ावित्री औय त्मिान - h.pdf · 2020. 3. 16. · थककय...

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एक आखियी इछा साविी औय समिान

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  • एक आखियी इच्छा सावित्री औय सत्मिान

  • याजकुभायी अऩने होने िारे ऩति से फहुि प्माय कयिी है. िबी उसको अऩने बािी ऩति के फाये भें एक बमानक यहस्म ऩिा चरिा है. इस िफय के फािजदू िो उससे शादी कयिी है. उसकी बक्ति औय दृढ़िा की ऩयीऺा िफ होिी है जफ भतृ्मु देििा मभ उसे एक इच्छा प्रदान कयि ेहैं, क्जसका उसे ऩूयी फुविभानी से उऩमोग कयना है. मह बायिीम कहानी - पे्रभ, बक्ति औय फहादयुी की शक्ति का जश्न भनािी है.

    एक आखियी इच्छा सावित्री औय सत्मिान

  • प्राचीन बायि भें एक भहान याजा थे. याजा अहहऩति औय उनकी यानी दोनों, प्रजा के वप्रम थे. उनकी िशुी अधूयी थी तमोंकक उनके कोई सॊिान नहीॊ थी. देिी रक्ष्भी ने उन ऩय दमा की. देिी ने सऩने भें याजा से कहा कक एक सार के बीिय उनके घय भें एक फच्चा होगा. उसके फाद ही सुॊदय फच्ची सावित्री का जन्भ हुआ.

  • सावित्री का फचऩना फहुि अच्छा फीिा. अठायह िर्ष की आमु भें, िो प्रकृति के फीच यहने िारों से सीिने के लरए जॊगर भें चरी गई. रौटने के फाद, उसने अऩने वऩिा से आकय फाि की. "प्माये वऩिाजी, भैं जॊगर भें मुभत्सेना नाभ के एक याजा से लभरी. एक दषु्ट याजा ने उन्हें याज्म से तनष्कालसि कय हदमा औय उनका लस ॊहासन हड़ऩ लरमा. कपय उसने उन्हें गयीफ औय अॉधा फनाकय जॊगर भें छोड़ हदमा. अफ याजा अऩने फेटे सत्मिान के साथ जॊगर भें यहिे हैं. वऩिाजी, भझु ेसत्मिान से पे्रभ हो गमा है."

  • याजा को फेटी की फाि अच्छी बी रगी ऩय दबुाषग्मऩूर्ष बी. "सावित्री," उन्होंने कहा, "भुझ ेिशुी है कक िुभने इिना मोग्म ऩति चुना है. ऩय इससे ऩहरे कक भैं अऩना आशीिाषद दूॉ, भैं अऩने हहिैलशमों से सराह-भशविया करॊ गा."

  • कपय याजा ने अऩने भखु्म ऩयाभशषदािा को फुराकय ऩूछा कक तमा िो वििाह ठीक यहेगा. "भहान याजा औय सावित्री," ऩयाभशषदािा ने उत्िय हदमा. "भैं फड़ ेिेद के साथ आऩको फिाना चाहिा हूॉ कक कर याि बगिान लशि भेये सऩने भें आए थे. उन्होंने भझु ेफिामा कक सत्मिान केिर एक ही िर्ष औय जीविि यहेगा. सावित्री, महद आऩ सत्मिान से शादी कयेंगी िो आऩको फड़ ेदु् ि झरेने ऩड़ेंगे." उसके फाद याजा ने सावित्री की ओय रुि कयके कहा. "वप्रम फेटी, भैं चाहिा हूॊ कक िुभ एक िुशहार जीिन क्जमो. विधिा होने के लरए िुभ अबी फहुि छोटी हो. िुभ अऩने लरए कोई दसूया स्िस््म िय तमों नहीॊ िोजिीॊ?" "वऩिाजी," सावित्री ने उत्िय हदमा, "भेये लरए मह भामने नहीॊ यििा कक हभाये ऩास ककिना सभम होगा. अऩने वप्रमिभ के साथ एक घॊटे की िुशी बी भेये लरए ककसी दसूये आदभी के साथ जीिन बय की िुशी की िुरना भें अधधक भलू्मिान होगी. आऩ फस एक िादा कयें कक आऩ सत्मिान की सच्चाई ककसी को फिाएॊगे नहीॊ."

  • फेटी की िशुी को याजा बरा इनकाय कैसे कयि?े कपय शादी उसी जॊगर भें आमोक्जि हुई जहाॉ दॊऩक्त्ि सफसे ऩहरे लभरे थे. ऩय दॊऩक्त्ि के ख़शुी के हदन जल्द ही फीि गए.

  • जल्द ही शादी के फाद के सार भें लसपष चाय हदन ही फाकी फचे. सावित्री ने देििाओॊ से भदद भाॊगने का पैसरा ककमा. िो जॊगर भें गई औय उसने घोय प्राथषना की. कई घॊटे फीि गए. सत्मिान ने सावित्री को जॊगर भें िड़ ेऩामा औय उसने उसका कायर् ऩूछा. "वप्रम, भैं सभझा नहीॊ सकिी," सावित्री ने कहा. "रेककन भैं अगरे चाय हदनों औय यािों के लरए महीॊ ऩय यहूॉगी." सत्मिान ने उससे विनिी की, "सावित्री, भैं िुम्हायी फाि सभझ नहीॊ ऩामा. ऩय भैं चाहिा हूॉ कक िुभ घय चरो." "नहीॊ," सावित्री ने कहा, "कुछ ज़रयी काभ है जो भुझ ेकयना ही होगा."

  • घॊटों िक सावित्री प्राथषना कयिी यही. उसने देििाओॊ से कुछ चभत्काय कयने की प्राथषना की. जल्द ही चाय हदन फीि गए औय अॊतिभ हदन का सूमष उदम हुआ. सत्मिान को इस फाि का कोई अॊदाज़ नहीॊ था कक मह ऩृ् िी ऩय मह उसका आखियी हदन था. सत्मिान ने सावित्री से दफुाया विनिी की. "भेयी प्मायी ऩत्नी, िुभने कई हदनों से कोई आयाभ मा बोजन नहीॊ ककमा है. चरो, िुभ घय चरकय आयाभ कयो. भैं िुम्हाये लरए कुछ पर इकट्ठा कयके रािा हूॉ."

  • सावित्री िे आखियी घॊटे अऩने ऩति के साथ बफिाना चाहिी थी. इसलरए सावित्री ने सुझाि हदमा कक िो दोनों लभरकय पर इकटे्ठ कयें.

  • थोड़ी देय फाद िे रुके िाकक, सत्मिान जराऊ रकड़ी काट सके. सावित्री ने आयाभ ककमा औय सत्मिान के रकड़ी काटिे सभम उसने दफुाया प्राथषना की. अचानक सत्मिान उसकी ओय भुड़ा औय उसने कहा, "वप्रम, भैं िुम्हें भुक्श्कर से देि ऩा यहा हूॊ. भेया लसय फुयी ियह से ददष कय यहा है. अफ भुझ ेआयाभ कयना चाहहए."

  • कपय सत्मिान गहयी नीॊद भें सो गमा. सावित्री ने उसका लसय अऩनी गोद भें यि लरमा औय उसका भाथा सहराने रगी. उसे हदर भें सत्मिान की भतृ्मु का डय था.

  • कुछ ऺर्ों फाद, सावित्री ने एक डयािनी आकृति को उऩय से नीच ेआिे हुए देिा. उसने सत्मिान के लसय को जभीन ऩय हटका हदमा औय िो िदु िड़ी हो गई. "आऩ कौन हैं? आऩ इस दतुनमा के िो बफरकुर नहीॊ हैं?" सावित्री ने ऩूछा. "भैं मभ हूॊ - भिृकों का देििा," उस आकृति के कहा. "भैं िुम्हाये ऩति को रे जाने के लरए आमा हूॉ."

  • सावित्री ने देिा कक उसका पे्रभी अऩनी अॊतिभ साॊसें रे यहा था. जैसे ही मभ, सत्मिान की आत्भा के साथ जाने के लरए तनकरे, सावित्री उनका यास्िा योक कय िड़ी हो गई. "िुभ भेये साभने से हटो!" मभ ने दहाड़कय कहा. "िुभ घय जाओ. अफ उसकी जीिन रीरा सभाप्ि हो गई है!" "भैं घय िावऩस नहीॊ जाऊॊ गी. भैं उसका ऩीछा करॊ गा- औय आऩका बी. आऩ जहाॊ बी जाएॊगे, भैं ऩीछे-ऩीछे आऊॊ गी."

  • मभ ने सावित्री को चाय हदनों िक प्राथषना कयि ेहुए देिा था. सत्मिान के प्रति िो सावित्री के सभऩषर् से अिगि थे. अॊि भें मभ ने कहा, "भैं सत्मिान का जीिन िो िाऩस नहीॊ दे सकिा हूॉ, रेककन सावित्री भैं िुम्हायी एक इच्छा ज़रय ऩूयी कय सकिा हूॊ. फिाओ, िुभ तमा चाहिी हो?"

  • "देखिए, सत्मिान के वऩिा अॊधे हैं. तमा आऩ उनकी दृक्ष्ट को फहार कय सकि ेहैं?" सावित्री ने ऩूछा. "चरो िुम्हायी इच्छा ऩूयी हुई. अफ िुभ भेये साभने से हटो," मभ ने कहा. रेककन सावित्री फेिौप होकय यास्ि ेभें िड़ी यही.

  • मभ ने आह बयी. "चरो ठीक है. एक चीज़ औय भाॊग रो. उसके फाद िुम्हें हटना ही होगा." "सत्मिान के वऩिा को िर्ों ऩहरे उनके याज्म से तनष्कालसि ककमा गमा था. कृऩा उन्हें उनका साम्राज्म िाऩस हदरिाएॊ." मभ ने कहा, "िुम्हायी दसूयी इच्छा बी ऩूयी हुई. अफ भेये साभने से हटो."

  • ऩय सावित्री अऩने स्थान से बफरकुर नहीॊ हहरी, हाराॊकक िो थककय चूय-चूय हो गई थी. "ठीक है िुभ अफ िीसयी इच्छा भाॊगो. कपय भुझ ेभेया काभ कयने के लरए छोड़ दो," मभ ने कहा.

  • "भेये वऩिा का कोई ऩुत्र नहीॊ है. कृऩा उन्हें एक ऩुत्र दें," सावित्री ने कहा. एक फाय कपय मभ ने सावित्री की इच्छा ऩूयी की. ऩय कपय बी सावित्री िहाॊ से नहीॊ हटी, बरे ही िो फेहद थकी थी.

  • मभ उसकी दृढ़िा से कापी नायाज थे. रेककन िे सावित्री की हहम्भि औय िाकि के प्रशॊसक बी थे. "ठीक है, एक चौथी इच्छा भाॊगो," मभ ने कहा. "भुझ ेएक फेटा चाहहए," सावित्री ने तनिेदन ककमा. "चरो, िुम्हाया एक फेटा ज़रय होगा," औय उसके फाद मभ ने सावित्री को एक ओय धकेरा औय कपय अऩने यास्िे चर हदए.

  • सावित्री थक कय योने रगी. रेककन उसने मभ का ऩीछा ककमा. "कृऩा," िो बीि भाॉगिी यही, "भेयी फस एक ही औय काभना है. फस एक अॊतिभ इच्छा..... " मभ रुके औय उन्होंने सावित्री को घूयकय देिा. "िुम्हायी बक्ति ने भुझ ेचतकय भें डार हदमा है. चरो, भैं िुम्हायी एक अॊतिभ इच्छा बी ज़रय ऩूयी करॊ गा. फिाओ, िुभ तमा चाहिी हो."

  • "आऩ भेये ऩति को भुझ ेिाऩस कय दें!" सावित्री योई. "िुभ कबी हाय नहीॊ भानोगी?" औय मह कहकय मभ िहाॊ से गामफ हो गए.

  • सावित्री िाऩस अऩने ऩति के ऩास गई. सत्मिान के चेहये का यॊग िावऩस रौट आमा था औय अफ धीये-धीये उसकी आॉिें िरु यही थीॊ. "तमा हुआ? तमा भैं सो गमा था?" सत्मिान ने ऩूछा. "आऩ फस आयाभ कय यहे थे. वप्रम, अफ हभ घय चरेंगे."

  • मुिा जोड़ा जफ अऩने घय रौटा िो उन्होंने ऩामा कक सत्मिान के वऩिा मुभत्सेना की आॊिों की योशनी िावऩस रौट आई थी औय िो एक फाय कपय से देि सकि ेथे. कुछ सभम फाद एक दिू आमा, क्जसने घोर्र्ा की कक दषु्ट याजा को उिाड़ पें का गमा था. कपय मुभत्सेना एक फाय कपय याजा फने. कुछ देय भें सावित्री ने सफ को मह िशुिफयी सुनाई कक िो जल्द ही भाॉ फनने िारी थी. "मह सच भें एक चभत्कारयक हदन है," मुभत्सेना ने कहा. सावित्री ने अऩने ऩति की ओय देिा औय पुसपुसािे हुए कहा, "तनक्श्चि रऩ से. अफ हभें इस ख़शुी ऩय मकीन कयना ही होगा."

  • सभाप्ि