पoवoषरtलtवt, tमालदा मंडल की सpजpनात्मक...

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वष -17 -09 2017-18 वष रेलवे, मालदा म डल की सृजनामक हहदी ई-माहसकी

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Page 1: पoवoषरtलtवt, tमालदा मंडल की सpजpनात्मक हहन्दm 7 माहसकी DEC 2017.pdf · सामवेद ज्ञानयोग,

वषष-15

अक-11

2017

वषष-17

अक-09

2017-18

पवष रलव, मालदा मडल की सजनातमक हहनदी ई-माहसकी पवष रलव, मालदा मडल की सजनातमक हहनदी ई-माहसकी

Page 2: पoवoषरtलtवt, tमालदा मंडल की सpजpनात्मक हहन्दm 7 माहसकी DEC 2017.pdf · सामवेद ज्ञानयोग,

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भारत क सहवधान म राजभाषा

सघ की राजभाषा हहदी और हिहि दवनागरी ह । सघ क शासकीय परयोजनो क हिए परयोग होन वाि अको का रि भारतीय अको का अतराषटरीय रि

ह { सहवधान का अनचछद 343 (1)} । िरनत हहदी क अहतररकत अगरजी भाषा का परयोग भी सरकारी कामकाज म हकया जा सकता ह।

ससद का कायय हहदी म या अगरजी म हकया जा सकता ह । िरनत राजयसभा क सभािहत महोदय या िोकसभा क अधयकष महोदय हवशष िररहथिहत म

सदन क हकसी सदथय को अिनी मातभाषा म सदन को सबोहधत करन की अनमहत द सकत ह ।

हकन परयोजनो क हिए कवि हहदी का परयोग हकया जाना ह, हकन क हिए हहदी और अगरजी दोनो भाषाओ का परयोग आवशयक ह और हकन कायो क

हिए अगरजी भाषा का परयोग हकया जाना ह, यह राजभाषा अहधहनयम 1963, राजभाषा हनयम 1976 और उनक अतगयत समय समय िर राजभाषा हवभाग, गह

मतरािय की ओर स जारी हकए गए हनदशो दवारा हनधायररत हकया गया ह ।

अधयायअधयायअधयाय --- 111 सघ की भाषा

ऄनचछद 120. ससद म परयोग की जान वाली भाषा - (1) भाग 17 म ककसी बात क होत हए भी, ककत ऄनचछद 348 क ईपबधो क

ऄधीन रहत हए, ससद म कायय कहदी म या ऄगरजी म ककया जाएगा

परत, यथाकथथकत, राजय सभा का सभापकत या लोक सभा का ऄधयकष ऄथवा ईस रप म कायय करन वाला वयकि ककसी सदथय को, जो

कहदी म या ऄगरजी म ऄपनी पयायपत ऄकभवयकि नही कर सकता ह, ऄपनी मात-भाषा म सदन को सबोकधत करन की ऄनजञा द सकगा ।

(2) जब तक ससद कवकध दवारा ऄनयथा ईपबध न कर तब तक आस सकवधान क परारभ स पदरह वषय की ऄवकध की समाकपत क पशचात यह

ऄनचछद ऐस परभावी होगा मानो या ऄगरजी म” शबदो का ईसम स लोप कर कदया गया हो ।

ऄनचछद 210: कवधान-मडल म परयोग की जान वाली भाषा - (1) भाग 17 म ककसी बात क होत हए भी, ककत ऄनचछद 348 क

ईपबधो क ऄधीन रहत हए, राजय क कवधान-मडल म कायय राजय की राजभाषा या राजभाषाओ म या कहदी म या ऄगरजी म ककया जाएगा

परत, यथाकथथकत, कवधान सभा का ऄधयकष या कवधान पररषद का सभापकत ऄथवा ईस रप म कायय करन वाला वयकि ककसी सदथय

को, जो पवोि भाषाओ म स ककसी भाषा म ऄपनी पयायपत ऄकभवयकि नही कर सकता ह, ऄपनी मातभाषा म सदन को सबोकधत करन की

ऄनजञा द सकगा ।

(2) जब तक राजय का कवधान-मडल कवकध दवारा ऄनयथा ईपबध न कर तब तक आस सकवधान क परारभ स पदरह वषय की ऄवकध की

समाकपत क पशचात यह ऄनचछद ऐस परभावी होगा मानो “ या ऄगरजी म ” शबदो का ईसम स लोप कर कदया गया हो :

परत कहमाचल परदश, मकणपर, मघालय और किपरा राजयो क कवधान-मडलो क सबध म, यह खड आस परकार परभावी होगा मानो आसम

अन वाल“पदरह वषय” शबदो क थथान पर “पचचीस वषय” शबद रख कदए गए हो :

परत यह और कक ऄरणाचल परदश, गोवा और कमजोरम राजयो क कवधान-मडलो क सबध म यह खड आस परकार परभावी होगा मानो

आसम अन वाल “ पदरह वषय ” शबदो क थथान पर “ चालीस वषय ” शबद रख कदए गए हो ।

ऄनचछद 343. सघ की राजभाषा--

(1) सघ की राजभाषा कहदी और कलकप दवनागरी होगी, सघ क शासकीय परयोजनो क कलए परयोग होन वाल ऄको का रप भारतीय

ऄको का ऄतरायषटरीय रप होगा।

(2) खड (1) म ककसी बात क होत हए भी, आस सकवधान क परारभ स पदरह वषय की ऄवकध तक सघ क ईन सभी शासकीय परयोजनो क

कलए ऄगरजी भाषा का परयोग ककया जाता रहगा कजनक कलए ईसका ऐस परारभ स ठीक पहल परयोग ककया जा रहा था :

परनत राषटरपकत ईि ऄवकध क दौरान, अदश दवारा, सघ क शासकीय परयोजनो म स ककसी क कलए ऄगरजी भाषा क ऄकतररि कहदी भाषा

का और भारतीय ऄको क ऄतरायषटरीय रप क ऄकतररि दवनागरी रप का परयोग पराकधकत कर सकगा।

(3) आस ऄनचछद म ककसी बात क होत हए भी, ससद ईि पनदरह वषय की ऄवकध क पशचात , कवकध दवारा

(क) ऄगरजी भाषा का, या

(ख) ऄको क दवनागरी रप का,

ऐस परयोजनो क कलए परयोग ईपबकधत कर सकगी जो ऐसी कवकध म कवकनकदयषट ककए जाए।

करमशः

8 02

भारत क सहवधान म राजभाषा

करमशः

राजभाषा नियम, 1976 (यथासशोहधत, 1987, 2007 तथा 2011)

6 . हिनदी और अगरजी दोनो का परयोग-

ऄकधकनयम की धारा 3 की ईपधारा (3) म कनकदयषट सभी दथतावजो क कलए कहनदी और ऄगरजी दोनो का परयोग ककया

जाएगा और ऐस दथतावजो पर हथताकषर करन वाल वयकियो का यह ईततरदाकयतव होगा कक व यह सकनकशचत कर ल कक

ऐसी दथतावज कहनदी और ऄगरजी दोनो ही म तयार की जाती ह, कनषटपाकदत की जाती ह और जारी की जाती ह।

7. आवदन, अभयावदन आहद-

(1) कोइ कमयचारी अवदन, ऄपील या ऄभयावदन कहनदी या ऄगरजी म कर सकता ह।

(2) जब ईपकनयम (1) म कवकनकदयषट कोइ अवदन, ऄपील या ऄभयावदन कहनदी म ककया गया हो या ईस पर कहनदी म

हथताकषर ककए गए हो, तब ईसका ईततर कहनदी म कदया जाएगा।

(3) यकद कोइ कमयचारी यह चाहता ह कक सवा सबधी कवषयो (कजनक ऄनतगयत ऄनशासकनक काययवाकहया भी ह) स

सबकधत कोइ अदश या सचना, कजसका कमयचारी पर तामील ककया जाना ऄपककषत ह, यथाकथथकत, कहनदी या ऄगरजी म

होनी चाकहए तो वह ईस ऄसमयक कवलमब क कबना ईसी भाषा म दी जाएगी।

8. कनरीय सरकार क कायाालयो म हिपपणो का हलखा जाना -

(1) कोइ कमयचारी ककसी फाआल पर किपपण या काययवतत कहदी या ऄगरजी म कलख सकता ह और ईसस यह ऄपकषा

नही की जाएगी कक वह ईसका ऄनवाद दसरी भाषा म परथतत कर।

(2) कनदरीय सरकार का कोइ भी कमयचारी, जो कहनदी का काययसाधक जञान रखता ह, कहनदी म ककसी दथतावज क

ऄगरजी ऄनवाद की माग तभी कर सकता ह, जब वह दथतावज कवकधक या तकनीकी परककत का ह, ऄनयथा नही।

(3) यकद यह परशन ईठता ह कक कोइ कवकशषट दथतावज कवकधक या तकनीकी परककत का ह या नही तो कवभाग या

कायायलय का परधान ईसका कवकनशचय करगा।

(4)ईपकनयम (1) म ककसी बात क होत हए भी, कनदरीय सरकार, अदश दवारा ऐस ऄकधसकचत कायायलयो को कवकनकदयषट

कर सकती ह जहा ऐस कमयचाररयो दवारा,कजनह कहनदी म परवीणता परापत ह, किपपण, परारपण और ऐस ऄनय शासकीय

परयोजनो क कलए, जो अदश म कवकनकदयषट ककए जाए, कवल कहनदी का परयोग ककया जाएगा ।

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हवषय वसत

परसगवश—

—सधाश कमार कवशवास — 3

ऄनठा पवय छठ पजा —

— सकचचदानद 4

भिवाताय—

— कलाश चद धाररया 7

रलव कनयिण ...—

— ऄरण कमार झा 9

बदध की कशकषा

— आनदरजयोकत राय 13

कलयगी भि —

— चदरभान 14

गकठयाका आलाज

जनादयन परसाद 16

गाधी..

— पजा धाररया 17

थवचछता

— मोकनका 17

पानी.....

—नदलाल परसाद आनद 18

नता बनो

— शलनदर राम 18

छाया कचि 19

कचि कवकथका 20

हनिःशलक हवतरण हत

सरकषक

मोकहत कसनहा

मडल रल परबधक

परामशष

कवजय कमार साह ऄपर मखय राजभाषा ऄकधकारी

एव ऄपर मडल रल परबधक

परधान सपादक

सधाश कमार कवशवास

राजभाषा ऄकधकारी(पर।)

सपादक

सकचचदानद

व. ऄनवादक

कायषकारी सपादक

कलाश चदर धाररया

व. ऄनवादक

सहयोग

आदर जयोकत राय एव

दयामय दास

03

सामवदिः भारतीय ससकहत का आधार

वद भारतीय सथककत का अधार ह । वद भारतीय सभयता को कवरासत म

कमल ह ऄगर ककसी गरथ न भारत की गररमा को ऄकषककषण रखा ह तो वो ह वद ।

वदो न भारत क अधयातम को सवोततम ईचाइ परदान की ह ।

वदो म चार वद परमख मान जात ह । ऊगवद, ऄथवयवद, यजवद और सामवद।

आन चारो वदो म स सामवद भारत क पराचीनतम वदो म स एक ह । यह वद मलतः

गीत-सगीत परधान ह । पराचीन अयो दवारा साम-गान ककया जाता था ।

सामवद यदयकप छोिा ह परनत एक तरह स यह सभी वदो का सार रप ह और

सभी वदो क चन हए ऄश आसम शाकमल ककय गय ह । आसक 1875 मनिो म स

69 को छोड कर सभी ऊगवद क ह । कवल 17 मनि ऄथवयवद और यजवद क

पाय जात ह। कफर भी आसकी परकतषठा सवायकधक ह, कजसका एक

कारण गीता म कषटण दवारा वदाना सामवदोऽिमम जो कहा ह।

सामवद सकहता क दो भाग ह, अकचयक और गान । पराणो म जो कववरण

कमलता ह ईसस सामवद की एक सहसतर शाखाओ क होन की जानकारी कमलती

ह।

सामवद का महतव आसी स पता चलता ह कक गीता क ऄकतररि अनशासन

पवव म भी सामवद की महतता को दशायया गया ह- सामवदशच वदाना यजषा

शतरदरीयम। ऄकनन पराण क ऄनसार सामवद क कवकभनन मिो क कवकधवत जप

अकद स रोग वयाकधयो स मि हअ जा सकता ह एव बचा जा सकता ह, तथा

कामनाओ की कसकदध हो सकती ह ।

सामवद जञानयोग, कमययोग और भकियोग की किवणी ह । ऊकषयो न कवकशषट

मिो का सकलन करक गायन की पदधकत कवककसत की। ऄधकनक कवदवान भी आस

तथय को थवीकार करन लग ह कक समथत थवर, ताल, लय, छद, गकत, मनि, थवर-

कचककतसा, राग, नतय, मदरा, भाव अकद सामवद स ही कनकल ह।

सामवद म ऐस मनि कमलत ह कजनस यह परमाकणत होता ह कक वकदक ऊकषयो

को ऐस वजञाकनक सतयो का जञान था कजनकी जानकारी अधकनक वजञाकनको को

सहसतराकबदयो बाद परापत हो सकी ह ।

सामवद की लोककपरयता एव ईपयोकगता क अधार पर हमार ऄनक ऊकष

आसक पाठक बन गए और बाद म अग चलकर ईनकी सतकतया सामवदी बराहमण

कहलान लग । — सधाश कमार हवशवास

परसगवश

सपरक सतर

सपादर, बढत रदम

मडल रल परबधर राराकलर

परक रलर/मालदा

फोन- 72190/ 72192 (रलर) Email – [email protected]

परकाकशत रचनाओ म वयि कवचार लखको क ऄपन ह आसस सपादक मडल का सहमत होना अवशयक नही ह।

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आलख

अनठा परव छठ पजाअनठा परव छठ पजाअनठा परव छठ पजा कवशव का ऄनठा पवय छठ पजा कइ नामो स कवखयात ह । जस डाला छठ बडका पवय, लोक महापवय, लोक अथथा का

महापवय । आस पवय की शरअत भगवान कषटण क पि न कषठ स कनवारण हत सवयपरथम सयय पजा यानी छठ पजा परारभ ककया

था । अज यह पवय भारत ही नही कवदशो म भी बडी शरदधा स ककया जाता ह । जहा-जहा कबहारी भाइ गए और बस गए

वहा वहा छठ पजा करन लग।

दरऄसल यह सयय दव की पजा ह और सयय सबका ह । सयय ईदय न हो तो आस ससार का नाश हो जाएगा । ऄतएव

सयय को जीकवत दवता माना जाता ह । सयय ईदय न हो तो मानव,पश पकषी स लकर कीि पतग तथा पड पौध सब का

कवनाश हो जाएगा ऄतएव सरज को जीकवत दवता माना जाता ह । अज हम सकडो दवी दवता की पजा करत ह परत

ककसी भी दवी दवता को साकषात नही दखत ईनका कचि या मकतय बनाकर ईसकी पजा करत ह जबकक सयय दव को हम

लोग परतयकष दखत ह ईन स लाभाकनवत होत ह । ठड लग रही ह सरज की धप म बठ जात ह, गीला कपडा जलदी सखाना

हो तो कपड धप म डाल दत ह । आस परकार पथवीवासी सरज का साकषात दशयन रोज सबह शाम करत ह तथा आसस

लाभाकवत होत ह आसीकलए छठ पजा का महतव सबस ऄकधक ह छठ पजा क ऄनको लाभ ह जो कनमन परकार ह -- छठ

पजा समाज म वयापत जाकत धमय मजहबी भाव को समापत करता ह तथा अपस म जोडता ह ।

छठ पजा रोजगार ईपलबध कराता ह । छठ पजा समाज स बराहमण बाद समापत करन की सीख दता ह । छठ पजा कमटटी

तथा जल क महतव को बताता ह । छठ पजा समाज म सबस ऄधम डोम जाकत क महतव को थथाकपत करता ह । समाज म

गलत परसाद परथा क परकत सजग करता ह जस कखचडी तथा मास को भी परसाद क रप म खान कखलान की परथा चल पडी

ह ।

छठ पजा समाज म वयापत उच-नीच छोि-बड ऄमीर गरीब कशककषत मखय का भद कमिाता ह। छठ पजा समह म सब क

साथ कमलजलकर मनान की पररणा दता ह । छठ पजा कनया क महतव को दशायत हए बिी की माग वरती सयय दव स करती

ह । छठ पजा ऄपनी सकवधानसार तथा अकथयक थतर क ऄनसार करन की थवतिता लोगो को कबना अडबर क करन की

सीख दती ह । छठ पजा बाहरी अडबर दर कर गरीब ऄमीर सबको पदल चलन की सीख दती ह । छठ पजा माथ पर

सप, डकलया ढोकर शरम करन क कलए परररत करता ह । छठ पजा कमलजल कर सफाइ करन क कलए परररत करता ह । छठ

पजा जाकत धमय का भद भाव भलाकर समाज को ईपयोगी कशकषा दता ह । छठ पजा गौ माता की महतता थथाकपत करता ह

कयोकक आसक दध का आथतमाल परसाद तथा ऄघय म होता ह ।

छठ पजा तयाग करन तथा अवशयकता पडन पर कबना ऄनन जल गरहण कर जीन की कशकषा दता ह । छठ पजा

सतोषम परम सखम क साथ साथ कषमा तयाग सफलता का पाठ पढाता ह ।

छठ पजा की परमख सामगरी बास की बनी सप, िोकरी, दवरा, दईरा ह जो बशवकदध का परतीक ह तथा ऄपन जीवन म

जस सप ऄनपयोगी चीज भसा को ऄलग करती ह वही सीख हम छठ पजा ऄपन ऄदर की बराआयो को दर करन की

पररणा दती ह । छठ पजा म ईपयोग म लाइ जान वाली दसरी वथत कमटटी ह ऄथायत पथवी कजस पर यह ससार बसा हअ ह

पहाड, नदी, झरन, थकल, कॉलज सब कछ धरती माता पर बसा हअ ह । आसी कमटटी स छठ पजा क कलए कदया तथा बतयन

और परसाद बनान हत चलहा बनाया जाता ह । मानव का जीवन भी कमटटी स ही बना ह आसम भी पराण रपी बाती जलता ह

और वह जब तक जलता ह तब तक मानव जीकवत रहता ह जस कदए का बझना कनकशचत ह ईसी परकार मनषटय का मरना

एक कदन कनकशचत ह तो कफर ऄकभमान कसा यह छठ पवय सदश दता ह। छठ पजा और ऄनय पजा म बहत ऄतर ह -- 04

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आलख

परमख ऄतर ह हम सयय दव को, जल दव को, पवन दव को, अकाश दव को थवय ऄपन अखो स दखत ह जबकक ऄनय

पजा म हम भगवान की मकतय थथाकपत करत ह या ईसका कालपकनक थवरप की पजा करत ह । छठ पजा का अयोजन खल

मदान म बहत झरन, तालाब या नदी क ककनार मनात ह । वरती कनमयल जल म परवश कर सयय की अराधना करत ह ।

छठ पवय मानव को सदाचार का पाठ पढाती ह । असपास क लोगो को भी अवशयकतानसार ऄपनी अकथयक कथथकत

क ऄनसार मदद करन का सदश दता ह । धमय की दीवार तोडन का सदश दता ह कयोकक सयय दवता पर ससार क जीव का

कलयाण करत ह । कयोकक आस पवय को चाह कहद हो या मसलमान सभी पजा ऄचयना करत ह या करन म सहायता दत ह

आसस अपस म बमनथयता खतम होती ह भाइ चारा बढता ह । मरा मानना ह कक यकद छठ पजा जसी दो चार और होती ह

तो कवशव स नफरत खतम हो जाएगी ।

छठ पजा म ककतन लोगो को रोजगार कमलता ह ईनक दवारा कनकमयत सामानो का ईपयोग जो होता ह आसीकलए आस

सवयशरषठ पवय को बडका पवय कहा जाता ह जो पवय म सबस बडा ह कजस 3 कदनो तक कनराहार रहकर ककया जाता ह । छठ

पजा ही एक ऐसी पजा ह कजसम बराहमण की कोइ अवशयकता नही पडती । यकद आस पवय म बराहमण की अवशयकता पडती

तो कवदशो स भी बराहमण बलान पर पजा सपनन नही हो पाती ऄथायत ईतन बराहमण ईपलबध ही नही हो पात ऄतः छठ पवय

बराहमणवाद पर कठाराघात करता ह और थवय ऄपनी आचछा ऄनसार ऄपनी भाषा म भगवान भाथकर की पजा ऄचयना करन

की छि दता ह। भगवान ऄतयायमी होत ह वह सब क मन की बात जानत ह तो कफर बराहमण की कया अवशयकता। ककसी

भी पजा पाठ म बराहमण की सचमच अवशयकता ही नही यही सीख छठ पवय दता ह ।

अज समाज म परसाद का गलत थवरप खान कखलान की परथा चल पडी ह । हर पवय क ऄत म कखचडी परसाद क रप

म पाइ जाती ह जो सरासर गलत परपरा ह । दरऄसल कखचडी दररदरो, कभखाररयो को शर-शर म पजा अयोजको न

कखलाना शर ककया था ।धीर-धीर कभकष गायब हो गए और थवय सखी सपनन वयकि कभखाररयो का हक चि करन लग गए

और पाप स बचन क कलए आस परसाद घोकषत कर कदए जब कक सचचाइ यह ह कक कहद धमायनसार ककसी भी परसाद म यकद

नमक कमला कदया जाए तो वह परसाद नही हो सकता । आसका ईदाहरण अप छठ पजा म दख सकत ह ।

छठ पजा म परसाद क ऄतगयत खीर, पायस, कमठाइ, फल अकद अत ह । छठ पवय तालाब या नदी ककनार गरीब स

गरीब, ऄछत धनी स धनी सभी अपस म कबना भदभाव क पजा-पाठ करत ह । कवशव म ऐसा एक भी पवय नही ह कजसम

आतनी समता हो आसीकलए समाज स छअछत गरीब ऄमीर कवदवान जस भदभाव कमिान म ही छठ पवय का कवशष महतव ह ।

अज चारो तरफ बकियो पर ऄतयाचार हो रहा ह भरण हतया स लकर कतलक लोकभयो क कारण कमारी ऄमला ऄपन पराणो

की अहकत दन पर कववश ह और आस छठ पवय म बिा नही बिी की माग वरती सययदव स करती ह । चाह गरीब हो या ऄमीर

आसम बाहरी अडबर नही होता लोग ऄपन माथ पर थवय डाला सप ढोकर घाि तक जात ह और सभी वरती नग पाव जात

ह जो समता एकरपता परदान करता ह तथा छठ पवय क दवता शरम की महतता को बताता ह । ऄनय धमय क लोग भल ही छठ

पजा न करत हो लककन आसम शाकमल होकर राथता घाि की सफाइ म ऄहम भकमका कनभात ह ।

छठ पवय जाकत-भद कमिाता ह कमिान की पररणा दता ह । छठ पजा म गौ माता तथा ईसका दध स ही परसाद की सारी

सामगरी बनती ह । गोबर स घर लीपा जाता ह तथा दध स खीर बनाया जाता ह तथा दध स खीर बनाकर छठ पजा का

शभारभ ककया जाता ह ।

छठ पजा हम बताता ह कक छठ पजा म डबत सरज क साथ साथ ईगत सरज की भी पजा की जाती ह जबकक लोग

ईगत सरज ऄथायत सख क वि ही ईननकत करन वाल या धनी जन की ही समाज म सममान कमलता ह । छठ पवय हम सदश

दता ह कक चाह दख हो या सख समान रप स मनषटय को जीवन यापन पजा पाठ करना चाकहए । छठ पजा करन क पहल

05

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आलख लोग लहसन, पयाज तथा मास मछली का तयाग कर ऄपना घर, पररवार, शरीर शदध करता ह तथा पर बरहमचयय पवयक रहकर

छठ पवय मनाता ह ऄथायत छठ पजा बकल परथा का कवरोध करता ह कनराकमष खान की पररणा दता ह सदाचार ऄपनान की

पररणा दता ह । छठ पजा ऄकल नही समह म ऄनय लोगो की सहायता स पर करन की पररणा दता ह जो सयि पररवार को

बनाए रखन की सीख दता ह । सयि पररवार की महतता को बताता ह । छठ पजा स हम जञान होता ह कक जररत पडन पर

धन मान सममान ही नही ऄनन जल भी छोडा जा सकता ह । मानव ससार म कलयाण क कलए अता ह । ऐसा

कलयाणकारी लोक पवय अथथा का महापवय छठ पजा आसकी कजतनी भी परशसा की जाए वह कम ही होगा कयोकक यह छठ

पवय ऄनकता म एकता कवकवधता म एकता सही जीवन जीन की पररणा दता ह समाज म भाइचारा थथाकपत करता ह बाहरी

अडबर का नाश करवाता ह और सचचा मानव बनान म छठपजा ऄहम भकमका कनभाता ह ।

छठ पवय ऄकला ऄनठा महापवय ह कजस सब लोग कमल जलकर मनात ह और परसाद कमल-जलकर खात भी ह 36

घिा कनजयला वरत शायद आस पथवी पर ऄकला एकमाि छठ पजा ही ह कजस सतरी परष सभी कर सकत ह कबना ककसी

परोकहत क आस पवय का कमशाल कमलना ऄसभव ह । छठ पवय मानव को सही ढग स जीन की कला कसखाती ह मर खयाल

स छठ पजा कसफय सरज पजा नही ह । आस पवय म सयय क साथ साथ पवन दव, ऄकनन दव, वरण दव पथवी दव, अकाश

दव, ऄनन दव तथा ऄनय दवो का सकममकलत पजन ककसी न ककसी रप म होता ह आसीकलए आस षषठी छठ पजा कहा जाता

ह जो यकिसगत तो ह ही । ईपयि दवता मानव पश-पकषी क कलए कछ-न-कछ जीन क कलए दता ह आस क सहयोग क

कबना मानव का जीना ककठन नही ऄसभव होगा तथा मतय पशचात आनही क सहयोग स मानव की दह पनः ईनही म कवलीन

हो जाएगा ।

छठ पवय क सयय दव को माता कह या कपता छठ मया कह या छठ बाबा कोइ फकय नही पडता कयोकक इशवर को दवता

को मनषटय न दोनो रपो म गरहण ककया ह तभी तो कहत ह तवमव माता च कपता तवमव बधशच सखा ...वह ऄथायत इशवर

हमारा माता कपता बध सखा सब कछ ह कफर चाह हम छठ मया कह या छठ बाबा कोइ फकय नही पडता । माता हम जनम

दती ह लालन-पालन करती ह ऄतएव माता और मातभकम क परकत हमारा ऄकधक लगाव होन क कारण हम माता को

ऄकधक महतव दत ह आसीकलए पराय लोगो को भल बस या अदतन कहत सना जाता ह काली मया की जय दगाय मया की

जय क साथ-साथ कवशवकमाय मया की जय गणश मया की जय कयोकक यह हमार माता कपता दोनो ह । आतना पकवि तथा

शरदधा क बावजद छठ पजा की समाकपत क कदन या ईस क दसर कदन भि तथा वरती मास मछली पर िि पडत ह जो सरासर

ऄनकतक कायय ह । ऐसी भकि स लाभ नही होता भगवान भाथकर परसनन आसकलए नही होत । वषय 2015 म कदनाक 17.

11.2015 को सयय दव न दो बज कदन स ही गायब हो गय थ । दसर कदन को परातः 8:00 बज सयय दव परकि हए । दोनो ही

कदन कबना सयय दव क दशयन क ही पजा समापत करन पर कववश हो गए । मर खयाल स आसी मास मछली क कलए ललाकयत

होन क कारण खासकर पकशचम बगाल और कबहार क सबध म म कह रहा ह पकशचम बगाल म तो मन परतयकष दखा तथा

कबहार क बार म दरभाष पर जञात हअ यह घोर अशचयय की बात ह छठ पजा करन वाल पररवार 1 सपताह पहल लहसन

पयाज खाना बद कर दता ह परत छठ समापत होत ही मछली मास पर िि पडता ह । यह ह न कवरोधाभास वाली बात ।

आसीकलए ऊकष मकनयो न आस खान स परहज ककया ह कमय का फल कमलना कनकशचत ह तथाकप मरा सभी छठ वरकतयो स सादर

ऄनरोध ह कक कम स कम जब तक अपक घर म छठ पजा का परसाद ह तब तक मास मछली का खाना बद कर । तो

अआए छठ पजा की पकवि अथथा को बनाए रखन हत सभी छठ वरती तथा ईनक पररवार क सदथय आस पावन ऄवसर पर

सकलप ल कक जब तक हमार घरो म छठ पजा की कोइ भी सामगरी जस ठकअ फल अकद रहगा तब तक हम मास मछली

का सवन नही करग । न थवय करग न दसरो को करन दग । तभी छठ मया की साथयकता कसदध होगी ऄनयथा यह एक

ढकोसला कदखावा बन कर रह जाएगा। आसी कामना कसाथ छठ मया को शत-शत नमन -- सहचिदानद

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भटवाताष

अशोक कमार िलदर, गारा, पवा रलव, मालदा स एक भिवाराा

शरी हलदर यदयकप एक गाडय ह और

ऄपन कायय क परकत कनरतर सचषट रहत ह

तथाकप आनहोन ऄपन सवाकाल म कवकभनन

ककठनाआयो को पार करत हए ऄनक पथतक

कलखी ह । आनकी योनयता को दखत हए आनह

ऄनक परथकारो स सममाकनत ककया गया ह।

कलाशजी— आप मल/एकसपरस टरन क गाडष क अहतररकत एक अचछ लखक भी ह, लखन कमष की पररणा

आपको कहा स परापत हई ?

हलदरजी — यह सच ह कक हम गाडय कमयचाररयो का कायय शली म बहत ही वयथतता होती ह, आसक बावजद भी म

सबह शाम ऄधययन करता ह, मझ थव ऄधययन करन की पररणा मर माता कपता गर जी एव डॉ बाबासाहब ऄबडकर स

परापत हइ। म जो भी साकहतय म पढता ह ईनक उपर मनन भी करता ह और जो कवचार परमख रप स सामन अत ह ईनह

कागज पर कलख दता ह ।

कलाशजी — आप हकस परकार क लख हलखत ह ?

हलदरजी — कवशषकर ईपनयास कलखता ह । ईपनयासो की थीम लाचार, गरीब, ऄपोकषत एव ईपककषत मानव जाकत

क पाि रहत ह । साकहतय समाज का दपयण ह जो चीज घकित होती ह वही चीज म ऄपन ईपनयासो की सहायता स समाज,

दश, कवशव क सामन परकि करन की चषटा करता ह ।

कलाशजी— रलव म आप हपछल 31 वषष स गाडष क पद पर कायषरत ह हकस-हकस परकार की परशाहनयो

का सामना करना पडा?

हलदरजी — सघषय ही जीवन ह । ककसी भी कमय को पणय करन म परशाकनया तो अती ही ह परत हम ईनका सामना

कहममत एव साहस क साथ करना चाकहए । वस तो सभी गाडो को डयिी क दौरान ऄधरी रातो को ऄकल ऄपन कडबब म

बठ कर तय करना पडता ह । आस पररकथथकत म लिरो, बदमाशो एव जगली जानवरो का भय रहता ह बकलक गमी, ठड और

मचछरो का सामना भी करना पडता ह । मन हमशा कहममत और साहस क साथ ऄपनी माल गाकडयो को सरककषत पहचन

क कलए कनरतर परयास ककया ह ।

कलाशजी— रलव म सधार लान क हलए आप कया सझाव दना िाहग ?

हलदरजी — म चाहता ह कक सरकार की परथम पराथकमकता सरकषा और सरकषा होनी चाकहए । ऄभी भी रलव क

ऄकधकाश रक बहत परान ह और कडरलमि की सभावना बनी रहती ह । कमजोर पलो की मजबती पर भी रलव को ईकचत

धयान दना चाकहए । रलव हमारी जीवन रखा ह । हमको आसकी सरकषा एव सरकषा का पणय धयान रखना चाकहए । वस तो

बहत सी ककमया ह कजन पर नजर रखत हए कम स कम लागत पर ऄकधक स ऄकधक अईिकम हो आस पर धयान दना

चाकहए ।

कलाशजी— आप रल कमषिाररयो को कया सदश दना िाहग?

07

शरी ऄशोक कमार हलदर पवय रलव क मालदा मडल म मल

एकसपरस रन क गाडय ह । रलव म कायय करत हए भी आनहोन

भाषा, साकहतय एव ऄधयातम क उपर पथतक कलखी ह आनक

सराहनीय कायो को मददनजर रखत हए कवकभनन सगठनो दवारा

परथकत ककया गया ह। शरी कलाश चनदर धाररया, वररषठ

ऄनवादक की आनस हइ एक भि वाताय क कछ ऄश परथतत ह ।

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भटवाताष

08

हलदरजी — रलव क सभी कमयचाररयो को इमानदारी, मथकरात हए जनता की सवा करनी चाकहए । जब सभी

कमयचाररयो ऄपन ऄपन कतयवयो का पालन पणय कनषठा क साथ करग तो कनकशचत रप स रलव क परकत सकारातमक दकषटकोण

बनगा ।

कलाशजी— आप हहदी अगरजी का अचछा जञान रखत ह , भाषाओ को सीखन की पररणा कहा स परापत हई ?

हलदरजी — हमारा दश एक कवशाल दश ह यहा पर ऄनक भाषाए बोली जाती ह । ऄनक धमो का पालन होता ह ।

हम कह सकत ह कक भारत की सामाकसक सथककत ही हमारी पररणा का सरोत ह । सभी परकार की सथककतयो को समझन

की कजजञासा स ही भाषाओ को सीखन की पररणा कमलती ह । आसी परकार ऄलग-ऄलग कषिो म जान क कारण ऄलग

ऄलग भाषाओ को जानन वाल लोगो स बात होती ह । आसस परररत हो कर मन भाषाओ को सीखन की कदशा म परयतन

ककया

कलाशजी— आप बचिो एव नवयवको को कया सदश दना िाहत ह ?

हलदरजी — म चाहता ह कक सभी बचच थवथथ एव कशककषत हो । ईनम बडो का अदर करन की भावना हो । व

ऄनशाकसत हो तथा समय क साथ-साथ चलत हए नइ-नइ तकनीको एव कौशलो को सीखन क कलए परयतनशील रह ।

ऄपन दश का हर बचचा ऄपन माता कपता का धयान रख और ऄपन दश का नाम रौशन करन क कलए ततपर रह

परसतहत — कलाश िदर धाररया

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आलख

रलर ननयतरण ककष की रलर ननयतरण ककष की रलर ननयतरण ककष की कायवशलीकायवशलीकायवशली

1853 की छक छक करती रल अज भाप आजन स भी जल और कवदयत आजन स कनरतर ईचच गकत को परापत करती जा

रही ह । माल एव यािी पररवहन म हम कनरतर नए अयाम परथतत करत जा रह ह । भकवषटय म भी हम नइ चनौकतयो का

सामना करत हए परगकत करना ह ।

कहदथतान की सबस बडी सथथा की

वयवथथा और पररचालन बड ही

सकनयोकजत ढग स होती ह और आसक

कलए मडल जोन एव बोडय थतर पर

कनयिण ककष बन होत ह । साधारण

जनता यहा तक कक बहत स रलकमी

करोल शबद को जानत ह परत करोल क

पर कसथिम और ईसक महतव स

ऄपररकचत ह । अआए अज म रलव

कनयिण ककष की काययशली वहा की

गकतकवकध और ईसक दाकयतवो की चचाय

करत हए वहा काययरत कनयिको की मनोकथथकत पर भी परकाश डालन का परयास कर रहा ह ।

रलव का कनयिण ककष करोल रम वथततः रलव पररचालन का मकथतषटक ह कजसक कनणयय एव कनदशानसार गाकडयो

का पररचालन होता ह । कनयिण ककष क कायो को कमलता तीन भागो म कवभि ककया जा सकता ह ।

योजना बनाना, कायाषनवयन करना, समीकषा करना

परतयक मडल म सबस महतवपणय ईसका कनयिण ककष होता ह जो रलव परशासन को कषिीय इकाआयो स जोडता ह ।

कनयिण ककष स ही कषिीय इकाआयो को कनदश जारी ककया जाता ह और ईन आकाआयो स पररणाम, वहा समथयाओ को

रलव परशासन तक पहचाया जाता ह जो सशि दरभाष वयवथथा स ऄनवरत जडी हइ होती ह । यह एक ऄहकनयश

वयवथथा ह जो सालो भर कदन रात कबना छटटी क ऄबाध रप स चलती रहती ह । कनयिण ककष का मल ईददशय रल क

ससाधन का योजनाबदध तरीक स महततम पररणाम परापत करना ह कजस कवकभनन साकखयकीय मापो म परदकशयत ककया जाता ह

जस-

नि िन ककलोमीिर / वगन ड

गरॉस िन ककलोमीिर / वगन ड

आजीकनयररग ककलोमीिर

वगन िनय ऄराईड

आजीकनयररग िनय ऄराईड

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आलख आजन यकिलाआजशन

रक यकिलाआजशन

पसजर ककलोमीिर आतयाकद

आनही साकखकीय पमानो क अधार पर ककसी मडल जॉन यहा तक की रलव बोडय क पररणाम की कववचना की जाती

ह। कनयिण ककष का परधान ऄकधकारी मखय कनयिक होता ह कजनक साथ ऄनक मखय कनयिक, सकशन कनयिक और

आनका सहयोग करन क कलए ऄनक कलकपक थतर क काकमयक होत ह ।

कनयिण ककष म पररचालन कनयिको क कलए परा मडल कवकभनन छोि-छोि खडो म बिा होता ह और वह ककसी एक

खड कनयिक दवारा कनयकित ककया जाता ह । परतयक खड क ऄतगयत एक खास सखया म थिशन होत ह जो सशि दरभाष

वयवथथा क दवारा कनयिण ककष स ऄनवरत जड होत ह । आस खड म चलन वाली सभी गकतकवकधयो को खड कनयिक क

ऄनसार चलना पडता ह और थिशन माथिर ईनक अदशानसार रल का पररचालन करत ह और ईनह हर वि सकचत करत

रहत ह ।

कनयिण ककष म पररचालन क ऄलावा ऄनय कवभागो क भी कनयिक हर वि ईपकथथत रहत ह जो पररचालन म कनरतर

सहयोग करत ह । यह भी ऄपन-ऄपन कषिीय आकाआयो स जड रहत ह और पररचालन की अवशयकता ऄनसार ईनह

कनरतर कनदश दत ह जस- वाकणजय कनयिण, कवदयत कनयिण, आजीकनयररग कनयिण, सकत व दरसचार कनयिण, सरकषा

कनयिण, शकि कनयिण एव सवारी एव माल कडबबा कनयिण । य सभी कसथिर करोल कहलात ह ।

आन सबो की सामानय गकतकवकधयो क ऄलावा ककसी भी ऄसामानय कथथकत म पररचालन क सचना पर तवररत गकत स

ईसका समाधान करन क कलए ततपर हो जात ह ।

अआए, ऄब हम रलव कनयिण ककष की अतररक कायय परणाली की चचाय कर ताकक यह समझ म अए की कवकभनन

पदो पर काम करन वालो का दाकयतव और कतयवय कया ह ?

परमख हनयतरक-

यह पर कनयिण ककष का परशासकनक एव पररचालकनक कायो का सवयशरषठ पदन पययवकषक होता ह । यह वररषठ

पररचालन परबधक का दाकहना हाथ माना जाता ह । यह पर िीम का नततव करत हए सवारी एव बाल कडबबो क पररचालन

म मडल की ईपलकबधयो को महततम थतर तक पहचान क कलए परयासरत रहता ह । कनयिण क सार कायय आनही क नततव म

ककए जात ह ।

मखय हनयतरक कोहिग एव गडस-

यह दोनो कषिो म पररचालन क शीषयथथ पद होता ह । आनक ही नततव और कनदशानसार मडल म गाकडयो का

पररचालन होता ह । य कह तो आनक पलाकनग स ही गाकडयो का चकका घमता ह ।

आनका मखय ईददशय रल क ईपलबध ससाधन जस —आजन, गाकडयो, डराआवर, गाडय एव ऄनय कमयचारी तथा ईपलबध

राथत का महततम ईपयोग कर मडल क लोकडग-ऄनलोकडग एव आिर चकजग क ककमिमि को परा करना ह । आनक

ऄसीकमत दाकयतवो म कछ परमख कनमन ह —

माल गाकडयो क पररचालन सकनकशचत करना ।

कवकभनन थिशनो जहा माल गाकडयो की लोकडग होती ह वहा अवशयकतानसार बगन एव रक भजन की वयवथथा

करना ।

सही आजन डराआवर एव गाडय की वयवथथा करना । 10

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कवकभनन थिशनो पर लोड वगनो एव रक को गनतवय थथान पर भजन की वयवथथा करना ।

रासकशपमि पॉआि पर मकचग रक सपलाइ करना एव ईनह पनः ईकचत जगह चलाना ।

मडल स होकर गजरन वाली माल गाकडयो को कम स कम समय म मडल स बाहर चला दना ताकक आिर

चकजग ककमिमि को परा ककया जा सक ।

NTPC एव कवकभनन कारखानो क ऄकधकाररयो क सपकय म रह कर ईनक यहा की अवशयकतानसार लोडड

और खाली वगन वाल रको क पररचालन की वयवथथा करना ।

मडल म रल पथ एव कवदयत रकशन क रखरखाव का कायय कनरतर परककरया ह आसक कलए ईकचत माल कडबब

आजन एव बलॉक की जररत होती ह । ऄतः आसकी वयवथथा एव सबकधत कवभाग एव कमयचाररयो को पवय

सकचत करना ताकक ईनक कमयचारी या शरकमको की समय पर वयवथथा हो सक ।

कवकभनन शडो एव कसक लाआनो म आजन क कनथतारण की वयवथथा करना ।

पसजर एव मल एकसपरस गाकडयो क पररचालन म शत परकतशत पालन करन क कलए कवकभनन खड कनयिको की

मदद करना ।

पररचालन क समय ऄनक समथयाए अती ह जो ऄलग-ऄलग कवभागो स सबकधत होती ह ऐस समय ईन

कवभागो क कनयिण ककष की मदद स थथानीय आकाआयो को सककरय कर समथया को यथाशीघर दर ककया जाता ह।

दघयिना क समय ईनकी भकमका काफी महतवपणय हो जाती ह । यह दघयिना थथल एव ऄगल-बगल क थिशनो

पर गाकडयो क पररचालन को कनयकित कर दत ह । 11

आलख

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आलख

खड हनयतरक

परा मडल और सपणय रलपथ को ऄनक खडो म कवभि ककया जाता ह जो ऄलग ऄलग खड कनयिको क ऄधीन

रहकर कायय करता ह । परतयक खड म ऄनक थिशन होत ह जो सशि दर सचार वयवथथा क कनयिण ककष दवारा जड होत

ह। कनयिण ककष म ररग की वयवथथा रहती ह ताकक खड कनयिक ककसी भी समय ककसी भी थिशन को बला सक । थिशन

भी जब चाह कनयिक क सपकय म रह सकता ह ।

खड कनयिण ककष म ईनक खड म अन वाल सभी थिशनो क डायगराम बन होत ह । सामन कपयिर थकरीन पर खड

कनयिक गाकडयो का पररचालन करत रहत ह और आनक कनदशानसार थिशनो म कवकभनन गाकडया चलती रहती ह।

खड कनयिण ही गाकडयो क करॉकसग एव परीकसडस की वयवथथा करता ह और आसम मखय कनयिक कवकभनन सलाह एव

कनदश दत ह और खड कनयिक की सहायता भी करत ह ।

वथततः मालगाकडयो एव सवारी गाकडयो का पररचालन या ऄनय सभी कायय का ऄसल कायायनवयन खड कनयिक क

दवारा ही होता ह । कवकभनन बलॉक, वगन की सपलाइ, आिरचज ककमिमि, दघयिना क समय पररचालन या मडल जोन एव

रलव क कवकभनन साकखयकीय ईपलकबधया आनही खड कनयिको क सफल सकषम एव कनरतर परयास का पररणाम ह ।

पररचालन कवभाग क ऄलावा ऄनय कवभागीय कनयिण की हमन चचाय की थी कजनह कसथिर करोल कहा जाता ह । हर

कवभाग का ऄपना ऄपना ककष होता ह जहा ईस कवभाग क परकतकनकध या कनयिक चौबीसो घि मौजद रहत ह । यह सभी

कनयिक दर सचार वयवथथा क दवारा अपस म जड होत । पररचालन कवभाग दवारा परापत ककसी भी समथया म य तरत सककरय

हो जात ह । ऄपन ऄकधकारी को सकचत कर कषिीय कायो को तरत कनदश दकर ईनका समाधान ढढत ह ।

आस तरह हम कह सकत ह कक परा कनयिण ककष एक िीम की तरह काम करती ह जो ऄपन ऄहकनयश सवा दवारा सवारी

एव मालगाडी क कषि म महततम साकखयकी पररणाम परापत करन क कलए ततपर रहत ह

अपन कभी भी कनयिको को ककसी सभा धरन यह जलस क कहथस क रप म नही दखा होगा । वथततः आनक पास

आतना ऄकधक दाकयतव होता ह कक आनह सभी कायो क कलए समय ही नही कमलता । वथततः मा भारती क सचच सपत परी

तनमयता स ऄपन कतयवय का कनवयहन करन म लग रहत ह आसीकलए दककषण रलव क महापरबधक शरी पी क कमशर न

कनयिको को साआलि सोलजसय की सजञा दी ह ।

— अरण कमार झा, मखय हनयतरक, मालदा

हम ककसी भी चीज को पणयतः ठीक तरीक स पररभाकषत नही कर सकत । ऄगर

ऐसा करन की कोकशश कर तो हम भी ईसी वचाररक पकषाघात क कशकार हो

जायग कजसक कशकार दाशयकनक होत ह । — ररिडष फहनमन

सभयता की कहानी, सार रप म, आकजनीयररग की कहानी ह - वह लमबा और

कवकि सघषय जो परककत की शकियो को मनषटय क भल क कलय काम करान क

कलय ककया गया । — एस डीकमप

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आलख

13

कवशव क परकसदद धमय सधारको एव दाशयकनको म ऄगरणी महातमा बदध न ऄपनी कशकषाओ क अधार पर बौदध धमय की

थथापना की । चाआना, जापान, शरीलका समत 10 स ऄकधक दशो म बौदध धमय फला हअ माना जाता ह । पश ह

भगवान बदध क वह 12 वचन जो ऄपनान स अपको जीवन म सफलता और शाकत कमलगी । । ।

कहत ह बदध को जब जञान हअ तो वह सात कदन चप रह गए। चपपी आतनी मधर थी। ऐसी रसपणय थी, ऐसी रोअ-

रोअ ईसम नहाया, सराबोर था, बोलन की आचछा ही न जागी । बोलन का भाव ही पदा न हअ । कहत ह, दवलोक

थरथरान लगा । कहानी बडी मधर ह।

कहत ह, बरहमा सभी दवताओ क साथ बदध क सामन मौजद हए । व ईसक चरणो म झक । हमन दवतव स भी उपर

रखा ह बदधतव को । सार ससार म ऐसा नही हअ । हमन बदधतव को दवतव क उपर रखा ह । कारण ह दवता भी तरसत ह

बदध होन को।

बदधतव क चरणो म बरहमा झक और कहा- अप बोल! अप न बोलग तो महा दघयिना हो जाएगी। और एक बार यह

कसलकसला हो गया, तो अप परपरा कबगाड दग। बदध सदा बोलत रह ह। ईनह बोलना ही चाकहए। जो न बोलन की कषमता

को पा गए ह, ईनक बोलन म कछ ऄधो को कमल सकता ह, ऄधर म भिकतो को कमल सकता ह। अप चप न हो, अप

बोल।

भगवान बदध क वह 12 वचन जो ऄपनान स अपको जीवन म सफलता और शाकत कमलगी ।

ककसी जगली जानवर की ऄपकषा एक कपिी और दषट कमि स जयादा डरना चाकहए, जानवर तो बस अपक शरीर

को नकसान पहचा सकता ह, पर एक बरा कमि अपकी बकदध को नकसान पहचा सकता ह ।

थवाथथय सबस बडा ईपहार ह, सतोष सबस बडा धन ह, वफादारी सबस बडा समबनध ह ।

घणा, घणा करन स कम नही होती, बकलक परम स घिती ह, यही शाशवत कनयम ह ।

तम ऄपन करोध क कलए दड नही पाओग, तम ऄपन करोध दवारा दड पाओग ।

हजारो खोखल शबदो स ऄचछा वह एक शबद ह जो शाकत लाय ।

सभी गलत कायय मन स ही ईपजात ह । ऄगर मन पररवकतयत हो जाय तो कया गलत कायय रह सकता ह ।

ऄतीत पर धयान ककनदरत मत करो, भकवषटय का सपना भी मत दखो, वतयमान कषण पर धयान क कदरत करो ।

वह वयकि जो 50 लोगो को पयार करता ह, 50 दखो स कघरा होता ह, जो ककसी स भी पयार नही करता ह ईस कोइ

सकि नही ह ।

करोकधत रहना, ककसी और पर फ कन क आराद स एक गमय कोयला ऄपन हाथ म रखन की तरह ह, जो तमही को

जलती ह ।

*ऄपन शरीर को थवथथ रखना भी एक कतयवय ह, ऄनयथा अप ऄपनी मन और सोच को ऄचछा और साफ नही

रख पाएग ।

—- इनदर जयोहत राय

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कहानी

14

कलयगी भकतकलयगी भकतकलयगी भकत कानपर म जॉनसन नामक एक वयकि रहता था । वह कपड का वयापार करता था । ईनक घर एक पि पदा हअ ।

जॉनसन साहब ऄपन पि का नाम एथोनी रखा । बचपन स वह बडा ही होनहार बालक था । ईसका बचपन बड ही लाड-

पयार म वयतीत हअ । बड होन पर एथोनी की दोथती घमककड बचचो क साथ हो गइ । एथोनी कसगकत म पड गया ।

जॉनसन साहब एथोनी को ईचच कशकषा कदलाना चाहत थ । लककन एथोनी ईचच कशकषा परापत नही कर सका तब

जॉनसन साहब न ऄपन पि को ऄपन साथ वयापार म लगा कदया । एथोनी की कशकषा दीकषा भल ही ईचच न रही हो लककन

वह आतना बकदधमान कनकला की ऄचछ-ऄचछ को वयापार म पानी कपला दता था । आस परकार बाप बिा कमलकर ऄचछी

कमाइ करन लग ।

ऄपन पि की शादी भी कर कदए । ईनका परा पररवार खशी खशी रहन लगा । लककन बहत कदन बीत गए एथनी की

पतनी को कोइ बचचा पदा नही हअ । वह बहत कनराश रहन लगी । समय क साथ-साथ जॉनसन साहब भी थवगय कसधार

गए । हमशा दखी रहन लगी एव कदन रात रोत रहन क कारण ईसकी अख भी खराब हो गइ । घर की सारी कजममदारी

एथोनी क उपर अ गइ । ईधर कपता की छिछाया ईठ गयी थी दखो न ईस को चारो ओर स घर कलया था। वह ऄपन

अपको सभाल नही पा रहा था।

धीर-धीर ही सारा वयापार चौपि हो गया और वह सडक पर अ गया था । ऄब ऄपन दोथतो क गग म शाकमल हो

गया और दोथतो क साथ चोरी डकती करन लगा । कदन म ककसी जगह की रकी करता और रात म घात लगाकर चोरी

करन लगा । आस परकार ऄपन पररवार का पालन पोषण करन लगा । एक कदन रात म चोरी करन पहचा तो दखा कक वहा

कशवजी क मकदर म कशव पराण की कथा चल रही ह आस कारण ईस एररया म चारो ओर लोगो का अना जाना लगा हअ

ह । आसका ऄथय था चारो ओर लोग जाग रह ह । चोरी क कायय को ऄजाम दन क कलए वह भी कथा वाल पडाल म बठ

गया । रात क 1:00 बज कथा समापत हइ तो सभी लोग ऄपन ऄपन घरो को चल गए ।

कशवजी स ईसन मननत मागी ऄगर हमार हाथ ऄचछा धन दौलत लग जाए तो म यथाशीघर कशवपराण की कथा का

अयोजन ऄपन घर पर करगा । लककन दभायनय की बात यह रही कक कजस दरवाज पर चोरी करन पहचा वहा कोइ दवार पर

घर की रखवाली करत हए कदखाइ कदया । एथोनी की ईस कदन कोइ दाल नही गल रही थी । थक हारकर व भगवान कशव

को कोसन क कलए पनः ईसी कशव मकदर पर पहचा जहा बठ कर ईसन कशव की कथा सन कर मननत मागी थी ।

एथोनी कशव जी को कछ कहता ह आसस पहल ही ईसन दखा कक एक 70 साल की बकढया भगवान कशव को जल

चढान क कलए पीतल का लोिा लकर पजा सामगरी क साथ मकदर पहच गइ थी तथा ऄपना पजा ऄचयना करन क बाद जब

बकढया घर जान लगी तो वह ईस लकर बकढया स बड ही कवनमर भाव स कहा कक मझ ऄपना पीतल वाला लोिा भगवान

कशव जी को जल चढान क कलए द दीकजए । भगवान कशव जी को जल चढान क बाद अपका लोिा वापस कर दगा ।

बढी मा न एथनी को जवाब क रप म ऄपना कसर कहलाया एव मकदर म रक रहन का अदश कदया और खद पीतल

वाल लोि म पानी भरकर ल अइ तथा एथनी स बोली तम मर साथ लोि को पकड लो और मर साथ साथ जलाकभषक

भगवान कशव जी को करो । यहा बढी मा क पीतल का लोिा चरान की यकि ऄसफल होत दखकर एथनी बढी मा क साथ

पीतल का लोिा थपशय ककया तथा बढी मा क कनदशानसार पर कवकध-कवधान स कशवजी की पजा की पजा ऄचयना परा होन

कदया ईसक बाद बढी मा न एथनी को मकदर क छत स बडा पीतल क घि को बजान का अदश कदया और बढी मा थवय

ऄपना पीतल वाला लोिा लकर ऄपन घर वापस चली गइ ।

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कहानी

15

एथनी उपर छत स बन पीतल का घिा कजसका वजन 5 ककलो था दख कर बडा ही परसनन हअ । बढी मा को बहत

धयवाद कदया ह । कयोकक वह कलयगी भि था और पहली बार मकदर म पजा-ऄचयना ककया था । एथनी को पहली बार

पता चला कक कहद मकदरो म पाच पाच ककलो वजन क पीतल का घिा भी होता ह ।

सबह क लगभग 4:00 बज का समय हो चला था । वह घिा चरान की कफतरत म कशवकलग क उपर पर रखकर घि

स लिक गया ।आतन म एक चमतकार हो गया भगवान कशव जी का कलाश पवयत कहलन लगा और भगवान कशव जी की

समाकध ऄचानक बद हो गइ । भगवान कशव जी न ऄपना किशल सभाल कलया । मा पावयती न भगवान कशव जी स

ऄचानक समाकध भग होन का कारण पछा तो ईनहोन जवाब कदया कक ककसी वि को वरदान दन जा रहा ह । मा पावयती

न तरत भगवान कशव स वचन ल कलया कक चाह भि ककतना भी बडा हो ईस कवल एक ही वरदान दग ।

भगवान कशव जी न मा पावयती को वचन कदया तथा एथनी क समकष परथतत हो गए । ईस कवल एक वरदान मागन

का अदश कदया । एथनी क सामन तीन समथयाए थी पहला एथनी की मा ऄधी हो चकी थी वह ईस कदवय दकषट कदलाना

चाहता था । एथनी की पतनी न कनपती थी ईस वह पि कदलाना चाहता था । और थवय ऄमीर बनना चाहता था । लककन

भगवान कशव जी कवल एक वरदान दन पर ऄड हए थ ।

काफी सोच कवचार कर वह बोला ह नाथ यकद अप सच म हमारी तपथया स परसनन ह तो मझ ऐसा वरदान दीकजए

कक मरी मा सोन क महल म सदर पोता-पोती दख । भगवान कशव जी न एवमथत कहकर ऄतधयायन हो गए । भगवान

कशव जी कलाश पवयत पर मा पावयती जी क सममख पहच तो मा पावयती न भगवान कशव जी स यािा क बार म कशल

मगल पछा । भगवान कशव न जवाब कदया कक ह दवी अपन जो कनयम कसदधात बताया था मन ईसका मयायदा पवयक

पालन ककया ।

मा पावयती भगवान कशव जी क वचन सन कर बहत परसनन हो गइ लककन मा पावयती जी को यह ऄदशा नही था कक

भारत सरकार नोिबदी क दौरान ढाइ लाख रपय जमा करन पर पछताछ नही करन का कानन बना कदया ह तो यकद कोइ

वयकि तीन बको म खाता रखा ह और सभी बको म ढाइ लाख करक 7.30 लाख रपय जमा कराए तो कबना पछताछ

क पस जमा हो गए । लककन कजस कदन अरबीअइ का गवनयर कवल एक पन काडय नबर का परयोग करगा तो कपयिर

नोिबदी क दौरान जमा की हइ कल सार 7.5 लाख कदखाएगा फलथवरप अयकर कवभाग क ऄकधकारी वयकि क घर

छापा मार दग । एक तीर स तीन कनशाना लगग । भारत वषय ह यहा क नागररको को एक तीर स तीन कनशान लगान म

महारत हाकसल ह ।

एथनी न ऄपन दश क कनयम कसदधात का मयायदा पवयक ऄकषरशः स पालन करत हए भगवान कशव क दवारा कदए गए

एक वरदान रपी धनष बाण स तीर कनशाना साध कर भगवान कशव जी क दवारा ली गइ परीकषा म ऄववल थथान परापत

ककया । एथनी दवारा भगवान कशव जी स परापत एक वरदान स ही तीनो समथयाए हल हो गइ ।

एथनी की मा ऄधी हो चकी थी पोत नाती का दशयन करक कदवय दकषट परापत कर कलया ।आसकी पतनी जो कनपती थी

वह कशवजी क वरदान स पिवती हो गइ । एथनी जो खद गरीब हो चका था वह थवय ऄमीर बनना चाहता था कशवजी

क वरदान स सोन का महल परापत कर कलया । मा पावयती जी कलाश पवयत पर बठकर सारा खल दख रही थी वह समझ

गइ थी कक कलयगी भि न भोल बाबा को ठग कलया ह एक वरदान क बहान तीन वरदान हाकसल कर कलया ह।

-- िनदरभान

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सथाई सतभ

गनठया का रोगगनठया का रोगगनठया का रोग अधकनक कचककतसा क ऄनसार खन म यररक एकसड की ऄकधक मािा होन स गकठया रोग होता

ह। जस जस ईमर बढती ह गकठया की समथया भी बढती चली जाती ह । भोजन म शाकमल खादय

पदाथो क कारण जब शरीर म यररक एकसड ऄकधक मािा म बनता ह तब गद ईनह खतम नही कर पात

और शरीर क ऄलग- ऄलग जोडो म यरि ककरथिल जमा हो जाता ह और आसी वजह स जोडो म

सजन अन लगती ह तथा ईस सजन म ददय होता ह।

गहिया का लकषण- गकठया क लकषण परो और हाथो की ईगकलयो म सजन क रप म दख जात ह। गकठया क शरवाती दौर म शरीर क जोडो

वाल कहथसो म ददय होन लगता ह, और हाथ लगान स भी ददय होता ह। गकठया क रोकगयो को बखार और कब क साथ

कसर ददय भी होता रहता ह। जोडो म ऄकधक सजन और पीडा होती ह। रोगी को ऄकधक पयास लगती ह। गकठया रोग म हाथ

-पावो म छोिी-छोिी गाठ बन जाती ह और आलाज म दर होन स यह गभीर रप ल सकती ह।

गहिया रोग का कारण- जयादा गथसा अन की परवकत और ठठ क कदनो म ऄकधक सोन की अदत स भी गकठया हो सकता ह।

भीतर म भय रहन क कारण भी पर क जोडो म ददय हो सकता ह जो बाद म गकठया बन सकता ह ।

फाथि फड, जक फड और कडबबाबद खाना खान स भी गकठया रोग हो सकता ह।

वसायि भोजन ऄकधक मािा म खान स भी गकठया रोग हो सकता ह।

अलसी वयकि जो खाना खान क बाद शरम नही करत ह ईनह भी गकठया की कशकायत हो सकती ह।

कजन लोगो को ऄजीणय की समथया रहती ह और ऄकधक मािा म खाना खात ह, आस वजह स भी गकठया रोग हो

सकता ह।

गकठया रोग का आलाज सभव ह बस आन बातो पर अप धयान द —

गहिया रोग का घरल उपचार- ऄपन खान-पान पर कनयिण रखत हए घरल कचककतसा को ऄपनान स गकठया रोग म लाभ कमलता ह।

रोज 1 स 2 हरड किकर ईसका चणय बनाकर आस गड क साथ खाए।

कगलोय का रस पीन स गकठया रोग म सजन और ददय दर होता ह।

गकठया स परभाकवत लोग यकद समदर म थनान कर तो ईनह गकठया स राहत कमल सकती ह।

जतन क तल की माकलश करन स गकठया क ददय म राहत कमलती ह।

कतल को तव पर भनन क बाद दध क साथ पीसकर लप बनाय और ईस गकठया स होन वाली सजन पर आसका लप

लगान स सजन और ददय म राहत कमलती ह।

ऄलसी को दध म पीसकर गकठया की सजन स परभाकवत कहथसो म लगान स सजन और ददय म लाभ कमलता ह।

ऄदरक क सवन स भी गकठया रोग कम होता ह।

कजन लोगो को गकठया की कशकायत रहती ह। व पानी का सवन जयादा कर। पानी पीन स गकठया का ददय ठीक हो

जाता ह। और यह धीर.धीर परी तरह स यह समथया ठीक हो सकती ह।

जनादषन परसाद,

यातायात हनरीकषक

एव योग परहशकष

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कहवताए कहवताए

गाधी न थवतिता की ऄलख जलाइ !

अजादी का भी दरश कराइ !!

गाधी न जोडा था दश को !

कवकास मागय पर मोडा था दश को !!

गाधी का था सादा जीवन !

मानो जस हो सजीवन दश का !!

जनता हो रही थी ईपककषत दश म!

लड पड गाधी ऄधनग वश म !!

गाधी बन गरीब, कपछडो की भाषा!

हर जाकत धमय को कदया असरा,

जीवन का भाव ह गाधी !

सागर पार करान की नाव ह गाधी !!

ऄकहसा का सदश फलाकर,

सतयागरकहयो की भाषा ह गाधी !

गागर म सागर ह गाधी !!

कनज दश क ईतथान म लड थ गाधी !

गाधी ह गवय भारत का !

गवय स कहो य शान हमारा !!

ऄगरज डर कर भाग यहा स!

गाधी तो रहगी हमारी जान म!!

रख कलया कहनद दश का मान !

लौिाइ गाधी न ईसकी की शान,

सकदयो परानी गररमामयी पहचान !!

गाधी जी ह भारत की पहचान ।

पजा धाररया

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थवचछता पहल खद ऄपनाना ह

कफर सब को समझाना ह

थवचछता की ऄपनी भाषा ह

जन जन को यह सीख जाना ह

थवचछता सबको पयारी ह

हर कमय स यह नयारी ह

अओ आसको पहचान हम

आसक वचयथव को मान हम

अस पडोस को थवचछ रख हम

कडा कचरा साफ कर हम

कबन आसक घर बार,वयापार ऄधरा

आसकी अदत स सबकछ परा

यही सदश कबखराना ह

थवचछता को ऄपनाना ह

—मोहनका कमारी

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कहवताए

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पानी की कहानीपानी की कहानीपानी की कहानी

पानी क नीच पानी ह

पानी क उपर पानी ह

पानी क ऄदर पानी ह

पानी क बाहर पानी ह

पानी पानी कचललाता ह

कजसको कमलता नही ह पानी

पानी म वह कचललाता ह

कजसको पीन लगता पानी

पानी जीवन पानी मरण ह

पानी म भी ककतना दम ह

पानी की ह ऄजब कहानी

उपर स नीच तक ह पानी

पानी ही पानी को बचाता

कबन पानी कछ कौन ह खाता

पानी की मयायदा समझो

नही तो पानी हसी ईडाता

दलदल म पानी को दखो

हलचल म पानी को दखो

कोइ पानी लि रहा ह

मखमल म पानी को दखो

मत पानी म नमक कमलाओ

पानी म ना गमक कमला

पानी ऄपनी ढक कर रखो

ना पानी म चमक कमलाओ

जीत पानी मरत पानी

पानी का भी दख तमाशा

पानी ऄगर सचचा कमल जाए

तो झठा ह दध बतासा

— नदलाल परसाद आनद

नता बनो नता बनो नता बनो नता बनो गरीब का अगर सख सारा ह पाना खाओग तम खोवा मलाई गरीब मरगा बबिन दाना सदा ही ऊि ची शान तमहारी नता अफसर आग पीछ गरीब की लाश पर फल चढाना सारा जग तर पीछ अमीर जनो म तरी इजजत हर पल होगा तरा मान मरा दश की गरीबी बमट न चाह तर पर सब अरमान नाम छपगा परथम पषठ पर तरा भाषण बडा परबल पबलस, चमचा और अबधकारी सार तर पीछ हर पल गरीबी उनमबि आिदोलन चलाना ह सारा जीवन चाह दश की जनता बचारी सारा जीवन हो बनधधन आदशधवाबदता सपषटवाबदता वाकपटता सार गण गरीब का होगा खातमा कागज पर सारा मिथन । ।

-- — शलदर राम

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हितर वीहथका हदनाक 16—31 अगसत तक मालदा मडल दवारा पाहलत सवचछता पखवाडा—2017 क दौरान

आयोहजत हवहभनन परहतयोहगताओ क दषय

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छायाहितर

मालदा मडल दवारा राजभाषा पखवाडा 2017 क दौरान अयोकजत

राजभाषा परदशयनी का ऄवलोकन करत हए मडल रल परबधक ।