त ु म बिन जाएँ कहाँ --- ? मेरे वैसे तो ररतेदार ह अनगिनत, किसी से ररता है ही नही पर | जी हा ! नातेदार ह अनेिानेि, नाता तो है ही नही किसी से | पहचानवाल िी है सया भारी, पर पहचान है नही किसी से | मम-मड़ली है ज़र बड़ी, पर किसीिी है नही ममता सची | देखिर मुि ु राने, मसर हहलानेवाले ह िई, िु ज़रते ह मोच िे िारण िरदन म य ही | ि ु छ ऐसे ह जो चाहते जी से मुझे जान-से बढ़िर ह मै उनिे मलए | बबलि ु ल चाहती ह नही म उह वार सारे उनिे मलए ह सदा बद | िोई वातायान खुला नही िही-िभी छजे पर भी है जाली-िाच िा आवरण | आिमन िे मलए भी, लमी मा िे खुलता तो, सावधानी सहहत ण भर वार | चौखट पर न फ ल न हदी-अत्, दोन ओर सजे रहते नाफ़तमलन बॉल | दरवाज़े पर सदा महिती रहती है हहट-रे िी सु िध, िले म खराश | कफर भी न जाने आते िहा से वे जीव --- िभी हदखाई देते रसोई म बरतन िे बीच |