य ज़ी य ज़, एक साल 4 महनऔर 4 दन बाद अब वत आ गया ह क मअब आपसअलग हो जाऊ . हाला क ऐसा पहलकरना चाहए था ल कन अब भी नह कया तो ख द को कभी माफ़ नहकर सक गा. आगजोमकहनजारहाह वो कसी भावाव श, ग सया खीझ का नतीज़ा नहह , बिक एक स च तत बयान ह . मपकार होनससाथ-साथ उसी द श का एक नागरक भी ह िजसकनाम अ ध ‘रावाद’ का ज़हर फ लाया जा रहा हऔर इस द श को ग हय ध क तरफ धक ला जा रहा ह . म रा नागरक दायव और प श वर िजम दार कहती ह क मइस ज़हर को फ लनस रोक . म जानता ह क म र कोशश नाव कसहारसम पार करनज सीहल कन फर भी मश आत करना चहता ह . इसी सोच कतहत JNUSU अय कह या क मारकबहानश कए गए अ ध रावाद अभयान और उसबढ़ानमहमार भ मकाकवरोधममअपनपदसइतीफा द ता ह . मचाहता ह इस बना कसी व यितक व ष कवीकार कया जाए. असल मबात यितगत हभी नह . बात प श वर िजम दार क ह . सामािजक दायवबोध क ह और आखर मद श म क भी ह .म झअफसोस कसाथ कहना पड़ रहा ह क इन तीन प मान पर एक स थान कतौर पर त मत मसज ड़होनकनातएकपकारकतौरपरम पछलएक साल मकई बार फ लह ए. मई 2014 कबाद सजब सी नर मोद भारत कधानम ीबनह ,तबसकमोब श द श क हर य ज़ म का सा दायीकरण (Communalization) ह आ हल कन हमारयहा िथतयाऔर भी भयावह ह . माफ चाहता ह इस भार भरकम शद कइत माल कलए ल कन इसकअलावा कोई और द सरा शद नहह . आखर ऐसा य होता ह क ख़बर को मोद ए गल सजोड़कर लखवाया जाता ह ? यसोचकरखबर लखवाई जाती ह कइससमोद सरकारकएज डको कतना गत मल गी ? हमगहराईसस द ह होनलगा ह क हम पकार ह . ऐसा लगता हज सहमसरकारकवता हयास पार कलर ह ? मोदहमारद शकधानम ी ह , म रभी ह ; ल कन एक पकार कतौर इतनी मोद भित अब हजम नहहो रह ह ? म रा ज़मीर म र खलाफ बग़ावत करनलगा ह . ऐसा लगता हज समबीमारपड़गयाह . हर खबर कपीछएज डा, हर य ज़ शो कपीछमोद सरकार को महान बतानक कोशश, हर बहस कपीछमोद वरोधय को श ट करनक का यास ? अट क, य ध सकमतर कोई शद हमम ज र नह .याहयसब ? कभी ठहरकर सोचता ह तो लगता ह क पागल हो गया ह . आखर हमइतना दन हन, अन तक और गरा ह आ य बना दया गया ?द श कसवच मीडया स थान सपढ़ाईकरनऔर आजतक सल कर बीबीसी और डॉयचव ल , जम नी ज स तिठत स थान मकाम करनकबाद म र पकारय जमाप जी यह ह क लोग म झ ‘छ य ज़ पकार’ कहनलगह . हमारईमान (Integrity) क धिजयाउड़ च क ह . इसक िजम दार कौन ल गा ? कतनीबातकह . दल कम यम ी अरव द कजरवाल कखलाफ लगातार म हम चलाई गई और आज भी चलाई जा रह ह . आखर य ? बजल-पानी, शा और ऑड-इव न ज सी जनता को राहत द नवालब नयाद नीतय पर भी सवाल उठाए गए. कजरवाल सअसहमत का और