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CLASS 5 TH HINDI CHAPTER 3 खिलौनेवाला

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  • CLASS 5TH HINDICHAPTER 3

    खिलौनेवाला

  • 3• कववता और तुम

    प्रश्न 1. तुम्हे ककसी-न-ककसी बात पर रूठने के मौके तो ममलते ही होंगे-(क) अक्सर तुम ककस तरह के बातों पर रूठती हो?

    • उत्तर- जब हमे कोई डाांट देता है यो हमारी मनपसांद वस्तु नहीां देता तो हम रूठ जाते हैं|

    • (ि) मााँ के अलावा घर में और कौन –कौन है जो तुम्हे मानते हैं?उत्तर- घर में मााँ के आलावा पपताजी, दादाजी-दादीजी और बड़ ेभाई-बहन हमें मना लेले हैं|

    • प्रश्न 2. हम ऐसे कई त्योहार मनाते हैं जो बुरे पर अच्छाई की जीत पर बल देते हैं| ऐसे त्योहार के बारे में उनसे जुड़ी कहाननयों के बारे में पता करके कक्षा में सुनाओ|उत्तर-जो बुरे पर अच्छाई की जीत का प्रमुख त्योहार दशहरा है| जो भगवान श्रीराम की रावण पर जीत का प्रततक है|

    • प्रश्न 3. तुमने रामलीला के जररए या किर ककसी कहानी के जररए रामचंद्र के बारे में जाना-समझा होगा| तुम्हे उनकी कोन-सी बातें अच्छी लगी?ंउत्तर- श्रीरामचांद्रएक आज्ञाकारी पुत्र तथा मयाादा पुरुषोत्तम रजा थे| ते बहे हमेबहुत अच्छी लगी और उनके गुण हमे प्रभापवत करते हैं|

  • 4• प्रश्न 4. नीच ददए गए भाव कववता की जजन पंजक्तयों में आए हैं, उन्हें छांटो-(क) खिलौने वाला साड़ी नहीं बेचता है|

    • उत्तर – कभी खखलौने वाला भी मााँक्या साड़ीले आता है|(ि) खिलौने वाला बच्चोंको खिलौने लेने के मलए आवाजें लगा रहा है|उत्तर – जोर-जोर वह रहा पुकार|(ग) मझु ेकौन – सा खिलौना लेना चादहए – उसमें मााँ की सलाह चादहए|उत्तर – कौन खखलौना लेता ह ाँ मैंतुम भी मन में करो पवचार|(घ) मााँ के बबना कौन – मनाएगा और कौन गोद में बबठाएगा?उत्तर – तो कौन मना लेगाकौन प्यार से बबठा गोद में

  • 5• प्रश्न 5. ‘म ंगिली ले ले म ंगिली!

    गरम करारी टाइम पास म ंगिली !’तुमने िेरी वालों को इसी आवाजें लगाते हुए जरूर सुना होगा| तुम्हारे गली-मोहल्ले में ऐसे कौन-से आते हैं और वे ककस ढंग आवाज लगाते हैं? उनका अमभनय करके ददिाओ| वे क्या बोलते हैं, उसका भी एक संग्रह तैयार करो|

    • उत्तर-गली-मोहल्ले में सब्जी वाले, कबाड़ी वाले आदद आते हैं| वे तनम्नललखखत आवाजें लगाते हैं-सब्जीवाला–आल लो, बैंगन लो, घीया लो, टमाटर लो|कबाड़ीवाला– कबाड़ीवाला, कबाड़ीवाला|कपड़वेाला– स ट वाला बदियाां साड़ी वाला|िल वाला– केले चचतरीदार केले|

    • िेल-खिलौनेप्रश्न 1. (क) तुम यहााँ मलिे खिलौनों में से ककसे लेना पसंद करोगी| क्योँ?गेंद हवाई जहाज़ मोटरगाड़ीरेलगाड़ी किरकीगुड़ड़याबततन सेटधनुष बाणबल्ला या कुछ और

    • उत्तर- मैं इन खखलौनों में से हवाई जहाज़ लेना पसांद करूां गी| क्योंकक मुझ ेनीले आसमान में हवाई जहाज़ उड़ता हुआ भुत अच्चा लगता है|(ि) तुम अपने साथियों के साि कौन-कौन से िेल िेलती हो?उत्तर- हम अपने साचथयों के साथ किकेट, फुटबाल, कैरम, ल डो, चैस, आदद खेल खेलते हैं|

  • 6• प्रश्न 2. खिलौने वाला शब्द संज्ञा में ‘वाला’ जोड़ने से बना है| नीचे मलिे वाक्यों में

    रेिांककत दहस्सों को ध्यान से देिों संज्ञा, किया आदद पहचानों|* पानवाल की दकुान आज बंद है|* मेरी ददल्लीवाली मौसी बस कन्डक्टर है|* महम द पााँच बजे वाली बस से आएगा|* नंद को बोलने वाली गुड़ड़या चादहए|* दाढ़ीवाला आदमी कहााँ है?* इस समान को ऊपर वाल कमरे में रि दो|* मै रत वाली गाड़ी से जम्म जाऊाँ गी|

    • उ त्तर-पान — सांज्ञाददल्ली — सांज्ञापााँच–पवशेषणबोलना –कियादािी–सांज्ञाऊपर–कियारात–सांज्ञा

    • तुम्हारी रामलीलाप्रश्न-क्या तुमने रामलीला देिी है? रामलीला की ककसी एक लघु-कहानी कको चुनकर कक्षा में अपनी राम्म्लीला प्रस्तुत करो|

    • उत्तर-हााँ, हमने रामलीला देखी है|(छात्र रामलीला की ककसी एक लघु-कहानी को चुनकर कक्षा में अपनी रामलीला प्रस्तुत करने का अभ्यास करे)

  • 7• कववता में किाप्रश्न- इस कववता में तीन नाम-राम, कौशल्या और तड़का आए हैं|(क) ये तीनो नाम ककस प्रमसद्ध किा के पात्र हैं?

    • उ त्तर- यह तीनों नाम रामायण की प्रलसद्ध कथा के पात्र है|• (ि) यहीं रह ाँगा कौशल्या मैं तुमको यहीं बनाऊाँ गा | इन पंजक्तयों का किा से क्या संबंध है?उ त्तर- बच्चा अपनी माां के पास ही रहना चाहता है जबकक श्री रामचांद्र अपनी माां से द र चले गए थे|

    • (ग) इस किा के कुछ संदभो की बात कववता में हुई है | अपने आस – पास प छकर इनका पता लगाओ|*तपसी यज्ञ करेंगे , असरुों को मैं मार भगाऊगा|*तुम कह दोगी वन जाने को हाँसते -हाँसते जाऊगा|

    • उ त्तर- * श्री रामचांद्र ने ऋपष-मतुनयों की तपस्या सफल कराने के ललए राक्षसों का वध ककया था|* श्री रामचांद्र अपने माता – पपता के कहने पर खुशी -खुशी 14 वषा के वनवास पर चले गए थे|

  • COMPILED BY

    • AKTA KHAJURIYA

    • DIET REASI

  • UNIT 2nd

    CLASS 5th

    CHAPTER 5

  • QUESTION AND ANSWER• प्रश्न 1 कहानी लिखने वािे को क्या कहते हैं? • उत्तर 1 कहानी लिखने वािे को कहानीकार कहते हैं ।• प्रश्न 2 क्या आपको मािूम है, ‘ईदगाह’ कहानी ककसने लिखी है? • उत्तर 2 यह कहानी म ुंशी पे्रमचुंद जी ने लिखी है।• प्रश्न 3 ईदगाह कहानी में मुख्य पात्र कौन है? • उत्तर 3 ईदगाह कहानी में हलमद म ख्य पात्र है।• प्रश्न 4 ईदगाह कहानी में ककस त्यौहार को मनाने की तैयारी चि रही है ? • उत्तर 4 ईदगाह कहानी में ईद का त्योहार बनाने की तैयारी चि रही है।• प्रश्न 5 ईदगाह कहानी में सब िोग कहाां जाने के लिए तैयार हो रहे हैं? • उत्तर 5 ईदगाह कहानी में ईदगाह जाने की तैयारी हो रही है।• प्रश्न 6 ईदगाह कहानी में हलमद की बूढी दादी का क्या नाम है? • उत्तर 6 इस कहानी में हालमद की दादी का नाम अमीना है।• प्रश्न 7 हमीद को मेिे में खचच के लिए ककतने पैसे लमिे थे? • उत्तर 7 हलमद को मेिे में खचच करने के लिए 3 पैसे लमिे थे।• प्रश्न 8 हलमद के साथ गए बच्चों ने मेिे में क्या खरीदा ?• उत्तर 8 हालमद के साथ गए बच्चों ने अपनी-अपनी पसुंद के खखिौने खरीदे।

  • 2• प्रश्न 9 हालमद ने खखिौने क्यों नहीां खरीदे? • उतर 9 हालमद के पास पैसे कम थे और वह कोई काम की चीज़ खरीदना चाहता था।• प्रश्न 10 हालमद के साथ मेिे में गए बच्चों ने उसके साथ कोई भी खाने की चीज़ नहीां ब ांटी। क्या उन्होंने ठीक ककया? • उत्तर 10 नहीुं, यह तो बबल्क ि भी ठीक नहीुं था। हमें अपनी चीजों को बाुंटना भी आना चाहहए और वह तो लसर्च खाने की ही

    चीजें थी।• प्रश्न 11 “तीन पैसे िोगे?” ककसने ककससे कहा? • उत्तर 11 यह शब्द हालमद ने द कानदार से कहे।• प्रश्न 12 हालमद ने चचमटा ही क्यों खरीदा होगा? • उत्तर 12 हालमद भी खखिौने खरीदना चाहता था िेककन उसने अपनी दादी के हाथ रोटी बनाते ह ए जिते देखे थे। इसलिए उसने अपनी इच्छा को दबाकर दादी के लिए चचमटा लिया।• प्रश्न 13 हालमद ने अपने चचमटे को सबसे बेहतर कैसे साबबत ककया? • उत्तर 13 हालमद ने दोस्तों के सामने अपने चचमटे को तकच देकर सबसे उपयोगी और ताकतवर साबबत ककया। यही कारण था कक

    उसके दोस्त चचमटे के लिए खखिौना देने को भी तैयार थे।• प्रश्न 14 क्या हालमद ने चचमटा खरीद कर ठीक ककया था? • उत्तर 14 हाुं, हालमद ने सही काम ककया था। हमें कभी -कभी अपनी इच्छाओुं को दबाकर दसूरों के लिए जरूरी काम भी करना

    चाहहए। हालमद ने अपनी दादी की एक समस्या ही खत्म कर दी थी। उसका यह ननणचय सही िगा।• प्रश्न 15 चचमटा देखकर हालमद की दादी ने क्या कहा? • उत्तर 15 चचमटा देखकर दादी ने कहा, ” मेिे में त झे और कोई चीज़ न लमिी, जो यह िोहे का चचमटा उठा िाया?”• प्रश्न 16 दादी माां क्यों रोने िगी? • उत्तर 16 दसूरों को खखिौने िेते और लमठाई खाते देखकर उसका मन भी ककतना ििचाया होगा? वहाुं भी उसने अपनी दादी को

    याद रखायह सोच कर तथा हालमद के त्याग, सद्भाव और वववेक को देख कर वह रोने िगी।• प्रश्न 17 अमीना और हालमद का ररश्ता दादा-पोते( बडा और छोटा) का था िेककन कहानी के अांत तक यह उिट जाता है। क्या

    आप बता सकते हो कैसे? • उत्तर 17 बड ेअपनी इच्छाओुं को दबाकर हम बच्चों की सभी जरूरतें पूरा करते हैं। हालमद ने भी अपनी दादी माुं की एक जरूरत

    अपनी इच्छाओुं को त्याग कर पूरी कर दी थी। और वही दादी माुं यह देख कर ख शी से बच्चों की तरह रोने िगी। इस प्रकार दोनों ने एक दसूरे के पात्रों को अपना लिया पूखणचमा

  • COMPILED BY

    • AKTA KHAJURIA

    • DIET REASI

  • UNIT 2nd

    CLASS 5th HINDI

    CHAPTER 6

  • COMPILED BY

    • EKTA KHAJURIYA

    • DIET REASI

  • UNIT 2ND�ह�द� �ाकरण

    CLASS 5TH

  • सव�नाम क� प�रभाषा•

    �जन श�द� का �योग सं�ा के �थान पर �कया जाता है, उ�ह� सव�नाम कहते है।�सरे श�द� म�- सव�नाम उस �वकारी श�द को कहते है, जो पूवा�परसंबध से �कसी भी सं�ा के बदले आता है।सरल श�द� म�- सव� (सब) नाम� (सं�ा�) के बदले जो श�द आते है, उ�ह� 'सव�नाम' कहते ह�। सव�नाम यानी सबके �लए नाम। इसका �योग सं�ा के �थान पर �कया जाता है। आइए देख�, कैसे? राधा सातव� क�ा म�पढ़ती है। वह पढ़ाई म� ब�त तेज है। उसके सभी �म� उससे �स� रहते ह�। वह कभी-भी �वयं पर घमंड नह� करती। वहअपने माता-�पता का आदर करती है।आपने देखा �क ऊपर �लखे अन�ुछेद म� राधा के �थान पर वह, उसके, उससे, �वयं, अपने आ�द श�द� का �योग �आहै। अतः ये सभी श�द सव�नाम ह�।इस �कार,सं�ा के �थान पर आने वाले श�द� को सव�नाम कहते ह�।मै, तू, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, हम, तुम, कुछ, कौन, �या, जो, सो, उसका आ�द सव�नाम श�द ह�। अ�य सव�नाम श�दभी इ�ह� श�द� से बने ह�, जो �ल�ग, वचन, कारक क� ��� से अपना �प बदलते ह�; जैसे-राधा न�ृय करती है। राधा का गाना भी अ�छा होता है। राधा गरीब� क� मदद करती है।राधा न�ृय करती है। उसका गाना भी अ�छा होता है। वह गरीब� क� मदद करती है।आप- अपना, यह- इस, इसका, वह- उस, उसका।अ�य उदाहरण(1)'सुभाष' एक �व�ाथ� है।(2)वह (सुभाष) रोज �कूल जाता है।(3)उसके (सुभाष के) पास सु�दर ब�ता है।(4)उसे (सुभाष को )घूमना ब�त पस�द है।उपयु� वा�य� म� 'सुभाष' श�द सं�ा है तथा इसके �थान पर वह, उसके, उसे श�द सं�ा (सुभाष) के �थान पर �योग�कये गए है। इस�लए ये सव�नाम है।सं�ा क� अपे�ा सव�नाम क� �वल�णता यह है �क सं�ा से जहाँ उसी व�तु का बोध होता है, �जसका वह (सं�ा) नाम है,वहाँ सव�नाम म� पूवा�परस�ब�ध के अनसुार �कसी भी व�तु का बोध होता है। 'लड़का' कहने से केवल लड़के का बोध होताहै, घर, सड़क आ�द का बोध नह� होता; �क�तु 'वह' कहने से पूवा�परस�ब�ध के अनसुार ही �कसी व�तु का बोध होता है।

  • सव�नाम के भेद

    • सव�नाम के छ: भेद होते है-(1)पु�षवाचक सव�नाम(2)�न�यवाचक सव�नाम

    (3)अ�न�यवाचक सव�नाम(4)संबंधवाचक सव�नाम(5)��वाचक सव�नाम(6)�नजवाचक सव�नाम

  • पु�षवाचक सव�नाम•

    ••

    (1) पु�षवाचक सव�नाम:-�जन सव�नाम श�द� से ��� का बोध होता है, उ�ह� पु�षवाचक सव�नाम कहते है।�सरे श�द� म�- बोलने वाले, सुनने वाले तथा �जसके �वषय म� बात होती है, उनके �लए �योग �कए जाने वाले सव�नाम पु�षवाचक सव�नामकहलाते ह�।'पु�षवाचक सव�नाम' पु�ष� (��ी या पु�ष) के नाम के बदले आते ह�।जैसे- म� आता �ँ। तुम जाते हो। वह भागता है।उपयु�� वा�य� म� 'म�, तुम, वह' पु�षवाचक सव�नाम ह�।पु�षवाचक सव�नाम के �कारपु�षवाचक सव�नाम तीन �कार के होते है-(i)उ�म पु�षवाचक (ii)म�यम पु�षवाचक (iii)अ�य पु�षवाचक(i)उ�म पु�षवाचक(First Person):-�जन सव�नाम� का �योग बोलने वाला अपने �लए करता है, उ�ह� उ�म पु�षवाचक कहते है।जैसे- म�, हमारा, हम, मुझको, हमारी, म�ने, मेरा, मुझे आ�द।उदाहरण- म� �कूल जाऊँगा।हम मतदान नह� कर�गे।यह क�वता म�ने �लखी है।बा�रश म� हमारी पु�तक� भीग गई।म�ने उसे धोखा नह� �दया।(ii) म�यम पु�षवाचक(Second Person) :-�जन सव�नाम� का �योग सुनने वाले के �लए �कया जाता है, उ�ह� म�यम पु�षवाचक कहते है।जैसे- तू, तुम, तु�हे, आप, तु�हारे, तुमने, आपने आ�द।उदाहरण- तुमने गृहकाय� नह� �कया है।तुम सो जाओ।तु�हारे �पता जी �या काम करते ह� ?तू घर देर से �य� प�ँचा ?तुमसे कुछ काम है।(iii)अ�य पु�षवाचक (Third Person):-�जन सव�नाम श�द� का �योग �कसी अ�य ��� के �लए �कया जाता है, उ�ह� अ�य पु�षवाचक कहतेहै।जैसे- वे, यह, वह, इनका, इ�ह�, उसे, उ�ह�ने, इनसे, उनसे आ�द।उदाहरण- वे मैच नही खेल�गे।उ�ह�ने कमर कस ली है।वह कल �व�ालय नह� आया था।उसे कुछ मत कहना।उ�ह� रोको मत, जाने दो।इनसे क�हए, अपने घर जाएँ।

  • �न�यवाचक सव�नाम•

    (2) �न�यवाचक सव�नाम:- सव�नाम के �जस �प से हमे �कसीबात या व�तु का �न�त �प से बोध होता है, उसे �न�यवाचकसव�नाम कहते है।�सरे श�द� म�- �जस सव�नाम से व�ा के पास या �र क� �कसीव�तु के �न�चय का बोध होता है, उसे '�न�चयवाचक सव�नाम'कहते ह�।सरल श�द� म�- जो सव�नाम �न�यपूव�क �कसी व�तु या ��� काबोध कराएँ, उसे �न�यवाचक सव�नाम कहते ह�।जैसे- यह, वह, ये, वे आ�द।वा�य� म� इनका �योग दे�खए-तनुज का छोटा भाई आया है। यह ब�त समझदार है।�कशोर बाजार गया था, वह लौट आया है।उपयु�� वा�य� म� 'यह' और 'वह' �कसी ��� का �न�यपूव�क बोधकराते ह�, अतः ये �न�यवाचक सव�नाम ह�।

  • अ�न�यवाचक सव�नाम•

    (3) अ�न�यवाचक सव�नाम:-�जस सव�नाम श�द से �कसी�न��त ��� या व�तु का बोध न हो, उसे अ�न�यवाचकसव�नाम कहते है।�सरे श�द� म�- जो सव�नाम �कसी व�तु या ��� क� ओर ऐसेसंकेत कर� �क उनक� ��थ�त अ�न��त या अ�प� रहे, उ�ह�अ�न�यवाचक सव�नाम कहते है।जैसे- कोई, कुछ, �कसी आ�द।वा�य� म� इनका �योग दे�खए-मोहन! आज कोई तुमसे �मलने आया था।पानी म� कुछ �गर गया है।यहाँ 'कोई' और 'कुछ' ��� और व�तु का अ�न��त बोध करानेवाले अ�न�यवाचक सव�नाम ह�।

  • संबंधवाचक सव�नाम•

    संबंधवाचक सव�नाम :-�जन सव�नाम श�द� का �सरे सव�नामश�द� से संबंध �ात हो तथा जो श�द दो वा�य� को जोड़ते है,उ�ह� संबंधवाचक सव�नाम कहते है।�सरे श�द� म�- जो सव�नाम वा�य म� �यु� �कसी अ�य सव�नामसे स�बं�धत ह�, उ�ह� संबंधवाचक सव�नाम कहते है।जैसे- जो, �जसक�, सो, �जसने, जैसा, वैसा आ�द।वा�य� म� इनका �योग दे�खए-जैसा करोगे, वैसा भरोगे।�जसक� लाठ�, उसक� भ�स।उपयु�� वा�य� म� 'वैसा' का स�बंध 'जैसा' के साथ तथा 'उसक�'का स�ब�ध '�जसक�' के साथ सदैव रहता है। अतः येसंबंधवाचक सव�नाम है।

  • ��वाचक सव�नाम•

    ��वाचक सव�नाम :-जो सव�नाम श�द सवाल पूछने के �लए�यु� होते है, उ�ह� ��वाचक सव�नाम कहते है।सरल श�द� म�- �� करने के �लए �जन सव�नाम� का �योगहोता है, उ�ह� '��वाचक सव�नाम' कहते है।जैसे- कौन, �या, �कसने आ�द।वा�य� म� इनका �योग दे�खए-टोकरी म� �या रखा है।बाहर कौन खड़ा है।तुम �या खा रहे हो?उपयु�� वा�य� म� '�या' और 'कौन' का �योग �� पूछने के�लए �आ है। अतः ये ��वाचक सव�नाम है।

  • �नजवाचक सव�नाम•

    ••

    �नजवाचक सव�नाम :-'�नज' का अथ� होता है- अपना और 'वाचक' का अथ� होता है- बोध (�ान) कराने वालाअथा�त '�नजवाचक' का अथ� �आ- अपनेपन का बोध कराना।इस �कार,�जन सव�नाम श�द� का �योग कता� के साथ अपनेपन का �ान कराने के �लए �कया जाए, उ�ह� �नजवाचकसव�नाम कहते है।जैसे- अपने आप, �नजी, खुद आ�द।'आप' श�द का �योग पु�षवाचक तथा �नजवाचक सव�नाम-दोन� म� होता है।उदाहरण-आप कल द�तर नह� गए थे। (म�यम पु�ष- आदरसूचक)आप मेरे �पता �ी बसंत �स�ह ह�। (अ�य पु�ष-आदरसूचक-प�रचय देते समय)ई�र भी उ�ह� का साथ देता है, जो अपनी मदद आप करता है। (�नजवाचक सव�नाम)'�नजवाचक सव�नाम' का �प 'आप' है। ले�कन पु�षवाचक के अ�यपु�षवाले 'आप' से इसका �योग �बलकुलअलग है। यह कता� का बोधक है, पर �वयं कता� का काम नह� करता। पु�षवाचक 'आप' ब�वचन म� आदर के�लए �यु� होता है। जैसे- आप मेरे �सर-आख� पर है; आप �या राय देते है ? �क�तु, �नजवाचक 'आप' एक हीतरह दोन� वचन� म� आता है और तीन� पु�ष� म� इसका �योग �कया जा सकता है।�नजवाचक सव�नाम 'आप' का �योग �न�न�ल�खत अथ� म� होता है-(क) �नजवाचक 'आप' का �योग �कसी सं�ा या सव�नाम के अवधारण (�न�चय) के �लए होता है। जैसे- म� 'आप'वह� से आया �ँ; म� 'आप' वही काय� कर रहा �ँ।(ख) �नजवाचक 'आप' का �योग �सरे ��� के �नराकरण के �लए भी होता है। जैसे- उ�ह�ने मुझे रहने को कहाऔर 'आप' चलते बने; वह और� को नह�, 'अपने' को सुधार रहा है।(ग) सव�साधारण के अथ� म� भी 'आप' का �योग होता है। जैसे- 'आप' भला तो जग भला; 'अपने' से बड़� काआदर करना उ�चत है।(घ) अवधारण के अथ� म� कभी-कभी 'आप' के साथ 'ही' जोड़ा जाता है। जैसे- म� 'आप ही' चला आता था; यह

  • पया�यवाची श�द क� प�रभाषा•

    'पया�य' का अथ� है- 'समान' तथा 'वाची' का अथ� है- 'बोले जाने वाले' अथा�त �जनश�द� का अथ� एक जैसा होता है, उ�ह� 'पया�यवाची श�द' कहते ह�।इसे हम ऐसे भी कह सकते है- �जन श�द� के अथ� म� समानता हो, उ�ह� 'पया�यवाचीश�द' कहते है।�सरे अथ� म�- समान अथ�वाले श�द� को 'पया�यवाची श�द' या समानाथ�क भी कहते है।जैसे- सूय�, �दनकर, �दवाकर, र�व, भा�कर, भानु, �दनेश- इन सभी श�द� का अथ� है'सूरज' ।इस �कार ये सभी श�द 'सूरज' के पया�यवाची श�द कहलाय�गे।पया�यवाची श�द को '��तश�द' भी कहते है। अथ� क� ��� से श�द� के अनेक �प है;जैसे- पया�यवाची श�द, यु�म श�द, एकाथ�क श�द, �वपरीताथ�क श�द, समो�च�रत�ायश�द इ�या�द।�कसी भी समृ� भाषा म� पया�यवाची श�द� क� अ�धकता रहती है। जो भाषा �जतनी हीस�प� होगी, उसम� पया�यवाची श�द� क� सं�या उतनी ही अ�धक होगी। सं�कृत म�इनक� अ�धकता है। �ह�द� के पया�यवाची श�द सं�कृत के त�सम श�द है, �ज�ह� �ह�द�भाषा ने �य�-का-�य� �हण कर �लया है।यहाँ एक बात �यान रखने क� यह है �क इन श�द� म� अथ� क� समानता होते �ए भीइनके �योग एक तरह के नह� ह�। ये श�द अपने म� इतने पूण� ह� �क एक ही श�द का�योग सभी ��थ�तय� म� और सभी �थल� पर अ�छा नह� लगता- कह� कोई श�द ठ�कबैठता है और कह� कोई। ��येक श�द क� मह�ा �वषय और �थान के अनुसार होती है।

  • कुछ �व�श� पया�यवाची श�द नीचे द� जा रहीहै-

    • अ�त�थ- मेहमान, अ�यागत, आग�तुक, पा�ना।अमृत- सुरभोग सुधा, सोम, पीयूष, अ�मय, जीवनोदक ।अ��न- आग, �वाला, दहन, धनंजय, वै�ानर, रो�हता�, वायुसखा, �वभावसु, �ताशन,धूमकेतु, अनल, पावक, वह�न, कृशान,ु व��, �शखी।अनपुम- अपूव�, अतुल, अनोखा, अनठूा, अ��तीय, अदभुत, अन�य।अथ�- हय, तुरङ, वा�ज, घोडा, घोटक।असुर-यातुधान, �न�शचर, रजनीचर, दनजु, दै�य, तमचर, रा�स, �नशाचर, दानव, रा��चर।अलंकार- आभूषण, भूषण, �वभूषण, गहना, जेवर।अहंकार- दंभ, गव�, अ�भमान, दप�, मद, घमंड, मान।अहंकारी- ग�व�त, अकडू, मग�र, अकड़बाज, गव�ला, आ�मा�भमानी, ठ�सेबाज, घमंडी।अ�त�थ- मेहमान, अ�यागत, आग�तुक, पा�ना।अथ�- धन,् ��, मु�ा, दौलत, �व�, पैसा।अ�- हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, ह�र, तुरग, वा�ज, सै�धव।अंधकार- तम, �त�मर, त�म�, अँधेरा, तमस, अं�धयारा।अंग- अंश, अवयव, �ह�सा, संघटक, घटक, उपादान, खंड, भाग, टुकड़ा, शरीर, तन, देह,गात, गा�।अ�भमान- अ��मता, अहं, अहंकार, अहंभाव, अह�म�यता, आ�म�ाघा, गव�, घमंड, दप�,दंभ, मद, मान, �म�या�भमान।

  • 2• असहाय- अनाथ, �नःसहाय, बेकस, यतीम, बेसहारा, �नरा��त, �ववश, लाचार, वशीभूत, द�न, मजबूर।असाधारण- अ��तीय, अ�यतम, अन�य, अतुल, अतुलनीय, अ��तम, बेजोड़, बे�मसाल, बेनजीर,लाजवाब, अनुपम, �न�पम, अनूठा, अ�तु, अनोखा, �नराला, �व�च�, �वल�ण, अजब, अजीब,अजीबोगरीब, अपूव�, �व�श�, अपने ढंग का, कमाल का, गजब का, लाख� म� एक, धुरंधर, �द�गज, �स�,��स�।असाधारणता- अप�कृत�व, अपसामा�यतया, �वसामा�यतया, �तर�यु�त, वै��य, �वल�णता,अ�वाभा�वकता।असावधान- बेपरवाह, लापरवाह, बेखबर, गा�फल, बेहोश, अचेत, �माद�।असावधानी- बेपरवाही, लापरवाही, गफलत, अनवधान, �माद, बेहोशी।असीम- अप�र�मत, अ�मत, अनंत, असी�मत, अपार, असं�य, अकूत, बे�हसाब, बेहद।असु�दर- कु�प, बदसूरत, बदश�ल, बेडौल, भ�डा, अनपयु�, भ�ा, बेतुका, बेढब, बेढंगा।अ�त- �तरो�हत, अ��य, लु�त, न�, व�त, लोप, अदश�न।अ��त�व- स�ा, वजुद, �व�मानता, उप��थ�त, मौजूदगी।अ��-श��- ह�थयार, आयु�, औजार।अ�थायी- अ��थर, ��णक, �णभंगुर, अ�न�य, नाशवान, फानी, साम�यक, आरजी, क�चा, नापायदार,कागजी।अ��थर- �वच�लत, �वकं�पत, डगमग, चंचल, चपल, अधीर, अशांत, ग�तमान, चलायमान, कंपायमान,दोलायमान, अ�थायी, �णभंगुर, अ�न�य, नाशवान।अ�पताल- औषधालय, ��णालय, दवाखाना, उपचारगृह।अ�वीकार करना- इनकार करना, मना करना, नकारना, न मानना, ठुकरा देना, अनंगीकार करना, �हणन करना, खंडन करना, मुकर जाना, ��या�यान करना।अ�वीकृ�त- अमा�य, नामंजूर, अ�वीकार, अस�म�त, �वरोध, नापसंदगी।अहसान- उपकार, भलाई, अनु�ह, कृत�ता, आभार।अ�हतकर- अ�न�कारी, क��द, अशुभकारी, अमंगलकारी, अक�याणकर।अहीर- गोप, �वाल, गोपाल, यादव, अ�हर, भीर।

  • उपसग� क� प�रभाषा•

    उपसग� उस श�दांश या अ�य को कहते है, जो �कसी श�द के पहले आकरउसका �वशेष अथ� �कट करता है।�सरे श�द� म�- ''उपसग� वह श�दांश या अ�य है, जो �कसी श�द के आरंभ म�जुड़कर उसके अथ� म� (मूल श�द के अथ� म�) �वशेषता ला दे या उसका अथ� हीबदल दे।'' वे उपसग� कहलाते है।जैसे- ��स�, अ�भमान, �वनाश, उपकार।इनमे कमशः '�', 'अ�भ', '�व' और 'उप' उपसग� है।यह दो श�द� (उप+ सग�) के योग से बनता है। 'उप' का अथ� 'समीप', '�नकट' या'पास म�' है। 'सग�' का अथ� है सृ�� करना। 'उपसग�' का अथ� है पास म� बैठाकर�सरा नया अथ�वाला श�द बनाना। 'हार' के पहले '�' उपसग� लगा �दया गया, तोएक नया श�द '�हार' बन गया, �जसका नया अथ� �आ 'मारना' । उपसग� का�वत�� अ��त�व न होते �ए भी वे अ�य श�द� के साथ �मलाकर उनके एक �वशेषअथ� का बोध कराते ह�।उपसग� श�द के पहले आते है। जैसे- 'अन' उपसग� 'बन' श�द के पहले रख देने सेएक श�द 'अनबन 'बनता है, �जसका �वशेष अथ� 'मनमुटाव' है। कुछ उपसग� केयोग से श�द� के मूल अथ� म� प�रवत�न नह� होता, ब��क तेजी आती है। जैसे-'�मण' श�द के पहले 'प�र' उपसग� लगाने से अथ� म� अ�तर न होकर तेजी आयी।कभी-कभी उपसग� के �योग से श�द का �बलकुल उ�टा अथ� �नकलता है।

  • उपसग� क� �वशेषता

    उपसग� क� तीन ग�तयाँ या �वशेषताए ँहोती ह�-(1) श�द के अथ� म� नई �वशेषता लाना।जैसे- � + बल= �बलअन ु+ शासन= अनशुासन(2) श�द के अथ� को उलट देना।जैसे- अ + स�य= अस�यअप + यश= अपयश(3) श�द के अथ� म�, कोई खास प�रवत�न न करके मूलाथ� केइद�-�गद� अथ� �दान करना।जैसे- �व + शु�= �वशु�प�र + �मण= प�र�मण

  • उपसग� क� सं�या

    • �ह�द� म� �च�लत उपसग� को �न�न�ल�खत भागो म� �वभा�जत�कया जा सकता है-(1) सं�कृत के उपसग�(2) �ह�द� के उपसग�(3) उ�� के उपसग�(4) अं�ेजी के उपसग�(5) उपसग�वत् अ�य, सं�ा, सव�नाम, �वशेषण

  • दो उपसग� से �न�म�त श�द

    • �नर् + आ + करण = �नराकरण��त + उप + कार = ��युपकारसु + सम् + कृत = सुसं�कृतअन ्+ आ + हार = अनाहारसम् + आ + चार = समाचारअन ्+ आ + स�� = अनास��अ + सु + र��त = असुर��तसम् + आ + लोचना= समालोचनासु + सम् + ग�ठत = सुसंग�ठतअ + �न + यं��त = अ�नयं��तअ�त + आ + चार = अ�याचारअ + ��त + अ� = अ��य�

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