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    ी पो मधुसदून, अ यक्ष, नराकास (उपक्रम) एवं अ यक्ष-सह-प्रबंध िनदेशक, आर आई एन एल  सभा को सबंोिधत करते हुए| 

    ी पो मधुसदून, अ यक्ष, नराकास (उपक्रम) एवं अ यक्ष-सह-प्रबंध िनदेशक, आर आई एन एल  

    ऑनलाइन मॉ यूल लाँच करते हुए| 

  • व छता के मु े पर प्रधानमतं्री जी के िवचार म सबसे मह वपूणर् बात यह है िक वे व छता को गाँधी जी के वावलबंन के िसद्धांत और सतं गाडगे (देबूजी िझगंरजी जनोरकर) के सामािजक शुिचता के िसद्धांत के साथ चलाना चाहते ह| इसके िलए उ ह जमीनी तर पर आकर वयं हाथ म झाड़ू पकड़ना पड़ा, बनारस की घाट पर फावड़ा चलाना पड़ा, तािक लोग अिभपे्रिरत होकर इस सफाई अिभयान से जड़ु और यह एक जन-अिभयान बन सके| याद कीिजए 15 अग त 2014 को लालिकले के प्राचीर से िदए गए उनके भाषण म अ व छता के प्रित िख नता और आक्रोश था और वैि वक पिरपे्र य म भारत की साफ-सफाई के प्रित जो राय है, उससे उबरने का सकं प था|

    पुन: एक बार ऐितहािसक प न की ओर खींचते हुए यह बताना चाहता हँू िक गाँधीजी ने जहाँ एक ओर साधन-सपं न लोग को अपना काम वयं करने के िलए पे्रिरत िकया करते थे तो वहीं दसूरी ओर मिलन बि तय म साफ-सफाई करके लोग को साफ-सथुरा रहने के िलए अिभपे्रिरत करते थे| इसी प्रकार सतं गाडगे भी एक घूमते-िफरते सामािजक िशक्षक व समाज सधुारक थे| उनके िसर पर िमट्टी का कटोरा उनकी पहचान थी| जब वे िकसी गाँव म जाते थे तो वहाँ की गदंी नािलय और रा त को साफ करने लग जाते थे और काम ख म होने पर खुद गाँव वाल को गाँव के साफ होने की बधाई देते थे| गाँवो की सफाई करने के उपरांत वे शाम को गाँव म भजन-कीतर्न का आयोजन करत ेथे और अपने कीतर्न के मा यम से जन-जन तक लोकोपकार और समाज क याण काय का प्रसार करते थे। अपने लोकभजन के मा यम से वे अधंिव वास , आडबंर , िढ़य तथा सामािजक कुरीितय एवं दु यर्सन के िव द्ध िशिक्षत करते थे। हालाँिक उनके पुनीत कायर् को बहुत कम प्रचार िमला है और वतर्मान पीढ़ी तो लगभग उ ह भलुा चुकी है|

    िजस भारतीय समाज म साफ-सफाई जसेै काम और काम करने वाल को स मान की ि ट से देखने परंपरा न रही हो, उस समाज को शुिचता का पाठ पढ़ाना किठन अव य है| लेिकन अब तो भारत ने इस कायर्क्रम को आ मसात कर िलया है और देश की जनता को सरकार के सकं प का सबंल भी िमल चुका है|

    अिखल भारतीय सगंो ठी के िवषय चयन के समय हमारी मशंा थी िक इस अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी के योगदान पर गहन िवचार मथंन हो और नवीनतम पहलओु ंपर प्रकाश डाला जाए| मझु े िव वास है िक भारतवासी इस अिभयान को घर आंगन से लेकर उ योग-धधं तक और मानिसक से लेकर चािरित्रक व छता तक आ मसात करगे और इस जन-अिभयान को सफल बनाएंगे|  

    व छ भारत अिभयान की चचार् शु करते ही भारत के प्रधानमतं्री ी नरद्र मोदी का चेहरा उभर कर सामने आ जाता है| प्रधानमतं्री के साथ ही गाँधीजी का वह गोल सा च मा भी िदखाई देता है, िजसम एक ओर ‘ व छ’ तथा दसूरी ओर ‘भारत’ िलखा रहता और जो गाँधीजी की िवरासत म बापू, रा ट्रिपता, महा मा आिद श द और तीन बदंर जसेै ही ढ़ हो चुका है| 

     सपंादक

    िवरासत गाँधी और गाडगे की...

  •  

    अनुक्रमिणका क्र.स.ं  लेख  लेखक (सवर् ी)  पृ ठ स.ं 1 व छता अिभयान म ई-अपिश ट का िनपटान:

    वतर्मान चुनौितयाँ के एन राजन 07 

    2 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी का योगदान 

    के भा कर रे डी 12

    3 एक मेगा अिभयान – व छ भारत अिभयान करण िसहं 15 4 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी का

    योगदान प्रशांत कुमार झा 18

    5 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी का योगदान

    शोिभत िम तल 22

    6 िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी के साथ व छता अिभयान

    िवजय कुमार पा डये

    24

    7 िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी से व छता की जय एस प्रज्ञा 29 8 व छता के सहयोगी िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी कुणाल कुमार गु ता 31 9 प्रगितशील भारत म व छता का मह व सु ी भावना गु ता 33 10 नवीनतम प्रौ योिगकी प्रयोग के मा यम से

    अपिश ट का िनपटान प्रदीप कुमार 35

    11 व छता अिभयान बनाम िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी ललन प्रसाद रजक 39 12 व छता अिभयान का सहयोगी िवज्ञान व

    प्रौ योिगकी राजेश कुमार ‘बादल’ 44

    13 व छ भारत अिभयान म हमारा योगदान के सोलमन राज ु 48 14 िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी और व छता अिभयान चंद्रशेखर प्रसाद 51 15 व छता अिभयान – प्रौ योिगकी और िवज्ञान रिवशंकर 54 16 िवज्ञान व प्रौ योिगकी से सफल होता व छता

    अिभयान कृ ण कुमार ध्रुव 56

    17 व छ भारत अिभयान म अपिश ट प्रबंधन व जन भागीदारी की आव यकता

    अिखलेश कुमार िम ा 59

     

  •   क्र.स.ं  लेख  लेखक (सवर् ी)  पृ ठ स.ं 18 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी

    का योगदान बी अ पाजी कुमार 64

    19 व छ भारत अिभयान म प्रचार-प्रसार साधन की भिूमका 

    पी चंद्र शेखर बाबु 70

    20 अपिश ट प्रबंधन वारा व छता अिभयान म प्रगित

    के एन एल वी कृ णवेणी

    74

    21 नयी प्रौ योिगकी प्रिक्रयाओं के मा यम से व छता अिभयान

    के हेमराज ु 79

    22 व छ जगह म व छ मन का आवास बी पापाजी 82 23 प्रौ योिगकी युक्त व छ शौचालय ई सोिमनायडुु 85 24 व छ भारत अिभयान की ससुपं नता म िवज्ञान

    एवं प्रौ योिगकी का मह व गगंाधर आशीष 89

    25 व छता अिभयान के िलए रा ट्रीय पिरयोजनाएँ: सभंावनाएँ व प्रगित

    एस एन डहेिरया 91

    26 सचूना प्रौ योिगकी और व छता अिभयान सशुील कुमार 95 27 व छता अिभयान म रा ट्रीय सहभािगता राहुल सोरी 97 28 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी

    का योगदान अ माय िब वास 98

    29 नवीन प्रौ योिगकी वारा व छता अिभयान सजंय शमार् 102 30 व छता अिभयान और जय िवज्ञान पी सरोिजनी 104 31 व छ रहे हमारा भारत स य प्रकाश वमार् 107 32 प्रगितशील भारत म व छता का मह व मौिलनाथ भट्टाचायर् 109 33 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी

    का योगदान असद उ लाह खान 112

    34 प्रगितशील भारत म व छता का मह व तारा चंद्रमौली 117 35 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी

    का योगदान पी िच न ित पित राव 119

    36 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी का योगदान

    प्रशांत किटयार 123

    37 व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी का योगदान

    आशीष िसहं 126

  •  

     

    हर गली म चचार् है,

    व छ भारत अिभयान की

    चलो यार बात कर

    मह व कचरा िनपटान की|

    िबना प्रबंधन बीमारी फैले,

    बने दु मन जान की

    उिचत प्रबंधन खाद बनाता,

    करता मदद िकसान की|

    शहर गली की साफ-सफाई

    जान इस अिभयान की

    कागज-कपड़ ेकी थैली

    िवक प बनाएं शान की|

    चार ओर लहर है फैली

    व छ भारत अिभयान की

    शौचालय तक पहँुच बढ़ाना

    देश म हर इंसान की|

    देश बढ़ेगा, साफ बनेगा,

    खुशी बढ़े इंसान की

    कंध पर िनभर्र है अपने

    सफलता इस अिभयान की| 

     

  • व छता अिभयान म ई-अपिश ट का िनपटान: वतर्मान चुनौितयाँ

    - ी के एन राजन प्र तावना :

    िकसी भी रा ट्र के िवकास को मापने का उ तम मानक वहाँ का व थ समाज होता है। व थ समाज, व छता से ही सभंव है| व थ समाज बेहतर कायर्-क्षमता का योतक है| कायर्-क्षमता का सीधा सबंंध रा ट्रीय उ पादन-क्षमता से है। िजस देश की उ पादन क्षमता मजबूत हो, वह वैि वक तर पर िवकास के नए मानक गढ़ने म सफल होता है। इससे प ट है िक िकसी भी रा ट्र के िवकास म व छता का मह वपूणर् योगदान है|

    व छ भारत का सपना महा मा गांधी जी ने देखा था| वे व छता को वतंत्रता से यादा ज री मानते थे| उनके मतुािबक िनमर्लता और व छता दोन ही व थ और शांितपूणर् जीवन के अिनवायर् अगं ह| लेिकन दभुार्ग्यवश आजादी के 70 साल बाद भी भारत इन दोन क्षेत्र म काफी पीछे है। अगर आँकड़ की बात की जाय तो केवल कुछ प्रितशत लोग के घर म ही शौचालय ह| ऐसे म रा ट्रिपता का सपना तब तक साकार नहीं हो सकता, जब तक लोग को घर म शौचालय एवं व छता की आव यकता से अवगत नहीं िकया जाता| यही कारण है िक भारत सरकार लोग को घर-घर म शौचालय एवं व छता िमशन से जोड़ने का प्रयास कर रही है। इसके तहत लोग से यह अपील की गई है िक वे अपने एवं अपने आसपास के क्षेत्र की सफाई हेतु वषर् म कम से कम 100 घंटे आबंिटत कर। साथ ही इस िमशन को लाग ूकरने के िलये बहुत सारी नीितयाँ और प्रिक्रयाएँ िनधार्िरत की गई ह| पिरयोजना चरण, कायार् वयन चरण एवं िनरंतरता चरण जसेै तीन चरण म इस िमशन की पूित र् िनधार्िरत की गई है। व छता अिभयान:

    व छता अिभयान एक रा ट्रीय व छता मिुहम है, िजसके तहत 4041 सांिविधक नगर के सड़क, पैदल मागर् और अ य कई थल शािमल ह, िज ह 2019 तक पूणर्त: व छ बनाने की योजना है। यह िमशन 2 अक्टूबर 2014, अथार्त गांधी जी की 145वीं ज म-ितिथ पर आरंभ की गई है और इसे 2 अक्टूबर 2019, अथार्त गांधी जी की 150वीं ज म-ितिथ तक परूा करने का ल य रखा गया है। भारत के शहरी िवकास व पेयजल तथा व छता मतं्रालय के िनदेशानुसार यह िमशन ग्रामीण और शहरी दोन क्षेत्र म चलाई जा रही है। इस िमशन के अतंगर्त भारतीय प्रधानमतं्री वारा पहला व छता अिभयान 25 िसतंबर 2014 को शु िकया गया था। इसका उ े य सफाई यव था की सम या का समाधान एवं बेहतर मल प्रबंधन के मा यम से सभी को व छता की सिुवधा प्रदान कराना है| ग्रामीण क्षेत्र म व छ भारत अिभयान:

    ग्रामीण क्षेत्र म व छता को सिुनि चत करने के िलये भारत सरकार वारा 1999 से ही पहल की जा रही है| िनमर्ल भारत अिभयान, िजसे पूणर् व छता अिभयान भी कहा जाता है, ऐसी ही पहल का पिरणाम है, िजसे बाद म व छ भारत अिभयान से जोड़ा गया है| इसका मखु्य उ े य ग्रामीण को खुले म शौच करने की प्रविृ त से िनजात िदलाना है| इसके िलये सरकार ने 1,34,000 पये प्रित शौचालय की लागत से 11 करोड़ 11 लाख शौचालय के िनमार्ण की योजना बनाई है। साथ ही ग्राम पंचायत, िजला पिरषद और पंचायत सिमित की भागीदारी से कचरे को जिैवक खाद एवं इ तेमाल करने लायक ऊजार् म पिरवितर्त करने की भी सरकार की योजना है। 

  • इसके अतंगर्त िन निलिखत की पिरक पना की गई है:  ग्रामीण क्षेत्र के लोग के जीवन तर म सधुार लाना। 2019 तक व छ भारत ल य की पूित र् के क्रम म ग्रामीण क्षेत्र के लोग को साफ-सफाई हेतु

    पे्रिरत करना। पंचायती राज सं थान, समदुाय आिद वारा साफ-सफाई की पयार् त सिुवधाओं की सतत

    उपल धता सिुनि चत करना| ग्रामीण क्षेत्र म ठोस व द्रव कचरा प्रबंधन पर खास यान देकर उ नत पयार्वरणीय साफ-

    सफाई यव था सिुनि चत करना| ग्रामीण क्षेत्र म साफ-सफाई और पािरि थितकी सरंक्षण को बढ़ावा देना|

    शहरी क्षेत्र म व छ भारत अिभयान शहरी क्षेत्र म व छ भारत िमशन के अतंगर्त हर नगर म ठोस कचरा प्रबंधन सिहत लगभग

    सभी 1.04 करोड़ घर को 2.6 लाख सावर्जिनक शौचालय, 2.5 लाख सामदुाियक शौचालय उपल ध कराना है। िरहायशी इलाक म, जहाँ यिक्तगत घरेल ू शौचालय की उपल धता सभंव न हो, सामदुाियक शौचालय के िनमार्ण की योजना भी है| इसी तरह सावर्जिनक थान , जसेै बस अ ड , रेलवे टेशन, बाजार आिद जगह पर भी सामदुाियक शौचालय की यव था की गई है। शहरी क्षेत्र म लोग म जाग कता लाते हुए लगभग 7,366 करोड़ पये की लागत से ठोस कचरा प्रबंधन की यव था की गई है| व छता अिभयान म िवज्ञान एवं प्रौ योिगकी का योगदान वदेशी जल शोधन प्रौ योिगिकयाँ:

    वदेशी जल शोधन प्रौ योिगकी के मा यम से गाँव म व छ पेयजल की उपल धता सिुनि चत करने की योजना है| इसके अतंगर्त घरेल ूएवं सामदुाियक तर की इकाइय के अनुकूल दबाव सचंािलत िझ ली प्रिक्रयाओं का उपयोग िकया जाता है| इस प्रौ योिगकी के अतंगर्त परमाण ुऊजार् और सौर ऊजार् का उपयोग भी िकया जाता है। जल ससंाधन िवकास और प्रबंधन म पयार्वरण आइसोटोप तकनीक:

    ि थर एवं रेिडयोधमीर् दो प्रकार के आइसोटोप तकनीक के उपयोग के मा यम से सतही पानी के प्रदषूण के प्रकार, उसके ोत, सतही जल िनकाय म प्रदषूक त व का फैलाव एवं सतही पानी के दीघर्कािलक शोषण का आकलन तथा भिूमगत लवणता का आकलन करके उसके िनदान का उपाय िकया जाता है। कंपो ट टॉयलेट :

    हमारे मल म पैथोजेन होते ह, जो सपंकर् म आने पर हमारा नुकसान करते ह। इसिलये मल से दरू रहने की सलाह दी जाती है। पर आधिुनक िवज्ञान कहता है| यिद पैथोजेन को उपयुक्त माहौल न िमले तो वह थोड़ ेिदन म न ट हो जाते ह और उसके बाद मनु य का मल एक अ छे खाद म पिरवितर्त हो जाता है, िजसे कंपो ट कहा जाता है। आँकड़ के अनुसार लश लिैट्रन के आिव कार के 100 साल बाद आज भी 95% से अिधक मल उपचािरत िकये िबना निदय के मा यम से समदु्र म पहँुचता है। गांधी जी कहते थे िक ग ढ़ा खोदो और अपने मल को िमट्टी से ढक दो। आज िव व के तमाम वैज्ञािनक उसी राह पर वापस आ रहे ह। उनके अनुसार मल म पानी िमलाने से उसके पैथोजेन को जीवन िमलता है, वह मरता नहीं। मल को िमट्टी या राख से ढक दीिजए, वह खाद बन जाएगी।

  • जिैवक-शौचालयः जापान की एक गरै सरकारी सं था वारा ‘जिैवक-शौचालय’ का िवकास िकया गया है, जो

    गधं-रिहत तो है ही, साथ ही पयार्वरण सरंक्षण के अनुकूल भी है। समाचार सं था ‘डी पी ए’ के अनुसार जिैवक-शौचालय ऐसे सू म कीटाणओुं को सिक्रय करते ह जो मल इ यािद को सड़ने म मदद करते ह| त प चात केवल नाइट्रोजन गसै और पानी ही शेष बचते ह, िजसे पुन: चिक्रत कर शौचालय म िफर इ तेमाल िकया जा सकता है। जापान म पहाड़ की ऊँची चोटी ‘माउंट फुजी’ पर गिमर्य म पवर्तारोिहय वारा इ तेमाल िकये जाने वाले सावर्जिनक शौचालय के चलते मानव मल इकट्ठा होने से पयार्वरण दिूषत हो रहा था। इस सं था वारा ‘माउंट फुजी’ पर मौजूद सभी 42 शौचालय को जिैवक-शौचालय म बदल िदया गया है। इसके अलावा सावर्जिनक उपयोग हेतु पयार्वरण सरंक्षण के अनुकूल आराम-गहृ भी बनाए गए ह। ई-कचरा:

    पयार्वरण के प्रित अभी हमारे देश के लोग पूणर्त: जाग क नहीं हो पाये ह। प्रदषूण जसेै अहम मु े, िवकास के नाम पर पीछे छूट गये ह। ई कचरे के बारे म भी लोग को कोई जानकारी नहीं है। बाजार इलेक्ट्रॉिनक उ पाद से भरे पड़ ेह। तकनीक म हो रहे लगातार बदलाव के कारण उपभोक्ता भी नए-नए इलेक्ट्रॉिनक उ पाद से अपने घर भर रहे ह और पुराने उ पाद को कबाड़ म बेच रहे ह, िजससे ई-कचरे की सम या उ प न हो रही है।

    ई-कचरा सचूना प्रौ योिगकी कंपिनय से िनकलने वाला वह कबाड़ है, जो तकनीक म आ रहे पिरवतर्न के पिरणाम ह| जसेै पहले बड़ ेआकार के कं यूटर, मॉिनटर, िजनका थान ि लम और लटै क्रीन वाले छोटे मािनटर ने ले िलया है, माउस, की-बोडर् या अ य उपकरण आिद, जो वतर्मान म अप्रचिलत ह , ई-कचरे की ेणी म आ जाते ह। ई-कचरा मनु य के वा य के िलये हािनकारक है। अमेरीका के प्र येक घर म प्रित वषर् लगभग छोटे-मोटे 24 इलेक्ट्रॉिनक उपकरण खरीदे जाते ह। ये उपकरण कुछ समय बाद पुराने एवं अनुपयोगी हो जाते ह| इस प्रकार इलेक्ट्रॉिनक कचरा पैदा होने लगता है| भारत म ई-कचरा :

    भारत म ई-कचरे की मात्रा बढ़ाने म िद ली, मुबंई, बगलू , कोलकाता, चे नई, हैदराबाद आिद जसेै प्रमखु शहर का मह वपूणर् योगदान माना जाता है| सटर फॉर क्वािलटी मनेैजमट िस टम के प्रमखु जाँचकतार् ी घोष के अनुसार देश म इलेक्ट्रॉिनक उपकरण , िवशषे प से मोबाइल की जो धूम मची हुई है, वह एक िच ता का िवषय है। ई-कचरा फैलाने म भारत दिुनया के शीषर् देश म पांचव थान पर है।  सयंुक्त रा ट्र िव विव यालय (यूएनयू) की ओर से ‘िव विव यालय ई-कचरा िनगरानी-

    2014’ पर जारी िरपोटर् के अनुसार अमेरीका और चीन इस मामले म पहले एवं दसूरे थान पर ह। अगले तीन वष म इलेक्टॅ्रािनक उपकरण से फैलने वाले कचरे म 21% तक विृद्ध का अनुमान है। 

    वषर् 2014  म पूरी दिुनया म सबसे यादा एक करोड़ साठ लाख टन ई-कचरा  एिशया म उ प न हुआ। इसम तीन एिशयाई देश चीन (60 लाख टन), जापान (22 लाख टन) और भारत (17 लाख टन) का योगदान है| हालांिक प्रित यिक्त ई-कचरा के मामले म नाव, ि व जरलड, आइसलड, डनेमाकर् और िब्रटेन पहले पाँच थान पर ह। वषर् 2014 म उ पािदत ई-कचरे म 16,500 िकलो टन लोहा, 1900 िकलो टन लिैडयम, लाि टक, 22,00,000 टन शीशा, 3,00,000 टन बैटरी, पारा, क्रोिमयम आिद शािमल ह। पूरे िव व म िपछले वषर् 4.18 करोड़ टन ई-कचरा उ प न हुआ, िजसम मोबाइल 

  • फोन, कैलकुलेटर, कं यूटर, िप्रटंर एवं छोटे-मोटे इलेक्ट्रािनक उपकरण का योगदान िसफर् 7% है। वषर् 2018 तक ई-कचरे की मात्रा के पाँच करोड़ तक पहँुचने का अनुमान है। वा य और पयार्वरण को खतरा:

    इलेक्ट्रॉिनक सामग्री के उ पादन म यादातर कैडिमयम, िनकेल, क्रोिमयम, एंटीमोनी, आसिनक, बेिरिलयम और मकर् री का उपयोग िकया जाता है, जो पयार्वरण और वा य के िलये घातक ह। इनम से कई चीज पुन:चक्रण िकये जाने हेतु कंपिनय वारा ली जाती ह, लेिकन कुछ चीज नगर िनगम के कचरे म चली जाती ह, िजससे हवा, िमट्टी और सतही पानी प्रदिूषत हो जाते ह। कैडिमयम से फेफड़ ेप्रभािवत होते ह, जबिक कैडिमयम का धुऑ और धूल फेफड़ ेव िकडनी दोन के िलए घातक ह। ई-कचरे के िनपटान के िनयम:

    कद्रीय प्रदषूण िनयतं्रण मडंल वारा ई-कचरे के प्रबंधन व िनपटान हेत ु‘खतरनाक कचरा प्रबंधन, रखरखाव एवं सीमा पार यातायात िनयम 2008’ आिद िनयम बनाये गये ह, िजनके अनुसार ई-कचरे के िनपटान को सिुनि चत करते हुए इकाइय का के द्रीय प्रदषूण िनयंत्रण मडंल के अतंगर्त पंजीकृत होना ज री है। इसके अलावा प्रदषूण मडंल के जहरीले कचरे प्रबंधन िवभाग के अनुसार ई-कचरे म से उपयोगी सामग्री के पुन:चक्रण को प्रो सािहत िकया जाना चािहए। इससे प्राकृितक ससंाधन का सरंक्षण सिुनि चत होगा।

    पयार्वरण अनुकूल ला मा प्रौ योिगकी:

    ठोस अपिश ट के डिंपगं अथवा इससे भरे जाने हेतु लडिफल क्षेत्र की शहर म उपल धता कम है| ठोस अपिश ट का सही ढंग से िनपटान नहीं िकया जाता है अथवा उसे जला िदया जाता है तो उससे पयार्वरण प्रदषूण का खतरा बना रहता है| थमर्ल ला मा तकनीक के उपयोग के मा यम से इसका उपयकु्त उपचार िकया जा सकता है| ला मा तकनीक के अतंगर्त उ च तापमान पर जोिखमपूणर् एवं जहरीले त व को मौिलक त व के प म पिरवितर्त िकया जाता है तथा अकाबर्िनक त व को काँच के प म पिरवितर्त िकया जाता है एवं काबर्िनक त व को कम तापमान पर गसैीय त व , अथार्त हाइड्रोजन एवं काबर्न मोनोआक्साइड म पिरवितर्त िकया जाता है, िज ह ईंधन गसै के प म उपयोग िकया जाता है|

  • िविभ न जल शोधक प्रणािलयाँ: जल म ि थत अवांछनीय बैक्टीिरया के िनमूर्लन हेत ु आजकल क्लोिरन डाइऑक्साइड, 

    क्लोरामीन, ओजोन आिद रसायन का प्रयोग िकया जा रहा है। लेिकन इन रसायन के उपयोग से ट्राइहैलोिमथेन तथा हैलोएिसिटक एिसड जसेै त व उ प न हो रहे ह, जो वा य के िलये िब कुलहािनकारक ह।  अ ट्रावॉयलेट लाइट का प्रयोग जल प्रदषूण की रोकथाम हेतु बेहतरीन एवं उपयुक्त है।इस प्रिक्रया म जल म उपि थत बैक्टीिरया को िनि क्रय कर िदया जाता है, िजससे बीमािरयाँ फैलने का खतरा नहीं रह जाता| वतर्मान म बाजार म कई जल शोधन प्रणािलयाँ मौजदू ह, जो पानी म िव यमान धूल, िमट्टी, बैक्टीिरया एवं सू म जीवाण ु जैसे कई जोिखमपूणर् त व के साथ-साथ कैडिमयम, िनिकल, आयरन, आसिनक, लोराइड आिद धातुओं एवं कीटनाशक जसैी अशुिद्धय से भी हम बचाती ह| 

    िन कषर्:

    व छता अिभयान को सफल बनाने हेतु सभी तर पर ठोस प्रयास िकये जाने ह गे| साथ ही सभी तर के लोग को इस अिभयान म भागीदार बनाना होगा| व छता अिभयान के सभी कायर्कलाप म वतर्मान समय म ई-कचरा िनपटान पद्धित सबसे अिधक मह वपूणर् है| िव व के िवकासशील व िवकिसत देश वारा ई-कचरा के वैज्ञािनक तरीके से िनपटान पर यान किद्रत िकया जा रहा है, तािक उससे पयार्वरण पर दु प्रभाव को कम िकया जा सके| िविभ न प्रकार की प्रौ योिगिकय का बेहतर ढंग से उपयोग करते हुए व थ समाज का िनमार्ण करना होगा, िजससे भारत का उ वल भिव य सिुनि चत हो|

    - सहायक महाप्रबंधक (टी डी) डी व ई िवभाग

    रा ट्रीय इ पात िनगम िलिमटेड िवशाखपट्टणम

    मोबाइल:+91 9866440938 

  • व छता अिभयान म िवज्ञान और प्रौ योिगकी का योगदान - ी के भा कर रे डी

    भारत म अिधकांश बीमािरयाँ व छता के अभाव म ही फैलती ह| यूिनसेफ की िरपोटर् के मतुािबक 5 से कम उम्र के 6 करोड़ ब च के शारीिरक एवं मानिसक िवकास म व छताहीन पिरवेश रोड़ा बना हुआ है| इससे भोजन, वायु एवं जल जसेै जीवन के आव यक सभी त व प्रदिूषत होते ह| साथ ही मलेिरया, डग,ू पेिचश, टी.बी., और वाइन ल ूजसेै प्रमखु सकं्रामक रोग भी पनपते ह| मानव िवकास िरपोटर् 2011 के अनुसार हमारे देश म आज भी आधे से अिधक लोग व छता की सिुवधाओं से वंिचत ह| िबहार, छ तीसगढ़, झारखंड, म य प्रदेश, उड़ीसा, राज थान और उ तराखंड रा य म 60% से अिधक घर म शौचालय की यव था तक नहीं है और खुले म शौच की प्रविृ त से कई लोग िविभ न प्रकार की बीमािरय से ग्रिसत हो रहे ह|

    ऐसे म व छता के प्रित लोग म जाग कता बढ़ाने एवं उनम व छता की आदत डालने हेत ु2 अक्टूबर, 2014 को व छता अिभयान शु िकया गया। इसके िलए सरकार की ओर से अलग मतं्रालय का भी गठन िकया गया| इस अिभयान के अतंगर्त लोग से अपने एवं अपने पिरत: क्षेत्र को साफ रखने की अपेक्षा की गई| व छता के अभाव म होनेवाले नुकसान की उ ह जानकारी दी गई| साथ ही निदय , रेलवे टेशन , पयर्टन थल और अ य सावर्जिनक थान की सफाई पर भी िवशेष यान िदया गया| बायोटेक्नोलॉजी िवभाग ने कचरे के सखेू और गीले दो िभ न प्रकार से सगं्रहण पद्धित को प्रो सािहत िकया, िजससे गीले कचरे का पुन:चक्रण कर उसे खाद के प म पुन: उपयोग म लाया जा सके| सखेू लाि टक कचरे का सड़क िनमार्ण काय म उपयोग िकया जा रहा है, जो पारंपिरक सड़क िनमार्ण पद्धित की तुलना म अिधक मजबूत है|

    कूल और सावर्जिनक थान पर जवै-शौचालय की यव था की पहल की गई, तािक आसपास के क्षेत्र साफ एवं व छ ह | शौचालय पिरवतर्न पहल एक प्रकार से भारत को व छ भारत के प म पुन थार्िपत करने की है| इस पहल के िलए भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी िवभाग (डीबीटी) और िबल एंड मेिलडंा गे स फाउंडशेन वारा सयंुक्त प से िव तीय सहयोग प्रदान िकया गया| कायर्क्रम बायोटेक्नॉलॉजी इंड ट्री रीसेचर् अिस टस काउंिसल (बीआईआरएसी) के प्रोग्राम मनेैजमट यूिनट (पी एम यू) वारा सचंािलत िकया जाता है। इस पहल का उ े य सफाई से संबंिधत सम याओं के िनदान के साथ-साथ भारत म नवाचार एवं सजृना मकता को प्रो सािहत करना भी है| शू य अपिश ट बायो डाइजे टर शौचालय :

    पयार्वरण मतै्री इस पद्धित म क्लो ट्रीिडयम एवं िमथेनोसिसर्ना जसेै कीटाणओुं के उपयोग के मा यम से मानव अपिश ट को जल, गसै एवं खाद के प म पिरवितर्त करके उ ह पुन: उपयोग म लाया जाता है| शौचालय से अपिश ट को भिूमगत बायो डाइजे टर टक म भेजा जाता है, जहाँ अवायवीय डाइजेशन प्रिक्रया के मा यम से इसे िमथेन गसै के प म पिरवितर्त िकया जाता है| इस प्रकार उ सिजर्त िमथेन गसै का गसै टोव चलाने एवं िव यतु उ पादन जसेै िविभ न आशय के िलए

  • उपयोग िकया जाता है| शेष अपिश ट मात्रा को खाद के प म पिरवितर्त करके उसका खेत एवं बाग-बगीच म उपयोग िकया जाता है|

    वा तव म ग्वािलयर के रक्षा अनुसधंान िवभाग की अनुसधंान प्रयोगशाला वारा ल ाख एवं िसयाचेन की पहािड़य म सेवारत िसपािहय की सफाई आव यकताओं की पूित र् के क्रम म बायो डाइजे टर शौचालय प्रौ योिगकी िवकिसत की गई| इससे पूवर् अपिश ट को गहरे ग ढ़ म एकित्रत करके जला िदया जाता था, िजसके िलए पयार् त ऊजार् एवं म की आव यकता होती थी| लेिकन उपरोक्त प्रौ योिगकी के अतंगर्त मानव म की आव यकता नहीं होती| बायो डाइजे टर शौचालय की थापना व अनुरक्षण लागत अपेक्षाकृत बहुत कम है और देश के िकसी भी िह से म अपनाने योग्य है|

    बीएआरसी यूएफ िझ ली जल शोधक प्रौ योिगकी:

    यह घरेल ूजल शोधक प्रौ योिगकी है, िजसकी मुख्य िवशेषताएँ इस प्रकार ह: इसम 99.99% बैक्टीिरया का िनमूर्लन िकया जाता है| पानी म मौजदू गदंगी को साफ करके उसे पूणर्त: व छ बनाया जाता है| पानी को साफ करने हेतु िव युत एवं िकसी रसायन की आव यकता नहीं होती| पानी म ि थत सभी प्रकार के जिैवक व रंग सबंंधी त व के िनमूर्लन प्रावधान से

    युक्त है| इसकी रसायिनक व यांित्रक िझि लयाँ मजबूत ह और इनका जीवनकाल 3-5 वषर् है| यह उपकरण 5-35 पी एस आई जी (per square inch gauge) शीषर् तक काम

    करता है और प्रितिदन लगभग 10 पी एस आई जी शीषर् पर लगभग 40 लीटर पानी साफ करता है|

  • लोग म व छता के प्रित जाग कता बढ़ाना:

    इलेक्ट्रॉिनक मीिडया के मा यम से देश के प्र येक कोने म व छता का प्रचार करके लोग को इनके फायद से अवगत कराना होगा| उपरोक्त िविभ न मा यम से लोग म व छता की आदत डालकर देश भर म सचंािलत व छता अिभयान कायर्क्रम म उ ह भागीदार बनाना होगा| व छता अिभयान के प्रचार के िविभ न तरीके ह, िजनम कुछ िन नानुसार ह: • रेलवे टेशन, बस टेशन जसेै सावर्जिनक थान पर िवज्ञापन • टीवी, रेिडयो और मोबाइल जसेै इलेक्ट्रािनक मीिडया के िविभ न सचंार मा यम म िवज्ञापन • कूल, कायार्लय और अ य सावर्जिनक थान पर िवज्ञापन • वैि छक सगंठन के मा यम से प्रचार • प्रिति ठत यिक्तय वारा सगंोि ठय का आयोजन 

    िन कषर्: उपयुर्क्त प्रौ योिगिकय से जल एवं ठोस अपिश ट प्रबंधन के उपचार म बहुत सहयोग

    िमलता है| ठोस कचरे को आम तौर पर िचतंा का कारण माना जाता है| अगर ठीक से इसका उपचार िकया जाता है तो यह ऊजार् का थायी ोत बन सकता है। ऐसी प्रौ योिगिकय म अनुसधंान कायर् को बढ़ावा देना होगा। अनुसधंान प चात, अनुसधंान और इनके कायार् वयन के बीच अतंर को पाटना होगा। िविभ न िवभाग , शहरी थानीय िनकाय , सलाहकार और ठेकेदार जसेै सभी िहतधारक को इस अिभयान से जोड़ना होगा, िजससे इन प्रौ योिगिकय के उपयोग के मा यम से भारत को व छ बनाने म सहयोग िमल सके|

    - सहायक प्रबंधक (सचूना प्रौ योिगकी) रा ट्रीय इ पात िनगम िलिमटेड

    िवशाखपट्टणम मोबाइल: +91 8330931834

      

  • एक मेगा अिभयान - व छ भारत अिभयान‐ ी करण िसहं 

    पिरभाषा : व छ भारत अिभयान भारत सरकार वारा चलाया जाने वाला एक रा ट्र यापी सफाई

    अिभयान है। इस अिभयान वारा भारत को ग दगी-मकु्त बनाया जायेगा। इस अिभयान म शौचालय का िनमार्ण करवाना, पीने का साफ़ पानी हर घर तक पहँुचाना, ग्रामीण इलाक म वछता कायर्क्रम को बढ़ावा देना, सड़क की सफाई करना और देश का नेतृ व करने के िलए देश के बुिनयादी ढाँचे को बदलना शािमल ह।

    व छ भारत अिभयान को क्लीन इंिडया िमशन (Clean India Mission) या क्लीन इंिडया ड्राइव भी कहा जाता है। व छ भारत का सपना रा ट्रिपता महा मा गांधी ने देखा था। इस स दभर् म गांधीजी ने कहा था िक व छता वतंत्रता से यादा ज री है। उनका मानना था िक िनमर्लता और व छता दोन ही व थ और शाि तपूणर् जीवन के अिनवायर् अगं ह।

    व छ भारत अिभयान की शु आत 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती के िदन भारत के प्रधानमतं्री ी नरे द्र मोदी वारा नई िद ली म की गई। अवसर था, भारत के दो सपूत महा मा गांधी और ी लाल बहादरु शा त्री का ज मिदन था। इस अिभयान के मा यम से सरकार गांधी जी के सपने 'क्लीन इि डया' को वषर् 2019 (बापू की 150वीं जयंती) तक हर गाँव, शहर, क बे को साफ कर, पक्के टॉयलेट का िनमार्ण कर, पीने का साफ पानी उपल ध कराकर, कचरा िनपटाने की ठोस यव था का प्रावधान कर, खुले म शौच की प्रविृ त को समा त कर पूरा करना चाहती है। ग्राम पंचायत के जिरये ठोस और तरल अपिश ट प्रबंधन के साथ गाँव को साफ रखे जाने की योजना है। माँग के आधार पर सभी घर को नल के साथ जोड़कर सभी गाँव म 2019 तक पेयजल के िलए पाइपलाइन िबछाना है। इस ल य को सभी मतं्रालय तथा कद्र एवं रा य की योजनाओं के बीच सहयोग और तालमेल, सी एस आर एवं िवपक्षीय/बहुपक्षीय सहायता के साथ सभी तरह के नवीन एवं अिभनव उपाय के िव तपोषण के मा यम से हािसल िकया जाना है।

    प्रधानमतं्री जी ने कहा है िक भारत को व छ बनाने का काम िकसी एक यिक्त या अकेले सरकार का नहीं है। यह काम तो देश के 125 करोड़ लोग का है। उ ह ने इस अिभयान को एक जन आ दोलन म त दील करने का अनुरोध िकया है। उ ह ने यह भी कहा िक यह अिभयान 125 करोड़ देशवािसय की ओर से बापू के 150व ज मिदवस पर उनके प्रित सवर् े ठ द्धांजिल होगा। उ ह ने एक मतं्र भी िदया िक ‘हम न गदंगी खुद करगे और न दसूर को करने दगे।‘ उनका कहना है िक हम इस मतं्र को अपनाएंगे और अगर हर यिक्त साल म 100 घंट का योगदान करेगा तो साल 2019 तक ज र हम व छ भारत अिभयान म कामयाब हो पायगे और बापू का सपना पूरा हो जाएगा।

  • िवज्ञान और सचूना प्रौ योिगकी :

    िवज्ञान और सचूना प्रौ योिगकी के क्षेत्र म भारत एक अग्रणी रा ट्र है। इंटरनेट के क्षेत्र म वेब, ए लीकेशन और क्लाउड क यूिटगं (िबजनेश एि लकेशन और बेब सवर्र) म भारतीय सबसे बेहतरीन ज्ञान रखते ह और भारतीय कौशल का लोहा पूरा िव व मानता है। आज हमारे देश म छोटे-छोटे गाँ को भी इंटरनेट से जोड़ा जा रहा है, तािक वहाँ के लोग देश म हो रहे पिरवतर्न को देख सक और इन नवीनतम सचंार सिुवधाओं के मा यम से अपनी बात सरकार और प्रशासन के समक्ष रख सक| िवज्ञान और प्रौ योिगकी का योगदान :

    हमारे देश को वतंत्र हुए 70 साल हो गए ह। इतने वष म देश के िवकास से िविवध आयाम जड़ु ेह। िवज्ञान और प्रौ योिगकी भी एक ऐसा क्षेत्र है, िजसने देश को िवकास की राह पर बढ़ाने म सबसे अिधक योगदान िदया है। असल म हमारे जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, िजसम िवज्ञान का दखल न हो। आज भारत ‘मेक इन इंिडया’ कायर्क्रम के तहत सै य साजो-समान तैयार कर रहा है। इसके अलावा नवीकरणीय ऊजार् के क्षेत्र म भी नई तकनीक का िवकास िकया जा रहा है। भारत जलवायु पिरवतर्न से िनपटने के िलए भी सजग है। इस िदशा म नवीकरणीय ऊजार् सिहत अनेक ऐसी तकनीक के िवकास पर यान िदया जा रहा है, जो देश को िवकास की राह म आगे ले जाएंगी।

    व छ भारत अिभयान म भी नागिरक सहभािगता को िवज्ञान और सचूना प्रौ योिगकी के

    मा यम से अिधक प्रभावी बनाया जा सकता है, तािक आम आदमी से भी डाटा सचंयन और िनगरानी म सिक्रय योगदान िमल सके। इनम प्रमखु िन नप्रकार से ह : 1. मोबाइल इंटरनेट ए लीकेशंस के मा यम से लोग कचरे के ढेर और साफ-सफाई सबंंिधत

    अिनयिमतताओं के बारे म थानीय िनकाय को सिूचत कर सकगे| 2. अपिश ट को ठोस, तरल, रसायिनक व गरै-रसायिनक, लाि टक, ई-वे ट, बायोमॉस आिद

    वग म छांटने की समझ िवकिसत करने म भी इंटरनेट ए लीकेशंस की मदद ली जा सकती है, िजससे पैदा हुए अपिश ट के िनपटान की सही जानकारी लोग को िमल सके।

  • 3. जन सहभािगता से िनिमर्त सावर्जिनक शौचालय के आलावा िनजी शौचालय को भी आपस म जोड़कर िवज्ञान की नवीनतम तकनीक का प्रयोग कर शौचालय से हाइड्रोजन और िबजली का उ पादन िकया जा सकता है और देश को िवकास की राह पर ले जाया जा सकता है।

    4. सचूना-प्रौ योिगकी इन िदन हमारे जीवन के हर क्षेत्र म िदनचयार् का अहम िह सा बन चुकी है। छोटी-छोटी ज रत का समाधान बस अगंिुलय की हलचल के जिरए आपके डे कटॉप या माटर्फोन की क्रीन पर उपल ध हो जाता है। ऐसे म व छ भारत अिभयान को अिधक प्रभावी बनाने म सचूना प्रौ योिगकी बहुत उपयोगी है|

    5. िवज्ञान और सचूना प्रौ योिगकी के मा यम से आज अपिश ट पदाथर् (मल-मतू्र, कूड़ा-कचरा) का पुनचर्क्रण करके कचरे की मात्रा कम की जा सकती है और उसे पनुः उपयोग म लाया जा सकता है।

    6. िवज्ञान और सचूना प्रौ योिगकी के मा यम से आज बचे हुए शेष अपिश ट पदाथर् से जिैवक खाद बनाया जा सकता है और इस जिैवक खाद के प्रयोग से खेती की उपज बढ़ाई जा सकती है।

    7. िवज्ञान और सचूना प्रौ योिगकी के मा यम से आज आप इंटरनेट ए लीकेशन को अपने मोबाइल म गगूल ले टोर और ए पल टोर से डाउनलोड कर अपने िनजी शौचालय को ज रतमदं के िलए एक मामलूी शु क पर उपल ध करा सकते ह।

    8. डाटा एकत्र करने की प्रौ योिगकी, पुनचर्क्रण योजनाओं के प्रदशर्न और िनगरानी म मह वपूणर् भिूमका िनभाते ह। ऐसे म िनजी क्षेत्र की भागीदारी से पूवर् यह सिुनि चत करना होगा िक ठेकेदार को आव यक अनुभव और समझ हो। वह िनयत थान पर भरे हुए कंटेनर उठाने तभी पहुच, जब वह पूरी तरह भर चुके ह , िजससे अनाव यक फेरी की आविृ त कम हो सके। प्रा त सचूना के आधार पर कंटेनर उठाने हेतु सबसे नजदीक घूम रही कचरा गाड़ी को जीपीएस से िचि हत कर सिूचत करने से ईंधन, म, समय और पैसे की बचत की जा सकती है।

    9. रा य सरकार को छात्र , आशा कायर्कतार्ओं, आंगनवाड़ी कायर्कतार्ओं, िचिक सक , िशक्षक , प्रखंड सयंोजक आिद के मा यम से अतं यर्िक्त सचंार पर अपना यान किद्रत करना होगा। इसके िलए इ ह घर-घर से सपंकर् भी करना होगा। लघु िफ म की सीडी, टेलीिवजन, रेिडयो, िडिजटल िसनेमा, पै लेट का उपयोग भी करना होगा।

    10. इंटरनेट के जिरए डाटा एकत्र कर देश भर के सभी ग्राम पंचायत के िलए व छता दतू की पहचान करनी होगी, उ ह व छता के कौशल से लसै करना होगा| साथ ही उ ह उनके प्रदशर्न पर प्रो साहन रािश दी जानी होगी। इस प्रकार प ट है िक िवज्ञान और तकनीक के उपयोग से हम सामा य साफ-सफाई के

    क्षेत्र म भी बेहतर करने की ि थित म आ चुके ह| - सहायक प्रबंधक (िवपणन)

    क्षेत्रीय कायार्लय, िद ली रा ट्रीय इ पात िनगम िलिमटेड

    िवशाखपट्टणम इ पात सयंंत्र 

  • व छता अिभयान म िवज्ञान और प्रौ योिगकी का योगदानव छता अिभयान म िवज्ञान और प्रौ योिगकी का योगदान 

    - ी प्रशांत कुमार झा व छ भारत अिभयान को व छ भारत िमशन और व छता अिभयान भी कहा जाता है|

    यह एक रा ट्रीय तर का अिभयान है और भारत सरकार वारा चलायी जा रही है, जो िक शहर और गाँव की सफाई के िलए आरंभ की गयी है| इस अिभयान म शौचालय का िनमार्ण, ग्रामीण क्षेत्र म व छता कायर्क्रम को बढ़ावा देना, गिलय व सड़क की सफाई, देश के बुिनयादी ढांचे को बदलना आिद शािमल ह। इस अिभयान को आिधकािरक तौर पर राजघाट, नई िद ली म 2 अक्टूबर 2014 को महा मा गांधी जी की 145 वीं जयंती पर भारत के प्रधानमतं्री ी नरद्र मोदी वारा शु िकया गया था। यह अभी तक का सबसे बड़ा सफाई अिभयान है, िजसम 30 लाख सरकारी कमर्चािरय के साथ कूल, कॉलेज के ब च ने भी बढ़-चढ़कर िह सा िलया।

    साल 2019 तक (गांधीजी की 150वीं जयंती) व छ भारत अिभयान का ल य हर गाँव, शहर, क बे को साफ करना, पक्के टॉयलेट बनाना, पीने का साफ पानी महैु या कराना, ठोस कचरे के िनपटान की यव था करना तथा इस अिभयान का एक ल य वषर् 2019 तक भारत को खुले म शौच (ओडीएफ) की प्रविृ त से मकु्त बनाना भी है| इस उ े य को हािसल करने के िलए यिक्तगत और सामदुाियक शौचालय का िनमार्ण कराया जा रहा है तथा व छ ग्राम पंचायत के जिरये ठोस और तरल अपिश ट प्रबंधन सिहत गाँव को साफ रखने, माँग के अनुसार सभी घर को नल से जोड़कर गाँव म पाइपलाइन के जिरए पीने का साफ पानी उपल ध कराने का प्रयास भी िकया जा रहा है। इस अिभयान को सही तरीके से लाग ूकरने के िलए 19 सद यीय िवशेषज्ञ सिमित का गठन िकया गया है, िजसकी अ यक्षता वैज्ञािनक और औ योिगक अनुसधंान पिरषद के पूवर् महािनदेशक ी रघुनाथ अनंत माशेलकर कर रहे ह। यह सिमित िविभ न रा य म व छता और व छ पेयजल की सिुवधा प्रदान करने के सबसे े ठ और आधुिनक तरीक पर सझुाव देगी।

    व छ भारत अिभयान की सफलता म तकनीक की मह ता को नकारा नहीं जा सकता। िवज्ञान और तकनीक के कुछ मह वपूणर् फायदे जो व छता अिभयान को सफल म बनाने म योगदान देते हुए इसे कारगर बना रहे ह, उनका िववरण िन न प्रकार से है; 1. सचूना प्रौ योिगकी और व छता अिभयान :

    व छ भारत अिभयान म भी नागिरक सहभािगता को सचूना प्रौ योिगकी के मा यम से अिधक प्रभावी बनाया जा सकता है, िजससे आम आदमी भी डाटा के सचंयन और िनगरानी म सिक्रय योगदान दे सके। इनम प्रमखु ह: (क) मोबाइल ए लीकेशंस से कूड़ ेके ढेर व िनकटतम शौचालय की जानकारी :

    इस ऐप के मा यम से अिनयिमत कचरे के ढेर की सचूना थानीय िनकाय तक पहँुचाई जा सकती है और इसके िलए जीपीएस से जोड़कर त वीर भेजने का िवक प िदया जा सकता है। इस तरह प्रा त की गई सिचत्र प्रितिक्रया का डाटा मपै से जोड़कर सवेंदनशील क्षेत्र को

  • िचि हत िकया जा सकेगा, तािक उ ह वरीयता दी जा सके। इसके अलावा ऐसे कई ए लीकेशन गगूल ले टोर और ए पल टोर पर िमल जायगे, जो शौचालय को मपै से जोड़कर आपको नजदीकी शौचालय का रा ता बताते ह।

    (ख) कचरे का वगीर्करण : अपिश ट को ठोस, तरल, रसायिनक व गरै-रसायिनक, लाि टक, ई-वे ट, बायोमॉस आिद वग म छांटने की समझ िवकिसत करने म भी ए लीकेशंस की मदद ली जा सकती है, तािक उ सिजर्त अपिश ट के िनपटान की सही जानकारी लोग को िमल सके।

    2. शौचालय की नई तकनीक : वैि वक तर पर लगभग 2.5 अरब से भी अिधक की आबादी के पास शौचालय नहीं है।

    गौरतलब है िक जहाँ सरकार इतने पैसे शौचालय के िनमार्ण पर खचर् कर रही है, वहीं यह भी आव यक हो जाता है िक इन शौचालय को भी नवीनतम तकनीक से जोड़ा जाए। गे स फाउंडशेन इस िदशा म शोध को प्रो सािहत करता रहा है। उनका उ े य कम लागत के ऐसे शौचालय की तकनीक िवकिसत करनी है, िजसे िबना जल और िबना िकसी बाहरी ऊजार् के उपयोग म लाया जा सके। साथ ही जिैवक मल ही ऊजार् और जल का ोत बने। गे स फाउंडशेन ने 2011 म ‘िरइ वट द टॉयलेट चैलज’ नाम की पहल की, िजससे शोधकतार्ओं को उ नत िक म के शौचालय के िनमार्ण के िलए पे्रिरत िकया जा सके |

    ‘टॉयलेट फॉर पीपल’ नाम की सं था ने घर के अदंर प्रयोग म आने वाले नवीन शौचालय के िनमार्ण म सफलता पाई है, जो बगरै पानी के काम करते ह| इनका रख-रखाव आसान है और इनकी लागत मू य लगभग 10 हजार पये है। पीपुल नाम की एक वीिडश कंपनी 6 पये मू य की एकल उपयोग, बायो-िडगे्रडबेल बगै का उ पादन करती है, िजसके प्रयोग के बाद पीपुल बैग म मौजदू यूिरया रोगजनक के िवकास को रोक देती है। हालांिक जानकार का यह भी मानना है िक हाई-टेक शौचालय के िनमार्ण के बदले कम लागत के िटकाऊ शौचालय के िनमार्ण और शोध को वरीयता िदया जाना यादा यावहािरक होगा। 3. कचरा प्रबंधन :

    िवकासशील देश म अपिश ट उ पादन एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है, िजसम वे ट इलेिक्ट्रकल और इलेक्ट्रॉिनक इिक्वपमट, (WEEE) िजसे इलेक्ट्रॉिनक कचरा अथवा ई-वे ट भी कहते ह, कृिष बॉयोमास और बेकार लाि टक अपिश ट के उ पादन म तेजी से विृद्ध हुई है। िर यूस, िरयजू और िरसाइिकल (3R) के मा यम से प्रभावी और कुशल अपिश ट प्रबंधन करत ेहुए खपत और उ पादन के बीच उिचत सामजं य थािपत िकया जा सकता है। एकीकृत ठोस अपिश ट प्रबंधन (ISWM) वारा अपिश ट से उपयोगी सामग्री/ऊजार् िनकाल लेने से जहाँ एक ओर ससंाधन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है वहीं पयार्वरण पर इसके प्रितकूल प्रभाव को भी कम िकया जा सकता है। पयार्वरण मतै्री टेक्नोलॉजी (ESTS) अपिश ट प्रबंधन के िलए अ यंत मह वपूणर् है।

  • सयंुक्त रा ट्र पयार्वरण कायर्क्रम के अतंगर्त अंतरार् ट्रीय पयार्वरण प्रौ योिगकी कद्र (IETC)

    ने इस िदशा म वैि वक तर पर सराहनीय प्रयास िकये ह। अपिश ट प्रबंधन के क्षेत्र म आई ई टी सी ने िन निलिखत चार मह वपूणर् क्षेत्र म कायर् िकया है: (क) प्रदशर्न/प्रायोिगक पिरयोजनाओं का िक्रया वयन (ख) प्रौ योिगकी समथर्न (ग) क्षमता िनमार्ण का कायर् करना (घ) अपिश ट प्रबंधन म वैि वक भागीदारी के िलए सिचवालय बनाना

    हम व छ भारत अिभयान के सफल िक्रया वयन के िलए ऐसे सभी मॉड स को सू मता से परखना होगा, तािक उिचत तकनीक और यावहािरक शोध को शािमल कर अिभयान की सफलता के प्रित आ व त हो सके। 4. ठोस कचरा प्रबंधन के िलए पयार्वरणीय अनुकूल ला मा तकनीक :

    ठोस कचरा एकत्र करने हेतु आजकल शहरी क्षेत्र म जमीन का कमी होती जा रही है, िजसके कारण जहाँ कचरा एकित्रत िकया जाता है, वह जगह आवासीय कॉलोनी या क ब के नजदीक हो गई है, िजससे पयार्वरण दिूषत होता है| इसके िलए थमर्ल ला मा टेक्नोलॉजी बहुत ही कारगर उपाय है| इस तकनीक के मा यम से खतरनाक और िवषाक्त पदाथ को उ च ताप पर ले जाकर उ ह तोड़कर दसूरे पदाथर् म बदला जा सकता है, काबर्िनक पदाथ को पुन: (500-600 से.) ल ूगसै तथा िन न हाइड्रोकाबर्न गसै म बदला जा सकता है।

    5. रेिडयो फ्रीक्वसी पहचान (RFID) तकनीक :

    यह तकनीक यापक प से अपिश ट प्रबंधन प्रणाली म प्रयोग म लाई जाती है। कूड़देान म लगे माइक्रोिचप की मदद से कूड़ ेकी ि थित का पता लगाया जाता है। जब अपिश ट सगं्रह वाहन घर के सामने से गजुरता है तो वह िचप को कैन कर िसग्नल प्रा त करता है और उस

  • डाटा को घर िवशेष के डाटाबेस से कनेक्ट कर देता है। इस तकनीक के मा यम से सेवा की िनयिमतता और िबल भगुतान सबंंधी परेशािनय को ख म िकया जा सकता है। ऐसे म गलितय की सभंावना नहीं रह जाती। वा तिवक समय सचंार प्रौ योिगकी (RTCT) के साथ सयंुक्त उपयोग से इस डाटा को कभी भी, कहीं भी उपयोग म लाया जा सकता है। 6. जल शुिद्धकरण की वदेशी तकनीक :

    इस तकनीक के उपयोग के वारा हम पेयजल की गणुव ता म सधुार ला सकते है| यह तकनीक दबाव सचंािलत मबे्रन प्रिक्रया के तहत काम करती है| यह हर तरह के छोटे से छोटे घर से लेकर बड़ े तर के पचंायत , क ब आिद के िलए उपयोग िकया जा सकता है| इस प्रिक्रया म सौर ऊजार् का भी उपयोग िकया जा सकता है।

    7. चरणबद्ध तरीके से कचरे का बायोलॉिजकल ट्रीटमट :

    म टी टेज बॉयोलॉिजकल ट्रीटमट (एम एस बी टी) की प्रिक्रया को अपनाकर निदय एवं जिैवक त व को बचाया जा सकता है|  

    हम व छ भारत अिभयान के सफल िक्रया वयन के िलए ऐसे सभी मॉड स को सू मता से परखना होगा| पर तु सफलता के िलए िव ततृ ल ूिप्रटं बनाना ज री है, िजसम तकनीक की अहम भिूमका होगी। समग्र प से व छ भारत अिभयान को लाग ूकरने, उसे तकनीकी प से सु ढ़ बनाने, सरकार व लोग तथा गरै सरकारी सगंठन , रा य इ यािद के प्रयास से आने वाले साल म भारत अव य एक व छ देश बन सकता है और हम वैि वक मानदंड पर उ चता हािसल कर सकत ेह। 

    - सहायक प्रबंधक (िवपणन) शाखा िबक्री कायार्लय, पटना

    रा ट्रीय इ पात िनगम िलिमटेड िवशाखपट्टणम इ पात सयंंत्र

  • व छता अिभयान म िवज्ञान व प्रौ योिगकी का योगदान - ी शोिभत िम तल 

    मेरा भारत महान। इसकी व छता के िलए अिभयान, आओ द परूा योगदान,

    मदद करेगा इसम िवज्ञान, प्रौ योिगकी है वरदान, मेरा भारत महान।

    भारत के प्रधानमतं्री ी नरद्र मोदी ने रा ट्रिपता महा मा गांधी और पूवर् प्रधानमतं्री ी लाल बहादरु शा त्री को द्धांजिल देते हुए िदनांक 2 अक्टूबर 2014 को राजघाट से व छ भारत अिभयान का शुभारंभ िकया था। प्राय: सभी रोग की जड़ म गदंगी ही मखु्य कारण होता है, अत: इसका िनवारण करना अित अिनवायर् है। यह िकसी एक यिक्त या सं था का कायर् नहीं है, अिपतु सभी भारतवािसय की िज मेदारी है और सभी को इसे िनभाना है। इसे एक जन अिभयान का प लेना है। इसम िवज्ञान और प्रौ योिगकी ही सवार्िधक मदद हो सकती है। खुले म शौच करना हमारे देश की ऐसी मजबूरी है, िजसे आजादी के स तर साल बाद भी दरू नहीं िकया जा सका है। इसके िलए धन व इ छाशिक्त दोन का ही िनिहत अभाव रहा है। सरकार प्रित शौचालय पंद्रह हजार पये का अनुदान भी देती है। अनेक सचंार मा यम जसेै मोबाइल, इंटरनेट, रेिडयो, टेलीिवजन, सी.डी., िफ म आिद के मा यम से लोग को जागतृ भी िकया जा रहा है, तािक खुले म शौच की गदंी परंपरा ख म हो, जो न केवल वा य के िलए हािनकारक है, बि क सामािजक कुरीित भी है। आज भारत म ऐसी तकनीक उपल ध है, िजससे जिैवक अपिश ट को पुनचर्क्रण के वारा खाद या क पो ट म आसानी से बदला जा सकता है। इससे िबजली और बॉयो गसै का उ पादन भी असानी से उिचत दाम पर िकया जा सकता है। आज सभी प्रकार के कागज के पुनचर्क्रण वारा दबुारा उसे उपयोग हेतु बनाया जा सकता है। इज़राइल जसेै देश ने तो तकनीकी प्रिक्रया से समदु्र जल को पीने योग्य भी बना िलया है। अब हमारे देश म भी ऐसी मशीन व तकनीक उपल ध ह, जो निदय और नाल से कचरा िनकाल कर साफ कर सकती ह। फैिक्ट्रय से िनकलने वाला कचरा भी पहले प्रदषूण मकु्त करके न�