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    Kku 'kkafr eS=h

    › महा�मा गांधी अंतररा��य �हदं� �व�व�व�यालय (संसद �वारा पारत अध�नयम 1997 �मांक 3 के अ�तग�त �था�पत क� ��य �व�व�व�यालय)

    Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya (A Central University Established by Parliament by Act No. 3 of 1997½

    अ"हसंा एवं शां�त अ&ययन �वभाग Non-Violence & Peace Studies

    डॉ. नपेृ$% &साद मोद� Dr. Nripendra Prasad Modi

    �वभागा*य+ / Head of the Department

    &माण-प/

    &मा0णत 1कया जाता है 1क महा�मा गांधी अतंररा��य �हदं� �व�व�व�यालय, वधा5 के

    सं6कृ7त �व�यापीठ के अंतग5त अ�हसंा एवं शां7त अ*ययन �वभाग क; 7नय सु@ी

    अच5ना पाठया (पंजीयन संBया MGAHV/Ph-D/58) ने मेरे माग5दश5न मC ''अतंररा��य संघष5

    एवं शां7तमय समाधान क; �दशाएँ : एक �व�लेषणा�मक अ*ययन (अफगा7न6तान के �वषेश

    संदभ5 मC)'' �वषय पर शोध &बंध पूरा 1कया है। यह इनका 6वंय का मौ

  • [3]

    Kku 'kkafr eS=h

    › Kku 'kkafr eS=h

    › महा�मा गाधंी अंतररा��य �हदं� �व�व�व�यालय (संसद �वारा पारत अध�नयम 1997 �मांक 3 के अ�तग�त �था�पत क� ��य �व�व�व�यालय) Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya

    (A Central University Established by Parliament by Act No. 3 of 1997½

    अ"हसंा एवं शां�त अ&ययन �वभाग Non-Violence & Peace Studies

    डॉ. नपृे$% &साद मोद� Dr. Nripendra Prasad Modi

    �वभागा*य+ / Head of the Department

    &माण-प/

    &मा0णत 1कया जाता है 1क सु@ी अच5ना पाठया ने महा�मा गांधी अतंररा��य �हदं�

    �व�व�व�यालय, वधा5 के सं6कृ7त �व�यापीठ के अंतग5त अ�हसंा एवं शां7त अ*ययन �वभाग के

    अतंग5त पी-एच.डी. उपाOध हेतु �वभागा*य+ डॉ. नपृे$% &साद मोद� के 7नय

  • [4]

    घोषणा – प=

    म[ अच5ना पाठया घो�षत करती हँू 1क महा�मा गांधी अतंररा��य �हदं� �व�व�व�यालय,

    वधा5 के सं6कृ7त �व�यापीठ के अतंग5त अ�हसंा एवं शां7त अ*ययन �वभाग मC पी-एच.डी.

    उपाOध हेतु �वभागा*य+ डॉ. नपृे$% &साद मोद� के 7नय

  • [5]

    आभार

    &6तुत शोध-&बंध क; सZप$$ता के

  • [6]

    अ7ंतम iप देने मC उOचत माग5दश5न एंव सहयोग &दान 1कया । उन सभी के &7त

    आभार &कट करती हँू। िजनके &�य+-अ&�य+ सहयोग, सुझाव, मुझे &ाbत हुए।

    म[ महा�मा गांधी अतंररा��य �हदं� �व�व�व�यालय, वधा5 के कC %�य पु6तकालय,

    जवाहर लाल नेहv �व�व�व�यालय नई �दTल�, माखन लाल चतुवVद� प/काRरता

    �व�व�व�यालय भोपाल, डी.ए.jह�. कालेज कानपुर, तथा अ$य पु6तकालय के Uंथपालf

    के &7त भी आभार &द

  • [7]

    अनुxम0णका

    9�तावना 09-21

    अ&याय 9थम - अंतररा/0�य संघष�: एक �व�लेषण 22-91

    1.1 अंतररा��य संघष5 क; संकTपना एवं

  • [8]

    अ&याय पंचम - अफगा�न�तान म� संघष�: एक मLूयाँकन 280-392

    5.1 अफगान सम6या: पृठभ

  • [9]

    9�तावना

    शोध परचय

    संघष5 मानव क; मूल &व7ृत रह� है। अपने ज$मकाल से ह� मानव अपने �हतf

    क; सुर+ा तथा ल|यf क; &ािbत हेतु सतत संघष5 करता चला आ रहा है। अत: संघष5

    &ारंभ से ह� मानव का सहचर रहा है। यहाँ तक क; भौ7तक संसार मC संघष5 और युy

    मानव से पहले से होते रहे ह[। य�द देखा जाए तो संघष5 �व�वjयापी ह[। टू}ते न+/ ,

    Oगरती हुई hबजल�, उफनते हुए समु%, आग उबलते हुए पव5त, जलम~न करती

    सRरताएँ, नगरf और पृवी को 7नगलते हुए महाभूकZप, जीवन 6थाई रखने के

  • [10]

    आधु7नक युग क; दौड़ मC अमेRरका अपने रहन-रहन क; &णाल� को दसूरf पर

    लादना चाहता है िजसे राजनी7त क; भाषा मC लोकतं/ कहते ह[। पूव5 सो�वयत संघ

    और चीन जैसे साZयवाद� देश अपनी उस पRरपाट� को जबरद6ती सारे संसार पर

    लादना चाहते थे, िजसे वे मानवता का मुrत अ सयताओं और जीवन के jयापारf क;

  • [11]

    संघष5 पर सवा5Oधक बल �दया था। राजनी7तक संघष5 स�ता हेतु दलf के बीच लड़ा

    जाने वाला संघष5 है। अतंररा��य संघष5 दो या दो से अOधक रा�f के बीच चलने

    वाला संघष5 है। भारत और पा1क6तान के बीच का संघष5 इसी @ेणी मC आता है।

    अतंररा��य राजनी7त मC संघष5 (Conflict) एक �वशेष मह�वपूण5 6थान रखता

    है। rयf 1क अतंररा��य समाज मC संघष5 क; ि6थ7त का लोप नह�ं हो सकता। अतः

    शिrत (Power) के मा*यम से सामंज6य क; &1xया सदैव चलती रहती है। परंतु

    संघष5 क; 7नरंतर उपि6थ7त का आशय यह नह�ं है 1क �व�व के रा� सदैव एक दसूरे

    से टकराव रखते ह[। इतना ह� नह�ं िजन रा�f के �हत पर6पर समान होते ह[ उनमC

    सहयोग भी होता है। अथा5त दसूरे शnदf मC अतंररा��य राजनी7त मC संघष5 और

    सहयोग दोनf सि$न�हत ह[ पर सहयोग भी अ7ंतम vप मC संघष5 का ह� पRरणाम है,

    rयf 1क एक तो िजन रा�f के �हत पर6पर समान होते ह[, वे आपस मC सहयोग

    इसी

  • [12]

    शिrत tारा इन अOधकृत +े/f क; र+ा करने क; इpछा से उ�प$न होते ह[। इतना ह�

    नह�ं संघष5 छोटे-छोटे देशf को सै7नक काय5वा�हयाँ करने के आधार के vप मC &युrत

    करने के &यासf से भी उ�प$न होते ह[। चाहे क�मीर का मुtा हो या अरब-इजरायल

    सम6या हो सव5/ &�य+ और अ&�य+ vप से शिrत संघष5 िटगोचर होता है।

    रा�f के बीच राजनी7तक और वैचाRरक मतभेद संघष5 क; ि6थ7त उ�प$न कर

    देते ह[। जब एक देश क; आOथ5क नी7तयाँ दसूरे देश क; आOथ5क नी7तयf पर

    कुठाराघात करतीं ह[ तो इससे संघष5 क; दशा का 7नमाण5 होता है। धा

  • [13]

    उप7नवेशवाद� अ

  • [14]

    मह�वपूण5 त�व बन गए ह[। आज एक छोटा सा देश भी परमाणु तकनीक तथा श6/

    &ाbत करके अतंररा��य संबंधf मC एक महान शिrत बन सकता है तथा अपने

    &7तtि$दयf के

  • [15]

    �व�व राजनी7त का एक मह�वपूण5 �ह6सा बन चुका है। सभी देशf के बीच यह

    गZभीर �वषय बना हुआ है। �व�व के बहुत से देश इस सम6या से /6त ह[। ए

  • [16]

    जगह ले चुके ह[-जीवाणु बम,रोग �वषाणु बम और $यू�ान बम। यह अटूट स�य है

    1क य�द हम एक कदम भी इन �वनाशकार� श6/f क; ओर बढे तो हमेशा के

  • [17]

    देश रहा है। आज भी इसे संसार का सबसे अशांत देश कहा जाता है। शां7त-jयव6था

    के कुछ वष5 इस देश को कभी नसीब नह�ं हुए।

    अफगा7न6तान के अलावा द7ुनया के देशf मC ऐसा कोई रा� भी है, जहाँ �व�व

    क; मह�तम शिrतयf ने एक के बाद एक अपनी इजत दाँव पर लगा द� हो? पहले

    सो�वयत सघं ने और 1फर सयंुrत राय अमेRरका ने! अफगा7न6तान मC ऐसा rया है,

    िजसक; वजह से

  • [18]

    तथा @ीलंका को एक अवOध मC महाशिrतयf ने कुल के

  • [19]

    इस दसक क; अफगा7न6तान सम6या �व�व राजनी7त क; सवा5Oधक य�द नह�ं

    तो अ�याOधक मह�वपूण5 वलंत सम6या है। िजसनC कुछ वष से �व�व राजनी7त को

    &भा�वत 1कया है। शोध के +े/ मC इस सम6या क; वत5मान पRर&े|य मC गहन

    आव�यकता को साकार 6वiप &दान करने हेतु �वषय का चयन 1कया गया है। इससे

    न केवल Yान के +े/ मC एक �वशेष �दशा का अवमोहन होगा बिTक भावी अ*ययन

    हेतु नवीन �दशाएँ और आयाम के iप मC म[ने &6तुत शोध Uंथ मC यह� &यास कर Yान के +े/ मC

    अब तक &काश मC न आई हुई सामUी को &6तुत करने का &यास 1कया है।

    शोध 9�वध –

    यह शोध-&ंबंध अOधकतर �tतीय «ोत पर आधाRरत है। 1कंतु &ाथ

  • [20]

    माननीय वेद&ताप वै�दक भारत मC अफगा7न6तान के �वषय �वशेषY और

    राजनी7तक Oचतंक माने जाते ह[। इनके अ7तRरrत नेहi �व�व�व�यालय के

    अरंतररा��य सZब$धf (पि�चम ए

  • [21]

    ततृीय अ*याय ‘गांधी िट और �व�वशां7त’ मC �व�वशां7त क; ि6थ7तः&ाचीन

    और अवा5चीन, वत5मानयुग और गांधी �वचार क; &ासंOगकता, अतंररा��य सघष के

    सैyां7तक &�नf पर गांधी का Oचतंन �व�वशा7तः सम6या और समाधान आ�द

    hब$दओंु पर �व6तार से अ*ययन 1कया गया इस शोध के मा*यम से हमने �व�व

    �व�यालय एवं गांधी �वचार को द7ुनया से पRरOचत करवा सकने का एक &य�न 1कया

    है।

    चतुथ5 अ*याय मC अफगा7न6तान एक पRरचय के अ$तगत5 अफगा7न6तान क;

    भौगो

  • [22]

  • [23]

    1.1 अतंररा/0�य संघष� क3 संकLपना एवं PसEांत

    संकLपना (Concept) :-

    मानव संबंधf मC संघष5 सदैव से बनी रहने वाल� &1xया है। Uीन के अनुसार,

    ‘‘संघष5 इpछा शिrत का एक ऐसा सोचा-समझा &योग है िजसमC �वरोध, &7तरोध और

    बा*यकार� से संबंOधत 1xयाएँ सZम

  • [24]

    मC भारत और पा1क6तान के बीच चलने वाला गुbत संघष5 कभी-कभी युy का vप ले

    लेता है।

    संघष5 संसृट (Corporate) या jयिrतगत हो सकता है। संसृट संघष5 Uुपf के

    बीच लड़ा जाता है। जा7तय संघष5 - सां&दा7यक उप%व, रा�f के बीच का युy आ�द

    ससृट संघष5 के उदाहरण ह[। jयिrतगत संघष5 का संबंध &ेरकf, ईया श/ुता आ�द से

    ह� है। व6तुतः संघष5 से रचना�मक और सकारा�मक दोनf &कार के सा*यf (Ends) का

    सजृन होता है। संसृट संघष5 से रा� लगाव (Cohesion) और शिrत &ाbत करते ह[।

    आंतRरक एकता (Harmony) तथा बाहय संघष5 एक ह� ढाल के �वरोधी भाग ह[। इसी

    कारण सं&भुता संप$न रा�f के बीच युy को अव�यंभावी के vप मC 6वीकार कर

  • [25]

    अलग मह�व है। द7ुनया मC संघष5 और युy अOधकतर इस

  • [26]

    vप धारण कर लेते ह[। जैसे अमेRरका और पूव5 सो�वयत संघ मC �वचार धारा के मतभेद

    के कारण ह� शीतयुy अपनी चरम सीमा तक पहँुच गया था। अतः इस िट से

    ‘‘�tतीय �व�वयुy के बाद &ारZभ होने वाला शीतयुy दो नै7तक दश5नf के म*य 7छड़ने

    वाला एक संघष5 था।’’5 परंतु मारगे$थाऊ इसको नह�ं मानते rयf 1क उनका कहना है

    1क राय जो भी काय5 करता है या जो भी 7नण5य लेता है उसका मुBय उtे�य शिrत

    (Power) &ाbत करना होता है। यह �वचार धाराओं के आधार पर तो केवल अपने

    jयवहार एवं 7नण5यf का औOच�य मा/

  • [27]

    संघष� का अथ� (Meaning of Conflict) :-

    अतंररा��य राजनी7त मC संघष5 (Conflict) एक �वशेष मह�वपूण5 6थान रखता

    है। rयf 1क अंतररा��य समाज मC संघष5 क; ि6थ7त का लोप नह�ं हो सकता। अतः

    शिrत (Power) के मा*यम से सामंज6य क; &1xया सदैव चलती रहती है। परंतु संघष5

    क; 7नरंतर उपि6थ7त का आशय यह नह�ं है 1क �व�व के रा� सदैव एक दसूरे से

    टकराव रखते ह[। इतना ह� नह�ं िजन रा�f के �हत पर6पर समान होते ह[ उनमC

    सहयोग भी होता है। अथा5त अतंररा��य राजनी7त मC संघष5 और सहयोग दोनf

    सि$न�हत ह[ पर सहयोग भी अ7ंतम vप मC संघष5 का ह� पRरणाम है, rयf 1क एक तो

    िजन रा�f के �हत पर6पर समान होते ह[, वे आपस मC सहयोग इसी

  • [28]

    संघष5 का अथ5 �वरोध या �वंद से है, परंतु &ायः इसका बेमेल अथवा असंगत के

    समानाथ5क vप मC होता रहा है। संघष5 तब &ारंभ होता है जब �हतf, *येयf, मूTयf तथा

    �व�वासf के दो

  • [29]

    संघष5 बन जाता है जब दोनf प+ (Groups) ऐसे jयवहार से उसका पRरहार करने का

    ढ संकTप कर लेते ह[। &ो.महे$% कुमार के शnदf मC - ‘‘गुbत संघष5 तब होता है जब

    �हतf क; असंगतता का असंगत साधनf tारा दरू करने का &य�न 1कया जाता है।

    उदाहरण के

  • [30]

    चाहे क�मीर का मुtा हो या अरब-इजराइल सम6या हो सव5/ &�य+ और अ&�य+ vप

    से शिrत संघष5 िटगोचर होता है। माग5$थाऊ ने 6प6ट कहा है 1क – ‘‘अतंररा��य

    राजनी7त &�येक राजनी7त क; भाँ7त शिrत संघष5 है अतंररा��य राजनी7त का अ7ंतम

    ल|य चाहे जो कुछ भी हो, शिrत सदैव ता�का

  • [31]

    को बढावा देती ह[। लड़ाकू भावना क; &बलता से भी संघष5 का सजृन होता है। अपने

    खोए हुए &देश को पुनः वापस लेने अथवा 1कसी अ$य +े/ को अपने देश के एक भाग

    के vप मC

  • [32]

    आ�द

  • [33]

    संदभ� सचूी 1.

  • [34]

    1.2 अतंररा/0�य संघष� के कारण एवं परणाम

    ऐ7तहा

  • [35]

    सीमांत 1कसी भी राय क; पRरOध मC

  • [36]

    jयापार उसका उ�तरदा7य�व होता है। सीमाएँ &ाकृ7तक, सां6कृ7तक, रेखा ग0णत संबंघी

    तथा

  • [37]

    7नि�चत करने का सबसे सरल मा*यम है। मानOच/ पर इस &कार क; �वभाजन रेखा

    खींचना बड़ा आसान होता है ले1कन वा6त�वक धरातल पर इस &कार क; सीमाएँ

    अनेक ज�टल सम6याओं को उ�प$न कर देती ह[।

    3. सां�कृ�तक सीमाएँ :- इस &कार क; सीमाओं का 7नधा5रण मानव भौगो

  • [38]

    भारत-पाuक�तान सीमा �ववाद

    भारतीय सीमाओं पर

  • [39]

    िजसके 7नकट तीन महाशिrतयf vस, चीन और पा1क6तान क; सीमाएँ समीप6थ ह[

    और इनमC से &�येक रा� हाथ पैर फैलाने के

  • [40]

    अफगा�न�तान - पाuक�तान सीमा �ववाद

    डूर[ड रेखा अफगा7न6तान और पा1क6तान क; सीमा रेखा है। अफगा7न6तान

    चारf ओर से जमीन से 7घरा हुआ है और इसक; सबसे बड़ी सीमा पूव5 क; ओर

    पा1क6तान से लगी है। तथा उ�तरपूव5 क; �दशा मC पव5तमालाएँ ह[ जो उ�तरपूव5 मC

    तािज1क6तान ि6थत �हदंकुुश पव5तf का �व6तार है। इस सीमा का �व6तार २,६४०

    1कलोमीटर १,६१० मील है। इसको १८९३ मC h¦�टश भारत सरकार और अफगान अमीर

    अnदरु रहमान खान के बीच हुए समझौते के बाद खींचा गया था।’’12 िजसे त�काल�न

    अफगान अमीर अnदलु रहमान ने बकायदा 6वीकार 1कया था। इस सीमा रेखा के

    कारण कई अफगान कबीले दो टुकडf मे बंट गए थे। उ$हfने इसे कभी भी 6वीकार

    नह�ं 1कया। इस सीमा के दोनf ओर ऊँचे-ऊँचे पहाड़, खाइयाँ, खंदके दरV और कह�ं-कह�ं

    पर जंगल भी ह[। खैबर का दरा5 और चमन इसी सीमा रेखा पर ि6थत ह[। ईरान और

    अफगा7न6तान मC भेद बताने वाल� ‘फरवर� लाईन’ पर वैसा �ववाद कभी नह�ं रहा जैसा

    1क ‘डूरे¤ड लाईन’ पर रहा।

    अफगा7न6तान के पूव5 मC पा1क6तान है, ले1कन अफगान सरकार के &काशनf मC

    कहा जाता है। 1क पBतु7न6तान है। वे मानते ह� नह�ं 1क पा1क6तान के साथ

    अफगा7न6तान क; कोई सीमा भी है। पा1क6तान और अफगा7न6तान के बीच झगडे

    क; जड़ यह� सीमा है। इसका नाम ‘‘डूर¤ड लाइन ’’ है।13 1893 मC अUेंज अफसर सर

    मो�ट5मेट डूरे¤ड ने यह लाईन h¦�टश सरकार और अफगा7न6तान के बीच खींची थी,

  • [41]

    अÊगा7न6तान और पा1क6तान के बीच डूर[ड रेखा सीमा (लाल रंग मC )

    नीला +े/ प�तून और बTलोच &भावी +े/ दशा5ता है।14

  • [42]

    भारत-चीन सीमा �ववाद

    अतंररा��य राजनी7त के वातावरण मC भारत चीन संबधf का ऐ7तहा

  • [43]

    घुसपैठ, सरकार� बयानf आ�द के tारा उछाले। सीमा �ववाद एक ज�टल &�न के vप मC

    उपि6थत हुआ, िजसके फल6वvप मै/ी संबंधf को ताक पर रख कर 20 अrटूबर 1962

    को चीन ने भारत पर आxमण कर �दया।17 6

  • [44]

    इनकार करता है। चीन के अनुसार 7तnबत 6वाय�त राय नह�ं था और उसके पास

    1कसी भी &कार के समझौते करने का कोई अOधकार नह�ं था। चीन के आOधकाRरक

    मानOच/f मC मैकमोहन रेखा के द+ण मC ५६ हजार वग5 मील के +े/ को 7तnबती

    6वाय�त +े/ का �ह6सा माना जाता है। इस +े/ को चीन मC द+णी 7तnबत के नाम

    से जाना जाता है। १९६२-६३ के भारत-चीन युy के समय चीनी फौजf ने कुछ समय

    के

  • [45]

    22

    23

    मैकमोहन रेखा

  • [46]

    चीन क; धरती पर 1कसी का भी शासन रहा हो, उसका एक सू/ीय *येय यह

    रहा है 1क अपने देश क; सीमा का �व6तार करो और सीमा पार के देशf मC िजतना

    सभंव हो अराजकता फैलाओ। सव5&थम 1950-51 मC साZयवाद� चीन के नrशे मे

    भारत के एक बड ेभू-भाग को चीन का अंग �दखाया गया था। जब भारत सरकार ने

    चीन का *यान इस ओर �दलाया तो यह कह कर मामला टाल �दया गया 1क ये

    नrशे तो

  • [47]

    चीन भारतीय सीमा पर सै$य दबाव बनाने के साथ-साथ वहाँ पर बार-बार सीमा

    का अ7तxमण करते हुए सै$य व असै$य सZपदा क; तोड़ फोड़ एवं सीमा +े/ मC

    नागRरकf को लगातार आतं1कत कर रहा है। सीमा पार से देश मC आतंकवाद व

    अलगाववाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ पूव§�तर के उUवाद� गुटf को चीन का स1xय

    सहयोग देश क; एकता व अख¤डता को सीधी चुनौती है। चीन tारा अपने साइबर

    योyाओं के मा*यम से देश के संचार व सूचना तं/ मC सCध लगाने क; घटनाएँ एवं देश

    के �व�वध संवेदनशील 6थानf के 7नकट अ�य$त अTप 7न�वदा मूTय पर पRरयोजनाओं

    मC &वेश के मा*यम से अपने गुbतचर तं/ का फैलाव भी देश क; सुर+ा के

  • [48]

    27

    बाँwलादेश सीमा �ववाद

    बां~लादेश क; अOधकांश 6थल�य सीमा भारत के पूव> &देशf से

  • [49]

    बां~लादेश सीमा पर कट�ले तारf क; बाड़ लगाने क; योजना को बा~लादेश अमै/ीपूण5

    काय5 क; संYा दे रहा है।

    &ारंभ मC भारत और बां~लादेश के म*य सZबध मधुर रहे 1कंतु काला$तर मC

    ि6थ7त hबगड़ती गई। गंगाजल के बँटबारे, फरrका बाँध का &�न, चकमा शरणाOथ5यो

    एवं तीन बीधा का &�न तथा मुरेtीप पर अOधकार, मुहर� नद� सीमा �ववाद, $यूमर

    tीप �ववाद आ�द ऐसे �ववाद ह[ िजनके कारण दोनf देशf के बीच सZबंध मधुर से

    तनाव पूण5 हो गए। वेद&ताप वै�दक का मानना है 1क – ‘‘बां~लादेश क; &धानमं/ी

    शेख हसीना क; भारत या/ा ऐ7तहा

  • [50]

    30

  • [51]

    rीलंका

    �हदं महासागर के मोती के नाम से &Bयात @ीलंका मC चल रहे

  • [52]

    31

    32

  • [53]

    श�=ीकरण

    �व�व मC होने वाले �वनाशकार� युyf के पीछे रा�f मC श6/ीकरण क; होड़ एक

    &मुख कारण रह� है। इस सद� के &थम और �tतीय �व�व महायुy श6/ीकरण के

    फल6वvप रा�f tारा शिrत-संतुलन क; सीमा लांघ जाने क; &1xया या उससे जुड़े

    हुए भय के कारण ह� भड़क उठे थे। &थम �व�वयुy के बाद पेRरस के शां7त सZमेलन

    मC

  • [54]

    अ6/ मौजूद ह[। य�द उनका एक साथ &योग 1कया जाए तो इस संसार को लगभग 50

    बार �वनट 1कया जा सकता है।35

    परमाणु श6/f के &ादभुा5व ने अतंररा��य शिrत jयव6था को अ�यOधक

    &भा�वत 1कया है। &ारंभ मC अणु हOथयारf पर अमेRरका के एकाOधकार ने इस संसार

    को सबसे शिrतशाल� रा� बना �दया था ले1कन जब सो�वयत संघ भी अणु के

    �वखंडन तथा परमाणु श6/ बनाने मC सफल हो गया तो अतंररा��य संबंधf मC

    �tÐु�वयता का &ादभुा5व हुआ। h¦टेन, oांस चीन के शा

  • [55]

    है। उpच 6तर�य �व*वंसक आण�वक श6/f तथा जन-�वनाश के अ$य श6/f के

    �वकास ने अतंररा��य संबंधf मC ‘आतंक का संतुलन’ पैदा कर �दया है। संपूण5 �वनाश

    के डर ने िजसमC ऐसे आxमणकार� राय का �वनाश भी शा

  • [56]

    करके ऐसे बमf एंव

  • [57]

    मानवता के

  • [58]

    डर का कारण है तो 1फर अमेRरका rयf डरता है। �हदं6ुतान-पा1क6तान क; भी वह�

    हालत है। �व�व के सभी देश एक दसूरे से डरते ह[ और डर कर वे श6/ बढाते ह[। इस

    &कार श6/ हमारे

  • [59]

    बात से आतं1कत ह[ 1क य�द ततृीय �व�वयुy 7छडा तो परमाणु आयुyf के &योग के

    फल6वvप वह इतना �वनाशकार� होगा 1क युy के वाद �वजेता और �विजत मC कोई

    फक5 नह�ं रहेगा। समपूण5 मानव जा7त का अOधकांश भाग नट और �व

  • [60]

    वैि�वक राजनी�त

    अतंररा��य 6तर पर अनेक उलझनC अतंररा��य राजनी7त को &भा�वत कर

    रह� ह[। ये उलझने सैyां7तक भी ह[ और jयवहाRरक भी। एक बड़ी उलझन यह है 1क

    रा�वाद और अतंररा��यतावाद के बीच संघष क; एक @खंृला सी बन गई है। इन

    दोनf मC तालमेल 6था�पत करना है। दसूरा तनाव रा��य सुर+ा और अतंररा��य

    सहयोग के बीच समुचे सामंज6य 6था�पत करने संबंधी है। जब तक रा��य-राजनय

    jयव6था राजनी7तक संगठन का मुBय iप है, अतंररा��य सहयोग क; अपे+ा रा��य

    सुर+ा, को &धानता

  • [61]

    आव�यकता है। इन पRरवत और चुनौ7तयf ने अतंररा��य राजनी7त को अ�यंत

    मह�वपूण5 बना �दया है।

    वत5मान मC आतंकवाद अतंररा��य राजनी7त मC &बल चुनौती बनकर सामने

    आया है। आज �व�व का लगभग &�येक रा� अतंररा��य राजनी7तक jयव6था का

    सद6य है और इस बात का jयव6था के अि6त�व पर &भाव पड़ा।50

    वत5मान अतंररा��य राजनी7त का यह एक रोचक प+ है 1क साZयवाद और

    पूँजीवाद- इन दो परंपरागत और पर6पर घोर �वरोधी �वचार धाराओं मC संघष5

  • [62]

    के

  • [63]

    था। ले1कन वत5मान अब अमेRरका जैसे शिrतशाल� देश के

  • [64]

    सम+ अतंररा��य राजनी7त के +े/ मC घुटने टेककर जो उदाहरण &6तुत 1कया है वह

    पि�चमी देशf के &ोधोOगक; सा£ायवाद का न~न 6वiप है।

    आंतकवाद

    आंतकवाद शnद से आज सZपूण5 �व�व भल� भां7त पRरOचत है। आंतक उ�प$न

    करने के पीछे 1कसी न 1कसी संगठन अथवा समूह का कोई 7नि�चत ल|य &ाbत

    होता है। यह ल|य राजनी7तक, धा

  • [65]

    पर फासीवाद, घणृा और tेष है, िजनक; वजह से अTपसंBयकf का जीना दभुर हो गया

    है। इनका अि6त�व खतरे मC है। तीसर� बात जो �वसंग7तयf के

  • [66]

    शिrत का इ6तेमाल 1कया। सpचाई तो यह है 1क अमेRरका द7ुनया का सबसे बड़ा

    आतंकवाद� देश है। 11

  • [67]

    अतंररा��य मचf से आंतकवाद क; भ�स5ना करते हुए इसका सामना करने के

  • [68]

    ‘आंतकवाद� कोढ़ ’ �दन व �दन पनपता ह� जा रहा है। शैतानी 1फतरत के कुछ लोग

    जो केवल घात &7तघात, आरोप-&�यारोप क; दवा

  • [69]

    सामािजक एवं आOथ5क �हतf क; व�ृy के

  • [70]

    � आधु7नक अपराOधक आंतकवाद

    �व�व म� आंतकवाद के 9मखु कारण इस 9कार हg -

    � उप7नवेशवाद

    � रा��यता क; पहचान

    � रा�f के राजनी7तक सामRरक एवं आOथ5क �हत

    � सरकारf क; उपे+ापूण5 नी7त

    � सामRरक दबु5लता

    � सूचना &ौधोOगक;

    अंतररा/0�य आतंकवाद के |प �न}न हg -

    � जैव आंतकवाद

    � आण�वक आंतकवाद

    � साईबर आंतकवाद *

    &

  • [71]

    �दन वहाँ आंतकवाद� मिजदf तथा दसूरे साव5ज7नक 6थलf पर आ�मघाती बम

    �व6फोट करके सैकडf लोगf क; जान ले रहा है। पा1क6तान सरकार आंख मूंदे बैठq है।

    उसका एक सु/ीय काय5xम है भारत को तबाह करना।

    पा1क6तान के हालत �दन पर �दन hबगडते जा रहे ह[ अगर पा1क6तान का यह�

    हाल रहा तो पाक को टुकडे-टुकड ेहोने मC यादा समय नह�ं लगेगा। पा1क6तान के

    अलावा जब हम अपने दसूरे पडौसी रा�f क; ओर नजर डालते ह[ तो चीन को भी

    अपने &7त6पध> व अ

  • [72]

    अतंररा��य आंतकवाद ख�म हो जाएगा या पा1क6तान के &7त अमेRरका क; नी7तयाँ

    बदल जाएँगी। 74

    आतंकवाद के Pलए उ7तरदाई कारक

    १। झुँझलाहट और xोध - आतंकवाद के मूल मC xोध क; अ7तशयता रहती है। जब

    हमारे मन के मुताhबक jयवहार हमC नह�ं

  • [73]

    आ�द तय अनेक लोगf को अवां7छत ग7त�वOधयf मC

  • [74]

    आतंकवाद को रोकने के स}भा�वत उपाय - विै�वक सरुxा के पर9े~य म�

    चँू1क आOथ5क एवं सामािजक वै�वीकरण के चलते आज आतंकवाद का भी

    वै�वीकरण हो गया है। ऐसे मC यह अ�य$त आ�यक हो जाता है 1क सम6त �व�व

    समुदाय अपने संक;ण5 �हतf क; बा*यता से ऊपर उठ, आतंककवाद क; इस �वभी�षका

    का समूल नाश करने का सZयक &य�न करC rयf1क आतंकवाद एवं आतंकवाद� �वचार

    धारा का कोई 7नि�चत श/ु अथवा

  • [75]

    आतंकवाद अ�य$त भयावह तथा वैि�वक 6वiप धारण कर चुका है। आतंकवाद से

    देश के सभी रा� कम अथवा यादा &भा�वत हो रहे ह[ य�द �व�व पटल को

    आतंकवाद के &भाव से पूण5तःमुrत करना है तो सभी रा�f को

  • [76]

    7नराकरण करना है तो अरंरारा5��य राजनी7त को और स�हणु तथा सहयोगा�मक

    बनाना होगा।

    शां�तपूण� हल - देशी इ6ला

  • [77]

    वत5मान कानून इस सम6या से 7नपटने मC &भावी नह�ं है। आतंकवाद पर काबू

    पाने के

  • [78]

    दंगे-फसाद इ�याद� को भी रोका जा सकता हैए पर उसके

  • [79]

  • [80]

    संदभ� सूची

    1. सा+ा�कार,जोशी, रामशरण, वRरठ प/कार, महा�मा गांधी अतंर रा��य �हदं�

    �व�व�व�यालय,वधा5, 23 माच5 2012. पाठया, अच5ना (शोधाथ>) tारा.

    2.

  • [81]

    32. पांडये, बाबरूाम, पांडये,रामसरूत,भारतीय सरु+ा के बदलत ेआयाम, प.ृ98.

    33. गहलोत,एस.एन, अतंररा��य सबंधं,प.ृ1

    34. वह�. 35. Kumar.M.Theoritical aspects of International politics, p,426 36. शमा5, मथुरालाल, अतंरा5��य सबधं, 2008, कालेज बकु sडपो, जयपरु, प.ृ93. 37. Immunuel kant, Perpetual Peace, p4. 38.

  • [82]

    67. खंडलेा, मानचं%, अतंरा5��य आतकंवादःएक पRरचय,प.ृ2.

    68. शमा5, &भदु�त, अतंरा5��य सगंठन,प.ृ372.

    69. वह�.प.ृ362.

    70. वह�.प.ृ368.

    71. प7ुनयानी, राम आतकंवादः वा6त�वकता बनाम ) tारा, शxुवार, 12 �दसबंर 2008, भोपाल.

    77. कलाम, डॉ. एपीजे अnदलु, पवू5 रा�प7त एव ं�वBयात वYैा7नक.

    वाता5, पाठया, अच5ना (शोधाथ>) tारा, शxुवार, 12 �दसबंर 2008, भोपाल.

    78. http:// www.pramathes ,blog. spot.com/ 211/05/bog-spot .

  • [83]

    1.3 संघष� के |प म� युE

    संघष5 क; &कृ7त साव5भै

  • [84]

    यEु का अथ� (Meaning of war) :- अतंररा��य �ववादf का शां7तपूण5 हल न होने पर

    इनके समाधान के

  • [85]

    है।’’10 इसी &कार युy क; पRरभाषा देते हुए ‘इंग

  • [86]

    मC �tतीय �व�वयुy के बीज सि$न�हत थे। रा�संघ के त�वाधान मC भी युyf को नह�ं

    रोका जा सका। परंतु संयुrत रा�संघ के �वारा 6था�पत सामु�हक सुर+ा क; पy7त

    वां7छत vप से काम करने मC असफल रह� है। अतः एक ऐसी नवीन अतंररा��य

    jयव6था को ज$म देने क; आव�यकता है जो रा��य &भुस�ता को &भावपूण5 तर�के से

    मया5�दत करने मC सफल हो सके।’’13

    युy क; भाँ7त संघष5 का न तो कोई 6पट hबदं ुहोता है और न ह� कोई 6पट अ7ंतम

    hबदं।ु अ6थायी युy �वराम या आपसी समझौतf से संघष5 का अतं हो सकता है। संघष5

    शस6/ �हसंा है िजसमC दो �वरोधी प+f या देशf क; सेनाएँ भाग लेती ह[। संघष5 मC दोनf

    प+ असै7नक साधनf का भी सहारा लेते ह[। युy क; भां7त संघष5 के भी राजनी7तक,

    आOथ5क, सामािजक, मनोवैYा7नक तथा सै7नक कारण हो सकते ह[। इनके अ7तRरrत

    सा£ायवाद� &व7ृतयाँ, सु%ढ �व�व jयव6था का अभाव सै7नक, गठबंधन, �व�व सं6था क;

    अ&भावी भू

  • [87]

    पRरणाम6वvप दोनf देश ऐसी नी7तयf का सजृन करते ह[ िजससे संघष5 क; ि6थ7त पैदा

    हो जाती है। पा1क6तान ने भारत के �वvy अपनी जनता मC धा

  • [88]

    �वvy शस6/ संघष5 या युy छेडने का 7नदVष दे सकती है। है।17 भारत-पाक संघष5 1971

    को युy कहा जा सकता है, इस

  • [89]

    � य�द देश पर आxमण 1कया जाता है तो र+ा के

  • [90]

    � रा��य नी7त के vप मC युy का पRर�याग आ�द।

    आधु7नक युyf का 6वvप अ�य$त भयानक तथा �वनाशकार� है इसने मनुय को बुर�

    तरह भयभीत कर रखा है। �व�व को �वनाश से बचाने के

  • [91]

    संदभ5 सचूी :-

    1.

  • [92]

  • [93]

    2.1 युE और श�= �नयं=ण क3 बदलती अवधारणा

    �व�व इ7तहास मC युy क; परपंरा &ारZभ से ह� देखी जा रह� है। ले1कन शां7त

    का इ7तहास इससे भी कम &ाचीन नह�ं है। 1फर भी ‘‘दभुा5~य से �व�व �हसंा क;

    धधकती वालामुखी के अंगार पर खड़ा है मानवीय अनुसंधान के भयानक और

    �व*वंसक कृ7त का &7तफल भोगने के

  • [94]

    अरब-इजराइल, ईरान-इराक और अफगा7न6तान के मामले मC भी दोनf शिrतयाँ परो+

    vप से मदद करती रह�ं। oांस के भूतपूव5 रा�प7त िज6कोर दअ6ते कहते ह[ 1क- ‘‘यहाँ

    श6/ भ¤डार क; &7त�वि$दता भ�वय मC समाbत नह�ं होगी और यह उ$हC युy करने

    के

  • [95]

    पंsडत नेहv भी पूँजीवाद� पथृा को युy का कारण मानते ह[। वे कहते ह[ ‘‘जब तक यह

    पथृा कायम है, तब तक संसार मC युy होते ह� रहCगे।’’9

    सचमुच �व�व रंगमंच पर अब तक के युy का इ7तहास आOथ5क और jयापाRरक

    &7त6पधा5 का ह� &7तफल कहा जा सकता है। आज भी ऐसी सभांवना ख�म नह�ं हुई है।

    अतंररा��य बाजार बनाने क; होड़ �वक

  • [96]

    रा� परािजत होते रहC और उनका उपयोग न करC-यह असंभव है। उ$हfने कहा 1क युy

    के मैदान मC ऐसा संकTप �टक नह�ं सकता।’’11 जब योगीराज कृ¤ण भी श6/ न उठाने

    के संकTप का पालन नह�ं कर सके तो हम सामा$य लोग इसक; उपे+ा कैसे करC।

    आज �व�व के सामने सबसे बड़ी सम6या �व�वास क; है। �व�वास से उ�प$न

    भय के कारण हम रा� को श6/ मुrत नह�ं कर सकते। �वनोबा ने भी कहा था–

    ‘‘अ�व�वास से कभी शां7त नह�ं हो सकती।’’12 उनका कहना है 1क ‘‘संसार �व�वास पर

    ह� खड़ा है। य�द �व�वास क; शिrत न रहे तो मानव जा7त एक दसूरे से लड़-लड़ कर

    समाbत हो जाएगी।13 आज लगभग सभी रा�

  • [97]

    वे6टरवेल ने कहा 1क ‘‘केवल तानाशाह सरकारf के हाथf मC ह� परमाणु हOथयार

    मानवता के

  • [98]

    �वनाश हो सकता था। उनके पास आज भी वे परमाणु हOथयार ह[, ले1कन बदल�

    पRरि6थ7तयf मC उनके बीच टकराव क; आशंका नह�ं है।

    परमाणु युy जीता नह�ं जा सकता, इस

  • [99]

    सकता है। इजराइल, द+ण अo;का तथा पा1क6तान इसी उtे�य को िट मC रखकर

    इस �दशा मC लला7यत ह[।

    �पछले कई वष से इ7तहास मC कैद उदाहरणf से उजागर हेाता है 1क बल &योग

    का सहारा मुBयतः इसी कारण नह�ं

  • [100]

    अकेले iस और अमेRरका के पास इतने परमाणु हOथयार ह[ जो �व�व को साडे

    तीन सौ बार पूण5 �व*वंस क; +मता रखते ह[ ऐसी ि6थ7त मC अमेRरका का सी

  • [101]

    संदभ5 सचूी

    1. कुमार, मनोज, लोक त/ं एव ं�व�व शां7त, प.ृ253.

    2. वह�.प.ृ273.

    3. �दनमान, 12-18 �दसZबर, 1982,प.ृ33.

    दे0खए,मोद�, नपेृ$% &साद, गांधी िट,प.ृ160.

    4. मोद�, नपेृ$% &साद, गांधी िट, प.ृ160.

    5. वह�.

    6. वह�. प.ृ160.

    7. भा�टया,आर,पी, अतंरा5��य सबंधं एंव �व�व राजनी7त, प.ृ247.

    8. दबेु, सरला, सामािजक �वघटन और सधुार,प.ृ264.

    9. नेहv, जवाहरलाल, लडखडाती द7ुनया, प.ृ6.

    10. �दनमान, 21-27 जून, 1981,प.ृ32.

    दे0खए,मोद�, नपेृ$% &साद, गांधी िट,प.ृ163.

    11. मजूमदार, धीरC%,xां7त:&योग और Oचतंन, भhttp://www.facebook.com/pages/IDNInDepthNews/207395499271390?sk=w

    all

  • [102]

    2.2 �नःश�=ीकरण : सम�याएँ और चुनौ�तयाँ

    �व�व मC होने वाले �वनाशकार� युyf के पीछे रा�f मC श6/ीकरण क; होड़ एक

    &मुख कारण रह� है। इस सद� के &थम और �tतीय �व�व महायुy श6/ीकरण के

    फल6वvप रा�f tारा शिrत-संतुलन क; सीमा लांघ जाने क; &1xया या उससे जुड ेभय

    के कारण ह� भडक उठे थे। &थम �व�वयुy के बाद पेRरस सZमेलन मC

  • [103]

    Assembly) &�येक वष5 इस पर �वचार और पुन�व5चार करती रहती है। संयुrत रा�संघ

    क; स

  • [104]

    सामा$य 7नःश6/ीकरण से मतलब है िजसमC सब सZबंOधत रा� भाग लC इसका

    उदाहरण हमC 1922 क; नौसै7नक श6/ीकरण पर�सीमा क; वा

  • [105]

    सोचने क; बात है। आज

  • [106]

    ‘‘मनुय जा7त अगर श6/ युy को दफना नह�ं देगी तो श6/ युy मनुय जा7त को

    दफनाए hबना नह�ं रहेगा।’’10 जब तक द7ुनया मC लोकमत युy को बदा56त करता रहेगा

    तब तक बम फेकने वाले और ह�यारे भी बने रहCगे।’’11 आज �व�व जनमत तैयार हो रहा

    है जो युy और युy क; तैयार� का �वरोध कर रहा है। मानव सं6कृ7त को इस �वनाश

    से बचाने के

  • [107]

    हुआ है। इतना ह� नह�ं अतंररा��य तनावf को कम करने के

  • [108]

    पास हOथयार ह[। इस धारणा से यह 7नकष5 7नकलता है य�द आदमी सब हOथयार

    �याग दे तो सब &कार के युy असZभव हो जाएँगC। इस आधार पर कहा जाता है 1क

    7नःश6/ीकरण के काय5xम का उtे�य युy रोकना होना चा�हए, न 1क युy मC &योग होने

    वाले श6/f को 7नयि$/त करना, परंतु 7नःश6/ीकरण के समथ5क इसके �वपर�त �दशा मC

    सोचने ह[। उनका कहना है 1क आदमी इस

  • [109]

    कोई jयिrत है और वह पृवी पर आए तो उसे सबसे असाधारण बात यह �दखेगी 1क

    मनुय जा7त ने अपने �वनाश के

  • [110]

    गयी है और इससे अ

  • [111]

    &काश न

    7नकल जाएगी। ‘शवf’ कोई उठाने वाले नह�ं हfगे। फलतः शवf के सड़ने से पूरा पया5वरण

    &द�ूषत हो जाएगा। पृवी के वायुम¤डल मC ओजोन गैस क; पÏी नट हो जाएगी।

    उTलेखनीय है 1क ओजोन गैस क; पÏी पृवी से 20 1कलोमीटर क; ऊंचाई पर वायुमंडल

    मC ि6थत है। इसी ओजोन पÏी के कारण धरती पर जीवन सZभव हुआ है। यह सूय5 से

    आने वाल� घातक पराब[गनी 1करणf को ऊपर ह� रोक लेती है और उ$हC धरती तक नह�ं

    पहँुचने देती है।

    य�द 20 मेगाटन का एक ताप ना हो जाएगी 1क जो लोग धरती के अ$दर

    शरणालयf मC vके हfगे, वे भुन जाएँगे और गरम हवा से उनक; साँस घुट जाएगी।

    जो लोग अि~नका¤ड से बच जाएँगे, उनके ऊपर �व6फोट के कारण जो �व1करण

    होगा, उसका &भाव पड़ेगा। य�द हवा 20 मील &7त घ¤टे क; रÊतार से भी बड़ ेतो भी

    वह इस �व1करण के घातक &भाव को 150 मील दरू तक ले जाएगी िजसके &भाव से 4

    घ¤टे के अंदर म�ृयु हो जाएगी। इतना ह� नह�ं इस �व1करण के कारण बीमार� बढ़

    जाएगी और उनका &7तरोध कम हो जाएगा तथा िजनक; त�काल�न म�ृयु नह�ं है 1क

    त�काल म�ृयु हो सके तो भी उसका &भाव यह रहेगा 1क बहुत से बpचे गभा5व6था मC

    ह� मर जाएँगे या पैदा हfगे तो उनमC ऐसे दगुु5ण हfगे 1क शीØ मर जाएँगे। Tयूको

  • [112]

    जातीय दोष उ�प$न हfगे। सम6त अ6पताल नट जाएँगे और अOधकांश Oच1क�सक या

    तो मर जाएँगे या घायल हfगे। खाद-पदाथ5, हवा और जल �वष हो जाएँगे।

    �वशेषYf का अनुमान है 1क वायुम¤डल मC लगभग 4 अरब टन ओजोन गैस है

    िजसे ओजोन म¤डल कहते ह[। मा/ एक हजार मेगाटन के परमाणु बम सZपूण5 ओजोन

    म¤डल को नट कर देने मC काफ; है। इस &कार ना

  • [113]

    �दशा मC &य�नशील रहा। वत5मान मC सो�वयत संघ �व�व मानOच/ से ओझल हो

    गया है। संयुrत राय अमेRरका ह� एकमा/ महाशिrत रह गया है, अतः अब ऐसी

    &7त6पधा5 क; ि6थ7त नह�ं है।

    2. &ाथ

  • [114]

    को देखता है। इसी आधार पर oांस ने पर�+ण-&7तरोध संOध का समथ5न नह�ं

    1कया। रा�f के पा6पRरक सZब$ध आज इतने अि6थर ह[ 1क कल का

  • [115]

    8. अ�व�वासपूण5 वातावरण:- अ�व�वासपूण5 वातावरण मC 7नःश6/ीकरण और श6/f पर

    7नयं/ण तथा अ$य राजनी7तक सम6याओं का समाधान संभव नह�ं है। य�द रा�f

    मC पार6पRरक �व�वास रहे तो श6/f क; आव�यकता ह� न रहे और 7नःश6/ीकरण

    क; सम6या भी पैदा न हो। अ�व�वास के कारण कोई समझौता नह�ं हो पाता।

    9. आतंकवाद क; चुनौती:- आतंकवाद 7नःश6/ीकरण के माग5 मC एक बडी बाधा है।

    आतंकवाद� आज श6/ा6/ 7नमाता5 देशf से आधु7नक श6/ा6/ &ाbत कर रहे

    ह[,उनका सामना करने के

  • [116]

    होने आव�यक ह[। यह तभी संभव होगा जब महाशिrतयाँ पार6पRरक अ�व�वास और

    &7त6पधा5 को भुलाकर परमाणु शिrत के उ�पादन, परमाणु अ6/f के 7नमा5ण, 7नयं/ण

    एवं �वतरण पर अतंररा��य 7नर�+ण एवं &7तबंध के

  • [117]

    क; 6थापना हो जाएगी।’’25 मूल सम6या तो अतंररा��य सदभावना क; है। िrवंसीराइट

    का मत एकदम �वपर�त है। उनका �वचार है 1क ‘‘7नःश6/ीकरण को शां7त तथा सुर+ा

    क; सम6याओं का समाधान नह�ं मान सकते। 7नःश6/ीकरण से तो युy के बार-बार

    होने क; संभावना (Frequency) बढ़ जाती है। श6/ा6/f के अभाव मC दसूरे रायf के

    आxामक-काय और इरादf का मुकाबला नह�ं कर पाते।’’26 &थम और �tतीय �व�वयुy

    मुBयतः इसी

  • [118]

    4. नै�तक वातावरण का �नमा�ण :- 7नःश6/ीकरण नै7तक िट से आव�यक है, rयf 1क

    ‘‘1कसी रा� को यह अOधकार नह�ं है 1क वह अपनी सुर+ा के

  • [119]

    दबाव से न हो कर, 6वेpछा से होना चा�हए और इसके

  • [120]

    आ जाएँगे। इस

  • [121]

    7नःश6/ीकरण क; �दशा मC 1कए गए &यासf का इ7तहास अनेक असफलताओं

    तथा कुछ सफलता क; कहानी है। पRरणामf क; असफलता का मुBय कारण

    7नःश6/ीकरण के

  • [122]

    "Bतीय-�व�वयEुो7तर यगु : �नःश�=ीकरण के 9यास

    �tतीय �व�वयुy के बाद के 7नःश6/ीकरण &यासf को हम मुBयतः दो भागf मC

    �वभािजत कर सकते ह[। &थम भाग के अतंगत5 उस समय तक क; वाता5एँ सिZम

  • [123]

    आज सार� द7ुनया युy के भयानक आतंक के दौर से गुजर रह� है तीसरा

    �व�वयुy कुछ

  • [124]

    अपना �वनाश 6वंय कर लेगी।’’33 परमाणु श6/f को ज$म देने के बाद से ह� ये सार�

    भयावह सZभावनाएँ गहराती हुई �दखाई दे रह�ं ह[। परमाण�वक शिrत से समप$न होने

    क; लालसा ने श6/ीकरण क; ऐसी �वनाशकार� &7तयोOगता को ज$म �दया जो आज

    सZपूण5 मानव जा7त के

  • [125]

    सकता है। यह इस बात का 6प ट संकेत है 1क जम5न सरकार परमाणु हOथयारf से

    मुrत �व�व के

  • [126]

    युग का सू/पात कर �दया है। �व�व शां7त क; �दशा मC बढ़ा हुआ यह ऐ7तहा

  • [127]

    सकता। अवरोध क; इस नी7त से सुर+ा के नाम पर शिrत अिज5त करने का चx बन

    गया है। संदेह और सुर+ा के जो0खम संबंधी भय के कारण इस jयूह को तोडना बड़ा

    क�ठन है। �tतीय �व�वयुt के बाद �tप+ीय और सामु�हक सुर+ा के साथ साथ द�ुमन

    क; �व*वंसक शिrत से अOधक शिrत एंव +मता �वक

  • [128]

  • [129]

    मC श6/ ह� युy के &मुख कारण ह[। आधु7नक श6/f मC &7तyि$दता मानव के

  • [130]

    इस &कार उपयुrत तयf के �ववेचन से 6पट हो जाता है 1क 7नःश6/ीकरण

    को साकार iप देने के

  • [131]

    नह�ं दे रह� है। rयf 1क आज का मानव अपनी सम6त नी7तयf का 7नमा5ण अ�व�वास

    के आधार पर कर रहा है। जब मन मC भय बैठा हो, एक दसूरे पर �व�वास न हो,

    सदभाव एक मुखौटा बन गया हो, मुखौटे का &योग हर रा� अपनी-अपनी तरह से कर

    रहा हो तब 1फर कैसी होगी �व�व शां7त बहाल� और शां7त सजृनf �व�व शां7त ओर

    सदभाव लाने के

  • [132]

    संदभ� सचूी

    1. नेहi,जवाहरलाल, द� बे

  • [133]

    25. शमा5, &भदु�त, अतंरा5��य सगंठन,प.ृ120.

    26. वह�.

    27. वह�.

    28. शमा5, मथुरालाल, अतंरा5��य सबंध, प.ृ293.

    29. �दनमान, 15.21 नवZबर,1981,प.ृ301.

    दे0खए, कुमार,मनोज लोकत/ं और �व�व, प.ृ271.

    30. कालेकर,काका,स�यागहृ �वचार और यyु, नी7त,प.ृ175.

    31. शमा5, मथुरा लाल,अतंरा5��य सZब$ध (1945 से अब तक), प.ृ93.

    32. वह�.प.ृ94

    33. वह�.प.ृ292

    34. वह�.

    35. वह�.

    36. व�ैदक,वेद&ताप(अतंररा��य मामलf के �वशषेY) �व�व शां7त के नए यगु का 6टाट5,

    posted by dr.vaidik to [email protected] मगंलवार 24 जनवर�, 2012.

    37. कुमार,अशोक,प.ृ191.

    38. जेZस, दोरोथी, द अमेRरकन Rरjय,ु आटोमन, 1977, वो, 22, प.ृ 25-26.

    39. पामर, नारमन डी, इंटरनेशलन Rरलेशसं, प.ृ 723-57.

    40. लाल, सजंय कुमार, राजनी7त �वYान तथा अतंररा��य सबंधं, प.ृ212.

    41. वह�, प.ृ213.

    42. शrुला, श

  • [134]

  • [135]

    2.3 अतंररा/0�य �ववादm का शां�तपूण� समाधान

    संयुsत रा/0सघं: 9u�याएँ और प�E�तयाँ

    संयुrत रा�संघ का मूल उtे�य अतंररा��य शां7त और सुर+ा कायम रखना है।

    चाट5र के अतंग5त यह दा7य�व सुर+ा पRरषद को सÔपा गया है। और �वशेष पRरि6थ7त मC

    महासभा भी इस काय5 मC अपना &भावपूण5 योगदान दे सकती है। संयुrत रा�संघ के

    सद6य चाट5र के अनुpछेद 2 के अनुसार इस बात के

  • [136]

    �ववादf के शां7तपूण5 समाधान के

  • [137]

    अतंररा��य संबंधf और संयुrत रा� के �ववादf के शां7तपूण5 समाधान क; �दशा

    मC जो �व

  • [138]

    4. सौमन�य या संराधान (Conciliation) :- �ववादf के 7नपटाने का यह एक अ$य

    साधन है। इसमC वे �व

  • [139]

    7. �या�यक समाधान (Judicial Settelment) :- �ववादf का $या7यक समाधान

    अतंररा��य $यायालय के मा*यम से होता है। संयुrत रा�संघ के चाट5र मC अनुpछेद

    94 मC यह 6पट jयव6था द� गई है 1क ‘‘संघ का &�येक सद6य &7तYा करता है 1क

    वह 1कसी मामले मC �ववाद� होने पर अतंररा��य $यायालय के फैसले को मानेगा।’’6

    यह भी उTलेख 1कया गया है 1क ‘‘$यायालय के फैसले के अनुसार &��त दा7य�वf को

    य�द कोई �ववाद� पूण5 न करे तो दसूरा प+ सुर+ा पRरषद मC मामला उठा सकता है।

    सुर+ा पRरषद उस फैसले पर अमल करने के

  • [140]

    सकता है। संघ बल-&योग tारा अतंररा��य �ववादf का समाधान दो &कार से करने क;

    चेठा करता है। &थम िजसमC सश6/ सेना के &योग क; आव�यकता नह�ं होती एवं

    �tतीय, िजसमC सश6/ सै$य-बल का &योग आव�यक हो जाता है।

    12. �नःश�=ीकरण :- 7नःश6/ीकरण पूर� अंतररा��य राजनी7त मC �हसंा के 6थान पर

    सम6याओं को शां7तपूण5 ढगं से आपसी सद�व�वास और सहानुभू7त से सुलझाने का ह�

    दसूरा नाम है। आज जब अतंररा��य राजनी7त वैचाRरणी &7तयोOगता, संक;ण5 रा�वाद,

    6वाथ5पूण5 रा��य �हतंf क; सीमा मC बंधी है, 7नःश6/ीकरण करना संभव नह� है।

    7नःश6/ीकरण के

  • [141]

    संघष� उपशमन क3 गांधीवाद� शैल�

    गांधीजी ने संघष5 उपशमन क; शैल� का शुभारZभ द+ण आ1oका मC गोर�

    सरकार के �वvy स�यागहृ और अ�हसंा से ह� 1कया। भारत आने पर उ$हfने सव5/

    Óमण 1कया। गांधी जी ने hबहार के चपांरन िजले से अUCजf के �वvy अपना आंदोलन

    &ारZभ 1कया। उ$हfने 1942 मC ‘‘अUCजf भारत छोडो ’’ आंदोलन का @ी गणेश 1कया।

    उनके सतत &यास से ह� भारत को h¦�टश शासन से 6वतं/ 1कया जा सका, य�य�प

    भारतीय xां7तकाRरयf के �याग और ब

  • [142]

    �व6ततृ अथ5 है, परंतु युy का 6थान लेने वाल� शां7त युy समाbत करने वाल� शां7त नह�ं

    होती जैसे 1क वसा5य क; संOध िजसने एक नए और अOधक �वनाशकार� युy के बीज बो

    �दए। यह वह शां7त है जो पृवी पर शुभकामना और

  • [143]

    स7यागहृ क3 संकLपना एवं शैल� (Concept technique of Satayagraha)

    स�याUह� अपने सा*यf और साधनf मे कोई भेद नह�ं करता वह तो अपने Ñदय

    को सबके सामने खुला रख देता है। स�य वह शा�वत

  • [144]

    वा6तव मC गांधी जी के अनेक नै7तक

  • [145]

    है। मेरे �वचार मC गांधी को छोडकर 1कसी ने भी तीसरे �वकTप क; भी कTपना नह�ं क;

    है। गांधी का �6ट�

  • [146]

    साव5दे

  • [147]

    संदभ5 सचूी

    1. राय,एम.पी, अतंरा5��य सगंठन,प.ृ 183.

    2. वह�,प.ृ183.

    3. शमा5, &भदु�त, अतंरा5��य सगंठन,प.ृ 120.

    4. राय,एम.पी,अतंरा5��य सगंठन प.ृ 186.

    5. वह�,प.ृ188.

    6. शमा5, &भदु�त, अतंरा5��य सगंठन, प.ृ 123.

    7. वह�, प ृ.123.

    8. राय, एम.पी, अतंरा5��य सगंठन, प.ृ191.

    9.

  • [148]

  • [149]

  • [150]

    3.1 �व�वशां�त क3 ि�थ�त : 9ाचीन और अवा�चीन

    शां7त क; संकTपना अ7त &ाचीन है। संभवतः शां7त क; अवधारणा उतनी ह�

    &ाचीन है िजतनी मानव समाज के &ादभुाव5 और �वकास का इ7तहास। �व�व के

    &ाचीनतम सा�ह�य भेदf मC भी इसी शां7त क; संकTपना के दश5न होते ह[। व6तुतः शां7त

    के वातावरण मC मानव समाज का सवाñगीण �वकास होता है। वत5मान परमाणु युग मC

    शां7त क; 6थापना अतंररा��य Oचतंा का �वषय है। यह� कारण है 1क ‘‘जहाँ एक और

    &�येक रा� शिrत संघष5 मC भाग लेकर अपनी रा��य शिrत को �वक

  • [151]

    चलते उसके �वiy कोई भी चाल चलने से बाज नह�ं आता। आज लगभग पूर� द7ुनया

    आतंकवाद से पीsड़त है और इसक; वजह से भी �व�व मC �हसंा, अशां7त का माहौल है।

    बकौल हक ‘यह कोई पांच &7तशत भटके हुए लोगf क; करामात है। कुछ खुदगज5 लोग

    �व�व मC आतंक; ग7त�वOधयf के जRरये अशां7त का माहौल बनाने क; को

  • [152]

    पRरवार दो6तf और काय5-6थलf मC शां7त। तीसर� है, देशf और महाtीपf मC शां7त, जो

    1क सबसे मह�वपूण5 है।

    �व�व मC शां7त और समु�y क; 6थापना के बारे मC &ाचीन काल मC चीन का यह

    �वचार रहा है 1क ‘‘एक आकाश मC एक ह� सूय5 होना चा�हए, एक से अOधक सूय5 होने

    पर वे टकराकर शां7त भंग करने के साथ ह� �व�व-jयव6था चौपट करCगे।’’4 &ाचीन युग

    मC राम या म*ययुग मC दार-उल-इ6लाम का ल|य तथा आधु7नक युग मC यह tिटकोण

    1क य�द �व�व एक ‘jयिrत’ या एक ‘राय’ या एक ‘वाद’ अथवा �वचार धारा tारा ह�

    शा

  • [153]

    आ�म-सम5पण 1कया था, �हटलर ने आ�मह�या क; थी मुसो

  • [154]

    शां�त-सजृन क3 संकLपना एंव PसEांत (Concept and Theories of peace

    Building) -

    व6तुतः �व�व के अनेक पु6तकालयf और Uंथ र+ा गहृ (Archives) युy के

    �वकTप के vप मC उपTबध हजारf क; संBया मC प6ृतावf का अ*ययन 1कया जा सकता

    है। परंतु इनमC से केवल कुछ ह� समय और अनुभव के अनुvप खरे उतर सके ह[। कुछ

    ने 6वंय युy के कारणf पर &हार 1कया। एंव कुछ ने अतंररा��य �ववादf को शां7त पूण5

    तर�कf से हल करने पर बल �दया तथा कुछ ने �व

  • [155]

    सामा$यता यह देखा जाता है 1क �व

  • [156]

    सामािजक और आOथ5क बुराइयf के �वvy &भावी जंग छोडनी होगी िजसके कारण

    अ$याय और �हसंा पनपती है। अहम मसला शां7त को कायम रखने का नह�ं है वरन

    एक ऐसे �व�व का सजृन करना है िजसमC शां7त 6वत: 6था�पत हो जाए तथा इससे

    �व

  • [157]

    • अपने आप को �वप+ी क; ि6थ7त मC रखकर पRरि6थ7तयf को देखना (put

    yowrslf is enemus shoes soas to see Things through his eyes).

    • हम जो कुछ कर रहे है वह� सह� है क; भावना से दरू रहना (Avoid self

    righteousness like the devil nothing is to self binding).

    • �वजय के भयानक Óम से अपने को बचाना (cure foweself of the ldea of

    Victory yaral).

    • युy सी

  • [158]

    भावना पर आधाRरत सामु�हक सुर+ा jयव6था शां7त का एक ऐसा उपxम है जो

    आxमण काRरयf क; आxमक भावनाओं पर बलपूव5क अंकुश लगाकर अंतररा��य शां7त

    क; 6थापना मC सहायक

  • [159]

    चतुताथ5 मC जो महायुy के अभाव तथा अणु श6/f से ततृीय महायुy क; आशंका के

    कारण �व�व राय का �वचार अपूव5 मह�व का रह गया है। संसार क; आ�मनाभ से

    र+ा करने के

  • [160]

    1कया है। दांते का कहना था 1क ‘‘मानव समाज का उtे�य है 1क उसका &�येक सद6य

    अपना अOधक�म �वकास करे। शां7त 6था�पत हुए hबना यह उtे�य संभव नह� हो

    सकता। इस

  • [161]

    क; चरम सीमाओं मC पहँुच रहे ह[, वह�ं दसूर� और महा�वनाश क; सुरगf के ऊपर सारा

    समाज अपना पैर बढाए खडा ़ है इन पRरि6थ7तयf मC शां7त बहाल� और शां7त सजृन

    कैसे हो, यह आधु7नक युग क; सबसे बडी सम6या है। वत5मान समय मC �व�व मC चल

    रहे �व

  • [162]

    समाbत हो गया। चाहे कोई राय हो या समाज, स�हणुता तथा सहअि6त�व क;

    6वीकृ7त ह� सामािजक अि6त�वf को बनाए रख सकती है। अतः मेर� tिट मC

    अतंररा��य शां7त एवं �व�व-jयव6था हेतु अतंररा��य संगठन अOधक जनतांh/क बन

    सकते ह[ rयf1क एक �वचारधारा या वाद या एक तलवार क; तुलना मC संगठन अOधक

    बेहतर है।

    राजनी7तYf के सम+ �व�व-jयव6था हेतु दसूरा मा*यम यह है 1क वे रायf के

    7नःश6/ीकरण tारा सम6त युyf को hबTकुल ह� समाbत कर दC। परंतु इस ल|य क;

    &ािbत भी साथ5क साhबत न हो सक;, rयf1क आज तक िजतने भी 7नःश6/ीकरण से

    सZबि$धत सZमेलन, सं�वदा और समझौते हुए, वे सभी के सभी महाशिrतयf के 7न�हत

    6वाथ5 और कूट7न7तक दावपेच एंव ताड¤व न�ृय के कारण असफल ह� रहे। य�द हम

    यह मानकर चलC 1क 7नःश6/ीकरण के &यास 1कसी समय सफल हो भी जाते ह[ और

    सभी रा� अपने आयुध भ¤डारf को संहार कर देते ह[ तो भी युy क; आशंका को टाला

    नह�ं जा सकता, rयf1क रायf मC आ$तRरक शां7त बनाए रखने के

  • [163]

    चौथे सुझाव के vप मC हम माओ�सेतुंग के उस �वचार को ले सकते ह[ िजसमC

    उसने कहा है ‘‘1क परमाण�वक आयुधf से भी शां7त 6था�पत क; जा सकती है।’’ 22

    ऐसी ि6थ7त मC परमाणु शिrत सZप$न रा�f tारा ‘परमाणु छाते’ का भी सुझाव रखा

    गया है, िजससे आxमण के �वvy सुर+ा क; गार$ट� हो सके। ले1कन इससे

    महाशिrतयf का शासन सरलता से परमाणु �वह�न रा�f के ऊपर 6था�पत हो सकता

    है। अतः बडी क�ठनाई से ऐसा सुझाव �व�व शां7त एवं jयव6था हेतु &भावकार� या

    6वीकाय5 हो सकेगा।

    इसके अ7तRरrत पाँचवा तर�का कुछ दाश57नकf और Oचतंकf tारा �व�व शां7त

    तथा jयव6था हेतु अOध-रा��य संगठन (स�