हज़रत अक़्दस की पुरानी तहरीरें ·...

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  • हज़रत अक़्दस की

    पुरानी तहरीरें(पुराने लेख)

    संपा्दकशेख़ याक़ूब अली तुराब

    एडिटर अल-हकम क़ाडियान30 मई 1899 ई०

    I

  • नाम पुसतक : हज़रत अक़िस की परुानी तहरीरें (परुान े लेख)Name of book : Hazrat Aqdas Ki Purani Tahrirenसंपािक : शख़े याक़ूब अली तरुाब एडिटर अल-हकम क़ाडियानEditor : Shaikh Yaqoob Ali Turab Editor al-hakam Qadian अनुवािक : िॉ अनसार अहमि, पी एच. िी., आनस्स इन अरडबकTranslator : Dr Ansar Ahmad, Ph. D, Hons in Arabicटाईडपंग, सैडटंग : मलीहा सबाहTyping Setting : Maliha Sabahसंसकरण तथा वर्स : प्रथम संसकरण (डहनिी) अगसत 2018 ई०Edition. Year : 1st Edition (Hindi) August 2018संखया, Quantity : 1000प्रकाशक : नज़ारत नश्र-व-इशाअत, क़ाडियान, 143516 डज़ला-गुरिासपुर (पंजाब)Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)मुद्रक : फ़ज़ले उमर डप्रंडटंग प्रेस, क़ाडियान, 143516 डज़ला-गुरिासपुर, (पंजाब)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab)

    II

  • प्रकाशक की ओर से हज़रत डमज़ा्स ग़ुलाम अहमि साडहब क़ाडियानी मसीह मौऊि व

    महिी मा'हूि अलैडहससलाम द्ारा डलडखत पुसतक का यह डहनिी अनुवाि श्री िॉ० अनसार अहमि ने डकया है और ततपश्ात मुकर्रम शेख़ मुजाडहि अहमि शासत्ी (सिर ररवययू कमेटी), मुकर्रम फ़रहत अहमि आचाय्स (इंचाज्स डहनिी िेसक), मुकर्रम अली हसन एम. ए. और मुकर्रम नसीरुल हक़ आचाय्स ने इसकी प्रयूफ़ रीडिंग और ररवययू आडि डकया है। अल्ाह तआला इन सब को उत्तम प्रडतफल प्रिान करे।

    इस पुसतक को हज़रत ख़लीफ़तुल मसीह ख़ाडमस अययिहुल्ाहु तआला डबनडरिडहल अज़ीज़ (जमाअत अहमडिया के वत्समान ख़लीफ़ा) की अनुमडत से डहनिी प्रथम संसकरण के रूप में प्रकाडशत डकया जा रहा है। डवनीत हाडफ़ज़ मख़ियूम शरीफ़ नाडज़र नश्र व इशाअत क़ाडियान

  • पुरानी तहरीरें

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    पुरानी तहरीरें1 (पुराने लेख)आवागमन का खण्डन

    तथा वेद और क़ुआ्आन की तुलना

    आवागमन का खण्डन तथा वेद और क़ुआ्आन की तुलना उस पांच सौ रुपए के पुरसकार के ववज्ापन सवहत विसे पहले भी बावा

    सावहब से शासत्ाथ्आ के समय साव्आिवनक तौर पर प्रचाररत वकया गया था, से समबद्ध लेख की घोषणा

    न्या्प्रि् पयाठकों की सेवया में सपष्ट हो प्क इस घोषणया को रिसयारित किने कया कयािण ्ह है प्क कुछ प्िन हुए प्क पंप्ित खड़क प्संह सयाप्हब सिस् आ््य समयाज अमृतसि, कयाप्ि्यान पधयािे औि बहस किने के अप्िलयाषी हुए। अतः उनकी इचछयानुसयाि वेि औि क़ुआ्यन की दृष्ष्ट से आवयागमन के बयािे में बहस त् पयाई। इसके अनुसयाि हमने एक लेख जो इसके पश्यात् प्लखया जयाएगया, आवयागमन के खणिन में इस अप्नवया््यतया के सयाथ तै्याि प्क्या प्क उसके समसत सबूत पप्वत्र क़ुआ्यन से प्लए गए औि कोई िी ऐसया सबूत नहीं प्लखया प्क प्जसकया स्ोत औि आश् पप्वत्र क़ुआ्यन न हो औि प्िि लेख सयाव्यजप्नक जन सिया में पंप्ित सयाप्हब की सेवया में रिसतुत प्क्या ग्या तयाप्क पंप्ित सयाप्हब िी हमयािे प्नधया्यरित प्न्म के अनुसयाि आवयागमन के समथ्यन में वेि की श्ुप्त्यां रिसतुत किें तथया इस रिकयाि से आवयागमन के प्वष् कया प्नण्य् हो जयाए तथया वेि औि क़ुआ्यन 1. हज़ित मसीह मौऊि अलैप्हससलयाम के ्े लेख बियाहीन अहमप्ि्या से िी पहले के हैं प्जनको पहली बयाि हज़ित ईरया्यनी कबीि शेख़ ्याक़ूब अली ने रिकयाप्शत प्क्या थया।

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    पुरानी तहरीरें

    की वयासतप्वकतया िी रिकट हो जयाए प्क उन में से कौन प्वज्ी तथया कौन पियाप्जत है। इस पि पंप्ित सयाप्हब ने समपूण्य लेख सुनने के पश्यात् वेि के सबूत रिसतुत किने से सव्यथया असमथ्यतया रिकट की, औि ऋगवेि से मयात्र िो श्ुप्त्यां रिसतुत कीं प्जनमें उनके प्वचयाि से आवयागमन की चचया्य थी तथया अपने सयामर््य से िी हमयािे द्यािया रिसतुत सबूत कया खणिन न कि सके। हयालयांप्क उन पि अप्नवया््य थया प्क क़ुआ्यन के सबूतों की तुलनया में अपने वेि की िी कुछ प्िलयासरी हमें प्िखयाते औि इस ियावे को जो पंप्ित ि्याननि सयाप्हब एक लमबे सम् से कि िहे हैं प्क वेि समसत प्वद्याओं एवं कलयाओं कया उद्गम है प्सद्ध किते प्कनतु खेि प्क कुछ िी न बोल सके औि मौन िह गए तथया असमथ्य औि लयाचयाि होकि अपने गयांव की ओि चले गए। गयांव में जयाकि प्िि एक लेख िेजया प्जससे मयालूम होतया है प्क उनमें अिी बहस किने की रुप्च शेष है तथया आवयागमन के प्वष् के बयािे में प्कसी अख़बयाि के द्यािया वेि औि क़ुआ्यन की तुलनया चयाहते हैं। अतः अप्त उत्तम, हम पहले ही तै्याि हैं। आवयागमन के खणिन कया लेख प्जसे हम सयाव्यजप्नक जलसे में आििणी् पंप्ित सयाप्हब को सुनया चुके हैं। वह समपूण्य लेख पप्वत्र क़ुआ्यन के तककों एवं सबूतों से प्लखया ग्या है औि जगह-जगह क़ुआ्यन की आ्तों कया हवयालया है। पंप्ित सयाप्हब पि अप्नवया््य है प्क अपनया लेख जो वेि के सबूतों से हमयािे लेख की तुलनया में तै्याि प्क्या हो सिीिे प्हनि ्या प्बियाििे प्हनि ्या ‘आ््य िप्यण’ अखबयाि में छपवया िें। प्िि बुप्द्धमयान लोग सव्ं ही िेख लेंगे तथया उप्चत होगया प्क इस वेि औि क़ुआ्यन के मुबयाहसे की सपष्ट श्ेष्ठतया कया प्नण्य् किने के प्लए िो सभ् एवं प्वद्यान व्ष्ति बतौि प्नणया्य्क (मध्सथ) एक ईसयाई धम्य से तथया एक ब्रह्म समयाज से जो िोनों पक्ों के धम्य से संबंप्धत नहीं हैं, प्न्ुति प्कए जयाएं। अतः मेिे प्वचयाि में एक जनयाब पयाििी िजब

  • पुरानी तहरीरें

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    अली सयाप्हब जो कुशयाग्रबुप्द्ध अनवेषक हैं औि िूसिे जनयाब पंप्ित प्शव नयािया्ण सयाप्हब जो ब्रह्म समयाज में प्वद्यान तथया सूक्म दृष्ष्ट िखते हैं इस प्ववयाप्ित बयात कया प्नण्य् किने में प्नणया्य्क बनने के प्लए बहुत ही उत्तम औि उप्चत हैं। इस रिकयाि से बहस किने में वयासतव में चयाि िया्िे हैं-

    प्रथम- आवयागमन की बहस पूण्य छयानबीन के सयाथ प्नण्य् पया जयाएगी।

    ववितीय- इस तुलनया औि मुकयाबलया से वेि औि क़ुआ्यन की िली ियांप्त पिीक्या हो जयाएगी तथया तुलनया के पश्यात् न्या्प्रि् लोगों की दृष्ष्ट में जो अनति रिकट होगया वही अनति प्नणया्य्क बयात समझी जयाएगी।

    तृतीय- ्ह लयाि प्क इस अप्नवया््यतया से अनप्िज्ञ लोग वेि औि क़ुआ्यन की प्लप्खत आसथयाओं से पूण्यत्या अवगत हो जयाएंगे।

    चतुथ्आ- ्ह रया्िया होगया प्क आवयागमन की ्ह बहस प्कसी एक व्ष्ति की िया् नहीं समझी जयाएगी बष्लक पुसतक के रूप में संकप्लत होकि तथया असंतुप्लत ढंग से परिणयाम ग्रहण किके सनिेहयातमक औि त्रुप्टपूण्य (खोटी) नहीं िहेगी औि इस बहस में ्ह कुछ आवश्क नहीं प्क अकेले पंप्ित खड़क प्संह सयाप्हब ही उत्ति प्लखने के प्लए परिश्म किें बष्लक मैं सयाव्यजप्नक घोषणया कितया हं प्क सिी सज्जनों में से कप्थत शीष्यक आवयागमन कया खणिन जो आगे प्लखया जयाएगया, कोई प्वद्यान व्ष्ति उत्ति िेने के रिबंधक हों औि ्प्ि कोई िी व्ष्ति इतनया अप्धक ज़ोि िेने के बयाि िी इस तिर ध्यान नहीं िेंगे तथया आवयागमन को प्सद्ध किने के सबूत वेि के तथयाकप्थत िश्यन से रिसतुत नहीं किेंगे ्या वेि द्यािया इन सबूतों से असमथ्य होने की ष्सथप्त में अपनी बुप्द्ध से उत्ति नहीं िेंगे तो उन पि आवयागमन के असत् होने की प्िग्री हमेशया के प्लए हो जयाएगी तथया इसके अप्तरिति वेि कया ियावया प्क मयानो वह समसत प्वद्याओं एवं

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    पुरानी तहरीरें

    कलयाओं पि आधयारित है केवल अरिमयाप्णत औि असत् ठहिेगया तथया अनततः ध्यान प्िलयाने के प्लए ्ह िी प्नवेिन है प्क मैंने जो इस से पूव्य ििविी 1878 ई० में आवयागमन के प्वष् के असत् होने पि पयांच सौ रुपए कया इनयामी प्वज्ञयापन प्ि्या थया। वह प्वज्ञयापन अब इस लेख से िी सव्यथया संबप्धत है। ्प्ि पंप्ित खड़क प्संह सयाप्हब ्या कोई अन् सज्जन हमयािे समसत सबूतों कया वेि में प्लप्खत सबूतों द्यािया क्रमयानुसयाि उत्ति िेकि अपनी बुप्द्ध से खणिन कि िेंगे तो प्नससनिेह प्वज्ञयापन की इनयामी ियाप्श के पयात्र ठहिेंगे औि प्वशेषतः खड़क प्संह सयाप्हब की सेवया में प्जनकया ्ह ियावया है प्क हम पयांच प्मनट में उत्ति िे सकते हैं ्ह प्नवेिन है प्क वह अब अपनी ज्ञयान संबंधी ्ोग्तया को मसीही धम्य तथया ब्रह्म समयाज के रिप्तष्ष्ठत प्वद्यानों के समक् रििप्श्यत किें तथया जो-जो प्वशेषतयाएं उनके श्ेष्ठ अष्सततव में प्छपी हुई हैं, रिकट किें अन्थया नयाियान जनसयाधयािण के सयामने कुछ कहनया केवल बकवयास है इस से अप्धक कुछ नहीं। अब मैं नीचे वयािया की गई इबयाित प्लखतया हंः-

    लेख- अवयागमन कया खणिन तथया वेि औि क़ुआ्यन की तुलनया प्जसके उत्ति की मयांग में आ््य समयाज के प्वद्यानों अथया्यत् पंप्ित खड़क प्संह सयाप्हब, सवयामी पंप्ित ि्याननि सयाप्हब, जनयाब बयावया नयािया्ण प्संह सयाप्हब, जनयाब मुंशी जीवनियास सयाप्हब, जनयाब मुंशी कनहै्या लयाल सयाप्हब, जनयाब मुंशी बखतयावि प्संह सयाप्हब एिीटि ‘आ््य िप्यण’. जनयाब बयाबू शयाििया रिसयाि सयाप्हब, जनयाब मुंशी शिमपत सयाप्हब सेक्रेटिी आ््य समयाज कयाप्ि्यान, जनयाब मुंशी इनििमन सयाप्हब समबोप्धत हैं पयांच सौ रुपए इनयाम के वयािया सप्हत।

    आ््य समयाज कया रिथम प्सद्धयानत जो आवयागमन कया आधयाि है ्ह है प्क िुप्न्या कया कोई स्ष्टया (ख़याप्लक) नहीं औि सब रूहें (आतमयाएं)

  • पुरानी तहरीरें

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    पिमेश्वि की तिह अनयाप्ि हैं तथया अपने-अपने अष्सततव की सव्ं ही पिमेश्वि (स्ष्टया) हैं। मैं कहतया हूँ प्क ्ह प्सद्धयानत ग़लत है औि इस पि आवयागमन की पटिी जमयानया एक ख़ियाब प्वष् पि ख़ियाब बुप्न्याि िखनया है। पप्वत्र क़ुआ्यन प्क प्जस पि इसलयाम के समपूण्य अनुसंधयान की नींव है औि प्जसके तककों को रिसतुत किनया वेि के तककों की मयांग तथया वेि औि क़ुआ्यन में प्लप्खत प्रलयासरी की पिसपि तुलनया के उद्ेश् से हम वयािया कि चुके हैं, स्ष्टया के सृष्ष्ट किने की आवश्कतया को अटल तककों द्यािया प्सद्ध कितया है। अतः वे तक्क प्वविण सप्हत प्नमनप्लप्खत हैंः-

    रिथम तक्क जो प्लममी तक्क है अथया्यत् तक्क कयािण से कयािक की ओि िलील गई है। िेखो सूिह अि्रअि ियाग-13

    اُر۔ َقّہََْواِحُد ال

    ُْہَوال ٍء ّوَ

    اہلَلُ َخالِـُق ُکِلّ َشْ(अि्रअि-17)अथया्यत् ख़ुिया रित्ेक वसतु कया स्ष्टया है, क्ोंप्क वह अपने अष्सततव

    औि प्वशेषतयाओं में अकेलया है औि अकेलया िी ऐसया प्क कहहयाि है अथया्यत् समसत वसतुओं को अपने अधीन िखतया है तथया उन पि रििुतव िखने वयालया है। ्ह तक्क रिथम रूप के द्यािया प्जसकया परिणयाम सपष्ट है इस रिकयाि सथयाप्पत होतया है प्क उसकया सुग़िया ्ह है प्क ख़ुिया एक ओि कहहयाि है तथया कुबिया ्ह प्क रित्ेक जो अकेलया औि कहहयाि हो वह सव्ं के अप्तरिति संसयाि की समसत वसतुओं कया स्ष्टया हो। परिणयाम ्ह हुआ प्क ख़ुिया समपूण्य सृष्ष्ट्ों कया स्ष्टया है। रिथम रूप कया प्सद्ध किनया अथया्यत् सुग़िया इस रिकयाि से है प्क अकेलया औि कहहयाि होनया ख़ुिया तआलया कया प्सद्धयानत िूसिे सिस् के प्वष् अप्पतु समसत संसयाि कया प्सद्धयानत है तथया प्द्ती् रूप कया प्सद्ध किनया अथया्यत् कुब्रया कया अथ्य इस रिकयाि से है प्क ्प्ि ख़ुिया तआलया अकेलया औि कहहयाि होते हुए अपने

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    पुरानी तहरीरें

    अष्सततव के अप्तरिति अन् कया स्ष्टया न हो अप्पतु संसयाि की समसत वसतुओं कया अष्सततव अनयाप्ि कयाल से चलया आतया हो तो ऐसी अवसथया में वह अकेलया औि कहहयाि िी नहीं हो सकतया। अकेलया इस कयािण नहीं हो सकतया प्क एकतव (वहियाप्न्त) के अथ्य इसके अप्तरिति औि कुछ नहीं प्क अन् की ियागीियािी से पूण्यत्या पप्वत्र हो औि जब ख़ुिया तआलया आतमयाओं (रूहों) कया स्ष्टया न हो तो इस से िो रिकयाि कया प्शक्क (ख़ुिया कया ियागीियाि बनयानया) अप्नवया््य हुआ। प्रथम- ्ह प्क समसत आतमयाएं (रूहें) अनुतपत्त होकि उस (ख़ुिया) के समयान अनयाप्ि हो गईं। ववितीय- ्ह है प्क उनके प्लए िी रिप्तपयालक (पिविप्िगयाि) के समयान वयासतप्वक अष्सततव मयाननया पड़े जो अन् से लयाियाष्नवत नहीं। अतः इसी कया नयाम अन् के सयाथ ियागीियािी है औि स्ष्टया की अन् के सयाथ ियागीियाि बुप्द्ध की दृष्ष्ट से सपष्ट रूप से असत् है क्ोंप्क इससे स्ष्टया कया ियागीियाि पैिया होतया है औि स्ष्टया कया ियागीियाि प्नषेध एवं असंिव है। अतः जो बयात असंिव को अप्नवया््य किती हो वह िी असंिव है तथया कहहयाि इस कयािण नहीं हो सकतया प्क कहहयाि होने की प्वशेषतया के अथ्य ्े हैं प्क िूसिों को अपने अधीन कि लेनया तथया उन पि हि रिकयाि कया आप्धपत् एवं अप्धकयाि सथयाप्पत कि लेनया। अतः अनुतपत्त औि आतमयाओं (रूहों) को ख़ुिया अपने अधीन नहीं कि सकतया, क्ोंप्क जो वसतुएं अपने अष्सततव में अनयाप्ि औि अनुतपत्त हैं वे अप्नवया््य तौि पि अपने अष्सततव में वयाप्जबुल वुजूि (सव्ंिू) हैं, इसप्लए प्क अपने अष्सततव में प्कसी अन् कया मुहतयाज नहीं (तयातप््य पिमेश्वि) औि इसी कया नयाम वयाप्जब है प्जसे रयािसी में ख़ुिया अथया्यत् 'ख़ुि आइनिः' कहते हैं (अथया्यत् सव्ंिू)। अतः जब आतमयाएं स्ष्टया के अष्सततव के समयान ख़ुिया औि वयाप्जबुल वुजूि (सव्ंिू) ठहिीं तो उनकया स्ष्टया के अधीन िहनया बुप्द्ध के प्नकट असंिव

  • पुरानी तहरीरें

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    एवं प्नषेध हुआ, क्ोंप्क एक वयाप्जबुल वुजूि िूसिे वयाप्जबुल वुजूि के अधीन नहीं हो सकतया। इससे पुनियावृप्त्त औि प्निनतितया अप्नवया््य आती है, प्कनतु वत्यमयान बयात तो िोनों रिप्तद्ंिी सिस्ों को मयान् है ्ह है प्क समसत आतमयाएं (रूहें) ख़ुिया तआलया के अधीन हैं कोई उसके आप्धपत् से बयाहि नहीं। अतः प्सद्ध हुआ प्क वे सब नवीन औि सृष्ष्ट हैं उनमें से कोई ख़ुिया औि वयाप्जबुलवुजूि (सव्ं िू) नहीं औि ्ही अिीष्ट थया।

    प्द्ती् तक्क जो इन्ी है अथया्यत् वह तक्क जो कयािक से कयािण की ओि जयाए। िेखो सूिह अलिुिकयान आ्त - 3

    َرٗہ تَْقِدیًْرا۔ ٍء فََقّدَ ِک َوَخلََق ُکّلَ َشُْْمل

    ْال ٗ َشِریٌْک ِفْ لَْم یَُکْن ّلَ

    अथया्यत् उसकी बयािशयाहत में कोई उसकया ियागीियाि नहीं। वह सब कया स्ष्टया है औि उसके स्ष्टया होने पि ्ह सपष्ट तक्क है प्क रित्ेक वसतु को एक प्नष्श्त अनुमयान पि पैिया प्क्या है प्क प्जस से वह बयाहि नहीं जया सकती अप्पतु उसी अनुमयान में प्घिी औि सीप्मत है। इस कया तक्कशयासत्री् रूप इस रिकयाि है प्क रित्ेक शिीि औि आतमया एक प्नधया्यरित अनुमयान में प्घिी हुई औि सीप्मत है औि रित्ेक वह चीज़ प्क प्कसी प्नधया्यरित अनुमयान में प्घिी हुई औि सीप्मत हो उसकया कोई परिवेष्टया1 औि परिसीमनकतया्य अवश् होतया है। प्नषकष्य ्ह हुआ प्क रित्ेक शिीि औि आतमया के प्लए परिवेष्टया औि परिसीमनकतया्य है। अब रिथम िलील कया प्सद्ध किनया इस रिकयाि है अथया्यत् वसतुओं कया सीप्मत होनया इस रिकयाि है प्क समसत शिीि औि आतमयाओं में जो-जो प्वशेषतयाएं पयाई जयाती हैं बुप्द्ध सवीकयाि कि सकती है प्क उन प्वशेषतयाओं से अप्धक प्वशेषतयाएं उनमें पयाई जयातीं। उियाहिणतः मनुष् की िो आंखें हैं औि बुप्द्ध के अनुसयाि 1. हयाप्सि - घेिे में किने वयालया, मुहप्ि्िि-हिवनिी किने वयालया, परिसीमनकतया्य अथया्यत् परिवेष्ट। (अनुवयािक)

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    पुरानी तहरीरें

    संिव थया प्क उसकी चयाि आंखें होतीं। िो मुंह की ओि, िो पीछे की ओि तयाप्क जैसया सयामने की वसतुओं को िेखतया है वैसया ही पीछे की वसतुओं को िी िेख लेतया औि कुछ सनिेह नहीं प्क चयाि आंख कया होनया िो आंखों की तुलनया में प्वशेषतया में अप्धक तथया लयाि में िोगुनया है तथया मनुष् के पंख नहीं, संिव थया प्क अन् पप्क््ों के समयान उसके पंख िी होते औि इसी रिकयाि मयानव आतमया िी एक प्वशेष श्ेणी में सीप्मत है जैसया प्क वह प्कसी प्शक्क से प्शक्या रियाप्त प्कए प्बनया अज्ञयात बयातों को ज्ञयात नहीं कि सकती प्कसी बयाह्य ज़बििसत से प्क जैसे िीवयानगी ्या नशे में चूि होने की हयालत है उप्चत ष्सथप्त में नहीं िह सकती बष्लक तुिंत उसकी शष्ति्ों एवं तयाकतों में अवनप्त हो जयाती है। इसी रिकयाि वह सव्ं उनके ियागों को ज्ञयात नहीं कि सकती जैसया प्क इसको अनवेषक बू अली सीनया ने ‘नमत सयाप्बअ इशयाियात’ में प्वसतयाि पूव्यक उल्ेख प्क्या है, हयालयांप्क बुप्द्ध के अनुसयाि संिव थया प्क इन समसत संकटों औि िोषों से बचया हुआ होतया। अतः प्जन-प्जन पिों औि श्ेष्ठतयाओं को मनुष् औि उसकी आतमया के प्लए बुप्द्ध रिसतयाप्वत कि सकती है वह प्कस बयात से उन पिों से वंप्चत है क्या ्ह रिसतयाव प्कसी िूसिे रिसतयावक से अथवया सव्ं अपनी इचछया से। ्प्ि कहो प्क अपनी इचछया से तो ्ह प्बलकुल प्वपिीत है क्ोंप्क कोई व्ष्ति अपने पक् में िोष उप्चत नहीं समझतया, औि ्प्ि कहो प्क रिसतयाव प्कसी अन् रिसतयावक से, तो मुबयािक हो प्क आतमयाओं (रूहों) औि शिीिों के स्ष्टया कया अष्सततव प्सद्ध हो ग्या औि ्ही उद्ेश् थया।

    तृतीय तक्क िो व़ियासुलख़ुल्फ़ है औि प्क्यासुलख़ुलर उस प्क्यास (अनुमयान) कया नयाम है प्जसमें वयांप्छत को उसके प्वपिीत के खणिन द्यािया प्सद्ध प्क्या जयातया है औि इस प्क्यास को तक्कशयासत्र में ख़ुलर इस पहलू से कहते हैं प्क ख़ुलर शबिकोश में असत् के अथ्य

  • पुरानी तहरीरें

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    में है तथया इसी रिकयाि इस प्क्यास में ्प्ि मतलूब (वयांप्छत) को प्क प्जसकी वयासतप्वकतया कया ियावया है सच्या न मयान प्ल्या जयाए तो परिणयाम ऐसया प्नकलेगया जो असत् को अप्नवया््य होगया औि उपिोति प्क्यास ्ह है, िेखो सूिह ‘अत्तूि’ ियाग-27 (आ्त 36-38)

    ٰخِلُقــْوَن ۔ اَْم َخلَُقــْوا ٍْء اَْم ُہــُم ال اَْم ُخِلُقــْوا ِمــْن َغــْرِ َشْ

    ــَک ــُن َرِبّ ــْم َخَزٓإىِ ــْوَن ۔ اَْم ِعْنَدُہ َ یُْؤِقُن ّلّْــل َْرَض بَ

    ْــٰمٰوِت َوال الّس

    ْوَن۔ُ

    ْیِطــر ُمۜصَْاَْم ُہــُم ال

    अथया्यत् क्या ्े लोग स्ष्टया के सृजन किने के इनकयािी हैं प्कसी स्ष्टया के उतपन् किने के प्बनया ही उतपन् हो गए अथवया अपने अष्सततव को सव्ं ही पैिया कि प्ल्या ्या सव्ं समसत कयािणों कया कयािण हैं प्जनहोंने पृरवी औि आकयाश पैिया प्क्या अथवया उन के पयास ज्ञयान औि बुप्द्ध के असीप्मत िणियाि हैं प्जन के द्यािया उनहोंने ज्ञयात प्क्या प्क हम अनयाप्ि अष्सततव हैं ्या वे सवचछनि हैं औि प्कसी की शष्ति के अप्धकयाि में रिकोप्पत नहीं हैं। तयाप्क ्ह धयािणया हो प्क जब उन पि कोई प्वजेतया औि महयारिकोपी (कहहयाि) ही नहीं तो वह उनकया स्ष्टया कैसे हो। इस आ्त में ्ह सूक्म तक्क है प्क आतमयाओं के अनयाप्ि होने के सिी पयांच ियागों को इस तक्क पूण्य शैली से वण्यन प्क्या है प्क रित्ेक ियाग के वण्यन द्यािया उस ियाग कया उसी सम् खणिन हो जयातया है। इन सूक्म संकेतों कया प्वविण ्ह है प्कः-

    प्रथम भाग- अथया्यत् एक मयािूम (नयाष्सत) कया प्कसी कतया्य के कम्य के प्बनया सव्ं उतपन् हो जयानया इस रिकयाि असत् है प्क उस से एक को िूसिे पि प्बनया कयािण के रिधयानतया (तजजीह) िेनया अप्नवया््य हो जयातया है, क्ोंप्क नयाष्सत से आष्सत कया प्लबयास धयािण किने के प्लए एक रिियावशयाली रिधयान होनया चयाप्हए, जो अष्सततव को अनष्सततव पि रिधयानतया िे। पिनतु ्हयां

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    कोई रिियावशयाली रिधयान मौजूि नहीं तथया रिधयान के अप्तरिति के अियाव में सव्ं रिधयानतया पैिया हो जयानया असंिव है।

    ववितीय भाग- अथया्यत् अपने अष्सततव कया सव्ं ही स्ष्टया होनया इस रिकयाि असत् है प्क इस से सव्ं पि वसतु कया पहले होनया अप्नवया््य हो जयातया है क्ोंप्क ्प्ि ्ह सवीकयाि प्क्या प्क रित्ेक वसतु के अष्सततव कया अप्नवया््य कयािण उस वसतु कया सव्ं होनया है। अतः आवश्क तौि पि ्ह इकियाि उस इकियाि के प्लए अप्नवया््य होगया प्क वे समसत वसतुएं अपने अष्सततव से पूव्य मौजूि थीं औि अष्सततव से पूव्य मौजूि होनया असंिव है।

    तृतीय भाग- अथया्यत् रित्ेक वसतु कया स्ष्टया के अष्सततव की ियांप्त समसत कयािणों कया कयािण तथया समपूण्य संसयाि कया िचप््तया होनया अनेकों ख़ुियाओं कया होनया अप्नवया््य कितया है तथया अनेकों ख़ुिया होनया सव्यसममप्त से असंिव है तथया इस से पुनियावृप्त्त औि प्निनतितया अप्नवया््य आती है औि वह िी असंिव है।

    चतुथ्आ भाग- अथया्यत् मनुष् कया असीप्मत ज्ञयानों को अपनी परिप्ध में लेनया इस तक्क द्यािया असंिव है प्क मयानव मनोवृप्त बयाह्य पहचयान के प्नधया्यिण की दृष्ष्ट से सीप्मत है औि सीप्मत में असीप्मत नहीं समया सकतया। इस से असीप्मत कया सीप्मत किनया अप्नवया््य आतया है।

    पंचम भाग- सवेचछयाचयािी होनया तथया प्कसी के आिेश के अधीन होनया प्नषेध है क्ोंप्क मनुष् की आतमया अपने अष्सततव की पूण्यतया के प्लए एक पूण्य किने वयाले की मुहतयाज है औि मुहतयाज कया सवेचछयाचयािी होनया असंिव है। इस से िो पिसपि प्वपिीत बयातों कया एकत्र होनया अप्नवया््य आतया है (जो ग़लत है)। अतः जबप्क स्ष्टया के मयाध्म के प्बनया संसयाि की समसत प्वद्मयान वसतुओं कया मौजूि होनया बहिहयाल प्नषेध औि असंिव हुआ, तो अवश्क तौि पि ्ही सवीकयाि किनया पड़या प्क समसत

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    प्वद्मयान सीप्मत वसतुओं कया एक स्ष्टया है जो ख़ुिया तआलया है। इस प्क्यास (अनुमयान) के रूप जो सुग़िया औि कुबिया के मुकद्मों (अथया्यत् अनुमयान कया रिथम प्ववयाि तथया प्द्ती् प्ववयाि) के अनुक्रम (तितीब) द्यािया तक्कशयासत्र के प्न्मयानुसयाि जो अनुक्रम बनतया है इस रिकयाि है प्क हम कहते हैं प्क ्ह प्ववयाि सव्ं में सत् है प्क कोई वसतु पिमेश्वि के मयाध्म के प्बनया मौजूि नहीं हो सकती क्ोंप्क ्प्ि वह सच्या नहीं है तो उसकया प्वपिीत सच्या होगया प्क रित्ेक वसतु पिमेश्वि के मयाध्म के प्बनया अष्सततव में आ सकती है औि ्ह िूसिया प्ववयाि अिी हमयािी उपिोति खोज में प्सद्ध हो चुकया प्क समसत संियाप्वत चीज़ों कया अष्सततव पिमेश्वि के मयाध्म के प्बनया पयांच असंिव बयातों को अप्नवया््य तौि पि सयामने लयातया है। अतः ्प्ि ्ह प्ववयाि सही नहीं है प्क कोई चीज़ प्बनया वयाप्जबुल वजूि के मौजूि नहीं हो सकती तो ्ह प्ववयाि उप्चत होगया प्क समसत वसतुओं के अष्सततव को पयांच असंिव बयातें अप्नवया््य हैं, प्कनतु वसतुओं कया अष्सततव पयांच असंिव बयातों के होते हुए एक असंिव बयात है। अतः परिणयाम ्ह प्नकलया प्क सव्ंिू पिमेश्वि के प्बनया प्कसी वसतु कया मौजूि होनया असंिव बयात है औि ्ही अिीष्ट थया।

    चतुथ्आ तक्क पप्वत्र क़ुआ्यन में इप़््तियानी प्क्यास द्यािया सथयाप्पत प्क्या ग्या है। ज्ञयात होनया चयाप्हए प्क प्क्यास (अनुमयान) सबूत के तीन रिकयािों में से रिथम रिकयाि है। औि प्क्यास इप़््तियानी वह प्क्यास है प्जसमें मूल परिणयाम ्या उसकया प्वपिीत प्क्र्यातमक तौि पि वप्ण्यत न हो बष्लक आनतरिक तौि पि पया्या जयाए। तथया इप़््तियानी इस दृष्ष्ट से कहते हैं प्क उसकी सीमयाएं अथया्यत् सबसे छोटी, मध्म औि सब से बड़ी पयास-पयास होती हैं तथया सयामयान् तौि पि प्क्यास (अनुमयान) तक्क के समसत रिकयािों में से उच्तम एवं श्ेष्ठतम है क्ोंप्क इसमें कुल की ष्सथप्त को िेखकि

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    उसके ियागों की ष्सथप्त पि सबूत प्ल्या जयातया है जो पूण्यत्या पूण्य किने के कयािण पूण्य प्वश्वयास कया लयाि िेतया है। अतः वह प्क्यास प्जसकी इतनी रिशंसया इस पप्वत्र आ्त में िज्य है औि पिमेश्वि के स्ष्टया होने के सबूत में गवयाही िे िहया है। िेखो सूिह अलहश् ियाग – 28

    ُحْسٰنَْْسَمٓاُء ال

    ُْر َلٗ ال ُمَصِوّ

    َْباِرُئ ال

    َْخالُِق ال

    ُْہَواہللُ ال

    (अलहश् आ्त- 25)वह अल्याह स्ष्टया है अथया्यत् पैिया किने वयालया है वह ‘बयािी’ है

    अथया्यत् आतमयाओं औि शिीिों को नयाष्सत से आष्सत में लयाने वयालया है, वह मुसष्ववि है अथया्यत् सयामयान् आकृप्त तथया प्वशेष आकृप्त रिियान किने वयालया है, क्ोंप्क उसके प्लए समसत उत्तम नयाम रिमयाप्णत हैं अथया्यत् समपूण्य प्वशेषतयाएं जो बुप्द्ध पूण्य रूप से रिसतयाप्वत कि सकती है उसके अष्सततव में एकत्र हैं। अतः नयाष्सत से आष्सत किने पि िी वह समथ्य है क्ोंप्क नयाष्सत से आष्सत में लयानया क़ुििती प्वशेषतयाओं में से एक उच्तम प्वशेषतया है औि इस प्क्यास (अनुमयान) के अनुक्रम कया रिथम रूप इस रिकयाि है प्क हम कहते हैं प्क उतपन् किनया औि मयात्र अपनी क़ुिित से अष्सततव रिियान किनया एक प्वशेषतया है औि पूण्य प्वशेषतयाएं ख़ुिया तआलया को रियाप्त हैं। अतः परिणयाम ्ह प्नकलया प्क नयाष्सत से आष्सत किने कया प्वशेषतया िी स्ष्टया को रियाप्त है। अतः रिथम प्ववयाि के अथ्य कया रिमयाण अथया्यत् इस बयात कया रिमयाण प्क मयात्र अपनी क़ुिित से उतपन् किनया एक प्वशेषतया है इस रिकयाि से होतया है प्क उसकया प्वपिीत अथया्यत् ्ह बयात प्क मयात्र अपनी क़ुिित से उतपन् किने में असमथ्य होनया जब तक बयाहि से कोई तत्व आकि सह्ोगी ्या सहया्क न हो एक ियािी क्प्त है क्ोंप्क ्प्ि हम मयान लें प्क समसत प्वद्मयान तत्वख़तम हो गए तो सयाथ ्ह िी मयाननया पड़तया है प्क अब पिमेश्वि उतपन् किने से असमथ्य है। हयालयांप्क

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    उस असीप्मत औि सव्यशष्तिमयान हसती पि ऐसया िोष लगयानया मयानो उसकी पिमेश्वितया कया इनकयाि किनया है।

    इसके अप्तरिति ख़ुियाई ज्ञयान में ्ह मयामलया तयाप्क्कक तौि पि प्सद्ध हो चुकया है प्क समसत प्वशेषतयाओं से परिपूण्य होनया सव्ंिू अष्सततव की पिमेश्वितया के रिमयाण के प्लए शत्य है। अथया्यत् ्ह अप्नवया््य है प्क संियाप्वत कलपनया की श्ेप्ण्ों से कौशल की कोई श्ेणी जो मष्सतषक औि प्वचयाि में आ सकती है उस पूण्य हसती से पृथक न िहे। अतः प्नससनिेह बुप्द्ध इस बयात को चयाहती है प्क पिमेश्वि की पिमेश्वितया की प्वशेषतया ्ही है प्क समसत प्वद्मयान वसतुओं कया क्रम उसी की क़ुिित तक समयाप्त हो न ्ह प्क अनयाप्ि प्वशेषतया तथया वयासतप्वक हसती के बहुत से ियागीियािों में प्वियाप्जत हो औि इन समसत रिमयाणों एवं तककों के अप्तरिति रित्ेक सद्ुप्द्ध िखने वयालया व्ष्ति समझ सकतया है प्क उच् कया््य प्नमन कया््य की तुलनया में अत्प्धक प्वशेषतया को प्सद्ध कितया है। अतः प्जस अवसथया में संसयाि के ियागों कया जोड़नया पिमेश्विी् कौशल में से है तो प्िि संसयाि कया उतपन् किनया संसयाधनों की आवश्कतया के प्बनया किोड़ों गुनया अप्धक क़ुिित को प्सद्ध कितया है प्कतनया उच् कौशल होगया। अतः इसकया रिथम प्ववयाि पूण्य रूप से प्सद्ध हुआ।

    औि प्द्ती् प्ववयाि कया रूप अथया्यत् इस प्ववयाि कया प्क रित्ेक कौशल स्ष्टया को रियाप्त है, इस रिकयाि से है प्क ्प्ि स्ष्टया को कुछ कौशल रियाप्त नहीं तो इस अवसथया में रिशन ्ह होगया प्क इन कौशलों से वंप्चत होनया अपनी इचछया से है अथवया प्कसी प्ववशतया से है। ्प्ि कहो प्क अपनी इचछया से है तो ्ह झूठ है क्ोंप्क कोई व्ष्ति अपनी इचछया से अपने कौशल में िोष वैध नहीं िखतया औि जबप्क ्ह प्वशेषतया अनयाप्ि कयाल से पिमेश्वि के अष्सततव से प्बलकुल लुप्त है तो अपनी इचछया से

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    कहयां िही? औि ्प्ि कहो प्क प्ववशतया से तो प्कसी अन् ज़बििसत कया अष्सततव मयाननया पड़या प्क प्जसने पिमेश्वि को प्ववश प्क्या तथया पिमेश्विी् अप्धकयािों को जयािी किने से उसे िोकया अथवया ्ह मयाननया पड़या प्क वह ज़बििसत अष्सततव उसकया अपनी ही शष्तिहीनतया औि प्नब्यलतया है कोई बयाह्य ज़बििसती किने वयालया नहीं। बहिहयाल वह प्ववश ठहिया। अतः इस अवसथया में वह पिमेश्वितया के ्ोग् न िहया तो इस से अप्नवया््य तौि पि प्सद्ध हुआ प्क पिमेश्वि के प्ववशतया के िोष से जो पिमेश्वितया के असत् होने को अप्नवया््य है से पप्वत्र औि पयावन है तथया सृजन किने औि नयाष्सत से उतपन् किने की पूण्य प्वशेषतया उसे रियाप्त है तथया ्ही उद्ेश् थया।

    पंचम तक्क- पप्वत्र क़ुआ्यन में पिमेश्वि के स्ष्टया होने पि ‘प्क्यास इष्सतसनयाई’ के तत्व के मयाध्म से सथयाप्पत प्क्या ग्या है। ‘प्क्यास इष्सतसनयाई’ उस प्क्यास (अनुमयान) को कहते हैं प्जसमें उसकया वही परिणयाम ्या उसकया प्वपिीत प्क्र्यातमक रूप में मौजूि हो औि िो मुकद्मों से बनया हो अथया्यत् एक शत्य संबंधी िूसिया बनयावट संबंधी। अतः जो आ्त इस प्क्यास से संबंप्धत है ्ह है। िेखो सूिह -ثَلٍٰثط ُظلُٰمٍت ِفْ ٍق

    َْخل بَْعِد ۢنْ ِمّ ًقا

    َْخل ٰہِتُکْم اُّمَ بُُطْوِن ِفْ یَْخلُُقُکْم

    (अज़्ज़ुमि - 7) ٰذلُِکُم اہللُ َربُُّکمْ अथया्यत् वह तुम को तुमहयािी मयातयाओं के पेटों से तीन अंधेिे पिकों

    में पैिया कितया है, इस पूण्य बुप्द्धमत्तया से प्क एक पैिया्श औि रिकयाि की तथया एक औि रिकयाि की बनयातया है अथया्यत् रित्ेक अंग को प्वप्िन् रूप, प्वशेषतयाएं एवं पृथक-पृथक शष्ति्यां रिियान कितया है ्हयां तक प्क एक प्नषरियाण ढयांचे में रियाण ियाल िेतया है। न उसे कयाम किने से अंधकयाि िोकतया औि न प्िन्-प्िन् रिकयािों औि गुणों के अंग बनयानया उस पि

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    कप्ठन होतया है औि न इस उतपप्त्त के क्रम को हमेशया जयािी िखने में उसे कुछ क्प्त ्या हयाप्न होती ह ै َربُُّکــْم اہللُ नुस-4) वही जोू्) ٰذلُِکــُم हमेशया इस रिकृप्त के क्रम को जयािी औि सथयाप्पत िखतया है वही तुमहयािया रिप्तपयालक है अथया्यत् इसी पूण्य क़ुिित से उसकया पूण्य रिप्तपयालन जो नयाष्सत से आष्सत औि आष्सत से पूण्य अष्सततव रिियान किने को कहते हैं प्सद्ध होतया है। क्ोंप्क ्प्ि वह पियाथकों कया रिप्तपयालक न होतया औि अपने अष्सततव में पूण्य रिप्तपयालन की प्वशेषतया न िखतया तथया केवल एक बढ़ई ्या कयािीगि के समयान इधि-उधि से सयामयान लेकि गुज़यािया कितया तो उसे पूण्य क़ुिित कियाप्प रियाप्त न होती तथया सिैव औि हि सम् सिल न हो सकतया अप्पतु किी न किी अवश् कमी आ जयाती औि उतपन् किने से असमथ्य िह जयातया। आ्त कया सयाियांश ्ह है प्क प्जस व्ष्ति कया कया््य पूण्य रिप्तपयालन द्यािया न हो अथया्यत् सव्ं पैिया किने वयालया न हो उसे पूण्य क़ुिित किी रियाप्त नहीं हो सकती, पिनतु पिमेश्वि को पूण्य क़ुिित रियाप्त है, क्ोंप्क प्िन्-प्िन् रिकयाि की पैिया्श बनयानया तथया एक के बयाि िूसिे को प्बनया िेि के रिकटन में लयानया तथया कया््य को हमेशया प्निनति चलयानया पूण्य क़ुिित की पूण्य प्नशयानी है। अतः इस से प्सद्ध हुआ प्क पिमेश्वि को पूण्य रिप्तपयालन की प्वशेषतया रियाप्त है औि वयासतव में वह पियाथकों कया रिप्तपयालक है न केवल बढ़ई औि ियाज प्मसत्री, अन्थया संिव न थया प्क संसयाि कया कयािखयानया हमेशया प्बनया रुकयावट के चलतया िहतया अप्पतु संसयाि औि उसके कयािखयाने कया किी कया अनत हो जयातया, क्ोंप्क प्जसकया कया््य पूण्य अप्धकयाि से नहीं वह हमेशया औि हि सम् औि हि मयात्रया पि कियाप्प समथ्य नहीं हो सकतया।

    इस प्क्यास कया रूप जो आ्त में प्लखया है तक्क शयासत्र के प्न्मयानुसयाि इस रिकयाि है प्क प्जस व्ष्ति कया कया््य प्कसी वसतु के उतपन् किने में

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    पूण्य क़ुिित के तौि पि आवश्क हो उसके प्लए पूण्य रिप्तपयालन की प्वशेषतया अथया्यत् नयाष्सत से आष्सत किनया िी आवश्क है। पिनतु पिमेश्वि कया कम्य सृष्ष्ट्ों के उतपन् किने में पूण्य क़ुिित के तौि पि आवश्क है। अतः परिणयाम ्ह हुआ प्क उसके प्लए पूण्य रिप्तपयालन की प्वशेषतया िी आवश्क है।

    रिथम प्ववयाि कया रिमयाण अथया्यत् इस बयात कया प्क प्जस स्ष्टया के प्लए पूण्य क़ुिित आवश्क है उसके प्लए पूण्य रिप्तपयालन की प्वशेषतया िी आवश्क है इस रिकयाि से प्क बुप्द्ध इस बयात की आवश्कतया को अप्नवया््य ठहियाती है प्क जब कोई ऐसया कयािीगि प्क प्जसके संबंध में हम सवीकयाि कि चुके हैं प्क उसे अपनी प्कसी कयािीगिी को बनयाने में क्प्त नहीं होती। प्कसी वसतु कया बनयानया आिंि किे तो कयािीगिी को पूण्य किने के समसत संसयाधन उसके पयास मौजूि होने चयाप्हए औि हि सम् औि हि मयात्रया तक उन वसतुओं को उपलबध किनया जो सृजन की गई वसतुओं के अष्सततव के प्लए आवश्क हैं उसके अप्धकयाि में होनया चयाप्हए औि ऐसया पूण्य अप्धकयाि इस अवसथया के अप्तरिति अन् प्कसी अवसथया में पूण्य नहीं प्क स्ष्टया उस सृष्ष्ट कया उसके ियाग पैिया किने पि समथ्य हो, क्ोंप्क हि सम् हि मयात्रया तक उन वसतुओं कया उपलबध हो जयानया प्क प्जनकया उपलबध किनया स्ष्टया के पूण्य अप्धकयाि में नहीं बुप्द्ध के नज़िीक पीछे िहने की संियावनया है औि पीछे न िहने की संियावनया पि कोई िश्यन शयासत्री् तक्क सथयाप्पत नहीं होतया औि ्प्ि हो सकतया है तो कोई सज्जन रिसतुत किे। कयािण इसकया सपष्ट है प्क इस इबयाित कया अथ्य प्क अमुक कया््य कया किनया ज़ैि के पूण्य अप्धकयाि में नहीं इस इबयाित के अथ्य के समयान है प्क संिव है प्क प्कसी सम् वह कया््य ज़ैि से न हो सके। अतः प्सद्ध हुआ प्क पूण्य कयािीगि कया कया््य इसके अप्तरिति कियाप्प नहीं चल

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    सकतया प्क जब तक उसकी क़ुिित िी पूण्य न हो। इसीप्लए कयािीगिों से कोई सृष्ष्ट (मखलूक) अपनी कयािीगिी में पूण्य कयािीगि होने कया ियावया नहीं कि सकती बष्लक समसत कयािीगिों कया प्न्म है प्क जब कोई उनकी िुकयान पि जयाकि बयाि-बयाि उनहें पिेशयान किे प्क अमुक वसतु मुझे अिी बनया िो तो उसकी मयांग से तंग आकि रिया्ः कह उठते हैं प्क "जनयाब मैं कोई पिमेश्वि नहीं हं प्क केवल आिेश से कयाम कि िूं, अमुक-अमुक वसतु प्मलेगया तो प्िि बनया िूंगया।" अतः सब जयानते हैं प्क पूण्य कयािीगि के प्लए पूण्य क़ुिित औि रिप्तपयालन शत्य है। ्ह बयात नहीं प्क जब तक ज़ैि न मिे बकि के घि लड़कया पैिया न हो ्या जब तक खयाप्लि की मृत्ु न हो वलीि के ढयांचे में जो अिी पेट में है रियाण न पड़ सके। अतः सुग़िया (रिथम प्ववयाि) आवश्क तौि पि प्सद्ध हुआ।

    इसकया कुबिया (प्द्ती् प्ववयाि) अथया्यत् ्ह प्क पिमेश्वि सृष्ष्ट्ों के पैिया किने में बतौि पूण्य क़ुिित आवश्क है। रिथम प्ववयाि के रिमयाण से सव्ं प्सद्ध होतया है तथया सपष्ट है प्क ्प्ि पिमेश्वि में पूण्य आवश्क क़ुिित न हो तो प्िि उसकी क़ुिित कुछ सं्ोगवश बयातों की रियाष्प्त पि प्नि्यि होगी। औि जैसया प्क हम वण्यन कि चुके हैं बुप्द्ध कह सकती है प्क सं्ोगवश बयातें पिमेश्वि को ्थयासम् उपलबध न हो सकीं क्ोंप्क वे सं्ोग से हैं आवश्क नहीं, हयालयांप्क पेट के अनिि के बच्े के शिीि से शिीि के तै्याि होने के प्लए ्थया सम् संबंध ग्रहण किनया आतमया (रूह) कया संबंध ग्रहण किनया पिसपि अप्नवया््य है। अतः प्सद्ध हुआ प्क पिमेश्वि कया कम्य बतौि पूण्य क़ुिित आवश्क है तथया इस तक्क से पिमेश्वि के प्लए पूण्य क़ुिित की आवश्कतया अप्नवया््य ठहिती है प्क िश्यन शयासत्र के प्नधया्यरित प्न्मयानुसयाि हमें अप्धकयाि है प्क ्ह मयान लें प्क उियाहिणत्या समसत मौजूि रूहें (आतमयाएं) अपने अनुकूल शिीिों से

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    समबद्ध िहीं। अतः हमने जब ्ह बयात मयान ली तो हमयािया ्ह मयाननया उस िूसिे मयानने को िी अप्नवया््य होगया प्क अब उस अवप्ध के पूण्य होने तक उन प्शशुओं में जो गिया्यश्ों में तै्याि हुए हैं कोई आतमया रिवेश नहीं किेगी , हयालयांप्क प्शशुओं कया पेट में आतमया से संबंध के प्बनया प्नलंप्बत पड़े िहनया बुप्द्ध के अनुसयाि सपष्ट रूप से ग़लत है औि जो बयात ग़लत को अप्नवया््य किे वह सव्ं िी ग़लत है, अतः पहले रिमयाणों से ्ह परिणयाम प्सद्ध हुआ प्क पिमेश्वि के प्लए पूण्य रिप्तपयालन की प्वशेषतया आवश्क है औि ्ही उद्ेश् थया।

    षष्ठम तक्क- पप्वत्र क़ुआ्यन में तत्व के मयाध्म से प्क्यास मुिककब (प्मप्श्त अनुमयान) सथयाप्पत प्क्या ग्या है औि प्क्यास मुिककब की परिियाषया ्ह है प्क ऐसे मुकद्मों से बने प्क प्जन से ऐसया परिणयाम प्नकले प्क ्द्प्प वह परिणयाम सव्ं उद्ेश् को प्सद्ध न कितया हो, प्कनतु उसके द्यािया उद्ेश् इस रिकयाि से प्सद्ध हो प्क उसी परिणयाम को प्कसी अन् मुकद्मे के सयाथ प्मलयाकि एक अन् प्क्यास बनया्या जयाए। प्िि चयाहे अिीष्ट (चयाहया हुआ) परिणयाम उसी प्द्ती् प्क्यास द्यािया प्नकल आए ्या इसी रिकयाि से औि प्क्यास बनया कि उद्ेश् रियाप्त हो। िोनों अवसथयाओं में इस प्क्यास को मुिककब प्क्यास कहते हैं तथया जो आ्त इस प्क्यास पि आधयारित है ्ह है। िेखो सूिह बकिह-

    َل نَْوٌمط ّوٌَُخُذٗہ ِسـَنۃ

    َْقّیُْوُم َل تَا

    ُْ ال ـَحّ

    ْاہلَلُ َل ِاٰلَ ِاّلَ ُہَواَل

    (अलबकिह-256) َْرِض ط ْ

    ٰمٰوِت َوَما ِف ال َما ِف الّسََلٗ

    अथया्यत् पिमेश्वि अपने अष्सततव में सब सृष्ष्ट्ों (मखलूकयात) के उपयास् होने कया हमेशया अप्धकयाि िखतया है प्जसमें उसकया कोई ियागीियाि नहीं। इस सपष्ट सबूत से वह जीप्वत, अजि-अमि है औि समसत वसतुओं

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    को वही सथयाप्पत किने वयालया है अथया्यत् रित्ेक वसतु की सथयापनया औि अनश्वितया उसी के अनश्वि औि सथयाप्पत होने से है औि वही रित्ेक वसतु को रिप्तपल थयामे हुए है। न उस पि ऊंघ व्याप्त होती है, न नींि उसे पकड़ती है अथया्यत् सृष्ष्ट की सुिक्या से किी असयावधयान नहीं होतया। प्िि जबप्क रित्ेक वसतु की सथयापनया उसी से है। तो प्सद्ध है प्क समपूण्य आकयाश की सृष्ष्ट्ों तथया पृरवी की रित्ेक सृष्ष्ट कया वही स्ष्टया (पैिया किने वयालया) है औि वही मयाप्लक (सवयामी)। इस प्क्यास कया रूप जो कप्थत आ्त में है तक्कशयासत्र के प्न्मयानुसयाि इस रिकयाि है। (प्क्यास मुिककब कया रिथम ियाग) (रिथम प्ववयाि=सुग़िया) पिमेश्वि को प्कसी की ियागीियािी के प्बनया समसत सृष्ष्ट्ों के उपयास् होने कया अजि-अमि अप्धकयाि रियाप्त है (प्द्ती् प्ववयाि=क़ुबिया) औि प्जसे समसत सृष्ष्ट्ों के उपयास् होने कया अजि-अमि अप्धकयाि हो वह जीप्वत, अजि-अमि तथया समसत वसतुओं कया सथयाप्पत किने वयालया होतया है। (परिणयाम)- पिमेश्वि अजि-अमि, जीप्वत तथया समसत वसतुओं को सथयाप्पत िखने वयालया है। (प्क्यास मुिककब कया प्द्ती् ियाग) प्क प्जसमें रिथम प्क्यास कया परिणयाम प्क्यास कया रिथम प्ववयाि बनया्या ग्या है। (सुग़िया-रिथम प्ववयाि)- पिमेश्वि अजि-अमि औि समसत वसतुओं को सथयाप्पत िखने वयालया है) (क़ुबिया- प्द्ती् प्ववयाि) औि जो जीप्वत, अजि-अमि तथया समसत वसतुओं कया सथयाप्पत िखने वयालया हो वह समसत वसतुओं कया स्ष्टया होतया है (परिणयाम) (ख़ुिया समसत वसतुओं कया स्ष्टया है) प्क्यास मुिककब के रिथम ियाग कया रिथम प्ववयाि-अथया्यत् ्ह प्ववयाि प्क ख़ुिया कया प्कसी की ियागीियािी के प्बनया समसत सृष्ष्ट्ों के उपयास् होने कया अजि-अमि अप्धकयाि िूसिे सिस् (रिप्तद्ंिी) के इकियाि द्यािया प्सद्ध है। अतः रिमयाण को सथयाप्पत किने की आवश्कतया नहीं तथया प्क्यास मुिककब के प्द्ती् ियाग के प्द्ती् प्ववयाि

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    कया अथया्यत् ्ह प्ववयाि प्क प्जसे समसत वसतुओं के उपयास् होने कया अजि-अमि अप्धकयाि हो वह जीप्वत, अजि-अमि तथया समसत वसतुओं कया सथयाप्पत िखने वयालया होतया है। इस रिकयाि से प्सद्ध है प्क ्प्ि पिमेश्वि अजि-अमि औि जीप्वत नहीं है तो ्ह मयाननया पड़या प्क प्कसी सम् पैिया हो ्या िप्वष् में प्कसी सम् शेष नहीं िहेगया। िोनों अवसथयाओं में उसकया अजि-अमि उपयास् होनया प्मर्या होतया है क्ोंप्क जब उसकया अष्सततव ही न िहया तो प्िि उसकी उपयासनया नहीं हो सकती क्ोंप्क िुल्यि की उपयासनया उप्चत नहीं है औि जब वह िुल्यि होने के कयािण अजि-अमि उपयास् न िहया तो ्ह प्ववयाि असत् हुआ प्क पिमेश्वि को उपयास् होने कया अजि-अमि अप्धकयाि है, हयालयांप्क अिी वण्यन प्क्या जया चुकया है प्क ्ह प्ववयाि सत् है। अतः सवीकयाि किनया पड़या प्क प्जसको समसत वसतुओं के उपयास् होने कया अजि-अमि अप्धकयाि हो वह जीप्वत तथया अजि-अमि होतया है।

    इसी रिकयाि ्प्ि पिमेश्वि समसत वसतुओं को सथयाप्पत िखने वयालया नहीं है अथया्यत् िूसिों कया जीवन औि अनश्वितया उसके जीवन औि अनश्वितया पि प्नि्यि नहीं तो इस अवसथया में उसकया अष्सततव सृष्ष्ट्ों की अनश्वितया के प्लए कुछ शत्य न होगया बष्लक उसकया रिियाव बलयात् रिियाव ियालने के तौि पि होगया न प्क वसतुओं के िक्क के वयासतप्वक कयािण के तौि पि, क्ोंप्क बलयात् रिियाव ियालनया उसे कहते हैं प्क प्जसकया अष्सततव औि अनश्वितया उसके रिियाप्वत की अनश्वितया के प्लए शत्य न हो। जैसे ज़ैि में उियाहिणत्या एक पतथि चलया्या औि पतथि चलयाते ही उसी सम् मि ग्या तो प्नससनिेह उस पतथि को जो अिी उसके हयाथ से छूटया है ज़ैि की मृत्ु के पश्यात िी गप्त िहेगी। अतः इसी रिकयाि आ््य समयाज वयालों के कथनयानुसयाि पिमेश्वि को मयात्र बलयात् रिियाव ियालने वयालया ठहिया्या

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    जयाए तो इससे नऊज़ुप्बल्याह ्ह अप्नवया््य आतया है प्क ्प्ि पिमेश्वि की मृत्ु िी मयान लें तो िी आतमयाओं औि कणों की कुछ िी क्प्त न हो क्ोंप्क पंप्ित ि्याननि सयाप्हब के कथनयानुसयाि प्क प्जसे उनहोंने ‘सत्याथ्य रिकयाश’ में प्लखकि एकेश्विवयाि (तौहीि) कया सत्यानयाश प्क्या है तथया पंप्ित खड़क प्संह सयाप्हब के कथनयानुसयाि प्जनहोंने प्बनया सोचे-समझे पंप्ित ि्याननि सयाप्हब कया अनुसिण प्क्या है। वेि में ्ह प्लखया है प्क समसत आतमयाएं अपनी अनश्वितया औि जीवन में पिमेश्वि से प्बलकुल प्नःसपृह हैं औि प्जस रिकयाि बढ़ई कया चौकी से औि कुमहयाि कया घड़े से संबंध होतया है वही पिमेश्वि कया सृष्ष्ट्ों से है अथया्यत् मयात्र जोड़ने-जयाड़ने से टुणिया पिमेश्वि ग्रेकया चलयातया है तथया वसतुओं कया सथयाप्पत किने वयालया नहीं है। पिनतु रित्ेक बुप्द्धमयान जयानतया है प्क ऐसया मयानने से ्ह अप्नवया््य आतया है प्क पिमेश्वि कया अष्सततव िी कुमहयािों औि बढ़इ्ों के अष्सततव के समयान वसतुओं की अनश्वितया के प्लए कुछ शत्य न हो बष्लक प्जस रिकयाि कुमहयािों औि बढ़इ्ों की मृत्ु के पश्यात घड़े औि चौप्क्यां उसी रिकयाि से बने िहते हैं इसी रिकयाि पिमेश्वि की मृत्ु होने के पश्यात् िी मौजूि वसतुओं में कुछ िी प्वघन पैिया न हो सके। अतः प्सद्ध हुआ प्क पंप्ित सयाप्हब कया ्ह प्वचयाि प्क पिमेश्वि के स्ष्टया होने में कुमहयाि औि बढ़ई से समयानतया है िो प्वपिीतयाथ्यक बयातों कया एक सथयान पि इकट्या किनया है। कयाश ्प्ि वह पिमेश्वि को वसतुओं कया सथयाप्पत किने वयालया मयानते औि बढ़इ्ों जैसया न मयानते तो उनहें ्ह तो न कहनया पड़तया प्क पिमेश्वि की मृत्ु मयानने से आतमयाओं की कोई क्प्त नहीं, पिनतु कियाप्चत् वेि में िी प्लखया होगया अन्थया मैं क्ोंकि कहं प्क पंप्ित सयाप्हब को रिप्तपयालक के सथयाप्पत होने औि सथयाप्पत किने पि जो प्नतयानत व्यापक बयातों में से है कुछ स�