ज्वार की फसलोत्तर...

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  • ज्वार की फसलोत्तर ूोफाइल

    भारत सरकार कृिष मंऽालय

    कृिष एवं सहकािरता िवभाग िवपणन एवं िनरीक्षण िनदेशालय

    ूधान शाखा कायार्लय नागपुर 2007

    एमआरपीसी Ð 81

  • ूाक्कथन

    ज्वार (सोघर्म बाइकलर एल. मोएचं) भारत में चावल और गेहँू के बाद एक महत् वपूणर् धान् य फसल है । इसकी खेती व्यापक रूप से उं णकिटबधंीय और उपों ण वातावरण में की जाती है । वषर् 2005 के दौरान कुल के्षऽ के 21.51 ूितशत का ूयोग ज्वार की खेती के िलए िकया गया और िवँ व की कुल उपज में 12.67 ूितशत का योगदान िदया । इसकी खेती अन् न और चारे के िलए की जाती हैं । एिशया और अृीका के अधर्शुं क जलवायु वाले के्षऽों के लाखों लोगों के िलए ज्वार एक महत्वपूणर् मखु् य आहार है । यह फसल अत्यंत िनधर्न मामीण लोगों का भरण-पोषण करती है, और िनकट भिवं य में भी करती रहेगी ।

    कृिष िवपणन सधुार (मई, 2002) सबंंधी अंतर्मऽंालयीय कायर् बल ने देश में कृिष िवपणन ूणाली को सदुृढ़ करने के िलए कई उपाय सझुाए है, तािक कृषकों की उपज के अिंतम मलू्य में और कृषकों के भाग के साथ-साथ नए उदारीकृत सावर्भौम बाजार अवसरों में िविभन् न बाजार कायर्कतार्ओं के सबंंध में कृषक समदुाय को लाभिन्वत िकया जा सके । यह ूोफाइल अतंर्मऽंालयीय टाः क फोसर् की िसफािरश पर तैयार की गई है तािक कृषकों को ज्वार संबंधी फसलोत्तर ूिबयाओं को वैज्ञािनक रुप से ूबिंधत करने में सक्षम बनाया जा सके और उन्हें उनकी उपज के बेहतर िवपणन के िलए जागरूक िकया जा सके । ूोफाइल में िवपणन के लगभग सारे पहल ूजसेै िक, फसलोत्तर ूबंधन, िवपणन पद्धित, गणुवता मानक, मेिडंग, पैकेिजगं, पिरवहन, भडंारण, एस पी एस अपेक्षाएं, िवपणन सबंंधी समःयाऍ ं िवपणन सचूना आिद को शािमल िकया गया है । ‘ज्वार की फसलोत्तर ूोफाइल’ ौी मनोज कुमार, िवपणन अिधकारी ने ौी बी.डी.शेरकर, उप कृिष िवपणन सलाहकार, डी.एम.आई, ूधान शाखा कायार्लय, नागपुर के पयर्वेक्षण और मागर्दशर्न के अतंगर्त तैयार की गयी । िवपणन एव ं िनरीक्षण िनदेशालय, िविभन्न सरकारी/अधर् सरकारी/िनजी सःंथानों द्वारा ूोफाइल के सकंल्प के िलए आवँ यक सबंंिधत डाटा/सचूना उपलब्ध करानें में िदए गए सहयोग और योगदान के िलए आभार ूकट करता है । इस ूोफाइल में िदए गए िकसी भी िववरण के िलए भारत सरकार को िजम्मेदार न माना जाए । फरीदाबाद (यू.के.एस.चौहान) िदनांक : 06.08.2007 कृिष िवपणन सलाहकार भारत सरकार

  • ज्वार की फसलोत्तर ूोफाइल

    िवषय Ð सूची

    िवषय पृं ठ सं.

    1.0 पिरचय 1 – 2

    1.1 उद् गम 1 1.2 महत्व 2

    2.0 उत्पादन 3 – 6

    2.1 िवँ व के ूमखु उत्पादक देश 3 2.2 भारत में ूमखु उत्पादक राज्य 4 2.3 भारत में उगाई जाने वाली ज्वार की महत्वपूणर् िकःमें 5

    3.0 फसलोत्तर ूबंधन 7 – 38

    3.1 फसलोत्तर हािन 7 3.2 फसल की देखभाल 9 3.3 मेिडंग 9

    3.3.1 मेड िविनदेर्शन 9 3.3.2 अपिमौक और जीव-िवष 20 3.3.3 उत्पादक के ःतर पर और एगमाकर् के अतंगर्त मेिडंग 21

    3.4 पैकेिजगं 21 3.5 पिरवहन 24 3.6 भडंारण 26

    3.6.1 ूमखु भडंारण कीट और उनके िनयऽंक उपाय 27 3.6.2 भडंारण सरंचना 30

    (i)

  • िवषय पृं ठ सं. 3.6.3 भडंारण सिुवधाऍ ं 32

     

    i) उत्पादकों द्वारा भडंारण 32 ii) मामीण गोदाम 32 iii) मडंी गोदाम 33

    iv) कें िीय भांडागार िनगम 34 v) राज्य भांडागार िनगम 35 vi) सहकारी सिमितयॉ ं 36

    3.6.4 िगरवी रखकर ऋण सिुवधा 37

    4.0 िवपणन पद्धितयॉ ंऔर बाधाऍ ं 39 – 46

    4.1 संमहण (ूमखु संमहण बाजार) 39 4.1.1 आमद 40 4.1.2 ूेषण 40

    4.2 िवतरण 41

    4.2.1 अतंरार्ज्यीय सचंलन 41 4.3 िनयार्त और आयात 41 4.3.1 ःवच्छता और पादप- ःवच्छता सबंंधी अपेक्षाऍ ं 42 4.3.2 िनयार्त ूिबयॉ ं 44

    4.4 िवपणन सबंंधी बाधाऍ ं 44

    5.0 िवपणन माध् यम, लागत और सीमांत लाभ 47 – 48

    5.1 िवपणन माध् यम 47 5.2 िवपणन लागत और सीमांतता 47

    (ii)

  • िवषय पृं ठ सं.

    6.0 िवपणन सूचना और िवःतार 49 – 53

    7.0 िवपणन की वैकिल्पक ूणािलयॉ ं 54 – 58

    7.1 ूत्यक्ष िवपणन 54 7.2 सिंवदा िवपणन 54 7.3 सहकारी िवपणन 56 7.4 वायदा बाजार 56

    8.0 सं ःथागत सुिवधाऍ ं 59 – 66

    8.1 सरकारी/सावर्जिनक के्षऽ की िवपणन सबंंधी योजनाऍ ं 59 8.2 सःंथािनक ऋण सिुवधाऍ ं 62 8.3 िवपणन सेवा ूदान करने वाले सःंथान/एजेंिसयॉ ं 64

    9.0 उपयोग 67 – 69

    9.1 ससंाधन 67 9.2 लाभ 68

    10.0 क्या करें और क्या न करें 70 – 71

    11.0 संदभर् 72 – 73

    (iii)

  • 1.0 पिरचय : ज्वार (सोघर्म) िवँ व की सबसे महत् वपूणर् धान्य फसलों में से एक है और हमारे देश के चार ूमखु खाद्य अन्नों में से एक है । यह एिशयाई और अृीकी देशों में रहने वाले लाखों गरीब मामीण लोगों के िलए एक महत्वपूणर् मखु् य आहार है । मनुं यों के िलए मखु् य आहार का एक ूमखु ॐोत होने के साथ-साथ यह चारे, पशु आहार और औद्योिगक कच्चे माल का भी महत्वपूणर् ॐोत है । वषर् 2005 के दौरान, पूरे िवँ व में 43707.4 हजार हेक्टेयर भिूम के के्षऽ पर ज्वार की खेती की गई थी िजससे लगभग 59197.52 हजार टन अन्न की पैदावार हुई । ज्वार की खेती अधर्शुंक जलवायु में की जाती है िजसमें अन्य फसलों का िटका रहना सभंव नहीं है । यह फसल सखेू का भी सामना कर सकती है । ज्वार का पोषण मान तािलका स-ं1 में िदया गया है ।

    तािलका स ं- 1

    ूित 100 माम ज्वार के खाद्य भाग का पोषण मान

    ऊजार् (िक. कैलोरी)

    ूोटीन (मा)

    काबोर्हाइसेट (मा)

    वसा(मा)

    भः म (मा)

    किठनरेशा (मा)

    कैिल्शयम(िम.मा)

    फैरस (िम.मा)

    िथयामीन (िम.मा)

    राइबोफ्लेिवन(िम.मा)

    िनयासीन (िम.मा)

    329 10.4 70.7 3.1 1.6 2.0 25 5.4 0.38 0.15 4.3 ॐोत : हूल्से, लेइंग और िपयसर्न, 1980: अमरीकी राष्टर्ीय अनसुधंान पिरषद/राष्टर्ीय िवज्ञान अकादमी, 1982

    1.1 उद् गम :

    ऐसा माना जाता है िक सोघर्म की उत्पित्त ूाय: वतर्मान के इथोिपया अथवा ईःट सेंशल अृीका के आस-पास हुई थी । सोघर्म पहली सहस्तर्ाब्दी के दौरान ईःट अृीका से भारत ले जाया गया था ।

    1

  • वानःपितक िववरण : ज्वार (सोघर्म बाइकलर एल. मोएंच) ममैीने फैिमली से सबंंिधत एक वािषर्क पौधा है । पौधे की ऊंचाईं 0.5 मी. से 4.0 मीटर तक होती है । सोघर्म का पुंपबम पुंपगचु्छ होता है िजसे सामान्यत: मणु् डक कहा जाता है । ज्वार का दाना ूाय: किणश कवच से ढका होता है । बीच गोलाकार और आधार नुकीला होता है । दाने का रंग सफेद, गलुाबी, पीला अथवा भरूा-पीला होता है । 1.2 महत्व : ज्वार िवँ व के शुं क और अधर्शुं क जलवायु वाले के्षऽों में अन्न, चारा और पशु आहार ूदान करने वाली एक महत्वपूणर् फसल है । यह भारत में और अृीकी देशों के मामीण गरीब लोगों का मुख् य आहार है । अमेिरका और अन्य िवकिसत देशों में इसका ूयोग मखु् यत: पशु आहार के िलए और औद्योिगक ूयोग के िलए िकया जाता है । ज्वार को ूाय: “मोटा अन्न” कहा जाता है । य़द्यिप यह एक पारंपिरक िनवार्हक फसल है परंतु वतर्मान में यह वािणिज्यक / अधर्-वािणिज्यक फसल की भिूमका िनभा रही है । अन्न के ूयोजन के िलए ज्वार की मांग ही इसकी व्यापक खेती और अतंरारं् शीय व्यापार का मखु् य कारण है । इसका ूयोग अल्कोहोल बनाने के िलए भी िकया गया है । चारे, सखूी घास या साइलेज के िलए पूरे पौधे का ूयोग िकया जाता है मीठे डंठल वाली सोघर्म, इ थेनोल, गडु और कागज बनाने वाले उद्योगों के िलए एक सभंािवत कच्चे माल के रुप में उभर रहा है । इसकी खेती खरीफ, रबी और मीं म सोघर्म के रुप में भी की जाती है ।

    2

  • 2.0 उत्पादन :

    2.1 िवँ व के ूमुख उत्पादक देश :

    यह देखा गया है िक वषर् 2005 के दौरान िवँ वभर में 43707.4 हजार हेक्टेयर के के्षऽ में ज्वार की खेती की गयी िजसमें 59197.52 हजार टन का उत्पादन िकया गया । इसी वषर् में अमेिरका ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक देश था, िजसने िवँ व के उत्पादन का 16.86 ूितशत उत्पादन िकया । इसी समय के दौरान ज्वार का उत्पादन करने वाले अन्य ूमखु देश Ð नाइजीिरया (15.50 ूितशत), भारत (12.67 ूितशत), मेिक्सको (9.33 ूितशत), सडूान (7.22 ूितशत), अजेर्ंटीना (4.89 ूितशत), चीन (4.32 ूितशत), इथोिपया (3.72 ूितशत), आःशेिलया (3.40 ूितशत), बूरकीना फासों (2.62 ूितशत), और ॄाजील (2.57 ूितशत) था । भारत 9400.03 हजार हेक्टेयर (21.51 ूितशत) पर ज्वार की खेती करने वाला के्षऽफल के अनुसार पहले ःथान पर था परंतु उत्पादन में 7500.00 हजार टन (12.67 ूितशत) का उत्पादन करके वह उसी वषर् में तीसरे ःथान पर रहा । ूमखु उत्पादक देशों में के्षऽफल, उत्पादन और औसत उपज तािलका स-ं2 में दी गई हैं ।

    तािलका स ं- 2

    ूमखु उत्पादक देशों में ज्वार का के्षऽफल, उत्पादन और औसत उपज

    के्षऽ (‘000 हेक्टेयर) उत्पादन (‘000 टन) उपज (िक.मा/ हेक्टेयर) देश 2003 2004 2005 िवँ व

    का %2003 2004 2005 िवँ व

    का % 2003 2004 2005

    अजेर्टीना 533.99 474.96 557.96 1.28 2684.78 2160.00 2894.25 4.89 5027.70 4547.40 5187.20 आःशेिलया 667.01 734 755.03 1.73 1465.00 2009.00 2010.57 3.40 5027.70 4547.40 5187.20 ॄाजील 753.77 931.29 788.04 1.80 1804.92 2158.87 1520.54 2.57 2394.50 2318.20 1929.50 बूरकीना फासों

    1676.78 1438.10 1438.07 3.29 1610.26 1399.30 1552.91 2.62 960.3 973 1079.90

    चीन 1335.34 569.53 1088.01 2.49 2879.54 2340.83 2558.80 4.32 2156.40 4110.10 2351.80 इथोिपया 1335.83 1311.46 1512.17 3.46 1784.28 1717.91 2200.24 3.72 1335.70 1309.90 1455.00 भारत 9490.09 9100.06 9400.03 21.51 7200.00 7700.40 7500.00 12.67 758.7 846.1 797.9 मेिक्सको 1972.60 1832.50 1599.24 3.66 6462.20 7004.40 5524.38 9.33 3276.00 3822.30 3454.40नाइजीिरया 6935.74 7031.42 7284.43 16.67 8016.00 8578.00 9178.00 15.50 1155.80 1220.00 1259.90 सूडान 7081.26 3819.68 6444.99 14.75 5188.00 2704.00 4275.00 7.22 732.6 707.9 663.3 अमेिरका 3155.75 2637.40 2321.33 5.31 10445.90 11523.34 9981.00 16.86 3310.10 4369.20 4299.70अन्य 10858.83 10858.83 10518.1 24.06 9606.44 9802.59 10001.83 16.90 -- -- -- कुल 45865.1 40739.26 43707.4 100.00 59147.32 59098.24 59197.52 100.00 -- -- --

    ॐोत : www.faostat.fao.org

    3

  • 2.2 भारत में ूमुख उत्पादक राज्य :

    भारत ज्वार के ूमखु उत्पादक देशों में से एक है । वषर् 2005-06 के दौरान 39.0 लाख टन (51.11 ूितशत) का उत्पादन करके महाराष्टर् ज्वार के उत्पादन में सबसे ऊँचे ःथान पर रहा । ज्वार के उत्पादन में िजन अन्य राज्यों ने अशंदान िदया वे कनार्टक (21.89 ूितशत), मध् य ूदेश (8.26 ूितशत), आंी ूदेश (7.73 ूितशत), तिमलनाडु (3.01 ूितशत), उत्तर ूदेश (3.15 ूितशत), गजुरात (1.97 ूितशत), राजःथान (2.23 ूितशत), हिरयाणा (0.26 ूितशत), और उड़ीसा (0.13 ूितशत) ।

    वषर् 2005-06 के दौरान ज्वार की खेती के िलए ूयुक्त के्षऽ के िहसाब से महाराष्टर् 47.4 हजार हेक्टेयर (54.67 ूितशत) के्षऽ का ूयोग करके पहले ःथान पर रहा । महाराष्टर् के बाद कनार्टक (17.53 ूितशत), राजःथान (6.81 ूितशत), मध् य ूदेश (6.69 ूितशत), आंी ूदेश (5.07 ूितशत), तिमलनाडु (3.69 ूितशत), उत्तर ूदेश (2.65 ूितशत), गजुरात (1.50 ूितशत), हिरयाणा (1.04 ूितशत), और उड़ीसा (0.12 ूितशत) का ःथान रहा ।

    ूमखु उत्पादक राज्यों का के्षऽ, उत्पादन और औसत उपज तािलका सं-3 में दी गयी हैं ।

    तािलका स ं- 3

    वषर् 2004-05 और 2005-06 के दौरान ूमखु उत्पादक राज्यों में ज्वार की खेती के िलए ूयकु्त के्षऽ, उत्पादन और औसत उपज

    के्षऽ (दस लाख हेक्टेयर) उत्पादन (दस लाख टन) उपज (िक.मा/ हेक्टेयर) राज्य का नाम 2004-05 2005-06 ूितशत 2004-05 2005-06 ूितशत 2004-05 2005-06

    महारां श 4.76 4.74 54.67 3.62 3.90 51.11 762 824 कनार्टक 1.66 1.52 17.53 1.44 1.67 21.89 863 1095 मध्य ूदेश 0.66 0.58 6.69 0.63 0.63 8.26 957 1088 आंी ूदेश 0.50 0.44 5.07 0.52 0.59 7.73 1032 1324 तिमलनाडु 0.38 0.32 3.69 0.25 0.23 3.01 669 732 उत्तर ूदेश 0.25 0.23 2.65 0.25 0.24 3.15 1020 1065 गुजरात 0.18 0.13 1.50 0.21 0.15 1.97 1154 1138 राजःथान 0.57 0.59 6.81 0.27 0.17 2.23 464 288 हिरयाणा 0.10 0.09 1.04 0.03 0.02 0.26 271 273 उड़ीसा 0.01 0.01 0.12 0.01 0.01 0.13 545 600 अन्य 0.02 0.02 0.23 0.01 0.02 0.26 -- --

    अिखल भारत 9.09 8.67 100 7.24 7.63 100 797 880

    ॐोत : एिमकल्चरल ःटेिटिःटक्स एट ए ग्लॉन्स 2006-07, कृिष एवं सहकािरता िवभाग, नई िदल्ली

    4

  • 2.3 भारत में उगाई जाने वाली ज्वार की महत्वपूणर् िकःमें :

    भारत में िविभन्न कृिष-जलवायु पिरिःथितयों के िलए उपयकु्त िकःमें िवकिसत की गई है और उन्हें िविभन्न राज्यों में खरीफ, रबी या मीं म फसलों की तरह उगाया जाता है ।

    िविभन्न राज्यों में उगाई जाने वाली िविभन्न िकःमें तािलका स-ं4 में दी गई हैं ।

    तािलका स ं- 4

    देश में िविभन्न राज्यों में उगाई जाने वाली िकःमें

    बम.स.ं राज्य िकःमें 1. 2. 3. 1. आंी ूदेश पीएसवी-1(एसपीवी-462), सीएसएच-5, सीएसएच-6, सीएसएच-9,

    सीएसएच-10, सीएसएच-11, सीएसएच-14, सीएसएच-1, एनटीजे-2, सीएसवी-14आर, एम-35-1, पच्छा, जोनालु, तेला जोनालु

    2. गजुरात बीपी-53, सूरत-1, जीजे-108, बीसी-9, जीजे-3बी, जीजे-40, जीजे-41, जीएसएच-1, सीएसएच-5, सीएसएच-6, सीएसएच-11, जीजे-9, जीजे-36, जीजे-37, जीजे-38, सीएसएच-2-13, जीएफएव-4

    3. कनार्टक सीएसएच-5, सीएसएच-10, सीएसएच-12आर, सीएसएच-14, सीएसवी-5, डी-340, एम-35-1,

    4. महारां श सीएसएच-5, सीएसएच-9, सीएसएच-13, सीएसएच-15(आर), सीएसएच-16, सीएसवी-12, एसपीवी-475, एसपीवी-946, एसपीवी-504, एम-35-1

    5. उड़ीसा सीएसएच-1, सीएसएच-2, सीएसएच-5, सीएसवी-13, सीएसबी-15, ःवणर्, वषार्, एमएफएसएच-4

    6. तिमलनाडु सीएसएच-1, सीएसएच-5, सीएसएच-6, सीएसएच-9, सीओ-10, सीओ-18, सीओ-19, सीओ-20, सीओ-21, सीओ-25, सीओ-26, सीओएच-3, सीओएच-4, के-4, के-5, के-6, के-8, के-10, के-11, के-टॉल, पैयुर-1, पैयुर-2, बीएसआर-1, एपीके-1

    7. उत्तर ूदेश सीएसएच-16, सीएसएच-14, सीएमएच-9, सीएसबी-15, सीएसबी-13, वषार्, मऊ टी-1, मऊ टी-2,

    ॐोत : राज्य कृिष िवभाग, डीएमआई के अधीनःथ कायार्लयों के माध् यम से 5

  • तािलका स ं- 5

    पिरपक्वता िःथित के अनुसार िकःमों का ौणेीकरण

    पिरपक्वता िःथित अविध (िदनों में) संकर िकःमें खरीफ

    अगेती 95-105 सीएसएच 1, सीएसएच 6, सीएसएच 14, सीएसएच 17

    --

    मध् यम 105-110 सीएसएच 5, सीएसएच 9, सीएसएच 10, सीएसएच 11, सीएसएच 13, सीएसएच 16,

    सीएसएच 18

    सीएसवी 10, सीएसवी 11, सीएसवी 13, सीएसवी 15

    मीठी सोघर्म 118-120 सीएसवी 84 रबी

    अगेती 105-110 मध् यम 110-120 सीएसएच 8आर, सीएसएच

    12आर, सीएसएच 13आर, सीएसएच 15आर

    सीएसवी 8आर, सीएसवी 14 आर,

    एस 35-1

    ॐोत : सोघर्म के िलए रां शीय अनुसधंान कें ि, हैदराबाद ।

    6

  • 3.0 फसलोत्तर ूबंधन :

    3.1 फसलोत्तर हािन :

    यह अनुमान लगाया गया है िक ज्वार का लगभग 2.20 ूितशत कृषक के ःतर पर कटाई, गाहना, ओसाई, पिरवहन और भडंारण से नं ट हो जाता है । उत्पादकों के ःतर पर अनुमािनत फसलोत्तर हािन तािलका स-ं6 में दी गई हैं ।

    तािलका स ं- 6

    उत्पादकों के ःतर पर ज्वार की अनमुािनत फसलोत्तर हािन

    बम.स.ं ूचालन हािन (कुल उत्पादन का ूितशत)

    1. खेत से खिलहान तक ले जाने में हुई हािन

    0.68

    2. गाहने में हािन 0.65 3. ओसाई में हािन 0.32 4. खिलयान से भडंार तक ले जाने

    में हािन 0.21

    5. कृषकों के ःतर पर भडंारण में हािन

    0.34

    कुल 2.20

    ॐोत : भारत में ज्वार का िवपणन योग्य अिधशेष और फसलोत्तर हािन, 2002, िवपणन एव ंिनरीक्षण िनदेशालय, नागपुर ।

    फसलोत्तर हािन को न्यूनतम करने के िलए िनम्निलिखत कदम उठाने चािहएं ।

    फसल की कटाई दाने के पूरे पकने पर ही करनी चािहए ।

    अन्न को साफ करके सुखाना चािहए तािक नमी तत्व 9 ूितशत से कम हो जाए ।

    भडंारण और पिरवहन के िलए मजबूत और बाधारिहत पैकेिजगं साममी का ूयोग करें ।

    7

  • भडंारण के िलए उपयुक्त वैज्ञािनक तकनीक का इःतेमाल करें ।

    भडंारण से पूवर् कीट िनयंऽक उपायों (धूमन) का ूयोग करें ।

    भडंार िकए गए अन्न को हवा लगाएं और बीच-बीच में अन्न के ढेर को िहलाते रहें ।

    बीज को सरूज की सीधी रोशनी में न रखें । पंिह िदन के अतंराल पर बीज की जॉचं करें ।

    उठाई, धराई, भराई और उतराई के दौरान उिचत तकनीकों का ूयोंग करें, पिरवहन के दौरान हािन से बचने के िलए अच्छे और तेज पिरवहन का ूयोंग करें ।

    ज्वार का िवपणन योग् य अिधशेष और पण् य अिधशेष

    यह अनुमान लगाया गया है िक हमारे देशों में ज्वार का लगभग 39.72 ूितशत िवपणन योग् य अिधशेष होता है और 32.51 ूितशत पण् य अिधशेष होता है । ज्वार का राज्य-वार अनुमािनत िवपणन योग् य अिधशेष और पण् य अिधशेष तािलका सं-7 में दीया गया हैं ।

    तािलका स ं- 7

    ज्वार का अनुमािनत माकेर् िटड अिधशेष और पण् य अिधशेष

    राज्य का नाम िवपणन योग् य अिधशेष (कुल उत्पादन का ूितशत)

    पण् य अिधशेष (कुल उत्पादन का

    ूितशत) आंी ूदेश 40.76 21.97 िबहार 11.43 15.51 गजुरात 22.57 14.76 हिरयाणा 7.45 10.45 कनार्टक 27.47 13.90 मध् य ूदेश 45.78 35.60 महारां श 42.47 36.70 उड़ीसा 3.43 8.27 राजःथान 24.90 29.58 तिमलनाडु 58.66 55.33 उत्तर ूदेश 42.01 44.07 अिखल भारत 39.72 32.51

    ॐोत : भारत में ज्वार का िवपणन योग्य अिधशेष और फसलोत्तर हािन, 2002, िवपणन एव ंिनरीक्षण िनदेशालय, नागपुर ।

    8

  • 3.2 फसल की देखभाल :

    कटाई के समय िनम्निलिखत बातों पर ध् यान देना चािहए ।

    अन्न के िलए उगाई गई ज्वार की कटाई दाने के पूरे पकने पर ही करनी चािहए ।

    ज्वार के दानों को ठीक से सखुाऍ ं क्योंिक नमी तत्व गणुवता को ूितकूल रुप से ूभािवत करता है ।

    सखूाने और ओसाई आिद के दौरान कीटनाशक न डाले ।

    ज्वार के अन्न को पैिकंग और भडंारण से पूवर् अच्छे से सखूाऍ ं(9 ूितशत से िनम्नतम)

    ज्वार के बीजों को सरूज की िवपिरत रोशनी में न सखूाऍ ं।

    ज्वार को बाधारिहत और अिूय गधं से मकु्त जटू के थैलों में पैक करें ।

    ूितकूल मौसमी पिरिःथितयों अथार्त ्बरसात और मेघाछन्न मौसम में कटाई से बचें ।

    कटाई के िलए उिचत ूिबया अपनाऍ ं।

    3.3 मेिडंग :

    मेिडंग की ूिबया के अतंगर्त उत्पाद को मेड अथवा ौणेी के अनुसार छांटा जाता है । ज्वार के मामले में मेिडंग के दौरान गणुवता कारकों जसेै िक नमी के तत्व, बाह्य तत्व, अन्य खाद्यान्न, अन्य िकःमों का िमौण, खराब हुआ अनाज, अपिरपक्व अनाज, घुण लगा हुआ अनाज और सखेू हूए, िसकुड़े हूए अनाज पर िवचार िकया जाता है । कृषक उत्पाद की गणुवता में सधुार लाने के िलए और बेहतर कीमत ूाप्त करने के िलए ज्वार को छलनी से छानते है तािक उससे िमट्टी, टूटा अनाज और छोटे आकार के सखेू हुए दाने अलग हो जाए । बेता उपयुर्क्त गणुवता कारकों को ध् यान में रखकर माल अथवा उपलब्ध नमनेू की व्यिक्तगत जॉच के आधार पर कीमत लगाते हैं ।

    3.3.1 मेड िविनदेर्श :

    i) एगमाकर् के अंतगर्त िविनदेर्श :

    कृिष उत्पाद (मेिडंग और मािकर्ं ग) अिधिनयम, 1937 के अतंगर्त गणुवता कारकों जसेै िक Ð क) नमी, ख) बाह्य तत्व, ग) अन्य खाद्यान्न, घ) िविभन्न िकःमों का िमौण, ड) खराब अनाज, च) कच्चे अनाज और छ) घणु लगे और सखेू हुए अनाज पर िवचार करके ज्वार के िलए रां शीय मानक अिधसिूचत िकए जाते है ।

    9

  • मेड आबंटन और रबी ज्वार की गणुवता की पिरभाषा

    क) आम लक्षण :

    ज्वार Ð

    क) रबी के मौसम में उगाई गई सोघर्म वुलगेर पसर् का सखूा पका हुआ अनाज होगा । ख) मीठा, सख् त, साफ, पौिं टक, आकार, माप, रंग में एकसमान और िवबेय करने के िलए उपयकु्त होगा । ग) इसमें अनुसचूी में बतायी गई माऽा के अलावा, रंग तत्व का िमौण फफंूदी, घुण, हािनकर पदाथर्, िववणर्न, िवषाक्त बीज और अन्य अशुिद्धयॉ ंनहीं होनी चािहएं । घ) ूित िक.मा में यिूरक अम्ल और अफलाटॉिक्सन बमश:100 िम.मा और 30 माइबोमाम से अिधक नहीं होना चािहए । ड) कंृतको के बालों और मल-मऽू से मकु्त होना चािहए । च) खाद्य अपिमौण से बचाव िनयमावली 1955 के अतंगर्त तथा समय-समय पर यथा सशंोिधत िनयम के अनुसार, कीटनाशकों के अविशं ट (िनयम 65) िवषाक्त धातु (िनयम 57), ूाकृितक रुप से उत्पन्न िवषाक्त पदाथर् (िनयम 57-ख) और इसके अतंगर्त अन्य ूावधानों में िदए गए ूितबंधों का अनुपालन करना होगा । _____________________________________________________________________________ िटप्पणी : i) बाह्य तत्व में पशु मलू की अशुिद्धयॉ ंभार के अनुसार 0.10 ूितशत से अिधक नहीं होनी चािहए ं।

    ii) खराब हुए अनाज में अगर्ट द्वारा ूभािवत अनाज भार के अनुसार 0.05 ूितशत से अिधक नहीं होना चािहए । ख) िवशेष लक्षण :

    अिधकतम सह्य सीमा (भार ूितशत) बाह्य तत्व

    मेड आबंटन नमी

    काबर्िनक अकाबर्िनक अन्य खाद्य अनाज

    क्षितमः त अनाज

    अपिरपक्व और मरुझाया हुआ अनाज

    घुण लगा हुआ अनाज

    मेड I 12.00 0.10 Nil 1.00 1.00 2.0 0.5 मेड II 12.00 0.25 0.10 1.50 2.00 4.0 1.0 मेड III 14.00 0.50 0.25 2.00 3.00 6.0 2.0 मेड IV 14.00 0.75 0.25 4.00 5.00 8.0 6.0

    10

  • मेड आबंटन और खरीफ ज्वार की गणुवता की पिरभाषा

    क) आम लक्षण :

    ज्वार Ð

    क) खरीफ के मौसम में उगाई गई सोघर्म वुलगेर पसर् का सूखा पका हुआ अनाज होगा ।

    ख) मीठा, सख् त, साफ, पौिं टक, आकार, माप, रंग में एकसमान और व्यापािरक पिरिःथित के िलए उपयुक्त होगा । ग) रंग तत्व का िमौण, फफंूदी, घुण, अिूय पदाथर्, िवषणर्न, िवषाक्त बीज और अन्य अशुिद्धयॉ ंसचूी में दी गई सीमा से अिधक नहीं होनी चािहएं । घ) ूित िक.मा में यिूरक अम्ल और अफलाटॉिक्सन बमश:100 िम.मा और 30 माइबोमाम से अिधक नहीं होना चािहए । ड) कंृतको के बालों और मल-मऽू से मकु्त होना चािहए । च) खाद्य अपिमौण से बचाव अिधिनयम 1955 के अतंगर्त तथा समय-समय पर यथा सशंोिधत िनयम के अनुसार, कीटनाशकों के अविशं ट (िनयम 65) िवषाक्त धातु (िनयम 57), ूाकृितक रुप से उत्पन्न िवषाक्त पदाथर् (िनयम 57-ख) और इसके अतंगर्त अन्य ूावधानों में िदए गए ूितबंधों का अनुपालन करना होगा । _____________________________________________________________________________ िटप्पणी : i) बाह्य तत्व में पशु मलू की अशुिद्धयॉ ंभार के अनुसार 0.10 ूितशत से अिधक नहीं होनी चािहए ं।

    ii) खराब हुए अनाज में अगर्ट द्वारा ूभािवत अनाज भार के अनुसार 0.05 ूितशत से अिधक नहीं होना चािहए । ख) िवशेष लक्षण :

    अिधकतम सह्य सीमा (भार ूितशत) बाह्य तत्व

    मेड आबंटन नमी

    काबर्िनक अकाबर्िनक अन्य खाद्य अन्न

    क्षितमःत अनाज

    अपिरपक्व और मरुझाया हुआ अनाज

    घुण लगा अनाज

    मेड I 12.00 0.10 Nil 0.50 1.50 1.00 1.0 मेड II 12.00 0.25 0.10 1.00 3.00 2.00 2.5 मेड III 14.00 0.50 0.25 2.00 4.50 5.00 4.0 मेड IV 14.00 0.75 0.25 3.00 5.00 8.00 5.0

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  • ग) पिरभाषाऍ ं: 1. “बाह्य तत्व” से अिभूाय है खाद्य अनाज के अितिरक्त अन्य बाह्य तत्व िजसमें Ð क) “काबर्िनक तत्व” िजसमें धातु के टुकडे़, िमट्टी, रेत, कंकड, पत्थर, धूल, बजरी, िमट्टी के ढेले, िचकनी िमट्टी, कीचड़ और पशुओं की गदंगी आिद शािमल हैं ; ख) “अकाबर्िनक तत्व” िजसमें भसूा, ितनके, अपतणृ और अन्य खाद्य अनाज शािमल हैं ।

    2. “अन्य खाद्य अनाज” सें अिभूाय है िवचाराधीन खाद्यान्न से अलग अन्य कोई खाद्य अनाज (िजसमें ितलहन शािमल हैं)

    3. “क्षितमः त हुए अनाज” सें अिभूाय है वह अनाज जो अकुंिरत हो अथवा गरमी, मायबोब नमी या मौसम के कारण अदंर से खराब हुआ हो जसेै अगर्ट से ूभािवत अनाज और करनल बंटुआ अनाज ।

    4. “अपिरपक्व और मरुझाया हुआ अनाज” से अिभूाय वह अनाज है, जो पूरी तरह से पका नहीं हों ।

    5. “घुण लगा अनाज” से अिभूेत है वह अनाज िजसमें अनाज के िलए हािनकारक कीड़ों से आंिशक रुप से या पूणर् रुप से खाये हुए हों, परंतु इसमें जमर् द्वारा खाए गए अनाज और अडें ःपािटड अनाज शािमल नहीं है ।

    6. “िवषैला, िवषाक्त और/अथवा हािनकारक बीज” से अिभूेत है कोई भी बीज जो यिद ःवीकायर् सीमा से अिधक माऽा में हो तो उसका ःवाःथ् य, ज्ञानेंििय समुाह्य साममी अथवा तकनीकी िनंपादन पर हािनकारक ूभाव पड़ सकता है जसेै िक धतूरा (डी.फसट्योसा िलन्न और डी.ः शेमोिनयम िलन्न.) कानर् काकल (अमोःटेमा गीथागों एल.मशाई लालीयम रेमिुलनम िलन्न.) अकरा (िविसया जाित) ।

    ii) भारतीय खाद्य िनगम मेड मानक :

    ज्वार (िवपणन अविध 2006-07) के िलए एक समान िविनदेर्श

    ज्वार सोघर्म वुलगेर का सखूा और पका हुआ अनाज होगा । उसका माप, आकार और रंग एकसमान होगा । यह अनाज सही व्यापािरक िःथित में होगा और पीएफए मानकों के अनुसार होगा ।

    ज्वार मीठा सख् त, साफ, पौिं टक और िकसी भी रुप में आळेमोन मेिक्सकाना और लेथाइरस सटैाइवस (खेसरी) से रंग तत्व, फफंूदी, घुण, अिूय गधं, हािनकर पदाथोर् के िमौण और नीचे दी गई सचूी में दशार्यी गई सीमा से अिधक अन्य अशुिद्धयों से मकु्त होगा ।

    12 िविनदेर्श की सचूी

  • बम.स.ं अपवतर्न अिधकतम सीमा (ूितशत) 1. बाह्य तत्व 1.0 2. अन्य खाद्यान्न 3.0 3. खराब हुए अनाज के दाने 1.5 4. कम खराब हुए और िवविणर्त दाने 1.0 5. मरुझाय हुए और अधपके दाने 4.0 6. घुण लगे दाने 1.0 7. नमी की माऽा 14.0

    * खिनज तत्व भार 0.25 ूितशत से अिधक नहीं होना चािहएं और पशु मलू की अशुिद्धयॉ ंभार के अनुसार 0.10 ूितशत से अिधक नहीं होनी चािहएं ।

    कृपया ध् यान दे :

    1. उपयुर्क्त अपवतर्नों और िवँ लेषण ूिबया की पिरभाषा भारतीय मानक ब्यूरो के समय- समय पर यथासशंोिधत “खाद्यान्न के िवँ लेषण के िलए िवँ लेषण ूिबया” स.ंआयएस:4333 (पाटर्-1):1996 और आयएस:4333 (पाटर्-2):2002 और “खाद्यान्न के िलए शब्दावली” आयएस:2813-1995 के अनुसार होगी ।

    2. सपैिलगं की ूिबया भारतीय मानक ब्यूरो के समय-समय पर यथासशंोिधत “सीिरयल और दाले” की सपैिलगं की ूिबया स.ंआयएस :14818-2000 के अनुसार होगी ।

    3. “बाह्य तत्व” के िलए िनधार्िरत 1.0 ूितशत की अिधकतक सीमा में िवषाक्त बीज 0.5 ूितशत से अिधक नहीं होने चािहएं िजनमें धतूरा और अकरा बीज (िविसया जाित) बमश: 0.25 ूितशत और 0.2 ूितशत से अिधक नहीं होने चािहएं ।

    4. किणश कवच के साथ दानों को खराब अनाज नहीं माना जाएगा । भौितक िवँ लेषण के दौरान किणश कवच को हटा िदया जाएगा और उसे जवै बाह्य पदाथर् माना जाएगा ।

    13 iii) कोडेक्स मानक :

  • कोडेक्स एलीमेंटेिरयस कमीशन (सीएसी) : कोडेक्स एलीमेंटेिरयस कमीशन (सी.ए.सी) एफ.ए.ओ./डब्ल.ूएच.ओ.के. सयंुक्त खाद्य मानक कायर्बम का िबयान्वयन करती है । सी.ए.सी. कायर्बम का उदे्दँ य उपभोक्ताओं के ःवाःथ् य की सरुक्षा करना और खाद्य व्यापार में उिचत ूणाली को सिुनिश्चत करना है । सीएसी अतंरारं् शीय ःतर पर अपनाए जाने वाले खाद्य मानकों का समंहण है िज न्हें एक समान रुप में ूःतुत िकया गया है । िवँ व व्यापार सगंठन का ःवच्छता और पादप ःवच्छता करार और व्यापार के तकनीकी अवरोध करार खाद्य साममी की सरुक्षा और गणुता सबंंधी पहलओुं पर सी.ए.सी. द्वारा तैयार िकए गए मानकों कों मान्यता देते है । अत: अतंरारं् शीय व्यापार के िलए सी.ए.सी. द्वारा तैयार मानकों को मान्यता दी जाती है ।

    सोघर्म अन्न के िलए कोडेक्स मानक कोडेक्स मानक 172-1989 (समीक्षा 1-1995)

    इस मानक के सलगं्नक में ऐसे ूावधान शािमल हे जो कोडेक्स एलीमेंटेिरयस के आम िसद्धातों की धारा 4 क (1) (ख) के ूावधानों के अतंगर्त लाग ूहोना अिभूेत नहीं है ।

    1. अिभूाय

    यह मानक सोघर्म अनाज पर धारा 2 की पिरभाषा के अनुसार मानव द्वारा उपभोग अथार्त ्मानव भोजन में ूयोग हेतु तैयार, उपभोक्ता को सीधे पैकेज रुप में अथवा खुले रुप में बेचे गए अनाज पर लागू होता है । यह सोघर्म अनाज से ूाप्त अन्य उत्पादों पर लाग ूनहीं होता ।

    2. िववरण

    2.1 उत्पाद की पिरभाषा

    सोघर्म अनाज सोघर्म बाइकलर (एल.) मोइंच जाित से ूाप्त सपंूणर् अथवा िछलका रिहत अनाज होता है । ये आवँ यकतानुसार सखुाया हुआ हो सकता है ।

    2.1.1 सपंूणर् सोघर्म अनाज

    ये वह सोघर्म अनाज है जो पूरे गाहने के बाद िबना कोई उपचार िकए ूाप्त होता है ।

    2.1.2 िछलका रिहत सोघर्म अनाज

    ये वह सोघर्म अनाज है िजसमें से बाह्य िछलका और जमर् को पूरा या भागों में मशीन द्वारा उिचत तरीके से उतार िलया गया है ।

    14

    3. महत्वपूणर् सघंटन और गुणता घटक

  • 3.1 गुणता घटक Ð सामान्य

    3.1.1 सोघर्म अनाज मानव उपभोग के िलए सरुिक्षत और उपयकु्त होना चािहए ।

    3.1.2 सोघर्म अनाज असामान्य ःवाद, गधं और जीिवत कीड़ों से मकु्त होना चािहए ।

    3.1.3 सोघर्म अनाज में गदंगी पशु मलू की अशुिद्धयॉ ं िजसमें मतृ कीड़े भी शािमल है इतनी अिधक नहीं होनी चािहए िजससे मानव ःवाःथ् य को हािन पहँुचने की सभंावना हो ।

    3.2 गुणता घटक Ð िवशेष

    3.2.1 नमी तत्व 14.5 ूितशत एम/एम अिधकतक

    जलवायु, पिरवहन और भडंारण की अविध के कारण कई ःथानों पर कम नमी की आवँ यकता होती है । मानक अपनाने वाली सरकारों से अनुरोध हे िक उनके देश में इस सबंंध में ता त्कािलक आवँ यकताओं के बारे में बताए और उनका ःप ष्टीकरण दें ।

    3.2.2 दोष की पिरभाषा

    उत्पाद में 8.0 ूितशत से अिधक कुल दोष नहीं होने चािहएं, िजसमें मानकों के अनुसार बाह्य तत्व, अकाबर्िनक बाह्य तत्व और गदंगी तथा सलंग्नक के अनुसार दाग लगे दानें, रोगमःत दाने, टूटे दाने और अन्य दाने शािमल हैं । 3.2.2.1 बाह्य तत्व सोघर्म को छोडकर सभी काबर्िनक और अकाबर्िनक तत्व, टूटे दाने, अन्य दाने और गदंगी है । बाह्य तत्व में खुली सोघर्म बीज के िछड़के शािमल हैं सोघर्म अनाज में 2.0 ूितशत से अिधक बाह्य तत्व नहीं होने चािहए, िजसमें से 0.5 ूितशत से अिधक बाह्य अकाबर्िनक पदाथर् नहीं होना चािहए । 3.2.2.2 गंदगी पश ुमलू की अशुिद्धयॉ ंहोती है िजसमें मतृ कीड़ें (0.1 ूितशत एम/एम अिधकतम) शािमल है ।

    3.2.3 िवषाक्त और हािनकर बीज

    इस मानक के ूावधानों के अतंगर्त आने वाले उत्पाद उस माऽा के िवषाक्त और हािनकर बीजों से मकु्त होगे, जोिक मानव ःवाःथ् य के िलए हािनकारक हो सकते हैं । बोटोलेिरया (बोटोलेिरया एसपीपी), कोनर् कॉकल (एमोःटेमा िगथागो एल.), कैःटर बीन (िरसीनस कम्यूिनस एल.), िजमसन वीड़ (धतूरा एसपीपी) और अन्य बीज जो सामान्यत: ःवाःथ् य के िलए हािनकारक माने जाते हैं ।

    15 3.2.4 टैिनन की माऽा

  • क) सपंूणर् सोघर्म अनाज के िलए शुं क तत्व आधार पर टैिनन की माऽा 0.5 ूितशत से अिधक नहीं होनी चािहए । ख) िछलका रिहत सोघर्म अनाज के िलए शुं क तत्व आधार पर टैिनन की माऽा 0.3 ूितशत से अिधक नहीं होनी चािहए । 4. सदंषूक

    4.1 भारी धातुऍ ं

    सोघर्म अनाज में भारी धातुओं की माऽा इतनी नहीं होनी चािहए जोिक मानव ःवा ःथ् य के िलए हािनकारक हो ।

    4.2 कीटनाशकों का अविशं ट

    सोघर्म अनाज में कोडेक्स एलीमेंटेिरयस कमीशन द्वारा इस साममी के िलए ःथािपत अिधकतम अविशष्ट सीमा का अनुसरण िकया जाना चािहए ।

    4.3 माइकोटॉकंिससं

    सोघर्म अनाज में इसके िलए कोडेक्स एलीमेंटेिरयस कमीशन द्वारा ःथािपत अिधकतम माइकोटॉकंिससं की सीमा का अनुपालन होना चािहए ।

    5. ःवच्छता

    5.1 यह िसफािरश की जाती है िक इस मानक के ूावधानों के अतंगर्त आने वाले उत्पाद को अनुशंिसत अतंर्रां शीय व्यवहार कोड-खाद्य ःवच्छता के आय िसद्धांत (सीएसी/आरसीपी 1-1969, रेव.2-1985, कोडेक्स एलीमेंटेिरयस खंण् ड 1 बी) की उिचत धाराओं और उस उत्पाद से सबंंिधत कोडेक्स एलीमेंटेिरयस कमीशन द्वारा अनुशंिसत अन्य व्यवहार कोडों के अनुसार तैयार िकया जाना चािहए ।

    5.2 उिचत उत्पादन ूिबया में जहॉ ंतक सभंव हो, उत्पाद को आपित्तजनक तत्वों से मकु्त रखा जाए ।

    5.3 सपैिलगं और जॉचं के उिचत तरीकों द्वारा परीक्षण िकए जाने पर उत्पाद :

    Ð में जीवाणुओं की इतनी माऽा नहीं होनी चािहए िजनसे ःवाःथ् य को हािन हो । Ð में ऐसे परजीवी नहीं होने चािहए िजनसे ःवाःथ् य को हािन होने की सभंावना हो । Ð में जीवाणुओं से उत्पन्न िकसी ऐसे पदाथर् की माऽा नहीं होनी चािहए िजससे ःवाःथ् य को हािन पहँुचे ।

    16 6. पैकेिजगं

  • 6.1 सोघर्म के दानों को ऐसे कंटेनर में पैक करना चािहए िजसमें उसकी ःवच्छता, पोषकता, उत्पाद की तकनीकी और ज्ञानेंििय समुाह्य गणु सुरिक्षत रहें ।

    6.2 पैकेिजगं साममी सिहत कंटेनर ऐसे पदाथोर्ं से िनिमर्त होने चािहए जोिक अपेिक्षत ूयोग के िलए सरुिक्षत और उपयकु्त हों । इनसे उत्पाद में कोई िवषाक्त पदाथर् या अवांिछत गंध या ःवाद उत्पन्न नहीं होना चािहए ।

    6.3 यिद उत्पाद थैलों में पैक िकया जाना हों तो वे साफ, मजबूत और मजबूत िसलाई वाले अथवा सीलबंद होने चािहए ।

    7. लेबिलंग

    लेबिलगं ऑफ ूीपैकेजड फूड (कोडेक्स ःटैन 1-1985, रेव.1-1991, कोडेक्स एलीमेंटेिरयस वाल्युम 1 क) के िलए कोडेक्स सामान्य मानक की अपेक्षाओं के अितिरक्त, िनम्निलिखत िविशं ट ूावधान लाग ूहोते हैं ।

    7.1 उत्पाद का नाम

    लेबल पर िदखाये गये उत्पाद का नाम “सोघर्म मेंस” होना चािहए ।

    7.2 नॉन िरटेल कंटेनर पर लेबिलंग

    नॉन िरटेल कंटेनर पर दी जाने वाली सचूना कंटेनर अथवा सलंग्न दः तावेजों में दी जाएगी । उत्पाद का नाम लॉट की पहचान और उत्पादक या पैकर का नाम और पता कंटेनर पर होना चािहए । तथािप लॉट की पहचान और उत्पादक या पैकर के नाम और पते के ःथान पर एक पहचान िच ह्न ूयोग िकया जा सकता है, बशतेर् िक यह िचह्न सलंग्न दःतावेजों के साथ अिभजे्ञय हों । 8. िवँ लेषण और समै्पिलगं के तरीके

    कोडेक्स एलीमेंटेिरयस खण्ड 13 देखें ।

    17

  • संलग्नक

    ऐसे मामलों में जहॉ ंएक से अिधक कारक सीमा और/अथवा िवँ लेषण का तरीका िदया गया हो हम कडाई से िसफािरश करते हैं िक ूयोक्ता उिचत सीमा और िवँ लेषण ूिबया को ःपं ट करें ।

    कारक / िववरण सीमा िवँ लेषण ूिबया 1. 2. 3.

    रंग सफेद, गलुाबी, लाल, भरूा, सतंरी, पीला या इन रंगों का कोई िमौण

    असामान्य रंग, अनाज का ूाकृितक रंग खराब मौसम की पिरिःथितयों, जमीन पर पड़ने के कारण गमीर् और अत्यिधक श्वसन के कारण बदल गया है । यह अनाज मलैा, सखूा हुआ, फूला हुआ हो सकता है ।

    बेता की पसदं

    दृिष्टकजॉचं

    भःम िछलका िनकले सोघर्म के दाने

    अिधकतम सखेू तत्व के आधार पर 1.5 ूितशत

    एओएसी 923.03 आइसीसी नं.104/1 (1990) धान्य और धान्य उत्पादों में भःम िनधार्रण की ूिबया (900 सें. पर भःमीकरण ) (टाइप 1 ूिबया) अथवा आइएसओ 2171:1980 धान्य, दालें और उनसे ूाप्त उत्पाद

    ूोटीन (N x 6.25) न्यूनतम: शुं क तत्व आधार पर 7.0 ूितशत

    आइसीसी 105/1 (1986) धान्य और धान्य उत्पादों में आहार और चारे के िलए सेलेिनयम कॉपर कैटािलःट का ूयोग करते हुए बूड ूोटीन के िनधार्रण की ूिबया (टाइप 1 ूिबया) अथवा आइएसओ 1871:1975 आइएसओ 5986:1983 Ð पशु आहार पदाथर्

    18

  • 1. 2. 3. वसा अिधकतम :

    शुं क तत्व आधार पर 4.0

    ूितशत

    एओएसी 945: 38एफ; 920:39 सी अथवा आइएसओ 5986:1983 Ð पशु आहार पदाथर् डाईइथाइल इथर सार का िनधार्रण

    कड़ा रेशा बेता की पसंद आइसीसी 113 कडे रेशे के मलू्य का िनधार्रण (टाइप 1) अथवा आइएसओ 6341 (1981) कृिष खाद्य पदाथर् कडे रेशे की माऽा का िनधार्रण Ð सशंोिधत ःकारर ूिबया

    दोष (कुल) खराब हुए दाने, दाने िजनका रंग असामान्य हो, जो अकुंिरत, रोगमःत अथवा अन्य िकसी रुप से खराब हों ।

    खराब हुए दाने, ऐसे दाने जो िक नं ट होने, फंफूदी लगने अथवा जीवाण ु सड़न या ऐसे अन्य िकसी कारण से दाने को तोड़े िबना जॉच करने पर भी दृँ य हो मानव द्वारा भोज्य नहीं हों ।

    अिधकतम : (कुल) 8.0 ूितशत

    अिधकतम : 3.0 ूितशत से रोगमःत दाने 0.5 ूितशत से अिधक न हों

    दृिष्टकजॉचं

    दोष कीड़ो और कृमकों द्वारा क्षितमःत दाने । ऐसे दाने िजनमें कीड़ो द्वारा िकए गए छेद हों या िजनमें छेद या िबल दृँय हो, िजससे कीड़े लगने का पता चलता हो, कीड़ो द्वारा छोड़ा गया कचरा या ऐसे दाने िजन्हें एक या अिधक भागों में कीड़ो ने खाया हो िजनमें कृमकों द्वारा दाने को खाने का ूमाण िमलता हो ।

    19

  • 1. 2. 3.

    दाने िजनका रंग असामान्य हो, दाने िजनका ूाकृितक रंग खराब मौसमी पिरिःथितयों, जमीन पर लगने, गमीर् ओर अत्यािधक ँ वसन के कारण बदल गया हो । इस अनाज का रंग मलैा हो सकता है और यह सखूा हुआ या फूला हुआ हो सकता है ।

    अकुंिरत दाने, दाने िजनमें अकुंरण के ःपं ट सकेंत िदखते हों ।

    बफर् जमने पर खराब हुए दाने/दाने जो बफर् जमने से खराब हुए हों । ये िवरंिजत या फफोले पड़े िदख सकते है और बीज की कोिशका उतरी हो सकती है ।

    मरे हुए अथवा अप विणर्त कीटाणु नजर आ सकते हैं ।

    टूटे दाने, सोघर्म और सोघर्म के टुकड़े जो िक 1.8 िममी के गोल छेद वाली छलनी से छन जाएं ।

    अन्य दाने जो खाद्य हों, पूरे या टूटे हुए, सोघर्म से अलग दाने (अथार्त ्दाले, किलयॉ ंया अन्य सोज्य धान्य)

    अिधकतम : 5.0 ूितशत अिधकतम : 5.0 ूितशत

    3.3.2 अपिमौक और जीव-िवष :

    अफलाटॉिक्संस एक ूकार के मायकोटॉिक्ससं है, जोिक फफंूदी से उत्पन्न होते हैं, और मानव ःवाःथ को ूभािवत करते हैं । अफलाटॉिक्संस एःपिजर्लस फ्लेवस, ऐःपािजर्लस ओबेिसयस और एःपिजर्लस पैरासाइिटसस से बनते हैं । अफलाटॉिक्संस का सदंषूण खेत से भडंारण तक, िकसी भी ःतर पर जब कभी भी वातावरण पिरिःथितयॉ ंफफंूदी के अनुकूल हों, जोिक सापेक्षत: उच्च नमी/आिर्ता में पैदा होती है, हो सकता है । अफलाटॉिक्ससं को िनयंिऽत करने के िलए सखूाना सबसे ूभावी ूिबया है । कटाई, सखूाने और भडंारण के दौरान बीज को मशीन द्वारा होने वाले नकुसान से बचाएं । ज्वार को भडंारण से पूवर् पयार्प्त 14 ूितशत नमी पर सखूाना चािहए । इसका भडंारण सरुिक्षत नमी ःतर पर करना चािहए । उिचत वैज्ञािनक भडंारण ूिबया का ूयोग करें । ज्वार को नए थैलों में भरकर भडंार करें । यिद पुराने थलैों का ूयोग करना हो तो उसमें मलैािथयन ःूे अथवा एल्यूिमिनयम फासफाइट जसेै िजसकी धूमन 3 मा. की एक गोली से ूित मी. जगह पर धूमन करें, से साफ कर लें । रासायिनक उपचारों से फफंूदी सदंषूण और कीडों की बाधा से बचें । कीड़े लगे हुए अनाज को अलग करें ।

    20 3.3.3 उत्पादक ःतर और एगमाकर् के अंतगर्त मेिडंग :

  • िवपणन एव ंिनरीक्षण िनदेशालय (डी.एम.आई.) ने 1962-63 में उत्पादक ःतर पर मेिडंग योजना आरंभ की । योजना का मुख् य उदे्दँ य उत्पादकों में गणुवत्ता संबंधी जागरुकता उत्पन्न करना और िबबी के िलए गणुवत्ता उत्पाद को बाजार में लाना है । इस योजना के अतंगर्त, उत्पाद का आसानी से परीक्षण िकया जाता है और िबबी से पूवर् उसे एक मेड िदया जाता है । राज्य सरकारें इस कायर्बम का कायार्न्वयन कृिष उत्पाद बाजारों के माध्यम से करती हैं । भारत में 31.03.2006 तक 2051 मेिडंग युिनट ःथािपत की गई थी । वषर् 2004-05 के दौरान, लगभग 103452.60 टन ज्वार िजसका मलू्य 6278.24 लाख था, को उत्पादक ःतर पर मेड िदया गया ।

    तािलका स ं- 8

    वषर् 2005-06 के दौरान उत्पादक ःतर पर ज्वार की मेिडंग की ूगित और अनुमािनत मलू्य

    वषर् ज्वार (माऽा टन में)

    मलू्य (लाख रुपए में)

    2004-05 103452.60 6278.24 2005-06 27246.60 1836.44

    ॐोत : डी.एम.आई, फरीदाबाद (एगमाकर् मेिडंग ःटेिटिःटक्स, 2005-06)

    एगमाकर् के अंतगर्त मेिडंग :

    एगमाकर् के अतंगर्त मेिडंग का कायर् िवपणन एव ंिनरीक्षण िनदेशालय, भारत सरकार द्वारा अिधसिूचत िविनदेर्शोर्ं के अनुसार कृिष उत्पाद (मेिडंग और मािकर्ं ग) अिधिनयम, 1937 के ूावधानों और उसके अतंगर्त बनाए गए िनयमों के अनुसार िकया जाता है । िवपणन एवं िनरीक्षण िनदेशालय ने ज्वार के िलए मेड मानक िनधािरत िकए हैं ।

    3.4 पैकेिजंग :

    आसानी से सभंाल, पिरवहन और भडंारण के िलए अच्छी पैकेिजगं आवँयक है । ज्वार को खेत (खिलयान) से बाजार और भांडागार गोदाम में बोिरयों में भरकर ले जाया जाता है । ज्वार को नमी और कीड़ों के आबमण आिद और िबखरने से बचाने के िलए अच्छे क्वािलटी की नई या ठीक से तैयार की गयी बोिरयों की आवँयकता होती है । अच्छी पैकेिजगं के िलए, पैकेिजगं में िनम्निलिखत गणु होने चािहएं :

    इससे ज्वार की अच्छी सरुक्षा होनी चािहए ।

    21 वह चढ़ाई-उतराई और पिरवहन के समय भार को सहन करने के िलए पयार्प्त रुप से

    मजबूत होनी चािहए ।

  • वह उतराई-चढ़ाई में सिुवधाजनक होनी चािहए । पैकेज का आकार उतना ही होना चािहए िजतना िक एक व्यिक्त द्वारा आराम से उठाया

    और उतारा-चढ़ाया जा सके । पैकेिजगं आकषर्क, साफ और िकसी भी ूकार के कीड़े-मकोड़े आिद से मकु्त हो नी

    चािहए । पैकेज पर साममी का िववरण अथार्त वःतु का नाम और पैकर का पता, माऽा, गणुवत्ता

    (मेड), िकःम और पैिकंग की ता रीख आिद का उल्लेख होना चािहए ।

    पैिकंग की ूिबया :

    मेिडंग ज्वार को नए, साफ, ठीक और सखेू जटू के थैलों, कपड़े के थैलों, पॉलीवोवन थैलों, पॉलीइथीलीन, पॉलीूापाइलीन, कागज के पैकेज अथवा अन्य फूड मेड प्लािःटक/पैकेिजगं साममी में पैक िकया जाना चािहए ।

    पैकेज कीडों मकोडों, फंगस, सदंषूण, खराब करने वालें पदाथर् और अिूय गधं से मकु्त होना चािहए ।

    एक पैकेज में एक ही मेड की ज्वार होनी चािहए । ूत्येक पैकेज अच्छे से बंद होने चािहए और उिचत रुप से सील होना चािहए । ज्वार को यथासमय सशंोिधत िनयम, 1977 के अतंगर्त िदए गए ूावधानों के अतंगर्त

    िनधार्िरत माऽा में पैक करना चािहए । एक ही लॉट के मेिडड साममी वाले कंज्यूमर पैक की उिचत सखं् या को बड़े कंटेनर में

    पैक िकया जा सकता है ।

    पैकेिजंग साममी की उपलब्धता :

    ज्वार िनम्निलिखत साममी से बने थैलों में पैक की जाती है :

    1) जटू के थैलै 2) एच.डी.पी.ई./पी.पी.थैले 3) पॉलीथीन इम्ूेग्नेटेड जटू के थैले 4) बीजों के िलए कपड़े के थैले

    जटू के थैले बनाम एच.डी.पी.ई. थैले : जटू बायोिडमेडेबल साममी है, जबिक (िसथेंिटक) कृिऽम थैले पयार्वरण के अनुकूल नहीं हैं । अूयोज्य जटू के थैलों का िनपटान करना कृिऽम थैलों का िनपटान करने से अत्यंत सरल है । एचडीपीई (हाई डेिन्सटी पॉली इथीलीन) और जटू के थैलों की तुलनात्मक िवशेषताओं का सारांश नीचे िदया गया हैं । 22

    तािलका स ं- 9

  • एचपीडीई थैलों की िवशेषताऍ ं

    बम.सं. िवशेषताऍ ं एचडीपीई थैले जूट के थैले 1. सीवन की मजबूती कम मजबूत 2. सतह की बनावट साफ खुरदरा 3. ूयोग में सुिवधा कम

    (नुकसान की संभावना होती है) उत्तम

    4. क्षम ता कम पयार्प्त 5. देर लगाने पर संतुलन कम उत्तम 6. किटयॉ ं(हुिकंग) से पकड़ने पर

    ूितरोधक क्षमता कम संतोषजनक

    7. पात परीक्षण िनंपादन कम अच्छा 8. अंतत: ूयोग में कायर्िनं पादन

    (फटने नुकसान पहँुचने, िबखरने, ूितःथापन के संबंध में)

    कम अच्छा

    9. खाद्यान्न सुरक्षा में कुशलता कम उत्तम

    ॐोत : भारतीय पैकेिजगं सःंथान, भारत । अच्छी पैिकंग साममी के गणु :

    यह ूयोग मे सिुवधाजनक होनी चािहए । पैिकंग साममी से उत्पाद की गणुता स ुरिक्षत रहनी चािहए । ढेर लगाने में सिुवधाजनक होना चािहए । इसमें पिरवहन और भडंारण के दौरान िबखराव से सरुक्षा करने की क्षमता होनी चािहए । वह लागत ूभावी होनी चािहए । वह साफ और आकषर्ण होनी चािहए । वह बॉयो-िडमेडेबल होनी चािहए । वह उठाई-धराई और फुटकर लागत को कम करके िवपणन लागत को कम करने में

    सहायक होनी चािहए । पैिकंग साममी पुन: ूयोज्य होनी चािहए ।

    23 3.5 पिरवहन :

  • िवपणन के िविभन्न ःतरों पर िनम्निलिखत पिरवहन साधनों का ूयोग िकया जाता है ।

    िवपणन के िविभन्न ःतरों पर ूयुक्त पिरवहन साधन

    बम.स.ं िवपणन ःतर पिरवहन कतार् पिरवहन माध् यम 1. खेत से ूारंिभक बाजार अथवा

    गॉवं के बाजार तक कृषक सर पर ढोकर, जानवरों पर लादकर,

    बैलगािडयों या शैक्टर शािलयों 2. ूारिभक बाजार से दसूरे थोक

    बाजार और िमल-मािलक तक व्यापारी/ िमल-मािलक

    शक, रेल्वे वैगन

    3. िमल-मािलक और थोक बाजार से फुटकर िवबेताओं तक

    िमल-मािलक/ फुटकर िवबेता

    शक, रेल्वे वैगन, िमनी शक

    4. फुटकर िवबेता से उपभोक्ता तक उपभोक्ता सर पर ढोकर, जानवरों पर लादकर, बैलगाड़ी/ हाथ गाड़ी, िरक्शा

    5. िनयार्त के िलए िनयार्तक/ व्यापारी

    समुिी जहाज, हवाई जहाज द्वारा

    ूयुक्त पिरवहन माध् यम :

    ज्वार के पिरवहन में िविभन्न ूकार के पिरवहन माध् यमों का ूयोग िकया जाता है । आंतिरक बाजारों के िलए सामान्यत: सड़क और रेल पिरवहन का ूयोग िकया जाता है । हालांिक, िनयार्त और आयात के िलए ूमखुत: समिुी पिरवहन का ूयोग िकया जाता है । पिरवहन के िलए आमतौर पर ूयुक्त माध् यम िनम्न ूकार से है :

    1. सड़क पिरवहन : सचंयन बाजारों और िवतरण कें िों तक ज्वार के पिरवहन के िलए रेल यातायात सबसे लोकिूय है । ज्वार के पिरवहन के िलए देश के िविभन्न भागों में िनम्निलिखत सड़क यातायात के साधनों का ूयोग िकया जाता है :

    क) बैलगाड़ी/ऊँट गाड़ी :

    लाभ : 1. छोटी माऽा के उत्पाद के िलए उपयकु्त है । 2. सःती और सलुभ ह

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