लघुकथा की नई नवेली बगिया नई सदी ......लघ...

3
तक समीा- लघ कथा की नई नवेली बगिया " नई सदी की लघ कथाएं " समीक- ओमकाश िय 'काश' लघ कथा का जम भारत म ही ह आ. इस का आरंभभक ऱप विोही था . ितंता ात के पचात भारत म उपजी क यिथा, जस म टाचार का बोलबाला होने लगा था उस के दंश को बताने के भलए इसका उभि ह आ था. यानी यिथा की विसंगतत के इस ऱप को बताने के भलए गय के भलए स शैली (कसािट के ाऱप) म एक साहहययक विधा की जररत महस स ह ई. िह विधा साहहययक इस विसंगतत ि वि पता को तीण ऱप म कथा म वपरोकर उसे दंश के ऱप म अभभयत कर सके. इसी के स पात के भलए इस विधा का विकास उस समय के गतशील साहहययकार ने कया था. उह ने उस समय इस नई कथा शैली का ायोगगक तौर पर उपयोग कया . जस म देश म बती ह ई ररितखोरी, भाई भतीजािाद, भलस के अययचार, टाचार, दोहरे मापदंड, जमीनी यिथा, यौनशोषण, दहेजथा जाततयिथा पाखंड आहद पर इस तरह भलखा गया कक िह पाठक को सोचनेसमझने और उस पर विचार करने के भलए मजब र करे. इस शैली का पाठक ने जम कर िागत कया.

Upload: others

Post on 15-Mar-2020

19 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • पसु्तक समीक्षा-लघुकथा की नई नवेली बगिया " नई सदी की लघुकथाएं "

    समीक्षक- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'

    लघुकथा का जन्म भारत में ही हुआ. इस का आरंभभक रूप विद्रोही था . स्ितंत्रता प्राप्तत के पश्चात भारत में उपजी कुव्यिस्था, प्जस में भ्रष्टाचार का बोलबाला होने लगा था उस के दंश को बतान ेके भलए इसका उद्भि हुआ था. यानी व्यिस्था की विसंगतत के इस रूप को बताने के भलए गद्य के भलए सूत्रशैली (कसािट के प्रारूप) में एक साहहप्ययक विधा की जरुरत महसूस हुई. िह विधा साहहप्ययक इस विसंगतत ि विद्रपूता को तीक्ष्ण रूप में कथा में वपरोकर उसे दंश के रूप में अभभव्यक्त कर सके. इसी के सूत्रपात के भलए इस विधा का विकास उस समय के प्रगततशील साहहययकारों ने ककया था.

    उन्हों ने उस समय इस नई कथा शैली का प्रायोगगक तौर पर उपयोग ककया . प्जस में देश में बढ़ती हुई ररश्ितखोरी, भाई भतीजािाद, पुभलस के अययचार, भ्रष्टाचार, दोहरे मापदंड, जमीनी व्यिस्था, यौनशोषण, दहेजप्रथा जाततव्यिस्था पाखडं आहद पर इस तरह भलखा गया कक िह पाठक को सोचनेसमझने और उस पर विचार करने के भलए मजबूर करे. इस शैली का पाठकों ने जम कर स्िागत ककया.

    http://www.sahityasudha.com

  • लघुकथा, लघु कहानी के समांतर रूप में एक अलग तेिर के साथ में विकभसत हुई थी . जहां कहानी एक समस्या को समाधान के रूप में इंगगत करत ेहुए चलती थी, िहीं इस नई शैली की कथा (लघु कहानी से अलग इस विधा ) ने समस्या या विसंगतत का यथाप्स्थतत गचत्रत्रत कर के पाठकों को सोचने समझने को वििश करने िाली शैली के रूप में अपना विकास ककया. इस तरह विकभसत शैली लोगों को लुभाने लगी. फलस्िरूप ्यह शैली लघुकथा के रूप में विकभसत होती चली गई.

    कालांतर में इसे रचनाकार सागथयों ने लघु कथा से इतर एक विधा के रूप में विकाभसत ककया. जो लघु कथा और लोककथा से लघुकथा के रूप में आगे बढ़ते हुए आज की प्स्थतत तक पहंुची हैं. उसी प्रारूप पर प्रकाश डालते हुए संपादकीय ि भूभमका िाली यह पुस्तक "नई सदी की लघुकथाएं" अपने विशषे रूप में सभी पाठकों के सम्मुख पूरी साजसज्जा के साथ उपप्स्थत हुई है.

    प्रस्तुत पुस्तक नई सदी के लघुकथाकार की नई पीढ़ी को समवपित होकर तीन खडंों में प्रकाभशत की गई है. प्जस का सम्पादन प्रभसद्ध लघुकथाकार अतनल शूर आज़ाद न ेककया हैं. इस पुस्तक के प्रथम खडं में परंपरागत रूप से जुड ेलघुकथाकारों की लघुकथाओं को सप्म्मभलत ककया गया है .प्जस के अतंगित सूयिकांत नागर, शंकर पुणतांबेकर, सतीश दबुे, जगदीश कश्यप, रूप देिगुण, उभमिकृष्ण, सतीश राज पुष्करणा, कमल चौपडा, मधकुांत, विकेश तनझािन, कमलेश भारतीय सहहत अनेक लघुकथाकरों की शे्रष्ठ लघुकथाओं को इस में सप्म्मभलत ककया गया है.

    द्वितीय खडं में नई सदी के लघुकथाकारों की लघुकथाएं संकभलत की गई है . प्जस में ितिमान के चगचित लघुकथाकार माहटिन जान, पिन जैन, सविता गुतता, सविता भमश्रा, पंकज शमाि, चदें्रश कुमार छतलानी, ज्योयस्ना कवपल, संदीप तोमर, ओमप्रकाश क्षत्रत्रय 'प्रकाश', िीरेंद्र िीर मेहता, त्रत्रलोक भसहं ठकुरेला, गीता कैथल, विजयानंद विजय, विभा रानी श्रीिास्ति, जगदीश राय कुलररया सहहत अनेक लघुकथाकारों की लघुकथाएं सप्म्मभलत की गई है.

    ततृीय खडं में "आधतुनक हहदंी लघुकथा शोध" के नाम से - विविध जानकारी पूणि सामग्री एकत्रत्रत की गई है . पुस्तक की साजसज्जा सुंदर है. फॉन्ट आकषिक ि बेहतरीन हैं. उगत ेहुए सूयि के प्रकाश से अकुंररत होती हुई पौध से सप्ज्जत आिरण पुस्तक के नाम को साथिक करता हुआ बहुत सुंदर लगाया गया है. पुस्तक का सामग्री चयन उत्तम है. िही विविध लघुकथाएँ आकषिक बन पडी है.

  • लघुकथा की भाषा लघुकथाकार के अनुरूप बेहतरीन ि उपयुक्त हैं. कुशल संपादन के कारण पुस्तक त्रहुट रहहत तथा बेहतर बन पडी है . क्यों कक संकभलत लघुकथाएं संपादक द्िारा आयोप्जत प्रततयोगगता और उस के बाद चयतनत हुई लघुकथा का संकलन है.

    इस संकलन में प्रततप्ष्ठत और निोहदत लघुकथाकारों को एक साथ प्रस्तुत कर उत्तम कायि ककया है . इस के बािजूद इस में सप्म्मभलत सभी लघुकथाएं अययंत उपयोगी है . इस पुस्तक की इसी उपयोगगता के कारण पाठक इसे खलेु हदल से स्िागत करेंगे .इस की उपयोगगता और पषृ्ठ संख्या देखते हुए दाम भी िाप्जब है.

    पुस्तक- " नई सदी की लघुकथाएं "संपादक- डॉ अननल शूर आजादसंपकक - 09871357136नवशीला प्रकाशन, 75- श्री राम कॉलोनी ननलोठी एक्सट नांिलोई , नई ददल्ली -110041संस्करण -प्रथम 2018पषृ्ठ संख्या - 128मूल्य -₹200 पेपर बेक

    mailto: [email protected], [email protected]