सर्थ बनाती फि से की स् तृत ाां bhai - pandav...

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समथ बनाती फिर से की म तया AM 11.02.2018 (Rev 30.04.83) 1. फिर से भगवान अवतरत हो च का है। 2. फिर से भगवान की हमारे ऊपर टि पड है। 3. फिर से हम नजर से नहाल हो गये ह। 4. फिर से हम भगवान की नजर म समा गये ह। 5. फिर से भगवान ने अपना वरदान हाथ हमारे सर पर रख ददया। 6. फिर से भगवान ने हमारे सारे द :ख-दद द हर सलये। 7. फिर से भगवान ने हम अनतरिय स ख के झ ले म झ लना ससखा ददया। 8. फिर से स टि के आदद-मय-अंत का ान समल गया। 9. फिर से ान का तसरा ने ख ल गया। 10. फिर से ददय टि का वरदान समल गया। 11. फिर से वरदान से भरप र कर ददया। 12. फिर से म झ आमा का अलौफकक गार हो गया। 13. फिर से अम तवेला का स ख पाया। 14. फिर से भगवान से सवद संबंध ज ड गये। 15. फिर से ववजय बनने का वरदान समला। 16. फिर से माया परात हो रही है। 17. फिर से रावण मरने के कगार पर है। 18. फिर से भगवान हमारे बबना बेचैन हो रहा है। 19. फिर से भगवान हमारी पालना करना रहा है। 20. फिर से भगवान हम देख-देख ख श हो रहा है। 21. फिर से भगवान की अखखय म ेम के मोत छलकते ददखाई दए। 22. फिर से भगवान हमारी ता कर रहा है। 23. फिर से भगवान हमारे देवव को जाग त कर रहा है। 24. फिर से भगवान ने हम ताज, तत व नतलकधारी बना ददया है। 25. फिर से भगवान ने हम वराय अधधकारी बना ददया है। 26. फिर से भगवान ने हम अनेक वमान की माला पहना दी है। 27. फिर से भगवान से हम अपने ददल की बातचत कर रहे ह। 28. फिर से भगवान के हम आसशक बन गये ह। 29. फिर से हम देख भगवान का दल वपघल गया। 30. फिर से भगवान हमारे गत गा रहा है। 31. फिर से हम भगवान के गत गा रहे ह। 32. फिर से हम अपन यादगार देख रहे ह। 33. फिर से भगवान हम वव का मासलक बना रहा है। 34. फिर से भगवान की हमारे पर अपार क पा ह ई है।

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Page 1: सर्थ बनाती फि से की स् तृत ाां Bhai - Pandav Bhavan/1… ·  · 2018-02-12सर्थ बनाती ‘फि से’ की स्

समरथ बनाती ‘फिर स’ की समततयाा AM 11.02.2018 (Rev 30.04.83)

1. फिर स भगवान अवतररत हो चका ह। 2. फिर स भगवान की हमार ऊपर दषटि पडी ह। 3. फिर स हम नजर स ननहाल हो गय ह। 4. फिर स हम भगवान की नजरो म समा गय ह। 5. फिर स भगवान न अपना वरदानी हाथ हमार ससर पर रख ददया।

6. फिर स भगवान न हमार सार द:ख-ददद हर सलय। 7. फिर स भगवान न हम अनतषरिय सख क झल म झलना ससखा ददया। 8. फिर स सषटि क आदद-मधय-अत का जञान समल गया। 9. फिर स जञान का तीसरा नतर खल गया। 10. फिर स ददवय दषटि का वरदान समल गया। 11. फिर स वरदानो स भरपर कर ददया। 12. फिर स मझ आतमा का अलौफकक शगार हो गया। 13. फिर स अमतवला का सख पाया। 14. फिर स भगवान स सवद सबध जड गय। 15. फिर स ववजयी बनन का वरदान समला। 16. फिर स माया परासत हो रही ह। 17. फिर स रावण मरन क कगार पर ह। 18. फिर स भगवान हमार बबना बचन हो रहा ह। 19. फिर स भगवान हमारी पालना करना रहा ह। 20. फिर स भगवान हम दख-दख खश हो रहा ह। 21. फिर स भगवान की अखखयो म परम क मोती छलकत ददखाई ददए। 22. फिर स भगवान हमारी परतीकषा कर रहा ह। 23. फिर स भगवान हमार दवतव को जागत कर रहा ह। 24. फिर स भगवान न हम ताज, तखत व नतलकधारी बना ददया ह। 25. फिर स भगवान न हम सवराजय अधधकारी बना ददया ह। 26. फिर स भगवान न हम अनक सवमानो की माला पहना दी ह। 27. फिर स भगवान स हम अपन ददल की बातचीत कर रह ह। 28. फिर स भगवान क हम आसशक बन गय ह। 29. फिर स हम दख भगवान का ददल वपघल गया। 30. फिर स भगवान हमार गीत गा रहा ह। 31. फिर स हम भगवान क गीत गा रह ह। 32. फिर स हम अपनी यादगार दख रह ह। 33. फिर स भगवान हम ववशव का मासलक बना रहा ह। 34. फिर स भगवान की हमार पर अपार कपा हई ह।

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35. फिर स हमार ऊपर भगवान क बलससग की वराद हो रही ह। 36. फिर स भगवान हम दख मसकरा रहा ह। 37. फिर स भगवान न हम पववतर भव योगी भव का वरदान ददया ह। 38. फिर स हम भगवान को भोग लगा रह ह। 39. फिर स बरहमा भोजन खाकर हदय का शदधधकरण हो रहा ह। 4०. फिर स बहद का बराहमण पररवार समला ह। 41. फिर स भगवान न हमार सलए अववनाशी पराषततयो का भडारा खोल ददया ह।

42. फिर स हम भगवान पर कबादन गय ह। 43. फिर स भगवान हमार पर कबादन गय ह। 44. फिर स कलयाणकारी डरामा ररपीि हो रहा ह। 45. फिर स मषतत जीवनमषतत का वसाद परातत हो रहा ह। 46. फिर स हमार दहसाब फकताब चतत हो रह ह। 47. फिर स ईशवरीय सवा कर पणय जमा करन का मौका समला ह। 48. फिर स हम ईशवरीय पढाई पढऩ का डायमड अवसर समला ह। 49. फिर स वाह, हम गॉडली सिडि बन गय! 50. फिर स जीवन म नए उमग-उतसाह का सचार हो रहा ह। 51. फिर स अनकातमाओ को सख, शाषरत का रासता ददखा रह ह। 52. फिर स माया अपना दम तोड रही ह। 53. फिर स रावण राजय की समाषतत हो रही ह। 54. फिर स जञान गगाय ससार म जञान अमत बाि रही ह। 55. फिर स हम योग अषनन स अपन ववकमो को भसम कर रह ह। 56. फिर स सशवशषततया सशव का धवज लहरा रही ह। 57. फिर स योग अषनन की जवाला परजवषललत हो उठी ह। 58. फिर स ववशव म शाषरत की सथापना हो रही ह। 59. फिर स ववनाश जवाला भडकगी। 60. फिर स भगवान और बचचो का समलन हो रहा ह।

61. फिर स कलप की पनराववि हो रही ह। 62. फिर स माया नमसकार कर, ववदाई ल रही ह। 63. फिर स महान, बराहमण आतमाओ का शटठ सग समला। 64. फिर स आतमा को जञान योग क पख समल गय ह। 65. फिर स आतमा तीनो लोको की सर कर रही ह। 66. फिर स िररशता बन ववशव की पररकरमा कर रह ह। 67. फिर स आतमा को सचची खशी समली ह। 68. फिर स मनमनाभव का मतर समला ह। 69. फिर स आतमा याद की यातरा पर ननकल पडी ह। 70. फिर स सवद आतमाओ क वापस घर जान का समय आ गया ह।

71. फिर स नय ववधधववधान बन रह ह। 72. फिर स आतमा को रहानी खमारी चढी ह।

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73. फिर स आतमा परिषललत हो रही ह। 74. फिर स एकमत, एक भारा, एक राजय की सथापना हो रही ह। 75. फिर स नय सकलपो का खजाना समला ह। 76. फिर स सगमयग की मौज का अनभव कर रह ह। 77. फिर स महान आतमाओ का सग समला ह। 78. फिर स जञान-योग की ककषाए अिरड करन का सअवसर समला ह। 79. फिर स मधबन की बधगया महक उठी ह। 80. फिर स मधबन म बराहमणो की ररमखझम लगी हई ह। 81. फिर स मधबन क आगन म खसशयो की बरसात हो रही ह। 82.-फिर स अनक आतमाय मधबन म अपनी तयास बझा रही ह। 83. फिर स आतमाय अपन घर मधबन म पहच रही ह। 84. फिर स 5000 वरद का इनतहास अपन आप को दोहरा रहा ह। 85. फिर स ससार बदल रहा ह। 86. फिर स हम अपनी यादगार दख रह ह। 87. फिर स हमारा मरजीवा जरम हआ ह। 88. फिर स भगवान का खत आ रहा ह। 89. फिर स हम बहद क यजञ म आहनतया डाल रह ह। 90. फिर स आतमा सतोपरधान बन रही ह। 91. फिर स आतमा समपणद ननववदकारी बन रही ह। 92. फिर स जञान का मनन धचतन कर रह ह। 93. फिर स परानी दननया राह क गरहण स मतत हो रही ह। 94. फिर स अजञान अधकार समातत हो रहा ह। 95. फिर स परमातम तयार की बरसात हो रही ह। 96. फिर स परभ समलन की वला आ गई ह। 97. फिर स परमातम परतयकषता हो रही ह। 98. फिर स अधो को जञान का आईना, जञान की लाठी समली ह। 99. फिर स भगवान की वाणी कानो म गज रही ह। 100. फिर स भगवान इस परानी दननया म महमान बनकर आया ह। 101. फिर स आतमाओ और परमातमा की महफिल जमी ह। 102. फिर स परमातमा की आशीवाद स आतमा भावववभोर हो रही ह। 103. फिर स आतमा परमातमा स तयार कर बठी ह। 104. फिर स अशारत आतमाओ को शाषरत परातत हई ह। 105. फिर स परमातम खजानो स आतमा मालामाल हो गई ह। 106. फिर स गीता एपीसोड ररपीि हो रहा ह। 107. फिर स आतमा की परमातमा स सगाई हई ह। 108. फिर स आतमा अपनी सवोचच अवसथा को पा रही ह। ........... ओम शानतत ............