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सचा ध या है? लेखक अद लाह न अद ल अी अल ् -ईदान अन वादकः अताउान याउलाह संशोधनः जलाल ीन एवं सी अद

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Page 1: सच्चा धर्म क्या है? - IslamHouse.com€¦ · Web viewप रत य क धर म अथव दर शन क क छ स ध द त ह त ह ,

सचचा धरम� कया ह?

लखक

अबदललाह बि�न अबदल अजीज अल-ईदान

अनवादकः अताउरर�हरमान जिजयाउललाहसशोधनः जलालददीन एव सिसददीक अहरमद

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ما هو ادلين احلق؟

)باللغة اهلندية(

عبداهلل بن عبدالعزيز العيدانتأيلف:

ترمجة: عطاء الرمحن ضياء اهلل

مراجعة: جالل ادلين وصديق أمحد

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विवषय सचीसकषि1पत परिररचय......................................................5

परसतावना............................................................6धरम� का अरथ�...................................................11

धरम8 क परकाररः......................................................12

आसरमानी या पसतक सम�नधी धरम�ः..................12

रमरतित �पजन औरर लौकिकक धरम�ः...........................13

कया रमनषय को धरम� की आवशयकता ह?.................14

ससारर क रमहान तथयो को जानन क सिलए अकल

(�जिFद) को धरम� की आवशयकताः........................15

रमानव-परकरतित को धरम� की आवशयकताः............24

रमनषय क रमानसिसक सवसरथ औरर आजिHरमक शजिकत को धरम� की आवशयकताः............................................28

सरमाज रम परररणोओ, आचररण क रतिनयरमो तरथा वयवहारर सहिहता क सिलए धरम� की आवशयकताः.......34

इसलारमी अकीदा की विवशषताए.......................38

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सपषट अकीदाः......................................................38

पराकरतितक अकीदाः.............................................39

ठोस औरर सदढ अकीदाः...................................41

पररमाणिणत अकीदाः................................................42

अकीद क अनदरर................................................46

इसलारम का सतलन............................................46

जीवन क तरमारम 1तरो रम इसलारम का यरथारथ�वाद......................................................58

पररथरमः इ�ादतो क अनदरर इसलारम का यरथारथ�वादः.....58

दविवतीयः वयवहारर क अनदरर इसलारम का वासतविवकतावाद:...............................................63

इसलारम रम कानन साजी क सरोत..................72

पाररसपरिररक टकरराव औरर रमतभद स सरर1ाः............72

प1पात एव सवचछा स पाक होनाः.......................75

समरमान औरर पररवी कररन रम सररलताः................77

पररथरम उदाहररणः शररा� क हररारम किकए जान क पशचात

रमदीन रम रमोसिरमनो का ररवया....................................81

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दसररा उदाहररणः.................................................83

रमनषय को रमनषय की पजा औरर गलारमी स

आजादी हिदलानाः............................................86

इसलरमारम कया ह?.................................................91

पररथरम सतमभः....................................................92

दविवतीय सतमभः नरमाज..................................96

नरमाज औरर उसकी ररकअतो की सखयाः...................97

नरमाज क फायद औरर विवशषताए..........................97

तीसररा सतमभः जकात...................................103

जकात फज� कररन की हिहकरमतः............................103

जिजन धनो रम जाकत अरतिनवाय� हः......................105

जकात क हकदारर लोग..................................106

जकात क फायदः................................................107

चौरथा सतमभः ररोजा..........................................110

ररोज क फायदः..............................................111

पाचवा सतमभः हज.............................................113

हज क फायदः.................................................113

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हज क काय�करम� का कया उददशय ह?................115

स1प क सारथ हज क काय�कररम यह ह:..................117

उमरा क आरमाल यह ह:......................................117

अनततः.......................................................118

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सकषि1पत परिररचइस पसक रम धरम� का अरथ� औरर उसक परकारर,

रमानव को धरम� की आवशयकता, इसलारमी अकीद की विवशषताए, जीवन क तरमारम पहलओ रम इसलारम की सHयता, इसलारम रम कानन साजी क सरोत औरर इसलारम क सतमभो का उललख ह। यह पसतक सचच धरम� क असिभलोषी क सिलए रमाग�दश�क ह।

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बि�जिसरमललाहिहरर-ररहरमारतिनरर-ररहीरम

अललाह क नारम स आररमभ कररता ह, जो अरतित रमहरर�ान औरर दयाल ह।

परसतावनापरHयक धरम� अरथवा दश�न क कछ सिसFदात होत ह, जो उस रतिनयबितरत कररत ह, कछ काय�-परणासिलया औरर विवधिधया होती ह, जिजनपरर वह चलता ह तरथा कछ रमलय होत ह, जिजनकी वह पा�नदी कररता ह। इस दजिषटकोण स हरम हरर उस वयजिकत क सिलए, जो रमौसिलक रप स रमसलरमान ह, अगल पननो रम उसक धरम� की सकषि1पत रप-ररखा परसतत कररग,

ताकिक उसका इसलारम औरर उसकी इ�ादत (उपासना) कवल दसररो की तकलीद औरर अनसररण की �जाय जञान औरर जानकाररी परर आधारिररत हो। किकनत, जो वयजिकत पहल स रमसलरमान नही ह, हरम उसक सिलए भी सचच धरम� अरथा�त इसलारम का सकषि1पत परिररचय परसतत कररग, ताकिक उस इस धरम� क उन रमलयो तरथा काय�-परणासिलयो, आचररणो औरर आदशो परर धिचनतन-रमनन का उधिचत अवसरर परापत

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हो सक, जिजनक काररण यह धरम� अनय धरम8 स शरषठ ह; ताकिक यह जानकाररी औरर धिचतन उस अगल कदरम की ओरर –इस धरम� स आकविष�त होन औरर इसस सतषट होन की ओरर - ल जाय। इससिलए किक यह ईशवररीय धरम� ह। रमानव जारतित का �नाया हआ धरम� नही। यह अपन सरमसत प1ो औरर सिश1ाओ रम समपण� ह, जसा किक आन वाली पजिकतयो रम पढा जाएगा। हो सकता ह यह चीज उस शीघर ही दढ विवशवास, समपण� सतजिषट औरर पररी सहरमरतित क सारथ इस धरम� रम परवश कररन क �ारर रम सोच-विवचारर कररन का आरमतरण द। कयोकिक वह इस धरम� रम परवश कररन परर, –रतिनजिशचत रप स- वासतविवक सौभागय, हाहिद�क सतोष, सख-चन औरर हष� एव आननद का अनभव कररगा औरर उस सरमय वह आय क हरर उस हिदन, घनटा औरर सिरमनट परर शोक तरथा दख परकट कररगा, जो उसन इस रमहान धरम� स अलग ररहकरर बि�ताया ह!

इस परसतावना रम हरम, हरर सचच धरम� क असिभलाषी को एक रमहHवपण� �ात स सावधान कररना आवशयक सरमझत ह। वह यह ह किक आपको अनय

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धरम8 क रमानन वालो की तररह, खद रमसलरमानो का दषट आचररण, उनरम फली हई �रराइया, धोखाधडी अरथवा अHयाचारर आहिद, इस धरम� स परिररधिचत होन,

इसस एक ईशवररीय धरम� क रप रम आशवसत होन औरर सवीकारर कररन रम रकावट न �नन पाय। कयो यह दषट आचररण क रमासिलक रमसलरमान वासतविवक इसलारम क पररतितरतिनधिध नही ह। यह कवस अपन पररतितरतिनधिध ह। इसलारम को इनक दषट करम8 स कोई लना-दना नही ह। इनक इन करम8 को न अललाह तआला पसनद कररता ह, न उसक ररसल रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम पसनद कररत ह।

अतः हरम आपको इन सकषि1पत पननो क पढन का आरमनतरण दत ह; ताकिक आप सवय इस धरम� की वासतविवक सिश1ाओ औरर इसक �ारर रम इसक रमानन वालो की �ातो की सHयता का रतिनण�य करर सक । हरम विवशवास ह किक आप इस पसतक क अनदरर ऐसी जञानरमय �ात, रमलय औरर विवचारर पायग, जिजनस आपको परसननता होगी, जिजनकी आप तलाश रम रथ औरर अ� आपक हारथ लग गयी ह। य इससिलए किक अललाह तआला आपस पररम कररता

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ह, लोक-पररलोक रम आपक सिलए भलाई, कपा एव आपका कलयाण चाहता ह। इससिलए हरम आशा ह किक आप इस शर स अनत तक पढग औरर जिजस सचचाई की ओरर यह �ला ररही ह, उस सवीकारर कररन रम जलदी कररग। कयोकिक सचचाई इस �ात क अधिधक योगय ह किक उसकी पररवी की जाय। आप नफस अमरमाररा (�रराई परर उभाररन वाली अHरमा), अपन शतर शतान, �रर साधिरथयो अरथवा पजा क अयोगय पजयो की पजा कररन वाल अपन परिररवारर क लोगो को इस �ात की अनरमरतित न द किक वह आपको हिहदायत क परकाश, इस ससारर रम सौभागय औरर जीवन क परररम सख स ररोक द, जो आपको इस धरम� रम परवश कररन क �ाद परापत होगा। इससिलए किक वह आपको इसस ररोककरर आपको जीवन की स�स रमहान औरर रमलयवान वसत स लाभाजिनवत होन स वधिचत करर दग। दरर असल वह रमहान औरर �हरमलय वसत ह रमररन क पशचात सवग� परापत होना।.....तो किफरर कया आप इस आरमतरण को सवीकारर कररग.....? अHयत

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�हरमलय उपहारर जो हरम आपक सरम1 परसतत करर ररह ह....। हरम आपस यही आशा ह।

अ� धीरर-धीरर इस सकषि1पत परिररचय क पननो को पलटत ह।

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धरम� का अरथ�ज� हरम धरम� को इस पहल (दजिषट) स दखत ह किक वह धरम�रतिनषठा क अरथ� रम एक रमानसिसक अवसरथा ह, तो उसका ताHपय� यह होता ह किकः

“एक अदशय परररम अजिसतHव परर विवशवास ररखना, जो रमानव स�धिधत काय8 का उपाय, वयवसरथा औरर सचालन कररता ह। ऐसा विवशवास, जो उस परररम औरर हिदवय अजिसतHव की ओरर रधिच औरर उसस भय क सारथ, विवनयपव�क तरथा उसकी पररतितषठा एव रमहानता का गणगान कररत हए उसकी आरराधना कररन परर उभाररती ह।”

औरर सकषि1पत रम यह कह सकत ह किकः

“एक अनसररण औरर पजा क योगय ईशवररीय अजिसतHव परर विवशवास ररखना।”

किकनत ज� हरम उस इस पहल (दजिषट) स दखत ह किक वह एक �ाहररी वासतविवकता ह, तो हरम उसकी परिररभाषा इस परकारर कररग किक वहः

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“वह तरमारम कालपरतिनक सिसFदात, जो उस ईशवररीय शजिकत क गणो को रतिनधा�रिररत कररत ह औरर वह तरमारम वयवहारिररक रतिनयरम, जो उसकी उपासना की विवधिधयो की रप-ररखा तयारर कररत ह।”

धरम8 क परकाररःअFययन कता� इस �ात स परिररधिचत ह किक धरम� क दो परकारर ह:

आसरमानी या पसतक सम�नधी धरम�ःअरथा�त जिजस धरम� की कोई धरम�पसतक हो, जो आकाश स अवतरिररत हई हो, जिजसरम रमानव जारतित क सिलए अललाह तआला का रमाग�दश�न हो। उदाहररण सवरप “यहहिदयत” जिजसरम अललाह तआला न अपनी पसतक “तौररात” को अपन सदशवाहक “रमसा” अलहिहससलात वससलारम परर अवतरिररत किकया।

औरर जसा किक “ईसाइयत” (Christianity) ह, जिजसरम अललाह तआला न अपनी पसतक “इनजील” को

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अपन सदशवाहक ईसा अलहिहससलात वससलारम परर अवतरिररत किकया।

औरर जसा किक “इसलारम” ह, जिजसरम अललाह तआला न “कआ�न” को अपन अजिनतरम सदशवाहक औरर दत “रमहमरमद” सललललाह अलहिह व सललरम परर अवतरिररत किकया।

इसलारम औरर अनय किकता�ी (पसतक सम�नधी, आसरमानी) धरम8 क रमFय अनतरर यह ह किक अललाह तआला न इसलारम क रमल सिसFदानतो औरर उसक सरोतो की सरर1ा की ह, कयोकिक यह रमानव जारतित क सिलए अजिनतरम धरम� ह। इसीसिलए यह हरर-फरर औरर परिररवत�न स गरसत नही हआ ह। ज�किक दसरर धरम8 क सरोत औरर उनकी पविवतर पजिसतकाए नषट हो गयी औरर उनरम हरर-फरर,

परिररवत�न औरर सशोधन करर हिदय गय।

रमरतित �पजन औरर लौकिकक धरम�ःजिजसका सम�नध आकाश की �जाय धररती स हो तरथा अललाह की �जाय रमनषय स हो। जस �Fद

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रमत, हिहनद रमत, कनफसिशयस, जररतशती औरर इनक अरतितरिररकत ससारर क अनय धरम�।

यहा परर सवतः एक रमहHवपण� परशन उठ खडा होता ह। वह यह ह किक कया एक �जिFदरमान पराणी वग�, रमनषय जारतित को यह शोभा दता ह किक वह अपन ही सरमान किकसी पराणी वग� को पजय रमानकरर उसकी उपासना करर? चाह वह कोई रमनषय हो या पHरथरर, गाय हो या अनय वसत ! औरर कया उसका जीवन सफल, उसक काय� वयवजिसरथत औरर उसकी सरमसयाए हल हो सकती ह, ज�किक वह ऐसी वयवसरथा औरर शासतर का अनकररण कररन वाला ह,

जिजस पण�तः रमनषय न �नाया ह।

कया रमनषय को धरम� की आवशयकता ह?रमनषय क सिलए सारमानय रप स धरम� की औरर विवशष रप स इसलारम की आवशयकता, कोई दविवतीयक आवशयकता नही ह, �जिलक यह एक रमौसिलक औरर �रतिनयादी आवशयकता ह, जिजसका

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सम�नध जीवन क सारर, जिजनदगी क ररहसय औरर रमनषय की अरथाह गहरराइयो स ह।

अरतित समभाविवत स1प रम –जो सरमझन रम �ाधक न हो - हरम रमनषय क जीवन रम धरम� की आवशयकता क काररणो का वण�न करर ररह ह:

ससारर क रमहान तथयो को जानन क सिलए

अकल (�जिFद) को धरम� की आवशयकताःरमनषय को धासिरम�क आसरथा (विवशवास) की आवशयकता –सव�पररथरम - उस अपन आपको जानन औरर अपन आस-पास क रमहान अजिसतHव (जगत)

को जानन की आवशयकता स उHपनन होती ह। अरथा�त उन परशनो का उHतरर जानन की आवशयकता, जिजनरम रमानव शासतर (विवजञान) वयसत ह, किकनत उनक विवषय रम कोई सतोषजनक उHतरर जटान रम असरमरथ� ह।

ज�स रमनषय की सजिषट हई ह, कई ऐस परशन उसक रमन-रमजिसतषक रम उभररत ररह ह, जिजनका उHतरर दन की आवशयकता ह। जस, वह कहा स

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आया ह? (आररमभ कया ह?) उस कहा जाना ह? (अनत कया ह?) औरर कयो आया ह? (उसक वजद का उददशय कया ह?) जीवन की आवशयकताए औरर सरमसयाए उस यह परशन कररन स किकतना ही �ाज ररख, किकनत वह एक हिदन अवशय उठ खडा होता ह,

ताकिक वह अपन आपस इन अननत परशनो क �ारर रम पछः

(क) रमनषय अपन हिदल रम सोचता ह किक रम औरर रमररी चाररो ओरर यह विवशाल जगत कहा स उHपनन हआ ह? कया रम सवतः पदा हो गया ह या कोई जनरमदाता ह, जिजसन रमझ जनरम हिदया ह? रमररा उसस कया सम�नध ह? इसी परकारर यह विवशाल ससारर अपनी धररती औरर आकाश, जानवरर औरर वनसपरतित, खरतिनज पदारथ� औरर खगोल सरमत कया सवतः वजद रम आ गया ह या उस किकसी पर�नध कशल सषटा न वजद �खशा ह?

(ख) किफरर इस जीवन तरथा रमHय क पशचात कया होगा? इस धररती परर इस

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सकषि1पत यातरा क पशचात कहा जाना ह? कया जीवन की करथा कवल यही ह किक “रमा जनती ह औरर धररती रतिनगलती ह” औरर उसक �ाद कछ नही ह? ऐस सदाचाररी औरर पविवतर लोग, जिजनहोन सHय औरर भलाई क रमाग� रम अपनी जानो को नयोछावरर करर हिदया तरथा ऐस गनहगारर औरर पापी, जिजनहोन शहवत, लालसा औरर नफसानी खवाहिहश क रमाग� रम दसररो की �सिल चढा दी, कया दोनो का अनत सरमान औरर �ररा�रर हो सकता ह? कया जीवन बि�ना किकसी �दल औरर पररतितफल क य ही रमHय परर सरमापत हो जायगा या रमररन क पशचात एक अनय जीवन भी ह, जिजसरम दषकसिरम�यो को उनक करम� का �दला हिदया जाएगा औरर सHकरम� कररन वालो को अचछा पररतितफल सिरमलगा?

(ग) किफरर यह परशन उठता ह किक रमनषय की उHपजिHत कयो हई ह? उस �जिFद औरर सोचन-सरमझन की शजिकत कयो परदान की

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गयी ह औरर वह सरमसत जानदाररो स शरषठ कयो ह? आकाश औरर धररती की सरमसत चीज उसक अधीन कयो करर दी गयी ह? कया उसक जनरम लन का कोई उददशय ह? कया उसक जीवन काल रम उसका कोई कत�वय ह? या वह कवल इससिलए पदा किकया गया ह किक जानवररो क सरमान खाय-विपय, किफरर चौपायो क सरमान रमरर जाए? यहिद उसक वजद का कोई उददशय औरर रमकसद ह, तो वह कया ह? औरर वह उस कस पहचानगा?

य वो परशन ह, जो हरर यग रम रमनषय स अनगरहपव�क ऐस उHतरर का तकाजा कररत ररह ह, जो पयास को �झा सक औरर हदय को सतजिषट परदान करर सक। किकनत सतोषजनक उHतरर परापत कररन का एक ही रमाग� ह। वह ह, धरम� का आशरय लना औरर उसकी ओरर पलटना। धरम� रमनषय को –सव�पररथरम - इस �ात स अवगत करराता ह किक वह न तो सहसा अजिसतHव रम आ गया ह औरर न इस जगत रम सवय सरथाविपत हो गया ह। �जिलक वह

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एक रमहान सषटा की एक सजिषट ह। वही उसका पालनहारर ह, जिजसन उसकी उHपजिHत की, किफरर उस ठीक-ठाक किकया, किफरर उस शFद औरर उधिचत �नाया, किफरर उसरम रह फकी (जान डाला), उसक कान, आख औरर हिदल �नाए औरर उस उसी सरमय स अपनी �शरमारर अनकमपाए परदान की, ज� वह अपनी रमा क पट रम गभ�सरथ रथा। (अललाह तआला का फरररमान हः)

هني ﴿ اء م م من م لقك �م خن� ل�كني ٢٠أ ار م ه يف ق�ر� لن� ع� ر٢١ ف�ج� ق�د� إىل�

علوم درون� ٢٢م رن�ا ف�نعم� ٱلق� د� ق� 1 ﴾ ف�

“कया हरमन तमह एक हकीरर (तचछ) पानी (वीय�) स पदा नही किकया, किफरर हरमन उस सररकषि1त सरथान रम ररखा, एक रतिनधा�रिररत सरमय तक, किफरर हरमन अनरमान लगाया औरर हरम किकतना उधिचत (अचछा) अनरमान लगान वाल ह!”

औरर धरम� ही रमनषय को इस �ात स अवगत करराता ह किक वह जीवन औरर रमररण क पशचात कहा जाएगा? धरम� ही उस यह जानकाररी दता ह 1 सररह अल-रमस�लातः 20-23

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किक रमौत कवल विवनाश औरर अनजिसतHव नही ह,

�जिलक वह एक पडाव स दसरर पडाव की ओरर......

�ज�खी जीवन की ओरर सरथानातरिररत होना ह। उसक पशचात दसररा जीवन ह, जिजसरम हरर पराणी को उसक करम8 का पररा-पररा �दला हिदया जायगा औरर जो कछ उसन करम� किकया ह, उसरम वह सदव ररहगा। सो वहा किकसी नकी कररन वाल की नकी, चाह वह परष हो या सतरी, नषट नही होगा। ईशवरर (अललाह)

क नयाय स कोई अHयाचाररी, कररर, अहकाररी औरर असिभरमानी जान नही छडा सकता ह।

धरम� ही रमनषय को यह जञान परदान कररता ह किक वह किकस उददशय क सिलए पदा किकया गया ह? उस आदरर एव समरमान औरर पररतितषठा एव सHकारर कयो परदान किकया गया ह? उस उसकी जिजनदगी क रमकसद तरथा उसक दारतियHव औरर कत�वय स परिररधिचत करराता ह किक उस रतिनरररथ�क औरर �कारर नही पदा किकया गया ह औरर न ही उस वयरथ� छोड हिदया गया ह। उसकी उHपजिHत इससिलए हई ह,

ताकिक वह धररती परर अललाह तआला का पररतितरतिनधिध औरर उHतरराधिधकाररी �न जाय, उस अललाह क

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आदश क अनसारर आ�ाद करर, उस अललाह तआला की परसननता परापत कररन क सिलए कारम रम लाय,

उसक भीतरर पायी जान वाली चीजो की खोज औरर आविवषकारर करर औरर बि�ना दसररो क अधिधकारर परर अHयाचारर किकय औरर अपन रर� (पालनहारर) क अधिधकारर को भल, उसकी पविवतर चीजो को खाय-

विपय। उसक ऊपरर उसक रर� (पालनहारर) का सव�पररथरम अधिधकारर यह ह किक वह अकल उसी की इ�ादत (उपासना) करर, उसक सारथ किकसी को साझी न ठहरराए औरर यह किक उसकी इ�ादत उसी परकारर करर, जस अललाह तआला न अपन उन सदशवाहको (ररसलो) क दवाररा सिसखाया ह, जिजनह उसन रमाग�दश�क औरर सिश1क, शभसचक औरर डररान वाला �नाकरर भजा ह। किकनत वत�रमान सरमय रम अजिनतरम न�ी (ईशदत) रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम का अनसररण करर, ज� वह इस पररी1ाओ औरर धासिरम�क कत�वयो (�नधनो) स रतिघरर हए ससारर रम अपन दारतियHव का रतिनव�हण करर लगा, तो उसका पररतितफल औरर �दला पररलोक रम पायगा। अललाह तआला का करथन हः

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﴿ د لك ن�فسريي�وم� جت� مل�ت من خ� ا ع� رض� م ا حم ﴾2

“(उस हिदन को याद कररो) जिजस हिदन हरर पराणी, जो कछ उसन सHकरम� किकया ह, उस अपन सरम1 उपजिसरथत पायगा।”

इसस रमनषय को अपन वजद का �ोध हो जाता ह औरर जीवन रम अपन दारतियHवो औरर कत�वयो का सपषट रप स पता चलता ह, जिजस उसक सिलए सजिषट क ररचरतियता, जीवन दाता औरर रमनषय क सषटा न सपषट करर हिदया ह।

जो वयजिकत बि�ना धरम� –अललाह औरर पररलोक क हिदन परर विवशवास ररख- जीवन यापन कररता ह, वह वासतव रम अभागा औरर वधिचत वयजिकत ह। वह सवय अपनी रतिनगाह रम एक पाशव (जानवरर जसा) परणी ह औरर वह किकसी भी परकारर स उन �ड-�ड जानवररो स सिभनन नही ह, जो उसकी चाररो ओरर धररती परर चलत-किफररत ह....... जो खात-पीत एव (सासारिररक) लाभ उठात ह औरर किफरर रमरर जात ह। उनह न अपन किकसी उददशय का पता होता ह औरर 2 सररह आल-इमरानः 30

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न वह अपन जीवन का कोई ररहसय जानत ह। रतिनःसदह वह एक छोटा औरर साधाररण सजिषट ह,

जिजसका कोई भारर औरर रमलय नही ह। वह पदा तो हो गया, किकनत उस यह पता नही ह किक वह कस पदा हआ ह औरर उस किकसन पदा किकया ह। वह जीवन-यापन करर ररहा ह, किकनत उस यह जञान नही ह किक वह कयो जी ररहा ह? वह रमररता ह, किकनत उस यह पता नही ह किक वह कयो रमररता ह? औरर रमररन क पशचात कया होगा? वह अपनी तरमारम चीजो, रमररन औरर जीन, पराररमभ औरर अनत क विवषय रम सदह �जिलक अधपन का सिशकारर ह।

उस रमनषय का जीवन किकतना दयनीय ह, जो सव�विवशष औरर पररमख चीज अरथा�त अपन नफस की वासतविवकता, अपन अजिसतHव क ररहसय औरर अपन जीवन क उददशय क सम�नध रम सदह औरर विवसरमय क जहननरम या अनधपन औरर रमख�ता क घटाटोप अनधररो रम जी ररहा हो। वसततः वह अभागा औरर दखी रमनषय ह, यदयविप वह सोन औरर ररशरम रम ड�ा हआ औरर आननद औरर सख क उपकररणो स रतिघररा हआ हो, सव}चच उपाधिधपतर

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ररखता हो औरर ऊची-ऊची डिडधिगरया (उपाधिधया) परापत किकया हआ हो!

रमानव-परकरतित को धरम� की आवशयकताःइसी परकारर भावना औरर चतना को भी धरम� की आवशयकता होती ह। कयोकिक रमनषय इलकटरॉरतिनक रमजिसतषक क सरमान कवल �जिFद का नारम नही ह। �जिलक वह �जिFद, भावना व चतना औरर आHरमा का नारम ह। इसी परकारर उसकी परकरतित की ररचना हई ह औरर यही उसक परकरतित की आवाज ह। रमनषय की यह परकरतित ह किक कोई जञान औरर सभयता उस सनतषट नही करर सकती, कोई कला औरर साहिहHय उसकी आका1ाओ की परतित � नही करर सकता, औरर न कोई शरगारर औरर धन-पजी उसक शनय-हदय की परतित � करर सकती ह। �जिलक उसका हिदल �चन,

उसकी आHरमा भखी औरर उसकी परकती पयासी ररहती ह औरर उस रिररकतता औरर अभाव का गमभीरर अहसास ररहता ह। यहा तक किक ज� वह अललाह परर आसरथा औरर विवशवास की दौलत परापत करर लता ह, तो वयाकलता क �ाद शाजिनत सिरमलती ह,

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भय क �ाद सरर1ा का अनभव होता ह औरर उसक अनदरर यह अहसास जनरम लता ह किक उसन अपन आपको पा सिलया ह।

हरमारर पगम�रर रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात हःو+انه، أ + و ين+رص0

+ان55ه، أ و0د+ اه يه+ ب+و+

+ة، ف+أ + الفطر+ ىلع+ ولود إال< و+ يودل+ ا من م+ ))م+

انه(( س+ ج0 يم+

“हरर (पदा होन वाला) सिशश किफतररत (इसलारम की दशा) परर जनरम लता ह। किफरर उसक रमाता-विपता उस यहदी �ना दत ह, ईसाई �ना दत ह या रमजसी �ना दत ह।”

इस हदीस क अनदरर इस �ात परर अधिधक �ल हिदया गया ह किक रमनषय की रमल परकरतित यह होती ह वह अपन रर� (पालनकता�) क सरम1 सरमविप�त औरर सचच धरम� को सवीकारर कररन क सिलए तयारर होता ह औरर इस किफतररत स विवरमख होकरर �ारतितल (सिरमथया, असHय) धरम8 की ओरर अपन आस-पास की परिररजिसरथरतितयो क काररण ही रमख कररता ह। चाह

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इसका काररण रमाता-विपता हो, सिश1क हो, परिररवश हो या इनक अरतितरिररकत अनय कोई चीज।

किफलासफरर (दाश�रतिनक) “अगोसत सिसयारतितयह” अपनी पसतक “धरम�-शासतर” रम सिलखता हः

“रम धरम� रतिनषठ कयो ह? रम इस परशन क सारथ अपन ओठ को एक �ारर भी हिहलाता ह, तो अपन आपको इस परशन का यह उHतरर दन परर विववश पाता ह किक रम धरम� रतिनषठ ह, इससिलए किक रम इसक विवरFद की शजिकत नही ररखता, इससिलए किक धरम� रतिनषठ होना रमरर अजिसतHव की आवशयकताओ रम स एक आFयाजिHरमक आवशयकता ह। लोग रमझस कहत ह किक यह पशतनी गणो, परसिश1ण, अरथवा सवभाव का परभाव ह। रम उनस कहता ह: रमन �हधा ठीक इनही आपजिHतयो क दवाररा अपन नफस परर आपजिHत वयकत की ह। किकनत रमन पाया ह किक यह सरमसया को द�ा दता ह औरर उसकी कोई वयाखया नही करर पाता।”

इसरम कोई आशचय� की �ात नही ह किक हरम यह आसरथा औरर धाररणा हरर जारतितयो रम; चाह वह

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पराचीन असभय जारतितया हो या सभय, हरर रमहादवीप रम; चाह वह पव� रमहादवीप हो या पजिशचरमी औरर हरर यग रम; चाह वह पराचीन यग हो या वत�रमान यग, हिदखाई दता ह। यह औरर �ात ह किक अधिधकाश लोग सीध रमाग� स भटक गय।

यनानी इरतितहासकारर “बलताक� ” (BLUTARCH) का कहना हः

रमन इरतितहास रम बि�ना किकलो क नगररो को, बि�ना रमहलो क नगररो को, बि�ना पाठशालाओ क नगररो को तो पाया ह, किकनत बि�ना पजासरथलो औरर इ�ादतगाहो क नगरर कभी नही पाय गए।

रमनषय क रमानसिसक सवसरथ औरर आजिHरमक

शजिकत को धरम� की आवशयकताःधरम� की एक अनय आवशयकता भी ह। एक ऐसी आवशयकता, जिजसका तकाजा रमनषय का जीवन औरर उसक अनदरर उसकी आका1ाए तरथा आशाए औरर उसकी पीडाए औरर यातनाए कररती ह..... रमनषय की एक ऐस शजिकतरमान सतमभ की

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आवशयकता, जिजसकी ओरर वह शररण ल सक, एक सशकत आधारर औरर सहारर की आवशयकता, जिजसपरर वह भररोसा करर सक। जिजस सरमय वह कहिठनाइयो स गरसत हो, ज� उसक यहा दघ�टनाए घट , ज� वह अपनी विपरय चीज स हारथ धो �ठ, अविपरय चीज का सारमना करर या उसपरर ऐसी चीज टट पड, जिजसका उस भय या डरर हो, ऐसी परिररजिसरथरतित रम धासिरम�क आसरथा अपना किकदा�रर रतिनभाती ह। चनाच यह उस करमजोररी क सरमय शजिकत, रतिनरराशा की घडिडयो रम आशा, भय क छणो रम उमरमीद औरर कहिठनाईयो, कषटो तरथा सकट क सरमय धय� परदान कररती ह।

अललाह तआला, उसक नयाय औरर कपा रम आसरथा तरथा कयारमत क हिदन उसक सरम1 परसतत किकय जान औरर उसक सदव �ाकी ररहन वाल घरर, जननत की पराजिपत परर विवशवास, रमनषय को रमानसिसक सवसरथ औरर अFयाजिHरमक शजिकत परदान कररता ह। किफरर तो उसक अजिसतHव स हष� एव आननद की किकररण फट पडती ह, उसकी आHरमा आशा स परिररपण� हो जाती ह, उसकी आखो रम ससारर का 1तर विवसतत हो जाता ह, वह जीवन को उजजवल

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दजिषट स दखन लगता ह औरर अपन सकषि1पत असरथायी जीवन रम, जो कषट सहता औरर जिजन चीजो का सारमना कररता ह, वह स� उसपरर सररल हो जाता ह। उस ऐस ढाररस, आशा औरर शाजिनत का अनभव होता ह, जिजसका सरथान न कोई जञान औरर दश�न गरहण करर सकता ह, न कोई धन-पजी औरर न सनतान तरथा परर� औरर पजिशचरम का शासन।

किकनत, वह वयजिकत, जो अपन ससारर रम बि�ना किकसी ऐस धरम� औरर विवशवास क जीता ह, जिजसस वह अपनी तरमारम सरमसयाओ रम रतिनद�श परापत करर सक; उसस किकसी चीज क �ारर रम धासिरम�क आदश जञात करर, तो वह उसका आदश �तलाए, उसस परशन करर तो उसका उHतरर द औरर उसस सहायता रमाग तो उसकी सहायता करर। उस ऐसी सहायता औरर सहयोग परदान करर जो पररासत न हो औरर रतिनररनतरर ररह। जो वयजिकत, इस विवशवास औरर आसरथा स परर जीवन वयतीत कररता ह, वह इस अवसरथा रम जीता ह किक उसका हदय �चन होता ह, उसकी सोच भरसिरमत होती ह, उसकी असिभरधिच पररागनदा होती ह औरर उसका अजिसतHव भग औरर टकड-टकड

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होता ह। कछ नीरतित शासतरो न ऐस वयजिकत को उस अभागा क सरमान ठहरराया ह, जिजसक �ारर रम �यान किकया जाता ह किक उसन �ादशाह की हHया करर दी औरर उसका दणड यह रतिनधा�रिररत किकया गया किक उसक दोनो हारथो औरर दोनो पावो को चारर घोडो रम �ाध हिदया जाय। किफरर उनरम स परHयक की पीठ परर लाहिठया �ररसायी गयी, ताकिक उनरम स हरर एक चाररो हिदशाओ रम स अलग-अलग हिदशाओ रम तजी स भाग। यहा तक किक उसक शररीरर क टकड-टकड हो गय!

यह घणिणत शाररीरिररक तौरर परर टकड-टकड होना, उस रमानसिसक रप स भग होन क सरमान ह, जिजसस धरम� क बि�ना जीन वाला वयजिकत पीडिडत होता ह। औरर शायद होशरमदो क नजदीक दसररी हालत पहली हालत स अधिधक कषटदायक, दयनीय औरर घातक ह। कयोकिक इस भग का परभाव कछ पलो औरर 1णो रम सरमापत नही होता, �जिलक यह एक यातना ह, जिजसकी अवधिध लम�ी होती ह। यह पीडिडत वयजिकत का सारथ जीवन भरर नही छोडती।

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अतः हरम दखत ह किक वह लोग, जो बि�ना सदढ विवशवास औरर आसरथा (अकीदा) क जीवन बि�तात ह, वह दसरर लोगो स अधिधक रमानसिसक �चनी, जिजसरमानी तनाव, हिदरमागी उलझन एव वयाकलता क सिशकारर होत ह। ज� उनह जीवन क दभा�गयो औरर सकटो का सारमना होता ह, तो वह अरतित शीघर टट जात ह। किफरर या तो जलद ही आHरमहHया करर लत ह या रमानसिसक ररोगी �नकरर रमतको क सरमान जीवन वयतीत कररत ह! जसा किक पराचीन अरर�ी कविव न इसको ररखाकिकत किकया हः

“वह वयजिकत, जो रमररकरर विवशरारम पा जाय, वह रमदा� नही ह। वासतव रम, रमदा� वह ह, जो जीविवत ररहकरर भी रमदा� हो। रमदा� तो वह वयजिकत ह, जो दखी, शोक-गरसत, रमत-हदय औरर रतिनरराश होकरर जीवन बि�ताता ह।”

इसी �ात को वत�रमान काल रम रमानसशाजिसतरयो औरर रमानसिसक ररोगो की धिचकिकHसा कररन वालो न सिसFद किकया ह औरर इसी �ात को सव�ससारर रम विवचाररको औरर सरमालोचको न पररमाणिणत किकया ह।

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डॉकटरर काल� पाज अपनी पसतक “वत�रमान यग का रमनषय अपन नफस की तलाश रम ह” रम कहता हः

“विपछल तीस वष8 क दौररान पररी दरतिनया क जिजन ररोधिगयो न भी रमझस परारमश� सिलया ह, उनस� की �ीरमाररी का काररण, उनक विवशवास का अभाव औरर अकीद का अदढ एव डावा-डोल होना रथा। उनह सवासरथ उसी सरमय परापत हआ, ज� उनहोन अपन ईरमान को पनः सरथाविपत औरर पनज�विवत करर सिलया।”

लाभ एव ससाधन शासतर विवजञानी “विवसिलयरम जमस” का कहना हः

“रतिनःसदह, धिचनता औरर शोक का स�स रमहान उपचारर ईरमान औरर विवशवास ह।”

डॉकटरर “बि�रिररयल” का करथन हः

“रतिनःसदह, वासतविवक रप स धरम�रतिनषठ वयजिकत कभी भी रमानसिसक �ीरमारिररयो स गरसत नही होता।”

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तरथा डॉकटरर “डील काररनीजी” अपनी पसतक “धिचनता छोडो औरर जीवन का आररमभ कररो” रम कहत ह:

“रमानसशासतर विवजञानी जानत ह किक दढ विवशवास औरर धरम� रतिनषठता, यह दोनो; शोक, धिचनता, रमानसिसक तनाव को सरमापत करर दन औरर इन �ीरमारिररयो स सवासरथ परदान कररन क जासिरमन ह।”

सरमाज रम परररणोओ, आचररण क रतिनयरमो तरथा वयवहारर सहिहता क सिलए धरम� की आवशयकताःधरम� की अनय आवशयकता भी ह। वह ह सारमाजिजक आवशयकता। सरमाज को परररको औरर रतिनयरमो की आवशयकता ह। अरथा�त ऐस परररक जो सरमाज क हरर वयजिकत को भलाई का कारम कररन औरर कत�वय का पालन कररन परर उभारर, यदयविप कोई उनकी रतिनगररानी (रतिनररी1ण) कररन वाला या �दला दन वाला रमौजद न हो......। औरर ऐस जाबत औरर सहिहताए, जो सम�नधो औरर समपक8 को

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रतिनयबितरत करर। हरर एक को इस �ात परर �ाFय करर किक वह अपनी सीरमा स आग न �ढ, अपनी इचछाओ या शीघर परापत होन वाल भौरतितक लाभ क काररण दसरर क अधिधकारर परर आकररमण न करर अरथवा सरमाज क कलयाण एव हिहत रम लापररवाही स कारम न ल।

यह नही कहा कजा सकता किक रतिनयरम औरर विवधयक इन जाबतो औरर सहिहताओ औरर परररको को पदा कररन क सिलए परयापत ह। कयोकिक रतिनयरम किकसी परररक औरर परोHसाहन को जनरम नही द सकत। इससिलए किक उनस छटकाररा पाना समभव ह। उनक सारथ चाल�ाजी कररना औरर �हाना �नाना सररल ह। इससिलए ऐस परररको, वयवहारर सहिहता तरथा आचररण क जाबतो का होना आवशयक ह, जो रमनषय क हदय क भीतरर स कारम कररत हो। उसक �ाहरर स नही। इस आनतरिररक परररक का होना आवशयक ह। “अनतरराHरमा”, “भावना” या “हदय” का होना आवशयक ह –आप उसको कछ भी नारम द द।- यही वह शजिकत ह, जो ज� शFद होती ह, तो रमनषय का पररा करम� शFद होता ह

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औरर ज� वह दविषत हो जाती ह, तो साररा करम� दविषत हो जाता ह।

लोगो का रमशाहिहदा, अनभव औरर साहिहHय क पढन स यह सिसFद हो चका ह किक अनतरराHरमा क परसिश1ण, आचररण शजिFद, भलाई परर उभाररन वाल परररको औरर �रराई स ररोकन वाली सहिहताओ की को वजद रम लान क सिलए धासिरम�क विवशवास स �ढकरर कोई वसत नही ह। यहा तक किक बि�टन क कछ वत�रमान जज –जिजनह विवजञान की उननरतित, सभयता क विवसतारर औरर रतिनयरमो की शFदता औरर यरथारथ�वाद क �ावजद, भयानक अपरराध न भयभीत करर हिदया –कह पडः

“आचररण औरर वयवहारर क बि�ना कोई सविवधान औरर कानन नही पाया जा सकता तरथा ईरमान औरर विवशवास बि�ना कोई आचररण पररवान नही चढ सकता।”

इसरम कोई आशचय� की �ात नही ह किक सवय कछ नाजिसतको औरर अधसिरम�यो न यह सवीकारर किकया ह किक धरम�, अललाह औरर पररलोक रम �दला हिदय जान

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परर विवशवास क बि�ना, जीवन जिसरथरर औरर सरथाविपत नही ररह सकता। यहा तक किक “फोजिलतयरर” का करथन हः

“यहिद अललाह का अजिसतHव न होता, तो हरमारर ऊपरर अरतिनवाय� होता किक हरम उस पदा करर।”

अरथा�त हरम लोगो क सिलए एक ʻ इलाह ʼ (पजय) का आविवषकारर करर, जिजसकी कपा की वह आशा ररख, जिजसक अजा� (यातना) स डरर तरथा सHकरम� कररत हए दषकरम� स �चत हए उसकी परसननता तलाश करर।

औरर एक �ारर ठठोल कररत हए कहता हः

“तरम अललाह क अजिसतHव रम कयो सदह परकट कररत हो? यहिद वह न होता, तो रमररी पHनी रमरर सारथ विवशवासघात कररती औरर रमररा नौकरर रमररी चोररी करर लता।”

औरर “बलताक� ” का करथन हः

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“बि�ना धररती क एक नगरर को सरथाविपत कररना, बि�ना इलाह (पजय) क एक रराषटर को सरथाविपत कररन स अधिधक आसान ह!!”

इसलारमी अकीदा की विवशषताएइसलारमी अकीदा ऐसी विवशषताओ औरर गणो का वाहक ह, जो अनय धाररणाओ रम नही ह। यह रतिनमनसिलणिखत चीजो स परदसिश�त होता हः

सपषट अकीदाःयह एक सपषट औरर आसान अकीदा (धाररणा) ह। इसक अनदरर कोई पचीदगी औरर उलझाव नही ह। इसका सारराश यह ह किक इस अनपरम, ससचासिलत,

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वयवजिसरथत औरर सदढ ससारर क पीछ एक रर� पालनहारर का हारथ ह, जिजसन इस पदा किकया ह,

वयवजिसरथत किकया ह औरर इसरम हरर चीज को एक अनरमान औरर अदाज स पदा किकया ह। इस ʻ इलाह ʼ या रर� का न कोई साझी ह, न इसक सरमान कोई चीज ह औरर न इसक �ीवी �चच ह:

﴿ نتون� ۥ ق� هل رض لك�ت و�ٱأل و� م� ا يف ٱلس ۥ م� 3﴾ ب�ل هل

“�जिलक आकाश औरर धररती की साररी चीज उसीक अधिधकारर रम ह औरर हरर एक उसका आजञाकाररी ह।”

यह एक सपषट औरर सवीकाय� अकीदा ह। कयोकिक �जिFद सदव सिभननता (अनकता) औरर अधिधकता की �जाय एकता औरर सम�नध का तकाजा कररती ह औरर साररी चीजो को सदा एक ही काररण की ओरर लौटाना चाहती ह।

पराकरतितक अकीदाःयह एक ऐसा अकीदा ह, जो किफतररत स अलग औरर उसक विवरFद नही ह, �जिलक यह उसी परकारर

3 सररह अल-�करराः 116

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किफतररत क अनसारर ह, जिजस परकारर किक रतिनधा�रिररत कजी अपन दढ ताल क अनसारर होती ह। कआ�न इसी तHव को सपषट रप स खललरम-खलला �यान कररता हः

نيف﴿ قم و�جه�ك� لدلين ح��ل�يه�[[ا ال�ف�أ ر� ٱنلاس� ع� ط�[[ ٱليت ف� ر�ت� ٱهلل ا فط[[

� ٱنلاس ال� كرث��كن أ ل� يم و� [[[ك� ٱدلين ٱلق� ل ذ� ت�ب[[[ديل� خل�ل[[[ق ٱهلل

عل�مون� ٠4﴾ي�

“सो, आप एकात होकरर अपना रमख दीन की ओरर करर ल। अललाह तआला की वह फतररत, जिजसपरर उसन लोगो को पदा किकया ह। अललाह तआला क �नाय हए को �दलना नही ह। यह सीधा दीन ह,

किकनत अधिधकाश लोग नही सरमझत।”

औरर इसी हकीकत को हदीस न�वी सललललाह अलहिह व सललरम न भी सपषट किकया हःان55ه، و0د+ اه يه+ ب+و+

+ا أ م-، و+ إن<م+ + اإلسال+ ى ىلع+

+ة-أ + الفطر+ ىلع+ ولود يودل+ ))لك م+

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4 सररह अरर-ररमः 30

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“हरर पदा होन वाला (सिशश) किफतररत –अरथा�त इसलारम- परर पदा होता ह, किकनत उसक रमाता-विपता उस यहदी �ना दत ह, ईसाई �ना दत ह या रमजसी (आरतितश पररसत) �ना दत ह।”

इसस रमालरम हआ किक इसलारम ही अललाह तआला की किफतररत ह। इससिलए इस रमाता-विपता क परभाव की आवशयकता नही ह।

जहा तक अनय धरम8 जस किक यहहिदयत, ईसाइयत औरर रमजसिसयत का सम�नध ह, तो यह रमाता-विपता क सिसखाय हए धरम� ह।

ठोस औरर सदढ अकीदाःयह एक ठोस एव सदढ औरर रतिनयसिरमत एव रतिनधा�रिररत अकीदा ह, जिजसरम किकसी करमी-�शी, परिररवत�न औरर हरर-फरर की गजाइश नही ह। इससिलए किकसी शासक, वजञारतिनक ससरथा या धासिरम�क समरमलन को यह अधिधकारर नही ह किक वह इसरम कोई चीज �ढाय अरथवा इसरम कोई सशोधन औरर परिररवत�न करर। हरर परकारर क इजाफा या सशोधन

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एव असवीकाय� ह। न�ी सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह:

(( هو+ ر+د ا ل+يس+ منه ف+ ا م+ مرن+ا هذ++ث+ ىف أ حد+

+ن أ ((م+

“जिजसन हरमारर इस रमारमल रम कोई नई चीज रतिनकाली, वह रमद�द (असवीकाय�) ह।”

अरथा�त उसी क ऊपरर लौटा हिदया जायगा।

औरर कआ�न इस नकाररत हए कहता हः﴿ ذ�ن به ٱهلل

�م ي�أ ا ل �هم من� ٱدلين م� �عوا ل ؤا رش� �هم رش�ك� م ل

�5﴾أ

“कया उन लोगो न (अललाह क) ऐस साझी �ना ररख ह, जिजनहोन उनक सिलए दीन क ऐस अहकारम रतिनधा�रिररत करर हिदय ह, जो अललाह तआला क फरररमाय हए नही ह?”

इस आधारर परर हरर परकारर की बि�दअत, कहारतिनया औरर खरराफात, जो रमसलरमानो की कछ किकता�ो रम सजिमरमसिलत करर दी गयी ह या उनक जन-साधाररण क �ीच फलायी गयी ह, �ारतितल, असHय औरर

5 सररह अश-शरराः 21

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असवीकाय� ह। इसलारम उनह पररमाणिणत नही कररता ह औरर न ही उनह इसलारम क विवरFद पररमाण औरर तक� क रप रम सवीकारर किकया जा सकता ह।

पररमाणिणत अकीदाःयह एक पररमाणिणत अकीदा ह, जो अपन रमसायल को सिसFद कररन क सिलए कवल पा�दी औरर �ाFयता परर ही �स नही कररता ह औरर दसरर अकीदो औरर धाररणाओ क सरमान यह नही कहता ह किकः

“अनध होकरर विवशवास (शरFदा) ररखो।”

या यह किकः

“पहल विवशवास कररो, किफरर जञान परापत कररो।”

या यह किकः

“अपनी दोनो आखो को रमद लो, किफरर रमररी पररवी कररो।”

या यह किकः

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“अजञानता (जिजहालत) तकवा औरर पररहजगाररी की �रतिनयाद ह।”

�जिलक उसकी किकता� सपषट रप स कहती हः﴿ دقني� ن�كم إن كنتم ص� اتوا بره� ١١١قل ه� ﴾6

“इनस कहो किक यहिद तरम सचच हो, तो कोई पररमाण पश कररो।”

इसी परकारर, कवल हिदल औरर आHरमा को सम�ोधिधत कररन औरर अकीद क सिलए �रतिनयाद क तौरर परर उनपरर भररोसा कररन परर �स नही कररता ह, �जिलक अपन रमसायल को अखणडनीय (विवशवसत, पर�ल)

पररमाण, ररौशन दलील औरर सपषट तक� क सारथ पश कररता ह, जो �जिFदयो की �ाग-डोरर को अपन कबज रम ल लती ह औरर हिदलो तक अपना ररासता �ना लती ह। अकीद क उलरमा कहत ह:

अकल (�जिFद) नकल (वह �ात जिजनका आधआरर रिररवायत या सिसरमाअ ह) की �रतिनयाद ह औरर सही

6 सररह अल-�करराः 111

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नकल (रमनकल वसत) सपषट अकल (विववक, �जिFद)

क विवरFद नही होता ह।

चनाच हरम दखत ह किक कआ�न उलहिहयत (इ�ादत)

क रमसल रम, नफस (आHरमा) औरर इरतितहास स अललाह तआला क वजद, उसकी वहदारतिनयत (एकHव) औरर उसक करमाल (समपण�ता) परर दलील पश कररता ह।

औरर �अस (रमररन क उपररानत पनः जीविवत किकए जान) की समभावना परर रमनषय को पररथरम �ारर पदा कररन, आसरमानो औरर जरमीन को पदा कररन औरर रमदा� जरमीन को जिजनदा (हररी-भररी) कररन क दवाररा तक� सरथाविपत कररता ह, औरर उसकी हिहकरमत (ररहसय) परर, भलाई कररन वाल को सवा� (पररतितफल)

दन औरर �रराई कररन वाल को सजा दन रम खदाई (ईशवररीय) नयाय औरर इनसाफ क दवाररा तक� सरथाविपत कररता हः﴿ نوا بٱحلسىن� حس�

�ين� أ ي�جزي� ٱذل ملوا و� ا ع� [وا بم� س�

�ين� أ 7﴾يل�جزي� ٱذل

7 सररह अन-नजरमः 31

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“ताकिक अललाह लआला �रर करम� कररन वालो को उनक करम8 का �दला द, औरर सHकरम� कररन वालो को अचछा पररतितफल परदान करर।”

अकीद क अनदररइसलारम का सतलन

इसलारमी अकीदा सारर पहलओ स सतसिलत होन क काररण अनय धरम8 क अकीदो स शरठ औरर सिभनन ह। यह विवशषता उस आसान औरर सतजिषट क काबि�ल �ना दती ह, जो सवीकाररन औरर पररवी क योगय ह। इस विवशषता औरर अनपरमता को जानन क सिलए आग आन वाली पजिकतयो को पढ :

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1. इसलारम उन खरराफारतितयो, जो एरतितकाद क अनदरर सीरमा को पारर करर जात ह, हरर चीज को सचचा रमान लत ह औरर बि�ना पररमाण क उसपरर विवशवास कररन लगत ह, तरथा उन भौरतितकवाहिदयो क �ीच एरतितकाद क अनदरर सतलन पदा कररता ह, जो चतना क परर साररी चीजो को नकाररत ह औरर किफतररत की आवाज, चतना की पकारर औरर रमोजिजजा (चरमHकारर) की चीख को सनन स भागत ह।चनाच इसलरमारम एरतितकाद औरर विवशवास की दावत दता ह; किकनत, कवल उसीपरर, जिजसपरर कतई दलील औरर रतिनजिशचत पररमाण सरथाविपत हो। इसक सिसवा अनय चीजो को वह नकारर दता ह औरर भररम शरमारर कररता ह। उसका सदा यह नाररा हः

﴿ دقني� ن�كم إن كنتم ص� اتوا بره� 8﴾ قل ه�

“यहिद तरम सचच हो, तो अपन पररमाण लाकरर पश कररो।”

8 सररह अल-�करराः 111

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2. वह सतसिलत ह उन रमलहिहदो (अधसिरम�यो) क �ीच, जो किकसी भी इलाह (पजय) को नही रमानत, अपन सीनो रम किफतररत की आवाज को द�ा दत ह औरर अपन सररो रम �जिFद की पकारर को चौलज कररत ह..... औरर उन लोगो क �ीच जो अनक रमा�दो (ईशवररो) को रमानत ह, यहा तक किक वह �करिररयो औरर गायो को भी पजन लगत ह औरर रमरतित �यो औरर पHरथररो को ईशवरर �ना लत ह।चनाच इसलारम एक इलाह (पजय) परर विवशवास ररखन की दावत दता ह, जिजसका कोई साझी नही। न उसन किकसी को जना ह, न वह किकसी स जना गया ह औरर न कोई उसका हरमसरर (सरमवत�) ह। उसक अरतितरिररकत जो लोग भी ह औरर जो चीज भी ह, वह रमखलक ह। वह लाभ औरर हारतिन, रमौत औरर जिजनदगी औरर दो�ाररा जीविवत होन का अधिधकारर नही ररखत ह। इससिलए उनको पजय �नाना सिशक� , अHयाचारर औरर सपषट परथभरषटता हः

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ي�[[وم﴿ ۥ إىل� ت�جيب هل� �س[[ ن ال ي م� ن ي�[[دعوا من دون ٱهلل ل مم ض��ن أ و�م�

فلون� ائهم غ� ن دع� ة و�هم ع� م� 9﴾ٱلقي�

“औरर उस वयजिकत स �ढकरर गरमरराह कौन होगा, जो अललाह क सिसवा ऐसो को पकाररता ह,

जो कयारमत तक उसकी परारथ�ना सवीकारर न करर सक , �जिलक उनक पकाररन स रमातर �ख�रर (रतिनशचत) हो!”

3. औरर वह सतसिलत ह, उन लोगो क �ीच, जो ससारर को ही अकला सHय अजिसतHव सरमझत ह औरर इसक अरतितरिररकत उन साररी चीजो को, जिजनह आख स दख औरर हारथ स छ नही सकत, असHय, खरराफात औरर भरररम सरमझत ह,..... औरर उन लोगो क �ीच, जो ससारर को एक भररम सरमझत ह, जिजसकी कोई हकीकत नही, उस चहिटयल रमदान रम चरमकती हई ररत क सरमान सरमझत ह, जिजस पयासा वयजिकत दरर स पानी सरमझता ह,

9 सररह अल-अहकाफः 5

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किकनत ज� उसक पास पहचता ह, तो उस कछ भी नही पाता।चनाच इसलारम ससारर क वजद को एक वासतविवकता सरमझता ह, जिजसरम कोई सदह नही ह। किकनत वह इस हकीकत स एक दसररी हकीकत की ओरर सफरर कररता ह, जो इसस अधिधक �डी हकीकत ह। वह ह, वह हसती जिजसन इस ससारर का रतिनरमा�ण किकया, इस वयवजिसरथत किकया औरर इसक सचालन रम लगा हआ ह। वह हसती, अललाह तआला की हः

ت﴿ ل و�ٱنله�[[ار ألي� ف ٱيل رض و�ٱختل��ت و�ٱأل و� م� لق ٱلس ويلإن يف خ�

أل

ب لب��م١٩٠ٱأل � قي� ين� ي�[[[ذكرون� ٱهلل جن[[[وبهما و�قع[[[ود[[[ ٱذل � ا و�ىلع�

طل ا ب� [[ذ� ل�قت� ه� بن�[[ا م�[[ا خ� رض ر��ت و�ٱأل و� م� لق ٱلس[[ رون� يف خ� ك ي�ت�ف� او�

اب� ٱنلار ذ� ن�ك� ف�قن�ا ع� 10﴾سبح�

“आसरमानो औरर जरमीन की ररचना औरर ररात हिदन क हरर-फरर रम, सच-रमच �जिFदरमानो क सिलए रतिनशारतिनया ह, जो अललाह तआला का जिजकर खड औरर �ठ औरर अपनी कररवटो क

10 सररह आल-इमरानः 190-191

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�ल लट हए कररत ह औरर आसनानो औरर धररती की पदाइश रम सोच-विवचारर कररत ह, औरर कहत ह: ऐ हरमारर पररवररहिदगारर! तन यह रतिनरररथ�क नही �नाया। त पाक ह। सो, हरम आग क अजा� (यातना) स �चा ल।”

4. वह सतसिलत ह, उन लोगो क �ीच, जो रमनषयो को पजय (इलाह) �नात ह, उनह र�बि�यत की विवशषताओ स समरमारतिनत कररत ह औरर उनही को अपना इलाह (पजय)

सरमझत ह किक वह जो चाहत ह कररत ह औरर जो चाहत ह फसला कररत ह, तरथा उन लोगो क �ीच, जिजनहोन आधिरथ�क, सारमाजिजक या धासिरम�क वयवसरथाओ औरर काननो को �नदी �ना सिलया ह। सो, उसका उदाहररण हवा क झोक रम परर (पख) या कठपरथली क सरमान ह, जिजसक धागो को सरमाज,

इजिकतसाद या भागय हिहला ररहा ह।चनाच इसलारम की दजिषट रम रमनषय एक जिजमरमदारर औरर रमकललफ (उHतररदाता, रतिनयरम �Fद) रमखलक ह। ससारर का सररदारर ह।

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अललाह का एक �नदा ह। अपन आस-पास की चीजो को �दलन की उतनी ही शजिकत ररखता ह, जिजतनी अपन आपको �दलन की। (अललाह तआला का फरमा�न हः)

نفسهم﴿�ا بأ وا م� ري يغ� يت وم ح� ا بق� م� ري � ال� يغ� 11﴾إن ٱهلل

“रतिनःसदह, अललाह तआला किकसी कौरम की हालत नही �दलता, ज�तक वह सवय उस न �दल, जो उनक हिदलो रम ह।”

5. वह सतसिलत ह उन लोगो क �ीच, जो नबि�यो को पविवतर रमानत ह, यहा तक किक उनहोन उनह उलहिहयत (ईशवररता) या इलाह (ईशवरर) क पतरHव क पद परर पहचा हिदया, तरथा उन लोगो क �ीच, जिजनहोन उनह झठलाया, उनपरर आररोप लगाए औरर यातनाओ क पहाड तोड।पगम�रर हरमारर सरमान रमनषय ह। खाना खात ह औरर �ाजाररो रम चलत-किफररत ह। उनरम स अधिधकाश क पास �ीवी-�चच भी ह। उनक औरर उनक अरतितरिररकत अनय लोगो क �ीच

11 सररह अरर-ररअदः 11

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अनतरर रमातर यह ह किक अललाह तआला न उनपरर वहय (ईशवाणी) क दवाररा उपकारर तरथा रमोजिजजात (चरमHकाररो) क दवाररा उनका सरमरथ�न औरर सहयोग किकया हः

﴿ � من ىلع� � ي� كن ٱهلل ل� مثلكم و� �رش� ن إال ب لهم إن حن �هم رس[[ ق�[[ال�ت لاء من �ش� ن ي م� ن إال بإذن ٱهلل تي�كم بسلط�

ن نأ

��ا أ ن� نل� ا اك� عب�ادهۦ و�م�

ٱلمؤمنون�لك ف�لي�ت�و� � ٱهلل 12﴾و�ىلع�

“उनक पगम�ररो न उनस कहा किक यह तो सच ह किक हरम, तरम जस ही इनसान ह, किकनत अललाह तआला अपन �नदो रम स जिजसपरर चाहता ह, अपनी अनकमपा कररता ह। अललाह क हकरम (अनरमरतित) क बि�ना हरमारर �स की �ात नही किक हरम तमह कोई रमोजिजजा (चरमHकारर) हिदखाय। औरर ईरमान वालो को कवल अललाह तआला ही परर भररोसा ररखना चाहिहए।”

6. वह सतसिलत ह, उन लोगो क �ीच, जो ससारर की वासतविवकताओ की जानकाररी परापत कररन क सरोत की हसिसयत स कवल �जिFद

12 सररह इ�ाहीरमः 11

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(अकल) परर विवशवास कररत ह, औरर उन लोगो क �ीच, जो कवल वहय औरर इलहारम परर विवशवास कररत ह। किकसी चीज को नकाररन या सवीकाररन रम �जिFद की योगदान को नही रमानत।ज�किक इसलारम �जिFद परर विवशवास ररखता ह। सोच-विवचारर औरर गौरर व किफकर की दावत दता ह, उसक अनदरर जरमद औरर अनकररण को नकाररता ह, आदशो औरर रतिनषधो स स�ोधिधत कररता ह, औरर ससारर की रमहान वासतविवकताओ; अललाह ताआला क वजद औरर न�अत क दाव की सचचाई को सिसFद कररन क सिलए उसपरर भररोसा कररता ह। वह वहय परर इस हसिसयत स विवशवास ररखता ह किक वह �जिFद की परतित � कररन वाली औरर उन चीजो रम उसकी सहायक औरर रमददगारर ह,

जिजनरम �जिFदया भटक जाती ह, रमतभद का सिशकारर हो जाती ह औरर जिजन परर शहवतो औरर खवाहिहशात का द�ाव औरर �ल चढ जाता ह। उसकी उस चीज की ओरर

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रमाग�दश�न औरर ररहनरमाई कररन वाली ह, जो उसस सम�जिनधत नही ह औरर जो उसक �स रम नही ह। जस की गबि�ययात (अदशय चीज), सरमइययात (वह �ात जिजनका आधारर वहय हो जस जननत, जहननरम आहिद) औरर अललाह तआला की इ�ादत क तररीक। दरतिनया रम भलाई अरथवा �रराई कररन परर,

रमररन क �ाद दसररी दरतिनया रम सवा� औरर सजा क रप रम नयायपण� खदाई (ईशवररीय)

�दला हिदए जान परर विवशवास ररखन रम, इस किफतररी औरर असली अहसास को सरमरथ�न सिरमलता ह किक उस �दकारर औरर अHयाचारर स �दला लना अरतिनवाय� औरर आवशयक ह,

जिजसन सासारिररक नयाय स अपना पीछा छडा सिलया ह, औरर उस वयजिकत को सवा� आवशयक ह, जिजसन भलाई औरर नकी की ह औरर उसका परचाररक ररहा ह, पररनत उस घणा औरर उHपीडन क सिसवा कछ न सिरमला हो..... तरथा सदाचारिररयो औरर दरराचारिररयो, नक औरर

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�रर लोगो, सधारर कररन वालो औरर भरषटाचारिररयो क �ीच �ररा�ररी न की जायः

﴿ ن[[وا ين� ء�ام� ٱذل ل�هم ك� ع� ن جن�ي �ات أ وا ٱلس[[ �ح[[ ين� ٱجرت� ب� ٱذل س[[ م ح�

� أ

ت لح� ملوا ٱلص كم[[ون� و�ع� اء� م�[[ا حي� م�[[اتهم س[[� م� ي�[[اهم و� اء حم و� ٢١س�ب�ت س[[� ا ك� ى لك ن�فس بم� تلجز� رض� بٱحل�ق و�

�ت و�ٱأل و� م� ٱلس ل�ق� ٱهلل و�خ�

13﴾٢٢و�هم ال� يظل�مون�

“कया उन लोगो का, जो �रर कारम कररत ह, यह गरमान ह किक हरम उनह उन लोगो जसा करर दग, जो ईरमान लाय औरर नक कारम किकय किक उनका रमररना जीना �ररा�रर हो जाय, �ररा ह वह फसला, जो वह करर ररह ह। औरर आसरमानो औरर जरमीन को अललाह न �हत नयाय क सारथ पदा किकया ह औरर ताकिक हरर वयजिकत को उसक किकय हए कारम का पररा �दला हिदया जाय औरर उनपरर अHयाचारर न किकया जाय।”

जननत औरर जहननरम औरर उनरम जो कछ हिहससी (जाहिहररी) औरर रमानवी (�ारतितनी) नरमत औरर अजा� ह उस परर ईरमान ररखना, रमनषय

13 सररह अल-जासिसयाः 21-22

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की वसतजिसरथरतित क अनसारर ह, इस हसिसयत स किक वह शररीरर औरर आHरमा स सिरमलकरर �ना ह औरर उनरम स हरर एक की कछ आशाए औरर आवशयकताए ह। तरथा इस हसिसयत स भी किक कछ लोग ऐस ह, जिजनक सिलए शररीरर को छोडकरर कवल आHरमा की नरमत या अजा� पया�पत नही ह। जिजस परकारर किक उनरम स कछ लोग ऐस ह, जिजनह आHरमा को छोडकरर कवल शररीरर की नरमत या यातना सतषट नही करर सकती ह। इसीसिलए जननत रम खाना, पानी, �डी-�डी आखो वाली हरर (सनदरिररया) औरर रमहानतरम अललाह की परशसा ह.... औरर जहननरम रम जनजीरर, तौक, रथहड, खन-पीप औरर काटदारर पडो का भोजन होगा, जो न रमोटा कररगा औरर न भख सिरमटाएगा, औरर उनक सिलए इसक उपररानत अपरमान, जिजललत औरर रसवाई होगी, जो स�स अधिधक कठोरर औरर कषट दायक होगी।

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जीवन क तरमारम 1तरो रम इसलारम का यरथारथ�वाद

इसलारम क रतिनयरम, उसक सिसFदात औरर उसकी सिश1ाए रमानव जीवन क हरर 1तर रम यरथारथ�वाद परर आधारिररत ह। वह रमानव जीवन की परिररजिसरथरतितयो, आवशयकताओ औरर विवसिभनन हालात परर नजरर ररखता ह। इस सचचाई स पदा� उठान क सिलए हरम इस यरथारथ�वाद को कवल दो 1तरो क दवाररा सवषट कररगः

पररथरमः इ�ादतो क अनदरर इसलारम का यरथारथ�वादःइसलारम कई वासतविवक एव यरथारथा�नरप इ�ादतो क सारथ आया ह। कयोकिक वह इनसान क अHरमा

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की अललाह तआला स समपक� सरथाविपत कररन की पयास को जानता ह। इससिलए उसपरर ऐसी इ�ादत फज� कररारर हिदया ह, जो उसकी पयास को �झाती, उस की तज भक को सिरमटाती औरर उसक हदय क खालीपन (रिररकतता) की परतित � कररती ह। किकनत, उसन इनसान की सीसिरमत शजिकत को Fयान रम ररखा ह। इसीसिलए, उस किकसी ऐसी चीज का �ाFय नही किकया ह, जो उस कहिठनाई औरर तगी रम डाल दः

ر�ج﴿ ل�يكم يف ٱدلين من ح� ل� ع� ع� ا ج� و�م� ﴾14

“औरर दीन क रमारमल रम उसन तरमपरर कोई तगी नही डाली ह।”

(क) उदाहररणतः इसलारम न जीवन की वासतविवकता औरर हकीकत तरथा उसक खानदानी, सरमाजी औरर आधिरथ�क परिररजिसरथरतितयो औरर ररोजी की तलाश रम धररती क सरमतल औरर आसान ररासतो रम भाग-दोड को Fयान रम ररखा ह। इससिलए रमसलरमानो स इस �ात का रमताल�ा नही किकया ह किक वह पादरिररयो

14 सररह अल-हजजः 78

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क सरमान धिगररजाघररो रम इ�ादत क सिलए साररी चीजो स कटकरर एकात हो जाय। �जिलक यहिद वह ऐसा कररना चाह, त� भी उस इस एकात की अनरमरतित नही दी ह। रमसलरमान को कछ ऐसी इ�ादतो का �ाFय किकया ह, जो उस उसक रर� (पालनहारर) स जोडती तो ह, पररनत उस उसक सरमाज स काटती नही ह। उन (इ�ादतो) स वह अपनी आणिखररत को आ�ाद तो कररता ह, पररनत उनक पीछ अपनी दरतिनया को ��ा�द नही कररता। इसलारम न उनस इस �ात का रमताल�ा नही किकया ह किक वह जीवन भरर रहारतिनयत की खासिलस किफजा रम ऊची उडान भडत ररह, �जिलक ररसल सललललाह अलहिह व सललरम न अपन कछ साधिरथयो स फरररमायाः “एक घटा औरर एक घटा।”15

(ख) इसलारम को इसान क अनदरर उकताहट औरर उदासीनता की किफतररत का जञान ह। इससिलए उसन विवसिभनन परकारर की

15 रमजिसलरम59

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इ�ादतो को अरतिनवाय� किकया ह। कछ इ�ादत शाररीरिररक ह, जस नरमाज औरर ररोजा। कछ इ�ादतो का सम�नध रमाल स ह, जस जकात औरर सदका व खररात औरर तीसररी किकसरम की इ�ादत वह ह, जो रमाल औरर शररीरर दोनो स सम�जिनधत ह, जस हज औरर उमरा। कछ इ�ादतो को दरतिनक किकया गया ह, जस नरमाज। कछ इ�ादतो को वाविष�क या रमौसरमी कररारर हिदया गया ह, जस ररोजा औरर जकात औरर कछ को जीवन रम कवल एक �ारर अरतिनवाय� किकया गया ह, जस हज। किफरर जो वयजिकत अधिधक भलाई औरर अललाह तआला की रतिनकटता चाहता ह, उसक सिलए ऐजिचछक इ�ादतो का दवारर खोल हिदया गया ह औरर नफली इ�ादत कररना वध करर हिदया गया हः

﴿ ري ع� خ� و ن ت�ط� م� ف� ري هل هو� خ� ا ف� ﴾16

16 सररह अल-�करराः 184

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“जो वयजिकत अपनी इचछा स नकी औरर भलाई कररना चाह, तो वह उसक सिलए शरषठ ह।”

(ग) इसलारम न रमनषय क आपातकालीन परिररजिसरथरतितयो, जस यातरा औरर �ीरमाररी आहिद को Fयान रम ररखा ह। इसी सिलए रखसतो औरर आसारतिनयो को वध किकया ह, जो अललाह तआला को पसनद ह। उदाहररण सवरप, �ीरमारर का अपनी शजिकत अनसारर �ठकरर या पहल क �ल नरमाज पढना, जखरमी आदरमी का यहिद सनान औरर वज क सिलए पानी परयोग कररना हारतिनकाररक हो तो तयमरमरम कररना, �ीरमारर का रररमजान रम ररोजा न ररखना औरर �ाद रम अरतिनवाय� रप स कजा कररना, गभ�वरतित औरर दध विपलान वाली रमहिहलाओ का यहिद उनह अपनी या अपन �चचो की जान का भय हो तो ररोजा न ररखना तरथा अधिधक आय वाल �ढ वयजिकत औरर �ढी सतरी का ररोजा न ररखना औरर हरर

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हिदन क �दल किफदया क रप रम एक सिरमसकीन (रतिनध�न) को खाना णिखलाना।इसी परकारर यातरी क सिलए चारर ररकअत वाली नरमाजो को कसर (करम) कररना औरर जहर तरथा असर एव रमधि�� तरथा इशा की नरमाजो को जरमा कररक एक सारथ पढना, चाह दोनो नरमाजो को पहली नरमाज क सरमय पढी जाय अरथवा दोनो को दसररी नरमाज क सरमय.....। यह साररी रखसत लोगो की वासतविवक जिसरथरतित का सिलहाज कररत हए औरर उनकी रतिनत-नयी औरर परिररवत�नशील परिररजिसरथरतितयो को Fयान रम ररखत हए परदान की गयी ह। जस किक ररोज की आयत रम अललाह तआला का फरमा�न हः

ال� يريد بكم ٱلعرس� بكم ٱليرس� و� 17يريد ٱهلل

“अललाह तआला का इररादा तमहारर सारथ आसानी का ह, सखती का नही।”

17 सररह अल-�करराः 185

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दविवतीयः वयवहारर क अनदरर इसलारम का वासतविवकतावाद:इसलारम न ऐस वासतविवक अखलाक व वयवहारर को पश किकया ह, जिजसन जन-साधाररण की साधाररण शजिकत (1रमता) को Fयान रम ररखत हए इनसानी करमजोररी, इनसानी जज�ात औरर भौरतितक तरथा रमानसिसक आवशयकताओ को सवीकारर किकया ह।

(क)उदाहररण क तौरर परर इसलारम न इसलारम रम परवश कररन वाल परर यह अरतिनवाय� नही किकया ह किक वह अपनी धन-

समपजिHत औरर ररहन-सहन की चीजो का परिररHयाग करर द, जसा किक इनजील रमसीह क �ारर रम उललख कररता ह किक उनहोन अपनी पररवी कररन क इचछक लोगो स कहाः“अपन रमाल-धन को �च दो, किफरर रमरर पीछ चलो।”

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औरर न ही कआ�न न उस परकारर की कोई �ात कही ह, जिजस परकारर इनजील का कहना हः“धनी वयजिकत आसरमानो की �ादशाहत रम उस सरमय तक परवश नही पा सकता, ज� तक किक ऊट सई क नाक रम परवश न करर ल।”

�जिलक इसलारम न वयजिकत औरर सरमाज की धन औरर रमाल की जरररत को Fयान रम ररखा ह। चनाच उस जीवन का सरथाविपतकता� सरमझा ह। उस �ढान,

विवजिकसत कररन औरर उसकी सरर1ा कररन का आदश हिदया ह। अललाह तआला न कआ�न क अनदरर कई सरथानो रम रमालदाररी औरर धन की नरमत क दवाररा इनसान परर उपकारर का उललख किकया ह। अललाह तआला न अपन ररसल सललललाह अलहिह व सललरम स फरररमायाः

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﴿ غىن��ائال ف�أ ك� ع� د� و�ج� 18﴾و�

“औरर तझ रतिनध�न पाकरर धनी नही �नाया?”

औरर ररसलललाह सललललाह अलहिह व सललरम न फरररमायाः

ىب ب+كر))+ال أ م+ د ك+ ح+

+ال أ ىن م+ ع+ ا ن+ف+ 19((م+

“अ� �कर क धन की तररह किकसी औरर धन न रमझ लाभ नही पहचाया।”

औरर अमर बि�न आस ररजिजयललाह अनहरमा न फरररमायाः

الح)) ال الصالح للر<جل الص< 20((نعم+ الم+

18 सररह अज-जहाः 819 इस हदीस को इरमारम अहरमद न अ� हररररा ररजिजयललाह अनह स रिररवायत किकया ह औरर इसकी सनद सहीह ह जसा किक रमनावी की किकता� अल-यसीरर रम ह।20 इस हदीस को इरमारम अहरमद न अपनी रमसनद रम औरर त�ररानी न रमोजरमल-क�ीरर रम सहीह सनद क सारथ रिररवायत किकया ह।

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“नक आदरमी क सिलए पाक औरर शFद रमाला कया ही �हतररीन पजी ह!”

(ख)कआ�न औरर सननत रम इस परकारर की कोई �ात नही आई ह, जिजस परकारर इनजील रम रमसीह क करथन आए ह:“अपन दशरमनो स पररम कररो.... अपन को �ररा-भला कहन वालो क सिलए �ररकत की दआ कररो..... जो तमहारर दाहिहन गाल परर रमारर, उस �ाया गाल भी पश करर दो.....औरर जो तमहाररी करमीस चररा ल,

उस अपना तह�नद भी द दो।”

यह चीज सीसिरमत अवसरथा रम औरर किकसी विवशष जिसरथरतित क उपचारर क सिलए वध हो सकती ह, किकनत परHयक जिसरथरतित रम, हरर वातावररण रम, हरर जरमान रम औरर सारर लोगो क सिलए सारमानय रतिनद�श औरर सझाव क रप रम उधिचत नही ह। कयोकिक साधाररण इनसान स अपन दशरमन स रमहब�त कररन औरर उस �ररा-भला कहन वाल को आशीवा�द दन का रमताल�ा

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कररना, उसक सहन औरर �दा�शत स अधिधक �ोझ डालन क रमायन रम ह। इसी सिलए इसलारम न रमनषय स अपन दशरमन क सारथ नयाय स कारम लन का रमताल�ा कररन परर ही �स किकया हः

ق[[ر�ب﴿�دلوا ه[[و� أ ٱع[[ ال ت�ع[[دلوا

� أ � ان ق�[[وم ىلع� ن� � نكم ش[[� [[رم� ال� جي� و�

ى 21﴾للتقو�

“किकसी कौरम की दशरमनी तमह अनयाय कररन परर न उभारर, नयाय किकया कररो, जो तकवा क अधिधक रतिनकट ह।”

इसी परकारर दाहिहन गाल परर रमाररन वाल क सिलए �ाया गाल भी पश करर दना, ऐसा कारम ह, जो लोगो क हिदलो परर �हत भाररी गजररता ह, �जिलक �हत स लोगो क सिलए ऐसा कररना दशवारर औरर कहिठन ह। यह भी हो सकता ह किक यह कारम दरराचाररी औरर �रर लोगो को नक औरर सदाचाररी लोगो परर रतिनडरर औरर साहसी �ना द। कभी–कभारर -कछ हालतो

21 सररह अल-रमाइदाः 8

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रम औरर कछ लोगो क सारथ- अरतिनवाय� हो जाता ह किक �रर औरर �दरमाश लोगो को 1रमा कररन की �जाय वसा ही दणड हिदया जाय, जसा अHयाचारर उनहोन कया रथा, ताकिक ऐसा न हो किक वह परसननता का अनभव करर औरर अधिधक जयादती औरर अHयाचारर कररन लग।

(ग) इसलारमी अखलाक वासतविवकता रम यह भी ह किक उसन लोगो क �ीच सवभाविवक औरर अरमली अनतरर तरथा फक� को सवीकारर किकया ह। कयोकिक सारर लोग ईरमान की शजिकत, अललाह क आदशो का पालन कररन, उसकी रतिनषध की हई �ातो स �चन औरर ऊच आदश8 को अपनान रम एक ही शरणी औरर एक ही दज� क नही होत ह।चनाच एक शरणी इसलारम की ह, दसररी शरणी ईरमान की ह औरर तीसररी शरणी एहसान की ह, जो किक सव}चच शरणी ह।

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जसा किक हदीस जिज�ील रम इसकी ओरर सकत ह। परHयक शरणी क कछ लोग ह।इसी परकारर कछ लोग गनाहो क दवाररा अपन ऊपरर अHयाचारर कररन वाल ह, कछ लोग रमFय शरणी क ह औरर कछ लोग नकिकयो औरर भलाइयो रम जलदी कररन वाल ह। जसा किक अललाह तआला न कआ�न कररीरम रम �यान किकया ह।

1. इस अरथ� की परतित � इसस भी होती ह किक इसलारमी अखलाक न रमHतकिकयो क �ारर रम यह अरतिनवाय� नही किकया ह किक वह हरर �रराई स पविवतर औरर हरर गनाह स पाक हो। रमानो किक वह पररो वाल फरिररशत ह। �जिलक उसन इस �ात को Fयान रम ररखा ह किक रमनषय सिरमटटी औरर आHरमा स सिरमलकरर �ना ह। यहिद आHरमा उस कभी ऊचा उठाती ह, तो सिरमटटी उस कभी नीच धिगररा दती ह। ज�किक रमHतकिकयो की विवशषता यह ह किक वह 1रमा याचना कररन वाल औरर अललाह की ओरर लौटन वाल होत ह। जसा किक अललाह

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तआला न अपन इस फरमा�न रम उनकी विवशषता का उललख किकया ह:

﴿ روا ت�غف� � ف�ٱس[[ هم ذ�ك�[[روا ٱهلل نفس[��ل�موا أ و ظ�

�ة أ حش� لوا ف� ع� ين� إذ�ا ف� و�ٱذل

ل[[وا و�هم ع� م�[[ا ف� � وا ىلع� �م يرص ل و� نوب� إال ٱهلل غف[[ر ٱذل ن ي� نوبهم و�م� ذلعل�مون� 22﴾١٣٥ي�

“ज� उनस कोई �हदा (अशलील) कारम हो जाय या कोई गनाह करर �ठ , तो तररनत अललाह का जिजकर औरर अपन गनाहो क सिलए 1रमा रमागत ह, वासतव रम अललाह क अरतितरिररकत कौन गनाहो को 1रमा करर सकता ह? औरर वह जञान क होत हए किकसी �रर कारम परर हठ नही कररत ह।”

22 सररह आल-इमरानः 135

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इसलारम रम कानन साजी क सरोत

ज� रमनषय क पास कानन साजी औरर आदश व रतिनषध का सरोत, रमनषय दवाररा रतिनसिरम�त कवानीन औरर सविवधान की �जाय, उसका पालनहारर औरर जनरमदाता होता ह, तो उसकी अनक रमहHवपण� फायद परापत होत ह। इसका काररण सपषट ह औरर वह ह, इस सविवधान क �नान वाल अरथा�त अललाह तआला का करमाल औरर समपण�ता। ज�किक अनय कवानीन औरर सविवधानो क सारथ रमनषय की करमजोररी औरर कोताही लगी ररहती ह।

इसलारमी कवानीन क फायदो को रतिनमन परकारर स उललणिखत किकया जा सकता हः

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पाररसपरिररक टकरराव औरर रमतभद स सरर1ाःशररीअत का सरोत रमनषय क पालनहारर औरर सषटा क होन का सव�पररथरम परभाव यह ह किक वह उस पाररसपरिररक टकरराव औरर रमतभद स सररकषि1त ह,

जिजसस इनसानी कवानीन व सविवधान औरर परिररवरतित�त धरम� पीडिडत ह।

रमनषय की यह परकरतित ह किक एक यग क लोग दसरर यग क लोगो स रमतभद ररखत ह। �जिलक एक ही यग रम एक सरमय क लोग दसरर सरमय क लोगो स, एक दश क लोग दसरर दश क लोगो स,

�जिलक एक ही दश रम एक परदश क लोग दसरर परदश क लोगो स औरर एक ही परदश रम एक परिररवश क लोग दसरर विपररवश क लोगो क रमतभद ररखत ह।

हरम परायः दखत ह किक जवानी की अवसरथा रम एक वयजिकत क विवचारर, अधडपन या �ढाप की अवसरथा क विवचारर क विवरFद होत ह औरर परायः हरम दखत ह किक कहिठनाई औरर रतिनध�नता की घडी रम आदरमी

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क विवचारर, खशहाली औरर रमालदाररी की अवसरथा क विवचारर स सिभनन होत ह।

ज� रमनषय की �जिFद की यह परकरतित ह औरर आवशयक रप स वह सरमय, सरथान, परिररजिसरथरतितयो औरर दशाओ स परभाविवत होता ह, तो किफरर उसक दवाररा �नाय गय कवानीन क पाररसपरिररक टकरराव औरर रमतभद स सररकषि1त होन की कलपना कस की जा सकती ह? चाह वह कवानीन कलपना औरर विवशवास स सम�जिनधत हो, या वयवहारर औरर अरमल स,.... रतिनःसदह पाररसपरिररक टकरराव औरर अनतरर उसका एक आवशयक अग ह।

इस पाररसपरिररक टकरराव की झजिलकयो रम स एक यह ह किक परHयक खदसाखता (गढ हए) औरर परिररवरतित�त धासिरम�क औरर इनसानी कवानीन औरर वयवसरथाओ रम हरम अरतितशयोजिकत दख औरर अनभव करर सकत ह। जसा किक यह हकीकत आजिHरमक औरर भौरतितक, वयजिकतगत औरर सारमहिहक,

वासतविवकता औरर आदश�ता, अकल औरर हिदल, दढता औरर परिररवत�न, औरर इनक अरतितरिररकत अनय विवपररीत

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चीजो क �ारर रम उनक दजिषटकोण स सपषट ह,

जिजसक �ारर रम परHयक धरम� या कानन कवल एक ही पहल परर नजरर ररखता ह, दसरर पहल स �पररवाही �ररतता ह या उसपरर अHयाचारर कररता ह। किकनत इसलारमी कानन इसक विवपररीत ह। कयोकिक उसका सरोत रमनषय का उHपजिHतकता� ह। रमनषय नही!

प1पात एव सवचछा स पाक होनाःइसलारम की ररब�ारतिनयत (अरथा�त रर� की ओरर स होन) क फायदो रम स एक यह ह किक वह रतिनतात नयाय परर आधारिररत ह औरर प1पात, अHयाचारर औरर खवाहिहशात की पररवी स पविवतर ह, जिजसस रमनषय सररकषि1त नही ररह सकता, चाह वह कोई भी हो।

हा, कोई भी गरर रमासरम वयजिकत –जञान औरर आHरमसयरम क रमारमल रम उसका सतरर किकतना ही ऊचा कयो न हो- खवाहिहशात औरर वयजिकतगत,

खानदानी, 1तरीय, दलीय औरर रराषटरीय रझानो औरर झकाव स परभाविवत होए बि�ना नही ररह सकता।

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अगररच वह जाहिहररी तौरर परर नयाय विपरय औरर गररजारतिन�दाररी का पररोकारर हिदखता हो।

यहिद रमनषय की कोई रतिनधा�रिररत इचछा या विवशष रझान हो, जो उसकी ररहनरमाई औरर उसक विवचारर को परिररवरतित�त कररता हो औरर उसक फसल को उसी ओरर रमोडन वाला हो जिजसका वह इचछक औरर पररमी ह, तो यह गमभीरर सरमसया ह। इसक अनदरर इनसान की जाती कोताही व अभाव क सारथ सारथ,

पररवी की जान वाली खवाहिहश भी एकतर हो गयी। इस परकारर सरमसया औरर गमभीरर हो गयीः

﴿ ري هد ىه بغ� و� ن ٱتب�ع� ه� ل مم ض��ن أ ى و�م� من� ٱهلل ﴾23

“उस वयजिकत स �ढकरर परथ-भरषट कौन होगा, जो अललाह तआला क रमाग�दश�न क बि�ना अपनी खवाहिहशात क पीछ चलन वाला हो?”

किकनत जहा तक “अललाह तआला की वयवसरथा”

औरर “अललाह तआला क कानन” का परशन ह, तो सपषट ह किक उस लोगो क पालनहारर न लोगो क

23 सररह अल-कससः 50

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सिलए �नाया ह। उस हसती न उस �नाया ह, जो सरमय औरर सरथान स परभाविवत नही होती ह। इससिलए किक वही सरमय औरर सरथान को पदा कररन वाली ह। उसपरर खवाहिहशात औरर रझानात का �स नही चलता ह, कयोकिक वह खवाहिहशात व रझानात स पविवतर ह। वह हसती किकसी रराषटर, ररग औरर दल का प1 नही लती ह, इससिलए किक वह स�का पालनहारर ह औरर स�लोग उसक गलारम ह। इससिलए उसक �ारर रम एक दल को छोडकरर दसरर दल का, एक नसल को छोडकरर दसरर नसल का औरर एक रराषटर को छोडकरर दसरर रराषटर का प1 लन औरर जारतिन�दाररी कररन की कलपना नही की जा सकती।

समरमान औरर पररवी कररन रम सररलताःइसी परकारर इस शररीअत की विवशषताओ रम स एक विवशषता यह भी ह किक इसकी ईशवररीयता वयवसरथा या कानन को पविवतरता औरर समरमान स ससजिजजत कररती ह, जो रमनषय क �नाय हए किकसी वयवसरथा औरर कानन रम नही पाया जाता ह।

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यह समरमान औरर पविवतरता यहा स जनरम लता ह किक रमोसिरमन अललाह तआला क करमाल (पण�ता) औरर उसक अपनी तखलीक (उHपजिHत) औरर आदश रम हरर परकारर की करमी स पाक होन का एरतितकाद ररखता ह। वह इस �ात परर भी यकीन ररखता ह किक अललाह तआला न हरर चीज को �हतरर रप रम पदा किकया ह औरर हरर चीज को अपनी काररीगररी स सदढ किकया ह। जसा किक अललाह तआला न अपनी किकता� रम फरररमाया हः

ء﴿ ن� لك يش� تق��ي أ ٱذل 24﴾صنع� ٱهلل

“यह अललाह तआला की काररीगररी ह, जिजसन हरर चीज को सदढ �नाया ह।”

इसी परकारर अललाह तआला न अपनी शररीअत औरर उताररी हई किकता� को भी सदढ �नाया ह। जसा किक अललाह तआला न कआ�न कररीरम क �ारर रम फरररमाया हः

﴿ بري كيم خ� ن ح� ل�ت من دل تهۥ ثم فص ت ء�اي� حكم�ب أ ١كت� ﴾25

24 सररह अन-नमलः 8825 सररह हदः 1

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“यह एक ऐसी किकता� ह किक उसकी आयत सदढ की गयी ह, किफरर सपषट रप स उनकी वयाखया की गयी ह, एक हकीरम (तHवदश�) सव�जञानी की ओरर स।”

सो, उसन जो कछ पदा किकया औरर रमकददरर किकया ह, उसरम हिहकरमत वाला ह औरर जो कछ उसन आदश हिदया ह औरर रमनाही की ह, उसरम वह हिहकरमत वाला ह। (अललाह तआला का फरररमान हः)

وت﴿ لق ٱلرنمح من ت�ف� ى يف خ� ا ت�ر� 26﴾م

“तमह ररहरमान (अललाह) की उHपजिHत रम कोई गड�डी नही हिदखायी दगी।”

तमह ररहरमान की शररीअत रम कोई दोष औरर �जोडपन नही सिरमलगा। सो, पविवतर ह अललाह तआला, जो सव�शरषठ पदा कररन वाला औरर तरमारम हाकिकरमो का हाकिकरम ह।

इस समरमान औरर तकदीस क अधीन यह ह किक रमनषय उस वयवसरथापक की सिश1ाओ औरर उसक

26 सररह अल-रमलकः 3

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आदशो स परसनन हो औरर खल हिदल स, उनह सवीकारर करर ल। यह अललाह औरर उसक ररसल परर विवशवास क तकाजो रम स हः

﴿ [[دوا ر� ب�ين�هم ثم ال� جي� ج� ا ش� حي�كموك� فيم� يت بك� ال� يؤمنون� ح� ر� ف�ال� و�ر�ج نفسهم ح�

��سليميف أ لموا ت يس� يت� و� ا ق�ض� 27﴾٦٥ا ا مم

“सो सौगनध ह तरर पालनहारर की! यह रमोसिरमन नही हो सकत, ज� तक किक आपस क तरमारम रमतभदो रम आपको हाकिकरम न रमान ल। किफरर जो रतिनण�य आप उनरम करर द, उनस अपन हिदल रम किकसी परकारर तगी औरर अपरसननता न अनभव करर औरर आजञाकारिररता क सारथ सवीकारर करर ल।”

इस समरमान, तकदीस औरर ससवीकाय�ता स यह आवशयक हो जाता ह किक उनह अरमल रम लान रम जलदी की जाय, सख-दख रम उनपरर कान धररा जाय औरर आजञापालन की जाय, किकसी परकारर का टाल-

रमटोल या काहिहली न की जाय औरर न ही वयवसरथा क अनसारर चलन, उसकी पा�नदी कररन

27 सररह अन-रतिनसाः 65

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औरर आदशो तरथा रतिनषध �ातो का अनपालन कररन स जान छडान क सिलए �हाना �ाजी की जाय।

हरम यहा कवल दो उदाहररणो का उललख कररन परर �स कररत ह, जो न�ी सललललाह अलहिह व सललरम क सरमयकाल रम अललाह तआला की शररीअत औरर उसक आदश तरथा रतिनषध क पररतित दजिषटकोण औरर ररवय को सपषट कररत ह:

पररथरम उदाहररणः शररा� क हररारम किकए जान

क पशचात रमदीन रम रमोसिरमनो का ररवयाअरर�ो को शररा� (रमहिदररा), उसक �त�नो औरर उसकी रमहकिफलो स �डा लगाव रथा। अललाह तआला को भली-भारतित इसका जञान रथा। इससिलए अललाह तआला न उस रमररहलावारर हररारम कररन का ररासता अपनाया। यहा तक किक वह रतिनणा�यक आयत उतरर गयी

, जिजसन उस रतिनजिशचत रप स हररारम कररारर द हिदया औरर यह घोषणा की किकः

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ن﴿ يط� ل ٱلش م� 28﴾رجس من ع�

“यह स� अपविवतर, शतान क कारमो रम स ह।”

चनाच इस आयत क आधारर परर न�ी सललललाह अलहिह व सललरम न उसका पीना, �चना औरर उस गरररमजिसलरमो को उपहारर दना तक हररारम कररारर द हिदया। किफरर कया रथा! रमसलरमानो न उनक पास जो भी शररा� क भणडारर औरर उसक �त�न रथ, उनह लाकरर रमदीन की गसिलयो रम उनडल हिदया। यह इस �ात की घोषणा रथी किक वह शररा� स पाक औरर पविवतर हो गय।

अललाह तआला की इस शररीअत की पररवी का एक अनठा पहल यह ह किक ज� उनरम स एक दल को यह आयत पहची, तो उनरम एक ऐसा वयजिकत भी रथा, जिजसक हारथ रम शररा� का पयाला रथा, जिजसरम स उसन कछ पी सिलया रथा औरर कछ उसक हारथ रम �ाकी रथा, तो उसन उस अपन रमह स फ क हिदया औरर अललाह तआला क फरमा�न 29 نت�هون� م نتم

�أ ل ه� ف�

28 सररह अल-रमाइदाः 9029 सररह अल-रमाइदाः 91

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(अरथा�तः तो कया तरम �ाज आन वाल हो?) का पालन कररत हए- कहाः ऐ हरमारर पालनहारर! हरम �ाज आ गय।

यहिद हरम इसलारमी परिररवश रम शररा� क विवरFद जग कररन औरर उसका कारम सरमापत कररन रम इस सपषट सफलता की तलना उस भयानक परराजय स कररग, जिजसस सयकत रराजय अरमररीका उस सरमय दो-चारर हआ, ज� उसन कानन साजी कररक औरर फौजी दसतो (अरथा�त शजिकत) क दवाररा शररा� क विवरFद यFद कररन का इररादा किकया, तो हरम जञात हो जाएगा किक रमानव-जारतित का सधारर कवल आसरमान का कानन औरर सविवधान ही करर सकता ह, जिजसकी विवशषता यह ह किक वह शजिकत औरर शासन परर भररोसा कररन स पहल आHरमा औरर विवशवास परर भररोसा कररता ह।

दसररा उदाहररणः परारथसिरमक रमसलरमान रमहिहलाओ का वह ररवया जो उनहोन अललाह तआला क उस आदश क पररतित अपनाया, जिजसक दवाररा अललाह तआला न उनपरर जाहिहसिलयत काल (इसलारम स

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पव� अरर� जिजस अजञानता औरर परथभरषटता रम जी ररह रथ, उस जाहिहसिलयत का काल कहत ह।) क सरमान बि�ना पद� क घरमना वजिज�त (हररारम) करर हिदया औरर उनपरर पदा� कररना औरर हया क सारथ ररहना अरतिनवाय� करर हिदया। चनाच जाहिहसिलयत काल क सरमय सतरी अपन सीन को खोलकरर चलती रथी। उसक ऊपरर कछ नही होता रथा। सतरी परायः अपनी गद�न, �ाल औरर कानो की �ासिलयो को हिदखाती ररहती रथी। सो, अललाह तआला न रमोसिरमन रमहिहलाओ परर पहली जाहिहसिलयत क सरमान �पदा� घरमना हररारम कररारर द हिदया। उनह आदश द हिदया किक वह जाहिहसिलयत की जिसतरयो स सिभनन ररह। उनकी चाल-ढाल का विवररोध करर। अपन चाल-

चलन, ररहन-सहन औरर तरमारम अहवाल रम पद� औरर सभयता परर विवशष Fयान द। अपनी गद�नो परर दपटट डाल सिलया करर। अरथा�त अपन सिसरर क दपटट को इस तररह कसकरर �ाध सिलया करर किक वह सीन क खल हए भाग को ढाक ल। इस परकारर सीना, गद�न औरर कान छप जाएगा।

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यहा परर उमरमल रमोसिरमनीन सरतियदा आयशा ररजिजयललाह अनहा हरम �ताती ह किक किकस परकारर पररथरम इसलारमी सरमाज रम रमहाजिजररीन औरर अनसारर की जिसतरयो न इस इलाही (ईशवररीय) कानन का सवागत किकया, जो रमहिहलाओ क जीवन रम एक रमहHवपण� परिररवत�न स सम�जिनधत रथा औरर वह ह चाल-ढाल (वश-भषा), �नाव-सिसगारर औरर वसतर।

आयशा ररजिजयललाह अनहा फरररमाती ह: पररथरम रमहाजिजररीन की रमहिहलाओ परर अललाह तआला ररहरमत �ररसाय...... ज� अललाह तआला न यह आयत उताररीः

﴿ جيوبهن � يل�رضبن� خبمرهن ىلع� 30﴾و�

“औरर अपन गररी�ान परर अपनी ओढरतिनया डाल सिलया करर।”

तो उनहोन अपनी चादररो को फाडकरर उनस ओढरतिनया �ना ली।31

30 सररह अन-नररः 3131 �खाररी

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यह ह रमोसिरमन रमहिहलाओ का रमौकिकफ उस चीज क �ारर रम, जिजसका अललाह तआला न उनह हकरम हिदया ह। वह जिजस चीज का अललाह तआला न आदश हिदया ह, उसका पालन कररन औरर जिजस चीज स ररोका ह उसस �चन रम जलदी कररती ह। न कोई सकोच, न परती1ा। उनहोन एक हिदन, दो हिदन या इसस अधिधक परती1ा नही किकया, ताकिक वह नय कपड खररीद या सिसल सक , जो उनक सिसरर को ढापन क योगय हो औरर गररी�ान परर डालन क सिलए रमनासिस� हो, �जिलक जो भी कपडा सिरमल गया औरर जो भी ररग रमयससरर हो सका, वही उनक योगय औरर रमनासिस� रथा औरर यहिद नही सिरमला, तो अपन कपडो औरर चादररो को फाडकरर अपन सिसरर परर �ाध सिलया। इस �ात की कोई पररवाह नही किक इसक �ाद वह कसी हिदखगी।

रमनषय को रमनषय की पजा औरर गलारमी स

आजादी हिदलानाःउपररोकत सभी विवशषताओ स �ढकरर इस ररब�ारतिनयत क परिररणारमो औरर फायदो रम स एक

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यह ह किक रमनषय, रमनषय की पजा औरर गलारमी स आजाद हो जाता ह। इससिलए किक पजा क अनक परकारर औरर रप ह औरर उनरम स सवा�धिधक खतररनाक औरर स�स अधिधक परभावपण� यह ह किक रमनषय अपन ही सरमान दसरर रमनषय क आग आHरम सरमप�न करर द। चनाच वह उसक सिलए जो चाह औरर ज� चाह हलाल करर द, उसपरर जो चाह औरर जिजस तररह चाह हररारम ठहररा द, उस जिजस चीज का चाह आदश द औरर वह आदश का पालन करर, औरर जिजस चीज स चाह रमनाही करर द औरर वह उसस दररी �ना ल। दसरर शबदो रम वह उसक सिलए एक “जीवन वयवसरथा” या “जीवन रमाग�”

रतिनधा�रिररत करर द औरर उसक सिलए उस सवीकारर कररन, उस रमानन औरर उसका अनसररण कररन क अरतितरिररकत कोई चाररा न हो।

सचची �ात यह ह किक जो हसती इस वयवसरथा या रमाग� को रतिनधा�रिररत कररन, लोगो को इसपरर �ाFय कररन औरर उनह इसक अधीन कररन का अधिधकारर ररखती ह, वह अकल अललाह की हसती ह, जो लोगो का पालनहारर, लोगो का सवारमी औरर लोगो का

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इलाह (उपासय) ह। इससिलए कवल उसी का यह अधिधकारर ह किक वह लोगो को आदश द औरर उनह रमना करर, उनक सिलए किकसी चीज को हलाल करर औरर उनपरर किकसी चीज को हररारम करर। इससिलए किक यह उसकी र�बि�यत (खासिलक, रमासिलक औरर पालनहारर होन), उनह पदा कररन, औरर उनह हरर परकारर की नरमतो स समरमारतिनत कररन का तकाजा हः

﴿ ة ا بكم من نعم� و�م� 32﴾ ف�من� ٱهلل

“तमहारर पास जिजतनी भी नरमत ह, स� उसी अललाह की दी हई ह।”

यहिद कछ लोग अपन सिलए इस अधिधकारर का दावा करर –या उनक सिलए इसका दावा किकया जाय- तो यह लोग अललाह तआला स उसकी र�बि�यत क अधिधकारर रम झगड ररह ह, उसकी उलहिहयत क रमारमल रम हसत1प करर ररह ह औरर उनहोन अललाह क कछ �नदो को अपना �नदा औरर गलारम �ना सिलया ह, हालाकिक वह भी उनही क सरमान रमखलक 32 सररह अन-नहलः 53

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ह, उनपरर भी अललाह की सननतो रम स वही चीज जाररी होती ह, जो अनय लोगो परर होती ह।

इसरम कोई आशचय� की �ात नही ह किक कआ�न कररीरम न यहद एव नसाररा क इस वयहारर को नकाररा ह किक वह अपनी उस आजादी का परिररHयाग का करर �ठ, जिजसपरर उनकी पदाइश हई रथी औरर अपन उन विवदवानो औरर दररवशो की पजा औरर गलारमी परर सहरमत हो गय, जो उनक सिलए आदश औरर रतिनषध, हलाल औरर हररारम क कानन �नान क अधिधकारर क रमासिलक �न �ठ औरर किकसी भी वयजिकत को आपजिHत वयकत कररन, हिटजिपपणी कररन या पनःविवचारर कररन का कोई अधिधकारर नही ररहा। इसीसिलए कआ�न कररीरम न अहल किकता� (यहद एव नसाररा) परर सिशक� औरर गरललाह की इ�ादत कररन का ठपपा लगा हिदया ह।

इसी �ारर रम कआ�न कररीरम का फरमा�न हः

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رب�اب﴿�ن�هم أ رهب� حب�ار�هم و�

��ذوا أ يح� ٱبن� م�[[ري�م�ٱخت و�ٱلم�س[[ ا من دون ٱهلل

ه م[[روا إال يل�عب[[دوا إل�حد[[و�م�[[ا أ اا و� م ن�هۥ ع� بح� س[[ [[ه� إال ه[[و� ا ال إل�

33﴾يرشكون�

“उनहोन अललाह को छोडकरर अपन विवदवानो औरर दररवशो को रर� (उपासना पातर) �ना सिलया औरर रमय�रम क �ट रमसीह को भी, हालाकिक उनह कवल एक अललाह की उपासना का आदश हिदया गया रथा, जिजसक सिसवा कोई पजा पातर नही, वह (अललाह) उनक साझी �नान स पाक औरर पविवतर ह।”

33 सररह अत-तौ�ाः 31

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इसलरमारम कया ह?समपण� इसलारम, जिजसक सारथ अललाह तआला न अपन सदशवाहक रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम को भजा ह, वह पाच सतमभो परर आधारिररत ह। कोई रमनषय उस सरमय तक पकका-सचचा रमसलरमान नही हो सकता, ज� तक उनपरर ईरमान न ल आए, उनकी अदायगी न करर औरर उनपरर काय��Fद न हो। यह पाच सतमभ इस परकारर ह:

1. इस �ात किक गवाही दना किक अललाह क अरतितरिररकत कोई अनय पजय नही ह औरर रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम अललाह क सदशवाहक ह।

2. नरमाज कायरम कररना।3. जकात (अरतिनवाय� धरम�-दान) दना।4. रररमजान रमहीन क ररोज ररखना।5. अललाह क पविवतर घरर का�ा का हज कररना,

यहिद वहा तक पहचन का सारमथय� हो।

आग इन पाच सतमभो रम स परHयक सतमभ की सकषि1पत वयाखया पश की जा ररही हः

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पररथरम सतमभः “ला इलाहा इललललाह” (अललाह तआला क अरतितरिररकत कोई सचचा पजय नही) औरर “रमहमरमदरर-ररसलललाह” (रमहमरमद अललाह क सदशवाहक ह) की गवाहीः

यह गवाही रमनषय क इसलारम रम परवश कररन का दवारर औरर कजी ह। यह किकसी अनय गवाही या कह जान वाल शबद क सरमान नही ह। कदाविप नही। �जिलक इस धरम� क अनदरर इसका एक रमहान औरर गहररा अरथ� ह। यही काररण ह किक जो वयजिकत इस अपन रमख स कह ल औरर इसक अरथ� को भली-भारतित जान ल, उसका पररतितफल यह ह किक कयारमत क हिदन अललाह तआला उस सवग� रम दाणिखल कररगा। इसलारम क पगम�रर रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम इस विवषय रम फरररमात ह:

من شهد أن ال هلإ إال اهلل وحده ال رشيك هل، و أن حمم55دا عب55ده و(( رسوهل، ولكمته ألقاها إىل مريم و روح منه، واجلنة ح55ق، وانلار ح55ق،

34أدخله اهلل اجلنة ىلع مااكن من العمل((

34 �खाररी एव रमजिसलरम91

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“जिजसन इस �ात किक गवाही दी किक अललाह क अरतितरिररकत कोई अनय पजय नही, वह अकला ह,

उसका कोई साझी नही औरर यह गवाही दी रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम अललाह क �नद औरर उसक सदशवाहक ह, औरर ईसा अलहिहससलारम अललाह क �नद, उसक सदशवाहक तरथा उसका कसिलरमा ह, जिजस रमय�रम की ओरर अललाह तआला न डाल हिदया रथा औरर उसकी ओरर स रह ह, औरर यह किक जननत सHय ह औरर नररक सHय ह, तो ऐस वयजिकत को अललाह तआला सवग� रम परवश हिदलायगा, चाह उसका करम� कछ भी हो।”

“ला इलाहा इललललाह” की गवाही का अरथ� यह ह किक आकाश औरर धररती रम अकल अललाह क अरतितरिररकत कोई अनय वासतविवक पजय नही। वही सचचा पजय ह। अललाह क अरतितरिररकत जिजसकी भी रमनषय पजा कररता ह, चाह उसकी गणवHता कछ भी हो, वह झठा औरर असHय ह।

“रमहमरमदरर-ररसलललाह” (रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम क अललाह क सदशवाहक होन)

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की गवाही दन का अरथ� यह ह किक आप यह जञान औरर विवशवास ररख किक रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम सदशवाहक ह, जिजनह अललाह तआला न सरमसत रमानव औरर जिजननात की ओरर सदशवाहक �नाकरर भजा ह औरर यह किक वह एक उपासक ह, उपासना क पातर नही ह (अरथा�त उनकी उपासना नही की जाएगी।), वह एक सदशवाहक ह, उनह झठलाया नही जाएगा, �जिलक उनका आजञापालन औरर अनसररण किकया जाएगा। जिजसन उनका आजञापालन किकया वह सवग� रम परवश कररगा औरर जिजसन उनकी अवहलना की, वह नररक रम जायगा। पगम�रर रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह: ما من رجل يهودى أو نرصاين يسمع يب، ثم ال يؤمن باذلى جئت به))

((إال دخل انلار

“जो भी यहदी या ईसाई रमरर �ारर रम सना, किफरर रमररी लाई हई शररीअत परर ईरमान न लाय, वह नररक रम परवश कररगा।”

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इसी परकारर आप यह जञान औरर विवशवास ररख किक शररीअत क कानन औरर आदश तरथा रतिनषध को, चाह उसका सम�नध इ�ादतो स हो, शासन वयवसरथा स हो, हलाल औरर हररारम स हो, आधिरथ�क,

सारमाजिजक या वयवहारिररक जीवन स हो या इनक अरतितरिररकत किकसी अनय 1तर स, कवल इस ररसल कररीरम सललललाह अलहिह व सललरम क रमाग� स ही सिलया जा सकता ह। इससिलए किक अललाह क ररसल रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम ही अपन रर� की ओरर स उसकी शररीअत क परसाररक व परचाररक ह। अतः किकसी रमसलरमान क सिलए वध नही ह किक वह पगम�रर रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम क अरतितरिररकत किकसी अनय ररासत स आय हए किकसी कानन, आदश या रमनाही को सवीकारर करर।

दविवतीय सतमभः नरमाजनरमाज को अललाह तआला न इससिलए रमशरअ किकया ह, ताकिक यह अललाह औरर �नद क �ीच सम�नध का रमाFयरम �न सक, जिजसरम वह उसकी

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आरराधना करर औरर उस पकारर। नरमाज धरम� का खम�ा औरर उसका रमल सतमभ ह, जिजस परकारर किक तम� का खम�ा होता ह। यहिद वह धिगरर जाय, तो शष सतमभो का कोई रमलय नही ररह जाता। इसी क �ारर रम कयारमत क हिदन रमनषय स सव�पररथरम पछ-ताछ की जायगी। यहिद नरमाज सवीकारर करर ली गयी, तो उसक सारर करम� सवीकारर करर सिलए जायग औरर यहिद इस ठकररा हिदया गया, तो उसक सारर करम� ठकररा हिदए जायग।

अललाह तआला न नरमाज क सिलए कछ शत� रतिनधा�रिररत की ह तरथा इसक कछ अका�न औरर वाजिज�ात भी ह, जिजनह उनक लकषि1त विवधिध क अनसारर कररना परHयक नरमाजी क सिलए आवशयक ह, ताकिक उसकी नरमाज अललाह क पास गरहणयोगय हो सक।

नरमाज औरर उसकी ररकअतो की सखयाःनरमाजो की सखया हिदन औरर ररात रम पाच ह, जो इस तररह ह: फजर की नरमाज दो ररकअत, जहर की

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नरमाज चारर ररकअत, असर की नरमाज चारर ररकअत,

रमधि�� की नरमाज तीन ररकअत औरर इशा की नरमाज चारर ररकअत। इनरम स परHयक नरमाज का एक रतिनधा�रिररत सरमय ह, जिजसस उसको विवलम� कररना जायज नही, जिजस परकारर किक उस उसक सरमय स पहल पढना जायज नही। यह नरमाज रमजिसजदो रम पढी जायगी, जो अललाह क घरर ह। इसस कवल उस वयजिकत को छट ह, जिजसक पास कोई शई� काररण हो, जस किक यातरा औरर �ीरमाररी आहिद।

नरमाज क फायद औरर विवशषताए:इन नरमाजो को पा�दी क सारथ पढन क �हत स लौकिकक औरर पररलौकिकक लाभ औरर विवशषताए ह, जिजनरम स कछ यह ह:

① नरमाज रमनषय क, ससारर की �रराइयो औरर कहिठनाइयो स सररकषि1त ररहन का काररण ह। इसक �ारर रम न�ी सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह:

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من صىل الصبح ىف مجاعة فهو ىف ذمة اهلل، فانظر ياابن آدم ال))35((يطلبنك اهلل من ذمته بشئ

“जिजसन स�ह (फजर) की नरमाज जरमाअत क सारथ पढी, वह अललाह तआला की सरर1ा रम ह। सो ऐ आदरम क �ट! दख, कही अललाह तआला तझस अपनी सरर1ा रम स किकसी चीज का रमताल�ा न कररन लग।”

② नरमाज गनाहो की 1रमा का काररण ह, जिजनस कोई वयजिकत सररकषि1त नही ररह पाता। इसक �ारर रम न�ी सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह:

من تطهر ىف بيته، ثم مىض إىل بيت من بيوت اهلل يلقىض فريضة)) من فرائض اهلل، اكنت خطواته إحداها حتط خطيئة، واألخرى ترفع

36((درجة

“जो वयजिकत अपन घरर रम वज कररता ह, किफरर अललाह क घररो रम स किकसी घरर (रमजिसजद) रम अललाह तआला की अरतिनवाय� की हई किकसी फज� नरमाज को पढन क सिलए जाता ह, तो उसक एक 35 इस रमजिसलरम न रिररवायत किकया ह।36 इस रमजिसलरम न रिररवायत किकया ह।

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पग परर एक गनाह झडता ह औरर दसरर पग परर एक पद �लनद होता ह।”

③ नरमाज, नरमाज पढन वालो क सिलए फरिररशतो की दआ औरर उनकी 1रमा याचना का काररण ह। न�ी सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह:

املالئكة تصىل ىلع أحدكم ما دام يف مصاله اذلي صىل فيه ما))37(( امهلل اغفر هل، امهلل ارمحه:لم حيدث، تقول

“फरिररशत तमहारर सिलए ररहरमत की दआ कररत ररहत ह, ज� तक तरमरम स कोई वयजिकत अपन उस सरथान परर होता ह, जिजसरम उसन नरमाज पढी ह,

ज� तक किक उसका वज टट न जाय। फरिररशत दआ कररत ह: ऐ अललाह! उस 1रमा करर द! ऐ अललाह! उस 1रमा करर द!”

④ नरमाज शतान परर विवजय परापत कररन, उस पररासत औरर अपरमारतिनत कररन का साधन ह।

37 इस �खाररी न रिररवायत किकया ह।98

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⑤ नरमाज रमनषय क सिलए कयारमत क हिदन समपण� परकाश परापत कररन का काररण ह। न�ी सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह:

بالنور (( المساجد، إلى الظلم في المشائين بشر(( القيامة يوم 38التام

“अनधररो रम रमजिसजदो की ओरर जान वालो को, कयारमत क हिदन समपण� परकाश (नरर) की शभ सचना द दो।”

⑥ जरमाअत क सारथ नरमाज पढन का कई गना अजर व सवा� ह। न�ी सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह:

39((صالة اجلماعة أفضل من صالة الفذ بسبع و عرشين درجة))

“जरमाअत क सारथ नरमाज पढना अकल नरमाज पढन स सHताईस गना अधिधक �हतरर ह।”

⑦ नरमाज क काररण उन रमनाकिफको क अवगणो रम स एक अवगण स छटकाररा सिरमलता ह, जिजनका

38 इस अ� दाऊद औरर रतितसिरम�जी न रिररवायत किकया ह।39 �खाररी एव रमजिसलरम

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हिठकाना जहनरम का स�स रतिनचला भाग ह। । न�ी सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह:

ليس صالة أثقل ىلع املنافقني من صالة الفجر والعشاء، ولو))40((يعلمون ما فيهما ألتوهما و لو حبوا

“रमनाकिफको परर फजर औरर इशा की नरमाज स भाररी कोई नरमाज नही। यहिद उनह पता चल जाय किक इन दोनो नरमाजो रम कया –अजर व सवा�- ह, तो वह उसरम अवशय आय, चाह घटनो क �ल रतिघसट करर ही कयो न हो?”

⑧ यह रमनषय क सिलए वासतविवक सौभागय, हाहिद�क सनतजिषट की पराजिपत, रमानसिसक ररोगो तरथा जीवन की सरमसयाओ स छटाकाररा पान का उधिचत रमाग� ह,

जिजनस आज कल अधिधकाश लोग जझ ररह ह। जस किक शोक, धिचनता, �चनी, वयाकलता औरर �हत स पारिररवारिररक, वयापारिररक औरर वजञारतिनक रमारमलो रम नाकारमी इHयाहिद।

⑨ नरमाज सवग� रम परवश पान का काररण ह। । न�ी सललललाह अलहिह व सललरम फरररमात ह:40 �खाररी एव रमजिसलरम

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41((من صىل الربدين دخل اجلنة))

“जिजसन दो ठडी नरमाज (असर औरर फजर की नरमाज) पढी, वह जननत रम परवश कररगा।”

يعىن ((لن يلج انلار أحد صىل قبل طلوع الشمس و قبل غروبها))42.الفجر والعرص

“जिजस वयजिकत न सररज रतिनकलन औरर उसक ड�न स पहल नरमाज पढी, वह जहननरम रम कदाविप नही जाएगा।” अरथा�त फजर औरर असर की नरमाज।

इसक अरतितरिररकत इसलारम क अनदरर अनय नरमाज भी ह, जो अरतिनवाय� नही ह, �जिलक सननत (ऐजिचछक) ह। जस किक ईदन (ईदल-किफतर औरर ईदल अजहा) की नरमाज, चाद औरर सररज गरहण की नरमाज, इजिसतसका (वषा� रमागन) की नरमाज औरर इजिसतखाररा की नरमाज इHयाहिद।

41 इस �खाररी एव रमजिसलरम न रिररवायत किकया ह।42 इस रमजिसलरम न रिररवायत किकया ह।

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तीसररा सतमभः जकातजकात इसलारम का तीसररा सतमभ ह। इसक रमहHव क काररण अललाह तआला न कआ�न कररीरम रम �हत स सरथानो परर इसका औरर नरमाज का एक सारथ उललख किकया ह। यह कछ रतिनधा�रिररत शत8 क सारथ रमालदाररो की समपजिHतयो रम एक अरतिनवाय� अधिधकारर ह। इसका विवतररण कछ रतिनधा�रिररत लोगो क �ीच, रतिनधा�रिररत सरमय रम किकया जाता ह।

जकात फज� कररन की हिहकरमतःइसलारम रम जकात क फज� किकए जान की अनक हिहकरमत औरर लाभ ह, जिजनरम स कछ य ह:

① रमोसिरमन क हदय को गनाहो औरर नाफरररमारतिनयो क परभाव तरथा हिदलो को उनक दषट परिररणारमो स पविवतर कररना एव उसकी आHरमा को �खीली औरर कजसी की �रराई औरर उनक �रर नतीजो स पाक औरर शFद कररना। अललाह तआला का फरमा�न हः

﴿ ق�ة د� لهم ص� مو��اخذ من أ كيهم به� تز� هرهم و� 43﴾ تط�

43 सररह अत-तौ�ाः 103

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”उनक रमालो रम स जकात ल लीजिजए, जिजसक दवाररा आप उनह पाक औरर पविवतर कीजिजए।”

② रतिनध�न रमसलरमानो की किकफायत, उनकी आवशयकताओ की परतित �, उनकी दख-ररख तरथा उनह अललाह क सिसवा किकसी क सारमन हारथ फलान की जिजललत स �चाना।

③ कज�दारर रमसलरमानो का कज� चकाकरर उनक शोक औरर धिचनता को हलका कररना।

④ असत-वयसत औरर णिखनन हिदलो को ईरमान औरर इसलारम परर एकतर कररना औरर उनह दढ विवशवास न होन क काररण पाए जान वाल सदहो औरर रमानसिसक वयाकलताओ स रतिनकाल करर दढ ईरमान औरर परिररपण� विवशवास की ओरर ल जाना।

⑤ रमसलरमान यातरी की सहायता कररना। यहिद वह ररासत रम फस जाय औरर उसक पास यातरा क सिलए पया�पत वयय न हो, तो उस जकात क कोष स इतना रमाल हिदया जाएगा, जिजसस उसकी आवशयकता पररी हो जाय औरर वह अपना घरर लौट लौट सक।

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⑥ धन को पविवतर कररना, उसको �ढाना, उसकी सरर1ा कररना तरथा अललाह तआला क आजञापालन, उसक आदश क समरमान औरर उसकी रमखलक परर उपकारर कररन की �ररकत स, उस दघ�टनाओ स �चाना।

जिजन धनो रम जाकत अरतिनवाय� हःवह चारर परकारर क ह, जो रतिनमनसिलणिखत ह:

❶ धररती स रतिनकलन वाल अनाज औरर गलल।

❷ कीरमत (रमलय) जस सोना चादी औरर �क नोट (कररसिसया)।

❸ वयवसाय क सारमान। इसस असिभपराय हरर वह वसत ह, जिजस करमान औरर वयपारर कररन क सिलए तयारर किकया गया हो, जस ... जानवरर, अनाज,

गाडिडया आहिद।

❹ चौपाय। इसस रमरराद ऊट, �कररी औरर गाय ह।

इनस� पजिजयो रम जकात कछ रतिनधा�रिररत शत8 क पाय जान परर ही अरतिनवाय� ह। यहिद वह नही पायी गयी, तो जकात अरतिनवाय� नही ह।

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जकात क हकदारर लोगइसलारम रम जकात क कछ विवशष रमसारिररफ (उपभोकता) ह औरर वह रतिनमनसिलणिखत वग� क लोग ह:

① गररी� औरर रतिनध�न लोग। (जिजनक पास अपनी जरररतो का आधा सारमान भी न हो।)

② सिरमसकीन लोग। (जिजनक पास अपनी जरररतो का आधा या उसस अधिधक सारमान हो, किकनत पररा सारमान न हो।)

③ जकात वसल कररन परर रतिनयकत करम�चाररी।

④ ऐस लोग जिजनक हिदल की तसलली की जाय। (अरथा�त नौरमजिसलरम, रमसलरमान कदी आहिद)

⑤ गलारम (दास या दासी) आजाद कररन क सिलए।

⑥ कज� खाय हए लोग तरथा तावान उठान वाल लोग।

⑦ अललाह क रमाग� रम अरथा�त जिजहाद (धरम� यFद)

क सिलए।

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⑧ यातरी (अरथा�त वह वयजिकत जिजसका यातरा क दौररान रमाल अस�ा� सरमापत हो जाय।

जकात क फायदः① अललाह औरर उसक ररसल क आदश क पालन औरर अललाह औरर उसक ररसल की रमज� को अपन नफस की विपरय चीज –धन- परर परारथसिरमकता दना।

② अरमल क सवा� का कई गणा �ढ जाना। (अललाह तआला का फरररमारम हः)بع� نب�ت�ت س[[�

�بة أ ث�[[ل ح� م� ك� بيل ٱهلل �هم يف س[[� ل م[[و�

�ين� ينفق[[ون� أ ث�ل ٱذل م� سنبل�ة

ن�ابل� يف لك بةس� مائ�ة ح� اء �ش� ن ي عف لم� يض� 44 و�ٱهلل

“जो लोग अपना धन अललाह तआला क ररासत रम खच� कररत ह, उसका उदाहररण उस दान क सरमान ह, जिजसस सात �ासिलया रतिनकल औरर हरर �ाली रम सौ दान हो, औरर अललाह जिजस चाह �ढा-चढा करर द।”

44 सररह अल-�करराः 261

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③ जकात रतिनकालना ईरमान का पररमाण औरर उसकी रतिनशानी ह। जसा किक हदीस रम हः45((والصدقة برهان))

“औरर सदका (ईरमान का) पररमाण ह।”

④ गनाहो औरर दषट आचररण की गनदगी स पविवतरता परापत कररना। अललाह तआला का फरररमान हः

﴿ ق�ة د� لهم ص� مو��اخذ من أ كيهم به� تز� هرهم و� 46﴾ تط�

“आप उनक धनो रम स सदका ल लीजिजए, जिजसक दवाररा आप उनको पाक-साफ करर द।”

⑤ धन रम �ढोतररी, �ररकत, उसकी सरर1ा औरर उसकी �रराई स �चाव। इससिलए किक हदीस रम हः

47((ما نقص مال من صدقة))

“सदका कररन स धन रम कोई करमी नही होती।”

45 इस रमजिसलरम न रिररवायत किकया ह।46 सररह अत-तौ�ाः 10347 इस रमजिसलरम न रिररवायत किकया ह।

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⑥ सदका कररन वाला कयारमत क हिदन अपन सदका की छाव रम होगा। जसा किक एक हदीस रम ह किक अललाह तआला सात लोगो को उस हिदन अपनी छाया रम सरथान दगा, जिजस हिदन उसकी छाया क अरतितरिररकत कोई औरर छाया न होगीः ))رج55ل تص55دق بص55دقة فأخفاه55ا ح55ىت ال تعلم ش55ماهل م55ا تنف55ق

48يمينه((

“एक वह वयजिकत जिजसन सदका किकया, तो उस इस परकारर गपत ररखा किक जो कछ उसक दाहिहन हारथ न खच� किकया, उसका �ाया हारथ उस नही जानता ह।”

⑦ सदका अललाह तआला की कपा औरर दया का काररण हः (अललाह तआला का फरमा�न हः)

ء﴿ ع�ت لك يش� ر�مح�يت و�س[[[ يؤت[[[ون�و� تق[[[ون� و� ين� ي� ا لذل كتبه��أ ف�س[[[�

وة� ك� 49﴾ٱلز

48 �खाररी तरथा रमजिसलरम49 सररह अल-आरराफः 156

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“रमररी ररहरमत साररी चीजो को सजिमरमसिलत ह, सो उस रम उन लोगो क सिलए अवशय सिलखगा, जो डररत ह औरर जकात दत ह।”

चौरथा सतमभः ररोजाररोज का अरथ� ह, ररोज की रतिनयत स, फजर रतिनकलन स लकरर सररज ड�न तक, तरमारम ररोजा तोडन वाली चीजो, जस खान-पीन औरर समभोग स रक जाना। ररोजा रररमजानल रम�ाररक क परर रमहीन का ररखना ह, जो साल रम एक �ारर आता ह।

अललाह तआला का फरमा�न हःين�﴿ � ٱذل م�[[ا كتب� ىلع� ي�ام ك� ل�يكم ٱلص[[ ن[[وا كتب� ع� ين� ء�ام� ا ٱذل ه� ي

�أ ي�

لكم ت�تقون� بلكم ل�ع� 50﴾من ق�

“ऐ लोगो जो ईरमान लाय हो! तरमपरर ररोज अरतिनवाय� किकए गय ह, जिजस परकारर तरमस पव� क लोगो परर अरतिनवाय� किकए गय रथ। ताकिक तरम डररन वाल (पररहजगारर) �न जाओ।”

50 सररह अल-�करराः 183

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औरर ररसल सललललाह अलहिह व सललरम न फरररमायाः

(( تقدم ما له غفر احتسابا و إيمانا رمضان صام منذنبه 51((من

“जिजसन ईरमान क सारथ औरर सवा� की रतिनयत ररखत हए रररमजन क ररोज ररख, उसक विपछल गनाह 1रमा करर हिदए जायग।”

ररोज क फायदःइस रमहीन का ररोजा ररखन स रमसलरमान को अनक ईरमानी, रमानसिसक औरर सवासरथ सम�नधी फायद परापत होत ह, जिजनरम स कछ यह ह:

❶ ररोजा पाचन किकरया औरर रमदा (आरमाशय) को सालो साल लगातारर (रतिनररनतरर) काय� कररन क कषट स आररारम पहचाता ह, अनावशयक चीजो को विपघला दता ह, शररीरर को शजिकत परदान कररता ह तरथा �हत स ररोगो क सिलए भी लाभदायक ह।

51 �खाररी एव रमजिसलरम110

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❷ ररोजा नफस को शाइसता (सभय, सिशषट) �नाता ह औरर भलाई, वयवसरथा, आजञापालन, धय� औरर इखलास (रतिनःसवारथ�ता) का आदी �नाता ह।

❸ ररोजदारर को अपन ररोजदारर भाइयो क �ीच �ररा�ररी का अहसास होता ह। वह उनक सारथ ररोजा ररखता ह औरर उनक सारथ ही ररोजा खोलता ह। इस तररह उस सव�-इसलारमी एकता का अनभव होता ह। उस भख का अहसासा होता ह, तो अपन भख भाइयो की ख�ररगीररी औरर दख-ररख कररता ह।

तरथा ररोज क कछ आदा� ह, जिजनस ररोजदारर का ससजिजजत होना रमहHवपण� ह, ताकिक उसका ररोजा शFद औरर पण� हो।

कछ चीज ररोज को वयरथ� कररन वाली भी ह। यहिद ररोजदारर उनरम स किकसी एक चीज को करर ल, तो उसका ररोजा वयत� हो जाता ह। इसलारम न �ीरमारर,

यातरी, दध विपलान वाली रमहिहला औरर इनक अरतितरिररकत अनय लोगो की हालत का सिलहाज कररत हए यह वध किकया ह किक वह इस रमहीन रम ररोजा

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तोड द औरर साल क आन वाल सरमय रम उसकी कजा करर ल।

पाचवा सतमभः हजयह सतमभ रमसलरमान सतरी तरथा परष परर परर जीवन रम कवल एक �ारर अरतिनवाय� ह। इसस अधिधक �ारर कररना नफल औरर सननत ह, जिजस परर कयारमत क हिदन अललाह तआला क पास �हत �डा पणय सिरमलगा। हज रमसलरमान परर कवल उसी सरमय अरतिनवाय� ह, ज� वह उसक कररन की शजिकत ररखता हो। चाह वह आधिरथ�क शजिकत हो या शाररीरिररक शजिकत। यहिद वह इसकी शजिकत न ररखता हो, तो इस सतमभ को अदा कररन स भारर रमकत हो जाता ह।

हज क फायदःहज की अदायगी स रमसलरमान को कई फायद परापत होत ह, जिजनरम स कछ य ह:

❶ यह आHरमा, शररीरर औरर धन क दवाररा अललाह तआला की उपासना ह।

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❷ हज रम ससारर क हरर सरथान स रमसलरमान एकतर होत ह, स�क स� एक सरथान परर सिरमलत ह, एक ही पोशाक पहनत ह औरर एक ही सरमय रम एक ही रर� की इ�ादत कररत ह। रराजा औरर परजा, धनी औरर रतिनध�न, काल औरर गोरर, अरर�ी औरर अजरमी क �ीच कोई अनतरर नही होता। हा, यहिद होता ह तो कवल आHरमसयरम औरर सHकरम� क आधारर परर। इस परकारर रमसलरमानो क �ीच आपस रम परिररचय, सहयोग, पररम तरथा एकता का भाव उHपनन होता ह औरर इस समरमलन क दवाररा वह उस हिदन को याद कररत ह, जिजस हिदन अललाह तआला उनस� को रमररन क पशचात एक सारथ पनः जीविवत कररगा औरर हिहसा� क सिलए एक ही सरथान परर एकतर कररगा। इससिलए वह अललाह तआला की आजञापालन कररक रमररन क �ाद क जीवन क सिलए तयाररी कररत ह।

हज क काय�करम� का कया उददशय ह?किकनत परशन यह ह किक का�ा, जो किक रमसलरमानो का किकबला ह, जिजसकी ओरर अललाह तआला न

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उनह, चाह वह कही भी हो, नरमाज क अनदरर रमख कररन का आदश हिदया ह, उसकी चाररो ओरर तवाफ (परिररकररमा) कररन का उददशय कया ह? इसी परकारर रमकका क अनय सरथानो अररफात औरर रमजदसिलफा रम उसक रतिनधा�रिररत सरमय रम ठहररन तरथा सिरमना रम कयारम कररन का कया उददशय ह? तो याद ररखना चाहिहए किक इसका कवल एक ही उददशय ह औरर वह हः उन पाक औरर पविवतर सरथानो रम उसी ककिफयत औरर उसी तररीक परर अललाह तआला की इ�ादत कररना, जिजस परकारर अललाह तआला न आदश हिदया ह।

जहा तक सवय का�ा तरथा उन सरथानो औरर साररी सजिषट की �ात ह, तो जञात होना चाहिहए किक न तो उनकी पजा औरर उपासना की जाएगी औरर न ही व लाभ औरर हारतिन पहचा सकत ह। इ�ादत कवल अललाह की की जाएगी औरर लाभ औरर हारतिन पहचान वाला भी कवल अललाह तआला ही ह। यहिद अललाह न उस घरर का हज कररन औरर उन रमशायरर औरर सरथानो रम ठहररन का आदश न हिदया होता, तो रमसलरमान क सिलए जायज नही होता किक

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वह हज करर औरर यह साररी चीज करर। इससिलए की उपासना रमनषय क अपन विवचारर औरर इचछा क आधारर परर नही हो सकती, �जिलक कआ�न कररीरम रम रमौजद अललाह तआला क आदश या ररसलललाह सललललाह अलहिह व सललरम की सननत क अनसारर ही हो सकती ह। अललाह तआला का फरमा�न हः

بيل﴿ ه س� اع� إيل� ن ٱست�ط� � ٱنلاس حج ٱبل�يت م� ىلع� هلل ر� ف�إنو� ف� ا و�م�ن ك�ل�مني� ن ٱلع� ىن ع� � غ� 52﴾ٱهلل

“अललाह तआला न उन लोगो परर खाना-का�ा का हज अरतिनवाय� करर हिदया ह, जो वहा तक पहचन की ताकत ररखत हो। औरर जो वयजिकत कफर करर, तो अललाह तआला (उसस �जिलक) सव� ससारर स �रतिनयाज (रतिनसपह) ह।”

स1प क सारथ हज क काय�कररम यह ह:1. एहररारम (हजज रम दाणिखल होन की नीयत

कररना)।52 सररह आल-इमरानः 97

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2. सिरमना रम ररात बि�ताना।3. अररफात रम ठहररना।4. रमजदसिलफा रम ररात बि�ताना।5. ककररी रमाररना।6. क�ा�नी का जानवरर ज�ह कररना।7. सिसरर क �ाल रमडाना।8. तवाफ (का�ा की परिररकररमा कररना।)

9. सइ (सफा औरर रमररवा क �ीच दौडना)10. सिरमना वापस जाना औरर वहा ररात �ताना।

उमरा क आरमाल यह ह:❶ एहररारम (उमरा रम दाणिखल होन की रतिनयत कररना।)

❷ तवाफ कररना।

❸ सइ कररना।

❹ सिसरर क �ाल रमडाना।

❺ एहररारम स हलाल होना। (एहररारम खोल दना।)

ऊपरर उललख किकए गय काय�करम8 रम स हरर एक की अनय विवसतारर, वयाखया औरर हिटपपणी ह, जिजस

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आप अललाह की इचछा स उस सरमय जान लग ज� आप शीघर ही हजज व उमरा क रमनासिसक को अदा कररन का सकलप कररग।

अनततःइस सदश क अनत रम, जिजसरम हरमन इसलारम की कछ सिश1ाओ, सिसFदानतो, उसक आचररण औरर काय�करम8 क �ारर रम सकषि1पत परिररचय परसतत किकया ह, हरम आपका इस �ात परर शकिकरया अदा किकए बि�ना नही ररह सकत किक आपन हरम यह अवसरर परदान किकया किक हरम आपक सारमन ससारर क रमहानतरम धरम� औरर अजिनतरम आसरमानी सदश क �ारर रम यह सकषि1पत जानकाररी पश करर सक । आशा ह किक यह जानकाररी इस धरम� को सवीकारर कररन औरर इसकी सिश1ाओ औरर सिसFदातो को रमानन क �ारर रम ठड हिदल स सोचन वालो क सिलए शभाररमभ सिसFद होगी। हरम आपको ऐसा रमनषय सरमझत ह, जो कवल सHय का इचछक औरर ऐस धरम� की तलाश रम ह, जो सतजिषट औरर अनकररण का पातर हो। इस ईरमानी, आजिHरमक औरर रमानसिसक यातरा क �ाद हरम आपक �ारर रम यही

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सोचत औरर गरमान कररत ह किक आप हरर उस विवचारर, आसरथा या उपासना स खद को अलग करर लग, जो इस धरम� क विवरFद हो। ताकिक आप एकशवररवाद, परकरतित औरर �जिFद क धरम�, सारर ईशदतो क धरम�.... अजिनतरम सदशवाहक रमहमरमद सललललाह अलहिह व सललरम क सनदश की पररवी कररक लोक तरथा पररलोक की सफलता औरर जननत स समरमारतिनत हो सक । आप इस शFद औरर सचच धरम� की ओरर लोगो को आरमनतरण दन वाल �न जाए; ताकिक उनह ससारर क नररक औरर उसक शोक औरर धिचनता स रमकत कररा सक । उनह एक �हत ही भयानक औरर कठोरर चीज, नररक की आग स नजात हिदला सक । यहिद वह इस धरम� परर विवशवास ररख बि�ना औरर इस रमहान ररसल सललललाह अलहिह व सललरम की पररवी किकए बि�ना रमरर जात ह!!

अनवादक

(अताउरर�हरमान जिजयाउललाह)

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