तुम बिन जाएँ कहाँ

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म बिन जाएँ कहाँ --- ? मेरे वैसे तो रतेदार ह अनगिनत, किसी से ररता है ही नही पर | जी हा ! नातेदार ह अनेिानेि, नाता तो है ही नही किसी से | पहचानवाल िी है सया भारी, पर पहचान है नही किसी से | म-मड़ली है ज़र बड़ी, पर किसीिी है नही ममता सची | देखिर मुि राने, मसर हहलानेवाले ह िई, िज़रते ह मोच िे िारण िरदन म य ही | ि छ ऐसे ह जो चाहते जी से मुझे जान-से बढ़िर ह मै उनिे मलए | बलि ल चाहती ह नही म उह वार सारे उनिे मलए ह सदा बद | िई वातायान खुला नही िही-िभछजे पर भी है जाली-िाच िा आवरण | आिमन िे मलए भी, लमी मा िे खुलता तो, सावधानी सहहत ण भर वार | चौखट पर न फ ल न हदी-अत्, दोन ओर सजे रहते नाफ़तमलन बॉल | दरवाज़े पर सदा महिती रहती है हट-रे िी सु िध, िले म खराश | कफर भी न जाने आते िहा से वे जीव --- िभी हदखाई देते रसोई म बरतन िे बीच |

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Post on 13-Feb-2017

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Entertainment & Humor


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