रामचिरतमानस - lakshmi...

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रामचिरतमानस - 1 - अयोयाकांड Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org गोवामी तुलसीदास िवरिचत रामचिरतमानस अयोयाकाड

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Page 1: रामचिरतमानस - Lakshmi Narayanlakshminarayanlenasia.com/downloads/Ayodhya-Kand2.pdfर मच रतम नस - 3 - अय ध य क ड Read Ramcharitmanas

रामचिरतमानस - 1 - अयोधयाकाड

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गोसवामी तलसीदास

िवरिचत

रामचिरतमानस

अयोधयाकाणड

रामचिरतमानस - 2 - अयोधयाकाड

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ीगणशाय नमः

ीरामचिरतमानस ि तीय सोपान

अयोधयाकाणड

ोक

यसयाङक च िवभाित भधरसता दवापगा मसतक

भाल बालिवधगरल च गरल यसयोरिस वयालराट

सोऽय भितिवभषणः सरवरः सवारिधपः सवरदा शवरः सवरगतः िशवः शिशिनभः ीशङकरः पात माम १

सननता या न गतािभषकतसतथा न ममल वनवासदःखतः

मखामबज ी रघननदनसय म सदासत सा मञजलमगल दा २

नीलामबजशयामलकोमलाङग सीतासमारोिपतवामभागम

पाणौ महासायकचारचाप नमािम राम रघवशनाथम ३

दोहा ीगर चरन सरोज रज िनज मन मकर सधािर

बरनउ रघबर िबमल जस जो दायक फल चािर १

जब त राम बयािह घर आए िनत नव मगल मोद बधाए

भवन चािरदस भधर भारी सकत मघ बरषिह सख बारी १

िरिध िसिध सपित नदी सहाई उमिग अवध अबिध कह आई

मिनगन पर नर नािर सजाती सिच अमोल सदर सब भाती २

किह न जाइ कछ नगर िबभती जन एतिनअ िबरिच करतती

सब िबिध सब पर लोग सखारी रामचद मख चद िनहारी ३

मिदत मात सब सखी सहली फिलत िबलोिक मनोरथ बली

राम रप गनसील सभाऊ मिदत होइ दिख सिन राऊ ४

रामचिरतमानस - 3 - अयोधयाकाड

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दोहा

सब क उर अिभलाष अस कहिह मनाइ महस

आप अछत जबराज पद रामिह दउ नरस १

एक समय सब सिहत समाजा राजसभा रघराज िबराजा

सकल सकत मरित नरनाह राम सजस सिन अितिह उछाह १

नप सब रहिह कपा अिभलाष लोकप करिह ीित रख राख

ितभवन तीिन काल जग माही भिर भाग दसरथ सम नाही २

मगलमल राम सत जास जो कछ किहज थोर सब तास

राय सभाय मकर कर लीनहा बदन िबलोिक मकट सम कीनहा ३

वन समीप भए िसत कसा मनह जरठपन अस उपदसा

नप जबराज राम कह दह जीवन जनम लाह िकन लह ४

दोहा यह िबचार उर आिन नप सिदन सअवसर पाइ

म पलिक तन मिदत मन गरिह सनायउ जाइ २

कहइ भआल सिनअ मिननायक भए राम सब िबिध सब लायक

सवक सिचव सकल परबासी ज हमार अिर िम उदासी १

सबिह राम ि य जिह िबिध मोही भ असीस जन तन धिर सोही

िब सिहत पिरवार गोसाई करिह छोह सब रौिरिह नाई २

ज गर चरन रन िसर धरही त जन सकल िबभव बस करही

मोिह सम यह अन भयउ न दज सब पायउ रज पाविन पज ३

अब अिभलाष एक मन मोर पजिह नाथ अन ह तोर

मिन सनन लिख सहज सनह कहउ नरस रजायस दह ४

दोहा राजन राउर नाम जस सब अिभमत दातार

फल अनगामी मिहप मिन मन अिभलाष तमहार ३

रामचिरतमानस - 4 - अयोधयाकाड

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सब िबिध गर सनन िजय जानी बोलउ राउ रहिस मद बानी

नाथ राम किरअिह जबराज किहअ कपा किर किरअ समाज १

मोिह अछत यह होइ उछाह लहिह लोग सब लोचन लाह

भ साद िसव सबइ िनबाही यह लालसा एक मन माही २

पिन न सोच तन रहउ िक जाऊ जिह न होइ पाछ पिछताऊ

सिन मिन दसरथ बचन सहाए मगल मोद मल मन भाए ३

सन नप जास िबमख पिछताही जास भजन िबन जरिन न जाही

भयउ तमहार तनय सोइ सवामी राम पनीत म अनगामी ४

दोहा बिग िबलब न किरअ नप सािजअ सबइ समाज

सिदन समगल तबिह जब राम होिह जबराज ४

मिदत मिहपित मिदर आए सवक सिचव सम बोलाए

किह जयजीव सीस ितनह नाए भप समगल बचन सनाए १

जौ पाचिह मत लाग नीका करह हरिष िहय रामिह टीका

म ी मिदत सनत ि य बानी अिभमत िबरव परउ जन पानी २

िबनती सिचव करिह कर जोरी िजअह जगतपित बिरस करोरी

जग मगल भल काज िबचारा बिगअ नाथ न लाइअ बारा ३

नपिह मोद सिन सिचव सभाषा बढ़त बौड़ जन लही ससाखा ४

दोहा कहउ भप मिनराज कर जोइ जोइ आयस होइ

राम राज अिभषक िहत बिग करह सोइ सोइ ५

हरिष मनीस कहउ मद बानी आनह सकल सतीरथ पानी

औषध मल फल फल पाना कह नाम गिन मगल नाना १

चामर चरम बसन बह भाती रोम पाट पट अगिनत जाती

मिनगन मगल बसत अनका जो जग जोग भप अिभषका २

रामचिरतमानस - 5 - अयोधयाकाड

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बद िबिदत किह सकल िबधाना कहउ रचह पर िबिबध िबताना

सफल रसाल पगफल करा रोपह बीिथनह पर चह फरा ३

रचह मज मिन चौक चार कहह बनावन बिग बजार

पजह गनपित गर कलदवा सब िबिध करह भिमसर सवा ४

दोहा धवज पताक तोरन कलस सजह तरग रथ नाग

िसर धिर मिनबर बचन सब िनज िनज काजिह लाग ६

जो मनीस जिह आयस दीनहा सो तिह काज थम जन कीनहा

िब साध सर पजत राजा करत राम िहत मगल काजा १

सनत राम अिभषक सहावा बाज गहागह अवध बधावा

राम सीय तन सगन जनाए फरकिह मगल अग सहाए २

पलिक स म परसपर कहही भरत आगमन सचक अहही

भए बहत िदन अित अवसरी सगन तीित भट ि य करी ३

भरत सिरस ि य को जग माही इहइ सगन फल दसर नाही

रामिह बध सोच िदन राती अडिनह कमठ दउ जिह भाती ४

दोहा एिह अवसर मगल परम सिन रहसउ रिनवास

सोभत लिख िबध बढ़त जन बािरिध बीिच िबलास ७

थम जाइ िजनह बचन सनाए भषन बसन भिर ितनह पाए

म पलिक तन मन अनरागी मगल कलस सजन सब लागी १

चौक चार सिम ा परी मिनमय िबिबध भाित अित ररी

आनद मगन राम महतारी िदए दान बह िब हकारी २

पजी ामदिब सर नागा कहउ बहोिर दन बिलभागा

जिह िबिध होइ राम कलयान दह दया किर सो बरदान ३

गाविह मगल कोिकलबयनी िबधबदनी मगसावकनयनी ४

रामचिरतमानस - 6 - अयोधयाकाड

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दोहा राम राज अिभषक सिन िहय हरष नर नािर

लग समगल सजन सब िबिध अनकल िबचािर ८

तब नरनाह बिस बोलाए रामधाम िसख दन पठाए

गर आगमन सनत रघनाथा ार आइ पद नायउ माथा १

सादर अरघ दइ घर आन सोरह भाित पिज सनमान

गह चरन िसय सिहत बहोरी बोल राम कमल कर जोरी २

सवक सदन सवािम आगमन मगल मल अमगल दमन

तदिप उिचत जन बोिल स ीती पठइअ काज नाथ अिस नीती ३

भता तिज भ कीनह सनह भयउ पनीत आज यह गह

आयस होइ सो करौ गोसाई सवक लहइ सवािम सवकाई ४

दोहा सिन सनह सान बचन मिन रघबरिह सस

राम कस न तमह कहह अस हस बस अवतस ९

बरिन राम गन सील सभाऊ बोल म पलिक मिनराऊ

भप सजउ अिभषक समाज चाहत दन तमहिह जबराज १

राम करह सब सजम आज जौ िबिध कसल िनबाह काज

गर िसख दइ राय पिह गयउ राम हदय अस िबसमउ भयऊ २

जनम एक सग सब भाई भोजन सयन किल लिरकाई

करनबध उपबीत िबआहा सग सग सब भए उछाहा ३

िबमल बस यह अनिचत एक बध िबहाइ बड़िह अिभषक

भ स म पिछतािन सहाई हरउ भगत मन क किटलाई ४

दोहा तिह अवसर आए लखन मगन म आनद

सनमान ि य बचन किह रघकल करव चद १०

रामचिरतमानस - 7 - अयोधयाकाड

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बाजिह बाजन िबिबध िबधाना पर मोद निह जाइ बखाना

भरत आगमन सकल मनाविह आवह बिग नयन फल पाविह १

हाट बाट घर गली अथाई कहिह परसपर लोग लोगाई

कािल लगन भिल कितक बारा पिजिह िबिध अिभलाष हमारा २

कनक िसघासन सीय समता बठिह राम होइ िचत चता

सकल कहिह कब होइिह काली िबघन मनाविह दव कचाली ३

ितनहिह सोहाइ न अवध बधावा चोरिह चिदिन राित न भावा

सारद बोिल िबनय सर करही बारिह बार पाय ल परही ४

दोहा िबपित हमािर िबलोिक बिड़ मात किरअ सोइ आज

राम जािह बन राज तिज होइ सकल सरकाज ११

सिन सर िबनय ठािढ़ पिछताती भइउ सरोज िबिपन िहमराती

दिख दव पिन कहिह िनहोरी मात तोिह निह थोिरउ खोरी १

िबसमय हरष रिहत रघराऊ तमह जानह सब राम भाऊ

जीव करम बस सख दख भागी जाइअ अवध दव िहत लागी २

बार बार गिह चरन सकोचौ चली िबचािर िबबध मित पोची

ऊच िनवास नीिच करतती दिख न सकिह पराइ िबभती ३

आिगल काज िबचािर बहोरी करहिह चाह कसल किब मोरी

हरिष हदय दसरथ पर आई जन ह दसा दसह दखदाई ४

दोहा नाम मथरा मदमित चरी ककइ किर

अजस पटारी तािह किर गई िगरा मित फिर १२

दीख मथरा नगर बनावा मजल मगल बाज बधावा

पछिस लोगनह काह उछाह राम ितलक सिन भा उर दाह १

करइ िबचार कबि कजाती होइ अकाज कविन िबिध राती

दिख लािग मध किटल िकराती िजिम गव तकइ लउ किह भाती २

रामचिरतमानस - 8 - अयोधयाकाड

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भरत मात पिह गइ िबलखानी का अनमिन हिस कह हिस रानी

ऊतर दइ न लइ उसास नािर चिरत किर ढारइ आस ३

हिस कह रािन गाल बड़ तोर दीनह लखन िसख अस मन मोर

तबह न बोल चिर बिड़ पािपिन छाड़इ सवास कािर जन सािपिन ४

दोहा सभय रािन कह कहिस िकन कसल राम मिहपाल

लखन भरत िरपदमन सिन भा कबरी उर साल १३

कत िसख दइ हमिह कोउ माई गाल करब किह कर बल पाई

रामिह छािड़ कसल किह आज जिह जनस दइ जबराज १

भयउ कौिसलिह िबिध अित दािहन दखत गरब रहत उर नािहन

दखह कस न जाइ सब सोभा जो अवलोिक मोर मन छोभा २

पत िबदस न सोच तमहार जानित हह बस नाह हमार

नीद बहत ि य सज तराई लखह न भप कपट चतराई ३

सिन ि य बचन मिलन मन जानी झकी रािन अब रह अरगानी

पिन अस कबह कहिस घरफोरी तब धिर जीभ कढ़ावउ तोरी ४

दोहा कान खोर कबर किटल कचाली जािन

ितय िबसिष पिन चिर किह भरतमात मसकािन १४

ि यबािदिन िसख दीिनहउ तोही सपनह तो पर कोप न मोही

सिदन समगल दायक सोई तोर कहा फर जिह िदन होई १

जठ सवािम सवक लघ भाई यह िदनकर कल रीित सहाई

राम ितलक जौ साचह काली दउ माग मन भावत आली २

कौसलया सम सब महतारी रामिह सहज सभाय िपआरी

मो पर करिह सनह िबसषी म किर ीित परीछा दखी ३

जौ िबिध जनम दइ किर छोह होह राम िसय पत पतोह

ान त अिधक राम ि य मोर ितनह क ितलक छोभ कस तोर ४

रामचिरतमानस - 9 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत सपथ तोिह सतय कह पिरहिर कपट दराउ

हरष समय िबसमउ करिस कारन मोिह सनाउ १५

एकिह बार आस सब पजी अब कछ कहब जीभ किर दजी

फोर जोग कपार अभागा भलउ कहत दख रउरिह लागा १

कहिह झिठ फिर बात बनाई त ि य तमहिह करइ म माई

हमह कहिब अब ठकरसोहाती नािह त मौन रहब िदन राती २

किर करप िबिध परबस कीनहा बवा सो लिनअ लिहअ जो दीनहा

कोउ नप होउ हमिह का हानी चिर छािड़ अब होब िक रानी ३

जार जोग सभाउ हमारा अनभल दिख न जाइ तमहारा

तात कछक बात अनसारी छिमअ दिब बिड़ चक हमारी ४

दोहा गढ़ कपट ि य बचन सिन तीय अधरबिध रािन

सरमाया बस बिरिनिह सहद जािन पितआिन १६

सादर पिन पिन पछित ओही सबरी गान मगी जन मोही

तिस मित िफरी अहइ जिस भाबी रहसी चिर घात जन फाबी १

तमह पछह म कहत डराऊ धरउ मोर घरफोरी नाऊ

सिज तीित बहिबिध गिढ़ छोली अवध साढ़साती तब बोली २

ि य िसय राम कहा तमह रानी रामिह तमह ि य सो फिर बानी

रहा थम अब त िदन बीत समउ िफर िरप होिह िपरीत ३

भान कमल कल पोषिनहारा िबन जल जािर करइ सोइ छारा

जिर तमहािर चह सवित उखारी रधह किर उपाउ बर बारी ४

दोहा तमहिह न सोच सोहाग बल िनज बस जानह राउ

मन मलीन मह मीठ नप राउर सरल सभाउ १७

रामचिरतमानस - 10 - अयोधयाकाड

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चतर गभीर राम महतारी बीच पाइ िनज बात सवारी

पठए भरत भप निनअउर राम मात मत जानव रउर १

सविह सकल सवित मोिह नीक गरिबत भरत मात बल पी क

साल तमहार कौिसलिह माई कपट चतर निह होइ जनाई २

राजिह तमह पर म िबसषी सवित सभाउ सकइ निह दखी

रची पच भपिह अपनाई राम ितलक िहत लगन धराई ३

यह कल उिचत राम कह टीका सबिह सोहाइ मोिह सिठ नीका

आिगिल बात समिझ डर मोही दउ दउ िफिर सो फल ओही ४

दोहा रिच पिच कोिटक किटलपन कीनहिस कपट बोध

किहिस कथा सत सवित क जिह िबिध बाढ़ िबरोध १८

भावी बस तीित उर आई पछ रािन पिन सपथ दवाई

का पछह तमह अबह न जाना िनज िहत अनिहत पस पिहचाना १

भयउ पाख िदन सजत समाज तमह पाई सिध मोिह सन आज

खाइअ पिहिरअ राज तमहार सतय कह निह दोष हमार २

जौ असतय कछ कहब बनाई तौ िबिध दइिह हमिह सजाई

रामिह ितलक कािल जौ भयऊ तमह कह िबपित बीज िबिध बयऊ ३

रख खचाइ कहउ बल भाषी भािमिन भइह दध कइ माखी

जौ सत सिहत करह सवकाई तौ घर रहह न आन उपाई ४

दोहा क िबनतिह दीनह दख तमहिह कौिसला दब

भरत बिदगह सइहिह लखन राम क नब १९

ककयसता सनत कट बानी किह न सकइ कछ सहिम सखानी

तन पसउ कदली िजिम कापी कबरी दसन जीभ तब चापी १

किह किह कोिटक कपट कहानी धीरज धरह बोिधिस रानी

रामचिरतमानस - 11 - अयोधयाकाड

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िफरा करम ि य लािग कचाली बिकिह सराहइ मािन मराली २

सन मथरा बात फिर तोरी दिहिन आिख िनत फरकइ मोरी

िदन ित दखउ राित कसपन कहउ न तोिह मोह बस अपन ३

काह करौ सिख सध सभाऊ दािहन बाम न जानउ काऊ ४

दोहा अपन चलत न आज लिग अनभल काहक कीनह

किह अघ एकिह बार मोिह दअ दसह दख दीनह २०

नहर जनम भरब बर जाइ िजअत न करिब सवित सवकाई

अिर बस दउ िजआवत जाही मरन नीक तिह जीवन चाही १

दीन बचन कह बहिबिध रानी सिन कबरी ितयमाया ठानी

अस कस कहह मािन मन ऊना सख सोहाग तमह कह िदन दना २

जिह राउर अित अनभल ताका सोइ पाइिह यह फल पिरपाका

जब त कमत सना म सवािमिन भख न बासर नीद न जािमिन ३

पछउ गिननह रख ितनह खाची भरत भआल होिह यह साची

भािमिन करह त कहौ उपाऊ ह तमहरी सवा बस राऊ ४

दोहा परउ कप तअ बचन पर सकउ पत पित तयािग

कहिस मोर दख दिख बड़ कस न करब िहत लािग २१

कबरी किर कबली ककई कपट छरी उर पाहन टई

लखइ न रािन िनकट दख क स चरइ हिरत ितन बिलपस जस १

सनत बात मद अत कठोरी दित मनह मध माहर घोरी

कहइ चिर सिध अहइ िक नाही सवािमिन किहह कथा मोिह पाही २

दइ बरदान भप सन थाती मागह आज जड़ावह छाती

सतिह राज रामिह बनवास दह लह सब सवित हलास ३

भपित राम सपथ जब करई तब मागह जिह बचन न टरई

होइ अकाज आज िनिस बीत बचन मोर ि य मानह जी त ४

रामचिरतमानस - 12 - अयोधयाकाड

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दोहा

बड़ कघात किर पातिकिन कहिस कोपगह जाह

काज सवारह सजग सब सहसा जिन पितआह २२

कबिरिह रािन ानि य जानी बार बार बिड़ बि बखानी

तोिह सम िहत न मोर ससारा बह जात कइ भइिस अधारा १

जौ िबिध परब मनोरथ काली करौ तोिह चख पतिर आली

बहिबिध चिरिह आदर दई कोपभवन गविन ककई २

िबपित बीज बरषा िरत चरी भइ भइ कमित ककई करी

पाइ कपट जल अकर जामा बर दोउ दल दख फल पिरनामा ३

कोप समाज सािज सब सोई राज करत िनज कमित िबगोई

राउर नगर कोलाहल होई यह कचािल कछ जान न कोई ४

दोहा मिदत पर नर नािर सब सजिह समगलचार

एक िबसिह एक िनगरमिह भीर भप दरबार २३

बाल सखा सन िहय हरषाही िमिल दस पाच राम पिह जाही

भ आदरिह म पिहचानी पछिह कसल खम मद बानी १

िफरिह भवन ि य आयस पाई करत परसपर राम बड़ाई

को रघबीर सिरस ससारा सील सनह िनबाहिनहारा २

जिह जिह जोिन करम बस मही तह तह ईस दउ यह हमही

सवक हम सवामी िसयनाह होउ नात यह ओर िनबाह ३

अस अिभलाष नगर सब काह ककयसता हदय अित दाह

को न कसगित पाइ नसाई रहइ न नीच मत चतराई ४

दोहा सास समय सानद नप गयउ ककई गह

गवन िनठरता िनकट िकय जन धिर दह सनह २४

रामचिरतमानस - 13 - अयोधयाकाड

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कोपभवन सिन सकचउ राउ भय बस अगहड़ परइ न पाऊ

सरपित बसइ बाहबल जाक नरपित सकल रहिह रख ताक १

सो सिन ितय िरस गयउ सखाई दखह काम ताप बड़ाई

सल किलस अिस अगविनहार त रितनाथ समन सर मार २

सभय नरस ि या पिह गयऊ दिख दसा दख दारन भयऊ

भिम सयन पट मोट पराना िदए डािर तन भषण नाना ३

कमितिह किस कबषता फाबी अन अिहवात सच जन भाबी

जाइ िनकट नप कह मद बानी ानि या किह हत िरसानी ४ छद

किह हत रािन िरसािन परसत पािन पितिह नवारई

मानह सरोष भअग भािमिन िबषम भाित िनहारई

दोउ बासना रसना दसन बर मरम ठाहर दखई

तलसी नपित भवतबयता बस काम कौतक लखई

सोरठा बार बार कह राउ समिख सलोिचिन िपकबचिन

कारन मोिह सनाउ गजगािमिन िनज कोप कर २५

अनिहत तोर ि या कइ कीनहा किह दइ िसर किह जम चह लीनहा

कह क िह रकिह करौ नरस कह किह नपिह िनकासौ दस १

सकउ तोर अिर अमरउ मारी काह कीट बपर नर नारी

जानिस मोर सभाउ बरोर मन तव आनन चद चकोर २

ि या ान सत सरबस मोर पिरजन जा सकल बस तोर

जौ कछ कहौ कपट किर तोही भािमिन राम सपथ सत मोही ३

िबहिस माग मनभावित बाता भषन सजिह मनोहर गाता

घरी कघरी समिझ िजय दख बिग ि या पिरहरिह कबष ४

दोहा

रामचिरतमानस - 14 - अयोधयाकाड

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यह सिन मन गिन सपथ बिड़ िबहिस उठी मितमद

भषन सजित िबलोिक मग मनह िकराितिन फद २६

पिन कह राउ स द िजय जानी म पलिक मद मजल बानी

भािमिन भयउ तोर मनभावा घर घर नगर अनद बधावा १

रामिह दउ कािल जबराज सजिह सलोचिन मगल साज

दलिक उठउ सिन दउ कठोर जन छइ गयउ पाक बरतोर २

ऐिसउ पीर िबहिस तिह गोई चोर नािर िजिम गिट न रोई

लखिह न भप कपट चतराई कोिट किटल मिन गर पढ़ाई ३

ज िप नीित िनपन नरनाह नािरचिरत जलिनिध अवगाह

कपट सनह बढ़ाइ बहोरी बोली िबहिस नयन मह मोरी ४

दोहा माग माग प कहह िपय कबह न दह न लह

दन कहह बरदान दइ तउ पावत सदह २७

जानउ मरम राउ हिस कहई तमहिह कोहाब परम ि य अहई

थाित रािख न मािगह काऊ िबसिर गयउ मोिह भोर सभाऊ १

झठह हमिह दोष जिन दह दइ क चािर मािग मक लह

रघकल रीित सदा चिल आई ान जाह बर बचन न जाई २

निह असतय सम पातक पजा िगिर सम होिह िक कोिटक गजा

सतयमल सब सकत सहाए बद परान िबिदत मन गाए ३

तिह पर राम सपथ किर आई सकत सनह अविध रघराई

बात दढ़ाइ कमित हिस बोली कमत किबहग कलह जन खोली ४

दोहा भप मनोरथ सभग बन सख सिबहग समाज

िभललिन िजिम छाड़न चहित बचन भयकर बाज २८

मासपारायण तरहवा िव ाम

रामचिरतमानस - 15 - अयोधयाकाड

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सनह ानि य भावत जी का दह एक बर भरतिह टीका

मागउ दसर बर कर जोरी परवह नाथ मनोरथ मोरी १

तापस बष िबसिष उदासी चौदह बिरस राम बनबासी

सिन मद बचन भप िहय सोकसिस कर छअत िबकल िजिम कोक २

गयउ सहिम निह कछ किह आवा जन सचान बन झपटउ लावा

िबबरन भयउ िनपट नरपाल दािमिन हनउ मनह तर ताल ३

माथ हाथ मिद दोउ लोचन तन धिर सोच लाग जन सोचन

मोर मनोरथ सरतर फला फरत किरिन िजिम हतउ समला ४

अवध उजािर कीिनह ककई दीनहिस अचल िबपित क नई ५

दोहा कवन अवसर का भयउ गयउ नािर िबसवास

जोग िसि फल समय िजिम जितिह अिब ा नास २९

एिह िबिध राउ मनिह मन झाखा दिख कभाित कमित मन माखा

भरत िक राउर पत न होही आनह मोल बसािह िक मोही १

जो सिन सर अस लाग तमहार काह न बोलह बचन सभार

दह उतर अन करह िक नाही सतयसध तमह रघकल माही २

दन कहह अब जिन बर दह तजह सतय जग अपजस लह

सतय सरािह कहह बर दना जानह लइिह मािग चबना ३

िसिब दधीिच बिल जो कछ भाषा तन धन तजउ बचन पन राखा

अित कट बचन कहित ककई मानह लोन जर पर दई ४

दोहा धरम धरधर धीर धिर नयन उघार राय

िसर धिन लीिनह उसास अिस मारिस मोिह कठाय ३०

आग दीिख जरत िरस भारी मनह रोष तरवािर उघारी

मिठ कबि धार िनठराई धरी कबरी सान बनाई १

रामचिरतमानस - 16 - अयोधयाकाड

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लखी महीप कराल कठोरा सतय िक जीवन लइिह मोरा

बोल राउ किठन किर छाती बानी सिबनय तास सोहाती २

ि या बचन कस कहिस कभाती भीर तीित ीित किर हाती

मोर भरत राम दइ आखी सतय कहउ किर सकर साखी ३

अविस दत म पठइब ाता ऐहिह बिग सन त दोउ ाता

सिदन सोिध सब साज सजाई दउ भरत कह राज बजाई ४

दोहा लोभ न रामिह राज कर बहत भरत पर ीित

म बड़ छोट िबचािर िजय करत रहउ नपनीित ३१

राम सपथ सत कह सभाऊ राममात कछ कहउ न काऊ

म सब कीनह तोिह िबन पछ तिह त परउ मनोरथ छछ १

िरस पिरहर अब मगल साज कछ िदन गए भरत जबराज

एकिह बात मोिह दख लागा बर दसर असमजस मागा २

अजह हदय जरत तिह आचा िरस पिरहास िक साचह साचा

कह तिज रोष राम अपराध सब कोउ कहइ राम सिठ साध ३

तह सरा हिस करिस सनह अब सिन मोिह भयउ सदह

जास सभाउ अिरिह अनकला सो िकिम किरिह मात ितकला ४

दोहा ि या हास िरस पिरहरिह माग िबचािर िबबक जिह दखा अब नयन भिर भरत राज अिभषक ३२

िजऐ मीन बर बािर िबहीना मिन िबन फिनक िजऐ दख दीना

कहउ सभाउ न छल मन माही जीवन मोर राम िबन नाही १

समिझ दख िजय ि या बीना जीवन राम दरस आधीना

सिन द बचन कमित अित जरई मनह अनल आहित घत परई २

कहइ करह िकन कोिट उपाया इहा न लािगिह राउिर माया

दह िक लह अजस किर ना ही मोिह न बहत पच सोहाही ३

रामचिरतमानस - 17 - अयोधयाकाड

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राम साध तमह साध सयान राममात भिल सब पिहचान

जस कौिसला मोर भल ताका तस फल उनहिह दउ किर साका ४

दोहा होत ात मिनबष धिर जौ न राम बन जािह

मोर मरन राउर अजस नप समिझअ मन मािह ३३

अस किह किटल भई उिठ ठाढ़ी मानह रोष तरिगिन बाढ़ी

पाप पहार गट भइ सोई भरी ोध जल जाइ न जोई १

दोउ बर कल किठन हठ धारा भवर कबरी बचन चारा

ढाहत भपरप तर मला चली िबपित बािरिध अनकला २

लखी नरस बात फिर साची ितय िमस मीच सीस पर नाची

गिह पद िबनय कीनह बठारी जिन िदनकर कल होिस कठारी ३

माग माथ अबही दउ तोही राम िबरह जिन मारिस मोही

राख राम कह जिह तिह भाती नािह त जिरिह जनम भिर छाती ४

दोहा दखी बयािध असाध नप परउ धरिन धिन माथ

कहत परम आरत बचन राम राम रघनाथ ३४

बयाकल राउ िसिथल सब गाता किरिन कलपतर मनह िनपाता

कठ सख मख आव न बानी जन पाठीन दीन िबन पानी १

पिन कह कट कठोर ककई मनह घाय मह माहर दई

जौ अतह अस करतब रहऊ माग माग तमह किह बल कहऊ २

दइ िक होइ एक समय भआला हसब ठठाइ फलाउब गाला

दािन कहाउब अर कपनाई होइ िक खम कसल रौताई ३

छाड़ह बचन िक धीरज धरह जिन अबला िजिम करना करह

तन ितय तनय धाम धन धरनी सतयसध कह तन सम बरनी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 18 - अयोधयाकाड

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मरम बचन सिन राउ कह कह कछ दोष न तोर

लागउ तोिह िपसाच िजिम काल कहावत मोर ३५

चहत न भरत भपतिह भोर िबिध बस कमित बसी िजय तोर

सो सब मोर पाप पिरनाम भयउ कठाहर जिह िबिध बाम १

सबस बिसिह िफिर अवध सहाई सब गन धाम राम भताई

किरहिह भाइ सकल सवकाई होइिह ितह पर राम बड़ाई २

तोर कलक मोर पिछताऊ मएह न िमटिह न जाइिह काऊ

अब तोिह नीक लाग कर सोई लोचन ओट बठ मह गोई ३

जब लिग िजऔ कहउ कर जोरी तब लिग जिन कछ कहिस बहोरी

िफिर पिछतहिस अत अभागी मारिस गाइ नहार लागी ४

दोहा परउ राउ किह कोिट िबिध काह करिस िनदान

कपट सयािन न कहित कछ जागित मनह मसान ३६

राम राम रट िबकल भआल जन िबन पख िबहग बहाल

हदय मनाव भोर जिन होई रामिह जाइ कह जिन कोई १

उदउ करह जिन रिब रघकल गर अवध िबलोिक सल होइिह उर

भप ीित ककइ किठनाई उभय अविध िबिध रची बनाई २

िबलपत नपिह भयउ िभनसारा बीना बन सख धिन ारा

पढ़िह भाट गन गाविह गायक सनत नपिह जन लागिह सायक ३

मगल सकल सोहािह न कस सहगािमिनिह िबभषन जस

तिह िनिस नीद परी निह काह राम दरस लालसा उछाह ४

दोहा ार भीर सवक सिचव कहिह उिदत रिब दिख

जागउ अजह न अवधपित कारन कवन िबसिष ३७

पिछल पहर भप िनत जागा आज हमिह बड़ अचरज लागा

रामचिरतमानस - 19 - अयोधयाकाड

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जाह सम जगावह जाई कीिजअ काज रजायस पाई १

गए सम तब राउर माही दिख भयावन जात डराही

धाइ खाइ जन जाइ न हरा मानह िबपित िबषाद बसरा २

पछ कोउ न ऊतर दई गए जिह भवन भप ककई

किह जयजीव बठ िसर नाई दिख भप गित गयउ सखाई ३

सोच िबकल िबबरन मिह परऊ मानह कमल मल पिरहरऊ

सिचउ सभीत सकइ निह पछी बोली असभ भरी सभ छछी ४

दोहा परी न राजिह नीद िनिस हत जान जगदीस

राम राम रिट भोर िकय कहइ न मरम महीस ३८

आनह रामिह बिग बोलाई समाचार तब पछह आई

चलउ सम राय रख जानी लखी कचािल कीिनह कछ रानी १

सोच िबकल मग परइ न पाऊ रामिह बोिल किहिह का राऊ

उर धिर धीरज गयउ दआर पछिह सकल द िख मन मार २

समाधान किर सो सबही का गयउ जहा िदनकर कल टीका

राम सम िह आवत दखा आदर कीनह िपता सम लखा ३

िनरिख बदन किह भप रजाई रघकलदीपिह चलउ लवाई

राम कभाित सिचव सग जाही दिख लोग जह तह िबलखाही ४

दोहा जाइ दीख रघबसमिन नरपित िनपट कसाज

सहिम परउ लिख िसिघिनिह मनह ब गजराज ३९

सखिह अधर जरइ सब अग मनह दीन मिनहीन भअग

सरष समीप दीिख ककई मानह मीच घरी गिन लई १

करनामय मद राम सभाऊ थम दीख दख सना न काऊ

तदिप धीर धिर समउ िबचारी पछी मधर बचन महतारी २

मोिह कह मात तात दख कारन किरअ जतन जिह होइ िनवारन

रामचिरतमानस - 20 - अयोधयाकाड

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सनह राम सब कारन एह राजिह तम पर बहत सनह ३

दन कहिनह मोिह दइ बरदाना मागउ जो कछ मोिह सोहाना

सो सिन भयउ भप उर सोच छािड़ न सकिह तमहार सकोच ४

दोहा सत सनह इत बचन उत सकट परउ नरस

सकह न आयस धरह िसर मटह किठन कलस ४०

िनधरक बिठ कहइ कट बानी सनत किठनता अित अकलानी

जीभ कमान बचन सर नाना मनह मिहप मद लचछ समाना १

जन कठोरपन धर सरीर िसखइ धनषिब ा बर बीर

सब सग रघपितिह सनाई बिठ मनह तन धिर िनठराई २

मन मसकाइ भानकल भान राम सहज आनद िनधान

बोल बचन िबगत सब दषन मद मजल जन बाग िबभषन ३

सन जननी सोइ सत बड़भागी जो िपत मात बचन अनरागी

तनय मात िपत तोषिनहारा दलरभ जनिन सकल ससारा ४

दोहा मिनगन िमलन िबसिष बन सबिह भाित िहत मोर

तिह मह िपत आयस बहिर समत जननी तोर ४१

भरत ानि य पाविह राज िबिध सब िबिध मोिह सनमख आज

जो न जाउ बन ऐसह काजा थम गिनअ मोिह मढ़ समाजा १

सविह अरड कलपतर तयागी प िरहिर अमत लिह िबष मागी

तउ न पाइ अस समउ चकाही दख िबचािर मात मन माही २

अब एक दख मोिह िबसषी िनपट िबकल नरनायक दखी

थोिरिह बात िपतिह दख भारी होित तीित न मोिह महतारी ३

राउ धीर गन उदिध अगाध भा मोिह त कछ बड़ अपराध

जात मोिह न कहत कछ राऊ मोिर सपथ तोिह कह सितभाऊ ४

रामचिरतमानस - 21 - अयोधयाकाड

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दोहा सहज सरल रघबर बचन कमित किटल किर जान

चलइ जोक जल ब गित ज िप सिलल समान ४२

रहसी रािन राम रख पाई बोली कपट सनह जनाई

सपथ तमहार भरत क आना हत न दसर म कछ जाना १

तमह अपराध जोग निह ताता जननी जनक बध सखदाता

राम सतय सब जो कछ कहह तमह िपत मात बचन रत अहह २

िपतिह बझाइ कहह बिल सोई चौथपन जिह अजस न होई

तमह सम सअन सकत जिह दीनह उिचत न तास िनरादर कीनह ३

लागिह कमख बचन सभ कस मगह गयािदक तीरथ जस

रामिह मात बचन सब भाए िजिम सरसिर गत सिलल सहाए ४

दोहा गइ मरछा रामिह सिमिर नप िफिर करवट लीनह

सिचव राम आगमन किह िबनय समय सम कीनह ४३

अविनप अकिन राम पग धार धिर धीरज तब नयन उघार

सिचव सभािर राउ बठार चरन परत नप राम िनहार १

िलए सनह िबकल उर लाई ग मिन मनह फिनक िफिर पाई

रामिह िचतइ रहउ नरनाह चला िबलोचन बािर बाह २

सोक िबबस कछ कह न पारा हदय लगावत बारिह बारा

िबिधिह मनाव राउ मन माही जिह रघनाथ न कानन जाही ३

सिमिर महसिह कहइ िनहोरी िबनती सनह सदािसव मोरी

आसतोष तमह अवढर दानी आरित हरह दीन जन जानी ४

दोहा तमह रक सब क हदय सो मित रामिह दह

बचन मोर तिज रहिह घर पिरहिर सील सनह ४४

रामचिरतमानस - 22 - अयोधयाकाड

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अजस होउ जग सजस नसाऊ नरक परौ बर सरपर जाऊ

सब दख दसह सहावह मोही लोचन ओट राम जिन होही १

अस मन गनइ राउ निह बोला पीपर पात सिरस मन डोला

रघपित िपतिह मबस जानी पिन कछ किहिह मात अनमानी २

दस काल अवसर अनसारी बोल बचन िबनीत िबचारी

तात कहउ कछ करउ िढठाई अनिचत छमब जािन लिरकाई ३

अित लघ बात लािग दख पावा काह न मोिह किह थम जनावा

दिख गोसाइिह पिछउ माता सिन सग भए सीतल गाता ४

दोहा मगल समय सनह बस सोच पिरहिरअ तात

आयस दइअ हरिष िहय किह पलक भ गात ४५

धनय जनम जगतीतल तास िपतिह मोद चिरत सिन जास

चािर पदारथ करतल ताक ि य िपत मात ान सम जाक १

आयस पािल जनम फल पाई ऐहउ बिगिह होउ रजाई

िबदा मात सन आवउ मागी चिलहउ बनिह बहिर पग लागी २

अस किह राम गवन तब कीनहा भप सोक बस उतर न दीनहा

नगर बयािप गइ बात सतीछी छअत च ढ़ी जन सब तन बीछी ३

सिन भए िबकल सकल नर नारी बिल िबटप िजिम दिख दवारी

जो जह सनइ धनइ िसर सोई बड़ िबषाद निह धीरज होई ४

दोहा मख सखािह लोचन विह सोक न हदय समाइ

मनह करन रस कटकई उतरी अवध बजाइ ४६

िमलिह माझ िबिध बात बगारी जह तह दिह ककइिह गारी

एिह पािपिनिह बिझ का परऊ छाइ भवन पर पावक धरऊ १

िनज कर नयन कािढ़ चह दीखा डािर सधा िबष चाहत चीखा

किटल कठोर कबि अभागी भइ रघबस बन बन आगी २

रामचिरतमानस - 23 - अयोधयाकाड

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पालव बिठ पड़ एिह काटा सख मह सोक ठाट धिर ठाटा

सदा राम एिह ान समाना कारन कवन किटलपन ठाना ३

सतय कहिह किब नािर सभाऊ सब िबिध अगह अगाध दराऊ

िनज ितिबब बरक गिह जाई जािन न जाइ नािर गित भाई ४

दोहा काह न पावक जािर सक का न सम समाइ

का न कर अबला बल किह जग काल न खाइ ४७

का सनाइ िबिध काह सनावा का दखाइ चह काह दखावा

एक कहिह भल भप न कीनहा बर िबचािर निह कमितिह दीनहा १

जो हिठ भयउ सकल दख भाजन अबला िबबस गयान गन गा जन

एक धरम परिमित पिहचान नपिह दोस निह दिह सयान २

िसिब दधीिच हिरचद कहानी एक एक सन कहिह बखानी

एक भरत कर समत कहही एक उदास भाय सिन रहही ३

कान मिद कर रद गिह जीहा एक कहिह यह बात अलीहा

सकत जािह अस कहत तमहार राम भरत कह ानिपआर ४

दोहा चद चव बर अनल कन सधा होइ िबषतल

सपनह कबह न करिह िकछ भरत राम ितकल ४८

एक िबधातिह दषन दही सधा दखाइ दीनह िबष जही

खरभर नगर सोच सब काह दसह दाह उर िमटा उछाह १

िब बध कलमानय जठरी ज ि य परम ककई करी

लगी दन िसख सील सराही बचन बानसम लागिह ताही २

भरत न मोिह ि य राम समाना सदा कहह यह सब जग जाना

करह राम पर सहज सनह किह अपराध आज बन दह ३

कबह न िकयह सवित आरस ीित तीित जान सब दस

कौसलया अब काह िबगारा तमह जिह लािग ब पर पारा ४

रामचिरतमानस - 24 - अयोधयाकाड

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दोहा

सीय िक िपय सग पिरहिरिह लखन िक रिहहिह धाम

राज िक भजब भरत पर नप िक जीिह िबन राम ४९

अस िबचािर उर छाड़ह कोह सोक कलक कोिठ जिन होह

भरतिह अविस दह जबराज कानन काह राम कर काज १

नािहन राम राज क भख धरम धरीन िबषय रस रख

गर गह बसह राम तिज गह नप सन अस बर दसर लह २

जौ निह लिगहह कह हमार निह लािगिह कछ हाथ तमहार

जौ पिरहास कीिनह कछ होई तौ किह गट जनावह सोई ३

राम सिरस सत कानन जोग काह किहिह सिन तमह कह लोग

उठह बिग सोइ करह उपाई जिह िबिध सोक कलक नसाई ४ छद

जिह भाित सोक कलक जाइ उपाय किर कल पालही

हिठ फर रामिह जात बन जिन बात दसिर चालही

िजिम भान िबन िदन ान िबन तन चद िबन िजिम जािमनी

ितिम अवध तलसीदास भ िबन समिझ धौ िजय भािमनी

सोरठा सिखनह िसखावन दीनह सनत मधर पिरनाम िहत

तइ कछ कान न कीनह किटल बोधी कबरी ५०

उतर न दइ दसह िरस रखी मिगनह िचतव जन बािघिन भखी

बयािध असािध जािन ितनह तयागी चली कहत मितमद अभागी १

राज करत यह दअ िबगोई कीनहिस अस जस करइ न कोई

एिह िबिध िबलपिह पर नर नारी दिह कचािलिह कोिटक गारी २

जरिह िबषम जर लिह उसासा कविन राम िबन जीवन आसा

िबपल िबयोग जा अकलानी जन जलचर गन सखत पानी ३

रामचिरतमानस - 25 - अयोधयाकाड

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अित िबषाद बस लोग लोगाई गए मात पिह राम गोसाई

मख सनन िचत चौगन चाऊ िमटा सोच जिन राख राऊ ४

दोहा नव गयद रघबीर मन राज अलान समान

छट जािन बन गवन सिन उर अनद अिधकान ५१

रघकलितलक जोिर दोउ हाथा मिदत मात पद नायउ माथा

दीिनह असीस लाइ उर लीनह भषन बसन िनछाविर कीनह १

बार बार मख चबित माता नयन नह जल पलिकत गाता

गोद रािख पिन हदय लगाए वत नरस पयद सहाए २

म मोद न कछ किह जाई रक धनद पदबी जन पाई

सादर सदर बदन िनहारी बोली मधर बचन महतारी ३

कहह तात जननी बिलहारी कबिह लगन मद मगलकारी

सकत सील सख सीव सहाई जनम लाभ कइ अविध अघाई ४

दोहा जिह चाहत नर नािर सब अित आरत एिह भाित

िजिम चातक चातिक तिषत बि सरद िरत सवाित ५२

तात जाउ बिल बिग नहाह जो मन भाव मधर कछ खाह

िपत समीप तब जाएह भआ भइ बिड़ बार जाइ बिल मआ १

मात बचन सिन अित अनकला जन सनह सरतर क फला

सख मकरद भर ि यमला िनरिख राम मन भवर न भला २

धरम धरीन धरम गित जानी कहउ मात सन अित मद बानी

िपता दीनह मोिह कानन राज जह सब भाित मोर बड़ काज ३

आयस दिह मिदत मन माता जिह मद मगल कानन जाता

जिन सनह बस डरपिस भोर आनद अब अन ह तोर ४

रामचिरतमानस - 26 - अयोधयाकाड

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दोहा बरष चािरदस िबिपन बिस किर िपत बचन मान

आइ पाय पिन दिखहउ मन जिन करिस मलान ५३

बचन िबनीत मधर रघबर क सर सम लग मात उर करक

सहिम सिख सिन सीतिल बानी िजिम जवास पर पावस पानी १

किह न जाइ कछ हदय िबषाद मनह मगी सिन कहिर नाद

नयन सजल तन थर थर कापी माजिह खाइ मीन जन मापी २

धिर धीरज सत बदन िनहारी गदगद बचन कहित महतारी

तात िपतिह तमह ानिपआर दिख मिदत िनत चिरत तमहार ३

राज दन कह सभ िदन साधा कहउ जान बन किह अपराधा

तात सनावह मोिह िनदान को िदनकर कल भयउ कसान ४

दोहा िनरिख राम रख सिचवसत कारन कहउ बझाइ

सिन सग रिह मक िजिम दसा बरिन निह जाइ ५४

रािख न सकइ न किह सक जाह दह भाित उर दारन दाह

िलखत सधाकर गा िलिख राह िबिध गित बाम सदा सब काह १

धरम सनह उभय मित घरी भइ गित साप छछदिर करी

राखउ सतिह करउ अनरोध धरम जाइ अर बध िबरोध २

कहउ जान बन तौ बिड़ हानी सकट सोच िबबस भइ रानी

बहिर समिझ ितय धरम सयानी राम भरत दोउ सत सम जानी ३

सरल सभाउ राम महतारी बोली बचन धीर धिर भारी

तात जाउ बिल कीनहह नीका िपत आयस सब धरमक टीका ४

दोहा राज दन किह दीनह बन मोिह न सो दख लस

तमह िबन भरतिह भपितिह जिह चड कलस ५५

रामचिरतमानस - 27 - अयोधयाकाड

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जौ कवल िपत आयस ताता तौ जिन जाह जािन बिड़ माता

जौ िपत मात कहउ बन जाना तौ कानन सत अवध समाना १

िपत बनदव मात बनदवी खग मग चरन सरोरह सवी

अतह उिचत नपिह बनबास बय िबलोिक िहय होइ हरास २

बड़भागी बन अवध अभागी जो रघबसितलक तमह तयागी

जौ सत कहौ सग मोिह लह तमहर हदय होइ सदह ३

पत परम ि य तमह सबही क ान ान क जीवन जी क

त तमह कहह मात बन जाऊ म सिन बचन बिठ पिछताऊ ४

दोहा यह िबचािर निह करउ हठ झठ सनह बढ़ाइ

मािन मात कर नात बिल सरित िबसिर जिन जाइ ५६

दव िपतर सब तनहिह गोसाई राखह पलक नयन की नाई

अविध अब ि य पिरजन मीना तमह करनाकर धरम धरीना १

अस िबचािर सोइ करह उपाई सबिह िजअत जिह भटह आई

जाह सखन बनिह बिल जाऊ किर अनाथ जन पिरजन गाऊ २

सब कर आज सकत फल बीता भयउ कराल काल िबपरीता

बहिबिध िबलिप चरन लपटानी प रम अभािगिन आपिह जानी ३

दारन दसह दाह उर बयापा बरिन न जािह िबलाप कलापा

राम उठाइ मात उर लाई किह मद बचन बहिर समझाई ४

दोहा समाचार तिह समय सिन सीय उठी अकलाइ

जाइ सास पद कमल जग बिद बिठ िसर नाइ ५७

दीिनह असीस सास मद बानी अित सकमािर दिख अकलानी

बिठ निमतमख सोचित सीता रप रािस पित म पनीता १

चलन चहत बन जीवननाथ किह सकती सन होइिह साथ

की तन ान िक कवल ाना िबिध करतब कछ जाइ न जाना २

रामचिरतमानस - 28 - अयोधयाकाड

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चार चरन नख लखित धरनी नपर मखर मधर किब बरनी

मनह म बस िबनती करही हमिह सीय पद जिन पिरहरही ३

मज िबलोचन मोचित बारी बोली दिख राम महतारी

तात सनह िसय अित सकमारी सास ससर पिरजनिह िपआरी ४

दोहा िपता जनक भपाल मिन ससर भानकल भान

पित रिबकल करव िबिपन िबध गन रप िनधान ५८

म पिन प बध ि य पाई रप रािस गन सील सहाई

नयन पतिर किर ीित बढ़ाई राखउ ान जािनिकिह लाई १

कलपबिल िजिम बहिबिध लाली सीिच सनह सिलल ितपाली

फलत फलत भयउ िबिध बामा जािन न जाइ काह पिरनामा २

पलग पीठ तिज गोद िहड़ोरा िसय न दीनह पग अविन कठोरा

िजअनमिर िजिम जोगवत रहऊ दीप बाित निह टारन कहऊ ३

सोइ िसय चलन चहित बन साथा आयस काह होइ रघनाथा

चद िकरन रस रिसक चकोरी रिब रख नयन सकइ िकिम जोरी ४

दोहा किर कहिर िनिसचर चरिह द जत बन भिर

िबष बािटका िक सोह सत सभग सजीविन मिर ५९

बन िहत कोल िकरात िकसोरी रची िबरिच िबषय सख भोरी

पाइन किम िजिम किठन सभाऊ ितनहिह कलस न कानन काऊ १

क तापस ितय कानन जोग िजनह तप हत तजा सब भोग

िसय बन बिसिह तात किह भाती िच िलिखत किप दिख डराती २

सरसर सभग बनज बन चारी डाबर जोग िक हसकमारी

अस िबचािर जस आयस होई म िसख दउ जानिकिह सोई ३

जौ िसय भवन रह कह अबा मोिह कह होइ बहत अवलबा

सिन रघबीर मात ि य बानी सील सनह सधा जन सानी ४

रामचिरतमानस - 29 - अयोधयाकाड

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दोहा

किह ि य बचन िबबकमय कीिनह मात पिरतोष

लग बोधन जानिकिह गिट िबिपन गन दोष ६०

मासपारायण चौदहवा िव ाम

मात समीप कहत सकचाही बोल समउ समिझ मन माही

राजकमािर िसखावन सनह आन भाित िजय जिन कछ गनह १

आपन मोर नीक जौ चहह बचन हमार मािन गह रहह

आयस मोर सास सवकाई सब िबिध भािमिन भवन भलाई २

एिह त अिधक धरम निह दजा सादर सास ससर पद पजा

जब जब मात किरिह सिध मोरी होइिह म िबकल मित भोरी ३

तब तब तमह किह कथा परानी सदिर समझाएह मद बानी

कहउ सभाय सपथ सत मोही समिख मात िहत राखउ तोही ४

दोहा गर ित समत धरम फल पाइअ िबनिह कलस

हठ बस सब सकट सह गालव नहष नरस ६१

म पिन किर वान िपत बानी बिग िफरब सन समिख सयानी

िदवस जात निह लािगिह बारा सदिर िसखवन सनह हमारा १

जौ हठ करह म बस बामा तौ तमह दख पाउब पिरनामा

कानन किठन भयकर भारी घोर घाम िहम बािर बयारी २

कस कटक मग काकर नाना चलब पयादिह िबन पद ाना

चरन कमल मद मज तमहार मारग अगम भिमधर भार ३

कदर खोह नदी नद नार अगम अगाध न जािह िनहार

भाल बाघ बक कहिर नागा करिह नाद सिन धीरज भागा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 30 - अयोधयाकाड

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भिम सयन बलकल बसन असन कद फल मल

त िक सदा सब िदन िमिलिह सबइ समय अनकल ६२

नर अहार रजनीचर चरही कपट बष िबिध कोिटक करही

लागइ अित पहार कर पानी िबिपन िबपित निह जाइ बखानी १

बयाल कराल िबहग बन घोरा िनिसचर िनकर नािर नर चोरा

डरपिह धीर गहन सिध आए मगलोचिन तमह भीर सभाए २

हसगविन तमह निह बन जोग सिन अपजस मोिह दइिह लोग

मानस सिलल सधा ितपाली िजअइ िक लवन पयोिध मराली ३

नव रसाल बन िबहरनसीला सोह िक कोिकल िबिपन करीला

रहह भवन अस हदय िबचारी चदबदिन दख कानन भारी ४

दोहा सहज सहद गर सवािम िसख जो न करइ िसर मािन

सो पिछताइ अघाइ उर अविस होइ िहत हािन ६३

सिन मद बचन मनोहर िपय क लोचन लिलत भर जल िसय क

सीतल िसख दाहक भइ क स चकइिह सरद चद िनिस जस १

उतर न आव िबकल बदही तजन चहत सिच सवािम सनही

बरबस रोिक िबलोचन बारी धिर धीरज उर अविनकमारी २

लािग सास पग कह कर जोरी छमिब दिब बिड़ अिबनय मोरी

दीिनह ानपित मोिह िसख सोई जिह िबिध मोर परम िहत होई ३

म पिन समिझ दीिख मन माही िपय िबयोग सम दख जग नाही ४

दोहा ाननाथ करनायतन सदर सखद सजान तमह िबन रघकल कमद िबध सरपर नरक समान ६४

मात िपता भिगनी ि य भाई ि य पिरवार स द समदाई

सास ससर गर सजन सहाई सत सदर ससील सखदाई १

रामचिरतमानस - 31 - अयोधयाकाड

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जह लिग नाथ नह अर नात िपय िबन ितयिह तरिनह त तात

तन धन धाम धरिन पर राज पित िबहीन सब सोक समाज २

भोग रोगसम भषन भार जम जातना सिरस ससार

ाननाथ तमह िबन जग माही मो कह सखद कतह कछ नाही ३

िजय िबन दह नदी िबन बारी तिसअ नाथ परष िबन नारी

नाथ सकल सख साथ तमहार सरद िबमल िबध बदन िनहार ४

दोहा खग मग पिरजन नगर बन बलकल िबमल दकल

नाथ साथ सरसदन सम परनसाल सख मल ६५

बनदवी बनदव उदारा किरहिह सास ससर सम सारा

कस िकसलय साथरी सहाई भ सग मज मनोज तराई १

कद मल फल अिमअ अहार अवध सौध सत सिरस पहार

िछन िछन भ पद कमल िबलोिकरिहहउ मिदत िदवस िजिम कोकी२

बन दख नाथ कह बहतर भय िबषाद पिरताप घनर

भ िबयोग लवलस समाना सब िमिल होिह न कपािनधाना ३

अस िजय जािन सजान िसरोमिन लइअ सग मोिह छािड़अ जिन

िबनती बहत करौ का सवामी करनामय उर अतरजामी ४

दोहा रािखअ अवध जो अविध लिग रहत न जिनअिह ान

दीनबध सदर सखद सील सनह िनधान ६६

मोिह मग चलत न होइिह हारी िछन िछन चरन सरोज िनहारी

सबिह भाित िपय सवा किरहौ मारग जिनत सकल म हिरहौ १

पाय पखारी बिठ तर छाही किरहउ बाउ मिदत मन माही

म कन सिहत सयाम तन दख कह दख समउ ानपित पख २

सम मिह तन तरपललव डासी पाग पलोिटिह सब िनिस दासी

बारबार मद मर ित जोही लागिह तात बयािर न मोही ३

रामचिरतमानस - 32 - अयोधयाकाड

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को भ सग मोिह िचतविनहारा िसघबधिह िजिम ससक िसआरा

म सकमािर नाथ बन जोग तमहिह उिचत तप मो कह भोग ४

दोहा ऐसउ बचन कठोर सिन जौ न दउ िबलगान

तौ भ िबषम िबयोग दख सिहहिह पावर ान ६७

अस किह सीय िबकल भइ भारी बचन िबयोग न सकी सभारी

दिख दसा रघपित िजय जाना हिठ राख निह रािखिह ाना १

कहउ कपाल भानकलनाथा पिरहिर सोच चलह बन साथा

निह िबषाद कर अवसर आज बिग करह बन गवन समाज २

किह ि य बचन ि या समझाई लग मात पद आिसष पाई

बिग जा दख मटब आई जननी िनठर िबसिर जिन जाई ३

िफरिह दसा िबिध बहिर िक मोरी दिखहउ नयन मनोहर जोरी

सिदन सघरी तात कब होइिह जननी िजअत बदन िबध जोइिह ४

दोहा बहिर बचछ किह लाल किह रघपित रघबर तात

कबिह बोलाइ लगाइ िहय हरिष िनरिखहउ गात ६८

लिख सनह कातिर महतारी बचन न आव िबकल भइ भारी

राम बोध कीनह िबिध नाना समउ सनह न जाइ बखाना १

तब जानकी सास पग लागी सिनअ माय म परम अभागी

सवा समय दअ बन दीनहा मोर मनोरथ सफल न कीनहा २

तजब छोभ जिन छािड़अ छोह करम किठन कछ दोस न मोह

सिन िसय बचन सास अकलानी दसा कविन िबिध कहौ बखानी ३

बारिह बार लाइ उर लीनही धिर धीरज िसख आिसष दीनही

अचल होउ अिहवात तमहारा जब लिग गग जमन जल धारा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 33 - अयोधयाकाड

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सीतिह सास असीस िसख दीिनह अनक कार चली नाइ पद पदम िसर अित िहत बारिह बार ६९

समाचार जब लिछमन पाए बयाकल िबलख बदन उिठ धाए

कप पलक तन नयन सनीरा गह चरन अित म अधीरा १

किह न सकत कछ िचतवत ठाढ़ मीन दीन जन जल त काढ़

सोच हदय िबिध का होिनहारा सब सख सकत िसरान हमारा २

मो कह काह कहब रघनाथा रिखह िह भवन िक लहिह साथा

राम िबलोिक बध कर जोर दह गह सब सन तन तोर ३

बोल बचन राम नय नागर सील सनह सरल सख सागर

तात म बस जिन कदराह समिझ हदय पिरनाम उछाह ४

दोहा मात िपता गर सवािम िसख िसर धिर करिह सभाय

लहउ लाभ ितनह जनम कर नतर जनम जग जाय ७०

अस िजय जािन सनह िसख भाई करह मात िपत पद सवकाई

भवन भरत िरपसदन नाही राउ ब मम दख मन माही १

म बन जाउ तमहिह लइ साथा होइ सबिह िबिध अवध अनाथा

गर िपत मात जा पिरवार सब कह परइ दसह दख भार २

रहह करह सब कर पिरतोष नतर तात होइिह बड़ दोष

जास राज ि य जा दखारी सो नप अविस नरक अिधकारी ३

रहह तात अिस नीित िबचारी सनत लखन भए बयाकल भारी

िसअर बचन सिख गए क स परसत तिहन तामरस जस ४

दोहा उतर न आवत म बस गह चरन अकलाइ

नाथ दास म सवािम तमह तजह त काह बसाइ ७१

दीिनह मोिह िसख नीिक गोसाई लािग अगम अपनी कदराई

रामचिरतमानस - 34 - अयोधयाकाड

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नरबर धीर धरम धर धारी िनगम नीित कह त अिधकारी १

म िसस भ सनह ितपाला मदर मर िक लिह मराला

गर िपत मात न जानउ काह कहउ सभाउ नाथ पितआह २

जह लिग जगत सनह सगाई ीित तीित िनगम िनज गाई

मोर सबइ एक तमह सवामी दीनबध उर अतरजामी ३

धरम नीित उपदिसअ ताही कीरित भित सगित ि य जाही

मन म बचन चरन रत होई कपािसध पिरहिरअ िक सोई ४

दोहा करनािसध सबध क सिन मद बचन िबनीत

समझाए उर लाइ भ जािन सनह सभीत ७२

मागह िबदा मात सन जाई आवह बिग चलह बन भाई

मिदत भए सिन रघबर बानी भयउ लाभ बड़ गइ बिड़ हानी १

हरिषत हदय मात पिह आए मनह अध िफिर लोचन पाए

जाइ जनिन पग नायउ माथा मन रघनदन जानिक साथा २

पछ मात मिलन मन दखी लखन कही सब कथा िबसषी

गई सहिम सिन बचन कठोरा मगी दिख दव जन चह ओरा ३

लखन लखउ भा अनरथ आज एिह सनह बस करब अकाज

मागत िबदा सभय सकचाही जाइ सग िबिध किहिह िक नाही ४

दोहा समिझ सिम ा राम िसय रप ससील सभाउ

नप सनह लिख धनउ िसर पािपिन दीनह कदाउ ७३

धीरज धरउ कअवसर जानी सहज सहद बोली मद बानी

तात तमहािर मात बदही िपता राम सब भाित सनही १

अवध तहा जह राम िनवास तहइ िदवस जह भान कास

जौ प सीय राम बन जाही अवध तमहार काज कछ नािह २

गर िपत मात बध सर साई सइअिह सकल ान की नाई

रामचिरतमानस - 35 - अयोधयाकाड

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राम ानि य जीवन जी क सवारथ रिहत सखा सबही क ३

पजनीय ि य परम जहा त सब मािनअिह राम क नात

अस िजय जािन सग बन जाह लह तात जग जीवन लाह ४

दोहा भिर भाग भाजन भयह मोिह समत बिल जाउ

जौम तमहर मन छािड़ छल कीनह राम पद ठाउ ७४

प वती जबती जग सोई रघपित भगत जास सत होई

नतर बाझ भिल बािद िबआनी राम िबमख सत त िहत जानी १

तमहरिह भाग राम बन जाही दसर हत तात कछ नाही

सकल सकत कर बड़ फल एह राम सीय पद सहज सनह २

राग रोष इिरषा मद मोह जिन सपनह इनह क बस होह

सकल कार िबकार िबहाई मन म बचन करह सवकाई ३

तमह कह बन सब भाित सपास सग िपत मा त राम िसय जास

जिह न राम बन लहिह कलस सत सोइ करह इहइ उपदस ४ छद

उपदस यह जिह तात तमहर राम िसय सख पावही

िपत मात ि य पिरवार पर सख सरित बन िबसरावही

तलसी भिह िसख दइ आयस दीनह पिन आिसष दई

रित होउ अिबरल अमल िसय रघबीर पद िनत िनत नई

सोरठा मात चरन िसर नाइ चल तरत सिकत हदय

बागर िबषम तोराइ मनह भाग मग भाग बस ७५

गए लखन जह जानिकनाथ भ मन मिदत पाइ ि य साथ

बिद राम िसय चरन सहाए चल सग नपमिदर आए १

कहिह परसपर पर नर नारी भिल बनाइ िबिध बात िबगारी

रामचिरतमानस - 36 - अयोधयाकाड

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तन कस दख बदन मलीन िबकल मनह माखी मध छीन २

कर मीजिह िसर धिन पिछताही जन िबन पख िबहग अकलाही

भइ बिड़ भीर भप दरबारा बरिन न जाइ िबषाद अपारा ३

सिचव उठाइ राउ बठार किह ि य बचन राम पग धार

िसय समत दोउ तनय िनहारी बयाकल भयउ भिमपित भारी ४

दोहा सीय सिहत सत सभग दोउ दिख दिख अकलाइ

बारिह बार सनह बस राउ लइ उर लाइ ७६

सकइ न बोिल िबकल नरनाह सोक जिनत उर दारन दाह

नाइ सीस पद अित अनरागा उिठ रघबीर िबदा तब मागा १

िपत असीस आयस मोिह दीज हरष समय िबसमउ कत कीज

तात िकए ि य म माद जस जग जाइ होइ अपबाद २

सिन सनह बस उिठ नरनाहा बठार रघपित गिह बाहा

सनह तात तमह कह मिन कहही राम चराचर नायक अहही ३

सभ अर असभ करम अनहारी ईस दइ फल हदय िबचारी

करइ जो करम पाव फल सोई िनगम नीित अिस कह सब कोई ४

दोहा और कर अपराध कोउ और पाव फल भोग

अित िबिच भगवत गित को जग जान जोग ७७

राय राम राखन िहत लागी बहत उपाय िकए छल तयागी

लखी राम रख रहत न जान धरम धरधर धीर सयान १

तब नप सीय लाइ उर लीनही अित िहत बहत भाित िसख दीनही

किह बन क दख दसह सनाए सास ससर िपत सख समझाए २

िसय मन राम चरन अनरागा घर न सगम बन िबषम न लागा

औरउ सबिह सीय समझाई किह किह िबिपन िबपित अिधकाई ३

सिचव नािर गर नािर सयानी सिहत सनह कहिह मद बानी

रामचिरतमानस - 37 - अयोधयाकाड

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तमह कह तौ न दीनह बनबास करह जो कहिह ससर गर सास ४

दोहा िसख सीतिल िहत मधर मद सिन सीतिह न सोहािन

सरद चद चदिन लगत जन चकई अकलािन ७८

सीय सकच बस उतर न दई सो सिन तमिक उठी ककई

मिन पट भषन भाजन आनी आग धिर बोली मद बानी १

नपिह ान ि य तमह रघबीरा सील सनह न छािड़िह भीरा

सकत सजस परलोक नसाऊ तमहिह जान बन किहिह न काऊ २

अस िबचािर सोइ करह जो भावा राम जनिन िसख सिन सख पावा

भपिह बचन बानसम लाग करिह न ान पयान अभाग ३

लोग िबकल मरिछत नरनाह काह किरअ कछ सझ न काह

राम तरत मिन बष बनाई चल जनक जनिनिह िसर नाई ४

दोहा सिज बन साज समाज सब बिनता बध समत

बिद िब गर चरन भ चल किर सबिह अचत ७९

िनकिस बिस ार भए ठाढ़ दख लोग िबरह दव दाढ़

किह ि य बचन सकल समझाए िब बद रघबीर बोलाए १

गर सन किह बरषासन दीनह आदर दान िबनय बस कीनह

जाचक दान मान सतोष मीत पनीत म पिरतोष २

दासी दास बोलाइ बहोरी गरिह सौिप बोल कर जोरी

सब क सार सभार गोसाई करिब जनक जननी की नाई ३

बारिह बार जोिर जग पानी कहत राम सब सन मद बानी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जिह त रह भआल सखारी ४

दोहा मात सकल मोर िबरह जिह न होिह दख दीन

रामचिरतमानस - 38 - अयोधयाकाड

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सोइ उपाउ तमह करह सब पर जन परम बीन ८०

एिह िबिध राम सबिह समझावा गर पद पदम हरिष िसर नावा

गनपती गौिर िगरीस मनाई चल असीस पाइ रघराई १

राम चलत अित भयउ िबषाद सिन न जाइ पर आरत नाद

कसगन लक अवध अित सोक हहरष िबषाद िबबस सरलोक २

गइ मरछा तब भपित जाग बोिल सम कहन अस लाग

राम चल बन ान न जाही किह सख लािग रहत तन माही ३

एिह त कवन बयथा बलवाना जो दख पाइ तजिह तन ाना

पिन धिर धीर कहइ नरनाह ल रथ सग सखा तमह जाह ४

दोहा सिठ सकमार कमार दोउ जनकसता सकमािर

रथ चढ़ाइ दखराइ बन िफरह गए िदन चािर ८१

जौ निह िफरिह धीर दोउ भाई सतयसध दढ़ त रघराई

तौ तमह िबनय करह कर जोरी फिरअ भ िमिथलसिकसोरी १

जब िसय कानन दिख डराई कहह मोिर िसख अवसर पाई

सास ससर अस कहउ सदस पि िफिरअ बन बहत कलस २

िपतगह कबह कबह ससरारी रहह जहा र िच होइ तमहारी

एिह िबिध करह उपाय कदबा िफरइ त होइ ान अवलबा ३

नािह त मोर मरन पिरनामा कछ न बसाइ भए िबिध बामा

अस किह मरिछ परा मिह राऊ राम लखन िसय आिन दखाऊ ४

दोहा पाइ रजायस नाइ िसर रथ अित बग बनाइ

गयउ जहा बाहर नगर सीय सिहत दोउ भाइ ८२

तब सम नप बचन सनाए किर िबनती रथ राम चढ़ाए

चिढ़ रथ सीय सिहत दोउ भाई चल हदय अवधिह िसर नाई १

रामचिरतमानस - 39 - अयोधयाकाड

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चलत राम लिख अवध अनाथा िबकल लोग सब लाग साथा

कपािसध बहिबिध समझाविह िफरिह म बस पिन िफिर आविह २

लागित अवध भयाविन भारी मानह कालराित अिधआरी

घोर जत सम पर नर नारी डरपिह एकिह एक िनहारी ३

घर मसान पिरजन जन भता सत िहत मीत मनह जमदता

बागनह िबटप बिल किमहलाही सिरत सरोवर दिख न जाही ४

दोहा हय गय कोिटनह किलमग परपस चातक मोर

िपक रथाग सक सािरका सारस हस चकोर ८३

राम िबयोग िबकल सब ठाढ़ जह तह मनह िच िलिख काढ़

नगर सफल बन गहबर भारी खग मग िबपल सकल नर नारी १

िबिध ककई िकराितिन कीनही जिह दव दसह दसह िदिस दीनही

सिह न सक रघबर िबरहागी चल लोग सब बयाकल भागी २

सबिह िबचार कीनह मन माही राम लखन िसय िबन सख नाही

जहा राम तह सबइ समाज िबन रघबीर अवध निह काज ३

चल साथ अस म दढ़ाई सर दलरभ सख सदन िबहाई

राम चरन पकज ि य िजनहही िबषय भोग बस करिह िक ितनहही ४

दोहा बालक ब िबहाइ गह लग लोग सब साथ

तमसा तीर िनवास िकय थम िदवस रघनाथ ८४

रघपित जा मबस दखी सदय हदय दख भयउ िबसषी

करनामय रघनाथ गोसाई बिग पाइअिह पीर पराई १

किह स म मद बचन सहाए बहिबिध राम लोग समझाए

िकए धरम उपदस घनर लोग म बस िफरिह न फर २

सील सनह छािड़ निह जाई असमजस बस भ रघराई

लोग सोग म बस गए सोई कछक दवमाया मित मोई ३

रामचिरतमानस - 40 - अयोधयाकाड

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जबिह जाम जग जािमिन बीती राम सिचव सन कहउ स ीती

खोज मािर रथ हाकह ताता आन उपाय बिनिह निह बाता ४

दोहा राम लखन सय जान चिढ़ सभ चरन िसर नाइ

सिचव चलायउ तरत रथ इत उत खोज दराइ ८५

जाग सकल लोग भए भोर ग रघनाथ भयउ अित सोर

रथ कर खोज कतहह निह पाविह राम राम किह चह िदिस धाविह १

मनह बािरिनिध बड़ जहाज भयउ िबकल बड़ बिनक समाज

एकिह एक दिह उपदस तज राम हम जािन कलस २

िनदिह आप सराहिह मीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

जौ प ि य िबयोग िबिध कीनहा तौ कस मरन न माग दीनहा ३

एिह िबिध करत लाप कलापा आए अवध भर पिरतापा

िबषम िबयोग न जाइ बखाना अविध आस सब राखिह ाना ४

दोहा राम दरस िहत नम त लग करन नर नािर

मनह कोक कोकी कमल दीन िबहीन तमािर ८६

सीता सिचव सिहत दोउ भाई सगबरपर पहच जाई

उतर राम दवसिर दखी कीनह दडवत हरष िबसषी १

लखन सिचव िसय िकए नामा सबिह सिहत सख पायउ रामा

गग सकल मद मगल मला सब सख करिन हरिन सब सला २

किह किह कोिटक कथा सगा राम िबलोकिह गग तरगा

सिचविह अनजिह ि यिह सनाई िबबध नदी मिहमा अिधकाई ३

मजजन कीनह पथ म गयऊ सिच जल िपअत मिदत मन भयऊ

सिमरत जािह िमटइ म भार तिह म यह लौिकक बयवहार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 41 - अयोधयाकाड

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सधद सिचदानदमय कद भानकल कत

चिरत करत नर अनहरत ससित सागर सत ८७

यह सिध गह िनषाद जब पाई मिदत िलए ि य बध बोलाई

िलए फल मल भट भिर भारा िमलन चलउ िहय हरष अपारा १

किर दडवत भट धिर आग भिह िबलोकत अित अनराग

सहज सनह िबबस रघराई पछी कसल िनकट बठाई २

नाथ कसल पद पकज दख भयउ भागभाजन जन लख

दव धरिन धन धाम तमहारा म जन नीच सिहत पिरवारा ३

कपा किरअ पर धािरअ पाऊ थािपय जन सब लोग िसहाऊ

कहह सतय सब सखा सजाना मोिह दीनह िपत आयस आना ४

दोहा बरष चािरदस बास बन मिन त बष अहार

ाम बास निह उिचत सिन गहिह भयउ दख भार ८८

राम लखन िसय रप िनहारी कहिह स म ाम नर नारी

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस १

एक कहिह भल भपित कीनहा लोयन लाह हमिह िबिध दीनहा

तब िनषादपित उर अनमाना तर िससपा मनोहर जाना २

ल रघनाथिह ठाउ दखावा कहउ राम सब भाित सहावा

परजन किर जोहार घर आए रघबर सधया करन िसधाए ३

गह सवािर साथरी डसाई कस िकसलयमय मदल सहाई

सिच फल मल मधर मद जानी दोना भिर भिर राखिस पानी ४

दोहा िसय सम ाता सिहत कद मल फल खाइ

सयन कीनह रघबसमिन पाय पलोटत भाइ ८९

उठ लखन भ सोवत जानी किह सिचविह सोवन मद बानी

रामचिरतमानस - 42 - अयोधयाकाड

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कछक दर सिज बान सरासन जागन लग बिठ बीरासन १

गह बोलाइ पाहर तीती ठाव ठाव राख अित ीती

आप लखन पिह बठउ जाई किट भाथी सर चाप चढ़ाई २

सोवत भिह िनहािर िनषाद भयउ म बस हदय िबषाद

तन पलिकत जल लोचन बहई बचन स म लखन सन कहई ३

भपित भवन सभाय सहावा सरपित सदन न पटतर पावा

मिनमय रिचत चार चौबार जन रितपित िनज हाथ सवार ४

दोहा सिच सिबिच सभोगमय समन सगध सबास

पलग मज मिनदीप जह सब िबिध सकल सपास ९०

िबिबध बसन उपधान तराई छीर फन मद िबसद सहाई

तह िसय राम सयन िनिस करही िनज छिब रित मनोज मद हरही १

त िसय राम साथरी सोए िमत बसन िबन जािह न जोए

मात िपता पिरजन परबासी सखा ससील दास अर दासी २

जोगविह िजनहिह ान की नाई मिह सोवत तइ राम गोसाई

िपता जनक जग िबिदत भाऊ ससर सरस सखा रघराऊ ३

रामचद पित सो बदही सोवत मिह िबिध बाम न कही

िसय रघबीर िक कानन जोग करम धान सतय कह लोग ४

दोहा ककयनिदिन मदमित किठन किटलपन कीनह

जही रघनदन जानिकिह सख अवसर दख दीनह ९१

भइ िदनकर कल िबटप कठारी कमित कीनह सब िबसव दखा री

भयउ िबषाद िनषादिह भारी राम सीय मिह सयन िनहारी १

बोल लखन मधर मद बानी गयान िबराग भगित रस सानी

काह न कोउ सख दख कर दाता िनज कत करम भोग सब ाता २

जोग िबयोग भोग भल मदा िहत अनिहत मधयम म फदा

रामचिरतमानस - 43 - अयोधयाकाड

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जनम मरन जह लिग जग जाल सपती िबपित करम अर काल ३

धरिन धाम धन पर पिरवार सरग नरक जह लिग बयवहार

दिखअ सिनअ गिनअ मन माही मोह मल परमारथ नाही ४

दोहा सपन होइ िभखािर नप रक नाकपित होइ

जाग लाभ न हािन कछ ितिम पच िजय जोइ ९२

अस िबचािर निह कीजा रोस काहिह बािद न दइअ दोस

मोह िनसा सब सोविनहारा दिखअ सपन अनक कारा १

एिह जग जािमिन जागिह जोगी परमारथी पच िबयोगी

जािनअ तबिह जीव जग जागा जब जब िबषय िबलास िबरागा २

होइ िबबक मोह म भागा तब रघनाथ चरन अनरागा

सखा परम परमारथ एह मन म बचन राम पद नह ३

राम परमारथ रपा अिबगत अलख अनािद अनपा

सकल िबकार रिहत गतभदा किह िनत नित िनरपिह बदा ४

दोहा भगत भिम भसर सरिभ सर िहत लािग कपाल

करत चिरत धिर मनज तन सनत िमटिह जग जाल ९३

मासपारायण प हवा िव ाम

सखा समिझ अस पिरहिर मोह िसय रघबीर चरन रत होह

कहत राम गन भा िभनसारा जाग जग मगल सखदारा १

सकल सोच किर राम नहावा सिच सजान बट छीर मगावा

अनज सिहत िसर जटा बनाए दिख सम नयन जल छाए २

हदय दाह अित बदन मलीना कह कर जोिर बचन अित दीना

नाथ कहउ अस कोसलनाथा ल रथ जाह राम क साथा ३

बन दखाइ सरसिर अनहवाई आनह फिर बिग दोउ भाई

रामचिरतमानस - 44 - अयोधयाकाड

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लखन राम िसय आनह फरी ससय सकल सकोच िनबरी ४

दोहा नप अस कहउ गोसाई जस कहइ करौ बिल सोइ

किर िबनती पायनह परउ दीनह बाल िजिम रोइ ९४

तात कपा किर कीिजअ सोई जात अवध अनाथ न होई

म िह राम उठाइ बोधा तात धरम मत तमह सब सोधा १

िसिब दधीिच हिरचद नरसा सह धरम िहत कोिट कलसा

रितदव बिल भप सजाना धरम धरउ सिह सकट नाना २

धरम न दसर सतय स माना आगम िनगम परान बखाना

म सोइ धरम सलभ किर पावा तज ितह पर अपजस छावा ३

सभािवत कह अपजस लाह मरन कोिट सम दारन दाह

तमह सन तात बहत का कहऊ िदए उतर िफिर पातक लहऊ ४

दोहा िपत पद गिह किह कोिट नित िबनय करब कर जोिर िचता कविनह बात क तात किरअ जिन मोिर ९५

तमह पिन िपत सम अित िहत मोर िबनती करउ तात कर जोर

सब िबिध सोइ करतबय तमहार दख न पाव िपत सोच हमार १

सिन रघनाथ सिचव सबाद भयउ सपिरजन िबकल िनषाद

पिन कछ लखन कही कट बानी भ बरज बड़ अ निचत जानी २

सकिच राम िनज सपथ दवाई लखन सदस किहअ जिन जाई

कह सम पिन भप सदस सिह न सिकिह िसय िबिपन कलस ३

जिह िबिध अवध आव िफिर सीया सोइ रघबरिह तमहिह करनीया

नतर िनपट अवलब िबहीना म न िजअब िजिम जल िबन मीना ४

दोहा मइक ससर सकल सख जबिह जहा मन मान

रामचिरतमानस - 45 - अयोधयाकाड

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तह तब रिहिह सखन िसय जब लिग िबपित िबहान ९६

िबनती भप कीनह जिह भाती आरित ीित न सो किह जाती

िपत सदस सिन कपािनधाना िसयिह दीनह िसख कोिट िबधाना १

सास ससर गर ि य पिरवार िफरत त सब कर िमट खभार

सिन पित बचन कहित बदही सनह ानपित परम सनही २

भ करनामय परम िबबकी तन तिज रहित छाह िकिम छकी

भा जाइ कह भान िबहाई कह चि का चद तिज जाई ३

पितिह ममय िबनय सनाई कहित सिचव सन िगरा सहाई

तमह िपत ससर सिरस िहतकारी उतर दउ िफिर अनिचत भारी ४

दोहा आरित बस सनमख भइउ िबलग न मानब तात

आरजसत पद कमल िबन बािद जहा लिग नात ९७

िपत बभव िबलास म डीठा नप मिन मकट िमिलत पद पीठा

सखिनधान अस िपत गह मोर िपय िबहीन मन भाव न भोर १

ससर चककवइ कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

आग होइ जिह सरपित लई अरध िसघासन आसन दई २

ससर एतादस अवध िनवास ि य पिरवार मात सम सास

िबन रघपित पद पदम परागा मोिह कउ सपनह सखद न लागा ३

अगम पथ बनभिम पहारा किर कहिर सर सिरत अपारा

कोल िकरात करग िबहगा मोिह सब सखद ानपित सगा ४

दोहा सास ससर सन मोिर हित िबनय करिब पिर पाय

मोर सोच जिन किरअ कछ म बन सखी सभाय ९८

ाननाथ ि य दवर साथा बीर धरीन धर धन भाथा

निह मग म म दख मन मोर मोिह लिग सोच किरअ जिन भोर १

रामचिरतमानस - 46 - अयोधयाकाड

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सिन सम िसय सीतिल बानी भयउ िबकल जन फिन मिन हानी

नयन सझ निह सनइ न काना किह न सकइ कछ अित अकलाना २

राम बोध कीनह बह भाित तदिप होित निह सीतिल छाती

जतन अनक साथ िहत कीनह उिचत उतर रघनदन दीनह ३

मिट जाइ निह राम रजाई किठन करम गित कछ न बसाई

राम लखन िसय पद िसर नाई िफरउ बिनक िजिम मर गवाई ४

दोहा रथ हाकउ हय राम तन हिर हिर िहिहनािह

दिख िनषाद िबषादबस धनिह सीस पिछतािह ९९

जास िबयोग िबकल पस ऐस जा मात िपत जीहिह कस

बरबस राम सम पठाए सरसिर तीर आप तब आए १

मागी नाव न कवट आना कहइ तमहार मरम म जाना

चरन कमल रज कह सब कहई मानष करिन मिर कछ अहई २

छअत िसला भइ नािर सहाई पाहन त न काठ किठनाई

तरिनउ मिन घिरिन होइ जाई बाट परइ मोिर नाव उड़ाई ३

एिह ितपालउ सब पिरवार निह जानउ कछ अउर कबार

जौ भ पार अविस गा चहह मोिह पद पदम पखारन कहह ४ छद

पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौ

मोिह राम राउिर आन दसरथ सपथ सब साची कहौ

बर तीर मारह लखन प जब लिग न पाय पखािरहौ

तब लिग न तलसीदास नाथ कपाल पार उतािरहौ

सोरठा सिन कबट क बन म लपट अटपट

िबहस करनाऐन िचतइ जानकी लखन तन १००

रामचिरतमानस - 47 - अयोधयाकाड

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कपािसध बोल मसकाई सोइ कर जिह तव नाव न जाई

विग आन जल पाय पखार होत िबलब उतारिह पार १

जास नाम समरत एक बारा उतरिह नर भविसध अपारा

सोइ कपाल कवटिह िनहोरा जिह जग िकय ितह पगह त थोरा २

पद नख िनरिख दवसिर हरषी सिन भ बचन मोह मित करषी

कवट राम रजायस पावा पािन कठवता भिर लइ आवा ३

अित आनद उमिग अनरागा चरन सरोज पखारन लागा

बरिष समन सर सकल िसहाही एिह सम पनयपज कोउ नाही ४

दोहा पद पखािर जल पान किर आप सिहत पिरवार

िपतर पार किर भिह पिन मिदत गयउ लइ पार १०१

उतिर ठाड़ भए सरसिर रता सीयराम गह लखन समता

कवट उतिर दडवत कीनहा भिह सकच एिह निह कछ दीनहा १

िपय िहय की िसय जानिनहारी मिन मदरी मन मिदत उतारी

कहउ कपाल लिह उतराई कवट चरन गह अकलाई २

नाथ आज म काह न पावा िमट दोष दख दािरद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी आज दीनह िबिध बिन भिल भरी ३

अब कछ नाथ न चािहअ मो र दीनदयाल अन ह तोर

िफरती बार मोिह ज दबा सो साद म िसर धिर लबा ४

दोहा बहत कीनह भ लखन िसय निह कछ कवट लइ

िबदा कीनह करनायतन भगित िबमल बर दइ १०२

तब मजजन किर रघकलनाथा पिज पारिथव नायउ माथा

िसय सरसिरिह कहउ कर जोरी मात मनोरथ परउिब मोरी १

पित दवर सग कसल बहोरी आइ करौ जिह पजा तोरी

सिन िसय िबनय म रस सानी भइ तब िबमल बािर बर बानी २

रामचिरतमानस - 48 - अयोधयाकाड

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सन रघबीर ि या बदही तव भाउ जग िबिदत न कही

लोकप होिह िबलोकत तोर तोिह सविह सब िसिध कर जोर ३

तमह जो हमिह बिड़ िबनय सनाई कपा कीिनह मोिह दीिनह बड़ाई

तदिप दिब म दिब असीसा सफल होपन िहत िनज बागीसा ४

दोहा ाननाथ दवर सिहत कसल कोसला आइ

पजिह सब मनकामना सजस रिहिह जग छाइ १०३

गग बचन सिन मगल मला मिदत सीय सरसिर अनकला

तब भ गहिह कहउ घर जाह सनत सख मख भा उर दाह १

दीन बचन गह कह कर जोरी िबनय सनह रघकलमिन मोरी

नाथ साथ रिह पथ दखाई किर िदन चािर चरन सवकाई २

जिह बन जाइ रहब रघराई परनकटी म करिब सहाई

तब मोिह कह जिस दब रजाई सोइ किरहउ रघबीर दोहाई ३

सहज सनह राम लिख तास सग लीनह गह हदय हलास

पिन गह गयाित बोिल सब लीनह किर पिरतोष िबदा तब कीनह ४

दोहा तब गनपित िसव सिमिर भ नाइ सरसिरिह माथ

सखा अनज िसया सिहत बन गवन कीनह रधनाथ १०४

तिह िदन भयउ िबटप तर बास लखन सखा सब कीनह सपास

ात ातकत किर रधसाई तीरथराज दीख भ जाई १

सिचव सतय धदा ि य नारी माधव सिरस मीत िहतकारी

चािर पदारथ भरा भडार पनय दस दस अित चार २

छ अगम गढ़ गाढ़ सहावा सपनह निह ितपिचछनह पावा

सन सकल तीरथ बर बीरा कलष अनीक दलन रनधीरा ३

सगम िसहासन सिठ सोहा छ अखयबट मिन मन मोहा

चवर जमन अर गग तरगा दिख होिह दख दािरद भगा ४

रामचिरतमानस - 49 - अयोधयाकाड

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दोहा

सविह सकित साध सिच पाविह सब मनकाम

बदी बद परान गन कहिह िबमल गन ाम १०५

को किह सकइ याग भाऊ कलष पज कजर मगराऊ

अस तीरथपित दिख सहावा सख सागर रघबर सख पावा १

किह िसय लखनिह सखिह सनाई ीमख तीरथराज बड़ाई

किर नाम दखत बन बागा कहत महातम अित अनरागा २

एिह िबिध आइ िबलोकी बनी सिमरत सकल समगल दनी

मिदत नहाइ कीिनह िसव सवा पिज जथािबिध तीरथ दवा ३

तब भ भर ाज पिह आए करत दडवत मिन उर लाए

मिन मन मोद न कछ किह जाइ ानद रािस जन पाई ४

दोहा दीिनह असीस मनीस उर अित अनद अस जािन

लोचन गोचर सकत फल मनह िकए िबिध आिन १०६

कसल सन किर आसन दीनह पिज म पिरपरन कीनह

कद मल फल अकर नीक िदए आिन मिन मनह अमी क १

सीय लखन जन सिहत सहाए अित रिच राम मल फल खाए

भए िबगत म राम सखार भरवदाज मद बचन उचार २

आज सफल तप तीरथ तयाग आज सफल जप जोग िबराग

सफल सकल सभ साधन साज राम तमहिह अवलोकत आज ३

लाभ अविध सख अविध न दजी तमहार दरस आस सब पजी

अब किर कपा दह बर एह िनज पद सरिसज सहज सनह ४

दोहा करम बचन मन छािड़ छल जब लिग जन न तमहार

तब लिग सख सपनह नही िकए कोिट उपचार १०७

रामचिरतमानस - 50 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन राम सकचान भाव भगित आनद अघान

तब रघबर मिन सजस सहावा कोिट भाित किह सबिह सनावा १

सो बड सो सब गन गन गह जिह मनीस तमह आदर दह

मिन रघबीर परसपर नवही बचन अगोचर सख अनभवही २

यह सिध पाइ याग िनवासी बट तापस मिन िस उदासी

भर ाज आ म सब आए दखन दसरथ सअन सहाए ३

राम नाम कीनह सब काह मिदत भए लिह लोयन लाह

दिह असीस परम सख पाई िफर सराहत सदरताई ४

दोहा राम कीनह िब ाम िनिस ात याग नहाइ

चल सिहत िसय लखन जन मदिदत मिनिह िसर नाइ १०८

राम स म कहउ मिन पाही नाथ किहअ हम किह मग जाही

मिन मन िबहिस राम सन कहहीसगम सकल मग तमह कह अहही १

साथ लािग मिन िसषय बोलाए सिन मन मिदत पचासक आए

सबिनह राम पर म अपारा सकल कहिह मग दीख हमारा २

मिन बट चािर सग तब दीनह िजनह बह जनम सकत सब कीनह

किर नाम िरिष आयस पाई मिदत हदय चल रघराई ३

ाम िनकट जब िनकसिह जाई दखिह दरस नािर नर धाई

होिह सनाथ जनम फल पाई िफरिह दिखत मन सग पठा ई ४

दोहा िबदा िकए बट िबनय किर िफर पाइ मन काम उतिर नहाए जमन जल जो सरीर सम सयाम १०९

सनत तीरवासी नर नारी धाए िनज िनज काज िबसारी

लखन राम िसय सनदरताई दिख करिह िनज भागय बड़ाई १

अित लालसा बसिह मन माही नाउ गाउ बझत सकचाही

रामचिरतमानस - 51 - अयोधयाकाड

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ज ितनह मह बयिबिरध सयान ितनह किर जगित राम पिहचान २

सकल कथा ितनह सबिह सनाई बनिह चल िपत आयस पाई

सिन सिबषाद सकल पिछताही रानी राय कीनह भल नाही ३

तिह अवसर एक तापस आवा तजपज लघबयस सहावा

किव अलिखत गित बष िबरागी मन म बचन राम अनरागी ४

दोहा सजल नयन तन पलिक िनज इ दउ पिहचािन

परउ दड िजिम धरिनतल दसा न जाइ बखािन ११०

राम स म पलिक उर लावा परम रक जन पारस पावा

मनह म परमारथ दोऊ िमलत धर तन कह सब कोऊ १

बहिर लखन पायनह सोइ लागा लीनह उठाइ उमिग अनरागा

पिन िसय चरन धिर धिर सीसा जनिन जािन िसस दीिनह असीसा २

कीनह िनषाद दडवत तही िमलउ मिदत लिख राम सनही

िपअत नयन पट रप िपयषा मिदत सअसन पाइ िजिम भखा ३

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस

राम लखन िसय रप िनहारी होिह सनह िबकल नर नारी ४

दोहा तब रघबीर अनक िबिध सखिह िसखावन दीनह

राम रजायस सीस धिर भवन गवन तइ कीनह १११

पिन िसय राम लखन कर जोरी जमनिह कीनह नाम बहोरी

चल ससीय मिदत दोउ भाई रिबतनजा कइ करत बड़ाई १

पिथक अनक िमलिह मग जाता कहिह स म दिख दोउ ाता

राज लखन सब अग तमहार दिख सोच अित हदय हमार २

मारग चलह पयादिह पाए जयोितष झठ हमार भाए

अगम पथ िगिर कानन भारी तिह मह साथ नािर सकमारी ३

किर कहिर बन जाइ न जोई हम सग चलिह जो आयस होई

रामचिरतमानस - 52 - अयोधयाकाड

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जाब जहा लिग तह पहचाई िफरब बहोिर तमहिह िसर नाई ४

दोहा एिह िबिध पछिह म बस पलक गात जल नन कपािसध फरिह ितनहिह किह िबनीत मद बन ११२

ज पर गाव बसिह मग माही ितनहिह नाग सर नगर िसहाही

किह सकती किह घरी बसाए धनय पनयमय परम सहाए १

जह जह राम चरन चिल जाही ितनह समान अमरावित नाही

पनयपज मग िनकट िनवासी ितनहिह सराहिह सरपरबासी २

ज भिर नयन िबलोकिह रामिह सीता लखन सिहत घनसयामिह

ज सर सिरत राम अवगाहिह ितनहिह दव सर सिरत सराहिह ३

जिह तर तर भ बठिह जाई करिह कलपतर तास बड़ाई

परिस राम पद पदम परागा मानित भिम भिर िनज भागा ४

दोहा छाह करिह घन िबबधगन बरषिह समन िसहािह

दखत िगिर बन िबहग मग राम चल मग जािह ११३

सीता लखन सिहत रघराई गाव िनकट जब िनकसिह जाई

सिन सब बाल ब नर नारी चलिह तरत गहकाज िबसारी १

राम लखन िसय रप िनहारी पाइ नयनफल होिह सखारी

सजल िबलोचन पलक सरीरा सब भए मगन दिख दोउ बीरा २

बरिन न जाइ दसा ितनह करी लिह जन रकनह सरमिन ढरी

एकनह एक बोिल िसख दही लोचन लाह लह छन एही ३

रामिह दिख एक अनराग िचतवत चल जािह सग लाग

एक नयन मग छिब उर आनी होिह िसिथल तन मन बर बानी ४

दोहा एक दिख बट छाह भिल डािस मदल तन पात

रामचिरतमानस - 53 - अयोधयाकाड

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कहिह गवाइअ िछनक म गवनब अबिह िक ात ११४

एक कलस भिर आनिह पानी अचइअ नाथ कहिह मद बानी

सिन ि य बचन ीित अित दखी राम कपाल ससील िबसषी १

जानी िमत सीय मन माही घिरक िबलब कीनह बट छाही

मिदत नािर नर दखिह सोभा रप अनप नयन मन लोभा २

एकटक सब सोहिह चह ओरा रामच मख चद चकोरा

तरन तमाल बरन तन सोहा दखत कोिट मदन मन मोहा ३

दािमिन बरन लखन सिठ नीक नख िसख सभग भावत जी क

मिनपट किटनह कस तनीरा सोहिह कर कमिलिन धन तीरा ४

दोहा जटा मकट सीसिन सभग उर भज नयन िबसाल

सरद परब िबध बदन बर लसत सवद कन जाल ११५

बरिन न जाइ मनोहर जोरी सोभा बहत थोिर मित मोरी

राम लखन िसय सदरताई सब िचतविह िचत मन मित लाई १

थक नािर नर म िपआस मनह मगी मग दिख िदआ स

सीय समीप ामितय जाही पछत अित सनह सकचाही २

बार बार सब लागिह पाए कहिह बचन मद सरल सभाए

राजकमािर िबनय हम करही ितय सभाय कछ पछत डरही ३

सवािमिन अिबनय छमिब हमारी िबलग न मानब जािन गवारी

राजकअर दोउ सहज सलोन इनह त लही दित मरकत सोन ४

दोहा सयामल गौर िकसोर बर सदर सषमा ऐन

सरद सबररीनाथ मख सरद सरोरह नन ११६

मासपारायण सोलहवा िव ाम

नवानहपारायण चौथा िव ाम

रामचिरतमानस - 54 - अयोधयाकाड

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कोिट मनोज लजाविनहार समिख कहह को आिह तमहार

सिन सनहमय मजल बानी सकची िसय मन मह मसकानी १

ितनहिह िबलोिक िबलोकित धरनी दह सकोच सकिचत बरबरनी

सकिच स म बाल मग नयनी बोली मधर बचन िपकबयनी २

सहज सभाय सभग तन गोर नाम लखन लघ दवर मोर

बहिर बदन िबध अचल ढाकी िपय तन िचतइ भौह किर बाकी ३

खजन मज ितरीछ नयनिन िनज पित कहउ ितनहिह िसय सयनिन

भइ मिदत सब ामबधटी रकनह राय रािस जन लटी ४

दोहा अित स म िसय पाय पिर बहिबिध दिह असीस

सदा सोहािगिन होह तमह जब लिग मिह अिह सीस ११७

पारबती सम पिति य होह दिब न हम पर छाड़ब छोह

पिन पिन िबनय किरअ कर जोरी जौ एिह मारग िफिरअ बहोरी १

दरसन दब जािन िनज दासी लखी सीय सब म िपआसी

मधर बचन किह किह पिरतोषी जन कमिदनी कौमदी पोषी २

तबिह लखन रघबर रख जानी पछउ मग लोगिनह मद बानी

सनत नािर नर भए दखारी पलिकत गात िबलोचन बारी ३

िमटा मोद मन भए मलीन िबिध िनिध दीनह लत जन छीन

समिझ करम गित धीरज कीनहासोिध सगम मग ितनह किह दीनहा ४

दोहा लखन जानकी सिहत तब गवन कीनह रघनाथ

फर सब ि य बचन किह िलए लाइ मन साथ ११८

िफरत नािर नर अित पिछताही दअिह दोष दिह मन माही

सिहत िबषाद परसपर कहही िबिध करतब उलट सब अहही १

िनपट िनरकस िनठर िनसक जिह सिस कीनह सरज सकलक

रामचिरतमानस - 55 - अयोधयाकाड

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रख कलपतर सागर खारा तिह पठए बन राजकमारा २

जौ प इनहिह दीनह बनबास कीनह बािद िबिध भोग िबलास

ए िबचरिह मग िबन पद ाना रच बािद िबिध बाहन नाना ३

ए मिह परिह डािस कस पाता सभग सज कत सजत िबधाता

तरबर बास इनहिह िबिध दीनहा धवल धाम रिच रिच म कीनहा ४

दोहा जौ ए मिन पट धर जिटल सदर सिठ सकमार

िबिबध भाित भषन बसन बािद िकए करतार ११९

जौ ए कद मल फल खाही बािद सधािद असन जग माही

एक कहिह ए सहज सहाए आप गट भए िबिध न बनाए १

जह लिग बद कही िबिध करनी वन नयन मन गोचर बरनी

दखह खोिज भअन दस चारी कह अस परष कहा अिस नारी २

इनहिह दिख िबिध मन अनरागा पटतर जोग बनाव लागा

कीनह बहत म ऐक न आए तिह इिरषा बन आिन दराए ३

एक कहिह हम बहत न जानिह आपिह परम धनय किर मानिह

त पिन पनयपज हम लख ज दखिह दिखहिह िजनह दख ४

दोहा एिह िबिध किह किह बचन ि य लिह नयन भिर नीर

िकिम चिलहिह मारग अगम सिठ सकमार सरीर १२०

नािर सनह िबकल बस होही चकई साझ समय जन सोही

मद पद कमल किठन मग जानी गहबिर हदय कहिह बर बानी १

परसत मदल चरन अरनार सकचित मिह िजिम हदय हमार

जौ जगदीस इनहिह बन दीनहा कस न समनमय मारग कीनहा २

जौ मागा पाइअ िबिध पाही ए रिखअिह सिख आिखनह माही

ज नर नािर न अवसर आए ितनह िसय राम न दखन पाए ३

सिन सरप बझिह अकलाई अब लिग गए कहा लिग भाई

रामचिरतमानस - 56 - अयोधयाकाड

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समरथ धाइ िबलोकिह जाई मिदत िफरिह जनमफल पाई ४

दोहा अबला बालक ब जन कर मीजिह पिछतािह

होिह मबस लोग इिम राम जहा जह जािह १२१

गाव गाव अस होइ अनद दिख भानकल करव चद

ज कछ समाचार सिन पाविह त नप रािनिह दोस लगाविह १

कहिह एक अित भल नरनाह दीनह हमिह जोइ लोचन लाह

कहिह परसपर लोग लोगाई बात सरल सनह सहाई २

त िपत मात धनय िजनह जाए धनय सो नगर जहा त आए

धनय सो दस सल बन गाऊ जह जह जािह धनय सोइ ठाऊ ३

सख पायउ िबरिच रिच तही ए जिह क सब भाित सनही

राम लखन पिथ कथा सहाई रही सकल मग कानन छाई ४

दोहा एिह िबिध रघकल कमल रिब मग लोगनह सख दत

जािह चल दखत िबिपन िसय सौिमि समत १२२

आग राम लखन बन पाछ तापस बष िबराजत काछ

उभय बीच िसय सोहित कस जीव िबच माया जस १

बहिर कहउ छिब जिस मन बसई जन मध मदन मधय रित लसई

उपमा बहिर कहउ िजय जोही जन बध िबध िबच रोिहिन सोही २

भ पद रख बीच िबच सीता धरित चरन मग चलित सभीता

सीय राम पद अक बराए लखन चलिह मग दािहन लाए ३

राम लखन िसय ीित सहाई बचन अगोचर िकिम किह जाई

खग मग मगन दिख छिब होही िलए चोिर िचत राम बटोही ४

दोहा िजनह िजनह दख पिथक ि य िसय समत दोउ भाइ

रामचिरतमानस - 57 - अयोधयाकाड

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भव मग अगम अनद तइ िबन म रह िसराइ १२३

अजह जास उर सपनह काऊ बसह लखन िसय राम बटाऊ

राम धाम पथ पाइिह सोई जो पथ पाव कबह मिन कोई १

तब रघबीर िमत िसय जानी दिख िनकट बट सीतल पानी

तह बिस कद मल फल खाई ात नहाइ चल रघराई २

दखत बन सर सल सहाए बालमीिक आ म भ आए

राम दीख मिन बास सहावन सदर िगिर कानन जल पावन ३

सरिन सरोज िबटप बन फल गजत मज मधप रस भल

खग मग िबपल कोलाहल करही िबरिहत बर मिदत मन चरही ४

दोहा सिच सदर आ म िनरिख हरष रािजवनन

सिन रघबर आगमन मिन आग आयउ लन १२४

मिन कह राम दडवत कीनहा आिसरबाद िब बर दीनहा

दिख राम छिब नयन जड़ान किर सनमान आ मिह आन १

मिनबर अितिथ ानि य पाए कद मल फल मधर मगाए

िसय सौिमि राम फल खाए तब मिन आ म िदए सहाए २

बालमीिक मन आनद भारी मगल मरित नयन िनहारी

तब कर कमल जोिर रघराई बोल बचन वन सखदाई ३

तमह ि काल दरसी मिननाथा िबसव बदर िजिम तमहर हाथा

अस किह भ सब कथा बखानी जिह जिह भाित दीनह बन रानी ४

दोहा तात बचन पिन मात िहत भाइ भरत अस राउ

मो कह दरस तमहार भ सब मम पनय भाउ १२५

दिख पाय मिनराय तमहार भए सकत सब सफल हमार

अब जह राउर आयस होई मिन उदबग न पाव कोई १

रामचिरतमानस - 58 - अयोधयाकाड

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मिन तापस िजनह त दख लहही त नरस िबन पावक दहही

मगल मल िब पिरतोष दहइ कोिट कल भसर रोष २

अस िजय जािन किहअ सोइ ठाऊ िसय सौिमि सिहत जह जाऊ

तह रिच रिचर परन तन साला बास करौ कछ काल कपाला ३

सहज सरल सिन रघबर बानी साध साध बोल मिन गयानी

कस न कहह अस रघकलकत तमह पालक सतत ित सत ४ छद

ित सत पालक राम तमह जगदीस माया जानकी

जो सजित जग पालित हरित रख पाइ कपािनधान की

जो सहससीस अहीस मिहधर लखन सचराचर धनी

सर काज धिर नरराज तन चल दलन खल िनिसचर अनी

सोरठा राम सरप तमहार बचन अगोचर बि पर

अिबगत अकथ अपार नित िनत िनगम कह १२६

जग पखन तमह दखिनहार िबिध हिर सभ नचाविनहार

तउ न जानिह मरम तमहारा और तमहिह को जानिनहारा १

सोइ जानइ जिह दह जनाई जानत तमहिह तमहइ होइ जाई

तमहिरिह कपा तमहिह रघनदन जानिह भगत भगत उर चदन २

िचदानदमय दह तमहारी िबगत िबकार जान अिधकारी

नर तन धरह सत सर काजा कहह करह जस ाकत राजा ३

राम दिख सिन चिरत तमहार जड़ मोहिह बध होिह सखार

तमह जो कहह करह सब साचा जस कािछअ तस चािहअ नाचा ४

दोहा पछह मोिह िक रहौ कह म पछत सकचाउ

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावौ ठाउ १२७

रामचिरतमानस - 59 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन म रस सान सकिच राम मन मह मसकान

बालमीिक हिस कहिह बहोरी बानी मधर अिमअ रस बोरी १

सनह राम अब कहउ िनकता जहा बसह िसय लखन सम ता

िजनह क वन सम समाना कथा तमहािर सभग सिर नाना २

भरिह िनरतर होिह न पर ितनह क िहय तमह कह गह रर

लोचन चातक िजनह किर राख रहिह दरस जलधर अिभलाष ३

िनदरिह सिरत िसध सर भारी रप िबद जल होिह सखारी

ितनह क हदय सदन सखदायक बसह बध िसय सह रघनायक ४

दोहा जस तमहार मानस िबमल हिसिन जीहा जास

मकताहल गन गन चनइ राम बसह िहय तास १२८

भ साद सिच सभग सबासा सादर जास लहइ िनत नासा

तमहिह िनबिदत भोजन करही भ साद पट भषन धरही १

सीस नविह सर गर ि ज दखी ीित सिहत किर िबनय िबसषी

कर िनत करिह राम पद पजा राम भरोस हदय निह दजा २

चरन राम तीरथ चिल जाही राम बसह ितनह क मन माही

म राज िनत जपिह तमहारा पजिह तमहिह सिहत पिरवारा ३

तरपन होम करिह िबिध नाना िब जवाइ दिह बह दाना

तमह त अिधक गरिह िजय जानी सकल भाय सविह सनमानी ४

दोहा सब किर मागिह एक फल राम चरन रित होउ

ितनह क मन मिदर बसह िसय रघनदन दोउ १२९

काम कोह मद मान न मोहा लोभ न छोभ न राग न ोहा

िजनह क कपट दभ निह माया ितनह क हदय बसह रघराया १

सब क ि य सब क िहतकारी दख सख सिरस ससा गारी

कहिह सतय ि य बचन िबचारी जागत सोवत सरन तमहारी २

रामचिरतमानस - 60 - अयोधयाकाड

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तमहिह छािड़ गित दसिर नाही राम बसह ितनह क मन माही

जननी सम जानिह परनारी धन पराव िबष त िबष भारी ३

ज हरषिह पर सपित दखी दिखत होिह पर िबपित िबसषी

िजनहिह राम तमह ानिपआर ितनह क मन सभ सदन तमहार ४

दोहा सवािम सखा िपत मात गर िजनह क सब तमह तात

मन मिदर ितनह क बसह सीय सिहत दोउ ात १३०

अवगन तिज सब क गन गहही िब धन िहत सकट सहही

नीित िनपन िजनह कइ जग लीकाघर तमहार ितनह कर मन नीका १

गन तमहार समझइ िनज दोसा जिह सब भाित तमहार भरोसा

राम भगत ि य लागिह जही तिह उर बसह सिहत बदही २

जाित पाित धन धरम बड़ाई ि य पिरवार सदन सखदाई

सब तिज तमहिह रहइ उर लाई तिह क हदय रहह रघराई ३

सरग नरक अपबरग समाना जह तह दख धर धन बाना

करम बचन मन राउर चरा राम करह तिह क उर डरा ४

दोहा जािह न चािहअ कबह कछ तमह सन सहज सनह

बसह िन रतर तास मन सो राउर िनज गह १३१

एिह िबिध मिनबर भवन दखाए बचन स म राम मन भाए

कह मिन सनह भानकलनायक आ म कहउ समय सखदायक १

िच कट िगिर करह िनवास तह तमहार सब भाित सपास

सल सहावन कानन चार किर कहिर मग िबहग िबहार २

नदी पनीत परान बखानी अि ि या िनज तपबल आनी

सरसिर धार नाउ मदािकिन जो सब पातक पोतक डािकिन ३

अि आिद मिनबर बह बसही करिह जोग जप तप तन कसही

रामचिरतमानस - 61 - अयोधयाकाड

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चलह सफल म सब कर करह राम दह गौरव िगिरबरह ४

दोहा िच कट मिहमा अिमत कही महामिन गाइ

आए नहाए सिरत बर िसय समत दोउ भाइ १३२

रघबर कहउ लखन भल घाट करह कतह अब ठाहर ठाट

लखन दीख पय उतर करारा चह िदिस िफरउ धनष िजिम नारा १

नदी पनच सर सम दम दाना सकल कलष किल साउज नाना

िच कट जन अचल अहरी चकइ न घात मार मठभरी २

अस किह लखन ठाउ दखरावा थल िबलोिक रघबर सख पावा

रमउ राम मन दवनह जाना चल सिहत सर थपित धाना ३

कोल िकरात बष सब आए रच परन तन सदन सहाए

बरिन न जािह मज दइ साला एक लिलत लघ एक िबसाला ४

दोहा लखन जानकी सिहत भ राजत रिचर िनकत

सोह मदन मिन बष जन रित िरतराज समत १३३

मासपारायण स हवा िव ाम

अमर नाग िकनर िदिसपाला िच कट आए तिह काला

राम नाम कीनह सब काह मिदत दव लिह लोचन लाह १

बरिष समन कह दव समाज नाथ सनाथ भए हम आज

किर िबनती दख दसह सनाए हरिषत िनज िनज सदन िसधाए २

िच कट रघनदन छाए समाचार सिन सिन मिन आए

आवत दिख मिदत मिनबदा कीनह दडवत रघकल चदा ३

मिन रघबरिह लाइ उर लही सफल होन िहत आिसष दही

िसय सौिम राम छिब दखिह साधन सकल सफल किर लखिह ४

रामचिरतमानस - 62 - अयोधयाकाड

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दोहा जथाजोग सनमािन भ िबदा िकए मिनबद

करिह जोग जप जाग तप िनज आ मिनह सछद १३४

यह सिध कोल िकरातनह पाई हरष जन नव िनिध घर आई

कद मल फल भिर भिर दोना चल रक जन लटन सोना १

ितनह मह िजनह दख दोउ ाता अपर ितनहिह पछिह मग जाता

कहत सनत रघबीर िनकाई आइ सबिनह दख रघराई २

करिह जोहार भट धिर आग भिह िबलोकिह अित अनराग

िच िलख जन जह तह ठाढ़ पलक सरीर नयन जल बाढ़ ३

राम सनह मगन सब जान किह ि य बचन सकल सनमान

भिह जोहािर बहोिर बहोरी बचन िबनीत कहिह कर जोरी ४

दोहा अब हम नाथ सनाथ सब भए दिख भ पाय

भाग हमार आगमन राउर कोसलराय १३५

धनय भिम बन पथ पहारा जह जह नाथ पाउ तमह धारा

धनय िबहग मग काननचारी सफल जनम भए तमहिह िनहारी १

हम सब धनय सिहत पिरवारा दीख दरस भिर नयन तमहारा

कीनह बास भल ठाउ िबचारी इहा सकल िरत रहब सखारी २

हम सब भाित करब सवकाई किर कहिर अिह बाघ बराई

बन बहड़ िगिर कदर खोहा सब हमार भ पग पग जोहा ३

तह तह तमहिह अहर खलाउब सर िनरझर जलठाउ दखाउब

हम सवक पिरवार समता नाथ न सकचब आयस दता ४

दोहा बद बचन मिन मन अगम त भ करना ऐन

बचन िकरातनह क सनत िजिम िपत बालक बन १३६

रामचिरतमानस - 63 - अयोधयाकाड

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रामिह कवल म िपआरा जािन लउ जो जानिनहारा

राम सकल बनचर तब तोष किह मद बचन म पिरपोष १

िबदा िकए िसर नाइ िसधाए भ गन कहत सनत घर आए

एिह िबिध िसय समत दोउ भाई बसिह िबिपन सर मिन सखदाई २

जब त आइ रह रघनायक तब त भयउ बन मगलदायक

फलिह फलिह िबटप िबिध नाना मज बिलत बर बिल िबताना ३

सरतर सिरस सभाय सहाए मनह िबबध बन पिरहिर आए

गज मजतर मधकर नी ि िबध बयािर बहइ सख दनी ४

दोहा नीलकठ कलकठ सक चातक चकक चकोर

भाित भाित बोलिह िबहग वन सखद िचत चोर १३७

किर कहिर किप कोल करगा िबगतबर िबचरिह सब सगा

िफरत अहर राम छिब दखी होिह मिदत मगबद िबसषी १

िबबध िबिपन जह लिग जग माही दिख राम बन सकल िसहाही

सरसिर सरसइ िदनकर कनया मकलसता गोदाविर धनया २

सब सर िसध नदी नद नाना मदािकिन कर करिह बखाना

उदय असत िगिर अर कलास मदर मर सकल सरबास ३

सल िहमाचल आिदक जत िच कट जस गाविह तत

िबिध मिदत मन सख न समाई म िबन िबपल बड़ाई पाई ४

दोहा िच कट क िबहग मग बिल िबटप तन जाित

पनय पज सब धनय अस कहिह दव िदन राित १३८

नयनवत रघबरिह िबलोकी पाइ जनम फल होिह िबसोकी

परिस चरन रज अचर सखारी भए परम पद क अिधकारी १

सो बन सल सभाय सहावन मगलमय अित पावन पावन

मिहमा किहअ कविन िबिध तास सखसागर जह कीनह िनवास २

रामचिरतमानस - 64 - अयोधयाकाड

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पय पयोिध तिज अवध िबहाई जह िसय लखन राम रह आई

किह न सकिह सषमा जिस कानन जौ सत सहस होिह सहसानन ३

सो म बरिन कहौ िबिध कही डाबर कमठ िक मदर लही

सविह लखन करम मन बानी जाइ न सील सनह बखानी ४

दोहा िछन िछन लिख िसय राम पद जािन आप पर नह

करत न सपनह लखन िचत बध मात िपत गह १३९

राम सग िसय रहित सखारी पर पिरजन गह सरित िबसारी

िछन िछन िपय िबध बदन िनहारी मिदत मनह चकोरकमारी १

नाह नह िनत बढ़त िबलोकी हरिषत रहित िदवस िजिम कोकी

िसय मन राम चरन अनरागा अवध सहस सम बन ि य लागा २

परनकटी ि य ि यतम सगा ि य पिरवार करग िबहगा

सास ससर सम मिनितय मिनबर असन अिमअ सम कद मल फर ३

नाथ साथ साथरी सहाई मयन सयन सय सम सखदाई

लोकप होिह िबलोकत जास तिह िक मोिह सक िबषय िबलास ४

दोहा सिमरत रामिह तजिह जन तन सम िबषय िबलास रामि या जग जनिन िसय कछ न आचरज तास १४०

सीय लखन जिह िबिध सख लहही सोइ रघनाथ करिह सोइ कहही

कहिह परातन कथा कहानी सनिह लखन िसय अित सख मानी १

जब जब राम अवध सिध करही तब तब बािर िबलोचन भरही

सिमिर मात िपत पिरजन भाई भरत सनह सील सवकाई २

कपािसध भ होिह दखारी धीरज धरिह कसमउ िबचारी

लिख िसय लखन िबकल होइ जाही िजिम परषिह अनसर पिरछाही ३

ि या बध गित लिख रघनदन धीर कपाल भगत उर चदन

लग कहन कछ कथा पनीता सिन सख लहिह लखन अर सीता ४

रामचिरतमानस - 65 - अयोधयाकाड

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दोहा

राम लखन सीता सिहत सोहत परन िनकत

िजिम बासव बस अमरपर सची जयत समत १४१

जोगविह भ िसय लखनिह कस पलक िबलोचन गोलक जस

सविह लखन सीय रघबीरिह िजिम अिबबकी परष सरीरिह १

एिह िबिध भ बन बसिह सखारी खग मग सर तापस िहतकारी

कहउ राम बन गवन सहावा सनह सम अवध िजिम आवा २

िफरउ िनषाद भिह पहचाई सिचव सिहत रथ दखिस आई

म ी िबकल िबलोिक िनषाद किह न जाइ जस भयउ िबषाद ३

राम राम िसय लखन पकारी परउ धरिनतल बयाकल भारी

दिख दिखन िदिस हय िहिहनाही जन िबन पख िबहग अकलाही ४

दोहा निह तन चरिह िपअिह जल मोचिह लोचन बािर

बयाकल भए िनषाद सब रघबर बािज िनहािर १४२

धिर धीरज तब कहइ िनषाद अब सम पिरहरह िबषाद

तमह पिडत परमारथ गयाता धरह धीर लिख िबमख िबधाता १

िबिबध कथा किह किह मद बानी रथ बठारउ बरबस आनी

सोक िसिथल रथ सकइ न हाकी रघबर िबरह पीर उर बाकी २

चरफरािह मग चलिह न घोर बन मग मनह आिन रथ जोर

अढ़िक परिह िफिर हरिह पीछ राम िबयोिग िबकल दख तीछ ३

जो कह राम लखन बदही िहकिर िहकिर िहत हरिह तही

बािज िबरहगित किह िकिम जातीिबन मिन फिनक िबकलजिह भाती४

दोहा भयउ िनषाद िबषादबस दखत सिचव तरग

बोिल ससवक चािर तब िदए सारथी सग १४३

रामचिरतमानस - 66 - अयोधयाकाड

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गह सारिथिह िफरउ पहचाई िबरह िबषाद बरिन निह जाई

चल अवध लइ रथिह िनषादा होिह छनिह छन मगन िबषादा १

सोच सम िबकल दख दीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

रिहिह न अतह अधम सरीर जस न लहउ िबछरत रघबीर २

भए अजस अघ भाजन ाना कवन हत निह करत पयाना

अहह मद मन अवसर चका अजह न हदय होत दइ टका ३

मीिज हाथ िसर धिन पिछताई मनह कपन धन रािस गवाई

िबिरद बािध बर बीर कहाई चलउ समर जन सभट पराई ४

दोहा िब िबबकी बदिबद समत साध सजाित िजिम धोख मदपान कर सिचव सोच तिह भाित १४४

िजिम कलीन ितय साध सयानी पितदवता करम मन बानी

रह करम बस पिरहिर नाह सिचव हदय ितिम दारन दाह १

लोचन सजल डीिठ भइ थोरी सनइ न वन िबकल मित भोरी

सखिह अधर लािग मह लाटी िजउ न जाइ उर अविध कपाटी २

िबबरन भयउ न जाइ िनहारी मारिस मनह िपता महतारी

हािन गलािन िबपल मन बयापी जमपर पथ सोच िजिम पापी ३

बचन न आव हदय पिछताई अवध काह म दखब जाई

राम रिहत रथ दिखिह जोई सकिचिह मोिह िबलोकत सोई ४

दोहा धाइ पिछहिह मोिह जब िबकल नगर नर नािर

उतर दब म सबिह तब हदय ब बठािर १४५

पिछहिह दीन दिखत सब माता कहब काह म ितनहिह िबधाता

पिछिह जबिह लखन महतारी किहहउ कवन सदस सखारी १

राम जनिन जब आइिह धाई सिमिर बचछ िजिम धन लवाई

रामचिरतमानस - 67 - अयोधयाकाड

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पछत उतर दब म तही ग बन राम लखन बदही २

जोइ पिछिह तिह ऊतर दबाजाइ अवध अब यह सख लबा

पिछिह जबिह राउ दख दीना िजवन जास रघनाथ अधीना ३

दहउ उतर कौन मह लाई आयउ कसल कअर पह चाई

सनत लखन िसय राम सदस तन िजिम तन पिरहिरिह नरस ४

दोहा दउ न िबदरउ पक िजिम िबछरत ीतम नीर

जानत हौ मोिह दीनह िबिध यह जातना सरीर १४६

एिह िबिध करत पथ पिछतावा तमसा तीर तरत रथ आवा

िबदा िकए किर िबनय िनषादा िफर पाय पिर िबकल िबषादा १

पठत नगर सिचव सकचाई जन मारिस गर बाभन गाई

बिठ िबटप तर िदवस गवावा साझ समय तब अवसर पावा २

अवध बस कीनह अिधआर पठ भवन रथ रािख दआर

िजनह िजनह समाचार सिन पाए भप ार रथ दखन आए ३

रथ पिहचािन िबकल लिख घोर गरिह गात िजिम आतप ओर

नगर नािर नर बयाकल क स िनघटत नीर मीनगन जस ४

दोहा सिचव आगमन सनत सब िबकल भयउ रिनवास

भवन भयकर लाग तिह मानह त िनवास १४७

अित आरित सब पछिह रानी उतर न आव िबकल भइ बानी

सनइ न वन नयन निह सझा कहह कहा नप तिह तिह बझा १

दािसनह दीख सिचव िबकलाई कौसलया गह गई लवाई

जाइ सम दीख कस राजा अिमअ रिहत जन चद िबराजा २

आसन सयन िबभषन हीना परउ भिमतल िनपट मलीना

लइ उसास सोच एिह भाती सरपर त जन खसउ जजाती ३

लत सोच भिर िछन िछन छाती जन जिर पख परउ सपाती

रामचिरतमानस - 68 - अयोधयाकाड

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राम राम कह राम सनही पिन कह राम लखन बदही ४

दोहा दिख सिचव जय जीव किह कीनहउ दड नाम

सनत उठउ बयाकल नपित कह सम कह राम १४८

भप सम लीनह उर लाई बड़त कछ अधा र जन पाई

सिहत सनह िनकट बठारी पछत राउ नयन भिर बारी १

राम कसल कह सखा सनही कह रघनाथ लखन बदही

आन फिर िक बनिह िसधाए सनत सिचव लोचन जल छाए २

सोक िबकल पिन पछ नरस कह िसय राम लखन सदस

राम रप गन सील सभाऊ सिमिर सिमिर उर सोचत राऊ ३

राउ सनाइ दीनह बनबास सिन मन भयउ न हरष हरास

सो सत िबछरत गए न ाना को पापी बड़ मोिह समाना ४

दोहा सखा राम िसय लखन जह तहा मोिह पहचाउ

नािह त चाहत चलन अब ान कहउ सितभाउ १४९

पिन पिन पछत म िह राऊ ि यतम सअन सदस सनाऊ

करिह सखा सोइ बिग उपाऊ राम लखन िसय नयन दखाऊ १

सिचव धीर धिर कह मद बानी महाराज तमह पिडत गयानी

बीर सधीर धरधर दवा साध समाज सदा तमह सवा २

जनम मरन सब दख भोगा हािन लाभ ि य िमलन िबयोगा

काल करम बस हौिह गोसाई बरबस राित िदवस की नाई ३

सख हरषिह जड़ दख िबलखाही दोउ सम धीर धरिह मन माही

धीरज धरह िबबक िबचारी छािड़अ सोच सकल िहतकारी ४

दोहा थम बास तमसा भयउ दसर सरसिर तीर

रामचिरतमानस - 69 - अयोधयाकाड

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नहाई रह जलपान किर िसय समत दोउ बीर १५०

कवट कीिनह बहत सवकाई सो जािमिन िसगरौर गवाई

होत ात बट छीर मगावा जटा मकट िनज सीस बनावा १

राम सखा तब नाव मगाई ि या चढ़ाइ चढ़ रघराई

लखन बान धन धर बनाई आप चढ़ भ आयस पाई २

िबकल िबलोिक मोिह रघबीरा बोल मधर बचन धिर धीरा

तात नाम तात सन कहह बार बार पद पकज गहह ३

करिब पाय पिर िबनय बहोरी तात किरअ जिन िचता मोरी

बन मग मगल कसल हमार कपा अन ह पनय तमहार ४ छद

तमहर अन ह तात कानन जात सब सख पाइहौ ितपािल आयस कसल दखन पाय पिन िफिर आइहौ

जननी सकल पिरतोिष पिर पिर पाय किर िबनती घनी

तलसी करह सोइ जतन जिह कसली रहिह कोसल धनी

सोरठा गर सन कहब सदस बार बार पद पदम गिह

करब सोइ उपदस जिह न सोच मोिह अवधपित १५१

परजन पिरजन सकल िनहोरी तात सनाएह िबनती मोरी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जात रह नरनाह सखारी १

कहब सदस भरत क आए नीित न तिजअ राजपद पाए

पालह जिह करम मन बानी सएह मात सकल सम जानी २

ओर िनबाहह भायप भाई किर िपत मात सजन सवकाई

तात भाित तिह राखब राऊ सोच मोर जिह कर न काऊ ३

लखन कह कछ बचन कठोरा बरिज राम पिन मोिह िनहोरा

बार बार िनज सपथ दवाई कहिब न तात लखन लिरकाई ४

रामचिरतमानस - 70 - अयोधयाकाड

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दोहा किह नाम कछ कहन िलय िसय भइ िसिथल सनह

थिकत बचन लोचन सजल पलक पललिवत दह १५२

तिह अवसर रघबर रख पाई कवट पारिह नाव चलाई

रघकलितलक चल एिह भाती दखउ ठाढ़ किलस धिर छाती १

म आपन िकिम कहौ कलस िजअत िफरउ लइ राम सदस

अस किह सिचव बचन रिह गयऊ हािन गलािन सोच बस भयऊ २

सत बचन सनतिह नरनाह परउ धरिन उर दारन दाह

तलफत िबषम मोह मन मापा माजा मनह मीन कह बयापा ३

किर िबलाप सब रोविह रानी महा िबपित िकिम जाइ बखानी

सिन िबलाप दखह दख लागा धीरजह कर धीरज भागा ४

दोहा भयउ कोलाहल अवध अित सिन नप राउर सोर

िबपल िबहग बन परउ िनिस मानह किलस कठोर १५३

ान कठगत भयउ भआल मिन िबहीन जन बयाकल बयाल

इ ी सकल िबकल भइ भारी जन सर सरिसज बन िबन बारी १

कौसलया नप दीख मलाना रिबकल रिब अथयउ िजय जाना

उर धिर धीर राम महतारी बोली बचन समय अनसारी २

नाथ समिझ मन किरअ िबचार राम िबयोग पयोिध अपार

करनधार तमह अवध जहाज चढ़उ सकल ि य पिथक समाज ३

धीरज धिरअ त पाइअ पार नािह त बिड़िह सब पिरवार

जौ िजय धिरअ िबनय िपय मोरी राम लखन िसय िमलिह बहोरी ४

दोहा ि या बचन मद सनत नप िचतयउ आिख उघािर

तलफत मीन मलीन जन सीचत सीतल बािर १५४

रामचिरतमानस - 71 - अयोधयाकाड

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धिर धीरज उठी बठ भआल कह सम कह राम कपाल

कहा लखन कह राम सनही कह ि य प बध बदही १

िबलपत राउ िबकल बह भाती भइ जग सिरस िसराित न राती

तापस अध साप सिध आई कौसलयिह सब कथा सनाई २

भयउ िबकल बरनत इितहासा राम रिहत िधग जीवन आसा

सो तन रािख करब म काहा जिह न म पन मोर िनबाहा ३

हा रघनदन ान िपरीत तमह िबन िजअत बहत िदन बीत

हा जानकी लखन हा रघबर हा िपत िहत िचत चातक जलधर ४

दोहा राम राम किह राम किह राम राम किह राम

तन पिरहिर रघबर िबरह राउ गयउ सरधाम १५५

िजअन मरन फल दसरथ पावा अड अनक अमल जस छावा

िजअत राम िबध बदन िनहारा राम िबरह किर मरन सवारा १

सोक िबकल सब रोविह रानी रप सील बल तज बखानी

करिह िबलाप अनक कारा परही भिमतल बारिह बारा २

िबलपिह िबकल दास अर दासी घर घर रदन करिह परबासी

अथयउ आज भानकल भान धरम अविध गन रप िनधान ३

गारी सकल ककइिह दही नयन िबहीन कीनह जग जही

एिह िबिध िबलपत रिन िबहानी आए सकल महामिन गयानी ४

दोहा तब बिस मिन समय सम किह अनक इितहास

सोक नवारउ सबिह कर िनज िबगयान कास १५६

तल नाव भिर नप तन राखा दत बोलाइ बहिर अस भाषा

धावह बिग भरत पिह जाह नप सिध कतह कहह जिन काह १

एतनइ कहह भरत सन जाई गर बोलाई पठयउ दोउ भाई

सिन मिन आयस धावन धाए चल बग बर बािज लजाए २

रामचिरतमानस - 72 - अयोधयाकाड

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अनरथ अवध अरभउ जब त कसगन होिह भरत कह तब त

दखिह राित भयानक सपना जािग करिह कट कोिट कलपना ३

िब जवाइ दिह िदन दाना िसव अिभषक करिह िबिध नाना

मागिह हदय महस मनाई कसल मात िपत पिरजन भाई ४

दोहा एिह िबिध सोचत भरत मन धावन पहच आइ

गर अनसासन वन सिन चल गनस मनाइ १५७

चल समीर बग हय हाक नाघत सिरत सल बन बाक

हदय सोच बड़ कछ न सोहाई अस जानिह िजय जाउ उड़ाई १

एक िनमष बरस सम जाई एिह िबिध भरत नगर िनअराई

असगन होिह नगर पठारा रटिह कभाित कखत करारा २

खर िसआर बोलिह ितकला सिन सिन होइ भरत मन सला

ीहत सर सिरता बन बागा नगर िबसिष भयावन लागा ३

खग मग हय गय जािह न जोए राम िबयोग करोग िबगोए

नगर नािर नर िनपट दखारी मनह सबिनह सब सपित हारी ४

दोहा परजन िमिलिह न कहिह कछ गविह जोहारिह जािह

भरत कसल पिछ न सकिह भय िबषाद मन मािह १५८

हाट बाट निह जाइ िनहारी जन पर दह िदिस लािग दवारी

आवत सत सिन ककयनिदिन हरषी रिबकल जलरह चिदिन १

सिज आरती मिदत उिठ धाई ारिह भिट भवन लइ आई

भरत दिखत पिरवार िनहा रा मानह तिहन बनज बन मारा २

ककई हरिषत एिह भाित मनह मिदत दव लाइ िकराती

सतिह ससोच दिख मन मार पछित नहर कसल हमार ३

सकल कसल किह भरत सनाई पछी िनज कल कसल भलाई

रामचिरतमानस - 73 - अयोधयाकाड

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कह कह तात कहा सब माता कह िसय राम लखन ि य ाता ४

दोहा सिन सत बचन सनहमय कपट नीर भिर नन

भरत वन मन सल सम पािपिन बोली बन १५९

तात बात म सकल सवारी भ मथरा सहाय िबचारी

कछक काज िबिध बीच िबगारउ भपित सरपित पर पग धारउ १

सनत भरत भए िबबस िबषादा जन सहमउ किर कहिर नादा

तात तात हा तात पकारी पर भिमतल बयाकल भारी २

चलत न दखन पायउ तोही तात न रामिह सौपह मोही

बहिर धीर धिर उठ सभारी कह िपत मरन हत महतारी ३

सिन सत बचन कहित ककई मरम पािछ जन माहर दई

आिदह त सब आपिन करनी किटल कठोर मिदत मन बरनी ४

दोहा भरतिह िबसरउ िपत मरन सनत राम बन गौन

हत अपनपउ जािन िजय थिकत रह धिर मौन १६०

िबकल िबलोिक सतिह समझावित मनह जर पर लोन लगावित

तात राउ निह सोच जोग िबढ़इ सकत जस कीनहउ भोग १

जीवत सकल जनम फल पाए अत अमरपित सदन िसधाए

अस अनमािन सोच पिरहरह सिहत समाज राज पर करह २

सिन सिठ सहमउ राजकमार पाक छत जन लाग अगार

धीरज धिर भिर लिह उसासा पापिन सबिह भाित कल नासा ३

जौ प करिच रही अित तोही जनमत काह न मार मोही

पड़ कािट त पालउ सीचा मीन िजअन िनित बािर उलीचा ४

दोहा हसबस दसरथ जनक राम लखन स भाइ

रामचिरतमानस - 74 - अयोधयाकाड

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जननी त जननी भई िबिध सन कछ न बसाइ १६१

जब त कमित कमत िजय ठयऊ खड खड होइ दउ न गयऊ

बर मागत मन भइ निह पीरा गिर न जीह मह परउ न कीरा १

भप तीत तोिर िकिम कीनही मरन काल िबिध मित हिर लीनही

िबिधह न नािर हदय गित जानी सकल कपट अघ अवगन खानी २

सरल ससील धरम रत राऊ सो िकिम जान तीय सभाऊ

अस को जीव जत जग माही जिह रघनाथ ानि य नाही ३

भ अित अिहत राम तउ तोही को त अहिस सतय कह मोही

जो हिस सो हिस मह मिस लाई आिख ओट उिठ बठिह जाई ४

दोहा राम िबरोधी हदय त गट कीनह िबिध मोिह

मो समान को पातकी बािद कहउ कछ तोिह १६२

सिन स घन मात किटलाई जरिह गात िरस कछ न बसाई

तिह अवसर कबरी तह आई बसन िबभषन िबिबध बनाई १

लिख िरस भरउ लखन लघ भाई बरत अनल घत आहित पाई

हमिग लात तिक कबर मारा पिर मह भर मिह करत पकारा २

कबर टटउ फट कपार दिलत दसन मख रिधर चार

आह दइअ म काह नसावा करत नीक फल अनइस पावा ३

सिन िरपहन लिख नख िसख खोटी लग घसीटन धिर धिर झोटी

भरत दयािनिध दीिनह छड़ाई कौसलया पिह ग दोउ भाई ४

दोहा मिलन बसन िबबरन िबकल कस सरीर दख भार

कनक कलप बर बिल बन मानह हनी तसार १६३

भरतिह दिख मात उिठ धाई मरिछत अविन परी झइ आई

दखत भरत िबकल भए भारी पर चरन तन दसा िबसारी १

रामचिरतमानस - 75 - अयोधयाकाड

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मात तात कह दिह दखाई कह िसय राम लखन दोउ भाई

ककइ कत जनमी जग माझा जौ जनिम त भइ काह न बाझा २

कल कलक जिह जनमउ मोही अपजस भाजन ि यजन ोही

को ितभवन मोिह सिरस अभागी गित अिस तोिर मात जिह लागी ३

िपत सरपर बन रघबर कत म कवल सब अनरथ हत

िधग मोिह भयउ बन बन आगी दसह दाह दख दषन भागी ४

दोहा मात भरत क बचन मद सिन सिन उठी सभािर

िलए उठाइ लगाइ उर लोचन मोचित बािर १६४

सरल सभाय माय िहय लाए अित िहत मनह राम िफिर आए

भटउ बहिर लखन लघ भाई सोक सनह न हदय समाई १

दिख सभाउ कहत सब कोई राम मात अस काह न होई

माता भरत गोद बठार आस पौिछ मद बचन उचार २

अजह बचछ बिल धीरज धरह कसमउ समिझ सोक पिरहरह

जिन मानह िहय हािन गलानी काल करम गित अघिटत जािन ३

काहिह दोस दह जिन ताता भा मोिह सब िबिध बाम िबधाता

जो एतह दख मोिह िजआवा अजह को जानइ का तिह भावा ४

दोहा िपत आयस भषन बसन तात तज रघबीर

िबसमउ हरष न हदय कछ पिहर बलकल चीर १६५

मख सनन मन रग न रोष सब कर सब िबिध किर पिरतोष

चल िबिपन सिन िसय सग लागी रहइ न राम चरन अनरागी १

सनतिह लखन चल उिठ साथा रहिह न जतन िकए रघनाथा

तब रघपित सबही िसर नाई चल सग िसय अर लघ भाई २

राम लखन िसय बनिह िसधाए गइउ न सग न ान पठाए

यह सब भा इनह आिखनह आग तउ न तजा तन जीव अभाग ३

रामचिरतमानस - 76 - अयोधयाकाड

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मोिह न लाज िनज नह िनहारी राम सिरस सत म महतारी

िजऐ मर भल भपित जाना मोर हदय सत किलस समाना ४

दोहा कौसलया क बचन सिन भरत सिहत रिनवास

बयाकल िबलपत राजगह मानह सोक नवास १६६

िबलपिह िबकल भरत दोउ भाई कौसलया िलए हदय लगाई

भाित अनक भरत समझाए किह िबबकमय बचन सनाए १

भरतह मात सकल समझाई किह परान ित कथा सहाई

छल िबहीन सिच सरल सबानी बोल भरत जोिर जग पानी २

ज अघ मात िपता सत मार गाइ गोठ मिहसर पर जार

ज अघ ितय बालक बध कीनह मीत महीपित माहर दीनह ३

ज पातक उपपातक अहही करम बचन मन भव किब कहही

त पातक मोिह होह िबधाता जौ यह होइ मोर मत माता ४

दोहा ज पिरहिर हिर हर चरन भजिह भतगन घोर

तिह कइ गित मोिह दउ िबिध जौ जननी मत मोर १६७

बचिह बद धरम द िह लही िपसन पराय पाप किह दही

कपटी किटल कलहि य ोधी बद िबदषक िबसव िबरोधी १

लोभी लपट लोलपचारा ज ताकिह परधन परदारा

पावौ म ितनह क गित घोरा जौ जननी यह समत मोरा २

ज निह साधसग अनराग परमारथ पथ िबमख अभाग

ज न भजिह हिर नरतन पाई िजनहिह न हिर हर सजस सोहाई ३

तिज ितपथ बाम पथ चलही बचक िबरिच बष जग छलही

ितनह क गित मोिह सकर दऊ जननी जौ यह जानौ भऊ ४

दोहा

रामचिरतमानस - 77 - अयोधयाकाड

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मात भरत क बचन सिन साच सरल सभाय

कहित राम ि य तात तमह सदा बचन मन काय १६८

राम ानह त ान तमहार तमह रघपितिह ानह त पयार

िबध िबष चव व िहम आगी होइ बािरचर बािर िबरागी १

भए गयान बर िमट न मोह तमह रामिह ितकल न होह

मत तमहार यह जो जग कहही सो सपनह सख सगित न लहही २

अस किह मात भरत िहय लाए थन पय विह नयन जल छाए

करत िबलाप बहत यिह भाती बठिह बीित गइ सब राती ३

बामदउ बिस तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए

मिन बह भाित भरत उपदस किह परमारथ बचन सदस ४

दोहा तात हदय धीरज धरह करह जो अव सर आज उठ भरत गर बचन सिन करन कहउ सब साज १६९

नपतन बद िबिदत अनहवावा परम िबिच िबमान बनावा

गिह पद भरत मात सब राखी रही रािन दरसन अिभलाषी १

चदन अगर भार बह आए अिमत अनक सगध सहाए

सरज तीर रिच िचता बनाई जन सरपर सोपान सहाई २

एिह िबिध दाह ि या सब कीनही िबिधवत नहाइ ितलाजिल दीनही

सोिध समित सब बद पराना कीनह भरत दसगात िबधाना ३

जह जस मिनबर आयस दीनहा तह तस सहस भाित सब कीनहा

भए िबस िदए सब दाना धन बािज गज बाहन नाना ४

दोहा िसघासन भषन बसन अनन धरिन धन धाम

िदए भरत लिह भिमसर भ पिरपरन काम १७०

िपत िहत भरत कीिनह जिस करनी सो मख लाख जाइ निह बरनी

रामचिरतमानस - 78 - अयोधयाकाड

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सिदन सोिध मिनबर तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए १

बठ राजसभा सब जाई पठए बोिल भरत दोउ भाई

भरत बिस िनकट बठार नीित धरममय बचन उचार २

थम कथा सब मिनबर बरनी ककइ किटल कीिनह जिस करनी

भप धरम त सतय सराहा जिह तन पिरहिर म िनबाहा ३

कहत राम गन सील सभाऊ सजल नयन पलकउ मिनराऊ

बहिर लखन िसय ीित बखानी सोक सनह मगन मिन गयानी ४

दोहा सनह भरत भावी बल िबलिख कहउ मिननाथ

हािन लाभ जीवन मरन जस अपजस िबिध हाथ १७१

अस िबचािर किह दइअ दोस बयरथ कािह पर कीिजअ रोस

तात िबचार किह करह मन माही सोच जोग दसरथ नप नाही १

सोिचअ िब जो बद िबहीना तिज िनज धरम िबषय लयलीना

सोिचअ नपित जो नीित न जाना जिह न जा ि य ान समाना २

सोिचअ बयस कपन धनवान जो न अितिथ िसव भगित सजान

सोिचअ स िब अवमानी मखर मानि य गयान गमानी ३

सोिचअ पिन पित बचक नारी किटल कलहि य इचछाचारी

सोिचअ बट िनज त पिरहरई जो निह गर आयस अनसरई ४

दोहा सोिचअ गही जो मोह बस करइ करम पथ तयाग

सोिचअ जित पच रत िबगत िबबक िबराग १७२

बखानस सोइ सोच जोग तप िबहाइ जिह भावइ भोग

सोिचअ िपसन अकारन ोधी जनिन जनक गर बध िबरोधी १

सब िबिध सोिचअ पर अपकारी िनज तन पोषक िनरदय भारी

सोचनीय सबिह िबिध सोई जो न छािड़ छल हिर जन होई २

सोचनीय निह कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

रामचिरतमानस - 79 - अयोधयाकाड

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भयउ न अहइ न अब होिनहारा भप भरत जस िपता तमहारा ३

िबिध हिर हर सरपित िदिसनाथा बरनिह सब दसरथ गन गाथा ४

दोहा कहह तात किह भाित कोउ किरिह बड़ाई तास

राम लखन तमह स हन सिरस सअन सिच जास १७३

सब कार भपित बड़भागी बािद िबषाद किरअ तिह लागी

यह सिन समिझ सोच पिरहरह िसर धिर राज रजायस करह १

राय राजपद तमह कह दीनहा िपता बचन फर चािहअ कीनहा

तज राम जिह बचनिह लागी तन पिरहरउ राम िबरहागी २

नपिह बचन ि य निह ि य ाना करह तात िपत बचन वाना

करह सीस धिर भप रजाई हइ तमह कह सब भाित भलाई ३

परसराम िपत अगया राखी मारी मात लोक सब साखी

तनय जजाितिह जौबन दयऊ िपत अगया अघ अजस न भयऊ ४

दोहा अनिचत उिचत िबचार तिज ज पालिह िपत बन

त भाजन सख सजस क बसिह अमरपित ऐन १७४

अविस नरस बचन फर करह पालह जा सोक पिरहरह

सरपर नप पाइिह पिरतोष तमह कह सकत सजस निह दोष १

बद िबिदत समत सबही का जिह िपत दइ सो पावइ टीका

करह राज पिरहरह गलानी मानह मोर बचन िहत जानी २

सिन सख लहब राम बदही अनिचत कहब न पिडत कही

कौसलयािद सकल महतारी तउ जा सख होिह सखारी ३

परम तमहार राम कर जािनिह सो सब िबिध तमह सन भल मािनिह

सौपह राज राम क आए सवा करह सनह सहाए ४

दोहा

रामचिरतमानस - 80 - अयोधयाकाड

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कीिजअ गर आयस अविस कहिह सिचव कर जोिर

रघपित आए उिचत जस तस तब करब बहोिर १७५

कौसलया धिर धीरज कहई पत पथय गर आयस अहई

सो आदिरअ किरअ िहत मानी तिजअ िबषाद का ल गित जानी १

बन रघपित सरपित नरनाह तमह एिह भाित तात कदराह

पिरजन जा सिचव सब अबा तमहही सत सब कह अवलबा २

लिख िबिध बाम काल किठनाई धीरज धरह मात बिल जाई

िसर धिर गर आयस अनसरह जा पािल पिरजन दख हरह ३

गर क बचन सिचव अिभनदन सन भरत िहय िहत जन चदन

सनी बहोिर मात मद बानी सील सनह सरल रस सानी ४ छद

सानी सरल रस मात बानी सिन भरत बयाकल भए

लोचन सरोरह वत सीचत िबरह उर अकर नए

सो दसा दखत समय तिह िबसरी सबिह सिध दह की तलसी सराहत सकल सादर सीव सहज सनह की

सोरठा

भरत कमल कर जोिर धीर धरधर धीर धिर बचन अिमअ जन बोिर दत उिचत उ र सबिह १७६

मासपारायण अठारहवा िव ाम

मोिह उपदस दीनह गर नीका जा सिचव समत सबही का

मात उिचत धिर आयस दीनहा अविस सीस धिर चाहउ कीनहा १

गर िपत मात सवािम िहत बानी सिन मन मिदत किरअ भिल जानी

उिचत िक अनिचत िकए िबचार धरम जाइ िसर पातक भार २

तमह तौ दह सरल िसख सोई जो आचरत मोर भल होई

ज िप यह समझत हउ नीक तदिप होत पिरतोष न जी क ३

रामचिरतमानस - 81 - अयोधयाकाड

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अब तमह िबनय मोिर सिन लह मोिह अनहरत िसखावन दह

ऊतर दउ छमब अपराध दिखत दोष गन गनिह न साध ४

दोहा िपत सरपर िसय राम बन करन कहह मोिह राज

एिह त जानह मोर िहत क आपन बड़ काज १७७

िहत हमार िसयपित सवकाई सो हिर लीनह मात किटलाई

म अनमािन दीख मन माही आन उपाय मोर िहत नाही १

सोक समाज राज किह लख लखन राम िसय िबन पद दख

बािद बसन िबन भषन भार बािद िबरित िबन िबचार २

सरज सरीर बािद बह भोगा िबन हिरभगित जाय जप जोगा

जाय जीव िबन दह सहाई बािद मोर सब िबन रघराई ३

जाउ राम पिह आयस दह एकिह आक मोर िहत एह

मोिह नप किर भल आपन चहह सोउ सनह जड़ता बस कहह ४

दोहा ककई सअ किटलमित राम िबमख गतलाज

तमह चाहत सख मोहबस मोिह स अधम क राज १७८

कहउ साच सब सिन पितआह चािहअ धरमसील नरनाह

मोिह राज हिठ दइहह जबही रसा रसातल जाइिह तबही १

मोिह समान को पाप िनवास जिह लिग सीय राम बनबास

राय राम कह कानन दीनहा िबछरत गमन अमरपर कीनहा २

म सठ सब अनरथ कर हत बठ बात सब सनउ सचत

िबन रघबीर िबलोिक अबास रह ान सिह जग उपहास ३

राम पनीत िबषय रस रख लोलप भिम भोग क भख

कह लिग कहौ हदय किठनाई िनदिर किलस जिह लही बड़ाई ४

दोहा

रामचिरतमानस - 82 - अयोधयाकाड

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कारन त कारज किठन होइ दोस निह मोर

किलस अिसथ त उपल त लोह कराल कठोर १७९

ककई भव तन अनराग पावर ान अघाइ अभाग

जौ ि य िबरह ान ि य लाग दखब सनब बहत अब आग १

लखन राम िसय कह बन दीनहा पठइ अमरपर पित िहत कीनहा

लीनह िबधवपन अपजस आप दीनहउ जिह सोक सताप २

मोिह दीनह सख सजस सराज कीनह ककई सब कर काज

एिह त मोर काह अब नीका तिह पर दन कहह तमह टीका ३

ककई जठर जनिम जग माही यह मोिह कह कछ अनिचत नाही

मोिर बात सब िबिधिह बनाई जा पाच कत करह सहाई ४

दोहा ह हीत पिन बात बस तिह पिन बीछी मार

तिह िपआइअ बारनी कहह काह उपचार १८०

ककइ सअन जोग जग जोई चतर िबरिच दीनह मोिह सोई

दसरथ तनय राम लघ भाई दीिनह मोिह िबिध बािद बड़ाई १

तमह सब कहह कढ़ावन टीका राय रजायस सब कह नीका

उतर दउ किह िबिध किह कही कहह सखन जथा रिच जही २

मोिह कमात समत िबहाई कहह क िहिह क कीनह भलाई

मो िबन को सचराचर माही जिह िसय राम ानि य नाही ३

परम हािन सब कह बड़ लाह अिदन मोर निह दषन काह

ससय सील म बस अहह सबइ उिचत सब जो कछ कहह ४

दोहा राम मात सिठ सरलिचत मो पर म िबसिष

कहइ सभाय सनह बस मोिर दीनता दिख १८१

गर िबबक सागर जग जाना िजनहिह िबसव कर बदर समाना

रामचिरतमानस - 83 - अयोधयाकाड

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मो कह ितलक साज सज सोऊ भए िबिध िबमख िबमख सब कोऊ १

पिरहिर राम सीय जग माही कोउ न किहिह मोर मत नाही

सो म सनब सहब सख मानी अतह कीच तहा जह पानी २

डर न मोिह जग किहिह िक पोच परलोकह कर नािहन सोच

एकइ उर बस दसह दवारी मोिह लिग भ िसय राम दखारी ३

जीवन लाह लखन भल पावा सब तिज राम चरन मन लावा

मोर जनम रघबर बन लागी झठ काह पिछताउ अभागी ४

दोहा आपिन दारन दीनता कहउ सबिह िसर नाइ

दख िबन रघनाथ पद िजय क जरिन न जाइ १८२

आन उपाउ मोिह निह सझा को िजय क रघबर िबन बझा

एकिह आक इहइ मन माही ातकाल चिलहउ भ पाही १

ज िप म अनभल अपराधी भ मोिह कारन सकल उपाधी

तदिप सरन सनमख मोिह दखी छिम सब किरहिह कपा िबसषी २

सील सकच सिठ सरल सभाऊ कपा सनह सदन रघराऊ

अिरहक अनभल कीनह न रामा म िसस सवक ज िप बामा ३

तमह प पाच मोर भल मानी आयस आिसष दह सबानी

जिह सिन िबनय मोिह जन जानी आविह बहिर राम रजधानी ४

दोहा ज िप जनम कमात त म सठ सदा सदोस

आपन जािन न तयािगहिह मोिह रघबीर भरोस १८३

भरत बचन सब कह ि य लाग राम सनह सधा जन पाग

लोग िबयोग िबषम िबष दाग म सबीज सनत जन जाग १

मात सिचव गर पर नर नारी सकल सनह िबकल भए भारी

भरतिह कहिह सरािह सराही राम म मरित तन आही २

तात भरत अस काह न कहह ान समान राम ि य अहह

रामचिरतमानस - 84 - अयोधयाकाड

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जो पावर अपनी जड़ताई तमहिह सगाइ मात किटलाई ३

सो सठ कोिटक परष समता बिसिह कलप सत नरक िनकता

अिह अघ अवगन निह मिन गहई हरइ गरल दख दािरद दहई ४

दोहा अविस चिलअ बन राम जह भरत म भल कीनह

सोक िसध बड़त सबिह तमह अवलबन दीनह १८४

भा सब क मन मोद न थोरा जन घन धिन सिन चातक मोरा

चलत ात लिख िनरनउ नीक भरत ानि य भ सबही क १

मिनिह बिद भरतिह िसर नाई चल सकल घर िबदा कराई

धनय भरत जीवन जग माही सील सनह सराहत जाही २

कहिह परसपर भा बड़ काज सकल चल कर साजिह साज

जिह राखिह रह घर रखवारी सो जानइ जन गरदिन मारी ३

कोउ कह रहन किहअ निह काह को न चहइ जग जीवन लाह ४

दोहा जरउ सो सपित सदन सख सहद मात िपत भाइ

सनमख होत जो राम पद कर न सहस सहाइ १८५

घर घर साजिह बाहन नाना हरष हदय परभात पयाना

भरत जाइ घर कीनह िबचार नगर बािज गज भवन भडार १

सपित सब रघपित क आही जौ िबन जतन चलौ तिज ताही

तौ पिरनाम न मोिर भलाई पाप िसरोमिन साइ दोहाई २

करइ सवािम िहत सवक सोई दषन कोिट दइ िकन कोई

अस िबचािर सिच सवक बोल ज सपनह िनज धरम न डोल ३

किह सब मरम धरम भल भाषा जो जिह लायक सो तिह राखा

किर सब जतन रािख रखवार राम मात पिह भरत िसधार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 85 - अयोधयाकाड

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आरत जननी जािन सब भरत सनह सजान

कहउ बनावन पालकी सजन सखासन जान १८६

चकक चिकक िजिम पर नर नारी चहत ात उर आरत भारी

जागत सब िनिस भयउ िबहाना भरत बोलाए सिचव सजाना १

कहउ लह सब ितलक समाज बनिह दब मिन रामिह राज

बिग चलह सिन सिचव जोहार तरत तर ग रथ नाग सवार २

अरधती अर अिगिन समाऊ रथ चिढ़ चल थम मिनराऊ

िब बद चिढ़ बाहन नाना चल सकल तप तज िनधाना ३

नगर लोग सब सिज सिज जाना िच कट कह कीनह पयाना

िसिबका सभग न जािह बखानी चिढ़ चिढ़ चलत भई सब रानी ४

दोहा सौिप नगर सिच सवकिन सादर सकल चलाइ

सिमिर राम िसय चरन तब चल भरत दोउ भाइ १८७

राम दरस बस सब नर नारी जन किर किरिन चल तिक बारी

बन िसय राम समिझ मन माही सानज भरत पयादिह जाही १

दिख सनह लोग अनराग उतिर चल हय गय रथ तयाग

जाइ समीप रािख िनज डोली राम मात मद बानी बोली २

तात चढ़ह रथ बिल महतारी होइिह ि य पिरवार दखारी

तमहर चलत चिलिह सब लोग सकल सोक कस निह मग जोग ३

िसर धिर बचन चरन िसर नाई रथ चिढ़ चलत भए दोउ भाई

तमसा थम िदवस किर बास दसर गोमित तीर िनवास ४

दोहा पय अहार फल असन एक िनिस भोजन एक लोग

करत राम िहत नम त पिरहिर भषन भोग १८८

सई तीर बिस चल िबहान सगबरपर सब िनअरान

रामचिरतमानस - 86 - अयोधयाकाड

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समाचार सब सन िनषादा हदय िबचार करइ सिबषादा १

कारन कवन भरत बन जाही ह कछ कपट भाउ मन माही

जौ प िजय न होित किटलाई तौ कत लीनह सग कटकाई २

जानिह सानज रामिह मारी करउ अकटक राज सखारी

भरत न राजनीित उर आनी तब कलक अब जीवन हानी ३

सकल सरासर जरिह जझारा रामिह समर न जीतिनहारा

का आचरज भरत अस करही निह िबष बिल अिमअ फल फरही ४

दोहा अस िबचािर गह गयाित सन कहउ सजग सब होह

हथवासह बोरह तरिन कीिजअ घाटारोह १८९

होह सजोइल रोकह घाटा ठाटह सकल मर क ठाटा

सनमख लोह भरत सन लऊ िजअत न सरसिर उतरन दऊ १

समर मरन पिन सरसिर तीरा राम काज छनभग सरीरा

भरत भाइ नप म जन नीच बड़ भाग अिस पाइअ मीच २

सवािम काज किरहउ रन रारी जस धविलहउ भवन दस चारी

तजउ ान रघनाथ िनहोर दह हाथ मद मोदक मोर ३

साध समाज न जाकर लखा राम भगत मह जास न रखा

जाय िजअत जग सो मिह भार जननी जौबन िबटप कठार ४

दोहा िबगत िबषाद िनषादपित सबिह बढ़ाइ उछाह

सिमिर राम मागउ तरत तरकस धनष सनाह १९०

बगह भाइह सजह सजोऊ सिन रजाइ कदराइ न कोऊ

भलिह नाथ सब कहिह सहरषा एकिह एक बढ़ावइ करषा १

चल िनषाद जोहािर जोहारी सर सकल रन रचइ रारी

सिमिर राम पद पकज पनही भाथी बािध चढ़ाइिनह धनही २

अगरी पिहिर किड़ िसर धरही फरसा बास सल सम करही

रामचिरतमानस - 87 - अयोधयाकाड

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एक कसल अित ओड़न खाड़ कदिह गगन मनह िछित छाड़ ३

िनज िनज साज समाज बनाई गह राउतिह जोहार जाई

दिख सभट सब लायक जान ल ल नाम सकल सनमान ४

दोहा भाइह लावह धोख जिन आज काज बड़ मोिह

सिन सरोष बोल सभट बीर अधीर न होिह १९१

राम ताप नाथ बल तोर करिह कटक िबन भट िबन घोर

जीवत पाउ न पाछ धरही रड मडमय मिदिन करही १

दीख िनषादनाथ भल टोल कहउ बजाउ जझाऊ ढोल

एतना कहत छीक भइ बाए कहउ सगिनअनह खत सहाए २

बढ़ एक कह सगन िबचारी भरतिह िमिलअ न होइिह रारी

रामिह भरत मनावन जाही सगन कहइ अस िब ह नाही ३

सिन गह कहइ नीक कह बढ़ा सहसा किर पिछतािह िबमढ़ा

भरत सभाउ सील िबन बझ बिड़ िहत हािन जािन िबन जझ ४

दोहा गहह घाट भट सिमिट सब लउ मरम िमिल जाइ

बिझ िम अिर मधय गित तस तब किरहउ आइ १९२

लखन सनह सभाय सहाए बर ीित निह दरइ दराए

अस किह भट सजोवन लाग कद मल फल खग मग माग १

मीन पीन पाठीन परान भिर भिर भार कहारनह आन

िमलन साज सिज िमलन िसधाए मगल मल सगन सभ पाए २

दिख दिर त किह िनज नाम कीनह मनीसिह दड नाम

जािन रामि य दीिनह असीसा भरतिह कहउ बझाइ मनीसा ३

राम सखा सिन सदन तयागा चल उतिर उमगत अनरागा

गाउ जाित गह नाउ सनाई कीनह जोहार माथ मिह लाई ४

रामचिरतमानस - 88 - अयोधयाकाड

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दोहा करत दडवत दिख तिह भरत लीनह उर लाइ

मनह लखन सन भट भइ म न हदय समाइ १९३

भटत भरत तािह अित ीती लोग िसहािह म क रीती

धनय धनय धिन मगल मला सर सरािह तिह बिरसिह फला १

लोक बद सब भाितिह नीचा जास छाह छइ लइअ सीचा

तिह भिर अक राम लघ ाता िमलत पलक पिरपिरत गाता २

राम राम किह ज जमहाही ितनहिह न पाप पज समहाही

यह तौ राम लाइ उर लीनहा कल समत जग पावन कीनहा ३

करमनास जल सरसिर परई तिह को कहह सीस निह धरई

उलटा नाम जपत जग जाना बालमीिक भए समाना ४

दोहा सवपच सबर खस जमन जड़ पावर कोल िकरात

राम कहत पावन परम होत भवन िबखयात १९४

निह अिचरज जग जग चिल आई किह न दीिनह रघबीर बड़ाई

राम नाम मिहमा सर कहही सिन सिन अवधलोग सख लहही १

रामसखिह िमिल भरत स मा पछी कसल समगल खमा

दिख भरत कर सील सनह भा िनषाद तिह समय िबदह २

सकच सनह मोद मन बाढ़ा भरतिह िचतवत एकटक ठाढ़ा

धिर धीरज पद बिद बहोरी िबनय स म करत कर जोरी ३

कसल मल पद पकज पखी म ितह काल कसल िनज लखी

अब भ परम अन ह तोर सिहत कोिट कल मगल मोर ४

दोहा समिझ मोिर करतित कल भ मिहमा िजय जोइ

जो न भजइ रघबीर पद जग िबिध बिचत सोइ १९५

रामचिरतमानस - 89 - अयोधयाकाड

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कपटी कायर कमित कजाती लोक बद बाहर सब भाती

राम कीनह आपन जबही त भयउ भवन भषन तबही त १

दिख ीित सिन िबनय सहाई िमलउ बहोिर भरत लघ भाई

किह िनषाद िनज नाम सबानी सादर सकल जोहारी रानी २

जािन लखन सम दिह असीसा िजअह सखी सय लाख बरीसा

िनरिख िनषाद नगर नर नारी भए सखी जन लखन िनहारी ३

कहिह लहउ एिह जीवन लाह भटउ रामभ भिर बाह

सिन िनषाद िनज भाग बड़ाई मिदत मन लइ चलउ लवाई ४

दोहा सनकार सवक सकल चल सवािम रख पाइ

घर तर तर सर बाग बन बास बनाएिनह जाइ १९६

सगबरपर भरत दीख जब भ सनह सब अग िसिथल तब

सोहत िदए िनषादिह लाग जन तन धर िबनय अनराग १

एिह िबिध भरत सन सब सगा दीिख जाइ जग पाविन गगा

रामघाट कह कीनह नाम भा मन मगन िमल जन राम २

करिह नाम नगर नर नारी मिदत मय बािर िनहारी

किर मजजन मागिह कर जोरी रामच पद ीित न थोरी ३

भरत कहउ सरसिर तव रन सकल सखद सवक सरधन

जोिर पािन बर मागउ एह सीय राम पद सहज सनह ४

दोहा एिह िबिध मजजन भरत किर गर अनसासन पाइ

मात नहानी जािन सब डरा चल लवाइ १९७

जह तह लोगनह डरा कीनहा भरत सोध सबही कर लीनहा

सर सवा किर आयस पाई राम मात पिह ग दोउ भाई १

चरन चािप किह किह मद बानी जननी सकल भरत सनमानी

भाइिह सौिप मात सवकाई आप िनषादिह लीनह बोलाई २

रामचिरतमानस - 90 - अयोधयाकाड

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चल सखा कर सो कर जोर िसिथल सरीर सनह न थोर

पछत सखिह सो ठाउ दखाऊ नक नयन मन जरिन जड़ाऊ ३

जह िसय राम लखन िनिस सोए कहत भर जल लोचन कोए

भरत बचन सिन भयउ िबषाद तरत तहा लइ गयउ िनषाद ४

दोहा जह िससपा पनीत तर रघबर िकय िब ाम

अित सनह सादर भरत कीनहउ दड नाम १९८

कस साथरी िनहािर सहाई कीनह नाम दिचछन जाई

चरन रख रज आिखनह लाई बनइ न कहत ीित अिधकाई १

कनक िबद दइ चािरक दख राख सीस सीय सम लख

सजल िबलोचन हदय गलानी कहत सखा सन बचन सबानी २

ीहत सीय िबरह दितहीना जथा अवध नर नािर िबलीना

िपता जनक दउ पटतर कही करतल भोग जोग जग जही ३

ससर भानकल भान भआल जिह िसहात अमरावितपाल

ाननाथ रघनाथ गोसाई जो बड़ होत सो राम बड़ाई ४

दोहा पित दवता सतीय मिन सीय साथरी दिख

िबहरत दउ न हहिर हर पिब त किठन िबसिष १९९

लालन जोग लखन लघ लोन भ न भाइ अस अहिह न होन

परजन ि य िपत मात दलार िसय रघबरिह ानिपआर १

मद मरित सकमार सभाऊ तात बाउ तन लाग न काऊ

त बन सहिह िबपित सब भाती िनदर कोिट किलस एिह छाती २

राम जनिम जग कीनह उजागर रप सील सख सब गन सागर

परजन पिरजन गर िपत माता राम सभाउ सबिह सखदाता ३

बिरउ राम बड़ाई करही बोलिन िमलिन िबनय मन हरही

सारद कोिट कोिट सत सषा किर न सकिह भ गन गन लखा ४

रामचिरतमानस - 91 - अयोधयाकाड

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दोहा

सखसवरप रघबसमिन मगल मोद िनधान त सोवत कस डािस मिह िबिध गित अित बलवान २००

राम सना दख कान न काऊ जीवनतर िजिम जोगवइ राऊ

पलक नयन फिन मिन जिह भाती जोगविह जनिन सकल िदनराती १

त अब िफरत िबिपन पदचारी कद मल फल फल अहारी

िधग ककई अमगल मला भइिस ान ि यतम ितकला २

म िधग िधग अघ उदिध अभागी सब उतपात भयउ जिह लागी

कल कलक किर सजउ िबधाता साइदोह मोिह कीनह कमाता ३

सिन स म समझाव िनषाद नाथ किरअ कत बािद िबषाद

राम तमहिह ि य तमह ि य रामिह यह िनरजोस दोस िबिध बामिह ४ छद

िबिध बाम की करनी किठन जिह मात कीनही बावरी तिह राित पिन पिन करिह भ सादर सरहना रावरी

तलसी न तमह सो राम ीतम कहत हौ सौह िकए

पिरनाम मगल जािन अपन आिनए धीरज िहए

सोरठा अतरजामी राम सकच स म कपायतन

चिलअ किरअ िब ाम यह िबचािर दढ़ आिन मन २०१

सखा बचन सिन उर धिर धीरा बास चल सिमरत रघबीरा

यह सिध पाइ नगर नर नारी चल िबलोकन आरत भारी १

परदिखना किर करिह नामा दिह ककइिह खोिर िनकामा

भरी भिर बािर िबलोचन लही बाम िबधातािह दषन दही २

एक सराहिह भरत सनह कोउ कह नपित िनबाहउ नह

िनदिह आप सरािह िनषादिह को किह सकइ िबमोह िबषादिह ३

रामचिरतमानस - 92 - अयोधयाकाड

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एिह िबिध राित लोग सब जागा भा िभनसार गदारा लागा

गरिह सनाव चढ़ाइ सहाई नई नाव सब मात चढ़ाई ४

दड चािर मह भा सब पारा उतिर भरत तब सबिह सभारा ५

दोहा ाति या किर मात पद बिद गरिह िसर नाइ

आग िकए िनषाद गन दीनहउ कटक चलाइ २०२

िकयउ िनषादनाथ अगआई मात पालकी सकल चलाई

साथ बोलाइ भाइ लघ दीनहा िब नह सिहत गवन गर कीनहा १

आप सरसिरिह कीनह नाम सिमर लखन सिहत िसय राम

गवन भरत पयोदिह पाए कोतल सग जािह डोिरआए २

कहिह ससवक बारिह बारा होइअ नाथ असव असवारा

राम पयोदिह पाय िसधाए हम कह रथ गज बािज बनाए ३

िसर भर जाउ उिचत अस मोरा सब त सवक धरम कठोरा

दिख भरत गित सिन मद बानी सब सवक गन गरिह गलानी ४

दोहा भरत तीसर पहर कह कीनह बस याग कहत राम िसय राम िसय उमिग उमिग अनराग २०३

झलका झलकत पायनह क स पकज कोस ओस कन जस

भरत पयादिह आए आज भयउ दिखत सिन सकल समाज १

खबिर लीनह सब लोग नहाए कीनह नाम ि बिनिह आए

सिबिध िसतािसत नीर नहान िदए दान मिहसर सनमान २

दखत सयामल धवल हलोर पलिक सरीर भरत कर जोर

सकल काम द तीरथराऊ बद िबिदत जग गट भाऊ ३

मागउ भीख तयािग िनज धरम आरत काह न करइ ककरम

अस िजय जािन सजान सदानी सफल करिह जग जाचक बानी ४

रामचिरतमानस - 93 - अयोधयाकाड

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दोहा अरथ न धरम न काम रिच गित न चहउ िनरबान

जनम जनम रित राम पद यह बरदान न आन २०४

जानह राम किटल किर मोही लोग कहउ गर सािहब ोही

सीता राम चरन रित मोर अनिदन बढ़उ अन ह तोर १

जलद जनम भिर सरित िबसारउ जाचत जल पिब पाहन डारउ

चातक रटिन घट घिट जाई बढ़ म सब भाित भलाई २

कनकिह बान चढ़इ िजिम दाह ितिम ि यतम पद नम िनबाह

भरत बचन सिन माझ ि बनी भइ मद बािन समगल दनी ३

तात भरत तमह सब िबिध साध राम चरन अनराग अगाध

बाद गलािन करह मन माही तमह सम रामिह कोउ ि य नाही ४

दोहा तन पलकउ िहय हरष सिन बिन बचन अनकल

भरत धनय किह धनय सर हरिषत बरषिह फल २०५

मिदत तीरथराज िनवासी बखानस बट गही उदासी

कहिह परसपर िमिल दस पाचा भरत सनह सील सिच साचा १

सनत राम गन ाम सहाए भर ाज मिनबर पिह आए

दड नाम करत मिन दख मरितमत भागय िनज लख २

धाइ उठाइ लाइ उर लीनह दीिनह असीस कतारथ कीनह

आसन दीनह नाइ िसर बठ चहत सकच गह जन भिज पठ ३

मिन पछब कछ यह बड़ सोच बोल िरिष लिख सील सकोच

सनह भरत हम सब सिध पाई िबिध करतब पर िकछ न बसाई ४

दोहा तमह गलािन िजय जिन करह समझी मात करतित

तात ककइिह दोस निह गई िगरा मित धित २०६

रामचिरतमानस - 94 - अयोधयाकाड

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यहउ कहत भल किहिह न कोऊ लोक बद बध समत दोऊ

तात तमहार िबमल जस गाई पाइिह लोकउ बद बड़ाई १

लोक बद समत सब कहई जिह िपत दइ राज सो लहई

राउ सतय त तमहिह बोलाई दत राज सख धरम बड़ाई २

राम गवन बन अनरथ मला जो सिन सकल िबसव भइ सला

सो भावी बस रािन अयानी किर कचािल अतह पिछतानी ३

तहउ तमहार अलप अपराध कह सो अधम अयान असाध

करतह राज त तमहिह न दोष रामिह होत सनत सतोष ४

दोहा अब अित कीनहह भरत भल तमहिह उिचत मत एह

सकल समगल मल जग रघबर चरन सनह २०७

सो तमहार धन जीवन ाना भिरभाग को तमहिह समाना

यह तमहार आचरज न ताता दसरथ सअन राम ि य ाता १

सनह भरत रघबर मन माही पम पा तमह सम कोउ नाही

लखन राम सीतिह अित ीती िनिस सब तमहिह सराहत बीती २

जाना मरम नहात यागा मगन होिह तमहर अनरागा

तमह पर अस सनह रघबर क सख जीवन जग जस जड़ नर क ३

यह न अिधक रघबीर बड़ाई नत कटब पाल रघराई

तमह तौ भरत मोर मत एह धर दह जन राम सनह ४

दोहा तमह कह भरत कलक यह हम सब कह उपदस

राम भगित रस िसि िहत भा यह समउ गनस २०८

नव िबध िबमल तात जस तोरा रघबर िककर कमद चकोरा

उिदत सदा अथइिह कबह ना घिटिह न जग नभ िदन िदन दना १

कोक ितलोक ीित अित किरही भ ताप रिब छिबिह न हिरही

िनिस िदन सखद सदा सब काह िसिह न ककइ करतब राह २

रामचिरतमानस - 95 - अयोधयाकाड

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परन राम सपम िपयषा गर अवमान दोष निह दषा

राम भगत अब अिमअ अघाह कीनहह सलभ सधा बसधाह ३

भप भगीरथ सरसिर आनी सिमरत सकल समगल खानी

दसरथ गन गन बरिन न जाही अिधक कहा जिह सम जग नाही ४

दोहा जास सनह सकोच बस राम गट भए आइ

ज हर िहय नयनिन कबह िनरख नही अघाइ २०९

कीरित िबध तमह कीनह अनपा जह बस राम पम मगरपा

तात गलािन करह िजय जाए डरह दिर िह पारस पाए १

सनह भरत हम झठ न कहही उदासीन तापस बन रहही

सब साधन कर सफल सहावा लखन राम िसय दरसन पावा २

तिह फल कर फल दरस तमहारा सिहत पयाग सभाग हमारा

भरत धनय तमह जस जग जयऊ किह अस पम मगन पिन भयऊ ३

सिन मिन बचन सभासद हरष साध सरािह समन सर बरष

धनय धनय धिन गगन पयागा सिन सिन भरत मगन अनरागा ४

दोहा पलक गात िहय राम िसय सजल सरोरह नन

किर नाम मिन मडिलिह बोल गदगद बन २१०

मिन समाज अर तीरथराज सािचह सपथ अघाइ अकाज

एिह थल जौ िकछ किहअ बनाई एिह सम अिधक न अघ अधमाई १

तमह सबरगय कहउ सितभाऊ उर अतरजामी रघराऊ

मोिह न मात करतब कर सोच निह दख िजय जग जािनिह पोच २

नािहन डर िबगिरिह परलोक िपतह मरन कर मोिह न सोक

सकत सजस भिर भअन सहाए लिछमन राम सिरस सत पाए ३

राम िबरह तिज तन छनभग भप सोच कर कवन सग

राम लखन िसय िबन पग पनही किर मिन बष िफरिह बन बनही ४

रामचिरतमानस - 96 - अयोधयाकाड

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दोहा

अिजन बसन फल असन मिह सयन डािस कस पात

बिस तर तर िनत सहत िहम आतप बरषा बात २११

एिह दख दाह दहइ िदन छाती भख न बासर नीद न राती

एिह करोग कर औषध नाही सोधउ सकल िबसव मन माही १

मात कमत बढ़ई अघ मला तिह हमार िहत कीनह बसला

किल ककाठ कर कीनह कज गािड़ अविध पिढ़ किठन कम २

मोिह लिग यह कठाट तिह ठाटा घालिस सब जग बारहबाटा

िमटइ कजोग राम िफिर आए बसइ अवध निह आन उपाए ३

भरत बचन सिन मिन सख पाई सबिह कीनह बह भाित बड़ाई

तात करह जिन सोच िबसषी सब दख िमटिह राम पग दखी ४

दोहा किर बोध मिनबर कहउ अितिथ पमि य होह

कद मल फल फल हम दिह लह किर छोह २१२

सिन मिन बचन भरत िहय सोच भयउ कअवसर किठन सकोच

जािन गरइ गर िगरा बहोरी चरन बिद बोल कर जोरी १

िसर धिर आयस किरअ तमहारा परम धरम यह नाथ हमारा

भरत बचन मिनबर मन भाए सिच सवक िसष िनकट बोलाए २

चािहए कीनह भरत पहनाई कद मल फल आनह जाई

भलही नाथ किह ितनह िसर नाए मिदत िनज िनज काज िसधाए ३

मिनिह सोच पाहन बड़ नवता तिस पजा चािहअ जस दवता

सिन िरिध िसिध अिनमािदक आई आयस होइ सो करिह गोसाई ४

दोहा राम िबरह बयाकल भरत सानज सिहत समाज

पहनाई किर हरह म कहा मिदत मिनराज २१३

रामचिरतमानस - 97 - अयोधयाकाड

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िरिध िसिध िसर धिर मिनबर बानी बड़भािगिन आपिह अनमानी

कहिह परसपर िसिध समदाई अतिलत अितिथ राम लघ भाई १

मिन पद बिद किरअ सोइ आज होइ सखी सब राज समाज

अस किह रचउ रिचर गह नाना जिह िबलोिक िबलखािह िबमाना २

भोग िबभित भिर भिर राख दखत िजनहिह अमर अिभलाष

दासी दास साज सब लीनह जोगवत रहिह मनिह मन दीनह ३

सब समाज सिज िसिध पल माही ज सख सरपर सपनह नाही

थमिह बास िदए सब कही सदर सखद जथा रिच जही ४

दोहा बहिर सपिरजन भरत कह िरिष अस आयस दीनह

िबिध िबसमय दायक िबभव मिनबर तपबल कीनह २१४

मिन भाउ जब भरत िबलोका सब लघ लग लोकपित लोका

सख समाज निह जाइ बखानी दखत िबरित िबसारही गयानी १

आसन सयन सबसन िबताना बन बािटका िबहग मग नाना

सरिभ फल फल अिमअ समाना िबमल जलासय िबिबध िबधाना २

असन पान सच अिमअ अमी स दिख लोग सकचात जमी स

सर सरभी सरतर सबही क लिख अिभलाष सरस सची क ३

िरत बसत बह ि िबध बयारी सब कह सलभ पदारथ चारी

क चदन बिनतािदक भोगा दिख हरष िबसमय बस लोगा ४

दोहा सपत चकई भरत चक मिन आयस खलवार

तिह िनिस आ म िपजरा राख भा िभनसार २१५

मासपारायण उननीसवा िव ाम

कीनह िनमजजन तीरथराजा नाइ मिनिह िसर सिहत समाजा

रामचिरतमानस - 98 - अयोधयाकाड

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िरिष आयस असीस िसर राखी किर दडवत िबनय बह भाषी १

पथ गित कसल साथ सब लीनह चल िच कटिह िचत दीनह

रामसखा कर दीनह लाग चलत दह धिर जन अनराग २

निह पद ान सीस निह छाया पम नम त धरम अमाया

लखन राम िसय पथ कहानी पछत सखिह कहत मद बानी ३

राम बास थल िबटप िबलोक उर अनराग रहत निह रोक

दिख दसा सर बिरसिह फला भइ मद मिह मग मगल मला ४

दोहा िकए जािह छाया जलद सखद बहइ बर बात

तस मग भयउ न राम कह जस भा भरतिह जात २१६

जड़ चतन मग जीव घनर ज िचतए भ िजनह भ हर

त सब भए परम पद जोग भरत दरस मटा भव रोग १

यह बिड़ बात भरत कइ नाही सिमरत िजनिह राम मन माही

बारक राम कहत जग जऊ होत तरन तारन नर तऊ २

भरत राम ि य पिन लघ ाता कस न होइ मग मगलदाता

िस साध मिनबर अस कहही भरतिह िनरिख हरष िहय लहही ३

दिख भाउ सरसिह सोच जग भल भलिह पोच कह पोच

गर सन कहउ किरअ भ सोई रामिह भरतिह भट न होई ४

दोहा राम सकोची म बस भरत सपम पयोिध

बनी बात बगरन चहित किरअ जतन छल सोिध २१७

बचन सनत सरगर मसकान सहसनयन िबन लोचन जान

मायापित सवक सन माया करइ त उलिट परइ सरराया १

तब िकछ कीनह राम रख जानी अब कचािल किर होइिह हानी

सन सरस रघनाथ सभाऊ िनज अपराध िरसािह न काऊ २

जो अपराध भगत कर करई राम रोष पावक सो जरई

रामचिरतमानस - 99 - अयोधयाकाड

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लोकह बद िबिदत इितहासा यह मिहमा जानिह दरबासा ३

भरत सिरस को राम सनही जग जप राम राम जप जही ४

दोहा मनह न आिनअ अमरपित रघबर भगत अकाज

अजस लोक परलोक दख िदन िदन सोक समाज २१८

सन सरस उपदस हमारा रामिह सवक परम िपआरा

मानत सख सवक सवकाई सवक बर बर अिधकाई १

ज िप सम निह राग न रोष गहिह न पाप पन गन दोष

करम धान िबसव किर राखा जो जस करइ सो तस फल चाखा २

तदिप करिह सम िबषम िबहारा भगत अभगत हदय अनसारा

अगन अलप अमान एकरस राम सगन भए भगत पम बस ३

राम सदा सवक रिच राखी बद परान साध सर साखी

अस िजय जािन तजह किटलाई करह भरत पद ीित सहाई ४

दोहा राम भगत परिहत िनरत पर दख दखी दयाल

भगत िसरोमिन भरत त जिन डरपह सरपाल २१९

सतयसध भ सर िहतकारी भरत राम आयस अनसारी

सवारथ िबबस िबकल तमह होह भरत दोस निह राउर मोह १

सिन सरबर सरगर बर बानी भा मोद मन िमटी गलानी

बरिष सन हरिष सरराऊ लग सराहन भरत सभाऊ २

एिह िबिध भरत चल मग जाही दसा दिख मिन िस िसहाही

जबिह राम किह लिह उसासा उमगत पम मनह चह पासा ३

विह बचन सिन किलस पषाना परजन पम न जाइ बखाना

बीच बास किर जमनिह आए िनरिख नीर लोचन जल छाए १

दोहा

रामचिरतमानस - 100 - अयोधयाकाड

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रघबर बरन िबलोिक बर बािर समत समाज होत मगन बािरिध िबरह चढ़ िबबक जहाज २२०

जमन तीर तिह िदन किर बास भयउ समय सम सबिह सपास

रातिह घाट घाट की तरनी आई अगिनत जािह न बरनी १

ात पार भए एकिह खवा तोष रामसखा की सवा

चल नहाइ निदिह िसर नाई साथ िनषादनाथ दोउ भाई २

आग मिनबर बाहन आछ राजसमाज जाइ सब पाछ

तिह पाछ दोउ बध पयाद भषन बसन बष सिठ साद ३

सवक स द सिचवसत साथा सिमरत लखन सीय रघनाथा

जह जह राम बास िब ामा तह तह करिह स म नामा ४

दोहा मगबासी नर नािर सिन धाम काम तिज धाइ

दिख सरप सनह सब मिदत जनम फल पाइ २२१

कहिह सपम एक एक पाही राम लखन सिख होिह िक नाही

बय बप बरन रप सोइ आली सील सनह सिरस सम चाली १

बष न सो सिख सीय न सगा आग अनी चली चतरगा

निह सनन मख मानस खदा सिख सदह होइ एिह भदा २

तास तरक ितयगन मन मानी कहिह सकल तिह सम न सयानी

तिह सरािह बानी फिर पजी बोली मधर बचन ितय दजी ३

किह सपम सब कथा सग जिह िबिध राम राज रस भग

भरतिह बहिर सराहन लागी सील सनह सभाय सभागी ४

दोहा चलत पयाद खात फल िपता दीनह तिज राज

जात मनावन रघबरिह भरत सिरस को आज २२२

भायप भगित भरत आचरन कहत सनत दख दषन हरन

रामचिरतमानस - 101 - अयोधयाकाड

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जो कछ कहब थोर सिख सोई रा म बध अस काह न होई १

हम सब सानज भरतिह दख भइनह धनय जबती जन लख

सिन गन दिख दसा पिछताही ककइ जनिन जोग सत नाही २

कोउ कह दषन रािनिह नािहन िबिध सब कीनह हमिह जो दािहन

कह हम लोक बद िबिध हीनी लघ ितय कल करतित मलीनी ३

बसिह कदस कगाव कबामा कह यह दरस पनय पिरनामा

अस अनद अिचिरज ित ामा जन मरभिम कलपतर जामा ४

दोहा भरत दरस दखत खलउ मग लोगनह कर भाग

जन िसघलबािसनह भयउ िबिध बस सलभ याग २२३

िनज गन सिहत राम गन गाथा सनत जािह सिमरत रघनाथा

तीरथ मिन आ म सरधामा िनरिख िनमजजिह करिह नामा १

मनही मन मागिह बर एह सीय राम पद पदम सनह

िमलिह िकरात कोल बनबासी बखानस बट जती उदासी २

किर नाम पछिह जिह तही किह बन लखन राम बदही

त भ समाचार सब कहही भरतिह दिख जनम फल लहही ३

ज जन कहिह कसल हम दख त ि य राम लखन सम लख

एिह िबिध बझत सबिह सबानी सनत राम बनबास कहानी ४

दोहा तिह बासर बिस ातही चल सिमिर रघनाथ

राम दरस की लालसा भरत सिरस सब साथ २२४

मगल सगन होिह सब काह फरकिह सखद िबलोचन बाह

भरतिह सिहत समाज उछाह िमिलहिह राम िमटिह दख दाह १

करत मनोरथ जस िजय जाक जािह सनह सरा सब छाक

िसिथल अग पग मग डिग डोलिह िबहबल बचन पम बस बोलिह २

रामसखा तिह समय दखावा सल िसरोमिन सहज सहावा

रामचिरतमानस - 102 - अयोधयाकाड

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जास समीप सिरत पय तीरा सीय समत बसिह दोउ बीरा ३

दिख करिह सब दड नामा किह जय जानिक जीवन रामा

म मगन अस राज समाज जन िफिर अवध चल रघराज ४

दोहा भरत म तिह समय जस तस किह सकइ न सष

किबिह अगम िजिम सख अह मम मिलन जनष २२५

सकल सनह िसिथल रघबर क गए कोस दइ िदनकर ढरक

जल थल दिख बस िनिस बीत कीनह गवन रघनाथ िपरीत १

उहा राम रजनी अवसषा जाग सीय सपन अस दखा

सिहत समाज भरत जन आए नाथ िबयोग ताप तन ताए २

सकल मिलन मन दीन दखारी दखी सास आन अ नहारी

सिन िसय सपन भर जल लोचन भए सोचबस सोच िबमोचन ३

लखन सपन यह नीक न होई किठन कचाह सनाइिह कोई

अस किह बध समत नहान पिज परािर साध सनमान ४ छद

सनमािन सर मिन बिद बठ उ र िदिस दखत भए

नभ धिर खग मग भिर भाग िबकल भ आ म गए

तलसी उठ अवलोिक कारन काह िचत सचिकत रह

सब समाचार िकरात कोलिनह आइ तिह अवसर कह

दोहा सनत समगल बन मन मोद तन पलक भर

सरद सरोरह नन तलसी भर सनह जल २२६

बहिर सोचबस भ िसयरवन कारन कवन भरत आगवन

एक आइ अस कहा बहोरी सन सग चतरग न थोरी १

सो सिन रामिह भा अित सोच इत िपत बच इत बध सकोच

रामचिरतमानस - 103 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ समिझ मन माही भ िचत िहत िथित पावत नाही २

समाधान तब भा यह जान भरत कह मह साध सयान

लखन लखउ भ हदय खभार कहत समय सम नीित िबचार ३

िबन पछ कछ कहउ गोसाई सवक समय न ढीठ िढठाई

तमह सबरगय िसरोमिन सवामी आपिन समिझ कहउ अनगामी ४

दोहा नाथ स द सिठ सरल िचत सील सनह िनधान

सब पर ीित तीित िजय जािनअ आप समान २२७

िबषई जीव पाइ भताई मढ़ मोह बस होिह जनाई

भरत नीित रत साध सजाना भ पद म सकल जग जाना १

तऊ आज राम पद पाई चल धरम मरजाद मटाई

किटल कबध कअवसर ताकी जािन राम बनवास एकाकी २

किर कम मन सािज समाज आए कर अकटक राज

कोिट कार कलिप कटलाई आए दल बटोिर दोउ भाई ३

जौ िजय होित न कपट कचाली किह सोहाित रथ बािज गजाली

भरतिह दोस दइ को जाए जग बौराइ राज पद पाए ४

दोहा सिस गर ितय गामी नघष चढ़उ भिमसर जान

लोक बद त िबमख भा अधम न बन समान २२८

सहसबाह सरनाथ ि सक किह न राजमद दीनह कलक

भरत कीनह यह उिचत उपाऊ िरप िरन रच न राखब काऊ १

एक कीिनह निह भरत भलाई िनदर राम जािन असहाई

समिझ पिरिह सोउ आज िबसषी समर सरोष राम मख पखी २

एतना कहत नीित रस भला रन रस िबटप पलक िमस फला

भ पद बिद सीस रज राखी बोल सतय सहज बल भाषी ३

अनिचत नाथ न मानब मोरा भरत हमिह उपचार न थोरा

रामचिरतमानस - 104 - अयोधयाकाड

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कह लिग सिहअ रिहअ मन मार नाथ साथ धन हाथ हमार ४

दोहा छि जाित रघकल जनम राम अनग जग जान

लातह मार चढ़ित िसर नीच को धिर समान २२९

उिठ कर जोिर रजायस मागा मनह बीर रस सोवत जागा

बािध जटा िसर किस किट भाथा सािज सरासन सायक हाथा १

आज राम सवक जस लऊ भरतिह समर िसखावन दऊ

राम िनरादर कर फल पाई सोवह समर सज दोउ भाई २

आइ बना भल सकल समाज गट करउ िरस पािछल आज

िजिम किर िनकर दलइ मगराज लइ लपिट लवा िजिम बाज ३

तसिह भरतिह सन समता सानज िनदिर िनपातउ खता

जौ सहाय कर सकर आई तौ मारउ रन राम दोहाई ४

दोहा अित सरोष माख लखन लिख सिन सपथ वान

सभय लोक सब लोकपित चाहत भभिर भगान २३०

जग भय मगन गगन भइ बानी लखन बाहबल िबपल बखानी

तात ताप भाउ तमहारा को किह सकइ को जानिनहारा १

अनिचत उिचत काज िकछ होऊ समिझ किरअ भल कह सब कोऊ

सहसा किर पाछ पिछताही कहिह बद बध त बध नाही २

सिन सर बचन लखन सकचान राम सीय सादर सनमान

कही तात तमह नीित सहाई सब त किठन राजमद भाई ३

जो अचवत नप मातिह तई नािहन साधसभा जिह सई

सनह लखन भल भरत सरीसा िबिध पच मह सना न दीसा ४

दोहा भरतिह होइ न राजमद िबिध हिर हर पद पाइ

रामचिरतमानस - 105 - अयोधयाकाड

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कबह िक काजी सीकरिन छीरिसध िबनसाइ २३१

ितिमर तरन तरिनिह मक िगलई गगन मगन मक मघिह िमलई

गोपद जल बड़िह घटजोनी सहज छमा बर छाड़ छोनी १

मसक फक मक मर उड़ाई होइ न नपमद भरतिह भाई

लखन तमहार सपथ िपत आना सिच सबध निह भरत समाना २

सगन खीर अवगन जल ताता िमलइ रचइ परपच िबधाता

भरत हस रिबबस तड़ागा जनिम कीनह गन दोष िबभागा ३

गिह गन पय तिज अवगन बारी िनज जस जगत कीिनह उिजआरी

कहत भरत गन सील सभाऊ पम पयोिध मगन रघराऊ ४

दोहा सिन रघबर बानी िबबध दिख भरत पर हत सकल सराहत राम सो भ को कपािनकत २३२

जौ न होत जग जनम भरत को सकल धरम धर धरिन धरत को

किब कल अगम भरत गन गाथा को जानइ तमह िबन रघनाथा १

लखन राम िसय सिन सर बानी अित सख लहउ न जाइ बखानी

इहा भरत सब सिहत सहाए मदािकनी पनीत नहाए २

सिरत समीप रािख सब लोगा मािग मात गर सिचव िनयोगा

चल भरत जह िसय रघराई साथ िनषादनाथ लघ भाई ३

समिझ मात करतब सकचाही करत कतरक कोिट मन माही

राम लखन िसय सिन मम नाऊ उिठ जिन अनत जािह तिज ठाऊ ४

दोहा मात मत मह मािन मोिह जो कछ करिह सो थोर

अघ अवगन छिम आदरिह समिझ आपनी ओर २३३

जौ पिरहरिह मिलन मन जानी जौ सनमानिह सवक मानी

मोर सरन रामिह की पनही राम ससवािम दोस सब जनही १

रामचिरतमानस - 106 - अयोधयाकाड

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जग जस भाजन चातक मीना नम पम िनज िनपन नबीना

अस मन गनत चल मग जाता सकच सनह िसिथल सब गाता २

फरत मनह मात कत खोरी चलत भगित बल धीरज धोरी

जब समझत रघनाथ सभाऊ तब पथ परत उताइल पाऊ ३

भरत दसा तिह अवसर कसी जल बाह जल अिल गित जसी

दिख भरत कर सोच सनह भा िनषाद तिह समय िबदह ४

दोहा लग होन मगल सगन सिन गिन कहत िनषाद िमिटिह सोच होइिह हरष पिन पिरनाम िबषाद २३४

सवक बचन सतय सब जान आ म िनकट जाइ िनअरान

भरत दीख बन सल समाज मिदत छिधत जन पाइ सनाज १

ईित भीित जन जा दखारी ि िबध ताप पीिड़त ह मारी

जाइ सराज सदस सखारी होिह भरत गित तिह अनहारी २

राम बास बन सपित ाजा सखी जा जन पाइ सराजा

सिचव िबराग िबबक नरस िबिपन सहावन पावन दस ३

भट जम िनयम सल रजधानी साित समित सिच सदर रानी

सकल अग सपनन सराऊ राम चरन आि त िचत चाऊ ४

दोहा जीित मोह मिहपाल दल सिहत िबबक भआल

करत अकटक राज पर सख सपदा सकाल २३५

बन दस मिन बास घनर जन पर नगर गाउ गन खर

िबपल िबिच िबहग मग नाना जा समाज न जाइ बखाना १

खगहा किर हिर बाघ बराहा दिख मिहष बष साज सराहा

बयर िबहाइ चरिह एक सगा जह तह मनह सन चतरगा २

झरना झरिह म गज गाजिह मनह िनसान िबिबिध िबिध बाजिह

चक चकोर चातक सक िपक गन कजत मज मराल मिदत मन ३

रामचिरतमानस - 107 - अयोधयाकाड

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अिलगन गावत नाचत मोरा जन सराज मगल चह ओरा

बिल िबटप तन सफल सफला सब समाज मद मगल मला ४

दोहा राम सल सोभा िनरिख भरत हदय अित पम तापस तप फल पाइ िजिम सखी िसरान नम २३६

मासपारायण बीसवा िव ाम

नवा पारायण पाचवा िव ाम

तब कवट ऊच चिढ़ धाई कहउ भरत सन भजा उठाई

नाथ दिखअिह िबटप िबसाला पाकिर जब रसाल तमाला १

िजनह तरबरनह मधय बट सोहा मज िबसाल दिख मन मोहा

नील सघन पललव फल लाला अिबरल छाह सखद सब काला २

मानह ितिमर अरनमय रासी िबरची िबिध सकिल सषमा सी

ए तर सिरत समीप गोसाई रघबर परनकटी जह छाई ३

तलसी तरबर िबिबध सहाए कह कह िसय कह लखन लगाए

बट छाया बिदका बनाई िसय िनज पािन सरोज सहाई ४

दोहा जहा बिठ मिनगन सिहत िनत िसय राम सजान

सनिह कथा इितहास सब आगम िनगम परान २३७

सखा बचन सिन िबटप िनहारी उमग भरत िबलोचन बारी

करत नाम चल दोउ भाई कहत ीित सारद सकचाई १

हरषिह िनरिख राम पद अका मानह पारस पायउ रका

रज िसर धिर िहय नयनिनह लाविहरघबर िमलन सिरस सख पाविह २

दिख भरत गित अकथ अतीवा म मगन मग खग जड़ जीवा

सखिह सनह िबबस मग भला किह सपथ सर बरषिह फला ३

िनरिख िस साधक अनराग सहज सनह सराहन लाग

रामचिरतमानस - 108 - अयोधयाकाड

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होत न भतल भाउ भरत को अचर सचर चर अचर करत को ४

दोहा पम अिमअ मदर िबरह भरत पयोिध गभीर

मिथ गटउ सर साध िहत कपािसध रघबीर २३८

सखा समत मनोहर जोटा लखउ न लखन सघन बन ओटा

भरत दीख भ आ म पावन सकल समगल सदन सहावन १

करत बस िमट दख दा वा जन जोगी परमारथ पावा

दख भरत लखन भ आग पछ बचन कहत अनराग २

सीस जटा किट मिन पट बाध तन कस कर सर धन काध

बदी पर मिन साध समाज सीय सिहत राजत रघराज ३

बलकल बसन जिटल तन सयामा जन मिन बष कीनह रित कामा

कर कमलिन धन सायक फरत िजय की जरिन हरत हिस हरत ४

दोहा लसत मज मिन मडली मधय सीय रघचद

गयान सभा जन तन धर भगित सिचचदानद २३९

सानज सखा समत मगन मन िबसर हरष सोक सख दख गन

पािह नाथ किह पािह गोसाई भतल पर लकट की नाई १

बचन सपम लखन पिहचान करत नाम भरत िजय जान

बध सनह सरस एिह ओरा उत सािहब सवा बस जोरा २

िमिल न जाइ निह गदरत बनई सकिब लखन मन की गित भनई

रह रािख सवा पर भार चढ़ी चग जन खच खलार ३

कहत स म नाइ मिह माथा भरत नाम करत रघनाथा

उठ राम सिन पम अधीरा कह पट कह िनषग धन तीरा ४

दोहा बरबस िलए उठाइ उर लाए कपािनधान

रामचिरतमानस - 109 - अयोधयाकाड

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भरत राम की िमलिन लिख िबसर सबिह अपान २४०

िमलिन ीित िकिम जाइ बखानी किबकल अगम करम मन बानी

परम पम परन दोउ भाई मन बिध िचत अहिमित िबसराई १

कहह सपम गट को करई किह छाया किब मित अनसरई

किबिह अरथ आखर बल साचा अनहिर ताल गितिह नट नाचा २

अगम सनह भरत रघबर को जह न जाइ मन िबिध हिर हर को

सो म कमित कहौ किह भाती बाज सराग िक गाडर ताती ३

िमलिन िबलोिक भरत रघबर की सरगन सभय धकधकी धरकी

समझाए सरगर जड़ जाग बरिष सन ससन लाग ४

दोहा िमिल सपम िरपसदनिह कवट भटउ राम

भिर भाय भट भरत लिछमन करत नाम २४१

भटउ लखन ललिक लघ भाई बहिर िनषाद लीनह उर लाई

पिन मिनगन दह भाइनह बद अिभमत आिसष पाइ अनद १

सानज भरत उमिग अनरागा धिर िसर िसय पद पदम परागा

पिन पिन करत नाम उठाए िसर कर कमल परिस बठाए २

सीय असीस दीिनह मन माही मगन सनह दह सिध नाही

सब िबिध सानकल लिख सीता भ िनसोच उर अपडर बीता ३

कोउ िकछ कहइ न कोउ िकछ पछा म भरा मन िनज गित छछा

तिह अवसर कवट धीरज धिर जोिर पािन िबनवत नाम किर ४

दोहा नाथ साथ मिननाथ क मात सकल पर लोग

सवक सनप सिचव सब आए िबकल िबयोग २४२

सीलिसध सिन गर आगवन िसय समीप राख िरपदवन

चल सबग राम तिह काला धीर धरम धर दीनदयाला १

रामचिरतमानस - 110 - अयोधयाकाड

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गरिह दिख सानज अनराग दड नाम करन भ लाग

मिनबर धाइ िलए उर लाई म उमिग भट दोउ भाई २ म पलिक कवट किह नाम कीनह दिर त दड नाम

रामसखा िरिष बरबस भटा जन मिह लठत सनह समटा ३

रघपित भगित समगल मला नभ सरािह सर बिरसिह फला

एिह सम िनपट नीच कोउ नाही बड़ बिस सम को जग माही ४

दोहा जिह लिख लखनह त अिधक िमल मिदत मिनराउ

सो सीतापित भजन को गट ताप भाउ २४३

आरत लोग राम सब जाना करनाकर सजान भगवाना

जो जिह भाय रहा अिभलाषी तिह तिह क तिस तिस रख राखी १

सानज िमिल पल मह सब काह कीनह दिर दख दारन दाह

यह बिड़ बात राम क नाही िजिम घट कोिट एक रिब छाही २

िमिल कविटिह उमिग अनरागा परजन सकल सराहिह भागा

दखी राम दिखत महतारी जन सबिल अवली िहम मारी ३

थम राम भटी ककई सरल सभाय भगित मित भई

पग पिर कीनह बोध बहोरी काल करम िबिध िसर धिर खोरी ४

दोहा भटी रघबर मात सब किर बोध पिरतोष

अब ईस आधीन जग काह न दइअ दोष २४४

गरितय पद बद दह भाई सिहत िब ितय ज सग आई

गग गौिर सम सब सनमानी दिह असीस मिदत मद बानी १

गिह पद लग सिम ा अका जन भटी सपित अित रका

पिन जनिन चरनिन दोउ ाता पर पम बयाकल सब गाता २

अित अनराग अब उर लाए नयन सनह सिलल अनहवाए

तिह अवसर कर हरष िबषाद िकिम किब कह मक िजिम सवाद ३

रामचिरतमानस - 111 - अयोधयाकाड

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िमिल जननिह सानज रघराऊ गर सन कहउ िक धािरअ पाऊ

परजन पाइ मनीस िनयोग जल थल तिक तिक उतरउ लोग ४

दोहा मिहसर म ी मात गर गन लोग िलए साथ

पावन आ म गवन िकय भरत लखन रघनाथ २४५

सीय आइ मिनबर पग लागी उिचत असीस लही मन मागी

गरपितिनिह मिनितयनह समता िमली पम किह जाइ न जता १

बिद बिद पग िसय सबही क आिसरबचन लह ि य जी क

सास सकल जब सीय िनहारी मद नयन सहिम सकमारी २

परी बिधक बस मनह मराली काह कीनह करतार कचाली

ितनह िसय िनरिख िनपट दख पावा सो सब सिहअ जो दउ सहावा ३

जनकसता तब उर धिर धीरा नील निलन लोयन भिर नीरा

िमली सकल सासनह िसय जाई तिह अवसर करना मिह छाई ४

दोहा लािग लािग पग सबिन िसय भटित अित अनराग

हदय असीसिह पम बस रिहअह भरी सोहाग २४६

िबकल सनह सीय सब रानी बठन सबिह कहउ गर गयानी

किह जग गित माियक मिननाथा कह कछक परमारथ गाथा १

नप कर सरपर गवन सनावा सिन रघनाथ दसह दख पावा

मरन हत िनज नह िबचारी भ अित िबकल धीर धर धारी २

किलस कठोर सनत कट बानी िबलपत लखन सीय सब रानी

सोक िबकल अित सकल समाज मानह राज अकाजउ आज ३

मिनबर बहिर राम समझाए सिहत समाज ससिरत नहाए

त िनरब तिह िदन भ कीनहा मिनह कह जल काह न लीनहा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 112 - अयोधयाकाड

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भोर भए रघनदनिह जो मिन आयस दीनह

ा भगित समत भ सो सब सादर कीनह २४७

किर िपत ि या बद जिस बरनी भ पनीत पातक तम तरनी

जास नाम पावक अघ तला सिमरत सकल समगल मला १

स सो भयउ साध समत अस तीरथ आवाहन सरसिर जस

स भए दइ बासर बीत बोल गर सन रा म िपरीत २

नाथ लोग सब िनपट दखारी कद मल फल अब अहारी

सानज भरत सिचव सब माता दिख मोिह पल िजिम जग जाता ३

सब समत पर धािरअ पाऊ आप इहा अमरावित राऊ

बहत कहउ सब िकयउ िढठाई उिचत होइ तस किरअ गोसाई ४

दोहा धमर सत करनायतन कस न कहह अस राम

लोग दिखत िदन दइ दरस दिख लहह िब ाम २४८

राम बचन सिन सभय समाज जन जलिनिध मह िबकल जहाज

सिन गर िगरा समगल मला भयउ मनह मारत अनकला १

पावन पय ितह काल नहाही जो िबलोिक अघ ओघ नसाही

मगलमरित लोचन भिर भिर िनरखिह हरिष दडवत किर किर २

राम सल बन दखन जाही जह सख सकल सकल दख नाही

झरना झिरिह सधासम बारी ि िबध तापहर ि िबध बयारी ३

िबटप बिल तन अगिनत जाती फल सन पललव बह भाती

सदर िसला सखद तर छाही जाइ बरिन बन छिब किह पाही ४

दोहा सरिन सरोरह जल िबहग कजत गजत भग

बर िबगत िबहरत िबिपन मग िबहग बहरग २४९

कोल िकरात िभलल बनबासी मध सिच सदर सवाद सधा सी

रामचिरतमानस - 113 - अयोधयाकाड

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भिर भिर परन पटी रिच ररी कद मल फल अकर जरी १

सबिह दिह किर िबनय नामा किह किह सवाद भद गन नामा

दिह लोग बह मोल न लही फरत राम दोहाई दही २

कहिह सनह मगन मद बानी मानत साध पम पिहचानी

तमह सकती हम नीच िनषादा पावा दरसन राम सादा ३

हमिह अगम अित दरस तमहारा जस मर धरिन दवधिन धारा

राम कपाल िनषाद नवाजा पिरजन जउ चिहअ जस राजा ४

दोहा यह िजय जािन सकोच तिज किरअ छोह लिख नह

हमिह कतारथ करन लिग फल तन अकर लह २५०

तमह ि य पाहन बन पग धार सवा जोग न भाग हमार

दब काह हम तमहिह गोसाई ईधन पात िकरात िमताई १

यह हमािर अित बिड़ सवकाई लिह न बासन बसन चोराई

हम जड़ जीव जीव गन घाती किटल कचाली कमित कजाती २

पाप करत िनिस बासर जाही निह पट किट निह पट अघाही

सपोनह धरम बि कस काऊ यह रघनदन दरस भाऊ ३

जब त भ पद पदम िनहार िमट दसह दख दोष हमार

बचन सनत परजन अनराग ितनह क भाग सराहन लाग ४ छद

लाग सराहन भाग सब अनराग बचन सनावही बोलिन िमलिन िसय राम चरन सनह लिख सख पावही

नर नािर िनदरिह नह िनज सिन कोल िभललिन की िगरा

तलसी कपा रघबसमिन की लोह ल लौका ितरा

सोरठा िबहरिह बन चह ओर ितिदन मिदत लोग सब

जल जयो दादर मोर भए पीन पावस थम २५१

रामचिरतमानस - 114 - अयोधयाकाड

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पर जन नािर मगन अित ीती बासर जािह पलक सम बीती

सीय सास ित बष बनाई सादर करइ सिरस सवकाई १

लखा न मरम राम िबन काह माया सब िसय माया माह

सीय सास सवा बस कीनही ितनह लिह सख िसख आिसष दीनही २

लिख िसय सिहत सरल दोउ भाई किटल रािन पिछतािन अघाई

अविन जमिह जाचित ककई मिह न बीच िबिध मीच न दई ३

लोकह बद िबिदत किब कहही राम िबमख थल नरक न लहही

यह ससउ सब क मन माही राम गवन िबिध अवध िक नाही ४

दोहा िनिस न नीद निह भख िदन भरत िबकल सिच सोच नीच कीच िबच मगन जस मीनिह सिलल सकोच २५२

कीनही मात िमस काल कचाली ईित भीित जस पाकत साली

किह िबिध होइ राम अिभषक मोिह अवकलत उपाउ न एक १

अविस िफरिह गर आयस मानी मिन पिन कहब राम रिच जानी

मात कहह बहरिह रघराऊ राम जनिन हठ करिब िक काऊ २

मोिह अनचर कर कितक बाता तिह मह कसमउ बाम िबधाता

जौ हठ करउ त िनपट ककरम हरिगिर त गर सवक धरम ३

एकउ जगित न मन ठहरानी सोचत भरतिह रिन िबहानी

ात नहाइ भिह िसर नाई बठत पठए िरषय बोलाई ४

दोहा गर पद कमल नाम किर बठ आयस पाइ

िब महाजन सिचव सब जर सभासद आइ २५३

बोल मिनबर समय समाना सनह सभासद भरत सजाना

धरम धरीन भानकल भान राजा राम सवबस भगवान १

सतयसध पालक ित सत राम जनम जग मगल हत

रामचिरतमानस - 115 - अयोधयाकाड

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गर िपत मात बचन अनसारी खल दल दलन दव िहतकारी २

नीित ीित परमारथ सवारथ कोउ न राम सम जान जथारथ

िबिध हिर हर सिस रिब िदिसपाला माया जीव करम किल काला ३

अिहप मिहप जह लिग भताई जोग िसि िनगमागम गाई

किर िबचार िजय दखह नीक राम रजाइ सीस सबही क ४

दोहा राख राम रजाइ रख हम सब कर िहत होइ

समिझ सयान करह अब सब िमिल समत सोइ २५४

सब कह सखद राम अिभषक मगल मोद मल मग एक

किह िबिध अवध चलिह रघराऊ कहह समिझ सोइ किरअ उपाऊ १

सब सादर सिन मिनबर बानी नय परमारथ सवारथ सानी

उतर न आव लोग भए भोर तब िसर नाइ भरत कर जोर २

भानबस भए भप घनर अिधक एक त एक बड़र

जनम हत सब कह िपत माता करम सभासभ दइ िबधाता ३

दिल दख सजइ सकल कलयाना अस असीस राउिर जग जाना

सो गोसाइ िबिध गित जिह छकी सकइ को टािर टक जो टकी ४

दोहा बिझअ मोिह उपाउ अब सो सब मोर अभाग

सिन सनहमय बचन गर उर उमगा अनराग २५५

तात बात फिर राम कपाही राम िबमख िसिध सपनह नाही

सकचउ तात कहत एक बाता अरध तजिह बध सरबस जाता १

तमह कानन गवनह दोउ भाई फिरअिह लखन सीय रघराई

सिन सबचन हरष दोउ ाता भ मोद पिरपरन गाता २

मन सनन तन तज िबराजा जन िजय राउ राम भए राजा

बहत लाभ लोगनह लघ हानी सम दख सख सब रोविह रानी ३

कहिह भरत मिन कहा सो कीनह फल जग जीवनह अिभमत दीनह

रामचिरतमानस - 116 - अयोधयाकाड

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कानन करउ जनम भिर बास एिह त अिधक न मोर सपास ४

दोहा अतरजामी राम िसय तमह सरबगय सजान

जो फर कहह त नाथ िनज कीिजअ बचन वान २५६

भरत बचन सिन दिख सनह सभा सिहत मिन भए िबदह

भरत महा मिहमा जलरासी मिन मित ठािढ़ तीर अबला सी १

गा चह पार जतन िहय हरा पावित नाव न बोिहत बरा

और किरिह को भरत बड़ाई सरसी सीिप िक िसध समाई २

भरत मिनिह मन भीतर भाए सिहत समाज राम पिह आए

भ नाम किर दीनह सआसन बठ सब सिन मिन अनसासन ३

बोल मिनबर बचन िबचारी दस काल अवसर अनहारी

सनह राम सरबगय सजाना धरम नीित गन गयान िनधाना ४

दोहा सब क उर अतर बसह जानह भाउ कभाउ

परजन जननी भरत िहत होइ सो किहअ उपाउ २५७

आरत कहिह िबचािर न काऊ सझ जआिरिह आपन दाऊ

सिन मिन बचन कहत रघराऊ नाथ तमहारिह हाथ उपाऊ १

सब कर िहत रख राउिर राख आयस िकए मिदत फर भाष

थम जो आयस मो कह होई माथ मािन करौ िसख सोई २

पिन जिह कह जस कहब गोसाई सो सब भाित घिटिह सवकाई

कह मिन राम सतय तमह भाषा भरत सनह िबचार न राखा ३

तिह त कहउ बहोिर बहोरी भरत भगित बस भइ मित मोरी

मोर जान भरत रिच रािख जो कीिजअ सो सभ िसव साखी ४

दोहा भरत िबनय सादर सिनअ किरअ िबचार बहोिर

रामचिरतमानस - 117 - अयोधयाकाड

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करब साधमत लोकमत नपनय िनगम िनचोिर २५८

गर अनराग भरत पर दखी राम हदय आनद िबसषी

भरतिह धरम धरधर जानी िनज सवक तन मानस बानी १

बोल गर आयस अनकला बचन मज मद मगलमला

नाथ सपथ िपत चरन दोहाई भयउ न भअन भरत सम भाई २

ज गर पद अबज अनरागी त लोकह बदह बड़भागी

राउर जा पर अस अनराग को किह सकइ भरत कर भाग ३

लिख लघ बध बि सकचाई करत बदन पर भरत बड़ाई

भरत कहही सोइ िकए भलाई अस किह राम रह अरगाई ४

दोहा तब मिन बोल भरत सन सब सकोच तिज तात

कपािसध ि य बध सन कहह हदय क बात २५९

सिन मिन बचन राम रख पाई गर सािहब अनकल अघाई

लिख अपन िसर सब छर भार किह न सकिह कछ करिह िबचार १

पलिक सरीर सभा भए ठाढ नीरज नयन नह जल बाढ़

कहब मोर मिननाथ िनबाहा एिह त अिधक कहौ म काहा २

म जानउ िनज नाथ सभाऊ अपरािधह पर कोह न काऊ

मो पर कपा सनह िबसषी खलत खिनस न कबह दखी ३

िससपन तम पिरहरउ न सग कबह न कीनह मोर मन भग

म भ कपा रीित िजय जोही हारह खल िजताविह मोही ४

दोहा मह सनह सकोच बस सनमख कही न बन

दरसन तिपत न आज लिग पम िपआस नन २६०

िबिध न सकउ सिह मोर दलारा नीच बीच जननी िमस पारा

यहउ कहत मोिह आज न सोभा अपनी समिझ साध सिच को भा १

रामचिरतमानस - 118 - अयोधयाकाड

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मात मिद म साध सचाली उर अस आनत कोिट कचाली

फरइ िक कोदव बािल ससाली मकता सव िक सबक काली २

सपनह दोसक लस न काह मोर अभाग उदिध अवगाह

िबन समझ िनज अघ पिरपाक जािरउ जाय जनिन किह काक ३

हदय हिर हारउ सब ओरा एकिह भाित भलिह भल मोरा

गर गोसाइ सािहब िसय राम लागत मोिह नीक पिरनाम ४

दोहा साध सभा गर भ िनकट कहउ सथल सित भाउ

म पच िक झठ फर जानिह मिन रघराउ २६१

भपित मरन पम पन राखी जननी कमित जगत सब साखी

दिख न जािह िबकल महतारी जरिह दसह जर पर नर नारी १

मही सकल अनरथ कर मला सो सिन समिझ सिहउ सब सला

सिन बन गवन कीनह रघनाथा किर मिन बष लखन िसय साथा २

िबन पानिहनह पयादिह पाए सकर सािख रहउ एिह घाए

बहिर िनहार िनषाद सनह किलस किठन उर भयउ न बह ३

अब सब आिखनह दखउ आई िजअत जीव जड़ सबइ सहाई

िजनहिह िनरिख मग सािपिन बीछी तजिह िबषम िबष तामस तीछी४

दोहा तइ रघनदन लखन िसय अनिहत लाग जािह

तास तनय तिज दसह दख दउ सहावइ कािह २६२

सिन अित िबकल भरत बर बानी आरित ीित िबनय नय सानी

सोक मगन सब सभा खभार मनह कमल बन परउ तसार १

किह अनक िबिध कथा परानी भरत बोध कीनह मिन गयानी

बोल उिचत बचन रघनद िदनकर कल करव बन चद २

तात जाय िजय करह गलानी ईस अधीन जीव गित जानी

तीिन काल ितभअन मत मोर पनयिसलोक तात तर तोर ३

रामचिरतमानस - 119 - अयोधयाकाड

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उर आनत तमह पर किटलाई जाइ लोक परलोक नसाई

दोस दिह जनिनिह जड़ तई िजनह गर साध सभा निह सई ४

दोहा िमिटहिह पाप पच सब अिखल अमगल भार लोक सजस परलोक सख सिमरत नाम तमहार २६३

कहउ सभाउ सतय िसव साखी भरत भिम रह राउिर राखी

तात कतरक करह जिन जाए बर पम निह दरइ दराए १

मिन गन िनकट िबहग मग जाही बाधक बिधक िबलोिक पराही

िहत अनिहत पस पिचछउ जाना मानष तन गन गयान िनधाना २

तात तमहिह म जानउ नीक करौ काह असमजस जीक

राखउ राय सतय मोिह तयागी तन पिरहरउ पम पन लागी ३

तास बचन मटत मन सोच तिह त अिधक तमहार सकोच

ता पर गर मोिह आयस दीनहा अविस जो कहह चहउ सोइ कीनहा ४

दोहा मन सनन किर सकच तिज कहह करौ सोइ आज

सतयसध रघबर बचन सिन भा सखी समाज २६४

सर गन सिहत सभय सरराज सोचिह चाहत होन अकाज

बनत उपाउ करत कछ नाही राम सरन सब ग मन माही १

बहिर िबचािर परसपर कहही रघपित भगत भगित बस अहही

सिध किर अबरीष दरबासा भ सर सरपित िनपट िनरासा २

सह सरनह बह काल िबषादा नरहिर िकए गट हलादा

लिग लिग कान कहिह धिन माथा अब सर काज भरत क हाथा ३

आन उपाउ न दिखअ दवा मानत राम ससवक सवा

िहय सपम सिमरह सब भरतिह िनज गन सील राम बस करतिह ४

दोहा

रामचिरतमानस - 120 - अयोधयाकाड

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सिन सर मत सरगर कहउ भल तमहार बड़ भाग

सकल समगल मल जग भरत चरन अनराग २६५

सीतापित सवक सवकाई कामधन सय सिरस सहाई

भरत भगित तमहर मन आई तजह सोच िबिध बात बनाई १

दख दवपित भरत भाऊ सहज सभाय िबबस रघराऊ

मन िथर करह दव डर नाही भरतिह जािन राम पिरछाही २

सनो सरगर सर समत सोच अतरजामी भिह सकोच

िनज िसर भार भरत िजय जाना करत कोिट िबिध उर अनमाना ३

किर िबचार मन दीनही ठीका राम रजायस आपन नीका

िनज पन तिज राखउ पन मोरा छोह सनह कीनह निह थोरा ४

दोहा कीनह अन ह अिमत अित सब िबिध सीतानाथ

किर नाम बोल भरत जोिर जलज जग हाथ २६६

कहौ कहावौ का अब सवामी कपा अबिनिध अतरजामी

गर सनन सािहब अनकला िमटी मिलन मन कलिपत सला १

अपडर डरउ न सोच समल रिबिह न दोस दव िदिस भल

मोर अभाग मात किटलाई िबिध गित िबषम काल किठनाई २

पाउ रोिप सब िमिल मोिह घाला नतपाल पन आपन पाला

यह नइ रीित न राउिर होई लोकह बद िबिदत निह गोई ३

जग अनभल भल एक गोसाई किहअ होइ भल कास भलाई

दउ दवतर सिरस सभाऊ सनमख िबमख न काहिह काऊ ४

दोहा जाइ िनकट पिहचािन तर छाह समिन सब सोच

मागत अिभमत पाव जग राउ रक भल पोच २६७

लिख सब िबिध गर सवािम सनह िमटउ छोभ निह मन सदह

रामचिरतमानस - 121 - अयोधयाकाड

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अब करनाकर कीिजअ सोई जन िहत भ िचत छोभ न होई १

जो सवक सािहबिह सकोची िनज िहत चहइ तास मित पोची

सवक िहत सािहब सवकाई कर सकल सख लोभ िबहाई २

सवारथ नाथ िफर सबही का िकए रजाइ कोिट िबिध नीका

यह सवारथ परमारथ सार सकल सकत फल सगित िसगार ३

दव एक िबनती सिन मोरी उिचत होइ तस करब बहोरी

ितलक समाज सािज सब आना किरअ सफल भ जौ मन माना ४

दोहा सानज पठइअ मोिह बन कीिजअ सबिह सनाथ नतर फिरअिह बध दोउ नाथ चलौ म साथ २६८

नतर जािह बन तीिनउ भाई बहिरअ सीय सिहत रघराई

जिह िबिध भ सनन मन होई करना सागर कीिजअ सोई १

दव दीनह सब मोिह अभार मोर नीित न धरम िबचार

कहउ बचन सब सवारथ हत रहत न आरत क िचत चत २

उतर दइ सिन सवािम रजाई सो सवक लिख लाज लजाई

अस म अवगन उदिध अगाध सवािम सनह सराहत साध ३

अब कपाल मोिह सो मत भावा सकच सवािम मन जाइ न पावा

भ पद सपथ कहउ सित भाऊ जग मगल िहत एक उपाऊ ४

दोहा भ सनन मन सकच तिज जो जिह आयस दब

सो िसर धिर धिर किरिह सब िमिटिह अनट अवरब २६९

भरत बचन सिच सिन सर हरष साध सरािह समन सर बरष

असमजस बस अवध नवासी मिदत मन तापस बनबासी १

चपिह रह रघनाथ सकोची भ गित दिख सभा सब सोची

जनक दत तिह अवसर आए मिन बिस सिन बिग बोलाए २

किर नाम ितनह राम िनहार बष दिख भए िनपट दखार

रामचिरतमानस - 122 - अयोधयाकाड

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दतनह मिनबर बझी बाता कहह िबदह भप कसलाता ३

सिन सकचाइ नाइ मिह माथा बोल चर बर जोर हाथा

बझब राउर सादर साई कसल हत सो भयउ गोसाई ४

दोहा नािह त कोसल नाथ क साथ कसल गइ नाथ

िमिथला अवध िबसष त जग सब भयउ अनाथ २७०

कोसलपित गित सिन जनकौरा भ सब लोक सोक बस बौरा

जिह दख तिह समय िबदह नाम सतय अस लाग न कह १

रािन कचािल सनत नरपालिह सझ न कछ जस मिन िबन बयालिह

भरत राज रघबर बनबास भा िमिथलसिह हदय हरास २

नप बझ बध सिचव समाज कहह िबचािर उिचत का आज

समिझ अवध असमजस दोऊ चिलअ िक रिहअ न कह कछ कोऊ ३

नपिह धीर धिर हदय िबचारी पठए अवध चतर चर चारी

बिझ भरत सित भाउ कभाऊ आएह बिग न होइ लखाऊ ४

दोहा गए अवध चर भरत गित बिझ दिख करतित

चल िच कटिह भरत चार चल तरहित २७१

दतनह आइ भरत कइ करनी जनक समाज जथामित बरनी

सिन गर पिरजन सिचव महीपित भ सब सोच सनह िबकल अित १

धिर धीरज किर भरत बड़ाई िलए सभट साहनी बोलाई

घर पर दस रािख रखवार हय गय रथ बह जान सवार २

दघरी सािध चल ततकाला िकए िब ाम न मग महीपाला

भोरिह आज नहाइ यागा चल जमन उतरन सब लागा ३

खबिर लन हम पठए नाथा ितनह किह अस मिह नायउ माथा

साथ िकरात छ सातक दीनह मिनबर तरत िबदा चर कीनह ४

रामचिरतमानस - 123 - अयोधयाकाड

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दोहा सनत जनक आगवन सब हरषउ अवध समाज

रघनदनिह सकोच बड़ सोच िबबस सरराज २७२

गरइ गलािन किटल ककई कािह कह किह दषन दई

अस मन आिन मिदत नर नारी भयउ बहोिर रहब िदन चारी १

एिह कार गत बासर सोऊ ात नहान लाग सब कोऊ

किर मजजन पजिह नर नारी गनप गौिर ितपरािर तमारी २

रमा रमन पद बिद बहोरी िबनविह अजिल अचल जोरी

राजा राम जानकी रानी आनद अविध अवध रजधानी ३

सबस बसउ िफिर सिहत समाजा भरतिह राम करह जबराजा

एिह सख सधा सीची सब काह दव दह जग जीवन लाह ४

दोहा गर समाज भाइनह सिहत राम राज पर होउ

अछत राम राजा अवध मिरअ माग सब कोउ २७३

सिन सनहमय परजन बानी िनदिह जोग िबरित मिन गयानी

एिह िबिध िनतयकरम किर परजन रामिह करिह नाम पलिक तन १

ऊच नीच मधयम नर नारी लहिह दरस िनज िनज अनहारी

सावधान सबही सनमानिह सकल सराहत कपािनधानिह २

लिरकाइिह त रघबर बानी पालत नीित ीित पिहचानी

सील सकोच िसध रघराऊ समख सलोचन सरल सभाऊ ३

कहत राम गन गन अनराग सब िनज भाग सराहन लाग

हम सम पनय पज जग थोर िजनहिह राम जानत किर मोर ४

दोहा म मगन तिह समय सब सिन आवत िमिथलस

सिहत सभा स म उठउ रिबकल कमल िदनस २७४

रामचिरतमानस - 124 - अयोधयाकाड

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भाइ सिचव गर परजन साथा आग गवन कीनह रघनाथा

िगिरबर दीख जनकपित जबही किर नाम रथ तयागउ तबही १

राम दरस लालसा उछाह पथ म लस कलस न काह

मन तह जह रघबर बदही िबन मन तन दख सख सिध कही २

आवत जनक चल एिह भाती सिहत समाज म मित माती

आए िनकट दिख अनराग सादर िमलन परसपर लाग ३

लग जनक मिनजन पद बदन िरिषनह नाम कीनह रघनदन

भाइनह सिहत राम िमिल राजिह चल लवाइ समत समाजिह ४

दोहा आ म सागर सात रस परन पावन पाथ

सन मनह करना सिरत िलए जािह रघनाथ २७५

बोरित गयान िबराग करार बचन ससोक िमलत नद नार

सोच उसास समीर तरगा धीरज तट तरबर कर भगा १

िबषम िबषाद तोरावित धारा भय म भवर अबतर अपारा

कवट बध िब ा बिड़ नावा सकिह न खइ ऐक निह आवा २

बनचर कोल िकरात िबचार थक िबलोिक पिथक िहय हार

आ म उदिध िमली जब जाई मनह उठउ अबिध अकलाई ३

सोक िबकल दोउ राज समाजा रहा न गयान न धीरज लाजा

भप रप गन सील सराही रोविह सोक िसध अवगाही ४ छद

अवगािह सोक सम सोचिह नािर नर बयाकल महा

द दोष सकल सरोष बोलिह बाम िबिध कीनहो कहा

सर िस तापस जोिगजन मिन दिख दसा िबदह की तलसी न समरथ कोउ जो तिर सक सिरत सनह की

सोरठा

िकए अिमत उपदस जह तह लोगनह मिनबरनह

रामचिरतमानस - 125 - अयोधयाकाड

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धीरज धिरअ नरस कहउ बिस िबदह सन २७६

जास गयान रिब भव िनिस नासा बचन िकरन मिन कमल िबकासा

तिह िक मोह ममता िनअराई यह िसय राम सनह बड़ाई १

िबषई साधक िस सयान ि िबध जीव जग बद बखान

राम सनह सरस मन जास साध सभा बड़ आदर तास २

सोह न राम पम िबन गयान करनधार िबन िजिम जलजान

मिन बहिबिध िबदह समझाए रामघाट सब लोग नहाए ३

सकल सोक सकल नर नारी सो बासर बीतउ िबन बारी

पस खग मगनह न कीनह अहार ि य पिरजन कर कौन िबचार ४

दोहा दोउ समाज िनिमराज रघराज नहान ात बठ सब बट िबटप तर मन मलीन कस गात २७७

ज मिहसर दसरथ पर बासी ज िमिथलापित नगर िनवासी

हस बस गर जनक परोधा िजनह जग मग परमारथ सोधा १

लग कहन उपदस अनका सिहत धरम नय िबरित िबबका

कौिसक किह किह कथा परानी समझाई सब सभा सबानी २

तब रघनाथ कोिसकिह कहऊ नाथ कािल जल िबन सब रहऊ

मिन कह उिचत कहत रघराई गयउ बीित िदन पहर अढ़ाई ३

िरिष रख लिख कह तरहितराज इहा उिचत निह असन अनाज

कहा भप भल सबिह सोहाना पाइ रजायस चल नहाना ४

दोहा तिह अवसर फल फल दल मल अनक कार

लइ आए बनचर िबपल भिर भिर काविर भार २७८

कामद म िगिर राम सादा अवलोकत अपहरत िबषादा

सर सिरता बन भिम िबभागा जन उमगत आनद अनरागा १

रामचिरतमानस - 126 - अयोधयाकाड

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बिल िबटप सब सफल सफला बोलत खग मग अिल अनकला

तिह अवसर बन अिधक उछाह ि िबध समीर सखद सब काह २

जाइ न बरिन मनोहरताई जन मिह करित जनक पहनाई

तब सब लोग नहाइ नहाई राम जनक मिन आयस पाई ३

दिख दिख तरबर अनराग जह तह परजन उतरन लाग

दल फल मल कद िबिध नाना पावन सदर सधा समाना ४

दोहा सादर सब कह रामगर पठए भिर भिर भार

पिज िपतर सर अितिथ गर लग करन फरहार २७९

एिह िबिध बासर बीत चारी राम िनरिख नर नािर सखारी

दह समाज अिस रिच मन माही िबन िसय राम िफरब भल नाही १

सीता राम सग बनबास कोिट अमरपर सिरस सपास

पिरहिर लखन राम बदही जिह घर भाव बाम िबिध तही २

दािहन दइउ होइ जब सबही राम समीप बिसअ बन तबही

मदािकिन मजजन ितह काला राम दरस मद मगल माला ३

अटन राम िगिर बन तापस थल असन अिमअ सम कद मल फल

सख समत सबत दइ साता पल सम होिह न जिनअिह जाता ४

दोहा एिह सख जोग न लोग सब कहिह कहा अस भाग

सहज सभाय समाज दह राम चरन अनराग २८०

एिह िबिध सकल मनोरथ करही बचन स म सनत मन हरही

सीय मात तिह समय पठाई दासी दिख सअवसर आई १

सावकास सिन सब िसय सास आयउ जनकराज रिनवास

कौसलया सादर सनमानी आसन िदए समय सम आनी २

सील सनह सकल दह ओरा विह दिख सिन किलस कठोरा

पलक िसिथल तन बािर िबलोचन मिह नख िलखन लगी सब सोचन३

रामचिरतमानस - 127 - अयोधयाकाड

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सब िसय राम ीित िक िस मरती जन करना बह बष िबसरित

सीय मात कह िबिध बिध बाकी जो पय फन फोर पिब टाकी ४

दोहा सिनअ सधा दिखअिह गरल सब करतित कराल

जह तह काक उलक बक मानस सकत मराल २८१

सिन ससोच कह दिब सिम ा िबिध गित बिड़ िबपरीत िबिच ा

जो सिज पालइ हरइ बहोरी बाल किल सम िबिध मित भोरी १

कौसलया कह दोस न काह करम िबबस दख सख छित लाह

किठन करम गित जान िबधाता जो सभ असभ सकल फल दाता २

ईस रजाइ सीस सबही क उतपित िथित लय िबषह अमी क

दिब मोह बस सोिचअ बादी िबिध पच अस अचल अनादी ३

भपित िजअब मरब उर आनी सोिचअ सिख लिख िनज िहत हानी

सीय मात कह सतय सबानी सकती अविध अवधपित रानी ४

दोहा लखन राम िसय जाह बन भल पिरनाम न पोच

गहबिर िहय कह कौिसला मोिह भरत कर सोच २८२

ईस साद असीस तमहारी सत सतबध दवसिर बारी

राम सपथ म कीनह न काऊ सो किर कहउ सखी सित भाऊ १

भरत सील गन िबनय बड़ाई भायप भगित भरोस भलाई

कहत सारदह कर मित हीच सागर सीप िक जािह उलीच २

जानउ सदा भरत कलदीपा बार बार मोिह कहउ महीपा

कस कनक मिन पािरिख पाए परष पिरिखअिह समय सभाए ३

अनिचत आज कहब अस मोरा सोक सनह सयानप थोरा

सिन सरसिर सम पाविन बानी भई सनह िबकल सब रानी ४

रामचिरतमानस - 128 - अयोधयाकाड

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दोहा कौसलया कह धीर धिर सनह दिब िमिथलिस को िबबकिनिध बललभिह तमहिह सकइ उपदिस २८३

रािन राय सन अवसर पाई अपनी भाित कहब समझाई

रिखअिह लखन भरत गबनिह बन जौ यह मत मान महीप मन १

तौ भल जतन करब सिबचारी मोर सौच भरत कर भारी

गढ़ सनह भरत मन माही रह नीक मोिह लागत नाही २

लिख सभाउ सिन सरल सबानी सब भइ मगन करन रस रानी

नभ सन झिर धनय धनय धिन िसिथल सनह िस जोगी मिन ३

सब रिनवास िबथिक लिख रहऊ तब धिर धीर सिम ा कहऊ

दिब दड जग जािमिन बीती राम मात सनी उठी स ीती ४

दोहा बिग पाउ धािरअ थलिह कह सनह सितभाय

हमर तौ अब ईस गित क िमिथलस सहाय २८४

लिख सनह सिन बचन िबनीता जनकि या गह पाय पनीता

दिब उिचत अिस िबनय तमहारी दसरथ घिरिन राम महतारी १

भ अपन नीचह आदरही अिगिन धम िगिर िसर ितन धरही

सवक राउ करम मन बानी सदा सहाय महस भवानी २

रउर अग जोग जग को ह दीप सहाय िक िदनकर सोह

राम जाइ बन किर सर काज अचल अवधपर किरहिह राज ३

अमर नाग नर राम बाहबल सख बिसहिह अपन अपन थल

यह सब जागबिलक किह राखा दिब न होइ मधा मिन भाषा ४

दोहा अस किह पग पिर पम अित िसय िहत िबनय सनाइ

िसय समत िसयमात तब चली सआयस पाइ २८५

रामचिरतमानस - 129 - अयोधयाकाड

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ि य पिरजनिह िमली बदही जो जिह जोग भाित तिह तही

तापस बष जानकी दखी भा सब िबकल िबषाद िबसषी १

जनक राम गर आयस पाई चल थलिह िसय दखी आई

लीिनह लाइ उर जनक जानकी पाहन पावन पम ान की २

उर उमगउ अबिध अनराग भयउ भप मन मनह पयाग

िसय सनह बट बाढ़त जोहा ता पर राम पम िसस सोहा ३

िचरजीवी मिन गयान िबकल जन बड़त लहउ बाल अवलबन

मोह मगन मित निह िबदह की मिहमा िसय रघबर सनह की ४

दोहा िसय िपत मात सनह बस िबकल न सकी सभािर

धरिनसता धीरज धरउ समउ सधरम िबचािर २८६

तापस बष जनक िसय दखी भयउ पम पिरतोष िबसषी

पि पिव िकए कल दोऊ सजस धवल जग कह सब कोऊ १

िजित सरसिर कीरित सिर तोरी गवन कीनह िबिध अड करोरी

गग अविन थल तीिन बड़र एिह िकए साध समाज घनर २

िपत कह सतय सनह सबानी सीय सकच मह मनह समानी

पिन िपत मात लीनह उर लाई िसख आिसष िहत दीिनह सहाई ३

कहित न सीय सकिच मन माही इहा बसब रजनी भल नाही

लिख रख रािन जनायउ राऊ हदय सराहत सील सभाऊ ४

दोहा बार बार िमिल भट िसय िबदा कीनह सनमािन

कही समय िसर भरत गित रािन सबािन सयािन २८७

सिन भपाल भरत बयवहार सोन सगध सधा सिस सार

मद सजल नयन पलक तन सजस सराहन लग मिदत मन १

सावधान सन समिख सलोचिन भरत कथा भव बध िबमोचिन

धरम राजनय िबचार इहा जथामित मोर चार २

रामचिरतमानस - 130 - अयोधयाकाड

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सो मित मोिर भरत मिहमाही कह काह छिल छअित न छाही

िबिध गनपित अिहपित िसव सारद किब कोिबद बध बि िबसारद ३

भरत चिरत कीरित करतती धरम सील गन िबमल िबभती

समझत सनत सखद सब काह सिच सरसिर रिच िनदर सधाह ४

दोहा िनरविध गन िनरपम परष भरत भरत सम जािन

किहअ समर िक सर सम किबकल मित सकचािन २८८

अगम सबिह बरनत बरबरनी िजिम जलहीन मीन गम धरनी

भरत अिमत मिहमा सन रानी जानिह राम न सकिह बखानी १

बरिन स म भरत अनभाऊ ितय िजय की रिच लिख कह राऊ

बहरिह लखन भरत बन जाही सब कर भल सब क मन माही २

दिब परत भरत रघबर की ीित तीित जाइ निह तरकी

भरत अविध सनह ममता की ज िप राम सीम समता की ३

परमारथ सवारथ सख सार भरत न सपनह मनह िनहार

साधन िस राम पग नह मोिह लिख परत भरत मत एह ४

दोहा भोरह भरत न पिलहिह मनसह राम रजाइ

किरअ न सोच सनह बस कहउ भप िबलखाइ २८९

राम भरत गन गनत स ीती िनिस दपितिह पलक सम बीती

राज समाज ात जग जाग नहाइ नहाइ सर पजन लाग १

ग नहाइ गर पही रघराई बिद चरन बोल रख पाई

नाथ भरत परजन महतारी सोक िबकल बनबास दखारी २

सिहत समाज राउ िमिथलस बहत िदवस भए सहत कलस

उिचत होइ सोइ कीिजअ नाथा िहत सबही कर रौर हाथा ३

अस किह अित सकच रघराऊ मिन पलक लिख सील सभाऊ

तमह िबन राम सकल सख साजा नरक सिरस दह राज समाजा ४

रामचिरतमानस - 131 - अयोधयाकाड

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दोहा

ान ान क जीव क िजव सख क सख राम

तमह तिज तात सोहात गह िजनहिह ितनहिह िबिध बाम २९०

सो सख करम धरम जिर जाऊ जह न राम पद पकज भाऊ

जोग कजोग गयान अगयान जह निह राम पम परधान १

तमह िबन दखी सखी तमह तही तमह जानह िजय जो जिह कही

राउर आयस िसर सबही क िबिदत कपालिह गित सब नीक २

आप आ मिह धािरअ पाऊ भयउ सनह िसिथल मिनराऊ

किर नाम तब राम िसधाए िरिष धिर धीर जनक पिह आए ३

राम बचन गर नपिह सनाए सील सनह सभाय सहाए

महाराज अब कीिजअ सोई सब कर धरम सिहत िहत होई ४

दोहा गयान िनधान सजान सिच धरम धीर नरपाल

तमह िबन असमजस समन को समरथ एिह काल २९१

सिन मिन बचन जनक अनराग लिख गित गयान िबराग िबराग

िसिथल सनह गनत मन माही आए इहा कीनह भल नाही १

रामिह राय कहउ बन जाना कीनह आप ि य म वाना

हम अब बन त बनिह पठाई मिदत िफरब िबबक बड़ाई २

तापस मिन मिहसर सिन दखी भए म बस िबकल िबसषी

समउ समिझ धिर धीरज राजा चल भरत पिह सिहत समाजा ३

भरत आइ आग भइ लीनह अवसर सिरस सआसन दीनह

तात भरत कह तरहित राऊ तमहिह िबिदत रघबीर सभाऊ ४

दोहा राम सतय त धरम रत सब कर सील सनह

सकट सहत सकोच बस किहअ जो आयस दह २९२

रामचिरतमानस - 132 - अयोधयाकाड

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सिन तन पलिक नयन भिर बारी बोल भरत धीर धिर भारी

भ ि य पजय िपता सम आप कलगर सम िहत माय न बाप १

कौिसकािद मिन सिचव समाज गयान अबिनिध आपन आज

िसस सवक आयस अनगामी जािन मोिह िसख दइअ सवामी २

एिह समाज थल बझब राउर मौन मिलन म बोलब बाउर

छोट बदन कहउ बिड़ बाता छमब तात लिख बाम िबधाता ३

आगम िनगम िस पराना सवाधरम किठन जग जाना

सवािम धरम सवारथिह िबरोध बर अध मिह न बोध ४

दोहा रािख राम रख धरम त पराधीन मोिह जािन

सब क समत सबर िहत किरअ पम पिहचािन २९३

भरत बचन सिन दिख सभाऊ सिहत समाज सराहत राऊ

सगम अगम मद मज कठोर अरथ अिमत अित आखर थोर १

जयौ मख मकर मकर िनज पानी गिह न जाइ अस अदभत बानी

भप भरत मिन सिहत समाज ग जह िबबध कमद ि जराज २

सिन सिध सोच िबकल सब लोगा मनह मीनगन नव जल जोगा

दव थम कलगर गित दखी िनरिख िबदह सनह िबसषी ३

राम भगितमय भरत िनहार सर सवारथी हहिर िहय हार

सब कोउ राम पममय पखा भउ अलख सोच बस लखा ४

दोहा राम सनह सकोच बस कह ससोच सरराज

रचह पचिह पच िमिल नािह त भयउ अकाज २९४

सरनह सिमिर सारदा सराही दिब दव सरनागत पाही

फिर भरत मित किर िनज माया पाल िबबध कल किर छल छाया १

िबबध िबनय सिन दिब सयानी बोली सर सवारथ जड़ जानी

रामचिरतमानस - 133 - अयोधयाकाड

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मो सन कहह भरत मित फर लोचन सहस न सझ समर २

िबिध हिर हर माया बिड़ भारी सोउ न भरत मित सकइ िनहारी

सो मित मोिह कहत कर भोरी चिदिन कर िक चडकर चोरी ३

भरत हदय िसय राम िनवास तह िक ितिमर जह तरिन कास

अस किह सारद गइ िबिध लोका िबबध िबकल िनिस मानह कोका ४

दोहा सर सवारथी मलीन मन कीनह कम कठाट

रिच पच माया बल भय म अरित उचाट २९५

किर कचािल सोचत सरराज भरत हाथ सब काज अकाज

गए जनक रघनाथ समीपा सनमान सब रिबकल दीपा १

समय समाज धरम अिबरोधा बोल तब रघबस परोधा

जनक भरत सबाद सनाई भरत कहाउित कही सहाई २

तात राम जस आयस दह सो सब कर मोर मत एह

सिन रघनाथ जोिर जग पानी बोल सतय सरल मद बानी ३

िब मान आपिन िमिथलस मोर कहब सब भाित भदस

राउर राय रजायस होई राउिर सपथ सही िसर सोई ४

दोहा राम सपथ सिन मिन जनक सकच सभा समत सकल िबलोकत भरत मख बनइ न उतर दत २९६

सभा सकच बस भरत िनहारी रामबध धिर धीरज भारी

कसमउ दिख सनह सभारा बढ़त िबिध िजिम घटज िनवारा १

सोक कनकलोचन मित छोनी हरी िबमल गन गन जगजोनी

भरत िबबक बराह िबसाला अनायास उधरी तिह काला २

किर नाम सब कह कर जोर राम राउ गर साध िनहोर

छमब आज अित अनिचत मोरा कहउ बदन मद बचन कठोरा ३

िहय सिमरी सारदा सहाई मानस त मख पकज आई

रामचिरतमानस - 134 - अयोधयाकाड

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िबमल िबबक धरम नय साली भरत भारती मज मराली ४

दोहा िनरिख िबबक िबलोचनिनह िसिथल सनह समाज

किर नाम बोल भरत सिमिर सीय रघराज २९७

भ िपत मात स द गर सवामी पजय परम िहत अतरजामी

सरल ससािहब सील िनधान नतपाल सबरगय सजान १

समरथ सरनागत िहतकारी गनगाहक अवगन अघ हारी

सवािम गोसाइिह सिरस गोसाई मोिह समान म साइ दोहाई २

भ िपत बचन मोह बस पली आयउ इहा समाज सकली

जग भल पोच ऊच अर नीच अिमअ अमरपद माहर मीच ३

राम रजाइ मट मन माही दखा सना कतह कोउ नाही

सो म सब िबिध कीिनह िढठाई भ मानी सनह सवकाई ४

दोहा कपा भलाई आपनी नाथ कीनह भल मोर

दषन भ भषन सिरस सजस चार चह ओर २९८

राउिर रीित सबािन बड़ाई जगत िबिदत िनगमागम गाई

कर किटल खल कमित कलकी नीच िनसील िनरीस िनसकी १

तउ सिन सरन सामह आए सकत नाम िकह अपनाए

दिख दोष कबह न उर आन सिन गन साध समाज बखान २

को सािहब सवकिह नवाजी आप समाज साज सब साजी

िनज करतित न समिझअ सपन सवक सकच सोच उर अपन ३

सो गोसाइ निह दसर कोपी भजा उठाइ कहउ पन रोपी

पस नाचत सक पाठ बीना गन गित नट पाठक आधीना ४

दोहा यो सधािर सनमािन जन िकए साध िसरमोर

रामचिरतमानस - 135 - अयोधयाकाड

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को कपाल िबन पािलह िबिरदाविल बरजोर २९९

सोक सनह िक बाल सभाए आयउ लाइ रजायस बाए

तबह कपाल हिर िनज ओरा सबिह भाित भल मानउ मोरा १

दखउ पाय समगल मला जानउ सवािम सहज अनकला

बड़ समाज िबलोकउ भाग बड़ी चक सािहब अनराग २

कपा अन ह अग अघाई कीिनह कपािनिध सब अिधकाई

राखा मोर दलार गोसाई अपन सील सभाय भलाई ३

नाथ िनपट म कीिनह िढठाई सवािम समाज सकोच िबहाई

अिबनय िबनय जथारिच बानी छिमिह दउ अित आरित जानी ४

दोहा स द सजान ससािहबिह बहत कहब बिड़ खोिर

आयस दइअ दव अब सबइ सधारी मोिर ३००

भ पद पदम पराग दोहाई सतय सकत सख सीव सहाई

सो किर कहउ िहए अपन की रिच जागत सोवत सपन की १

सहज सनह सवािम सवकाई सवारथ छल फल चािर िबहाई

अगया सम न ससािहब सवा सो साद जन पाव दवा २

अस किह म िबबस भए भारी पलक सरीर िबलोचन बारी

भ पद कमल गह अकलाई समउ सनह न सो किह जाई ३

कपािसध सनमािन सबानी बठाए समीप गिह पानी

भरत िबनय सिन दिख सभाऊ िसिथल सनह सभा रघराऊ ४ छद

रघराउ िसिथल सनह साध समाज मिन िमिथला धनी

मन मह सराहत भरत भायप भगित की मिहमा घनी

भरतिह ससत िबबध बरषत समन मानस मिलन स

तलसी िबकल सब लोग सिन सकच िनसागम निलन स

रामचिरतमानस - 136 - अयोधयाकाड

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सोरठा दिख दखारी दीन दह समाज नर नािर सब

मघवा महा मलीन मए मािर मगल चहत ३०१

कपट कचािल सीव सरराज पर अकाज ि य आपन काज

काक समान पाकिरप रीती छली मलीन कतह न तीती १

थम कमत किर कपट सकला सो उचाट सब क िसर मला

सरमाया सब लोग िबमोह राम म अितसय न िबछोह २

भय उचाट बस मन िथर नाही छन बन रिच छन सदन सोहाही

दिबध मनोगित जा दखारी सिरत िसध सगम जन बारी ३

दिचत कतह पिरतोष न लहही एक एक सन मरम न कहही

लिख िहय हिस कह कपािनधान सिरस सवान मघवान जबान ४

दोहा भरत जनक मिनजन सिचव साध सचत िबहाइ

लािग दवमाया सबिह जथाजोग जन पाइ ३०२

कपािसध लिख लोग दखार िनज स नह सरपित छल भार

सभा राउ गर मिहसर म ी भरत भगित सब क मित ज ी १

रामिह िचतवत िच िलख स सकचत बोलत बचन िसख स

भरत ीित नित िबनय बड़ाई सनत सखद बरनत किठनाई २

जास िबलोिक भगित लवलस म मगन मिनगन िमिथलस

मिहमा तास कह िकिम तलसी भगित सभाय समित िहय हलसी ३

आप छोिट मिहमा बिड़ जानी किबकल कािन मािन सकचानी

किह न सकित गन रिच अिधकाई मित गित बाल बचन की नाई ४

दोहा भरत िबमल जस िबमल िबध समित चकोरकमािर

उिदत िबमल जन हदय नभ एकटक रही िनहािर ३०३

रामचिरतमानस - 137 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ न सगम िनगमह लघ मित चापलता किब छमह

कहत सनत सित भाउ भरत को सीय राम पद होइ न रत को १

सिमरत भरतिह म राम को जिह न सलभ तिह सिरस बाम को

दिख दयाल दसा सबही की राम सजान जािन जन जी की २

धरम धरीन धीर नय नागर सतय सनह सील सख सागर

दस काल लिख समउ समाज नीित ीित पालक रघराज ३

बोल बचन बािन सरबस स िहत पिरनाम सनत सिस रस स

तात भरत तमह धरम धरीना लोक बद िबद म बीना ४

दोहा करम बचन मानस िबमल तमह समान तमह तात

गर समाज लघ बध गन कसमय िकिम किह जात ३०४

जानह तात तरिन कल रीती सतयसध िपत कीरित ीती

समउ समाज लाज गरजन की उदासीन िहत अनिहत मन की १

तमहिह िबिदत सबही कर करम आपन मोर परम िहत धरम

मोिह सब भाित भरोस तमहारा तदिप कहउ अवसर अनसारा २

तात तात िबन बात हमारी कवल गरकल कपा सभारी

नतर जा पिरजन पिरवार हमिह सिहत सब होत खआर ३

जौ िबन अवसर अथव िदनस जग किह कहह न होइ कलस

तस उतपात तात िबिध कीनहा मिन िमिथलस रािख सब लीनहा ४

दोहा राज काज सब लाज पित धरम धरिन धन धाम

गर भाउ पािलिह सबिह भल होइिह पिरनाम ३०५

सिहत समाज तमहार हमारा घर बन गर साद रखवारा

मात िपता गर सवािम िनदस सकल धरम धरनीधर सस १

सो तमह करह करावह मोह तात तरिनकल पालक होह

साधक एक सकल िसिध दनी कीरित सगित भितमय बनी २

रामचिरतमानस - 138 - अयोधयाकाड

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सो िबचािर सिह सकट भारी करह जा पिरवार सखारी

बाटी िबपित सबिह मोिह भाई तमहिह अविध भिर बिड़ किठनाई ३

जािन तमहिह मद कहउ कठोरा कसमय तात न अनिचत मोरा

होिह कठाय सबध सहाए ओिड़अिह हाथ असिनह क घाए ४

दोहा सवक कर पद नयन स मख सो सािहब होइ

तलसी ीित िक रीित सिन सकिब सराहिह सोइ ३०६

सभा सकल सिन रघबर बानी म पयोिध अिमअ जन सानी

िसिथल समाज सनह समाधी दिख दसा चप सारद साधी १

भरतिह भयउ परम सतोष सनमख सवािम िबमख दख दोष

मख सनन मन िमटा िबषाद भा जन गगिह िगरा साद २

कीनह स म नाम बहोरी बोल पािन पकरह जोरी

नाथ भयउ सख साथ गए को लहउ लाह जग जनम भए को ३

अब कपाल जस आयस होई करौ सीस धिर सादर सोई

सो अवलब दव मोिह दई अविध पार पावौ जिह सई ४

दोहा दव दव अिभषक िहत गर अनसासन पाइ

आनउ सब तीरथ सिलल तिह कह काह रजाइ ३०७

एक मनोरथ बड़ मन माही सभय सकोच जात किह नाही

कहह तात भ आयस पाई बोल बािन सनह सहाई १

िच कट सिच थल तीरथ बन खग मग सर सिर िनझरर िगिरगन

भ पद अिकत अविन िबसषी आयस होइ त आवौ दखी २

अविस अि आयस िसर धरह तात िबगतभय कानन चरह

मिन साद बन मगल दाता पावन परम सहावन ाता ३

िरिषनायक जह आयस दही राखह तीरथ जल थल तही

सिन भ बचन भरत सख पावा मिन पद कमल मिदत िसर नावा ४

रामचिरतमानस - 139 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत राम सबाद सिन सकल समगल मल

सर सवारथी सरािह कल बरषत सरतर फल ३०८

धनय भरत जय राम गोसाई कहत दव हरषत बिरआई

मिन िमिथलस सभा सब काह भरत बचन सिन भयउ उछाह १

भरत राम गन ाम सनह पलिक ससत राउ िबदह

सवक सवािम सभाउ सहावन नम पम अित पावन पावन २

मित अनसार सराहन लाग सिचव सभासद सब अनराग

सिन सिन राम भरत सबाद दह समाज िहय हरष िबषाद ३

राम मात दख सख सम जानी किह गन राम बोधी रानी

एक कहिह रघबीर बड़ाई एक सराहत भरत भलाई ४

दोहा अि कहउ तब भरत सन सल समीप सकप

रािखअ तीरथ तोय तह पावन अिमअ अनप ३०९

भरत अि अनसासन पाई जल भाजन सब िदए चलाई

सानज आप अि मिन साध सिहत गए जह कप अगाध १

पावन पाथ पनयथल राखा मिदत म अि अस भाषा

तात अनािद िस थल एह लोपउ काल िबिदत निह कह २

तब सवकनह सरस थल दखा िकनह सजल िहत कप िबसषा

िबिध बस भयउ िबसव उपकार सगम अगम अित धरम िबचार ३

भरतकप अब किहहिह लोगा अित पावन तीरथ जल जोगा

म सनम िनमजजत ानी होइहिह िबमल करम मन बानी ४

दोहा कहत कप मिहमा सकल गए जहा रघराउ

अि सनायउ रघबरिह तीरथ पनय भाउ ३१०

रामचिरतमानस - 140 - अयोधयाकाड

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कहत धरम इितहास स ीती भयउ भोर िनिस सो सख बीती

िनतय िनबािह भरत दोउ भाई राम अि गर आयस पाई १

सिहत समाज साज सब साद चल राम बन अटन पयाद

कोमल चरन चलत िबन पनही भइ मद भिम सकिच मन मनही २

कस कटक काकरी कराई कटक कठोर कबसत दराई

मिह मजल मद मारग कीनह बहत समीर ि िबध सख लीनह ३

समन बरिष सर घन किर छाही िबटप फिल फिल तन मदताही

मग िबलोिक खग बोिल सबानी सविह सकल राम ि य जानी ४

दोहा सलभ िसि सब ाकतह राम कहत जमहात

राम ान ि य भरत कह यह न होइ बिड़ बात ३११

एिह िबिध भरत िफरत बन माही नम म लिख मिन सकचाही

पनय जला य भिम िबभागा खग मग तर तन िगिर बन बागा १

चार िबिच पिब िबसषी बझत भरत िदबय सब दखी

सिन मन मिदत कहत िरिषराऊ हत नाम गन पनय भाऊ २

कतह िनमजजन कतह नामा कतह िबलोकत मन अिभरामा

कतह बिठ मिन आयस पाई सिमरत सीय सिहत दोउ भाई ३

दिख सभाउ सनह सस वा दिह असीस मिदत बनदवा

िफरिह गए िदन पहर अढ़ाई भ पद कमल िबलोकिह आई ४

दोहा दख थल तीरथ सकल भरत पाच िदन माझ

कहत सनत हिर हर सजस गयउ िदवस भइ साझ ३१२

भोर नहाइ सब जरा समाज भरत भिमसर तरहित राज

भल िदन आज जािन मन माही राम कपाल कहत सकचाही १

गर नप भरत सभा अवलोकी सकिच राम िफिर अविन िबलोकी

रामचिरतमानस - 141 - अयोधयाकाड

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सील सरािह सभा सब सोची कह न राम सम सवािम सकोची २

भरत सजान राम रख दखी उिठ स म धिर धीर िबसषी

किर दडवत कहत कर जोरी राखी नाथ सकल रिच मोरी ३

मोिह लिग सहउ सबिह सताप बहत भाित दख पावा आप

अब गोसाइ मोिह दउ रजाई सवौ अवध अविध भिर जाई ४

दोहा जिह उपाय पिन पाय जन दख दीनदयाल

सो िसख दइअ अविध लिग कोसलपाल कपाल ३१३

परजन पिरजन जा गोसाई सब सिच सरस सनह सगाई

राउर बिद भल भव दख दाह भ िबन बािद परम पद लाह १

सवािम सजान जािन सब ही की रिच लालसा रहिन जन जी की

नतपाल पािलिह सब काह दउ दह िदिस ओर िनबाह २

अस मोिह सब िबिध भिर भरोसो िकए िबचार न सोच खरो सो

आरित मोर नाथ कर छोह दह िमिल कीनह ढीठ हिठ मोह ३

यह बड़ दोष दिर किर सवामी तिज सकोच िसखइअ अनगामी

भरत िबनय सिन सबिह ससी खीर नीर िबबरन गित हसी ४

दोहा दीनबध सिन बध क बचन दीन छलहीन

दस काल अवसर सिरस बोल राम बीन ३१४

तात तमहािर मोिर पिरजन की िचता गरिह नपिह घर बन की

माथ पर गर मिन िमिथलस हमिह तमहिह सपनह न कलस १

मोर तमहार परम परषारथ सवारथ सजस धरम परमारथ

िपत आयस पािलिह दह भाई लोक बद भल भप भलाई २

गर िपत मात सवािम िसख पाल चलह कमग पग परिह न खाल

अस िबचािर सब सोच िबहाई पालह अवध अविध भिर जाई ३

दस कोस पिरजन पिरवार गर पद रजिह लाग छरभार

रामचिरतमानस - 142 - अयोधयाकाड

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तमह मिन मात सिचव िसख मानी पालह पहिम जा रजधानी ४

दोहा मिखआ मख सो चािहऐ खान पान कह एक

पालइ पोषइ सकल अग तलसी सिहत िबबक ३१५

राजधरम सरबस एतनोई िजिम मन माह मनोरथ गोई

बध बोध कीनह बह भाती िबन अधार मन तोष न साती १

भरत सील गर सिचव समाज सकच सनह िबबस रघराज

भ किर कपा पावरी दीनही सादर भरत सीस धिर लीनही २

चरनपीठ करनािनधान क जन जग जािमक जा ान क

सपट भरत सनह रतन क आखर जग जन जीव जतन क ३

कल कपाट कर कसल करम क िबमल नयन सवा सधरम क

भरत मिदत अवलब लह त अस सख जस िसय राम रह त ४

दोहा मागउ िबदा नाम किर राम िलए उर लाइ

लोग उचाट अमरपित किटल कअवसर पाइ ३१६

सो कचािल सब कह भइ नीकी अविध आस सम जीविन जी की

नतर लखन िसय सम िबयोगा हहिर मरत सब लोग करोगा १

रामकपा अवरब सधारी िबबध धािर भइ गनद गोहारी

भटत भज भिर भाइ भरत सो राम म रस किह न परत सो २

तन मन बचन उमग अनरागा धीर धरधर धीरज तयागा

बािरज लोचन मोचत बारी दिख दसा सर सभा दखारी ३

मिनगन गर धर धीर जनक स गयान अनल मन कस कनक स

ज िबरिच िनरलप उपाए पदम प िजिम जग जल जाए ४

दोहा तउ िबलोिक रघबर भरत ीित अनप अपार

रामचिरतमानस - 143 - अयोधयाकाड

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भए मगन मन तन बचन सिहत िबराग िबचार ३१७

जहा जनक गर मित भोरी ाकत ीित कहत बिड़ खोरी

बरनत रघबर भरत िबयोग सिन कठोर किब जािनिह लोग १

सो सकोच रस अकथ सबानी समउ सनह सिमिर सकचानी

भिट भरत रघबर समझाए पिन िरपदवन हरिष िहय लाए २

सवक सिचव भरत रख पाई िनज िनज काज लग सब जाई

सिन दारन दख दह समाजा लग चलन क साजन साजा ३

भ पद पदम बिद दोउ भाई चल सीस धिर राम रजाई

मिन तापस बनदव िनहोरी सब सनमािन बहोिर बहोरी ४

दोहा लखनिह भिट नाम किर िसर धिर िसय पद धिर

चल स म असीस सिन सकल समगल मिर ३१८

सानज राम नपिह िसर नाई कीिनह बहत िबिध िबनय बड़ाई

दव दया बस बड़ दख पायउ सिहत समाज काननिह आयउ १

पर पग धािरअ दइ असीसा कीनह धीर धिर गवन महीसा

मिन मिहदव साध सनमान िबदा िकए हिर हर सम जान २

सास समीप गए दोउ भाई िफर बिद पग आिसष पाई

कौिसक बामदव जाबाली परजन पिरजन सिचव सचाली ३

जथा जोग किर िबनय नामा िबदा िकए सब सानज रामा

नािर परष लघ मधय बड़र सब सनमािन कपािनिध फर ४

दोहा भरत मात पद बिद भ सिच सनह िमिल भिट

िबदा कीनह सिज पालकी सकच सोच सब मिट ३१९

पिरजन मात िपतिह िमिल सीता िफरी ानि य म पनीता

किर नाम भटी सब सास ीित कहत किब िहय न हलास १

रामचिरतमानस - 144 - अयोधयाकाड

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सिन िसख अिभमत आिसष पाई रही सीय दह ीित समाई

रघपित पट पालकी मगाई किर बोध सब मात चढ़ाई २

बार बार िहिल िमिल दह भाई सम सनह जननी पहचाई

सािज बािज गज बाहन नाना भरत भप दल कीनह पयाना ३

हदय राम िसय लखन समता चल जािह सब लोग अचता

बसह बािज गज पस िहय हार चल जािह परबस मन मार ४

दोहा गर गरितय पद बिद भ सीता लखन समत

िफर हरष िबसमय सिहत आए परन िनकत ३२०

िबदा कीनह सनमािन िनषाद चलउ हदय बड़ िबरह िबषाद

कोल िकरात िभलल बनचारी फर िफर जोहािर जोहारी १

भ िसय लखन बिठ बट छाही ि य पिरजन िबयोग िबलखाही

भरत सनह सभाउ सबानी ि या अनज सन कहत बखानी २

ीित तीित बचन मन करनी ीमख राम म बस बरनी

तिह अवसर खग मग जल मीना िच कट चर अचर मलीना ३

िबबध िबलोिक दसा रघबर की बरिष समन किह गित घर घर की

भ नाम किर दीनह भरोसो चल मिदत मन डर न खरो सो ४

दोहा सानज सीय समत भ राजत परन कटीर

भगित गयान बरागय जन सोहत धर सरीर ३२१

मिन मिहसर गर भरत भआल राम िबरह सब साज िबहाल

भ गन ाम गनत मन माही सब चपचाप चल मग जाही १

जमना उतिर पार सब भयऊ सो बासर िबन भोजन गयऊ

उतिर दवसिर दसर बास रामसखा सब कीनह सपास २

सई उतिर गोमती नहाए चौथ िदवस अवधपर आए

जनक रह पर बासर चारी राज काज सब साज सभारी ३

रामचिरतमानस - 145 - अयोधयाकाड

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सौिप सिचव गर भरतिह राज तरहित चल सािज सब साज

नगर नािर नर गर िसख मानी बस सखन राम रजधानी ४

दोहा राम दरस लिग लोग सब करत नम उपबास

तिज तिज भषन भोग सख िजअत अविध की आस ३२२

सिचव ससवक भरत बोध िनज िनज काज पाइ पाइ िसख ओध

पिन िसख दीनह बोिल लघ भाई सौपी सकल मात सवकाई १

भसर बोिल भरत कर जोर किर नाम बय िबनय िनहोर

ऊच नीच कारज भल पोच आयस दब न करब सकोच २

पिरजन परजन जा बोलाए समाधान किर सबस बसाए

सानज ग गर गह बहोरी किर दडवत कहत कर जोरी ३

आयस होइ त रहौ सनमा बोल मिन तन पलिक सपमा

समझव कहब करब तमह जोई धरम सार जग होइिह सोई ४

दोहा सिन िसख पाइ असीस बिड़ गनक बोिल िदन सािध

िसघासन भ पादका बठार िनरपािध ३२३

राम मात गर पद िसर नाई भ पद पीठ रजायस पाई

निदगाव किर परन कटीरा कीनह िनवास धरम धर धीरा १

जटाजट िसर मिनपट धारी मिह खिन कस साथरी सवारी

असन बसन बासन त नमा करत किठन िरिषधरम स मा २

भषन बसन भोग सख भरी मन तन बचन तज ितन तरी

अवध राज सर राज िसहाई दसरथ धन सिन धनद लजाई ३

तिह पर बसत भरत िबन रागा चचरीक िजिम चपक बागा

रमा िबलास राम अनरागी तजत बमन िजिम जन बड़भागी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 146 - अयोधयाकाड

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राम पम भाजन भरत बड़ न एिह करतित

चातक हस सरािहअत टक िबबक िबभित ३२४

दह िदनह िदन दबिर होई घटइ तज बल मखछिब सोई

िनत नव राम म पन पीना बढ़त धरम दल मन न मलीना १

िजिम जल िनघटत सरद कास िबलसत बतस बनज िबकास

सम दम सजम िनयम उपासा नखत भरत िहय िबमल अकासा २

व िबसवास अविध राका सी सवािम सरित सरबीिथ िबकासी

राम पम िबध अचल अदोषा सिहत समाज सोह िनत चोखा ३

भरत रहिन समझिन करतती भगित िबरित गन िबमल िबभती

बरनत सकल सकिच सकचाही सस गनस िगरा गम नाही ४

दोहा िनत पजत भ पावरी ीित न हदय समाित

मािग मािग आयस करत राज काज बह भाित ३२५

पलक गात िहय िसय रघबीर जीह नाम जप लोचन नीर

लखन राम िसय कानन बसही भरत भवन बिस तप तन कसही १

दोउ िदिस समिझ कहत सब लोग सब िबिध भरत सराहन जोग

सिन त नम साध सकचाही दिख दसा मिनराज लजाही २

परम पनीत भरत आचरन मधर मज मद मगल करन

हरन किठन किल कलष कलस महामोह िनिस दलन िदनस ३

पाप पज कजर मगराज समन सकल सताप समाज

जन रजन भजन भव भार राम सनह सधाकर सार ४ छद

िसय राम म िपयष परन होत जनम न भरत को

मिन मन अगम जम िनयम सम दम िबषम त आचरत को

दख दाह दािरद दभ दषन सजस िमस अपहरत को

किलकाल तलसी स सठिनह हिठ राम सनमख करत को

रामचिरतमानस - 147 - अयोधयाकाड

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सोरठा

भरत चिरत किर नम तलसी जो सादर सनिह

सीय राम पद पम अविस होइ भव रस िबरित ३२६

मासपारायण इककीसवा िव ाम

इित ीम ामचिरतमानस सकलकिलकलषिवधवसन ि तीयः सोपानः समा ः

अयोधयाकाणड समा

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रामचिरतमानस - 2 - अयोधयाकाड

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ीगणशाय नमः

ीरामचिरतमानस ि तीय सोपान

अयोधयाकाणड

ोक

यसयाङक च िवभाित भधरसता दवापगा मसतक

भाल बालिवधगरल च गरल यसयोरिस वयालराट

सोऽय भितिवभषणः सरवरः सवारिधपः सवरदा शवरः सवरगतः िशवः शिशिनभः ीशङकरः पात माम १

सननता या न गतािभषकतसतथा न ममल वनवासदःखतः

मखामबज ी रघननदनसय म सदासत सा मञजलमगल दा २

नीलामबजशयामलकोमलाङग सीतासमारोिपतवामभागम

पाणौ महासायकचारचाप नमािम राम रघवशनाथम ३

दोहा ीगर चरन सरोज रज िनज मन मकर सधािर

बरनउ रघबर िबमल जस जो दायक फल चािर १

जब त राम बयािह घर आए िनत नव मगल मोद बधाए

भवन चािरदस भधर भारी सकत मघ बरषिह सख बारी १

िरिध िसिध सपित नदी सहाई उमिग अवध अबिध कह आई

मिनगन पर नर नािर सजाती सिच अमोल सदर सब भाती २

किह न जाइ कछ नगर िबभती जन एतिनअ िबरिच करतती

सब िबिध सब पर लोग सखारी रामचद मख चद िनहारी ३

मिदत मात सब सखी सहली फिलत िबलोिक मनोरथ बली

राम रप गनसील सभाऊ मिदत होइ दिख सिन राऊ ४

रामचिरतमानस - 3 - अयोधयाकाड

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दोहा

सब क उर अिभलाष अस कहिह मनाइ महस

आप अछत जबराज पद रामिह दउ नरस १

एक समय सब सिहत समाजा राजसभा रघराज िबराजा

सकल सकत मरित नरनाह राम सजस सिन अितिह उछाह १

नप सब रहिह कपा अिभलाष लोकप करिह ीित रख राख

ितभवन तीिन काल जग माही भिर भाग दसरथ सम नाही २

मगलमल राम सत जास जो कछ किहज थोर सब तास

राय सभाय मकर कर लीनहा बदन िबलोिक मकट सम कीनहा ३

वन समीप भए िसत कसा मनह जरठपन अस उपदसा

नप जबराज राम कह दह जीवन जनम लाह िकन लह ४

दोहा यह िबचार उर आिन नप सिदन सअवसर पाइ

म पलिक तन मिदत मन गरिह सनायउ जाइ २

कहइ भआल सिनअ मिननायक भए राम सब िबिध सब लायक

सवक सिचव सकल परबासी ज हमार अिर िम उदासी १

सबिह राम ि य जिह िबिध मोही भ असीस जन तन धिर सोही

िब सिहत पिरवार गोसाई करिह छोह सब रौिरिह नाई २

ज गर चरन रन िसर धरही त जन सकल िबभव बस करही

मोिह सम यह अन भयउ न दज सब पायउ रज पाविन पज ३

अब अिभलाष एक मन मोर पजिह नाथ अन ह तोर

मिन सनन लिख सहज सनह कहउ नरस रजायस दह ४

दोहा राजन राउर नाम जस सब अिभमत दातार

फल अनगामी मिहप मिन मन अिभलाष तमहार ३

रामचिरतमानस - 4 - अयोधयाकाड

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सब िबिध गर सनन िजय जानी बोलउ राउ रहिस मद बानी

नाथ राम किरअिह जबराज किहअ कपा किर किरअ समाज १

मोिह अछत यह होइ उछाह लहिह लोग सब लोचन लाह

भ साद िसव सबइ िनबाही यह लालसा एक मन माही २

पिन न सोच तन रहउ िक जाऊ जिह न होइ पाछ पिछताऊ

सिन मिन दसरथ बचन सहाए मगल मोद मल मन भाए ३

सन नप जास िबमख पिछताही जास भजन िबन जरिन न जाही

भयउ तमहार तनय सोइ सवामी राम पनीत म अनगामी ४

दोहा बिग िबलब न किरअ नप सािजअ सबइ समाज

सिदन समगल तबिह जब राम होिह जबराज ४

मिदत मिहपित मिदर आए सवक सिचव सम बोलाए

किह जयजीव सीस ितनह नाए भप समगल बचन सनाए १

जौ पाचिह मत लाग नीका करह हरिष िहय रामिह टीका

म ी मिदत सनत ि य बानी अिभमत िबरव परउ जन पानी २

िबनती सिचव करिह कर जोरी िजअह जगतपित बिरस करोरी

जग मगल भल काज िबचारा बिगअ नाथ न लाइअ बारा ३

नपिह मोद सिन सिचव सभाषा बढ़त बौड़ जन लही ससाखा ४

दोहा कहउ भप मिनराज कर जोइ जोइ आयस होइ

राम राज अिभषक िहत बिग करह सोइ सोइ ५

हरिष मनीस कहउ मद बानी आनह सकल सतीरथ पानी

औषध मल फल फल पाना कह नाम गिन मगल नाना १

चामर चरम बसन बह भाती रोम पाट पट अगिनत जाती

मिनगन मगल बसत अनका जो जग जोग भप अिभषका २

रामचिरतमानस - 5 - अयोधयाकाड

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बद िबिदत किह सकल िबधाना कहउ रचह पर िबिबध िबताना

सफल रसाल पगफल करा रोपह बीिथनह पर चह फरा ३

रचह मज मिन चौक चार कहह बनावन बिग बजार

पजह गनपित गर कलदवा सब िबिध करह भिमसर सवा ४

दोहा धवज पताक तोरन कलस सजह तरग रथ नाग

िसर धिर मिनबर बचन सब िनज िनज काजिह लाग ६

जो मनीस जिह आयस दीनहा सो तिह काज थम जन कीनहा

िब साध सर पजत राजा करत राम िहत मगल काजा १

सनत राम अिभषक सहावा बाज गहागह अवध बधावा

राम सीय तन सगन जनाए फरकिह मगल अग सहाए २

पलिक स म परसपर कहही भरत आगमन सचक अहही

भए बहत िदन अित अवसरी सगन तीित भट ि य करी ३

भरत सिरस ि य को जग माही इहइ सगन फल दसर नाही

रामिह बध सोच िदन राती अडिनह कमठ दउ जिह भाती ४

दोहा एिह अवसर मगल परम सिन रहसउ रिनवास

सोभत लिख िबध बढ़त जन बािरिध बीिच िबलास ७

थम जाइ िजनह बचन सनाए भषन बसन भिर ितनह पाए

म पलिक तन मन अनरागी मगल कलस सजन सब लागी १

चौक चार सिम ा परी मिनमय िबिबध भाित अित ररी

आनद मगन राम महतारी िदए दान बह िब हकारी २

पजी ामदिब सर नागा कहउ बहोिर दन बिलभागा

जिह िबिध होइ राम कलयान दह दया किर सो बरदान ३

गाविह मगल कोिकलबयनी िबधबदनी मगसावकनयनी ४

रामचिरतमानस - 6 - अयोधयाकाड

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दोहा राम राज अिभषक सिन िहय हरष नर नािर

लग समगल सजन सब िबिध अनकल िबचािर ८

तब नरनाह बिस बोलाए रामधाम िसख दन पठाए

गर आगमन सनत रघनाथा ार आइ पद नायउ माथा १

सादर अरघ दइ घर आन सोरह भाित पिज सनमान

गह चरन िसय सिहत बहोरी बोल राम कमल कर जोरी २

सवक सदन सवािम आगमन मगल मल अमगल दमन

तदिप उिचत जन बोिल स ीती पठइअ काज नाथ अिस नीती ३

भता तिज भ कीनह सनह भयउ पनीत आज यह गह

आयस होइ सो करौ गोसाई सवक लहइ सवािम सवकाई ४

दोहा सिन सनह सान बचन मिन रघबरिह सस

राम कस न तमह कहह अस हस बस अवतस ९

बरिन राम गन सील सभाऊ बोल म पलिक मिनराऊ

भप सजउ अिभषक समाज चाहत दन तमहिह जबराज १

राम करह सब सजम आज जौ िबिध कसल िनबाह काज

गर िसख दइ राय पिह गयउ राम हदय अस िबसमउ भयऊ २

जनम एक सग सब भाई भोजन सयन किल लिरकाई

करनबध उपबीत िबआहा सग सग सब भए उछाहा ३

िबमल बस यह अनिचत एक बध िबहाइ बड़िह अिभषक

भ स म पिछतािन सहाई हरउ भगत मन क किटलाई ४

दोहा तिह अवसर आए लखन मगन म आनद

सनमान ि य बचन किह रघकल करव चद १०

रामचिरतमानस - 7 - अयोधयाकाड

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बाजिह बाजन िबिबध िबधाना पर मोद निह जाइ बखाना

भरत आगमन सकल मनाविह आवह बिग नयन फल पाविह १

हाट बाट घर गली अथाई कहिह परसपर लोग लोगाई

कािल लगन भिल कितक बारा पिजिह िबिध अिभलाष हमारा २

कनक िसघासन सीय समता बठिह राम होइ िचत चता

सकल कहिह कब होइिह काली िबघन मनाविह दव कचाली ३

ितनहिह सोहाइ न अवध बधावा चोरिह चिदिन राित न भावा

सारद बोिल िबनय सर करही बारिह बार पाय ल परही ४

दोहा िबपित हमािर िबलोिक बिड़ मात किरअ सोइ आज

राम जािह बन राज तिज होइ सकल सरकाज ११

सिन सर िबनय ठािढ़ पिछताती भइउ सरोज िबिपन िहमराती

दिख दव पिन कहिह िनहोरी मात तोिह निह थोिरउ खोरी १

िबसमय हरष रिहत रघराऊ तमह जानह सब राम भाऊ

जीव करम बस सख दख भागी जाइअ अवध दव िहत लागी २

बार बार गिह चरन सकोचौ चली िबचािर िबबध मित पोची

ऊच िनवास नीिच करतती दिख न सकिह पराइ िबभती ३

आिगल काज िबचािर बहोरी करहिह चाह कसल किब मोरी

हरिष हदय दसरथ पर आई जन ह दसा दसह दखदाई ४

दोहा नाम मथरा मदमित चरी ककइ किर

अजस पटारी तािह किर गई िगरा मित फिर १२

दीख मथरा नगर बनावा मजल मगल बाज बधावा

पछिस लोगनह काह उछाह राम ितलक सिन भा उर दाह १

करइ िबचार कबि कजाती होइ अकाज कविन िबिध राती

दिख लािग मध किटल िकराती िजिम गव तकइ लउ किह भाती २

रामचिरतमानस - 8 - अयोधयाकाड

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भरत मात पिह गइ िबलखानी का अनमिन हिस कह हिस रानी

ऊतर दइ न लइ उसास नािर चिरत किर ढारइ आस ३

हिस कह रािन गाल बड़ तोर दीनह लखन िसख अस मन मोर

तबह न बोल चिर बिड़ पािपिन छाड़इ सवास कािर जन सािपिन ४

दोहा सभय रािन कह कहिस िकन कसल राम मिहपाल

लखन भरत िरपदमन सिन भा कबरी उर साल १३

कत िसख दइ हमिह कोउ माई गाल करब किह कर बल पाई

रामिह छािड़ कसल किह आज जिह जनस दइ जबराज १

भयउ कौिसलिह िबिध अित दािहन दखत गरब रहत उर नािहन

दखह कस न जाइ सब सोभा जो अवलोिक मोर मन छोभा २

पत िबदस न सोच तमहार जानित हह बस नाह हमार

नीद बहत ि य सज तराई लखह न भप कपट चतराई ३

सिन ि य बचन मिलन मन जानी झकी रािन अब रह अरगानी

पिन अस कबह कहिस घरफोरी तब धिर जीभ कढ़ावउ तोरी ४

दोहा कान खोर कबर किटल कचाली जािन

ितय िबसिष पिन चिर किह भरतमात मसकािन १४

ि यबािदिन िसख दीिनहउ तोही सपनह तो पर कोप न मोही

सिदन समगल दायक सोई तोर कहा फर जिह िदन होई १

जठ सवािम सवक लघ भाई यह िदनकर कल रीित सहाई

राम ितलक जौ साचह काली दउ माग मन भावत आली २

कौसलया सम सब महतारी रामिह सहज सभाय िपआरी

मो पर करिह सनह िबसषी म किर ीित परीछा दखी ३

जौ िबिध जनम दइ किर छोह होह राम िसय पत पतोह

ान त अिधक राम ि य मोर ितनह क ितलक छोभ कस तोर ४

रामचिरतमानस - 9 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत सपथ तोिह सतय कह पिरहिर कपट दराउ

हरष समय िबसमउ करिस कारन मोिह सनाउ १५

एकिह बार आस सब पजी अब कछ कहब जीभ किर दजी

फोर जोग कपार अभागा भलउ कहत दख रउरिह लागा १

कहिह झिठ फिर बात बनाई त ि य तमहिह करइ म माई

हमह कहिब अब ठकरसोहाती नािह त मौन रहब िदन राती २

किर करप िबिध परबस कीनहा बवा सो लिनअ लिहअ जो दीनहा

कोउ नप होउ हमिह का हानी चिर छािड़ अब होब िक रानी ३

जार जोग सभाउ हमारा अनभल दिख न जाइ तमहारा

तात कछक बात अनसारी छिमअ दिब बिड़ चक हमारी ४

दोहा गढ़ कपट ि य बचन सिन तीय अधरबिध रािन

सरमाया बस बिरिनिह सहद जािन पितआिन १६

सादर पिन पिन पछित ओही सबरी गान मगी जन मोही

तिस मित िफरी अहइ जिस भाबी रहसी चिर घात जन फाबी १

तमह पछह म कहत डराऊ धरउ मोर घरफोरी नाऊ

सिज तीित बहिबिध गिढ़ छोली अवध साढ़साती तब बोली २

ि य िसय राम कहा तमह रानी रामिह तमह ि य सो फिर बानी

रहा थम अब त िदन बीत समउ िफर िरप होिह िपरीत ३

भान कमल कल पोषिनहारा िबन जल जािर करइ सोइ छारा

जिर तमहािर चह सवित उखारी रधह किर उपाउ बर बारी ४

दोहा तमहिह न सोच सोहाग बल िनज बस जानह राउ

मन मलीन मह मीठ नप राउर सरल सभाउ १७

रामचिरतमानस - 10 - अयोधयाकाड

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चतर गभीर राम महतारी बीच पाइ िनज बात सवारी

पठए भरत भप निनअउर राम मात मत जानव रउर १

सविह सकल सवित मोिह नीक गरिबत भरत मात बल पी क

साल तमहार कौिसलिह माई कपट चतर निह होइ जनाई २

राजिह तमह पर म िबसषी सवित सभाउ सकइ निह दखी

रची पच भपिह अपनाई राम ितलक िहत लगन धराई ३

यह कल उिचत राम कह टीका सबिह सोहाइ मोिह सिठ नीका

आिगिल बात समिझ डर मोही दउ दउ िफिर सो फल ओही ४

दोहा रिच पिच कोिटक किटलपन कीनहिस कपट बोध

किहिस कथा सत सवित क जिह िबिध बाढ़ िबरोध १८

भावी बस तीित उर आई पछ रािन पिन सपथ दवाई

का पछह तमह अबह न जाना िनज िहत अनिहत पस पिहचाना १

भयउ पाख िदन सजत समाज तमह पाई सिध मोिह सन आज

खाइअ पिहिरअ राज तमहार सतय कह निह दोष हमार २

जौ असतय कछ कहब बनाई तौ िबिध दइिह हमिह सजाई

रामिह ितलक कािल जौ भयऊ तमह कह िबपित बीज िबिध बयऊ ३

रख खचाइ कहउ बल भाषी भािमिन भइह दध कइ माखी

जौ सत सिहत करह सवकाई तौ घर रहह न आन उपाई ४

दोहा क िबनतिह दीनह दख तमहिह कौिसला दब

भरत बिदगह सइहिह लखन राम क नब १९

ककयसता सनत कट बानी किह न सकइ कछ सहिम सखानी

तन पसउ कदली िजिम कापी कबरी दसन जीभ तब चापी १

किह किह कोिटक कपट कहानी धीरज धरह बोिधिस रानी

रामचिरतमानस - 11 - अयोधयाकाड

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िफरा करम ि य लािग कचाली बिकिह सराहइ मािन मराली २

सन मथरा बात फिर तोरी दिहिन आिख िनत फरकइ मोरी

िदन ित दखउ राित कसपन कहउ न तोिह मोह बस अपन ३

काह करौ सिख सध सभाऊ दािहन बाम न जानउ काऊ ४

दोहा अपन चलत न आज लिग अनभल काहक कीनह

किह अघ एकिह बार मोिह दअ दसह दख दीनह २०

नहर जनम भरब बर जाइ िजअत न करिब सवित सवकाई

अिर बस दउ िजआवत जाही मरन नीक तिह जीवन चाही १

दीन बचन कह बहिबिध रानी सिन कबरी ितयमाया ठानी

अस कस कहह मािन मन ऊना सख सोहाग तमह कह िदन दना २

जिह राउर अित अनभल ताका सोइ पाइिह यह फल पिरपाका

जब त कमत सना म सवािमिन भख न बासर नीद न जािमिन ३

पछउ गिननह रख ितनह खाची भरत भआल होिह यह साची

भािमिन करह त कहौ उपाऊ ह तमहरी सवा बस राऊ ४

दोहा परउ कप तअ बचन पर सकउ पत पित तयािग

कहिस मोर दख दिख बड़ कस न करब िहत लािग २१

कबरी किर कबली ककई कपट छरी उर पाहन टई

लखइ न रािन िनकट दख क स चरइ हिरत ितन बिलपस जस १

सनत बात मद अत कठोरी दित मनह मध माहर घोरी

कहइ चिर सिध अहइ िक नाही सवािमिन किहह कथा मोिह पाही २

दइ बरदान भप सन थाती मागह आज जड़ावह छाती

सतिह राज रामिह बनवास दह लह सब सवित हलास ३

भपित राम सपथ जब करई तब मागह जिह बचन न टरई

होइ अकाज आज िनिस बीत बचन मोर ि य मानह जी त ४

रामचिरतमानस - 12 - अयोधयाकाड

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दोहा

बड़ कघात किर पातिकिन कहिस कोपगह जाह

काज सवारह सजग सब सहसा जिन पितआह २२

कबिरिह रािन ानि य जानी बार बार बिड़ बि बखानी

तोिह सम िहत न मोर ससारा बह जात कइ भइिस अधारा १

जौ िबिध परब मनोरथ काली करौ तोिह चख पतिर आली

बहिबिध चिरिह आदर दई कोपभवन गविन ककई २

िबपित बीज बरषा िरत चरी भइ भइ कमित ककई करी

पाइ कपट जल अकर जामा बर दोउ दल दख फल पिरनामा ३

कोप समाज सािज सब सोई राज करत िनज कमित िबगोई

राउर नगर कोलाहल होई यह कचािल कछ जान न कोई ४

दोहा मिदत पर नर नािर सब सजिह समगलचार

एक िबसिह एक िनगरमिह भीर भप दरबार २३

बाल सखा सन िहय हरषाही िमिल दस पाच राम पिह जाही

भ आदरिह म पिहचानी पछिह कसल खम मद बानी १

िफरिह भवन ि य आयस पाई करत परसपर राम बड़ाई

को रघबीर सिरस ससारा सील सनह िनबाहिनहारा २

जिह जिह जोिन करम बस मही तह तह ईस दउ यह हमही

सवक हम सवामी िसयनाह होउ नात यह ओर िनबाह ३

अस अिभलाष नगर सब काह ककयसता हदय अित दाह

को न कसगित पाइ नसाई रहइ न नीच मत चतराई ४

दोहा सास समय सानद नप गयउ ककई गह

गवन िनठरता िनकट िकय जन धिर दह सनह २४

रामचिरतमानस - 13 - अयोधयाकाड

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कोपभवन सिन सकचउ राउ भय बस अगहड़ परइ न पाऊ

सरपित बसइ बाहबल जाक नरपित सकल रहिह रख ताक १

सो सिन ितय िरस गयउ सखाई दखह काम ताप बड़ाई

सल किलस अिस अगविनहार त रितनाथ समन सर मार २

सभय नरस ि या पिह गयऊ दिख दसा दख दारन भयऊ

भिम सयन पट मोट पराना िदए डािर तन भषण नाना ३

कमितिह किस कबषता फाबी अन अिहवात सच जन भाबी

जाइ िनकट नप कह मद बानी ानि या किह हत िरसानी ४ छद

किह हत रािन िरसािन परसत पािन पितिह नवारई

मानह सरोष भअग भािमिन िबषम भाित िनहारई

दोउ बासना रसना दसन बर मरम ठाहर दखई

तलसी नपित भवतबयता बस काम कौतक लखई

सोरठा बार बार कह राउ समिख सलोिचिन िपकबचिन

कारन मोिह सनाउ गजगािमिन िनज कोप कर २५

अनिहत तोर ि या कइ कीनहा किह दइ िसर किह जम चह लीनहा

कह क िह रकिह करौ नरस कह किह नपिह िनकासौ दस १

सकउ तोर अिर अमरउ मारी काह कीट बपर नर नारी

जानिस मोर सभाउ बरोर मन तव आनन चद चकोर २

ि या ान सत सरबस मोर पिरजन जा सकल बस तोर

जौ कछ कहौ कपट किर तोही भािमिन राम सपथ सत मोही ३

िबहिस माग मनभावित बाता भषन सजिह मनोहर गाता

घरी कघरी समिझ िजय दख बिग ि या पिरहरिह कबष ४

दोहा

रामचिरतमानस - 14 - अयोधयाकाड

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यह सिन मन गिन सपथ बिड़ िबहिस उठी मितमद

भषन सजित िबलोिक मग मनह िकराितिन फद २६

पिन कह राउ स द िजय जानी म पलिक मद मजल बानी

भािमिन भयउ तोर मनभावा घर घर नगर अनद बधावा १

रामिह दउ कािल जबराज सजिह सलोचिन मगल साज

दलिक उठउ सिन दउ कठोर जन छइ गयउ पाक बरतोर २

ऐिसउ पीर िबहिस तिह गोई चोर नािर िजिम गिट न रोई

लखिह न भप कपट चतराई कोिट किटल मिन गर पढ़ाई ३

ज िप नीित िनपन नरनाह नािरचिरत जलिनिध अवगाह

कपट सनह बढ़ाइ बहोरी बोली िबहिस नयन मह मोरी ४

दोहा माग माग प कहह िपय कबह न दह न लह

दन कहह बरदान दइ तउ पावत सदह २७

जानउ मरम राउ हिस कहई तमहिह कोहाब परम ि य अहई

थाित रािख न मािगह काऊ िबसिर गयउ मोिह भोर सभाऊ १

झठह हमिह दोष जिन दह दइ क चािर मािग मक लह

रघकल रीित सदा चिल आई ान जाह बर बचन न जाई २

निह असतय सम पातक पजा िगिर सम होिह िक कोिटक गजा

सतयमल सब सकत सहाए बद परान िबिदत मन गाए ३

तिह पर राम सपथ किर आई सकत सनह अविध रघराई

बात दढ़ाइ कमित हिस बोली कमत किबहग कलह जन खोली ४

दोहा भप मनोरथ सभग बन सख सिबहग समाज

िभललिन िजिम छाड़न चहित बचन भयकर बाज २८

मासपारायण तरहवा िव ाम

रामचिरतमानस - 15 - अयोधयाकाड

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सनह ानि य भावत जी का दह एक बर भरतिह टीका

मागउ दसर बर कर जोरी परवह नाथ मनोरथ मोरी १

तापस बष िबसिष उदासी चौदह बिरस राम बनबासी

सिन मद बचन भप िहय सोकसिस कर छअत िबकल िजिम कोक २

गयउ सहिम निह कछ किह आवा जन सचान बन झपटउ लावा

िबबरन भयउ िनपट नरपाल दािमिन हनउ मनह तर ताल ३

माथ हाथ मिद दोउ लोचन तन धिर सोच लाग जन सोचन

मोर मनोरथ सरतर फला फरत किरिन िजिम हतउ समला ४

अवध उजािर कीिनह ककई दीनहिस अचल िबपित क नई ५

दोहा कवन अवसर का भयउ गयउ नािर िबसवास

जोग िसि फल समय िजिम जितिह अिब ा नास २९

एिह िबिध राउ मनिह मन झाखा दिख कभाित कमित मन माखा

भरत िक राउर पत न होही आनह मोल बसािह िक मोही १

जो सिन सर अस लाग तमहार काह न बोलह बचन सभार

दह उतर अन करह िक नाही सतयसध तमह रघकल माही २

दन कहह अब जिन बर दह तजह सतय जग अपजस लह

सतय सरािह कहह बर दना जानह लइिह मािग चबना ३

िसिब दधीिच बिल जो कछ भाषा तन धन तजउ बचन पन राखा

अित कट बचन कहित ककई मानह लोन जर पर दई ४

दोहा धरम धरधर धीर धिर नयन उघार राय

िसर धिन लीिनह उसास अिस मारिस मोिह कठाय ३०

आग दीिख जरत िरस भारी मनह रोष तरवािर उघारी

मिठ कबि धार िनठराई धरी कबरी सान बनाई १

रामचिरतमानस - 16 - अयोधयाकाड

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लखी महीप कराल कठोरा सतय िक जीवन लइिह मोरा

बोल राउ किठन किर छाती बानी सिबनय तास सोहाती २

ि या बचन कस कहिस कभाती भीर तीित ीित किर हाती

मोर भरत राम दइ आखी सतय कहउ किर सकर साखी ३

अविस दत म पठइब ाता ऐहिह बिग सन त दोउ ाता

सिदन सोिध सब साज सजाई दउ भरत कह राज बजाई ४

दोहा लोभ न रामिह राज कर बहत भरत पर ीित

म बड़ छोट िबचािर िजय करत रहउ नपनीित ३१

राम सपथ सत कह सभाऊ राममात कछ कहउ न काऊ

म सब कीनह तोिह िबन पछ तिह त परउ मनोरथ छछ १

िरस पिरहर अब मगल साज कछ िदन गए भरत जबराज

एकिह बात मोिह दख लागा बर दसर असमजस मागा २

अजह हदय जरत तिह आचा िरस पिरहास िक साचह साचा

कह तिज रोष राम अपराध सब कोउ कहइ राम सिठ साध ३

तह सरा हिस करिस सनह अब सिन मोिह भयउ सदह

जास सभाउ अिरिह अनकला सो िकिम किरिह मात ितकला ४

दोहा ि या हास िरस पिरहरिह माग िबचािर िबबक जिह दखा अब नयन भिर भरत राज अिभषक ३२

िजऐ मीन बर बािर िबहीना मिन िबन फिनक िजऐ दख दीना

कहउ सभाउ न छल मन माही जीवन मोर राम िबन नाही १

समिझ दख िजय ि या बीना जीवन राम दरस आधीना

सिन द बचन कमित अित जरई मनह अनल आहित घत परई २

कहइ करह िकन कोिट उपाया इहा न लािगिह राउिर माया

दह िक लह अजस किर ना ही मोिह न बहत पच सोहाही ३

रामचिरतमानस - 17 - अयोधयाकाड

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राम साध तमह साध सयान राममात भिल सब पिहचान

जस कौिसला मोर भल ताका तस फल उनहिह दउ किर साका ४

दोहा होत ात मिनबष धिर जौ न राम बन जािह

मोर मरन राउर अजस नप समिझअ मन मािह ३३

अस किह किटल भई उिठ ठाढ़ी मानह रोष तरिगिन बाढ़ी

पाप पहार गट भइ सोई भरी ोध जल जाइ न जोई १

दोउ बर कल किठन हठ धारा भवर कबरी बचन चारा

ढाहत भपरप तर मला चली िबपित बािरिध अनकला २

लखी नरस बात फिर साची ितय िमस मीच सीस पर नाची

गिह पद िबनय कीनह बठारी जिन िदनकर कल होिस कठारी ३

माग माथ अबही दउ तोही राम िबरह जिन मारिस मोही

राख राम कह जिह तिह भाती नािह त जिरिह जनम भिर छाती ४

दोहा दखी बयािध असाध नप परउ धरिन धिन माथ

कहत परम आरत बचन राम राम रघनाथ ३४

बयाकल राउ िसिथल सब गाता किरिन कलपतर मनह िनपाता

कठ सख मख आव न बानी जन पाठीन दीन िबन पानी १

पिन कह कट कठोर ककई मनह घाय मह माहर दई

जौ अतह अस करतब रहऊ माग माग तमह किह बल कहऊ २

दइ िक होइ एक समय भआला हसब ठठाइ फलाउब गाला

दािन कहाउब अर कपनाई होइ िक खम कसल रौताई ३

छाड़ह बचन िक धीरज धरह जिन अबला िजिम करना करह

तन ितय तनय धाम धन धरनी सतयसध कह तन सम बरनी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 18 - अयोधयाकाड

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मरम बचन सिन राउ कह कह कछ दोष न तोर

लागउ तोिह िपसाच िजिम काल कहावत मोर ३५

चहत न भरत भपतिह भोर िबिध बस कमित बसी िजय तोर

सो सब मोर पाप पिरनाम भयउ कठाहर जिह िबिध बाम १

सबस बिसिह िफिर अवध सहाई सब गन धाम राम भताई

किरहिह भाइ सकल सवकाई होइिह ितह पर राम बड़ाई २

तोर कलक मोर पिछताऊ मएह न िमटिह न जाइिह काऊ

अब तोिह नीक लाग कर सोई लोचन ओट बठ मह गोई ३

जब लिग िजऔ कहउ कर जोरी तब लिग जिन कछ कहिस बहोरी

िफिर पिछतहिस अत अभागी मारिस गाइ नहार लागी ४

दोहा परउ राउ किह कोिट िबिध काह करिस िनदान

कपट सयािन न कहित कछ जागित मनह मसान ३६

राम राम रट िबकल भआल जन िबन पख िबहग बहाल

हदय मनाव भोर जिन होई रामिह जाइ कह जिन कोई १

उदउ करह जिन रिब रघकल गर अवध िबलोिक सल होइिह उर

भप ीित ककइ किठनाई उभय अविध िबिध रची बनाई २

िबलपत नपिह भयउ िभनसारा बीना बन सख धिन ारा

पढ़िह भाट गन गाविह गायक सनत नपिह जन लागिह सायक ३

मगल सकल सोहािह न कस सहगािमिनिह िबभषन जस

तिह िनिस नीद परी निह काह राम दरस लालसा उछाह ४

दोहा ार भीर सवक सिचव कहिह उिदत रिब दिख

जागउ अजह न अवधपित कारन कवन िबसिष ३७

पिछल पहर भप िनत जागा आज हमिह बड़ अचरज लागा

रामचिरतमानस - 19 - अयोधयाकाड

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जाह सम जगावह जाई कीिजअ काज रजायस पाई १

गए सम तब राउर माही दिख भयावन जात डराही

धाइ खाइ जन जाइ न हरा मानह िबपित िबषाद बसरा २

पछ कोउ न ऊतर दई गए जिह भवन भप ककई

किह जयजीव बठ िसर नाई दिख भप गित गयउ सखाई ३

सोच िबकल िबबरन मिह परऊ मानह कमल मल पिरहरऊ

सिचउ सभीत सकइ निह पछी बोली असभ भरी सभ छछी ४

दोहा परी न राजिह नीद िनिस हत जान जगदीस

राम राम रिट भोर िकय कहइ न मरम महीस ३८

आनह रामिह बिग बोलाई समाचार तब पछह आई

चलउ सम राय रख जानी लखी कचािल कीिनह कछ रानी १

सोच िबकल मग परइ न पाऊ रामिह बोिल किहिह का राऊ

उर धिर धीरज गयउ दआर पछिह सकल द िख मन मार २

समाधान किर सो सबही का गयउ जहा िदनकर कल टीका

राम सम िह आवत दखा आदर कीनह िपता सम लखा ३

िनरिख बदन किह भप रजाई रघकलदीपिह चलउ लवाई

राम कभाित सिचव सग जाही दिख लोग जह तह िबलखाही ४

दोहा जाइ दीख रघबसमिन नरपित िनपट कसाज

सहिम परउ लिख िसिघिनिह मनह ब गजराज ३९

सखिह अधर जरइ सब अग मनह दीन मिनहीन भअग

सरष समीप दीिख ककई मानह मीच घरी गिन लई १

करनामय मद राम सभाऊ थम दीख दख सना न काऊ

तदिप धीर धिर समउ िबचारी पछी मधर बचन महतारी २

मोिह कह मात तात दख कारन किरअ जतन जिह होइ िनवारन

रामचिरतमानस - 20 - अयोधयाकाड

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सनह राम सब कारन एह राजिह तम पर बहत सनह ३

दन कहिनह मोिह दइ बरदाना मागउ जो कछ मोिह सोहाना

सो सिन भयउ भप उर सोच छािड़ न सकिह तमहार सकोच ४

दोहा सत सनह इत बचन उत सकट परउ नरस

सकह न आयस धरह िसर मटह किठन कलस ४०

िनधरक बिठ कहइ कट बानी सनत किठनता अित अकलानी

जीभ कमान बचन सर नाना मनह मिहप मद लचछ समाना १

जन कठोरपन धर सरीर िसखइ धनषिब ा बर बीर

सब सग रघपितिह सनाई बिठ मनह तन धिर िनठराई २

मन मसकाइ भानकल भान राम सहज आनद िनधान

बोल बचन िबगत सब दषन मद मजल जन बाग िबभषन ३

सन जननी सोइ सत बड़भागी जो िपत मात बचन अनरागी

तनय मात िपत तोषिनहारा दलरभ जनिन सकल ससारा ४

दोहा मिनगन िमलन िबसिष बन सबिह भाित िहत मोर

तिह मह िपत आयस बहिर समत जननी तोर ४१

भरत ानि य पाविह राज िबिध सब िबिध मोिह सनमख आज

जो न जाउ बन ऐसह काजा थम गिनअ मोिह मढ़ समाजा १

सविह अरड कलपतर तयागी प िरहिर अमत लिह िबष मागी

तउ न पाइ अस समउ चकाही दख िबचािर मात मन माही २

अब एक दख मोिह िबसषी िनपट िबकल नरनायक दखी

थोिरिह बात िपतिह दख भारी होित तीित न मोिह महतारी ३

राउ धीर गन उदिध अगाध भा मोिह त कछ बड़ अपराध

जात मोिह न कहत कछ राऊ मोिर सपथ तोिह कह सितभाऊ ४

रामचिरतमानस - 21 - अयोधयाकाड

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दोहा सहज सरल रघबर बचन कमित किटल किर जान

चलइ जोक जल ब गित ज िप सिलल समान ४२

रहसी रािन राम रख पाई बोली कपट सनह जनाई

सपथ तमहार भरत क आना हत न दसर म कछ जाना १

तमह अपराध जोग निह ताता जननी जनक बध सखदाता

राम सतय सब जो कछ कहह तमह िपत मात बचन रत अहह २

िपतिह बझाइ कहह बिल सोई चौथपन जिह अजस न होई

तमह सम सअन सकत जिह दीनह उिचत न तास िनरादर कीनह ३

लागिह कमख बचन सभ कस मगह गयािदक तीरथ जस

रामिह मात बचन सब भाए िजिम सरसिर गत सिलल सहाए ४

दोहा गइ मरछा रामिह सिमिर नप िफिर करवट लीनह

सिचव राम आगमन किह िबनय समय सम कीनह ४३

अविनप अकिन राम पग धार धिर धीरज तब नयन उघार

सिचव सभािर राउ बठार चरन परत नप राम िनहार १

िलए सनह िबकल उर लाई ग मिन मनह फिनक िफिर पाई

रामिह िचतइ रहउ नरनाह चला िबलोचन बािर बाह २

सोक िबबस कछ कह न पारा हदय लगावत बारिह बारा

िबिधिह मनाव राउ मन माही जिह रघनाथ न कानन जाही ३

सिमिर महसिह कहइ िनहोरी िबनती सनह सदािसव मोरी

आसतोष तमह अवढर दानी आरित हरह दीन जन जानी ४

दोहा तमह रक सब क हदय सो मित रामिह दह

बचन मोर तिज रहिह घर पिरहिर सील सनह ४४

रामचिरतमानस - 22 - अयोधयाकाड

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अजस होउ जग सजस नसाऊ नरक परौ बर सरपर जाऊ

सब दख दसह सहावह मोही लोचन ओट राम जिन होही १

अस मन गनइ राउ निह बोला पीपर पात सिरस मन डोला

रघपित िपतिह मबस जानी पिन कछ किहिह मात अनमानी २

दस काल अवसर अनसारी बोल बचन िबनीत िबचारी

तात कहउ कछ करउ िढठाई अनिचत छमब जािन लिरकाई ३

अित लघ बात लािग दख पावा काह न मोिह किह थम जनावा

दिख गोसाइिह पिछउ माता सिन सग भए सीतल गाता ४

दोहा मगल समय सनह बस सोच पिरहिरअ तात

आयस दइअ हरिष िहय किह पलक भ गात ४५

धनय जनम जगतीतल तास िपतिह मोद चिरत सिन जास

चािर पदारथ करतल ताक ि य िपत मात ान सम जाक १

आयस पािल जनम फल पाई ऐहउ बिगिह होउ रजाई

िबदा मात सन आवउ मागी चिलहउ बनिह बहिर पग लागी २

अस किह राम गवन तब कीनहा भप सोक बस उतर न दीनहा

नगर बयािप गइ बात सतीछी छअत च ढ़ी जन सब तन बीछी ३

सिन भए िबकल सकल नर नारी बिल िबटप िजिम दिख दवारी

जो जह सनइ धनइ िसर सोई बड़ िबषाद निह धीरज होई ४

दोहा मख सखािह लोचन विह सोक न हदय समाइ

मनह करन रस कटकई उतरी अवध बजाइ ४६

िमलिह माझ िबिध बात बगारी जह तह दिह ककइिह गारी

एिह पािपिनिह बिझ का परऊ छाइ भवन पर पावक धरऊ १

िनज कर नयन कािढ़ चह दीखा डािर सधा िबष चाहत चीखा

किटल कठोर कबि अभागी भइ रघबस बन बन आगी २

रामचिरतमानस - 23 - अयोधयाकाड

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पालव बिठ पड़ एिह काटा सख मह सोक ठाट धिर ठाटा

सदा राम एिह ान समाना कारन कवन किटलपन ठाना ३

सतय कहिह किब नािर सभाऊ सब िबिध अगह अगाध दराऊ

िनज ितिबब बरक गिह जाई जािन न जाइ नािर गित भाई ४

दोहा काह न पावक जािर सक का न सम समाइ

का न कर अबला बल किह जग काल न खाइ ४७

का सनाइ िबिध काह सनावा का दखाइ चह काह दखावा

एक कहिह भल भप न कीनहा बर िबचािर निह कमितिह दीनहा १

जो हिठ भयउ सकल दख भाजन अबला िबबस गयान गन गा जन

एक धरम परिमित पिहचान नपिह दोस निह दिह सयान २

िसिब दधीिच हिरचद कहानी एक एक सन कहिह बखानी

एक भरत कर समत कहही एक उदास भाय सिन रहही ३

कान मिद कर रद गिह जीहा एक कहिह यह बात अलीहा

सकत जािह अस कहत तमहार राम भरत कह ानिपआर ४

दोहा चद चव बर अनल कन सधा होइ िबषतल

सपनह कबह न करिह िकछ भरत राम ितकल ४८

एक िबधातिह दषन दही सधा दखाइ दीनह िबष जही

खरभर नगर सोच सब काह दसह दाह उर िमटा उछाह १

िब बध कलमानय जठरी ज ि य परम ककई करी

लगी दन िसख सील सराही बचन बानसम लागिह ताही २

भरत न मोिह ि य राम समाना सदा कहह यह सब जग जाना

करह राम पर सहज सनह किह अपराध आज बन दह ३

कबह न िकयह सवित आरस ीित तीित जान सब दस

कौसलया अब काह िबगारा तमह जिह लािग ब पर पारा ४

रामचिरतमानस - 24 - अयोधयाकाड

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दोहा

सीय िक िपय सग पिरहिरिह लखन िक रिहहिह धाम

राज िक भजब भरत पर नप िक जीिह िबन राम ४९

अस िबचािर उर छाड़ह कोह सोक कलक कोिठ जिन होह

भरतिह अविस दह जबराज कानन काह राम कर काज १

नािहन राम राज क भख धरम धरीन िबषय रस रख

गर गह बसह राम तिज गह नप सन अस बर दसर लह २

जौ निह लिगहह कह हमार निह लािगिह कछ हाथ तमहार

जौ पिरहास कीिनह कछ होई तौ किह गट जनावह सोई ३

राम सिरस सत कानन जोग काह किहिह सिन तमह कह लोग

उठह बिग सोइ करह उपाई जिह िबिध सोक कलक नसाई ४ छद

जिह भाित सोक कलक जाइ उपाय किर कल पालही

हिठ फर रामिह जात बन जिन बात दसिर चालही

िजिम भान िबन िदन ान िबन तन चद िबन िजिम जािमनी

ितिम अवध तलसीदास भ िबन समिझ धौ िजय भािमनी

सोरठा सिखनह िसखावन दीनह सनत मधर पिरनाम िहत

तइ कछ कान न कीनह किटल बोधी कबरी ५०

उतर न दइ दसह िरस रखी मिगनह िचतव जन बािघिन भखी

बयािध असािध जािन ितनह तयागी चली कहत मितमद अभागी १

राज करत यह दअ िबगोई कीनहिस अस जस करइ न कोई

एिह िबिध िबलपिह पर नर नारी दिह कचािलिह कोिटक गारी २

जरिह िबषम जर लिह उसासा कविन राम िबन जीवन आसा

िबपल िबयोग जा अकलानी जन जलचर गन सखत पानी ३

रामचिरतमानस - 25 - अयोधयाकाड

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अित िबषाद बस लोग लोगाई गए मात पिह राम गोसाई

मख सनन िचत चौगन चाऊ िमटा सोच जिन राख राऊ ४

दोहा नव गयद रघबीर मन राज अलान समान

छट जािन बन गवन सिन उर अनद अिधकान ५१

रघकलितलक जोिर दोउ हाथा मिदत मात पद नायउ माथा

दीिनह असीस लाइ उर लीनह भषन बसन िनछाविर कीनह १

बार बार मख चबित माता नयन नह जल पलिकत गाता

गोद रािख पिन हदय लगाए वत नरस पयद सहाए २

म मोद न कछ किह जाई रक धनद पदबी जन पाई

सादर सदर बदन िनहारी बोली मधर बचन महतारी ३

कहह तात जननी बिलहारी कबिह लगन मद मगलकारी

सकत सील सख सीव सहाई जनम लाभ कइ अविध अघाई ४

दोहा जिह चाहत नर नािर सब अित आरत एिह भाित

िजिम चातक चातिक तिषत बि सरद िरत सवाित ५२

तात जाउ बिल बिग नहाह जो मन भाव मधर कछ खाह

िपत समीप तब जाएह भआ भइ बिड़ बार जाइ बिल मआ १

मात बचन सिन अित अनकला जन सनह सरतर क फला

सख मकरद भर ि यमला िनरिख राम मन भवर न भला २

धरम धरीन धरम गित जानी कहउ मात सन अित मद बानी

िपता दीनह मोिह कानन राज जह सब भाित मोर बड़ काज ३

आयस दिह मिदत मन माता जिह मद मगल कानन जाता

जिन सनह बस डरपिस भोर आनद अब अन ह तोर ४

रामचिरतमानस - 26 - अयोधयाकाड

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दोहा बरष चािरदस िबिपन बिस किर िपत बचन मान

आइ पाय पिन दिखहउ मन जिन करिस मलान ५३

बचन िबनीत मधर रघबर क सर सम लग मात उर करक

सहिम सिख सिन सीतिल बानी िजिम जवास पर पावस पानी १

किह न जाइ कछ हदय िबषाद मनह मगी सिन कहिर नाद

नयन सजल तन थर थर कापी माजिह खाइ मीन जन मापी २

धिर धीरज सत बदन िनहारी गदगद बचन कहित महतारी

तात िपतिह तमह ानिपआर दिख मिदत िनत चिरत तमहार ३

राज दन कह सभ िदन साधा कहउ जान बन किह अपराधा

तात सनावह मोिह िनदान को िदनकर कल भयउ कसान ४

दोहा िनरिख राम रख सिचवसत कारन कहउ बझाइ

सिन सग रिह मक िजिम दसा बरिन निह जाइ ५४

रािख न सकइ न किह सक जाह दह भाित उर दारन दाह

िलखत सधाकर गा िलिख राह िबिध गित बाम सदा सब काह १

धरम सनह उभय मित घरी भइ गित साप छछदिर करी

राखउ सतिह करउ अनरोध धरम जाइ अर बध िबरोध २

कहउ जान बन तौ बिड़ हानी सकट सोच िबबस भइ रानी

बहिर समिझ ितय धरम सयानी राम भरत दोउ सत सम जानी ३

सरल सभाउ राम महतारी बोली बचन धीर धिर भारी

तात जाउ बिल कीनहह नीका िपत आयस सब धरमक टीका ४

दोहा राज दन किह दीनह बन मोिह न सो दख लस

तमह िबन भरतिह भपितिह जिह चड कलस ५५

रामचिरतमानस - 27 - अयोधयाकाड

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जौ कवल िपत आयस ताता तौ जिन जाह जािन बिड़ माता

जौ िपत मात कहउ बन जाना तौ कानन सत अवध समाना १

िपत बनदव मात बनदवी खग मग चरन सरोरह सवी

अतह उिचत नपिह बनबास बय िबलोिक िहय होइ हरास २

बड़भागी बन अवध अभागी जो रघबसितलक तमह तयागी

जौ सत कहौ सग मोिह लह तमहर हदय होइ सदह ३

पत परम ि य तमह सबही क ान ान क जीवन जी क

त तमह कहह मात बन जाऊ म सिन बचन बिठ पिछताऊ ४

दोहा यह िबचािर निह करउ हठ झठ सनह बढ़ाइ

मािन मात कर नात बिल सरित िबसिर जिन जाइ ५६

दव िपतर सब तनहिह गोसाई राखह पलक नयन की नाई

अविध अब ि य पिरजन मीना तमह करनाकर धरम धरीना १

अस िबचािर सोइ करह उपाई सबिह िजअत जिह भटह आई

जाह सखन बनिह बिल जाऊ किर अनाथ जन पिरजन गाऊ २

सब कर आज सकत फल बीता भयउ कराल काल िबपरीता

बहिबिध िबलिप चरन लपटानी प रम अभािगिन आपिह जानी ३

दारन दसह दाह उर बयापा बरिन न जािह िबलाप कलापा

राम उठाइ मात उर लाई किह मद बचन बहिर समझाई ४

दोहा समाचार तिह समय सिन सीय उठी अकलाइ

जाइ सास पद कमल जग बिद बिठ िसर नाइ ५७

दीिनह असीस सास मद बानी अित सकमािर दिख अकलानी

बिठ निमतमख सोचित सीता रप रािस पित म पनीता १

चलन चहत बन जीवननाथ किह सकती सन होइिह साथ

की तन ान िक कवल ाना िबिध करतब कछ जाइ न जाना २

रामचिरतमानस - 28 - अयोधयाकाड

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चार चरन नख लखित धरनी नपर मखर मधर किब बरनी

मनह म बस िबनती करही हमिह सीय पद जिन पिरहरही ३

मज िबलोचन मोचित बारी बोली दिख राम महतारी

तात सनह िसय अित सकमारी सास ससर पिरजनिह िपआरी ४

दोहा िपता जनक भपाल मिन ससर भानकल भान

पित रिबकल करव िबिपन िबध गन रप िनधान ५८

म पिन प बध ि य पाई रप रािस गन सील सहाई

नयन पतिर किर ीित बढ़ाई राखउ ान जािनिकिह लाई १

कलपबिल िजिम बहिबिध लाली सीिच सनह सिलल ितपाली

फलत फलत भयउ िबिध बामा जािन न जाइ काह पिरनामा २

पलग पीठ तिज गोद िहड़ोरा िसय न दीनह पग अविन कठोरा

िजअनमिर िजिम जोगवत रहऊ दीप बाित निह टारन कहऊ ३

सोइ िसय चलन चहित बन साथा आयस काह होइ रघनाथा

चद िकरन रस रिसक चकोरी रिब रख नयन सकइ िकिम जोरी ४

दोहा किर कहिर िनिसचर चरिह द जत बन भिर

िबष बािटका िक सोह सत सभग सजीविन मिर ५९

बन िहत कोल िकरात िकसोरी रची िबरिच िबषय सख भोरी

पाइन किम िजिम किठन सभाऊ ितनहिह कलस न कानन काऊ १

क तापस ितय कानन जोग िजनह तप हत तजा सब भोग

िसय बन बिसिह तात किह भाती िच िलिखत किप दिख डराती २

सरसर सभग बनज बन चारी डाबर जोग िक हसकमारी

अस िबचािर जस आयस होई म िसख दउ जानिकिह सोई ३

जौ िसय भवन रह कह अबा मोिह कह होइ बहत अवलबा

सिन रघबीर मात ि य बानी सील सनह सधा जन सानी ४

रामचिरतमानस - 29 - अयोधयाकाड

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दोहा

किह ि य बचन िबबकमय कीिनह मात पिरतोष

लग बोधन जानिकिह गिट िबिपन गन दोष ६०

मासपारायण चौदहवा िव ाम

मात समीप कहत सकचाही बोल समउ समिझ मन माही

राजकमािर िसखावन सनह आन भाित िजय जिन कछ गनह १

आपन मोर नीक जौ चहह बचन हमार मािन गह रहह

आयस मोर सास सवकाई सब िबिध भािमिन भवन भलाई २

एिह त अिधक धरम निह दजा सादर सास ससर पद पजा

जब जब मात किरिह सिध मोरी होइिह म िबकल मित भोरी ३

तब तब तमह किह कथा परानी सदिर समझाएह मद बानी

कहउ सभाय सपथ सत मोही समिख मात िहत राखउ तोही ४

दोहा गर ित समत धरम फल पाइअ िबनिह कलस

हठ बस सब सकट सह गालव नहष नरस ६१

म पिन किर वान िपत बानी बिग िफरब सन समिख सयानी

िदवस जात निह लािगिह बारा सदिर िसखवन सनह हमारा १

जौ हठ करह म बस बामा तौ तमह दख पाउब पिरनामा

कानन किठन भयकर भारी घोर घाम िहम बािर बयारी २

कस कटक मग काकर नाना चलब पयादिह िबन पद ाना

चरन कमल मद मज तमहार मारग अगम भिमधर भार ३

कदर खोह नदी नद नार अगम अगाध न जािह िनहार

भाल बाघ बक कहिर नागा करिह नाद सिन धीरज भागा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 30 - अयोधयाकाड

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भिम सयन बलकल बसन असन कद फल मल

त िक सदा सब िदन िमिलिह सबइ समय अनकल ६२

नर अहार रजनीचर चरही कपट बष िबिध कोिटक करही

लागइ अित पहार कर पानी िबिपन िबपित निह जाइ बखानी १

बयाल कराल िबहग बन घोरा िनिसचर िनकर नािर नर चोरा

डरपिह धीर गहन सिध आए मगलोचिन तमह भीर सभाए २

हसगविन तमह निह बन जोग सिन अपजस मोिह दइिह लोग

मानस सिलल सधा ितपाली िजअइ िक लवन पयोिध मराली ३

नव रसाल बन िबहरनसीला सोह िक कोिकल िबिपन करीला

रहह भवन अस हदय िबचारी चदबदिन दख कानन भारी ४

दोहा सहज सहद गर सवािम िसख जो न करइ िसर मािन

सो पिछताइ अघाइ उर अविस होइ िहत हािन ६३

सिन मद बचन मनोहर िपय क लोचन लिलत भर जल िसय क

सीतल िसख दाहक भइ क स चकइिह सरद चद िनिस जस १

उतर न आव िबकल बदही तजन चहत सिच सवािम सनही

बरबस रोिक िबलोचन बारी धिर धीरज उर अविनकमारी २

लािग सास पग कह कर जोरी छमिब दिब बिड़ अिबनय मोरी

दीिनह ानपित मोिह िसख सोई जिह िबिध मोर परम िहत होई ३

म पिन समिझ दीिख मन माही िपय िबयोग सम दख जग नाही ४

दोहा ाननाथ करनायतन सदर सखद सजान तमह िबन रघकल कमद िबध सरपर नरक समान ६४

मात िपता भिगनी ि य भाई ि य पिरवार स द समदाई

सास ससर गर सजन सहाई सत सदर ससील सखदाई १

रामचिरतमानस - 31 - अयोधयाकाड

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जह लिग नाथ नह अर नात िपय िबन ितयिह तरिनह त तात

तन धन धाम धरिन पर राज पित िबहीन सब सोक समाज २

भोग रोगसम भषन भार जम जातना सिरस ससार

ाननाथ तमह िबन जग माही मो कह सखद कतह कछ नाही ३

िजय िबन दह नदी िबन बारी तिसअ नाथ परष िबन नारी

नाथ सकल सख साथ तमहार सरद िबमल िबध बदन िनहार ४

दोहा खग मग पिरजन नगर बन बलकल िबमल दकल

नाथ साथ सरसदन सम परनसाल सख मल ६५

बनदवी बनदव उदारा किरहिह सास ससर सम सारा

कस िकसलय साथरी सहाई भ सग मज मनोज तराई १

कद मल फल अिमअ अहार अवध सौध सत सिरस पहार

िछन िछन भ पद कमल िबलोिकरिहहउ मिदत िदवस िजिम कोकी२

बन दख नाथ कह बहतर भय िबषाद पिरताप घनर

भ िबयोग लवलस समाना सब िमिल होिह न कपािनधाना ३

अस िजय जािन सजान िसरोमिन लइअ सग मोिह छािड़अ जिन

िबनती बहत करौ का सवामी करनामय उर अतरजामी ४

दोहा रािखअ अवध जो अविध लिग रहत न जिनअिह ान

दीनबध सदर सखद सील सनह िनधान ६६

मोिह मग चलत न होइिह हारी िछन िछन चरन सरोज िनहारी

सबिह भाित िपय सवा किरहौ मारग जिनत सकल म हिरहौ १

पाय पखारी बिठ तर छाही किरहउ बाउ मिदत मन माही

म कन सिहत सयाम तन दख कह दख समउ ानपित पख २

सम मिह तन तरपललव डासी पाग पलोिटिह सब िनिस दासी

बारबार मद मर ित जोही लागिह तात बयािर न मोही ३

रामचिरतमानस - 32 - अयोधयाकाड

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को भ सग मोिह िचतविनहारा िसघबधिह िजिम ससक िसआरा

म सकमािर नाथ बन जोग तमहिह उिचत तप मो कह भोग ४

दोहा ऐसउ बचन कठोर सिन जौ न दउ िबलगान

तौ भ िबषम िबयोग दख सिहहिह पावर ान ६७

अस किह सीय िबकल भइ भारी बचन िबयोग न सकी सभारी

दिख दसा रघपित िजय जाना हिठ राख निह रािखिह ाना १

कहउ कपाल भानकलनाथा पिरहिर सोच चलह बन साथा

निह िबषाद कर अवसर आज बिग करह बन गवन समाज २

किह ि य बचन ि या समझाई लग मात पद आिसष पाई

बिग जा दख मटब आई जननी िनठर िबसिर जिन जाई ३

िफरिह दसा िबिध बहिर िक मोरी दिखहउ नयन मनोहर जोरी

सिदन सघरी तात कब होइिह जननी िजअत बदन िबध जोइिह ४

दोहा बहिर बचछ किह लाल किह रघपित रघबर तात

कबिह बोलाइ लगाइ िहय हरिष िनरिखहउ गात ६८

लिख सनह कातिर महतारी बचन न आव िबकल भइ भारी

राम बोध कीनह िबिध नाना समउ सनह न जाइ बखाना १

तब जानकी सास पग लागी सिनअ माय म परम अभागी

सवा समय दअ बन दीनहा मोर मनोरथ सफल न कीनहा २

तजब छोभ जिन छािड़अ छोह करम किठन कछ दोस न मोह

सिन िसय बचन सास अकलानी दसा कविन िबिध कहौ बखानी ३

बारिह बार लाइ उर लीनही धिर धीरज िसख आिसष दीनही

अचल होउ अिहवात तमहारा जब लिग गग जमन जल धारा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 33 - अयोधयाकाड

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सीतिह सास असीस िसख दीिनह अनक कार चली नाइ पद पदम िसर अित िहत बारिह बार ६९

समाचार जब लिछमन पाए बयाकल िबलख बदन उिठ धाए

कप पलक तन नयन सनीरा गह चरन अित म अधीरा १

किह न सकत कछ िचतवत ठाढ़ मीन दीन जन जल त काढ़

सोच हदय िबिध का होिनहारा सब सख सकत िसरान हमारा २

मो कह काह कहब रघनाथा रिखह िह भवन िक लहिह साथा

राम िबलोिक बध कर जोर दह गह सब सन तन तोर ३

बोल बचन राम नय नागर सील सनह सरल सख सागर

तात म बस जिन कदराह समिझ हदय पिरनाम उछाह ४

दोहा मात िपता गर सवािम िसख िसर धिर करिह सभाय

लहउ लाभ ितनह जनम कर नतर जनम जग जाय ७०

अस िजय जािन सनह िसख भाई करह मात िपत पद सवकाई

भवन भरत िरपसदन नाही राउ ब मम दख मन माही १

म बन जाउ तमहिह लइ साथा होइ सबिह िबिध अवध अनाथा

गर िपत मात जा पिरवार सब कह परइ दसह दख भार २

रहह करह सब कर पिरतोष नतर तात होइिह बड़ दोष

जास राज ि य जा दखारी सो नप अविस नरक अिधकारी ३

रहह तात अिस नीित िबचारी सनत लखन भए बयाकल भारी

िसअर बचन सिख गए क स परसत तिहन तामरस जस ४

दोहा उतर न आवत म बस गह चरन अकलाइ

नाथ दास म सवािम तमह तजह त काह बसाइ ७१

दीिनह मोिह िसख नीिक गोसाई लािग अगम अपनी कदराई

रामचिरतमानस - 34 - अयोधयाकाड

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नरबर धीर धरम धर धारी िनगम नीित कह त अिधकारी १

म िसस भ सनह ितपाला मदर मर िक लिह मराला

गर िपत मात न जानउ काह कहउ सभाउ नाथ पितआह २

जह लिग जगत सनह सगाई ीित तीित िनगम िनज गाई

मोर सबइ एक तमह सवामी दीनबध उर अतरजामी ३

धरम नीित उपदिसअ ताही कीरित भित सगित ि य जाही

मन म बचन चरन रत होई कपािसध पिरहिरअ िक सोई ४

दोहा करनािसध सबध क सिन मद बचन िबनीत

समझाए उर लाइ भ जािन सनह सभीत ७२

मागह िबदा मात सन जाई आवह बिग चलह बन भाई

मिदत भए सिन रघबर बानी भयउ लाभ बड़ गइ बिड़ हानी १

हरिषत हदय मात पिह आए मनह अध िफिर लोचन पाए

जाइ जनिन पग नायउ माथा मन रघनदन जानिक साथा २

पछ मात मिलन मन दखी लखन कही सब कथा िबसषी

गई सहिम सिन बचन कठोरा मगी दिख दव जन चह ओरा ३

लखन लखउ भा अनरथ आज एिह सनह बस करब अकाज

मागत िबदा सभय सकचाही जाइ सग िबिध किहिह िक नाही ४

दोहा समिझ सिम ा राम िसय रप ससील सभाउ

नप सनह लिख धनउ िसर पािपिन दीनह कदाउ ७३

धीरज धरउ कअवसर जानी सहज सहद बोली मद बानी

तात तमहािर मात बदही िपता राम सब भाित सनही १

अवध तहा जह राम िनवास तहइ िदवस जह भान कास

जौ प सीय राम बन जाही अवध तमहार काज कछ नािह २

गर िपत मात बध सर साई सइअिह सकल ान की नाई

रामचिरतमानस - 35 - अयोधयाकाड

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राम ानि य जीवन जी क सवारथ रिहत सखा सबही क ३

पजनीय ि य परम जहा त सब मािनअिह राम क नात

अस िजय जािन सग बन जाह लह तात जग जीवन लाह ४

दोहा भिर भाग भाजन भयह मोिह समत बिल जाउ

जौम तमहर मन छािड़ छल कीनह राम पद ठाउ ७४

प वती जबती जग सोई रघपित भगत जास सत होई

नतर बाझ भिल बािद िबआनी राम िबमख सत त िहत जानी १

तमहरिह भाग राम बन जाही दसर हत तात कछ नाही

सकल सकत कर बड़ फल एह राम सीय पद सहज सनह २

राग रोष इिरषा मद मोह जिन सपनह इनह क बस होह

सकल कार िबकार िबहाई मन म बचन करह सवकाई ३

तमह कह बन सब भाित सपास सग िपत मा त राम िसय जास

जिह न राम बन लहिह कलस सत सोइ करह इहइ उपदस ४ छद

उपदस यह जिह तात तमहर राम िसय सख पावही

िपत मात ि य पिरवार पर सख सरित बन िबसरावही

तलसी भिह िसख दइ आयस दीनह पिन आिसष दई

रित होउ अिबरल अमल िसय रघबीर पद िनत िनत नई

सोरठा मात चरन िसर नाइ चल तरत सिकत हदय

बागर िबषम तोराइ मनह भाग मग भाग बस ७५

गए लखन जह जानिकनाथ भ मन मिदत पाइ ि य साथ

बिद राम िसय चरन सहाए चल सग नपमिदर आए १

कहिह परसपर पर नर नारी भिल बनाइ िबिध बात िबगारी

रामचिरतमानस - 36 - अयोधयाकाड

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तन कस दख बदन मलीन िबकल मनह माखी मध छीन २

कर मीजिह िसर धिन पिछताही जन िबन पख िबहग अकलाही

भइ बिड़ भीर भप दरबारा बरिन न जाइ िबषाद अपारा ३

सिचव उठाइ राउ बठार किह ि य बचन राम पग धार

िसय समत दोउ तनय िनहारी बयाकल भयउ भिमपित भारी ४

दोहा सीय सिहत सत सभग दोउ दिख दिख अकलाइ

बारिह बार सनह बस राउ लइ उर लाइ ७६

सकइ न बोिल िबकल नरनाह सोक जिनत उर दारन दाह

नाइ सीस पद अित अनरागा उिठ रघबीर िबदा तब मागा १

िपत असीस आयस मोिह दीज हरष समय िबसमउ कत कीज

तात िकए ि य म माद जस जग जाइ होइ अपबाद २

सिन सनह बस उिठ नरनाहा बठार रघपित गिह बाहा

सनह तात तमह कह मिन कहही राम चराचर नायक अहही ३

सभ अर असभ करम अनहारी ईस दइ फल हदय िबचारी

करइ जो करम पाव फल सोई िनगम नीित अिस कह सब कोई ४

दोहा और कर अपराध कोउ और पाव फल भोग

अित िबिच भगवत गित को जग जान जोग ७७

राय राम राखन िहत लागी बहत उपाय िकए छल तयागी

लखी राम रख रहत न जान धरम धरधर धीर सयान १

तब नप सीय लाइ उर लीनही अित िहत बहत भाित िसख दीनही

किह बन क दख दसह सनाए सास ससर िपत सख समझाए २

िसय मन राम चरन अनरागा घर न सगम बन िबषम न लागा

औरउ सबिह सीय समझाई किह किह िबिपन िबपित अिधकाई ३

सिचव नािर गर नािर सयानी सिहत सनह कहिह मद बानी

रामचिरतमानस - 37 - अयोधयाकाड

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तमह कह तौ न दीनह बनबास करह जो कहिह ससर गर सास ४

दोहा िसख सीतिल िहत मधर मद सिन सीतिह न सोहािन

सरद चद चदिन लगत जन चकई अकलािन ७८

सीय सकच बस उतर न दई सो सिन तमिक उठी ककई

मिन पट भषन भाजन आनी आग धिर बोली मद बानी १

नपिह ान ि य तमह रघबीरा सील सनह न छािड़िह भीरा

सकत सजस परलोक नसाऊ तमहिह जान बन किहिह न काऊ २

अस िबचािर सोइ करह जो भावा राम जनिन िसख सिन सख पावा

भपिह बचन बानसम लाग करिह न ान पयान अभाग ३

लोग िबकल मरिछत नरनाह काह किरअ कछ सझ न काह

राम तरत मिन बष बनाई चल जनक जनिनिह िसर नाई ४

दोहा सिज बन साज समाज सब बिनता बध समत

बिद िब गर चरन भ चल किर सबिह अचत ७९

िनकिस बिस ार भए ठाढ़ दख लोग िबरह दव दाढ़

किह ि य बचन सकल समझाए िब बद रघबीर बोलाए १

गर सन किह बरषासन दीनह आदर दान िबनय बस कीनह

जाचक दान मान सतोष मीत पनीत म पिरतोष २

दासी दास बोलाइ बहोरी गरिह सौिप बोल कर जोरी

सब क सार सभार गोसाई करिब जनक जननी की नाई ३

बारिह बार जोिर जग पानी कहत राम सब सन मद बानी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जिह त रह भआल सखारी ४

दोहा मात सकल मोर िबरह जिह न होिह दख दीन

रामचिरतमानस - 38 - अयोधयाकाड

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सोइ उपाउ तमह करह सब पर जन परम बीन ८०

एिह िबिध राम सबिह समझावा गर पद पदम हरिष िसर नावा

गनपती गौिर िगरीस मनाई चल असीस पाइ रघराई १

राम चलत अित भयउ िबषाद सिन न जाइ पर आरत नाद

कसगन लक अवध अित सोक हहरष िबषाद िबबस सरलोक २

गइ मरछा तब भपित जाग बोिल सम कहन अस लाग

राम चल बन ान न जाही किह सख लािग रहत तन माही ३

एिह त कवन बयथा बलवाना जो दख पाइ तजिह तन ाना

पिन धिर धीर कहइ नरनाह ल रथ सग सखा तमह जाह ४

दोहा सिठ सकमार कमार दोउ जनकसता सकमािर

रथ चढ़ाइ दखराइ बन िफरह गए िदन चािर ८१

जौ निह िफरिह धीर दोउ भाई सतयसध दढ़ त रघराई

तौ तमह िबनय करह कर जोरी फिरअ भ िमिथलसिकसोरी १

जब िसय कानन दिख डराई कहह मोिर िसख अवसर पाई

सास ससर अस कहउ सदस पि िफिरअ बन बहत कलस २

िपतगह कबह कबह ससरारी रहह जहा र िच होइ तमहारी

एिह िबिध करह उपाय कदबा िफरइ त होइ ान अवलबा ३

नािह त मोर मरन पिरनामा कछ न बसाइ भए िबिध बामा

अस किह मरिछ परा मिह राऊ राम लखन िसय आिन दखाऊ ४

दोहा पाइ रजायस नाइ िसर रथ अित बग बनाइ

गयउ जहा बाहर नगर सीय सिहत दोउ भाइ ८२

तब सम नप बचन सनाए किर िबनती रथ राम चढ़ाए

चिढ़ रथ सीय सिहत दोउ भाई चल हदय अवधिह िसर नाई १

रामचिरतमानस - 39 - अयोधयाकाड

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चलत राम लिख अवध अनाथा िबकल लोग सब लाग साथा

कपािसध बहिबिध समझाविह िफरिह म बस पिन िफिर आविह २

लागित अवध भयाविन भारी मानह कालराित अिधआरी

घोर जत सम पर नर नारी डरपिह एकिह एक िनहारी ३

घर मसान पिरजन जन भता सत िहत मीत मनह जमदता

बागनह िबटप बिल किमहलाही सिरत सरोवर दिख न जाही ४

दोहा हय गय कोिटनह किलमग परपस चातक मोर

िपक रथाग सक सािरका सारस हस चकोर ८३

राम िबयोग िबकल सब ठाढ़ जह तह मनह िच िलिख काढ़

नगर सफल बन गहबर भारी खग मग िबपल सकल नर नारी १

िबिध ककई िकराितिन कीनही जिह दव दसह दसह िदिस दीनही

सिह न सक रघबर िबरहागी चल लोग सब बयाकल भागी २

सबिह िबचार कीनह मन माही राम लखन िसय िबन सख नाही

जहा राम तह सबइ समाज िबन रघबीर अवध निह काज ३

चल साथ अस म दढ़ाई सर दलरभ सख सदन िबहाई

राम चरन पकज ि य िजनहही िबषय भोग बस करिह िक ितनहही ४

दोहा बालक ब िबहाइ गह लग लोग सब साथ

तमसा तीर िनवास िकय थम िदवस रघनाथ ८४

रघपित जा मबस दखी सदय हदय दख भयउ िबसषी

करनामय रघनाथ गोसाई बिग पाइअिह पीर पराई १

किह स म मद बचन सहाए बहिबिध राम लोग समझाए

िकए धरम उपदस घनर लोग म बस िफरिह न फर २

सील सनह छािड़ निह जाई असमजस बस भ रघराई

लोग सोग म बस गए सोई कछक दवमाया मित मोई ३

रामचिरतमानस - 40 - अयोधयाकाड

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जबिह जाम जग जािमिन बीती राम सिचव सन कहउ स ीती

खोज मािर रथ हाकह ताता आन उपाय बिनिह निह बाता ४

दोहा राम लखन सय जान चिढ़ सभ चरन िसर नाइ

सिचव चलायउ तरत रथ इत उत खोज दराइ ८५

जाग सकल लोग भए भोर ग रघनाथ भयउ अित सोर

रथ कर खोज कतहह निह पाविह राम राम किह चह िदिस धाविह १

मनह बािरिनिध बड़ जहाज भयउ िबकल बड़ बिनक समाज

एकिह एक दिह उपदस तज राम हम जािन कलस २

िनदिह आप सराहिह मीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

जौ प ि य िबयोग िबिध कीनहा तौ कस मरन न माग दीनहा ३

एिह िबिध करत लाप कलापा आए अवध भर पिरतापा

िबषम िबयोग न जाइ बखाना अविध आस सब राखिह ाना ४

दोहा राम दरस िहत नम त लग करन नर नािर

मनह कोक कोकी कमल दीन िबहीन तमािर ८६

सीता सिचव सिहत दोउ भाई सगबरपर पहच जाई

उतर राम दवसिर दखी कीनह दडवत हरष िबसषी १

लखन सिचव िसय िकए नामा सबिह सिहत सख पायउ रामा

गग सकल मद मगल मला सब सख करिन हरिन सब सला २

किह किह कोिटक कथा सगा राम िबलोकिह गग तरगा

सिचविह अनजिह ि यिह सनाई िबबध नदी मिहमा अिधकाई ३

मजजन कीनह पथ म गयऊ सिच जल िपअत मिदत मन भयऊ

सिमरत जािह िमटइ म भार तिह म यह लौिकक बयवहार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 41 - अयोधयाकाड

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सधद सिचदानदमय कद भानकल कत

चिरत करत नर अनहरत ससित सागर सत ८७

यह सिध गह िनषाद जब पाई मिदत िलए ि य बध बोलाई

िलए फल मल भट भिर भारा िमलन चलउ िहय हरष अपारा १

किर दडवत भट धिर आग भिह िबलोकत अित अनराग

सहज सनह िबबस रघराई पछी कसल िनकट बठाई २

नाथ कसल पद पकज दख भयउ भागभाजन जन लख

दव धरिन धन धाम तमहारा म जन नीच सिहत पिरवारा ३

कपा किरअ पर धािरअ पाऊ थािपय जन सब लोग िसहाऊ

कहह सतय सब सखा सजाना मोिह दीनह िपत आयस आना ४

दोहा बरष चािरदस बास बन मिन त बष अहार

ाम बास निह उिचत सिन गहिह भयउ दख भार ८८

राम लखन िसय रप िनहारी कहिह स म ाम नर नारी

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस १

एक कहिह भल भपित कीनहा लोयन लाह हमिह िबिध दीनहा

तब िनषादपित उर अनमाना तर िससपा मनोहर जाना २

ल रघनाथिह ठाउ दखावा कहउ राम सब भाित सहावा

परजन किर जोहार घर आए रघबर सधया करन िसधाए ३

गह सवािर साथरी डसाई कस िकसलयमय मदल सहाई

सिच फल मल मधर मद जानी दोना भिर भिर राखिस पानी ४

दोहा िसय सम ाता सिहत कद मल फल खाइ

सयन कीनह रघबसमिन पाय पलोटत भाइ ८९

उठ लखन भ सोवत जानी किह सिचविह सोवन मद बानी

रामचिरतमानस - 42 - अयोधयाकाड

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कछक दर सिज बान सरासन जागन लग बिठ बीरासन १

गह बोलाइ पाहर तीती ठाव ठाव राख अित ीती

आप लखन पिह बठउ जाई किट भाथी सर चाप चढ़ाई २

सोवत भिह िनहािर िनषाद भयउ म बस हदय िबषाद

तन पलिकत जल लोचन बहई बचन स म लखन सन कहई ३

भपित भवन सभाय सहावा सरपित सदन न पटतर पावा

मिनमय रिचत चार चौबार जन रितपित िनज हाथ सवार ४

दोहा सिच सिबिच सभोगमय समन सगध सबास

पलग मज मिनदीप जह सब िबिध सकल सपास ९०

िबिबध बसन उपधान तराई छीर फन मद िबसद सहाई

तह िसय राम सयन िनिस करही िनज छिब रित मनोज मद हरही १

त िसय राम साथरी सोए िमत बसन िबन जािह न जोए

मात िपता पिरजन परबासी सखा ससील दास अर दासी २

जोगविह िजनहिह ान की नाई मिह सोवत तइ राम गोसाई

िपता जनक जग िबिदत भाऊ ससर सरस सखा रघराऊ ३

रामचद पित सो बदही सोवत मिह िबिध बाम न कही

िसय रघबीर िक कानन जोग करम धान सतय कह लोग ४

दोहा ककयनिदिन मदमित किठन किटलपन कीनह

जही रघनदन जानिकिह सख अवसर दख दीनह ९१

भइ िदनकर कल िबटप कठारी कमित कीनह सब िबसव दखा री

भयउ िबषाद िनषादिह भारी राम सीय मिह सयन िनहारी १

बोल लखन मधर मद बानी गयान िबराग भगित रस सानी

काह न कोउ सख दख कर दाता िनज कत करम भोग सब ाता २

जोग िबयोग भोग भल मदा िहत अनिहत मधयम म फदा

रामचिरतमानस - 43 - अयोधयाकाड

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जनम मरन जह लिग जग जाल सपती िबपित करम अर काल ३

धरिन धाम धन पर पिरवार सरग नरक जह लिग बयवहार

दिखअ सिनअ गिनअ मन माही मोह मल परमारथ नाही ४

दोहा सपन होइ िभखािर नप रक नाकपित होइ

जाग लाभ न हािन कछ ितिम पच िजय जोइ ९२

अस िबचािर निह कीजा रोस काहिह बािद न दइअ दोस

मोह िनसा सब सोविनहारा दिखअ सपन अनक कारा १

एिह जग जािमिन जागिह जोगी परमारथी पच िबयोगी

जािनअ तबिह जीव जग जागा जब जब िबषय िबलास िबरागा २

होइ िबबक मोह म भागा तब रघनाथ चरन अनरागा

सखा परम परमारथ एह मन म बचन राम पद नह ३

राम परमारथ रपा अिबगत अलख अनािद अनपा

सकल िबकार रिहत गतभदा किह िनत नित िनरपिह बदा ४

दोहा भगत भिम भसर सरिभ सर िहत लािग कपाल

करत चिरत धिर मनज तन सनत िमटिह जग जाल ९३

मासपारायण प हवा िव ाम

सखा समिझ अस पिरहिर मोह िसय रघबीर चरन रत होह

कहत राम गन भा िभनसारा जाग जग मगल सखदारा १

सकल सोच किर राम नहावा सिच सजान बट छीर मगावा

अनज सिहत िसर जटा बनाए दिख सम नयन जल छाए २

हदय दाह अित बदन मलीना कह कर जोिर बचन अित दीना

नाथ कहउ अस कोसलनाथा ल रथ जाह राम क साथा ३

बन दखाइ सरसिर अनहवाई आनह फिर बिग दोउ भाई

रामचिरतमानस - 44 - अयोधयाकाड

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लखन राम िसय आनह फरी ससय सकल सकोच िनबरी ४

दोहा नप अस कहउ गोसाई जस कहइ करौ बिल सोइ

किर िबनती पायनह परउ दीनह बाल िजिम रोइ ९४

तात कपा किर कीिजअ सोई जात अवध अनाथ न होई

म िह राम उठाइ बोधा तात धरम मत तमह सब सोधा १

िसिब दधीिच हिरचद नरसा सह धरम िहत कोिट कलसा

रितदव बिल भप सजाना धरम धरउ सिह सकट नाना २

धरम न दसर सतय स माना आगम िनगम परान बखाना

म सोइ धरम सलभ किर पावा तज ितह पर अपजस छावा ३

सभािवत कह अपजस लाह मरन कोिट सम दारन दाह

तमह सन तात बहत का कहऊ िदए उतर िफिर पातक लहऊ ४

दोहा िपत पद गिह किह कोिट नित िबनय करब कर जोिर िचता कविनह बात क तात किरअ जिन मोिर ९५

तमह पिन िपत सम अित िहत मोर िबनती करउ तात कर जोर

सब िबिध सोइ करतबय तमहार दख न पाव िपत सोच हमार १

सिन रघनाथ सिचव सबाद भयउ सपिरजन िबकल िनषाद

पिन कछ लखन कही कट बानी भ बरज बड़ अ निचत जानी २

सकिच राम िनज सपथ दवाई लखन सदस किहअ जिन जाई

कह सम पिन भप सदस सिह न सिकिह िसय िबिपन कलस ३

जिह िबिध अवध आव िफिर सीया सोइ रघबरिह तमहिह करनीया

नतर िनपट अवलब िबहीना म न िजअब िजिम जल िबन मीना ४

दोहा मइक ससर सकल सख जबिह जहा मन मान

रामचिरतमानस - 45 - अयोधयाकाड

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तह तब रिहिह सखन िसय जब लिग िबपित िबहान ९६

िबनती भप कीनह जिह भाती आरित ीित न सो किह जाती

िपत सदस सिन कपािनधाना िसयिह दीनह िसख कोिट िबधाना १

सास ससर गर ि य पिरवार िफरत त सब कर िमट खभार

सिन पित बचन कहित बदही सनह ानपित परम सनही २

भ करनामय परम िबबकी तन तिज रहित छाह िकिम छकी

भा जाइ कह भान िबहाई कह चि का चद तिज जाई ३

पितिह ममय िबनय सनाई कहित सिचव सन िगरा सहाई

तमह िपत ससर सिरस िहतकारी उतर दउ िफिर अनिचत भारी ४

दोहा आरित बस सनमख भइउ िबलग न मानब तात

आरजसत पद कमल िबन बािद जहा लिग नात ९७

िपत बभव िबलास म डीठा नप मिन मकट िमिलत पद पीठा

सखिनधान अस िपत गह मोर िपय िबहीन मन भाव न भोर १

ससर चककवइ कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

आग होइ जिह सरपित लई अरध िसघासन आसन दई २

ससर एतादस अवध िनवास ि य पिरवार मात सम सास

िबन रघपित पद पदम परागा मोिह कउ सपनह सखद न लागा ३

अगम पथ बनभिम पहारा किर कहिर सर सिरत अपारा

कोल िकरात करग िबहगा मोिह सब सखद ानपित सगा ४

दोहा सास ससर सन मोिर हित िबनय करिब पिर पाय

मोर सोच जिन किरअ कछ म बन सखी सभाय ९८

ाननाथ ि य दवर साथा बीर धरीन धर धन भाथा

निह मग म म दख मन मोर मोिह लिग सोच किरअ जिन भोर १

रामचिरतमानस - 46 - अयोधयाकाड

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सिन सम िसय सीतिल बानी भयउ िबकल जन फिन मिन हानी

नयन सझ निह सनइ न काना किह न सकइ कछ अित अकलाना २

राम बोध कीनह बह भाित तदिप होित निह सीतिल छाती

जतन अनक साथ िहत कीनह उिचत उतर रघनदन दीनह ३

मिट जाइ निह राम रजाई किठन करम गित कछ न बसाई

राम लखन िसय पद िसर नाई िफरउ बिनक िजिम मर गवाई ४

दोहा रथ हाकउ हय राम तन हिर हिर िहिहनािह

दिख िनषाद िबषादबस धनिह सीस पिछतािह ९९

जास िबयोग िबकल पस ऐस जा मात िपत जीहिह कस

बरबस राम सम पठाए सरसिर तीर आप तब आए १

मागी नाव न कवट आना कहइ तमहार मरम म जाना

चरन कमल रज कह सब कहई मानष करिन मिर कछ अहई २

छअत िसला भइ नािर सहाई पाहन त न काठ किठनाई

तरिनउ मिन घिरिन होइ जाई बाट परइ मोिर नाव उड़ाई ३

एिह ितपालउ सब पिरवार निह जानउ कछ अउर कबार

जौ भ पार अविस गा चहह मोिह पद पदम पखारन कहह ४ छद

पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौ

मोिह राम राउिर आन दसरथ सपथ सब साची कहौ

बर तीर मारह लखन प जब लिग न पाय पखािरहौ

तब लिग न तलसीदास नाथ कपाल पार उतािरहौ

सोरठा सिन कबट क बन म लपट अटपट

िबहस करनाऐन िचतइ जानकी लखन तन १००

रामचिरतमानस - 47 - अयोधयाकाड

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कपािसध बोल मसकाई सोइ कर जिह तव नाव न जाई

विग आन जल पाय पखार होत िबलब उतारिह पार १

जास नाम समरत एक बारा उतरिह नर भविसध अपारा

सोइ कपाल कवटिह िनहोरा जिह जग िकय ितह पगह त थोरा २

पद नख िनरिख दवसिर हरषी सिन भ बचन मोह मित करषी

कवट राम रजायस पावा पािन कठवता भिर लइ आवा ३

अित आनद उमिग अनरागा चरन सरोज पखारन लागा

बरिष समन सर सकल िसहाही एिह सम पनयपज कोउ नाही ४

दोहा पद पखािर जल पान किर आप सिहत पिरवार

िपतर पार किर भिह पिन मिदत गयउ लइ पार १०१

उतिर ठाड़ भए सरसिर रता सीयराम गह लखन समता

कवट उतिर दडवत कीनहा भिह सकच एिह निह कछ दीनहा १

िपय िहय की िसय जानिनहारी मिन मदरी मन मिदत उतारी

कहउ कपाल लिह उतराई कवट चरन गह अकलाई २

नाथ आज म काह न पावा िमट दोष दख दािरद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी आज दीनह िबिध बिन भिल भरी ३

अब कछ नाथ न चािहअ मो र दीनदयाल अन ह तोर

िफरती बार मोिह ज दबा सो साद म िसर धिर लबा ४

दोहा बहत कीनह भ लखन िसय निह कछ कवट लइ

िबदा कीनह करनायतन भगित िबमल बर दइ १०२

तब मजजन किर रघकलनाथा पिज पारिथव नायउ माथा

िसय सरसिरिह कहउ कर जोरी मात मनोरथ परउिब मोरी १

पित दवर सग कसल बहोरी आइ करौ जिह पजा तोरी

सिन िसय िबनय म रस सानी भइ तब िबमल बािर बर बानी २

रामचिरतमानस - 48 - अयोधयाकाड

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सन रघबीर ि या बदही तव भाउ जग िबिदत न कही

लोकप होिह िबलोकत तोर तोिह सविह सब िसिध कर जोर ३

तमह जो हमिह बिड़ िबनय सनाई कपा कीिनह मोिह दीिनह बड़ाई

तदिप दिब म दिब असीसा सफल होपन िहत िनज बागीसा ४

दोहा ाननाथ दवर सिहत कसल कोसला आइ

पजिह सब मनकामना सजस रिहिह जग छाइ १०३

गग बचन सिन मगल मला मिदत सीय सरसिर अनकला

तब भ गहिह कहउ घर जाह सनत सख मख भा उर दाह १

दीन बचन गह कह कर जोरी िबनय सनह रघकलमिन मोरी

नाथ साथ रिह पथ दखाई किर िदन चािर चरन सवकाई २

जिह बन जाइ रहब रघराई परनकटी म करिब सहाई

तब मोिह कह जिस दब रजाई सोइ किरहउ रघबीर दोहाई ३

सहज सनह राम लिख तास सग लीनह गह हदय हलास

पिन गह गयाित बोिल सब लीनह किर पिरतोष िबदा तब कीनह ४

दोहा तब गनपित िसव सिमिर भ नाइ सरसिरिह माथ

सखा अनज िसया सिहत बन गवन कीनह रधनाथ १०४

तिह िदन भयउ िबटप तर बास लखन सखा सब कीनह सपास

ात ातकत किर रधसाई तीरथराज दीख भ जाई १

सिचव सतय धदा ि य नारी माधव सिरस मीत िहतकारी

चािर पदारथ भरा भडार पनय दस दस अित चार २

छ अगम गढ़ गाढ़ सहावा सपनह निह ितपिचछनह पावा

सन सकल तीरथ बर बीरा कलष अनीक दलन रनधीरा ३

सगम िसहासन सिठ सोहा छ अखयबट मिन मन मोहा

चवर जमन अर गग तरगा दिख होिह दख दािरद भगा ४

रामचिरतमानस - 49 - अयोधयाकाड

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दोहा

सविह सकित साध सिच पाविह सब मनकाम

बदी बद परान गन कहिह िबमल गन ाम १०५

को किह सकइ याग भाऊ कलष पज कजर मगराऊ

अस तीरथपित दिख सहावा सख सागर रघबर सख पावा १

किह िसय लखनिह सखिह सनाई ीमख तीरथराज बड़ाई

किर नाम दखत बन बागा कहत महातम अित अनरागा २

एिह िबिध आइ िबलोकी बनी सिमरत सकल समगल दनी

मिदत नहाइ कीिनह िसव सवा पिज जथािबिध तीरथ दवा ३

तब भ भर ाज पिह आए करत दडवत मिन उर लाए

मिन मन मोद न कछ किह जाइ ानद रािस जन पाई ४

दोहा दीिनह असीस मनीस उर अित अनद अस जािन

लोचन गोचर सकत फल मनह िकए िबिध आिन १०६

कसल सन किर आसन दीनह पिज म पिरपरन कीनह

कद मल फल अकर नीक िदए आिन मिन मनह अमी क १

सीय लखन जन सिहत सहाए अित रिच राम मल फल खाए

भए िबगत म राम सखार भरवदाज मद बचन उचार २

आज सफल तप तीरथ तयाग आज सफल जप जोग िबराग

सफल सकल सभ साधन साज राम तमहिह अवलोकत आज ३

लाभ अविध सख अविध न दजी तमहार दरस आस सब पजी

अब किर कपा दह बर एह िनज पद सरिसज सहज सनह ४

दोहा करम बचन मन छािड़ छल जब लिग जन न तमहार

तब लिग सख सपनह नही िकए कोिट उपचार १०७

रामचिरतमानस - 50 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन राम सकचान भाव भगित आनद अघान

तब रघबर मिन सजस सहावा कोिट भाित किह सबिह सनावा १

सो बड सो सब गन गन गह जिह मनीस तमह आदर दह

मिन रघबीर परसपर नवही बचन अगोचर सख अनभवही २

यह सिध पाइ याग िनवासी बट तापस मिन िस उदासी

भर ाज आ म सब आए दखन दसरथ सअन सहाए ३

राम नाम कीनह सब काह मिदत भए लिह लोयन लाह

दिह असीस परम सख पाई िफर सराहत सदरताई ४

दोहा राम कीनह िब ाम िनिस ात याग नहाइ

चल सिहत िसय लखन जन मदिदत मिनिह िसर नाइ १०८

राम स म कहउ मिन पाही नाथ किहअ हम किह मग जाही

मिन मन िबहिस राम सन कहहीसगम सकल मग तमह कह अहही १

साथ लािग मिन िसषय बोलाए सिन मन मिदत पचासक आए

सबिनह राम पर म अपारा सकल कहिह मग दीख हमारा २

मिन बट चािर सग तब दीनह िजनह बह जनम सकत सब कीनह

किर नाम िरिष आयस पाई मिदत हदय चल रघराई ३

ाम िनकट जब िनकसिह जाई दखिह दरस नािर नर धाई

होिह सनाथ जनम फल पाई िफरिह दिखत मन सग पठा ई ४

दोहा िबदा िकए बट िबनय किर िफर पाइ मन काम उतिर नहाए जमन जल जो सरीर सम सयाम १०९

सनत तीरवासी नर नारी धाए िनज िनज काज िबसारी

लखन राम िसय सनदरताई दिख करिह िनज भागय बड़ाई १

अित लालसा बसिह मन माही नाउ गाउ बझत सकचाही

रामचिरतमानस - 51 - अयोधयाकाड

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ज ितनह मह बयिबिरध सयान ितनह किर जगित राम पिहचान २

सकल कथा ितनह सबिह सनाई बनिह चल िपत आयस पाई

सिन सिबषाद सकल पिछताही रानी राय कीनह भल नाही ३

तिह अवसर एक तापस आवा तजपज लघबयस सहावा

किव अलिखत गित बष िबरागी मन म बचन राम अनरागी ४

दोहा सजल नयन तन पलिक िनज इ दउ पिहचािन

परउ दड िजिम धरिनतल दसा न जाइ बखािन ११०

राम स म पलिक उर लावा परम रक जन पारस पावा

मनह म परमारथ दोऊ िमलत धर तन कह सब कोऊ १

बहिर लखन पायनह सोइ लागा लीनह उठाइ उमिग अनरागा

पिन िसय चरन धिर धिर सीसा जनिन जािन िसस दीिनह असीसा २

कीनह िनषाद दडवत तही िमलउ मिदत लिख राम सनही

िपअत नयन पट रप िपयषा मिदत सअसन पाइ िजिम भखा ३

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस

राम लखन िसय रप िनहारी होिह सनह िबकल नर नारी ४

दोहा तब रघबीर अनक िबिध सखिह िसखावन दीनह

राम रजायस सीस धिर भवन गवन तइ कीनह १११

पिन िसय राम लखन कर जोरी जमनिह कीनह नाम बहोरी

चल ससीय मिदत दोउ भाई रिबतनजा कइ करत बड़ाई १

पिथक अनक िमलिह मग जाता कहिह स म दिख दोउ ाता

राज लखन सब अग तमहार दिख सोच अित हदय हमार २

मारग चलह पयादिह पाए जयोितष झठ हमार भाए

अगम पथ िगिर कानन भारी तिह मह साथ नािर सकमारी ३

किर कहिर बन जाइ न जोई हम सग चलिह जो आयस होई

रामचिरतमानस - 52 - अयोधयाकाड

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जाब जहा लिग तह पहचाई िफरब बहोिर तमहिह िसर नाई ४

दोहा एिह िबिध पछिह म बस पलक गात जल नन कपािसध फरिह ितनहिह किह िबनीत मद बन ११२

ज पर गाव बसिह मग माही ितनहिह नाग सर नगर िसहाही

किह सकती किह घरी बसाए धनय पनयमय परम सहाए १

जह जह राम चरन चिल जाही ितनह समान अमरावित नाही

पनयपज मग िनकट िनवासी ितनहिह सराहिह सरपरबासी २

ज भिर नयन िबलोकिह रामिह सीता लखन सिहत घनसयामिह

ज सर सिरत राम अवगाहिह ितनहिह दव सर सिरत सराहिह ३

जिह तर तर भ बठिह जाई करिह कलपतर तास बड़ाई

परिस राम पद पदम परागा मानित भिम भिर िनज भागा ४

दोहा छाह करिह घन िबबधगन बरषिह समन िसहािह

दखत िगिर बन िबहग मग राम चल मग जािह ११३

सीता लखन सिहत रघराई गाव िनकट जब िनकसिह जाई

सिन सब बाल ब नर नारी चलिह तरत गहकाज िबसारी १

राम लखन िसय रप िनहारी पाइ नयनफल होिह सखारी

सजल िबलोचन पलक सरीरा सब भए मगन दिख दोउ बीरा २

बरिन न जाइ दसा ितनह करी लिह जन रकनह सरमिन ढरी

एकनह एक बोिल िसख दही लोचन लाह लह छन एही ३

रामिह दिख एक अनराग िचतवत चल जािह सग लाग

एक नयन मग छिब उर आनी होिह िसिथल तन मन बर बानी ४

दोहा एक दिख बट छाह भिल डािस मदल तन पात

रामचिरतमानस - 53 - अयोधयाकाड

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कहिह गवाइअ िछनक म गवनब अबिह िक ात ११४

एक कलस भिर आनिह पानी अचइअ नाथ कहिह मद बानी

सिन ि य बचन ीित अित दखी राम कपाल ससील िबसषी १

जानी िमत सीय मन माही घिरक िबलब कीनह बट छाही

मिदत नािर नर दखिह सोभा रप अनप नयन मन लोभा २

एकटक सब सोहिह चह ओरा रामच मख चद चकोरा

तरन तमाल बरन तन सोहा दखत कोिट मदन मन मोहा ३

दािमिन बरन लखन सिठ नीक नख िसख सभग भावत जी क

मिनपट किटनह कस तनीरा सोहिह कर कमिलिन धन तीरा ४

दोहा जटा मकट सीसिन सभग उर भज नयन िबसाल

सरद परब िबध बदन बर लसत सवद कन जाल ११५

बरिन न जाइ मनोहर जोरी सोभा बहत थोिर मित मोरी

राम लखन िसय सदरताई सब िचतविह िचत मन मित लाई १

थक नािर नर म िपआस मनह मगी मग दिख िदआ स

सीय समीप ामितय जाही पछत अित सनह सकचाही २

बार बार सब लागिह पाए कहिह बचन मद सरल सभाए

राजकमािर िबनय हम करही ितय सभाय कछ पछत डरही ३

सवािमिन अिबनय छमिब हमारी िबलग न मानब जािन गवारी

राजकअर दोउ सहज सलोन इनह त लही दित मरकत सोन ४

दोहा सयामल गौर िकसोर बर सदर सषमा ऐन

सरद सबररीनाथ मख सरद सरोरह नन ११६

मासपारायण सोलहवा िव ाम

नवानहपारायण चौथा िव ाम

रामचिरतमानस - 54 - अयोधयाकाड

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कोिट मनोज लजाविनहार समिख कहह को आिह तमहार

सिन सनहमय मजल बानी सकची िसय मन मह मसकानी १

ितनहिह िबलोिक िबलोकित धरनी दह सकोच सकिचत बरबरनी

सकिच स म बाल मग नयनी बोली मधर बचन िपकबयनी २

सहज सभाय सभग तन गोर नाम लखन लघ दवर मोर

बहिर बदन िबध अचल ढाकी िपय तन िचतइ भौह किर बाकी ३

खजन मज ितरीछ नयनिन िनज पित कहउ ितनहिह िसय सयनिन

भइ मिदत सब ामबधटी रकनह राय रािस जन लटी ४

दोहा अित स म िसय पाय पिर बहिबिध दिह असीस

सदा सोहािगिन होह तमह जब लिग मिह अिह सीस ११७

पारबती सम पिति य होह दिब न हम पर छाड़ब छोह

पिन पिन िबनय किरअ कर जोरी जौ एिह मारग िफिरअ बहोरी १

दरसन दब जािन िनज दासी लखी सीय सब म िपआसी

मधर बचन किह किह पिरतोषी जन कमिदनी कौमदी पोषी २

तबिह लखन रघबर रख जानी पछउ मग लोगिनह मद बानी

सनत नािर नर भए दखारी पलिकत गात िबलोचन बारी ३

िमटा मोद मन भए मलीन िबिध िनिध दीनह लत जन छीन

समिझ करम गित धीरज कीनहासोिध सगम मग ितनह किह दीनहा ४

दोहा लखन जानकी सिहत तब गवन कीनह रघनाथ

फर सब ि य बचन किह िलए लाइ मन साथ ११८

िफरत नािर नर अित पिछताही दअिह दोष दिह मन माही

सिहत िबषाद परसपर कहही िबिध करतब उलट सब अहही १

िनपट िनरकस िनठर िनसक जिह सिस कीनह सरज सकलक

रामचिरतमानस - 55 - अयोधयाकाड

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रख कलपतर सागर खारा तिह पठए बन राजकमारा २

जौ प इनहिह दीनह बनबास कीनह बािद िबिध भोग िबलास

ए िबचरिह मग िबन पद ाना रच बािद िबिध बाहन नाना ३

ए मिह परिह डािस कस पाता सभग सज कत सजत िबधाता

तरबर बास इनहिह िबिध दीनहा धवल धाम रिच रिच म कीनहा ४

दोहा जौ ए मिन पट धर जिटल सदर सिठ सकमार

िबिबध भाित भषन बसन बािद िकए करतार ११९

जौ ए कद मल फल खाही बािद सधािद असन जग माही

एक कहिह ए सहज सहाए आप गट भए िबिध न बनाए १

जह लिग बद कही िबिध करनी वन नयन मन गोचर बरनी

दखह खोिज भअन दस चारी कह अस परष कहा अिस नारी २

इनहिह दिख िबिध मन अनरागा पटतर जोग बनाव लागा

कीनह बहत म ऐक न आए तिह इिरषा बन आिन दराए ३

एक कहिह हम बहत न जानिह आपिह परम धनय किर मानिह

त पिन पनयपज हम लख ज दखिह दिखहिह िजनह दख ४

दोहा एिह िबिध किह किह बचन ि य लिह नयन भिर नीर

िकिम चिलहिह मारग अगम सिठ सकमार सरीर १२०

नािर सनह िबकल बस होही चकई साझ समय जन सोही

मद पद कमल किठन मग जानी गहबिर हदय कहिह बर बानी १

परसत मदल चरन अरनार सकचित मिह िजिम हदय हमार

जौ जगदीस इनहिह बन दीनहा कस न समनमय मारग कीनहा २

जौ मागा पाइअ िबिध पाही ए रिखअिह सिख आिखनह माही

ज नर नािर न अवसर आए ितनह िसय राम न दखन पाए ३

सिन सरप बझिह अकलाई अब लिग गए कहा लिग भाई

रामचिरतमानस - 56 - अयोधयाकाड

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समरथ धाइ िबलोकिह जाई मिदत िफरिह जनमफल पाई ४

दोहा अबला बालक ब जन कर मीजिह पिछतािह

होिह मबस लोग इिम राम जहा जह जािह १२१

गाव गाव अस होइ अनद दिख भानकल करव चद

ज कछ समाचार सिन पाविह त नप रािनिह दोस लगाविह १

कहिह एक अित भल नरनाह दीनह हमिह जोइ लोचन लाह

कहिह परसपर लोग लोगाई बात सरल सनह सहाई २

त िपत मात धनय िजनह जाए धनय सो नगर जहा त आए

धनय सो दस सल बन गाऊ जह जह जािह धनय सोइ ठाऊ ३

सख पायउ िबरिच रिच तही ए जिह क सब भाित सनही

राम लखन पिथ कथा सहाई रही सकल मग कानन छाई ४

दोहा एिह िबिध रघकल कमल रिब मग लोगनह सख दत

जािह चल दखत िबिपन िसय सौिमि समत १२२

आग राम लखन बन पाछ तापस बष िबराजत काछ

उभय बीच िसय सोहित कस जीव िबच माया जस १

बहिर कहउ छिब जिस मन बसई जन मध मदन मधय रित लसई

उपमा बहिर कहउ िजय जोही जन बध िबध िबच रोिहिन सोही २

भ पद रख बीच िबच सीता धरित चरन मग चलित सभीता

सीय राम पद अक बराए लखन चलिह मग दािहन लाए ३

राम लखन िसय ीित सहाई बचन अगोचर िकिम किह जाई

खग मग मगन दिख छिब होही िलए चोिर िचत राम बटोही ४

दोहा िजनह िजनह दख पिथक ि य िसय समत दोउ भाइ

रामचिरतमानस - 57 - अयोधयाकाड

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भव मग अगम अनद तइ िबन म रह िसराइ १२३

अजह जास उर सपनह काऊ बसह लखन िसय राम बटाऊ

राम धाम पथ पाइिह सोई जो पथ पाव कबह मिन कोई १

तब रघबीर िमत िसय जानी दिख िनकट बट सीतल पानी

तह बिस कद मल फल खाई ात नहाइ चल रघराई २

दखत बन सर सल सहाए बालमीिक आ म भ आए

राम दीख मिन बास सहावन सदर िगिर कानन जल पावन ३

सरिन सरोज िबटप बन फल गजत मज मधप रस भल

खग मग िबपल कोलाहल करही िबरिहत बर मिदत मन चरही ४

दोहा सिच सदर आ म िनरिख हरष रािजवनन

सिन रघबर आगमन मिन आग आयउ लन १२४

मिन कह राम दडवत कीनहा आिसरबाद िब बर दीनहा

दिख राम छिब नयन जड़ान किर सनमान आ मिह आन १

मिनबर अितिथ ानि य पाए कद मल फल मधर मगाए

िसय सौिमि राम फल खाए तब मिन आ म िदए सहाए २

बालमीिक मन आनद भारी मगल मरित नयन िनहारी

तब कर कमल जोिर रघराई बोल बचन वन सखदाई ३

तमह ि काल दरसी मिननाथा िबसव बदर िजिम तमहर हाथा

अस किह भ सब कथा बखानी जिह जिह भाित दीनह बन रानी ४

दोहा तात बचन पिन मात िहत भाइ भरत अस राउ

मो कह दरस तमहार भ सब मम पनय भाउ १२५

दिख पाय मिनराय तमहार भए सकत सब सफल हमार

अब जह राउर आयस होई मिन उदबग न पाव कोई १

रामचिरतमानस - 58 - अयोधयाकाड

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मिन तापस िजनह त दख लहही त नरस िबन पावक दहही

मगल मल िब पिरतोष दहइ कोिट कल भसर रोष २

अस िजय जािन किहअ सोइ ठाऊ िसय सौिमि सिहत जह जाऊ

तह रिच रिचर परन तन साला बास करौ कछ काल कपाला ३

सहज सरल सिन रघबर बानी साध साध बोल मिन गयानी

कस न कहह अस रघकलकत तमह पालक सतत ित सत ४ छद

ित सत पालक राम तमह जगदीस माया जानकी

जो सजित जग पालित हरित रख पाइ कपािनधान की

जो सहससीस अहीस मिहधर लखन सचराचर धनी

सर काज धिर नरराज तन चल दलन खल िनिसचर अनी

सोरठा राम सरप तमहार बचन अगोचर बि पर

अिबगत अकथ अपार नित िनत िनगम कह १२६

जग पखन तमह दखिनहार िबिध हिर सभ नचाविनहार

तउ न जानिह मरम तमहारा और तमहिह को जानिनहारा १

सोइ जानइ जिह दह जनाई जानत तमहिह तमहइ होइ जाई

तमहिरिह कपा तमहिह रघनदन जानिह भगत भगत उर चदन २

िचदानदमय दह तमहारी िबगत िबकार जान अिधकारी

नर तन धरह सत सर काजा कहह करह जस ाकत राजा ३

राम दिख सिन चिरत तमहार जड़ मोहिह बध होिह सखार

तमह जो कहह करह सब साचा जस कािछअ तस चािहअ नाचा ४

दोहा पछह मोिह िक रहौ कह म पछत सकचाउ

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावौ ठाउ १२७

रामचिरतमानस - 59 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन म रस सान सकिच राम मन मह मसकान

बालमीिक हिस कहिह बहोरी बानी मधर अिमअ रस बोरी १

सनह राम अब कहउ िनकता जहा बसह िसय लखन सम ता

िजनह क वन सम समाना कथा तमहािर सभग सिर नाना २

भरिह िनरतर होिह न पर ितनह क िहय तमह कह गह रर

लोचन चातक िजनह किर राख रहिह दरस जलधर अिभलाष ३

िनदरिह सिरत िसध सर भारी रप िबद जल होिह सखारी

ितनह क हदय सदन सखदायक बसह बध िसय सह रघनायक ४

दोहा जस तमहार मानस िबमल हिसिन जीहा जास

मकताहल गन गन चनइ राम बसह िहय तास १२८

भ साद सिच सभग सबासा सादर जास लहइ िनत नासा

तमहिह िनबिदत भोजन करही भ साद पट भषन धरही १

सीस नविह सर गर ि ज दखी ीित सिहत किर िबनय िबसषी

कर िनत करिह राम पद पजा राम भरोस हदय निह दजा २

चरन राम तीरथ चिल जाही राम बसह ितनह क मन माही

म राज िनत जपिह तमहारा पजिह तमहिह सिहत पिरवारा ३

तरपन होम करिह िबिध नाना िब जवाइ दिह बह दाना

तमह त अिधक गरिह िजय जानी सकल भाय सविह सनमानी ४

दोहा सब किर मागिह एक फल राम चरन रित होउ

ितनह क मन मिदर बसह िसय रघनदन दोउ १२९

काम कोह मद मान न मोहा लोभ न छोभ न राग न ोहा

िजनह क कपट दभ निह माया ितनह क हदय बसह रघराया १

सब क ि य सब क िहतकारी दख सख सिरस ससा गारी

कहिह सतय ि य बचन िबचारी जागत सोवत सरन तमहारी २

रामचिरतमानस - 60 - अयोधयाकाड

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तमहिह छािड़ गित दसिर नाही राम बसह ितनह क मन माही

जननी सम जानिह परनारी धन पराव िबष त िबष भारी ३

ज हरषिह पर सपित दखी दिखत होिह पर िबपित िबसषी

िजनहिह राम तमह ानिपआर ितनह क मन सभ सदन तमहार ४

दोहा सवािम सखा िपत मात गर िजनह क सब तमह तात

मन मिदर ितनह क बसह सीय सिहत दोउ ात १३०

अवगन तिज सब क गन गहही िब धन िहत सकट सहही

नीित िनपन िजनह कइ जग लीकाघर तमहार ितनह कर मन नीका १

गन तमहार समझइ िनज दोसा जिह सब भाित तमहार भरोसा

राम भगत ि य लागिह जही तिह उर बसह सिहत बदही २

जाित पाित धन धरम बड़ाई ि य पिरवार सदन सखदाई

सब तिज तमहिह रहइ उर लाई तिह क हदय रहह रघराई ३

सरग नरक अपबरग समाना जह तह दख धर धन बाना

करम बचन मन राउर चरा राम करह तिह क उर डरा ४

दोहा जािह न चािहअ कबह कछ तमह सन सहज सनह

बसह िन रतर तास मन सो राउर िनज गह १३१

एिह िबिध मिनबर भवन दखाए बचन स म राम मन भाए

कह मिन सनह भानकलनायक आ म कहउ समय सखदायक १

िच कट िगिर करह िनवास तह तमहार सब भाित सपास

सल सहावन कानन चार किर कहिर मग िबहग िबहार २

नदी पनीत परान बखानी अि ि या िनज तपबल आनी

सरसिर धार नाउ मदािकिन जो सब पातक पोतक डािकिन ३

अि आिद मिनबर बह बसही करिह जोग जप तप तन कसही

रामचिरतमानस - 61 - अयोधयाकाड

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चलह सफल म सब कर करह राम दह गौरव िगिरबरह ४

दोहा िच कट मिहमा अिमत कही महामिन गाइ

आए नहाए सिरत बर िसय समत दोउ भाइ १३२

रघबर कहउ लखन भल घाट करह कतह अब ठाहर ठाट

लखन दीख पय उतर करारा चह िदिस िफरउ धनष िजिम नारा १

नदी पनच सर सम दम दाना सकल कलष किल साउज नाना

िच कट जन अचल अहरी चकइ न घात मार मठभरी २

अस किह लखन ठाउ दखरावा थल िबलोिक रघबर सख पावा

रमउ राम मन दवनह जाना चल सिहत सर थपित धाना ३

कोल िकरात बष सब आए रच परन तन सदन सहाए

बरिन न जािह मज दइ साला एक लिलत लघ एक िबसाला ४

दोहा लखन जानकी सिहत भ राजत रिचर िनकत

सोह मदन मिन बष जन रित िरतराज समत १३३

मासपारायण स हवा िव ाम

अमर नाग िकनर िदिसपाला िच कट आए तिह काला

राम नाम कीनह सब काह मिदत दव लिह लोचन लाह १

बरिष समन कह दव समाज नाथ सनाथ भए हम आज

किर िबनती दख दसह सनाए हरिषत िनज िनज सदन िसधाए २

िच कट रघनदन छाए समाचार सिन सिन मिन आए

आवत दिख मिदत मिनबदा कीनह दडवत रघकल चदा ३

मिन रघबरिह लाइ उर लही सफल होन िहत आिसष दही

िसय सौिम राम छिब दखिह साधन सकल सफल किर लखिह ४

रामचिरतमानस - 62 - अयोधयाकाड

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दोहा जथाजोग सनमािन भ िबदा िकए मिनबद

करिह जोग जप जाग तप िनज आ मिनह सछद १३४

यह सिध कोल िकरातनह पाई हरष जन नव िनिध घर आई

कद मल फल भिर भिर दोना चल रक जन लटन सोना १

ितनह मह िजनह दख दोउ ाता अपर ितनहिह पछिह मग जाता

कहत सनत रघबीर िनकाई आइ सबिनह दख रघराई २

करिह जोहार भट धिर आग भिह िबलोकिह अित अनराग

िच िलख जन जह तह ठाढ़ पलक सरीर नयन जल बाढ़ ३

राम सनह मगन सब जान किह ि य बचन सकल सनमान

भिह जोहािर बहोिर बहोरी बचन िबनीत कहिह कर जोरी ४

दोहा अब हम नाथ सनाथ सब भए दिख भ पाय

भाग हमार आगमन राउर कोसलराय १३५

धनय भिम बन पथ पहारा जह जह नाथ पाउ तमह धारा

धनय िबहग मग काननचारी सफल जनम भए तमहिह िनहारी १

हम सब धनय सिहत पिरवारा दीख दरस भिर नयन तमहारा

कीनह बास भल ठाउ िबचारी इहा सकल िरत रहब सखारी २

हम सब भाित करब सवकाई किर कहिर अिह बाघ बराई

बन बहड़ िगिर कदर खोहा सब हमार भ पग पग जोहा ३

तह तह तमहिह अहर खलाउब सर िनरझर जलठाउ दखाउब

हम सवक पिरवार समता नाथ न सकचब आयस दता ४

दोहा बद बचन मिन मन अगम त भ करना ऐन

बचन िकरातनह क सनत िजिम िपत बालक बन १३६

रामचिरतमानस - 63 - अयोधयाकाड

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रामिह कवल म िपआरा जािन लउ जो जानिनहारा

राम सकल बनचर तब तोष किह मद बचन म पिरपोष १

िबदा िकए िसर नाइ िसधाए भ गन कहत सनत घर आए

एिह िबिध िसय समत दोउ भाई बसिह िबिपन सर मिन सखदाई २

जब त आइ रह रघनायक तब त भयउ बन मगलदायक

फलिह फलिह िबटप िबिध नाना मज बिलत बर बिल िबताना ३

सरतर सिरस सभाय सहाए मनह िबबध बन पिरहिर आए

गज मजतर मधकर नी ि िबध बयािर बहइ सख दनी ४

दोहा नीलकठ कलकठ सक चातक चकक चकोर

भाित भाित बोलिह िबहग वन सखद िचत चोर १३७

किर कहिर किप कोल करगा िबगतबर िबचरिह सब सगा

िफरत अहर राम छिब दखी होिह मिदत मगबद िबसषी १

िबबध िबिपन जह लिग जग माही दिख राम बन सकल िसहाही

सरसिर सरसइ िदनकर कनया मकलसता गोदाविर धनया २

सब सर िसध नदी नद नाना मदािकिन कर करिह बखाना

उदय असत िगिर अर कलास मदर मर सकल सरबास ३

सल िहमाचल आिदक जत िच कट जस गाविह तत

िबिध मिदत मन सख न समाई म िबन िबपल बड़ाई पाई ४

दोहा िच कट क िबहग मग बिल िबटप तन जाित

पनय पज सब धनय अस कहिह दव िदन राित १३८

नयनवत रघबरिह िबलोकी पाइ जनम फल होिह िबसोकी

परिस चरन रज अचर सखारी भए परम पद क अिधकारी १

सो बन सल सभाय सहावन मगलमय अित पावन पावन

मिहमा किहअ कविन िबिध तास सखसागर जह कीनह िनवास २

रामचिरतमानस - 64 - अयोधयाकाड

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पय पयोिध तिज अवध िबहाई जह िसय लखन राम रह आई

किह न सकिह सषमा जिस कानन जौ सत सहस होिह सहसानन ३

सो म बरिन कहौ िबिध कही डाबर कमठ िक मदर लही

सविह लखन करम मन बानी जाइ न सील सनह बखानी ४

दोहा िछन िछन लिख िसय राम पद जािन आप पर नह

करत न सपनह लखन िचत बध मात िपत गह १३९

राम सग िसय रहित सखारी पर पिरजन गह सरित िबसारी

िछन िछन िपय िबध बदन िनहारी मिदत मनह चकोरकमारी १

नाह नह िनत बढ़त िबलोकी हरिषत रहित िदवस िजिम कोकी

िसय मन राम चरन अनरागा अवध सहस सम बन ि य लागा २

परनकटी ि य ि यतम सगा ि य पिरवार करग िबहगा

सास ससर सम मिनितय मिनबर असन अिमअ सम कद मल फर ३

नाथ साथ साथरी सहाई मयन सयन सय सम सखदाई

लोकप होिह िबलोकत जास तिह िक मोिह सक िबषय िबलास ४

दोहा सिमरत रामिह तजिह जन तन सम िबषय िबलास रामि या जग जनिन िसय कछ न आचरज तास १४०

सीय लखन जिह िबिध सख लहही सोइ रघनाथ करिह सोइ कहही

कहिह परातन कथा कहानी सनिह लखन िसय अित सख मानी १

जब जब राम अवध सिध करही तब तब बािर िबलोचन भरही

सिमिर मात िपत पिरजन भाई भरत सनह सील सवकाई २

कपािसध भ होिह दखारी धीरज धरिह कसमउ िबचारी

लिख िसय लखन िबकल होइ जाही िजिम परषिह अनसर पिरछाही ३

ि या बध गित लिख रघनदन धीर कपाल भगत उर चदन

लग कहन कछ कथा पनीता सिन सख लहिह लखन अर सीता ४

रामचिरतमानस - 65 - अयोधयाकाड

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दोहा

राम लखन सीता सिहत सोहत परन िनकत

िजिम बासव बस अमरपर सची जयत समत १४१

जोगविह भ िसय लखनिह कस पलक िबलोचन गोलक जस

सविह लखन सीय रघबीरिह िजिम अिबबकी परष सरीरिह १

एिह िबिध भ बन बसिह सखारी खग मग सर तापस िहतकारी

कहउ राम बन गवन सहावा सनह सम अवध िजिम आवा २

िफरउ िनषाद भिह पहचाई सिचव सिहत रथ दखिस आई

म ी िबकल िबलोिक िनषाद किह न जाइ जस भयउ िबषाद ३

राम राम िसय लखन पकारी परउ धरिनतल बयाकल भारी

दिख दिखन िदिस हय िहिहनाही जन िबन पख िबहग अकलाही ४

दोहा निह तन चरिह िपअिह जल मोचिह लोचन बािर

बयाकल भए िनषाद सब रघबर बािज िनहािर १४२

धिर धीरज तब कहइ िनषाद अब सम पिरहरह िबषाद

तमह पिडत परमारथ गयाता धरह धीर लिख िबमख िबधाता १

िबिबध कथा किह किह मद बानी रथ बठारउ बरबस आनी

सोक िसिथल रथ सकइ न हाकी रघबर िबरह पीर उर बाकी २

चरफरािह मग चलिह न घोर बन मग मनह आिन रथ जोर

अढ़िक परिह िफिर हरिह पीछ राम िबयोिग िबकल दख तीछ ३

जो कह राम लखन बदही िहकिर िहकिर िहत हरिह तही

बािज िबरहगित किह िकिम जातीिबन मिन फिनक िबकलजिह भाती४

दोहा भयउ िनषाद िबषादबस दखत सिचव तरग

बोिल ससवक चािर तब िदए सारथी सग १४३

रामचिरतमानस - 66 - अयोधयाकाड

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गह सारिथिह िफरउ पहचाई िबरह िबषाद बरिन निह जाई

चल अवध लइ रथिह िनषादा होिह छनिह छन मगन िबषादा १

सोच सम िबकल दख दीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

रिहिह न अतह अधम सरीर जस न लहउ िबछरत रघबीर २

भए अजस अघ भाजन ाना कवन हत निह करत पयाना

अहह मद मन अवसर चका अजह न हदय होत दइ टका ३

मीिज हाथ िसर धिन पिछताई मनह कपन धन रािस गवाई

िबिरद बािध बर बीर कहाई चलउ समर जन सभट पराई ४

दोहा िब िबबकी बदिबद समत साध सजाित िजिम धोख मदपान कर सिचव सोच तिह भाित १४४

िजिम कलीन ितय साध सयानी पितदवता करम मन बानी

रह करम बस पिरहिर नाह सिचव हदय ितिम दारन दाह १

लोचन सजल डीिठ भइ थोरी सनइ न वन िबकल मित भोरी

सखिह अधर लािग मह लाटी िजउ न जाइ उर अविध कपाटी २

िबबरन भयउ न जाइ िनहारी मारिस मनह िपता महतारी

हािन गलािन िबपल मन बयापी जमपर पथ सोच िजिम पापी ३

बचन न आव हदय पिछताई अवध काह म दखब जाई

राम रिहत रथ दिखिह जोई सकिचिह मोिह िबलोकत सोई ४

दोहा धाइ पिछहिह मोिह जब िबकल नगर नर नािर

उतर दब म सबिह तब हदय ब बठािर १४५

पिछहिह दीन दिखत सब माता कहब काह म ितनहिह िबधाता

पिछिह जबिह लखन महतारी किहहउ कवन सदस सखारी १

राम जनिन जब आइिह धाई सिमिर बचछ िजिम धन लवाई

रामचिरतमानस - 67 - अयोधयाकाड

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पछत उतर दब म तही ग बन राम लखन बदही २

जोइ पिछिह तिह ऊतर दबाजाइ अवध अब यह सख लबा

पिछिह जबिह राउ दख दीना िजवन जास रघनाथ अधीना ३

दहउ उतर कौन मह लाई आयउ कसल कअर पह चाई

सनत लखन िसय राम सदस तन िजिम तन पिरहिरिह नरस ४

दोहा दउ न िबदरउ पक िजिम िबछरत ीतम नीर

जानत हौ मोिह दीनह िबिध यह जातना सरीर १४६

एिह िबिध करत पथ पिछतावा तमसा तीर तरत रथ आवा

िबदा िकए किर िबनय िनषादा िफर पाय पिर िबकल िबषादा १

पठत नगर सिचव सकचाई जन मारिस गर बाभन गाई

बिठ िबटप तर िदवस गवावा साझ समय तब अवसर पावा २

अवध बस कीनह अिधआर पठ भवन रथ रािख दआर

िजनह िजनह समाचार सिन पाए भप ार रथ दखन आए ३

रथ पिहचािन िबकल लिख घोर गरिह गात िजिम आतप ओर

नगर नािर नर बयाकल क स िनघटत नीर मीनगन जस ४

दोहा सिचव आगमन सनत सब िबकल भयउ रिनवास

भवन भयकर लाग तिह मानह त िनवास १४७

अित आरित सब पछिह रानी उतर न आव िबकल भइ बानी

सनइ न वन नयन निह सझा कहह कहा नप तिह तिह बझा १

दािसनह दीख सिचव िबकलाई कौसलया गह गई लवाई

जाइ सम दीख कस राजा अिमअ रिहत जन चद िबराजा २

आसन सयन िबभषन हीना परउ भिमतल िनपट मलीना

लइ उसास सोच एिह भाती सरपर त जन खसउ जजाती ३

लत सोच भिर िछन िछन छाती जन जिर पख परउ सपाती

रामचिरतमानस - 68 - अयोधयाकाड

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राम राम कह राम सनही पिन कह राम लखन बदही ४

दोहा दिख सिचव जय जीव किह कीनहउ दड नाम

सनत उठउ बयाकल नपित कह सम कह राम १४८

भप सम लीनह उर लाई बड़त कछ अधा र जन पाई

सिहत सनह िनकट बठारी पछत राउ नयन भिर बारी १

राम कसल कह सखा सनही कह रघनाथ लखन बदही

आन फिर िक बनिह िसधाए सनत सिचव लोचन जल छाए २

सोक िबकल पिन पछ नरस कह िसय राम लखन सदस

राम रप गन सील सभाऊ सिमिर सिमिर उर सोचत राऊ ३

राउ सनाइ दीनह बनबास सिन मन भयउ न हरष हरास

सो सत िबछरत गए न ाना को पापी बड़ मोिह समाना ४

दोहा सखा राम िसय लखन जह तहा मोिह पहचाउ

नािह त चाहत चलन अब ान कहउ सितभाउ १४९

पिन पिन पछत म िह राऊ ि यतम सअन सदस सनाऊ

करिह सखा सोइ बिग उपाऊ राम लखन िसय नयन दखाऊ १

सिचव धीर धिर कह मद बानी महाराज तमह पिडत गयानी

बीर सधीर धरधर दवा साध समाज सदा तमह सवा २

जनम मरन सब दख भोगा हािन लाभ ि य िमलन िबयोगा

काल करम बस हौिह गोसाई बरबस राित िदवस की नाई ३

सख हरषिह जड़ दख िबलखाही दोउ सम धीर धरिह मन माही

धीरज धरह िबबक िबचारी छािड़अ सोच सकल िहतकारी ४

दोहा थम बास तमसा भयउ दसर सरसिर तीर

रामचिरतमानस - 69 - अयोधयाकाड

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नहाई रह जलपान किर िसय समत दोउ बीर १५०

कवट कीिनह बहत सवकाई सो जािमिन िसगरौर गवाई

होत ात बट छीर मगावा जटा मकट िनज सीस बनावा १

राम सखा तब नाव मगाई ि या चढ़ाइ चढ़ रघराई

लखन बान धन धर बनाई आप चढ़ भ आयस पाई २

िबकल िबलोिक मोिह रघबीरा बोल मधर बचन धिर धीरा

तात नाम तात सन कहह बार बार पद पकज गहह ३

करिब पाय पिर िबनय बहोरी तात किरअ जिन िचता मोरी

बन मग मगल कसल हमार कपा अन ह पनय तमहार ४ छद

तमहर अन ह तात कानन जात सब सख पाइहौ ितपािल आयस कसल दखन पाय पिन िफिर आइहौ

जननी सकल पिरतोिष पिर पिर पाय किर िबनती घनी

तलसी करह सोइ जतन जिह कसली रहिह कोसल धनी

सोरठा गर सन कहब सदस बार बार पद पदम गिह

करब सोइ उपदस जिह न सोच मोिह अवधपित १५१

परजन पिरजन सकल िनहोरी तात सनाएह िबनती मोरी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जात रह नरनाह सखारी १

कहब सदस भरत क आए नीित न तिजअ राजपद पाए

पालह जिह करम मन बानी सएह मात सकल सम जानी २

ओर िनबाहह भायप भाई किर िपत मात सजन सवकाई

तात भाित तिह राखब राऊ सोच मोर जिह कर न काऊ ३

लखन कह कछ बचन कठोरा बरिज राम पिन मोिह िनहोरा

बार बार िनज सपथ दवाई कहिब न तात लखन लिरकाई ४

रामचिरतमानस - 70 - अयोधयाकाड

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दोहा किह नाम कछ कहन िलय िसय भइ िसिथल सनह

थिकत बचन लोचन सजल पलक पललिवत दह १५२

तिह अवसर रघबर रख पाई कवट पारिह नाव चलाई

रघकलितलक चल एिह भाती दखउ ठाढ़ किलस धिर छाती १

म आपन िकिम कहौ कलस िजअत िफरउ लइ राम सदस

अस किह सिचव बचन रिह गयऊ हािन गलािन सोच बस भयऊ २

सत बचन सनतिह नरनाह परउ धरिन उर दारन दाह

तलफत िबषम मोह मन मापा माजा मनह मीन कह बयापा ३

किर िबलाप सब रोविह रानी महा िबपित िकिम जाइ बखानी

सिन िबलाप दखह दख लागा धीरजह कर धीरज भागा ४

दोहा भयउ कोलाहल अवध अित सिन नप राउर सोर

िबपल िबहग बन परउ िनिस मानह किलस कठोर १५३

ान कठगत भयउ भआल मिन िबहीन जन बयाकल बयाल

इ ी सकल िबकल भइ भारी जन सर सरिसज बन िबन बारी १

कौसलया नप दीख मलाना रिबकल रिब अथयउ िजय जाना

उर धिर धीर राम महतारी बोली बचन समय अनसारी २

नाथ समिझ मन किरअ िबचार राम िबयोग पयोिध अपार

करनधार तमह अवध जहाज चढ़उ सकल ि य पिथक समाज ३

धीरज धिरअ त पाइअ पार नािह त बिड़िह सब पिरवार

जौ िजय धिरअ िबनय िपय मोरी राम लखन िसय िमलिह बहोरी ४

दोहा ि या बचन मद सनत नप िचतयउ आिख उघािर

तलफत मीन मलीन जन सीचत सीतल बािर १५४

रामचिरतमानस - 71 - अयोधयाकाड

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धिर धीरज उठी बठ भआल कह सम कह राम कपाल

कहा लखन कह राम सनही कह ि य प बध बदही १

िबलपत राउ िबकल बह भाती भइ जग सिरस िसराित न राती

तापस अध साप सिध आई कौसलयिह सब कथा सनाई २

भयउ िबकल बरनत इितहासा राम रिहत िधग जीवन आसा

सो तन रािख करब म काहा जिह न म पन मोर िनबाहा ३

हा रघनदन ान िपरीत तमह िबन िजअत बहत िदन बीत

हा जानकी लखन हा रघबर हा िपत िहत िचत चातक जलधर ४

दोहा राम राम किह राम किह राम राम किह राम

तन पिरहिर रघबर िबरह राउ गयउ सरधाम १५५

िजअन मरन फल दसरथ पावा अड अनक अमल जस छावा

िजअत राम िबध बदन िनहारा राम िबरह किर मरन सवारा १

सोक िबकल सब रोविह रानी रप सील बल तज बखानी

करिह िबलाप अनक कारा परही भिमतल बारिह बारा २

िबलपिह िबकल दास अर दासी घर घर रदन करिह परबासी

अथयउ आज भानकल भान धरम अविध गन रप िनधान ३

गारी सकल ककइिह दही नयन िबहीन कीनह जग जही

एिह िबिध िबलपत रिन िबहानी आए सकल महामिन गयानी ४

दोहा तब बिस मिन समय सम किह अनक इितहास

सोक नवारउ सबिह कर िनज िबगयान कास १५६

तल नाव भिर नप तन राखा दत बोलाइ बहिर अस भाषा

धावह बिग भरत पिह जाह नप सिध कतह कहह जिन काह १

एतनइ कहह भरत सन जाई गर बोलाई पठयउ दोउ भाई

सिन मिन आयस धावन धाए चल बग बर बािज लजाए २

रामचिरतमानस - 72 - अयोधयाकाड

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अनरथ अवध अरभउ जब त कसगन होिह भरत कह तब त

दखिह राित भयानक सपना जािग करिह कट कोिट कलपना ३

िब जवाइ दिह िदन दाना िसव अिभषक करिह िबिध नाना

मागिह हदय महस मनाई कसल मात िपत पिरजन भाई ४

दोहा एिह िबिध सोचत भरत मन धावन पहच आइ

गर अनसासन वन सिन चल गनस मनाइ १५७

चल समीर बग हय हाक नाघत सिरत सल बन बाक

हदय सोच बड़ कछ न सोहाई अस जानिह िजय जाउ उड़ाई १

एक िनमष बरस सम जाई एिह िबिध भरत नगर िनअराई

असगन होिह नगर पठारा रटिह कभाित कखत करारा २

खर िसआर बोलिह ितकला सिन सिन होइ भरत मन सला

ीहत सर सिरता बन बागा नगर िबसिष भयावन लागा ३

खग मग हय गय जािह न जोए राम िबयोग करोग िबगोए

नगर नािर नर िनपट दखारी मनह सबिनह सब सपित हारी ४

दोहा परजन िमिलिह न कहिह कछ गविह जोहारिह जािह

भरत कसल पिछ न सकिह भय िबषाद मन मािह १५८

हाट बाट निह जाइ िनहारी जन पर दह िदिस लािग दवारी

आवत सत सिन ककयनिदिन हरषी रिबकल जलरह चिदिन १

सिज आरती मिदत उिठ धाई ारिह भिट भवन लइ आई

भरत दिखत पिरवार िनहा रा मानह तिहन बनज बन मारा २

ककई हरिषत एिह भाित मनह मिदत दव लाइ िकराती

सतिह ससोच दिख मन मार पछित नहर कसल हमार ३

सकल कसल किह भरत सनाई पछी िनज कल कसल भलाई

रामचिरतमानस - 73 - अयोधयाकाड

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कह कह तात कहा सब माता कह िसय राम लखन ि य ाता ४

दोहा सिन सत बचन सनहमय कपट नीर भिर नन

भरत वन मन सल सम पािपिन बोली बन १५९

तात बात म सकल सवारी भ मथरा सहाय िबचारी

कछक काज िबिध बीच िबगारउ भपित सरपित पर पग धारउ १

सनत भरत भए िबबस िबषादा जन सहमउ किर कहिर नादा

तात तात हा तात पकारी पर भिमतल बयाकल भारी २

चलत न दखन पायउ तोही तात न रामिह सौपह मोही

बहिर धीर धिर उठ सभारी कह िपत मरन हत महतारी ३

सिन सत बचन कहित ककई मरम पािछ जन माहर दई

आिदह त सब आपिन करनी किटल कठोर मिदत मन बरनी ४

दोहा भरतिह िबसरउ िपत मरन सनत राम बन गौन

हत अपनपउ जािन िजय थिकत रह धिर मौन १६०

िबकल िबलोिक सतिह समझावित मनह जर पर लोन लगावित

तात राउ निह सोच जोग िबढ़इ सकत जस कीनहउ भोग १

जीवत सकल जनम फल पाए अत अमरपित सदन िसधाए

अस अनमािन सोच पिरहरह सिहत समाज राज पर करह २

सिन सिठ सहमउ राजकमार पाक छत जन लाग अगार

धीरज धिर भिर लिह उसासा पापिन सबिह भाित कल नासा ३

जौ प करिच रही अित तोही जनमत काह न मार मोही

पड़ कािट त पालउ सीचा मीन िजअन िनित बािर उलीचा ४

दोहा हसबस दसरथ जनक राम लखन स भाइ

रामचिरतमानस - 74 - अयोधयाकाड

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जननी त जननी भई िबिध सन कछ न बसाइ १६१

जब त कमित कमत िजय ठयऊ खड खड होइ दउ न गयऊ

बर मागत मन भइ निह पीरा गिर न जीह मह परउ न कीरा १

भप तीत तोिर िकिम कीनही मरन काल िबिध मित हिर लीनही

िबिधह न नािर हदय गित जानी सकल कपट अघ अवगन खानी २

सरल ससील धरम रत राऊ सो िकिम जान तीय सभाऊ

अस को जीव जत जग माही जिह रघनाथ ानि य नाही ३

भ अित अिहत राम तउ तोही को त अहिस सतय कह मोही

जो हिस सो हिस मह मिस लाई आिख ओट उिठ बठिह जाई ४

दोहा राम िबरोधी हदय त गट कीनह िबिध मोिह

मो समान को पातकी बािद कहउ कछ तोिह १६२

सिन स घन मात किटलाई जरिह गात िरस कछ न बसाई

तिह अवसर कबरी तह आई बसन िबभषन िबिबध बनाई १

लिख िरस भरउ लखन लघ भाई बरत अनल घत आहित पाई

हमिग लात तिक कबर मारा पिर मह भर मिह करत पकारा २

कबर टटउ फट कपार दिलत दसन मख रिधर चार

आह दइअ म काह नसावा करत नीक फल अनइस पावा ३

सिन िरपहन लिख नख िसख खोटी लग घसीटन धिर धिर झोटी

भरत दयािनिध दीिनह छड़ाई कौसलया पिह ग दोउ भाई ४

दोहा मिलन बसन िबबरन िबकल कस सरीर दख भार

कनक कलप बर बिल बन मानह हनी तसार १६३

भरतिह दिख मात उिठ धाई मरिछत अविन परी झइ आई

दखत भरत िबकल भए भारी पर चरन तन दसा िबसारी १

रामचिरतमानस - 75 - अयोधयाकाड

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मात तात कह दिह दखाई कह िसय राम लखन दोउ भाई

ककइ कत जनमी जग माझा जौ जनिम त भइ काह न बाझा २

कल कलक जिह जनमउ मोही अपजस भाजन ि यजन ोही

को ितभवन मोिह सिरस अभागी गित अिस तोिर मात जिह लागी ३

िपत सरपर बन रघबर कत म कवल सब अनरथ हत

िधग मोिह भयउ बन बन आगी दसह दाह दख दषन भागी ४

दोहा मात भरत क बचन मद सिन सिन उठी सभािर

िलए उठाइ लगाइ उर लोचन मोचित बािर १६४

सरल सभाय माय िहय लाए अित िहत मनह राम िफिर आए

भटउ बहिर लखन लघ भाई सोक सनह न हदय समाई १

दिख सभाउ कहत सब कोई राम मात अस काह न होई

माता भरत गोद बठार आस पौिछ मद बचन उचार २

अजह बचछ बिल धीरज धरह कसमउ समिझ सोक पिरहरह

जिन मानह िहय हािन गलानी काल करम गित अघिटत जािन ३

काहिह दोस दह जिन ताता भा मोिह सब िबिध बाम िबधाता

जो एतह दख मोिह िजआवा अजह को जानइ का तिह भावा ४

दोहा िपत आयस भषन बसन तात तज रघबीर

िबसमउ हरष न हदय कछ पिहर बलकल चीर १६५

मख सनन मन रग न रोष सब कर सब िबिध किर पिरतोष

चल िबिपन सिन िसय सग लागी रहइ न राम चरन अनरागी १

सनतिह लखन चल उिठ साथा रहिह न जतन िकए रघनाथा

तब रघपित सबही िसर नाई चल सग िसय अर लघ भाई २

राम लखन िसय बनिह िसधाए गइउ न सग न ान पठाए

यह सब भा इनह आिखनह आग तउ न तजा तन जीव अभाग ३

रामचिरतमानस - 76 - अयोधयाकाड

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मोिह न लाज िनज नह िनहारी राम सिरस सत म महतारी

िजऐ मर भल भपित जाना मोर हदय सत किलस समाना ४

दोहा कौसलया क बचन सिन भरत सिहत रिनवास

बयाकल िबलपत राजगह मानह सोक नवास १६६

िबलपिह िबकल भरत दोउ भाई कौसलया िलए हदय लगाई

भाित अनक भरत समझाए किह िबबकमय बचन सनाए १

भरतह मात सकल समझाई किह परान ित कथा सहाई

छल िबहीन सिच सरल सबानी बोल भरत जोिर जग पानी २

ज अघ मात िपता सत मार गाइ गोठ मिहसर पर जार

ज अघ ितय बालक बध कीनह मीत महीपित माहर दीनह ३

ज पातक उपपातक अहही करम बचन मन भव किब कहही

त पातक मोिह होह िबधाता जौ यह होइ मोर मत माता ४

दोहा ज पिरहिर हिर हर चरन भजिह भतगन घोर

तिह कइ गित मोिह दउ िबिध जौ जननी मत मोर १६७

बचिह बद धरम द िह लही िपसन पराय पाप किह दही

कपटी किटल कलहि य ोधी बद िबदषक िबसव िबरोधी १

लोभी लपट लोलपचारा ज ताकिह परधन परदारा

पावौ म ितनह क गित घोरा जौ जननी यह समत मोरा २

ज निह साधसग अनराग परमारथ पथ िबमख अभाग

ज न भजिह हिर नरतन पाई िजनहिह न हिर हर सजस सोहाई ३

तिज ितपथ बाम पथ चलही बचक िबरिच बष जग छलही

ितनह क गित मोिह सकर दऊ जननी जौ यह जानौ भऊ ४

दोहा

रामचिरतमानस - 77 - अयोधयाकाड

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मात भरत क बचन सिन साच सरल सभाय

कहित राम ि य तात तमह सदा बचन मन काय १६८

राम ानह त ान तमहार तमह रघपितिह ानह त पयार

िबध िबष चव व िहम आगी होइ बािरचर बािर िबरागी १

भए गयान बर िमट न मोह तमह रामिह ितकल न होह

मत तमहार यह जो जग कहही सो सपनह सख सगित न लहही २

अस किह मात भरत िहय लाए थन पय विह नयन जल छाए

करत िबलाप बहत यिह भाती बठिह बीित गइ सब राती ३

बामदउ बिस तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए

मिन बह भाित भरत उपदस किह परमारथ बचन सदस ४

दोहा तात हदय धीरज धरह करह जो अव सर आज उठ भरत गर बचन सिन करन कहउ सब साज १६९

नपतन बद िबिदत अनहवावा परम िबिच िबमान बनावा

गिह पद भरत मात सब राखी रही रािन दरसन अिभलाषी १

चदन अगर भार बह आए अिमत अनक सगध सहाए

सरज तीर रिच िचता बनाई जन सरपर सोपान सहाई २

एिह िबिध दाह ि या सब कीनही िबिधवत नहाइ ितलाजिल दीनही

सोिध समित सब बद पराना कीनह भरत दसगात िबधाना ३

जह जस मिनबर आयस दीनहा तह तस सहस भाित सब कीनहा

भए िबस िदए सब दाना धन बािज गज बाहन नाना ४

दोहा िसघासन भषन बसन अनन धरिन धन धाम

िदए भरत लिह भिमसर भ पिरपरन काम १७०

िपत िहत भरत कीिनह जिस करनी सो मख लाख जाइ निह बरनी

रामचिरतमानस - 78 - अयोधयाकाड

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सिदन सोिध मिनबर तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए १

बठ राजसभा सब जाई पठए बोिल भरत दोउ भाई

भरत बिस िनकट बठार नीित धरममय बचन उचार २

थम कथा सब मिनबर बरनी ककइ किटल कीिनह जिस करनी

भप धरम त सतय सराहा जिह तन पिरहिर म िनबाहा ३

कहत राम गन सील सभाऊ सजल नयन पलकउ मिनराऊ

बहिर लखन िसय ीित बखानी सोक सनह मगन मिन गयानी ४

दोहा सनह भरत भावी बल िबलिख कहउ मिननाथ

हािन लाभ जीवन मरन जस अपजस िबिध हाथ १७१

अस िबचािर किह दइअ दोस बयरथ कािह पर कीिजअ रोस

तात िबचार किह करह मन माही सोच जोग दसरथ नप नाही १

सोिचअ िब जो बद िबहीना तिज िनज धरम िबषय लयलीना

सोिचअ नपित जो नीित न जाना जिह न जा ि य ान समाना २

सोिचअ बयस कपन धनवान जो न अितिथ िसव भगित सजान

सोिचअ स िब अवमानी मखर मानि य गयान गमानी ३

सोिचअ पिन पित बचक नारी किटल कलहि य इचछाचारी

सोिचअ बट िनज त पिरहरई जो निह गर आयस अनसरई ४

दोहा सोिचअ गही जो मोह बस करइ करम पथ तयाग

सोिचअ जित पच रत िबगत िबबक िबराग १७२

बखानस सोइ सोच जोग तप िबहाइ जिह भावइ भोग

सोिचअ िपसन अकारन ोधी जनिन जनक गर बध िबरोधी १

सब िबिध सोिचअ पर अपकारी िनज तन पोषक िनरदय भारी

सोचनीय सबिह िबिध सोई जो न छािड़ छल हिर जन होई २

सोचनीय निह कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

रामचिरतमानस - 79 - अयोधयाकाड

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भयउ न अहइ न अब होिनहारा भप भरत जस िपता तमहारा ३

िबिध हिर हर सरपित िदिसनाथा बरनिह सब दसरथ गन गाथा ४

दोहा कहह तात किह भाित कोउ किरिह बड़ाई तास

राम लखन तमह स हन सिरस सअन सिच जास १७३

सब कार भपित बड़भागी बािद िबषाद किरअ तिह लागी

यह सिन समिझ सोच पिरहरह िसर धिर राज रजायस करह १

राय राजपद तमह कह दीनहा िपता बचन फर चािहअ कीनहा

तज राम जिह बचनिह लागी तन पिरहरउ राम िबरहागी २

नपिह बचन ि य निह ि य ाना करह तात िपत बचन वाना

करह सीस धिर भप रजाई हइ तमह कह सब भाित भलाई ३

परसराम िपत अगया राखी मारी मात लोक सब साखी

तनय जजाितिह जौबन दयऊ िपत अगया अघ अजस न भयऊ ४

दोहा अनिचत उिचत िबचार तिज ज पालिह िपत बन

त भाजन सख सजस क बसिह अमरपित ऐन १७४

अविस नरस बचन फर करह पालह जा सोक पिरहरह

सरपर नप पाइिह पिरतोष तमह कह सकत सजस निह दोष १

बद िबिदत समत सबही का जिह िपत दइ सो पावइ टीका

करह राज पिरहरह गलानी मानह मोर बचन िहत जानी २

सिन सख लहब राम बदही अनिचत कहब न पिडत कही

कौसलयािद सकल महतारी तउ जा सख होिह सखारी ३

परम तमहार राम कर जािनिह सो सब िबिध तमह सन भल मािनिह

सौपह राज राम क आए सवा करह सनह सहाए ४

दोहा

रामचिरतमानस - 80 - अयोधयाकाड

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कीिजअ गर आयस अविस कहिह सिचव कर जोिर

रघपित आए उिचत जस तस तब करब बहोिर १७५

कौसलया धिर धीरज कहई पत पथय गर आयस अहई

सो आदिरअ किरअ िहत मानी तिजअ िबषाद का ल गित जानी १

बन रघपित सरपित नरनाह तमह एिह भाित तात कदराह

पिरजन जा सिचव सब अबा तमहही सत सब कह अवलबा २

लिख िबिध बाम काल किठनाई धीरज धरह मात बिल जाई

िसर धिर गर आयस अनसरह जा पािल पिरजन दख हरह ३

गर क बचन सिचव अिभनदन सन भरत िहय िहत जन चदन

सनी बहोिर मात मद बानी सील सनह सरल रस सानी ४ छद

सानी सरल रस मात बानी सिन भरत बयाकल भए

लोचन सरोरह वत सीचत िबरह उर अकर नए

सो दसा दखत समय तिह िबसरी सबिह सिध दह की तलसी सराहत सकल सादर सीव सहज सनह की

सोरठा

भरत कमल कर जोिर धीर धरधर धीर धिर बचन अिमअ जन बोिर दत उिचत उ र सबिह १७६

मासपारायण अठारहवा िव ाम

मोिह उपदस दीनह गर नीका जा सिचव समत सबही का

मात उिचत धिर आयस दीनहा अविस सीस धिर चाहउ कीनहा १

गर िपत मात सवािम िहत बानी सिन मन मिदत किरअ भिल जानी

उिचत िक अनिचत िकए िबचार धरम जाइ िसर पातक भार २

तमह तौ दह सरल िसख सोई जो आचरत मोर भल होई

ज िप यह समझत हउ नीक तदिप होत पिरतोष न जी क ३

रामचिरतमानस - 81 - अयोधयाकाड

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अब तमह िबनय मोिर सिन लह मोिह अनहरत िसखावन दह

ऊतर दउ छमब अपराध दिखत दोष गन गनिह न साध ४

दोहा िपत सरपर िसय राम बन करन कहह मोिह राज

एिह त जानह मोर िहत क आपन बड़ काज १७७

िहत हमार िसयपित सवकाई सो हिर लीनह मात किटलाई

म अनमािन दीख मन माही आन उपाय मोर िहत नाही १

सोक समाज राज किह लख लखन राम िसय िबन पद दख

बािद बसन िबन भषन भार बािद िबरित िबन िबचार २

सरज सरीर बािद बह भोगा िबन हिरभगित जाय जप जोगा

जाय जीव िबन दह सहाई बािद मोर सब िबन रघराई ३

जाउ राम पिह आयस दह एकिह आक मोर िहत एह

मोिह नप किर भल आपन चहह सोउ सनह जड़ता बस कहह ४

दोहा ककई सअ किटलमित राम िबमख गतलाज

तमह चाहत सख मोहबस मोिह स अधम क राज १७८

कहउ साच सब सिन पितआह चािहअ धरमसील नरनाह

मोिह राज हिठ दइहह जबही रसा रसातल जाइिह तबही १

मोिह समान को पाप िनवास जिह लिग सीय राम बनबास

राय राम कह कानन दीनहा िबछरत गमन अमरपर कीनहा २

म सठ सब अनरथ कर हत बठ बात सब सनउ सचत

िबन रघबीर िबलोिक अबास रह ान सिह जग उपहास ३

राम पनीत िबषय रस रख लोलप भिम भोग क भख

कह लिग कहौ हदय किठनाई िनदिर किलस जिह लही बड़ाई ४

दोहा

रामचिरतमानस - 82 - अयोधयाकाड

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कारन त कारज किठन होइ दोस निह मोर

किलस अिसथ त उपल त लोह कराल कठोर १७९

ककई भव तन अनराग पावर ान अघाइ अभाग

जौ ि य िबरह ान ि य लाग दखब सनब बहत अब आग १

लखन राम िसय कह बन दीनहा पठइ अमरपर पित िहत कीनहा

लीनह िबधवपन अपजस आप दीनहउ जिह सोक सताप २

मोिह दीनह सख सजस सराज कीनह ककई सब कर काज

एिह त मोर काह अब नीका तिह पर दन कहह तमह टीका ३

ककई जठर जनिम जग माही यह मोिह कह कछ अनिचत नाही

मोिर बात सब िबिधिह बनाई जा पाच कत करह सहाई ४

दोहा ह हीत पिन बात बस तिह पिन बीछी मार

तिह िपआइअ बारनी कहह काह उपचार १८०

ककइ सअन जोग जग जोई चतर िबरिच दीनह मोिह सोई

दसरथ तनय राम लघ भाई दीिनह मोिह िबिध बािद बड़ाई १

तमह सब कहह कढ़ावन टीका राय रजायस सब कह नीका

उतर दउ किह िबिध किह कही कहह सखन जथा रिच जही २

मोिह कमात समत िबहाई कहह क िहिह क कीनह भलाई

मो िबन को सचराचर माही जिह िसय राम ानि य नाही ३

परम हािन सब कह बड़ लाह अिदन मोर निह दषन काह

ससय सील म बस अहह सबइ उिचत सब जो कछ कहह ४

दोहा राम मात सिठ सरलिचत मो पर म िबसिष

कहइ सभाय सनह बस मोिर दीनता दिख १८१

गर िबबक सागर जग जाना िजनहिह िबसव कर बदर समाना

रामचिरतमानस - 83 - अयोधयाकाड

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मो कह ितलक साज सज सोऊ भए िबिध िबमख िबमख सब कोऊ १

पिरहिर राम सीय जग माही कोउ न किहिह मोर मत नाही

सो म सनब सहब सख मानी अतह कीच तहा जह पानी २

डर न मोिह जग किहिह िक पोच परलोकह कर नािहन सोच

एकइ उर बस दसह दवारी मोिह लिग भ िसय राम दखारी ३

जीवन लाह लखन भल पावा सब तिज राम चरन मन लावा

मोर जनम रघबर बन लागी झठ काह पिछताउ अभागी ४

दोहा आपिन दारन दीनता कहउ सबिह िसर नाइ

दख िबन रघनाथ पद िजय क जरिन न जाइ १८२

आन उपाउ मोिह निह सझा को िजय क रघबर िबन बझा

एकिह आक इहइ मन माही ातकाल चिलहउ भ पाही १

ज िप म अनभल अपराधी भ मोिह कारन सकल उपाधी

तदिप सरन सनमख मोिह दखी छिम सब किरहिह कपा िबसषी २

सील सकच सिठ सरल सभाऊ कपा सनह सदन रघराऊ

अिरहक अनभल कीनह न रामा म िसस सवक ज िप बामा ३

तमह प पाच मोर भल मानी आयस आिसष दह सबानी

जिह सिन िबनय मोिह जन जानी आविह बहिर राम रजधानी ४

दोहा ज िप जनम कमात त म सठ सदा सदोस

आपन जािन न तयािगहिह मोिह रघबीर भरोस १८३

भरत बचन सब कह ि य लाग राम सनह सधा जन पाग

लोग िबयोग िबषम िबष दाग म सबीज सनत जन जाग १

मात सिचव गर पर नर नारी सकल सनह िबकल भए भारी

भरतिह कहिह सरािह सराही राम म मरित तन आही २

तात भरत अस काह न कहह ान समान राम ि य अहह

रामचिरतमानस - 84 - अयोधयाकाड

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जो पावर अपनी जड़ताई तमहिह सगाइ मात किटलाई ३

सो सठ कोिटक परष समता बिसिह कलप सत नरक िनकता

अिह अघ अवगन निह मिन गहई हरइ गरल दख दािरद दहई ४

दोहा अविस चिलअ बन राम जह भरत म भल कीनह

सोक िसध बड़त सबिह तमह अवलबन दीनह १८४

भा सब क मन मोद न थोरा जन घन धिन सिन चातक मोरा

चलत ात लिख िनरनउ नीक भरत ानि य भ सबही क १

मिनिह बिद भरतिह िसर नाई चल सकल घर िबदा कराई

धनय भरत जीवन जग माही सील सनह सराहत जाही २

कहिह परसपर भा बड़ काज सकल चल कर साजिह साज

जिह राखिह रह घर रखवारी सो जानइ जन गरदिन मारी ३

कोउ कह रहन किहअ निह काह को न चहइ जग जीवन लाह ४

दोहा जरउ सो सपित सदन सख सहद मात िपत भाइ

सनमख होत जो राम पद कर न सहस सहाइ १८५

घर घर साजिह बाहन नाना हरष हदय परभात पयाना

भरत जाइ घर कीनह िबचार नगर बािज गज भवन भडार १

सपित सब रघपित क आही जौ िबन जतन चलौ तिज ताही

तौ पिरनाम न मोिर भलाई पाप िसरोमिन साइ दोहाई २

करइ सवािम िहत सवक सोई दषन कोिट दइ िकन कोई

अस िबचािर सिच सवक बोल ज सपनह िनज धरम न डोल ३

किह सब मरम धरम भल भाषा जो जिह लायक सो तिह राखा

किर सब जतन रािख रखवार राम मात पिह भरत िसधार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 85 - अयोधयाकाड

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आरत जननी जािन सब भरत सनह सजान

कहउ बनावन पालकी सजन सखासन जान १८६

चकक चिकक िजिम पर नर नारी चहत ात उर आरत भारी

जागत सब िनिस भयउ िबहाना भरत बोलाए सिचव सजाना १

कहउ लह सब ितलक समाज बनिह दब मिन रामिह राज

बिग चलह सिन सिचव जोहार तरत तर ग रथ नाग सवार २

अरधती अर अिगिन समाऊ रथ चिढ़ चल थम मिनराऊ

िब बद चिढ़ बाहन नाना चल सकल तप तज िनधाना ३

नगर लोग सब सिज सिज जाना िच कट कह कीनह पयाना

िसिबका सभग न जािह बखानी चिढ़ चिढ़ चलत भई सब रानी ४

दोहा सौिप नगर सिच सवकिन सादर सकल चलाइ

सिमिर राम िसय चरन तब चल भरत दोउ भाइ १८७

राम दरस बस सब नर नारी जन किर किरिन चल तिक बारी

बन िसय राम समिझ मन माही सानज भरत पयादिह जाही १

दिख सनह लोग अनराग उतिर चल हय गय रथ तयाग

जाइ समीप रािख िनज डोली राम मात मद बानी बोली २

तात चढ़ह रथ बिल महतारी होइिह ि य पिरवार दखारी

तमहर चलत चिलिह सब लोग सकल सोक कस निह मग जोग ३

िसर धिर बचन चरन िसर नाई रथ चिढ़ चलत भए दोउ भाई

तमसा थम िदवस किर बास दसर गोमित तीर िनवास ४

दोहा पय अहार फल असन एक िनिस भोजन एक लोग

करत राम िहत नम त पिरहिर भषन भोग १८८

सई तीर बिस चल िबहान सगबरपर सब िनअरान

रामचिरतमानस - 86 - अयोधयाकाड

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समाचार सब सन िनषादा हदय िबचार करइ सिबषादा १

कारन कवन भरत बन जाही ह कछ कपट भाउ मन माही

जौ प िजय न होित किटलाई तौ कत लीनह सग कटकाई २

जानिह सानज रामिह मारी करउ अकटक राज सखारी

भरत न राजनीित उर आनी तब कलक अब जीवन हानी ३

सकल सरासर जरिह जझारा रामिह समर न जीतिनहारा

का आचरज भरत अस करही निह िबष बिल अिमअ फल फरही ४

दोहा अस िबचािर गह गयाित सन कहउ सजग सब होह

हथवासह बोरह तरिन कीिजअ घाटारोह १८९

होह सजोइल रोकह घाटा ठाटह सकल मर क ठाटा

सनमख लोह भरत सन लऊ िजअत न सरसिर उतरन दऊ १

समर मरन पिन सरसिर तीरा राम काज छनभग सरीरा

भरत भाइ नप म जन नीच बड़ भाग अिस पाइअ मीच २

सवािम काज किरहउ रन रारी जस धविलहउ भवन दस चारी

तजउ ान रघनाथ िनहोर दह हाथ मद मोदक मोर ३

साध समाज न जाकर लखा राम भगत मह जास न रखा

जाय िजअत जग सो मिह भार जननी जौबन िबटप कठार ४

दोहा िबगत िबषाद िनषादपित सबिह बढ़ाइ उछाह

सिमिर राम मागउ तरत तरकस धनष सनाह १९०

बगह भाइह सजह सजोऊ सिन रजाइ कदराइ न कोऊ

भलिह नाथ सब कहिह सहरषा एकिह एक बढ़ावइ करषा १

चल िनषाद जोहािर जोहारी सर सकल रन रचइ रारी

सिमिर राम पद पकज पनही भाथी बािध चढ़ाइिनह धनही २

अगरी पिहिर किड़ िसर धरही फरसा बास सल सम करही

रामचिरतमानस - 87 - अयोधयाकाड

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एक कसल अित ओड़न खाड़ कदिह गगन मनह िछित छाड़ ३

िनज िनज साज समाज बनाई गह राउतिह जोहार जाई

दिख सभट सब लायक जान ल ल नाम सकल सनमान ४

दोहा भाइह लावह धोख जिन आज काज बड़ मोिह

सिन सरोष बोल सभट बीर अधीर न होिह १९१

राम ताप नाथ बल तोर करिह कटक िबन भट िबन घोर

जीवत पाउ न पाछ धरही रड मडमय मिदिन करही १

दीख िनषादनाथ भल टोल कहउ बजाउ जझाऊ ढोल

एतना कहत छीक भइ बाए कहउ सगिनअनह खत सहाए २

बढ़ एक कह सगन िबचारी भरतिह िमिलअ न होइिह रारी

रामिह भरत मनावन जाही सगन कहइ अस िब ह नाही ३

सिन गह कहइ नीक कह बढ़ा सहसा किर पिछतािह िबमढ़ा

भरत सभाउ सील िबन बझ बिड़ िहत हािन जािन िबन जझ ४

दोहा गहह घाट भट सिमिट सब लउ मरम िमिल जाइ

बिझ िम अिर मधय गित तस तब किरहउ आइ १९२

लखन सनह सभाय सहाए बर ीित निह दरइ दराए

अस किह भट सजोवन लाग कद मल फल खग मग माग १

मीन पीन पाठीन परान भिर भिर भार कहारनह आन

िमलन साज सिज िमलन िसधाए मगल मल सगन सभ पाए २

दिख दिर त किह िनज नाम कीनह मनीसिह दड नाम

जािन रामि य दीिनह असीसा भरतिह कहउ बझाइ मनीसा ३

राम सखा सिन सदन तयागा चल उतिर उमगत अनरागा

गाउ जाित गह नाउ सनाई कीनह जोहार माथ मिह लाई ४

रामचिरतमानस - 88 - अयोधयाकाड

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दोहा करत दडवत दिख तिह भरत लीनह उर लाइ

मनह लखन सन भट भइ म न हदय समाइ १९३

भटत भरत तािह अित ीती लोग िसहािह म क रीती

धनय धनय धिन मगल मला सर सरािह तिह बिरसिह फला १

लोक बद सब भाितिह नीचा जास छाह छइ लइअ सीचा

तिह भिर अक राम लघ ाता िमलत पलक पिरपिरत गाता २

राम राम किह ज जमहाही ितनहिह न पाप पज समहाही

यह तौ राम लाइ उर लीनहा कल समत जग पावन कीनहा ३

करमनास जल सरसिर परई तिह को कहह सीस निह धरई

उलटा नाम जपत जग जाना बालमीिक भए समाना ४

दोहा सवपच सबर खस जमन जड़ पावर कोल िकरात

राम कहत पावन परम होत भवन िबखयात १९४

निह अिचरज जग जग चिल आई किह न दीिनह रघबीर बड़ाई

राम नाम मिहमा सर कहही सिन सिन अवधलोग सख लहही १

रामसखिह िमिल भरत स मा पछी कसल समगल खमा

दिख भरत कर सील सनह भा िनषाद तिह समय िबदह २

सकच सनह मोद मन बाढ़ा भरतिह िचतवत एकटक ठाढ़ा

धिर धीरज पद बिद बहोरी िबनय स म करत कर जोरी ३

कसल मल पद पकज पखी म ितह काल कसल िनज लखी

अब भ परम अन ह तोर सिहत कोिट कल मगल मोर ४

दोहा समिझ मोिर करतित कल भ मिहमा िजय जोइ

जो न भजइ रघबीर पद जग िबिध बिचत सोइ १९५

रामचिरतमानस - 89 - अयोधयाकाड

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कपटी कायर कमित कजाती लोक बद बाहर सब भाती

राम कीनह आपन जबही त भयउ भवन भषन तबही त १

दिख ीित सिन िबनय सहाई िमलउ बहोिर भरत लघ भाई

किह िनषाद िनज नाम सबानी सादर सकल जोहारी रानी २

जािन लखन सम दिह असीसा िजअह सखी सय लाख बरीसा

िनरिख िनषाद नगर नर नारी भए सखी जन लखन िनहारी ३

कहिह लहउ एिह जीवन लाह भटउ रामभ भिर बाह

सिन िनषाद िनज भाग बड़ाई मिदत मन लइ चलउ लवाई ४

दोहा सनकार सवक सकल चल सवािम रख पाइ

घर तर तर सर बाग बन बास बनाएिनह जाइ १९६

सगबरपर भरत दीख जब भ सनह सब अग िसिथल तब

सोहत िदए िनषादिह लाग जन तन धर िबनय अनराग १

एिह िबिध भरत सन सब सगा दीिख जाइ जग पाविन गगा

रामघाट कह कीनह नाम भा मन मगन िमल जन राम २

करिह नाम नगर नर नारी मिदत मय बािर िनहारी

किर मजजन मागिह कर जोरी रामच पद ीित न थोरी ३

भरत कहउ सरसिर तव रन सकल सखद सवक सरधन

जोिर पािन बर मागउ एह सीय राम पद सहज सनह ४

दोहा एिह िबिध मजजन भरत किर गर अनसासन पाइ

मात नहानी जािन सब डरा चल लवाइ १९७

जह तह लोगनह डरा कीनहा भरत सोध सबही कर लीनहा

सर सवा किर आयस पाई राम मात पिह ग दोउ भाई १

चरन चािप किह किह मद बानी जननी सकल भरत सनमानी

भाइिह सौिप मात सवकाई आप िनषादिह लीनह बोलाई २

रामचिरतमानस - 90 - अयोधयाकाड

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चल सखा कर सो कर जोर िसिथल सरीर सनह न थोर

पछत सखिह सो ठाउ दखाऊ नक नयन मन जरिन जड़ाऊ ३

जह िसय राम लखन िनिस सोए कहत भर जल लोचन कोए

भरत बचन सिन भयउ िबषाद तरत तहा लइ गयउ िनषाद ४

दोहा जह िससपा पनीत तर रघबर िकय िब ाम

अित सनह सादर भरत कीनहउ दड नाम १९८

कस साथरी िनहािर सहाई कीनह नाम दिचछन जाई

चरन रख रज आिखनह लाई बनइ न कहत ीित अिधकाई १

कनक िबद दइ चािरक दख राख सीस सीय सम लख

सजल िबलोचन हदय गलानी कहत सखा सन बचन सबानी २

ीहत सीय िबरह दितहीना जथा अवध नर नािर िबलीना

िपता जनक दउ पटतर कही करतल भोग जोग जग जही ३

ससर भानकल भान भआल जिह िसहात अमरावितपाल

ाननाथ रघनाथ गोसाई जो बड़ होत सो राम बड़ाई ४

दोहा पित दवता सतीय मिन सीय साथरी दिख

िबहरत दउ न हहिर हर पिब त किठन िबसिष १९९

लालन जोग लखन लघ लोन भ न भाइ अस अहिह न होन

परजन ि य िपत मात दलार िसय रघबरिह ानिपआर १

मद मरित सकमार सभाऊ तात बाउ तन लाग न काऊ

त बन सहिह िबपित सब भाती िनदर कोिट किलस एिह छाती २

राम जनिम जग कीनह उजागर रप सील सख सब गन सागर

परजन पिरजन गर िपत माता राम सभाउ सबिह सखदाता ३

बिरउ राम बड़ाई करही बोलिन िमलिन िबनय मन हरही

सारद कोिट कोिट सत सषा किर न सकिह भ गन गन लखा ४

रामचिरतमानस - 91 - अयोधयाकाड

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दोहा

सखसवरप रघबसमिन मगल मोद िनधान त सोवत कस डािस मिह िबिध गित अित बलवान २००

राम सना दख कान न काऊ जीवनतर िजिम जोगवइ राऊ

पलक नयन फिन मिन जिह भाती जोगविह जनिन सकल िदनराती १

त अब िफरत िबिपन पदचारी कद मल फल फल अहारी

िधग ककई अमगल मला भइिस ान ि यतम ितकला २

म िधग िधग अघ उदिध अभागी सब उतपात भयउ जिह लागी

कल कलक किर सजउ िबधाता साइदोह मोिह कीनह कमाता ३

सिन स म समझाव िनषाद नाथ किरअ कत बािद िबषाद

राम तमहिह ि य तमह ि य रामिह यह िनरजोस दोस िबिध बामिह ४ छद

िबिध बाम की करनी किठन जिह मात कीनही बावरी तिह राित पिन पिन करिह भ सादर सरहना रावरी

तलसी न तमह सो राम ीतम कहत हौ सौह िकए

पिरनाम मगल जािन अपन आिनए धीरज िहए

सोरठा अतरजामी राम सकच स म कपायतन

चिलअ किरअ िब ाम यह िबचािर दढ़ आिन मन २०१

सखा बचन सिन उर धिर धीरा बास चल सिमरत रघबीरा

यह सिध पाइ नगर नर नारी चल िबलोकन आरत भारी १

परदिखना किर करिह नामा दिह ककइिह खोिर िनकामा

भरी भिर बािर िबलोचन लही बाम िबधातािह दषन दही २

एक सराहिह भरत सनह कोउ कह नपित िनबाहउ नह

िनदिह आप सरािह िनषादिह को किह सकइ िबमोह िबषादिह ३

रामचिरतमानस - 92 - अयोधयाकाड

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एिह िबिध राित लोग सब जागा भा िभनसार गदारा लागा

गरिह सनाव चढ़ाइ सहाई नई नाव सब मात चढ़ाई ४

दड चािर मह भा सब पारा उतिर भरत तब सबिह सभारा ५

दोहा ाति या किर मात पद बिद गरिह िसर नाइ

आग िकए िनषाद गन दीनहउ कटक चलाइ २०२

िकयउ िनषादनाथ अगआई मात पालकी सकल चलाई

साथ बोलाइ भाइ लघ दीनहा िब नह सिहत गवन गर कीनहा १

आप सरसिरिह कीनह नाम सिमर लखन सिहत िसय राम

गवन भरत पयोदिह पाए कोतल सग जािह डोिरआए २

कहिह ससवक बारिह बारा होइअ नाथ असव असवारा

राम पयोदिह पाय िसधाए हम कह रथ गज बािज बनाए ३

िसर भर जाउ उिचत अस मोरा सब त सवक धरम कठोरा

दिख भरत गित सिन मद बानी सब सवक गन गरिह गलानी ४

दोहा भरत तीसर पहर कह कीनह बस याग कहत राम िसय राम िसय उमिग उमिग अनराग २०३

झलका झलकत पायनह क स पकज कोस ओस कन जस

भरत पयादिह आए आज भयउ दिखत सिन सकल समाज १

खबिर लीनह सब लोग नहाए कीनह नाम ि बिनिह आए

सिबिध िसतािसत नीर नहान िदए दान मिहसर सनमान २

दखत सयामल धवल हलोर पलिक सरीर भरत कर जोर

सकल काम द तीरथराऊ बद िबिदत जग गट भाऊ ३

मागउ भीख तयािग िनज धरम आरत काह न करइ ककरम

अस िजय जािन सजान सदानी सफल करिह जग जाचक बानी ४

रामचिरतमानस - 93 - अयोधयाकाड

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दोहा अरथ न धरम न काम रिच गित न चहउ िनरबान

जनम जनम रित राम पद यह बरदान न आन २०४

जानह राम किटल किर मोही लोग कहउ गर सािहब ोही

सीता राम चरन रित मोर अनिदन बढ़उ अन ह तोर १

जलद जनम भिर सरित िबसारउ जाचत जल पिब पाहन डारउ

चातक रटिन घट घिट जाई बढ़ म सब भाित भलाई २

कनकिह बान चढ़इ िजिम दाह ितिम ि यतम पद नम िनबाह

भरत बचन सिन माझ ि बनी भइ मद बािन समगल दनी ३

तात भरत तमह सब िबिध साध राम चरन अनराग अगाध

बाद गलािन करह मन माही तमह सम रामिह कोउ ि य नाही ४

दोहा तन पलकउ िहय हरष सिन बिन बचन अनकल

भरत धनय किह धनय सर हरिषत बरषिह फल २०५

मिदत तीरथराज िनवासी बखानस बट गही उदासी

कहिह परसपर िमिल दस पाचा भरत सनह सील सिच साचा १

सनत राम गन ाम सहाए भर ाज मिनबर पिह आए

दड नाम करत मिन दख मरितमत भागय िनज लख २

धाइ उठाइ लाइ उर लीनह दीिनह असीस कतारथ कीनह

आसन दीनह नाइ िसर बठ चहत सकच गह जन भिज पठ ३

मिन पछब कछ यह बड़ सोच बोल िरिष लिख सील सकोच

सनह भरत हम सब सिध पाई िबिध करतब पर िकछ न बसाई ४

दोहा तमह गलािन िजय जिन करह समझी मात करतित

तात ककइिह दोस निह गई िगरा मित धित २०६

रामचिरतमानस - 94 - अयोधयाकाड

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यहउ कहत भल किहिह न कोऊ लोक बद बध समत दोऊ

तात तमहार िबमल जस गाई पाइिह लोकउ बद बड़ाई १

लोक बद समत सब कहई जिह िपत दइ राज सो लहई

राउ सतय त तमहिह बोलाई दत राज सख धरम बड़ाई २

राम गवन बन अनरथ मला जो सिन सकल िबसव भइ सला

सो भावी बस रािन अयानी किर कचािल अतह पिछतानी ३

तहउ तमहार अलप अपराध कह सो अधम अयान असाध

करतह राज त तमहिह न दोष रामिह होत सनत सतोष ४

दोहा अब अित कीनहह भरत भल तमहिह उिचत मत एह

सकल समगल मल जग रघबर चरन सनह २०७

सो तमहार धन जीवन ाना भिरभाग को तमहिह समाना

यह तमहार आचरज न ताता दसरथ सअन राम ि य ाता १

सनह भरत रघबर मन माही पम पा तमह सम कोउ नाही

लखन राम सीतिह अित ीती िनिस सब तमहिह सराहत बीती २

जाना मरम नहात यागा मगन होिह तमहर अनरागा

तमह पर अस सनह रघबर क सख जीवन जग जस जड़ नर क ३

यह न अिधक रघबीर बड़ाई नत कटब पाल रघराई

तमह तौ भरत मोर मत एह धर दह जन राम सनह ४

दोहा तमह कह भरत कलक यह हम सब कह उपदस

राम भगित रस िसि िहत भा यह समउ गनस २०८

नव िबध िबमल तात जस तोरा रघबर िककर कमद चकोरा

उिदत सदा अथइिह कबह ना घिटिह न जग नभ िदन िदन दना १

कोक ितलोक ीित अित किरही भ ताप रिब छिबिह न हिरही

िनिस िदन सखद सदा सब काह िसिह न ककइ करतब राह २

रामचिरतमानस - 95 - अयोधयाकाड

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परन राम सपम िपयषा गर अवमान दोष निह दषा

राम भगत अब अिमअ अघाह कीनहह सलभ सधा बसधाह ३

भप भगीरथ सरसिर आनी सिमरत सकल समगल खानी

दसरथ गन गन बरिन न जाही अिधक कहा जिह सम जग नाही ४

दोहा जास सनह सकोच बस राम गट भए आइ

ज हर िहय नयनिन कबह िनरख नही अघाइ २०९

कीरित िबध तमह कीनह अनपा जह बस राम पम मगरपा

तात गलािन करह िजय जाए डरह दिर िह पारस पाए १

सनह भरत हम झठ न कहही उदासीन तापस बन रहही

सब साधन कर सफल सहावा लखन राम िसय दरसन पावा २

तिह फल कर फल दरस तमहारा सिहत पयाग सभाग हमारा

भरत धनय तमह जस जग जयऊ किह अस पम मगन पिन भयऊ ३

सिन मिन बचन सभासद हरष साध सरािह समन सर बरष

धनय धनय धिन गगन पयागा सिन सिन भरत मगन अनरागा ४

दोहा पलक गात िहय राम िसय सजल सरोरह नन

किर नाम मिन मडिलिह बोल गदगद बन २१०

मिन समाज अर तीरथराज सािचह सपथ अघाइ अकाज

एिह थल जौ िकछ किहअ बनाई एिह सम अिधक न अघ अधमाई १

तमह सबरगय कहउ सितभाऊ उर अतरजामी रघराऊ

मोिह न मात करतब कर सोच निह दख िजय जग जािनिह पोच २

नािहन डर िबगिरिह परलोक िपतह मरन कर मोिह न सोक

सकत सजस भिर भअन सहाए लिछमन राम सिरस सत पाए ३

राम िबरह तिज तन छनभग भप सोच कर कवन सग

राम लखन िसय िबन पग पनही किर मिन बष िफरिह बन बनही ४

रामचिरतमानस - 96 - अयोधयाकाड

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दोहा

अिजन बसन फल असन मिह सयन डािस कस पात

बिस तर तर िनत सहत िहम आतप बरषा बात २११

एिह दख दाह दहइ िदन छाती भख न बासर नीद न राती

एिह करोग कर औषध नाही सोधउ सकल िबसव मन माही १

मात कमत बढ़ई अघ मला तिह हमार िहत कीनह बसला

किल ककाठ कर कीनह कज गािड़ अविध पिढ़ किठन कम २

मोिह लिग यह कठाट तिह ठाटा घालिस सब जग बारहबाटा

िमटइ कजोग राम िफिर आए बसइ अवध निह आन उपाए ३

भरत बचन सिन मिन सख पाई सबिह कीनह बह भाित बड़ाई

तात करह जिन सोच िबसषी सब दख िमटिह राम पग दखी ४

दोहा किर बोध मिनबर कहउ अितिथ पमि य होह

कद मल फल फल हम दिह लह किर छोह २१२

सिन मिन बचन भरत िहय सोच भयउ कअवसर किठन सकोच

जािन गरइ गर िगरा बहोरी चरन बिद बोल कर जोरी १

िसर धिर आयस किरअ तमहारा परम धरम यह नाथ हमारा

भरत बचन मिनबर मन भाए सिच सवक िसष िनकट बोलाए २

चािहए कीनह भरत पहनाई कद मल फल आनह जाई

भलही नाथ किह ितनह िसर नाए मिदत िनज िनज काज िसधाए ३

मिनिह सोच पाहन बड़ नवता तिस पजा चािहअ जस दवता

सिन िरिध िसिध अिनमािदक आई आयस होइ सो करिह गोसाई ४

दोहा राम िबरह बयाकल भरत सानज सिहत समाज

पहनाई किर हरह म कहा मिदत मिनराज २१३

रामचिरतमानस - 97 - अयोधयाकाड

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िरिध िसिध िसर धिर मिनबर बानी बड़भािगिन आपिह अनमानी

कहिह परसपर िसिध समदाई अतिलत अितिथ राम लघ भाई १

मिन पद बिद किरअ सोइ आज होइ सखी सब राज समाज

अस किह रचउ रिचर गह नाना जिह िबलोिक िबलखािह िबमाना २

भोग िबभित भिर भिर राख दखत िजनहिह अमर अिभलाष

दासी दास साज सब लीनह जोगवत रहिह मनिह मन दीनह ३

सब समाज सिज िसिध पल माही ज सख सरपर सपनह नाही

थमिह बास िदए सब कही सदर सखद जथा रिच जही ४

दोहा बहिर सपिरजन भरत कह िरिष अस आयस दीनह

िबिध िबसमय दायक िबभव मिनबर तपबल कीनह २१४

मिन भाउ जब भरत िबलोका सब लघ लग लोकपित लोका

सख समाज निह जाइ बखानी दखत िबरित िबसारही गयानी १

आसन सयन सबसन िबताना बन बािटका िबहग मग नाना

सरिभ फल फल अिमअ समाना िबमल जलासय िबिबध िबधाना २

असन पान सच अिमअ अमी स दिख लोग सकचात जमी स

सर सरभी सरतर सबही क लिख अिभलाष सरस सची क ३

िरत बसत बह ि िबध बयारी सब कह सलभ पदारथ चारी

क चदन बिनतािदक भोगा दिख हरष िबसमय बस लोगा ४

दोहा सपत चकई भरत चक मिन आयस खलवार

तिह िनिस आ म िपजरा राख भा िभनसार २१५

मासपारायण उननीसवा िव ाम

कीनह िनमजजन तीरथराजा नाइ मिनिह िसर सिहत समाजा

रामचिरतमानस - 98 - अयोधयाकाड

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िरिष आयस असीस िसर राखी किर दडवत िबनय बह भाषी १

पथ गित कसल साथ सब लीनह चल िच कटिह िचत दीनह

रामसखा कर दीनह लाग चलत दह धिर जन अनराग २

निह पद ान सीस निह छाया पम नम त धरम अमाया

लखन राम िसय पथ कहानी पछत सखिह कहत मद बानी ३

राम बास थल िबटप िबलोक उर अनराग रहत निह रोक

दिख दसा सर बिरसिह फला भइ मद मिह मग मगल मला ४

दोहा िकए जािह छाया जलद सखद बहइ बर बात

तस मग भयउ न राम कह जस भा भरतिह जात २१६

जड़ चतन मग जीव घनर ज िचतए भ िजनह भ हर

त सब भए परम पद जोग भरत दरस मटा भव रोग १

यह बिड़ बात भरत कइ नाही सिमरत िजनिह राम मन माही

बारक राम कहत जग जऊ होत तरन तारन नर तऊ २

भरत राम ि य पिन लघ ाता कस न होइ मग मगलदाता

िस साध मिनबर अस कहही भरतिह िनरिख हरष िहय लहही ३

दिख भाउ सरसिह सोच जग भल भलिह पोच कह पोच

गर सन कहउ किरअ भ सोई रामिह भरतिह भट न होई ४

दोहा राम सकोची म बस भरत सपम पयोिध

बनी बात बगरन चहित किरअ जतन छल सोिध २१७

बचन सनत सरगर मसकान सहसनयन िबन लोचन जान

मायापित सवक सन माया करइ त उलिट परइ सरराया १

तब िकछ कीनह राम रख जानी अब कचािल किर होइिह हानी

सन सरस रघनाथ सभाऊ िनज अपराध िरसािह न काऊ २

जो अपराध भगत कर करई राम रोष पावक सो जरई

रामचिरतमानस - 99 - अयोधयाकाड

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लोकह बद िबिदत इितहासा यह मिहमा जानिह दरबासा ३

भरत सिरस को राम सनही जग जप राम राम जप जही ४

दोहा मनह न आिनअ अमरपित रघबर भगत अकाज

अजस लोक परलोक दख िदन िदन सोक समाज २१८

सन सरस उपदस हमारा रामिह सवक परम िपआरा

मानत सख सवक सवकाई सवक बर बर अिधकाई १

ज िप सम निह राग न रोष गहिह न पाप पन गन दोष

करम धान िबसव किर राखा जो जस करइ सो तस फल चाखा २

तदिप करिह सम िबषम िबहारा भगत अभगत हदय अनसारा

अगन अलप अमान एकरस राम सगन भए भगत पम बस ३

राम सदा सवक रिच राखी बद परान साध सर साखी

अस िजय जािन तजह किटलाई करह भरत पद ीित सहाई ४

दोहा राम भगत परिहत िनरत पर दख दखी दयाल

भगत िसरोमिन भरत त जिन डरपह सरपाल २१९

सतयसध भ सर िहतकारी भरत राम आयस अनसारी

सवारथ िबबस िबकल तमह होह भरत दोस निह राउर मोह १

सिन सरबर सरगर बर बानी भा मोद मन िमटी गलानी

बरिष सन हरिष सरराऊ लग सराहन भरत सभाऊ २

एिह िबिध भरत चल मग जाही दसा दिख मिन िस िसहाही

जबिह राम किह लिह उसासा उमगत पम मनह चह पासा ३

विह बचन सिन किलस पषाना परजन पम न जाइ बखाना

बीच बास किर जमनिह आए िनरिख नीर लोचन जल छाए १

दोहा

रामचिरतमानस - 100 - अयोधयाकाड

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रघबर बरन िबलोिक बर बािर समत समाज होत मगन बािरिध िबरह चढ़ िबबक जहाज २२०

जमन तीर तिह िदन किर बास भयउ समय सम सबिह सपास

रातिह घाट घाट की तरनी आई अगिनत जािह न बरनी १

ात पार भए एकिह खवा तोष रामसखा की सवा

चल नहाइ निदिह िसर नाई साथ िनषादनाथ दोउ भाई २

आग मिनबर बाहन आछ राजसमाज जाइ सब पाछ

तिह पाछ दोउ बध पयाद भषन बसन बष सिठ साद ३

सवक स द सिचवसत साथा सिमरत लखन सीय रघनाथा

जह जह राम बास िब ामा तह तह करिह स म नामा ४

दोहा मगबासी नर नािर सिन धाम काम तिज धाइ

दिख सरप सनह सब मिदत जनम फल पाइ २२१

कहिह सपम एक एक पाही राम लखन सिख होिह िक नाही

बय बप बरन रप सोइ आली सील सनह सिरस सम चाली १

बष न सो सिख सीय न सगा आग अनी चली चतरगा

निह सनन मख मानस खदा सिख सदह होइ एिह भदा २

तास तरक ितयगन मन मानी कहिह सकल तिह सम न सयानी

तिह सरािह बानी फिर पजी बोली मधर बचन ितय दजी ३

किह सपम सब कथा सग जिह िबिध राम राज रस भग

भरतिह बहिर सराहन लागी सील सनह सभाय सभागी ४

दोहा चलत पयाद खात फल िपता दीनह तिज राज

जात मनावन रघबरिह भरत सिरस को आज २२२

भायप भगित भरत आचरन कहत सनत दख दषन हरन

रामचिरतमानस - 101 - अयोधयाकाड

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जो कछ कहब थोर सिख सोई रा म बध अस काह न होई १

हम सब सानज भरतिह दख भइनह धनय जबती जन लख

सिन गन दिख दसा पिछताही ककइ जनिन जोग सत नाही २

कोउ कह दषन रािनिह नािहन िबिध सब कीनह हमिह जो दािहन

कह हम लोक बद िबिध हीनी लघ ितय कल करतित मलीनी ३

बसिह कदस कगाव कबामा कह यह दरस पनय पिरनामा

अस अनद अिचिरज ित ामा जन मरभिम कलपतर जामा ४

दोहा भरत दरस दखत खलउ मग लोगनह कर भाग

जन िसघलबािसनह भयउ िबिध बस सलभ याग २२३

िनज गन सिहत राम गन गाथा सनत जािह सिमरत रघनाथा

तीरथ मिन आ म सरधामा िनरिख िनमजजिह करिह नामा १

मनही मन मागिह बर एह सीय राम पद पदम सनह

िमलिह िकरात कोल बनबासी बखानस बट जती उदासी २

किर नाम पछिह जिह तही किह बन लखन राम बदही

त भ समाचार सब कहही भरतिह दिख जनम फल लहही ३

ज जन कहिह कसल हम दख त ि य राम लखन सम लख

एिह िबिध बझत सबिह सबानी सनत राम बनबास कहानी ४

दोहा तिह बासर बिस ातही चल सिमिर रघनाथ

राम दरस की लालसा भरत सिरस सब साथ २२४

मगल सगन होिह सब काह फरकिह सखद िबलोचन बाह

भरतिह सिहत समाज उछाह िमिलहिह राम िमटिह दख दाह १

करत मनोरथ जस िजय जाक जािह सनह सरा सब छाक

िसिथल अग पग मग डिग डोलिह िबहबल बचन पम बस बोलिह २

रामसखा तिह समय दखावा सल िसरोमिन सहज सहावा

रामचिरतमानस - 102 - अयोधयाकाड

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जास समीप सिरत पय तीरा सीय समत बसिह दोउ बीरा ३

दिख करिह सब दड नामा किह जय जानिक जीवन रामा

म मगन अस राज समाज जन िफिर अवध चल रघराज ४

दोहा भरत म तिह समय जस तस किह सकइ न सष

किबिह अगम िजिम सख अह मम मिलन जनष २२५

सकल सनह िसिथल रघबर क गए कोस दइ िदनकर ढरक

जल थल दिख बस िनिस बीत कीनह गवन रघनाथ िपरीत १

उहा राम रजनी अवसषा जाग सीय सपन अस दखा

सिहत समाज भरत जन आए नाथ िबयोग ताप तन ताए २

सकल मिलन मन दीन दखारी दखी सास आन अ नहारी

सिन िसय सपन भर जल लोचन भए सोचबस सोच िबमोचन ३

लखन सपन यह नीक न होई किठन कचाह सनाइिह कोई

अस किह बध समत नहान पिज परािर साध सनमान ४ छद

सनमािन सर मिन बिद बठ उ र िदिस दखत भए

नभ धिर खग मग भिर भाग िबकल भ आ म गए

तलसी उठ अवलोिक कारन काह िचत सचिकत रह

सब समाचार िकरात कोलिनह आइ तिह अवसर कह

दोहा सनत समगल बन मन मोद तन पलक भर

सरद सरोरह नन तलसी भर सनह जल २२६

बहिर सोचबस भ िसयरवन कारन कवन भरत आगवन

एक आइ अस कहा बहोरी सन सग चतरग न थोरी १

सो सिन रामिह भा अित सोच इत िपत बच इत बध सकोच

रामचिरतमानस - 103 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ समिझ मन माही भ िचत िहत िथित पावत नाही २

समाधान तब भा यह जान भरत कह मह साध सयान

लखन लखउ भ हदय खभार कहत समय सम नीित िबचार ३

िबन पछ कछ कहउ गोसाई सवक समय न ढीठ िढठाई

तमह सबरगय िसरोमिन सवामी आपिन समिझ कहउ अनगामी ४

दोहा नाथ स द सिठ सरल िचत सील सनह िनधान

सब पर ीित तीित िजय जािनअ आप समान २२७

िबषई जीव पाइ भताई मढ़ मोह बस होिह जनाई

भरत नीित रत साध सजाना भ पद म सकल जग जाना १

तऊ आज राम पद पाई चल धरम मरजाद मटाई

किटल कबध कअवसर ताकी जािन राम बनवास एकाकी २

किर कम मन सािज समाज आए कर अकटक राज

कोिट कार कलिप कटलाई आए दल बटोिर दोउ भाई ३

जौ िजय होित न कपट कचाली किह सोहाित रथ बािज गजाली

भरतिह दोस दइ को जाए जग बौराइ राज पद पाए ४

दोहा सिस गर ितय गामी नघष चढ़उ भिमसर जान

लोक बद त िबमख भा अधम न बन समान २२८

सहसबाह सरनाथ ि सक किह न राजमद दीनह कलक

भरत कीनह यह उिचत उपाऊ िरप िरन रच न राखब काऊ १

एक कीिनह निह भरत भलाई िनदर राम जािन असहाई

समिझ पिरिह सोउ आज िबसषी समर सरोष राम मख पखी २

एतना कहत नीित रस भला रन रस िबटप पलक िमस फला

भ पद बिद सीस रज राखी बोल सतय सहज बल भाषी ३

अनिचत नाथ न मानब मोरा भरत हमिह उपचार न थोरा

रामचिरतमानस - 104 - अयोधयाकाड

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कह लिग सिहअ रिहअ मन मार नाथ साथ धन हाथ हमार ४

दोहा छि जाित रघकल जनम राम अनग जग जान

लातह मार चढ़ित िसर नीच को धिर समान २२९

उिठ कर जोिर रजायस मागा मनह बीर रस सोवत जागा

बािध जटा िसर किस किट भाथा सािज सरासन सायक हाथा १

आज राम सवक जस लऊ भरतिह समर िसखावन दऊ

राम िनरादर कर फल पाई सोवह समर सज दोउ भाई २

आइ बना भल सकल समाज गट करउ िरस पािछल आज

िजिम किर िनकर दलइ मगराज लइ लपिट लवा िजिम बाज ३

तसिह भरतिह सन समता सानज िनदिर िनपातउ खता

जौ सहाय कर सकर आई तौ मारउ रन राम दोहाई ४

दोहा अित सरोष माख लखन लिख सिन सपथ वान

सभय लोक सब लोकपित चाहत भभिर भगान २३०

जग भय मगन गगन भइ बानी लखन बाहबल िबपल बखानी

तात ताप भाउ तमहारा को किह सकइ को जानिनहारा १

अनिचत उिचत काज िकछ होऊ समिझ किरअ भल कह सब कोऊ

सहसा किर पाछ पिछताही कहिह बद बध त बध नाही २

सिन सर बचन लखन सकचान राम सीय सादर सनमान

कही तात तमह नीित सहाई सब त किठन राजमद भाई ३

जो अचवत नप मातिह तई नािहन साधसभा जिह सई

सनह लखन भल भरत सरीसा िबिध पच मह सना न दीसा ४

दोहा भरतिह होइ न राजमद िबिध हिर हर पद पाइ

रामचिरतमानस - 105 - अयोधयाकाड

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कबह िक काजी सीकरिन छीरिसध िबनसाइ २३१

ितिमर तरन तरिनिह मक िगलई गगन मगन मक मघिह िमलई

गोपद जल बड़िह घटजोनी सहज छमा बर छाड़ छोनी १

मसक फक मक मर उड़ाई होइ न नपमद भरतिह भाई

लखन तमहार सपथ िपत आना सिच सबध निह भरत समाना २

सगन खीर अवगन जल ताता िमलइ रचइ परपच िबधाता

भरत हस रिबबस तड़ागा जनिम कीनह गन दोष िबभागा ३

गिह गन पय तिज अवगन बारी िनज जस जगत कीिनह उिजआरी

कहत भरत गन सील सभाऊ पम पयोिध मगन रघराऊ ४

दोहा सिन रघबर बानी िबबध दिख भरत पर हत सकल सराहत राम सो भ को कपािनकत २३२

जौ न होत जग जनम भरत को सकल धरम धर धरिन धरत को

किब कल अगम भरत गन गाथा को जानइ तमह िबन रघनाथा १

लखन राम िसय सिन सर बानी अित सख लहउ न जाइ बखानी

इहा भरत सब सिहत सहाए मदािकनी पनीत नहाए २

सिरत समीप रािख सब लोगा मािग मात गर सिचव िनयोगा

चल भरत जह िसय रघराई साथ िनषादनाथ लघ भाई ३

समिझ मात करतब सकचाही करत कतरक कोिट मन माही

राम लखन िसय सिन मम नाऊ उिठ जिन अनत जािह तिज ठाऊ ४

दोहा मात मत मह मािन मोिह जो कछ करिह सो थोर

अघ अवगन छिम आदरिह समिझ आपनी ओर २३३

जौ पिरहरिह मिलन मन जानी जौ सनमानिह सवक मानी

मोर सरन रामिह की पनही राम ससवािम दोस सब जनही १

रामचिरतमानस - 106 - अयोधयाकाड

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जग जस भाजन चातक मीना नम पम िनज िनपन नबीना

अस मन गनत चल मग जाता सकच सनह िसिथल सब गाता २

फरत मनह मात कत खोरी चलत भगित बल धीरज धोरी

जब समझत रघनाथ सभाऊ तब पथ परत उताइल पाऊ ३

भरत दसा तिह अवसर कसी जल बाह जल अिल गित जसी

दिख भरत कर सोच सनह भा िनषाद तिह समय िबदह ४

दोहा लग होन मगल सगन सिन गिन कहत िनषाद िमिटिह सोच होइिह हरष पिन पिरनाम िबषाद २३४

सवक बचन सतय सब जान आ म िनकट जाइ िनअरान

भरत दीख बन सल समाज मिदत छिधत जन पाइ सनाज १

ईित भीित जन जा दखारी ि िबध ताप पीिड़त ह मारी

जाइ सराज सदस सखारी होिह भरत गित तिह अनहारी २

राम बास बन सपित ाजा सखी जा जन पाइ सराजा

सिचव िबराग िबबक नरस िबिपन सहावन पावन दस ३

भट जम िनयम सल रजधानी साित समित सिच सदर रानी

सकल अग सपनन सराऊ राम चरन आि त िचत चाऊ ४

दोहा जीित मोह मिहपाल दल सिहत िबबक भआल

करत अकटक राज पर सख सपदा सकाल २३५

बन दस मिन बास घनर जन पर नगर गाउ गन खर

िबपल िबिच िबहग मग नाना जा समाज न जाइ बखाना १

खगहा किर हिर बाघ बराहा दिख मिहष बष साज सराहा

बयर िबहाइ चरिह एक सगा जह तह मनह सन चतरगा २

झरना झरिह म गज गाजिह मनह िनसान िबिबिध िबिध बाजिह

चक चकोर चातक सक िपक गन कजत मज मराल मिदत मन ३

रामचिरतमानस - 107 - अयोधयाकाड

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अिलगन गावत नाचत मोरा जन सराज मगल चह ओरा

बिल िबटप तन सफल सफला सब समाज मद मगल मला ४

दोहा राम सल सोभा िनरिख भरत हदय अित पम तापस तप फल पाइ िजिम सखी िसरान नम २३६

मासपारायण बीसवा िव ाम

नवा पारायण पाचवा िव ाम

तब कवट ऊच चिढ़ धाई कहउ भरत सन भजा उठाई

नाथ दिखअिह िबटप िबसाला पाकिर जब रसाल तमाला १

िजनह तरबरनह मधय बट सोहा मज िबसाल दिख मन मोहा

नील सघन पललव फल लाला अिबरल छाह सखद सब काला २

मानह ितिमर अरनमय रासी िबरची िबिध सकिल सषमा सी

ए तर सिरत समीप गोसाई रघबर परनकटी जह छाई ३

तलसी तरबर िबिबध सहाए कह कह िसय कह लखन लगाए

बट छाया बिदका बनाई िसय िनज पािन सरोज सहाई ४

दोहा जहा बिठ मिनगन सिहत िनत िसय राम सजान

सनिह कथा इितहास सब आगम िनगम परान २३७

सखा बचन सिन िबटप िनहारी उमग भरत िबलोचन बारी

करत नाम चल दोउ भाई कहत ीित सारद सकचाई १

हरषिह िनरिख राम पद अका मानह पारस पायउ रका

रज िसर धिर िहय नयनिनह लाविहरघबर िमलन सिरस सख पाविह २

दिख भरत गित अकथ अतीवा म मगन मग खग जड़ जीवा

सखिह सनह िबबस मग भला किह सपथ सर बरषिह फला ३

िनरिख िस साधक अनराग सहज सनह सराहन लाग

रामचिरतमानस - 108 - अयोधयाकाड

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होत न भतल भाउ भरत को अचर सचर चर अचर करत को ४

दोहा पम अिमअ मदर िबरह भरत पयोिध गभीर

मिथ गटउ सर साध िहत कपािसध रघबीर २३८

सखा समत मनोहर जोटा लखउ न लखन सघन बन ओटा

भरत दीख भ आ म पावन सकल समगल सदन सहावन १

करत बस िमट दख दा वा जन जोगी परमारथ पावा

दख भरत लखन भ आग पछ बचन कहत अनराग २

सीस जटा किट मिन पट बाध तन कस कर सर धन काध

बदी पर मिन साध समाज सीय सिहत राजत रघराज ३

बलकल बसन जिटल तन सयामा जन मिन बष कीनह रित कामा

कर कमलिन धन सायक फरत िजय की जरिन हरत हिस हरत ४

दोहा लसत मज मिन मडली मधय सीय रघचद

गयान सभा जन तन धर भगित सिचचदानद २३९

सानज सखा समत मगन मन िबसर हरष सोक सख दख गन

पािह नाथ किह पािह गोसाई भतल पर लकट की नाई १

बचन सपम लखन पिहचान करत नाम भरत िजय जान

बध सनह सरस एिह ओरा उत सािहब सवा बस जोरा २

िमिल न जाइ निह गदरत बनई सकिब लखन मन की गित भनई

रह रािख सवा पर भार चढ़ी चग जन खच खलार ३

कहत स म नाइ मिह माथा भरत नाम करत रघनाथा

उठ राम सिन पम अधीरा कह पट कह िनषग धन तीरा ४

दोहा बरबस िलए उठाइ उर लाए कपािनधान

रामचिरतमानस - 109 - अयोधयाकाड

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भरत राम की िमलिन लिख िबसर सबिह अपान २४०

िमलिन ीित िकिम जाइ बखानी किबकल अगम करम मन बानी

परम पम परन दोउ भाई मन बिध िचत अहिमित िबसराई १

कहह सपम गट को करई किह छाया किब मित अनसरई

किबिह अरथ आखर बल साचा अनहिर ताल गितिह नट नाचा २

अगम सनह भरत रघबर को जह न जाइ मन िबिध हिर हर को

सो म कमित कहौ किह भाती बाज सराग िक गाडर ताती ३

िमलिन िबलोिक भरत रघबर की सरगन सभय धकधकी धरकी

समझाए सरगर जड़ जाग बरिष सन ससन लाग ४

दोहा िमिल सपम िरपसदनिह कवट भटउ राम

भिर भाय भट भरत लिछमन करत नाम २४१

भटउ लखन ललिक लघ भाई बहिर िनषाद लीनह उर लाई

पिन मिनगन दह भाइनह बद अिभमत आिसष पाइ अनद १

सानज भरत उमिग अनरागा धिर िसर िसय पद पदम परागा

पिन पिन करत नाम उठाए िसर कर कमल परिस बठाए २

सीय असीस दीिनह मन माही मगन सनह दह सिध नाही

सब िबिध सानकल लिख सीता भ िनसोच उर अपडर बीता ३

कोउ िकछ कहइ न कोउ िकछ पछा म भरा मन िनज गित छछा

तिह अवसर कवट धीरज धिर जोिर पािन िबनवत नाम किर ४

दोहा नाथ साथ मिननाथ क मात सकल पर लोग

सवक सनप सिचव सब आए िबकल िबयोग २४२

सीलिसध सिन गर आगवन िसय समीप राख िरपदवन

चल सबग राम तिह काला धीर धरम धर दीनदयाला १

रामचिरतमानस - 110 - अयोधयाकाड

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गरिह दिख सानज अनराग दड नाम करन भ लाग

मिनबर धाइ िलए उर लाई म उमिग भट दोउ भाई २ म पलिक कवट किह नाम कीनह दिर त दड नाम

रामसखा िरिष बरबस भटा जन मिह लठत सनह समटा ३

रघपित भगित समगल मला नभ सरािह सर बिरसिह फला

एिह सम िनपट नीच कोउ नाही बड़ बिस सम को जग माही ४

दोहा जिह लिख लखनह त अिधक िमल मिदत मिनराउ

सो सीतापित भजन को गट ताप भाउ २४३

आरत लोग राम सब जाना करनाकर सजान भगवाना

जो जिह भाय रहा अिभलाषी तिह तिह क तिस तिस रख राखी १

सानज िमिल पल मह सब काह कीनह दिर दख दारन दाह

यह बिड़ बात राम क नाही िजिम घट कोिट एक रिब छाही २

िमिल कविटिह उमिग अनरागा परजन सकल सराहिह भागा

दखी राम दिखत महतारी जन सबिल अवली िहम मारी ३

थम राम भटी ककई सरल सभाय भगित मित भई

पग पिर कीनह बोध बहोरी काल करम िबिध िसर धिर खोरी ४

दोहा भटी रघबर मात सब किर बोध पिरतोष

अब ईस आधीन जग काह न दइअ दोष २४४

गरितय पद बद दह भाई सिहत िब ितय ज सग आई

गग गौिर सम सब सनमानी दिह असीस मिदत मद बानी १

गिह पद लग सिम ा अका जन भटी सपित अित रका

पिन जनिन चरनिन दोउ ाता पर पम बयाकल सब गाता २

अित अनराग अब उर लाए नयन सनह सिलल अनहवाए

तिह अवसर कर हरष िबषाद िकिम किब कह मक िजिम सवाद ३

रामचिरतमानस - 111 - अयोधयाकाड

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िमिल जननिह सानज रघराऊ गर सन कहउ िक धािरअ पाऊ

परजन पाइ मनीस िनयोग जल थल तिक तिक उतरउ लोग ४

दोहा मिहसर म ी मात गर गन लोग िलए साथ

पावन आ म गवन िकय भरत लखन रघनाथ २४५

सीय आइ मिनबर पग लागी उिचत असीस लही मन मागी

गरपितिनिह मिनितयनह समता िमली पम किह जाइ न जता १

बिद बिद पग िसय सबही क आिसरबचन लह ि य जी क

सास सकल जब सीय िनहारी मद नयन सहिम सकमारी २

परी बिधक बस मनह मराली काह कीनह करतार कचाली

ितनह िसय िनरिख िनपट दख पावा सो सब सिहअ जो दउ सहावा ३

जनकसता तब उर धिर धीरा नील निलन लोयन भिर नीरा

िमली सकल सासनह िसय जाई तिह अवसर करना मिह छाई ४

दोहा लािग लािग पग सबिन िसय भटित अित अनराग

हदय असीसिह पम बस रिहअह भरी सोहाग २४६

िबकल सनह सीय सब रानी बठन सबिह कहउ गर गयानी

किह जग गित माियक मिननाथा कह कछक परमारथ गाथा १

नप कर सरपर गवन सनावा सिन रघनाथ दसह दख पावा

मरन हत िनज नह िबचारी भ अित िबकल धीर धर धारी २

किलस कठोर सनत कट बानी िबलपत लखन सीय सब रानी

सोक िबकल अित सकल समाज मानह राज अकाजउ आज ३

मिनबर बहिर राम समझाए सिहत समाज ससिरत नहाए

त िनरब तिह िदन भ कीनहा मिनह कह जल काह न लीनहा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 112 - अयोधयाकाड

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भोर भए रघनदनिह जो मिन आयस दीनह

ा भगित समत भ सो सब सादर कीनह २४७

किर िपत ि या बद जिस बरनी भ पनीत पातक तम तरनी

जास नाम पावक अघ तला सिमरत सकल समगल मला १

स सो भयउ साध समत अस तीरथ आवाहन सरसिर जस

स भए दइ बासर बीत बोल गर सन रा म िपरीत २

नाथ लोग सब िनपट दखारी कद मल फल अब अहारी

सानज भरत सिचव सब माता दिख मोिह पल िजिम जग जाता ३

सब समत पर धािरअ पाऊ आप इहा अमरावित राऊ

बहत कहउ सब िकयउ िढठाई उिचत होइ तस किरअ गोसाई ४

दोहा धमर सत करनायतन कस न कहह अस राम

लोग दिखत िदन दइ दरस दिख लहह िब ाम २४८

राम बचन सिन सभय समाज जन जलिनिध मह िबकल जहाज

सिन गर िगरा समगल मला भयउ मनह मारत अनकला १

पावन पय ितह काल नहाही जो िबलोिक अघ ओघ नसाही

मगलमरित लोचन भिर भिर िनरखिह हरिष दडवत किर किर २

राम सल बन दखन जाही जह सख सकल सकल दख नाही

झरना झिरिह सधासम बारी ि िबध तापहर ि िबध बयारी ३

िबटप बिल तन अगिनत जाती फल सन पललव बह भाती

सदर िसला सखद तर छाही जाइ बरिन बन छिब किह पाही ४

दोहा सरिन सरोरह जल िबहग कजत गजत भग

बर िबगत िबहरत िबिपन मग िबहग बहरग २४९

कोल िकरात िभलल बनबासी मध सिच सदर सवाद सधा सी

रामचिरतमानस - 113 - अयोधयाकाड

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भिर भिर परन पटी रिच ररी कद मल फल अकर जरी १

सबिह दिह किर िबनय नामा किह किह सवाद भद गन नामा

दिह लोग बह मोल न लही फरत राम दोहाई दही २

कहिह सनह मगन मद बानी मानत साध पम पिहचानी

तमह सकती हम नीच िनषादा पावा दरसन राम सादा ३

हमिह अगम अित दरस तमहारा जस मर धरिन दवधिन धारा

राम कपाल िनषाद नवाजा पिरजन जउ चिहअ जस राजा ४

दोहा यह िजय जािन सकोच तिज किरअ छोह लिख नह

हमिह कतारथ करन लिग फल तन अकर लह २५०

तमह ि य पाहन बन पग धार सवा जोग न भाग हमार

दब काह हम तमहिह गोसाई ईधन पात िकरात िमताई १

यह हमािर अित बिड़ सवकाई लिह न बासन बसन चोराई

हम जड़ जीव जीव गन घाती किटल कचाली कमित कजाती २

पाप करत िनिस बासर जाही निह पट किट निह पट अघाही

सपोनह धरम बि कस काऊ यह रघनदन दरस भाऊ ३

जब त भ पद पदम िनहार िमट दसह दख दोष हमार

बचन सनत परजन अनराग ितनह क भाग सराहन लाग ४ छद

लाग सराहन भाग सब अनराग बचन सनावही बोलिन िमलिन िसय राम चरन सनह लिख सख पावही

नर नािर िनदरिह नह िनज सिन कोल िभललिन की िगरा

तलसी कपा रघबसमिन की लोह ल लौका ितरा

सोरठा िबहरिह बन चह ओर ितिदन मिदत लोग सब

जल जयो दादर मोर भए पीन पावस थम २५१

रामचिरतमानस - 114 - अयोधयाकाड

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पर जन नािर मगन अित ीती बासर जािह पलक सम बीती

सीय सास ित बष बनाई सादर करइ सिरस सवकाई १

लखा न मरम राम िबन काह माया सब िसय माया माह

सीय सास सवा बस कीनही ितनह लिह सख िसख आिसष दीनही २

लिख िसय सिहत सरल दोउ भाई किटल रािन पिछतािन अघाई

अविन जमिह जाचित ककई मिह न बीच िबिध मीच न दई ३

लोकह बद िबिदत किब कहही राम िबमख थल नरक न लहही

यह ससउ सब क मन माही राम गवन िबिध अवध िक नाही ४

दोहा िनिस न नीद निह भख िदन भरत िबकल सिच सोच नीच कीच िबच मगन जस मीनिह सिलल सकोच २५२

कीनही मात िमस काल कचाली ईित भीित जस पाकत साली

किह िबिध होइ राम अिभषक मोिह अवकलत उपाउ न एक १

अविस िफरिह गर आयस मानी मिन पिन कहब राम रिच जानी

मात कहह बहरिह रघराऊ राम जनिन हठ करिब िक काऊ २

मोिह अनचर कर कितक बाता तिह मह कसमउ बाम िबधाता

जौ हठ करउ त िनपट ककरम हरिगिर त गर सवक धरम ३

एकउ जगित न मन ठहरानी सोचत भरतिह रिन िबहानी

ात नहाइ भिह िसर नाई बठत पठए िरषय बोलाई ४

दोहा गर पद कमल नाम किर बठ आयस पाइ

िब महाजन सिचव सब जर सभासद आइ २५३

बोल मिनबर समय समाना सनह सभासद भरत सजाना

धरम धरीन भानकल भान राजा राम सवबस भगवान १

सतयसध पालक ित सत राम जनम जग मगल हत

रामचिरतमानस - 115 - अयोधयाकाड

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गर िपत मात बचन अनसारी खल दल दलन दव िहतकारी २

नीित ीित परमारथ सवारथ कोउ न राम सम जान जथारथ

िबिध हिर हर सिस रिब िदिसपाला माया जीव करम किल काला ३

अिहप मिहप जह लिग भताई जोग िसि िनगमागम गाई

किर िबचार िजय दखह नीक राम रजाइ सीस सबही क ४

दोहा राख राम रजाइ रख हम सब कर िहत होइ

समिझ सयान करह अब सब िमिल समत सोइ २५४

सब कह सखद राम अिभषक मगल मोद मल मग एक

किह िबिध अवध चलिह रघराऊ कहह समिझ सोइ किरअ उपाऊ १

सब सादर सिन मिनबर बानी नय परमारथ सवारथ सानी

उतर न आव लोग भए भोर तब िसर नाइ भरत कर जोर २

भानबस भए भप घनर अिधक एक त एक बड़र

जनम हत सब कह िपत माता करम सभासभ दइ िबधाता ३

दिल दख सजइ सकल कलयाना अस असीस राउिर जग जाना

सो गोसाइ िबिध गित जिह छकी सकइ को टािर टक जो टकी ४

दोहा बिझअ मोिह उपाउ अब सो सब मोर अभाग

सिन सनहमय बचन गर उर उमगा अनराग २५५

तात बात फिर राम कपाही राम िबमख िसिध सपनह नाही

सकचउ तात कहत एक बाता अरध तजिह बध सरबस जाता १

तमह कानन गवनह दोउ भाई फिरअिह लखन सीय रघराई

सिन सबचन हरष दोउ ाता भ मोद पिरपरन गाता २

मन सनन तन तज िबराजा जन िजय राउ राम भए राजा

बहत लाभ लोगनह लघ हानी सम दख सख सब रोविह रानी ३

कहिह भरत मिन कहा सो कीनह फल जग जीवनह अिभमत दीनह

रामचिरतमानस - 116 - अयोधयाकाड

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कानन करउ जनम भिर बास एिह त अिधक न मोर सपास ४

दोहा अतरजामी राम िसय तमह सरबगय सजान

जो फर कहह त नाथ िनज कीिजअ बचन वान २५६

भरत बचन सिन दिख सनह सभा सिहत मिन भए िबदह

भरत महा मिहमा जलरासी मिन मित ठािढ़ तीर अबला सी १

गा चह पार जतन िहय हरा पावित नाव न बोिहत बरा

और किरिह को भरत बड़ाई सरसी सीिप िक िसध समाई २

भरत मिनिह मन भीतर भाए सिहत समाज राम पिह आए

भ नाम किर दीनह सआसन बठ सब सिन मिन अनसासन ३

बोल मिनबर बचन िबचारी दस काल अवसर अनहारी

सनह राम सरबगय सजाना धरम नीित गन गयान िनधाना ४

दोहा सब क उर अतर बसह जानह भाउ कभाउ

परजन जननी भरत िहत होइ सो किहअ उपाउ २५७

आरत कहिह िबचािर न काऊ सझ जआिरिह आपन दाऊ

सिन मिन बचन कहत रघराऊ नाथ तमहारिह हाथ उपाऊ १

सब कर िहत रख राउिर राख आयस िकए मिदत फर भाष

थम जो आयस मो कह होई माथ मािन करौ िसख सोई २

पिन जिह कह जस कहब गोसाई सो सब भाित घिटिह सवकाई

कह मिन राम सतय तमह भाषा भरत सनह िबचार न राखा ३

तिह त कहउ बहोिर बहोरी भरत भगित बस भइ मित मोरी

मोर जान भरत रिच रािख जो कीिजअ सो सभ िसव साखी ४

दोहा भरत िबनय सादर सिनअ किरअ िबचार बहोिर

रामचिरतमानस - 117 - अयोधयाकाड

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करब साधमत लोकमत नपनय िनगम िनचोिर २५८

गर अनराग भरत पर दखी राम हदय आनद िबसषी

भरतिह धरम धरधर जानी िनज सवक तन मानस बानी १

बोल गर आयस अनकला बचन मज मद मगलमला

नाथ सपथ िपत चरन दोहाई भयउ न भअन भरत सम भाई २

ज गर पद अबज अनरागी त लोकह बदह बड़भागी

राउर जा पर अस अनराग को किह सकइ भरत कर भाग ३

लिख लघ बध बि सकचाई करत बदन पर भरत बड़ाई

भरत कहही सोइ िकए भलाई अस किह राम रह अरगाई ४

दोहा तब मिन बोल भरत सन सब सकोच तिज तात

कपािसध ि य बध सन कहह हदय क बात २५९

सिन मिन बचन राम रख पाई गर सािहब अनकल अघाई

लिख अपन िसर सब छर भार किह न सकिह कछ करिह िबचार १

पलिक सरीर सभा भए ठाढ नीरज नयन नह जल बाढ़

कहब मोर मिननाथ िनबाहा एिह त अिधक कहौ म काहा २

म जानउ िनज नाथ सभाऊ अपरािधह पर कोह न काऊ

मो पर कपा सनह िबसषी खलत खिनस न कबह दखी ३

िससपन तम पिरहरउ न सग कबह न कीनह मोर मन भग

म भ कपा रीित िजय जोही हारह खल िजताविह मोही ४

दोहा मह सनह सकोच बस सनमख कही न बन

दरसन तिपत न आज लिग पम िपआस नन २६०

िबिध न सकउ सिह मोर दलारा नीच बीच जननी िमस पारा

यहउ कहत मोिह आज न सोभा अपनी समिझ साध सिच को भा १

रामचिरतमानस - 118 - अयोधयाकाड

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मात मिद म साध सचाली उर अस आनत कोिट कचाली

फरइ िक कोदव बािल ससाली मकता सव िक सबक काली २

सपनह दोसक लस न काह मोर अभाग उदिध अवगाह

िबन समझ िनज अघ पिरपाक जािरउ जाय जनिन किह काक ३

हदय हिर हारउ सब ओरा एकिह भाित भलिह भल मोरा

गर गोसाइ सािहब िसय राम लागत मोिह नीक पिरनाम ४

दोहा साध सभा गर भ िनकट कहउ सथल सित भाउ

म पच िक झठ फर जानिह मिन रघराउ २६१

भपित मरन पम पन राखी जननी कमित जगत सब साखी

दिख न जािह िबकल महतारी जरिह दसह जर पर नर नारी १

मही सकल अनरथ कर मला सो सिन समिझ सिहउ सब सला

सिन बन गवन कीनह रघनाथा किर मिन बष लखन िसय साथा २

िबन पानिहनह पयादिह पाए सकर सािख रहउ एिह घाए

बहिर िनहार िनषाद सनह किलस किठन उर भयउ न बह ३

अब सब आिखनह दखउ आई िजअत जीव जड़ सबइ सहाई

िजनहिह िनरिख मग सािपिन बीछी तजिह िबषम िबष तामस तीछी४

दोहा तइ रघनदन लखन िसय अनिहत लाग जािह

तास तनय तिज दसह दख दउ सहावइ कािह २६२

सिन अित िबकल भरत बर बानी आरित ीित िबनय नय सानी

सोक मगन सब सभा खभार मनह कमल बन परउ तसार १

किह अनक िबिध कथा परानी भरत बोध कीनह मिन गयानी

बोल उिचत बचन रघनद िदनकर कल करव बन चद २

तात जाय िजय करह गलानी ईस अधीन जीव गित जानी

तीिन काल ितभअन मत मोर पनयिसलोक तात तर तोर ३

रामचिरतमानस - 119 - अयोधयाकाड

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उर आनत तमह पर किटलाई जाइ लोक परलोक नसाई

दोस दिह जनिनिह जड़ तई िजनह गर साध सभा निह सई ४

दोहा िमिटहिह पाप पच सब अिखल अमगल भार लोक सजस परलोक सख सिमरत नाम तमहार २६३

कहउ सभाउ सतय िसव साखी भरत भिम रह राउिर राखी

तात कतरक करह जिन जाए बर पम निह दरइ दराए १

मिन गन िनकट िबहग मग जाही बाधक बिधक िबलोिक पराही

िहत अनिहत पस पिचछउ जाना मानष तन गन गयान िनधाना २

तात तमहिह म जानउ नीक करौ काह असमजस जीक

राखउ राय सतय मोिह तयागी तन पिरहरउ पम पन लागी ३

तास बचन मटत मन सोच तिह त अिधक तमहार सकोच

ता पर गर मोिह आयस दीनहा अविस जो कहह चहउ सोइ कीनहा ४

दोहा मन सनन किर सकच तिज कहह करौ सोइ आज

सतयसध रघबर बचन सिन भा सखी समाज २६४

सर गन सिहत सभय सरराज सोचिह चाहत होन अकाज

बनत उपाउ करत कछ नाही राम सरन सब ग मन माही १

बहिर िबचािर परसपर कहही रघपित भगत भगित बस अहही

सिध किर अबरीष दरबासा भ सर सरपित िनपट िनरासा २

सह सरनह बह काल िबषादा नरहिर िकए गट हलादा

लिग लिग कान कहिह धिन माथा अब सर काज भरत क हाथा ३

आन उपाउ न दिखअ दवा मानत राम ससवक सवा

िहय सपम सिमरह सब भरतिह िनज गन सील राम बस करतिह ४

दोहा

रामचिरतमानस - 120 - अयोधयाकाड

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सिन सर मत सरगर कहउ भल तमहार बड़ भाग

सकल समगल मल जग भरत चरन अनराग २६५

सीतापित सवक सवकाई कामधन सय सिरस सहाई

भरत भगित तमहर मन आई तजह सोच िबिध बात बनाई १

दख दवपित भरत भाऊ सहज सभाय िबबस रघराऊ

मन िथर करह दव डर नाही भरतिह जािन राम पिरछाही २

सनो सरगर सर समत सोच अतरजामी भिह सकोच

िनज िसर भार भरत िजय जाना करत कोिट िबिध उर अनमाना ३

किर िबचार मन दीनही ठीका राम रजायस आपन नीका

िनज पन तिज राखउ पन मोरा छोह सनह कीनह निह थोरा ४

दोहा कीनह अन ह अिमत अित सब िबिध सीतानाथ

किर नाम बोल भरत जोिर जलज जग हाथ २६६

कहौ कहावौ का अब सवामी कपा अबिनिध अतरजामी

गर सनन सािहब अनकला िमटी मिलन मन कलिपत सला १

अपडर डरउ न सोच समल रिबिह न दोस दव िदिस भल

मोर अभाग मात किटलाई िबिध गित िबषम काल किठनाई २

पाउ रोिप सब िमिल मोिह घाला नतपाल पन आपन पाला

यह नइ रीित न राउिर होई लोकह बद िबिदत निह गोई ३

जग अनभल भल एक गोसाई किहअ होइ भल कास भलाई

दउ दवतर सिरस सभाऊ सनमख िबमख न काहिह काऊ ४

दोहा जाइ िनकट पिहचािन तर छाह समिन सब सोच

मागत अिभमत पाव जग राउ रक भल पोच २६७

लिख सब िबिध गर सवािम सनह िमटउ छोभ निह मन सदह

रामचिरतमानस - 121 - अयोधयाकाड

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अब करनाकर कीिजअ सोई जन िहत भ िचत छोभ न होई १

जो सवक सािहबिह सकोची िनज िहत चहइ तास मित पोची

सवक िहत सािहब सवकाई कर सकल सख लोभ िबहाई २

सवारथ नाथ िफर सबही का िकए रजाइ कोिट िबिध नीका

यह सवारथ परमारथ सार सकल सकत फल सगित िसगार ३

दव एक िबनती सिन मोरी उिचत होइ तस करब बहोरी

ितलक समाज सािज सब आना किरअ सफल भ जौ मन माना ४

दोहा सानज पठइअ मोिह बन कीिजअ सबिह सनाथ नतर फिरअिह बध दोउ नाथ चलौ म साथ २६८

नतर जािह बन तीिनउ भाई बहिरअ सीय सिहत रघराई

जिह िबिध भ सनन मन होई करना सागर कीिजअ सोई १

दव दीनह सब मोिह अभार मोर नीित न धरम िबचार

कहउ बचन सब सवारथ हत रहत न आरत क िचत चत २

उतर दइ सिन सवािम रजाई सो सवक लिख लाज लजाई

अस म अवगन उदिध अगाध सवािम सनह सराहत साध ३

अब कपाल मोिह सो मत भावा सकच सवािम मन जाइ न पावा

भ पद सपथ कहउ सित भाऊ जग मगल िहत एक उपाऊ ४

दोहा भ सनन मन सकच तिज जो जिह आयस दब

सो िसर धिर धिर किरिह सब िमिटिह अनट अवरब २६९

भरत बचन सिच सिन सर हरष साध सरािह समन सर बरष

असमजस बस अवध नवासी मिदत मन तापस बनबासी १

चपिह रह रघनाथ सकोची भ गित दिख सभा सब सोची

जनक दत तिह अवसर आए मिन बिस सिन बिग बोलाए २

किर नाम ितनह राम िनहार बष दिख भए िनपट दखार

रामचिरतमानस - 122 - अयोधयाकाड

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दतनह मिनबर बझी बाता कहह िबदह भप कसलाता ३

सिन सकचाइ नाइ मिह माथा बोल चर बर जोर हाथा

बझब राउर सादर साई कसल हत सो भयउ गोसाई ४

दोहा नािह त कोसल नाथ क साथ कसल गइ नाथ

िमिथला अवध िबसष त जग सब भयउ अनाथ २७०

कोसलपित गित सिन जनकौरा भ सब लोक सोक बस बौरा

जिह दख तिह समय िबदह नाम सतय अस लाग न कह १

रािन कचािल सनत नरपालिह सझ न कछ जस मिन िबन बयालिह

भरत राज रघबर बनबास भा िमिथलसिह हदय हरास २

नप बझ बध सिचव समाज कहह िबचािर उिचत का आज

समिझ अवध असमजस दोऊ चिलअ िक रिहअ न कह कछ कोऊ ३

नपिह धीर धिर हदय िबचारी पठए अवध चतर चर चारी

बिझ भरत सित भाउ कभाऊ आएह बिग न होइ लखाऊ ४

दोहा गए अवध चर भरत गित बिझ दिख करतित

चल िच कटिह भरत चार चल तरहित २७१

दतनह आइ भरत कइ करनी जनक समाज जथामित बरनी

सिन गर पिरजन सिचव महीपित भ सब सोच सनह िबकल अित १

धिर धीरज किर भरत बड़ाई िलए सभट साहनी बोलाई

घर पर दस रािख रखवार हय गय रथ बह जान सवार २

दघरी सािध चल ततकाला िकए िब ाम न मग महीपाला

भोरिह आज नहाइ यागा चल जमन उतरन सब लागा ३

खबिर लन हम पठए नाथा ितनह किह अस मिह नायउ माथा

साथ िकरात छ सातक दीनह मिनबर तरत िबदा चर कीनह ४

रामचिरतमानस - 123 - अयोधयाकाड

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दोहा सनत जनक आगवन सब हरषउ अवध समाज

रघनदनिह सकोच बड़ सोच िबबस सरराज २७२

गरइ गलािन किटल ककई कािह कह किह दषन दई

अस मन आिन मिदत नर नारी भयउ बहोिर रहब िदन चारी १

एिह कार गत बासर सोऊ ात नहान लाग सब कोऊ

किर मजजन पजिह नर नारी गनप गौिर ितपरािर तमारी २

रमा रमन पद बिद बहोरी िबनविह अजिल अचल जोरी

राजा राम जानकी रानी आनद अविध अवध रजधानी ३

सबस बसउ िफिर सिहत समाजा भरतिह राम करह जबराजा

एिह सख सधा सीची सब काह दव दह जग जीवन लाह ४

दोहा गर समाज भाइनह सिहत राम राज पर होउ

अछत राम राजा अवध मिरअ माग सब कोउ २७३

सिन सनहमय परजन बानी िनदिह जोग िबरित मिन गयानी

एिह िबिध िनतयकरम किर परजन रामिह करिह नाम पलिक तन १

ऊच नीच मधयम नर नारी लहिह दरस िनज िनज अनहारी

सावधान सबही सनमानिह सकल सराहत कपािनधानिह २

लिरकाइिह त रघबर बानी पालत नीित ीित पिहचानी

सील सकोच िसध रघराऊ समख सलोचन सरल सभाऊ ३

कहत राम गन गन अनराग सब िनज भाग सराहन लाग

हम सम पनय पज जग थोर िजनहिह राम जानत किर मोर ४

दोहा म मगन तिह समय सब सिन आवत िमिथलस

सिहत सभा स म उठउ रिबकल कमल िदनस २७४

रामचिरतमानस - 124 - अयोधयाकाड

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भाइ सिचव गर परजन साथा आग गवन कीनह रघनाथा

िगिरबर दीख जनकपित जबही किर नाम रथ तयागउ तबही १

राम दरस लालसा उछाह पथ म लस कलस न काह

मन तह जह रघबर बदही िबन मन तन दख सख सिध कही २

आवत जनक चल एिह भाती सिहत समाज म मित माती

आए िनकट दिख अनराग सादर िमलन परसपर लाग ३

लग जनक मिनजन पद बदन िरिषनह नाम कीनह रघनदन

भाइनह सिहत राम िमिल राजिह चल लवाइ समत समाजिह ४

दोहा आ म सागर सात रस परन पावन पाथ

सन मनह करना सिरत िलए जािह रघनाथ २७५

बोरित गयान िबराग करार बचन ससोक िमलत नद नार

सोच उसास समीर तरगा धीरज तट तरबर कर भगा १

िबषम िबषाद तोरावित धारा भय म भवर अबतर अपारा

कवट बध िब ा बिड़ नावा सकिह न खइ ऐक निह आवा २

बनचर कोल िकरात िबचार थक िबलोिक पिथक िहय हार

आ म उदिध िमली जब जाई मनह उठउ अबिध अकलाई ३

सोक िबकल दोउ राज समाजा रहा न गयान न धीरज लाजा

भप रप गन सील सराही रोविह सोक िसध अवगाही ४ छद

अवगािह सोक सम सोचिह नािर नर बयाकल महा

द दोष सकल सरोष बोलिह बाम िबिध कीनहो कहा

सर िस तापस जोिगजन मिन दिख दसा िबदह की तलसी न समरथ कोउ जो तिर सक सिरत सनह की

सोरठा

िकए अिमत उपदस जह तह लोगनह मिनबरनह

रामचिरतमानस - 125 - अयोधयाकाड

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धीरज धिरअ नरस कहउ बिस िबदह सन २७६

जास गयान रिब भव िनिस नासा बचन िकरन मिन कमल िबकासा

तिह िक मोह ममता िनअराई यह िसय राम सनह बड़ाई १

िबषई साधक िस सयान ि िबध जीव जग बद बखान

राम सनह सरस मन जास साध सभा बड़ आदर तास २

सोह न राम पम िबन गयान करनधार िबन िजिम जलजान

मिन बहिबिध िबदह समझाए रामघाट सब लोग नहाए ३

सकल सोक सकल नर नारी सो बासर बीतउ िबन बारी

पस खग मगनह न कीनह अहार ि य पिरजन कर कौन िबचार ४

दोहा दोउ समाज िनिमराज रघराज नहान ात बठ सब बट िबटप तर मन मलीन कस गात २७७

ज मिहसर दसरथ पर बासी ज िमिथलापित नगर िनवासी

हस बस गर जनक परोधा िजनह जग मग परमारथ सोधा १

लग कहन उपदस अनका सिहत धरम नय िबरित िबबका

कौिसक किह किह कथा परानी समझाई सब सभा सबानी २

तब रघनाथ कोिसकिह कहऊ नाथ कािल जल िबन सब रहऊ

मिन कह उिचत कहत रघराई गयउ बीित िदन पहर अढ़ाई ३

िरिष रख लिख कह तरहितराज इहा उिचत निह असन अनाज

कहा भप भल सबिह सोहाना पाइ रजायस चल नहाना ४

दोहा तिह अवसर फल फल दल मल अनक कार

लइ आए बनचर िबपल भिर भिर काविर भार २७८

कामद म िगिर राम सादा अवलोकत अपहरत िबषादा

सर सिरता बन भिम िबभागा जन उमगत आनद अनरागा १

रामचिरतमानस - 126 - अयोधयाकाड

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बिल िबटप सब सफल सफला बोलत खग मग अिल अनकला

तिह अवसर बन अिधक उछाह ि िबध समीर सखद सब काह २

जाइ न बरिन मनोहरताई जन मिह करित जनक पहनाई

तब सब लोग नहाइ नहाई राम जनक मिन आयस पाई ३

दिख दिख तरबर अनराग जह तह परजन उतरन लाग

दल फल मल कद िबिध नाना पावन सदर सधा समाना ४

दोहा सादर सब कह रामगर पठए भिर भिर भार

पिज िपतर सर अितिथ गर लग करन फरहार २७९

एिह िबिध बासर बीत चारी राम िनरिख नर नािर सखारी

दह समाज अिस रिच मन माही िबन िसय राम िफरब भल नाही १

सीता राम सग बनबास कोिट अमरपर सिरस सपास

पिरहिर लखन राम बदही जिह घर भाव बाम िबिध तही २

दािहन दइउ होइ जब सबही राम समीप बिसअ बन तबही

मदािकिन मजजन ितह काला राम दरस मद मगल माला ३

अटन राम िगिर बन तापस थल असन अिमअ सम कद मल फल

सख समत सबत दइ साता पल सम होिह न जिनअिह जाता ४

दोहा एिह सख जोग न लोग सब कहिह कहा अस भाग

सहज सभाय समाज दह राम चरन अनराग २८०

एिह िबिध सकल मनोरथ करही बचन स म सनत मन हरही

सीय मात तिह समय पठाई दासी दिख सअवसर आई १

सावकास सिन सब िसय सास आयउ जनकराज रिनवास

कौसलया सादर सनमानी आसन िदए समय सम आनी २

सील सनह सकल दह ओरा विह दिख सिन किलस कठोरा

पलक िसिथल तन बािर िबलोचन मिह नख िलखन लगी सब सोचन३

रामचिरतमानस - 127 - अयोधयाकाड

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सब िसय राम ीित िक िस मरती जन करना बह बष िबसरित

सीय मात कह िबिध बिध बाकी जो पय फन फोर पिब टाकी ४

दोहा सिनअ सधा दिखअिह गरल सब करतित कराल

जह तह काक उलक बक मानस सकत मराल २८१

सिन ससोच कह दिब सिम ा िबिध गित बिड़ िबपरीत िबिच ा

जो सिज पालइ हरइ बहोरी बाल किल सम िबिध मित भोरी १

कौसलया कह दोस न काह करम िबबस दख सख छित लाह

किठन करम गित जान िबधाता जो सभ असभ सकल फल दाता २

ईस रजाइ सीस सबही क उतपित िथित लय िबषह अमी क

दिब मोह बस सोिचअ बादी िबिध पच अस अचल अनादी ३

भपित िजअब मरब उर आनी सोिचअ सिख लिख िनज िहत हानी

सीय मात कह सतय सबानी सकती अविध अवधपित रानी ४

दोहा लखन राम िसय जाह बन भल पिरनाम न पोच

गहबिर िहय कह कौिसला मोिह भरत कर सोच २८२

ईस साद असीस तमहारी सत सतबध दवसिर बारी

राम सपथ म कीनह न काऊ सो किर कहउ सखी सित भाऊ १

भरत सील गन िबनय बड़ाई भायप भगित भरोस भलाई

कहत सारदह कर मित हीच सागर सीप िक जािह उलीच २

जानउ सदा भरत कलदीपा बार बार मोिह कहउ महीपा

कस कनक मिन पािरिख पाए परष पिरिखअिह समय सभाए ३

अनिचत आज कहब अस मोरा सोक सनह सयानप थोरा

सिन सरसिर सम पाविन बानी भई सनह िबकल सब रानी ४

रामचिरतमानस - 128 - अयोधयाकाड

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दोहा कौसलया कह धीर धिर सनह दिब िमिथलिस को िबबकिनिध बललभिह तमहिह सकइ उपदिस २८३

रािन राय सन अवसर पाई अपनी भाित कहब समझाई

रिखअिह लखन भरत गबनिह बन जौ यह मत मान महीप मन १

तौ भल जतन करब सिबचारी मोर सौच भरत कर भारी

गढ़ सनह भरत मन माही रह नीक मोिह लागत नाही २

लिख सभाउ सिन सरल सबानी सब भइ मगन करन रस रानी

नभ सन झिर धनय धनय धिन िसिथल सनह िस जोगी मिन ३

सब रिनवास िबथिक लिख रहऊ तब धिर धीर सिम ा कहऊ

दिब दड जग जािमिन बीती राम मात सनी उठी स ीती ४

दोहा बिग पाउ धािरअ थलिह कह सनह सितभाय

हमर तौ अब ईस गित क िमिथलस सहाय २८४

लिख सनह सिन बचन िबनीता जनकि या गह पाय पनीता

दिब उिचत अिस िबनय तमहारी दसरथ घिरिन राम महतारी १

भ अपन नीचह आदरही अिगिन धम िगिर िसर ितन धरही

सवक राउ करम मन बानी सदा सहाय महस भवानी २

रउर अग जोग जग को ह दीप सहाय िक िदनकर सोह

राम जाइ बन किर सर काज अचल अवधपर किरहिह राज ३

अमर नाग नर राम बाहबल सख बिसहिह अपन अपन थल

यह सब जागबिलक किह राखा दिब न होइ मधा मिन भाषा ४

दोहा अस किह पग पिर पम अित िसय िहत िबनय सनाइ

िसय समत िसयमात तब चली सआयस पाइ २८५

रामचिरतमानस - 129 - अयोधयाकाड

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ि य पिरजनिह िमली बदही जो जिह जोग भाित तिह तही

तापस बष जानकी दखी भा सब िबकल िबषाद िबसषी १

जनक राम गर आयस पाई चल थलिह िसय दखी आई

लीिनह लाइ उर जनक जानकी पाहन पावन पम ान की २

उर उमगउ अबिध अनराग भयउ भप मन मनह पयाग

िसय सनह बट बाढ़त जोहा ता पर राम पम िसस सोहा ३

िचरजीवी मिन गयान िबकल जन बड़त लहउ बाल अवलबन

मोह मगन मित निह िबदह की मिहमा िसय रघबर सनह की ४

दोहा िसय िपत मात सनह बस िबकल न सकी सभािर

धरिनसता धीरज धरउ समउ सधरम िबचािर २८६

तापस बष जनक िसय दखी भयउ पम पिरतोष िबसषी

पि पिव िकए कल दोऊ सजस धवल जग कह सब कोऊ १

िजित सरसिर कीरित सिर तोरी गवन कीनह िबिध अड करोरी

गग अविन थल तीिन बड़र एिह िकए साध समाज घनर २

िपत कह सतय सनह सबानी सीय सकच मह मनह समानी

पिन िपत मात लीनह उर लाई िसख आिसष िहत दीिनह सहाई ३

कहित न सीय सकिच मन माही इहा बसब रजनी भल नाही

लिख रख रािन जनायउ राऊ हदय सराहत सील सभाऊ ४

दोहा बार बार िमिल भट िसय िबदा कीनह सनमािन

कही समय िसर भरत गित रािन सबािन सयािन २८७

सिन भपाल भरत बयवहार सोन सगध सधा सिस सार

मद सजल नयन पलक तन सजस सराहन लग मिदत मन १

सावधान सन समिख सलोचिन भरत कथा भव बध िबमोचिन

धरम राजनय िबचार इहा जथामित मोर चार २

रामचिरतमानस - 130 - अयोधयाकाड

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सो मित मोिर भरत मिहमाही कह काह छिल छअित न छाही

िबिध गनपित अिहपित िसव सारद किब कोिबद बध बि िबसारद ३

भरत चिरत कीरित करतती धरम सील गन िबमल िबभती

समझत सनत सखद सब काह सिच सरसिर रिच िनदर सधाह ४

दोहा िनरविध गन िनरपम परष भरत भरत सम जािन

किहअ समर िक सर सम किबकल मित सकचािन २८८

अगम सबिह बरनत बरबरनी िजिम जलहीन मीन गम धरनी

भरत अिमत मिहमा सन रानी जानिह राम न सकिह बखानी १

बरिन स म भरत अनभाऊ ितय िजय की रिच लिख कह राऊ

बहरिह लखन भरत बन जाही सब कर भल सब क मन माही २

दिब परत भरत रघबर की ीित तीित जाइ निह तरकी

भरत अविध सनह ममता की ज िप राम सीम समता की ३

परमारथ सवारथ सख सार भरत न सपनह मनह िनहार

साधन िस राम पग नह मोिह लिख परत भरत मत एह ४

दोहा भोरह भरत न पिलहिह मनसह राम रजाइ

किरअ न सोच सनह बस कहउ भप िबलखाइ २८९

राम भरत गन गनत स ीती िनिस दपितिह पलक सम बीती

राज समाज ात जग जाग नहाइ नहाइ सर पजन लाग १

ग नहाइ गर पही रघराई बिद चरन बोल रख पाई

नाथ भरत परजन महतारी सोक िबकल बनबास दखारी २

सिहत समाज राउ िमिथलस बहत िदवस भए सहत कलस

उिचत होइ सोइ कीिजअ नाथा िहत सबही कर रौर हाथा ३

अस किह अित सकच रघराऊ मिन पलक लिख सील सभाऊ

तमह िबन राम सकल सख साजा नरक सिरस दह राज समाजा ४

रामचिरतमानस - 131 - अयोधयाकाड

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दोहा

ान ान क जीव क िजव सख क सख राम

तमह तिज तात सोहात गह िजनहिह ितनहिह िबिध बाम २९०

सो सख करम धरम जिर जाऊ जह न राम पद पकज भाऊ

जोग कजोग गयान अगयान जह निह राम पम परधान १

तमह िबन दखी सखी तमह तही तमह जानह िजय जो जिह कही

राउर आयस िसर सबही क िबिदत कपालिह गित सब नीक २

आप आ मिह धािरअ पाऊ भयउ सनह िसिथल मिनराऊ

किर नाम तब राम िसधाए िरिष धिर धीर जनक पिह आए ३

राम बचन गर नपिह सनाए सील सनह सभाय सहाए

महाराज अब कीिजअ सोई सब कर धरम सिहत िहत होई ४

दोहा गयान िनधान सजान सिच धरम धीर नरपाल

तमह िबन असमजस समन को समरथ एिह काल २९१

सिन मिन बचन जनक अनराग लिख गित गयान िबराग िबराग

िसिथल सनह गनत मन माही आए इहा कीनह भल नाही १

रामिह राय कहउ बन जाना कीनह आप ि य म वाना

हम अब बन त बनिह पठाई मिदत िफरब िबबक बड़ाई २

तापस मिन मिहसर सिन दखी भए म बस िबकल िबसषी

समउ समिझ धिर धीरज राजा चल भरत पिह सिहत समाजा ३

भरत आइ आग भइ लीनह अवसर सिरस सआसन दीनह

तात भरत कह तरहित राऊ तमहिह िबिदत रघबीर सभाऊ ४

दोहा राम सतय त धरम रत सब कर सील सनह

सकट सहत सकोच बस किहअ जो आयस दह २९२

रामचिरतमानस - 132 - अयोधयाकाड

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सिन तन पलिक नयन भिर बारी बोल भरत धीर धिर भारी

भ ि य पजय िपता सम आप कलगर सम िहत माय न बाप १

कौिसकािद मिन सिचव समाज गयान अबिनिध आपन आज

िसस सवक आयस अनगामी जािन मोिह िसख दइअ सवामी २

एिह समाज थल बझब राउर मौन मिलन म बोलब बाउर

छोट बदन कहउ बिड़ बाता छमब तात लिख बाम िबधाता ३

आगम िनगम िस पराना सवाधरम किठन जग जाना

सवािम धरम सवारथिह िबरोध बर अध मिह न बोध ४

दोहा रािख राम रख धरम त पराधीन मोिह जािन

सब क समत सबर िहत किरअ पम पिहचािन २९३

भरत बचन सिन दिख सभाऊ सिहत समाज सराहत राऊ

सगम अगम मद मज कठोर अरथ अिमत अित आखर थोर १

जयौ मख मकर मकर िनज पानी गिह न जाइ अस अदभत बानी

भप भरत मिन सिहत समाज ग जह िबबध कमद ि जराज २

सिन सिध सोच िबकल सब लोगा मनह मीनगन नव जल जोगा

दव थम कलगर गित दखी िनरिख िबदह सनह िबसषी ३

राम भगितमय भरत िनहार सर सवारथी हहिर िहय हार

सब कोउ राम पममय पखा भउ अलख सोच बस लखा ४

दोहा राम सनह सकोच बस कह ससोच सरराज

रचह पचिह पच िमिल नािह त भयउ अकाज २९४

सरनह सिमिर सारदा सराही दिब दव सरनागत पाही

फिर भरत मित किर िनज माया पाल िबबध कल किर छल छाया १

िबबध िबनय सिन दिब सयानी बोली सर सवारथ जड़ जानी

रामचिरतमानस - 133 - अयोधयाकाड

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मो सन कहह भरत मित फर लोचन सहस न सझ समर २

िबिध हिर हर माया बिड़ भारी सोउ न भरत मित सकइ िनहारी

सो मित मोिह कहत कर भोरी चिदिन कर िक चडकर चोरी ३

भरत हदय िसय राम िनवास तह िक ितिमर जह तरिन कास

अस किह सारद गइ िबिध लोका िबबध िबकल िनिस मानह कोका ४

दोहा सर सवारथी मलीन मन कीनह कम कठाट

रिच पच माया बल भय म अरित उचाट २९५

किर कचािल सोचत सरराज भरत हाथ सब काज अकाज

गए जनक रघनाथ समीपा सनमान सब रिबकल दीपा १

समय समाज धरम अिबरोधा बोल तब रघबस परोधा

जनक भरत सबाद सनाई भरत कहाउित कही सहाई २

तात राम जस आयस दह सो सब कर मोर मत एह

सिन रघनाथ जोिर जग पानी बोल सतय सरल मद बानी ३

िब मान आपिन िमिथलस मोर कहब सब भाित भदस

राउर राय रजायस होई राउिर सपथ सही िसर सोई ४

दोहा राम सपथ सिन मिन जनक सकच सभा समत सकल िबलोकत भरत मख बनइ न उतर दत २९६

सभा सकच बस भरत िनहारी रामबध धिर धीरज भारी

कसमउ दिख सनह सभारा बढ़त िबिध िजिम घटज िनवारा १

सोक कनकलोचन मित छोनी हरी िबमल गन गन जगजोनी

भरत िबबक बराह िबसाला अनायास उधरी तिह काला २

किर नाम सब कह कर जोर राम राउ गर साध िनहोर

छमब आज अित अनिचत मोरा कहउ बदन मद बचन कठोरा ३

िहय सिमरी सारदा सहाई मानस त मख पकज आई

रामचिरतमानस - 134 - अयोधयाकाड

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िबमल िबबक धरम नय साली भरत भारती मज मराली ४

दोहा िनरिख िबबक िबलोचनिनह िसिथल सनह समाज

किर नाम बोल भरत सिमिर सीय रघराज २९७

भ िपत मात स द गर सवामी पजय परम िहत अतरजामी

सरल ससािहब सील िनधान नतपाल सबरगय सजान १

समरथ सरनागत िहतकारी गनगाहक अवगन अघ हारी

सवािम गोसाइिह सिरस गोसाई मोिह समान म साइ दोहाई २

भ िपत बचन मोह बस पली आयउ इहा समाज सकली

जग भल पोच ऊच अर नीच अिमअ अमरपद माहर मीच ३

राम रजाइ मट मन माही दखा सना कतह कोउ नाही

सो म सब िबिध कीिनह िढठाई भ मानी सनह सवकाई ४

दोहा कपा भलाई आपनी नाथ कीनह भल मोर

दषन भ भषन सिरस सजस चार चह ओर २९८

राउिर रीित सबािन बड़ाई जगत िबिदत िनगमागम गाई

कर किटल खल कमित कलकी नीच िनसील िनरीस िनसकी १

तउ सिन सरन सामह आए सकत नाम िकह अपनाए

दिख दोष कबह न उर आन सिन गन साध समाज बखान २

को सािहब सवकिह नवाजी आप समाज साज सब साजी

िनज करतित न समिझअ सपन सवक सकच सोच उर अपन ३

सो गोसाइ निह दसर कोपी भजा उठाइ कहउ पन रोपी

पस नाचत सक पाठ बीना गन गित नट पाठक आधीना ४

दोहा यो सधािर सनमािन जन िकए साध िसरमोर

रामचिरतमानस - 135 - अयोधयाकाड

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को कपाल िबन पािलह िबिरदाविल बरजोर २९९

सोक सनह िक बाल सभाए आयउ लाइ रजायस बाए

तबह कपाल हिर िनज ओरा सबिह भाित भल मानउ मोरा १

दखउ पाय समगल मला जानउ सवािम सहज अनकला

बड़ समाज िबलोकउ भाग बड़ी चक सािहब अनराग २

कपा अन ह अग अघाई कीिनह कपािनिध सब अिधकाई

राखा मोर दलार गोसाई अपन सील सभाय भलाई ३

नाथ िनपट म कीिनह िढठाई सवािम समाज सकोच िबहाई

अिबनय िबनय जथारिच बानी छिमिह दउ अित आरित जानी ४

दोहा स द सजान ससािहबिह बहत कहब बिड़ खोिर

आयस दइअ दव अब सबइ सधारी मोिर ३००

भ पद पदम पराग दोहाई सतय सकत सख सीव सहाई

सो किर कहउ िहए अपन की रिच जागत सोवत सपन की १

सहज सनह सवािम सवकाई सवारथ छल फल चािर िबहाई

अगया सम न ससािहब सवा सो साद जन पाव दवा २

अस किह म िबबस भए भारी पलक सरीर िबलोचन बारी

भ पद कमल गह अकलाई समउ सनह न सो किह जाई ३

कपािसध सनमािन सबानी बठाए समीप गिह पानी

भरत िबनय सिन दिख सभाऊ िसिथल सनह सभा रघराऊ ४ छद

रघराउ िसिथल सनह साध समाज मिन िमिथला धनी

मन मह सराहत भरत भायप भगित की मिहमा घनी

भरतिह ससत िबबध बरषत समन मानस मिलन स

तलसी िबकल सब लोग सिन सकच िनसागम निलन स

रामचिरतमानस - 136 - अयोधयाकाड

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सोरठा दिख दखारी दीन दह समाज नर नािर सब

मघवा महा मलीन मए मािर मगल चहत ३०१

कपट कचािल सीव सरराज पर अकाज ि य आपन काज

काक समान पाकिरप रीती छली मलीन कतह न तीती १

थम कमत किर कपट सकला सो उचाट सब क िसर मला

सरमाया सब लोग िबमोह राम म अितसय न िबछोह २

भय उचाट बस मन िथर नाही छन बन रिच छन सदन सोहाही

दिबध मनोगित जा दखारी सिरत िसध सगम जन बारी ३

दिचत कतह पिरतोष न लहही एक एक सन मरम न कहही

लिख िहय हिस कह कपािनधान सिरस सवान मघवान जबान ४

दोहा भरत जनक मिनजन सिचव साध सचत िबहाइ

लािग दवमाया सबिह जथाजोग जन पाइ ३०२

कपािसध लिख लोग दखार िनज स नह सरपित छल भार

सभा राउ गर मिहसर म ी भरत भगित सब क मित ज ी १

रामिह िचतवत िच िलख स सकचत बोलत बचन िसख स

भरत ीित नित िबनय बड़ाई सनत सखद बरनत किठनाई २

जास िबलोिक भगित लवलस म मगन मिनगन िमिथलस

मिहमा तास कह िकिम तलसी भगित सभाय समित िहय हलसी ३

आप छोिट मिहमा बिड़ जानी किबकल कािन मािन सकचानी

किह न सकित गन रिच अिधकाई मित गित बाल बचन की नाई ४

दोहा भरत िबमल जस िबमल िबध समित चकोरकमािर

उिदत िबमल जन हदय नभ एकटक रही िनहािर ३०३

रामचिरतमानस - 137 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ न सगम िनगमह लघ मित चापलता किब छमह

कहत सनत सित भाउ भरत को सीय राम पद होइ न रत को १

सिमरत भरतिह म राम को जिह न सलभ तिह सिरस बाम को

दिख दयाल दसा सबही की राम सजान जािन जन जी की २

धरम धरीन धीर नय नागर सतय सनह सील सख सागर

दस काल लिख समउ समाज नीित ीित पालक रघराज ३

बोल बचन बािन सरबस स िहत पिरनाम सनत सिस रस स

तात भरत तमह धरम धरीना लोक बद िबद म बीना ४

दोहा करम बचन मानस िबमल तमह समान तमह तात

गर समाज लघ बध गन कसमय िकिम किह जात ३०४

जानह तात तरिन कल रीती सतयसध िपत कीरित ीती

समउ समाज लाज गरजन की उदासीन िहत अनिहत मन की १

तमहिह िबिदत सबही कर करम आपन मोर परम िहत धरम

मोिह सब भाित भरोस तमहारा तदिप कहउ अवसर अनसारा २

तात तात िबन बात हमारी कवल गरकल कपा सभारी

नतर जा पिरजन पिरवार हमिह सिहत सब होत खआर ३

जौ िबन अवसर अथव िदनस जग किह कहह न होइ कलस

तस उतपात तात िबिध कीनहा मिन िमिथलस रािख सब लीनहा ४

दोहा राज काज सब लाज पित धरम धरिन धन धाम

गर भाउ पािलिह सबिह भल होइिह पिरनाम ३०५

सिहत समाज तमहार हमारा घर बन गर साद रखवारा

मात िपता गर सवािम िनदस सकल धरम धरनीधर सस १

सो तमह करह करावह मोह तात तरिनकल पालक होह

साधक एक सकल िसिध दनी कीरित सगित भितमय बनी २

रामचिरतमानस - 138 - अयोधयाकाड

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सो िबचािर सिह सकट भारी करह जा पिरवार सखारी

बाटी िबपित सबिह मोिह भाई तमहिह अविध भिर बिड़ किठनाई ३

जािन तमहिह मद कहउ कठोरा कसमय तात न अनिचत मोरा

होिह कठाय सबध सहाए ओिड़अिह हाथ असिनह क घाए ४

दोहा सवक कर पद नयन स मख सो सािहब होइ

तलसी ीित िक रीित सिन सकिब सराहिह सोइ ३०६

सभा सकल सिन रघबर बानी म पयोिध अिमअ जन सानी

िसिथल समाज सनह समाधी दिख दसा चप सारद साधी १

भरतिह भयउ परम सतोष सनमख सवािम िबमख दख दोष

मख सनन मन िमटा िबषाद भा जन गगिह िगरा साद २

कीनह स म नाम बहोरी बोल पािन पकरह जोरी

नाथ भयउ सख साथ गए को लहउ लाह जग जनम भए को ३

अब कपाल जस आयस होई करौ सीस धिर सादर सोई

सो अवलब दव मोिह दई अविध पार पावौ जिह सई ४

दोहा दव दव अिभषक िहत गर अनसासन पाइ

आनउ सब तीरथ सिलल तिह कह काह रजाइ ३०७

एक मनोरथ बड़ मन माही सभय सकोच जात किह नाही

कहह तात भ आयस पाई बोल बािन सनह सहाई १

िच कट सिच थल तीरथ बन खग मग सर सिर िनझरर िगिरगन

भ पद अिकत अविन िबसषी आयस होइ त आवौ दखी २

अविस अि आयस िसर धरह तात िबगतभय कानन चरह

मिन साद बन मगल दाता पावन परम सहावन ाता ३

िरिषनायक जह आयस दही राखह तीरथ जल थल तही

सिन भ बचन भरत सख पावा मिन पद कमल मिदत िसर नावा ४

रामचिरतमानस - 139 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत राम सबाद सिन सकल समगल मल

सर सवारथी सरािह कल बरषत सरतर फल ३०८

धनय भरत जय राम गोसाई कहत दव हरषत बिरआई

मिन िमिथलस सभा सब काह भरत बचन सिन भयउ उछाह १

भरत राम गन ाम सनह पलिक ससत राउ िबदह

सवक सवािम सभाउ सहावन नम पम अित पावन पावन २

मित अनसार सराहन लाग सिचव सभासद सब अनराग

सिन सिन राम भरत सबाद दह समाज िहय हरष िबषाद ३

राम मात दख सख सम जानी किह गन राम बोधी रानी

एक कहिह रघबीर बड़ाई एक सराहत भरत भलाई ४

दोहा अि कहउ तब भरत सन सल समीप सकप

रािखअ तीरथ तोय तह पावन अिमअ अनप ३०९

भरत अि अनसासन पाई जल भाजन सब िदए चलाई

सानज आप अि मिन साध सिहत गए जह कप अगाध १

पावन पाथ पनयथल राखा मिदत म अि अस भाषा

तात अनािद िस थल एह लोपउ काल िबिदत निह कह २

तब सवकनह सरस थल दखा िकनह सजल िहत कप िबसषा

िबिध बस भयउ िबसव उपकार सगम अगम अित धरम िबचार ३

भरतकप अब किहहिह लोगा अित पावन तीरथ जल जोगा

म सनम िनमजजत ानी होइहिह िबमल करम मन बानी ४

दोहा कहत कप मिहमा सकल गए जहा रघराउ

अि सनायउ रघबरिह तीरथ पनय भाउ ३१०

रामचिरतमानस - 140 - अयोधयाकाड

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कहत धरम इितहास स ीती भयउ भोर िनिस सो सख बीती

िनतय िनबािह भरत दोउ भाई राम अि गर आयस पाई १

सिहत समाज साज सब साद चल राम बन अटन पयाद

कोमल चरन चलत िबन पनही भइ मद भिम सकिच मन मनही २

कस कटक काकरी कराई कटक कठोर कबसत दराई

मिह मजल मद मारग कीनह बहत समीर ि िबध सख लीनह ३

समन बरिष सर घन किर छाही िबटप फिल फिल तन मदताही

मग िबलोिक खग बोिल सबानी सविह सकल राम ि य जानी ४

दोहा सलभ िसि सब ाकतह राम कहत जमहात

राम ान ि य भरत कह यह न होइ बिड़ बात ३११

एिह िबिध भरत िफरत बन माही नम म लिख मिन सकचाही

पनय जला य भिम िबभागा खग मग तर तन िगिर बन बागा १

चार िबिच पिब िबसषी बझत भरत िदबय सब दखी

सिन मन मिदत कहत िरिषराऊ हत नाम गन पनय भाऊ २

कतह िनमजजन कतह नामा कतह िबलोकत मन अिभरामा

कतह बिठ मिन आयस पाई सिमरत सीय सिहत दोउ भाई ३

दिख सभाउ सनह सस वा दिह असीस मिदत बनदवा

िफरिह गए िदन पहर अढ़ाई भ पद कमल िबलोकिह आई ४

दोहा दख थल तीरथ सकल भरत पाच िदन माझ

कहत सनत हिर हर सजस गयउ िदवस भइ साझ ३१२

भोर नहाइ सब जरा समाज भरत भिमसर तरहित राज

भल िदन आज जािन मन माही राम कपाल कहत सकचाही १

गर नप भरत सभा अवलोकी सकिच राम िफिर अविन िबलोकी

रामचिरतमानस - 141 - अयोधयाकाड

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सील सरािह सभा सब सोची कह न राम सम सवािम सकोची २

भरत सजान राम रख दखी उिठ स म धिर धीर िबसषी

किर दडवत कहत कर जोरी राखी नाथ सकल रिच मोरी ३

मोिह लिग सहउ सबिह सताप बहत भाित दख पावा आप

अब गोसाइ मोिह दउ रजाई सवौ अवध अविध भिर जाई ४

दोहा जिह उपाय पिन पाय जन दख दीनदयाल

सो िसख दइअ अविध लिग कोसलपाल कपाल ३१३

परजन पिरजन जा गोसाई सब सिच सरस सनह सगाई

राउर बिद भल भव दख दाह भ िबन बािद परम पद लाह १

सवािम सजान जािन सब ही की रिच लालसा रहिन जन जी की

नतपाल पािलिह सब काह दउ दह िदिस ओर िनबाह २

अस मोिह सब िबिध भिर भरोसो िकए िबचार न सोच खरो सो

आरित मोर नाथ कर छोह दह िमिल कीनह ढीठ हिठ मोह ३

यह बड़ दोष दिर किर सवामी तिज सकोच िसखइअ अनगामी

भरत िबनय सिन सबिह ससी खीर नीर िबबरन गित हसी ४

दोहा दीनबध सिन बध क बचन दीन छलहीन

दस काल अवसर सिरस बोल राम बीन ३१४

तात तमहािर मोिर पिरजन की िचता गरिह नपिह घर बन की

माथ पर गर मिन िमिथलस हमिह तमहिह सपनह न कलस १

मोर तमहार परम परषारथ सवारथ सजस धरम परमारथ

िपत आयस पािलिह दह भाई लोक बद भल भप भलाई २

गर िपत मात सवािम िसख पाल चलह कमग पग परिह न खाल

अस िबचािर सब सोच िबहाई पालह अवध अविध भिर जाई ३

दस कोस पिरजन पिरवार गर पद रजिह लाग छरभार

रामचिरतमानस - 142 - अयोधयाकाड

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तमह मिन मात सिचव िसख मानी पालह पहिम जा रजधानी ४

दोहा मिखआ मख सो चािहऐ खान पान कह एक

पालइ पोषइ सकल अग तलसी सिहत िबबक ३१५

राजधरम सरबस एतनोई िजिम मन माह मनोरथ गोई

बध बोध कीनह बह भाती िबन अधार मन तोष न साती १

भरत सील गर सिचव समाज सकच सनह िबबस रघराज

भ किर कपा पावरी दीनही सादर भरत सीस धिर लीनही २

चरनपीठ करनािनधान क जन जग जािमक जा ान क

सपट भरत सनह रतन क आखर जग जन जीव जतन क ३

कल कपाट कर कसल करम क िबमल नयन सवा सधरम क

भरत मिदत अवलब लह त अस सख जस िसय राम रह त ४

दोहा मागउ िबदा नाम किर राम िलए उर लाइ

लोग उचाट अमरपित किटल कअवसर पाइ ३१६

सो कचािल सब कह भइ नीकी अविध आस सम जीविन जी की

नतर लखन िसय सम िबयोगा हहिर मरत सब लोग करोगा १

रामकपा अवरब सधारी िबबध धािर भइ गनद गोहारी

भटत भज भिर भाइ भरत सो राम म रस किह न परत सो २

तन मन बचन उमग अनरागा धीर धरधर धीरज तयागा

बािरज लोचन मोचत बारी दिख दसा सर सभा दखारी ३

मिनगन गर धर धीर जनक स गयान अनल मन कस कनक स

ज िबरिच िनरलप उपाए पदम प िजिम जग जल जाए ४

दोहा तउ िबलोिक रघबर भरत ीित अनप अपार

रामचिरतमानस - 143 - अयोधयाकाड

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भए मगन मन तन बचन सिहत िबराग िबचार ३१७

जहा जनक गर मित भोरी ाकत ीित कहत बिड़ खोरी

बरनत रघबर भरत िबयोग सिन कठोर किब जािनिह लोग १

सो सकोच रस अकथ सबानी समउ सनह सिमिर सकचानी

भिट भरत रघबर समझाए पिन िरपदवन हरिष िहय लाए २

सवक सिचव भरत रख पाई िनज िनज काज लग सब जाई

सिन दारन दख दह समाजा लग चलन क साजन साजा ३

भ पद पदम बिद दोउ भाई चल सीस धिर राम रजाई

मिन तापस बनदव िनहोरी सब सनमािन बहोिर बहोरी ४

दोहा लखनिह भिट नाम किर िसर धिर िसय पद धिर

चल स म असीस सिन सकल समगल मिर ३१८

सानज राम नपिह िसर नाई कीिनह बहत िबिध िबनय बड़ाई

दव दया बस बड़ दख पायउ सिहत समाज काननिह आयउ १

पर पग धािरअ दइ असीसा कीनह धीर धिर गवन महीसा

मिन मिहदव साध सनमान िबदा िकए हिर हर सम जान २

सास समीप गए दोउ भाई िफर बिद पग आिसष पाई

कौिसक बामदव जाबाली परजन पिरजन सिचव सचाली ३

जथा जोग किर िबनय नामा िबदा िकए सब सानज रामा

नािर परष लघ मधय बड़र सब सनमािन कपािनिध फर ४

दोहा भरत मात पद बिद भ सिच सनह िमिल भिट

िबदा कीनह सिज पालकी सकच सोच सब मिट ३१९

पिरजन मात िपतिह िमिल सीता िफरी ानि य म पनीता

किर नाम भटी सब सास ीित कहत किब िहय न हलास १

रामचिरतमानस - 144 - अयोधयाकाड

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सिन िसख अिभमत आिसष पाई रही सीय दह ीित समाई

रघपित पट पालकी मगाई किर बोध सब मात चढ़ाई २

बार बार िहिल िमिल दह भाई सम सनह जननी पहचाई

सािज बािज गज बाहन नाना भरत भप दल कीनह पयाना ३

हदय राम िसय लखन समता चल जािह सब लोग अचता

बसह बािज गज पस िहय हार चल जािह परबस मन मार ४

दोहा गर गरितय पद बिद भ सीता लखन समत

िफर हरष िबसमय सिहत आए परन िनकत ३२०

िबदा कीनह सनमािन िनषाद चलउ हदय बड़ िबरह िबषाद

कोल िकरात िभलल बनचारी फर िफर जोहािर जोहारी १

भ िसय लखन बिठ बट छाही ि य पिरजन िबयोग िबलखाही

भरत सनह सभाउ सबानी ि या अनज सन कहत बखानी २

ीित तीित बचन मन करनी ीमख राम म बस बरनी

तिह अवसर खग मग जल मीना िच कट चर अचर मलीना ३

िबबध िबलोिक दसा रघबर की बरिष समन किह गित घर घर की

भ नाम किर दीनह भरोसो चल मिदत मन डर न खरो सो ४

दोहा सानज सीय समत भ राजत परन कटीर

भगित गयान बरागय जन सोहत धर सरीर ३२१

मिन मिहसर गर भरत भआल राम िबरह सब साज िबहाल

भ गन ाम गनत मन माही सब चपचाप चल मग जाही १

जमना उतिर पार सब भयऊ सो बासर िबन भोजन गयऊ

उतिर दवसिर दसर बास रामसखा सब कीनह सपास २

सई उतिर गोमती नहाए चौथ िदवस अवधपर आए

जनक रह पर बासर चारी राज काज सब साज सभारी ३

रामचिरतमानस - 145 - अयोधयाकाड

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सौिप सिचव गर भरतिह राज तरहित चल सािज सब साज

नगर नािर नर गर िसख मानी बस सखन राम रजधानी ४

दोहा राम दरस लिग लोग सब करत नम उपबास

तिज तिज भषन भोग सख िजअत अविध की आस ३२२

सिचव ससवक भरत बोध िनज िनज काज पाइ पाइ िसख ओध

पिन िसख दीनह बोिल लघ भाई सौपी सकल मात सवकाई १

भसर बोिल भरत कर जोर किर नाम बय िबनय िनहोर

ऊच नीच कारज भल पोच आयस दब न करब सकोच २

पिरजन परजन जा बोलाए समाधान किर सबस बसाए

सानज ग गर गह बहोरी किर दडवत कहत कर जोरी ३

आयस होइ त रहौ सनमा बोल मिन तन पलिक सपमा

समझव कहब करब तमह जोई धरम सार जग होइिह सोई ४

दोहा सिन िसख पाइ असीस बिड़ गनक बोिल िदन सािध

िसघासन भ पादका बठार िनरपािध ३२३

राम मात गर पद िसर नाई भ पद पीठ रजायस पाई

निदगाव किर परन कटीरा कीनह िनवास धरम धर धीरा १

जटाजट िसर मिनपट धारी मिह खिन कस साथरी सवारी

असन बसन बासन त नमा करत किठन िरिषधरम स मा २

भषन बसन भोग सख भरी मन तन बचन तज ितन तरी

अवध राज सर राज िसहाई दसरथ धन सिन धनद लजाई ३

तिह पर बसत भरत िबन रागा चचरीक िजिम चपक बागा

रमा िबलास राम अनरागी तजत बमन िजिम जन बड़भागी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 146 - अयोधयाकाड

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राम पम भाजन भरत बड़ न एिह करतित

चातक हस सरािहअत टक िबबक िबभित ३२४

दह िदनह िदन दबिर होई घटइ तज बल मखछिब सोई

िनत नव राम म पन पीना बढ़त धरम दल मन न मलीना १

िजिम जल िनघटत सरद कास िबलसत बतस बनज िबकास

सम दम सजम िनयम उपासा नखत भरत िहय िबमल अकासा २

व िबसवास अविध राका सी सवािम सरित सरबीिथ िबकासी

राम पम िबध अचल अदोषा सिहत समाज सोह िनत चोखा ३

भरत रहिन समझिन करतती भगित िबरित गन िबमल िबभती

बरनत सकल सकिच सकचाही सस गनस िगरा गम नाही ४

दोहा िनत पजत भ पावरी ीित न हदय समाित

मािग मािग आयस करत राज काज बह भाित ३२५

पलक गात िहय िसय रघबीर जीह नाम जप लोचन नीर

लखन राम िसय कानन बसही भरत भवन बिस तप तन कसही १

दोउ िदिस समिझ कहत सब लोग सब िबिध भरत सराहन जोग

सिन त नम साध सकचाही दिख दसा मिनराज लजाही २

परम पनीत भरत आचरन मधर मज मद मगल करन

हरन किठन किल कलष कलस महामोह िनिस दलन िदनस ३

पाप पज कजर मगराज समन सकल सताप समाज

जन रजन भजन भव भार राम सनह सधाकर सार ४ छद

िसय राम म िपयष परन होत जनम न भरत को

मिन मन अगम जम िनयम सम दम िबषम त आचरत को

दख दाह दािरद दभ दषन सजस िमस अपहरत को

किलकाल तलसी स सठिनह हिठ राम सनमख करत को

रामचिरतमानस - 147 - अयोधयाकाड

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सोरठा

भरत चिरत किर नम तलसी जो सादर सनिह

सीय राम पद पम अविस होइ भव रस िबरित ३२६

मासपारायण इककीसवा िव ाम

इित ीम ामचिरतमानस सकलकिलकलषिवधवसन ि तीयः सोपानः समा ः

अयोधयाकाणड समा

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रामचिरतमानस - 3 - अयोधयाकाड

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दोहा

सब क उर अिभलाष अस कहिह मनाइ महस

आप अछत जबराज पद रामिह दउ नरस १

एक समय सब सिहत समाजा राजसभा रघराज िबराजा

सकल सकत मरित नरनाह राम सजस सिन अितिह उछाह १

नप सब रहिह कपा अिभलाष लोकप करिह ीित रख राख

ितभवन तीिन काल जग माही भिर भाग दसरथ सम नाही २

मगलमल राम सत जास जो कछ किहज थोर सब तास

राय सभाय मकर कर लीनहा बदन िबलोिक मकट सम कीनहा ३

वन समीप भए िसत कसा मनह जरठपन अस उपदसा

नप जबराज राम कह दह जीवन जनम लाह िकन लह ४

दोहा यह िबचार उर आिन नप सिदन सअवसर पाइ

म पलिक तन मिदत मन गरिह सनायउ जाइ २

कहइ भआल सिनअ मिननायक भए राम सब िबिध सब लायक

सवक सिचव सकल परबासी ज हमार अिर िम उदासी १

सबिह राम ि य जिह िबिध मोही भ असीस जन तन धिर सोही

िब सिहत पिरवार गोसाई करिह छोह सब रौिरिह नाई २

ज गर चरन रन िसर धरही त जन सकल िबभव बस करही

मोिह सम यह अन भयउ न दज सब पायउ रज पाविन पज ३

अब अिभलाष एक मन मोर पजिह नाथ अन ह तोर

मिन सनन लिख सहज सनह कहउ नरस रजायस दह ४

दोहा राजन राउर नाम जस सब अिभमत दातार

फल अनगामी मिहप मिन मन अिभलाष तमहार ३

रामचिरतमानस - 4 - अयोधयाकाड

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सब िबिध गर सनन िजय जानी बोलउ राउ रहिस मद बानी

नाथ राम किरअिह जबराज किहअ कपा किर किरअ समाज १

मोिह अछत यह होइ उछाह लहिह लोग सब लोचन लाह

भ साद िसव सबइ िनबाही यह लालसा एक मन माही २

पिन न सोच तन रहउ िक जाऊ जिह न होइ पाछ पिछताऊ

सिन मिन दसरथ बचन सहाए मगल मोद मल मन भाए ३

सन नप जास िबमख पिछताही जास भजन िबन जरिन न जाही

भयउ तमहार तनय सोइ सवामी राम पनीत म अनगामी ४

दोहा बिग िबलब न किरअ नप सािजअ सबइ समाज

सिदन समगल तबिह जब राम होिह जबराज ४

मिदत मिहपित मिदर आए सवक सिचव सम बोलाए

किह जयजीव सीस ितनह नाए भप समगल बचन सनाए १

जौ पाचिह मत लाग नीका करह हरिष िहय रामिह टीका

म ी मिदत सनत ि य बानी अिभमत िबरव परउ जन पानी २

िबनती सिचव करिह कर जोरी िजअह जगतपित बिरस करोरी

जग मगल भल काज िबचारा बिगअ नाथ न लाइअ बारा ३

नपिह मोद सिन सिचव सभाषा बढ़त बौड़ जन लही ससाखा ४

दोहा कहउ भप मिनराज कर जोइ जोइ आयस होइ

राम राज अिभषक िहत बिग करह सोइ सोइ ५

हरिष मनीस कहउ मद बानी आनह सकल सतीरथ पानी

औषध मल फल फल पाना कह नाम गिन मगल नाना १

चामर चरम बसन बह भाती रोम पाट पट अगिनत जाती

मिनगन मगल बसत अनका जो जग जोग भप अिभषका २

रामचिरतमानस - 5 - अयोधयाकाड

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बद िबिदत किह सकल िबधाना कहउ रचह पर िबिबध िबताना

सफल रसाल पगफल करा रोपह बीिथनह पर चह फरा ३

रचह मज मिन चौक चार कहह बनावन बिग बजार

पजह गनपित गर कलदवा सब िबिध करह भिमसर सवा ४

दोहा धवज पताक तोरन कलस सजह तरग रथ नाग

िसर धिर मिनबर बचन सब िनज िनज काजिह लाग ६

जो मनीस जिह आयस दीनहा सो तिह काज थम जन कीनहा

िब साध सर पजत राजा करत राम िहत मगल काजा १

सनत राम अिभषक सहावा बाज गहागह अवध बधावा

राम सीय तन सगन जनाए फरकिह मगल अग सहाए २

पलिक स म परसपर कहही भरत आगमन सचक अहही

भए बहत िदन अित अवसरी सगन तीित भट ि य करी ३

भरत सिरस ि य को जग माही इहइ सगन फल दसर नाही

रामिह बध सोच िदन राती अडिनह कमठ दउ जिह भाती ४

दोहा एिह अवसर मगल परम सिन रहसउ रिनवास

सोभत लिख िबध बढ़त जन बािरिध बीिच िबलास ७

थम जाइ िजनह बचन सनाए भषन बसन भिर ितनह पाए

म पलिक तन मन अनरागी मगल कलस सजन सब लागी १

चौक चार सिम ा परी मिनमय िबिबध भाित अित ररी

आनद मगन राम महतारी िदए दान बह िब हकारी २

पजी ामदिब सर नागा कहउ बहोिर दन बिलभागा

जिह िबिध होइ राम कलयान दह दया किर सो बरदान ३

गाविह मगल कोिकलबयनी िबधबदनी मगसावकनयनी ४

रामचिरतमानस - 6 - अयोधयाकाड

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दोहा राम राज अिभषक सिन िहय हरष नर नािर

लग समगल सजन सब िबिध अनकल िबचािर ८

तब नरनाह बिस बोलाए रामधाम िसख दन पठाए

गर आगमन सनत रघनाथा ार आइ पद नायउ माथा १

सादर अरघ दइ घर आन सोरह भाित पिज सनमान

गह चरन िसय सिहत बहोरी बोल राम कमल कर जोरी २

सवक सदन सवािम आगमन मगल मल अमगल दमन

तदिप उिचत जन बोिल स ीती पठइअ काज नाथ अिस नीती ३

भता तिज भ कीनह सनह भयउ पनीत आज यह गह

आयस होइ सो करौ गोसाई सवक लहइ सवािम सवकाई ४

दोहा सिन सनह सान बचन मिन रघबरिह सस

राम कस न तमह कहह अस हस बस अवतस ९

बरिन राम गन सील सभाऊ बोल म पलिक मिनराऊ

भप सजउ अिभषक समाज चाहत दन तमहिह जबराज १

राम करह सब सजम आज जौ िबिध कसल िनबाह काज

गर िसख दइ राय पिह गयउ राम हदय अस िबसमउ भयऊ २

जनम एक सग सब भाई भोजन सयन किल लिरकाई

करनबध उपबीत िबआहा सग सग सब भए उछाहा ३

िबमल बस यह अनिचत एक बध िबहाइ बड़िह अिभषक

भ स म पिछतािन सहाई हरउ भगत मन क किटलाई ४

दोहा तिह अवसर आए लखन मगन म आनद

सनमान ि य बचन किह रघकल करव चद १०

रामचिरतमानस - 7 - अयोधयाकाड

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बाजिह बाजन िबिबध िबधाना पर मोद निह जाइ बखाना

भरत आगमन सकल मनाविह आवह बिग नयन फल पाविह १

हाट बाट घर गली अथाई कहिह परसपर लोग लोगाई

कािल लगन भिल कितक बारा पिजिह िबिध अिभलाष हमारा २

कनक िसघासन सीय समता बठिह राम होइ िचत चता

सकल कहिह कब होइिह काली िबघन मनाविह दव कचाली ३

ितनहिह सोहाइ न अवध बधावा चोरिह चिदिन राित न भावा

सारद बोिल िबनय सर करही बारिह बार पाय ल परही ४

दोहा िबपित हमािर िबलोिक बिड़ मात किरअ सोइ आज

राम जािह बन राज तिज होइ सकल सरकाज ११

सिन सर िबनय ठािढ़ पिछताती भइउ सरोज िबिपन िहमराती

दिख दव पिन कहिह िनहोरी मात तोिह निह थोिरउ खोरी १

िबसमय हरष रिहत रघराऊ तमह जानह सब राम भाऊ

जीव करम बस सख दख भागी जाइअ अवध दव िहत लागी २

बार बार गिह चरन सकोचौ चली िबचािर िबबध मित पोची

ऊच िनवास नीिच करतती दिख न सकिह पराइ िबभती ३

आिगल काज िबचािर बहोरी करहिह चाह कसल किब मोरी

हरिष हदय दसरथ पर आई जन ह दसा दसह दखदाई ४

दोहा नाम मथरा मदमित चरी ककइ किर

अजस पटारी तािह किर गई िगरा मित फिर १२

दीख मथरा नगर बनावा मजल मगल बाज बधावा

पछिस लोगनह काह उछाह राम ितलक सिन भा उर दाह १

करइ िबचार कबि कजाती होइ अकाज कविन िबिध राती

दिख लािग मध किटल िकराती िजिम गव तकइ लउ किह भाती २

रामचिरतमानस - 8 - अयोधयाकाड

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भरत मात पिह गइ िबलखानी का अनमिन हिस कह हिस रानी

ऊतर दइ न लइ उसास नािर चिरत किर ढारइ आस ३

हिस कह रािन गाल बड़ तोर दीनह लखन िसख अस मन मोर

तबह न बोल चिर बिड़ पािपिन छाड़इ सवास कािर जन सािपिन ४

दोहा सभय रािन कह कहिस िकन कसल राम मिहपाल

लखन भरत िरपदमन सिन भा कबरी उर साल १३

कत िसख दइ हमिह कोउ माई गाल करब किह कर बल पाई

रामिह छािड़ कसल किह आज जिह जनस दइ जबराज १

भयउ कौिसलिह िबिध अित दािहन दखत गरब रहत उर नािहन

दखह कस न जाइ सब सोभा जो अवलोिक मोर मन छोभा २

पत िबदस न सोच तमहार जानित हह बस नाह हमार

नीद बहत ि य सज तराई लखह न भप कपट चतराई ३

सिन ि य बचन मिलन मन जानी झकी रािन अब रह अरगानी

पिन अस कबह कहिस घरफोरी तब धिर जीभ कढ़ावउ तोरी ४

दोहा कान खोर कबर किटल कचाली जािन

ितय िबसिष पिन चिर किह भरतमात मसकािन १४

ि यबािदिन िसख दीिनहउ तोही सपनह तो पर कोप न मोही

सिदन समगल दायक सोई तोर कहा फर जिह िदन होई १

जठ सवािम सवक लघ भाई यह िदनकर कल रीित सहाई

राम ितलक जौ साचह काली दउ माग मन भावत आली २

कौसलया सम सब महतारी रामिह सहज सभाय िपआरी

मो पर करिह सनह िबसषी म किर ीित परीछा दखी ३

जौ िबिध जनम दइ किर छोह होह राम िसय पत पतोह

ान त अिधक राम ि य मोर ितनह क ितलक छोभ कस तोर ४

रामचिरतमानस - 9 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत सपथ तोिह सतय कह पिरहिर कपट दराउ

हरष समय िबसमउ करिस कारन मोिह सनाउ १५

एकिह बार आस सब पजी अब कछ कहब जीभ किर दजी

फोर जोग कपार अभागा भलउ कहत दख रउरिह लागा १

कहिह झिठ फिर बात बनाई त ि य तमहिह करइ म माई

हमह कहिब अब ठकरसोहाती नािह त मौन रहब िदन राती २

किर करप िबिध परबस कीनहा बवा सो लिनअ लिहअ जो दीनहा

कोउ नप होउ हमिह का हानी चिर छािड़ अब होब िक रानी ३

जार जोग सभाउ हमारा अनभल दिख न जाइ तमहारा

तात कछक बात अनसारी छिमअ दिब बिड़ चक हमारी ४

दोहा गढ़ कपट ि य बचन सिन तीय अधरबिध रािन

सरमाया बस बिरिनिह सहद जािन पितआिन १६

सादर पिन पिन पछित ओही सबरी गान मगी जन मोही

तिस मित िफरी अहइ जिस भाबी रहसी चिर घात जन फाबी १

तमह पछह म कहत डराऊ धरउ मोर घरफोरी नाऊ

सिज तीित बहिबिध गिढ़ छोली अवध साढ़साती तब बोली २

ि य िसय राम कहा तमह रानी रामिह तमह ि य सो फिर बानी

रहा थम अब त िदन बीत समउ िफर िरप होिह िपरीत ३

भान कमल कल पोषिनहारा िबन जल जािर करइ सोइ छारा

जिर तमहािर चह सवित उखारी रधह किर उपाउ बर बारी ४

दोहा तमहिह न सोच सोहाग बल िनज बस जानह राउ

मन मलीन मह मीठ नप राउर सरल सभाउ १७

रामचिरतमानस - 10 - अयोधयाकाड

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चतर गभीर राम महतारी बीच पाइ िनज बात सवारी

पठए भरत भप निनअउर राम मात मत जानव रउर १

सविह सकल सवित मोिह नीक गरिबत भरत मात बल पी क

साल तमहार कौिसलिह माई कपट चतर निह होइ जनाई २

राजिह तमह पर म िबसषी सवित सभाउ सकइ निह दखी

रची पच भपिह अपनाई राम ितलक िहत लगन धराई ३

यह कल उिचत राम कह टीका सबिह सोहाइ मोिह सिठ नीका

आिगिल बात समिझ डर मोही दउ दउ िफिर सो फल ओही ४

दोहा रिच पिच कोिटक किटलपन कीनहिस कपट बोध

किहिस कथा सत सवित क जिह िबिध बाढ़ िबरोध १८

भावी बस तीित उर आई पछ रािन पिन सपथ दवाई

का पछह तमह अबह न जाना िनज िहत अनिहत पस पिहचाना १

भयउ पाख िदन सजत समाज तमह पाई सिध मोिह सन आज

खाइअ पिहिरअ राज तमहार सतय कह निह दोष हमार २

जौ असतय कछ कहब बनाई तौ िबिध दइिह हमिह सजाई

रामिह ितलक कािल जौ भयऊ तमह कह िबपित बीज िबिध बयऊ ३

रख खचाइ कहउ बल भाषी भािमिन भइह दध कइ माखी

जौ सत सिहत करह सवकाई तौ घर रहह न आन उपाई ४

दोहा क िबनतिह दीनह दख तमहिह कौिसला दब

भरत बिदगह सइहिह लखन राम क नब १९

ककयसता सनत कट बानी किह न सकइ कछ सहिम सखानी

तन पसउ कदली िजिम कापी कबरी दसन जीभ तब चापी १

किह किह कोिटक कपट कहानी धीरज धरह बोिधिस रानी

रामचिरतमानस - 11 - अयोधयाकाड

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िफरा करम ि य लािग कचाली बिकिह सराहइ मािन मराली २

सन मथरा बात फिर तोरी दिहिन आिख िनत फरकइ मोरी

िदन ित दखउ राित कसपन कहउ न तोिह मोह बस अपन ३

काह करौ सिख सध सभाऊ दािहन बाम न जानउ काऊ ४

दोहा अपन चलत न आज लिग अनभल काहक कीनह

किह अघ एकिह बार मोिह दअ दसह दख दीनह २०

नहर जनम भरब बर जाइ िजअत न करिब सवित सवकाई

अिर बस दउ िजआवत जाही मरन नीक तिह जीवन चाही १

दीन बचन कह बहिबिध रानी सिन कबरी ितयमाया ठानी

अस कस कहह मािन मन ऊना सख सोहाग तमह कह िदन दना २

जिह राउर अित अनभल ताका सोइ पाइिह यह फल पिरपाका

जब त कमत सना म सवािमिन भख न बासर नीद न जािमिन ३

पछउ गिननह रख ितनह खाची भरत भआल होिह यह साची

भािमिन करह त कहौ उपाऊ ह तमहरी सवा बस राऊ ४

दोहा परउ कप तअ बचन पर सकउ पत पित तयािग

कहिस मोर दख दिख बड़ कस न करब िहत लािग २१

कबरी किर कबली ककई कपट छरी उर पाहन टई

लखइ न रािन िनकट दख क स चरइ हिरत ितन बिलपस जस १

सनत बात मद अत कठोरी दित मनह मध माहर घोरी

कहइ चिर सिध अहइ िक नाही सवािमिन किहह कथा मोिह पाही २

दइ बरदान भप सन थाती मागह आज जड़ावह छाती

सतिह राज रामिह बनवास दह लह सब सवित हलास ३

भपित राम सपथ जब करई तब मागह जिह बचन न टरई

होइ अकाज आज िनिस बीत बचन मोर ि य मानह जी त ४

रामचिरतमानस - 12 - अयोधयाकाड

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दोहा

बड़ कघात किर पातिकिन कहिस कोपगह जाह

काज सवारह सजग सब सहसा जिन पितआह २२

कबिरिह रािन ानि य जानी बार बार बिड़ बि बखानी

तोिह सम िहत न मोर ससारा बह जात कइ भइिस अधारा १

जौ िबिध परब मनोरथ काली करौ तोिह चख पतिर आली

बहिबिध चिरिह आदर दई कोपभवन गविन ककई २

िबपित बीज बरषा िरत चरी भइ भइ कमित ककई करी

पाइ कपट जल अकर जामा बर दोउ दल दख फल पिरनामा ३

कोप समाज सािज सब सोई राज करत िनज कमित िबगोई

राउर नगर कोलाहल होई यह कचािल कछ जान न कोई ४

दोहा मिदत पर नर नािर सब सजिह समगलचार

एक िबसिह एक िनगरमिह भीर भप दरबार २३

बाल सखा सन िहय हरषाही िमिल दस पाच राम पिह जाही

भ आदरिह म पिहचानी पछिह कसल खम मद बानी १

िफरिह भवन ि य आयस पाई करत परसपर राम बड़ाई

को रघबीर सिरस ससारा सील सनह िनबाहिनहारा २

जिह जिह जोिन करम बस मही तह तह ईस दउ यह हमही

सवक हम सवामी िसयनाह होउ नात यह ओर िनबाह ३

अस अिभलाष नगर सब काह ककयसता हदय अित दाह

को न कसगित पाइ नसाई रहइ न नीच मत चतराई ४

दोहा सास समय सानद नप गयउ ककई गह

गवन िनठरता िनकट िकय जन धिर दह सनह २४

रामचिरतमानस - 13 - अयोधयाकाड

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कोपभवन सिन सकचउ राउ भय बस अगहड़ परइ न पाऊ

सरपित बसइ बाहबल जाक नरपित सकल रहिह रख ताक १

सो सिन ितय िरस गयउ सखाई दखह काम ताप बड़ाई

सल किलस अिस अगविनहार त रितनाथ समन सर मार २

सभय नरस ि या पिह गयऊ दिख दसा दख दारन भयऊ

भिम सयन पट मोट पराना िदए डािर तन भषण नाना ३

कमितिह किस कबषता फाबी अन अिहवात सच जन भाबी

जाइ िनकट नप कह मद बानी ानि या किह हत िरसानी ४ छद

किह हत रािन िरसािन परसत पािन पितिह नवारई

मानह सरोष भअग भािमिन िबषम भाित िनहारई

दोउ बासना रसना दसन बर मरम ठाहर दखई

तलसी नपित भवतबयता बस काम कौतक लखई

सोरठा बार बार कह राउ समिख सलोिचिन िपकबचिन

कारन मोिह सनाउ गजगािमिन िनज कोप कर २५

अनिहत तोर ि या कइ कीनहा किह दइ िसर किह जम चह लीनहा

कह क िह रकिह करौ नरस कह किह नपिह िनकासौ दस १

सकउ तोर अिर अमरउ मारी काह कीट बपर नर नारी

जानिस मोर सभाउ बरोर मन तव आनन चद चकोर २

ि या ान सत सरबस मोर पिरजन जा सकल बस तोर

जौ कछ कहौ कपट किर तोही भािमिन राम सपथ सत मोही ३

िबहिस माग मनभावित बाता भषन सजिह मनोहर गाता

घरी कघरी समिझ िजय दख बिग ि या पिरहरिह कबष ४

दोहा

रामचिरतमानस - 14 - अयोधयाकाड

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यह सिन मन गिन सपथ बिड़ िबहिस उठी मितमद

भषन सजित िबलोिक मग मनह िकराितिन फद २६

पिन कह राउ स द िजय जानी म पलिक मद मजल बानी

भािमिन भयउ तोर मनभावा घर घर नगर अनद बधावा १

रामिह दउ कािल जबराज सजिह सलोचिन मगल साज

दलिक उठउ सिन दउ कठोर जन छइ गयउ पाक बरतोर २

ऐिसउ पीर िबहिस तिह गोई चोर नािर िजिम गिट न रोई

लखिह न भप कपट चतराई कोिट किटल मिन गर पढ़ाई ३

ज िप नीित िनपन नरनाह नािरचिरत जलिनिध अवगाह

कपट सनह बढ़ाइ बहोरी बोली िबहिस नयन मह मोरी ४

दोहा माग माग प कहह िपय कबह न दह न लह

दन कहह बरदान दइ तउ पावत सदह २७

जानउ मरम राउ हिस कहई तमहिह कोहाब परम ि य अहई

थाित रािख न मािगह काऊ िबसिर गयउ मोिह भोर सभाऊ १

झठह हमिह दोष जिन दह दइ क चािर मािग मक लह

रघकल रीित सदा चिल आई ान जाह बर बचन न जाई २

निह असतय सम पातक पजा िगिर सम होिह िक कोिटक गजा

सतयमल सब सकत सहाए बद परान िबिदत मन गाए ३

तिह पर राम सपथ किर आई सकत सनह अविध रघराई

बात दढ़ाइ कमित हिस बोली कमत किबहग कलह जन खोली ४

दोहा भप मनोरथ सभग बन सख सिबहग समाज

िभललिन िजिम छाड़न चहित बचन भयकर बाज २८

मासपारायण तरहवा िव ाम

रामचिरतमानस - 15 - अयोधयाकाड

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सनह ानि य भावत जी का दह एक बर भरतिह टीका

मागउ दसर बर कर जोरी परवह नाथ मनोरथ मोरी १

तापस बष िबसिष उदासी चौदह बिरस राम बनबासी

सिन मद बचन भप िहय सोकसिस कर छअत िबकल िजिम कोक २

गयउ सहिम निह कछ किह आवा जन सचान बन झपटउ लावा

िबबरन भयउ िनपट नरपाल दािमिन हनउ मनह तर ताल ३

माथ हाथ मिद दोउ लोचन तन धिर सोच लाग जन सोचन

मोर मनोरथ सरतर फला फरत किरिन िजिम हतउ समला ४

अवध उजािर कीिनह ककई दीनहिस अचल िबपित क नई ५

दोहा कवन अवसर का भयउ गयउ नािर िबसवास

जोग िसि फल समय िजिम जितिह अिब ा नास २९

एिह िबिध राउ मनिह मन झाखा दिख कभाित कमित मन माखा

भरत िक राउर पत न होही आनह मोल बसािह िक मोही १

जो सिन सर अस लाग तमहार काह न बोलह बचन सभार

दह उतर अन करह िक नाही सतयसध तमह रघकल माही २

दन कहह अब जिन बर दह तजह सतय जग अपजस लह

सतय सरािह कहह बर दना जानह लइिह मािग चबना ३

िसिब दधीिच बिल जो कछ भाषा तन धन तजउ बचन पन राखा

अित कट बचन कहित ककई मानह लोन जर पर दई ४

दोहा धरम धरधर धीर धिर नयन उघार राय

िसर धिन लीिनह उसास अिस मारिस मोिह कठाय ३०

आग दीिख जरत िरस भारी मनह रोष तरवािर उघारी

मिठ कबि धार िनठराई धरी कबरी सान बनाई १

रामचिरतमानस - 16 - अयोधयाकाड

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लखी महीप कराल कठोरा सतय िक जीवन लइिह मोरा

बोल राउ किठन किर छाती बानी सिबनय तास सोहाती २

ि या बचन कस कहिस कभाती भीर तीित ीित किर हाती

मोर भरत राम दइ आखी सतय कहउ किर सकर साखी ३

अविस दत म पठइब ाता ऐहिह बिग सन त दोउ ाता

सिदन सोिध सब साज सजाई दउ भरत कह राज बजाई ४

दोहा लोभ न रामिह राज कर बहत भरत पर ीित

म बड़ छोट िबचािर िजय करत रहउ नपनीित ३१

राम सपथ सत कह सभाऊ राममात कछ कहउ न काऊ

म सब कीनह तोिह िबन पछ तिह त परउ मनोरथ छछ १

िरस पिरहर अब मगल साज कछ िदन गए भरत जबराज

एकिह बात मोिह दख लागा बर दसर असमजस मागा २

अजह हदय जरत तिह आचा िरस पिरहास िक साचह साचा

कह तिज रोष राम अपराध सब कोउ कहइ राम सिठ साध ३

तह सरा हिस करिस सनह अब सिन मोिह भयउ सदह

जास सभाउ अिरिह अनकला सो िकिम किरिह मात ितकला ४

दोहा ि या हास िरस पिरहरिह माग िबचािर िबबक जिह दखा अब नयन भिर भरत राज अिभषक ३२

िजऐ मीन बर बािर िबहीना मिन िबन फिनक िजऐ दख दीना

कहउ सभाउ न छल मन माही जीवन मोर राम िबन नाही १

समिझ दख िजय ि या बीना जीवन राम दरस आधीना

सिन द बचन कमित अित जरई मनह अनल आहित घत परई २

कहइ करह िकन कोिट उपाया इहा न लािगिह राउिर माया

दह िक लह अजस किर ना ही मोिह न बहत पच सोहाही ३

रामचिरतमानस - 17 - अयोधयाकाड

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राम साध तमह साध सयान राममात भिल सब पिहचान

जस कौिसला मोर भल ताका तस फल उनहिह दउ किर साका ४

दोहा होत ात मिनबष धिर जौ न राम बन जािह

मोर मरन राउर अजस नप समिझअ मन मािह ३३

अस किह किटल भई उिठ ठाढ़ी मानह रोष तरिगिन बाढ़ी

पाप पहार गट भइ सोई भरी ोध जल जाइ न जोई १

दोउ बर कल किठन हठ धारा भवर कबरी बचन चारा

ढाहत भपरप तर मला चली िबपित बािरिध अनकला २

लखी नरस बात फिर साची ितय िमस मीच सीस पर नाची

गिह पद िबनय कीनह बठारी जिन िदनकर कल होिस कठारी ३

माग माथ अबही दउ तोही राम िबरह जिन मारिस मोही

राख राम कह जिह तिह भाती नािह त जिरिह जनम भिर छाती ४

दोहा दखी बयािध असाध नप परउ धरिन धिन माथ

कहत परम आरत बचन राम राम रघनाथ ३४

बयाकल राउ िसिथल सब गाता किरिन कलपतर मनह िनपाता

कठ सख मख आव न बानी जन पाठीन दीन िबन पानी १

पिन कह कट कठोर ककई मनह घाय मह माहर दई

जौ अतह अस करतब रहऊ माग माग तमह किह बल कहऊ २

दइ िक होइ एक समय भआला हसब ठठाइ फलाउब गाला

दािन कहाउब अर कपनाई होइ िक खम कसल रौताई ३

छाड़ह बचन िक धीरज धरह जिन अबला िजिम करना करह

तन ितय तनय धाम धन धरनी सतयसध कह तन सम बरनी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 18 - अयोधयाकाड

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मरम बचन सिन राउ कह कह कछ दोष न तोर

लागउ तोिह िपसाच िजिम काल कहावत मोर ३५

चहत न भरत भपतिह भोर िबिध बस कमित बसी िजय तोर

सो सब मोर पाप पिरनाम भयउ कठाहर जिह िबिध बाम १

सबस बिसिह िफिर अवध सहाई सब गन धाम राम भताई

किरहिह भाइ सकल सवकाई होइिह ितह पर राम बड़ाई २

तोर कलक मोर पिछताऊ मएह न िमटिह न जाइिह काऊ

अब तोिह नीक लाग कर सोई लोचन ओट बठ मह गोई ३

जब लिग िजऔ कहउ कर जोरी तब लिग जिन कछ कहिस बहोरी

िफिर पिछतहिस अत अभागी मारिस गाइ नहार लागी ४

दोहा परउ राउ किह कोिट िबिध काह करिस िनदान

कपट सयािन न कहित कछ जागित मनह मसान ३६

राम राम रट िबकल भआल जन िबन पख िबहग बहाल

हदय मनाव भोर जिन होई रामिह जाइ कह जिन कोई १

उदउ करह जिन रिब रघकल गर अवध िबलोिक सल होइिह उर

भप ीित ककइ किठनाई उभय अविध िबिध रची बनाई २

िबलपत नपिह भयउ िभनसारा बीना बन सख धिन ारा

पढ़िह भाट गन गाविह गायक सनत नपिह जन लागिह सायक ३

मगल सकल सोहािह न कस सहगािमिनिह िबभषन जस

तिह िनिस नीद परी निह काह राम दरस लालसा उछाह ४

दोहा ार भीर सवक सिचव कहिह उिदत रिब दिख

जागउ अजह न अवधपित कारन कवन िबसिष ३७

पिछल पहर भप िनत जागा आज हमिह बड़ अचरज लागा

रामचिरतमानस - 19 - अयोधयाकाड

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जाह सम जगावह जाई कीिजअ काज रजायस पाई १

गए सम तब राउर माही दिख भयावन जात डराही

धाइ खाइ जन जाइ न हरा मानह िबपित िबषाद बसरा २

पछ कोउ न ऊतर दई गए जिह भवन भप ककई

किह जयजीव बठ िसर नाई दिख भप गित गयउ सखाई ३

सोच िबकल िबबरन मिह परऊ मानह कमल मल पिरहरऊ

सिचउ सभीत सकइ निह पछी बोली असभ भरी सभ छछी ४

दोहा परी न राजिह नीद िनिस हत जान जगदीस

राम राम रिट भोर िकय कहइ न मरम महीस ३८

आनह रामिह बिग बोलाई समाचार तब पछह आई

चलउ सम राय रख जानी लखी कचािल कीिनह कछ रानी १

सोच िबकल मग परइ न पाऊ रामिह बोिल किहिह का राऊ

उर धिर धीरज गयउ दआर पछिह सकल द िख मन मार २

समाधान किर सो सबही का गयउ जहा िदनकर कल टीका

राम सम िह आवत दखा आदर कीनह िपता सम लखा ३

िनरिख बदन किह भप रजाई रघकलदीपिह चलउ लवाई

राम कभाित सिचव सग जाही दिख लोग जह तह िबलखाही ४

दोहा जाइ दीख रघबसमिन नरपित िनपट कसाज

सहिम परउ लिख िसिघिनिह मनह ब गजराज ३९

सखिह अधर जरइ सब अग मनह दीन मिनहीन भअग

सरष समीप दीिख ककई मानह मीच घरी गिन लई १

करनामय मद राम सभाऊ थम दीख दख सना न काऊ

तदिप धीर धिर समउ िबचारी पछी मधर बचन महतारी २

मोिह कह मात तात दख कारन किरअ जतन जिह होइ िनवारन

रामचिरतमानस - 20 - अयोधयाकाड

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सनह राम सब कारन एह राजिह तम पर बहत सनह ३

दन कहिनह मोिह दइ बरदाना मागउ जो कछ मोिह सोहाना

सो सिन भयउ भप उर सोच छािड़ न सकिह तमहार सकोच ४

दोहा सत सनह इत बचन उत सकट परउ नरस

सकह न आयस धरह िसर मटह किठन कलस ४०

िनधरक बिठ कहइ कट बानी सनत किठनता अित अकलानी

जीभ कमान बचन सर नाना मनह मिहप मद लचछ समाना १

जन कठोरपन धर सरीर िसखइ धनषिब ा बर बीर

सब सग रघपितिह सनाई बिठ मनह तन धिर िनठराई २

मन मसकाइ भानकल भान राम सहज आनद िनधान

बोल बचन िबगत सब दषन मद मजल जन बाग िबभषन ३

सन जननी सोइ सत बड़भागी जो िपत मात बचन अनरागी

तनय मात िपत तोषिनहारा दलरभ जनिन सकल ससारा ४

दोहा मिनगन िमलन िबसिष बन सबिह भाित िहत मोर

तिह मह िपत आयस बहिर समत जननी तोर ४१

भरत ानि य पाविह राज िबिध सब िबिध मोिह सनमख आज

जो न जाउ बन ऐसह काजा थम गिनअ मोिह मढ़ समाजा १

सविह अरड कलपतर तयागी प िरहिर अमत लिह िबष मागी

तउ न पाइ अस समउ चकाही दख िबचािर मात मन माही २

अब एक दख मोिह िबसषी िनपट िबकल नरनायक दखी

थोिरिह बात िपतिह दख भारी होित तीित न मोिह महतारी ३

राउ धीर गन उदिध अगाध भा मोिह त कछ बड़ अपराध

जात मोिह न कहत कछ राऊ मोिर सपथ तोिह कह सितभाऊ ४

रामचिरतमानस - 21 - अयोधयाकाड

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दोहा सहज सरल रघबर बचन कमित किटल किर जान

चलइ जोक जल ब गित ज िप सिलल समान ४२

रहसी रािन राम रख पाई बोली कपट सनह जनाई

सपथ तमहार भरत क आना हत न दसर म कछ जाना १

तमह अपराध जोग निह ताता जननी जनक बध सखदाता

राम सतय सब जो कछ कहह तमह िपत मात बचन रत अहह २

िपतिह बझाइ कहह बिल सोई चौथपन जिह अजस न होई

तमह सम सअन सकत जिह दीनह उिचत न तास िनरादर कीनह ३

लागिह कमख बचन सभ कस मगह गयािदक तीरथ जस

रामिह मात बचन सब भाए िजिम सरसिर गत सिलल सहाए ४

दोहा गइ मरछा रामिह सिमिर नप िफिर करवट लीनह

सिचव राम आगमन किह िबनय समय सम कीनह ४३

अविनप अकिन राम पग धार धिर धीरज तब नयन उघार

सिचव सभािर राउ बठार चरन परत नप राम िनहार १

िलए सनह िबकल उर लाई ग मिन मनह फिनक िफिर पाई

रामिह िचतइ रहउ नरनाह चला िबलोचन बािर बाह २

सोक िबबस कछ कह न पारा हदय लगावत बारिह बारा

िबिधिह मनाव राउ मन माही जिह रघनाथ न कानन जाही ३

सिमिर महसिह कहइ िनहोरी िबनती सनह सदािसव मोरी

आसतोष तमह अवढर दानी आरित हरह दीन जन जानी ४

दोहा तमह रक सब क हदय सो मित रामिह दह

बचन मोर तिज रहिह घर पिरहिर सील सनह ४४

रामचिरतमानस - 22 - अयोधयाकाड

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अजस होउ जग सजस नसाऊ नरक परौ बर सरपर जाऊ

सब दख दसह सहावह मोही लोचन ओट राम जिन होही १

अस मन गनइ राउ निह बोला पीपर पात सिरस मन डोला

रघपित िपतिह मबस जानी पिन कछ किहिह मात अनमानी २

दस काल अवसर अनसारी बोल बचन िबनीत िबचारी

तात कहउ कछ करउ िढठाई अनिचत छमब जािन लिरकाई ३

अित लघ बात लािग दख पावा काह न मोिह किह थम जनावा

दिख गोसाइिह पिछउ माता सिन सग भए सीतल गाता ४

दोहा मगल समय सनह बस सोच पिरहिरअ तात

आयस दइअ हरिष िहय किह पलक भ गात ४५

धनय जनम जगतीतल तास िपतिह मोद चिरत सिन जास

चािर पदारथ करतल ताक ि य िपत मात ान सम जाक १

आयस पािल जनम फल पाई ऐहउ बिगिह होउ रजाई

िबदा मात सन आवउ मागी चिलहउ बनिह बहिर पग लागी २

अस किह राम गवन तब कीनहा भप सोक बस उतर न दीनहा

नगर बयािप गइ बात सतीछी छअत च ढ़ी जन सब तन बीछी ३

सिन भए िबकल सकल नर नारी बिल िबटप िजिम दिख दवारी

जो जह सनइ धनइ िसर सोई बड़ िबषाद निह धीरज होई ४

दोहा मख सखािह लोचन विह सोक न हदय समाइ

मनह करन रस कटकई उतरी अवध बजाइ ४६

िमलिह माझ िबिध बात बगारी जह तह दिह ककइिह गारी

एिह पािपिनिह बिझ का परऊ छाइ भवन पर पावक धरऊ १

िनज कर नयन कािढ़ चह दीखा डािर सधा िबष चाहत चीखा

किटल कठोर कबि अभागी भइ रघबस बन बन आगी २

रामचिरतमानस - 23 - अयोधयाकाड

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पालव बिठ पड़ एिह काटा सख मह सोक ठाट धिर ठाटा

सदा राम एिह ान समाना कारन कवन किटलपन ठाना ३

सतय कहिह किब नािर सभाऊ सब िबिध अगह अगाध दराऊ

िनज ितिबब बरक गिह जाई जािन न जाइ नािर गित भाई ४

दोहा काह न पावक जािर सक का न सम समाइ

का न कर अबला बल किह जग काल न खाइ ४७

का सनाइ िबिध काह सनावा का दखाइ चह काह दखावा

एक कहिह भल भप न कीनहा बर िबचािर निह कमितिह दीनहा १

जो हिठ भयउ सकल दख भाजन अबला िबबस गयान गन गा जन

एक धरम परिमित पिहचान नपिह दोस निह दिह सयान २

िसिब दधीिच हिरचद कहानी एक एक सन कहिह बखानी

एक भरत कर समत कहही एक उदास भाय सिन रहही ३

कान मिद कर रद गिह जीहा एक कहिह यह बात अलीहा

सकत जािह अस कहत तमहार राम भरत कह ानिपआर ४

दोहा चद चव बर अनल कन सधा होइ िबषतल

सपनह कबह न करिह िकछ भरत राम ितकल ४८

एक िबधातिह दषन दही सधा दखाइ दीनह िबष जही

खरभर नगर सोच सब काह दसह दाह उर िमटा उछाह १

िब बध कलमानय जठरी ज ि य परम ककई करी

लगी दन िसख सील सराही बचन बानसम लागिह ताही २

भरत न मोिह ि य राम समाना सदा कहह यह सब जग जाना

करह राम पर सहज सनह किह अपराध आज बन दह ३

कबह न िकयह सवित आरस ीित तीित जान सब दस

कौसलया अब काह िबगारा तमह जिह लािग ब पर पारा ४

रामचिरतमानस - 24 - अयोधयाकाड

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दोहा

सीय िक िपय सग पिरहिरिह लखन िक रिहहिह धाम

राज िक भजब भरत पर नप िक जीिह िबन राम ४९

अस िबचािर उर छाड़ह कोह सोक कलक कोिठ जिन होह

भरतिह अविस दह जबराज कानन काह राम कर काज १

नािहन राम राज क भख धरम धरीन िबषय रस रख

गर गह बसह राम तिज गह नप सन अस बर दसर लह २

जौ निह लिगहह कह हमार निह लािगिह कछ हाथ तमहार

जौ पिरहास कीिनह कछ होई तौ किह गट जनावह सोई ३

राम सिरस सत कानन जोग काह किहिह सिन तमह कह लोग

उठह बिग सोइ करह उपाई जिह िबिध सोक कलक नसाई ४ छद

जिह भाित सोक कलक जाइ उपाय किर कल पालही

हिठ फर रामिह जात बन जिन बात दसिर चालही

िजिम भान िबन िदन ान िबन तन चद िबन िजिम जािमनी

ितिम अवध तलसीदास भ िबन समिझ धौ िजय भािमनी

सोरठा सिखनह िसखावन दीनह सनत मधर पिरनाम िहत

तइ कछ कान न कीनह किटल बोधी कबरी ५०

उतर न दइ दसह िरस रखी मिगनह िचतव जन बािघिन भखी

बयािध असािध जािन ितनह तयागी चली कहत मितमद अभागी १

राज करत यह दअ िबगोई कीनहिस अस जस करइ न कोई

एिह िबिध िबलपिह पर नर नारी दिह कचािलिह कोिटक गारी २

जरिह िबषम जर लिह उसासा कविन राम िबन जीवन आसा

िबपल िबयोग जा अकलानी जन जलचर गन सखत पानी ३

रामचिरतमानस - 25 - अयोधयाकाड

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अित िबषाद बस लोग लोगाई गए मात पिह राम गोसाई

मख सनन िचत चौगन चाऊ िमटा सोच जिन राख राऊ ४

दोहा नव गयद रघबीर मन राज अलान समान

छट जािन बन गवन सिन उर अनद अिधकान ५१

रघकलितलक जोिर दोउ हाथा मिदत मात पद नायउ माथा

दीिनह असीस लाइ उर लीनह भषन बसन िनछाविर कीनह १

बार बार मख चबित माता नयन नह जल पलिकत गाता

गोद रािख पिन हदय लगाए वत नरस पयद सहाए २

म मोद न कछ किह जाई रक धनद पदबी जन पाई

सादर सदर बदन िनहारी बोली मधर बचन महतारी ३

कहह तात जननी बिलहारी कबिह लगन मद मगलकारी

सकत सील सख सीव सहाई जनम लाभ कइ अविध अघाई ४

दोहा जिह चाहत नर नािर सब अित आरत एिह भाित

िजिम चातक चातिक तिषत बि सरद िरत सवाित ५२

तात जाउ बिल बिग नहाह जो मन भाव मधर कछ खाह

िपत समीप तब जाएह भआ भइ बिड़ बार जाइ बिल मआ १

मात बचन सिन अित अनकला जन सनह सरतर क फला

सख मकरद भर ि यमला िनरिख राम मन भवर न भला २

धरम धरीन धरम गित जानी कहउ मात सन अित मद बानी

िपता दीनह मोिह कानन राज जह सब भाित मोर बड़ काज ३

आयस दिह मिदत मन माता जिह मद मगल कानन जाता

जिन सनह बस डरपिस भोर आनद अब अन ह तोर ४

रामचिरतमानस - 26 - अयोधयाकाड

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दोहा बरष चािरदस िबिपन बिस किर िपत बचन मान

आइ पाय पिन दिखहउ मन जिन करिस मलान ५३

बचन िबनीत मधर रघबर क सर सम लग मात उर करक

सहिम सिख सिन सीतिल बानी िजिम जवास पर पावस पानी १

किह न जाइ कछ हदय िबषाद मनह मगी सिन कहिर नाद

नयन सजल तन थर थर कापी माजिह खाइ मीन जन मापी २

धिर धीरज सत बदन िनहारी गदगद बचन कहित महतारी

तात िपतिह तमह ानिपआर दिख मिदत िनत चिरत तमहार ३

राज दन कह सभ िदन साधा कहउ जान बन किह अपराधा

तात सनावह मोिह िनदान को िदनकर कल भयउ कसान ४

दोहा िनरिख राम रख सिचवसत कारन कहउ बझाइ

सिन सग रिह मक िजिम दसा बरिन निह जाइ ५४

रािख न सकइ न किह सक जाह दह भाित उर दारन दाह

िलखत सधाकर गा िलिख राह िबिध गित बाम सदा सब काह १

धरम सनह उभय मित घरी भइ गित साप छछदिर करी

राखउ सतिह करउ अनरोध धरम जाइ अर बध िबरोध २

कहउ जान बन तौ बिड़ हानी सकट सोच िबबस भइ रानी

बहिर समिझ ितय धरम सयानी राम भरत दोउ सत सम जानी ३

सरल सभाउ राम महतारी बोली बचन धीर धिर भारी

तात जाउ बिल कीनहह नीका िपत आयस सब धरमक टीका ४

दोहा राज दन किह दीनह बन मोिह न सो दख लस

तमह िबन भरतिह भपितिह जिह चड कलस ५५

रामचिरतमानस - 27 - अयोधयाकाड

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जौ कवल िपत आयस ताता तौ जिन जाह जािन बिड़ माता

जौ िपत मात कहउ बन जाना तौ कानन सत अवध समाना १

िपत बनदव मात बनदवी खग मग चरन सरोरह सवी

अतह उिचत नपिह बनबास बय िबलोिक िहय होइ हरास २

बड़भागी बन अवध अभागी जो रघबसितलक तमह तयागी

जौ सत कहौ सग मोिह लह तमहर हदय होइ सदह ३

पत परम ि य तमह सबही क ान ान क जीवन जी क

त तमह कहह मात बन जाऊ म सिन बचन बिठ पिछताऊ ४

दोहा यह िबचािर निह करउ हठ झठ सनह बढ़ाइ

मािन मात कर नात बिल सरित िबसिर जिन जाइ ५६

दव िपतर सब तनहिह गोसाई राखह पलक नयन की नाई

अविध अब ि य पिरजन मीना तमह करनाकर धरम धरीना १

अस िबचािर सोइ करह उपाई सबिह िजअत जिह भटह आई

जाह सखन बनिह बिल जाऊ किर अनाथ जन पिरजन गाऊ २

सब कर आज सकत फल बीता भयउ कराल काल िबपरीता

बहिबिध िबलिप चरन लपटानी प रम अभािगिन आपिह जानी ३

दारन दसह दाह उर बयापा बरिन न जािह िबलाप कलापा

राम उठाइ मात उर लाई किह मद बचन बहिर समझाई ४

दोहा समाचार तिह समय सिन सीय उठी अकलाइ

जाइ सास पद कमल जग बिद बिठ िसर नाइ ५७

दीिनह असीस सास मद बानी अित सकमािर दिख अकलानी

बिठ निमतमख सोचित सीता रप रािस पित म पनीता १

चलन चहत बन जीवननाथ किह सकती सन होइिह साथ

की तन ान िक कवल ाना िबिध करतब कछ जाइ न जाना २

रामचिरतमानस - 28 - अयोधयाकाड

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चार चरन नख लखित धरनी नपर मखर मधर किब बरनी

मनह म बस िबनती करही हमिह सीय पद जिन पिरहरही ३

मज िबलोचन मोचित बारी बोली दिख राम महतारी

तात सनह िसय अित सकमारी सास ससर पिरजनिह िपआरी ४

दोहा िपता जनक भपाल मिन ससर भानकल भान

पित रिबकल करव िबिपन िबध गन रप िनधान ५८

म पिन प बध ि य पाई रप रािस गन सील सहाई

नयन पतिर किर ीित बढ़ाई राखउ ान जािनिकिह लाई १

कलपबिल िजिम बहिबिध लाली सीिच सनह सिलल ितपाली

फलत फलत भयउ िबिध बामा जािन न जाइ काह पिरनामा २

पलग पीठ तिज गोद िहड़ोरा िसय न दीनह पग अविन कठोरा

िजअनमिर िजिम जोगवत रहऊ दीप बाित निह टारन कहऊ ३

सोइ िसय चलन चहित बन साथा आयस काह होइ रघनाथा

चद िकरन रस रिसक चकोरी रिब रख नयन सकइ िकिम जोरी ४

दोहा किर कहिर िनिसचर चरिह द जत बन भिर

िबष बािटका िक सोह सत सभग सजीविन मिर ५९

बन िहत कोल िकरात िकसोरी रची िबरिच िबषय सख भोरी

पाइन किम िजिम किठन सभाऊ ितनहिह कलस न कानन काऊ १

क तापस ितय कानन जोग िजनह तप हत तजा सब भोग

िसय बन बिसिह तात किह भाती िच िलिखत किप दिख डराती २

सरसर सभग बनज बन चारी डाबर जोग िक हसकमारी

अस िबचािर जस आयस होई म िसख दउ जानिकिह सोई ३

जौ िसय भवन रह कह अबा मोिह कह होइ बहत अवलबा

सिन रघबीर मात ि य बानी सील सनह सधा जन सानी ४

रामचिरतमानस - 29 - अयोधयाकाड

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दोहा

किह ि य बचन िबबकमय कीिनह मात पिरतोष

लग बोधन जानिकिह गिट िबिपन गन दोष ६०

मासपारायण चौदहवा िव ाम

मात समीप कहत सकचाही बोल समउ समिझ मन माही

राजकमािर िसखावन सनह आन भाित िजय जिन कछ गनह १

आपन मोर नीक जौ चहह बचन हमार मािन गह रहह

आयस मोर सास सवकाई सब िबिध भािमिन भवन भलाई २

एिह त अिधक धरम निह दजा सादर सास ससर पद पजा

जब जब मात किरिह सिध मोरी होइिह म िबकल मित भोरी ३

तब तब तमह किह कथा परानी सदिर समझाएह मद बानी

कहउ सभाय सपथ सत मोही समिख मात िहत राखउ तोही ४

दोहा गर ित समत धरम फल पाइअ िबनिह कलस

हठ बस सब सकट सह गालव नहष नरस ६१

म पिन किर वान िपत बानी बिग िफरब सन समिख सयानी

िदवस जात निह लािगिह बारा सदिर िसखवन सनह हमारा १

जौ हठ करह म बस बामा तौ तमह दख पाउब पिरनामा

कानन किठन भयकर भारी घोर घाम िहम बािर बयारी २

कस कटक मग काकर नाना चलब पयादिह िबन पद ाना

चरन कमल मद मज तमहार मारग अगम भिमधर भार ३

कदर खोह नदी नद नार अगम अगाध न जािह िनहार

भाल बाघ बक कहिर नागा करिह नाद सिन धीरज भागा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 30 - अयोधयाकाड

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भिम सयन बलकल बसन असन कद फल मल

त िक सदा सब िदन िमिलिह सबइ समय अनकल ६२

नर अहार रजनीचर चरही कपट बष िबिध कोिटक करही

लागइ अित पहार कर पानी िबिपन िबपित निह जाइ बखानी १

बयाल कराल िबहग बन घोरा िनिसचर िनकर नािर नर चोरा

डरपिह धीर गहन सिध आए मगलोचिन तमह भीर सभाए २

हसगविन तमह निह बन जोग सिन अपजस मोिह दइिह लोग

मानस सिलल सधा ितपाली िजअइ िक लवन पयोिध मराली ३

नव रसाल बन िबहरनसीला सोह िक कोिकल िबिपन करीला

रहह भवन अस हदय िबचारी चदबदिन दख कानन भारी ४

दोहा सहज सहद गर सवािम िसख जो न करइ िसर मािन

सो पिछताइ अघाइ उर अविस होइ िहत हािन ६३

सिन मद बचन मनोहर िपय क लोचन लिलत भर जल िसय क

सीतल िसख दाहक भइ क स चकइिह सरद चद िनिस जस १

उतर न आव िबकल बदही तजन चहत सिच सवािम सनही

बरबस रोिक िबलोचन बारी धिर धीरज उर अविनकमारी २

लािग सास पग कह कर जोरी छमिब दिब बिड़ अिबनय मोरी

दीिनह ानपित मोिह िसख सोई जिह िबिध मोर परम िहत होई ३

म पिन समिझ दीिख मन माही िपय िबयोग सम दख जग नाही ४

दोहा ाननाथ करनायतन सदर सखद सजान तमह िबन रघकल कमद िबध सरपर नरक समान ६४

मात िपता भिगनी ि य भाई ि य पिरवार स द समदाई

सास ससर गर सजन सहाई सत सदर ससील सखदाई १

रामचिरतमानस - 31 - अयोधयाकाड

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जह लिग नाथ नह अर नात िपय िबन ितयिह तरिनह त तात

तन धन धाम धरिन पर राज पित िबहीन सब सोक समाज २

भोग रोगसम भषन भार जम जातना सिरस ससार

ाननाथ तमह िबन जग माही मो कह सखद कतह कछ नाही ३

िजय िबन दह नदी िबन बारी तिसअ नाथ परष िबन नारी

नाथ सकल सख साथ तमहार सरद िबमल िबध बदन िनहार ४

दोहा खग मग पिरजन नगर बन बलकल िबमल दकल

नाथ साथ सरसदन सम परनसाल सख मल ६५

बनदवी बनदव उदारा किरहिह सास ससर सम सारा

कस िकसलय साथरी सहाई भ सग मज मनोज तराई १

कद मल फल अिमअ अहार अवध सौध सत सिरस पहार

िछन िछन भ पद कमल िबलोिकरिहहउ मिदत िदवस िजिम कोकी२

बन दख नाथ कह बहतर भय िबषाद पिरताप घनर

भ िबयोग लवलस समाना सब िमिल होिह न कपािनधाना ३

अस िजय जािन सजान िसरोमिन लइअ सग मोिह छािड़अ जिन

िबनती बहत करौ का सवामी करनामय उर अतरजामी ४

दोहा रािखअ अवध जो अविध लिग रहत न जिनअिह ान

दीनबध सदर सखद सील सनह िनधान ६६

मोिह मग चलत न होइिह हारी िछन िछन चरन सरोज िनहारी

सबिह भाित िपय सवा किरहौ मारग जिनत सकल म हिरहौ १

पाय पखारी बिठ तर छाही किरहउ बाउ मिदत मन माही

म कन सिहत सयाम तन दख कह दख समउ ानपित पख २

सम मिह तन तरपललव डासी पाग पलोिटिह सब िनिस दासी

बारबार मद मर ित जोही लागिह तात बयािर न मोही ३

रामचिरतमानस - 32 - अयोधयाकाड

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को भ सग मोिह िचतविनहारा िसघबधिह िजिम ससक िसआरा

म सकमािर नाथ बन जोग तमहिह उिचत तप मो कह भोग ४

दोहा ऐसउ बचन कठोर सिन जौ न दउ िबलगान

तौ भ िबषम िबयोग दख सिहहिह पावर ान ६७

अस किह सीय िबकल भइ भारी बचन िबयोग न सकी सभारी

दिख दसा रघपित िजय जाना हिठ राख निह रािखिह ाना १

कहउ कपाल भानकलनाथा पिरहिर सोच चलह बन साथा

निह िबषाद कर अवसर आज बिग करह बन गवन समाज २

किह ि य बचन ि या समझाई लग मात पद आिसष पाई

बिग जा दख मटब आई जननी िनठर िबसिर जिन जाई ३

िफरिह दसा िबिध बहिर िक मोरी दिखहउ नयन मनोहर जोरी

सिदन सघरी तात कब होइिह जननी िजअत बदन िबध जोइिह ४

दोहा बहिर बचछ किह लाल किह रघपित रघबर तात

कबिह बोलाइ लगाइ िहय हरिष िनरिखहउ गात ६८

लिख सनह कातिर महतारी बचन न आव िबकल भइ भारी

राम बोध कीनह िबिध नाना समउ सनह न जाइ बखाना १

तब जानकी सास पग लागी सिनअ माय म परम अभागी

सवा समय दअ बन दीनहा मोर मनोरथ सफल न कीनहा २

तजब छोभ जिन छािड़अ छोह करम किठन कछ दोस न मोह

सिन िसय बचन सास अकलानी दसा कविन िबिध कहौ बखानी ३

बारिह बार लाइ उर लीनही धिर धीरज िसख आिसष दीनही

अचल होउ अिहवात तमहारा जब लिग गग जमन जल धारा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 33 - अयोधयाकाड

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सीतिह सास असीस िसख दीिनह अनक कार चली नाइ पद पदम िसर अित िहत बारिह बार ६९

समाचार जब लिछमन पाए बयाकल िबलख बदन उिठ धाए

कप पलक तन नयन सनीरा गह चरन अित म अधीरा १

किह न सकत कछ िचतवत ठाढ़ मीन दीन जन जल त काढ़

सोच हदय िबिध का होिनहारा सब सख सकत िसरान हमारा २

मो कह काह कहब रघनाथा रिखह िह भवन िक लहिह साथा

राम िबलोिक बध कर जोर दह गह सब सन तन तोर ३

बोल बचन राम नय नागर सील सनह सरल सख सागर

तात म बस जिन कदराह समिझ हदय पिरनाम उछाह ४

दोहा मात िपता गर सवािम िसख िसर धिर करिह सभाय

लहउ लाभ ितनह जनम कर नतर जनम जग जाय ७०

अस िजय जािन सनह िसख भाई करह मात िपत पद सवकाई

भवन भरत िरपसदन नाही राउ ब मम दख मन माही १

म बन जाउ तमहिह लइ साथा होइ सबिह िबिध अवध अनाथा

गर िपत मात जा पिरवार सब कह परइ दसह दख भार २

रहह करह सब कर पिरतोष नतर तात होइिह बड़ दोष

जास राज ि य जा दखारी सो नप अविस नरक अिधकारी ३

रहह तात अिस नीित िबचारी सनत लखन भए बयाकल भारी

िसअर बचन सिख गए क स परसत तिहन तामरस जस ४

दोहा उतर न आवत म बस गह चरन अकलाइ

नाथ दास म सवािम तमह तजह त काह बसाइ ७१

दीिनह मोिह िसख नीिक गोसाई लािग अगम अपनी कदराई

रामचिरतमानस - 34 - अयोधयाकाड

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नरबर धीर धरम धर धारी िनगम नीित कह त अिधकारी १

म िसस भ सनह ितपाला मदर मर िक लिह मराला

गर िपत मात न जानउ काह कहउ सभाउ नाथ पितआह २

जह लिग जगत सनह सगाई ीित तीित िनगम िनज गाई

मोर सबइ एक तमह सवामी दीनबध उर अतरजामी ३

धरम नीित उपदिसअ ताही कीरित भित सगित ि य जाही

मन म बचन चरन रत होई कपािसध पिरहिरअ िक सोई ४

दोहा करनािसध सबध क सिन मद बचन िबनीत

समझाए उर लाइ भ जािन सनह सभीत ७२

मागह िबदा मात सन जाई आवह बिग चलह बन भाई

मिदत भए सिन रघबर बानी भयउ लाभ बड़ गइ बिड़ हानी १

हरिषत हदय मात पिह आए मनह अध िफिर लोचन पाए

जाइ जनिन पग नायउ माथा मन रघनदन जानिक साथा २

पछ मात मिलन मन दखी लखन कही सब कथा िबसषी

गई सहिम सिन बचन कठोरा मगी दिख दव जन चह ओरा ३

लखन लखउ भा अनरथ आज एिह सनह बस करब अकाज

मागत िबदा सभय सकचाही जाइ सग िबिध किहिह िक नाही ४

दोहा समिझ सिम ा राम िसय रप ससील सभाउ

नप सनह लिख धनउ िसर पािपिन दीनह कदाउ ७३

धीरज धरउ कअवसर जानी सहज सहद बोली मद बानी

तात तमहािर मात बदही िपता राम सब भाित सनही १

अवध तहा जह राम िनवास तहइ िदवस जह भान कास

जौ प सीय राम बन जाही अवध तमहार काज कछ नािह २

गर िपत मात बध सर साई सइअिह सकल ान की नाई

रामचिरतमानस - 35 - अयोधयाकाड

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राम ानि य जीवन जी क सवारथ रिहत सखा सबही क ३

पजनीय ि य परम जहा त सब मािनअिह राम क नात

अस िजय जािन सग बन जाह लह तात जग जीवन लाह ४

दोहा भिर भाग भाजन भयह मोिह समत बिल जाउ

जौम तमहर मन छािड़ छल कीनह राम पद ठाउ ७४

प वती जबती जग सोई रघपित भगत जास सत होई

नतर बाझ भिल बािद िबआनी राम िबमख सत त िहत जानी १

तमहरिह भाग राम बन जाही दसर हत तात कछ नाही

सकल सकत कर बड़ फल एह राम सीय पद सहज सनह २

राग रोष इिरषा मद मोह जिन सपनह इनह क बस होह

सकल कार िबकार िबहाई मन म बचन करह सवकाई ३

तमह कह बन सब भाित सपास सग िपत मा त राम िसय जास

जिह न राम बन लहिह कलस सत सोइ करह इहइ उपदस ४ छद

उपदस यह जिह तात तमहर राम िसय सख पावही

िपत मात ि य पिरवार पर सख सरित बन िबसरावही

तलसी भिह िसख दइ आयस दीनह पिन आिसष दई

रित होउ अिबरल अमल िसय रघबीर पद िनत िनत नई

सोरठा मात चरन िसर नाइ चल तरत सिकत हदय

बागर िबषम तोराइ मनह भाग मग भाग बस ७५

गए लखन जह जानिकनाथ भ मन मिदत पाइ ि य साथ

बिद राम िसय चरन सहाए चल सग नपमिदर आए १

कहिह परसपर पर नर नारी भिल बनाइ िबिध बात िबगारी

रामचिरतमानस - 36 - अयोधयाकाड

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तन कस दख बदन मलीन िबकल मनह माखी मध छीन २

कर मीजिह िसर धिन पिछताही जन िबन पख िबहग अकलाही

भइ बिड़ भीर भप दरबारा बरिन न जाइ िबषाद अपारा ३

सिचव उठाइ राउ बठार किह ि य बचन राम पग धार

िसय समत दोउ तनय िनहारी बयाकल भयउ भिमपित भारी ४

दोहा सीय सिहत सत सभग दोउ दिख दिख अकलाइ

बारिह बार सनह बस राउ लइ उर लाइ ७६

सकइ न बोिल िबकल नरनाह सोक जिनत उर दारन दाह

नाइ सीस पद अित अनरागा उिठ रघबीर िबदा तब मागा १

िपत असीस आयस मोिह दीज हरष समय िबसमउ कत कीज

तात िकए ि य म माद जस जग जाइ होइ अपबाद २

सिन सनह बस उिठ नरनाहा बठार रघपित गिह बाहा

सनह तात तमह कह मिन कहही राम चराचर नायक अहही ३

सभ अर असभ करम अनहारी ईस दइ फल हदय िबचारी

करइ जो करम पाव फल सोई िनगम नीित अिस कह सब कोई ४

दोहा और कर अपराध कोउ और पाव फल भोग

अित िबिच भगवत गित को जग जान जोग ७७

राय राम राखन िहत लागी बहत उपाय िकए छल तयागी

लखी राम रख रहत न जान धरम धरधर धीर सयान १

तब नप सीय लाइ उर लीनही अित िहत बहत भाित िसख दीनही

किह बन क दख दसह सनाए सास ससर िपत सख समझाए २

िसय मन राम चरन अनरागा घर न सगम बन िबषम न लागा

औरउ सबिह सीय समझाई किह किह िबिपन िबपित अिधकाई ३

सिचव नािर गर नािर सयानी सिहत सनह कहिह मद बानी

रामचिरतमानस - 37 - अयोधयाकाड

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तमह कह तौ न दीनह बनबास करह जो कहिह ससर गर सास ४

दोहा िसख सीतिल िहत मधर मद सिन सीतिह न सोहािन

सरद चद चदिन लगत जन चकई अकलािन ७८

सीय सकच बस उतर न दई सो सिन तमिक उठी ककई

मिन पट भषन भाजन आनी आग धिर बोली मद बानी १

नपिह ान ि य तमह रघबीरा सील सनह न छािड़िह भीरा

सकत सजस परलोक नसाऊ तमहिह जान बन किहिह न काऊ २

अस िबचािर सोइ करह जो भावा राम जनिन िसख सिन सख पावा

भपिह बचन बानसम लाग करिह न ान पयान अभाग ३

लोग िबकल मरिछत नरनाह काह किरअ कछ सझ न काह

राम तरत मिन बष बनाई चल जनक जनिनिह िसर नाई ४

दोहा सिज बन साज समाज सब बिनता बध समत

बिद िब गर चरन भ चल किर सबिह अचत ७९

िनकिस बिस ार भए ठाढ़ दख लोग िबरह दव दाढ़

किह ि य बचन सकल समझाए िब बद रघबीर बोलाए १

गर सन किह बरषासन दीनह आदर दान िबनय बस कीनह

जाचक दान मान सतोष मीत पनीत म पिरतोष २

दासी दास बोलाइ बहोरी गरिह सौिप बोल कर जोरी

सब क सार सभार गोसाई करिब जनक जननी की नाई ३

बारिह बार जोिर जग पानी कहत राम सब सन मद बानी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जिह त रह भआल सखारी ४

दोहा मात सकल मोर िबरह जिह न होिह दख दीन

रामचिरतमानस - 38 - अयोधयाकाड

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सोइ उपाउ तमह करह सब पर जन परम बीन ८०

एिह िबिध राम सबिह समझावा गर पद पदम हरिष िसर नावा

गनपती गौिर िगरीस मनाई चल असीस पाइ रघराई १

राम चलत अित भयउ िबषाद सिन न जाइ पर आरत नाद

कसगन लक अवध अित सोक हहरष िबषाद िबबस सरलोक २

गइ मरछा तब भपित जाग बोिल सम कहन अस लाग

राम चल बन ान न जाही किह सख लािग रहत तन माही ३

एिह त कवन बयथा बलवाना जो दख पाइ तजिह तन ाना

पिन धिर धीर कहइ नरनाह ल रथ सग सखा तमह जाह ४

दोहा सिठ सकमार कमार दोउ जनकसता सकमािर

रथ चढ़ाइ दखराइ बन िफरह गए िदन चािर ८१

जौ निह िफरिह धीर दोउ भाई सतयसध दढ़ त रघराई

तौ तमह िबनय करह कर जोरी फिरअ भ िमिथलसिकसोरी १

जब िसय कानन दिख डराई कहह मोिर िसख अवसर पाई

सास ससर अस कहउ सदस पि िफिरअ बन बहत कलस २

िपतगह कबह कबह ससरारी रहह जहा र िच होइ तमहारी

एिह िबिध करह उपाय कदबा िफरइ त होइ ान अवलबा ३

नािह त मोर मरन पिरनामा कछ न बसाइ भए िबिध बामा

अस किह मरिछ परा मिह राऊ राम लखन िसय आिन दखाऊ ४

दोहा पाइ रजायस नाइ िसर रथ अित बग बनाइ

गयउ जहा बाहर नगर सीय सिहत दोउ भाइ ८२

तब सम नप बचन सनाए किर िबनती रथ राम चढ़ाए

चिढ़ रथ सीय सिहत दोउ भाई चल हदय अवधिह िसर नाई १

रामचिरतमानस - 39 - अयोधयाकाड

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चलत राम लिख अवध अनाथा िबकल लोग सब लाग साथा

कपािसध बहिबिध समझाविह िफरिह म बस पिन िफिर आविह २

लागित अवध भयाविन भारी मानह कालराित अिधआरी

घोर जत सम पर नर नारी डरपिह एकिह एक िनहारी ३

घर मसान पिरजन जन भता सत िहत मीत मनह जमदता

बागनह िबटप बिल किमहलाही सिरत सरोवर दिख न जाही ४

दोहा हय गय कोिटनह किलमग परपस चातक मोर

िपक रथाग सक सािरका सारस हस चकोर ८३

राम िबयोग िबकल सब ठाढ़ जह तह मनह िच िलिख काढ़

नगर सफल बन गहबर भारी खग मग िबपल सकल नर नारी १

िबिध ककई िकराितिन कीनही जिह दव दसह दसह िदिस दीनही

सिह न सक रघबर िबरहागी चल लोग सब बयाकल भागी २

सबिह िबचार कीनह मन माही राम लखन िसय िबन सख नाही

जहा राम तह सबइ समाज िबन रघबीर अवध निह काज ३

चल साथ अस म दढ़ाई सर दलरभ सख सदन िबहाई

राम चरन पकज ि य िजनहही िबषय भोग बस करिह िक ितनहही ४

दोहा बालक ब िबहाइ गह लग लोग सब साथ

तमसा तीर िनवास िकय थम िदवस रघनाथ ८४

रघपित जा मबस दखी सदय हदय दख भयउ िबसषी

करनामय रघनाथ गोसाई बिग पाइअिह पीर पराई १

किह स म मद बचन सहाए बहिबिध राम लोग समझाए

िकए धरम उपदस घनर लोग म बस िफरिह न फर २

सील सनह छािड़ निह जाई असमजस बस भ रघराई

लोग सोग म बस गए सोई कछक दवमाया मित मोई ३

रामचिरतमानस - 40 - अयोधयाकाड

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जबिह जाम जग जािमिन बीती राम सिचव सन कहउ स ीती

खोज मािर रथ हाकह ताता आन उपाय बिनिह निह बाता ४

दोहा राम लखन सय जान चिढ़ सभ चरन िसर नाइ

सिचव चलायउ तरत रथ इत उत खोज दराइ ८५

जाग सकल लोग भए भोर ग रघनाथ भयउ अित सोर

रथ कर खोज कतहह निह पाविह राम राम किह चह िदिस धाविह १

मनह बािरिनिध बड़ जहाज भयउ िबकल बड़ बिनक समाज

एकिह एक दिह उपदस तज राम हम जािन कलस २

िनदिह आप सराहिह मीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

जौ प ि य िबयोग िबिध कीनहा तौ कस मरन न माग दीनहा ३

एिह िबिध करत लाप कलापा आए अवध भर पिरतापा

िबषम िबयोग न जाइ बखाना अविध आस सब राखिह ाना ४

दोहा राम दरस िहत नम त लग करन नर नािर

मनह कोक कोकी कमल दीन िबहीन तमािर ८६

सीता सिचव सिहत दोउ भाई सगबरपर पहच जाई

उतर राम दवसिर दखी कीनह दडवत हरष िबसषी १

लखन सिचव िसय िकए नामा सबिह सिहत सख पायउ रामा

गग सकल मद मगल मला सब सख करिन हरिन सब सला २

किह किह कोिटक कथा सगा राम िबलोकिह गग तरगा

सिचविह अनजिह ि यिह सनाई िबबध नदी मिहमा अिधकाई ३

मजजन कीनह पथ म गयऊ सिच जल िपअत मिदत मन भयऊ

सिमरत जािह िमटइ म भार तिह म यह लौिकक बयवहार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 41 - अयोधयाकाड

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सधद सिचदानदमय कद भानकल कत

चिरत करत नर अनहरत ससित सागर सत ८७

यह सिध गह िनषाद जब पाई मिदत िलए ि य बध बोलाई

िलए फल मल भट भिर भारा िमलन चलउ िहय हरष अपारा १

किर दडवत भट धिर आग भिह िबलोकत अित अनराग

सहज सनह िबबस रघराई पछी कसल िनकट बठाई २

नाथ कसल पद पकज दख भयउ भागभाजन जन लख

दव धरिन धन धाम तमहारा म जन नीच सिहत पिरवारा ३

कपा किरअ पर धािरअ पाऊ थािपय जन सब लोग िसहाऊ

कहह सतय सब सखा सजाना मोिह दीनह िपत आयस आना ४

दोहा बरष चािरदस बास बन मिन त बष अहार

ाम बास निह उिचत सिन गहिह भयउ दख भार ८८

राम लखन िसय रप िनहारी कहिह स म ाम नर नारी

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस १

एक कहिह भल भपित कीनहा लोयन लाह हमिह िबिध दीनहा

तब िनषादपित उर अनमाना तर िससपा मनोहर जाना २

ल रघनाथिह ठाउ दखावा कहउ राम सब भाित सहावा

परजन किर जोहार घर आए रघबर सधया करन िसधाए ३

गह सवािर साथरी डसाई कस िकसलयमय मदल सहाई

सिच फल मल मधर मद जानी दोना भिर भिर राखिस पानी ४

दोहा िसय सम ाता सिहत कद मल फल खाइ

सयन कीनह रघबसमिन पाय पलोटत भाइ ८९

उठ लखन भ सोवत जानी किह सिचविह सोवन मद बानी

रामचिरतमानस - 42 - अयोधयाकाड

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कछक दर सिज बान सरासन जागन लग बिठ बीरासन १

गह बोलाइ पाहर तीती ठाव ठाव राख अित ीती

आप लखन पिह बठउ जाई किट भाथी सर चाप चढ़ाई २

सोवत भिह िनहािर िनषाद भयउ म बस हदय िबषाद

तन पलिकत जल लोचन बहई बचन स म लखन सन कहई ३

भपित भवन सभाय सहावा सरपित सदन न पटतर पावा

मिनमय रिचत चार चौबार जन रितपित िनज हाथ सवार ४

दोहा सिच सिबिच सभोगमय समन सगध सबास

पलग मज मिनदीप जह सब िबिध सकल सपास ९०

िबिबध बसन उपधान तराई छीर फन मद िबसद सहाई

तह िसय राम सयन िनिस करही िनज छिब रित मनोज मद हरही १

त िसय राम साथरी सोए िमत बसन िबन जािह न जोए

मात िपता पिरजन परबासी सखा ससील दास अर दासी २

जोगविह िजनहिह ान की नाई मिह सोवत तइ राम गोसाई

िपता जनक जग िबिदत भाऊ ससर सरस सखा रघराऊ ३

रामचद पित सो बदही सोवत मिह िबिध बाम न कही

िसय रघबीर िक कानन जोग करम धान सतय कह लोग ४

दोहा ककयनिदिन मदमित किठन किटलपन कीनह

जही रघनदन जानिकिह सख अवसर दख दीनह ९१

भइ िदनकर कल िबटप कठारी कमित कीनह सब िबसव दखा री

भयउ िबषाद िनषादिह भारी राम सीय मिह सयन िनहारी १

बोल लखन मधर मद बानी गयान िबराग भगित रस सानी

काह न कोउ सख दख कर दाता िनज कत करम भोग सब ाता २

जोग िबयोग भोग भल मदा िहत अनिहत मधयम म फदा

रामचिरतमानस - 43 - अयोधयाकाड

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जनम मरन जह लिग जग जाल सपती िबपित करम अर काल ३

धरिन धाम धन पर पिरवार सरग नरक जह लिग बयवहार

दिखअ सिनअ गिनअ मन माही मोह मल परमारथ नाही ४

दोहा सपन होइ िभखािर नप रक नाकपित होइ

जाग लाभ न हािन कछ ितिम पच िजय जोइ ९२

अस िबचािर निह कीजा रोस काहिह बािद न दइअ दोस

मोह िनसा सब सोविनहारा दिखअ सपन अनक कारा १

एिह जग जािमिन जागिह जोगी परमारथी पच िबयोगी

जािनअ तबिह जीव जग जागा जब जब िबषय िबलास िबरागा २

होइ िबबक मोह म भागा तब रघनाथ चरन अनरागा

सखा परम परमारथ एह मन म बचन राम पद नह ३

राम परमारथ रपा अिबगत अलख अनािद अनपा

सकल िबकार रिहत गतभदा किह िनत नित िनरपिह बदा ४

दोहा भगत भिम भसर सरिभ सर िहत लािग कपाल

करत चिरत धिर मनज तन सनत िमटिह जग जाल ९३

मासपारायण प हवा िव ाम

सखा समिझ अस पिरहिर मोह िसय रघबीर चरन रत होह

कहत राम गन भा िभनसारा जाग जग मगल सखदारा १

सकल सोच किर राम नहावा सिच सजान बट छीर मगावा

अनज सिहत िसर जटा बनाए दिख सम नयन जल छाए २

हदय दाह अित बदन मलीना कह कर जोिर बचन अित दीना

नाथ कहउ अस कोसलनाथा ल रथ जाह राम क साथा ३

बन दखाइ सरसिर अनहवाई आनह फिर बिग दोउ भाई

रामचिरतमानस - 44 - अयोधयाकाड

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लखन राम िसय आनह फरी ससय सकल सकोच िनबरी ४

दोहा नप अस कहउ गोसाई जस कहइ करौ बिल सोइ

किर िबनती पायनह परउ दीनह बाल िजिम रोइ ९४

तात कपा किर कीिजअ सोई जात अवध अनाथ न होई

म िह राम उठाइ बोधा तात धरम मत तमह सब सोधा १

िसिब दधीिच हिरचद नरसा सह धरम िहत कोिट कलसा

रितदव बिल भप सजाना धरम धरउ सिह सकट नाना २

धरम न दसर सतय स माना आगम िनगम परान बखाना

म सोइ धरम सलभ किर पावा तज ितह पर अपजस छावा ३

सभािवत कह अपजस लाह मरन कोिट सम दारन दाह

तमह सन तात बहत का कहऊ िदए उतर िफिर पातक लहऊ ४

दोहा िपत पद गिह किह कोिट नित िबनय करब कर जोिर िचता कविनह बात क तात किरअ जिन मोिर ९५

तमह पिन िपत सम अित िहत मोर िबनती करउ तात कर जोर

सब िबिध सोइ करतबय तमहार दख न पाव िपत सोच हमार १

सिन रघनाथ सिचव सबाद भयउ सपिरजन िबकल िनषाद

पिन कछ लखन कही कट बानी भ बरज बड़ अ निचत जानी २

सकिच राम िनज सपथ दवाई लखन सदस किहअ जिन जाई

कह सम पिन भप सदस सिह न सिकिह िसय िबिपन कलस ३

जिह िबिध अवध आव िफिर सीया सोइ रघबरिह तमहिह करनीया

नतर िनपट अवलब िबहीना म न िजअब िजिम जल िबन मीना ४

दोहा मइक ससर सकल सख जबिह जहा मन मान

रामचिरतमानस - 45 - अयोधयाकाड

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तह तब रिहिह सखन िसय जब लिग िबपित िबहान ९६

िबनती भप कीनह जिह भाती आरित ीित न सो किह जाती

िपत सदस सिन कपािनधाना िसयिह दीनह िसख कोिट िबधाना १

सास ससर गर ि य पिरवार िफरत त सब कर िमट खभार

सिन पित बचन कहित बदही सनह ानपित परम सनही २

भ करनामय परम िबबकी तन तिज रहित छाह िकिम छकी

भा जाइ कह भान िबहाई कह चि का चद तिज जाई ३

पितिह ममय िबनय सनाई कहित सिचव सन िगरा सहाई

तमह िपत ससर सिरस िहतकारी उतर दउ िफिर अनिचत भारी ४

दोहा आरित बस सनमख भइउ िबलग न मानब तात

आरजसत पद कमल िबन बािद जहा लिग नात ९७

िपत बभव िबलास म डीठा नप मिन मकट िमिलत पद पीठा

सखिनधान अस िपत गह मोर िपय िबहीन मन भाव न भोर १

ससर चककवइ कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

आग होइ जिह सरपित लई अरध िसघासन आसन दई २

ससर एतादस अवध िनवास ि य पिरवार मात सम सास

िबन रघपित पद पदम परागा मोिह कउ सपनह सखद न लागा ३

अगम पथ बनभिम पहारा किर कहिर सर सिरत अपारा

कोल िकरात करग िबहगा मोिह सब सखद ानपित सगा ४

दोहा सास ससर सन मोिर हित िबनय करिब पिर पाय

मोर सोच जिन किरअ कछ म बन सखी सभाय ९८

ाननाथ ि य दवर साथा बीर धरीन धर धन भाथा

निह मग म म दख मन मोर मोिह लिग सोच किरअ जिन भोर १

रामचिरतमानस - 46 - अयोधयाकाड

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सिन सम िसय सीतिल बानी भयउ िबकल जन फिन मिन हानी

नयन सझ निह सनइ न काना किह न सकइ कछ अित अकलाना २

राम बोध कीनह बह भाित तदिप होित निह सीतिल छाती

जतन अनक साथ िहत कीनह उिचत उतर रघनदन दीनह ३

मिट जाइ निह राम रजाई किठन करम गित कछ न बसाई

राम लखन िसय पद िसर नाई िफरउ बिनक िजिम मर गवाई ४

दोहा रथ हाकउ हय राम तन हिर हिर िहिहनािह

दिख िनषाद िबषादबस धनिह सीस पिछतािह ९९

जास िबयोग िबकल पस ऐस जा मात िपत जीहिह कस

बरबस राम सम पठाए सरसिर तीर आप तब आए १

मागी नाव न कवट आना कहइ तमहार मरम म जाना

चरन कमल रज कह सब कहई मानष करिन मिर कछ अहई २

छअत िसला भइ नािर सहाई पाहन त न काठ किठनाई

तरिनउ मिन घिरिन होइ जाई बाट परइ मोिर नाव उड़ाई ३

एिह ितपालउ सब पिरवार निह जानउ कछ अउर कबार

जौ भ पार अविस गा चहह मोिह पद पदम पखारन कहह ४ छद

पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौ

मोिह राम राउिर आन दसरथ सपथ सब साची कहौ

बर तीर मारह लखन प जब लिग न पाय पखािरहौ

तब लिग न तलसीदास नाथ कपाल पार उतािरहौ

सोरठा सिन कबट क बन म लपट अटपट

िबहस करनाऐन िचतइ जानकी लखन तन १००

रामचिरतमानस - 47 - अयोधयाकाड

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कपािसध बोल मसकाई सोइ कर जिह तव नाव न जाई

विग आन जल पाय पखार होत िबलब उतारिह पार १

जास नाम समरत एक बारा उतरिह नर भविसध अपारा

सोइ कपाल कवटिह िनहोरा जिह जग िकय ितह पगह त थोरा २

पद नख िनरिख दवसिर हरषी सिन भ बचन मोह मित करषी

कवट राम रजायस पावा पािन कठवता भिर लइ आवा ३

अित आनद उमिग अनरागा चरन सरोज पखारन लागा

बरिष समन सर सकल िसहाही एिह सम पनयपज कोउ नाही ४

दोहा पद पखािर जल पान किर आप सिहत पिरवार

िपतर पार किर भिह पिन मिदत गयउ लइ पार १०१

उतिर ठाड़ भए सरसिर रता सीयराम गह लखन समता

कवट उतिर दडवत कीनहा भिह सकच एिह निह कछ दीनहा १

िपय िहय की िसय जानिनहारी मिन मदरी मन मिदत उतारी

कहउ कपाल लिह उतराई कवट चरन गह अकलाई २

नाथ आज म काह न पावा िमट दोष दख दािरद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी आज दीनह िबिध बिन भिल भरी ३

अब कछ नाथ न चािहअ मो र दीनदयाल अन ह तोर

िफरती बार मोिह ज दबा सो साद म िसर धिर लबा ४

दोहा बहत कीनह भ लखन िसय निह कछ कवट लइ

िबदा कीनह करनायतन भगित िबमल बर दइ १०२

तब मजजन किर रघकलनाथा पिज पारिथव नायउ माथा

िसय सरसिरिह कहउ कर जोरी मात मनोरथ परउिब मोरी १

पित दवर सग कसल बहोरी आइ करौ जिह पजा तोरी

सिन िसय िबनय म रस सानी भइ तब िबमल बािर बर बानी २

रामचिरतमानस - 48 - अयोधयाकाड

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सन रघबीर ि या बदही तव भाउ जग िबिदत न कही

लोकप होिह िबलोकत तोर तोिह सविह सब िसिध कर जोर ३

तमह जो हमिह बिड़ िबनय सनाई कपा कीिनह मोिह दीिनह बड़ाई

तदिप दिब म दिब असीसा सफल होपन िहत िनज बागीसा ४

दोहा ाननाथ दवर सिहत कसल कोसला आइ

पजिह सब मनकामना सजस रिहिह जग छाइ १०३

गग बचन सिन मगल मला मिदत सीय सरसिर अनकला

तब भ गहिह कहउ घर जाह सनत सख मख भा उर दाह १

दीन बचन गह कह कर जोरी िबनय सनह रघकलमिन मोरी

नाथ साथ रिह पथ दखाई किर िदन चािर चरन सवकाई २

जिह बन जाइ रहब रघराई परनकटी म करिब सहाई

तब मोिह कह जिस दब रजाई सोइ किरहउ रघबीर दोहाई ३

सहज सनह राम लिख तास सग लीनह गह हदय हलास

पिन गह गयाित बोिल सब लीनह किर पिरतोष िबदा तब कीनह ४

दोहा तब गनपित िसव सिमिर भ नाइ सरसिरिह माथ

सखा अनज िसया सिहत बन गवन कीनह रधनाथ १०४

तिह िदन भयउ िबटप तर बास लखन सखा सब कीनह सपास

ात ातकत किर रधसाई तीरथराज दीख भ जाई १

सिचव सतय धदा ि य नारी माधव सिरस मीत िहतकारी

चािर पदारथ भरा भडार पनय दस दस अित चार २

छ अगम गढ़ गाढ़ सहावा सपनह निह ितपिचछनह पावा

सन सकल तीरथ बर बीरा कलष अनीक दलन रनधीरा ३

सगम िसहासन सिठ सोहा छ अखयबट मिन मन मोहा

चवर जमन अर गग तरगा दिख होिह दख दािरद भगा ४

रामचिरतमानस - 49 - अयोधयाकाड

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दोहा

सविह सकित साध सिच पाविह सब मनकाम

बदी बद परान गन कहिह िबमल गन ाम १०५

को किह सकइ याग भाऊ कलष पज कजर मगराऊ

अस तीरथपित दिख सहावा सख सागर रघबर सख पावा १

किह िसय लखनिह सखिह सनाई ीमख तीरथराज बड़ाई

किर नाम दखत बन बागा कहत महातम अित अनरागा २

एिह िबिध आइ िबलोकी बनी सिमरत सकल समगल दनी

मिदत नहाइ कीिनह िसव सवा पिज जथािबिध तीरथ दवा ३

तब भ भर ाज पिह आए करत दडवत मिन उर लाए

मिन मन मोद न कछ किह जाइ ानद रािस जन पाई ४

दोहा दीिनह असीस मनीस उर अित अनद अस जािन

लोचन गोचर सकत फल मनह िकए िबिध आिन १०६

कसल सन किर आसन दीनह पिज म पिरपरन कीनह

कद मल फल अकर नीक िदए आिन मिन मनह अमी क १

सीय लखन जन सिहत सहाए अित रिच राम मल फल खाए

भए िबगत म राम सखार भरवदाज मद बचन उचार २

आज सफल तप तीरथ तयाग आज सफल जप जोग िबराग

सफल सकल सभ साधन साज राम तमहिह अवलोकत आज ३

लाभ अविध सख अविध न दजी तमहार दरस आस सब पजी

अब किर कपा दह बर एह िनज पद सरिसज सहज सनह ४

दोहा करम बचन मन छािड़ छल जब लिग जन न तमहार

तब लिग सख सपनह नही िकए कोिट उपचार १०७

रामचिरतमानस - 50 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन राम सकचान भाव भगित आनद अघान

तब रघबर मिन सजस सहावा कोिट भाित किह सबिह सनावा १

सो बड सो सब गन गन गह जिह मनीस तमह आदर दह

मिन रघबीर परसपर नवही बचन अगोचर सख अनभवही २

यह सिध पाइ याग िनवासी बट तापस मिन िस उदासी

भर ाज आ म सब आए दखन दसरथ सअन सहाए ३

राम नाम कीनह सब काह मिदत भए लिह लोयन लाह

दिह असीस परम सख पाई िफर सराहत सदरताई ४

दोहा राम कीनह िब ाम िनिस ात याग नहाइ

चल सिहत िसय लखन जन मदिदत मिनिह िसर नाइ १०८

राम स म कहउ मिन पाही नाथ किहअ हम किह मग जाही

मिन मन िबहिस राम सन कहहीसगम सकल मग तमह कह अहही १

साथ लािग मिन िसषय बोलाए सिन मन मिदत पचासक आए

सबिनह राम पर म अपारा सकल कहिह मग दीख हमारा २

मिन बट चािर सग तब दीनह िजनह बह जनम सकत सब कीनह

किर नाम िरिष आयस पाई मिदत हदय चल रघराई ३

ाम िनकट जब िनकसिह जाई दखिह दरस नािर नर धाई

होिह सनाथ जनम फल पाई िफरिह दिखत मन सग पठा ई ४

दोहा िबदा िकए बट िबनय किर िफर पाइ मन काम उतिर नहाए जमन जल जो सरीर सम सयाम १०९

सनत तीरवासी नर नारी धाए िनज िनज काज िबसारी

लखन राम िसय सनदरताई दिख करिह िनज भागय बड़ाई १

अित लालसा बसिह मन माही नाउ गाउ बझत सकचाही

रामचिरतमानस - 51 - अयोधयाकाड

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ज ितनह मह बयिबिरध सयान ितनह किर जगित राम पिहचान २

सकल कथा ितनह सबिह सनाई बनिह चल िपत आयस पाई

सिन सिबषाद सकल पिछताही रानी राय कीनह भल नाही ३

तिह अवसर एक तापस आवा तजपज लघबयस सहावा

किव अलिखत गित बष िबरागी मन म बचन राम अनरागी ४

दोहा सजल नयन तन पलिक िनज इ दउ पिहचािन

परउ दड िजिम धरिनतल दसा न जाइ बखािन ११०

राम स म पलिक उर लावा परम रक जन पारस पावा

मनह म परमारथ दोऊ िमलत धर तन कह सब कोऊ १

बहिर लखन पायनह सोइ लागा लीनह उठाइ उमिग अनरागा

पिन िसय चरन धिर धिर सीसा जनिन जािन िसस दीिनह असीसा २

कीनह िनषाद दडवत तही िमलउ मिदत लिख राम सनही

िपअत नयन पट रप िपयषा मिदत सअसन पाइ िजिम भखा ३

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस

राम लखन िसय रप िनहारी होिह सनह िबकल नर नारी ४

दोहा तब रघबीर अनक िबिध सखिह िसखावन दीनह

राम रजायस सीस धिर भवन गवन तइ कीनह १११

पिन िसय राम लखन कर जोरी जमनिह कीनह नाम बहोरी

चल ससीय मिदत दोउ भाई रिबतनजा कइ करत बड़ाई १

पिथक अनक िमलिह मग जाता कहिह स म दिख दोउ ाता

राज लखन सब अग तमहार दिख सोच अित हदय हमार २

मारग चलह पयादिह पाए जयोितष झठ हमार भाए

अगम पथ िगिर कानन भारी तिह मह साथ नािर सकमारी ३

किर कहिर बन जाइ न जोई हम सग चलिह जो आयस होई

रामचिरतमानस - 52 - अयोधयाकाड

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जाब जहा लिग तह पहचाई िफरब बहोिर तमहिह िसर नाई ४

दोहा एिह िबिध पछिह म बस पलक गात जल नन कपािसध फरिह ितनहिह किह िबनीत मद बन ११२

ज पर गाव बसिह मग माही ितनहिह नाग सर नगर िसहाही

किह सकती किह घरी बसाए धनय पनयमय परम सहाए १

जह जह राम चरन चिल जाही ितनह समान अमरावित नाही

पनयपज मग िनकट िनवासी ितनहिह सराहिह सरपरबासी २

ज भिर नयन िबलोकिह रामिह सीता लखन सिहत घनसयामिह

ज सर सिरत राम अवगाहिह ितनहिह दव सर सिरत सराहिह ३

जिह तर तर भ बठिह जाई करिह कलपतर तास बड़ाई

परिस राम पद पदम परागा मानित भिम भिर िनज भागा ४

दोहा छाह करिह घन िबबधगन बरषिह समन िसहािह

दखत िगिर बन िबहग मग राम चल मग जािह ११३

सीता लखन सिहत रघराई गाव िनकट जब िनकसिह जाई

सिन सब बाल ब नर नारी चलिह तरत गहकाज िबसारी १

राम लखन िसय रप िनहारी पाइ नयनफल होिह सखारी

सजल िबलोचन पलक सरीरा सब भए मगन दिख दोउ बीरा २

बरिन न जाइ दसा ितनह करी लिह जन रकनह सरमिन ढरी

एकनह एक बोिल िसख दही लोचन लाह लह छन एही ३

रामिह दिख एक अनराग िचतवत चल जािह सग लाग

एक नयन मग छिब उर आनी होिह िसिथल तन मन बर बानी ४

दोहा एक दिख बट छाह भिल डािस मदल तन पात

रामचिरतमानस - 53 - अयोधयाकाड

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कहिह गवाइअ िछनक म गवनब अबिह िक ात ११४

एक कलस भिर आनिह पानी अचइअ नाथ कहिह मद बानी

सिन ि य बचन ीित अित दखी राम कपाल ससील िबसषी १

जानी िमत सीय मन माही घिरक िबलब कीनह बट छाही

मिदत नािर नर दखिह सोभा रप अनप नयन मन लोभा २

एकटक सब सोहिह चह ओरा रामच मख चद चकोरा

तरन तमाल बरन तन सोहा दखत कोिट मदन मन मोहा ३

दािमिन बरन लखन सिठ नीक नख िसख सभग भावत जी क

मिनपट किटनह कस तनीरा सोहिह कर कमिलिन धन तीरा ४

दोहा जटा मकट सीसिन सभग उर भज नयन िबसाल

सरद परब िबध बदन बर लसत सवद कन जाल ११५

बरिन न जाइ मनोहर जोरी सोभा बहत थोिर मित मोरी

राम लखन िसय सदरताई सब िचतविह िचत मन मित लाई १

थक नािर नर म िपआस मनह मगी मग दिख िदआ स

सीय समीप ामितय जाही पछत अित सनह सकचाही २

बार बार सब लागिह पाए कहिह बचन मद सरल सभाए

राजकमािर िबनय हम करही ितय सभाय कछ पछत डरही ३

सवािमिन अिबनय छमिब हमारी िबलग न मानब जािन गवारी

राजकअर दोउ सहज सलोन इनह त लही दित मरकत सोन ४

दोहा सयामल गौर िकसोर बर सदर सषमा ऐन

सरद सबररीनाथ मख सरद सरोरह नन ११६

मासपारायण सोलहवा िव ाम

नवानहपारायण चौथा िव ाम

रामचिरतमानस - 54 - अयोधयाकाड

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कोिट मनोज लजाविनहार समिख कहह को आिह तमहार

सिन सनहमय मजल बानी सकची िसय मन मह मसकानी १

ितनहिह िबलोिक िबलोकित धरनी दह सकोच सकिचत बरबरनी

सकिच स म बाल मग नयनी बोली मधर बचन िपकबयनी २

सहज सभाय सभग तन गोर नाम लखन लघ दवर मोर

बहिर बदन िबध अचल ढाकी िपय तन िचतइ भौह किर बाकी ३

खजन मज ितरीछ नयनिन िनज पित कहउ ितनहिह िसय सयनिन

भइ मिदत सब ामबधटी रकनह राय रािस जन लटी ४

दोहा अित स म िसय पाय पिर बहिबिध दिह असीस

सदा सोहािगिन होह तमह जब लिग मिह अिह सीस ११७

पारबती सम पिति य होह दिब न हम पर छाड़ब छोह

पिन पिन िबनय किरअ कर जोरी जौ एिह मारग िफिरअ बहोरी १

दरसन दब जािन िनज दासी लखी सीय सब म िपआसी

मधर बचन किह किह पिरतोषी जन कमिदनी कौमदी पोषी २

तबिह लखन रघबर रख जानी पछउ मग लोगिनह मद बानी

सनत नािर नर भए दखारी पलिकत गात िबलोचन बारी ३

िमटा मोद मन भए मलीन िबिध िनिध दीनह लत जन छीन

समिझ करम गित धीरज कीनहासोिध सगम मग ितनह किह दीनहा ४

दोहा लखन जानकी सिहत तब गवन कीनह रघनाथ

फर सब ि य बचन किह िलए लाइ मन साथ ११८

िफरत नािर नर अित पिछताही दअिह दोष दिह मन माही

सिहत िबषाद परसपर कहही िबिध करतब उलट सब अहही १

िनपट िनरकस िनठर िनसक जिह सिस कीनह सरज सकलक

रामचिरतमानस - 55 - अयोधयाकाड

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रख कलपतर सागर खारा तिह पठए बन राजकमारा २

जौ प इनहिह दीनह बनबास कीनह बािद िबिध भोग िबलास

ए िबचरिह मग िबन पद ाना रच बािद िबिध बाहन नाना ३

ए मिह परिह डािस कस पाता सभग सज कत सजत िबधाता

तरबर बास इनहिह िबिध दीनहा धवल धाम रिच रिच म कीनहा ४

दोहा जौ ए मिन पट धर जिटल सदर सिठ सकमार

िबिबध भाित भषन बसन बािद िकए करतार ११९

जौ ए कद मल फल खाही बािद सधािद असन जग माही

एक कहिह ए सहज सहाए आप गट भए िबिध न बनाए १

जह लिग बद कही िबिध करनी वन नयन मन गोचर बरनी

दखह खोिज भअन दस चारी कह अस परष कहा अिस नारी २

इनहिह दिख िबिध मन अनरागा पटतर जोग बनाव लागा

कीनह बहत म ऐक न आए तिह इिरषा बन आिन दराए ३

एक कहिह हम बहत न जानिह आपिह परम धनय किर मानिह

त पिन पनयपज हम लख ज दखिह दिखहिह िजनह दख ४

दोहा एिह िबिध किह किह बचन ि य लिह नयन भिर नीर

िकिम चिलहिह मारग अगम सिठ सकमार सरीर १२०

नािर सनह िबकल बस होही चकई साझ समय जन सोही

मद पद कमल किठन मग जानी गहबिर हदय कहिह बर बानी १

परसत मदल चरन अरनार सकचित मिह िजिम हदय हमार

जौ जगदीस इनहिह बन दीनहा कस न समनमय मारग कीनहा २

जौ मागा पाइअ िबिध पाही ए रिखअिह सिख आिखनह माही

ज नर नािर न अवसर आए ितनह िसय राम न दखन पाए ३

सिन सरप बझिह अकलाई अब लिग गए कहा लिग भाई

रामचिरतमानस - 56 - अयोधयाकाड

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समरथ धाइ िबलोकिह जाई मिदत िफरिह जनमफल पाई ४

दोहा अबला बालक ब जन कर मीजिह पिछतािह

होिह मबस लोग इिम राम जहा जह जािह १२१

गाव गाव अस होइ अनद दिख भानकल करव चद

ज कछ समाचार सिन पाविह त नप रािनिह दोस लगाविह १

कहिह एक अित भल नरनाह दीनह हमिह जोइ लोचन लाह

कहिह परसपर लोग लोगाई बात सरल सनह सहाई २

त िपत मात धनय िजनह जाए धनय सो नगर जहा त आए

धनय सो दस सल बन गाऊ जह जह जािह धनय सोइ ठाऊ ३

सख पायउ िबरिच रिच तही ए जिह क सब भाित सनही

राम लखन पिथ कथा सहाई रही सकल मग कानन छाई ४

दोहा एिह िबिध रघकल कमल रिब मग लोगनह सख दत

जािह चल दखत िबिपन िसय सौिमि समत १२२

आग राम लखन बन पाछ तापस बष िबराजत काछ

उभय बीच िसय सोहित कस जीव िबच माया जस १

बहिर कहउ छिब जिस मन बसई जन मध मदन मधय रित लसई

उपमा बहिर कहउ िजय जोही जन बध िबध िबच रोिहिन सोही २

भ पद रख बीच िबच सीता धरित चरन मग चलित सभीता

सीय राम पद अक बराए लखन चलिह मग दािहन लाए ३

राम लखन िसय ीित सहाई बचन अगोचर िकिम किह जाई

खग मग मगन दिख छिब होही िलए चोिर िचत राम बटोही ४

दोहा िजनह िजनह दख पिथक ि य िसय समत दोउ भाइ

रामचिरतमानस - 57 - अयोधयाकाड

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भव मग अगम अनद तइ िबन म रह िसराइ १२३

अजह जास उर सपनह काऊ बसह लखन िसय राम बटाऊ

राम धाम पथ पाइिह सोई जो पथ पाव कबह मिन कोई १

तब रघबीर िमत िसय जानी दिख िनकट बट सीतल पानी

तह बिस कद मल फल खाई ात नहाइ चल रघराई २

दखत बन सर सल सहाए बालमीिक आ म भ आए

राम दीख मिन बास सहावन सदर िगिर कानन जल पावन ३

सरिन सरोज िबटप बन फल गजत मज मधप रस भल

खग मग िबपल कोलाहल करही िबरिहत बर मिदत मन चरही ४

दोहा सिच सदर आ म िनरिख हरष रािजवनन

सिन रघबर आगमन मिन आग आयउ लन १२४

मिन कह राम दडवत कीनहा आिसरबाद िब बर दीनहा

दिख राम छिब नयन जड़ान किर सनमान आ मिह आन १

मिनबर अितिथ ानि य पाए कद मल फल मधर मगाए

िसय सौिमि राम फल खाए तब मिन आ म िदए सहाए २

बालमीिक मन आनद भारी मगल मरित नयन िनहारी

तब कर कमल जोिर रघराई बोल बचन वन सखदाई ३

तमह ि काल दरसी मिननाथा िबसव बदर िजिम तमहर हाथा

अस किह भ सब कथा बखानी जिह जिह भाित दीनह बन रानी ४

दोहा तात बचन पिन मात िहत भाइ भरत अस राउ

मो कह दरस तमहार भ सब मम पनय भाउ १२५

दिख पाय मिनराय तमहार भए सकत सब सफल हमार

अब जह राउर आयस होई मिन उदबग न पाव कोई १

रामचिरतमानस - 58 - अयोधयाकाड

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मिन तापस िजनह त दख लहही त नरस िबन पावक दहही

मगल मल िब पिरतोष दहइ कोिट कल भसर रोष २

अस िजय जािन किहअ सोइ ठाऊ िसय सौिमि सिहत जह जाऊ

तह रिच रिचर परन तन साला बास करौ कछ काल कपाला ३

सहज सरल सिन रघबर बानी साध साध बोल मिन गयानी

कस न कहह अस रघकलकत तमह पालक सतत ित सत ४ छद

ित सत पालक राम तमह जगदीस माया जानकी

जो सजित जग पालित हरित रख पाइ कपािनधान की

जो सहससीस अहीस मिहधर लखन सचराचर धनी

सर काज धिर नरराज तन चल दलन खल िनिसचर अनी

सोरठा राम सरप तमहार बचन अगोचर बि पर

अिबगत अकथ अपार नित िनत िनगम कह १२६

जग पखन तमह दखिनहार िबिध हिर सभ नचाविनहार

तउ न जानिह मरम तमहारा और तमहिह को जानिनहारा १

सोइ जानइ जिह दह जनाई जानत तमहिह तमहइ होइ जाई

तमहिरिह कपा तमहिह रघनदन जानिह भगत भगत उर चदन २

िचदानदमय दह तमहारी िबगत िबकार जान अिधकारी

नर तन धरह सत सर काजा कहह करह जस ाकत राजा ३

राम दिख सिन चिरत तमहार जड़ मोहिह बध होिह सखार

तमह जो कहह करह सब साचा जस कािछअ तस चािहअ नाचा ४

दोहा पछह मोिह िक रहौ कह म पछत सकचाउ

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावौ ठाउ १२७

रामचिरतमानस - 59 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन म रस सान सकिच राम मन मह मसकान

बालमीिक हिस कहिह बहोरी बानी मधर अिमअ रस बोरी १

सनह राम अब कहउ िनकता जहा बसह िसय लखन सम ता

िजनह क वन सम समाना कथा तमहािर सभग सिर नाना २

भरिह िनरतर होिह न पर ितनह क िहय तमह कह गह रर

लोचन चातक िजनह किर राख रहिह दरस जलधर अिभलाष ३

िनदरिह सिरत िसध सर भारी रप िबद जल होिह सखारी

ितनह क हदय सदन सखदायक बसह बध िसय सह रघनायक ४

दोहा जस तमहार मानस िबमल हिसिन जीहा जास

मकताहल गन गन चनइ राम बसह िहय तास १२८

भ साद सिच सभग सबासा सादर जास लहइ िनत नासा

तमहिह िनबिदत भोजन करही भ साद पट भषन धरही १

सीस नविह सर गर ि ज दखी ीित सिहत किर िबनय िबसषी

कर िनत करिह राम पद पजा राम भरोस हदय निह दजा २

चरन राम तीरथ चिल जाही राम बसह ितनह क मन माही

म राज िनत जपिह तमहारा पजिह तमहिह सिहत पिरवारा ३

तरपन होम करिह िबिध नाना िब जवाइ दिह बह दाना

तमह त अिधक गरिह िजय जानी सकल भाय सविह सनमानी ४

दोहा सब किर मागिह एक फल राम चरन रित होउ

ितनह क मन मिदर बसह िसय रघनदन दोउ १२९

काम कोह मद मान न मोहा लोभ न छोभ न राग न ोहा

िजनह क कपट दभ निह माया ितनह क हदय बसह रघराया १

सब क ि य सब क िहतकारी दख सख सिरस ससा गारी

कहिह सतय ि य बचन िबचारी जागत सोवत सरन तमहारी २

रामचिरतमानस - 60 - अयोधयाकाड

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तमहिह छािड़ गित दसिर नाही राम बसह ितनह क मन माही

जननी सम जानिह परनारी धन पराव िबष त िबष भारी ३

ज हरषिह पर सपित दखी दिखत होिह पर िबपित िबसषी

िजनहिह राम तमह ानिपआर ितनह क मन सभ सदन तमहार ४

दोहा सवािम सखा िपत मात गर िजनह क सब तमह तात

मन मिदर ितनह क बसह सीय सिहत दोउ ात १३०

अवगन तिज सब क गन गहही िब धन िहत सकट सहही

नीित िनपन िजनह कइ जग लीकाघर तमहार ितनह कर मन नीका १

गन तमहार समझइ िनज दोसा जिह सब भाित तमहार भरोसा

राम भगत ि य लागिह जही तिह उर बसह सिहत बदही २

जाित पाित धन धरम बड़ाई ि य पिरवार सदन सखदाई

सब तिज तमहिह रहइ उर लाई तिह क हदय रहह रघराई ३

सरग नरक अपबरग समाना जह तह दख धर धन बाना

करम बचन मन राउर चरा राम करह तिह क उर डरा ४

दोहा जािह न चािहअ कबह कछ तमह सन सहज सनह

बसह िन रतर तास मन सो राउर िनज गह १३१

एिह िबिध मिनबर भवन दखाए बचन स म राम मन भाए

कह मिन सनह भानकलनायक आ म कहउ समय सखदायक १

िच कट िगिर करह िनवास तह तमहार सब भाित सपास

सल सहावन कानन चार किर कहिर मग िबहग िबहार २

नदी पनीत परान बखानी अि ि या िनज तपबल आनी

सरसिर धार नाउ मदािकिन जो सब पातक पोतक डािकिन ३

अि आिद मिनबर बह बसही करिह जोग जप तप तन कसही

रामचिरतमानस - 61 - अयोधयाकाड

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चलह सफल म सब कर करह राम दह गौरव िगिरबरह ४

दोहा िच कट मिहमा अिमत कही महामिन गाइ

आए नहाए सिरत बर िसय समत दोउ भाइ १३२

रघबर कहउ लखन भल घाट करह कतह अब ठाहर ठाट

लखन दीख पय उतर करारा चह िदिस िफरउ धनष िजिम नारा १

नदी पनच सर सम दम दाना सकल कलष किल साउज नाना

िच कट जन अचल अहरी चकइ न घात मार मठभरी २

अस किह लखन ठाउ दखरावा थल िबलोिक रघबर सख पावा

रमउ राम मन दवनह जाना चल सिहत सर थपित धाना ३

कोल िकरात बष सब आए रच परन तन सदन सहाए

बरिन न जािह मज दइ साला एक लिलत लघ एक िबसाला ४

दोहा लखन जानकी सिहत भ राजत रिचर िनकत

सोह मदन मिन बष जन रित िरतराज समत १३३

मासपारायण स हवा िव ाम

अमर नाग िकनर िदिसपाला िच कट आए तिह काला

राम नाम कीनह सब काह मिदत दव लिह लोचन लाह १

बरिष समन कह दव समाज नाथ सनाथ भए हम आज

किर िबनती दख दसह सनाए हरिषत िनज िनज सदन िसधाए २

िच कट रघनदन छाए समाचार सिन सिन मिन आए

आवत दिख मिदत मिनबदा कीनह दडवत रघकल चदा ३

मिन रघबरिह लाइ उर लही सफल होन िहत आिसष दही

िसय सौिम राम छिब दखिह साधन सकल सफल किर लखिह ४

रामचिरतमानस - 62 - अयोधयाकाड

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दोहा जथाजोग सनमािन भ िबदा िकए मिनबद

करिह जोग जप जाग तप िनज आ मिनह सछद १३४

यह सिध कोल िकरातनह पाई हरष जन नव िनिध घर आई

कद मल फल भिर भिर दोना चल रक जन लटन सोना १

ितनह मह िजनह दख दोउ ाता अपर ितनहिह पछिह मग जाता

कहत सनत रघबीर िनकाई आइ सबिनह दख रघराई २

करिह जोहार भट धिर आग भिह िबलोकिह अित अनराग

िच िलख जन जह तह ठाढ़ पलक सरीर नयन जल बाढ़ ३

राम सनह मगन सब जान किह ि य बचन सकल सनमान

भिह जोहािर बहोिर बहोरी बचन िबनीत कहिह कर जोरी ४

दोहा अब हम नाथ सनाथ सब भए दिख भ पाय

भाग हमार आगमन राउर कोसलराय १३५

धनय भिम बन पथ पहारा जह जह नाथ पाउ तमह धारा

धनय िबहग मग काननचारी सफल जनम भए तमहिह िनहारी १

हम सब धनय सिहत पिरवारा दीख दरस भिर नयन तमहारा

कीनह बास भल ठाउ िबचारी इहा सकल िरत रहब सखारी २

हम सब भाित करब सवकाई किर कहिर अिह बाघ बराई

बन बहड़ िगिर कदर खोहा सब हमार भ पग पग जोहा ३

तह तह तमहिह अहर खलाउब सर िनरझर जलठाउ दखाउब

हम सवक पिरवार समता नाथ न सकचब आयस दता ४

दोहा बद बचन मिन मन अगम त भ करना ऐन

बचन िकरातनह क सनत िजिम िपत बालक बन १३६

रामचिरतमानस - 63 - अयोधयाकाड

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रामिह कवल म िपआरा जािन लउ जो जानिनहारा

राम सकल बनचर तब तोष किह मद बचन म पिरपोष १

िबदा िकए िसर नाइ िसधाए भ गन कहत सनत घर आए

एिह िबिध िसय समत दोउ भाई बसिह िबिपन सर मिन सखदाई २

जब त आइ रह रघनायक तब त भयउ बन मगलदायक

फलिह फलिह िबटप िबिध नाना मज बिलत बर बिल िबताना ३

सरतर सिरस सभाय सहाए मनह िबबध बन पिरहिर आए

गज मजतर मधकर नी ि िबध बयािर बहइ सख दनी ४

दोहा नीलकठ कलकठ सक चातक चकक चकोर

भाित भाित बोलिह िबहग वन सखद िचत चोर १३७

किर कहिर किप कोल करगा िबगतबर िबचरिह सब सगा

िफरत अहर राम छिब दखी होिह मिदत मगबद िबसषी १

िबबध िबिपन जह लिग जग माही दिख राम बन सकल िसहाही

सरसिर सरसइ िदनकर कनया मकलसता गोदाविर धनया २

सब सर िसध नदी नद नाना मदािकिन कर करिह बखाना

उदय असत िगिर अर कलास मदर मर सकल सरबास ३

सल िहमाचल आिदक जत िच कट जस गाविह तत

िबिध मिदत मन सख न समाई म िबन िबपल बड़ाई पाई ४

दोहा िच कट क िबहग मग बिल िबटप तन जाित

पनय पज सब धनय अस कहिह दव िदन राित १३८

नयनवत रघबरिह िबलोकी पाइ जनम फल होिह िबसोकी

परिस चरन रज अचर सखारी भए परम पद क अिधकारी १

सो बन सल सभाय सहावन मगलमय अित पावन पावन

मिहमा किहअ कविन िबिध तास सखसागर जह कीनह िनवास २

रामचिरतमानस - 64 - अयोधयाकाड

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पय पयोिध तिज अवध िबहाई जह िसय लखन राम रह आई

किह न सकिह सषमा जिस कानन जौ सत सहस होिह सहसानन ३

सो म बरिन कहौ िबिध कही डाबर कमठ िक मदर लही

सविह लखन करम मन बानी जाइ न सील सनह बखानी ४

दोहा िछन िछन लिख िसय राम पद जािन आप पर नह

करत न सपनह लखन िचत बध मात िपत गह १३९

राम सग िसय रहित सखारी पर पिरजन गह सरित िबसारी

िछन िछन िपय िबध बदन िनहारी मिदत मनह चकोरकमारी १

नाह नह िनत बढ़त िबलोकी हरिषत रहित िदवस िजिम कोकी

िसय मन राम चरन अनरागा अवध सहस सम बन ि य लागा २

परनकटी ि य ि यतम सगा ि य पिरवार करग िबहगा

सास ससर सम मिनितय मिनबर असन अिमअ सम कद मल फर ३

नाथ साथ साथरी सहाई मयन सयन सय सम सखदाई

लोकप होिह िबलोकत जास तिह िक मोिह सक िबषय िबलास ४

दोहा सिमरत रामिह तजिह जन तन सम िबषय िबलास रामि या जग जनिन िसय कछ न आचरज तास १४०

सीय लखन जिह िबिध सख लहही सोइ रघनाथ करिह सोइ कहही

कहिह परातन कथा कहानी सनिह लखन िसय अित सख मानी १

जब जब राम अवध सिध करही तब तब बािर िबलोचन भरही

सिमिर मात िपत पिरजन भाई भरत सनह सील सवकाई २

कपािसध भ होिह दखारी धीरज धरिह कसमउ िबचारी

लिख िसय लखन िबकल होइ जाही िजिम परषिह अनसर पिरछाही ३

ि या बध गित लिख रघनदन धीर कपाल भगत उर चदन

लग कहन कछ कथा पनीता सिन सख लहिह लखन अर सीता ४

रामचिरतमानस - 65 - अयोधयाकाड

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दोहा

राम लखन सीता सिहत सोहत परन िनकत

िजिम बासव बस अमरपर सची जयत समत १४१

जोगविह भ िसय लखनिह कस पलक िबलोचन गोलक जस

सविह लखन सीय रघबीरिह िजिम अिबबकी परष सरीरिह १

एिह िबिध भ बन बसिह सखारी खग मग सर तापस िहतकारी

कहउ राम बन गवन सहावा सनह सम अवध िजिम आवा २

िफरउ िनषाद भिह पहचाई सिचव सिहत रथ दखिस आई

म ी िबकल िबलोिक िनषाद किह न जाइ जस भयउ िबषाद ३

राम राम िसय लखन पकारी परउ धरिनतल बयाकल भारी

दिख दिखन िदिस हय िहिहनाही जन िबन पख िबहग अकलाही ४

दोहा निह तन चरिह िपअिह जल मोचिह लोचन बािर

बयाकल भए िनषाद सब रघबर बािज िनहािर १४२

धिर धीरज तब कहइ िनषाद अब सम पिरहरह िबषाद

तमह पिडत परमारथ गयाता धरह धीर लिख िबमख िबधाता १

िबिबध कथा किह किह मद बानी रथ बठारउ बरबस आनी

सोक िसिथल रथ सकइ न हाकी रघबर िबरह पीर उर बाकी २

चरफरािह मग चलिह न घोर बन मग मनह आिन रथ जोर

अढ़िक परिह िफिर हरिह पीछ राम िबयोिग िबकल दख तीछ ३

जो कह राम लखन बदही िहकिर िहकिर िहत हरिह तही

बािज िबरहगित किह िकिम जातीिबन मिन फिनक िबकलजिह भाती४

दोहा भयउ िनषाद िबषादबस दखत सिचव तरग

बोिल ससवक चािर तब िदए सारथी सग १४३

रामचिरतमानस - 66 - अयोधयाकाड

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गह सारिथिह िफरउ पहचाई िबरह िबषाद बरिन निह जाई

चल अवध लइ रथिह िनषादा होिह छनिह छन मगन िबषादा १

सोच सम िबकल दख दीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

रिहिह न अतह अधम सरीर जस न लहउ िबछरत रघबीर २

भए अजस अघ भाजन ाना कवन हत निह करत पयाना

अहह मद मन अवसर चका अजह न हदय होत दइ टका ३

मीिज हाथ िसर धिन पिछताई मनह कपन धन रािस गवाई

िबिरद बािध बर बीर कहाई चलउ समर जन सभट पराई ४

दोहा िब िबबकी बदिबद समत साध सजाित िजिम धोख मदपान कर सिचव सोच तिह भाित १४४

िजिम कलीन ितय साध सयानी पितदवता करम मन बानी

रह करम बस पिरहिर नाह सिचव हदय ितिम दारन दाह १

लोचन सजल डीिठ भइ थोरी सनइ न वन िबकल मित भोरी

सखिह अधर लािग मह लाटी िजउ न जाइ उर अविध कपाटी २

िबबरन भयउ न जाइ िनहारी मारिस मनह िपता महतारी

हािन गलािन िबपल मन बयापी जमपर पथ सोच िजिम पापी ३

बचन न आव हदय पिछताई अवध काह म दखब जाई

राम रिहत रथ दिखिह जोई सकिचिह मोिह िबलोकत सोई ४

दोहा धाइ पिछहिह मोिह जब िबकल नगर नर नािर

उतर दब म सबिह तब हदय ब बठािर १४५

पिछहिह दीन दिखत सब माता कहब काह म ितनहिह िबधाता

पिछिह जबिह लखन महतारी किहहउ कवन सदस सखारी १

राम जनिन जब आइिह धाई सिमिर बचछ िजिम धन लवाई

रामचिरतमानस - 67 - अयोधयाकाड

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पछत उतर दब म तही ग बन राम लखन बदही २

जोइ पिछिह तिह ऊतर दबाजाइ अवध अब यह सख लबा

पिछिह जबिह राउ दख दीना िजवन जास रघनाथ अधीना ३

दहउ उतर कौन मह लाई आयउ कसल कअर पह चाई

सनत लखन िसय राम सदस तन िजिम तन पिरहिरिह नरस ४

दोहा दउ न िबदरउ पक िजिम िबछरत ीतम नीर

जानत हौ मोिह दीनह िबिध यह जातना सरीर १४६

एिह िबिध करत पथ पिछतावा तमसा तीर तरत रथ आवा

िबदा िकए किर िबनय िनषादा िफर पाय पिर िबकल िबषादा १

पठत नगर सिचव सकचाई जन मारिस गर बाभन गाई

बिठ िबटप तर िदवस गवावा साझ समय तब अवसर पावा २

अवध बस कीनह अिधआर पठ भवन रथ रािख दआर

िजनह िजनह समाचार सिन पाए भप ार रथ दखन आए ३

रथ पिहचािन िबकल लिख घोर गरिह गात िजिम आतप ओर

नगर नािर नर बयाकल क स िनघटत नीर मीनगन जस ४

दोहा सिचव आगमन सनत सब िबकल भयउ रिनवास

भवन भयकर लाग तिह मानह त िनवास १४७

अित आरित सब पछिह रानी उतर न आव िबकल भइ बानी

सनइ न वन नयन निह सझा कहह कहा नप तिह तिह बझा १

दािसनह दीख सिचव िबकलाई कौसलया गह गई लवाई

जाइ सम दीख कस राजा अिमअ रिहत जन चद िबराजा २

आसन सयन िबभषन हीना परउ भिमतल िनपट मलीना

लइ उसास सोच एिह भाती सरपर त जन खसउ जजाती ३

लत सोच भिर िछन िछन छाती जन जिर पख परउ सपाती

रामचिरतमानस - 68 - अयोधयाकाड

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राम राम कह राम सनही पिन कह राम लखन बदही ४

दोहा दिख सिचव जय जीव किह कीनहउ दड नाम

सनत उठउ बयाकल नपित कह सम कह राम १४८

भप सम लीनह उर लाई बड़त कछ अधा र जन पाई

सिहत सनह िनकट बठारी पछत राउ नयन भिर बारी १

राम कसल कह सखा सनही कह रघनाथ लखन बदही

आन फिर िक बनिह िसधाए सनत सिचव लोचन जल छाए २

सोक िबकल पिन पछ नरस कह िसय राम लखन सदस

राम रप गन सील सभाऊ सिमिर सिमिर उर सोचत राऊ ३

राउ सनाइ दीनह बनबास सिन मन भयउ न हरष हरास

सो सत िबछरत गए न ाना को पापी बड़ मोिह समाना ४

दोहा सखा राम िसय लखन जह तहा मोिह पहचाउ

नािह त चाहत चलन अब ान कहउ सितभाउ १४९

पिन पिन पछत म िह राऊ ि यतम सअन सदस सनाऊ

करिह सखा सोइ बिग उपाऊ राम लखन िसय नयन दखाऊ १

सिचव धीर धिर कह मद बानी महाराज तमह पिडत गयानी

बीर सधीर धरधर दवा साध समाज सदा तमह सवा २

जनम मरन सब दख भोगा हािन लाभ ि य िमलन िबयोगा

काल करम बस हौिह गोसाई बरबस राित िदवस की नाई ३

सख हरषिह जड़ दख िबलखाही दोउ सम धीर धरिह मन माही

धीरज धरह िबबक िबचारी छािड़अ सोच सकल िहतकारी ४

दोहा थम बास तमसा भयउ दसर सरसिर तीर

रामचिरतमानस - 69 - अयोधयाकाड

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नहाई रह जलपान किर िसय समत दोउ बीर १५०

कवट कीिनह बहत सवकाई सो जािमिन िसगरौर गवाई

होत ात बट छीर मगावा जटा मकट िनज सीस बनावा १

राम सखा तब नाव मगाई ि या चढ़ाइ चढ़ रघराई

लखन बान धन धर बनाई आप चढ़ भ आयस पाई २

िबकल िबलोिक मोिह रघबीरा बोल मधर बचन धिर धीरा

तात नाम तात सन कहह बार बार पद पकज गहह ३

करिब पाय पिर िबनय बहोरी तात किरअ जिन िचता मोरी

बन मग मगल कसल हमार कपा अन ह पनय तमहार ४ छद

तमहर अन ह तात कानन जात सब सख पाइहौ ितपािल आयस कसल दखन पाय पिन िफिर आइहौ

जननी सकल पिरतोिष पिर पिर पाय किर िबनती घनी

तलसी करह सोइ जतन जिह कसली रहिह कोसल धनी

सोरठा गर सन कहब सदस बार बार पद पदम गिह

करब सोइ उपदस जिह न सोच मोिह अवधपित १५१

परजन पिरजन सकल िनहोरी तात सनाएह िबनती मोरी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जात रह नरनाह सखारी १

कहब सदस भरत क आए नीित न तिजअ राजपद पाए

पालह जिह करम मन बानी सएह मात सकल सम जानी २

ओर िनबाहह भायप भाई किर िपत मात सजन सवकाई

तात भाित तिह राखब राऊ सोच मोर जिह कर न काऊ ३

लखन कह कछ बचन कठोरा बरिज राम पिन मोिह िनहोरा

बार बार िनज सपथ दवाई कहिब न तात लखन लिरकाई ४

रामचिरतमानस - 70 - अयोधयाकाड

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दोहा किह नाम कछ कहन िलय िसय भइ िसिथल सनह

थिकत बचन लोचन सजल पलक पललिवत दह १५२

तिह अवसर रघबर रख पाई कवट पारिह नाव चलाई

रघकलितलक चल एिह भाती दखउ ठाढ़ किलस धिर छाती १

म आपन िकिम कहौ कलस िजअत िफरउ लइ राम सदस

अस किह सिचव बचन रिह गयऊ हािन गलािन सोच बस भयऊ २

सत बचन सनतिह नरनाह परउ धरिन उर दारन दाह

तलफत िबषम मोह मन मापा माजा मनह मीन कह बयापा ३

किर िबलाप सब रोविह रानी महा िबपित िकिम जाइ बखानी

सिन िबलाप दखह दख लागा धीरजह कर धीरज भागा ४

दोहा भयउ कोलाहल अवध अित सिन नप राउर सोर

िबपल िबहग बन परउ िनिस मानह किलस कठोर १५३

ान कठगत भयउ भआल मिन िबहीन जन बयाकल बयाल

इ ी सकल िबकल भइ भारी जन सर सरिसज बन िबन बारी १

कौसलया नप दीख मलाना रिबकल रिब अथयउ िजय जाना

उर धिर धीर राम महतारी बोली बचन समय अनसारी २

नाथ समिझ मन किरअ िबचार राम िबयोग पयोिध अपार

करनधार तमह अवध जहाज चढ़उ सकल ि य पिथक समाज ३

धीरज धिरअ त पाइअ पार नािह त बिड़िह सब पिरवार

जौ िजय धिरअ िबनय िपय मोरी राम लखन िसय िमलिह बहोरी ४

दोहा ि या बचन मद सनत नप िचतयउ आिख उघािर

तलफत मीन मलीन जन सीचत सीतल बािर १५४

रामचिरतमानस - 71 - अयोधयाकाड

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धिर धीरज उठी बठ भआल कह सम कह राम कपाल

कहा लखन कह राम सनही कह ि य प बध बदही १

िबलपत राउ िबकल बह भाती भइ जग सिरस िसराित न राती

तापस अध साप सिध आई कौसलयिह सब कथा सनाई २

भयउ िबकल बरनत इितहासा राम रिहत िधग जीवन आसा

सो तन रािख करब म काहा जिह न म पन मोर िनबाहा ३

हा रघनदन ान िपरीत तमह िबन िजअत बहत िदन बीत

हा जानकी लखन हा रघबर हा िपत िहत िचत चातक जलधर ४

दोहा राम राम किह राम किह राम राम किह राम

तन पिरहिर रघबर िबरह राउ गयउ सरधाम १५५

िजअन मरन फल दसरथ पावा अड अनक अमल जस छावा

िजअत राम िबध बदन िनहारा राम िबरह किर मरन सवारा १

सोक िबकल सब रोविह रानी रप सील बल तज बखानी

करिह िबलाप अनक कारा परही भिमतल बारिह बारा २

िबलपिह िबकल दास अर दासी घर घर रदन करिह परबासी

अथयउ आज भानकल भान धरम अविध गन रप िनधान ३

गारी सकल ककइिह दही नयन िबहीन कीनह जग जही

एिह िबिध िबलपत रिन िबहानी आए सकल महामिन गयानी ४

दोहा तब बिस मिन समय सम किह अनक इितहास

सोक नवारउ सबिह कर िनज िबगयान कास १५६

तल नाव भिर नप तन राखा दत बोलाइ बहिर अस भाषा

धावह बिग भरत पिह जाह नप सिध कतह कहह जिन काह १

एतनइ कहह भरत सन जाई गर बोलाई पठयउ दोउ भाई

सिन मिन आयस धावन धाए चल बग बर बािज लजाए २

रामचिरतमानस - 72 - अयोधयाकाड

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अनरथ अवध अरभउ जब त कसगन होिह भरत कह तब त

दखिह राित भयानक सपना जािग करिह कट कोिट कलपना ३

िब जवाइ दिह िदन दाना िसव अिभषक करिह िबिध नाना

मागिह हदय महस मनाई कसल मात िपत पिरजन भाई ४

दोहा एिह िबिध सोचत भरत मन धावन पहच आइ

गर अनसासन वन सिन चल गनस मनाइ १५७

चल समीर बग हय हाक नाघत सिरत सल बन बाक

हदय सोच बड़ कछ न सोहाई अस जानिह िजय जाउ उड़ाई १

एक िनमष बरस सम जाई एिह िबिध भरत नगर िनअराई

असगन होिह नगर पठारा रटिह कभाित कखत करारा २

खर िसआर बोलिह ितकला सिन सिन होइ भरत मन सला

ीहत सर सिरता बन बागा नगर िबसिष भयावन लागा ३

खग मग हय गय जािह न जोए राम िबयोग करोग िबगोए

नगर नािर नर िनपट दखारी मनह सबिनह सब सपित हारी ४

दोहा परजन िमिलिह न कहिह कछ गविह जोहारिह जािह

भरत कसल पिछ न सकिह भय िबषाद मन मािह १५८

हाट बाट निह जाइ िनहारी जन पर दह िदिस लािग दवारी

आवत सत सिन ककयनिदिन हरषी रिबकल जलरह चिदिन १

सिज आरती मिदत उिठ धाई ारिह भिट भवन लइ आई

भरत दिखत पिरवार िनहा रा मानह तिहन बनज बन मारा २

ककई हरिषत एिह भाित मनह मिदत दव लाइ िकराती

सतिह ससोच दिख मन मार पछित नहर कसल हमार ३

सकल कसल किह भरत सनाई पछी िनज कल कसल भलाई

रामचिरतमानस - 73 - अयोधयाकाड

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कह कह तात कहा सब माता कह िसय राम लखन ि य ाता ४

दोहा सिन सत बचन सनहमय कपट नीर भिर नन

भरत वन मन सल सम पािपिन बोली बन १५९

तात बात म सकल सवारी भ मथरा सहाय िबचारी

कछक काज िबिध बीच िबगारउ भपित सरपित पर पग धारउ १

सनत भरत भए िबबस िबषादा जन सहमउ किर कहिर नादा

तात तात हा तात पकारी पर भिमतल बयाकल भारी २

चलत न दखन पायउ तोही तात न रामिह सौपह मोही

बहिर धीर धिर उठ सभारी कह िपत मरन हत महतारी ३

सिन सत बचन कहित ककई मरम पािछ जन माहर दई

आिदह त सब आपिन करनी किटल कठोर मिदत मन बरनी ४

दोहा भरतिह िबसरउ िपत मरन सनत राम बन गौन

हत अपनपउ जािन िजय थिकत रह धिर मौन १६०

िबकल िबलोिक सतिह समझावित मनह जर पर लोन लगावित

तात राउ निह सोच जोग िबढ़इ सकत जस कीनहउ भोग १

जीवत सकल जनम फल पाए अत अमरपित सदन िसधाए

अस अनमािन सोच पिरहरह सिहत समाज राज पर करह २

सिन सिठ सहमउ राजकमार पाक छत जन लाग अगार

धीरज धिर भिर लिह उसासा पापिन सबिह भाित कल नासा ३

जौ प करिच रही अित तोही जनमत काह न मार मोही

पड़ कािट त पालउ सीचा मीन िजअन िनित बािर उलीचा ४

दोहा हसबस दसरथ जनक राम लखन स भाइ

रामचिरतमानस - 74 - अयोधयाकाड

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जननी त जननी भई िबिध सन कछ न बसाइ १६१

जब त कमित कमत िजय ठयऊ खड खड होइ दउ न गयऊ

बर मागत मन भइ निह पीरा गिर न जीह मह परउ न कीरा १

भप तीत तोिर िकिम कीनही मरन काल िबिध मित हिर लीनही

िबिधह न नािर हदय गित जानी सकल कपट अघ अवगन खानी २

सरल ससील धरम रत राऊ सो िकिम जान तीय सभाऊ

अस को जीव जत जग माही जिह रघनाथ ानि य नाही ३

भ अित अिहत राम तउ तोही को त अहिस सतय कह मोही

जो हिस सो हिस मह मिस लाई आिख ओट उिठ बठिह जाई ४

दोहा राम िबरोधी हदय त गट कीनह िबिध मोिह

मो समान को पातकी बािद कहउ कछ तोिह १६२

सिन स घन मात किटलाई जरिह गात िरस कछ न बसाई

तिह अवसर कबरी तह आई बसन िबभषन िबिबध बनाई १

लिख िरस भरउ लखन लघ भाई बरत अनल घत आहित पाई

हमिग लात तिक कबर मारा पिर मह भर मिह करत पकारा २

कबर टटउ फट कपार दिलत दसन मख रिधर चार

आह दइअ म काह नसावा करत नीक फल अनइस पावा ३

सिन िरपहन लिख नख िसख खोटी लग घसीटन धिर धिर झोटी

भरत दयािनिध दीिनह छड़ाई कौसलया पिह ग दोउ भाई ४

दोहा मिलन बसन िबबरन िबकल कस सरीर दख भार

कनक कलप बर बिल बन मानह हनी तसार १६३

भरतिह दिख मात उिठ धाई मरिछत अविन परी झइ आई

दखत भरत िबकल भए भारी पर चरन तन दसा िबसारी १

रामचिरतमानस - 75 - अयोधयाकाड

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मात तात कह दिह दखाई कह िसय राम लखन दोउ भाई

ककइ कत जनमी जग माझा जौ जनिम त भइ काह न बाझा २

कल कलक जिह जनमउ मोही अपजस भाजन ि यजन ोही

को ितभवन मोिह सिरस अभागी गित अिस तोिर मात जिह लागी ३

िपत सरपर बन रघबर कत म कवल सब अनरथ हत

िधग मोिह भयउ बन बन आगी दसह दाह दख दषन भागी ४

दोहा मात भरत क बचन मद सिन सिन उठी सभािर

िलए उठाइ लगाइ उर लोचन मोचित बािर १६४

सरल सभाय माय िहय लाए अित िहत मनह राम िफिर आए

भटउ बहिर लखन लघ भाई सोक सनह न हदय समाई १

दिख सभाउ कहत सब कोई राम मात अस काह न होई

माता भरत गोद बठार आस पौिछ मद बचन उचार २

अजह बचछ बिल धीरज धरह कसमउ समिझ सोक पिरहरह

जिन मानह िहय हािन गलानी काल करम गित अघिटत जािन ३

काहिह दोस दह जिन ताता भा मोिह सब िबिध बाम िबधाता

जो एतह दख मोिह िजआवा अजह को जानइ का तिह भावा ४

दोहा िपत आयस भषन बसन तात तज रघबीर

िबसमउ हरष न हदय कछ पिहर बलकल चीर १६५

मख सनन मन रग न रोष सब कर सब िबिध किर पिरतोष

चल िबिपन सिन िसय सग लागी रहइ न राम चरन अनरागी १

सनतिह लखन चल उिठ साथा रहिह न जतन िकए रघनाथा

तब रघपित सबही िसर नाई चल सग िसय अर लघ भाई २

राम लखन िसय बनिह िसधाए गइउ न सग न ान पठाए

यह सब भा इनह आिखनह आग तउ न तजा तन जीव अभाग ३

रामचिरतमानस - 76 - अयोधयाकाड

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मोिह न लाज िनज नह िनहारी राम सिरस सत म महतारी

िजऐ मर भल भपित जाना मोर हदय सत किलस समाना ४

दोहा कौसलया क बचन सिन भरत सिहत रिनवास

बयाकल िबलपत राजगह मानह सोक नवास १६६

िबलपिह िबकल भरत दोउ भाई कौसलया िलए हदय लगाई

भाित अनक भरत समझाए किह िबबकमय बचन सनाए १

भरतह मात सकल समझाई किह परान ित कथा सहाई

छल िबहीन सिच सरल सबानी बोल भरत जोिर जग पानी २

ज अघ मात िपता सत मार गाइ गोठ मिहसर पर जार

ज अघ ितय बालक बध कीनह मीत महीपित माहर दीनह ३

ज पातक उपपातक अहही करम बचन मन भव किब कहही

त पातक मोिह होह िबधाता जौ यह होइ मोर मत माता ४

दोहा ज पिरहिर हिर हर चरन भजिह भतगन घोर

तिह कइ गित मोिह दउ िबिध जौ जननी मत मोर १६७

बचिह बद धरम द िह लही िपसन पराय पाप किह दही

कपटी किटल कलहि य ोधी बद िबदषक िबसव िबरोधी १

लोभी लपट लोलपचारा ज ताकिह परधन परदारा

पावौ म ितनह क गित घोरा जौ जननी यह समत मोरा २

ज निह साधसग अनराग परमारथ पथ िबमख अभाग

ज न भजिह हिर नरतन पाई िजनहिह न हिर हर सजस सोहाई ३

तिज ितपथ बाम पथ चलही बचक िबरिच बष जग छलही

ितनह क गित मोिह सकर दऊ जननी जौ यह जानौ भऊ ४

दोहा

रामचिरतमानस - 77 - अयोधयाकाड

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मात भरत क बचन सिन साच सरल सभाय

कहित राम ि य तात तमह सदा बचन मन काय १६८

राम ानह त ान तमहार तमह रघपितिह ानह त पयार

िबध िबष चव व िहम आगी होइ बािरचर बािर िबरागी १

भए गयान बर िमट न मोह तमह रामिह ितकल न होह

मत तमहार यह जो जग कहही सो सपनह सख सगित न लहही २

अस किह मात भरत िहय लाए थन पय विह नयन जल छाए

करत िबलाप बहत यिह भाती बठिह बीित गइ सब राती ३

बामदउ बिस तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए

मिन बह भाित भरत उपदस किह परमारथ बचन सदस ४

दोहा तात हदय धीरज धरह करह जो अव सर आज उठ भरत गर बचन सिन करन कहउ सब साज १६९

नपतन बद िबिदत अनहवावा परम िबिच िबमान बनावा

गिह पद भरत मात सब राखी रही रािन दरसन अिभलाषी १

चदन अगर भार बह आए अिमत अनक सगध सहाए

सरज तीर रिच िचता बनाई जन सरपर सोपान सहाई २

एिह िबिध दाह ि या सब कीनही िबिधवत नहाइ ितलाजिल दीनही

सोिध समित सब बद पराना कीनह भरत दसगात िबधाना ३

जह जस मिनबर आयस दीनहा तह तस सहस भाित सब कीनहा

भए िबस िदए सब दाना धन बािज गज बाहन नाना ४

दोहा िसघासन भषन बसन अनन धरिन धन धाम

िदए भरत लिह भिमसर भ पिरपरन काम १७०

िपत िहत भरत कीिनह जिस करनी सो मख लाख जाइ निह बरनी

रामचिरतमानस - 78 - अयोधयाकाड

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सिदन सोिध मिनबर तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए १

बठ राजसभा सब जाई पठए बोिल भरत दोउ भाई

भरत बिस िनकट बठार नीित धरममय बचन उचार २

थम कथा सब मिनबर बरनी ककइ किटल कीिनह जिस करनी

भप धरम त सतय सराहा जिह तन पिरहिर म िनबाहा ३

कहत राम गन सील सभाऊ सजल नयन पलकउ मिनराऊ

बहिर लखन िसय ीित बखानी सोक सनह मगन मिन गयानी ४

दोहा सनह भरत भावी बल िबलिख कहउ मिननाथ

हािन लाभ जीवन मरन जस अपजस िबिध हाथ १७१

अस िबचािर किह दइअ दोस बयरथ कािह पर कीिजअ रोस

तात िबचार किह करह मन माही सोच जोग दसरथ नप नाही १

सोिचअ िब जो बद िबहीना तिज िनज धरम िबषय लयलीना

सोिचअ नपित जो नीित न जाना जिह न जा ि य ान समाना २

सोिचअ बयस कपन धनवान जो न अितिथ िसव भगित सजान

सोिचअ स िब अवमानी मखर मानि य गयान गमानी ३

सोिचअ पिन पित बचक नारी किटल कलहि य इचछाचारी

सोिचअ बट िनज त पिरहरई जो निह गर आयस अनसरई ४

दोहा सोिचअ गही जो मोह बस करइ करम पथ तयाग

सोिचअ जित पच रत िबगत िबबक िबराग १७२

बखानस सोइ सोच जोग तप िबहाइ जिह भावइ भोग

सोिचअ िपसन अकारन ोधी जनिन जनक गर बध िबरोधी १

सब िबिध सोिचअ पर अपकारी िनज तन पोषक िनरदय भारी

सोचनीय सबिह िबिध सोई जो न छािड़ छल हिर जन होई २

सोचनीय निह कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

रामचिरतमानस - 79 - अयोधयाकाड

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भयउ न अहइ न अब होिनहारा भप भरत जस िपता तमहारा ३

िबिध हिर हर सरपित िदिसनाथा बरनिह सब दसरथ गन गाथा ४

दोहा कहह तात किह भाित कोउ किरिह बड़ाई तास

राम लखन तमह स हन सिरस सअन सिच जास १७३

सब कार भपित बड़भागी बािद िबषाद किरअ तिह लागी

यह सिन समिझ सोच पिरहरह िसर धिर राज रजायस करह १

राय राजपद तमह कह दीनहा िपता बचन फर चािहअ कीनहा

तज राम जिह बचनिह लागी तन पिरहरउ राम िबरहागी २

नपिह बचन ि य निह ि य ाना करह तात िपत बचन वाना

करह सीस धिर भप रजाई हइ तमह कह सब भाित भलाई ३

परसराम िपत अगया राखी मारी मात लोक सब साखी

तनय जजाितिह जौबन दयऊ िपत अगया अघ अजस न भयऊ ४

दोहा अनिचत उिचत िबचार तिज ज पालिह िपत बन

त भाजन सख सजस क बसिह अमरपित ऐन १७४

अविस नरस बचन फर करह पालह जा सोक पिरहरह

सरपर नप पाइिह पिरतोष तमह कह सकत सजस निह दोष १

बद िबिदत समत सबही का जिह िपत दइ सो पावइ टीका

करह राज पिरहरह गलानी मानह मोर बचन िहत जानी २

सिन सख लहब राम बदही अनिचत कहब न पिडत कही

कौसलयािद सकल महतारी तउ जा सख होिह सखारी ३

परम तमहार राम कर जािनिह सो सब िबिध तमह सन भल मािनिह

सौपह राज राम क आए सवा करह सनह सहाए ४

दोहा

रामचिरतमानस - 80 - अयोधयाकाड

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कीिजअ गर आयस अविस कहिह सिचव कर जोिर

रघपित आए उिचत जस तस तब करब बहोिर १७५

कौसलया धिर धीरज कहई पत पथय गर आयस अहई

सो आदिरअ किरअ िहत मानी तिजअ िबषाद का ल गित जानी १

बन रघपित सरपित नरनाह तमह एिह भाित तात कदराह

पिरजन जा सिचव सब अबा तमहही सत सब कह अवलबा २

लिख िबिध बाम काल किठनाई धीरज धरह मात बिल जाई

िसर धिर गर आयस अनसरह जा पािल पिरजन दख हरह ३

गर क बचन सिचव अिभनदन सन भरत िहय िहत जन चदन

सनी बहोिर मात मद बानी सील सनह सरल रस सानी ४ छद

सानी सरल रस मात बानी सिन भरत बयाकल भए

लोचन सरोरह वत सीचत िबरह उर अकर नए

सो दसा दखत समय तिह िबसरी सबिह सिध दह की तलसी सराहत सकल सादर सीव सहज सनह की

सोरठा

भरत कमल कर जोिर धीर धरधर धीर धिर बचन अिमअ जन बोिर दत उिचत उ र सबिह १७६

मासपारायण अठारहवा िव ाम

मोिह उपदस दीनह गर नीका जा सिचव समत सबही का

मात उिचत धिर आयस दीनहा अविस सीस धिर चाहउ कीनहा १

गर िपत मात सवािम िहत बानी सिन मन मिदत किरअ भिल जानी

उिचत िक अनिचत िकए िबचार धरम जाइ िसर पातक भार २

तमह तौ दह सरल िसख सोई जो आचरत मोर भल होई

ज िप यह समझत हउ नीक तदिप होत पिरतोष न जी क ३

रामचिरतमानस - 81 - अयोधयाकाड

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अब तमह िबनय मोिर सिन लह मोिह अनहरत िसखावन दह

ऊतर दउ छमब अपराध दिखत दोष गन गनिह न साध ४

दोहा िपत सरपर िसय राम बन करन कहह मोिह राज

एिह त जानह मोर िहत क आपन बड़ काज १७७

िहत हमार िसयपित सवकाई सो हिर लीनह मात किटलाई

म अनमािन दीख मन माही आन उपाय मोर िहत नाही १

सोक समाज राज किह लख लखन राम िसय िबन पद दख

बािद बसन िबन भषन भार बािद िबरित िबन िबचार २

सरज सरीर बािद बह भोगा िबन हिरभगित जाय जप जोगा

जाय जीव िबन दह सहाई बािद मोर सब िबन रघराई ३

जाउ राम पिह आयस दह एकिह आक मोर िहत एह

मोिह नप किर भल आपन चहह सोउ सनह जड़ता बस कहह ४

दोहा ककई सअ किटलमित राम िबमख गतलाज

तमह चाहत सख मोहबस मोिह स अधम क राज १७८

कहउ साच सब सिन पितआह चािहअ धरमसील नरनाह

मोिह राज हिठ दइहह जबही रसा रसातल जाइिह तबही १

मोिह समान को पाप िनवास जिह लिग सीय राम बनबास

राय राम कह कानन दीनहा िबछरत गमन अमरपर कीनहा २

म सठ सब अनरथ कर हत बठ बात सब सनउ सचत

िबन रघबीर िबलोिक अबास रह ान सिह जग उपहास ३

राम पनीत िबषय रस रख लोलप भिम भोग क भख

कह लिग कहौ हदय किठनाई िनदिर किलस जिह लही बड़ाई ४

दोहा

रामचिरतमानस - 82 - अयोधयाकाड

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कारन त कारज किठन होइ दोस निह मोर

किलस अिसथ त उपल त लोह कराल कठोर १७९

ककई भव तन अनराग पावर ान अघाइ अभाग

जौ ि य िबरह ान ि य लाग दखब सनब बहत अब आग १

लखन राम िसय कह बन दीनहा पठइ अमरपर पित िहत कीनहा

लीनह िबधवपन अपजस आप दीनहउ जिह सोक सताप २

मोिह दीनह सख सजस सराज कीनह ककई सब कर काज

एिह त मोर काह अब नीका तिह पर दन कहह तमह टीका ३

ककई जठर जनिम जग माही यह मोिह कह कछ अनिचत नाही

मोिर बात सब िबिधिह बनाई जा पाच कत करह सहाई ४

दोहा ह हीत पिन बात बस तिह पिन बीछी मार

तिह िपआइअ बारनी कहह काह उपचार १८०

ककइ सअन जोग जग जोई चतर िबरिच दीनह मोिह सोई

दसरथ तनय राम लघ भाई दीिनह मोिह िबिध बािद बड़ाई १

तमह सब कहह कढ़ावन टीका राय रजायस सब कह नीका

उतर दउ किह िबिध किह कही कहह सखन जथा रिच जही २

मोिह कमात समत िबहाई कहह क िहिह क कीनह भलाई

मो िबन को सचराचर माही जिह िसय राम ानि य नाही ३

परम हािन सब कह बड़ लाह अिदन मोर निह दषन काह

ससय सील म बस अहह सबइ उिचत सब जो कछ कहह ४

दोहा राम मात सिठ सरलिचत मो पर म िबसिष

कहइ सभाय सनह बस मोिर दीनता दिख १८१

गर िबबक सागर जग जाना िजनहिह िबसव कर बदर समाना

रामचिरतमानस - 83 - अयोधयाकाड

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मो कह ितलक साज सज सोऊ भए िबिध िबमख िबमख सब कोऊ १

पिरहिर राम सीय जग माही कोउ न किहिह मोर मत नाही

सो म सनब सहब सख मानी अतह कीच तहा जह पानी २

डर न मोिह जग किहिह िक पोच परलोकह कर नािहन सोच

एकइ उर बस दसह दवारी मोिह लिग भ िसय राम दखारी ३

जीवन लाह लखन भल पावा सब तिज राम चरन मन लावा

मोर जनम रघबर बन लागी झठ काह पिछताउ अभागी ४

दोहा आपिन दारन दीनता कहउ सबिह िसर नाइ

दख िबन रघनाथ पद िजय क जरिन न जाइ १८२

आन उपाउ मोिह निह सझा को िजय क रघबर िबन बझा

एकिह आक इहइ मन माही ातकाल चिलहउ भ पाही १

ज िप म अनभल अपराधी भ मोिह कारन सकल उपाधी

तदिप सरन सनमख मोिह दखी छिम सब किरहिह कपा िबसषी २

सील सकच सिठ सरल सभाऊ कपा सनह सदन रघराऊ

अिरहक अनभल कीनह न रामा म िसस सवक ज िप बामा ३

तमह प पाच मोर भल मानी आयस आिसष दह सबानी

जिह सिन िबनय मोिह जन जानी आविह बहिर राम रजधानी ४

दोहा ज िप जनम कमात त म सठ सदा सदोस

आपन जािन न तयािगहिह मोिह रघबीर भरोस १८३

भरत बचन सब कह ि य लाग राम सनह सधा जन पाग

लोग िबयोग िबषम िबष दाग म सबीज सनत जन जाग १

मात सिचव गर पर नर नारी सकल सनह िबकल भए भारी

भरतिह कहिह सरािह सराही राम म मरित तन आही २

तात भरत अस काह न कहह ान समान राम ि य अहह

रामचिरतमानस - 84 - अयोधयाकाड

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जो पावर अपनी जड़ताई तमहिह सगाइ मात किटलाई ३

सो सठ कोिटक परष समता बिसिह कलप सत नरक िनकता

अिह अघ अवगन निह मिन गहई हरइ गरल दख दािरद दहई ४

दोहा अविस चिलअ बन राम जह भरत म भल कीनह

सोक िसध बड़त सबिह तमह अवलबन दीनह १८४

भा सब क मन मोद न थोरा जन घन धिन सिन चातक मोरा

चलत ात लिख िनरनउ नीक भरत ानि य भ सबही क १

मिनिह बिद भरतिह िसर नाई चल सकल घर िबदा कराई

धनय भरत जीवन जग माही सील सनह सराहत जाही २

कहिह परसपर भा बड़ काज सकल चल कर साजिह साज

जिह राखिह रह घर रखवारी सो जानइ जन गरदिन मारी ३

कोउ कह रहन किहअ निह काह को न चहइ जग जीवन लाह ४

दोहा जरउ सो सपित सदन सख सहद मात िपत भाइ

सनमख होत जो राम पद कर न सहस सहाइ १८५

घर घर साजिह बाहन नाना हरष हदय परभात पयाना

भरत जाइ घर कीनह िबचार नगर बािज गज भवन भडार १

सपित सब रघपित क आही जौ िबन जतन चलौ तिज ताही

तौ पिरनाम न मोिर भलाई पाप िसरोमिन साइ दोहाई २

करइ सवािम िहत सवक सोई दषन कोिट दइ िकन कोई

अस िबचािर सिच सवक बोल ज सपनह िनज धरम न डोल ३

किह सब मरम धरम भल भाषा जो जिह लायक सो तिह राखा

किर सब जतन रािख रखवार राम मात पिह भरत िसधार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 85 - अयोधयाकाड

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आरत जननी जािन सब भरत सनह सजान

कहउ बनावन पालकी सजन सखासन जान १८६

चकक चिकक िजिम पर नर नारी चहत ात उर आरत भारी

जागत सब िनिस भयउ िबहाना भरत बोलाए सिचव सजाना १

कहउ लह सब ितलक समाज बनिह दब मिन रामिह राज

बिग चलह सिन सिचव जोहार तरत तर ग रथ नाग सवार २

अरधती अर अिगिन समाऊ रथ चिढ़ चल थम मिनराऊ

िब बद चिढ़ बाहन नाना चल सकल तप तज िनधाना ३

नगर लोग सब सिज सिज जाना िच कट कह कीनह पयाना

िसिबका सभग न जािह बखानी चिढ़ चिढ़ चलत भई सब रानी ४

दोहा सौिप नगर सिच सवकिन सादर सकल चलाइ

सिमिर राम िसय चरन तब चल भरत दोउ भाइ १८७

राम दरस बस सब नर नारी जन किर किरिन चल तिक बारी

बन िसय राम समिझ मन माही सानज भरत पयादिह जाही १

दिख सनह लोग अनराग उतिर चल हय गय रथ तयाग

जाइ समीप रािख िनज डोली राम मात मद बानी बोली २

तात चढ़ह रथ बिल महतारी होइिह ि य पिरवार दखारी

तमहर चलत चिलिह सब लोग सकल सोक कस निह मग जोग ३

िसर धिर बचन चरन िसर नाई रथ चिढ़ चलत भए दोउ भाई

तमसा थम िदवस किर बास दसर गोमित तीर िनवास ४

दोहा पय अहार फल असन एक िनिस भोजन एक लोग

करत राम िहत नम त पिरहिर भषन भोग १८८

सई तीर बिस चल िबहान सगबरपर सब िनअरान

रामचिरतमानस - 86 - अयोधयाकाड

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समाचार सब सन िनषादा हदय िबचार करइ सिबषादा १

कारन कवन भरत बन जाही ह कछ कपट भाउ मन माही

जौ प िजय न होित किटलाई तौ कत लीनह सग कटकाई २

जानिह सानज रामिह मारी करउ अकटक राज सखारी

भरत न राजनीित उर आनी तब कलक अब जीवन हानी ३

सकल सरासर जरिह जझारा रामिह समर न जीतिनहारा

का आचरज भरत अस करही निह िबष बिल अिमअ फल फरही ४

दोहा अस िबचािर गह गयाित सन कहउ सजग सब होह

हथवासह बोरह तरिन कीिजअ घाटारोह १८९

होह सजोइल रोकह घाटा ठाटह सकल मर क ठाटा

सनमख लोह भरत सन लऊ िजअत न सरसिर उतरन दऊ १

समर मरन पिन सरसिर तीरा राम काज छनभग सरीरा

भरत भाइ नप म जन नीच बड़ भाग अिस पाइअ मीच २

सवािम काज किरहउ रन रारी जस धविलहउ भवन दस चारी

तजउ ान रघनाथ िनहोर दह हाथ मद मोदक मोर ३

साध समाज न जाकर लखा राम भगत मह जास न रखा

जाय िजअत जग सो मिह भार जननी जौबन िबटप कठार ४

दोहा िबगत िबषाद िनषादपित सबिह बढ़ाइ उछाह

सिमिर राम मागउ तरत तरकस धनष सनाह १९०

बगह भाइह सजह सजोऊ सिन रजाइ कदराइ न कोऊ

भलिह नाथ सब कहिह सहरषा एकिह एक बढ़ावइ करषा १

चल िनषाद जोहािर जोहारी सर सकल रन रचइ रारी

सिमिर राम पद पकज पनही भाथी बािध चढ़ाइिनह धनही २

अगरी पिहिर किड़ िसर धरही फरसा बास सल सम करही

रामचिरतमानस - 87 - अयोधयाकाड

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एक कसल अित ओड़न खाड़ कदिह गगन मनह िछित छाड़ ३

िनज िनज साज समाज बनाई गह राउतिह जोहार जाई

दिख सभट सब लायक जान ल ल नाम सकल सनमान ४

दोहा भाइह लावह धोख जिन आज काज बड़ मोिह

सिन सरोष बोल सभट बीर अधीर न होिह १९१

राम ताप नाथ बल तोर करिह कटक िबन भट िबन घोर

जीवत पाउ न पाछ धरही रड मडमय मिदिन करही १

दीख िनषादनाथ भल टोल कहउ बजाउ जझाऊ ढोल

एतना कहत छीक भइ बाए कहउ सगिनअनह खत सहाए २

बढ़ एक कह सगन िबचारी भरतिह िमिलअ न होइिह रारी

रामिह भरत मनावन जाही सगन कहइ अस िब ह नाही ३

सिन गह कहइ नीक कह बढ़ा सहसा किर पिछतािह िबमढ़ा

भरत सभाउ सील िबन बझ बिड़ िहत हािन जािन िबन जझ ४

दोहा गहह घाट भट सिमिट सब लउ मरम िमिल जाइ

बिझ िम अिर मधय गित तस तब किरहउ आइ १९२

लखन सनह सभाय सहाए बर ीित निह दरइ दराए

अस किह भट सजोवन लाग कद मल फल खग मग माग १

मीन पीन पाठीन परान भिर भिर भार कहारनह आन

िमलन साज सिज िमलन िसधाए मगल मल सगन सभ पाए २

दिख दिर त किह िनज नाम कीनह मनीसिह दड नाम

जािन रामि य दीिनह असीसा भरतिह कहउ बझाइ मनीसा ३

राम सखा सिन सदन तयागा चल उतिर उमगत अनरागा

गाउ जाित गह नाउ सनाई कीनह जोहार माथ मिह लाई ४

रामचिरतमानस - 88 - अयोधयाकाड

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दोहा करत दडवत दिख तिह भरत लीनह उर लाइ

मनह लखन सन भट भइ म न हदय समाइ १९३

भटत भरत तािह अित ीती लोग िसहािह म क रीती

धनय धनय धिन मगल मला सर सरािह तिह बिरसिह फला १

लोक बद सब भाितिह नीचा जास छाह छइ लइअ सीचा

तिह भिर अक राम लघ ाता िमलत पलक पिरपिरत गाता २

राम राम किह ज जमहाही ितनहिह न पाप पज समहाही

यह तौ राम लाइ उर लीनहा कल समत जग पावन कीनहा ३

करमनास जल सरसिर परई तिह को कहह सीस निह धरई

उलटा नाम जपत जग जाना बालमीिक भए समाना ४

दोहा सवपच सबर खस जमन जड़ पावर कोल िकरात

राम कहत पावन परम होत भवन िबखयात १९४

निह अिचरज जग जग चिल आई किह न दीिनह रघबीर बड़ाई

राम नाम मिहमा सर कहही सिन सिन अवधलोग सख लहही १

रामसखिह िमिल भरत स मा पछी कसल समगल खमा

दिख भरत कर सील सनह भा िनषाद तिह समय िबदह २

सकच सनह मोद मन बाढ़ा भरतिह िचतवत एकटक ठाढ़ा

धिर धीरज पद बिद बहोरी िबनय स म करत कर जोरी ३

कसल मल पद पकज पखी म ितह काल कसल िनज लखी

अब भ परम अन ह तोर सिहत कोिट कल मगल मोर ४

दोहा समिझ मोिर करतित कल भ मिहमा िजय जोइ

जो न भजइ रघबीर पद जग िबिध बिचत सोइ १९५

रामचिरतमानस - 89 - अयोधयाकाड

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कपटी कायर कमित कजाती लोक बद बाहर सब भाती

राम कीनह आपन जबही त भयउ भवन भषन तबही त १

दिख ीित सिन िबनय सहाई िमलउ बहोिर भरत लघ भाई

किह िनषाद िनज नाम सबानी सादर सकल जोहारी रानी २

जािन लखन सम दिह असीसा िजअह सखी सय लाख बरीसा

िनरिख िनषाद नगर नर नारी भए सखी जन लखन िनहारी ३

कहिह लहउ एिह जीवन लाह भटउ रामभ भिर बाह

सिन िनषाद िनज भाग बड़ाई मिदत मन लइ चलउ लवाई ४

दोहा सनकार सवक सकल चल सवािम रख पाइ

घर तर तर सर बाग बन बास बनाएिनह जाइ १९६

सगबरपर भरत दीख जब भ सनह सब अग िसिथल तब

सोहत िदए िनषादिह लाग जन तन धर िबनय अनराग १

एिह िबिध भरत सन सब सगा दीिख जाइ जग पाविन गगा

रामघाट कह कीनह नाम भा मन मगन िमल जन राम २

करिह नाम नगर नर नारी मिदत मय बािर िनहारी

किर मजजन मागिह कर जोरी रामच पद ीित न थोरी ३

भरत कहउ सरसिर तव रन सकल सखद सवक सरधन

जोिर पािन बर मागउ एह सीय राम पद सहज सनह ४

दोहा एिह िबिध मजजन भरत किर गर अनसासन पाइ

मात नहानी जािन सब डरा चल लवाइ १९७

जह तह लोगनह डरा कीनहा भरत सोध सबही कर लीनहा

सर सवा किर आयस पाई राम मात पिह ग दोउ भाई १

चरन चािप किह किह मद बानी जननी सकल भरत सनमानी

भाइिह सौिप मात सवकाई आप िनषादिह लीनह बोलाई २

रामचिरतमानस - 90 - अयोधयाकाड

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चल सखा कर सो कर जोर िसिथल सरीर सनह न थोर

पछत सखिह सो ठाउ दखाऊ नक नयन मन जरिन जड़ाऊ ३

जह िसय राम लखन िनिस सोए कहत भर जल लोचन कोए

भरत बचन सिन भयउ िबषाद तरत तहा लइ गयउ िनषाद ४

दोहा जह िससपा पनीत तर रघबर िकय िब ाम

अित सनह सादर भरत कीनहउ दड नाम १९८

कस साथरी िनहािर सहाई कीनह नाम दिचछन जाई

चरन रख रज आिखनह लाई बनइ न कहत ीित अिधकाई १

कनक िबद दइ चािरक दख राख सीस सीय सम लख

सजल िबलोचन हदय गलानी कहत सखा सन बचन सबानी २

ीहत सीय िबरह दितहीना जथा अवध नर नािर िबलीना

िपता जनक दउ पटतर कही करतल भोग जोग जग जही ३

ससर भानकल भान भआल जिह िसहात अमरावितपाल

ाननाथ रघनाथ गोसाई जो बड़ होत सो राम बड़ाई ४

दोहा पित दवता सतीय मिन सीय साथरी दिख

िबहरत दउ न हहिर हर पिब त किठन िबसिष १९९

लालन जोग लखन लघ लोन भ न भाइ अस अहिह न होन

परजन ि य िपत मात दलार िसय रघबरिह ानिपआर १

मद मरित सकमार सभाऊ तात बाउ तन लाग न काऊ

त बन सहिह िबपित सब भाती िनदर कोिट किलस एिह छाती २

राम जनिम जग कीनह उजागर रप सील सख सब गन सागर

परजन पिरजन गर िपत माता राम सभाउ सबिह सखदाता ३

बिरउ राम बड़ाई करही बोलिन िमलिन िबनय मन हरही

सारद कोिट कोिट सत सषा किर न सकिह भ गन गन लखा ४

रामचिरतमानस - 91 - अयोधयाकाड

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दोहा

सखसवरप रघबसमिन मगल मोद िनधान त सोवत कस डािस मिह िबिध गित अित बलवान २००

राम सना दख कान न काऊ जीवनतर िजिम जोगवइ राऊ

पलक नयन फिन मिन जिह भाती जोगविह जनिन सकल िदनराती १

त अब िफरत िबिपन पदचारी कद मल फल फल अहारी

िधग ककई अमगल मला भइिस ान ि यतम ितकला २

म िधग िधग अघ उदिध अभागी सब उतपात भयउ जिह लागी

कल कलक किर सजउ िबधाता साइदोह मोिह कीनह कमाता ३

सिन स म समझाव िनषाद नाथ किरअ कत बािद िबषाद

राम तमहिह ि य तमह ि य रामिह यह िनरजोस दोस िबिध बामिह ४ छद

िबिध बाम की करनी किठन जिह मात कीनही बावरी तिह राित पिन पिन करिह भ सादर सरहना रावरी

तलसी न तमह सो राम ीतम कहत हौ सौह िकए

पिरनाम मगल जािन अपन आिनए धीरज िहए

सोरठा अतरजामी राम सकच स म कपायतन

चिलअ किरअ िब ाम यह िबचािर दढ़ आिन मन २०१

सखा बचन सिन उर धिर धीरा बास चल सिमरत रघबीरा

यह सिध पाइ नगर नर नारी चल िबलोकन आरत भारी १

परदिखना किर करिह नामा दिह ककइिह खोिर िनकामा

भरी भिर बािर िबलोचन लही बाम िबधातािह दषन दही २

एक सराहिह भरत सनह कोउ कह नपित िनबाहउ नह

िनदिह आप सरािह िनषादिह को किह सकइ िबमोह िबषादिह ३

रामचिरतमानस - 92 - अयोधयाकाड

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एिह िबिध राित लोग सब जागा भा िभनसार गदारा लागा

गरिह सनाव चढ़ाइ सहाई नई नाव सब मात चढ़ाई ४

दड चािर मह भा सब पारा उतिर भरत तब सबिह सभारा ५

दोहा ाति या किर मात पद बिद गरिह िसर नाइ

आग िकए िनषाद गन दीनहउ कटक चलाइ २०२

िकयउ िनषादनाथ अगआई मात पालकी सकल चलाई

साथ बोलाइ भाइ लघ दीनहा िब नह सिहत गवन गर कीनहा १

आप सरसिरिह कीनह नाम सिमर लखन सिहत िसय राम

गवन भरत पयोदिह पाए कोतल सग जािह डोिरआए २

कहिह ससवक बारिह बारा होइअ नाथ असव असवारा

राम पयोदिह पाय िसधाए हम कह रथ गज बािज बनाए ३

िसर भर जाउ उिचत अस मोरा सब त सवक धरम कठोरा

दिख भरत गित सिन मद बानी सब सवक गन गरिह गलानी ४

दोहा भरत तीसर पहर कह कीनह बस याग कहत राम िसय राम िसय उमिग उमिग अनराग २०३

झलका झलकत पायनह क स पकज कोस ओस कन जस

भरत पयादिह आए आज भयउ दिखत सिन सकल समाज १

खबिर लीनह सब लोग नहाए कीनह नाम ि बिनिह आए

सिबिध िसतािसत नीर नहान िदए दान मिहसर सनमान २

दखत सयामल धवल हलोर पलिक सरीर भरत कर जोर

सकल काम द तीरथराऊ बद िबिदत जग गट भाऊ ३

मागउ भीख तयािग िनज धरम आरत काह न करइ ककरम

अस िजय जािन सजान सदानी सफल करिह जग जाचक बानी ४

रामचिरतमानस - 93 - अयोधयाकाड

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दोहा अरथ न धरम न काम रिच गित न चहउ िनरबान

जनम जनम रित राम पद यह बरदान न आन २०४

जानह राम किटल किर मोही लोग कहउ गर सािहब ोही

सीता राम चरन रित मोर अनिदन बढ़उ अन ह तोर १

जलद जनम भिर सरित िबसारउ जाचत जल पिब पाहन डारउ

चातक रटिन घट घिट जाई बढ़ म सब भाित भलाई २

कनकिह बान चढ़इ िजिम दाह ितिम ि यतम पद नम िनबाह

भरत बचन सिन माझ ि बनी भइ मद बािन समगल दनी ३

तात भरत तमह सब िबिध साध राम चरन अनराग अगाध

बाद गलािन करह मन माही तमह सम रामिह कोउ ि य नाही ४

दोहा तन पलकउ िहय हरष सिन बिन बचन अनकल

भरत धनय किह धनय सर हरिषत बरषिह फल २०५

मिदत तीरथराज िनवासी बखानस बट गही उदासी

कहिह परसपर िमिल दस पाचा भरत सनह सील सिच साचा १

सनत राम गन ाम सहाए भर ाज मिनबर पिह आए

दड नाम करत मिन दख मरितमत भागय िनज लख २

धाइ उठाइ लाइ उर लीनह दीिनह असीस कतारथ कीनह

आसन दीनह नाइ िसर बठ चहत सकच गह जन भिज पठ ३

मिन पछब कछ यह बड़ सोच बोल िरिष लिख सील सकोच

सनह भरत हम सब सिध पाई िबिध करतब पर िकछ न बसाई ४

दोहा तमह गलािन िजय जिन करह समझी मात करतित

तात ककइिह दोस निह गई िगरा मित धित २०६

रामचिरतमानस - 94 - अयोधयाकाड

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यहउ कहत भल किहिह न कोऊ लोक बद बध समत दोऊ

तात तमहार िबमल जस गाई पाइिह लोकउ बद बड़ाई १

लोक बद समत सब कहई जिह िपत दइ राज सो लहई

राउ सतय त तमहिह बोलाई दत राज सख धरम बड़ाई २

राम गवन बन अनरथ मला जो सिन सकल िबसव भइ सला

सो भावी बस रािन अयानी किर कचािल अतह पिछतानी ३

तहउ तमहार अलप अपराध कह सो अधम अयान असाध

करतह राज त तमहिह न दोष रामिह होत सनत सतोष ४

दोहा अब अित कीनहह भरत भल तमहिह उिचत मत एह

सकल समगल मल जग रघबर चरन सनह २०७

सो तमहार धन जीवन ाना भिरभाग को तमहिह समाना

यह तमहार आचरज न ताता दसरथ सअन राम ि य ाता १

सनह भरत रघबर मन माही पम पा तमह सम कोउ नाही

लखन राम सीतिह अित ीती िनिस सब तमहिह सराहत बीती २

जाना मरम नहात यागा मगन होिह तमहर अनरागा

तमह पर अस सनह रघबर क सख जीवन जग जस जड़ नर क ३

यह न अिधक रघबीर बड़ाई नत कटब पाल रघराई

तमह तौ भरत मोर मत एह धर दह जन राम सनह ४

दोहा तमह कह भरत कलक यह हम सब कह उपदस

राम भगित रस िसि िहत भा यह समउ गनस २०८

नव िबध िबमल तात जस तोरा रघबर िककर कमद चकोरा

उिदत सदा अथइिह कबह ना घिटिह न जग नभ िदन िदन दना १

कोक ितलोक ीित अित किरही भ ताप रिब छिबिह न हिरही

िनिस िदन सखद सदा सब काह िसिह न ककइ करतब राह २

रामचिरतमानस - 95 - अयोधयाकाड

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परन राम सपम िपयषा गर अवमान दोष निह दषा

राम भगत अब अिमअ अघाह कीनहह सलभ सधा बसधाह ३

भप भगीरथ सरसिर आनी सिमरत सकल समगल खानी

दसरथ गन गन बरिन न जाही अिधक कहा जिह सम जग नाही ४

दोहा जास सनह सकोच बस राम गट भए आइ

ज हर िहय नयनिन कबह िनरख नही अघाइ २०९

कीरित िबध तमह कीनह अनपा जह बस राम पम मगरपा

तात गलािन करह िजय जाए डरह दिर िह पारस पाए १

सनह भरत हम झठ न कहही उदासीन तापस बन रहही

सब साधन कर सफल सहावा लखन राम िसय दरसन पावा २

तिह फल कर फल दरस तमहारा सिहत पयाग सभाग हमारा

भरत धनय तमह जस जग जयऊ किह अस पम मगन पिन भयऊ ३

सिन मिन बचन सभासद हरष साध सरािह समन सर बरष

धनय धनय धिन गगन पयागा सिन सिन भरत मगन अनरागा ४

दोहा पलक गात िहय राम िसय सजल सरोरह नन

किर नाम मिन मडिलिह बोल गदगद बन २१०

मिन समाज अर तीरथराज सािचह सपथ अघाइ अकाज

एिह थल जौ िकछ किहअ बनाई एिह सम अिधक न अघ अधमाई १

तमह सबरगय कहउ सितभाऊ उर अतरजामी रघराऊ

मोिह न मात करतब कर सोच निह दख िजय जग जािनिह पोच २

नािहन डर िबगिरिह परलोक िपतह मरन कर मोिह न सोक

सकत सजस भिर भअन सहाए लिछमन राम सिरस सत पाए ३

राम िबरह तिज तन छनभग भप सोच कर कवन सग

राम लखन िसय िबन पग पनही किर मिन बष िफरिह बन बनही ४

रामचिरतमानस - 96 - अयोधयाकाड

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दोहा

अिजन बसन फल असन मिह सयन डािस कस पात

बिस तर तर िनत सहत िहम आतप बरषा बात २११

एिह दख दाह दहइ िदन छाती भख न बासर नीद न राती

एिह करोग कर औषध नाही सोधउ सकल िबसव मन माही १

मात कमत बढ़ई अघ मला तिह हमार िहत कीनह बसला

किल ककाठ कर कीनह कज गािड़ अविध पिढ़ किठन कम २

मोिह लिग यह कठाट तिह ठाटा घालिस सब जग बारहबाटा

िमटइ कजोग राम िफिर आए बसइ अवध निह आन उपाए ३

भरत बचन सिन मिन सख पाई सबिह कीनह बह भाित बड़ाई

तात करह जिन सोच िबसषी सब दख िमटिह राम पग दखी ४

दोहा किर बोध मिनबर कहउ अितिथ पमि य होह

कद मल फल फल हम दिह लह किर छोह २१२

सिन मिन बचन भरत िहय सोच भयउ कअवसर किठन सकोच

जािन गरइ गर िगरा बहोरी चरन बिद बोल कर जोरी १

िसर धिर आयस किरअ तमहारा परम धरम यह नाथ हमारा

भरत बचन मिनबर मन भाए सिच सवक िसष िनकट बोलाए २

चािहए कीनह भरत पहनाई कद मल फल आनह जाई

भलही नाथ किह ितनह िसर नाए मिदत िनज िनज काज िसधाए ३

मिनिह सोच पाहन बड़ नवता तिस पजा चािहअ जस दवता

सिन िरिध िसिध अिनमािदक आई आयस होइ सो करिह गोसाई ४

दोहा राम िबरह बयाकल भरत सानज सिहत समाज

पहनाई किर हरह म कहा मिदत मिनराज २१३

रामचिरतमानस - 97 - अयोधयाकाड

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िरिध िसिध िसर धिर मिनबर बानी बड़भािगिन आपिह अनमानी

कहिह परसपर िसिध समदाई अतिलत अितिथ राम लघ भाई १

मिन पद बिद किरअ सोइ आज होइ सखी सब राज समाज

अस किह रचउ रिचर गह नाना जिह िबलोिक िबलखािह िबमाना २

भोग िबभित भिर भिर राख दखत िजनहिह अमर अिभलाष

दासी दास साज सब लीनह जोगवत रहिह मनिह मन दीनह ३

सब समाज सिज िसिध पल माही ज सख सरपर सपनह नाही

थमिह बास िदए सब कही सदर सखद जथा रिच जही ४

दोहा बहिर सपिरजन भरत कह िरिष अस आयस दीनह

िबिध िबसमय दायक िबभव मिनबर तपबल कीनह २१४

मिन भाउ जब भरत िबलोका सब लघ लग लोकपित लोका

सख समाज निह जाइ बखानी दखत िबरित िबसारही गयानी १

आसन सयन सबसन िबताना बन बािटका िबहग मग नाना

सरिभ फल फल अिमअ समाना िबमल जलासय िबिबध िबधाना २

असन पान सच अिमअ अमी स दिख लोग सकचात जमी स

सर सरभी सरतर सबही क लिख अिभलाष सरस सची क ३

िरत बसत बह ि िबध बयारी सब कह सलभ पदारथ चारी

क चदन बिनतािदक भोगा दिख हरष िबसमय बस लोगा ४

दोहा सपत चकई भरत चक मिन आयस खलवार

तिह िनिस आ म िपजरा राख भा िभनसार २१५

मासपारायण उननीसवा िव ाम

कीनह िनमजजन तीरथराजा नाइ मिनिह िसर सिहत समाजा

रामचिरतमानस - 98 - अयोधयाकाड

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िरिष आयस असीस िसर राखी किर दडवत िबनय बह भाषी १

पथ गित कसल साथ सब लीनह चल िच कटिह िचत दीनह

रामसखा कर दीनह लाग चलत दह धिर जन अनराग २

निह पद ान सीस निह छाया पम नम त धरम अमाया

लखन राम िसय पथ कहानी पछत सखिह कहत मद बानी ३

राम बास थल िबटप िबलोक उर अनराग रहत निह रोक

दिख दसा सर बिरसिह फला भइ मद मिह मग मगल मला ४

दोहा िकए जािह छाया जलद सखद बहइ बर बात

तस मग भयउ न राम कह जस भा भरतिह जात २१६

जड़ चतन मग जीव घनर ज िचतए भ िजनह भ हर

त सब भए परम पद जोग भरत दरस मटा भव रोग १

यह बिड़ बात भरत कइ नाही सिमरत िजनिह राम मन माही

बारक राम कहत जग जऊ होत तरन तारन नर तऊ २

भरत राम ि य पिन लघ ाता कस न होइ मग मगलदाता

िस साध मिनबर अस कहही भरतिह िनरिख हरष िहय लहही ३

दिख भाउ सरसिह सोच जग भल भलिह पोच कह पोच

गर सन कहउ किरअ भ सोई रामिह भरतिह भट न होई ४

दोहा राम सकोची म बस भरत सपम पयोिध

बनी बात बगरन चहित किरअ जतन छल सोिध २१७

बचन सनत सरगर मसकान सहसनयन िबन लोचन जान

मायापित सवक सन माया करइ त उलिट परइ सरराया १

तब िकछ कीनह राम रख जानी अब कचािल किर होइिह हानी

सन सरस रघनाथ सभाऊ िनज अपराध िरसािह न काऊ २

जो अपराध भगत कर करई राम रोष पावक सो जरई

रामचिरतमानस - 99 - अयोधयाकाड

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लोकह बद िबिदत इितहासा यह मिहमा जानिह दरबासा ३

भरत सिरस को राम सनही जग जप राम राम जप जही ४

दोहा मनह न आिनअ अमरपित रघबर भगत अकाज

अजस लोक परलोक दख िदन िदन सोक समाज २१८

सन सरस उपदस हमारा रामिह सवक परम िपआरा

मानत सख सवक सवकाई सवक बर बर अिधकाई १

ज िप सम निह राग न रोष गहिह न पाप पन गन दोष

करम धान िबसव किर राखा जो जस करइ सो तस फल चाखा २

तदिप करिह सम िबषम िबहारा भगत अभगत हदय अनसारा

अगन अलप अमान एकरस राम सगन भए भगत पम बस ३

राम सदा सवक रिच राखी बद परान साध सर साखी

अस िजय जािन तजह किटलाई करह भरत पद ीित सहाई ४

दोहा राम भगत परिहत िनरत पर दख दखी दयाल

भगत िसरोमिन भरत त जिन डरपह सरपाल २१९

सतयसध भ सर िहतकारी भरत राम आयस अनसारी

सवारथ िबबस िबकल तमह होह भरत दोस निह राउर मोह १

सिन सरबर सरगर बर बानी भा मोद मन िमटी गलानी

बरिष सन हरिष सरराऊ लग सराहन भरत सभाऊ २

एिह िबिध भरत चल मग जाही दसा दिख मिन िस िसहाही

जबिह राम किह लिह उसासा उमगत पम मनह चह पासा ३

विह बचन सिन किलस पषाना परजन पम न जाइ बखाना

बीच बास किर जमनिह आए िनरिख नीर लोचन जल छाए १

दोहा

रामचिरतमानस - 100 - अयोधयाकाड

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रघबर बरन िबलोिक बर बािर समत समाज होत मगन बािरिध िबरह चढ़ िबबक जहाज २२०

जमन तीर तिह िदन किर बास भयउ समय सम सबिह सपास

रातिह घाट घाट की तरनी आई अगिनत जािह न बरनी १

ात पार भए एकिह खवा तोष रामसखा की सवा

चल नहाइ निदिह िसर नाई साथ िनषादनाथ दोउ भाई २

आग मिनबर बाहन आछ राजसमाज जाइ सब पाछ

तिह पाछ दोउ बध पयाद भषन बसन बष सिठ साद ३

सवक स द सिचवसत साथा सिमरत लखन सीय रघनाथा

जह जह राम बास िब ामा तह तह करिह स म नामा ४

दोहा मगबासी नर नािर सिन धाम काम तिज धाइ

दिख सरप सनह सब मिदत जनम फल पाइ २२१

कहिह सपम एक एक पाही राम लखन सिख होिह िक नाही

बय बप बरन रप सोइ आली सील सनह सिरस सम चाली १

बष न सो सिख सीय न सगा आग अनी चली चतरगा

निह सनन मख मानस खदा सिख सदह होइ एिह भदा २

तास तरक ितयगन मन मानी कहिह सकल तिह सम न सयानी

तिह सरािह बानी फिर पजी बोली मधर बचन ितय दजी ३

किह सपम सब कथा सग जिह िबिध राम राज रस भग

भरतिह बहिर सराहन लागी सील सनह सभाय सभागी ४

दोहा चलत पयाद खात फल िपता दीनह तिज राज

जात मनावन रघबरिह भरत सिरस को आज २२२

भायप भगित भरत आचरन कहत सनत दख दषन हरन

रामचिरतमानस - 101 - अयोधयाकाड

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जो कछ कहब थोर सिख सोई रा म बध अस काह न होई १

हम सब सानज भरतिह दख भइनह धनय जबती जन लख

सिन गन दिख दसा पिछताही ककइ जनिन जोग सत नाही २

कोउ कह दषन रािनिह नािहन िबिध सब कीनह हमिह जो दािहन

कह हम लोक बद िबिध हीनी लघ ितय कल करतित मलीनी ३

बसिह कदस कगाव कबामा कह यह दरस पनय पिरनामा

अस अनद अिचिरज ित ामा जन मरभिम कलपतर जामा ४

दोहा भरत दरस दखत खलउ मग लोगनह कर भाग

जन िसघलबािसनह भयउ िबिध बस सलभ याग २२३

िनज गन सिहत राम गन गाथा सनत जािह सिमरत रघनाथा

तीरथ मिन आ म सरधामा िनरिख िनमजजिह करिह नामा १

मनही मन मागिह बर एह सीय राम पद पदम सनह

िमलिह िकरात कोल बनबासी बखानस बट जती उदासी २

किर नाम पछिह जिह तही किह बन लखन राम बदही

त भ समाचार सब कहही भरतिह दिख जनम फल लहही ३

ज जन कहिह कसल हम दख त ि य राम लखन सम लख

एिह िबिध बझत सबिह सबानी सनत राम बनबास कहानी ४

दोहा तिह बासर बिस ातही चल सिमिर रघनाथ

राम दरस की लालसा भरत सिरस सब साथ २२४

मगल सगन होिह सब काह फरकिह सखद िबलोचन बाह

भरतिह सिहत समाज उछाह िमिलहिह राम िमटिह दख दाह १

करत मनोरथ जस िजय जाक जािह सनह सरा सब छाक

िसिथल अग पग मग डिग डोलिह िबहबल बचन पम बस बोलिह २

रामसखा तिह समय दखावा सल िसरोमिन सहज सहावा

रामचिरतमानस - 102 - अयोधयाकाड

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जास समीप सिरत पय तीरा सीय समत बसिह दोउ बीरा ३

दिख करिह सब दड नामा किह जय जानिक जीवन रामा

म मगन अस राज समाज जन िफिर अवध चल रघराज ४

दोहा भरत म तिह समय जस तस किह सकइ न सष

किबिह अगम िजिम सख अह मम मिलन जनष २२५

सकल सनह िसिथल रघबर क गए कोस दइ िदनकर ढरक

जल थल दिख बस िनिस बीत कीनह गवन रघनाथ िपरीत १

उहा राम रजनी अवसषा जाग सीय सपन अस दखा

सिहत समाज भरत जन आए नाथ िबयोग ताप तन ताए २

सकल मिलन मन दीन दखारी दखी सास आन अ नहारी

सिन िसय सपन भर जल लोचन भए सोचबस सोच िबमोचन ३

लखन सपन यह नीक न होई किठन कचाह सनाइिह कोई

अस किह बध समत नहान पिज परािर साध सनमान ४ छद

सनमािन सर मिन बिद बठ उ र िदिस दखत भए

नभ धिर खग मग भिर भाग िबकल भ आ म गए

तलसी उठ अवलोिक कारन काह िचत सचिकत रह

सब समाचार िकरात कोलिनह आइ तिह अवसर कह

दोहा सनत समगल बन मन मोद तन पलक भर

सरद सरोरह नन तलसी भर सनह जल २२६

बहिर सोचबस भ िसयरवन कारन कवन भरत आगवन

एक आइ अस कहा बहोरी सन सग चतरग न थोरी १

सो सिन रामिह भा अित सोच इत िपत बच इत बध सकोच

रामचिरतमानस - 103 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ समिझ मन माही भ िचत िहत िथित पावत नाही २

समाधान तब भा यह जान भरत कह मह साध सयान

लखन लखउ भ हदय खभार कहत समय सम नीित िबचार ३

िबन पछ कछ कहउ गोसाई सवक समय न ढीठ िढठाई

तमह सबरगय िसरोमिन सवामी आपिन समिझ कहउ अनगामी ४

दोहा नाथ स द सिठ सरल िचत सील सनह िनधान

सब पर ीित तीित िजय जािनअ आप समान २२७

िबषई जीव पाइ भताई मढ़ मोह बस होिह जनाई

भरत नीित रत साध सजाना भ पद म सकल जग जाना १

तऊ आज राम पद पाई चल धरम मरजाद मटाई

किटल कबध कअवसर ताकी जािन राम बनवास एकाकी २

किर कम मन सािज समाज आए कर अकटक राज

कोिट कार कलिप कटलाई आए दल बटोिर दोउ भाई ३

जौ िजय होित न कपट कचाली किह सोहाित रथ बािज गजाली

भरतिह दोस दइ को जाए जग बौराइ राज पद पाए ४

दोहा सिस गर ितय गामी नघष चढ़उ भिमसर जान

लोक बद त िबमख भा अधम न बन समान २२८

सहसबाह सरनाथ ि सक किह न राजमद दीनह कलक

भरत कीनह यह उिचत उपाऊ िरप िरन रच न राखब काऊ १

एक कीिनह निह भरत भलाई िनदर राम जािन असहाई

समिझ पिरिह सोउ आज िबसषी समर सरोष राम मख पखी २

एतना कहत नीित रस भला रन रस िबटप पलक िमस फला

भ पद बिद सीस रज राखी बोल सतय सहज बल भाषी ३

अनिचत नाथ न मानब मोरा भरत हमिह उपचार न थोरा

रामचिरतमानस - 104 - अयोधयाकाड

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कह लिग सिहअ रिहअ मन मार नाथ साथ धन हाथ हमार ४

दोहा छि जाित रघकल जनम राम अनग जग जान

लातह मार चढ़ित िसर नीच को धिर समान २२९

उिठ कर जोिर रजायस मागा मनह बीर रस सोवत जागा

बािध जटा िसर किस किट भाथा सािज सरासन सायक हाथा १

आज राम सवक जस लऊ भरतिह समर िसखावन दऊ

राम िनरादर कर फल पाई सोवह समर सज दोउ भाई २

आइ बना भल सकल समाज गट करउ िरस पािछल आज

िजिम किर िनकर दलइ मगराज लइ लपिट लवा िजिम बाज ३

तसिह भरतिह सन समता सानज िनदिर िनपातउ खता

जौ सहाय कर सकर आई तौ मारउ रन राम दोहाई ४

दोहा अित सरोष माख लखन लिख सिन सपथ वान

सभय लोक सब लोकपित चाहत भभिर भगान २३०

जग भय मगन गगन भइ बानी लखन बाहबल िबपल बखानी

तात ताप भाउ तमहारा को किह सकइ को जानिनहारा १

अनिचत उिचत काज िकछ होऊ समिझ किरअ भल कह सब कोऊ

सहसा किर पाछ पिछताही कहिह बद बध त बध नाही २

सिन सर बचन लखन सकचान राम सीय सादर सनमान

कही तात तमह नीित सहाई सब त किठन राजमद भाई ३

जो अचवत नप मातिह तई नािहन साधसभा जिह सई

सनह लखन भल भरत सरीसा िबिध पच मह सना न दीसा ४

दोहा भरतिह होइ न राजमद िबिध हिर हर पद पाइ

रामचिरतमानस - 105 - अयोधयाकाड

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कबह िक काजी सीकरिन छीरिसध िबनसाइ २३१

ितिमर तरन तरिनिह मक िगलई गगन मगन मक मघिह िमलई

गोपद जल बड़िह घटजोनी सहज छमा बर छाड़ छोनी १

मसक फक मक मर उड़ाई होइ न नपमद भरतिह भाई

लखन तमहार सपथ िपत आना सिच सबध निह भरत समाना २

सगन खीर अवगन जल ताता िमलइ रचइ परपच िबधाता

भरत हस रिबबस तड़ागा जनिम कीनह गन दोष िबभागा ३

गिह गन पय तिज अवगन बारी िनज जस जगत कीिनह उिजआरी

कहत भरत गन सील सभाऊ पम पयोिध मगन रघराऊ ४

दोहा सिन रघबर बानी िबबध दिख भरत पर हत सकल सराहत राम सो भ को कपािनकत २३२

जौ न होत जग जनम भरत को सकल धरम धर धरिन धरत को

किब कल अगम भरत गन गाथा को जानइ तमह िबन रघनाथा १

लखन राम िसय सिन सर बानी अित सख लहउ न जाइ बखानी

इहा भरत सब सिहत सहाए मदािकनी पनीत नहाए २

सिरत समीप रािख सब लोगा मािग मात गर सिचव िनयोगा

चल भरत जह िसय रघराई साथ िनषादनाथ लघ भाई ३

समिझ मात करतब सकचाही करत कतरक कोिट मन माही

राम लखन िसय सिन मम नाऊ उिठ जिन अनत जािह तिज ठाऊ ४

दोहा मात मत मह मािन मोिह जो कछ करिह सो थोर

अघ अवगन छिम आदरिह समिझ आपनी ओर २३३

जौ पिरहरिह मिलन मन जानी जौ सनमानिह सवक मानी

मोर सरन रामिह की पनही राम ससवािम दोस सब जनही १

रामचिरतमानस - 106 - अयोधयाकाड

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जग जस भाजन चातक मीना नम पम िनज िनपन नबीना

अस मन गनत चल मग जाता सकच सनह िसिथल सब गाता २

फरत मनह मात कत खोरी चलत भगित बल धीरज धोरी

जब समझत रघनाथ सभाऊ तब पथ परत उताइल पाऊ ३

भरत दसा तिह अवसर कसी जल बाह जल अिल गित जसी

दिख भरत कर सोच सनह भा िनषाद तिह समय िबदह ४

दोहा लग होन मगल सगन सिन गिन कहत िनषाद िमिटिह सोच होइिह हरष पिन पिरनाम िबषाद २३४

सवक बचन सतय सब जान आ म िनकट जाइ िनअरान

भरत दीख बन सल समाज मिदत छिधत जन पाइ सनाज १

ईित भीित जन जा दखारी ि िबध ताप पीिड़त ह मारी

जाइ सराज सदस सखारी होिह भरत गित तिह अनहारी २

राम बास बन सपित ाजा सखी जा जन पाइ सराजा

सिचव िबराग िबबक नरस िबिपन सहावन पावन दस ३

भट जम िनयम सल रजधानी साित समित सिच सदर रानी

सकल अग सपनन सराऊ राम चरन आि त िचत चाऊ ४

दोहा जीित मोह मिहपाल दल सिहत िबबक भआल

करत अकटक राज पर सख सपदा सकाल २३५

बन दस मिन बास घनर जन पर नगर गाउ गन खर

िबपल िबिच िबहग मग नाना जा समाज न जाइ बखाना १

खगहा किर हिर बाघ बराहा दिख मिहष बष साज सराहा

बयर िबहाइ चरिह एक सगा जह तह मनह सन चतरगा २

झरना झरिह म गज गाजिह मनह िनसान िबिबिध िबिध बाजिह

चक चकोर चातक सक िपक गन कजत मज मराल मिदत मन ३

रामचिरतमानस - 107 - अयोधयाकाड

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अिलगन गावत नाचत मोरा जन सराज मगल चह ओरा

बिल िबटप तन सफल सफला सब समाज मद मगल मला ४

दोहा राम सल सोभा िनरिख भरत हदय अित पम तापस तप फल पाइ िजिम सखी िसरान नम २३६

मासपारायण बीसवा िव ाम

नवा पारायण पाचवा िव ाम

तब कवट ऊच चिढ़ धाई कहउ भरत सन भजा उठाई

नाथ दिखअिह िबटप िबसाला पाकिर जब रसाल तमाला १

िजनह तरबरनह मधय बट सोहा मज िबसाल दिख मन मोहा

नील सघन पललव फल लाला अिबरल छाह सखद सब काला २

मानह ितिमर अरनमय रासी िबरची िबिध सकिल सषमा सी

ए तर सिरत समीप गोसाई रघबर परनकटी जह छाई ३

तलसी तरबर िबिबध सहाए कह कह िसय कह लखन लगाए

बट छाया बिदका बनाई िसय िनज पािन सरोज सहाई ४

दोहा जहा बिठ मिनगन सिहत िनत िसय राम सजान

सनिह कथा इितहास सब आगम िनगम परान २३७

सखा बचन सिन िबटप िनहारी उमग भरत िबलोचन बारी

करत नाम चल दोउ भाई कहत ीित सारद सकचाई १

हरषिह िनरिख राम पद अका मानह पारस पायउ रका

रज िसर धिर िहय नयनिनह लाविहरघबर िमलन सिरस सख पाविह २

दिख भरत गित अकथ अतीवा म मगन मग खग जड़ जीवा

सखिह सनह िबबस मग भला किह सपथ सर बरषिह फला ३

िनरिख िस साधक अनराग सहज सनह सराहन लाग

रामचिरतमानस - 108 - अयोधयाकाड

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होत न भतल भाउ भरत को अचर सचर चर अचर करत को ४

दोहा पम अिमअ मदर िबरह भरत पयोिध गभीर

मिथ गटउ सर साध िहत कपािसध रघबीर २३८

सखा समत मनोहर जोटा लखउ न लखन सघन बन ओटा

भरत दीख भ आ म पावन सकल समगल सदन सहावन १

करत बस िमट दख दा वा जन जोगी परमारथ पावा

दख भरत लखन भ आग पछ बचन कहत अनराग २

सीस जटा किट मिन पट बाध तन कस कर सर धन काध

बदी पर मिन साध समाज सीय सिहत राजत रघराज ३

बलकल बसन जिटल तन सयामा जन मिन बष कीनह रित कामा

कर कमलिन धन सायक फरत िजय की जरिन हरत हिस हरत ४

दोहा लसत मज मिन मडली मधय सीय रघचद

गयान सभा जन तन धर भगित सिचचदानद २३९

सानज सखा समत मगन मन िबसर हरष सोक सख दख गन

पािह नाथ किह पािह गोसाई भतल पर लकट की नाई १

बचन सपम लखन पिहचान करत नाम भरत िजय जान

बध सनह सरस एिह ओरा उत सािहब सवा बस जोरा २

िमिल न जाइ निह गदरत बनई सकिब लखन मन की गित भनई

रह रािख सवा पर भार चढ़ी चग जन खच खलार ३

कहत स म नाइ मिह माथा भरत नाम करत रघनाथा

उठ राम सिन पम अधीरा कह पट कह िनषग धन तीरा ४

दोहा बरबस िलए उठाइ उर लाए कपािनधान

रामचिरतमानस - 109 - अयोधयाकाड

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भरत राम की िमलिन लिख िबसर सबिह अपान २४०

िमलिन ीित िकिम जाइ बखानी किबकल अगम करम मन बानी

परम पम परन दोउ भाई मन बिध िचत अहिमित िबसराई १

कहह सपम गट को करई किह छाया किब मित अनसरई

किबिह अरथ आखर बल साचा अनहिर ताल गितिह नट नाचा २

अगम सनह भरत रघबर को जह न जाइ मन िबिध हिर हर को

सो म कमित कहौ किह भाती बाज सराग िक गाडर ताती ३

िमलिन िबलोिक भरत रघबर की सरगन सभय धकधकी धरकी

समझाए सरगर जड़ जाग बरिष सन ससन लाग ४

दोहा िमिल सपम िरपसदनिह कवट भटउ राम

भिर भाय भट भरत लिछमन करत नाम २४१

भटउ लखन ललिक लघ भाई बहिर िनषाद लीनह उर लाई

पिन मिनगन दह भाइनह बद अिभमत आिसष पाइ अनद १

सानज भरत उमिग अनरागा धिर िसर िसय पद पदम परागा

पिन पिन करत नाम उठाए िसर कर कमल परिस बठाए २

सीय असीस दीिनह मन माही मगन सनह दह सिध नाही

सब िबिध सानकल लिख सीता भ िनसोच उर अपडर बीता ३

कोउ िकछ कहइ न कोउ िकछ पछा म भरा मन िनज गित छछा

तिह अवसर कवट धीरज धिर जोिर पािन िबनवत नाम किर ४

दोहा नाथ साथ मिननाथ क मात सकल पर लोग

सवक सनप सिचव सब आए िबकल िबयोग २४२

सीलिसध सिन गर आगवन िसय समीप राख िरपदवन

चल सबग राम तिह काला धीर धरम धर दीनदयाला १

रामचिरतमानस - 110 - अयोधयाकाड

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गरिह दिख सानज अनराग दड नाम करन भ लाग

मिनबर धाइ िलए उर लाई म उमिग भट दोउ भाई २ म पलिक कवट किह नाम कीनह दिर त दड नाम

रामसखा िरिष बरबस भटा जन मिह लठत सनह समटा ३

रघपित भगित समगल मला नभ सरािह सर बिरसिह फला

एिह सम िनपट नीच कोउ नाही बड़ बिस सम को जग माही ४

दोहा जिह लिख लखनह त अिधक िमल मिदत मिनराउ

सो सीतापित भजन को गट ताप भाउ २४३

आरत लोग राम सब जाना करनाकर सजान भगवाना

जो जिह भाय रहा अिभलाषी तिह तिह क तिस तिस रख राखी १

सानज िमिल पल मह सब काह कीनह दिर दख दारन दाह

यह बिड़ बात राम क नाही िजिम घट कोिट एक रिब छाही २

िमिल कविटिह उमिग अनरागा परजन सकल सराहिह भागा

दखी राम दिखत महतारी जन सबिल अवली िहम मारी ३

थम राम भटी ककई सरल सभाय भगित मित भई

पग पिर कीनह बोध बहोरी काल करम िबिध िसर धिर खोरी ४

दोहा भटी रघबर मात सब किर बोध पिरतोष

अब ईस आधीन जग काह न दइअ दोष २४४

गरितय पद बद दह भाई सिहत िब ितय ज सग आई

गग गौिर सम सब सनमानी दिह असीस मिदत मद बानी १

गिह पद लग सिम ा अका जन भटी सपित अित रका

पिन जनिन चरनिन दोउ ाता पर पम बयाकल सब गाता २

अित अनराग अब उर लाए नयन सनह सिलल अनहवाए

तिह अवसर कर हरष िबषाद िकिम किब कह मक िजिम सवाद ३

रामचिरतमानस - 111 - अयोधयाकाड

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िमिल जननिह सानज रघराऊ गर सन कहउ िक धािरअ पाऊ

परजन पाइ मनीस िनयोग जल थल तिक तिक उतरउ लोग ४

दोहा मिहसर म ी मात गर गन लोग िलए साथ

पावन आ म गवन िकय भरत लखन रघनाथ २४५

सीय आइ मिनबर पग लागी उिचत असीस लही मन मागी

गरपितिनिह मिनितयनह समता िमली पम किह जाइ न जता १

बिद बिद पग िसय सबही क आिसरबचन लह ि य जी क

सास सकल जब सीय िनहारी मद नयन सहिम सकमारी २

परी बिधक बस मनह मराली काह कीनह करतार कचाली

ितनह िसय िनरिख िनपट दख पावा सो सब सिहअ जो दउ सहावा ३

जनकसता तब उर धिर धीरा नील निलन लोयन भिर नीरा

िमली सकल सासनह िसय जाई तिह अवसर करना मिह छाई ४

दोहा लािग लािग पग सबिन िसय भटित अित अनराग

हदय असीसिह पम बस रिहअह भरी सोहाग २४६

िबकल सनह सीय सब रानी बठन सबिह कहउ गर गयानी

किह जग गित माियक मिननाथा कह कछक परमारथ गाथा १

नप कर सरपर गवन सनावा सिन रघनाथ दसह दख पावा

मरन हत िनज नह िबचारी भ अित िबकल धीर धर धारी २

किलस कठोर सनत कट बानी िबलपत लखन सीय सब रानी

सोक िबकल अित सकल समाज मानह राज अकाजउ आज ३

मिनबर बहिर राम समझाए सिहत समाज ससिरत नहाए

त िनरब तिह िदन भ कीनहा मिनह कह जल काह न लीनहा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 112 - अयोधयाकाड

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भोर भए रघनदनिह जो मिन आयस दीनह

ा भगित समत भ सो सब सादर कीनह २४७

किर िपत ि या बद जिस बरनी भ पनीत पातक तम तरनी

जास नाम पावक अघ तला सिमरत सकल समगल मला १

स सो भयउ साध समत अस तीरथ आवाहन सरसिर जस

स भए दइ बासर बीत बोल गर सन रा म िपरीत २

नाथ लोग सब िनपट दखारी कद मल फल अब अहारी

सानज भरत सिचव सब माता दिख मोिह पल िजिम जग जाता ३

सब समत पर धािरअ पाऊ आप इहा अमरावित राऊ

बहत कहउ सब िकयउ िढठाई उिचत होइ तस किरअ गोसाई ४

दोहा धमर सत करनायतन कस न कहह अस राम

लोग दिखत िदन दइ दरस दिख लहह िब ाम २४८

राम बचन सिन सभय समाज जन जलिनिध मह िबकल जहाज

सिन गर िगरा समगल मला भयउ मनह मारत अनकला १

पावन पय ितह काल नहाही जो िबलोिक अघ ओघ नसाही

मगलमरित लोचन भिर भिर िनरखिह हरिष दडवत किर किर २

राम सल बन दखन जाही जह सख सकल सकल दख नाही

झरना झिरिह सधासम बारी ि िबध तापहर ि िबध बयारी ३

िबटप बिल तन अगिनत जाती फल सन पललव बह भाती

सदर िसला सखद तर छाही जाइ बरिन बन छिब किह पाही ४

दोहा सरिन सरोरह जल िबहग कजत गजत भग

बर िबगत िबहरत िबिपन मग िबहग बहरग २४९

कोल िकरात िभलल बनबासी मध सिच सदर सवाद सधा सी

रामचिरतमानस - 113 - अयोधयाकाड

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भिर भिर परन पटी रिच ररी कद मल फल अकर जरी १

सबिह दिह किर िबनय नामा किह किह सवाद भद गन नामा

दिह लोग बह मोल न लही फरत राम दोहाई दही २

कहिह सनह मगन मद बानी मानत साध पम पिहचानी

तमह सकती हम नीच िनषादा पावा दरसन राम सादा ३

हमिह अगम अित दरस तमहारा जस मर धरिन दवधिन धारा

राम कपाल िनषाद नवाजा पिरजन जउ चिहअ जस राजा ४

दोहा यह िजय जािन सकोच तिज किरअ छोह लिख नह

हमिह कतारथ करन लिग फल तन अकर लह २५०

तमह ि य पाहन बन पग धार सवा जोग न भाग हमार

दब काह हम तमहिह गोसाई ईधन पात िकरात िमताई १

यह हमािर अित बिड़ सवकाई लिह न बासन बसन चोराई

हम जड़ जीव जीव गन घाती किटल कचाली कमित कजाती २

पाप करत िनिस बासर जाही निह पट किट निह पट अघाही

सपोनह धरम बि कस काऊ यह रघनदन दरस भाऊ ३

जब त भ पद पदम िनहार िमट दसह दख दोष हमार

बचन सनत परजन अनराग ितनह क भाग सराहन लाग ४ छद

लाग सराहन भाग सब अनराग बचन सनावही बोलिन िमलिन िसय राम चरन सनह लिख सख पावही

नर नािर िनदरिह नह िनज सिन कोल िभललिन की िगरा

तलसी कपा रघबसमिन की लोह ल लौका ितरा

सोरठा िबहरिह बन चह ओर ितिदन मिदत लोग सब

जल जयो दादर मोर भए पीन पावस थम २५१

रामचिरतमानस - 114 - अयोधयाकाड

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पर जन नािर मगन अित ीती बासर जािह पलक सम बीती

सीय सास ित बष बनाई सादर करइ सिरस सवकाई १

लखा न मरम राम िबन काह माया सब िसय माया माह

सीय सास सवा बस कीनही ितनह लिह सख िसख आिसष दीनही २

लिख िसय सिहत सरल दोउ भाई किटल रािन पिछतािन अघाई

अविन जमिह जाचित ककई मिह न बीच िबिध मीच न दई ३

लोकह बद िबिदत किब कहही राम िबमख थल नरक न लहही

यह ससउ सब क मन माही राम गवन िबिध अवध िक नाही ४

दोहा िनिस न नीद निह भख िदन भरत िबकल सिच सोच नीच कीच िबच मगन जस मीनिह सिलल सकोच २५२

कीनही मात िमस काल कचाली ईित भीित जस पाकत साली

किह िबिध होइ राम अिभषक मोिह अवकलत उपाउ न एक १

अविस िफरिह गर आयस मानी मिन पिन कहब राम रिच जानी

मात कहह बहरिह रघराऊ राम जनिन हठ करिब िक काऊ २

मोिह अनचर कर कितक बाता तिह मह कसमउ बाम िबधाता

जौ हठ करउ त िनपट ककरम हरिगिर त गर सवक धरम ३

एकउ जगित न मन ठहरानी सोचत भरतिह रिन िबहानी

ात नहाइ भिह िसर नाई बठत पठए िरषय बोलाई ४

दोहा गर पद कमल नाम किर बठ आयस पाइ

िब महाजन सिचव सब जर सभासद आइ २५३

बोल मिनबर समय समाना सनह सभासद भरत सजाना

धरम धरीन भानकल भान राजा राम सवबस भगवान १

सतयसध पालक ित सत राम जनम जग मगल हत

रामचिरतमानस - 115 - अयोधयाकाड

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गर िपत मात बचन अनसारी खल दल दलन दव िहतकारी २

नीित ीित परमारथ सवारथ कोउ न राम सम जान जथारथ

िबिध हिर हर सिस रिब िदिसपाला माया जीव करम किल काला ३

अिहप मिहप जह लिग भताई जोग िसि िनगमागम गाई

किर िबचार िजय दखह नीक राम रजाइ सीस सबही क ४

दोहा राख राम रजाइ रख हम सब कर िहत होइ

समिझ सयान करह अब सब िमिल समत सोइ २५४

सब कह सखद राम अिभषक मगल मोद मल मग एक

किह िबिध अवध चलिह रघराऊ कहह समिझ सोइ किरअ उपाऊ १

सब सादर सिन मिनबर बानी नय परमारथ सवारथ सानी

उतर न आव लोग भए भोर तब िसर नाइ भरत कर जोर २

भानबस भए भप घनर अिधक एक त एक बड़र

जनम हत सब कह िपत माता करम सभासभ दइ िबधाता ३

दिल दख सजइ सकल कलयाना अस असीस राउिर जग जाना

सो गोसाइ िबिध गित जिह छकी सकइ को टािर टक जो टकी ४

दोहा बिझअ मोिह उपाउ अब सो सब मोर अभाग

सिन सनहमय बचन गर उर उमगा अनराग २५५

तात बात फिर राम कपाही राम िबमख िसिध सपनह नाही

सकचउ तात कहत एक बाता अरध तजिह बध सरबस जाता १

तमह कानन गवनह दोउ भाई फिरअिह लखन सीय रघराई

सिन सबचन हरष दोउ ाता भ मोद पिरपरन गाता २

मन सनन तन तज िबराजा जन िजय राउ राम भए राजा

बहत लाभ लोगनह लघ हानी सम दख सख सब रोविह रानी ३

कहिह भरत मिन कहा सो कीनह फल जग जीवनह अिभमत दीनह

रामचिरतमानस - 116 - अयोधयाकाड

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कानन करउ जनम भिर बास एिह त अिधक न मोर सपास ४

दोहा अतरजामी राम िसय तमह सरबगय सजान

जो फर कहह त नाथ िनज कीिजअ बचन वान २५६

भरत बचन सिन दिख सनह सभा सिहत मिन भए िबदह

भरत महा मिहमा जलरासी मिन मित ठािढ़ तीर अबला सी १

गा चह पार जतन िहय हरा पावित नाव न बोिहत बरा

और किरिह को भरत बड़ाई सरसी सीिप िक िसध समाई २

भरत मिनिह मन भीतर भाए सिहत समाज राम पिह आए

भ नाम किर दीनह सआसन बठ सब सिन मिन अनसासन ३

बोल मिनबर बचन िबचारी दस काल अवसर अनहारी

सनह राम सरबगय सजाना धरम नीित गन गयान िनधाना ४

दोहा सब क उर अतर बसह जानह भाउ कभाउ

परजन जननी भरत िहत होइ सो किहअ उपाउ २५७

आरत कहिह िबचािर न काऊ सझ जआिरिह आपन दाऊ

सिन मिन बचन कहत रघराऊ नाथ तमहारिह हाथ उपाऊ १

सब कर िहत रख राउिर राख आयस िकए मिदत फर भाष

थम जो आयस मो कह होई माथ मािन करौ िसख सोई २

पिन जिह कह जस कहब गोसाई सो सब भाित घिटिह सवकाई

कह मिन राम सतय तमह भाषा भरत सनह िबचार न राखा ३

तिह त कहउ बहोिर बहोरी भरत भगित बस भइ मित मोरी

मोर जान भरत रिच रािख जो कीिजअ सो सभ िसव साखी ४

दोहा भरत िबनय सादर सिनअ किरअ िबचार बहोिर

रामचिरतमानस - 117 - अयोधयाकाड

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करब साधमत लोकमत नपनय िनगम िनचोिर २५८

गर अनराग भरत पर दखी राम हदय आनद िबसषी

भरतिह धरम धरधर जानी िनज सवक तन मानस बानी १

बोल गर आयस अनकला बचन मज मद मगलमला

नाथ सपथ िपत चरन दोहाई भयउ न भअन भरत सम भाई २

ज गर पद अबज अनरागी त लोकह बदह बड़भागी

राउर जा पर अस अनराग को किह सकइ भरत कर भाग ३

लिख लघ बध बि सकचाई करत बदन पर भरत बड़ाई

भरत कहही सोइ िकए भलाई अस किह राम रह अरगाई ४

दोहा तब मिन बोल भरत सन सब सकोच तिज तात

कपािसध ि य बध सन कहह हदय क बात २५९

सिन मिन बचन राम रख पाई गर सािहब अनकल अघाई

लिख अपन िसर सब छर भार किह न सकिह कछ करिह िबचार १

पलिक सरीर सभा भए ठाढ नीरज नयन नह जल बाढ़

कहब मोर मिननाथ िनबाहा एिह त अिधक कहौ म काहा २

म जानउ िनज नाथ सभाऊ अपरािधह पर कोह न काऊ

मो पर कपा सनह िबसषी खलत खिनस न कबह दखी ३

िससपन तम पिरहरउ न सग कबह न कीनह मोर मन भग

म भ कपा रीित िजय जोही हारह खल िजताविह मोही ४

दोहा मह सनह सकोच बस सनमख कही न बन

दरसन तिपत न आज लिग पम िपआस नन २६०

िबिध न सकउ सिह मोर दलारा नीच बीच जननी िमस पारा

यहउ कहत मोिह आज न सोभा अपनी समिझ साध सिच को भा १

रामचिरतमानस - 118 - अयोधयाकाड

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मात मिद म साध सचाली उर अस आनत कोिट कचाली

फरइ िक कोदव बािल ससाली मकता सव िक सबक काली २

सपनह दोसक लस न काह मोर अभाग उदिध अवगाह

िबन समझ िनज अघ पिरपाक जािरउ जाय जनिन किह काक ३

हदय हिर हारउ सब ओरा एकिह भाित भलिह भल मोरा

गर गोसाइ सािहब िसय राम लागत मोिह नीक पिरनाम ४

दोहा साध सभा गर भ िनकट कहउ सथल सित भाउ

म पच िक झठ फर जानिह मिन रघराउ २६१

भपित मरन पम पन राखी जननी कमित जगत सब साखी

दिख न जािह िबकल महतारी जरिह दसह जर पर नर नारी १

मही सकल अनरथ कर मला सो सिन समिझ सिहउ सब सला

सिन बन गवन कीनह रघनाथा किर मिन बष लखन िसय साथा २

िबन पानिहनह पयादिह पाए सकर सािख रहउ एिह घाए

बहिर िनहार िनषाद सनह किलस किठन उर भयउ न बह ३

अब सब आिखनह दखउ आई िजअत जीव जड़ सबइ सहाई

िजनहिह िनरिख मग सािपिन बीछी तजिह िबषम िबष तामस तीछी४

दोहा तइ रघनदन लखन िसय अनिहत लाग जािह

तास तनय तिज दसह दख दउ सहावइ कािह २६२

सिन अित िबकल भरत बर बानी आरित ीित िबनय नय सानी

सोक मगन सब सभा खभार मनह कमल बन परउ तसार १

किह अनक िबिध कथा परानी भरत बोध कीनह मिन गयानी

बोल उिचत बचन रघनद िदनकर कल करव बन चद २

तात जाय िजय करह गलानी ईस अधीन जीव गित जानी

तीिन काल ितभअन मत मोर पनयिसलोक तात तर तोर ३

रामचिरतमानस - 119 - अयोधयाकाड

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उर आनत तमह पर किटलाई जाइ लोक परलोक नसाई

दोस दिह जनिनिह जड़ तई िजनह गर साध सभा निह सई ४

दोहा िमिटहिह पाप पच सब अिखल अमगल भार लोक सजस परलोक सख सिमरत नाम तमहार २६३

कहउ सभाउ सतय िसव साखी भरत भिम रह राउिर राखी

तात कतरक करह जिन जाए बर पम निह दरइ दराए १

मिन गन िनकट िबहग मग जाही बाधक बिधक िबलोिक पराही

िहत अनिहत पस पिचछउ जाना मानष तन गन गयान िनधाना २

तात तमहिह म जानउ नीक करौ काह असमजस जीक

राखउ राय सतय मोिह तयागी तन पिरहरउ पम पन लागी ३

तास बचन मटत मन सोच तिह त अिधक तमहार सकोच

ता पर गर मोिह आयस दीनहा अविस जो कहह चहउ सोइ कीनहा ४

दोहा मन सनन किर सकच तिज कहह करौ सोइ आज

सतयसध रघबर बचन सिन भा सखी समाज २६४

सर गन सिहत सभय सरराज सोचिह चाहत होन अकाज

बनत उपाउ करत कछ नाही राम सरन सब ग मन माही १

बहिर िबचािर परसपर कहही रघपित भगत भगित बस अहही

सिध किर अबरीष दरबासा भ सर सरपित िनपट िनरासा २

सह सरनह बह काल िबषादा नरहिर िकए गट हलादा

लिग लिग कान कहिह धिन माथा अब सर काज भरत क हाथा ३

आन उपाउ न दिखअ दवा मानत राम ससवक सवा

िहय सपम सिमरह सब भरतिह िनज गन सील राम बस करतिह ४

दोहा

रामचिरतमानस - 120 - अयोधयाकाड

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सिन सर मत सरगर कहउ भल तमहार बड़ भाग

सकल समगल मल जग भरत चरन अनराग २६५

सीतापित सवक सवकाई कामधन सय सिरस सहाई

भरत भगित तमहर मन आई तजह सोच िबिध बात बनाई १

दख दवपित भरत भाऊ सहज सभाय िबबस रघराऊ

मन िथर करह दव डर नाही भरतिह जािन राम पिरछाही २

सनो सरगर सर समत सोच अतरजामी भिह सकोच

िनज िसर भार भरत िजय जाना करत कोिट िबिध उर अनमाना ३

किर िबचार मन दीनही ठीका राम रजायस आपन नीका

िनज पन तिज राखउ पन मोरा छोह सनह कीनह निह थोरा ४

दोहा कीनह अन ह अिमत अित सब िबिध सीतानाथ

किर नाम बोल भरत जोिर जलज जग हाथ २६६

कहौ कहावौ का अब सवामी कपा अबिनिध अतरजामी

गर सनन सािहब अनकला िमटी मिलन मन कलिपत सला १

अपडर डरउ न सोच समल रिबिह न दोस दव िदिस भल

मोर अभाग मात किटलाई िबिध गित िबषम काल किठनाई २

पाउ रोिप सब िमिल मोिह घाला नतपाल पन आपन पाला

यह नइ रीित न राउिर होई लोकह बद िबिदत निह गोई ३

जग अनभल भल एक गोसाई किहअ होइ भल कास भलाई

दउ दवतर सिरस सभाऊ सनमख िबमख न काहिह काऊ ४

दोहा जाइ िनकट पिहचािन तर छाह समिन सब सोच

मागत अिभमत पाव जग राउ रक भल पोच २६७

लिख सब िबिध गर सवािम सनह िमटउ छोभ निह मन सदह

रामचिरतमानस - 121 - अयोधयाकाड

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अब करनाकर कीिजअ सोई जन िहत भ िचत छोभ न होई १

जो सवक सािहबिह सकोची िनज िहत चहइ तास मित पोची

सवक िहत सािहब सवकाई कर सकल सख लोभ िबहाई २

सवारथ नाथ िफर सबही का िकए रजाइ कोिट िबिध नीका

यह सवारथ परमारथ सार सकल सकत फल सगित िसगार ३

दव एक िबनती सिन मोरी उिचत होइ तस करब बहोरी

ितलक समाज सािज सब आना किरअ सफल भ जौ मन माना ४

दोहा सानज पठइअ मोिह बन कीिजअ सबिह सनाथ नतर फिरअिह बध दोउ नाथ चलौ म साथ २६८

नतर जािह बन तीिनउ भाई बहिरअ सीय सिहत रघराई

जिह िबिध भ सनन मन होई करना सागर कीिजअ सोई १

दव दीनह सब मोिह अभार मोर नीित न धरम िबचार

कहउ बचन सब सवारथ हत रहत न आरत क िचत चत २

उतर दइ सिन सवािम रजाई सो सवक लिख लाज लजाई

अस म अवगन उदिध अगाध सवािम सनह सराहत साध ३

अब कपाल मोिह सो मत भावा सकच सवािम मन जाइ न पावा

भ पद सपथ कहउ सित भाऊ जग मगल िहत एक उपाऊ ४

दोहा भ सनन मन सकच तिज जो जिह आयस दब

सो िसर धिर धिर किरिह सब िमिटिह अनट अवरब २६९

भरत बचन सिच सिन सर हरष साध सरािह समन सर बरष

असमजस बस अवध नवासी मिदत मन तापस बनबासी १

चपिह रह रघनाथ सकोची भ गित दिख सभा सब सोची

जनक दत तिह अवसर आए मिन बिस सिन बिग बोलाए २

किर नाम ितनह राम िनहार बष दिख भए िनपट दखार

रामचिरतमानस - 122 - अयोधयाकाड

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दतनह मिनबर बझी बाता कहह िबदह भप कसलाता ३

सिन सकचाइ नाइ मिह माथा बोल चर बर जोर हाथा

बझब राउर सादर साई कसल हत सो भयउ गोसाई ४

दोहा नािह त कोसल नाथ क साथ कसल गइ नाथ

िमिथला अवध िबसष त जग सब भयउ अनाथ २७०

कोसलपित गित सिन जनकौरा भ सब लोक सोक बस बौरा

जिह दख तिह समय िबदह नाम सतय अस लाग न कह १

रािन कचािल सनत नरपालिह सझ न कछ जस मिन िबन बयालिह

भरत राज रघबर बनबास भा िमिथलसिह हदय हरास २

नप बझ बध सिचव समाज कहह िबचािर उिचत का आज

समिझ अवध असमजस दोऊ चिलअ िक रिहअ न कह कछ कोऊ ३

नपिह धीर धिर हदय िबचारी पठए अवध चतर चर चारी

बिझ भरत सित भाउ कभाऊ आएह बिग न होइ लखाऊ ४

दोहा गए अवध चर भरत गित बिझ दिख करतित

चल िच कटिह भरत चार चल तरहित २७१

दतनह आइ भरत कइ करनी जनक समाज जथामित बरनी

सिन गर पिरजन सिचव महीपित भ सब सोच सनह िबकल अित १

धिर धीरज किर भरत बड़ाई िलए सभट साहनी बोलाई

घर पर दस रािख रखवार हय गय रथ बह जान सवार २

दघरी सािध चल ततकाला िकए िब ाम न मग महीपाला

भोरिह आज नहाइ यागा चल जमन उतरन सब लागा ३

खबिर लन हम पठए नाथा ितनह किह अस मिह नायउ माथा

साथ िकरात छ सातक दीनह मिनबर तरत िबदा चर कीनह ४

रामचिरतमानस - 123 - अयोधयाकाड

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दोहा सनत जनक आगवन सब हरषउ अवध समाज

रघनदनिह सकोच बड़ सोच िबबस सरराज २७२

गरइ गलािन किटल ककई कािह कह किह दषन दई

अस मन आिन मिदत नर नारी भयउ बहोिर रहब िदन चारी १

एिह कार गत बासर सोऊ ात नहान लाग सब कोऊ

किर मजजन पजिह नर नारी गनप गौिर ितपरािर तमारी २

रमा रमन पद बिद बहोरी िबनविह अजिल अचल जोरी

राजा राम जानकी रानी आनद अविध अवध रजधानी ३

सबस बसउ िफिर सिहत समाजा भरतिह राम करह जबराजा

एिह सख सधा सीची सब काह दव दह जग जीवन लाह ४

दोहा गर समाज भाइनह सिहत राम राज पर होउ

अछत राम राजा अवध मिरअ माग सब कोउ २७३

सिन सनहमय परजन बानी िनदिह जोग िबरित मिन गयानी

एिह िबिध िनतयकरम किर परजन रामिह करिह नाम पलिक तन १

ऊच नीच मधयम नर नारी लहिह दरस िनज िनज अनहारी

सावधान सबही सनमानिह सकल सराहत कपािनधानिह २

लिरकाइिह त रघबर बानी पालत नीित ीित पिहचानी

सील सकोच िसध रघराऊ समख सलोचन सरल सभाऊ ३

कहत राम गन गन अनराग सब िनज भाग सराहन लाग

हम सम पनय पज जग थोर िजनहिह राम जानत किर मोर ४

दोहा म मगन तिह समय सब सिन आवत िमिथलस

सिहत सभा स म उठउ रिबकल कमल िदनस २७४

रामचिरतमानस - 124 - अयोधयाकाड

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भाइ सिचव गर परजन साथा आग गवन कीनह रघनाथा

िगिरबर दीख जनकपित जबही किर नाम रथ तयागउ तबही १

राम दरस लालसा उछाह पथ म लस कलस न काह

मन तह जह रघबर बदही िबन मन तन दख सख सिध कही २

आवत जनक चल एिह भाती सिहत समाज म मित माती

आए िनकट दिख अनराग सादर िमलन परसपर लाग ३

लग जनक मिनजन पद बदन िरिषनह नाम कीनह रघनदन

भाइनह सिहत राम िमिल राजिह चल लवाइ समत समाजिह ४

दोहा आ म सागर सात रस परन पावन पाथ

सन मनह करना सिरत िलए जािह रघनाथ २७५

बोरित गयान िबराग करार बचन ससोक िमलत नद नार

सोच उसास समीर तरगा धीरज तट तरबर कर भगा १

िबषम िबषाद तोरावित धारा भय म भवर अबतर अपारा

कवट बध िब ा बिड़ नावा सकिह न खइ ऐक निह आवा २

बनचर कोल िकरात िबचार थक िबलोिक पिथक िहय हार

आ म उदिध िमली जब जाई मनह उठउ अबिध अकलाई ३

सोक िबकल दोउ राज समाजा रहा न गयान न धीरज लाजा

भप रप गन सील सराही रोविह सोक िसध अवगाही ४ छद

अवगािह सोक सम सोचिह नािर नर बयाकल महा

द दोष सकल सरोष बोलिह बाम िबिध कीनहो कहा

सर िस तापस जोिगजन मिन दिख दसा िबदह की तलसी न समरथ कोउ जो तिर सक सिरत सनह की

सोरठा

िकए अिमत उपदस जह तह लोगनह मिनबरनह

रामचिरतमानस - 125 - अयोधयाकाड

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धीरज धिरअ नरस कहउ बिस िबदह सन २७६

जास गयान रिब भव िनिस नासा बचन िकरन मिन कमल िबकासा

तिह िक मोह ममता िनअराई यह िसय राम सनह बड़ाई १

िबषई साधक िस सयान ि िबध जीव जग बद बखान

राम सनह सरस मन जास साध सभा बड़ आदर तास २

सोह न राम पम िबन गयान करनधार िबन िजिम जलजान

मिन बहिबिध िबदह समझाए रामघाट सब लोग नहाए ३

सकल सोक सकल नर नारी सो बासर बीतउ िबन बारी

पस खग मगनह न कीनह अहार ि य पिरजन कर कौन िबचार ४

दोहा दोउ समाज िनिमराज रघराज नहान ात बठ सब बट िबटप तर मन मलीन कस गात २७७

ज मिहसर दसरथ पर बासी ज िमिथलापित नगर िनवासी

हस बस गर जनक परोधा िजनह जग मग परमारथ सोधा १

लग कहन उपदस अनका सिहत धरम नय िबरित िबबका

कौिसक किह किह कथा परानी समझाई सब सभा सबानी २

तब रघनाथ कोिसकिह कहऊ नाथ कािल जल िबन सब रहऊ

मिन कह उिचत कहत रघराई गयउ बीित िदन पहर अढ़ाई ३

िरिष रख लिख कह तरहितराज इहा उिचत निह असन अनाज

कहा भप भल सबिह सोहाना पाइ रजायस चल नहाना ४

दोहा तिह अवसर फल फल दल मल अनक कार

लइ आए बनचर िबपल भिर भिर काविर भार २७८

कामद म िगिर राम सादा अवलोकत अपहरत िबषादा

सर सिरता बन भिम िबभागा जन उमगत आनद अनरागा १

रामचिरतमानस - 126 - अयोधयाकाड

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बिल िबटप सब सफल सफला बोलत खग मग अिल अनकला

तिह अवसर बन अिधक उछाह ि िबध समीर सखद सब काह २

जाइ न बरिन मनोहरताई जन मिह करित जनक पहनाई

तब सब लोग नहाइ नहाई राम जनक मिन आयस पाई ३

दिख दिख तरबर अनराग जह तह परजन उतरन लाग

दल फल मल कद िबिध नाना पावन सदर सधा समाना ४

दोहा सादर सब कह रामगर पठए भिर भिर भार

पिज िपतर सर अितिथ गर लग करन फरहार २७९

एिह िबिध बासर बीत चारी राम िनरिख नर नािर सखारी

दह समाज अिस रिच मन माही िबन िसय राम िफरब भल नाही १

सीता राम सग बनबास कोिट अमरपर सिरस सपास

पिरहिर लखन राम बदही जिह घर भाव बाम िबिध तही २

दािहन दइउ होइ जब सबही राम समीप बिसअ बन तबही

मदािकिन मजजन ितह काला राम दरस मद मगल माला ३

अटन राम िगिर बन तापस थल असन अिमअ सम कद मल फल

सख समत सबत दइ साता पल सम होिह न जिनअिह जाता ४

दोहा एिह सख जोग न लोग सब कहिह कहा अस भाग

सहज सभाय समाज दह राम चरन अनराग २८०

एिह िबिध सकल मनोरथ करही बचन स म सनत मन हरही

सीय मात तिह समय पठाई दासी दिख सअवसर आई १

सावकास सिन सब िसय सास आयउ जनकराज रिनवास

कौसलया सादर सनमानी आसन िदए समय सम आनी २

सील सनह सकल दह ओरा विह दिख सिन किलस कठोरा

पलक िसिथल तन बािर िबलोचन मिह नख िलखन लगी सब सोचन३

रामचिरतमानस - 127 - अयोधयाकाड

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सब िसय राम ीित िक िस मरती जन करना बह बष िबसरित

सीय मात कह िबिध बिध बाकी जो पय फन फोर पिब टाकी ४

दोहा सिनअ सधा दिखअिह गरल सब करतित कराल

जह तह काक उलक बक मानस सकत मराल २८१

सिन ससोच कह दिब सिम ा िबिध गित बिड़ िबपरीत िबिच ा

जो सिज पालइ हरइ बहोरी बाल किल सम िबिध मित भोरी १

कौसलया कह दोस न काह करम िबबस दख सख छित लाह

किठन करम गित जान िबधाता जो सभ असभ सकल फल दाता २

ईस रजाइ सीस सबही क उतपित िथित लय िबषह अमी क

दिब मोह बस सोिचअ बादी िबिध पच अस अचल अनादी ३

भपित िजअब मरब उर आनी सोिचअ सिख लिख िनज िहत हानी

सीय मात कह सतय सबानी सकती अविध अवधपित रानी ४

दोहा लखन राम िसय जाह बन भल पिरनाम न पोच

गहबिर िहय कह कौिसला मोिह भरत कर सोच २८२

ईस साद असीस तमहारी सत सतबध दवसिर बारी

राम सपथ म कीनह न काऊ सो किर कहउ सखी सित भाऊ १

भरत सील गन िबनय बड़ाई भायप भगित भरोस भलाई

कहत सारदह कर मित हीच सागर सीप िक जािह उलीच २

जानउ सदा भरत कलदीपा बार बार मोिह कहउ महीपा

कस कनक मिन पािरिख पाए परष पिरिखअिह समय सभाए ३

अनिचत आज कहब अस मोरा सोक सनह सयानप थोरा

सिन सरसिर सम पाविन बानी भई सनह िबकल सब रानी ४

रामचिरतमानस - 128 - अयोधयाकाड

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दोहा कौसलया कह धीर धिर सनह दिब िमिथलिस को िबबकिनिध बललभिह तमहिह सकइ उपदिस २८३

रािन राय सन अवसर पाई अपनी भाित कहब समझाई

रिखअिह लखन भरत गबनिह बन जौ यह मत मान महीप मन १

तौ भल जतन करब सिबचारी मोर सौच भरत कर भारी

गढ़ सनह भरत मन माही रह नीक मोिह लागत नाही २

लिख सभाउ सिन सरल सबानी सब भइ मगन करन रस रानी

नभ सन झिर धनय धनय धिन िसिथल सनह िस जोगी मिन ३

सब रिनवास िबथिक लिख रहऊ तब धिर धीर सिम ा कहऊ

दिब दड जग जािमिन बीती राम मात सनी उठी स ीती ४

दोहा बिग पाउ धािरअ थलिह कह सनह सितभाय

हमर तौ अब ईस गित क िमिथलस सहाय २८४

लिख सनह सिन बचन िबनीता जनकि या गह पाय पनीता

दिब उिचत अिस िबनय तमहारी दसरथ घिरिन राम महतारी १

भ अपन नीचह आदरही अिगिन धम िगिर िसर ितन धरही

सवक राउ करम मन बानी सदा सहाय महस भवानी २

रउर अग जोग जग को ह दीप सहाय िक िदनकर सोह

राम जाइ बन किर सर काज अचल अवधपर किरहिह राज ३

अमर नाग नर राम बाहबल सख बिसहिह अपन अपन थल

यह सब जागबिलक किह राखा दिब न होइ मधा मिन भाषा ४

दोहा अस किह पग पिर पम अित िसय िहत िबनय सनाइ

िसय समत िसयमात तब चली सआयस पाइ २८५

रामचिरतमानस - 129 - अयोधयाकाड

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ि य पिरजनिह िमली बदही जो जिह जोग भाित तिह तही

तापस बष जानकी दखी भा सब िबकल िबषाद िबसषी १

जनक राम गर आयस पाई चल थलिह िसय दखी आई

लीिनह लाइ उर जनक जानकी पाहन पावन पम ान की २

उर उमगउ अबिध अनराग भयउ भप मन मनह पयाग

िसय सनह बट बाढ़त जोहा ता पर राम पम िसस सोहा ३

िचरजीवी मिन गयान िबकल जन बड़त लहउ बाल अवलबन

मोह मगन मित निह िबदह की मिहमा िसय रघबर सनह की ४

दोहा िसय िपत मात सनह बस िबकल न सकी सभािर

धरिनसता धीरज धरउ समउ सधरम िबचािर २८६

तापस बष जनक िसय दखी भयउ पम पिरतोष िबसषी

पि पिव िकए कल दोऊ सजस धवल जग कह सब कोऊ १

िजित सरसिर कीरित सिर तोरी गवन कीनह िबिध अड करोरी

गग अविन थल तीिन बड़र एिह िकए साध समाज घनर २

िपत कह सतय सनह सबानी सीय सकच मह मनह समानी

पिन िपत मात लीनह उर लाई िसख आिसष िहत दीिनह सहाई ३

कहित न सीय सकिच मन माही इहा बसब रजनी भल नाही

लिख रख रािन जनायउ राऊ हदय सराहत सील सभाऊ ४

दोहा बार बार िमिल भट िसय िबदा कीनह सनमािन

कही समय िसर भरत गित रािन सबािन सयािन २८७

सिन भपाल भरत बयवहार सोन सगध सधा सिस सार

मद सजल नयन पलक तन सजस सराहन लग मिदत मन १

सावधान सन समिख सलोचिन भरत कथा भव बध िबमोचिन

धरम राजनय िबचार इहा जथामित मोर चार २

रामचिरतमानस - 130 - अयोधयाकाड

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सो मित मोिर भरत मिहमाही कह काह छिल छअित न छाही

िबिध गनपित अिहपित िसव सारद किब कोिबद बध बि िबसारद ३

भरत चिरत कीरित करतती धरम सील गन िबमल िबभती

समझत सनत सखद सब काह सिच सरसिर रिच िनदर सधाह ४

दोहा िनरविध गन िनरपम परष भरत भरत सम जािन

किहअ समर िक सर सम किबकल मित सकचािन २८८

अगम सबिह बरनत बरबरनी िजिम जलहीन मीन गम धरनी

भरत अिमत मिहमा सन रानी जानिह राम न सकिह बखानी १

बरिन स म भरत अनभाऊ ितय िजय की रिच लिख कह राऊ

बहरिह लखन भरत बन जाही सब कर भल सब क मन माही २

दिब परत भरत रघबर की ीित तीित जाइ निह तरकी

भरत अविध सनह ममता की ज िप राम सीम समता की ३

परमारथ सवारथ सख सार भरत न सपनह मनह िनहार

साधन िस राम पग नह मोिह लिख परत भरत मत एह ४

दोहा भोरह भरत न पिलहिह मनसह राम रजाइ

किरअ न सोच सनह बस कहउ भप िबलखाइ २८९

राम भरत गन गनत स ीती िनिस दपितिह पलक सम बीती

राज समाज ात जग जाग नहाइ नहाइ सर पजन लाग १

ग नहाइ गर पही रघराई बिद चरन बोल रख पाई

नाथ भरत परजन महतारी सोक िबकल बनबास दखारी २

सिहत समाज राउ िमिथलस बहत िदवस भए सहत कलस

उिचत होइ सोइ कीिजअ नाथा िहत सबही कर रौर हाथा ३

अस किह अित सकच रघराऊ मिन पलक लिख सील सभाऊ

तमह िबन राम सकल सख साजा नरक सिरस दह राज समाजा ४

रामचिरतमानस - 131 - अयोधयाकाड

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दोहा

ान ान क जीव क िजव सख क सख राम

तमह तिज तात सोहात गह िजनहिह ितनहिह िबिध बाम २९०

सो सख करम धरम जिर जाऊ जह न राम पद पकज भाऊ

जोग कजोग गयान अगयान जह निह राम पम परधान १

तमह िबन दखी सखी तमह तही तमह जानह िजय जो जिह कही

राउर आयस िसर सबही क िबिदत कपालिह गित सब नीक २

आप आ मिह धािरअ पाऊ भयउ सनह िसिथल मिनराऊ

किर नाम तब राम िसधाए िरिष धिर धीर जनक पिह आए ३

राम बचन गर नपिह सनाए सील सनह सभाय सहाए

महाराज अब कीिजअ सोई सब कर धरम सिहत िहत होई ४

दोहा गयान िनधान सजान सिच धरम धीर नरपाल

तमह िबन असमजस समन को समरथ एिह काल २९१

सिन मिन बचन जनक अनराग लिख गित गयान िबराग िबराग

िसिथल सनह गनत मन माही आए इहा कीनह भल नाही १

रामिह राय कहउ बन जाना कीनह आप ि य म वाना

हम अब बन त बनिह पठाई मिदत िफरब िबबक बड़ाई २

तापस मिन मिहसर सिन दखी भए म बस िबकल िबसषी

समउ समिझ धिर धीरज राजा चल भरत पिह सिहत समाजा ३

भरत आइ आग भइ लीनह अवसर सिरस सआसन दीनह

तात भरत कह तरहित राऊ तमहिह िबिदत रघबीर सभाऊ ४

दोहा राम सतय त धरम रत सब कर सील सनह

सकट सहत सकोच बस किहअ जो आयस दह २९२

रामचिरतमानस - 132 - अयोधयाकाड

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सिन तन पलिक नयन भिर बारी बोल भरत धीर धिर भारी

भ ि य पजय िपता सम आप कलगर सम िहत माय न बाप १

कौिसकािद मिन सिचव समाज गयान अबिनिध आपन आज

िसस सवक आयस अनगामी जािन मोिह िसख दइअ सवामी २

एिह समाज थल बझब राउर मौन मिलन म बोलब बाउर

छोट बदन कहउ बिड़ बाता छमब तात लिख बाम िबधाता ३

आगम िनगम िस पराना सवाधरम किठन जग जाना

सवािम धरम सवारथिह िबरोध बर अध मिह न बोध ४

दोहा रािख राम रख धरम त पराधीन मोिह जािन

सब क समत सबर िहत किरअ पम पिहचािन २९३

भरत बचन सिन दिख सभाऊ सिहत समाज सराहत राऊ

सगम अगम मद मज कठोर अरथ अिमत अित आखर थोर १

जयौ मख मकर मकर िनज पानी गिह न जाइ अस अदभत बानी

भप भरत मिन सिहत समाज ग जह िबबध कमद ि जराज २

सिन सिध सोच िबकल सब लोगा मनह मीनगन नव जल जोगा

दव थम कलगर गित दखी िनरिख िबदह सनह िबसषी ३

राम भगितमय भरत िनहार सर सवारथी हहिर िहय हार

सब कोउ राम पममय पखा भउ अलख सोच बस लखा ४

दोहा राम सनह सकोच बस कह ससोच सरराज

रचह पचिह पच िमिल नािह त भयउ अकाज २९४

सरनह सिमिर सारदा सराही दिब दव सरनागत पाही

फिर भरत मित किर िनज माया पाल िबबध कल किर छल छाया १

िबबध िबनय सिन दिब सयानी बोली सर सवारथ जड़ जानी

रामचिरतमानस - 133 - अयोधयाकाड

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मो सन कहह भरत मित फर लोचन सहस न सझ समर २

िबिध हिर हर माया बिड़ भारी सोउ न भरत मित सकइ िनहारी

सो मित मोिह कहत कर भोरी चिदिन कर िक चडकर चोरी ३

भरत हदय िसय राम िनवास तह िक ितिमर जह तरिन कास

अस किह सारद गइ िबिध लोका िबबध िबकल िनिस मानह कोका ४

दोहा सर सवारथी मलीन मन कीनह कम कठाट

रिच पच माया बल भय म अरित उचाट २९५

किर कचािल सोचत सरराज भरत हाथ सब काज अकाज

गए जनक रघनाथ समीपा सनमान सब रिबकल दीपा १

समय समाज धरम अिबरोधा बोल तब रघबस परोधा

जनक भरत सबाद सनाई भरत कहाउित कही सहाई २

तात राम जस आयस दह सो सब कर मोर मत एह

सिन रघनाथ जोिर जग पानी बोल सतय सरल मद बानी ३

िब मान आपिन िमिथलस मोर कहब सब भाित भदस

राउर राय रजायस होई राउिर सपथ सही िसर सोई ४

दोहा राम सपथ सिन मिन जनक सकच सभा समत सकल िबलोकत भरत मख बनइ न उतर दत २९६

सभा सकच बस भरत िनहारी रामबध धिर धीरज भारी

कसमउ दिख सनह सभारा बढ़त िबिध िजिम घटज िनवारा १

सोक कनकलोचन मित छोनी हरी िबमल गन गन जगजोनी

भरत िबबक बराह िबसाला अनायास उधरी तिह काला २

किर नाम सब कह कर जोर राम राउ गर साध िनहोर

छमब आज अित अनिचत मोरा कहउ बदन मद बचन कठोरा ३

िहय सिमरी सारदा सहाई मानस त मख पकज आई

रामचिरतमानस - 134 - अयोधयाकाड

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िबमल िबबक धरम नय साली भरत भारती मज मराली ४

दोहा िनरिख िबबक िबलोचनिनह िसिथल सनह समाज

किर नाम बोल भरत सिमिर सीय रघराज २९७

भ िपत मात स द गर सवामी पजय परम िहत अतरजामी

सरल ससािहब सील िनधान नतपाल सबरगय सजान १

समरथ सरनागत िहतकारी गनगाहक अवगन अघ हारी

सवािम गोसाइिह सिरस गोसाई मोिह समान म साइ दोहाई २

भ िपत बचन मोह बस पली आयउ इहा समाज सकली

जग भल पोच ऊच अर नीच अिमअ अमरपद माहर मीच ३

राम रजाइ मट मन माही दखा सना कतह कोउ नाही

सो म सब िबिध कीिनह िढठाई भ मानी सनह सवकाई ४

दोहा कपा भलाई आपनी नाथ कीनह भल मोर

दषन भ भषन सिरस सजस चार चह ओर २९८

राउिर रीित सबािन बड़ाई जगत िबिदत िनगमागम गाई

कर किटल खल कमित कलकी नीच िनसील िनरीस िनसकी १

तउ सिन सरन सामह आए सकत नाम िकह अपनाए

दिख दोष कबह न उर आन सिन गन साध समाज बखान २

को सािहब सवकिह नवाजी आप समाज साज सब साजी

िनज करतित न समिझअ सपन सवक सकच सोच उर अपन ३

सो गोसाइ निह दसर कोपी भजा उठाइ कहउ पन रोपी

पस नाचत सक पाठ बीना गन गित नट पाठक आधीना ४

दोहा यो सधािर सनमािन जन िकए साध िसरमोर

रामचिरतमानस - 135 - अयोधयाकाड

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को कपाल िबन पािलह िबिरदाविल बरजोर २९९

सोक सनह िक बाल सभाए आयउ लाइ रजायस बाए

तबह कपाल हिर िनज ओरा सबिह भाित भल मानउ मोरा १

दखउ पाय समगल मला जानउ सवािम सहज अनकला

बड़ समाज िबलोकउ भाग बड़ी चक सािहब अनराग २

कपा अन ह अग अघाई कीिनह कपािनिध सब अिधकाई

राखा मोर दलार गोसाई अपन सील सभाय भलाई ३

नाथ िनपट म कीिनह िढठाई सवािम समाज सकोच िबहाई

अिबनय िबनय जथारिच बानी छिमिह दउ अित आरित जानी ४

दोहा स द सजान ससािहबिह बहत कहब बिड़ खोिर

आयस दइअ दव अब सबइ सधारी मोिर ३००

भ पद पदम पराग दोहाई सतय सकत सख सीव सहाई

सो किर कहउ िहए अपन की रिच जागत सोवत सपन की १

सहज सनह सवािम सवकाई सवारथ छल फल चािर िबहाई

अगया सम न ससािहब सवा सो साद जन पाव दवा २

अस किह म िबबस भए भारी पलक सरीर िबलोचन बारी

भ पद कमल गह अकलाई समउ सनह न सो किह जाई ३

कपािसध सनमािन सबानी बठाए समीप गिह पानी

भरत िबनय सिन दिख सभाऊ िसिथल सनह सभा रघराऊ ४ छद

रघराउ िसिथल सनह साध समाज मिन िमिथला धनी

मन मह सराहत भरत भायप भगित की मिहमा घनी

भरतिह ससत िबबध बरषत समन मानस मिलन स

तलसी िबकल सब लोग सिन सकच िनसागम निलन स

रामचिरतमानस - 136 - अयोधयाकाड

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सोरठा दिख दखारी दीन दह समाज नर नािर सब

मघवा महा मलीन मए मािर मगल चहत ३०१

कपट कचािल सीव सरराज पर अकाज ि य आपन काज

काक समान पाकिरप रीती छली मलीन कतह न तीती १

थम कमत किर कपट सकला सो उचाट सब क िसर मला

सरमाया सब लोग िबमोह राम म अितसय न िबछोह २

भय उचाट बस मन िथर नाही छन बन रिच छन सदन सोहाही

दिबध मनोगित जा दखारी सिरत िसध सगम जन बारी ३

दिचत कतह पिरतोष न लहही एक एक सन मरम न कहही

लिख िहय हिस कह कपािनधान सिरस सवान मघवान जबान ४

दोहा भरत जनक मिनजन सिचव साध सचत िबहाइ

लािग दवमाया सबिह जथाजोग जन पाइ ३०२

कपािसध लिख लोग दखार िनज स नह सरपित छल भार

सभा राउ गर मिहसर म ी भरत भगित सब क मित ज ी १

रामिह िचतवत िच िलख स सकचत बोलत बचन िसख स

भरत ीित नित िबनय बड़ाई सनत सखद बरनत किठनाई २

जास िबलोिक भगित लवलस म मगन मिनगन िमिथलस

मिहमा तास कह िकिम तलसी भगित सभाय समित िहय हलसी ३

आप छोिट मिहमा बिड़ जानी किबकल कािन मािन सकचानी

किह न सकित गन रिच अिधकाई मित गित बाल बचन की नाई ४

दोहा भरत िबमल जस िबमल िबध समित चकोरकमािर

उिदत िबमल जन हदय नभ एकटक रही िनहािर ३०३

रामचिरतमानस - 137 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ न सगम िनगमह लघ मित चापलता किब छमह

कहत सनत सित भाउ भरत को सीय राम पद होइ न रत को १

सिमरत भरतिह म राम को जिह न सलभ तिह सिरस बाम को

दिख दयाल दसा सबही की राम सजान जािन जन जी की २

धरम धरीन धीर नय नागर सतय सनह सील सख सागर

दस काल लिख समउ समाज नीित ीित पालक रघराज ३

बोल बचन बािन सरबस स िहत पिरनाम सनत सिस रस स

तात भरत तमह धरम धरीना लोक बद िबद म बीना ४

दोहा करम बचन मानस िबमल तमह समान तमह तात

गर समाज लघ बध गन कसमय िकिम किह जात ३०४

जानह तात तरिन कल रीती सतयसध िपत कीरित ीती

समउ समाज लाज गरजन की उदासीन िहत अनिहत मन की १

तमहिह िबिदत सबही कर करम आपन मोर परम िहत धरम

मोिह सब भाित भरोस तमहारा तदिप कहउ अवसर अनसारा २

तात तात िबन बात हमारी कवल गरकल कपा सभारी

नतर जा पिरजन पिरवार हमिह सिहत सब होत खआर ३

जौ िबन अवसर अथव िदनस जग किह कहह न होइ कलस

तस उतपात तात िबिध कीनहा मिन िमिथलस रािख सब लीनहा ४

दोहा राज काज सब लाज पित धरम धरिन धन धाम

गर भाउ पािलिह सबिह भल होइिह पिरनाम ३०५

सिहत समाज तमहार हमारा घर बन गर साद रखवारा

मात िपता गर सवािम िनदस सकल धरम धरनीधर सस १

सो तमह करह करावह मोह तात तरिनकल पालक होह

साधक एक सकल िसिध दनी कीरित सगित भितमय बनी २

रामचिरतमानस - 138 - अयोधयाकाड

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सो िबचािर सिह सकट भारी करह जा पिरवार सखारी

बाटी िबपित सबिह मोिह भाई तमहिह अविध भिर बिड़ किठनाई ३

जािन तमहिह मद कहउ कठोरा कसमय तात न अनिचत मोरा

होिह कठाय सबध सहाए ओिड़अिह हाथ असिनह क घाए ४

दोहा सवक कर पद नयन स मख सो सािहब होइ

तलसी ीित िक रीित सिन सकिब सराहिह सोइ ३०६

सभा सकल सिन रघबर बानी म पयोिध अिमअ जन सानी

िसिथल समाज सनह समाधी दिख दसा चप सारद साधी १

भरतिह भयउ परम सतोष सनमख सवािम िबमख दख दोष

मख सनन मन िमटा िबषाद भा जन गगिह िगरा साद २

कीनह स म नाम बहोरी बोल पािन पकरह जोरी

नाथ भयउ सख साथ गए को लहउ लाह जग जनम भए को ३

अब कपाल जस आयस होई करौ सीस धिर सादर सोई

सो अवलब दव मोिह दई अविध पार पावौ जिह सई ४

दोहा दव दव अिभषक िहत गर अनसासन पाइ

आनउ सब तीरथ सिलल तिह कह काह रजाइ ३०७

एक मनोरथ बड़ मन माही सभय सकोच जात किह नाही

कहह तात भ आयस पाई बोल बािन सनह सहाई १

िच कट सिच थल तीरथ बन खग मग सर सिर िनझरर िगिरगन

भ पद अिकत अविन िबसषी आयस होइ त आवौ दखी २

अविस अि आयस िसर धरह तात िबगतभय कानन चरह

मिन साद बन मगल दाता पावन परम सहावन ाता ३

िरिषनायक जह आयस दही राखह तीरथ जल थल तही

सिन भ बचन भरत सख पावा मिन पद कमल मिदत िसर नावा ४

रामचिरतमानस - 139 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत राम सबाद सिन सकल समगल मल

सर सवारथी सरािह कल बरषत सरतर फल ३०८

धनय भरत जय राम गोसाई कहत दव हरषत बिरआई

मिन िमिथलस सभा सब काह भरत बचन सिन भयउ उछाह १

भरत राम गन ाम सनह पलिक ससत राउ िबदह

सवक सवािम सभाउ सहावन नम पम अित पावन पावन २

मित अनसार सराहन लाग सिचव सभासद सब अनराग

सिन सिन राम भरत सबाद दह समाज िहय हरष िबषाद ३

राम मात दख सख सम जानी किह गन राम बोधी रानी

एक कहिह रघबीर बड़ाई एक सराहत भरत भलाई ४

दोहा अि कहउ तब भरत सन सल समीप सकप

रािखअ तीरथ तोय तह पावन अिमअ अनप ३०९

भरत अि अनसासन पाई जल भाजन सब िदए चलाई

सानज आप अि मिन साध सिहत गए जह कप अगाध १

पावन पाथ पनयथल राखा मिदत म अि अस भाषा

तात अनािद िस थल एह लोपउ काल िबिदत निह कह २

तब सवकनह सरस थल दखा िकनह सजल िहत कप िबसषा

िबिध बस भयउ िबसव उपकार सगम अगम अित धरम िबचार ३

भरतकप अब किहहिह लोगा अित पावन तीरथ जल जोगा

म सनम िनमजजत ानी होइहिह िबमल करम मन बानी ४

दोहा कहत कप मिहमा सकल गए जहा रघराउ

अि सनायउ रघबरिह तीरथ पनय भाउ ३१०

रामचिरतमानस - 140 - अयोधयाकाड

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कहत धरम इितहास स ीती भयउ भोर िनिस सो सख बीती

िनतय िनबािह भरत दोउ भाई राम अि गर आयस पाई १

सिहत समाज साज सब साद चल राम बन अटन पयाद

कोमल चरन चलत िबन पनही भइ मद भिम सकिच मन मनही २

कस कटक काकरी कराई कटक कठोर कबसत दराई

मिह मजल मद मारग कीनह बहत समीर ि िबध सख लीनह ३

समन बरिष सर घन किर छाही िबटप फिल फिल तन मदताही

मग िबलोिक खग बोिल सबानी सविह सकल राम ि य जानी ४

दोहा सलभ िसि सब ाकतह राम कहत जमहात

राम ान ि य भरत कह यह न होइ बिड़ बात ३११

एिह िबिध भरत िफरत बन माही नम म लिख मिन सकचाही

पनय जला य भिम िबभागा खग मग तर तन िगिर बन बागा १

चार िबिच पिब िबसषी बझत भरत िदबय सब दखी

सिन मन मिदत कहत िरिषराऊ हत नाम गन पनय भाऊ २

कतह िनमजजन कतह नामा कतह िबलोकत मन अिभरामा

कतह बिठ मिन आयस पाई सिमरत सीय सिहत दोउ भाई ३

दिख सभाउ सनह सस वा दिह असीस मिदत बनदवा

िफरिह गए िदन पहर अढ़ाई भ पद कमल िबलोकिह आई ४

दोहा दख थल तीरथ सकल भरत पाच िदन माझ

कहत सनत हिर हर सजस गयउ िदवस भइ साझ ३१२

भोर नहाइ सब जरा समाज भरत भिमसर तरहित राज

भल िदन आज जािन मन माही राम कपाल कहत सकचाही १

गर नप भरत सभा अवलोकी सकिच राम िफिर अविन िबलोकी

रामचिरतमानस - 141 - अयोधयाकाड

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सील सरािह सभा सब सोची कह न राम सम सवािम सकोची २

भरत सजान राम रख दखी उिठ स म धिर धीर िबसषी

किर दडवत कहत कर जोरी राखी नाथ सकल रिच मोरी ३

मोिह लिग सहउ सबिह सताप बहत भाित दख पावा आप

अब गोसाइ मोिह दउ रजाई सवौ अवध अविध भिर जाई ४

दोहा जिह उपाय पिन पाय जन दख दीनदयाल

सो िसख दइअ अविध लिग कोसलपाल कपाल ३१३

परजन पिरजन जा गोसाई सब सिच सरस सनह सगाई

राउर बिद भल भव दख दाह भ िबन बािद परम पद लाह १

सवािम सजान जािन सब ही की रिच लालसा रहिन जन जी की

नतपाल पािलिह सब काह दउ दह िदिस ओर िनबाह २

अस मोिह सब िबिध भिर भरोसो िकए िबचार न सोच खरो सो

आरित मोर नाथ कर छोह दह िमिल कीनह ढीठ हिठ मोह ३

यह बड़ दोष दिर किर सवामी तिज सकोच िसखइअ अनगामी

भरत िबनय सिन सबिह ससी खीर नीर िबबरन गित हसी ४

दोहा दीनबध सिन बध क बचन दीन छलहीन

दस काल अवसर सिरस बोल राम बीन ३१४

तात तमहािर मोिर पिरजन की िचता गरिह नपिह घर बन की

माथ पर गर मिन िमिथलस हमिह तमहिह सपनह न कलस १

मोर तमहार परम परषारथ सवारथ सजस धरम परमारथ

िपत आयस पािलिह दह भाई लोक बद भल भप भलाई २

गर िपत मात सवािम िसख पाल चलह कमग पग परिह न खाल

अस िबचािर सब सोच िबहाई पालह अवध अविध भिर जाई ३

दस कोस पिरजन पिरवार गर पद रजिह लाग छरभार

रामचिरतमानस - 142 - अयोधयाकाड

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तमह मिन मात सिचव िसख मानी पालह पहिम जा रजधानी ४

दोहा मिखआ मख सो चािहऐ खान पान कह एक

पालइ पोषइ सकल अग तलसी सिहत िबबक ३१५

राजधरम सरबस एतनोई िजिम मन माह मनोरथ गोई

बध बोध कीनह बह भाती िबन अधार मन तोष न साती १

भरत सील गर सिचव समाज सकच सनह िबबस रघराज

भ किर कपा पावरी दीनही सादर भरत सीस धिर लीनही २

चरनपीठ करनािनधान क जन जग जािमक जा ान क

सपट भरत सनह रतन क आखर जग जन जीव जतन क ३

कल कपाट कर कसल करम क िबमल नयन सवा सधरम क

भरत मिदत अवलब लह त अस सख जस िसय राम रह त ४

दोहा मागउ िबदा नाम किर राम िलए उर लाइ

लोग उचाट अमरपित किटल कअवसर पाइ ३१६

सो कचािल सब कह भइ नीकी अविध आस सम जीविन जी की

नतर लखन िसय सम िबयोगा हहिर मरत सब लोग करोगा १

रामकपा अवरब सधारी िबबध धािर भइ गनद गोहारी

भटत भज भिर भाइ भरत सो राम म रस किह न परत सो २

तन मन बचन उमग अनरागा धीर धरधर धीरज तयागा

बािरज लोचन मोचत बारी दिख दसा सर सभा दखारी ३

मिनगन गर धर धीर जनक स गयान अनल मन कस कनक स

ज िबरिच िनरलप उपाए पदम प िजिम जग जल जाए ४

दोहा तउ िबलोिक रघबर भरत ीित अनप अपार

रामचिरतमानस - 143 - अयोधयाकाड

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भए मगन मन तन बचन सिहत िबराग िबचार ३१७

जहा जनक गर मित भोरी ाकत ीित कहत बिड़ खोरी

बरनत रघबर भरत िबयोग सिन कठोर किब जािनिह लोग १

सो सकोच रस अकथ सबानी समउ सनह सिमिर सकचानी

भिट भरत रघबर समझाए पिन िरपदवन हरिष िहय लाए २

सवक सिचव भरत रख पाई िनज िनज काज लग सब जाई

सिन दारन दख दह समाजा लग चलन क साजन साजा ३

भ पद पदम बिद दोउ भाई चल सीस धिर राम रजाई

मिन तापस बनदव िनहोरी सब सनमािन बहोिर बहोरी ४

दोहा लखनिह भिट नाम किर िसर धिर िसय पद धिर

चल स म असीस सिन सकल समगल मिर ३१८

सानज राम नपिह िसर नाई कीिनह बहत िबिध िबनय बड़ाई

दव दया बस बड़ दख पायउ सिहत समाज काननिह आयउ १

पर पग धािरअ दइ असीसा कीनह धीर धिर गवन महीसा

मिन मिहदव साध सनमान िबदा िकए हिर हर सम जान २

सास समीप गए दोउ भाई िफर बिद पग आिसष पाई

कौिसक बामदव जाबाली परजन पिरजन सिचव सचाली ३

जथा जोग किर िबनय नामा िबदा िकए सब सानज रामा

नािर परष लघ मधय बड़र सब सनमािन कपािनिध फर ४

दोहा भरत मात पद बिद भ सिच सनह िमिल भिट

िबदा कीनह सिज पालकी सकच सोच सब मिट ३१९

पिरजन मात िपतिह िमिल सीता िफरी ानि य म पनीता

किर नाम भटी सब सास ीित कहत किब िहय न हलास १

रामचिरतमानस - 144 - अयोधयाकाड

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सिन िसख अिभमत आिसष पाई रही सीय दह ीित समाई

रघपित पट पालकी मगाई किर बोध सब मात चढ़ाई २

बार बार िहिल िमिल दह भाई सम सनह जननी पहचाई

सािज बािज गज बाहन नाना भरत भप दल कीनह पयाना ३

हदय राम िसय लखन समता चल जािह सब लोग अचता

बसह बािज गज पस िहय हार चल जािह परबस मन मार ४

दोहा गर गरितय पद बिद भ सीता लखन समत

िफर हरष िबसमय सिहत आए परन िनकत ३२०

िबदा कीनह सनमािन िनषाद चलउ हदय बड़ िबरह िबषाद

कोल िकरात िभलल बनचारी फर िफर जोहािर जोहारी १

भ िसय लखन बिठ बट छाही ि य पिरजन िबयोग िबलखाही

भरत सनह सभाउ सबानी ि या अनज सन कहत बखानी २

ीित तीित बचन मन करनी ीमख राम म बस बरनी

तिह अवसर खग मग जल मीना िच कट चर अचर मलीना ३

िबबध िबलोिक दसा रघबर की बरिष समन किह गित घर घर की

भ नाम किर दीनह भरोसो चल मिदत मन डर न खरो सो ४

दोहा सानज सीय समत भ राजत परन कटीर

भगित गयान बरागय जन सोहत धर सरीर ३२१

मिन मिहसर गर भरत भआल राम िबरह सब साज िबहाल

भ गन ाम गनत मन माही सब चपचाप चल मग जाही १

जमना उतिर पार सब भयऊ सो बासर िबन भोजन गयऊ

उतिर दवसिर दसर बास रामसखा सब कीनह सपास २

सई उतिर गोमती नहाए चौथ िदवस अवधपर आए

जनक रह पर बासर चारी राज काज सब साज सभारी ३

रामचिरतमानस - 145 - अयोधयाकाड

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सौिप सिचव गर भरतिह राज तरहित चल सािज सब साज

नगर नािर नर गर िसख मानी बस सखन राम रजधानी ४

दोहा राम दरस लिग लोग सब करत नम उपबास

तिज तिज भषन भोग सख िजअत अविध की आस ३२२

सिचव ससवक भरत बोध िनज िनज काज पाइ पाइ िसख ओध

पिन िसख दीनह बोिल लघ भाई सौपी सकल मात सवकाई १

भसर बोिल भरत कर जोर किर नाम बय िबनय िनहोर

ऊच नीच कारज भल पोच आयस दब न करब सकोच २

पिरजन परजन जा बोलाए समाधान किर सबस बसाए

सानज ग गर गह बहोरी किर दडवत कहत कर जोरी ३

आयस होइ त रहौ सनमा बोल मिन तन पलिक सपमा

समझव कहब करब तमह जोई धरम सार जग होइिह सोई ४

दोहा सिन िसख पाइ असीस बिड़ गनक बोिल िदन सािध

िसघासन भ पादका बठार िनरपािध ३२३

राम मात गर पद िसर नाई भ पद पीठ रजायस पाई

निदगाव किर परन कटीरा कीनह िनवास धरम धर धीरा १

जटाजट िसर मिनपट धारी मिह खिन कस साथरी सवारी

असन बसन बासन त नमा करत किठन िरिषधरम स मा २

भषन बसन भोग सख भरी मन तन बचन तज ितन तरी

अवध राज सर राज िसहाई दसरथ धन सिन धनद लजाई ३

तिह पर बसत भरत िबन रागा चचरीक िजिम चपक बागा

रमा िबलास राम अनरागी तजत बमन िजिम जन बड़भागी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 146 - अयोधयाकाड

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राम पम भाजन भरत बड़ न एिह करतित

चातक हस सरािहअत टक िबबक िबभित ३२४

दह िदनह िदन दबिर होई घटइ तज बल मखछिब सोई

िनत नव राम म पन पीना बढ़त धरम दल मन न मलीना १

िजिम जल िनघटत सरद कास िबलसत बतस बनज िबकास

सम दम सजम िनयम उपासा नखत भरत िहय िबमल अकासा २

व िबसवास अविध राका सी सवािम सरित सरबीिथ िबकासी

राम पम िबध अचल अदोषा सिहत समाज सोह िनत चोखा ३

भरत रहिन समझिन करतती भगित िबरित गन िबमल िबभती

बरनत सकल सकिच सकचाही सस गनस िगरा गम नाही ४

दोहा िनत पजत भ पावरी ीित न हदय समाित

मािग मािग आयस करत राज काज बह भाित ३२५

पलक गात िहय िसय रघबीर जीह नाम जप लोचन नीर

लखन राम िसय कानन बसही भरत भवन बिस तप तन कसही १

दोउ िदिस समिझ कहत सब लोग सब िबिध भरत सराहन जोग

सिन त नम साध सकचाही दिख दसा मिनराज लजाही २

परम पनीत भरत आचरन मधर मज मद मगल करन

हरन किठन किल कलष कलस महामोह िनिस दलन िदनस ३

पाप पज कजर मगराज समन सकल सताप समाज

जन रजन भजन भव भार राम सनह सधाकर सार ४ छद

िसय राम म िपयष परन होत जनम न भरत को

मिन मन अगम जम िनयम सम दम िबषम त आचरत को

दख दाह दािरद दभ दषन सजस िमस अपहरत को

किलकाल तलसी स सठिनह हिठ राम सनमख करत को

रामचिरतमानस - 147 - अयोधयाकाड

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सोरठा

भरत चिरत किर नम तलसी जो सादर सनिह

सीय राम पद पम अविस होइ भव रस िबरित ३२६

मासपारायण इककीसवा िव ाम

इित ीम ामचिरतमानस सकलकिलकलषिवधवसन ि तीयः सोपानः समा ः

अयोधयाकाणड समा

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रामचिरतमानस - 4 - अयोधयाकाड

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सब िबिध गर सनन िजय जानी बोलउ राउ रहिस मद बानी

नाथ राम किरअिह जबराज किहअ कपा किर किरअ समाज १

मोिह अछत यह होइ उछाह लहिह लोग सब लोचन लाह

भ साद िसव सबइ िनबाही यह लालसा एक मन माही २

पिन न सोच तन रहउ िक जाऊ जिह न होइ पाछ पिछताऊ

सिन मिन दसरथ बचन सहाए मगल मोद मल मन भाए ३

सन नप जास िबमख पिछताही जास भजन िबन जरिन न जाही

भयउ तमहार तनय सोइ सवामी राम पनीत म अनगामी ४

दोहा बिग िबलब न किरअ नप सािजअ सबइ समाज

सिदन समगल तबिह जब राम होिह जबराज ४

मिदत मिहपित मिदर आए सवक सिचव सम बोलाए

किह जयजीव सीस ितनह नाए भप समगल बचन सनाए १

जौ पाचिह मत लाग नीका करह हरिष िहय रामिह टीका

म ी मिदत सनत ि य बानी अिभमत िबरव परउ जन पानी २

िबनती सिचव करिह कर जोरी िजअह जगतपित बिरस करोरी

जग मगल भल काज िबचारा बिगअ नाथ न लाइअ बारा ३

नपिह मोद सिन सिचव सभाषा बढ़त बौड़ जन लही ससाखा ४

दोहा कहउ भप मिनराज कर जोइ जोइ आयस होइ

राम राज अिभषक िहत बिग करह सोइ सोइ ५

हरिष मनीस कहउ मद बानी आनह सकल सतीरथ पानी

औषध मल फल फल पाना कह नाम गिन मगल नाना १

चामर चरम बसन बह भाती रोम पाट पट अगिनत जाती

मिनगन मगल बसत अनका जो जग जोग भप अिभषका २

रामचिरतमानस - 5 - अयोधयाकाड

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बद िबिदत किह सकल िबधाना कहउ रचह पर िबिबध िबताना

सफल रसाल पगफल करा रोपह बीिथनह पर चह फरा ३

रचह मज मिन चौक चार कहह बनावन बिग बजार

पजह गनपित गर कलदवा सब िबिध करह भिमसर सवा ४

दोहा धवज पताक तोरन कलस सजह तरग रथ नाग

िसर धिर मिनबर बचन सब िनज िनज काजिह लाग ६

जो मनीस जिह आयस दीनहा सो तिह काज थम जन कीनहा

िब साध सर पजत राजा करत राम िहत मगल काजा १

सनत राम अिभषक सहावा बाज गहागह अवध बधावा

राम सीय तन सगन जनाए फरकिह मगल अग सहाए २

पलिक स म परसपर कहही भरत आगमन सचक अहही

भए बहत िदन अित अवसरी सगन तीित भट ि य करी ३

भरत सिरस ि य को जग माही इहइ सगन फल दसर नाही

रामिह बध सोच िदन राती अडिनह कमठ दउ जिह भाती ४

दोहा एिह अवसर मगल परम सिन रहसउ रिनवास

सोभत लिख िबध बढ़त जन बािरिध बीिच िबलास ७

थम जाइ िजनह बचन सनाए भषन बसन भिर ितनह पाए

म पलिक तन मन अनरागी मगल कलस सजन सब लागी १

चौक चार सिम ा परी मिनमय िबिबध भाित अित ररी

आनद मगन राम महतारी िदए दान बह िब हकारी २

पजी ामदिब सर नागा कहउ बहोिर दन बिलभागा

जिह िबिध होइ राम कलयान दह दया किर सो बरदान ३

गाविह मगल कोिकलबयनी िबधबदनी मगसावकनयनी ४

रामचिरतमानस - 6 - अयोधयाकाड

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दोहा राम राज अिभषक सिन िहय हरष नर नािर

लग समगल सजन सब िबिध अनकल िबचािर ८

तब नरनाह बिस बोलाए रामधाम िसख दन पठाए

गर आगमन सनत रघनाथा ार आइ पद नायउ माथा १

सादर अरघ दइ घर आन सोरह भाित पिज सनमान

गह चरन िसय सिहत बहोरी बोल राम कमल कर जोरी २

सवक सदन सवािम आगमन मगल मल अमगल दमन

तदिप उिचत जन बोिल स ीती पठइअ काज नाथ अिस नीती ३

भता तिज भ कीनह सनह भयउ पनीत आज यह गह

आयस होइ सो करौ गोसाई सवक लहइ सवािम सवकाई ४

दोहा सिन सनह सान बचन मिन रघबरिह सस

राम कस न तमह कहह अस हस बस अवतस ९

बरिन राम गन सील सभाऊ बोल म पलिक मिनराऊ

भप सजउ अिभषक समाज चाहत दन तमहिह जबराज १

राम करह सब सजम आज जौ िबिध कसल िनबाह काज

गर िसख दइ राय पिह गयउ राम हदय अस िबसमउ भयऊ २

जनम एक सग सब भाई भोजन सयन किल लिरकाई

करनबध उपबीत िबआहा सग सग सब भए उछाहा ३

िबमल बस यह अनिचत एक बध िबहाइ बड़िह अिभषक

भ स म पिछतािन सहाई हरउ भगत मन क किटलाई ४

दोहा तिह अवसर आए लखन मगन म आनद

सनमान ि य बचन किह रघकल करव चद १०

रामचिरतमानस - 7 - अयोधयाकाड

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बाजिह बाजन िबिबध िबधाना पर मोद निह जाइ बखाना

भरत आगमन सकल मनाविह आवह बिग नयन फल पाविह १

हाट बाट घर गली अथाई कहिह परसपर लोग लोगाई

कािल लगन भिल कितक बारा पिजिह िबिध अिभलाष हमारा २

कनक िसघासन सीय समता बठिह राम होइ िचत चता

सकल कहिह कब होइिह काली िबघन मनाविह दव कचाली ३

ितनहिह सोहाइ न अवध बधावा चोरिह चिदिन राित न भावा

सारद बोिल िबनय सर करही बारिह बार पाय ल परही ४

दोहा िबपित हमािर िबलोिक बिड़ मात किरअ सोइ आज

राम जािह बन राज तिज होइ सकल सरकाज ११

सिन सर िबनय ठािढ़ पिछताती भइउ सरोज िबिपन िहमराती

दिख दव पिन कहिह िनहोरी मात तोिह निह थोिरउ खोरी १

िबसमय हरष रिहत रघराऊ तमह जानह सब राम भाऊ

जीव करम बस सख दख भागी जाइअ अवध दव िहत लागी २

बार बार गिह चरन सकोचौ चली िबचािर िबबध मित पोची

ऊच िनवास नीिच करतती दिख न सकिह पराइ िबभती ३

आिगल काज िबचािर बहोरी करहिह चाह कसल किब मोरी

हरिष हदय दसरथ पर आई जन ह दसा दसह दखदाई ४

दोहा नाम मथरा मदमित चरी ककइ किर

अजस पटारी तािह किर गई िगरा मित फिर १२

दीख मथरा नगर बनावा मजल मगल बाज बधावा

पछिस लोगनह काह उछाह राम ितलक सिन भा उर दाह १

करइ िबचार कबि कजाती होइ अकाज कविन िबिध राती

दिख लािग मध किटल िकराती िजिम गव तकइ लउ किह भाती २

रामचिरतमानस - 8 - अयोधयाकाड

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भरत मात पिह गइ िबलखानी का अनमिन हिस कह हिस रानी

ऊतर दइ न लइ उसास नािर चिरत किर ढारइ आस ३

हिस कह रािन गाल बड़ तोर दीनह लखन िसख अस मन मोर

तबह न बोल चिर बिड़ पािपिन छाड़इ सवास कािर जन सािपिन ४

दोहा सभय रािन कह कहिस िकन कसल राम मिहपाल

लखन भरत िरपदमन सिन भा कबरी उर साल १३

कत िसख दइ हमिह कोउ माई गाल करब किह कर बल पाई

रामिह छािड़ कसल किह आज जिह जनस दइ जबराज १

भयउ कौिसलिह िबिध अित दािहन दखत गरब रहत उर नािहन

दखह कस न जाइ सब सोभा जो अवलोिक मोर मन छोभा २

पत िबदस न सोच तमहार जानित हह बस नाह हमार

नीद बहत ि य सज तराई लखह न भप कपट चतराई ३

सिन ि य बचन मिलन मन जानी झकी रािन अब रह अरगानी

पिन अस कबह कहिस घरफोरी तब धिर जीभ कढ़ावउ तोरी ४

दोहा कान खोर कबर किटल कचाली जािन

ितय िबसिष पिन चिर किह भरतमात मसकािन १४

ि यबािदिन िसख दीिनहउ तोही सपनह तो पर कोप न मोही

सिदन समगल दायक सोई तोर कहा फर जिह िदन होई १

जठ सवािम सवक लघ भाई यह िदनकर कल रीित सहाई

राम ितलक जौ साचह काली दउ माग मन भावत आली २

कौसलया सम सब महतारी रामिह सहज सभाय िपआरी

मो पर करिह सनह िबसषी म किर ीित परीछा दखी ३

जौ िबिध जनम दइ किर छोह होह राम िसय पत पतोह

ान त अिधक राम ि य मोर ितनह क ितलक छोभ कस तोर ४

रामचिरतमानस - 9 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत सपथ तोिह सतय कह पिरहिर कपट दराउ

हरष समय िबसमउ करिस कारन मोिह सनाउ १५

एकिह बार आस सब पजी अब कछ कहब जीभ किर दजी

फोर जोग कपार अभागा भलउ कहत दख रउरिह लागा १

कहिह झिठ फिर बात बनाई त ि य तमहिह करइ म माई

हमह कहिब अब ठकरसोहाती नािह त मौन रहब िदन राती २

किर करप िबिध परबस कीनहा बवा सो लिनअ लिहअ जो दीनहा

कोउ नप होउ हमिह का हानी चिर छािड़ अब होब िक रानी ३

जार जोग सभाउ हमारा अनभल दिख न जाइ तमहारा

तात कछक बात अनसारी छिमअ दिब बिड़ चक हमारी ४

दोहा गढ़ कपट ि य बचन सिन तीय अधरबिध रािन

सरमाया बस बिरिनिह सहद जािन पितआिन १६

सादर पिन पिन पछित ओही सबरी गान मगी जन मोही

तिस मित िफरी अहइ जिस भाबी रहसी चिर घात जन फाबी १

तमह पछह म कहत डराऊ धरउ मोर घरफोरी नाऊ

सिज तीित बहिबिध गिढ़ छोली अवध साढ़साती तब बोली २

ि य िसय राम कहा तमह रानी रामिह तमह ि य सो फिर बानी

रहा थम अब त िदन बीत समउ िफर िरप होिह िपरीत ३

भान कमल कल पोषिनहारा िबन जल जािर करइ सोइ छारा

जिर तमहािर चह सवित उखारी रधह किर उपाउ बर बारी ४

दोहा तमहिह न सोच सोहाग बल िनज बस जानह राउ

मन मलीन मह मीठ नप राउर सरल सभाउ १७

रामचिरतमानस - 10 - अयोधयाकाड

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चतर गभीर राम महतारी बीच पाइ िनज बात सवारी

पठए भरत भप निनअउर राम मात मत जानव रउर १

सविह सकल सवित मोिह नीक गरिबत भरत मात बल पी क

साल तमहार कौिसलिह माई कपट चतर निह होइ जनाई २

राजिह तमह पर म िबसषी सवित सभाउ सकइ निह दखी

रची पच भपिह अपनाई राम ितलक िहत लगन धराई ३

यह कल उिचत राम कह टीका सबिह सोहाइ मोिह सिठ नीका

आिगिल बात समिझ डर मोही दउ दउ िफिर सो फल ओही ४

दोहा रिच पिच कोिटक किटलपन कीनहिस कपट बोध

किहिस कथा सत सवित क जिह िबिध बाढ़ िबरोध १८

भावी बस तीित उर आई पछ रािन पिन सपथ दवाई

का पछह तमह अबह न जाना िनज िहत अनिहत पस पिहचाना १

भयउ पाख िदन सजत समाज तमह पाई सिध मोिह सन आज

खाइअ पिहिरअ राज तमहार सतय कह निह दोष हमार २

जौ असतय कछ कहब बनाई तौ िबिध दइिह हमिह सजाई

रामिह ितलक कािल जौ भयऊ तमह कह िबपित बीज िबिध बयऊ ३

रख खचाइ कहउ बल भाषी भािमिन भइह दध कइ माखी

जौ सत सिहत करह सवकाई तौ घर रहह न आन उपाई ४

दोहा क िबनतिह दीनह दख तमहिह कौिसला दब

भरत बिदगह सइहिह लखन राम क नब १९

ककयसता सनत कट बानी किह न सकइ कछ सहिम सखानी

तन पसउ कदली िजिम कापी कबरी दसन जीभ तब चापी १

किह किह कोिटक कपट कहानी धीरज धरह बोिधिस रानी

रामचिरतमानस - 11 - अयोधयाकाड

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िफरा करम ि य लािग कचाली बिकिह सराहइ मािन मराली २

सन मथरा बात फिर तोरी दिहिन आिख िनत फरकइ मोरी

िदन ित दखउ राित कसपन कहउ न तोिह मोह बस अपन ३

काह करौ सिख सध सभाऊ दािहन बाम न जानउ काऊ ४

दोहा अपन चलत न आज लिग अनभल काहक कीनह

किह अघ एकिह बार मोिह दअ दसह दख दीनह २०

नहर जनम भरब बर जाइ िजअत न करिब सवित सवकाई

अिर बस दउ िजआवत जाही मरन नीक तिह जीवन चाही १

दीन बचन कह बहिबिध रानी सिन कबरी ितयमाया ठानी

अस कस कहह मािन मन ऊना सख सोहाग तमह कह िदन दना २

जिह राउर अित अनभल ताका सोइ पाइिह यह फल पिरपाका

जब त कमत सना म सवािमिन भख न बासर नीद न जािमिन ३

पछउ गिननह रख ितनह खाची भरत भआल होिह यह साची

भािमिन करह त कहौ उपाऊ ह तमहरी सवा बस राऊ ४

दोहा परउ कप तअ बचन पर सकउ पत पित तयािग

कहिस मोर दख दिख बड़ कस न करब िहत लािग २१

कबरी किर कबली ककई कपट छरी उर पाहन टई

लखइ न रािन िनकट दख क स चरइ हिरत ितन बिलपस जस १

सनत बात मद अत कठोरी दित मनह मध माहर घोरी

कहइ चिर सिध अहइ िक नाही सवािमिन किहह कथा मोिह पाही २

दइ बरदान भप सन थाती मागह आज जड़ावह छाती

सतिह राज रामिह बनवास दह लह सब सवित हलास ३

भपित राम सपथ जब करई तब मागह जिह बचन न टरई

होइ अकाज आज िनिस बीत बचन मोर ि य मानह जी त ४

रामचिरतमानस - 12 - अयोधयाकाड

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दोहा

बड़ कघात किर पातिकिन कहिस कोपगह जाह

काज सवारह सजग सब सहसा जिन पितआह २२

कबिरिह रािन ानि य जानी बार बार बिड़ बि बखानी

तोिह सम िहत न मोर ससारा बह जात कइ भइिस अधारा १

जौ िबिध परब मनोरथ काली करौ तोिह चख पतिर आली

बहिबिध चिरिह आदर दई कोपभवन गविन ककई २

िबपित बीज बरषा िरत चरी भइ भइ कमित ककई करी

पाइ कपट जल अकर जामा बर दोउ दल दख फल पिरनामा ३

कोप समाज सािज सब सोई राज करत िनज कमित िबगोई

राउर नगर कोलाहल होई यह कचािल कछ जान न कोई ४

दोहा मिदत पर नर नािर सब सजिह समगलचार

एक िबसिह एक िनगरमिह भीर भप दरबार २३

बाल सखा सन िहय हरषाही िमिल दस पाच राम पिह जाही

भ आदरिह म पिहचानी पछिह कसल खम मद बानी १

िफरिह भवन ि य आयस पाई करत परसपर राम बड़ाई

को रघबीर सिरस ससारा सील सनह िनबाहिनहारा २

जिह जिह जोिन करम बस मही तह तह ईस दउ यह हमही

सवक हम सवामी िसयनाह होउ नात यह ओर िनबाह ३

अस अिभलाष नगर सब काह ककयसता हदय अित दाह

को न कसगित पाइ नसाई रहइ न नीच मत चतराई ४

दोहा सास समय सानद नप गयउ ककई गह

गवन िनठरता िनकट िकय जन धिर दह सनह २४

रामचिरतमानस - 13 - अयोधयाकाड

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कोपभवन सिन सकचउ राउ भय बस अगहड़ परइ न पाऊ

सरपित बसइ बाहबल जाक नरपित सकल रहिह रख ताक १

सो सिन ितय िरस गयउ सखाई दखह काम ताप बड़ाई

सल किलस अिस अगविनहार त रितनाथ समन सर मार २

सभय नरस ि या पिह गयऊ दिख दसा दख दारन भयऊ

भिम सयन पट मोट पराना िदए डािर तन भषण नाना ३

कमितिह किस कबषता फाबी अन अिहवात सच जन भाबी

जाइ िनकट नप कह मद बानी ानि या किह हत िरसानी ४ छद

किह हत रािन िरसािन परसत पािन पितिह नवारई

मानह सरोष भअग भािमिन िबषम भाित िनहारई

दोउ बासना रसना दसन बर मरम ठाहर दखई

तलसी नपित भवतबयता बस काम कौतक लखई

सोरठा बार बार कह राउ समिख सलोिचिन िपकबचिन

कारन मोिह सनाउ गजगािमिन िनज कोप कर २५

अनिहत तोर ि या कइ कीनहा किह दइ िसर किह जम चह लीनहा

कह क िह रकिह करौ नरस कह किह नपिह िनकासौ दस १

सकउ तोर अिर अमरउ मारी काह कीट बपर नर नारी

जानिस मोर सभाउ बरोर मन तव आनन चद चकोर २

ि या ान सत सरबस मोर पिरजन जा सकल बस तोर

जौ कछ कहौ कपट किर तोही भािमिन राम सपथ सत मोही ३

िबहिस माग मनभावित बाता भषन सजिह मनोहर गाता

घरी कघरी समिझ िजय दख बिग ि या पिरहरिह कबष ४

दोहा

रामचिरतमानस - 14 - अयोधयाकाड

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यह सिन मन गिन सपथ बिड़ िबहिस उठी मितमद

भषन सजित िबलोिक मग मनह िकराितिन फद २६

पिन कह राउ स द िजय जानी म पलिक मद मजल बानी

भािमिन भयउ तोर मनभावा घर घर नगर अनद बधावा १

रामिह दउ कािल जबराज सजिह सलोचिन मगल साज

दलिक उठउ सिन दउ कठोर जन छइ गयउ पाक बरतोर २

ऐिसउ पीर िबहिस तिह गोई चोर नािर िजिम गिट न रोई

लखिह न भप कपट चतराई कोिट किटल मिन गर पढ़ाई ३

ज िप नीित िनपन नरनाह नािरचिरत जलिनिध अवगाह

कपट सनह बढ़ाइ बहोरी बोली िबहिस नयन मह मोरी ४

दोहा माग माग प कहह िपय कबह न दह न लह

दन कहह बरदान दइ तउ पावत सदह २७

जानउ मरम राउ हिस कहई तमहिह कोहाब परम ि य अहई

थाित रािख न मािगह काऊ िबसिर गयउ मोिह भोर सभाऊ १

झठह हमिह दोष जिन दह दइ क चािर मािग मक लह

रघकल रीित सदा चिल आई ान जाह बर बचन न जाई २

निह असतय सम पातक पजा िगिर सम होिह िक कोिटक गजा

सतयमल सब सकत सहाए बद परान िबिदत मन गाए ३

तिह पर राम सपथ किर आई सकत सनह अविध रघराई

बात दढ़ाइ कमित हिस बोली कमत किबहग कलह जन खोली ४

दोहा भप मनोरथ सभग बन सख सिबहग समाज

िभललिन िजिम छाड़न चहित बचन भयकर बाज २८

मासपारायण तरहवा िव ाम

रामचिरतमानस - 15 - अयोधयाकाड

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सनह ानि य भावत जी का दह एक बर भरतिह टीका

मागउ दसर बर कर जोरी परवह नाथ मनोरथ मोरी १

तापस बष िबसिष उदासी चौदह बिरस राम बनबासी

सिन मद बचन भप िहय सोकसिस कर छअत िबकल िजिम कोक २

गयउ सहिम निह कछ किह आवा जन सचान बन झपटउ लावा

िबबरन भयउ िनपट नरपाल दािमिन हनउ मनह तर ताल ३

माथ हाथ मिद दोउ लोचन तन धिर सोच लाग जन सोचन

मोर मनोरथ सरतर फला फरत किरिन िजिम हतउ समला ४

अवध उजािर कीिनह ककई दीनहिस अचल िबपित क नई ५

दोहा कवन अवसर का भयउ गयउ नािर िबसवास

जोग िसि फल समय िजिम जितिह अिब ा नास २९

एिह िबिध राउ मनिह मन झाखा दिख कभाित कमित मन माखा

भरत िक राउर पत न होही आनह मोल बसािह िक मोही १

जो सिन सर अस लाग तमहार काह न बोलह बचन सभार

दह उतर अन करह िक नाही सतयसध तमह रघकल माही २

दन कहह अब जिन बर दह तजह सतय जग अपजस लह

सतय सरािह कहह बर दना जानह लइिह मािग चबना ३

िसिब दधीिच बिल जो कछ भाषा तन धन तजउ बचन पन राखा

अित कट बचन कहित ककई मानह लोन जर पर दई ४

दोहा धरम धरधर धीर धिर नयन उघार राय

िसर धिन लीिनह उसास अिस मारिस मोिह कठाय ३०

आग दीिख जरत िरस भारी मनह रोष तरवािर उघारी

मिठ कबि धार िनठराई धरी कबरी सान बनाई १

रामचिरतमानस - 16 - अयोधयाकाड

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लखी महीप कराल कठोरा सतय िक जीवन लइिह मोरा

बोल राउ किठन किर छाती बानी सिबनय तास सोहाती २

ि या बचन कस कहिस कभाती भीर तीित ीित किर हाती

मोर भरत राम दइ आखी सतय कहउ किर सकर साखी ३

अविस दत म पठइब ाता ऐहिह बिग सन त दोउ ाता

सिदन सोिध सब साज सजाई दउ भरत कह राज बजाई ४

दोहा लोभ न रामिह राज कर बहत भरत पर ीित

म बड़ छोट िबचािर िजय करत रहउ नपनीित ३१

राम सपथ सत कह सभाऊ राममात कछ कहउ न काऊ

म सब कीनह तोिह िबन पछ तिह त परउ मनोरथ छछ १

िरस पिरहर अब मगल साज कछ िदन गए भरत जबराज

एकिह बात मोिह दख लागा बर दसर असमजस मागा २

अजह हदय जरत तिह आचा िरस पिरहास िक साचह साचा

कह तिज रोष राम अपराध सब कोउ कहइ राम सिठ साध ३

तह सरा हिस करिस सनह अब सिन मोिह भयउ सदह

जास सभाउ अिरिह अनकला सो िकिम किरिह मात ितकला ४

दोहा ि या हास िरस पिरहरिह माग िबचािर िबबक जिह दखा अब नयन भिर भरत राज अिभषक ३२

िजऐ मीन बर बािर िबहीना मिन िबन फिनक िजऐ दख दीना

कहउ सभाउ न छल मन माही जीवन मोर राम िबन नाही १

समिझ दख िजय ि या बीना जीवन राम दरस आधीना

सिन द बचन कमित अित जरई मनह अनल आहित घत परई २

कहइ करह िकन कोिट उपाया इहा न लािगिह राउिर माया

दह िक लह अजस किर ना ही मोिह न बहत पच सोहाही ३

रामचिरतमानस - 17 - अयोधयाकाड

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राम साध तमह साध सयान राममात भिल सब पिहचान

जस कौिसला मोर भल ताका तस फल उनहिह दउ किर साका ४

दोहा होत ात मिनबष धिर जौ न राम बन जािह

मोर मरन राउर अजस नप समिझअ मन मािह ३३

अस किह किटल भई उिठ ठाढ़ी मानह रोष तरिगिन बाढ़ी

पाप पहार गट भइ सोई भरी ोध जल जाइ न जोई १

दोउ बर कल किठन हठ धारा भवर कबरी बचन चारा

ढाहत भपरप तर मला चली िबपित बािरिध अनकला २

लखी नरस बात फिर साची ितय िमस मीच सीस पर नाची

गिह पद िबनय कीनह बठारी जिन िदनकर कल होिस कठारी ३

माग माथ अबही दउ तोही राम िबरह जिन मारिस मोही

राख राम कह जिह तिह भाती नािह त जिरिह जनम भिर छाती ४

दोहा दखी बयािध असाध नप परउ धरिन धिन माथ

कहत परम आरत बचन राम राम रघनाथ ३४

बयाकल राउ िसिथल सब गाता किरिन कलपतर मनह िनपाता

कठ सख मख आव न बानी जन पाठीन दीन िबन पानी १

पिन कह कट कठोर ककई मनह घाय मह माहर दई

जौ अतह अस करतब रहऊ माग माग तमह किह बल कहऊ २

दइ िक होइ एक समय भआला हसब ठठाइ फलाउब गाला

दािन कहाउब अर कपनाई होइ िक खम कसल रौताई ३

छाड़ह बचन िक धीरज धरह जिन अबला िजिम करना करह

तन ितय तनय धाम धन धरनी सतयसध कह तन सम बरनी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 18 - अयोधयाकाड

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मरम बचन सिन राउ कह कह कछ दोष न तोर

लागउ तोिह िपसाच िजिम काल कहावत मोर ३५

चहत न भरत भपतिह भोर िबिध बस कमित बसी िजय तोर

सो सब मोर पाप पिरनाम भयउ कठाहर जिह िबिध बाम १

सबस बिसिह िफिर अवध सहाई सब गन धाम राम भताई

किरहिह भाइ सकल सवकाई होइिह ितह पर राम बड़ाई २

तोर कलक मोर पिछताऊ मएह न िमटिह न जाइिह काऊ

अब तोिह नीक लाग कर सोई लोचन ओट बठ मह गोई ३

जब लिग िजऔ कहउ कर जोरी तब लिग जिन कछ कहिस बहोरी

िफिर पिछतहिस अत अभागी मारिस गाइ नहार लागी ४

दोहा परउ राउ किह कोिट िबिध काह करिस िनदान

कपट सयािन न कहित कछ जागित मनह मसान ३६

राम राम रट िबकल भआल जन िबन पख िबहग बहाल

हदय मनाव भोर जिन होई रामिह जाइ कह जिन कोई १

उदउ करह जिन रिब रघकल गर अवध िबलोिक सल होइिह उर

भप ीित ककइ किठनाई उभय अविध िबिध रची बनाई २

िबलपत नपिह भयउ िभनसारा बीना बन सख धिन ारा

पढ़िह भाट गन गाविह गायक सनत नपिह जन लागिह सायक ३

मगल सकल सोहािह न कस सहगािमिनिह िबभषन जस

तिह िनिस नीद परी निह काह राम दरस लालसा उछाह ४

दोहा ार भीर सवक सिचव कहिह उिदत रिब दिख

जागउ अजह न अवधपित कारन कवन िबसिष ३७

पिछल पहर भप िनत जागा आज हमिह बड़ अचरज लागा

रामचिरतमानस - 19 - अयोधयाकाड

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जाह सम जगावह जाई कीिजअ काज रजायस पाई १

गए सम तब राउर माही दिख भयावन जात डराही

धाइ खाइ जन जाइ न हरा मानह िबपित िबषाद बसरा २

पछ कोउ न ऊतर दई गए जिह भवन भप ककई

किह जयजीव बठ िसर नाई दिख भप गित गयउ सखाई ३

सोच िबकल िबबरन मिह परऊ मानह कमल मल पिरहरऊ

सिचउ सभीत सकइ निह पछी बोली असभ भरी सभ छछी ४

दोहा परी न राजिह नीद िनिस हत जान जगदीस

राम राम रिट भोर िकय कहइ न मरम महीस ३८

आनह रामिह बिग बोलाई समाचार तब पछह आई

चलउ सम राय रख जानी लखी कचािल कीिनह कछ रानी १

सोच िबकल मग परइ न पाऊ रामिह बोिल किहिह का राऊ

उर धिर धीरज गयउ दआर पछिह सकल द िख मन मार २

समाधान किर सो सबही का गयउ जहा िदनकर कल टीका

राम सम िह आवत दखा आदर कीनह िपता सम लखा ३

िनरिख बदन किह भप रजाई रघकलदीपिह चलउ लवाई

राम कभाित सिचव सग जाही दिख लोग जह तह िबलखाही ४

दोहा जाइ दीख रघबसमिन नरपित िनपट कसाज

सहिम परउ लिख िसिघिनिह मनह ब गजराज ३९

सखिह अधर जरइ सब अग मनह दीन मिनहीन भअग

सरष समीप दीिख ककई मानह मीच घरी गिन लई १

करनामय मद राम सभाऊ थम दीख दख सना न काऊ

तदिप धीर धिर समउ िबचारी पछी मधर बचन महतारी २

मोिह कह मात तात दख कारन किरअ जतन जिह होइ िनवारन

रामचिरतमानस - 20 - अयोधयाकाड

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सनह राम सब कारन एह राजिह तम पर बहत सनह ३

दन कहिनह मोिह दइ बरदाना मागउ जो कछ मोिह सोहाना

सो सिन भयउ भप उर सोच छािड़ न सकिह तमहार सकोच ४

दोहा सत सनह इत बचन उत सकट परउ नरस

सकह न आयस धरह िसर मटह किठन कलस ४०

िनधरक बिठ कहइ कट बानी सनत किठनता अित अकलानी

जीभ कमान बचन सर नाना मनह मिहप मद लचछ समाना १

जन कठोरपन धर सरीर िसखइ धनषिब ा बर बीर

सब सग रघपितिह सनाई बिठ मनह तन धिर िनठराई २

मन मसकाइ भानकल भान राम सहज आनद िनधान

बोल बचन िबगत सब दषन मद मजल जन बाग िबभषन ३

सन जननी सोइ सत बड़भागी जो िपत मात बचन अनरागी

तनय मात िपत तोषिनहारा दलरभ जनिन सकल ससारा ४

दोहा मिनगन िमलन िबसिष बन सबिह भाित िहत मोर

तिह मह िपत आयस बहिर समत जननी तोर ४१

भरत ानि य पाविह राज िबिध सब िबिध मोिह सनमख आज

जो न जाउ बन ऐसह काजा थम गिनअ मोिह मढ़ समाजा १

सविह अरड कलपतर तयागी प िरहिर अमत लिह िबष मागी

तउ न पाइ अस समउ चकाही दख िबचािर मात मन माही २

अब एक दख मोिह िबसषी िनपट िबकल नरनायक दखी

थोिरिह बात िपतिह दख भारी होित तीित न मोिह महतारी ३

राउ धीर गन उदिध अगाध भा मोिह त कछ बड़ अपराध

जात मोिह न कहत कछ राऊ मोिर सपथ तोिह कह सितभाऊ ४

रामचिरतमानस - 21 - अयोधयाकाड

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दोहा सहज सरल रघबर बचन कमित किटल किर जान

चलइ जोक जल ब गित ज िप सिलल समान ४२

रहसी रािन राम रख पाई बोली कपट सनह जनाई

सपथ तमहार भरत क आना हत न दसर म कछ जाना १

तमह अपराध जोग निह ताता जननी जनक बध सखदाता

राम सतय सब जो कछ कहह तमह िपत मात बचन रत अहह २

िपतिह बझाइ कहह बिल सोई चौथपन जिह अजस न होई

तमह सम सअन सकत जिह दीनह उिचत न तास िनरादर कीनह ३

लागिह कमख बचन सभ कस मगह गयािदक तीरथ जस

रामिह मात बचन सब भाए िजिम सरसिर गत सिलल सहाए ४

दोहा गइ मरछा रामिह सिमिर नप िफिर करवट लीनह

सिचव राम आगमन किह िबनय समय सम कीनह ४३

अविनप अकिन राम पग धार धिर धीरज तब नयन उघार

सिचव सभािर राउ बठार चरन परत नप राम िनहार १

िलए सनह िबकल उर लाई ग मिन मनह फिनक िफिर पाई

रामिह िचतइ रहउ नरनाह चला िबलोचन बािर बाह २

सोक िबबस कछ कह न पारा हदय लगावत बारिह बारा

िबिधिह मनाव राउ मन माही जिह रघनाथ न कानन जाही ३

सिमिर महसिह कहइ िनहोरी िबनती सनह सदािसव मोरी

आसतोष तमह अवढर दानी आरित हरह दीन जन जानी ४

दोहा तमह रक सब क हदय सो मित रामिह दह

बचन मोर तिज रहिह घर पिरहिर सील सनह ४४

रामचिरतमानस - 22 - अयोधयाकाड

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अजस होउ जग सजस नसाऊ नरक परौ बर सरपर जाऊ

सब दख दसह सहावह मोही लोचन ओट राम जिन होही १

अस मन गनइ राउ निह बोला पीपर पात सिरस मन डोला

रघपित िपतिह मबस जानी पिन कछ किहिह मात अनमानी २

दस काल अवसर अनसारी बोल बचन िबनीत िबचारी

तात कहउ कछ करउ िढठाई अनिचत छमब जािन लिरकाई ३

अित लघ बात लािग दख पावा काह न मोिह किह थम जनावा

दिख गोसाइिह पिछउ माता सिन सग भए सीतल गाता ४

दोहा मगल समय सनह बस सोच पिरहिरअ तात

आयस दइअ हरिष िहय किह पलक भ गात ४५

धनय जनम जगतीतल तास िपतिह मोद चिरत सिन जास

चािर पदारथ करतल ताक ि य िपत मात ान सम जाक १

आयस पािल जनम फल पाई ऐहउ बिगिह होउ रजाई

िबदा मात सन आवउ मागी चिलहउ बनिह बहिर पग लागी २

अस किह राम गवन तब कीनहा भप सोक बस उतर न दीनहा

नगर बयािप गइ बात सतीछी छअत च ढ़ी जन सब तन बीछी ३

सिन भए िबकल सकल नर नारी बिल िबटप िजिम दिख दवारी

जो जह सनइ धनइ िसर सोई बड़ िबषाद निह धीरज होई ४

दोहा मख सखािह लोचन विह सोक न हदय समाइ

मनह करन रस कटकई उतरी अवध बजाइ ४६

िमलिह माझ िबिध बात बगारी जह तह दिह ककइिह गारी

एिह पािपिनिह बिझ का परऊ छाइ भवन पर पावक धरऊ १

िनज कर नयन कािढ़ चह दीखा डािर सधा िबष चाहत चीखा

किटल कठोर कबि अभागी भइ रघबस बन बन आगी २

रामचिरतमानस - 23 - अयोधयाकाड

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पालव बिठ पड़ एिह काटा सख मह सोक ठाट धिर ठाटा

सदा राम एिह ान समाना कारन कवन किटलपन ठाना ३

सतय कहिह किब नािर सभाऊ सब िबिध अगह अगाध दराऊ

िनज ितिबब बरक गिह जाई जािन न जाइ नािर गित भाई ४

दोहा काह न पावक जािर सक का न सम समाइ

का न कर अबला बल किह जग काल न खाइ ४७

का सनाइ िबिध काह सनावा का दखाइ चह काह दखावा

एक कहिह भल भप न कीनहा बर िबचािर निह कमितिह दीनहा १

जो हिठ भयउ सकल दख भाजन अबला िबबस गयान गन गा जन

एक धरम परिमित पिहचान नपिह दोस निह दिह सयान २

िसिब दधीिच हिरचद कहानी एक एक सन कहिह बखानी

एक भरत कर समत कहही एक उदास भाय सिन रहही ३

कान मिद कर रद गिह जीहा एक कहिह यह बात अलीहा

सकत जािह अस कहत तमहार राम भरत कह ानिपआर ४

दोहा चद चव बर अनल कन सधा होइ िबषतल

सपनह कबह न करिह िकछ भरत राम ितकल ४८

एक िबधातिह दषन दही सधा दखाइ दीनह िबष जही

खरभर नगर सोच सब काह दसह दाह उर िमटा उछाह १

िब बध कलमानय जठरी ज ि य परम ककई करी

लगी दन िसख सील सराही बचन बानसम लागिह ताही २

भरत न मोिह ि य राम समाना सदा कहह यह सब जग जाना

करह राम पर सहज सनह किह अपराध आज बन दह ३

कबह न िकयह सवित आरस ीित तीित जान सब दस

कौसलया अब काह िबगारा तमह जिह लािग ब पर पारा ४

रामचिरतमानस - 24 - अयोधयाकाड

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दोहा

सीय िक िपय सग पिरहिरिह लखन िक रिहहिह धाम

राज िक भजब भरत पर नप िक जीिह िबन राम ४९

अस िबचािर उर छाड़ह कोह सोक कलक कोिठ जिन होह

भरतिह अविस दह जबराज कानन काह राम कर काज १

नािहन राम राज क भख धरम धरीन िबषय रस रख

गर गह बसह राम तिज गह नप सन अस बर दसर लह २

जौ निह लिगहह कह हमार निह लािगिह कछ हाथ तमहार

जौ पिरहास कीिनह कछ होई तौ किह गट जनावह सोई ३

राम सिरस सत कानन जोग काह किहिह सिन तमह कह लोग

उठह बिग सोइ करह उपाई जिह िबिध सोक कलक नसाई ४ छद

जिह भाित सोक कलक जाइ उपाय किर कल पालही

हिठ फर रामिह जात बन जिन बात दसिर चालही

िजिम भान िबन िदन ान िबन तन चद िबन िजिम जािमनी

ितिम अवध तलसीदास भ िबन समिझ धौ िजय भािमनी

सोरठा सिखनह िसखावन दीनह सनत मधर पिरनाम िहत

तइ कछ कान न कीनह किटल बोधी कबरी ५०

उतर न दइ दसह िरस रखी मिगनह िचतव जन बािघिन भखी

बयािध असािध जािन ितनह तयागी चली कहत मितमद अभागी १

राज करत यह दअ िबगोई कीनहिस अस जस करइ न कोई

एिह िबिध िबलपिह पर नर नारी दिह कचािलिह कोिटक गारी २

जरिह िबषम जर लिह उसासा कविन राम िबन जीवन आसा

िबपल िबयोग जा अकलानी जन जलचर गन सखत पानी ३

रामचिरतमानस - 25 - अयोधयाकाड

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अित िबषाद बस लोग लोगाई गए मात पिह राम गोसाई

मख सनन िचत चौगन चाऊ िमटा सोच जिन राख राऊ ४

दोहा नव गयद रघबीर मन राज अलान समान

छट जािन बन गवन सिन उर अनद अिधकान ५१

रघकलितलक जोिर दोउ हाथा मिदत मात पद नायउ माथा

दीिनह असीस लाइ उर लीनह भषन बसन िनछाविर कीनह १

बार बार मख चबित माता नयन नह जल पलिकत गाता

गोद रािख पिन हदय लगाए वत नरस पयद सहाए २

म मोद न कछ किह जाई रक धनद पदबी जन पाई

सादर सदर बदन िनहारी बोली मधर बचन महतारी ३

कहह तात जननी बिलहारी कबिह लगन मद मगलकारी

सकत सील सख सीव सहाई जनम लाभ कइ अविध अघाई ४

दोहा जिह चाहत नर नािर सब अित आरत एिह भाित

िजिम चातक चातिक तिषत बि सरद िरत सवाित ५२

तात जाउ बिल बिग नहाह जो मन भाव मधर कछ खाह

िपत समीप तब जाएह भआ भइ बिड़ बार जाइ बिल मआ १

मात बचन सिन अित अनकला जन सनह सरतर क फला

सख मकरद भर ि यमला िनरिख राम मन भवर न भला २

धरम धरीन धरम गित जानी कहउ मात सन अित मद बानी

िपता दीनह मोिह कानन राज जह सब भाित मोर बड़ काज ३

आयस दिह मिदत मन माता जिह मद मगल कानन जाता

जिन सनह बस डरपिस भोर आनद अब अन ह तोर ४

रामचिरतमानस - 26 - अयोधयाकाड

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दोहा बरष चािरदस िबिपन बिस किर िपत बचन मान

आइ पाय पिन दिखहउ मन जिन करिस मलान ५३

बचन िबनीत मधर रघबर क सर सम लग मात उर करक

सहिम सिख सिन सीतिल बानी िजिम जवास पर पावस पानी १

किह न जाइ कछ हदय िबषाद मनह मगी सिन कहिर नाद

नयन सजल तन थर थर कापी माजिह खाइ मीन जन मापी २

धिर धीरज सत बदन िनहारी गदगद बचन कहित महतारी

तात िपतिह तमह ानिपआर दिख मिदत िनत चिरत तमहार ३

राज दन कह सभ िदन साधा कहउ जान बन किह अपराधा

तात सनावह मोिह िनदान को िदनकर कल भयउ कसान ४

दोहा िनरिख राम रख सिचवसत कारन कहउ बझाइ

सिन सग रिह मक िजिम दसा बरिन निह जाइ ५४

रािख न सकइ न किह सक जाह दह भाित उर दारन दाह

िलखत सधाकर गा िलिख राह िबिध गित बाम सदा सब काह १

धरम सनह उभय मित घरी भइ गित साप छछदिर करी

राखउ सतिह करउ अनरोध धरम जाइ अर बध िबरोध २

कहउ जान बन तौ बिड़ हानी सकट सोच िबबस भइ रानी

बहिर समिझ ितय धरम सयानी राम भरत दोउ सत सम जानी ३

सरल सभाउ राम महतारी बोली बचन धीर धिर भारी

तात जाउ बिल कीनहह नीका िपत आयस सब धरमक टीका ४

दोहा राज दन किह दीनह बन मोिह न सो दख लस

तमह िबन भरतिह भपितिह जिह चड कलस ५५

रामचिरतमानस - 27 - अयोधयाकाड

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जौ कवल िपत आयस ताता तौ जिन जाह जािन बिड़ माता

जौ िपत मात कहउ बन जाना तौ कानन सत अवध समाना १

िपत बनदव मात बनदवी खग मग चरन सरोरह सवी

अतह उिचत नपिह बनबास बय िबलोिक िहय होइ हरास २

बड़भागी बन अवध अभागी जो रघबसितलक तमह तयागी

जौ सत कहौ सग मोिह लह तमहर हदय होइ सदह ३

पत परम ि य तमह सबही क ान ान क जीवन जी क

त तमह कहह मात बन जाऊ म सिन बचन बिठ पिछताऊ ४

दोहा यह िबचािर निह करउ हठ झठ सनह बढ़ाइ

मािन मात कर नात बिल सरित िबसिर जिन जाइ ५६

दव िपतर सब तनहिह गोसाई राखह पलक नयन की नाई

अविध अब ि य पिरजन मीना तमह करनाकर धरम धरीना १

अस िबचािर सोइ करह उपाई सबिह िजअत जिह भटह आई

जाह सखन बनिह बिल जाऊ किर अनाथ जन पिरजन गाऊ २

सब कर आज सकत फल बीता भयउ कराल काल िबपरीता

बहिबिध िबलिप चरन लपटानी प रम अभािगिन आपिह जानी ३

दारन दसह दाह उर बयापा बरिन न जािह िबलाप कलापा

राम उठाइ मात उर लाई किह मद बचन बहिर समझाई ४

दोहा समाचार तिह समय सिन सीय उठी अकलाइ

जाइ सास पद कमल जग बिद बिठ िसर नाइ ५७

दीिनह असीस सास मद बानी अित सकमािर दिख अकलानी

बिठ निमतमख सोचित सीता रप रािस पित म पनीता १

चलन चहत बन जीवननाथ किह सकती सन होइिह साथ

की तन ान िक कवल ाना िबिध करतब कछ जाइ न जाना २

रामचिरतमानस - 28 - अयोधयाकाड

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चार चरन नख लखित धरनी नपर मखर मधर किब बरनी

मनह म बस िबनती करही हमिह सीय पद जिन पिरहरही ३

मज िबलोचन मोचित बारी बोली दिख राम महतारी

तात सनह िसय अित सकमारी सास ससर पिरजनिह िपआरी ४

दोहा िपता जनक भपाल मिन ससर भानकल भान

पित रिबकल करव िबिपन िबध गन रप िनधान ५८

म पिन प बध ि य पाई रप रािस गन सील सहाई

नयन पतिर किर ीित बढ़ाई राखउ ान जािनिकिह लाई १

कलपबिल िजिम बहिबिध लाली सीिच सनह सिलल ितपाली

फलत फलत भयउ िबिध बामा जािन न जाइ काह पिरनामा २

पलग पीठ तिज गोद िहड़ोरा िसय न दीनह पग अविन कठोरा

िजअनमिर िजिम जोगवत रहऊ दीप बाित निह टारन कहऊ ३

सोइ िसय चलन चहित बन साथा आयस काह होइ रघनाथा

चद िकरन रस रिसक चकोरी रिब रख नयन सकइ िकिम जोरी ४

दोहा किर कहिर िनिसचर चरिह द जत बन भिर

िबष बािटका िक सोह सत सभग सजीविन मिर ५९

बन िहत कोल िकरात िकसोरी रची िबरिच िबषय सख भोरी

पाइन किम िजिम किठन सभाऊ ितनहिह कलस न कानन काऊ १

क तापस ितय कानन जोग िजनह तप हत तजा सब भोग

िसय बन बिसिह तात किह भाती िच िलिखत किप दिख डराती २

सरसर सभग बनज बन चारी डाबर जोग िक हसकमारी

अस िबचािर जस आयस होई म िसख दउ जानिकिह सोई ३

जौ िसय भवन रह कह अबा मोिह कह होइ बहत अवलबा

सिन रघबीर मात ि य बानी सील सनह सधा जन सानी ४

रामचिरतमानस - 29 - अयोधयाकाड

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दोहा

किह ि य बचन िबबकमय कीिनह मात पिरतोष

लग बोधन जानिकिह गिट िबिपन गन दोष ६०

मासपारायण चौदहवा िव ाम

मात समीप कहत सकचाही बोल समउ समिझ मन माही

राजकमािर िसखावन सनह आन भाित िजय जिन कछ गनह १

आपन मोर नीक जौ चहह बचन हमार मािन गह रहह

आयस मोर सास सवकाई सब िबिध भािमिन भवन भलाई २

एिह त अिधक धरम निह दजा सादर सास ससर पद पजा

जब जब मात किरिह सिध मोरी होइिह म िबकल मित भोरी ३

तब तब तमह किह कथा परानी सदिर समझाएह मद बानी

कहउ सभाय सपथ सत मोही समिख मात िहत राखउ तोही ४

दोहा गर ित समत धरम फल पाइअ िबनिह कलस

हठ बस सब सकट सह गालव नहष नरस ६१

म पिन किर वान िपत बानी बिग िफरब सन समिख सयानी

िदवस जात निह लािगिह बारा सदिर िसखवन सनह हमारा १

जौ हठ करह म बस बामा तौ तमह दख पाउब पिरनामा

कानन किठन भयकर भारी घोर घाम िहम बािर बयारी २

कस कटक मग काकर नाना चलब पयादिह िबन पद ाना

चरन कमल मद मज तमहार मारग अगम भिमधर भार ३

कदर खोह नदी नद नार अगम अगाध न जािह िनहार

भाल बाघ बक कहिर नागा करिह नाद सिन धीरज भागा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 30 - अयोधयाकाड

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भिम सयन बलकल बसन असन कद फल मल

त िक सदा सब िदन िमिलिह सबइ समय अनकल ६२

नर अहार रजनीचर चरही कपट बष िबिध कोिटक करही

लागइ अित पहार कर पानी िबिपन िबपित निह जाइ बखानी १

बयाल कराल िबहग बन घोरा िनिसचर िनकर नािर नर चोरा

डरपिह धीर गहन सिध आए मगलोचिन तमह भीर सभाए २

हसगविन तमह निह बन जोग सिन अपजस मोिह दइिह लोग

मानस सिलल सधा ितपाली िजअइ िक लवन पयोिध मराली ३

नव रसाल बन िबहरनसीला सोह िक कोिकल िबिपन करीला

रहह भवन अस हदय िबचारी चदबदिन दख कानन भारी ४

दोहा सहज सहद गर सवािम िसख जो न करइ िसर मािन

सो पिछताइ अघाइ उर अविस होइ िहत हािन ६३

सिन मद बचन मनोहर िपय क लोचन लिलत भर जल िसय क

सीतल िसख दाहक भइ क स चकइिह सरद चद िनिस जस १

उतर न आव िबकल बदही तजन चहत सिच सवािम सनही

बरबस रोिक िबलोचन बारी धिर धीरज उर अविनकमारी २

लािग सास पग कह कर जोरी छमिब दिब बिड़ अिबनय मोरी

दीिनह ानपित मोिह िसख सोई जिह िबिध मोर परम िहत होई ३

म पिन समिझ दीिख मन माही िपय िबयोग सम दख जग नाही ४

दोहा ाननाथ करनायतन सदर सखद सजान तमह िबन रघकल कमद िबध सरपर नरक समान ६४

मात िपता भिगनी ि य भाई ि य पिरवार स द समदाई

सास ससर गर सजन सहाई सत सदर ससील सखदाई १

रामचिरतमानस - 31 - अयोधयाकाड

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जह लिग नाथ नह अर नात िपय िबन ितयिह तरिनह त तात

तन धन धाम धरिन पर राज पित िबहीन सब सोक समाज २

भोग रोगसम भषन भार जम जातना सिरस ससार

ाननाथ तमह िबन जग माही मो कह सखद कतह कछ नाही ३

िजय िबन दह नदी िबन बारी तिसअ नाथ परष िबन नारी

नाथ सकल सख साथ तमहार सरद िबमल िबध बदन िनहार ४

दोहा खग मग पिरजन नगर बन बलकल िबमल दकल

नाथ साथ सरसदन सम परनसाल सख मल ६५

बनदवी बनदव उदारा किरहिह सास ससर सम सारा

कस िकसलय साथरी सहाई भ सग मज मनोज तराई १

कद मल फल अिमअ अहार अवध सौध सत सिरस पहार

िछन िछन भ पद कमल िबलोिकरिहहउ मिदत िदवस िजिम कोकी२

बन दख नाथ कह बहतर भय िबषाद पिरताप घनर

भ िबयोग लवलस समाना सब िमिल होिह न कपािनधाना ३

अस िजय जािन सजान िसरोमिन लइअ सग मोिह छािड़अ जिन

िबनती बहत करौ का सवामी करनामय उर अतरजामी ४

दोहा रािखअ अवध जो अविध लिग रहत न जिनअिह ान

दीनबध सदर सखद सील सनह िनधान ६६

मोिह मग चलत न होइिह हारी िछन िछन चरन सरोज िनहारी

सबिह भाित िपय सवा किरहौ मारग जिनत सकल म हिरहौ १

पाय पखारी बिठ तर छाही किरहउ बाउ मिदत मन माही

म कन सिहत सयाम तन दख कह दख समउ ानपित पख २

सम मिह तन तरपललव डासी पाग पलोिटिह सब िनिस दासी

बारबार मद मर ित जोही लागिह तात बयािर न मोही ३

रामचिरतमानस - 32 - अयोधयाकाड

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को भ सग मोिह िचतविनहारा िसघबधिह िजिम ससक िसआरा

म सकमािर नाथ बन जोग तमहिह उिचत तप मो कह भोग ४

दोहा ऐसउ बचन कठोर सिन जौ न दउ िबलगान

तौ भ िबषम िबयोग दख सिहहिह पावर ान ६७

अस किह सीय िबकल भइ भारी बचन िबयोग न सकी सभारी

दिख दसा रघपित िजय जाना हिठ राख निह रािखिह ाना १

कहउ कपाल भानकलनाथा पिरहिर सोच चलह बन साथा

निह िबषाद कर अवसर आज बिग करह बन गवन समाज २

किह ि य बचन ि या समझाई लग मात पद आिसष पाई

बिग जा दख मटब आई जननी िनठर िबसिर जिन जाई ३

िफरिह दसा िबिध बहिर िक मोरी दिखहउ नयन मनोहर जोरी

सिदन सघरी तात कब होइिह जननी िजअत बदन िबध जोइिह ४

दोहा बहिर बचछ किह लाल किह रघपित रघबर तात

कबिह बोलाइ लगाइ िहय हरिष िनरिखहउ गात ६८

लिख सनह कातिर महतारी बचन न आव िबकल भइ भारी

राम बोध कीनह िबिध नाना समउ सनह न जाइ बखाना १

तब जानकी सास पग लागी सिनअ माय म परम अभागी

सवा समय दअ बन दीनहा मोर मनोरथ सफल न कीनहा २

तजब छोभ जिन छािड़अ छोह करम किठन कछ दोस न मोह

सिन िसय बचन सास अकलानी दसा कविन िबिध कहौ बखानी ३

बारिह बार लाइ उर लीनही धिर धीरज िसख आिसष दीनही

अचल होउ अिहवात तमहारा जब लिग गग जमन जल धारा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 33 - अयोधयाकाड

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सीतिह सास असीस िसख दीिनह अनक कार चली नाइ पद पदम िसर अित िहत बारिह बार ६९

समाचार जब लिछमन पाए बयाकल िबलख बदन उिठ धाए

कप पलक तन नयन सनीरा गह चरन अित म अधीरा १

किह न सकत कछ िचतवत ठाढ़ मीन दीन जन जल त काढ़

सोच हदय िबिध का होिनहारा सब सख सकत िसरान हमारा २

मो कह काह कहब रघनाथा रिखह िह भवन िक लहिह साथा

राम िबलोिक बध कर जोर दह गह सब सन तन तोर ३

बोल बचन राम नय नागर सील सनह सरल सख सागर

तात म बस जिन कदराह समिझ हदय पिरनाम उछाह ४

दोहा मात िपता गर सवािम िसख िसर धिर करिह सभाय

लहउ लाभ ितनह जनम कर नतर जनम जग जाय ७०

अस िजय जािन सनह िसख भाई करह मात िपत पद सवकाई

भवन भरत िरपसदन नाही राउ ब मम दख मन माही १

म बन जाउ तमहिह लइ साथा होइ सबिह िबिध अवध अनाथा

गर िपत मात जा पिरवार सब कह परइ दसह दख भार २

रहह करह सब कर पिरतोष नतर तात होइिह बड़ दोष

जास राज ि य जा दखारी सो नप अविस नरक अिधकारी ३

रहह तात अिस नीित िबचारी सनत लखन भए बयाकल भारी

िसअर बचन सिख गए क स परसत तिहन तामरस जस ४

दोहा उतर न आवत म बस गह चरन अकलाइ

नाथ दास म सवािम तमह तजह त काह बसाइ ७१

दीिनह मोिह िसख नीिक गोसाई लािग अगम अपनी कदराई

रामचिरतमानस - 34 - अयोधयाकाड

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नरबर धीर धरम धर धारी िनगम नीित कह त अिधकारी १

म िसस भ सनह ितपाला मदर मर िक लिह मराला

गर िपत मात न जानउ काह कहउ सभाउ नाथ पितआह २

जह लिग जगत सनह सगाई ीित तीित िनगम िनज गाई

मोर सबइ एक तमह सवामी दीनबध उर अतरजामी ३

धरम नीित उपदिसअ ताही कीरित भित सगित ि य जाही

मन म बचन चरन रत होई कपािसध पिरहिरअ िक सोई ४

दोहा करनािसध सबध क सिन मद बचन िबनीत

समझाए उर लाइ भ जािन सनह सभीत ७२

मागह िबदा मात सन जाई आवह बिग चलह बन भाई

मिदत भए सिन रघबर बानी भयउ लाभ बड़ गइ बिड़ हानी १

हरिषत हदय मात पिह आए मनह अध िफिर लोचन पाए

जाइ जनिन पग नायउ माथा मन रघनदन जानिक साथा २

पछ मात मिलन मन दखी लखन कही सब कथा िबसषी

गई सहिम सिन बचन कठोरा मगी दिख दव जन चह ओरा ३

लखन लखउ भा अनरथ आज एिह सनह बस करब अकाज

मागत िबदा सभय सकचाही जाइ सग िबिध किहिह िक नाही ४

दोहा समिझ सिम ा राम िसय रप ससील सभाउ

नप सनह लिख धनउ िसर पािपिन दीनह कदाउ ७३

धीरज धरउ कअवसर जानी सहज सहद बोली मद बानी

तात तमहािर मात बदही िपता राम सब भाित सनही १

अवध तहा जह राम िनवास तहइ िदवस जह भान कास

जौ प सीय राम बन जाही अवध तमहार काज कछ नािह २

गर िपत मात बध सर साई सइअिह सकल ान की नाई

रामचिरतमानस - 35 - अयोधयाकाड

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राम ानि य जीवन जी क सवारथ रिहत सखा सबही क ३

पजनीय ि य परम जहा त सब मािनअिह राम क नात

अस िजय जािन सग बन जाह लह तात जग जीवन लाह ४

दोहा भिर भाग भाजन भयह मोिह समत बिल जाउ

जौम तमहर मन छािड़ छल कीनह राम पद ठाउ ७४

प वती जबती जग सोई रघपित भगत जास सत होई

नतर बाझ भिल बािद िबआनी राम िबमख सत त िहत जानी १

तमहरिह भाग राम बन जाही दसर हत तात कछ नाही

सकल सकत कर बड़ फल एह राम सीय पद सहज सनह २

राग रोष इिरषा मद मोह जिन सपनह इनह क बस होह

सकल कार िबकार िबहाई मन म बचन करह सवकाई ३

तमह कह बन सब भाित सपास सग िपत मा त राम िसय जास

जिह न राम बन लहिह कलस सत सोइ करह इहइ उपदस ४ छद

उपदस यह जिह तात तमहर राम िसय सख पावही

िपत मात ि य पिरवार पर सख सरित बन िबसरावही

तलसी भिह िसख दइ आयस दीनह पिन आिसष दई

रित होउ अिबरल अमल िसय रघबीर पद िनत िनत नई

सोरठा मात चरन िसर नाइ चल तरत सिकत हदय

बागर िबषम तोराइ मनह भाग मग भाग बस ७५

गए लखन जह जानिकनाथ भ मन मिदत पाइ ि य साथ

बिद राम िसय चरन सहाए चल सग नपमिदर आए १

कहिह परसपर पर नर नारी भिल बनाइ िबिध बात िबगारी

रामचिरतमानस - 36 - अयोधयाकाड

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तन कस दख बदन मलीन िबकल मनह माखी मध छीन २

कर मीजिह िसर धिन पिछताही जन िबन पख िबहग अकलाही

भइ बिड़ भीर भप दरबारा बरिन न जाइ िबषाद अपारा ३

सिचव उठाइ राउ बठार किह ि य बचन राम पग धार

िसय समत दोउ तनय िनहारी बयाकल भयउ भिमपित भारी ४

दोहा सीय सिहत सत सभग दोउ दिख दिख अकलाइ

बारिह बार सनह बस राउ लइ उर लाइ ७६

सकइ न बोिल िबकल नरनाह सोक जिनत उर दारन दाह

नाइ सीस पद अित अनरागा उिठ रघबीर िबदा तब मागा १

िपत असीस आयस मोिह दीज हरष समय िबसमउ कत कीज

तात िकए ि य म माद जस जग जाइ होइ अपबाद २

सिन सनह बस उिठ नरनाहा बठार रघपित गिह बाहा

सनह तात तमह कह मिन कहही राम चराचर नायक अहही ३

सभ अर असभ करम अनहारी ईस दइ फल हदय िबचारी

करइ जो करम पाव फल सोई िनगम नीित अिस कह सब कोई ४

दोहा और कर अपराध कोउ और पाव फल भोग

अित िबिच भगवत गित को जग जान जोग ७७

राय राम राखन िहत लागी बहत उपाय िकए छल तयागी

लखी राम रख रहत न जान धरम धरधर धीर सयान १

तब नप सीय लाइ उर लीनही अित िहत बहत भाित िसख दीनही

किह बन क दख दसह सनाए सास ससर िपत सख समझाए २

िसय मन राम चरन अनरागा घर न सगम बन िबषम न लागा

औरउ सबिह सीय समझाई किह किह िबिपन िबपित अिधकाई ३

सिचव नािर गर नािर सयानी सिहत सनह कहिह मद बानी

रामचिरतमानस - 37 - अयोधयाकाड

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तमह कह तौ न दीनह बनबास करह जो कहिह ससर गर सास ४

दोहा िसख सीतिल िहत मधर मद सिन सीतिह न सोहािन

सरद चद चदिन लगत जन चकई अकलािन ७८

सीय सकच बस उतर न दई सो सिन तमिक उठी ककई

मिन पट भषन भाजन आनी आग धिर बोली मद बानी १

नपिह ान ि य तमह रघबीरा सील सनह न छािड़िह भीरा

सकत सजस परलोक नसाऊ तमहिह जान बन किहिह न काऊ २

अस िबचािर सोइ करह जो भावा राम जनिन िसख सिन सख पावा

भपिह बचन बानसम लाग करिह न ान पयान अभाग ३

लोग िबकल मरिछत नरनाह काह किरअ कछ सझ न काह

राम तरत मिन बष बनाई चल जनक जनिनिह िसर नाई ४

दोहा सिज बन साज समाज सब बिनता बध समत

बिद िब गर चरन भ चल किर सबिह अचत ७९

िनकिस बिस ार भए ठाढ़ दख लोग िबरह दव दाढ़

किह ि य बचन सकल समझाए िब बद रघबीर बोलाए १

गर सन किह बरषासन दीनह आदर दान िबनय बस कीनह

जाचक दान मान सतोष मीत पनीत म पिरतोष २

दासी दास बोलाइ बहोरी गरिह सौिप बोल कर जोरी

सब क सार सभार गोसाई करिब जनक जननी की नाई ३

बारिह बार जोिर जग पानी कहत राम सब सन मद बानी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जिह त रह भआल सखारी ४

दोहा मात सकल मोर िबरह जिह न होिह दख दीन

रामचिरतमानस - 38 - अयोधयाकाड

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सोइ उपाउ तमह करह सब पर जन परम बीन ८०

एिह िबिध राम सबिह समझावा गर पद पदम हरिष िसर नावा

गनपती गौिर िगरीस मनाई चल असीस पाइ रघराई १

राम चलत अित भयउ िबषाद सिन न जाइ पर आरत नाद

कसगन लक अवध अित सोक हहरष िबषाद िबबस सरलोक २

गइ मरछा तब भपित जाग बोिल सम कहन अस लाग

राम चल बन ान न जाही किह सख लािग रहत तन माही ३

एिह त कवन बयथा बलवाना जो दख पाइ तजिह तन ाना

पिन धिर धीर कहइ नरनाह ल रथ सग सखा तमह जाह ४

दोहा सिठ सकमार कमार दोउ जनकसता सकमािर

रथ चढ़ाइ दखराइ बन िफरह गए िदन चािर ८१

जौ निह िफरिह धीर दोउ भाई सतयसध दढ़ त रघराई

तौ तमह िबनय करह कर जोरी फिरअ भ िमिथलसिकसोरी १

जब िसय कानन दिख डराई कहह मोिर िसख अवसर पाई

सास ससर अस कहउ सदस पि िफिरअ बन बहत कलस २

िपतगह कबह कबह ससरारी रहह जहा र िच होइ तमहारी

एिह िबिध करह उपाय कदबा िफरइ त होइ ान अवलबा ३

नािह त मोर मरन पिरनामा कछ न बसाइ भए िबिध बामा

अस किह मरिछ परा मिह राऊ राम लखन िसय आिन दखाऊ ४

दोहा पाइ रजायस नाइ िसर रथ अित बग बनाइ

गयउ जहा बाहर नगर सीय सिहत दोउ भाइ ८२

तब सम नप बचन सनाए किर िबनती रथ राम चढ़ाए

चिढ़ रथ सीय सिहत दोउ भाई चल हदय अवधिह िसर नाई १

रामचिरतमानस - 39 - अयोधयाकाड

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चलत राम लिख अवध अनाथा िबकल लोग सब लाग साथा

कपािसध बहिबिध समझाविह िफरिह म बस पिन िफिर आविह २

लागित अवध भयाविन भारी मानह कालराित अिधआरी

घोर जत सम पर नर नारी डरपिह एकिह एक िनहारी ३

घर मसान पिरजन जन भता सत िहत मीत मनह जमदता

बागनह िबटप बिल किमहलाही सिरत सरोवर दिख न जाही ४

दोहा हय गय कोिटनह किलमग परपस चातक मोर

िपक रथाग सक सािरका सारस हस चकोर ८३

राम िबयोग िबकल सब ठाढ़ जह तह मनह िच िलिख काढ़

नगर सफल बन गहबर भारी खग मग िबपल सकल नर नारी १

िबिध ककई िकराितिन कीनही जिह दव दसह दसह िदिस दीनही

सिह न सक रघबर िबरहागी चल लोग सब बयाकल भागी २

सबिह िबचार कीनह मन माही राम लखन िसय िबन सख नाही

जहा राम तह सबइ समाज िबन रघबीर अवध निह काज ३

चल साथ अस म दढ़ाई सर दलरभ सख सदन िबहाई

राम चरन पकज ि य िजनहही िबषय भोग बस करिह िक ितनहही ४

दोहा बालक ब िबहाइ गह लग लोग सब साथ

तमसा तीर िनवास िकय थम िदवस रघनाथ ८४

रघपित जा मबस दखी सदय हदय दख भयउ िबसषी

करनामय रघनाथ गोसाई बिग पाइअिह पीर पराई १

किह स म मद बचन सहाए बहिबिध राम लोग समझाए

िकए धरम उपदस घनर लोग म बस िफरिह न फर २

सील सनह छािड़ निह जाई असमजस बस भ रघराई

लोग सोग म बस गए सोई कछक दवमाया मित मोई ३

रामचिरतमानस - 40 - अयोधयाकाड

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जबिह जाम जग जािमिन बीती राम सिचव सन कहउ स ीती

खोज मािर रथ हाकह ताता आन उपाय बिनिह निह बाता ४

दोहा राम लखन सय जान चिढ़ सभ चरन िसर नाइ

सिचव चलायउ तरत रथ इत उत खोज दराइ ८५

जाग सकल लोग भए भोर ग रघनाथ भयउ अित सोर

रथ कर खोज कतहह निह पाविह राम राम किह चह िदिस धाविह १

मनह बािरिनिध बड़ जहाज भयउ िबकल बड़ बिनक समाज

एकिह एक दिह उपदस तज राम हम जािन कलस २

िनदिह आप सराहिह मीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

जौ प ि य िबयोग िबिध कीनहा तौ कस मरन न माग दीनहा ३

एिह िबिध करत लाप कलापा आए अवध भर पिरतापा

िबषम िबयोग न जाइ बखाना अविध आस सब राखिह ाना ४

दोहा राम दरस िहत नम त लग करन नर नािर

मनह कोक कोकी कमल दीन िबहीन तमािर ८६

सीता सिचव सिहत दोउ भाई सगबरपर पहच जाई

उतर राम दवसिर दखी कीनह दडवत हरष िबसषी १

लखन सिचव िसय िकए नामा सबिह सिहत सख पायउ रामा

गग सकल मद मगल मला सब सख करिन हरिन सब सला २

किह किह कोिटक कथा सगा राम िबलोकिह गग तरगा

सिचविह अनजिह ि यिह सनाई िबबध नदी मिहमा अिधकाई ३

मजजन कीनह पथ म गयऊ सिच जल िपअत मिदत मन भयऊ

सिमरत जािह िमटइ म भार तिह म यह लौिकक बयवहार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 41 - अयोधयाकाड

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सधद सिचदानदमय कद भानकल कत

चिरत करत नर अनहरत ससित सागर सत ८७

यह सिध गह िनषाद जब पाई मिदत िलए ि य बध बोलाई

िलए फल मल भट भिर भारा िमलन चलउ िहय हरष अपारा १

किर दडवत भट धिर आग भिह िबलोकत अित अनराग

सहज सनह िबबस रघराई पछी कसल िनकट बठाई २

नाथ कसल पद पकज दख भयउ भागभाजन जन लख

दव धरिन धन धाम तमहारा म जन नीच सिहत पिरवारा ३

कपा किरअ पर धािरअ पाऊ थािपय जन सब लोग िसहाऊ

कहह सतय सब सखा सजाना मोिह दीनह िपत आयस आना ४

दोहा बरष चािरदस बास बन मिन त बष अहार

ाम बास निह उिचत सिन गहिह भयउ दख भार ८८

राम लखन िसय रप िनहारी कहिह स म ाम नर नारी

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस १

एक कहिह भल भपित कीनहा लोयन लाह हमिह िबिध दीनहा

तब िनषादपित उर अनमाना तर िससपा मनोहर जाना २

ल रघनाथिह ठाउ दखावा कहउ राम सब भाित सहावा

परजन किर जोहार घर आए रघबर सधया करन िसधाए ३

गह सवािर साथरी डसाई कस िकसलयमय मदल सहाई

सिच फल मल मधर मद जानी दोना भिर भिर राखिस पानी ४

दोहा िसय सम ाता सिहत कद मल फल खाइ

सयन कीनह रघबसमिन पाय पलोटत भाइ ८९

उठ लखन भ सोवत जानी किह सिचविह सोवन मद बानी

रामचिरतमानस - 42 - अयोधयाकाड

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कछक दर सिज बान सरासन जागन लग बिठ बीरासन १

गह बोलाइ पाहर तीती ठाव ठाव राख अित ीती

आप लखन पिह बठउ जाई किट भाथी सर चाप चढ़ाई २

सोवत भिह िनहािर िनषाद भयउ म बस हदय िबषाद

तन पलिकत जल लोचन बहई बचन स म लखन सन कहई ३

भपित भवन सभाय सहावा सरपित सदन न पटतर पावा

मिनमय रिचत चार चौबार जन रितपित िनज हाथ सवार ४

दोहा सिच सिबिच सभोगमय समन सगध सबास

पलग मज मिनदीप जह सब िबिध सकल सपास ९०

िबिबध बसन उपधान तराई छीर फन मद िबसद सहाई

तह िसय राम सयन िनिस करही िनज छिब रित मनोज मद हरही १

त िसय राम साथरी सोए िमत बसन िबन जािह न जोए

मात िपता पिरजन परबासी सखा ससील दास अर दासी २

जोगविह िजनहिह ान की नाई मिह सोवत तइ राम गोसाई

िपता जनक जग िबिदत भाऊ ससर सरस सखा रघराऊ ३

रामचद पित सो बदही सोवत मिह िबिध बाम न कही

िसय रघबीर िक कानन जोग करम धान सतय कह लोग ४

दोहा ककयनिदिन मदमित किठन किटलपन कीनह

जही रघनदन जानिकिह सख अवसर दख दीनह ९१

भइ िदनकर कल िबटप कठारी कमित कीनह सब िबसव दखा री

भयउ िबषाद िनषादिह भारी राम सीय मिह सयन िनहारी १

बोल लखन मधर मद बानी गयान िबराग भगित रस सानी

काह न कोउ सख दख कर दाता िनज कत करम भोग सब ाता २

जोग िबयोग भोग भल मदा िहत अनिहत मधयम म फदा

रामचिरतमानस - 43 - अयोधयाकाड

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जनम मरन जह लिग जग जाल सपती िबपित करम अर काल ३

धरिन धाम धन पर पिरवार सरग नरक जह लिग बयवहार

दिखअ सिनअ गिनअ मन माही मोह मल परमारथ नाही ४

दोहा सपन होइ िभखािर नप रक नाकपित होइ

जाग लाभ न हािन कछ ितिम पच िजय जोइ ९२

अस िबचािर निह कीजा रोस काहिह बािद न दइअ दोस

मोह िनसा सब सोविनहारा दिखअ सपन अनक कारा १

एिह जग जािमिन जागिह जोगी परमारथी पच िबयोगी

जािनअ तबिह जीव जग जागा जब जब िबषय िबलास िबरागा २

होइ िबबक मोह म भागा तब रघनाथ चरन अनरागा

सखा परम परमारथ एह मन म बचन राम पद नह ३

राम परमारथ रपा अिबगत अलख अनािद अनपा

सकल िबकार रिहत गतभदा किह िनत नित िनरपिह बदा ४

दोहा भगत भिम भसर सरिभ सर िहत लािग कपाल

करत चिरत धिर मनज तन सनत िमटिह जग जाल ९३

मासपारायण प हवा िव ाम

सखा समिझ अस पिरहिर मोह िसय रघबीर चरन रत होह

कहत राम गन भा िभनसारा जाग जग मगल सखदारा १

सकल सोच किर राम नहावा सिच सजान बट छीर मगावा

अनज सिहत िसर जटा बनाए दिख सम नयन जल छाए २

हदय दाह अित बदन मलीना कह कर जोिर बचन अित दीना

नाथ कहउ अस कोसलनाथा ल रथ जाह राम क साथा ३

बन दखाइ सरसिर अनहवाई आनह फिर बिग दोउ भाई

रामचिरतमानस - 44 - अयोधयाकाड

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लखन राम िसय आनह फरी ससय सकल सकोच िनबरी ४

दोहा नप अस कहउ गोसाई जस कहइ करौ बिल सोइ

किर िबनती पायनह परउ दीनह बाल िजिम रोइ ९४

तात कपा किर कीिजअ सोई जात अवध अनाथ न होई

म िह राम उठाइ बोधा तात धरम मत तमह सब सोधा १

िसिब दधीिच हिरचद नरसा सह धरम िहत कोिट कलसा

रितदव बिल भप सजाना धरम धरउ सिह सकट नाना २

धरम न दसर सतय स माना आगम िनगम परान बखाना

म सोइ धरम सलभ किर पावा तज ितह पर अपजस छावा ३

सभािवत कह अपजस लाह मरन कोिट सम दारन दाह

तमह सन तात बहत का कहऊ िदए उतर िफिर पातक लहऊ ४

दोहा िपत पद गिह किह कोिट नित िबनय करब कर जोिर िचता कविनह बात क तात किरअ जिन मोिर ९५

तमह पिन िपत सम अित िहत मोर िबनती करउ तात कर जोर

सब िबिध सोइ करतबय तमहार दख न पाव िपत सोच हमार १

सिन रघनाथ सिचव सबाद भयउ सपिरजन िबकल िनषाद

पिन कछ लखन कही कट बानी भ बरज बड़ अ निचत जानी २

सकिच राम िनज सपथ दवाई लखन सदस किहअ जिन जाई

कह सम पिन भप सदस सिह न सिकिह िसय िबिपन कलस ३

जिह िबिध अवध आव िफिर सीया सोइ रघबरिह तमहिह करनीया

नतर िनपट अवलब िबहीना म न िजअब िजिम जल िबन मीना ४

दोहा मइक ससर सकल सख जबिह जहा मन मान

रामचिरतमानस - 45 - अयोधयाकाड

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तह तब रिहिह सखन िसय जब लिग िबपित िबहान ९६

िबनती भप कीनह जिह भाती आरित ीित न सो किह जाती

िपत सदस सिन कपािनधाना िसयिह दीनह िसख कोिट िबधाना १

सास ससर गर ि य पिरवार िफरत त सब कर िमट खभार

सिन पित बचन कहित बदही सनह ानपित परम सनही २

भ करनामय परम िबबकी तन तिज रहित छाह िकिम छकी

भा जाइ कह भान िबहाई कह चि का चद तिज जाई ३

पितिह ममय िबनय सनाई कहित सिचव सन िगरा सहाई

तमह िपत ससर सिरस िहतकारी उतर दउ िफिर अनिचत भारी ४

दोहा आरित बस सनमख भइउ िबलग न मानब तात

आरजसत पद कमल िबन बािद जहा लिग नात ९७

िपत बभव िबलास म डीठा नप मिन मकट िमिलत पद पीठा

सखिनधान अस िपत गह मोर िपय िबहीन मन भाव न भोर १

ससर चककवइ कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

आग होइ जिह सरपित लई अरध िसघासन आसन दई २

ससर एतादस अवध िनवास ि य पिरवार मात सम सास

िबन रघपित पद पदम परागा मोिह कउ सपनह सखद न लागा ३

अगम पथ बनभिम पहारा किर कहिर सर सिरत अपारा

कोल िकरात करग िबहगा मोिह सब सखद ानपित सगा ४

दोहा सास ससर सन मोिर हित िबनय करिब पिर पाय

मोर सोच जिन किरअ कछ म बन सखी सभाय ९८

ाननाथ ि य दवर साथा बीर धरीन धर धन भाथा

निह मग म म दख मन मोर मोिह लिग सोच किरअ जिन भोर १

रामचिरतमानस - 46 - अयोधयाकाड

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सिन सम िसय सीतिल बानी भयउ िबकल जन फिन मिन हानी

नयन सझ निह सनइ न काना किह न सकइ कछ अित अकलाना २

राम बोध कीनह बह भाित तदिप होित निह सीतिल छाती

जतन अनक साथ िहत कीनह उिचत उतर रघनदन दीनह ३

मिट जाइ निह राम रजाई किठन करम गित कछ न बसाई

राम लखन िसय पद िसर नाई िफरउ बिनक िजिम मर गवाई ४

दोहा रथ हाकउ हय राम तन हिर हिर िहिहनािह

दिख िनषाद िबषादबस धनिह सीस पिछतािह ९९

जास िबयोग िबकल पस ऐस जा मात िपत जीहिह कस

बरबस राम सम पठाए सरसिर तीर आप तब आए १

मागी नाव न कवट आना कहइ तमहार मरम म जाना

चरन कमल रज कह सब कहई मानष करिन मिर कछ अहई २

छअत िसला भइ नािर सहाई पाहन त न काठ किठनाई

तरिनउ मिन घिरिन होइ जाई बाट परइ मोिर नाव उड़ाई ३

एिह ितपालउ सब पिरवार निह जानउ कछ अउर कबार

जौ भ पार अविस गा चहह मोिह पद पदम पखारन कहह ४ छद

पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौ

मोिह राम राउिर आन दसरथ सपथ सब साची कहौ

बर तीर मारह लखन प जब लिग न पाय पखािरहौ

तब लिग न तलसीदास नाथ कपाल पार उतािरहौ

सोरठा सिन कबट क बन म लपट अटपट

िबहस करनाऐन िचतइ जानकी लखन तन १००

रामचिरतमानस - 47 - अयोधयाकाड

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कपािसध बोल मसकाई सोइ कर जिह तव नाव न जाई

विग आन जल पाय पखार होत िबलब उतारिह पार १

जास नाम समरत एक बारा उतरिह नर भविसध अपारा

सोइ कपाल कवटिह िनहोरा जिह जग िकय ितह पगह त थोरा २

पद नख िनरिख दवसिर हरषी सिन भ बचन मोह मित करषी

कवट राम रजायस पावा पािन कठवता भिर लइ आवा ३

अित आनद उमिग अनरागा चरन सरोज पखारन लागा

बरिष समन सर सकल िसहाही एिह सम पनयपज कोउ नाही ४

दोहा पद पखािर जल पान किर आप सिहत पिरवार

िपतर पार किर भिह पिन मिदत गयउ लइ पार १०१

उतिर ठाड़ भए सरसिर रता सीयराम गह लखन समता

कवट उतिर दडवत कीनहा भिह सकच एिह निह कछ दीनहा १

िपय िहय की िसय जानिनहारी मिन मदरी मन मिदत उतारी

कहउ कपाल लिह उतराई कवट चरन गह अकलाई २

नाथ आज म काह न पावा िमट दोष दख दािरद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी आज दीनह िबिध बिन भिल भरी ३

अब कछ नाथ न चािहअ मो र दीनदयाल अन ह तोर

िफरती बार मोिह ज दबा सो साद म िसर धिर लबा ४

दोहा बहत कीनह भ लखन िसय निह कछ कवट लइ

िबदा कीनह करनायतन भगित िबमल बर दइ १०२

तब मजजन किर रघकलनाथा पिज पारिथव नायउ माथा

िसय सरसिरिह कहउ कर जोरी मात मनोरथ परउिब मोरी १

पित दवर सग कसल बहोरी आइ करौ जिह पजा तोरी

सिन िसय िबनय म रस सानी भइ तब िबमल बािर बर बानी २

रामचिरतमानस - 48 - अयोधयाकाड

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सन रघबीर ि या बदही तव भाउ जग िबिदत न कही

लोकप होिह िबलोकत तोर तोिह सविह सब िसिध कर जोर ३

तमह जो हमिह बिड़ िबनय सनाई कपा कीिनह मोिह दीिनह बड़ाई

तदिप दिब म दिब असीसा सफल होपन िहत िनज बागीसा ४

दोहा ाननाथ दवर सिहत कसल कोसला आइ

पजिह सब मनकामना सजस रिहिह जग छाइ १०३

गग बचन सिन मगल मला मिदत सीय सरसिर अनकला

तब भ गहिह कहउ घर जाह सनत सख मख भा उर दाह १

दीन बचन गह कह कर जोरी िबनय सनह रघकलमिन मोरी

नाथ साथ रिह पथ दखाई किर िदन चािर चरन सवकाई २

जिह बन जाइ रहब रघराई परनकटी म करिब सहाई

तब मोिह कह जिस दब रजाई सोइ किरहउ रघबीर दोहाई ३

सहज सनह राम लिख तास सग लीनह गह हदय हलास

पिन गह गयाित बोिल सब लीनह किर पिरतोष िबदा तब कीनह ४

दोहा तब गनपित िसव सिमिर भ नाइ सरसिरिह माथ

सखा अनज िसया सिहत बन गवन कीनह रधनाथ १०४

तिह िदन भयउ िबटप तर बास लखन सखा सब कीनह सपास

ात ातकत किर रधसाई तीरथराज दीख भ जाई १

सिचव सतय धदा ि य नारी माधव सिरस मीत िहतकारी

चािर पदारथ भरा भडार पनय दस दस अित चार २

छ अगम गढ़ गाढ़ सहावा सपनह निह ितपिचछनह पावा

सन सकल तीरथ बर बीरा कलष अनीक दलन रनधीरा ३

सगम िसहासन सिठ सोहा छ अखयबट मिन मन मोहा

चवर जमन अर गग तरगा दिख होिह दख दािरद भगा ४

रामचिरतमानस - 49 - अयोधयाकाड

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दोहा

सविह सकित साध सिच पाविह सब मनकाम

बदी बद परान गन कहिह िबमल गन ाम १०५

को किह सकइ याग भाऊ कलष पज कजर मगराऊ

अस तीरथपित दिख सहावा सख सागर रघबर सख पावा १

किह िसय लखनिह सखिह सनाई ीमख तीरथराज बड़ाई

किर नाम दखत बन बागा कहत महातम अित अनरागा २

एिह िबिध आइ िबलोकी बनी सिमरत सकल समगल दनी

मिदत नहाइ कीिनह िसव सवा पिज जथािबिध तीरथ दवा ३

तब भ भर ाज पिह आए करत दडवत मिन उर लाए

मिन मन मोद न कछ किह जाइ ानद रािस जन पाई ४

दोहा दीिनह असीस मनीस उर अित अनद अस जािन

लोचन गोचर सकत फल मनह िकए िबिध आिन १०६

कसल सन किर आसन दीनह पिज म पिरपरन कीनह

कद मल फल अकर नीक िदए आिन मिन मनह अमी क १

सीय लखन जन सिहत सहाए अित रिच राम मल फल खाए

भए िबगत म राम सखार भरवदाज मद बचन उचार २

आज सफल तप तीरथ तयाग आज सफल जप जोग िबराग

सफल सकल सभ साधन साज राम तमहिह अवलोकत आज ३

लाभ अविध सख अविध न दजी तमहार दरस आस सब पजी

अब किर कपा दह बर एह िनज पद सरिसज सहज सनह ४

दोहा करम बचन मन छािड़ छल जब लिग जन न तमहार

तब लिग सख सपनह नही िकए कोिट उपचार १०७

रामचिरतमानस - 50 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन राम सकचान भाव भगित आनद अघान

तब रघबर मिन सजस सहावा कोिट भाित किह सबिह सनावा १

सो बड सो सब गन गन गह जिह मनीस तमह आदर दह

मिन रघबीर परसपर नवही बचन अगोचर सख अनभवही २

यह सिध पाइ याग िनवासी बट तापस मिन िस उदासी

भर ाज आ म सब आए दखन दसरथ सअन सहाए ३

राम नाम कीनह सब काह मिदत भए लिह लोयन लाह

दिह असीस परम सख पाई िफर सराहत सदरताई ४

दोहा राम कीनह िब ाम िनिस ात याग नहाइ

चल सिहत िसय लखन जन मदिदत मिनिह िसर नाइ १०८

राम स म कहउ मिन पाही नाथ किहअ हम किह मग जाही

मिन मन िबहिस राम सन कहहीसगम सकल मग तमह कह अहही १

साथ लािग मिन िसषय बोलाए सिन मन मिदत पचासक आए

सबिनह राम पर म अपारा सकल कहिह मग दीख हमारा २

मिन बट चािर सग तब दीनह िजनह बह जनम सकत सब कीनह

किर नाम िरिष आयस पाई मिदत हदय चल रघराई ३

ाम िनकट जब िनकसिह जाई दखिह दरस नािर नर धाई

होिह सनाथ जनम फल पाई िफरिह दिखत मन सग पठा ई ४

दोहा िबदा िकए बट िबनय किर िफर पाइ मन काम उतिर नहाए जमन जल जो सरीर सम सयाम १०९

सनत तीरवासी नर नारी धाए िनज िनज काज िबसारी

लखन राम िसय सनदरताई दिख करिह िनज भागय बड़ाई १

अित लालसा बसिह मन माही नाउ गाउ बझत सकचाही

रामचिरतमानस - 51 - अयोधयाकाड

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ज ितनह मह बयिबिरध सयान ितनह किर जगित राम पिहचान २

सकल कथा ितनह सबिह सनाई बनिह चल िपत आयस पाई

सिन सिबषाद सकल पिछताही रानी राय कीनह भल नाही ३

तिह अवसर एक तापस आवा तजपज लघबयस सहावा

किव अलिखत गित बष िबरागी मन म बचन राम अनरागी ४

दोहा सजल नयन तन पलिक िनज इ दउ पिहचािन

परउ दड िजिम धरिनतल दसा न जाइ बखािन ११०

राम स म पलिक उर लावा परम रक जन पारस पावा

मनह म परमारथ दोऊ िमलत धर तन कह सब कोऊ १

बहिर लखन पायनह सोइ लागा लीनह उठाइ उमिग अनरागा

पिन िसय चरन धिर धिर सीसा जनिन जािन िसस दीिनह असीसा २

कीनह िनषाद दडवत तही िमलउ मिदत लिख राम सनही

िपअत नयन पट रप िपयषा मिदत सअसन पाइ िजिम भखा ३

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस

राम लखन िसय रप िनहारी होिह सनह िबकल नर नारी ४

दोहा तब रघबीर अनक िबिध सखिह िसखावन दीनह

राम रजायस सीस धिर भवन गवन तइ कीनह १११

पिन िसय राम लखन कर जोरी जमनिह कीनह नाम बहोरी

चल ससीय मिदत दोउ भाई रिबतनजा कइ करत बड़ाई १

पिथक अनक िमलिह मग जाता कहिह स म दिख दोउ ाता

राज लखन सब अग तमहार दिख सोच अित हदय हमार २

मारग चलह पयादिह पाए जयोितष झठ हमार भाए

अगम पथ िगिर कानन भारी तिह मह साथ नािर सकमारी ३

किर कहिर बन जाइ न जोई हम सग चलिह जो आयस होई

रामचिरतमानस - 52 - अयोधयाकाड

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जाब जहा लिग तह पहचाई िफरब बहोिर तमहिह िसर नाई ४

दोहा एिह िबिध पछिह म बस पलक गात जल नन कपािसध फरिह ितनहिह किह िबनीत मद बन ११२

ज पर गाव बसिह मग माही ितनहिह नाग सर नगर िसहाही

किह सकती किह घरी बसाए धनय पनयमय परम सहाए १

जह जह राम चरन चिल जाही ितनह समान अमरावित नाही

पनयपज मग िनकट िनवासी ितनहिह सराहिह सरपरबासी २

ज भिर नयन िबलोकिह रामिह सीता लखन सिहत घनसयामिह

ज सर सिरत राम अवगाहिह ितनहिह दव सर सिरत सराहिह ३

जिह तर तर भ बठिह जाई करिह कलपतर तास बड़ाई

परिस राम पद पदम परागा मानित भिम भिर िनज भागा ४

दोहा छाह करिह घन िबबधगन बरषिह समन िसहािह

दखत िगिर बन िबहग मग राम चल मग जािह ११३

सीता लखन सिहत रघराई गाव िनकट जब िनकसिह जाई

सिन सब बाल ब नर नारी चलिह तरत गहकाज िबसारी १

राम लखन िसय रप िनहारी पाइ नयनफल होिह सखारी

सजल िबलोचन पलक सरीरा सब भए मगन दिख दोउ बीरा २

बरिन न जाइ दसा ितनह करी लिह जन रकनह सरमिन ढरी

एकनह एक बोिल िसख दही लोचन लाह लह छन एही ३

रामिह दिख एक अनराग िचतवत चल जािह सग लाग

एक नयन मग छिब उर आनी होिह िसिथल तन मन बर बानी ४

दोहा एक दिख बट छाह भिल डािस मदल तन पात

रामचिरतमानस - 53 - अयोधयाकाड

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कहिह गवाइअ िछनक म गवनब अबिह िक ात ११४

एक कलस भिर आनिह पानी अचइअ नाथ कहिह मद बानी

सिन ि य बचन ीित अित दखी राम कपाल ससील िबसषी १

जानी िमत सीय मन माही घिरक िबलब कीनह बट छाही

मिदत नािर नर दखिह सोभा रप अनप नयन मन लोभा २

एकटक सब सोहिह चह ओरा रामच मख चद चकोरा

तरन तमाल बरन तन सोहा दखत कोिट मदन मन मोहा ३

दािमिन बरन लखन सिठ नीक नख िसख सभग भावत जी क

मिनपट किटनह कस तनीरा सोहिह कर कमिलिन धन तीरा ४

दोहा जटा मकट सीसिन सभग उर भज नयन िबसाल

सरद परब िबध बदन बर लसत सवद कन जाल ११५

बरिन न जाइ मनोहर जोरी सोभा बहत थोिर मित मोरी

राम लखन िसय सदरताई सब िचतविह िचत मन मित लाई १

थक नािर नर म िपआस मनह मगी मग दिख िदआ स

सीय समीप ामितय जाही पछत अित सनह सकचाही २

बार बार सब लागिह पाए कहिह बचन मद सरल सभाए

राजकमािर िबनय हम करही ितय सभाय कछ पछत डरही ३

सवािमिन अिबनय छमिब हमारी िबलग न मानब जािन गवारी

राजकअर दोउ सहज सलोन इनह त लही दित मरकत सोन ४

दोहा सयामल गौर िकसोर बर सदर सषमा ऐन

सरद सबररीनाथ मख सरद सरोरह नन ११६

मासपारायण सोलहवा िव ाम

नवानहपारायण चौथा िव ाम

रामचिरतमानस - 54 - अयोधयाकाड

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कोिट मनोज लजाविनहार समिख कहह को आिह तमहार

सिन सनहमय मजल बानी सकची िसय मन मह मसकानी १

ितनहिह िबलोिक िबलोकित धरनी दह सकोच सकिचत बरबरनी

सकिच स म बाल मग नयनी बोली मधर बचन िपकबयनी २

सहज सभाय सभग तन गोर नाम लखन लघ दवर मोर

बहिर बदन िबध अचल ढाकी िपय तन िचतइ भौह किर बाकी ३

खजन मज ितरीछ नयनिन िनज पित कहउ ितनहिह िसय सयनिन

भइ मिदत सब ामबधटी रकनह राय रािस जन लटी ४

दोहा अित स म िसय पाय पिर बहिबिध दिह असीस

सदा सोहािगिन होह तमह जब लिग मिह अिह सीस ११७

पारबती सम पिति य होह दिब न हम पर छाड़ब छोह

पिन पिन िबनय किरअ कर जोरी जौ एिह मारग िफिरअ बहोरी १

दरसन दब जािन िनज दासी लखी सीय सब म िपआसी

मधर बचन किह किह पिरतोषी जन कमिदनी कौमदी पोषी २

तबिह लखन रघबर रख जानी पछउ मग लोगिनह मद बानी

सनत नािर नर भए दखारी पलिकत गात िबलोचन बारी ३

िमटा मोद मन भए मलीन िबिध िनिध दीनह लत जन छीन

समिझ करम गित धीरज कीनहासोिध सगम मग ितनह किह दीनहा ४

दोहा लखन जानकी सिहत तब गवन कीनह रघनाथ

फर सब ि य बचन किह िलए लाइ मन साथ ११८

िफरत नािर नर अित पिछताही दअिह दोष दिह मन माही

सिहत िबषाद परसपर कहही िबिध करतब उलट सब अहही १

िनपट िनरकस िनठर िनसक जिह सिस कीनह सरज सकलक

रामचिरतमानस - 55 - अयोधयाकाड

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रख कलपतर सागर खारा तिह पठए बन राजकमारा २

जौ प इनहिह दीनह बनबास कीनह बािद िबिध भोग िबलास

ए िबचरिह मग िबन पद ाना रच बािद िबिध बाहन नाना ३

ए मिह परिह डािस कस पाता सभग सज कत सजत िबधाता

तरबर बास इनहिह िबिध दीनहा धवल धाम रिच रिच म कीनहा ४

दोहा जौ ए मिन पट धर जिटल सदर सिठ सकमार

िबिबध भाित भषन बसन बािद िकए करतार ११९

जौ ए कद मल फल खाही बािद सधािद असन जग माही

एक कहिह ए सहज सहाए आप गट भए िबिध न बनाए १

जह लिग बद कही िबिध करनी वन नयन मन गोचर बरनी

दखह खोिज भअन दस चारी कह अस परष कहा अिस नारी २

इनहिह दिख िबिध मन अनरागा पटतर जोग बनाव लागा

कीनह बहत म ऐक न आए तिह इिरषा बन आिन दराए ३

एक कहिह हम बहत न जानिह आपिह परम धनय किर मानिह

त पिन पनयपज हम लख ज दखिह दिखहिह िजनह दख ४

दोहा एिह िबिध किह किह बचन ि य लिह नयन भिर नीर

िकिम चिलहिह मारग अगम सिठ सकमार सरीर १२०

नािर सनह िबकल बस होही चकई साझ समय जन सोही

मद पद कमल किठन मग जानी गहबिर हदय कहिह बर बानी १

परसत मदल चरन अरनार सकचित मिह िजिम हदय हमार

जौ जगदीस इनहिह बन दीनहा कस न समनमय मारग कीनहा २

जौ मागा पाइअ िबिध पाही ए रिखअिह सिख आिखनह माही

ज नर नािर न अवसर आए ितनह िसय राम न दखन पाए ३

सिन सरप बझिह अकलाई अब लिग गए कहा लिग भाई

रामचिरतमानस - 56 - अयोधयाकाड

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समरथ धाइ िबलोकिह जाई मिदत िफरिह जनमफल पाई ४

दोहा अबला बालक ब जन कर मीजिह पिछतािह

होिह मबस लोग इिम राम जहा जह जािह १२१

गाव गाव अस होइ अनद दिख भानकल करव चद

ज कछ समाचार सिन पाविह त नप रािनिह दोस लगाविह १

कहिह एक अित भल नरनाह दीनह हमिह जोइ लोचन लाह

कहिह परसपर लोग लोगाई बात सरल सनह सहाई २

त िपत मात धनय िजनह जाए धनय सो नगर जहा त आए

धनय सो दस सल बन गाऊ जह जह जािह धनय सोइ ठाऊ ३

सख पायउ िबरिच रिच तही ए जिह क सब भाित सनही

राम लखन पिथ कथा सहाई रही सकल मग कानन छाई ४

दोहा एिह िबिध रघकल कमल रिब मग लोगनह सख दत

जािह चल दखत िबिपन िसय सौिमि समत १२२

आग राम लखन बन पाछ तापस बष िबराजत काछ

उभय बीच िसय सोहित कस जीव िबच माया जस १

बहिर कहउ छिब जिस मन बसई जन मध मदन मधय रित लसई

उपमा बहिर कहउ िजय जोही जन बध िबध िबच रोिहिन सोही २

भ पद रख बीच िबच सीता धरित चरन मग चलित सभीता

सीय राम पद अक बराए लखन चलिह मग दािहन लाए ३

राम लखन िसय ीित सहाई बचन अगोचर िकिम किह जाई

खग मग मगन दिख छिब होही िलए चोिर िचत राम बटोही ४

दोहा िजनह िजनह दख पिथक ि य िसय समत दोउ भाइ

रामचिरतमानस - 57 - अयोधयाकाड

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भव मग अगम अनद तइ िबन म रह िसराइ १२३

अजह जास उर सपनह काऊ बसह लखन िसय राम बटाऊ

राम धाम पथ पाइिह सोई जो पथ पाव कबह मिन कोई १

तब रघबीर िमत िसय जानी दिख िनकट बट सीतल पानी

तह बिस कद मल फल खाई ात नहाइ चल रघराई २

दखत बन सर सल सहाए बालमीिक आ म भ आए

राम दीख मिन बास सहावन सदर िगिर कानन जल पावन ३

सरिन सरोज िबटप बन फल गजत मज मधप रस भल

खग मग िबपल कोलाहल करही िबरिहत बर मिदत मन चरही ४

दोहा सिच सदर आ म िनरिख हरष रािजवनन

सिन रघबर आगमन मिन आग आयउ लन १२४

मिन कह राम दडवत कीनहा आिसरबाद िब बर दीनहा

दिख राम छिब नयन जड़ान किर सनमान आ मिह आन १

मिनबर अितिथ ानि य पाए कद मल फल मधर मगाए

िसय सौिमि राम फल खाए तब मिन आ म िदए सहाए २

बालमीिक मन आनद भारी मगल मरित नयन िनहारी

तब कर कमल जोिर रघराई बोल बचन वन सखदाई ३

तमह ि काल दरसी मिननाथा िबसव बदर िजिम तमहर हाथा

अस किह भ सब कथा बखानी जिह जिह भाित दीनह बन रानी ४

दोहा तात बचन पिन मात िहत भाइ भरत अस राउ

मो कह दरस तमहार भ सब मम पनय भाउ १२५

दिख पाय मिनराय तमहार भए सकत सब सफल हमार

अब जह राउर आयस होई मिन उदबग न पाव कोई १

रामचिरतमानस - 58 - अयोधयाकाड

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मिन तापस िजनह त दख लहही त नरस िबन पावक दहही

मगल मल िब पिरतोष दहइ कोिट कल भसर रोष २

अस िजय जािन किहअ सोइ ठाऊ िसय सौिमि सिहत जह जाऊ

तह रिच रिचर परन तन साला बास करौ कछ काल कपाला ३

सहज सरल सिन रघबर बानी साध साध बोल मिन गयानी

कस न कहह अस रघकलकत तमह पालक सतत ित सत ४ छद

ित सत पालक राम तमह जगदीस माया जानकी

जो सजित जग पालित हरित रख पाइ कपािनधान की

जो सहससीस अहीस मिहधर लखन सचराचर धनी

सर काज धिर नरराज तन चल दलन खल िनिसचर अनी

सोरठा राम सरप तमहार बचन अगोचर बि पर

अिबगत अकथ अपार नित िनत िनगम कह १२६

जग पखन तमह दखिनहार िबिध हिर सभ नचाविनहार

तउ न जानिह मरम तमहारा और तमहिह को जानिनहारा १

सोइ जानइ जिह दह जनाई जानत तमहिह तमहइ होइ जाई

तमहिरिह कपा तमहिह रघनदन जानिह भगत भगत उर चदन २

िचदानदमय दह तमहारी िबगत िबकार जान अिधकारी

नर तन धरह सत सर काजा कहह करह जस ाकत राजा ३

राम दिख सिन चिरत तमहार जड़ मोहिह बध होिह सखार

तमह जो कहह करह सब साचा जस कािछअ तस चािहअ नाचा ४

दोहा पछह मोिह िक रहौ कह म पछत सकचाउ

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावौ ठाउ १२७

रामचिरतमानस - 59 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन म रस सान सकिच राम मन मह मसकान

बालमीिक हिस कहिह बहोरी बानी मधर अिमअ रस बोरी १

सनह राम अब कहउ िनकता जहा बसह िसय लखन सम ता

िजनह क वन सम समाना कथा तमहािर सभग सिर नाना २

भरिह िनरतर होिह न पर ितनह क िहय तमह कह गह रर

लोचन चातक िजनह किर राख रहिह दरस जलधर अिभलाष ३

िनदरिह सिरत िसध सर भारी रप िबद जल होिह सखारी

ितनह क हदय सदन सखदायक बसह बध िसय सह रघनायक ४

दोहा जस तमहार मानस िबमल हिसिन जीहा जास

मकताहल गन गन चनइ राम बसह िहय तास १२८

भ साद सिच सभग सबासा सादर जास लहइ िनत नासा

तमहिह िनबिदत भोजन करही भ साद पट भषन धरही १

सीस नविह सर गर ि ज दखी ीित सिहत किर िबनय िबसषी

कर िनत करिह राम पद पजा राम भरोस हदय निह दजा २

चरन राम तीरथ चिल जाही राम बसह ितनह क मन माही

म राज िनत जपिह तमहारा पजिह तमहिह सिहत पिरवारा ३

तरपन होम करिह िबिध नाना िब जवाइ दिह बह दाना

तमह त अिधक गरिह िजय जानी सकल भाय सविह सनमानी ४

दोहा सब किर मागिह एक फल राम चरन रित होउ

ितनह क मन मिदर बसह िसय रघनदन दोउ १२९

काम कोह मद मान न मोहा लोभ न छोभ न राग न ोहा

िजनह क कपट दभ निह माया ितनह क हदय बसह रघराया १

सब क ि य सब क िहतकारी दख सख सिरस ससा गारी

कहिह सतय ि य बचन िबचारी जागत सोवत सरन तमहारी २

रामचिरतमानस - 60 - अयोधयाकाड

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तमहिह छािड़ गित दसिर नाही राम बसह ितनह क मन माही

जननी सम जानिह परनारी धन पराव िबष त िबष भारी ३

ज हरषिह पर सपित दखी दिखत होिह पर िबपित िबसषी

िजनहिह राम तमह ानिपआर ितनह क मन सभ सदन तमहार ४

दोहा सवािम सखा िपत मात गर िजनह क सब तमह तात

मन मिदर ितनह क बसह सीय सिहत दोउ ात १३०

अवगन तिज सब क गन गहही िब धन िहत सकट सहही

नीित िनपन िजनह कइ जग लीकाघर तमहार ितनह कर मन नीका १

गन तमहार समझइ िनज दोसा जिह सब भाित तमहार भरोसा

राम भगत ि य लागिह जही तिह उर बसह सिहत बदही २

जाित पाित धन धरम बड़ाई ि य पिरवार सदन सखदाई

सब तिज तमहिह रहइ उर लाई तिह क हदय रहह रघराई ३

सरग नरक अपबरग समाना जह तह दख धर धन बाना

करम बचन मन राउर चरा राम करह तिह क उर डरा ४

दोहा जािह न चािहअ कबह कछ तमह सन सहज सनह

बसह िन रतर तास मन सो राउर िनज गह १३१

एिह िबिध मिनबर भवन दखाए बचन स म राम मन भाए

कह मिन सनह भानकलनायक आ म कहउ समय सखदायक १

िच कट िगिर करह िनवास तह तमहार सब भाित सपास

सल सहावन कानन चार किर कहिर मग िबहग िबहार २

नदी पनीत परान बखानी अि ि या िनज तपबल आनी

सरसिर धार नाउ मदािकिन जो सब पातक पोतक डािकिन ३

अि आिद मिनबर बह बसही करिह जोग जप तप तन कसही

रामचिरतमानस - 61 - अयोधयाकाड

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चलह सफल म सब कर करह राम दह गौरव िगिरबरह ४

दोहा िच कट मिहमा अिमत कही महामिन गाइ

आए नहाए सिरत बर िसय समत दोउ भाइ १३२

रघबर कहउ लखन भल घाट करह कतह अब ठाहर ठाट

लखन दीख पय उतर करारा चह िदिस िफरउ धनष िजिम नारा १

नदी पनच सर सम दम दाना सकल कलष किल साउज नाना

िच कट जन अचल अहरी चकइ न घात मार मठभरी २

अस किह लखन ठाउ दखरावा थल िबलोिक रघबर सख पावा

रमउ राम मन दवनह जाना चल सिहत सर थपित धाना ३

कोल िकरात बष सब आए रच परन तन सदन सहाए

बरिन न जािह मज दइ साला एक लिलत लघ एक िबसाला ४

दोहा लखन जानकी सिहत भ राजत रिचर िनकत

सोह मदन मिन बष जन रित िरतराज समत १३३

मासपारायण स हवा िव ाम

अमर नाग िकनर िदिसपाला िच कट आए तिह काला

राम नाम कीनह सब काह मिदत दव लिह लोचन लाह १

बरिष समन कह दव समाज नाथ सनाथ भए हम आज

किर िबनती दख दसह सनाए हरिषत िनज िनज सदन िसधाए २

िच कट रघनदन छाए समाचार सिन सिन मिन आए

आवत दिख मिदत मिनबदा कीनह दडवत रघकल चदा ३

मिन रघबरिह लाइ उर लही सफल होन िहत आिसष दही

िसय सौिम राम छिब दखिह साधन सकल सफल किर लखिह ४

रामचिरतमानस - 62 - अयोधयाकाड

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दोहा जथाजोग सनमािन भ िबदा िकए मिनबद

करिह जोग जप जाग तप िनज आ मिनह सछद १३४

यह सिध कोल िकरातनह पाई हरष जन नव िनिध घर आई

कद मल फल भिर भिर दोना चल रक जन लटन सोना १

ितनह मह िजनह दख दोउ ाता अपर ितनहिह पछिह मग जाता

कहत सनत रघबीर िनकाई आइ सबिनह दख रघराई २

करिह जोहार भट धिर आग भिह िबलोकिह अित अनराग

िच िलख जन जह तह ठाढ़ पलक सरीर नयन जल बाढ़ ३

राम सनह मगन सब जान किह ि य बचन सकल सनमान

भिह जोहािर बहोिर बहोरी बचन िबनीत कहिह कर जोरी ४

दोहा अब हम नाथ सनाथ सब भए दिख भ पाय

भाग हमार आगमन राउर कोसलराय १३५

धनय भिम बन पथ पहारा जह जह नाथ पाउ तमह धारा

धनय िबहग मग काननचारी सफल जनम भए तमहिह िनहारी १

हम सब धनय सिहत पिरवारा दीख दरस भिर नयन तमहारा

कीनह बास भल ठाउ िबचारी इहा सकल िरत रहब सखारी २

हम सब भाित करब सवकाई किर कहिर अिह बाघ बराई

बन बहड़ िगिर कदर खोहा सब हमार भ पग पग जोहा ३

तह तह तमहिह अहर खलाउब सर िनरझर जलठाउ दखाउब

हम सवक पिरवार समता नाथ न सकचब आयस दता ४

दोहा बद बचन मिन मन अगम त भ करना ऐन

बचन िकरातनह क सनत िजिम िपत बालक बन १३६

रामचिरतमानस - 63 - अयोधयाकाड

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रामिह कवल म िपआरा जािन लउ जो जानिनहारा

राम सकल बनचर तब तोष किह मद बचन म पिरपोष १

िबदा िकए िसर नाइ िसधाए भ गन कहत सनत घर आए

एिह िबिध िसय समत दोउ भाई बसिह िबिपन सर मिन सखदाई २

जब त आइ रह रघनायक तब त भयउ बन मगलदायक

फलिह फलिह िबटप िबिध नाना मज बिलत बर बिल िबताना ३

सरतर सिरस सभाय सहाए मनह िबबध बन पिरहिर आए

गज मजतर मधकर नी ि िबध बयािर बहइ सख दनी ४

दोहा नीलकठ कलकठ सक चातक चकक चकोर

भाित भाित बोलिह िबहग वन सखद िचत चोर १३७

किर कहिर किप कोल करगा िबगतबर िबचरिह सब सगा

िफरत अहर राम छिब दखी होिह मिदत मगबद िबसषी १

िबबध िबिपन जह लिग जग माही दिख राम बन सकल िसहाही

सरसिर सरसइ िदनकर कनया मकलसता गोदाविर धनया २

सब सर िसध नदी नद नाना मदािकिन कर करिह बखाना

उदय असत िगिर अर कलास मदर मर सकल सरबास ३

सल िहमाचल आिदक जत िच कट जस गाविह तत

िबिध मिदत मन सख न समाई म िबन िबपल बड़ाई पाई ४

दोहा िच कट क िबहग मग बिल िबटप तन जाित

पनय पज सब धनय अस कहिह दव िदन राित १३८

नयनवत रघबरिह िबलोकी पाइ जनम फल होिह िबसोकी

परिस चरन रज अचर सखारी भए परम पद क अिधकारी १

सो बन सल सभाय सहावन मगलमय अित पावन पावन

मिहमा किहअ कविन िबिध तास सखसागर जह कीनह िनवास २

रामचिरतमानस - 64 - अयोधयाकाड

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पय पयोिध तिज अवध िबहाई जह िसय लखन राम रह आई

किह न सकिह सषमा जिस कानन जौ सत सहस होिह सहसानन ३

सो म बरिन कहौ िबिध कही डाबर कमठ िक मदर लही

सविह लखन करम मन बानी जाइ न सील सनह बखानी ४

दोहा िछन िछन लिख िसय राम पद जािन आप पर नह

करत न सपनह लखन िचत बध मात िपत गह १३९

राम सग िसय रहित सखारी पर पिरजन गह सरित िबसारी

िछन िछन िपय िबध बदन िनहारी मिदत मनह चकोरकमारी १

नाह नह िनत बढ़त िबलोकी हरिषत रहित िदवस िजिम कोकी

िसय मन राम चरन अनरागा अवध सहस सम बन ि य लागा २

परनकटी ि य ि यतम सगा ि य पिरवार करग िबहगा

सास ससर सम मिनितय मिनबर असन अिमअ सम कद मल फर ३

नाथ साथ साथरी सहाई मयन सयन सय सम सखदाई

लोकप होिह िबलोकत जास तिह िक मोिह सक िबषय िबलास ४

दोहा सिमरत रामिह तजिह जन तन सम िबषय िबलास रामि या जग जनिन िसय कछ न आचरज तास १४०

सीय लखन जिह िबिध सख लहही सोइ रघनाथ करिह सोइ कहही

कहिह परातन कथा कहानी सनिह लखन िसय अित सख मानी १

जब जब राम अवध सिध करही तब तब बािर िबलोचन भरही

सिमिर मात िपत पिरजन भाई भरत सनह सील सवकाई २

कपािसध भ होिह दखारी धीरज धरिह कसमउ िबचारी

लिख िसय लखन िबकल होइ जाही िजिम परषिह अनसर पिरछाही ३

ि या बध गित लिख रघनदन धीर कपाल भगत उर चदन

लग कहन कछ कथा पनीता सिन सख लहिह लखन अर सीता ४

रामचिरतमानस - 65 - अयोधयाकाड

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दोहा

राम लखन सीता सिहत सोहत परन िनकत

िजिम बासव बस अमरपर सची जयत समत १४१

जोगविह भ िसय लखनिह कस पलक िबलोचन गोलक जस

सविह लखन सीय रघबीरिह िजिम अिबबकी परष सरीरिह १

एिह िबिध भ बन बसिह सखारी खग मग सर तापस िहतकारी

कहउ राम बन गवन सहावा सनह सम अवध िजिम आवा २

िफरउ िनषाद भिह पहचाई सिचव सिहत रथ दखिस आई

म ी िबकल िबलोिक िनषाद किह न जाइ जस भयउ िबषाद ३

राम राम िसय लखन पकारी परउ धरिनतल बयाकल भारी

दिख दिखन िदिस हय िहिहनाही जन िबन पख िबहग अकलाही ४

दोहा निह तन चरिह िपअिह जल मोचिह लोचन बािर

बयाकल भए िनषाद सब रघबर बािज िनहािर १४२

धिर धीरज तब कहइ िनषाद अब सम पिरहरह िबषाद

तमह पिडत परमारथ गयाता धरह धीर लिख िबमख िबधाता १

िबिबध कथा किह किह मद बानी रथ बठारउ बरबस आनी

सोक िसिथल रथ सकइ न हाकी रघबर िबरह पीर उर बाकी २

चरफरािह मग चलिह न घोर बन मग मनह आिन रथ जोर

अढ़िक परिह िफिर हरिह पीछ राम िबयोिग िबकल दख तीछ ३

जो कह राम लखन बदही िहकिर िहकिर िहत हरिह तही

बािज िबरहगित किह िकिम जातीिबन मिन फिनक िबकलजिह भाती४

दोहा भयउ िनषाद िबषादबस दखत सिचव तरग

बोिल ससवक चािर तब िदए सारथी सग १४३

रामचिरतमानस - 66 - अयोधयाकाड

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गह सारिथिह िफरउ पहचाई िबरह िबषाद बरिन निह जाई

चल अवध लइ रथिह िनषादा होिह छनिह छन मगन िबषादा १

सोच सम िबकल दख दीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

रिहिह न अतह अधम सरीर जस न लहउ िबछरत रघबीर २

भए अजस अघ भाजन ाना कवन हत निह करत पयाना

अहह मद मन अवसर चका अजह न हदय होत दइ टका ३

मीिज हाथ िसर धिन पिछताई मनह कपन धन रािस गवाई

िबिरद बािध बर बीर कहाई चलउ समर जन सभट पराई ४

दोहा िब िबबकी बदिबद समत साध सजाित िजिम धोख मदपान कर सिचव सोच तिह भाित १४४

िजिम कलीन ितय साध सयानी पितदवता करम मन बानी

रह करम बस पिरहिर नाह सिचव हदय ितिम दारन दाह १

लोचन सजल डीिठ भइ थोरी सनइ न वन िबकल मित भोरी

सखिह अधर लािग मह लाटी िजउ न जाइ उर अविध कपाटी २

िबबरन भयउ न जाइ िनहारी मारिस मनह िपता महतारी

हािन गलािन िबपल मन बयापी जमपर पथ सोच िजिम पापी ३

बचन न आव हदय पिछताई अवध काह म दखब जाई

राम रिहत रथ दिखिह जोई सकिचिह मोिह िबलोकत सोई ४

दोहा धाइ पिछहिह मोिह जब िबकल नगर नर नािर

उतर दब म सबिह तब हदय ब बठािर १४५

पिछहिह दीन दिखत सब माता कहब काह म ितनहिह िबधाता

पिछिह जबिह लखन महतारी किहहउ कवन सदस सखारी १

राम जनिन जब आइिह धाई सिमिर बचछ िजिम धन लवाई

रामचिरतमानस - 67 - अयोधयाकाड

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पछत उतर दब म तही ग बन राम लखन बदही २

जोइ पिछिह तिह ऊतर दबाजाइ अवध अब यह सख लबा

पिछिह जबिह राउ दख दीना िजवन जास रघनाथ अधीना ३

दहउ उतर कौन मह लाई आयउ कसल कअर पह चाई

सनत लखन िसय राम सदस तन िजिम तन पिरहिरिह नरस ४

दोहा दउ न िबदरउ पक िजिम िबछरत ीतम नीर

जानत हौ मोिह दीनह िबिध यह जातना सरीर १४६

एिह िबिध करत पथ पिछतावा तमसा तीर तरत रथ आवा

िबदा िकए किर िबनय िनषादा िफर पाय पिर िबकल िबषादा १

पठत नगर सिचव सकचाई जन मारिस गर बाभन गाई

बिठ िबटप तर िदवस गवावा साझ समय तब अवसर पावा २

अवध बस कीनह अिधआर पठ भवन रथ रािख दआर

िजनह िजनह समाचार सिन पाए भप ार रथ दखन आए ३

रथ पिहचािन िबकल लिख घोर गरिह गात िजिम आतप ओर

नगर नािर नर बयाकल क स िनघटत नीर मीनगन जस ४

दोहा सिचव आगमन सनत सब िबकल भयउ रिनवास

भवन भयकर लाग तिह मानह त िनवास १४७

अित आरित सब पछिह रानी उतर न आव िबकल भइ बानी

सनइ न वन नयन निह सझा कहह कहा नप तिह तिह बझा १

दािसनह दीख सिचव िबकलाई कौसलया गह गई लवाई

जाइ सम दीख कस राजा अिमअ रिहत जन चद िबराजा २

आसन सयन िबभषन हीना परउ भिमतल िनपट मलीना

लइ उसास सोच एिह भाती सरपर त जन खसउ जजाती ३

लत सोच भिर िछन िछन छाती जन जिर पख परउ सपाती

रामचिरतमानस - 68 - अयोधयाकाड

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राम राम कह राम सनही पिन कह राम लखन बदही ४

दोहा दिख सिचव जय जीव किह कीनहउ दड नाम

सनत उठउ बयाकल नपित कह सम कह राम १४८

भप सम लीनह उर लाई बड़त कछ अधा र जन पाई

सिहत सनह िनकट बठारी पछत राउ नयन भिर बारी १

राम कसल कह सखा सनही कह रघनाथ लखन बदही

आन फिर िक बनिह िसधाए सनत सिचव लोचन जल छाए २

सोक िबकल पिन पछ नरस कह िसय राम लखन सदस

राम रप गन सील सभाऊ सिमिर सिमिर उर सोचत राऊ ३

राउ सनाइ दीनह बनबास सिन मन भयउ न हरष हरास

सो सत िबछरत गए न ाना को पापी बड़ मोिह समाना ४

दोहा सखा राम िसय लखन जह तहा मोिह पहचाउ

नािह त चाहत चलन अब ान कहउ सितभाउ १४९

पिन पिन पछत म िह राऊ ि यतम सअन सदस सनाऊ

करिह सखा सोइ बिग उपाऊ राम लखन िसय नयन दखाऊ १

सिचव धीर धिर कह मद बानी महाराज तमह पिडत गयानी

बीर सधीर धरधर दवा साध समाज सदा तमह सवा २

जनम मरन सब दख भोगा हािन लाभ ि य िमलन िबयोगा

काल करम बस हौिह गोसाई बरबस राित िदवस की नाई ३

सख हरषिह जड़ दख िबलखाही दोउ सम धीर धरिह मन माही

धीरज धरह िबबक िबचारी छािड़अ सोच सकल िहतकारी ४

दोहा थम बास तमसा भयउ दसर सरसिर तीर

रामचिरतमानस - 69 - अयोधयाकाड

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नहाई रह जलपान किर िसय समत दोउ बीर १५०

कवट कीिनह बहत सवकाई सो जािमिन िसगरौर गवाई

होत ात बट छीर मगावा जटा मकट िनज सीस बनावा १

राम सखा तब नाव मगाई ि या चढ़ाइ चढ़ रघराई

लखन बान धन धर बनाई आप चढ़ भ आयस पाई २

िबकल िबलोिक मोिह रघबीरा बोल मधर बचन धिर धीरा

तात नाम तात सन कहह बार बार पद पकज गहह ३

करिब पाय पिर िबनय बहोरी तात किरअ जिन िचता मोरी

बन मग मगल कसल हमार कपा अन ह पनय तमहार ४ छद

तमहर अन ह तात कानन जात सब सख पाइहौ ितपािल आयस कसल दखन पाय पिन िफिर आइहौ

जननी सकल पिरतोिष पिर पिर पाय किर िबनती घनी

तलसी करह सोइ जतन जिह कसली रहिह कोसल धनी

सोरठा गर सन कहब सदस बार बार पद पदम गिह

करब सोइ उपदस जिह न सोच मोिह अवधपित १५१

परजन पिरजन सकल िनहोरी तात सनाएह िबनती मोरी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जात रह नरनाह सखारी १

कहब सदस भरत क आए नीित न तिजअ राजपद पाए

पालह जिह करम मन बानी सएह मात सकल सम जानी २

ओर िनबाहह भायप भाई किर िपत मात सजन सवकाई

तात भाित तिह राखब राऊ सोच मोर जिह कर न काऊ ३

लखन कह कछ बचन कठोरा बरिज राम पिन मोिह िनहोरा

बार बार िनज सपथ दवाई कहिब न तात लखन लिरकाई ४

रामचिरतमानस - 70 - अयोधयाकाड

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दोहा किह नाम कछ कहन िलय िसय भइ िसिथल सनह

थिकत बचन लोचन सजल पलक पललिवत दह १५२

तिह अवसर रघबर रख पाई कवट पारिह नाव चलाई

रघकलितलक चल एिह भाती दखउ ठाढ़ किलस धिर छाती १

म आपन िकिम कहौ कलस िजअत िफरउ लइ राम सदस

अस किह सिचव बचन रिह गयऊ हािन गलािन सोच बस भयऊ २

सत बचन सनतिह नरनाह परउ धरिन उर दारन दाह

तलफत िबषम मोह मन मापा माजा मनह मीन कह बयापा ३

किर िबलाप सब रोविह रानी महा िबपित िकिम जाइ बखानी

सिन िबलाप दखह दख लागा धीरजह कर धीरज भागा ४

दोहा भयउ कोलाहल अवध अित सिन नप राउर सोर

िबपल िबहग बन परउ िनिस मानह किलस कठोर १५३

ान कठगत भयउ भआल मिन िबहीन जन बयाकल बयाल

इ ी सकल िबकल भइ भारी जन सर सरिसज बन िबन बारी १

कौसलया नप दीख मलाना रिबकल रिब अथयउ िजय जाना

उर धिर धीर राम महतारी बोली बचन समय अनसारी २

नाथ समिझ मन किरअ िबचार राम िबयोग पयोिध अपार

करनधार तमह अवध जहाज चढ़उ सकल ि य पिथक समाज ३

धीरज धिरअ त पाइअ पार नािह त बिड़िह सब पिरवार

जौ िजय धिरअ िबनय िपय मोरी राम लखन िसय िमलिह बहोरी ४

दोहा ि या बचन मद सनत नप िचतयउ आिख उघािर

तलफत मीन मलीन जन सीचत सीतल बािर १५४

रामचिरतमानस - 71 - अयोधयाकाड

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धिर धीरज उठी बठ भआल कह सम कह राम कपाल

कहा लखन कह राम सनही कह ि य प बध बदही १

िबलपत राउ िबकल बह भाती भइ जग सिरस िसराित न राती

तापस अध साप सिध आई कौसलयिह सब कथा सनाई २

भयउ िबकल बरनत इितहासा राम रिहत िधग जीवन आसा

सो तन रािख करब म काहा जिह न म पन मोर िनबाहा ३

हा रघनदन ान िपरीत तमह िबन िजअत बहत िदन बीत

हा जानकी लखन हा रघबर हा िपत िहत िचत चातक जलधर ४

दोहा राम राम किह राम किह राम राम किह राम

तन पिरहिर रघबर िबरह राउ गयउ सरधाम १५५

िजअन मरन फल दसरथ पावा अड अनक अमल जस छावा

िजअत राम िबध बदन िनहारा राम िबरह किर मरन सवारा १

सोक िबकल सब रोविह रानी रप सील बल तज बखानी

करिह िबलाप अनक कारा परही भिमतल बारिह बारा २

िबलपिह िबकल दास अर दासी घर घर रदन करिह परबासी

अथयउ आज भानकल भान धरम अविध गन रप िनधान ३

गारी सकल ककइिह दही नयन िबहीन कीनह जग जही

एिह िबिध िबलपत रिन िबहानी आए सकल महामिन गयानी ४

दोहा तब बिस मिन समय सम किह अनक इितहास

सोक नवारउ सबिह कर िनज िबगयान कास १५६

तल नाव भिर नप तन राखा दत बोलाइ बहिर अस भाषा

धावह बिग भरत पिह जाह नप सिध कतह कहह जिन काह १

एतनइ कहह भरत सन जाई गर बोलाई पठयउ दोउ भाई

सिन मिन आयस धावन धाए चल बग बर बािज लजाए २

रामचिरतमानस - 72 - अयोधयाकाड

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अनरथ अवध अरभउ जब त कसगन होिह भरत कह तब त

दखिह राित भयानक सपना जािग करिह कट कोिट कलपना ३

िब जवाइ दिह िदन दाना िसव अिभषक करिह िबिध नाना

मागिह हदय महस मनाई कसल मात िपत पिरजन भाई ४

दोहा एिह िबिध सोचत भरत मन धावन पहच आइ

गर अनसासन वन सिन चल गनस मनाइ १५७

चल समीर बग हय हाक नाघत सिरत सल बन बाक

हदय सोच बड़ कछ न सोहाई अस जानिह िजय जाउ उड़ाई १

एक िनमष बरस सम जाई एिह िबिध भरत नगर िनअराई

असगन होिह नगर पठारा रटिह कभाित कखत करारा २

खर िसआर बोलिह ितकला सिन सिन होइ भरत मन सला

ीहत सर सिरता बन बागा नगर िबसिष भयावन लागा ३

खग मग हय गय जािह न जोए राम िबयोग करोग िबगोए

नगर नािर नर िनपट दखारी मनह सबिनह सब सपित हारी ४

दोहा परजन िमिलिह न कहिह कछ गविह जोहारिह जािह

भरत कसल पिछ न सकिह भय िबषाद मन मािह १५८

हाट बाट निह जाइ िनहारी जन पर दह िदिस लािग दवारी

आवत सत सिन ककयनिदिन हरषी रिबकल जलरह चिदिन १

सिज आरती मिदत उिठ धाई ारिह भिट भवन लइ आई

भरत दिखत पिरवार िनहा रा मानह तिहन बनज बन मारा २

ककई हरिषत एिह भाित मनह मिदत दव लाइ िकराती

सतिह ससोच दिख मन मार पछित नहर कसल हमार ३

सकल कसल किह भरत सनाई पछी िनज कल कसल भलाई

रामचिरतमानस - 73 - अयोधयाकाड

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कह कह तात कहा सब माता कह िसय राम लखन ि य ाता ४

दोहा सिन सत बचन सनहमय कपट नीर भिर नन

भरत वन मन सल सम पािपिन बोली बन १५९

तात बात म सकल सवारी भ मथरा सहाय िबचारी

कछक काज िबिध बीच िबगारउ भपित सरपित पर पग धारउ १

सनत भरत भए िबबस िबषादा जन सहमउ किर कहिर नादा

तात तात हा तात पकारी पर भिमतल बयाकल भारी २

चलत न दखन पायउ तोही तात न रामिह सौपह मोही

बहिर धीर धिर उठ सभारी कह िपत मरन हत महतारी ३

सिन सत बचन कहित ककई मरम पािछ जन माहर दई

आिदह त सब आपिन करनी किटल कठोर मिदत मन बरनी ४

दोहा भरतिह िबसरउ िपत मरन सनत राम बन गौन

हत अपनपउ जािन िजय थिकत रह धिर मौन १६०

िबकल िबलोिक सतिह समझावित मनह जर पर लोन लगावित

तात राउ निह सोच जोग िबढ़इ सकत जस कीनहउ भोग १

जीवत सकल जनम फल पाए अत अमरपित सदन िसधाए

अस अनमािन सोच पिरहरह सिहत समाज राज पर करह २

सिन सिठ सहमउ राजकमार पाक छत जन लाग अगार

धीरज धिर भिर लिह उसासा पापिन सबिह भाित कल नासा ३

जौ प करिच रही अित तोही जनमत काह न मार मोही

पड़ कािट त पालउ सीचा मीन िजअन िनित बािर उलीचा ४

दोहा हसबस दसरथ जनक राम लखन स भाइ

रामचिरतमानस - 74 - अयोधयाकाड

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जननी त जननी भई िबिध सन कछ न बसाइ १६१

जब त कमित कमत िजय ठयऊ खड खड होइ दउ न गयऊ

बर मागत मन भइ निह पीरा गिर न जीह मह परउ न कीरा १

भप तीत तोिर िकिम कीनही मरन काल िबिध मित हिर लीनही

िबिधह न नािर हदय गित जानी सकल कपट अघ अवगन खानी २

सरल ससील धरम रत राऊ सो िकिम जान तीय सभाऊ

अस को जीव जत जग माही जिह रघनाथ ानि य नाही ३

भ अित अिहत राम तउ तोही को त अहिस सतय कह मोही

जो हिस सो हिस मह मिस लाई आिख ओट उिठ बठिह जाई ४

दोहा राम िबरोधी हदय त गट कीनह िबिध मोिह

मो समान को पातकी बािद कहउ कछ तोिह १६२

सिन स घन मात किटलाई जरिह गात िरस कछ न बसाई

तिह अवसर कबरी तह आई बसन िबभषन िबिबध बनाई १

लिख िरस भरउ लखन लघ भाई बरत अनल घत आहित पाई

हमिग लात तिक कबर मारा पिर मह भर मिह करत पकारा २

कबर टटउ फट कपार दिलत दसन मख रिधर चार

आह दइअ म काह नसावा करत नीक फल अनइस पावा ३

सिन िरपहन लिख नख िसख खोटी लग घसीटन धिर धिर झोटी

भरत दयािनिध दीिनह छड़ाई कौसलया पिह ग दोउ भाई ४

दोहा मिलन बसन िबबरन िबकल कस सरीर दख भार

कनक कलप बर बिल बन मानह हनी तसार १६३

भरतिह दिख मात उिठ धाई मरिछत अविन परी झइ आई

दखत भरत िबकल भए भारी पर चरन तन दसा िबसारी १

रामचिरतमानस - 75 - अयोधयाकाड

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मात तात कह दिह दखाई कह िसय राम लखन दोउ भाई

ककइ कत जनमी जग माझा जौ जनिम त भइ काह न बाझा २

कल कलक जिह जनमउ मोही अपजस भाजन ि यजन ोही

को ितभवन मोिह सिरस अभागी गित अिस तोिर मात जिह लागी ३

िपत सरपर बन रघबर कत म कवल सब अनरथ हत

िधग मोिह भयउ बन बन आगी दसह दाह दख दषन भागी ४

दोहा मात भरत क बचन मद सिन सिन उठी सभािर

िलए उठाइ लगाइ उर लोचन मोचित बािर १६४

सरल सभाय माय िहय लाए अित िहत मनह राम िफिर आए

भटउ बहिर लखन लघ भाई सोक सनह न हदय समाई १

दिख सभाउ कहत सब कोई राम मात अस काह न होई

माता भरत गोद बठार आस पौिछ मद बचन उचार २

अजह बचछ बिल धीरज धरह कसमउ समिझ सोक पिरहरह

जिन मानह िहय हािन गलानी काल करम गित अघिटत जािन ३

काहिह दोस दह जिन ताता भा मोिह सब िबिध बाम िबधाता

जो एतह दख मोिह िजआवा अजह को जानइ का तिह भावा ४

दोहा िपत आयस भषन बसन तात तज रघबीर

िबसमउ हरष न हदय कछ पिहर बलकल चीर १६५

मख सनन मन रग न रोष सब कर सब िबिध किर पिरतोष

चल िबिपन सिन िसय सग लागी रहइ न राम चरन अनरागी १

सनतिह लखन चल उिठ साथा रहिह न जतन िकए रघनाथा

तब रघपित सबही िसर नाई चल सग िसय अर लघ भाई २

राम लखन िसय बनिह िसधाए गइउ न सग न ान पठाए

यह सब भा इनह आिखनह आग तउ न तजा तन जीव अभाग ३

रामचिरतमानस - 76 - अयोधयाकाड

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मोिह न लाज िनज नह िनहारी राम सिरस सत म महतारी

िजऐ मर भल भपित जाना मोर हदय सत किलस समाना ४

दोहा कौसलया क बचन सिन भरत सिहत रिनवास

बयाकल िबलपत राजगह मानह सोक नवास १६६

िबलपिह िबकल भरत दोउ भाई कौसलया िलए हदय लगाई

भाित अनक भरत समझाए किह िबबकमय बचन सनाए १

भरतह मात सकल समझाई किह परान ित कथा सहाई

छल िबहीन सिच सरल सबानी बोल भरत जोिर जग पानी २

ज अघ मात िपता सत मार गाइ गोठ मिहसर पर जार

ज अघ ितय बालक बध कीनह मीत महीपित माहर दीनह ३

ज पातक उपपातक अहही करम बचन मन भव किब कहही

त पातक मोिह होह िबधाता जौ यह होइ मोर मत माता ४

दोहा ज पिरहिर हिर हर चरन भजिह भतगन घोर

तिह कइ गित मोिह दउ िबिध जौ जननी मत मोर १६७

बचिह बद धरम द िह लही िपसन पराय पाप किह दही

कपटी किटल कलहि य ोधी बद िबदषक िबसव िबरोधी १

लोभी लपट लोलपचारा ज ताकिह परधन परदारा

पावौ म ितनह क गित घोरा जौ जननी यह समत मोरा २

ज निह साधसग अनराग परमारथ पथ िबमख अभाग

ज न भजिह हिर नरतन पाई िजनहिह न हिर हर सजस सोहाई ३

तिज ितपथ बाम पथ चलही बचक िबरिच बष जग छलही

ितनह क गित मोिह सकर दऊ जननी जौ यह जानौ भऊ ४

दोहा

रामचिरतमानस - 77 - अयोधयाकाड

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मात भरत क बचन सिन साच सरल सभाय

कहित राम ि य तात तमह सदा बचन मन काय १६८

राम ानह त ान तमहार तमह रघपितिह ानह त पयार

िबध िबष चव व िहम आगी होइ बािरचर बािर िबरागी १

भए गयान बर िमट न मोह तमह रामिह ितकल न होह

मत तमहार यह जो जग कहही सो सपनह सख सगित न लहही २

अस किह मात भरत िहय लाए थन पय विह नयन जल छाए

करत िबलाप बहत यिह भाती बठिह बीित गइ सब राती ३

बामदउ बिस तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए

मिन बह भाित भरत उपदस किह परमारथ बचन सदस ४

दोहा तात हदय धीरज धरह करह जो अव सर आज उठ भरत गर बचन सिन करन कहउ सब साज १६९

नपतन बद िबिदत अनहवावा परम िबिच िबमान बनावा

गिह पद भरत मात सब राखी रही रािन दरसन अिभलाषी १

चदन अगर भार बह आए अिमत अनक सगध सहाए

सरज तीर रिच िचता बनाई जन सरपर सोपान सहाई २

एिह िबिध दाह ि या सब कीनही िबिधवत नहाइ ितलाजिल दीनही

सोिध समित सब बद पराना कीनह भरत दसगात िबधाना ३

जह जस मिनबर आयस दीनहा तह तस सहस भाित सब कीनहा

भए िबस िदए सब दाना धन बािज गज बाहन नाना ४

दोहा िसघासन भषन बसन अनन धरिन धन धाम

िदए भरत लिह भिमसर भ पिरपरन काम १७०

िपत िहत भरत कीिनह जिस करनी सो मख लाख जाइ निह बरनी

रामचिरतमानस - 78 - अयोधयाकाड

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सिदन सोिध मिनबर तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए १

बठ राजसभा सब जाई पठए बोिल भरत दोउ भाई

भरत बिस िनकट बठार नीित धरममय बचन उचार २

थम कथा सब मिनबर बरनी ककइ किटल कीिनह जिस करनी

भप धरम त सतय सराहा जिह तन पिरहिर म िनबाहा ३

कहत राम गन सील सभाऊ सजल नयन पलकउ मिनराऊ

बहिर लखन िसय ीित बखानी सोक सनह मगन मिन गयानी ४

दोहा सनह भरत भावी बल िबलिख कहउ मिननाथ

हािन लाभ जीवन मरन जस अपजस िबिध हाथ १७१

अस िबचािर किह दइअ दोस बयरथ कािह पर कीिजअ रोस

तात िबचार किह करह मन माही सोच जोग दसरथ नप नाही १

सोिचअ िब जो बद िबहीना तिज िनज धरम िबषय लयलीना

सोिचअ नपित जो नीित न जाना जिह न जा ि य ान समाना २

सोिचअ बयस कपन धनवान जो न अितिथ िसव भगित सजान

सोिचअ स िब अवमानी मखर मानि य गयान गमानी ३

सोिचअ पिन पित बचक नारी किटल कलहि य इचछाचारी

सोिचअ बट िनज त पिरहरई जो निह गर आयस अनसरई ४

दोहा सोिचअ गही जो मोह बस करइ करम पथ तयाग

सोिचअ जित पच रत िबगत िबबक िबराग १७२

बखानस सोइ सोच जोग तप िबहाइ जिह भावइ भोग

सोिचअ िपसन अकारन ोधी जनिन जनक गर बध िबरोधी १

सब िबिध सोिचअ पर अपकारी िनज तन पोषक िनरदय भारी

सोचनीय सबिह िबिध सोई जो न छािड़ छल हिर जन होई २

सोचनीय निह कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

रामचिरतमानस - 79 - अयोधयाकाड

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भयउ न अहइ न अब होिनहारा भप भरत जस िपता तमहारा ३

िबिध हिर हर सरपित िदिसनाथा बरनिह सब दसरथ गन गाथा ४

दोहा कहह तात किह भाित कोउ किरिह बड़ाई तास

राम लखन तमह स हन सिरस सअन सिच जास १७३

सब कार भपित बड़भागी बािद िबषाद किरअ तिह लागी

यह सिन समिझ सोच पिरहरह िसर धिर राज रजायस करह १

राय राजपद तमह कह दीनहा िपता बचन फर चािहअ कीनहा

तज राम जिह बचनिह लागी तन पिरहरउ राम िबरहागी २

नपिह बचन ि य निह ि य ाना करह तात िपत बचन वाना

करह सीस धिर भप रजाई हइ तमह कह सब भाित भलाई ३

परसराम िपत अगया राखी मारी मात लोक सब साखी

तनय जजाितिह जौबन दयऊ िपत अगया अघ अजस न भयऊ ४

दोहा अनिचत उिचत िबचार तिज ज पालिह िपत बन

त भाजन सख सजस क बसिह अमरपित ऐन १७४

अविस नरस बचन फर करह पालह जा सोक पिरहरह

सरपर नप पाइिह पिरतोष तमह कह सकत सजस निह दोष १

बद िबिदत समत सबही का जिह िपत दइ सो पावइ टीका

करह राज पिरहरह गलानी मानह मोर बचन िहत जानी २

सिन सख लहब राम बदही अनिचत कहब न पिडत कही

कौसलयािद सकल महतारी तउ जा सख होिह सखारी ३

परम तमहार राम कर जािनिह सो सब िबिध तमह सन भल मािनिह

सौपह राज राम क आए सवा करह सनह सहाए ४

दोहा

रामचिरतमानस - 80 - अयोधयाकाड

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कीिजअ गर आयस अविस कहिह सिचव कर जोिर

रघपित आए उिचत जस तस तब करब बहोिर १७५

कौसलया धिर धीरज कहई पत पथय गर आयस अहई

सो आदिरअ किरअ िहत मानी तिजअ िबषाद का ल गित जानी १

बन रघपित सरपित नरनाह तमह एिह भाित तात कदराह

पिरजन जा सिचव सब अबा तमहही सत सब कह अवलबा २

लिख िबिध बाम काल किठनाई धीरज धरह मात बिल जाई

िसर धिर गर आयस अनसरह जा पािल पिरजन दख हरह ३

गर क बचन सिचव अिभनदन सन भरत िहय िहत जन चदन

सनी बहोिर मात मद बानी सील सनह सरल रस सानी ४ छद

सानी सरल रस मात बानी सिन भरत बयाकल भए

लोचन सरोरह वत सीचत िबरह उर अकर नए

सो दसा दखत समय तिह िबसरी सबिह सिध दह की तलसी सराहत सकल सादर सीव सहज सनह की

सोरठा

भरत कमल कर जोिर धीर धरधर धीर धिर बचन अिमअ जन बोिर दत उिचत उ र सबिह १७६

मासपारायण अठारहवा िव ाम

मोिह उपदस दीनह गर नीका जा सिचव समत सबही का

मात उिचत धिर आयस दीनहा अविस सीस धिर चाहउ कीनहा १

गर िपत मात सवािम िहत बानी सिन मन मिदत किरअ भिल जानी

उिचत िक अनिचत िकए िबचार धरम जाइ िसर पातक भार २

तमह तौ दह सरल िसख सोई जो आचरत मोर भल होई

ज िप यह समझत हउ नीक तदिप होत पिरतोष न जी क ३

रामचिरतमानस - 81 - अयोधयाकाड

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अब तमह िबनय मोिर सिन लह मोिह अनहरत िसखावन दह

ऊतर दउ छमब अपराध दिखत दोष गन गनिह न साध ४

दोहा िपत सरपर िसय राम बन करन कहह मोिह राज

एिह त जानह मोर िहत क आपन बड़ काज १७७

िहत हमार िसयपित सवकाई सो हिर लीनह मात किटलाई

म अनमािन दीख मन माही आन उपाय मोर िहत नाही १

सोक समाज राज किह लख लखन राम िसय िबन पद दख

बािद बसन िबन भषन भार बािद िबरित िबन िबचार २

सरज सरीर बािद बह भोगा िबन हिरभगित जाय जप जोगा

जाय जीव िबन दह सहाई बािद मोर सब िबन रघराई ३

जाउ राम पिह आयस दह एकिह आक मोर िहत एह

मोिह नप किर भल आपन चहह सोउ सनह जड़ता बस कहह ४

दोहा ककई सअ किटलमित राम िबमख गतलाज

तमह चाहत सख मोहबस मोिह स अधम क राज १७८

कहउ साच सब सिन पितआह चािहअ धरमसील नरनाह

मोिह राज हिठ दइहह जबही रसा रसातल जाइिह तबही १

मोिह समान को पाप िनवास जिह लिग सीय राम बनबास

राय राम कह कानन दीनहा िबछरत गमन अमरपर कीनहा २

म सठ सब अनरथ कर हत बठ बात सब सनउ सचत

िबन रघबीर िबलोिक अबास रह ान सिह जग उपहास ३

राम पनीत िबषय रस रख लोलप भिम भोग क भख

कह लिग कहौ हदय किठनाई िनदिर किलस जिह लही बड़ाई ४

दोहा

रामचिरतमानस - 82 - अयोधयाकाड

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कारन त कारज किठन होइ दोस निह मोर

किलस अिसथ त उपल त लोह कराल कठोर १७९

ककई भव तन अनराग पावर ान अघाइ अभाग

जौ ि य िबरह ान ि य लाग दखब सनब बहत अब आग १

लखन राम िसय कह बन दीनहा पठइ अमरपर पित िहत कीनहा

लीनह िबधवपन अपजस आप दीनहउ जिह सोक सताप २

मोिह दीनह सख सजस सराज कीनह ककई सब कर काज

एिह त मोर काह अब नीका तिह पर दन कहह तमह टीका ३

ककई जठर जनिम जग माही यह मोिह कह कछ अनिचत नाही

मोिर बात सब िबिधिह बनाई जा पाच कत करह सहाई ४

दोहा ह हीत पिन बात बस तिह पिन बीछी मार

तिह िपआइअ बारनी कहह काह उपचार १८०

ककइ सअन जोग जग जोई चतर िबरिच दीनह मोिह सोई

दसरथ तनय राम लघ भाई दीिनह मोिह िबिध बािद बड़ाई १

तमह सब कहह कढ़ावन टीका राय रजायस सब कह नीका

उतर दउ किह िबिध किह कही कहह सखन जथा रिच जही २

मोिह कमात समत िबहाई कहह क िहिह क कीनह भलाई

मो िबन को सचराचर माही जिह िसय राम ानि य नाही ३

परम हािन सब कह बड़ लाह अिदन मोर निह दषन काह

ससय सील म बस अहह सबइ उिचत सब जो कछ कहह ४

दोहा राम मात सिठ सरलिचत मो पर म िबसिष

कहइ सभाय सनह बस मोिर दीनता दिख १८१

गर िबबक सागर जग जाना िजनहिह िबसव कर बदर समाना

रामचिरतमानस - 83 - अयोधयाकाड

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मो कह ितलक साज सज सोऊ भए िबिध िबमख िबमख सब कोऊ १

पिरहिर राम सीय जग माही कोउ न किहिह मोर मत नाही

सो म सनब सहब सख मानी अतह कीच तहा जह पानी २

डर न मोिह जग किहिह िक पोच परलोकह कर नािहन सोच

एकइ उर बस दसह दवारी मोिह लिग भ िसय राम दखारी ३

जीवन लाह लखन भल पावा सब तिज राम चरन मन लावा

मोर जनम रघबर बन लागी झठ काह पिछताउ अभागी ४

दोहा आपिन दारन दीनता कहउ सबिह िसर नाइ

दख िबन रघनाथ पद िजय क जरिन न जाइ १८२

आन उपाउ मोिह निह सझा को िजय क रघबर िबन बझा

एकिह आक इहइ मन माही ातकाल चिलहउ भ पाही १

ज िप म अनभल अपराधी भ मोिह कारन सकल उपाधी

तदिप सरन सनमख मोिह दखी छिम सब किरहिह कपा िबसषी २

सील सकच सिठ सरल सभाऊ कपा सनह सदन रघराऊ

अिरहक अनभल कीनह न रामा म िसस सवक ज िप बामा ३

तमह प पाच मोर भल मानी आयस आिसष दह सबानी

जिह सिन िबनय मोिह जन जानी आविह बहिर राम रजधानी ४

दोहा ज िप जनम कमात त म सठ सदा सदोस

आपन जािन न तयािगहिह मोिह रघबीर भरोस १८३

भरत बचन सब कह ि य लाग राम सनह सधा जन पाग

लोग िबयोग िबषम िबष दाग म सबीज सनत जन जाग १

मात सिचव गर पर नर नारी सकल सनह िबकल भए भारी

भरतिह कहिह सरािह सराही राम म मरित तन आही २

तात भरत अस काह न कहह ान समान राम ि य अहह

रामचिरतमानस - 84 - अयोधयाकाड

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जो पावर अपनी जड़ताई तमहिह सगाइ मात किटलाई ३

सो सठ कोिटक परष समता बिसिह कलप सत नरक िनकता

अिह अघ अवगन निह मिन गहई हरइ गरल दख दािरद दहई ४

दोहा अविस चिलअ बन राम जह भरत म भल कीनह

सोक िसध बड़त सबिह तमह अवलबन दीनह १८४

भा सब क मन मोद न थोरा जन घन धिन सिन चातक मोरा

चलत ात लिख िनरनउ नीक भरत ानि य भ सबही क १

मिनिह बिद भरतिह िसर नाई चल सकल घर िबदा कराई

धनय भरत जीवन जग माही सील सनह सराहत जाही २

कहिह परसपर भा बड़ काज सकल चल कर साजिह साज

जिह राखिह रह घर रखवारी सो जानइ जन गरदिन मारी ३

कोउ कह रहन किहअ निह काह को न चहइ जग जीवन लाह ४

दोहा जरउ सो सपित सदन सख सहद मात िपत भाइ

सनमख होत जो राम पद कर न सहस सहाइ १८५

घर घर साजिह बाहन नाना हरष हदय परभात पयाना

भरत जाइ घर कीनह िबचार नगर बािज गज भवन भडार १

सपित सब रघपित क आही जौ िबन जतन चलौ तिज ताही

तौ पिरनाम न मोिर भलाई पाप िसरोमिन साइ दोहाई २

करइ सवािम िहत सवक सोई दषन कोिट दइ िकन कोई

अस िबचािर सिच सवक बोल ज सपनह िनज धरम न डोल ३

किह सब मरम धरम भल भाषा जो जिह लायक सो तिह राखा

किर सब जतन रािख रखवार राम मात पिह भरत िसधार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 85 - अयोधयाकाड

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आरत जननी जािन सब भरत सनह सजान

कहउ बनावन पालकी सजन सखासन जान १८६

चकक चिकक िजिम पर नर नारी चहत ात उर आरत भारी

जागत सब िनिस भयउ िबहाना भरत बोलाए सिचव सजाना १

कहउ लह सब ितलक समाज बनिह दब मिन रामिह राज

बिग चलह सिन सिचव जोहार तरत तर ग रथ नाग सवार २

अरधती अर अिगिन समाऊ रथ चिढ़ चल थम मिनराऊ

िब बद चिढ़ बाहन नाना चल सकल तप तज िनधाना ३

नगर लोग सब सिज सिज जाना िच कट कह कीनह पयाना

िसिबका सभग न जािह बखानी चिढ़ चिढ़ चलत भई सब रानी ४

दोहा सौिप नगर सिच सवकिन सादर सकल चलाइ

सिमिर राम िसय चरन तब चल भरत दोउ भाइ १८७

राम दरस बस सब नर नारी जन किर किरिन चल तिक बारी

बन िसय राम समिझ मन माही सानज भरत पयादिह जाही १

दिख सनह लोग अनराग उतिर चल हय गय रथ तयाग

जाइ समीप रािख िनज डोली राम मात मद बानी बोली २

तात चढ़ह रथ बिल महतारी होइिह ि य पिरवार दखारी

तमहर चलत चिलिह सब लोग सकल सोक कस निह मग जोग ३

िसर धिर बचन चरन िसर नाई रथ चिढ़ चलत भए दोउ भाई

तमसा थम िदवस किर बास दसर गोमित तीर िनवास ४

दोहा पय अहार फल असन एक िनिस भोजन एक लोग

करत राम िहत नम त पिरहिर भषन भोग १८८

सई तीर बिस चल िबहान सगबरपर सब िनअरान

रामचिरतमानस - 86 - अयोधयाकाड

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समाचार सब सन िनषादा हदय िबचार करइ सिबषादा १

कारन कवन भरत बन जाही ह कछ कपट भाउ मन माही

जौ प िजय न होित किटलाई तौ कत लीनह सग कटकाई २

जानिह सानज रामिह मारी करउ अकटक राज सखारी

भरत न राजनीित उर आनी तब कलक अब जीवन हानी ३

सकल सरासर जरिह जझारा रामिह समर न जीतिनहारा

का आचरज भरत अस करही निह िबष बिल अिमअ फल फरही ४

दोहा अस िबचािर गह गयाित सन कहउ सजग सब होह

हथवासह बोरह तरिन कीिजअ घाटारोह १८९

होह सजोइल रोकह घाटा ठाटह सकल मर क ठाटा

सनमख लोह भरत सन लऊ िजअत न सरसिर उतरन दऊ १

समर मरन पिन सरसिर तीरा राम काज छनभग सरीरा

भरत भाइ नप म जन नीच बड़ भाग अिस पाइअ मीच २

सवािम काज किरहउ रन रारी जस धविलहउ भवन दस चारी

तजउ ान रघनाथ िनहोर दह हाथ मद मोदक मोर ३

साध समाज न जाकर लखा राम भगत मह जास न रखा

जाय िजअत जग सो मिह भार जननी जौबन िबटप कठार ४

दोहा िबगत िबषाद िनषादपित सबिह बढ़ाइ उछाह

सिमिर राम मागउ तरत तरकस धनष सनाह १९०

बगह भाइह सजह सजोऊ सिन रजाइ कदराइ न कोऊ

भलिह नाथ सब कहिह सहरषा एकिह एक बढ़ावइ करषा १

चल िनषाद जोहािर जोहारी सर सकल रन रचइ रारी

सिमिर राम पद पकज पनही भाथी बािध चढ़ाइिनह धनही २

अगरी पिहिर किड़ िसर धरही फरसा बास सल सम करही

रामचिरतमानस - 87 - अयोधयाकाड

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एक कसल अित ओड़न खाड़ कदिह गगन मनह िछित छाड़ ३

िनज िनज साज समाज बनाई गह राउतिह जोहार जाई

दिख सभट सब लायक जान ल ल नाम सकल सनमान ४

दोहा भाइह लावह धोख जिन आज काज बड़ मोिह

सिन सरोष बोल सभट बीर अधीर न होिह १९१

राम ताप नाथ बल तोर करिह कटक िबन भट िबन घोर

जीवत पाउ न पाछ धरही रड मडमय मिदिन करही १

दीख िनषादनाथ भल टोल कहउ बजाउ जझाऊ ढोल

एतना कहत छीक भइ बाए कहउ सगिनअनह खत सहाए २

बढ़ एक कह सगन िबचारी भरतिह िमिलअ न होइिह रारी

रामिह भरत मनावन जाही सगन कहइ अस िब ह नाही ३

सिन गह कहइ नीक कह बढ़ा सहसा किर पिछतािह िबमढ़ा

भरत सभाउ सील िबन बझ बिड़ िहत हािन जािन िबन जझ ४

दोहा गहह घाट भट सिमिट सब लउ मरम िमिल जाइ

बिझ िम अिर मधय गित तस तब किरहउ आइ १९२

लखन सनह सभाय सहाए बर ीित निह दरइ दराए

अस किह भट सजोवन लाग कद मल फल खग मग माग १

मीन पीन पाठीन परान भिर भिर भार कहारनह आन

िमलन साज सिज िमलन िसधाए मगल मल सगन सभ पाए २

दिख दिर त किह िनज नाम कीनह मनीसिह दड नाम

जािन रामि य दीिनह असीसा भरतिह कहउ बझाइ मनीसा ३

राम सखा सिन सदन तयागा चल उतिर उमगत अनरागा

गाउ जाित गह नाउ सनाई कीनह जोहार माथ मिह लाई ४

रामचिरतमानस - 88 - अयोधयाकाड

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दोहा करत दडवत दिख तिह भरत लीनह उर लाइ

मनह लखन सन भट भइ म न हदय समाइ १९३

भटत भरत तािह अित ीती लोग िसहािह म क रीती

धनय धनय धिन मगल मला सर सरािह तिह बिरसिह फला १

लोक बद सब भाितिह नीचा जास छाह छइ लइअ सीचा

तिह भिर अक राम लघ ाता िमलत पलक पिरपिरत गाता २

राम राम किह ज जमहाही ितनहिह न पाप पज समहाही

यह तौ राम लाइ उर लीनहा कल समत जग पावन कीनहा ३

करमनास जल सरसिर परई तिह को कहह सीस निह धरई

उलटा नाम जपत जग जाना बालमीिक भए समाना ४

दोहा सवपच सबर खस जमन जड़ पावर कोल िकरात

राम कहत पावन परम होत भवन िबखयात १९४

निह अिचरज जग जग चिल आई किह न दीिनह रघबीर बड़ाई

राम नाम मिहमा सर कहही सिन सिन अवधलोग सख लहही १

रामसखिह िमिल भरत स मा पछी कसल समगल खमा

दिख भरत कर सील सनह भा िनषाद तिह समय िबदह २

सकच सनह मोद मन बाढ़ा भरतिह िचतवत एकटक ठाढ़ा

धिर धीरज पद बिद बहोरी िबनय स म करत कर जोरी ३

कसल मल पद पकज पखी म ितह काल कसल िनज लखी

अब भ परम अन ह तोर सिहत कोिट कल मगल मोर ४

दोहा समिझ मोिर करतित कल भ मिहमा िजय जोइ

जो न भजइ रघबीर पद जग िबिध बिचत सोइ १९५

रामचिरतमानस - 89 - अयोधयाकाड

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कपटी कायर कमित कजाती लोक बद बाहर सब भाती

राम कीनह आपन जबही त भयउ भवन भषन तबही त १

दिख ीित सिन िबनय सहाई िमलउ बहोिर भरत लघ भाई

किह िनषाद िनज नाम सबानी सादर सकल जोहारी रानी २

जािन लखन सम दिह असीसा िजअह सखी सय लाख बरीसा

िनरिख िनषाद नगर नर नारी भए सखी जन लखन िनहारी ३

कहिह लहउ एिह जीवन लाह भटउ रामभ भिर बाह

सिन िनषाद िनज भाग बड़ाई मिदत मन लइ चलउ लवाई ४

दोहा सनकार सवक सकल चल सवािम रख पाइ

घर तर तर सर बाग बन बास बनाएिनह जाइ १९६

सगबरपर भरत दीख जब भ सनह सब अग िसिथल तब

सोहत िदए िनषादिह लाग जन तन धर िबनय अनराग १

एिह िबिध भरत सन सब सगा दीिख जाइ जग पाविन गगा

रामघाट कह कीनह नाम भा मन मगन िमल जन राम २

करिह नाम नगर नर नारी मिदत मय बािर िनहारी

किर मजजन मागिह कर जोरी रामच पद ीित न थोरी ३

भरत कहउ सरसिर तव रन सकल सखद सवक सरधन

जोिर पािन बर मागउ एह सीय राम पद सहज सनह ४

दोहा एिह िबिध मजजन भरत किर गर अनसासन पाइ

मात नहानी जािन सब डरा चल लवाइ १९७

जह तह लोगनह डरा कीनहा भरत सोध सबही कर लीनहा

सर सवा किर आयस पाई राम मात पिह ग दोउ भाई १

चरन चािप किह किह मद बानी जननी सकल भरत सनमानी

भाइिह सौिप मात सवकाई आप िनषादिह लीनह बोलाई २

रामचिरतमानस - 90 - अयोधयाकाड

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चल सखा कर सो कर जोर िसिथल सरीर सनह न थोर

पछत सखिह सो ठाउ दखाऊ नक नयन मन जरिन जड़ाऊ ३

जह िसय राम लखन िनिस सोए कहत भर जल लोचन कोए

भरत बचन सिन भयउ िबषाद तरत तहा लइ गयउ िनषाद ४

दोहा जह िससपा पनीत तर रघबर िकय िब ाम

अित सनह सादर भरत कीनहउ दड नाम १९८

कस साथरी िनहािर सहाई कीनह नाम दिचछन जाई

चरन रख रज आिखनह लाई बनइ न कहत ीित अिधकाई १

कनक िबद दइ चािरक दख राख सीस सीय सम लख

सजल िबलोचन हदय गलानी कहत सखा सन बचन सबानी २

ीहत सीय िबरह दितहीना जथा अवध नर नािर िबलीना

िपता जनक दउ पटतर कही करतल भोग जोग जग जही ३

ससर भानकल भान भआल जिह िसहात अमरावितपाल

ाननाथ रघनाथ गोसाई जो बड़ होत सो राम बड़ाई ४

दोहा पित दवता सतीय मिन सीय साथरी दिख

िबहरत दउ न हहिर हर पिब त किठन िबसिष १९९

लालन जोग लखन लघ लोन भ न भाइ अस अहिह न होन

परजन ि य िपत मात दलार िसय रघबरिह ानिपआर १

मद मरित सकमार सभाऊ तात बाउ तन लाग न काऊ

त बन सहिह िबपित सब भाती िनदर कोिट किलस एिह छाती २

राम जनिम जग कीनह उजागर रप सील सख सब गन सागर

परजन पिरजन गर िपत माता राम सभाउ सबिह सखदाता ३

बिरउ राम बड़ाई करही बोलिन िमलिन िबनय मन हरही

सारद कोिट कोिट सत सषा किर न सकिह भ गन गन लखा ४

रामचिरतमानस - 91 - अयोधयाकाड

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दोहा

सखसवरप रघबसमिन मगल मोद िनधान त सोवत कस डािस मिह िबिध गित अित बलवान २००

राम सना दख कान न काऊ जीवनतर िजिम जोगवइ राऊ

पलक नयन फिन मिन जिह भाती जोगविह जनिन सकल िदनराती १

त अब िफरत िबिपन पदचारी कद मल फल फल अहारी

िधग ककई अमगल मला भइिस ान ि यतम ितकला २

म िधग िधग अघ उदिध अभागी सब उतपात भयउ जिह लागी

कल कलक किर सजउ िबधाता साइदोह मोिह कीनह कमाता ३

सिन स म समझाव िनषाद नाथ किरअ कत बािद िबषाद

राम तमहिह ि य तमह ि य रामिह यह िनरजोस दोस िबिध बामिह ४ छद

िबिध बाम की करनी किठन जिह मात कीनही बावरी तिह राित पिन पिन करिह भ सादर सरहना रावरी

तलसी न तमह सो राम ीतम कहत हौ सौह िकए

पिरनाम मगल जािन अपन आिनए धीरज िहए

सोरठा अतरजामी राम सकच स म कपायतन

चिलअ किरअ िब ाम यह िबचािर दढ़ आिन मन २०१

सखा बचन सिन उर धिर धीरा बास चल सिमरत रघबीरा

यह सिध पाइ नगर नर नारी चल िबलोकन आरत भारी १

परदिखना किर करिह नामा दिह ककइिह खोिर िनकामा

भरी भिर बािर िबलोचन लही बाम िबधातािह दषन दही २

एक सराहिह भरत सनह कोउ कह नपित िनबाहउ नह

िनदिह आप सरािह िनषादिह को किह सकइ िबमोह िबषादिह ३

रामचिरतमानस - 92 - अयोधयाकाड

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एिह िबिध राित लोग सब जागा भा िभनसार गदारा लागा

गरिह सनाव चढ़ाइ सहाई नई नाव सब मात चढ़ाई ४

दड चािर मह भा सब पारा उतिर भरत तब सबिह सभारा ५

दोहा ाति या किर मात पद बिद गरिह िसर नाइ

आग िकए िनषाद गन दीनहउ कटक चलाइ २०२

िकयउ िनषादनाथ अगआई मात पालकी सकल चलाई

साथ बोलाइ भाइ लघ दीनहा िब नह सिहत गवन गर कीनहा १

आप सरसिरिह कीनह नाम सिमर लखन सिहत िसय राम

गवन भरत पयोदिह पाए कोतल सग जािह डोिरआए २

कहिह ससवक बारिह बारा होइअ नाथ असव असवारा

राम पयोदिह पाय िसधाए हम कह रथ गज बािज बनाए ३

िसर भर जाउ उिचत अस मोरा सब त सवक धरम कठोरा

दिख भरत गित सिन मद बानी सब सवक गन गरिह गलानी ४

दोहा भरत तीसर पहर कह कीनह बस याग कहत राम िसय राम िसय उमिग उमिग अनराग २०३

झलका झलकत पायनह क स पकज कोस ओस कन जस

भरत पयादिह आए आज भयउ दिखत सिन सकल समाज १

खबिर लीनह सब लोग नहाए कीनह नाम ि बिनिह आए

सिबिध िसतािसत नीर नहान िदए दान मिहसर सनमान २

दखत सयामल धवल हलोर पलिक सरीर भरत कर जोर

सकल काम द तीरथराऊ बद िबिदत जग गट भाऊ ३

मागउ भीख तयािग िनज धरम आरत काह न करइ ककरम

अस िजय जािन सजान सदानी सफल करिह जग जाचक बानी ४

रामचिरतमानस - 93 - अयोधयाकाड

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दोहा अरथ न धरम न काम रिच गित न चहउ िनरबान

जनम जनम रित राम पद यह बरदान न आन २०४

जानह राम किटल किर मोही लोग कहउ गर सािहब ोही

सीता राम चरन रित मोर अनिदन बढ़उ अन ह तोर १

जलद जनम भिर सरित िबसारउ जाचत जल पिब पाहन डारउ

चातक रटिन घट घिट जाई बढ़ म सब भाित भलाई २

कनकिह बान चढ़इ िजिम दाह ितिम ि यतम पद नम िनबाह

भरत बचन सिन माझ ि बनी भइ मद बािन समगल दनी ३

तात भरत तमह सब िबिध साध राम चरन अनराग अगाध

बाद गलािन करह मन माही तमह सम रामिह कोउ ि य नाही ४

दोहा तन पलकउ िहय हरष सिन बिन बचन अनकल

भरत धनय किह धनय सर हरिषत बरषिह फल २०५

मिदत तीरथराज िनवासी बखानस बट गही उदासी

कहिह परसपर िमिल दस पाचा भरत सनह सील सिच साचा १

सनत राम गन ाम सहाए भर ाज मिनबर पिह आए

दड नाम करत मिन दख मरितमत भागय िनज लख २

धाइ उठाइ लाइ उर लीनह दीिनह असीस कतारथ कीनह

आसन दीनह नाइ िसर बठ चहत सकच गह जन भिज पठ ३

मिन पछब कछ यह बड़ सोच बोल िरिष लिख सील सकोच

सनह भरत हम सब सिध पाई िबिध करतब पर िकछ न बसाई ४

दोहा तमह गलािन िजय जिन करह समझी मात करतित

तात ककइिह दोस निह गई िगरा मित धित २०६

रामचिरतमानस - 94 - अयोधयाकाड

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यहउ कहत भल किहिह न कोऊ लोक बद बध समत दोऊ

तात तमहार िबमल जस गाई पाइिह लोकउ बद बड़ाई १

लोक बद समत सब कहई जिह िपत दइ राज सो लहई

राउ सतय त तमहिह बोलाई दत राज सख धरम बड़ाई २

राम गवन बन अनरथ मला जो सिन सकल िबसव भइ सला

सो भावी बस रािन अयानी किर कचािल अतह पिछतानी ३

तहउ तमहार अलप अपराध कह सो अधम अयान असाध

करतह राज त तमहिह न दोष रामिह होत सनत सतोष ४

दोहा अब अित कीनहह भरत भल तमहिह उिचत मत एह

सकल समगल मल जग रघबर चरन सनह २०७

सो तमहार धन जीवन ाना भिरभाग को तमहिह समाना

यह तमहार आचरज न ताता दसरथ सअन राम ि य ाता १

सनह भरत रघबर मन माही पम पा तमह सम कोउ नाही

लखन राम सीतिह अित ीती िनिस सब तमहिह सराहत बीती २

जाना मरम नहात यागा मगन होिह तमहर अनरागा

तमह पर अस सनह रघबर क सख जीवन जग जस जड़ नर क ३

यह न अिधक रघबीर बड़ाई नत कटब पाल रघराई

तमह तौ भरत मोर मत एह धर दह जन राम सनह ४

दोहा तमह कह भरत कलक यह हम सब कह उपदस

राम भगित रस िसि िहत भा यह समउ गनस २०८

नव िबध िबमल तात जस तोरा रघबर िककर कमद चकोरा

उिदत सदा अथइिह कबह ना घिटिह न जग नभ िदन िदन दना १

कोक ितलोक ीित अित किरही भ ताप रिब छिबिह न हिरही

िनिस िदन सखद सदा सब काह िसिह न ककइ करतब राह २

रामचिरतमानस - 95 - अयोधयाकाड

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परन राम सपम िपयषा गर अवमान दोष निह दषा

राम भगत अब अिमअ अघाह कीनहह सलभ सधा बसधाह ३

भप भगीरथ सरसिर आनी सिमरत सकल समगल खानी

दसरथ गन गन बरिन न जाही अिधक कहा जिह सम जग नाही ४

दोहा जास सनह सकोच बस राम गट भए आइ

ज हर िहय नयनिन कबह िनरख नही अघाइ २०९

कीरित िबध तमह कीनह अनपा जह बस राम पम मगरपा

तात गलािन करह िजय जाए डरह दिर िह पारस पाए १

सनह भरत हम झठ न कहही उदासीन तापस बन रहही

सब साधन कर सफल सहावा लखन राम िसय दरसन पावा २

तिह फल कर फल दरस तमहारा सिहत पयाग सभाग हमारा

भरत धनय तमह जस जग जयऊ किह अस पम मगन पिन भयऊ ३

सिन मिन बचन सभासद हरष साध सरािह समन सर बरष

धनय धनय धिन गगन पयागा सिन सिन भरत मगन अनरागा ४

दोहा पलक गात िहय राम िसय सजल सरोरह नन

किर नाम मिन मडिलिह बोल गदगद बन २१०

मिन समाज अर तीरथराज सािचह सपथ अघाइ अकाज

एिह थल जौ िकछ किहअ बनाई एिह सम अिधक न अघ अधमाई १

तमह सबरगय कहउ सितभाऊ उर अतरजामी रघराऊ

मोिह न मात करतब कर सोच निह दख िजय जग जािनिह पोच २

नािहन डर िबगिरिह परलोक िपतह मरन कर मोिह न सोक

सकत सजस भिर भअन सहाए लिछमन राम सिरस सत पाए ३

राम िबरह तिज तन छनभग भप सोच कर कवन सग

राम लखन िसय िबन पग पनही किर मिन बष िफरिह बन बनही ४

रामचिरतमानस - 96 - अयोधयाकाड

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दोहा

अिजन बसन फल असन मिह सयन डािस कस पात

बिस तर तर िनत सहत िहम आतप बरषा बात २११

एिह दख दाह दहइ िदन छाती भख न बासर नीद न राती

एिह करोग कर औषध नाही सोधउ सकल िबसव मन माही १

मात कमत बढ़ई अघ मला तिह हमार िहत कीनह बसला

किल ककाठ कर कीनह कज गािड़ अविध पिढ़ किठन कम २

मोिह लिग यह कठाट तिह ठाटा घालिस सब जग बारहबाटा

िमटइ कजोग राम िफिर आए बसइ अवध निह आन उपाए ३

भरत बचन सिन मिन सख पाई सबिह कीनह बह भाित बड़ाई

तात करह जिन सोच िबसषी सब दख िमटिह राम पग दखी ४

दोहा किर बोध मिनबर कहउ अितिथ पमि य होह

कद मल फल फल हम दिह लह किर छोह २१२

सिन मिन बचन भरत िहय सोच भयउ कअवसर किठन सकोच

जािन गरइ गर िगरा बहोरी चरन बिद बोल कर जोरी १

िसर धिर आयस किरअ तमहारा परम धरम यह नाथ हमारा

भरत बचन मिनबर मन भाए सिच सवक िसष िनकट बोलाए २

चािहए कीनह भरत पहनाई कद मल फल आनह जाई

भलही नाथ किह ितनह िसर नाए मिदत िनज िनज काज िसधाए ३

मिनिह सोच पाहन बड़ नवता तिस पजा चािहअ जस दवता

सिन िरिध िसिध अिनमािदक आई आयस होइ सो करिह गोसाई ४

दोहा राम िबरह बयाकल भरत सानज सिहत समाज

पहनाई किर हरह म कहा मिदत मिनराज २१३

रामचिरतमानस - 97 - अयोधयाकाड

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िरिध िसिध िसर धिर मिनबर बानी बड़भािगिन आपिह अनमानी

कहिह परसपर िसिध समदाई अतिलत अितिथ राम लघ भाई १

मिन पद बिद किरअ सोइ आज होइ सखी सब राज समाज

अस किह रचउ रिचर गह नाना जिह िबलोिक िबलखािह िबमाना २

भोग िबभित भिर भिर राख दखत िजनहिह अमर अिभलाष

दासी दास साज सब लीनह जोगवत रहिह मनिह मन दीनह ३

सब समाज सिज िसिध पल माही ज सख सरपर सपनह नाही

थमिह बास िदए सब कही सदर सखद जथा रिच जही ४

दोहा बहिर सपिरजन भरत कह िरिष अस आयस दीनह

िबिध िबसमय दायक िबभव मिनबर तपबल कीनह २१४

मिन भाउ जब भरत िबलोका सब लघ लग लोकपित लोका

सख समाज निह जाइ बखानी दखत िबरित िबसारही गयानी १

आसन सयन सबसन िबताना बन बािटका िबहग मग नाना

सरिभ फल फल अिमअ समाना िबमल जलासय िबिबध िबधाना २

असन पान सच अिमअ अमी स दिख लोग सकचात जमी स

सर सरभी सरतर सबही क लिख अिभलाष सरस सची क ३

िरत बसत बह ि िबध बयारी सब कह सलभ पदारथ चारी

क चदन बिनतािदक भोगा दिख हरष िबसमय बस लोगा ४

दोहा सपत चकई भरत चक मिन आयस खलवार

तिह िनिस आ म िपजरा राख भा िभनसार २१५

मासपारायण उननीसवा िव ाम

कीनह िनमजजन तीरथराजा नाइ मिनिह िसर सिहत समाजा

रामचिरतमानस - 98 - अयोधयाकाड

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िरिष आयस असीस िसर राखी किर दडवत िबनय बह भाषी १

पथ गित कसल साथ सब लीनह चल िच कटिह िचत दीनह

रामसखा कर दीनह लाग चलत दह धिर जन अनराग २

निह पद ान सीस निह छाया पम नम त धरम अमाया

लखन राम िसय पथ कहानी पछत सखिह कहत मद बानी ३

राम बास थल िबटप िबलोक उर अनराग रहत निह रोक

दिख दसा सर बिरसिह फला भइ मद मिह मग मगल मला ४

दोहा िकए जािह छाया जलद सखद बहइ बर बात

तस मग भयउ न राम कह जस भा भरतिह जात २१६

जड़ चतन मग जीव घनर ज िचतए भ िजनह भ हर

त सब भए परम पद जोग भरत दरस मटा भव रोग १

यह बिड़ बात भरत कइ नाही सिमरत िजनिह राम मन माही

बारक राम कहत जग जऊ होत तरन तारन नर तऊ २

भरत राम ि य पिन लघ ाता कस न होइ मग मगलदाता

िस साध मिनबर अस कहही भरतिह िनरिख हरष िहय लहही ३

दिख भाउ सरसिह सोच जग भल भलिह पोच कह पोच

गर सन कहउ किरअ भ सोई रामिह भरतिह भट न होई ४

दोहा राम सकोची म बस भरत सपम पयोिध

बनी बात बगरन चहित किरअ जतन छल सोिध २१७

बचन सनत सरगर मसकान सहसनयन िबन लोचन जान

मायापित सवक सन माया करइ त उलिट परइ सरराया १

तब िकछ कीनह राम रख जानी अब कचािल किर होइिह हानी

सन सरस रघनाथ सभाऊ िनज अपराध िरसािह न काऊ २

जो अपराध भगत कर करई राम रोष पावक सो जरई

रामचिरतमानस - 99 - अयोधयाकाड

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लोकह बद िबिदत इितहासा यह मिहमा जानिह दरबासा ३

भरत सिरस को राम सनही जग जप राम राम जप जही ४

दोहा मनह न आिनअ अमरपित रघबर भगत अकाज

अजस लोक परलोक दख िदन िदन सोक समाज २१८

सन सरस उपदस हमारा रामिह सवक परम िपआरा

मानत सख सवक सवकाई सवक बर बर अिधकाई १

ज िप सम निह राग न रोष गहिह न पाप पन गन दोष

करम धान िबसव किर राखा जो जस करइ सो तस फल चाखा २

तदिप करिह सम िबषम िबहारा भगत अभगत हदय अनसारा

अगन अलप अमान एकरस राम सगन भए भगत पम बस ३

राम सदा सवक रिच राखी बद परान साध सर साखी

अस िजय जािन तजह किटलाई करह भरत पद ीित सहाई ४

दोहा राम भगत परिहत िनरत पर दख दखी दयाल

भगत िसरोमिन भरत त जिन डरपह सरपाल २१९

सतयसध भ सर िहतकारी भरत राम आयस अनसारी

सवारथ िबबस िबकल तमह होह भरत दोस निह राउर मोह १

सिन सरबर सरगर बर बानी भा मोद मन िमटी गलानी

बरिष सन हरिष सरराऊ लग सराहन भरत सभाऊ २

एिह िबिध भरत चल मग जाही दसा दिख मिन िस िसहाही

जबिह राम किह लिह उसासा उमगत पम मनह चह पासा ३

विह बचन सिन किलस पषाना परजन पम न जाइ बखाना

बीच बास किर जमनिह आए िनरिख नीर लोचन जल छाए १

दोहा

रामचिरतमानस - 100 - अयोधयाकाड

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रघबर बरन िबलोिक बर बािर समत समाज होत मगन बािरिध िबरह चढ़ िबबक जहाज २२०

जमन तीर तिह िदन किर बास भयउ समय सम सबिह सपास

रातिह घाट घाट की तरनी आई अगिनत जािह न बरनी १

ात पार भए एकिह खवा तोष रामसखा की सवा

चल नहाइ निदिह िसर नाई साथ िनषादनाथ दोउ भाई २

आग मिनबर बाहन आछ राजसमाज जाइ सब पाछ

तिह पाछ दोउ बध पयाद भषन बसन बष सिठ साद ३

सवक स द सिचवसत साथा सिमरत लखन सीय रघनाथा

जह जह राम बास िब ामा तह तह करिह स म नामा ४

दोहा मगबासी नर नािर सिन धाम काम तिज धाइ

दिख सरप सनह सब मिदत जनम फल पाइ २२१

कहिह सपम एक एक पाही राम लखन सिख होिह िक नाही

बय बप बरन रप सोइ आली सील सनह सिरस सम चाली १

बष न सो सिख सीय न सगा आग अनी चली चतरगा

निह सनन मख मानस खदा सिख सदह होइ एिह भदा २

तास तरक ितयगन मन मानी कहिह सकल तिह सम न सयानी

तिह सरािह बानी फिर पजी बोली मधर बचन ितय दजी ३

किह सपम सब कथा सग जिह िबिध राम राज रस भग

भरतिह बहिर सराहन लागी सील सनह सभाय सभागी ४

दोहा चलत पयाद खात फल िपता दीनह तिज राज

जात मनावन रघबरिह भरत सिरस को आज २२२

भायप भगित भरत आचरन कहत सनत दख दषन हरन

रामचिरतमानस - 101 - अयोधयाकाड

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जो कछ कहब थोर सिख सोई रा म बध अस काह न होई १

हम सब सानज भरतिह दख भइनह धनय जबती जन लख

सिन गन दिख दसा पिछताही ककइ जनिन जोग सत नाही २

कोउ कह दषन रािनिह नािहन िबिध सब कीनह हमिह जो दािहन

कह हम लोक बद िबिध हीनी लघ ितय कल करतित मलीनी ३

बसिह कदस कगाव कबामा कह यह दरस पनय पिरनामा

अस अनद अिचिरज ित ामा जन मरभिम कलपतर जामा ४

दोहा भरत दरस दखत खलउ मग लोगनह कर भाग

जन िसघलबािसनह भयउ िबिध बस सलभ याग २२३

िनज गन सिहत राम गन गाथा सनत जािह सिमरत रघनाथा

तीरथ मिन आ म सरधामा िनरिख िनमजजिह करिह नामा १

मनही मन मागिह बर एह सीय राम पद पदम सनह

िमलिह िकरात कोल बनबासी बखानस बट जती उदासी २

किर नाम पछिह जिह तही किह बन लखन राम बदही

त भ समाचार सब कहही भरतिह दिख जनम फल लहही ३

ज जन कहिह कसल हम दख त ि य राम लखन सम लख

एिह िबिध बझत सबिह सबानी सनत राम बनबास कहानी ४

दोहा तिह बासर बिस ातही चल सिमिर रघनाथ

राम दरस की लालसा भरत सिरस सब साथ २२४

मगल सगन होिह सब काह फरकिह सखद िबलोचन बाह

भरतिह सिहत समाज उछाह िमिलहिह राम िमटिह दख दाह १

करत मनोरथ जस िजय जाक जािह सनह सरा सब छाक

िसिथल अग पग मग डिग डोलिह िबहबल बचन पम बस बोलिह २

रामसखा तिह समय दखावा सल िसरोमिन सहज सहावा

रामचिरतमानस - 102 - अयोधयाकाड

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जास समीप सिरत पय तीरा सीय समत बसिह दोउ बीरा ३

दिख करिह सब दड नामा किह जय जानिक जीवन रामा

म मगन अस राज समाज जन िफिर अवध चल रघराज ४

दोहा भरत म तिह समय जस तस किह सकइ न सष

किबिह अगम िजिम सख अह मम मिलन जनष २२५

सकल सनह िसिथल रघबर क गए कोस दइ िदनकर ढरक

जल थल दिख बस िनिस बीत कीनह गवन रघनाथ िपरीत १

उहा राम रजनी अवसषा जाग सीय सपन अस दखा

सिहत समाज भरत जन आए नाथ िबयोग ताप तन ताए २

सकल मिलन मन दीन दखारी दखी सास आन अ नहारी

सिन िसय सपन भर जल लोचन भए सोचबस सोच िबमोचन ३

लखन सपन यह नीक न होई किठन कचाह सनाइिह कोई

अस किह बध समत नहान पिज परािर साध सनमान ४ छद

सनमािन सर मिन बिद बठ उ र िदिस दखत भए

नभ धिर खग मग भिर भाग िबकल भ आ म गए

तलसी उठ अवलोिक कारन काह िचत सचिकत रह

सब समाचार िकरात कोलिनह आइ तिह अवसर कह

दोहा सनत समगल बन मन मोद तन पलक भर

सरद सरोरह नन तलसी भर सनह जल २२६

बहिर सोचबस भ िसयरवन कारन कवन भरत आगवन

एक आइ अस कहा बहोरी सन सग चतरग न थोरी १

सो सिन रामिह भा अित सोच इत िपत बच इत बध सकोच

रामचिरतमानस - 103 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ समिझ मन माही भ िचत िहत िथित पावत नाही २

समाधान तब भा यह जान भरत कह मह साध सयान

लखन लखउ भ हदय खभार कहत समय सम नीित िबचार ३

िबन पछ कछ कहउ गोसाई सवक समय न ढीठ िढठाई

तमह सबरगय िसरोमिन सवामी आपिन समिझ कहउ अनगामी ४

दोहा नाथ स द सिठ सरल िचत सील सनह िनधान

सब पर ीित तीित िजय जािनअ आप समान २२७

िबषई जीव पाइ भताई मढ़ मोह बस होिह जनाई

भरत नीित रत साध सजाना भ पद म सकल जग जाना १

तऊ आज राम पद पाई चल धरम मरजाद मटाई

किटल कबध कअवसर ताकी जािन राम बनवास एकाकी २

किर कम मन सािज समाज आए कर अकटक राज

कोिट कार कलिप कटलाई आए दल बटोिर दोउ भाई ३

जौ िजय होित न कपट कचाली किह सोहाित रथ बािज गजाली

भरतिह दोस दइ को जाए जग बौराइ राज पद पाए ४

दोहा सिस गर ितय गामी नघष चढ़उ भिमसर जान

लोक बद त िबमख भा अधम न बन समान २२८

सहसबाह सरनाथ ि सक किह न राजमद दीनह कलक

भरत कीनह यह उिचत उपाऊ िरप िरन रच न राखब काऊ १

एक कीिनह निह भरत भलाई िनदर राम जािन असहाई

समिझ पिरिह सोउ आज िबसषी समर सरोष राम मख पखी २

एतना कहत नीित रस भला रन रस िबटप पलक िमस फला

भ पद बिद सीस रज राखी बोल सतय सहज बल भाषी ३

अनिचत नाथ न मानब मोरा भरत हमिह उपचार न थोरा

रामचिरतमानस - 104 - अयोधयाकाड

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कह लिग सिहअ रिहअ मन मार नाथ साथ धन हाथ हमार ४

दोहा छि जाित रघकल जनम राम अनग जग जान

लातह मार चढ़ित िसर नीच को धिर समान २२९

उिठ कर जोिर रजायस मागा मनह बीर रस सोवत जागा

बािध जटा िसर किस किट भाथा सािज सरासन सायक हाथा १

आज राम सवक जस लऊ भरतिह समर िसखावन दऊ

राम िनरादर कर फल पाई सोवह समर सज दोउ भाई २

आइ बना भल सकल समाज गट करउ िरस पािछल आज

िजिम किर िनकर दलइ मगराज लइ लपिट लवा िजिम बाज ३

तसिह भरतिह सन समता सानज िनदिर िनपातउ खता

जौ सहाय कर सकर आई तौ मारउ रन राम दोहाई ४

दोहा अित सरोष माख लखन लिख सिन सपथ वान

सभय लोक सब लोकपित चाहत भभिर भगान २३०

जग भय मगन गगन भइ बानी लखन बाहबल िबपल बखानी

तात ताप भाउ तमहारा को किह सकइ को जानिनहारा १

अनिचत उिचत काज िकछ होऊ समिझ किरअ भल कह सब कोऊ

सहसा किर पाछ पिछताही कहिह बद बध त बध नाही २

सिन सर बचन लखन सकचान राम सीय सादर सनमान

कही तात तमह नीित सहाई सब त किठन राजमद भाई ३

जो अचवत नप मातिह तई नािहन साधसभा जिह सई

सनह लखन भल भरत सरीसा िबिध पच मह सना न दीसा ४

दोहा भरतिह होइ न राजमद िबिध हिर हर पद पाइ

रामचिरतमानस - 105 - अयोधयाकाड

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कबह िक काजी सीकरिन छीरिसध िबनसाइ २३१

ितिमर तरन तरिनिह मक िगलई गगन मगन मक मघिह िमलई

गोपद जल बड़िह घटजोनी सहज छमा बर छाड़ छोनी १

मसक फक मक मर उड़ाई होइ न नपमद भरतिह भाई

लखन तमहार सपथ िपत आना सिच सबध निह भरत समाना २

सगन खीर अवगन जल ताता िमलइ रचइ परपच िबधाता

भरत हस रिबबस तड़ागा जनिम कीनह गन दोष िबभागा ३

गिह गन पय तिज अवगन बारी िनज जस जगत कीिनह उिजआरी

कहत भरत गन सील सभाऊ पम पयोिध मगन रघराऊ ४

दोहा सिन रघबर बानी िबबध दिख भरत पर हत सकल सराहत राम सो भ को कपािनकत २३२

जौ न होत जग जनम भरत को सकल धरम धर धरिन धरत को

किब कल अगम भरत गन गाथा को जानइ तमह िबन रघनाथा १

लखन राम िसय सिन सर बानी अित सख लहउ न जाइ बखानी

इहा भरत सब सिहत सहाए मदािकनी पनीत नहाए २

सिरत समीप रािख सब लोगा मािग मात गर सिचव िनयोगा

चल भरत जह िसय रघराई साथ िनषादनाथ लघ भाई ३

समिझ मात करतब सकचाही करत कतरक कोिट मन माही

राम लखन िसय सिन मम नाऊ उिठ जिन अनत जािह तिज ठाऊ ४

दोहा मात मत मह मािन मोिह जो कछ करिह सो थोर

अघ अवगन छिम आदरिह समिझ आपनी ओर २३३

जौ पिरहरिह मिलन मन जानी जौ सनमानिह सवक मानी

मोर सरन रामिह की पनही राम ससवािम दोस सब जनही १

रामचिरतमानस - 106 - अयोधयाकाड

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जग जस भाजन चातक मीना नम पम िनज िनपन नबीना

अस मन गनत चल मग जाता सकच सनह िसिथल सब गाता २

फरत मनह मात कत खोरी चलत भगित बल धीरज धोरी

जब समझत रघनाथ सभाऊ तब पथ परत उताइल पाऊ ३

भरत दसा तिह अवसर कसी जल बाह जल अिल गित जसी

दिख भरत कर सोच सनह भा िनषाद तिह समय िबदह ४

दोहा लग होन मगल सगन सिन गिन कहत िनषाद िमिटिह सोच होइिह हरष पिन पिरनाम िबषाद २३४

सवक बचन सतय सब जान आ म िनकट जाइ िनअरान

भरत दीख बन सल समाज मिदत छिधत जन पाइ सनाज १

ईित भीित जन जा दखारी ि िबध ताप पीिड़त ह मारी

जाइ सराज सदस सखारी होिह भरत गित तिह अनहारी २

राम बास बन सपित ाजा सखी जा जन पाइ सराजा

सिचव िबराग िबबक नरस िबिपन सहावन पावन दस ३

भट जम िनयम सल रजधानी साित समित सिच सदर रानी

सकल अग सपनन सराऊ राम चरन आि त िचत चाऊ ४

दोहा जीित मोह मिहपाल दल सिहत िबबक भआल

करत अकटक राज पर सख सपदा सकाल २३५

बन दस मिन बास घनर जन पर नगर गाउ गन खर

िबपल िबिच िबहग मग नाना जा समाज न जाइ बखाना १

खगहा किर हिर बाघ बराहा दिख मिहष बष साज सराहा

बयर िबहाइ चरिह एक सगा जह तह मनह सन चतरगा २

झरना झरिह म गज गाजिह मनह िनसान िबिबिध िबिध बाजिह

चक चकोर चातक सक िपक गन कजत मज मराल मिदत मन ३

रामचिरतमानस - 107 - अयोधयाकाड

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अिलगन गावत नाचत मोरा जन सराज मगल चह ओरा

बिल िबटप तन सफल सफला सब समाज मद मगल मला ४

दोहा राम सल सोभा िनरिख भरत हदय अित पम तापस तप फल पाइ िजिम सखी िसरान नम २३६

मासपारायण बीसवा िव ाम

नवा पारायण पाचवा िव ाम

तब कवट ऊच चिढ़ धाई कहउ भरत सन भजा उठाई

नाथ दिखअिह िबटप िबसाला पाकिर जब रसाल तमाला १

िजनह तरबरनह मधय बट सोहा मज िबसाल दिख मन मोहा

नील सघन पललव फल लाला अिबरल छाह सखद सब काला २

मानह ितिमर अरनमय रासी िबरची िबिध सकिल सषमा सी

ए तर सिरत समीप गोसाई रघबर परनकटी जह छाई ३

तलसी तरबर िबिबध सहाए कह कह िसय कह लखन लगाए

बट छाया बिदका बनाई िसय िनज पािन सरोज सहाई ४

दोहा जहा बिठ मिनगन सिहत िनत िसय राम सजान

सनिह कथा इितहास सब आगम िनगम परान २३७

सखा बचन सिन िबटप िनहारी उमग भरत िबलोचन बारी

करत नाम चल दोउ भाई कहत ीित सारद सकचाई १

हरषिह िनरिख राम पद अका मानह पारस पायउ रका

रज िसर धिर िहय नयनिनह लाविहरघबर िमलन सिरस सख पाविह २

दिख भरत गित अकथ अतीवा म मगन मग खग जड़ जीवा

सखिह सनह िबबस मग भला किह सपथ सर बरषिह फला ३

िनरिख िस साधक अनराग सहज सनह सराहन लाग

रामचिरतमानस - 108 - अयोधयाकाड

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होत न भतल भाउ भरत को अचर सचर चर अचर करत को ४

दोहा पम अिमअ मदर िबरह भरत पयोिध गभीर

मिथ गटउ सर साध िहत कपािसध रघबीर २३८

सखा समत मनोहर जोटा लखउ न लखन सघन बन ओटा

भरत दीख भ आ म पावन सकल समगल सदन सहावन १

करत बस िमट दख दा वा जन जोगी परमारथ पावा

दख भरत लखन भ आग पछ बचन कहत अनराग २

सीस जटा किट मिन पट बाध तन कस कर सर धन काध

बदी पर मिन साध समाज सीय सिहत राजत रघराज ३

बलकल बसन जिटल तन सयामा जन मिन बष कीनह रित कामा

कर कमलिन धन सायक फरत िजय की जरिन हरत हिस हरत ४

दोहा लसत मज मिन मडली मधय सीय रघचद

गयान सभा जन तन धर भगित सिचचदानद २३९

सानज सखा समत मगन मन िबसर हरष सोक सख दख गन

पािह नाथ किह पािह गोसाई भतल पर लकट की नाई १

बचन सपम लखन पिहचान करत नाम भरत िजय जान

बध सनह सरस एिह ओरा उत सािहब सवा बस जोरा २

िमिल न जाइ निह गदरत बनई सकिब लखन मन की गित भनई

रह रािख सवा पर भार चढ़ी चग जन खच खलार ३

कहत स म नाइ मिह माथा भरत नाम करत रघनाथा

उठ राम सिन पम अधीरा कह पट कह िनषग धन तीरा ४

दोहा बरबस िलए उठाइ उर लाए कपािनधान

रामचिरतमानस - 109 - अयोधयाकाड

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भरत राम की िमलिन लिख िबसर सबिह अपान २४०

िमलिन ीित िकिम जाइ बखानी किबकल अगम करम मन बानी

परम पम परन दोउ भाई मन बिध िचत अहिमित िबसराई १

कहह सपम गट को करई किह छाया किब मित अनसरई

किबिह अरथ आखर बल साचा अनहिर ताल गितिह नट नाचा २

अगम सनह भरत रघबर को जह न जाइ मन िबिध हिर हर को

सो म कमित कहौ किह भाती बाज सराग िक गाडर ताती ३

िमलिन िबलोिक भरत रघबर की सरगन सभय धकधकी धरकी

समझाए सरगर जड़ जाग बरिष सन ससन लाग ४

दोहा िमिल सपम िरपसदनिह कवट भटउ राम

भिर भाय भट भरत लिछमन करत नाम २४१

भटउ लखन ललिक लघ भाई बहिर िनषाद लीनह उर लाई

पिन मिनगन दह भाइनह बद अिभमत आिसष पाइ अनद १

सानज भरत उमिग अनरागा धिर िसर िसय पद पदम परागा

पिन पिन करत नाम उठाए िसर कर कमल परिस बठाए २

सीय असीस दीिनह मन माही मगन सनह दह सिध नाही

सब िबिध सानकल लिख सीता भ िनसोच उर अपडर बीता ३

कोउ िकछ कहइ न कोउ िकछ पछा म भरा मन िनज गित छछा

तिह अवसर कवट धीरज धिर जोिर पािन िबनवत नाम किर ४

दोहा नाथ साथ मिननाथ क मात सकल पर लोग

सवक सनप सिचव सब आए िबकल िबयोग २४२

सीलिसध सिन गर आगवन िसय समीप राख िरपदवन

चल सबग राम तिह काला धीर धरम धर दीनदयाला १

रामचिरतमानस - 110 - अयोधयाकाड

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गरिह दिख सानज अनराग दड नाम करन भ लाग

मिनबर धाइ िलए उर लाई म उमिग भट दोउ भाई २ म पलिक कवट किह नाम कीनह दिर त दड नाम

रामसखा िरिष बरबस भटा जन मिह लठत सनह समटा ३

रघपित भगित समगल मला नभ सरािह सर बिरसिह फला

एिह सम िनपट नीच कोउ नाही बड़ बिस सम को जग माही ४

दोहा जिह लिख लखनह त अिधक िमल मिदत मिनराउ

सो सीतापित भजन को गट ताप भाउ २४३

आरत लोग राम सब जाना करनाकर सजान भगवाना

जो जिह भाय रहा अिभलाषी तिह तिह क तिस तिस रख राखी १

सानज िमिल पल मह सब काह कीनह दिर दख दारन दाह

यह बिड़ बात राम क नाही िजिम घट कोिट एक रिब छाही २

िमिल कविटिह उमिग अनरागा परजन सकल सराहिह भागा

दखी राम दिखत महतारी जन सबिल अवली िहम मारी ३

थम राम भटी ककई सरल सभाय भगित मित भई

पग पिर कीनह बोध बहोरी काल करम िबिध िसर धिर खोरी ४

दोहा भटी रघबर मात सब किर बोध पिरतोष

अब ईस आधीन जग काह न दइअ दोष २४४

गरितय पद बद दह भाई सिहत िब ितय ज सग आई

गग गौिर सम सब सनमानी दिह असीस मिदत मद बानी १

गिह पद लग सिम ा अका जन भटी सपित अित रका

पिन जनिन चरनिन दोउ ाता पर पम बयाकल सब गाता २

अित अनराग अब उर लाए नयन सनह सिलल अनहवाए

तिह अवसर कर हरष िबषाद िकिम किब कह मक िजिम सवाद ३

रामचिरतमानस - 111 - अयोधयाकाड

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िमिल जननिह सानज रघराऊ गर सन कहउ िक धािरअ पाऊ

परजन पाइ मनीस िनयोग जल थल तिक तिक उतरउ लोग ४

दोहा मिहसर म ी मात गर गन लोग िलए साथ

पावन आ म गवन िकय भरत लखन रघनाथ २४५

सीय आइ मिनबर पग लागी उिचत असीस लही मन मागी

गरपितिनिह मिनितयनह समता िमली पम किह जाइ न जता १

बिद बिद पग िसय सबही क आिसरबचन लह ि य जी क

सास सकल जब सीय िनहारी मद नयन सहिम सकमारी २

परी बिधक बस मनह मराली काह कीनह करतार कचाली

ितनह िसय िनरिख िनपट दख पावा सो सब सिहअ जो दउ सहावा ३

जनकसता तब उर धिर धीरा नील निलन लोयन भिर नीरा

िमली सकल सासनह िसय जाई तिह अवसर करना मिह छाई ४

दोहा लािग लािग पग सबिन िसय भटित अित अनराग

हदय असीसिह पम बस रिहअह भरी सोहाग २४६

िबकल सनह सीय सब रानी बठन सबिह कहउ गर गयानी

किह जग गित माियक मिननाथा कह कछक परमारथ गाथा १

नप कर सरपर गवन सनावा सिन रघनाथ दसह दख पावा

मरन हत िनज नह िबचारी भ अित िबकल धीर धर धारी २

किलस कठोर सनत कट बानी िबलपत लखन सीय सब रानी

सोक िबकल अित सकल समाज मानह राज अकाजउ आज ३

मिनबर बहिर राम समझाए सिहत समाज ससिरत नहाए

त िनरब तिह िदन भ कीनहा मिनह कह जल काह न लीनहा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 112 - अयोधयाकाड

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भोर भए रघनदनिह जो मिन आयस दीनह

ा भगित समत भ सो सब सादर कीनह २४७

किर िपत ि या बद जिस बरनी भ पनीत पातक तम तरनी

जास नाम पावक अघ तला सिमरत सकल समगल मला १

स सो भयउ साध समत अस तीरथ आवाहन सरसिर जस

स भए दइ बासर बीत बोल गर सन रा म िपरीत २

नाथ लोग सब िनपट दखारी कद मल फल अब अहारी

सानज भरत सिचव सब माता दिख मोिह पल िजिम जग जाता ३

सब समत पर धािरअ पाऊ आप इहा अमरावित राऊ

बहत कहउ सब िकयउ िढठाई उिचत होइ तस किरअ गोसाई ४

दोहा धमर सत करनायतन कस न कहह अस राम

लोग दिखत िदन दइ दरस दिख लहह िब ाम २४८

राम बचन सिन सभय समाज जन जलिनिध मह िबकल जहाज

सिन गर िगरा समगल मला भयउ मनह मारत अनकला १

पावन पय ितह काल नहाही जो िबलोिक अघ ओघ नसाही

मगलमरित लोचन भिर भिर िनरखिह हरिष दडवत किर किर २

राम सल बन दखन जाही जह सख सकल सकल दख नाही

झरना झिरिह सधासम बारी ि िबध तापहर ि िबध बयारी ३

िबटप बिल तन अगिनत जाती फल सन पललव बह भाती

सदर िसला सखद तर छाही जाइ बरिन बन छिब किह पाही ४

दोहा सरिन सरोरह जल िबहग कजत गजत भग

बर िबगत िबहरत िबिपन मग िबहग बहरग २४९

कोल िकरात िभलल बनबासी मध सिच सदर सवाद सधा सी

रामचिरतमानस - 113 - अयोधयाकाड

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भिर भिर परन पटी रिच ररी कद मल फल अकर जरी १

सबिह दिह किर िबनय नामा किह किह सवाद भद गन नामा

दिह लोग बह मोल न लही फरत राम दोहाई दही २

कहिह सनह मगन मद बानी मानत साध पम पिहचानी

तमह सकती हम नीच िनषादा पावा दरसन राम सादा ३

हमिह अगम अित दरस तमहारा जस मर धरिन दवधिन धारा

राम कपाल िनषाद नवाजा पिरजन जउ चिहअ जस राजा ४

दोहा यह िजय जािन सकोच तिज किरअ छोह लिख नह

हमिह कतारथ करन लिग फल तन अकर लह २५०

तमह ि य पाहन बन पग धार सवा जोग न भाग हमार

दब काह हम तमहिह गोसाई ईधन पात िकरात िमताई १

यह हमािर अित बिड़ सवकाई लिह न बासन बसन चोराई

हम जड़ जीव जीव गन घाती किटल कचाली कमित कजाती २

पाप करत िनिस बासर जाही निह पट किट निह पट अघाही

सपोनह धरम बि कस काऊ यह रघनदन दरस भाऊ ३

जब त भ पद पदम िनहार िमट दसह दख दोष हमार

बचन सनत परजन अनराग ितनह क भाग सराहन लाग ४ छद

लाग सराहन भाग सब अनराग बचन सनावही बोलिन िमलिन िसय राम चरन सनह लिख सख पावही

नर नािर िनदरिह नह िनज सिन कोल िभललिन की िगरा

तलसी कपा रघबसमिन की लोह ल लौका ितरा

सोरठा िबहरिह बन चह ओर ितिदन मिदत लोग सब

जल जयो दादर मोर भए पीन पावस थम २५१

रामचिरतमानस - 114 - अयोधयाकाड

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पर जन नािर मगन अित ीती बासर जािह पलक सम बीती

सीय सास ित बष बनाई सादर करइ सिरस सवकाई १

लखा न मरम राम िबन काह माया सब िसय माया माह

सीय सास सवा बस कीनही ितनह लिह सख िसख आिसष दीनही २

लिख िसय सिहत सरल दोउ भाई किटल रािन पिछतािन अघाई

अविन जमिह जाचित ककई मिह न बीच िबिध मीच न दई ३

लोकह बद िबिदत किब कहही राम िबमख थल नरक न लहही

यह ससउ सब क मन माही राम गवन िबिध अवध िक नाही ४

दोहा िनिस न नीद निह भख िदन भरत िबकल सिच सोच नीच कीच िबच मगन जस मीनिह सिलल सकोच २५२

कीनही मात िमस काल कचाली ईित भीित जस पाकत साली

किह िबिध होइ राम अिभषक मोिह अवकलत उपाउ न एक १

अविस िफरिह गर आयस मानी मिन पिन कहब राम रिच जानी

मात कहह बहरिह रघराऊ राम जनिन हठ करिब िक काऊ २

मोिह अनचर कर कितक बाता तिह मह कसमउ बाम िबधाता

जौ हठ करउ त िनपट ककरम हरिगिर त गर सवक धरम ३

एकउ जगित न मन ठहरानी सोचत भरतिह रिन िबहानी

ात नहाइ भिह िसर नाई बठत पठए िरषय बोलाई ४

दोहा गर पद कमल नाम किर बठ आयस पाइ

िब महाजन सिचव सब जर सभासद आइ २५३

बोल मिनबर समय समाना सनह सभासद भरत सजाना

धरम धरीन भानकल भान राजा राम सवबस भगवान १

सतयसध पालक ित सत राम जनम जग मगल हत

रामचिरतमानस - 115 - अयोधयाकाड

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गर िपत मात बचन अनसारी खल दल दलन दव िहतकारी २

नीित ीित परमारथ सवारथ कोउ न राम सम जान जथारथ

िबिध हिर हर सिस रिब िदिसपाला माया जीव करम किल काला ३

अिहप मिहप जह लिग भताई जोग िसि िनगमागम गाई

किर िबचार िजय दखह नीक राम रजाइ सीस सबही क ४

दोहा राख राम रजाइ रख हम सब कर िहत होइ

समिझ सयान करह अब सब िमिल समत सोइ २५४

सब कह सखद राम अिभषक मगल मोद मल मग एक

किह िबिध अवध चलिह रघराऊ कहह समिझ सोइ किरअ उपाऊ १

सब सादर सिन मिनबर बानी नय परमारथ सवारथ सानी

उतर न आव लोग भए भोर तब िसर नाइ भरत कर जोर २

भानबस भए भप घनर अिधक एक त एक बड़र

जनम हत सब कह िपत माता करम सभासभ दइ िबधाता ३

दिल दख सजइ सकल कलयाना अस असीस राउिर जग जाना

सो गोसाइ िबिध गित जिह छकी सकइ को टािर टक जो टकी ४

दोहा बिझअ मोिह उपाउ अब सो सब मोर अभाग

सिन सनहमय बचन गर उर उमगा अनराग २५५

तात बात फिर राम कपाही राम िबमख िसिध सपनह नाही

सकचउ तात कहत एक बाता अरध तजिह बध सरबस जाता १

तमह कानन गवनह दोउ भाई फिरअिह लखन सीय रघराई

सिन सबचन हरष दोउ ाता भ मोद पिरपरन गाता २

मन सनन तन तज िबराजा जन िजय राउ राम भए राजा

बहत लाभ लोगनह लघ हानी सम दख सख सब रोविह रानी ३

कहिह भरत मिन कहा सो कीनह फल जग जीवनह अिभमत दीनह

रामचिरतमानस - 116 - अयोधयाकाड

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कानन करउ जनम भिर बास एिह त अिधक न मोर सपास ४

दोहा अतरजामी राम िसय तमह सरबगय सजान

जो फर कहह त नाथ िनज कीिजअ बचन वान २५६

भरत बचन सिन दिख सनह सभा सिहत मिन भए िबदह

भरत महा मिहमा जलरासी मिन मित ठािढ़ तीर अबला सी १

गा चह पार जतन िहय हरा पावित नाव न बोिहत बरा

और किरिह को भरत बड़ाई सरसी सीिप िक िसध समाई २

भरत मिनिह मन भीतर भाए सिहत समाज राम पिह आए

भ नाम किर दीनह सआसन बठ सब सिन मिन अनसासन ३

बोल मिनबर बचन िबचारी दस काल अवसर अनहारी

सनह राम सरबगय सजाना धरम नीित गन गयान िनधाना ४

दोहा सब क उर अतर बसह जानह भाउ कभाउ

परजन जननी भरत िहत होइ सो किहअ उपाउ २५७

आरत कहिह िबचािर न काऊ सझ जआिरिह आपन दाऊ

सिन मिन बचन कहत रघराऊ नाथ तमहारिह हाथ उपाऊ १

सब कर िहत रख राउिर राख आयस िकए मिदत फर भाष

थम जो आयस मो कह होई माथ मािन करौ िसख सोई २

पिन जिह कह जस कहब गोसाई सो सब भाित घिटिह सवकाई

कह मिन राम सतय तमह भाषा भरत सनह िबचार न राखा ३

तिह त कहउ बहोिर बहोरी भरत भगित बस भइ मित मोरी

मोर जान भरत रिच रािख जो कीिजअ सो सभ िसव साखी ४

दोहा भरत िबनय सादर सिनअ किरअ िबचार बहोिर

रामचिरतमानस - 117 - अयोधयाकाड

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करब साधमत लोकमत नपनय िनगम िनचोिर २५८

गर अनराग भरत पर दखी राम हदय आनद िबसषी

भरतिह धरम धरधर जानी िनज सवक तन मानस बानी १

बोल गर आयस अनकला बचन मज मद मगलमला

नाथ सपथ िपत चरन दोहाई भयउ न भअन भरत सम भाई २

ज गर पद अबज अनरागी त लोकह बदह बड़भागी

राउर जा पर अस अनराग को किह सकइ भरत कर भाग ३

लिख लघ बध बि सकचाई करत बदन पर भरत बड़ाई

भरत कहही सोइ िकए भलाई अस किह राम रह अरगाई ४

दोहा तब मिन बोल भरत सन सब सकोच तिज तात

कपािसध ि य बध सन कहह हदय क बात २५९

सिन मिन बचन राम रख पाई गर सािहब अनकल अघाई

लिख अपन िसर सब छर भार किह न सकिह कछ करिह िबचार १

पलिक सरीर सभा भए ठाढ नीरज नयन नह जल बाढ़

कहब मोर मिननाथ िनबाहा एिह त अिधक कहौ म काहा २

म जानउ िनज नाथ सभाऊ अपरािधह पर कोह न काऊ

मो पर कपा सनह िबसषी खलत खिनस न कबह दखी ३

िससपन तम पिरहरउ न सग कबह न कीनह मोर मन भग

म भ कपा रीित िजय जोही हारह खल िजताविह मोही ४

दोहा मह सनह सकोच बस सनमख कही न बन

दरसन तिपत न आज लिग पम िपआस नन २६०

िबिध न सकउ सिह मोर दलारा नीच बीच जननी िमस पारा

यहउ कहत मोिह आज न सोभा अपनी समिझ साध सिच को भा १

रामचिरतमानस - 118 - अयोधयाकाड

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मात मिद म साध सचाली उर अस आनत कोिट कचाली

फरइ िक कोदव बािल ससाली मकता सव िक सबक काली २

सपनह दोसक लस न काह मोर अभाग उदिध अवगाह

िबन समझ िनज अघ पिरपाक जािरउ जाय जनिन किह काक ३

हदय हिर हारउ सब ओरा एकिह भाित भलिह भल मोरा

गर गोसाइ सािहब िसय राम लागत मोिह नीक पिरनाम ४

दोहा साध सभा गर भ िनकट कहउ सथल सित भाउ

म पच िक झठ फर जानिह मिन रघराउ २६१

भपित मरन पम पन राखी जननी कमित जगत सब साखी

दिख न जािह िबकल महतारी जरिह दसह जर पर नर नारी १

मही सकल अनरथ कर मला सो सिन समिझ सिहउ सब सला

सिन बन गवन कीनह रघनाथा किर मिन बष लखन िसय साथा २

िबन पानिहनह पयादिह पाए सकर सािख रहउ एिह घाए

बहिर िनहार िनषाद सनह किलस किठन उर भयउ न बह ३

अब सब आिखनह दखउ आई िजअत जीव जड़ सबइ सहाई

िजनहिह िनरिख मग सािपिन बीछी तजिह िबषम िबष तामस तीछी४

दोहा तइ रघनदन लखन िसय अनिहत लाग जािह

तास तनय तिज दसह दख दउ सहावइ कािह २६२

सिन अित िबकल भरत बर बानी आरित ीित िबनय नय सानी

सोक मगन सब सभा खभार मनह कमल बन परउ तसार १

किह अनक िबिध कथा परानी भरत बोध कीनह मिन गयानी

बोल उिचत बचन रघनद िदनकर कल करव बन चद २

तात जाय िजय करह गलानी ईस अधीन जीव गित जानी

तीिन काल ितभअन मत मोर पनयिसलोक तात तर तोर ३

रामचिरतमानस - 119 - अयोधयाकाड

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उर आनत तमह पर किटलाई जाइ लोक परलोक नसाई

दोस दिह जनिनिह जड़ तई िजनह गर साध सभा निह सई ४

दोहा िमिटहिह पाप पच सब अिखल अमगल भार लोक सजस परलोक सख सिमरत नाम तमहार २६३

कहउ सभाउ सतय िसव साखी भरत भिम रह राउिर राखी

तात कतरक करह जिन जाए बर पम निह दरइ दराए १

मिन गन िनकट िबहग मग जाही बाधक बिधक िबलोिक पराही

िहत अनिहत पस पिचछउ जाना मानष तन गन गयान िनधाना २

तात तमहिह म जानउ नीक करौ काह असमजस जीक

राखउ राय सतय मोिह तयागी तन पिरहरउ पम पन लागी ३

तास बचन मटत मन सोच तिह त अिधक तमहार सकोच

ता पर गर मोिह आयस दीनहा अविस जो कहह चहउ सोइ कीनहा ४

दोहा मन सनन किर सकच तिज कहह करौ सोइ आज

सतयसध रघबर बचन सिन भा सखी समाज २६४

सर गन सिहत सभय सरराज सोचिह चाहत होन अकाज

बनत उपाउ करत कछ नाही राम सरन सब ग मन माही १

बहिर िबचािर परसपर कहही रघपित भगत भगित बस अहही

सिध किर अबरीष दरबासा भ सर सरपित िनपट िनरासा २

सह सरनह बह काल िबषादा नरहिर िकए गट हलादा

लिग लिग कान कहिह धिन माथा अब सर काज भरत क हाथा ३

आन उपाउ न दिखअ दवा मानत राम ससवक सवा

िहय सपम सिमरह सब भरतिह िनज गन सील राम बस करतिह ४

दोहा

रामचिरतमानस - 120 - अयोधयाकाड

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सिन सर मत सरगर कहउ भल तमहार बड़ भाग

सकल समगल मल जग भरत चरन अनराग २६५

सीतापित सवक सवकाई कामधन सय सिरस सहाई

भरत भगित तमहर मन आई तजह सोच िबिध बात बनाई १

दख दवपित भरत भाऊ सहज सभाय िबबस रघराऊ

मन िथर करह दव डर नाही भरतिह जािन राम पिरछाही २

सनो सरगर सर समत सोच अतरजामी भिह सकोच

िनज िसर भार भरत िजय जाना करत कोिट िबिध उर अनमाना ३

किर िबचार मन दीनही ठीका राम रजायस आपन नीका

िनज पन तिज राखउ पन मोरा छोह सनह कीनह निह थोरा ४

दोहा कीनह अन ह अिमत अित सब िबिध सीतानाथ

किर नाम बोल भरत जोिर जलज जग हाथ २६६

कहौ कहावौ का अब सवामी कपा अबिनिध अतरजामी

गर सनन सािहब अनकला िमटी मिलन मन कलिपत सला १

अपडर डरउ न सोच समल रिबिह न दोस दव िदिस भल

मोर अभाग मात किटलाई िबिध गित िबषम काल किठनाई २

पाउ रोिप सब िमिल मोिह घाला नतपाल पन आपन पाला

यह नइ रीित न राउिर होई लोकह बद िबिदत निह गोई ३

जग अनभल भल एक गोसाई किहअ होइ भल कास भलाई

दउ दवतर सिरस सभाऊ सनमख िबमख न काहिह काऊ ४

दोहा जाइ िनकट पिहचािन तर छाह समिन सब सोच

मागत अिभमत पाव जग राउ रक भल पोच २६७

लिख सब िबिध गर सवािम सनह िमटउ छोभ निह मन सदह

रामचिरतमानस - 121 - अयोधयाकाड

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अब करनाकर कीिजअ सोई जन िहत भ िचत छोभ न होई १

जो सवक सािहबिह सकोची िनज िहत चहइ तास मित पोची

सवक िहत सािहब सवकाई कर सकल सख लोभ िबहाई २

सवारथ नाथ िफर सबही का िकए रजाइ कोिट िबिध नीका

यह सवारथ परमारथ सार सकल सकत फल सगित िसगार ३

दव एक िबनती सिन मोरी उिचत होइ तस करब बहोरी

ितलक समाज सािज सब आना किरअ सफल भ जौ मन माना ४

दोहा सानज पठइअ मोिह बन कीिजअ सबिह सनाथ नतर फिरअिह बध दोउ नाथ चलौ म साथ २६८

नतर जािह बन तीिनउ भाई बहिरअ सीय सिहत रघराई

जिह िबिध भ सनन मन होई करना सागर कीिजअ सोई १

दव दीनह सब मोिह अभार मोर नीित न धरम िबचार

कहउ बचन सब सवारथ हत रहत न आरत क िचत चत २

उतर दइ सिन सवािम रजाई सो सवक लिख लाज लजाई

अस म अवगन उदिध अगाध सवािम सनह सराहत साध ३

अब कपाल मोिह सो मत भावा सकच सवािम मन जाइ न पावा

भ पद सपथ कहउ सित भाऊ जग मगल िहत एक उपाऊ ४

दोहा भ सनन मन सकच तिज जो जिह आयस दब

सो िसर धिर धिर किरिह सब िमिटिह अनट अवरब २६९

भरत बचन सिच सिन सर हरष साध सरािह समन सर बरष

असमजस बस अवध नवासी मिदत मन तापस बनबासी १

चपिह रह रघनाथ सकोची भ गित दिख सभा सब सोची

जनक दत तिह अवसर आए मिन बिस सिन बिग बोलाए २

किर नाम ितनह राम िनहार बष दिख भए िनपट दखार

रामचिरतमानस - 122 - अयोधयाकाड

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दतनह मिनबर बझी बाता कहह िबदह भप कसलाता ३

सिन सकचाइ नाइ मिह माथा बोल चर बर जोर हाथा

बझब राउर सादर साई कसल हत सो भयउ गोसाई ४

दोहा नािह त कोसल नाथ क साथ कसल गइ नाथ

िमिथला अवध िबसष त जग सब भयउ अनाथ २७०

कोसलपित गित सिन जनकौरा भ सब लोक सोक बस बौरा

जिह दख तिह समय िबदह नाम सतय अस लाग न कह १

रािन कचािल सनत नरपालिह सझ न कछ जस मिन िबन बयालिह

भरत राज रघबर बनबास भा िमिथलसिह हदय हरास २

नप बझ बध सिचव समाज कहह िबचािर उिचत का आज

समिझ अवध असमजस दोऊ चिलअ िक रिहअ न कह कछ कोऊ ३

नपिह धीर धिर हदय िबचारी पठए अवध चतर चर चारी

बिझ भरत सित भाउ कभाऊ आएह बिग न होइ लखाऊ ४

दोहा गए अवध चर भरत गित बिझ दिख करतित

चल िच कटिह भरत चार चल तरहित २७१

दतनह आइ भरत कइ करनी जनक समाज जथामित बरनी

सिन गर पिरजन सिचव महीपित भ सब सोच सनह िबकल अित १

धिर धीरज किर भरत बड़ाई िलए सभट साहनी बोलाई

घर पर दस रािख रखवार हय गय रथ बह जान सवार २

दघरी सािध चल ततकाला िकए िब ाम न मग महीपाला

भोरिह आज नहाइ यागा चल जमन उतरन सब लागा ३

खबिर लन हम पठए नाथा ितनह किह अस मिह नायउ माथा

साथ िकरात छ सातक दीनह मिनबर तरत िबदा चर कीनह ४

रामचिरतमानस - 123 - अयोधयाकाड

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दोहा सनत जनक आगवन सब हरषउ अवध समाज

रघनदनिह सकोच बड़ सोच िबबस सरराज २७२

गरइ गलािन किटल ककई कािह कह किह दषन दई

अस मन आिन मिदत नर नारी भयउ बहोिर रहब िदन चारी १

एिह कार गत बासर सोऊ ात नहान लाग सब कोऊ

किर मजजन पजिह नर नारी गनप गौिर ितपरािर तमारी २

रमा रमन पद बिद बहोरी िबनविह अजिल अचल जोरी

राजा राम जानकी रानी आनद अविध अवध रजधानी ३

सबस बसउ िफिर सिहत समाजा भरतिह राम करह जबराजा

एिह सख सधा सीची सब काह दव दह जग जीवन लाह ४

दोहा गर समाज भाइनह सिहत राम राज पर होउ

अछत राम राजा अवध मिरअ माग सब कोउ २७३

सिन सनहमय परजन बानी िनदिह जोग िबरित मिन गयानी

एिह िबिध िनतयकरम किर परजन रामिह करिह नाम पलिक तन १

ऊच नीच मधयम नर नारी लहिह दरस िनज िनज अनहारी

सावधान सबही सनमानिह सकल सराहत कपािनधानिह २

लिरकाइिह त रघबर बानी पालत नीित ीित पिहचानी

सील सकोच िसध रघराऊ समख सलोचन सरल सभाऊ ३

कहत राम गन गन अनराग सब िनज भाग सराहन लाग

हम सम पनय पज जग थोर िजनहिह राम जानत किर मोर ४

दोहा म मगन तिह समय सब सिन आवत िमिथलस

सिहत सभा स म उठउ रिबकल कमल िदनस २७४

रामचिरतमानस - 124 - अयोधयाकाड

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भाइ सिचव गर परजन साथा आग गवन कीनह रघनाथा

िगिरबर दीख जनकपित जबही किर नाम रथ तयागउ तबही १

राम दरस लालसा उछाह पथ म लस कलस न काह

मन तह जह रघबर बदही िबन मन तन दख सख सिध कही २

आवत जनक चल एिह भाती सिहत समाज म मित माती

आए िनकट दिख अनराग सादर िमलन परसपर लाग ३

लग जनक मिनजन पद बदन िरिषनह नाम कीनह रघनदन

भाइनह सिहत राम िमिल राजिह चल लवाइ समत समाजिह ४

दोहा आ म सागर सात रस परन पावन पाथ

सन मनह करना सिरत िलए जािह रघनाथ २७५

बोरित गयान िबराग करार बचन ससोक िमलत नद नार

सोच उसास समीर तरगा धीरज तट तरबर कर भगा १

िबषम िबषाद तोरावित धारा भय म भवर अबतर अपारा

कवट बध िब ा बिड़ नावा सकिह न खइ ऐक निह आवा २

बनचर कोल िकरात िबचार थक िबलोिक पिथक िहय हार

आ म उदिध िमली जब जाई मनह उठउ अबिध अकलाई ३

सोक िबकल दोउ राज समाजा रहा न गयान न धीरज लाजा

भप रप गन सील सराही रोविह सोक िसध अवगाही ४ छद

अवगािह सोक सम सोचिह नािर नर बयाकल महा

द दोष सकल सरोष बोलिह बाम िबिध कीनहो कहा

सर िस तापस जोिगजन मिन दिख दसा िबदह की तलसी न समरथ कोउ जो तिर सक सिरत सनह की

सोरठा

िकए अिमत उपदस जह तह लोगनह मिनबरनह

रामचिरतमानस - 125 - अयोधयाकाड

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धीरज धिरअ नरस कहउ बिस िबदह सन २७६

जास गयान रिब भव िनिस नासा बचन िकरन मिन कमल िबकासा

तिह िक मोह ममता िनअराई यह िसय राम सनह बड़ाई १

िबषई साधक िस सयान ि िबध जीव जग बद बखान

राम सनह सरस मन जास साध सभा बड़ आदर तास २

सोह न राम पम िबन गयान करनधार िबन िजिम जलजान

मिन बहिबिध िबदह समझाए रामघाट सब लोग नहाए ३

सकल सोक सकल नर नारी सो बासर बीतउ िबन बारी

पस खग मगनह न कीनह अहार ि य पिरजन कर कौन िबचार ४

दोहा दोउ समाज िनिमराज रघराज नहान ात बठ सब बट िबटप तर मन मलीन कस गात २७७

ज मिहसर दसरथ पर बासी ज िमिथलापित नगर िनवासी

हस बस गर जनक परोधा िजनह जग मग परमारथ सोधा १

लग कहन उपदस अनका सिहत धरम नय िबरित िबबका

कौिसक किह किह कथा परानी समझाई सब सभा सबानी २

तब रघनाथ कोिसकिह कहऊ नाथ कािल जल िबन सब रहऊ

मिन कह उिचत कहत रघराई गयउ बीित िदन पहर अढ़ाई ३

िरिष रख लिख कह तरहितराज इहा उिचत निह असन अनाज

कहा भप भल सबिह सोहाना पाइ रजायस चल नहाना ४

दोहा तिह अवसर फल फल दल मल अनक कार

लइ आए बनचर िबपल भिर भिर काविर भार २७८

कामद म िगिर राम सादा अवलोकत अपहरत िबषादा

सर सिरता बन भिम िबभागा जन उमगत आनद अनरागा १

रामचिरतमानस - 126 - अयोधयाकाड

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बिल िबटप सब सफल सफला बोलत खग मग अिल अनकला

तिह अवसर बन अिधक उछाह ि िबध समीर सखद सब काह २

जाइ न बरिन मनोहरताई जन मिह करित जनक पहनाई

तब सब लोग नहाइ नहाई राम जनक मिन आयस पाई ३

दिख दिख तरबर अनराग जह तह परजन उतरन लाग

दल फल मल कद िबिध नाना पावन सदर सधा समाना ४

दोहा सादर सब कह रामगर पठए भिर भिर भार

पिज िपतर सर अितिथ गर लग करन फरहार २७९

एिह िबिध बासर बीत चारी राम िनरिख नर नािर सखारी

दह समाज अिस रिच मन माही िबन िसय राम िफरब भल नाही १

सीता राम सग बनबास कोिट अमरपर सिरस सपास

पिरहिर लखन राम बदही जिह घर भाव बाम िबिध तही २

दािहन दइउ होइ जब सबही राम समीप बिसअ बन तबही

मदािकिन मजजन ितह काला राम दरस मद मगल माला ३

अटन राम िगिर बन तापस थल असन अिमअ सम कद मल फल

सख समत सबत दइ साता पल सम होिह न जिनअिह जाता ४

दोहा एिह सख जोग न लोग सब कहिह कहा अस भाग

सहज सभाय समाज दह राम चरन अनराग २८०

एिह िबिध सकल मनोरथ करही बचन स म सनत मन हरही

सीय मात तिह समय पठाई दासी दिख सअवसर आई १

सावकास सिन सब िसय सास आयउ जनकराज रिनवास

कौसलया सादर सनमानी आसन िदए समय सम आनी २

सील सनह सकल दह ओरा विह दिख सिन किलस कठोरा

पलक िसिथल तन बािर िबलोचन मिह नख िलखन लगी सब सोचन३

रामचिरतमानस - 127 - अयोधयाकाड

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सब िसय राम ीित िक िस मरती जन करना बह बष िबसरित

सीय मात कह िबिध बिध बाकी जो पय फन फोर पिब टाकी ४

दोहा सिनअ सधा दिखअिह गरल सब करतित कराल

जह तह काक उलक बक मानस सकत मराल २८१

सिन ससोच कह दिब सिम ा िबिध गित बिड़ िबपरीत िबिच ा

जो सिज पालइ हरइ बहोरी बाल किल सम िबिध मित भोरी १

कौसलया कह दोस न काह करम िबबस दख सख छित लाह

किठन करम गित जान िबधाता जो सभ असभ सकल फल दाता २

ईस रजाइ सीस सबही क उतपित िथित लय िबषह अमी क

दिब मोह बस सोिचअ बादी िबिध पच अस अचल अनादी ३

भपित िजअब मरब उर आनी सोिचअ सिख लिख िनज िहत हानी

सीय मात कह सतय सबानी सकती अविध अवधपित रानी ४

दोहा लखन राम िसय जाह बन भल पिरनाम न पोच

गहबिर िहय कह कौिसला मोिह भरत कर सोच २८२

ईस साद असीस तमहारी सत सतबध दवसिर बारी

राम सपथ म कीनह न काऊ सो किर कहउ सखी सित भाऊ १

भरत सील गन िबनय बड़ाई भायप भगित भरोस भलाई

कहत सारदह कर मित हीच सागर सीप िक जािह उलीच २

जानउ सदा भरत कलदीपा बार बार मोिह कहउ महीपा

कस कनक मिन पािरिख पाए परष पिरिखअिह समय सभाए ३

अनिचत आज कहब अस मोरा सोक सनह सयानप थोरा

सिन सरसिर सम पाविन बानी भई सनह िबकल सब रानी ४

रामचिरतमानस - 128 - अयोधयाकाड

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दोहा कौसलया कह धीर धिर सनह दिब िमिथलिस को िबबकिनिध बललभिह तमहिह सकइ उपदिस २८३

रािन राय सन अवसर पाई अपनी भाित कहब समझाई

रिखअिह लखन भरत गबनिह बन जौ यह मत मान महीप मन १

तौ भल जतन करब सिबचारी मोर सौच भरत कर भारी

गढ़ सनह भरत मन माही रह नीक मोिह लागत नाही २

लिख सभाउ सिन सरल सबानी सब भइ मगन करन रस रानी

नभ सन झिर धनय धनय धिन िसिथल सनह िस जोगी मिन ३

सब रिनवास िबथिक लिख रहऊ तब धिर धीर सिम ा कहऊ

दिब दड जग जािमिन बीती राम मात सनी उठी स ीती ४

दोहा बिग पाउ धािरअ थलिह कह सनह सितभाय

हमर तौ अब ईस गित क िमिथलस सहाय २८४

लिख सनह सिन बचन िबनीता जनकि या गह पाय पनीता

दिब उिचत अिस िबनय तमहारी दसरथ घिरिन राम महतारी १

भ अपन नीचह आदरही अिगिन धम िगिर िसर ितन धरही

सवक राउ करम मन बानी सदा सहाय महस भवानी २

रउर अग जोग जग को ह दीप सहाय िक िदनकर सोह

राम जाइ बन किर सर काज अचल अवधपर किरहिह राज ३

अमर नाग नर राम बाहबल सख बिसहिह अपन अपन थल

यह सब जागबिलक किह राखा दिब न होइ मधा मिन भाषा ४

दोहा अस किह पग पिर पम अित िसय िहत िबनय सनाइ

िसय समत िसयमात तब चली सआयस पाइ २८५

रामचिरतमानस - 129 - अयोधयाकाड

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ि य पिरजनिह िमली बदही जो जिह जोग भाित तिह तही

तापस बष जानकी दखी भा सब िबकल िबषाद िबसषी १

जनक राम गर आयस पाई चल थलिह िसय दखी आई

लीिनह लाइ उर जनक जानकी पाहन पावन पम ान की २

उर उमगउ अबिध अनराग भयउ भप मन मनह पयाग

िसय सनह बट बाढ़त जोहा ता पर राम पम िसस सोहा ३

िचरजीवी मिन गयान िबकल जन बड़त लहउ बाल अवलबन

मोह मगन मित निह िबदह की मिहमा िसय रघबर सनह की ४

दोहा िसय िपत मात सनह बस िबकल न सकी सभािर

धरिनसता धीरज धरउ समउ सधरम िबचािर २८६

तापस बष जनक िसय दखी भयउ पम पिरतोष िबसषी

पि पिव िकए कल दोऊ सजस धवल जग कह सब कोऊ १

िजित सरसिर कीरित सिर तोरी गवन कीनह िबिध अड करोरी

गग अविन थल तीिन बड़र एिह िकए साध समाज घनर २

िपत कह सतय सनह सबानी सीय सकच मह मनह समानी

पिन िपत मात लीनह उर लाई िसख आिसष िहत दीिनह सहाई ३

कहित न सीय सकिच मन माही इहा बसब रजनी भल नाही

लिख रख रािन जनायउ राऊ हदय सराहत सील सभाऊ ४

दोहा बार बार िमिल भट िसय िबदा कीनह सनमािन

कही समय िसर भरत गित रािन सबािन सयािन २८७

सिन भपाल भरत बयवहार सोन सगध सधा सिस सार

मद सजल नयन पलक तन सजस सराहन लग मिदत मन १

सावधान सन समिख सलोचिन भरत कथा भव बध िबमोचिन

धरम राजनय िबचार इहा जथामित मोर चार २

रामचिरतमानस - 130 - अयोधयाकाड

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सो मित मोिर भरत मिहमाही कह काह छिल छअित न छाही

िबिध गनपित अिहपित िसव सारद किब कोिबद बध बि िबसारद ३

भरत चिरत कीरित करतती धरम सील गन िबमल िबभती

समझत सनत सखद सब काह सिच सरसिर रिच िनदर सधाह ४

दोहा िनरविध गन िनरपम परष भरत भरत सम जािन

किहअ समर िक सर सम किबकल मित सकचािन २८८

अगम सबिह बरनत बरबरनी िजिम जलहीन मीन गम धरनी

भरत अिमत मिहमा सन रानी जानिह राम न सकिह बखानी १

बरिन स म भरत अनभाऊ ितय िजय की रिच लिख कह राऊ

बहरिह लखन भरत बन जाही सब कर भल सब क मन माही २

दिब परत भरत रघबर की ीित तीित जाइ निह तरकी

भरत अविध सनह ममता की ज िप राम सीम समता की ३

परमारथ सवारथ सख सार भरत न सपनह मनह िनहार

साधन िस राम पग नह मोिह लिख परत भरत मत एह ४

दोहा भोरह भरत न पिलहिह मनसह राम रजाइ

किरअ न सोच सनह बस कहउ भप िबलखाइ २८९

राम भरत गन गनत स ीती िनिस दपितिह पलक सम बीती

राज समाज ात जग जाग नहाइ नहाइ सर पजन लाग १

ग नहाइ गर पही रघराई बिद चरन बोल रख पाई

नाथ भरत परजन महतारी सोक िबकल बनबास दखारी २

सिहत समाज राउ िमिथलस बहत िदवस भए सहत कलस

उिचत होइ सोइ कीिजअ नाथा िहत सबही कर रौर हाथा ३

अस किह अित सकच रघराऊ मिन पलक लिख सील सभाऊ

तमह िबन राम सकल सख साजा नरक सिरस दह राज समाजा ४

रामचिरतमानस - 131 - अयोधयाकाड

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दोहा

ान ान क जीव क िजव सख क सख राम

तमह तिज तात सोहात गह िजनहिह ितनहिह िबिध बाम २९०

सो सख करम धरम जिर जाऊ जह न राम पद पकज भाऊ

जोग कजोग गयान अगयान जह निह राम पम परधान १

तमह िबन दखी सखी तमह तही तमह जानह िजय जो जिह कही

राउर आयस िसर सबही क िबिदत कपालिह गित सब नीक २

आप आ मिह धािरअ पाऊ भयउ सनह िसिथल मिनराऊ

किर नाम तब राम िसधाए िरिष धिर धीर जनक पिह आए ३

राम बचन गर नपिह सनाए सील सनह सभाय सहाए

महाराज अब कीिजअ सोई सब कर धरम सिहत िहत होई ४

दोहा गयान िनधान सजान सिच धरम धीर नरपाल

तमह िबन असमजस समन को समरथ एिह काल २९१

सिन मिन बचन जनक अनराग लिख गित गयान िबराग िबराग

िसिथल सनह गनत मन माही आए इहा कीनह भल नाही १

रामिह राय कहउ बन जाना कीनह आप ि य म वाना

हम अब बन त बनिह पठाई मिदत िफरब िबबक बड़ाई २

तापस मिन मिहसर सिन दखी भए म बस िबकल िबसषी

समउ समिझ धिर धीरज राजा चल भरत पिह सिहत समाजा ३

भरत आइ आग भइ लीनह अवसर सिरस सआसन दीनह

तात भरत कह तरहित राऊ तमहिह िबिदत रघबीर सभाऊ ४

दोहा राम सतय त धरम रत सब कर सील सनह

सकट सहत सकोच बस किहअ जो आयस दह २९२

रामचिरतमानस - 132 - अयोधयाकाड

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सिन तन पलिक नयन भिर बारी बोल भरत धीर धिर भारी

भ ि य पजय िपता सम आप कलगर सम िहत माय न बाप १

कौिसकािद मिन सिचव समाज गयान अबिनिध आपन आज

िसस सवक आयस अनगामी जािन मोिह िसख दइअ सवामी २

एिह समाज थल बझब राउर मौन मिलन म बोलब बाउर

छोट बदन कहउ बिड़ बाता छमब तात लिख बाम िबधाता ३

आगम िनगम िस पराना सवाधरम किठन जग जाना

सवािम धरम सवारथिह िबरोध बर अध मिह न बोध ४

दोहा रािख राम रख धरम त पराधीन मोिह जािन

सब क समत सबर िहत किरअ पम पिहचािन २९३

भरत बचन सिन दिख सभाऊ सिहत समाज सराहत राऊ

सगम अगम मद मज कठोर अरथ अिमत अित आखर थोर १

जयौ मख मकर मकर िनज पानी गिह न जाइ अस अदभत बानी

भप भरत मिन सिहत समाज ग जह िबबध कमद ि जराज २

सिन सिध सोच िबकल सब लोगा मनह मीनगन नव जल जोगा

दव थम कलगर गित दखी िनरिख िबदह सनह िबसषी ३

राम भगितमय भरत िनहार सर सवारथी हहिर िहय हार

सब कोउ राम पममय पखा भउ अलख सोच बस लखा ४

दोहा राम सनह सकोच बस कह ससोच सरराज

रचह पचिह पच िमिल नािह त भयउ अकाज २९४

सरनह सिमिर सारदा सराही दिब दव सरनागत पाही

फिर भरत मित किर िनज माया पाल िबबध कल किर छल छाया १

िबबध िबनय सिन दिब सयानी बोली सर सवारथ जड़ जानी

रामचिरतमानस - 133 - अयोधयाकाड

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मो सन कहह भरत मित फर लोचन सहस न सझ समर २

िबिध हिर हर माया बिड़ भारी सोउ न भरत मित सकइ िनहारी

सो मित मोिह कहत कर भोरी चिदिन कर िक चडकर चोरी ३

भरत हदय िसय राम िनवास तह िक ितिमर जह तरिन कास

अस किह सारद गइ िबिध लोका िबबध िबकल िनिस मानह कोका ४

दोहा सर सवारथी मलीन मन कीनह कम कठाट

रिच पच माया बल भय म अरित उचाट २९५

किर कचािल सोचत सरराज भरत हाथ सब काज अकाज

गए जनक रघनाथ समीपा सनमान सब रिबकल दीपा १

समय समाज धरम अिबरोधा बोल तब रघबस परोधा

जनक भरत सबाद सनाई भरत कहाउित कही सहाई २

तात राम जस आयस दह सो सब कर मोर मत एह

सिन रघनाथ जोिर जग पानी बोल सतय सरल मद बानी ३

िब मान आपिन िमिथलस मोर कहब सब भाित भदस

राउर राय रजायस होई राउिर सपथ सही िसर सोई ४

दोहा राम सपथ सिन मिन जनक सकच सभा समत सकल िबलोकत भरत मख बनइ न उतर दत २९६

सभा सकच बस भरत िनहारी रामबध धिर धीरज भारी

कसमउ दिख सनह सभारा बढ़त िबिध िजिम घटज िनवारा १

सोक कनकलोचन मित छोनी हरी िबमल गन गन जगजोनी

भरत िबबक बराह िबसाला अनायास उधरी तिह काला २

किर नाम सब कह कर जोर राम राउ गर साध िनहोर

छमब आज अित अनिचत मोरा कहउ बदन मद बचन कठोरा ३

िहय सिमरी सारदा सहाई मानस त मख पकज आई

रामचिरतमानस - 134 - अयोधयाकाड

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िबमल िबबक धरम नय साली भरत भारती मज मराली ४

दोहा िनरिख िबबक िबलोचनिनह िसिथल सनह समाज

किर नाम बोल भरत सिमिर सीय रघराज २९७

भ िपत मात स द गर सवामी पजय परम िहत अतरजामी

सरल ससािहब सील िनधान नतपाल सबरगय सजान १

समरथ सरनागत िहतकारी गनगाहक अवगन अघ हारी

सवािम गोसाइिह सिरस गोसाई मोिह समान म साइ दोहाई २

भ िपत बचन मोह बस पली आयउ इहा समाज सकली

जग भल पोच ऊच अर नीच अिमअ अमरपद माहर मीच ३

राम रजाइ मट मन माही दखा सना कतह कोउ नाही

सो म सब िबिध कीिनह िढठाई भ मानी सनह सवकाई ४

दोहा कपा भलाई आपनी नाथ कीनह भल मोर

दषन भ भषन सिरस सजस चार चह ओर २९८

राउिर रीित सबािन बड़ाई जगत िबिदत िनगमागम गाई

कर किटल खल कमित कलकी नीच िनसील िनरीस िनसकी १

तउ सिन सरन सामह आए सकत नाम िकह अपनाए

दिख दोष कबह न उर आन सिन गन साध समाज बखान २

को सािहब सवकिह नवाजी आप समाज साज सब साजी

िनज करतित न समिझअ सपन सवक सकच सोच उर अपन ३

सो गोसाइ निह दसर कोपी भजा उठाइ कहउ पन रोपी

पस नाचत सक पाठ बीना गन गित नट पाठक आधीना ४

दोहा यो सधािर सनमािन जन िकए साध िसरमोर

रामचिरतमानस - 135 - अयोधयाकाड

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को कपाल िबन पािलह िबिरदाविल बरजोर २९९

सोक सनह िक बाल सभाए आयउ लाइ रजायस बाए

तबह कपाल हिर िनज ओरा सबिह भाित भल मानउ मोरा १

दखउ पाय समगल मला जानउ सवािम सहज अनकला

बड़ समाज िबलोकउ भाग बड़ी चक सािहब अनराग २

कपा अन ह अग अघाई कीिनह कपािनिध सब अिधकाई

राखा मोर दलार गोसाई अपन सील सभाय भलाई ३

नाथ िनपट म कीिनह िढठाई सवािम समाज सकोच िबहाई

अिबनय िबनय जथारिच बानी छिमिह दउ अित आरित जानी ४

दोहा स द सजान ससािहबिह बहत कहब बिड़ खोिर

आयस दइअ दव अब सबइ सधारी मोिर ३००

भ पद पदम पराग दोहाई सतय सकत सख सीव सहाई

सो किर कहउ िहए अपन की रिच जागत सोवत सपन की १

सहज सनह सवािम सवकाई सवारथ छल फल चािर िबहाई

अगया सम न ससािहब सवा सो साद जन पाव दवा २

अस किह म िबबस भए भारी पलक सरीर िबलोचन बारी

भ पद कमल गह अकलाई समउ सनह न सो किह जाई ३

कपािसध सनमािन सबानी बठाए समीप गिह पानी

भरत िबनय सिन दिख सभाऊ िसिथल सनह सभा रघराऊ ४ छद

रघराउ िसिथल सनह साध समाज मिन िमिथला धनी

मन मह सराहत भरत भायप भगित की मिहमा घनी

भरतिह ससत िबबध बरषत समन मानस मिलन स

तलसी िबकल सब लोग सिन सकच िनसागम निलन स

रामचिरतमानस - 136 - अयोधयाकाड

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सोरठा दिख दखारी दीन दह समाज नर नािर सब

मघवा महा मलीन मए मािर मगल चहत ३०१

कपट कचािल सीव सरराज पर अकाज ि य आपन काज

काक समान पाकिरप रीती छली मलीन कतह न तीती १

थम कमत किर कपट सकला सो उचाट सब क िसर मला

सरमाया सब लोग िबमोह राम म अितसय न िबछोह २

भय उचाट बस मन िथर नाही छन बन रिच छन सदन सोहाही

दिबध मनोगित जा दखारी सिरत िसध सगम जन बारी ३

दिचत कतह पिरतोष न लहही एक एक सन मरम न कहही

लिख िहय हिस कह कपािनधान सिरस सवान मघवान जबान ४

दोहा भरत जनक मिनजन सिचव साध सचत िबहाइ

लािग दवमाया सबिह जथाजोग जन पाइ ३०२

कपािसध लिख लोग दखार िनज स नह सरपित छल भार

सभा राउ गर मिहसर म ी भरत भगित सब क मित ज ी १

रामिह िचतवत िच िलख स सकचत बोलत बचन िसख स

भरत ीित नित िबनय बड़ाई सनत सखद बरनत किठनाई २

जास िबलोिक भगित लवलस म मगन मिनगन िमिथलस

मिहमा तास कह िकिम तलसी भगित सभाय समित िहय हलसी ३

आप छोिट मिहमा बिड़ जानी किबकल कािन मािन सकचानी

किह न सकित गन रिच अिधकाई मित गित बाल बचन की नाई ४

दोहा भरत िबमल जस िबमल िबध समित चकोरकमािर

उिदत िबमल जन हदय नभ एकटक रही िनहािर ३०३

रामचिरतमानस - 137 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ न सगम िनगमह लघ मित चापलता किब छमह

कहत सनत सित भाउ भरत को सीय राम पद होइ न रत को १

सिमरत भरतिह म राम को जिह न सलभ तिह सिरस बाम को

दिख दयाल दसा सबही की राम सजान जािन जन जी की २

धरम धरीन धीर नय नागर सतय सनह सील सख सागर

दस काल लिख समउ समाज नीित ीित पालक रघराज ३

बोल बचन बािन सरबस स िहत पिरनाम सनत सिस रस स

तात भरत तमह धरम धरीना लोक बद िबद म बीना ४

दोहा करम बचन मानस िबमल तमह समान तमह तात

गर समाज लघ बध गन कसमय िकिम किह जात ३०४

जानह तात तरिन कल रीती सतयसध िपत कीरित ीती

समउ समाज लाज गरजन की उदासीन िहत अनिहत मन की १

तमहिह िबिदत सबही कर करम आपन मोर परम िहत धरम

मोिह सब भाित भरोस तमहारा तदिप कहउ अवसर अनसारा २

तात तात िबन बात हमारी कवल गरकल कपा सभारी

नतर जा पिरजन पिरवार हमिह सिहत सब होत खआर ३

जौ िबन अवसर अथव िदनस जग किह कहह न होइ कलस

तस उतपात तात िबिध कीनहा मिन िमिथलस रािख सब लीनहा ४

दोहा राज काज सब लाज पित धरम धरिन धन धाम

गर भाउ पािलिह सबिह भल होइिह पिरनाम ३०५

सिहत समाज तमहार हमारा घर बन गर साद रखवारा

मात िपता गर सवािम िनदस सकल धरम धरनीधर सस १

सो तमह करह करावह मोह तात तरिनकल पालक होह

साधक एक सकल िसिध दनी कीरित सगित भितमय बनी २

रामचिरतमानस - 138 - अयोधयाकाड

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सो िबचािर सिह सकट भारी करह जा पिरवार सखारी

बाटी िबपित सबिह मोिह भाई तमहिह अविध भिर बिड़ किठनाई ३

जािन तमहिह मद कहउ कठोरा कसमय तात न अनिचत मोरा

होिह कठाय सबध सहाए ओिड़अिह हाथ असिनह क घाए ४

दोहा सवक कर पद नयन स मख सो सािहब होइ

तलसी ीित िक रीित सिन सकिब सराहिह सोइ ३०६

सभा सकल सिन रघबर बानी म पयोिध अिमअ जन सानी

िसिथल समाज सनह समाधी दिख दसा चप सारद साधी १

भरतिह भयउ परम सतोष सनमख सवािम िबमख दख दोष

मख सनन मन िमटा िबषाद भा जन गगिह िगरा साद २

कीनह स म नाम बहोरी बोल पािन पकरह जोरी

नाथ भयउ सख साथ गए को लहउ लाह जग जनम भए को ३

अब कपाल जस आयस होई करौ सीस धिर सादर सोई

सो अवलब दव मोिह दई अविध पार पावौ जिह सई ४

दोहा दव दव अिभषक िहत गर अनसासन पाइ

आनउ सब तीरथ सिलल तिह कह काह रजाइ ३०७

एक मनोरथ बड़ मन माही सभय सकोच जात किह नाही

कहह तात भ आयस पाई बोल बािन सनह सहाई १

िच कट सिच थल तीरथ बन खग मग सर सिर िनझरर िगिरगन

भ पद अिकत अविन िबसषी आयस होइ त आवौ दखी २

अविस अि आयस िसर धरह तात िबगतभय कानन चरह

मिन साद बन मगल दाता पावन परम सहावन ाता ३

िरिषनायक जह आयस दही राखह तीरथ जल थल तही

सिन भ बचन भरत सख पावा मिन पद कमल मिदत िसर नावा ४

रामचिरतमानस - 139 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत राम सबाद सिन सकल समगल मल

सर सवारथी सरािह कल बरषत सरतर फल ३०८

धनय भरत जय राम गोसाई कहत दव हरषत बिरआई

मिन िमिथलस सभा सब काह भरत बचन सिन भयउ उछाह १

भरत राम गन ाम सनह पलिक ससत राउ िबदह

सवक सवािम सभाउ सहावन नम पम अित पावन पावन २

मित अनसार सराहन लाग सिचव सभासद सब अनराग

सिन सिन राम भरत सबाद दह समाज िहय हरष िबषाद ३

राम मात दख सख सम जानी किह गन राम बोधी रानी

एक कहिह रघबीर बड़ाई एक सराहत भरत भलाई ४

दोहा अि कहउ तब भरत सन सल समीप सकप

रािखअ तीरथ तोय तह पावन अिमअ अनप ३०९

भरत अि अनसासन पाई जल भाजन सब िदए चलाई

सानज आप अि मिन साध सिहत गए जह कप अगाध १

पावन पाथ पनयथल राखा मिदत म अि अस भाषा

तात अनािद िस थल एह लोपउ काल िबिदत निह कह २

तब सवकनह सरस थल दखा िकनह सजल िहत कप िबसषा

िबिध बस भयउ िबसव उपकार सगम अगम अित धरम िबचार ३

भरतकप अब किहहिह लोगा अित पावन तीरथ जल जोगा

म सनम िनमजजत ानी होइहिह िबमल करम मन बानी ४

दोहा कहत कप मिहमा सकल गए जहा रघराउ

अि सनायउ रघबरिह तीरथ पनय भाउ ३१०

रामचिरतमानस - 140 - अयोधयाकाड

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कहत धरम इितहास स ीती भयउ भोर िनिस सो सख बीती

िनतय िनबािह भरत दोउ भाई राम अि गर आयस पाई १

सिहत समाज साज सब साद चल राम बन अटन पयाद

कोमल चरन चलत िबन पनही भइ मद भिम सकिच मन मनही २

कस कटक काकरी कराई कटक कठोर कबसत दराई

मिह मजल मद मारग कीनह बहत समीर ि िबध सख लीनह ३

समन बरिष सर घन किर छाही िबटप फिल फिल तन मदताही

मग िबलोिक खग बोिल सबानी सविह सकल राम ि य जानी ४

दोहा सलभ िसि सब ाकतह राम कहत जमहात

राम ान ि य भरत कह यह न होइ बिड़ बात ३११

एिह िबिध भरत िफरत बन माही नम म लिख मिन सकचाही

पनय जला य भिम िबभागा खग मग तर तन िगिर बन बागा १

चार िबिच पिब िबसषी बझत भरत िदबय सब दखी

सिन मन मिदत कहत िरिषराऊ हत नाम गन पनय भाऊ २

कतह िनमजजन कतह नामा कतह िबलोकत मन अिभरामा

कतह बिठ मिन आयस पाई सिमरत सीय सिहत दोउ भाई ३

दिख सभाउ सनह सस वा दिह असीस मिदत बनदवा

िफरिह गए िदन पहर अढ़ाई भ पद कमल िबलोकिह आई ४

दोहा दख थल तीरथ सकल भरत पाच िदन माझ

कहत सनत हिर हर सजस गयउ िदवस भइ साझ ३१२

भोर नहाइ सब जरा समाज भरत भिमसर तरहित राज

भल िदन आज जािन मन माही राम कपाल कहत सकचाही १

गर नप भरत सभा अवलोकी सकिच राम िफिर अविन िबलोकी

रामचिरतमानस - 141 - अयोधयाकाड

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सील सरािह सभा सब सोची कह न राम सम सवािम सकोची २

भरत सजान राम रख दखी उिठ स म धिर धीर िबसषी

किर दडवत कहत कर जोरी राखी नाथ सकल रिच मोरी ३

मोिह लिग सहउ सबिह सताप बहत भाित दख पावा आप

अब गोसाइ मोिह दउ रजाई सवौ अवध अविध भिर जाई ४

दोहा जिह उपाय पिन पाय जन दख दीनदयाल

सो िसख दइअ अविध लिग कोसलपाल कपाल ३१३

परजन पिरजन जा गोसाई सब सिच सरस सनह सगाई

राउर बिद भल भव दख दाह भ िबन बािद परम पद लाह १

सवािम सजान जािन सब ही की रिच लालसा रहिन जन जी की

नतपाल पािलिह सब काह दउ दह िदिस ओर िनबाह २

अस मोिह सब िबिध भिर भरोसो िकए िबचार न सोच खरो सो

आरित मोर नाथ कर छोह दह िमिल कीनह ढीठ हिठ मोह ३

यह बड़ दोष दिर किर सवामी तिज सकोच िसखइअ अनगामी

भरत िबनय सिन सबिह ससी खीर नीर िबबरन गित हसी ४

दोहा दीनबध सिन बध क बचन दीन छलहीन

दस काल अवसर सिरस बोल राम बीन ३१४

तात तमहािर मोिर पिरजन की िचता गरिह नपिह घर बन की

माथ पर गर मिन िमिथलस हमिह तमहिह सपनह न कलस १

मोर तमहार परम परषारथ सवारथ सजस धरम परमारथ

िपत आयस पािलिह दह भाई लोक बद भल भप भलाई २

गर िपत मात सवािम िसख पाल चलह कमग पग परिह न खाल

अस िबचािर सब सोच िबहाई पालह अवध अविध भिर जाई ३

दस कोस पिरजन पिरवार गर पद रजिह लाग छरभार

रामचिरतमानस - 142 - अयोधयाकाड

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तमह मिन मात सिचव िसख मानी पालह पहिम जा रजधानी ४

दोहा मिखआ मख सो चािहऐ खान पान कह एक

पालइ पोषइ सकल अग तलसी सिहत िबबक ३१५

राजधरम सरबस एतनोई िजिम मन माह मनोरथ गोई

बध बोध कीनह बह भाती िबन अधार मन तोष न साती १

भरत सील गर सिचव समाज सकच सनह िबबस रघराज

भ किर कपा पावरी दीनही सादर भरत सीस धिर लीनही २

चरनपीठ करनािनधान क जन जग जािमक जा ान क

सपट भरत सनह रतन क आखर जग जन जीव जतन क ३

कल कपाट कर कसल करम क िबमल नयन सवा सधरम क

भरत मिदत अवलब लह त अस सख जस िसय राम रह त ४

दोहा मागउ िबदा नाम किर राम िलए उर लाइ

लोग उचाट अमरपित किटल कअवसर पाइ ३१६

सो कचािल सब कह भइ नीकी अविध आस सम जीविन जी की

नतर लखन िसय सम िबयोगा हहिर मरत सब लोग करोगा १

रामकपा अवरब सधारी िबबध धािर भइ गनद गोहारी

भटत भज भिर भाइ भरत सो राम म रस किह न परत सो २

तन मन बचन उमग अनरागा धीर धरधर धीरज तयागा

बािरज लोचन मोचत बारी दिख दसा सर सभा दखारी ३

मिनगन गर धर धीर जनक स गयान अनल मन कस कनक स

ज िबरिच िनरलप उपाए पदम प िजिम जग जल जाए ४

दोहा तउ िबलोिक रघबर भरत ीित अनप अपार

रामचिरतमानस - 143 - अयोधयाकाड

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भए मगन मन तन बचन सिहत िबराग िबचार ३१७

जहा जनक गर मित भोरी ाकत ीित कहत बिड़ खोरी

बरनत रघबर भरत िबयोग सिन कठोर किब जािनिह लोग १

सो सकोच रस अकथ सबानी समउ सनह सिमिर सकचानी

भिट भरत रघबर समझाए पिन िरपदवन हरिष िहय लाए २

सवक सिचव भरत रख पाई िनज िनज काज लग सब जाई

सिन दारन दख दह समाजा लग चलन क साजन साजा ३

भ पद पदम बिद दोउ भाई चल सीस धिर राम रजाई

मिन तापस बनदव िनहोरी सब सनमािन बहोिर बहोरी ४

दोहा लखनिह भिट नाम किर िसर धिर िसय पद धिर

चल स म असीस सिन सकल समगल मिर ३१८

सानज राम नपिह िसर नाई कीिनह बहत िबिध िबनय बड़ाई

दव दया बस बड़ दख पायउ सिहत समाज काननिह आयउ १

पर पग धािरअ दइ असीसा कीनह धीर धिर गवन महीसा

मिन मिहदव साध सनमान िबदा िकए हिर हर सम जान २

सास समीप गए दोउ भाई िफर बिद पग आिसष पाई

कौिसक बामदव जाबाली परजन पिरजन सिचव सचाली ३

जथा जोग किर िबनय नामा िबदा िकए सब सानज रामा

नािर परष लघ मधय बड़र सब सनमािन कपािनिध फर ४

दोहा भरत मात पद बिद भ सिच सनह िमिल भिट

िबदा कीनह सिज पालकी सकच सोच सब मिट ३१९

पिरजन मात िपतिह िमिल सीता िफरी ानि य म पनीता

किर नाम भटी सब सास ीित कहत किब िहय न हलास १

रामचिरतमानस - 144 - अयोधयाकाड

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सिन िसख अिभमत आिसष पाई रही सीय दह ीित समाई

रघपित पट पालकी मगाई किर बोध सब मात चढ़ाई २

बार बार िहिल िमिल दह भाई सम सनह जननी पहचाई

सािज बािज गज बाहन नाना भरत भप दल कीनह पयाना ३

हदय राम िसय लखन समता चल जािह सब लोग अचता

बसह बािज गज पस िहय हार चल जािह परबस मन मार ४

दोहा गर गरितय पद बिद भ सीता लखन समत

िफर हरष िबसमय सिहत आए परन िनकत ३२०

िबदा कीनह सनमािन िनषाद चलउ हदय बड़ िबरह िबषाद

कोल िकरात िभलल बनचारी फर िफर जोहािर जोहारी १

भ िसय लखन बिठ बट छाही ि य पिरजन िबयोग िबलखाही

भरत सनह सभाउ सबानी ि या अनज सन कहत बखानी २

ीित तीित बचन मन करनी ीमख राम म बस बरनी

तिह अवसर खग मग जल मीना िच कट चर अचर मलीना ३

िबबध िबलोिक दसा रघबर की बरिष समन किह गित घर घर की

भ नाम किर दीनह भरोसो चल मिदत मन डर न खरो सो ४

दोहा सानज सीय समत भ राजत परन कटीर

भगित गयान बरागय जन सोहत धर सरीर ३२१

मिन मिहसर गर भरत भआल राम िबरह सब साज िबहाल

भ गन ाम गनत मन माही सब चपचाप चल मग जाही १

जमना उतिर पार सब भयऊ सो बासर िबन भोजन गयऊ

उतिर दवसिर दसर बास रामसखा सब कीनह सपास २

सई उतिर गोमती नहाए चौथ िदवस अवधपर आए

जनक रह पर बासर चारी राज काज सब साज सभारी ३

रामचिरतमानस - 145 - अयोधयाकाड

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सौिप सिचव गर भरतिह राज तरहित चल सािज सब साज

नगर नािर नर गर िसख मानी बस सखन राम रजधानी ४

दोहा राम दरस लिग लोग सब करत नम उपबास

तिज तिज भषन भोग सख िजअत अविध की आस ३२२

सिचव ससवक भरत बोध िनज िनज काज पाइ पाइ िसख ओध

पिन िसख दीनह बोिल लघ भाई सौपी सकल मात सवकाई १

भसर बोिल भरत कर जोर किर नाम बय िबनय िनहोर

ऊच नीच कारज भल पोच आयस दब न करब सकोच २

पिरजन परजन जा बोलाए समाधान किर सबस बसाए

सानज ग गर गह बहोरी किर दडवत कहत कर जोरी ३

आयस होइ त रहौ सनमा बोल मिन तन पलिक सपमा

समझव कहब करब तमह जोई धरम सार जग होइिह सोई ४

दोहा सिन िसख पाइ असीस बिड़ गनक बोिल िदन सािध

िसघासन भ पादका बठार िनरपािध ३२३

राम मात गर पद िसर नाई भ पद पीठ रजायस पाई

निदगाव किर परन कटीरा कीनह िनवास धरम धर धीरा १

जटाजट िसर मिनपट धारी मिह खिन कस साथरी सवारी

असन बसन बासन त नमा करत किठन िरिषधरम स मा २

भषन बसन भोग सख भरी मन तन बचन तज ितन तरी

अवध राज सर राज िसहाई दसरथ धन सिन धनद लजाई ३

तिह पर बसत भरत िबन रागा चचरीक िजिम चपक बागा

रमा िबलास राम अनरागी तजत बमन िजिम जन बड़भागी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 146 - अयोधयाकाड

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राम पम भाजन भरत बड़ न एिह करतित

चातक हस सरािहअत टक िबबक िबभित ३२४

दह िदनह िदन दबिर होई घटइ तज बल मखछिब सोई

िनत नव राम म पन पीना बढ़त धरम दल मन न मलीना १

िजिम जल िनघटत सरद कास िबलसत बतस बनज िबकास

सम दम सजम िनयम उपासा नखत भरत िहय िबमल अकासा २

व िबसवास अविध राका सी सवािम सरित सरबीिथ िबकासी

राम पम िबध अचल अदोषा सिहत समाज सोह िनत चोखा ३

भरत रहिन समझिन करतती भगित िबरित गन िबमल िबभती

बरनत सकल सकिच सकचाही सस गनस िगरा गम नाही ४

दोहा िनत पजत भ पावरी ीित न हदय समाित

मािग मािग आयस करत राज काज बह भाित ३२५

पलक गात िहय िसय रघबीर जीह नाम जप लोचन नीर

लखन राम िसय कानन बसही भरत भवन बिस तप तन कसही १

दोउ िदिस समिझ कहत सब लोग सब िबिध भरत सराहन जोग

सिन त नम साध सकचाही दिख दसा मिनराज लजाही २

परम पनीत भरत आचरन मधर मज मद मगल करन

हरन किठन किल कलष कलस महामोह िनिस दलन िदनस ३

पाप पज कजर मगराज समन सकल सताप समाज

जन रजन भजन भव भार राम सनह सधाकर सार ४ छद

िसय राम म िपयष परन होत जनम न भरत को

मिन मन अगम जम िनयम सम दम िबषम त आचरत को

दख दाह दािरद दभ दषन सजस िमस अपहरत को

किलकाल तलसी स सठिनह हिठ राम सनमख करत को

रामचिरतमानस - 147 - अयोधयाकाड

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सोरठा

भरत चिरत किर नम तलसी जो सादर सनिह

सीय राम पद पम अविस होइ भव रस िबरित ३२६

मासपारायण इककीसवा िव ाम

इित ीम ामचिरतमानस सकलकिलकलषिवधवसन ि तीयः सोपानः समा ः

अयोधयाकाणड समा

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रामचिरतमानस - 5 - अयोधयाकाड

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बद िबिदत किह सकल िबधाना कहउ रचह पर िबिबध िबताना

सफल रसाल पगफल करा रोपह बीिथनह पर चह फरा ३

रचह मज मिन चौक चार कहह बनावन बिग बजार

पजह गनपित गर कलदवा सब िबिध करह भिमसर सवा ४

दोहा धवज पताक तोरन कलस सजह तरग रथ नाग

िसर धिर मिनबर बचन सब िनज िनज काजिह लाग ६

जो मनीस जिह आयस दीनहा सो तिह काज थम जन कीनहा

िब साध सर पजत राजा करत राम िहत मगल काजा १

सनत राम अिभषक सहावा बाज गहागह अवध बधावा

राम सीय तन सगन जनाए फरकिह मगल अग सहाए २

पलिक स म परसपर कहही भरत आगमन सचक अहही

भए बहत िदन अित अवसरी सगन तीित भट ि य करी ३

भरत सिरस ि य को जग माही इहइ सगन फल दसर नाही

रामिह बध सोच िदन राती अडिनह कमठ दउ जिह भाती ४

दोहा एिह अवसर मगल परम सिन रहसउ रिनवास

सोभत लिख िबध बढ़त जन बािरिध बीिच िबलास ७

थम जाइ िजनह बचन सनाए भषन बसन भिर ितनह पाए

म पलिक तन मन अनरागी मगल कलस सजन सब लागी १

चौक चार सिम ा परी मिनमय िबिबध भाित अित ररी

आनद मगन राम महतारी िदए दान बह िब हकारी २

पजी ामदिब सर नागा कहउ बहोिर दन बिलभागा

जिह िबिध होइ राम कलयान दह दया किर सो बरदान ३

गाविह मगल कोिकलबयनी िबधबदनी मगसावकनयनी ४

रामचिरतमानस - 6 - अयोधयाकाड

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दोहा राम राज अिभषक सिन िहय हरष नर नािर

लग समगल सजन सब िबिध अनकल िबचािर ८

तब नरनाह बिस बोलाए रामधाम िसख दन पठाए

गर आगमन सनत रघनाथा ार आइ पद नायउ माथा १

सादर अरघ दइ घर आन सोरह भाित पिज सनमान

गह चरन िसय सिहत बहोरी बोल राम कमल कर जोरी २

सवक सदन सवािम आगमन मगल मल अमगल दमन

तदिप उिचत जन बोिल स ीती पठइअ काज नाथ अिस नीती ३

भता तिज भ कीनह सनह भयउ पनीत आज यह गह

आयस होइ सो करौ गोसाई सवक लहइ सवािम सवकाई ४

दोहा सिन सनह सान बचन मिन रघबरिह सस

राम कस न तमह कहह अस हस बस अवतस ९

बरिन राम गन सील सभाऊ बोल म पलिक मिनराऊ

भप सजउ अिभषक समाज चाहत दन तमहिह जबराज १

राम करह सब सजम आज जौ िबिध कसल िनबाह काज

गर िसख दइ राय पिह गयउ राम हदय अस िबसमउ भयऊ २

जनम एक सग सब भाई भोजन सयन किल लिरकाई

करनबध उपबीत िबआहा सग सग सब भए उछाहा ३

िबमल बस यह अनिचत एक बध िबहाइ बड़िह अिभषक

भ स म पिछतािन सहाई हरउ भगत मन क किटलाई ४

दोहा तिह अवसर आए लखन मगन म आनद

सनमान ि य बचन किह रघकल करव चद १०

रामचिरतमानस - 7 - अयोधयाकाड

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बाजिह बाजन िबिबध िबधाना पर मोद निह जाइ बखाना

भरत आगमन सकल मनाविह आवह बिग नयन फल पाविह १

हाट बाट घर गली अथाई कहिह परसपर लोग लोगाई

कािल लगन भिल कितक बारा पिजिह िबिध अिभलाष हमारा २

कनक िसघासन सीय समता बठिह राम होइ िचत चता

सकल कहिह कब होइिह काली िबघन मनाविह दव कचाली ३

ितनहिह सोहाइ न अवध बधावा चोरिह चिदिन राित न भावा

सारद बोिल िबनय सर करही बारिह बार पाय ल परही ४

दोहा िबपित हमािर िबलोिक बिड़ मात किरअ सोइ आज

राम जािह बन राज तिज होइ सकल सरकाज ११

सिन सर िबनय ठािढ़ पिछताती भइउ सरोज िबिपन िहमराती

दिख दव पिन कहिह िनहोरी मात तोिह निह थोिरउ खोरी १

िबसमय हरष रिहत रघराऊ तमह जानह सब राम भाऊ

जीव करम बस सख दख भागी जाइअ अवध दव िहत लागी २

बार बार गिह चरन सकोचौ चली िबचािर िबबध मित पोची

ऊच िनवास नीिच करतती दिख न सकिह पराइ िबभती ३

आिगल काज िबचािर बहोरी करहिह चाह कसल किब मोरी

हरिष हदय दसरथ पर आई जन ह दसा दसह दखदाई ४

दोहा नाम मथरा मदमित चरी ककइ किर

अजस पटारी तािह किर गई िगरा मित फिर १२

दीख मथरा नगर बनावा मजल मगल बाज बधावा

पछिस लोगनह काह उछाह राम ितलक सिन भा उर दाह १

करइ िबचार कबि कजाती होइ अकाज कविन िबिध राती

दिख लािग मध किटल िकराती िजिम गव तकइ लउ किह भाती २

रामचिरतमानस - 8 - अयोधयाकाड

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भरत मात पिह गइ िबलखानी का अनमिन हिस कह हिस रानी

ऊतर दइ न लइ उसास नािर चिरत किर ढारइ आस ३

हिस कह रािन गाल बड़ तोर दीनह लखन िसख अस मन मोर

तबह न बोल चिर बिड़ पािपिन छाड़इ सवास कािर जन सािपिन ४

दोहा सभय रािन कह कहिस िकन कसल राम मिहपाल

लखन भरत िरपदमन सिन भा कबरी उर साल १३

कत िसख दइ हमिह कोउ माई गाल करब किह कर बल पाई

रामिह छािड़ कसल किह आज जिह जनस दइ जबराज १

भयउ कौिसलिह िबिध अित दािहन दखत गरब रहत उर नािहन

दखह कस न जाइ सब सोभा जो अवलोिक मोर मन छोभा २

पत िबदस न सोच तमहार जानित हह बस नाह हमार

नीद बहत ि य सज तराई लखह न भप कपट चतराई ३

सिन ि य बचन मिलन मन जानी झकी रािन अब रह अरगानी

पिन अस कबह कहिस घरफोरी तब धिर जीभ कढ़ावउ तोरी ४

दोहा कान खोर कबर किटल कचाली जािन

ितय िबसिष पिन चिर किह भरतमात मसकािन १४

ि यबािदिन िसख दीिनहउ तोही सपनह तो पर कोप न मोही

सिदन समगल दायक सोई तोर कहा फर जिह िदन होई १

जठ सवािम सवक लघ भाई यह िदनकर कल रीित सहाई

राम ितलक जौ साचह काली दउ माग मन भावत आली २

कौसलया सम सब महतारी रामिह सहज सभाय िपआरी

मो पर करिह सनह िबसषी म किर ीित परीछा दखी ३

जौ िबिध जनम दइ किर छोह होह राम िसय पत पतोह

ान त अिधक राम ि य मोर ितनह क ितलक छोभ कस तोर ४

रामचिरतमानस - 9 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत सपथ तोिह सतय कह पिरहिर कपट दराउ

हरष समय िबसमउ करिस कारन मोिह सनाउ १५

एकिह बार आस सब पजी अब कछ कहब जीभ किर दजी

फोर जोग कपार अभागा भलउ कहत दख रउरिह लागा १

कहिह झिठ फिर बात बनाई त ि य तमहिह करइ म माई

हमह कहिब अब ठकरसोहाती नािह त मौन रहब िदन राती २

किर करप िबिध परबस कीनहा बवा सो लिनअ लिहअ जो दीनहा

कोउ नप होउ हमिह का हानी चिर छािड़ अब होब िक रानी ३

जार जोग सभाउ हमारा अनभल दिख न जाइ तमहारा

तात कछक बात अनसारी छिमअ दिब बिड़ चक हमारी ४

दोहा गढ़ कपट ि य बचन सिन तीय अधरबिध रािन

सरमाया बस बिरिनिह सहद जािन पितआिन १६

सादर पिन पिन पछित ओही सबरी गान मगी जन मोही

तिस मित िफरी अहइ जिस भाबी रहसी चिर घात जन फाबी १

तमह पछह म कहत डराऊ धरउ मोर घरफोरी नाऊ

सिज तीित बहिबिध गिढ़ छोली अवध साढ़साती तब बोली २

ि य िसय राम कहा तमह रानी रामिह तमह ि य सो फिर बानी

रहा थम अब त िदन बीत समउ िफर िरप होिह िपरीत ३

भान कमल कल पोषिनहारा िबन जल जािर करइ सोइ छारा

जिर तमहािर चह सवित उखारी रधह किर उपाउ बर बारी ४

दोहा तमहिह न सोच सोहाग बल िनज बस जानह राउ

मन मलीन मह मीठ नप राउर सरल सभाउ १७

रामचिरतमानस - 10 - अयोधयाकाड

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चतर गभीर राम महतारी बीच पाइ िनज बात सवारी

पठए भरत भप निनअउर राम मात मत जानव रउर १

सविह सकल सवित मोिह नीक गरिबत भरत मात बल पी क

साल तमहार कौिसलिह माई कपट चतर निह होइ जनाई २

राजिह तमह पर म िबसषी सवित सभाउ सकइ निह दखी

रची पच भपिह अपनाई राम ितलक िहत लगन धराई ३

यह कल उिचत राम कह टीका सबिह सोहाइ मोिह सिठ नीका

आिगिल बात समिझ डर मोही दउ दउ िफिर सो फल ओही ४

दोहा रिच पिच कोिटक किटलपन कीनहिस कपट बोध

किहिस कथा सत सवित क जिह िबिध बाढ़ िबरोध १८

भावी बस तीित उर आई पछ रािन पिन सपथ दवाई

का पछह तमह अबह न जाना िनज िहत अनिहत पस पिहचाना १

भयउ पाख िदन सजत समाज तमह पाई सिध मोिह सन आज

खाइअ पिहिरअ राज तमहार सतय कह निह दोष हमार २

जौ असतय कछ कहब बनाई तौ िबिध दइिह हमिह सजाई

रामिह ितलक कािल जौ भयऊ तमह कह िबपित बीज िबिध बयऊ ३

रख खचाइ कहउ बल भाषी भािमिन भइह दध कइ माखी

जौ सत सिहत करह सवकाई तौ घर रहह न आन उपाई ४

दोहा क िबनतिह दीनह दख तमहिह कौिसला दब

भरत बिदगह सइहिह लखन राम क नब १९

ककयसता सनत कट बानी किह न सकइ कछ सहिम सखानी

तन पसउ कदली िजिम कापी कबरी दसन जीभ तब चापी १

किह किह कोिटक कपट कहानी धीरज धरह बोिधिस रानी

रामचिरतमानस - 11 - अयोधयाकाड

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िफरा करम ि य लािग कचाली बिकिह सराहइ मािन मराली २

सन मथरा बात फिर तोरी दिहिन आिख िनत फरकइ मोरी

िदन ित दखउ राित कसपन कहउ न तोिह मोह बस अपन ३

काह करौ सिख सध सभाऊ दािहन बाम न जानउ काऊ ४

दोहा अपन चलत न आज लिग अनभल काहक कीनह

किह अघ एकिह बार मोिह दअ दसह दख दीनह २०

नहर जनम भरब बर जाइ िजअत न करिब सवित सवकाई

अिर बस दउ िजआवत जाही मरन नीक तिह जीवन चाही १

दीन बचन कह बहिबिध रानी सिन कबरी ितयमाया ठानी

अस कस कहह मािन मन ऊना सख सोहाग तमह कह िदन दना २

जिह राउर अित अनभल ताका सोइ पाइिह यह फल पिरपाका

जब त कमत सना म सवािमिन भख न बासर नीद न जािमिन ३

पछउ गिननह रख ितनह खाची भरत भआल होिह यह साची

भािमिन करह त कहौ उपाऊ ह तमहरी सवा बस राऊ ४

दोहा परउ कप तअ बचन पर सकउ पत पित तयािग

कहिस मोर दख दिख बड़ कस न करब िहत लािग २१

कबरी किर कबली ककई कपट छरी उर पाहन टई

लखइ न रािन िनकट दख क स चरइ हिरत ितन बिलपस जस १

सनत बात मद अत कठोरी दित मनह मध माहर घोरी

कहइ चिर सिध अहइ िक नाही सवािमिन किहह कथा मोिह पाही २

दइ बरदान भप सन थाती मागह आज जड़ावह छाती

सतिह राज रामिह बनवास दह लह सब सवित हलास ३

भपित राम सपथ जब करई तब मागह जिह बचन न टरई

होइ अकाज आज िनिस बीत बचन मोर ि य मानह जी त ४

रामचिरतमानस - 12 - अयोधयाकाड

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दोहा

बड़ कघात किर पातिकिन कहिस कोपगह जाह

काज सवारह सजग सब सहसा जिन पितआह २२

कबिरिह रािन ानि य जानी बार बार बिड़ बि बखानी

तोिह सम िहत न मोर ससारा बह जात कइ भइिस अधारा १

जौ िबिध परब मनोरथ काली करौ तोिह चख पतिर आली

बहिबिध चिरिह आदर दई कोपभवन गविन ककई २

िबपित बीज बरषा िरत चरी भइ भइ कमित ककई करी

पाइ कपट जल अकर जामा बर दोउ दल दख फल पिरनामा ३

कोप समाज सािज सब सोई राज करत िनज कमित िबगोई

राउर नगर कोलाहल होई यह कचािल कछ जान न कोई ४

दोहा मिदत पर नर नािर सब सजिह समगलचार

एक िबसिह एक िनगरमिह भीर भप दरबार २३

बाल सखा सन िहय हरषाही िमिल दस पाच राम पिह जाही

भ आदरिह म पिहचानी पछिह कसल खम मद बानी १

िफरिह भवन ि य आयस पाई करत परसपर राम बड़ाई

को रघबीर सिरस ससारा सील सनह िनबाहिनहारा २

जिह जिह जोिन करम बस मही तह तह ईस दउ यह हमही

सवक हम सवामी िसयनाह होउ नात यह ओर िनबाह ३

अस अिभलाष नगर सब काह ककयसता हदय अित दाह

को न कसगित पाइ नसाई रहइ न नीच मत चतराई ४

दोहा सास समय सानद नप गयउ ककई गह

गवन िनठरता िनकट िकय जन धिर दह सनह २४

रामचिरतमानस - 13 - अयोधयाकाड

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कोपभवन सिन सकचउ राउ भय बस अगहड़ परइ न पाऊ

सरपित बसइ बाहबल जाक नरपित सकल रहिह रख ताक १

सो सिन ितय िरस गयउ सखाई दखह काम ताप बड़ाई

सल किलस अिस अगविनहार त रितनाथ समन सर मार २

सभय नरस ि या पिह गयऊ दिख दसा दख दारन भयऊ

भिम सयन पट मोट पराना िदए डािर तन भषण नाना ३

कमितिह किस कबषता फाबी अन अिहवात सच जन भाबी

जाइ िनकट नप कह मद बानी ानि या किह हत िरसानी ४ छद

किह हत रािन िरसािन परसत पािन पितिह नवारई

मानह सरोष भअग भािमिन िबषम भाित िनहारई

दोउ बासना रसना दसन बर मरम ठाहर दखई

तलसी नपित भवतबयता बस काम कौतक लखई

सोरठा बार बार कह राउ समिख सलोिचिन िपकबचिन

कारन मोिह सनाउ गजगािमिन िनज कोप कर २५

अनिहत तोर ि या कइ कीनहा किह दइ िसर किह जम चह लीनहा

कह क िह रकिह करौ नरस कह किह नपिह िनकासौ दस १

सकउ तोर अिर अमरउ मारी काह कीट बपर नर नारी

जानिस मोर सभाउ बरोर मन तव आनन चद चकोर २

ि या ान सत सरबस मोर पिरजन जा सकल बस तोर

जौ कछ कहौ कपट किर तोही भािमिन राम सपथ सत मोही ३

िबहिस माग मनभावित बाता भषन सजिह मनोहर गाता

घरी कघरी समिझ िजय दख बिग ि या पिरहरिह कबष ४

दोहा

रामचिरतमानस - 14 - अयोधयाकाड

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यह सिन मन गिन सपथ बिड़ िबहिस उठी मितमद

भषन सजित िबलोिक मग मनह िकराितिन फद २६

पिन कह राउ स द िजय जानी म पलिक मद मजल बानी

भािमिन भयउ तोर मनभावा घर घर नगर अनद बधावा १

रामिह दउ कािल जबराज सजिह सलोचिन मगल साज

दलिक उठउ सिन दउ कठोर जन छइ गयउ पाक बरतोर २

ऐिसउ पीर िबहिस तिह गोई चोर नािर िजिम गिट न रोई

लखिह न भप कपट चतराई कोिट किटल मिन गर पढ़ाई ३

ज िप नीित िनपन नरनाह नािरचिरत जलिनिध अवगाह

कपट सनह बढ़ाइ बहोरी बोली िबहिस नयन मह मोरी ४

दोहा माग माग प कहह िपय कबह न दह न लह

दन कहह बरदान दइ तउ पावत सदह २७

जानउ मरम राउ हिस कहई तमहिह कोहाब परम ि य अहई

थाित रािख न मािगह काऊ िबसिर गयउ मोिह भोर सभाऊ १

झठह हमिह दोष जिन दह दइ क चािर मािग मक लह

रघकल रीित सदा चिल आई ान जाह बर बचन न जाई २

निह असतय सम पातक पजा िगिर सम होिह िक कोिटक गजा

सतयमल सब सकत सहाए बद परान िबिदत मन गाए ३

तिह पर राम सपथ किर आई सकत सनह अविध रघराई

बात दढ़ाइ कमित हिस बोली कमत किबहग कलह जन खोली ४

दोहा भप मनोरथ सभग बन सख सिबहग समाज

िभललिन िजिम छाड़न चहित बचन भयकर बाज २८

मासपारायण तरहवा िव ाम

रामचिरतमानस - 15 - अयोधयाकाड

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सनह ानि य भावत जी का दह एक बर भरतिह टीका

मागउ दसर बर कर जोरी परवह नाथ मनोरथ मोरी १

तापस बष िबसिष उदासी चौदह बिरस राम बनबासी

सिन मद बचन भप िहय सोकसिस कर छअत िबकल िजिम कोक २

गयउ सहिम निह कछ किह आवा जन सचान बन झपटउ लावा

िबबरन भयउ िनपट नरपाल दािमिन हनउ मनह तर ताल ३

माथ हाथ मिद दोउ लोचन तन धिर सोच लाग जन सोचन

मोर मनोरथ सरतर फला फरत किरिन िजिम हतउ समला ४

अवध उजािर कीिनह ककई दीनहिस अचल िबपित क नई ५

दोहा कवन अवसर का भयउ गयउ नािर िबसवास

जोग िसि फल समय िजिम जितिह अिब ा नास २९

एिह िबिध राउ मनिह मन झाखा दिख कभाित कमित मन माखा

भरत िक राउर पत न होही आनह मोल बसािह िक मोही १

जो सिन सर अस लाग तमहार काह न बोलह बचन सभार

दह उतर अन करह िक नाही सतयसध तमह रघकल माही २

दन कहह अब जिन बर दह तजह सतय जग अपजस लह

सतय सरािह कहह बर दना जानह लइिह मािग चबना ३

िसिब दधीिच बिल जो कछ भाषा तन धन तजउ बचन पन राखा

अित कट बचन कहित ककई मानह लोन जर पर दई ४

दोहा धरम धरधर धीर धिर नयन उघार राय

िसर धिन लीिनह उसास अिस मारिस मोिह कठाय ३०

आग दीिख जरत िरस भारी मनह रोष तरवािर उघारी

मिठ कबि धार िनठराई धरी कबरी सान बनाई १

रामचिरतमानस - 16 - अयोधयाकाड

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लखी महीप कराल कठोरा सतय िक जीवन लइिह मोरा

बोल राउ किठन किर छाती बानी सिबनय तास सोहाती २

ि या बचन कस कहिस कभाती भीर तीित ीित किर हाती

मोर भरत राम दइ आखी सतय कहउ किर सकर साखी ३

अविस दत म पठइब ाता ऐहिह बिग सन त दोउ ाता

सिदन सोिध सब साज सजाई दउ भरत कह राज बजाई ४

दोहा लोभ न रामिह राज कर बहत भरत पर ीित

म बड़ छोट िबचािर िजय करत रहउ नपनीित ३१

राम सपथ सत कह सभाऊ राममात कछ कहउ न काऊ

म सब कीनह तोिह िबन पछ तिह त परउ मनोरथ छछ १

िरस पिरहर अब मगल साज कछ िदन गए भरत जबराज

एकिह बात मोिह दख लागा बर दसर असमजस मागा २

अजह हदय जरत तिह आचा िरस पिरहास िक साचह साचा

कह तिज रोष राम अपराध सब कोउ कहइ राम सिठ साध ३

तह सरा हिस करिस सनह अब सिन मोिह भयउ सदह

जास सभाउ अिरिह अनकला सो िकिम किरिह मात ितकला ४

दोहा ि या हास िरस पिरहरिह माग िबचािर िबबक जिह दखा अब नयन भिर भरत राज अिभषक ३२

िजऐ मीन बर बािर िबहीना मिन िबन फिनक िजऐ दख दीना

कहउ सभाउ न छल मन माही जीवन मोर राम िबन नाही १

समिझ दख िजय ि या बीना जीवन राम दरस आधीना

सिन द बचन कमित अित जरई मनह अनल आहित घत परई २

कहइ करह िकन कोिट उपाया इहा न लािगिह राउिर माया

दह िक लह अजस किर ना ही मोिह न बहत पच सोहाही ३

रामचिरतमानस - 17 - अयोधयाकाड

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राम साध तमह साध सयान राममात भिल सब पिहचान

जस कौिसला मोर भल ताका तस फल उनहिह दउ किर साका ४

दोहा होत ात मिनबष धिर जौ न राम बन जािह

मोर मरन राउर अजस नप समिझअ मन मािह ३३

अस किह किटल भई उिठ ठाढ़ी मानह रोष तरिगिन बाढ़ी

पाप पहार गट भइ सोई भरी ोध जल जाइ न जोई १

दोउ बर कल किठन हठ धारा भवर कबरी बचन चारा

ढाहत भपरप तर मला चली िबपित बािरिध अनकला २

लखी नरस बात फिर साची ितय िमस मीच सीस पर नाची

गिह पद िबनय कीनह बठारी जिन िदनकर कल होिस कठारी ३

माग माथ अबही दउ तोही राम िबरह जिन मारिस मोही

राख राम कह जिह तिह भाती नािह त जिरिह जनम भिर छाती ४

दोहा दखी बयािध असाध नप परउ धरिन धिन माथ

कहत परम आरत बचन राम राम रघनाथ ३४

बयाकल राउ िसिथल सब गाता किरिन कलपतर मनह िनपाता

कठ सख मख आव न बानी जन पाठीन दीन िबन पानी १

पिन कह कट कठोर ककई मनह घाय मह माहर दई

जौ अतह अस करतब रहऊ माग माग तमह किह बल कहऊ २

दइ िक होइ एक समय भआला हसब ठठाइ फलाउब गाला

दािन कहाउब अर कपनाई होइ िक खम कसल रौताई ३

छाड़ह बचन िक धीरज धरह जिन अबला िजिम करना करह

तन ितय तनय धाम धन धरनी सतयसध कह तन सम बरनी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 18 - अयोधयाकाड

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मरम बचन सिन राउ कह कह कछ दोष न तोर

लागउ तोिह िपसाच िजिम काल कहावत मोर ३५

चहत न भरत भपतिह भोर िबिध बस कमित बसी िजय तोर

सो सब मोर पाप पिरनाम भयउ कठाहर जिह िबिध बाम १

सबस बिसिह िफिर अवध सहाई सब गन धाम राम भताई

किरहिह भाइ सकल सवकाई होइिह ितह पर राम बड़ाई २

तोर कलक मोर पिछताऊ मएह न िमटिह न जाइिह काऊ

अब तोिह नीक लाग कर सोई लोचन ओट बठ मह गोई ३

जब लिग िजऔ कहउ कर जोरी तब लिग जिन कछ कहिस बहोरी

िफिर पिछतहिस अत अभागी मारिस गाइ नहार लागी ४

दोहा परउ राउ किह कोिट िबिध काह करिस िनदान

कपट सयािन न कहित कछ जागित मनह मसान ३६

राम राम रट िबकल भआल जन िबन पख िबहग बहाल

हदय मनाव भोर जिन होई रामिह जाइ कह जिन कोई १

उदउ करह जिन रिब रघकल गर अवध िबलोिक सल होइिह उर

भप ीित ककइ किठनाई उभय अविध िबिध रची बनाई २

िबलपत नपिह भयउ िभनसारा बीना बन सख धिन ारा

पढ़िह भाट गन गाविह गायक सनत नपिह जन लागिह सायक ३

मगल सकल सोहािह न कस सहगािमिनिह िबभषन जस

तिह िनिस नीद परी निह काह राम दरस लालसा उछाह ४

दोहा ार भीर सवक सिचव कहिह उिदत रिब दिख

जागउ अजह न अवधपित कारन कवन िबसिष ३७

पिछल पहर भप िनत जागा आज हमिह बड़ अचरज लागा

रामचिरतमानस - 19 - अयोधयाकाड

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जाह सम जगावह जाई कीिजअ काज रजायस पाई १

गए सम तब राउर माही दिख भयावन जात डराही

धाइ खाइ जन जाइ न हरा मानह िबपित िबषाद बसरा २

पछ कोउ न ऊतर दई गए जिह भवन भप ककई

किह जयजीव बठ िसर नाई दिख भप गित गयउ सखाई ३

सोच िबकल िबबरन मिह परऊ मानह कमल मल पिरहरऊ

सिचउ सभीत सकइ निह पछी बोली असभ भरी सभ छछी ४

दोहा परी न राजिह नीद िनिस हत जान जगदीस

राम राम रिट भोर िकय कहइ न मरम महीस ३८

आनह रामिह बिग बोलाई समाचार तब पछह आई

चलउ सम राय रख जानी लखी कचािल कीिनह कछ रानी १

सोच िबकल मग परइ न पाऊ रामिह बोिल किहिह का राऊ

उर धिर धीरज गयउ दआर पछिह सकल द िख मन मार २

समाधान किर सो सबही का गयउ जहा िदनकर कल टीका

राम सम िह आवत दखा आदर कीनह िपता सम लखा ३

िनरिख बदन किह भप रजाई रघकलदीपिह चलउ लवाई

राम कभाित सिचव सग जाही दिख लोग जह तह िबलखाही ४

दोहा जाइ दीख रघबसमिन नरपित िनपट कसाज

सहिम परउ लिख िसिघिनिह मनह ब गजराज ३९

सखिह अधर जरइ सब अग मनह दीन मिनहीन भअग

सरष समीप दीिख ककई मानह मीच घरी गिन लई १

करनामय मद राम सभाऊ थम दीख दख सना न काऊ

तदिप धीर धिर समउ िबचारी पछी मधर बचन महतारी २

मोिह कह मात तात दख कारन किरअ जतन जिह होइ िनवारन

रामचिरतमानस - 20 - अयोधयाकाड

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सनह राम सब कारन एह राजिह तम पर बहत सनह ३

दन कहिनह मोिह दइ बरदाना मागउ जो कछ मोिह सोहाना

सो सिन भयउ भप उर सोच छािड़ न सकिह तमहार सकोच ४

दोहा सत सनह इत बचन उत सकट परउ नरस

सकह न आयस धरह िसर मटह किठन कलस ४०

िनधरक बिठ कहइ कट बानी सनत किठनता अित अकलानी

जीभ कमान बचन सर नाना मनह मिहप मद लचछ समाना १

जन कठोरपन धर सरीर िसखइ धनषिब ा बर बीर

सब सग रघपितिह सनाई बिठ मनह तन धिर िनठराई २

मन मसकाइ भानकल भान राम सहज आनद िनधान

बोल बचन िबगत सब दषन मद मजल जन बाग िबभषन ३

सन जननी सोइ सत बड़भागी जो िपत मात बचन अनरागी

तनय मात िपत तोषिनहारा दलरभ जनिन सकल ससारा ४

दोहा मिनगन िमलन िबसिष बन सबिह भाित िहत मोर

तिह मह िपत आयस बहिर समत जननी तोर ४१

भरत ानि य पाविह राज िबिध सब िबिध मोिह सनमख आज

जो न जाउ बन ऐसह काजा थम गिनअ मोिह मढ़ समाजा १

सविह अरड कलपतर तयागी प िरहिर अमत लिह िबष मागी

तउ न पाइ अस समउ चकाही दख िबचािर मात मन माही २

अब एक दख मोिह िबसषी िनपट िबकल नरनायक दखी

थोिरिह बात िपतिह दख भारी होित तीित न मोिह महतारी ३

राउ धीर गन उदिध अगाध भा मोिह त कछ बड़ अपराध

जात मोिह न कहत कछ राऊ मोिर सपथ तोिह कह सितभाऊ ४

रामचिरतमानस - 21 - अयोधयाकाड

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दोहा सहज सरल रघबर बचन कमित किटल किर जान

चलइ जोक जल ब गित ज िप सिलल समान ४२

रहसी रािन राम रख पाई बोली कपट सनह जनाई

सपथ तमहार भरत क आना हत न दसर म कछ जाना १

तमह अपराध जोग निह ताता जननी जनक बध सखदाता

राम सतय सब जो कछ कहह तमह िपत मात बचन रत अहह २

िपतिह बझाइ कहह बिल सोई चौथपन जिह अजस न होई

तमह सम सअन सकत जिह दीनह उिचत न तास िनरादर कीनह ३

लागिह कमख बचन सभ कस मगह गयािदक तीरथ जस

रामिह मात बचन सब भाए िजिम सरसिर गत सिलल सहाए ४

दोहा गइ मरछा रामिह सिमिर नप िफिर करवट लीनह

सिचव राम आगमन किह िबनय समय सम कीनह ४३

अविनप अकिन राम पग धार धिर धीरज तब नयन उघार

सिचव सभािर राउ बठार चरन परत नप राम िनहार १

िलए सनह िबकल उर लाई ग मिन मनह फिनक िफिर पाई

रामिह िचतइ रहउ नरनाह चला िबलोचन बािर बाह २

सोक िबबस कछ कह न पारा हदय लगावत बारिह बारा

िबिधिह मनाव राउ मन माही जिह रघनाथ न कानन जाही ३

सिमिर महसिह कहइ िनहोरी िबनती सनह सदािसव मोरी

आसतोष तमह अवढर दानी आरित हरह दीन जन जानी ४

दोहा तमह रक सब क हदय सो मित रामिह दह

बचन मोर तिज रहिह घर पिरहिर सील सनह ४४

रामचिरतमानस - 22 - अयोधयाकाड

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अजस होउ जग सजस नसाऊ नरक परौ बर सरपर जाऊ

सब दख दसह सहावह मोही लोचन ओट राम जिन होही १

अस मन गनइ राउ निह बोला पीपर पात सिरस मन डोला

रघपित िपतिह मबस जानी पिन कछ किहिह मात अनमानी २

दस काल अवसर अनसारी बोल बचन िबनीत िबचारी

तात कहउ कछ करउ िढठाई अनिचत छमब जािन लिरकाई ३

अित लघ बात लािग दख पावा काह न मोिह किह थम जनावा

दिख गोसाइिह पिछउ माता सिन सग भए सीतल गाता ४

दोहा मगल समय सनह बस सोच पिरहिरअ तात

आयस दइअ हरिष िहय किह पलक भ गात ४५

धनय जनम जगतीतल तास िपतिह मोद चिरत सिन जास

चािर पदारथ करतल ताक ि य िपत मात ान सम जाक १

आयस पािल जनम फल पाई ऐहउ बिगिह होउ रजाई

िबदा मात सन आवउ मागी चिलहउ बनिह बहिर पग लागी २

अस किह राम गवन तब कीनहा भप सोक बस उतर न दीनहा

नगर बयािप गइ बात सतीछी छअत च ढ़ी जन सब तन बीछी ३

सिन भए िबकल सकल नर नारी बिल िबटप िजिम दिख दवारी

जो जह सनइ धनइ िसर सोई बड़ िबषाद निह धीरज होई ४

दोहा मख सखािह लोचन विह सोक न हदय समाइ

मनह करन रस कटकई उतरी अवध बजाइ ४६

िमलिह माझ िबिध बात बगारी जह तह दिह ककइिह गारी

एिह पािपिनिह बिझ का परऊ छाइ भवन पर पावक धरऊ १

िनज कर नयन कािढ़ चह दीखा डािर सधा िबष चाहत चीखा

किटल कठोर कबि अभागी भइ रघबस बन बन आगी २

रामचिरतमानस - 23 - अयोधयाकाड

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पालव बिठ पड़ एिह काटा सख मह सोक ठाट धिर ठाटा

सदा राम एिह ान समाना कारन कवन किटलपन ठाना ३

सतय कहिह किब नािर सभाऊ सब िबिध अगह अगाध दराऊ

िनज ितिबब बरक गिह जाई जािन न जाइ नािर गित भाई ४

दोहा काह न पावक जािर सक का न सम समाइ

का न कर अबला बल किह जग काल न खाइ ४७

का सनाइ िबिध काह सनावा का दखाइ चह काह दखावा

एक कहिह भल भप न कीनहा बर िबचािर निह कमितिह दीनहा १

जो हिठ भयउ सकल दख भाजन अबला िबबस गयान गन गा जन

एक धरम परिमित पिहचान नपिह दोस निह दिह सयान २

िसिब दधीिच हिरचद कहानी एक एक सन कहिह बखानी

एक भरत कर समत कहही एक उदास भाय सिन रहही ३

कान मिद कर रद गिह जीहा एक कहिह यह बात अलीहा

सकत जािह अस कहत तमहार राम भरत कह ानिपआर ४

दोहा चद चव बर अनल कन सधा होइ िबषतल

सपनह कबह न करिह िकछ भरत राम ितकल ४८

एक िबधातिह दषन दही सधा दखाइ दीनह िबष जही

खरभर नगर सोच सब काह दसह दाह उर िमटा उछाह १

िब बध कलमानय जठरी ज ि य परम ककई करी

लगी दन िसख सील सराही बचन बानसम लागिह ताही २

भरत न मोिह ि य राम समाना सदा कहह यह सब जग जाना

करह राम पर सहज सनह किह अपराध आज बन दह ३

कबह न िकयह सवित आरस ीित तीित जान सब दस

कौसलया अब काह िबगारा तमह जिह लािग ब पर पारा ४

रामचिरतमानस - 24 - अयोधयाकाड

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दोहा

सीय िक िपय सग पिरहिरिह लखन िक रिहहिह धाम

राज िक भजब भरत पर नप िक जीिह िबन राम ४९

अस िबचािर उर छाड़ह कोह सोक कलक कोिठ जिन होह

भरतिह अविस दह जबराज कानन काह राम कर काज १

नािहन राम राज क भख धरम धरीन िबषय रस रख

गर गह बसह राम तिज गह नप सन अस बर दसर लह २

जौ निह लिगहह कह हमार निह लािगिह कछ हाथ तमहार

जौ पिरहास कीिनह कछ होई तौ किह गट जनावह सोई ३

राम सिरस सत कानन जोग काह किहिह सिन तमह कह लोग

उठह बिग सोइ करह उपाई जिह िबिध सोक कलक नसाई ४ छद

जिह भाित सोक कलक जाइ उपाय किर कल पालही

हिठ फर रामिह जात बन जिन बात दसिर चालही

िजिम भान िबन िदन ान िबन तन चद िबन िजिम जािमनी

ितिम अवध तलसीदास भ िबन समिझ धौ िजय भािमनी

सोरठा सिखनह िसखावन दीनह सनत मधर पिरनाम िहत

तइ कछ कान न कीनह किटल बोधी कबरी ५०

उतर न दइ दसह िरस रखी मिगनह िचतव जन बािघिन भखी

बयािध असािध जािन ितनह तयागी चली कहत मितमद अभागी १

राज करत यह दअ िबगोई कीनहिस अस जस करइ न कोई

एिह िबिध िबलपिह पर नर नारी दिह कचािलिह कोिटक गारी २

जरिह िबषम जर लिह उसासा कविन राम िबन जीवन आसा

िबपल िबयोग जा अकलानी जन जलचर गन सखत पानी ३

रामचिरतमानस - 25 - अयोधयाकाड

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अित िबषाद बस लोग लोगाई गए मात पिह राम गोसाई

मख सनन िचत चौगन चाऊ िमटा सोच जिन राख राऊ ४

दोहा नव गयद रघबीर मन राज अलान समान

छट जािन बन गवन सिन उर अनद अिधकान ५१

रघकलितलक जोिर दोउ हाथा मिदत मात पद नायउ माथा

दीिनह असीस लाइ उर लीनह भषन बसन िनछाविर कीनह १

बार बार मख चबित माता नयन नह जल पलिकत गाता

गोद रािख पिन हदय लगाए वत नरस पयद सहाए २

म मोद न कछ किह जाई रक धनद पदबी जन पाई

सादर सदर बदन िनहारी बोली मधर बचन महतारी ३

कहह तात जननी बिलहारी कबिह लगन मद मगलकारी

सकत सील सख सीव सहाई जनम लाभ कइ अविध अघाई ४

दोहा जिह चाहत नर नािर सब अित आरत एिह भाित

िजिम चातक चातिक तिषत बि सरद िरत सवाित ५२

तात जाउ बिल बिग नहाह जो मन भाव मधर कछ खाह

िपत समीप तब जाएह भआ भइ बिड़ बार जाइ बिल मआ १

मात बचन सिन अित अनकला जन सनह सरतर क फला

सख मकरद भर ि यमला िनरिख राम मन भवर न भला २

धरम धरीन धरम गित जानी कहउ मात सन अित मद बानी

िपता दीनह मोिह कानन राज जह सब भाित मोर बड़ काज ३

आयस दिह मिदत मन माता जिह मद मगल कानन जाता

जिन सनह बस डरपिस भोर आनद अब अन ह तोर ४

रामचिरतमानस - 26 - अयोधयाकाड

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दोहा बरष चािरदस िबिपन बिस किर िपत बचन मान

आइ पाय पिन दिखहउ मन जिन करिस मलान ५३

बचन िबनीत मधर रघबर क सर सम लग मात उर करक

सहिम सिख सिन सीतिल बानी िजिम जवास पर पावस पानी १

किह न जाइ कछ हदय िबषाद मनह मगी सिन कहिर नाद

नयन सजल तन थर थर कापी माजिह खाइ मीन जन मापी २

धिर धीरज सत बदन िनहारी गदगद बचन कहित महतारी

तात िपतिह तमह ानिपआर दिख मिदत िनत चिरत तमहार ३

राज दन कह सभ िदन साधा कहउ जान बन किह अपराधा

तात सनावह मोिह िनदान को िदनकर कल भयउ कसान ४

दोहा िनरिख राम रख सिचवसत कारन कहउ बझाइ

सिन सग रिह मक िजिम दसा बरिन निह जाइ ५४

रािख न सकइ न किह सक जाह दह भाित उर दारन दाह

िलखत सधाकर गा िलिख राह िबिध गित बाम सदा सब काह १

धरम सनह उभय मित घरी भइ गित साप छछदिर करी

राखउ सतिह करउ अनरोध धरम जाइ अर बध िबरोध २

कहउ जान बन तौ बिड़ हानी सकट सोच िबबस भइ रानी

बहिर समिझ ितय धरम सयानी राम भरत दोउ सत सम जानी ३

सरल सभाउ राम महतारी बोली बचन धीर धिर भारी

तात जाउ बिल कीनहह नीका िपत आयस सब धरमक टीका ४

दोहा राज दन किह दीनह बन मोिह न सो दख लस

तमह िबन भरतिह भपितिह जिह चड कलस ५५

रामचिरतमानस - 27 - अयोधयाकाड

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जौ कवल िपत आयस ताता तौ जिन जाह जािन बिड़ माता

जौ िपत मात कहउ बन जाना तौ कानन सत अवध समाना १

िपत बनदव मात बनदवी खग मग चरन सरोरह सवी

अतह उिचत नपिह बनबास बय िबलोिक िहय होइ हरास २

बड़भागी बन अवध अभागी जो रघबसितलक तमह तयागी

जौ सत कहौ सग मोिह लह तमहर हदय होइ सदह ३

पत परम ि य तमह सबही क ान ान क जीवन जी क

त तमह कहह मात बन जाऊ म सिन बचन बिठ पिछताऊ ४

दोहा यह िबचािर निह करउ हठ झठ सनह बढ़ाइ

मािन मात कर नात बिल सरित िबसिर जिन जाइ ५६

दव िपतर सब तनहिह गोसाई राखह पलक नयन की नाई

अविध अब ि य पिरजन मीना तमह करनाकर धरम धरीना १

अस िबचािर सोइ करह उपाई सबिह िजअत जिह भटह आई

जाह सखन बनिह बिल जाऊ किर अनाथ जन पिरजन गाऊ २

सब कर आज सकत फल बीता भयउ कराल काल िबपरीता

बहिबिध िबलिप चरन लपटानी प रम अभािगिन आपिह जानी ३

दारन दसह दाह उर बयापा बरिन न जािह िबलाप कलापा

राम उठाइ मात उर लाई किह मद बचन बहिर समझाई ४

दोहा समाचार तिह समय सिन सीय उठी अकलाइ

जाइ सास पद कमल जग बिद बिठ िसर नाइ ५७

दीिनह असीस सास मद बानी अित सकमािर दिख अकलानी

बिठ निमतमख सोचित सीता रप रािस पित म पनीता १

चलन चहत बन जीवननाथ किह सकती सन होइिह साथ

की तन ान िक कवल ाना िबिध करतब कछ जाइ न जाना २

रामचिरतमानस - 28 - अयोधयाकाड

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चार चरन नख लखित धरनी नपर मखर मधर किब बरनी

मनह म बस िबनती करही हमिह सीय पद जिन पिरहरही ३

मज िबलोचन मोचित बारी बोली दिख राम महतारी

तात सनह िसय अित सकमारी सास ससर पिरजनिह िपआरी ४

दोहा िपता जनक भपाल मिन ससर भानकल भान

पित रिबकल करव िबिपन िबध गन रप िनधान ५८

म पिन प बध ि य पाई रप रािस गन सील सहाई

नयन पतिर किर ीित बढ़ाई राखउ ान जािनिकिह लाई १

कलपबिल िजिम बहिबिध लाली सीिच सनह सिलल ितपाली

फलत फलत भयउ िबिध बामा जािन न जाइ काह पिरनामा २

पलग पीठ तिज गोद िहड़ोरा िसय न दीनह पग अविन कठोरा

िजअनमिर िजिम जोगवत रहऊ दीप बाित निह टारन कहऊ ३

सोइ िसय चलन चहित बन साथा आयस काह होइ रघनाथा

चद िकरन रस रिसक चकोरी रिब रख नयन सकइ िकिम जोरी ४

दोहा किर कहिर िनिसचर चरिह द जत बन भिर

िबष बािटका िक सोह सत सभग सजीविन मिर ५९

बन िहत कोल िकरात िकसोरी रची िबरिच िबषय सख भोरी

पाइन किम िजिम किठन सभाऊ ितनहिह कलस न कानन काऊ १

क तापस ितय कानन जोग िजनह तप हत तजा सब भोग

िसय बन बिसिह तात किह भाती िच िलिखत किप दिख डराती २

सरसर सभग बनज बन चारी डाबर जोग िक हसकमारी

अस िबचािर जस आयस होई म िसख दउ जानिकिह सोई ३

जौ िसय भवन रह कह अबा मोिह कह होइ बहत अवलबा

सिन रघबीर मात ि य बानी सील सनह सधा जन सानी ४

रामचिरतमानस - 29 - अयोधयाकाड

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दोहा

किह ि य बचन िबबकमय कीिनह मात पिरतोष

लग बोधन जानिकिह गिट िबिपन गन दोष ६०

मासपारायण चौदहवा िव ाम

मात समीप कहत सकचाही बोल समउ समिझ मन माही

राजकमािर िसखावन सनह आन भाित िजय जिन कछ गनह १

आपन मोर नीक जौ चहह बचन हमार मािन गह रहह

आयस मोर सास सवकाई सब िबिध भािमिन भवन भलाई २

एिह त अिधक धरम निह दजा सादर सास ससर पद पजा

जब जब मात किरिह सिध मोरी होइिह म िबकल मित भोरी ३

तब तब तमह किह कथा परानी सदिर समझाएह मद बानी

कहउ सभाय सपथ सत मोही समिख मात िहत राखउ तोही ४

दोहा गर ित समत धरम फल पाइअ िबनिह कलस

हठ बस सब सकट सह गालव नहष नरस ६१

म पिन किर वान िपत बानी बिग िफरब सन समिख सयानी

िदवस जात निह लािगिह बारा सदिर िसखवन सनह हमारा १

जौ हठ करह म बस बामा तौ तमह दख पाउब पिरनामा

कानन किठन भयकर भारी घोर घाम िहम बािर बयारी २

कस कटक मग काकर नाना चलब पयादिह िबन पद ाना

चरन कमल मद मज तमहार मारग अगम भिमधर भार ३

कदर खोह नदी नद नार अगम अगाध न जािह िनहार

भाल बाघ बक कहिर नागा करिह नाद सिन धीरज भागा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 30 - अयोधयाकाड

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भिम सयन बलकल बसन असन कद फल मल

त िक सदा सब िदन िमिलिह सबइ समय अनकल ६२

नर अहार रजनीचर चरही कपट बष िबिध कोिटक करही

लागइ अित पहार कर पानी िबिपन िबपित निह जाइ बखानी १

बयाल कराल िबहग बन घोरा िनिसचर िनकर नािर नर चोरा

डरपिह धीर गहन सिध आए मगलोचिन तमह भीर सभाए २

हसगविन तमह निह बन जोग सिन अपजस मोिह दइिह लोग

मानस सिलल सधा ितपाली िजअइ िक लवन पयोिध मराली ३

नव रसाल बन िबहरनसीला सोह िक कोिकल िबिपन करीला

रहह भवन अस हदय िबचारी चदबदिन दख कानन भारी ४

दोहा सहज सहद गर सवािम िसख जो न करइ िसर मािन

सो पिछताइ अघाइ उर अविस होइ िहत हािन ६३

सिन मद बचन मनोहर िपय क लोचन लिलत भर जल िसय क

सीतल िसख दाहक भइ क स चकइिह सरद चद िनिस जस १

उतर न आव िबकल बदही तजन चहत सिच सवािम सनही

बरबस रोिक िबलोचन बारी धिर धीरज उर अविनकमारी २

लािग सास पग कह कर जोरी छमिब दिब बिड़ अिबनय मोरी

दीिनह ानपित मोिह िसख सोई जिह िबिध मोर परम िहत होई ३

म पिन समिझ दीिख मन माही िपय िबयोग सम दख जग नाही ४

दोहा ाननाथ करनायतन सदर सखद सजान तमह िबन रघकल कमद िबध सरपर नरक समान ६४

मात िपता भिगनी ि य भाई ि य पिरवार स द समदाई

सास ससर गर सजन सहाई सत सदर ससील सखदाई १

रामचिरतमानस - 31 - अयोधयाकाड

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जह लिग नाथ नह अर नात िपय िबन ितयिह तरिनह त तात

तन धन धाम धरिन पर राज पित िबहीन सब सोक समाज २

भोग रोगसम भषन भार जम जातना सिरस ससार

ाननाथ तमह िबन जग माही मो कह सखद कतह कछ नाही ३

िजय िबन दह नदी िबन बारी तिसअ नाथ परष िबन नारी

नाथ सकल सख साथ तमहार सरद िबमल िबध बदन िनहार ४

दोहा खग मग पिरजन नगर बन बलकल िबमल दकल

नाथ साथ सरसदन सम परनसाल सख मल ६५

बनदवी बनदव उदारा किरहिह सास ससर सम सारा

कस िकसलय साथरी सहाई भ सग मज मनोज तराई १

कद मल फल अिमअ अहार अवध सौध सत सिरस पहार

िछन िछन भ पद कमल िबलोिकरिहहउ मिदत िदवस िजिम कोकी२

बन दख नाथ कह बहतर भय िबषाद पिरताप घनर

भ िबयोग लवलस समाना सब िमिल होिह न कपािनधाना ३

अस िजय जािन सजान िसरोमिन लइअ सग मोिह छािड़अ जिन

िबनती बहत करौ का सवामी करनामय उर अतरजामी ४

दोहा रािखअ अवध जो अविध लिग रहत न जिनअिह ान

दीनबध सदर सखद सील सनह िनधान ६६

मोिह मग चलत न होइिह हारी िछन िछन चरन सरोज िनहारी

सबिह भाित िपय सवा किरहौ मारग जिनत सकल म हिरहौ १

पाय पखारी बिठ तर छाही किरहउ बाउ मिदत मन माही

म कन सिहत सयाम तन दख कह दख समउ ानपित पख २

सम मिह तन तरपललव डासी पाग पलोिटिह सब िनिस दासी

बारबार मद मर ित जोही लागिह तात बयािर न मोही ३

रामचिरतमानस - 32 - अयोधयाकाड

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को भ सग मोिह िचतविनहारा िसघबधिह िजिम ससक िसआरा

म सकमािर नाथ बन जोग तमहिह उिचत तप मो कह भोग ४

दोहा ऐसउ बचन कठोर सिन जौ न दउ िबलगान

तौ भ िबषम िबयोग दख सिहहिह पावर ान ६७

अस किह सीय िबकल भइ भारी बचन िबयोग न सकी सभारी

दिख दसा रघपित िजय जाना हिठ राख निह रािखिह ाना १

कहउ कपाल भानकलनाथा पिरहिर सोच चलह बन साथा

निह िबषाद कर अवसर आज बिग करह बन गवन समाज २

किह ि य बचन ि या समझाई लग मात पद आिसष पाई

बिग जा दख मटब आई जननी िनठर िबसिर जिन जाई ३

िफरिह दसा िबिध बहिर िक मोरी दिखहउ नयन मनोहर जोरी

सिदन सघरी तात कब होइिह जननी िजअत बदन िबध जोइिह ४

दोहा बहिर बचछ किह लाल किह रघपित रघबर तात

कबिह बोलाइ लगाइ िहय हरिष िनरिखहउ गात ६८

लिख सनह कातिर महतारी बचन न आव िबकल भइ भारी

राम बोध कीनह िबिध नाना समउ सनह न जाइ बखाना १

तब जानकी सास पग लागी सिनअ माय म परम अभागी

सवा समय दअ बन दीनहा मोर मनोरथ सफल न कीनहा २

तजब छोभ जिन छािड़अ छोह करम किठन कछ दोस न मोह

सिन िसय बचन सास अकलानी दसा कविन िबिध कहौ बखानी ३

बारिह बार लाइ उर लीनही धिर धीरज िसख आिसष दीनही

अचल होउ अिहवात तमहारा जब लिग गग जमन जल धारा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 33 - अयोधयाकाड

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सीतिह सास असीस िसख दीिनह अनक कार चली नाइ पद पदम िसर अित िहत बारिह बार ६९

समाचार जब लिछमन पाए बयाकल िबलख बदन उिठ धाए

कप पलक तन नयन सनीरा गह चरन अित म अधीरा १

किह न सकत कछ िचतवत ठाढ़ मीन दीन जन जल त काढ़

सोच हदय िबिध का होिनहारा सब सख सकत िसरान हमारा २

मो कह काह कहब रघनाथा रिखह िह भवन िक लहिह साथा

राम िबलोिक बध कर जोर दह गह सब सन तन तोर ३

बोल बचन राम नय नागर सील सनह सरल सख सागर

तात म बस जिन कदराह समिझ हदय पिरनाम उछाह ४

दोहा मात िपता गर सवािम िसख िसर धिर करिह सभाय

लहउ लाभ ितनह जनम कर नतर जनम जग जाय ७०

अस िजय जािन सनह िसख भाई करह मात िपत पद सवकाई

भवन भरत िरपसदन नाही राउ ब मम दख मन माही १

म बन जाउ तमहिह लइ साथा होइ सबिह िबिध अवध अनाथा

गर िपत मात जा पिरवार सब कह परइ दसह दख भार २

रहह करह सब कर पिरतोष नतर तात होइिह बड़ दोष

जास राज ि य जा दखारी सो नप अविस नरक अिधकारी ३

रहह तात अिस नीित िबचारी सनत लखन भए बयाकल भारी

िसअर बचन सिख गए क स परसत तिहन तामरस जस ४

दोहा उतर न आवत म बस गह चरन अकलाइ

नाथ दास म सवािम तमह तजह त काह बसाइ ७१

दीिनह मोिह िसख नीिक गोसाई लािग अगम अपनी कदराई

रामचिरतमानस - 34 - अयोधयाकाड

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नरबर धीर धरम धर धारी िनगम नीित कह त अिधकारी १

म िसस भ सनह ितपाला मदर मर िक लिह मराला

गर िपत मात न जानउ काह कहउ सभाउ नाथ पितआह २

जह लिग जगत सनह सगाई ीित तीित िनगम िनज गाई

मोर सबइ एक तमह सवामी दीनबध उर अतरजामी ३

धरम नीित उपदिसअ ताही कीरित भित सगित ि य जाही

मन म बचन चरन रत होई कपािसध पिरहिरअ िक सोई ४

दोहा करनािसध सबध क सिन मद बचन िबनीत

समझाए उर लाइ भ जािन सनह सभीत ७२

मागह िबदा मात सन जाई आवह बिग चलह बन भाई

मिदत भए सिन रघबर बानी भयउ लाभ बड़ गइ बिड़ हानी १

हरिषत हदय मात पिह आए मनह अध िफिर लोचन पाए

जाइ जनिन पग नायउ माथा मन रघनदन जानिक साथा २

पछ मात मिलन मन दखी लखन कही सब कथा िबसषी

गई सहिम सिन बचन कठोरा मगी दिख दव जन चह ओरा ३

लखन लखउ भा अनरथ आज एिह सनह बस करब अकाज

मागत िबदा सभय सकचाही जाइ सग िबिध किहिह िक नाही ४

दोहा समिझ सिम ा राम िसय रप ससील सभाउ

नप सनह लिख धनउ िसर पािपिन दीनह कदाउ ७३

धीरज धरउ कअवसर जानी सहज सहद बोली मद बानी

तात तमहािर मात बदही िपता राम सब भाित सनही १

अवध तहा जह राम िनवास तहइ िदवस जह भान कास

जौ प सीय राम बन जाही अवध तमहार काज कछ नािह २

गर िपत मात बध सर साई सइअिह सकल ान की नाई

रामचिरतमानस - 35 - अयोधयाकाड

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राम ानि य जीवन जी क सवारथ रिहत सखा सबही क ३

पजनीय ि य परम जहा त सब मािनअिह राम क नात

अस िजय जािन सग बन जाह लह तात जग जीवन लाह ४

दोहा भिर भाग भाजन भयह मोिह समत बिल जाउ

जौम तमहर मन छािड़ छल कीनह राम पद ठाउ ७४

प वती जबती जग सोई रघपित भगत जास सत होई

नतर बाझ भिल बािद िबआनी राम िबमख सत त िहत जानी १

तमहरिह भाग राम बन जाही दसर हत तात कछ नाही

सकल सकत कर बड़ फल एह राम सीय पद सहज सनह २

राग रोष इिरषा मद मोह जिन सपनह इनह क बस होह

सकल कार िबकार िबहाई मन म बचन करह सवकाई ३

तमह कह बन सब भाित सपास सग िपत मा त राम िसय जास

जिह न राम बन लहिह कलस सत सोइ करह इहइ उपदस ४ छद

उपदस यह जिह तात तमहर राम िसय सख पावही

िपत मात ि य पिरवार पर सख सरित बन िबसरावही

तलसी भिह िसख दइ आयस दीनह पिन आिसष दई

रित होउ अिबरल अमल िसय रघबीर पद िनत िनत नई

सोरठा मात चरन िसर नाइ चल तरत सिकत हदय

बागर िबषम तोराइ मनह भाग मग भाग बस ७५

गए लखन जह जानिकनाथ भ मन मिदत पाइ ि य साथ

बिद राम िसय चरन सहाए चल सग नपमिदर आए १

कहिह परसपर पर नर नारी भिल बनाइ िबिध बात िबगारी

रामचिरतमानस - 36 - अयोधयाकाड

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तन कस दख बदन मलीन िबकल मनह माखी मध छीन २

कर मीजिह िसर धिन पिछताही जन िबन पख िबहग अकलाही

भइ बिड़ भीर भप दरबारा बरिन न जाइ िबषाद अपारा ३

सिचव उठाइ राउ बठार किह ि य बचन राम पग धार

िसय समत दोउ तनय िनहारी बयाकल भयउ भिमपित भारी ४

दोहा सीय सिहत सत सभग दोउ दिख दिख अकलाइ

बारिह बार सनह बस राउ लइ उर लाइ ७६

सकइ न बोिल िबकल नरनाह सोक जिनत उर दारन दाह

नाइ सीस पद अित अनरागा उिठ रघबीर िबदा तब मागा १

िपत असीस आयस मोिह दीज हरष समय िबसमउ कत कीज

तात िकए ि य म माद जस जग जाइ होइ अपबाद २

सिन सनह बस उिठ नरनाहा बठार रघपित गिह बाहा

सनह तात तमह कह मिन कहही राम चराचर नायक अहही ३

सभ अर असभ करम अनहारी ईस दइ फल हदय िबचारी

करइ जो करम पाव फल सोई िनगम नीित अिस कह सब कोई ४

दोहा और कर अपराध कोउ और पाव फल भोग

अित िबिच भगवत गित को जग जान जोग ७७

राय राम राखन िहत लागी बहत उपाय िकए छल तयागी

लखी राम रख रहत न जान धरम धरधर धीर सयान १

तब नप सीय लाइ उर लीनही अित िहत बहत भाित िसख दीनही

किह बन क दख दसह सनाए सास ससर िपत सख समझाए २

िसय मन राम चरन अनरागा घर न सगम बन िबषम न लागा

औरउ सबिह सीय समझाई किह किह िबिपन िबपित अिधकाई ३

सिचव नािर गर नािर सयानी सिहत सनह कहिह मद बानी

रामचिरतमानस - 37 - अयोधयाकाड

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तमह कह तौ न दीनह बनबास करह जो कहिह ससर गर सास ४

दोहा िसख सीतिल िहत मधर मद सिन सीतिह न सोहािन

सरद चद चदिन लगत जन चकई अकलािन ७८

सीय सकच बस उतर न दई सो सिन तमिक उठी ककई

मिन पट भषन भाजन आनी आग धिर बोली मद बानी १

नपिह ान ि य तमह रघबीरा सील सनह न छािड़िह भीरा

सकत सजस परलोक नसाऊ तमहिह जान बन किहिह न काऊ २

अस िबचािर सोइ करह जो भावा राम जनिन िसख सिन सख पावा

भपिह बचन बानसम लाग करिह न ान पयान अभाग ३

लोग िबकल मरिछत नरनाह काह किरअ कछ सझ न काह

राम तरत मिन बष बनाई चल जनक जनिनिह िसर नाई ४

दोहा सिज बन साज समाज सब बिनता बध समत

बिद िब गर चरन भ चल किर सबिह अचत ७९

िनकिस बिस ार भए ठाढ़ दख लोग िबरह दव दाढ़

किह ि य बचन सकल समझाए िब बद रघबीर बोलाए १

गर सन किह बरषासन दीनह आदर दान िबनय बस कीनह

जाचक दान मान सतोष मीत पनीत म पिरतोष २

दासी दास बोलाइ बहोरी गरिह सौिप बोल कर जोरी

सब क सार सभार गोसाई करिब जनक जननी की नाई ३

बारिह बार जोिर जग पानी कहत राम सब सन मद बानी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जिह त रह भआल सखारी ४

दोहा मात सकल मोर िबरह जिह न होिह दख दीन

रामचिरतमानस - 38 - अयोधयाकाड

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सोइ उपाउ तमह करह सब पर जन परम बीन ८०

एिह िबिध राम सबिह समझावा गर पद पदम हरिष िसर नावा

गनपती गौिर िगरीस मनाई चल असीस पाइ रघराई १

राम चलत अित भयउ िबषाद सिन न जाइ पर आरत नाद

कसगन लक अवध अित सोक हहरष िबषाद िबबस सरलोक २

गइ मरछा तब भपित जाग बोिल सम कहन अस लाग

राम चल बन ान न जाही किह सख लािग रहत तन माही ३

एिह त कवन बयथा बलवाना जो दख पाइ तजिह तन ाना

पिन धिर धीर कहइ नरनाह ल रथ सग सखा तमह जाह ४

दोहा सिठ सकमार कमार दोउ जनकसता सकमािर

रथ चढ़ाइ दखराइ बन िफरह गए िदन चािर ८१

जौ निह िफरिह धीर दोउ भाई सतयसध दढ़ त रघराई

तौ तमह िबनय करह कर जोरी फिरअ भ िमिथलसिकसोरी १

जब िसय कानन दिख डराई कहह मोिर िसख अवसर पाई

सास ससर अस कहउ सदस पि िफिरअ बन बहत कलस २

िपतगह कबह कबह ससरारी रहह जहा र िच होइ तमहारी

एिह िबिध करह उपाय कदबा िफरइ त होइ ान अवलबा ३

नािह त मोर मरन पिरनामा कछ न बसाइ भए िबिध बामा

अस किह मरिछ परा मिह राऊ राम लखन िसय आिन दखाऊ ४

दोहा पाइ रजायस नाइ िसर रथ अित बग बनाइ

गयउ जहा बाहर नगर सीय सिहत दोउ भाइ ८२

तब सम नप बचन सनाए किर िबनती रथ राम चढ़ाए

चिढ़ रथ सीय सिहत दोउ भाई चल हदय अवधिह िसर नाई १

रामचिरतमानस - 39 - अयोधयाकाड

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चलत राम लिख अवध अनाथा िबकल लोग सब लाग साथा

कपािसध बहिबिध समझाविह िफरिह म बस पिन िफिर आविह २

लागित अवध भयाविन भारी मानह कालराित अिधआरी

घोर जत सम पर नर नारी डरपिह एकिह एक िनहारी ३

घर मसान पिरजन जन भता सत िहत मीत मनह जमदता

बागनह िबटप बिल किमहलाही सिरत सरोवर दिख न जाही ४

दोहा हय गय कोिटनह किलमग परपस चातक मोर

िपक रथाग सक सािरका सारस हस चकोर ८३

राम िबयोग िबकल सब ठाढ़ जह तह मनह िच िलिख काढ़

नगर सफल बन गहबर भारी खग मग िबपल सकल नर नारी १

िबिध ककई िकराितिन कीनही जिह दव दसह दसह िदिस दीनही

सिह न सक रघबर िबरहागी चल लोग सब बयाकल भागी २

सबिह िबचार कीनह मन माही राम लखन िसय िबन सख नाही

जहा राम तह सबइ समाज िबन रघबीर अवध निह काज ३

चल साथ अस म दढ़ाई सर दलरभ सख सदन िबहाई

राम चरन पकज ि य िजनहही िबषय भोग बस करिह िक ितनहही ४

दोहा बालक ब िबहाइ गह लग लोग सब साथ

तमसा तीर िनवास िकय थम िदवस रघनाथ ८४

रघपित जा मबस दखी सदय हदय दख भयउ िबसषी

करनामय रघनाथ गोसाई बिग पाइअिह पीर पराई १

किह स म मद बचन सहाए बहिबिध राम लोग समझाए

िकए धरम उपदस घनर लोग म बस िफरिह न फर २

सील सनह छािड़ निह जाई असमजस बस भ रघराई

लोग सोग म बस गए सोई कछक दवमाया मित मोई ३

रामचिरतमानस - 40 - अयोधयाकाड

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जबिह जाम जग जािमिन बीती राम सिचव सन कहउ स ीती

खोज मािर रथ हाकह ताता आन उपाय बिनिह निह बाता ४

दोहा राम लखन सय जान चिढ़ सभ चरन िसर नाइ

सिचव चलायउ तरत रथ इत उत खोज दराइ ८५

जाग सकल लोग भए भोर ग रघनाथ भयउ अित सोर

रथ कर खोज कतहह निह पाविह राम राम किह चह िदिस धाविह १

मनह बािरिनिध बड़ जहाज भयउ िबकल बड़ बिनक समाज

एकिह एक दिह उपदस तज राम हम जािन कलस २

िनदिह आप सराहिह मीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

जौ प ि य िबयोग िबिध कीनहा तौ कस मरन न माग दीनहा ३

एिह िबिध करत लाप कलापा आए अवध भर पिरतापा

िबषम िबयोग न जाइ बखाना अविध आस सब राखिह ाना ४

दोहा राम दरस िहत नम त लग करन नर नािर

मनह कोक कोकी कमल दीन िबहीन तमािर ८६

सीता सिचव सिहत दोउ भाई सगबरपर पहच जाई

उतर राम दवसिर दखी कीनह दडवत हरष िबसषी १

लखन सिचव िसय िकए नामा सबिह सिहत सख पायउ रामा

गग सकल मद मगल मला सब सख करिन हरिन सब सला २

किह किह कोिटक कथा सगा राम िबलोकिह गग तरगा

सिचविह अनजिह ि यिह सनाई िबबध नदी मिहमा अिधकाई ३

मजजन कीनह पथ म गयऊ सिच जल िपअत मिदत मन भयऊ

सिमरत जािह िमटइ म भार तिह म यह लौिकक बयवहार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 41 - अयोधयाकाड

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सधद सिचदानदमय कद भानकल कत

चिरत करत नर अनहरत ससित सागर सत ८७

यह सिध गह िनषाद जब पाई मिदत िलए ि य बध बोलाई

िलए फल मल भट भिर भारा िमलन चलउ िहय हरष अपारा १

किर दडवत भट धिर आग भिह िबलोकत अित अनराग

सहज सनह िबबस रघराई पछी कसल िनकट बठाई २

नाथ कसल पद पकज दख भयउ भागभाजन जन लख

दव धरिन धन धाम तमहारा म जन नीच सिहत पिरवारा ३

कपा किरअ पर धािरअ पाऊ थािपय जन सब लोग िसहाऊ

कहह सतय सब सखा सजाना मोिह दीनह िपत आयस आना ४

दोहा बरष चािरदस बास बन मिन त बष अहार

ाम बास निह उिचत सिन गहिह भयउ दख भार ८८

राम लखन िसय रप िनहारी कहिह स म ाम नर नारी

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस १

एक कहिह भल भपित कीनहा लोयन लाह हमिह िबिध दीनहा

तब िनषादपित उर अनमाना तर िससपा मनोहर जाना २

ल रघनाथिह ठाउ दखावा कहउ राम सब भाित सहावा

परजन किर जोहार घर आए रघबर सधया करन िसधाए ३

गह सवािर साथरी डसाई कस िकसलयमय मदल सहाई

सिच फल मल मधर मद जानी दोना भिर भिर राखिस पानी ४

दोहा िसय सम ाता सिहत कद मल फल खाइ

सयन कीनह रघबसमिन पाय पलोटत भाइ ८९

उठ लखन भ सोवत जानी किह सिचविह सोवन मद बानी

रामचिरतमानस - 42 - अयोधयाकाड

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कछक दर सिज बान सरासन जागन लग बिठ बीरासन १

गह बोलाइ पाहर तीती ठाव ठाव राख अित ीती

आप लखन पिह बठउ जाई किट भाथी सर चाप चढ़ाई २

सोवत भिह िनहािर िनषाद भयउ म बस हदय िबषाद

तन पलिकत जल लोचन बहई बचन स म लखन सन कहई ३

भपित भवन सभाय सहावा सरपित सदन न पटतर पावा

मिनमय रिचत चार चौबार जन रितपित िनज हाथ सवार ४

दोहा सिच सिबिच सभोगमय समन सगध सबास

पलग मज मिनदीप जह सब िबिध सकल सपास ९०

िबिबध बसन उपधान तराई छीर फन मद िबसद सहाई

तह िसय राम सयन िनिस करही िनज छिब रित मनोज मद हरही १

त िसय राम साथरी सोए िमत बसन िबन जािह न जोए

मात िपता पिरजन परबासी सखा ससील दास अर दासी २

जोगविह िजनहिह ान की नाई मिह सोवत तइ राम गोसाई

िपता जनक जग िबिदत भाऊ ससर सरस सखा रघराऊ ३

रामचद पित सो बदही सोवत मिह िबिध बाम न कही

िसय रघबीर िक कानन जोग करम धान सतय कह लोग ४

दोहा ककयनिदिन मदमित किठन किटलपन कीनह

जही रघनदन जानिकिह सख अवसर दख दीनह ९१

भइ िदनकर कल िबटप कठारी कमित कीनह सब िबसव दखा री

भयउ िबषाद िनषादिह भारी राम सीय मिह सयन िनहारी १

बोल लखन मधर मद बानी गयान िबराग भगित रस सानी

काह न कोउ सख दख कर दाता िनज कत करम भोग सब ाता २

जोग िबयोग भोग भल मदा िहत अनिहत मधयम म फदा

रामचिरतमानस - 43 - अयोधयाकाड

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जनम मरन जह लिग जग जाल सपती िबपित करम अर काल ३

धरिन धाम धन पर पिरवार सरग नरक जह लिग बयवहार

दिखअ सिनअ गिनअ मन माही मोह मल परमारथ नाही ४

दोहा सपन होइ िभखािर नप रक नाकपित होइ

जाग लाभ न हािन कछ ितिम पच िजय जोइ ९२

अस िबचािर निह कीजा रोस काहिह बािद न दइअ दोस

मोह िनसा सब सोविनहारा दिखअ सपन अनक कारा १

एिह जग जािमिन जागिह जोगी परमारथी पच िबयोगी

जािनअ तबिह जीव जग जागा जब जब िबषय िबलास िबरागा २

होइ िबबक मोह म भागा तब रघनाथ चरन अनरागा

सखा परम परमारथ एह मन म बचन राम पद नह ३

राम परमारथ रपा अिबगत अलख अनािद अनपा

सकल िबकार रिहत गतभदा किह िनत नित िनरपिह बदा ४

दोहा भगत भिम भसर सरिभ सर िहत लािग कपाल

करत चिरत धिर मनज तन सनत िमटिह जग जाल ९३

मासपारायण प हवा िव ाम

सखा समिझ अस पिरहिर मोह िसय रघबीर चरन रत होह

कहत राम गन भा िभनसारा जाग जग मगल सखदारा १

सकल सोच किर राम नहावा सिच सजान बट छीर मगावा

अनज सिहत िसर जटा बनाए दिख सम नयन जल छाए २

हदय दाह अित बदन मलीना कह कर जोिर बचन अित दीना

नाथ कहउ अस कोसलनाथा ल रथ जाह राम क साथा ३

बन दखाइ सरसिर अनहवाई आनह फिर बिग दोउ भाई

रामचिरतमानस - 44 - अयोधयाकाड

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लखन राम िसय आनह फरी ससय सकल सकोच िनबरी ४

दोहा नप अस कहउ गोसाई जस कहइ करौ बिल सोइ

किर िबनती पायनह परउ दीनह बाल िजिम रोइ ९४

तात कपा किर कीिजअ सोई जात अवध अनाथ न होई

म िह राम उठाइ बोधा तात धरम मत तमह सब सोधा १

िसिब दधीिच हिरचद नरसा सह धरम िहत कोिट कलसा

रितदव बिल भप सजाना धरम धरउ सिह सकट नाना २

धरम न दसर सतय स माना आगम िनगम परान बखाना

म सोइ धरम सलभ किर पावा तज ितह पर अपजस छावा ३

सभािवत कह अपजस लाह मरन कोिट सम दारन दाह

तमह सन तात बहत का कहऊ िदए उतर िफिर पातक लहऊ ४

दोहा िपत पद गिह किह कोिट नित िबनय करब कर जोिर िचता कविनह बात क तात किरअ जिन मोिर ९५

तमह पिन िपत सम अित िहत मोर िबनती करउ तात कर जोर

सब िबिध सोइ करतबय तमहार दख न पाव िपत सोच हमार १

सिन रघनाथ सिचव सबाद भयउ सपिरजन िबकल िनषाद

पिन कछ लखन कही कट बानी भ बरज बड़ अ निचत जानी २

सकिच राम िनज सपथ दवाई लखन सदस किहअ जिन जाई

कह सम पिन भप सदस सिह न सिकिह िसय िबिपन कलस ३

जिह िबिध अवध आव िफिर सीया सोइ रघबरिह तमहिह करनीया

नतर िनपट अवलब िबहीना म न िजअब िजिम जल िबन मीना ४

दोहा मइक ससर सकल सख जबिह जहा मन मान

रामचिरतमानस - 45 - अयोधयाकाड

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तह तब रिहिह सखन िसय जब लिग िबपित िबहान ९६

िबनती भप कीनह जिह भाती आरित ीित न सो किह जाती

िपत सदस सिन कपािनधाना िसयिह दीनह िसख कोिट िबधाना १

सास ससर गर ि य पिरवार िफरत त सब कर िमट खभार

सिन पित बचन कहित बदही सनह ानपित परम सनही २

भ करनामय परम िबबकी तन तिज रहित छाह िकिम छकी

भा जाइ कह भान िबहाई कह चि का चद तिज जाई ३

पितिह ममय िबनय सनाई कहित सिचव सन िगरा सहाई

तमह िपत ससर सिरस िहतकारी उतर दउ िफिर अनिचत भारी ४

दोहा आरित बस सनमख भइउ िबलग न मानब तात

आरजसत पद कमल िबन बािद जहा लिग नात ९७

िपत बभव िबलास म डीठा नप मिन मकट िमिलत पद पीठा

सखिनधान अस िपत गह मोर िपय िबहीन मन भाव न भोर १

ससर चककवइ कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

आग होइ जिह सरपित लई अरध िसघासन आसन दई २

ससर एतादस अवध िनवास ि य पिरवार मात सम सास

िबन रघपित पद पदम परागा मोिह कउ सपनह सखद न लागा ३

अगम पथ बनभिम पहारा किर कहिर सर सिरत अपारा

कोल िकरात करग िबहगा मोिह सब सखद ानपित सगा ४

दोहा सास ससर सन मोिर हित िबनय करिब पिर पाय

मोर सोच जिन किरअ कछ म बन सखी सभाय ९८

ाननाथ ि य दवर साथा बीर धरीन धर धन भाथा

निह मग म म दख मन मोर मोिह लिग सोच किरअ जिन भोर १

रामचिरतमानस - 46 - अयोधयाकाड

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सिन सम िसय सीतिल बानी भयउ िबकल जन फिन मिन हानी

नयन सझ निह सनइ न काना किह न सकइ कछ अित अकलाना २

राम बोध कीनह बह भाित तदिप होित निह सीतिल छाती

जतन अनक साथ िहत कीनह उिचत उतर रघनदन दीनह ३

मिट जाइ निह राम रजाई किठन करम गित कछ न बसाई

राम लखन िसय पद िसर नाई िफरउ बिनक िजिम मर गवाई ४

दोहा रथ हाकउ हय राम तन हिर हिर िहिहनािह

दिख िनषाद िबषादबस धनिह सीस पिछतािह ९९

जास िबयोग िबकल पस ऐस जा मात िपत जीहिह कस

बरबस राम सम पठाए सरसिर तीर आप तब आए १

मागी नाव न कवट आना कहइ तमहार मरम म जाना

चरन कमल रज कह सब कहई मानष करिन मिर कछ अहई २

छअत िसला भइ नािर सहाई पाहन त न काठ किठनाई

तरिनउ मिन घिरिन होइ जाई बाट परइ मोिर नाव उड़ाई ३

एिह ितपालउ सब पिरवार निह जानउ कछ अउर कबार

जौ भ पार अविस गा चहह मोिह पद पदम पखारन कहह ४ छद

पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौ

मोिह राम राउिर आन दसरथ सपथ सब साची कहौ

बर तीर मारह लखन प जब लिग न पाय पखािरहौ

तब लिग न तलसीदास नाथ कपाल पार उतािरहौ

सोरठा सिन कबट क बन म लपट अटपट

िबहस करनाऐन िचतइ जानकी लखन तन १००

रामचिरतमानस - 47 - अयोधयाकाड

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कपािसध बोल मसकाई सोइ कर जिह तव नाव न जाई

विग आन जल पाय पखार होत िबलब उतारिह पार १

जास नाम समरत एक बारा उतरिह नर भविसध अपारा

सोइ कपाल कवटिह िनहोरा जिह जग िकय ितह पगह त थोरा २

पद नख िनरिख दवसिर हरषी सिन भ बचन मोह मित करषी

कवट राम रजायस पावा पािन कठवता भिर लइ आवा ३

अित आनद उमिग अनरागा चरन सरोज पखारन लागा

बरिष समन सर सकल िसहाही एिह सम पनयपज कोउ नाही ४

दोहा पद पखािर जल पान किर आप सिहत पिरवार

िपतर पार किर भिह पिन मिदत गयउ लइ पार १०१

उतिर ठाड़ भए सरसिर रता सीयराम गह लखन समता

कवट उतिर दडवत कीनहा भिह सकच एिह निह कछ दीनहा १

िपय िहय की िसय जानिनहारी मिन मदरी मन मिदत उतारी

कहउ कपाल लिह उतराई कवट चरन गह अकलाई २

नाथ आज म काह न पावा िमट दोष दख दािरद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी आज दीनह िबिध बिन भिल भरी ३

अब कछ नाथ न चािहअ मो र दीनदयाल अन ह तोर

िफरती बार मोिह ज दबा सो साद म िसर धिर लबा ४

दोहा बहत कीनह भ लखन िसय निह कछ कवट लइ

िबदा कीनह करनायतन भगित िबमल बर दइ १०२

तब मजजन किर रघकलनाथा पिज पारिथव नायउ माथा

िसय सरसिरिह कहउ कर जोरी मात मनोरथ परउिब मोरी १

पित दवर सग कसल बहोरी आइ करौ जिह पजा तोरी

सिन िसय िबनय म रस सानी भइ तब िबमल बािर बर बानी २

रामचिरतमानस - 48 - अयोधयाकाड

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सन रघबीर ि या बदही तव भाउ जग िबिदत न कही

लोकप होिह िबलोकत तोर तोिह सविह सब िसिध कर जोर ३

तमह जो हमिह बिड़ िबनय सनाई कपा कीिनह मोिह दीिनह बड़ाई

तदिप दिब म दिब असीसा सफल होपन िहत िनज बागीसा ४

दोहा ाननाथ दवर सिहत कसल कोसला आइ

पजिह सब मनकामना सजस रिहिह जग छाइ १०३

गग बचन सिन मगल मला मिदत सीय सरसिर अनकला

तब भ गहिह कहउ घर जाह सनत सख मख भा उर दाह १

दीन बचन गह कह कर जोरी िबनय सनह रघकलमिन मोरी

नाथ साथ रिह पथ दखाई किर िदन चािर चरन सवकाई २

जिह बन जाइ रहब रघराई परनकटी म करिब सहाई

तब मोिह कह जिस दब रजाई सोइ किरहउ रघबीर दोहाई ३

सहज सनह राम लिख तास सग लीनह गह हदय हलास

पिन गह गयाित बोिल सब लीनह किर पिरतोष िबदा तब कीनह ४

दोहा तब गनपित िसव सिमिर भ नाइ सरसिरिह माथ

सखा अनज िसया सिहत बन गवन कीनह रधनाथ १०४

तिह िदन भयउ िबटप तर बास लखन सखा सब कीनह सपास

ात ातकत किर रधसाई तीरथराज दीख भ जाई १

सिचव सतय धदा ि य नारी माधव सिरस मीत िहतकारी

चािर पदारथ भरा भडार पनय दस दस अित चार २

छ अगम गढ़ गाढ़ सहावा सपनह निह ितपिचछनह पावा

सन सकल तीरथ बर बीरा कलष अनीक दलन रनधीरा ३

सगम िसहासन सिठ सोहा छ अखयबट मिन मन मोहा

चवर जमन अर गग तरगा दिख होिह दख दािरद भगा ४

रामचिरतमानस - 49 - अयोधयाकाड

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दोहा

सविह सकित साध सिच पाविह सब मनकाम

बदी बद परान गन कहिह िबमल गन ाम १०५

को किह सकइ याग भाऊ कलष पज कजर मगराऊ

अस तीरथपित दिख सहावा सख सागर रघबर सख पावा १

किह िसय लखनिह सखिह सनाई ीमख तीरथराज बड़ाई

किर नाम दखत बन बागा कहत महातम अित अनरागा २

एिह िबिध आइ िबलोकी बनी सिमरत सकल समगल दनी

मिदत नहाइ कीिनह िसव सवा पिज जथािबिध तीरथ दवा ३

तब भ भर ाज पिह आए करत दडवत मिन उर लाए

मिन मन मोद न कछ किह जाइ ानद रािस जन पाई ४

दोहा दीिनह असीस मनीस उर अित अनद अस जािन

लोचन गोचर सकत फल मनह िकए िबिध आिन १०६

कसल सन किर आसन दीनह पिज म पिरपरन कीनह

कद मल फल अकर नीक िदए आिन मिन मनह अमी क १

सीय लखन जन सिहत सहाए अित रिच राम मल फल खाए

भए िबगत म राम सखार भरवदाज मद बचन उचार २

आज सफल तप तीरथ तयाग आज सफल जप जोग िबराग

सफल सकल सभ साधन साज राम तमहिह अवलोकत आज ३

लाभ अविध सख अविध न दजी तमहार दरस आस सब पजी

अब किर कपा दह बर एह िनज पद सरिसज सहज सनह ४

दोहा करम बचन मन छािड़ छल जब लिग जन न तमहार

तब लिग सख सपनह नही िकए कोिट उपचार १०७

रामचिरतमानस - 50 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन राम सकचान भाव भगित आनद अघान

तब रघबर मिन सजस सहावा कोिट भाित किह सबिह सनावा १

सो बड सो सब गन गन गह जिह मनीस तमह आदर दह

मिन रघबीर परसपर नवही बचन अगोचर सख अनभवही २

यह सिध पाइ याग िनवासी बट तापस मिन िस उदासी

भर ाज आ म सब आए दखन दसरथ सअन सहाए ३

राम नाम कीनह सब काह मिदत भए लिह लोयन लाह

दिह असीस परम सख पाई िफर सराहत सदरताई ४

दोहा राम कीनह िब ाम िनिस ात याग नहाइ

चल सिहत िसय लखन जन मदिदत मिनिह िसर नाइ १०८

राम स म कहउ मिन पाही नाथ किहअ हम किह मग जाही

मिन मन िबहिस राम सन कहहीसगम सकल मग तमह कह अहही १

साथ लािग मिन िसषय बोलाए सिन मन मिदत पचासक आए

सबिनह राम पर म अपारा सकल कहिह मग दीख हमारा २

मिन बट चािर सग तब दीनह िजनह बह जनम सकत सब कीनह

किर नाम िरिष आयस पाई मिदत हदय चल रघराई ३

ाम िनकट जब िनकसिह जाई दखिह दरस नािर नर धाई

होिह सनाथ जनम फल पाई िफरिह दिखत मन सग पठा ई ४

दोहा िबदा िकए बट िबनय किर िफर पाइ मन काम उतिर नहाए जमन जल जो सरीर सम सयाम १०९

सनत तीरवासी नर नारी धाए िनज िनज काज िबसारी

लखन राम िसय सनदरताई दिख करिह िनज भागय बड़ाई १

अित लालसा बसिह मन माही नाउ गाउ बझत सकचाही

रामचिरतमानस - 51 - अयोधयाकाड

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ज ितनह मह बयिबिरध सयान ितनह किर जगित राम पिहचान २

सकल कथा ितनह सबिह सनाई बनिह चल िपत आयस पाई

सिन सिबषाद सकल पिछताही रानी राय कीनह भल नाही ३

तिह अवसर एक तापस आवा तजपज लघबयस सहावा

किव अलिखत गित बष िबरागी मन म बचन राम अनरागी ४

दोहा सजल नयन तन पलिक िनज इ दउ पिहचािन

परउ दड िजिम धरिनतल दसा न जाइ बखािन ११०

राम स म पलिक उर लावा परम रक जन पारस पावा

मनह म परमारथ दोऊ िमलत धर तन कह सब कोऊ १

बहिर लखन पायनह सोइ लागा लीनह उठाइ उमिग अनरागा

पिन िसय चरन धिर धिर सीसा जनिन जािन िसस दीिनह असीसा २

कीनह िनषाद दडवत तही िमलउ मिदत लिख राम सनही

िपअत नयन पट रप िपयषा मिदत सअसन पाइ िजिम भखा ३

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस

राम लखन िसय रप िनहारी होिह सनह िबकल नर नारी ४

दोहा तब रघबीर अनक िबिध सखिह िसखावन दीनह

राम रजायस सीस धिर भवन गवन तइ कीनह १११

पिन िसय राम लखन कर जोरी जमनिह कीनह नाम बहोरी

चल ससीय मिदत दोउ भाई रिबतनजा कइ करत बड़ाई १

पिथक अनक िमलिह मग जाता कहिह स म दिख दोउ ाता

राज लखन सब अग तमहार दिख सोच अित हदय हमार २

मारग चलह पयादिह पाए जयोितष झठ हमार भाए

अगम पथ िगिर कानन भारी तिह मह साथ नािर सकमारी ३

किर कहिर बन जाइ न जोई हम सग चलिह जो आयस होई

रामचिरतमानस - 52 - अयोधयाकाड

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जाब जहा लिग तह पहचाई िफरब बहोिर तमहिह िसर नाई ४

दोहा एिह िबिध पछिह म बस पलक गात जल नन कपािसध फरिह ितनहिह किह िबनीत मद बन ११२

ज पर गाव बसिह मग माही ितनहिह नाग सर नगर िसहाही

किह सकती किह घरी बसाए धनय पनयमय परम सहाए १

जह जह राम चरन चिल जाही ितनह समान अमरावित नाही

पनयपज मग िनकट िनवासी ितनहिह सराहिह सरपरबासी २

ज भिर नयन िबलोकिह रामिह सीता लखन सिहत घनसयामिह

ज सर सिरत राम अवगाहिह ितनहिह दव सर सिरत सराहिह ३

जिह तर तर भ बठिह जाई करिह कलपतर तास बड़ाई

परिस राम पद पदम परागा मानित भिम भिर िनज भागा ४

दोहा छाह करिह घन िबबधगन बरषिह समन िसहािह

दखत िगिर बन िबहग मग राम चल मग जािह ११३

सीता लखन सिहत रघराई गाव िनकट जब िनकसिह जाई

सिन सब बाल ब नर नारी चलिह तरत गहकाज िबसारी १

राम लखन िसय रप िनहारी पाइ नयनफल होिह सखारी

सजल िबलोचन पलक सरीरा सब भए मगन दिख दोउ बीरा २

बरिन न जाइ दसा ितनह करी लिह जन रकनह सरमिन ढरी

एकनह एक बोिल िसख दही लोचन लाह लह छन एही ३

रामिह दिख एक अनराग िचतवत चल जािह सग लाग

एक नयन मग छिब उर आनी होिह िसिथल तन मन बर बानी ४

दोहा एक दिख बट छाह भिल डािस मदल तन पात

रामचिरतमानस - 53 - अयोधयाकाड

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कहिह गवाइअ िछनक म गवनब अबिह िक ात ११४

एक कलस भिर आनिह पानी अचइअ नाथ कहिह मद बानी

सिन ि य बचन ीित अित दखी राम कपाल ससील िबसषी १

जानी िमत सीय मन माही घिरक िबलब कीनह बट छाही

मिदत नािर नर दखिह सोभा रप अनप नयन मन लोभा २

एकटक सब सोहिह चह ओरा रामच मख चद चकोरा

तरन तमाल बरन तन सोहा दखत कोिट मदन मन मोहा ३

दािमिन बरन लखन सिठ नीक नख िसख सभग भावत जी क

मिनपट किटनह कस तनीरा सोहिह कर कमिलिन धन तीरा ४

दोहा जटा मकट सीसिन सभग उर भज नयन िबसाल

सरद परब िबध बदन बर लसत सवद कन जाल ११५

बरिन न जाइ मनोहर जोरी सोभा बहत थोिर मित मोरी

राम लखन िसय सदरताई सब िचतविह िचत मन मित लाई १

थक नािर नर म िपआस मनह मगी मग दिख िदआ स

सीय समीप ामितय जाही पछत अित सनह सकचाही २

बार बार सब लागिह पाए कहिह बचन मद सरल सभाए

राजकमािर िबनय हम करही ितय सभाय कछ पछत डरही ३

सवािमिन अिबनय छमिब हमारी िबलग न मानब जािन गवारी

राजकअर दोउ सहज सलोन इनह त लही दित मरकत सोन ४

दोहा सयामल गौर िकसोर बर सदर सषमा ऐन

सरद सबररीनाथ मख सरद सरोरह नन ११६

मासपारायण सोलहवा िव ाम

नवानहपारायण चौथा िव ाम

रामचिरतमानस - 54 - अयोधयाकाड

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कोिट मनोज लजाविनहार समिख कहह को आिह तमहार

सिन सनहमय मजल बानी सकची िसय मन मह मसकानी १

ितनहिह िबलोिक िबलोकित धरनी दह सकोच सकिचत बरबरनी

सकिच स म बाल मग नयनी बोली मधर बचन िपकबयनी २

सहज सभाय सभग तन गोर नाम लखन लघ दवर मोर

बहिर बदन िबध अचल ढाकी िपय तन िचतइ भौह किर बाकी ३

खजन मज ितरीछ नयनिन िनज पित कहउ ितनहिह िसय सयनिन

भइ मिदत सब ामबधटी रकनह राय रािस जन लटी ४

दोहा अित स म िसय पाय पिर बहिबिध दिह असीस

सदा सोहािगिन होह तमह जब लिग मिह अिह सीस ११७

पारबती सम पिति य होह दिब न हम पर छाड़ब छोह

पिन पिन िबनय किरअ कर जोरी जौ एिह मारग िफिरअ बहोरी १

दरसन दब जािन िनज दासी लखी सीय सब म िपआसी

मधर बचन किह किह पिरतोषी जन कमिदनी कौमदी पोषी २

तबिह लखन रघबर रख जानी पछउ मग लोगिनह मद बानी

सनत नािर नर भए दखारी पलिकत गात िबलोचन बारी ३

िमटा मोद मन भए मलीन िबिध िनिध दीनह लत जन छीन

समिझ करम गित धीरज कीनहासोिध सगम मग ितनह किह दीनहा ४

दोहा लखन जानकी सिहत तब गवन कीनह रघनाथ

फर सब ि य बचन किह िलए लाइ मन साथ ११८

िफरत नािर नर अित पिछताही दअिह दोष दिह मन माही

सिहत िबषाद परसपर कहही िबिध करतब उलट सब अहही १

िनपट िनरकस िनठर िनसक जिह सिस कीनह सरज सकलक

रामचिरतमानस - 55 - अयोधयाकाड

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रख कलपतर सागर खारा तिह पठए बन राजकमारा २

जौ प इनहिह दीनह बनबास कीनह बािद िबिध भोग िबलास

ए िबचरिह मग िबन पद ाना रच बािद िबिध बाहन नाना ३

ए मिह परिह डािस कस पाता सभग सज कत सजत िबधाता

तरबर बास इनहिह िबिध दीनहा धवल धाम रिच रिच म कीनहा ४

दोहा जौ ए मिन पट धर जिटल सदर सिठ सकमार

िबिबध भाित भषन बसन बािद िकए करतार ११९

जौ ए कद मल फल खाही बािद सधािद असन जग माही

एक कहिह ए सहज सहाए आप गट भए िबिध न बनाए १

जह लिग बद कही िबिध करनी वन नयन मन गोचर बरनी

दखह खोिज भअन दस चारी कह अस परष कहा अिस नारी २

इनहिह दिख िबिध मन अनरागा पटतर जोग बनाव लागा

कीनह बहत म ऐक न आए तिह इिरषा बन आिन दराए ३

एक कहिह हम बहत न जानिह आपिह परम धनय किर मानिह

त पिन पनयपज हम लख ज दखिह दिखहिह िजनह दख ४

दोहा एिह िबिध किह किह बचन ि य लिह नयन भिर नीर

िकिम चिलहिह मारग अगम सिठ सकमार सरीर १२०

नािर सनह िबकल बस होही चकई साझ समय जन सोही

मद पद कमल किठन मग जानी गहबिर हदय कहिह बर बानी १

परसत मदल चरन अरनार सकचित मिह िजिम हदय हमार

जौ जगदीस इनहिह बन दीनहा कस न समनमय मारग कीनहा २

जौ मागा पाइअ िबिध पाही ए रिखअिह सिख आिखनह माही

ज नर नािर न अवसर आए ितनह िसय राम न दखन पाए ३

सिन सरप बझिह अकलाई अब लिग गए कहा लिग भाई

रामचिरतमानस - 56 - अयोधयाकाड

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समरथ धाइ िबलोकिह जाई मिदत िफरिह जनमफल पाई ४

दोहा अबला बालक ब जन कर मीजिह पिछतािह

होिह मबस लोग इिम राम जहा जह जािह १२१

गाव गाव अस होइ अनद दिख भानकल करव चद

ज कछ समाचार सिन पाविह त नप रािनिह दोस लगाविह १

कहिह एक अित भल नरनाह दीनह हमिह जोइ लोचन लाह

कहिह परसपर लोग लोगाई बात सरल सनह सहाई २

त िपत मात धनय िजनह जाए धनय सो नगर जहा त आए

धनय सो दस सल बन गाऊ जह जह जािह धनय सोइ ठाऊ ३

सख पायउ िबरिच रिच तही ए जिह क सब भाित सनही

राम लखन पिथ कथा सहाई रही सकल मग कानन छाई ४

दोहा एिह िबिध रघकल कमल रिब मग लोगनह सख दत

जािह चल दखत िबिपन िसय सौिमि समत १२२

आग राम लखन बन पाछ तापस बष िबराजत काछ

उभय बीच िसय सोहित कस जीव िबच माया जस १

बहिर कहउ छिब जिस मन बसई जन मध मदन मधय रित लसई

उपमा बहिर कहउ िजय जोही जन बध िबध िबच रोिहिन सोही २

भ पद रख बीच िबच सीता धरित चरन मग चलित सभीता

सीय राम पद अक बराए लखन चलिह मग दािहन लाए ३

राम लखन िसय ीित सहाई बचन अगोचर िकिम किह जाई

खग मग मगन दिख छिब होही िलए चोिर िचत राम बटोही ४

दोहा िजनह िजनह दख पिथक ि य िसय समत दोउ भाइ

रामचिरतमानस - 57 - अयोधयाकाड

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भव मग अगम अनद तइ िबन म रह िसराइ १२३

अजह जास उर सपनह काऊ बसह लखन िसय राम बटाऊ

राम धाम पथ पाइिह सोई जो पथ पाव कबह मिन कोई १

तब रघबीर िमत िसय जानी दिख िनकट बट सीतल पानी

तह बिस कद मल फल खाई ात नहाइ चल रघराई २

दखत बन सर सल सहाए बालमीिक आ म भ आए

राम दीख मिन बास सहावन सदर िगिर कानन जल पावन ३

सरिन सरोज िबटप बन फल गजत मज मधप रस भल

खग मग िबपल कोलाहल करही िबरिहत बर मिदत मन चरही ४

दोहा सिच सदर आ म िनरिख हरष रािजवनन

सिन रघबर आगमन मिन आग आयउ लन १२४

मिन कह राम दडवत कीनहा आिसरबाद िब बर दीनहा

दिख राम छिब नयन जड़ान किर सनमान आ मिह आन १

मिनबर अितिथ ानि य पाए कद मल फल मधर मगाए

िसय सौिमि राम फल खाए तब मिन आ म िदए सहाए २

बालमीिक मन आनद भारी मगल मरित नयन िनहारी

तब कर कमल जोिर रघराई बोल बचन वन सखदाई ३

तमह ि काल दरसी मिननाथा िबसव बदर िजिम तमहर हाथा

अस किह भ सब कथा बखानी जिह जिह भाित दीनह बन रानी ४

दोहा तात बचन पिन मात िहत भाइ भरत अस राउ

मो कह दरस तमहार भ सब मम पनय भाउ १२५

दिख पाय मिनराय तमहार भए सकत सब सफल हमार

अब जह राउर आयस होई मिन उदबग न पाव कोई १

रामचिरतमानस - 58 - अयोधयाकाड

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मिन तापस िजनह त दख लहही त नरस िबन पावक दहही

मगल मल िब पिरतोष दहइ कोिट कल भसर रोष २

अस िजय जािन किहअ सोइ ठाऊ िसय सौिमि सिहत जह जाऊ

तह रिच रिचर परन तन साला बास करौ कछ काल कपाला ३

सहज सरल सिन रघबर बानी साध साध बोल मिन गयानी

कस न कहह अस रघकलकत तमह पालक सतत ित सत ४ छद

ित सत पालक राम तमह जगदीस माया जानकी

जो सजित जग पालित हरित रख पाइ कपािनधान की

जो सहससीस अहीस मिहधर लखन सचराचर धनी

सर काज धिर नरराज तन चल दलन खल िनिसचर अनी

सोरठा राम सरप तमहार बचन अगोचर बि पर

अिबगत अकथ अपार नित िनत िनगम कह १२६

जग पखन तमह दखिनहार िबिध हिर सभ नचाविनहार

तउ न जानिह मरम तमहारा और तमहिह को जानिनहारा १

सोइ जानइ जिह दह जनाई जानत तमहिह तमहइ होइ जाई

तमहिरिह कपा तमहिह रघनदन जानिह भगत भगत उर चदन २

िचदानदमय दह तमहारी िबगत िबकार जान अिधकारी

नर तन धरह सत सर काजा कहह करह जस ाकत राजा ३

राम दिख सिन चिरत तमहार जड़ मोहिह बध होिह सखार

तमह जो कहह करह सब साचा जस कािछअ तस चािहअ नाचा ४

दोहा पछह मोिह िक रहौ कह म पछत सकचाउ

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावौ ठाउ १२७

रामचिरतमानस - 59 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन म रस सान सकिच राम मन मह मसकान

बालमीिक हिस कहिह बहोरी बानी मधर अिमअ रस बोरी १

सनह राम अब कहउ िनकता जहा बसह िसय लखन सम ता

िजनह क वन सम समाना कथा तमहािर सभग सिर नाना २

भरिह िनरतर होिह न पर ितनह क िहय तमह कह गह रर

लोचन चातक िजनह किर राख रहिह दरस जलधर अिभलाष ३

िनदरिह सिरत िसध सर भारी रप िबद जल होिह सखारी

ितनह क हदय सदन सखदायक बसह बध िसय सह रघनायक ४

दोहा जस तमहार मानस िबमल हिसिन जीहा जास

मकताहल गन गन चनइ राम बसह िहय तास १२८

भ साद सिच सभग सबासा सादर जास लहइ िनत नासा

तमहिह िनबिदत भोजन करही भ साद पट भषन धरही १

सीस नविह सर गर ि ज दखी ीित सिहत किर िबनय िबसषी

कर िनत करिह राम पद पजा राम भरोस हदय निह दजा २

चरन राम तीरथ चिल जाही राम बसह ितनह क मन माही

म राज िनत जपिह तमहारा पजिह तमहिह सिहत पिरवारा ३

तरपन होम करिह िबिध नाना िब जवाइ दिह बह दाना

तमह त अिधक गरिह िजय जानी सकल भाय सविह सनमानी ४

दोहा सब किर मागिह एक फल राम चरन रित होउ

ितनह क मन मिदर बसह िसय रघनदन दोउ १२९

काम कोह मद मान न मोहा लोभ न छोभ न राग न ोहा

िजनह क कपट दभ निह माया ितनह क हदय बसह रघराया १

सब क ि य सब क िहतकारी दख सख सिरस ससा गारी

कहिह सतय ि य बचन िबचारी जागत सोवत सरन तमहारी २

रामचिरतमानस - 60 - अयोधयाकाड

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तमहिह छािड़ गित दसिर नाही राम बसह ितनह क मन माही

जननी सम जानिह परनारी धन पराव िबष त िबष भारी ३

ज हरषिह पर सपित दखी दिखत होिह पर िबपित िबसषी

िजनहिह राम तमह ानिपआर ितनह क मन सभ सदन तमहार ४

दोहा सवािम सखा िपत मात गर िजनह क सब तमह तात

मन मिदर ितनह क बसह सीय सिहत दोउ ात १३०

अवगन तिज सब क गन गहही िब धन िहत सकट सहही

नीित िनपन िजनह कइ जग लीकाघर तमहार ितनह कर मन नीका १

गन तमहार समझइ िनज दोसा जिह सब भाित तमहार भरोसा

राम भगत ि य लागिह जही तिह उर बसह सिहत बदही २

जाित पाित धन धरम बड़ाई ि य पिरवार सदन सखदाई

सब तिज तमहिह रहइ उर लाई तिह क हदय रहह रघराई ३

सरग नरक अपबरग समाना जह तह दख धर धन बाना

करम बचन मन राउर चरा राम करह तिह क उर डरा ४

दोहा जािह न चािहअ कबह कछ तमह सन सहज सनह

बसह िन रतर तास मन सो राउर िनज गह १३१

एिह िबिध मिनबर भवन दखाए बचन स म राम मन भाए

कह मिन सनह भानकलनायक आ म कहउ समय सखदायक १

िच कट िगिर करह िनवास तह तमहार सब भाित सपास

सल सहावन कानन चार किर कहिर मग िबहग िबहार २

नदी पनीत परान बखानी अि ि या िनज तपबल आनी

सरसिर धार नाउ मदािकिन जो सब पातक पोतक डािकिन ३

अि आिद मिनबर बह बसही करिह जोग जप तप तन कसही

रामचिरतमानस - 61 - अयोधयाकाड

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चलह सफल म सब कर करह राम दह गौरव िगिरबरह ४

दोहा िच कट मिहमा अिमत कही महामिन गाइ

आए नहाए सिरत बर िसय समत दोउ भाइ १३२

रघबर कहउ लखन भल घाट करह कतह अब ठाहर ठाट

लखन दीख पय उतर करारा चह िदिस िफरउ धनष िजिम नारा १

नदी पनच सर सम दम दाना सकल कलष किल साउज नाना

िच कट जन अचल अहरी चकइ न घात मार मठभरी २

अस किह लखन ठाउ दखरावा थल िबलोिक रघबर सख पावा

रमउ राम मन दवनह जाना चल सिहत सर थपित धाना ३

कोल िकरात बष सब आए रच परन तन सदन सहाए

बरिन न जािह मज दइ साला एक लिलत लघ एक िबसाला ४

दोहा लखन जानकी सिहत भ राजत रिचर िनकत

सोह मदन मिन बष जन रित िरतराज समत १३३

मासपारायण स हवा िव ाम

अमर नाग िकनर िदिसपाला िच कट आए तिह काला

राम नाम कीनह सब काह मिदत दव लिह लोचन लाह १

बरिष समन कह दव समाज नाथ सनाथ भए हम आज

किर िबनती दख दसह सनाए हरिषत िनज िनज सदन िसधाए २

िच कट रघनदन छाए समाचार सिन सिन मिन आए

आवत दिख मिदत मिनबदा कीनह दडवत रघकल चदा ३

मिन रघबरिह लाइ उर लही सफल होन िहत आिसष दही

िसय सौिम राम छिब दखिह साधन सकल सफल किर लखिह ४

रामचिरतमानस - 62 - अयोधयाकाड

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दोहा जथाजोग सनमािन भ िबदा िकए मिनबद

करिह जोग जप जाग तप िनज आ मिनह सछद १३४

यह सिध कोल िकरातनह पाई हरष जन नव िनिध घर आई

कद मल फल भिर भिर दोना चल रक जन लटन सोना १

ितनह मह िजनह दख दोउ ाता अपर ितनहिह पछिह मग जाता

कहत सनत रघबीर िनकाई आइ सबिनह दख रघराई २

करिह जोहार भट धिर आग भिह िबलोकिह अित अनराग

िच िलख जन जह तह ठाढ़ पलक सरीर नयन जल बाढ़ ३

राम सनह मगन सब जान किह ि य बचन सकल सनमान

भिह जोहािर बहोिर बहोरी बचन िबनीत कहिह कर जोरी ४

दोहा अब हम नाथ सनाथ सब भए दिख भ पाय

भाग हमार आगमन राउर कोसलराय १३५

धनय भिम बन पथ पहारा जह जह नाथ पाउ तमह धारा

धनय िबहग मग काननचारी सफल जनम भए तमहिह िनहारी १

हम सब धनय सिहत पिरवारा दीख दरस भिर नयन तमहारा

कीनह बास भल ठाउ िबचारी इहा सकल िरत रहब सखारी २

हम सब भाित करब सवकाई किर कहिर अिह बाघ बराई

बन बहड़ िगिर कदर खोहा सब हमार भ पग पग जोहा ३

तह तह तमहिह अहर खलाउब सर िनरझर जलठाउ दखाउब

हम सवक पिरवार समता नाथ न सकचब आयस दता ४

दोहा बद बचन मिन मन अगम त भ करना ऐन

बचन िकरातनह क सनत िजिम िपत बालक बन १३६

रामचिरतमानस - 63 - अयोधयाकाड

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रामिह कवल म िपआरा जािन लउ जो जानिनहारा

राम सकल बनचर तब तोष किह मद बचन म पिरपोष १

िबदा िकए िसर नाइ िसधाए भ गन कहत सनत घर आए

एिह िबिध िसय समत दोउ भाई बसिह िबिपन सर मिन सखदाई २

जब त आइ रह रघनायक तब त भयउ बन मगलदायक

फलिह फलिह िबटप िबिध नाना मज बिलत बर बिल िबताना ३

सरतर सिरस सभाय सहाए मनह िबबध बन पिरहिर आए

गज मजतर मधकर नी ि िबध बयािर बहइ सख दनी ४

दोहा नीलकठ कलकठ सक चातक चकक चकोर

भाित भाित बोलिह िबहग वन सखद िचत चोर १३७

किर कहिर किप कोल करगा िबगतबर िबचरिह सब सगा

िफरत अहर राम छिब दखी होिह मिदत मगबद िबसषी १

िबबध िबिपन जह लिग जग माही दिख राम बन सकल िसहाही

सरसिर सरसइ िदनकर कनया मकलसता गोदाविर धनया २

सब सर िसध नदी नद नाना मदािकिन कर करिह बखाना

उदय असत िगिर अर कलास मदर मर सकल सरबास ३

सल िहमाचल आिदक जत िच कट जस गाविह तत

िबिध मिदत मन सख न समाई म िबन िबपल बड़ाई पाई ४

दोहा िच कट क िबहग मग बिल िबटप तन जाित

पनय पज सब धनय अस कहिह दव िदन राित १३८

नयनवत रघबरिह िबलोकी पाइ जनम फल होिह िबसोकी

परिस चरन रज अचर सखारी भए परम पद क अिधकारी १

सो बन सल सभाय सहावन मगलमय अित पावन पावन

मिहमा किहअ कविन िबिध तास सखसागर जह कीनह िनवास २

रामचिरतमानस - 64 - अयोधयाकाड

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पय पयोिध तिज अवध िबहाई जह िसय लखन राम रह आई

किह न सकिह सषमा जिस कानन जौ सत सहस होिह सहसानन ३

सो म बरिन कहौ िबिध कही डाबर कमठ िक मदर लही

सविह लखन करम मन बानी जाइ न सील सनह बखानी ४

दोहा िछन िछन लिख िसय राम पद जािन आप पर नह

करत न सपनह लखन िचत बध मात िपत गह १३९

राम सग िसय रहित सखारी पर पिरजन गह सरित िबसारी

िछन िछन िपय िबध बदन िनहारी मिदत मनह चकोरकमारी १

नाह नह िनत बढ़त िबलोकी हरिषत रहित िदवस िजिम कोकी

िसय मन राम चरन अनरागा अवध सहस सम बन ि य लागा २

परनकटी ि य ि यतम सगा ि य पिरवार करग िबहगा

सास ससर सम मिनितय मिनबर असन अिमअ सम कद मल फर ३

नाथ साथ साथरी सहाई मयन सयन सय सम सखदाई

लोकप होिह िबलोकत जास तिह िक मोिह सक िबषय िबलास ४

दोहा सिमरत रामिह तजिह जन तन सम िबषय िबलास रामि या जग जनिन िसय कछ न आचरज तास १४०

सीय लखन जिह िबिध सख लहही सोइ रघनाथ करिह सोइ कहही

कहिह परातन कथा कहानी सनिह लखन िसय अित सख मानी १

जब जब राम अवध सिध करही तब तब बािर िबलोचन भरही

सिमिर मात िपत पिरजन भाई भरत सनह सील सवकाई २

कपािसध भ होिह दखारी धीरज धरिह कसमउ िबचारी

लिख िसय लखन िबकल होइ जाही िजिम परषिह अनसर पिरछाही ३

ि या बध गित लिख रघनदन धीर कपाल भगत उर चदन

लग कहन कछ कथा पनीता सिन सख लहिह लखन अर सीता ४

रामचिरतमानस - 65 - अयोधयाकाड

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दोहा

राम लखन सीता सिहत सोहत परन िनकत

िजिम बासव बस अमरपर सची जयत समत १४१

जोगविह भ िसय लखनिह कस पलक िबलोचन गोलक जस

सविह लखन सीय रघबीरिह िजिम अिबबकी परष सरीरिह १

एिह िबिध भ बन बसिह सखारी खग मग सर तापस िहतकारी

कहउ राम बन गवन सहावा सनह सम अवध िजिम आवा २

िफरउ िनषाद भिह पहचाई सिचव सिहत रथ दखिस आई

म ी िबकल िबलोिक िनषाद किह न जाइ जस भयउ िबषाद ३

राम राम िसय लखन पकारी परउ धरिनतल बयाकल भारी

दिख दिखन िदिस हय िहिहनाही जन िबन पख िबहग अकलाही ४

दोहा निह तन चरिह िपअिह जल मोचिह लोचन बािर

बयाकल भए िनषाद सब रघबर बािज िनहािर १४२

धिर धीरज तब कहइ िनषाद अब सम पिरहरह िबषाद

तमह पिडत परमारथ गयाता धरह धीर लिख िबमख िबधाता १

िबिबध कथा किह किह मद बानी रथ बठारउ बरबस आनी

सोक िसिथल रथ सकइ न हाकी रघबर िबरह पीर उर बाकी २

चरफरािह मग चलिह न घोर बन मग मनह आिन रथ जोर

अढ़िक परिह िफिर हरिह पीछ राम िबयोिग िबकल दख तीछ ३

जो कह राम लखन बदही िहकिर िहकिर िहत हरिह तही

बािज िबरहगित किह िकिम जातीिबन मिन फिनक िबकलजिह भाती४

दोहा भयउ िनषाद िबषादबस दखत सिचव तरग

बोिल ससवक चािर तब िदए सारथी सग १४३

रामचिरतमानस - 66 - अयोधयाकाड

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गह सारिथिह िफरउ पहचाई िबरह िबषाद बरिन निह जाई

चल अवध लइ रथिह िनषादा होिह छनिह छन मगन िबषादा १

सोच सम िबकल दख दीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

रिहिह न अतह अधम सरीर जस न लहउ िबछरत रघबीर २

भए अजस अघ भाजन ाना कवन हत निह करत पयाना

अहह मद मन अवसर चका अजह न हदय होत दइ टका ३

मीिज हाथ िसर धिन पिछताई मनह कपन धन रािस गवाई

िबिरद बािध बर बीर कहाई चलउ समर जन सभट पराई ४

दोहा िब िबबकी बदिबद समत साध सजाित िजिम धोख मदपान कर सिचव सोच तिह भाित १४४

िजिम कलीन ितय साध सयानी पितदवता करम मन बानी

रह करम बस पिरहिर नाह सिचव हदय ितिम दारन दाह १

लोचन सजल डीिठ भइ थोरी सनइ न वन िबकल मित भोरी

सखिह अधर लािग मह लाटी िजउ न जाइ उर अविध कपाटी २

िबबरन भयउ न जाइ िनहारी मारिस मनह िपता महतारी

हािन गलािन िबपल मन बयापी जमपर पथ सोच िजिम पापी ३

बचन न आव हदय पिछताई अवध काह म दखब जाई

राम रिहत रथ दिखिह जोई सकिचिह मोिह िबलोकत सोई ४

दोहा धाइ पिछहिह मोिह जब िबकल नगर नर नािर

उतर दब म सबिह तब हदय ब बठािर १४५

पिछहिह दीन दिखत सब माता कहब काह म ितनहिह िबधाता

पिछिह जबिह लखन महतारी किहहउ कवन सदस सखारी १

राम जनिन जब आइिह धाई सिमिर बचछ िजिम धन लवाई

रामचिरतमानस - 67 - अयोधयाकाड

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पछत उतर दब म तही ग बन राम लखन बदही २

जोइ पिछिह तिह ऊतर दबाजाइ अवध अब यह सख लबा

पिछिह जबिह राउ दख दीना िजवन जास रघनाथ अधीना ३

दहउ उतर कौन मह लाई आयउ कसल कअर पह चाई

सनत लखन िसय राम सदस तन िजिम तन पिरहिरिह नरस ४

दोहा दउ न िबदरउ पक िजिम िबछरत ीतम नीर

जानत हौ मोिह दीनह िबिध यह जातना सरीर १४६

एिह िबिध करत पथ पिछतावा तमसा तीर तरत रथ आवा

िबदा िकए किर िबनय िनषादा िफर पाय पिर िबकल िबषादा १

पठत नगर सिचव सकचाई जन मारिस गर बाभन गाई

बिठ िबटप तर िदवस गवावा साझ समय तब अवसर पावा २

अवध बस कीनह अिधआर पठ भवन रथ रािख दआर

िजनह िजनह समाचार सिन पाए भप ार रथ दखन आए ३

रथ पिहचािन िबकल लिख घोर गरिह गात िजिम आतप ओर

नगर नािर नर बयाकल क स िनघटत नीर मीनगन जस ४

दोहा सिचव आगमन सनत सब िबकल भयउ रिनवास

भवन भयकर लाग तिह मानह त िनवास १४७

अित आरित सब पछिह रानी उतर न आव िबकल भइ बानी

सनइ न वन नयन निह सझा कहह कहा नप तिह तिह बझा १

दािसनह दीख सिचव िबकलाई कौसलया गह गई लवाई

जाइ सम दीख कस राजा अिमअ रिहत जन चद िबराजा २

आसन सयन िबभषन हीना परउ भिमतल िनपट मलीना

लइ उसास सोच एिह भाती सरपर त जन खसउ जजाती ३

लत सोच भिर िछन िछन छाती जन जिर पख परउ सपाती

रामचिरतमानस - 68 - अयोधयाकाड

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राम राम कह राम सनही पिन कह राम लखन बदही ४

दोहा दिख सिचव जय जीव किह कीनहउ दड नाम

सनत उठउ बयाकल नपित कह सम कह राम १४८

भप सम लीनह उर लाई बड़त कछ अधा र जन पाई

सिहत सनह िनकट बठारी पछत राउ नयन भिर बारी १

राम कसल कह सखा सनही कह रघनाथ लखन बदही

आन फिर िक बनिह िसधाए सनत सिचव लोचन जल छाए २

सोक िबकल पिन पछ नरस कह िसय राम लखन सदस

राम रप गन सील सभाऊ सिमिर सिमिर उर सोचत राऊ ३

राउ सनाइ दीनह बनबास सिन मन भयउ न हरष हरास

सो सत िबछरत गए न ाना को पापी बड़ मोिह समाना ४

दोहा सखा राम िसय लखन जह तहा मोिह पहचाउ

नािह त चाहत चलन अब ान कहउ सितभाउ १४९

पिन पिन पछत म िह राऊ ि यतम सअन सदस सनाऊ

करिह सखा सोइ बिग उपाऊ राम लखन िसय नयन दखाऊ १

सिचव धीर धिर कह मद बानी महाराज तमह पिडत गयानी

बीर सधीर धरधर दवा साध समाज सदा तमह सवा २

जनम मरन सब दख भोगा हािन लाभ ि य िमलन िबयोगा

काल करम बस हौिह गोसाई बरबस राित िदवस की नाई ३

सख हरषिह जड़ दख िबलखाही दोउ सम धीर धरिह मन माही

धीरज धरह िबबक िबचारी छािड़अ सोच सकल िहतकारी ४

दोहा थम बास तमसा भयउ दसर सरसिर तीर

रामचिरतमानस - 69 - अयोधयाकाड

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नहाई रह जलपान किर िसय समत दोउ बीर १५०

कवट कीिनह बहत सवकाई सो जािमिन िसगरौर गवाई

होत ात बट छीर मगावा जटा मकट िनज सीस बनावा १

राम सखा तब नाव मगाई ि या चढ़ाइ चढ़ रघराई

लखन बान धन धर बनाई आप चढ़ भ आयस पाई २

िबकल िबलोिक मोिह रघबीरा बोल मधर बचन धिर धीरा

तात नाम तात सन कहह बार बार पद पकज गहह ३

करिब पाय पिर िबनय बहोरी तात किरअ जिन िचता मोरी

बन मग मगल कसल हमार कपा अन ह पनय तमहार ४ छद

तमहर अन ह तात कानन जात सब सख पाइहौ ितपािल आयस कसल दखन पाय पिन िफिर आइहौ

जननी सकल पिरतोिष पिर पिर पाय किर िबनती घनी

तलसी करह सोइ जतन जिह कसली रहिह कोसल धनी

सोरठा गर सन कहब सदस बार बार पद पदम गिह

करब सोइ उपदस जिह न सोच मोिह अवधपित १५१

परजन पिरजन सकल िनहोरी तात सनाएह िबनती मोरी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जात रह नरनाह सखारी १

कहब सदस भरत क आए नीित न तिजअ राजपद पाए

पालह जिह करम मन बानी सएह मात सकल सम जानी २

ओर िनबाहह भायप भाई किर िपत मात सजन सवकाई

तात भाित तिह राखब राऊ सोच मोर जिह कर न काऊ ३

लखन कह कछ बचन कठोरा बरिज राम पिन मोिह िनहोरा

बार बार िनज सपथ दवाई कहिब न तात लखन लिरकाई ४

रामचिरतमानस - 70 - अयोधयाकाड

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दोहा किह नाम कछ कहन िलय िसय भइ िसिथल सनह

थिकत बचन लोचन सजल पलक पललिवत दह १५२

तिह अवसर रघबर रख पाई कवट पारिह नाव चलाई

रघकलितलक चल एिह भाती दखउ ठाढ़ किलस धिर छाती १

म आपन िकिम कहौ कलस िजअत िफरउ लइ राम सदस

अस किह सिचव बचन रिह गयऊ हािन गलािन सोच बस भयऊ २

सत बचन सनतिह नरनाह परउ धरिन उर दारन दाह

तलफत िबषम मोह मन मापा माजा मनह मीन कह बयापा ३

किर िबलाप सब रोविह रानी महा िबपित िकिम जाइ बखानी

सिन िबलाप दखह दख लागा धीरजह कर धीरज भागा ४

दोहा भयउ कोलाहल अवध अित सिन नप राउर सोर

िबपल िबहग बन परउ िनिस मानह किलस कठोर १५३

ान कठगत भयउ भआल मिन िबहीन जन बयाकल बयाल

इ ी सकल िबकल भइ भारी जन सर सरिसज बन िबन बारी १

कौसलया नप दीख मलाना रिबकल रिब अथयउ िजय जाना

उर धिर धीर राम महतारी बोली बचन समय अनसारी २

नाथ समिझ मन किरअ िबचार राम िबयोग पयोिध अपार

करनधार तमह अवध जहाज चढ़उ सकल ि य पिथक समाज ३

धीरज धिरअ त पाइअ पार नािह त बिड़िह सब पिरवार

जौ िजय धिरअ िबनय िपय मोरी राम लखन िसय िमलिह बहोरी ४

दोहा ि या बचन मद सनत नप िचतयउ आिख उघािर

तलफत मीन मलीन जन सीचत सीतल बािर १५४

रामचिरतमानस - 71 - अयोधयाकाड

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धिर धीरज उठी बठ भआल कह सम कह राम कपाल

कहा लखन कह राम सनही कह ि य प बध बदही १

िबलपत राउ िबकल बह भाती भइ जग सिरस िसराित न राती

तापस अध साप सिध आई कौसलयिह सब कथा सनाई २

भयउ िबकल बरनत इितहासा राम रिहत िधग जीवन आसा

सो तन रािख करब म काहा जिह न म पन मोर िनबाहा ३

हा रघनदन ान िपरीत तमह िबन िजअत बहत िदन बीत

हा जानकी लखन हा रघबर हा िपत िहत िचत चातक जलधर ४

दोहा राम राम किह राम किह राम राम किह राम

तन पिरहिर रघबर िबरह राउ गयउ सरधाम १५५

िजअन मरन फल दसरथ पावा अड अनक अमल जस छावा

िजअत राम िबध बदन िनहारा राम िबरह किर मरन सवारा १

सोक िबकल सब रोविह रानी रप सील बल तज बखानी

करिह िबलाप अनक कारा परही भिमतल बारिह बारा २

िबलपिह िबकल दास अर दासी घर घर रदन करिह परबासी

अथयउ आज भानकल भान धरम अविध गन रप िनधान ३

गारी सकल ककइिह दही नयन िबहीन कीनह जग जही

एिह िबिध िबलपत रिन िबहानी आए सकल महामिन गयानी ४

दोहा तब बिस मिन समय सम किह अनक इितहास

सोक नवारउ सबिह कर िनज िबगयान कास १५६

तल नाव भिर नप तन राखा दत बोलाइ बहिर अस भाषा

धावह बिग भरत पिह जाह नप सिध कतह कहह जिन काह १

एतनइ कहह भरत सन जाई गर बोलाई पठयउ दोउ भाई

सिन मिन आयस धावन धाए चल बग बर बािज लजाए २

रामचिरतमानस - 72 - अयोधयाकाड

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अनरथ अवध अरभउ जब त कसगन होिह भरत कह तब त

दखिह राित भयानक सपना जािग करिह कट कोिट कलपना ३

िब जवाइ दिह िदन दाना िसव अिभषक करिह िबिध नाना

मागिह हदय महस मनाई कसल मात िपत पिरजन भाई ४

दोहा एिह िबिध सोचत भरत मन धावन पहच आइ

गर अनसासन वन सिन चल गनस मनाइ १५७

चल समीर बग हय हाक नाघत सिरत सल बन बाक

हदय सोच बड़ कछ न सोहाई अस जानिह िजय जाउ उड़ाई १

एक िनमष बरस सम जाई एिह िबिध भरत नगर िनअराई

असगन होिह नगर पठारा रटिह कभाित कखत करारा २

खर िसआर बोलिह ितकला सिन सिन होइ भरत मन सला

ीहत सर सिरता बन बागा नगर िबसिष भयावन लागा ३

खग मग हय गय जािह न जोए राम िबयोग करोग िबगोए

नगर नािर नर िनपट दखारी मनह सबिनह सब सपित हारी ४

दोहा परजन िमिलिह न कहिह कछ गविह जोहारिह जािह

भरत कसल पिछ न सकिह भय िबषाद मन मािह १५८

हाट बाट निह जाइ िनहारी जन पर दह िदिस लािग दवारी

आवत सत सिन ककयनिदिन हरषी रिबकल जलरह चिदिन १

सिज आरती मिदत उिठ धाई ारिह भिट भवन लइ आई

भरत दिखत पिरवार िनहा रा मानह तिहन बनज बन मारा २

ककई हरिषत एिह भाित मनह मिदत दव लाइ िकराती

सतिह ससोच दिख मन मार पछित नहर कसल हमार ३

सकल कसल किह भरत सनाई पछी िनज कल कसल भलाई

रामचिरतमानस - 73 - अयोधयाकाड

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कह कह तात कहा सब माता कह िसय राम लखन ि य ाता ४

दोहा सिन सत बचन सनहमय कपट नीर भिर नन

भरत वन मन सल सम पािपिन बोली बन १५९

तात बात म सकल सवारी भ मथरा सहाय िबचारी

कछक काज िबिध बीच िबगारउ भपित सरपित पर पग धारउ १

सनत भरत भए िबबस िबषादा जन सहमउ किर कहिर नादा

तात तात हा तात पकारी पर भिमतल बयाकल भारी २

चलत न दखन पायउ तोही तात न रामिह सौपह मोही

बहिर धीर धिर उठ सभारी कह िपत मरन हत महतारी ३

सिन सत बचन कहित ककई मरम पािछ जन माहर दई

आिदह त सब आपिन करनी किटल कठोर मिदत मन बरनी ४

दोहा भरतिह िबसरउ िपत मरन सनत राम बन गौन

हत अपनपउ जािन िजय थिकत रह धिर मौन १६०

िबकल िबलोिक सतिह समझावित मनह जर पर लोन लगावित

तात राउ निह सोच जोग िबढ़इ सकत जस कीनहउ भोग १

जीवत सकल जनम फल पाए अत अमरपित सदन िसधाए

अस अनमािन सोच पिरहरह सिहत समाज राज पर करह २

सिन सिठ सहमउ राजकमार पाक छत जन लाग अगार

धीरज धिर भिर लिह उसासा पापिन सबिह भाित कल नासा ३

जौ प करिच रही अित तोही जनमत काह न मार मोही

पड़ कािट त पालउ सीचा मीन िजअन िनित बािर उलीचा ४

दोहा हसबस दसरथ जनक राम लखन स भाइ

रामचिरतमानस - 74 - अयोधयाकाड

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जननी त जननी भई िबिध सन कछ न बसाइ १६१

जब त कमित कमत िजय ठयऊ खड खड होइ दउ न गयऊ

बर मागत मन भइ निह पीरा गिर न जीह मह परउ न कीरा १

भप तीत तोिर िकिम कीनही मरन काल िबिध मित हिर लीनही

िबिधह न नािर हदय गित जानी सकल कपट अघ अवगन खानी २

सरल ससील धरम रत राऊ सो िकिम जान तीय सभाऊ

अस को जीव जत जग माही जिह रघनाथ ानि य नाही ३

भ अित अिहत राम तउ तोही को त अहिस सतय कह मोही

जो हिस सो हिस मह मिस लाई आिख ओट उिठ बठिह जाई ४

दोहा राम िबरोधी हदय त गट कीनह िबिध मोिह

मो समान को पातकी बािद कहउ कछ तोिह १६२

सिन स घन मात किटलाई जरिह गात िरस कछ न बसाई

तिह अवसर कबरी तह आई बसन िबभषन िबिबध बनाई १

लिख िरस भरउ लखन लघ भाई बरत अनल घत आहित पाई

हमिग लात तिक कबर मारा पिर मह भर मिह करत पकारा २

कबर टटउ फट कपार दिलत दसन मख रिधर चार

आह दइअ म काह नसावा करत नीक फल अनइस पावा ३

सिन िरपहन लिख नख िसख खोटी लग घसीटन धिर धिर झोटी

भरत दयािनिध दीिनह छड़ाई कौसलया पिह ग दोउ भाई ४

दोहा मिलन बसन िबबरन िबकल कस सरीर दख भार

कनक कलप बर बिल बन मानह हनी तसार १६३

भरतिह दिख मात उिठ धाई मरिछत अविन परी झइ आई

दखत भरत िबकल भए भारी पर चरन तन दसा िबसारी १

रामचिरतमानस - 75 - अयोधयाकाड

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मात तात कह दिह दखाई कह िसय राम लखन दोउ भाई

ककइ कत जनमी जग माझा जौ जनिम त भइ काह न बाझा २

कल कलक जिह जनमउ मोही अपजस भाजन ि यजन ोही

को ितभवन मोिह सिरस अभागी गित अिस तोिर मात जिह लागी ३

िपत सरपर बन रघबर कत म कवल सब अनरथ हत

िधग मोिह भयउ बन बन आगी दसह दाह दख दषन भागी ४

दोहा मात भरत क बचन मद सिन सिन उठी सभािर

िलए उठाइ लगाइ उर लोचन मोचित बािर १६४

सरल सभाय माय िहय लाए अित िहत मनह राम िफिर आए

भटउ बहिर लखन लघ भाई सोक सनह न हदय समाई १

दिख सभाउ कहत सब कोई राम मात अस काह न होई

माता भरत गोद बठार आस पौिछ मद बचन उचार २

अजह बचछ बिल धीरज धरह कसमउ समिझ सोक पिरहरह

जिन मानह िहय हािन गलानी काल करम गित अघिटत जािन ३

काहिह दोस दह जिन ताता भा मोिह सब िबिध बाम िबधाता

जो एतह दख मोिह िजआवा अजह को जानइ का तिह भावा ४

दोहा िपत आयस भषन बसन तात तज रघबीर

िबसमउ हरष न हदय कछ पिहर बलकल चीर १६५

मख सनन मन रग न रोष सब कर सब िबिध किर पिरतोष

चल िबिपन सिन िसय सग लागी रहइ न राम चरन अनरागी १

सनतिह लखन चल उिठ साथा रहिह न जतन िकए रघनाथा

तब रघपित सबही िसर नाई चल सग िसय अर लघ भाई २

राम लखन िसय बनिह िसधाए गइउ न सग न ान पठाए

यह सब भा इनह आिखनह आग तउ न तजा तन जीव अभाग ३

रामचिरतमानस - 76 - अयोधयाकाड

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मोिह न लाज िनज नह िनहारी राम सिरस सत म महतारी

िजऐ मर भल भपित जाना मोर हदय सत किलस समाना ४

दोहा कौसलया क बचन सिन भरत सिहत रिनवास

बयाकल िबलपत राजगह मानह सोक नवास १६६

िबलपिह िबकल भरत दोउ भाई कौसलया िलए हदय लगाई

भाित अनक भरत समझाए किह िबबकमय बचन सनाए १

भरतह मात सकल समझाई किह परान ित कथा सहाई

छल िबहीन सिच सरल सबानी बोल भरत जोिर जग पानी २

ज अघ मात िपता सत मार गाइ गोठ मिहसर पर जार

ज अघ ितय बालक बध कीनह मीत महीपित माहर दीनह ३

ज पातक उपपातक अहही करम बचन मन भव किब कहही

त पातक मोिह होह िबधाता जौ यह होइ मोर मत माता ४

दोहा ज पिरहिर हिर हर चरन भजिह भतगन घोर

तिह कइ गित मोिह दउ िबिध जौ जननी मत मोर १६७

बचिह बद धरम द िह लही िपसन पराय पाप किह दही

कपटी किटल कलहि य ोधी बद िबदषक िबसव िबरोधी १

लोभी लपट लोलपचारा ज ताकिह परधन परदारा

पावौ म ितनह क गित घोरा जौ जननी यह समत मोरा २

ज निह साधसग अनराग परमारथ पथ िबमख अभाग

ज न भजिह हिर नरतन पाई िजनहिह न हिर हर सजस सोहाई ३

तिज ितपथ बाम पथ चलही बचक िबरिच बष जग छलही

ितनह क गित मोिह सकर दऊ जननी जौ यह जानौ भऊ ४

दोहा

रामचिरतमानस - 77 - अयोधयाकाड

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मात भरत क बचन सिन साच सरल सभाय

कहित राम ि य तात तमह सदा बचन मन काय १६८

राम ानह त ान तमहार तमह रघपितिह ानह त पयार

िबध िबष चव व िहम आगी होइ बािरचर बािर िबरागी १

भए गयान बर िमट न मोह तमह रामिह ितकल न होह

मत तमहार यह जो जग कहही सो सपनह सख सगित न लहही २

अस किह मात भरत िहय लाए थन पय विह नयन जल छाए

करत िबलाप बहत यिह भाती बठिह बीित गइ सब राती ३

बामदउ बिस तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए

मिन बह भाित भरत उपदस किह परमारथ बचन सदस ४

दोहा तात हदय धीरज धरह करह जो अव सर आज उठ भरत गर बचन सिन करन कहउ सब साज १६९

नपतन बद िबिदत अनहवावा परम िबिच िबमान बनावा

गिह पद भरत मात सब राखी रही रािन दरसन अिभलाषी १

चदन अगर भार बह आए अिमत अनक सगध सहाए

सरज तीर रिच िचता बनाई जन सरपर सोपान सहाई २

एिह िबिध दाह ि या सब कीनही िबिधवत नहाइ ितलाजिल दीनही

सोिध समित सब बद पराना कीनह भरत दसगात िबधाना ३

जह जस मिनबर आयस दीनहा तह तस सहस भाित सब कीनहा

भए िबस िदए सब दाना धन बािज गज बाहन नाना ४

दोहा िसघासन भषन बसन अनन धरिन धन धाम

िदए भरत लिह भिमसर भ पिरपरन काम १७०

िपत िहत भरत कीिनह जिस करनी सो मख लाख जाइ निह बरनी

रामचिरतमानस - 78 - अयोधयाकाड

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सिदन सोिध मिनबर तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए १

बठ राजसभा सब जाई पठए बोिल भरत दोउ भाई

भरत बिस िनकट बठार नीित धरममय बचन उचार २

थम कथा सब मिनबर बरनी ककइ किटल कीिनह जिस करनी

भप धरम त सतय सराहा जिह तन पिरहिर म िनबाहा ३

कहत राम गन सील सभाऊ सजल नयन पलकउ मिनराऊ

बहिर लखन िसय ीित बखानी सोक सनह मगन मिन गयानी ४

दोहा सनह भरत भावी बल िबलिख कहउ मिननाथ

हािन लाभ जीवन मरन जस अपजस िबिध हाथ १७१

अस िबचािर किह दइअ दोस बयरथ कािह पर कीिजअ रोस

तात िबचार किह करह मन माही सोच जोग दसरथ नप नाही १

सोिचअ िब जो बद िबहीना तिज िनज धरम िबषय लयलीना

सोिचअ नपित जो नीित न जाना जिह न जा ि य ान समाना २

सोिचअ बयस कपन धनवान जो न अितिथ िसव भगित सजान

सोिचअ स िब अवमानी मखर मानि य गयान गमानी ३

सोिचअ पिन पित बचक नारी किटल कलहि य इचछाचारी

सोिचअ बट िनज त पिरहरई जो निह गर आयस अनसरई ४

दोहा सोिचअ गही जो मोह बस करइ करम पथ तयाग

सोिचअ जित पच रत िबगत िबबक िबराग १७२

बखानस सोइ सोच जोग तप िबहाइ जिह भावइ भोग

सोिचअ िपसन अकारन ोधी जनिन जनक गर बध िबरोधी १

सब िबिध सोिचअ पर अपकारी िनज तन पोषक िनरदय भारी

सोचनीय सबिह िबिध सोई जो न छािड़ छल हिर जन होई २

सोचनीय निह कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

रामचिरतमानस - 79 - अयोधयाकाड

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भयउ न अहइ न अब होिनहारा भप भरत जस िपता तमहारा ३

िबिध हिर हर सरपित िदिसनाथा बरनिह सब दसरथ गन गाथा ४

दोहा कहह तात किह भाित कोउ किरिह बड़ाई तास

राम लखन तमह स हन सिरस सअन सिच जास १७३

सब कार भपित बड़भागी बािद िबषाद किरअ तिह लागी

यह सिन समिझ सोच पिरहरह िसर धिर राज रजायस करह १

राय राजपद तमह कह दीनहा िपता बचन फर चािहअ कीनहा

तज राम जिह बचनिह लागी तन पिरहरउ राम िबरहागी २

नपिह बचन ि य निह ि य ाना करह तात िपत बचन वाना

करह सीस धिर भप रजाई हइ तमह कह सब भाित भलाई ३

परसराम िपत अगया राखी मारी मात लोक सब साखी

तनय जजाितिह जौबन दयऊ िपत अगया अघ अजस न भयऊ ४

दोहा अनिचत उिचत िबचार तिज ज पालिह िपत बन

त भाजन सख सजस क बसिह अमरपित ऐन १७४

अविस नरस बचन फर करह पालह जा सोक पिरहरह

सरपर नप पाइिह पिरतोष तमह कह सकत सजस निह दोष १

बद िबिदत समत सबही का जिह िपत दइ सो पावइ टीका

करह राज पिरहरह गलानी मानह मोर बचन िहत जानी २

सिन सख लहब राम बदही अनिचत कहब न पिडत कही

कौसलयािद सकल महतारी तउ जा सख होिह सखारी ३

परम तमहार राम कर जािनिह सो सब िबिध तमह सन भल मािनिह

सौपह राज राम क आए सवा करह सनह सहाए ४

दोहा

रामचिरतमानस - 80 - अयोधयाकाड

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कीिजअ गर आयस अविस कहिह सिचव कर जोिर

रघपित आए उिचत जस तस तब करब बहोिर १७५

कौसलया धिर धीरज कहई पत पथय गर आयस अहई

सो आदिरअ किरअ िहत मानी तिजअ िबषाद का ल गित जानी १

बन रघपित सरपित नरनाह तमह एिह भाित तात कदराह

पिरजन जा सिचव सब अबा तमहही सत सब कह अवलबा २

लिख िबिध बाम काल किठनाई धीरज धरह मात बिल जाई

िसर धिर गर आयस अनसरह जा पािल पिरजन दख हरह ३

गर क बचन सिचव अिभनदन सन भरत िहय िहत जन चदन

सनी बहोिर मात मद बानी सील सनह सरल रस सानी ४ छद

सानी सरल रस मात बानी सिन भरत बयाकल भए

लोचन सरोरह वत सीचत िबरह उर अकर नए

सो दसा दखत समय तिह िबसरी सबिह सिध दह की तलसी सराहत सकल सादर सीव सहज सनह की

सोरठा

भरत कमल कर जोिर धीर धरधर धीर धिर बचन अिमअ जन बोिर दत उिचत उ र सबिह १७६

मासपारायण अठारहवा िव ाम

मोिह उपदस दीनह गर नीका जा सिचव समत सबही का

मात उिचत धिर आयस दीनहा अविस सीस धिर चाहउ कीनहा १

गर िपत मात सवािम िहत बानी सिन मन मिदत किरअ भिल जानी

उिचत िक अनिचत िकए िबचार धरम जाइ िसर पातक भार २

तमह तौ दह सरल िसख सोई जो आचरत मोर भल होई

ज िप यह समझत हउ नीक तदिप होत पिरतोष न जी क ३

रामचिरतमानस - 81 - अयोधयाकाड

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अब तमह िबनय मोिर सिन लह मोिह अनहरत िसखावन दह

ऊतर दउ छमब अपराध दिखत दोष गन गनिह न साध ४

दोहा िपत सरपर िसय राम बन करन कहह मोिह राज

एिह त जानह मोर िहत क आपन बड़ काज १७७

िहत हमार िसयपित सवकाई सो हिर लीनह मात किटलाई

म अनमािन दीख मन माही आन उपाय मोर िहत नाही १

सोक समाज राज किह लख लखन राम िसय िबन पद दख

बािद बसन िबन भषन भार बािद िबरित िबन िबचार २

सरज सरीर बािद बह भोगा िबन हिरभगित जाय जप जोगा

जाय जीव िबन दह सहाई बािद मोर सब िबन रघराई ३

जाउ राम पिह आयस दह एकिह आक मोर िहत एह

मोिह नप किर भल आपन चहह सोउ सनह जड़ता बस कहह ४

दोहा ककई सअ किटलमित राम िबमख गतलाज

तमह चाहत सख मोहबस मोिह स अधम क राज १७८

कहउ साच सब सिन पितआह चािहअ धरमसील नरनाह

मोिह राज हिठ दइहह जबही रसा रसातल जाइिह तबही १

मोिह समान को पाप िनवास जिह लिग सीय राम बनबास

राय राम कह कानन दीनहा िबछरत गमन अमरपर कीनहा २

म सठ सब अनरथ कर हत बठ बात सब सनउ सचत

िबन रघबीर िबलोिक अबास रह ान सिह जग उपहास ३

राम पनीत िबषय रस रख लोलप भिम भोग क भख

कह लिग कहौ हदय किठनाई िनदिर किलस जिह लही बड़ाई ४

दोहा

रामचिरतमानस - 82 - अयोधयाकाड

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कारन त कारज किठन होइ दोस निह मोर

किलस अिसथ त उपल त लोह कराल कठोर १७९

ककई भव तन अनराग पावर ान अघाइ अभाग

जौ ि य िबरह ान ि य लाग दखब सनब बहत अब आग १

लखन राम िसय कह बन दीनहा पठइ अमरपर पित िहत कीनहा

लीनह िबधवपन अपजस आप दीनहउ जिह सोक सताप २

मोिह दीनह सख सजस सराज कीनह ककई सब कर काज

एिह त मोर काह अब नीका तिह पर दन कहह तमह टीका ३

ककई जठर जनिम जग माही यह मोिह कह कछ अनिचत नाही

मोिर बात सब िबिधिह बनाई जा पाच कत करह सहाई ४

दोहा ह हीत पिन बात बस तिह पिन बीछी मार

तिह िपआइअ बारनी कहह काह उपचार १८०

ककइ सअन जोग जग जोई चतर िबरिच दीनह मोिह सोई

दसरथ तनय राम लघ भाई दीिनह मोिह िबिध बािद बड़ाई १

तमह सब कहह कढ़ावन टीका राय रजायस सब कह नीका

उतर दउ किह िबिध किह कही कहह सखन जथा रिच जही २

मोिह कमात समत िबहाई कहह क िहिह क कीनह भलाई

मो िबन को सचराचर माही जिह िसय राम ानि य नाही ३

परम हािन सब कह बड़ लाह अिदन मोर निह दषन काह

ससय सील म बस अहह सबइ उिचत सब जो कछ कहह ४

दोहा राम मात सिठ सरलिचत मो पर म िबसिष

कहइ सभाय सनह बस मोिर दीनता दिख १८१

गर िबबक सागर जग जाना िजनहिह िबसव कर बदर समाना

रामचिरतमानस - 83 - अयोधयाकाड

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मो कह ितलक साज सज सोऊ भए िबिध िबमख िबमख सब कोऊ १

पिरहिर राम सीय जग माही कोउ न किहिह मोर मत नाही

सो म सनब सहब सख मानी अतह कीच तहा जह पानी २

डर न मोिह जग किहिह िक पोच परलोकह कर नािहन सोच

एकइ उर बस दसह दवारी मोिह लिग भ िसय राम दखारी ३

जीवन लाह लखन भल पावा सब तिज राम चरन मन लावा

मोर जनम रघबर बन लागी झठ काह पिछताउ अभागी ४

दोहा आपिन दारन दीनता कहउ सबिह िसर नाइ

दख िबन रघनाथ पद िजय क जरिन न जाइ १८२

आन उपाउ मोिह निह सझा को िजय क रघबर िबन बझा

एकिह आक इहइ मन माही ातकाल चिलहउ भ पाही १

ज िप म अनभल अपराधी भ मोिह कारन सकल उपाधी

तदिप सरन सनमख मोिह दखी छिम सब किरहिह कपा िबसषी २

सील सकच सिठ सरल सभाऊ कपा सनह सदन रघराऊ

अिरहक अनभल कीनह न रामा म िसस सवक ज िप बामा ३

तमह प पाच मोर भल मानी आयस आिसष दह सबानी

जिह सिन िबनय मोिह जन जानी आविह बहिर राम रजधानी ४

दोहा ज िप जनम कमात त म सठ सदा सदोस

आपन जािन न तयािगहिह मोिह रघबीर भरोस १८३

भरत बचन सब कह ि य लाग राम सनह सधा जन पाग

लोग िबयोग िबषम िबष दाग म सबीज सनत जन जाग १

मात सिचव गर पर नर नारी सकल सनह िबकल भए भारी

भरतिह कहिह सरािह सराही राम म मरित तन आही २

तात भरत अस काह न कहह ान समान राम ि य अहह

रामचिरतमानस - 84 - अयोधयाकाड

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जो पावर अपनी जड़ताई तमहिह सगाइ मात किटलाई ३

सो सठ कोिटक परष समता बिसिह कलप सत नरक िनकता

अिह अघ अवगन निह मिन गहई हरइ गरल दख दािरद दहई ४

दोहा अविस चिलअ बन राम जह भरत म भल कीनह

सोक िसध बड़त सबिह तमह अवलबन दीनह १८४

भा सब क मन मोद न थोरा जन घन धिन सिन चातक मोरा

चलत ात लिख िनरनउ नीक भरत ानि य भ सबही क १

मिनिह बिद भरतिह िसर नाई चल सकल घर िबदा कराई

धनय भरत जीवन जग माही सील सनह सराहत जाही २

कहिह परसपर भा बड़ काज सकल चल कर साजिह साज

जिह राखिह रह घर रखवारी सो जानइ जन गरदिन मारी ३

कोउ कह रहन किहअ निह काह को न चहइ जग जीवन लाह ४

दोहा जरउ सो सपित सदन सख सहद मात िपत भाइ

सनमख होत जो राम पद कर न सहस सहाइ १८५

घर घर साजिह बाहन नाना हरष हदय परभात पयाना

भरत जाइ घर कीनह िबचार नगर बािज गज भवन भडार १

सपित सब रघपित क आही जौ िबन जतन चलौ तिज ताही

तौ पिरनाम न मोिर भलाई पाप िसरोमिन साइ दोहाई २

करइ सवािम िहत सवक सोई दषन कोिट दइ िकन कोई

अस िबचािर सिच सवक बोल ज सपनह िनज धरम न डोल ३

किह सब मरम धरम भल भाषा जो जिह लायक सो तिह राखा

किर सब जतन रािख रखवार राम मात पिह भरत िसधार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 85 - अयोधयाकाड

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आरत जननी जािन सब भरत सनह सजान

कहउ बनावन पालकी सजन सखासन जान १८६

चकक चिकक िजिम पर नर नारी चहत ात उर आरत भारी

जागत सब िनिस भयउ िबहाना भरत बोलाए सिचव सजाना १

कहउ लह सब ितलक समाज बनिह दब मिन रामिह राज

बिग चलह सिन सिचव जोहार तरत तर ग रथ नाग सवार २

अरधती अर अिगिन समाऊ रथ चिढ़ चल थम मिनराऊ

िब बद चिढ़ बाहन नाना चल सकल तप तज िनधाना ३

नगर लोग सब सिज सिज जाना िच कट कह कीनह पयाना

िसिबका सभग न जािह बखानी चिढ़ चिढ़ चलत भई सब रानी ४

दोहा सौिप नगर सिच सवकिन सादर सकल चलाइ

सिमिर राम िसय चरन तब चल भरत दोउ भाइ १८७

राम दरस बस सब नर नारी जन किर किरिन चल तिक बारी

बन िसय राम समिझ मन माही सानज भरत पयादिह जाही १

दिख सनह लोग अनराग उतिर चल हय गय रथ तयाग

जाइ समीप रािख िनज डोली राम मात मद बानी बोली २

तात चढ़ह रथ बिल महतारी होइिह ि य पिरवार दखारी

तमहर चलत चिलिह सब लोग सकल सोक कस निह मग जोग ३

िसर धिर बचन चरन िसर नाई रथ चिढ़ चलत भए दोउ भाई

तमसा थम िदवस किर बास दसर गोमित तीर िनवास ४

दोहा पय अहार फल असन एक िनिस भोजन एक लोग

करत राम िहत नम त पिरहिर भषन भोग १८८

सई तीर बिस चल िबहान सगबरपर सब िनअरान

रामचिरतमानस - 86 - अयोधयाकाड

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समाचार सब सन िनषादा हदय िबचार करइ सिबषादा १

कारन कवन भरत बन जाही ह कछ कपट भाउ मन माही

जौ प िजय न होित किटलाई तौ कत लीनह सग कटकाई २

जानिह सानज रामिह मारी करउ अकटक राज सखारी

भरत न राजनीित उर आनी तब कलक अब जीवन हानी ३

सकल सरासर जरिह जझारा रामिह समर न जीतिनहारा

का आचरज भरत अस करही निह िबष बिल अिमअ फल फरही ४

दोहा अस िबचािर गह गयाित सन कहउ सजग सब होह

हथवासह बोरह तरिन कीिजअ घाटारोह १८९

होह सजोइल रोकह घाटा ठाटह सकल मर क ठाटा

सनमख लोह भरत सन लऊ िजअत न सरसिर उतरन दऊ १

समर मरन पिन सरसिर तीरा राम काज छनभग सरीरा

भरत भाइ नप म जन नीच बड़ भाग अिस पाइअ मीच २

सवािम काज किरहउ रन रारी जस धविलहउ भवन दस चारी

तजउ ान रघनाथ िनहोर दह हाथ मद मोदक मोर ३

साध समाज न जाकर लखा राम भगत मह जास न रखा

जाय िजअत जग सो मिह भार जननी जौबन िबटप कठार ४

दोहा िबगत िबषाद िनषादपित सबिह बढ़ाइ उछाह

सिमिर राम मागउ तरत तरकस धनष सनाह १९०

बगह भाइह सजह सजोऊ सिन रजाइ कदराइ न कोऊ

भलिह नाथ सब कहिह सहरषा एकिह एक बढ़ावइ करषा १

चल िनषाद जोहािर जोहारी सर सकल रन रचइ रारी

सिमिर राम पद पकज पनही भाथी बािध चढ़ाइिनह धनही २

अगरी पिहिर किड़ िसर धरही फरसा बास सल सम करही

रामचिरतमानस - 87 - अयोधयाकाड

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एक कसल अित ओड़न खाड़ कदिह गगन मनह िछित छाड़ ३

िनज िनज साज समाज बनाई गह राउतिह जोहार जाई

दिख सभट सब लायक जान ल ल नाम सकल सनमान ४

दोहा भाइह लावह धोख जिन आज काज बड़ मोिह

सिन सरोष बोल सभट बीर अधीर न होिह १९१

राम ताप नाथ बल तोर करिह कटक िबन भट िबन घोर

जीवत पाउ न पाछ धरही रड मडमय मिदिन करही १

दीख िनषादनाथ भल टोल कहउ बजाउ जझाऊ ढोल

एतना कहत छीक भइ बाए कहउ सगिनअनह खत सहाए २

बढ़ एक कह सगन िबचारी भरतिह िमिलअ न होइिह रारी

रामिह भरत मनावन जाही सगन कहइ अस िब ह नाही ३

सिन गह कहइ नीक कह बढ़ा सहसा किर पिछतािह िबमढ़ा

भरत सभाउ सील िबन बझ बिड़ िहत हािन जािन िबन जझ ४

दोहा गहह घाट भट सिमिट सब लउ मरम िमिल जाइ

बिझ िम अिर मधय गित तस तब किरहउ आइ १९२

लखन सनह सभाय सहाए बर ीित निह दरइ दराए

अस किह भट सजोवन लाग कद मल फल खग मग माग १

मीन पीन पाठीन परान भिर भिर भार कहारनह आन

िमलन साज सिज िमलन िसधाए मगल मल सगन सभ पाए २

दिख दिर त किह िनज नाम कीनह मनीसिह दड नाम

जािन रामि य दीिनह असीसा भरतिह कहउ बझाइ मनीसा ३

राम सखा सिन सदन तयागा चल उतिर उमगत अनरागा

गाउ जाित गह नाउ सनाई कीनह जोहार माथ मिह लाई ४

रामचिरतमानस - 88 - अयोधयाकाड

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दोहा करत दडवत दिख तिह भरत लीनह उर लाइ

मनह लखन सन भट भइ म न हदय समाइ १९३

भटत भरत तािह अित ीती लोग िसहािह म क रीती

धनय धनय धिन मगल मला सर सरािह तिह बिरसिह फला १

लोक बद सब भाितिह नीचा जास छाह छइ लइअ सीचा

तिह भिर अक राम लघ ाता िमलत पलक पिरपिरत गाता २

राम राम किह ज जमहाही ितनहिह न पाप पज समहाही

यह तौ राम लाइ उर लीनहा कल समत जग पावन कीनहा ३

करमनास जल सरसिर परई तिह को कहह सीस निह धरई

उलटा नाम जपत जग जाना बालमीिक भए समाना ४

दोहा सवपच सबर खस जमन जड़ पावर कोल िकरात

राम कहत पावन परम होत भवन िबखयात १९४

निह अिचरज जग जग चिल आई किह न दीिनह रघबीर बड़ाई

राम नाम मिहमा सर कहही सिन सिन अवधलोग सख लहही १

रामसखिह िमिल भरत स मा पछी कसल समगल खमा

दिख भरत कर सील सनह भा िनषाद तिह समय िबदह २

सकच सनह मोद मन बाढ़ा भरतिह िचतवत एकटक ठाढ़ा

धिर धीरज पद बिद बहोरी िबनय स म करत कर जोरी ३

कसल मल पद पकज पखी म ितह काल कसल िनज लखी

अब भ परम अन ह तोर सिहत कोिट कल मगल मोर ४

दोहा समिझ मोिर करतित कल भ मिहमा िजय जोइ

जो न भजइ रघबीर पद जग िबिध बिचत सोइ १९५

रामचिरतमानस - 89 - अयोधयाकाड

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कपटी कायर कमित कजाती लोक बद बाहर सब भाती

राम कीनह आपन जबही त भयउ भवन भषन तबही त १

दिख ीित सिन िबनय सहाई िमलउ बहोिर भरत लघ भाई

किह िनषाद िनज नाम सबानी सादर सकल जोहारी रानी २

जािन लखन सम दिह असीसा िजअह सखी सय लाख बरीसा

िनरिख िनषाद नगर नर नारी भए सखी जन लखन िनहारी ३

कहिह लहउ एिह जीवन लाह भटउ रामभ भिर बाह

सिन िनषाद िनज भाग बड़ाई मिदत मन लइ चलउ लवाई ४

दोहा सनकार सवक सकल चल सवािम रख पाइ

घर तर तर सर बाग बन बास बनाएिनह जाइ १९६

सगबरपर भरत दीख जब भ सनह सब अग िसिथल तब

सोहत िदए िनषादिह लाग जन तन धर िबनय अनराग १

एिह िबिध भरत सन सब सगा दीिख जाइ जग पाविन गगा

रामघाट कह कीनह नाम भा मन मगन िमल जन राम २

करिह नाम नगर नर नारी मिदत मय बािर िनहारी

किर मजजन मागिह कर जोरी रामच पद ीित न थोरी ३

भरत कहउ सरसिर तव रन सकल सखद सवक सरधन

जोिर पािन बर मागउ एह सीय राम पद सहज सनह ४

दोहा एिह िबिध मजजन भरत किर गर अनसासन पाइ

मात नहानी जािन सब डरा चल लवाइ १९७

जह तह लोगनह डरा कीनहा भरत सोध सबही कर लीनहा

सर सवा किर आयस पाई राम मात पिह ग दोउ भाई १

चरन चािप किह किह मद बानी जननी सकल भरत सनमानी

भाइिह सौिप मात सवकाई आप िनषादिह लीनह बोलाई २

रामचिरतमानस - 90 - अयोधयाकाड

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चल सखा कर सो कर जोर िसिथल सरीर सनह न थोर

पछत सखिह सो ठाउ दखाऊ नक नयन मन जरिन जड़ाऊ ३

जह िसय राम लखन िनिस सोए कहत भर जल लोचन कोए

भरत बचन सिन भयउ िबषाद तरत तहा लइ गयउ िनषाद ४

दोहा जह िससपा पनीत तर रघबर िकय िब ाम

अित सनह सादर भरत कीनहउ दड नाम १९८

कस साथरी िनहािर सहाई कीनह नाम दिचछन जाई

चरन रख रज आिखनह लाई बनइ न कहत ीित अिधकाई १

कनक िबद दइ चािरक दख राख सीस सीय सम लख

सजल िबलोचन हदय गलानी कहत सखा सन बचन सबानी २

ीहत सीय िबरह दितहीना जथा अवध नर नािर िबलीना

िपता जनक दउ पटतर कही करतल भोग जोग जग जही ३

ससर भानकल भान भआल जिह िसहात अमरावितपाल

ाननाथ रघनाथ गोसाई जो बड़ होत सो राम बड़ाई ४

दोहा पित दवता सतीय मिन सीय साथरी दिख

िबहरत दउ न हहिर हर पिब त किठन िबसिष १९९

लालन जोग लखन लघ लोन भ न भाइ अस अहिह न होन

परजन ि य िपत मात दलार िसय रघबरिह ानिपआर १

मद मरित सकमार सभाऊ तात बाउ तन लाग न काऊ

त बन सहिह िबपित सब भाती िनदर कोिट किलस एिह छाती २

राम जनिम जग कीनह उजागर रप सील सख सब गन सागर

परजन पिरजन गर िपत माता राम सभाउ सबिह सखदाता ३

बिरउ राम बड़ाई करही बोलिन िमलिन िबनय मन हरही

सारद कोिट कोिट सत सषा किर न सकिह भ गन गन लखा ४

रामचिरतमानस - 91 - अयोधयाकाड

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दोहा

सखसवरप रघबसमिन मगल मोद िनधान त सोवत कस डािस मिह िबिध गित अित बलवान २००

राम सना दख कान न काऊ जीवनतर िजिम जोगवइ राऊ

पलक नयन फिन मिन जिह भाती जोगविह जनिन सकल िदनराती १

त अब िफरत िबिपन पदचारी कद मल फल फल अहारी

िधग ककई अमगल मला भइिस ान ि यतम ितकला २

म िधग िधग अघ उदिध अभागी सब उतपात भयउ जिह लागी

कल कलक किर सजउ िबधाता साइदोह मोिह कीनह कमाता ३

सिन स म समझाव िनषाद नाथ किरअ कत बािद िबषाद

राम तमहिह ि य तमह ि य रामिह यह िनरजोस दोस िबिध बामिह ४ छद

िबिध बाम की करनी किठन जिह मात कीनही बावरी तिह राित पिन पिन करिह भ सादर सरहना रावरी

तलसी न तमह सो राम ीतम कहत हौ सौह िकए

पिरनाम मगल जािन अपन आिनए धीरज िहए

सोरठा अतरजामी राम सकच स म कपायतन

चिलअ किरअ िब ाम यह िबचािर दढ़ आिन मन २०१

सखा बचन सिन उर धिर धीरा बास चल सिमरत रघबीरा

यह सिध पाइ नगर नर नारी चल िबलोकन आरत भारी १

परदिखना किर करिह नामा दिह ककइिह खोिर िनकामा

भरी भिर बािर िबलोचन लही बाम िबधातािह दषन दही २

एक सराहिह भरत सनह कोउ कह नपित िनबाहउ नह

िनदिह आप सरािह िनषादिह को किह सकइ िबमोह िबषादिह ३

रामचिरतमानस - 92 - अयोधयाकाड

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एिह िबिध राित लोग सब जागा भा िभनसार गदारा लागा

गरिह सनाव चढ़ाइ सहाई नई नाव सब मात चढ़ाई ४

दड चािर मह भा सब पारा उतिर भरत तब सबिह सभारा ५

दोहा ाति या किर मात पद बिद गरिह िसर नाइ

आग िकए िनषाद गन दीनहउ कटक चलाइ २०२

िकयउ िनषादनाथ अगआई मात पालकी सकल चलाई

साथ बोलाइ भाइ लघ दीनहा िब नह सिहत गवन गर कीनहा १

आप सरसिरिह कीनह नाम सिमर लखन सिहत िसय राम

गवन भरत पयोदिह पाए कोतल सग जािह डोिरआए २

कहिह ससवक बारिह बारा होइअ नाथ असव असवारा

राम पयोदिह पाय िसधाए हम कह रथ गज बािज बनाए ३

िसर भर जाउ उिचत अस मोरा सब त सवक धरम कठोरा

दिख भरत गित सिन मद बानी सब सवक गन गरिह गलानी ४

दोहा भरत तीसर पहर कह कीनह बस याग कहत राम िसय राम िसय उमिग उमिग अनराग २०३

झलका झलकत पायनह क स पकज कोस ओस कन जस

भरत पयादिह आए आज भयउ दिखत सिन सकल समाज १

खबिर लीनह सब लोग नहाए कीनह नाम ि बिनिह आए

सिबिध िसतािसत नीर नहान िदए दान मिहसर सनमान २

दखत सयामल धवल हलोर पलिक सरीर भरत कर जोर

सकल काम द तीरथराऊ बद िबिदत जग गट भाऊ ३

मागउ भीख तयािग िनज धरम आरत काह न करइ ककरम

अस िजय जािन सजान सदानी सफल करिह जग जाचक बानी ४

रामचिरतमानस - 93 - अयोधयाकाड

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दोहा अरथ न धरम न काम रिच गित न चहउ िनरबान

जनम जनम रित राम पद यह बरदान न आन २०४

जानह राम किटल किर मोही लोग कहउ गर सािहब ोही

सीता राम चरन रित मोर अनिदन बढ़उ अन ह तोर १

जलद जनम भिर सरित िबसारउ जाचत जल पिब पाहन डारउ

चातक रटिन घट घिट जाई बढ़ म सब भाित भलाई २

कनकिह बान चढ़इ िजिम दाह ितिम ि यतम पद नम िनबाह

भरत बचन सिन माझ ि बनी भइ मद बािन समगल दनी ३

तात भरत तमह सब िबिध साध राम चरन अनराग अगाध

बाद गलािन करह मन माही तमह सम रामिह कोउ ि य नाही ४

दोहा तन पलकउ िहय हरष सिन बिन बचन अनकल

भरत धनय किह धनय सर हरिषत बरषिह फल २०५

मिदत तीरथराज िनवासी बखानस बट गही उदासी

कहिह परसपर िमिल दस पाचा भरत सनह सील सिच साचा १

सनत राम गन ाम सहाए भर ाज मिनबर पिह आए

दड नाम करत मिन दख मरितमत भागय िनज लख २

धाइ उठाइ लाइ उर लीनह दीिनह असीस कतारथ कीनह

आसन दीनह नाइ िसर बठ चहत सकच गह जन भिज पठ ३

मिन पछब कछ यह बड़ सोच बोल िरिष लिख सील सकोच

सनह भरत हम सब सिध पाई िबिध करतब पर िकछ न बसाई ४

दोहा तमह गलािन िजय जिन करह समझी मात करतित

तात ककइिह दोस निह गई िगरा मित धित २०६

रामचिरतमानस - 94 - अयोधयाकाड

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यहउ कहत भल किहिह न कोऊ लोक बद बध समत दोऊ

तात तमहार िबमल जस गाई पाइिह लोकउ बद बड़ाई १

लोक बद समत सब कहई जिह िपत दइ राज सो लहई

राउ सतय त तमहिह बोलाई दत राज सख धरम बड़ाई २

राम गवन बन अनरथ मला जो सिन सकल िबसव भइ सला

सो भावी बस रािन अयानी किर कचािल अतह पिछतानी ३

तहउ तमहार अलप अपराध कह सो अधम अयान असाध

करतह राज त तमहिह न दोष रामिह होत सनत सतोष ४

दोहा अब अित कीनहह भरत भल तमहिह उिचत मत एह

सकल समगल मल जग रघबर चरन सनह २०७

सो तमहार धन जीवन ाना भिरभाग को तमहिह समाना

यह तमहार आचरज न ताता दसरथ सअन राम ि य ाता १

सनह भरत रघबर मन माही पम पा तमह सम कोउ नाही

लखन राम सीतिह अित ीती िनिस सब तमहिह सराहत बीती २

जाना मरम नहात यागा मगन होिह तमहर अनरागा

तमह पर अस सनह रघबर क सख जीवन जग जस जड़ नर क ३

यह न अिधक रघबीर बड़ाई नत कटब पाल रघराई

तमह तौ भरत मोर मत एह धर दह जन राम सनह ४

दोहा तमह कह भरत कलक यह हम सब कह उपदस

राम भगित रस िसि िहत भा यह समउ गनस २०८

नव िबध िबमल तात जस तोरा रघबर िककर कमद चकोरा

उिदत सदा अथइिह कबह ना घिटिह न जग नभ िदन िदन दना १

कोक ितलोक ीित अित किरही भ ताप रिब छिबिह न हिरही

िनिस िदन सखद सदा सब काह िसिह न ककइ करतब राह २

रामचिरतमानस - 95 - अयोधयाकाड

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परन राम सपम िपयषा गर अवमान दोष निह दषा

राम भगत अब अिमअ अघाह कीनहह सलभ सधा बसधाह ३

भप भगीरथ सरसिर आनी सिमरत सकल समगल खानी

दसरथ गन गन बरिन न जाही अिधक कहा जिह सम जग नाही ४

दोहा जास सनह सकोच बस राम गट भए आइ

ज हर िहय नयनिन कबह िनरख नही अघाइ २०९

कीरित िबध तमह कीनह अनपा जह बस राम पम मगरपा

तात गलािन करह िजय जाए डरह दिर िह पारस पाए १

सनह भरत हम झठ न कहही उदासीन तापस बन रहही

सब साधन कर सफल सहावा लखन राम िसय दरसन पावा २

तिह फल कर फल दरस तमहारा सिहत पयाग सभाग हमारा

भरत धनय तमह जस जग जयऊ किह अस पम मगन पिन भयऊ ३

सिन मिन बचन सभासद हरष साध सरािह समन सर बरष

धनय धनय धिन गगन पयागा सिन सिन भरत मगन अनरागा ४

दोहा पलक गात िहय राम िसय सजल सरोरह नन

किर नाम मिन मडिलिह बोल गदगद बन २१०

मिन समाज अर तीरथराज सािचह सपथ अघाइ अकाज

एिह थल जौ िकछ किहअ बनाई एिह सम अिधक न अघ अधमाई १

तमह सबरगय कहउ सितभाऊ उर अतरजामी रघराऊ

मोिह न मात करतब कर सोच निह दख िजय जग जािनिह पोच २

नािहन डर िबगिरिह परलोक िपतह मरन कर मोिह न सोक

सकत सजस भिर भअन सहाए लिछमन राम सिरस सत पाए ३

राम िबरह तिज तन छनभग भप सोच कर कवन सग

राम लखन िसय िबन पग पनही किर मिन बष िफरिह बन बनही ४

रामचिरतमानस - 96 - अयोधयाकाड

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दोहा

अिजन बसन फल असन मिह सयन डािस कस पात

बिस तर तर िनत सहत िहम आतप बरषा बात २११

एिह दख दाह दहइ िदन छाती भख न बासर नीद न राती

एिह करोग कर औषध नाही सोधउ सकल िबसव मन माही १

मात कमत बढ़ई अघ मला तिह हमार िहत कीनह बसला

किल ककाठ कर कीनह कज गािड़ अविध पिढ़ किठन कम २

मोिह लिग यह कठाट तिह ठाटा घालिस सब जग बारहबाटा

िमटइ कजोग राम िफिर आए बसइ अवध निह आन उपाए ३

भरत बचन सिन मिन सख पाई सबिह कीनह बह भाित बड़ाई

तात करह जिन सोच िबसषी सब दख िमटिह राम पग दखी ४

दोहा किर बोध मिनबर कहउ अितिथ पमि य होह

कद मल फल फल हम दिह लह किर छोह २१२

सिन मिन बचन भरत िहय सोच भयउ कअवसर किठन सकोच

जािन गरइ गर िगरा बहोरी चरन बिद बोल कर जोरी १

िसर धिर आयस किरअ तमहारा परम धरम यह नाथ हमारा

भरत बचन मिनबर मन भाए सिच सवक िसष िनकट बोलाए २

चािहए कीनह भरत पहनाई कद मल फल आनह जाई

भलही नाथ किह ितनह िसर नाए मिदत िनज िनज काज िसधाए ३

मिनिह सोच पाहन बड़ नवता तिस पजा चािहअ जस दवता

सिन िरिध िसिध अिनमािदक आई आयस होइ सो करिह गोसाई ४

दोहा राम िबरह बयाकल भरत सानज सिहत समाज

पहनाई किर हरह म कहा मिदत मिनराज २१३

रामचिरतमानस - 97 - अयोधयाकाड

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िरिध िसिध िसर धिर मिनबर बानी बड़भािगिन आपिह अनमानी

कहिह परसपर िसिध समदाई अतिलत अितिथ राम लघ भाई १

मिन पद बिद किरअ सोइ आज होइ सखी सब राज समाज

अस किह रचउ रिचर गह नाना जिह िबलोिक िबलखािह िबमाना २

भोग िबभित भिर भिर राख दखत िजनहिह अमर अिभलाष

दासी दास साज सब लीनह जोगवत रहिह मनिह मन दीनह ३

सब समाज सिज िसिध पल माही ज सख सरपर सपनह नाही

थमिह बास िदए सब कही सदर सखद जथा रिच जही ४

दोहा बहिर सपिरजन भरत कह िरिष अस आयस दीनह

िबिध िबसमय दायक िबभव मिनबर तपबल कीनह २१४

मिन भाउ जब भरत िबलोका सब लघ लग लोकपित लोका

सख समाज निह जाइ बखानी दखत िबरित िबसारही गयानी १

आसन सयन सबसन िबताना बन बािटका िबहग मग नाना

सरिभ फल फल अिमअ समाना िबमल जलासय िबिबध िबधाना २

असन पान सच अिमअ अमी स दिख लोग सकचात जमी स

सर सरभी सरतर सबही क लिख अिभलाष सरस सची क ३

िरत बसत बह ि िबध बयारी सब कह सलभ पदारथ चारी

क चदन बिनतािदक भोगा दिख हरष िबसमय बस लोगा ४

दोहा सपत चकई भरत चक मिन आयस खलवार

तिह िनिस आ म िपजरा राख भा िभनसार २१५

मासपारायण उननीसवा िव ाम

कीनह िनमजजन तीरथराजा नाइ मिनिह िसर सिहत समाजा

रामचिरतमानस - 98 - अयोधयाकाड

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िरिष आयस असीस िसर राखी किर दडवत िबनय बह भाषी १

पथ गित कसल साथ सब लीनह चल िच कटिह िचत दीनह

रामसखा कर दीनह लाग चलत दह धिर जन अनराग २

निह पद ान सीस निह छाया पम नम त धरम अमाया

लखन राम िसय पथ कहानी पछत सखिह कहत मद बानी ३

राम बास थल िबटप िबलोक उर अनराग रहत निह रोक

दिख दसा सर बिरसिह फला भइ मद मिह मग मगल मला ४

दोहा िकए जािह छाया जलद सखद बहइ बर बात

तस मग भयउ न राम कह जस भा भरतिह जात २१६

जड़ चतन मग जीव घनर ज िचतए भ िजनह भ हर

त सब भए परम पद जोग भरत दरस मटा भव रोग १

यह बिड़ बात भरत कइ नाही सिमरत िजनिह राम मन माही

बारक राम कहत जग जऊ होत तरन तारन नर तऊ २

भरत राम ि य पिन लघ ाता कस न होइ मग मगलदाता

िस साध मिनबर अस कहही भरतिह िनरिख हरष िहय लहही ३

दिख भाउ सरसिह सोच जग भल भलिह पोच कह पोच

गर सन कहउ किरअ भ सोई रामिह भरतिह भट न होई ४

दोहा राम सकोची म बस भरत सपम पयोिध

बनी बात बगरन चहित किरअ जतन छल सोिध २१७

बचन सनत सरगर मसकान सहसनयन िबन लोचन जान

मायापित सवक सन माया करइ त उलिट परइ सरराया १

तब िकछ कीनह राम रख जानी अब कचािल किर होइिह हानी

सन सरस रघनाथ सभाऊ िनज अपराध िरसािह न काऊ २

जो अपराध भगत कर करई राम रोष पावक सो जरई

रामचिरतमानस - 99 - अयोधयाकाड

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लोकह बद िबिदत इितहासा यह मिहमा जानिह दरबासा ३

भरत सिरस को राम सनही जग जप राम राम जप जही ४

दोहा मनह न आिनअ अमरपित रघबर भगत अकाज

अजस लोक परलोक दख िदन िदन सोक समाज २१८

सन सरस उपदस हमारा रामिह सवक परम िपआरा

मानत सख सवक सवकाई सवक बर बर अिधकाई १

ज िप सम निह राग न रोष गहिह न पाप पन गन दोष

करम धान िबसव किर राखा जो जस करइ सो तस फल चाखा २

तदिप करिह सम िबषम िबहारा भगत अभगत हदय अनसारा

अगन अलप अमान एकरस राम सगन भए भगत पम बस ३

राम सदा सवक रिच राखी बद परान साध सर साखी

अस िजय जािन तजह किटलाई करह भरत पद ीित सहाई ४

दोहा राम भगत परिहत िनरत पर दख दखी दयाल

भगत िसरोमिन भरत त जिन डरपह सरपाल २१९

सतयसध भ सर िहतकारी भरत राम आयस अनसारी

सवारथ िबबस िबकल तमह होह भरत दोस निह राउर मोह १

सिन सरबर सरगर बर बानी भा मोद मन िमटी गलानी

बरिष सन हरिष सरराऊ लग सराहन भरत सभाऊ २

एिह िबिध भरत चल मग जाही दसा दिख मिन िस िसहाही

जबिह राम किह लिह उसासा उमगत पम मनह चह पासा ३

विह बचन सिन किलस पषाना परजन पम न जाइ बखाना

बीच बास किर जमनिह आए िनरिख नीर लोचन जल छाए १

दोहा

रामचिरतमानस - 100 - अयोधयाकाड

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रघबर बरन िबलोिक बर बािर समत समाज होत मगन बािरिध िबरह चढ़ िबबक जहाज २२०

जमन तीर तिह िदन किर बास भयउ समय सम सबिह सपास

रातिह घाट घाट की तरनी आई अगिनत जािह न बरनी १

ात पार भए एकिह खवा तोष रामसखा की सवा

चल नहाइ निदिह िसर नाई साथ िनषादनाथ दोउ भाई २

आग मिनबर बाहन आछ राजसमाज जाइ सब पाछ

तिह पाछ दोउ बध पयाद भषन बसन बष सिठ साद ३

सवक स द सिचवसत साथा सिमरत लखन सीय रघनाथा

जह जह राम बास िब ामा तह तह करिह स म नामा ४

दोहा मगबासी नर नािर सिन धाम काम तिज धाइ

दिख सरप सनह सब मिदत जनम फल पाइ २२१

कहिह सपम एक एक पाही राम लखन सिख होिह िक नाही

बय बप बरन रप सोइ आली सील सनह सिरस सम चाली १

बष न सो सिख सीय न सगा आग अनी चली चतरगा

निह सनन मख मानस खदा सिख सदह होइ एिह भदा २

तास तरक ितयगन मन मानी कहिह सकल तिह सम न सयानी

तिह सरािह बानी फिर पजी बोली मधर बचन ितय दजी ३

किह सपम सब कथा सग जिह िबिध राम राज रस भग

भरतिह बहिर सराहन लागी सील सनह सभाय सभागी ४

दोहा चलत पयाद खात फल िपता दीनह तिज राज

जात मनावन रघबरिह भरत सिरस को आज २२२

भायप भगित भरत आचरन कहत सनत दख दषन हरन

रामचिरतमानस - 101 - अयोधयाकाड

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जो कछ कहब थोर सिख सोई रा म बध अस काह न होई १

हम सब सानज भरतिह दख भइनह धनय जबती जन लख

सिन गन दिख दसा पिछताही ककइ जनिन जोग सत नाही २

कोउ कह दषन रािनिह नािहन िबिध सब कीनह हमिह जो दािहन

कह हम लोक बद िबिध हीनी लघ ितय कल करतित मलीनी ३

बसिह कदस कगाव कबामा कह यह दरस पनय पिरनामा

अस अनद अिचिरज ित ामा जन मरभिम कलपतर जामा ४

दोहा भरत दरस दखत खलउ मग लोगनह कर भाग

जन िसघलबािसनह भयउ िबिध बस सलभ याग २२३

िनज गन सिहत राम गन गाथा सनत जािह सिमरत रघनाथा

तीरथ मिन आ म सरधामा िनरिख िनमजजिह करिह नामा १

मनही मन मागिह बर एह सीय राम पद पदम सनह

िमलिह िकरात कोल बनबासी बखानस बट जती उदासी २

किर नाम पछिह जिह तही किह बन लखन राम बदही

त भ समाचार सब कहही भरतिह दिख जनम फल लहही ३

ज जन कहिह कसल हम दख त ि य राम लखन सम लख

एिह िबिध बझत सबिह सबानी सनत राम बनबास कहानी ४

दोहा तिह बासर बिस ातही चल सिमिर रघनाथ

राम दरस की लालसा भरत सिरस सब साथ २२४

मगल सगन होिह सब काह फरकिह सखद िबलोचन बाह

भरतिह सिहत समाज उछाह िमिलहिह राम िमटिह दख दाह १

करत मनोरथ जस िजय जाक जािह सनह सरा सब छाक

िसिथल अग पग मग डिग डोलिह िबहबल बचन पम बस बोलिह २

रामसखा तिह समय दखावा सल िसरोमिन सहज सहावा

रामचिरतमानस - 102 - अयोधयाकाड

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जास समीप सिरत पय तीरा सीय समत बसिह दोउ बीरा ३

दिख करिह सब दड नामा किह जय जानिक जीवन रामा

म मगन अस राज समाज जन िफिर अवध चल रघराज ४

दोहा भरत म तिह समय जस तस किह सकइ न सष

किबिह अगम िजिम सख अह मम मिलन जनष २२५

सकल सनह िसिथल रघबर क गए कोस दइ िदनकर ढरक

जल थल दिख बस िनिस बीत कीनह गवन रघनाथ िपरीत १

उहा राम रजनी अवसषा जाग सीय सपन अस दखा

सिहत समाज भरत जन आए नाथ िबयोग ताप तन ताए २

सकल मिलन मन दीन दखारी दखी सास आन अ नहारी

सिन िसय सपन भर जल लोचन भए सोचबस सोच िबमोचन ३

लखन सपन यह नीक न होई किठन कचाह सनाइिह कोई

अस किह बध समत नहान पिज परािर साध सनमान ४ छद

सनमािन सर मिन बिद बठ उ र िदिस दखत भए

नभ धिर खग मग भिर भाग िबकल भ आ म गए

तलसी उठ अवलोिक कारन काह िचत सचिकत रह

सब समाचार िकरात कोलिनह आइ तिह अवसर कह

दोहा सनत समगल बन मन मोद तन पलक भर

सरद सरोरह नन तलसी भर सनह जल २२६

बहिर सोचबस भ िसयरवन कारन कवन भरत आगवन

एक आइ अस कहा बहोरी सन सग चतरग न थोरी १

सो सिन रामिह भा अित सोच इत िपत बच इत बध सकोच

रामचिरतमानस - 103 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ समिझ मन माही भ िचत िहत िथित पावत नाही २

समाधान तब भा यह जान भरत कह मह साध सयान

लखन लखउ भ हदय खभार कहत समय सम नीित िबचार ३

िबन पछ कछ कहउ गोसाई सवक समय न ढीठ िढठाई

तमह सबरगय िसरोमिन सवामी आपिन समिझ कहउ अनगामी ४

दोहा नाथ स द सिठ सरल िचत सील सनह िनधान

सब पर ीित तीित िजय जािनअ आप समान २२७

िबषई जीव पाइ भताई मढ़ मोह बस होिह जनाई

भरत नीित रत साध सजाना भ पद म सकल जग जाना १

तऊ आज राम पद पाई चल धरम मरजाद मटाई

किटल कबध कअवसर ताकी जािन राम बनवास एकाकी २

किर कम मन सािज समाज आए कर अकटक राज

कोिट कार कलिप कटलाई आए दल बटोिर दोउ भाई ३

जौ िजय होित न कपट कचाली किह सोहाित रथ बािज गजाली

भरतिह दोस दइ को जाए जग बौराइ राज पद पाए ४

दोहा सिस गर ितय गामी नघष चढ़उ भिमसर जान

लोक बद त िबमख भा अधम न बन समान २२८

सहसबाह सरनाथ ि सक किह न राजमद दीनह कलक

भरत कीनह यह उिचत उपाऊ िरप िरन रच न राखब काऊ १

एक कीिनह निह भरत भलाई िनदर राम जािन असहाई

समिझ पिरिह सोउ आज िबसषी समर सरोष राम मख पखी २

एतना कहत नीित रस भला रन रस िबटप पलक िमस फला

भ पद बिद सीस रज राखी बोल सतय सहज बल भाषी ३

अनिचत नाथ न मानब मोरा भरत हमिह उपचार न थोरा

रामचिरतमानस - 104 - अयोधयाकाड

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कह लिग सिहअ रिहअ मन मार नाथ साथ धन हाथ हमार ४

दोहा छि जाित रघकल जनम राम अनग जग जान

लातह मार चढ़ित िसर नीच को धिर समान २२९

उिठ कर जोिर रजायस मागा मनह बीर रस सोवत जागा

बािध जटा िसर किस किट भाथा सािज सरासन सायक हाथा १

आज राम सवक जस लऊ भरतिह समर िसखावन दऊ

राम िनरादर कर फल पाई सोवह समर सज दोउ भाई २

आइ बना भल सकल समाज गट करउ िरस पािछल आज

िजिम किर िनकर दलइ मगराज लइ लपिट लवा िजिम बाज ३

तसिह भरतिह सन समता सानज िनदिर िनपातउ खता

जौ सहाय कर सकर आई तौ मारउ रन राम दोहाई ४

दोहा अित सरोष माख लखन लिख सिन सपथ वान

सभय लोक सब लोकपित चाहत भभिर भगान २३०

जग भय मगन गगन भइ बानी लखन बाहबल िबपल बखानी

तात ताप भाउ तमहारा को किह सकइ को जानिनहारा १

अनिचत उिचत काज िकछ होऊ समिझ किरअ भल कह सब कोऊ

सहसा किर पाछ पिछताही कहिह बद बध त बध नाही २

सिन सर बचन लखन सकचान राम सीय सादर सनमान

कही तात तमह नीित सहाई सब त किठन राजमद भाई ३

जो अचवत नप मातिह तई नािहन साधसभा जिह सई

सनह लखन भल भरत सरीसा िबिध पच मह सना न दीसा ४

दोहा भरतिह होइ न राजमद िबिध हिर हर पद पाइ

रामचिरतमानस - 105 - अयोधयाकाड

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कबह िक काजी सीकरिन छीरिसध िबनसाइ २३१

ितिमर तरन तरिनिह मक िगलई गगन मगन मक मघिह िमलई

गोपद जल बड़िह घटजोनी सहज छमा बर छाड़ छोनी १

मसक फक मक मर उड़ाई होइ न नपमद भरतिह भाई

लखन तमहार सपथ िपत आना सिच सबध निह भरत समाना २

सगन खीर अवगन जल ताता िमलइ रचइ परपच िबधाता

भरत हस रिबबस तड़ागा जनिम कीनह गन दोष िबभागा ३

गिह गन पय तिज अवगन बारी िनज जस जगत कीिनह उिजआरी

कहत भरत गन सील सभाऊ पम पयोिध मगन रघराऊ ४

दोहा सिन रघबर बानी िबबध दिख भरत पर हत सकल सराहत राम सो भ को कपािनकत २३२

जौ न होत जग जनम भरत को सकल धरम धर धरिन धरत को

किब कल अगम भरत गन गाथा को जानइ तमह िबन रघनाथा १

लखन राम िसय सिन सर बानी अित सख लहउ न जाइ बखानी

इहा भरत सब सिहत सहाए मदािकनी पनीत नहाए २

सिरत समीप रािख सब लोगा मािग मात गर सिचव िनयोगा

चल भरत जह िसय रघराई साथ िनषादनाथ लघ भाई ३

समिझ मात करतब सकचाही करत कतरक कोिट मन माही

राम लखन िसय सिन मम नाऊ उिठ जिन अनत जािह तिज ठाऊ ४

दोहा मात मत मह मािन मोिह जो कछ करिह सो थोर

अघ अवगन छिम आदरिह समिझ आपनी ओर २३३

जौ पिरहरिह मिलन मन जानी जौ सनमानिह सवक मानी

मोर सरन रामिह की पनही राम ससवािम दोस सब जनही १

रामचिरतमानस - 106 - अयोधयाकाड

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जग जस भाजन चातक मीना नम पम िनज िनपन नबीना

अस मन गनत चल मग जाता सकच सनह िसिथल सब गाता २

फरत मनह मात कत खोरी चलत भगित बल धीरज धोरी

जब समझत रघनाथ सभाऊ तब पथ परत उताइल पाऊ ३

भरत दसा तिह अवसर कसी जल बाह जल अिल गित जसी

दिख भरत कर सोच सनह भा िनषाद तिह समय िबदह ४

दोहा लग होन मगल सगन सिन गिन कहत िनषाद िमिटिह सोच होइिह हरष पिन पिरनाम िबषाद २३४

सवक बचन सतय सब जान आ म िनकट जाइ िनअरान

भरत दीख बन सल समाज मिदत छिधत जन पाइ सनाज १

ईित भीित जन जा दखारी ि िबध ताप पीिड़त ह मारी

जाइ सराज सदस सखारी होिह भरत गित तिह अनहारी २

राम बास बन सपित ाजा सखी जा जन पाइ सराजा

सिचव िबराग िबबक नरस िबिपन सहावन पावन दस ३

भट जम िनयम सल रजधानी साित समित सिच सदर रानी

सकल अग सपनन सराऊ राम चरन आि त िचत चाऊ ४

दोहा जीित मोह मिहपाल दल सिहत िबबक भआल

करत अकटक राज पर सख सपदा सकाल २३५

बन दस मिन बास घनर जन पर नगर गाउ गन खर

िबपल िबिच िबहग मग नाना जा समाज न जाइ बखाना १

खगहा किर हिर बाघ बराहा दिख मिहष बष साज सराहा

बयर िबहाइ चरिह एक सगा जह तह मनह सन चतरगा २

झरना झरिह म गज गाजिह मनह िनसान िबिबिध िबिध बाजिह

चक चकोर चातक सक िपक गन कजत मज मराल मिदत मन ३

रामचिरतमानस - 107 - अयोधयाकाड

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अिलगन गावत नाचत मोरा जन सराज मगल चह ओरा

बिल िबटप तन सफल सफला सब समाज मद मगल मला ४

दोहा राम सल सोभा िनरिख भरत हदय अित पम तापस तप फल पाइ िजिम सखी िसरान नम २३६

मासपारायण बीसवा िव ाम

नवा पारायण पाचवा िव ाम

तब कवट ऊच चिढ़ धाई कहउ भरत सन भजा उठाई

नाथ दिखअिह िबटप िबसाला पाकिर जब रसाल तमाला १

िजनह तरबरनह मधय बट सोहा मज िबसाल दिख मन मोहा

नील सघन पललव फल लाला अिबरल छाह सखद सब काला २

मानह ितिमर अरनमय रासी िबरची िबिध सकिल सषमा सी

ए तर सिरत समीप गोसाई रघबर परनकटी जह छाई ३

तलसी तरबर िबिबध सहाए कह कह िसय कह लखन लगाए

बट छाया बिदका बनाई िसय िनज पािन सरोज सहाई ४

दोहा जहा बिठ मिनगन सिहत िनत िसय राम सजान

सनिह कथा इितहास सब आगम िनगम परान २३७

सखा बचन सिन िबटप िनहारी उमग भरत िबलोचन बारी

करत नाम चल दोउ भाई कहत ीित सारद सकचाई १

हरषिह िनरिख राम पद अका मानह पारस पायउ रका

रज िसर धिर िहय नयनिनह लाविहरघबर िमलन सिरस सख पाविह २

दिख भरत गित अकथ अतीवा म मगन मग खग जड़ जीवा

सखिह सनह िबबस मग भला किह सपथ सर बरषिह फला ३

िनरिख िस साधक अनराग सहज सनह सराहन लाग

रामचिरतमानस - 108 - अयोधयाकाड

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होत न भतल भाउ भरत को अचर सचर चर अचर करत को ४

दोहा पम अिमअ मदर िबरह भरत पयोिध गभीर

मिथ गटउ सर साध िहत कपािसध रघबीर २३८

सखा समत मनोहर जोटा लखउ न लखन सघन बन ओटा

भरत दीख भ आ म पावन सकल समगल सदन सहावन १

करत बस िमट दख दा वा जन जोगी परमारथ पावा

दख भरत लखन भ आग पछ बचन कहत अनराग २

सीस जटा किट मिन पट बाध तन कस कर सर धन काध

बदी पर मिन साध समाज सीय सिहत राजत रघराज ३

बलकल बसन जिटल तन सयामा जन मिन बष कीनह रित कामा

कर कमलिन धन सायक फरत िजय की जरिन हरत हिस हरत ४

दोहा लसत मज मिन मडली मधय सीय रघचद

गयान सभा जन तन धर भगित सिचचदानद २३९

सानज सखा समत मगन मन िबसर हरष सोक सख दख गन

पािह नाथ किह पािह गोसाई भतल पर लकट की नाई १

बचन सपम लखन पिहचान करत नाम भरत िजय जान

बध सनह सरस एिह ओरा उत सािहब सवा बस जोरा २

िमिल न जाइ निह गदरत बनई सकिब लखन मन की गित भनई

रह रािख सवा पर भार चढ़ी चग जन खच खलार ३

कहत स म नाइ मिह माथा भरत नाम करत रघनाथा

उठ राम सिन पम अधीरा कह पट कह िनषग धन तीरा ४

दोहा बरबस िलए उठाइ उर लाए कपािनधान

रामचिरतमानस - 109 - अयोधयाकाड

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भरत राम की िमलिन लिख िबसर सबिह अपान २४०

िमलिन ीित िकिम जाइ बखानी किबकल अगम करम मन बानी

परम पम परन दोउ भाई मन बिध िचत अहिमित िबसराई १

कहह सपम गट को करई किह छाया किब मित अनसरई

किबिह अरथ आखर बल साचा अनहिर ताल गितिह नट नाचा २

अगम सनह भरत रघबर को जह न जाइ मन िबिध हिर हर को

सो म कमित कहौ किह भाती बाज सराग िक गाडर ताती ३

िमलिन िबलोिक भरत रघबर की सरगन सभय धकधकी धरकी

समझाए सरगर जड़ जाग बरिष सन ससन लाग ४

दोहा िमिल सपम िरपसदनिह कवट भटउ राम

भिर भाय भट भरत लिछमन करत नाम २४१

भटउ लखन ललिक लघ भाई बहिर िनषाद लीनह उर लाई

पिन मिनगन दह भाइनह बद अिभमत आिसष पाइ अनद १

सानज भरत उमिग अनरागा धिर िसर िसय पद पदम परागा

पिन पिन करत नाम उठाए िसर कर कमल परिस बठाए २

सीय असीस दीिनह मन माही मगन सनह दह सिध नाही

सब िबिध सानकल लिख सीता भ िनसोच उर अपडर बीता ३

कोउ िकछ कहइ न कोउ िकछ पछा म भरा मन िनज गित छछा

तिह अवसर कवट धीरज धिर जोिर पािन िबनवत नाम किर ४

दोहा नाथ साथ मिननाथ क मात सकल पर लोग

सवक सनप सिचव सब आए िबकल िबयोग २४२

सीलिसध सिन गर आगवन िसय समीप राख िरपदवन

चल सबग राम तिह काला धीर धरम धर दीनदयाला १

रामचिरतमानस - 110 - अयोधयाकाड

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गरिह दिख सानज अनराग दड नाम करन भ लाग

मिनबर धाइ िलए उर लाई म उमिग भट दोउ भाई २ म पलिक कवट किह नाम कीनह दिर त दड नाम

रामसखा िरिष बरबस भटा जन मिह लठत सनह समटा ३

रघपित भगित समगल मला नभ सरािह सर बिरसिह फला

एिह सम िनपट नीच कोउ नाही बड़ बिस सम को जग माही ४

दोहा जिह लिख लखनह त अिधक िमल मिदत मिनराउ

सो सीतापित भजन को गट ताप भाउ २४३

आरत लोग राम सब जाना करनाकर सजान भगवाना

जो जिह भाय रहा अिभलाषी तिह तिह क तिस तिस रख राखी १

सानज िमिल पल मह सब काह कीनह दिर दख दारन दाह

यह बिड़ बात राम क नाही िजिम घट कोिट एक रिब छाही २

िमिल कविटिह उमिग अनरागा परजन सकल सराहिह भागा

दखी राम दिखत महतारी जन सबिल अवली िहम मारी ३

थम राम भटी ककई सरल सभाय भगित मित भई

पग पिर कीनह बोध बहोरी काल करम िबिध िसर धिर खोरी ४

दोहा भटी रघबर मात सब किर बोध पिरतोष

अब ईस आधीन जग काह न दइअ दोष २४४

गरितय पद बद दह भाई सिहत िब ितय ज सग आई

गग गौिर सम सब सनमानी दिह असीस मिदत मद बानी १

गिह पद लग सिम ा अका जन भटी सपित अित रका

पिन जनिन चरनिन दोउ ाता पर पम बयाकल सब गाता २

अित अनराग अब उर लाए नयन सनह सिलल अनहवाए

तिह अवसर कर हरष िबषाद िकिम किब कह मक िजिम सवाद ३

रामचिरतमानस - 111 - अयोधयाकाड

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िमिल जननिह सानज रघराऊ गर सन कहउ िक धािरअ पाऊ

परजन पाइ मनीस िनयोग जल थल तिक तिक उतरउ लोग ४

दोहा मिहसर म ी मात गर गन लोग िलए साथ

पावन आ म गवन िकय भरत लखन रघनाथ २४५

सीय आइ मिनबर पग लागी उिचत असीस लही मन मागी

गरपितिनिह मिनितयनह समता िमली पम किह जाइ न जता १

बिद बिद पग िसय सबही क आिसरबचन लह ि य जी क

सास सकल जब सीय िनहारी मद नयन सहिम सकमारी २

परी बिधक बस मनह मराली काह कीनह करतार कचाली

ितनह िसय िनरिख िनपट दख पावा सो सब सिहअ जो दउ सहावा ३

जनकसता तब उर धिर धीरा नील निलन लोयन भिर नीरा

िमली सकल सासनह िसय जाई तिह अवसर करना मिह छाई ४

दोहा लािग लािग पग सबिन िसय भटित अित अनराग

हदय असीसिह पम बस रिहअह भरी सोहाग २४६

िबकल सनह सीय सब रानी बठन सबिह कहउ गर गयानी

किह जग गित माियक मिननाथा कह कछक परमारथ गाथा १

नप कर सरपर गवन सनावा सिन रघनाथ दसह दख पावा

मरन हत िनज नह िबचारी भ अित िबकल धीर धर धारी २

किलस कठोर सनत कट बानी िबलपत लखन सीय सब रानी

सोक िबकल अित सकल समाज मानह राज अकाजउ आज ३

मिनबर बहिर राम समझाए सिहत समाज ससिरत नहाए

त िनरब तिह िदन भ कीनहा मिनह कह जल काह न लीनहा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 112 - अयोधयाकाड

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भोर भए रघनदनिह जो मिन आयस दीनह

ा भगित समत भ सो सब सादर कीनह २४७

किर िपत ि या बद जिस बरनी भ पनीत पातक तम तरनी

जास नाम पावक अघ तला सिमरत सकल समगल मला १

स सो भयउ साध समत अस तीरथ आवाहन सरसिर जस

स भए दइ बासर बीत बोल गर सन रा म िपरीत २

नाथ लोग सब िनपट दखारी कद मल फल अब अहारी

सानज भरत सिचव सब माता दिख मोिह पल िजिम जग जाता ३

सब समत पर धािरअ पाऊ आप इहा अमरावित राऊ

बहत कहउ सब िकयउ िढठाई उिचत होइ तस किरअ गोसाई ४

दोहा धमर सत करनायतन कस न कहह अस राम

लोग दिखत िदन दइ दरस दिख लहह िब ाम २४८

राम बचन सिन सभय समाज जन जलिनिध मह िबकल जहाज

सिन गर िगरा समगल मला भयउ मनह मारत अनकला १

पावन पय ितह काल नहाही जो िबलोिक अघ ओघ नसाही

मगलमरित लोचन भिर भिर िनरखिह हरिष दडवत किर किर २

राम सल बन दखन जाही जह सख सकल सकल दख नाही

झरना झिरिह सधासम बारी ि िबध तापहर ि िबध बयारी ३

िबटप बिल तन अगिनत जाती फल सन पललव बह भाती

सदर िसला सखद तर छाही जाइ बरिन बन छिब किह पाही ४

दोहा सरिन सरोरह जल िबहग कजत गजत भग

बर िबगत िबहरत िबिपन मग िबहग बहरग २४९

कोल िकरात िभलल बनबासी मध सिच सदर सवाद सधा सी

रामचिरतमानस - 113 - अयोधयाकाड

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भिर भिर परन पटी रिच ररी कद मल फल अकर जरी १

सबिह दिह किर िबनय नामा किह किह सवाद भद गन नामा

दिह लोग बह मोल न लही फरत राम दोहाई दही २

कहिह सनह मगन मद बानी मानत साध पम पिहचानी

तमह सकती हम नीच िनषादा पावा दरसन राम सादा ३

हमिह अगम अित दरस तमहारा जस मर धरिन दवधिन धारा

राम कपाल िनषाद नवाजा पिरजन जउ चिहअ जस राजा ४

दोहा यह िजय जािन सकोच तिज किरअ छोह लिख नह

हमिह कतारथ करन लिग फल तन अकर लह २५०

तमह ि य पाहन बन पग धार सवा जोग न भाग हमार

दब काह हम तमहिह गोसाई ईधन पात िकरात िमताई १

यह हमािर अित बिड़ सवकाई लिह न बासन बसन चोराई

हम जड़ जीव जीव गन घाती किटल कचाली कमित कजाती २

पाप करत िनिस बासर जाही निह पट किट निह पट अघाही

सपोनह धरम बि कस काऊ यह रघनदन दरस भाऊ ३

जब त भ पद पदम िनहार िमट दसह दख दोष हमार

बचन सनत परजन अनराग ितनह क भाग सराहन लाग ४ छद

लाग सराहन भाग सब अनराग बचन सनावही बोलिन िमलिन िसय राम चरन सनह लिख सख पावही

नर नािर िनदरिह नह िनज सिन कोल िभललिन की िगरा

तलसी कपा रघबसमिन की लोह ल लौका ितरा

सोरठा िबहरिह बन चह ओर ितिदन मिदत लोग सब

जल जयो दादर मोर भए पीन पावस थम २५१

रामचिरतमानस - 114 - अयोधयाकाड

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पर जन नािर मगन अित ीती बासर जािह पलक सम बीती

सीय सास ित बष बनाई सादर करइ सिरस सवकाई १

लखा न मरम राम िबन काह माया सब िसय माया माह

सीय सास सवा बस कीनही ितनह लिह सख िसख आिसष दीनही २

लिख िसय सिहत सरल दोउ भाई किटल रािन पिछतािन अघाई

अविन जमिह जाचित ककई मिह न बीच िबिध मीच न दई ३

लोकह बद िबिदत किब कहही राम िबमख थल नरक न लहही

यह ससउ सब क मन माही राम गवन िबिध अवध िक नाही ४

दोहा िनिस न नीद निह भख िदन भरत िबकल सिच सोच नीच कीच िबच मगन जस मीनिह सिलल सकोच २५२

कीनही मात िमस काल कचाली ईित भीित जस पाकत साली

किह िबिध होइ राम अिभषक मोिह अवकलत उपाउ न एक १

अविस िफरिह गर आयस मानी मिन पिन कहब राम रिच जानी

मात कहह बहरिह रघराऊ राम जनिन हठ करिब िक काऊ २

मोिह अनचर कर कितक बाता तिह मह कसमउ बाम िबधाता

जौ हठ करउ त िनपट ककरम हरिगिर त गर सवक धरम ३

एकउ जगित न मन ठहरानी सोचत भरतिह रिन िबहानी

ात नहाइ भिह िसर नाई बठत पठए िरषय बोलाई ४

दोहा गर पद कमल नाम किर बठ आयस पाइ

िब महाजन सिचव सब जर सभासद आइ २५३

बोल मिनबर समय समाना सनह सभासद भरत सजाना

धरम धरीन भानकल भान राजा राम सवबस भगवान १

सतयसध पालक ित सत राम जनम जग मगल हत

रामचिरतमानस - 115 - अयोधयाकाड

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गर िपत मात बचन अनसारी खल दल दलन दव िहतकारी २

नीित ीित परमारथ सवारथ कोउ न राम सम जान जथारथ

िबिध हिर हर सिस रिब िदिसपाला माया जीव करम किल काला ३

अिहप मिहप जह लिग भताई जोग िसि िनगमागम गाई

किर िबचार िजय दखह नीक राम रजाइ सीस सबही क ४

दोहा राख राम रजाइ रख हम सब कर िहत होइ

समिझ सयान करह अब सब िमिल समत सोइ २५४

सब कह सखद राम अिभषक मगल मोद मल मग एक

किह िबिध अवध चलिह रघराऊ कहह समिझ सोइ किरअ उपाऊ १

सब सादर सिन मिनबर बानी नय परमारथ सवारथ सानी

उतर न आव लोग भए भोर तब िसर नाइ भरत कर जोर २

भानबस भए भप घनर अिधक एक त एक बड़र

जनम हत सब कह िपत माता करम सभासभ दइ िबधाता ३

दिल दख सजइ सकल कलयाना अस असीस राउिर जग जाना

सो गोसाइ िबिध गित जिह छकी सकइ को टािर टक जो टकी ४

दोहा बिझअ मोिह उपाउ अब सो सब मोर अभाग

सिन सनहमय बचन गर उर उमगा अनराग २५५

तात बात फिर राम कपाही राम िबमख िसिध सपनह नाही

सकचउ तात कहत एक बाता अरध तजिह बध सरबस जाता १

तमह कानन गवनह दोउ भाई फिरअिह लखन सीय रघराई

सिन सबचन हरष दोउ ाता भ मोद पिरपरन गाता २

मन सनन तन तज िबराजा जन िजय राउ राम भए राजा

बहत लाभ लोगनह लघ हानी सम दख सख सब रोविह रानी ३

कहिह भरत मिन कहा सो कीनह फल जग जीवनह अिभमत दीनह

रामचिरतमानस - 116 - अयोधयाकाड

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कानन करउ जनम भिर बास एिह त अिधक न मोर सपास ४

दोहा अतरजामी राम िसय तमह सरबगय सजान

जो फर कहह त नाथ िनज कीिजअ बचन वान २५६

भरत बचन सिन दिख सनह सभा सिहत मिन भए िबदह

भरत महा मिहमा जलरासी मिन मित ठािढ़ तीर अबला सी १

गा चह पार जतन िहय हरा पावित नाव न बोिहत बरा

और किरिह को भरत बड़ाई सरसी सीिप िक िसध समाई २

भरत मिनिह मन भीतर भाए सिहत समाज राम पिह आए

भ नाम किर दीनह सआसन बठ सब सिन मिन अनसासन ३

बोल मिनबर बचन िबचारी दस काल अवसर अनहारी

सनह राम सरबगय सजाना धरम नीित गन गयान िनधाना ४

दोहा सब क उर अतर बसह जानह भाउ कभाउ

परजन जननी भरत िहत होइ सो किहअ उपाउ २५७

आरत कहिह िबचािर न काऊ सझ जआिरिह आपन दाऊ

सिन मिन बचन कहत रघराऊ नाथ तमहारिह हाथ उपाऊ १

सब कर िहत रख राउिर राख आयस िकए मिदत फर भाष

थम जो आयस मो कह होई माथ मािन करौ िसख सोई २

पिन जिह कह जस कहब गोसाई सो सब भाित घिटिह सवकाई

कह मिन राम सतय तमह भाषा भरत सनह िबचार न राखा ३

तिह त कहउ बहोिर बहोरी भरत भगित बस भइ मित मोरी

मोर जान भरत रिच रािख जो कीिजअ सो सभ िसव साखी ४

दोहा भरत िबनय सादर सिनअ किरअ िबचार बहोिर

रामचिरतमानस - 117 - अयोधयाकाड

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करब साधमत लोकमत नपनय िनगम िनचोिर २५८

गर अनराग भरत पर दखी राम हदय आनद िबसषी

भरतिह धरम धरधर जानी िनज सवक तन मानस बानी १

बोल गर आयस अनकला बचन मज मद मगलमला

नाथ सपथ िपत चरन दोहाई भयउ न भअन भरत सम भाई २

ज गर पद अबज अनरागी त लोकह बदह बड़भागी

राउर जा पर अस अनराग को किह सकइ भरत कर भाग ३

लिख लघ बध बि सकचाई करत बदन पर भरत बड़ाई

भरत कहही सोइ िकए भलाई अस किह राम रह अरगाई ४

दोहा तब मिन बोल भरत सन सब सकोच तिज तात

कपािसध ि य बध सन कहह हदय क बात २५९

सिन मिन बचन राम रख पाई गर सािहब अनकल अघाई

लिख अपन िसर सब छर भार किह न सकिह कछ करिह िबचार १

पलिक सरीर सभा भए ठाढ नीरज नयन नह जल बाढ़

कहब मोर मिननाथ िनबाहा एिह त अिधक कहौ म काहा २

म जानउ िनज नाथ सभाऊ अपरािधह पर कोह न काऊ

मो पर कपा सनह िबसषी खलत खिनस न कबह दखी ३

िससपन तम पिरहरउ न सग कबह न कीनह मोर मन भग

म भ कपा रीित िजय जोही हारह खल िजताविह मोही ४

दोहा मह सनह सकोच बस सनमख कही न बन

दरसन तिपत न आज लिग पम िपआस नन २६०

िबिध न सकउ सिह मोर दलारा नीच बीच जननी िमस पारा

यहउ कहत मोिह आज न सोभा अपनी समिझ साध सिच को भा १

रामचिरतमानस - 118 - अयोधयाकाड

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मात मिद म साध सचाली उर अस आनत कोिट कचाली

फरइ िक कोदव बािल ससाली मकता सव िक सबक काली २

सपनह दोसक लस न काह मोर अभाग उदिध अवगाह

िबन समझ िनज अघ पिरपाक जािरउ जाय जनिन किह काक ३

हदय हिर हारउ सब ओरा एकिह भाित भलिह भल मोरा

गर गोसाइ सािहब िसय राम लागत मोिह नीक पिरनाम ४

दोहा साध सभा गर भ िनकट कहउ सथल सित भाउ

म पच िक झठ फर जानिह मिन रघराउ २६१

भपित मरन पम पन राखी जननी कमित जगत सब साखी

दिख न जािह िबकल महतारी जरिह दसह जर पर नर नारी १

मही सकल अनरथ कर मला सो सिन समिझ सिहउ सब सला

सिन बन गवन कीनह रघनाथा किर मिन बष लखन िसय साथा २

िबन पानिहनह पयादिह पाए सकर सािख रहउ एिह घाए

बहिर िनहार िनषाद सनह किलस किठन उर भयउ न बह ३

अब सब आिखनह दखउ आई िजअत जीव जड़ सबइ सहाई

िजनहिह िनरिख मग सािपिन बीछी तजिह िबषम िबष तामस तीछी४

दोहा तइ रघनदन लखन िसय अनिहत लाग जािह

तास तनय तिज दसह दख दउ सहावइ कािह २६२

सिन अित िबकल भरत बर बानी आरित ीित िबनय नय सानी

सोक मगन सब सभा खभार मनह कमल बन परउ तसार १

किह अनक िबिध कथा परानी भरत बोध कीनह मिन गयानी

बोल उिचत बचन रघनद िदनकर कल करव बन चद २

तात जाय िजय करह गलानी ईस अधीन जीव गित जानी

तीिन काल ितभअन मत मोर पनयिसलोक तात तर तोर ३

रामचिरतमानस - 119 - अयोधयाकाड

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उर आनत तमह पर किटलाई जाइ लोक परलोक नसाई

दोस दिह जनिनिह जड़ तई िजनह गर साध सभा निह सई ४

दोहा िमिटहिह पाप पच सब अिखल अमगल भार लोक सजस परलोक सख सिमरत नाम तमहार २६३

कहउ सभाउ सतय िसव साखी भरत भिम रह राउिर राखी

तात कतरक करह जिन जाए बर पम निह दरइ दराए १

मिन गन िनकट िबहग मग जाही बाधक बिधक िबलोिक पराही

िहत अनिहत पस पिचछउ जाना मानष तन गन गयान िनधाना २

तात तमहिह म जानउ नीक करौ काह असमजस जीक

राखउ राय सतय मोिह तयागी तन पिरहरउ पम पन लागी ३

तास बचन मटत मन सोच तिह त अिधक तमहार सकोच

ता पर गर मोिह आयस दीनहा अविस जो कहह चहउ सोइ कीनहा ४

दोहा मन सनन किर सकच तिज कहह करौ सोइ आज

सतयसध रघबर बचन सिन भा सखी समाज २६४

सर गन सिहत सभय सरराज सोचिह चाहत होन अकाज

बनत उपाउ करत कछ नाही राम सरन सब ग मन माही १

बहिर िबचािर परसपर कहही रघपित भगत भगित बस अहही

सिध किर अबरीष दरबासा भ सर सरपित िनपट िनरासा २

सह सरनह बह काल िबषादा नरहिर िकए गट हलादा

लिग लिग कान कहिह धिन माथा अब सर काज भरत क हाथा ३

आन उपाउ न दिखअ दवा मानत राम ससवक सवा

िहय सपम सिमरह सब भरतिह िनज गन सील राम बस करतिह ४

दोहा

रामचिरतमानस - 120 - अयोधयाकाड

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सिन सर मत सरगर कहउ भल तमहार बड़ भाग

सकल समगल मल जग भरत चरन अनराग २६५

सीतापित सवक सवकाई कामधन सय सिरस सहाई

भरत भगित तमहर मन आई तजह सोच िबिध बात बनाई १

दख दवपित भरत भाऊ सहज सभाय िबबस रघराऊ

मन िथर करह दव डर नाही भरतिह जािन राम पिरछाही २

सनो सरगर सर समत सोच अतरजामी भिह सकोच

िनज िसर भार भरत िजय जाना करत कोिट िबिध उर अनमाना ३

किर िबचार मन दीनही ठीका राम रजायस आपन नीका

िनज पन तिज राखउ पन मोरा छोह सनह कीनह निह थोरा ४

दोहा कीनह अन ह अिमत अित सब िबिध सीतानाथ

किर नाम बोल भरत जोिर जलज जग हाथ २६६

कहौ कहावौ का अब सवामी कपा अबिनिध अतरजामी

गर सनन सािहब अनकला िमटी मिलन मन कलिपत सला १

अपडर डरउ न सोच समल रिबिह न दोस दव िदिस भल

मोर अभाग मात किटलाई िबिध गित िबषम काल किठनाई २

पाउ रोिप सब िमिल मोिह घाला नतपाल पन आपन पाला

यह नइ रीित न राउिर होई लोकह बद िबिदत निह गोई ३

जग अनभल भल एक गोसाई किहअ होइ भल कास भलाई

दउ दवतर सिरस सभाऊ सनमख िबमख न काहिह काऊ ४

दोहा जाइ िनकट पिहचािन तर छाह समिन सब सोच

मागत अिभमत पाव जग राउ रक भल पोच २६७

लिख सब िबिध गर सवािम सनह िमटउ छोभ निह मन सदह

रामचिरतमानस - 121 - अयोधयाकाड

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अब करनाकर कीिजअ सोई जन िहत भ िचत छोभ न होई १

जो सवक सािहबिह सकोची िनज िहत चहइ तास मित पोची

सवक िहत सािहब सवकाई कर सकल सख लोभ िबहाई २

सवारथ नाथ िफर सबही का िकए रजाइ कोिट िबिध नीका

यह सवारथ परमारथ सार सकल सकत फल सगित िसगार ३

दव एक िबनती सिन मोरी उिचत होइ तस करब बहोरी

ितलक समाज सािज सब आना किरअ सफल भ जौ मन माना ४

दोहा सानज पठइअ मोिह बन कीिजअ सबिह सनाथ नतर फिरअिह बध दोउ नाथ चलौ म साथ २६८

नतर जािह बन तीिनउ भाई बहिरअ सीय सिहत रघराई

जिह िबिध भ सनन मन होई करना सागर कीिजअ सोई १

दव दीनह सब मोिह अभार मोर नीित न धरम िबचार

कहउ बचन सब सवारथ हत रहत न आरत क िचत चत २

उतर दइ सिन सवािम रजाई सो सवक लिख लाज लजाई

अस म अवगन उदिध अगाध सवािम सनह सराहत साध ३

अब कपाल मोिह सो मत भावा सकच सवािम मन जाइ न पावा

भ पद सपथ कहउ सित भाऊ जग मगल िहत एक उपाऊ ४

दोहा भ सनन मन सकच तिज जो जिह आयस दब

सो िसर धिर धिर किरिह सब िमिटिह अनट अवरब २६९

भरत बचन सिच सिन सर हरष साध सरािह समन सर बरष

असमजस बस अवध नवासी मिदत मन तापस बनबासी १

चपिह रह रघनाथ सकोची भ गित दिख सभा सब सोची

जनक दत तिह अवसर आए मिन बिस सिन बिग बोलाए २

किर नाम ितनह राम िनहार बष दिख भए िनपट दखार

रामचिरतमानस - 122 - अयोधयाकाड

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दतनह मिनबर बझी बाता कहह िबदह भप कसलाता ३

सिन सकचाइ नाइ मिह माथा बोल चर बर जोर हाथा

बझब राउर सादर साई कसल हत सो भयउ गोसाई ४

दोहा नािह त कोसल नाथ क साथ कसल गइ नाथ

िमिथला अवध िबसष त जग सब भयउ अनाथ २७०

कोसलपित गित सिन जनकौरा भ सब लोक सोक बस बौरा

जिह दख तिह समय िबदह नाम सतय अस लाग न कह १

रािन कचािल सनत नरपालिह सझ न कछ जस मिन िबन बयालिह

भरत राज रघबर बनबास भा िमिथलसिह हदय हरास २

नप बझ बध सिचव समाज कहह िबचािर उिचत का आज

समिझ अवध असमजस दोऊ चिलअ िक रिहअ न कह कछ कोऊ ३

नपिह धीर धिर हदय िबचारी पठए अवध चतर चर चारी

बिझ भरत सित भाउ कभाऊ आएह बिग न होइ लखाऊ ४

दोहा गए अवध चर भरत गित बिझ दिख करतित

चल िच कटिह भरत चार चल तरहित २७१

दतनह आइ भरत कइ करनी जनक समाज जथामित बरनी

सिन गर पिरजन सिचव महीपित भ सब सोच सनह िबकल अित १

धिर धीरज किर भरत बड़ाई िलए सभट साहनी बोलाई

घर पर दस रािख रखवार हय गय रथ बह जान सवार २

दघरी सािध चल ततकाला िकए िब ाम न मग महीपाला

भोरिह आज नहाइ यागा चल जमन उतरन सब लागा ३

खबिर लन हम पठए नाथा ितनह किह अस मिह नायउ माथा

साथ िकरात छ सातक दीनह मिनबर तरत िबदा चर कीनह ४

रामचिरतमानस - 123 - अयोधयाकाड

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दोहा सनत जनक आगवन सब हरषउ अवध समाज

रघनदनिह सकोच बड़ सोच िबबस सरराज २७२

गरइ गलािन किटल ककई कािह कह किह दषन दई

अस मन आिन मिदत नर नारी भयउ बहोिर रहब िदन चारी १

एिह कार गत बासर सोऊ ात नहान लाग सब कोऊ

किर मजजन पजिह नर नारी गनप गौिर ितपरािर तमारी २

रमा रमन पद बिद बहोरी िबनविह अजिल अचल जोरी

राजा राम जानकी रानी आनद अविध अवध रजधानी ३

सबस बसउ िफिर सिहत समाजा भरतिह राम करह जबराजा

एिह सख सधा सीची सब काह दव दह जग जीवन लाह ४

दोहा गर समाज भाइनह सिहत राम राज पर होउ

अछत राम राजा अवध मिरअ माग सब कोउ २७३

सिन सनहमय परजन बानी िनदिह जोग िबरित मिन गयानी

एिह िबिध िनतयकरम किर परजन रामिह करिह नाम पलिक तन १

ऊच नीच मधयम नर नारी लहिह दरस िनज िनज अनहारी

सावधान सबही सनमानिह सकल सराहत कपािनधानिह २

लिरकाइिह त रघबर बानी पालत नीित ीित पिहचानी

सील सकोच िसध रघराऊ समख सलोचन सरल सभाऊ ३

कहत राम गन गन अनराग सब िनज भाग सराहन लाग

हम सम पनय पज जग थोर िजनहिह राम जानत किर मोर ४

दोहा म मगन तिह समय सब सिन आवत िमिथलस

सिहत सभा स म उठउ रिबकल कमल िदनस २७४

रामचिरतमानस - 124 - अयोधयाकाड

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भाइ सिचव गर परजन साथा आग गवन कीनह रघनाथा

िगिरबर दीख जनकपित जबही किर नाम रथ तयागउ तबही १

राम दरस लालसा उछाह पथ म लस कलस न काह

मन तह जह रघबर बदही िबन मन तन दख सख सिध कही २

आवत जनक चल एिह भाती सिहत समाज म मित माती

आए िनकट दिख अनराग सादर िमलन परसपर लाग ३

लग जनक मिनजन पद बदन िरिषनह नाम कीनह रघनदन

भाइनह सिहत राम िमिल राजिह चल लवाइ समत समाजिह ४

दोहा आ म सागर सात रस परन पावन पाथ

सन मनह करना सिरत िलए जािह रघनाथ २७५

बोरित गयान िबराग करार बचन ससोक िमलत नद नार

सोच उसास समीर तरगा धीरज तट तरबर कर भगा १

िबषम िबषाद तोरावित धारा भय म भवर अबतर अपारा

कवट बध िब ा बिड़ नावा सकिह न खइ ऐक निह आवा २

बनचर कोल िकरात िबचार थक िबलोिक पिथक िहय हार

आ म उदिध िमली जब जाई मनह उठउ अबिध अकलाई ३

सोक िबकल दोउ राज समाजा रहा न गयान न धीरज लाजा

भप रप गन सील सराही रोविह सोक िसध अवगाही ४ छद

अवगािह सोक सम सोचिह नािर नर बयाकल महा

द दोष सकल सरोष बोलिह बाम िबिध कीनहो कहा

सर िस तापस जोिगजन मिन दिख दसा िबदह की तलसी न समरथ कोउ जो तिर सक सिरत सनह की

सोरठा

िकए अिमत उपदस जह तह लोगनह मिनबरनह

रामचिरतमानस - 125 - अयोधयाकाड

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धीरज धिरअ नरस कहउ बिस िबदह सन २७६

जास गयान रिब भव िनिस नासा बचन िकरन मिन कमल िबकासा

तिह िक मोह ममता िनअराई यह िसय राम सनह बड़ाई १

िबषई साधक िस सयान ि िबध जीव जग बद बखान

राम सनह सरस मन जास साध सभा बड़ आदर तास २

सोह न राम पम िबन गयान करनधार िबन िजिम जलजान

मिन बहिबिध िबदह समझाए रामघाट सब लोग नहाए ३

सकल सोक सकल नर नारी सो बासर बीतउ िबन बारी

पस खग मगनह न कीनह अहार ि य पिरजन कर कौन िबचार ४

दोहा दोउ समाज िनिमराज रघराज नहान ात बठ सब बट िबटप तर मन मलीन कस गात २७७

ज मिहसर दसरथ पर बासी ज िमिथलापित नगर िनवासी

हस बस गर जनक परोधा िजनह जग मग परमारथ सोधा १

लग कहन उपदस अनका सिहत धरम नय िबरित िबबका

कौिसक किह किह कथा परानी समझाई सब सभा सबानी २

तब रघनाथ कोिसकिह कहऊ नाथ कािल जल िबन सब रहऊ

मिन कह उिचत कहत रघराई गयउ बीित िदन पहर अढ़ाई ३

िरिष रख लिख कह तरहितराज इहा उिचत निह असन अनाज

कहा भप भल सबिह सोहाना पाइ रजायस चल नहाना ४

दोहा तिह अवसर फल फल दल मल अनक कार

लइ आए बनचर िबपल भिर भिर काविर भार २७८

कामद म िगिर राम सादा अवलोकत अपहरत िबषादा

सर सिरता बन भिम िबभागा जन उमगत आनद अनरागा १

रामचिरतमानस - 126 - अयोधयाकाड

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बिल िबटप सब सफल सफला बोलत खग मग अिल अनकला

तिह अवसर बन अिधक उछाह ि िबध समीर सखद सब काह २

जाइ न बरिन मनोहरताई जन मिह करित जनक पहनाई

तब सब लोग नहाइ नहाई राम जनक मिन आयस पाई ३

दिख दिख तरबर अनराग जह तह परजन उतरन लाग

दल फल मल कद िबिध नाना पावन सदर सधा समाना ४

दोहा सादर सब कह रामगर पठए भिर भिर भार

पिज िपतर सर अितिथ गर लग करन फरहार २७९

एिह िबिध बासर बीत चारी राम िनरिख नर नािर सखारी

दह समाज अिस रिच मन माही िबन िसय राम िफरब भल नाही १

सीता राम सग बनबास कोिट अमरपर सिरस सपास

पिरहिर लखन राम बदही जिह घर भाव बाम िबिध तही २

दािहन दइउ होइ जब सबही राम समीप बिसअ बन तबही

मदािकिन मजजन ितह काला राम दरस मद मगल माला ३

अटन राम िगिर बन तापस थल असन अिमअ सम कद मल फल

सख समत सबत दइ साता पल सम होिह न जिनअिह जाता ४

दोहा एिह सख जोग न लोग सब कहिह कहा अस भाग

सहज सभाय समाज दह राम चरन अनराग २८०

एिह िबिध सकल मनोरथ करही बचन स म सनत मन हरही

सीय मात तिह समय पठाई दासी दिख सअवसर आई १

सावकास सिन सब िसय सास आयउ जनकराज रिनवास

कौसलया सादर सनमानी आसन िदए समय सम आनी २

सील सनह सकल दह ओरा विह दिख सिन किलस कठोरा

पलक िसिथल तन बािर िबलोचन मिह नख िलखन लगी सब सोचन३

रामचिरतमानस - 127 - अयोधयाकाड

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सब िसय राम ीित िक िस मरती जन करना बह बष िबसरित

सीय मात कह िबिध बिध बाकी जो पय फन फोर पिब टाकी ४

दोहा सिनअ सधा दिखअिह गरल सब करतित कराल

जह तह काक उलक बक मानस सकत मराल २८१

सिन ससोच कह दिब सिम ा िबिध गित बिड़ िबपरीत िबिच ा

जो सिज पालइ हरइ बहोरी बाल किल सम िबिध मित भोरी १

कौसलया कह दोस न काह करम िबबस दख सख छित लाह

किठन करम गित जान िबधाता जो सभ असभ सकल फल दाता २

ईस रजाइ सीस सबही क उतपित िथित लय िबषह अमी क

दिब मोह बस सोिचअ बादी िबिध पच अस अचल अनादी ३

भपित िजअब मरब उर आनी सोिचअ सिख लिख िनज िहत हानी

सीय मात कह सतय सबानी सकती अविध अवधपित रानी ४

दोहा लखन राम िसय जाह बन भल पिरनाम न पोच

गहबिर िहय कह कौिसला मोिह भरत कर सोच २८२

ईस साद असीस तमहारी सत सतबध दवसिर बारी

राम सपथ म कीनह न काऊ सो किर कहउ सखी सित भाऊ १

भरत सील गन िबनय बड़ाई भायप भगित भरोस भलाई

कहत सारदह कर मित हीच सागर सीप िक जािह उलीच २

जानउ सदा भरत कलदीपा बार बार मोिह कहउ महीपा

कस कनक मिन पािरिख पाए परष पिरिखअिह समय सभाए ३

अनिचत आज कहब अस मोरा सोक सनह सयानप थोरा

सिन सरसिर सम पाविन बानी भई सनह िबकल सब रानी ४

रामचिरतमानस - 128 - अयोधयाकाड

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दोहा कौसलया कह धीर धिर सनह दिब िमिथलिस को िबबकिनिध बललभिह तमहिह सकइ उपदिस २८३

रािन राय सन अवसर पाई अपनी भाित कहब समझाई

रिखअिह लखन भरत गबनिह बन जौ यह मत मान महीप मन १

तौ भल जतन करब सिबचारी मोर सौच भरत कर भारी

गढ़ सनह भरत मन माही रह नीक मोिह लागत नाही २

लिख सभाउ सिन सरल सबानी सब भइ मगन करन रस रानी

नभ सन झिर धनय धनय धिन िसिथल सनह िस जोगी मिन ३

सब रिनवास िबथिक लिख रहऊ तब धिर धीर सिम ा कहऊ

दिब दड जग जािमिन बीती राम मात सनी उठी स ीती ४

दोहा बिग पाउ धािरअ थलिह कह सनह सितभाय

हमर तौ अब ईस गित क िमिथलस सहाय २८४

लिख सनह सिन बचन िबनीता जनकि या गह पाय पनीता

दिब उिचत अिस िबनय तमहारी दसरथ घिरिन राम महतारी १

भ अपन नीचह आदरही अिगिन धम िगिर िसर ितन धरही

सवक राउ करम मन बानी सदा सहाय महस भवानी २

रउर अग जोग जग को ह दीप सहाय िक िदनकर सोह

राम जाइ बन किर सर काज अचल अवधपर किरहिह राज ३

अमर नाग नर राम बाहबल सख बिसहिह अपन अपन थल

यह सब जागबिलक किह राखा दिब न होइ मधा मिन भाषा ४

दोहा अस किह पग पिर पम अित िसय िहत िबनय सनाइ

िसय समत िसयमात तब चली सआयस पाइ २८५

रामचिरतमानस - 129 - अयोधयाकाड

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ि य पिरजनिह िमली बदही जो जिह जोग भाित तिह तही

तापस बष जानकी दखी भा सब िबकल िबषाद िबसषी १

जनक राम गर आयस पाई चल थलिह िसय दखी आई

लीिनह लाइ उर जनक जानकी पाहन पावन पम ान की २

उर उमगउ अबिध अनराग भयउ भप मन मनह पयाग

िसय सनह बट बाढ़त जोहा ता पर राम पम िसस सोहा ३

िचरजीवी मिन गयान िबकल जन बड़त लहउ बाल अवलबन

मोह मगन मित निह िबदह की मिहमा िसय रघबर सनह की ४

दोहा िसय िपत मात सनह बस िबकल न सकी सभािर

धरिनसता धीरज धरउ समउ सधरम िबचािर २८६

तापस बष जनक िसय दखी भयउ पम पिरतोष िबसषी

पि पिव िकए कल दोऊ सजस धवल जग कह सब कोऊ १

िजित सरसिर कीरित सिर तोरी गवन कीनह िबिध अड करोरी

गग अविन थल तीिन बड़र एिह िकए साध समाज घनर २

िपत कह सतय सनह सबानी सीय सकच मह मनह समानी

पिन िपत मात लीनह उर लाई िसख आिसष िहत दीिनह सहाई ३

कहित न सीय सकिच मन माही इहा बसब रजनी भल नाही

लिख रख रािन जनायउ राऊ हदय सराहत सील सभाऊ ४

दोहा बार बार िमिल भट िसय िबदा कीनह सनमािन

कही समय िसर भरत गित रािन सबािन सयािन २८७

सिन भपाल भरत बयवहार सोन सगध सधा सिस सार

मद सजल नयन पलक तन सजस सराहन लग मिदत मन १

सावधान सन समिख सलोचिन भरत कथा भव बध िबमोचिन

धरम राजनय िबचार इहा जथामित मोर चार २

रामचिरतमानस - 130 - अयोधयाकाड

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सो मित मोिर भरत मिहमाही कह काह छिल छअित न छाही

िबिध गनपित अिहपित िसव सारद किब कोिबद बध बि िबसारद ३

भरत चिरत कीरित करतती धरम सील गन िबमल िबभती

समझत सनत सखद सब काह सिच सरसिर रिच िनदर सधाह ४

दोहा िनरविध गन िनरपम परष भरत भरत सम जािन

किहअ समर िक सर सम किबकल मित सकचािन २८८

अगम सबिह बरनत बरबरनी िजिम जलहीन मीन गम धरनी

भरत अिमत मिहमा सन रानी जानिह राम न सकिह बखानी १

बरिन स म भरत अनभाऊ ितय िजय की रिच लिख कह राऊ

बहरिह लखन भरत बन जाही सब कर भल सब क मन माही २

दिब परत भरत रघबर की ीित तीित जाइ निह तरकी

भरत अविध सनह ममता की ज िप राम सीम समता की ३

परमारथ सवारथ सख सार भरत न सपनह मनह िनहार

साधन िस राम पग नह मोिह लिख परत भरत मत एह ४

दोहा भोरह भरत न पिलहिह मनसह राम रजाइ

किरअ न सोच सनह बस कहउ भप िबलखाइ २८९

राम भरत गन गनत स ीती िनिस दपितिह पलक सम बीती

राज समाज ात जग जाग नहाइ नहाइ सर पजन लाग १

ग नहाइ गर पही रघराई बिद चरन बोल रख पाई

नाथ भरत परजन महतारी सोक िबकल बनबास दखारी २

सिहत समाज राउ िमिथलस बहत िदवस भए सहत कलस

उिचत होइ सोइ कीिजअ नाथा िहत सबही कर रौर हाथा ३

अस किह अित सकच रघराऊ मिन पलक लिख सील सभाऊ

तमह िबन राम सकल सख साजा नरक सिरस दह राज समाजा ४

रामचिरतमानस - 131 - अयोधयाकाड

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दोहा

ान ान क जीव क िजव सख क सख राम

तमह तिज तात सोहात गह िजनहिह ितनहिह िबिध बाम २९०

सो सख करम धरम जिर जाऊ जह न राम पद पकज भाऊ

जोग कजोग गयान अगयान जह निह राम पम परधान १

तमह िबन दखी सखी तमह तही तमह जानह िजय जो जिह कही

राउर आयस िसर सबही क िबिदत कपालिह गित सब नीक २

आप आ मिह धािरअ पाऊ भयउ सनह िसिथल मिनराऊ

किर नाम तब राम िसधाए िरिष धिर धीर जनक पिह आए ३

राम बचन गर नपिह सनाए सील सनह सभाय सहाए

महाराज अब कीिजअ सोई सब कर धरम सिहत िहत होई ४

दोहा गयान िनधान सजान सिच धरम धीर नरपाल

तमह िबन असमजस समन को समरथ एिह काल २९१

सिन मिन बचन जनक अनराग लिख गित गयान िबराग िबराग

िसिथल सनह गनत मन माही आए इहा कीनह भल नाही १

रामिह राय कहउ बन जाना कीनह आप ि य म वाना

हम अब बन त बनिह पठाई मिदत िफरब िबबक बड़ाई २

तापस मिन मिहसर सिन दखी भए म बस िबकल िबसषी

समउ समिझ धिर धीरज राजा चल भरत पिह सिहत समाजा ३

भरत आइ आग भइ लीनह अवसर सिरस सआसन दीनह

तात भरत कह तरहित राऊ तमहिह िबिदत रघबीर सभाऊ ४

दोहा राम सतय त धरम रत सब कर सील सनह

सकट सहत सकोच बस किहअ जो आयस दह २९२

रामचिरतमानस - 132 - अयोधयाकाड

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सिन तन पलिक नयन भिर बारी बोल भरत धीर धिर भारी

भ ि य पजय िपता सम आप कलगर सम िहत माय न बाप १

कौिसकािद मिन सिचव समाज गयान अबिनिध आपन आज

िसस सवक आयस अनगामी जािन मोिह िसख दइअ सवामी २

एिह समाज थल बझब राउर मौन मिलन म बोलब बाउर

छोट बदन कहउ बिड़ बाता छमब तात लिख बाम िबधाता ३

आगम िनगम िस पराना सवाधरम किठन जग जाना

सवािम धरम सवारथिह िबरोध बर अध मिह न बोध ४

दोहा रािख राम रख धरम त पराधीन मोिह जािन

सब क समत सबर िहत किरअ पम पिहचािन २९३

भरत बचन सिन दिख सभाऊ सिहत समाज सराहत राऊ

सगम अगम मद मज कठोर अरथ अिमत अित आखर थोर १

जयौ मख मकर मकर िनज पानी गिह न जाइ अस अदभत बानी

भप भरत मिन सिहत समाज ग जह िबबध कमद ि जराज २

सिन सिध सोच िबकल सब लोगा मनह मीनगन नव जल जोगा

दव थम कलगर गित दखी िनरिख िबदह सनह िबसषी ३

राम भगितमय भरत िनहार सर सवारथी हहिर िहय हार

सब कोउ राम पममय पखा भउ अलख सोच बस लखा ४

दोहा राम सनह सकोच बस कह ससोच सरराज

रचह पचिह पच िमिल नािह त भयउ अकाज २९४

सरनह सिमिर सारदा सराही दिब दव सरनागत पाही

फिर भरत मित किर िनज माया पाल िबबध कल किर छल छाया १

िबबध िबनय सिन दिब सयानी बोली सर सवारथ जड़ जानी

रामचिरतमानस - 133 - अयोधयाकाड

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मो सन कहह भरत मित फर लोचन सहस न सझ समर २

िबिध हिर हर माया बिड़ भारी सोउ न भरत मित सकइ िनहारी

सो मित मोिह कहत कर भोरी चिदिन कर िक चडकर चोरी ३

भरत हदय िसय राम िनवास तह िक ितिमर जह तरिन कास

अस किह सारद गइ िबिध लोका िबबध िबकल िनिस मानह कोका ४

दोहा सर सवारथी मलीन मन कीनह कम कठाट

रिच पच माया बल भय म अरित उचाट २९५

किर कचािल सोचत सरराज भरत हाथ सब काज अकाज

गए जनक रघनाथ समीपा सनमान सब रिबकल दीपा १

समय समाज धरम अिबरोधा बोल तब रघबस परोधा

जनक भरत सबाद सनाई भरत कहाउित कही सहाई २

तात राम जस आयस दह सो सब कर मोर मत एह

सिन रघनाथ जोिर जग पानी बोल सतय सरल मद बानी ३

िब मान आपिन िमिथलस मोर कहब सब भाित भदस

राउर राय रजायस होई राउिर सपथ सही िसर सोई ४

दोहा राम सपथ सिन मिन जनक सकच सभा समत सकल िबलोकत भरत मख बनइ न उतर दत २९६

सभा सकच बस भरत िनहारी रामबध धिर धीरज भारी

कसमउ दिख सनह सभारा बढ़त िबिध िजिम घटज िनवारा १

सोक कनकलोचन मित छोनी हरी िबमल गन गन जगजोनी

भरत िबबक बराह िबसाला अनायास उधरी तिह काला २

किर नाम सब कह कर जोर राम राउ गर साध िनहोर

छमब आज अित अनिचत मोरा कहउ बदन मद बचन कठोरा ३

िहय सिमरी सारदा सहाई मानस त मख पकज आई

रामचिरतमानस - 134 - अयोधयाकाड

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िबमल िबबक धरम नय साली भरत भारती मज मराली ४

दोहा िनरिख िबबक िबलोचनिनह िसिथल सनह समाज

किर नाम बोल भरत सिमिर सीय रघराज २९७

भ िपत मात स द गर सवामी पजय परम िहत अतरजामी

सरल ससािहब सील िनधान नतपाल सबरगय सजान १

समरथ सरनागत िहतकारी गनगाहक अवगन अघ हारी

सवािम गोसाइिह सिरस गोसाई मोिह समान म साइ दोहाई २

भ िपत बचन मोह बस पली आयउ इहा समाज सकली

जग भल पोच ऊच अर नीच अिमअ अमरपद माहर मीच ३

राम रजाइ मट मन माही दखा सना कतह कोउ नाही

सो म सब िबिध कीिनह िढठाई भ मानी सनह सवकाई ४

दोहा कपा भलाई आपनी नाथ कीनह भल मोर

दषन भ भषन सिरस सजस चार चह ओर २९८

राउिर रीित सबािन बड़ाई जगत िबिदत िनगमागम गाई

कर किटल खल कमित कलकी नीच िनसील िनरीस िनसकी १

तउ सिन सरन सामह आए सकत नाम िकह अपनाए

दिख दोष कबह न उर आन सिन गन साध समाज बखान २

को सािहब सवकिह नवाजी आप समाज साज सब साजी

िनज करतित न समिझअ सपन सवक सकच सोच उर अपन ३

सो गोसाइ निह दसर कोपी भजा उठाइ कहउ पन रोपी

पस नाचत सक पाठ बीना गन गित नट पाठक आधीना ४

दोहा यो सधािर सनमािन जन िकए साध िसरमोर

रामचिरतमानस - 135 - अयोधयाकाड

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को कपाल िबन पािलह िबिरदाविल बरजोर २९९

सोक सनह िक बाल सभाए आयउ लाइ रजायस बाए

तबह कपाल हिर िनज ओरा सबिह भाित भल मानउ मोरा १

दखउ पाय समगल मला जानउ सवािम सहज अनकला

बड़ समाज िबलोकउ भाग बड़ी चक सािहब अनराग २

कपा अन ह अग अघाई कीिनह कपािनिध सब अिधकाई

राखा मोर दलार गोसाई अपन सील सभाय भलाई ३

नाथ िनपट म कीिनह िढठाई सवािम समाज सकोच िबहाई

अिबनय िबनय जथारिच बानी छिमिह दउ अित आरित जानी ४

दोहा स द सजान ससािहबिह बहत कहब बिड़ खोिर

आयस दइअ दव अब सबइ सधारी मोिर ३००

भ पद पदम पराग दोहाई सतय सकत सख सीव सहाई

सो किर कहउ िहए अपन की रिच जागत सोवत सपन की १

सहज सनह सवािम सवकाई सवारथ छल फल चािर िबहाई

अगया सम न ससािहब सवा सो साद जन पाव दवा २

अस किह म िबबस भए भारी पलक सरीर िबलोचन बारी

भ पद कमल गह अकलाई समउ सनह न सो किह जाई ३

कपािसध सनमािन सबानी बठाए समीप गिह पानी

भरत िबनय सिन दिख सभाऊ िसिथल सनह सभा रघराऊ ४ छद

रघराउ िसिथल सनह साध समाज मिन िमिथला धनी

मन मह सराहत भरत भायप भगित की मिहमा घनी

भरतिह ससत िबबध बरषत समन मानस मिलन स

तलसी िबकल सब लोग सिन सकच िनसागम निलन स

रामचिरतमानस - 136 - अयोधयाकाड

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सोरठा दिख दखारी दीन दह समाज नर नािर सब

मघवा महा मलीन मए मािर मगल चहत ३०१

कपट कचािल सीव सरराज पर अकाज ि य आपन काज

काक समान पाकिरप रीती छली मलीन कतह न तीती १

थम कमत किर कपट सकला सो उचाट सब क िसर मला

सरमाया सब लोग िबमोह राम म अितसय न िबछोह २

भय उचाट बस मन िथर नाही छन बन रिच छन सदन सोहाही

दिबध मनोगित जा दखारी सिरत िसध सगम जन बारी ३

दिचत कतह पिरतोष न लहही एक एक सन मरम न कहही

लिख िहय हिस कह कपािनधान सिरस सवान मघवान जबान ४

दोहा भरत जनक मिनजन सिचव साध सचत िबहाइ

लािग दवमाया सबिह जथाजोग जन पाइ ३०२

कपािसध लिख लोग दखार िनज स नह सरपित छल भार

सभा राउ गर मिहसर म ी भरत भगित सब क मित ज ी १

रामिह िचतवत िच िलख स सकचत बोलत बचन िसख स

भरत ीित नित िबनय बड़ाई सनत सखद बरनत किठनाई २

जास िबलोिक भगित लवलस म मगन मिनगन िमिथलस

मिहमा तास कह िकिम तलसी भगित सभाय समित िहय हलसी ३

आप छोिट मिहमा बिड़ जानी किबकल कािन मािन सकचानी

किह न सकित गन रिच अिधकाई मित गित बाल बचन की नाई ४

दोहा भरत िबमल जस िबमल िबध समित चकोरकमािर

उिदत िबमल जन हदय नभ एकटक रही िनहािर ३०३

रामचिरतमानस - 137 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ न सगम िनगमह लघ मित चापलता किब छमह

कहत सनत सित भाउ भरत को सीय राम पद होइ न रत को १

सिमरत भरतिह म राम को जिह न सलभ तिह सिरस बाम को

दिख दयाल दसा सबही की राम सजान जािन जन जी की २

धरम धरीन धीर नय नागर सतय सनह सील सख सागर

दस काल लिख समउ समाज नीित ीित पालक रघराज ३

बोल बचन बािन सरबस स िहत पिरनाम सनत सिस रस स

तात भरत तमह धरम धरीना लोक बद िबद म बीना ४

दोहा करम बचन मानस िबमल तमह समान तमह तात

गर समाज लघ बध गन कसमय िकिम किह जात ३०४

जानह तात तरिन कल रीती सतयसध िपत कीरित ीती

समउ समाज लाज गरजन की उदासीन िहत अनिहत मन की १

तमहिह िबिदत सबही कर करम आपन मोर परम िहत धरम

मोिह सब भाित भरोस तमहारा तदिप कहउ अवसर अनसारा २

तात तात िबन बात हमारी कवल गरकल कपा सभारी

नतर जा पिरजन पिरवार हमिह सिहत सब होत खआर ३

जौ िबन अवसर अथव िदनस जग किह कहह न होइ कलस

तस उतपात तात िबिध कीनहा मिन िमिथलस रािख सब लीनहा ४

दोहा राज काज सब लाज पित धरम धरिन धन धाम

गर भाउ पािलिह सबिह भल होइिह पिरनाम ३०५

सिहत समाज तमहार हमारा घर बन गर साद रखवारा

मात िपता गर सवािम िनदस सकल धरम धरनीधर सस १

सो तमह करह करावह मोह तात तरिनकल पालक होह

साधक एक सकल िसिध दनी कीरित सगित भितमय बनी २

रामचिरतमानस - 138 - अयोधयाकाड

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सो िबचािर सिह सकट भारी करह जा पिरवार सखारी

बाटी िबपित सबिह मोिह भाई तमहिह अविध भिर बिड़ किठनाई ३

जािन तमहिह मद कहउ कठोरा कसमय तात न अनिचत मोरा

होिह कठाय सबध सहाए ओिड़अिह हाथ असिनह क घाए ४

दोहा सवक कर पद नयन स मख सो सािहब होइ

तलसी ीित िक रीित सिन सकिब सराहिह सोइ ३०६

सभा सकल सिन रघबर बानी म पयोिध अिमअ जन सानी

िसिथल समाज सनह समाधी दिख दसा चप सारद साधी १

भरतिह भयउ परम सतोष सनमख सवािम िबमख दख दोष

मख सनन मन िमटा िबषाद भा जन गगिह िगरा साद २

कीनह स म नाम बहोरी बोल पािन पकरह जोरी

नाथ भयउ सख साथ गए को लहउ लाह जग जनम भए को ३

अब कपाल जस आयस होई करौ सीस धिर सादर सोई

सो अवलब दव मोिह दई अविध पार पावौ जिह सई ४

दोहा दव दव अिभषक िहत गर अनसासन पाइ

आनउ सब तीरथ सिलल तिह कह काह रजाइ ३०७

एक मनोरथ बड़ मन माही सभय सकोच जात किह नाही

कहह तात भ आयस पाई बोल बािन सनह सहाई १

िच कट सिच थल तीरथ बन खग मग सर सिर िनझरर िगिरगन

भ पद अिकत अविन िबसषी आयस होइ त आवौ दखी २

अविस अि आयस िसर धरह तात िबगतभय कानन चरह

मिन साद बन मगल दाता पावन परम सहावन ाता ३

िरिषनायक जह आयस दही राखह तीरथ जल थल तही

सिन भ बचन भरत सख पावा मिन पद कमल मिदत िसर नावा ४

रामचिरतमानस - 139 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत राम सबाद सिन सकल समगल मल

सर सवारथी सरािह कल बरषत सरतर फल ३०८

धनय भरत जय राम गोसाई कहत दव हरषत बिरआई

मिन िमिथलस सभा सब काह भरत बचन सिन भयउ उछाह १

भरत राम गन ाम सनह पलिक ससत राउ िबदह

सवक सवािम सभाउ सहावन नम पम अित पावन पावन २

मित अनसार सराहन लाग सिचव सभासद सब अनराग

सिन सिन राम भरत सबाद दह समाज िहय हरष िबषाद ३

राम मात दख सख सम जानी किह गन राम बोधी रानी

एक कहिह रघबीर बड़ाई एक सराहत भरत भलाई ४

दोहा अि कहउ तब भरत सन सल समीप सकप

रािखअ तीरथ तोय तह पावन अिमअ अनप ३०९

भरत अि अनसासन पाई जल भाजन सब िदए चलाई

सानज आप अि मिन साध सिहत गए जह कप अगाध १

पावन पाथ पनयथल राखा मिदत म अि अस भाषा

तात अनािद िस थल एह लोपउ काल िबिदत निह कह २

तब सवकनह सरस थल दखा िकनह सजल िहत कप िबसषा

िबिध बस भयउ िबसव उपकार सगम अगम अित धरम िबचार ३

भरतकप अब किहहिह लोगा अित पावन तीरथ जल जोगा

म सनम िनमजजत ानी होइहिह िबमल करम मन बानी ४

दोहा कहत कप मिहमा सकल गए जहा रघराउ

अि सनायउ रघबरिह तीरथ पनय भाउ ३१०

रामचिरतमानस - 140 - अयोधयाकाड

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कहत धरम इितहास स ीती भयउ भोर िनिस सो सख बीती

िनतय िनबािह भरत दोउ भाई राम अि गर आयस पाई १

सिहत समाज साज सब साद चल राम बन अटन पयाद

कोमल चरन चलत िबन पनही भइ मद भिम सकिच मन मनही २

कस कटक काकरी कराई कटक कठोर कबसत दराई

मिह मजल मद मारग कीनह बहत समीर ि िबध सख लीनह ३

समन बरिष सर घन किर छाही िबटप फिल फिल तन मदताही

मग िबलोिक खग बोिल सबानी सविह सकल राम ि य जानी ४

दोहा सलभ िसि सब ाकतह राम कहत जमहात

राम ान ि य भरत कह यह न होइ बिड़ बात ३११

एिह िबिध भरत िफरत बन माही नम म लिख मिन सकचाही

पनय जला य भिम िबभागा खग मग तर तन िगिर बन बागा १

चार िबिच पिब िबसषी बझत भरत िदबय सब दखी

सिन मन मिदत कहत िरिषराऊ हत नाम गन पनय भाऊ २

कतह िनमजजन कतह नामा कतह िबलोकत मन अिभरामा

कतह बिठ मिन आयस पाई सिमरत सीय सिहत दोउ भाई ३

दिख सभाउ सनह सस वा दिह असीस मिदत बनदवा

िफरिह गए िदन पहर अढ़ाई भ पद कमल िबलोकिह आई ४

दोहा दख थल तीरथ सकल भरत पाच िदन माझ

कहत सनत हिर हर सजस गयउ िदवस भइ साझ ३१२

भोर नहाइ सब जरा समाज भरत भिमसर तरहित राज

भल िदन आज जािन मन माही राम कपाल कहत सकचाही १

गर नप भरत सभा अवलोकी सकिच राम िफिर अविन िबलोकी

रामचिरतमानस - 141 - अयोधयाकाड

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सील सरािह सभा सब सोची कह न राम सम सवािम सकोची २

भरत सजान राम रख दखी उिठ स म धिर धीर िबसषी

किर दडवत कहत कर जोरी राखी नाथ सकल रिच मोरी ३

मोिह लिग सहउ सबिह सताप बहत भाित दख पावा आप

अब गोसाइ मोिह दउ रजाई सवौ अवध अविध भिर जाई ४

दोहा जिह उपाय पिन पाय जन दख दीनदयाल

सो िसख दइअ अविध लिग कोसलपाल कपाल ३१३

परजन पिरजन जा गोसाई सब सिच सरस सनह सगाई

राउर बिद भल भव दख दाह भ िबन बािद परम पद लाह १

सवािम सजान जािन सब ही की रिच लालसा रहिन जन जी की

नतपाल पािलिह सब काह दउ दह िदिस ओर िनबाह २

अस मोिह सब िबिध भिर भरोसो िकए िबचार न सोच खरो सो

आरित मोर नाथ कर छोह दह िमिल कीनह ढीठ हिठ मोह ३

यह बड़ दोष दिर किर सवामी तिज सकोच िसखइअ अनगामी

भरत िबनय सिन सबिह ससी खीर नीर िबबरन गित हसी ४

दोहा दीनबध सिन बध क बचन दीन छलहीन

दस काल अवसर सिरस बोल राम बीन ३१४

तात तमहािर मोिर पिरजन की िचता गरिह नपिह घर बन की

माथ पर गर मिन िमिथलस हमिह तमहिह सपनह न कलस १

मोर तमहार परम परषारथ सवारथ सजस धरम परमारथ

िपत आयस पािलिह दह भाई लोक बद भल भप भलाई २

गर िपत मात सवािम िसख पाल चलह कमग पग परिह न खाल

अस िबचािर सब सोच िबहाई पालह अवध अविध भिर जाई ३

दस कोस पिरजन पिरवार गर पद रजिह लाग छरभार

रामचिरतमानस - 142 - अयोधयाकाड

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तमह मिन मात सिचव िसख मानी पालह पहिम जा रजधानी ४

दोहा मिखआ मख सो चािहऐ खान पान कह एक

पालइ पोषइ सकल अग तलसी सिहत िबबक ३१५

राजधरम सरबस एतनोई िजिम मन माह मनोरथ गोई

बध बोध कीनह बह भाती िबन अधार मन तोष न साती १

भरत सील गर सिचव समाज सकच सनह िबबस रघराज

भ किर कपा पावरी दीनही सादर भरत सीस धिर लीनही २

चरनपीठ करनािनधान क जन जग जािमक जा ान क

सपट भरत सनह रतन क आखर जग जन जीव जतन क ३

कल कपाट कर कसल करम क िबमल नयन सवा सधरम क

भरत मिदत अवलब लह त अस सख जस िसय राम रह त ४

दोहा मागउ िबदा नाम किर राम िलए उर लाइ

लोग उचाट अमरपित किटल कअवसर पाइ ३१६

सो कचािल सब कह भइ नीकी अविध आस सम जीविन जी की

नतर लखन िसय सम िबयोगा हहिर मरत सब लोग करोगा १

रामकपा अवरब सधारी िबबध धािर भइ गनद गोहारी

भटत भज भिर भाइ भरत सो राम म रस किह न परत सो २

तन मन बचन उमग अनरागा धीर धरधर धीरज तयागा

बािरज लोचन मोचत बारी दिख दसा सर सभा दखारी ३

मिनगन गर धर धीर जनक स गयान अनल मन कस कनक स

ज िबरिच िनरलप उपाए पदम प िजिम जग जल जाए ४

दोहा तउ िबलोिक रघबर भरत ीित अनप अपार

रामचिरतमानस - 143 - अयोधयाकाड

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भए मगन मन तन बचन सिहत िबराग िबचार ३१७

जहा जनक गर मित भोरी ाकत ीित कहत बिड़ खोरी

बरनत रघबर भरत िबयोग सिन कठोर किब जािनिह लोग १

सो सकोच रस अकथ सबानी समउ सनह सिमिर सकचानी

भिट भरत रघबर समझाए पिन िरपदवन हरिष िहय लाए २

सवक सिचव भरत रख पाई िनज िनज काज लग सब जाई

सिन दारन दख दह समाजा लग चलन क साजन साजा ३

भ पद पदम बिद दोउ भाई चल सीस धिर राम रजाई

मिन तापस बनदव िनहोरी सब सनमािन बहोिर बहोरी ४

दोहा लखनिह भिट नाम किर िसर धिर िसय पद धिर

चल स म असीस सिन सकल समगल मिर ३१८

सानज राम नपिह िसर नाई कीिनह बहत िबिध िबनय बड़ाई

दव दया बस बड़ दख पायउ सिहत समाज काननिह आयउ १

पर पग धािरअ दइ असीसा कीनह धीर धिर गवन महीसा

मिन मिहदव साध सनमान िबदा िकए हिर हर सम जान २

सास समीप गए दोउ भाई िफर बिद पग आिसष पाई

कौिसक बामदव जाबाली परजन पिरजन सिचव सचाली ३

जथा जोग किर िबनय नामा िबदा िकए सब सानज रामा

नािर परष लघ मधय बड़र सब सनमािन कपािनिध फर ४

दोहा भरत मात पद बिद भ सिच सनह िमिल भिट

िबदा कीनह सिज पालकी सकच सोच सब मिट ३१९

पिरजन मात िपतिह िमिल सीता िफरी ानि य म पनीता

किर नाम भटी सब सास ीित कहत किब िहय न हलास १

रामचिरतमानस - 144 - अयोधयाकाड

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सिन िसख अिभमत आिसष पाई रही सीय दह ीित समाई

रघपित पट पालकी मगाई किर बोध सब मात चढ़ाई २

बार बार िहिल िमिल दह भाई सम सनह जननी पहचाई

सािज बािज गज बाहन नाना भरत भप दल कीनह पयाना ३

हदय राम िसय लखन समता चल जािह सब लोग अचता

बसह बािज गज पस िहय हार चल जािह परबस मन मार ४

दोहा गर गरितय पद बिद भ सीता लखन समत

िफर हरष िबसमय सिहत आए परन िनकत ३२०

िबदा कीनह सनमािन िनषाद चलउ हदय बड़ िबरह िबषाद

कोल िकरात िभलल बनचारी फर िफर जोहािर जोहारी १

भ िसय लखन बिठ बट छाही ि य पिरजन िबयोग िबलखाही

भरत सनह सभाउ सबानी ि या अनज सन कहत बखानी २

ीित तीित बचन मन करनी ीमख राम म बस बरनी

तिह अवसर खग मग जल मीना िच कट चर अचर मलीना ३

िबबध िबलोिक दसा रघबर की बरिष समन किह गित घर घर की

भ नाम किर दीनह भरोसो चल मिदत मन डर न खरो सो ४

दोहा सानज सीय समत भ राजत परन कटीर

भगित गयान बरागय जन सोहत धर सरीर ३२१

मिन मिहसर गर भरत भआल राम िबरह सब साज िबहाल

भ गन ाम गनत मन माही सब चपचाप चल मग जाही १

जमना उतिर पार सब भयऊ सो बासर िबन भोजन गयऊ

उतिर दवसिर दसर बास रामसखा सब कीनह सपास २

सई उतिर गोमती नहाए चौथ िदवस अवधपर आए

जनक रह पर बासर चारी राज काज सब साज सभारी ३

रामचिरतमानस - 145 - अयोधयाकाड

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सौिप सिचव गर भरतिह राज तरहित चल सािज सब साज

नगर नािर नर गर िसख मानी बस सखन राम रजधानी ४

दोहा राम दरस लिग लोग सब करत नम उपबास

तिज तिज भषन भोग सख िजअत अविध की आस ३२२

सिचव ससवक भरत बोध िनज िनज काज पाइ पाइ िसख ओध

पिन िसख दीनह बोिल लघ भाई सौपी सकल मात सवकाई १

भसर बोिल भरत कर जोर किर नाम बय िबनय िनहोर

ऊच नीच कारज भल पोच आयस दब न करब सकोच २

पिरजन परजन जा बोलाए समाधान किर सबस बसाए

सानज ग गर गह बहोरी किर दडवत कहत कर जोरी ३

आयस होइ त रहौ सनमा बोल मिन तन पलिक सपमा

समझव कहब करब तमह जोई धरम सार जग होइिह सोई ४

दोहा सिन िसख पाइ असीस बिड़ गनक बोिल िदन सािध

िसघासन भ पादका बठार िनरपािध ३२३

राम मात गर पद िसर नाई भ पद पीठ रजायस पाई

निदगाव किर परन कटीरा कीनह िनवास धरम धर धीरा १

जटाजट िसर मिनपट धारी मिह खिन कस साथरी सवारी

असन बसन बासन त नमा करत किठन िरिषधरम स मा २

भषन बसन भोग सख भरी मन तन बचन तज ितन तरी

अवध राज सर राज िसहाई दसरथ धन सिन धनद लजाई ३

तिह पर बसत भरत िबन रागा चचरीक िजिम चपक बागा

रमा िबलास राम अनरागी तजत बमन िजिम जन बड़भागी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 146 - अयोधयाकाड

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राम पम भाजन भरत बड़ न एिह करतित

चातक हस सरािहअत टक िबबक िबभित ३२४

दह िदनह िदन दबिर होई घटइ तज बल मखछिब सोई

िनत नव राम म पन पीना बढ़त धरम दल मन न मलीना १

िजिम जल िनघटत सरद कास िबलसत बतस बनज िबकास

सम दम सजम िनयम उपासा नखत भरत िहय िबमल अकासा २

व िबसवास अविध राका सी सवािम सरित सरबीिथ िबकासी

राम पम िबध अचल अदोषा सिहत समाज सोह िनत चोखा ३

भरत रहिन समझिन करतती भगित िबरित गन िबमल िबभती

बरनत सकल सकिच सकचाही सस गनस िगरा गम नाही ४

दोहा िनत पजत भ पावरी ीित न हदय समाित

मािग मािग आयस करत राज काज बह भाित ३२५

पलक गात िहय िसय रघबीर जीह नाम जप लोचन नीर

लखन राम िसय कानन बसही भरत भवन बिस तप तन कसही १

दोउ िदिस समिझ कहत सब लोग सब िबिध भरत सराहन जोग

सिन त नम साध सकचाही दिख दसा मिनराज लजाही २

परम पनीत भरत आचरन मधर मज मद मगल करन

हरन किठन किल कलष कलस महामोह िनिस दलन िदनस ३

पाप पज कजर मगराज समन सकल सताप समाज

जन रजन भजन भव भार राम सनह सधाकर सार ४ छद

िसय राम म िपयष परन होत जनम न भरत को

मिन मन अगम जम िनयम सम दम िबषम त आचरत को

दख दाह दािरद दभ दषन सजस िमस अपहरत को

किलकाल तलसी स सठिनह हिठ राम सनमख करत को

रामचिरतमानस - 147 - अयोधयाकाड

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सोरठा

भरत चिरत किर नम तलसी जो सादर सनिह

सीय राम पद पम अविस होइ भव रस िबरित ३२६

मासपारायण इककीसवा िव ाम

इित ीम ामचिरतमानस सकलकिलकलषिवधवसन ि तीयः सोपानः समा ः

अयोधयाकाणड समा

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रामचिरतमानस - 6 - अयोधयाकाड

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दोहा राम राज अिभषक सिन िहय हरष नर नािर

लग समगल सजन सब िबिध अनकल िबचािर ८

तब नरनाह बिस बोलाए रामधाम िसख दन पठाए

गर आगमन सनत रघनाथा ार आइ पद नायउ माथा १

सादर अरघ दइ घर आन सोरह भाित पिज सनमान

गह चरन िसय सिहत बहोरी बोल राम कमल कर जोरी २

सवक सदन सवािम आगमन मगल मल अमगल दमन

तदिप उिचत जन बोिल स ीती पठइअ काज नाथ अिस नीती ३

भता तिज भ कीनह सनह भयउ पनीत आज यह गह

आयस होइ सो करौ गोसाई सवक लहइ सवािम सवकाई ४

दोहा सिन सनह सान बचन मिन रघबरिह सस

राम कस न तमह कहह अस हस बस अवतस ९

बरिन राम गन सील सभाऊ बोल म पलिक मिनराऊ

भप सजउ अिभषक समाज चाहत दन तमहिह जबराज १

राम करह सब सजम आज जौ िबिध कसल िनबाह काज

गर िसख दइ राय पिह गयउ राम हदय अस िबसमउ भयऊ २

जनम एक सग सब भाई भोजन सयन किल लिरकाई

करनबध उपबीत िबआहा सग सग सब भए उछाहा ३

िबमल बस यह अनिचत एक बध िबहाइ बड़िह अिभषक

भ स म पिछतािन सहाई हरउ भगत मन क किटलाई ४

दोहा तिह अवसर आए लखन मगन म आनद

सनमान ि य बचन किह रघकल करव चद १०

रामचिरतमानस - 7 - अयोधयाकाड

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बाजिह बाजन िबिबध िबधाना पर मोद निह जाइ बखाना

भरत आगमन सकल मनाविह आवह बिग नयन फल पाविह १

हाट बाट घर गली अथाई कहिह परसपर लोग लोगाई

कािल लगन भिल कितक बारा पिजिह िबिध अिभलाष हमारा २

कनक िसघासन सीय समता बठिह राम होइ िचत चता

सकल कहिह कब होइिह काली िबघन मनाविह दव कचाली ३

ितनहिह सोहाइ न अवध बधावा चोरिह चिदिन राित न भावा

सारद बोिल िबनय सर करही बारिह बार पाय ल परही ४

दोहा िबपित हमािर िबलोिक बिड़ मात किरअ सोइ आज

राम जािह बन राज तिज होइ सकल सरकाज ११

सिन सर िबनय ठािढ़ पिछताती भइउ सरोज िबिपन िहमराती

दिख दव पिन कहिह िनहोरी मात तोिह निह थोिरउ खोरी १

िबसमय हरष रिहत रघराऊ तमह जानह सब राम भाऊ

जीव करम बस सख दख भागी जाइअ अवध दव िहत लागी २

बार बार गिह चरन सकोचौ चली िबचािर िबबध मित पोची

ऊच िनवास नीिच करतती दिख न सकिह पराइ िबभती ३

आिगल काज िबचािर बहोरी करहिह चाह कसल किब मोरी

हरिष हदय दसरथ पर आई जन ह दसा दसह दखदाई ४

दोहा नाम मथरा मदमित चरी ककइ किर

अजस पटारी तािह किर गई िगरा मित फिर १२

दीख मथरा नगर बनावा मजल मगल बाज बधावा

पछिस लोगनह काह उछाह राम ितलक सिन भा उर दाह १

करइ िबचार कबि कजाती होइ अकाज कविन िबिध राती

दिख लािग मध किटल िकराती िजिम गव तकइ लउ किह भाती २

रामचिरतमानस - 8 - अयोधयाकाड

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भरत मात पिह गइ िबलखानी का अनमिन हिस कह हिस रानी

ऊतर दइ न लइ उसास नािर चिरत किर ढारइ आस ३

हिस कह रािन गाल बड़ तोर दीनह लखन िसख अस मन मोर

तबह न बोल चिर बिड़ पािपिन छाड़इ सवास कािर जन सािपिन ४

दोहा सभय रािन कह कहिस िकन कसल राम मिहपाल

लखन भरत िरपदमन सिन भा कबरी उर साल १३

कत िसख दइ हमिह कोउ माई गाल करब किह कर बल पाई

रामिह छािड़ कसल किह आज जिह जनस दइ जबराज १

भयउ कौिसलिह िबिध अित दािहन दखत गरब रहत उर नािहन

दखह कस न जाइ सब सोभा जो अवलोिक मोर मन छोभा २

पत िबदस न सोच तमहार जानित हह बस नाह हमार

नीद बहत ि य सज तराई लखह न भप कपट चतराई ३

सिन ि य बचन मिलन मन जानी झकी रािन अब रह अरगानी

पिन अस कबह कहिस घरफोरी तब धिर जीभ कढ़ावउ तोरी ४

दोहा कान खोर कबर किटल कचाली जािन

ितय िबसिष पिन चिर किह भरतमात मसकािन १४

ि यबािदिन िसख दीिनहउ तोही सपनह तो पर कोप न मोही

सिदन समगल दायक सोई तोर कहा फर जिह िदन होई १

जठ सवािम सवक लघ भाई यह िदनकर कल रीित सहाई

राम ितलक जौ साचह काली दउ माग मन भावत आली २

कौसलया सम सब महतारी रामिह सहज सभाय िपआरी

मो पर करिह सनह िबसषी म किर ीित परीछा दखी ३

जौ िबिध जनम दइ किर छोह होह राम िसय पत पतोह

ान त अिधक राम ि य मोर ितनह क ितलक छोभ कस तोर ४

रामचिरतमानस - 9 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत सपथ तोिह सतय कह पिरहिर कपट दराउ

हरष समय िबसमउ करिस कारन मोिह सनाउ १५

एकिह बार आस सब पजी अब कछ कहब जीभ किर दजी

फोर जोग कपार अभागा भलउ कहत दख रउरिह लागा १

कहिह झिठ फिर बात बनाई त ि य तमहिह करइ म माई

हमह कहिब अब ठकरसोहाती नािह त मौन रहब िदन राती २

किर करप िबिध परबस कीनहा बवा सो लिनअ लिहअ जो दीनहा

कोउ नप होउ हमिह का हानी चिर छािड़ अब होब िक रानी ३

जार जोग सभाउ हमारा अनभल दिख न जाइ तमहारा

तात कछक बात अनसारी छिमअ दिब बिड़ चक हमारी ४

दोहा गढ़ कपट ि य बचन सिन तीय अधरबिध रािन

सरमाया बस बिरिनिह सहद जािन पितआिन १६

सादर पिन पिन पछित ओही सबरी गान मगी जन मोही

तिस मित िफरी अहइ जिस भाबी रहसी चिर घात जन फाबी १

तमह पछह म कहत डराऊ धरउ मोर घरफोरी नाऊ

सिज तीित बहिबिध गिढ़ छोली अवध साढ़साती तब बोली २

ि य िसय राम कहा तमह रानी रामिह तमह ि य सो फिर बानी

रहा थम अब त िदन बीत समउ िफर िरप होिह िपरीत ३

भान कमल कल पोषिनहारा िबन जल जािर करइ सोइ छारा

जिर तमहािर चह सवित उखारी रधह किर उपाउ बर बारी ४

दोहा तमहिह न सोच सोहाग बल िनज बस जानह राउ

मन मलीन मह मीठ नप राउर सरल सभाउ १७

रामचिरतमानस - 10 - अयोधयाकाड

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चतर गभीर राम महतारी बीच पाइ िनज बात सवारी

पठए भरत भप निनअउर राम मात मत जानव रउर १

सविह सकल सवित मोिह नीक गरिबत भरत मात बल पी क

साल तमहार कौिसलिह माई कपट चतर निह होइ जनाई २

राजिह तमह पर म िबसषी सवित सभाउ सकइ निह दखी

रची पच भपिह अपनाई राम ितलक िहत लगन धराई ३

यह कल उिचत राम कह टीका सबिह सोहाइ मोिह सिठ नीका

आिगिल बात समिझ डर मोही दउ दउ िफिर सो फल ओही ४

दोहा रिच पिच कोिटक किटलपन कीनहिस कपट बोध

किहिस कथा सत सवित क जिह िबिध बाढ़ िबरोध १८

भावी बस तीित उर आई पछ रािन पिन सपथ दवाई

का पछह तमह अबह न जाना िनज िहत अनिहत पस पिहचाना १

भयउ पाख िदन सजत समाज तमह पाई सिध मोिह सन आज

खाइअ पिहिरअ राज तमहार सतय कह निह दोष हमार २

जौ असतय कछ कहब बनाई तौ िबिध दइिह हमिह सजाई

रामिह ितलक कािल जौ भयऊ तमह कह िबपित बीज िबिध बयऊ ३

रख खचाइ कहउ बल भाषी भािमिन भइह दध कइ माखी

जौ सत सिहत करह सवकाई तौ घर रहह न आन उपाई ४

दोहा क िबनतिह दीनह दख तमहिह कौिसला दब

भरत बिदगह सइहिह लखन राम क नब १९

ककयसता सनत कट बानी किह न सकइ कछ सहिम सखानी

तन पसउ कदली िजिम कापी कबरी दसन जीभ तब चापी १

किह किह कोिटक कपट कहानी धीरज धरह बोिधिस रानी

रामचिरतमानस - 11 - अयोधयाकाड

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िफरा करम ि य लािग कचाली बिकिह सराहइ मािन मराली २

सन मथरा बात फिर तोरी दिहिन आिख िनत फरकइ मोरी

िदन ित दखउ राित कसपन कहउ न तोिह मोह बस अपन ३

काह करौ सिख सध सभाऊ दािहन बाम न जानउ काऊ ४

दोहा अपन चलत न आज लिग अनभल काहक कीनह

किह अघ एकिह बार मोिह दअ दसह दख दीनह २०

नहर जनम भरब बर जाइ िजअत न करिब सवित सवकाई

अिर बस दउ िजआवत जाही मरन नीक तिह जीवन चाही १

दीन बचन कह बहिबिध रानी सिन कबरी ितयमाया ठानी

अस कस कहह मािन मन ऊना सख सोहाग तमह कह िदन दना २

जिह राउर अित अनभल ताका सोइ पाइिह यह फल पिरपाका

जब त कमत सना म सवािमिन भख न बासर नीद न जािमिन ३

पछउ गिननह रख ितनह खाची भरत भआल होिह यह साची

भािमिन करह त कहौ उपाऊ ह तमहरी सवा बस राऊ ४

दोहा परउ कप तअ बचन पर सकउ पत पित तयािग

कहिस मोर दख दिख बड़ कस न करब िहत लािग २१

कबरी किर कबली ककई कपट छरी उर पाहन टई

लखइ न रािन िनकट दख क स चरइ हिरत ितन बिलपस जस १

सनत बात मद अत कठोरी दित मनह मध माहर घोरी

कहइ चिर सिध अहइ िक नाही सवािमिन किहह कथा मोिह पाही २

दइ बरदान भप सन थाती मागह आज जड़ावह छाती

सतिह राज रामिह बनवास दह लह सब सवित हलास ३

भपित राम सपथ जब करई तब मागह जिह बचन न टरई

होइ अकाज आज िनिस बीत बचन मोर ि य मानह जी त ४

रामचिरतमानस - 12 - अयोधयाकाड

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दोहा

बड़ कघात किर पातिकिन कहिस कोपगह जाह

काज सवारह सजग सब सहसा जिन पितआह २२

कबिरिह रािन ानि य जानी बार बार बिड़ बि बखानी

तोिह सम िहत न मोर ससारा बह जात कइ भइिस अधारा १

जौ िबिध परब मनोरथ काली करौ तोिह चख पतिर आली

बहिबिध चिरिह आदर दई कोपभवन गविन ककई २

िबपित बीज बरषा िरत चरी भइ भइ कमित ककई करी

पाइ कपट जल अकर जामा बर दोउ दल दख फल पिरनामा ३

कोप समाज सािज सब सोई राज करत िनज कमित िबगोई

राउर नगर कोलाहल होई यह कचािल कछ जान न कोई ४

दोहा मिदत पर नर नािर सब सजिह समगलचार

एक िबसिह एक िनगरमिह भीर भप दरबार २३

बाल सखा सन िहय हरषाही िमिल दस पाच राम पिह जाही

भ आदरिह म पिहचानी पछिह कसल खम मद बानी १

िफरिह भवन ि य आयस पाई करत परसपर राम बड़ाई

को रघबीर सिरस ससारा सील सनह िनबाहिनहारा २

जिह जिह जोिन करम बस मही तह तह ईस दउ यह हमही

सवक हम सवामी िसयनाह होउ नात यह ओर िनबाह ३

अस अिभलाष नगर सब काह ककयसता हदय अित दाह

को न कसगित पाइ नसाई रहइ न नीच मत चतराई ४

दोहा सास समय सानद नप गयउ ककई गह

गवन िनठरता िनकट िकय जन धिर दह सनह २४

रामचिरतमानस - 13 - अयोधयाकाड

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कोपभवन सिन सकचउ राउ भय बस अगहड़ परइ न पाऊ

सरपित बसइ बाहबल जाक नरपित सकल रहिह रख ताक १

सो सिन ितय िरस गयउ सखाई दखह काम ताप बड़ाई

सल किलस अिस अगविनहार त रितनाथ समन सर मार २

सभय नरस ि या पिह गयऊ दिख दसा दख दारन भयऊ

भिम सयन पट मोट पराना िदए डािर तन भषण नाना ३

कमितिह किस कबषता फाबी अन अिहवात सच जन भाबी

जाइ िनकट नप कह मद बानी ानि या किह हत िरसानी ४ छद

किह हत रािन िरसािन परसत पािन पितिह नवारई

मानह सरोष भअग भािमिन िबषम भाित िनहारई

दोउ बासना रसना दसन बर मरम ठाहर दखई

तलसी नपित भवतबयता बस काम कौतक लखई

सोरठा बार बार कह राउ समिख सलोिचिन िपकबचिन

कारन मोिह सनाउ गजगािमिन िनज कोप कर २५

अनिहत तोर ि या कइ कीनहा किह दइ िसर किह जम चह लीनहा

कह क िह रकिह करौ नरस कह किह नपिह िनकासौ दस १

सकउ तोर अिर अमरउ मारी काह कीट बपर नर नारी

जानिस मोर सभाउ बरोर मन तव आनन चद चकोर २

ि या ान सत सरबस मोर पिरजन जा सकल बस तोर

जौ कछ कहौ कपट किर तोही भािमिन राम सपथ सत मोही ३

िबहिस माग मनभावित बाता भषन सजिह मनोहर गाता

घरी कघरी समिझ िजय दख बिग ि या पिरहरिह कबष ४

दोहा

रामचिरतमानस - 14 - अयोधयाकाड

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यह सिन मन गिन सपथ बिड़ िबहिस उठी मितमद

भषन सजित िबलोिक मग मनह िकराितिन फद २६

पिन कह राउ स द िजय जानी म पलिक मद मजल बानी

भािमिन भयउ तोर मनभावा घर घर नगर अनद बधावा १

रामिह दउ कािल जबराज सजिह सलोचिन मगल साज

दलिक उठउ सिन दउ कठोर जन छइ गयउ पाक बरतोर २

ऐिसउ पीर िबहिस तिह गोई चोर नािर िजिम गिट न रोई

लखिह न भप कपट चतराई कोिट किटल मिन गर पढ़ाई ३

ज िप नीित िनपन नरनाह नािरचिरत जलिनिध अवगाह

कपट सनह बढ़ाइ बहोरी बोली िबहिस नयन मह मोरी ४

दोहा माग माग प कहह िपय कबह न दह न लह

दन कहह बरदान दइ तउ पावत सदह २७

जानउ मरम राउ हिस कहई तमहिह कोहाब परम ि य अहई

थाित रािख न मािगह काऊ िबसिर गयउ मोिह भोर सभाऊ १

झठह हमिह दोष जिन दह दइ क चािर मािग मक लह

रघकल रीित सदा चिल आई ान जाह बर बचन न जाई २

निह असतय सम पातक पजा िगिर सम होिह िक कोिटक गजा

सतयमल सब सकत सहाए बद परान िबिदत मन गाए ३

तिह पर राम सपथ किर आई सकत सनह अविध रघराई

बात दढ़ाइ कमित हिस बोली कमत किबहग कलह जन खोली ४

दोहा भप मनोरथ सभग बन सख सिबहग समाज

िभललिन िजिम छाड़न चहित बचन भयकर बाज २८

मासपारायण तरहवा िव ाम

रामचिरतमानस - 15 - अयोधयाकाड

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सनह ानि य भावत जी का दह एक बर भरतिह टीका

मागउ दसर बर कर जोरी परवह नाथ मनोरथ मोरी १

तापस बष िबसिष उदासी चौदह बिरस राम बनबासी

सिन मद बचन भप िहय सोकसिस कर छअत िबकल िजिम कोक २

गयउ सहिम निह कछ किह आवा जन सचान बन झपटउ लावा

िबबरन भयउ िनपट नरपाल दािमिन हनउ मनह तर ताल ३

माथ हाथ मिद दोउ लोचन तन धिर सोच लाग जन सोचन

मोर मनोरथ सरतर फला फरत किरिन िजिम हतउ समला ४

अवध उजािर कीिनह ककई दीनहिस अचल िबपित क नई ५

दोहा कवन अवसर का भयउ गयउ नािर िबसवास

जोग िसि फल समय िजिम जितिह अिब ा नास २९

एिह िबिध राउ मनिह मन झाखा दिख कभाित कमित मन माखा

भरत िक राउर पत न होही आनह मोल बसािह िक मोही १

जो सिन सर अस लाग तमहार काह न बोलह बचन सभार

दह उतर अन करह िक नाही सतयसध तमह रघकल माही २

दन कहह अब जिन बर दह तजह सतय जग अपजस लह

सतय सरािह कहह बर दना जानह लइिह मािग चबना ३

िसिब दधीिच बिल जो कछ भाषा तन धन तजउ बचन पन राखा

अित कट बचन कहित ककई मानह लोन जर पर दई ४

दोहा धरम धरधर धीर धिर नयन उघार राय

िसर धिन लीिनह उसास अिस मारिस मोिह कठाय ३०

आग दीिख जरत िरस भारी मनह रोष तरवािर उघारी

मिठ कबि धार िनठराई धरी कबरी सान बनाई १

रामचिरतमानस - 16 - अयोधयाकाड

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लखी महीप कराल कठोरा सतय िक जीवन लइिह मोरा

बोल राउ किठन किर छाती बानी सिबनय तास सोहाती २

ि या बचन कस कहिस कभाती भीर तीित ीित किर हाती

मोर भरत राम दइ आखी सतय कहउ किर सकर साखी ३

अविस दत म पठइब ाता ऐहिह बिग सन त दोउ ाता

सिदन सोिध सब साज सजाई दउ भरत कह राज बजाई ४

दोहा लोभ न रामिह राज कर बहत भरत पर ीित

म बड़ छोट िबचािर िजय करत रहउ नपनीित ३१

राम सपथ सत कह सभाऊ राममात कछ कहउ न काऊ

म सब कीनह तोिह िबन पछ तिह त परउ मनोरथ छछ १

िरस पिरहर अब मगल साज कछ िदन गए भरत जबराज

एकिह बात मोिह दख लागा बर दसर असमजस मागा २

अजह हदय जरत तिह आचा िरस पिरहास िक साचह साचा

कह तिज रोष राम अपराध सब कोउ कहइ राम सिठ साध ३

तह सरा हिस करिस सनह अब सिन मोिह भयउ सदह

जास सभाउ अिरिह अनकला सो िकिम किरिह मात ितकला ४

दोहा ि या हास िरस पिरहरिह माग िबचािर िबबक जिह दखा अब नयन भिर भरत राज अिभषक ३२

िजऐ मीन बर बािर िबहीना मिन िबन फिनक िजऐ दख दीना

कहउ सभाउ न छल मन माही जीवन मोर राम िबन नाही १

समिझ दख िजय ि या बीना जीवन राम दरस आधीना

सिन द बचन कमित अित जरई मनह अनल आहित घत परई २

कहइ करह िकन कोिट उपाया इहा न लािगिह राउिर माया

दह िक लह अजस किर ना ही मोिह न बहत पच सोहाही ३

रामचिरतमानस - 17 - अयोधयाकाड

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राम साध तमह साध सयान राममात भिल सब पिहचान

जस कौिसला मोर भल ताका तस फल उनहिह दउ किर साका ४

दोहा होत ात मिनबष धिर जौ न राम बन जािह

मोर मरन राउर अजस नप समिझअ मन मािह ३३

अस किह किटल भई उिठ ठाढ़ी मानह रोष तरिगिन बाढ़ी

पाप पहार गट भइ सोई भरी ोध जल जाइ न जोई १

दोउ बर कल किठन हठ धारा भवर कबरी बचन चारा

ढाहत भपरप तर मला चली िबपित बािरिध अनकला २

लखी नरस बात फिर साची ितय िमस मीच सीस पर नाची

गिह पद िबनय कीनह बठारी जिन िदनकर कल होिस कठारी ३

माग माथ अबही दउ तोही राम िबरह जिन मारिस मोही

राख राम कह जिह तिह भाती नािह त जिरिह जनम भिर छाती ४

दोहा दखी बयािध असाध नप परउ धरिन धिन माथ

कहत परम आरत बचन राम राम रघनाथ ३४

बयाकल राउ िसिथल सब गाता किरिन कलपतर मनह िनपाता

कठ सख मख आव न बानी जन पाठीन दीन िबन पानी १

पिन कह कट कठोर ककई मनह घाय मह माहर दई

जौ अतह अस करतब रहऊ माग माग तमह किह बल कहऊ २

दइ िक होइ एक समय भआला हसब ठठाइ फलाउब गाला

दािन कहाउब अर कपनाई होइ िक खम कसल रौताई ३

छाड़ह बचन िक धीरज धरह जिन अबला िजिम करना करह

तन ितय तनय धाम धन धरनी सतयसध कह तन सम बरनी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 18 - अयोधयाकाड

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मरम बचन सिन राउ कह कह कछ दोष न तोर

लागउ तोिह िपसाच िजिम काल कहावत मोर ३५

चहत न भरत भपतिह भोर िबिध बस कमित बसी िजय तोर

सो सब मोर पाप पिरनाम भयउ कठाहर जिह िबिध बाम १

सबस बिसिह िफिर अवध सहाई सब गन धाम राम भताई

किरहिह भाइ सकल सवकाई होइिह ितह पर राम बड़ाई २

तोर कलक मोर पिछताऊ मएह न िमटिह न जाइिह काऊ

अब तोिह नीक लाग कर सोई लोचन ओट बठ मह गोई ३

जब लिग िजऔ कहउ कर जोरी तब लिग जिन कछ कहिस बहोरी

िफिर पिछतहिस अत अभागी मारिस गाइ नहार लागी ४

दोहा परउ राउ किह कोिट िबिध काह करिस िनदान

कपट सयािन न कहित कछ जागित मनह मसान ३६

राम राम रट िबकल भआल जन िबन पख िबहग बहाल

हदय मनाव भोर जिन होई रामिह जाइ कह जिन कोई १

उदउ करह जिन रिब रघकल गर अवध िबलोिक सल होइिह उर

भप ीित ककइ किठनाई उभय अविध िबिध रची बनाई २

िबलपत नपिह भयउ िभनसारा बीना बन सख धिन ारा

पढ़िह भाट गन गाविह गायक सनत नपिह जन लागिह सायक ३

मगल सकल सोहािह न कस सहगािमिनिह िबभषन जस

तिह िनिस नीद परी निह काह राम दरस लालसा उछाह ४

दोहा ार भीर सवक सिचव कहिह उिदत रिब दिख

जागउ अजह न अवधपित कारन कवन िबसिष ३७

पिछल पहर भप िनत जागा आज हमिह बड़ अचरज लागा

रामचिरतमानस - 19 - अयोधयाकाड

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जाह सम जगावह जाई कीिजअ काज रजायस पाई १

गए सम तब राउर माही दिख भयावन जात डराही

धाइ खाइ जन जाइ न हरा मानह िबपित िबषाद बसरा २

पछ कोउ न ऊतर दई गए जिह भवन भप ककई

किह जयजीव बठ िसर नाई दिख भप गित गयउ सखाई ३

सोच िबकल िबबरन मिह परऊ मानह कमल मल पिरहरऊ

सिचउ सभीत सकइ निह पछी बोली असभ भरी सभ छछी ४

दोहा परी न राजिह नीद िनिस हत जान जगदीस

राम राम रिट भोर िकय कहइ न मरम महीस ३८

आनह रामिह बिग बोलाई समाचार तब पछह आई

चलउ सम राय रख जानी लखी कचािल कीिनह कछ रानी १

सोच िबकल मग परइ न पाऊ रामिह बोिल किहिह का राऊ

उर धिर धीरज गयउ दआर पछिह सकल द िख मन मार २

समाधान किर सो सबही का गयउ जहा िदनकर कल टीका

राम सम िह आवत दखा आदर कीनह िपता सम लखा ३

िनरिख बदन किह भप रजाई रघकलदीपिह चलउ लवाई

राम कभाित सिचव सग जाही दिख लोग जह तह िबलखाही ४

दोहा जाइ दीख रघबसमिन नरपित िनपट कसाज

सहिम परउ लिख िसिघिनिह मनह ब गजराज ३९

सखिह अधर जरइ सब अग मनह दीन मिनहीन भअग

सरष समीप दीिख ककई मानह मीच घरी गिन लई १

करनामय मद राम सभाऊ थम दीख दख सना न काऊ

तदिप धीर धिर समउ िबचारी पछी मधर बचन महतारी २

मोिह कह मात तात दख कारन किरअ जतन जिह होइ िनवारन

रामचिरतमानस - 20 - अयोधयाकाड

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सनह राम सब कारन एह राजिह तम पर बहत सनह ३

दन कहिनह मोिह दइ बरदाना मागउ जो कछ मोिह सोहाना

सो सिन भयउ भप उर सोच छािड़ न सकिह तमहार सकोच ४

दोहा सत सनह इत बचन उत सकट परउ नरस

सकह न आयस धरह िसर मटह किठन कलस ४०

िनधरक बिठ कहइ कट बानी सनत किठनता अित अकलानी

जीभ कमान बचन सर नाना मनह मिहप मद लचछ समाना १

जन कठोरपन धर सरीर िसखइ धनषिब ा बर बीर

सब सग रघपितिह सनाई बिठ मनह तन धिर िनठराई २

मन मसकाइ भानकल भान राम सहज आनद िनधान

बोल बचन िबगत सब दषन मद मजल जन बाग िबभषन ३

सन जननी सोइ सत बड़भागी जो िपत मात बचन अनरागी

तनय मात िपत तोषिनहारा दलरभ जनिन सकल ससारा ४

दोहा मिनगन िमलन िबसिष बन सबिह भाित िहत मोर

तिह मह िपत आयस बहिर समत जननी तोर ४१

भरत ानि य पाविह राज िबिध सब िबिध मोिह सनमख आज

जो न जाउ बन ऐसह काजा थम गिनअ मोिह मढ़ समाजा १

सविह अरड कलपतर तयागी प िरहिर अमत लिह िबष मागी

तउ न पाइ अस समउ चकाही दख िबचािर मात मन माही २

अब एक दख मोिह िबसषी िनपट िबकल नरनायक दखी

थोिरिह बात िपतिह दख भारी होित तीित न मोिह महतारी ३

राउ धीर गन उदिध अगाध भा मोिह त कछ बड़ अपराध

जात मोिह न कहत कछ राऊ मोिर सपथ तोिह कह सितभाऊ ४

रामचिरतमानस - 21 - अयोधयाकाड

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दोहा सहज सरल रघबर बचन कमित किटल किर जान

चलइ जोक जल ब गित ज िप सिलल समान ४२

रहसी रािन राम रख पाई बोली कपट सनह जनाई

सपथ तमहार भरत क आना हत न दसर म कछ जाना १

तमह अपराध जोग निह ताता जननी जनक बध सखदाता

राम सतय सब जो कछ कहह तमह िपत मात बचन रत अहह २

िपतिह बझाइ कहह बिल सोई चौथपन जिह अजस न होई

तमह सम सअन सकत जिह दीनह उिचत न तास िनरादर कीनह ३

लागिह कमख बचन सभ कस मगह गयािदक तीरथ जस

रामिह मात बचन सब भाए िजिम सरसिर गत सिलल सहाए ४

दोहा गइ मरछा रामिह सिमिर नप िफिर करवट लीनह

सिचव राम आगमन किह िबनय समय सम कीनह ४३

अविनप अकिन राम पग धार धिर धीरज तब नयन उघार

सिचव सभािर राउ बठार चरन परत नप राम िनहार १

िलए सनह िबकल उर लाई ग मिन मनह फिनक िफिर पाई

रामिह िचतइ रहउ नरनाह चला िबलोचन बािर बाह २

सोक िबबस कछ कह न पारा हदय लगावत बारिह बारा

िबिधिह मनाव राउ मन माही जिह रघनाथ न कानन जाही ३

सिमिर महसिह कहइ िनहोरी िबनती सनह सदािसव मोरी

आसतोष तमह अवढर दानी आरित हरह दीन जन जानी ४

दोहा तमह रक सब क हदय सो मित रामिह दह

बचन मोर तिज रहिह घर पिरहिर सील सनह ४४

रामचिरतमानस - 22 - अयोधयाकाड

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अजस होउ जग सजस नसाऊ नरक परौ बर सरपर जाऊ

सब दख दसह सहावह मोही लोचन ओट राम जिन होही १

अस मन गनइ राउ निह बोला पीपर पात सिरस मन डोला

रघपित िपतिह मबस जानी पिन कछ किहिह मात अनमानी २

दस काल अवसर अनसारी बोल बचन िबनीत िबचारी

तात कहउ कछ करउ िढठाई अनिचत छमब जािन लिरकाई ३

अित लघ बात लािग दख पावा काह न मोिह किह थम जनावा

दिख गोसाइिह पिछउ माता सिन सग भए सीतल गाता ४

दोहा मगल समय सनह बस सोच पिरहिरअ तात

आयस दइअ हरिष िहय किह पलक भ गात ४५

धनय जनम जगतीतल तास िपतिह मोद चिरत सिन जास

चािर पदारथ करतल ताक ि य िपत मात ान सम जाक १

आयस पािल जनम फल पाई ऐहउ बिगिह होउ रजाई

िबदा मात सन आवउ मागी चिलहउ बनिह बहिर पग लागी २

अस किह राम गवन तब कीनहा भप सोक बस उतर न दीनहा

नगर बयािप गइ बात सतीछी छअत च ढ़ी जन सब तन बीछी ३

सिन भए िबकल सकल नर नारी बिल िबटप िजिम दिख दवारी

जो जह सनइ धनइ िसर सोई बड़ िबषाद निह धीरज होई ४

दोहा मख सखािह लोचन विह सोक न हदय समाइ

मनह करन रस कटकई उतरी अवध बजाइ ४६

िमलिह माझ िबिध बात बगारी जह तह दिह ककइिह गारी

एिह पािपिनिह बिझ का परऊ छाइ भवन पर पावक धरऊ १

िनज कर नयन कािढ़ चह दीखा डािर सधा िबष चाहत चीखा

किटल कठोर कबि अभागी भइ रघबस बन बन आगी २

रामचिरतमानस - 23 - अयोधयाकाड

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पालव बिठ पड़ एिह काटा सख मह सोक ठाट धिर ठाटा

सदा राम एिह ान समाना कारन कवन किटलपन ठाना ३

सतय कहिह किब नािर सभाऊ सब िबिध अगह अगाध दराऊ

िनज ितिबब बरक गिह जाई जािन न जाइ नािर गित भाई ४

दोहा काह न पावक जािर सक का न सम समाइ

का न कर अबला बल किह जग काल न खाइ ४७

का सनाइ िबिध काह सनावा का दखाइ चह काह दखावा

एक कहिह भल भप न कीनहा बर िबचािर निह कमितिह दीनहा १

जो हिठ भयउ सकल दख भाजन अबला िबबस गयान गन गा जन

एक धरम परिमित पिहचान नपिह दोस निह दिह सयान २

िसिब दधीिच हिरचद कहानी एक एक सन कहिह बखानी

एक भरत कर समत कहही एक उदास भाय सिन रहही ३

कान मिद कर रद गिह जीहा एक कहिह यह बात अलीहा

सकत जािह अस कहत तमहार राम भरत कह ानिपआर ४

दोहा चद चव बर अनल कन सधा होइ िबषतल

सपनह कबह न करिह िकछ भरत राम ितकल ४८

एक िबधातिह दषन दही सधा दखाइ दीनह िबष जही

खरभर नगर सोच सब काह दसह दाह उर िमटा उछाह १

िब बध कलमानय जठरी ज ि य परम ककई करी

लगी दन िसख सील सराही बचन बानसम लागिह ताही २

भरत न मोिह ि य राम समाना सदा कहह यह सब जग जाना

करह राम पर सहज सनह किह अपराध आज बन दह ३

कबह न िकयह सवित आरस ीित तीित जान सब दस

कौसलया अब काह िबगारा तमह जिह लािग ब पर पारा ४

रामचिरतमानस - 24 - अयोधयाकाड

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दोहा

सीय िक िपय सग पिरहिरिह लखन िक रिहहिह धाम

राज िक भजब भरत पर नप िक जीिह िबन राम ४९

अस िबचािर उर छाड़ह कोह सोक कलक कोिठ जिन होह

भरतिह अविस दह जबराज कानन काह राम कर काज १

नािहन राम राज क भख धरम धरीन िबषय रस रख

गर गह बसह राम तिज गह नप सन अस बर दसर लह २

जौ निह लिगहह कह हमार निह लािगिह कछ हाथ तमहार

जौ पिरहास कीिनह कछ होई तौ किह गट जनावह सोई ३

राम सिरस सत कानन जोग काह किहिह सिन तमह कह लोग

उठह बिग सोइ करह उपाई जिह िबिध सोक कलक नसाई ४ छद

जिह भाित सोक कलक जाइ उपाय किर कल पालही

हिठ फर रामिह जात बन जिन बात दसिर चालही

िजिम भान िबन िदन ान िबन तन चद िबन िजिम जािमनी

ितिम अवध तलसीदास भ िबन समिझ धौ िजय भािमनी

सोरठा सिखनह िसखावन दीनह सनत मधर पिरनाम िहत

तइ कछ कान न कीनह किटल बोधी कबरी ५०

उतर न दइ दसह िरस रखी मिगनह िचतव जन बािघिन भखी

बयािध असािध जािन ितनह तयागी चली कहत मितमद अभागी १

राज करत यह दअ िबगोई कीनहिस अस जस करइ न कोई

एिह िबिध िबलपिह पर नर नारी दिह कचािलिह कोिटक गारी २

जरिह िबषम जर लिह उसासा कविन राम िबन जीवन आसा

िबपल िबयोग जा अकलानी जन जलचर गन सखत पानी ३

रामचिरतमानस - 25 - अयोधयाकाड

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अित िबषाद बस लोग लोगाई गए मात पिह राम गोसाई

मख सनन िचत चौगन चाऊ िमटा सोच जिन राख राऊ ४

दोहा नव गयद रघबीर मन राज अलान समान

छट जािन बन गवन सिन उर अनद अिधकान ५१

रघकलितलक जोिर दोउ हाथा मिदत मात पद नायउ माथा

दीिनह असीस लाइ उर लीनह भषन बसन िनछाविर कीनह १

बार बार मख चबित माता नयन नह जल पलिकत गाता

गोद रािख पिन हदय लगाए वत नरस पयद सहाए २

म मोद न कछ किह जाई रक धनद पदबी जन पाई

सादर सदर बदन िनहारी बोली मधर बचन महतारी ३

कहह तात जननी बिलहारी कबिह लगन मद मगलकारी

सकत सील सख सीव सहाई जनम लाभ कइ अविध अघाई ४

दोहा जिह चाहत नर नािर सब अित आरत एिह भाित

िजिम चातक चातिक तिषत बि सरद िरत सवाित ५२

तात जाउ बिल बिग नहाह जो मन भाव मधर कछ खाह

िपत समीप तब जाएह भआ भइ बिड़ बार जाइ बिल मआ १

मात बचन सिन अित अनकला जन सनह सरतर क फला

सख मकरद भर ि यमला िनरिख राम मन भवर न भला २

धरम धरीन धरम गित जानी कहउ मात सन अित मद बानी

िपता दीनह मोिह कानन राज जह सब भाित मोर बड़ काज ३

आयस दिह मिदत मन माता जिह मद मगल कानन जाता

जिन सनह बस डरपिस भोर आनद अब अन ह तोर ४

रामचिरतमानस - 26 - अयोधयाकाड

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दोहा बरष चािरदस िबिपन बिस किर िपत बचन मान

आइ पाय पिन दिखहउ मन जिन करिस मलान ५३

बचन िबनीत मधर रघबर क सर सम लग मात उर करक

सहिम सिख सिन सीतिल बानी िजिम जवास पर पावस पानी १

किह न जाइ कछ हदय िबषाद मनह मगी सिन कहिर नाद

नयन सजल तन थर थर कापी माजिह खाइ मीन जन मापी २

धिर धीरज सत बदन िनहारी गदगद बचन कहित महतारी

तात िपतिह तमह ानिपआर दिख मिदत िनत चिरत तमहार ३

राज दन कह सभ िदन साधा कहउ जान बन किह अपराधा

तात सनावह मोिह िनदान को िदनकर कल भयउ कसान ४

दोहा िनरिख राम रख सिचवसत कारन कहउ बझाइ

सिन सग रिह मक िजिम दसा बरिन निह जाइ ५४

रािख न सकइ न किह सक जाह दह भाित उर दारन दाह

िलखत सधाकर गा िलिख राह िबिध गित बाम सदा सब काह १

धरम सनह उभय मित घरी भइ गित साप छछदिर करी

राखउ सतिह करउ अनरोध धरम जाइ अर बध िबरोध २

कहउ जान बन तौ बिड़ हानी सकट सोच िबबस भइ रानी

बहिर समिझ ितय धरम सयानी राम भरत दोउ सत सम जानी ३

सरल सभाउ राम महतारी बोली बचन धीर धिर भारी

तात जाउ बिल कीनहह नीका िपत आयस सब धरमक टीका ४

दोहा राज दन किह दीनह बन मोिह न सो दख लस

तमह िबन भरतिह भपितिह जिह चड कलस ५५

रामचिरतमानस - 27 - अयोधयाकाड

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जौ कवल िपत आयस ताता तौ जिन जाह जािन बिड़ माता

जौ िपत मात कहउ बन जाना तौ कानन सत अवध समाना १

िपत बनदव मात बनदवी खग मग चरन सरोरह सवी

अतह उिचत नपिह बनबास बय िबलोिक िहय होइ हरास २

बड़भागी बन अवध अभागी जो रघबसितलक तमह तयागी

जौ सत कहौ सग मोिह लह तमहर हदय होइ सदह ३

पत परम ि य तमह सबही क ान ान क जीवन जी क

त तमह कहह मात बन जाऊ म सिन बचन बिठ पिछताऊ ४

दोहा यह िबचािर निह करउ हठ झठ सनह बढ़ाइ

मािन मात कर नात बिल सरित िबसिर जिन जाइ ५६

दव िपतर सब तनहिह गोसाई राखह पलक नयन की नाई

अविध अब ि य पिरजन मीना तमह करनाकर धरम धरीना १

अस िबचािर सोइ करह उपाई सबिह िजअत जिह भटह आई

जाह सखन बनिह बिल जाऊ किर अनाथ जन पिरजन गाऊ २

सब कर आज सकत फल बीता भयउ कराल काल िबपरीता

बहिबिध िबलिप चरन लपटानी प रम अभािगिन आपिह जानी ३

दारन दसह दाह उर बयापा बरिन न जािह िबलाप कलापा

राम उठाइ मात उर लाई किह मद बचन बहिर समझाई ४

दोहा समाचार तिह समय सिन सीय उठी अकलाइ

जाइ सास पद कमल जग बिद बिठ िसर नाइ ५७

दीिनह असीस सास मद बानी अित सकमािर दिख अकलानी

बिठ निमतमख सोचित सीता रप रािस पित म पनीता १

चलन चहत बन जीवननाथ किह सकती सन होइिह साथ

की तन ान िक कवल ाना िबिध करतब कछ जाइ न जाना २

रामचिरतमानस - 28 - अयोधयाकाड

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चार चरन नख लखित धरनी नपर मखर मधर किब बरनी

मनह म बस िबनती करही हमिह सीय पद जिन पिरहरही ३

मज िबलोचन मोचित बारी बोली दिख राम महतारी

तात सनह िसय अित सकमारी सास ससर पिरजनिह िपआरी ४

दोहा िपता जनक भपाल मिन ससर भानकल भान

पित रिबकल करव िबिपन िबध गन रप िनधान ५८

म पिन प बध ि य पाई रप रािस गन सील सहाई

नयन पतिर किर ीित बढ़ाई राखउ ान जािनिकिह लाई १

कलपबिल िजिम बहिबिध लाली सीिच सनह सिलल ितपाली

फलत फलत भयउ िबिध बामा जािन न जाइ काह पिरनामा २

पलग पीठ तिज गोद िहड़ोरा िसय न दीनह पग अविन कठोरा

िजअनमिर िजिम जोगवत रहऊ दीप बाित निह टारन कहऊ ३

सोइ िसय चलन चहित बन साथा आयस काह होइ रघनाथा

चद िकरन रस रिसक चकोरी रिब रख नयन सकइ िकिम जोरी ४

दोहा किर कहिर िनिसचर चरिह द जत बन भिर

िबष बािटका िक सोह सत सभग सजीविन मिर ५९

बन िहत कोल िकरात िकसोरी रची िबरिच िबषय सख भोरी

पाइन किम िजिम किठन सभाऊ ितनहिह कलस न कानन काऊ १

क तापस ितय कानन जोग िजनह तप हत तजा सब भोग

िसय बन बिसिह तात किह भाती िच िलिखत किप दिख डराती २

सरसर सभग बनज बन चारी डाबर जोग िक हसकमारी

अस िबचािर जस आयस होई म िसख दउ जानिकिह सोई ३

जौ िसय भवन रह कह अबा मोिह कह होइ बहत अवलबा

सिन रघबीर मात ि य बानी सील सनह सधा जन सानी ४

रामचिरतमानस - 29 - अयोधयाकाड

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दोहा

किह ि य बचन िबबकमय कीिनह मात पिरतोष

लग बोधन जानिकिह गिट िबिपन गन दोष ६०

मासपारायण चौदहवा िव ाम

मात समीप कहत सकचाही बोल समउ समिझ मन माही

राजकमािर िसखावन सनह आन भाित िजय जिन कछ गनह १

आपन मोर नीक जौ चहह बचन हमार मािन गह रहह

आयस मोर सास सवकाई सब िबिध भािमिन भवन भलाई २

एिह त अिधक धरम निह दजा सादर सास ससर पद पजा

जब जब मात किरिह सिध मोरी होइिह म िबकल मित भोरी ३

तब तब तमह किह कथा परानी सदिर समझाएह मद बानी

कहउ सभाय सपथ सत मोही समिख मात िहत राखउ तोही ४

दोहा गर ित समत धरम फल पाइअ िबनिह कलस

हठ बस सब सकट सह गालव नहष नरस ६१

म पिन किर वान िपत बानी बिग िफरब सन समिख सयानी

िदवस जात निह लािगिह बारा सदिर िसखवन सनह हमारा १

जौ हठ करह म बस बामा तौ तमह दख पाउब पिरनामा

कानन किठन भयकर भारी घोर घाम िहम बािर बयारी २

कस कटक मग काकर नाना चलब पयादिह िबन पद ाना

चरन कमल मद मज तमहार मारग अगम भिमधर भार ३

कदर खोह नदी नद नार अगम अगाध न जािह िनहार

भाल बाघ बक कहिर नागा करिह नाद सिन धीरज भागा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 30 - अयोधयाकाड

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भिम सयन बलकल बसन असन कद फल मल

त िक सदा सब िदन िमिलिह सबइ समय अनकल ६२

नर अहार रजनीचर चरही कपट बष िबिध कोिटक करही

लागइ अित पहार कर पानी िबिपन िबपित निह जाइ बखानी १

बयाल कराल िबहग बन घोरा िनिसचर िनकर नािर नर चोरा

डरपिह धीर गहन सिध आए मगलोचिन तमह भीर सभाए २

हसगविन तमह निह बन जोग सिन अपजस मोिह दइिह लोग

मानस सिलल सधा ितपाली िजअइ िक लवन पयोिध मराली ३

नव रसाल बन िबहरनसीला सोह िक कोिकल िबिपन करीला

रहह भवन अस हदय िबचारी चदबदिन दख कानन भारी ४

दोहा सहज सहद गर सवािम िसख जो न करइ िसर मािन

सो पिछताइ अघाइ उर अविस होइ िहत हािन ६३

सिन मद बचन मनोहर िपय क लोचन लिलत भर जल िसय क

सीतल िसख दाहक भइ क स चकइिह सरद चद िनिस जस १

उतर न आव िबकल बदही तजन चहत सिच सवािम सनही

बरबस रोिक िबलोचन बारी धिर धीरज उर अविनकमारी २

लािग सास पग कह कर जोरी छमिब दिब बिड़ अिबनय मोरी

दीिनह ानपित मोिह िसख सोई जिह िबिध मोर परम िहत होई ३

म पिन समिझ दीिख मन माही िपय िबयोग सम दख जग नाही ४

दोहा ाननाथ करनायतन सदर सखद सजान तमह िबन रघकल कमद िबध सरपर नरक समान ६४

मात िपता भिगनी ि य भाई ि य पिरवार स द समदाई

सास ससर गर सजन सहाई सत सदर ससील सखदाई १

रामचिरतमानस - 31 - अयोधयाकाड

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जह लिग नाथ नह अर नात िपय िबन ितयिह तरिनह त तात

तन धन धाम धरिन पर राज पित िबहीन सब सोक समाज २

भोग रोगसम भषन भार जम जातना सिरस ससार

ाननाथ तमह िबन जग माही मो कह सखद कतह कछ नाही ३

िजय िबन दह नदी िबन बारी तिसअ नाथ परष िबन नारी

नाथ सकल सख साथ तमहार सरद िबमल िबध बदन िनहार ४

दोहा खग मग पिरजन नगर बन बलकल िबमल दकल

नाथ साथ सरसदन सम परनसाल सख मल ६५

बनदवी बनदव उदारा किरहिह सास ससर सम सारा

कस िकसलय साथरी सहाई भ सग मज मनोज तराई १

कद मल फल अिमअ अहार अवध सौध सत सिरस पहार

िछन िछन भ पद कमल िबलोिकरिहहउ मिदत िदवस िजिम कोकी२

बन दख नाथ कह बहतर भय िबषाद पिरताप घनर

भ िबयोग लवलस समाना सब िमिल होिह न कपािनधाना ३

अस िजय जािन सजान िसरोमिन लइअ सग मोिह छािड़अ जिन

िबनती बहत करौ का सवामी करनामय उर अतरजामी ४

दोहा रािखअ अवध जो अविध लिग रहत न जिनअिह ान

दीनबध सदर सखद सील सनह िनधान ६६

मोिह मग चलत न होइिह हारी िछन िछन चरन सरोज िनहारी

सबिह भाित िपय सवा किरहौ मारग जिनत सकल म हिरहौ १

पाय पखारी बिठ तर छाही किरहउ बाउ मिदत मन माही

म कन सिहत सयाम तन दख कह दख समउ ानपित पख २

सम मिह तन तरपललव डासी पाग पलोिटिह सब िनिस दासी

बारबार मद मर ित जोही लागिह तात बयािर न मोही ३

रामचिरतमानस - 32 - अयोधयाकाड

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को भ सग मोिह िचतविनहारा िसघबधिह िजिम ससक िसआरा

म सकमािर नाथ बन जोग तमहिह उिचत तप मो कह भोग ४

दोहा ऐसउ बचन कठोर सिन जौ न दउ िबलगान

तौ भ िबषम िबयोग दख सिहहिह पावर ान ६७

अस किह सीय िबकल भइ भारी बचन िबयोग न सकी सभारी

दिख दसा रघपित िजय जाना हिठ राख निह रािखिह ाना १

कहउ कपाल भानकलनाथा पिरहिर सोच चलह बन साथा

निह िबषाद कर अवसर आज बिग करह बन गवन समाज २

किह ि य बचन ि या समझाई लग मात पद आिसष पाई

बिग जा दख मटब आई जननी िनठर िबसिर जिन जाई ३

िफरिह दसा िबिध बहिर िक मोरी दिखहउ नयन मनोहर जोरी

सिदन सघरी तात कब होइिह जननी िजअत बदन िबध जोइिह ४

दोहा बहिर बचछ किह लाल किह रघपित रघबर तात

कबिह बोलाइ लगाइ िहय हरिष िनरिखहउ गात ६८

लिख सनह कातिर महतारी बचन न आव िबकल भइ भारी

राम बोध कीनह िबिध नाना समउ सनह न जाइ बखाना १

तब जानकी सास पग लागी सिनअ माय म परम अभागी

सवा समय दअ बन दीनहा मोर मनोरथ सफल न कीनहा २

तजब छोभ जिन छािड़अ छोह करम किठन कछ दोस न मोह

सिन िसय बचन सास अकलानी दसा कविन िबिध कहौ बखानी ३

बारिह बार लाइ उर लीनही धिर धीरज िसख आिसष दीनही

अचल होउ अिहवात तमहारा जब लिग गग जमन जल धारा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 33 - अयोधयाकाड

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सीतिह सास असीस िसख दीिनह अनक कार चली नाइ पद पदम िसर अित िहत बारिह बार ६९

समाचार जब लिछमन पाए बयाकल िबलख बदन उिठ धाए

कप पलक तन नयन सनीरा गह चरन अित म अधीरा १

किह न सकत कछ िचतवत ठाढ़ मीन दीन जन जल त काढ़

सोच हदय िबिध का होिनहारा सब सख सकत िसरान हमारा २

मो कह काह कहब रघनाथा रिखह िह भवन िक लहिह साथा

राम िबलोिक बध कर जोर दह गह सब सन तन तोर ३

बोल बचन राम नय नागर सील सनह सरल सख सागर

तात म बस जिन कदराह समिझ हदय पिरनाम उछाह ४

दोहा मात िपता गर सवािम िसख िसर धिर करिह सभाय

लहउ लाभ ितनह जनम कर नतर जनम जग जाय ७०

अस िजय जािन सनह िसख भाई करह मात िपत पद सवकाई

भवन भरत िरपसदन नाही राउ ब मम दख मन माही १

म बन जाउ तमहिह लइ साथा होइ सबिह िबिध अवध अनाथा

गर िपत मात जा पिरवार सब कह परइ दसह दख भार २

रहह करह सब कर पिरतोष नतर तात होइिह बड़ दोष

जास राज ि य जा दखारी सो नप अविस नरक अिधकारी ३

रहह तात अिस नीित िबचारी सनत लखन भए बयाकल भारी

िसअर बचन सिख गए क स परसत तिहन तामरस जस ४

दोहा उतर न आवत म बस गह चरन अकलाइ

नाथ दास म सवािम तमह तजह त काह बसाइ ७१

दीिनह मोिह िसख नीिक गोसाई लािग अगम अपनी कदराई

रामचिरतमानस - 34 - अयोधयाकाड

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नरबर धीर धरम धर धारी िनगम नीित कह त अिधकारी १

म िसस भ सनह ितपाला मदर मर िक लिह मराला

गर िपत मात न जानउ काह कहउ सभाउ नाथ पितआह २

जह लिग जगत सनह सगाई ीित तीित िनगम िनज गाई

मोर सबइ एक तमह सवामी दीनबध उर अतरजामी ३

धरम नीित उपदिसअ ताही कीरित भित सगित ि य जाही

मन म बचन चरन रत होई कपािसध पिरहिरअ िक सोई ४

दोहा करनािसध सबध क सिन मद बचन िबनीत

समझाए उर लाइ भ जािन सनह सभीत ७२

मागह िबदा मात सन जाई आवह बिग चलह बन भाई

मिदत भए सिन रघबर बानी भयउ लाभ बड़ गइ बिड़ हानी १

हरिषत हदय मात पिह आए मनह अध िफिर लोचन पाए

जाइ जनिन पग नायउ माथा मन रघनदन जानिक साथा २

पछ मात मिलन मन दखी लखन कही सब कथा िबसषी

गई सहिम सिन बचन कठोरा मगी दिख दव जन चह ओरा ३

लखन लखउ भा अनरथ आज एिह सनह बस करब अकाज

मागत िबदा सभय सकचाही जाइ सग िबिध किहिह िक नाही ४

दोहा समिझ सिम ा राम िसय रप ससील सभाउ

नप सनह लिख धनउ िसर पािपिन दीनह कदाउ ७३

धीरज धरउ कअवसर जानी सहज सहद बोली मद बानी

तात तमहािर मात बदही िपता राम सब भाित सनही १

अवध तहा जह राम िनवास तहइ िदवस जह भान कास

जौ प सीय राम बन जाही अवध तमहार काज कछ नािह २

गर िपत मात बध सर साई सइअिह सकल ान की नाई

रामचिरतमानस - 35 - अयोधयाकाड

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राम ानि य जीवन जी क सवारथ रिहत सखा सबही क ३

पजनीय ि य परम जहा त सब मािनअिह राम क नात

अस िजय जािन सग बन जाह लह तात जग जीवन लाह ४

दोहा भिर भाग भाजन भयह मोिह समत बिल जाउ

जौम तमहर मन छािड़ छल कीनह राम पद ठाउ ७४

प वती जबती जग सोई रघपित भगत जास सत होई

नतर बाझ भिल बािद िबआनी राम िबमख सत त िहत जानी १

तमहरिह भाग राम बन जाही दसर हत तात कछ नाही

सकल सकत कर बड़ फल एह राम सीय पद सहज सनह २

राग रोष इिरषा मद मोह जिन सपनह इनह क बस होह

सकल कार िबकार िबहाई मन म बचन करह सवकाई ३

तमह कह बन सब भाित सपास सग िपत मा त राम िसय जास

जिह न राम बन लहिह कलस सत सोइ करह इहइ उपदस ४ छद

उपदस यह जिह तात तमहर राम िसय सख पावही

िपत मात ि य पिरवार पर सख सरित बन िबसरावही

तलसी भिह िसख दइ आयस दीनह पिन आिसष दई

रित होउ अिबरल अमल िसय रघबीर पद िनत िनत नई

सोरठा मात चरन िसर नाइ चल तरत सिकत हदय

बागर िबषम तोराइ मनह भाग मग भाग बस ७५

गए लखन जह जानिकनाथ भ मन मिदत पाइ ि य साथ

बिद राम िसय चरन सहाए चल सग नपमिदर आए १

कहिह परसपर पर नर नारी भिल बनाइ िबिध बात िबगारी

रामचिरतमानस - 36 - अयोधयाकाड

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तन कस दख बदन मलीन िबकल मनह माखी मध छीन २

कर मीजिह िसर धिन पिछताही जन िबन पख िबहग अकलाही

भइ बिड़ भीर भप दरबारा बरिन न जाइ िबषाद अपारा ३

सिचव उठाइ राउ बठार किह ि य बचन राम पग धार

िसय समत दोउ तनय िनहारी बयाकल भयउ भिमपित भारी ४

दोहा सीय सिहत सत सभग दोउ दिख दिख अकलाइ

बारिह बार सनह बस राउ लइ उर लाइ ७६

सकइ न बोिल िबकल नरनाह सोक जिनत उर दारन दाह

नाइ सीस पद अित अनरागा उिठ रघबीर िबदा तब मागा १

िपत असीस आयस मोिह दीज हरष समय िबसमउ कत कीज

तात िकए ि य म माद जस जग जाइ होइ अपबाद २

सिन सनह बस उिठ नरनाहा बठार रघपित गिह बाहा

सनह तात तमह कह मिन कहही राम चराचर नायक अहही ३

सभ अर असभ करम अनहारी ईस दइ फल हदय िबचारी

करइ जो करम पाव फल सोई िनगम नीित अिस कह सब कोई ४

दोहा और कर अपराध कोउ और पाव फल भोग

अित िबिच भगवत गित को जग जान जोग ७७

राय राम राखन िहत लागी बहत उपाय िकए छल तयागी

लखी राम रख रहत न जान धरम धरधर धीर सयान १

तब नप सीय लाइ उर लीनही अित िहत बहत भाित िसख दीनही

किह बन क दख दसह सनाए सास ससर िपत सख समझाए २

िसय मन राम चरन अनरागा घर न सगम बन िबषम न लागा

औरउ सबिह सीय समझाई किह किह िबिपन िबपित अिधकाई ३

सिचव नािर गर नािर सयानी सिहत सनह कहिह मद बानी

रामचिरतमानस - 37 - अयोधयाकाड

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तमह कह तौ न दीनह बनबास करह जो कहिह ससर गर सास ४

दोहा िसख सीतिल िहत मधर मद सिन सीतिह न सोहािन

सरद चद चदिन लगत जन चकई अकलािन ७८

सीय सकच बस उतर न दई सो सिन तमिक उठी ककई

मिन पट भषन भाजन आनी आग धिर बोली मद बानी १

नपिह ान ि य तमह रघबीरा सील सनह न छािड़िह भीरा

सकत सजस परलोक नसाऊ तमहिह जान बन किहिह न काऊ २

अस िबचािर सोइ करह जो भावा राम जनिन िसख सिन सख पावा

भपिह बचन बानसम लाग करिह न ान पयान अभाग ३

लोग िबकल मरिछत नरनाह काह किरअ कछ सझ न काह

राम तरत मिन बष बनाई चल जनक जनिनिह िसर नाई ४

दोहा सिज बन साज समाज सब बिनता बध समत

बिद िब गर चरन भ चल किर सबिह अचत ७९

िनकिस बिस ार भए ठाढ़ दख लोग िबरह दव दाढ़

किह ि य बचन सकल समझाए िब बद रघबीर बोलाए १

गर सन किह बरषासन दीनह आदर दान िबनय बस कीनह

जाचक दान मान सतोष मीत पनीत म पिरतोष २

दासी दास बोलाइ बहोरी गरिह सौिप बोल कर जोरी

सब क सार सभार गोसाई करिब जनक जननी की नाई ३

बारिह बार जोिर जग पानी कहत राम सब सन मद बानी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जिह त रह भआल सखारी ४

दोहा मात सकल मोर िबरह जिह न होिह दख दीन

रामचिरतमानस - 38 - अयोधयाकाड

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सोइ उपाउ तमह करह सब पर जन परम बीन ८०

एिह िबिध राम सबिह समझावा गर पद पदम हरिष िसर नावा

गनपती गौिर िगरीस मनाई चल असीस पाइ रघराई १

राम चलत अित भयउ िबषाद सिन न जाइ पर आरत नाद

कसगन लक अवध अित सोक हहरष िबषाद िबबस सरलोक २

गइ मरछा तब भपित जाग बोिल सम कहन अस लाग

राम चल बन ान न जाही किह सख लािग रहत तन माही ३

एिह त कवन बयथा बलवाना जो दख पाइ तजिह तन ाना

पिन धिर धीर कहइ नरनाह ल रथ सग सखा तमह जाह ४

दोहा सिठ सकमार कमार दोउ जनकसता सकमािर

रथ चढ़ाइ दखराइ बन िफरह गए िदन चािर ८१

जौ निह िफरिह धीर दोउ भाई सतयसध दढ़ त रघराई

तौ तमह िबनय करह कर जोरी फिरअ भ िमिथलसिकसोरी १

जब िसय कानन दिख डराई कहह मोिर िसख अवसर पाई

सास ससर अस कहउ सदस पि िफिरअ बन बहत कलस २

िपतगह कबह कबह ससरारी रहह जहा र िच होइ तमहारी

एिह िबिध करह उपाय कदबा िफरइ त होइ ान अवलबा ३

नािह त मोर मरन पिरनामा कछ न बसाइ भए िबिध बामा

अस किह मरिछ परा मिह राऊ राम लखन िसय आिन दखाऊ ४

दोहा पाइ रजायस नाइ िसर रथ अित बग बनाइ

गयउ जहा बाहर नगर सीय सिहत दोउ भाइ ८२

तब सम नप बचन सनाए किर िबनती रथ राम चढ़ाए

चिढ़ रथ सीय सिहत दोउ भाई चल हदय अवधिह िसर नाई १

रामचिरतमानस - 39 - अयोधयाकाड

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चलत राम लिख अवध अनाथा िबकल लोग सब लाग साथा

कपािसध बहिबिध समझाविह िफरिह म बस पिन िफिर आविह २

लागित अवध भयाविन भारी मानह कालराित अिधआरी

घोर जत सम पर नर नारी डरपिह एकिह एक िनहारी ३

घर मसान पिरजन जन भता सत िहत मीत मनह जमदता

बागनह िबटप बिल किमहलाही सिरत सरोवर दिख न जाही ४

दोहा हय गय कोिटनह किलमग परपस चातक मोर

िपक रथाग सक सािरका सारस हस चकोर ८३

राम िबयोग िबकल सब ठाढ़ जह तह मनह िच िलिख काढ़

नगर सफल बन गहबर भारी खग मग िबपल सकल नर नारी १

िबिध ककई िकराितिन कीनही जिह दव दसह दसह िदिस दीनही

सिह न सक रघबर िबरहागी चल लोग सब बयाकल भागी २

सबिह िबचार कीनह मन माही राम लखन िसय िबन सख नाही

जहा राम तह सबइ समाज िबन रघबीर अवध निह काज ३

चल साथ अस म दढ़ाई सर दलरभ सख सदन िबहाई

राम चरन पकज ि य िजनहही िबषय भोग बस करिह िक ितनहही ४

दोहा बालक ब िबहाइ गह लग लोग सब साथ

तमसा तीर िनवास िकय थम िदवस रघनाथ ८४

रघपित जा मबस दखी सदय हदय दख भयउ िबसषी

करनामय रघनाथ गोसाई बिग पाइअिह पीर पराई १

किह स म मद बचन सहाए बहिबिध राम लोग समझाए

िकए धरम उपदस घनर लोग म बस िफरिह न फर २

सील सनह छािड़ निह जाई असमजस बस भ रघराई

लोग सोग म बस गए सोई कछक दवमाया मित मोई ३

रामचिरतमानस - 40 - अयोधयाकाड

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जबिह जाम जग जािमिन बीती राम सिचव सन कहउ स ीती

खोज मािर रथ हाकह ताता आन उपाय बिनिह निह बाता ४

दोहा राम लखन सय जान चिढ़ सभ चरन िसर नाइ

सिचव चलायउ तरत रथ इत उत खोज दराइ ८५

जाग सकल लोग भए भोर ग रघनाथ भयउ अित सोर

रथ कर खोज कतहह निह पाविह राम राम किह चह िदिस धाविह १

मनह बािरिनिध बड़ जहाज भयउ िबकल बड़ बिनक समाज

एकिह एक दिह उपदस तज राम हम जािन कलस २

िनदिह आप सराहिह मीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

जौ प ि य िबयोग िबिध कीनहा तौ कस मरन न माग दीनहा ३

एिह िबिध करत लाप कलापा आए अवध भर पिरतापा

िबषम िबयोग न जाइ बखाना अविध आस सब राखिह ाना ४

दोहा राम दरस िहत नम त लग करन नर नािर

मनह कोक कोकी कमल दीन िबहीन तमािर ८६

सीता सिचव सिहत दोउ भाई सगबरपर पहच जाई

उतर राम दवसिर दखी कीनह दडवत हरष िबसषी १

लखन सिचव िसय िकए नामा सबिह सिहत सख पायउ रामा

गग सकल मद मगल मला सब सख करिन हरिन सब सला २

किह किह कोिटक कथा सगा राम िबलोकिह गग तरगा

सिचविह अनजिह ि यिह सनाई िबबध नदी मिहमा अिधकाई ३

मजजन कीनह पथ म गयऊ सिच जल िपअत मिदत मन भयऊ

सिमरत जािह िमटइ म भार तिह म यह लौिकक बयवहार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 41 - अयोधयाकाड

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सधद सिचदानदमय कद भानकल कत

चिरत करत नर अनहरत ससित सागर सत ८७

यह सिध गह िनषाद जब पाई मिदत िलए ि य बध बोलाई

िलए फल मल भट भिर भारा िमलन चलउ िहय हरष अपारा १

किर दडवत भट धिर आग भिह िबलोकत अित अनराग

सहज सनह िबबस रघराई पछी कसल िनकट बठाई २

नाथ कसल पद पकज दख भयउ भागभाजन जन लख

दव धरिन धन धाम तमहारा म जन नीच सिहत पिरवारा ३

कपा किरअ पर धािरअ पाऊ थािपय जन सब लोग िसहाऊ

कहह सतय सब सखा सजाना मोिह दीनह िपत आयस आना ४

दोहा बरष चािरदस बास बन मिन त बष अहार

ाम बास निह उिचत सिन गहिह भयउ दख भार ८८

राम लखन िसय रप िनहारी कहिह स म ाम नर नारी

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस १

एक कहिह भल भपित कीनहा लोयन लाह हमिह िबिध दीनहा

तब िनषादपित उर अनमाना तर िससपा मनोहर जाना २

ल रघनाथिह ठाउ दखावा कहउ राम सब भाित सहावा

परजन किर जोहार घर आए रघबर सधया करन िसधाए ३

गह सवािर साथरी डसाई कस िकसलयमय मदल सहाई

सिच फल मल मधर मद जानी दोना भिर भिर राखिस पानी ४

दोहा िसय सम ाता सिहत कद मल फल खाइ

सयन कीनह रघबसमिन पाय पलोटत भाइ ८९

उठ लखन भ सोवत जानी किह सिचविह सोवन मद बानी

रामचिरतमानस - 42 - अयोधयाकाड

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कछक दर सिज बान सरासन जागन लग बिठ बीरासन १

गह बोलाइ पाहर तीती ठाव ठाव राख अित ीती

आप लखन पिह बठउ जाई किट भाथी सर चाप चढ़ाई २

सोवत भिह िनहािर िनषाद भयउ म बस हदय िबषाद

तन पलिकत जल लोचन बहई बचन स म लखन सन कहई ३

भपित भवन सभाय सहावा सरपित सदन न पटतर पावा

मिनमय रिचत चार चौबार जन रितपित िनज हाथ सवार ४

दोहा सिच सिबिच सभोगमय समन सगध सबास

पलग मज मिनदीप जह सब िबिध सकल सपास ९०

िबिबध बसन उपधान तराई छीर फन मद िबसद सहाई

तह िसय राम सयन िनिस करही िनज छिब रित मनोज मद हरही १

त िसय राम साथरी सोए िमत बसन िबन जािह न जोए

मात िपता पिरजन परबासी सखा ससील दास अर दासी २

जोगविह िजनहिह ान की नाई मिह सोवत तइ राम गोसाई

िपता जनक जग िबिदत भाऊ ससर सरस सखा रघराऊ ३

रामचद पित सो बदही सोवत मिह िबिध बाम न कही

िसय रघबीर िक कानन जोग करम धान सतय कह लोग ४

दोहा ककयनिदिन मदमित किठन किटलपन कीनह

जही रघनदन जानिकिह सख अवसर दख दीनह ९१

भइ िदनकर कल िबटप कठारी कमित कीनह सब िबसव दखा री

भयउ िबषाद िनषादिह भारी राम सीय मिह सयन िनहारी १

बोल लखन मधर मद बानी गयान िबराग भगित रस सानी

काह न कोउ सख दख कर दाता िनज कत करम भोग सब ाता २

जोग िबयोग भोग भल मदा िहत अनिहत मधयम म फदा

रामचिरतमानस - 43 - अयोधयाकाड

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जनम मरन जह लिग जग जाल सपती िबपित करम अर काल ३

धरिन धाम धन पर पिरवार सरग नरक जह लिग बयवहार

दिखअ सिनअ गिनअ मन माही मोह मल परमारथ नाही ४

दोहा सपन होइ िभखािर नप रक नाकपित होइ

जाग लाभ न हािन कछ ितिम पच िजय जोइ ९२

अस िबचािर निह कीजा रोस काहिह बािद न दइअ दोस

मोह िनसा सब सोविनहारा दिखअ सपन अनक कारा १

एिह जग जािमिन जागिह जोगी परमारथी पच िबयोगी

जािनअ तबिह जीव जग जागा जब जब िबषय िबलास िबरागा २

होइ िबबक मोह म भागा तब रघनाथ चरन अनरागा

सखा परम परमारथ एह मन म बचन राम पद नह ३

राम परमारथ रपा अिबगत अलख अनािद अनपा

सकल िबकार रिहत गतभदा किह िनत नित िनरपिह बदा ४

दोहा भगत भिम भसर सरिभ सर िहत लािग कपाल

करत चिरत धिर मनज तन सनत िमटिह जग जाल ९३

मासपारायण प हवा िव ाम

सखा समिझ अस पिरहिर मोह िसय रघबीर चरन रत होह

कहत राम गन भा िभनसारा जाग जग मगल सखदारा १

सकल सोच किर राम नहावा सिच सजान बट छीर मगावा

अनज सिहत िसर जटा बनाए दिख सम नयन जल छाए २

हदय दाह अित बदन मलीना कह कर जोिर बचन अित दीना

नाथ कहउ अस कोसलनाथा ल रथ जाह राम क साथा ३

बन दखाइ सरसिर अनहवाई आनह फिर बिग दोउ भाई

रामचिरतमानस - 44 - अयोधयाकाड

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लखन राम िसय आनह फरी ससय सकल सकोच िनबरी ४

दोहा नप अस कहउ गोसाई जस कहइ करौ बिल सोइ

किर िबनती पायनह परउ दीनह बाल िजिम रोइ ९४

तात कपा किर कीिजअ सोई जात अवध अनाथ न होई

म िह राम उठाइ बोधा तात धरम मत तमह सब सोधा १

िसिब दधीिच हिरचद नरसा सह धरम िहत कोिट कलसा

रितदव बिल भप सजाना धरम धरउ सिह सकट नाना २

धरम न दसर सतय स माना आगम िनगम परान बखाना

म सोइ धरम सलभ किर पावा तज ितह पर अपजस छावा ३

सभािवत कह अपजस लाह मरन कोिट सम दारन दाह

तमह सन तात बहत का कहऊ िदए उतर िफिर पातक लहऊ ४

दोहा िपत पद गिह किह कोिट नित िबनय करब कर जोिर िचता कविनह बात क तात किरअ जिन मोिर ९५

तमह पिन िपत सम अित िहत मोर िबनती करउ तात कर जोर

सब िबिध सोइ करतबय तमहार दख न पाव िपत सोच हमार १

सिन रघनाथ सिचव सबाद भयउ सपिरजन िबकल िनषाद

पिन कछ लखन कही कट बानी भ बरज बड़ अ निचत जानी २

सकिच राम िनज सपथ दवाई लखन सदस किहअ जिन जाई

कह सम पिन भप सदस सिह न सिकिह िसय िबिपन कलस ३

जिह िबिध अवध आव िफिर सीया सोइ रघबरिह तमहिह करनीया

नतर िनपट अवलब िबहीना म न िजअब िजिम जल िबन मीना ४

दोहा मइक ससर सकल सख जबिह जहा मन मान

रामचिरतमानस - 45 - अयोधयाकाड

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तह तब रिहिह सखन िसय जब लिग िबपित िबहान ९६

िबनती भप कीनह जिह भाती आरित ीित न सो किह जाती

िपत सदस सिन कपािनधाना िसयिह दीनह िसख कोिट िबधाना १

सास ससर गर ि य पिरवार िफरत त सब कर िमट खभार

सिन पित बचन कहित बदही सनह ानपित परम सनही २

भ करनामय परम िबबकी तन तिज रहित छाह िकिम छकी

भा जाइ कह भान िबहाई कह चि का चद तिज जाई ३

पितिह ममय िबनय सनाई कहित सिचव सन िगरा सहाई

तमह िपत ससर सिरस िहतकारी उतर दउ िफिर अनिचत भारी ४

दोहा आरित बस सनमख भइउ िबलग न मानब तात

आरजसत पद कमल िबन बािद जहा लिग नात ९७

िपत बभव िबलास म डीठा नप मिन मकट िमिलत पद पीठा

सखिनधान अस िपत गह मोर िपय िबहीन मन भाव न भोर १

ससर चककवइ कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

आग होइ जिह सरपित लई अरध िसघासन आसन दई २

ससर एतादस अवध िनवास ि य पिरवार मात सम सास

िबन रघपित पद पदम परागा मोिह कउ सपनह सखद न लागा ३

अगम पथ बनभिम पहारा किर कहिर सर सिरत अपारा

कोल िकरात करग िबहगा मोिह सब सखद ानपित सगा ४

दोहा सास ससर सन मोिर हित िबनय करिब पिर पाय

मोर सोच जिन किरअ कछ म बन सखी सभाय ९८

ाननाथ ि य दवर साथा बीर धरीन धर धन भाथा

निह मग म म दख मन मोर मोिह लिग सोच किरअ जिन भोर १

रामचिरतमानस - 46 - अयोधयाकाड

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सिन सम िसय सीतिल बानी भयउ िबकल जन फिन मिन हानी

नयन सझ निह सनइ न काना किह न सकइ कछ अित अकलाना २

राम बोध कीनह बह भाित तदिप होित निह सीतिल छाती

जतन अनक साथ िहत कीनह उिचत उतर रघनदन दीनह ३

मिट जाइ निह राम रजाई किठन करम गित कछ न बसाई

राम लखन िसय पद िसर नाई िफरउ बिनक िजिम मर गवाई ४

दोहा रथ हाकउ हय राम तन हिर हिर िहिहनािह

दिख िनषाद िबषादबस धनिह सीस पिछतािह ९९

जास िबयोग िबकल पस ऐस जा मात िपत जीहिह कस

बरबस राम सम पठाए सरसिर तीर आप तब आए १

मागी नाव न कवट आना कहइ तमहार मरम म जाना

चरन कमल रज कह सब कहई मानष करिन मिर कछ अहई २

छअत िसला भइ नािर सहाई पाहन त न काठ किठनाई

तरिनउ मिन घिरिन होइ जाई बाट परइ मोिर नाव उड़ाई ३

एिह ितपालउ सब पिरवार निह जानउ कछ अउर कबार

जौ भ पार अविस गा चहह मोिह पद पदम पखारन कहह ४ छद

पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौ

मोिह राम राउिर आन दसरथ सपथ सब साची कहौ

बर तीर मारह लखन प जब लिग न पाय पखािरहौ

तब लिग न तलसीदास नाथ कपाल पार उतािरहौ

सोरठा सिन कबट क बन म लपट अटपट

िबहस करनाऐन िचतइ जानकी लखन तन १००

रामचिरतमानस - 47 - अयोधयाकाड

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कपािसध बोल मसकाई सोइ कर जिह तव नाव न जाई

विग आन जल पाय पखार होत िबलब उतारिह पार १

जास नाम समरत एक बारा उतरिह नर भविसध अपारा

सोइ कपाल कवटिह िनहोरा जिह जग िकय ितह पगह त थोरा २

पद नख िनरिख दवसिर हरषी सिन भ बचन मोह मित करषी

कवट राम रजायस पावा पािन कठवता भिर लइ आवा ३

अित आनद उमिग अनरागा चरन सरोज पखारन लागा

बरिष समन सर सकल िसहाही एिह सम पनयपज कोउ नाही ४

दोहा पद पखािर जल पान किर आप सिहत पिरवार

िपतर पार किर भिह पिन मिदत गयउ लइ पार १०१

उतिर ठाड़ भए सरसिर रता सीयराम गह लखन समता

कवट उतिर दडवत कीनहा भिह सकच एिह निह कछ दीनहा १

िपय िहय की िसय जानिनहारी मिन मदरी मन मिदत उतारी

कहउ कपाल लिह उतराई कवट चरन गह अकलाई २

नाथ आज म काह न पावा िमट दोष दख दािरद दावा

बहत काल म कीिनह मजरी आज दीनह िबिध बिन भिल भरी ३

अब कछ नाथ न चािहअ मो र दीनदयाल अन ह तोर

िफरती बार मोिह ज दबा सो साद म िसर धिर लबा ४

दोहा बहत कीनह भ लखन िसय निह कछ कवट लइ

िबदा कीनह करनायतन भगित िबमल बर दइ १०२

तब मजजन किर रघकलनाथा पिज पारिथव नायउ माथा

िसय सरसिरिह कहउ कर जोरी मात मनोरथ परउिब मोरी १

पित दवर सग कसल बहोरी आइ करौ जिह पजा तोरी

सिन िसय िबनय म रस सानी भइ तब िबमल बािर बर बानी २

रामचिरतमानस - 48 - अयोधयाकाड

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सन रघबीर ि या बदही तव भाउ जग िबिदत न कही

लोकप होिह िबलोकत तोर तोिह सविह सब िसिध कर जोर ३

तमह जो हमिह बिड़ िबनय सनाई कपा कीिनह मोिह दीिनह बड़ाई

तदिप दिब म दिब असीसा सफल होपन िहत िनज बागीसा ४

दोहा ाननाथ दवर सिहत कसल कोसला आइ

पजिह सब मनकामना सजस रिहिह जग छाइ १०३

गग बचन सिन मगल मला मिदत सीय सरसिर अनकला

तब भ गहिह कहउ घर जाह सनत सख मख भा उर दाह १

दीन बचन गह कह कर जोरी िबनय सनह रघकलमिन मोरी

नाथ साथ रिह पथ दखाई किर िदन चािर चरन सवकाई २

जिह बन जाइ रहब रघराई परनकटी म करिब सहाई

तब मोिह कह जिस दब रजाई सोइ किरहउ रघबीर दोहाई ३

सहज सनह राम लिख तास सग लीनह गह हदय हलास

पिन गह गयाित बोिल सब लीनह किर पिरतोष िबदा तब कीनह ४

दोहा तब गनपित िसव सिमिर भ नाइ सरसिरिह माथ

सखा अनज िसया सिहत बन गवन कीनह रधनाथ १०४

तिह िदन भयउ िबटप तर बास लखन सखा सब कीनह सपास

ात ातकत किर रधसाई तीरथराज दीख भ जाई १

सिचव सतय धदा ि य नारी माधव सिरस मीत िहतकारी

चािर पदारथ भरा भडार पनय दस दस अित चार २

छ अगम गढ़ गाढ़ सहावा सपनह निह ितपिचछनह पावा

सन सकल तीरथ बर बीरा कलष अनीक दलन रनधीरा ३

सगम िसहासन सिठ सोहा छ अखयबट मिन मन मोहा

चवर जमन अर गग तरगा दिख होिह दख दािरद भगा ४

रामचिरतमानस - 49 - अयोधयाकाड

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दोहा

सविह सकित साध सिच पाविह सब मनकाम

बदी बद परान गन कहिह िबमल गन ाम १०५

को किह सकइ याग भाऊ कलष पज कजर मगराऊ

अस तीरथपित दिख सहावा सख सागर रघबर सख पावा १

किह िसय लखनिह सखिह सनाई ीमख तीरथराज बड़ाई

किर नाम दखत बन बागा कहत महातम अित अनरागा २

एिह िबिध आइ िबलोकी बनी सिमरत सकल समगल दनी

मिदत नहाइ कीिनह िसव सवा पिज जथािबिध तीरथ दवा ३

तब भ भर ाज पिह आए करत दडवत मिन उर लाए

मिन मन मोद न कछ किह जाइ ानद रािस जन पाई ४

दोहा दीिनह असीस मनीस उर अित अनद अस जािन

लोचन गोचर सकत फल मनह िकए िबिध आिन १०६

कसल सन किर आसन दीनह पिज म पिरपरन कीनह

कद मल फल अकर नीक िदए आिन मिन मनह अमी क १

सीय लखन जन सिहत सहाए अित रिच राम मल फल खाए

भए िबगत म राम सखार भरवदाज मद बचन उचार २

आज सफल तप तीरथ तयाग आज सफल जप जोग िबराग

सफल सकल सभ साधन साज राम तमहिह अवलोकत आज ३

लाभ अविध सख अविध न दजी तमहार दरस आस सब पजी

अब किर कपा दह बर एह िनज पद सरिसज सहज सनह ४

दोहा करम बचन मन छािड़ छल जब लिग जन न तमहार

तब लिग सख सपनह नही िकए कोिट उपचार १०७

रामचिरतमानस - 50 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन राम सकचान भाव भगित आनद अघान

तब रघबर मिन सजस सहावा कोिट भाित किह सबिह सनावा १

सो बड सो सब गन गन गह जिह मनीस तमह आदर दह

मिन रघबीर परसपर नवही बचन अगोचर सख अनभवही २

यह सिध पाइ याग िनवासी बट तापस मिन िस उदासी

भर ाज आ म सब आए दखन दसरथ सअन सहाए ३

राम नाम कीनह सब काह मिदत भए लिह लोयन लाह

दिह असीस परम सख पाई िफर सराहत सदरताई ४

दोहा राम कीनह िब ाम िनिस ात याग नहाइ

चल सिहत िसय लखन जन मदिदत मिनिह िसर नाइ १०८

राम स म कहउ मिन पाही नाथ किहअ हम किह मग जाही

मिन मन िबहिस राम सन कहहीसगम सकल मग तमह कह अहही १

साथ लािग मिन िसषय बोलाए सिन मन मिदत पचासक आए

सबिनह राम पर म अपारा सकल कहिह मग दीख हमारा २

मिन बट चािर सग तब दीनह िजनह बह जनम सकत सब कीनह

किर नाम िरिष आयस पाई मिदत हदय चल रघराई ३

ाम िनकट जब िनकसिह जाई दखिह दरस नािर नर धाई

होिह सनाथ जनम फल पाई िफरिह दिखत मन सग पठा ई ४

दोहा िबदा िकए बट िबनय किर िफर पाइ मन काम उतिर नहाए जमन जल जो सरीर सम सयाम १०९

सनत तीरवासी नर नारी धाए िनज िनज काज िबसारी

लखन राम िसय सनदरताई दिख करिह िनज भागय बड़ाई १

अित लालसा बसिह मन माही नाउ गाउ बझत सकचाही

रामचिरतमानस - 51 - अयोधयाकाड

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ज ितनह मह बयिबिरध सयान ितनह किर जगित राम पिहचान २

सकल कथा ितनह सबिह सनाई बनिह चल िपत आयस पाई

सिन सिबषाद सकल पिछताही रानी राय कीनह भल नाही ३

तिह अवसर एक तापस आवा तजपज लघबयस सहावा

किव अलिखत गित बष िबरागी मन म बचन राम अनरागी ४

दोहा सजल नयन तन पलिक िनज इ दउ पिहचािन

परउ दड िजिम धरिनतल दसा न जाइ बखािन ११०

राम स म पलिक उर लावा परम रक जन पारस पावा

मनह म परमारथ दोऊ िमलत धर तन कह सब कोऊ १

बहिर लखन पायनह सोइ लागा लीनह उठाइ उमिग अनरागा

पिन िसय चरन धिर धिर सीसा जनिन जािन िसस दीिनह असीसा २

कीनह िनषाद दडवत तही िमलउ मिदत लिख राम सनही

िपअत नयन पट रप िपयषा मिदत सअसन पाइ िजिम भखा ३

त िपत मात कहह सिख कस िजनह पठए बन बालक ऐस

राम लखन िसय रप िनहारी होिह सनह िबकल नर नारी ४

दोहा तब रघबीर अनक िबिध सखिह िसखावन दीनह

राम रजायस सीस धिर भवन गवन तइ कीनह १११

पिन िसय राम लखन कर जोरी जमनिह कीनह नाम बहोरी

चल ससीय मिदत दोउ भाई रिबतनजा कइ करत बड़ाई १

पिथक अनक िमलिह मग जाता कहिह स म दिख दोउ ाता

राज लखन सब अग तमहार दिख सोच अित हदय हमार २

मारग चलह पयादिह पाए जयोितष झठ हमार भाए

अगम पथ िगिर कानन भारी तिह मह साथ नािर सकमारी ३

किर कहिर बन जाइ न जोई हम सग चलिह जो आयस होई

रामचिरतमानस - 52 - अयोधयाकाड

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जाब जहा लिग तह पहचाई िफरब बहोिर तमहिह िसर नाई ४

दोहा एिह िबिध पछिह म बस पलक गात जल नन कपािसध फरिह ितनहिह किह िबनीत मद बन ११२

ज पर गाव बसिह मग माही ितनहिह नाग सर नगर िसहाही

किह सकती किह घरी बसाए धनय पनयमय परम सहाए १

जह जह राम चरन चिल जाही ितनह समान अमरावित नाही

पनयपज मग िनकट िनवासी ितनहिह सराहिह सरपरबासी २

ज भिर नयन िबलोकिह रामिह सीता लखन सिहत घनसयामिह

ज सर सिरत राम अवगाहिह ितनहिह दव सर सिरत सराहिह ३

जिह तर तर भ बठिह जाई करिह कलपतर तास बड़ाई

परिस राम पद पदम परागा मानित भिम भिर िनज भागा ४

दोहा छाह करिह घन िबबधगन बरषिह समन िसहािह

दखत िगिर बन िबहग मग राम चल मग जािह ११३

सीता लखन सिहत रघराई गाव िनकट जब िनकसिह जाई

सिन सब बाल ब नर नारी चलिह तरत गहकाज िबसारी १

राम लखन िसय रप िनहारी पाइ नयनफल होिह सखारी

सजल िबलोचन पलक सरीरा सब भए मगन दिख दोउ बीरा २

बरिन न जाइ दसा ितनह करी लिह जन रकनह सरमिन ढरी

एकनह एक बोिल िसख दही लोचन लाह लह छन एही ३

रामिह दिख एक अनराग िचतवत चल जािह सग लाग

एक नयन मग छिब उर आनी होिह िसिथल तन मन बर बानी ४

दोहा एक दिख बट छाह भिल डािस मदल तन पात

रामचिरतमानस - 53 - अयोधयाकाड

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कहिह गवाइअ िछनक म गवनब अबिह िक ात ११४

एक कलस भिर आनिह पानी अचइअ नाथ कहिह मद बानी

सिन ि य बचन ीित अित दखी राम कपाल ससील िबसषी १

जानी िमत सीय मन माही घिरक िबलब कीनह बट छाही

मिदत नािर नर दखिह सोभा रप अनप नयन मन लोभा २

एकटक सब सोहिह चह ओरा रामच मख चद चकोरा

तरन तमाल बरन तन सोहा दखत कोिट मदन मन मोहा ३

दािमिन बरन लखन सिठ नीक नख िसख सभग भावत जी क

मिनपट किटनह कस तनीरा सोहिह कर कमिलिन धन तीरा ४

दोहा जटा मकट सीसिन सभग उर भज नयन िबसाल

सरद परब िबध बदन बर लसत सवद कन जाल ११५

बरिन न जाइ मनोहर जोरी सोभा बहत थोिर मित मोरी

राम लखन िसय सदरताई सब िचतविह िचत मन मित लाई १

थक नािर नर म िपआस मनह मगी मग दिख िदआ स

सीय समीप ामितय जाही पछत अित सनह सकचाही २

बार बार सब लागिह पाए कहिह बचन मद सरल सभाए

राजकमािर िबनय हम करही ितय सभाय कछ पछत डरही ३

सवािमिन अिबनय छमिब हमारी िबलग न मानब जािन गवारी

राजकअर दोउ सहज सलोन इनह त लही दित मरकत सोन ४

दोहा सयामल गौर िकसोर बर सदर सषमा ऐन

सरद सबररीनाथ मख सरद सरोरह नन ११६

मासपारायण सोलहवा िव ाम

नवानहपारायण चौथा िव ाम

रामचिरतमानस - 54 - अयोधयाकाड

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कोिट मनोज लजाविनहार समिख कहह को आिह तमहार

सिन सनहमय मजल बानी सकची िसय मन मह मसकानी १

ितनहिह िबलोिक िबलोकित धरनी दह सकोच सकिचत बरबरनी

सकिच स म बाल मग नयनी बोली मधर बचन िपकबयनी २

सहज सभाय सभग तन गोर नाम लखन लघ दवर मोर

बहिर बदन िबध अचल ढाकी िपय तन िचतइ भौह किर बाकी ३

खजन मज ितरीछ नयनिन िनज पित कहउ ितनहिह िसय सयनिन

भइ मिदत सब ामबधटी रकनह राय रािस जन लटी ४

दोहा अित स म िसय पाय पिर बहिबिध दिह असीस

सदा सोहािगिन होह तमह जब लिग मिह अिह सीस ११७

पारबती सम पिति य होह दिब न हम पर छाड़ब छोह

पिन पिन िबनय किरअ कर जोरी जौ एिह मारग िफिरअ बहोरी १

दरसन दब जािन िनज दासी लखी सीय सब म िपआसी

मधर बचन किह किह पिरतोषी जन कमिदनी कौमदी पोषी २

तबिह लखन रघबर रख जानी पछउ मग लोगिनह मद बानी

सनत नािर नर भए दखारी पलिकत गात िबलोचन बारी ३

िमटा मोद मन भए मलीन िबिध िनिध दीनह लत जन छीन

समिझ करम गित धीरज कीनहासोिध सगम मग ितनह किह दीनहा ४

दोहा लखन जानकी सिहत तब गवन कीनह रघनाथ

फर सब ि य बचन किह िलए लाइ मन साथ ११८

िफरत नािर नर अित पिछताही दअिह दोष दिह मन माही

सिहत िबषाद परसपर कहही िबिध करतब उलट सब अहही १

िनपट िनरकस िनठर िनसक जिह सिस कीनह सरज सकलक

रामचिरतमानस - 55 - अयोधयाकाड

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रख कलपतर सागर खारा तिह पठए बन राजकमारा २

जौ प इनहिह दीनह बनबास कीनह बािद िबिध भोग िबलास

ए िबचरिह मग िबन पद ाना रच बािद िबिध बाहन नाना ३

ए मिह परिह डािस कस पाता सभग सज कत सजत िबधाता

तरबर बास इनहिह िबिध दीनहा धवल धाम रिच रिच म कीनहा ४

दोहा जौ ए मिन पट धर जिटल सदर सिठ सकमार

िबिबध भाित भषन बसन बािद िकए करतार ११९

जौ ए कद मल फल खाही बािद सधािद असन जग माही

एक कहिह ए सहज सहाए आप गट भए िबिध न बनाए १

जह लिग बद कही िबिध करनी वन नयन मन गोचर बरनी

दखह खोिज भअन दस चारी कह अस परष कहा अिस नारी २

इनहिह दिख िबिध मन अनरागा पटतर जोग बनाव लागा

कीनह बहत म ऐक न आए तिह इिरषा बन आिन दराए ३

एक कहिह हम बहत न जानिह आपिह परम धनय किर मानिह

त पिन पनयपज हम लख ज दखिह दिखहिह िजनह दख ४

दोहा एिह िबिध किह किह बचन ि य लिह नयन भिर नीर

िकिम चिलहिह मारग अगम सिठ सकमार सरीर १२०

नािर सनह िबकल बस होही चकई साझ समय जन सोही

मद पद कमल किठन मग जानी गहबिर हदय कहिह बर बानी १

परसत मदल चरन अरनार सकचित मिह िजिम हदय हमार

जौ जगदीस इनहिह बन दीनहा कस न समनमय मारग कीनहा २

जौ मागा पाइअ िबिध पाही ए रिखअिह सिख आिखनह माही

ज नर नािर न अवसर आए ितनह िसय राम न दखन पाए ३

सिन सरप बझिह अकलाई अब लिग गए कहा लिग भाई

रामचिरतमानस - 56 - अयोधयाकाड

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समरथ धाइ िबलोकिह जाई मिदत िफरिह जनमफल पाई ४

दोहा अबला बालक ब जन कर मीजिह पिछतािह

होिह मबस लोग इिम राम जहा जह जािह १२१

गाव गाव अस होइ अनद दिख भानकल करव चद

ज कछ समाचार सिन पाविह त नप रािनिह दोस लगाविह १

कहिह एक अित भल नरनाह दीनह हमिह जोइ लोचन लाह

कहिह परसपर लोग लोगाई बात सरल सनह सहाई २

त िपत मात धनय िजनह जाए धनय सो नगर जहा त आए

धनय सो दस सल बन गाऊ जह जह जािह धनय सोइ ठाऊ ३

सख पायउ िबरिच रिच तही ए जिह क सब भाित सनही

राम लखन पिथ कथा सहाई रही सकल मग कानन छाई ४

दोहा एिह िबिध रघकल कमल रिब मग लोगनह सख दत

जािह चल दखत िबिपन िसय सौिमि समत १२२

आग राम लखन बन पाछ तापस बष िबराजत काछ

उभय बीच िसय सोहित कस जीव िबच माया जस १

बहिर कहउ छिब जिस मन बसई जन मध मदन मधय रित लसई

उपमा बहिर कहउ िजय जोही जन बध िबध िबच रोिहिन सोही २

भ पद रख बीच िबच सीता धरित चरन मग चलित सभीता

सीय राम पद अक बराए लखन चलिह मग दािहन लाए ३

राम लखन िसय ीित सहाई बचन अगोचर िकिम किह जाई

खग मग मगन दिख छिब होही िलए चोिर िचत राम बटोही ४

दोहा िजनह िजनह दख पिथक ि य िसय समत दोउ भाइ

रामचिरतमानस - 57 - अयोधयाकाड

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भव मग अगम अनद तइ िबन म रह िसराइ १२३

अजह जास उर सपनह काऊ बसह लखन िसय राम बटाऊ

राम धाम पथ पाइिह सोई जो पथ पाव कबह मिन कोई १

तब रघबीर िमत िसय जानी दिख िनकट बट सीतल पानी

तह बिस कद मल फल खाई ात नहाइ चल रघराई २

दखत बन सर सल सहाए बालमीिक आ म भ आए

राम दीख मिन बास सहावन सदर िगिर कानन जल पावन ३

सरिन सरोज िबटप बन फल गजत मज मधप रस भल

खग मग िबपल कोलाहल करही िबरिहत बर मिदत मन चरही ४

दोहा सिच सदर आ म िनरिख हरष रािजवनन

सिन रघबर आगमन मिन आग आयउ लन १२४

मिन कह राम दडवत कीनहा आिसरबाद िब बर दीनहा

दिख राम छिब नयन जड़ान किर सनमान आ मिह आन १

मिनबर अितिथ ानि य पाए कद मल फल मधर मगाए

िसय सौिमि राम फल खाए तब मिन आ म िदए सहाए २

बालमीिक मन आनद भारी मगल मरित नयन िनहारी

तब कर कमल जोिर रघराई बोल बचन वन सखदाई ३

तमह ि काल दरसी मिननाथा िबसव बदर िजिम तमहर हाथा

अस किह भ सब कथा बखानी जिह जिह भाित दीनह बन रानी ४

दोहा तात बचन पिन मात िहत भाइ भरत अस राउ

मो कह दरस तमहार भ सब मम पनय भाउ १२५

दिख पाय मिनराय तमहार भए सकत सब सफल हमार

अब जह राउर आयस होई मिन उदबग न पाव कोई १

रामचिरतमानस - 58 - अयोधयाकाड

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मिन तापस िजनह त दख लहही त नरस िबन पावक दहही

मगल मल िब पिरतोष दहइ कोिट कल भसर रोष २

अस िजय जािन किहअ सोइ ठाऊ िसय सौिमि सिहत जह जाऊ

तह रिच रिचर परन तन साला बास करौ कछ काल कपाला ३

सहज सरल सिन रघबर बानी साध साध बोल मिन गयानी

कस न कहह अस रघकलकत तमह पालक सतत ित सत ४ छद

ित सत पालक राम तमह जगदीस माया जानकी

जो सजित जग पालित हरित रख पाइ कपािनधान की

जो सहससीस अहीस मिहधर लखन सचराचर धनी

सर काज धिर नरराज तन चल दलन खल िनिसचर अनी

सोरठा राम सरप तमहार बचन अगोचर बि पर

अिबगत अकथ अपार नित िनत िनगम कह १२६

जग पखन तमह दखिनहार िबिध हिर सभ नचाविनहार

तउ न जानिह मरम तमहारा और तमहिह को जानिनहारा १

सोइ जानइ जिह दह जनाई जानत तमहिह तमहइ होइ जाई

तमहिरिह कपा तमहिह रघनदन जानिह भगत भगत उर चदन २

िचदानदमय दह तमहारी िबगत िबकार जान अिधकारी

नर तन धरह सत सर काजा कहह करह जस ाकत राजा ३

राम दिख सिन चिरत तमहार जड़ मोहिह बध होिह सखार

तमह जो कहह करह सब साचा जस कािछअ तस चािहअ नाचा ४

दोहा पछह मोिह िक रहौ कह म पछत सकचाउ

जह न होह तह दह किह तमहिह दखावौ ठाउ १२७

रामचिरतमानस - 59 - अयोधयाकाड

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सिन मिन बचन म रस सान सकिच राम मन मह मसकान

बालमीिक हिस कहिह बहोरी बानी मधर अिमअ रस बोरी १

सनह राम अब कहउ िनकता जहा बसह िसय लखन सम ता

िजनह क वन सम समाना कथा तमहािर सभग सिर नाना २

भरिह िनरतर होिह न पर ितनह क िहय तमह कह गह रर

लोचन चातक िजनह किर राख रहिह दरस जलधर अिभलाष ३

िनदरिह सिरत िसध सर भारी रप िबद जल होिह सखारी

ितनह क हदय सदन सखदायक बसह बध िसय सह रघनायक ४

दोहा जस तमहार मानस िबमल हिसिन जीहा जास

मकताहल गन गन चनइ राम बसह िहय तास १२८

भ साद सिच सभग सबासा सादर जास लहइ िनत नासा

तमहिह िनबिदत भोजन करही भ साद पट भषन धरही १

सीस नविह सर गर ि ज दखी ीित सिहत किर िबनय िबसषी

कर िनत करिह राम पद पजा राम भरोस हदय निह दजा २

चरन राम तीरथ चिल जाही राम बसह ितनह क मन माही

म राज िनत जपिह तमहारा पजिह तमहिह सिहत पिरवारा ३

तरपन होम करिह िबिध नाना िब जवाइ दिह बह दाना

तमह त अिधक गरिह िजय जानी सकल भाय सविह सनमानी ४

दोहा सब किर मागिह एक फल राम चरन रित होउ

ितनह क मन मिदर बसह िसय रघनदन दोउ १२९

काम कोह मद मान न मोहा लोभ न छोभ न राग न ोहा

िजनह क कपट दभ निह माया ितनह क हदय बसह रघराया १

सब क ि य सब क िहतकारी दख सख सिरस ससा गारी

कहिह सतय ि य बचन िबचारी जागत सोवत सरन तमहारी २

रामचिरतमानस - 60 - अयोधयाकाड

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तमहिह छािड़ गित दसिर नाही राम बसह ितनह क मन माही

जननी सम जानिह परनारी धन पराव िबष त िबष भारी ३

ज हरषिह पर सपित दखी दिखत होिह पर िबपित िबसषी

िजनहिह राम तमह ानिपआर ितनह क मन सभ सदन तमहार ४

दोहा सवािम सखा िपत मात गर िजनह क सब तमह तात

मन मिदर ितनह क बसह सीय सिहत दोउ ात १३०

अवगन तिज सब क गन गहही िब धन िहत सकट सहही

नीित िनपन िजनह कइ जग लीकाघर तमहार ितनह कर मन नीका १

गन तमहार समझइ िनज दोसा जिह सब भाित तमहार भरोसा

राम भगत ि य लागिह जही तिह उर बसह सिहत बदही २

जाित पाित धन धरम बड़ाई ि य पिरवार सदन सखदाई

सब तिज तमहिह रहइ उर लाई तिह क हदय रहह रघराई ३

सरग नरक अपबरग समाना जह तह दख धर धन बाना

करम बचन मन राउर चरा राम करह तिह क उर डरा ४

दोहा जािह न चािहअ कबह कछ तमह सन सहज सनह

बसह िन रतर तास मन सो राउर िनज गह १३१

एिह िबिध मिनबर भवन दखाए बचन स म राम मन भाए

कह मिन सनह भानकलनायक आ म कहउ समय सखदायक १

िच कट िगिर करह िनवास तह तमहार सब भाित सपास

सल सहावन कानन चार किर कहिर मग िबहग िबहार २

नदी पनीत परान बखानी अि ि या िनज तपबल आनी

सरसिर धार नाउ मदािकिन जो सब पातक पोतक डािकिन ३

अि आिद मिनबर बह बसही करिह जोग जप तप तन कसही

रामचिरतमानस - 61 - अयोधयाकाड

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चलह सफल म सब कर करह राम दह गौरव िगिरबरह ४

दोहा िच कट मिहमा अिमत कही महामिन गाइ

आए नहाए सिरत बर िसय समत दोउ भाइ १३२

रघबर कहउ लखन भल घाट करह कतह अब ठाहर ठाट

लखन दीख पय उतर करारा चह िदिस िफरउ धनष िजिम नारा १

नदी पनच सर सम दम दाना सकल कलष किल साउज नाना

िच कट जन अचल अहरी चकइ न घात मार मठभरी २

अस किह लखन ठाउ दखरावा थल िबलोिक रघबर सख पावा

रमउ राम मन दवनह जाना चल सिहत सर थपित धाना ३

कोल िकरात बष सब आए रच परन तन सदन सहाए

बरिन न जािह मज दइ साला एक लिलत लघ एक िबसाला ४

दोहा लखन जानकी सिहत भ राजत रिचर िनकत

सोह मदन मिन बष जन रित िरतराज समत १३३

मासपारायण स हवा िव ाम

अमर नाग िकनर िदिसपाला िच कट आए तिह काला

राम नाम कीनह सब काह मिदत दव लिह लोचन लाह १

बरिष समन कह दव समाज नाथ सनाथ भए हम आज

किर िबनती दख दसह सनाए हरिषत िनज िनज सदन िसधाए २

िच कट रघनदन छाए समाचार सिन सिन मिन आए

आवत दिख मिदत मिनबदा कीनह दडवत रघकल चदा ३

मिन रघबरिह लाइ उर लही सफल होन िहत आिसष दही

िसय सौिम राम छिब दखिह साधन सकल सफल किर लखिह ४

रामचिरतमानस - 62 - अयोधयाकाड

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दोहा जथाजोग सनमािन भ िबदा िकए मिनबद

करिह जोग जप जाग तप िनज आ मिनह सछद १३४

यह सिध कोल िकरातनह पाई हरष जन नव िनिध घर आई

कद मल फल भिर भिर दोना चल रक जन लटन सोना १

ितनह मह िजनह दख दोउ ाता अपर ितनहिह पछिह मग जाता

कहत सनत रघबीर िनकाई आइ सबिनह दख रघराई २

करिह जोहार भट धिर आग भिह िबलोकिह अित अनराग

िच िलख जन जह तह ठाढ़ पलक सरीर नयन जल बाढ़ ३

राम सनह मगन सब जान किह ि य बचन सकल सनमान

भिह जोहािर बहोिर बहोरी बचन िबनीत कहिह कर जोरी ४

दोहा अब हम नाथ सनाथ सब भए दिख भ पाय

भाग हमार आगमन राउर कोसलराय १३५

धनय भिम बन पथ पहारा जह जह नाथ पाउ तमह धारा

धनय िबहग मग काननचारी सफल जनम भए तमहिह िनहारी १

हम सब धनय सिहत पिरवारा दीख दरस भिर नयन तमहारा

कीनह बास भल ठाउ िबचारी इहा सकल िरत रहब सखारी २

हम सब भाित करब सवकाई किर कहिर अिह बाघ बराई

बन बहड़ िगिर कदर खोहा सब हमार भ पग पग जोहा ३

तह तह तमहिह अहर खलाउब सर िनरझर जलठाउ दखाउब

हम सवक पिरवार समता नाथ न सकचब आयस दता ४

दोहा बद बचन मिन मन अगम त भ करना ऐन

बचन िकरातनह क सनत िजिम िपत बालक बन १३६

रामचिरतमानस - 63 - अयोधयाकाड

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रामिह कवल म िपआरा जािन लउ जो जानिनहारा

राम सकल बनचर तब तोष किह मद बचन म पिरपोष १

िबदा िकए िसर नाइ िसधाए भ गन कहत सनत घर आए

एिह िबिध िसय समत दोउ भाई बसिह िबिपन सर मिन सखदाई २

जब त आइ रह रघनायक तब त भयउ बन मगलदायक

फलिह फलिह िबटप िबिध नाना मज बिलत बर बिल िबताना ३

सरतर सिरस सभाय सहाए मनह िबबध बन पिरहिर आए

गज मजतर मधकर नी ि िबध बयािर बहइ सख दनी ४

दोहा नीलकठ कलकठ सक चातक चकक चकोर

भाित भाित बोलिह िबहग वन सखद िचत चोर १३७

किर कहिर किप कोल करगा िबगतबर िबचरिह सब सगा

िफरत अहर राम छिब दखी होिह मिदत मगबद िबसषी १

िबबध िबिपन जह लिग जग माही दिख राम बन सकल िसहाही

सरसिर सरसइ िदनकर कनया मकलसता गोदाविर धनया २

सब सर िसध नदी नद नाना मदािकिन कर करिह बखाना

उदय असत िगिर अर कलास मदर मर सकल सरबास ३

सल िहमाचल आिदक जत िच कट जस गाविह तत

िबिध मिदत मन सख न समाई म िबन िबपल बड़ाई पाई ४

दोहा िच कट क िबहग मग बिल िबटप तन जाित

पनय पज सब धनय अस कहिह दव िदन राित १३८

नयनवत रघबरिह िबलोकी पाइ जनम फल होिह िबसोकी

परिस चरन रज अचर सखारी भए परम पद क अिधकारी १

सो बन सल सभाय सहावन मगलमय अित पावन पावन

मिहमा किहअ कविन िबिध तास सखसागर जह कीनह िनवास २

रामचिरतमानस - 64 - अयोधयाकाड

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पय पयोिध तिज अवध िबहाई जह िसय लखन राम रह आई

किह न सकिह सषमा जिस कानन जौ सत सहस होिह सहसानन ३

सो म बरिन कहौ िबिध कही डाबर कमठ िक मदर लही

सविह लखन करम मन बानी जाइ न सील सनह बखानी ४

दोहा िछन िछन लिख िसय राम पद जािन आप पर नह

करत न सपनह लखन िचत बध मात िपत गह १३९

राम सग िसय रहित सखारी पर पिरजन गह सरित िबसारी

िछन िछन िपय िबध बदन िनहारी मिदत मनह चकोरकमारी १

नाह नह िनत बढ़त िबलोकी हरिषत रहित िदवस िजिम कोकी

िसय मन राम चरन अनरागा अवध सहस सम बन ि य लागा २

परनकटी ि य ि यतम सगा ि य पिरवार करग िबहगा

सास ससर सम मिनितय मिनबर असन अिमअ सम कद मल फर ३

नाथ साथ साथरी सहाई मयन सयन सय सम सखदाई

लोकप होिह िबलोकत जास तिह िक मोिह सक िबषय िबलास ४

दोहा सिमरत रामिह तजिह जन तन सम िबषय िबलास रामि या जग जनिन िसय कछ न आचरज तास १४०

सीय लखन जिह िबिध सख लहही सोइ रघनाथ करिह सोइ कहही

कहिह परातन कथा कहानी सनिह लखन िसय अित सख मानी १

जब जब राम अवध सिध करही तब तब बािर िबलोचन भरही

सिमिर मात िपत पिरजन भाई भरत सनह सील सवकाई २

कपािसध भ होिह दखारी धीरज धरिह कसमउ िबचारी

लिख िसय लखन िबकल होइ जाही िजिम परषिह अनसर पिरछाही ३

ि या बध गित लिख रघनदन धीर कपाल भगत उर चदन

लग कहन कछ कथा पनीता सिन सख लहिह लखन अर सीता ४

रामचिरतमानस - 65 - अयोधयाकाड

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दोहा

राम लखन सीता सिहत सोहत परन िनकत

िजिम बासव बस अमरपर सची जयत समत १४१

जोगविह भ िसय लखनिह कस पलक िबलोचन गोलक जस

सविह लखन सीय रघबीरिह िजिम अिबबकी परष सरीरिह १

एिह िबिध भ बन बसिह सखारी खग मग सर तापस िहतकारी

कहउ राम बन गवन सहावा सनह सम अवध िजिम आवा २

िफरउ िनषाद भिह पहचाई सिचव सिहत रथ दखिस आई

म ी िबकल िबलोिक िनषाद किह न जाइ जस भयउ िबषाद ३

राम राम िसय लखन पकारी परउ धरिनतल बयाकल भारी

दिख दिखन िदिस हय िहिहनाही जन िबन पख िबहग अकलाही ४

दोहा निह तन चरिह िपअिह जल मोचिह लोचन बािर

बयाकल भए िनषाद सब रघबर बािज िनहािर १४२

धिर धीरज तब कहइ िनषाद अब सम पिरहरह िबषाद

तमह पिडत परमारथ गयाता धरह धीर लिख िबमख िबधाता १

िबिबध कथा किह किह मद बानी रथ बठारउ बरबस आनी

सोक िसिथल रथ सकइ न हाकी रघबर िबरह पीर उर बाकी २

चरफरािह मग चलिह न घोर बन मग मनह आिन रथ जोर

अढ़िक परिह िफिर हरिह पीछ राम िबयोिग िबकल दख तीछ ३

जो कह राम लखन बदही िहकिर िहकिर िहत हरिह तही

बािज िबरहगित किह िकिम जातीिबन मिन फिनक िबकलजिह भाती४

दोहा भयउ िनषाद िबषादबस दखत सिचव तरग

बोिल ससवक चािर तब िदए सारथी सग १४३

रामचिरतमानस - 66 - अयोधयाकाड

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गह सारिथिह िफरउ पहचाई िबरह िबषाद बरिन निह जाई

चल अवध लइ रथिह िनषादा होिह छनिह छन मगन िबषादा १

सोच सम िबकल दख दीना िधग जीवन रघबीर िबहीना

रिहिह न अतह अधम सरीर जस न लहउ िबछरत रघबीर २

भए अजस अघ भाजन ाना कवन हत निह करत पयाना

अहह मद मन अवसर चका अजह न हदय होत दइ टका ३

मीिज हाथ िसर धिन पिछताई मनह कपन धन रािस गवाई

िबिरद बािध बर बीर कहाई चलउ समर जन सभट पराई ४

दोहा िब िबबकी बदिबद समत साध सजाित िजिम धोख मदपान कर सिचव सोच तिह भाित १४४

िजिम कलीन ितय साध सयानी पितदवता करम मन बानी

रह करम बस पिरहिर नाह सिचव हदय ितिम दारन दाह १

लोचन सजल डीिठ भइ थोरी सनइ न वन िबकल मित भोरी

सखिह अधर लािग मह लाटी िजउ न जाइ उर अविध कपाटी २

िबबरन भयउ न जाइ िनहारी मारिस मनह िपता महतारी

हािन गलािन िबपल मन बयापी जमपर पथ सोच िजिम पापी ३

बचन न आव हदय पिछताई अवध काह म दखब जाई

राम रिहत रथ दिखिह जोई सकिचिह मोिह िबलोकत सोई ४

दोहा धाइ पिछहिह मोिह जब िबकल नगर नर नािर

उतर दब म सबिह तब हदय ब बठािर १४५

पिछहिह दीन दिखत सब माता कहब काह म ितनहिह िबधाता

पिछिह जबिह लखन महतारी किहहउ कवन सदस सखारी १

राम जनिन जब आइिह धाई सिमिर बचछ िजिम धन लवाई

रामचिरतमानस - 67 - अयोधयाकाड

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पछत उतर दब म तही ग बन राम लखन बदही २

जोइ पिछिह तिह ऊतर दबाजाइ अवध अब यह सख लबा

पिछिह जबिह राउ दख दीना िजवन जास रघनाथ अधीना ३

दहउ उतर कौन मह लाई आयउ कसल कअर पह चाई

सनत लखन िसय राम सदस तन िजिम तन पिरहिरिह नरस ४

दोहा दउ न िबदरउ पक िजिम िबछरत ीतम नीर

जानत हौ मोिह दीनह िबिध यह जातना सरीर १४६

एिह िबिध करत पथ पिछतावा तमसा तीर तरत रथ आवा

िबदा िकए किर िबनय िनषादा िफर पाय पिर िबकल िबषादा १

पठत नगर सिचव सकचाई जन मारिस गर बाभन गाई

बिठ िबटप तर िदवस गवावा साझ समय तब अवसर पावा २

अवध बस कीनह अिधआर पठ भवन रथ रािख दआर

िजनह िजनह समाचार सिन पाए भप ार रथ दखन आए ३

रथ पिहचािन िबकल लिख घोर गरिह गात िजिम आतप ओर

नगर नािर नर बयाकल क स िनघटत नीर मीनगन जस ४

दोहा सिचव आगमन सनत सब िबकल भयउ रिनवास

भवन भयकर लाग तिह मानह त िनवास १४७

अित आरित सब पछिह रानी उतर न आव िबकल भइ बानी

सनइ न वन नयन निह सझा कहह कहा नप तिह तिह बझा १

दािसनह दीख सिचव िबकलाई कौसलया गह गई लवाई

जाइ सम दीख कस राजा अिमअ रिहत जन चद िबराजा २

आसन सयन िबभषन हीना परउ भिमतल िनपट मलीना

लइ उसास सोच एिह भाती सरपर त जन खसउ जजाती ३

लत सोच भिर िछन िछन छाती जन जिर पख परउ सपाती

रामचिरतमानस - 68 - अयोधयाकाड

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राम राम कह राम सनही पिन कह राम लखन बदही ४

दोहा दिख सिचव जय जीव किह कीनहउ दड नाम

सनत उठउ बयाकल नपित कह सम कह राम १४८

भप सम लीनह उर लाई बड़त कछ अधा र जन पाई

सिहत सनह िनकट बठारी पछत राउ नयन भिर बारी १

राम कसल कह सखा सनही कह रघनाथ लखन बदही

आन फिर िक बनिह िसधाए सनत सिचव लोचन जल छाए २

सोक िबकल पिन पछ नरस कह िसय राम लखन सदस

राम रप गन सील सभाऊ सिमिर सिमिर उर सोचत राऊ ३

राउ सनाइ दीनह बनबास सिन मन भयउ न हरष हरास

सो सत िबछरत गए न ाना को पापी बड़ मोिह समाना ४

दोहा सखा राम िसय लखन जह तहा मोिह पहचाउ

नािह त चाहत चलन अब ान कहउ सितभाउ १४९

पिन पिन पछत म िह राऊ ि यतम सअन सदस सनाऊ

करिह सखा सोइ बिग उपाऊ राम लखन िसय नयन दखाऊ १

सिचव धीर धिर कह मद बानी महाराज तमह पिडत गयानी

बीर सधीर धरधर दवा साध समाज सदा तमह सवा २

जनम मरन सब दख भोगा हािन लाभ ि य िमलन िबयोगा

काल करम बस हौिह गोसाई बरबस राित िदवस की नाई ३

सख हरषिह जड़ दख िबलखाही दोउ सम धीर धरिह मन माही

धीरज धरह िबबक िबचारी छािड़अ सोच सकल िहतकारी ४

दोहा थम बास तमसा भयउ दसर सरसिर तीर

रामचिरतमानस - 69 - अयोधयाकाड

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नहाई रह जलपान किर िसय समत दोउ बीर १५०

कवट कीिनह बहत सवकाई सो जािमिन िसगरौर गवाई

होत ात बट छीर मगावा जटा मकट िनज सीस बनावा १

राम सखा तब नाव मगाई ि या चढ़ाइ चढ़ रघराई

लखन बान धन धर बनाई आप चढ़ भ आयस पाई २

िबकल िबलोिक मोिह रघबीरा बोल मधर बचन धिर धीरा

तात नाम तात सन कहह बार बार पद पकज गहह ३

करिब पाय पिर िबनय बहोरी तात किरअ जिन िचता मोरी

बन मग मगल कसल हमार कपा अन ह पनय तमहार ४ छद

तमहर अन ह तात कानन जात सब सख पाइहौ ितपािल आयस कसल दखन पाय पिन िफिर आइहौ

जननी सकल पिरतोिष पिर पिर पाय किर िबनती घनी

तलसी करह सोइ जतन जिह कसली रहिह कोसल धनी

सोरठा गर सन कहब सदस बार बार पद पदम गिह

करब सोइ उपदस जिह न सोच मोिह अवधपित १५१

परजन पिरजन सकल िनहोरी तात सनाएह िबनती मोरी

सोइ सब भाित मोर िहतकारी जात रह नरनाह सखारी १

कहब सदस भरत क आए नीित न तिजअ राजपद पाए

पालह जिह करम मन बानी सएह मात सकल सम जानी २

ओर िनबाहह भायप भाई किर िपत मात सजन सवकाई

तात भाित तिह राखब राऊ सोच मोर जिह कर न काऊ ३

लखन कह कछ बचन कठोरा बरिज राम पिन मोिह िनहोरा

बार बार िनज सपथ दवाई कहिब न तात लखन लिरकाई ४

रामचिरतमानस - 70 - अयोधयाकाड

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दोहा किह नाम कछ कहन िलय िसय भइ िसिथल सनह

थिकत बचन लोचन सजल पलक पललिवत दह १५२

तिह अवसर रघबर रख पाई कवट पारिह नाव चलाई

रघकलितलक चल एिह भाती दखउ ठाढ़ किलस धिर छाती १

म आपन िकिम कहौ कलस िजअत िफरउ लइ राम सदस

अस किह सिचव बचन रिह गयऊ हािन गलािन सोच बस भयऊ २

सत बचन सनतिह नरनाह परउ धरिन उर दारन दाह

तलफत िबषम मोह मन मापा माजा मनह मीन कह बयापा ३

किर िबलाप सब रोविह रानी महा िबपित िकिम जाइ बखानी

सिन िबलाप दखह दख लागा धीरजह कर धीरज भागा ४

दोहा भयउ कोलाहल अवध अित सिन नप राउर सोर

िबपल िबहग बन परउ िनिस मानह किलस कठोर १५३

ान कठगत भयउ भआल मिन िबहीन जन बयाकल बयाल

इ ी सकल िबकल भइ भारी जन सर सरिसज बन िबन बारी १

कौसलया नप दीख मलाना रिबकल रिब अथयउ िजय जाना

उर धिर धीर राम महतारी बोली बचन समय अनसारी २

नाथ समिझ मन किरअ िबचार राम िबयोग पयोिध अपार

करनधार तमह अवध जहाज चढ़उ सकल ि य पिथक समाज ३

धीरज धिरअ त पाइअ पार नािह त बिड़िह सब पिरवार

जौ िजय धिरअ िबनय िपय मोरी राम लखन िसय िमलिह बहोरी ४

दोहा ि या बचन मद सनत नप िचतयउ आिख उघािर

तलफत मीन मलीन जन सीचत सीतल बािर १५४

रामचिरतमानस - 71 - अयोधयाकाड

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धिर धीरज उठी बठ भआल कह सम कह राम कपाल

कहा लखन कह राम सनही कह ि य प बध बदही १

िबलपत राउ िबकल बह भाती भइ जग सिरस िसराित न राती

तापस अध साप सिध आई कौसलयिह सब कथा सनाई २

भयउ िबकल बरनत इितहासा राम रिहत िधग जीवन आसा

सो तन रािख करब म काहा जिह न म पन मोर िनबाहा ३

हा रघनदन ान िपरीत तमह िबन िजअत बहत िदन बीत

हा जानकी लखन हा रघबर हा िपत िहत िचत चातक जलधर ४

दोहा राम राम किह राम किह राम राम किह राम

तन पिरहिर रघबर िबरह राउ गयउ सरधाम १५५

िजअन मरन फल दसरथ पावा अड अनक अमल जस छावा

िजअत राम िबध बदन िनहारा राम िबरह किर मरन सवारा १

सोक िबकल सब रोविह रानी रप सील बल तज बखानी

करिह िबलाप अनक कारा परही भिमतल बारिह बारा २

िबलपिह िबकल दास अर दासी घर घर रदन करिह परबासी

अथयउ आज भानकल भान धरम अविध गन रप िनधान ३

गारी सकल ककइिह दही नयन िबहीन कीनह जग जही

एिह िबिध िबलपत रिन िबहानी आए सकल महामिन गयानी ४

दोहा तब बिस मिन समय सम किह अनक इितहास

सोक नवारउ सबिह कर िनज िबगयान कास १५६

तल नाव भिर नप तन राखा दत बोलाइ बहिर अस भाषा

धावह बिग भरत पिह जाह नप सिध कतह कहह जिन काह १

एतनइ कहह भरत सन जाई गर बोलाई पठयउ दोउ भाई

सिन मिन आयस धावन धाए चल बग बर बािज लजाए २

रामचिरतमानस - 72 - अयोधयाकाड

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अनरथ अवध अरभउ जब त कसगन होिह भरत कह तब त

दखिह राित भयानक सपना जािग करिह कट कोिट कलपना ३

िब जवाइ दिह िदन दाना िसव अिभषक करिह िबिध नाना

मागिह हदय महस मनाई कसल मात िपत पिरजन भाई ४

दोहा एिह िबिध सोचत भरत मन धावन पहच आइ

गर अनसासन वन सिन चल गनस मनाइ १५७

चल समीर बग हय हाक नाघत सिरत सल बन बाक

हदय सोच बड़ कछ न सोहाई अस जानिह िजय जाउ उड़ाई १

एक िनमष बरस सम जाई एिह िबिध भरत नगर िनअराई

असगन होिह नगर पठारा रटिह कभाित कखत करारा २

खर िसआर बोलिह ितकला सिन सिन होइ भरत मन सला

ीहत सर सिरता बन बागा नगर िबसिष भयावन लागा ३

खग मग हय गय जािह न जोए राम िबयोग करोग िबगोए

नगर नािर नर िनपट दखारी मनह सबिनह सब सपित हारी ४

दोहा परजन िमिलिह न कहिह कछ गविह जोहारिह जािह

भरत कसल पिछ न सकिह भय िबषाद मन मािह १५८

हाट बाट निह जाइ िनहारी जन पर दह िदिस लािग दवारी

आवत सत सिन ककयनिदिन हरषी रिबकल जलरह चिदिन १

सिज आरती मिदत उिठ धाई ारिह भिट भवन लइ आई

भरत दिखत पिरवार िनहा रा मानह तिहन बनज बन मारा २

ककई हरिषत एिह भाित मनह मिदत दव लाइ िकराती

सतिह ससोच दिख मन मार पछित नहर कसल हमार ३

सकल कसल किह भरत सनाई पछी िनज कल कसल भलाई

रामचिरतमानस - 73 - अयोधयाकाड

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कह कह तात कहा सब माता कह िसय राम लखन ि य ाता ४

दोहा सिन सत बचन सनहमय कपट नीर भिर नन

भरत वन मन सल सम पािपिन बोली बन १५९

तात बात म सकल सवारी भ मथरा सहाय िबचारी

कछक काज िबिध बीच िबगारउ भपित सरपित पर पग धारउ १

सनत भरत भए िबबस िबषादा जन सहमउ किर कहिर नादा

तात तात हा तात पकारी पर भिमतल बयाकल भारी २

चलत न दखन पायउ तोही तात न रामिह सौपह मोही

बहिर धीर धिर उठ सभारी कह िपत मरन हत महतारी ३

सिन सत बचन कहित ककई मरम पािछ जन माहर दई

आिदह त सब आपिन करनी किटल कठोर मिदत मन बरनी ४

दोहा भरतिह िबसरउ िपत मरन सनत राम बन गौन

हत अपनपउ जािन िजय थिकत रह धिर मौन १६०

िबकल िबलोिक सतिह समझावित मनह जर पर लोन लगावित

तात राउ निह सोच जोग िबढ़इ सकत जस कीनहउ भोग १

जीवत सकल जनम फल पाए अत अमरपित सदन िसधाए

अस अनमािन सोच पिरहरह सिहत समाज राज पर करह २

सिन सिठ सहमउ राजकमार पाक छत जन लाग अगार

धीरज धिर भिर लिह उसासा पापिन सबिह भाित कल नासा ३

जौ प करिच रही अित तोही जनमत काह न मार मोही

पड़ कािट त पालउ सीचा मीन िजअन िनित बािर उलीचा ४

दोहा हसबस दसरथ जनक राम लखन स भाइ

रामचिरतमानस - 74 - अयोधयाकाड

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जननी त जननी भई िबिध सन कछ न बसाइ १६१

जब त कमित कमत िजय ठयऊ खड खड होइ दउ न गयऊ

बर मागत मन भइ निह पीरा गिर न जीह मह परउ न कीरा १

भप तीत तोिर िकिम कीनही मरन काल िबिध मित हिर लीनही

िबिधह न नािर हदय गित जानी सकल कपट अघ अवगन खानी २

सरल ससील धरम रत राऊ सो िकिम जान तीय सभाऊ

अस को जीव जत जग माही जिह रघनाथ ानि य नाही ३

भ अित अिहत राम तउ तोही को त अहिस सतय कह मोही

जो हिस सो हिस मह मिस लाई आिख ओट उिठ बठिह जाई ४

दोहा राम िबरोधी हदय त गट कीनह िबिध मोिह

मो समान को पातकी बािद कहउ कछ तोिह १६२

सिन स घन मात किटलाई जरिह गात िरस कछ न बसाई

तिह अवसर कबरी तह आई बसन िबभषन िबिबध बनाई १

लिख िरस भरउ लखन लघ भाई बरत अनल घत आहित पाई

हमिग लात तिक कबर मारा पिर मह भर मिह करत पकारा २

कबर टटउ फट कपार दिलत दसन मख रिधर चार

आह दइअ म काह नसावा करत नीक फल अनइस पावा ३

सिन िरपहन लिख नख िसख खोटी लग घसीटन धिर धिर झोटी

भरत दयािनिध दीिनह छड़ाई कौसलया पिह ग दोउ भाई ४

दोहा मिलन बसन िबबरन िबकल कस सरीर दख भार

कनक कलप बर बिल बन मानह हनी तसार १६३

भरतिह दिख मात उिठ धाई मरिछत अविन परी झइ आई

दखत भरत िबकल भए भारी पर चरन तन दसा िबसारी १

रामचिरतमानस - 75 - अयोधयाकाड

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मात तात कह दिह दखाई कह िसय राम लखन दोउ भाई

ककइ कत जनमी जग माझा जौ जनिम त भइ काह न बाझा २

कल कलक जिह जनमउ मोही अपजस भाजन ि यजन ोही

को ितभवन मोिह सिरस अभागी गित अिस तोिर मात जिह लागी ३

िपत सरपर बन रघबर कत म कवल सब अनरथ हत

िधग मोिह भयउ बन बन आगी दसह दाह दख दषन भागी ४

दोहा मात भरत क बचन मद सिन सिन उठी सभािर

िलए उठाइ लगाइ उर लोचन मोचित बािर १६४

सरल सभाय माय िहय लाए अित िहत मनह राम िफिर आए

भटउ बहिर लखन लघ भाई सोक सनह न हदय समाई १

दिख सभाउ कहत सब कोई राम मात अस काह न होई

माता भरत गोद बठार आस पौिछ मद बचन उचार २

अजह बचछ बिल धीरज धरह कसमउ समिझ सोक पिरहरह

जिन मानह िहय हािन गलानी काल करम गित अघिटत जािन ३

काहिह दोस दह जिन ताता भा मोिह सब िबिध बाम िबधाता

जो एतह दख मोिह िजआवा अजह को जानइ का तिह भावा ४

दोहा िपत आयस भषन बसन तात तज रघबीर

िबसमउ हरष न हदय कछ पिहर बलकल चीर १६५

मख सनन मन रग न रोष सब कर सब िबिध किर पिरतोष

चल िबिपन सिन िसय सग लागी रहइ न राम चरन अनरागी १

सनतिह लखन चल उिठ साथा रहिह न जतन िकए रघनाथा

तब रघपित सबही िसर नाई चल सग िसय अर लघ भाई २

राम लखन िसय बनिह िसधाए गइउ न सग न ान पठाए

यह सब भा इनह आिखनह आग तउ न तजा तन जीव अभाग ३

रामचिरतमानस - 76 - अयोधयाकाड

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मोिह न लाज िनज नह िनहारी राम सिरस सत म महतारी

िजऐ मर भल भपित जाना मोर हदय सत किलस समाना ४

दोहा कौसलया क बचन सिन भरत सिहत रिनवास

बयाकल िबलपत राजगह मानह सोक नवास १६६

िबलपिह िबकल भरत दोउ भाई कौसलया िलए हदय लगाई

भाित अनक भरत समझाए किह िबबकमय बचन सनाए १

भरतह मात सकल समझाई किह परान ित कथा सहाई

छल िबहीन सिच सरल सबानी बोल भरत जोिर जग पानी २

ज अघ मात िपता सत मार गाइ गोठ मिहसर पर जार

ज अघ ितय बालक बध कीनह मीत महीपित माहर दीनह ३

ज पातक उपपातक अहही करम बचन मन भव किब कहही

त पातक मोिह होह िबधाता जौ यह होइ मोर मत माता ४

दोहा ज पिरहिर हिर हर चरन भजिह भतगन घोर

तिह कइ गित मोिह दउ िबिध जौ जननी मत मोर १६७

बचिह बद धरम द िह लही िपसन पराय पाप किह दही

कपटी किटल कलहि य ोधी बद िबदषक िबसव िबरोधी १

लोभी लपट लोलपचारा ज ताकिह परधन परदारा

पावौ म ितनह क गित घोरा जौ जननी यह समत मोरा २

ज निह साधसग अनराग परमारथ पथ िबमख अभाग

ज न भजिह हिर नरतन पाई िजनहिह न हिर हर सजस सोहाई ३

तिज ितपथ बाम पथ चलही बचक िबरिच बष जग छलही

ितनह क गित मोिह सकर दऊ जननी जौ यह जानौ भऊ ४

दोहा

रामचिरतमानस - 77 - अयोधयाकाड

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मात भरत क बचन सिन साच सरल सभाय

कहित राम ि य तात तमह सदा बचन मन काय १६८

राम ानह त ान तमहार तमह रघपितिह ानह त पयार

िबध िबष चव व िहम आगी होइ बािरचर बािर िबरागी १

भए गयान बर िमट न मोह तमह रामिह ितकल न होह

मत तमहार यह जो जग कहही सो सपनह सख सगित न लहही २

अस किह मात भरत िहय लाए थन पय विह नयन जल छाए

करत िबलाप बहत यिह भाती बठिह बीित गइ सब राती ३

बामदउ बिस तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए

मिन बह भाित भरत उपदस किह परमारथ बचन सदस ४

दोहा तात हदय धीरज धरह करह जो अव सर आज उठ भरत गर बचन सिन करन कहउ सब साज १६९

नपतन बद िबिदत अनहवावा परम िबिच िबमान बनावा

गिह पद भरत मात सब राखी रही रािन दरसन अिभलाषी १

चदन अगर भार बह आए अिमत अनक सगध सहाए

सरज तीर रिच िचता बनाई जन सरपर सोपान सहाई २

एिह िबिध दाह ि या सब कीनही िबिधवत नहाइ ितलाजिल दीनही

सोिध समित सब बद पराना कीनह भरत दसगात िबधाना ३

जह जस मिनबर आयस दीनहा तह तस सहस भाित सब कीनहा

भए िबस िदए सब दाना धन बािज गज बाहन नाना ४

दोहा िसघासन भषन बसन अनन धरिन धन धाम

िदए भरत लिह भिमसर भ पिरपरन काम १७०

िपत िहत भरत कीिनह जिस करनी सो मख लाख जाइ निह बरनी

रामचिरतमानस - 78 - अयोधयाकाड

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सिदन सोिध मिनबर तब आए सिचव महाजन सकल बोलाए १

बठ राजसभा सब जाई पठए बोिल भरत दोउ भाई

भरत बिस िनकट बठार नीित धरममय बचन उचार २

थम कथा सब मिनबर बरनी ककइ किटल कीिनह जिस करनी

भप धरम त सतय सराहा जिह तन पिरहिर म िनबाहा ३

कहत राम गन सील सभाऊ सजल नयन पलकउ मिनराऊ

बहिर लखन िसय ीित बखानी सोक सनह मगन मिन गयानी ४

दोहा सनह भरत भावी बल िबलिख कहउ मिननाथ

हािन लाभ जीवन मरन जस अपजस िबिध हाथ १७१

अस िबचािर किह दइअ दोस बयरथ कािह पर कीिजअ रोस

तात िबचार किह करह मन माही सोच जोग दसरथ नप नाही १

सोिचअ िब जो बद िबहीना तिज िनज धरम िबषय लयलीना

सोिचअ नपित जो नीित न जाना जिह न जा ि य ान समाना २

सोिचअ बयस कपन धनवान जो न अितिथ िसव भगित सजान

सोिचअ स िब अवमानी मखर मानि य गयान गमानी ३

सोिचअ पिन पित बचक नारी किटल कलहि य इचछाचारी

सोिचअ बट िनज त पिरहरई जो निह गर आयस अनसरई ४

दोहा सोिचअ गही जो मोह बस करइ करम पथ तयाग

सोिचअ जित पच रत िबगत िबबक िबराग १७२

बखानस सोइ सोच जोग तप िबहाइ जिह भावइ भोग

सोिचअ िपसन अकारन ोधी जनिन जनक गर बध िबरोधी १

सब िबिध सोिचअ पर अपकारी िनज तन पोषक िनरदय भारी

सोचनीय सबिह िबिध सोई जो न छािड़ छल हिर जन होई २

सोचनीय निह कोसलराऊ भवन चािरदस गट भाऊ

रामचिरतमानस - 79 - अयोधयाकाड

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भयउ न अहइ न अब होिनहारा भप भरत जस िपता तमहारा ३

िबिध हिर हर सरपित िदिसनाथा बरनिह सब दसरथ गन गाथा ४

दोहा कहह तात किह भाित कोउ किरिह बड़ाई तास

राम लखन तमह स हन सिरस सअन सिच जास १७३

सब कार भपित बड़भागी बािद िबषाद किरअ तिह लागी

यह सिन समिझ सोच पिरहरह िसर धिर राज रजायस करह १

राय राजपद तमह कह दीनहा िपता बचन फर चािहअ कीनहा

तज राम जिह बचनिह लागी तन पिरहरउ राम िबरहागी २

नपिह बचन ि य निह ि य ाना करह तात िपत बचन वाना

करह सीस धिर भप रजाई हइ तमह कह सब भाित भलाई ३

परसराम िपत अगया राखी मारी मात लोक सब साखी

तनय जजाितिह जौबन दयऊ िपत अगया अघ अजस न भयऊ ४

दोहा अनिचत उिचत िबचार तिज ज पालिह िपत बन

त भाजन सख सजस क बसिह अमरपित ऐन १७४

अविस नरस बचन फर करह पालह जा सोक पिरहरह

सरपर नप पाइिह पिरतोष तमह कह सकत सजस निह दोष १

बद िबिदत समत सबही का जिह िपत दइ सो पावइ टीका

करह राज पिरहरह गलानी मानह मोर बचन िहत जानी २

सिन सख लहब राम बदही अनिचत कहब न पिडत कही

कौसलयािद सकल महतारी तउ जा सख होिह सखारी ३

परम तमहार राम कर जािनिह सो सब िबिध तमह सन भल मािनिह

सौपह राज राम क आए सवा करह सनह सहाए ४

दोहा

रामचिरतमानस - 80 - अयोधयाकाड

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कीिजअ गर आयस अविस कहिह सिचव कर जोिर

रघपित आए उिचत जस तस तब करब बहोिर १७५

कौसलया धिर धीरज कहई पत पथय गर आयस अहई

सो आदिरअ किरअ िहत मानी तिजअ िबषाद का ल गित जानी १

बन रघपित सरपित नरनाह तमह एिह भाित तात कदराह

पिरजन जा सिचव सब अबा तमहही सत सब कह अवलबा २

लिख िबिध बाम काल किठनाई धीरज धरह मात बिल जाई

िसर धिर गर आयस अनसरह जा पािल पिरजन दख हरह ३

गर क बचन सिचव अिभनदन सन भरत िहय िहत जन चदन

सनी बहोिर मात मद बानी सील सनह सरल रस सानी ४ छद

सानी सरल रस मात बानी सिन भरत बयाकल भए

लोचन सरोरह वत सीचत िबरह उर अकर नए

सो दसा दखत समय तिह िबसरी सबिह सिध दह की तलसी सराहत सकल सादर सीव सहज सनह की

सोरठा

भरत कमल कर जोिर धीर धरधर धीर धिर बचन अिमअ जन बोिर दत उिचत उ र सबिह १७६

मासपारायण अठारहवा िव ाम

मोिह उपदस दीनह गर नीका जा सिचव समत सबही का

मात उिचत धिर आयस दीनहा अविस सीस धिर चाहउ कीनहा १

गर िपत मात सवािम िहत बानी सिन मन मिदत किरअ भिल जानी

उिचत िक अनिचत िकए िबचार धरम जाइ िसर पातक भार २

तमह तौ दह सरल िसख सोई जो आचरत मोर भल होई

ज िप यह समझत हउ नीक तदिप होत पिरतोष न जी क ३

रामचिरतमानस - 81 - अयोधयाकाड

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अब तमह िबनय मोिर सिन लह मोिह अनहरत िसखावन दह

ऊतर दउ छमब अपराध दिखत दोष गन गनिह न साध ४

दोहा िपत सरपर िसय राम बन करन कहह मोिह राज

एिह त जानह मोर िहत क आपन बड़ काज १७७

िहत हमार िसयपित सवकाई सो हिर लीनह मात किटलाई

म अनमािन दीख मन माही आन उपाय मोर िहत नाही १

सोक समाज राज किह लख लखन राम िसय िबन पद दख

बािद बसन िबन भषन भार बािद िबरित िबन िबचार २

सरज सरीर बािद बह भोगा िबन हिरभगित जाय जप जोगा

जाय जीव िबन दह सहाई बािद मोर सब िबन रघराई ३

जाउ राम पिह आयस दह एकिह आक मोर िहत एह

मोिह नप किर भल आपन चहह सोउ सनह जड़ता बस कहह ४

दोहा ककई सअ किटलमित राम िबमख गतलाज

तमह चाहत सख मोहबस मोिह स अधम क राज १७८

कहउ साच सब सिन पितआह चािहअ धरमसील नरनाह

मोिह राज हिठ दइहह जबही रसा रसातल जाइिह तबही १

मोिह समान को पाप िनवास जिह लिग सीय राम बनबास

राय राम कह कानन दीनहा िबछरत गमन अमरपर कीनहा २

म सठ सब अनरथ कर हत बठ बात सब सनउ सचत

िबन रघबीर िबलोिक अबास रह ान सिह जग उपहास ३

राम पनीत िबषय रस रख लोलप भिम भोग क भख

कह लिग कहौ हदय किठनाई िनदिर किलस जिह लही बड़ाई ४

दोहा

रामचिरतमानस - 82 - अयोधयाकाड

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कारन त कारज किठन होइ दोस निह मोर

किलस अिसथ त उपल त लोह कराल कठोर १७९

ककई भव तन अनराग पावर ान अघाइ अभाग

जौ ि य िबरह ान ि य लाग दखब सनब बहत अब आग १

लखन राम िसय कह बन दीनहा पठइ अमरपर पित िहत कीनहा

लीनह िबधवपन अपजस आप दीनहउ जिह सोक सताप २

मोिह दीनह सख सजस सराज कीनह ककई सब कर काज

एिह त मोर काह अब नीका तिह पर दन कहह तमह टीका ३

ककई जठर जनिम जग माही यह मोिह कह कछ अनिचत नाही

मोिर बात सब िबिधिह बनाई जा पाच कत करह सहाई ४

दोहा ह हीत पिन बात बस तिह पिन बीछी मार

तिह िपआइअ बारनी कहह काह उपचार १८०

ककइ सअन जोग जग जोई चतर िबरिच दीनह मोिह सोई

दसरथ तनय राम लघ भाई दीिनह मोिह िबिध बािद बड़ाई १

तमह सब कहह कढ़ावन टीका राय रजायस सब कह नीका

उतर दउ किह िबिध किह कही कहह सखन जथा रिच जही २

मोिह कमात समत िबहाई कहह क िहिह क कीनह भलाई

मो िबन को सचराचर माही जिह िसय राम ानि य नाही ३

परम हािन सब कह बड़ लाह अिदन मोर निह दषन काह

ससय सील म बस अहह सबइ उिचत सब जो कछ कहह ४

दोहा राम मात सिठ सरलिचत मो पर म िबसिष

कहइ सभाय सनह बस मोिर दीनता दिख १८१

गर िबबक सागर जग जाना िजनहिह िबसव कर बदर समाना

रामचिरतमानस - 83 - अयोधयाकाड

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मो कह ितलक साज सज सोऊ भए िबिध िबमख िबमख सब कोऊ १

पिरहिर राम सीय जग माही कोउ न किहिह मोर मत नाही

सो म सनब सहब सख मानी अतह कीच तहा जह पानी २

डर न मोिह जग किहिह िक पोच परलोकह कर नािहन सोच

एकइ उर बस दसह दवारी मोिह लिग भ िसय राम दखारी ३

जीवन लाह लखन भल पावा सब तिज राम चरन मन लावा

मोर जनम रघबर बन लागी झठ काह पिछताउ अभागी ४

दोहा आपिन दारन दीनता कहउ सबिह िसर नाइ

दख िबन रघनाथ पद िजय क जरिन न जाइ १८२

आन उपाउ मोिह निह सझा को िजय क रघबर िबन बझा

एकिह आक इहइ मन माही ातकाल चिलहउ भ पाही १

ज िप म अनभल अपराधी भ मोिह कारन सकल उपाधी

तदिप सरन सनमख मोिह दखी छिम सब किरहिह कपा िबसषी २

सील सकच सिठ सरल सभाऊ कपा सनह सदन रघराऊ

अिरहक अनभल कीनह न रामा म िसस सवक ज िप बामा ३

तमह प पाच मोर भल मानी आयस आिसष दह सबानी

जिह सिन िबनय मोिह जन जानी आविह बहिर राम रजधानी ४

दोहा ज िप जनम कमात त म सठ सदा सदोस

आपन जािन न तयािगहिह मोिह रघबीर भरोस १८३

भरत बचन सब कह ि य लाग राम सनह सधा जन पाग

लोग िबयोग िबषम िबष दाग म सबीज सनत जन जाग १

मात सिचव गर पर नर नारी सकल सनह िबकल भए भारी

भरतिह कहिह सरािह सराही राम म मरित तन आही २

तात भरत अस काह न कहह ान समान राम ि य अहह

रामचिरतमानस - 84 - अयोधयाकाड

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जो पावर अपनी जड़ताई तमहिह सगाइ मात किटलाई ३

सो सठ कोिटक परष समता बिसिह कलप सत नरक िनकता

अिह अघ अवगन निह मिन गहई हरइ गरल दख दािरद दहई ४

दोहा अविस चिलअ बन राम जह भरत म भल कीनह

सोक िसध बड़त सबिह तमह अवलबन दीनह १८४

भा सब क मन मोद न थोरा जन घन धिन सिन चातक मोरा

चलत ात लिख िनरनउ नीक भरत ानि य भ सबही क १

मिनिह बिद भरतिह िसर नाई चल सकल घर िबदा कराई

धनय भरत जीवन जग माही सील सनह सराहत जाही २

कहिह परसपर भा बड़ काज सकल चल कर साजिह साज

जिह राखिह रह घर रखवारी सो जानइ जन गरदिन मारी ३

कोउ कह रहन किहअ निह काह को न चहइ जग जीवन लाह ४

दोहा जरउ सो सपित सदन सख सहद मात िपत भाइ

सनमख होत जो राम पद कर न सहस सहाइ १८५

घर घर साजिह बाहन नाना हरष हदय परभात पयाना

भरत जाइ घर कीनह िबचार नगर बािज गज भवन भडार १

सपित सब रघपित क आही जौ िबन जतन चलौ तिज ताही

तौ पिरनाम न मोिर भलाई पाप िसरोमिन साइ दोहाई २

करइ सवािम िहत सवक सोई दषन कोिट दइ िकन कोई

अस िबचािर सिच सवक बोल ज सपनह िनज धरम न डोल ३

किह सब मरम धरम भल भाषा जो जिह लायक सो तिह राखा

किर सब जतन रािख रखवार राम मात पिह भरत िसधार ४

दोहा

रामचिरतमानस - 85 - अयोधयाकाड

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आरत जननी जािन सब भरत सनह सजान

कहउ बनावन पालकी सजन सखासन जान १८६

चकक चिकक िजिम पर नर नारी चहत ात उर आरत भारी

जागत सब िनिस भयउ िबहाना भरत बोलाए सिचव सजाना १

कहउ लह सब ितलक समाज बनिह दब मिन रामिह राज

बिग चलह सिन सिचव जोहार तरत तर ग रथ नाग सवार २

अरधती अर अिगिन समाऊ रथ चिढ़ चल थम मिनराऊ

िब बद चिढ़ बाहन नाना चल सकल तप तज िनधाना ३

नगर लोग सब सिज सिज जाना िच कट कह कीनह पयाना

िसिबका सभग न जािह बखानी चिढ़ चिढ़ चलत भई सब रानी ४

दोहा सौिप नगर सिच सवकिन सादर सकल चलाइ

सिमिर राम िसय चरन तब चल भरत दोउ भाइ १८७

राम दरस बस सब नर नारी जन किर किरिन चल तिक बारी

बन िसय राम समिझ मन माही सानज भरत पयादिह जाही १

दिख सनह लोग अनराग उतिर चल हय गय रथ तयाग

जाइ समीप रािख िनज डोली राम मात मद बानी बोली २

तात चढ़ह रथ बिल महतारी होइिह ि य पिरवार दखारी

तमहर चलत चिलिह सब लोग सकल सोक कस निह मग जोग ३

िसर धिर बचन चरन िसर नाई रथ चिढ़ चलत भए दोउ भाई

तमसा थम िदवस किर बास दसर गोमित तीर िनवास ४

दोहा पय अहार फल असन एक िनिस भोजन एक लोग

करत राम िहत नम त पिरहिर भषन भोग १८८

सई तीर बिस चल िबहान सगबरपर सब िनअरान

रामचिरतमानस - 86 - अयोधयाकाड

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समाचार सब सन िनषादा हदय िबचार करइ सिबषादा १

कारन कवन भरत बन जाही ह कछ कपट भाउ मन माही

जौ प िजय न होित किटलाई तौ कत लीनह सग कटकाई २

जानिह सानज रामिह मारी करउ अकटक राज सखारी

भरत न राजनीित उर आनी तब कलक अब जीवन हानी ३

सकल सरासर जरिह जझारा रामिह समर न जीतिनहारा

का आचरज भरत अस करही निह िबष बिल अिमअ फल फरही ४

दोहा अस िबचािर गह गयाित सन कहउ सजग सब होह

हथवासह बोरह तरिन कीिजअ घाटारोह १८९

होह सजोइल रोकह घाटा ठाटह सकल मर क ठाटा

सनमख लोह भरत सन लऊ िजअत न सरसिर उतरन दऊ १

समर मरन पिन सरसिर तीरा राम काज छनभग सरीरा

भरत भाइ नप म जन नीच बड़ भाग अिस पाइअ मीच २

सवािम काज किरहउ रन रारी जस धविलहउ भवन दस चारी

तजउ ान रघनाथ िनहोर दह हाथ मद मोदक मोर ३

साध समाज न जाकर लखा राम भगत मह जास न रखा

जाय िजअत जग सो मिह भार जननी जौबन िबटप कठार ४

दोहा िबगत िबषाद िनषादपित सबिह बढ़ाइ उछाह

सिमिर राम मागउ तरत तरकस धनष सनाह १९०

बगह भाइह सजह सजोऊ सिन रजाइ कदराइ न कोऊ

भलिह नाथ सब कहिह सहरषा एकिह एक बढ़ावइ करषा १

चल िनषाद जोहािर जोहारी सर सकल रन रचइ रारी

सिमिर राम पद पकज पनही भाथी बािध चढ़ाइिनह धनही २

अगरी पिहिर किड़ िसर धरही फरसा बास सल सम करही

रामचिरतमानस - 87 - अयोधयाकाड

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एक कसल अित ओड़न खाड़ कदिह गगन मनह िछित छाड़ ३

िनज िनज साज समाज बनाई गह राउतिह जोहार जाई

दिख सभट सब लायक जान ल ल नाम सकल सनमान ४

दोहा भाइह लावह धोख जिन आज काज बड़ मोिह

सिन सरोष बोल सभट बीर अधीर न होिह १९१

राम ताप नाथ बल तोर करिह कटक िबन भट िबन घोर

जीवत पाउ न पाछ धरही रड मडमय मिदिन करही १

दीख िनषादनाथ भल टोल कहउ बजाउ जझाऊ ढोल

एतना कहत छीक भइ बाए कहउ सगिनअनह खत सहाए २

बढ़ एक कह सगन िबचारी भरतिह िमिलअ न होइिह रारी

रामिह भरत मनावन जाही सगन कहइ अस िब ह नाही ३

सिन गह कहइ नीक कह बढ़ा सहसा किर पिछतािह िबमढ़ा

भरत सभाउ सील िबन बझ बिड़ िहत हािन जािन िबन जझ ४

दोहा गहह घाट भट सिमिट सब लउ मरम िमिल जाइ

बिझ िम अिर मधय गित तस तब किरहउ आइ १९२

लखन सनह सभाय सहाए बर ीित निह दरइ दराए

अस किह भट सजोवन लाग कद मल फल खग मग माग १

मीन पीन पाठीन परान भिर भिर भार कहारनह आन

िमलन साज सिज िमलन िसधाए मगल मल सगन सभ पाए २

दिख दिर त किह िनज नाम कीनह मनीसिह दड नाम

जािन रामि य दीिनह असीसा भरतिह कहउ बझाइ मनीसा ३

राम सखा सिन सदन तयागा चल उतिर उमगत अनरागा

गाउ जाित गह नाउ सनाई कीनह जोहार माथ मिह लाई ४

रामचिरतमानस - 88 - अयोधयाकाड

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दोहा करत दडवत दिख तिह भरत लीनह उर लाइ

मनह लखन सन भट भइ म न हदय समाइ १९३

भटत भरत तािह अित ीती लोग िसहािह म क रीती

धनय धनय धिन मगल मला सर सरािह तिह बिरसिह फला १

लोक बद सब भाितिह नीचा जास छाह छइ लइअ सीचा

तिह भिर अक राम लघ ाता िमलत पलक पिरपिरत गाता २

राम राम किह ज जमहाही ितनहिह न पाप पज समहाही

यह तौ राम लाइ उर लीनहा कल समत जग पावन कीनहा ३

करमनास जल सरसिर परई तिह को कहह सीस निह धरई

उलटा नाम जपत जग जाना बालमीिक भए समाना ४

दोहा सवपच सबर खस जमन जड़ पावर कोल िकरात

राम कहत पावन परम होत भवन िबखयात १९४

निह अिचरज जग जग चिल आई किह न दीिनह रघबीर बड़ाई

राम नाम मिहमा सर कहही सिन सिन अवधलोग सख लहही १

रामसखिह िमिल भरत स मा पछी कसल समगल खमा

दिख भरत कर सील सनह भा िनषाद तिह समय िबदह २

सकच सनह मोद मन बाढ़ा भरतिह िचतवत एकटक ठाढ़ा

धिर धीरज पद बिद बहोरी िबनय स म करत कर जोरी ३

कसल मल पद पकज पखी म ितह काल कसल िनज लखी

अब भ परम अन ह तोर सिहत कोिट कल मगल मोर ४

दोहा समिझ मोिर करतित कल भ मिहमा िजय जोइ

जो न भजइ रघबीर पद जग िबिध बिचत सोइ १९५

रामचिरतमानस - 89 - अयोधयाकाड

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कपटी कायर कमित कजाती लोक बद बाहर सब भाती

राम कीनह आपन जबही त भयउ भवन भषन तबही त १

दिख ीित सिन िबनय सहाई िमलउ बहोिर भरत लघ भाई

किह िनषाद िनज नाम सबानी सादर सकल जोहारी रानी २

जािन लखन सम दिह असीसा िजअह सखी सय लाख बरीसा

िनरिख िनषाद नगर नर नारी भए सखी जन लखन िनहारी ३

कहिह लहउ एिह जीवन लाह भटउ रामभ भिर बाह

सिन िनषाद िनज भाग बड़ाई मिदत मन लइ चलउ लवाई ४

दोहा सनकार सवक सकल चल सवािम रख पाइ

घर तर तर सर बाग बन बास बनाएिनह जाइ १९६

सगबरपर भरत दीख जब भ सनह सब अग िसिथल तब

सोहत िदए िनषादिह लाग जन तन धर िबनय अनराग १

एिह िबिध भरत सन सब सगा दीिख जाइ जग पाविन गगा

रामघाट कह कीनह नाम भा मन मगन िमल जन राम २

करिह नाम नगर नर नारी मिदत मय बािर िनहारी

किर मजजन मागिह कर जोरी रामच पद ीित न थोरी ३

भरत कहउ सरसिर तव रन सकल सखद सवक सरधन

जोिर पािन बर मागउ एह सीय राम पद सहज सनह ४

दोहा एिह िबिध मजजन भरत किर गर अनसासन पाइ

मात नहानी जािन सब डरा चल लवाइ १९७

जह तह लोगनह डरा कीनहा भरत सोध सबही कर लीनहा

सर सवा किर आयस पाई राम मात पिह ग दोउ भाई १

चरन चािप किह किह मद बानी जननी सकल भरत सनमानी

भाइिह सौिप मात सवकाई आप िनषादिह लीनह बोलाई २

रामचिरतमानस - 90 - अयोधयाकाड

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चल सखा कर सो कर जोर िसिथल सरीर सनह न थोर

पछत सखिह सो ठाउ दखाऊ नक नयन मन जरिन जड़ाऊ ३

जह िसय राम लखन िनिस सोए कहत भर जल लोचन कोए

भरत बचन सिन भयउ िबषाद तरत तहा लइ गयउ िनषाद ४

दोहा जह िससपा पनीत तर रघबर िकय िब ाम

अित सनह सादर भरत कीनहउ दड नाम १९८

कस साथरी िनहािर सहाई कीनह नाम दिचछन जाई

चरन रख रज आिखनह लाई बनइ न कहत ीित अिधकाई १

कनक िबद दइ चािरक दख राख सीस सीय सम लख

सजल िबलोचन हदय गलानी कहत सखा सन बचन सबानी २

ीहत सीय िबरह दितहीना जथा अवध नर नािर िबलीना

िपता जनक दउ पटतर कही करतल भोग जोग जग जही ३

ससर भानकल भान भआल जिह िसहात अमरावितपाल

ाननाथ रघनाथ गोसाई जो बड़ होत सो राम बड़ाई ४

दोहा पित दवता सतीय मिन सीय साथरी दिख

िबहरत दउ न हहिर हर पिब त किठन िबसिष १९९

लालन जोग लखन लघ लोन भ न भाइ अस अहिह न होन

परजन ि य िपत मात दलार िसय रघबरिह ानिपआर १

मद मरित सकमार सभाऊ तात बाउ तन लाग न काऊ

त बन सहिह िबपित सब भाती िनदर कोिट किलस एिह छाती २

राम जनिम जग कीनह उजागर रप सील सख सब गन सागर

परजन पिरजन गर िपत माता राम सभाउ सबिह सखदाता ३

बिरउ राम बड़ाई करही बोलिन िमलिन िबनय मन हरही

सारद कोिट कोिट सत सषा किर न सकिह भ गन गन लखा ४

रामचिरतमानस - 91 - अयोधयाकाड

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दोहा

सखसवरप रघबसमिन मगल मोद िनधान त सोवत कस डािस मिह िबिध गित अित बलवान २००

राम सना दख कान न काऊ जीवनतर िजिम जोगवइ राऊ

पलक नयन फिन मिन जिह भाती जोगविह जनिन सकल िदनराती १

त अब िफरत िबिपन पदचारी कद मल फल फल अहारी

िधग ककई अमगल मला भइिस ान ि यतम ितकला २

म िधग िधग अघ उदिध अभागी सब उतपात भयउ जिह लागी

कल कलक किर सजउ िबधाता साइदोह मोिह कीनह कमाता ३

सिन स म समझाव िनषाद नाथ किरअ कत बािद िबषाद

राम तमहिह ि य तमह ि य रामिह यह िनरजोस दोस िबिध बामिह ४ छद

िबिध बाम की करनी किठन जिह मात कीनही बावरी तिह राित पिन पिन करिह भ सादर सरहना रावरी

तलसी न तमह सो राम ीतम कहत हौ सौह िकए

पिरनाम मगल जािन अपन आिनए धीरज िहए

सोरठा अतरजामी राम सकच स म कपायतन

चिलअ किरअ िब ाम यह िबचािर दढ़ आिन मन २०१

सखा बचन सिन उर धिर धीरा बास चल सिमरत रघबीरा

यह सिध पाइ नगर नर नारी चल िबलोकन आरत भारी १

परदिखना किर करिह नामा दिह ककइिह खोिर िनकामा

भरी भिर बािर िबलोचन लही बाम िबधातािह दषन दही २

एक सराहिह भरत सनह कोउ कह नपित िनबाहउ नह

िनदिह आप सरािह िनषादिह को किह सकइ िबमोह िबषादिह ३

रामचिरतमानस - 92 - अयोधयाकाड

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एिह िबिध राित लोग सब जागा भा िभनसार गदारा लागा

गरिह सनाव चढ़ाइ सहाई नई नाव सब मात चढ़ाई ४

दड चािर मह भा सब पारा उतिर भरत तब सबिह सभारा ५

दोहा ाति या किर मात पद बिद गरिह िसर नाइ

आग िकए िनषाद गन दीनहउ कटक चलाइ २०२

िकयउ िनषादनाथ अगआई मात पालकी सकल चलाई

साथ बोलाइ भाइ लघ दीनहा िब नह सिहत गवन गर कीनहा १

आप सरसिरिह कीनह नाम सिमर लखन सिहत िसय राम

गवन भरत पयोदिह पाए कोतल सग जािह डोिरआए २

कहिह ससवक बारिह बारा होइअ नाथ असव असवारा

राम पयोदिह पाय िसधाए हम कह रथ गज बािज बनाए ३

िसर भर जाउ उिचत अस मोरा सब त सवक धरम कठोरा

दिख भरत गित सिन मद बानी सब सवक गन गरिह गलानी ४

दोहा भरत तीसर पहर कह कीनह बस याग कहत राम िसय राम िसय उमिग उमिग अनराग २०३

झलका झलकत पायनह क स पकज कोस ओस कन जस

भरत पयादिह आए आज भयउ दिखत सिन सकल समाज १

खबिर लीनह सब लोग नहाए कीनह नाम ि बिनिह आए

सिबिध िसतािसत नीर नहान िदए दान मिहसर सनमान २

दखत सयामल धवल हलोर पलिक सरीर भरत कर जोर

सकल काम द तीरथराऊ बद िबिदत जग गट भाऊ ३

मागउ भीख तयािग िनज धरम आरत काह न करइ ककरम

अस िजय जािन सजान सदानी सफल करिह जग जाचक बानी ४

रामचिरतमानस - 93 - अयोधयाकाड

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दोहा अरथ न धरम न काम रिच गित न चहउ िनरबान

जनम जनम रित राम पद यह बरदान न आन २०४

जानह राम किटल किर मोही लोग कहउ गर सािहब ोही

सीता राम चरन रित मोर अनिदन बढ़उ अन ह तोर १

जलद जनम भिर सरित िबसारउ जाचत जल पिब पाहन डारउ

चातक रटिन घट घिट जाई बढ़ म सब भाित भलाई २

कनकिह बान चढ़इ िजिम दाह ितिम ि यतम पद नम िनबाह

भरत बचन सिन माझ ि बनी भइ मद बािन समगल दनी ३

तात भरत तमह सब िबिध साध राम चरन अनराग अगाध

बाद गलािन करह मन माही तमह सम रामिह कोउ ि य नाही ४

दोहा तन पलकउ िहय हरष सिन बिन बचन अनकल

भरत धनय किह धनय सर हरिषत बरषिह फल २०५

मिदत तीरथराज िनवासी बखानस बट गही उदासी

कहिह परसपर िमिल दस पाचा भरत सनह सील सिच साचा १

सनत राम गन ाम सहाए भर ाज मिनबर पिह आए

दड नाम करत मिन दख मरितमत भागय िनज लख २

धाइ उठाइ लाइ उर लीनह दीिनह असीस कतारथ कीनह

आसन दीनह नाइ िसर बठ चहत सकच गह जन भिज पठ ३

मिन पछब कछ यह बड़ सोच बोल िरिष लिख सील सकोच

सनह भरत हम सब सिध पाई िबिध करतब पर िकछ न बसाई ४

दोहा तमह गलािन िजय जिन करह समझी मात करतित

तात ककइिह दोस निह गई िगरा मित धित २०६

रामचिरतमानस - 94 - अयोधयाकाड

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यहउ कहत भल किहिह न कोऊ लोक बद बध समत दोऊ

तात तमहार िबमल जस गाई पाइिह लोकउ बद बड़ाई १

लोक बद समत सब कहई जिह िपत दइ राज सो लहई

राउ सतय त तमहिह बोलाई दत राज सख धरम बड़ाई २

राम गवन बन अनरथ मला जो सिन सकल िबसव भइ सला

सो भावी बस रािन अयानी किर कचािल अतह पिछतानी ३

तहउ तमहार अलप अपराध कह सो अधम अयान असाध

करतह राज त तमहिह न दोष रामिह होत सनत सतोष ४

दोहा अब अित कीनहह भरत भल तमहिह उिचत मत एह

सकल समगल मल जग रघबर चरन सनह २०७

सो तमहार धन जीवन ाना भिरभाग को तमहिह समाना

यह तमहार आचरज न ताता दसरथ सअन राम ि य ाता १

सनह भरत रघबर मन माही पम पा तमह सम कोउ नाही

लखन राम सीतिह अित ीती िनिस सब तमहिह सराहत बीती २

जाना मरम नहात यागा मगन होिह तमहर अनरागा

तमह पर अस सनह रघबर क सख जीवन जग जस जड़ नर क ३

यह न अिधक रघबीर बड़ाई नत कटब पाल रघराई

तमह तौ भरत मोर मत एह धर दह जन राम सनह ४

दोहा तमह कह भरत कलक यह हम सब कह उपदस

राम भगित रस िसि िहत भा यह समउ गनस २०८

नव िबध िबमल तात जस तोरा रघबर िककर कमद चकोरा

उिदत सदा अथइिह कबह ना घिटिह न जग नभ िदन िदन दना १

कोक ितलोक ीित अित किरही भ ताप रिब छिबिह न हिरही

िनिस िदन सखद सदा सब काह िसिह न ककइ करतब राह २

रामचिरतमानस - 95 - अयोधयाकाड

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परन राम सपम िपयषा गर अवमान दोष निह दषा

राम भगत अब अिमअ अघाह कीनहह सलभ सधा बसधाह ३

भप भगीरथ सरसिर आनी सिमरत सकल समगल खानी

दसरथ गन गन बरिन न जाही अिधक कहा जिह सम जग नाही ४

दोहा जास सनह सकोच बस राम गट भए आइ

ज हर िहय नयनिन कबह िनरख नही अघाइ २०९

कीरित िबध तमह कीनह अनपा जह बस राम पम मगरपा

तात गलािन करह िजय जाए डरह दिर िह पारस पाए १

सनह भरत हम झठ न कहही उदासीन तापस बन रहही

सब साधन कर सफल सहावा लखन राम िसय दरसन पावा २

तिह फल कर फल दरस तमहारा सिहत पयाग सभाग हमारा

भरत धनय तमह जस जग जयऊ किह अस पम मगन पिन भयऊ ३

सिन मिन बचन सभासद हरष साध सरािह समन सर बरष

धनय धनय धिन गगन पयागा सिन सिन भरत मगन अनरागा ४

दोहा पलक गात िहय राम िसय सजल सरोरह नन

किर नाम मिन मडिलिह बोल गदगद बन २१०

मिन समाज अर तीरथराज सािचह सपथ अघाइ अकाज

एिह थल जौ िकछ किहअ बनाई एिह सम अिधक न अघ अधमाई १

तमह सबरगय कहउ सितभाऊ उर अतरजामी रघराऊ

मोिह न मात करतब कर सोच निह दख िजय जग जािनिह पोच २

नािहन डर िबगिरिह परलोक िपतह मरन कर मोिह न सोक

सकत सजस भिर भअन सहाए लिछमन राम सिरस सत पाए ३

राम िबरह तिज तन छनभग भप सोच कर कवन सग

राम लखन िसय िबन पग पनही किर मिन बष िफरिह बन बनही ४

रामचिरतमानस - 96 - अयोधयाकाड

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दोहा

अिजन बसन फल असन मिह सयन डािस कस पात

बिस तर तर िनत सहत िहम आतप बरषा बात २११

एिह दख दाह दहइ िदन छाती भख न बासर नीद न राती

एिह करोग कर औषध नाही सोधउ सकल िबसव मन माही १

मात कमत बढ़ई अघ मला तिह हमार िहत कीनह बसला

किल ककाठ कर कीनह कज गािड़ अविध पिढ़ किठन कम २

मोिह लिग यह कठाट तिह ठाटा घालिस सब जग बारहबाटा

िमटइ कजोग राम िफिर आए बसइ अवध निह आन उपाए ३

भरत बचन सिन मिन सख पाई सबिह कीनह बह भाित बड़ाई

तात करह जिन सोच िबसषी सब दख िमटिह राम पग दखी ४

दोहा किर बोध मिनबर कहउ अितिथ पमि य होह

कद मल फल फल हम दिह लह किर छोह २१२

सिन मिन बचन भरत िहय सोच भयउ कअवसर किठन सकोच

जािन गरइ गर िगरा बहोरी चरन बिद बोल कर जोरी १

िसर धिर आयस किरअ तमहारा परम धरम यह नाथ हमारा

भरत बचन मिनबर मन भाए सिच सवक िसष िनकट बोलाए २

चािहए कीनह भरत पहनाई कद मल फल आनह जाई

भलही नाथ किह ितनह िसर नाए मिदत िनज िनज काज िसधाए ३

मिनिह सोच पाहन बड़ नवता तिस पजा चािहअ जस दवता

सिन िरिध िसिध अिनमािदक आई आयस होइ सो करिह गोसाई ४

दोहा राम िबरह बयाकल भरत सानज सिहत समाज

पहनाई किर हरह म कहा मिदत मिनराज २१३

रामचिरतमानस - 97 - अयोधयाकाड

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िरिध िसिध िसर धिर मिनबर बानी बड़भािगिन आपिह अनमानी

कहिह परसपर िसिध समदाई अतिलत अितिथ राम लघ भाई १

मिन पद बिद किरअ सोइ आज होइ सखी सब राज समाज

अस किह रचउ रिचर गह नाना जिह िबलोिक िबलखािह िबमाना २

भोग िबभित भिर भिर राख दखत िजनहिह अमर अिभलाष

दासी दास साज सब लीनह जोगवत रहिह मनिह मन दीनह ३

सब समाज सिज िसिध पल माही ज सख सरपर सपनह नाही

थमिह बास िदए सब कही सदर सखद जथा रिच जही ४

दोहा बहिर सपिरजन भरत कह िरिष अस आयस दीनह

िबिध िबसमय दायक िबभव मिनबर तपबल कीनह २१४

मिन भाउ जब भरत िबलोका सब लघ लग लोकपित लोका

सख समाज निह जाइ बखानी दखत िबरित िबसारही गयानी १

आसन सयन सबसन िबताना बन बािटका िबहग मग नाना

सरिभ फल फल अिमअ समाना िबमल जलासय िबिबध िबधाना २

असन पान सच अिमअ अमी स दिख लोग सकचात जमी स

सर सरभी सरतर सबही क लिख अिभलाष सरस सची क ३

िरत बसत बह ि िबध बयारी सब कह सलभ पदारथ चारी

क चदन बिनतािदक भोगा दिख हरष िबसमय बस लोगा ४

दोहा सपत चकई भरत चक मिन आयस खलवार

तिह िनिस आ म िपजरा राख भा िभनसार २१५

मासपारायण उननीसवा िव ाम

कीनह िनमजजन तीरथराजा नाइ मिनिह िसर सिहत समाजा

रामचिरतमानस - 98 - अयोधयाकाड

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िरिष आयस असीस िसर राखी किर दडवत िबनय बह भाषी १

पथ गित कसल साथ सब लीनह चल िच कटिह िचत दीनह

रामसखा कर दीनह लाग चलत दह धिर जन अनराग २

निह पद ान सीस निह छाया पम नम त धरम अमाया

लखन राम िसय पथ कहानी पछत सखिह कहत मद बानी ३

राम बास थल िबटप िबलोक उर अनराग रहत निह रोक

दिख दसा सर बिरसिह फला भइ मद मिह मग मगल मला ४

दोहा िकए जािह छाया जलद सखद बहइ बर बात

तस मग भयउ न राम कह जस भा भरतिह जात २१६

जड़ चतन मग जीव घनर ज िचतए भ िजनह भ हर

त सब भए परम पद जोग भरत दरस मटा भव रोग १

यह बिड़ बात भरत कइ नाही सिमरत िजनिह राम मन माही

बारक राम कहत जग जऊ होत तरन तारन नर तऊ २

भरत राम ि य पिन लघ ाता कस न होइ मग मगलदाता

िस साध मिनबर अस कहही भरतिह िनरिख हरष िहय लहही ३

दिख भाउ सरसिह सोच जग भल भलिह पोच कह पोच

गर सन कहउ किरअ भ सोई रामिह भरतिह भट न होई ४

दोहा राम सकोची म बस भरत सपम पयोिध

बनी बात बगरन चहित किरअ जतन छल सोिध २१७

बचन सनत सरगर मसकान सहसनयन िबन लोचन जान

मायापित सवक सन माया करइ त उलिट परइ सरराया १

तब िकछ कीनह राम रख जानी अब कचािल किर होइिह हानी

सन सरस रघनाथ सभाऊ िनज अपराध िरसािह न काऊ २

जो अपराध भगत कर करई राम रोष पावक सो जरई

रामचिरतमानस - 99 - अयोधयाकाड

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लोकह बद िबिदत इितहासा यह मिहमा जानिह दरबासा ३

भरत सिरस को राम सनही जग जप राम राम जप जही ४

दोहा मनह न आिनअ अमरपित रघबर भगत अकाज

अजस लोक परलोक दख िदन िदन सोक समाज २१८

सन सरस उपदस हमारा रामिह सवक परम िपआरा

मानत सख सवक सवकाई सवक बर बर अिधकाई १

ज िप सम निह राग न रोष गहिह न पाप पन गन दोष

करम धान िबसव किर राखा जो जस करइ सो तस फल चाखा २

तदिप करिह सम िबषम िबहारा भगत अभगत हदय अनसारा

अगन अलप अमान एकरस राम सगन भए भगत पम बस ३

राम सदा सवक रिच राखी बद परान साध सर साखी

अस िजय जािन तजह किटलाई करह भरत पद ीित सहाई ४

दोहा राम भगत परिहत िनरत पर दख दखी दयाल

भगत िसरोमिन भरत त जिन डरपह सरपाल २१९

सतयसध भ सर िहतकारी भरत राम आयस अनसारी

सवारथ िबबस िबकल तमह होह भरत दोस निह राउर मोह १

सिन सरबर सरगर बर बानी भा मोद मन िमटी गलानी

बरिष सन हरिष सरराऊ लग सराहन भरत सभाऊ २

एिह िबिध भरत चल मग जाही दसा दिख मिन िस िसहाही

जबिह राम किह लिह उसासा उमगत पम मनह चह पासा ३

विह बचन सिन किलस पषाना परजन पम न जाइ बखाना

बीच बास किर जमनिह आए िनरिख नीर लोचन जल छाए १

दोहा

रामचिरतमानस - 100 - अयोधयाकाड

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रघबर बरन िबलोिक बर बािर समत समाज होत मगन बािरिध िबरह चढ़ िबबक जहाज २२०

जमन तीर तिह िदन किर बास भयउ समय सम सबिह सपास

रातिह घाट घाट की तरनी आई अगिनत जािह न बरनी १

ात पार भए एकिह खवा तोष रामसखा की सवा

चल नहाइ निदिह िसर नाई साथ िनषादनाथ दोउ भाई २

आग मिनबर बाहन आछ राजसमाज जाइ सब पाछ

तिह पाछ दोउ बध पयाद भषन बसन बष सिठ साद ३

सवक स द सिचवसत साथा सिमरत लखन सीय रघनाथा

जह जह राम बास िब ामा तह तह करिह स म नामा ४

दोहा मगबासी नर नािर सिन धाम काम तिज धाइ

दिख सरप सनह सब मिदत जनम फल पाइ २२१

कहिह सपम एक एक पाही राम लखन सिख होिह िक नाही

बय बप बरन रप सोइ आली सील सनह सिरस सम चाली १

बष न सो सिख सीय न सगा आग अनी चली चतरगा

निह सनन मख मानस खदा सिख सदह होइ एिह भदा २

तास तरक ितयगन मन मानी कहिह सकल तिह सम न सयानी

तिह सरािह बानी फिर पजी बोली मधर बचन ितय दजी ३

किह सपम सब कथा सग जिह िबिध राम राज रस भग

भरतिह बहिर सराहन लागी सील सनह सभाय सभागी ४

दोहा चलत पयाद खात फल िपता दीनह तिज राज

जात मनावन रघबरिह भरत सिरस को आज २२२

भायप भगित भरत आचरन कहत सनत दख दषन हरन

रामचिरतमानस - 101 - अयोधयाकाड

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जो कछ कहब थोर सिख सोई रा म बध अस काह न होई १

हम सब सानज भरतिह दख भइनह धनय जबती जन लख

सिन गन दिख दसा पिछताही ककइ जनिन जोग सत नाही २

कोउ कह दषन रािनिह नािहन िबिध सब कीनह हमिह जो दािहन

कह हम लोक बद िबिध हीनी लघ ितय कल करतित मलीनी ३

बसिह कदस कगाव कबामा कह यह दरस पनय पिरनामा

अस अनद अिचिरज ित ामा जन मरभिम कलपतर जामा ४

दोहा भरत दरस दखत खलउ मग लोगनह कर भाग

जन िसघलबािसनह भयउ िबिध बस सलभ याग २२३

िनज गन सिहत राम गन गाथा सनत जािह सिमरत रघनाथा

तीरथ मिन आ म सरधामा िनरिख िनमजजिह करिह नामा १

मनही मन मागिह बर एह सीय राम पद पदम सनह

िमलिह िकरात कोल बनबासी बखानस बट जती उदासी २

किर नाम पछिह जिह तही किह बन लखन राम बदही

त भ समाचार सब कहही भरतिह दिख जनम फल लहही ३

ज जन कहिह कसल हम दख त ि य राम लखन सम लख

एिह िबिध बझत सबिह सबानी सनत राम बनबास कहानी ४

दोहा तिह बासर बिस ातही चल सिमिर रघनाथ

राम दरस की लालसा भरत सिरस सब साथ २२४

मगल सगन होिह सब काह फरकिह सखद िबलोचन बाह

भरतिह सिहत समाज उछाह िमिलहिह राम िमटिह दख दाह १

करत मनोरथ जस िजय जाक जािह सनह सरा सब छाक

िसिथल अग पग मग डिग डोलिह िबहबल बचन पम बस बोलिह २

रामसखा तिह समय दखावा सल िसरोमिन सहज सहावा

रामचिरतमानस - 102 - अयोधयाकाड

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जास समीप सिरत पय तीरा सीय समत बसिह दोउ बीरा ३

दिख करिह सब दड नामा किह जय जानिक जीवन रामा

म मगन अस राज समाज जन िफिर अवध चल रघराज ४

दोहा भरत म तिह समय जस तस किह सकइ न सष

किबिह अगम िजिम सख अह मम मिलन जनष २२५

सकल सनह िसिथल रघबर क गए कोस दइ िदनकर ढरक

जल थल दिख बस िनिस बीत कीनह गवन रघनाथ िपरीत १

उहा राम रजनी अवसषा जाग सीय सपन अस दखा

सिहत समाज भरत जन आए नाथ िबयोग ताप तन ताए २

सकल मिलन मन दीन दखारी दखी सास आन अ नहारी

सिन िसय सपन भर जल लोचन भए सोचबस सोच िबमोचन ३

लखन सपन यह नीक न होई किठन कचाह सनाइिह कोई

अस किह बध समत नहान पिज परािर साध सनमान ४ छद

सनमािन सर मिन बिद बठ उ र िदिस दखत भए

नभ धिर खग मग भिर भाग िबकल भ आ म गए

तलसी उठ अवलोिक कारन काह िचत सचिकत रह

सब समाचार िकरात कोलिनह आइ तिह अवसर कह

दोहा सनत समगल बन मन मोद तन पलक भर

सरद सरोरह नन तलसी भर सनह जल २२६

बहिर सोचबस भ िसयरवन कारन कवन भरत आगवन

एक आइ अस कहा बहोरी सन सग चतरग न थोरी १

सो सिन रामिह भा अित सोच इत िपत बच इत बध सकोच

रामचिरतमानस - 103 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ समिझ मन माही भ िचत िहत िथित पावत नाही २

समाधान तब भा यह जान भरत कह मह साध सयान

लखन लखउ भ हदय खभार कहत समय सम नीित िबचार ३

िबन पछ कछ कहउ गोसाई सवक समय न ढीठ िढठाई

तमह सबरगय िसरोमिन सवामी आपिन समिझ कहउ अनगामी ४

दोहा नाथ स द सिठ सरल िचत सील सनह िनधान

सब पर ीित तीित िजय जािनअ आप समान २२७

िबषई जीव पाइ भताई मढ़ मोह बस होिह जनाई

भरत नीित रत साध सजाना भ पद म सकल जग जाना १

तऊ आज राम पद पाई चल धरम मरजाद मटाई

किटल कबध कअवसर ताकी जािन राम बनवास एकाकी २

किर कम मन सािज समाज आए कर अकटक राज

कोिट कार कलिप कटलाई आए दल बटोिर दोउ भाई ३

जौ िजय होित न कपट कचाली किह सोहाित रथ बािज गजाली

भरतिह दोस दइ को जाए जग बौराइ राज पद पाए ४

दोहा सिस गर ितय गामी नघष चढ़उ भिमसर जान

लोक बद त िबमख भा अधम न बन समान २२८

सहसबाह सरनाथ ि सक किह न राजमद दीनह कलक

भरत कीनह यह उिचत उपाऊ िरप िरन रच न राखब काऊ १

एक कीिनह निह भरत भलाई िनदर राम जािन असहाई

समिझ पिरिह सोउ आज िबसषी समर सरोष राम मख पखी २

एतना कहत नीित रस भला रन रस िबटप पलक िमस फला

भ पद बिद सीस रज राखी बोल सतय सहज बल भाषी ३

अनिचत नाथ न मानब मोरा भरत हमिह उपचार न थोरा

रामचिरतमानस - 104 - अयोधयाकाड

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कह लिग सिहअ रिहअ मन मार नाथ साथ धन हाथ हमार ४

दोहा छि जाित रघकल जनम राम अनग जग जान

लातह मार चढ़ित िसर नीच को धिर समान २२९

उिठ कर जोिर रजायस मागा मनह बीर रस सोवत जागा

बािध जटा िसर किस किट भाथा सािज सरासन सायक हाथा १

आज राम सवक जस लऊ भरतिह समर िसखावन दऊ

राम िनरादर कर फल पाई सोवह समर सज दोउ भाई २

आइ बना भल सकल समाज गट करउ िरस पािछल आज

िजिम किर िनकर दलइ मगराज लइ लपिट लवा िजिम बाज ३

तसिह भरतिह सन समता सानज िनदिर िनपातउ खता

जौ सहाय कर सकर आई तौ मारउ रन राम दोहाई ४

दोहा अित सरोष माख लखन लिख सिन सपथ वान

सभय लोक सब लोकपित चाहत भभिर भगान २३०

जग भय मगन गगन भइ बानी लखन बाहबल िबपल बखानी

तात ताप भाउ तमहारा को किह सकइ को जानिनहारा १

अनिचत उिचत काज िकछ होऊ समिझ किरअ भल कह सब कोऊ

सहसा किर पाछ पिछताही कहिह बद बध त बध नाही २

सिन सर बचन लखन सकचान राम सीय सादर सनमान

कही तात तमह नीित सहाई सब त किठन राजमद भाई ३

जो अचवत नप मातिह तई नािहन साधसभा जिह सई

सनह लखन भल भरत सरीसा िबिध पच मह सना न दीसा ४

दोहा भरतिह होइ न राजमद िबिध हिर हर पद पाइ

रामचिरतमानस - 105 - अयोधयाकाड

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कबह िक काजी सीकरिन छीरिसध िबनसाइ २३१

ितिमर तरन तरिनिह मक िगलई गगन मगन मक मघिह िमलई

गोपद जल बड़िह घटजोनी सहज छमा बर छाड़ छोनी १

मसक फक मक मर उड़ाई होइ न नपमद भरतिह भाई

लखन तमहार सपथ िपत आना सिच सबध निह भरत समाना २

सगन खीर अवगन जल ताता िमलइ रचइ परपच िबधाता

भरत हस रिबबस तड़ागा जनिम कीनह गन दोष िबभागा ३

गिह गन पय तिज अवगन बारी िनज जस जगत कीिनह उिजआरी

कहत भरत गन सील सभाऊ पम पयोिध मगन रघराऊ ४

दोहा सिन रघबर बानी िबबध दिख भरत पर हत सकल सराहत राम सो भ को कपािनकत २३२

जौ न होत जग जनम भरत को सकल धरम धर धरिन धरत को

किब कल अगम भरत गन गाथा को जानइ तमह िबन रघनाथा १

लखन राम िसय सिन सर बानी अित सख लहउ न जाइ बखानी

इहा भरत सब सिहत सहाए मदािकनी पनीत नहाए २

सिरत समीप रािख सब लोगा मािग मात गर सिचव िनयोगा

चल भरत जह िसय रघराई साथ िनषादनाथ लघ भाई ३

समिझ मात करतब सकचाही करत कतरक कोिट मन माही

राम लखन िसय सिन मम नाऊ उिठ जिन अनत जािह तिज ठाऊ ४

दोहा मात मत मह मािन मोिह जो कछ करिह सो थोर

अघ अवगन छिम आदरिह समिझ आपनी ओर २३३

जौ पिरहरिह मिलन मन जानी जौ सनमानिह सवक मानी

मोर सरन रामिह की पनही राम ससवािम दोस सब जनही १

रामचिरतमानस - 106 - अयोधयाकाड

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जग जस भाजन चातक मीना नम पम िनज िनपन नबीना

अस मन गनत चल मग जाता सकच सनह िसिथल सब गाता २

फरत मनह मात कत खोरी चलत भगित बल धीरज धोरी

जब समझत रघनाथ सभाऊ तब पथ परत उताइल पाऊ ३

भरत दसा तिह अवसर कसी जल बाह जल अिल गित जसी

दिख भरत कर सोच सनह भा िनषाद तिह समय िबदह ४

दोहा लग होन मगल सगन सिन गिन कहत िनषाद िमिटिह सोच होइिह हरष पिन पिरनाम िबषाद २३४

सवक बचन सतय सब जान आ म िनकट जाइ िनअरान

भरत दीख बन सल समाज मिदत छिधत जन पाइ सनाज १

ईित भीित जन जा दखारी ि िबध ताप पीिड़त ह मारी

जाइ सराज सदस सखारी होिह भरत गित तिह अनहारी २

राम बास बन सपित ाजा सखी जा जन पाइ सराजा

सिचव िबराग िबबक नरस िबिपन सहावन पावन दस ३

भट जम िनयम सल रजधानी साित समित सिच सदर रानी

सकल अग सपनन सराऊ राम चरन आि त िचत चाऊ ४

दोहा जीित मोह मिहपाल दल सिहत िबबक भआल

करत अकटक राज पर सख सपदा सकाल २३५

बन दस मिन बास घनर जन पर नगर गाउ गन खर

िबपल िबिच िबहग मग नाना जा समाज न जाइ बखाना १

खगहा किर हिर बाघ बराहा दिख मिहष बष साज सराहा

बयर िबहाइ चरिह एक सगा जह तह मनह सन चतरगा २

झरना झरिह म गज गाजिह मनह िनसान िबिबिध िबिध बाजिह

चक चकोर चातक सक िपक गन कजत मज मराल मिदत मन ३

रामचिरतमानस - 107 - अयोधयाकाड

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अिलगन गावत नाचत मोरा जन सराज मगल चह ओरा

बिल िबटप तन सफल सफला सब समाज मद मगल मला ४

दोहा राम सल सोभा िनरिख भरत हदय अित पम तापस तप फल पाइ िजिम सखी िसरान नम २३६

मासपारायण बीसवा िव ाम

नवा पारायण पाचवा िव ाम

तब कवट ऊच चिढ़ धाई कहउ भरत सन भजा उठाई

नाथ दिखअिह िबटप िबसाला पाकिर जब रसाल तमाला १

िजनह तरबरनह मधय बट सोहा मज िबसाल दिख मन मोहा

नील सघन पललव फल लाला अिबरल छाह सखद सब काला २

मानह ितिमर अरनमय रासी िबरची िबिध सकिल सषमा सी

ए तर सिरत समीप गोसाई रघबर परनकटी जह छाई ३

तलसी तरबर िबिबध सहाए कह कह िसय कह लखन लगाए

बट छाया बिदका बनाई िसय िनज पािन सरोज सहाई ४

दोहा जहा बिठ मिनगन सिहत िनत िसय राम सजान

सनिह कथा इितहास सब आगम िनगम परान २३७

सखा बचन सिन िबटप िनहारी उमग भरत िबलोचन बारी

करत नाम चल दोउ भाई कहत ीित सारद सकचाई १

हरषिह िनरिख राम पद अका मानह पारस पायउ रका

रज िसर धिर िहय नयनिनह लाविहरघबर िमलन सिरस सख पाविह २

दिख भरत गित अकथ अतीवा म मगन मग खग जड़ जीवा

सखिह सनह िबबस मग भला किह सपथ सर बरषिह फला ३

िनरिख िस साधक अनराग सहज सनह सराहन लाग

रामचिरतमानस - 108 - अयोधयाकाड

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होत न भतल भाउ भरत को अचर सचर चर अचर करत को ४

दोहा पम अिमअ मदर िबरह भरत पयोिध गभीर

मिथ गटउ सर साध िहत कपािसध रघबीर २३८

सखा समत मनोहर जोटा लखउ न लखन सघन बन ओटा

भरत दीख भ आ म पावन सकल समगल सदन सहावन १

करत बस िमट दख दा वा जन जोगी परमारथ पावा

दख भरत लखन भ आग पछ बचन कहत अनराग २

सीस जटा किट मिन पट बाध तन कस कर सर धन काध

बदी पर मिन साध समाज सीय सिहत राजत रघराज ३

बलकल बसन जिटल तन सयामा जन मिन बष कीनह रित कामा

कर कमलिन धन सायक फरत िजय की जरिन हरत हिस हरत ४

दोहा लसत मज मिन मडली मधय सीय रघचद

गयान सभा जन तन धर भगित सिचचदानद २३९

सानज सखा समत मगन मन िबसर हरष सोक सख दख गन

पािह नाथ किह पािह गोसाई भतल पर लकट की नाई १

बचन सपम लखन पिहचान करत नाम भरत िजय जान

बध सनह सरस एिह ओरा उत सािहब सवा बस जोरा २

िमिल न जाइ निह गदरत बनई सकिब लखन मन की गित भनई

रह रािख सवा पर भार चढ़ी चग जन खच खलार ३

कहत स म नाइ मिह माथा भरत नाम करत रघनाथा

उठ राम सिन पम अधीरा कह पट कह िनषग धन तीरा ४

दोहा बरबस िलए उठाइ उर लाए कपािनधान

रामचिरतमानस - 109 - अयोधयाकाड

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भरत राम की िमलिन लिख िबसर सबिह अपान २४०

िमलिन ीित िकिम जाइ बखानी किबकल अगम करम मन बानी

परम पम परन दोउ भाई मन बिध िचत अहिमित िबसराई १

कहह सपम गट को करई किह छाया किब मित अनसरई

किबिह अरथ आखर बल साचा अनहिर ताल गितिह नट नाचा २

अगम सनह भरत रघबर को जह न जाइ मन िबिध हिर हर को

सो म कमित कहौ किह भाती बाज सराग िक गाडर ताती ३

िमलिन िबलोिक भरत रघबर की सरगन सभय धकधकी धरकी

समझाए सरगर जड़ जाग बरिष सन ससन लाग ४

दोहा िमिल सपम िरपसदनिह कवट भटउ राम

भिर भाय भट भरत लिछमन करत नाम २४१

भटउ लखन ललिक लघ भाई बहिर िनषाद लीनह उर लाई

पिन मिनगन दह भाइनह बद अिभमत आिसष पाइ अनद १

सानज भरत उमिग अनरागा धिर िसर िसय पद पदम परागा

पिन पिन करत नाम उठाए िसर कर कमल परिस बठाए २

सीय असीस दीिनह मन माही मगन सनह दह सिध नाही

सब िबिध सानकल लिख सीता भ िनसोच उर अपडर बीता ३

कोउ िकछ कहइ न कोउ िकछ पछा म भरा मन िनज गित छछा

तिह अवसर कवट धीरज धिर जोिर पािन िबनवत नाम किर ४

दोहा नाथ साथ मिननाथ क मात सकल पर लोग

सवक सनप सिचव सब आए िबकल िबयोग २४२

सीलिसध सिन गर आगवन िसय समीप राख िरपदवन

चल सबग राम तिह काला धीर धरम धर दीनदयाला १

रामचिरतमानस - 110 - अयोधयाकाड

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गरिह दिख सानज अनराग दड नाम करन भ लाग

मिनबर धाइ िलए उर लाई म उमिग भट दोउ भाई २ म पलिक कवट किह नाम कीनह दिर त दड नाम

रामसखा िरिष बरबस भटा जन मिह लठत सनह समटा ३

रघपित भगित समगल मला नभ सरािह सर बिरसिह फला

एिह सम िनपट नीच कोउ नाही बड़ बिस सम को जग माही ४

दोहा जिह लिख लखनह त अिधक िमल मिदत मिनराउ

सो सीतापित भजन को गट ताप भाउ २४३

आरत लोग राम सब जाना करनाकर सजान भगवाना

जो जिह भाय रहा अिभलाषी तिह तिह क तिस तिस रख राखी १

सानज िमिल पल मह सब काह कीनह दिर दख दारन दाह

यह बिड़ बात राम क नाही िजिम घट कोिट एक रिब छाही २

िमिल कविटिह उमिग अनरागा परजन सकल सराहिह भागा

दखी राम दिखत महतारी जन सबिल अवली िहम मारी ३

थम राम भटी ककई सरल सभाय भगित मित भई

पग पिर कीनह बोध बहोरी काल करम िबिध िसर धिर खोरी ४

दोहा भटी रघबर मात सब किर बोध पिरतोष

अब ईस आधीन जग काह न दइअ दोष २४४

गरितय पद बद दह भाई सिहत िब ितय ज सग आई

गग गौिर सम सब सनमानी दिह असीस मिदत मद बानी १

गिह पद लग सिम ा अका जन भटी सपित अित रका

पिन जनिन चरनिन दोउ ाता पर पम बयाकल सब गाता २

अित अनराग अब उर लाए नयन सनह सिलल अनहवाए

तिह अवसर कर हरष िबषाद िकिम किब कह मक िजिम सवाद ३

रामचिरतमानस - 111 - अयोधयाकाड

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िमिल जननिह सानज रघराऊ गर सन कहउ िक धािरअ पाऊ

परजन पाइ मनीस िनयोग जल थल तिक तिक उतरउ लोग ४

दोहा मिहसर म ी मात गर गन लोग िलए साथ

पावन आ म गवन िकय भरत लखन रघनाथ २४५

सीय आइ मिनबर पग लागी उिचत असीस लही मन मागी

गरपितिनिह मिनितयनह समता िमली पम किह जाइ न जता १

बिद बिद पग िसय सबही क आिसरबचन लह ि य जी क

सास सकल जब सीय िनहारी मद नयन सहिम सकमारी २

परी बिधक बस मनह मराली काह कीनह करतार कचाली

ितनह िसय िनरिख िनपट दख पावा सो सब सिहअ जो दउ सहावा ३

जनकसता तब उर धिर धीरा नील निलन लोयन भिर नीरा

िमली सकल सासनह िसय जाई तिह अवसर करना मिह छाई ४

दोहा लािग लािग पग सबिन िसय भटित अित अनराग

हदय असीसिह पम बस रिहअह भरी सोहाग २४६

िबकल सनह सीय सब रानी बठन सबिह कहउ गर गयानी

किह जग गित माियक मिननाथा कह कछक परमारथ गाथा १

नप कर सरपर गवन सनावा सिन रघनाथ दसह दख पावा

मरन हत िनज नह िबचारी भ अित िबकल धीर धर धारी २

किलस कठोर सनत कट बानी िबलपत लखन सीय सब रानी

सोक िबकल अित सकल समाज मानह राज अकाजउ आज ३

मिनबर बहिर राम समझाए सिहत समाज ससिरत नहाए

त िनरब तिह िदन भ कीनहा मिनह कह जल काह न लीनहा ४

दोहा

रामचिरतमानस - 112 - अयोधयाकाड

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भोर भए रघनदनिह जो मिन आयस दीनह

ा भगित समत भ सो सब सादर कीनह २४७

किर िपत ि या बद जिस बरनी भ पनीत पातक तम तरनी

जास नाम पावक अघ तला सिमरत सकल समगल मला १

स सो भयउ साध समत अस तीरथ आवाहन सरसिर जस

स भए दइ बासर बीत बोल गर सन रा म िपरीत २

नाथ लोग सब िनपट दखारी कद मल फल अब अहारी

सानज भरत सिचव सब माता दिख मोिह पल िजिम जग जाता ३

सब समत पर धािरअ पाऊ आप इहा अमरावित राऊ

बहत कहउ सब िकयउ िढठाई उिचत होइ तस किरअ गोसाई ४

दोहा धमर सत करनायतन कस न कहह अस राम

लोग दिखत िदन दइ दरस दिख लहह िब ाम २४८

राम बचन सिन सभय समाज जन जलिनिध मह िबकल जहाज

सिन गर िगरा समगल मला भयउ मनह मारत अनकला १

पावन पय ितह काल नहाही जो िबलोिक अघ ओघ नसाही

मगलमरित लोचन भिर भिर िनरखिह हरिष दडवत किर किर २

राम सल बन दखन जाही जह सख सकल सकल दख नाही

झरना झिरिह सधासम बारी ि िबध तापहर ि िबध बयारी ३

िबटप बिल तन अगिनत जाती फल सन पललव बह भाती

सदर िसला सखद तर छाही जाइ बरिन बन छिब किह पाही ४

दोहा सरिन सरोरह जल िबहग कजत गजत भग

बर िबगत िबहरत िबिपन मग िबहग बहरग २४९

कोल िकरात िभलल बनबासी मध सिच सदर सवाद सधा सी

रामचिरतमानस - 113 - अयोधयाकाड

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भिर भिर परन पटी रिच ररी कद मल फल अकर जरी १

सबिह दिह किर िबनय नामा किह किह सवाद भद गन नामा

दिह लोग बह मोल न लही फरत राम दोहाई दही २

कहिह सनह मगन मद बानी मानत साध पम पिहचानी

तमह सकती हम नीच िनषादा पावा दरसन राम सादा ३

हमिह अगम अित दरस तमहारा जस मर धरिन दवधिन धारा

राम कपाल िनषाद नवाजा पिरजन जउ चिहअ जस राजा ४

दोहा यह िजय जािन सकोच तिज किरअ छोह लिख नह

हमिह कतारथ करन लिग फल तन अकर लह २५०

तमह ि य पाहन बन पग धार सवा जोग न भाग हमार

दब काह हम तमहिह गोसाई ईधन पात िकरात िमताई १

यह हमािर अित बिड़ सवकाई लिह न बासन बसन चोराई

हम जड़ जीव जीव गन घाती किटल कचाली कमित कजाती २

पाप करत िनिस बासर जाही निह पट किट निह पट अघाही

सपोनह धरम बि कस काऊ यह रघनदन दरस भाऊ ३

जब त भ पद पदम िनहार िमट दसह दख दोष हमार

बचन सनत परजन अनराग ितनह क भाग सराहन लाग ४ छद

लाग सराहन भाग सब अनराग बचन सनावही बोलिन िमलिन िसय राम चरन सनह लिख सख पावही

नर नािर िनदरिह नह िनज सिन कोल िभललिन की िगरा

तलसी कपा रघबसमिन की लोह ल लौका ितरा

सोरठा िबहरिह बन चह ओर ितिदन मिदत लोग सब

जल जयो दादर मोर भए पीन पावस थम २५१

रामचिरतमानस - 114 - अयोधयाकाड

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पर जन नािर मगन अित ीती बासर जािह पलक सम बीती

सीय सास ित बष बनाई सादर करइ सिरस सवकाई १

लखा न मरम राम िबन काह माया सब िसय माया माह

सीय सास सवा बस कीनही ितनह लिह सख िसख आिसष दीनही २

लिख िसय सिहत सरल दोउ भाई किटल रािन पिछतािन अघाई

अविन जमिह जाचित ककई मिह न बीच िबिध मीच न दई ३

लोकह बद िबिदत किब कहही राम िबमख थल नरक न लहही

यह ससउ सब क मन माही राम गवन िबिध अवध िक नाही ४

दोहा िनिस न नीद निह भख िदन भरत िबकल सिच सोच नीच कीच िबच मगन जस मीनिह सिलल सकोच २५२

कीनही मात िमस काल कचाली ईित भीित जस पाकत साली

किह िबिध होइ राम अिभषक मोिह अवकलत उपाउ न एक १

अविस िफरिह गर आयस मानी मिन पिन कहब राम रिच जानी

मात कहह बहरिह रघराऊ राम जनिन हठ करिब िक काऊ २

मोिह अनचर कर कितक बाता तिह मह कसमउ बाम िबधाता

जौ हठ करउ त िनपट ककरम हरिगिर त गर सवक धरम ३

एकउ जगित न मन ठहरानी सोचत भरतिह रिन िबहानी

ात नहाइ भिह िसर नाई बठत पठए िरषय बोलाई ४

दोहा गर पद कमल नाम किर बठ आयस पाइ

िब महाजन सिचव सब जर सभासद आइ २५३

बोल मिनबर समय समाना सनह सभासद भरत सजाना

धरम धरीन भानकल भान राजा राम सवबस भगवान १

सतयसध पालक ित सत राम जनम जग मगल हत

रामचिरतमानस - 115 - अयोधयाकाड

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गर िपत मात बचन अनसारी खल दल दलन दव िहतकारी २

नीित ीित परमारथ सवारथ कोउ न राम सम जान जथारथ

िबिध हिर हर सिस रिब िदिसपाला माया जीव करम किल काला ३

अिहप मिहप जह लिग भताई जोग िसि िनगमागम गाई

किर िबचार िजय दखह नीक राम रजाइ सीस सबही क ४

दोहा राख राम रजाइ रख हम सब कर िहत होइ

समिझ सयान करह अब सब िमिल समत सोइ २५४

सब कह सखद राम अिभषक मगल मोद मल मग एक

किह िबिध अवध चलिह रघराऊ कहह समिझ सोइ किरअ उपाऊ १

सब सादर सिन मिनबर बानी नय परमारथ सवारथ सानी

उतर न आव लोग भए भोर तब िसर नाइ भरत कर जोर २

भानबस भए भप घनर अिधक एक त एक बड़र

जनम हत सब कह िपत माता करम सभासभ दइ िबधाता ३

दिल दख सजइ सकल कलयाना अस असीस राउिर जग जाना

सो गोसाइ िबिध गित जिह छकी सकइ को टािर टक जो टकी ४

दोहा बिझअ मोिह उपाउ अब सो सब मोर अभाग

सिन सनहमय बचन गर उर उमगा अनराग २५५

तात बात फिर राम कपाही राम िबमख िसिध सपनह नाही

सकचउ तात कहत एक बाता अरध तजिह बध सरबस जाता १

तमह कानन गवनह दोउ भाई फिरअिह लखन सीय रघराई

सिन सबचन हरष दोउ ाता भ मोद पिरपरन गाता २

मन सनन तन तज िबराजा जन िजय राउ राम भए राजा

बहत लाभ लोगनह लघ हानी सम दख सख सब रोविह रानी ३

कहिह भरत मिन कहा सो कीनह फल जग जीवनह अिभमत दीनह

रामचिरतमानस - 116 - अयोधयाकाड

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कानन करउ जनम भिर बास एिह त अिधक न मोर सपास ४

दोहा अतरजामी राम िसय तमह सरबगय सजान

जो फर कहह त नाथ िनज कीिजअ बचन वान २५६

भरत बचन सिन दिख सनह सभा सिहत मिन भए िबदह

भरत महा मिहमा जलरासी मिन मित ठािढ़ तीर अबला सी १

गा चह पार जतन िहय हरा पावित नाव न बोिहत बरा

और किरिह को भरत बड़ाई सरसी सीिप िक िसध समाई २

भरत मिनिह मन भीतर भाए सिहत समाज राम पिह आए

भ नाम किर दीनह सआसन बठ सब सिन मिन अनसासन ३

बोल मिनबर बचन िबचारी दस काल अवसर अनहारी

सनह राम सरबगय सजाना धरम नीित गन गयान िनधाना ४

दोहा सब क उर अतर बसह जानह भाउ कभाउ

परजन जननी भरत िहत होइ सो किहअ उपाउ २५७

आरत कहिह िबचािर न काऊ सझ जआिरिह आपन दाऊ

सिन मिन बचन कहत रघराऊ नाथ तमहारिह हाथ उपाऊ १

सब कर िहत रख राउिर राख आयस िकए मिदत फर भाष

थम जो आयस मो कह होई माथ मािन करौ िसख सोई २

पिन जिह कह जस कहब गोसाई सो सब भाित घिटिह सवकाई

कह मिन राम सतय तमह भाषा भरत सनह िबचार न राखा ३

तिह त कहउ बहोिर बहोरी भरत भगित बस भइ मित मोरी

मोर जान भरत रिच रािख जो कीिजअ सो सभ िसव साखी ४

दोहा भरत िबनय सादर सिनअ किरअ िबचार बहोिर

रामचिरतमानस - 117 - अयोधयाकाड

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करब साधमत लोकमत नपनय िनगम िनचोिर २५८

गर अनराग भरत पर दखी राम हदय आनद िबसषी

भरतिह धरम धरधर जानी िनज सवक तन मानस बानी १

बोल गर आयस अनकला बचन मज मद मगलमला

नाथ सपथ िपत चरन दोहाई भयउ न भअन भरत सम भाई २

ज गर पद अबज अनरागी त लोकह बदह बड़भागी

राउर जा पर अस अनराग को किह सकइ भरत कर भाग ३

लिख लघ बध बि सकचाई करत बदन पर भरत बड़ाई

भरत कहही सोइ िकए भलाई अस किह राम रह अरगाई ४

दोहा तब मिन बोल भरत सन सब सकोच तिज तात

कपािसध ि य बध सन कहह हदय क बात २५९

सिन मिन बचन राम रख पाई गर सािहब अनकल अघाई

लिख अपन िसर सब छर भार किह न सकिह कछ करिह िबचार १

पलिक सरीर सभा भए ठाढ नीरज नयन नह जल बाढ़

कहब मोर मिननाथ िनबाहा एिह त अिधक कहौ म काहा २

म जानउ िनज नाथ सभाऊ अपरािधह पर कोह न काऊ

मो पर कपा सनह िबसषी खलत खिनस न कबह दखी ३

िससपन तम पिरहरउ न सग कबह न कीनह मोर मन भग

म भ कपा रीित िजय जोही हारह खल िजताविह मोही ४

दोहा मह सनह सकोच बस सनमख कही न बन

दरसन तिपत न आज लिग पम िपआस नन २६०

िबिध न सकउ सिह मोर दलारा नीच बीच जननी िमस पारा

यहउ कहत मोिह आज न सोभा अपनी समिझ साध सिच को भा १

रामचिरतमानस - 118 - अयोधयाकाड

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मात मिद म साध सचाली उर अस आनत कोिट कचाली

फरइ िक कोदव बािल ससाली मकता सव िक सबक काली २

सपनह दोसक लस न काह मोर अभाग उदिध अवगाह

िबन समझ िनज अघ पिरपाक जािरउ जाय जनिन किह काक ३

हदय हिर हारउ सब ओरा एकिह भाित भलिह भल मोरा

गर गोसाइ सािहब िसय राम लागत मोिह नीक पिरनाम ४

दोहा साध सभा गर भ िनकट कहउ सथल सित भाउ

म पच िक झठ फर जानिह मिन रघराउ २६१

भपित मरन पम पन राखी जननी कमित जगत सब साखी

दिख न जािह िबकल महतारी जरिह दसह जर पर नर नारी १

मही सकल अनरथ कर मला सो सिन समिझ सिहउ सब सला

सिन बन गवन कीनह रघनाथा किर मिन बष लखन िसय साथा २

िबन पानिहनह पयादिह पाए सकर सािख रहउ एिह घाए

बहिर िनहार िनषाद सनह किलस किठन उर भयउ न बह ३

अब सब आिखनह दखउ आई िजअत जीव जड़ सबइ सहाई

िजनहिह िनरिख मग सािपिन बीछी तजिह िबषम िबष तामस तीछी४

दोहा तइ रघनदन लखन िसय अनिहत लाग जािह

तास तनय तिज दसह दख दउ सहावइ कािह २६२

सिन अित िबकल भरत बर बानी आरित ीित िबनय नय सानी

सोक मगन सब सभा खभार मनह कमल बन परउ तसार १

किह अनक िबिध कथा परानी भरत बोध कीनह मिन गयानी

बोल उिचत बचन रघनद िदनकर कल करव बन चद २

तात जाय िजय करह गलानी ईस अधीन जीव गित जानी

तीिन काल ितभअन मत मोर पनयिसलोक तात तर तोर ३

रामचिरतमानस - 119 - अयोधयाकाड

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उर आनत तमह पर किटलाई जाइ लोक परलोक नसाई

दोस दिह जनिनिह जड़ तई िजनह गर साध सभा निह सई ४

दोहा िमिटहिह पाप पच सब अिखल अमगल भार लोक सजस परलोक सख सिमरत नाम तमहार २६३

कहउ सभाउ सतय िसव साखी भरत भिम रह राउिर राखी

तात कतरक करह जिन जाए बर पम निह दरइ दराए १

मिन गन िनकट िबहग मग जाही बाधक बिधक िबलोिक पराही

िहत अनिहत पस पिचछउ जाना मानष तन गन गयान िनधाना २

तात तमहिह म जानउ नीक करौ काह असमजस जीक

राखउ राय सतय मोिह तयागी तन पिरहरउ पम पन लागी ३

तास बचन मटत मन सोच तिह त अिधक तमहार सकोच

ता पर गर मोिह आयस दीनहा अविस जो कहह चहउ सोइ कीनहा ४

दोहा मन सनन किर सकच तिज कहह करौ सोइ आज

सतयसध रघबर बचन सिन भा सखी समाज २६४

सर गन सिहत सभय सरराज सोचिह चाहत होन अकाज

बनत उपाउ करत कछ नाही राम सरन सब ग मन माही १

बहिर िबचािर परसपर कहही रघपित भगत भगित बस अहही

सिध किर अबरीष दरबासा भ सर सरपित िनपट िनरासा २

सह सरनह बह काल िबषादा नरहिर िकए गट हलादा

लिग लिग कान कहिह धिन माथा अब सर काज भरत क हाथा ३

आन उपाउ न दिखअ दवा मानत राम ससवक सवा

िहय सपम सिमरह सब भरतिह िनज गन सील राम बस करतिह ४

दोहा

रामचिरतमानस - 120 - अयोधयाकाड

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सिन सर मत सरगर कहउ भल तमहार बड़ भाग

सकल समगल मल जग भरत चरन अनराग २६५

सीतापित सवक सवकाई कामधन सय सिरस सहाई

भरत भगित तमहर मन आई तजह सोच िबिध बात बनाई १

दख दवपित भरत भाऊ सहज सभाय िबबस रघराऊ

मन िथर करह दव डर नाही भरतिह जािन राम पिरछाही २

सनो सरगर सर समत सोच अतरजामी भिह सकोच

िनज िसर भार भरत िजय जाना करत कोिट िबिध उर अनमाना ३

किर िबचार मन दीनही ठीका राम रजायस आपन नीका

िनज पन तिज राखउ पन मोरा छोह सनह कीनह निह थोरा ४

दोहा कीनह अन ह अिमत अित सब िबिध सीतानाथ

किर नाम बोल भरत जोिर जलज जग हाथ २६६

कहौ कहावौ का अब सवामी कपा अबिनिध अतरजामी

गर सनन सािहब अनकला िमटी मिलन मन कलिपत सला १

अपडर डरउ न सोच समल रिबिह न दोस दव िदिस भल

मोर अभाग मात किटलाई िबिध गित िबषम काल किठनाई २

पाउ रोिप सब िमिल मोिह घाला नतपाल पन आपन पाला

यह नइ रीित न राउिर होई लोकह बद िबिदत निह गोई ३

जग अनभल भल एक गोसाई किहअ होइ भल कास भलाई

दउ दवतर सिरस सभाऊ सनमख िबमख न काहिह काऊ ४

दोहा जाइ िनकट पिहचािन तर छाह समिन सब सोच

मागत अिभमत पाव जग राउ रक भल पोच २६७

लिख सब िबिध गर सवािम सनह िमटउ छोभ निह मन सदह

रामचिरतमानस - 121 - अयोधयाकाड

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अब करनाकर कीिजअ सोई जन िहत भ िचत छोभ न होई १

जो सवक सािहबिह सकोची िनज िहत चहइ तास मित पोची

सवक िहत सािहब सवकाई कर सकल सख लोभ िबहाई २

सवारथ नाथ िफर सबही का िकए रजाइ कोिट िबिध नीका

यह सवारथ परमारथ सार सकल सकत फल सगित िसगार ३

दव एक िबनती सिन मोरी उिचत होइ तस करब बहोरी

ितलक समाज सािज सब आना किरअ सफल भ जौ मन माना ४

दोहा सानज पठइअ मोिह बन कीिजअ सबिह सनाथ नतर फिरअिह बध दोउ नाथ चलौ म साथ २६८

नतर जािह बन तीिनउ भाई बहिरअ सीय सिहत रघराई

जिह िबिध भ सनन मन होई करना सागर कीिजअ सोई १

दव दीनह सब मोिह अभार मोर नीित न धरम िबचार

कहउ बचन सब सवारथ हत रहत न आरत क िचत चत २

उतर दइ सिन सवािम रजाई सो सवक लिख लाज लजाई

अस म अवगन उदिध अगाध सवािम सनह सराहत साध ३

अब कपाल मोिह सो मत भावा सकच सवािम मन जाइ न पावा

भ पद सपथ कहउ सित भाऊ जग मगल िहत एक उपाऊ ४

दोहा भ सनन मन सकच तिज जो जिह आयस दब

सो िसर धिर धिर किरिह सब िमिटिह अनट अवरब २६९

भरत बचन सिच सिन सर हरष साध सरािह समन सर बरष

असमजस बस अवध नवासी मिदत मन तापस बनबासी १

चपिह रह रघनाथ सकोची भ गित दिख सभा सब सोची

जनक दत तिह अवसर आए मिन बिस सिन बिग बोलाए २

किर नाम ितनह राम िनहार बष दिख भए िनपट दखार

रामचिरतमानस - 122 - अयोधयाकाड

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दतनह मिनबर बझी बाता कहह िबदह भप कसलाता ३

सिन सकचाइ नाइ मिह माथा बोल चर बर जोर हाथा

बझब राउर सादर साई कसल हत सो भयउ गोसाई ४

दोहा नािह त कोसल नाथ क साथ कसल गइ नाथ

िमिथला अवध िबसष त जग सब भयउ अनाथ २७०

कोसलपित गित सिन जनकौरा भ सब लोक सोक बस बौरा

जिह दख तिह समय िबदह नाम सतय अस लाग न कह १

रािन कचािल सनत नरपालिह सझ न कछ जस मिन िबन बयालिह

भरत राज रघबर बनबास भा िमिथलसिह हदय हरास २

नप बझ बध सिचव समाज कहह िबचािर उिचत का आज

समिझ अवध असमजस दोऊ चिलअ िक रिहअ न कह कछ कोऊ ३

नपिह धीर धिर हदय िबचारी पठए अवध चतर चर चारी

बिझ भरत सित भाउ कभाऊ आएह बिग न होइ लखाऊ ४

दोहा गए अवध चर भरत गित बिझ दिख करतित

चल िच कटिह भरत चार चल तरहित २७१

दतनह आइ भरत कइ करनी जनक समाज जथामित बरनी

सिन गर पिरजन सिचव महीपित भ सब सोच सनह िबकल अित १

धिर धीरज किर भरत बड़ाई िलए सभट साहनी बोलाई

घर पर दस रािख रखवार हय गय रथ बह जान सवार २

दघरी सािध चल ततकाला िकए िब ाम न मग महीपाला

भोरिह आज नहाइ यागा चल जमन उतरन सब लागा ३

खबिर लन हम पठए नाथा ितनह किह अस मिह नायउ माथा

साथ िकरात छ सातक दीनह मिनबर तरत िबदा चर कीनह ४

रामचिरतमानस - 123 - अयोधयाकाड

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दोहा सनत जनक आगवन सब हरषउ अवध समाज

रघनदनिह सकोच बड़ सोच िबबस सरराज २७२

गरइ गलािन किटल ककई कािह कह किह दषन दई

अस मन आिन मिदत नर नारी भयउ बहोिर रहब िदन चारी १

एिह कार गत बासर सोऊ ात नहान लाग सब कोऊ

किर मजजन पजिह नर नारी गनप गौिर ितपरािर तमारी २

रमा रमन पद बिद बहोरी िबनविह अजिल अचल जोरी

राजा राम जानकी रानी आनद अविध अवध रजधानी ३

सबस बसउ िफिर सिहत समाजा भरतिह राम करह जबराजा

एिह सख सधा सीची सब काह दव दह जग जीवन लाह ४

दोहा गर समाज भाइनह सिहत राम राज पर होउ

अछत राम राजा अवध मिरअ माग सब कोउ २७३

सिन सनहमय परजन बानी िनदिह जोग िबरित मिन गयानी

एिह िबिध िनतयकरम किर परजन रामिह करिह नाम पलिक तन १

ऊच नीच मधयम नर नारी लहिह दरस िनज िनज अनहारी

सावधान सबही सनमानिह सकल सराहत कपािनधानिह २

लिरकाइिह त रघबर बानी पालत नीित ीित पिहचानी

सील सकोच िसध रघराऊ समख सलोचन सरल सभाऊ ३

कहत राम गन गन अनराग सब िनज भाग सराहन लाग

हम सम पनय पज जग थोर िजनहिह राम जानत किर मोर ४

दोहा म मगन तिह समय सब सिन आवत िमिथलस

सिहत सभा स म उठउ रिबकल कमल िदनस २७४

रामचिरतमानस - 124 - अयोधयाकाड

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भाइ सिचव गर परजन साथा आग गवन कीनह रघनाथा

िगिरबर दीख जनकपित जबही किर नाम रथ तयागउ तबही १

राम दरस लालसा उछाह पथ म लस कलस न काह

मन तह जह रघबर बदही िबन मन तन दख सख सिध कही २

आवत जनक चल एिह भाती सिहत समाज म मित माती

आए िनकट दिख अनराग सादर िमलन परसपर लाग ३

लग जनक मिनजन पद बदन िरिषनह नाम कीनह रघनदन

भाइनह सिहत राम िमिल राजिह चल लवाइ समत समाजिह ४

दोहा आ म सागर सात रस परन पावन पाथ

सन मनह करना सिरत िलए जािह रघनाथ २७५

बोरित गयान िबराग करार बचन ससोक िमलत नद नार

सोच उसास समीर तरगा धीरज तट तरबर कर भगा १

िबषम िबषाद तोरावित धारा भय म भवर अबतर अपारा

कवट बध िब ा बिड़ नावा सकिह न खइ ऐक निह आवा २

बनचर कोल िकरात िबचार थक िबलोिक पिथक िहय हार

आ म उदिध िमली जब जाई मनह उठउ अबिध अकलाई ३

सोक िबकल दोउ राज समाजा रहा न गयान न धीरज लाजा

भप रप गन सील सराही रोविह सोक िसध अवगाही ४ छद

अवगािह सोक सम सोचिह नािर नर बयाकल महा

द दोष सकल सरोष बोलिह बाम िबिध कीनहो कहा

सर िस तापस जोिगजन मिन दिख दसा िबदह की तलसी न समरथ कोउ जो तिर सक सिरत सनह की

सोरठा

िकए अिमत उपदस जह तह लोगनह मिनबरनह

रामचिरतमानस - 125 - अयोधयाकाड

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धीरज धिरअ नरस कहउ बिस िबदह सन २७६

जास गयान रिब भव िनिस नासा बचन िकरन मिन कमल िबकासा

तिह िक मोह ममता िनअराई यह िसय राम सनह बड़ाई १

िबषई साधक िस सयान ि िबध जीव जग बद बखान

राम सनह सरस मन जास साध सभा बड़ आदर तास २

सोह न राम पम िबन गयान करनधार िबन िजिम जलजान

मिन बहिबिध िबदह समझाए रामघाट सब लोग नहाए ३

सकल सोक सकल नर नारी सो बासर बीतउ िबन बारी

पस खग मगनह न कीनह अहार ि य पिरजन कर कौन िबचार ४

दोहा दोउ समाज िनिमराज रघराज नहान ात बठ सब बट िबटप तर मन मलीन कस गात २७७

ज मिहसर दसरथ पर बासी ज िमिथलापित नगर िनवासी

हस बस गर जनक परोधा िजनह जग मग परमारथ सोधा १

लग कहन उपदस अनका सिहत धरम नय िबरित िबबका

कौिसक किह किह कथा परानी समझाई सब सभा सबानी २

तब रघनाथ कोिसकिह कहऊ नाथ कािल जल िबन सब रहऊ

मिन कह उिचत कहत रघराई गयउ बीित िदन पहर अढ़ाई ३

िरिष रख लिख कह तरहितराज इहा उिचत निह असन अनाज

कहा भप भल सबिह सोहाना पाइ रजायस चल नहाना ४

दोहा तिह अवसर फल फल दल मल अनक कार

लइ आए बनचर िबपल भिर भिर काविर भार २७८

कामद म िगिर राम सादा अवलोकत अपहरत िबषादा

सर सिरता बन भिम िबभागा जन उमगत आनद अनरागा १

रामचिरतमानस - 126 - अयोधयाकाड

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बिल िबटप सब सफल सफला बोलत खग मग अिल अनकला

तिह अवसर बन अिधक उछाह ि िबध समीर सखद सब काह २

जाइ न बरिन मनोहरताई जन मिह करित जनक पहनाई

तब सब लोग नहाइ नहाई राम जनक मिन आयस पाई ३

दिख दिख तरबर अनराग जह तह परजन उतरन लाग

दल फल मल कद िबिध नाना पावन सदर सधा समाना ४

दोहा सादर सब कह रामगर पठए भिर भिर भार

पिज िपतर सर अितिथ गर लग करन फरहार २७९

एिह िबिध बासर बीत चारी राम िनरिख नर नािर सखारी

दह समाज अिस रिच मन माही िबन िसय राम िफरब भल नाही १

सीता राम सग बनबास कोिट अमरपर सिरस सपास

पिरहिर लखन राम बदही जिह घर भाव बाम िबिध तही २

दािहन दइउ होइ जब सबही राम समीप बिसअ बन तबही

मदािकिन मजजन ितह काला राम दरस मद मगल माला ३

अटन राम िगिर बन तापस थल असन अिमअ सम कद मल फल

सख समत सबत दइ साता पल सम होिह न जिनअिह जाता ४

दोहा एिह सख जोग न लोग सब कहिह कहा अस भाग

सहज सभाय समाज दह राम चरन अनराग २८०

एिह िबिध सकल मनोरथ करही बचन स म सनत मन हरही

सीय मात तिह समय पठाई दासी दिख सअवसर आई १

सावकास सिन सब िसय सास आयउ जनकराज रिनवास

कौसलया सादर सनमानी आसन िदए समय सम आनी २

सील सनह सकल दह ओरा विह दिख सिन किलस कठोरा

पलक िसिथल तन बािर िबलोचन मिह नख िलखन लगी सब सोचन३

रामचिरतमानस - 127 - अयोधयाकाड

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सब िसय राम ीित िक िस मरती जन करना बह बष िबसरित

सीय मात कह िबिध बिध बाकी जो पय फन फोर पिब टाकी ४

दोहा सिनअ सधा दिखअिह गरल सब करतित कराल

जह तह काक उलक बक मानस सकत मराल २८१

सिन ससोच कह दिब सिम ा िबिध गित बिड़ िबपरीत िबिच ा

जो सिज पालइ हरइ बहोरी बाल किल सम िबिध मित भोरी १

कौसलया कह दोस न काह करम िबबस दख सख छित लाह

किठन करम गित जान िबधाता जो सभ असभ सकल फल दाता २

ईस रजाइ सीस सबही क उतपित िथित लय िबषह अमी क

दिब मोह बस सोिचअ बादी िबिध पच अस अचल अनादी ३

भपित िजअब मरब उर आनी सोिचअ सिख लिख िनज िहत हानी

सीय मात कह सतय सबानी सकती अविध अवधपित रानी ४

दोहा लखन राम िसय जाह बन भल पिरनाम न पोच

गहबिर िहय कह कौिसला मोिह भरत कर सोच २८२

ईस साद असीस तमहारी सत सतबध दवसिर बारी

राम सपथ म कीनह न काऊ सो किर कहउ सखी सित भाऊ १

भरत सील गन िबनय बड़ाई भायप भगित भरोस भलाई

कहत सारदह कर मित हीच सागर सीप िक जािह उलीच २

जानउ सदा भरत कलदीपा बार बार मोिह कहउ महीपा

कस कनक मिन पािरिख पाए परष पिरिखअिह समय सभाए ३

अनिचत आज कहब अस मोरा सोक सनह सयानप थोरा

सिन सरसिर सम पाविन बानी भई सनह िबकल सब रानी ४

रामचिरतमानस - 128 - अयोधयाकाड

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दोहा कौसलया कह धीर धिर सनह दिब िमिथलिस को िबबकिनिध बललभिह तमहिह सकइ उपदिस २८३

रािन राय सन अवसर पाई अपनी भाित कहब समझाई

रिखअिह लखन भरत गबनिह बन जौ यह मत मान महीप मन १

तौ भल जतन करब सिबचारी मोर सौच भरत कर भारी

गढ़ सनह भरत मन माही रह नीक मोिह लागत नाही २

लिख सभाउ सिन सरल सबानी सब भइ मगन करन रस रानी

नभ सन झिर धनय धनय धिन िसिथल सनह िस जोगी मिन ३

सब रिनवास िबथिक लिख रहऊ तब धिर धीर सिम ा कहऊ

दिब दड जग जािमिन बीती राम मात सनी उठी स ीती ४

दोहा बिग पाउ धािरअ थलिह कह सनह सितभाय

हमर तौ अब ईस गित क िमिथलस सहाय २८४

लिख सनह सिन बचन िबनीता जनकि या गह पाय पनीता

दिब उिचत अिस िबनय तमहारी दसरथ घिरिन राम महतारी १

भ अपन नीचह आदरही अिगिन धम िगिर िसर ितन धरही

सवक राउ करम मन बानी सदा सहाय महस भवानी २

रउर अग जोग जग को ह दीप सहाय िक िदनकर सोह

राम जाइ बन किर सर काज अचल अवधपर किरहिह राज ३

अमर नाग नर राम बाहबल सख बिसहिह अपन अपन थल

यह सब जागबिलक किह राखा दिब न होइ मधा मिन भाषा ४

दोहा अस किह पग पिर पम अित िसय िहत िबनय सनाइ

िसय समत िसयमात तब चली सआयस पाइ २८५

रामचिरतमानस - 129 - अयोधयाकाड

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ि य पिरजनिह िमली बदही जो जिह जोग भाित तिह तही

तापस बष जानकी दखी भा सब िबकल िबषाद िबसषी १

जनक राम गर आयस पाई चल थलिह िसय दखी आई

लीिनह लाइ उर जनक जानकी पाहन पावन पम ान की २

उर उमगउ अबिध अनराग भयउ भप मन मनह पयाग

िसय सनह बट बाढ़त जोहा ता पर राम पम िसस सोहा ३

िचरजीवी मिन गयान िबकल जन बड़त लहउ बाल अवलबन

मोह मगन मित निह िबदह की मिहमा िसय रघबर सनह की ४

दोहा िसय िपत मात सनह बस िबकल न सकी सभािर

धरिनसता धीरज धरउ समउ सधरम िबचािर २८६

तापस बष जनक िसय दखी भयउ पम पिरतोष िबसषी

पि पिव िकए कल दोऊ सजस धवल जग कह सब कोऊ १

िजित सरसिर कीरित सिर तोरी गवन कीनह िबिध अड करोरी

गग अविन थल तीिन बड़र एिह िकए साध समाज घनर २

िपत कह सतय सनह सबानी सीय सकच मह मनह समानी

पिन िपत मात लीनह उर लाई िसख आिसष िहत दीिनह सहाई ३

कहित न सीय सकिच मन माही इहा बसब रजनी भल नाही

लिख रख रािन जनायउ राऊ हदय सराहत सील सभाऊ ४

दोहा बार बार िमिल भट िसय िबदा कीनह सनमािन

कही समय िसर भरत गित रािन सबािन सयािन २८७

सिन भपाल भरत बयवहार सोन सगध सधा सिस सार

मद सजल नयन पलक तन सजस सराहन लग मिदत मन १

सावधान सन समिख सलोचिन भरत कथा भव बध िबमोचिन

धरम राजनय िबचार इहा जथामित मोर चार २

रामचिरतमानस - 130 - अयोधयाकाड

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सो मित मोिर भरत मिहमाही कह काह छिल छअित न छाही

िबिध गनपित अिहपित िसव सारद किब कोिबद बध बि िबसारद ३

भरत चिरत कीरित करतती धरम सील गन िबमल िबभती

समझत सनत सखद सब काह सिच सरसिर रिच िनदर सधाह ४

दोहा िनरविध गन िनरपम परष भरत भरत सम जािन

किहअ समर िक सर सम किबकल मित सकचािन २८८

अगम सबिह बरनत बरबरनी िजिम जलहीन मीन गम धरनी

भरत अिमत मिहमा सन रानी जानिह राम न सकिह बखानी १

बरिन स म भरत अनभाऊ ितय िजय की रिच लिख कह राऊ

बहरिह लखन भरत बन जाही सब कर भल सब क मन माही २

दिब परत भरत रघबर की ीित तीित जाइ निह तरकी

भरत अविध सनह ममता की ज िप राम सीम समता की ३

परमारथ सवारथ सख सार भरत न सपनह मनह िनहार

साधन िस राम पग नह मोिह लिख परत भरत मत एह ४

दोहा भोरह भरत न पिलहिह मनसह राम रजाइ

किरअ न सोच सनह बस कहउ भप िबलखाइ २८९

राम भरत गन गनत स ीती िनिस दपितिह पलक सम बीती

राज समाज ात जग जाग नहाइ नहाइ सर पजन लाग १

ग नहाइ गर पही रघराई बिद चरन बोल रख पाई

नाथ भरत परजन महतारी सोक िबकल बनबास दखारी २

सिहत समाज राउ िमिथलस बहत िदवस भए सहत कलस

उिचत होइ सोइ कीिजअ नाथा िहत सबही कर रौर हाथा ३

अस किह अित सकच रघराऊ मिन पलक लिख सील सभाऊ

तमह िबन राम सकल सख साजा नरक सिरस दह राज समाजा ४

रामचिरतमानस - 131 - अयोधयाकाड

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दोहा

ान ान क जीव क िजव सख क सख राम

तमह तिज तात सोहात गह िजनहिह ितनहिह िबिध बाम २९०

सो सख करम धरम जिर जाऊ जह न राम पद पकज भाऊ

जोग कजोग गयान अगयान जह निह राम पम परधान १

तमह िबन दखी सखी तमह तही तमह जानह िजय जो जिह कही

राउर आयस िसर सबही क िबिदत कपालिह गित सब नीक २

आप आ मिह धािरअ पाऊ भयउ सनह िसिथल मिनराऊ

किर नाम तब राम िसधाए िरिष धिर धीर जनक पिह आए ३

राम बचन गर नपिह सनाए सील सनह सभाय सहाए

महाराज अब कीिजअ सोई सब कर धरम सिहत िहत होई ४

दोहा गयान िनधान सजान सिच धरम धीर नरपाल

तमह िबन असमजस समन को समरथ एिह काल २९१

सिन मिन बचन जनक अनराग लिख गित गयान िबराग िबराग

िसिथल सनह गनत मन माही आए इहा कीनह भल नाही १

रामिह राय कहउ बन जाना कीनह आप ि य म वाना

हम अब बन त बनिह पठाई मिदत िफरब िबबक बड़ाई २

तापस मिन मिहसर सिन दखी भए म बस िबकल िबसषी

समउ समिझ धिर धीरज राजा चल भरत पिह सिहत समाजा ३

भरत आइ आग भइ लीनह अवसर सिरस सआसन दीनह

तात भरत कह तरहित राऊ तमहिह िबिदत रघबीर सभाऊ ४

दोहा राम सतय त धरम रत सब कर सील सनह

सकट सहत सकोच बस किहअ जो आयस दह २९२

रामचिरतमानस - 132 - अयोधयाकाड

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सिन तन पलिक नयन भिर बारी बोल भरत धीर धिर भारी

भ ि य पजय िपता सम आप कलगर सम िहत माय न बाप १

कौिसकािद मिन सिचव समाज गयान अबिनिध आपन आज

िसस सवक आयस अनगामी जािन मोिह िसख दइअ सवामी २

एिह समाज थल बझब राउर मौन मिलन म बोलब बाउर

छोट बदन कहउ बिड़ बाता छमब तात लिख बाम िबधाता ३

आगम िनगम िस पराना सवाधरम किठन जग जाना

सवािम धरम सवारथिह िबरोध बर अध मिह न बोध ४

दोहा रािख राम रख धरम त पराधीन मोिह जािन

सब क समत सबर िहत किरअ पम पिहचािन २९३

भरत बचन सिन दिख सभाऊ सिहत समाज सराहत राऊ

सगम अगम मद मज कठोर अरथ अिमत अित आखर थोर १

जयौ मख मकर मकर िनज पानी गिह न जाइ अस अदभत बानी

भप भरत मिन सिहत समाज ग जह िबबध कमद ि जराज २

सिन सिध सोच िबकल सब लोगा मनह मीनगन नव जल जोगा

दव थम कलगर गित दखी िनरिख िबदह सनह िबसषी ३

राम भगितमय भरत िनहार सर सवारथी हहिर िहय हार

सब कोउ राम पममय पखा भउ अलख सोच बस लखा ४

दोहा राम सनह सकोच बस कह ससोच सरराज

रचह पचिह पच िमिल नािह त भयउ अकाज २९४

सरनह सिमिर सारदा सराही दिब दव सरनागत पाही

फिर भरत मित किर िनज माया पाल िबबध कल किर छल छाया १

िबबध िबनय सिन दिब सयानी बोली सर सवारथ जड़ जानी

रामचिरतमानस - 133 - अयोधयाकाड

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मो सन कहह भरत मित फर लोचन सहस न सझ समर २

िबिध हिर हर माया बिड़ भारी सोउ न भरत मित सकइ िनहारी

सो मित मोिह कहत कर भोरी चिदिन कर िक चडकर चोरी ३

भरत हदय िसय राम िनवास तह िक ितिमर जह तरिन कास

अस किह सारद गइ िबिध लोका िबबध िबकल िनिस मानह कोका ४

दोहा सर सवारथी मलीन मन कीनह कम कठाट

रिच पच माया बल भय म अरित उचाट २९५

किर कचािल सोचत सरराज भरत हाथ सब काज अकाज

गए जनक रघनाथ समीपा सनमान सब रिबकल दीपा १

समय समाज धरम अिबरोधा बोल तब रघबस परोधा

जनक भरत सबाद सनाई भरत कहाउित कही सहाई २

तात राम जस आयस दह सो सब कर मोर मत एह

सिन रघनाथ जोिर जग पानी बोल सतय सरल मद बानी ३

िब मान आपिन िमिथलस मोर कहब सब भाित भदस

राउर राय रजायस होई राउिर सपथ सही िसर सोई ४

दोहा राम सपथ सिन मिन जनक सकच सभा समत सकल िबलोकत भरत मख बनइ न उतर दत २९६

सभा सकच बस भरत िनहारी रामबध धिर धीरज भारी

कसमउ दिख सनह सभारा बढ़त िबिध िजिम घटज िनवारा १

सोक कनकलोचन मित छोनी हरी िबमल गन गन जगजोनी

भरत िबबक बराह िबसाला अनायास उधरी तिह काला २

किर नाम सब कह कर जोर राम राउ गर साध िनहोर

छमब आज अित अनिचत मोरा कहउ बदन मद बचन कठोरा ३

िहय सिमरी सारदा सहाई मानस त मख पकज आई

रामचिरतमानस - 134 - अयोधयाकाड

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िबमल िबबक धरम नय साली भरत भारती मज मराली ४

दोहा िनरिख िबबक िबलोचनिनह िसिथल सनह समाज

किर नाम बोल भरत सिमिर सीय रघराज २९७

भ िपत मात स द गर सवामी पजय परम िहत अतरजामी

सरल ससािहब सील िनधान नतपाल सबरगय सजान १

समरथ सरनागत िहतकारी गनगाहक अवगन अघ हारी

सवािम गोसाइिह सिरस गोसाई मोिह समान म साइ दोहाई २

भ िपत बचन मोह बस पली आयउ इहा समाज सकली

जग भल पोच ऊच अर नीच अिमअ अमरपद माहर मीच ३

राम रजाइ मट मन माही दखा सना कतह कोउ नाही

सो म सब िबिध कीिनह िढठाई भ मानी सनह सवकाई ४

दोहा कपा भलाई आपनी नाथ कीनह भल मोर

दषन भ भषन सिरस सजस चार चह ओर २९८

राउिर रीित सबािन बड़ाई जगत िबिदत िनगमागम गाई

कर किटल खल कमित कलकी नीच िनसील िनरीस िनसकी १

तउ सिन सरन सामह आए सकत नाम िकह अपनाए

दिख दोष कबह न उर आन सिन गन साध समाज बखान २

को सािहब सवकिह नवाजी आप समाज साज सब साजी

िनज करतित न समिझअ सपन सवक सकच सोच उर अपन ३

सो गोसाइ निह दसर कोपी भजा उठाइ कहउ पन रोपी

पस नाचत सक पाठ बीना गन गित नट पाठक आधीना ४

दोहा यो सधािर सनमािन जन िकए साध िसरमोर

रामचिरतमानस - 135 - अयोधयाकाड

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को कपाल िबन पािलह िबिरदाविल बरजोर २९९

सोक सनह िक बाल सभाए आयउ लाइ रजायस बाए

तबह कपाल हिर िनज ओरा सबिह भाित भल मानउ मोरा १

दखउ पाय समगल मला जानउ सवािम सहज अनकला

बड़ समाज िबलोकउ भाग बड़ी चक सािहब अनराग २

कपा अन ह अग अघाई कीिनह कपािनिध सब अिधकाई

राखा मोर दलार गोसाई अपन सील सभाय भलाई ३

नाथ िनपट म कीिनह िढठाई सवािम समाज सकोच िबहाई

अिबनय िबनय जथारिच बानी छिमिह दउ अित आरित जानी ४

दोहा स द सजान ससािहबिह बहत कहब बिड़ खोिर

आयस दइअ दव अब सबइ सधारी मोिर ३००

भ पद पदम पराग दोहाई सतय सकत सख सीव सहाई

सो किर कहउ िहए अपन की रिच जागत सोवत सपन की १

सहज सनह सवािम सवकाई सवारथ छल फल चािर िबहाई

अगया सम न ससािहब सवा सो साद जन पाव दवा २

अस किह म िबबस भए भारी पलक सरीर िबलोचन बारी

भ पद कमल गह अकलाई समउ सनह न सो किह जाई ३

कपािसध सनमािन सबानी बठाए समीप गिह पानी

भरत िबनय सिन दिख सभाऊ िसिथल सनह सभा रघराऊ ४ छद

रघराउ िसिथल सनह साध समाज मिन िमिथला धनी

मन मह सराहत भरत भायप भगित की मिहमा घनी

भरतिह ससत िबबध बरषत समन मानस मिलन स

तलसी िबकल सब लोग सिन सकच िनसागम निलन स

रामचिरतमानस - 136 - अयोधयाकाड

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सोरठा दिख दखारी दीन दह समाज नर नािर सब

मघवा महा मलीन मए मािर मगल चहत ३०१

कपट कचािल सीव सरराज पर अकाज ि य आपन काज

काक समान पाकिरप रीती छली मलीन कतह न तीती १

थम कमत किर कपट सकला सो उचाट सब क िसर मला

सरमाया सब लोग िबमोह राम म अितसय न िबछोह २

भय उचाट बस मन िथर नाही छन बन रिच छन सदन सोहाही

दिबध मनोगित जा दखारी सिरत िसध सगम जन बारी ३

दिचत कतह पिरतोष न लहही एक एक सन मरम न कहही

लिख िहय हिस कह कपािनधान सिरस सवान मघवान जबान ४

दोहा भरत जनक मिनजन सिचव साध सचत िबहाइ

लािग दवमाया सबिह जथाजोग जन पाइ ३०२

कपािसध लिख लोग दखार िनज स नह सरपित छल भार

सभा राउ गर मिहसर म ी भरत भगित सब क मित ज ी १

रामिह िचतवत िच िलख स सकचत बोलत बचन िसख स

भरत ीित नित िबनय बड़ाई सनत सखद बरनत किठनाई २

जास िबलोिक भगित लवलस म मगन मिनगन िमिथलस

मिहमा तास कह िकिम तलसी भगित सभाय समित िहय हलसी ३

आप छोिट मिहमा बिड़ जानी किबकल कािन मािन सकचानी

किह न सकित गन रिच अिधकाई मित गित बाल बचन की नाई ४

दोहा भरत िबमल जस िबमल िबध समित चकोरकमािर

उिदत िबमल जन हदय नभ एकटक रही िनहािर ३०३

रामचिरतमानस - 137 - अयोधयाकाड

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भरत सभाउ न सगम िनगमह लघ मित चापलता किब छमह

कहत सनत सित भाउ भरत को सीय राम पद होइ न रत को १

सिमरत भरतिह म राम को जिह न सलभ तिह सिरस बाम को

दिख दयाल दसा सबही की राम सजान जािन जन जी की २

धरम धरीन धीर नय नागर सतय सनह सील सख सागर

दस काल लिख समउ समाज नीित ीित पालक रघराज ३

बोल बचन बािन सरबस स िहत पिरनाम सनत सिस रस स

तात भरत तमह धरम धरीना लोक बद िबद म बीना ४

दोहा करम बचन मानस िबमल तमह समान तमह तात

गर समाज लघ बध गन कसमय िकिम किह जात ३०४

जानह तात तरिन कल रीती सतयसध िपत कीरित ीती

समउ समाज लाज गरजन की उदासीन िहत अनिहत मन की १

तमहिह िबिदत सबही कर करम आपन मोर परम िहत धरम

मोिह सब भाित भरोस तमहारा तदिप कहउ अवसर अनसारा २

तात तात िबन बात हमारी कवल गरकल कपा सभारी

नतर जा पिरजन पिरवार हमिह सिहत सब होत खआर ३

जौ िबन अवसर अथव िदनस जग किह कहह न होइ कलस

तस उतपात तात िबिध कीनहा मिन िमिथलस रािख सब लीनहा ४

दोहा राज काज सब लाज पित धरम धरिन धन धाम

गर भाउ पािलिह सबिह भल होइिह पिरनाम ३०५

सिहत समाज तमहार हमारा घर बन गर साद रखवारा

मात िपता गर सवािम िनदस सकल धरम धरनीधर सस १

सो तमह करह करावह मोह तात तरिनकल पालक होह

साधक एक सकल िसिध दनी कीरित सगित भितमय बनी २

रामचिरतमानस - 138 - अयोधयाकाड

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सो िबचािर सिह सकट भारी करह जा पिरवार सखारी

बाटी िबपित सबिह मोिह भाई तमहिह अविध भिर बिड़ किठनाई ३

जािन तमहिह मद कहउ कठोरा कसमय तात न अनिचत मोरा

होिह कठाय सबध सहाए ओिड़अिह हाथ असिनह क घाए ४

दोहा सवक कर पद नयन स मख सो सािहब होइ

तलसी ीित िक रीित सिन सकिब सराहिह सोइ ३०६

सभा सकल सिन रघबर बानी म पयोिध अिमअ जन सानी

िसिथल समाज सनह समाधी दिख दसा चप सारद साधी १

भरतिह भयउ परम सतोष सनमख सवािम िबमख दख दोष

मख सनन मन िमटा िबषाद भा जन गगिह िगरा साद २

कीनह स म नाम बहोरी बोल पािन पकरह जोरी

नाथ भयउ सख साथ गए को लहउ लाह जग जनम भए को ३

अब कपाल जस आयस होई करौ सीस धिर सादर सोई

सो अवलब दव मोिह दई अविध पार पावौ जिह सई ४

दोहा दव दव अिभषक िहत गर अनसासन पाइ

आनउ सब तीरथ सिलल तिह कह काह रजाइ ३०७

एक मनोरथ बड़ मन माही सभय सकोच जात किह नाही

कहह तात भ आयस पाई बोल बािन सनह सहाई १

िच कट सिच थल तीरथ बन खग मग सर सिर िनझरर िगिरगन

भ पद अिकत अविन िबसषी आयस होइ त आवौ दखी २

अविस अि आयस िसर धरह तात िबगतभय कानन चरह

मिन साद बन मगल दाता पावन परम सहावन ाता ३

िरिषनायक जह आयस दही राखह तीरथ जल थल तही

सिन भ बचन भरत सख पावा मिन पद कमल मिदत िसर नावा ४

रामचिरतमानस - 139 - अयोधयाकाड

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दोहा

भरत राम सबाद सिन सकल समगल मल

सर सवारथी सरािह कल बरषत सरतर फल ३०८

धनय भरत जय राम गोसाई कहत दव हरषत बिरआई

मिन िमिथलस सभा सब काह भरत बचन सिन भयउ उछाह १

भरत राम गन ाम सनह पलिक ससत राउ िबदह

सवक सवािम सभाउ सहावन नम पम अित पावन पावन २

मित अनसार सराहन लाग सिचव सभासद सब अनराग

सिन सिन राम भरत सबाद दह समाज िहय हरष िबषाद ३

राम मात दख सख सम जानी किह गन राम बोधी रानी

एक कहिह रघबीर बड़ाई एक सराहत भरत भलाई ४

दोहा अि कहउ तब भरत सन सल समीप सकप

रािखअ तीरथ तोय तह पावन अिमअ अनप ३०९

भरत अि अनसासन पाई जल भाजन सब िदए चलाई

सानज आप अि मिन साध सिहत गए जह कप अगाध १

पावन पाथ पनयथल राखा मिदत म अि अस भाषा

तात अनािद िस थल एह लोपउ काल िबिदत निह कह २

तब सवकनह सरस थल दखा िकनह सजल िहत कप िबसषा

िबिध बस भयउ िबसव उपकार सगम अगम अित धरम िबचार ३

भरतकप अब किहहिह लोगा अित पावन तीरथ जल जोगा

म सनम िनमजजत ानी होइहिह िबमल करम मन बानी ४

दोहा कहत कप मिहमा सकल गए जहा रघराउ

अि सनायउ रघबरिह तीरथ पनय भाउ ३१०

रामचिरतमानस - 140 - अयोधयाकाड

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कहत धरम इितहास स ीती भयउ भोर िनिस सो सख बीती

िनतय िनबािह भरत दोउ भाई राम अि गर आयस पाई १

सिहत समाज साज सब साद चल राम बन अटन पयाद

कोमल चरन चलत िबन पनही भइ मद भिम सकिच मन मनही २

कस कटक काकरी कराई कटक कठोर कबसत दराई

मिह मजल मद मारग कीनह बहत समीर ि िबध सख लीनह ३

समन बरिष सर घन किर छाही िबटप फिल फिल तन मदताही

मग िबलोिक खग बोिल सबानी सविह सकल राम ि य जानी ४

दोहा सलभ िसि सब ाकतह राम कहत जमहात

राम ान ि य भरत कह यह न होइ बिड़ बात ३११

एिह िबिध भरत िफरत बन माही नम म लिख मिन सकचाही

पनय जला य भिम िबभागा खग मग तर तन िगिर बन बागा १

चार िबिच पिब िबसषी बझत भरत िदबय सब दखी

सिन मन मिदत कहत िरिषराऊ हत नाम गन पनय भाऊ २

कतह िनमजजन कतह नामा कतह िबलोकत मन अिभरामा

कतह बिठ मिन आयस पाई सिमरत सीय सिहत दोउ भाई ३

दिख सभाउ सनह सस वा दिह असीस मिदत बनदवा

िफरिह गए िदन पहर अढ़ाई भ पद कमल िबलोकिह आई ४

दोहा दख थल तीरथ सकल भरत पाच िदन माझ

कहत सनत हिर हर सजस गयउ िदवस भइ साझ ३१२

भोर नहाइ सब जरा समाज भरत भिमसर तरहित राज

भल िदन आज जािन मन माही राम कपाल कहत सकचाही १

गर नप भरत सभा अवलोकी सकिच राम िफिर अविन िबलोकी

रामचिरतमानस - 141 - अयोधयाकाड

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सील सरािह सभा सब सोची कह न राम सम सवािम सकोची २

भरत सजान राम रख दखी उिठ स म धिर धीर िबसषी

किर दडवत कहत कर जोरी राखी नाथ सकल रिच मोरी ३

मोिह लिग सहउ सबिह सताप बहत भाित दख पावा आप

अब गोसाइ मोिह दउ रजाई सवौ अवध अविध भिर जाई ४

दोहा जिह उपाय पिन पाय जन दख दीनदयाल

सो िसख दइअ अविध लिग कोसलपाल कपाल ३१३

परजन पिरजन जा गोसाई सब सिच सरस सनह सगाई

राउर बिद भल भव दख दाह भ िबन बािद परम पद लाह १

सवािम सजान जािन सब ही की रिच लालसा रहिन जन जी की

नतपाल पािलिह सब काह दउ दह िदिस ओर िनबाह २

अस मोिह सब िबिध भिर भरोसो िकए िबचार न सोच खरो सो

आरित मोर नाथ कर छोह दह िमिल कीनह ढीठ हिठ मोह ३

यह बड़ दोष दिर किर सवामी तिज सकोच िसखइअ अनगामी

भरत िबनय सिन सबिह ससी खीर नीर िबबरन गित हसी ४

दोहा दीनबध सिन बध क बचन दीन छलहीन

दस काल अवसर सिरस बोल राम बीन ३१४

तात तमहािर मोिर पिरजन की िचता गरिह नपिह घर बन की

माथ पर गर मिन िमिथलस हमिह तमहिह सपनह न कलस १

मोर तमहार परम परषारथ सवारथ सजस धरम परमारथ

िपत आयस पािलिह दह भाई लोक बद भल भप भलाई २

गर िपत मात सवािम िसख पाल चलह कमग पग परिह न खाल

अस िबचािर सब सोच िबहाई पालह अवध अविध भिर जाई ३

दस कोस पिरजन पिरवार गर पद रजिह लाग छरभार

रामचिरतमानस - 142 - अयोधयाकाड

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तमह मिन मात सिचव िसख मानी पालह पहिम जा रजधानी ४

दोहा मिखआ मख सो चािहऐ खान पान कह एक

पालइ पोषइ सकल अग तलसी सिहत िबबक ३१५

राजधरम सरबस एतनोई िजिम मन माह मनोरथ गोई

बध बोध कीनह बह भाती िबन अधार मन तोष न साती १

भरत सील गर सिचव समाज सकच सनह िबबस रघराज

भ किर कपा पावरी दीनही सादर भरत सीस धिर लीनही २

चरनपीठ करनािनधान क जन जग जािमक जा ान क

सपट भरत सनह रतन क आखर जग जन जीव जतन क ३

कल कपाट कर कसल करम क िबमल नयन सवा सधरम क

भरत मिदत अवलब लह त अस सख जस िसय राम रह त ४

दोहा मागउ िबदा नाम किर राम िलए उर लाइ

लोग उचाट अमरपित किटल कअवसर पाइ ३१६

सो कचािल सब कह भइ नीकी अविध आस सम जीविन जी की

नतर लखन िसय सम िबयोगा हहिर मरत सब लोग करोगा १

रामकपा अवरब सधारी िबबध धािर भइ गनद गोहारी

भटत भज भिर भाइ भरत सो राम म रस किह न परत सो २

तन मन बचन उमग अनरागा धीर धरधर धीरज तयागा

बािरज लोचन मोचत बारी दिख दसा सर सभा दखारी ३

मिनगन गर धर धीर जनक स गयान अनल मन कस कनक स

ज िबरिच िनरलप उपाए पदम प िजिम जग जल जाए ४

दोहा तउ िबलोिक रघबर भरत ीित अनप अपार

रामचिरतमानस - 143 - अयोधयाकाड

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भए मगन मन तन बचन सिहत िबराग िबचार ३१७

जहा जनक गर मित भोरी ाकत ीित कहत बिड़ खोरी

बरनत रघबर भरत िबयोग सिन कठोर किब जािनिह लोग १

सो सकोच रस अकथ सबानी समउ सनह सिमिर सकचानी

भिट भरत रघबर समझाए पिन िरपदवन हरिष िहय लाए २

सवक सिचव भरत रख पाई िनज िनज काज लग सब जाई

सिन दारन दख दह समाजा लग चलन क साजन साजा ३

भ पद पदम बिद दोउ भाई चल सीस धिर राम रजाई

मिन तापस बनदव िनहोरी सब सनमािन बहोिर बहोरी ४

दोहा लखनिह भिट नाम किर िसर धिर िसय पद धिर

चल स म असीस सिन सकल समगल मिर ३१८

सानज राम नपिह िसर नाई कीिनह बहत िबिध िबनय बड़ाई

दव दया बस बड़ दख पायउ सिहत समाज काननिह आयउ १

पर पग धािरअ दइ असीसा कीनह धीर धिर गवन महीसा

मिन मिहदव साध सनमान िबदा िकए हिर हर सम जान २

सास समीप गए दोउ भाई िफर बिद पग आिसष पाई

कौिसक बामदव जाबाली परजन पिरजन सिचव सचाली ३

जथा जोग किर िबनय नामा िबदा िकए सब सानज रामा

नािर परष लघ मधय बड़र सब सनमािन कपािनिध फर ४

दोहा भरत मात पद बिद भ सिच सनह िमिल भिट

िबदा कीनह सिज पालकी सकच सोच सब मिट ३१९

पिरजन मात िपतिह िमिल सीता िफरी ानि य म पनीता

किर नाम भटी सब सास ीित कहत किब िहय न हलास १

रामचिरतमानस - 144 - अयोधयाकाड

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सिन िसख अिभमत आिसष पाई रही सीय दह ीित समाई

रघपित पट पालकी मगाई किर बोध सब मात चढ़ाई २

बार बार िहिल िमिल दह भाई सम सनह जननी पहचाई

सािज बािज गज बाहन नाना भरत भप दल कीनह पयाना ३

हदय राम िसय लखन समता चल जािह सब लोग अचता

बसह बािज गज पस िहय हार चल जािह परबस मन मार ४

दोहा गर गरितय पद बिद भ सीता लखन समत

िफर हरष िबसमय सिहत आए परन िनकत ३२०

िबदा कीनह सनमािन िनषाद चलउ हदय बड़ िबरह िबषाद

कोल िकरात िभलल बनचारी फर िफर जोहािर जोहारी १

भ िसय लखन बिठ बट छाही ि य पिरजन िबयोग िबलखाही

भरत सनह सभाउ सबानी ि या अनज सन कहत बखानी २

ीित तीित बचन मन करनी ीमख राम म बस बरनी

तिह अवसर खग मग जल मीना िच कट चर अचर मलीना ३

िबबध िबलोिक दसा रघबर की बरिष समन किह गित घर घर की

भ नाम किर दीनह भरोसो चल मिदत मन डर न खरो सो ४

दोहा सानज सीय समत भ राजत परन कटीर

भगित गयान बरागय जन सोहत धर सरीर ३२१

मिन मिहसर गर भरत भआल राम िबरह सब साज िबहाल

भ गन ाम गनत मन माही सब चपचाप चल मग जाही १

जमना उतिर पार सब भयऊ सो बासर िबन भोजन गयऊ

उतिर दवसिर दसर बास रामसखा सब कीनह सपास २

सई उतिर गोमती नहाए चौथ िदवस अवधपर आए

जनक रह पर बासर चारी राज काज सब साज सभारी ३

रामचिरतमानस - 145 - अयोधयाकाड

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सौिप सिचव गर भरतिह राज तरहित चल सािज सब साज

नगर नािर नर गर िसख मानी बस सखन राम रजधानी ४

दोहा राम दरस लिग लोग सब करत नम उपबास

तिज तिज भषन भोग सख िजअत अविध की आस ३२२

सिचव ससवक भरत बोध िनज िनज काज पाइ पाइ िसख ओध

पिन िसख दीनह बोिल लघ भाई सौपी सकल मात सवकाई १

भसर बोिल भरत कर जोर किर नाम बय िबनय िनहोर

ऊच नीच कारज भल पोच आयस दब न करब सकोच २

पिरजन परजन जा बोलाए समाधान किर सबस बसाए

सानज ग गर गह बहोरी किर दडवत कहत कर जोरी ३

आयस होइ त रहौ सनमा बोल मिन तन पलिक सपमा

समझव कहब करब तमह जोई धरम सार जग होइिह सोई ४

दोहा सिन िसख पाइ असीस बिड़ गनक बोिल िदन सािध

िसघासन भ पादका बठार िनरपािध ३२३

राम मात गर पद िसर नाई भ पद पीठ रजायस पाई

निदगाव किर परन कटीरा कीनह िनवास धरम धर धीरा १

जटाजट िसर मिनपट धारी मिह खिन कस साथरी सवारी

असन बसन बासन त नमा करत किठन िरिषधरम स मा २

भषन बसन भोग सख भरी मन तन बचन तज ितन तरी

अवध राज सर राज िसहाई दसरथ धन सिन धनद लजाई ३

तिह पर बसत भरत िबन रागा चचरीक िजिम चपक बागा

रमा िबलास राम अनरागी तजत बमन िजिम जन बड़भागी ४

दोहा

रामचिरतमानस - 146 - अयोधयाकाड

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राम पम भाजन भरत बड़ न एिह करतित

चातक हस सरािहअत टक िबबक िबभित ३२४

दह िदनह िदन दबिर होई घटइ तज बल मखछिब सोई

िनत नव राम म पन पीना बढ़त धरम दल मन न मलीना १

िजिम जल िनघटत सरद कास िबलसत बतस बनज िबकास

सम दम सजम िनयम उपासा नखत भरत िहय िबमल अकासा २

व िबसवास अविध राका सी सवािम सरित सरबीिथ िबकासी

राम पम िबध अचल अदोषा सिहत समाज सोह िनत चोखा ३

भरत रहिन समझिन करतती भगित िबरित गन िबमल िबभती

बरनत सकल सकिच सकचाही सस गनस िगरा गम नाही ४

दोहा िनत पजत भ पावरी ीित न हदय समाित

मािग मािग आयस करत राज काज बह भाित ३२५

पलक गात िहय िसय रघबीर जीह नाम जप लोचन नीर

लखन राम िसय कानन बसही भरत भवन बिस तप तन कसही १

दोउ िदिस समिझ कहत सब लोग सब िबिध भरत सराहन जोग

सिन त नम साध सकचाही दिख दसा मिनराज लजाही २

परम पनीत भरत आचरन मधर मज मद मगल करन

हरन किठन किल कलष कलस महामोह िनिस दलन िदनस ३

पाप पज कजर मगराज समन सकल सताप समाज

जन रजन भजन भव भार राम सनह सधाकर सार ४ छद

िसय राम म िपयष परन होत जनम न भरत को

मिन मन अगम जम िनयम सम दम िबषम त आचरत को

दख दाह दािरद दभ दषन सजस िमस अपहरत को

किलकाल तलसी स सठिनह हिठ राम सनमख करत को

रामचिरतमानस - 147 - अयोधयाकाड

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सोरठा

भरत चिरत किर नम तलसी जो सादर सनिह

सीय राम पद पम अविस होइ भव रस िबरित ३२६

मासपारायण इककीसवा िव ाम

इित ीम ामचिरतमानस सकलकिलकलषिवधवसन ि तीयः सोपानः समा ः

अयोधयाकाणड समा

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