पारे से खतरा मामले का...

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पारे से खतरा मामले का अधययन ‘िमनामाटा’ का नाम पारे दारा होने वाले एक बह त ही घातक तंितका संबंधी रोग की याद िदलाता है। यह बीमारी सबसे पहले 1950 मे पकाश मे आई थी जब िमनामाटा खाडी के आस- पास रहनेवाले लोग एक तंितका संबंधी रोग से मरने लगे। बह त से बचचे भी मृत पैदा ह ये। अधययनो ने दशारया िक खाडी के पास का एक कारखाना, जो एसीटेलडीहाइड और िवनाइल पारे का उतपादन कर रहा था, अपनी िनमारण पिकयाओं मे पारे का इसतेमाल कर रहा था। पारा डाईिमथाइल पारे मे पिरवितरत ह आ और खाद शृ ंखला मे पवेश कर गया। डाईिमथाइल पारा लोगमे उनक े दारा खाई जाने वाली मछली के दारा पह चता था। चू ँिक यह बीमारी सबसे पहले िमनामाटा खाडी मे द ेखी गई थी इसिलए इसे िमनामाटा रोग के नाम से जाना गया। आज भी पारा बह त सारी औदािगक पिकयाओं और उपयोगो मे इसतेमाल िकया जाता है। इन संयंतो के बिहपरवाह वायु मे और पानी मे छोड िदये जाते है। भारत िवश मे पार े का सबसे बडा उपभोका है (207-531 टन सालाना)। भारत मे सतही जल मे और वायु मंडल मे पार े को छोडनेवाला मुखय सोत है कलोर-कारीय उदोग। अनय सहायक है कोयला जलाने वाले ऊषमीय ऊजार संयंत, सटील उदोग और सीमेट संयंत। इसक े अितिरक पलािसटक, लुगदी (पलप) और कागज उदोगो, िचिकतसीय औजारो और िबजली के उपकरणो आिद मे भी पार े का उपयोग होता है। भारतीय कोयले मे पार े का ततव 0.01 पीपीएम (दस लाख मे एक िहसा) से लेकर 1.1 पीपीएम तक होता है। एक सामानय ऊजार संयंत अपने पारे मे से 90 पितशत को वायु मे और 10 पितशत को जमीन मे छोड द ेता है। उतसजरन दर अिधक होती है कयोिक पारा कम तापमान पर उबलता है। भारतीय कोयले मे पार े की औसत माता को 0.25 पीपीएम माने तो वषर 1991-2001 के बीच पित वषर िसफर कोयले की खपत के कारण लगभग 65 टन पारा वायु मे मुक ह आ। भारत मे पारा पदूषण वयापक है। अनुपचािरत बिहपरवाह के िवसजरन से गुजरात के (वातवा, अंकलेशर और वापी) और आँध पदेश के (पतनचेर, मेडक) मे भूजल का पदूषण ह आ है। वषार जल भी वायु मंडल मे उपिसथत पार े की वाषप को सोख लेता है। पारा कलोर-कारीय उदोगो, रंजको, पेट और वणरको (िपगमेट) क े िनमारण की इकाइयो के आस-पास के सतही और भूजल दोनो मे पाया गया है। आज जयादा से जयादा से भारतीय पारे की िवषाकता के दारा अपंग होने के खतरे का सामना कर रहे है। िमनामाटा अब जयादा दूर नहीं ह ै।

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Page 1: पारे से खतरा मामले का अधययनschools.indiawaterportal.org/sites/default/files/mercury menace.pdfपारे से खतरा मामले

पारे से खतरा मामले का अधययन

‘िमनामाटा’ का नाम पारे दारा होने वाले एक बहुत ही घातक तंितका संबधंी रोग की याद िदलाता है। यह बीमारी सबसे पहले 1950 मे पकाश मे आई थी जब िमनामाटा खाडी के आस-पास रहनेवाले लोग एक तिंतका सबंंधी रोग से मरने लगे। बहुत से बचचे भी मतृ पैदा हुये। अधययनो ने दशारया िक खाडी के पास का एक कारखाना, जो एसीटेलडीहाइड और िवनाइल पारे का उतपादन कर रहा था, अपनी िनमारण पिकयाओं मे पारे का इसतेमाल कर रहा था। पारा डाईिमथाइल पारे मे पिरवितरत हुआ और खाद शृखंला मे पवेश कर गया। डाईिमथाइल पारा लोगो मे उनके दारा खाई जाने वाली मछली के दारा पहँुचता था। चूँिक यह बीमारी सबसे पहले िमनामाटा खाडी मे देखी गई थी इसिलए इसे िमनामाटा रोग के नाम से जाना गया।

आज भी पारा बहुत सारी औदािगक पिकयाओं और उपयोगो मे इसतेमाल िकया जाता है। इन संयंतो के बिहपरवाह वायु मे और पानी मे छोड िदये जाते है। भारत िवश मे पारे का सबसे बडा उपभोका है (207-531 टन सालाना)। भारत मे सतही जल मे और वायु मडंल मे पारे को छोडनेवाला मखुय सोत है कलोर-कारीय उदोग। अनय सहायक है कोयला जलाने वाले ऊषमीय ऊजार संयंत, सटील उदोग और सीमेट संयंत। इसके अितिरक पलािसटक, लगुदी (पलप) और कागज उदोगो, िचिकतसीय औजारो और िबजली के उपकरणो आिद मे भी पारे का उपयोग होता है।

भारतीय कोयले मे पारे का ततव 0.01 पीपीएम (दस लाख मे एक िहससा) से लेकर 1.1 पीपीएम तक होता है। एक सामानय ऊजार संयंत अपने पारे मे से 90 पितशत को वायु मे और 10 पितशत को जमीन मे छोड देता है। उतसजरन दर अिधक होती है कयोिक पारा कम तापमान पर उबलता है। भारतीय कोयले मे पारे की औसत माता को 0.25 पीपीएम माने तो वषर 1991-2001 के बीच पित वषर िसफर कोयले की खपत के कारण लगभग 65 टन पारा वायु मे मुक हुआ।

भारत मे पारा पदषूण वयापक है। अनुपचािरत बिहपरवाह के िवसजरन से गुजरात के (वातवा, अंकलेशर और वापी) और आधँ पदेश के (पतनचेर, मेडक) मे भजूल का पदषूण हुआ है। वषार जल भी वायु मंडल मे उपिसथत पारे की वाषप को सोख लेता है। पारा कलोर-कारीय उदोगो, रंजको, पेट और वणरको (िपगमेट) के िनमारण की इकाइयो के आस-पास के सतही और भजूल दोनो मे पाया गया है। आज जयादा से जयादा से भारतीय पारे की िवषाकता के दारा अपंग होने के खतरे का सामना कर रहे है। िमनामाटा अब जयादा दरू नहीं है।

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सोत: सैनटर फॉर साइंस एणड ऐनवायरनमैट, नयी िदलली, सवासथय और पयारवरण संबंधी मुदो पर – पमुख समाचार – मई-जनू, 2005िचत: सीईई और अघयरम ्िचत

ट्यूना

बड़ी मछली

खादशर ृं खलाके ज िरये िलया गया पारा

छोटीमछिलयां

जतुंपल्वक

प ा र े के अव शे ष पादप प लवक