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Page 1: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

शरी गरगीता अनकरम

ऩहरा अधमाम 2

दसया अधमाम 13

तीसया अधमाम 31

|| अथ परथभोऽधमाम ||

अचिनतमावमकतरऩाम ननगगणाम गगणाभन |

सभसत जगदाधायभतम बरहमण नभ ||

ऩहरा अधमाम

जो बरहम अचिनतम अवमकत तीनो गगणो स यहहत (फपय बी दखनवारो क अऻान की उऩाचध स) तरिगगणाभक औय सभसत जगत का अचधदषान रऩ ह ऐस बरहम को नभसकाय हो | (1)

ऋषम ऊिग

सत सत भहापराऻ ननगभागभऩायग |

गगरसवरऩभसभाकॊ बरहह सवभराऩहभ ||

ऋषषमो न कहा ह भहाऻानी ह वद-वदाॊगो क ननषणात पमाय सत जी सव ऩाऩो का नाश कयनवार गगर का सवरऩ हभ सगनाओ | (2)

मसम शरवणभािण दही दग खाहदरभगचमत |

मन भागण भगनम सवऻवॊ परऩहदय ||

मपरापम न ऩगनमानत नय सॊसायफनतधनभ |

तथाषवधॊ ऩयॊ तवॊ वकतवमभधगना वमा ||

जजसको सगनन भाि स भनगषम दग ख स षवभगकत हो जाता ह | जजस उऩाम स भगननमो न सवऻता परादऱ की ह जजसको परादऱ कयक भनगषम फिय स सॊसाय फनतधन भ फॉधता नहीॊ ह ऐस ऩयभ तव का कथन आऩ कय | (3 4)

गगहयादगगहयतभॊ सायॊ गगरगीता षवशषत |

वपरसादाचि शरोतवमा तसव बरहह सत न ||

जो तव ऩयभ यहसमभम एवॊ शरदष सायबत ह औय षवशष कय जो गगरगीता ह वह आऩकी कऩा स हभ सगनना िाहत ह | पमाय सतजी व सफ हभ सगनाइम | (5)

इनत सॊपराचथत सतो भगननसॊघभगहगभगहग |

कग तहरन भहता परोवाि भधगयॊ वि ||

इस परकाय फाय-फाय परथना फकम जान ऩय सतजी फहगत परसनतन होकय भगननमो क सभह स भधगय विन फोर | (6)

सत उवाि

शरणगधवॊ भगनम सव शरदधमा ऩयमा भगदा |

वदामभ बवयोगघनीॊ गीता भातसवरषऩणीभ ||

सतजी न कहा ह सव भगननमो सॊसायरऩी योग का नाश कयनवारी भातसवरषऩणी (भाता क सभान धमान यखन वारी) गगरगीता कहता हॉ | उसको आऩ अमॊत शरदधा औय परसनतनता स सगननम | (7)

ऩगया करासमशखय मसदधगनतधवसषवत|

ति कलऩरताऩगषऩभजनतदयऽमनततसगनतदय ||

वमाघराजजन सभामसनॊ शगकाहदभगननवजनतदतभ |

फोधमनततॊ ऩयॊ तवॊ भधमभगननगणॊकवचित ||

परणमरवदना शदवनतनभसकग वनततभादयात |

दषटवा षवसभमभाऩनतना ऩावती ऩरयऩचछनत ||

परािीन कार भ मसदधो औय गनतधवो क आवास रऩ करास ऩवत क मशखय ऩय कलऩव क परो स फन हगए अमॊत सगनतदय भॊहदय भ भगननमो क फीि वमाघरिभ ऩय फठ हगए शगक आहद भगननमो दराया वनतदन फकम जानवार औय ऩयभ तव का फोध दत हगए बगवान शॊकय

को फाय-फाय नभसकाय कयत दखकय अनतशम नमर भगखवारी ऩावनत न आदळमिफकत होकय ऩछा |

ऩावमगवाि

ॐ नभो दव दवश ऩयाऩय जगदगगयो |

वाॊ नभसकग वत बकमा सगयासगयनया सदा ||

ऩावती न कहा ह ॐकाय क अथसवरऩ दवो क दव शरदषो क शरदष ह जगदगगयो आऩको परणाभ हो | दव दानव औय भानव सफ आऩको सदा बकतकतऩवक परणाभ कयत ह | (11)

षवचधषवषणगभहनतरादयवनतदय खरग सदा बवान |

नभसकयोषष कसभ वॊ नभसकायाशरम फकर ||

आऩ बरहमा षवषणग इनतर आहद क नभसकाय क मोगम ह | ऐस नभसकाय क आशरमरऩ होन ऩय बी आऩ फकसको नभसकाय कयत ह | (12)

बगवन सवधभऻ वरतानाॊ वरतनामकभ |

बरहह भ कऩमा शमबो गगरभाहाममभगततभभ ||

ह बगवान ह सव धभो क ऻाता ह शमबो जो वरत सफ वरतो भ शरदष ह ऐसा उततभ गगर-भाहामम कऩा कयक भगझ कह | (13)

इनत सॊपराचथत शदवनतभहादवो भहदवय |

आनॊदबरयत सवानतत ऩावतीमभदभबरवीत ||

इस परकाय (ऩावती दवी दराया) फाय-फाय पराथना फकम जान ऩय भहादव न अॊतय स खफ परसनतन होत हगए ऩावती स इस परकाय कहा | (14)

भहादव उवाि

न वकतवममभदॊ दषव यहसमानतयहसमकभ |

न कसमाषऩ ऩगया परोकतॊ वदभकमथ वदामभ तत ||

शरी भहादव जी न कहा ह दवी मह तव यहसमो का बी यहसम ह इसमरए कहना उचित नहीॊ | ऩहर फकसी स बी नहीॊ कहा | फपय बी तगमहायी बकतकत दखकय वह यहसम कहता हॉ |

भभ रऩामस दषव वभतसतकथमामभ त |

रोकोऩकायक परदलो न कनाषऩ कत ऩगया ||

ह दवी तगभ भया ही सवरऩ हो इसमरए (मह यहसम) तगभको कहता हॉ | तगमहाया मह परदल रोक का कलमाणकायक ह | ऐसा परदल ऩहर कबी फकसीन नहीॊ फकमा |

मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |

समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||

जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |

मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |

षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||

जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |

वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |

भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||

शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |

अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||

जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |

गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||

ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव

शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)

गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |

तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||

ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)

गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |

षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||

जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |

दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |

सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||

जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)

शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |

गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||

शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)

अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |

ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||

अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)

सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ

बवदननततसममशवसम कीतनभ |

सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ

बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||

अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)

काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |

गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||

गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)

गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |

तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||

गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)

गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |

गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||

बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)

सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |

एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||

अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)

गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |

िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||

षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)

गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |

अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||

lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)

गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |

अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)

गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |

गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)

गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |

रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||

गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)

सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |

वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||

गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)

मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |

स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 2: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

जजसको सगनन भाि स भनगषम दग ख स षवभगकत हो जाता ह | जजस उऩाम स भगननमो न सवऻता परादऱ की ह जजसको परादऱ कयक भनगषम फिय स सॊसाय फनतधन भ फॉधता नहीॊ ह ऐस ऩयभ तव का कथन आऩ कय | (3 4)

गगहयादगगहयतभॊ सायॊ गगरगीता षवशषत |

वपरसादाचि शरोतवमा तसव बरहह सत न ||

जो तव ऩयभ यहसमभम एवॊ शरदष सायबत ह औय षवशष कय जो गगरगीता ह वह आऩकी कऩा स हभ सगनना िाहत ह | पमाय सतजी व सफ हभ सगनाइम | (5)

इनत सॊपराचथत सतो भगननसॊघभगहगभगहग |

कग तहरन भहता परोवाि भधगयॊ वि ||

इस परकाय फाय-फाय परथना फकम जान ऩय सतजी फहगत परसनतन होकय भगननमो क सभह स भधगय विन फोर | (6)

सत उवाि

शरणगधवॊ भगनम सव शरदधमा ऩयमा भगदा |

वदामभ बवयोगघनीॊ गीता भातसवरषऩणीभ ||

सतजी न कहा ह सव भगननमो सॊसायरऩी योग का नाश कयनवारी भातसवरषऩणी (भाता क सभान धमान यखन वारी) गगरगीता कहता हॉ | उसको आऩ अमॊत शरदधा औय परसनतनता स सगननम | (7)

ऩगया करासमशखय मसदधगनतधवसषवत|

ति कलऩरताऩगषऩभजनतदयऽमनततसगनतदय ||

वमाघराजजन सभामसनॊ शगकाहदभगननवजनतदतभ |

फोधमनततॊ ऩयॊ तवॊ भधमभगननगणॊकवचित ||

परणमरवदना शदवनतनभसकग वनततभादयात |

दषटवा षवसभमभाऩनतना ऩावती ऩरयऩचछनत ||

परािीन कार भ मसदधो औय गनतधवो क आवास रऩ करास ऩवत क मशखय ऩय कलऩव क परो स फन हगए अमॊत सगनतदय भॊहदय भ भगननमो क फीि वमाघरिभ ऩय फठ हगए शगक आहद भगननमो दराया वनतदन फकम जानवार औय ऩयभ तव का फोध दत हगए बगवान शॊकय

को फाय-फाय नभसकाय कयत दखकय अनतशम नमर भगखवारी ऩावनत न आदळमिफकत होकय ऩछा |

ऩावमगवाि

ॐ नभो दव दवश ऩयाऩय जगदगगयो |

वाॊ नभसकग वत बकमा सगयासगयनया सदा ||

ऩावती न कहा ह ॐकाय क अथसवरऩ दवो क दव शरदषो क शरदष ह जगदगगयो आऩको परणाभ हो | दव दानव औय भानव सफ आऩको सदा बकतकतऩवक परणाभ कयत ह | (11)

षवचधषवषणगभहनतरादयवनतदय खरग सदा बवान |

नभसकयोषष कसभ वॊ नभसकायाशरम फकर ||

आऩ बरहमा षवषणग इनतर आहद क नभसकाय क मोगम ह | ऐस नभसकाय क आशरमरऩ होन ऩय बी आऩ फकसको नभसकाय कयत ह | (12)

बगवन सवधभऻ वरतानाॊ वरतनामकभ |

बरहह भ कऩमा शमबो गगरभाहाममभगततभभ ||

ह बगवान ह सव धभो क ऻाता ह शमबो जो वरत सफ वरतो भ शरदष ह ऐसा उततभ गगर-भाहामम कऩा कयक भगझ कह | (13)

इनत सॊपराचथत शदवनतभहादवो भहदवय |

आनॊदबरयत सवानतत ऩावतीमभदभबरवीत ||

इस परकाय (ऩावती दवी दराया) फाय-फाय पराथना फकम जान ऩय भहादव न अॊतय स खफ परसनतन होत हगए ऩावती स इस परकाय कहा | (14)

भहादव उवाि

न वकतवममभदॊ दषव यहसमानतयहसमकभ |

न कसमाषऩ ऩगया परोकतॊ वदभकमथ वदामभ तत ||

शरी भहादव जी न कहा ह दवी मह तव यहसमो का बी यहसम ह इसमरए कहना उचित नहीॊ | ऩहर फकसी स बी नहीॊ कहा | फपय बी तगमहायी बकतकत दखकय वह यहसम कहता हॉ |

भभ रऩामस दषव वभतसतकथमामभ त |

रोकोऩकायक परदलो न कनाषऩ कत ऩगया ||

ह दवी तगभ भया ही सवरऩ हो इसमरए (मह यहसम) तगभको कहता हॉ | तगमहाया मह परदल रोक का कलमाणकायक ह | ऐसा परदल ऩहर कबी फकसीन नहीॊ फकमा |

मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |

समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||

जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |

मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |

षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||

जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |

वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |

भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||

शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |

अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||

जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |

गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||

ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव

शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)

गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |

तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||

ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)

गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |

षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||

जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |

दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |

सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||

जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)

शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |

गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||

शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)

अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |

ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||

अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)

सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ

बवदननततसममशवसम कीतनभ |

सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ

बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||

अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)

काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |

गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||

गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)

गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |

तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||

गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)

गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |

गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||

बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)

सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |

एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||

अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)

गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |

िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||

षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)

गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |

अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||

lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)

गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |

अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)

गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |

गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)

गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |

रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||

गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)

सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |

वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||

गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)

मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |

स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 3: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

को फाय-फाय नभसकाय कयत दखकय अनतशम नमर भगखवारी ऩावनत न आदळमिफकत होकय ऩछा |

ऩावमगवाि

ॐ नभो दव दवश ऩयाऩय जगदगगयो |

वाॊ नभसकग वत बकमा सगयासगयनया सदा ||

ऩावती न कहा ह ॐकाय क अथसवरऩ दवो क दव शरदषो क शरदष ह जगदगगयो आऩको परणाभ हो | दव दानव औय भानव सफ आऩको सदा बकतकतऩवक परणाभ कयत ह | (11)

षवचधषवषणगभहनतरादयवनतदय खरग सदा बवान |

नभसकयोषष कसभ वॊ नभसकायाशरम फकर ||

आऩ बरहमा षवषणग इनतर आहद क नभसकाय क मोगम ह | ऐस नभसकाय क आशरमरऩ होन ऩय बी आऩ फकसको नभसकाय कयत ह | (12)

बगवन सवधभऻ वरतानाॊ वरतनामकभ |

बरहह भ कऩमा शमबो गगरभाहाममभगततभभ ||

ह बगवान ह सव धभो क ऻाता ह शमबो जो वरत सफ वरतो भ शरदष ह ऐसा उततभ गगर-भाहामम कऩा कयक भगझ कह | (13)

इनत सॊपराचथत शदवनतभहादवो भहदवय |

आनॊदबरयत सवानतत ऩावतीमभदभबरवीत ||

इस परकाय (ऩावती दवी दराया) फाय-फाय पराथना फकम जान ऩय भहादव न अॊतय स खफ परसनतन होत हगए ऩावती स इस परकाय कहा | (14)

भहादव उवाि

न वकतवममभदॊ दषव यहसमानतयहसमकभ |

न कसमाषऩ ऩगया परोकतॊ वदभकमथ वदामभ तत ||

शरी भहादव जी न कहा ह दवी मह तव यहसमो का बी यहसम ह इसमरए कहना उचित नहीॊ | ऩहर फकसी स बी नहीॊ कहा | फपय बी तगमहायी बकतकत दखकय वह यहसम कहता हॉ |

भभ रऩामस दषव वभतसतकथमामभ त |

रोकोऩकायक परदलो न कनाषऩ कत ऩगया ||

ह दवी तगभ भया ही सवरऩ हो इसमरए (मह यहसम) तगभको कहता हॉ | तगमहाया मह परदल रोक का कलमाणकायक ह | ऐसा परदल ऩहर कबी फकसीन नहीॊ फकमा |

मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |

समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||

जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |

मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |

षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||

जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |

वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |

भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||

शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |

अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||

जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |

गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||

ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव

शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)

गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |

तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||

ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)

गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |

षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||

जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |

दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |

सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||

जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)

शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |

गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||

शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)

अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |

ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||

अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)

सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ

बवदननततसममशवसम कीतनभ |

सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ

बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||

अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)

काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |

गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||

गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)

गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |

तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||

गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)

गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |

गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||

बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)

सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |

एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||

अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)

गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |

िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||

षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)

गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |

अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||

lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)

गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |

अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)

गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |

गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)

गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |

रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||

गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)

सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |

वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||

गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)

मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |

स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 4: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

षवचधषवषणगभहनतरादयवनतदय खरग सदा बवान |

नभसकयोषष कसभ वॊ नभसकायाशरम फकर ||

आऩ बरहमा षवषणग इनतर आहद क नभसकाय क मोगम ह | ऐस नभसकाय क आशरमरऩ होन ऩय बी आऩ फकसको नभसकाय कयत ह | (12)

बगवन सवधभऻ वरतानाॊ वरतनामकभ |

बरहह भ कऩमा शमबो गगरभाहाममभगततभभ ||

ह बगवान ह सव धभो क ऻाता ह शमबो जो वरत सफ वरतो भ शरदष ह ऐसा उततभ गगर-भाहामम कऩा कयक भगझ कह | (13)

इनत सॊपराचथत शदवनतभहादवो भहदवय |

आनॊदबरयत सवानतत ऩावतीमभदभबरवीत ||

इस परकाय (ऩावती दवी दराया) फाय-फाय पराथना फकम जान ऩय भहादव न अॊतय स खफ परसनतन होत हगए ऩावती स इस परकाय कहा | (14)

भहादव उवाि

न वकतवममभदॊ दषव यहसमानतयहसमकभ |

न कसमाषऩ ऩगया परोकतॊ वदभकमथ वदामभ तत ||

शरी भहादव जी न कहा ह दवी मह तव यहसमो का बी यहसम ह इसमरए कहना उचित नहीॊ | ऩहर फकसी स बी नहीॊ कहा | फपय बी तगमहायी बकतकत दखकय वह यहसम कहता हॉ |

भभ रऩामस दषव वभतसतकथमामभ त |

रोकोऩकायक परदलो न कनाषऩ कत ऩगया ||

ह दवी तगभ भया ही सवरऩ हो इसमरए (मह यहसम) तगभको कहता हॉ | तगमहाया मह परदल रोक का कलमाणकायक ह | ऐसा परदल ऩहर कबी फकसीन नहीॊ फकमा |

मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |

समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||

जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |

मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |

षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||

जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |

वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |

भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||

शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |

अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||

जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |

गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||

ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव

शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)

गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |

तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||

ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)

गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |

षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||

जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |

दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |

सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||

जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)

शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |

गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||

शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)

अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |

ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||

अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)

सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ

बवदननततसममशवसम कीतनभ |

सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ

बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||

अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)

काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |

गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||

गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)

गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |

तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||

गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)

गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |

गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||

बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)

सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |

एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||

अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)

गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |

िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||

षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)

गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |

अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||

lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)

गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |

अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)

गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |

गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)

गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |

रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||

गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)

सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |

वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||

गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)

मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |

स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 5: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

मसम दव ऩया बकतकत मथा दव तथा गगयौ |

समत कचथता हयथा परकाशनतत भहाभन ||

जजसको ईदवय भ उततभ बकतकत होती ह जसी ईदवय भ वसी ही बकतकत जजसको गगर भ होती ह ऐस भहाभाओॊ को ही महाॉ कही हगई फात सभझ भ आमगी |

मो गगर स मशव परोकतो म मशव स गगरसभत |

षवकलऩॊ मसतग कग वॉत स नयो गगरतलऩग ||

जो गगर ह व ही मशव ह जो मशव ह व ही गगर ह | दोनो भ जो अनततय भानता ह वह गगरऩतनीगभन कयनवार क सभान ऩाऩी ह |

वदशासतरऩगयाणानन िनतहासाहदकानन ि |

भॊिमॊिषवदयाहदननभोहनोचिाटनाहदकभ ||

शवशाकतागभाहदनन हयनतम ि फहवो भता |

अऩभरॊशा सभसतानाॊ जीवानाॊ भराॊतितसाभ ||

जऩसतऩोवरतॊ तीथ मऻो दानॊ तथव ि |

गगर तवॊ अषवऻाम सव वमथ बवत षपरम ||

ह षपरम वद शासतर ऩगयाण इनतहास आहद भॊि मॊि भोहन उचिाटन आहद षवदया शव

शाकत आगभ औय अनतम सव भत भतानततय म सफ फात गगरतव को जान तरफना भरानतत चिततवार जीवो को ऩथभरदश कयनवारी ह औय जऩ तऩ वरत तीथ मऻ दान म सफ वमथ हो जात ह | (19 20 21)

गगरफगधमाभनो नानतमत समॊ समॊ वयानन |

तलरबाथ परमतनसतग कततवमशि भनीषषमब ||

ह सगभगखी आभा भ गगर फगषदध क मसवा अनतम कग छ बी सम नहीॊ ह सम नहीॊ ह | इसमरम इस आभऻान को परादऱ कयन क मरम फगषदधभानो को परमतन कयना िाहहम | (22)

गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |

षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||

जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |

दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |

सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||

जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)

शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |

गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||

शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)

अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |

ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||

अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)

सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ

बवदननततसममशवसम कीतनभ |

सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ

बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||

अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)

काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |

गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||

गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)

गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |

तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||

गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)

गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |

गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||

बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)

सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |

एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||

अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)

गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |

िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||

षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)

गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |

अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||

lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)

गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |

अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)

गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |

गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)

गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |

रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||

गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)

सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |

वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||

गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)

मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |

स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 6: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

गढाषवदया जगनतभामा दहशिाऻानसमबव |

षवऻानॊ मपरसादन गगरशबदन कथमत ||

जगत गढ़ अषवदयाभक भामारऩ ह औय शयीय अऻान स उऩनतन हगआ ह | इनका षवदऴषणाभक ऻान जजनकी कऩा स होता ह उस ऻान को गगर कहत ह |

दही बरहम बवदयसभात वकऩाथवदामभ तत |

सवऩाऩषवशगदधाभा शरीगगयो ऩादसवनात ||

जजस गगरदव क ऩादसवन स भनगषम सव ऩाऩो स षवशगदधाभा होकय बरहमरऩ हो जाता ह वह तगभ ऩय कऩा कयन क मरम कहता हॉ | (24)

शोषणॊ ऩाऩऩॊकसम दीऩनॊ ऻानतजस |

गगयो ऩादोदकॊ सममक सॊसायाणवतायकभ ||

शरी गगरदव का ियणाभत ऩाऩरऩी कीिड़ का सममक शोषक ह ऻानतज का सममक उदयीऩक ह औय सॊसायसागय का सममक तायक ह | (25)

अऻानभरहयणॊ जनतभकभननवायकभ |

ऻानवयागममसदधमथ गगरऩादोदकॊ षऩफत ||

अऻान की जड़ को उखाड़नवार अनक जनतभो क कभो को ननवायनवार ऻान औय वयागम को मसदध कयनवार शरीगगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहम | (26)

सवदमशकसमव ि नाभकीतनभ

बवदननततसममशवसम कीतनभ |

सवदमशकसमव ि नाभचिनततनभ

बवदननततसममशवसम नाभचिनततनभ ||

अऩन गगरदव क नाभ का कीतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही कीतन ह | अऩन गगरदव क नाभ का चिॊतन अनॊत सवरऩ बगवान मशव का ही चिॊतन ह | (27)

काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |

गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||

गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)

गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |

तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||

गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)

गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |

गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||

बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)

सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |

एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||

अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)

गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |

िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||

षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)

गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |

अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||

lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)

गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |

अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)

गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |

गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)

गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |

रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||

गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)

सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |

वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||

गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)

मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |

स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 7: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

काशीिॊ ननवासदळ जाहनवी ियणोदकभ |

गगरषवदवदवय साात तायकॊ बरहमननदळम ||

गगरदव का ननवाससथान काशी ि ह | शरी गगरदव का ऩादोदक गॊगाजी ह | गगरदव बगवान षवदवनाथ औय ननदळम ही साात तायक बरहम ह | (28)

गगरसवा गमा परोकता दह समादमो वट |

तऩादॊ षवषणगऩादॊ समात तिदततभनसततभ ||

गगरदव की सवा ही तीथयाज गमा ह | गगरदव का शयीय अम वटव ह | गगरदव क शरीियण बगवान षवषणग क शरीियण ह | वहाॉ रगामा हगआ भन तदाकाय हो जाता ह | (29)

गगरवकि जसथतॊ बरहम परापमत तपरसादत |

गगयोधमानॊ सदा कग मात ऩगरषॊ सवरयणी मथा ||

बरहम शरीगगरदव क भगखायषवनतद (विनाभत) भ जसथत ह | वह बरहम उनकी कऩा स परादऱ हो जाता ह | इसमरम जजस परकाय सवचछािायी सतरी अऩन परभी ऩगरष का सदा चिॊतन कयती ह उसी परकाय सदा गगरदव का धमान कयना िाहहम | (30)

सवाशरभॊ ि सवजानतॊ ि सवकीनत ऩगषदशवधनभ |

एतसव ऩरयमजम गगरभव सभाशरमत ||

अऩन आशरभ (बरहमिमाशरभाहद) जानत कीनत (ऩदपरनतदषा) ऩारन-ऩोषण म सफ छोड़ कय गगरदव का ही सममक आशरम रना िाहहम | (31)

गगरवकि जसथता षवदया गगरबकमा ि रभमत |

िरोकम सिग टवकतायो दवषषषऩतभानवा ||

षवदया गगरदव क भगख भ यहती ह औय वह गगरदव की बकतकत स ही परादऱ होती ह | मह फात तीनो रोको भ दव कषष षऩत औय भानवो दराया सऩदश रऩ स कही गई ह | (32)

गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |

अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||

lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)

गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |

अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)

गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |

गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)

गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |

रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||

गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)

सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |

वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||

गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)

मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |

स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 8: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

गगकायदळानतधकायो हह रकायसतज उचमत |

अऻानगरासकॊ बरहम गगरयव न सॊशम ||

lsquoगगrsquo शबद का अथ ह अॊधकाय (अऻान) औय lsquoरrsquo शबद का अथ ह परकाश (ऻान) | अऻान को नदश कयनवार जो बरहमरऩ परकाश ह वह गगर ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (33)

गगकायदळानतधकायसतग रकायसतजनतनयोधकत |

अनतधकायषवनामशवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय अॊधकाय ह औय उसको दय कयनवार lsquoरrsquo काय ह | अऻानरऩी अनतधकाय को नदश कयन क कायण ही गगर कहरात ह | (34)

गगकायदळ गगणातीतो रऩातीतो रकायक |

गगणरऩषवहीनवात गगररयममबधीमत ||

lsquoगगrsquo काय स गगणातीत कहा जता ह lsquoरrsquo काय स रऩातीत कहा जता ह | गगण औय रऩ स ऩय होन क कायण ही गगर कहरात ह | (35)

गगकाय परथभो वणो भामाहद गगणबासक |

रकायोऽजसत ऩयॊ बरहम भामाभराजनततषवभोिकभ ||

गगर शबद का परथभ अय गग भामा आहद गगणो का परकाशक ह औय दसया अय र काय भामा की भराजनतत स भगकतकत दनवारा ऩयबरहम ह | (36)

सवशरगनतमशयोयतनषवयाजजतऩदाॊफगजभ |

वदानतताथपरवकतायॊ तसभासॊऩजमद गगरभ ||

गगर सव शरगनतरऩ शरदष यतनो स सगशोमबत ियणकभरवार ह औय वदानतत क अथ क परवकता ह | इसमरम शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (37)

मसमसभयणभािण ऻानभगऩदयत सवमभ |

स एव सवसमऩषतत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

जजनक सभयण भाि स ऻान अऩन आऩ परकट होन रगता ह औय व ही सव (शभदभहद) समऩदारऩ ह | अत शरी गगरदव की ऩजा कयनी िाहहम | (38)

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 9: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

सॊसायव भारढ़ा ऩतजनतत नयकाणव |

मसतानगदधयत सवान तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसायरऩी व ऩय िढ़ हगए रोग नयकरऩी सागय भ चगयत ह | उन सफका उदधाय कयनवार शरी गगरदव को नभसकाय हो | (39)

एक एव ऩयो फनतधगषवषभ सभगऩजसथत |

गगर सकरधभाभा तसभ शरीगगयव नभ ||

जफ षवकट ऩरयजसथनत उऩजसथत होती ह तफ व ही एकभाि ऩयभ फाॊधव ह औय सफ धभो क आभसवरऩ ह | ऐस शरीगगरदव को नभसकाय हो | (40)

बवायणमपरषवदशसम हदडभोहभरानततितस |

मन सनतदमशत ऩनतथा तसभ शरीगगयव नभ ||

सॊसाय रऩी अयणम भ परवश कयन क फाद हदगभढ़ की जसथनत भ (जफ कोई भाग नहीॊ हदखाई दता ह) चितत भरमभत हो जाता ह उस सभम जजसन भाग हदखामा उन शरी गगरदव को नभसकाय हो | (41)

ताऩिमाजगनतदऱानाॊ अशानततपराणीनाॊ बगषव |

गगरयव ऩया गॊगा तसभ शरीगगरव नभ ||

इस ऩथवी ऩय तरिषवध ताऩ (आचध-वमाचध-उऩाचध) रऩी अगनी स जरन क कायण अशाॊत हगए पराणणमो क मरए गगरदव ही एकभाि उततभ गॊगाजी ह | ऐस शरी गगरदवजी को नभसकाय हो | (42)

सदऱसागयऩमनततॊ तीथसनानपरॊ तग मत |

गगरऩादऩमोतरफनतदो सहसाॊशन तपरभ ||

सात सभगर ऩमनतत क सव तीथो भ सनान कयन स जजतना पर मभरता ह वह पर शरीगगरदव क ियणाभत क एक तरफनतदग क पर का हजायवाॉ हहससा ह | (43)

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 10: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

मशव रदश गगरसतराता गगयौ रदश न कदळन |

रबधवा कग रगगरॊ सममगगगरभव सभाशरमत ||

महद मशवजी नायज़ हो जाम तो गगरदव फिानवार ह फकनततग महद गगरदव नायाज़ हो जाम तो फिानवारा कोई नहीॊ | अत गगरदव को सॊपरादऱ कयक सदा उनकी शयण भ यहना िाहहए | (44)

गगकायॊ ि गगणातीतॊ रकायॊ रऩवजजतभ |

गगणातीतभरऩॊ ि मो ददयात स गगर सभत ||

गगर शबद का गग अय गगणातीत अथ का फोधक ह औय र अय रऩयहहत जसथनत का फोधक ह | म दोनो (गगणातीत औय रऩातीत) जसथनतमाॉ जो दत ह उनको गगर कहत ह | (45)

अतरिनि मशव साात हदरफाहगदळ हरय सभत |

मोऽितगवदनो बरहमा शरीगगर कचथत षपरम ||

ह षपरम गगर ही तरिनियहहत (दो नि वार) साात मशव ह दो हाथ वार बगवान षवषणग ह औय एक भगखवार बरहमाजी ह | (46)

दवफकनतनयगनतधवा षऩतमासतग तगमफगर |

भगनमोऽषऩ न जानजनतत गगरशगशरषण षवचधभ ||

दव फकनतनय गॊधव षऩत म तगमफगर (गॊधव का एक परकाय) औय भगनन रोग बी गगरसवा की षवचध नहीॊ जानत | (47)

ताफककाशछानतदसादळव दवऻा कभठ षपरम |

रौफककासत न जानजनतत गगरतवॊ ननयाकग रभ ||

ह षपरम ताफकक वहदक जमोनतषष कभकाॊडी तथा रोफककजन ननभर गगरतव को नहीॊ जानत | (48)

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 11: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

मजञऻनोऽषऩ न भगकता समग न भगकता मोचगनसतथा |

ताऩसा अषऩ नो भगकत गगरतवाऩयाडभगखा ||

महद गगरतव स पराडभगख हो जाम तो माजञऻक भगकतकत नहीॊ ऩा सकत मोगी भगकत नहीॊ हो सकत औय तऩसवी बी भगकत नहीॊ हो सकत | (49)

न भगकतासतग गनतधव षऩतमासतग िायणा |

कषम मसदधदवादया गगरसवाऩयाडभगखा ||

गगरसवा स षवभगख गॊधव षऩत म िायण कषष मसदध औय दवता आहद बी भगकत नहीॊ होग |

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ परथभोऽधमाम ||

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 12: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

|| अथ हदरतीमोऽधमाम ||

बरहमाननतदॊ ऩयभसगखदॊ कवरॊ ऻानभनत

दरनतदरातीतॊ गगनसदशॊ तवभसमाहदरकषमभ |

एकॊ ननमॊ षवभरभिरॊ सवधीसाजञबतभ

बावतीतॊ तरिगगणयहहतॊ सदगगरॊ तॊ नभामभ ||

दसया अधमाम

जो बरहमानॊदसवरऩ ह ऩयभ सगख दनवार ह जो कवर ऻानसवरऩ ह (सगख दग ख शीत-उषण आहद) दरनतदरो स यहहत ह आकाश क सभान सकषभ औय सववमाऩक ह तवभमस आहद भहावाकमो क रकषमाथ ह एक ह ननम ह भरयहहत ह अिर ह सव फगषदधमो क साी ह बावना स ऩय ह सव यज औय तभ तीनो गगणो स यहहत ह ऐस शरी सदगगरदव को भ नभसकाय कयता हॉ | (52)

गगरऩहददशभागण भन मशषदधॊ तग कायमत |

अननमॊ खणडमसव मजकॊ चिदाभगोियभ ||

शरी गगरदव क दराया उऩहददश भाग स भन की शगषदध कयनी िाहहए | जो कग छ बी अननम वसतग अऩनी इजनतरमो की षवषम हो जाम उनका खणडन (ननयाकयण) कयना िाहहए | (53)

फकभिॊ फहगनोकतन शासतरकोहटशतयषऩ |

दगरबा चिततषवशराजनतत षवना गगरकऩाॊ ऩयाभ ||

महाॉ जमादा कहन स कमा राब शरी गगरदव की ऩयभ कऩा क तरफना कयोड़ो शासतरो स बी चितत की षवशराॊनत दगरब ह | (54)

करणाखडगऩातन नछततवा ऩाशादशकॊ मशशो |

सममगाननतदजनक सदगगर सोऽमबधीमत ||

एवॊ शरगवा भहादषव गगरनननतदा कयोनत म |

स मानत नयकान घोयान मावचिनतरहदवाकयौ ||

करणारऩी तरवाय क परहाय स मशषम क आठो ऩाशो (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 13: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत ) को काटकय ननभर आनॊद दनवार को सदगगर कहत ह | ऐसा सगनन ऩय बी जो भनगषम गगरनननतदा कयता ह वह (भनगषम) जफ तक समिनतर का अजसतव यहता ह तफ तक घोय नयक भ यहता ह | (55 56)

मावकलऩानततको दहसतावददषव गगरॊ सभयत |

गगररोऩो न कततवम सवचछनतदो महद वा बवत ||

ह दवी दह कलऩ क अनतत तक यह तफ तक शरी गगरदव का सभयण कयना िाहहए औय आभऻानी होन क फाद बी (सवचछनतद अथात सवरऩ का छनतद मभरन ऩय बी ) मशषम को गगरदव की शयण नहीॊ छोड़नी िाहहए | (57)

हगॊकायण न वकतवमॊ पराऻमशषम कदािन |

गगरयागर न वकतवमभसमॊ तग कदािन ||

शरी गगरदव क सभ परऻावान मशषम को कबी हगॉकाय शबद स (भन ऐस फकमा वसा फकमा ) नहीॊ फोरना िाहहए औय कबी असम नहीॊ फोरना िाहहए | (58)

गगरॊ वॊकम हगॊकम गगरसाजनतनधमबाषण |

अयणम ननजर दश सॊबवद बरहमयास ||

गगरदव क सभ जो हगॉकाय शबद स फोरता ह अथवा गगरदव को त कहकय जो फोरता ह वह ननजन भरबमभ भ बरहमयास होता ह | (59)

अदरतॊ बावमजनतनमॊ सवावसथासग सवदा |

कदाचिदषऩ नो कग माददरतॊ गगरसजनतनधौ ||

सदा औय सव अवसथाओॊ भ अदरत की बावना कयनी िाहहए ऩयनततग गगरदव क साथ अदरत की बावना कदाषऩ नहीॊ कयनी िाहहए | (60)

दशमषवसभनतऩमनततॊ कग माद गगरऩदािनभ |

तादशसमव कवलमॊ न ि तदवमनतयफकण ||

जफ तक दशम परऩॊि की षवसभनत न हो जाम तफ तक गगरदव क ऩावन ियणायषवनतद की ऩजा-अिना कयनी िाहहए | ऐसा कयनवार को ही कवलमऩद की परनदऱ होती ह इसक

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 14: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

षवऩयीत कयनवार को नहीॊ होती | (61)

अषऩ सॊऩणतततवऻो गगरमागी बवदददा |

बवमव हह तसमानततकार षवऩभगकटभ ||

सॊऩण तततवऻ बी महद गगर का माग कय द तो भ मग क सभम उस भहान षवऩ अवशम हो जाता ह | (62)

गगयौ सनत सवमॊ दवी ऩयषाॊ तग कदािन |

उऩदशॊ न व कग मात तदा िरासो बवत ||

ह दवी गगर क यहन ऩय अऩन आऩ कबी फकसी को उऩदश नहीॊ दना िाहहए | इस परकाय उऩदश दनवारा बरहमयास होता ह | (63)

न गगरयाशरभ कग मात दगषऩानॊ ऩरयसऩणभ |

दीा वमाखमा परबगवाहद गगयोयाऻाॊ न कायमत ||

गगर क आशरभ भ नशा नहीॊ कयना िाहहए टहरना नहीॊ िाहहए | दीा दना वमाखमान कयना परबगव हदखाना औय गगर को आऻा कयना म सफ ननषषदध ह | (64)

नोऩाशरभॊ ि ऩमकॊ न ि ऩादपरसायणभ |

नाॊगबोगाहदकॊ कग मानतन रीराभऩयाभषऩ ||

गगर क आशरभ भ अऩना छपऩय औय ऩरॊग नहीॊ फनाना िाहहए (गगरदव क समभगख) ऩय नहीॊ ऩसायना शयीय क बोग नहीॊ बोगन िाहहए औय अनतम रीराएॉ नहीॊ कयनी िाहहए |

(65)

गगरणाॊ सदसदराषऩ मदगकतॊ तनतन रॊघमत |

कग वनतनाऻाॊ हदवायािौ दासवजनतनवसद गगयौ ||

गगरओॊ की फात सचिी हो मा झठी ऩयनततग उसका कबी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | यात औय हदन गगरदव की आऻा का ऩारन कयत हगए उनक साजनतनधम भ दास फन कय यहना िाहहए | (66)

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 15: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

अदततॊ न गगयोरवमभगऩबगॊजीत कहहचित |

दततॊ ि यॊकवद गराहयॊ पराणोपमतन रभमत ||

जो रवम गगरदव न नहीॊ हदमा हो उसका उऩमोग कबी नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क हदम हगए रवम को बी गयीफ की तयह गरहण कयना िाहहए | उसस पराण बी परादऱ हो सकत ह | (67)

ऩादगकासनशयमाहद गगरणा मदमबषदशतभ |

नभसकग वॉत तसव ऩादाभमाॊ न सऩशत कवचित ||

ऩादगका आसन तरफसतय आहद जो कग छ बी गगरदव क उऩमोग भ आत हो उन सव को नभसकाय कयन िाहहए औय उनको ऩय स कबी नहीॊ छना िाहहए | (68)

गचछत ऩदषतो गचछत गगरचछामाॊ न रॊघमत |

नोलफणॊ धायमदरषॊ नारॊकायासततोलफणान ||

िरत हगए गगरदव क ऩीछ िरना िाहहए उनकी ऩयछाई का बी उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | गगरदव क सभ कीभती वशबषा आबषण आहद धायण नहीॊ कयन िाहहए |

(69)

गगरनननतदाकयॊ दषटवा धावमदथ वासमत |

सथानॊ वा तऩरयमाजमॊ जजहवाचछदाभो महद ||

गगरदव की नननतदा कयनवार को दखकय महद उसकी जजहवा काट डारन भ सभथ न हो तो उस अऩन सथान स बगा दना िाहहए | महद वह ठहय तो सवमॊ उस सथान का ऩरयमाग कयना िाहहए | (70)

भगननमब ऩनतनगवाषऩ सगयवा शाषऩतो महद |

कारभ मगबमादराषऩ गगर सॊिानत ऩावनत ||

ह ऩवती भगननमो ऩनतनगो औय दवताओॊ क शाऩ स तथा मथा कार आम हगए भ मग क बम स बी मशषम को गगरदव फिा सकत ह | (71)

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 16: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

षवजानजनतत भहावाकमॊ गगयोदळयणसवमा |

त व सॊनतमामसन परोकता इतय वषधारयण ||

गगरदव क शरीियणो की सवा कयक भहावाकम क अथ को जो सभझत ह व ही सचि सॊनतमासी ह अनतम तो भाि वशधायी ह | (72)

ननमॊ बरहम ननयाकायॊ ननगगणॊ फोधमत ऩयभ |

बासमन बरहमबावॊ ि दीऩो दीऩानततयॊ मथा ||

गगर व ह जो ननम ननगगण ननयाकाय ऩयभ बरहम का फोध दत हगए जस एक दीऩक दसय दीऩक को परजजवमरत कयता ह वस मशषम भ बरहमबाव को परकटात ह | (73)

गगरपरादत सवाभनतमाभायाभननरयणात |

सभता भगकतकतभगण सवाभऻानॊ परवतत ||

शरी गगरदव की कऩा स अऩन बीतय ही आभानॊद परादऱ कयक सभता औय भगकतकत क भाग दराय मशषम आभऻान को उऩरबध होता ह | (74)

सिहटक सिाहटकॊ रऩॊ दऩण दऩणो मथा |

तथाभनन चिदाकायभाननतदॊ सोऽहमभमगत ||

जस सिहटक भणण भ सिहटक भणण तथा दऩण भ दऩण हदख सकता ह उसी परकाय आभा भ जो चित औय आनॊदभम हदखाई दता ह वह भ हॉ | (75)

अॊगगदषभािॊ ऩगरषॊ धमामचि चिनतभमॊ रहद |

ति सिग यनत मो बाव शरगणग तकथमामभ त ||

रदम भ अॊगगदष भाि ऩरयणाभ वार ितनतम ऩगरष का धमान कयना िाहहए | वहाॉ जो बाव सिग रयत होता ह वह भ तगमह कहता हॉ सगनो | (76)

अजोऽहभभयोऽहॊ ि हयनाहदननधनोहयहभ |

अषवकायजदळदाननतदो हयणणमान भहतो भहान ||

भ अजनतभा हॉ भ अभय हॉ भया आहद नहीॊ ह भयी भ मग नहीॊ ह | भ ननषवकाय हॉ भ चिदाननतद हॉ भ अणग स बी छोटा हॉ औय भहान स बी भहान हॉ | (77)

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 17: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

अऩवभऩयॊ ननमॊ सवमॊ जमोनतननयाभमभ |

षवयजॊ ऩयभाकाशॊ धरगवभाननतदभवममभ ||

अगोियॊ तथाऽगममॊ नाभरऩषववजजतभ |

ननशबदॊ तग षवजानीमासवाबावाद बरहम ऩवनत ||

ह ऩवती बरहम को सवबाव स ही अऩव (जजसस ऩव कोई नहीॊ ऐसा) अहदरतीम ननम

जमोनतसवरऩ ननयोग ननभर ऩयभ आकाशसवरऩ अिर आननतदसवरऩ अषवनाशी अगमम अगोिय नाभ-रऩ स यहहत तथा ननशबद जानना िाहहए | (78 79)

मथा गनतधसवबाववॊ कऩयकग सगभाहदषग |

शीतोषणसवबाववॊ तथा बरहमणण शादवतभ ||

जजस परकाय कऩय िर इमाहद भ गनतधव (अजगन भ) उषणता औय (जर भ) शीतरता सवबाव स ही होत ह उसी परकाय बरहम भ शदवतता बी सवबावमसदध ह | (80)

मथा ननजसवबावन कगॊ डरकटकादम |

सगवणवन नतदषजनतत तथाऽहॊ बरहम शादवतभ ||

जजस परकाय कटक कग णडर आहद आबषण सवबाव स ही सगवण ह उसी परकाय भ सवबाव स ही शादवत बरहम हॉ | (81)

सवमॊ तथाषवधो बवा सथातवमॊ मिकग िचित |

कीटो बॊग इव धमानात मथा बवनत तादश ||

सवमॊ वसा होकय फकसी-न-फकसी सथान भ यहना | जस कीडा भरभय का चिनततन कयत-कयत भरभय हो जाता ह वस ही जीव बरहम का धमान कयत-कयत बरहमसवरऩ हो जाता ह | (82)

गगयोधमाननव ननमॊ दही बरहमभमो बवत |

जसथतदळ मिकग िाषऩ भगकतोऽसौ नाि सॊशम ||

सदा गगरदव का धमान कयन स जीव बरहमभम हो जाता ह | वह फकसी बी सथान भ यहता हो फिय बी भगकत ही ह | इसभ कोई सॊशम नहीॊ ह | (83)

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 18: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

ऻानॊ वयागमभदवम मश शरी सभगदारतभ |

षडगगणदवममगकतो हह बगवान शरी गगर षपरम ||

ह षपरम बगवसवरऩ शरी गगरदव ऻान वयागम ऐदवम मश रकषभी औय भधगयवाणी म छ गगणरऩ ऐदवम स सॊऩनतन होत ह | (84)

गगर मशवो गगरदवो गगरफनतधग शयीरयणाभ |

गगरयाभा गगरजॉवो गगयोयनतमनतन षवदयत ||

भनगषम क मरए गगर ही मशव ह गगर ही दव ह गगर ही फाॊधव ह गगर ही आभा ह औय गगर ही जीव ह | (सिभगि) गगर क मसवा अनतम कग छ बी नहीॊ ह | (85)

एकाकी ननसऩह शानतत चिॊतासमाहदवजजत |

फालमबावन मो बानत बरहमऻानी स उचमत ||

अकरा काभनायहहत शाॊत चिनततायहहत ईषमायहहत औय फारक की तयह जो शोबता ह वह बरहमऻानी कहराता ह | (86)

न सगखॊ वदशासतरषग न सगखॊ भॊिमॊिक |

गगयो परसादादनतमि सगखॊ नाजसत भहीतर ||

वदो औय शासतरो भ सगख नहीॊ ह भॊि औय मॊि भ सगख नहीॊ ह | इस ऩथवी ऩय गगरदव क कऩापरसाद क मसवा अनतमि कहीॊ बी सगख नहीॊ ह | (87)

िावाकवषणवभत सगखॊ परबाकय न हह |

गगयो ऩादाजनततक मदरसगखॊ वदानततसमभतभ ||

गगरदव क शरी ियणो भ जो वदानततननहददश सगख ह वह सगख न िावाक भत भ न वषणव भत भ औय न परबाकय (साॊखम) भत भ ह | (88)

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 19: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

न तसगखॊ सगयनतरसम न सगखॊ िकरवनतनाभ |

मसगखॊ वीतयागसम भगनयकानततवामसन ||

एकानततवासी वीतयाग भगनन को जो सगख मभरता ह वह सगख न इनतर को औय न िकरवतॉ याजाओॊ को मभरता ह | (89)

ननमॊ बरहमयसॊ ऩीवा तदऱो म ऩयभाभनन |

इनतरॊ ि भनतमत यॊकॊ नऩाणाॊ ति का कथा ||

हभशा बरहमयस का ऩान कयक जो ऩयभाभा भ तदऱ हो गमा ह वह (भगनन) इनतर को बी गयीफ भानता ह तो याजाओॊ की तो फात ही कमा (90)

मत ऩयभकवलमॊ गगरभागण व बवत |

गगरबकतकतयनत कामा सवदा भोकाॊजञमब ||

भो की आकाॊा कयनवारो को गगरबकतकत खफ कयनी िाहहए कमोफक गगरदव क दराया ही ऩयभ भो की परानदऱ होती ह | (91)

एक एवाहदरतीमोऽहॊ गगरवाकमन ननजदळत ||

एवभभमासता ननमॊ न सवमॊ व वनानततयभ ||

अभमासाजनतनमभषणव सभाचधभचधगचछनत |

आजनतभजननतॊ ऩाऩॊ तणादव नशमनत ||

गगरदव क वाकम की सहामता स जजसन ऐसा ननदळम कय मरमा ह फक भ एक औय अहदरतीम हॉ औय उसी अभमास भ जो यत ह उसक मरए अनतम वनवास का सवन आवशमक नहीॊ ह कमोफक अभमास स ही एक ण भ सभाचध रग जाती ह औय उसी ण इस जनतभ तक क सफ ऩाऩ नदश हो जात ह | (92 93)

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 20: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

गगरषवषणग सततवभमो याजसदळतगयानन |

ताभसो रररऩण सजमवनत हजनतत ि ||

गगरदव ही सवगगणी होकय षवषणगरऩ स जगत का ऩारन कयत ह यजोगगणी होकय बरहमारऩ स जगत का सजन कयत ह औय तभोगगणी होकय शॊकय रऩ स जगत का सॊहाय कयत ह | (94)

तसमावरोकनॊ परापम सवसॊगषववजजत |

एकाकी ननसऩह शानतत सथातवमॊ तपरसादत ||

उनका (गगरदव का) दशन ऩाकय उनक कऩापरसाद स सव परकाय की आसकतकत छोड़कय एकाकी ननसऩह औय शानतत होकय यहना िाहहए | (95)

सवऻऩदमभमाहग दही सवभमो बगषव |

सदाऽननतद सदा शानततो यभत मि कग िचित ||

जो जीव इस जगत भ सवभम आनॊदभम औय शानतत होकय सवि षवियता ह उस जीव को सवऻ कहत ह | (96)

मिव नतदषत सोऽषऩ स दश ऩगणमबाजन |

भगकतसम रणॊ दवी तवागर कचथतॊ भमा ||

ऐसा ऩगरष जहाॉ यहता ह वह सथान ऩगणमतीथ ह | ह दवी तगमहाय साभन भन भगकत ऩगरष का रण कहा | (97)

मदयपमधीता ननगभा षडॊगा आगभा षपरम |

आधमाभाहदनन शासतराणण ऻानॊ नाजसत गगरॊ षवना ||

ह षपरम भनगषम िाह िायो वद ऩढ़ र वद क छ अॊग ऩढ़ र आधमाभशासतर आहद अनतम सव शासतर ऩढ़ र फिय बी गगर क तरफना ऻान नहीॊ मभरता | (98)

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 21: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

मशवऩजायतो वाषऩ षवषणगऩजायतोऽथवा |

गगरतवषवहीनदळततसव वमथभव हह ||

मशवजी की ऩजा भ यत हो मा षवषणग की ऩजा भ यत हो ऩयनततग गगरतव क ऻान स यहहत हो तो वह सफ वमथ ह | (99)

सव समासपरॊ कभ गगरदीापरबावत |

गगरराबासवराबो गगरहीनसतग फामरश ||

गगरदव की दीा क परबाव स सफ कभ सपर होत ह | गगरदव की सॊपरानदऱ रऩी ऩयभ राब स अनतम सवराब मभरत ह | जजसका गगर नहीॊ वह भख ह | (100)

तसभासवपरमतनन सवसॊगषववजजत |

षवहाम शासतरजारानन गगरभव सभाशरमत ||

इसमरए सफ परकाय क परमतन स अनासकत होकय शासतर की भामाजार छोड़कय गगरदव की ही शयण रनी िाहहए | (101)

ऻानहीनो गगरमाजमो मभथमावादी षवडॊफक |

सवषवशराजनतत न जानानत ऩयशाजनततॊ कयोनत फकभ ||

ऻानयहहत मभथमा फोरनवार औय हदखावट कयनवार गगर का माग कय दना िाहहए

कमोफक जो अऩनी ही शाॊनत ऩाना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा शाॊनत द सकगा | (102)

मशरामा फकॊ ऩयॊ ऻानॊ मशरासॊघपरतायण |

सवमॊ ततग न जानानत ऩयॊ ननसतायमकथभ ||

ऩथयो क सभह को तयान का ऻान ऩथय भ कहाॉ स हो सकता ह जो खगद तयना नहीॊ जानता वह दसयो को कमा तयामगा | (103)

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 22: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

न वनतदनीमासत कदशॊ दशनाद भराजनततकायक |

वजमतान गगरन दय धीयानव सभाशरमत ||

जो गगर अऩन दशन स (हदखाव स) मशषम को भराजनतत भ ड़ारता ह ऐस गगर को परणाभ नहीॊ कयना िाहहए | इतना ही नहीॊ दय स ही उसका माग कयना िाहहए | ऐसी जसथनत भ धमवान गगर का ही आशरम रना िाहहए | (104)

ऩाखजणडन ऩाऩयता नाजसतका बदफगदधम |

सतरीरमऩटा दगयािाया कतघना फकवतम ||

कभभरदशा भानदशा नननतदयतकदळ वाहदन |

कामभन करोचधनदळव हहॊसादळॊड़ा शठसतथा ||

ऻानरगदऱा न कतवमा भहाऩाऩासतथा षपरम |

एभमो मबनतनो गगर सवम एकबकमा षविाम ि ||

बदफगषदध उततनतन कयनवार सतरीरमऩट दगयािायी नभकहयाभ फगगर की तयह ठगनवार भा यहहत नननतदनीम तको स षवतॊडावाद कयनवार काभी करोधी हहॊसक उगर शठ तथा अऻानी औय भहाऩाऩी ऩगरष को गगर नहीॊ कयना िाहहए | ऐसा षविाय कयक ऊऩय हदम रणो स मबनतन रणोवार गगर की एकननदष बकतकत स सवा कयनी िाहहए | (105 106 107 )

समॊ समॊ ऩगन समॊ धभसायॊ भमोहदतभ |

गगरगीता सभॊ सतोिॊ नाजसत तवॊ गगयो ऩयभ ||

गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | गगर क सभान अनतम कोई तव नहीॊ ह | सभगर धभ का मह साय भन कहा ह मह सम ह सम ह औय फाय-फाय सम ह | (108)

अनन मद बवद काम तदरदामभ तव षपरम |

रोकोऩकायकॊ दषव रौफककॊ तग षववजमत ||

ह षपरम इस गगरगीता का ऩाठ कयन स जो काम मसदध होता ह अफ वह कहता हॉ | ह दवी रोगो क मरए मह उऩकायक ह | भाि रौफकक का माग कयना िाहहए | (109)

रौफककादधभतो मानत ऻानहीनो बवाणव |

ऻानबाव ि मसव कभ ननषकभ शाममनत ||

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 23: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

जो कोई इसका उऩमोग रौफकक काम क मरए कयगा वह ऻानहीन होकय सॊसायरऩी सागय भ चगयगा | ऻान बाव स जजस कभ भ इसका उऩमोग फकमा जाएगा वह कभ ननषकभ भ ऩरयणत होकय शाॊत हो जाएगा | (110)

इभाॊ तग बकतकतबावन ऩठदर शणगमादषऩ |

मरणखवा मपरसादन तसव परभदलगत ||

बकतकत बाव स इस गगरगीता का ऩाठ कयन स सगनन स औय मरखन स वह (बकत) सफ पर बोगता ह | (111)

गगरगीतामभभाॊ दषव रहद ननमॊ षवबावम |

भहावमाचधगतदग ख सवदा परजऩनतभगदा ||

ह दवी इस गगरगीता को ननम बावऩवक रदम भ धायण कयो | भहावमाचधवार दग खी रोगो को सदा आनॊद स इसका जऩ कयना िाहहए | (112)

गगरगीतायककॊ भॊियाजमभदॊ षपरम |

अनतम ि षवषवधा भॊिा कराॊ नाहजनतत षोडशीभ ||

ह षपरम गगरगीता का एक-एक अय भॊियाज ह | अनतम जो षवषवध भॊि ह व इसका सोरहवाॉ बाग बी नहीॊ | (113)

अननततपरभापनोनत गगरगीताजऩन तग |

सवऩाऩहया दषव सवदारयरमनामशनी ||

ह दवी गगरगीता क जऩ स अनॊत पर मभरता ह | गगरगीता सव ऩाऩ को हयन वारी औय सव दारयरम का नाश कयन वारी ह | (114)

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 24: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

अकारभ मगहॊिी ि सवसॊकटनामशनी |

मयासबताहदिोयवमाघरषवघानतनी ||

गगरगीता अकार भ मग को योकती ह सफ सॊकटो का नाश कयती ह म यास बत िोय औय फाघ आहद का घात कयती ह | (115)

सवोऩरवकग दषहददगदशदोषननवारयणी |

मपरॊ गगरसाजनतनधमाततपरॊ ऩठनाद बवत ||

गगरगीता सफ परकाय क उऩरवो कग दष औय दगदश योगो औय दोषो का ननवायण कयनवारी ह | शरी गगरदव क साजनतनधम स जो पर मभरता ह वह पर इस गगरगीता का ऩाठ कयन स मभरता ह | (116)

भहावमाचधहया सवषवबत मसषदधदा बवत |

अथवा भोहन वशम सवमभव जऩसदा ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयन स भहावमाचध दय होती ह सव ऐदवम औय मसषदधमो की परानदऱ होती ह | भोहन भ अथवा वशीकयण भ इसका ऩाठ सवमॊ ही कयना िाहहए | (117)

भोहनॊ सवबतानाॊ फनतधभोकयॊ ऩयभ |

दवयाऻाॊ षपरमकयॊ याजानॊ वशभानमत ||

इस गगरगीता का ऩाठ कयनवार ऩय सव पराणी भोहहत हो जात ह फनतधन भ स ऩयभ भगकतकत मभरती ह दवयाज इनतर को वह षपरम होता ह औय याजा उसक वश होता ह | (118)

भगखसतमबकयॊ िव गगणाणाॊ ि षववधनभ |

दगषकभनादलॊ िव तथा सकभमसषदधदभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ शिग का भगख फनतद कयनवारा ह गगणो की वषदध कयनवारा ह दगषकमो का नाश कयनवारा औय सकभ भ मसषदध दनवारा ह | (119)

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 25: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

अमसदधॊ साधमकाम नवगरहबमाऩहभ |

दग सवपननाशनॊ िव सगसवपनपरदामकभ ||

इसका ऩाठ असाधम कामो की मसषदध कयाता ह नव गरहो का बम हयता ह दग सवपन का नाश कयता ह औय सगसवपन क पर की परानदऱ कयाता ह | (120)

भोहशाजनततकयॊ िव फनतधभोकयॊ ऩयभ |

सवरऩऻानननरमॊ गीतशासतरमभदॊ मशव ||

ह मशव मह गगरगीतारऩी शासतर भोह को शानतत कयनवारा फनतधन भ स ऩयभ भगकत कयनवारा औय सवरऩऻान का बणडाय ह | (121)

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननदळमभ |

ननमॊ सौबागमदॊ ऩगणमॊ ताऩिमकग राऩहभ ||

वमकतकत जो-जो अमबराषा कयक इस गगरगीता का ऩठन-चिनततन कयता ह उस वह ननदळम ही परादऱ होता ह | मह गगरगीता ननम सौबागम औय ऩगणम परदान कयनवारी तथा तीनो ताऩो (आचध-वमाचध-उऩाचध) का शभन कयनवारी ह | (122)

सवशाजनततकयॊ ननमॊ तथा वनतधमासगऩगिदभ |

अवधवमकयॊ सतरीणाॊ सौबागमसम षववधनभ ||

मह गगरगीता सफ परकाय की शाॊनत कयनवारी वनतधमा सतरी को सगऩगि दनवारी सधवा सतरी क वधवम का ननवायण कयनवारी औय सौबागम की वषदध कयनवारी ह | (123)

आमगयायोगभदवम ऩगिऩौिपरवधनभ |

ननषकाभजाऩी षवधवा ऩठनतभोभवापनगमात ||

मह गगरगीता आमगषम आयोगम ऐदवम औय ऩगि-ऩौि की वषदध कयनवारी ह | कोई षवधवा ननषकाभ बाव स इसका जऩ-ऩाठ कय तो भो की परानदऱ होती ह | (124)

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 26: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

अवधवमॊ सकाभा तग रबत िानतमजनतभनन |

सवदग खबमॊ षवघनॊ नाशमतताऩहायकभ ||

महद वह (षवधवा) सकाभ होकय जऩ कय तो अगर जनतभ भ उसको सॊताऩ हयनवार अवधवम (सौबागम) परादऱ होता ह | उसक सफ दग ख बम षवघन औय सॊताऩ का नाश होता ह | (125)

सवऩाऩपरशभनॊ धभकाभाथभोदभ |

मॊ मॊ चिनततमत काभॊ तॊ तॊ परापनोनत ननजदळतभ ||

इस गगरगीता का ऩाठ सफ ऩाऩो का शभन कयता ह धभ अथ औय भो की परानदऱ कयाता ह | इसक ऩाठ स जो-जो आकाॊा की जाती ह वह अवशम मसदध होती ह | (126)

मरणखवा ऩजमदयसतग भोचशरममवापनगमात |

गगरबकतकतषवशषण जामत रहद सवदा ||

महद कोई इस गगरगीता को मरखकय उसकी ऩजा कय तो उस रकषभी औय भो की परानदऱ होती ह औय षवशष कय उसक रदम भ सवदा गगरबकतकत उऩनतन होती यहती ह | (127)

जऩजनतत शाकता सौयादळ गाणऩमादळ वषणवा |

शवा ऩाशगऩता सव समॊ समॊ न सॊशम ||

शकतकत क सम क गणऩनत क मशव क औय ऩशगऩनत क भतवादी इसका (गगरगीता का) ऩाठ कयत ह मह सम ह सम ह इसभ कोई सॊदह नहीॊ ह | (128)

जऩॊ हीनासनॊ कग वन हीनकभापरपरदभ |

गगरगीताॊ परमाण वा सॊगराभ रयऩगसॊकट ||

जऩन जमभवापनोनत भयण भगकतकतदानमका |

सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगि न सॊशम ||

तरफना आसन फकमा हगआ जऩ नीि कभ हो जाता ह औय ननषपर हो जाता ह | मािा भ मगदध भ शिगओॊ क उऩरव भ गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयन स षवजम मभरता ह | भयणकार भ जऩ कयन स भो मभरता ह | गगरऩगि क (मशषम क) सव काम मसदध होत ह इसभ सॊदह नहीॊ ह | (129 130)

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 27: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

गगरभॊिो भगख मसम तसम मसदधमजनतत नानतमथा |

दीमा सवकभाणण मसदधमजनतत गगरऩगिक ||

जजसक भगख भ गगरभॊि ह उसक सफ काम मसदध होत ह दसय क नहीॊ | दीा क कायण मशषम क सव काम मसदध हो जात ह | (131)

बवभरषवनाशाम िादशऩाशननवतम |

गगरगीतामबमस सनानॊ तवऻ कग रत सदा ||

सवशगदध ऩषविोऽसौ सवबावादयि नतदषनत |

ति दवगणा सव िऩीठ ियजनतत ि ||

तवऻ ऩगरष सॊसारऩी व की जड़ नदश कयन क मरए औय आठो परकाय क फनतधन (सॊशम दमा बम सॊकोि नननतदा परनतदषा कग रामबभान औय सॊऩषतत) की ननवनत कयन क मरए गगरगीता रऩी गॊगा भ सदा सनान कयत यहत ह | सवबाव स ही सवथा शगदध औय ऩषवि ऐस व भहाऩगरष जहाॉ यहत ह उस तीथ भ दवता षवियण कयत ह | (132 133)

आसनसथा शमाना वा गचछनततजषतदषनततोऽषऩ वा |

अदवरढ़ा गजारढ़ा सगषगदऱा जागरतोऽषऩ वा ||

शगचिबता ऻानवनततो गगरगीताॊ जऩजनतत म |

तषाॊ दशनसॊसऩशात ऩगनजनतभ न षवदयत ||

आसन ऩय फठ हगए मा रट हगए खड़ यहत मा िरत हगए हाथी मा घोड़ ऩय सवाय जागरतवसथा भ मा सगषगदऱावसथा भ जो ऩषवि ऻानवान ऩगरष इस गगरगीता का जऩ-ऩाठ कयत ह उनक दशन औय सऩश स ऩगनजनतभ नहीॊ होता | (134 135)

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 28: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

कग शदगवासन दषव हयासन शगभरकमफर |

उऩषवशम ततो दषव जऩदकागरभानस ||

ह दवी कग श औय दगवा क आसन ऩय सिद कमफर तरफछाकय उसक ऊऩय फठकय एकागर भन स इसका (गगरगीता का) जऩ कयना िाहहए (136)

शगकरॊ सवि व परोकतॊ वशम यकतासनॊ षपरम |

ऩदमासन जऩजनतनमॊ शाजनततवशमकयॊ ऩयभ ||

साभनतमतमा सिद आसन उचित ह ऩयॊतग वशीकयण भ रार आसन आवशमक ह | ह षपरम शाॊनत परानदऱ क मरए मा वशीकयण भ ननम ऩदमासन भ फठकय जऩ कयना िाहहए |

(137)

वसतरासन ि दारयरमॊ ऩाषाण योगसॊबव |

भहदनतमाॊ दग खभापनोनत कादष बवनत ननषपरभ ||

कऩड़ क आसन ऩय फठकय जऩ कयन स दारयरम आता ह ऩथय क आसन ऩय योग

बमभ ऩय फठकय जऩ कयन स दग ख आता ह औय रकड़ी क आसन ऩय फकम हगए जऩ ननषपर होत ह | (138)

कषणाजजन ऻानमसषदध भोशरी वमाघरिभणण |

कग शासन ऻानमसषदध सवमसषदधसतग कमफर ||

कार भगिभ औय दबासन ऩय फठकय जऩ कयन स ऻानमसषदध होती ह वमागरिभ ऩय जऩ कयन स भगकतकत परादऱ होती ह ऩयनततग कमफर क आसन ऩय सव मसषदध परादऱ होती ह | (139)

आगनयमाॊ कषणॊ िव वमवमाॊ शिगनाशनभ |

नयमाॊ दशनॊ िव ईशानतमाॊ ऻानभव ि ||

अजगन कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स आकषण वामवम कोण की तयि शिगओॊ का नाश नयम कोण की तयप दशन औय ईशान कोण की तयप भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स ऻान की परनदऱ ह | (140)

उदॊभगख शाजनततजापम वशम ऩवभगखतथा |

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 29: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

मामम तग भायणॊ परोकतॊ ऩजदळभ ि धनागभ ||

उततय हदशा की ओय भगख कयक ऩाठ कयन स शाॊनत ऩव हदशा की ओय वशीकयण दजञण हदशा की ओय भायण मसदध होता ह तथा ऩजदळभ हदशा की ओय भगख कयक जऩ-ऩाठ कयन स धन परानदऱ होती ह | (141)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ हदरतीमोऽधमाम ||

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 30: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

|| अथ ततीमोऽधमाम ||

अथ काममजऩसथानॊ कथमामभ वयानन |

सागयानतत सरयततीय तीथ हरयहयारम ||

शकतकतदवारम गोदष सवदवारम शगब |

वटसम धातरमा भर व भठ वनतदावन तथा ||

ऩषवि ननभर दश ननमानगदषानोऽषऩ वा |

ननवदनन भौनन जऩभतत सभायबत ||

तीसया अधमाम

ह सगभगखी अफ सकामभमो क मरए जऩ कयन क सथानो का वणन कयता हॉ | सागय मा नदी क

तट ऩय तीथ भ मशवारम भ षवषणग क मा दवी क भॊहदय भ गौशारा भ सबी शगब दवारमो भ वटव क मा आॉवर क व क नीि भठ भ तगरसीवन भ ऩषवि ननभर सथान भ ननमानगदषान क रऩ भ अनासकत यहकय भौनऩवक इसक जऩ का आयॊब कयना िाहहए |

जापमन जमभापनोनत जऩमसषदधॊ परॊ तथा |

हीनकभ मजसव गहहतसथानभव ि ||

जऩ स जम परादऱ होता ह तथा जऩ की मसषदध रऩ पर मभरता ह | जऩानगदषान क कार भ सफ

नीि कभ औय ननजनतदत सथान का माग कयना िाहहए | (145)

सभशान तरफलवभर वा वटभराजनततक तथा |

मसदधमजनतत कानक भर ितव सम सजनतनधौ ||

सभशान भ तरफलव वटव मा कनकव क नीि औय आमरव क ऩास जऩ कयन स स मसषदध

जलदी होती ह | (146)

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 31: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

आकलऩजनतभकोटीनाॊ मऻवरततऩ फकरमा |

ता सवा सपरा दषव गगरसॊतोषभाित ||

ह दवी कलऩ ऩमनतत क कयोड़ो जनतभो क मऻ वरत तऩ औय शासतरोकत फकरमाएॉ म सफ गगरदव

क सॊतोषभाि स सपर हो जात ह | (147)

भॊदबागमा हयशकतादळ म जना नानगभनतवत |

गगरसवासग षवभगखा ऩचमनतत नयकऽशगिौ ||

बागमहीन शकतकतहीन औय गगरसवा स षवभगख जो रोग इस उऩदश को नहीॊ भानत व घोय नयक

भ ऩड़त ह | (148)

षवदया धनॊ फरॊ िव तषाॊ बागमॊ ननयथकभ |

मषाॊ गगरकऩा नाजसत अधो गचछजनतत ऩावनत ||

जजसक ऊऩय शरी गगरदव की कऩा नहीॊ ह उसकी षवदया धन फर औय बागम ननयथक ह| ह ऩावती उसका अधऩतन होता ह | (149)

धनतमा भाता षऩता धनतमो गोिॊ धनतमॊ कग रोदबव|

धनतमा ि वसगधा दषव मि समाद गगरबकतता ||

जजसक अॊदय गगरबकतकत हो उसकी भाता धनतम ह उसका षऩता धनतम ह उसका वॊश धनतम ह उसक वॊश भ जनतभ रनवार धनतम ह सभगर धयती भाता धनतम ह | (150)

शयीयमभजनतरमॊ पराणचिाथ सवजनफनतधगताॊ |

भातकग रॊ षऩतकग रॊ गगरयव न सॊशम ||

शयीय इजनतरमाॉ पराण धन सवजन फनतधग-फानतधव भाता का कग र षऩता का कग र म सफ

गगरदव ही ह | इसभ सॊशम नहीॊ ह | (151)

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 32: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

गगरदवो गगरधभो गगयौ ननदषा ऩयॊ तऩ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तरिवायॊ कथमामभ त ||

गगर ही दव ह गगर ही धभ ह गगर भ ननदषा ही ऩयभ तऩ ह | गगर स अचधक औय कग छ नहीॊ ह मह भ तीन फाय कहता हॉ | (152)

सभगर व मथा तोमॊ ीय ीयॊ घत घतभ |

मबनतन कगॊ ब मथाऽऽकाशॊ तथाऽऽभा ऩयभाभनन ||

जजस परकाय सागय भ ऩानी दध भ दध घी भ घी अरग-अरग घटो भ आकाश एक औय अमबनतन ह उसी परकाय ऩयभाभा भ जीवाभा एक औय अमबनतन ह | (153)

तथव ऻानवान जीव ऩयभाभनन सवदा |

ऐकमन यभत ऻानी मि कग ि हदवाननशभ ||

इसी परकाय ऻानी सदा ऩयभाभा क साथ अमबनतन होकय यात-हदन आनॊदषवबोय होकय सवि षवियत ह | (154)

गगरसनततोषणादव भगकतो बवनत ऩावनत |

अणणभाहदषग बोकतवॊ कऩमा दषव जामत ||

ह ऩावनत गगरदव को सॊतगदश कयन स मशषम भगकत हो जाता ह | ह दवी गगरदव की कऩा स वह अणणभाहद मसषदधमो का बोग परादऱ कयता ह| (155)

साममन यभत ऻानी हदवा वा महद वा ननमश |

एवॊ षवधौ भहाभौनी िरोकमसभताॊ वरजत ||

ऻानी हदन भ मा यात भ सदा सवदा सभव भ यभण कयत ह | इस परकाय क भहाभौनी अथात

बरहमननदष भहाभा तीनो रोको भ सभान बाव स गनत कयत ह | (156)

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 33: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

गगरबाव ऩयॊ तीथभनतमतीथ ननयथकभ |

सवतीथभमॊ दषव शरीगगयोदळयणामफगजभ ||

गगरबकतकत ही सफस शरदष तीथ ह | अनतम तीथ ननयथक ह | ह दवी गगरदव क ियणकभर

सवतीथभम ह | (157)

कनतमाबोगयताभनतदा सवकानततामा ऩयाडभगखा |

अत ऩयॊ भमा दषव कचथतनतन भभ षपरम ||

ह दवी ह षपरम कनतमा क बोग भ यत सवसतरी स षवभगख (ऩयसतरीगाभी) ऐस फगषदधशनतम रोगो को भया मह आभषपरम ऩयभफोध भन नहीॊ कहा | (158)

अबकत वॊिक धत ऩाखॊड नाजसतकाहदषग |

भनसाऽषऩ न वकतवमा गगरगीता कदािन ||

अबकत कऩटी धत ऩाखणडी नाजसतक इमाहद को मह गगरगीता कहन का भन भ सोिना तक नहीॊ | (159)

गगयवो फहव सजनतत मशषमषवतताऩहायका |

तभकॊ दगरबॊ भनतम मशषमहयतताऩहायकभ ||

मशषम क धन को अऩहयण कयनवार गगर तो फहगत ह रफकन मशषम क रदम का सॊताऩ

हयनवारा एक गगर बी दगरब ह ऐसा भ भानता हॉ | (160)

िातगमवाजनतववकी ि अधमाभऻानवान शगचि |

भानसॊ ननभरॊ मसम गगरवॊ तसम शोबत ||

जो ितगय हो षववकी हो अधमाभ क ऻाता हो ऩषवि हो तथा ननभर भानसवार हो उनभ गगरव शोबा ऩाता ह | (161)

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 34: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

गगयवो ननभरा शानतता साधवो मभतबाषषण |

काभकरोधषवननभगकता सदािाया जजतजनतरमा ||

गगर ननभर शाॊत साधग सवबाव क मभतबाषी काभ-करोध स अमॊत यहहत सदािायी औय जजतजनतरम होत ह | (162)

सिकाहद परबदन गगयवो फहगधा सभता |

सवमॊ सभमक ऩयीकषमाथ तवननदषॊ बजसगधी ||

सिक आहद बद स अनक गगर कह गम ह | तरफषदधभान भनगषम को सवमॊ मोगम षविाय कयक

तवननदष सदगगर की शयण रनी िाहहए| (163)

वणजारमभदॊ तदरदबाहयशासतरॊ तग रौफककभ |

मजसभन दषव सभभमसतॊ स गगर सिक सभत ||

ह दवी वण औय अयो स मसदध कयनवार फाहय रौफकक शासतरो का जजसको अभमास हो वह गगर सिक गगर कहराता ह| (164)

वणाशरभोचिताॊ षवदयाॊ धभाधभषवधानमनीभ |

परवकतायॊ गगरॊ षवषदध वािकसवनत ऩावनत ||

ह ऩावती धभाधभ का षवधान कयनवारी वण औय आशरभ क अनगसाय षवदया का परविन

कयनवार गगर को तगभ वािक गगर जानो | (165)

ऩॊिामाहदभॊिाणाभगऩददशा त ऩावनत |

स गगरफोधको बमादगबमोयभगततभ ||

ऩॊिायी आहद भॊिो का उऩदश दनवार गगर फोधक गगर कहरात ह | ह ऩावती परथभ दो परकाय क गगरओॊ स मह गगर उततभ ह | (166)

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

Page 35: श्री गुरु गीता - dattamaharaj.com¤—ुरु...श्री गगुदेव का ियणाभतृ ऩाऩूऩी कीिड़ का सम्मक्

भोहभायणवशमाहदतगचछभॊिोऩदमशनभ |

ननषषदधगगररयमाहग ऩजणडतसतवदमशन ||

भोहन भायण वशीकयण आहद तगचछ भॊिो को फतानवार गगर को तवदशॉ ऩॊकतडत ननषषदध गगर कहत ह | (167)

अननममभनत ननहदशम सॊसाय सॊकटारमभ |

वयागमऩथदशॉ म स गगरषवहहत षपरम ||

ह षपरम सॊसाय अननम औय दग खो का घय ह ऐसा सभझाकय जो गगर वयागम का भाग फतात ह व षवहहत गगर कहरात ह | (168)

तवभसमाहदवाकमानाभगऩददशा तग ऩावनत |

कायणाखमो गगर परोकतो बवयोगननवायक ||

ह ऩावती तवभमस आहद भहावाकमो का उऩदश दनवार तथा सॊसायरऩी योगो का ननवायण

कयनवार गगर कायणाखम गगर कहरात ह | (169)

सवसनतदहसनतदोहननभरनषविण |

जनतभभ मगबमघनो म स गगर ऩयभो भत ||

सव परकाय क सनतदहो का जड़ स नाश कयन भ जो ितगय ह जनतभ भ मग तथा बम का जो षवनाश कयत ह व ऩयभ गगर कहरात ह सदगगर कहरात ह | (170)

फहगजनतभकतात ऩगणमालरभमतऽसौ भहागगर |

रबधवाऽभगॊ न ऩगनमानत मशषम सॊसायफनतधनभ ||

अनक जनतभो क फकम हगए ऩगणमो स ऐस भहागगर परादऱ होत ह | उनको परादऱ कय मशषम ऩगन सॊसायफनतधन भ नहीॊ फॉधता अथात भगकत हो जाता ह | (171)

एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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एवॊ फहगषवधारोक गगयव सजनतत ऩावनत |

तषग सवपरतनन सवमो हह ऩयभो गगर ||

ह ऩवती इस परकाय सॊसाय भ अनक परकाय क गगर होत ह | इन सफभ एक ऩयभ गगर का ही सवन सव परमतनो स कयना िाहहए | (172)

ऩावमगवाि

सवमॊ भढा भ मगबीता सगकताहदरयनतॊ गता |

दवजनतनषषदधगगरगा महद तषाॊ तग का गनत ||

ऩवती न कहा परकनत स ही भढ भ मग स बमबीत सकभ स षवभगख रोग महद दवमोग स ननषषदध गगर का सवन कय तो उनकी कमा गनत होती ह | (173)

शरीभहादव उवाि

ननषषदधगगरमशषमसतग दगदशसॊकलऩदषषत |

बरहमपररमऩमनततॊ न ऩगनमानत भ मताभ ||

शरी भहादवजी फोर

ननषषदध गगर का मशषम दगदश सॊकलऩो स दषषत होन क कायण बरहमपररम तक भनगषम नहीॊ होता ऩशगमोनन भ ही यहता ह | (174)

शरणग तवमभदॊ दषव मदा समाहदरयतो नय |

तदाऽसावचधकायीनत परोचमत शरगतभसतक ||

ह दवी इस तव को धमान स सगनो | भनगषम जफ षवयकत होता ह तबी वह अचधकायी कहराता ह ऐसा उऩननषद कहत ह | अथात दव मोग स गगर परादऱ होन की फात अरग ह औय षविाय स गगर िगनन की फात अरग ह | (175)

अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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अखणडकयसॊ बरहम ननमभगकतॊ ननयाभमभ |

सवजसभन सॊदमशतॊ मन स बवदसम दमशक ||

अखणड एकयस ननमभगकत औय ननयाभम बरहम जो अऩन अॊदय ही हदखात ह व ही गगर होन िाहहए | (176)

जरानाॊ सागयो याजा मथा बवनत ऩावनत |

गगरणाॊ ति सवषाॊ याजामॊ ऩयभो गगर ||

ह ऩावती जजस परकाय जराशमो भ सागय याजा ह उसी परकाय सफ गगरओॊ भ स म ऩयभ गगर याजा ह | (177)

भोहाहदयहहत शानततो ननमतदऱो ननयाशरम |

तणीकतबरहमषवषणगवबव ऩयभो गगर ||

भोहाहद दोषो स यहहत शाॊत ननम तदऱ फकसीक आशरमयहहत अथात सवाशरमी बरहमा औय षवषणग क वबव को बी तणवत सभझनवार गगर ही ऩयभ गगर ह | (178)

सवकारषवदशषग सवतॊिो ननदळरससगखी |

अखणडकयसासवादतदऱो हह ऩयभो गगर ||

सव कार औय दश भ सवतॊि ननदळर सगखी अखणड एक यस क आननतद स तदऱ ही सिभगि

ऩयभ गगर ह | (179)

दरतादरतषवननभगकत सवानगबनतपरकाशवान |

अऻानानतधभशछतता सवऻ ऩयभो गगर ||

दरत औय अदरत स भगकत अऩन अनगबगवरऩ परकाशवार अऻानरऩी अॊधकाय को छदनवार औय सवऻ ही ऩयभ गगर ह | (180)

मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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मसम दशनभािण भनस समात परसनतनता |

सवमॊ बमात धनतशशाजनतत स बवत ऩयभो गगर ||

जजनक दशनभाि स भन परसनतन होता ह अऩन आऩ धम औय शाॊनत आ जाती ह व ऩयभ गगर ह | (181)

सवशयीयॊ शवॊ ऩशमन तथा सवाभानभदरमभ |

म सतरीकनकभोहघन स बवत ऩयभो गगर ||

जो अऩन शयीय को शव सभान सभझत ह अऩन आभा को अदरम जानत ह जो कामभनी औय कॊ िन क भोह का नाशकता ह व ऩयभ गगर ह | (182)

भौनी वागभीनत तवऻो हदरधाबचछणग ऩावनत |

न कजदळनतभौननना राबो रोकऽजसभनतबवनत षपरम ||

वागभी तकटसॊसायसागयोततायणभ |

मतोऽसौ सॊशमचछतता शासतरमगकमनगबनतमब ||

ह ऩावती सगनो | तवऻ दो परकाय क होत ह | भौनी औय वकता | ह षपरम इन दोनो भ स

भौनी गगर दराया रोगो को कोई राब नहीॊ होता ऩयनततग वकता गगर बमॊकय सॊसायसागय को ऩाय कयान भ सभथ होत ह | कमोफक शासतर मगकतकत (तक) औय अनगबनत स व सव सॊशमो का छदन

कयत ह | (183 184)

गगरनाभजऩादयषव फहगजनतभाजजतानतमषऩ |

ऩाऩानन षवरमॊ माजनतत नाजसत सनतदहभणवषऩ ||

ह दवी गगरनाभ क जऩ स अनक जनतभो क इकठठ हगए ऩाऩ बी नदश होत ह इसभ अणगभाि सॊशम नहीॊ ह | (185)

कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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कग रॊ धनॊ फरॊ शासतरॊ फानतधवाससोदया इभ |

भयण नोऩमगजमनतत गगरयको हह तायक ||

अऩना कग र धन फर शासतर नात-रयशतदाय बाई म सफ भ मग क अवसय ऩय काभ नहीॊ आत | एकभाि गगरदव ही उस सभम तायणहाय ह | (186)

कग रभव ऩषविॊ समात समॊ सवगगरसवमा |

तदऱा समगससकरा दवा बरहमादया गगरतऩणात ||

सिभगि अऩन गगरदव की सवा कयन स अऩना कग र बी ऩषवि होता ह | गगरदव क तऩण स बरहमा आहद सफ दव तदऱ होत ह | (187)

सवरऩऻानशनतमन कतभपमकतॊ बवत |

तऩो जऩाहदकॊ दषव सकरॊ फारजलऩवत ||

ह दवी सवरऩ क ऻान क तरफना फकम हगए जऩ-तऩाहद सफ कग छ नहीॊ फकम हगए क फयाफय ह फारक क फकवाद क सभान (वमथ) ह | (188)

न जानजनतत ऩयॊ तवॊ गगरदीाऩयाडभगखा |

भरानतता ऩशगसभा हयत सवऩरयऻानवजजता ||

गगरदीा स षवभगख यह हगए रोग भराॊत ह अऩन वासतषवक ऻान स यहहत ह | व सिभगि ऩशग क सभान ह | ऩयभ तव को व नहीॊ जानत | (189)

तसभाकवलममसदधमथ गगरभव बजजपरम |

गगरॊ षवना न जानजनतत भढासतऩयभॊ ऩदभ ||

इसमरम ह षपरम कवलम की मसषदध क मरए गगर का ही बजन कयना िाहहए | गगर क तरफना भढ रोग उस ऩयभ ऩद को नहीॊ जान सकत | (190)

मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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मबदयत रदमगरजनतथजशछदयनतत सवसॊशमा |

ीमनतत सवकभाणण गगयो करणमा मशव ||

ह मशव गगरदव की कऩा स रदम की गरजनतथ नछनतन हो जाती ह सफ सॊशम कट जात ह औय सव कभ नदश हो जात ह | (191)

कतामा गगरबकतसतग वदशासतरनगसायत |

भगचमत ऩातकाद घोयाद गगरबकतो षवशषत ||

वद औय शासतर क अनगसाय षवशष रऩ स गगर की बकतकत कयन स गगरबकत घोय ऩाऩ स बी भगकत हो जाता ह | (192)

दग सॊगॊ ि ऩरयमजम ऩाऩकभ ऩरयमजत |

चिततचिहनमभदॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

दगजनो का सॊग मागकय ऩाऩकभ छोड़ दन िाहहए | जजसक चितत भ ऐसा चिहन दखा जाता ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (193)

चिततमागननमगकतदळ करोधगवषववजजत |

दरतबावऩरयमागी तसम दीा षवधीमत ||

चितत का माग कयन भ जो परमतनशीर ह करोध औय गव स यहहत ह दरतबाव का जजसन माग

फकमा ह उसक मरए गगरदीा का षवधान ह | (194)

एतलरणसॊमगकतॊ सवबतहहत यतभ |

ननभरॊ जीषवतॊ मसम तसम दीा षवधीमत ||

जजसका जीवन इन रणो स मगकत हो ननभर हो जो सफ जीवो क कलमाण भ यत हो उसक

मरए गगरदीा का षवधान ह | (195)

अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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अमनततचिततऩकवसम शरदधाबकतकतमगतसम ि |

परवकतवममभदॊ दषव भभाभपरीतम सदा ||

ह दवी जजसका चितत अमनतत ऩरयऩकव हो शरदधा औय बकतकत स मगकत हो उस मह तव सदा भयी परसनतनता क मरए कहना िाहहए | (196)

सकभऩरयऩाकाचि चिततशगदधसम धीभत |

साधकसमव वकतवमा गगरगीता परमतनत ||

सकभ क ऩरयऩाक स शगदध हगए चिततवार फगषदधभान साधक को ही गगरगीता परमतनऩवक कहनी िाहहए | (197)

नाजसतकाम कतघनाम दाॊमबकाम शठाम ि |

अबकताम षवबकताम न वाचममॊ कदािन ||

नाजसतक कतघन दॊबी शठ अबकत औय षवयोधी को मह गगरगीता कदाषऩ नहीॊ कहनी िाहहए

| (198)

सतरीरोरगऩाम भखाम काभोऩहतितस |

नननतदकाम न वकतवमा गगरगीतासवबावत ||

सतरीरमऩट भख काभवासना स गरसत चिततवार तथा ननॊदक को गगरगीता तरफरकग र नहीॊ कहनी िाहहए | (199)

एकायपरदातायॊ मो गगरनव भनतमत |

दवनमोननशतॊ गवा िाणडारषवषऩ जामत ||

एकाय भॊि का उऩदश कयनवार को जो गगर नहीॊ भानता वह सौ जनतभो भ कग तता होकय फपय िाणडार की मोनन भ जनतभ रता ह | (200)

गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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गगरमागाद बवनतभ मगभनतिमागादयरयरता |

गगरभॊिऩरयमागी यौयवॊ नयकॊ वरजत ||

गगर का माग कयन स भ मग होती ह | भॊि को छोड़न स दरयरता आती ह औय गगर एवॊ भॊि दोनो का माग कयन स यौयव नयक मभरता ह | (201)

मशवकरोधाद गगरसतराता गगरकरोधाजचछवो न हह |

तसभासवपरमतनन गगयोयाऻाॊ न रॊघमत ||

मशव क करोध स गगरदव यण कयत ह रफकन गगरदव क करोध स मशवजी यण नहीॊ कयत | अत सफ परमतन स गगरदव की आऻा का उलरॊघन नहीॊ कयना िाहहए | (202)

सदऱकोहटभहाभॊिाजदळततषवभरॊशकायका |

एक एव भहाभॊिो गगररयमयदरमभ ||

सात कयोड़ भहाभॊि षवदयभान ह | व सफ चितत को भरमभत कयनवार ह | गगर नाभ का दो अयवारा भॊि एक ही भहाभॊि ह | (203)

न भषा समाहदमॊ दषव भदगकतकत समरषऩणण |

गगरगीतासभॊ सतोिॊ नाजसत नाजसत भहीतर ||

ह दवी भया मह कथन कबी मभथमा नहीॊ होगा | वह समसवरऩ ह | इस ऩथवी ऩय गगरगीता क सभान अनतम कोई सतोि नहीॊ ह | (204)

गगरगीतामभभाॊ दषव बवदग खषवनामशनीभ |

गगरदीाषवहीनसम ऩगयतो न ऩठकवचित ||

बवदग ख का नाश कयनवारी इस गगरगीता का ऩाठ गगरदीाषवहीन भनगषम क आग कबी नहीॊ कयना िाहहए | (205)

यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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यहसमभमनततयहसमभतनतन ऩाषऩना रभममभदॊ भहदवरय |

अनकजनतभाजजतऩगणमऩाकाद गगयोसतग तवॊ रबत भनगषम ||

ह भहदवयी मह यहसम अमॊत गगदऱ यहसम ह | ऩाषऩमो को वह नहीॊ मभरता | अनक जनतभो क

फकम हगए ऩगणम क ऩरयऩाक स ही भनगषम गगरतव को परादऱ कय सकता ह | (206)

सवतीथवगाहसम सॊपरापनोनत परॊ नय |

गगयो ऩादोदकॊ ऩीवा शषॊ मशयमस धायमन ||

शरी सदगगर क ियणाभत का ऩान कयन स औय उस भसतक ऩय धायण कयन स भनगषम सव

तीथो भ सनान कयन का पर परादऱ कयता ह | (207)

गगरऩादोदकॊ ऩानॊ गगयोरजचछदशबोजनभ |

गगरभत सदा धमानॊ गगयोनामन सदा जऩ ||

गगरदव क ियणाभत का ऩान कयना िाहहए गगरदव क बोजन भ स फिा हगआ खाना गगरदव

की भनत का धमान कयना औय गगरनाभ का जऩ कयना िाहहए | (208)

गगरयको जगसव बरहमषवषणगमशवाभकभ |

गगयो ऩयतयॊ नाजसत तसभासॊऩजमद गगरभ ||

बरहमा षवषणग मशव सहहत सभगर जगत गगरदव भ सभाषवदश ह | गगरदव स अचधक औय कग छ बी नहीॊ ह इसमरए गगरदव की ऩजा कयनी िाहहए | (209)

ऻानॊ षवना भगकतकतऩदॊ रभमत गगरबकतकतत |

गगयो सभानतो नानतमत साधनॊ गगरभाचगणाभ ||

गगरदव क परनत (अननतम) बकतकत स ऻान क तरफना बी भोऩद मभरता ह | गगर क भाग ऩय िरनवारो क मरए गगरदव क सभान अनतम कोई साधन नहीॊ ह | (210)

गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||

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गगयो कऩापरसादन बरहमषवषणगमशवादम |

साभथमभबजन सव सषदशजसथमॊतकभणण ||

गगर क कऩापरसाद स ही बरहमा षवषणग औय मशव मथाकरभ जगत की सषदश जसथनत औय रम

कयन का साभथम परादऱ कयत ह | (211)

भॊियाजमभदॊ दषव गगररयमयदरमभ |

सभनतवदऩगयाणानाॊ सायभव न सॊशम ||

ह दवी गगर मह दो अयवारा भॊि सफ भॊिो भ याजा ह शरदष ह | सभनतमाॉ वद औय ऩगयाणो का वह साय ही ह इसभ सॊशम नहीॊ ह | (212)

मसम परसादादहभव सव भयमव सव ऩरयकजलऩतॊ ि |

इथॊ षवजानामभ सदाभरऩॊ समाॊनघरऩदमॊ परणतोऽजसभ ननमभ ||

भ ही सफ हॉ भगझभ ही सफ कजलऩत ह ऐसा ऻान जजनकी कऩा स हगआ ह ऐस आभसवरऩ शरी सदगगरदव क ियणकभरो भ भ ननम परणाभ कयता हॉ | (213)

अऻाननतमभयानतधसम षवषमाकरानततितस |

ऻानपरबापरदानन परसादॊ कग र भ परबो ||

ह परबो अऻानरऩी अॊधकाय भ अॊध फन हगए औय षवषमो स आकरानतत चिततवार भगझको ऻान

का परकाश दकय कऩा कयो | (214)

|| इनत शरी सकानतदोततयखणड उभाभहदवयसॊवाद शरी गगरगीतामाॊ ततीमोऽधमाम ||