नई तालीम गाँधीजी की कोशिि, सत्य की खोज...

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वर.- 5, अंक-4 अल 2019 डॉ. टी. कणाकरण - नई तालीम के मारदरक नई तालीम गाँधीजी की कोशिि, स की खोज है क यह जीवन का नेतृ कर सकता है - डॉ. टी कणाकरण एमजीएनसीआरई ने इस महीने के समाचार प को नई तालीम के मार के काशसतंभ डॉ. टी. कणाकरण को समरपत ककया ह। एक सय वयर, समाज सुधारक, न, महतवाकांी – ये सारे शब हमारे रय डॉ कणाकरण को परभारत नहीं कर सकते, जनहोन इस जरत को 12 माच के कन अलरवा कह कया। यह एमजीएनसीआरई के ललए एक बह त ुःख का समय ह जजसके पीछे एक खालीपन ह, एक शू नय जजसे कभी भरा नहीं जा सकता, एक कवयजयोलत जसक जरह कोई नहीं ले सकता। एमजीएनसीआरई के साथ उनक आजखरी मुलाकात 27- 28 फरवरी को ह ई थी जसम वे सकूल और लशक अलधरम पाठयम और अभयास म नई तालीम और अनुभवजनय लशा पर आयोजजत लशक के लए राीय सममेलन म उपजसथत होने आये थे। उनक आँख म ईमानारी क चमक नई तालीम के सपन को पूरा करने के ललए आज भी रासत क तलाश म ह। टी. कणाकरण ने मास रवरवालय (1969) से बचलर ऑफ इंजीलनयररं र (इलेजकल इं जीलनयररं र) आईआईटी, कलली से (1975 म) रजणतीय णाली लसदांत म पीएचडी क उपालध ा क। डॉ. टी. कणाकरण ने 19 साल तक चार आईआईटी म रवलभनन शोध और अकालमक प पर काम कया। वे 1987-1997 तक ामीण ोलरक क, रांधीाम ामीण रवरवालय, तलमलनाडु के लनेशक थे। वे 1997 से 2004 तक महातमा रांधी लचकूट ामोय रव रवालय, मधय ेश के कु लपलत रह। 2004 से 2007 तक रांधीाम रवरवालय, तलमलनाडु के कु लपलत और महातमा रांधी ामीण औोलरककरण संसथान, वधा के लनेशक रहे। वे शजक सुधार पर मधय ेश और रबहार सरकार के सलाहकार के प पर थे। वे कु छ नए मॉडलस जसे रल इकोनोलमक ज़ोनस और ामीण उोकृ रर (कृ र आधारत उोर) तथा आतमहतया करने वाले कसान के बचच के ललए काम कया। वह मरन संहालय सलमलत के सलचव भी थे। एक रैणणक संसान के मूल, अकादमक साजसजा के अलावा नमनमलणित बात होनी चाहए: रारीरक कौरल, सामाजजक वहार और रचनातमक समसा को सुलझाने के कौरल। इन पहलुओं को बौक कौरल, रारीरक कौरल आहद नाम से जाना जाता है। हदलचसप बात ह है कक नई तालीम अपने सवभाव से ही इन कौरल को वकमसत करने का इरादा रिती है जो एक सफल जीवन के मलए जरी ह। - डॉ. टी.कणाकरण. डॉ. टी.कणाकरण ने महसूस कया क रवरवालय को सकूली लशा का संरक होना चाकहए। “व दाल को िुबसूरत सान बनना चाहहए और े चचंता करने ा भारादौड़ी की जरह नहीं होनी चाहहए जैसे अभी ह; बचचे को सक ल म सब क छ सीिना चाहहए और रोजरार के मलए चंनतत नहीं होना चाहए।’’

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  • वर्ष.- 5, अकं-4 अप्रैल 2019

    डॉ. टी. करुणाकरण - नई तालीम के मार्गदर्गक

    नई तालीम गाँधीजी की कोशिि, सत्य की खोज ह ैक्योंकक यह जीवन का नेतृत्व कर सकता ह ै- डॉ. टी करुणाकरण

    एमजीएनसीआरई ने इस महीने के समाचार पत्र को नई तालीम के मार्ष के प्काशसतंभ डॉ. टी. करुणाकरण को समरप्षत ककया हरै। एक सक्रीय वयरति, समाज सधुारक, नम्र, महतवाकांक्ी – ये सारे शब्द हमारे रप्य डॉ करुणाकरण को पररभाररत नहीं कर सकते, जजनहोनें इस जरत को 12 माच्ष के क्दन अलरव्दा कह क्दया। यह एमजीएनसीआरई के ललए एक बहुत ्दःुख का समय हरै जजसके पीछे एक खालीपन हरै, एक शनूय जजसे कभी भरा नहीं जा सकता, एक क्दवयजयोलत जजसकरी जरह कोई नहीं ले सकता। एमजीएनसीआरई के साथ उनकरी आजखरी मलुाकात 27- 28 फरवरी को हुई थी जजसमें वे सकूल और लशक्क अलधरम पाठयक्म और अभयास

    में नई तालीम और अनभुवजनय लशक्ा पर आयोजजत लशक्कों के ललए राष्टीय सममेलन में उपजसथत होने आये थे। उनकरी आखँों में ईमान्दारी करी चमक नई तालीम के सपनों को परूा करने के ललए आज भी रासतों करी तलाश में हरै।

    टी. करुणाकरण ने मद्ास रवश्वरवद्ालय (1969) से बरैचलर ऑफ इंजीलनयररंर (इलेजट्रिकल इंजीलनयररंर) आईआईटी, क्दलली से (1975 में) रजणतीय प्णाली लसदांत में पीएचडी करी उपालध प्ाप्त करी। डॉ. टी. करुणाकरण ने 19 साल तक चार आईआईटी में रवलभनन शोध और अका्दलमक प्दों पर काम ककया। वे 1987-1997 तक ग्ामीण प्रौद्ोलरकरी कें द्, रांधीग्ाम ग्ामीण रवश्वरवद्ालय, तलमलनाडु के लन्ेदशक थे। वे 1997 से 2004 तक महातमा रांधी लचत्रकूट ग्ामो्दय रवश्व रवद्ालय, मधय प््ेदश के कुलपलत रहें। 2004 से 2007 तक रांधीग्ाम रवश्वरवद्ालय, तलमलनाडु के कुलपलत और महातमा रांधी ग्ामीण औद्ोलरकरीकरण संसथान, वधा्ष के लन्ेदशक रहे। वे शरैजक्क सधुारों पर

    मधय प््ेदश और रबहार सरकार के सलाहकार के प्द पर थे। वे कुछ नए मॉडलस जरैसे रूरल इकोनोलमक ज़ोनस और ग्ामीण उद्ोर कृरर (कृरर आधाररत उद्ोर) तथा आतमहतया करने वाले ककसानों के बचचों के ललए काम ककया। वह मरन संग्हालय सलमलत के सलचव भी थे।

    एक रकै्षणणक संस्ान के मूल्य, अकादममक साजसजजा के अलावा ननमनमलणित बातें होनी चाहहए: रारीररक कौरल, सामाजजक व्यवहार और रचनातमक समस्या को सुलझाने के कौरल। इन पहलुओ ंको बौद्धिक कौरल, रारीररक कौरल आहद नामों से जाना जाता है। हदलचसप बात ्यह है कक नई तालीम अपने सवभाव से ही इन कौरलों को द्वकमसत करने का इरादा रिती है जो एक सफल जीवन के मलए जरूरी हैं। - डॉ. टी.करुणाकरण.डॉ. टी.करुणाकरण ने महससू ककया कक रवश्वरवद्ालयों को सकूली लशक्ा का संरक्क होना चाकहए।

    “द्वद्याल्यों को िुबसूरत स्ान बनना चाहहए और ्ेय चचतंा करने ्या भारादौड़ी की जरह नहीं होनी चाहहए जसेै अभी हैं; बचचे को सकूल में सब कुछ सीिना चाहहए और रोजरार के मलए चचनंतत नहीं होना चाहहए।’’

  • 2महा�ा गांधी रा�ीय �ामीण शिक्षा पवरषद कने�

    नई तालीम पर डॉ. टी. करुणाकरण के द्वचार रुंटरवर, रांधी, रवींद्नाथ टरैरोर और अ�ाहम ललंकन – इन सभी ने नई तालीम करी शुरुआत करी। सकैं कडनेरवयाई ्ेदशों में रबलकुल भी भष्टाचार नहीं था जो नई तालीम लशक्ण करी तकनीक का उपयोर करते थे। अमेररका करी नई तालीम का बेहतर उ्दाहरण हरै जजसनें श्म करी रररमा, रुरुकुल प्णाली और ज्ञान पर आधाररत अथ्षवयवसथा को बढावा क्दया जजसनें अमेररका को अलप समय में समदृ बनाया। भावनरर के वलकु़ि राँव के पररसर और छात्र-जीवन करी तलुना सबसे परुाने डेलनश पीपुलस हाई सकूल वेलककलड से करी जा सकती हरै! नई तालीम 3H के बराबर हरै और यह यनेूसको के 4 सतंभों करी तरह तथा अ�ाहम ललंकन के 4H रवचार – बरुद, �्दय, हाथ, सवासथ्य जीवन शरैली जरैसा ही हरै। 4 सतंभ सीखने करी प्कक्या से सरोकार रखते हैं।(सीखने, करने, होने और साथ रहने के ललए)। यह समग् अजसततव के रूप में लशक्ाथशी के साथ उसकरी कलपना से संबंलधत होना चाकहए। - मजसतष्क दवारा – बुद्धि दवारा – ह्रद्य दवारा और – सवासथ््य के रूप में

    रवलभनन रवरयों को संबद करने के कई तक्ष हैं। रजणत, लनरमनातमक तक्ष पर आधाररत हरै और भरौलतक रवज्ञान आरमनातमक तक्ष पर आधाररत हरै। ्दोनों को ‘बुरद’ के साथ जो़िा जा सकता हरै। भारा सम्ुदाय के साथ ज़ुिने का उपकरण हरै। सामाजजक रवज्ञान के माधयम से सम्ुदाय करी संरचना और रलतशीलता को समझा जाता हरै। आम तरौर पर भावनाएं क्दल से ज़ुिी होती हैं; इसललए मानव समहू भी जीरवत जरत का कहससा हरै। एक बचचे को सवयं के साथ, प्कृलत के साथ और सम्ुदाय के साथ एक सवसथ एवं सामंजसयपणू्ष संबंध रखना प़िता हरै। डॉ. करुणाकरण ने एकसाथ कई रवचारों करी उतपरत्त के ललए नई तालीम को लारू करने और एक मंच पर लाने के ललए सभी रवश्वरवद्ालयों/रवभारों के समथ्षन करी पेशकश करी। वे बहुत आशावा्दी थे कक हमें जल्दी ही राहत लमलेरी जब मालमू होरा कक अनभुवजनय लशक्ण के माधयम से रजणत, रवज्ञान और अगें्जी को करै से सलुनयोजजत करना हरै।

    जजनके बहुत करीब ्ा कृद्ष उद्योरवरैज्ञालनक कृरर और मूलय संवध्षक उद्ोर में कृरर उद्ोर (Agrindus) बारह महीने का एक आवासीय काय्षक्म हरै। यह माना जाता हरै कक कृरर और उद्ोर एक लनरंतरता लनलम्षत करते हैं, और कृरर उतपा्दन के मलूयवध्षन के साथ औद्ोलरक रलतरवलधयाँ आलथ्षक रूप से मजबतू, आतमलनभ्षर रांवों का लनमा्षण करने में म्द्द करेरी जो ज़रूरी बलुनया्दी सुरवधाओं और सेवा सरुवधाओं से ससुजजजत हरै। कृरर उद्ोर संसथान सथारपत थे यह इस पषृ्ठभलूम के जखलाफ हरै। कृरर उद्ोर संसथान महारोरी सेवा सलमलत (मनोहरधाम ्दत्तपरु के नाम से प्लसद) का कहससा हरै। जो 1936 में रांधीजी और रवनोबाजी के मार्ष्दश्षन और समरप्षत भाव से श्ी मनोहर ्दीवान के प्यास के द्ारा सथारपत हुआ। यह कें द् महान समाजसेवकों, जरैसे बाबा आमटे के ललए सीखने का सथान बना और अपनी कृरर, डेयरी तथा ग्ामीण उद्ोरों पर आधाररत नवीन पनुवा्षस रवलधयों’ के ललए लोकरप्य हुए। MSS ्दत्तपुर का एक मात्र उदे्शय था ग्ामीण उद्ोरों का रवकास। (source: h� p://missionsamriddhi.org/) कृरर उद्ोर के छात्रों के पहले बरैच ने सीखा कक एक रबज़नस के रूप में प्बंधन करै से ककया जाता हरै और सामने आ� कई तकनीकरी, काय्षक्म तथा वयवसालयक पररजसथलतयां। तकनीक, जजसमें पारंपररक व आधलुनक ्दोनों का रववेकपणू्ष उपयोर शालमल हरै। वर� का अनभुव और नवीन तकनीकरी का मेल बे ह त र ी न पररणामों के ललए ककया रया हरै।

    पररजसथलतयां। तकनीक, जजसमें पारंपररक व आधलुनक ्दोनों का रववेकपणू्ष उपयोर शालमल हरै। वर� का अनभुव और नवीन तकनीकरी का मेल बे ह त र ी न पररणामों के ललए ककया रया

    उनकरी आतमा को शांलत लमले

    डॉ. करुणाकरण

    मतृकों के जीवन को जीरवत लोरों करी समलृत में रखा रया हरै - माक्ष स टयलूलयस लससेरो

    एमजीएनसीआरई अपने ल�यों को परूा करते हुए एक सफल रूप में रवत्तीय वर्ष 2018-19 पर ख़तम हुआ। वही� एक ्दःुख का कारण हरै डॉ टी करुणाकरण, मार्ष्दश्षक, एमजीएनसीआरई व नई तालीम के पथप््दश्षक जो रंभीरता से ल�य पर केजनद्त थे। मरणोपरांत भी वे अलमट नश्वर रहेंरे।

    डॉ. टी करुणाकरण एमजीएनसीआरई करी नई तालीम रलतरवलधयों के ललए समथ्षन को रवसतार रूप ्ेद रहे थे। वह इसललए खशु थें कक उनहोंने मझुमें नई तालीम करी ज़रूरत और इसे राष्टीय प्भाव बनाने के ललए एक नेततृव करने वाले सरैलनक को पाया। इसमें कोई सं्ेदह नहीं हरै, उनहें एमजीएनसीआरई में सभी नई तालीम रलतरवलधयों के ललए इसके संरक्क के रूप में सममालनत ककया रया हरै। डॉ. टी. करुणाकरण ने 12 माच्ष को

    मुंबई में अलंतम सांस ली। वे 73 वर्ष के थे- क्दल से यवुा, अपनी अलंतम सांस तक अपने आ्दश� करी क्दशा में लरातार काम करते रहें। मैं उनके साथ अपनी आजखरी मुलाकात को ्दखु्द रूप से या्द करता हँू । एक महीने पहले यालन 27 और 28 फरवरी को सकूल और लशक्क अलधरम पाठयक्म और अभयासों में नई तालीम और अनभुवजनय लशक्ा पर लशक्कों के ललए आयोजजत राष्टीय सममेलन में उपजसथत थें । यह माननीय के साथ एक प्लतरष्ठत काय्षक्म था। उपराष्टपलत श्ी वेंकरै या नायडू मखुय अलतलथ के रूप में मरौज्ूद थे। माननीय उपराष्टपलत को यह जानकर खशुी हुई कक भारत के सभी कहससों के लशक्ारव्द सममेलन का कहससा थे। यह सममलेन हमारे ललए एक मरौका था, एक साल ककये रए काय� का जायजा लेने का।

    इसके साथ-साथ भरवष्य के ललए एक रासता तरैयार करने का और ख्ुद के ललए एक कक्यातमक योजना बनाने का । जजसे लशक्क लशक्ा संसथान जो छात्र लशक्कों को प्लशजक्त करेंरे और छात्रों के साथ काम करेंरे। डॉ. करुणाकरण काय्षक्म के प्ारंभ से अरले क्दन काय्षक्म के अतं तक वहीं थे। उस महान आतमा को रवनम्र नमन, वे एक ऐसे वयरति थे, कभी बाधय, कभी सीखने, कभी सलाह, कभी अपनी रवशेरज्ञता करी पेशकश करने और ज्ञान साझा करने के ललए तरैयार रहते थें। वे एक ऐसे वयरति थे जो अपने आ्दश� के साथ जीते थे। हमारे मखुय अलतलथ के रूप में आने पर उनहें इस काय्षक्म में ब़ेि आ्दर से सममालनत ककया रया। उनहोंने ्दो क्दनों के काय्षक्म में श्मसाधय रूप से अपने अनभुवों को साझा ककया। उनहोंने लसफ्ष एक

    संपादक

    की कट

    �णी

  • 3महा�ा गांधी रा�ीय �ामीण शिक्षा पवरषद कने�

    मैं हमारे रुरु डॉ. टी. करुणाकरण के लनधन पर रहरा शोक वयति करता हँू । मझेु उनका सरौमय वयरतितव अचछ� तरह या्द हरै ट्योंकक उनहोंने अपने ल�य और दृरष्टकोण और नई तालीम रलतरवलधयों के बारे में उतसाकहत होकर बात करी थी। यह मानव जालत के ललए एक बहुत ब़िी क्लत हरै ट्योंकक वह एक क्दवय आतमा, एक लनपुण वयरति, एक वयरति जो सबसे ककठन पररजसथलतयों में ढल सकता हरै, अपना जीवन जीता हरै। मैं केवल यही प्ाथ्षना करता हँू कक उनकरी आतमा को शांलत प्ाप्त हो और वह ऊपर से हमारा मार्ष्दश्षन करते रहें।मझेु यह घोरणा करते हुए बहुत खशुी हो रही हरै कक एमजीएनसीआरई ने अपने पररसर में सममेलन और प्लशक्ण सरुवधाओं के ललए बलुनया्दी ढाँचा पूरा कर ललया हरै। सरुवधाएं प्लशक्ण काय्षक्मों, आरामी क्दनों, करौशल लनमा्षण सत्रों और काय्षशालाओ ं के ललए

    आ्दश्ष हैं जजसमें आट्ष सटूकडयो और वीकडयो कॉनफ्ें लसंर उपकरण, एलसीडी प्ोजेट्टर, पजबलक ए�ेस लससटम, वाइट बोडस्ष जफ्लप चाट्ष, फोटोकॉपी सरुवधाएं, लरैपटॉप और अनय आवशयक उपकरण हैं। हम परेू ्ेदश को जो़िने वाले वीकडयो के ललए इस सरुवधा का उपयोर करने और ग्ामीण साम्ुदालयक सहभालरता और रवकास के ललए ऑनलाइन शरैजक्क संसाधनों को साझा करने का इरा्दा रखते हैं। अपलशष्ट प्बंधन और सामाजजक उद्लमता में एमबीए काय्षक्म पर ्दो क्दवसीय काय्षशाला सकारातमक सं्ेदश और भारत भर में प्लतरष्ठत रवश्वरवद्ालयों / HEIs में काया्षजनवत ककए जा काया्षनवयन ककया रया - सही मायने में यह एमजीएनसीआरई के ललए एक ब़िी उपलजबध हरै। डॉ. भारत पाठक उपाधयक्, एमजीएनसीआरई

    कटप्पणी करी कक मनषु्य के रूप में, हम सभी के पास समय करी सीमाएँ हैं। लेककन मैंने कभी नहीं सोचा था कक इतनी ब़िी कठोर चटटान रपघल जाएरी। उनकरी मतृय ुसे मैंने अपना रुरु खो क्दया हरै। मैं रबखर रया हँू । उनका लनधन रांधीजी करी नई तालीम के ललए एक ब़िा आघात हरै। इस सं्दभ्ष में आइए हम उनकरी समलृत में एक शपथ लें कक हम नई तालीम पाठयक्म और इस पाठयक्म को राष्ट करी लशक्ा प्णाली - बचचों, लशक्कों और हम सभी के ललए एक बहुवरशीय लेखा के रूप में पररभाररत करेंरे। जब मैंने इस लमशन करी शरुुआत साल के आरंभ में करी, तो वह हर हाल में मेरे साथ ख़ेि रहें और उसके बा्द से उनहोंने कभी पीछे म़ुिकर नहीं ्ेदखा। उनहोंने बस से, रेिन से यात्रा करी और कभी बहुत आराम्दायक आवास में नहीं रहें । उनहोंने लंबे समय तक क्दन और रात में भी काम ककया। जो भी उपलबध था, जहां भी आवशयक हो वहाँ बरैठ रए- जजतने घंटे के ललए हो। उनहोनें कई काय्षक्म और यात्राएं कई बार करी , ज़रूरत के अनसुार। वे शारीररक रूप से मेरे साथ नहीं रहे हैं लेककन उनकरी आतमा मेरे साथ हरै। उनके धीरज ने मझेु जीवन में कई सकारातमक चीजें लसखाई हैं। अब, मैं केवल अलधक अथक, अलधक अलनजचित, अलधक दृढ हो सकता हँू। मैं क्दन-रात उनका आशीवा्ष्द मांरता हँू। वह मेरे ललए

    क्दवयजयोलतरुपी रहे हैं, जजनहोंने मझेु नई तालीम का सही मतलब समझाया। आजीवन प्ोफेसर करुणाकरण हमारे क्दलों में... हमारे हाथों में...हमारर बरुद में...सवर्ष लोक प्लतषु्ठ ्दीप के रूप में रहेंरे।

    अब हम, भारत भर में रोल मेज, काय्षशालाओ ंऔर प्ाधयापक रवकास काय्षक्मों का संचालन करके अपनी नई तालीम रलतरवलधयों के साथ जारी रखते हैं। मझेु खशुी हरै कक हम मानव संसाधन रवकास मंत्रालय द्ारा पररकजलपत रूप से पाठयक्म और अपलशष्ट प्बंधन और सामाजजक उद्लमता में एमबीए प्ोग्ाम पर कुछ ककताबें परूी कर सकते हैं। हमने 22 और 23 माच्ष को एमबीए काय्षक्म में ्दो क्दवसीय प्ाधयापक रवकास काय्षशाला आयोजजत करी थी, जजसमें लनजी एमबीए रवश्वरवद्ालयों और संसथानों करी उपजसथलत ्दज्ष करी रई थी। उनके द्ारा इस पाठयक्म को लेने के बारे में सकारातमकता थी। और उनमें से कुछ ने अपने रवश्वरवद्ालयों / संसथानों में आरामी शरैक्जणक वर्ष में इस एमबीए काय्षक्म को शरुू करने के ललए प्कक्याएं शरुू कर ्दी हैं। मैं श्ी वीएलवीएसएस सबुबा राव, वररष्ठ आलथ्षक सलाहकार, एमएचआरडी और संयतुि सलचव, उचच लशक्ा रवभार, जो इस ल�य को प्ाप्त करने के ललए मझु पर रवश्वास करते हैं लमशन के पीछे हरै, उनहें धनयवा्द ्ेदता हँू ।

    इस एमबीए काय्षक्म में मंत्रालय द्ारा क्दखाई रई रवशेर रुलच अलधक उतसाहजनक रही हैं।

    हमने सरुजक्त पेयजल और सवचछता के ल�य के साथ ग्ामीण सवचछता, पेयजल और अपलशष्ट प्बंधन पाठयक्मों के ललए पाठयक्म और पाठयक्म पर रणनीलत को अलंतम रूप क्दया। हमने आईआईटी क्दलली के साथ ग्ामीण तकनीकरी और साम्ुदालयक अनबुंध के ललए रणनीलत को भी अलंतम रूप क्दया। ग्ामीण जल आपलूत्ष और सवचछता में काम कर रहे पेशेवरों के ललए सकट्षकफकेट कोस्ष के साथ-साथ इग्न ू क्दलली में रूरल एंटरपे्नयोरलशप और ग्ामीण पय्षटन पर धयान ्ेदने के साथ ग्ामीण प्बंधन में बीकॉम भी संभव हरै। जरैसे-जरैसे इस रवत्तीय वर्ष का अतं होता हरै, नया साल अप्रैल से शरुू होता हरै ताकक ल�य को हालसल करने के ललए और अलधक सपने परेू ककए जा सकें । डॉ. टी. करुणाकरण के प्दलचनहों पर चलते हुए हम अपनी नई तालीम रलतरवलधयों के साथ आरे बढते हैं। हम इस महीने के समाचार पत्र को महान आतमा डॉ. टी. करुणाकरण को समरप्षत करते हैं।

    डॉ. डबल्ूय जी प्सन्ना कुमार अधयक्, एमजीएनसीआरई

    आईआईटीक्दलली में के्त्रीय समनवय संसथानों (आरसीआई) करी यबूीए बरैठक

    एमजीएनसीआरई ने 6 माच्ष को संसथानों पर उचच लशक्ा के ग्ामीण प्रौद्ोलरकरी हसतके्प को बढावा ्ेदने और लनररानी के ललए आईआईटीक्दलली के साथ एक समझरौता ज्ञापन पर हसताक्र ककए

    6 से 12 जनवरी, पटना रवश्वरवद्ालय में भी आयोजजत हुआ 7 क्दवसीय एफडीपी

    12 क्दवसीय से 18 फरवरी तक महाराष्ट के वधा्ष जसथत महातमा रांधी अतं्षराष्टीय कहं्दी रवश्व रवद्ालय में 7 क्दवसीय एफडीपी का

    आयोजन ककया रया।

    7 फरवरी, 2019 को लललत नारायण लमलथला रवश्वरवद्ालय, ्दरभंरा, रबहार में लशक्ा रवभार में एक

    रोलमेज सममेलन आयोजजत ककया रया।

    डॉ. ्ेदवेनद्नाथ ्दास, सहायक लन्ेदशक,

    एमजीएनसीआरई ने राउंडटेबलस, काय्षशालाओ ंऔर एफडीपी का संचालन

    ककया।

  • काय्यिाला 22-23 माच्ष को हरै्दराबा्द के एफटीएपीसीसीआई में रवरय अपलशष्ट प्बंधन और सामाजजक उद्लमता में एमबीए के ललए आयोजजत संकाय रवकास काय्षशाला को अपलशष्ट प्बंधन और सामाजजक उद्लमता में एमबीए के प्सतारवत पाठयक्म के साथ चलुनं्दा सवायत्त संसथानों, रवश्वरवद्ालयों और प्बंधन संसथानों को पररलचत कराने के उदे्शय से रखी रयी थी।इसने 2019-20 से पाठयक्म पररचय के तरौर-तरीकों पर चचा्ष करने, अपने संसथानों द्ारा आवशयक समथ्षन और भवन लनमा्षण उद्ोर - अका्दलमक साझे्दारी पर धयान केंकद्त ककया। श्ी वीएलवीएसएस सुबबा राव, वररष्ठ आलथ्षक सलाहकार, एमएचआरडी और अलतररति सलचव, एमएचआरडी ने पाठयक्म और मंत्रालय द्ारा ललए जा रहे रवशेर कहत के पीछे के दृरष्टकोण और लमशन को साझा ककया। उनहोंने साझा ककया कक वे पाठयक्म से बाहर करै ररयर बनाकर उदे्शयों करी प्ालप्त सलुनजचित करना चाहते हैं। अपलशष्ट प्बंधन करी पहल के साथ वेसट मरैनेजमेंट वाले एमबीए को सोचा रया ट्योंकक इसकरी बहुत मांर थी। ्ेदश को एक प्लशजक्त काय्षबल करी आवशयकता हरै। होटल, ररसॉट्ष, नररपाललका, पीसीबी, रेटेड सम्ुदाय, होटल और असपतालों में लाखों नरौकररयां हैं। यह कोस्ष रोजरार को बढावा ्ेदरा। उनहोंने आश्वासन क्दया कक एमएचआरडी अपने ्दो हलथयारों एआईसीटीई और यजूीसी के साथ पाठयक्म को मंजरूी ्ेदरा। यह एक के्त्र उनमुख पाठयक्म हरै, जजसमें उद्ोर में इंटन्षलशप के साथ कक्ा वयाखयान और के्त्र सतर का प््दश्षन होता हरै। उनहें खशुी थी कक प्लतलनलधयों ने इस पाठयक्म करी क्मता का एहसास ककया था और इस पाठयक्म के अग्णी थे। उनहोंने कहा कक एमएचआरडी छात्र और लशक्क रवलनमय काय्षक्म करने के ललए प्मखु अतंरराष्टीय रवश्वरवद्ालयों से भी संपक्ष कर रहे हैं। उनहोंने कहा कक छात्र रवलनमय से वरैजश्वक रोजरार में म्द्द लमलेरी। एआईसीटीई के सलाहकार - I (P and AP), प्ो राजीव कुमार ने चलुनं्दा लनजी प्बंधन संसथानों / रवभारों द्ारा अपलशष्ट प्बंधन और सामाजजक

    उद्लमता काय्षक्म में ्दो साल के एमबीए करी शुरुआत का सवारत ककया। उनहोंने प्लतलनलधयों को सूलचत ककया कक एमएचआरडी के अनरुोध के अनसुार, पाठयक्म करी

    आवशयकता और पररणामों करी रवलधवत जांच करने के बा्द पाठयक्म को औपचाररक रूप से एआईसीटीई काय्षकारी पररर्द द्ारा अनुमोक्दत ककया जाएरा। यह इस उतसाह को पणू्ष भाव

    में आरे ले जाने के ललए आवशयक पे्रणा ्ेदरा।सममालनत अलतलथयों में डॉ. बी जना्द्षन रेडडी, सलचव लशक्ा, सरकार शालमल थे। तेलंराना के श्ी पी. पे्म कुमार, अधयक् इनफ्ासरिट्चर सेल, एफटीएपीसीसीआई, सशु्ी अललमत्रा पटेल, सॉललड वेसट मरैनेजमेंट पर सपु्ीम कोट्ष करी कमेटी, एफटीएपीसीसीआई के वररष्ठ उपाधयक्, श्ी करुणेंद् एस जससी, श्ी वेंकटरामन, उचच लशक्ा के टीएस काउंलसल के उपाधयक् श्ी राजीव लथूरा, डीजीएम, आईटीसी, श्ी रववेक अग्वाल सीडीसी जयपरु, डॉ. कहतेश भटट, लन्ेदशक और प्ोफेसर, आईआरएमए, श्ी के. श्ीलनवास, उपाधयक्, तकनीकरी, ररैमकरी एनवायरो इंजीलनयस्ष लललमटेड, श्ी शाररक खशुशी्द, इंजीलनयररंर लन्ेदशक, ताज ग्ुप होटल, श्ी मनीर ्दया, जीएम, नोवोटेल ग्ुप ऑफ होटलस, सशु्ी अनीता अतं,ू सीलनयर मरैनेजर, संचालन, अपोलो असपताल, श्ी एसए खा्दर साहब, सेवालनवतृ्त,जेटी। लन्ेदशक, आयुति काया्षलय और नररपाललका प्शासन के लन्ेदशक, रोएपी, श्ी कशयप ्ेदवलुपलली, सीलनयर मरैनेजर, रेयाकल, सशु्ी अरुणा शेखर, सन ग्ीन कंपनी, श्ी लशव सबुबारायडू और श्ी मथुकुुमारसामी एपी कचरा प्बंधन लनरम, एपी सरेुश भारत लनरम, श्ी सरेुश के ललए भंडारी, मान्द सलाहकार, एसडबलयूएम, समाट्ष लसटी, कोयंबटूर, श्ी समीर रेरे, सीईओ, मेलहेलमको एनवायरनमेंट प्ा. लललमटेड पणेु।32 द्वभार अध्यक्षों / सवा्यतत संस्ानों, द्वशवद्वद्याल्यों और प्बंधन संस्ानों से प्ाध्यापक सदस्यों ने का्य्गराला में भार मल्या।अध्यक्ष एमजीएनसीआरई ने कमरे में उपजसथत लोरों, उद्ोर के प्लतलनलधयों, लशक्ा के्त्र के प्लतलनलधयों और लनजी और सरकारी के्त्र के प्लतलनलधयों का धयान आकरर्षत ककया। इसके बा्द उनहोंने एमजीएनसीआरईकरी एक संजक्प्त पषृ्ठभलूम साझा करी कक ट्यों एक ग्ामीण लशक्ा संरठन अपलशष्ट प्बंधन पाठयक्म पर काम कर रहा हरै। ऐसा इसललए भी हरै कक ग्ामीण के्त्र शहरी कचरे के ररसीवर हैं। कचरे के प्भावी प्बंधन से ग्ामीण प्बंधन आसान हो जाएरा। उनहोंने कहा कक शहरी कचरे का कुशलतापूव्षक और प्भावी ढंर से लनपटारा ककया जाना चाकहए।डॉ. जनाद्गन रेडडी ने सशु्ी अलममत्र पटेल से ककतना पे्ररत थे, इसकरी शरुुआत करी। उनहोंने जीओआई करी ओर से समग् पाठयक्म रवकलसत करने करी पहल करने के ललए एमजीएनसीआरई को बधाई ्दी। उनहोंने कहा कक समसया शहरी के्त्रों में अलधक रवकट हरै और ग्ामीण के्त्र पीक़ित हैं। उनहोंने एमबीए प्ोग्ाम के ललए अपलशष्ट प्बंधन पर ्दोनों पसुतकों करी सराहना करी।

    अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजजक उद्यशमता में एमबीए के शलए प्राध्ापक ववकास काय्यिाला

    सशु्ी अललमत्रा पटेल ने साझा ककया कक कचरे को संभालने पर एक उममी्द हरै, और हमें काम करी मात्रा को सलुनयोजजत करने करी भी आवशयकता हरै।

    श्ी लशव सबुबारायडू और श्ी मथुकुुमारसवामी, एपी सवचछ भारत लनरम के एपी अपलशष्ट प्बंधन कंसलटेंटस, ने एमबीए में डेटा एनाललकटट्स पाठयक्म शालमल करने

    का सझुाव क्दया।

  • डॉ. बी जना्द्षन रेडडी, सलचव, लशक्ा रवभार, तेलंराना सरकार के सलचव द्ारा जारी अपलशष्ट प्बंधन पर पसुतकों का लोकाप्षण

    डॉ. कहतेश भटट, लन्ेदशक और प्ोफेसर, आईआरएमए ने अपने रवचार साझा ककए

    प्ो जया कुमार, संकाय अधयक् एवं अधयक्, लसरवल इंजीलनयररंर, एनआईटी वारंरल ने कहा कक कोस्ष को सीनेट ने जनवरी 2019 में अपने मीकटंर के ्दरौरान सवीकार कर ललया हरै। वे एमबीए को सवीकार करने और शरुू करने के ललए सबसे आरे थे। उनहोंने अनय रवभारों के साथ सहयोर करके इस पाठयक्म पर काम करने करी इचछा वयति करी।

    डॉ रववेक अग्वाल, रिसटी सलचव, सीडीसी, जयपरु

    डॉ. एस संुदर मनोहरन, कुलपनत, सत्यभामा द्वशवद्वद्याल्यएमबीए प्ोग्राम के मलए पुसतकों की सराहना की। उन्होंने कहा कक इन पुसतकों को जारी करने से एक महतवपूण्ग जरूरत पूरी होती है - एसबी्ूय में सुश्ी जे पद्मा

    काय्यिाला तेलंगाना रा� में सभी वव�ववद्यालययों में सामुदा�यक अनुबंध प्रशिक्षुता पा��म पर काय्यिाला-1 माच्यइसका उदे्शय सनातक (UG) और सनातकोत्तर (PG) सतर पर अपने रवश्वरवद्ालयों / रवभारों में काया्षजनवत करी जा रही वत्षमान साम्ुदालयक सहभालरता रलतरवलधयों को साझा करना था; यजूी और पीजी सतर पर साम्ुदालयक अनबुंध के प्भावी काया्षनवयन में अतंराल करी पहचान करना और प्सततु करना; अपने रवश्वरवद्ालयों / रवभारों में यूजी और पीजी सतर पर साम्ुदालयक सहभालरता पर प्लशक्तुा घटक पर चचा्ष, रव�ेरण और प्सततु करना; रवलशष्ट चरणों को सचूीबद करके अपने रवश्वरवद्ालयों / रवभारों में यजूी और पीजी सतर पर सामु्दालयक अनबुंध पर प्लशक्तुा पाठयक्म शरुू करने से पहले काम करना; और उनके रवश्वरवद्ालयों / रवभारों में यजूी और पीजी सतर पर सामु्दालयक अनबुंध पाठयक्म शरुू करने में आवशयक समथ्षन सचूी के ललए। प्लतभालरयों में अधयक् टीएससी एचई, उपाधयक्

    टीएससीईई के अधयक् प्ो टी पपी रेडडी ने कुलपलत, एमजीएनएनआरई प्लतलनलधयों और प्लतभालरयों का सवारत ककया और क्दन के काय्षसचूी को साझा ककया। श्ी. पी. मरुली मनोहर स्दसय सलचव, एमजीएनसीआरई ने टीएससीएचई के अधयक्, उपाधयक्, माननीय कुलपलतयों और सभी प्लतभालरयों का सवारत ककया।

    पीएसजीआईएम, को्यमबटूर, 29 माच्ग, डॉ के एन रेिा, एमजीएनसीआरई

    का्य्गराला के अनुवत� के रूप में, अपने द्वशवद्वद्याल्य में एमबीए प्ोग्राम की रुरुआत के मलए इनपुट और सम््गन देने के मलए उनके द्वशवद्वद्याल्य पररसर में बठैकें और

    राउंडटेबलस का आ्योजन कक्या र्या ्ा।

    टीएससीएचई, कुलपलत, रवभारों के प्मखु, डीन और संकाय स्दसय लशक्ा, इंजीलनयररंर, सामाजजक काय्ष और तेलंराना राजय में लनयलमत और मतुि रवश्वरवद्ालयों से एनएसएस शालमल थे।

  • 6महा�ा गांधी रा�ीय �ामीण शिक्षा पवरषद कने�

    एफडीपी कुमाऊं द्वशवद्वद्याल्य, उततरािंड, 5 से 11 माच्ग तक कुमाऊं रवश्वरवद्ालय में आयोजजत 7 क्दवसीय एफडीपी ग्ामीण प्बंधन पर था। एमजीएनसीआरई, आईपीएसडीआर के सहयोर से ग्ामीण प्बंधन और उद्लमता रवकास (आरएमईडी) में एक अकद्तीय सनातकोत्तर काय्षक्म-एमबीए सफलतापवू्षक शरुू करने के बा्द, कुमाऊं रवश्वरवद्ालय नरैनीताल को छात्रों के साथ आ्दान-प््दान करने के ललए एवं लशक्ाशा� रवकलसत करने के ललए एक एफडीपी के आयोजन करी जजममे्दारी ्दी रई।

    चूंकक इसमें शालमल मदेु् अलर-अलर रवरयों से संबंलधत हैं, इसललए प्बंधन, अथ्षशा� और वाजणजय करी मखुय धारा के अलावा रवलभनन रवरयों से प्ाधयापकों को शालमल करके एक बहु-रवरयक दृरष्टकोण अपनाया रया था।

    पहला सत्र ‘मतुि चचा्ष एवं अपेक्ा’ पर आधाररत था, जजसे एमजीएनसीआरई के प्ोफेसर अतलु जोशी और एकेडलमक काउंसलर सशु्ी सरवानी पांडेय द्ारा सरुम बनाया रया । सशु्ी सरवानी पांडे ने सत्र के सवर और काय्षकाल को लनधा्षररत ककया और एफडीपी के उदे्शयों, काय्षप्णाली और अपेजक्त पररणामों के साथ प्भावों को पररलचत कराया। डॉ. लललत पांडे प�श्ी ’, टेट्नोके्ट, पवू्ष-आईआईटीयन और पीएचडी एमआईटी, यएूसए से, ग्ामीण प्बंधन के प्लत द्रैतवा्दी दृरष्टकोण पर जोर क्दया। रवकास और चचा्ष करी रणनीलतयों ताकक ग्ामीण वयापार उपक्मों और रवकास काय्षक्मों

    का लाभ जमीनी सतर पर काम करने वाले लोरों को लमले। अनय प्खयात वतिाओं में शालमल थे, प्खयात समाजशा�ी प्ो. इं्द ुपाठक, आईपीएसडीआर में एक प्ाधयापक स्दसय डॉ. प््दीप जोशी, डॉ के के पांडे, एक शरैक्जणक सलाहकार जजनके पास रवरवध काय� का अनभुव हैं l रवलभनन रवश्वरवद्ालयों और संसथानों में, डॉ. आशतुोर लसंह, कॉलेज ऑफ एग्ीरबजनेस, जी.बी. पंत रवश्वरवद्ालय, पंतनरर, डॉ. अरुण कुक्ल, सामाजजक और पया्षवरणीय काय्षकता्ष, डॉ नीलम या्दव, टाटा इंसटीटयटू ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) में प्ाधयापक, और श्ी ररन आनं्द बैंककंर के्त्र से, कफ़लम समीक्ा और कफ़लम प््दश्षन (i) कहवरे बाजार आ्दश्ष ग्ाम (ii) मसककटया वयज़ू और कफलमों के बारे में राय प्सततु करी रई और सुश्ी सरवानी पांडे और श्ी ररन आनं्द द्ारा रवसततृ रूप से प्सततु ककया रया। ग्ामीण मग्नता �मण उत्तराखंड करी ग्ामीण वयवसथा के साथ प्लतभालरयों को पररलचत करने के ललए तललारामरढ में झूकटया में आयोजजत ककये रए। उद्लमता में एक मानय प्ालधकारी प्ो एस एस खनका ने उद्लमता के रवलभनन पहलओु ंपर चचा्ष करी। ट्यरेूटर और कलारव्द सशु्ी ककरण लतवारी ने कुमाऊं करी संसकृलत का प्भावशाली मंचन ककया। डॉ. प््दीप जोशी ने केस ललखने करी तकनीक बताई। छात्रों को उनके रवलेज इमश्षन प्ोग्ाम से समबजनधत केस सटडी को ललखने के ललए कहा रया।

    श्ी पद्मावती महहला द्वशव द्वद्याल्य, नतरुपनत - 5 से 11 माच्ग तक

    “ग्ामीण सरोकार और साम्ुदालयक अनबुंध” पर 7-क्दवसीय एफडीपीका उ�ाटन प्ो. वी. उमा, प्भारी कुलपलत ने ककया। एफडीपी का आयोजन सेंटर फॉर रिांसलेशनल ररसच्ष द्ारा ककया रया था। उ�ाटन सत्र के अधयक् प्ो के के मरुररैया ने ग्ामीण रवकास के रांधीवा्दी ्दश्षन को सामने लाया। सममानीय अलतलथ के रूप में प्ोफेसर पी रवजया ल�मी, लन्ेदशक, सीटीआर, प्ोफेसर आर. उरा, स्दसय सीटीआर, श्ी शालमल थे। जी. रोपाल कृष्ण मलूत्ष, काय्षकारी लन्ेदशक सह स्दसय सलचव, रांधीवा्दी अधययन अका्दमी, लतरुपलत। श्ी क्दवाकर, वररष्ठ सलाहकार, एमजीएनसीआरई, हरै्दराबा्द ने काय्षवाही को सरुवधाजनक बनाया।

    अपने मखुय संबोधन में, श्ी रोपाल कृष्ण मलूत्ष ने ्दोहराया कक

    रांधीजी का मानना था कक राष्ट के पनुलन्षमा्षण को राँवों के पनुलन्षमा्षण से ही हालसल ककया जा सकता हरै। श्ी क्दवाकर ने काय्षशाला के उदे्शय और काय्षशाला करी अवलध के ्दरौरान होने वाली रलतरवलधयों करी सामग्ी और प्कृलत के बारे में बताया। प्ो. अनरुाधा ने काय्षशाला के उदे्शयों के बारे में बताया और प्ो. रवजया ल�मी ने सीटीआर के उदे्शयों को सनुाया। प्ो. आर. उरा ने धनयवा्द प्सताव क्दया। एफडीपी परूी तरह से प्कृलत में भारी्दारीपणू्ष था और इसमें ग्ामीण सम्ुदाय करी अवधारणा को समझना और संसाधन मानलचत्रण, सामाजजक मानलचत्रण, रैंककंर और सकोररंर तकनीक, आजीरवका रव�ेरण और फ़ोकस चचा्ष और साक्ातकार के उपयोर जरैसी आलंशक रलतरवलध और लशक्ण रलतरवलधयाँ शालमल थीं।

    एफडीपी

  • एफडीपी को नई तालीम, अनभुाजनय अलधरम, काय्ष लशक्ा और साम्ुदालयक अनबुंध, लशक्क अलधरम पाठयक्म में आयोजजत ककया रया था। एफडीपी का उदे्शय केजनद्त था - लशक्ा उद्ोर को श्षे्ठ बनाना, लशक्क लशक्ा और पाठयक्म को अप टू डेट करना; नई तालीम के सन्दभ्ष में सकूल तथा लशक्क लशक्ा संसथानों में कुछ पररपे्�यों और समझ को रवकलसत करना, ग्ामीण सम्ुदाय के छात्रों को सम्ुदाय चचा्ष में सक्म बनाना. " समग् लशक्ा अलभयान" के अतंर्षत लशक्कों को प्सतारवत पाठों और प्भावी कक्याकलापों व परीक्ाओ ंको अलनवाय्ष रूप से सजममललत करना।

    एफडीपी प्मखु काय्षक्म ने लशक्ा, सवासथ्य मदु्ों, राजनीलतक जाररूकता और सरकार के बारे में ग्ामीण लोरों में जाररूकता परै्दा करने करी आवशयकता को सामने लाया। यह तब संभव हो सकता हरै

    जब हम लशक्क भारी्दारी, भारी्दारी और छात्र भारी्दारी के माधयम से उनके साथ काम करते हैं। नई तालीम के मह�व को वत्षमान सं्दभ्ष में जाना जाता हरै और प्ाधयापकों को बरुद, �्दय और हाथ के समनवय में रांधीवा्दी ्दश्षन करी अवधारणा को शालमल करने करी आवशयकता हरै, वह नई तालीम हरै।

    ए एन मसहं संस्ान सामाजजक द्व�ान, पटना, �बहार - 7 से 13 माच्ग, 2019

    ग्ामीण साम्ुदालयक अनबुंध पर 7 क्दवसीय एफडीपी ने मखुय अलतलथ के रूप में भार लेने वाले एमजीएनसीआरईके स्दसय सलचव, प्ो मरुली मनोहर पी, रवश्वरवद्ालय के रणमानय वयरतियों में प्ो प्शांत कुमार घोर प्ोफेसर, सामाजजक काय्ष रवभार, प्ो। असोक सरकार, प्ाचाय्ष पलली संसथा रवभा, और प्ोफेसर शंकर मजमु्दार, ग्ामीण अधययन रवभार के प्ोफेसर शालमल थे। प्ो डी के चक्वतशी, वररष्ट प्ाधयापक, एमजीएनसीआरई ने काय्षवाही को सरुवधाजनक बनाया। प्ो मरुली मनोहर ने ग्ामीण उद्लमता के रवकास के ललए सामु्दालयक सहभालरता के मह�व पर बल क्दया ट्योंकक अलधकांश लोर ग्ामीण के्त्रों में लनवास कर रहे हैं। प्ो. चक्वतशी ने एफडीपी के उदे्शय को समझाया और अनभुवातमक अलधरम, काय्ष लशक्ा और साम्ुदालयक

    अनबुंध के मह�व पर प्काश डाला। एफडीपी का मखुय उदे्शय रवश्वरवद्ालय लशक्ा पाठयक्म और लशक्ाशा� में ग्ामीण प्बंधन को मखुयधारा में लाना हरै। प्ो असोक सरकार ने ्ेदश के सामाजजक-आलथ्षक रवकास के ललए ग्ामीण उद्लमता करी भलूमका और काय्ष को बताया।

    प्ो शंकर मजमु्दार ने सभी प्लतभालरयों का सवारत ककया और काय्षक्म को सफल बनाने के ललए उनका हरसंभव सहयोर करने को कहा। उनहोंने इस काय्षक्म करी प्ासंलरकता का उललेख ककया और बताया कक छात्रों को न केवल ग्ामीण सम्ुदाय के ललए आय उतपा्दक बनना चाकहए अरपत ुग्ामीण सम्ुदाय के लचरसथायी रवकास के ललए भी सहायक होना चाकहए।

    द्वशव - भारती द्वशवद्वद्याल्य, रांनत ननकेतन, पजशचम बंराल - 9 से 15 माच्ग

    प्ो शंकर घोर, माननीय कुलपलत, कलयाणी रवश्वरवद्ालय, ने अनभुवजनय अलधरम पर एफडीपी का उ�ाटन ककया – रांधीजी के नई तालीम। अनय रणमानय वयरतियों में प्ो तपन कु. रबसवास, संकाय अधयक्, कला, वाजणजय और लशक्ा संकाय, क्दबयें्द ुभटटाचाय्ष, लशक्ा रवभार। मखुय भारण प्ोफेसर क्दलीप के चक्वतशी, सीलनयर फरै कलटी, एमजीएनसीआरई, और काय्षवाही के ललए सतू्रधार द्ारा क्दया रया था। काय्षक्म के समनवयक प्ो जयंत मेटे और लशक्ा रवभार के डॉ. ताररणी हाल्दार थे।प्ो शंकर घोर ने सकूल और लशक्क अलधरम पाठयक्म में अनभुवातमक लशक्ण पदलत के मह�व पर जोर क्दया। तपन कु. रबसवास ने कला और संसकृलत के मह�व पर जोर क्दया और कहा

    कक अनभुवातमक अलधरम को मातभृारा के माधयम से हसतांतररत ककया जाना चाकहए। प्ो. चक्वतशी ने लशक्ा और साम्ुदालयक भारी्दारी के मह�व और इस तरह के एफडीपी के उदे्शय और ल�य के बारे में बात करी। धनयवा्द ज्ञापन लशक्ा रवभार के प्ोफेसर क्दबयें्द ुभटटाचाय्ष ने क्दया।

    कल्याणी द्वशवद्वद्याल्य, कल्याणी, पजशचम बंराल, 6 से 12 माच्ग तक

    तलेंराना द्वशवद्वद्याल्य, ननजामाबाद - 19 से 25 माच्ग तक

    ग्रामीण जन संचार, आरसीई और ग्रामीण मग्नता और एसएफडीआरआर और ग्रामीण लचीलापन

    7-क्दवसीय एफडीपी का उदे्शय रवलभनन रवरयों के प्ाधयापक स्दसयों को ग्ामीण संचार, ग्ामीण साम्ुदालयक अनबुंध , रूरल इमश्षन, नई ताललम अनभुवजनय अलधरम और ग्ामीण लचीलापन जरैसी अवधारणाओं में प्लशजक्त करना हरै। ग्ामीण मग्नता के ्दरौरान सहभारी ग्ामीण मलूयांकन, भारी्दारी सीखने करी रलतरवलध, संसाधन मानलचत्रण, और रांवों के सामाजजक मानलचत्रण जरैसी तकनीकों में अनभुव पर प्ाधयापक स्दसयों को साथ ्ेदने करी भी पररकलपना करी रई थी। ग्ामीण साम्ुदालयक अनबुंध के बारे में और नई ताललम अनभुवातमक अलधरम के बारे में समग् दृरष्टकोण ्ेदना एफडीपी का मखुय रवरय हरै। इसका उदे्शय परूी तरह से वयावहाररक और वासतरवक ग्ामीण हालत में ग्ामीण मदु्ों पर अनभुव और वयरतियों को रवकलसत करना हरै और यह समझना कक हम रवकास करी रलतरवलध का कहससा बनने के ललए सम्ुदाय को करै से सव्षश्षे्ठ बना सकते हैं। प्ाधयापक अपनी वत्षमान

    ्दशा में एक अनुभवातमक अलधरम पदलत से रुजरेंरे। एमजीएनसीआरई के पाठयक्म हसतके्प के कारण कई राजय और कें द्ीय रवश्वरवद्ालयों में रवशेर रूप से चयलनत के्त्रों में ग्ामीण साम्ुदालयक सहभालरता पर पाठयक्म / पत्र तरैयार ककए हैं: जरैसे जनसंचार, सामाजजक काय्ष, समाजशा�, अथ्षशा�, लशक्ा और रवज्ञान और ग्ामीण अधययन और पया्षवरण से संबंलधत अनय के्त्र, जसथरता। जरैसा कक पाठयक्म में संबंलधत प्ाधयापक के क्मता लनमा्षण करी आवशयकता हरै। मतलब, एफडीपी को कक्ा प्लशक्ण और के्त्र प््दश्षन ्दोनों को शालमल करने का प्सताव क्दया रया हरै। फरीलड एट्सपोजर के साथ टीलचंर और ललन�र कंपोनेंटस का आयोजन ककया रया।

    एफडीपी

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  • का्य्गरालाएँ ◙ एसआर रवन्षमेंट आटस्ष एंड साइंस कॉलेज कोठारुडेम तेलंराना- 29 माच्ष

    ◙ तेलंराना रवश्वरवद्ालय, लनजामाबा्द- 29 माच्ष◙ एसआर एंड बीजीएनआर रवन्षमेंट आटस्ष एंड साइंस कॉलेज, खममम, तेलंराना - 28 माच्ष

    ◙ कालीकट रवश्वरवद्ालय, केरल - 23 माच्ष◙ काकाकटया रवश्वरवद्ालय, वारंरल, तेलंराना - 5 माच्ष◙ रवन्षमेंट कडग्ी कॉलेज, मनचेररयल, काकाकटया यूलनवलस्षटी, तेलंराना - 28 माच्ष

    ◙ क्दरंबर जरैन पी.जी. कॉलेज ब़िरौत, चरौधरी चरण लसंह रवश्वरवद्ालय मेरठ, उत्तर प््ेदश - 23 माच्ष

    ◙ महरर्ष ्दयानं्द रवश्वरवद्ालय, रोहतक, हररयाणा - 16 माच्ष◙ रवक्म लसमहापरुी रवश्वरवद्ालय, नेललोर, आ�ं प््ेदश - 19 माच्ष◙ राजसथान रवश्वरवद्ालय, जयपुर - 18 माच्ष◙ श्ी वेंकटेश्वर रवश्वरवद्ालय, लतरुपलत, आं� प््ेदश –11 माच्ष◙ योरी वेमाना यनूवलस्षटी, कडप्पा, आ�ं प््ेदश - 19 माच्ष◙ नॉथ्ष-ईसटन्ष कहल यलूनवलस्षटी एनईएचयू, लशलांर, मेघालय – 15माच्ष

    ◙ रवन्षमेंट कडग्ी कॉलेज फॉर रवमेन, आक्दलाबा्द, तेलंराना -30 माच्ष

    ◙ रवन्षमेंट कडग्ी कॉलेज, आक्दलाबा्द, काकाकटया यलूनवलस्षटी,तेलंराना - 27 माच्ष

    काय्यिालाएँ & गोलमेज स�लेन ◙आचाय्ष नाराजु्षन रवश्वरवद्ालय, रुंटूर, आ�ं प््ेदश - 26 वेमाच्ष◙ जेएनटीय,ू हरै्दराबा्द, तेलंराना - 25 माच्ष◙ नालं्दा कडग्ी कॉलेज, आक्दलाबा्द, तेलंराना - 23 माच्ष◙ रवन्षमेंट कडग्ी कॉलेज, लनम्षल, काकाकटया रवश्वरवद्ालय, तेलंराना - 20 माच्ष

    ◙ रबींद्नाथ टरैरोर रवश्वरवद्ालय, भोपाल, मप् - 30 माच्ष◙ लाल बहा्दरु लसंह समारक महारवद्ालय - रोहवार, रबजनरौर, उ.प्.- 20 माच्ष

    रोल मेज सममलेन ◙ रवन्षमेंट कडग्ी कॉलेज, लनम्षल जजला।, तेलंराना –1 माच्ष◙ नाथ्ष-इसटन्ष कहल यलूनवलस्षटी, (एनईएचयू), लशलॉनर - 14 माच्ष◙ कननरू रवश्वरवद्ालय, केरल -22 माच्ष◙आईएएसई, श्ी वेंकटेश्वर रवश्वरवद्ालय, लतरुपलत, आं� प््ेदश - 6 माच्ष

    ◙ नालं्दा कडग्ी कॉलेज, आक्दलाबा्द -23 माच्ष◙ रवन्षमेंट कडग्ी कॉलेज फॉर वमुन, आक्दलाबा्द जजला, तेलंराना - 30 माच्ष

    ◙ अवधेश प्ताप लसंह रवश्वरवद्ालय, रीवा, मधय प््ेदश -15 माच्ष◙ महातमा रांधी लचत्रकूट ग्ामो्दय रवश्व रवद्ालय, सतना,एमपी - 13 माच्ष

    ◙ डॉ. मनोहर लोकहया अवध रवश्वरवद्ालय अयोधया, यूपी – 30 माच्ष

    ◙ जमम,ू जमम ूऔर कशमीर रवश्वरवद्ालय - 19 माच्ष◙ ट्लसटर रवश्वरवद्ालय श्ीनरर, कशमीर, जमम ूऔर कशमीर - 16 माच्ष

    ◙ कशमीर रवश्वरवद्ालय, जमम ूऔर कशमीर - 9 माच्ष◙ भरत फूल मकहला रवश्वरवद्ालय, खानपुर कलां, हररयाणा – 7 माच्ष

    एनईएचयू, लशलांरएसवीयू, लतरुपलत

    जीडीसीडबलय,ू आक्दलाबा्दएमजीसीजीवी, सतना

    जेय,ू जममूसीय,ू कशमीर

    एसआर एंड बीजीएनआर, खममम कालीकट रवश्वरवद्ालय, केरल

    काकतीय रवश्वरवद्ालय, वारंरल

    राजसथान रवश्वरवद्ालय, जयपुर योरी वेमाना रवश्वरवद्ालय, कडप्पा

    एमडीय,ू रोहतक वीएसयू, नेललोर

    सीसीएसय,ू मेरठ

    महा�ा गांधी रा�ीय �ामीण शिक्षा पवरषद उचच लशक्ा रवभार

    मानव संसाधन रवकास मंत्रालय, भारत सरकार 5-10-174, शट्कर भवन, ग्ाउंड फ्लोर, फ़तेह मरै्दान रोड, हरै्दराबा्द, तेलंराना - 500 004.

    तेलंराना राजय. ्दरूभार: 040-23422112, 23212120, फरै ट्स: 040-23212114 ई-मेल: [email protected], वेबसाइट: www.mgncre.inसंपा्दकरीय टीम: डॉ. डबलयजूी प्सनना कुमार, अधयक् एमजीएनसीआरई, डॉ. डी.एन.्दास, सहायक लन्ेदशक, अनसयूा वी और लशवराम

    जी, श्ी पी मरुली मनोहर स्दसय-सलचव एमजीएनसीआर द्ारा प्कालशत