duration : 02.30 transcribed...
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Module No. 23
गणेशपुरा : पररचय Duration : 02.30 Transcribed words : 3
- संगीत / गांव के दृ / महिलाएं गीत गा रिी िैं - 00.25 जगदीश नारायण : ये ब्राह्मणों और जाटों का गा व िै.ं.. इसमें गलत चीज निीं िै... सब
का कार िंै... अ तरि खेती का काम करते िैं... रिन सिन ब या िै...
00.34 राजे प्रसाद शमाा : गा व में शुद्ध वातवरण, शुद्ध िवा, शुद्ध पानी, शुद्ध भोजन, सब कुछ
अ चीज ि.ै.. और देखने का वातावरण ब या ि.ै..
00.43 पंहित ब्रजराज शमाा : रोज सुबि गा व में लोग बाग ज उठते िैं... और उठने के बाद जो
अपनी ददनचयाा िै, लोग बाग सब अपने अपने काया में लग जाते िैं... दूध दनकालने वाला दूध
दनकालता िै, खेती का काया करने वाला खेती के काया के हलये... माता बिनें िैं, वो भोजन
बनाने के हलये, तो भोजन का काया करती िैं... मैं सबुि ज उठ करके और भगवान की पूजा के
हलय,े न करने के बाद, जल की बा को साफ करके, मा ज के उसको भगवान के
दरबार में लाता हू ... फफर भगवान की झा बुिारी करके और फफर भगवान का अहभ क िोता
िै...
01.19 मंददर में शंख बजाकर पूजा करते हुये...
01.30 पंहित ब्रजराज शमाा : ब यिा के पढ़े हलखे भी िैं... और जैसे पढ़ाई के अंदर जा रिे िैं
ब , तो टै कल जॉब में भी, उसकी भी हशक्षा ले रिे िैं और ये जो प्र क स के अंदर, यिा
के ब जाते िै.ं..
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01.43 राजे प्रसाद शमाा : मैं 14 साल से िेरे वाला लसा में कायारत हू और विा पे मशीनरी
ऑपरेटर का मेरा काम िै... ए दटव पो पर हू ...
01.52 राजे शमाा : मैं 2003 से फोटोग्राफी लाईन में हू ...
01.55 राम फूल चौधरी : मैंने ट्वै साईंस से की और फफर मैंने पशुधन का हि मा िोता िै
दो साल का, पशुधन , वो फकया ि.ै..
02.02 राजे प्रसाद शमाा : बहचचयों की हशक्षा के प्रदत यिा जागरूकता िै... बहचचयों को हशक्षा
देने के हलये, बहचचयों को पढ़ाने के हलये भेजते िैं... बािर भी भेजते िै.ं..
02.10 िेमा शमाा : मैं टेगोर कॉलेज से बी. एि. कर रिी हू ... और हि हसदव से कर रिी हू बी.
एि. और बी. ए. कर ली िै मैंने... और एम. ए. प्रीदवएस कर ली िै...
02.19 राजे प्रसाद शमाा : अ हशहक्षत गा व ि,ै स गा व िै... और बुदद्धजीवी लोग
िैं यिा के... भाई चारे की भावना से रिते िैं... और ि की भावना से रिते िैं... अ गा व
िै...