hebrews इब्रािनयोंइब र नय २:२ 3 इब र नय २:१० २...

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इािनयो १:1 इािनयो १:Hebrews इािनयो पु का वभाव ʧ युग म परम वर न प ʧजो स थोड़ा-थोड़ा करक औरभा ित- भा ित स भिवय˞ाओ क ारा बात की, पर इन अितम िदनो म हम स अपन पु क ारा बात की, िजस उसन सारी वतुओ का वािरस ठहराया और उसी क ारा उसन सारी स ि भी रची ह (1 कु िर. 8:6, . 1:3) वह उसकी मिहमा का काश, और उसक तव की छाप ह , और सब वतुओ को अपनी सामयʧक वचन स भालता ह : वह पापो को धोकर ऊ च थानो पर महामिहमन दािहन जा ब ठा। और वगʧद तो स उतना ही उ˽म ठहरा*, िजतना उसन उनस बड़ पद का वािरस होकर उ˽म नाम पाया। यीशु वगʧद तो स यो िक वगʧद तो म स उसन कब िकसी स कहा, रा पु ह ; आज म ही न तुझ जमाया ह ?” और िफर यह, म उसका िपता ह गा, और वह म रा पु होगा?” (2 शम . 7:14, 1 इित. 17:13, भज. 2:7) और जब पहलौठ को जगत म िफर लाता ह , तो कहता ह , परम वर क सब वगʧद त उस दडवत कर ”(. 32:43, 1 पत. 3:22) और वगʧद तो क िवषय म यह कहता ह , वह अपन द तो को पवन,

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  • इब्रािनयों १:१ 1 इब्रािनयों १:७

    Hebrewsइब्रािनयों

    पतु्र का स्वभाव१ पूव यगु में परमश्े वर ने पूवजों से थोड़ा-थोड़ा करकेऔर भािँत-

    भािँत से भिवष्य ाओं के ारा बातें की, २ पर इन अिन्तम िदनोंमे ं हम से अपने पतु्र के ारा बातें की, िजसे उसने सारी वस्तओुं कावािरस ठहराया और उसी के ारा उसने सारी सिृ भी रची ह।ै (1कुिर. 8:6, यूह. 1:3) ३ वह उसकी मिहमा का प्रकाश, और उसकेतत्व की छाप ह,ै और सब वस्तओुं को अपनी सामथ्य के वचन सेसंभालता ह:ै वह पापों को धोकर ऊँचे स्थानों पर महामिहमन् केदािहने जा बठैा।

    ४और स्वगदूतों से उतना ही उ म ठहरा*, िजतना उसने उनसेबड़े पद का वािरस होकर उ म नाम पाया।

    यीशु स्वगदूतों से श्रे५ क्योिंक स्वगदूतों मे ं से उसने कब िकसी से कहा,

    “तू मरेा पतु्र ह;ैआज मैं ही ने तझुे जन्माया ह?ै”और िफर यह,“मैं उसका िपता हूगँा,और वह मरेा पतु्र होगा?” (2 शमू. 7:14, 1 इित. 17:13, भज. 2:7)

    ६और जब पहलौठे को जगत में िफर लाता ह,ै तो कहता ह,ै“परमश्े वर के सब स्वगदूत उसे दण्डवत् करे।ं” (व्य. 32:43, 1पत. 3:22) ७और स्वगदूतों के िवषय में यह कहता ह,ै“वह अपने दूतों को पवन,

  • इब्रािनयों १:८ 2 इब्रािनयों २:१और अपने सवेकों को धधकती आग बनाता ह।ै” (भज. 104:4)

    ८ परन्तु पतु्र के िवषय में कहता ह,ै“हे परमश्े वर, तरेा िसंहासन यगुानयुगु रहगेा,तरेे राज्य का राजदण्ड न्याय का राजदण्ड ह।ै९ तूने धािमकता से प्रमे और अधम से बरै रखा;इस कारण परमश्े वर, तरेे परमश्े वर, नेतरेे सािथयों से बढ़कर हष पी तले से तरेा अिभषके िकया।” (भज.

    45:7)१०और यह िक, “हे प्रभ,ु आिद में तूने पथृ्वी की नीवं डाली,और स्वग तरेे हाथों की कारीगरी ह।ै (भज. 102:25, उत्प. 1:1)११वे तो नाश हो जाएगँ*े; परन्तु तू बना रहगेा औरवे सब वस्त्र के समान परुाने हो जाएगँ।े१२और तू उन्हें चादर के समान लपटेगेा,और वे वस्त्र के समान बदल जाएगँ:ेपर तू वही हैऔर तरेे वषोर्ं का अन्त न होगा।” (इब्रा. 13:8, भज. 102:25-26)

    १३और स्वगदूतों मे ं से उसने िकस से कभी कहा,“तू मरेे दािहने बठै,जब तक िक मैं तरेे बिैरयों को तरेे पावँों के नीचे की चौकी न कर

    दू?ँ” (म ी 22:44, भज. 110:1)१४ क्या वे सब परमश्े वर की सवेा टहल करनवेाली आत्माएँ

    नही;ं जो उ ार पानवेालों के िलये सवेा करने को भजेी जाती है?ं(भज. 103:20-21)

    २उ ार की उपे ा के िव चतेावनी

    १ इस कारण चािहए, िक हम उन बातों पर जो हमने सनुी हैंअिधक ध्यान द,े ऐसा न हो िक बहक कर उनसे दूर चले जाए।ँ

  • इब्रािनयों २:२ 3 इब्रािनयों २:१०२ क्योिंक जो वचन स्वगदूतों के ारा कहा गया था, जब वह

    िस्थर रहा और हर एक अपराध और आ ा न मानने का ठीक-ठीक बदला िमला। ३ तो हम लोग ऐसे बड़े उ ार से उपे ा करकेकैसे बच सकते है*ं? िजसकी चचा पहल-ेपहल प्रभु के ारा हईु,और सनुनवेालों के ारा हमें िन य हआु। ४और साथ ही परमश्े वरभी अपनी इच्छा के अनसुार िचन्हो,ं और अद्भतु कामो,ं और नानाप्रकार के सामथ्य के कामो,ंऔर पिवत्रआत्मा के वरदानों के बाटँनेके ारा इसकी गवाही दतेा रहा।

    ५ उसने उस आनवेाले जगत को िजसकी चचा हम कर रहे है,ंस्वगदूतों के अधीन न िकया। ६ वरन् िकसी ने कही,ं यह गवाही दीह,ै“मनषु्य क्या ह,ै िक तू उसकी सिुध लतेा ह?ैया मनषु्य का पतु्र क्या ह,ै िक तू उस पर दिृ करता ह?ै७ तूने उसे स्वगदूतों से कुछ ही कम िकया*;तूने उस पर मिहमा औरआदर का मकुुट रखा और उसे अपने हाथों

    के कामों पर अिधकार िदया।८ तूने सब कुछ उसके पावँों के नीचे कर िदया।”इसिलए जब िक उसने सब कुछ उसके अधीन कर िदया, तो

    उसने कुछ भी रख न छोड़ा, जो उसके अधीन न हो। पर हम अबतक सब कुछ उसके अधीन नहीं दखेत।े (भज. 8:6, 1 कुिर. 15:27)

    ९ पर हम यीशु को जो स्वगदूतों से कुछ ही कम िकया गया था,मतृ्यु का दःुख उठाने के कारण मिहमा और आदर का मकुुट पहनेहएु दखेते है;ं तािक परमश्े वर के अनगु्रह से वह हर एक मनषु्य केिलये मतृ्यु का स्वाद चख।े १० क्योिंक िजसके िलये सब कुछ ह,ैऔर िजसके ारा सब कुछ ह,ै उसे यही अच्छा लगा िक जब वहबहतु से पतु्रों को मिहमा में पहुचँाए, तो उनके उ ार के कता कोदःुख उठाने के ारा िस करे।

  • इब्रािनयों २:११ 4 इब्रािनयों ३:२११ क्योिंक पिवत्र करनवेाला और जो पिवत्र िकए जाते है,ं सब

    एक ही मूल से है,ंअथात् परमश्े वर, इसी कारण वह उन्हें भाई कहनेसे नहीं लजाता। १२ पर वह कहता ह,ै“मैं तरेा नाम अपने भाइयों को सनुाऊँगा,सभा के बीच में मैं तरेा भजन गाऊँगा।” (भज. 22:22)

    १३और िफर यह,“मैं उस पर भरोसा रखूगँा।”और िफर यह,

    “दखे, मैं उन ब ों सिहत िजसे परमश्े वर ने मझुे िदए।” (यशा. 8:17-18, यशा. 12:2)

    १४ इसिलए जब िक ब े मासँ और लहू के भागी है,ं तो वह आपभी उनके समान उनका सहभागी हो गया; तािक मतृ्यु के ारा उसेिजसे मतृ्यु पर शि िमली थी*, अथात् शतैान को िनकम्मा कर द,े(रोम. 8:3, कुल.ु 2:15) १५और िजतने मतृ्यु के भय के मारे जीवनभर दासत्व में फँसे थ,े उन्हें छुड़ा ल।े

    १६ क्योिंक वह तो स्वगदूतों को नहीं वरन् अब्राहम के वंश कोसंभालता ह।ै (गला. 3:29, यशा. 41:8-10) १७ इस कारण उसकोचािहए था, िक सब बातों मे ं अपने भाइयों के समान बन;े िजससेवह उन बातों मे ं जो परमश्े वर से सम्बन्ध रखती है,ं एक दयालुऔरिव ासयोग्य महायाजक बने तािक लोगों के पापों के िलये प्रायि तकरे। १८ क्योिंक जब उसने परी ा की दशा में दःुख उठाया, तो वहउनकी भी सहायता कर सकता ह,ै िजनकी परी ा होती ह।ै

    ३मूसा िव ासयोग्य दास: मसीह िव ासयोग्य पतु्र

    १ इसिलए, हे पिवत्र भाइयो,ं तमु जो स्वगीर्य बलुाहट में भागी हो,उस प्रिेरत और महायाजक यीशु पर िजसे हम अंगीकार करते हैंध्यान करो। २ जो अपने िनयु करनवेाले के िलये िव ासयोग्य

  • इब्रािनयों ३:३ 5 इब्रािनयों ३:१३था,जसैा मूसा भी परमश्े वर के सारे घर में था। ३ क्योिंक यीशु मूसासे इतना बढ़कर मिहमा के योग्य समझा गया ह,ै िजतना िक घर काबनानवेाला घर से बढ़कर आदर रखता ह।ै ४ क्योिंक हर एक घरका कोई न कोई बनानवेाला होता ह,ै पर िजस ने सब कुछ बनायावह परमश्े वर ह*ै।

    ५ मूसा तो परमश्े वर के सारे घर में सवेक के समान िव ासयोग्यरहा, िक िजन बातों का वणन होनवेाला था, उनकी गवाही द।े (िगन.12:7) ६ पर मसीह पतु्र के समान परमश्े वर के घर का अिधकारीह*ै, और उसका घर हम है,ं यिद हम साहस पर, और अपनी आशाके गव पर अन्त तक दढ़ृता से िस्थर रहे।ं

    अिव ास के प्रित चतेावनी७ इसिलए जसैा पिवत्र आत्मा कहता ह,ै

    “यिद आज तमु उसका शब्द सनुो,८ तो अपने मन को कठोर न करो,जसैा िक क्रोध िदलाने के समय औरपरी ा के िदन जंगल में िकया था। (िनग. 17:7, िगन. 20:2-5,13)९जहा ँ तमु्हारे पूवजों ने मझुे जाचँ कर परखाऔर चालीस वष तक मरेे काम दखे।े१० इस कारण मैं उस समय के लोगों से क्रोिधत रहा,और कहा, ‘इनके मन सदा भटकते रहते है,ंऔर इन्होनंे मरेे मागोर्ं को नहीं पहचाना।’११ तब मैनंे क्रोध में आकर शपथ खाई,‘वे मरेे िवश्राम में प्रवशे करने न पाएगँ’े।” (िगन. 14:21-23, व्य.

    1:34-35)१२ हे भाइयो,ं चौकस रहो, िक तमु में ऐसा बरुा और अिव ासी

    मन न हो, जो जीिवते परमश्े वर से दूर हटा ले जाए। १३ वरन् िजसिदन तकआजका िदन कहा जाता ह,ैहर िदन एक दूसरे को समझातेरहो, ऐसा न हो, िक तमु में से कोई जन पाप के छल में आकर कठोरहो जाए।

  • इब्रािनयों ३:१४ 6 इब्रािनयों ४:४१४क्योिंक हम मसीह के भागीदार हएु है*ं, यिद हम अपने प्रथम

    भरोसे पर अन्त तक दढ़ृता से िस्थर रहे।ं१५जसैा कहा जाता ह,ै

    “यिद आज तमु उसका शब्द सनुो,तो अपने मनों को कठोर न करो, जसैा िक क्रोध िदलाने के समय

    िकया था।”१६भला िकन लोगों ने सनुकर भी क्रोध िदलाया? क्या उन सब

    ने नहीं जो मूसा के ारा िमस्र से िनकले थ?े १७और वह चालीसवष तक िकन लोगों से क्रोिधत रहा? क्या उन्हीं से नही,ं िजन्होनंेपाप िकया,और उनके शव जंगल में पड़े रह?े (िगन. 14:29) १८औरउसने िकन से शपथ खाई, िक तमु मरेे िवश्राम में प्रवशे करने नपाओग:े केवल उनसे िजन्होनंे आ ा न मानी? (भज. 106:24-26)१९इस प्रकार हम दखेते है,ं िक वे अिव ास के कारण प्रवशे न करसके।

    ४िवश्राम में प्रवशे

    १ इसिलए जब िक उसके िवश्राम में प्रवशे करने की प्रित ा*अब तक ह,ै तो हमें डरना चािहए; ऐसा ने हो, िक तमु में से कोईजन उससे वंिचत रह जाए। २क्योिंक हमें उन्हीं के समान ससुमाचारसनुाया गया ह,ै पर सनुे हएु वचन से उन्हें कुछ लाभ न हआु; क्योिंकसनुनवेालों के मन में िव ास के साथ नहीं बठैा।

    ३और हम िजन्होनंे िव ास िकया ह,ै उस िवश्राम में प्रवशे करतेहै;ंजसैा उसने कहा, “मैनंे अपने क्रोध में शपथ खाई,

    िक वे मरेे िवश्राम में प्रवशे करने न पाएगँ।े”य िप जगत की उत्पिके समय से उसके काम हो चकेु थ।े ४ क्योिंक सातवें िदनके िवषय में उसने कहीं ऐसा कहा ह,ै

  • इब्रािनयों ४:५ 7 इब्रािनयों ४:१४“परमश्े वर ने सातवें िदन अपने सब कामों को िनपटा करके िवश्राम

    िकया।” ५और इस जगह िफर यह कहता ह,ै“वे मरेे िवश्राम में प्रवशे न करने पाएगँ।े”

    ६ तो जब यह बात बाकी है िक िकतने और हैं जो उस िवश्राममें प्रवशे करे,ं और इस्राएिलयों को, िजन्हें उसका ससुमाचार पहलेसनुाया गया, उन्होनंे आ ा न मानने के कारण उसमें प्रवशे न िकया।७ तो िफर वह िकसी िवशषे िदन को ठहराकर इतने िदन के बाददाऊद की पसु्तक में उसे ‘आज का िदन’कहता ह,ै जसैे पहले कहागया,“यिद आज तमु उसका शब्द सनुो,तो अपने मनों को कठोर न करो।” (भज. 95:7-8)

    ८और यिद यहोशू उन्हें िवश्राम में प्रवशे करा लतेा, तो उसकेबाद दूसरे िदन की चचा न होती। (व्य. 31:7, यहो. 22:4) ९इसिलएजान लो िक परमश्े वर के लोगों के िलये सब्त का िवश्राम बाकीह।ै १० क्योिंक िजस ने उसके िवश्राम में प्रवशे िकया ह,ै उसने भीपरमश्े वर के समान अपने कामों को पूरा करके िवश्राम िकया ह।ै(प्रका. 14:13, उत्प. 2:2) ११इसिलए हम उस िवश्राम में प्रवशे करनेका प्रयत्न करे,ं ऐसा न हो, िक कोई जन उनके समान आ ा नमानकर िगर पड़े। (इब्रा. 4:1, 2 पत. 1:10-11)

    १२ क्योिंक परमश्े वर का वचन* जीिवत, प्रबल, और हर एकदोधारी तलवार से भी बहतु तजे ह,ै प्राण, आत्मा को, गाठँ-गाठँ,और गूद-ेगूदे को अलग करके, आर-पार छेदता ह;ै और मन कीभावनाओं और िवचारों को जाचँता ह।ै (ियम. 23:29, यशा. 55:11)१३और सिृ की कोई वस्तु परमश्े वर से िछपी नहीं है वरन् िजसेहमें लखेा दनेा ह,ै उसकी आखँों के सामने सब वस्तएु ँ खलुी औरप्रगट है।ं

    हमारा महान महायाजक१४ इसिलए, जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक ह,ै जो स्वगोर्ं से

    होकर गया ह,ै अथात् परमश्े वर का पतु्र यीश;ु तो आओ, हम अपने

  • इब्रािनयों ४:१५ 8 इब्रािनयों ५:७अंगीकार को दढ़ृता से थामे रहे।ं १५ क्योिंक हमारा ऐसा महायाजकनही,ं जो हमारी िनबलताओं में हमारे साथ दःुखी न हो सके*;वरन् वह सब बातों मे ं हमारे समान परखा तो गया, तो भी िनष्पापिनकला। १६ इसिलए आओ, हम अनगु्रह के िसंहासन के िनकटसाहस बाधँकर चले,ं िक हम पर दया हो, और वह अनगु्रह पाए,ँ जोआवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।

    ५महायाजक के िलये योग्यता

    १ क्योिंक हर एक महायाजक मनषु्यों मे ं से िलया जाता ह,ै औरमनषु्यों ही के िलये उन बातों के िवषय में जो परमश्े वर से सम्बन्धरखती है,ं ठहराया जाता ह:ै िक भेटं और पापबिल चढ़ाया करे।२ और वह अ ािनयो,ं और भूले भटकों के साथ नमीर् से व्यवहारकर सकता है इसिलए िक वहआप भी िनबलता से िघरा ह।ै ३औरइसिलए उसे चािहए, िक जसैे लोगों के िलय,े वसैे ही अपने िलये भीपाप-बिल चढ़ाया करे। (लवै्य. 16:6)

    ४और यहआदर का पद कोई अपने आप से नहीं लतेा,जब तकिक हा न के समान परमश्े वर की ओर से ठहराया न जाए। (िनग.28:1)

    हमशेा के िलये महायाजक५ वसैे ही मसीह ने भी महायाजक बनने की मिहमा अपने आप

    से नहीं ली, पर उसको उसी ने दी, िजस ने उससे कहा था,“तू मरेा पतु्र ह,ैआज मैं ही ने तझुे जन्माया ह।ै” (भज. 2:7)

    ६ इसी प्रकार वह दूसरी जगह में भी कहता ह,ै“तू मिलिकिसदक की रीित परसदा के िलये याजक ह।ै”

    ७ यीशु ने अपनी दहे में रहने के िदनों मे ं ऊँचे शब्द से पकुार-पकुारकर, और आसूँ बहा-बहाकर उससे जो उसको मतृ्यु से बचा

  • इब्रािनयों ५:८ 9 इब्रािनयों ६:५सकता था, प्राथनाएँ और िवनती की और भि के कारण उसकीसनुी गई। ८और पतु्र होने पर भी, उसने दःुख उठा-उठाकर आ ामाननी सीखी।

    ९और िस बनकर*, अपने सब आ ा माननवेालों के िलये सदाकाल के उ ार का कारण हो गया। (यशा. 45:17) १०और उसेपरमश्े वर की ओर से मिलिकिसदक की रीित पर महायाजक कापद िमला। (इब्रा. 2:10, भज. 110:4)

    आित्मक अपिरपक्वता११इसके िवषय में हमें बहतु सी बातें कहनी है,ं िजनका समझाना

    भी किठन ह;ै इसिलए िक तमु ऊँचा सनुने लगे हो।१२समय के िवचार से तो तमु्हें ग ु हो जाना चािहए था, तो भी यह

    आवश्यक ह,ै िक कोई तमु्हें परमश्े वर के वचनों की आिद िश ािफर से िसखाए? तमु तो ऐसे हो गए हो, िक तमु्हें अ के बदले अबतक दूध ही चािहए। १३ क्योिंक दूध पीनवेाल*े को तो धािमकताके वचन की पहचान नहीं होती, क्योिंक वह ब ा ह।ै १४ पर असयानों के िलये ह,ै िजनकी ानिेन्द्रया ँअभ्यासकरत-ेकरत,ेभल-ेबरेुमें भदे करने मे ं िनपणु हो गई है।ं

    ६भटकने का पिरणाम

    १ इसिलए आओ मसीह की िश ा की आरम्भ की बातों कोछोड़कर, हम िस ता की ओर बढ़ते जाए,ँऔर मरे हएु कामों से मनिफरान,ेऔर परमश्े वर पर िव ासकरन,े २औरबपितस्माऔर हाथरखन,े और मरे हओुं के जी उठन,े और अनन्त न्याय की िश ा पीनीवं, िफर से न डाले।ं ३और यिद परमश्े वर चाह,ेतो हम यही करेगं।े

    ४ क्योिंक िजन्होनंे एक बार ज्योित पाई ह,ै और जो स्वगीर्यवरदान का स्वाद चख चकेु हैं और पिवत्र आत्मा के भागी होगए है,ं ५और परमश्े वर के उ म वचन का और आनवेाले यगु की

  • इब्रािनयों ६:६ 10 इब्रािनयों ६:१७सामथ्य का स्वाद चख चकेु है*ं। ६ यिद वे भटक जाए;ँ तो उन्हें मनिफराव के िलये िफर नया बनाना अनहोना ह;ै क्योिंक वे परमश्े वरके पतु्र को अपने िलये िफर कू्रस पर चढ़ाते हैं और प्रगट में उस परकलंक लगाते है।ं

    ७क्योिंक जो भूिम वषा के पानी को जो उस पर बार-बार पड़ताह,ै पी पीकर िजन लोगों के िलये वह जोती-बोई जाती ह,ै उनके कामका साग-पात उपजाती ह,ै वह परमश्े वर से आशीष पाती ह।ै ८ परयिद वह झाड़ी और ऊँटकटारे उगाती ह,ै तो िनकम्मी और श्रािपतहोने पर ह,ै और उसका अन्त जलाया जाना ह।ै (यूह. 15:6)

    ९ पर हे िप्रयों य िप हम ये बातें कहते हैं तो भी तमु्हारे िवषयमें हम इससे अच्छी और उ ारवाली बातों का भरोसा करते है।ं१० क्योिंक परमश्े वर अन्यायी नही,ं िक तमु्हारे काम, और उस प्रमेको भूल जाए, जो तमु ने उसके नाम के िलये इस रीित से िदखाया,िक पिवत्र लोगों की सवेा की, और कर भी रहे हो।

    ११ पर हम बहतु चाहते है,ं िक तमु में से हर एक जन अन्त तकपूरी आशा के िलये ऐसा ही प्रयत्न करता रह।े १२ तािक तमु आलसीन हो जाओ; वरन् उनका अनकुरण करो,जो िव ास और धीरज केारा प्रित ाओं के वािरस होते है।ंिव सनीय प्रित ा

    १३और परमश्े वर ने अब्राहम को प्रित ा दतेे समय* जब िकशपथ खाने के िलये िकसी को अपने से बड़ा न पाया, तो अपनीही शपथ खाकर कहा, १४ “मैं सचमचु तझुे बहतु आशीष दूगँा, औरतरेी सन्तान को बढ़ाता जाऊँगा।” (उत्प. 22:17) १५और इस रीितसे उसने धीरज धरकर प्रित ा की हईु बात प्रा की।

    १६ मनषु्य तो अपने से िकसी बड़े की शपथ खाया करते हैं औरउनके हर एक िववाद का फैसला शपथ से प ा होता ह।ै (िनग.22:11) १७ इसिलए जब परमश्े वर ने प्रित ा के वािरसों पर औरभी साफ रीित से प्रगट करना चाहा, िक उसकी मनसा बदल नहीं

  • इब्रािनयों ६:१८ 11 इब्रािनयों ७:६सकती तो शपथ को बीच में लाया। १८ तािक दो ब-ेबदल बातोंके ारा िजनके िवषय में परमश्े वर का झूठा ठहरना अनहोना ह,ैहमारा दढ़ृता से ढाढ़स बन्ध जाए, जो शरण लनेे को इसिलए दौड़ेहै,ं िक उस आशा को जो सामने रखी हईु है प्रा करे।ं (िगन. 23:19,1 शमू. 15:29)

    १९ वह आशा हमारे प्राण के िलये ऐसा लंगर है जो िस्थर औरदढ़ृ ह*ै, और परदे के भीतर तक पहुचँता ह।ै (िगन. 23:19, 1 तीम.ु2:13) २०जहा ँ यीशु ने मिलिकिसदक की रीित पर सदा काल कामहायाजक बनकर, हमारे िलये अगआु के प में प्रवशे िकया ह।ै

    ७मिलिकिसदक याजक

    १ यह मिलिकिसदक* शालमे का राजा, और परमप्रधानपरमश्े वर का याजक,जबअब्राहम राजाओंको मारकर लौटा जाताथा, तो इसी ने उससे भेटं करके उसे आशीष दी, २इसी को अब्राहमने सब वस्तओुं का दसवा ँ अंश भी िदया। यह पहले अपने नामके अथ के अनसुार, धािमकता का राजा और िफर शालमे अथात्शािन्त का राजा ह।ै ३ िजसका न िपता, न माता, न वंशावली ह,ैिजसके न िदनों का आिद है और न जीवन का अन्त ह;ै परन्तुपरमश्े वर के पतु्र के स्व प ठहरकर वह सदा के िलए याजक बनारहता ह।ै

    ४ अब इस पर ध्यान करो िक यह कैसा महान था* िजसकोकुलपित अब्राहम ने अच्छे से अच्छे माल की लूट का दसवा ँ अंशिदया। ५लवेी की सन्तान में से जो याजकका पद पाते है,ं उन्हेंआ ािमली ह,ै िक लोगो,ंअथात् अपने भाइयों स,ेचाहे वे अब्राहम ही कीदहे से क्यों न जन्मे हो,ं व्यवस्था के अनसुार दसवा ँ अंश ले।ं (िगन.18:21) ६पर इसन,े जो उनकी वंशावली में का भी न था अब्राहम सेदसवा ँ अंश िलया और िजसे प्रित ाएँ िमली थीं उसे आशीष दी।

  • इब्रािनयों ७:७ 12 इब्रािनयों ७:१९७और उसमें संदहे नही,ं िक छोटा बड़े से आशीष पाता ह।ै ८और

    यहा ँ तो मरनहार मनषु्य दसवा ँ अंश लतेे हैं पर वहा ँ वही लतेा ह,ैिजसकी गवाही दी जाती ह,ै िक वह जीिवत ह।ै ९ तो हम यह भीकह सकते है,ं िक लवेी ने भी, जो दसवा ँ अंश लतेा ह,ै अब्राहम केारा दसवा ँ अंश िदया। १० क्योिंक िजस समय मिलिकिसदक नेउसके िपता से भेटं की, उस समय यह अपने िपता की दहे में था।(उत्प. 14:18-20)

    एक नये याजक की आवश्यकता११ तब यिद लवेीय याजक पद के ारा िसि हो सकती है

    (िजसके सहारे से लोगों को व्यवस्था िमली थी) तो िफर क्याआवश्यकता थी, िक दूसरा याजक मिलिकिसदक की रीित परखड़ा हो, और हा न की रीित का न कहलाए? १२ क्योिंक जबयाजक का पद बदला जाता है तो व्यवस्था का भी बदलना अवश्यह।ै

    १३क्योिंक िजसके िवषय में ये बातें कही जाती है,ं वह दूसरे गोत्रका ह,ै िजसमें से िकसी ने वदेी की सवेा नहीं की। १४ तो प्रगट ह,ैिक हमारा प्रभु यहूदा के गोत्र में से उदय हआु है और इस गोत्र केिवषय में मूसा ने याजक पद की कुछ चचा नहीं की। (उत्प. 49:10,यशा. 11:1)

    १५ हमारा दावा और भी स्प ता से प्रकट हो जाता ह,ै जबमिलिकिसदक के समान एक और ऐसा याजक उत् पन् न होनवेालाथा। १६ जो शारीिरक आ ा की व्यवस्था के अनसुार नही,ं परअिवनाशी जीवन की सामथ्य के अनसुार िनयु हो। १७ क्योिंकउसके िवषय में यह गवाही दी गई ह,ै“तू मिलिकिसदक की रीित परयगुानयुगु याजक ह।ै”

    १८ इस प्रकार, पहली आ ा िनबल; और िनष्फल होने के कारणलोप हो गई। १९ (इसिलए िक व्यवस्था ने िकसी बात की िसि

  • इब्रािनयों ७:२० 13 इब्रािनयों ७:२८नहीं की*) और उसके स्थान पर एक ऐसी उ म आशा रखी गई हैिजसके ारा हम परमश्े वर के समीप जा सकते है।ं

    नये महायाजक की महानता२० और इसिलए मसीह की िनयिु िबना शपथ नहीं हईु।

    २१ क्योिंक वे तो िबना शपथ याजक ठहराए गए पर यह शपथके साथ उसकी ओर से िनयु िकया गया िजस ने उसके िवषय मेंकहा,“प्रभु ने शपथ खाई, और वह उससे िफर न पछताएगा,िक तू यगुानयुगु याजक ह।ै”

    २२ इस कारण यीशु एक उ म वाचा का जािमन ठहरा। २३ वे तोबहतु से याजक बनते आए, इसका कारण यह था िक मतृ्यु उन्हेंरहने नहीं दतेी थी। २४ पर यह यगुानयुगु रहता ह;ै इस कारण उसकायाजक पद अटल ह।ै

    २५इसिलए जो उसके ारा परमश्े वर के पासआते है,ंवह उनकापूरा-पूरा उ ार कर सकता ह,ै क्योिंक वह उनके िलये िवनती करनेको सवदा जीिवत ह।ै (1 यूह. 2:1-2, 1तीम.ु 2:5) २६क्योिंक ऐसा हीमहायाजक हमारे योग्य था, जो पिवत्र, और िनष्कपट और िनमल,और पािपयों से अलग, और स्वग से भी ऊँचा िकया हआु हो।

    २७ और उन महायाजकों के समान उसे आवश्यक नहीं िकप्रितिदन पहले अपने पापोंऔर िफर लोगों के पापों के िलये बिलदानचढ़ाए; क्योिंक उसने अपने आप को बिलदान चढ़ाकर उसे एकही बार िनपटा िदया। (लवै्य. 16:6, इब्रा. 10:10,12,14) २८ क्योिंकव्यवस्था तो िनबल मनषु्यों को महायाजक िनयु करती ह;ै परन्तुउस शपथ का वचन जो व्यवस्था के बाद खाई गई, उस पतु्र कोिनयु करता है जो यगुानयुगु के िलये िस िकया गया ह।ै

    ८स्वगीर्य महायाजक

  • इब्रािनयों ८:१ 14 इब्रािनयों ८:९१अब जो बातें हम कह रहे है,ं उनमें से सबसे बड़ी बात यह ह,ै

    िक हमारा ऐसा महायाजक ह,ैजो स्वग पर महामिहमन् के िसंहासनके दािहने जा बठैा*। (भज. 110:1, इब्रा. 10:12) २और पिवत्रस् थानऔर उस स े तम्बू का सवेक हआु, िजसे िकसी मनषु्य ने नही,ंवरन्प्रभु ने खड़ा िकया था।

    ३क्योिंक हर एक महायाजक भेटं, और बिलदान चढ़ाने के िलयेठहराया जाता ह,ै इस कारण अवश्य ह,ै िक इसके पास भी कुछचढ़ाने के िलये हो। ४ और यिद मसीह पथृ्वी पर होता तो कभीयाजक न होता, इसिलए िक पथृ्वी पर व्यवस्था के अनसुार भेटंचढ़ानवेाले तो है।ं ५ जो स्वग में की वस्तओुं के प्रित प औरप्रितिबम्ब* की सवेा करते है,ं जसैे जब मूसा तम्बू बनाने पर था,तो उसे यह चतेावनी िमली, “दखे जो नमूना तझुे पहाड़ पर िदखायागया था, उसके अनसुार सब कुछ बनाना।” (िनग. 25:40)

    ६ पर उन याजकों से बढ़कर सवेा यीशु को िमली, क्योिंक वहऔर भी उ म वाचा का मध्यस्थ ठहरा, जो और उ म प्रित ाओंके सहारे बाधँी गई ह।ै

    नयी वाचा७ क्योिंक यिद वह पहली वाचा िनदोर्ष होती, तो दूसरी के िलये

    अवसर न ढूढ़ँा जाता।८ पर परमश्े वर लोगों पर दोष लगाकर कहता ह,ै

    “प्रभु कहता ह,ै दखेो वे िदन आते है,ंिक मैं इस्राएल के घराने के साथ, और यहूदा के घराने के साथ, नई

    वाचा बाधूँगँा९ यह उस वाचा के समान न होगी, जो मैनंे उनके पूवजों के साथ

    उस समय बाधँी थी,जब मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें िमस्र दशे से िनकाल लाया,क्योिंक वे मरेी वाचा पर िस्थर न रह,ेऔर मैनंे उनकी सिुध न ली; प्रभु यही कहता ह।ै

  • इब्रािनयों ८:१० 15 इब्रािनयों ९:५१० िफर प्रभु कहता ह,ैिक जो वाचा मैं उन िदनों के बाद इस्राएल के घराने के साथ बाधूँगँा,

    वह यह ह,ैिक मैं अपनी व्यवस्था को उनके मनों मे ं डालूगँा,और उसे उनके दय पर िलखूगँा,और मैं उनका परमश्े वर ठह ँ गा,और वे मरेे लोग ठहरेगं।े११और हर एक अपने दशेवाले कोऔर अपने भाई को यह िश ा न दगेा, िक तू प्रभु को पहचानक्योिंक छोटे से बड़े तक सब मझुे जान लेगं।े१२ क्योिंक मैं उनके अधम के िवषय में दयावन्त हूगँा,और उनके पापों को िफर स्मरण न क ँ गा।”

    १३नई वाचा की स्थापना से उसने प्रथम वाचा को परुाना ठहराया,और जो वस्तु परुानी और जीण हो जाती है उसका िमट जानाअिनवाय ह।ै (ियम. 31:31-34, ियम. 31:33-34)

    ९सांसािरक तम्बू

    १ उस पहली वाचा* में भी सवेा के िनयम थ;े और ऐसापिवत्रस् थान था जो इस जगत का था। २अथात् एक तम्बू बनायागया, पहले तम्बू में दीवट, और मजे, और भेटं की रोिटया ँ थी;ं औरवह पिवत्रस् थान कहलाता ह।ै (िनग. 25:23-30, िनग. 26:1-30)

    ३और दूसरे परदे के पीछे वह तम्बू था, जो परमपिवत्र स्थानकहलाता ह।ै (िनग. 26:31-33) ४उसमें सोने की धूपदानी,और चारोंओर सोने से मढ़ा हआु वाचा का सन्दूक और इसमें म ा से भराहआु सोने का मतबानऔर हा न की छड़ी िजसमें फूल फलआगएथे और वाचा की पिटया ँ थी।ं (िनग. 16:33, िनग. 25:10-16, िनग.30:1-6, िगन. 17:8-10, व्य. 10:3,5) ५ उसके ऊपर दोनों तजेोमय

  • इब्रािनयों ९:६ 16 इब्रािनयों ९:१४क ब* थ,े जो प्रायि त के ढ न पर छाया िकए हएु थ:े इन्हींका एक-एक करके वणन करने का अभी अवसर नहीं ह।ै (िनग.25:18-22)

    सांसािरक सवेा की सीमाएँ६ ये वस्तएु ँ इस रीित से तयैार हो चकुी,ं उस पहले तम्बू में तो

    याजक हर समय प्रवशे करके सवेा के काम सम्प करते है,ं (व्य.27:21) ७पर दूसरे में केवल महायाजक वष भर में एक ही बार जाताह;ै और िबना लहू िलये नहीं जाता; िजसे वह अपने िलये और लोगोंकी भूल चूक के िलये चढ़ाता ह।ै (िनग. 30:10, लवै्य. 16:2)

    ८ इससे पिवत्र आत्मा यही िदखाता ह,ै िक जब तक पहला तम्बूखड़ा ह,ै तब तक पिवत्रस् थान का माग प्रगट नहीं हआु। ९ औरयह तम्बू तो वतमान समय के िलये एक दृ ान्त ह;ै िजसमें ऐसीभेटं और बिलदान चढ़ाए जाते है,ं िजनसे आराधना करनवेालों केिववके िस नहीं हो सकत।े १० इसिलए िक वे केवल खान-ेपीने कीवस्तओु,ं और भािँत-भािँत के ान िविध के आधार पर शारीिरकिनयम है,ं जो सधुार के समय तक के िलये िनयु िकए गए है।ं

    स्वगीर्य तम्बू११ परन्तु जब मसीह आनवेाली अच्छी-अच्छी वस्तओुं का

    महायाजक होकर आया, तो उसने और भी बड़े और िस तम्बू सेहोकर जो हाथ का बनाया हआु नही,ंअथात् सिृ का नही।ं १२औरबकरों और बछड़ों के लहू के ारा नही,ं पर अपने ही लहू के ाराएक ही बार पिवत्रस् थान में प्रवशे िकया,और अनन्त छुटकारा प्रािकया।

    १३क्योिंक जब बकरों और बलैों का लहू और बिछया की राखअपिवत्र लोगों पर िछड़के जाने से शरीर की शु ता के िलये पिवत्रकरती ह।ै (लवै्य. 16:14-16, लवै्य. 16:3, िगन. 19:9,17-19) १४तोमसीह का लहू िजस ने अपने आप को सनातन आत्मा के ारा

  • इब्रािनयों ९:१५ 17 इब्रािनयों ९:२४परमश्े वर के सामने िनदोर्ष चढ़ाया, तमु्हारे िववके को मरे हएु कामोंसे क्यों न शु करेगा, तािक तमु जीिवते परमश्े वर की सवेा करो।१५और इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ* ह,ै तािक उस मतृ्युके ारा जो पहली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने केिलये हईु ह,ै बलुाए हएु लोग प्रित ा के अनसुार अनन्त िवरासत कोप्रा करे।ं

    १६ क्योिंक जहा ँ वाचा बाधँी गई है वहा ँ वाचा बाधँनवेाले कीमतृ्यु का समझ लनेा भी अवश्य ह।ै १७ क्योिंक ऐसी वाचा मरने परप ी होती ह,ैऔर जब तक वाचा बाधँनवेाला जीिवत रहता ह,ै तबतक वाचा काम की नहीं होती।

    १८ इसिलए पहली वाचा भी िबना लहू के नहीं बाधँी गई।१९ क्योिंक जब मूसा सब लोगों को व्यवस्था की हर एक आ ासनुा चकुा, तो उसने बछड़ों और बकरों का लहू लकेर, पानी औरलाल ऊन, और जूफा के साथ, उस पसु्तक पर और सब लोगों परिछड़क िदया। (लवै्य. 14:4 िगन. 19:6) २०और कहा, “यह उसवाचा का लहू ह,ै िजसकी आ ा परमश्े वर ने तमु्हारे िलये दी ह।ै”(िनग. 24:8)

    २१और इसी रीित से उसने तम्बूऔर सवेा के सारे सामान पर लहूिछड़का। (लवै्य. 8:15, लवै्य. 8:19) २२और व्यवस्था के अनसुारप्रायः सब वस्तएु ँ लहू के ारा शु की जाती है;ं और िबना लहूबहाए मा नहीं होती। (लवै्य. 17:11)

    मसीह के बिलदान ारा पाप— मा२३ इसिलए अवश्य ह,ै िक स्वग में की वस्तओुं के प्रित प इन

    बिलदानों के ारा शु िकए जाए;ँ पर स्वग में की वस्तएु ँआप इनसेउ म बिलदानों के ारा शु की जाती।ं २४ क्योिंक मसीह ने उसहाथ के बनाए हएु पिवत्रस् थान में जो स े पिवत्रस् थान का नमूनाह,ै प्रवशे नहीं िकया, पर स्वग ही में प्रवशे िकया, तािक हमारे िलयेअब परमश्े वर के सामने िदखाई द*े।

  • इब्रािनयों ९:२५ 18 इब्रािनयों १०:६२५ यह नहीं िक वह अपने आप को बार-बार चढ़ाए, जसैा िक

    महायाजक प्रित वष दूसरे का लहू िलये पिवत्रस् थान में प्रवशे िकयाकरता ह।ै २६ नहीं तो जगत की उत्पि से लकेर उसको बार-बारदःुख उठाना पड़ता; पर अब यगु के अन्त में वह एक बार प्रगटहआु ह,ै तािक अपने ही बिलदान के ारा पाप को दूर कर द।े

    २७और जसैे मनषु्यों के िलये एक बार मरना और उसके बादन्याय का होना िनयु ह।ै (2 कुिर. 5:10, सभो. 12:14) २८वसैे हीमसीह भी बहतुों के पापों को उठा लनेे के िलये एक बार बिलदानहआु और जो लोग उसकी प्रती ा करते है,ं उनके उ ार के िलयेदूसरी बार िबना पाप के िदखाई दगेा। (1 पत. 2:24, तीत.ु 2:13)

    १०पशु का बिलदान अपया

    १ क्योिंक व्यवस्था* िजसमें आनवेाली अच्छी वस्तओुं काप्रितिबम्ब ह,ै पर उनका असली स्व प नही,ं इसिलए उन एक हीप्रकार के बिलदानों के ारा,जो प्रित वष अचूक चढ़ाए जाते है,ं पासआनवेालों को कदािप िस नहीं कर सकती। २ नहीं तो उनकाचढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसिलए िक जब सवेा करनवेालेएक ही बार शु हो जात,े तो िफर उनका िववके उन्हें पापी नठहराता। ३ परन्तु उनके ारा प्रित वष पापों का स्मरण हआु करताह।ै ४ क्योिंक अनहोना ह,ै िक बलैों और बकरों का लहू पापों कोदूर करे*।

    मसीह का बिलदान पया५ इसी कारण मसीह जगत में आते समय कहता ह,ै

    “बिलदान और भेटं तूने न चाहा,पर मरेे िलये एक दहे तयैार िकया।६ होमबिलयों और पापबिलयों से तू प्रसन् न नहीं हआु।

  • इब्रािनयों १०:७ 19 इब्रािनयों १०:१७७ तब मैनंे कहा, ‘दखे, मैं आ गया हू,ँ (पिवत्रशास्त्र में मरेे िवषय में

    िलखा हआु ह)ै तािक हे परमश्े वर तरेी इच्छा पूरी क ँ ’।”८ऊपर तो वह कहता ह,ै “न तूने बिलदान और भेटं और होमबिलयों

    और पापबिलयों को चाहा, और न उनसे प्रसन् न हआु,”य िप ये बिलदान तो व्यवस्था के अनसुार चढ़ाए जाते है।ं९ िफर यह भी कहता ह,ै “दखे, मैं आ गया हू,ँ तािक तरेीइच्छा पूरी क ँ ,” अतः वह पहले को हटा दतेा ह,ै तािकदूसरे को स्थािपत करे। १० उसी इच्छा से हम यीशु मसीहकी दहे के एक ही बार बिलदान चढ़ाए जाने के ारा पिवत्रिकए गए है।ं (इब्रा. 10:14)

    ११और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रितिदन सवेा करता ह,ैऔर एक ही प्रकार के बिलदान को जो पापों को कभी भी दूरनहीं कर सकत;े बार-बार चढ़ाता ह।ै (िनग. 29:38-39) १२ पर यहव्यि तो पापों के बदले एक ही बिलदान सवदा के िलये चढ़ाकरपरमश्े वर के दािहने जा बठैा। १३और उसी समय से इसकी प्रती ाकर रहा ह,ै िक उसके बरैी उसके पावँों के नीचे की चौकी बने।ं(भज. 110:1) १४ क्योिंक उसने एक ही चढ़ावे के ारा उन्हें जोपिवत्र िकए जाते है,ं सवदा के िलये िस कर िदया ह।ै

    १५और पिवत्र आत्मा भी हमें यही गवाही दतेा ह;ै क्योिंक उसनेपहले कहा था१६ “प्रभु कहता ह;ै िक जो वाचा मैंउन िदनों के बाद उनसे बाधूँगँा वह यह है िकमैं अपनी व्यवस्थाओं को उनके दय पर िलखूगँाऔर मैं उनके िववके में डालूगँा।”१७ (िफर वह यह कहता ह,ै) “मैं उनके पापों को, और उनके अधम

    के कामों को िफर कभी स्मरण न क ँ गा।” (इब्रा. 8:12,ियम. 31:34)

  • इब्रािनयों १०:१८ 20 इब्रािनयों १०:२९१८और जब इनकी मा हो गई ह,ै तो िफर पाप का बिलदान

    नहीं रहा।साहस के साथ परमश्े वर तक पहुचँ

    १९ इसिलए हे भाइयो,ं जब िक हमें यीशु के लहू के ारा उस नयेऔर जीिवते माग से पिवत्रस् थान में प्रवशे करने का साहस हो गयाह,ै २०जो उसने परदे अथात् अपने शरीर में से होकर, हमारे िलयेअिभषके िकया ह,ै २१और इसिलए िक हमारा ऐसा महान याजकह,ै जो परमश्े वर के घर का अिधकारी ह।ै २२ तो आओ; हम स ेमन, और पूरे िव ास के साथ, और िववके का दोष दूर करने केिलये दय पर िछड़काव लकेर,और दहे को शु जल से धलुवाकरपरमश्े वर के समीप जाए*ँ। (इिफ. 5:26, 1 पत. 3:21, यह.े 36:25)

    २३औरअपनीआशा के अंगीकार को दढ़ृता से थामे रहे;ं क्योिंकिजस ने प्रित ा की ह,ै वह िव ासयोग्य ह।ै २४और प्रमे, और भलेकामों मे ं उस्काने के िलये एक दूसरे की िचन्ता िकया करे।ं २५औरएक दूसरे के साथ इक ा होना न छोड़ंे, जसैे िक िकतनों की रीितह,ै पर एक दूसरे को समझाते रहे;ंऔर ज्यो-ंज्यों उस िदन को िनकटआते दखेो, त्यो-ंत्यों और भी अिधक यह िकया करो।

    २६क्योिंक स ाई की पहचान प्रा करने के बाद यिद हम जान-बूझकर पाप करते रहे,ं तो पापों के िलये िफर कोई बिलदान बाकीनही।ं २७ हा,ँ दण्ड की एक भयानक उम्मीद और आग का ज्वलनबाकी है जो िवरोिधयों को भस्म कर दगेा। (यशा. 26:11)

    २८जब िक मूसा की व्यवस्था का न माननवेाला दो या तीन जनोंकी गवाही पर, िबना दया के मार डाला जाता ह।ै (व्य. 17:6, व्य.19:15) २९तो सोच लो िक वह िकतने और भी भारी दण्ड के योग्यठहरेगा, िजस ने परमश्े वर के पतु्र को पावँों से रौदंा, और वाचा केलहू को िजसके ारा वह पिवत्र ठहराया गया था, अपिवत्र जानाहै,ं और अनगु्रह की आत्मा का अपमान िकया। (इब्रा. 12:25)

  • इब्रािनयों १०:३० 21 इब्रािनयों ११:३३० क्योिंक हम उसे जानते है,ं िजस ने कहा, “पलटा लनेा मरेा

    काम ह,ै मैं ही बदला दूगँा।”और िफर यह, िक “प्रभु अपने लोगों कान्याय करेगा।” (व्य. 32:35-36, भज. 135:14) ३१जीिवते परमश्े वरके हाथों मे ं पड़ना भयानक बात ह।ै

    ३२ परन्तु उन पहले िदनों को स्मरण करो, िजनमें तमु ज्योित पाकर दःुखों के बड़े संघष में िस्थर रह।े ३३ कुछ तो यह, िक तमुिनन्दा, और क्लशे सहते हएु तमाशा बन,े और कुछ यह, िक तमुउनके सहभागी हएु िजनकी ददुशा की जाती थी। ३४ क्योिंक तमुकैिदयों के दःुख में भी दःुखी हएु, और अपनी संपि भी आनन्दसे लटुने दी; यह जानकर, िक तमु्हारे पास एक और भी उ म औरसवदा ठहरनवेाली संपि ह।ै

    ३५इसिलए,अपना साहस न छोड़ो क्योिंक उसका प्रितफल बड़ाह।ै ३६ क्योिंक तमु्हें धीरज रखना अवश्य ह,ै तािक परमश्े वर कीइच्छा को पूरी करके तमु प्रित ा का फल पाओ।३७ “क्योिंक अब बहतु ही थोड़ा समय रह गया हैजब िक आनवेाला आएगा, और दरे न करेगा।३८और मरेा धमीर् जन िव ास से जीिवत रहगेा,और यिद वह पीछे हट जाए तो मरेा मन उससे प्रसन् न न होगा।”

    (हब. 2:4, गला. 3:11)३९पर हम हटनवेाले नही,ं िक नाश हो जाएँ पर िव ास करनवेाले

    है,ं िक प्राणों को बचाए।ँ११

    िव ास के नायक१अब िव ास आशा की हईु वस्तओुं का िन य, और अनदखेी

    वस्तओुंका प्रमाण ह।ै २क्योिंक इसी के िवषय में पूवजों की अच्छीगवाही दी गई। ३ िव ास ही से हम जान जाते है,ं िक सारी सिृ कीरचना परमश्े वर के वचन के ारा हईु ह।ै यह नही,ं िक जो कुछ

  • इब्रािनयों ११:४ 22 इब्रािनयों ११:१०दखेने मे ं आता ह,ै वह दखेी हईु वस्तओुं से बना हो। (उत्प. 1:1,यूह. 1:3, भज. 33:6,9)

    ४ िव ास ही से हािबल ने कैन से उ म बिलदान परमश्े वर केिलये चढ़ाया; और उसी के ारा उसके धमीर् होने की गवाही भीदी गई: क्योिंक परमश्े वर ने उसकी भेटंो ं के िवषय में गवाही दी;और उसी के ारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता ह।ै (उत्प.4:3-5,10)

    ५ िव ास ही से हनोक उठा िलया गया, िक मतृ्यु को न दखे,ेऔर उसका पता नहीं िमला; क्योिंक परमश्े वर ने उसे उठा िलयाथा, और उसके उठाए जाने से पहले उसकी यह गवाही दी गई थी,िक उसने परमश्े वर को प्रसन् न िकया ह।ै (उत्प. 5:21-24) ६औरिव ास िबना उसे प्रसन् न करना अनहोना ह*ै, क्योिंक परमश्े वर केपास आनवेाले को िव ास करना चािहए, िक वह ह;ै और अपनेखोजनवेालों को प्रितफल दतेा ह।ै

    ७ िव ास ही से नूह ने उन बातों के िवषय में जो उस समय िदखाईन पड़ती थी,ं चतेावनी पा कर भि के साथ अपने घराने के बचावके िलये जहाज बनाया, और उसके ारा उसने संसार को दोषीठहराया; और उस धािमकता का वािरस हआु, जो िव ास से होताह।ै (उत्प. 6:13-22, उत्प. 7:1)

    ८ िव ास ही से अब्राहम जब बलुाया गया तो आ ा मानकरऐसी जगह िनकल गया िजसे िवरासत में लनेवेाला था, और यहन जानता था, िक मैं िकधर जाता हू;ँ तो भी िनकल गया। (उत्प.12:1) ९ िव ास ही से उसने प्रित ा िकए हएु दशे में जसैे पराए दशेमें परदशेी रहकर इसहाक और याकूब समते जो उसके साथ उसीप्रित ा के वािरस थ,े तम् बओुं में वास िकया। (उत्प. 26:3, उत्प.35:12, उत्प. 35:27) १०क्योिंक वह उस िस्थर नीवं वाले नगर कीप्रती ा करता था, िजसका रचनवेाला और बनानवेाला परमश्े वरह।ै

  • इब्रािनयों ११:११ 23 इब्रािनयों ११:२२११ िव ास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गभ धारण करने की

    सामथ्य पाई; क्योिंक उसने प्रित ा करनवेाले को स ा जाना था।(उत्प. 17:19, उत्प. 18:11-14, उत्प. 21:2) १२ इस कारण एक हीजन से जो मरा हआु सा था, आकाश के तारों और समदु्र तट के रेतके समान, अनिगनत वंश उत् पन् न हआु। (उत्प. 15:5, उत्प. 2:12)

    १३ये सब िव ास ही की दशा में मरे; और उन्होनंे प्रित ा की हईुवस्तएु ँ नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से दखेकर आनिन्दत हएु और मानिलया, िक हम पथृ्वी पर परदशेी और बाहरी है।ं (उत्प. 23:4, 1 इित.29:15) १४जो ऐसी-ऐसी बातें कहते है,ं वे प्रगट करते है,ं िक स्वदशेकी खोज में है।ं

    १५और िजस दशे से वे िनकल आए थ,े यिद उसकी सिुध करतेतो उन्हें लौट जाने का अवसर था। १६ पर वे एक उ म अथात्स्वगीर्य दशे के अिभलाषी है,ं इसिलए परमश्े वर उनका परमश्े वरकहलाने मे ं नहीं लजाता, क्योिंक उसने उनके िलये एक नगर तयैारिकया ह।ै (िनग. 3:6, िनग. 3:15)

    १७ िव ास ही से अब्राहम न,े परखे जाने के समय मे,ं इसहाक कोबिलदान चढ़ाया, और िजस ने प्रित ाओं को सच माना था। (उत्प.22:1-10) १८और िजससे यह कहा गया था, “इसहाक से तरेा वंशकहलाएगा,” वह अपने एकलौते को चढ़ाने लगा। (उत्प. 21:12)१९ क्योिंक उसने मान िलया, िक परमश्े वर सामथीर् ह,ै िक उसे मरेहओुं मे ं से िजलाए, इस प्रकार उन्हीं मे ं से दृ ान्त की रीित पर वहउसे िफर िमला।

    २० िव ास ही से इसहाक ने याकूब और एसाव को आनवेालीबातों के िवषय में आशीष दी। (उत्प. 27:27-40) २१ िव ास ही सेयाकूब ने मरते समय यूसफु के दोनों पतु्रों मे ं से एक-एक कोआशीषदी, और अपनी लाठी के िसरे पर सहारा लकेर दण्डवत् िकया।(उत्प. 47:31, उत्प. 48:15,16) २२ िव ास ही से यूसफु न,े जब वहमरने पर था, तो इस्राएल की सन्तान के िनकल जाने की चचा की,

  • इब्रािनयों ११:२३ 24 इब्रािनयों ११:३४

    और अपनी हि यों के िवषय में आ ा दी। (उत्प. 50:24-25, िनग.13:19)

    २३ िव ास ही से मूसा के माता िपता ने उसको, उत् पन् न होने केबाद तीन महीने तक िछपा रखा; क्योिंक उन्होनंे दखेा, िक बालकसनु्दर ह,ै और वे राजा की आ ा से न डरे। (िनग. 1:22, िनग. 2:2)२४ िव ास ही से मूसा ने सयाना होकर िफ़रौन की बटेी का पतु्रकहलाने से इन्कार िकया। (िनग. 2:11) २५ इसिलए िक उसे पापमें थोड़े िदन के सखु भोगने से परमश्े वर के लोगों के साथ दःुखभोगना और भी उ म लगा। २६और मसीह के कारण* िनिन्दत होनेको िमस्र के भण्डार से बड़ा धन समझा क्योिंक उसकी आखँें फलपाने की ओर लगी थी।ं (1 पत. 4:14, म ी 5:12)

    २७ िव ास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उसने िमस्र कोछोड़ िदया, क्योिंक वह अनदखेे को मानो दखेता हआु दढ़ृ रहा।(िनग. 2:15, िनग. 10:28-29) २८ िव ास ही से उसने फसह औरलहू िछड़कने की िविध मानी, िक पहलौठों का नाश करनवेालाइस्राएिलयों पर हाथ न डाल।े (िनग. 12:21-29)

    २९ िव ास ही से वे लाल समदु्र के पार ऐसे उतर गए, जसैे सूखीभूिम पर स;े और जब िमिस्रयों ने वसैा ही करना चाहा, तो सब डूबमरे। (िनग. 14:21-31) ३० िव ास ही से यरीहो की शहरपनाह, जबसात िदन तक उसका च र लगा चकेु तो वह िगर पड़ी। (भज.106:9-11, यहो. 6:12-21) ३१ िव ास ही से राहाब वशे्या आ ा नमाननवेालों के साथ नाश नहीं हईु; इसिलए िक उसने भिेदयों कोकुशल से रखा था। (याकू. 2:25, यहो. 2:11-12, यहो. 6:21-25)

    ३२अब और क्या कहू?ँ क्योिंक समय नहीं रहा, िक िगदोन का,और बाराक और िशमशोन का, और ियफतह का, और दाऊद काऔर शमूएल का, और भिवष्य ाओं का वणन क ँ । ३३ इन्होनंेिव ास ही के ारा राज्य जीत;ेधािमकता के काम िकए; प्रित ा कीहईु वस्तएु ँ प्रा की,ं िसंहों के मुहँ बन्द िकए, ३४आगकी ज्वाला को

  • इब्रािनयों ११:३५ 25 इब्रािनयों १२:२ठण्डा िकया; तलवार की धार से बच िनकल,े िनबलता में बलवन्तहएु; लड़ाई में वीर िनकल;े िवदिेशयों की फौजों को मार भगाया।

    ३५ िस्त्रयों ने अपने मरे हओुं को िफर जीिवते पाया; िकतने तोमार खात-ेखाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसिलए िक उ मपनु त्थान के भागी हो।ं ३६ दूसरे लोग तो उपहास में उड़ाएँ जान;ेऔर कोड़े खान;े वरन् बाधँे जान;े और कैद में पड़ने के ारा परखेगए। ३७ पत्थराव िकए गए; आरे से चीरे गए; उनकी परी ा की गई;तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्लशे में और दःुख भोगतेहएु भड़ेों और बकिरयों की खालें ओढ़े हएु, इधर-उधर मारे-मारेिफरे। ३८और जंगलो,ं और पहाड़ो,ं और गफुाओं मे,ं और पथृ्वी कीदरारों मे ं भटकते िफरे। संसार उनके योग्य न था।

    ३९ िव ास ही के ारा इन सब के िवषय में अच्छी गवाही दीगई, तो भी उन्हें प्रित ा की हईु वस्तु न िमली। ४० क्योिंक परमश्े वरने हमारे िलये पहले से एक उ म बात ठहराई*, िक वे हमारे िबनािस ता को न पहुचँ।े

    १२धीरज की बलुाहट

    १इस कारण जब िक गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हमको घरेे हएुह,ै तो आओ, हर एक रोकनवेाली वस्त,ु और उलझानवेाले पाप कोदूर करके, वह दौड़ िजसमें हमें दौड़ना ह,ै धीरज से दौड़ंे। २ औरिव ास के कता और िस करनवेाल*े यीशु की ओर ताकते रहे;ंिजस ने उसआनन्द के िलये जो उसकेआगे धरा था,लज्जा की कुछिचन्ता न करके, कू्रस का दःुख सहा; और िसंहासन पर परमश्े वरके दािहने जा बठैा। (1 पत. 2:23-24, तीत.ु 2:13-14)

    परमश्े वर ारा ताड़ना

  • इब्रािनयों १२:३ 26 इब्रािनयों १२:११३ इसिलए उस पर ध्यान करो, िजस ने अपने िवरोध में पािपयों

    का इतना वाद-िववाद सह िलया िक तमु िनराश होकर साहस नछोड़ दो।

    ४तमु ने पाप से लड़ते हएु उससे ऐसी मठुभड़े नहीं की, िक तमु्हारालहू बहा हो। ५और तमु उस उपदशे को जो तमु को पतु्रों के समानिदया जाता ह,ै भूल गए हो:“हे मरेे पतु्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान,और जब वह तझुे घड़ुके तो साहस न छोड़।६ क्योिंक प्रभ,ु िजससे प्रमे करता ह,ै उसको अनशुािसत भी करता

    ह;ैऔर िजसे पतु्र बना लतेा ह,ै उसको ताड़ना भी दतेा है ।”

    ७तमु दःुख को अनशुासन समझकर सह लो; परमश्े वर तमु्हें पतु्रजानकर तमु्हारे साथ बताव करता ह,ै वह कौन सा पतु्र ह,ै िजसकीताड़ना िपता नहीं करता? (नीित. 3:11-12, व्य. 8:5, 2 शमू. 7:14)८ यिद वह ताड़ना िजसके भागी सब होते है,ं तमु्हारी नहीं हईु, तोतमु पतु्र नही,ं पर व्यिभचार की सन्तान ठहरे!

    ९ िफर जब िक हमारे शारीिरक िपता भी हमारी ताड़ना िकयाकरते थे और हमने उनका आदर िकया, तो क्या आत्माओं के िपताके और भी अधीन न रहें िजससे हम जीिवत रहे।ं १० वे तो अपनी-अपनी समझ के अनसुार थोड़े िदनों के िलये ताड़ना करते थ,े परयह तो हमारे लाभ के िलये करता ह,ै िक हम भी उसकी पिवत्रताके भागी हो जाए।ँ

    आित्मक जीवन शि का नवीनीकरण११और वतमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नही,ं पर

    शोक ही की बात िदखाई पड़ती ह,ै तो भी जो उसको सहत-ेसहतेप े हो गए है,ं पीछे उन्हें चनै के साथ धािमकता का प्रितफलिमलता ह।ै

  • इब्रािनयों १२:१२ 27 इब्रािनयों १२:२४१२ इसिलए ढीले हाथों और िनबल घटुनों को सीधे करो। (यशा.

    35:3) १३और अपने पावँों के िलये सीधे माग बनाओ, िक लगँड़ाभटक न जाए, पर भला चंगा हो जाए। (नीित. 4:26)

    १४ सबसे मले िमलाप रखो, और उस पिवत्रता के खोजी होिजसके िबना कोई प्रभु को कदािप न दखेगेा*। (1 पत. 3:11, भज.34:14) १५और ध्यान से दखेते रहो, ऐसा न हो, िक कोई परमश्े वरके अनगु्रह से वंिचत रह जाए, या कोई कड़वी जड़ फूटकर क द,ेऔर उसके ारा बहतु से लोग अशु हो जाए।ँ (2 यूह. 1:8, व्य.29:18) १६ऐसा न हो, िक कोई जन व्यिभचारी, या एसाव के समानअधमीर् हो, िजसने एक बार के भोजन के बदले अपने पहलौठे होनेका पद बचे डाला। (कुल.ु 3:5, उत्प. 25:31-34) १७ तमु जानते तोहो, िक बाद में जब उसने आशीष पानी चाही, तो अयोग्य िगना गया,और आसूँ बहा बहाकर खोजने पर भी मन िफराव का अवसर उसेन िमला।

    १८तमु तो उस पहाड़ के पास जो छुआ जा सकता था और आगसे प्रज्विलत था,औरकाली घटा,और अंधरेा,औरआधँी के पास।१९और तरुही की ध्विन,और बोलनवेाले के ऐसे शब्द के पास नहींआए, िजसके सनुनवेालों ने िवनती की, िक अब हम से और बातें नकी जाए।ँ (िनग. 20:18-21, व्य. 5:23,25) २०क्योिंक वे उस आ ाको न सह सके “यिद कोई पशु भी पहाड़ को छूए, तो पत्थराविकया जाए।” (िनग. 19:12-13) २१और वह दशन ऐसा डरावना था,िक मूसा ने कहा, “मैं बहतु डरता और कापँता हू।ँ” (व्य. 9:19)

    २२पर तमु िसय्योन के पहाड़ के पास, और जीिवते परमश्े वर केनगर स्वगीर्य य शलमे के पास और लाखों स्वगदूतो,ं २३और उनपहलौठों की साधारण सभा और कलीिसया िजनके नाम स्वग मेंिलखे हएु हैं और सब के न्यायी परमश्े वर के पास, और िस िकएहएु धिमयों की आत्माओ।ं (भज. 50:6, कुल.ु 1:12) २४और नईवाचा के मध्यस्थ यीश,ु और िछड़काव के उस लहू के पास आए

  • इब्रािनयों १२:२५ 28 इब्रािनयों १३:४हो, जो हािबल के लहू से उ म बातें कहता ह।ै

    २५सावधान रहो, और उस कहनवेाले से मुहँ न फेरो, क्योिंक वेलोग जब पथृ्वी पर के चतेावनी दनेवेाले से मुहँ मोड़कर न बचसके, तो हम स्वग पर से चतेावनी दनेवेाले से मुहँ मोड़कर कैसेबच सकंेग?े २६उस समय तो उसके शब्द ने पथृ्वी को िहला िदयापर अब उसने यह प्रित ा की ह,ै “एक बार िफर मैं केवल पथृ्वीको नही,ं वरन् आकाश क