ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 ·...

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www.bhavanaustralia.org . का | सािहय | िशा | संकृित | दशन अैल 2013, अंक 1 बर 7 (Vol 1. No. 7) | ISSN 2200 - अतुय भारत! सुधैव कुटुबकमपूरी दुिनया एक ही पिरवार है | ऑेिलया िहदी डाइजेट

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Page 1: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

wwwbhavanaustraliaorg

का | सािहतय | िशकषा | ससकित | दशरन

अपरल 2013 अक 1 नबर 7 (Vol 1 No 7) | ISSN 2200 -

अतलय भारत

वसधव कटमबकम परी दिनया एक ही पिरवार ह |

ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

2 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नवनीत भारत स

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट अपरल 2013

3 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट अपरल 2013

4 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सपादकीय पनना

अनज़क िदवस ऑसटरिलया और नयजीलड म परितवषर 25 अपरल को परथम िव महाय क दौरान 25 अपरल 1915 को ऑसटरिलया और नयजीलड क सिनक क तक क गलीपोली तट पर उतरन की समित म अनज़क िदवस क रप म मनाया जाता ह

पि मी रा की सयकत सना क नततव म हए तक सना क साथ भीषण य म भारी सखया म सिनक हताहत हए और वीरगित को परा हए थ ऑसटरिलया क 8709 सिनक शहीद हए 19441 सिनक घायल हए

इन सभी शहीद हए सिनक की समित म सभी राजय की राजधािनय और मखय नगर म समारोह का आयोजन िकया जाता ह और सिनक क तयाग और जीवन बिलदान क परित सवदनाए परगट की जाती ह

सार ऑसटरिलया म हए समारोह क साथ-साथ परितवषर मखय समारोह तक क गलीपोली तट सथल पर ही आयोिजत िकया जाता ह- िजसम भाग लन क िलए भारी सखया म वतरमान और भतपवर सिनक और उनक पिरवार ऑसटरिलया स तक जात ह

इन सब समारोह और आयोजन क बीच हमारा धयान तक ओर स िनिमत एव सथािपत िशलालख म उकत की गयी पिकतय की ओर आकिषत होता ह िशलालख म कत की गयी भावनाए सभी क हदय को छ लती ह जो इस परकार ह-

ldquoउन वीर की समित म िजनह न अपना खन बहाया और जीवन बिलदान िकयाmdashऔर अब एक िमतर दश की िम ी म लट हए ह

ldquoजो सिनक वीरगित को परा हएmdashचाह वह िवदशी थ या तक क थmdashलिकन यहा हमार दश म साथ साथ लट हए हmdashहमार िलए कोई अतर नह ह

ldquoमाता mdashअपन पतर को यहा भजन पर आय आस की पछोmdashकय िक वो अब यहा पर हमार हदय म शाितपवरक िवराजमान ह इस भिम पर बिलदान करन स वो भी अब हमार पतर समान हो गए हrdquo

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया उन सभी सिनक की समित और तयाग क परित शर ाजिल और सवदना परगट करता ह

शभ कामना सिहत

कषण कमार ग ा सपादक

5 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

भारतीय रा गान

जन गण मन

अिधनायक जय ह

भारत भागयिवधाता

पजाब िसनध गजरात मराठा

दरािवड़ उतकल बगा

िवनधय िहमाचल यमना गगा

उचछल जलिध तरगा

तव शभ नाम जाग

तव शभ आशीष माग

गाह तव जयगाथा

जन गण मगलदायक जय ह

भारत भागयिवधाता

जय ह जय ह जय ह

जय जय जय जय ह

6 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िवषय-सचीरात और िदन की आख-िमचोली 8 अशोक चकरधर जी का बलॉगmdashच र चमप 9 ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न 9 अिनतम पयार 11 International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report 12 Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report 16 म तो बहत िदन पर चता 21 दोन ओर परम पलता ह 22 सत कबीरदास दोहावली 23 शनय स टकरा कर सकमार 25 शरी गर गरथ सािहब स 27 नाम-रप का भद 30

पख 31 मकान 32 नील कणठ तो म नही ह 33 यह ह भारत दश हमारा 34 ग़ज़ल 35 उसकी महक 36 तलसी दास क दोह 39 र मन मरख जनम गवायौ 41 एक िचनगारी घर को जला दती ह 42 एक जीवी एक र ी एक सपना 44 बोधकथा 48 लखक का बदला 48 बचच का कोना 49 अचछ काम का परसकार 49

आ नो भदराः करतवो यनत िव तः महान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दो

-ऋगवद 1-89-1

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया िनदशक मडल

पदािधकारी अधयकष सरनदरलाल महता कायरकारी सिचव होमी नवरोजी दसतर परधान शकर धर सिचव शरीधर कमार क दपदी

अनय िनदशक शरीिनवासन वकटरमन पललादम नारायणा सथानागोपाल कलपना शरीराम जग ाथन वीराराघवन मोकषा वततस कषण कमार ग ा

अधयकष गभीर वततस

सरकषक महामिहम शरीमती सजाता िसह (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम परहत शकला (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम राजदर िसह राठौड़ (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) मानद जीवन सरकषक महामिहम एम गणपथी (ऑसटरिलया म पवर भारत क सल जनरल और भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया क ससथापक)

परकाशक व परबध सपादक गभीर वततस

presidentbhavanaustraliaorg सपादकीय वगर कषण कमार ग ा (सपादक) परवीन दिहया (भाषा

सपादक) शबाना बगम (सहयोग)

िवजञापन हत prbhavanaustraliaorg Bharatiya Vidya Bhavan Australia Suite 100 515 Kent Street Sydney NSW 2000

यह जररी नह ह िक नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म योगदानकतार क िवचार नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट या सपादक क िवचार ह नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट िकसी भी योगदान लख और परसतत पतर को सपािदत करन का अिधकार सरिकषत रखता ह कॉपीराइट परसतत सभी िवजञापन और मल सपादकीय सामगरी भवन ऑसटरिलया की सपि ह और इनह कॉपीराइट क मािलक की िलिखत अनमित िबना पन पश नह िकया जा सकता

नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट Vol 1 No 7 ISSN 2200 - 7644

7 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Australian National Anthem

Australians all let us rejoice For we are young and free

Wersquove golden soil and wealth for toil

Our home is girt by sea

Our land abounds in naturersquos gifts Of beauty rich and rare

In historyrsquos page let every stage

Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing Advance Australia Fair

Beneath our radiant Southern Cross

Wersquoll toil with hearts and hands

To make this Commonwealth of ours Renowned of all the lands

For those whorsquove come across the seas

Wersquove boundless plains to share

With courage let us all combine To Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing

Advance Australia Fair

8 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िखली ब ीसी

रात और िदन की आख-िमचोली (सार खल जीत-जी ही दख जा सकत ह)

मसकान की मीठी याद बहत आस की फ़िरयाद पयार महबबत हसना रोना सज़ा मज़ा पा जाना खोना महल दमहल बगल कोठी चना-चबना सखी रोटी कया रोटी पर दसी घी ह जो कछ भी ह जीत जी ह झल चख मला ठला झमक ठमक कशती खला खल-िखलौन खील-बताश जोकर क रगीन तमाश छीनाझपटी मारामारी घोड़ा-तागा रल सवारी कया मन क मािफ़क तज़ी ह जो कछ भी ह जीत जी ह

गहन-ज़वर की सदक सदक म ह बदक बदक म छर-गोली गोली म ह ख़ की होली होली खल बीच बजिरया सबकी उसन िलखी उमिरया कया तमको काफ़ी भजी ह

जो कछ भी ह जीत जी ह क़दरत क भरपर नज़ार

पयार सरज चदा तार रात और िदन की आख-िमचोली सया गलबिहया हमजोली ख़ब महकती थी फलवारी लिकन भया जान हमारी

व त स पहल कय ल ली ह जो कछ भी ह जीत जी ह

mdashअशोक चकरधर

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

नवनीत अब इनटरनट पर भी उपलबध ह I wwwnavneetbhavansinfo और साथ ही इनटरनट स नवनीत का चदा भरन क िलए लॉगऑन कर httpwwwbhavansinfoperiodicalpay_onlineasp

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 2: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

2 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नवनीत भारत स

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट अपरल 2013

3 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट अपरल 2013

4 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सपादकीय पनना

अनज़क िदवस ऑसटरिलया और नयजीलड म परितवषर 25 अपरल को परथम िव महाय क दौरान 25 अपरल 1915 को ऑसटरिलया और नयजीलड क सिनक क तक क गलीपोली तट पर उतरन की समित म अनज़क िदवस क रप म मनाया जाता ह

पि मी रा की सयकत सना क नततव म हए तक सना क साथ भीषण य म भारी सखया म सिनक हताहत हए और वीरगित को परा हए थ ऑसटरिलया क 8709 सिनक शहीद हए 19441 सिनक घायल हए

इन सभी शहीद हए सिनक की समित म सभी राजय की राजधािनय और मखय नगर म समारोह का आयोजन िकया जाता ह और सिनक क तयाग और जीवन बिलदान क परित सवदनाए परगट की जाती ह

सार ऑसटरिलया म हए समारोह क साथ-साथ परितवषर मखय समारोह तक क गलीपोली तट सथल पर ही आयोिजत िकया जाता ह- िजसम भाग लन क िलए भारी सखया म वतरमान और भतपवर सिनक और उनक पिरवार ऑसटरिलया स तक जात ह

इन सब समारोह और आयोजन क बीच हमारा धयान तक ओर स िनिमत एव सथािपत िशलालख म उकत की गयी पिकतय की ओर आकिषत होता ह िशलालख म कत की गयी भावनाए सभी क हदय को छ लती ह जो इस परकार ह-

ldquoउन वीर की समित म िजनह न अपना खन बहाया और जीवन बिलदान िकयाmdashऔर अब एक िमतर दश की िम ी म लट हए ह

ldquoजो सिनक वीरगित को परा हएmdashचाह वह िवदशी थ या तक क थmdashलिकन यहा हमार दश म साथ साथ लट हए हmdashहमार िलए कोई अतर नह ह

ldquoमाता mdashअपन पतर को यहा भजन पर आय आस की पछोmdashकय िक वो अब यहा पर हमार हदय म शाितपवरक िवराजमान ह इस भिम पर बिलदान करन स वो भी अब हमार पतर समान हो गए हrdquo

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया उन सभी सिनक की समित और तयाग क परित शर ाजिल और सवदना परगट करता ह

शभ कामना सिहत

कषण कमार ग ा सपादक

5 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

भारतीय रा गान

जन गण मन

अिधनायक जय ह

भारत भागयिवधाता

पजाब िसनध गजरात मराठा

दरािवड़ उतकल बगा

िवनधय िहमाचल यमना गगा

उचछल जलिध तरगा

तव शभ नाम जाग

तव शभ आशीष माग

गाह तव जयगाथा

जन गण मगलदायक जय ह

भारत भागयिवधाता

जय ह जय ह जय ह

जय जय जय जय ह

6 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िवषय-सचीरात और िदन की आख-िमचोली 8 अशोक चकरधर जी का बलॉगmdashच र चमप 9 ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न 9 अिनतम पयार 11 International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report 12 Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report 16 म तो बहत िदन पर चता 21 दोन ओर परम पलता ह 22 सत कबीरदास दोहावली 23 शनय स टकरा कर सकमार 25 शरी गर गरथ सािहब स 27 नाम-रप का भद 30

पख 31 मकान 32 नील कणठ तो म नही ह 33 यह ह भारत दश हमारा 34 ग़ज़ल 35 उसकी महक 36 तलसी दास क दोह 39 र मन मरख जनम गवायौ 41 एक िचनगारी घर को जला दती ह 42 एक जीवी एक र ी एक सपना 44 बोधकथा 48 लखक का बदला 48 बचच का कोना 49 अचछ काम का परसकार 49

आ नो भदराः करतवो यनत िव तः महान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दो

-ऋगवद 1-89-1

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया िनदशक मडल

पदािधकारी अधयकष सरनदरलाल महता कायरकारी सिचव होमी नवरोजी दसतर परधान शकर धर सिचव शरीधर कमार क दपदी

अनय िनदशक शरीिनवासन वकटरमन पललादम नारायणा सथानागोपाल कलपना शरीराम जग ाथन वीराराघवन मोकषा वततस कषण कमार ग ा

अधयकष गभीर वततस

सरकषक महामिहम शरीमती सजाता िसह (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम परहत शकला (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम राजदर िसह राठौड़ (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) मानद जीवन सरकषक महामिहम एम गणपथी (ऑसटरिलया म पवर भारत क सल जनरल और भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया क ससथापक)

परकाशक व परबध सपादक गभीर वततस

presidentbhavanaustraliaorg सपादकीय वगर कषण कमार ग ा (सपादक) परवीन दिहया (भाषा

सपादक) शबाना बगम (सहयोग)

िवजञापन हत prbhavanaustraliaorg Bharatiya Vidya Bhavan Australia Suite 100 515 Kent Street Sydney NSW 2000

यह जररी नह ह िक नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म योगदानकतार क िवचार नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट या सपादक क िवचार ह नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट िकसी भी योगदान लख और परसतत पतर को सपािदत करन का अिधकार सरिकषत रखता ह कॉपीराइट परसतत सभी िवजञापन और मल सपादकीय सामगरी भवन ऑसटरिलया की सपि ह और इनह कॉपीराइट क मािलक की िलिखत अनमित िबना पन पश नह िकया जा सकता

नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट Vol 1 No 7 ISSN 2200 - 7644

7 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Australian National Anthem

Australians all let us rejoice For we are young and free

Wersquove golden soil and wealth for toil

Our home is girt by sea

Our land abounds in naturersquos gifts Of beauty rich and rare

In historyrsquos page let every stage

Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing Advance Australia Fair

Beneath our radiant Southern Cross

Wersquoll toil with hearts and hands

To make this Commonwealth of ours Renowned of all the lands

For those whorsquove come across the seas

Wersquove boundless plains to share

With courage let us all combine To Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing

Advance Australia Fair

8 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िखली ब ीसी

रात और िदन की आख-िमचोली (सार खल जीत-जी ही दख जा सकत ह)

मसकान की मीठी याद बहत आस की फ़िरयाद पयार महबबत हसना रोना सज़ा मज़ा पा जाना खोना महल दमहल बगल कोठी चना-चबना सखी रोटी कया रोटी पर दसी घी ह जो कछ भी ह जीत जी ह झल चख मला ठला झमक ठमक कशती खला खल-िखलौन खील-बताश जोकर क रगीन तमाश छीनाझपटी मारामारी घोड़ा-तागा रल सवारी कया मन क मािफ़क तज़ी ह जो कछ भी ह जीत जी ह

गहन-ज़वर की सदक सदक म ह बदक बदक म छर-गोली गोली म ह ख़ की होली होली खल बीच बजिरया सबकी उसन िलखी उमिरया कया तमको काफ़ी भजी ह

जो कछ भी ह जीत जी ह क़दरत क भरपर नज़ार

पयार सरज चदा तार रात और िदन की आख-िमचोली सया गलबिहया हमजोली ख़ब महकती थी फलवारी लिकन भया जान हमारी

व त स पहल कय ल ली ह जो कछ भी ह जीत जी ह

mdashअशोक चकरधर

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 3: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

3 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट अपरल 2013

4 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सपादकीय पनना

अनज़क िदवस ऑसटरिलया और नयजीलड म परितवषर 25 अपरल को परथम िव महाय क दौरान 25 अपरल 1915 को ऑसटरिलया और नयजीलड क सिनक क तक क गलीपोली तट पर उतरन की समित म अनज़क िदवस क रप म मनाया जाता ह

पि मी रा की सयकत सना क नततव म हए तक सना क साथ भीषण य म भारी सखया म सिनक हताहत हए और वीरगित को परा हए थ ऑसटरिलया क 8709 सिनक शहीद हए 19441 सिनक घायल हए

इन सभी शहीद हए सिनक की समित म सभी राजय की राजधािनय और मखय नगर म समारोह का आयोजन िकया जाता ह और सिनक क तयाग और जीवन बिलदान क परित सवदनाए परगट की जाती ह

सार ऑसटरिलया म हए समारोह क साथ-साथ परितवषर मखय समारोह तक क गलीपोली तट सथल पर ही आयोिजत िकया जाता ह- िजसम भाग लन क िलए भारी सखया म वतरमान और भतपवर सिनक और उनक पिरवार ऑसटरिलया स तक जात ह

इन सब समारोह और आयोजन क बीच हमारा धयान तक ओर स िनिमत एव सथािपत िशलालख म उकत की गयी पिकतय की ओर आकिषत होता ह िशलालख म कत की गयी भावनाए सभी क हदय को छ लती ह जो इस परकार ह-

ldquoउन वीर की समित म िजनह न अपना खन बहाया और जीवन बिलदान िकयाmdashऔर अब एक िमतर दश की िम ी म लट हए ह

ldquoजो सिनक वीरगित को परा हएmdashचाह वह िवदशी थ या तक क थmdashलिकन यहा हमार दश म साथ साथ लट हए हmdashहमार िलए कोई अतर नह ह

ldquoमाता mdashअपन पतर को यहा भजन पर आय आस की पछोmdashकय िक वो अब यहा पर हमार हदय म शाितपवरक िवराजमान ह इस भिम पर बिलदान करन स वो भी अब हमार पतर समान हो गए हrdquo

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया उन सभी सिनक की समित और तयाग क परित शर ाजिल और सवदना परगट करता ह

शभ कामना सिहत

कषण कमार ग ा सपादक

5 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

भारतीय रा गान

जन गण मन

अिधनायक जय ह

भारत भागयिवधाता

पजाब िसनध गजरात मराठा

दरािवड़ उतकल बगा

िवनधय िहमाचल यमना गगा

उचछल जलिध तरगा

तव शभ नाम जाग

तव शभ आशीष माग

गाह तव जयगाथा

जन गण मगलदायक जय ह

भारत भागयिवधाता

जय ह जय ह जय ह

जय जय जय जय ह

6 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िवषय-सचीरात और िदन की आख-िमचोली 8 अशोक चकरधर जी का बलॉगmdashच र चमप 9 ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न 9 अिनतम पयार 11 International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report 12 Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report 16 म तो बहत िदन पर चता 21 दोन ओर परम पलता ह 22 सत कबीरदास दोहावली 23 शनय स टकरा कर सकमार 25 शरी गर गरथ सािहब स 27 नाम-रप का भद 30

पख 31 मकान 32 नील कणठ तो म नही ह 33 यह ह भारत दश हमारा 34 ग़ज़ल 35 उसकी महक 36 तलसी दास क दोह 39 र मन मरख जनम गवायौ 41 एक िचनगारी घर को जला दती ह 42 एक जीवी एक र ी एक सपना 44 बोधकथा 48 लखक का बदला 48 बचच का कोना 49 अचछ काम का परसकार 49

आ नो भदराः करतवो यनत िव तः महान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दो

-ऋगवद 1-89-1

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया िनदशक मडल

पदािधकारी अधयकष सरनदरलाल महता कायरकारी सिचव होमी नवरोजी दसतर परधान शकर धर सिचव शरीधर कमार क दपदी

अनय िनदशक शरीिनवासन वकटरमन पललादम नारायणा सथानागोपाल कलपना शरीराम जग ाथन वीराराघवन मोकषा वततस कषण कमार ग ा

अधयकष गभीर वततस

सरकषक महामिहम शरीमती सजाता िसह (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम परहत शकला (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम राजदर िसह राठौड़ (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) मानद जीवन सरकषक महामिहम एम गणपथी (ऑसटरिलया म पवर भारत क सल जनरल और भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया क ससथापक)

परकाशक व परबध सपादक गभीर वततस

presidentbhavanaustraliaorg सपादकीय वगर कषण कमार ग ा (सपादक) परवीन दिहया (भाषा

सपादक) शबाना बगम (सहयोग)

िवजञापन हत prbhavanaustraliaorg Bharatiya Vidya Bhavan Australia Suite 100 515 Kent Street Sydney NSW 2000

यह जररी नह ह िक नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म योगदानकतार क िवचार नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट या सपादक क िवचार ह नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट िकसी भी योगदान लख और परसतत पतर को सपािदत करन का अिधकार सरिकषत रखता ह कॉपीराइट परसतत सभी िवजञापन और मल सपादकीय सामगरी भवन ऑसटरिलया की सपि ह और इनह कॉपीराइट क मािलक की िलिखत अनमित िबना पन पश नह िकया जा सकता

नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट Vol 1 No 7 ISSN 2200 - 7644

7 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Australian National Anthem

Australians all let us rejoice For we are young and free

Wersquove golden soil and wealth for toil

Our home is girt by sea

Our land abounds in naturersquos gifts Of beauty rich and rare

In historyrsquos page let every stage

Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing Advance Australia Fair

Beneath our radiant Southern Cross

Wersquoll toil with hearts and hands

To make this Commonwealth of ours Renowned of all the lands

For those whorsquove come across the seas

Wersquove boundless plains to share

With courage let us all combine To Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing

Advance Australia Fair

8 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िखली ब ीसी

रात और िदन की आख-िमचोली (सार खल जीत-जी ही दख जा सकत ह)

मसकान की मीठी याद बहत आस की फ़िरयाद पयार महबबत हसना रोना सज़ा मज़ा पा जाना खोना महल दमहल बगल कोठी चना-चबना सखी रोटी कया रोटी पर दसी घी ह जो कछ भी ह जीत जी ह झल चख मला ठला झमक ठमक कशती खला खल-िखलौन खील-बताश जोकर क रगीन तमाश छीनाझपटी मारामारी घोड़ा-तागा रल सवारी कया मन क मािफ़क तज़ी ह जो कछ भी ह जीत जी ह

गहन-ज़वर की सदक सदक म ह बदक बदक म छर-गोली गोली म ह ख़ की होली होली खल बीच बजिरया सबकी उसन िलखी उमिरया कया तमको काफ़ी भजी ह

जो कछ भी ह जीत जी ह क़दरत क भरपर नज़ार

पयार सरज चदा तार रात और िदन की आख-िमचोली सया गलबिहया हमजोली ख़ब महकती थी फलवारी लिकन भया जान हमारी

व त स पहल कय ल ली ह जो कछ भी ह जीत जी ह

mdashअशोक चकरधर

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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4 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सपादकीय पनना

अनज़क िदवस ऑसटरिलया और नयजीलड म परितवषर 25 अपरल को परथम िव महाय क दौरान 25 अपरल 1915 को ऑसटरिलया और नयजीलड क सिनक क तक क गलीपोली तट पर उतरन की समित म अनज़क िदवस क रप म मनाया जाता ह

पि मी रा की सयकत सना क नततव म हए तक सना क साथ भीषण य म भारी सखया म सिनक हताहत हए और वीरगित को परा हए थ ऑसटरिलया क 8709 सिनक शहीद हए 19441 सिनक घायल हए

इन सभी शहीद हए सिनक की समित म सभी राजय की राजधािनय और मखय नगर म समारोह का आयोजन िकया जाता ह और सिनक क तयाग और जीवन बिलदान क परित सवदनाए परगट की जाती ह

सार ऑसटरिलया म हए समारोह क साथ-साथ परितवषर मखय समारोह तक क गलीपोली तट सथल पर ही आयोिजत िकया जाता ह- िजसम भाग लन क िलए भारी सखया म वतरमान और भतपवर सिनक और उनक पिरवार ऑसटरिलया स तक जात ह

इन सब समारोह और आयोजन क बीच हमारा धयान तक ओर स िनिमत एव सथािपत िशलालख म उकत की गयी पिकतय की ओर आकिषत होता ह िशलालख म कत की गयी भावनाए सभी क हदय को छ लती ह जो इस परकार ह-

ldquoउन वीर की समित म िजनह न अपना खन बहाया और जीवन बिलदान िकयाmdashऔर अब एक िमतर दश की िम ी म लट हए ह

ldquoजो सिनक वीरगित को परा हएmdashचाह वह िवदशी थ या तक क थmdashलिकन यहा हमार दश म साथ साथ लट हए हmdashहमार िलए कोई अतर नह ह

ldquoमाता mdashअपन पतर को यहा भजन पर आय आस की पछोmdashकय िक वो अब यहा पर हमार हदय म शाितपवरक िवराजमान ह इस भिम पर बिलदान करन स वो भी अब हमार पतर समान हो गए हrdquo

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया उन सभी सिनक की समित और तयाग क परित शर ाजिल और सवदना परगट करता ह

शभ कामना सिहत

कषण कमार ग ा सपादक

5 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

भारतीय रा गान

जन गण मन

अिधनायक जय ह

भारत भागयिवधाता

पजाब िसनध गजरात मराठा

दरािवड़ उतकल बगा

िवनधय िहमाचल यमना गगा

उचछल जलिध तरगा

तव शभ नाम जाग

तव शभ आशीष माग

गाह तव जयगाथा

जन गण मगलदायक जय ह

भारत भागयिवधाता

जय ह जय ह जय ह

जय जय जय जय ह

6 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िवषय-सचीरात और िदन की आख-िमचोली 8 अशोक चकरधर जी का बलॉगmdashच र चमप 9 ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न 9 अिनतम पयार 11 International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report 12 Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report 16 म तो बहत िदन पर चता 21 दोन ओर परम पलता ह 22 सत कबीरदास दोहावली 23 शनय स टकरा कर सकमार 25 शरी गर गरथ सािहब स 27 नाम-रप का भद 30

पख 31 मकान 32 नील कणठ तो म नही ह 33 यह ह भारत दश हमारा 34 ग़ज़ल 35 उसकी महक 36 तलसी दास क दोह 39 र मन मरख जनम गवायौ 41 एक िचनगारी घर को जला दती ह 42 एक जीवी एक र ी एक सपना 44 बोधकथा 48 लखक का बदला 48 बचच का कोना 49 अचछ काम का परसकार 49

आ नो भदराः करतवो यनत िव तः महान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दो

-ऋगवद 1-89-1

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया िनदशक मडल

पदािधकारी अधयकष सरनदरलाल महता कायरकारी सिचव होमी नवरोजी दसतर परधान शकर धर सिचव शरीधर कमार क दपदी

अनय िनदशक शरीिनवासन वकटरमन पललादम नारायणा सथानागोपाल कलपना शरीराम जग ाथन वीराराघवन मोकषा वततस कषण कमार ग ा

अधयकष गभीर वततस

सरकषक महामिहम शरीमती सजाता िसह (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम परहत शकला (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम राजदर िसह राठौड़ (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) मानद जीवन सरकषक महामिहम एम गणपथी (ऑसटरिलया म पवर भारत क सल जनरल और भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया क ससथापक)

परकाशक व परबध सपादक गभीर वततस

presidentbhavanaustraliaorg सपादकीय वगर कषण कमार ग ा (सपादक) परवीन दिहया (भाषा

सपादक) शबाना बगम (सहयोग)

िवजञापन हत prbhavanaustraliaorg Bharatiya Vidya Bhavan Australia Suite 100 515 Kent Street Sydney NSW 2000

यह जररी नह ह िक नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म योगदानकतार क िवचार नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट या सपादक क िवचार ह नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट िकसी भी योगदान लख और परसतत पतर को सपािदत करन का अिधकार सरिकषत रखता ह कॉपीराइट परसतत सभी िवजञापन और मल सपादकीय सामगरी भवन ऑसटरिलया की सपि ह और इनह कॉपीराइट क मािलक की िलिखत अनमित िबना पन पश नह िकया जा सकता

नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट Vol 1 No 7 ISSN 2200 - 7644

7 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Australian National Anthem

Australians all let us rejoice For we are young and free

Wersquove golden soil and wealth for toil

Our home is girt by sea

Our land abounds in naturersquos gifts Of beauty rich and rare

In historyrsquos page let every stage

Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing Advance Australia Fair

Beneath our radiant Southern Cross

Wersquoll toil with hearts and hands

To make this Commonwealth of ours Renowned of all the lands

For those whorsquove come across the seas

Wersquove boundless plains to share

With courage let us all combine To Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing

Advance Australia Fair

8 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िखली ब ीसी

रात और िदन की आख-िमचोली (सार खल जीत-जी ही दख जा सकत ह)

मसकान की मीठी याद बहत आस की फ़िरयाद पयार महबबत हसना रोना सज़ा मज़ा पा जाना खोना महल दमहल बगल कोठी चना-चबना सखी रोटी कया रोटी पर दसी घी ह जो कछ भी ह जीत जी ह झल चख मला ठला झमक ठमक कशती खला खल-िखलौन खील-बताश जोकर क रगीन तमाश छीनाझपटी मारामारी घोड़ा-तागा रल सवारी कया मन क मािफ़क तज़ी ह जो कछ भी ह जीत जी ह

गहन-ज़वर की सदक सदक म ह बदक बदक म छर-गोली गोली म ह ख़ की होली होली खल बीच बजिरया सबकी उसन िलखी उमिरया कया तमको काफ़ी भजी ह

जो कछ भी ह जीत जी ह क़दरत क भरपर नज़ार

पयार सरज चदा तार रात और िदन की आख-िमचोली सया गलबिहया हमजोली ख़ब महकती थी फलवारी लिकन भया जान हमारी

व त स पहल कय ल ली ह जो कछ भी ह जीत जी ह

mdashअशोक चकरधर

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 5: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

5 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

भारतीय रा गान

जन गण मन

अिधनायक जय ह

भारत भागयिवधाता

पजाब िसनध गजरात मराठा

दरािवड़ उतकल बगा

िवनधय िहमाचल यमना गगा

उचछल जलिध तरगा

तव शभ नाम जाग

तव शभ आशीष माग

गाह तव जयगाथा

जन गण मगलदायक जय ह

भारत भागयिवधाता

जय ह जय ह जय ह

जय जय जय जय ह

6 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िवषय-सचीरात और िदन की आख-िमचोली 8 अशोक चकरधर जी का बलॉगmdashच र चमप 9 ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न 9 अिनतम पयार 11 International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report 12 Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report 16 म तो बहत िदन पर चता 21 दोन ओर परम पलता ह 22 सत कबीरदास दोहावली 23 शनय स टकरा कर सकमार 25 शरी गर गरथ सािहब स 27 नाम-रप का भद 30

पख 31 मकान 32 नील कणठ तो म नही ह 33 यह ह भारत दश हमारा 34 ग़ज़ल 35 उसकी महक 36 तलसी दास क दोह 39 र मन मरख जनम गवायौ 41 एक िचनगारी घर को जला दती ह 42 एक जीवी एक र ी एक सपना 44 बोधकथा 48 लखक का बदला 48 बचच का कोना 49 अचछ काम का परसकार 49

आ नो भदराः करतवो यनत िव तः महान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दो

-ऋगवद 1-89-1

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया िनदशक मडल

पदािधकारी अधयकष सरनदरलाल महता कायरकारी सिचव होमी नवरोजी दसतर परधान शकर धर सिचव शरीधर कमार क दपदी

अनय िनदशक शरीिनवासन वकटरमन पललादम नारायणा सथानागोपाल कलपना शरीराम जग ाथन वीराराघवन मोकषा वततस कषण कमार ग ा

अधयकष गभीर वततस

सरकषक महामिहम शरीमती सजाता िसह (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम परहत शकला (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम राजदर िसह राठौड़ (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) मानद जीवन सरकषक महामिहम एम गणपथी (ऑसटरिलया म पवर भारत क सल जनरल और भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया क ससथापक)

परकाशक व परबध सपादक गभीर वततस

presidentbhavanaustraliaorg सपादकीय वगर कषण कमार ग ा (सपादक) परवीन दिहया (भाषा

सपादक) शबाना बगम (सहयोग)

िवजञापन हत prbhavanaustraliaorg Bharatiya Vidya Bhavan Australia Suite 100 515 Kent Street Sydney NSW 2000

यह जररी नह ह िक नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म योगदानकतार क िवचार नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट या सपादक क िवचार ह नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट िकसी भी योगदान लख और परसतत पतर को सपािदत करन का अिधकार सरिकषत रखता ह कॉपीराइट परसतत सभी िवजञापन और मल सपादकीय सामगरी भवन ऑसटरिलया की सपि ह और इनह कॉपीराइट क मािलक की िलिखत अनमित िबना पन पश नह िकया जा सकता

नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट Vol 1 No 7 ISSN 2200 - 7644

7 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Australian National Anthem

Australians all let us rejoice For we are young and free

Wersquove golden soil and wealth for toil

Our home is girt by sea

Our land abounds in naturersquos gifts Of beauty rich and rare

In historyrsquos page let every stage

Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing Advance Australia Fair

Beneath our radiant Southern Cross

Wersquoll toil with hearts and hands

To make this Commonwealth of ours Renowned of all the lands

For those whorsquove come across the seas

Wersquove boundless plains to share

With courage let us all combine To Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing

Advance Australia Fair

8 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िखली ब ीसी

रात और िदन की आख-िमचोली (सार खल जीत-जी ही दख जा सकत ह)

मसकान की मीठी याद बहत आस की फ़िरयाद पयार महबबत हसना रोना सज़ा मज़ा पा जाना खोना महल दमहल बगल कोठी चना-चबना सखी रोटी कया रोटी पर दसी घी ह जो कछ भी ह जीत जी ह झल चख मला ठला झमक ठमक कशती खला खल-िखलौन खील-बताश जोकर क रगीन तमाश छीनाझपटी मारामारी घोड़ा-तागा रल सवारी कया मन क मािफ़क तज़ी ह जो कछ भी ह जीत जी ह

गहन-ज़वर की सदक सदक म ह बदक बदक म छर-गोली गोली म ह ख़ की होली होली खल बीच बजिरया सबकी उसन िलखी उमिरया कया तमको काफ़ी भजी ह

जो कछ भी ह जीत जी ह क़दरत क भरपर नज़ार

पयार सरज चदा तार रात और िदन की आख-िमचोली सया गलबिहया हमजोली ख़ब महकती थी फलवारी लिकन भया जान हमारी

व त स पहल कय ल ली ह जो कछ भी ह जीत जी ह

mdashअशोक चकरधर

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

नवनीत अब इनटरनट पर भी उपलबध ह I wwwnavneetbhavansinfo और साथ ही इनटरनट स नवनीत का चदा भरन क िलए लॉगऑन कर httpwwwbhavansinfoperiodicalpay_onlineasp

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 6: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

6 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िवषय-सचीरात और िदन की आख-िमचोली 8 अशोक चकरधर जी का बलॉगmdashच र चमप 9 ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न 9 अिनतम पयार 11 International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report 12 Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report 16 म तो बहत िदन पर चता 21 दोन ओर परम पलता ह 22 सत कबीरदास दोहावली 23 शनय स टकरा कर सकमार 25 शरी गर गरथ सािहब स 27 नाम-रप का भद 30

पख 31 मकान 32 नील कणठ तो म नही ह 33 यह ह भारत दश हमारा 34 ग़ज़ल 35 उसकी महक 36 तलसी दास क दोह 39 र मन मरख जनम गवायौ 41 एक िचनगारी घर को जला दती ह 42 एक जीवी एक र ी एक सपना 44 बोधकथा 48 लखक का बदला 48 बचच का कोना 49 अचछ काम का परसकार 49

आ नो भदराः करतवो यनत िव तः महान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दो

-ऋगवद 1-89-1

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया िनदशक मडल

पदािधकारी अधयकष सरनदरलाल महता कायरकारी सिचव होमी नवरोजी दसतर परधान शकर धर सिचव शरीधर कमार क दपदी

अनय िनदशक शरीिनवासन वकटरमन पललादम नारायणा सथानागोपाल कलपना शरीराम जग ाथन वीराराघवन मोकषा वततस कषण कमार ग ा

अधयकष गभीर वततस

सरकषक महामिहम शरीमती सजाता िसह (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम परहत शकला (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) महामिहम राजदर िसह राठौड़ (ऑसटरिलया म पवर भारत उचचायकत) मानद जीवन सरकषक महामिहम एम गणपथी (ऑसटरिलया म पवर भारत क सल जनरल और भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया क ससथापक)

परकाशक व परबध सपादक गभीर वततस

presidentbhavanaustraliaorg सपादकीय वगर कषण कमार ग ा (सपादक) परवीन दिहया (भाषा

सपादक) शबाना बगम (सहयोग)

िवजञापन हत prbhavanaustraliaorg Bharatiya Vidya Bhavan Australia Suite 100 515 Kent Street Sydney NSW 2000

यह जररी नह ह िक नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म योगदानकतार क िवचार नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट या सपादक क िवचार ह नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट िकसी भी योगदान लख और परसतत पतर को सपािदत करन का अिधकार सरिकषत रखता ह कॉपीराइट परसतत सभी िवजञापन और मल सपादकीय सामगरी भवन ऑसटरिलया की सपि ह और इनह कॉपीराइट क मािलक की िलिखत अनमित िबना पन पश नह िकया जा सकता

नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट Vol 1 No 7 ISSN 2200 - 7644

7 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Australian National Anthem

Australians all let us rejoice For we are young and free

Wersquove golden soil and wealth for toil

Our home is girt by sea

Our land abounds in naturersquos gifts Of beauty rich and rare

In historyrsquos page let every stage

Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing Advance Australia Fair

Beneath our radiant Southern Cross

Wersquoll toil with hearts and hands

To make this Commonwealth of ours Renowned of all the lands

For those whorsquove come across the seas

Wersquove boundless plains to share

With courage let us all combine To Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing

Advance Australia Fair

8 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िखली ब ीसी

रात और िदन की आख-िमचोली (सार खल जीत-जी ही दख जा सकत ह)

मसकान की मीठी याद बहत आस की फ़िरयाद पयार महबबत हसना रोना सज़ा मज़ा पा जाना खोना महल दमहल बगल कोठी चना-चबना सखी रोटी कया रोटी पर दसी घी ह जो कछ भी ह जीत जी ह झल चख मला ठला झमक ठमक कशती खला खल-िखलौन खील-बताश जोकर क रगीन तमाश छीनाझपटी मारामारी घोड़ा-तागा रल सवारी कया मन क मािफ़क तज़ी ह जो कछ भी ह जीत जी ह

गहन-ज़वर की सदक सदक म ह बदक बदक म छर-गोली गोली म ह ख़ की होली होली खल बीच बजिरया सबकी उसन िलखी उमिरया कया तमको काफ़ी भजी ह

जो कछ भी ह जीत जी ह क़दरत क भरपर नज़ार

पयार सरज चदा तार रात और िदन की आख-िमचोली सया गलबिहया हमजोली ख़ब महकती थी फलवारी लिकन भया जान हमारी

व त स पहल कय ल ली ह जो कछ भी ह जीत जी ह

mdashअशोक चकरधर

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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ल-आउट एव िडज़ाइिनग समीर पारख - िकरएिटव पज सटसर गोरगाव मबई ndash 104 फ़ोन 98690 08907 सपादक िव नाथ सचदव

37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 7: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

7 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Australian National Anthem

Australians all let us rejoice For we are young and free

Wersquove golden soil and wealth for toil

Our home is girt by sea

Our land abounds in naturersquos gifts Of beauty rich and rare

In historyrsquos page let every stage

Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing Advance Australia Fair

Beneath our radiant Southern Cross

Wersquoll toil with hearts and hands

To make this Commonwealth of ours Renowned of all the lands

For those whorsquove come across the seas

Wersquove boundless plains to share

With courage let us all combine To Advance Australia Fair

In joyful strains then let us sing

Advance Australia Fair

8 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िखली ब ीसी

रात और िदन की आख-िमचोली (सार खल जीत-जी ही दख जा सकत ह)

मसकान की मीठी याद बहत आस की फ़िरयाद पयार महबबत हसना रोना सज़ा मज़ा पा जाना खोना महल दमहल बगल कोठी चना-चबना सखी रोटी कया रोटी पर दसी घी ह जो कछ भी ह जीत जी ह झल चख मला ठला झमक ठमक कशती खला खल-िखलौन खील-बताश जोकर क रगीन तमाश छीनाझपटी मारामारी घोड़ा-तागा रल सवारी कया मन क मािफ़क तज़ी ह जो कछ भी ह जीत जी ह

गहन-ज़वर की सदक सदक म ह बदक बदक म छर-गोली गोली म ह ख़ की होली होली खल बीच बजिरया सबकी उसन िलखी उमिरया कया तमको काफ़ी भजी ह

जो कछ भी ह जीत जी ह क़दरत क भरपर नज़ार

पयार सरज चदा तार रात और िदन की आख-िमचोली सया गलबिहया हमजोली ख़ब महकती थी फलवारी लिकन भया जान हमारी

व त स पहल कय ल ली ह जो कछ भी ह जीत जी ह

mdashअशोक चकरधर

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

नवनीत अब इनटरनट पर भी उपलबध ह I wwwnavneetbhavansinfo और साथ ही इनटरनट स नवनीत का चदा भरन क िलए लॉगऑन कर httpwwwbhavansinfoperiodicalpay_onlineasp

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 8: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

8 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

िखली ब ीसी

रात और िदन की आख-िमचोली (सार खल जीत-जी ही दख जा सकत ह)

मसकान की मीठी याद बहत आस की फ़िरयाद पयार महबबत हसना रोना सज़ा मज़ा पा जाना खोना महल दमहल बगल कोठी चना-चबना सखी रोटी कया रोटी पर दसी घी ह जो कछ भी ह जीत जी ह झल चख मला ठला झमक ठमक कशती खला खल-िखलौन खील-बताश जोकर क रगीन तमाश छीनाझपटी मारामारी घोड़ा-तागा रल सवारी कया मन क मािफ़क तज़ी ह जो कछ भी ह जीत जी ह

गहन-ज़वर की सदक सदक म ह बदक बदक म छर-गोली गोली म ह ख़ की होली होली खल बीच बजिरया सबकी उसन िलखी उमिरया कया तमको काफ़ी भजी ह

जो कछ भी ह जीत जी ह क़दरत क भरपर नज़ार

पयार सरज चदा तार रात और िदन की आख-िमचोली सया गलबिहया हमजोली ख़ब महकती थी फलवारी लिकन भया जान हमारी

व त स पहल कय ल ली ह जो कछ भी ह जीत जी ह

mdashअशोक चकरधर

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 9: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

9 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

अशोक चकरधर जी का बलॉगNtildeच र चमप

ऐसा सोचा खरपची िदमाग़ न

mdashच र चमप तर खरपची िदमाग न कौन सी गलत बात दखी िपछल िदनन म

mdashचचा ग़लत बात क अमबार हमार चार तरफ ह हा तमन खरपची िदमाग़ कह कर मरा सममान बढ़ाया उसक िलए शिकरया य िदमाग िकसी एक म पर अटक जाय तो वातावरण म परदषण की तरह चार ओर मडरान लगता ह िशमला गया था एक किवसममलन क िलए सवचछ पयारवरण हरीितमा दखकर बड़ा सकन िमला ऊपर मौसम की गलाबी ठणडक न धनय कर िदया और जब उस ठणड वातावरण स नीच कालका तक आए तो िफर स लगी गम शताबदी म बठ तो पन तरावट म आ गए जब शताबदी िदलली पहचन वाली थी तो एक उ ोषणा सनकर िफर स िदमाग़ म गम चढ़न लगी

mdashका भयौ ज बता

mdashचचा उ ोषणा थी िक िदलली म आपका सवागत ह और याितरय स अनरोध ह िक व अपनी पानी की बोतल या तो अपन साथ ल जाए अथवा उस न कर द तािक दरपयोग न हो सक धनयवाद और मरा खरपची िदमाग़ जसा िक तमन कहा अलाय-बलाय सोचन लगा

mdashका सोची तन

mdashसोचन य लगा िक जब परा ससार पलािसटक स लड़ रहा ह तो पानी की बोतल आधी भरी भी रह गई तो पानी महतवपणर ह या बोतल का अपन साथ ल जा कर कह भी फक दना मनषयता क िलए हािनकारक कया ह िजतन लोग पानी की बोतल अपन साथ ल जाएग ऑटो म टकसी म कार म बठग

पानी समा करग और सड़क पर बोतल फक दग वह लढ़कती हई

मनषयता क िकस गभर म जाकर काबरन डाई

ऑकसाइड का उतसजरन करगी कया पता पलािसटक जसी चीज़ जो मनषयता क िलए हािनकारक ह वह यिद िडबब म ही छोड़ दी जाए तो

उसको समटकर सही सथानपर पहचान म

रलव िवभाग को सिवधा होती लिकन नह व तो

सदह करत ह अपन ही लोग पर बोतल का दरपयोग होगा अब दरपयोग

कया हो सकत ह मन सोचना शर िकया

mdashका सोची तन

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 10: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

10 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

mdash एक दरपयोग तो य हो सकता ह िक रलव सरकषा पिलस की नाक क नीच चोर आएग और व बोतल चराकर ल जाएग बोतल िबना िकसी पलाट म गए गटर क अथवा ज़मीन क पानी स भरकर पन िडबब म पलाट कर दी जाएगी अथारत रलव की सरकषा पिलस पर रलव को भरोसा नह ह अर बोतल कोई कान का झमका तो ह नह िक कोई जब म डालकर ल जाएगा स र याितरय क िडबब स कोई स र बोतल िनकालकर ल जाएगा तो िकसी की नज़र म न आए ऐसा हो ही नह सकता िफर हर िडबब म एक अटडट होता ह या तो वह सवय चोर ह या चोर का मददगार ह यानी रलव को अपन सटाफ़ पर ही भरोसा नह ह दसरी बात यह िक अगर बोतल न कर भी दी जाए तो कया उसस पलािसटक न हो जाती ह तीसरी बात बोतल न करन क बाद कबािड़य क पास जाती ह और वह भी िबना चोरी क नह जा सकत यातरी अगर उस न भी करगा तो भी दरपयोग रक जाएगा इसकी कोई गारटी नह ह िनरीह यातरी को एक ऐस िनरथरक काम पर लगा िदया िजसस अिहत यादा हो रहा ह बोतल न करन क िलए कोई हथौड़ा तो लकर आता नह ह मन दखा िक एक आदरणीया जब बोतल की गदरन मरोड़न लग उनकी चार चिड़या टट गई अचछीखासी

सधवा थ चिड़या टटन स खीझ गई िवदश की तरह याितरय का छोटी-मोटी चोट क िलए कोई बीमा तो होता नह ह चौथी बात पलािसटक ऐसी अजर-अमर वसत बनाई ह इसान न जो इसािनयत क िलए भयकर हािनकारक ह यह सब जानत ह थल क मामल म तो जागरकता आ गई ह लिकन बोतल अभी भी पयारवरण क िलए चनौती बनी हई ह रलव को अपन ईमानदार कमरचािरय पर भरोसा होना चािहए िक छोड़ी गई पानी की बोतल को व यथासथान पहचाएग िनरीह यातरी को एक दषकर कमर स पन क सथान पर रलव को आतमिचतन करना चािहए ऐसा सोचा मर खरपची िदमाग़ न ग़लत सोचा कया

mdashअशोक चकरधर उपाधयकष िहनदी अकादमी िदलली सरकार एव उपाधयकष कदरीय िहनदी िशकषण मडल (मानव ससाधन िवकास मतरालय भारत सरकार य ब पर कनदरीय िहनदी ससथान क बार म इस िलक पर जाए httpwwwyoutubecomwatchv=BlK4lk_XiJM

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 11: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

11 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

रव दरनाथ टगोर की महान कितया

अिनतम पयार

आटर सकल क परोफसर मनमोहन बाब घर पर बठ िमतर क साथ मनोरजन कर रह थ ठीक उसी समय योगश बाब न कमर म

परवश िकया

योगश बाब अचछ िचतरकार थ उनह न अभी थोड़ समय पवर ही सकल छोड़ा था उनह दखकर एक िकत न कहाmdashयोगश

बाब नरनदर कया कहता ह आपन सना कछ

योगश बाब न आराम-कस पर बठकर पहल तो एक लमबी सास ली प ात बोलmdashकया कहता ह

नरनदर कहता हmdashबग-परानत म उसकी कोिट का कोई भी िचतरकार इस समय नह ह

ठीक ह अभी कल का छोकरा ह न हम लोग तो जस आज तक घास छीलत रह ह झझलाकर योगश बाब न कहा

जो लड़का बात कर रहा था उसन कहाmdashकवल यही नह नरनदर आपको भी सममान की दि स नह दखता

योगश बाब न उपिकषत भाव स कहाmdashकय कोई अपराध

वह कहता ह आप आदशर का धयान रखकर िचतर नह बनात

तो िकस दि कोण स बनाता ह

दि कोण

रपय क िलए

योगश न एक आख बनद करक कहाmdash थर िफर आवश म कान क पास स अपन असत- सत बाल को ठीक कर बहत दर तक

मौन बठा रहा चीन का जो सबस बड़ा िचतरकार हआ ह उसक बाल भी बहत बड़ थ यही कारण था िक योगश न भी सवभाव-िवर िसर पर लमब-लमब बाल रख हए थ य बाल उसक मख पर िबलकल नह भात थ कय िक बचपन म एक बार

चचक क आकरमण स उनक पराण तो बच गय थ िकनत मख बहत करप हो गया था एक तो सयाम-वणर दसर चचक क दाग

चहरा दखकर सहसा यही जान पड़ता था मानो िकसी न बनदक म छर भरकर िलबिलबी दाब दी हो (जारी )

नोबल परसकार परा किव रवीनदरनाथ टगोर न सािहतय िशकषा सगीत कला रगमच और िशकषा क कषतर म अपनी अनठी परितभा का पिरचय िदया अपन मानवतावादी दि कोण क कारण वह सही मायन म िव किव थ टगोर दिनया क सभवत एकमातर ऐस किव ह िजनकी रचना को दो दश न अपना रा गान बनाया बचपन स कशागर बि क रव दरनाथ न दश और िवदशी सािहतय दशरन ससकित आिद को अपन अदर समािहत कर िलया था और वह मानवता को िवशष महतव दत थ इसकी झलक उनकी रचना म भी सप रप स परदिशत होती ह सािहतय क कषतर म उनह न अपवर योगदान िदया और उनकी रचना गीताजिल क िलए उनह सािहतय क नोबल परसकार स भी सममािनत िकया गया था गरदव सही मायन म िव किव होन की परी योगयता रखत ह

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

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20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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पी वी शकरनक ी ारा भारतीय िव ा भवन क एम मशी मागर मबई ndash 400 007 क िलए पकारिशत तथा िसि िपरटसर 1314 भाभा िबिलडग खतवाडी 13 लन मबई ndash 400 004 म मिदरत

ल-आउट एव िडज़ाइिनग समीर पारख - िकरएिटव पज सटसर गोरगाव मबई ndash 104 फ़ोन 98690 08907 सपादक िव नाथ सचदव

37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 12: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

12 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

International Centre of Nonviolence Australia Post Launch Report

Inspired by and with the support of Ela Gandhi Gandhi Development Trust and ICON (International Centre of Nonviolence) Durban we formally launched the International Centre of Nonviolence (ICON) Australia on 27 February 2013 at the New South Wales Parliament House in presence of Federal and State Ministers diplomats and a host of academic community and religious luminaries

Ela Gandhi graciously agreed to come from South Africa for the launch and visited a number of schools and institutions in Melbourne and Sydney

over 6 days and was engaged extensively with the Media ABC TV and Radio SBS and a number of community Radios and TVs

The schools institutions and workshops included Ashbury Primary School and Fort Street High School and Workshops at Parliament House conducted by Sylvania High School and Parliament House conducted by Kingsgrove North High School Schools program and workshops organised by Dr Phil Lambert PSM Sydney Regional Director with the Department of Education and Communities

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

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Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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नवनीत समपरण गजराती म भी उपलबध

पी वी शकरनक ी ारा भारतीय िव ा भवन क एम मशी मागर मबई ndash 400 007 क िलए पकारिशत तथा िसि िपरटसर 1314 भाभा िबिलडग खतवाडी 13 लन मबई ndash 400 004 म मिदरत

ल-आउट एव िडज़ाइिनग समीर पारख - िकरएिटव पज सटसर गोरगाव मबई ndash 104 फ़ोन 98690 08907 सपादक िव नाथ सचदव

37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 13: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

13 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

Events for Ela Gandhi organized by ICON Australia

Melbourne Program for 24 amp 25 February 2013

Ela Gandhirsquos visits to Collingwood Childrenrsquos Farm Hanover Crisis Accommodation Centre University of Melbourne Early Learning Center and Womenrsquos Domestic Violence Centre Lecture at the Australia India Institute If Gandhi were alive today Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Public Lecture for 26 February 2013

Lecture at University of New South Wales by Ela Gandhi Building a culture of non-violence the legacy of Mahatma Gandhi Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Lecture for 28 February 2013

Lecture at Olympic Park organised by Soka Gakkai International by Ela Gandhi Human Security and Sustainability This had been organised Greg Johns General Director Soka Gakkai International Australia at their Cultural Centre at the Sydney Olympic Park Full Speech appears elsewhere in this Magazine

Speeches at the Launch on 27 February 2013 in Parliament House of New South Wales

Hon Victor Dominello (New South Wales Minister for Citizenship and Communities and Minister for Aboriginal Affairs)

We are in the presence of humanities royalty here tonight Ela Gandhi is a true successor to the mentor of her grandfather Mahatma Gandhi And we are very privileged to have her here today for the launch This is an important organisation in our State the International Centre of Nonviolence Australia ICON Any organisation inspired by a member of the Gandhi family should be one worthy of support And when the organisationrsquos goal is to promote nonviolence in our lives it cannot be ignored

My support goes automatically to groups who are reaching out across ethnic boundaries to combine their individual strengths While Gambhir Watts and the Bhavan Australia are setting out to do the International Centre of Nonviolence will bring together some key leaders from our diverse range of backgrounds to promote this wonderful ideal of nonviolence I think this Centre can send a very powerful message to the world because we have in this state an almost incredible diversity of race of faith of language in our communities yet we live in harmony If we can exploit that harmony to promote lives of nonviolence we will have something to show to the rest of the world where for sure there is way too much violence And I congratulate you again for this outstanding initiative and when I look in front of me and I see students here and Irsquove heard what the MC said in relation to education Particularly in my travels as a Minister of Citizenship and Communities I realise how important it is in that educational framework to make sure the message beyond that the culture of nonviolence is taught If we donrsquot get that right at the educational level then itrsquos far harder later on to bring the genie back into the bottle So I really encourage it because this is going to be a movement a lighthouse for where the world needs to be if we want to truly get to that enlightened stage

Senator Lisa Singh (Federal Government of Australia) Acting Chair of UNICEF Parliamentary Association

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

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Art Henna

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Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 14: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

14 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

I was delighted when Gambhir invited me to be a part of this tonight and I think this is a night that will stay with me for a very long time To be in the presence of Ela Gandhi is certainly something very special to me

As someone that grew up with an understanding of the teachings of Mahatma Gandhi of his values of his words and I try in my 41 years of life to live out those principles words and values of him to then have his granddaughter here with us tonight to be part of this opening of ICON here in Australia is indeed a fantastic and a very auspicious moment in all of our lives There is also no better way to celebrate Mahatma Gandhi than through the opening of this ICON because here in Australia like anywhere in the world we are not immune to violence We also have our own share of violence that occurs here in Australia and I think that if we can pick up from what Moksha Watts said it is through education that we can try to change and turn that around It is through not only the current generation but their children and their childrenrsquos children that we hope that one day will have a country and a world that is free of violence

Briefly this week the Four Corners program on the ABC which very much focused on an hour documentary on violence it look at alcohol feud violence it looked at violence of young men and for me in my previous political life when I was a member of the Parliament and a Minister in the State Parliament in Tasmania I was landed with a portfolio that perhaps not all Ministers particularly want to put their hands up for and that was the portfolio of corrections of dealing with our correctional system And there of course I was landed with how to approach how we stop the recidivism rate of those violent men who ended up in our prison system coming out and repeating that action and I found myself looking at the values of Mahatma Gandhi and looking at how in some way we can ensure that they come out more peaceful than theyrsquove been in in the first place

Of course I think that the other aspect that Moksha also picked up on is the fact that women are often the more targeted gender not always but there are statistics that reveal that women will be more

subject to violence to sexual violence in their

lifetime and I think that again is something that in Australia we are certainly not immune to

On behalf of the Australian government it is a complete honour for me to stand here tonight and to welcome to Australia and to be here with you at this opening of ICON which is something that the whole country will benefit from in the future

Dr Phil Lambert (Regional Director Sydney Department of Education Adjunct Associate Professor (University of Sydney) Adjunct Professor (Nanjing University)

What a day itrsquos been I have to say this will go down as one of the highlights of my career Before today I think I would have said the two most wonderful women that I spent a day with are my wife and my daughter Irsquom going to extend that to three because I had the absolute privilege of spending the day with Ela Gandhi

From the moment I actually met her yesterday we talked through the arrangements for today but met her this morning and talked with her throughout the car trip to Ashbury Public School one of our fabulous public schools where we had the most delightful program Itrsquos one of our schools that have been doing some standing work in White Ribbon combating violence against women and girls and we also have there our Indian Calling Program which opens clearly the eyes of our students the majority

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

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Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 15: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

15 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

clearly are not from Indian background joined up by video conferences with six other schools who regularly learn about Indian culture and learn to appreciate and respect India and its culture Then we had a trip to Fort Street High School we happened to hear their fabulous band outside and that was a wonderful program meeting with the senior students there and also a major assembly Apparently the students at the school the representative council of the school ordered the executive of the school that I had to be a whole assembly there couldnrsquot be a few privileged students to meet Ela There had to be the full student population and there were so many excited students and the questions were fantastic

I actually have to say that Miss Gandhi tonight will go to sleep with a big smile on her face Irsquove never seen paparazzi like Irsquove seen throughout today There were cameras everywhere flashing everywhere and she was charming She accepted every request every single request I can tell you my legs are giving away I am going to flop tonight when I get home She has so much energy I kept asking her if shersquod like a little rest that was for me actually She is a wonderful ambassador a wonderful woman to hear about her work with Nelson Mandela with the party her timing in government and what shersquos been doing since her commitment Shersquos an amazing woman

His Excellency Biren Nanda High Commissioner of India

Senator Lisa Singh Gambhir Watts dear friends I think this a very unique occasion we are very honoured to have with us here today Ela Gandhiji who has devoted her life to continuing the message the ideas of Mahatma Gandhi South Africa was the laboratory in which Gandhiji refined his techniques In a sense when he left India the nationalists politics in India had begun in 1885 with the founding of the Congress party but the technique that the Congress party and his leaders like Gandhijirsquos political group used was constitutional they tried to agitate for self-improvement within the institutions of the community department When Gandhi came to South Africa he was called to South Africa by a

prominent member of the Indian community Gandhiji faced several disabilities and discrimination in South Africa and he began to experiment with his technique of nonviolence and passive resistance To Gandhiji this was not just something which was a physical manifestation of action it was nonviolence so if you faced nonviolence towards your interlocutor and you did not act violently it was not good enough That is you have to exercise self-control and have love and affection for the person you were dealing with and it was not just nonviolence in action it was nonviolence at heart and that I think is very difficult to achieve which is why when he went back to India and when he let the mass seek this disobedient movement against the government he offered hellip at the time when it seemed to be doing very well it seemed to be succeeding because for him the means to the end was very important and for him the adherence to the discipline of nonviolence was very important

Professor Emeritus Stuart Rees (Professor Emeritus of the University of Sydney Chair of the Sydney Peace Foundation)

Stuart Rees delivered the theme lecture Practicing Non Violence Gandhi Legacy International Priorities Prof Stuart said that Mahatma Gandhi advocated ahimsa ndash nonviolence ndash as a way of living and as a law for life and that his principles of nonviolence inspired civil disobedience towards governments and other representations of oppressive authority Through skills in organizing through the clarity of his philosophy as expressed in letters articles and speeches and often through his courage in fasting Gandhi led by personal example He lived and breathed the principle later embraced by feminists and others that the personal is the political

The ideology of nonviolence and the cues for practice are contained in the language of Shelley and Thoreau of Gandhi and King They painted pictures of justice and human rights They knew the ideals of a freedom which would enhance everyonersquos fulfilment without interfering with othersrsquo freedom of expression

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

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Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

नवनीत अब इनटरनट पर भी उपलबध ह I wwwnavneetbhavansinfo और साथ ही इनटरनट स नवनीत का चदा भरन क िलए लॉगऑन कर httpwwwbhavansinfoperiodicalpay_onlineasp

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 16: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

16 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The language of nonviolence is crucial It conveys peoplersquos interest and appreciation their gratitude and creativity laughter and love Such words contrast with the language of violence in politics in the crafting of economic defence or security policies and in individualsrsquo behavior whether in families in schools on the streets in public or private organizations Such violence is crippling and self-defeating It has nothing to do with visions of humanity and cues about conflict resolution contained in Gandhirsquos notion of ahimsa (Full speech appears separately elsewhere in the magazine)

Ela Gandhi

In the last four days she learnt so much in Australia by visiting so many schools so many centres and so many wonderful things that are happening in the country and Irsquom taking back with me a lot of lessons from here So Irsquom not sure how many lessons Irsquom going to bring to you but I can only invite you to come to South Africa have exchange programs and letrsquos learn from each other because that is the most important thing about ICON

I want to say that on behalf of Gandhi Development and Trust and ICON South Africa I want to congratulate you on this initiative Indeed we must work together to build up a rise of awe of knowledge and respectful models so that it can be replicated throughout the world and we can make a difference

Ela Gandhi giving a brief background to the formation of ICON in South Africa said that inspired by Gandhijirsquos work in South Africa and his nonviolent movement a group of volunteers began to look at how to address the rising violence in the country and globally Ela Gandhi said that while the tendency is to look for solutions in a stringent justice system approach we look for solutions in Gandhijirsquos ideas Clearly his approach to nonviolence was much broader than the strategy to be used in certain situations

For Gandhiji nonviolence was a way of life What end is the composition of this way of life and how can we promote it We brainstormed and came up

with many issues and I know Professor Rees has talked about many of them already but among them access to basic needs universal access to basic needs such as housing work education healthcare

equity learning universal values nonviolent communication all of nonviolent language and a less consumer society Those were some of the issues brought up at this brainstorming session

ICON positioned itself for a new and holistic approach because we found that a lot of the peace education programs look at study of values we also looked at our history syllabus and everybody knows about Hitler very few people studied about Gandhi or studied about Martin Luther King or any of the peace movements and there have been many peace movements before and after Gandhiji we heard about them but our history books donrsquot reflect on those Gandhiji also emphasized the need for learning about other cultures and other languages to broaden the perspective

In her concluding words Ela Gandhi said we look forward to a long and healthy relationship with ICON Australia a relationship which will share ideas which will share information and knowledge and grow from that networking and that relationship (Full speech appears separately elsewhere in the magazine

Gambhir Watts Founder and Chief Coordinator International Centre of Nonviolence Australia

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

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20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 17: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

17 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

Celebrations of Bhavanrsquos Holi Mahotsav 2013 A Report

Over three autumn days Bharatiya Vidya Bhavan Australia celebrated the 11th anniversary of the Holi Mahotsav starting on Friday 5 April and finishing on Sunday 7 April 2013 at Tumbalong Park in Darling Harbour Sydney An estimated 12000-15000 people attended the Sunday festivities Saturday festivities were attended by 4000-5000 people

Our expectation were much higher 20000 people on Sunday and 10000 people on Saturday The weather conditions (rain) seem to have effected the people turn up for the festivities

Cooking demonstrations were conducted by three of the participating Indian restaurants Taj Mahal Tandoori Sweet Basil and Taj Sweets amp Restaurant People enjoyed and learned useful tips on Indian cooking Demonstrators liked the enthusiasm of the people to learn new style and taste of food and gave useful tips to enthusiastic participants People tasted the food and asked for quick tips to try at home Looking at the enthusiasm of the people in Sydney to taste and learn new food cooking demonstrations will now be a part of Holi Mahotsav each year

Over five hundred artists performed during the festival days and represented a rich mixture of culture spirituality and entertainment The cultural performances included Indian Bollywood Classical Bhangra and Belly dances fusion and folk music Punjabi songs Balinese and Chinese performances and a surprise flash mob which engaged into dance the standing audiences The music and dance yoga prayers meditation activities and dance and art workshops lasted for all three days The visitors could enjoy delicious vegetarian Indian food and craft stalls

The first day of the festival was dedicated to schools young people and children Thanks to the great support of the Department of Education and Communities of Government of NSW and Sydney Region India Calling Program many school groups participated with group performances and in art workshops At the VIP session for school day Dr Phil Lambert Regional Director of Department of Education and Communities of Government of NSW expressed his delight for the mutual cooperation and engagement of school children in stage and workshop activities Seven school regions

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

artistic Henna

art tattoos

from Zenat

Art Henna

Tattoos Lebara

Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 18: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

18 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

namely Mascot Public School PS Cronulla PS Carlton Sth PS Ashbury PS Canterbury PS and Janali PS were to participate but due to whether conditions only two schools namely Botany PS and Carlton Sth PS made to the festivities The special school day has become an annual tradition since last year

Saturday was the day of spirituality At noon time people had started to gather at Martin Place enjoying ISKCON Sydney stage performances while waiting for a street procession of more than 500 participants to start Departing from Martin Place people passed through Sydney CBD and Sydney Town Hall and culminated into Tumbalong Park The procession included Rath Yatra (hand pulled Chariot) of Lord

Jagannaumltha The ISKCON devotees chanted prayers and praises of the Lord while pulling the chariot together with procession participants

On Sunday the traditional practice of colour throwing took place in the designated area in multiple sessions throughout whole afternoon This joyful activity brought many people of different cultural background together and was celebrated with happiness and harmony among the participants and viewers

During the special VIP session held on the last day of the festival the special guests expressed the importance of such events as Holi Mahotsav and demonstrated their support and pleasure of being part of the celebrations Among the respected speakers who graced the festival there were Michelle Rowland MP representing Senator the Hon Kate Lundy Parliament of Australia The Hon Geoff Lee Member for Parramatta Parliament of NSW (representing The Hon Victor Dominello Minister for Citizenship and Communities) The Hon Amanda Fazio Opposition Whip Parliament of NSW (representing The Hon John Robertson - Leader of the Opposition) and Dr Phil Lambert Regional Director Department of Education and Communities Government of NSW Among other visiting VIP guests there were present Hon Arun Kumar Goel Consul General of India Sydney Government of India Dr Stepan Kerkyasharian Chair Community Relations Commission for a multicultural NSW Thuat V Nguyen President Childrenrsquos Festival Organisation Inc Shanker Dhar Amarinder Bajwa Hashim Durrani Harmohan Singh Walia Neera Shrivastav Dr Yadu Singh and Linda OBrien

The success of Holi Mahotsav could not have been possible without the selfless and untiring support of nearly thousand artists and performers from a large number of dance academies and cultural groups We bow before and salute them with humility and greatest gratitude The crowd passionately danced and sang with the performers and enjoyed every bit of the multicultural program Our special thanks come to all performing artistsmdashIndo-Aust Bal Bharathi Vidyalaya-Hindi School Inc Sahaja Yoga Music of Joy Botany Public School India Jiva Om Multicultural Aparna Dixit Aziff Tribal Belly Dance Chinese Traditional Dance Samskriti School of Dance Shyam Dance Akriti Gupta Mayur Academy Maya Youth in Performing Arts Mayur Academy Priya Dewan Bollywood Dance Academy Alisha Singh Rhythmic Squad Nanhi Kaliyan Global Gypsies Taal Dance Academy Geetanjali School of Dance and Performing Arts Gatka Ghawazi Caravan Mango Dance Nupur Dance Group Chiknis Seema Bharadwaj Folk amp Fun

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

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Mobile offered special SIM cards and discounted service plans for overseas calls Vision Asia gave out discounted prices for their popular Indian

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

नवनीत अब इनटरनट पर भी उपलबध ह I wwwnavneetbhavansinfo और साथ ही इनटरनट स नवनीत का चदा भरन क िलए लॉगऑन कर httpwwwbhavansinfoperiodicalpay_onlineasp

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

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कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 19: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

19 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

The stage performances were provided with direction by our great masters of ceremonies Seema Bharadwaj Monalisa Grover Vijay Jogia Reena Koak Divya

Sriram Shalini Varmani Soiam Raja and Sophil Raja

The food stalls during the Holi Mahotsav pepped up the festival by adding variety to the event A wide selection of delicious Indian vegetarian meals beverages and sweets was offered by renowned Indian restaurants Govindas Pure Vegetarian Swaad-Taste of India Sweet Basil Taj Sweets amp Restaurant and Taj Mahal Tandoori Stay Cool Tropical Sno Sugar Cane Juice and Tall Grass Cane Juice

brought cooling and calming drinks

Merchandise stalls and marquees offered great bargains such as traditional dresses tops fashion accessories fancy bangles by Simply Gorgeous and

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20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 20: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

20 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

channels package Among other stalls there were UAE Exchange Australia PTY LTD India Tourism Desi Kangaroos TV Bank of Baroda Donate Life Money Gram and Sahaja Yoga Meditation marquee

We express our heartfelt gratitude to our main sponsors and supporters Lebara Mobile NSW Government Premier of NSW Community Relations Commission for a Multicultural NSW and Sydney Harbour Foreshore Authority City of

Sydney LAC City Central amp The Rocks NSW Police Australian Government Department of Immigration India Tourism Sydney State Bank of India Sydney AFL Multicultural Program Sahaja Yoga and ISKCON Sydney

We are grateful to our media supporters Desi Kangaroo TV The Indian Indus Age Indian Link Newspaper amp Radio The Indian Down Under The IndoAus Times Punjab Times Masala Newsline

Hindi Gaurav Navtarang Newspaper amp Radio Nepalese Times and the Epoch Times Indian Times SBS Radio Chinese Newspaper Sydney Morning Herald Navtarang Media Group The Immigration Centre Pty Ltd and ZEE TV who helped us in making this 2013 festival even brighter and more diverse

We appreciate the help of the volunteers Ottavia Tonarelli Nathan Nathakumaran Denisse Pazita

Codocco Abhisha Srikumar Xiao Li Angela Darke Andy Khai Duy Pham Vishal Joshi and Vaidehi Joshi Tom Li Aaron Qin Michelle

Cheung Micaela

Agosteguis Jonathan Perticara

Karina Flores Sasse Shruti Arya Haerim

Han Muhammad

Bilal Sarwar Yang Hu Mi

Christian Serina Hajje

We are grateful to Brendan Burke

(Venue Hire Manager) Scott Eager (Venue Hire and Event Coordinator) Allison Jeny and other staff from Sydney Harbour Foreshore Authority for their valuable contribution in hosting this festival

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

नवनीत अब इनटरनट पर भी उपलबध ह I wwwnavneetbhavansinfo और साथ ही इनटरनट स नवनीत का चदा भरन क िलए लॉगऑन कर httpwwwbhavansinfoperiodicalpay_onlineasp

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 21: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

21 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

बहत िदन पर म तो बहत िदन पर चता

शरम कर ऊबा शरम कण डबा

सागर को खना था मझको रहा िशखर को खता म तो बहत िदन पर चता

थी मत मारी था भरम भारी

ऊपर अमबर गद ला था नीच भवर लपटा म तो बहत िदन पर चता

यह िकसका सवर

भीतर बाहर कौन िनराशा किठत घिडय म मरी सधी लता

म तो बहत िदन पर चता

मत पछता र खता जा र

अिनतम कषण म चत जाए जो वह भी सतवर चता म तो बहत िदन पर चता

हिरवश राय बचचन (27 नवबर 1907 - 18 जनवरी 2003) िहनदी भाषा क परिस किव और लखक थ उनकी किवता की लोकिपरयता का परधान कारण उसकी सहजता और सवदनशील सरलता ह lsquoमधबालाrsquo lsquoमधशालाrsquo और lsquoमधकलशrsquo उनक परमख सगरह ह हिरवश राय बचचन को lsquoसािहतय अकादमी परसकारrsquo सरसवती सममान एव भारत सरकार ारा सन 1976 म सािहतय एव िशकषा क कषतर म प भषण स सममािनत िकया गया साभार किवता कोश httpwwwkavitakoshorg िचतर httpgadyakoshorg

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 22: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

22 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

दोन ओर परम पलता ह

दोन ओर परम पलता ह सिख पतग भी जलता ह हा दीपक भी जलता ह

सीस िहलाकर दीपक कहता-- lsquoबनध वथा ही त कय दहताrsquo पर पतग पड़ कर ही रहता

िकतनी िवहवलता ह

दोन ओर परम पलता ह

बचकर हाय पतग मर कया परणय छोड़ कर पराण धर कया जल नह तो मरा कर कया

कया यह असफलता ह

दोन ओर परम पलता ह

कहता ह पतग मन मार-- lsquoतम महान म लघ पर पयार कया न मरण भी हाथ हमार

शरण िकस छलता हrsquo दोन ओर परम पलता ह

दीपक क जलन म आली

िफर भी ह जीवन की लाली िकनत पतग-भागय-िलिप काली

िकसका वश चलता ह दोन ओर परम पलता ह

जगती विणगवि ह रखती

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 23: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

23 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उस चाहती िजसस चखती काम नह पिरणाम िनरखती

मझको ही खलता ह

दोन ओर परम पलता ह

अनमोल वचन मनषय अकसर सतय का स दयर दखन म असफल रहता ह सामानय िकत इसस दर भागता ह और इसम िनिहत

स दयर क परित अधा बना रहता ह ~ महातमा गाधी

तीन बात कभी न भलmdashपरितजञा करक क़ज़र लकर और िव ास दकर ~ भगवान महावीर

मनषय िजतना जञान म घल गया हो उतना ही कमर क रग म रग जाता ह ~ िवनोबा भाव

कल की परित ा भी िवनमरता और सद वहार स होती ह हकड़ी और रआब िदखान स नह ~ मशी परमचद

महनत करन स दिरदरता नह रहती धमर करन स पाप नह रहता मौन रहन स कलह नह होता और जागत रहन स भय नह होता ~ आचायर चाणकय

पषप की सगध वाय क िवपरीत कभी नह जाती लिकन मानव क सदगण की महक सब ओर फल जाती ह ~ गौतम ब

मिथली शरण ग (1886 - 1964) का जनम उ र परदश क झासी िजला म िचरगाव गराम म हआ था इनकी िशकषा घर पर ही हई और वह इनह न ससकत बगला मराठी ओर िहदी सीखी उनकी रचना ldquoजयदरथ वधrdquo (1910) ldquoभारत भारतीrdquo (1912) पचवटी नहष मघनाद वध आिद िहदी सािहतय क अमलय रतन समझ जात ह महाका ldquoसाकतrdquo (1932) क िलय उनह मगला परसाद पािरतोिषक परदान िकया गया भारत सरकार ारा उनको प भषण स अलकत िकया गया इनक रचना म दशभिकत बधतव गाधीवाद मानवता तथा नारी क परित करणा और सहानभित कत की गई ह इनक का का मखय सवर रा -परम ह व भारतीय ससकित क गायक थ इनही कारण स उनह रा किव का सममान िदया गया ह सवततरता सगराम क िलय उनह एकािधक बार जल भी जाना पड़ा साभार httphibharatdiscoveryor िचतर wwwindianetzonecom

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

नवनीत अब इनटरनट पर भी उपलबध ह I wwwnavneetbhavansinfo और साथ ही इनटरनट स नवनीत का चदा भरन क िलए लॉगऑन कर httpwwwbhavansinfoperiodicalpay_onlineasp

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 24: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

24 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

सत कबीरदास दोहावली

माया छाया एक सी िबरला जान कोय भगता क पीछ लग सममख भाग सोय

आया था िकस काम को त सोया चादर तान

सरत समभाल ए गािफल अपना आप पहचान

कया भरोसा दह का िबनस जात िछन माह सास- सास सिमरन करो और यतन कछ नाह

गारी ही स ऊपज कलह क और म च हािर चल सो साध ह लािग चल सो न च

दबरल को न सताइए जािक मोटी हाय

िबना जीव की हाय स लोहा भसम हो जाय

दान िदए धन ना घट नदी न घट

नीर अपनी आख दख लो य कया कह कबीर दस ार का िपजरा ताम पछी का कौन

रह को अचरज ह गए अचमभा कौन ऐसी वाणी बोिलए मन का आपा खोय

औरन को शीतल कर आपह शीतल होय

कबीर (1398-1518) कबीरदास कबीर साहब एव सत कबीर जस रप म परिस मधयकालीन भारत क सवाधीनचता महापरष थ इनका पिरचय पराय इनक जीवनकाल स ही इनह सफल साधक भकत किव मतपरवतरक अथवा समाज सधारक मानकर िदया जाता रहा ह तथा इनक नाम पर कबीरपथ नामक सपरदाय भी परचिलत ह सत कबीर दास िहदी सािहतय क भिकत काल क इकलौत ऐस किव ह जो आजीवन समाज और लोग क बीच ा आडबर पर कठाराघात करत रह कबीरदास न िहनद-मसलमान का भद िमटा कर िहनद-भकत तथा मसलमान फ़कीर का सतसग िकया तीन भाग रमनी सबद और साखी म िवसतत कबीर की वाणी का सगरह lsquoबीजकrsquo क नाम स परिस ह साभार wwwhindisahityadarpanin httpwwwkavitakoshorg िचतर wwwhindu-blogcom

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 25: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

25 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शनय स टकरा कर सकमार

शनय स टकरा कर सकमार करगी पीड़ा हाहाकार

िबखर कर कन कन म हो ा मघ बन छा लगी ससार

िपघलत ह ग यह नकषतर

अिनल की जब छ कर िन ास िनशा क आस म परितिबमब दख िनज कापगा आकाश

िव होगा पीड़ा का राग िनराशा जब होगी वरदान साथ ल कर मरझाई साध िबखर जायग पयास पराण

उदिध नभ को कर लगा पयार

िमलग सीमा और अनत उपासक ही होगा आराधय एक ह ग पतझड वसत

बझगा जल कर आशा-दीप सला दगा आकर उनमाद

कहा कब दखा था वह दश अतल म डबगी यह याद

परतीकषा म मतवाल नयन उड़ग जब सौरभ क साथ हदय होगा नीरव आहवान िमलोग कया तब ह अजञात

महादवी वमार िवरहपणर गीत की गाियका आधिनक यग की मीरा कही जाती ह ldquoप शरीrdquo एव ldquoभारतीय जञानपीठrdquo की उपािध स सममािनत महादवी वमार वदनाभाव की किवियतरी ह इनक का का आधार वासतव म परमातमक रहसयवाद ही ह महादवी वमार न अपन अजञात िपरयतम को सवरिपतकर उसस अपना समबनध जोड़ा और अपन रहसयवाद की अिभ जना को िचतरातमक भाषा म कत िकया उनक का म श छायावादी परकित-दशरन िमलता ह नीहार रिशम नीरजा साधयगीत दीपिशखा और यामा इनकी परिस का कितया ह साभार www httphibharatdiscoveryorg िचतर httpkv1madurailibrarywordpresscom

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 26: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

26 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मीरा बाई पदावली

शबरी परसग अचछ मीठ फल चाख चाख बर लाई भीलणी

ऎसी कहा अचारवती रप नह एक रती

नीच कल ओछी जात अित ही कचीलणी जठ फल लीनह राम परम की परतीत तराण

उच नीच जान नह रस की रसीलणी

ऎसी कहा वद पढी िछन म िवमाण चढी

हिर ज स बाधयो हत बकणठ म झलणी दास मीरा तर सोई ऎसी परीित कर जोइ

िव ाथ भावना

नयटन न सारी आय बड़ी आ यरजनक वजञािनक खोज क पर अत म उसन यही कहा था िक ldquoहम अथाह जञान-सागर क िकनार पर खड़ हए ह और उथल पानी म स कछ सीप-घ घ आिद ही ढढ सक ह सि क अनत जञान-सागर म अभी तक मनषय जाित बहत कम जानकारी परा कर सकी ह अभी तो ढढ़न क िलए बहत बड़ा कषतर पड़ा हआ ह rdquo जब उचच कोिट क जञानवान अपनी जानकारी को इतना कम बतात ह तो यह बड़ी उपहासासपद बात ह िक हम लोग अपन तण समान जञान क िलय क रता का मागर गरहण कर कई िजजञास िजतना जान चक होत ह उसी म क र बन जात ह व अपनी जानकारी क अितिरकत अनय लोग क मत को िमथया समझत ह ऐसी क रता आग उ ित का मागर रोक दती ह कोई अपन िव ास पर दढ़ रह सकता ह पर उस आग की जानकारी भी लनी चािहए और बात पर भी उदार दि स िवचार करना चािहए यह िव ाथ भावना आपको बहत हद तक जञानवान बनन म सहायता द सकती ह

-प शरीराम शमार आचायर बि बढान की वजञािनक िविध - प 25

साभार httpwwwrishichintanorg

साभार httpwwwrishichintanorg

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 27: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

27 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

ग़ज़ल मर अललाह मर सबर की ईमान की ख़र यही सामान बचा ह मर सामान की ख़र

यह तो सिदय म भी इनसान नह बन पाया तझस कया माग ख़दाया तर इनसान की ख़र

दामन चाक1 क रतब2 स जो आगाह3 नह बस वही मागत ह जबो िगरबान4 की ख़र

जी नह चाहता जीन को िजय जात ह

हम ही न मागी थी जी जान स जी जान की ख़र

एक मरन की तम ा ही बची ह िदल म या इलाही मरी इस आख़री अरमान की ख़र

कया कह अब वह हम जानता पहचानता ह रोज हम मागत ह आपक दरबान की ख़र

हर कोई अपन झमल म पड़ा ह राहत

िकस को फसरत ह िक माग कोई ईमान की ख़र

1 फटा हआ पलल 2 ऊचा सथान 3 जानकार 4 िलबास

िसडनी वासी िवखयात उदर किव ओम कषण राहत न कवल 13 साल की उमर म उदर किवता का पहला सकलन परकािशत िकया गया था वह उदर िहनदी और पजाबी म किवता लघ कहानी और नाटक िलखत ह राजदर िसह बदी खवाजा अहमद अबबास परसकार और ऑसटरिलया की उदर सोसायटी िनशान-ए-उदर क अलावा उनह उ र परदश हिरयाणा और पजाब और पि म बगाल की उदर अकादिमय ारा भी सममािनत िकया जा चका ह उपरोकत कित ताजमहल किव ओम कषण राहत ारा सन 2007 म पकारिशत का सगरह दो कदम आग म स सकिलत की गयी ह

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 28: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

28 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

शरी गर गरथ सािहब स

जप

ज को बझ होव सिचआर धवल उपिर कता भार धरती होर पर होर होर ितस त भार तल कवण जोर जीअ जाित रगा क नाव सभना िलिखआ वड़ी कलाम एह लखा िलिख जाण कोइ लखा िलिखआ कता होइ कता ताण सआिलह रप कती दाित जाण कौण कत कीता पसाउ एको कवाउ ितस त होए लख दरीआउ कदरित कवण कहा वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख जप असख भाउ असख पजा असख तप ताउ असख गरथ मिख वद पाठ असख जोग मिन रहिह

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 29: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

29 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

उदास

असख भगत गण िगआन वीचार असख सती असख दातार असख सर मह भख सार असख मोिन िलव लाइ तार कदरित कवण कहा वीचार

वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख मरख अध घोर असख चोर हरामखोर असख अमर किर जािह जोर असख गलवढ हितआ कमािह असख पापी पाप किर जािह असख किड़आर कड़ िफरािह

असख मलछ मल भिख खािह असख िनदक िसिर करिह भार नानक नीच कह वीचार वािरआ न जावा एक वार जो तध भाव साई भली कार त सदा सलामित िनरकार असख नाव असख थाव अगम अगम असख लोअ असख कहिह िसिर भार होइ अखरी नाम अखरी सालाह अखरी िगआन गीत गण गाह

साभार httpwwwgurbanifilesorg

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 30: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

30 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नाम-रप का भद

नाम-रप क भद पर कभी िकया ह ग़ौर नाम िमला कछ और तो शकल-अकल कछ और शकल-अकल कछ और नयनसख दख कान बाब सदरलाल बनाय चकतान कह lsquoकाका किवrsquo दयाराम जी मार मचछर िव ाधर को भस बराबर काला अकषर मशी चदालाल का तारकोल सा रप शयामलाल का रग ह जस िखलती धप जस िखलती धप सज बशशटर पट म - जञानचद छ बार फ़ल हो गय टथ म कह lsquoकाका किवrsquoजवालापरसाद जी िबलकल ठड पिडत शाितसवरप चलात दख डड दख अशफ़ लाल क घर म टटी खाट सठ िभखारीदास क मील चल रह आठ मील चल रह आठ करम क िमट न लख धनीराम जी हमन परायः िनधरन दख कह lsquoकाका किवrsquo दलहराम मर गय कवार िबना िपरयतमा तड़प परीतमिसह बचार पट न अपना भर सक जीवन भर जगपाल िबना सड़ क सकड़ िमल गणशीलाल िमल गणशीलाल पट की करीज़ समहारी बग कली को िदया चल िमसटर िगरधारी कह lsquolsquoकाका किवrsquo किवराय कर लाख का स ा नाम हवलीराम िकराय का ह अ ा चतरसन बदध िमल ब सन िनबर शरी आनदीलाल जी रह सवरदा कर रह सवरदा कर मासटर चककर खात इसान को मशी तोताराम पढ़ात कह lsquoकाका किवrsquoबलवीर िसह जी लट हय ह

थानिसह क सार कपड़ फट हय ह बच रह ह कोयला लाला हीरालाल सख गगाराम जी रख मकखनलाल रख मकखनलाल झ कत दादा-दादी िनकल बटा आशाराम िनराशावादी कह lsquoकाका किवrsquo भीमसन िप ी स िदखत किववर lsquoिदनकर lsquoछायावादी किवता िलखत तजपाल जी भोथर मिरयल स मलखान लाला दानसहाय न करी न कौड़ी दान करी न कौड़ी दान बात अचरज की भाई वशीधर न जीवन-भर वशी न बजाई कह lsquoकाका किवrsquo फलचद जी इतन भारी दशरन करत ही टट जाय कस बचारी ख -खारी-खरखर मदलाजी क बन मगनयनी क दिखय िचलगोजा स नन िचलगोजा स नन शाता करत दगा नल पर नहात गोदावरी गोमती गगा कह lsquoकाका किवrsquo लजजावती दहाड़ रही ह दशरन दवी लबा घघट काढ़ रही ह अजञानी िनकल िनर पिडत जञानीराम कौशलया क पतर का रकखा दशरथ नाम रकखा दशरथ नाम मल कया खब िमलाया दलहा सतराम को आई दलहन माया

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 31: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

31 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

कह lsquoकाका किवrsquo कोई-कोई िरशता बड़ा िनकममा पावरती दवी ह िशवशकर की अममा

पख

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाऊगी

सब पड़ प फदक फदक कर मीठ फल म खाऊगी | मीठ फल को खायक

म नोना को िमलन जाऊगी छपपा छपपी खलगी

और पड़ प छप जाउगी ||

चदा तार की चादनी म म आख िमचोली खलगी || मीठी धन म गान गाकर म सबका मन बहलाऊगी पड़ की शाखा म म अपना धाम बनाउगी

पख लगा कर बाह म म ऊपर उड़ती जाउगी ||

-समन

हाथरस म जनम काका हाथरसी (वासतिवक नाम परभलाल गगर) िहदी हासय किव थ काका हाथरसी िहनदी हासय गय किवता क पयारय मान जात ह व अपनी हासय किवता को फलझिडया कहा करत थ भारतीय सरकार ारा प शरी स सममािनत काका हाथरसी का किवता सगरह इस परकार ह- काका क कारतस काकादत हसगलल काका क कहकह काका क परहसन काका की फलझिड़या लटनीित मथन किर िखलिखलाहट काका तरग जय बोलो बईमान की यार स क काका क गय बाण काका हाथरसी परसकार इनक नाम स चलाय गय काका हाथरसी परसकार टरसट हाथरस ारा परितवषर एक सवरशर हासय किव को परदान िकया जाता ह साभार httpbharatdiscoveryorg

समन िहनदी और अगरजी म किवता िलखती ह और एक गरािफक कलाकार ह

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 32: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

32 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

मकान

आज की रात बहत गमर हवा चलती ह आज की रात न फटपाथ प न द आयगी

सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी

य ज़म तब भी िनगल लन प आमादा थी पाव जब टटती शाख स उतार हमन

इन मकान को खबर ह न मकीन को खबर उन िदन की जो गफा म गजार हमन

हाथ ढलत गय साच म तो थकत कस नकश क बाद नय नकश िनखार हमन

की य दीवार बलद और बलद और बलद बाम-ओ-दर और जरा और सवार हमन

आिधया तोड़ िलया करती थी शम की लव जड़ िदय इसिलय िबजली क िसतार हमन

बन गया कसर तो पहर प कोई बठ गया सो रह खाक प हम शोिरश-ए-तामीर िलय

अपनी नस-नस म िलय महनत-ए-पहम की थकन

बद आख म इसी कसर की तस वीर िलय िदन िपघलता ह इसी तरह सर पर अब तक रात आख म खटकती ह िसयह तीर िलय

आज की रात बहत गरम हवा चलती ह

आज की रात न फटपाथ प न द आयगी सब उठो म भी उठ तम भी उठो तम भी उठो

कोई िखड़की इसी दीवार म खल जायगी -क़फ़ी आज़मी पिरचय

-19 जनवरी 1919 आजमगढ़ (उ र परदश) म जनम प शरी स अलकत कफ़ी आज़मी को उनकी िकताब आवारा िस द क िलय सािहतय अकादमी परसकार तथा उ र परदश उदर अकादमी परसकार परदान िकया गया िहदी उदर भाषा म किवता गजल िलखन वाल कफ़ी आज़मी को सोिवयत लनड नहर परसकार लोटस अवाडर महारा उदर अकादमी की ओर स िवशष परसकार आिद अनय अनक परसकार समय-समय पर िमलत रह उनह रा पित परसकार तथा सन 2000 म िदलली सरकार का पहला सहषतरािबद परसकार भी िमला 10 मई 2002 ममबई म उनका िनधन हो गया

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 33: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

33 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

नील कणठ तो म नही ह

नीलकणठ तो म नही ह लिकन िवष तो कणठ धरा ह

किव होन की पीड़ा सह ल कय दख स बचन धरा ह

तयाग शीलता तप सवा का

कदािचत रहा न िकिचत मान धन लोलपता सवाथर अह का फला सामराजय बन अिभमान

मानव मलय आहत पद तल आदशर अिगन िचता पर सिजजत

ह सतय उपिकषत िससक रहा अनयाय असतय िशखा ससिजजत

ल कषत िवकषत मानवता को काध पर अपन धरा ह नील कणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

स दयर नही उमड़ता उर म िवदरप सवाथर ही कमर आधार अत िपपासा धन अजरन की डबता रसातल िनराधार िनचोड़ परकित को पी रहा

मानव मानव को लील रहा ह अत कह इन कतय का

मानव त कय न सभल रहा

असहाय रदन चीतकार को पराण म अपन धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

तषणा क िनससीम ोम म बन िपशाचर भटकता मानव

सताप वदना स गरिसत हर पल दख झल रहा मानव

हर यग म हो सतय परािजत शली पर चढ़ मसीहा कय करतत स िफर हो लिजजत उसी मसीहा को पज कय

िशरोधायर कर अटल सतय को

सीन म अगार धरा ह नीलकणठ तो म नही ह

लिकन िवष तो कणठ धरा ह

आई आई आई रडकी (उ राचल) स िशिकषत किव कलवत िसह का लखन व िहदी सवा क िलए राजभाषा गौरव स सममािनत िकय जा चक हI व अनक पितरकाए व रचनाए पकारिशत कर चक हI उनम िन िलिखत हmdashिनकज परमाण व िवकास शहीद-ए-आजम भगत िसह िचरतन व अनय रचनाएI कॉपी राईट कलवत िसह िवजञान परशन मच

उपरोकत किवता परकित किव कलवत िसह ारा सन 2008 म पकारिशत का सगरह िचरतन म स सकिलत की गयी हI

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

नवनीत अब इनटरनट पर भी उपलबध ह I wwwnavneetbhavansinfo और साथ ही इनटरनट स नवनीत का चदा भरन क िलए लॉगऑन कर httpwwwbhavansinfoperiodicalpay_onlineasp

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 34: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

34 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I अपरल 2013

यह ह भारत दश हमारा

चमक रहा उ ग िहमालय यह नगराज हमारा ही ह जोड़ नह धरती पर िजसका वह नगराज हमारा ही ह

नदी हमारी ही ह गगा पलािवत करती मधरस धारा बहती ह कया कह और भी ऎसी पावन कल-कल धारा

सममािनत जो सकल िव म मिहमा िजनकी बहत रही ह अमर गरनथ व सभी हमार उपिनषद का दश यही ह गाएग यश सब इसका यह ह सविणम दश हमारा आग कौन जगत म हमस यह ह भारत दश हमारा

यह ह भारत दश हमारा महारथी कई हए जहा पर यह ह दश मही का सविणम ऋिषय न तप िकए जहा पर

यह ह दश जहा नारद क गज मधमय गान कभी थ यह ह दश जहा पर बनत सव म सामान सभी थ

यह ह दश हमारा भारत पणर जञान का शभर िनकतन यह ह दश जहा पर बरसी ब दव की करणा चतन ह महान अित भ परातन गजगा यह गान हमारा

ह कया हम-सा कोई जग म यह ह भारत दश हमारा

िवघन का दल चढ़ आए तो उनह दख भयभीत न ह ग अब न रहग दिलत-दीन हम कह िकसी स हीन न ह ग कषदर सवाथर की ख़ाितर हम तो कभी न ओछ कमर करग

पणयभिम यह भारत माता जग की हम तो भीख न लग

िमसरी-मध-मवा-फल सार दती हमको सदा यही ह कदली चावल अ िविवध अर कषीर सधामय लटा रही ह

आयर-भिम उतकषरमयी यह गजगा यह गान हमारा कौन करगा समता इसकी मिहमामय यह दश हमारा - सबर णयम भारती

सबर णयम भारती (11 िदसबर 1882 - 11 िसतबर 1921) तिमलनाड भारत म जनम एक सवततरता सनानी समाज सधारक होन क साथ-साथ एक उ म शरणी क तिमल किव थ महाकिव भारती को कई भारतीय भाषा म महान अथर किव क रप म जाना जाता ह भारती ग और किवता दोन रप म मािहर थ भारती तिमल किवता की एक नई शली शर करन म एक अगरणी थ उनकी रचना न जनता रली करन क िलए दिकषण भारत म भारतीय सवततरता आदोलन का समथरन करन म मदद की महातमा गाधी बाल गगाधर ितलक शरी अरिबदो आिद उनकी समकालीन महान हिसतया थ

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 35: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

35 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

ग़ज़ल

आ रहा ह तफ़ान आन दीिजय िजदगी को मसकरान दीिजय दीिजय बसाख को बसािखया गसतािख़य क ही बहान दीिजय लौट आएगी कभी ह आपकी तरासदी को आज जान दीिजय ज़ोर िकतना डोर म ह सास की उमर को भी आजमान दीिजय इनदरधनषी अिसमता की बात को िबन सन य ही न तान दीिजय िज़नदगी क ह ठ िकतन सदर ह ददर को इतना बतान दीिजय

-अिनल वमार

गलदसता स

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 36: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

36 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 37: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

37 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

उसकी महक

न राह का अता-पता था न मिज़ल का कछ पता था

पर िकसी की जलफ की महक का पता था उसी महक क सहार सनी राह पर अकला चलता चला गया िकसी की खशब म महकता चला गया

िकसी क गील बाल की महक को खोजता हआ आग बढ़ता चला गया

राह अकली थी अपन सग चलन को पगडणडी का साथ खोज रही थी

मरी नादान िनगाह िकसी को अपना बनान

की चाहत को खोज रह थ

बहार की रत थी बजार फल की महक न

मझ अपना दीवाना बनाया पर िदल न उसी महक को

बार-बार अपन पास बलाया

सबह स साझ हो गयी मर आस पास जगन तो मझ िदशा िदखान लग

आकाश म चाद भी िबलकल अकला था मरी तरह

िसतार स भरी चनर न

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 38: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

38 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

चादनी को कह िछपा िदया था

म चाद क िवरह को समझ रहा था चाद भी मर अकलपन म

मरा साथ द रहा था रात भर हम दोन साथ चलत रह दोन अपनी खोयी िपरयतमा को

सनी राह म खोजत रह आिखर

पनम की रात को चाद को तो अपनी चादनी िमल गयी

पर म आज तक िकसी की महक म महक रहा ह

िकसी की याद म अकल ही भटक रहा ह

न जान कब मरी पनम की रात आएगी जो उस मर पास ल आएगी

आिखर इसी उममीद पर तो िजनदा ह आस ह िक

कभी तो वो मर पास आएगी मरी राह प अपनी खशब िबछा जाएगी

-शील िनगम

आगरा (उ र परदश) म 6 िदसमबर 1952 को जनम शील िनगम एक कवियतरी कहानीकार तथा िसकरपट लिखका ह बीएबीएड िशिकषत शील िनगम न मबई म 15 वषर परधानाचायार तथा दस वष तक िहदी अधयापन कायर िकया िव ाथ जीवन म अनक नाटक लोकनतय तथा सािहितयक परितयोिगता म सफलतापवरक परितभाग लन एव परसकत होन क अितिरकत दरदशरन पर का -गोि य म परितभाग सचालन तथा साकषातकार का परसारण कर चक ह दश-िवदश की िहदी क पतर-पितरका तथा ई पितरका म परकािशत व परसािरत इनकी किवता म lsquoपरपरा का अतrsquo lsquoतोहफा पयार काrsquo lsquoचटकी भर िसनदरrsquo lsquoअितम िवदाईrsquo lsquoअनछआ पयारrsquo lsquoसहलीrsquo lsquoबीस साल बादrsquo lsquoअपराध-बोधrsquo आिद परमख ह इसक अितिरकत शील िनगम lsquoटमस की सरगमrsquo िहदी उपनयास का अगरजी अनवाद एक मराठी िफलम lsquoसपदनrsquo (lsquoबसट िफलमrsquo और lsquoबसट डायरकशनrsquo क िलए परसकत) का िहदी अनवाद कर चक ह

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 39: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

39 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

तलसी दास क दोह

तलसी अपन राम को भजन करौ िनरसक आिद अनत िनरबािहवो जस नौ को अक आवत ही हष नही ननन नही सनह तलसी तहा न जाइए कचन बरस मह तलसी मीठ बचन त सख उपजत चह ओर बसीकरण एक मतर ह पिरहर बचन कठोर िबना तज क परष अवशी अवजञा होय आिग बझ जय रख की आप छव सब कोय तलसी साथी िवपि क िव ा िवनय िववक साहस सकित ससतयावरत राम भरोस एक काम करोध मद लोभ की जो लौ मन म खान तौ लौ पिडत मरख तलसी एक समान राम नाम मिन दीप धर जीह दहरी ार तलसी भीतर बहार जौ चाहसी उिजयार नाम राम को अक ह सब साधन ह सन अक गए कछ हाथ नही अक रह दस गन परभ तर पर किप डार पर त आप समान तलसी कह न राम स सािहब सील िनदान तलसी हिर अपमान त होई अकाज समाज राज करत रज िमली गए सकल सकल करराज

तलसी दास (1479ndash1586) न िहनदी भाषी जनता को सवारिधक परभािवत िकया इनका गरथ ldquoरामचिरत मानसrdquo धमरगरथ क रप म मानय ह तलसी दास का सािहतय समाज क िलए आलोक सतभ का काम करता रहा ह इनकी किवता म सािहतय और आदशर का सनदर समनवय हआ ह साभार wwwanubhuti-hindiorg िचतर wwwdlshqorg

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 40: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

40 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

शहीद-ए-आजम भगत िसह

धरती मा िधककार रही थी रो रो कर चीतकार रही थी वीर पतर

कब पदा ह ग जजीर को कब तोड़ग

जनमा राजा भरत यह कया

नाम उसी स िमला मझ कया धरा यही दधीच कया बोलो

पराण तयागना अिसथ दान को

बोलो बोलो राम कहा ह मरा खोया मान कहा ह

इक सीता का हरण िकया था पणर वश को न िकया था

बोलो बोलो कषण कहा ह उसका बोला वचन कहा ह

धमर हािन जब भारत होगी जीत सतय की िफर िफर होगी

-किव कलवत िसह शहीद-ए-आजम भगत िसह खड का

उपरोकत किवता शहीद-ए-आजम भगत िसह किव कलवत िसह ारा सन 2010 म पकारिशत खड का शहीद-ए-आजम भगत िसह म स सकिलतकी गयी ह

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 41: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

41 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

र मन मरख जनम गवायौ

र मन मरख जनम गवायौ

किर अिभमान िवषय-रस गीधयौ सयाम सरन निह आयौ

यह ससार सवा-समर जय सनदर दिख लभायौ

चाखन लागयौ रई गई उिड हाथ कछ निह आयौ

कहा होत अब क पिछता पिहल पाप कमायौ

कहत सर भगवत भजन िबन िसर धिन-धिन पिछतायौ

भावाथर - िवषय रस म जीवन िबतान पर अत समय म जीव को बहत प ाताप

होता ह इसी का िववरण इस पद क माधयम स िकया गया ह सरदास कहत ह - अर मन तन जीवन खो िदया अिभमान करक िवषय-सख म िल रहा शयामसनदर की शरण मखर

म नह आया तोत क समान इस ससाररपी समर वकष क फल को सनदर दखकर उस पर लबध हो गया परनत जब सवाद लन चला तब रई उड़ गयी (भोग की िनसारता परकट हो गयी) तर हाथ कछ भी (शािनत सख सतोष) नह लगा अब प ाताप करन स कया होता ह पहल तो पाप कमाया (पापकमर िकया) ह सरदास जी कहत ह- भगवान का भजन न करन स िसर पीट-पीटकर (भली परकार) प ा ाप करता ह -सरदास िहदी सािहतय म कषण-भिकत की धारा को परवािहत करन वाल भकत किवय म महाकिव सरदासका नाम अगरणी ह व भगवान कषण क साथ जड़ भिम बरज क किव गायक थ सािहतय लहरी सरदास कीिलखी रचना मानी जाती ह सरसागर का मखय वणयर िवषय शरी कषण की लीला का गान रहा हसरसारावली म किव न कषण िवषयक िजन कथातमक और सवापरक पदो का गान िकया उनह क सार रपम उनहोन सारावली की रचना की साभार wwwkavitakoshorg िचतरhttpbhajansagarblogspotcomau

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 42: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

42 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

एक िचनगारी घर को जला दती ह

एक समय एक गाव म रहीम खा नामक एक मालदार िकसान रहता था उसक तीन पतर थ सब यवक और काम करन म चतर थ सबस बड़ा बयाहा हआ था मझला बयाहन को था छोटा कवारा था रहीम की ी और बह चतर और सशील थ घर क सभी पराणी अपना-अपना काम करत थ कवल रहीम का बढ़ा बाप दम क रोग स पीिड़त होन क कारण कछ कामकाज न करता था सात बरस स वह कवल खाट पर पड़ा रहता था रहीम क पास तीन बल एक गाय एक बछड़ा पदरह भड़ थ ि या खती क काम म सहायता करती थ अनाज बहत पदा हो जाता था रहीम और उसक बाल-बचच बड़ आराम स रहत अगर पड़ोसी करीम क लगड़ पतर कािदर क साथ इनका एक ऐसा झगड़ा न िछड़ गया होता िजसस सखचन जाता रहा था

जब तक बढ़ा करीम जीता रहा और रहीम का िपता घर का परबध करता रहा कोई झगड़ा नह हआ वह बड़ परमभाव स जसा िक पड़ोिसय म होना चािहए एक-दसर की सहायता करत रह लड़क का घर को सभालना था िक सबकछ बदल गया

अब सिनए िक झगड़ा िकस बात पर िछड़ा रहीम की बह न कछ मिगया पाल रखी थ एक मग िनतय पशशाला म जाकर अडा िदया करती थी बह शाम को वहा जाती और अडा उठा लाती एक िदन दव गित स वह मग बालक स डरकर पड़ोसी क आगन म चली गयी और वहा अडा द आई शाम को बह न पशशाला म जाकर दखा तो अडा वहा न था सास स पछा उस कया मालम था दवर बोला िक मग पड़ोिसन क आगन म कड़कड़ा रही थी शायद वहा अडा द आयी हो

बह वहा पहचकर अडा खोजन लगी भीतर स कािदर की माता िनकलकर पछन लगी - बह कया ह

बह - मरी मग तमहार आगन म अडा द गई ह उस खोजती ह तमन दखा हो तो बता दो

कािदर की मा न कहा - मन नह दखा कया हमारी मिगया अड नह दत िक हम तमहार अड बटोरती िफरगी दसर क घर जाकर अड खोजन की हमारी आदत नह

यह सनकर बह आग हो गई लगी बकन कािदर की मा कछ कम न थी एकएक बात क सौसौ उ र िदय रहीम की ी पानी लान बाहर िनकली थी गालीगलौच का शोर सनकर वह भी आ पहची उधर स कािदर की ी भी दौड़ पड़ी अब सबकी-सब इक ी होकर लग गािलया बकन और लड़न कािदर खत स आ रहा था वह भी आकर िमल गया इतन म रहीम भी आ पहचा परा महाभारत हो गया अब दोन गथ गए रहीम न कािदर की दाढ़ी क बाल उखाड़ डाल गाव वाल न आकर बड़ी मिशकल स उनह छड़ाया पर कािदर न अपनी दाढ़ी क बाल उखाड़ िलय और हािकम परगना क इजलास म जाकर कहा - मन दाढ़ी इसिलए नह रखी थी जो य उखाड़ी जाय रहीम स हरजाना िलया जाए पर रहीम क बढ़ िपता न उस समझाया - बटा ऐसी तचछ बात पर लड़ाई करना मखरता नह तो कया ह जरा िवचार तो करो सारा बखड़ा िसफर एक अड स फला ह कौन जान शायद िकसी बालक न उठा िलया हो और िफर अडा था िकतन का परमातमा सबका पालनपोषण करता ह पड़ोसी यिद गाली द भी द तो कया गाली क बदल गाली दकर अपनी आतमा को मिलन करना उिचत ह कभी नह खर अब तो जो होना था वह हो ही गया उस िमटाना उिचत ह बढ़ाना ठीक नह करोध पाप का मल ह याद रखो लड़ाई बढ़ान स तमहारी ही हािन होगी

परनत बढ़ की बात पर िकसी न कान न धरा रहीम कहन लगा िक कािदर को धन का घमड ह म कया िकसी का िदया खाता ह बड़ घर न भज िदया तो कहना उसन भी नािलश ठ क दी

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 43: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

43 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

यह मकदमा चल ही रहा था िक कािदर की गाड़ी की एक कील खो गई उसक पिरवार वाल न रहीम क बड़ लड़क पर चोरी की नािलश कर दी

अब कोई िदन ऐसा न जाता था िक लड़ाई न हो बड़ को दखकर बालक भी आपस म लड़न लग जब कभी व धोन क िलए ि या नदी पर इक ी होती थ तो िसवाय लड़ाई क कछ काम न करती थ

पहलपहल तो गालीगलौज पर ही बस हो जाती थी पर अब व एकदसर का माल चरान लग जीना दलरभ हो गया नयाय चकातचकात वहा क कमरचारी थक गए कभी कािदर रहीम को कद करा दता कभी वह उसको बदीखान िभजवा दता क की भाित िजतना ही लड़त थ उतना ही करोध बढ़ता था छह वषर तक यही हाल रहा बढ़ न बहतरा िसर पटका िक लड़को कया करत हो बदला लना छोड़ दो बर भाव

तयागकर अपना काम करो दसर को क दन स तमहारी ही हािन होगी परत िकसी क कान पर ज तक न रगती थी

सातव वषर गाव म िकसी क घर िववाह था ीपरष जमा थ बात करत-करत रहीम की बह

न कािदर पर घोड़ा चरान का दोष लगाया वह आग हो गया उठकर बह को ऐसा मकका मारा िक वह सात िदन चारपाई पर पड़ी रही वह उस समय गभरवती थी रहीम बड़ा परस हआ िक अब काम बन गया गभरवती ी को मारन क अपराध म इस बदीखान न िभजवाया तो मरा नाम रहीम ही नह झट जाकर नािलश कर दी तहकीकात होन पर मालम हआ िक बह को कोई बड़ी चोट

नह आई मकदमा खािरज हो गया रहीम कब चप रहन वाला था ऊपर की कचहरी म गया और मशी को घस दकर कािदर को बीस कोड़ मारन का हकम िलखवा िदया (जारी )

-िलयो टॉलसटॉय

-िलयो टॉलसटॉय उ ीसव सदी क सवारिधक सममािनत लखक म सएक ह उनका जनम 9 िसतमबर 1828 को रस क एक सप पिरवार म हआ उनह न रसी सना म भत होकर करीिमयन य (1855) म भाग िलया लिकन अगल ही वषर सना छोड़ दी लखन क परित उनकी रिच सना म भत होन स पहल ही जाग चकी थी उनक उपनयास वॉर एड पीस (1865-69) तथा एना करनीना (1875-77) को सािहितयक जगत म कलािसक का दजार परा ह मन की शाित की तलाश म 1890 म उनह न अपनी दौलत का तयाग कर िदया और गरीब की सवा किलए पिरवार छोड़ िदया 20 नवबर 1910 को उनका दहात हो गया साभार httpwwwhindisamaycom

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Page 44: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

44 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

िहतय लोक की परिस कहािनया

एक जीवी एक र ी एक सपना

पालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन की ढरी ldquoपता नह तरकारी बचनवाली ी का मख कसा था िक मझ लगा पालक क प की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब उसक चहर पर पती हई थी

एक बचचा उसकी झोली म दध पी रहा था एक म ी म उसन मा की चोली पकड़ रखी थी और दसरा हाथ वह बार-बार पालक क प पर पटकता था मा कभी उसका हाथ पीछ हटाती थी और कभी पालक की ढरी को आग सरकाती थी पर जब उस दसरी तरफ बढ़कर कोई चीज़ ठीक करनी पड़ती थी तो बचच का हाथ िफर पालक क प पर पड़ जाता था उस ी न अपन बचच की म ी खोलकर पालक क प को छडा हए घरकर दखा पर उसक होठ की हसी उसक चहर की िसलवट म स उछलकर बहन लगी सामन पड़ी हई सारी तरकारी पर जस उसन हसी िछड़क दी हो और मझ लगा ऐसी ताज़ी सबजी कभी कह उगी नह होगी

कई तरकारी बचनवाल मर घर क दरवाज़ क सामन स गज़रत थ कभी दर भी हो जाती पर िकसी स तरकारी न ख़रीद सकती थी रोज़ उस ी का चहरा मझ बलाता रहता था

उसस खरीदी हई तरकारी जब म काटती धोती और पतील म डालकर पकान क िलए रखती-सोचती रहती उसका पित कसा होगा वह जब अपनी प ी को दखता होगा छता होगा तो कया उसक ह ठ म पालक का टमाटर का और हरी िमच का सारा सवाद घल जाता होगा

कभी-कभी मझ अपन पर खीज होती िक इस ी का ख़याल िकस तरह मर पीछ पड़ गया था इन िदन म एक गजराती उपनयास पढ़ रही थी इस उपनयास म रोशनी की लकीर-जसी एक लड़की थीmdashजीवी एक मदर उसको दखता ह और उस लगता ह िक उसक जीवन की रात म तार क बीज उग आए ह वह हाथ लमब करता ह पर तार हाथ नह आत और वह िनराश होकर जीवी स कहता ह ldquoतम मर गाव म अपनी जाित क िकसी आदमी स बयाह कर लो मझ दर स सरत ही िदखती रहगीrdquo उस िदन का सरज जब जीवी दखता ह तो वह इस तरह लाल हो जाता ह जस िकसी न कवारी लड़की को छ िलया हो कहानी क धाग लमब हो जात ह और जीवी क चहर पर दख की रखाए पड़ जाती ह इस जीवी का ख़याल भी आजकल मर पीछ पड़ा हआ था पर मझ खीज नह होती थ व तो दख की रखाए थ वही रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल जाती ह पर यह दसरी िजसक होठ पर हसी की बद थ कसर की तिरया थ

दसर िदन मन अपन पाव को रोका िक म उसस तरकारी ख़रीदन नह जाऊगी चौकीदार स कहा िक यहा जब तरकारी बचनवाला आए तो मरा दरवाज़ा खटखटाना दरवाज पर दसतक हई एक-एक चीज़ को मन हाथ लगाकर दखा आल-नरम और ग वाल फरसबीन-जस फिलय क िदल सख गए ह पालक-जस वह िदन-भर की धल फाककर बहद थक गई हो टमाटर-जस व भख क कारण िबलखत हए सो गए हो हरी िमच-जस िकसी न उनकी सास म स खशब

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

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सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

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51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

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Page 45: ऑस्टर्ेिलया िहन्दी डाइज स्टे · 2015-03-16 · शर्ी गुरु गर्ंथ सािहब से ... वातावरण

45 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

परी तलाशी ली जाती थी िक कही कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह

की कोई और चीज़ तो नही ल जा रहा उस शक की भी तलाशी ली गई

िनकाल ली हो मन दरवाज़ा बनद कर िलया और पाव मर रोकन पर भी उस तरकारी वाली की ओर चल पड़

आज उसक पास उसका पित भी था वह मडी स तरकारी लकर आया था और उसक साथ िमलकर तरकािरय को पानी स धोकर अलग-अलग रख रहा था और उनक भाव लगा रहा था उसकी सरत पहचानी-सी थी इस मन कब दखा था कहा दखा था- एक नई बात पीछ पड़ गई

ldquoबीबी जी आपrdquo

ldquoम पर मन तमह पहचाना नह rdquo ldquoइस भी नह पहचाना यह र ीrdquo ldquoमाणक र ीrdquo मन अपनी समितय म ढढ़ा पर माणक और र ी कह िमल नह रह थ

ldquoतीन साल हो गए ह बिलक महीना ऊपर हो गया ह एक गाव क पास कया नाम था उसका आपकी मोटर खराब हो गई थीrdquo

ldquoहा हई तो थीrdquo

ldquoऔर आप वहा

गज़रत हए एक टरक म बठकर धिलया आए थ नया टायर ख़रीदन क िलएrdquo

ldquoहा-हाrdquo और िफर मरी समित म मझ माणक और र ी िमल गए

र ी तब अधिखली कली-जसी थी और माणक उस पराए पौध पर स तोड़ लाया था टरक का डराइवर माणक का पराना िमतर था उसन र ी को लकर भागन म माणक की मदद की थी इसिलए रासत म वह माणक क साथ हसी-मज़ाक करता रहा

रासत क छोट-छोट गाव म कह ख़रबज िबक रह होत कह ककिड़या कह तरबज़ और माणक का िमतर माणक स ऊची आवाज़ म कहता ldquoबड़ी नरम ह ककिडया ख़रीद ल तरबज तो सखर लाल ह और खरबजा िबलकल िमशरी ह ख़रीदना नह ह तो छीन ल वाह र राझrdquo

lsquoअर छोड़ मझ राझा कय कहता ह राझा साला आिशक था िक नाई था हीर की डोली क साथ भस हाककर चल पड़ा म होता न कह rsquo

lsquoवाह रो माणक त तो िमज़ार ह िमज़ारrsquo

lsquoिमज़ार तो ह ही अगर कह सािहबा न मरवा न िदया तोrsquo और िफर माणक अपनी र ी को छड़ता lsquoदख र ी सािहबा न बनना हीर बननाrsquo

lsquoवाह र माणक त िमज़ार और यह हीर यह भी जोड़ी अचछी बनीrsquo आग बठा डराइवर हसा

इतनी दर म मधयपरदश का नाका गज़र गया और महारा की सीमा आ गई यहा पर हर एक मोटर लॉरी और टरक को रोका जाता था परी तलाशी ली जाती थी िक कह कोई अफ़ीम शराब या िकसी तरह की कोई और चीज़ तो नह ल जा रहा उस टरक की भी तलाशी ली गई कछ न िमला और टरक को आग जान क िलए रासता द िदया गया जय ही टरक आग बढ़ा माणक बतहाशा हस िदया

lsquoसाल अफ़ीम खोजत ह शराब खोजत ह म जो नश की बोतल ल जा रहा ह साल को िदखी ही नह rsquo

और र ी पहल अपन आप म िसकड़ गई और िफर मन की सारी पि य को खोलकर कहन लगी lsquoदखना कह नश की बोतल तोड़ न दना सभी टकड़ तमहार तलव म उतर जाएगrsquo

lsquoकह डब मरrsquo

lsquoम तो डब जाऊगी तम सागर बन जाओrsquo

46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

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48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

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साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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46 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

म सन रही थी हस रही थी और िफर एक पीड़ा मर मन म आई lsquoहाय री ी डबन क िलए भी तयार ह यिद तरा िपरय एक सागर होrsquo

िफर धिलया आ गया हम टरक म स उतर गए और कछ िमनट तक एक ख़याल मर मन को करदता रहा- यह lsquoर ीrsquo एक अधिखली कली-जसी लड़की माणक इस पता नह कहा स तोड़ लाया था कया इस कली को वह अपन जीवन म महकन दगा यह कली कह पाव म ही तो नह मसली जाएगी

िपछल िदन िदलली म एक घटना हई थी एक लड़की को एक मासटर वायिलन िसखाया करता था और िफर दोन न

सोचा िक व बमबई भाग जाए वहा वह गाया करगी वह वायिलन बजाया करगा रोज़ जब मासटर आता वह लड़की अपना एक-आध कपड़ा उस पकड़ा दती और वह उस वायिलन क िडबब म रखकर ल जाता इस तरह लगभग महीन-भर म उस लड़की न कई कपड़ मासटर क घर भज िदए और िफर जब वह अपन तीन कपड़ म घर स िनकली िकसी क मन म सनदह की छाया तक न थी और िफर उस लड़की का भी वही अजाम हआ जो उसस पहल कई और लड़िकय का हो चका था और उसक बाद कई और लड़िकय का होना था वह लड़की बमबई पहचकर कला की मत नह कला की कबर बन गई और म सोच रही थी यह र ी यह र ी कया बनगी

आज तीन वषर बाद मन र ी को दखा हसी क पानी स वह तरकािरय को ताज़ा कर रही थी lsquoपालक एक आन ग ी टमाटर छह आन र ल और हरी िमच एक आन ढरीrsquo और उसक चहर पर पालक की सारी कोमलता टमाटर का सारा रग और हरी िमच की सारी खशब पती हई थी

जीवी क मख पर दख की रखाए थ - वह रखाए जो मर गीत म थ और रखाए रखा म िमल गई थ र ी क मख पर हसी की बद थ - वह हसी जब सपन उग आए तो ओस की बद की तरह उन पि य पर पड़ जाती ह और व सपन मर गीत क तकानत बनत थ

जो सपना जीवी क मन म था वही सपना र ी क मन म था जीवी का सपना एक उपनयास क आस बन गया और र ी का सपना गीत क तकानत तोड़ कर आज उसकी झोली म दध पी रहा था

-31 अगसत 1919 गजरावाला (पजाब) म जनम अमता परीतम पजाबी क सबस लोकिपरय लखक म स एक और पहली कवियतरी माना जाता ह उनह न लगभग 100 पसतक िलखी ह िजनम उनकी चिचत आतमकथा रसीदी िटकट भी शािमल ह अमता परीतम उन सािहतयकार म थ िजनकी कितय का अनक भाषा म अनवाद हआ अपन अितम िदन म अमता परीतम को भारत का दसरा सबस बड़ा सममान प िवभषण और जञानपीठ परसकार भी परा हआ उनह सािहतय अकादमी परसकार स पहल ही अलकत िकया जा चका था चिचत कितया उपनयासmdashपाच बरस लबी सड़क िपजर अदालत कोर कागज़ उनचास िदन सागर और सीिपया आतमकथाmdashरसीदी िटकट कहानी सगरहmdashकहािनया जो कहािनया नह ह कहािनय क आगन म ससमरणmdashकचचा आगन एक थी सारा साभार wwwhindisamaycom

47 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

भारतीय िव ा भवन ऑसटरिलया राजपतर भारतीय िव ा भवन (भवन) एक गर लाभ गर धािमक गर राजनीितक गर सरकारी सगठन (एनजीओ) ह| भवन भारतीय परपरा को ऊपर उठाय हए उसी समय म आधिनकता और बहससकितवाद की जररत को परा करत हए िव क शिकषक और सासकितक सबध म एक महतवपणर भिमका िनभा रहा ह| भवन का आदशर lsquoपरी दिनया एक ही पिरवार ह rsquo और इसका आदशर वाकय lsquoमहान िवचार को हर िदशा स हमार पास आन दोrsquorsquo ह|

दिनया भर म भवन क अनय कनदर की तरह भवन ऑसटरिलया अतर-सासकितक गितिविधय की सिवधा परदान करता ह और भारतीय ससकित की सही समझ बहससकितवाद क िलए एक मच परदान करता ह और ऑसटरिलया म िकतय सरकार और सासकितक ससथान क बीच करीबी सासकितक सबध का पालन करता ह|

अपन सिवधान स तप भवन ऑसटरिलया राजपतर का कायर ह

जनता की िशकषा अिगरम करना इनम ह

1 िव की ससकितया (दोन आधयाितमक और लौिकक)

2 सािहतय सगीत नतय

3 कलाए

4 दिनया की भाषाए

5 दिनया क दशरनशा |

ऑसटरिलया की बहसासकितक समाज क सतत िवकास क िलए ससकितय की िविवधता क योगदान क बार म जागरकता को बढ़ावा|

समझ और ापक रप स िविवध िवरासत क ऑसटरिलयाई लोग की सासकितक भाषाई और जातीय िविवधता की सवीकित को बढ़ावा|

भवन की वसत को बढ़ावा दन या अिधकत रप म िशकषा अिगरम करन क िलए ससकत अगरजी और अनय भाषा म पसतक

पितरका और िनयतकािलक पितरका व िचतर को सपािदत परकािशत और जारी करना|

भवन क िहत म अनसधान अधययन का पालन करना और शर करना और िकसी भी अनसधान को जो िक शर िकया गया ह क पिरणाम को मिदरत और परकािशत करना| wwwbhavanaustraliaorg

भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण भवन क अिसततव क अिधकार का परीकषण ह िक कया वो जो िविभ कषतर म और िविभ सथान म इसक िलए काम करत ह और जो इसक कई ससथान म अधययन करत ह व अपन िकतगत जीवन म एक िमशन की भावना िवकिसत कर सक चाह एक छोट माप म जो उनह मौिलक मलय का अनवाद करन म स म बनाएगा|

एक ससकित की रचनातमक जीवन शिकत इसम होती ह िक कया जो इसस समबिधत ह उनम सवरशर हालािक उनकी सखया चाह िकतनी कम हो हमार िचरयवा ससकित क मौिलक मलय तक जीन म आतम-पित पात ह |

यह एहसास िकया जाना चािहए िक दिनया का इितहास उन परष की एक कहानी ह िजनह खद म और अपन िमशन म िव ास था| जब एक उमर िव ास क ऐस परष का उतपादन नह करती तो इसकी ससकित अपन िवल होन क रासत पर ह| इसिलए भवन की असली ताकत इसकी अपनी इमारत या ससथा की सखया जो यह आयोिजत करती ह म इतनी जयादा नह होगी ना ही इसकी अपनी सपि की मातरा और बजट म और इसकी अपनी बढ़ती परकाशन सासकितक और शिकषक गितिविधय म भी नह होगी| यह इसक मानद और वि कागराही समिपत कायरकतार क चिरतर िवनमरता िनसवाथरता और समिपत काम म होगी| उस अदशय दबाव को कवल जो अकला मानव परकित को रपातिरत कर सकता ह को खल म लात हए कवल व अकल पनय जी परभाव को िरहा कर सकत ह|

48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

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नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

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गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

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िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

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-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

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महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

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48 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बोधकथा

लखक का बदला

जम दार पिरवार स ताललक रखन वाल महान रसी लखक टॉलसटॉय की सात वष या बटी का उसक साथी िकसान पतर स िकसी बात पर झगडा हो गया करोिधत होकर िकसान-पतर न उस पीट िदया आहत लड़की रोती हई घर पहची और लड़क स बदला लन क िलए िपता स चाबक मागा िपता न कारण जान लन क बाद बटी को समझाया ldquoउस लड़क को मारन पर उलट तझ क ही होगाrdquo

परनत लड़की िज़द पर अड़ी रही िक वह उस सज़ा अवशय दगी िपता न िफर समझाया ldquoअर छोड़ो भी लड़क को करोध आ गया होगा अगर उस सजा दी गयी तो वह सदा क िलए हमारा शतर हो जायगा

हम कछ ऐसा करना चािहए िक वह अपन िकय पर प ाताप कर और हमस सदव मधर समबध बनाय रखrdquo इतना कहकर

टॉलसटॉय न बटी को एक िगलास शरबत लाकर िदया और कहा ldquoय िगलास उस द आओrdquo लड़की न अनमन भाव स शरबत का िगलास पकड़ िलया और जाकर उस लड़क को द िदया लड़का शरबत पाकर चिकत हो गया और टॉलसटॉय पिरवार का भकत बन गया

-डॉ रिशम शील

साभार नवनीत िहनदी डाइजसट िदसमबर 2012

49 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

बचच का कोना

अचछ काम का परसकार

एक बढ़ा रासत स किठनता स चला जा रहा था उस समय हवा बड़ जोर स चल रही थी अचानक उस बढ़ की टोपी हवा स उड़ गई

उसक पास होकर दो लड़क सकल जा रह थ उनस बढ़ न कहा- मरी टोपी उड़ गई ह उस पकड़ो नह तो म िबना टोपी का हो जाऊगा

व लड़क उसकी बात पर धयान न दकर टोपी क उड़न का मजा लत हए हसन लग इतन म लीला नाम की एक लड़की जो सकल म पढ़ती थी उसी रासत पर आ पहची

उसन तरत ही दौड़कर वह टोपी पकड़ ली और अपन कपड़ स धल झाड़कर तथा प छकर उस बढ़ को द दी उसक बाद व सब लड़क सकल चल गए

गरजी न टोपी वाली यह घटना सकल की िखड़की स दखी थी इसिलए पढ़ाई क बाद उनह न सब िव ािथय क सामन वह टोपी वाली बात कही और लीला क काम की परशसा की तथा उन दोन लड़क क वहार पर उनह बहत िधककारा

इसक बाद गरजी न अपन पास स एक सदर िचतर की पसतक उस छोटी लड़की को भट दी और उस पर इस परकार िलख िदया- लीला बहन को उसक अचछ काम क िलए गरजी की ओर स यह पसतक भट की गई ह जो लड़क गरीब की टोपी उड़ती दखकर हस थ व इस घटना का दखकर बहत लिजजत और दखी हए

िशकषा यह कहानी हम िशकषा दती ह िक हम कभी भी िकसी का मजाक नह उड़ाना चािहए साथ ही हम हर जररतमद िकत की हमशा मदद करनी चािहए चाह वो छोटा हो या बड़ा

साभार httphindiwebduniacom

50 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

पाठक कहत ह हम नए किवय लखक स उनक लख का रचना क नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म पकारशन हत योगदान की अपकषा करत हए आमितरत करत ह सभी लख का रचनाए नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िनशलक पकारिशत ह गी

-सपादक मडल नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट

हम भवन ऑसटरिलया की ईमारत िनमारण पिरयोजना क िलए आिथक

सहायता की तलाश ह

कपया उदारता स दान द

नोट हम अपन पाठक की सप वादी सरल राय आमितरत करत ह हमार साथ िवजञापन द नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट म िवजञापन दना आपकी कपनी क बराड क िलए सबस अचछा अवसर परदान करता ह और यह आपक उतपाद और या सवा का एक सासकितक और नितक सपादकीय वातावरण म परदशरन करता ह

भवन ऑसटरिलया भारतीय परपरा को ऊचा रखन और उसी समय बहससकितवाद एकीकरण को परोतसािहत करन का मच ह

अिधक जानकारी क िलए सपकर कर infobhavanaustraliaorg

51 I नवनीत ऑसटरिलया िहनदी डाइजसट I िदसबर 2012

महातमा गाधी कहत ह िनमरल चिरतर एव आितमक पिवतरता वाला िकततव सहजता स लोग का

िव ास अिजत करता ह और सवत अपन आस पास क वातावरण को श कर दता ह हजार लोग ारा कछ सकड की हतया करना बहादरी नह

ह यह कायरता स भी बदतर ह यह िकसी भी रा वाद और धमर क िवर ह

ब न अपन समसत भौितक सख का तयाग िकया कय िक व सपणर िव क साथ यह खशी बाटना चाहत थ जो मातर सतय की खोज म क भोगन

तथा बिलदान दन वाल को ही परा होती ह

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Whether yoursquore a company partnership trust or sole trader you need

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Call the Taxation Guru the power to help you make the right decisions

We endeavour to take the burden off your shoulders and make life easy by providing a broad range of tax related services

Contact us at Suite 100 Level 4 515 Kent Street Sydney 2000t 1300 GURU4U (487848) amp +612 9267 9255e gambhirbmgwcom wwwtaxationgurucomau

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