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व रेले, मालदा म डल की सृजनामक हिदी ई-माहसकी -16 -08 2017-18

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  • पूर्व रेलरे्, मालदा मंडल की सजृनात्मक हिन्दी ई-माहसकी

    र्र्व-16

    अंक-08

    2017-18

  • 8 2

    भारत के सहंर्धान में राजभार्ा

    सघं की राजभाषा हहंदी और हिहि दवेनागरी है । सघं के शासकीय प्रयोजनों के हिए प्रयोग होने वािे अकंों का रूि भारतीय अकंों का अतंराष्ट्रीय रूि

    है { सहंवधान का अनुच्छेद 343 (1)} । िरन्तु हहंदी के अहतररक्त अगें्रजी भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में हकया जा सकता है।

    ससंद का कायय हहंदी में या अगें्रजी में हकया जा सकता है । िरन्तु राज्यसभा के सभािहत महोदय या िोकसभा के अध्यक्ष महोदय हवशेष िररहथिहत में

    सदन के हकसी सदथय को अिनी मातृभाषा में सदन को सबंोहधत करने की अनुमहत द ेसकते हैं ।

    हकन प्रयोजनों के हिए केवि हहंदी का प्रयोग हकया जाना है, हकन के हिए हहंदी और अगें्रजी दोनों भाषाओ ंका प्रयोग आवश्यक है और हकन कायों के

    हिए अगें्रजी भाषा का प्रयोग हकया जाना है, यह राजभाषा अहधहनयम 1963, राजभाषा हनयम 1976 और उनके अतंगयत समय समय िर राजभाषा हवभाग, गृह

    मंत्रािय की ओर स ेजारी हकए गए हनदशेों द्वारा हनधायररत हकया गया है ।

    अध्यायअध्यायअध्याय --- 111 संघ की भाषा

    ऄनचु्छेद 120. संसद ्में प्रयोग की जाने वाली भाषा - (1) भाग 17 में ककसी बात के होते हुए भी, ककंत ुऄनचु्छेद 348 के ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, संसद ्में कायय कहदंी में या ऄगें्रजी में ककया जाएगा

    परंत,ु यथाकथथकत, राज्य सभा का सभापकत या लोक सभा का ऄध्यक्ष ऄथवा ईस रूप में कायय करने वाला व्यकि ककसी सदथय को, जो

    कहदंी में या ऄगें्रजी में ऄपनी पयायप्त ऄकभव्यकि नहीं कर सकता ह,ै ऄपनी मात-ृभाषा में सदन को संबोकधत करने की ऄनजु्ञा द ेसकेगा ।

    (2) जब तक संसद ्कवकध द्वारा ऄन्यथा ईपबंध न करे तब तक आस संकवधान के प्रारंभ से पंद्रह वषय की ऄवकध की समाकप्त के पश्चात् यह ऄनचु्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो या ऄगें्रजी में‛ शब्दों का ईसमें से लोप कर कदया गया हो ।

    ऄनचु्छेद 210: कवधान-मंडल में प्रयोग की जान ेवाली भाषा - (1) भाग 17 में ककसी बात के होते हुए भी, ककंत ुऄनचु्छेद 348 के

    ईपबंधों के ऄधीन रहते हुए, राज्य के कवधान-मंडल में कायय राज्य की राजभाषा या राजभाषाओ ंमें या कहदंी में या ऄगें्रजी में ककया जाएगा परंत,ु यथाकथथकत, कवधान सभा का ऄध्यक्ष या कवधान पररषद ्का सभापकत ऄथवा ईस रूप में कायय करन ेवाला व्यकि ककसी सदथय

    को, जो पवूोि भाषाओ ंमें से ककसी भाषा में ऄपनी पयायप्त ऄकभव्यकि नहीं कर सकता ह,ै ऄपनी मातभृाषा में सदन को संबोकधत करने की

    ऄनजु्ञा द ेसकेगा ।

    (2) जब तक राज्य का कवधान-मंडल कवकध द्वारा ऄन्यथा ईपबंध न करे तब तक आस संकवधान के प्रारंभ से पंद्रह वषय की ऄवकध की समाकप्त के पश्चात् यह ऄनचु्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो ‚ या ऄगें्रजी में ‛ शब्दों का ईसमें से लोप कर कदया गया हो :

    परंतु कहमाचल प्रदशे, मकणपरु, मेघालय और किपरुा राज्यों के कवधान-मंडलों के संबंध में, यह खंड आस प्रकार प्रभावी होगा मानो आसमें अने वाले‚पंद्रह वषय‛ शब्दों के थथान पर ‚पच्चीस वषय‛ शब्द रख कदए गए हों :

    परंतु यह और कक ऄरूणाचल प्रदशे, गोवा और कमजोरम राज्यों के कवधान-मंडलों के संबंध में यह खंड आस प्रकार प्रभावी होगा मानो आसमें अन ेवाले ‚ पंद्रह वषय ‛ शब्दों के थथान पर ‚ चालीस वषय ‛ शब्द रख कदए गए हों ।

    ऄनचु्छेद 343. संघ की राजभाषा--

    (1) संघ की राजभाषा कहदंी और कलकप दवेनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के कलए प्रयोग होने वाले ऄकंों का रूप भारतीय ऄकंों का ऄतंरायष्ट्रीय रूप होगा।

    (2) खंड (1) में ककसी बात के होते हुए भी, आस संकवधान के प्रारंभ से पंद्रह वषय की ऄवकध तक संघ के ईन सभी शासकीय प्रयोजनों के कलए ऄगें्रजी भाषा का प्रयोग ककया जाता रहगेा कजनके कलए ईसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग ककया जा रहा था :

    परन्तु राष्ट्रपकत ईि ऄवकध के दौरान, अदशे द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से ककसी के कलए ऄगें्रजी भाषा के ऄकतररि कहदंी

    भाषा का और भारतीय ऄकंों के ऄतंरायष्ट्रीय रूप के ऄकतररि दवेनागरी रूप का प्रयोग प्राकधकृत कर सकेगा।

    (3) आस ऄनचु्छेद में ककसी बात के होते हुए भी, संसद ्ईि पन्द्रह वषय की ऄवकध के पश्चात् , कवकध द्वारा

    (क) ऄगें्रजी भाषा का, या

    (ख) ऄकंों के दवेनागरी रूप का, ऐसे प्रयोजनों के कलए प्रयोग ईपबंकधत कर सकेगी जो ऐसी कवकध में कवकनकदयष्ट ककए जाए।ं

    क्रमशः

    8 2

    भारत के सहंर्धान में राजभार्ा

    क्रमशः

    9. अखखल भारतीय सवेाओ ं और उच्चतर केन्द्रीय सवेाओ ं म ें भती

    (क) परीक्षा का माध्यम- सखमखत खक राय ह ैखक

    क) परीक्षा का माध्यम ऄगं्रेजी बना रह ेऔर कुछ समय पश्चात ् कहन्दी वकैकपपक माध्यम के रूप में ऄपना ली जाए। ईसके

    बाद जब तक अवश्यक हो ऄगं्रेजी और कहन्दी दोनों ही परीक्षाथी के कवकपपानसुार परीक्षा के माध्यम के रूप में ऄपनान े

    की छूट हो; और

    ख) ककसी प्रकार की कनयत कोटा प्रणाली ऄपनाए कबना परीक्षा के माध्यम के रूप में कवकभन्न प्रादकेशक भाषाओ ंका प्रयोग

    शरुू करने की व्यवहाययता की जांच करने के कलए एक कवशषेज्ञ सकमकत कनयिु की जाए।

    कुछ समय के पश्चात वकैकपपक माध्यम के रूप में कहन्दी का प्रयोग शरुू करने के कलए संघ लोक सेवा अयोग के साथ

    परामशय कर गहृ मिंालय अवश्यक कारयवाइ करे। वकैकपपक माध्यम के रूप में कवकभन्न प्रादकेशक भाषाओ ंका प्रयोग करने

    से गम्भीर ककठनाआयां पैदा होने की संभावना ह,ै आसकलए वैककपपक माध्यम के रूप में कवकभन्न प्रादकेशक भाषाओ ंका

    प्रयोग शरुू करने की व्यवहाययता की जांच करने के कलए कवशषेज्ञ सकमकत कनयिु करना अवश्यक नहीं ह।ै

    (ख) भाषा खवषयक प्रश्न-पत्र -

    सकमकत की राय ह ैकक सम्यक सचूना के बाद समान थतर के दो ऄकनवायय प्रश्न-पि होने चाकहए कजनमें से एक कहन्दी और

    दसूरा कहन्दी से कभन्न ककसी भारतीय भाषा का होना चाकहए और परीक्षाथी को यह थवतंिता होनी चाकहए कक वह आनमें से

    ककसी एक को चनु ले।

    ऄभी केवल एक ऐकच्छक कहन्दी परीक्षा पि शरुू ककया जाए। प्रकतयोकगता के फल पर चनुे गए जो परीक्षाथी आस परीक्षा पि

    में ईत्तीणय हो गए हों, ईन्हें भती के बाद जो कवभागीय कहन्दी परीक्षा दनेी होती ह ैईसमें बैठने और ईसमें ईत्तीणय होने की शतय

    से छूट दी जाए।

    10. दवेनागरी अकंों के प्रयोग - जैसा कक सकमकत का सझुाव ह ैकेन्द्रीय मिंालयों का कहन्दी प्रकाशनों में ऄन्तरायष्ट्रीय ऄंकों के ऄकतररि दवेनागरी ऄंकों के प्रयोग के सम्बन्ध में एक अधारभतू नीकत

    ऄपनाइ जाए,कजसका कनधायरण आस अधार पर ककया जाए कक वे प्रकाशन ककस प्रकार की जनता के कलए हैं और

    ईसकी कवषयवथत ुक्या ह ै। वैज्ञाकनक, औद्योकगक और सांकययकीय प्रकाशनों में कजसमें केन्द्रीय सरकार का

    बजट साकहत्य भी शाकमल ह,ै बराबर ऄन्तरायष्ट्रीय ऄंकों का प्रयोग ककया जाए।

    11. अखिखनयमों, खवियेकों इत्याखद की भाषा-- (क) सकमकत ने राय दी ह ैकक संसदीय कवकधयां ऄगं्रेजी में बनती रहें ककन्त ुईनका प्रमाकणक कहन्दी ऄनवुाद ईपलब्ध कराया

    जाए। संसदीय कवकधयां ऄगं्रेजी में तो रहें पर ईसके प्रामाकणक कहन्दी ऄनवुाद की व्यवथथा करने के वाथते कवकध मिंालय

    अवश्यक कवधेयक ईकचत समय पर पेश करे। संसदीय कवकधयों का प्रादकेशक भाषाओ ंमें ऄनवुाद कराने का प्रबन्ध भी

    कवकध मिंालय करे।

    (ख) सकमकत ने राय जाकहर की ह ैजहां कहीं राज्य कवधान मण्डल में पेश ककए गए कवधेयकों या पास ककए गए ऄकधकनयमों

    का मलू पाठ कहन्दी में से कभन्न ककसी भाषा में ह,ै वहां ऄनचु्छेद 348 के खण्ड (3) के ऄनसुार ऄगं्रेजी ऄनवुाद के

    ऄलावा ईसका कहन्दी ऄनवुाद भी प्रकाकशत ककया जाए।

    http://www.rajbhasha.gov.in/GOLPContent.aspx?t=const.htmhttp://www.rajbhasha.gov.in/GOLPContent.aspx?t=dolact.htmhttp://www.rajbhasha.gov.in/GOLPContent.aspx?t=dolact.htmhttp://www.rajbhasha.gov.in/GOLPContent.aspx?t=dolrules.htm

  • हर्र्य र्स्तु

    प्रसंगवश—

    —सधुांश ुकुमार कवश्वास — 3

    नशा और यवुा पीढी —

    — पजूा धाररया 4

    भगवान सब कुछ... —

    — सकच्चदानंद कजज्ञास ु 6

    डीमैट खाता —

    — पवन यादव 8

    कमदट्ी

    — मेघा कुमारी 9

    भैया दजू

    — कप्रयंका पाण्डेय 10

    भारत के मलेे

    — सनुंदा चौधरी 14

    प्लेटफामय सं....

    —कवकास कुमार 15

    नेताजी

    — संतोष कुमार 17

    कमट्टी —

    — कवनय कुमार झा 18

    कहमालय -

    — परुुषोत्तम राजमकण 18

    कचि वीकथका 19-20

    हनिःशुल्क हर्तरण िेतु

    सरंक्षक

    मोकहत कसन्हा

    मंडल रेल प्रबंधक

    परामशव

    कवजय कुमार साहू ऄपर मुयय राजभाषा ऄकधकारी

    एवं ऄपर मंडल रेल प्रबंधक

    प्रधान सपंादक

    सधुांश ुकुमार कवश्वास

    राजभाषा ऄकधकारी(प्र।)

    सपंादक

    सकच्चदानंद

    व. ऄनवुादक

    कायवकारी सपंादक

    कैलाश चंद्र धाररया

    व. ऄनवुादक

    सियोग दयामय दास ,आदं्रज्योकत राय

    3

    चाचा नहेरू चाचा नहेरू चाचा नहेरू प्रसंगर्श

    सपंर्क सतू्र

    संपादर्, बढ़ते र्दम

    मंडल रेल प्रबंधर् र्ार्ाकलर्

    पूर्क रेलर्े/मालदा

    फोन- 72190/ 72192 (रेलर्े) Email – [email protected]

    Web: www.er.indianrailway.gov.in

    प्रकाकशत रचनाओ ं में व्यि कवचार लेखकों के ऄपने है आससे संपादक मंडल का सहमत होना अवश्यक नही ह।ै

    पं. जवाहर लाल नेहरू को ‘चाचा नेहरू’ कहा जाता

    ह ै। और ईन्हें बच्चों से बहुत प्यार था । बच्चे जवाहर लाल

    नेहरू को चाचा आसकलए कहते थे क्योंकक बच्चों को चाचा

    कजतना प्यारा कोइ नहीं होता । दादा-दादी ककथस-ेकहानी

    तो सनुा सकते हैं लेककन अआसक्रीम कखलाने, घमुाने नहीं

    ले जा सकते लेककन व ेचाचा की पीठ पर चढ सकते हैं,

    खले सकते हैं, सीख सकते हैं, चाचा कशक्षक भी ह ैऔर

    दोथत भी कहा जाता ह ै कक पकंडत नेहरू बच्चों से बेहद प्यार करते थे आसकलए

    बाल कदवस मनाने के कलए ईनका जन्मकदन चनुा गया।

    ककसी ने कहा ह ैकक ‘‘तकदीर तो पत्थर की भी बदल सकती ह,ै शतय यह ह ै

    कक ईन्हें करीने से तराशा जाय’’। बच्चों का मन भी ठीक वसैा ही होता ह।ै बच्चों

    के बाल सलुभ मन पर ककसी भी बात का प्रभाव गहरा और दीघयकाकलक पड़ता

    ह ै। बच्चों की बात हो और चाचा नेहरू का कजक्र न हो यह भला कैसे हो सकता

    ह ै । हर वषय 14 नवम्बर को भारत के प्रथम प्रधानमिंी जवाहर लाल नेहरू के

    जन्म के रूप में बाल कदवस मनाया जाता ह ै।

    एक बार पंकडत जी तकमलनाडु के दौरे पर गए । कजस सड़क से वह गजुर रह े

    थे वहां के लोग साआककलों पर खडे़ होकर तो कहीं दीवारों पर चढकर ईन्हें कनहार

    रह ेथे । प्रधानमिंी की एक झलक पाने के कलए हर अदमी आतना ईत्सुक था कक

    कजसे जहां समझ अया वहां खडे़ होकर ईन्हें कनहारने लगा ।

    आस भीड़ भरे आलाके में नेहरू जी ने दखेा कक दरू एक गबु्बारे वाला पंजों के

    बल खड़ा डगमगा रहा था । ऐसा लग रहा था कक ईसके हाथों के तरह-तरह के

    रंग-कबरंगी गबु्बारे मानो पंकडत जी को दखेने के कलए डोल रह ेहों । जसेै नेहरू जी

    की गाड़ी जब गबु्बारे वाले तक पहुचंी तो गाड़ी से ईतरकर वह गबु्बारे खरीदने के

    कलए अग ेबढे तो गबु्बारे वाला हक्का-बक्का-सा रह गया । नेहरू जी ने ऄपन े

    तकमल जानने वाले सकचव से कहकर सारे गबु्बारे खरीदवाए और वहां ईपकथथत

    सारे बच्चों में व ेगबु्बारे बंटवा कदए । ऐसा ही था पंकडत नेहरू का बाल प्रेम ।

    सधुांश ुकुमार कवश्वास

  • आलेख

    नशा और यवुा पीढीनशा और यवुा पीढीनशा और यवुा पीढी

    दशे की भावी पीढी को नश ेकी लत परूी तरह खोखली करती जा रही ह ै। नश ेकी कगरफ्त में संभ्ांत पररवारों से

    लेकर कनचले तबके के पररवारों के बच्चे शाकमल हैं । कवश्व थवाथ्य संगठन और सयिु राष्ट्र संघ की ओर से दशे में कपछले

    दशक में कराए गए सव ेसे भी खतरनाक होती कथथकत का पता चलता ह ै।

    कवश्व थवाथथ संगठन की एक ररपोटय के मतुाकबक अठवीं कक्षा में अने से पहले दो कतहायी ककशोर ककसी एक नशे

    का कम से कम एक बार सेवन कर चकेु होते हैं । प्रश्न ईठता ह ैकक अकखर क्यों ये बच्चे नश ेकी कगरफ्त में फंस रह ेहैं?

    बच्चे थवभाव से कजज्ञास ुहोते हैं कबना यह जाने कक कक ईनके कलए क्या ईकचत ह ैऔर क्या ऄनकुचत । वह हर नइ चीज को

    अजमाने की कोकशश करते हैं और यही प्रवकृत्त ईन्हें ऄनजाने में नश ेकी ओर धकेल देती ह ै। सूंघकर ककए जाने वाले नशे

    की कगरफ्त में कनरंतर बच्चों की संयया बढने का एक कारण यह भी ह ै

    कक लंबे समय तक ऄकभभावकों को आसके बारे में पता ही नहीं

    चलता, क्योंकक आन नशों का प्रभाव तरंुत कदखाइ नइ दतेा।

    कचककत्सकों का मानना ह ै कक लंबे समय तक आसका सेवन करने से

    कदमाग की कोकशकाओ ंके क्षकतग्रथत होने की संभावना बढ जाती ह ै

    तथा कैं सर का खतरा रहता ह ै।

    ककशोरावथथा तक पहुचंते-पहुचंते बच्चों के कलए पररवार

    की बजाय ऄपने दोथतों का साथ ऄच्छा लगने लगता ह ैऔर ईनके

    द्वारा ककए गए कायय को वह थवयं करने में कझझकते नहीं । आनमें सबसे

    महत्वपणूय कारण, बच्चों का भावनात्मक रूप से ऄकेला होना ह ै।

    यकद बचपन ऄपराध की दकुनया में कदम रखता ह ैतो शरुू-

    शरुू में गभंीर ऄपराध न करके वह छोटे-मोटे ऄपराध करता ह ैऔर आससे ऄपने नश ेके कलए पैसे एकि करता ह।ै वह

    लोगों के मोबाआल छीनता ह,ै जबेें काटता ह ै। यकद आन्हें कुछ नहीं कमला तो थरीट लाआट तथा पाकों में लगी रेकलंग अकद

    की चोरी भी कर लेता ह ै। नश ेकी ओर बढते आन बच्चों के कदमों को रोकने के कलए जरूरी ह ैकक ईन्हें थनेह कदया जाए ।

    यह हर ऄकभभावक का दाकयत्व बनता ह ैकक ककशोरावथथा की ओर बढते ऄपने बच्चों के वह कमि बनें और ईनकी हर

    खशुी एव ंपरेशानी में ईनके साथ रहें ।

    ककशोर बच्चों की ये अदत यवुा होते-होते खतरनाक नशीले पदाथय के सेवन में पररवकतयत हो जाती ह ै। आन ककशोरों

    में करीब 12 से लेकर 18 वषय के बीच होते हैं । यकद बचपन में एक बार नश ेकी लत लग गइ तो ईस नश ेसे छुटकारा पाना

    ऄत्यन्त ही ककठन हो जाता ह ै। कइ बार ऄच्छे खाते-पीते घरों के बच्चे भी आस लत के कशकार हो जाते हैं और समय पर

    पैसे की ईपलब्धता न होने की वजह से नश ेकी अपकूतय के कलए व ेऄपराध की दकुनया में कदम रख दतेे हैं और सड़कों पर

    रहने वाल ेभीख मांगना शरुू कर दतेे हैं ।

    04

  • 05

    आलेख अज का लगभग हर यवुा ऄफीम, गांजा अकद की लत का कशकार ह ै। नशा छुड़ान ेके कें द्र खलु रह ेहैं पर नश ेमें

    डूबे रहने वालों की संयया बढती जा रही ह ैऔर नशकेडऺयों से मनुाफा कमाने वाले बड़ी संयया में ऄपना नेटवकय फैला रह ेह ै

    । आन धंधेबाजों में समाज के सभी वगय के लोग शाकमल हैं । आसकलए नश ेके कखलाफ मोरचा खोला भी जा रहा ह ैतो अध े

    ऄधरेू मन से, क्योंकक सरकार, पकुलस, डाक्टर, ऄथपताल हर कोइ नशा पीकडऺतों से लाभ ईठा रहा ह ै। नश ेके व्यापार में

    लाभ भी ह ैऔर कल तक जो ककसान जमीन से कमा कर खा रह ेथे ऄब नश ेके व्यापार में लग गए हैं । गहूे,ंचावल और

    ऄन्य परंपरागत फसलों के ईत्पादन की बजाय ऄब गांजा, भााँग और ऄफीम की खतेी में ईन्ह ेज्यादा मनुाफा नजर अने

    लगा ह ै।

    गांजा, चरस, ऄफीम थमकै का कारोबार पैर पसार चकुा ह,ै कजसकी चपेट में यवुा वगय अ रहा ह ै । अज की

    भागदौड़ भरी कजदंगी में जो माता-कपता ऄपने यवुा हो रह ेबच्चों पर ध्यान नहीं द ेरह ेईसके घातक पररणाम ईनके सामने

    सकते हैं । ऄवधै कारोबार को फैलाने के कलए माकफया वगय थकूलों और कालेजों के असपास नश ेका सामान बेचवा रह े

    हैं । थकूल में पढने वाले भोले-भाले युवकों को फंसाकर नशे की अदत डाल रह ेहैं । एक बार जो यवुा नशे की जकड़ में

    अ गया, कफर ईसका बाहर कनकलना ऄसंभव ह ै।

    प्रकतबंकधत नश ेका कारोबार गली मोहपलों में खबू फल-फूल रहा ह ै । पकुलस को भी जानकारी ह,ै मगर पकुलस

    मौन रहने में ही ऄपना फायदा समझती ह ै । नशीले पदाथय दसूरे राज्यों से लाकर माकफया शहर में खपा रह ेहैं । थकूल-

    कॉलेज के असपास छोटी-छोटी दकुानों में खलेुअम नश ेका सामान कबक रहा ह ै। थकूल डे्रस में बच्चे ईन दकुानों पर

    कसगरेट पीते कदखते हैं, मगर कोइ कुछ नहीं कहता । सरकार मौन हो जाती ह,ै ऄकभभावक ध्यान नहीं दतेे हैं और गरै

    काननूी ढंग से बेचने वाले ऄपराकधयों की चांदी हो जाती ह ै।

    संयिु पररवार कबखर रह ेहैं और एकल पररवार में माता-कपता के पास ज्यादा समय होता नहीं । ऐसे में ऄकेलेपन में

    बच्चे खदु को एक ऐसी दकुनया में धकेल रह ेहैं जहा ंवह कुछ पलों के कलए ही सही, खदु को जीवन की सच्चाइ से दरू कर

    लेते हैं । वहीं कनधयन बच्चे ऄपनी दो वि की रोटी की जगुाड़ में, संघषय करते-करते जीवन के सखुों को नश ेमें ढूंढने की

    कोकशश करते हैं। शोध बताते हैं कूड़ा बीनने वाले बच्चों में 75 प्रकतशत ड्रग एकडक्ट होते हैं ।

    नशा करने की अदत के पीछे कइ तरह के कारण हैं । कहीं सामाकजक पररकथथकतयां तो कहीं पाररवाररक कथथकतयां

    और कहीं ककसी ककसी की मजबरूी । कुल कमलाकर नशा का प्रचलन बड़ी तेजी से बढ रहा ह ै।

    —-पूजा धाररया

  • 06

    व्यंग्य

    भगवान सब कुछ दखे रहा हैभगवान सब कुछ दखे रहा हैभगवान सब कुछ दखे रहा ह ै

    भगवान सब दखे रहा ह ैआस घोर कलयगु में भी भगवान आस धरा पर ह ैऔर अपका हमारा तथा तमु्हारा पाप पणु्य

    न्याय ऄन्याय घणृा द्वेष इष्ट्याय डाह काम मत लो यादी को भगवान सब दखे रह ेहैं थटॉप आसके बावजदू भगवान ककसी को

    कदखाइ क्यों नहीं पड़ता ऄसल में भगवान और दृश्य सत्ता ह ैजसेै कबजली के तार में कवद्यतु का प्रवाह कदखाइ नहीं पड़ती

    जल की शीतलता सरूज की गमी कदखाइ नहीं पड़ती आसे कसफय महससू ककया जा सकता ह ैठीक ईसी प्रकार भगवान सवयि

    व्याप्त ह ैकण कण में कवद्यमान ह ैसारे ब्रह्ांड में ह ैपरंत ु कदखाइ नहीं पड़ता थटॉप भगवान ककसी भी रूप धारण करने में

    सक्षम ह ैऔर वह जरूरतमदं लोगों को मदद भी करते हैं थटॉप ककसी न ककसी रूप में या दसूरे के द्वारा मदद करवाते हैं दसूरे

    के द्वारा मदद करवाते हैं तभी तो कहा गया ह ैकक भगवान की मजी के बगरै एक पत्ता भी नहीं कहलता ह ै।

    भगवान हम लोगों के असपास ह ैसाथ-साथ ह ैपरंत ुआसे आन अखंों से दखेना संभव नहीं ह ैआसे ऄवश्य महससू

    ककया जा सकता ह ैभगवान अजकल ककसी ज्ञानी वजै्ञाकनक या ऄकधक पढे कलख ेलोगों को महससू नहीं होता कदखाइ

    नहीं पड़ता कारण हुए लोग हर बात को प्रयोगशाला में कसद्ध करना चाहते हैं आसीकलए भगवान हमशेा कम पढे कलख ेलोगों

    को सच्चे भिों को कजनको इश्वर पर ऄटूट कवश्वास हो ईन्हें ही कदखाइ दतेे हैं तथा ईन्हें हमशेा साथ रहने का ऄनभुव भी

    होता ह ैकनथवाथय भाव कनथवाथय भाव से सेवा करने वालों को भगवान का साथ होने का एहसास होता ह ै99 के फेरे में रहने

    वाले को कदाकप नहीं पैरा एक गरीब ब्राह्ण रात कदन एक ही मकंदर में पजूा ऄचयना तन मन धन से करता था जो कमलता था

    ईसी से पररवार का भरण पोषण करता था तथा बहुत ककठनाइ से ईनकी गहृथथी चलता था

    ब्राह्ण को एक कन्या थी जो धीरे-धीरे शादी योग हो गइ पत्नी रोज कन्या हते ुवर की तलाश करने के कलए झगड़ा

    करती लेककन ब्राह्ण हमशेा कहते सब कृष्ट्णा करेंग ेऄथायत मरेे भगवान करेंग ेसचमचु भगवान की कृपा से बडे़ घराने से

    संबंध अया तथा लड़की पसंद भी हो गइ । ऄब लेन-दने की बात चली लड़के के माता-कपता द्वारा लंबी चौड़ी कलथट

    थमाइ गइ । भि कपता ने लड़की के कलए सबकुछ थवीकार कर कलया परंत ुलड़की की मां डर रही थी कहां से आतना दान-

    दकक्षणा परूा करेंग ेऔर वो बरात दरवाज ेसे ही मैं लौट जाए ।

    ऄतः ऄपने पकत से आस संबंध में जब भी पछूती तो यही कहते कजसने शादी तय करवाया ह ैवही दान दकक्षणा भी देंगे।

    बारात से पहले कदन ही श्रीकृष्ट्ण सेठ का रूप धारण कर मांग की गइ सारी सामग्री पहुचंा कदए थे । ऄतः बरात के कदन तथा

    शादी के समय आस संबंध में कोइ बातचीत नहीं करते दखे लड़की की मां को घोर अश्चयय हो रहा था । लड़की कवदा भी हुइ

    और सखुी सुखी रहने लगी । भिों की लाज रखने के कलए श्रीकृष्ट्ण ने सारी मांग परूी कर कदए । अज भी जो लोग पवय पर

    इश्वर पर ऄटूट श्रद्धा रखते हैं तथा सच्चे मन से ईस रामसत्ता को याद करते हैं । ईनकी सारी परेशाकनयां दरू भगवान ऄवश्य

    करते हैं ।

  • 07

    व्यंग्य

    पजूापाठ ध्यान याद इश्वर प्राकप्त का एक साधारण कवकध माि ह ैपरंत ुहर यगु में कमय की प्रधानता रही ह ै। कमय का

    फल कमलेगा ही आसमें इश्वर कोइ हथतक्षेप नहीं करता जसैे अपको अम खाने की आच्छा ह ैतो अपको अम का ही पौधा

    लगाना पडे़गा कटहल का पेड़ लगाकर अप रात कदन राम राम जपते रहेंग ेतो कटहल का पौधा कभी नहीं अम फलेगा

    ठीक ईसी प्रकार प्रत्येक कमय के साथ कमयफल जडु़ा हुअ ह ै।

    यकद अप ऄपनी भलाइ चाहते हैं तो अपको पहले दसूरों

    की भलाइ करनी होगी कबना दसूरों की भलाइ ककए ऄपनी भलाइ

    नहीं होगी अप रात कदन दसूरों की बरुाइ सोचते हैं तो भला

    अपका भला कैसे होगा यकद अप ककसी को सकते हैं या धोखा

    दतेे हैं तो मन में गांठ बांध लीकजए कक ईसका धन चक्रवकृद्ध के

    कहसाब से बढ रहा ह ैऔर ईसे चकुाए कबना अप का कपयाण

    नहीं हो सकता यकद आस जन्म में नहीं चकुाए तो ईस का कजय

    चकुाने हते ुअप को ईसके घर का कुत्ता गाय नौकर बैल बनकर

    पवूय जन्म का कलया या ठगी राकश वसलू कराना होगा ।

    ऄतः ककसी को ठगने का प्रयास नहीं करें पणूय हो सके तो

    कमय करें ककसी ऄसहाय की मदद करें धमायथय का काम करें थकूल

    कालेज ऄथपताल बनाए ंआससे अप ही नहीं अपके अने वाली

    संतकत भीतर जाएगी एक ऄपराध परेू वशं को बदनाम करता ह ै।

    तो एक सिू में भी वंश को गौरवाकन्वत करता ह ै ऄतः

    शकंर भगवान ऄलग-ऄलग नहीं ह ै यह भी मनषु्ट्य का भ्म ह ै

    जसैे सभी एक ही सत्ता के कवकभन्न रूप हैं जसैे एक ही नदी के कवकभन्न घाट होते हैं

    कुछ करो सकुमय मत पालो धमय

    कुछ करो सकुमय मत पालो भ्म

    करनी का फल कमलना कनकश्चत ह ै

    लाख कर ले जतन रे भैया

    मानव जीवन कमला ह ैयह क्या कम ह ैक्यों बबायद करते हो आस ऄमर कवलक्षण जीवन खाना-पीना और मर जाना

    यह मानव का संथकार नहीं कजयो और हर प्राणी को जीने दो जीवन का लक्ष्य बनाओ ऄपने थवाथय की खाकतर ककसी

    जीव जंत ुका मत बंद करो करनी का फल कमलेगा ही कमलेगा चाह ेलाख करो जतन कुछ मत पालो कोइ भ्म कुछ करो

    भयैा सकुमय सकच्चदानंद कजज्ञास ु

    —सहचिदानंद हजज्ञासु

  • 08

    जानकारी

    डीमटै खाता डीमटै खाता डीमटै खाता डीमटै खाता क्या ह,ै कैसे काम करता ह,ै डीमटै खाते की अवश्यकता क्यों पड़ती ह ैऔर आसके क्या क्या फायद ेहैं

    कवथतार से कहदंी में जाकनये। डीमटै खाता क्या ह ैआसको असानी से ऐसे समकझये। जसेै हम अपने पैसे ऄपने बैंक के खाते

    में रखते हैं वसैे ही हम ऄपने शेयर डीमटै खाते में रखते हैं। जैसे हम यकद बैंक के खाते से नकदी कनकलवा लें तो वह नकदी

    या करंसी पैसे का भौकतक रूप ह।ै मगर जब हम ऄपने डेकबट काडय से ककसी दकूानदार को पेमेंट करते हैं तो यह पैसों का

    आलेक्रॉकनक रान्सफर हुअ। आसी प्रकार यकद हमारे पास शयेर हैं तो हम या तो ईन्हें ककसी को कगफ्ट देंग ेया बाजार में बेच

    देंग,े दोनों ही पररकथथकतयों में शयेरों का एक डीमटै खाते से दसूरे डीमटै खाते में आलेक्रॉकनक रान्सफर ककया जाएगा। शयेरों

    को भौकतक रूप में रखने की अवश्यकता ही नहीं पड़ती।

    शयेरों को आलेक्रॉकनक्स रूप से खाते में रखने की सकुवधा को डीमटै कहते हैं। भारत में शयेर और प्रकतभकूतयां को

    आलेक्रॉकनक रूप से Dematerialized कडमटैीररलाइज्ड यानी डीमटै खातों में रखा जाता ह।ै शयेर धारक शयेरों को

    भौकतक रूप में यानी कागज़ पर छपे हुए शयेर सकटयकफकेट नहीं रखते। आसके कलए ब्रोकर के पास जा कर डीमटै खाता

    खलुवाया जाता ह।ै सभी शयेरों के लेनदने में डीमटै खाते का नंबर कलखा जाता ह ैकजससे कक शयेरों की खरीद कबक्री का

    आलेक्रॉकनक सेटलमेंट हो सके। ककसी भी तरह के शयेरों के लेनदने के कलए शयेर होपडर के पास डीमटै खाता होना

    अवश्यक ह।ै अपको डीमटै खाता खलुवाने के कलए ककसी रकजथटडय ब्रोकर (आन्हें कडपॉकजटरी पाकटयकसपेंट यानी डीपी

    कहते हैं) से संपकय करना होगा। ये ब्रोकर फम ेदो कडपॉकजटरी में से ककसी एक या दोनों से जडु़ी होती हैं। आनके नाम हैं-

    नेशनल कसक्योररटीज कडपॉकजटरी कलकमटेड (एनएसडीएल) और सेंरल कडपॉकजटरी सकवयसेज कलकमटेड (सीडीएसएल)।

    डीमटै खाते का संचालन यही दोनों करती हैं।

    ऄगर अपके पास यह खाता नहीं ह ैतो अप शयेर बाजार में कारोबार नहीं कर सकते। आससे कसक्योररटीज यानी

    शयेर, कडबेंचर, म्यचूऄुल फंड यकूनट वगरैह को रखना असान और सहज हो जाता ह।ै डीमैट खाता होने से न तो शयेरों व

    फंड यकूनटों के चोरी हो जान ेका डर रहता ह ैऔर न ही आनके प्रमाण पिों के फटने या खराब होने का। इमले के जररय े

    ऄपने शयेरों की कथथकत की जानकारी कमलती रहती ह।ै

    डीमटै खाता अपके बैंक ऄकाईंट से जडु़ा होता ह।ै आस खाते के कारण शयेरों का रांसफर और नॉकमनेशन का काम

    असान हो जाता ह।ै ऄगर अवास का पता बदला ह ैतो डीपी को सकूचत कर दनेे भर से सभी कंपकनयों तक यह सचूना

    थवत: भजे दी जाती ह।ै खाते को खोलने का खचय 300 रुपये तक अता ह।ै आसको बनाए रखने के कलए सालाना फीस भी

    दनेी होती ह।ै

    डीमटै खाते तक पहुाँचने के कलए आन्टरनेट पर पासवडय की जरूरत होती ह।ै शयेरों की खरीद और कबक्री सौदा कन्फमय

    होने पर थवत ही हो जाती ह।ै

    जब भी कोइ कंपनी बोनस ऄथवा राइट शयेर जाती कराती ह ैतो य ेशयेर भी सीधे शयेर होपडर के डीमटै खाते में

    अ जाते हैं। अइपीओ IPO में शयेरों के अवदेन करने के कलए भी डीमटै खाते की अवश्यकता ह।ै यकद अइपीओ में

    अपको शयेर कमले हैं तो व ेसीधे अपके डीमटै खाते में ही अ जाते हैं।

    डीमटै शयेर गमु नहीं होते, खराब नहीं हो सकते, चोरी नहीं हो सकते। आनसे कसग्नेचर ना कमलने जसैी समथया भी

    नहीं होती। डीमटै खातों की वजह से शयेरों की खरीद कबक्री में धोखा होने की संभावना भी समाप्त हो जाती ह।ै यह बहुत

    ही सकुवधाजनक भी ह।ै — पर्न यादर्

    http://www.poonjibazar.com/shares-in-hindi/http://www.poonjibazar.com/ipo-in-hindi/

  • 09

    ममट्टीममट्टीममट्टी बार-बार पैरों तले कुचले जाने के कारण कमट्टी ऄपने भाग्य पर रो पड़ी । ऄहो! मैं कैसी बदनसीबी हूाँ कक सभी लोग

    मरेा ऄपमान करते हैं । कोइ भी मझु ेसम्मान की दृकष्ट से नहीं दखेता जबकक मरेे ही भीतर से प्रथफुकटत होन ेवाले फूल का

    ककतना सम्मान ह ै । फूलों की माना कपरोकर गले में पहनी जाती ह ै । भि लोग ऄपने ईपाथय के चरणों में चढाते हैं ।

    वकनताए ंऄपने बालों में गूथं कर गवय का ऄनभुव करती हैं । क्या ही ऄच्छा हो कक मैं भी लोगों के मकथतष्ट्क पर चढ जाउं!

    कमदटी के ऄदंर से कनकलती हुइ अह को जानकर कंुभकार बोला- कमट्टी बकहन! तमु यकद सम्मान पाना चाहती हो तो

    तमु्हें बड़ा सम्मान कदला सकता हूाँ लेककन एक शतय ह ै।

    'एक क्या तमु्हारी कजतनी भी शते हों, मझु े सभी

    थवीकार हैं । बस मझु ेलोगों के पैरों तले से हटा दो,' कंुभकार

    की बात को बीच में ही काटते हुए कमट्टी ने कहा ।

    'तो कफर ठीक ह,ै तैयार हो जाओ ' -कहते हुए कंुभकार

    ने जमीन खोदकर कमट्टी बाहर कनकाली । गधों की सवारी

    कराता हुअ ईसे घर ले अया । पानी में डालकर ईसे बहुत

    समय तक गीली रखा । आतना ही नहीं कफर पैरों से ईसे खबू

    रौंदा । कष्टों को सहते हुए कमट्टी बोली, 'ऄरे भाइ! बहुत कष्ट

    द ेरह ेहो । कब मझु ेसम्मान का पाि बनाओग?े'

    'कमट्टी बकहन! धैयय रखो । ऄभी सहती जाओ, तमु्हें

    आसका मधरु फल जरूर कमलेगा ।'

    कंुभकार की बात सनुकर कमट्टी कुछ नहीं बोली ।

    कंुभकार ने कमट्टी को चाक पर चढाया और ईसे तेजी से घमुाते हुए घडे़ का रूप कदया । कफर धपू में सखुाया । कष्ट

    सहते-सहते जब कमट्टी का धैयय टूटने लगा तो कंुभकार बोला, 'बस बहन ! ऄब केवल एक ऄकग्न-परीक्षा ही शेष ह ै। और

    सभी में तमु ईत्तीणय हो चकुी हो । यकद ईसमें भी ईत्तीणय रही तो लोग सती सीता की तरह तमु्हें भी मथतक पर चढा लेंग े।

    सीता को लोग कसर झकुाकर सम्मान दतेे हैं ककन्त ुतमु्हें तो वकनताए ंकसर पर सजा कर घमूेंगी । '

    अकखर कमट्टी ने सब कुछ सह कर ऄकग्न-परीक्षा भी ईत्तीणय कर ली । कफर क्या था! सचमचु सुंदररयां ईसे कसर पर

    ईठाए कफरने लगी । कमट्टी ऄपने सम्मान पर प्रफुकपलत हो ईठी । अकखर सम्मान पाने के कलए कष्ट तो सहने ही पड़ते हैं ।यह

    बात अदमी और कमट्टी दोनो के साथ फकलत होती ह।ै

    — मेघा कुमारी

    लघु कथा

  • 10

    आलेख

    भयैा दूजभयैा दूजभयैा दूज

    भयैा दजू का त्योहार भाइ बहन के थनेह को सदुृढ करता ह।ै यह त्योहार दीवाली के दो कदन बाद मनाया जाता ह।ै

    कहन्द ूधमय में भाइ-बहन के थनहे-प्रतीक दो त्योहार मनाये जाते हैं - एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पकूणयमा को

    मनाया जाता ह।ै आसमें भाइ बहन की रक्षा करने की प्रकतज्ञा करता ह।ै दसूरा त्योहार, 'भाइ दजू' का होता ह।ै आसमें बहनें भाइ

    की लम्बी अय ुकी प्राथयना करती हैं। भाइ दजू का त्योहार काकतयक मास की कद्वतीया को मनाया जाता ह।ै

    भयैा दजू को भ्ात ृ कद्वतीया भी कहते हैं। आस पवय का प्रमखु लक्ष्य भाइ तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव की

    थथापना करना ह।ै आस कदन बहनें बेरी पजून भी करती हैं। आस कदन बहनें भाआयों के थवथथ तथा दीघायय ुहोने की मगंल

    कामना करके कतलक लगाती हैं। आस कदन बहनें भाआयों को तेल मलकर गगंा यमनुा में थनान भी कराती हैं। यकद गगंा यमनुा

    में नहीं नहाया जा सके तो भाइ को बहन के घर नहाना चाकहए।

    यकद बहन ऄपने हाथ से भाइ को जीमाए तो भाइ की ईम्र बढती ह ैऔर जीवन के कष्ट दरू होते हैं। आस कदन चाकहए

    कक बहनें भाआयों को चावल कखलाए।ं आस कदन बहन के घर भोजन करने का कवशेष महत्व ह।ै बहन चचेरी ऄथवा ममरेी

    कोइ भी हो सकती ह।ै यकद कोइ बहन न हो तो गाय, नदी अकद स्त्रीत्व पदाथय का ध्यान करके ऄथवा ईसके समीप बैठ

    कर भोजन कर लेना भी शभु माना जाता ह।ै

    आस कदन गोधन कूटन ेकी प्रथा भी ह।ै गोबर की मानव मकूतय बना कर छाती पर इटं रखकर कस्त्रयां ईसे मसूलों से

    तोड़ती हैं। कस्त्रयां घर-घर जाकर चना, गमू तथा भटकैया चराव कर कजव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं। दोपहर

    पययन्त यह सब करके बहन भाइ पजूा कवधान से आस पवय को प्रसन्नता से मनाते हैं। आस कदन यमराज तथा यमनुा जी के पजून

    का कवशषे महत्व ह।ै

    भगवान सयूय नारायण की पत्नी का नाम छाया था। ईनकी कोख से यमराज तथा यमनुा का जन्म हुअ था। यमनुा

    यमराज से बड़ा थनेह करती थी। वह ईससे बराबर कनवदेन करती कक आष्ट कमिों सकहत ईसके घर अकर भोजन करो। ऄपन े

    कायय में व्यथत यमराज बात को टालता रहा। काकतयक शकु्ला का कदन अया। यमनुा ने ईस कदन कफर यमराज को भोजन के

    कलए कनमिंण दकेर, ईसे ऄपने घर अने के कलए वचनबद्ध कर कलया।

    यमराज ने सोचा कक मैं तो प्राणों को हरने वाला हू।ं मझु े कोइ भी ऄपने घर नहीं बलुाना चाहता। बहन कजस

    सद्भावना से मझु ेबलुा रही ह,ै ईसका पालन करना मरेा धमय ह।ै बहन के घर अते समय यमराज ने नरक कनवास करने वाले

    जीवों को मिु कर कदया। यमराज को ऄपने घर अया दखेकर यमनुा की खशुी का कठकाना नहीं रहा। ईसने थनान कर

    पजून करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमनुा द्वारा ककए गए अकत्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने

    का अदशे कदया। यमनुा ने कहा कक भद्र! अप प्रकत वषय आसी कदन मरेे घर अया करो। मरेी तरह जो बहन आस कदन ऄपन े

    भाइ को अदर सत्कार करके टीका करे, ईसे तमु्हारा भय न रह।े यमराज ने तथाथत ुकहकर यमनुा को ऄमपूय वस्त्राभषूण

    दकेर यमलोक की राह की। आसी कदन से पवय की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता ह ैकक जो अकत्य थवीकार करते हैं, ईन्हें यम

    का भय नहीं रहता। आसीकलए भैयादजू को यमराज तथा यमनुा का पजून ककया जाता ह।ै

    — हप्रयंका पाण्डेय

  • 11

    आलेख

    भारत के मलेेभारत के मलेेभारत के मले े सरूजकंुड हथतकशपप मलेा, भारत की एवं कशकपपयों की हथतकला का 15 कदन चलने वाला मलेा लोगों को ग्रामीण

    माहौल और ग्रामीण संथकृकत का पररचय दतेा ह।ै यह मलेा हररयाणा राज्य के फरीदाबादशहर के कदपली के कनकटवती

    सीमा से लगे सरूजकंुड क्षेि में प्रकतवषय लगता ह।ै यह मलेा लगभग ढाइ दशक से अयोकजत होता अ रहा ह।ै वतयमान में

    आस मलेे में हथतकशपपी और हथकरघा कारीगरों के ऄलावा कवकवध ऄचंलों की वस्त्र परंपरा, लोक कला, लोक व्यंजनों के

    ऄकतररि लोक संगीत और लोक नतृ्यों का भी संगम होता ह ै ।

    आस मलेे में हर वषय ककसी एक राज्य को थीम बना कर ईसकी कला, संथकृकत, सामाकजक पररवशे और परंपराओ ंको

    प्रदकशयत ककया जाता ह।ै वषय 2010 में राजथथान थीम राज्य ह।ै आसे दसूरी बार यह गौरव प्राप्त हुअ ह।ै मलेे में लग ेथटॉल

    हर क्षेि की कला से पररकचत कराते हैं। साकय दशेों एवं थाइलैंड, तजाककथतान और कमस्र के कलाकशपपी भी यहां अते हैं

    यहां ऄनेक राज्यों के खास व्यंजनों के साथ ही कवदशेी खानपान का थवाद भी कमलता ह।ै मलेा पररसर में चौपाल

    और नाट्यशाला नामक खलेु मचं पर सारे कदन कवकभन्न राज्यों के लोक कलाकार ऄपनी ऄनठूी प्रथतकुतयों से समा बांधते

    हैं। शाम के समय कवशषे सांथकृकतक काययक्रम होते हैं। दशयक भगोररया डांस, बीन डांस, कबहू, भांगड़ा, चरकुला डांस,

    कालबेकलया नतृ्य, पंथी नतृ्य, संबलपरुी नतृ्य और कसद्घी गोमा नतृ्य अकद का अनंद लेते हैं। कवदशेों की सांथकृकतक

    मडंकलयां भी प्रथतकुत दतेी हैं ।

    पषु्ट्कर मेला ऄजमरे से 11 कक॰मी॰ दरू कहन्दओु ंका प्रकसद्ध तीथय थथल पषु्ट्कर ह।ै यहां पर काकतयक पकूणयमा को मलेा लगता ह,ै

    कजसमें बड़ी संयया में दशेी-कवदशेी पययटक भी अते हैं। हजारों कहन्द ुलोग आस मलेे में अते हैं। व ऄपने को पकवि करने के

    कलए पषु्ट्कर झील में थनान करते हैं। भिगण एवं

    पययटक श्री रंग जी एव ं ऄन्य मकंदरों के दशयन कर

    अकत्मक लाभ प्राप्त करते हैं।

    राज्य प्रशासन भी आस मलेे को कवशषे महत्व

    दतेा ह।ै थथानीय प्रशासन आस मलेे की व्यवथथा

    करता ह ैएव ंकला संथकृकत तथा पययटन कवभाग आस

    ऄवसर पर सांथकृकतक काययक्रमों का अयाजन

    करते हैं।

    आस समय यहां पर पश ु मलेा भी अयोकजत

    ककया जाता ह,ै कजसमें पशओु ंसे संबंकधत कवकभन्न

    काययक्रम भी ककए जाते हैं, कजसमें श्रेष्ठ नथल के पशओु ंको परुथकृत ककया जाता ह।ै आस पश ुमलेे का मयुय अकषयण होता

    ह।ै

    https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%80https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8_%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF_%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AB%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%A1https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95_%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95_%E0%A4%A8%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A5%A8%E0%A5%A6%E0%A5%A7%E0%A5%A6https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%95_%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%88%E0%A4%B2%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A4%A1https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%82https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95_%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE

  • 12

    आलेख

    भारत में ककसी पौराकणक थथल पर अम तौर पर कजस संयया में पययटक अते हैं, पषु्ट्कर में अने वाले पययटकों की

    संयया ईससे कहीं ज्यादा ह।ै आनमें बडी संयया कवदशेी सैलाकनयों की ह,ै कजन्हें पषु्ट्कर खास तौर पर पसंद ह।ै हर साल

    काकतयक महीने में लगने वाले पुष्ट्कर उंट मलेे ने तो आस जगह को दकुनया भर में ऄलग ही पहचान द ेदी ह ै।

    मलेे के समय पषु्ट्कर में कइ संथकृकतयों का कमलन सा देखने को कमलता ह।ै एक तरफ तो मेला दखेने के कलए कवदशेी

    सैलानी पडी संयया में पहुचंते हैं, तो दसूरी तरफ राजथथान व असपास के तमाम आलाकों से अकदवासी और ग्रामीण लोग

    ऄपने-ऄपने पशओु ंके साथ मलेे में शरीक होने अते हैं।

    मलेा रेत के कवशाल मदैान में लगाया जाता ह।ै ढेर सारी कतार की कतार दकुानें, खान-ेपीने के थटाल, सकय स, झलेू

    और न जाने क्या-क्या। उंट मेला और रेकगथतान की नजदीकी ह ैआसकलए उंट तो हर तरफ दखेने को कमलते ही हैं। लेककन

    कालांतर में आसका थवरूप कवशाल पश ुमेले का हो गया ह।ै

    कंुभ मेला

    कहदं ू धमय का एक महत्वपणूय पवय ह,ै कजसमें करोड़ों श्रद्धाल ु कंुभ पवय थथल हररद्वार, प्रयाग, ईज्जनै और नाकसक में

    थनान करते हैं। आनमें से प्रत्येक थथान पर प्रकत बारहवें वषय आस पवय का अयोजन होता ह।ै हररद्वार और प्रयाग में दो कंुभ पवों

    के बीच छह वषय के ऄतंराल में ऄधयकंुभ भी होता ह।ै 2013 का कुम्भ प्रयाग में हुअ था ।खगोल गणनाओ ंके ऄनसुार

    यह मलेा मकर संक्रांकत के कदन प्रारम्भ होता ह,ै जब सयूय और चन्द्रमा, वकृश्चक राशी में और वहृथपकत, मषे राशी में प्रवशे

    करते हैं। मकर संक्रांकत के होने वाले आस योग को "कुम्भ थनान-योग" कहते हैं और आस कदन को कवशषे मगंकलक माना

    जाता ह,ै क्योंकक ऐसा माना जाता ह ै कक आस कदन पृ् वी से ईच्च लोकों के द्वार आस कदन खलुते हैं और आस प्रकार आस

    कदन थनान करने से अत्मा को ईच्च लोकों की प्राकप्त सहजता से हो जाती ह।ै यहााँ थनान करना साक्षात थवगय दशयन माना

    जाता ह।ै

    कंुभ पवय के अयोजन को लेकर दो-तीन पौराकणक कथाएाँ प्रचकलत हैं कजनमें से सवायकधक मान्य कथा दवे-दानवों

    द्वारा समदु्र मथंन से प्राप्त ऄमतृ कंुभ से ऄमतृ बूाँदें कगरने को लेकर ह।ै आस कथा के ऄनसुार महकषय दवुायसा के शाप के कारण

    जब आदं्र और ऄन्य दवेता कमजोर हो गए तो दैत्यों ने दवेताओ ंपर अक्रमण कर ईन्हें पराथत कर कदया। तब सब दवेता

    कमलकर भगवान कवष्ट्ण ुके पास गए और ईन्ह े सारा वतृान्त सनुाया। तब भगवान कवष्ट्ण ु ने ईन्ह े दतै्यों के साथ

    कमलकर क्षीरसागर का मथंन करके ऄमतृ कनकालने की सलाह दी। भगवान कवष्ट्ण ुके ऐसा कहने पर संपणूय दवेता दतै्यों के

    साथ संकध करके ऄमतृ कनकालने के यत्न में लग गए। ऄमतृ कंुभ के कनकलते ही दवेताओ ंके आशारे से आदं्र पिु जयंत ऄमतृ

    -कलश को लेकर अकाश में ईड़ गया। ईसके बाद दतै्यगरुु शकु्राचायय के अदशेानसुार दतै्यों ने ऄमतृ को वापस लेने के

    कलए जयंत का पीछा ककया और घोर पररश्रम के बाद ईन्होंने बीच राथते में ही जयंत को पकड़ा। तत्पश्चात ऄमतृ कलश पर

    ऄकधकार जमाने के कलए दवे-दानवों में बारह कदन तक ऄकवराम यदु्ध होता रहा।

    आस परथपर मारकाट के दौरान पृ् वी के चार थथानों (प्रयाग, हररद्वार, ईज्जनै, नाकसक) पर कलश से ऄमतृ बूाँदें कगरी

    थीं। ईस समय चंद्रमा ने घट से प्रस्रवण होने से, सयूय ने घट फूटने से, गरुु ने दतै्यों के ऄपहरण से एवं शकन ने दवेने्द्र के भय से

    घट की रक्षा की। कलह शांत करने के कलए भगवान ने मोकहनी रूप धारण कर यथाकधकार सबको ऄमतृ बााँटकर कपला

    कदया। आस प्रकार दवे-दानव यदु्ध का ऄतं ककया गया । ——सुनंदा िौधुरी

    https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%82_%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%97https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%AD&action=edit&redlink=1https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%B0_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0_%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A5%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%AD&action=edit&redlink=1https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A4https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF_%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BEhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A5%81https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A5%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%97https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%89%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%A8https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%95https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B6%E0%A4%A8%E0%A4%BFhttps://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%80

  • 13

    किानी

    प्लेटफामव सखं्या — आठ

    ½þÉ´ÉcÉ EòÉ +É`ö xÉƤɮú {±Éä]õ¡òɨÉÇ, VɽþÉÆ ªÉÉÊjɪÉÉå EòÒ ¦ÉÒc vÉÒ®úä-vÉÒ®úä VɨÉÉ ½þÉä ®ú½þÒ ½þè* {ÉÚ´ÉÔ =kÉ®ú |Énùä¶É +Éè®ú {ÉʶSɨÉÒ

    ʤɽþÉ®ú EòÉä VÉÉxÉä ´ÉɱÉÒ ½þÉ´ÉcÉ-EòÉ`öMÉÉänùÉ¨É BCºÉ|ÉäºÉ ªÉ½þÓ ºÉä JÉÖ±ÉiÉÒ ½þè* =ºÉ ±ÉÉð EòÒ +Éä®ú VÉÉxÉä ´ÉɱÉÒ ªÉ½þ

    BEò ¨ÉÉjÉ MÉÉcÒ ½þè*

    {±Éä]õ¡òɨÉÇ {É®ú ¦ÉÒc =xÉ ±ÉÉäMÉÉå EòÒ ºÉ¤ÉºÉä +ÊvÉEò ½þè VÉÉä ¡èòC]õÊ®úªÉÉå +Éè®ú EòÉ®úJÉÉxÉÉå +ÉÊnù ¨Éå ¨ÉVÉnùÚ®úÒ Eò®úEäò +{ÉxÉÒ

    VÉÒÊ´ÉEòÉ SɱÉÉiÉä ½þé* nùäJÉxÉä ºÉä ªÉä +rùÇʶÉÊIÉiÉ ªÉÉ +ʶÉÊIÉiÉ VÉÉxÉ {ÉciÉä ½þé ±ÉäÊEòxÉ

  • 14

    किानी

    EÖòUô nùä®ú ¤ÉÉnù {±Éä]õ¡òɨÉÇ {É®ú nùÉä-SÉÉ®ú ®úä±É {ÉÖÊ±ÉºÉ Eäò VÉ´ÉÉxÉ ½þÉlÉÉå ¨Éå b÷Æb÷É Ê±ÉB ½þÖB +É MÉB +Éè®ú =xɨÉå ºÉä BEò xÉä

    ¦ÉÒc EòÉä ºÉƤÉÉäÊvÉiÉ Eò®úiÉä ½þÖB +Énùä¶ÉÉi¨ÉEò º´É®ú ¨Éå Eò½þÉ- ""ºÉ¦ÉÒ ±ÉÉ

  • 15

    किानी

    {É®ú {ÉÉxÉÒ Eäò UôÓ]õä ¨ÉÉ®úxÉÉ ¶ÉÖ°ü ÊEòªÉÉ*

    ¦ÉÒc EòÉä SÉÒ®úiÉä ½þÖB nùÉä {ÉÖÊ±ÉºÉ Eäò VÉ´ÉÉxÉ ¦ÉÒ +É MÉB* =x½þÉåxÉä ¦ÉÒ EÖòUô |ɶxÉ ÊEòB, ËEòiÉÖ =ºÉ ªÉÖ´ÉEò ºÉä ºÉ½þÒ

    =kÉ®ú xÉ {ÉÉEò®ú =ºÉä ®úÉäEò ʱɪÉÉ +Éè®ú ¤ÉÚgä Eäò ½þÉä¶É ¨Éå +ÉxÉä EòÒ |ÉiÉÒIÉÉ Eò®úxÉä ±ÉMÉä* =ºÉä VɱnùÒ ½þÉä¶É ¨Éå xÉ +ÉiÉÉ nùäJÉ

    BEò `öä±ÉÉ MÉÉcÒ EòÉä {ÉEòc Eò®ú =ºÉ {É®ú ¤ÉÚgä EòÉä =x½þÉåxÉä ±Énù´ÉÉ ÊnùªÉÉ*

    ªÉÖ´ÉEò +¤É ´É½þÉÆ ºÉä MÉÉcÒ EòÒ +Éä®ú ¤ÉgxÉä EòÉä ½þÖ+É* ±ÉäÊEòxÉ {ÉÖÊ±ÉºÉ ´ÉɱÉÉå xÉä =ºÉä º]õä¶ÉxÉ EòÒ {ÉÖÊ±ÉºÉ SÉÉèEòÒ iÉEò

    SɱÉxÉä EòÉä Eò½þÉ* ªÉÖ´ÉEò xÉä ¤ÉiÉɪÉÉ ÊEò ´É½þ iÉÉä =ºÉ ¤ÉÚgä EòÒ ¨ÉÉxÉ´ÉiÉÉ Eäò xÉÉiÉä ºÉä´ÉÉ-ºÉÖ¸ÉÖ¹ÉÉ Eò®ú ®ú½þÉ lÉÉ* ±ÉäÊEòxÉ {ÉÖʱɺÉ

    ´ÉɱÉä ¨ÉÉxÉxÉä EòÉä iÉèªÉÉ®ú xɽþÓ lÉä* ªÉÖ´ÉEò EòÒ Ê´ÉxÉiÉÒ EòÉ ¦ÉÒ EòÉä

  • 16

    किानी

    +É´ÉÉVÉ ºÉÖxÉ Eò®ú- ""ºÉɱÉä, ÊMÉ®úÉä½þ ¤ÉxÉÉ Eò®ú iÉÚ ¦ÉÉä±Éä-¦ÉɱÉä ±ÉÉäMÉÉå EòÉä ±ÉÚ]õiÉÉ ®ú½þiÉÉ ½þè* VɱnùÒ ¤ÉiÉÉ+Éä ÊEò

  • व्यंग्य

    नतेा जी नतेा जी नतेा जी नेता जी रामपाल साहब को बात—बात पर गथुसा अ रहा था। कभी बीवी पर गथुसा ईतारते तो कभी सेक्ररेटरी को

    हड़काते तो कभी संतरी से ईलझ जाते । बाद में सॉरी कहकर सारी बातों का कनपटारा करते। नेताजी को अष्ट्चयय हो रहा

    था कक बात-बात पर ईन्हें गथुसा का क्यों अ रहा ह।ै ईन्होंन ेपकत्न से ऄपनी समथया कह सनुाइ। पत्नी से समझाया कक

    दकेखए अपका गथुसा न तो कोइ राष्ट्रीय समथया ह ैऔर न नहीं ऄतंराष्ट्रीय समथया ह ैकजसपर टीवी वाले चचाय करेंग े

    और अपको लोककप्रयता कमलेगी। और न हीं अपके गथुसे से अपको कोइ चनुाव लाभ कमलने जा रहा ह।ै आसकलए मरेा

    तो मानना ह ैकक अपको डॉक्टर की अवश्यकता ह।ै

    धमयपत्नी की बात सनुकर वो सोचने लग े।पत्नी ने ईन्हें कहदायदत दतेे हुए कहा

    कक नेता जी अप थोड़ा समझदारी से काम लो नही तो ऄपने गथुसे के चलते

    मरेे हाथों से ककसी कदन कपटोग े । ऄगर अप बाहर कपटे तो मझुे मोचाय