magadhmail.files.wordpress.com · 2017-08-08 · 1. भारतीय संववधान --...

7
एक प आओ ऱते है , उठाते है फावा औऱ खोद डाऱते ह भारत की जमीन को जहाॉ से नकऱ आये हारे हसे का अमानत। तकाऱ मत उऱझो, भववय के सपन मत खो जाओ, वततमान पर यान दो, यही रहने का राता है। -- तथागत

Upload: others

Post on 08-Mar-2020

7 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: magadhmail.files.wordpress.com · 2017-08-08 · 1. भारतीय संववधान -- साक्ष्यों के आधार सें 2. आ चित्र समझे

एक पत्र

आओ ऱड़ते है, उठाते है फावड़ा औऱ खोद डाऱते हैं भारत की जमीन को जहाॉ से ननकऱ आये तूम्हारे हहस्से का अमानत।

भूतकाऱ में मत उऱझो, भववष्य के सपनों में मत खो जाओ, वततमान पर ध्यान दो, यही खुश रहने का रास्ता है।

-- तथागत बुध्द

Page 2: magadhmail.files.wordpress.com · 2017-08-08 · 1. भारतीय संववधान -- साक्ष्यों के आधार सें 2. आ चित्र समझे

“बूतकार भें भत उरझो, बविष्म के सऩनों भें भत खो जाओ,

िततभान ऩय ध्मान दो, मही खुश यहने का यास्ता है।“

-- तथागत फुध्द

आज की ककताफ :: शदू्र कौन थें? बाग 1 अध्माम 2 – शदू्रों का उद्गभ :: िाजसनोई स्भीता के अनसूाय ब्रह्भाड के यचमीता ब्रम्हा है जजसका र्नतभाण ईन्होंने अऩने दो ऩत्नीमों श्री औय रक्छ्भी के भदद से की है।

एक पत्रिका एक भारत

“काश की जिन्नाह और नेहरू में से ककसी एक ने भी समझौता कर लऱया होता तो यककनन आि भारत की दिशा और िशा िोनों ही िूिा िूिा होतें।“

-- 2 लसतम्बर 1946

www.magadhmail.com

भगध भेर/िर्त-1/अॊक-2 3/अगस्त/2017 भफू्त

एक ऩत्र

आओ रड़ते है, उठाते है पािड़ा औऱ खोद डारत ेहैं बायत की जभीन को जहाॉ से र्नकर आमे तूम्हाये हहस्से का अभानत।

Page 3: magadhmail.files.wordpress.com · 2017-08-08 · 1. भारतीय संववधान -- साक्ष्यों के आधार सें 2. आ चित्र समझे

मगध मेऱ/वषष-1/अंक-2/3/अगस्त/2017 page 1

अंदर में:-

1. भारतीय संववधान -- साक्ष्यों के आधार सें

2. आ चित्र समझ े-- राजवंशी जे. ए. अम्फेडकर

3. एक ऩत्र -- राजवंशी जे. ए. अम्फेडकर

4. अम्बेडकर अध्याय :: शूद्र कौन थें? --

ऩूस्तक सामग्री

सम्ऩादक राजवंशी जे. ए. अम्फेडकर प्रमूख मुख्याऱय ओददखोर, ऩोस्ट- तेनूआ, थाना- गूठनी, जजऱा- ससवान, बफहार मोफाइऱ पोन- 7870758636 ई-मेऱ- [email protected] वेफसाइट- www.magadhmail.com

वषष 1 अंक 2 3/अगस्त/2017

Page 4: magadhmail.files.wordpress.com · 2017-08-08 · 1. भारतीय संववधान -- साक्ष्यों के आधार सें 2. आ चित्र समझे

भगध भेर/वषष-1/अॊक-2/3/अगस्त/2017 ऩेज 2

रतीय संविधान :: नि भारत का नि ग्रन्थ ::

तायीख :: 2 ससतम्फय 1946

पऩछरे अॊक भें हभ

16 अगस्त 1946 से 15 अगस्त

1947 का सपय कूछ चॊद वाक्मों भें तम कय गमे थें। आज के अॊक भ े

हभायी फात चचत चरेगी तायीख 2

ससतम्फय 1946 के फाये भें। 16 अगस्त 1946 की आग

ठॊडी हो चकूी थी। मादों के याख से उठते धूॉए भें न जाने ककतने फेगूनाहों के ख्वाफ दफ्न हो चकेू थें। इतना सफ

होने के फावजूद बी अफ बी दो ऐस े

शक्स थें जजनको अफ बी इस भशरे

ऩय कोई याजननतीक अपसोस नही था। व्मजक्तगत मा बावनात्भक यहा होगा। मे दो व्मजक्तत्व थें ऩॊडडत

जवाहय रार नेहरू औय भोहम्भद

अरी जजन्ना। ईसका सफतू मे है कक

जहाॉ ऩय एक ओय ऩॊडडत नहेरू ने कबी सयकाय की फागडोय से दयूी फनाने की कबी कोई ऩेशकश नही की तो वही दसूयी ओय भो. जजन्ना कहीॊ से बी अऩने आऩ को नेहरू के अॊदय यखने को तैमाय नही थें। फात मही तक नही थी भो. जजन्ना ककसी बी ककभत ऩय नेहरू

के फयाफय बी फैठन ेको तैमाय नहीॊ थें। काश की ईन दोंनो नतेाओॊ भें से ककसी एक ने बी सभझौता कय सरमा होता तो मककनन आज बायत की ददशा औय दशा दोनों ही जूदा जूदा होतें। खयै, 16

अगस्त 1946 के कारे अध्माम के

फाद हभाये साभने था, 2 ससतम्फय 1946 का सूयाज। गाॉधी के कड े असहभती के

फाद बी अॉगे्रजो के प्रस्ताव एवॊ सराह

को स्वीकाय कयते हूए काॉगे्रस ने बायत

की फागडोय अऩने हाथ भें थाभ सरमा। बायतीम ईनतहास भें मे ऩहरा

भौका था जफ सत्ता की फागडोय बायतीमों के हाथ भे थी। रॉडष वेफर के ऩत्र अनूसाय बायत भें सयकाय जो फाद भें अॊतरयभ

सयकाय के रूऩ भें फन तो गई भगय नेहरू औय जजन्ना के बफच का भन

भूटाव न खत्भ होन ेवारे डगय ऩ ेचर

चकूा था। इन सबी घटना क्रभ भें वेफर के ऩत्र के कूछ शब्दों ने आग भ े

घी डारने का काभ ककमा। हाराकक

वेफर की इसभें कोई याजनीनतक चार

नही थी। वेफर के अनूसाय वह चाहतें थें की भाभरा औय ऊरझने से फेहतय हो कक भूजस्रभ रीग औय काॉगे्रस के

फीच सहभती फन जामे। इसके कई बी वजह थें जजनभें भूख्म यहा बायतीम

रोगो भें आजादी का जूननू तो दसूयी तयप ददनों ददन अॊगे्रजी सयकाय की घटती ताकत। अॊगे्रज जव्दतीम पवश्व

मुध्द को बरे ही जीत गमे थें भगय एक तयह स े देखा जामे तो मुध्द का सफसे अचधक नूकसान अॉगे्रजी हूकूभत

को ही हूआ था। भूजस्रभ रीग के कड े

पवयोध के फावजूद बायतीम काॉगे्रस न े

सयकाय फनाने का पैसरा सरमा। वेफर

का कहना था की 14 सदस्मो वारी इस सयकाय भें 5 भूजस्रभ रीग जोड

अल्ऩसॊख्मक सदस्म औय शषे

बायतीम काॉगे्रस के सदस्म होन े

चादहए। जवाहय का जजन्ना से भतबेद

औय जजन्ना के फगावत न े उस वक्त

तो वेफर के पवचाय को अनसूना कय ददमा। कपय बी काॉगे्रस ने वेफर को सॊतुष्ट कयने के सरए अऩन ेतयप स े3

भूजस्रभ नेताओॊ के साथ अऩने 12

सदस्मों वारी सयकाय फना री। रेककन 25 अक्टूफय 1946 को

जजन्ना दर मानी की भूजस्रभ सरग

बी शासभर हूआ। भूजस्रभ रीग के

सासभर होने स े14 सदस्मों की फात न

ससपष ऩूयी हूई फल्की सयकाय भें फन े

सदस्म औय उनके बफच पवतयीत ऩदों भें बी फडा ऩरयवषतन हूआ।

अफ आगे क्मा हूआ? औय ककसकी कैसी यणनीनत यहीॊ? बायत की याजनीनत ककस ददशा भें गई? ककन्हें कौन सा ऩद सभरा। इन सबी सवारो की जानकायी हभ अगरे अॊक भें देखेंगें.........

बा

Page 5: magadhmail.files.wordpress.com · 2017-08-08 · 1. भारतीय संववधान -- साक्ष्यों के आधार सें 2. आ चित्र समझे

मगध मेऱ/वर्ष-1/अकं-2/3/अगस्त/2017 page 3

आ चित्र समझें चित्र का ववर्य :: हमारा यही आज फऱ फूऱ के अगर 2037 हूआ तो??

Page 6: magadhmail.files.wordpress.com · 2017-08-08 · 1. भारतीय संववधान -- साक्ष्यों के आधार सें 2. आ चित्र समझे

भगध भेर/वषष-1/अॊक-2/3/अगस्त/2017 page 4

मेरे प्यारे राष्ट्रनिमााताओं, जय भीम।

कैसे हो आऩ सफ? भूझ ेभारूभ है मे शब्द मे वाक्म ऩूछना फेभानी है गरत है जरे ऩय नभक डारना सा है। रेककन आऩ ही फताओ भैं क्मा करॉ ? औय क्मो करॉ ?

भेये जान सम्भान से बी प्माये दोस्तों आज का भेया मह खत बी आऩ ही याष्ट्रननभाषताओॊ के लरए है। जी हाॉ! आऩ ही भशीहाओॊ के लरए जजनके वजह से आज हभ है मे बायत है।

आऩ, रेककन आऩ कहाॉ हैं? आऩ हैं वही सूअय का खोफाय भें! वही फड ेघयों से फहते नालरमों के ऩानी भें सने हूऐ आॊगन भें! भाप कयना रेककन भेयी आॉखो देखीॊ कहानी है मह। आऩकी फहू फेटिमों का सजामा हूआ

कभया सयकाय का ननभाषणाधधन ऩैखाने का बफना छत वारा ओसाया है! आऩ कहीॊ जाते हैं तो आऩ को धककमा टदमा जाता है ऊन्ही कभयो के चौखि ऩय से जजस कभये का टदवार से रेके पशष तक आऩके ऊॉ गरीमों के यगड स े

तौमाय हूआ है!

ईतने अऩभान ददूषशा के फाद बी आऩको योज ही एक स ेफढ़ के एक गालरमाॊ दी जाती हैं। दसूयों की थूकी हूई थूक आऩ भूस्कूया के फड ेही आसानी से अभृत सभझ के ऩी जाते हैं क्मों? आखखय क्मों?

कबी कबी आऩकी हारत देख के योना आता औय कबी कबी गूस्सा। हाॉ योता दोनो ही हारात भ ेहूॉ जफ

योना आता है तफ बी औय जफ गूस्सा आता है तफ औय बी कूछ न कय ऩाने के जस्तथी भें। महीॊ से भेये भन भें मह

सवार उत्ऩन्न हो जाता है आऩ ही फताओ भैं क्मा करॉ ? औय क्मो करॉ ? अये घय नही है तो क्मा वही जगह

लभरती है यात गूजायने को? अये नही लभरता क्मा कोई औय जगह टदन कािने को जो इन नालरमों भें ऩड ेयहत े

हो? फोरो सूअय के खोफाय के साथ यहना अच्छा रगता है क्मा?

सोचता हूॉ इन यईश घयों के टदवारों ऩे ऩोस्िय रगवा दूॉ। जजसभें लरखा हो थूक थूक तू अऩन ेआऩ ऩ।े रेककन कपय सोचता हूॉ भेये इस कदभ से आऩका क्मा बरा होगा? कूछ नही औय रक जाता हूॉ। जानते हो क्मों?

क्मोकक भेयी फेचनैी भेयी छिऩहाि तफ तक फेकाय है जफ तक आऩ न सूधयना चाहो आऩ न फढ़ना चाहो आऩ न

रडना चाहो। सूनो चाय ऩाॉच टदन बूखे यहने से भय नही जाओगे सबी एक साथ आओ भैं बी यहता हूॉ तफ तक जफ तक

आऩके टहस्स ेका ननवारा आऩके लरए रा न दूॉ। शये के जफड ेभें हाथ डार आऩके टहस्से का ननवारा नछन न रूॉ। कपय वो जफडा स्वणष का हो मा दलरत स्वणष का रेककन कफ? जफ आऩ चाहो। आऩ चाहो तो.. क्मा आऩ चाहोगे

कक भै योऊ? नही न। कपय आओ रडते है, उठाते है पावडा औऱ खोद डारत ेहैं बायत की जभीन को जहाॉ स े

ननकर आमे तूम्हाये टहस्से का अभानत। फोरो आवोगे न? ऊठोगे न?? रडगो न??? फोरो धचल्राओॊ की तूभ

बायत के याष्ट्रननभाषता हो। हाॉ याष्ट्रननभाषता जी हाॉ आऩ याष्ट्रननभाषता हो। हो।। हो।।। हभ तुम्हाये लरए साहेफ अम्फेडकय न फन ऩाए एक इॊसान तो फन ही जामेंगे।

तुम्हारे ही जैसा तुम्हारा दोस्त

राजवंशी जे ए अम्बेडकर

Page 7: magadhmail.files.wordpress.com · 2017-08-08 · 1. भारतीय संववधान -- साक्ष्यों के आधार सें 2. आ चित्र समझे

भगध भेर/वषष-1/अॊक-2/3/अगस्त/2017 page 5

अम्फेडकय अध्माम

आज की ककताब :: शुद्र कौन थें? भाग 1 अध्याय 2 - शूद्रों का उद्गम पऩछरे अॊक भें हभने बायत यत्न फाफा साहफ डॉ. बीभ याव अम्फेडकय व्दाया लरखीत ऩूस्तक “शूद्र कौन थें?” के बाग

1 के अध्माम 1 का रूऩातॊयण ककमा था। हभनें पऩछरे अॊक भें शूद्रों से जूडी ऩहेरी के फाये भें अध्मन ककमा था। आज के अॊक भें हभ डॉ अम्फेडकय की लरखी ऩूस्तक “शूद्र कौन

थें” के बाग 1 के अध्माम 2 – “शूद्रो के

उद्गभ” का रूऩातॊयण कयेंगे। डॉ अम्फेडकय न ेईस ऩूस्तक भें ननम्न ब्राह्भणी ऩूस्तको कक पववेचना कय इस फात का प्रभाण ददमा की शूद्रो का उद्गभ साभान्म नही है फल्कक एक

सोची हूई फहूत ही धतूषता ऩूवषक फनाई

हूई एक चार है। आईमे सफसे ऩहरे हभ

उन ककताफों भें भौजूद छॊदो को देखते है

कपय उन छॊदो का व्माखान कयेंगें। 1. ऋगवेद का ऩूरूष शूक्ता 2. मजूवेद का शूक्र मजूवेद

औय कृष्ण मजूवेद भें भैजूद वाजसनेई स्भीता औय तैत्तरयम स्भीता

3. अथवेद

4. सतऩथा ब्राह्भण औय तैत्तरयम

स्भीता ऋगवेद भें भैजूद ऩूरूष शूक्ता जो भूख्मत: वणो के पवबाजन को दशाषता है के फाये भें अध्ममन हभन े

पऩछरे अध्माम भ ेही कय लरमा है।

मजूवेद के शूक्र मजूवेद भें वाजसनोई

स्भीता को ऩढ़ने ऩय हभ दो ननमभ ऩात े

हैं। ऩहरे ननमभ भें कूर 22 छॊद है

ल्जनभे से ऩूरूष शकू्ता भे 16 छॊद भैजूद

हैं फाकी के छॊदो भें ननम्न पववयण है। जैस-े ऩूये ब्रह्भाड के यचमीता ब्रम्हा है

ल्जसका ननषभाण ईन्होंने अऩने दो ऩत्नीमों श्री औय रक््भी के भदद से की है। ब्राह्भणों का कहना था की सबी देव

ब्रम्हा के अधीन है। वही दसूये ननमभ भें ब्रब्रह्सऩती को शासक फतामा गमा है जो उन्नीसवें छॊद की तारयप कयता है औय उकरास कयते हूए कहता है कक शूद्रो का उद्गभ ब्रम्हा के द्वाया हूआ है।

मजूवेद के कृष्ण मजूवेद भें भैजूद तैत्तरयम स्भीता के छॊद vii.1.1.4

को ऩढ़ने ऩय मह लरखा हूआ लभरता है

कक “शूद्र ऩैय के ऊॉ गलरमों से जन्भें हैं औय इनका भूख्म कामष सेवा कयने के

साथ सबी अन्म का फोझ उठाना औय सभझौता कयना है। अथषवेद के छॊद iv.6.1, xv.8.1,

xv.9.1 को अध्ममन कयने ऩय हभें ब्राह्भण प्रबूता औय शूद्रों के दमननता का आबास होता है। सतऩथा ब्राह्भण भें उऩल्स्थत

xiv.4.2.23 छॊद के अध्ममन से शूद्रों ऩय थोऩी जाने वारे जफयन भानवीम सोच

का उजागय होता है। जो ऩणूष रूऩ से शूदो के अधधकायों का हनन कय उनऩे याज

कयने की नीनत है। ईसी प्रकाय तैत्तरयम स्भीता के

छॊद i.2.6.7 औय iii.2.3.9 भें शूदो को गूराभ अशूयो औय याऺसो का वॊशज

फतामा गमा है। जफकी ब्रह्भणों को देव

वॊशज/देव के सभतकूम/देव से बी ऊऩय कहा गमा है। ईन सबी छॊदो के अध्ममन से हभें मह भारूभ चरता हैं कक शूद्रों की मे

दमननम. ल्स्थती ब्रह्भणों का ककमा धया औय याजनीनत धतूषता बय का एक रूऩ

बय है औय कूछ नही। (आगे अगरे अॊक भें ईसी ऩसू्तक के एक

नऐ बाग नऐ अध्माम के साथ.......)