जॉ - wgi.ooowgi.ooo/blog/wp-content/uploads/2016/07/2rasrang-pg3-0.pdf · 3 Ã डॉ....

1
3 3 3 3 3 3 Ã डॉ. विपुलरॉय राठौड़ एमएस एफएएसजीई, डायरेकर वरड गेएलॉजी इंी, मुंबई सावधानी इंफोाफक जो भी वक लगाार कंपटर ीन के सामनबैठा है, उसे डिडजटल आई न होने का खरा रहा है। डिडजटल आई न को मेडिकल साइंस की भाषा म कंपटर डिजन डसंोम (सीिीएस) कहा जाा है कारण पररणाम समाधान डजल डडवाइस का बहुत जयादा यग करने के साथ ही बार-बार कंे ाडफक और ेक पर धयान केत करना। 5 1 ियस इस समसया से िरमान समय म वसर है... 8 से 18 साल क की उ के बे 1990 की ुलना म अब 17.5 घंट जादा ि एक सपाह म डिडजटल डििाइस के साथ डबाे ह। डिडजटल कंटनट हजार डिसलस से डमलकर बना है, डजसकी िजह से आंख म नाि और थकान बढ़ा है। डजसे डिकसलेसन कहे ह। घंे से जयादा समय डडजल डडवाइस का यग करने से आंख का लाल हना या खुजली हना, धुंधला डदखाई देना, आंख म सखापन, कमर दद, गदन म दद, डसरदद की डिकायत ह सकती है। औसन वक 1 डमनट म 18 बार िलक झिकाा है। कंपटर ा अन डिडजटल डििाइस का ोग करने से 50 फीसदी कम हो जाी है। लगाार आंख म थकािट की िजह से डसरदद होने लगा है। छोटी इमेज और फाॅनट से सामान थकािट की समा हो सकी है। 1 आंख को यनेस से बचने के लिए पयम म पनी पीन चलिए थ जूस जैसे रि पदथ िने चलिए। लिलजटि लिवइस क योग आंख से पयप दूरी से करन चलिए, लिलजटि लिवइस को आंख से िगभग 50 से 100 सटी मीटर दूर रखन चलिए। मोबइि क ट सइज और उजर सेलटंग बड अर म रखन चलिए, लक आंख को पयप आरम लमि सके। तयेक 20 लमनट म अपनी लिलजटि लिवइस से दूर िोन चलिए थ 20 सेकि क कोई अनय चीज िगभग 20 लिट दूर की देखन चलिए। 2 3 4 गडमय के मौसम म जॉडस की बीमारी जयादा हती है। जाडनए यह बीमारी कया है तथा इस बीमारी क कैसे खुद से दर रख सकते ह डस (पीडलया) डलवर संबंधी बीमारी है। यह बीमारी रकत म डबलबीन की माा बढ़ जाने के कारण हती है। सामायत: िरीर म डबलबीन का तर 0.2 से 1.2 mg/dl से कम हता है लेडकन जब यह 3 mg/dl से बढ़ जाता है, त जॉडस (पीडलया) क पहचाना जा सकता है। इसके हने पर तवचा का रंग पीला ह जाता है, तवचा डचपडचपी ह जाती है और आंख पीली नजर आने लगती ह। इसके अलावा पे म दद व सजन, उरी आना, जी मचलाना, कमजरी, डसरदद, भख न लगना और बैचेनी जैसे लण मुखता से महसस हने लगते ह। सामायत: जॉडस (पीडलया) द कार के हते ह सडजकल जॉडस और मेडडकल जॉडस। जॉ मेडडकल जॉडस म हेपेाइडस (डलवर म सजन) आ रही हती है। हेपेाइडस जयादातर मामल म वायरल इंफेकिन के कारण हता है, हेपेाइडस के मुखय पांच कार : हेपेाइडस ए, बी, सी, डी और ई ह। इसके साथ ही एरकहल लेने, दवाइय के सेवन, बैकीररया इंफेकिन के कारण भी हेपेाइडस ह सकता है। बहुत कम हने वाले हेपेाइडस के कार म डलवर मेाबॉडलक डसंम या ऑइमयन हेपेाइडस भी हते ह। जद शकर सेवन, हरल सपलमट औरहुत जद ववटवमन ए लेने से भ वलवर ो नुसन पहुंचत है। इस जॉडस म डप वाडहनी और डलवर से डप के वाडहत हने म बाधा आती है। इस जॉडस के हने का मुख कारण डपािय की पथरी (गाल बलाडर न) के डप वाडहनी म डखसक जाने के कारण हता है। मर या कसर भी डप वाडहनी, डपािय (गाल बलाडर) अगयािय (पैीयास) क भाडवत करता है। सडजकल जॉडस की जांच के डलए पे की अरासाउंड जांच की जाती है। एडकडपक अरासाउंड अबकव जॉडस हने की सही वजह पहचान लेता है। पहचानने के बाद डपािय म से पतथर क अलग कर डदया जाता है, यडद डप वाडहनी, डपािय या अगयािय म कसर हता है त डप वाडहनी म बाधा आती है। ऐसे म पलाक या मेल की स (जाली) लगा दी जाती है। मेडिकलजॉनिस साधारण तिचा िडला के दौरान तिचा ऐसेबचावडकयाजासकताहै खानेमइहशाडमलकरनाफायदेमंद जॉनिससंबंधीयेजांचहजरी... 1 वस भ सवस संरंध समस े वलए दवएं डॉकटर सलह अनुसर लेने से वलवर खरर होने और अनजने म दवई ओवरडोज लेने े रण होने वल समसेरोवसस ज 6 पड (गलोज 6 फॉसफेट डहइोगेनेज) से रच सते ह। 2 द और शरर संरचन े वहसर से वजन संतुवलत रखन चवहए। 3 अनोटेकटेड इंटरोस इवेनस ग े उपोग से दर रहन चवहए। सथ ह रकत देते लेते सम और सुई ोग रते सम पर सवधन रखन चवहए। इससे हेपेटइवटस र हेपेटइवटस स े खतरे ो म र सते ह। 4 जहं हेपेटइवटस होने खतर जद हो ऐस जगह रने से पहले हेपेटइवटस ए और र वैकसन ( ट) लगव लेन चवहए। हेपेटइवटस स वलए ोई वैकसन उपलबध नह है। 5 दवित पन और दवित भोजन सेवन हेपेटइवटस ए े खतरे ो रढ़ देत है। 6 जहं मलेररमर फैल हो ऐस जगह रते सम मलेर से रचने े वलए आवश दवएं और सवधन रतन चवहए। 7 सवजल जॉनडस से रच नह ज सत है, कव इसे होने रद ह इस पत चलत है। इससे रचने े वलए वपश पथर समसे दर रहन चवहए। वजसे वलए पपत म म पन पन, फइरर ुकत अनज सेवन फदेमंद है। बलड े के माधयम से सीबीसी, डलवर फंकिन े डजससे डबडलबीन का तर, पेडडस, की जांच की जाती है। गभवती मडहला के डलए भी यह े आवशयक है। इसके अलावा पे की अरासाउंड जांच, कंपयराइजड माफी, सीी कैन, कल-साइंीाफी हाइडा कैन, मैेडक रीसनेस इमेडजंग (एमआरआई), एंडकडपक अरासाउंड, एंडकडपक रेेकलांडगय पेएाफी (ईआरसीपी) आडद जांच की जाती है। Áवनवमत तौर पर 1 वगलस टमटर जस ल वमच और नम डलर पन फदेमंद होत है। नवजत वशशु म वद जॉनडस े लण हो तो ेसटफवडंग रने वल मत ो भ रोजन सुरह ए वगलस टमटर जस पन चवहए। Áआरन और ैनसम जॉनडस से लड़ने े वलए जर है, इसवलए इन दोन ततव से ुकहोने े रण छंछ सेवन रन फदेमंद है। Áपपत खने से एंजइम एरुवमन सतर संतुवलत रहत है। 1 2 3 4 5 हेपेटाइटस (A) वायरल हेपेाइडस ए दडित पानी और भजन के कारण हता है। हेपेाइडस ए से संडमत वयकत के संपक म आने से भी ह सकता है। हेपेटाइटस (B) हेपेाइडस बी इंजेकिन डसररंज, संडमत खन चढ़ाने, यौन संमण, संडमत वयकत का रेज़र इतेमाल करने से ह सकता है। हेपेटाइटस (C) हेपेाइडस सी से संडमत वयकत के साथ सेकसुअल रलेिन, अनेकेड इंरकस, इंजेकिन ग यग करने से हता है। हेपेटाइटस (D) इसे डेरा हेपेाइडस भी कहते ह। डजन लग क हेपेाइडस बी और सी ह चुका हता है, उह ही इसका संमण हता है। हेपेटाइटस (E) जयादा गंदगी वाली जगह पर दडित पानी से इस संमण कफैलने का खतरा हता है। अधपके मांस क खाने के कारण भी यह ह सकती है। सडजकलजॉनिस जवाब सवाल Ã डॉ. ाश िेमगल कंसर पीडडयाीडियन एंडडकल केयर पेिडल, फडस हॉपल बंगलु मेरी ीन साल की बेटी को बार-बार रीनरी ट इंफेन की डका होी है। मुझे ा करना चाडहए? }राविा, 32 िर बीानेजवाब सामायत: यरीनरी क इंफेकिन की समया एक बार पहचानने के बाद भावी तरीके से इलाज करने और एंीबायडक देने से अकसर दबारा नह हता है। पहचानने की कडिि कीडजए कह वम इफेिन (कृडम संमण), कबज, एडसड ररफलकस के भी लण त नह ह। डनयडमत यरीन े और सही एंीबायडक से यीआई की समया ठीक ह सकती है। इसडलए अपनी बेी की यरीनरी क इंफेकिन संबंधी आवशयक जांच कराइए। बार-बार यरीनरी क इंफेकिन की समया डकडनी या यरेर (मवाडहनी) की पथरी का लण ह सकता है। इसके साथ ही पे म दद, उरी आना, बुखार आना, यरीन के साथ बलड आना भी इसके लण ह। बी के जेडनल एररया क नहाते और ॉयले जाते समय पानी और माइरड सप से डनयडमत तौर पर साफ करना चाडहए। साथ ही सफाई के डत उसे ये सीख दीडजए। इसके साथ ही पयापत पानी पीना और यरीन क जयादा समय तक नह रकना चाडहए। बे को रीनरी ट इंफेन होने िर ा घरेल उिचार ाथडमक ौर िर अिनाए जा सके ह? }िण, 40 िर नागपुजवाब यरीनरी क इंफेकिन के लण यडद डपछले 24 घंे सनजर आ रहे ह त बे क जयादा से जयादा पानी, फल का जस जैसे डलकवड फूड का सेवन करने के डलए कहना चाडहए। इससयरीन के माधयम से बैकीररया बाहर डनकल जाते ह। इस दौरान बे क कैफीन युकत पदाथ जैसे चाय, कॉफी तथा काबनेेड डंक जैसे करड डंक नह पीने देना चाडहए। रीनरी ट इंफेन का ा इलाज है? }पजा, 34 िर खरगौन जवाब यरीनरी क इंफेकिन हने पर डॉकर बे के िरीर म डकस कार के बैकीररया और इंफेकिन ह, इसके आधार पर एंीबायडक दवाएं देता है। दवाएं देने के कुछ डदन बाद डॉकर दबारा यरीन े करता है, ये जानने के डलए कह इंफेकिन दबारा त नह ह गया। यीआई इंफेकिन ठीक ह जाने के बाद भी बे क डॉकर ारा दी गई दवाएं देना चाडहए। पयापत दवा का कस परा न करने से दबारा इंफेकिन ह सकता है। यीआई यानी यरीनरी क इंफेकिन की समया ब क भी ह सकती है, उह यह कय हता है तथा कैसे सुरडत रखा जा सकता है जाडनए... लकोरिा वजाइनल डडचाज की समया का भाव िारीरक और मानडसक वाय पर पड़ता है। जानते ह यह समया कया है? कय हती है? और इससे आप कैसे बच सकती ह ही नह परी दुडनया म हर उ के मडहला के बीच सबसे आम बीमारी रयकरया की समया है, इसे सफेद पानी जाना भी कहते ह। ऐसी थडत म मडहला के गुपतांग से सफेद रंग के डलकवड का ाव हता है। सामाय ाव और रयकरया के बीच अंतर हता है। रयकरया द कार का हता है डफडजयलॉडजकल रयकरया तथा इफलेमेरी या पैथालाॅडजकल रयकरया। Ã डॉ. जयतसना गुपरा ी रग डविेि, डदरली देश डफडजयोलॉडजकललयकोररया इलेमेटरीलयकोररया यह रयकरया की सामाय अवथा है, हामन के तर म परवतन के कारण इस तरह का ाव (डडचाज) हता है। यह थडत गभावथा के िुआती समय म, सेकसुअल एकसाइम, लड़डकय म युवावथा म ह सकता है। जम के एक सपताह बाद तक (मातृतव के एजन हामन के कारण) नवजात बी क भी ह सकता है। ऐसी थडत म ाव पीले रंग का और दुगध भरा ह सकता है। थकान, डसरदद, खुजली, कबज, पे म मरड़ या दद, डपंडली और कमर म दद हना ये लण इफलमेरी या पैथालाॅडजकल रयकरया के लण ह। इस तरह के लण डदखाई देने पर डॉकर से संपक करना चाडहए 1 2 कयाहैकारण बचावकेडलएजरीबात ाकृडतकउपचार Áपिण आहार की कमी, अवचछता Áगभािय म कई च या गभावथा के समय डकसी डि (ऊतक) म च आना। Áयरीनरी क इंफेकिन Áबैकीररया या डकसी अय फंगल इंफेकिन। Áवजाइनल कासेपव के यग से हने वाली जलन के कारण। Áपानर के एकसनल कासेपव के यग करने से हने वाली जलन के कारण। Áडायबीडज या एनीडमया। 1 पयापत वचछता रखनी चाडहए। इसके डलए पानी और अचछी कवाडली के फेमडनन वॉि से जेनेडल एररया की रजाना सफाई करना चाडहए। आरामदायक अंतव क पहनना, सेफ और हेरदी सेकस रयकररया (सफेद पानी) के खतरे क कम करता है। 2 खाने म पयापत पिण आहार लेना चाडहए ताडक िरीर म कमजरी न रहे और डकसी पिक ततव की कमी न ह। 3 मसालेदार खाने की चीज के सेवन से बचना चाडहए। 4 वहाइ सुगर ( िककर) से बनी चीज के सेवन से बचना फायदेमंद है। 5 डन या केडबबा बंद खाने के सेवन से बडचए। 6 मैदे से बने खा पदाथ का सेवन करने से बचना चाडहए। हाइथैरेपी/ वहप बाथ/ लड बाथ िजाइन े म बलड स्लेशन बेहररा है, ठंडे पानी से नहाने से पे म रकर े जमाि ी सथवर म इस हाइथैरेपी अपनाने से लयररया ी समसया म आराम वमलरा है। Ã डॉ. हेमंर चरुिदी दय रग डविेि, जयपुर हाइपिटशन 50 वि की आयु से पव मडहला की अपेा पुि म हाइपरिन की डिकायत जयादा पायी जाती है दय िरीर के सभी अंग क रकत पहुंचाने का काय करता है। इसी रकतवाह के समय दय एक दबाव पैदा करता है, इस दबाव क बलड ेिर कहते ह। एक सेहतमंद पुि के डलए बलड ेिर डसकुड़ने के समय 120 mmhg हता है और आराम डक थडत म 80 mmhg हता है। जब डसॉडलक (जब दय डसकुड़ता) बलड ेिर140 mmhg या इससे ऊपर और डाइयॉडलक (जब दय फैलता)बलड ेिर 90 mmhg या इससे ऊपर ह जाता है, त उसे हाइपरिन कहते है। वयकत का बलड ेिर जयादा काम करने, भय, डचंता, िक, ध, वयायाम आडद अवथा म रकतचाप कुछ समय के डलए बढ़ जाता है। इसीडलए अगर डकसी वयकत का रकतचाप, सामाय थडत म डनयडमत प से जयादा आता है तब डॉकर उसे हाइपरिन कहते ह। हाइपरिन का अडधकांि लग म कई खास लण नह हता है। जब ये काफी बढ़ जाता है त डसरदद, धुंधला डदखाई देना, गदन म दद, चककर आना, िरीर म गम का अहसास, जी घबराना, उरी आना, नकसीर फूना, सांस फूलना, अडनयडमत धड़कन, गुद का कम काम करना जैसे लण डदखाई देने लगते ह। लंब समय तक बलड ेिर बढ़े रहने से रकत नडलका की दीवार मी एवं कठर ह जाती है। उनम कलेॉल का जमाव बढ़ जाता है डजससे हा अक की आिंका कई गुना बढ़ जाती है। डदमाग की रकत नाडलकाओ म दबाव बढ़ जाने से क का खतरा बढ़ जाता है। डदमागी पाघात हने का खतरा बढ़ जाता है। 1 डि डाइ ( डाइी एच ू ॉप हाइपरिन) जैसे पयापत मा अनाज, फल,सबज़यां खाना चाडहए तथा वसा युकत खा पदाथ कम लेना चाडहए। इससे 14 mm Hg तक बलड ेिर कम डकया जा सकता है। 2 नाररयल पानी पेडियम से भरपर हता है तथा हाइपरिन से बचने के डलए इसे पीना फायदेमंद है। 3 30 वि की आयु के बाद और अगर वजन जयादा है या पररवार म डकसी क उ रकतचाप है, त 20 वि की आयु के बाद साल म कम से कम एक बार रकतचाप डक जांच डॉकर से कराना चाडहए। 4 आहार म नमक की माा क डनयंडत करके 2-8 mmHg तक बलड ेिर क कम डकया जा सकता है। सामाय लग क 5 ाम से कम तथा हाइपरडसव मरीज क 2ाम से कम माा म नमक का उपयग आहार म करना चाइए। 5 आंवला रकत नडलका के लचीलेपन क बनाए रखकर बलड ेिर क बढ़ने नह देता है। इसका सेवन कीडजए। 6 75 डतित सडडयम हमारे खाने म सेड एवं केड फूड, मार कैचप, सप, डचपस म हता है। बाजार म डमलने वाले सेड फूड के पैके पर लगे लेबल पर इसकी माा जांच लीडजए। साथ ही इनका सेवन कम करना चाडहए। लण बचावकेडलएआवशयकउपाय परयम,डियोिरट केजयादायाेगसे बचनाचाडहएकयडयहलयकोररयाकी समसयाकोबढ़ा सकताहै। र : www.dailyinfographic.com

Upload: hoangmien

Post on 20-Mar-2018

231 views

Category:

Documents


3 download

TRANSCRIPT

  • 333333

    Ã डॉ. विपुलरॉय राठौड़एमएस एफएएसजीई, डायरेक्टर वरड्ड गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी इंस््टीट्यू्ट, मुंबई

    सावधानीइंफोग्ाफफक

    जो भी व्यक्ति लगातिार कंप्ययूटर स्क्ीन के सामने बैठतिा है, उसे डिडजटल आई स्ट्रेन होने का खतिरा रहतिा है। डिडजटल आई स्ट्रेन को मेडिकल साइंस की भाषा में कंप्ययूटर डिजन डसंड्ोम (सीिीएस) कहा जातिा है

    कारण

    पररणाम

    समाधान

    डडडज्टल डडवाइस का बहुत जयादा प्रयरोग करने के साथ ही बार-बार कं्टेन््ट ग्ाडफक और ्टेकस््ट पर धयान केन्न्रित करना।

    5 में 1ियस्क इस समसया से िर्तमान समय में

    ग्रवसर है...

    8 से 18 साल तिक की उम्र के बच्े 1990 की तिुलना में अब 17.5 घंटरे ज्यादा ि्ति एक सपतिाह में डिडजटल डििाइस के साथ डबतिातिे हैं।डिडजटल कंटरेनट हजारों डि्सलस से डमलकर बनतिा है, डजसकी िजह से आंखों में तिनाि और थकान बढ़तिा है। डजसे डिक्सलेसन कहतिे हैं।

    घं्टे से जयादा समय डडडज्टल डडवाइस का प्रयरोग करने से आंखों का लाल हरोना या खुजली हरोना, धुंधला डदखाई देना, आंखों में सयूखापन, कमर दद्द, गद्दन में दद्द, डसरदद्द की डिकायत हरो सकती है।

    औसतिन व्यक्ति 1 डमनट में 18 बार िलक झिकातिा है। कंप्ययूटर ्या अन्य डिडजटल डििाइस का प्र्योग करने से 50 फीसदी कम हो जातिी है।

    लगातिार आंखों में थकािट की िजह से डसरदद्द होने लगतिा है। छोटी इमेज और फाॅनट से सामान्य थकािट की समस््या हो सकतिी है।

    1 आंखों को ड्रायनेस से बचराने के लिए पयरायाप्त मरात्रा में परानी पीनरा चरालिए ्तथरा जूस जैसे ्तरि पदराथया िेने चरालिए।

    लिलजटि लिवराइस करा प्रयोग आंखों से पयरायाप्त दूरी से करनरा चरालिए, लिलजटि लिवराइस को आंखों से िगभग 50 से 100 सेंटी मीटर दूर रखनरा चरालिए।मोबराइि करा फ्रंट सराइज और ब्राउजर सेलटंग बड़े अक्षरों में रखनरा चरालिए, ्तरालक आंखों को पयरायाप्त आरराम लमि सके।प्रतयेक 20 लमनट में अपनी लिलजटि लिवराइस से दूर िोनरा चरालिए ्तथरा 20 सेकेंि ्तक कोई अनय चीज िगभग 20 लिट दूर की देखनरा चरालिए।

    2

    3

    4

    गडम्दयों के मौसम में जॉन्न्डस की बीमारी जयादा हरोती है। जाडनए यह बीमारी कया है तथा इस बीमारी करो कैसे खुद से दयूर रख सकते हैं

    न्न्डस (पीडलया) डलवर संबंधी बीमारी है। यह बीमारी रकत में डबलरूबीन की मात्ा बढ़ जाने के कारण हरोती है। सामान्यत: िरीर में डबलरूबीन का स्तर 0.2 से 1.2 mg/dl से कम हरोता है लेडकन जब यह 3 mg/dl से बढ़ जाता है, तरो जॉन्न्डस (पीडलया) करो पहचाना जा सकता है। इसके हरोने पर तवचा का रंग पीला हरो जाता है, तवचा डचपडचपी हरो जाती है और

    आंखें पीली नजर आने लगती हैं। इसके अलावा पे्ट में दद्द व सयूजन, उर्टी आना, जी मचलाना, कमजरोरी, डसरदद्द, भयूख न लगना और बैचेनी जैसे लक्षण प्रमुखता से महसयूस हरोने लगते हैं। सामान्यत: जॉन्न्डस (पीडलया) दरो प्रकार के हरोते हैं सडज्दकल जॉन्न्डस और मेडडकल जॉन्न्डस।

    जॉ

    मेडडकल जॉन्न्डस में हेपे्टाइड्टस (डलवर में सयूजन) आ रही हरोती है। हेपे्टाइड्टस जयादातर मामलों में वायरल इंफेकिन के कारण हरोता है, हेपे्टाइड्टस के मुखय पांच प्रकार : हेपे्टाइड्टस ए, बी, सी, डी और ई हैं। इसके साथ ही एरकरोहल लेने, दवाइयों के सेवन, बैक्टीररया इंफेकिन के कारण भी हेपे्टाइड्टस हरो सकता है। बहुत कम हरोने वाले हेपे्टाइड्टस के प्रकार में डलवर मे्टाबॉडलक डसंड्रोम या ऑ्टरोइमययून हेपे्टाइड्टस भी हरोते हैं। ज्यादया शक्कर ्कया सेवन, हर्बल सपललीमेंट और रहुत ज्यादया ववटयावमन ए लेने से भली वलवर ्को नु्कसयान पहुंचतया है।

    इस जॉन्न्डस में डपत्त वाडहनी और डलवर से डपत्त के प्रवाडहत हरोने में बाधा आती है। इस जॉन्न्डस के हरोने का प्रमुख कारण डपत्तािय की पथरी (गाल बलाडर स््टरोन) के डपत्त वाडहनी में डखसक जाने के कारण हरोता है। ट्यूमर या कैंसर भी डपत्त वाडहनी, डपत्तािय (गाल बलाडर) अगन्यािय (पैन्क्ीयास) करो प्रभाडवत करता है। सडज्दकल जॉन्न्डस की जांच के डलए पे्ट की अरट्ासाउंड जांच की जाती है। एन्डरोस्करोडपक अरट्ासाउंड अबस्ट्न्क्टव जॉन्न्डस हरोने की सही वजह पहचान लेता है। पहचानने के बाद डपत्तािय में से पतथर करो अलग कर डदया जाता है, यडद डपत्त वाडहनी, डपत्तािय या अगन्यािय में कैंसर हरोता है तरो डपत्त वाडहनी में बाधा आती है। ऐसे में पलान्स््टक या मे्टल की सें्ट (जाली) लगा दी जाती है।

    मेडिकल जॉन्िस

    साधारण तिचा

    िीडल्या के दौरान तिचा

    ऐसे बचाव डकया जा सकता है

    खाने में इ्हें शाडमल करना फायदेमंद

    जॉन्िस संबंधी ये जांच हैं जरूरी...

    1 व्कसली भली सवयास्थ् संरंधली समस्या ्के वलए दवयाएं डॉकटर ्कली सलयाह अनुसयार लेने से वलवर खरयार होने और अनजयाने में दवयाई ्कया ओवरडोज लेने ्के ्कयारण होने वयालली समस्या सेरोवसस ्या जली 6 पलीडली (गललू्कोज 6 फॉसफेट डलीहयाइड्ोगेनेज) से रच स्कते हैं।

    2 ्कद और शयारलीरर्क संरचनया ्के वहसयार से वजन संतुवलत रखनया चयावहए।3 अनप्ोटेकटेड इंटर्कोस्ब ्या इन्ट्यावेनस ड्ग ्के उप्ोग से दलूर रहनया चयावहए। सयाथ हली

    रकत देते ्या लेते सम् और सुई ्कया प््ोग ्करते सम् पलूरली सयावधयानली रखनली चयावहए। इससे हेपेटयाइवटस रली ्या हेपेटयाइवटस सली ्के खतरे ्को ्कम ्कर स्कते हैं।

    4 जहयां हेपेटयाइवटस होने ्कया खतरया ज्यादया हो ऐसली जगह ्कली ्यात्या ्करने से पहले हेपेटयाइवटस ए और रली ्कया वैकसलीन ( टली्कया) लगवया लेनया चयावहए। हेपेटयाइवटस सली ्के वलए ्कोई वैकसलीन उपलबध नहीं है।

    5 दलूवित पयानली और दलूवित भोजन ्कया सेवन हेपेटयाइवटस ए ्के खतरे ्को रढ़या देतया है।6 जहयां मलेरर्या ्कली रलीमयारली फैलली हो ऐसली जगह ्कली ्यात्या ्करते सम् मलेरर्या से रचने

    ्के वलए आवश््क दवयाएं और सयावधयानली ररतनली चयावहए।7 सवज्ब्कल जॉनन्डस से रचया नहीं जया स्कतया है, क्ोंव्क इस्के होने ्के रयाद हली इस्कया

    पतया चलतया है। इससे रचने ्के वलए वपत्याश् ्कली पथरली ्कली समस्या से दलूर रहनया चयावहए। वजस्के वलए प्या्बपत मयात्या में पयानली पलीनया, फयाइरर ्ुकत अनयाज ्कया सेवन फया्देमंद है।

    बलड ्टेस््ट के माधयम से सीबीसी, डलवर फंकिन ्टेस््ट डजससे डबडलरूबीन का स्तर, पेन्न्क्ड्टड्टस, की जांच की जाती है। गभ्दवती मडहलाओं के डलए भी यह ्टेस््ट आवशयक है। इसके अलावा पे्ट की अरट्ासाउंड जांच, कंपययू्टराइजड ्टरोमरोग्ाफी, सी्टी स्कैन, करोल-साइं्टीग्ाफी हाइडा स्कैन, मैग्ेड्टक रीसरोनेन्स इमेडजंग (एमआरआई), एंडरोस्करोडपक अरट्ासाउंड, एंडरोस्करोडपक रेट्रोग्ेड करोलांडगयरो पेन्न्क्ए्टरोग्ाफी (ईआरसीपी) आडद जांच की जाती है।

    Áवन्वमत तौर पर 1 वगलयास टमयाटर ्कया जलूस ्कयालली वमच्ब और नम्क डयाल्कर पलीनया फया्देमंद होतया है। नवजयात वशशुओं में ्वद जॉनन्डस ्के लक्षण हो तो ब्ेसटफलीवडंग ्करयाने वयालली मयातयाओं ्को भली रोजयानया सुरह ए्क वगलयास टमयाटर ्कया जलूस पलीनया चयावहए।Áआ्रन और ्कैन्स्म जॉनन्डस से लड़ने ्के वलए जरूरली है, इसवलए इन दोनों ततवों से ्ुकत होने ्के ्कयारण छयांछ ्कया सेवन ्करनया फया्देमंद है। Áपपलीतया खयाने से एंजयाइम ए्रुवमन ्कया सतर संतुवलत रहतया है।

    1

    2

    3

    4

    5

    हेपेटाइटटस (A) वायरल हेपे्टाइड्टस ए दयूडित पानी और भरोजन के कारण हरोता है। हेपे्टाइड्टस ए से संक्डमत वयन्कत के संपक्क में आने से भी हरो सकता है।

    हेपेटाइटटस (B) हेपे्टाइड्टस बी इंजेकिन डसररंज, संक्डमत खयून चढ़ाने, यौन संक्मण, संक्डमत वयन्कत का रेज़र इस्तेमाल करने से हरो सकता है।

    हेपेटाइटटस (C) हेपे्टाइड्टस सी से संक्डमत वयन्कत के साथ सेकसुअल ररलेिन, अनप्ररो्टेक्टेड इं्टरकरोस्द, इंजेकिन ड्ग प्रयरोग करने से हरोता है।

    हेपेटाइटटस (D) इसे डेर्टा हेपे्टाइड्टस भी कहते हैं। डजन लरोगों करो हेपे्टाइड्टस बी और सी हरो चुका हरोता है, उन्हें ही इसका संक्मण हरोता है।

    हेपेटाइटटस (E) जयादा गंदगी वाली जगहों पर दयूडित पानी से इस संक्मण के फैलने का खतरा हरोता है। अधपके मांस करो खाने के कारण भी यह हरो सकती है।

    सडजजिकल जॉन्िस

    जवाबसवाल

    Ã डॉ. प्र्काश िेमगलकंसर्टें्ट पीडडयाट्ीडियन एंड डक्ड्टकल केयर स्पेिडलस््ट, फरोड्ट्डस हॉन्स्प्टल बंगलुरू

    मरेी तिीन साल की बटेी को बार-बार ्ययूरीनरी ट्र्ै ट इफंे् ्शन की ड्शका्यति होतिी ह।ै मझु े् ्या करना चाडहए? }रावि्का, 32 िर्त बी्कानेर

    जवाब सामान्यत: ययूरीनरी ट्रैक्ट इंफेकिन की समस्या एक बार पहचानने के बाद प्रभावी तरीके से इलाज करने और एं्टीबायरोड्टक देने से अकसर दरोबारा नहीं हरोता है। पहचानने की करोडिि कीडजए कहीं वम्द इन्फेस््टरैिन (कृडम संक्मण), कबज, एडसड ररफलकस के भी लक्षण तरो नहीं हैं। डनयडमत ययूरीन ्टेस््ट और सही एं्टीबायरोड्टक से ययू्टीआई की समस्या ठीक हरो सकती है। इसडलए अपनी बे्टी की ययूरीनरी ट्रैक्ट इंफेकिन संबंधी आवशयक जांच कराइए। बार-बार ययूरीनरी ट्रैक्ट इंफेकिन की समस्या डकडनी या ययूरे्टर (मयूत्वाडहनी) की पथरी का लक्षण हरो सकता है। इसके साथ ही पे्ट में दद्द, उर्टी आना, बुखार आना, ययूरीन के साथ बलड आना भी इसके लक्षण हैं। बच्ी के जेडन्टल एररया करो नहाते और ्टॉयले्ट जाते समय पानी और माइरड सरोप से डनयडमत तौर पर साफ करना चाडहए। साथ ही सफाई के प्रडत उसे ये सीख दीडजए। इसके साथ ही पया्दपत पानी पीना और ययूरीन करो जयादा समय तक नहीं ररोकना चाडहए।

    बच्े को ्ययूरीनरी ट्रै्ट इंफे््शन होने िर ््या घरेलयू उिचार प्राथडमक तिौर िर अिनाए जा सकतिे हैं?}श्रिण, 40 िर्त नागपुर

    जवाब ययूरीनरी ट्रैक्ट इंफेकिन के लक्षण यडद डपछले 24 घं्टे से नजर आ रहे हैं तरो बच्े करो जयादा से जयादा पानी, फलों का जयूस जैसे डलन्कवड फूड का सेवन करने के डलए कहना चाडहए। इससे ययूरीन के माधयम से बैक्टीररया बाहर डनकल जाते हैं। इस दौरान बच्े करो कैफीन युकत पदाथ्द जैसे चाय, कॉफी तथा काबबोने्टेड डड्ंक जैसे करोरड डड्ंक नहीं पीने देना चाडहए।

    ्ययूरीनरी ट्रै्ट इंफे््शन का ््या इलाज है?}पूजा, 34 िर्त खरगौनजवाब ययूरीनरी ट्रैक्ट इंफेकिन हरोने पर डॉक्टर बच्े के िरीर

    में डकस प्रकार के बैक्टीररया और इंफेकिन हैं, इसके आधार पर एं्टीबायरोड्टक दवाएं देता है। दवाएं देने के कुछ डदन बाद डॉक्टर दरोबारा ययूरीन ्टेस््ट करता है, ये जानने के डलए कहीं इंफेकिन दरोबारा तरो नहीं हरो गया। ययू्टीआई इंफेकिन ठीक हरो जाने के बाद भी बच्े करो डॉक्टर द्ारा दी गई दवाएं देना चाडहए। पया्दपत दवाओं का करोस्द पयूरा न करने से दरोबारा इंफेकिन हरो सकता है।

    ययू्टीआई यानी ययूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्टिन की समस्या बच्ों करो भी हरो सकती है, उन्हें यह कयों हरोता है तथा कैसे सुरडक्षत रखा जा सकता है जाडनए...

    ल्यूकोरि्ा वजाइनल डडस्चाज्द की समस्या का प्रभाव िारीररक और मानडसक स्वास््थय पर पड़ता है। जानते हैं यह समस्या कया है? कयों हरोती है? और इससे आप कैसे बच सकती हैं

    ही नहीं पयूरी दुडनया में हर उम्र के मडहलाओं के बीच सबसे आम बीमारी रययूकरोररया की समस्या है, इसे सफेद पानी जाना भी कहते हैं। ऐसी न्स्थडत में मडहला के गुपतांग से सफेद रंग के डलन्कवड का स्त्ाव हरोता है। सामान्य स्त्ाव और रययूकरोररया के

    बीच अंतर हरोता है। रययूकरोररया दरो प्रकार का हरोता है डफडजयरोलॉडजकल रययूकरोररया तथा इन्फलेमे्टरी या पैथालाॅडजकल रययूकरोररया।

    Ã डॉ. जययोतसना गुपरास्त्ी ररोग डविेिज्ञ, डदरली

    देश

    डफडजयोलॉडजकल लययूकोररया

    इ््फलेमेटरी लययूकोररया

    यह रययूकरोररया की सामान्य अवस्था है, हामबोन के स्तर में पररवत्दन के कारण इस तरह का स्त्ाव (डडस्चाज्द) हरोता है। यह न्स्थडत गभा्दवस्था के िुरूआती समय में, सेकसुअल एकसाइ्टमें्ट, लड़डकयों में युवावस्था में हरो सकता है। जन्म के एक सपताह बाद तक (मातृतव के एस्ट्रोजन हामबोन के कारण) नवजात बच्ी करो भी हरो सकता है।

    ऐसी न्स्थडत में स्त्ाव पीले रंग का और दुगगंध भरा हरो सकता है। थकान, डसरदद्द, खुजली, कबज, पे्ट में मररोड़ या दद्द, डपंडली और कमर में दद्द हरोना ये लक्षण इन्फलमे्टरी या पैथालाॅडजकल रययूकरोररया के लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण डदखाई देने पर डॉक्टर से संपक्क करना चाडहए

    1

    2

    कया है कारण बचाव के डलए जरूरी बातें प्ाकृडतक उपचारÁपरोिण आहार की कमी, अस्वचछताÁगभा्दिय में करोई चरो्ट या गभा्दवस्था के समय डकसी ड्टियू (ऊतक) में चरो्ट आना।Áययूरीनरी ट्रैक्ट इंफेकिनÁबैक्टीररया या डकसी अन्य फंगल इंफेकिन।Áवजाइनल कान्ट्सेन्प्टव के प्रयरोग से हरोने वाली जलन के कारण।Áपा्ट्डनर के एकस्टन्दल कान्ट्सेन्प्टव के प्रयरोग करने से हरोने वाली जलन के कारण।Áडायबीड्टज या एनीडमया।

    1 पया्दपत स्वचछता रखनी चाडहए। इसके डलए पानी और अचछी कवाडल्टी के फेमडनन वॉि से जेनेड्टल एररया की ररोजाना सफाई करना चाडहए। आरामदायक अंत्दवस्त्ों करो पहनना, सेफ और हेरदी सेकस रययूकरोररया (सफेद पानी) के खतरे करो कम करता है।2 खाने में पया्दपत परोिण आहार लेना चाडहए ताडक िरीर में कमजरोरी न रहे और डकसी

    परोिक ततव की कमी न हरो।3 मसालेदार खाने की चीजों के सेवन से बचना चाडहए।4 वहाइ्ट सुगर ( िककर) से बनी चीजों के सेवन से बचना फायदेमंद है।5 ड्टन या केन्ड डडबबा बंद खाने के सेवन से बडचए।6 मैदे से बने खाद्य पदाथथों का सेवन करने से बचना चाडहए।

    हाइड्योथैरेपी/ वहप बाथ/ ्कयोलड बाथ िजाइन क्ेत्र में बलड स्क्कुलेशन ्कयो बेहरर ्कररा है, ठंडे पानी से नहाने से पेड़ू में रकर ्के जमाि ्की ससथवर में इस हाइड्योथैरेपी ्कयो अपनाने से लयू्कयोररया ्की समसया में आराम वमलरा है।

    Ã डॉ. हेमंर चरुिवेदीहृदय ररोग डविेिज्ञ, जयपुर

    हाइपिटेंशन 50 वि्द की आयु से पयूव्द मडहलाओं की अपेक्षा पुरुिों में हाइपर्टेंिन की डिकायत जयादा पायी जाती है

    दय िरीर के सभी अंगरो करो रकत पहुंचाने का काय्द करता है। इसी रकतप्रवाह के समय ह्रदय एक दबाव पैदा करता है, इस दबाव करो बलड प्रेिर कहते हैं। एक सेहतमंद पुरुि के डलए बलड प्रेिर डसकुड़ने के समय 120 mmhg हरोता है और आराम डक न्स्थडत में 80 mmhg हरोता है। जब डसस््टॉडलक (जब हृदय डसकुड़ता) बलड प्रेिर140 mmhg

    या इससे ऊपर और डाइयस््टॉडलक (जब हृदय फैलता)बलड प्रेिर 90 mmhg या इससे ऊपर हरो जाता है, तरो उसे हाइपर्टेंिन कहते है। वयन्कत का बलड प्रेिर जयादा काम करने, भय, डचंता, िरोक, क्रोध, वयायाम आडद अवस्था में रकतचाप कुछ समय के डलए बढ़ जाता है। इसीडलए अगर डकसी वयन्कत का रकतचाप, सामान्य न्स्थडत में डनयडमत रूप से जयादा आता है तब डॉक्टर उसे हाइपर्टेंिन कहते हैं।

    ह्र

    हाइपर्टेंिन का अडधकांि लरोगों में करोई खास लक्षण नहीं हरोता है। जब ये काफी बढ़ जाता है तरो डसरदद्द, धुंधला डदखाई देना, गद्दन में दद्द, चककर आना, िरीर में गममी का अहसास, जी घबराना, उर्टी आना, नकसीर फू्टना, सांस फूलना, अडनयडमत धड़कन, गुदथों का कम काम करना जैसे लक्षण डदखाई देने लगते हैं। लंबें समय तक बलड प्रेिर बढ़े रहने से रकत नडलकाओं की दीवारें मरो्टी एवं कठरोर हरो जाती है। उनमें करोलेस्ट्ॉल का जमाव बढ़ जाता है डजससे हा्ट्ड अ्टरैक की आिंका कई गुना बढ़ जाती है। डदमाग की रकत नाडलकाओ में दबाव बढ़ जाने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। डदमागी पक्षाघात हरोने का खतरा बढ़ जाता है।

    1 डरैि डाइ्ट ( डाइट्ी एप्ररोच ्टू स््टॉप हाइपर्टेंिन) जैसे पया्दपत मरो्टा अनाज, फल,सन्बज़यां खाना चाडहए तथा वसा युकत खाद्य पदाथ्द कम लेना चाडहए। इससे 14 mm Hg तक बलड प्रेिर कम डकया जा सकता है।

    2 नाररयल पानी परो्टेडियम से भरपयूर हरोता है तथा हाइपर्टेंिन से बचने के डलए इसे पीना फायदेमंद है। 3 30 वि्द की आयु के बाद और अगर वजन जयादा है या पररवार में डकसी करो उच् रकतचाप है, तरो 20 वि्द की आयु के बाद साल में कम से कम एक बार रकतचाप डक जांच डॉक्टर से कराना चाडहए।

    4 आहार में नमक की मात्ा करो डनयंडत्त करके 2-8 mmHg तक बलड प्रेिर करो कम डकया जा सकता है। सामान्य लरोगों करो 5 ग्ाम से कम तथा हाइपर्टेंडसव मरीजों करो 2ग्ाम से कम मात्ा में नमक का उपयरोग आहार में करना चाइए।

    5 आंवला रकत नडलकाओं के लचीलेपन करो बनाए रखकर बलड प्रेिर करो बढ़ने नहीं देता है। इसका सेवन कीडजए।6 75 प्रडतित सरोडडयम हमारे खाने में प्ररोसेस्ड एवं केन्ड फूड, ्टमा्टर कैचप, सयूप, डचपस में हरोता है। बाजार में डमलने वाले प्ररोसेस्ड फूड के पैके्ट पर लगे लेबल पर इसकी मात्ा जांच लीडजए। साथ ही इनका सेवन कम करना चाडहए।

    लक्षण बचाव के डलए आवशयक उपाय

    पर्फययूम, डियोिरेंट के जयादा प्याेग से बचना चाडहए कयोंडक यह लययूकोररया की समसया को बढ़ा सकता है।

    स्योर : www.dailyinfographic.com