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  • भारतीय संविधान के 17िें भाग में राजभाषा संबंधी उपबंध विए गए हैं जो अनुच्छेि 343 स े351 के अंतगगत समावहत हैं ।

    हालांवक भाग 5 और 6 में भी भाषा संबंधी उपबंध हैं । परंत ुय ेसंसि

    और विधानमंडल में प्रयुक्त होन ेिाली भाषा के बारे में हैं ।

    िसै ेसंविधान में कहीं भी ‘राजभाषा’ शब्ि की कोई पररभाषा या व्याख्या नहीं िी गई ह ै। इसका प्रारवभभक उल्लखे 343(1) में यह

    कहकर हुआ ह:ै

    “संघ की राजभाषा वहंिी और वलवप ििेनागरी होगी ।” 1

  • 2

    संिधैावनक प्रािधान

    राष्ट्रपवत के आिशे

    राजभाषा अवधवनयम 1963

    राजभाषा संकल्प 1968

    राजभाषा वनयम 1976

  • संसि में प्रयोग की जान ेिाली भाषा संसि में कायग वहन्िी या अंग्रजेी में वकया जाएगा, पर राज्यसभा का सभापवत या लोकसभा का अध्यक्ष वकसी सिस्य को अपनी मातभृाषा में सिन को संबोवधत करन ेकी अनमुवत ि ेसकता ह ै।

    भाग 5

    3

  • विधानमण्डल में प्रयोग की जान ेिाली भाषा

    विधानमंडलों में कायग राज्य की राजभाषा या वहन्िी या अंग्रजेी में वकया जाएगा, पर विधान पररषि का सभापवत या विधानसभा का अध्यक्ष वकसी सिस्य को अपनी मातभृाषा में सिन को संबोवधत करन े की अनमुवत ि ेसकता ह ै।

    भाग 6

    4

  • संघ की राजभाषा

    भाग 17

    5

  • संघ की राजभाषा

    ● संघ की राजभाषा वहन्िी और वलवप ििेनागरी होगी तथा भारतीय अंकों का अंतरागष्ट्रीय रूप (1,2,3,4...) प्रयोग होगा ।

    ● संविधान के प्रारभभ स े15 िषग की अिवध तक अंग्रजेी का प्रयोग जारी रहेगा । (26 जनिरी, 1950 स े25 जनिरी, 1965 तक)

    ● इस अनुच्छेि में वकसी बात के होत े हुए भी संसि उक्त पंद्रह िषग की अिवध के पश्चात विवध द्वारा – (क) अंग्रजेी भाषा का, अथिा (ख) अंकों के ििेनागरी रूप का, ऐस ेप्रयोजनों के वलए प्रयोग उपबंवधत कर सकेगी, जसैावक ऐसी विवध में उवल्लवखत हो ।

    6

  • राजभाषा के संबंध में आयोग और संसि की सवमवत

    7

  • राष्ट्रपवत इस संविधान के प्रारभभ स े पााँच िषग की समावि पर (26 जनिरी, 1955) और तत्पश्चात ऐस ेप्रारभभ स ेिस िषग की समावि पर आिशे द्वारा एक आयोग गवित करेगा । (7 जून, 1955 को प्रथम राजभाषा आयोग गवित वकया गया। इसके अध्यक्ष बी जी खरे थ े।

    आयोग के कतगव्यों का उल्लखे वकया गया ह ै।

    आयोग अवहंिीभाषी क्षते्रों के वहतों एिं भारत की सांस्कृवतक उन्नवत का ध्यान रखगेा ।

    8

  • संसिीय राजभाषा सवमवत के गिन का प्रािधान वकया गया ह ै। सवमवत में राज्यसभा के 10 सिस्य तथा लोकसभा के 20 सिस्य होंग े।

    सवमवत राजभाषा आयोग के वसफ़ाररशों का अध्ययन करके राष्ट्रपवत को ररपोर्ग िगेी ।

    राष्ट्रपवत प्रस्ततु ररपोर्ग पर विचार करन ेके उपरांत वनिशे जारी कर सकत ेहैं ।

    9

  • राज्य की राजभाषा या राजभाषाएाँ

    एक राज्य स ेिूसरे राज्य के बीच या वकसी राज्य और संघ के बीच पत्रावि की राजभाषा

    10

  • वकसी राज्य के जनसमिुाय के वकसी भाग द्वारा बोली जानिेाली भाषा के संबंध में विशषे उपबंध

    उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अवधवनयमों, विधयेकों आवि में प्रयोग की जानिेाली भाषा

    भाषा स े संबंधी कुछ विवधयााँ अवधवनयवमत करन ेके वलए विशेष प्रविया

    11

  • व्यथा के वनिारण के वलए अभ्यािेिन में प्रयोग की जानिेाली भाषा

    प्राथवमक स्तर पर मातभृाषा में वशक्षा की सवुिधाएं भाषाई अल्पसंख्यक िगों के वलए विशषे अवधकारी

    12

  • वहन्िी भाषा के विकास के वलए विशषे वनिशे

    13

  • “ संघ का यह कतगव्य होगा वक िह वहन्िी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे तावक िह भारत की सामावसक संस्कृवत के सभी तत्िों की अवभव्यवक्त का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृवत में हस्तक्षपे वकए वबना वहंिुस्तानी में और आििीं अनसूुची में विवनविगष्ट भारत की अन्य भाषाओ ंमें प्रयकु्त रूप, शलैी और पिों को आत्मसात करत े हुए और जहां आिश्यक या िांछनीय हो िहां उसके शब्ि-भंडार के वलए मखु्यत: संस्कृत स े और गौणत: अन्य भाषाओ ं स े शब्ि ग्रहण करत ेहुए उसकी समवृि सवुनवश्चत करे.”

    14

  • 1. असवमया 2. ओविया 3. उिूग 4. कन्नि

    5. कश्मीरी 6. मलयालम 7. गजुराती 8. तवमल

    9. तलेग ु 10. वसंधी 11. संस्कृत 12. पंजाबी

    13. बंगला 14. मरािी 15. मवणपरुी 16. कोंकणी

    17. नपेाली 18. वहन्िी 19. डोंगरी 20. बोडो

    21. संथाली 22. मवैथली

    15

  • 16

    राष्ट्रपवत का आिशे - 27 मई, 1952 राज्यपालों, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की वनयवुक्तयों के अवधपत्रों में अंग्रजेी के साथ-साथ वहंिी भाषा और भारतीय अंकों का प्रयोग वकया

    जाए । राष्ट्रपवत का आिशे - 3 विसंबर, 1955

    जनता के साथ पत्र व्यिहार, प्रशासवनक ररपोर्ग, संसिीय ररपोर्ग, संकल्प, करार, वहंिी को राजभाषा के रूप में अपनान े िाल े राज्यों के साथ पत्र- व्यिहार यथासंभि वहंिी में ही वकया जाए ।

    राष्ट्रपवत का आिशे – 27 अप्रलै, 1960 अवखल भारतीय सिेाओ/ंकें द्रीय सिेाओ,ं प्रवशक्षण संस्थाओ,ं तकनीकी शब्िािली

    का वनमागण, विवध शब्िकोश आवि ।

    राष्ट्रपवत का आिशे – 31 माचग, 2017

  • अन.ु 343(3) में वकए गए प्रािधान के अनसुार विनांक 10 मई, 1963 को यह अवधवनयम पाररत वकया गया. इसमें कुल 09 धाराएाँ हैं :

    धारा 1 संवक्षि नाम एिं लागू होन ेका प्रािधान

    धारा 2 पररभाषाएाँ – भाषा –वहन्िी एिं वलवप ििेनागरी

    धारा 3 संघ के राजकीय प्रयोजनों के वलए और संसि के प्रयोग के वलए अंग्रजेी भाषा का रहना. इसमें कुल 05 उपधाराएं हैं. परंत ुसिागवधक महत्िपूणग धारा 3(3) ह ैजो 26 जनिरी, 1965 को लागू हुई थी.

    धारा 4 राजभाषा के संबंध में सवमवत का गिन

    धारा 5 कें द्रीय अवधवनयमों आवि का प्रावधकृत वहन्िी अनुिाि

    17

  • धारा 6 कवतपय िशाओ ंमें राज्य अवधवनयमों का प्रावधकृत वहन्िी अनुिाि

    धारा 7 उच्च न्यायालयों के वनणगयों आवि में वहन्िी या अन्य राजभाषा का िकैवल्पक प्रयोग

    धारा 8 वनयम बनान ेकी शवक्त

    धारा 9 कवतपय उपबंधों का जभमू-कश्मीर पर लागू न होना

    18

  • अवधवनयम की धारा 3(3) में विवनविगष्ट सभी िस्तािेजों को वहन्िी और अंग्रजेी िोनों भाषाओ ंमें तयैार करना, वनष्ट्पावित करना तथा जारी करना अवनिायग ह.ै इसके

    अंतगगत आन ेिाल ेिस्तािज़े वनभनवलवखत हैं:

    19

  • संसि के िोनों सिनों द्वारा पाररत यह सरकारी संकल्प आम जानकारी के वलए

    विनांक 18 जनिरी, 1968 को प्रकावशत वकया गया.

    “ जबवक संविधान के अनचु्छेि 343 के अनुसार संघ की राजभाषा वहन्िी रहगेी और उसके अनुच्छेि 351 के अनुसार वहन्िी भाषा की प्रसार करना और विकास करना तावक िह भारत की सामावसक संस्कृवत के सब तत्िों की अवभव्यवक्त का माध्यम हो सके, संघ का कतगव्य ह.ै

    यह सभा संकल्प करती ह ै वक वहन्िी के प्रसार ि विकास की गवत बढ़ान े हते ु तथा संघ के विवभन्न राजकीय प्रयोजनों के वलए उत्तरोत्तर इसके प्रयोग हते ु भारत सरकार द्वारा एक अवधक गहन एिं व्यापक कायगिम तयैार वकया जाएगा और उस े कायागवन्ित वकया जाएगा और वकए जान ेिाल ेउपायों एिं की जान ेिाली प्रगवत की विस्ततृ िावषगक मूल्यांकन ररपोर्ग संसि की िोनों सभाओ ंके पर्ल पर राखी जाएगी सब राज्य सरकारों को भजेी जाएगी;

    20

  • “ जबवक संविधान की आििीं अनसूुची में वहन्िी के अवतररक्त भारत की 22 मुख्य भाषाओ ंका उल्लखे वकया गया ह,ै और िशे की शकै्षवणक एिं सांस्कृवतक उन्नवत के वलए यह आिश्यक ह ै वक इन भाषाओ ंके पूणग विकास हते ुसामूवहक उपाय वकए जान ेचावहए.

    यह सभा संकल्प करती ह ैवक वहन्िी के साथ-साथ इन सब भाषाओ ंके समवन्ित विकास हते ुभारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग स े एक कायगिम तयैार वकया जाएगा और उस े कायागवन्ित वकया जाएगा तावक ि े शीघ्र समिृ हों और आधुवनक ज्ञान के संचार का प्रभािी माध्यम बनें;

    जबवक एकता की भािना के संिधगन तथा िशे के विवभन्न भागों में जनता में संचार की सुविधा हते ु यह आिश्यक ह ै वक भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामशग स े तयैार वकए गए वत्र-भाषा सूत्र को सभी राज्यों में पूणगत: कायागवन्ित करन े के वलए प्रभािी वकया जाना चावहए;

    21

  • यह सभा संकल्प करती ह ैवक वहन्िी-भाषी क्षते्रों में वहन्िी तथा अंग्रजेी के अवतररक्त एक आधुवनक भारतीय भाषा के, िवक्षण भारत की भाषाओ ंमें स ेवकसी एक को तरजीह िते ेहुए, और अवहंिीभाषी क्षेत्रों में प्रािवेशक भाषाओ ंएिं अंग्रजेी के साथ-साथ वहन्िी के अध्ययन के वलए उस सूत्र के अनुसार प्रबंध वकया जाना चावहए;

    और जबवक यह सवुनवश्चत करना आिश्यक ह ै वक संघ की लोक सिेाओ ंकी विषय में िशे के विवभन्न भागों के लोगों के न्यायोवचत िािों और वहतों का पणूग पररत्राण वकया जाए;

    यह सभा संकल्प करती ह ैवक –

    क) वक उन विशषे सिेाओ ं अथिा पिों को छोिकर वजनके के वलए ऐसी वकसी सिेा अथिा पि के कतगव्यों के संतोषजनक वनष्ट्पािन हेत ु केिल अंग्रजेी अथिा केिल वहन्िी अथिा िोनों, जसैी वस्थवत हो, का उच्च स्र्ार का ज्ञान आिश्यक समझा जाए, संघ सिेाओ ं अथिा पिों के वलए भती करन ेहेत ुउभमीििारों के चयन के समय वहन्िी अथिा अंग्रजेी में स े वकसी एक का ज्ञान अवनिायगत: अपवेक्षत होगा; और

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  • ख) वक परीक्षाओ ं की भािी योजना, प्रविया संबंधी पहलओु ं एिं समय के विषय में संघ लोक सिेा आयोग के विचार जानन े के पश्चात अवखल भारतीय एिं उच्चतर कें द्रीय सिेाओ ं संबंधी परीक्षाओ ं के वलए संविधान की आििीं सूची में सवभमवलत सभी भाषाओ ं तथा अंग्रजेी को िकैवल्पक माध्यम के रूप में रखन ेकी अनमुवत होगी.”

    हस्ता/-

    (आर डी थापर)

    संयुक्त सवचि, भारत सरकार

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  • राजभाषा अवधवनयम, 1963 के धारा 8 के अधीन जून, 1976 में वनभनवलवखत

    वनयम बनाए गए:

    1 संवक्षि नाम, विस्तार और प्रारभभ

    • इन वनयमों का संवक्षि नाम राजभाषा वनयम, 1976 ह.ै • इनका विस्तार तवमलनाडु राज्य छोिकर संपूणग भारत पर होगा. • य ेराजपत्र में प्रकाशन की तारीख (17.7.1976) स ेप्रितृ्त होंग.े

    2 पररभाषाएं

    3 राज्यों आवि और केन्द्रीय सरकार के कायागलयों स े वभन्न कायागलयों के साथ पत्रावि

    4 केन्द्रीय सरकार के कायागलयों के बीच पत्रावि

    24

  • 5 वहंिी में प्राि पत्रावि के उत्तर वनयम 3 और वनयम 4 में वकसी बात के होत ेहुए भी, वहंिी में पत्रावि के उत्तर केन्द्रीय सरकार के कायागलय स ेवहंिी में विए जाएंग.े

    6 वहंिी और अंग्रजेी िोनों का प्रयोग अवधवनयम, 1963 की धारा 3(3) में वनविगष्ट सभी िस्तािजे एक साथ वहंिी एिं अंग्रजेी में जारी वकए जाएंग.े

    7 आििेन, अभ्याििेन आवि की भाषा – (वहन्िी या अंग्रजेी में)

    8 केन्द्रीय सरकार के कायागलयों में वर्प्पण 1) कोई कमगचारी वकसी फाइल पर वर्प्पण या कायगितृ्त वहंिी या अंग्रजेी में

    वलख सकता ह ैऔर उसस ेयह अपके्षा नहीं की जाएगी वक िह उसका अनिुाि िूसरी भाषा में प्रस्ततु करे.

    2) केन्द्रीय सरकार का कोई भी कमगचारी, जो वहन्िी का कायगसाधक ज्ञान रखता ह,ै वहन्िी में वकसी िस्तािजे के अंग्रजेी अनिुाि की मांग तभी कर सकता ह,ै जब िह िस्तािेज विवधक या तकनीकी प्रकृवत का ह,ै अन्यथा नहीं.

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  • 3) यवि यह प्रश्न उिता ह ैवक कोई विवशष्ट िस्तािेज विवधक या तकनीकी प्रकृवत का ह ैया नहीं तो विभाग या कायागलय का प्रधान उसका विवनश्चय करेगा.

    4) उपवनयम (1) में वकसी बात के होत ेहुए भी, केन्द्रीय सरकार, आिशे द्वारा ऐस ेअवधसूवचत कायागलयों को विवनविगष्ट कर सकती ह ैजहां ऐस ेकमगचाररयों द्वारा, वजन्हें वहन्िी में प्रिीणता प्राि ह,ै वर्प्पण, प्रारूपण और ऐस े अन्य शासकीय प्रयोजनों के वलए, जो आिशे में विवनविगष्ट वकए जाएं, केिल वहन्िी का प्रयोग वकया जाएगा.

    9 वहंिी में प्रिीणता यवि वकसी कमगचारी न े– (क) मवैरक परीक्षा या उसकी समतलु्य या उसस े उच्चतर कोई परीक्षा वहन्िी के माध्यम स ेउत्तीणग कर ली ह;ै या (ख) स्नातक परीक्षा में अथिा स्नातक परीक्षा की समतलु्य या उसस ेउच्चतर वकसी अन्य परीक्षा में वहन्िी को एक िकैवल्पक विषय के रूप में वलया हो; या (ग) यवि िह इन वनयमों स ेउपाबि प्ररूप में यह घोषणा करता ह ै वक उस ेवहन्िी में प्रिीणता प्राि ह;ै तो उसके बारे में यह समझा जाएगा वक उसन ेवहन्िी में प्रिीणता प्राि कर ली ह ै।

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  • 10 वहंिी का कायगसाधक ज्ञान (1) (क) यवि वकसी कमगचारी न े– I. मवैरक परीक्षा या उसकी समतलु्य या उस स े उच्चतर परीक्षा वहन्िी विषय के

    साथ उत्तीणग कर ली ह;ै या II. केन्द्रीय सरकार की वहन्िी परीक्षा योजना के अन्तगगत आयोवजत प्राज्ञ परीक्षा

    या यवि उस सरकार द्वारा वकसी विवशष्ट प्रिगग के पिों के सभबन्ध में उस योजना के अन्तगगत कोई वनभनतर परीक्षा विवनविगष्ट ह,ै िह परीक्षा उत्तीणग कर ली ह;ै या

    III. केन्द्रीय सरकार द्वारा उस वनवमत्त विवनविगष्ट कोई अन्य परीक्षा उत्तीणग कर ली ह;ै या

    (ख) यवि िह इन वनयमों स े उपाबि प्ररूप में यह घोषणा करता ह ै वक उसन ेऐसा ज्ञान प्राि कर वलया ह;ै तो उसके बारे में यह समझा जाएगा वक उसन ेवहन्िी का कायगसाधक ज्ञान प्राि कर वलया ह।ै

    (2) यवि केन्द्रीय सरकार के वकसी कायागलय में कायग करन ेिाल ेकमगचाररयों में स ेअस्सी प्रवतशत न ेवहन्िी का ऐसा ज्ञान प्राि कर वलया ह ैतो उस कायागलय के कमगचाररयों के बारे में सामान्यतया यह समझा जाएगा वक उन्होंने वहन्िी का कायगसाधक ज्ञान प्राि कर वलया ह.ै

    27

  • (3) केन्द्रीय सरकार या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस वनवमत्त विवनविगष्ट कोई अवधकारी यह अिधाररत कर सकता ह ै वक केन्द्रीय सरकार के वकसी कायागलय के कमगचाररयों न े वहन्िी का कायगसाधक ज्ञान प्राि कर वलया ह ैया नहीं ।

    (4) केन्द्रीय सरकार के वजन कायागलयों में कमगचाररयों न ेवहन्िी का कायगसाधक ज्ञान प्राि कर वलया ह ै उन कायागलयों के नाम राजपत्र में अवधसूवचत वकए जाएंग;े परन्त ु यवि केन्द्रीय सरकार की राय ह ै वक वकसी अवधसूवचत कायागलय में काम करन े िाल े और वहन्िी का कायगसाधक ज्ञान रखन े िाल ेकमगचाररयों का प्रवतशत वकसी तारीख में स े उपवनयम (2) में विवनविगष्ट प्रवतशत स े कम हो गया ह,ै तो िह राजपत्र में अवधसूचना द्वारा घोवषत कर सकती ह ै वक उक्त कायागलय उस तारीख स े अवधसूवचत कायागलय नहीं रह जाएगा ।

    11 मनैअुल, संवहताएं, प्रविया संबंधी अन्य सावहत्य, लखेन सामग्री आवि

    28

  • 12

    अवधवनयम और वनयमों के उपबंधों को समवुचत रूप स े अनपुालन करिाना कायागलय के प्रशासवनक प्रधान का उत्तरिावयत्ि होगा ।

    29

  • यूको बैंक, अंचल कायाालय, राजभाषा विभाग, िाराणसी

    संघ की राजभाषा नीति

    © सत्येन्द्र

    कुमार शमाा, यू को बैं क,

    प्र.का. कोलकािा

    धन्यिाि