
(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ
3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान
(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत
(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत
8
(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली
नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य
की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए
जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार
गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य
वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो
की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी
(2) िविशकर सकग
सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण
िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा
स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]
11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ
(2) सिचव और लखापाल
12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए
(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो
िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर
य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]
(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी
और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी
13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित
पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी
14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन
दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी
15 िनयम बनान
ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash
4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5
6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]
(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया
त
िकया गया
3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
17
37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
18
(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
25
नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
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उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
28
(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
4
परन त ऐसा परत यक व यिक त अपन पद क कतरव य का तब तक पालन करता रहगा जब तक िक परत यक राज य िविधजञ पिरषद का यथािस थित अध यकष या उपाध यकष जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारभ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह लता ]
1[(4) कोई अिधवक ता उपधारा (2) क अधीन िकसी िनवारचन म मतदान करन या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म चन
ी
क अनसार कराया जाएगा ]
डालगी जब तक वह राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिन की जाती ]
4 भारती िलए िजस पर इस अिधिनयम का िवस तार ह भारतीय िविधजञ पिरषद क नाम स जञात एक दस य स िमलकर बनगी अथारत ndashndash
( यायवादी पद
( )
त भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म िनवारिचत होन क िलए तब तक पातर नह होगा जब तक उसक
ारिचत िकया जाएगा ज
का पद धारण करन वाला व यिक त ऐस परारम भ ा पर यथािस थित अध यकष या उपाध यकष का पद धारण नह करगा
या उपाध यकष जो अिधवलता ]
िधजञ पिरषद क ऐस सदस य की जो राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारिचत िकया गया हो पदाविधndashndash
अविध तक होगी िजसको वह राज य िविधजञ पिरषद का सदस य न रह जाए इनम स जो भी अविध
विध क िलए होगी िजतनी क िलए वह राज य िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म
र और सामान य मदरा वाली एक िनगिमत िनकाय हो तथा सिवदा करन की शिक त होगी और िजस नाम स वह जञात हो उस नाम स
जान और सदस य होन क िलए तब तक िनरिहत होगा जब तक उसक पास ऐसी अहरताए न ह या वह ऐसी शत परी न करता हो जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम िविहत की जाए और िकन ह ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो बनाए जाए परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा िनवारचक नामावली तयार की जाएगी और समय-समय पर पनरीिकषत की जाएग
(5) उपधारा (2) क परन तक की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर िनवारिचत िकसी सदस य की पदाविध पर परभाव नह डालगी िकन त ऐस परारम भ ा क पश चात परत यक िनवारचन उक त परन तक को परभावी करन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम क उपबन ध
2[(6) उपधारा (2) क खड (ख) की कोई भी बात अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद म िनवारिचत सदस य क परितिनिधत व पर तब तक परभाव नह
यम क उपबन ध क अनसार पनगरिठत नह
य िविधजञ पिरषदndashndash(1) उन राज यकषतर किविधजञ पिरषद होगी जो िनम निलिखत स
क) भारत का महान न
ख भारत का महासािलिसटर पदन 3
(ग) परत यक राज य िविधजञ पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत एक सदस य 4[(1क) कोई भी व यिक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए न ह ] 5[(2) भारतीय िविधजञ पिरषद का एक अध यकष और एक उपाध यकष होगा जो उस पिरषद ारा ऐसी रीित स िनवो िविहत की जाए
(2क) अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद क अध यकष या उपाध यकष
परन त ऐसा व यिक त अपन पद क कतरव य का पालन तब तक करता रहगा जब तक िक पिरषद का यथािस थित अध यकषक ता (सशोधन) अिधिनयम 1977 (1977 का 38) क परारम भ क पश चात िनवारिचत हआ ह पद भार सभाल नह
6[(3) भारतीय िव
(i) राज य िविध पिरषद क ऐस सदस य की दशा म जो वह पद पदन धारण करता हो उसक िनवारचन की तारीख स दो वषर होगी 4[या उस पहल हो] और
(ii) िकसी अन य दशा म उतनी अपद धारण करता हो
परन त परत यक ऐसा सदस य भारतीय िविधजञ पिरषद क सदस य क रप म अपन पद पर तब तक बना रहगा जब तक उसका उ रािधकारी िनवारिचत नह कर िलया जाता ह ]
5 िविधजञ पिरषद का िनगिमत िनकाय होनाndashndashपरत यक िविधजञ पिरषद शाश वत उ रािधकागी िजस स थावर तथा जगम दोन परकार की सम पि अिजत और धारण करन
वह वाद ला सकगी और उस पर वाद लाया जा सकगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 4 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) खण ड (खख) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 3 ारा (31-10-1977 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 6 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 3 ारा अन तस थािपत
5
6 राज य ि
अवधारण करना
ािधकार और िहत की रकषा करना
िवकास का उन नयन करना]
का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना
षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
अनसार िवश विव ालय म जाना और
झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash
याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए
कर सकग
(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी
7 भारती
रना
िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल
और िहत की रकषा करना
(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना
विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash
(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना
(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना
(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका
(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी
स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर
(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]
(च) िविधजञ पिर
(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क
उनका िनरीकषण करना]
(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना
(
य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]
ी
पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा
य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5
(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क
(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना
(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना
(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया
6
(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना
(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत
य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]
ालन और वातार का आयोजन करना औ
क िलए आयोजन करना
क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर
ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash
लए िव ीय सहायता दन क िलए
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए
न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क
की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र
धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash
पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और
ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल
2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना
(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन
(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]
(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना
(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना
(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि
3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]
कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]
4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश
ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]
5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी
परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी
अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी
8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि
पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब
(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा
परन त जहा एक स अिधक
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत
7
(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम
(2) िवशष
तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी
व और बाध यताए ह गी
द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस
और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त
बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को
परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए
10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash
च सदस य म िमलकर बनगी
(2) भारत
नगी
यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह
पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर
कर ]
िनदिशत िकए जाएग
सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash
(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस
(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत
(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी
(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष
ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]
1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग
ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा
(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम
ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर
सकगी ऐसी
(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]
ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा
(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी
ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब
(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व
(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ
3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान
(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत
(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत
8
(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली
नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य
की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए
जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार
गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य
वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो
की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी
(2) िविशकर सकग
सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण
िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा
स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]
11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ
(2) सिचव और लखापाल
12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए
(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो
िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर
य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]
(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी
और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी
13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित
पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी
14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन
दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी
15 िनयम बनान
ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash
4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5
6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]
(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया
त
िकया गया
3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
17
37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
18
(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
25
नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
26
(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
27
उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
28
(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
5
6 राज य ि
अवधारण करना
ािधकार और िहत की रकषा करना
िवकास का उन नयन करना]
का सचालन और वातार का आयोजन करना और ना
षद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
अनसार िवश विव ालय म जाना और
झ) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 3[(2) राज क िलए अथारत ndashndash
याणकारी स कीम क सचालन क िलए िव ीय सहायता दन लए
कर सकग
(3) राज य िविधजञ ष ा या उपकितया पराप त एगी
7 भारती
रना
िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अनसरण की जान वाल
और िहत की रकषा करना
(छ) राज य िविधजञ पिरषद का साधारण पयरवकषण और उन पर िनयतरण रखना
विधजञ पिरषद क कत यndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद क िनम निलिखत कत य ह गndashndash
(क) अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म व यिक तय को परिवष ट करना
(ख) ऐसी नामावली तयार करना और बनाए रखना
(ग) अपनी नामावली क अिधवक ता क िवर अवचार क मामल गरहण करना और उनका
(घ) अपनी नामावली क अिधवक ता क अिधकार िवशष1[(घघ) इस धारा की उपधारा (2) क खड (क) और धारा 7 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट कल याणकारी
स कीम क परभावपणर कायारन वयन क परयोजन क िलए िविधजञ सगम क
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना 2[(ङङ) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध-शािस तरय ारा पिरसवाद िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत कर
(ङङङ) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन क िलए आयोजन करना]
(च) िविधजञ पिर
(छ) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना 1[(छछ) धारा 7 की उपधारा (1) क खड (झ) क अधीन िदए गए िनदश क
उनका िनरीकषण करना]
(ज) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन उस परद अन य सभी कत य का पालन करना
(
य िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कलक ि
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए 1[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए ]
ी
पिरषद उपधारा (2) म िविनिद ट सभी परयोजन य उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िविधय म जमा की जा
य िविधजञ पिरषद क कत यndashndash4[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद क कत य िनम निलिखत ह गndashndash 5
(ख) अिधवक ता क िलए वि क आचार और िशष टचार क मानक िनधारिरत क
(ग) अपनी अनशासन सिमित ारा और परत यक राज य िवी परिकरया िनधारिरत करना
(घ) अिधवक ता क अिधकार िवशषािधकार
(ङ) िविध सधार का उन नयन और उसका समथरन करना
(च) इस अिधिनयम क अधीन उत पन न होन वाल िकसी ऐस मामल म कायरवाही करना और उस िनपटाना जो उस िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा िनिदष ट िकया जाए
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 2 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 5 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 6 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) धारा 7 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) का लोप िकया गया
6
(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना
(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत
य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]
ालन और वातार का आयोजन करना औ
क िलए आयोजन करना
क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर
ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash
लए िव ीय सहायता दन क िलए
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए
न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क
की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र
धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash
पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और
ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल
2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना
(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन
(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]
(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना
(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना
(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि
3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]
कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]
4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश
ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]
5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी
परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी
अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी
8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि
पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब
(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा
परन त जहा एक स अिधक
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत
7
(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम
(2) िवशष
तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी
व और बाध यताए ह गी
द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस
और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त
बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को
परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए
10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash
च सदस य म िमलकर बनगी
(2) भारत
नगी
यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह
पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर
कर ]
िनदिशत िकए जाएग
सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash
(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस
(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत
(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी
(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष
ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]
1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग
ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा
(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम
ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर
सकगी ऐसी
(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]
ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा
(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी
ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब
(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व
(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ
3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान
(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत
(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत
8
(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली
नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य
की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए
जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार
गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य
वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो
की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी
(2) िविशकर सकग
सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण
िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा
स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]
11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ
(2) सिचव और लखापाल
12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए
(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो
िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर
य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]
(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी
और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी
13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित
पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी
14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन
दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी
15 िनयम बनान
ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash
4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5
6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]
(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया
त
िकया गया
3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
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(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
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(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
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(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
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नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
27
उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
28
(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
6
(ज) िविध िशकषा का उन नयन करना और ऐसी िशकषा परदान करन वाल भारत क िवश विव ालय और राज य िविधजञ पिरषद स िवचार-िवमशर करक ऐसी िशकषा क मानक िनधारिरत करना
(झ) ऐस िवश विव ालय को मान यता दना िजनकी िविध की उपािध अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए अहरत
य म जान दना और उनका िनरीकषण कराना]
ालन और वातार का आयोजन करना औ
क िलए आयोजन करना
क अधीन अिधवक ता क रप म परवश पान क पर
ीय िविधजञ पिरषद िविहत रीित स एक या अिधक िनिधय का गठन िनम निलिखत परयोजन क िलए अथारत ndashndash
लए िव ीय सहायता दन क िलए
(ख) इस िनिम बनाए गए िनयम क अनसार िविधक सहायता या सलाह दन क िलए
न की सदस य बन सकगी अिभदान क तौर पर या अन यथा ऐस िनकाय को ऐसी रािशय क
की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल र
धजञ पिरषद ऐसी समािप त क िदन क ठीक बाद की तारीख स ही इस अिधिनयम क अधीन िविधजञ पिरषद का गठन होन तक राज य िविधजञ नगी अथारत ndashndash
पदन सदस य ह वहा उनम स ज यष ठतम सदस य अध यकष होगा और
ा होगी और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय म जाना और उनका िनरीकषण करना 1[या राज य िविधजञ पिरषद को ऐस िनदश क अनसार जो वह इस िनिम द िवश विव ाल
2[(झक) िविधक िवषय पर परितिष ठत िविध शािस तरय ारा पिरसवाद का सचर िविधक रिच की पतर-पितरकाए और लख परकािशत करना
(झख) िविहत रीित स िनधरन को िविधक सहायता दन
(झग) भारत क बाहर पराप त िविध की िवदशी अहरता को इस अिधिनयमयोजन क िलए पारस पिरक आधार पर मान यता दना]
(ञ) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और उनका िविनधान करना
(ट) अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करना
(ठ) इस अिधिनयम ारा या उसक अधीन िविधजञ पिरषद को परद अन य सभी कत य का पालन करना
(ड) पव क त कत य क िनवरहन क िलए आवश यक अन य सभी कायर करना 2[(2) भारत
(क) िनधरन िनशक त या अन य अिधवक ता क िलए कल याणकारी स कीम क सचालन क ि
3[(ग) िविध पस तकालय की स थापना करन क िलए]
कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद उपधारा (2) म िविनिदष ट सभी परयोजन या उनम स िकसी परयोजन क िलए अनदान सदान दान या उपकितया पराप त कर सकगी जो उस उपधारा क अधीन गिठत समिचत िनिध या िनिधय म जमा की जाएगी ]
4[7क अन तरराष टरीय िनकाय की सदस यताndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद अन तरराष टरीय िविधक िनकाय जस इन टरनशलन बार एसोिसएशन या इन टरनशनल लीगल ऐड एसोिसएश
ा अिभदाय कर सकगी िजन ह वह ठीक समझ और िकसी अन तरराष टरीय िविध सम मलन या पिरसवाद म अपन परितिनिधय क भाग लन क सम बन ध म व यय परािधकत कर सकगी ]
5[8 राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashराज य िविधजञ पिरषद क (धारा 54 म िनिदष ट उसक िनवारिचत सदस य स िभन न) िकसी िनवारिचत सदस य की पदाविध उसक िनवारचन क पिरणाम क परकाशन की तारीख स पाच वषर की होगी
परन त जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद उक त पदाविधहती ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आदश ारा और ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग उक त पदाविध को ऐसी
अविध क िलए बढ़ा सकगी जो छह मास स अिधक नह होगी
8क िनवारचन क अभाव म िवशष सिमित का गठनndashndash(1) जहा कोई राज य िविधजञ पिरषद धारा 8 म िनिदष ट यथािस थित पाच वषर की पदाविध या बढ़ाई गई पदाविध की समािप त क पवर अपन सदस य क िनवारचन की व यवस था करन म असफल रहती ह वहा भारतीय िवि
पिरषद क कत य का िनवरहन करन क िलए एक िवशष सिमित का गठन करगी जो िनम निलिखत स िमलकर ब
(i) धारा 3 की उपधारा (2) क खड (क) म िनिदष ट राज य िविधजञ पिरषद का पदन सदस य जो अध यकष होगा
परन त जहा एक स अिधक
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा जोड़ा गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 7 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 3 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 8 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 4 ारा (26-12-1993 स) धारा 8 क स थान पर परितस थािपत
7
(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम
(2) िवशष
तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी
व और बाध यताए ह गी
द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस
और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त
बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को
परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए
10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash
च सदस य म िमलकर बनगी
(2) भारत
नगी
यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह
पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर
कर ]
िनदिशत िकए जाएग
सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash
(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस
(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत
(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी
(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष
ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]
1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग
ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा
(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम
ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर
सकगी ऐसी
(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]
ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा
(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी
ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब
(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व
(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ
3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान
(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत
(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत
8
(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली
नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य
की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए
जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार
गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य
वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो
की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी
(2) िविशकर सकग
सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण
िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा
स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]
11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ
(2) सिचव और लखापाल
12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए
(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो
िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर
य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]
(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी
और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी
13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित
पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी
14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन
दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी
15 िनयम बनान
ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash
4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5
6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]
(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया
त
िकया गया
3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
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(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
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(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
25
नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
26
(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
27
उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
28
(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
7
(ii) दो सदस य जो राज य िविधजञ पिरषद की िनवारचक नामवली क अिधवक ता म स भारतीय िविधजञ पिरषद ारा नाम
(2) िवशष
तया िवशष सिमित म िनिहत ह गी
व और बाध यताए ह गी
द क िलए िनवारचन कराएगी और जहा िकस
और तीसरा पिरषद ारा ऐस अिधवक त
बात क होत हए भी अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1964 (1964 का 21) क परारम भ क पवर गिठत को
परत यक सिमित म अिधक स अिधक नौ और कम स कम पाच ऐस सदस य ह ग जो िविहत िकए जाए
10 अनश ठन करगी अथारत ndashndash
च सदस य म िमलकर बनगी
(2) भारत
नगी
यिक त ह ग जो उसक सदस य नह ह
पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत कर
कर ]
िनदिशत िकए जाएग
सिमित का गठन हो जान पर और राज य िविधजञ पिरषद का गठन िकए जान तकndashndash
(क) राज य िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि और आिस
(ख) राज य िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा िवशष सिमित क अिधकार दाियत
(ग) राज य िविधक पिरषद क समकष िकसी अनशासिनक िवषय की बाबत या अन यथा लिबत सभी कायरवािहया िवशष सिमित को अन तिरत हो जाएगी
(3) उपधारा (1) क अधीन गिठत िवशष सिमित ऐस िनदश क अनसार जो भारतीय िविधजञ पिरषद इस िनिम उस द उपधारा (1) क अधीन उसक गठन क तारीख स छह मास की अविध क भीतर राज य िविधजञ पिरष
ी कारण स िवशष सिमित उक त छह मास की अविध क भीतर िनवारचन का सचालन करान की िस थित म नह ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस कारण स जो उसक ारा लखब िकए जाएग उक त अविध को बढ़ा सकगी ]
1[9 अनशासन सिमितयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक अनशासन सिमितय का गठन करगी परत यक ऐसी सिमित तीन व यिक तय स िमलकर बनगी इसम दो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग
ा म स सहयोिजत व यिक त होगा िजसक पास धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक म िविनिदष ट अहरताए ह और जो पिरषद का सदस य न हो िकसी अनशासन सिमित क सदस य म स ज यष ठतम अिधवक ता उसका अध यकष होगा
(2) उपधारा (1) म िकसीई अनशासन सिमित अपन समकष लिबत कायरवािहय का िनपटारा इस परकार कर सकगी मानो यह धारा उक त अिधिनयम
ारा सशोिधत ही न की गई हो ] 2[9क िविधक सहायता सिमितय का गठनndashndash(1) िविधजञ पिरषद एक या अिधक िविधक सहायता सिमितय का गठन कर
सकगी ऐसी
(2) िविधक सहायता सिमित क सदस य की अहरताए उनक चयन की प ित और उनकी पदाविध वह होगी जो िविहत की जाए ]
ासन सिमितय स िभन न सिमितय का गठनndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का ग
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत पा
(ख) एक नामाकन सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत तीन सदस य स िमलकर बनगी
ीय िविधजञ पिरषद िनम निलिखत स थायी सिमितय का गठन करगी अथारत ndashndash
(क) एक कायरकािरणी सिमित जो पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत नौ सदस य स िमलकर ब
(ख) एक िविध िशकषा सिमित जो दस सदस य स िमलकर बनगी इसम पाच सदस य पिरषद ारा अपन सदस य म स िनवारिचत व यिक त ह ग और पाच सदस य पिरषद ारा सहयोिजत ऐस व
(3) राज य िविधजञ पिरषद और भारतीय िविधजञ पिरषद अपन सदस य म स ऐसी अन य सिमितय का गठन करगी िजन ह वह अिधिनयम क उपबध को कायारिन वत करन क परयोजन क िलए आवश यक समझ
3[10क िविधजञ पिरषद और उनकी सिमितय ारा कारबार क सव यवहारndashndash4[(1) भारतीय िविधजञ पिरषद का अिधवशन नई िदल ली म या ऐस अन य स थान
(2) राज य िविधजञ पिरषद का अिधवशन उसक मख यालय म या ऐस अन य स थान पर होगा जो वह ऐस कारण स जो लखब िकए जाएग अवधािरत
(3) िविधजञ पिरषद ारा गिठत अनशासन सिमितय स िभन न सिमितय का अिधवशन िविधजञ पिरषद क अपन-अपन मख यालय म होगा
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 5 ारा धारा 9 क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 9 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 5 ारा (26-12-1993 स) उपधारा (1) और (2) क स थान पर परितस थािपत
8
(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली
नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य
की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए
जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार
गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य
वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो
की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी
(2) िविशकर सकग
सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण
िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा
स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]
11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ
(2) सिचव और लखापाल
12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए
(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो
िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर
य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]
(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी
और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी
13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित
पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी
14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन
दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी
15 िनयम बनान
ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash
4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5
6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]
(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया
त
िकया गया
3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
17
37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
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(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
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नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
26
(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
27
उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
28
(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
8
(4) परत यक िविधजञ पिरषद और अनशासन सिमितय स िभन न उसकी परत यक सिमित अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
(5) धारा 9 क अधीन गिठत अनशासन सिमितय का अिधवशन ऐस समय और स थान पर होगा और व अपन अिधवशन म कारबार क सव यवहार की बाबत परिकरया क ऐस िनयम का अनपालन करगी जो िविहत िकए जाए
1[2[10ख] िविधजञ पिरषद क सदस य की िनरहरताndashndashिविधजञ पिरषद क िकसी िनवारिचत सदस य न अपना पद िरक त िकया ह ऐसा तब समझा जाएगा जब उसक बार म उस िविधजञ पिरषद ारा िजसका वह सदस य ह यह घोिषत िकया गया हो िक वह उस पिरषद क लगातार तीन अिधवशन म पयारप त कारण क िबना अनपिस थत रहा ह या जब उसका नाम िकसी कारणवश अिधवक ता की नामावली
नयिक त करगी और एक लखापाल और ऐस अन य
की यिद कोई ह अहरताए व ह गी जो िविहत की जाए
जञ पिरषद क लखा की लखापरीकषा कम पनी अिधिनयम 1956 (1956 का 1) क अधीन कम पिनय क लखापरीकष
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह राज
यथासाध य शीघरता स िकन त ठीक अगल वषर क िदसम बर क 31व िदन क पश चात नह भार
गई काररवाही का अिविधमान य न होनाndashndashिविधजञ पिरषद य
वारचन कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक उसम मत दन क िलए हकदार िकसी व यिक त को उसकी सम यक सचना नह गई हो
की शिक तndashndash(1) िविधजञ पिरषद इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम बना सकगी
(2) िविशकर सकग
सक अन तगरत व शत भी ह िजनक अधीन रहत हए व यिक ापनरीकषण
िलए] िकसी िनवारचन की िविधमान यता क बार म शका और िववाद का अिन तम रप स िविनश चय िकया जाएगा
स हटा िदया गया हो या जब वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अन यथा िनरिहत हो गया हो ]
11 िविधजञ पिरषद का कमरचािरवन दndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद एक सिचव की िव यिक तय की अपन कमरचािरवन द क रप म िनयक त कर सकगी िजन ह वह आवश यक समझ
(2) सिचव और लखापाल
12 लखा तथा लखापरीकषाndashndash(1) परत यक िविधजञ पिरषद ऐसी लखा बिहया और अन य बिहया ऐस पररप म और ऐसी रीित स रखवाएगी जो िविहत की जाए
(2) िविधक क रप म कायर करन क िलए सम यक रप स अिहत लखापरीकषक ारा ऐस समय पर और ऐसी रीित स की जाएगी जो
िविहत की जाए 3[(3) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर
य िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उस राजपतर म परकािशत करवाएगी ]
(4) परत यक िव ीय वषर की समािप त पर तीय िविधजञ पिरषद अपन लखा की एक परित लखापरीकषक की िरपोटर की एक परित सिहत कन दरीय सरकार को भजगी
और उस भारत क राजपतर म परकािशत करवाएगी
13 िविधजञ पिरषद और उसकी सिमितय म िरिक त होन क कारण कीा उसकी िकसी सिमित ारा िकया गया कोई भी कायर कवल इस आधार पर परश नगत नह िकया जाएगा िक यथािस थित
पिरषद या सिमित म कोई िरिक त िव मान थी या उसक गठन म कोई तरिट थी
14 िविधजञ पिरषद क िनवारचन का कछ आधार पर परश नगत नह िकया जानाndashndashिविधजञ पिरषद क िलए िकसी सदस य का कोई भी िन
दी गई ह यिद िनवारचन की तारीख की सचना कम स कम उस तारीख स तीस िदन पहल राजपतर म परकािशत कर दी
15 िनयम बनान
ष टतया तथा पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबन ध ndashndash
4[(क) िविधजञ पिरषद क सदस य का गप त मतदान ारा िनवारचन िजत डाक मतपतर ार मतदान क अिधकार का परयोग कर सकत ह िनवारचक नामाविलया तयार करना और उनका और वह रीित िजसस िनवारचन क पिरणाम परकािशत िकए जाएग] 5
6[(ग) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष क िनवारचन की रीित]
(घ) वह रीित िजसस और वह परािधकारी िजसक ारा िविधजञ पिरषद क िलए 4[या अध यकष या उपाध यकष क पद क
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 6 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 10 ारा (31-1-1974 स) धारा 10क को धारा 10ख क रप म पनसख यािकत िकया गया
त
िकया गया
3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 11 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (3) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािप5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप 6 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 5 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
17
37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
18
(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
25
नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
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उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
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(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
9
1
हायता दन या िविधक सहायता
गठन और उनक कत य तथा उन कायरवािहय का िववरण िजनक सम बन ध म िविधक सहायता या सलाह दी जा सकती
शन बलाना और उनका आयोजन 3 उनम कारबार का सचालन और उनम गणपित क
त क अिधवशन बलाना और उनका आयोजन उनम कारबार क सव यवहार और गणपित क िलए आव
वा की शत
की लखापरीकषा
ारा इस धारा क अधीन बनाए गए िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक भारतीय िविधजञ पिरषद उनका अनमोदन न कर द
ा 4[िविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल या िविध िवषयक िवशष जञान या अ
िविध व यवसाय क मामल म ऐस िनबरन क अधीन ह ग िजन ह भारतीय िविधजञ पिरषद िविध व यवसाय
िनयत िदन क ठीक पवर उस न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था इस धारा क परयोजन
ा नह बना रहना चाहता ह वहा िविधजञ पिरषद उस आवदन क
की नामावली रखगीndashndash(1) परत यक राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता की ऐसी नामावली तयार कर
(च) िविधजञ पिरषद म आकिस मक िरिक तय का भरना
(छ) िविधजञ पिरषद क अध यकष और उपाध यकष की शिक तया और कतरव य 2[(छक) धारा 6 की उपधारा (2) और धारा 7 की उपधारा (2) म िनिदष ट िव ीय स
या सलाह दन क परयोजन क िलए िविधजञ पिरषद ारा एक या अिधक िनिधय का गठन
(छख) िनधरन क िलए िविधक सहायता और सलाह दन क िलए आयोजन और उस परयोजन क िलए सिमितय और उपसिमितय का
ह]
(ज) िविधजञ पिरषद क अिधव िलए आवश यक सदस य-सख या
(झ) िविधजञ पिरषद की िकसी सिमित का गठन और उसक कत य और िकसी ऐसी सिमित क सदस य की पदाविध
(ञ) ऐसी िकसी सिमिश यक सदस य-सख या
(ट) िविधजञ पिरषद क सिचव लखापाल और अन य कमरचािरय की अहरताए और उनकी स
(ठ) िविधजञ पिरषद ारा लखा-बिहय तथा अन य पस तक का रखा जाना
(ड) लखापरीकषक की िनयिक त और िविधजञ पिरषद क लखा
(ण) िविधजञ पिरषद की िनिधय का परबन ध और िविनधान
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद
अध याय 3
अिधवक ता का परवश और नामाकन
16 विरष ठ तथा अन य अिधवक ताndashndash(1) अिधवक ता क दो वगर ह ग अथारत विरष ठ अिधवक ता और अन य अिधवक ता
(2) कोई अिधवक ता अपनी सहमित स विरष ठ अिधवक ता क रप म अिभिहत िकया जा सकगा यिद उच चतम न यायालय या िकसी उच च न यायालय की यह राय ह िक वह अपनी योग यत
नभव] क आधार पर ऐस सम मान क योग य ह
(3) विरष ठ अिधवक ता अपनक िहत म िविहत कर
(4) उच चतम न यायालय का ऐसा अिधवक ता जो क िलए विरष ठ अिधवक ता समझा जाएगा
5[परन त जहा कोई ऐसा विरष ठ अिधवक ता 31 िदसम बर 1965 क पवर उस िविधजञ पिरषद को जो ऐसी नामावली रखती ह िजसम उसका नाम दजर िकया गया ह आवदन करता ह िक वह विरष ठ अिधवक त
ो मजर कर सकगी और तदनसार नामावली पिरवितत की जाएगी ]
17 राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता गी और रखगी िजसमndashndash
(क) ऐस सभी व यिक तय क नाम और पत दजर िकए जाएग जो िनयत िदन क ठीक पणर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अिधवक ता क रप म दजर थ 6[और इसक अन तगरत उन व यिक तय क नाम और पत भी ह ग जो भारत क नागिरक होत हए 15 अगस त 1947 क पवर उक त अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म ऐस कषतर म नामािकत थ जो उक त तारीख क पवर भारत शासन अिधिनयम 1935
1 1966 क अिधिनयम स० 23 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) खण ड (ङ) का लोप िकया गया 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 12 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 13 ारा (31-1-1974 स) ldquoिविध व यवसायी वगर म िविध व यवसाय काल और अनभवrdquo शब द क स थान पर परितस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 8 ारा अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) ldquoऔर जो िविहत समय क भीतरrdquo क स थान पर परितस थािपत
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
17
37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
18
(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
25
नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
26
(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
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उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
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(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
10
(25 और र
क अधीन अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए ह
गई और रखी गई अिधवक ता की नामावली क परत यक भाग म परिविष टया जबनाया ज
यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय का विरष ठ अिधवक ता था राज य नामपिरषद िव
व यिक त की ज यष ठता जो िनयत िदन को या उसक पश चात विरष ठ अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गय
की [चाह वह अिधवक ता
सार अवधािरत की जाएगी] जो उसक अटन क रप म नामािकत िकए जान की तारीख हो ]
िरषद यह िनदश दगी िक ऐस व यिक त का नाम िकसी फीस क स
होता ह िक अन तरण क िलए आवदन सद भावपवरक नह िकया गय
िधवक ता ारा िकए
क ता की नामवली की एक अिधपरमाि
26 जॉ० 5 सी 42) ारा पिरिनिश चत कषतर म समािवष ट थ और जो] िविधजञ पिरषद की अिधकािरता क भीतर िविध व यवसाय करन का अपना आशय िविहत रप म 2[िकसी भी समय] अिभव यक त क
(ख) ऐस सभी अन य व यिक तय क नाम और पत ह ग जो राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म िनयत िदन को या उसक पश चात इस अिधिनयम
(2) अिधवक ता की परत यक ऐसी नामावली क दो भाग ह गndashndashपरथम भाग म विरष ठ अिधवक ता क नाम ह ग और दसर भाग म अन य अिधवक ता क नाम
(3) िकसी राज य िविधजञ पिरषद ारा इस धारा क अधीन तयार की यष ठता क करम स ह गी 1[और िकसी ऐस िनयम क अधीन रहत हए जो भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस िनिम
ाए ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगी] ndashndash
(क) उपधारा (1) क खड (क) म िनिदष ट िकसी अिधवक ता की ज यष ठता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उसक नामाकन की तारीख क अनसार अवधािरत की जाएगी
(ख) िकसी ऐस वावली क परथम भाग क परयोजन क िलए ऐस िस ान त क अनसार अवधािरत की जाएगी िजन ह भारतीय िविधजञ िनिदष ट कर 2
(घ) िकसी अन या ह या अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया ह यथािस थित ऐस नामाकन या परवश की तारीख क आधार पर
अवधािरत की जाएगी 3[(ङ) खण ड (क) म अन तिवष ट िकसी बात क होत हए भी िकसी नामािकत अटन
(सशोधन) अिधिनयम 1980 क परारम भ क पवर या पश चात नामािकत हो] ज यष ठता अिधवक ता क रप म उस तारीख क अन
(4) कोई भी व यिक त एक स अिधक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत नह िकया जाएगा
18 एक राज य की नामावली स दसर राज य की नामावली म नाम का अन तरणndashndash(1) धारा 17 म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त िजसका नाम िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर ह अपना नाम उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अन तिरत करान क िलए िविहत रप म भारतीय िविधजञ पिरषद को आवदन कर सकगा और ऐस आवदन की परािप त पर भारतीय िविधजञ प
दाय क िबना परथम विणत राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स हटा कर उस अन य राज य पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
4[परन त जहा अन तरण क िलए ऐसा कोई आवदन ऐस व यिक त ारा िकया गया ह िजसक िवर कोई अनशािसक कायरवाही लिबत ह या जहा िकसी अन य कारण स भारतीय िविधजञ पिरषद को यह परतीत
ा ह और अन तरण नह िकया जाना चािहए वहा भारतीय िविधजञ पिरषद आवदन करन वाल व यिक त को इस िनिम अभ यावदन करन का अवसर दन क पश चात आवदन नामजर कर सकगी ]
(2) शका को दर करन क िलए इसक ारा यह घोिषत िकया जाता ह िक जहा उपधारा (1) क अधीन िकसी अ गए आवदन पर उसका नाम एक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स िकसी अन य राज य की नामावली म अन तिरत िकया
जाता ह वहा उस पश चातकिथत नामावली म उसकी वही ज यष ठता बनी रहगी िजसका वह पवरवत नामावली म हकदार था
19 अिधवक ता की नामाविलय की परितय का राज य िविधजञ पिरषद ारा भारतीय िविधजञ पिरषद को भजा जानाndashndashपरत यक राज य िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पहली बार बनाई गई अिधव
णत परित भारतीय िविधजञ पिरषद को भजगी और उसक पश चात नह ऐसी नामावली म िकए गए सभी पिरवतरन और पिरवधरन उनक िकए जान क पश चात यथाशक य शीघर भारतीय िविधजञ पिरषद को ससिचत करगी
5[20 उच चतम न यायालय क कछ अिधवक ता क नामाकन क िलए िवशष उपबन धndashndash(1) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा अिधवक ता जो िनयत िदन क ठीक पवर उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािधकार हकदार था
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 9 ारा ldquoऔर ऐसी ज यष ठता िनम निलिखत रप म अवधािरत की जाएगीrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 14 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ग) का लोप िकया गया 3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 2 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 10 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 15 ारा (31-1-1974 स) धारा 20 क स थान पर परितस थािपत
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
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(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
19
परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
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का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
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नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
27
उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
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(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
29
11
और िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म अपना नाम दजर करान का आशय िविहत समय क भीतर िविहत पररप म भारतीय िविधजञ पिरषद को परकट कर सकगा और उसक पराप त हो जान पर भारतीय िविधजञ पिरषद य
2
िरवतरन की सचना सम
ा अिधकार व
र उपधारा (3क)] क उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी राज य क महािधवक स पवर होगी और महािधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अप जाएगा
(5) यथाप
परिवष ट िकया जा सकता हndashndash(1) इस अिधिनयम और उसक अधीन बनाए हए कोई व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए जान क िलए अिहत त परी कर अथारत ndashndash
य उपबन ध क अधीन रहत हए िकसी अन य दश का रािष टरक िकसी राज य नामावली म अिधवक त ब सम यक रप स अिहत भारत क नागिरक उस अन य दश म िविध व यवसाय करन
स वषर की आय परी कर ली ह
ndashndash
ह िनदश दगी िक ऐस अिधवक ता का नाम िकसी फीस क सदाय क िबना उस राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाए और सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐस िनदश का अनपालन करगी
(2) भारतीय िविधजञ पिरषद क उपधारा (1) क अधीन िनदश क अनपालन म राज य नामावली म कोई भी परिविष ट धारा 17 की उपधारा (3) क उपबध क अनसार अवधािरत ज यष ठता क करम स की जाएगी
(3) जहा उपधारा (1) म िविनिदष ट कोई अिधवक ता िविहत समय क भीतर अपना आशय परकट करन म लोप करता ह या असफल रहता ह वहा उसका नाम िदल ली की राज य िविधजञ पिरषद की नामावली म दजर िकया जाएगा ]
21 ज यष ठता क बार म िववादndashndash(1) जहा दो या उसस अिधक व यिक तय की ज यष ठता की तारीख एक ही हो वहा आय म ज यष ठ व यिक त दसर व यिक त स ज यष ठ माना जाएगा
1[(2) यथापव क त क अधीन रहत हए यिद िकसी व यिक त की ज यष ठता क बार म कोई िववाद उत पन न होता ह तो उस सम ब राज य िविधजञ पिरषद को िविनश चय क िलए िविनिदष ट िकया जाएगा ]
[22 नामाकन परमाणपतरndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद परत यक ऐस व यिक त को िजसका नाम इस अिधिनयम क अधीन उसक ारा रखी गई अिधवक ता नामावली म दजर ह िविहत पररप म नामाकन परमाणपतर जारी करगी
(2) ऐसा परत यक व यिक त िजसका नाम राज य नामावली म इस परकार दजर ह अपन स थायी िनवास स थान म िकसी प ब राज य िविधजञ पिरषद को ऐस पिरवतरन क नब ब िदन क भीतर दगा ]
23 पवर सनवाई क ndashndash(1) भारत क महान यायवादी की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स प र होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
(3) उपधारा (1) और उपधारा (2) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी
3[(3क) उपधारा (1) उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारत क ि तीय अपर महासािलिसटर की सनवाई अन य सभी अिधवक ता स पवर होगी ]
(4) उपधारा (1) 4[उपधारा (2) उपधारा (3) औ ता की सनवाई अन य सभी अिधवक ता नी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया
व क त क अधीन रहत हएndashndash
(i) विरष ठ अिधवक ता की सनवाई अन य अिधवक ता स पवर होगी और
(ii) विरष ठ अिधवक ता म परस पर और अन य अिधवक ता म परस पर पवर सनवाई का अिधकार उनकी अपनी-अपनी ज यष ठता क अनसार अवधािरत िकया जाएगा
24 व व यिक त िजन ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप मगए िनयम क उपबन ध क अधीन रहत तभी होगा जब वह िनम निलिखत श
(क) वह भारत का नागिरक हो
परन त इस अिधिनयम क अना क रप म उस दशा म परिवष ट िकया जा सकगा ज
क िलए अनजञात ह
(ख) उसन इक की
(ग) उसन
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 16 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) क स थान पर परितस थािपत
पर परितस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 17 ारा (31-1-1974 स) धारा 22 क स थान3 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) अन तस थािपत 4 1980 क अिधिनयम स० 47 की धारा 3 ारा (29-11-1980 स) ldquoउपधारा (2) और (3)rdquo क स थान पर परितस थािपत
12
(i) भारत क राज यकषतर क िकसी िवश विव ालय स 1[12 माचर 1967] स पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह
(ii) िकसी ऐस कषतर क जो भारत शासन अिधिनयम 1935 ारा पिरिनिश चत भारत क भीतर 15 अगस त
ा करम को परा करन
कषण वषर स आरम भ ा होकर दो िशकषण वष स कम की न हो भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भार
िकसी अन य दशा म भारत क राज यकषतर स बारह क िकसी िवश विव ालय स िविध की उपािध
1947 क पवर समािवष ट था िकसी िवश विव ालय स उस तारीख क पवर िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
2[(iii) उपखण ड (iiiक) म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय िविध िवषय म तीन वषर क प क पश चात भारत क िकसी ऐस िवश विव ालय स िजस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क
परयोजन क िलए मान यता पराप त ह 12 माचर 1967 क पश चात िविध की उपािध पराप त कर ली ह या
(iiiक) िविध िवषय म ऐसा पा करम परा करन क पश चात िजसकी अविध िशकषण वषर 1967-68 या िकसी पवरवत िश
तीय िविधजञ पिरषद ारा इस अिधिनयम क परयोजन क िलए मान यता पराप त ह िविध की उपािध पराप त कर ली ह या ]
3[(vi)पराप त की ह यिद उस उपािध को इस अिधिनयम क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद ारा मान यता पराप त ह या ]
ा या िकसी अन य परीकषा म उ ीणर हो चका ह] अथवा उसन िविधम ऐसी अन य िवदशी अह पराप त ली ह स इस िधिनय अधीन अिधवक क रप परवश पान क परय न क िल भारतीय िविधजञ प
ा 2) क अधीन परभायर स टाम प शल क यिद कोई
ा सदस य ह और ऐस परािधकारी स जो िविहत िकया जाए
विध की
अन यथा यह घोिषत िकया जाता ह िक उसन परीकषा उ ीणर कर ली ह ]
(2) उपधअिधवक त ता ह यिद वहndashndash
स दो वषर क भीतर न िक
) उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह
2[(3) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी कोई व यिक त जोndashndash
4[वह बिरस टर ह और उस 31 िदसम बर 1976 को या उसक पवर िविध व यवसायी वगर म िलया गया ह] 5[अथवा वह मम बई अथवा कलक ा उच च न यायालय क अटन रप म नामाकन क िलए मम बई या कलक ा उच च न यायालय ारा िविनिदष ट आब िशकषाथ की परीकष
रता कर िज अ म क ता म ोज ए िरषद ारा मान यता पराप त ह ] 6
(ङ) वह ऐसी अन य शत परी करता ह जो इस अध याय क अधीन राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िविनिदष ट की जाए
7[(च) उसन नामाकन क िलए भारतीय सटाम प अिधिनयम 1899 (1899 कहो और राज य िविधजञ पिरषद को 8[सदय छह सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद को उस पिरषद क पकष म
िलख गए बक डराफट क रप म सदय एक सौ पचास रपए की] नामाकन फीस द दी ह
परन त जहा ऐसा व यिक त अनसिचत जाित या अनसिचत जनजाित क उस आशय का परमाणपतर पश करता ह वहा 7[उसक ारा सदय नामाकन फीस राज य िविधजञ पिरषद की दशा म
एक सौ रपए और भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म पच चीस रपए होगी ] 9[स पष टीकरणndashndashइस उपधारा क परयोजन क िलए िकसी व यिक त को भारत क िकसी िवश विव ालय स ि
उपािध-पराप त उस तारीख स समझा जाएगा िजस तारीख को उस उपािध की परीकषा क पिरणाम िवश विव ालय ारा अपनी सचना प पर परकािशत िकए जात ह या
ारा (1) म िकसी बात क होत हए भी 10[कोई वकील या प लीडर जो िविध स नातक ह] राज य नामावली म ा क रप म परिवष ट िकया जा सक
(क) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन िनयत िदनउसक पश चात करता ह और
(ख
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquo28 फरवरी 1963rdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) उपखड (iii) क स थान पर परितस थािपत 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) ldquoवह बिरस टर हrdquo क स थान पर परितस थािपत 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा (15-10-1976 स) अन तस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (घ) का लोप िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (च) क स थान पर परितस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 6 ारा (26-12-1993 स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत 9 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 2 ारा अन तस थािपत 10 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 13 ारा कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
13
(क) 1 कम स कम तीन वषर तक वकील या प लीडर या मख तार रहा हो या 2 िकसी िविध क अधीन िकसी भी समय िकसी उच च न यायालय क (िजसक अन तगरत भतपवर भाग ख राज य का उच च न यायालय भी ह) या िकसी सघ राज यकषतर
म 1 िदसम बर 1961 क पवर हकदार था या जो इस परकार हकदार होता यिद वह उस त
ारा पिरिनिश चत बमार म समािवष ट िकसी कषतर क िकसी उ
पिरषद ारा इस िनिम बनाए गए िकसी िनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी राज य नामावली म अिध
i) उपधारा (1) क खड (क) (ङ) और (च) म िनिदष परी करता ह
नामाकन क िलए िनरहरताndashndash(1) कोई भी व यिक त िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट नह िकया जाएगा यिदndashndash
ा (अपराध) अिधिनयम 1955 (1955 का 22) क उपबध क अधीन िकसी अपराध क िलए िस दोष
पर िजसम नितक अधमता अन तवरिलत ह राज य क अधीन िनयोजन या पद स हटाया जाता ह य
होन अथवा यथािस थित पदच यत िकए जान या पद स हटाए जान] स द
ो लाग नह होगी िजसक सम बन ध म अपराधी पिरवीकषा अिधिनयम
विहत पररप म उस राज य
ीन रहत हए जो इस िनिम राज य िविधजञ पिरषद ारा िलिखत रप म िदया जाए] िविहत रीित स आ
म न याियक आयक त क न यायालय म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का हकदार था या 3[(कक) िकसी िविध क उपबध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध
व यवसाय करन क िलए अिधवक ता स िभन न रप ारीख को लोक सवा म न होता] या 4
(ग) भारत शासन अिधिनयम 1935 (25 और 26 जॉ० 5 सी 42)च च न यायालय का 1 अपरल 1937 क पवर अिधवक ता था या
(घ) भारतीय िविधजञिकए जान क िलए हकदार ह
वक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा यिद वहndashndash
(i) इस अिधिनयम क उपबध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(i (ख) िव ट शत ] 5
6[24क
(क) वह नितक अधमता स सबिधत अपराध क िलए िस दोष ठहराया गया ह
(ख) वह अस पश यतठहराया गया ह 7[(ग) वह िकसी ऐस आरोपा पदच यत िकया जाता ह
स पष टीकरणndashndashइस खड म ldquoराज यrdquo पद का वही अथर ह जो सिवधान क अनच छद 12 म ह ]
परन त नामाकन क िलए यथा पव क त िनरहरता उसक 8[िनमरक त ो वषर की अविध की समािप त क पश चात परभावी नह रहगी ]
(2) उपधारा (1) की कोई भी बात दोषी पाए गए िकसी ऐस व यिक त क 1958 (1958 का 20) क उपबध क अधीन कायरवाही की गई ह ]
25 परािधकरण िजस नामाकन क िलए आवदन िकए जा सकगndashndashअिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन ि िविधजञ पिरषद को िकया जाएगा िजसकी अिधकािरता क भीतर आवदक िविध व यवसाय करना चाहता ह
26 अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद अिधवक ता क रप म परवश क िलए परत यक आवदन को अपनी नामाकन सिमित को िनिदष ट करगी और ऐसी सिमित उपधारा (2) और उपधारा (3) क उपबन ध क अधीन रहत हए 9[और िकसी ऐस िनदश क अध
वदन का िनपटारा करगी 9[परन त यिद भारतीय िविधजञ पिरषद का या तो इस िनिम उस िकए गए िनदश पर या अन यथा यह समाधान हो जाता ह
िक िकसी व यिक त न िकसी आवश यक तथ य क सम बन ध म दव यरपदशन ारा या कपट ारा या असम यक असर डालकर अिधवक ता
1 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquo31 माचर 1964 क पवरrdquo शब द और अक का लोप िकया गया 21968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 2 ारा (5-6-1968 स) ldquoतत समय परव rdquo शब द का लोप िकया गया 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 18 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 6 ारा लोप िकया गया 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 19 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 7 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) अन तस थािपत 8 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 7 ारा (26-12-1993 स) ldquoिनमरक त होनrdquo क स थान पर परितस थािपत 9 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत
14
नामावली
पिरषद की नामाकन सिमित िकसी ऐस आवदन को इकार करन का परस ताव करती ह वहा वह आवदन क
िधजञ पिरषद यथाशक य शीघर अन य सभी राज य िविधजञ पिरषद को ऐसी नामजरी की इि ला भ
हा कोई भी अन य राज य िविधजञ पिरषद ऐस व यिक त का आवदन अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए उस राज य
(2) िविशकर सकग
ज िविधजञ पिरषद क
र वह रीित िजसस ऐस आवदन का िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित ारा िनपटारा िकया जाएगा
ी िकसी नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा
) व िकस त िजनम नामाकन फीस दी जा सकगी
(3) इस अध याय क अधीन बनाए गए िनयम तब तक ह ग जब तक व भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
व यिक तय का वगर िविध व यवसाय करन क िलए हकदार होनाndashndashइस अिधिनयम और उसक
30 अिध ध क अधीन रहत हए परत यक अिधवक ता िजसका नाम 5[राज य
(i) सभी न यायालय म िजनम उच चतम न यायालय भी सिम मिलत ह
म अपना दजर करवाया ह तो वह उस व यिक त को सनवाई का अवसर दन क पश चात उसका नाम अिधवक ता नामावली म स हटा सकगी ]
(2) जहा िकसी राज य िविधजञो भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क िलए िनिदष ट करगी और परत यक ऐस िनदश क साथ आवदन क इकार िकए जान वाल
आधार क समथरन म िववरण होगा
(3) राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित उपधारा (2) क अधीन भारतीय िविधजञ पिरषद को िनिदष ट िकसी आवदन का िनपटारा भारतीय िविधजञ पिरषद की राय क अनरप करगी
1[(4) जहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद की नामाकन सिमित न अपनी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए िकसी आवदन को नामजर िकया ह वहा वह राज य िव
जगी िजसम उस व यिक त क नाम पत और अहरता का कथन होगा िजसक आवदन को इकार िकया गया ह और आवदन क इकार िकए जान क आधार भी िदए जाएग ]
2[26क नामावली स नाम हटान की शिक तndashndashराज य िविधजञ पिरषद ऐस िकसी भी अिधवक ता का नाम राज य नामावली स हटा सकगी िजसकी मत य हो गई हो या िजस अिधवक ता स नाम हटान क आशय का आवदन पराप त हो गया हो ]
27 एक बार इकार िकए गए आवदन का अन य िविधजञ पिरषद ारा कछ पिरिस थितय क िसवाय गरहण न िकया जानाndashndashजहा िकसी राज य िविधजञ पिरषद न अपनी नामावली म िकसी व यिक त को अिधवक ता क रप म परवश क िलए उसक आवदन को इकार कर िदया ह व
िविधजञ पिरषद की िजसन आवदन नामजर िकया था तथा भारतीय िविधजञ पिरषद की िलिखत पवर सम मित क िबना गरहण नह करगी
28 िनयम बनान की शिक तndashndash(1) इस अध याय क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए राज य िविधजञ पिरषद िनयम बना सकगी
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध अथारत ndashndash
3[(क) वह समय ि सक भीतर और वह पररप िजसम कोई अिधवक ता धारा 20 क अधीन िकसी राज य ी नामावली म अपना नाम दजर करान का अपना आशय परकट करगा 4
(ग) वह पररप िजसम िविधजञ पिरषद को उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म परवश क िलए आवदन िकया जाएगा औ
(घ) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई व यिक त ऐससकगा
(ङ
परभावी नह
अध याय 4
िविध व यवसाय का अिधकार
29 कवल अिधवक ता का ही मान यतापराप त अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध क अधीन रहत हए िनयत िदन स िविध व यवसाय करन क िलए हकदार
व यिक तय का एक ही वगर होगा अथारत अिधवक ता
वक ता का िविध व यवसाय का अिधकारndashndashइस अिधिनयम क उपबन नामावली] म दजर ह ऐस समस त राज यकषतर क िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार हndashndash
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 14 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 20 ारा (31-1-1974 स) धारा 26क क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा (31-1-1974 स) खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 21 ारा खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 22 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावलीrdquo क स थान पर परितस थािपत
15
(ii) िकसी ऐस अिधकरण या व यिक त क समकष जो सा य लन क िलए वध रप स परािधकत ह
(iii) िकसी अन य ऐस परािधकारी या व यिक त क समकष िजसक समकष ऐसा अिधवक ता उस समय परव िकसी िविध का हकदार ह
सािधकार
ल म िकसी व यिक त को जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक त
ाय करन का हकदार तब तक नह होगा जब तक वह इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत
िकसी अिधवक ता को उच च न यायालय म और उसक अधीनस थ न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए अनजञ
फीस की बाबत खच क रप म सदय फीस िविनधाररण ारा या अन यथा िनयत और िविनयिमत करन क िलए िनय
ए जान क परयोजन स उ ीणर करनी ह गी उपबध करन क िलए और उसस सम बिन धत िकसी अन य िवषय क िलए िनयम बना सकगा ]
3
वक ता वि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह मामल को
वापस ल सकगी और यह िनदश द सकगी िक जाच उस राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अन य
ामल की सनवाई क िलए तारीख िनयत करगी और उसकी सचना सम ब अ
अिधवक ता और महािधवक ता को सनवाई का अवसर दन क पश चात िनम निलिखत आदश
िधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवािहया आरम भ की गई थ वहा यह िनदश ाए
िजतनी वह ठीक समझ
ारा या उसक अधीन िविध व यवसाय करन
िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
31 [न यायवािदय क िलए िवशष उपबध ]ndashndash1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 7 ारा (1-1-1977) स िनरिसत
32 िविशष ट मामल म उपसजात होन क िलए अनजञा दन की न यायालय की शिक तndashndashइस अध याय म िकसी बात क होत हए भी कोई न यायालय परािधकरण या व यिक त अपन समकष िकसी िविशष ट माम
ा क रप म नामािकत नह ह उपसजात होन की अनजञा द सकगा
33 िविध व यवसाय करन क िलए कवल अिधवक ता हकदार ह गndashndashइस अिधिनयम म या उस समय परव िकसी अन य िविध म जसा उपबिन धत ह उसक िसवाय कोई व यिक त िनयत िदन को या उसक पश चात िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवस
न हो
34 उच च न यायालय की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) उच च न यायालय ऐसी शत को अिधकिथत करत हए िनयम बना सकगा िजनक अधीन रहत हए
ात िकया जाएगा 1[(1क) उच च न यायालय अपनी या अपन अधीनस थ िकसी न यायालय की सभी कायरवािहय म िकसी पकषकार ारा अपन
परितपकषी क अिधवक ता की म बनाएगा ] 2[(2) उपधारा (1) म अन तिवष ट उपबध पर परितकल परभाव डाल िबना कलक ा िस थत उच च न यायालय आब िशकषािथय क
िलए इन टरमीिडएट और अितम परीकषाए लन का जो धारा 58कछ म िनिदष ट व यिक तय को राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिविष ट िक
अध याय 5
अिधवक ता का आचरण
35 अवचार क िलए अिधवक ता को दडndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा िकसी राज य िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक उसकी नामावली का कोई अिध
अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी 4[(1क) राज य िविधजञ पिरषद अपनी अनशासन सिमित क समकष लिबत िकसी कायरवाही को या तो स वपररणा स या िकसी
िहतब व यिक त ारा उसको िदए गए आवदन पर अनशासन सिमित ारा की जाए ]
(2) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित 5 मिधवक ता को और राज य क महािधवक ता को िदलवाएगी
(3) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित सम ब म स कोई आदश कर सकगी अथारत ndashndash
(क) िशकायत खािरज कर सकगी या जहा राज य िव द सकगी िक कायरवािहया फाइल कर दी ज
(ख) अिधवक ता को िधग दड द सकगी
(ग) अिधवक ता को िविध व यवसाय स उतनी अविध क िलए िनलिबत कर सकगी
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 2 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 6 ारा (31-10-1977 स) अन तस थािपत िजसका 1976 क अिधिनयम स०107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) लोप िकया गया था 3 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 8 ारा (1-1-1977 स) उपधारा (3) का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 23 ारा (31-1-1974 स) ldquoयिद वह पिरवाद को सिकषप तत खािरज नह कर दती ह तोrdquo शब द का लोप िकया गया
16
(घ) अिधवक ता का नाम अिधवक ता की राज य नामावली म स हटा सकगी
(4) जहा कोई अिधवक ता उपधारा (3) क खड (ग) क अधीन िविध व यवसाय करन स िनलिबत कर िदया गया ह वहा वह िनलबन की अविध क दौरान भारत म िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन स िवविजत िकया जाए
रषद की अनशासन
ा 2[धारा 37 और धारा 38] म ldquoमहािधवक ताrdquo और ldquoराज य का महािधवक
ि क या अन य अवचार का दोषी रहा ह वहा वह उस मामल को अपनी अनशासन सिमित को िनपटार क िलए िनिदष ट करगी
िहतब व यिक त ारा] उसको िकए गए आवदन पर जाच करन क िलए अपन
गी और उस धारा म महािधवक ता क परित िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व भारत क महान याय
पास] जाच क िलए िकन ह कायरवािहय को वापस िलया गया ह वहा सम ब राज य िविधजञ पिरषद ऐ
पिरषद की अनशासन
जो उनका इस परकार िनपटारा कर सकगी मा
और ऐसा न िकए जान पर कायरवाही उपधारा (1) क अधीन िनपटार क
गा
(5) जहा महािधवक ता को उपधारा (2) क अधीन कोई सचना जारी की गई हो वहा महािधवक ता राज य िविधजञ पि सिमित क समकष या तो स वय या उसकी ओर स हािजर होन वाल िकसी अिधवक ता की माफर त हािजर हो सकगा 1[स पष टीकरणndashndashिदल ली सघ राज यकषतर क सम बन ध म इस धार ताrdquo पद का अथर भारत का अपर महासािलिसटर होगा ]
36 भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासिनक शिक तयाndashndash(1) जहा िकसी िशकायत की परािप त पर या अन यथा भारतीय िविधजञ पिरषद क पास यह िवश वास करन का कारण ह िक 3 कोई ऐसा अिधवक ता िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर नह ह व
(2) इस अध याय म िकसी बात क होत हए भी भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष िकसी अिधवक ता क िवर अनशासिनक काररवाई क िलए लिबत िकन ह कायरवािहय को 4[या तो स वपररणा स या िकसी राज य िविधजञ पिरषद की िरपोटर पर या िकसी
पास वापस ल सकगी और उसका िनपटारा कर सकगी
(3) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस धारा क अधीन िकसी मामल क िनपटार म धारा 35 म अिधकिथत परिकरया का यथाशक य अनपालन कर
वादी क परित िनदश ह
(4) इस धारा क अधीन िकन ह कायरवािहय क िनपटार म भारतीय िविधजञ पिरषद को अनशासन सिमित कोई ऐसा आदश द सकगी जो िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित धारा 35 की उपधारा (3) क अधीन द सकती ह और जहा 5[भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क
स आदश को परभावी करगी 6[36क अनशासन सिमितय क गठन म पिरवतरनndashndashजब कभी धारा 35 या धारा 36 क अधीन की िकसी कायरवाही की बाबत
राज य िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित की अिधकािरता समाप त हो जाती ह और कोई अन य ऐसी सिमित िजस अिधकािरता पराप त ह और जो अिधकािरता का परयोग करती ह और उसकी उ रवत बनती ह तब यथािस थित इस परकार उ रवत बनन वाली राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ
सिमित कायरवाही उसी परकरम स जारी रख सकगी िजस परकरम पर उसकी पवरवत सिमित न छोड़ी थी
36ख अनशासिनक कायरवािहय का िनपटाराndashndash(1) राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ऐसी िशकायत का जो उस धारा 35 क अधीन पराप त हई हो शीघरता स िनपटारा करगी और परत यक मामल म कायरवािहया यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स या राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही क परारम भ होन की तारीख स एक वषर की अविध क भीतर परी की जाएगी और ऐसा न िकए जान पर ऐसी कायरवािहया भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
नो वह धारा 36 की उपधारा (2) क अधीन जाच क िलए वापस ली गई कायरवाही हो
(2) उपधारा (1) म िकसी बात क होत हए भी जहा अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ पर िकसी अिधवक ता क िवर िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क समकष लिबत हो वहा राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित उसका िनपटारा ऐस परारम भ की तारीख स छह मास की अविध क भीतर या यथािस थित िशकायत की परािप त की तारीख स अथवा राज य िविधजञ पिरषद की पररणा पर कायरवाही आरम भ की जान की तारीख म स जो भी पश चातवत हो उसस एक वषर की अविध क भीतर करगी
िलए भारतीय िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी ]
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 17 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 24 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoसामान य नामावली काrdquo शब द का लोप िकया गया 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoस वपररणा सrdquo क स थान पर परितस थािपत
थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 25 ारा (31-1-1974 स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद क पासrdquo क स थान पर परितस 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 26 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
17
37 भारतीय िविधजञ पिरषद को अपीलndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित की 1[धारा 35 क अधीन] िकए गए आदश 2[या राज य क महािधवक ता] क आदश स व यिथत कोई व यिक त आदश की ससचना की तारीख स साठ िदन क भीतर भारतीय िविधजञ पिरषद को अपील कर सकगा
गी जसा वह ठीक समझ
िधवक ता] ारा िकए गए आदश स व यिथत कोई व यिक त उस तारीख स साठ ि
िरवतरन करन का आ
सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
आदश का रोका जानाndashndash6[(1)] धारा 37 या धारा 38 क अधीन की गई कोई अपील उस आदश क िजसक िवर अपील की गई ह
ा 37 या 38 क अधीन उस आदश स अपील करन क िलए अनजञात समय की समािप त क पवर आदश को रोकन क िलए
पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोकन क िलए िनदश द सकग
41 अिधव ा-नाम ली म प तरनndashndash 1) जहा अध याय क अधी कसी अ वक ता दण दन या नलिबत करन का कोई आदश िदया जाता ह वहा उस दण ड का अिभल
उसक नाम
उसक नामाकन की बाबत धारा 22
42 अनश म निलिखत बात क सम बन ध म वही शिक तया ह गी जो अथारत ndashndash
(2) परत यक ऐसी अपील की सनवाई भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा की जाएगी और वह सिमित उस पर ऐसा आदश 3[िजसक अन तगरत राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड को पिरवितत करन का आदश भी ह] पािरत कर सक
1[परन त राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को सनवाई का उिचत अवसर िदए िबना भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ]
38 उच चतम न यायालय को अपीलndashndashभारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा धारा 36 या धारा 37 क अधीन 4[या यथािस थित भारत क महान यायवादी या सम ब राज य क महा
दन क भीतर िजसको उस वह आदश ससिचत िकया जाता ह उच चतम न यायालय को अपील कर सकगा और उच चतम न यायालय उस पर ऐसा आदश 2[(िजसक अन तगरत भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अिधिनण त दण ड म प
दश भी ह)] पािरत कर सकगा जसा वह ठीक समझ 2[परन त भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित का कोई भी आदश व यिथत व यिक त को
ा उच चतम न यायालय ारा इस परकार पिरवितत नह िकया जाएगा िजसस िक उस व यिक त पर परितकल परभाव पड़ ] 5[39 पिरसीमा अिधिनयम 1963 की धारा 5 और धारा 12 का लाग होनाndashndashपिरसीमा अिधिनयम 1963 (1963 का 36)
की धारा 5 और धारा 12 क उपबन ध ा यावत शक य धारा 37 और धारा 38 क अधीन की अपील को लाग ह ग ]
40 रोक जान क रप म परवितत नह होगी िकन त यथािस थित भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या उच चतम
न यायालय पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शत पर जो वह ठीक समझ उस आदश को परभावी होन स रोक जान का िनदश द सकगा
7[(2) जहा धारआवदन िकया जाता ह वहा यथािस थित राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित या भारतीय िविधजञ पिरषद की
अनशासन सिमित पयारप त हतक होन पर ऐस िनबन धन और शती ]
क त ाव िरव ( इस न ि िध को िधग ड उस िखndashndash
(क) ऐस अिधवक ता की दशा म िजसका नाम िकसी राज य नामावली म दजर ह उस नामावली म 8
क सामन दजर िकया जाएगा और जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय स हटान का आदश िदया जाता ह वहा उसका नाम राज य नामावली म स काट िदया जाएगा 9
10
(3) जहा िकसी अिधवक ता को िविध-व यवसाय करन स िनलिबत िकया जाता ह या हटा िदया जाता ह वहा क अधीन उसस अनद परमाणपतर वापस ल िलया जाएगा
ासन सिमित की शिक तयाndashndash(1) िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित को िनिसिवल परिकरया सिहता 1908 (1908 का 5) क अधीन िसिवल न यायालय म िनिहत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 18 ारा ldquoधारा 35 की उपधारा (3) क अधीनrdquo क स थान पर परितस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 27 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 28 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 29 ारा (31-1-1974 स) परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) धारा 40 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पन सख यािकत िकया गया 7 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 30 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 8 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 9 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) कितपय शब द का लोप िकया गया 10 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 31 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (2) का लोप िकया गया
18
(क) िकसी व यिक त को समन करना तथा उस हािजर कराना और शपथ पर उसकी परीकषा करना
न ह पश करन की अपकषा करना
या दस तावज की परीकषा क िलए कमीशन िनकालना
ीशन िनकलवाएगा और ऐसी िकसी आदिशका
िलए िनयत की गई तारीख को उस सिमित क अध यकष या िकसी सदस य क
िविधजञ पिरषद का यथािस थित उक त अध यकष य
क भारतीय िविधजञ पिरषद और अन य सिमितय की शिक तयाndashndashधारा 42 क उपबन ध ा भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी िविधजञ पिरषद की वस ही लाग ह ग जस व
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच च न यायालय का आदश हो
44 अनशासन सिमित ारा आदश का पनिवलोकनndashndash िधजञ पिरषद की अनशासन सिमित इस अध याय क अधीन अपन ारा पािरत िकसी ओदश का 4[उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर] स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सकगी
(ख) िकन ह दस तावज को परकट करन और उ
(ग) शपथपतर पर सा य लना
(घ) िकसी न यायालय या कायारलय स िकसी लोक-अिभलख की या उसकी परितिलिपय की अपकषा करना
(ङ) सािकषय
(च) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
परन त िकसी भी ऐसी अनशासन सिमित कोndashndash
(क) िकसी न यायालय क पीठासीन अिधकारी को उस उच च न यायालय की पवर मजरी क िबना िजसक अधीनस थ ऐसा न यायालय ह
(ख) िकसी राजस व न यायालय क िकसी अिधकारी को राज य सरकार की पवर मजरी क िबना हािजर करान का अिधकार नह होगा
(2) िविधजञ पिरषद की िकसी अनशासन सिमित क समकष की सभी कायरवािहया भारतीय दण ड सिहता (1860 का 45) की धारा 193 तथा धारा 228 क अथर म न याियक कायरवािहया समझी जाएगी और परत यक ऐसी अनशासन सिमित कोड आफ िकरिमनल परोसीजर 18981 (1898 का 5) की धारा 480 धारा 482 और धारा 485 क परयोजन क िलए िसिवल न यायालय समझी जाएगी
(3) उपधारा (1) ारा परद शिक तय म स िकसी का परयोग करन क परयोजन क िलए अनशासन सिमित उन राज यकषतर म क िकसी िसिवल न यायालय को िजन पर इस अिधिनयम का िवस तार ह ऐस साकषी का हािजरी क िलए या ऐस दस तावज को पश करन क िलए जो सिमित ारा अपिकषत ह कोई समन या अन य आदिशका भज सकगी या ऐसा कमीशन भज सकगी िजस सिमित िनकालना चाहती ह और ऐसा िसिवल न यायालय यथािस थित उस आदिशका की तामील करवाएगा या कम
को इस परकार परवितत कर सकगा मानो वह उसक समकष हािजरी क िलए या पश िकए जान क िलए कोई आदिशक हो 2[(4) अनशासन सिमित क समकष िकसी मामल की सनवाई कअनपिस थत होन पर भी अनशासन सिमित यिद ठीक समझ तो इस परकार िनयत तारीख को कायरवािहया कर सकगी या उन ह
जारी रख सकगी और ऐसी कोई कायरवाही और ऐसी िकन ह कायरवािहय म अनशासन सिमित ारा िकया गया कोई भी आदश कवल इसी कारण अिविधमान य नह होगा िक उस तरीख को उसका अध यकष या सदस य अनपिस थत था
परन त िकसी कायरवाही म धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अिन तम आदश तब तक नह िकया जाएगा जब तक अनशासन सिमित का अध यकष और अन य सदस य उपिस थत न ह
(5) जहा िकसी कायरवाही म अनशासन सिमित क अध यकष और सदस य की राय क अनसार या तो उनक मध य बहसख यक राय न होन क कारण या अन यथा धारा 35 की उपधारा (3) म िनिदष ट परकित का कोई अितम आदश नह िकया जा सकता हो वहा मामला उस पर उनकी राय सिहत सम ब िविधजञ पिरषद क अध यकष क समकष या यिद िविधजञ पिरषद का अध यकष अनशासन सिमित क अध यकष या सदस य क रप म कायर कर रहा ह तो िविधजञ पिरषद क उपाध यकष क समकष रखा जाएगा और
ा उपाध यकष ऐसी सनवाई क पश चात जस वह ठीक समझ अपनी राय दगा और अनशासन सिमित का अिन तम आदश ऐसी राय क अनरप होगा ]
3[42नामाकन सिमित िनवारचन सिमित िविधक सहायता सिमित या िकसी अन य सिमित क सम बन ध म यथाशक य िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क सम बन ध म लाग होत ह ]
43 अनशासन सिमित क समकष कायरवािहय का खचारndashndashिविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित अपन समकष की िकन ह कायरवािहय क खच क बार म ऐसा आदश कर सकगी जसा वह ठीक समझ और कोई आदश इस परकार िनष पािदत िकया जा सकगा मानो वहndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित क आदश की दशा म उच चतम न यायालय का आदश हो
िव
1 अब दण ड परिकरया सिहता 1973 (1974 का अिधिनयम स० 2) की धारा 345 (1) धारा 346 और धारा 349 दिखए 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 32 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 33 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 34 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
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परन त िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अनशासन स सा कोई पनिवलोकन आदश तब तक परभावी नह होगा जब तक वह भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत न कर िदया ग
परकीणर 45 करन
व यिक त िक
य का पालन करन क परयोजन क िलए िनिध की आवश यकता ह तो वह अनदान क
परित अनिचत भदभाव करता ह वहा स िकसी दश की कोई भी परजा भार
क अधीन अिधवक ता
सदस य क िवर नह होगी
य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित ारा िनपटाई गई ह और िजसक िवर कोई अपील ह हो स
सा कोई आदश जो िकसी व यिक त पर परितकल परभाव डालता ह उस सनवाई का उिचत अवसर िदए िबन
गी ]
ऐस िनदश का अनपा
िविधजञ म शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना उसक पदन सदस य को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक
परतीत ह और ऐस िनदश उस राज य िविधजञ पिरषद ारा बनाए गए िनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग ]
िमित का ऐया हो
अध याय 6
न यायालय म तथा अन य परािधकरण क समकष अवध रप स िविध-व यवसाय वाल व यिक तय क िलए शािस तndashndashकोई सी ऐस न यायालय म या िकसी ऐस परािधकरण या व यिक त क समकष िजसम या िजसक समकष वह इस अिधिनयम क उपबन ध
क अधीन िविध-व यवसाय करन का हकदार नह ह िविध व यवसाय करगा कारावास स िजसकी अविध छह मास तक की हो सकगी दण डनीय होगा
1
2[46क राज य िविधजञ पिरषद को िव ीय सहायताndashndashयिद भारतीय िविधजञ पिरषद का यह समाधान हो जाता ह िक िकसी राज य िविधजञ पिरषद को इस अिधिनयम क अधीन अपन कत
रप म या अन यथा उस िविधजञ पिरषद को ऐसी िव ीय सहायता द सकगी जसी वह ठीक समझ ]
47 पारस पिरकताndashndash(1) जहा कन दरीय सरकार ारा इस िनिम राजपतर म अिधसचना ारा िविनिदष ट कोई दश भारत क नागिरक को िविध व यवसाय करन स रोकता ह या उस राज य म उनक
त म िविध व यवसाय करन की हकदार नह होगी
(2) उपधारा (1) क उपबन ध क अधीन रहत हए भारतीय िविधजञ पिरषद ऐसी शत यिद कोई ह िविहत कर सकगी िजनक अधीन रहत हए भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त िवदशी अहरता को इस अिधिनयम
क रप म परवश क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
48 िविधक कायरवािहय क िवर सरकषणndashndashइस अिधिनयम या उसक अधीन बनाए िकन ह िनयम क उपबध क अनसरण म सद भावपवरक िकए गए या िकए जान क िलए आशियत िकसी कायर क िलए कोई भी वाद या अन य िविधक कायरवाही िकसी िविधजञ पिरषद 3[या उसकी िकसी सिमित क] या िविधजञ पिरषद क या उसकी िकसी सिमित क
4[48क पनरीकषण की शिक तndashndash(1) भारतीय िविधजञ पिरषद िकसी भी समय इस अिधिनयम क अधीन िकसी ऐसी कायरवाही का अिभलख मगा सकगी जो िकसी राज न कती ह ऐसा भारतीय िविधजञ पिरषद ऐस िनपटार की वधता या औिचत य क बार म अपना समाधान करन क परयोजन क िलए करगी और उसक सम बन ध म ऐस आदश पािरत कर सकगी जो वह ठीक समझ
(2) इस धारा क अधीन ऐा पािरत नह िकया जाएगा
5[48कक पनिवलोकनndashndash भारतीय िविधजञ पिरषद या उसकी अनशासन सिमित स िभन न उसकी सिमितय म स कोई भी सिमित इस अिधिनयम क अधीन अपन ारा पािरत िकसी आदश का उस आदश की तारीख स साठ िदन क भीतर स वपररणा स या अन यथा पनिवलोकन कर सक
48ख िनदश दन की शिक तndashndash(1) िकसी राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य क उिचत और दकषतापणर िनवरहन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अपन साधारण अधीकषण और िनयन तरण की शिक तय का परयोग करत हए राज य िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित को ऐस िनदश द सकगी जो उस आवश यक परतीत ह और राज य िविधजञ पिरषद या सिमित
लन करगी
(2) जहा कोई राज य पिरषद िकसी भी कारण स अपन कत य का पालन करन म अस थर ह वहा भारतीय िविधजञ पिरषद पवरगामी
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 8 ारा (26-12-1993 स) धारा 46 का लोप िकया गया
अन तस थािपत
2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 35 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 36 ारा (31-1-1974 स)4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 19 ारा अन तस थािपत 5 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 37 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
20
49 भारतअधीन अ अथारत ndash
ार हो सकगा िजनक अन तगरत मतदाता की अहरताए या िनरहरताए भी ह और वह रीित िजसस मतदाता की िनवारचक नामावली राज
) िकसी िविधजञ पिरषद की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
को परभावी िकया जा सकगा
रीित िजसस िकसी अिधवक ता क नाम को एक स अिधक राज य की नामावली म दजर िकए जान स रोका जा सकगा
िकषत न यनतम अह
ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए हकदार व यिक तय का वगर या परवगर
कार होगा और व पिरिस थितया
क राज य की नामावली स दसर म िकसी अिधवक ता क नाम क अन तरण क िलए आवदन िकया जाएगा
ष टाचार क मानक
रीकषण
हरताए िजन ह इस अिधिनयम क अधीन अिधव
नशासन सिमित ारा और अपनी अनशासन सिमित ारा अनसिरत की जान वाली परिकरया
न
मकष हािजर होन वाल अिधवक ता ारा पहल
रदशरन क िलए साधारण िस ान त और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ
हत की जाए ]
न दरीय सरकार ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ]
ीय िविधजञ पिरषद की िनयम बनान की साधारण शिक तndashndash1[(1)] भारतीय िविधजञ पिरषद इस अिधिनयम क पन कत य क िनवरहन क िलए िनयम बना सकगी और िविशष टतया ऐस िनयम िनम निलिखत क बार म िविहत कर सकग ndash
2[(क) व शत िजनक अधीन रहत हए कोई अिधवक ता राज य िविधजञ पिरषद क िकसी िनवारचन म मतदान करन क िलए हकद
य िविधजञ पिरषद ारा तयार और पनरीिकषत की जा सकगी
(कख
(कग) वह समय िजसक भीतर और वह रीित िजसस धारा 3 की उपधारा (2) क परन तक
(कघ) वह
(कङ) वह रीित िजसस िकन ह अिधवक ता की परस पर ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी 3[(कच) िकसी मान यता पराप त िवश विव ालय म िविध की उपािध क पा करम म परवश पान क िलए अप
रताए]
(कछ) अिधवक
(कज) व शत िजनक अधीन रहत हए िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय करन का अिध िजनम िकसी व यिक त क बार म यह समझा जाएगा िक वह िकसी न यायालय म िविध व यवसाय करता ह]
(ख) वह पररप िजसम ए
(ग) अिधवक ता ारा अनपालन िकए जान वाल वि क आचरण और िश
(घ) भारत म िवश विव ालय ारा अनपालन िकया जान वाला िविध िशकषा का स तर और उस परयोजन क िलए िवश विव ालय का िन
(ङ) भारत क नागिरक स िभन न व यिक तय ारा िविध िवषय म पराप त ऐसी िवदशी अक ता क रप म परवश पान क परयोजन क िलए मान यता दी जाएगी
(च) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की अ
(छ) िविध व यवसाय क मामल म व िनबरन धन िज क अधीन विरष ठ अिधवक ता ह ग 4[(छछ) जलवाय को ध यान म रखत हए िकसी न यायालय या अिधकरण क सी जान वाली पोशाक या पिरधान ]
(ज) इस अिधिनयम क अधीन िकसी मामल की बाबत उदगहीत की जा सकन वाली फीस 5[(झ) राज य िविधजञ पिरषद क माग
पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िदए गए आदश को परवितत िकया जा सकगा
(ञ) कोई अन य बात जो िवि3[परन त खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व भारत क
मख य न यायािधपित ारा अनमोिदत न कर िदए गए ह ] 6[परन त यह और िक] खड (ङ) क परित िनदश स बनाए गए कोई भी िनयम तब तक परभावी नह ह ग जब तक व क
1 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) धारा 49 को उस धारा की उपधारा (1) क रप म पनसख यािकत िकया गया 2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (क) क स थान पर परितस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) खण ड (कच) क स थान पर परितस थािपत 4 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 20 ारा खण ड (झ) क स थान पर परितस थािपत 6 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 38 ारा (31-1-1974 स) ldquoपरन तrdquo क स थान पर परितस थािपत
21
3[(2) उपधारा (1) क परथम परन तक म िकसी बात क होत हए भी उक त उपधारा क खण ड (ग) या खण ड (छछ) क परित िनदश स बनाए गए कोई िनयम और जो अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1973 (1973 का 60) क परारम भ क ठीक पवर परव थ तब तक परभावी बन रहग जब तक व इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार या पिरवितत िनरिसत या सशोिधत नह कर िदए जात ]
जपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इनक अन तगरत िकसी ऐस िवषय क बार म िनयम भी ह ग िजसक िलए भारतीय िविधजञ पि
(2) िविशकर सकग
की सदस यता क िलए अहरताए और ऐसी सदस यता क िलए िनरहरताए
उन पर िनयतरण र
ा वगर या परवगर
रक ज यष ठता अवधािरत की जा सकगी
षद ारा बनाए गए िकसी िनयम का कोई उपबन ध ा इस धारा क अधीन कन दरीय सरकार ारा बनाए गए
सदन उस िनयम म कोई पिरवतरन करन क िलए सहमत ह
िमितय का िनरसनndashndash(1) उस तारीख को िजसको इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन ि (दोन सिहत) धारा 9 की उपधारा (1) (पिरषद ग
ध याय 3 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
धिनयम की धारा 8
अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 का उतना भाग िजतना िविध
1[49क कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) कन दरीय सरकार इस अिधिनयम क परयोजन को कायारिन वत करन क िलए िनयम रा
रषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद को िनयम बनान की शिक त ह
ष टतया और पवरगामी शिक त की व यापकता पर परितकल परभाव डाल िबना ऐस िनयम िनम निलिखत क िलए उपबध ndashndash
(क) िकसी िविधजञ पिरषद
(ख) वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद राज य िविधजञ पिरषद का पयरवकषण कर सकगी और ख सकगी और वह रीित िजसस भारतीय िविधजञ पिरषद ारा जारी िकए गए िनदश या िकए गए आदश को
परवितत िकया जा सकगा
(ग) इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामाकन क िलए हकदार व यिक तय क
(घ) ऐस व यिक तय का परवगर िजन ह धारा 24 की उपधारा (1) क खड (घ) क अधीन िविहत परिशकषण पा करम को परा करन और परीकषा उ ीणर करन स छट दी जा सकगी
(ङ) वह रीित िजसस अिधवक ता की पारस पि
(च) िकसी िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा मामल की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया और भारतीय िविधजञ पिरषद की अनशासन सिमित ारा अपील की सनवाई म अनसिरत की जान वाली परिकरया
(छ) कोई अन य बात जो िविहत की जाए
(3) इस धारा क अधीन िनयम या तो सम पणर भारत क िलए या सभी िविधजञ पिरषद या उनम स िकसी क िलए बनाए जा सकग
(4) यिद िकसी िविधजञ पिर िकसी िनयम क िकसी उपबन ध क िवर ह तो इस धारा क अधीन बनाया गया िनयम चाह वह िविधजञ पिरषद ारा बनाए
गए िनयम स पहल बनाया गया हो या उसक पश चात बनाया गया हो अिभभावी होगा अर िविधजञ पिरषद ारा बनाया गया िनयम िवर ता की सीमा तक शन य होगा
2[(5) इस धारा क अधीन बनाया गया परत यक िनयम बनाए जान क पश चात यथाशीघर ससद क परत यक सदन क समकष जब वह सतर म हो कल तीस िदन की अविध क िलए रखा जाएगा यह अविध एक सतर म अथवा दो या अिधक आनकरिमक सतर म परी हो सकगी यिद सतर क या पव क त आनकरिमक सतर ठीक बाद क सतर अवसान क पवर दोन
ो जाए तो पश चात वह ऐस पिरवितत रप म ही परभावी होगा यिद उक त अवसान क पवर दोन सदन सहमत हो जाए िक वह िनयम बनाया जाना चािहए तो तत पश चात वह िनष परभाव हो जाएगा िकन त िनयम क ऐस पिरवितत या िनष परभाव होन स उसक अधीन पहल की गई िकसी बात की िविधमान यता पर परितकल परभाव नह पड़गा ]
50 कछ अिधिनयकया जाता ह भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 3 स धारा 7 तक
2) और (3) धारा 15 और धारा 20 क उपबन ध उस राज यकषतर म िनरिसत हो जाएग िजसक िलए राज य िविधजञ िठत की गई ह
(2) उस तारीख को िजसको अ
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 6 धारा 7 धारा 18 और उस अिधारा 9 धारा 16 धारा 17 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय क परवश और
नामाकन स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 3 धारा 4 और धारा 6
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषदव यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 21 ारा अन तस थािपत 2 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 39 ारा (31-1-1974 स) उपधारा (5) क स थान पर परितस थािपत
22
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत ह
(3) उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
उस अिधिनयम
20 का मम बई अिधिनयम 17) की धारा 5 धारा 7 धारा 8 और धारा 9
अिधिनयम की धारा 8 और धारा 15
धारा 24 तना भाग िजत
) की धारा 24 स धारा 27 तक (दोन सिहत)
(1926 का 38) की धारा 10 स धारा 13 तक (दोन सिहत)
धिनयम परव हो जाता ह तबndashndash
9 (1879 का 18) की
न यायालय ारा नामािकत िकसी अिधवक ता क परित िकन ह भी श
अिधिनयम की कोई भी बात सिवधान क अनच छद 145 क अधीन िनम निलिखत क िलए उच चतम न यायालय की िनयम
(क) व शत अिधकिथत करना िजनक अध ए विरष ठ अिधवक ता उस न यायालय म िविध व यवसाय करन का हकदार होगा
कार हकदार ह और साधारणत
लत ह वहा ldquoउच च न यायालयrdquo पद क अन तगरत उस सघ राज यकषतर क न याियक आयक त का न यायालय सिम मिलत होगा
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 4 धारा 5 धारा 10 और धारा 20 और की धारा 8 धारा 9 धारा 19 और धारा 41 का उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या
िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद ा करता ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (19
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 और उसका उतना भाग िजतना िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध
व यवसाय करन का अिधकार परद करता ह
(घ) सपरीम कोटर एडवोकटस (परिक टस इन हाई कोटर स) ऐक ट 1951 (1951 का 18)
(ङ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िविध व यवसाियय को िकसी न यायालय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन का अिधकार परद करन वाली िकसी अन य िविध क उपबध
(4) उस तारीख को िजसको अध याय 5 परव होता ह िनम निलिखत िनरिसत हो जाएग अथारत ndashndash
(क) िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) की धारा 12 स धारा 15 तक (दोन सिहत) धारा 21 सतक (दोन सिहत) और धारा 39 और धारा 40 तथा उस अिधिनयम की धारा 16 धारा 17 और धारा 41 का उना िविध व यवसाियय क िनलिबत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सम बिन धत ह
(ख) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17
(ग) भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926
(घ) िकसी उच च न यायालय क लटसर पटन ट क और िकसी अन य िविध क उपबन ध जहा तक व िविध व यवसाियय क िनलिम बत िकए जान हटाए जान या पदच यत िकए जान स सबिधत ह
(5) जब यह सम पणर अि
(क) इस धारा म िनिदष ट ऐस अिधिनयम क शष उपबन ध [िविध व यवसायी अिधिनयम 187धारा 1 धारा 3 और धारा 36 क िसवाय] जो इस धारा क पवरगामी उपबन ध म स िकसी आधार पर िनरिसत नह हए ह िनरिसत हो जाएग
(ख) अनसची म िविनिदष ट अिधिनयिमितया उनम विणत सीमा तक िनरिसत हो जाएगी
51 अथारन वयन क िनयमndashndashिनयत िदन स ही िकसी अिधिनयिमित म िकसी उच च ब द म िनदश का यह अथर लगाया जाएगा िक व इस अिधिनयम क अधीन नामािकत अिधवक ता क परित िनदश ह
52 व यावि ndashndashइस बनान की शिक त पर परभाव डालन नह समझी जाएगी अथारत ndashndash
ीन रहत ह
(ख) ऐस व यिक तय को िनिश चत करना जो उस न यायालय म [कायर या अिभवचन करन] क हकदार ह ग
अध याय 7
अस थायी और सकरमणकालीन उपबन ध
1
53 परथम राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनवारचनndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस अिधिनयम क अधीन परथम बार गिठत िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िनवारिचत सदस य ऐस अिधवक ता वकील प लीडर और अटिनय ारा अपन म स िनवारिचत िकए जाएग जो िनवारचन की तारीख को उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क िलए सािध
या ऐस राज यकषतर क भीतर िविध व यवसाय कर रह ह िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह
स पष टीकरणndashndashजहा उस राज यकषतर म िजसक िलए िविधजञ पिरषद का गठन िकया जाना ह कोई सघ राज यकषतर सिम मि
1 1993 क अिधिनयम स० 70 की धारा 9 ारा ldquoकायर करनrdquo क स थान पर परितस थािपत
23
54 परथम राज य िविधजञ पिरषद क सदस य की पदाविधndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परथम बार गिठत द क 2 िनवारिचत सदस य की पदाविध पिरषद क परथम अिधवशन की तारीख स दो वषर होगी
पनगरठन नह हो जा
का मम बई अिधिनयम 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधि क अ अि क ता क प म न ािकत ए जान लए न नह रता ह ा उसक ए अिहत नह ह
79 का 18) या िकसी अन य िवि
नह ह
धीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदन
56 िव राज य िविधजञ पिरषद क (ि
नई िविधजञ पिरषद म िनिहत ह गी
दाियत व और बाध यताए ह गी
म िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी राज य िविधजञ पिरषद क सम बन ध म ldquoतत स थानी िविधजञ पिरषदrdquo स उस राज य
57 िविध िधिनयम क अधीन िकसी िविधजञ पिरषद का गठन नह कर िलया यम बनान की शिक त का परयोगndashndash
(क) भारतीय िविधजञ पिरषद की दशा म उच चतम न यायालय ारा
न यथा अपन कत य
1 राज य िविधजञ पिरष3[परन त ऐस सदस य तब तक पद धारण िकए रहग जब तक इस अिधिनयम क उपबध क अनसार राज य िविधजञ पिरषद का
ता ]
55 िव मान कछ िविध व यवसाियय क अिधकार का परभािवत न होनाndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भीndashndash
(क) परत यक प लीडर या वकील जो उस तारीख स िजसको अध याय 4 परव होता ह (िजस इस धारा म इसक पश चात उक त तारीख कहा गया ह) ठीक पवर उस हिसयत म िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920
नयम धीन धव र ाम िक क ि चय क य िल 4
5[(ग) परत यक मख तार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (18ध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह और जो इस अिधिनयम क अधीन
अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान क िलए चयन नह करता ह या उसक िलए अिहत
(घ) परत यक राजस व अिभकतार जो उक त तारीख क ठीक पवर िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 17) या िकसी अन य िविध क उपबन ध क आधार पर उस हिसयत म िविध व यवसाय कर रहा ह]
इस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) या अन य िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय म या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन क सम बन ध म उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अ
सार पव क त अिधिनयम या िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो उनका िनरसन ही न हआ हो
मान िविधजञ पिरषद का िवघटनndashndash(1) इस अिधिनयम क अधीन िदल ली िविधजञ पिरषद स िभन न िकसी जस इसम इसक पश चात नई िविधजञ पिरषद कहा गया ह) गठन परndashndash
(क) तत स थानी िविधजञ पिरषद म िनिहत सभी सम पि या और आिस तया
(ख) तत स थानी िविधजञ पिरषद क सभी अिधकार दाियत व और बाध यताए चाह व िकसी सिवदा स उदभत ह या अन यथा नई िविधजञ पिरषद क करमश अिधकार
(ग) िकसी आनशासिनक मामल क बार म या अन यथा तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिम बत सभी कायरवािहया नई िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी
(2) इस धाराकषतर क उच च न यायालय क िलए िविधजञ पिरषद अिभपरत ह िजसक िलए इस अिधिनयम क अधीन राज य िविधजञ पिरषद का
गठन िकया गया ह
जञ पिरषद का गठन होन तक िनयम बनान की शिक तndashndashजब तक इस अ जाता ह तब तक इस अिधिनयम क अधीन उस िविधजञ पिरषद की िन
(ख) िकसी राज य िविधजञ पिरषद की दशा म उच च न यायालय ारा
िकया जाएगा 6[58 सकरमणकाल क दौरान िवशष उपबन धndashndash(1) जहा इस अिधिनयम क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद का गठन नह
िकया गया ह या जहा इस परकार गिठत कोई राज य िविधजञ पिरषद िकसी न यायालय क िकसी आदश क कारण या अ
1 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) ldquoभारतीय िविधजञ पिरषद औरrdquo शब द का लोप िकया गया 2 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 3 ारा ldquoनामिनदिशत औरrdquo शब द का लोप िकया गया 3 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 22 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत 4 1976 क अिधिनयम स० 107 की धारा 10 ारा (1-1-1977 स) खण ड (ख) का लोप िकया गया 5 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 23 ारा खण ड (ग) क स थान पर परितस थािपत 6 धारा 58 और धारा 59 1962 क अिधिनयम स० 14 की धारा 4 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
24
का पालन करन म असमथर ह वहा उस िविधजञ पिरषद या उसकी िकसी सिमित क कत य का पालन जहा तक उनका अिधवक ता क परवश और नामाकन स सम बन ध ह इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार उच च न यायालय ारा िकया जाएगा
(2) जब तक अध याय 4 परव नह होता ह तब तक राज य िविधजञ पिरषद या िकसी राज य िविधजञ पिरषद क कत य का पालन करन वाला उच च न यायालय िकसी व यिक त को यिद वह इस अिधिनयम क अधीन नामािकत िकए जान क िलए अिहत ह तो इस बात क होत हए
(जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत नह ह) जारी िकए गए या नवीकत परत यक परमाणपतर क बार म ज
औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ और सभी
जञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान
क अधीन
व िकसी िविध क अधीन उस राज यकषतर क न याियक आयक त क न यायालय की नामावली म 1 िदसम बर 1961 क ठीक पवर अिधवक ता थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की
भी िक धारा 28 क अधीन कोई िनयम नह बनाए गए ह या इस परकार बनाए गए िनयम भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत नह ह िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत कर सकगा और इस परकार नामािकत परत यक व यिक त जब तक वह अध याय परव नह हो जाता भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 14 क अधीन िकसी अिधवक ता को िविध व यवसाय क िलए परद सभी अिधकार का हकदार होगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 1 िदसम बर 1961 स ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता था या जो इस अिधिनयम क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत कर िलया गया ह जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह तब तक उच चतम न यायालय ारा इस िनिम बनाए गए िनयम क अधीन रहत हए उच चतम न यायालय म िविध व यवसाय करन का सािधकार हकदार होगा
(4) धारा 50 की उपधारा (2) ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) क या बाम ब प लीडसर ऐक ट 1920 (1920 का मम बई अिधिनयम 17) क 1[या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सबिधत िकसी अन य िविध क उपबध क िनरिसत होत हए भी पव क त अिधिनयम और िविध क] और उनक अधीन बनाए गए िकन ह िनयम क उपबध जहा तक व िकसी िविध व यवसायी को िविध व यवसाय करन क िलए उस परािधकत करन वाल िकसी परमाणपतर 2[क नवीकरण स या नवीकरण क रप म परमाणपतर जारी िकए जान] स सम बिन धत ह तब तक परभावी रहग जब तक अध याय 4 परव नह हो जाता ह और तदनसार ऐस िविध व यवसायी को
ो या तो पव क त दोन अिधिनयम म स िकसी अिधिनयम क 3[या उक त अन य िविध क] उपबन ध क अधीन 1 िदसम बर 1961 स आरम भ होकर उस तारीख को िजसको अध याय 4 परव होता ह समाप त होन वाली अविध क दौरान जारी िकया गया ह या नवीकत ह या िजसका ऐस जारी िकया जाना या नवीकरण तात पियत ह यह समझा जाएगा िक वह वध रप स जारी िकया गया ह या नवीकत ह
4[58क कछ अिधवक ता क बार म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधनयम क िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 26 जलाई 1948 स ठीक पवर इलाहाबाद क उच च न यायालय म या अवध क मख य न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह यनाइटड परािवन सज हाई कोटर स (अमलगमशन) आडरर 1948 म उपबध क अधीन इलाहाबाद क नए उच च न यायालय म अिधवक ता क रप म िविध व यवसाय करन की मान यता पराप त थी िकन त िजनक नाम कवल उक त उच च न यायालय की िविधजञ पिरषद को सदय फीस क सदाय न िकए जान क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म
ऐस अिधवक ता जो उस रप म उक त तारीख और 26 मई 1952 क बीच उस रप म नामािकत िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर उ र परदश की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 10 अक तबर 1952 क ठीक पवर हदराबाद उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ िकन त िजनक नाम उक त उच च न यायालय की िविध
क कारण उस उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म औपचािरक रप स दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन उक त उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर आन धर परदश या महाराष टर की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो 1 मई 1960 क ठीक पवर मम बई उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ और िजन ह न भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 8 क उपबन ध
गजरात उच च न यायालय की अिधवक ता नामावली म अपन नाम दजर करवान क िलए आवदन िकए थ िकन त िजनक नाम उक त उपबध क िनरिसत हो जान क कारण इस परकार दजर नह िकए गए थ धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए उक त अिधिनयम क अधीन गजरात उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिम आवदन िकए जान पर गजरात की राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(4) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी सभी ऐस व यिक त जो िकसी राज यकषतर म पर
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) कितपय शब द क स थान पर परितस थािपत
ितस थािपत
4 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 25 ारा धारा 58क और धारा 58ख अन तस थािपत
2 1964 क अिधिनयम स० 21 की धारा 24 ारा ldquoजारी और नवीकरणrdquo क स थान पर पर3 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 3 ारा (भतलकषी परभाव स) अन तस थािपत
25
नामावली
गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो मदरास िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस
ािरता क अधीन बना रहगा िजसका उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उसन उपभोग िकया था या िजसक
पबिन धत ह उसक िसवाय उसक बार म यह समझा जाएगा िक वह
द की नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान
ा चाह उसका नाम कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो या िकसी अन
था उच च न यायालय ारा उसक नामाकन
धीन उस कषतर म ऐस परवास स पवर प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार रहा ह तो ऐस अिधिनयम या ऐसी नामािकत िकया जा
िधिनयम या ऐसी िविध क अधीन समिचत परािधकारी को इस परयोजन क िलए आवदन करता ह और
म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए गए व यिक त समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त इस िनिमत िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
1[58कक पािडचरी सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खण ड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकए
िनिम िकए गए आवदन पर उस सघ राज यकषतर क िलए रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबध को पािडचरी सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क अधीन क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय करता था और जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह पािडचरी (एक सटशन आफ लॉज) ऐक ट 1968 (1968 का 26) ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरिसत होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकारी की अनशासिनक अिधक
अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ ]
2[58कख कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म या िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म या भारतीय िविधजञ पिरषद ारा पािरत िकसी सकल प या िदए गए िनदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो कनारटक उच च न यायालय स प लीडर का परमाणपतर पराप त करन क आधार पर 28 फरवरी 1963 स परारभ होकर 31 माचर 1964 को समाप त होन वाली अविध क दौरान कनारटक राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया था तो जसा उउस राज य की नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान य रप स परिवष ट िकया गया ह और तदनसार िविध व यवसाय करन का (अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
परन त जहा ऐस िकसी व यिक त न िकसी अन य राज य िविधजञ पिरषका चयन िकया ह वहा उसका नाम उस तारीख स िजसको वह उस अन य राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत िकया गया था कनारटक राज य िविधजञ पिरषद की नामावली स काट िदया गया समझा जाएगा
परन त यह और िक ऐस व यिक त की ज यष ठतय िविधजञ पिरषद की राज य नामावली म हो धारा 17 की उपधारा (3) क खड (घ) क परयोजन क िलए 16 मई 1964 को
परवश की तारीख मान कर अवधािरत की जाएगी ] 3[58कग उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा नामािकत कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम या
िकसी न यायालय क िकसी िनणरय िडकरी या आदश म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो 2 जनवरी 1962 स परारम भ ा होकर 25 मई 1962 को समाप त होन वाली अविध क दौरान उच च न यायालय ारा अिधवक ता क रप म नामािकत था और तत पश चात उ र परदश राज य िविधजञ पिरषद ारा राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया गया
की तारीख स उस राज य नामावली म अिधवक ता क रप म िविधमान यत परिवष ट िकया गया समझा जाएगा और तदनसार िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) हकदार होगा
58कघ भारत म परवास करन वाल कछ व यिक तय की बाबत िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम ारा िविध व यवसायी अिधिनयम 1879 (1879 का 18) या िविध व यवसाियय क परवश और नामाकन स सम बिन धत िकसी अन य िविध क (िजस इस धारा म इसक पश चात ऐसा अिधिनयम या ऐसी िविध कहा गया ह) उपबन ध क िनरसन होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो िकसी ऐस कषतर स जो 15 अगस त 1947 स पवर भारत शासन अिधिनयम 1935 म पिरिनिश चत भारत म समािवष ट राज यकषतर था परवास करता ह और ऐस िकसी कषतर म परव िकसी िविध क अ
िविध क ससगत उपबन ध क अधीन यथािस थित प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार क रप म परिवष ट और सकगा यिद वहndashndash
(क) ऐस अ
1 1968 क अिधिनयम स० 26 की धारा 3 और अनसची ारा अन तस थािपत 2 1968 क अिधिनयम स० 33 की धारा 3 ारा (5-6-1968 स) अन तस थािपत 3 1973 क अिधिनयम स० 60 की धारा 40 ारा (31-1-1974 स) अन तस थािपत
26
(ख) भारत का नागिरक ह और पव क त समिचत परािधकारी ारा इस िनिम िविनिदष ट अन य शत को यिद कोई ह परी करता ह
और इस अिधिनयम ारा ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी इस परकार नामािकत परत यक प लीडर मख तार या राजस व अिभकतार को िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय करन की बाबत वस ही अिधकार पराप त ह ग और वह ऐस अिधिनयम या ऐसी िविध क ससगत उपबनध क अनसार िजस परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन होना उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता म वस ही बना रहगा मानो ऐस अिध
मझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो महाराष टर की िविधजञ पिरषद
रप म परिवष ट िकया जा सकगा
िधकािरता क अधीन बना रहगा िजनका उसन उक त तारीख स ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह
भाग गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव होता ह उस सघ राज य
गए समझ जाएग और परत यक ऐसा व यिक त उतन समय क भीतर जो भारतीय
उक त राज य म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर हकदार था या यिद वह उक त तारीख को लोक सवा म न होता तो इस परकार िवष ट िकया जा सकगा यिद वह ndashndash
िनयम या ऐसी िविध का िनरसन ही नह िकया गया था और तदनसार व उपबन ध ऐस व यिक तय क सम बन ध म परभावी ह ग
58कङ गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी व यिक त जो गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म अध याय 3 क उपबन ध क परव िकए जान की तारीख स ठीक पवर िविध व यवसाय (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा) करन क िलए उक त सघ राज य ोतर म परव िकसी िविध क अधीन हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए गए व यिक त स
ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए आवदन पर उक त सघ राज यकषतर क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क
परन त इस उपधारा क उपबन ध िकसी ऐस व यिक त को लाग नह ह ग जो पव क त आवदन की तारीख को भारत का नागिरक नह था
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को गोवा दमण और दीव सघ राज यकषतर म परव िकया जाता ह उक त सघ राज यकषतर म परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या कायर ारा या दोन क ारा या िकसी अन य परकार स) िविध व यवसाय कर रहा था या जो उपधारा (1) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अ
था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबध ऐस व यिक तय क बार म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(3) उस तारीख को िजसको यह अिधिनयम या इसका कोई कषतर म परव ऐसी िविध भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान हो और इस अिधिनयम की धारा 50 क
उपबन ध क आधार पर िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी
58कच जम म-कश मीर क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndash(1) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी ऐस सभी अिधवक ता जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह उस राज य क उच च न यायालय म िविध व यवसाय करन क हकदार थ या जो यिद व उक त तारीख को लोक सवा म न होत तो इस परकार हकदार होत धारा 17 की उपधारा (1) क खड (क) क परयोजन क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय की नामावली म अिधवक ता क रप म दजर िकए
िविधजञ पिरषद ारा िविनिदष ट िकया जाए इस िनिम िकए गए आवदन पर उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म परिवष ट िकया जा सकगा
(2) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक व यिक त जो जम म-कश मीर राज य म उस तारीख क ठीक पवर िजसको अध याय 3 क उपबन ध को परव िकया जाता ह अिधवक ता स िभन न िकसी रप म िविध व यवसाय करन का (चाह अिभवचन ारा या दोन क ारा)
हकदार होता उक त राज य क सम बन ध म रखी गई राज य नामावली म अिधवक ता क रप म पर
(i) इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार ऐस नामाकन क िलए आवदन करता ह और
(ii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) और (च) म िविनिदष ट शत को परा करता ह
(3) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा व यिक त जो उस तारीख स ठीक पवर िजसको अध याय 4 क उपबन ध को जम म-कश मीर राज य म परव िकया जाता ह वहा परव िकसी िविध क उपबन ध क आधार पर (चाह अिभवचन ारा या काय क ारा या दोन क ारा) िविध व यवसाय करता था या जो उपधारा (1) या उपधारा (2) क अधीन अिधवक ता क रप म नामािकत िकए जान का चयन नह करता ह या नामािकत िकए जान क िलए अिहत नह ह इस अिधिनयम ारा ऐसी िविध क ससगत
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उपबन ध क िनरसन क होत हए भी िकसी न यायालय या राजस व कायारलय म या िकसी अन य परािधकरण या व यिक त क समकष िविध व यवसाय की बाबत उन ह अिधकार का उपभोग करता रहगा और उसी परािधकरण की अनशासिनक अिधकािरता क अधीन बना रहगा िज
अिधिनयम या इसका कोई भाग जम म-कश मीर राज य म परव होता ह उस राज य म परव ऐसी िविध
य क अटन क रप म नामाकन क परयोजन क िलए 1976 क िदसम बर क राज य नामावली म अिधवक
दन क पवर इण टरमीिडएट परीकषा उ ीणर कर
क परयोजन क िलए कलक ा िस थत उच च ा न यायालय ऐस िनयम िविहत कर और उनस सबिधत कोई
ी बाबत परत यक कायरवाही उपधारा (2) क परथम परन तक म जसा उपबिन धत
अधीन कोई कायरवाही लिबत ह तो वह कायरवाही
यालय मामल का िनपटारा करगा और उस उच च न या
अधीन आग जाच करन क िल
ी उस राज य िविधजञ पिरषद को अन तिरत हो जाएगी िजसकी नामावली म उसका नामाकन िकया गया ह और इस अिधिनयम
की नामावली म अिधवक ता क रप म नामाकन िकया गया था और जो िकसी अनशासिन क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता म
नका उसन उक त तारीख क ठीक पवर यथािस थित उपभोग िकया था या िजसक अधीन वह था और तदनसार पव क त िविध क ससगत उपबन ध ा ऐस व यिक तय क सम बन ध म वस ही परभावी ह ग मानो व िनरिसत ही नह िकए गए थ
(4) उक त तारीख को िजसको यह भी जो इस अिधिनयम क या उसक ऐस भाग क तत समान ह और इस अिधिनयम की धारा 50 क उपबन ध क आधार पर
िनरिसत न हई हो िनरिसत हो जाएगी ] 1[58कछ आब िशकषािथय क सम बन ध म िवशष उपबन धndashndashइस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परत यक ऐसा
व यिक त िजसन अिधवक ता (सशोधन) अिधिनयम 1976 (1976 का 107) ारा धारा 34 की उपधारा (2) का लोप िकए जान क पवर उस उपधारा क अधीन बनाए गए िनयम क अनसरण म कलक ा िस थत उच च न यायाल
इकतीसव िदन क ठीक पवर आब िशकषाथ का कायर परारम भ कर िदया ह और परारिम भक परीकषा उ ीणर कर ली हता क रप म तभी परिवष ट िकया जा सकगा जब वहndashndash
(i) 1980 क िदसम बर क इकतीसव िदन को या उसक पवर िनम निलिखत परीकषा म उ ीणर हो जाता ह अथारत ndashndash
(क) उस दशा म जब ऐस व यिक त न 1976 क िदसम बर क इकतीसव ि ली ह अितम परीकषा
(ख) िकसी अन य दशा म इण टरमीिडएट परीकषा और अितम परीकषा
स पष टीकरणndashndashइस खडसकगा जो धारा 34 की उपधारा (2) क अधीन आवश यक ह और उनम परीकषा क स वरपअन य िवषय िविनिदष ट करगा
(ii) ऐस नामाकन क िलए इस अिधिनयम क उपबन ध क अनसार आवदन करता ह और
(iii) धारा 24 की उपधारा (1) क खड (क) (ख) (ङ) और (च) म िविनिदष ट शत परी करता ह ]
58ख कछ अनशासिनक कायरवािहय स सम बिन धत िवशष उपबन धndashndash(1) 1 िसतम बर 1963 स िकसी उच च न यायालय क िकसी िविधमान अिधवक ता क सबध म िकसी अनशासिनक मामल क
ह उसक िसवाय उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद ारा इस परकार िनपटाई जाएगी मानो िव मान अिधवक ता उसकी नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत था
(2) यिद िकसी उच च न यायालय क समकष िकसी िव मान अिधवक ता स सम बिन धत िकसी अनशासिनक मामल क सम बन ध म उक त तारीख क ठीक पवर भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क
उस उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी मानो वह कायरवाही धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
परन त जो िकसी ऐसी कायरवाही की बाबत भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) की धारा 11 क अधीन गिठत िकसी अिधकरण का िनष कषर उच च न यायालय को पराप त हो गया ह वहा वह उच च न या
यालय क िलए यह िविधपणर होगा िक वह उस परयोजन क िलए उन सभी शिक तय का जो उक त अिधिनयम की धारा 12 क अधीन उस परदान की गई ह इस परकार परयोग कर मानो वह धारा िनरिसत ही न हई हो
परन त यह और िक जहा उच च न यायालय न कोई मामला उक त अिधिनयम की धारा 12 की उपधारा (4) कए वापस भजा ह वहा वह कायरवाही उच च न यायालय क सम बन ध म राज य िविधजञ पिरषद को इस परकार अन तिरत हो जाएगी
मानो वह धारा 56 की उपधारा (1) क खड (ग) क अधीन तत स थानी िविधजञ पिरषद क समकष लिबत कायरवाही हो
(3) यिद िकसी ऐस प लीडर वकील मख तार या अटन क सम बन ध म जो अिधिनयम क अधीन िकसी राज य नामावली म अिधवक ता क रप म नामािकत िकया गया ह िकसी अनशासिनक मामल की बाबत कोई कायरवाही उक त तारीख स ठीक पवर लिबत ह तो ऐसी कायरवाह
क अधीन उसकी बाबत इस परकार कायरवाही की जाएगी मानो वह उस अिधिनयम क अधीन उसक िवर उदभत होन वाली कायरवाही हो
(4) इस धारा म ldquoिव मान अिधवक ताrdquo स ऐसा व यिक त अिभपरत ह िजसका भारतीय िविधजञ पिरषद अिधिनयम 1926 (1926 का 38) क अधीन िकसी उच च न यायालय
क मामल की बाबत अपन िवर कोई कायरवाही शर करन क समय इस अिधिनयम रप म नामािकत नह ह
1 1977 क अिधिनयम स० 38 की धारा 7 (31-10-1977 स) अन तस थािपत
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(5) इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी इस धारा क उपबन घ परभावी ह ग ]
59 किठनाइय का दर िकया जानाndashndash(1) यिद इस अिधिनयम क उपबन ध को परभावी करन म िविशष टतया इस अिधिनयम ारा िनरिसत अिधिनयिमितय स इस अिधिनयम क उपबन ध क सकरमण क सबध म कोई किठनाई उत पन न होती ह तो कन दरीय
सरकार राजपतर म परकािशत आदश ारा ऐस उपबन ध कर सकगी जो इस अिधिनयम क परयोजन स असगत न ह और जो उस किठनाइय
दश इस परकार िकया जा सकगा िक उसका परभाव ऐसी भतलकषी तारीख स हो जो 1 िदसम बर
रषद ारा अनमोिदत नह िकए जात ह तब तक उस िवषय स
ाजपतर म अिधसचना ारा बना सकगी और इस परकार बनाए गए िनयम
वहा तक क िसवाय परव नह रह जाएग जहा तक िक उस तारीख क पवर की गई या की जान स लोप की गई बन ध ह ]
कछ अिधिनयिमितय का िनरसन
िनरसन का िवस तार
ा दर करन क िलए आवश यक या समीचीन परतीत ह
(2) उपधारा (1) क अधीन कोई आ 1961 स पवर की तारीख न हो 1[60 कन दरीय सरकार की िनयम बनान की शिक तndashndash(1) जब तक इस अिधिनयम क अधीन िकसी िवषय की बाबत िकसी
राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम नह बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिसम बिन धत िनयम बनान की शिक त का परयोग कन दरीय सरकार करगी
(2) कन दरीय सरकार उपधारा (1) क अधीन िनयम या तो िकसी िविधजञ पिरषद क िलए या साधारणतया सभी राज य िविधजञ पिरषद क िलए भारतीय िविधजञ पिरषद स परामशर करन क पश चात र
इस अिधिनयम म िकसी बात क होत हए भी परभावी ह ग
(3) जहा िकसी िवषय की बाबत कन दरीय सरकार ारा इस धारा क अधीन िकसी राज य िविधजञ पिरषद क िलए िनयम बनाए जात ह और उसी िवषय की बाबत राज य िविधजञ पिरषद ारा िनयम बनाए जात ह और भारतीय िविधजञ पिरषद ारा अनमोिदत िकए जात ह वहा कन दरीय सरकार राजपतर म अिधसचना ारा यह िनदश द सकगी िक उसक ारा ऐस िवषय की बाबत बनाए गए िनयम ऐसी तारीख स जो अिधसचना म िविनिदष ट की जाए उस िविधजञ पिरषद क सम बन ध ा म परव नह रह जाएग और ऐसी अिधसचना क जारी िकए जान पर कन दरीय सरकार ारा बनाए गए िनयम तदनसार
बात का सम
अनसची [धारा 50 (5) दिखए]
सिकषप त नाम
1 लीगल परक टीशनसर (िवमन) ऐक ट 1923 (1923 का अिधिनयम स० 23) सम पणर
2 लीगल परक टीशनसर (फीस) ऐक ट 1926 (1926 का अिधिनयम स० 21)
4 मम बई पनगरठन अिधिनयम 1960 (1960 का अिधिनयम स० 11) धारा 31
सम पणर
3 राज य पनगरठन अिधिनयम 1956 (1956 का अिधिनयम स० 37) धारा 53
______
1 1962 क अिधिनयम स० 32 की धारा 4 ारा अन तस थािपत
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