shri guru ram das ji sakhi - 037a

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Page 1: Shri Guru Ram Das Ji Sakhi - 037a
Page 2: Shri Guru Ram Das Ji Sakhi - 037a

भाई आदम जिला फि�रोपुर गाँव फि�न्ू का रहने वाला था| वह पीरो-�कीरों की खू� सेवा करता परन्तु उसकी मुराद कही पूरी न हुई| उसके घर में पुत्र पैदा न हुआ| एक दिदन उसे गुरु का सिसख मिमला| आदम ने उस ेश्रधा सफिहत पानी फिपलाया और प्राथ2ना की फिक मेरे घर संतान नहीं है| आप गुरु ी के आगे अरदास करो फिक मेरे घर पुत्र पैदा हो| सिसख ने कहा इस समय गद्दी पर गुरु रामदास ी सुशोभिभत हैं| तुम उनके पास गुरु के चक्क में चले ाओ| उनके पास तुम्हारी मुराद पूरी हो ायेगी|

भाई आदम सिसख की �ात मानकर पत्नी को साथ लेकर गुरु के चक्क आ गया| भाई आदम ंगल से रो दो गठरी लकड़ी लाता और लंगर में दे देता और एक अपने घर में मा करता|

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एक दिदन सदC के मौसम में वर्षाा2 के कारण सूखी लकड़ी कही न मिमली| त� भाई आदम ने गुरु ी को खुशी प्रदान करने के सिलए अपने घर की सारी सूखी लकड़ी रूरतमंदों में �ाँट दी| सदC से दिठठुर रहें लोग सूखी लकड़ी लाकर खुश हो गए| गुरु ी भाई आदम की मिमल-�ाँट कर प्रयोग करन ेवाली प्रवृफित को देखकर प्रशंसा करने लगे| संगते भी �हुत खुश थी| गुरु ी ने भाई आदम को �ुलाया और कहा सिसखा! गुरु नानक ी की संगत तेरे ऊपर खुश हुई है| तुम अपने मन का मनोरथ �ताओ, ो पूरा फिकया ा सके| परन्तु भाई आदम संकोच कर गए और कहने लगे महारा! मुझे दश2न दो यही मेरा मनोरथ है| गुरु ी ने तीन �ार पूछा और तीनों �ार ही आदम ने "दश2न दो" का वरदान माँगा|

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त� अन्तया2मी गुरु ने कहा - भाई तुम कल अपनी पत्नी को साथ लेकर आना और फि�र जिस मकसद से तुमन ेगुरु घर की सेवा की वह आकर �ताना| आपका मनोरथ गुरु नानक ी पूरा करेगें| इसके पश्चात आदम ने डेरे में ाकर सारी �ात पत्नी को �ताई और दूसरे दिदन पत्नी को साथ लेकर गुरु दर�ार पर आ गया| गुरु ी ने वचन फिकया फिक आ अपना मनोरथ फिनसंकोच �ताओ| पत्नी ने हाथ ोड़कर कहा महारा! हमें पुत्र की दात प्रदान करो| यही मनोरथ के साथ हम गुरु दर�ार में आए थे|

गुरु ी ने ध्यान में �ैठकर वचन फिकया फिक हम आपकी श्रद्धा, भसिR और फिनष्काम सेवा पर �हुत खुश हैं|

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गुरु नानक ी फिक कृपा से आपके घर प्रतापी पुत्र होगा| उसका नाम भगतु रखना| अ� आप अपने घर ाओ और गुरु यश का आनंद प्राप्त करो| गुरु की आज्ञा के अनुसार भाई आदम अपन ेगाँव चला गया और उनके घर लड़के ने न्म सिलया और जिसका नाम भगतु ही रखा गया| भाई भगतु ी �डे़ नाम रसिसक और करनी वाले प्रतापी पुरुर्षा हुए हैं| इस प्रकार आदम और उसकी पत्नी का गुरु दर पर फिवश्वास और �ढ़ गया|

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