1980 · हठध मर्ता, शास्त्र या ूुष्ठानअन...

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माशल गो�वंदन (िजह� सिचदानंद के नाम से भी जाना है) बाबाजी नागराज, �हमालय के �सध गु और �या योग के वतक, और उनके �दवंगत �शय योगी एस. ए. ए. रमैया, के �शय ह| उह�ने 1969 के बाद से , भारत म� पांच साल स�हत, बाबाजी के �या योग का गहन अयास �कया है। 1980 के बाद से वह योग �सध� के लेखन के अनुसंधान और काशन म� लगे ह ए ह�। वह लोक�य पुतक 'बाबाजी और 18 �सध �या योग परंपरा' के लेखक ह� जो अब 15 भाषाओं म� का�शत हो चुक� है ; �थमिदरम् का पहला अंतररा�य अंेजी अनुवाद: योग और तं क� एक उक ट क �त, पतंज�ल और �सधके �या योग सू, यीशु और योग �सध� का �ान। वष 2000 से, उह�ने त�मलनाडु , भारत म� सात �ववान� क� एक ट�म को 18 �सध योग से संबं �धत पूरे सा�हय के काशन म� एक बड़े पैमाने पर अनुसंधान प�रयोजना को संर�ण, �तलेखन और अनुवाद के �लए �नद�शत और ायोिजत �कया है। इस प�रयोजना से छह काशन� को, 2010 म� �थमिदरम् कएक दस पुतक� के संकरण स�हत, उपा�दत �कया गया है।

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माशरल गोवदन (िजनह सिचचदानद क नाम स भी जाना ह) बाबाजी नागराज हमालय क परसदध गर और करया योग क परवतरक और उनक दवगत शषय योगी एस ए ए रमयया क शषय ह| उनहन 1969 क बाद स भारत म पाच साल सहत बाबाजी क करया योग का गहन अभयास कया ह 1980 क बाद स वह योग सदध क लखन क अनसधान और परकाशन म लग हए ह वह लोकपरय पसतक बाबाजी और 18 सदध करया योग परपरा क लखक ह जो अब 15 भाषाओ म परकाशत हो चक ह थरमिनदरम का पहला अतरराषटरय अगरजी अनवाद योग और ततर क एक उतकषट कत पतजल और सदध क करया योग सतर यीश और योग सदध का ान वषर 2000 स उनहन तमलनाड भारत म सात वदवान क एक टम को 18 सदध योग स सबधत पर साहतय क परकाशन म एक बड़ पमान पर अनसधान परयोजना को सरण परतलखन और अनवाद क लए नदशत और परायोिजत कया ह इस परयोजना स छह परकाशन को 2010 म थरमिनदरम क एक दस पसतक क ससकरण सहत उतपादत कया गया ह

सदधात अदवत और योग माशरल गोवदन (सिचचदानद) क साथ एक साातकार

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014

Contents परशन आपन इस साातकार को बनान का नणरय कय लया ह इसका उददशय कया ह 3

परशन सदधात अदवत और योग क बीच म कया सबध ह 3

परशन सदधात कया ह 4

परशन सदधात नया कय ह 6

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह 9

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह 10

परशन सदधात का लय कया ह 11

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

ह 12

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर 14

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह 15

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह 15

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह 17

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह 20

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह 22

परशन सदध ऐसा कय सोचता सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक

वयिकतगत जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह 24

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह 26

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह 27

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन योग

क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह 28

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस दा

क समय ह सखाया जाता ह 29

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह 31

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह 32

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह 36

परशन आपन इस साातकार को बनान का नणरय कय लया ह इसका उददशय कया ह उर यद आप यह जानना चाहत ह क सच कया ह और पीड़ा स बचन क लए आपको य सार कछ मलभत परशन पछन क आवशयकता ह कया भगवान का अिसततव ह यद हा म कस भगवान को जान सकता ह कया मर कोई आतमा ह मरा जनम कय हआ मर जीवन का उददशय कया ह दनया म इतनी पीड़ा कय ह इस साातकार का लय िजस कारण स म यह कर रह ह पाठक को एक बहतर समझ परापत करन क लए इन परशन क कछ उर आधयितमक परमपरा क दिषटकोण स मलन म मदद हो जो क मझ मर आधयाितमक मागर म अवगत हऐ ह| अधकाश पिशचमी साधक म इन आधयाितमक परपराओ और उनक आवशयकताओ क ान क कमी ह| शबद क कोई मातरा सतय परकट नह कर सकती ह लकन कछ शबद इसक तरफ सकत कर सकत ह एक झलक परदान करत ह और तब वयिकत को अपन अनदर पहचान दवारा अनभव करन क लय शबद क पर मौन म जाना चाहए| यह सभी आधयाितमक परपराओ का दिषटकोण ह| आतमा का कोई रप नह ह तो इस शबद म बाधा नह जा सकता ह| कवल मौन म लकन क़सी को भी आज कई पिशचमी आधयाितमक साधक क़ तरह परबदध बनन क शीघरता म ऐस परशन क अनदखी या बखारसत करन क गलती नह करनी चाहए| अधयातम का अथर बौदधकता वरोधी होना नह ह| इसका अथर यह नह ह क कसी को मातर सबस कशल तकनीक पान क आवशयकता ह या सबस अचछ शक क़ आवशयकता ह या दनया स दर जान क आवशयकता ह|

परशन सदधात अदवत और योग क बीच म कया सबध ह उर मर शक योगी रमयया कहा करत थ क जहा अदवत खतम होता ह वहा सदधानत आरमभ होता ह| और क बाबाजी करया योग सदधात का वयावहारक आसवन ह लकन इस परशन का उर दन स पहल इनम स परतयक पर चचार करना आवशयक होगा

परशन सदधात कया ह

उर सदधात भारतीय यौगक या तातरक परवीण क समदाओ क शाओ को जो क सदध या पणर सवामय क नाम स जान जात ह उललख करता ह वो जो कछ सतर तक पणरता या दवय शिकतया जो क सदधय क नाम स जानी जाती ह परापत कर चक ह सदध तबबती बौदध धमर स समबधत होन स अलग व मनीषी ह जो क वयिकत क अिसततव क पाच सतह म सभावत दवयता अनभव करन क लए कणडलनी योग क अभयास को परमखता दत थ उनहन ससथागत धमर क साथ इसक मदर और मत र पजा कमरकाणडवाद जातवाद और शासतर पर नभररता क परमखता क भतसरना क उनहन शत कया क कसी का अपना अनभव ान और बदधमा का सबस वशवसनीय परामाणक सतरोत ह और उसको परापत करन क लए वयिकत को योग और धयान क माधयम स जीवन क सम आयाम क ओर भीतर को मड़ना चाहए उनक अधकाश लखन 800 स 1600 वष पहल तक जात ह इतन पहल तक जस दवतीय शताबद एडी अत का अथर ह अतम छोर सदधात का अथर अतम छोर नषकषर या सदध का लय पणर सवामी ह यह च और अत स भी परापत कया गया ह िजसका अथर ह क यह सोच शिकत का अत ह इसलय यह सोच क अत पर पहचकर अतम नषकषर ह जबक व पर भारत और यहा तक क तबबत म अिसततव म ह िजस परमपरा स हम समबधत ह और िजसका साहतय हम 1960 स शोध अनवाद और परकाशत कर चक ह वो दण भारत स ह और तमल करया योग सदधात क नाम स जाना जाता ह तमल योग सदध का लखन कवता क रप म था जनता क सथानीय भाषा म ससकत क बजाय जो क कवल सबस शीषर जात पजारय बराहमण को ात थी िजनहन उनका वरोध कया उनक लखन म वो कह भी कसी भी दवताओ क परशसा म नह गात ह आधयितमक वदया क अनसार उनक शाए एकतववाद आिसतकता क रप म वगकत क जा सकती ह लकन य एक दाशरनक परणाल या एक धमर उतपनन करन का परयास नह करत ह व वयावहारक शाए परदान करन का परयास करत ह वशष रप स कडलनी योग स सबधत परतय रप स सतय का अनभव करन क लए और कसी को आधयाितमक मागर पर कया करन स बचना चहय सदध क लए सापरदायक सबदधता का कोई महतव नह ह व सभी धम क लोग क बीच सहज अनभव करत ह उनका सतय क परत दिषटकोण पहल इस समाध म समाध का रहसयपणर ऐकय अनभव करना ह और तब धीर-धीर इसक परत समपणर आतमसमपरण करना ह जब तक यह उनक आतमान क अवसथा म चतना क िसथर अवसथा नह बन जाती ह उनक दिषटकोण म दशरन क परणालय का गठन करन का या धामरक वशवास परणालय का नमारण करन का परयास शामल नह ह सदध क कवताए साझी राय या सामहक सोच का कोई भी नशान नह दखाती ह

उनका एक खला दशरन ह िजसम सचचाई क सभी भाव महतवपणर थ उनक कवताए और गीत कसी भी सदधात क धमर का उपदश नह दत ह व कवल एक दशा का सझाव दत ह िजसक दवारा सीधा सहज ान यकत वयिकतगत और गहरा दवय सतय क आकाा का अनभव परापत हो सकता ह हालाक सदध न लोग को उनक पारपरक नतकता और अहकारक भरम स झटका दन क लए रपाकत क गयी सशकत सथानीय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ तक पहचन क लए सभरातवाद ससकत क बजाय लोग क सामानय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ स मथयाभमानी रकत रढ़वाद वशवास और परथाओ क साथ मदर म पजा और अनषठान वणर और याचका क समान पराथरना क वरदध वदरोह करन का आगरह कया उनहन शा द क एक निशचत अवसथा पर जब एक बार अहकार क आतमसमपरण क परकरया पणर रप स अिसततव क बौदधक सतह का आलगन करती ह धमरगरनथ क बजाय वयिकत का सवय का अनभव उसक सतय का अतम परमाण बन जाता ह सधद एक मकत वचारक और करातकार ह जो कसी भी हठधमरता शासतर या अनषठान दवारा अपन आप को दर ल जान क अनमत दन स मना करता ह सदध शबद क सह अथर म परवतरनवाद ह कयक वह वयिकतगत रप स बात क जड़ तक जा चका ह

18 तमल योग सदध (सरसवती महल सगरहालय

तजौर भारत)

सदध थरमलर थरमिनदरम क लखक (चदबरम

नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

तमल योग सदध करया योग आशरम कनडकथ तमलनाड

परशन सदधात नया कय ह

उर थरमलर तमल योग सदध म जो शायद सबस परान ह थरमदरम म कहत ह (5वी शताबद) क वह एक ldquoनया योगrdquo (नव योग) उदघाटत कर रह ह जो उन सभी ततव स यकत ह िजस बाद म सदध न कडलनी योग क रप म बताया और जो भौतक शरर सहत मानव क िसथत म एक पणर परवतरन लायगा| आम यग क पहल सदय क दौरान सदद न कडलनी योग का आवषकार कया आतम बोध (समाध) क एक शिकतशाल साधन क रप म| यह चीज क सचचाई का पता करन क लए और अधक परभावी तरक ढढन क लए उनक परयोगातमक परयास का एक उतपाद था भार बौदधक कमरकाड भिकत या तपसवी रासत स पर मानव सवभाव को बदलन क लए| यह आज नया ह कयक थरमदरम और 18 तमल योग सदध क लखन हमार दवारा अनवादत करन स पहल तमल भाषी दण भारत और शरीलका क बाहर अात थ और या तो तमल वदवान और पडत न अनदखा कर दया था या जानबझकर परयोग क गई असपषट ldquoधधलका भाषाrdquo क कारण गलत समझा| कयक सदध न रढ़वाद बराहमण पडत और पजारय क नदा क उनहन इस समदाय क सदसय का करोध अिजरत कया िजनहन उनह जादगर या उसस बदतर रप म निनदत कया| फलसवरप उनक लखन मदर और पाडलप पसतकालय क

तरह ससथागत खजान म सरत नह थ लकन कवल चकतसक क वशानगत परवार दवारा सदध वदय न िजनहन उनक लखन को गपत रखा कवल चकतसा परयोजन क लए उनह लाग कया उनक शाओ क वयापक अान और रढ़वाद समदाय दवारा सदद क जादगर क साथ परचारत समबनध क कारण हाल ह म अब तक उनह भारतीय समाज क कछ हलक म सममान क दिषट नह दखा गया ह म बड़ी ससपषटता स वदात क एक परसदध शक का वयगयातमक और भावनातमक उर याद कर सकता ह एक परसदध सवामी और जो बराहमण समदाय क सदसय थ िजनक मातभाषा तमल थी जब 1986 म मन उनस तमल योग सदध क लखन क बार म उनक राय पछ और मझ उर भारत म कई वयिकतय क सामानय परतकरया याद ह जब मन उललख कया क हमार गर बाबाजी नागराज थ अगर उनहन एक योगी क आतमकथा पढ़ थी तो व पछत थ कया वह अभी भी िजदा ह अगर नह और हम कह क वह सदय स जीवत ह तो व कछ ऐसा कहत ओह उनक कमर बहत बर हग िजसक कारण इतन लब समय क लए दख क इस दनया म रहन क लए बाधय हग यहा तक क करया योग परपरा क अनय वश क परमख सदसय भी सराहना करन म असमथर ह क बाबाजी और सदध क सबध म नया कया ह शरी यकतशवर न बाबाजी क सबध म कहा वह मर समझ स पर ह अथारत बाबाजी का सतर वदात क परतमान क भीतर समा नह सका िजसम उनहन अधययन कया था योगाननद और दसर उनक बार म कवल एक अवतार सवय भगवान का अवतार यीश-समान वचार कर पाए हालाक बाबाजी न इस तरह क वषय म सवय को कभी सदभरत नह कया अपनी आतमकथा म अधयाय क परथम पषठ पर जहा वह पाठक का परचय बाबाजी स करवात ह योगानद उललख करत ह क सदध अगसतयर क तरह वह हजार साल स जीवत ह योगानद यह समझन म वफल रह क य दो सदध वासतव म कतन नकट थ और क अगसतयर क तरह बाबाजी एक इसान थ भगवान नह जो अवतार बन गए अवतार बहद दलरभ ह व शव परपरा म नह पाए जात ह लकन कवल वषणव परपरा क बीच दस उरोर अवतार क साथ राम और कषण सहत य सभी परतकरयाए दिषटकोण को परतबबत करती ह जो वकताओ क दाशरनक दिषटकोण तक सीमत ह चाह यह हो वदात साखय ईसाई या वषणव

पसतक कवर या हमारा परकाशन शरी यकतशवर

बाबाजी लाहड़ी महाशय योगानद सदध अगसतयर

शरी अरवद आधनक समय क कछ सत म स एक ह जो सराहना कर सकत थ क सदध कौन थ थरमलर बाबाजी और रामालग सहत

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

सदधात अदवत और योग माशरल गोवदन (सिचचदानद) क साथ एक साातकार

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014

Contents परशन आपन इस साातकार को बनान का नणरय कय लया ह इसका उददशय कया ह 3

परशन सदधात अदवत और योग क बीच म कया सबध ह 3

परशन सदधात कया ह 4

परशन सदधात नया कय ह 6

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह 9

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह 10

परशन सदधात का लय कया ह 11

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

ह 12

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर 14

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह 15

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह 15

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह 17

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह 20

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह 22

परशन सदध ऐसा कय सोचता सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक

वयिकतगत जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह 24

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह 26

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह 27

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन योग

क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह 28

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस दा

क समय ह सखाया जाता ह 29

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह 31

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह 32

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह 36

परशन आपन इस साातकार को बनान का नणरय कय लया ह इसका उददशय कया ह उर यद आप यह जानना चाहत ह क सच कया ह और पीड़ा स बचन क लए आपको य सार कछ मलभत परशन पछन क आवशयकता ह कया भगवान का अिसततव ह यद हा म कस भगवान को जान सकता ह कया मर कोई आतमा ह मरा जनम कय हआ मर जीवन का उददशय कया ह दनया म इतनी पीड़ा कय ह इस साातकार का लय िजस कारण स म यह कर रह ह पाठक को एक बहतर समझ परापत करन क लए इन परशन क कछ उर आधयितमक परमपरा क दिषटकोण स मलन म मदद हो जो क मझ मर आधयाितमक मागर म अवगत हऐ ह| अधकाश पिशचमी साधक म इन आधयाितमक परपराओ और उनक आवशयकताओ क ान क कमी ह| शबद क कोई मातरा सतय परकट नह कर सकती ह लकन कछ शबद इसक तरफ सकत कर सकत ह एक झलक परदान करत ह और तब वयिकत को अपन अनदर पहचान दवारा अनभव करन क लय शबद क पर मौन म जाना चाहए| यह सभी आधयाितमक परपराओ का दिषटकोण ह| आतमा का कोई रप नह ह तो इस शबद म बाधा नह जा सकता ह| कवल मौन म लकन क़सी को भी आज कई पिशचमी आधयाितमक साधक क़ तरह परबदध बनन क शीघरता म ऐस परशन क अनदखी या बखारसत करन क गलती नह करनी चाहए| अधयातम का अथर बौदधकता वरोधी होना नह ह| इसका अथर यह नह ह क कसी को मातर सबस कशल तकनीक पान क आवशयकता ह या सबस अचछ शक क़ आवशयकता ह या दनया स दर जान क आवशयकता ह|

परशन सदधात अदवत और योग क बीच म कया सबध ह उर मर शक योगी रमयया कहा करत थ क जहा अदवत खतम होता ह वहा सदधानत आरमभ होता ह| और क बाबाजी करया योग सदधात का वयावहारक आसवन ह लकन इस परशन का उर दन स पहल इनम स परतयक पर चचार करना आवशयक होगा

परशन सदधात कया ह

उर सदधात भारतीय यौगक या तातरक परवीण क समदाओ क शाओ को जो क सदध या पणर सवामय क नाम स जान जात ह उललख करता ह वो जो कछ सतर तक पणरता या दवय शिकतया जो क सदधय क नाम स जानी जाती ह परापत कर चक ह सदध तबबती बौदध धमर स समबधत होन स अलग व मनीषी ह जो क वयिकत क अिसततव क पाच सतह म सभावत दवयता अनभव करन क लए कणडलनी योग क अभयास को परमखता दत थ उनहन ससथागत धमर क साथ इसक मदर और मत र पजा कमरकाणडवाद जातवाद और शासतर पर नभररता क परमखता क भतसरना क उनहन शत कया क कसी का अपना अनभव ान और बदधमा का सबस वशवसनीय परामाणक सतरोत ह और उसको परापत करन क लए वयिकत को योग और धयान क माधयम स जीवन क सम आयाम क ओर भीतर को मड़ना चाहए उनक अधकाश लखन 800 स 1600 वष पहल तक जात ह इतन पहल तक जस दवतीय शताबद एडी अत का अथर ह अतम छोर सदधात का अथर अतम छोर नषकषर या सदध का लय पणर सवामी ह यह च और अत स भी परापत कया गया ह िजसका अथर ह क यह सोच शिकत का अत ह इसलय यह सोच क अत पर पहचकर अतम नषकषर ह जबक व पर भारत और यहा तक क तबबत म अिसततव म ह िजस परमपरा स हम समबधत ह और िजसका साहतय हम 1960 स शोध अनवाद और परकाशत कर चक ह वो दण भारत स ह और तमल करया योग सदधात क नाम स जाना जाता ह तमल योग सदध का लखन कवता क रप म था जनता क सथानीय भाषा म ससकत क बजाय जो क कवल सबस शीषर जात पजारय बराहमण को ात थी िजनहन उनका वरोध कया उनक लखन म वो कह भी कसी भी दवताओ क परशसा म नह गात ह आधयितमक वदया क अनसार उनक शाए एकतववाद आिसतकता क रप म वगकत क जा सकती ह लकन य एक दाशरनक परणाल या एक धमर उतपनन करन का परयास नह करत ह व वयावहारक शाए परदान करन का परयास करत ह वशष रप स कडलनी योग स सबधत परतय रप स सतय का अनभव करन क लए और कसी को आधयाितमक मागर पर कया करन स बचना चहय सदध क लए सापरदायक सबदधता का कोई महतव नह ह व सभी धम क लोग क बीच सहज अनभव करत ह उनका सतय क परत दिषटकोण पहल इस समाध म समाध का रहसयपणर ऐकय अनभव करना ह और तब धीर-धीर इसक परत समपणर आतमसमपरण करना ह जब तक यह उनक आतमान क अवसथा म चतना क िसथर अवसथा नह बन जाती ह उनक दिषटकोण म दशरन क परणालय का गठन करन का या धामरक वशवास परणालय का नमारण करन का परयास शामल नह ह सदध क कवताए साझी राय या सामहक सोच का कोई भी नशान नह दखाती ह

उनका एक खला दशरन ह िजसम सचचाई क सभी भाव महतवपणर थ उनक कवताए और गीत कसी भी सदधात क धमर का उपदश नह दत ह व कवल एक दशा का सझाव दत ह िजसक दवारा सीधा सहज ान यकत वयिकतगत और गहरा दवय सतय क आकाा का अनभव परापत हो सकता ह हालाक सदध न लोग को उनक पारपरक नतकता और अहकारक भरम स झटका दन क लए रपाकत क गयी सशकत सथानीय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ तक पहचन क लए सभरातवाद ससकत क बजाय लोग क सामानय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ स मथयाभमानी रकत रढ़वाद वशवास और परथाओ क साथ मदर म पजा और अनषठान वणर और याचका क समान पराथरना क वरदध वदरोह करन का आगरह कया उनहन शा द क एक निशचत अवसथा पर जब एक बार अहकार क आतमसमपरण क परकरया पणर रप स अिसततव क बौदधक सतह का आलगन करती ह धमरगरनथ क बजाय वयिकत का सवय का अनभव उसक सतय का अतम परमाण बन जाता ह सधद एक मकत वचारक और करातकार ह जो कसी भी हठधमरता शासतर या अनषठान दवारा अपन आप को दर ल जान क अनमत दन स मना करता ह सदध शबद क सह अथर म परवतरनवाद ह कयक वह वयिकतगत रप स बात क जड़ तक जा चका ह

18 तमल योग सदध (सरसवती महल सगरहालय

तजौर भारत)

सदध थरमलर थरमिनदरम क लखक (चदबरम

नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

तमल योग सदध करया योग आशरम कनडकथ तमलनाड

परशन सदधात नया कय ह

उर थरमलर तमल योग सदध म जो शायद सबस परान ह थरमदरम म कहत ह (5वी शताबद) क वह एक ldquoनया योगrdquo (नव योग) उदघाटत कर रह ह जो उन सभी ततव स यकत ह िजस बाद म सदध न कडलनी योग क रप म बताया और जो भौतक शरर सहत मानव क िसथत म एक पणर परवतरन लायगा| आम यग क पहल सदय क दौरान सदद न कडलनी योग का आवषकार कया आतम बोध (समाध) क एक शिकतशाल साधन क रप म| यह चीज क सचचाई का पता करन क लए और अधक परभावी तरक ढढन क लए उनक परयोगातमक परयास का एक उतपाद था भार बौदधक कमरकाड भिकत या तपसवी रासत स पर मानव सवभाव को बदलन क लए| यह आज नया ह कयक थरमदरम और 18 तमल योग सदध क लखन हमार दवारा अनवादत करन स पहल तमल भाषी दण भारत और शरीलका क बाहर अात थ और या तो तमल वदवान और पडत न अनदखा कर दया था या जानबझकर परयोग क गई असपषट ldquoधधलका भाषाrdquo क कारण गलत समझा| कयक सदध न रढ़वाद बराहमण पडत और पजारय क नदा क उनहन इस समदाय क सदसय का करोध अिजरत कया िजनहन उनह जादगर या उसस बदतर रप म निनदत कया| फलसवरप उनक लखन मदर और पाडलप पसतकालय क

तरह ससथागत खजान म सरत नह थ लकन कवल चकतसक क वशानगत परवार दवारा सदध वदय न िजनहन उनक लखन को गपत रखा कवल चकतसा परयोजन क लए उनह लाग कया उनक शाओ क वयापक अान और रढ़वाद समदाय दवारा सदद क जादगर क साथ परचारत समबनध क कारण हाल ह म अब तक उनह भारतीय समाज क कछ हलक म सममान क दिषट नह दखा गया ह म बड़ी ससपषटता स वदात क एक परसदध शक का वयगयातमक और भावनातमक उर याद कर सकता ह एक परसदध सवामी और जो बराहमण समदाय क सदसय थ िजनक मातभाषा तमल थी जब 1986 म मन उनस तमल योग सदध क लखन क बार म उनक राय पछ और मझ उर भारत म कई वयिकतय क सामानय परतकरया याद ह जब मन उललख कया क हमार गर बाबाजी नागराज थ अगर उनहन एक योगी क आतमकथा पढ़ थी तो व पछत थ कया वह अभी भी िजदा ह अगर नह और हम कह क वह सदय स जीवत ह तो व कछ ऐसा कहत ओह उनक कमर बहत बर हग िजसक कारण इतन लब समय क लए दख क इस दनया म रहन क लए बाधय हग यहा तक क करया योग परपरा क अनय वश क परमख सदसय भी सराहना करन म असमथर ह क बाबाजी और सदध क सबध म नया कया ह शरी यकतशवर न बाबाजी क सबध म कहा वह मर समझ स पर ह अथारत बाबाजी का सतर वदात क परतमान क भीतर समा नह सका िजसम उनहन अधययन कया था योगाननद और दसर उनक बार म कवल एक अवतार सवय भगवान का अवतार यीश-समान वचार कर पाए हालाक बाबाजी न इस तरह क वषय म सवय को कभी सदभरत नह कया अपनी आतमकथा म अधयाय क परथम पषठ पर जहा वह पाठक का परचय बाबाजी स करवात ह योगानद उललख करत ह क सदध अगसतयर क तरह वह हजार साल स जीवत ह योगानद यह समझन म वफल रह क य दो सदध वासतव म कतन नकट थ और क अगसतयर क तरह बाबाजी एक इसान थ भगवान नह जो अवतार बन गए अवतार बहद दलरभ ह व शव परपरा म नह पाए जात ह लकन कवल वषणव परपरा क बीच दस उरोर अवतार क साथ राम और कषण सहत य सभी परतकरयाए दिषटकोण को परतबबत करती ह जो वकताओ क दाशरनक दिषटकोण तक सीमत ह चाह यह हो वदात साखय ईसाई या वषणव

पसतक कवर या हमारा परकाशन शरी यकतशवर

बाबाजी लाहड़ी महाशय योगानद सदध अगसतयर

शरी अरवद आधनक समय क कछ सत म स एक ह जो सराहना कर सकत थ क सदध कौन थ थरमलर बाबाजी और रामालग सहत

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन योग

क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह 28

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस दा

क समय ह सखाया जाता ह 29

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह 31

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह 32

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह 36

परशन आपन इस साातकार को बनान का नणरय कय लया ह इसका उददशय कया ह उर यद आप यह जानना चाहत ह क सच कया ह और पीड़ा स बचन क लए आपको य सार कछ मलभत परशन पछन क आवशयकता ह कया भगवान का अिसततव ह यद हा म कस भगवान को जान सकता ह कया मर कोई आतमा ह मरा जनम कय हआ मर जीवन का उददशय कया ह दनया म इतनी पीड़ा कय ह इस साातकार का लय िजस कारण स म यह कर रह ह पाठक को एक बहतर समझ परापत करन क लए इन परशन क कछ उर आधयितमक परमपरा क दिषटकोण स मलन म मदद हो जो क मझ मर आधयाितमक मागर म अवगत हऐ ह| अधकाश पिशचमी साधक म इन आधयाितमक परपराओ और उनक आवशयकताओ क ान क कमी ह| शबद क कोई मातरा सतय परकट नह कर सकती ह लकन कछ शबद इसक तरफ सकत कर सकत ह एक झलक परदान करत ह और तब वयिकत को अपन अनदर पहचान दवारा अनभव करन क लय शबद क पर मौन म जाना चाहए| यह सभी आधयाितमक परपराओ का दिषटकोण ह| आतमा का कोई रप नह ह तो इस शबद म बाधा नह जा सकता ह| कवल मौन म लकन क़सी को भी आज कई पिशचमी आधयाितमक साधक क़ तरह परबदध बनन क शीघरता म ऐस परशन क अनदखी या बखारसत करन क गलती नह करनी चाहए| अधयातम का अथर बौदधकता वरोधी होना नह ह| इसका अथर यह नह ह क कसी को मातर सबस कशल तकनीक पान क आवशयकता ह या सबस अचछ शक क़ आवशयकता ह या दनया स दर जान क आवशयकता ह|

परशन सदधात अदवत और योग क बीच म कया सबध ह उर मर शक योगी रमयया कहा करत थ क जहा अदवत खतम होता ह वहा सदधानत आरमभ होता ह| और क बाबाजी करया योग सदधात का वयावहारक आसवन ह लकन इस परशन का उर दन स पहल इनम स परतयक पर चचार करना आवशयक होगा

परशन सदधात कया ह

उर सदधात भारतीय यौगक या तातरक परवीण क समदाओ क शाओ को जो क सदध या पणर सवामय क नाम स जान जात ह उललख करता ह वो जो कछ सतर तक पणरता या दवय शिकतया जो क सदधय क नाम स जानी जाती ह परापत कर चक ह सदध तबबती बौदध धमर स समबधत होन स अलग व मनीषी ह जो क वयिकत क अिसततव क पाच सतह म सभावत दवयता अनभव करन क लए कणडलनी योग क अभयास को परमखता दत थ उनहन ससथागत धमर क साथ इसक मदर और मत र पजा कमरकाणडवाद जातवाद और शासतर पर नभररता क परमखता क भतसरना क उनहन शत कया क कसी का अपना अनभव ान और बदधमा का सबस वशवसनीय परामाणक सतरोत ह और उसको परापत करन क लए वयिकत को योग और धयान क माधयम स जीवन क सम आयाम क ओर भीतर को मड़ना चाहए उनक अधकाश लखन 800 स 1600 वष पहल तक जात ह इतन पहल तक जस दवतीय शताबद एडी अत का अथर ह अतम छोर सदधात का अथर अतम छोर नषकषर या सदध का लय पणर सवामी ह यह च और अत स भी परापत कया गया ह िजसका अथर ह क यह सोच शिकत का अत ह इसलय यह सोच क अत पर पहचकर अतम नषकषर ह जबक व पर भारत और यहा तक क तबबत म अिसततव म ह िजस परमपरा स हम समबधत ह और िजसका साहतय हम 1960 स शोध अनवाद और परकाशत कर चक ह वो दण भारत स ह और तमल करया योग सदधात क नाम स जाना जाता ह तमल योग सदध का लखन कवता क रप म था जनता क सथानीय भाषा म ससकत क बजाय जो क कवल सबस शीषर जात पजारय बराहमण को ात थी िजनहन उनका वरोध कया उनक लखन म वो कह भी कसी भी दवताओ क परशसा म नह गात ह आधयितमक वदया क अनसार उनक शाए एकतववाद आिसतकता क रप म वगकत क जा सकती ह लकन य एक दाशरनक परणाल या एक धमर उतपनन करन का परयास नह करत ह व वयावहारक शाए परदान करन का परयास करत ह वशष रप स कडलनी योग स सबधत परतय रप स सतय का अनभव करन क लए और कसी को आधयाितमक मागर पर कया करन स बचना चहय सदध क लए सापरदायक सबदधता का कोई महतव नह ह व सभी धम क लोग क बीच सहज अनभव करत ह उनका सतय क परत दिषटकोण पहल इस समाध म समाध का रहसयपणर ऐकय अनभव करना ह और तब धीर-धीर इसक परत समपणर आतमसमपरण करना ह जब तक यह उनक आतमान क अवसथा म चतना क िसथर अवसथा नह बन जाती ह उनक दिषटकोण म दशरन क परणालय का गठन करन का या धामरक वशवास परणालय का नमारण करन का परयास शामल नह ह सदध क कवताए साझी राय या सामहक सोच का कोई भी नशान नह दखाती ह

उनका एक खला दशरन ह िजसम सचचाई क सभी भाव महतवपणर थ उनक कवताए और गीत कसी भी सदधात क धमर का उपदश नह दत ह व कवल एक दशा का सझाव दत ह िजसक दवारा सीधा सहज ान यकत वयिकतगत और गहरा दवय सतय क आकाा का अनभव परापत हो सकता ह हालाक सदध न लोग को उनक पारपरक नतकता और अहकारक भरम स झटका दन क लए रपाकत क गयी सशकत सथानीय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ तक पहचन क लए सभरातवाद ससकत क बजाय लोग क सामानय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ स मथयाभमानी रकत रढ़वाद वशवास और परथाओ क साथ मदर म पजा और अनषठान वणर और याचका क समान पराथरना क वरदध वदरोह करन का आगरह कया उनहन शा द क एक निशचत अवसथा पर जब एक बार अहकार क आतमसमपरण क परकरया पणर रप स अिसततव क बौदधक सतह का आलगन करती ह धमरगरनथ क बजाय वयिकत का सवय का अनभव उसक सतय का अतम परमाण बन जाता ह सधद एक मकत वचारक और करातकार ह जो कसी भी हठधमरता शासतर या अनषठान दवारा अपन आप को दर ल जान क अनमत दन स मना करता ह सदध शबद क सह अथर म परवतरनवाद ह कयक वह वयिकतगत रप स बात क जड़ तक जा चका ह

18 तमल योग सदध (सरसवती महल सगरहालय

तजौर भारत)

सदध थरमलर थरमिनदरम क लखक (चदबरम

नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

तमल योग सदध करया योग आशरम कनडकथ तमलनाड

परशन सदधात नया कय ह

उर थरमलर तमल योग सदध म जो शायद सबस परान ह थरमदरम म कहत ह (5वी शताबद) क वह एक ldquoनया योगrdquo (नव योग) उदघाटत कर रह ह जो उन सभी ततव स यकत ह िजस बाद म सदध न कडलनी योग क रप म बताया और जो भौतक शरर सहत मानव क िसथत म एक पणर परवतरन लायगा| आम यग क पहल सदय क दौरान सदद न कडलनी योग का आवषकार कया आतम बोध (समाध) क एक शिकतशाल साधन क रप म| यह चीज क सचचाई का पता करन क लए और अधक परभावी तरक ढढन क लए उनक परयोगातमक परयास का एक उतपाद था भार बौदधक कमरकाड भिकत या तपसवी रासत स पर मानव सवभाव को बदलन क लए| यह आज नया ह कयक थरमदरम और 18 तमल योग सदध क लखन हमार दवारा अनवादत करन स पहल तमल भाषी दण भारत और शरीलका क बाहर अात थ और या तो तमल वदवान और पडत न अनदखा कर दया था या जानबझकर परयोग क गई असपषट ldquoधधलका भाषाrdquo क कारण गलत समझा| कयक सदध न रढ़वाद बराहमण पडत और पजारय क नदा क उनहन इस समदाय क सदसय का करोध अिजरत कया िजनहन उनह जादगर या उसस बदतर रप म निनदत कया| फलसवरप उनक लखन मदर और पाडलप पसतकालय क

तरह ससथागत खजान म सरत नह थ लकन कवल चकतसक क वशानगत परवार दवारा सदध वदय न िजनहन उनक लखन को गपत रखा कवल चकतसा परयोजन क लए उनह लाग कया उनक शाओ क वयापक अान और रढ़वाद समदाय दवारा सदद क जादगर क साथ परचारत समबनध क कारण हाल ह म अब तक उनह भारतीय समाज क कछ हलक म सममान क दिषट नह दखा गया ह म बड़ी ससपषटता स वदात क एक परसदध शक का वयगयातमक और भावनातमक उर याद कर सकता ह एक परसदध सवामी और जो बराहमण समदाय क सदसय थ िजनक मातभाषा तमल थी जब 1986 म मन उनस तमल योग सदध क लखन क बार म उनक राय पछ और मझ उर भारत म कई वयिकतय क सामानय परतकरया याद ह जब मन उललख कया क हमार गर बाबाजी नागराज थ अगर उनहन एक योगी क आतमकथा पढ़ थी तो व पछत थ कया वह अभी भी िजदा ह अगर नह और हम कह क वह सदय स जीवत ह तो व कछ ऐसा कहत ओह उनक कमर बहत बर हग िजसक कारण इतन लब समय क लए दख क इस दनया म रहन क लए बाधय हग यहा तक क करया योग परपरा क अनय वश क परमख सदसय भी सराहना करन म असमथर ह क बाबाजी और सदध क सबध म नया कया ह शरी यकतशवर न बाबाजी क सबध म कहा वह मर समझ स पर ह अथारत बाबाजी का सतर वदात क परतमान क भीतर समा नह सका िजसम उनहन अधययन कया था योगाननद और दसर उनक बार म कवल एक अवतार सवय भगवान का अवतार यीश-समान वचार कर पाए हालाक बाबाजी न इस तरह क वषय म सवय को कभी सदभरत नह कया अपनी आतमकथा म अधयाय क परथम पषठ पर जहा वह पाठक का परचय बाबाजी स करवात ह योगानद उललख करत ह क सदध अगसतयर क तरह वह हजार साल स जीवत ह योगानद यह समझन म वफल रह क य दो सदध वासतव म कतन नकट थ और क अगसतयर क तरह बाबाजी एक इसान थ भगवान नह जो अवतार बन गए अवतार बहद दलरभ ह व शव परपरा म नह पाए जात ह लकन कवल वषणव परपरा क बीच दस उरोर अवतार क साथ राम और कषण सहत य सभी परतकरयाए दिषटकोण को परतबबत करती ह जो वकताओ क दाशरनक दिषटकोण तक सीमत ह चाह यह हो वदात साखय ईसाई या वषणव

पसतक कवर या हमारा परकाशन शरी यकतशवर

बाबाजी लाहड़ी महाशय योगानद सदध अगसतयर

शरी अरवद आधनक समय क कछ सत म स एक ह जो सराहना कर सकत थ क सदध कौन थ थरमलर बाबाजी और रामालग सहत

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

परशन सदधात कया ह

उर सदधात भारतीय यौगक या तातरक परवीण क समदाओ क शाओ को जो क सदध या पणर सवामय क नाम स जान जात ह उललख करता ह वो जो कछ सतर तक पणरता या दवय शिकतया जो क सदधय क नाम स जानी जाती ह परापत कर चक ह सदध तबबती बौदध धमर स समबधत होन स अलग व मनीषी ह जो क वयिकत क अिसततव क पाच सतह म सभावत दवयता अनभव करन क लए कणडलनी योग क अभयास को परमखता दत थ उनहन ससथागत धमर क साथ इसक मदर और मत र पजा कमरकाणडवाद जातवाद और शासतर पर नभररता क परमखता क भतसरना क उनहन शत कया क कसी का अपना अनभव ान और बदधमा का सबस वशवसनीय परामाणक सतरोत ह और उसको परापत करन क लए वयिकत को योग और धयान क माधयम स जीवन क सम आयाम क ओर भीतर को मड़ना चाहए उनक अधकाश लखन 800 स 1600 वष पहल तक जात ह इतन पहल तक जस दवतीय शताबद एडी अत का अथर ह अतम छोर सदधात का अथर अतम छोर नषकषर या सदध का लय पणर सवामी ह यह च और अत स भी परापत कया गया ह िजसका अथर ह क यह सोच शिकत का अत ह इसलय यह सोच क अत पर पहचकर अतम नषकषर ह जबक व पर भारत और यहा तक क तबबत म अिसततव म ह िजस परमपरा स हम समबधत ह और िजसका साहतय हम 1960 स शोध अनवाद और परकाशत कर चक ह वो दण भारत स ह और तमल करया योग सदधात क नाम स जाना जाता ह तमल योग सदध का लखन कवता क रप म था जनता क सथानीय भाषा म ससकत क बजाय जो क कवल सबस शीषर जात पजारय बराहमण को ात थी िजनहन उनका वरोध कया उनक लखन म वो कह भी कसी भी दवताओ क परशसा म नह गात ह आधयितमक वदया क अनसार उनक शाए एकतववाद आिसतकता क रप म वगकत क जा सकती ह लकन य एक दाशरनक परणाल या एक धमर उतपनन करन का परयास नह करत ह व वयावहारक शाए परदान करन का परयास करत ह वशष रप स कडलनी योग स सबधत परतय रप स सतय का अनभव करन क लए और कसी को आधयाितमक मागर पर कया करन स बचना चहय सदध क लए सापरदायक सबदधता का कोई महतव नह ह व सभी धम क लोग क बीच सहज अनभव करत ह उनका सतय क परत दिषटकोण पहल इस समाध म समाध का रहसयपणर ऐकय अनभव करना ह और तब धीर-धीर इसक परत समपणर आतमसमपरण करना ह जब तक यह उनक आतमान क अवसथा म चतना क िसथर अवसथा नह बन जाती ह उनक दिषटकोण म दशरन क परणालय का गठन करन का या धामरक वशवास परणालय का नमारण करन का परयास शामल नह ह सदध क कवताए साझी राय या सामहक सोच का कोई भी नशान नह दखाती ह

उनका एक खला दशरन ह िजसम सचचाई क सभी भाव महतवपणर थ उनक कवताए और गीत कसी भी सदधात क धमर का उपदश नह दत ह व कवल एक दशा का सझाव दत ह िजसक दवारा सीधा सहज ान यकत वयिकतगत और गहरा दवय सतय क आकाा का अनभव परापत हो सकता ह हालाक सदध न लोग को उनक पारपरक नतकता और अहकारक भरम स झटका दन क लए रपाकत क गयी सशकत सथानीय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ तक पहचन क लए सभरातवाद ससकत क बजाय लोग क सामानय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ स मथयाभमानी रकत रढ़वाद वशवास और परथाओ क साथ मदर म पजा और अनषठान वणर और याचका क समान पराथरना क वरदध वदरोह करन का आगरह कया उनहन शा द क एक निशचत अवसथा पर जब एक बार अहकार क आतमसमपरण क परकरया पणर रप स अिसततव क बौदधक सतह का आलगन करती ह धमरगरनथ क बजाय वयिकत का सवय का अनभव उसक सतय का अतम परमाण बन जाता ह सधद एक मकत वचारक और करातकार ह जो कसी भी हठधमरता शासतर या अनषठान दवारा अपन आप को दर ल जान क अनमत दन स मना करता ह सदध शबद क सह अथर म परवतरनवाद ह कयक वह वयिकतगत रप स बात क जड़ तक जा चका ह

18 तमल योग सदध (सरसवती महल सगरहालय

तजौर भारत)

सदध थरमलर थरमिनदरम क लखक (चदबरम

नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

तमल योग सदध करया योग आशरम कनडकथ तमलनाड

परशन सदधात नया कय ह

उर थरमलर तमल योग सदध म जो शायद सबस परान ह थरमदरम म कहत ह (5वी शताबद) क वह एक ldquoनया योगrdquo (नव योग) उदघाटत कर रह ह जो उन सभी ततव स यकत ह िजस बाद म सदध न कडलनी योग क रप म बताया और जो भौतक शरर सहत मानव क िसथत म एक पणर परवतरन लायगा| आम यग क पहल सदय क दौरान सदद न कडलनी योग का आवषकार कया आतम बोध (समाध) क एक शिकतशाल साधन क रप म| यह चीज क सचचाई का पता करन क लए और अधक परभावी तरक ढढन क लए उनक परयोगातमक परयास का एक उतपाद था भार बौदधक कमरकाड भिकत या तपसवी रासत स पर मानव सवभाव को बदलन क लए| यह आज नया ह कयक थरमदरम और 18 तमल योग सदध क लखन हमार दवारा अनवादत करन स पहल तमल भाषी दण भारत और शरीलका क बाहर अात थ और या तो तमल वदवान और पडत न अनदखा कर दया था या जानबझकर परयोग क गई असपषट ldquoधधलका भाषाrdquo क कारण गलत समझा| कयक सदध न रढ़वाद बराहमण पडत और पजारय क नदा क उनहन इस समदाय क सदसय का करोध अिजरत कया िजनहन उनह जादगर या उसस बदतर रप म निनदत कया| फलसवरप उनक लखन मदर और पाडलप पसतकालय क

तरह ससथागत खजान म सरत नह थ लकन कवल चकतसक क वशानगत परवार दवारा सदध वदय न िजनहन उनक लखन को गपत रखा कवल चकतसा परयोजन क लए उनह लाग कया उनक शाओ क वयापक अान और रढ़वाद समदाय दवारा सदद क जादगर क साथ परचारत समबनध क कारण हाल ह म अब तक उनह भारतीय समाज क कछ हलक म सममान क दिषट नह दखा गया ह म बड़ी ससपषटता स वदात क एक परसदध शक का वयगयातमक और भावनातमक उर याद कर सकता ह एक परसदध सवामी और जो बराहमण समदाय क सदसय थ िजनक मातभाषा तमल थी जब 1986 म मन उनस तमल योग सदध क लखन क बार म उनक राय पछ और मझ उर भारत म कई वयिकतय क सामानय परतकरया याद ह जब मन उललख कया क हमार गर बाबाजी नागराज थ अगर उनहन एक योगी क आतमकथा पढ़ थी तो व पछत थ कया वह अभी भी िजदा ह अगर नह और हम कह क वह सदय स जीवत ह तो व कछ ऐसा कहत ओह उनक कमर बहत बर हग िजसक कारण इतन लब समय क लए दख क इस दनया म रहन क लए बाधय हग यहा तक क करया योग परपरा क अनय वश क परमख सदसय भी सराहना करन म असमथर ह क बाबाजी और सदध क सबध म नया कया ह शरी यकतशवर न बाबाजी क सबध म कहा वह मर समझ स पर ह अथारत बाबाजी का सतर वदात क परतमान क भीतर समा नह सका िजसम उनहन अधययन कया था योगाननद और दसर उनक बार म कवल एक अवतार सवय भगवान का अवतार यीश-समान वचार कर पाए हालाक बाबाजी न इस तरह क वषय म सवय को कभी सदभरत नह कया अपनी आतमकथा म अधयाय क परथम पषठ पर जहा वह पाठक का परचय बाबाजी स करवात ह योगानद उललख करत ह क सदध अगसतयर क तरह वह हजार साल स जीवत ह योगानद यह समझन म वफल रह क य दो सदध वासतव म कतन नकट थ और क अगसतयर क तरह बाबाजी एक इसान थ भगवान नह जो अवतार बन गए अवतार बहद दलरभ ह व शव परपरा म नह पाए जात ह लकन कवल वषणव परपरा क बीच दस उरोर अवतार क साथ राम और कषण सहत य सभी परतकरयाए दिषटकोण को परतबबत करती ह जो वकताओ क दाशरनक दिषटकोण तक सीमत ह चाह यह हो वदात साखय ईसाई या वषणव

पसतक कवर या हमारा परकाशन शरी यकतशवर

बाबाजी लाहड़ी महाशय योगानद सदध अगसतयर

शरी अरवद आधनक समय क कछ सत म स एक ह जो सराहना कर सकत थ क सदध कौन थ थरमलर बाबाजी और रामालग सहत

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

उनका एक खला दशरन ह िजसम सचचाई क सभी भाव महतवपणर थ उनक कवताए और गीत कसी भी सदधात क धमर का उपदश नह दत ह व कवल एक दशा का सझाव दत ह िजसक दवारा सीधा सहज ान यकत वयिकतगत और गहरा दवय सतय क आकाा का अनभव परापत हो सकता ह हालाक सदध न लोग को उनक पारपरक नतकता और अहकारक भरम स झटका दन क लए रपाकत क गयी सशकत सथानीय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ तक पहचन क लए सभरातवाद ससकत क बजाय लोग क सामानय भाषा परयकत क उनहन अपन शरोताओ स मथयाभमानी रकत रढ़वाद वशवास और परथाओ क साथ मदर म पजा और अनषठान वणर और याचका क समान पराथरना क वरदध वदरोह करन का आगरह कया उनहन शा द क एक निशचत अवसथा पर जब एक बार अहकार क आतमसमपरण क परकरया पणर रप स अिसततव क बौदधक सतह का आलगन करती ह धमरगरनथ क बजाय वयिकत का सवय का अनभव उसक सतय का अतम परमाण बन जाता ह सधद एक मकत वचारक और करातकार ह जो कसी भी हठधमरता शासतर या अनषठान दवारा अपन आप को दर ल जान क अनमत दन स मना करता ह सदध शबद क सह अथर म परवतरनवाद ह कयक वह वयिकतगत रप स बात क जड़ तक जा चका ह

18 तमल योग सदध (सरसवती महल सगरहालय

तजौर भारत)

सदध थरमलर थरमिनदरम क लखक (चदबरम

नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

तमल योग सदध करया योग आशरम कनडकथ तमलनाड

परशन सदधात नया कय ह

उर थरमलर तमल योग सदध म जो शायद सबस परान ह थरमदरम म कहत ह (5वी शताबद) क वह एक ldquoनया योगrdquo (नव योग) उदघाटत कर रह ह जो उन सभी ततव स यकत ह िजस बाद म सदध न कडलनी योग क रप म बताया और जो भौतक शरर सहत मानव क िसथत म एक पणर परवतरन लायगा| आम यग क पहल सदय क दौरान सदद न कडलनी योग का आवषकार कया आतम बोध (समाध) क एक शिकतशाल साधन क रप म| यह चीज क सचचाई का पता करन क लए और अधक परभावी तरक ढढन क लए उनक परयोगातमक परयास का एक उतपाद था भार बौदधक कमरकाड भिकत या तपसवी रासत स पर मानव सवभाव को बदलन क लए| यह आज नया ह कयक थरमदरम और 18 तमल योग सदध क लखन हमार दवारा अनवादत करन स पहल तमल भाषी दण भारत और शरीलका क बाहर अात थ और या तो तमल वदवान और पडत न अनदखा कर दया था या जानबझकर परयोग क गई असपषट ldquoधधलका भाषाrdquo क कारण गलत समझा| कयक सदध न रढ़वाद बराहमण पडत और पजारय क नदा क उनहन इस समदाय क सदसय का करोध अिजरत कया िजनहन उनह जादगर या उसस बदतर रप म निनदत कया| फलसवरप उनक लखन मदर और पाडलप पसतकालय क

तरह ससथागत खजान म सरत नह थ लकन कवल चकतसक क वशानगत परवार दवारा सदध वदय न िजनहन उनक लखन को गपत रखा कवल चकतसा परयोजन क लए उनह लाग कया उनक शाओ क वयापक अान और रढ़वाद समदाय दवारा सदद क जादगर क साथ परचारत समबनध क कारण हाल ह म अब तक उनह भारतीय समाज क कछ हलक म सममान क दिषट नह दखा गया ह म बड़ी ससपषटता स वदात क एक परसदध शक का वयगयातमक और भावनातमक उर याद कर सकता ह एक परसदध सवामी और जो बराहमण समदाय क सदसय थ िजनक मातभाषा तमल थी जब 1986 म मन उनस तमल योग सदध क लखन क बार म उनक राय पछ और मझ उर भारत म कई वयिकतय क सामानय परतकरया याद ह जब मन उललख कया क हमार गर बाबाजी नागराज थ अगर उनहन एक योगी क आतमकथा पढ़ थी तो व पछत थ कया वह अभी भी िजदा ह अगर नह और हम कह क वह सदय स जीवत ह तो व कछ ऐसा कहत ओह उनक कमर बहत बर हग िजसक कारण इतन लब समय क लए दख क इस दनया म रहन क लए बाधय हग यहा तक क करया योग परपरा क अनय वश क परमख सदसय भी सराहना करन म असमथर ह क बाबाजी और सदध क सबध म नया कया ह शरी यकतशवर न बाबाजी क सबध म कहा वह मर समझ स पर ह अथारत बाबाजी का सतर वदात क परतमान क भीतर समा नह सका िजसम उनहन अधययन कया था योगाननद और दसर उनक बार म कवल एक अवतार सवय भगवान का अवतार यीश-समान वचार कर पाए हालाक बाबाजी न इस तरह क वषय म सवय को कभी सदभरत नह कया अपनी आतमकथा म अधयाय क परथम पषठ पर जहा वह पाठक का परचय बाबाजी स करवात ह योगानद उललख करत ह क सदध अगसतयर क तरह वह हजार साल स जीवत ह योगानद यह समझन म वफल रह क य दो सदध वासतव म कतन नकट थ और क अगसतयर क तरह बाबाजी एक इसान थ भगवान नह जो अवतार बन गए अवतार बहद दलरभ ह व शव परपरा म नह पाए जात ह लकन कवल वषणव परपरा क बीच दस उरोर अवतार क साथ राम और कषण सहत य सभी परतकरयाए दिषटकोण को परतबबत करती ह जो वकताओ क दाशरनक दिषटकोण तक सीमत ह चाह यह हो वदात साखय ईसाई या वषणव

पसतक कवर या हमारा परकाशन शरी यकतशवर

बाबाजी लाहड़ी महाशय योगानद सदध अगसतयर

शरी अरवद आधनक समय क कछ सत म स एक ह जो सराहना कर सकत थ क सदध कौन थ थरमलर बाबाजी और रामालग सहत

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

तमल योग सदध करया योग आशरम कनडकथ तमलनाड

परशन सदधात नया कय ह

उर थरमलर तमल योग सदध म जो शायद सबस परान ह थरमदरम म कहत ह (5वी शताबद) क वह एक ldquoनया योगrdquo (नव योग) उदघाटत कर रह ह जो उन सभी ततव स यकत ह िजस बाद म सदध न कडलनी योग क रप म बताया और जो भौतक शरर सहत मानव क िसथत म एक पणर परवतरन लायगा| आम यग क पहल सदय क दौरान सदद न कडलनी योग का आवषकार कया आतम बोध (समाध) क एक शिकतशाल साधन क रप म| यह चीज क सचचाई का पता करन क लए और अधक परभावी तरक ढढन क लए उनक परयोगातमक परयास का एक उतपाद था भार बौदधक कमरकाड भिकत या तपसवी रासत स पर मानव सवभाव को बदलन क लए| यह आज नया ह कयक थरमदरम और 18 तमल योग सदध क लखन हमार दवारा अनवादत करन स पहल तमल भाषी दण भारत और शरीलका क बाहर अात थ और या तो तमल वदवान और पडत न अनदखा कर दया था या जानबझकर परयोग क गई असपषट ldquoधधलका भाषाrdquo क कारण गलत समझा| कयक सदध न रढ़वाद बराहमण पडत और पजारय क नदा क उनहन इस समदाय क सदसय का करोध अिजरत कया िजनहन उनह जादगर या उसस बदतर रप म निनदत कया| फलसवरप उनक लखन मदर और पाडलप पसतकालय क

तरह ससथागत खजान म सरत नह थ लकन कवल चकतसक क वशानगत परवार दवारा सदध वदय न िजनहन उनक लखन को गपत रखा कवल चकतसा परयोजन क लए उनह लाग कया उनक शाओ क वयापक अान और रढ़वाद समदाय दवारा सदद क जादगर क साथ परचारत समबनध क कारण हाल ह म अब तक उनह भारतीय समाज क कछ हलक म सममान क दिषट नह दखा गया ह म बड़ी ससपषटता स वदात क एक परसदध शक का वयगयातमक और भावनातमक उर याद कर सकता ह एक परसदध सवामी और जो बराहमण समदाय क सदसय थ िजनक मातभाषा तमल थी जब 1986 म मन उनस तमल योग सदध क लखन क बार म उनक राय पछ और मझ उर भारत म कई वयिकतय क सामानय परतकरया याद ह जब मन उललख कया क हमार गर बाबाजी नागराज थ अगर उनहन एक योगी क आतमकथा पढ़ थी तो व पछत थ कया वह अभी भी िजदा ह अगर नह और हम कह क वह सदय स जीवत ह तो व कछ ऐसा कहत ओह उनक कमर बहत बर हग िजसक कारण इतन लब समय क लए दख क इस दनया म रहन क लए बाधय हग यहा तक क करया योग परपरा क अनय वश क परमख सदसय भी सराहना करन म असमथर ह क बाबाजी और सदध क सबध म नया कया ह शरी यकतशवर न बाबाजी क सबध म कहा वह मर समझ स पर ह अथारत बाबाजी का सतर वदात क परतमान क भीतर समा नह सका िजसम उनहन अधययन कया था योगाननद और दसर उनक बार म कवल एक अवतार सवय भगवान का अवतार यीश-समान वचार कर पाए हालाक बाबाजी न इस तरह क वषय म सवय को कभी सदभरत नह कया अपनी आतमकथा म अधयाय क परथम पषठ पर जहा वह पाठक का परचय बाबाजी स करवात ह योगानद उललख करत ह क सदध अगसतयर क तरह वह हजार साल स जीवत ह योगानद यह समझन म वफल रह क य दो सदध वासतव म कतन नकट थ और क अगसतयर क तरह बाबाजी एक इसान थ भगवान नह जो अवतार बन गए अवतार बहद दलरभ ह व शव परपरा म नह पाए जात ह लकन कवल वषणव परपरा क बीच दस उरोर अवतार क साथ राम और कषण सहत य सभी परतकरयाए दिषटकोण को परतबबत करती ह जो वकताओ क दाशरनक दिषटकोण तक सीमत ह चाह यह हो वदात साखय ईसाई या वषणव

पसतक कवर या हमारा परकाशन शरी यकतशवर

बाबाजी लाहड़ी महाशय योगानद सदध अगसतयर

शरी अरवद आधनक समय क कछ सत म स एक ह जो सराहना कर सकत थ क सदध कौन थ थरमलर बाबाजी और रामालग सहत

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

तरह ससथागत खजान म सरत नह थ लकन कवल चकतसक क वशानगत परवार दवारा सदध वदय न िजनहन उनक लखन को गपत रखा कवल चकतसा परयोजन क लए उनह लाग कया उनक शाओ क वयापक अान और रढ़वाद समदाय दवारा सदद क जादगर क साथ परचारत समबनध क कारण हाल ह म अब तक उनह भारतीय समाज क कछ हलक म सममान क दिषट नह दखा गया ह म बड़ी ससपषटता स वदात क एक परसदध शक का वयगयातमक और भावनातमक उर याद कर सकता ह एक परसदध सवामी और जो बराहमण समदाय क सदसय थ िजनक मातभाषा तमल थी जब 1986 म मन उनस तमल योग सदध क लखन क बार म उनक राय पछ और मझ उर भारत म कई वयिकतय क सामानय परतकरया याद ह जब मन उललख कया क हमार गर बाबाजी नागराज थ अगर उनहन एक योगी क आतमकथा पढ़ थी तो व पछत थ कया वह अभी भी िजदा ह अगर नह और हम कह क वह सदय स जीवत ह तो व कछ ऐसा कहत ओह उनक कमर बहत बर हग िजसक कारण इतन लब समय क लए दख क इस दनया म रहन क लए बाधय हग यहा तक क करया योग परपरा क अनय वश क परमख सदसय भी सराहना करन म असमथर ह क बाबाजी और सदध क सबध म नया कया ह शरी यकतशवर न बाबाजी क सबध म कहा वह मर समझ स पर ह अथारत बाबाजी का सतर वदात क परतमान क भीतर समा नह सका िजसम उनहन अधययन कया था योगाननद और दसर उनक बार म कवल एक अवतार सवय भगवान का अवतार यीश-समान वचार कर पाए हालाक बाबाजी न इस तरह क वषय म सवय को कभी सदभरत नह कया अपनी आतमकथा म अधयाय क परथम पषठ पर जहा वह पाठक का परचय बाबाजी स करवात ह योगानद उललख करत ह क सदध अगसतयर क तरह वह हजार साल स जीवत ह योगानद यह समझन म वफल रह क य दो सदध वासतव म कतन नकट थ और क अगसतयर क तरह बाबाजी एक इसान थ भगवान नह जो अवतार बन गए अवतार बहद दलरभ ह व शव परपरा म नह पाए जात ह लकन कवल वषणव परपरा क बीच दस उरोर अवतार क साथ राम और कषण सहत य सभी परतकरयाए दिषटकोण को परतबबत करती ह जो वकताओ क दाशरनक दिषटकोण तक सीमत ह चाह यह हो वदात साखय ईसाई या वषणव

पसतक कवर या हमारा परकाशन शरी यकतशवर

बाबाजी लाहड़ी महाशय योगानद सदध अगसतयर

शरी अरवद आधनक समय क कछ सत म स एक ह जो सराहना कर सकत थ क सदध कौन थ थरमलर बाबाजी और रामालग सहत

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

पसतक कवर या हमारा परकाशन शरी यकतशवर

बाबाजी लाहड़ी महाशय योगानद सदध अगसतयर

शरी अरवद आधनक समय क कछ सत म स एक ह जो सराहना कर सकत थ क सदध कौन थ थरमलर बाबाजी और रामालग सहत

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

शरी अरवनद (1872-1950)

परशन सदधात आतमा और शरर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह

उर कसी ततवमीमासा को तीन बात स भगवान (पत) आतमा (पश) और दनया (पाशम) और उनक बीच अतर-सबध स वयवहार करना होता ह| शरर तो दनया का हससा ह| सदधात जसा क दण भारत क तमल साहतय म सवसतार सखाता ह क भगवान शव न सवय स उदगम स सब कछ बनाया ह - दनया दनया म सभी चीज और सभी आतमाए और परतयक आतमा अततः उसक साथ अदवतक सघ म वलय करन क लए नयत ह जस क एक नद समदर म वलन हो जाती ह या एक लहर नकलती ह और समदर म लौट आती ह| भगवान शव न सजन कया और नरतर सजन कर रह ह सभी का सरण और वलय उनम स मनषय क आतमा सब ससार और उनक सामगरी नकलती ह| वह आद और अत ह अिसततव क रचयता| वह दोन ह सामगरी और कशल कारण और इस तरह अभवयिकत का उनका कतय एक आग स नकलती चगार या एक पड़ स उभरत फल क सामान हो सकता ह| जीवातमा सार म ह सत चत आनद अथारत अिसततव चतना और आनद या शतररहत हषर| आतमा का यह सार भगवान क सार स अलग नह ह| यह एक बात नह ह एक वसत नह ह| यह दषटा ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

दशय नह ह| यह वषय ह| यह एक दिपतमान सा ह परकाश दह आनदमय कोष - और यह बना ह अलग परतीत होत हए वकसत होता ह और अततः भगवान शव क साथ अवभािजत सघ और एकता म वलन हो जाता ह इस एकता को पहचान कहा जा सकता ह| लकन एकतव सदधात यह भी सखाता ह क आतमा एक असथायी रप स परमशवर स भनन ह| इस भननता का कारण आतमा का वयिकततव ह इसका ततव नह| आतमा का शरर आनदमयकोष शदध परकाश क रचना ह और यह सीमत ह| यह आरमभ म सवरशिकतमान या सवरवयापी नह ह| बिलक यह सीमत और वयिकतगत ह लकन अपणर नह ह| यह कारण ह क वकास होता ह| यह ससार क पीछ परा उददशय ह जनम और मतय क चकर क पीछ वयिकतगत आतमा शरर का परपकवता म नततव करना| नसदह मन क वभनन सकाय अनभत ववक जो आतमा नह ह लकन जो आतमा को घर कर रखत ह और भी जयादा सीमत ह और जसा क ऊपर कहा भगवान शव क साथ इनक समानता यह कहना क व शव क सामान ह मखरता होगी| अत म कई जनम और इस परकार सासारक अिसततव क आग वकास क बाद यह आतमा शरर भगवान शव म वलन हो जाता ह| इस वलय को वशवगरास कहा जाता ह| तो सपषट ह आतमा यह कह भी नह सकती म शव ह कयक यहा कोई ldquoमrdquo नह ह यह दवा करन क लए| कवल शव ह| दनया और आतमा ह सच म लकन शव क वभनन रप म तो भी वह अपन सजन का अतकरमण करत ह और इसक दवारा सीमत नह ह| इसक अलावा दनया और आतमा भगवान क बना नह रह सकत यह तथय सपषट करता ह क व वकासज ह और अननत सा नह ह| जब दनया और आतमा उनक दवय रप म अवशोषत हो जात ह महापरलय क समय म एक लौकक सजनातमक चकर का अत कर रह ह - सभी तीन मल (आणव कमर और माया) उनक कपा क माधयम स नकल जात ह और आतमा का वयिकतगत अिसततव ख़तम हो जाता ह शव म सघ और पत र क माधयम स आतमा अलगाव म रहना खो दती ह| महापरलय क बाद अकल शव रहत ह जब तक उनम स आग सजन क लए एक और बरहमाडीय चकर नकल|

परशन सदध क ईशवर क बार म कया अवधारणा ह

उर उनहन ईशवर को ldquoशवमrdquo क नाम स कसी भी सीमाओ या गण स पर नदरषट कया| शवम वयाकरण और दाशरनक दिषट स एक अवयिकतक सकलपना ह| जसा क सदध कहत ह शवम क लए आदशर नाम ह lsquoयहrsquo अद lsquoवहपनrsquo lsquoऐसापनrsquo या परापरम ldquoअचछाईrdquo पणर अिसततव चतना और परमाननद सत चत आनद| शवम एक नजी भगवान नह ह| यह एक अभयास ह एक परवश-मागर ह| यह एक मलभत चतना या जागरकता ह| जागरकता या शव चतना क यह परािपत मिकत या मो ह| भल ह थरमलर भगवान क धामरक पहल क बात करत ह वह एक सवचच

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

साराशन एक महान एकात म वशवास करत थ| इसक लए उनक अभवयिकत तानी-उरार-कवलम (मिनदरम 2450) ह| शवम क अवधारणा का एक गहरा अधययन यह बतायगा क भारतीय सोच म दो परणालय का सथान ह भिकत क वध पर आधारत भगवान क लए एक वयिकतगत या भिकत क रशत क साथ एक आिसतक मागर और दसरा तातरक यानी पणरवाद जो कडलनी योग और ान पर आधारत ह| भिकत वध एक बहलवाद ह जसा क शव सदधात सकल म परलत ह पणरवाद वध एकतववाद ह जसा क थरमदरम म परलत ह| उनक कवताओ म उनहन शवम क पाच लौकक काय का उनक आनदपणर नतय क रप म उललख कया ह सब उनक शिकत क माधयम स आतमाओ क लए उनक परम क कारण| 1 नमारण आतमाओ को ान म वदध क साधन उपलबध करान क लए और अततः ववधता म उनक एकता का एहसास करन क लए दनया का नमारण 2 सरण अान भरम और कमर म उलझ गई आतमाए व वभनन साधन और रशत दवारा नरतर सरत होती ह उनक उननत क लए 3 वघटन जब आतमाए इस दनया म अवतार स हटाई जाती ह व दनया म उनक पीड़ा स एक असथायी वराम परापत करती ह इस बीच म व उनक अगल अवतार क लए तयार करती ह 4 गरहण शिकत जो शवम क साथ आतमा क एकता क बीच पदार ह और जो परभाव म ान क तलाश क लए आतमाओ को बाधय करती ह सतय जो मानसक भरम का पदार माया स पर ह 5 अनगरह अान भरम और कमर आतमा क तीन बड़य या दोष को हटाना| वासतव म शवम क दया और परम सभी आतमाओ को सभी पाच लौकक कम म मलता ह िजसस परतयक आतमा क परपकवता वकसत करन म मदद होती ह जो मिकत क ओर अगरसर करती ह| वलय और वकास क बरहमाडीय चकर क माधयम स यह नतय अनत काल स चला आ रहा ह| इसका अतम उददशय एक रहसय बना रहता ह जब तक ऐसा न हो क आतमा मकत हो जाए और गोपनीय सवय शवम स पनमरलन हो जाए|

परशन सदधात का लय कया ह

उर तमल सदध या बोध को परापत हई आतमाओ क अनसार जीवन का अतम लय पणर समपरण ह िजसम वटटवळ क परािपत वशाल परकाशयकत अतर बरहमाडीय चतना और तब सभी सतर पर हमार मानव परकत का एक दवय शरर म एक परगतशील परवतरन शामल ह| तमल सदध न मिकत क परािपत क साथ ह दवय अनगरह क लए वयिकतगत परयास पर भरोसा कया| यह परयास इस आकाा का ऊपर क ओर सकत करत तरकोण क दवारा परतनधतव होता

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

ह अनगरह का परतनधतव नीच सकत करत तरकोण क दवारा होता ह| उनका सयोजन दोहरा अनतवरभाजक तरकोण उनक सबस महतवपणर यतर का आधार बनाता ह एकागरता क एक जयामतीय वसत और अिसततव क आधयाितमक और भौतक सतर का एककरण| सदध कसी सवगय पनजरनम क बजाय इस दनया क भीतर सवततरता और अमरतव क परािपत क लए एक साधन क रप म तातरक योग क मलय पर जोर दत ह| मिकत मो या वीद (तमल म) एक रहसयपणर िसथत िजस थरमलर न योग-समाध बताया ह| योग समाध क अदर अनत अतर ह योग समाध क अदर अनत परकाश ह योग समाध क अदर सवरशिकतमान ऊजार ह योग समाध ह वह िजसक सदध अनरकत ह| (मिनदरम 1490) यह अवतार क चकर स मिकत या मो नह ह बिलक मल स मिकत या मो या मनषय क आतमा क तीन दोष या बड़य स मिकत या मो जो एक रससी म तीन कसम क तरह इस बाधत ह और इसक सत चत आनद क अनतनरहत गण को सीमत कर दत ह 1 आणव वयिकत क असल पहचान क बार म अनभता और फलसवरप अहकार 2 कमर पछल काय शबद और वचार क परणाम 3 माया भरम इसक परतनधय सहत आशक ान आशक शिकत इचछा समय और भागय| यह गण परकत क परकार या घटक स भी सवततरता ह 1 रजस गतशीलता का सदधात जो उजक ह अिसथर सकरय 2 तमस जड़ता का सदधात जो भार आलसी थकाऊ भरामक सदगध ह 3 सतव सतलन और सपषटता का सदधात जो शात रोशन बदधमान ान ह|

परशन आतमा क बड़य और परकत क साधन स मिकत सदधात क अनसार कस अनभव क़ जाती

उर सदध न दोष को शदध करन क लए वयिकत को जजीर स मकत करन क लए सीधा कायर नधाररत कया ह| इसम कणडलनी योग क सभी अग इसक शिकतपणर सास लन क वयायाम पर जोर क साथ मतर और मानसक ऊजारवान कनदर क छदर चकर साथ ह पराचीन योग इसक वरागय क वकास पर जोर क साथ राग और दवष को जान दना िजस अषटाग योग क रप म जाना जाता ह वयिकत क सामािजक वयवहार पर सयम आतम अनशासन का पालन आसन का अभयास और पराणायाम इदरय का नयतरण एकागरता का अभयास धयान और समाध या सानातमक अवशोषण सिममलत ह| कडलनी योग इस मानयता पर आधारत ह क चतना ऊजार

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

का अनसरण करती ह और ऊजार चतना का अनसरण करती ह| एक को नयतरत करन स आप दसर को नयतरत करत ह| उदाहरण क लए अगर आपका मन इतना वयसत और चतत ह क आप धयान नह कर सकत ह आपको पहल मन को शात और नयतरत करन क लए योग आसन और सास लन क वयायाम का अभयास करना चाहए| इचछाओ और भय को जान दन स वयिकत नाड़य और चकर (मानसक ऊजारवान क दर) म ऊजार क रकावट को हटा दता ह| धयान अहकार क दाग और इसक साथ जड़ी इचछाए और भय साथ ह कमर और भरम क दाग कमजोर करता ह| लकन व पर तरह स उखड़त ह कवल बार बार सरोत क ओर लौटन स चतना क अवसथा म िजस समाध क रप म जाना जाता ह िजसम उसस एकता सथापत होती ह जो नाम और रप स पर ह| नसवाथर सवा या कमर योग भी अहकार पर काब पान और पछल काय या कमर क परणाम को समापत करन का एक साधन क रप म नधाररत ह| मानव परकत हमशा तीन गण क खल क अधीन ह और तामसक जड़ता और राजसक वासना लगातार साितवक वयिकततव को डरात ह| एक बदधमान वयिकत का मन भी इदरय और उनक सबदध ससकार या आदत स दर चला जा सकता ह| पणर सरा पाई जा सकती ह कवल शात और समझ क साितवक गण क तलना स कछ अधक म अपन आप को सथापत करन स आधयाितमक सव म जो परकत और उसक तीन परकार स पर ह| तामसक और राजसक वयिकततव िजनक सवततरता क वशषता दराव ह दसर स अकला और अलगाव क वपरत आधयाितमक आतम-बोध का वयिकत न कवल सवय म बिलक सभी पराणय म दवयता पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम और योग क ान कमर और भिकत क माग को एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का अनभव होन क बाद उसक समानता सहानभत स भर होती ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क लए उतसक नह रहता ह| यहा तक क वह सवय पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपन आनद को बाटना चाहता ह ऐसी मकत आतमाए सदध क शाओ को आतमसार करती ह अररपद दसर को राह दखाना वयिकत को कया करना चाहए और कया करन स बचना चाहए| सधद या उम ऋष हमशा सभी पराणय का अचछा करन क लए एक बड़ी समानता क साथ लगा हआ ह और उस अपना वयवसाय और आनद बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

परशन मानवीय पीड़ा का कारण कया ह और इस दर कस कर

उर योग सतर म सदध पतजल पाच कलश या दख क कारण का वणरन करत ह 1 हमार सतय सवरप आतमा सत चत आनद का अान अनिसथर को सथायी रप म दखना अशदध को शदध रप म ददर को सखद रप म और गर-आतम को आतम रप म दखना 2 अहकार अान स उतपनन जो हम नह ह क साथ पहचान क आदत भौतक शरर-मन समह इसक इिनदरया भावनाए और वचार 3 आसिकत ह सखद को पकड़ना 4 दवष ह पीड़ा को पकड़ना भय नापसदगी 5 जीवन को पकड़ना या मतय का भय| पतजल हम बतात ह समाध क वभनन चरण क ओर बार बार लौटन स दख क य कारण उनक सम रप म वापस उनक मल तक पता चलाकर उखड़ जात ह| उनक सकरय िसथत म व धयान स नषट हो जात ह| योग सतर II3-11 व हम बतात ह क करया योग क अभयास का उददशय ह पीड़ा क इन कारण को कमजोर बनाना और समाध (सानातमक अवशोषण या आतम-बोध) का वकास| योग सतर II2

सदधर पतजल (चदबरम नटराज मदर भारत म छत चतरकला)

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आिसतकता) क बीच कया अतर ह

उर अदवतवाद और बहलवाद क परभाषाए वबसटर डकशनर क अनसार वदात क परभाषा ह यह मत क कवल एक ह परम पदाथर या सदधात ह वह वासतवकता जो सवततर भाग क बना एक जवक पणर ह|rdquo यह दवतवाद दनया दो अलघकरणीय ततव (पदाथर और आतमा) या यह मत क बरहमाड म दो परसपर वरोधी सदधात अचछाई और बराई ह क वपरत ह| बहलवाद को इस रप म परभाषत कया गया ह सदधात क वासतवकता परम पराणय सदधात या पदाथ क बहलता स बनी ह|rdquo

परशन इनम अनतर कय महतवपणर ह

उर य सम भद ह जो दनक धामरक अनभव करन क लए सबधत परतीत नह हो सकता ह| इस परकार हम इस तरह क बात को कवल धमरशािसतरय सदगरओ सवामय योगय और दाशरनक क लए चता का वषय क रप म छोड़न क लए इचछक हो सकत ह| फर भी व धमर क बहत मल ह और तचछ नह मान जा सकत| व हर कसी को परभावत करत ह कयक व दनया भगवान और आतमा (और इसलए हमार) क परकत क अलग धारणाए परभाषत करत ह| व वभनन आधयाितमक लय को परदान करत ह या तो उसम पर तरह स और हमशा क लए वलय होना (एक िसथत िजसम आनद क भी िसथतय का अतकरमण हो जाए) या सदा भगवान स अलग रहना (हालाक यह परथककरण अतहन आनद क रप म सकारातमक दिषट स दखा जाता ह)| एक राय एकतववाद पहचान म एकता ह िजसम सिननहत आतमा जीव वासतव म ह और भगवान (शव) हो जाता ह| दसर राय बहलवाद दवदव म एकता एक म दो िजसम आतमा को परमशवर क साथ नकटता परापत ह लकन हमशा क लए एक वयिकतगत आतमा या एक म तीन कयक तीसर इकाई दनया या पाश कभी भी यहा तक क आशक रप स भी भगवान क साथ वलय नह होता ह| इसक अलावा इसक अनसार क वयिकत इनम स कौन सा दिषटकोण अपनाता ह दनया क परत दिषटकोण बदल जाता ह| अदवती दनया को असतय एक भरािनत फलसवरप महतवहन क रप म दखता ह| वयिकत दनया क मामल म उलझन स बच जाता ह िजस एक भरािनत क रप म बखारसत कर दया ह| कोई भगवान नह ह| कोई आतमा नह ह| यह न तो ईशवरवाद और न ह नािसतक ह| यह एकतववाद ह अथारत कवल एक ह ह| कवल एक वासतवकता ह िजस बरहम एक अवयिकतक वह क रप म जाना जाता ह| लय मो ह भरम (माया) स सवततरता जो उस जानन स रोकती ह जो कवल एक ह| माया क भरम स जागत पर वयिकत को इस अदवत वासतवकता क सतत

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

जागरकता का अनभव होता ह| नधाररत साधन म सव अनसनधान या सव समरणrdquo शामल ह| वहत अथर म इन वाकयाश का चतन शामल हो सकता ह जस म कौन हrdquo या ldquoम वह हrdquo या म बरहम हrdquo या उपनषद वद पर वदात टकाओ का अधययन| इसम कसी मठ क वयवसथा म सनयास क औपचारक परता ल जा सकती ह जस दशमी 9वी शताबद म अदवत क अगरणी परतपादक आद शकर दवारा सथापत सवामी वयवसथा| दसर ओर दवत सवीकार करता ह क दनया असल ह और आतमा स अलग ह| पराचीन योग जो दवतवाद साखय दशरन पर आधारत ह सखाता ह क दनया म दख स मकत होन क लए वयिकत को बार बार चतना क उस िसथत म परवश करन क आवशयकता ह िजस समाध सानातमक अवशोषण क रप म जाना जाता ह| इस िसथत म वयिकत उसक बार म जागरक होता ह जो जागरक ह| वयिकत शरर और मन क गत क साथ अहकार क झठ पहचान का अतकरमण कर जाता ह| परणाम क रप म धीर - धीर दख क कारण समापत हो जात ह| अदवत और वदात क बौदधक दिषटकोण क बजाय यह सखाता ह क सतय को चतना क समाध िसथत म परवश कर क ह जाना जा सकता ह िजसम मन शात हो जाता ह| इसम समाध म परवश क तयार करन क लए एक परगतशील साधना का परावधान ह| यह पराचीन योग ततर वदात क कछ भिकत सकल का दिषटकोण ह| पराचीन योग का लय आतमान ह और पणरता मानव परकत क परवतरन को शामल करत हए ततर का लय ह| यह साखय क परकत क सदधात (ततव) क समझ पर आधारत ह शरर-मन-वयिकततव क साथ पहचान करन क बजाय परकत क घटक (गण) क बीच सतलत रहन का परयास दरषटा या गवाह क रप म बन रहन का परयास करना| वयिकत का अपना अनभव न क शासतर परम परमाण ह| जीव शव हो रहा ह सदधात का एकतव आिसतकता का दिषटकोण और कशमीर शव का सार ह| वयिकतगत आतमा जीव क उसक (शव) क साथ पहचान परम अत ह जसा क अदवतवाद दिषटकोण म ह| बहलतावाद ईशवरवाद धम म पाया जाता ह जस पिशचम क अदवतवाद धमर (ईसाई धमर इसलाम और यहद धमर) और वदात क दवतवाद परमपराए (रामानज आचायर और माधवाचायर क दवारा) और मकदर का शव सदधात का बहलतावाद यथाथरवाद दशरन जो दण भारत म परचलत ह| यथाथरवाद कयक मकदर न सखाया ह क भगवान आतमा और दनया सदा अलग ह| इन सब म एक नजी भगवान म वशवास परचलत ह| दनया कवल असल नह बिलक बर ह| आतमा को दनया क बाहर और सवगर म एक रासता खोजन क आवशयकता ह जहा भगवान पाया जाएगा| वशवास और भगवान क परत समपरण शासतर अनषठान पराथरना और ससथागत धमर नषठा पर जोर क साथ साधन ह| इसक अलावा पिशचमी धम म पनजरनम म वशवास सिममलत नह ह जो आमतौर पर परलोक-सदधात-वषयक ह िजसका अथर ह व दवी साहतय सबधी दनया क अत एक

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

परलय का दन का इतजार कर रह ह जब सचची आतमाओ को सवगर म सथापत कया जाएगा और अनय आतमाओ को अनत काल क लए नरक म दिणडत कया जाएगा| अदवतवाद और बहलवाद क बीच दाशरनक मतभद अधक सरलता स कहा जाए तो एकतववाद सकल मानत ह क सवय उसस भगवान स उदगम स िजस व ldquoशवrdquo या ldquoवहrdquo कहत ह न सबकछ बनाया ह ndash दनया दनया म सभी वसतए और सभी आतमाए - और परतयक आतमा अतत उसक साथ अदवतक एकता म वलय क लए नयत ह जस एक नद समदर म मल जाती ह| मकदर का बहलवाद सकल कहता ह क भगवान शव न दनया या आतमाओ का नमारण नह कया बिलक व हमशा स अिसततव म ह जस क वह ह और आतमा क परम नयत भगवान शव क साथ अदवत एकता म नह ह लकन अननत धनयता या आनद म उसक साथ अदवतक समबनध पानी म घल नमक क एकता क सामान| एक दिषटकोण म आरमभ म शव स अभवयिकत हई और अत म वापस शव म वलय होता ह और कवल सवचच परमातमा शव अननत और नह बना हआ ह| दसर दिषटकोण म तीन - भगवान आतमा और दनया क बीच अतर सदा वासतवक ह| बहलतावाद यथाथरवाद तकर दता ह क कयक भगवान पणर ह वह अपणर आतमाओ और अपणर दनया का उनक सभी दख क साथ नमारण नह कर सकता ह| आतमा का कोई आद नह ह बिलक कवल िसथत स शव क साथ आतमा का अननत सह-अिसततव जो बलकल मौलक समय क लए वापस चला जाता ह शदध िसथत म जो भवषय म हमशा क लए फला ह| एकतव वचार म भगवान शव सब कछ ह यहा तक क यह भौतक जगत उनका एक हससा ह हालाक साथ ह व इसका अतकरमण भी करत ह| बहलवाद दिषटकोण म भगवान शव बरहमाड को चलात ह और नदशत करत ह लकन यह उनका हससा नह ह| तो सप म अतर क जड़ ह बरहमाड म एक अननत वासतवकता ह या तीन आतमा हमशा अलग ह या शव क साथ एक| यह वदात आिसतकता और बहलतावाद यथाथरवाद क बीच का वादववाद हमार परकाशन थरमदरम क अतम खड म वसतार स परसतत कया ह|

परशन माया कया ह और कया कारण ह क सदधात को अदवत आिसतकवाद माना जाता ह

उर सदधात पराचीन योग और कशमीर शव और ततर क तरह इस दिषटकोण स शर होता ह क वयिकत अिसततव क साप सतह पर कया अनभव करता ह इस ससार म इसक सभी सीमाओ और पीड़ा क सरोत क साथ यह दनया को असतय या भरम पदा करन वाल माया क रप म नकारता नह ह यहा तक क माया का सदधात म वदात स एक अलग अथर ह सदधात म माया वयिकतपरक भरम को दशारती ह अदवत वदात म माया वसतनषठ भरम क शिकत को दशारती ह िजसक दवारा एक वासतवकता कई परतीत होती ह अदवत पणर अिसततव क सतह क दिषटकोण स

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

शर होता ह और समापत होता ह| कवल बरहम का अिसततव ह| बाक सब कछ कवल परतय रप स असल ह| सदधात सवीकार करता ह क कछ वयिकतय क पास अदवत क मागर का अनसरण करन क लए आवशयक एकागरता क शिकत वरागय और धामरक चरतर होता ह पणरता क सतह स इस परपय को बनाए रखत हए भल ह व इन शाओ को सफर बौदधक रप स ह समझत ह| इसलए सदधात एक परगतशील पथ क सलाह दता ह िजस सनमागर क रप म जाना जाता ह जो साप सतह क परपय स शर होता ह और िजसका अत पणर सतह क रप म ह| इस परकार यह ldquoआिसतकताrdquo स शर होता ह दनया म सिननहत आतमा का दिषटकोण और ldquoएकतववादrdquo म समापत होता ह पहचान म एकता का दिषटकोण उसक नरतर अननय जागरकता| इसलए यह ldquoअदवत आिसतकवादrdquo कशमीर शव जसा ह जो समभवतः सदधात क समानातर वकसत हआ ह| सनमागर क इस पथ म अननय जागरकता क तयार क लए नमनलखत चार चरण शामल ह 1 चयार ह धामरक सथल या मदर म सवा करना जस सफाई पजा क लए फल एकतर करना पवतर सथान क सवा क गतवधय म सहायता करना सवय सवा| यह भतय का पथ ह और वयिकत परभ क नकटता म बसता ह| 2 करया दसरा रासता ह और यहा इसका अथर कमरकाडी पजा ह और वयिकत ईशवर क सतान हो जाता ह| भकत परभ क करब यहा तक क परभ क साथ घनषठ ह| 3 योग तीसरा दिषटकोण ह और यह चतन और अनय साधना क लए कहता ह जस कडलनी योग और अषटाग योग| वयिकत भगवान का दोसत बन जाता ह| वयिकत भगवान का रप और परतीक चनह पा लता ह उसक गण और शिकतय को परकट करत हए| पहल तीन रासत को परारभक माना जाता ह| 4 ान चौथा रासता ह परतय बोध िजसका परणाम परभ क साथ पणर मलन म ह| लकन वयिकतकता खोती नह ह| शव और जीव दोन म सामान अनवायर पहल चतना चत ह पहला सवचच ह और दसरा मनषय म फला हआ ह| योग सतर I24 म पतजल हम बतात ह शव कौन ह भगवान ईशवर (ईश + सवर शव + सवय वयिकत का का सव) ईशवर वह वशष परष ह जो कलश कमर कम क फल या इचछाओ क आतरक परभाव स अछता ह| अपन होन क गहर शदधतम सतर पर क आप कौन ह और अहसास होना क अपन आप को शदध करना ह होगा दःख क कारण स (अान अहकार आसिकत घणा जीवन स लगाव) अहकार दिषटकोण ldquoम कतार हrdquo आदत िजनस कमर और इचछाए बनती ह| शर म जो दो परतीत होता ह आतमा और ईशवर अनभत होन पर कवल एक ह दखाई दता ह| यह यीश क असतयवत उपदश क याद दलाता ह िजनहन कहा ldquoअपन दशमन को पयार करो अगर आप अपन दशमन को पयार करत ह तो आपका कोई दशमन नह ह|

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

जबक य चरण दण भारत क परमख धामरक ससकत क नीव म ह बहत कम वयिकत ऊपर क पहल या दसर चरण स पार जा पात ह| शवविककयम अनय सदध क साहितयक कतय क तरह पाठक को चतावनी दत ह ऊपर पहल दो चरण क आध बन मकान म अटक नह मदर म पजा अनषठान सगठत धमर शासतर और जात बिलक कडलनी योग क अभयास क माधयम स परतय बोध ान क तलाश कर| अिसततव क साप सतह पर यह दिषटकोण म दववाद ह (आिसतक आतमा और ईशवर क बीच सबध क साथ) जहा आतमा को अपनी सह पहचान क अानता स नपटना होगा माया (समय वासनाओ आद क परत मानसक भरम) कमर और मानव परकत क गण यह पणर वासतवकता क सतह पर एकतववाद ह| इस वरोधाभास को नमन सादशय क साथ और अधक सपषट रप स दखा जा सकता ह जो परपय क महतव को रखाकत करता ह| जब वयिकत सतय या भगवान या वासतवकता क तलाश आरमभ करता ह यह उस वयिकत क तरह ह जो एक पहाड़ क ओर जा रहा ह| एक दर स पहाड़ भगवान क तरह सतय या वासतवकता क तरह यह इतना बड़ा हो गया लगता ह जस अात ह| यह एक वशष समय और सथान क परपय स ह| अत म एक रासता मल जाता ह पहाड़ क ऊपर शायद कई रासत म स एक| य रासत वभनन धम दशरन साधना या यहा तक क वान क सदश ह| जस जस रासता चढ़ता जाता ह वयिकत अधक स अधक परचत हो जाता ह| वयिकत का दिषटकोण बदलता जाता ह जस जस वह पहाड़ चढ़ता ह और समीप पहचता ह| लकन जब वयिकत पहाड़ क चोट पर पहच जाता ह उसका दिषटकोण पर तरह स बदल जाता ह| अपन आप और पहाड़ क बीच कोई अतर नह रह गया ह| लकन न तो दषटा बदला ह और न दशय बदला ह| साधक और पहाड़ वस ह ह जस हमशा स ह| साधक का कवल परपरय बदल गया ह| अगर अदवत क अनसार कवल बरहम वह वासतवक ह तो सवय माया क बार म कया कया यह भी असतय नह आद शकर अदवत क अगरणी परतपादक न इस आप को परतयाशत जानकर घोषणा क क माया िजसको वसतनषठ भरम समझा जाता ह या शिकत िजसस एक ह बहत रप म दखाई दता ह सवभावत अनिशचत ह| यह बचाव बलकल भी सतोषजनक नह ह| माया को जसा क सदधात करता ह वयिकतपरक भरम और वासतवकता क साप सतह पर असल समझना इसक शिकत स मकत बनन क परकरया म कह अधक सतोषजनक और सहायक ह| यह कारण ह क यह महतवपणर ह क अिसततव क साप सतह (दनया और दमाग म स एक क वासतवक िसथत) का पणर अिसततव क सतह क साथ भद न कया जाए जहा परतयक क िसथत

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

और परणाम क अनदखी करक सब कछ एक दखाई दता ह| बहत स लोग जो पालन करत ह िजस आलोचक न नव अदवत कहा ह उसक शक इस तरह क अतर क उपा करत ह और फलसवरप अदवत िसथत का ान मातर पयारपत ह ऐसा वशवास करत ह और यह महसस करत ह क अनभत क लए कछ नह करना ह और वयिकत म इसक जागरकता बनाए रखन क लए भी कछ नह करना ह| यह इगत भी करता ह क फलोसौफ क लए ससकत म कोई शबद कय नह ह| लकन छह मखय दाशरनक दिषटकोण वहा रह ह िजनम वशषक नयाय साखय मीमासा वदात और योग शामल ह िजनह दशरन क रप म जाना जाता ह|

परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चचार स यह कस सबधत ह

उर एनलाइटनमट (परबोधन) जो अगरजी का एक शबद ह हाल क दशक तक अदवत परपराओ म स

कसी न उपयोग नह कया था बौदध धमर को छोड़कर जहा इसका उपयोग बदध क दवारा परापत

अिसततव क सवततरता क परम अवसथा िजस नवारण कहत ह का वणरन करन क लए कया गया

था मझ याद नह ह क इसका उपयोग पारपरक अदवत साहतय (वदात शकर रमण महषर) म कभी

दखा हो म इस धारणा क तहत ह क यह हाल ह म पिशचमी शक क कारण परचलन म आ गया ह

िजनको नव अदवती कहा जाता ह मन इसका परयोग न तो पराचीन योग परपराओ क साहतय म दखा

ह और न ह हद ततर म दखा ह

मझ सदह ह क इन तथाकथत नव अदवती गरओ क बीच हाल ह म अधकतर बहस परबोधन कया ह और यहा तक क परबोधन क बाद क अवसथा का समबनध अहकार क अवशषट अभवयिकतय क शदध अभमान करोध भय आलस और वासना स ह यह निशचत रप स इस कारण हो सकता ह क पिशचम म न सफ़र हम अनभव क कमी ह बिलक परबोधन क वभनन सतर का वणरन करन क लए अगरजी म शबदावल क कमी ह मर अपन गर जो एक योगी और एक तमल वदवान थ पर एक बौदधक नह थ जब उनस इस वषय पर परशन पछ गए उनहन शषय को सदध क लखन क ओर नदरषट कया (जो उस समय काफ हद तक अनवादत नह थ) अनयथा शरी अरवद क लखन क ओर एनलाइटनमट स समबधत नकटतम शबद जो मन दण भारत क तमल साहतय म दखा ह वह वटटवल ह जो चतना क वशाल चमकदार अतर क ओर इशारा करता ह आनदपणर समाध क िसथत उमोम जागरकता सवय अिसततव क जगरपता यह वह जगह ह जहा वचार बद हो जात ह एक क बाद एक जब तक ऐसा न हो क वयिकत क चतना का अिसततव कवल एक रकत वसतार क रप म रह जाए| इसका अथर आतमीयता और नशपता स ह| यह समय स बाहर नकलन क प म ह| यह अननत वतरमान ह| यह वह जगह ह जहा वयिकत अतीत वतरमान और

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

भवषय का अतकरमण कर दता ह| यह वह िसथत ह जो इिनदरय स समझन क लए सलभ नह ह एक िसथत िजसक कोई वशषट चहन नह ह एक नमरल आकाश ह| वटटवल समय का अतकरमण ह मिकत ह सचची सवततरता ह| यह ldquoवह सतय सरज अधर म छपा पड़ा होrdquo यह नराकार ह नषकलक सवय-दिपतमान और सवरवयापी सदा आनदत अभवयिकत स पर ह उन क भीतर क रोशनी जो इस जानत ह वह एक जो अपनआपको बरहमा वषण और शव म वभािजत करता ह पर बरहमाणड को बनाता ह समभालता ह और पर बरहमाड को नषट कर दता ह| परकाश क एक सतभ क तरह ह मिकत यह ह ईशवरतव क चरण रा कर ndash एफोरजमस ऑफ वजडम 28 (बदधमा क वचन 28) १ छद पामबटट सधद दवारा 18 सदध का योग एक सकलन पषठ 475-476 कतन भी शबद ह इस पकड़ नह सकत सदध क दवारा नधाररत कडलनी योग क अभयास म गर क मागरदशरन स इस अनभव कर सकत ह इन ततव क सहत गर क उपिसथत म इस सीखना (चरण म) मलाधार चकर म ऊजार जागत करना और मानसक रप स नदशत करक ऊपर अनय पाच चकर स होत हए जबतक यह ऊपर सहसरार तक न पहच जाए

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

योगी एस ए ए रमयया (1923-2006)

परशन आपन इस साातकार क शरआत म यह कय कहा था क सदधात वहा शर होता ह जहा

अदवत समापत होता ह

उर योगी रमयया न सप म इस परशन का उर दया जब उनहन सदधात का लय ldquoपणर समपरणrdquo बताया| जबक अदवती आधयाितमक सतर पर अहकार क परपरय को आतमा क परपरय म समपरत करत ह सदध न महसस कया क एक बीमार भौतक शरर सम शरर जो क इचछाओ और भावनाओ स भरा हो या एक वपत दमाग म पणरता पणरता नह ह| उहन अनभव कया क आतमान या पणर समपरण या मिकत को अिसततव क आधयाितमक सतर तक सीमत नह कया जा सकता| उनहन मानवता क वकासवाद मता को महसस कया और उसक कलपना क और इसक पणरता क अगआ होन क कारण शदध को अनभव करन क एक परगतशील परकरया क साधन वकसत कए िजसम अह और झठ पहचान क दिषटकोण क समपरण को सिममलत कया

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

1 आधयाितमक शरर म आनदमयकोश िजसम वयिकत को सत चत आनद शव-शिकत या आतम बोध का अनभव होता ह दवयता क साथ अनतरग ऐकय स वयिकत एक सत बन जाता ह| एक सत क साधारण अहकारक परपरय का कम स कम कछ भाग दवीय उपिसथत क जागरकता स बदल जाता ह| वयिकत ldquoदरषटाrdquo या ldquoसाीrdquo क साथ एक होता ह लकन मन सम और भौतक शरर न तो बदल होत ह और न ह समपरण का समथरन कर रह होत ह| अगर सफ का समपरण या ऐकय वासतवकता क आधयाितमक सतर तक सीमत ह वह अभी भी दाशरनक या धामरक भद करन क जररत स बाधय हो सकता ह जब तक वह बौदधक सतर पर उसक अहकार का समपरण न शर कर| न सफर जयादातर सत समपरण क परकरया को परा करन क लए काफ लमब समय तक भौतक तल पर रहग शाररक सवासथय स लकर वभनन कारण क लए बिलक दख स बचन क आकाा तक जो इस इस दनया स मलत ह| 2 बौदधक शरर म वानमयकोश मौन का नयम ह सोच काफ हद तक समापत हो जाती ह ान सदध वकसत होती ह सहजान स चीज को जानन क मता सारपय स सवधा क साथ इस ान सवाद को करन क मता वयिकत एक ऋष ह मखयतया सहजान क बदधमा स नदशत जानन क गौरव को समपरत कर दया ह कनत वयिकत अभी भी मन सम और भौतक परकत स वचलत ह| अहकार अभी भी रहता ह जब तक समपरण अिसततव क सभी सतर को सिममलत न कर ल| यहा गरन का खतरा हमशा रहता ह और इचछा घणा जीवन क पकड़ अभी भी पीड़त कर सकत ह| सट ऑगसटन इस कहत ह ह परभ मर समपरण करन म मदद कर लकन अभी नह| यह ह हमार मानव सवभाव का नचला हससा वशष रप स मानसक सतह कलपना और इचछाओ का सथान और सम सतह भावनाओ और इचछाओ का सथान उस परवतरन को तयार नह होता समपरण िजसक जररत पर जोर दता ह| 3 मानसक शरर म मनोमयकोश जहा सम इदरय स जड़ी कछ सदधया वकसत होती ह दवय दिषट - एक समय या सथान म दर पर चीज को दखन क मता या परोशरवण ndash सनन का सम ान या परोचतना - भावना क सम समझ| वयिकत भवषयवाणी कर सकता ह बीमार को चगा करन क मता परकट कर सकता ह सहजान यकत अतदरिषट स दसर का अतीत पता कर सकता ह कयक अतीत भवषय या कसी वसत का कोई पहल िजस पर धयान किनदरत करता ह क साथ ऐकय क गहर िसथतय म उतर सकता ह| मानव होन का गौरव समपरत करन क बाद सदध बन जाता ह और नए अनभव क लए खोज करता ह लकन सम शरर म अभी भी कषटपरद भावनाए और इचछाए हो सकती ह िजनका समपरण अभी तक नह हआ ह| 4 सम शरर म पराणमयकोश िजसम यह अपनी सभी इचछाओ और भावनाओ को समपरत करता ह और अहकार स पर तरह स नषठा परवतरन करता ह उसक ओर िजस शरी अरवद न अलौकक सा या आतमा कहा ह जो तब परकरया पणर करता ह और असाधारण सदधया परकट करता ह| अिसततव क सम सतह क सतर पर अहकार का समपरण करक वयिकत एक महान या महा सदध बन जाता ह जो सदधओ और शिकतय को परकट करन म समथर ह िजसम परकत

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

सवय सिममलत ह| इसम वसतओ को सथल रप म परकट करना उोलन मौसम पर नयतरण इचछा पत र और अदशय होना सिममलत हो सकत ह| जबक व मखय रप स भारत तबबत चीन और दण पवर एशया म रहत ह वह अपन सवय क ववरण म महा सदध न पर दनया क यातरा क ह| लकन भौतक शरर न उचच परकत क सम समपरण सवचच चतना न इसक कोशकाओ म अवतरण अभी तक नह कया ह| 5 भौतक शरर म अननमयकोश जो एक ईशवरय शरर दवय दह बन जाता ह अमरता क एक सनहर परकाश म चमकता ह| कछ दलरभ सदध अहम का समपरण भौतक सतह तक करन म समथर ह िजसम शरर क कोशकाओ क सीमत चतना उनक साधारण चयापचय क परयोजन को छोड़ दती ह और पर तरह स सवचच चतना क साथ एककत हो जाती ह| य महान सदध सदधय और शिकतय को परकट करन म सम ह िजसम भौतक परकत सवय शामल ह| उनका भौतक शरर इस चतना क एक सनहर परकाश क साथ चमकता ह और बीमार और मौत क लए अभदय बन जाता ह| यहा तक क सबस गभीर योगय क लए यह कलपना करना मिशकल ह अगर वो आतमाचतना बनाम शरर और ससार क बीच वप क परान परतमान स बधा रहता ह| वयिकत एक बाबाजी या एक भोगनाथर या एक अगसतयर हो जाता ह और वयिकत क पणरता भौतक मानव सवभाव क अानता क दवारा सीमत नह रहती ह बीमार और मौत क लए अभदय ह| अगर वह भौतक सतह हो छोड़ता ह तो इसलए नह क भौतक परकत उस ऐसा करन क लए मजबर करती ह| सदध लखन क दौरान हम इस सतर क दवय परवतरन क कई ववरण दखाई दत ह|

परशन सदध ऐसा कय सोचत ह क व सवय कोई वशष नह ह और इस तरह उनक वयिकतगत

जीवन पर बहत कम या कोई ववरण परदान नह करत ह

उर सधद पतजल हम बतात ह क जब तक शरर और मन क पहचान क परानी आदत बार बार चतना क सरोत तक वापस जाकर पर तरह स उखाड़ न द अहकार तब तक सत या सदध को भरम म डालन म सम ह| उदाहरण क लए व लोग का धयान आकषरत करन क लए अपनी शिकतय का उपयोग कर सकत ह| हालाक एक बार आतमसमपरण शाररक सतर पर हो जाए तो अहकार हमशा क लए चला जाता ह| वयिकत सचमच कछ वशष नह ह कयक वह कवल उस शदध चतना क साथ एक हो होता ह जो सबम वयापत ह| कछ सदध सदय स इस सतर तक पहच चक ह और इन सदध न उनक वयिकत वशष उनक शिकतया उनक जीवनी या उनक गतवधय को कोई महतव नह दया कयक वो उनक नह थ| य परबदध लोग दवय शिकत और परकाश क साधन थ और उनक दवारा कए गए सभी कायर और बाक सब जो उनक दवारा हआ ईशवरय शिकत क वजह स थ| इसलए यह कोई सयोग नह ह क हम इतनी कम निशचतता स जानत ह क सदध न कया कया या उनक नजी जीवन का बयौरा कया था लकन हम उनक ान शाओ क बार म जानत ह| उनहन जो ान परापत कया उस हमार लए छोड़न का कषट

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

कया| यह चतना यह ान यह अतम सतय का अनभव ह ह िजस उनहन सबस जयादा महतवपणर समझा कयक यह वापस सवगर सामराजय का रासता दखाता ह| शा दन वाल वयिकत को उनक शाओ स जयादा महतव दकर धमर बन ह जस क इसाई और बौदध धमर| बदध एक बौदध नह थ| यीश एक ईसाई नह थ| यीश क शाओ और उनक दषटानत क जगह एक धमर न उनक वयिकत वशष को रख दया इस तथय क बावजद क इतहास उनक या उनक जीवन क बार म कोई ऐतहासक जानकार परदान नह करता ह| बदध िजनहन एक हनद क रप म रत-रवाज को हटान क लए पीड़ा स बचन क शाए द पजा क वसत बन गए| सदध का कछ समय क अनिशचत अवध तक एक ह भौतक शरर म रहन क लए या फर दसर शरर म रहन लए या भौतक ततव स पथक करन क लए या यीश क रप म चढ़न क लए या एक स अधक शरर म दो अलग सथान म उसी अवध म दखाई दन क लए आहवान कया जा सकता ह| उननीसवी सद क रामालग सवामगल का अचछ तरह स परलखत उदाहरण ह िजनक शरर क धप म कोई छाया नह बनती थी िजनक शरर को कोई नकसान नह पहचाया जा सकता था फोटो नह लया जा सका कई बार परयास क बाद भी जब व एक समह क साथ वशष फोटोगराफर क सामन आए और उनका शरर काफ नाटकय ढग स पथवी स बगनी परकाश क चध म गायब हो गया| तब स रामालग सवामगल जररत म भकत क सहायता क लए कई अवसर पर आए ह ऐसा बतात ह| आज तक दण भारत म बचच और शरदधाल चालस हजार स अधक कवताओ और गीत का गान करत ह जो उनहन सवचच अनगरह परकाश क गणगान म लख थ| हमार पास भी करया बाबाजी का उदाहरण ह जो योगी क आतमकथा और बाबाजी क आवाज करया योग क एक तरयी म वणरत ह और सदध अगसतयर भोगनाथर और शरी अरवद का िजनहन अपन भौतक शरर क सतर पर आतमसमपरण क परकरया और अमरतव क वभनन रप का वसतत वणरन कया ह| जसा क मसरया एलएड कहत ह सदध व ह जो ldquoमिकत को अमरता क वजय समझत ह|

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

वदलर तमलनाड म रामालग सवामगल

(एम गोवदन क अनमत स)

परशन सदधय या यौगक चमतकार शिकतय का कया महतव ह

उर पतजल क योग सतर क तीसर अधयाय म सदधओ का ववरण वणरत ह| व सयम या ऐकय का परणाम ह िजनको उनहन एकागरता धयान और समाध (सानातमक अवशोषण) का एक सयोजन क रप म परभाषत कया ह| अगर वो अहकार क कसी आसिकत को परा करन का साधन बनती ह तो कसी और चीज क तरह व एक बाधा बन सकती ह | हालाक जब सदधात क दिषटकोण स दखत ह व मानव परकत क दवयकरण क एक परकरया का परतफल ह िजसम अहकार स पररत नमन परकत गपत उचचतम वासतवक सवरप ईशवर या परषोम दवारा सचालत होकर उचच परकत स परतसथापत हो जाती ह या उचच परकत को समपरत हो जाती ह| इस परकरया को अठारह सदध और शरी अरवद और मा क लखन म वसतार स वणरत कया गया ह| अठारह तमल योग सदध वशष रप स सदधर भोगनाथर और थरमलर क लख इस परकरया क सबस बढ़कर परचर और पररत ववरण परदान करत ह| उनहन इस परकरया को सशकत करन क लए और तजी लान क लए कडलनी योग क वधय का वणरन भी कया ह जो वशष रप स सास स सबधत ह| इस परकरया को शरी अरवद दवारा भी बहत वसतार स वणरत कया गया था| हालाक

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

उनहन इसक कलपना मानवता क वकास म तजी लान क लए एक साधन क रप म क जब सपरामटल (उचच मानसकता) पयारपत सखया म ldquoअभनन योगrdquo क साधक म उतर आए| उनहन इस योग को सप म तीन शबद म कहा आकाा असवीकत और समपरण|

परशन बाबाजी क करया योग और सदधात क बीच कया सबध ह

उर बाबाजी का करया योग सदधात का एक आसवन (नचोड़) ह| इसका पचाग मागर पतजल योग सतर क उतकषट योग म वणरत वरागय और धयान क वकास को सदध क कडलनी योग क साथ जोड़ता ह| य सब इस पचाग मागर क अतगरत आत ह करया हठ योग इसम आसन वशराम क शाररक मदराए ldquoबधrdquo मासपशय म ताल ldquoमदराएrdquo मानसक-शाररक दशाए य सभी और अधक सवासथय शात और मखय ऊजार चनल नाड़य और कनदर ldquoचकरrdquo म जागत लात ह| बाबाजी न 18 आसन का एक वशष रप स परभावी शरखला म चयन कया ह जो क चरण म और जोड़ म सखाए जात ह| वयिकत भौतक शरर क इसक लए नह लए बिलक इशवर क एक वाहन या मदर क रप म सरण करता ह| करया कणडलनी पराणायाम एक शिकतशाल सास लन क तकनीक ह जो वयिकत क सभावत शिकत और चतना को जगाती ह और रढ़ क तल और सर क शखर क बीच सात मखय चकर क माधयम स इस परसारत करती ह| यह सात चकर क साथ जड़ अवयकत सकाय को जगाता ह और वयिकत को अिसततव क सभी पाच सतर पर एक डायनमो (ऊजार पदा करन का यतर) बनाता ह| करया धयान योग मन का सचालन करन क वानक कला सीखन क लए धयान तकनीक क एक परगतशील शरखला ह - अवचतन को साफ करन क लए एकागरता बढ़ान क लए मानसक सपषटता और दिषट बौदधक सकाय को जगान क लए सहजान और रचनातमक सकाय भगवान क साथ ऐकय म सास रकन क िसथत समाध और आतमबोध क लए| करया मतर योग सम धवनय क मक मानसक पनराव सहजान बदध और चकर को जगान क लए मतर म-क दरत मानसक बकवास का एक वकलप बन जाता ह और ऊजार क बड़ी मातरा म सचय को सगम बनता ह| मतर आदतन बनी अवचतन परवय को शदध भी करता ह| करया भिकत योग परमातमा क लए आतमा क आकाा का वकास| इसम शतररहत परम और आधयाितमक शरर म आधयाितमक आनद को जगान क लए भिकत गतवधया और सवा शामल ह इसम जप और गायन शामल हो सकत ह| धीर-धीर वयिकत क सभी गतवधया मठास स भर जाती ह जब सभी म ldquoपयाराrdquo दखाई दता ह|

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

परशन बाबाजी क करया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए वभनन

योग क याद दलाता ह जो वयिकत क अपनी परकत या आवशयक चरतर (सवभाव) क अनसार ह

1 कमर योग उन लोग क लए ह जो उनक काय क माधयम स नसवाथर सवा करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

2 भिकत योग उन लोग क लए ह जो भगवान स परम करन क लए या दसर स परम करन क लए या दसर क अनदर भगवान को परम करन क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

3 राज योग उन लोग क लए ह जो सतय क तलाश करन क लए धयान म अपन अनदर जान क लए सवय अपन सवभाव क कारण बलाया महसस करत ह

4 ान योग उन लोग क लए ह जो ान और बददधमा क माधयम स सतय क तलाश करन क लए अपनी आतमा क सवभाव स बलाया महसस करत ह|

कोई कस तय कर क इनम स कौन सा उसक लए सबस अचछा ह उर हम दख सकत ह क नरतर बदलाव का एक कानन ह और परतयक वयिकत क कतय न कवल मनषय क आतमा मन इचछा जीवन क सामानय कानन क अनसार बिलक उसक सवय क परकत और आवशयक चरतर आतमा क सवय बनन का नयम क अनसार होत ह| परकत हर कसी क बनन का कायर उसक बनन क सभावनाओ क अनसार करती ह| इसक अनसार क हम कया ह हम कायर करत ह और हमार कम क दवारा हमारा वकास होता ह हम वह करत ह जो हम होत ह| हर आदमी या औरत वभनन काय को परा करत ह या अपन हालात मता बार चरतर शिकतय क नयम क अनसार एक अलग तला पर चलत ह| गीता जोर दती ह क ldquoवयिकत को अपनी परकत नयम कायर का पालन करना चाहए - भल ह दोषपणर हो यह दसर क परकत क अनसार अचछ कए हए कायर स बहतर ह|rdquo कमर को भीतर स वकसत सचचाई स वनमयत कया जाना चाहए अपन अिसततव क सतय क साथ सदभाव स न क कसी बाहर उददशय क लए जस क सामािजक अपाए या यातरक आवग उदहारण क लए भय या इचछा स| लोग को अपनी परकत जानन क लए असमबदध सवाधयाय और ववक क आवशयकता ह| एक बार पहचान हो जाए वयिकत फसला कर सकता ह क ऊपर लखा कौन सा मागर आतम बोध क लए आग बढान म आवशयक चरतर क मता को परा करन क लए सबस जयादा सहायक होगा| तब तक उन सभी का कछ नयमत अभयास सपषट रप स कसी क सवभाव को दखन क लए जरर सतलन बनाएगा| तब तक वयिकत इनम स एक या अधक रासत या योग का पालन करन क लए एक वयिकतगत जररत महसस कर सकता ह| उदाहरण क लए अगर कोई शाररक रप स कमजोर महसस करता ह या बचन ह आसन या पराणायाम अधक कर कसी को जीवन म पयार क कमी लगती ह अधक भिकत योग परम और भिकत क वकास क लए अगर कई सदह और सवाल ह तो अधक ान योग ान साहतय का अधययन और सव समरण|

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

आतमान क बाद आतमा क पहचान अनदर छप वासतवक सवरप ईशवर स हो जाती ह तथाप यह परतनध बन जाता ह अपन अिसततव क उचच दवय परकत क साथ एक होकर परमातमा का साधन बन जाता ह| यह जीवन क कसी भी तर म अपन पराकतक कायर को एक दवय कायर म बदलन म सम ह चाह सवा वयापार नततव अनसधान हो या कला| आधयाितमक आतम बोध वाला वयिकत एक ldquoदवक कायरकतारrdquo बन जाता ह दवय को न सफर अपन म बिलक सबम पाता ह| उसक समानता ान कमर और परम को गीता म नधाररत ान कमर और भिकत क यौगक रासत स एककत करती ह| आधयाितमक आयाम म सभी क साथ अपनी एकता का एहसास करक उसक समानता सहानभत स भर ह| वह सभी को खद क रप म दखता ह और अकल अपनी मिकत क इचछा नह ह| यहा तक क वह खद पर दसर क पीड़ा लता ह और उनक पीड़ा क अधीन हए बना उनक मिकत क लए काम करता ह| हर कसी क साथ अपनी खशी को बाटन क इचछा रखत हए दवीय कायरकतार सिननहत करता ह सदध क अररपदई शा दसर को राह दखाना वयिकत कया कर और कया नह करना चाहए| गीता क अनसार आदशर ऋष सभी पराणय का अचछा करन क लए बड़ी समानता क साथ हमशा लगा रहता ह और उस अपना वयवसाय और खशी बनाता ह (गीता V25)| उम योगी कसी एकानत म एक अलग हवाई कल म अपन सवरप पर धयान लगान वाला वयिकत नह ह| वह दनया क भलाई क लए ससार म भगवान का बहमखी सावरभौमक कायरकतार ह| कयक इस तरह का उम योगी एक भकत ह दवयता का परमी ह वह हर कसी म परमातमा को दखता ह| वह एक कमर योगी भी ह कयक उसक कमर उस आनद क साथ एकता स दर नह ल जात ह| इस तरह वह दखता ह क सब कछ उसी एक स परव होता ह और उसक सभी कमर उसी एक क ओर नदशत होत ह|

परशन यद सदध क परणाल इतनी ह फायदमद ह तो इस गपत कय रखा जाता ह कय उस

दा क समय ह सखाया जाता ह

उर दा एक पवतर कायर ह िजसम वयिकत को सतय क अनभव क साधन क लए उनक शरआती अनभत द जाती ह| वह साधन एक करया या वयावहारक योग तकनीक ह और सतय उस शाशवत और अनत क लए एक दवार ह| कयक यह सतय नाम और आकार स पर ह यह शबद या परतीक क माधयम स बताया नह जा सकता| हालाक यह अनभव कया जा सकता ह और इसक लए एक गर क आवशयकता होती ह जो अपन खद क अनभव को बाट सकत ह| तकनीक एक वाहन बनती ह िजसक दवारा गर साधक क अनदर सतय को अनभव करन क साधन को बाटा करत ह| इस कारण स सदध क लखन म इन परथाओ या करयाओ क आवशयक ववरण वणरत नह ह| व एक योगय गर दवारा नजी परशण क लए आरत ह|

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

दा क दौरान हमशा दा दन वाल क दवारा परापतकतार क ओर ऊजार और चतना का परसारण होता ह भल ह परापतकतार को इस बार म पता न हो| यद शषय सवाल सदह या वयाकलता स भरा ह तो परसारण परभावी नह हो पाता| तो इन सभावत गड़बड़य को कम स कम करन क लए दा दन वाला पहल स परापतकतार को तयार करन का और पयारवरण को नयतरत करन का परयास करता ह| दा दन वाला फलत खद म परापतकतार क चतना लता ह और इसक अभयसत मानसक और सम सीमाओ स पर इसका वसतार करना शर कर दता ह| यह दा दन वाल और परापतकतार क बीच साधारण और सम मानसक सीमाओ क पघलन का एक परकार ह और यह एक बहत उचच सतर पर चतना का जाना आसान कर दता ह| ऐसा करक वह परापतकतार को अपनी आतमा क अिसततव या अतरातमा तक खोलता ह जो तब तक जयादातर वयिकतय क मामल म छपी रहती ह| इस परकार परापतकतार क चतना क ऊपर उठन स उस उसक सभावत चतना और शिकत क कम स कम शरआती झलक मलती ह| शषय क कडलनी उठन का मतलब यह ह| अकसर परारभक सतर म यह नाटकय तरक स कया नह बिलक धीर-धीर एक अवध क दौरान उसन जो सीखा ह अभयास म डालन क शषय क परशरम पर नभरर करता ह| दा परभावी होन क लए दो बात आवशयक ह शषय या परापतकतार क तयार और दा दन वाल क उपिसथत िजसन सव का अनभव कर लया ह| जबक जयादातर आधयाितमक साधक बाद वाल पर जोर दत ह और एक आदशर गर क तलाश करत ह कछ लोग अपनी खद क तयार पर जयादा धयान दत ह| यह शायद मानव सवभाव क एक गलती ह कसी को ढढना क कोई ह जो ldquoहमार लए यह कर द|rdquo वह यह क हम सव-अनभव या ईशवर परािपत करा द| गर या शक सह दशा म नदश द सकत ह पर उन नदश का पालन करन क लए साधक को खद परतबदध होना पड़गा| साधक इन सबक लए बौदधक रप स परतबदध हो सकता ह यह सब भी अकसर मानव परकत क वयाकलता शक या इचछा क कारण डगमगान लगता ह| इसलए अगर एक आदशर गर मल भी जाता ह तो भी अगर वशवास लगन सचचाई और धयर जस गण का वकास नह कया ह तो दा एक ठोस फटपाथ पर बीज बोन क सामान वयथर हो सकती ह| परपरागत रप स इस कारण स दा कवल उन लोग तक सीमत थी िजनहन खद को पहल कभी कभी तो कई साल तक तयार कया था| जबक पहल दा तो बड़ी सखया म योगय उममीदवार को उपलबध कराई जा सकती ह कवल उन लोग को िजनहन ऊपर वणरत एक शषय क गण का वकास कया था उचच दा द जाती थी| दा दन वाल और परापतकतार क बीच चतना और ऊजार का एक अनवायर पवतर सचरण होता ह जो तकनीक को सशकत बनता ह| यह कारण ह क दा दन क परमपराए बहत परभावी ढग स एक पीढ़ स अगल पीढ तक सतय का परतय अनभव पहचान करन म कामयाब रह ह| उनक ताकत

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

उन लोग क चतना और शिकत म नहत ह िजनहन अतयत तीवरता स साधना क और सतय का अनभव कया| गर भी शषय क लए पररणा और मागरदशरन का सरोत होता ह| इनह सब कारण स एक योगय गर दवारा वयिकतगत दा क लए तकनीक को गपत रखा जाता ह|

परशन आधयाितमक वकास क सबध म मानव शरर का कया मलय ह

उर सदध जीवन म तीन महान ईशवरकपा का उललख करत ह परथम इसान क रप म जनम लना जो बहद दलरभ ह| शाररक तल पर अवतीणर होन पर ह आतमा ान म वदध कर सकती ह और दोष या बड़य स खद को शदध कर सकती ह| दसरा आधयाितमक पथ पर चलना पाच इिनदरय और मन बदध क भरम क साथ यह भी बहत दलरभ ह| तीसरा अपन लए आधयाितमक मागरदशरक गर ढढना िजनक शाए और उदाहरण आतमा क मिकत क लए पथ-परदशरन कर| एक बार मल जाए और अगर वयिकत अपन भौतक शरर को सवसथ रख और गर और उसक परपरा दवारा नधाररत शाओ को अपन आप पर लाग कर तो लय क दशा म परगत तज हो सकती ह| सदध शरर को भगवान क मदर क रप म दखत ह इसलए उनहन इसक सवासथय को बनाए रखन क लए और यहा तक क इसक जीवन का वसतार करन क लए हर सभव परयास कए ताक वयिकत को दवयता क परत पणर समपरण क परकरया को परा करन क लए जो क उनका अतम लय था पयारपत समय मल जाए| तातरक क रप म उनहन मानव सवभाव उम बनान क परयास कए| पणरता उनहन अनभव कया आधयाितमक सतर तक सीमत नह क जा सकती थी| एक रोगगरसत शरर या वपत मन और इचछाओ स भर सम शरर म परबोधन क पणरता नह थी| यह जानत हए क भौतक शरर अपनी मता स अनभ था और इसलए चयापचय य और रोग क अधीन था उपरोकत उललखनीय शिकतय का उपयोग करक सदध न परकत और उसक ततव का एक वयविसथत अधययन कया और जो उनहन समझा उसस एक अतयधक वयविसथत दवा क परणाल वकसत क| उनहन कई अनोख परभावी उपचार क साथ ldquoसदधrdquo क नाम स चकतसा क वयवसथा का वकास कया जो अभी भी वयापक रप स दण भारत म परचलत ह| उनहन दघारय पर कई चकतसा गरथ लख जो आज भारत सरकार दवारा मानयता परापत चकतसा क चार परणालय म स एक क लए नीव का काम कर रह ह| यह जानत हए क व समय क खलाफ दौड़ म थ मतय स पहल भौतक शरर का परवतरन परा करन क लए उनहन जीवन का वसतार करन क लए अदवतीय हबरल और सामगरी फामरला वकसत कया ह जो काया कलप क रप म जाना जाता ह| लकन उनका य वशवास था क कवल कडलनी पराणायाम (शवास) अभयास ह अत म इस परकरया को परा कर सकता ह|

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

सदध थरमलर उनक दवा क परभाषा म दघारय क इस परशन पर कछ अतदरिषट परदान करत ह चकतसा वह ह जो भौतक शरर क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो मन क वकार का उपचार करती ह चकतसा वह ह जो बीमार स बचाती ह चकतसा वह ह जो अमरता जो सम बनाती ह| सदध न खोज क क शरर क उमर कय बढ़ती ह और बढ़ाप को रोकन क लए उपाय वकसत कए| जस क उनहन दखा क सभी पशओ क जीवन क अवध सास लन क दर क वपरत अनपात म होती ह| अथारत शवास िजतना धीमा होता ह जीवन उतना लमबा होता ह| और इसक वपरत शवास िजतना तज ह जीवन उतना कम ह| पश समदर कछआ वहल डॉिलफन और तोता परत मनट सबस कम सास लत ह और उनका जीवन मनषय क तलना म बहत लमबा होता ह जबक का और चहा मानव क औसत स पाच गना तजी स सास लत ह उनका जीवनकाल मनषय क जीवनकाल का पाचवा भाग ह होता ह| सदध कहत ह क यद वयिकत का शवास परत मनट कम बार या मोटा ह वह एक सौ साल क लए जीना चाहए| जब शवास लन म उिजत हो जाता ह या आदतन इसस बहत तज होता ह वयिकत का जीवन काल कम हो जाता ह|

परशन नव-अदवत कया ह और यह ववादासपद कय ह

उर आधनक अदवत आदोलन दो गट क बीच वभािजत हो गया ह एक अदवत वदात क पारपरक अभवयिकत क लए परतबदध ह और दसरा इस पारपरक आधयाितमक परणाल स महतवपणर मायन म आग चला गया ह पछल पदरह वष म पारपरक आधनक अदवत गट न गर पारपरक आधनक अदवत शक और शाओ क नरतर और वयापक आलोचना शर क ह यह वभाजन कई मायन म इसक समान ह जो पारपरक योग शाओ और जो मखय रप स एक वयावसायक उदयम क रप म योग सखा रह ह उन लोग क बीच पछल 20 वष क दौरान हआ ह हाल क एक लख क अनसार आज 200 स अधक सव-घोषत गर पारपरक आधनक अदवत शक ह परोफसर फलप लकास हकदार न एक उतकषट लख लखा ह इतनी जलद नह जागत परष नव अदवतन गर और उनक वरोधी माउटन पाथ (पवरत पथ) रमण महषर आशरम खड 49 का जनरल 1 (जनवर स माचर 2012) और जो शक पतरका नोवा धामरक वकिलपक और उदगामी धमर क जनरल खड 17 म एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत हआ ह - 3 फरवर 2014 कलफोनरया वशववदयालय परस दवारा परकाशत पषठ 6-37 httpwwwjstororgstable101525nr20141736

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

म इस लख क अतयधक सलाह दगा जो करया योग क सभी छातर क लए परासगक ह कयक व यह सोच सकत ह क यह गर पारपरक आधनक मत बाबाजी क करया योग क साधना करन क लए एक परभावी वकलप हो सकता ह यह लख अदवत वदात या सतय क कसी भी साधक क लए शापरद होगा म पहल परोफसर लकास क अनसार नव अदवत शक और शाओ क खलाफ पारपरक आधनक अदवत गट दवारा कए जा रह आलोचना क चार मखय तर को सप म बताऊगा और तमहार साथ म इस लख पर क गई मर टपपणय को बताऊगा पहल तर म यह आरोप ह क नव अदवत शक आतम बोध क परकरया म साधना और आधयाितमक परयास को असवीकार करत ह आलोचना क दसर तर म आरोप ह क नव अदवत शक नतक वकास और गण क वकास को परामाणक आधयाितमक अनभव स पवर आवशयक न मानकर उपा करत ह आलोचना क तर म तीसरा आरोप ह क नव अदवत क साथ जड़ शक म समबधत गरथ भाषा और परपराओ क ान क कमी ह फलसवरप परभावी शण क लए आवशयक सजहसमाध (नरतर अदवत जागरकता) म सथापत हए बना अपनी पहल जागत अनभव क थोड़ ह समय म बहत सार ऐस शक अधयापन शर कर दत ह आलोचना का चौथा तर नव अदवत शक क दवारा इसतमाल कया सतसग परारप और और उनक परतभागय क ततपरता स सबधत ह आलोचक का कहना ह क इन शक का सबध सफर मनोवानक सशिकतकरण सवय सहायता और समदाय क अनभव तक सीमत ह व ततकाल आतमान क पशकश करत ह बजाय इसक क अहकार शदध क कायर म सहायता दत रह आलोचना क पाचव तर म आरोप ह क नव अदवत शक जागरकता और अिसततव क नरप और साप सतर क बीच कोई अनतर नह करत ह फलसवरप व शाररक भावनातमक मानसक और बौदधक आयाम या समाज म आधयाितमक अनशासन का जीवन और वकास क लए कम या कोई समथरन नह दत उनका परा धयान आधयाितमक परािपत क अतम अवसथा पर क दरत करत ह इसस यह भरम पदा होता ह क वयिकत मकत हो गया ह और साधारण जीवन स छटकारा मल गया ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

सप म नव अदवत शक न मिकत क लए अदवत दिषटकोण क अनवायर आवशयकताओ को हटा दया ह और आलोचक का आरोप ह छदम आधयाितमकता का एक परकार परतसथापत कया ह जो परभावी नह ह और हानकारक हो सकता ह उनहन लख म धमर क आथरक मॉडल क भी चचार क ह और कस धमर क अनकलन क घटना होती ह जब यह एक ससकत स दसर ससकत म जाता ह मन वयिकतगत रप स अदवत क कई शक और छातर का यह दावा सना ह क व अब साधना नह करत ह क आपको योग का अभयास करन क जररत नह ह या यह आवशयक नह ह कयक व पहल स परबदध ह या कोई अनय कारण ह आलोचना का दसरा तर योग क पहल अग यम या सामािजक सयम अहसा शदधता चोर न करना लालच न करना क अनदखी करन क लए पिशचमी दश म योग शक और छातर क परव जसा दखता ह आलोचना का तीसरा तर ह योग क दसर अग क एक हसस क अनदखी करना सवाधयाय का नयम िजसम ान गरथ का अधययन शामल ह जो एक दपरण क तरह सतय सवरप का दशरन कराता ह आलोचना का चौथा तर कवल आसन करन क लए पिशचम म अषटाग योग क शष अग क वयवसथा क समान ह शाररक फटनस वजन घटान या तनाव परबधन पिशचमी ससकत क लए वशष रप स सासारक वयसतताओ क एक साधन क रप म पाचवा तर अदवत स ह वशष समबिनधत ह कयक यह लगभग पर तरह स एक बौदधक दिषटकोण ह िजसम सपषट अथर क साथ यह पिषट नह हो पाती क कौन परबदध ह नतीजतन नव अदवत क सामानय कसम क शक आसानी स पारपरक आधनक अदवत शण जस रमण महषर या नसगरद महाराज क बोलन क तरक क नकल करना सीख सकत ह दो साल पहल माउटन पाथ म परोफसर लकास का लख पढ़न क बाद मन उनह लखा था उनहन अपन लख पर मर टपपणी भजन को कहा ऐसा करन क बाद उनहन मर टपपणी पर अपना समथरन वयकत कया वह फलोरडा म सटटसन वशववदयालय म धमर क एक परोफसर ह जो कछ ह मील क दर पर ह जहा म सदरय म रहता ह मर टपपणी भजन क बाद हम हाल ह म डनर क लए मल जो टपपणया मन भजी थी यहॉ द रहा ह 1 धमर क आथरक मॉडल इस वभाजन को समझन म मदद करता ह वशष रप स पिशचम म ऐस लोग क बीच म जो सब कछ तरनत और आसानी स पाना चाहत ह ततकाल और आसान ान क लए एक आधयाितमक बाजार ह मनषय तो सवभाव स आलसी ह जो सबस तज और असान तारक तलाश करगा िजसस व परभावी ढग स शक क लए माग पदा कर दत ह जो आसान और तातकालक आतमान क अनभव क आपत र दत ह बस मर सतसग म भाग

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

लो या मर परवतरन सगोषठ म भाग लो या मर कताब पढ़ो और तम भी परबदध हो सकत हो कई नए लोग आधयाितमक बाजार म इस तरह क परचार क शकार ह तथय यह ह क उनह इसक लए कछ पस खचर करन पड़ सकत ह जो क बहत जयादा भी हो सकत ह नौसखया उपभोकताओ क आख म कवल इस तरह क वाद क कथत मलय बढ़ान का कायर करता ह यह तथय क उनह या तो थोड़ा कछ ह पता होता ह या फर बलकल भी पता नह होता क आतमान वासतव म कया ह ऐस शक क काम को और भी आसान बना दता ह कनत जब दकानदार और उपभोकताओ क इस बाजार म उनह यह महसस होता ह क उनका यह वशवास क व परबदध ह उनक मानव परकत स जड़ी समसयाओ या यहा तक क उनक अिसततव क सकट को हल करन क लए कछ भी नह करता तो उन म स कछ लोग जो ईमानदार स ान क तलाश म ह टएमए (पारपरक आधनक अदवत) क परपकव बाजार क ओर आकषरत होत ह| अनय कई लोग एनटएमए (गर पारपरक आधनक अदवत) क सतसग म मलन वाल णक अनभव स सतषट हो जात ह भावनातमक और सामािजक फ़ायदा मलता ह| 2 पिशचमी दश म वशष रप स अमरक आम तौर स धमर स अनभ ह सवाय उसक जो उनह रववार सकल स याद हो| औसत अमरक परानवाद स अयवाद स अनीशवरवाद स एकतववाद स ईशवरवाद का भद करन म असमथर ह| और अमरका क सवधान क वजह स िजसन सरकार सकल म धामरक शा पर रोक लगा रखी ह उनम स जयादातर लोग इन मदद क बार म सोच भी नह पात जो पव धमर जस अदवत समबोधत करत ह वदयमान पीड़ा| इसलए व समझन क लए भी तयार नह ह जो सब टएमए क आवशयकता ह| 3 जब स घोटाल न लगभग उन सभी हद और बौदध गरओ क परतषठा को तोड़ा ह िजनहन अतम चौथाई सद क दौरान पिशचम का दौरा कया गर शबद न पिशचम म सममान क अपनी आभा खो द ह| नतीजतन पिशचमी दश क लोग बहत कम ह अपवाद हग जो कभी गर क तलाश करत ह| जबक भारतीय आम तौर पर अब भी करत ह| मरा मानना ह क यह तथय एक बड़ी हद तक आपक दवारा वणरत एनटएमए और टएमए क बीच वभाजन का कारण सपषट करता ह| यह घटना योग क तर म एक बहत बड़ पमान हई ह| 1960 और 1970 क दौरान जो भारतीय गर आधयाितमक योग हनद योग नह पिशचम म ल कर आए उनक साथ जड़ घोटाल क वजह स उसक जगह िजसन ल उस योग जनरल गवर स अमरक योग कहता ह जो क इस बात म गवर करता ह क वो गर-वरोधी वयिकतवाद वाणिजयक परतसपध चकतसकय एथलटक या शरर किनदरत गर धामरक और खडत ह| 4 आपन परशन पछा आधयाितमक मिकत क एक साधन क रप म अदवत परणाल क मता को अनावशयक रप स समझौता कए बना इसक कतन ततव को छोड़ा जा सकता ह यह वासतव म इस सवाल को जनम दता ह ldquoआधनक समय म कौन ldquoआधयाितमक मकत या परबदध बन गया ह और उनम दसर स कया अलग हrdquo म यह कहगा क बहत कम वयिकत वासतव म ऐसा कर चक ह| आपका लख यह परशन सबोधत करन म वफल रहा ह क वयिकत कस नयाय कर सकता ह क

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

कोई परबदध ह या नह यह बहत उपयोगी होता अगर कम स कम ldquoपरबदधrdquo क अनभव िजसक बार म लोग अकसर बतात ह और सथाई आतमान क बीच क फकर क बार म लखत| सभवतः यह आपक लख क दायर स बाहर होता लख आतमान क वषय म ह और कस इस परापत कया जाए कछ मापदड इस पहचानन क लए क यह कया ह और कया नह ह उपयोगी होता| पराचीन कालक यौगक साहतय जस क पतजल क योग सतर और शव और बौदध ततर म समाध ldquoआतम-बोधrdquo और परबदध क वभनन सतर का वणरन ह| इन बदओ को सबोधत करक आप इस अनचछद क शरआत म लख सवाल का जवाब दना शर कर कर सकत थ|

परशन सदधात अदवत और योग को समझना महतवपणर कय ह

उर व मानव परकत म नहत पीड़ा स आधयाितमक मिकत या सवततरता क लए मागरदशरक ह व लोग को अभयास और साधना क बार म बतात ह पिशचम म बहत स लोग उनक शाओ स अनभ ह और अपन दाशरनक उददशय या लय को समझ बना कवल वभनन माग पर परयास करत ह इसलए पिशचमी दश म जब कसी एक अभयास स ऊब जात ह या असतषट हो जात ह तो दसरा ढढन लगत ह व तकनीक इकटठ करत ह यह वस ह ह जस एक क बाद एक ऑटोमोबाइल आ रह ह और कह नह जाना ह और बगर कसी रोड मप क वह घम रह ह भारत म अभी हाल ह म तक सबस अधक शत वयिकत दाशरनक सकल या दशरन क कछ पहलओ क जानकार ह लकन कसी भी आधयाितमक तकनीक या योग अभयास नह करत ह अतनरहत शाओ दवारा सचत कया अभयास लोग क सकलप या इचछा क परािपत क दशा म परगत सनिशचत करता ह सदधात अदवत योग और अनय आधयाितमक पथ क समझ स वयिकत अपना लय तय कर सकता ह और आग बढ़कर इस साकार करन क लए आवशयक दढ़ इचछा बना सकता ह भल ह आपका लय कोई लय नह ह जब तक आप दनया म ह तो आप को कायर करना होगा तो आपको पीड़ा स बचन क लए और दसर क दख का कारण बनन स बचन क लए अपन काय को ान दवारा पररत करन क आवशयकता ह

कॉपीराइट माशरल गोवदन copy 2014 इस वषय पर अधक जानकार क लए बाबाजी क करया योग और परकाशन और हमार ऑनलाइन पसतक क दकान म उपलबध नमनलखत पसतक को पढ़ httpwwwbabajiskriyayoganetEnglishbookstorehtm

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

Deparment Pondicherry India 605002

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

1 Tirumandiram by Tirumular 2013 edition 5 volumes 2 Babaji and the 18 Siddha Kriya Yoga Tradition 8th edition 3 Kriya Yoga Sutras of Patanjali and the Siddhas 3rd edition 4 The Yoga of Boganathar volume 1 and 2 5 The Yoga of Tirumular Essays on the Tirumandiram 2nd edition 6 The Wisdom of Jesus and the Yoga Siddhas 7 The Yoga of the 18 Siddhas An Anthology 8 The Poets of the Powers by Kamil Zvebil And The Alchemical Body Siddha Traditions in Medieval India by David Gordon White published by the University of Chicago Press 1996 The Practice of the Integral Yoga by JK Mukherjee published by Sri Aurobindo Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002 2003

Letters on Yoga volumes 1 2 and 3 by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo

Ashram Publications Deparment Pondicherry India 605002

The Integral Yoga by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

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The Divine Life by Sri Aurobindo published by Sri Aurobindo Ashram Publications

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ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह

ldquoNot So Fast Awakened Ones Neo-Advaitin Gurus and their Detractorsrdquo in The

Mountain Path the journal of the Ramana Maharshi Ashram Volume 49 no 1

(January-March 2012)

और एक वसतारत ससकरण म पनपररकाशत

Nova Religio The Journal of Alternative and Emergent Religions volume 17 no 3

February 2014 page 6-37 published by the University of California Press

httpwwwjstororgstable101525nr20141736

  • परशन सिदधात कया ह
  • परशन सिदधात नया कयो ह
  • परशन सिदधात आतमा और शरीर क साथ इसक समबनध क बार म कया बताता ह
  • परशन सिदधो की ईशवर क बार म कया अवधारणा ह
  • परशन सिदधात का लकषय कया ह
  • परशन आतमा की बड़ियो और परकति क साधनो स मकति सिदधात क अनसार कस अनभव क़ी जाती ह
  • परशन मानवीय पीडा का कारण कया ह और इस दर कस कर
  • परशन एकतववाद या अदवत और दवतवाद और बहलवाद (आसतिकता) क बीच कया अतर ह
  • परशन इनम अनतर कयो महतवपरण ह
  • परशन माया कया ह और कया कारण ह कि सिदधात को अदवत आसतिकवाद माना जाता ह
  • परशन एनलाइटनमट कया ह और इस चरचा स यह कस सबधित ह
  • परशन आपन इस साकषातकार क शरआत म यह कयो कहा था कि सिदधात वहा शर होता ह जहा अदवत समापत होता ह
  • परशन सिदध ऐसा कयो सोचत ह कि व सवय कोई विशष नही ह और इस तरह उनक वयकतिगत जीवन पर बहत कम या कोई विवरण परदान नही करत ह
  • परशन सिदधियो या यौगिक चमतकारी शकतियो का कया महतव ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग और सिदधात क बीच कया सबध ह
  • परशन बाबाजी क करिया योग का पच-अग पथ गीता म शरी कषण क दवारा बताय गए विभिनन योगो की याद दिलाता ह जो वयकति की अपनी परकति या आवशयक चरितर (सवभाव) क अनसार ह
  • परशन यदि सिदधो की परणाली इतनी ही फायदमद ह तो इस गपत कयो रखा जाता ह कयो उस दीकषा क समय ही सिखाया जाता ह
  • परशन आधयातमिक विकास क सबध म मानव शरीर का कया मलय ह
  • परशन नव-अदवत कया ह और यह विवादासपद कयो ह
  • परशन सिदधात अदवत और योग को समझना महतवपरण कयो ह