माँ महागौरी का मंत्र
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मााँ महागौरी का मंत्र
मा देवी सववबू तेषु भाॉ गौयी रूऩेण सॊस्थथता।
नभथतथमै नभथतथमै नभथतथमै नभो नभ:॥
मूऱ मंत्र
श्वेते वषेृ सभारुढा श्वेताम्फयधया शुच ्। भहागौयी शुबॊ दघान्भहादेवप्रभोददा॥
ध्यान मंत्र
वन्दे वाॊछित काभाथे न्राघवकृतशेखयाभ।्
ससॊहारूढा तुबुवजाभहागौयीमशथवीनीभ॥्
ऩणेुन्दछुनबाॊगौयी सोभवक्रस्थथताॊअष्टभ दगुाव त्रिनेिभ।
वयाबीछतकयाॊत्रिशूर ढभरूधयाॊभहागौयीॊबजेभ॥्
ऩटाम्फयऩरयधानाभदृहुाथमानानारॊकायबूषषताभ।्
भॊजीय, काय, केमयू, ककॊ ककणणयत्न कुण्डर भस्ण्डताभ॥्
प्रपुल्र वदनाॊऩल्रवाधयाॊकाॊत कऩोराॊ वैोक्मभोहनीभ।्
कभनीमाॊरावण्माॊभणृाराॊ ॊदन गन्ध सरप्ताभ॥्
स्तोत्र मंत्र
सववसॊकट हॊिीत्वॊहहधन ऐश्वमव प्रदामनीभ।्
ज्ञानदा तुवेदभमी,भहागौयीप्रणभाम्महभ॥्
सुख शाॊछत दािी, धन धान्म प्रदामनीभ।्
डभरूवाघषप्रमा अघा भहागौयीप्रणभाम्महभ॥्
िरैोक्मभॊगरात्वॊहहताऩिमप्रणभाम्महभ।्
वयदा तैन्मभमीभहागौयीप्रणभाम्महभ॥्
कवच मंत्र
ओॊकाय: ऩातुशीषोभाॊ, हीॊ फीजॊभाॊ रृदमो।
क्रीॊफीजॊसदाऩातुनबोगहृो ऩादमो॥
रराट कणो,हूॊ, फीजॊऩात भहागौयीभाॊ नेि घ्राणों।
कऩोर च फकुोपट् ऩातुथवाहा भाॊ सवववदनो॥
बगवती भहागौयी का ध्मान थतोि औय कव का ऩाठ कयने से सोभ क्र जाग्रत होता है, स्जससे रे आ यहे सॊकट से भुस्क्त होती है, ऩारयवारयक दाछमत्व की ऩूछत व होती है व आचथवक सभदृ्चध होती है. भाॊ गौयी भभता की भूछतव भानी जाती हैं जो अऩने बक्तों को
अऩने ऩुि सभान प्रेभ कयती हैं.